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नेह-गाँधी राजवंश (?

संकलन एवं अनव


ु ाद -

सुरेश चपलूनकर

www.blog.sureshchiplunkar.com
2 नेह-गाँधी राजवंश (?)

नेह-गाँधी राजवंश (?)


(http://sureshchiplunkar.blogspot.com/2007/04/blog-post_18.html)
आजकल जबसे "बबुआ" राहुल गाँधी ने राजनीत म आकर अपने बयान दे ना शु कर "दया है ,
तब से "नेह राजवंश" नामक श$द बार-बार आ रहा है । नेह राजवंश अथा'त Nehru
Dynasty... इस स)ब*ध म अं+ेजी म ,व-भ*न साईट1 और +ु3स म बहुत चचा' हुई है ....बहुत
"दन1 से सोच रहा था 7क इसका "ह*द8 म अनुवाद कँ या नह8ं, गूगल बाबा पर भी खोजा,
ले7कन इसका "ह*द8 अनुवाद कह8ं नह8ं -मला, इस-लये 7फ़र सोचा 7क "ह*द8 के पाठक1 को इन
मह=वपूण' सूचनाओं से महम @य1 रखा जाये.

यह जानकाAरयाँ यहाँ (http://krishnajnehru.blogspot.com/2005/04/nehru-died-of-tertiary-syphilis-

aortic.html ), यहाँ (http://draft.blogger.com/www.vepachedu.org/Nehrudynasty.html) तथा और भी कई

जगह1 पर उपल$ध हD मुEय समFया थी 7क इसे कैसे संयोिजत कँ, @य17क साम+ी बहुत Hयादा
है और टुकड1-टुकड1 म है , 7फ़र भी मैने को-शश कJ है इसका सह8 अनुवाद करने कJ और उसे
तारत)यता के साथ पठनीय बनाने कJ...जा"हर है 7क यह सार8 साम+ी अनुवाद भर है , इसम मेरा
-सफ़' यह8 योगदान है ... हालां7क मैने लगभग सभी स*दभK (references) का उLलेख करने कJ
को-शश कJ है , ता7क लोग इसे वहाँ जाकर अं+ेजी म पढ सक, ले7कन "ह*द8 म पढने का मजा
कुछ और ह8 है ... बाकJ सब पाठक1 कJ मजO...हजार1-हजार पाठक1 ने इसे अं+ेजी म पढ ह8 रखा
होगा, ले7कन जो नह8ं पढ़ पाये हD और वह भी "ह*द8 म , तो उनके -लये यह पेश है ...

"नेह-गाँधी राजवंश (?)क# अस%लयत"...इसको पढने से हम- यह समझ म- आता है 1क कैसे


स2ता %शखर4 पर सडाँध फ़ैल7 हुई है और इ:तहास को कैसे तोडा-मरोडा जा सकता है , कैसे आम
जनता को स2य से वंचत रखा जा सकता है । हम इ:तहास के बारे म- उतना ह7 जानते ह>
िजतना 1क वह हम- स2ताधीश4 @वारा बताया जाता है , समझाया जाता है (बिAक कहना चाBहये
पीढ7-दर-पीढ7 गले उतारा जाता है ) । 1फ़र एक समय आता है जब हम उसे ह7 सच समझने
लगते ह> Eय41क वाद-Fववाद क# कोई गुंजाईश ह7 नह7ं छोडी जाती । हमारे वामपंथी %मI इस

मामले म- बडे पहुँचे हुए उKताद ह>, यह उनसे सीखना चाBहये 1क कैसे 1कताब4 म- फ़ेरबदल करके
अपनी Fवचारधारा को कLचे Bदमाग4 पर थोपा जाये, कैसे जेएनयू और आईसीएचआर जैसी
संKथाओं पर कNजा करके वहाँ फ़जO Fव@वान भरे जाय- और अपना मनचाहा इ:तहास %लखवाया
जाये..कैसे मीQडया म- अपने आदमी भरे जाय- और BहRद2ु व, भारत, भारतीय संKकृ:त को गTरयाया
जाये...ता1क लोग4 को असल7 और सLची बात कभी पता ह7 ना चले... हम और आप तो इस
खेल म- कह7ं भी नह7ं ह>, एक पुजU माI ह> िजसक# कोई अह%मयत नह7ं (%सवाय एक Nलोग

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%लखने और भूल जाने के)...तो 1कKसा-ए-गाँधी पTरवार शुV होता है साहे बान...शुQआत होती है
"गंगाधर" (गंगाधर नेह नह8ं), यानी मोतीलाल नेह के ,पता से । नेह उपनाम बाद म
मोतीलाल ने खुद लगा -लया था, िजसका शाि$दक अथ' था "नहर वाले", वरना तो उनका नाम
होना चा"हये था "मोतीलाल धर", ले7कन जैसा 7क इस खानदान कJ नाम बदलने कJ आदत थी
उसी के मुताRबक उ*ह1ने यह 7कया । रॉबटY हाडO एRZज क# 1कताब "ए लै[प फ़ॉर इंQडया - द
Kटोर7 ऑफ़ मदाम पंQडत" म उस तथाकSथत गंगाधर का SचT छपा है , िजसके अनुसार गंगाधर
असल म- एक सुRनी मुसलमान था, िजसका असल7 नाम गयासु]ीन गाजी था. लोग सोच गे 7क
यह खोज कैसे हुई?

दरअसल नेह ने खुद कJ आ=मकथा म एक जगह -लखा था 7क उनके दादा अथा'त मोतीलाल
के ,पता गंगा धर थे, ठUक वैसा ह8 जवाहर कJ बहन कृWणा ने भी एक जगह -लखा है 7क उनके
दादाजी मुगल सLतनत (बहादरु शाह जफ़र के समय) म नगर कोतवाल थे. अब इतहासकार1 ने
खोजबीन कJ तो पाया 7क बहादरु शाह जफ़र के समय कोई भी "ह*द ू इतनी मह=वपूण' ओहदे पर

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नह8ं था..और खोजबीन पर पता चला 7क उस व@त के दो नायब कोतवाल "ह*द ू थे नाम थे भाऊ
-संह और काशीनाथ, जो 7क लाहौर8 गेट "दLल8 म तैनात थे, ले7कन 7कसी गंगा धर नाम के
Zयि@त का कोई Aरकॉड' नह8ं -मला (मेहद7 हुसैन क# पुKतक : बहादरु शाह जफ़र और १८५७ का
गदर, १९८७ क# आविृ 2त), Aरकॉड' -मलता भी कैसे, @य17क गंगा धर नाम तो बाद म अं+ेज1 के
कहर से डर कर बदला गया था, असल8 नाम तो था "गयासु\ीन गाजी" । जब अं+ेज1 ने "दLल8
को लगभग जीत -लया था,तब मुगल1 और मुसलमान1 के दोबारा ,व]ोह के डर से उ*ह1ने "दLल8
के सारे "ह*दओ
ु ं और मुसलमान1 को शहर से बाहर करके त)बुओं म ठहरा "दया था (जैसे 7क
आज क^मीर8 पं_डत रह रहे हD), अं+ेज वह गलती नह8ं दोहराना चाहते थे, जो "ह*द ू राजाओं
(प`ृ वीराज चौहान ने) ने मुसलमान आaांताओं को जी,वत छोडकर कJ थी, इस-लये उ*ह1ने चुन-
चुन कर मुसलमान1 को मारना शुQ 7कया, ले7कन कुछ मुसलमान "दLल8 से भागकर पास के
इलाक1 मे चले गये थे । उसी समय यह पAरवार भी आगरा कJ तरफ़ कूच कर गया...

हमने यह कैसे जाना ? नेह ने अपनी आ=मकथा म -लखा है 7क आगरा जाते समय उनके दादा
गंगा धर अं+ेज1 ने रोक कर पछ
ू ताछ कJ थी, ले7कन तब गंगा धर ने उनसे कहा था 7क वे
मस
ु लमान नह8ं हD, बिLक क^मीर8 पं_डत हD और अं+ेज1 ने उ*ह आगरा जाने "दया... बाकJ तो
इतहास है ह8 । यह "धर" उपनाम क^मीर8 पं_डत1 म आमतौर पाया जाता है , और इसी का
अपbंश होते-होते और धमा'*तरण होते-होते यह "दर" या "डार" हो गया जो 7क क^मीर के
अ,वभािजत "हFसे म आमतौर पाया जाने वाला नाम है । ले7कन मोतीलाल ने नेह नाम चुना
ता7क यह पूर8 तरह से "ह*द ू सा लगे । इतने पीछे से शुQआत करने का मकसद -सफ़' यह8 है
7क हम पता चले 7क "खानदानी" लोग @या होते हD ।

कहा जाता है 1क आदमी और घोडे को उसक# नKल से पहचानना चाBहये, e2येक fयिEत और
घोडा अपनी नKल7य Fवशेषताओं के Bहसाब से ह7 fयवहार करता है , संKकार उसम- थोडा सा
बदलाव ला सकते ह>, ले1कन उसका मूल Kवभाव आसानी से बदलता नह7ं है .... 7फ़लहाल गाँधी-
नेह पAरवार पर फ़ोकस...अपनी पुFतक "द नेह डायनेKट7" म-
लेखकके.एन.राव (यहाँ http://www.amazon.com/Nehru-dynasty-Astro-political-portraits-
Indira/dp/8186092005 ) -लखते हD.ऐसा माना जाता है 7क जवाहरलाल, मोतीलाल नेह के पT

थे और मोतीलाल के ,पता का नाम था गंगाधर । यह तो हम जानते ह8 हD 7क जवाहरलाल कJ
एक पT
ु ी थी इि*दरा ,dयद-श'नी नेह । कमला नेह उनकJ माता का नाम था, िजनकJ म=ृ यु
िFवटजरलैeड म ट8बी से हुई थी । कमला शुQ से ह8 इि*दरा के 7फ़रोज से ,ववाह के fखलाफ़
थीं... @य1 ? यह हम नह8ं बताया जाता...ले7कन यह 7फ़रोज गाँधी कौन थे ? 7फ़रोज उस Zयापार8

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के बेटे थे, जो "आन*द भवन" म घरे लू सामान और शराब पहुँचाने का काम करता था...नाम...
बताता हूँ.... पहले आन*द भवन के बारे म थोडा सा... आन*द भवन का असल8 नाम था
"इशरत मंिजल" और उसके मा-लक थे मुबारक अल8... मोतीलाल नेह पहले इ*ह8ं मुबारक अल8
यहाँ काम करते थे...खैर...हमम से सभी जानते हD 7क राजीव गाँधी के नाना का नाम था
जवाहरलाल नेह, ले7कन e2येक
fयिEत के नाना के साथ ह7 दादा
भी तो होते ह>... और अधकतर
पTरवार4 म- दादा और Fपता का नाम
hयादा मह2वपूणY होता है , बजाय
नाना या मामा के... तो 1फ़र राजीव
गाँधी के दादाजी का नाम Eया
था.... 1कसी को मालूम है ? नह8ं
ना... ऐसा इस-लये है , @य17क राजीव
गाँधी के दादा थे नवाब खान, एक
मुिFलम Zयापार8 जो आन*द भवन
म सामान स3लाय करता था और
िजसका मूल नवास था जूनागढ गुजरात म ... नवाब खान ने एक पारसी म"हला से शाद8 कJ
और उसे मुिFलम बनाया... 7फ़रोज इसी म"हला कJ स*तान थे और उनकJ माँ का उपनाम था
"घांद8" (गाँधी नह8ं)... घांद8 नाम पार-सय1 म अ@सर पाया जाता था...,ववाह से पहले 7फ़रोज
गाँधी ना होकर 7फ़रोज खान थे और कमला
नेह के ,वरोध का असल8 कारण भी यह8
था...हम बताया जाता है 7क राजीव गाँधी पहले
पारसी थे... यह माT एक bम पैदा 7कया गया
है । इि*दरा गाँधी अकेलेपन और अवसाद का
-शकार थीं । शांत नकेतन म पढते व@त ह8
र,व*]नाथ टै गोर ने उ*ह अनSु चत Zयवहार के
-लये नकाल बाहर 7कया था... अब आप खुद
ह8 सोSचये... एक त*हा जवान लडकJ िजसके ,पता राजनीत म परू 8 तरह से ZयFत और माँ
लगभग म=ृ यु शैया पर पडी ़ हुई ह1... थोडी सी सहानुभू त माT से @य1 ना ,पघलेगी, और ,वपर8त
-लंग कJ ओर @य1 ना आक,ष'त होगी? इसी बात का फ़ायदा 7फ़रोज खान ने उठाया और इि*दरा

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को बहला-फ़ुसलाकर उसका धम' पAरवत'न करवाकर ल*दन कJ एक मिFजद म उससे शाद8 रचा
ल8 (नाम रखा "मैमूना बेगम") ।

नेह को पता चला तो वे बहुत लाल-पीले हुए, ले7कन अब @या 7कया जा सकता था...जब यह
खबर मोहनदास करमच*द गाँधी को -मल8 तो उ*ह1ने ताबडतोड नेह को बुलाकर समझाया,
राजनैतक छ,व कJ खातर 7फ़रोज को मनाया 7क वह अपना नाम गाँधी रख ले.. यह एक
आसान काम था 7क एक शपथ पT के जAरये, बजाय धम' बदलने के -सफ़' नाम बदला जाये...
तो 7फ़रोज खान (घांद8) बन गये 7फ़रोज गाँधी । और ,वड)बना यह है 7क स=य-स=य का जाप
करने वाले और "स=य के साथ मेरे dयोग" -लखने वाले गाँधी ने इस बात का उLलेख आज तक
कह8ं नह8ं 7कया, और वे महा=मा भी कहलाये...खैर... उन दोन1 (7फ़रोज और इि*दरा) को भारत
बुलाकर जनता के सामने "दखावे के -लये एक बार पुनः वै"दक र8त से उनका ,ववाह करवाया
गया, ता7क उनके खानदान कJ ऊँची नाक (?) का bम बना रहे ।

इस बारे म नेह के सेaेटर8 एम.ओ.मथाई अपनी पुFतक"रे मे:नसेRसेस ऑफ़ थे नेह एज" (पjृ ट
९४ पैरा २) (अब भारत सरकार @वारा e:तबिRधत) म -लखते हD 7क "पता नह8ं @य1 नेह ने सन
१९४२ म एक अ*तजा'तीय और अ*तधा'-म'क ,ववाह को वै"दक र8तAरवाज1 से 7कये जाने को
अनुमत द8, जब7क उस समय यह अवैधानक था, कानूनी प से उसे "-स,वल मैAरज" होना
चा"हये था" । यह तो एक Fथा,पत त`य है 7क राजीव गाँधी के ज*म के कुछ समय बाद
इि*दरा और 7फ़रोज अलग हो गये थे, हालाँ7क तलाक नह8ं हुआ था । 7फ़रोज गाँधी अ@सर नेह
पAरवार को पैसे माँगते हुए परे शान 7कया करते थे, और नेह कJ राजनैतक गत,वSधय1 म
हFतpेप तक करने लगे थे । तंग आकर नेह ने 7फ़रोज का "तीन मूत' भवन" मे आने-जाने
पर dतब*ध लगा "दया था । मथाई -लखते हD 7फ़रोज कJ म=ृ यु से नेह और इि*दरा को बडी ़
राहत -मल8 थी । १९६० म 7फ़रोज गाँधी कJ म=ृ यु भी रहFयमय हालात म हुई थी, जब7क वह
दस
ू र8 शाद8 रचाने कJ योजना बना चुके थे । अपुWट सूT1, कुछ खोजी पTकार1 और इि*दरा गाँधी
के 7फ़रोज से अलगाव के कारण यह त`य भी Fथा,पत हुआ 7क sीमती इि*दरा गाँधी (या
sीमती 7फ़रोज खान) का दस
ू रा बेटा अथा'त संजय गाँधी, 7फ़रोज कJ स*तान नह8ं था, संजय
गाँधी एक और मुिFलम मोह)मद यूनुस का बेटा था । संजय गाँधी का असल8 नाम दरअसल
संजीव गाँधी था, अपने बडे भाई राजीव गाँधी से -मलता जुलता । ले7कन संजय नाम रखने कJ
नौबत इस-लये आई @य17क उसे ल*दन पु-लस ने इंtलैeड म कार चोर8 के आरोप म पकड़ -लया
था और उसका पासपोट' ज$त कर -लया था । Rvटे न म त=काल8न भारतीय उwचायु@त कृWण
मेनन ने तब मदद करके संजीव गाँधी का नाम बदलकर नया पासपोट' संजय गाँधी के नाम से

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बनवाया था (इRह7ं कृjण मेनन साहब को mjटाचार के एक मामले म- नेह और इिRदरा ने
बचाया था) । अब संयोग पर संयोग दे fखये... संजय गाँधी का ,ववाह "मेनका आन*द" से हुआ...
कहाँ... मोह)मद यूनस
ु के घर पर (है ना आ^चय' कJ बात)... मोह[मद यूनुस क# पुKतक
"पसYRस, पैशRस एnड पो%लBटEस" म बालक संजय का इFलामी र8तAरवाज1 के मुताRबक खतना
बताया गया है , हालां7क उसे "7फ़मो-सस" नामक बीमार8 के कारण 7कया गया कृ=य बताया गया
है , ता7क हम लोग (आम जनता) गा7फ़ल रह .... मेनका जो 7क एक -सख लडकJ थी, संजय कJ
रं गरे -लय1 कJ वजह से गभ'वती हो गx थीं और 7फ़र मेनका के ,पता कन'ल आन*द ने संजय को
जान से मारने कJ धमकJ द8 थी, 7फ़र
उनकJ शाद8 हुई और मेनका का नाम
बदलकर "मानेका" 7कया गया, @य17क
इि*दरा गाँधी को "मेनका" नाम पस*द
नह8ं था (यह इ*]सभा कJ न=ृ यांगना
टाईप का नाम लगता था), पस*द तो
मेनका, मोह)मद यूनुस को भी नह8ं थी
@य17क उ*ह1ने एक मुिFलम लडकJ
संजय के -लये दे ख रखी थी ।

7फ़र भी मेनका कोई साधारण लडकJ


नह8ं थीं, @य17क उस जमाने म उ*ह1ने बॉ)बे डाxग के -लये -सफ़' एक तौ-लये म ,वyापन 7कया
था । आमतौर पर ऐसा माना जाता है 7क संजय गाँधी अपनी माँ को $लैकमेल करते थे और
िजसके कारण उनके सभी बुरे कृ=य1 पर इि*दरा ने हमेशा परदा डाला और उसे अपनी मनमानी
करने कJ छूट द8 । ऐसा dतीत होता है 7क शायद संजय गाँधी को उसके असल8 ,पता का नाम
मालूम हो गया था और यह8 इि*दरा कJ कमजोर नस थी, वरना @या कारण था 7क संजय के
,वशेष नसब*द8 अ-भयान (िजसका मुसलमान1 ने भार8 ,वरोध 7कया था) के दौरान उRह4ने चुoपी
साधे रखी, और संजय क# मौत के त2काल बाद काफ़# समय तक वे एक चा%भय4 का गुLछा
खोजती रह7ं थी, जब1क मोह[मद यूनुस संजय क# लाश पर दहाड- मार कर रोने वाले एकमाI
बाहर7 fयिEत थे...। (संजय गाँधी के तीन अRय %मI कमलनाथ, अकबर अहमद ड[पी और
Fव@याचरण शुEल, ये चार4 उन Bदन4 "चाnडाल चौकडी" कहलाते थे... इनक# रं गरे %लय4 के 1कKसे
तो बहुत मशहूर हो चुके ह> जैसे 1क अंqबका सोनी और Vखसाना सुलताना [अ%भनेIी अमत
ृ ा %संह
क# माँ] के साथ इन लोग4 क# Fवशेष नजद71कयाँ....)एम.ओ.मथाई अपनी पुFतक के पWृ ठ २०६
पर -लखते हD - "१९४८ म वाराणसी से एक स*या-सन "दLल8 आई िजसका काLपनक नाम s{ा

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माता था । वह संFकृत कJ ,व|वान थी और कई सांसद उसके ZयाEयान सुनने को बेताब रहते


थे । वह भारतीय परु ालेख1 और सनातन संFकृत कJ अwछU जानकार थी । नेह के परु ाने
कम'चार8 एस.डी.उपा}याय ने एक "ह*द8 का पT नेह को स~पा िजसके कारण नेह उस
स*या-सन को एक इंटरZयू दे ने को राजी हुए । चँू7क दे श तब आजाद हुआ ह8 था और काम
बहुत था, नेह ने अSधकतर बार इंटरZय़ू आधी रात के समय ह8 "दये । मथाई के श$द1 म -
एक रात मैने उसे पीएम हाऊस से नकलते दे खा, वह बहुत ह8 जवान, खूबसूरत और "दलकश
थी।

एक बार नेह के लखनऊ दौरे के समय s}दामाता उनसे -मल8 और उपा}याय जी हमेशा कJ
तरह एक पT लेकर नेह के पास आये, नेह ने भी उसे उ=तर "दया, और अचानक एक "दन
s{ा माता गायब हो गx, 7कसी के ढूँढे से नह8ं -मल8ं । नव)बर १९४९ म बगलूर के एक कॉ*वट
से एक सद
ु श'न सा आदमी पT1 का एक बंडल लेकर आया। उसने कहा 7क उ=तर भारत से एक
यव
ु ती उस कॉ*वट म कुछ मह8ने पहले आई थी और उसने एक बwचे को ज*म "दया। उस
यव
ु ती ने अपना नाम पता नह8ं बताया और बwचे के ज*म के तरु *त बाद ह8 उस बwचे को वहाँ
छोडकर गायब हो गई थी। उसकJ नजी वFतुओं म "ह*द8 म -लखे कुछ पT बरामद हुए जो
dधानम*Tी |वारा -लखे गये हD, पT1 का वह बंडल उस आदमी ने अSधकाAरय1 के सुपद
ु ' कर
"दया।

मथाई -लखते हD- मैने उस बwचे और उसकJ माँ कJ खोजबीन कJ काफ़J को-शश कJ, ले7कन
कॉ*वट कJ मुEय -मF€े स, जो 7क एक ,वदे शी म"हला थी, बहुत कठोर अनुशासन वाल8 थी और
उसने इस मामले म एक श$द भी 7कसी से नह8ं कहा.....ले7कन मेर8 इwछा थी 7क उस बwचे का
पालन-पोषण मD कQँ और उसे रोमन कैथो-लक संFकार1 म बडा कँ, चाहे उसे अपने ,पता का
नाम कभी भी मालूम ना हो.... ले7कन ,वधाता को यह मंजूर नह8ं था.... खैर... हम बात कर रहे
थे राजीव गाँधी कJ...जैसा 7क हम मालूम है राजीव गाँधी ने, तूAरन (इटल8) कJ म"हला सानया
माईनो से ,ववाह करने के -लये अपना तथाकSथत पारसी धम' छोडकर कैथो-लक ईसाई धम'
अपना -लया था। राजीव गाँधी बन गये थे रोबेतt और उनके दो बLचे हुए िजसम- से लडक# का
नाम था "qबयेRका" और लडके का "रॉल" । बडी ह7 चालाक# से भारतीय जनता को बेवकूफ़
बनाने के %लये राजीव-सो:नया का BहRद ू र7:तTरवाज4 से पुनFवYवाह करवाया गया और बLच4 का
नाम "qबयेRका" से बदलकर Feयंका और "रॉल" से बदलकर राहुल कर Bदया गया... बेचार8 भोल8-
भाल8 आम जनता !

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dधानम*Tी बनने के बाद राजीव गाँधी ने ल*दन कJ एक dेस कॉ*‚े*स म अपने-आप को पारसी
कJ स*तान बताया था, जब7क पार-सय1 से उनका कोई लेना-दे ना ह8 नह8ं था, @य17क वे तो एक
मुिFलम कJ स*तान थे िजसने नाम बदलकर पारसी उपनाम रख -लया था । हम बताया गया है
7क राजीव गाँधी केि)vज ,व^व,व|यालय के Fनातक थे, यह अध'स=य है ... ये तो सच है 7क
राजीव केि)vज यूनव-स'ट8 म मेकेनकल इंजीनयAरंग के छाT थे, ले7कन उ*ह वहाँ से Rबना
7कसी _ड+ी के नकलना पडा था, @य17क वे लगातार तीन साल फ़ेल हो गये थे... लगभग यह8
हाल सानया माईनो का था...हम यह8 बताया गया है 7क वे भी केि)vज यूनव-स'ट8 कJ Fनातक
हD... जब7क सwचाई यहहै 7क सोनया Fनातक हD ह8 नह8ं, वे केि)vज म पढने जर गx थीं
ले7कन केि)vज यूनव-स'ट8 म नह8ं । सोनया गाँधी केि)vज म अं+ेजी सीखने का एक कोस'
करने गई थी, ना 7क ,व^व,व|यालय म (यह बात हाल ह8 म लोकसभा सSचवालय |वारा माँगी
गई जानकार8 के तहत खुद सोनया गाँधी ने मुहैया कराई है , उ*ह1ने बडे ह8 मासूम अ*दाज म
कहा 7क उ*ह1ने कब यह दावा 7कया था 7क वे केि)vज कJ Fनातक हD, अथाYत उनके चमच4 ने
यह बेपर क# उडाई थी)। aूरता कJ हद तो यह थी 7क राजीव का अि*तम संFकार "ह*द ू
र8तAरवाज1 के तहत 7कया गया, ना ह8 पारसी तर8के से ना ह8 मुिFलम तर8के से । इसी नेह
खानदान कJ भारत कJ जनता पूजा करती है , एक इटा-लयन म"हला िजसकJ एकमाT योtयता
यह है 7क वह इस खानदान कJ बहू है आज दे श कJ सबसे बडी पाटƒ कJ कता'धता' है और "रॉल"
को भारत का भ,वWय बताया जा रहा है । मेनका गाँधी को ,वपpी पा"ट' य1 |वारा हाथ1हाथ
इसी-लये -लया था 7क वे नेह खानदान कJ बहू हD, इस-लये नह8ं 7क वे कोई समाजसेवी या
dाfणय1 पर दया रखने वाल8 हD....और य"द कोई सानया माइनो कJ तुलना मदर टे रेसा या
एनीबेसेeट से करता है तो उसकJ बु,{ पर तरस खाया जा सकता है और "ह*दF
ु तान कJ
बद7कFमती पर -सर धुनना ह8 होगा...

यह अनव
ु ाद %सफ़Y इसी%लये 1कया गया है 1क जो बात बरस4 पहले से ह7 अंuेजी म- उपलNध है , उसे
ु ाना नह7ं है , ना
BहRद7 म- भी अनुवाBदत भी होना चाBहये.... यह करने के पीछे उ]ेvय 1कसी का Bदल दख
ह7 अपने चwे क# ट7आरपी बढाने का है ... हाँ यह KवाथY जर है 1क यBद पाठक4 को अनुवाद पसRद
आया तो इस yेI म- भी हाथ आजमाया जाये और इस गर7ब क# झोल7 म- थोडा ़ सा नावां-प2ता आ
गरे .... (नीले रं ग से इटै %लक 1कये हुए शNद मेरे ह>, बाक# सब अनव
ु ाद है )

नेह-गाँधी राजवंश (?)


10 नेह-गाँधी राजवंश (?)

सो:नया गाँधी को आप 1कतना जानते ह>? (भाग-1)


(http://blog.sureshchiplunkar.com/2007/08/blog-post_07.html)

जब इंटरनेट और $लॉग कJ दु नया म आया तो सोनया गाँधी के बारे म काफ़J कुछ पढने को
-मला । पहले तो मDने भी इस पर ,व^वास नह8ं 7कया और इसे माT बकवास सोच कर खाAरज
कर "दया, ले7कन एक-दो नह8ं कई साईट1 पर कई लेखक1 ने सोनया के बारे म काफ़J कुछ
-लखा है जो 7क अभी तक ,dंट मी_डया म नह8ं आया है (और भारत म इंटरनेट 7कतने और
7कस dकार के लोग उपयोग करते हD, यह बताने कJ आव^यकता नह8ं है ) । यह तमाम साम+ी
"ह*द8 म और ,वशेषकर "यूनकोड" म भी पाठक1 को सुलभ होनी चा"हये, यह8 सोचकर
मDने "नेह-गाँधी राजवंश" (http://sureshchiplunkar.blogspot.com/2007/04/blog-post_18.html)
नामक पोFट -लखी थी िजस पर मुझे -मल8जुल8 dत7aया -मल8, कुछ ने इसकJ तार8फ़ कJ, कुछ
तटFथ बने रहे और कुछ ने Zयि@तगत मेल भेजकर गा-लयाँ भी द8ं (मुंड-े मुंडे मत-भ'*नाः) । यह
तो Fवाभा,वक ह8 था, ले7कन सबसे आ^चय'जनक बात यह रह8 7क कुछ ,व|वान1 ने मेरे -लखने
को ह8 चुनौती दे डाल8 और अं+ेजी से
"ह*द8 या मराठU से "ह*द8 के अनुवाद
को एक गैर-लेखकJय कम' और "नॉन-
7aये"टव" करार "दया । बहरहाल, कम
से कम म> तो अनुवाद को रचना2मक
कायY मानता हूँ, और दे श क# एक
eमुख हKती के बारे म- %लखे हुए का
BहRद7 पाठक4 के %लये अनुवाद पेश
करना एक कतYfय मानता हूँ (कम से
कम मD इतना तो ईमानदार हूँ ह8, 7क
जहाँ से अनुवाद कँ उसका उLलेख,
नाम उपल$ध हो तो नाम और -लंक
उपल$ध हो तो -लंक दे ता हूँ) ।
पेश है "आप सोनया गाँधी को 7कतना जानते हD" कJ पहल8 कडी, ़ अंuेजी म- इसके मूल लेखक ह>
एस.गुVमू:तY और यह लेख Bदनांक १७ अeैल २००४ को "द Rयू इंQडयन एEसeेस" म- -
अनमािKकंग सो:नया गाँधी- शीषYक से eका%शत हुआ था ।
"अब भू-मका बाँधने कJ आव^यकता नह8ं है और समय भी नह8ं है , हम सीधे मुEय मु\े पर आ
जाना चा"हये । भारत कJ खु7फ़या एजसी "रॉ", िजसका गठन सन १९६८ म हुआ, ने ,व-भ*न दे श1
कJ गु3तचर एज-सय1 जैसे अमेAरका कJ सीआईए, स कJ केजीबी, इसराईल कJ मोFसाद और
‚ांस तथा जम'नी म अपने पेशेगत संपक' बढाये और एक नेटवक' खडा ़ 7कया । इन खु7फ़या
एज-सय1 के अपने-अपने सूT थे और वे आतंकवाद, घुसपैठ और चीन के खतरे के बारे म
सच
ू नाय आदान-dदान करने म सpम थीं । ले7कन "रॉ" ने इटल8 कJ खु7फ़या एज-सय1 से इस

नेह-गाँधी राजवंश (?)


नेह-गाँधी राजवंश (?)
11
dकार का कोई सहयोग या गठजोड़ नह8ं 7कया था, @य17क "रॉ" के वAरWठ जासस
ू 1 का मानना था
7क इटा-लयन खु7फ़या एज-सयाँ भरोसे के काRबल नह8ं हD और उनकJ सूचनाय दे ने कJ pमता पर
भी उ*ह संदेह था ।
स7aय राजनीत म राजीव गाँधी का dवेश हुआ १९८० म संजय कJ मौत के बाद । "रॉ" कJ
नय-मत "vी7फ़ं ग" म राजीव गाँधी भी भाग लेने लगे थे ("vी7फ़ं ग" कहते हD उस सं‹p3त बैठक
को िजसम रॉ या सीबीआई या पु-लस या कोई और सरकार8 संFथा dधानम*Tी या गह
ृ मंTी को
अपनी Aरपोट' दे ती है ), जब7क राजीव गाँधी सरकार म 7कसी पद पर नह8ं थे, तब वे -सफ़' काँ+ेस
महासSचव थे । राजीव गाँधी चाहते थे 7क अQण नेह और अQण -संह भी रॉ कJ इन बैठक1 म
शा-मल ह1 । रॉ के कुछ वAरWठ अSधकाAरय1 ने दबी जब
ु ान म इस बात का ,वरोध 7कया था
चँ7ू क राजीव गाँधी 7कसी अSधकृत पद पर नह8ं थे, ले7कन इं"दरा गाँधी ने रॉ से उ*ह इसकJ
अनुमत दे ने को कह "दया था, 7फ़र भी रॉ ने इं"दरा जी को FपWट कर "दया था 7क इन लोग1
के नाम इस vी7फ़ं ग के Aरकॉड' म नह8ं आएंगे । उन बैठक1 के दौरान राजीव गाँधी सतत रॉ पर
दबाव डालते रहते 7क वे इटा-लयन खु7फ़या एज-सय1 से भी गठजोड़ कर , राजीव गाँधी ऐसा @य1
चाहते थे ? या @या वे इतने अनुभवी थे 7क उ*ह इटा-लयन एज-सय1 के मह=व का पता भी चल
गया था ? ऐसा कुछ नह8ं था, इसके पीछे एकमाT कारण थी
सोनया गाँधी । राजीव गाँधी ने सोनया से सन १९६८ म
,ववाह 7कया था, और हालां7क रॉ मानती थी 7क इटल8 कJ
एजसी से गठजोड़ -सवाय पैसे और समय कJ बबा'द8 के
अलावा कुछ नह8ं है , राजीव लगातार दबाव बनाये रहे ।
अ*ततः दस वषK से भी अSधक समय के प^चात रॉ ने
इटल8 कJ खु7फ़या संFथा से गठजोड़ कर -लया । @या आप
जानते हD 7क रॉ और इटल8 के जासूस1 कJ पहल8
आSधकाAरक मी"टंग कJ ZयवFथा 7कसने कJ ? जी हाँ,
सोनया गाँधी ने । सीधी सी बात यह है 7क वह इटल8 के जासूस1 के नर*तर स)पक' म थीं ।
एक मासूम ग"ृ हणी, जो राजनैतक और dशासनक मामल1 से अ-ल3त हो और उसके इटा-लयन
खु7फ़या एजेि*सय1 के गहरे स)ब*ध ह1 यह सोचने वाल8 बात है , वह भी तब जब7क उ*ह1ने
भारत कJ नागAरकता नह8ं ल8 थी (वह उ*ह1ने बहुत बाद म ल8) । dधानमंTी के घर म रहते
हुए, जब7क राजीव खुद सरकार म नह8ं थे । हो सकता है 7क रॉ इसी कारण से इटल8 कJ
खु7फ़या एजसी से गठजोड़ करने मे कतरा रहा हो, @य17क ऐसे 7कसी भी सहयोग के बाद उन
जासूस1 कJ पहुँच -सफ़' रॉ तक न रहकर dधानमंTी काया'लय तक हो सकती थी।
जब पंजाब म आतंकवाद चरम पर था तब सुरpा अSधकाAरय1 ने इं"दरा गाँधी को बुलेटdूफ़ कार
म चलने कJ सलाह द8, इं"दरा गाँधी ने अ)बेसेडर कार1 को बुलेटdूफ़ बनवाने के -लये कहा, उस
व@त भारत म बल
ु ेटdफ़
ू कार नह8ं बनती थीं इस-लये एक जम'न क)पनी को कार1 को बल
ु ेटdूफ़
बनाने का ठे का "दया गया । जानना चाहते हD उस ठे के का Rबचौ-लया कौन था, वाLटर ,वंसी,
सोनया गाँधी कJ बहन अनुWका का पत ! रॉ को हमेशा यह शक था 7क उसे इसम कमीशन

नेह-गाँधी राजवंश (?)


12 नेह-गाँधी राजवंश (?)

-मला था, ले7कन कमीशन से भी गंभीर बात यह थी 7क इतना मह=वपण


ू ' सरु pा स)ब*धी काय'
उसके माफ़'त "दया गया । इटल8 का dभाव सोनया "दLल8 तक लाने म कामयाब रह8 थीं,
जब7क इं"दरा गाँधी जी,वत थीं । दो साल बाद १९८६ म ये वह8 वाLटर ,वंसी महाशय थे िज*ह
एसपीजी को इटा-लयन सुरpा एज-सय1 |वारा d-शpण "दये जाने का ठे का -मला, और आ^चय'
कJ बात यह 7क इस सौदे के -लये उ*ह1ने नगद भुगतान कJ मांग कJ और वह सरकार8 तौर पर
7कया भी गया । यह नगद भुगतान पहले एक रॉ अSधकार8 के हाथ1 िजनेवा (िFवटजरलैeड)
पहुँचाया गया ले7कन वाLटर ,वंसी ने िजनेवा म पैसा लेने से मना कर "दया और रॉ के
अSधकार8 से कहा 7क वह ये पैसा -मलान (इटल8) म चाहता है , ,वंसी ने उस अSधकार8 को कहा
7क वह िFवस और इटल8 के कFटम से उ*ह आराम से नकलवा दे गा और यह "कैश" चेक नह8ं
7कया जायेगा । रॉ के उस अSधकार8 ने उसकJ बात नह8ं मानी और अंततः वह भुगतान इटल8 म
भारतीय दत
ू ावास के जAरये 7कया गया । इस नगद भुगतान के बारे म त=काल8न कैRबनेट सSचव
बी.जी.दे शमुख ने अपनी हा-लया 7कताब म उLलेख 7कया है , हालां7क वह तथाकSथत €े नंग घोर
असफ़ल रह8 और सारा पैसा लगभग Zयथ' चला गया । इटल8 के जो सरु pा अSधकार8 भारतीय
एसपीजी कमांडो को d-शpण दे ने आये थे उनका रवैया जवान1 के dत बेहद खा था, एक
जवान को तो उस दौरान थ3पड़ भी मारा गया । रॉ अSधकाAरय1 ने यह बात राजीव गाँधी को
बताई और कहा 7क इस Zयवहार से सुरpा बल1 के मनोबल पर ,वपर8त dभाव पड़ रहा है और
उनकJ खुद कJ सरु pा ZयवFथा भी ऐसे म खतरे म पड़ सकती है , घबराये हुए राजीव ने त=काल
वह €े नंग Qकवा द8,ले7कन वह €े नंग का ठे का लेने वाले ,वंसी को तब तक भुगतान 7कया जा
चुका था ।
राजीव गाँधी कJ ह=या के बाद तो सोनया गाँधी पूर8 तरह से इटा-लयन और पि^चमी सुरpा
अSधकाAरय1 पर भरोसा करने लगीं, खासकर उस व@त जब राहुल और ,dयंका यरू ोप घूमने जाते
थे । सन १९८५ म जब राजीव सपAरवार ‚ांस गये थे तब रॉ का एक अSधकार8 जो ‚च बोलना
जानता था, उनके साथ भेजा गया था, ता7क ‚च सुरpा अSधकाAरय1 से तालमेल बनाया जा सके
। -लयोन (‚ांस) म उसव@त एसपीजी अSधकाAरय1 म हड़क)प मच गया जब पता चला 7क
राहुल और ,dयंका गुम हो गये हD । भारतीय सरु pा अSधकाAरय1 को ,वंसी ने बताया 7क Sचंता
कJ कोई बात नह8ं है , दोन1 बwचे जोस वाLडेमारो के साथ हD जो 7क सोनया कJ एक और बहन
ना"दया के पत हD । ,वंसी ने उ*ह यह भी कहा 7क वे वाLडेमारो के साथ Fपेन चले जायगे जहाँ
Fपेनश अSधकार8 उनकJ सुरpा संभाल लगे । भारतीय सुरpा अSधकार8 यह जानकर अचं-भत
रह गये 7क न केवल Fपेनश बिLक इटा-लयन सरु pा अSधकार8 उनके Fपेन जाने के काय'aम के
बारे म जानते थे । जा"हर है 7क एक तो सोनया गाँधी त=काल8न dधानमंTी नर-स)हा राव के
अहसान1 के तले दबना नह8ं चाहती थीं, और वे भारतीय सुरpा एज-सय1 पर ,व^वास नह8ं करती
थीं । इसका एक और सबूत इससे भी -मलता है 7क एक बार सन १९८६ म िजनेवा िFथत रॉ के
अSधकार8 को वहाँ के पु-लस क-म^नर जैक कु*जी ़ ने बताया 7क िजनेवा से दो वीआईपी बwचे
इटल8 सुर‹pत पहुँच चुके हD, fख-सयाये हुए रॉ अSधकार8 को तो इस बारे म कुछ मालूम ह8 नह8ं
था । िजनेवा का पु-लस क-म^नर उस रॉ अSधकार8 का -मT था, ले7कन यह अलग से बताने कJ

नेह-गाँधी राजवंश (?)


नेह-गाँधी राजवंश (?)
13
जरत नह8ं थी 7क वे वीआईपी बwचे कौन थे । वे कार से वाLटर ,वंसी के साथ िजनेवा आये
थे और िFवस पु-लस तथा इटा-लयन अSधकार8 नर*तर स)पक' म थे जब7क रॉ अSधकार8 को
-सरे से कोई सूचना ह8 नह8ं थी, है ना हाFयाFपद ले7कन Sचंताजनक... उस िFवस पु-लस
क-म^नर ने ताना मारते हुए कहा 7क "तु)हारे dधानमंTी कJ प=नी तुम पर ,व^वास नह8ं करती
और उनके बwच1 कJ सरु pा के -लये इटा-लयन एजसी से सहयोग करती है " । बरु 8 तरह से
अपमानत रॉ के अSधकार8 ने अपने वAरWठ अSधकाAरय1 से इसकJ -शकायत कJ, ले7कन कुछ
नह8ं हुआ । अंतरराW€8य खु7फ़या एज-सय1 के गुट म तेजी से यह बात फ़ैल गई थी 7क सोनया
गाँधी भारतीय अSधकाAरय1, भारतीय सुरpा और भारतीय दत ू ावास1 पर Rबलकुल भरोसा नह8ं
करती हD, और यह नि^चत ह8 भारत कJ छ,व खराब करने वाल8 बात थी । राजीव कJ ह=या के
बाद तो उनके ,वदे श dवास के बारे म ,वदे शी सुरpा एज-सयाँ, एसपीजी से अSधक सूचनाय पा
जाती थी और भारतीय पु-लस और रॉ उनका मँुह दे खते रहते थे । (ओा,वयो @वाTोची के बार-
बार म@खन कJ तरह हाथ से 7फ़सल जाने का कारण समझ म आया ?) उनके नजी सSचव
,वंसट जॉज' सीधे पि^चमी सरु pा अSधकाAरय1 के स)पक' म रहते थे, रॉ अSधकाAरय1 ने इसकJ
-शकायत नर-स)हा राव से कJ थी, ले7कन जैसी कJ उनकJ आदत (?) थी वे मौन साध कर बैठ
गये ।
संpेप म ता=पय' यह 7क, जब एक ग"ृ हणी होते हुए भी वे गंभीर सुरpा मामल1 म अपने पAरवार
वाल1 को ठे का "दलवा सकती हD, राजीव गाँधी और इं"दरा गाँधी के जी,वत रहते रॉ को इटा-लयन
जासूस1 से सहयोग करने को कह सकती हD, स=ता म ना रहते हुए भी भारतीय सुरpा
अSधकाAरय1 पर अ,व^वास "दखा सकती हD, तो अब जब7क सार8 स=ता और ताकत उनके हाथ1 मे
है , वे @या-@या कर सकती हD, बिLक @या नह8ं कर सकती । हालां7क "मD भारत कJ बहू हूँ" और
"मेरे खून कJ अंतम बँूद भी भारत के काम आयेगी" आ"द वे यदा-कदा बोलती रहती हD, ले7कन
यह असल8 सोनया नह8ं है । समूचा पि^चमी जगत, जो 7क जर8 नह8ं 7क भारत का -मT ह8
हो, उनके बारे म सब कुछ जानता है , ले7कन हम भारतीय लोग सोनया के बारे म 7कतना जानते
हD ? (भारत भू-म पर ज*म लेने वाला Zयि@त चाहे 7कतने ह8 वष' ,वदे श म रह ले, Fथाई तौर पर
बस जाये ले7कन उसका "दल हमेशा भारत के -लये धड़कता है , और इटल8 म ज*म लेने वाले
Zयि@त का....)
(य"द आपको यह अनुवाद पस*द आया हो तो कृपया अपने -मT1 को भी इस पोFट कJ -लंक
dे,षत कर , ता7क जनता को जागक बनाने का यह dयास जार8 रहे )... समय -मलते ह8 इसकJ
अगल8 कडी ़ शीŽ ह8 पेश कJ जायेगी....
आमीन
नोट : -सफ़' कोWठक म -लखे दो-चार वा@य मेरे हD, बाकJ का लेख अनुवाद माT है ।

नेह-गाँधी राजवंश (?)


14 नेह-गाँधी राजवंश (?)

सो:नया गाँधी को आप 1कतना जानते ह>? (भाग-2)


(http://blog.sureshchiplunkar.com/2007/08/blog-post_09.html)

सोनया गाँधी भारत कJ dधानमंTी बनने के योtय हD या नह8ं, इस d^न का "धम'नरपेpता", या


""ह*द ू राW€वाद" या
"भारत कJ
बहुलवाद8 संFकृत"
से कोई लेना-दे ना
नह8ं है । इसका पूर8
तरह से नाता इस
बात से है 7क
उनका ज*म इटल8
म हुआ, ले7कन यह8
एक बात नह8ं है ,
सबसे पहल8 बात
तो यह 7क दे श के
सबसे मह=वपण
ू ' पद
पर आसीन कराने
के -लये कैसे उन
पर भरोसा 7कया
जाये। सन १९९८ म
एक रै ल8 म उ*ह1ने
कहा था 7क "अपनी
आfखर8 साँस तक
मD भारतीय हूँ",
बहुत ह8 उwच
,वचार है , ले7कन त`य1 के आधार पर यह बेहद खोखला ठहरता है । अब चँू7क वे दे श के एक
खास पAरवार से हD और dधानमंTी पद के -लये बेहद आतुर हD (जी हाँ) तब वे एक सामािजक
Zयि@त=व बन जाती हD और उनके बारे म जानने का हक सभी को है (१४ मई २००४ तक वे
dधानमंTी बनने के -लये जी-तोड़ को-शश करती रह8ं, यहाँ तक 7क एक बार तो पूण' समथ'न ना
होने के बावजूद वे दावा पेश करने चल पडी ़ थीं, ले1कन १४ मई २००४ को राj{प:त कलाम साहब

नेह-गाँधी राजवंश (?)


नेह-गाँधी राजवंश (?)
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@वारा कुछ "असुFवधाजनक" evन पूछ %लये जाने के बाद यकायक १७ मई आते-आते उनमे
वैरा|य भावना जागत
ृ हो गई और वे खाम}वाह "2याग" और "ब%लदान" (?) क# e:तमू:तY बना
द7 ग~ - कलाम साहब को दस
ू रा काय'काल न -मलने के पीछे यह एक बडी ़ वजह है , ठUक वैसे ह8
जैसे सोनया ने dणब मुखजO को राW€पत इस-लये नह8ं बनवाया, @य17क इं"दरा गाँधी कJ म=ृ यु
के बाद राजीव के dधानमंTी बनने का उ*ह1ने ,वरोध 7कया था... और अब एक तरफ़ कठपुतल8
dधानमंTी और जी-हुजूर राW€पत दस
ू र8 तरफ़ होने के बाद अगले चुनाव1 के प^चात सोनया को
dधानमंTी बनने से कौन रोक सकता है ?)बहरहाल... सोनया गाँधी उफ़' माइनो भले ह8 आfखर8
साँस तक भारतीय होने का दावा करती रह , भारत कJ भोल8-भाल8 (?) जनता को इि*दरा Fटाइल
म ,-सर पर पLला ओढ़ कर "नामाFखार" आ"द दो चार "ह*द8 श$द बोल ल , ले7कन यह सwचाई
है 7क सन १९८४ तक उRह4ने इटल7 क# नागTरकता और पासपोटY नह7ं छोडा ़ था (शायद कभी
जरत पड़ जाये) ।

राजीव और सोनया का ,ववाह हुआ था सन १९६८ म ,भारत के नागAरकता कानून1 के मुताRबक


(जो कानून भाजपा या क)यु नFट1 ने नह8ं बिLक कां+े-सय1 ने ह8 सन १९५० म बनाये) सोनया
को पाँच वष' के भीतर भारत कJ नागAरकता +हण कर लेना चा"हये था अथा'त सन १९७४ तक,
ले7कन यह काम उ*ह1ने 7कया दस साल बाद...यह कोई नजरअंदाज कर "दये जाने वाल8 बात
नह8ं है । इन प*]ह वषK म दो मौके ऐसे आये जब सोनया अपने आप को भारतीय(!)साRबत कर
सकती थीं। पहला मौका आया था सन १९७१ म जब पा7कFतान से य{
ु हुआ (बांtलादे श को
तभी मु@त करवाया गया था), उस व@त आपातकाल8न आदे श1 के तहत इं_डयन एयरलाइंस के
सभी पायलट1 कJ छु"याँ र\ कर द8 गx थीं, ता7क आव^यकता पड़ने पर सेना को 7कसी भी
तरह कJ रसद आ"द पहुँचाई जा सके । -सफ़' एक पायलट को इससे छूट द8 गई थी, जी हाँ
राजीव गाँधी, जो उस व@त भी एक पूणक
' ा-लक पायलट थे । जब सारे भारतीय पायलट अपनी
मातभ
ृ ू-म कJ सेवा म लगे थे तब सोनया अपने पत और दोन1 बwच1 के साथ इटल8 कJ सुर)य
वा"दय1 म थीं, वे वहाँ से तभी लौट8ं, जब जनरल नयाजी ने समप'ण के कागज1 पर दFतखत कर
"दये। दस
ू रा मौका आया सन १९७७ म जब यह खबर आई 7क इं"दरा गाँधी चुनाव हार गx हD
और शायद जनता पाटƒ सरकार उनको Sगर‘तार करे और उ*ह परे शान करे । "माईनो" मैडम ने
त=काल अपना सामान बाँधा और अपने दोन1 बwच1 स"हत "दLल8 के चाण@यपुर8 िFथत
इटा-लयन दत
ू ावास म जा छपीं। इं"दरा गाँधी, संजय गाँधी और एक और बहू मेनका के संयु@त
dयास1 और मान-मनौZवल के बाद वे घर वापस लौट8ं। १९८४ म भी भारतीय नागAरकता +हण
करना उनकJ मजबूर8 इस-लये थी 7क राजीव गाँधी के -लये यह बडी ़ शम' और असु,वधा कJ
िFथत होती 7क एक भारतीय dधानमंTी कJ प=नी इटल8 कJ नागAरक है ? भारत कJ नागAरकता

नेह-गाँधी राजवंश (?)


16 नेह-गाँधी राजवंश (?)

लेने कJ "दनांक भारतीय जनता से बडी ़ ह8 सफ़ाई से छपाई गई। भारत का कानून अमेAरका,
जम'नी, 7फ़नलDड, थाईलDड या -संगापरु आ"द दे श1 जैसा नह8ं है िजसम वहाँ पैदा हुआ Zयि@त ह8
उwच पद1 पर बैठ सकता है । भारत के सं,वधान म यह dावधान इस-लये नह8ं है 7क इसे बनाने
वाले "धम'नरपेp नेताओं" ने सपने म भी नह8ं सोचा होगा 7क आजाद8 के साठ वष' के भीतर ह8
कोई ,वदे शी मूल का Zयि@त dधानमंTी पद का दावेदार बन जायेगा। ले1कन कलाम साहब ने
आसानी से धोखा नह7ं खाया और उनसे सवाल कर %लये (e:तभा ताई 1कतने सवाल कर पाती ह>
यह दे खना बाक# है )। सं,वधान के मुताRबक सोनया dधानमंTी पद कJ दावेदार बन सकती हD,
जैसे 7क मD या कोई और। ले7कन भारत के नागAरकता कानून के मुताRबक Zयि@त तीन तर8क1
से भारत का नागAरक हो सकता है , पहला ज*म से, दस
ू रा रिजF€े शन से, और तीसरा dाकृतक
कारण1 (भारतीय से ,ववाह के बाद पाँच वष' तक लगातार भारत म रहने पर) । इस dकार मD
और सोनया गाँधी,दोन1 भारतीय नागAरक हD, ले7कन मD ज*म से भारत का नागAरक हूँ और
मुझसे यह कोई नह8ं छUन सकता, जब7क सोनया के मामले म उनका रिजF€े शन र\ 7कया जा
सकता है । वे भले ह8 लाख दावा कर 7क वे भारतीय बहू हD, ले7कन उनका नागAरकता रिजF€े शन
भारत के नागAरकता कानून कJ धारा १० के तहत तीन उपधाराओं के कारण र\ 7कया जा
सकता है

(अ) उ*ह1ने नागAरकता का रिजF€े शन धोखाधडी ़ या कोई त`य छुपाकर हा-सल 7कया हो,

(ब) वह नागAरक भारत के सं,वधान के dत बेईमान हो, या

(स) रिजFटड' नागAरक यु{काल के दौरान द^ु मन दे श के साथ 7कसी भी dकार के स)पक' म रहा
हो ।

(इन मु]4 पर डॉ. सु€मnयम Kवामी काफ़# काम कर चुके ह> और अपनी पुKतक म- उRह4ने
इसका उAलेख भी 1कया है , जो आप पाय-गे इन अनुवाद4 के "तीसरे भाग" म- )। राW€पत कलाम
साहब के "दमाग म एक और बात नि^चत ह8 चल रह8 होगी, वह यह 7क इटल8 के कानून1 के
मुताRबक वहाँ का कोई भी नागAरक दोहर8 नागAरकता रख सकता है , भारत के कानून म ऐसा
नह8ं है , और अब तक यह बात सावYज:नक नह7ं हुई है 1क सो:नया ने अपना इटल7 वाला पासपोटY
और नागTरकता कब छोडी ़ ? ऐसे म वह भारत कJ dधानमंTी बनने के साथ-साथ इटल8 कJ भी
dधानमंTी बनने कJ दावेदार हो सकती हD। अ*त म एक और म\
ु ा, अमेAरका के सं,वधान के
अनस
ु ार सव’wच पद पर आसीन होने वाले Zयि@त को अं+ेजी आना चा"हये, अमेAरका के dत
वफ़ादार हो तथा अमेAरकJ सं,वधान और शासन ZयवFथा का जानकार हो। भारत का सं,वधान

नेह-गाँधी राजवंश (?)


नेह-गाँधी राजवंश (?)
17
भी लगभग -मलता-जल
ु ता ह8 है , ले7कन सोनया 7कसी भी भारतीय भाषा म नपुण नह8ं हD
(अं+ेजी म भी), उनकJ भारत के dत वफ़ादार8 भी माT बाईस-तेईस साल परु ानी ह8 है , और उ*ह
भारतीय सं,वधान और इतहास कJ 7कतनी जानकार8 है यह तो सभी जानते हD। जब कोई नया
dधानमंTी बनता है तो भारत सरकार का पT सूचना $यूरो (पीआईबी) उनका बायो-डाटा और
अ*य जानकाAरयाँ एक पै)फ़लेट म जार8 करता है । आज तक उस पै)फ़लेट को 7कसी ने भी
}यान से नह8ं पढा,़ @य17क जो भी dधानमंTी बना उसके बारे म जनता, dेस और यहाँ तक 7क
छुटभैये नेता तक नख--शख जानते हD। य"द (भगवान न करे ) सोनया dधानमंTी पद पर आसीन
हुx तो पीआईबी के उस ,वFतत
ृ पै)फ़लेट को पढ़ना बेहद "दलचFप होगा। आfखर भारतीय1 को
यह जानना ह8 होगा 7क सोनया का ज*म दरअसल कहाँ हुआ? उनके माता-,पता का नाम @या
है और उनका इतहास @या है ? वे 7कस Fकूल म पढ8ं? 7कस भाषा म वे अपने को सहज पाती
हD? उनका मनपस*द खाना कौन सा है ? "ह*द8 7फ़Lम1 का कौन सा गायक उ*ह अwछा लगता
है ? 7कस भारतीय क,व कJ क,वताय उ*ह लुभाती हD? @या भारत के dधानमंTी के बारे म इतना
भी नह8ं जानना चा"हये!

(eKतुत लेख स
ु ी कंचन गुoता @वारा Bदनांक २३ अeैल १९९९ को रे Qडफ़.कॉम पर %लखा गया है ,
बेहद मामूल7 फ़ेरबदल और कुछ भाषाई जरत4 के मुताqबक इसे म>ने संक%लत, संपाBदत और
अनुवाBदत 1कया है । डॉ.सु€मnयम Kवामी @वारा %लखे गये कुछ लेख4का संकलन पूणY होते ह7
अनुवाद4 क# इस कडी ़ का तीसरा भाग पेश 1कया जायेगा।)

-मT1 जनजागरण का यह महाअ-भयान जार8 रहे , अं+ेजी म -लखा हुआ अSधकतर आम लोग1 ने
नह8ं पढा ़ होगा इस-लये सभी का यह कत'Zय बनता है 7क महाजाल पर िFथत यह साम+ी "ह*द8
पाठक1 को भी सुलभ हो, इस-लये इस लेख कJ -लंक को अपने इWट-मT1 तक अव^य पहुँचाय,
@य17क हो सकता है 7क कल को हम एक ,वदे शी |वारा शा-सत होने को अ-भश3त हो जाय !

नेह-गाँधी राजवंश (?)


18 नेह-गाँधी राजवंश (?)

सो:नया गाँधी को आप 1कतना जानते ह>? (भाग-3)


(http://blog.sureshchiplunkar.com/2007/08/know-your-sonia-gandhi-part-3.html)

(इस भाग म – सोनया गाँधी का ज*म, उनका पाAरवाAरक इतहास, उनके स)ब*ध, उनके झूठ,
उनके |वारा कानून से fखलवाड़ आ"द शा-मल हD)

सोनया गाँधी से स)बि*धत ,पछले दोन1 अनव


ु ाद1 म हमने सोनया गाँधी के बारे म काफ़J कुछ
जाना (@या वाकई?) ले7कन िजतना जाना उतने ह8 d^न "दमाग1 म उठते गये। उन दोनो पोFट1
पर मझ
ु े $लॉग पर और Zयि@तगत प से कई अwछे -बरु े मेल dा3त हुए, िजसका िजa मDने
तीसर8 पोFट “सोनया गाँधी कJ पोFट पर उठते सवाल-जवाब” म 7कया था। और जैसा 7क मD
पहले ह8 अज' कर चुका हूँ, 7क मेर8 सोनया गाँधी से कोई Zयि@तगत रं िजश नह8ं है और ना ह8
मुझे इस बात का कोई मुगालता है 7क मD कोई बहुत बड़ा “शोधक” हूँ, 7फ़र भी सोनया भ@त1(इसे
कॉuें स भEत4 भी पढ़ा जा सकता है ) ने ईमेल-हमले लगातार जार8 रखे। मD उनसे -सफ़' एक-दो
सवाल पूछना चाहता था (ले7कन Anonymous मेल होने के कारण पूछ ना सका), 7क इतना
हLला मचाने वाले ये लोग जानते हD 7क सोनया गाँधी का ज*म कहाँ हुआ? उनकJ -शpा-द8pा
कहाँ और 7कतनी हुई? उनकJ पWृ ठभू-म @या है ? वे 7कस पAरवार से हD? इस-लये डॉ. सु€मnयम
Kवामी @वारा %ल„खत इस लेख का अनुवाद “सोनया गाँधी, भाग-३” के प म पेश करना मD
अपना कत'Zय मानता हूँ (@य17क कई लोग1 ने मुझे ईमेल से जवाब दे ने का मौका नह8ं "दया)।
बहरहाल, पेश है डॉ. सुv”मeयम Fवामी |वारा -लfखत एक ,वFतत
ृ लेख का "ह*द8 अनुवाद,
िजसम इनम से कई d^न1 के जवाब -मलते हD (और आज तक न तो सो:नया गाँधी @वारा अथवा
कॉuें स भEत4 @वारा डॉ. Kवामी पर कोई “मानहा:न” (!) का मुकदमा दायर 1कया गया है ) –

“मेरा (मतलब डॉ.Fवामी का) सोनया गाँधी का ,वरोध -सफ़' इसी बात को लेकर नह8ं है 7क
उनका ज*म इटल8 म हुआ है , @य17क यह कोई म\
ु ा नह8ं है , बिLक इटल8 स"हत 7कसी और दे श
म ,वदे शी मल
ू कJ बात का फ़ैसला वहाँ के *यायालय1 ने 7कया हुआ है , 7क सव’wच और
मह=वपूण' पद1 पर ,वदे शी मूल का Zयि@त नह8ं पदासीन हो सकता, ले7कन भारत म ऐसा कोई
कानून नह8ं है । 17 मई 2004 को 12.45 पर राW€पत ने मुझे -मलने का समय "दया था, उसी
समय मDने उनसे कहा था 7क य"द सोनया गाँधी dधानमंTी बनती हD तो मD इसे सव’wच
*यायालय म चुनौती दँ ग
ू ा, और “रिजF€े शन” |वारा नागAरकता हा-सल 7कये जाने के कारण उसे
र\ 7कया भी जा सकता है ।

नेह-गाँधी राजवंश (?)


नेह-गाँधी राजवंश (?)
19
भारतीय नागAरक1 को सोनया कJ पWृ ठभ-ू म के बारे म जानकार8 हा-सल करना बेहद मिु ^कल
बात है , @य17क इटल8 के ज*म के कारण और वहाँ कJ भाषाई समFयाओं के कारण 7कसी
पTकार के -लये भी यह मुि^कल ह8 है (भारत म पैदा हुए नेताओं कJ पWृ ठभू-म के बारे म हम
7कतना जानते हD?) ले7कन नागAरक1 को जानने का अSधकार तो है ह8। सोनया के बारे म तमाम
जानकार8 उ*ह8ं के |वारा अथवा काँ+ेस के ,व-भ*न मुखपT1 म जार8 कJ हुई साम+ी पर
आधाAरत है , िजसम तीन झूठ साफ़ तौर पर पकड़ म आते हD।


पहला झूठ – सोनया गाँधी का असल8 नाम “सोनया” नह8ं बिLक “ऎटोनया” है, यह बात इटल8 के
राजदत
ू ने 27 अdैल 1983 को -लखे पT म Fवीकार कJ है , यह पT गह
ृ मंTालय न अपनी मजO
से कभी साव'जनक नह8ं 7कया। “एंटॊ:नया” नाम सो:नया गाँधी के जRम eमाणपI म- अं1कत
है । सोनया गाँधी को “सोनया” नाम उनके ,पता Fव.Fटे फ़ानो माईनो ने "दया था। Fट8फ़ानो
माइनो |,वतीय ,व^व यु{ के व@त स म य{
ु ब*द8 थे। Fट8फ़ानो ने एक काय'कता' के तौर पर
“नाजी” सेना म काम 7कया था, जैसा 7क कई इटा-लयन फ़ा-सFट1 ने 7कया था। “सोनया” एक
सी नाम है न 7क इटा-लयन। स म Rबताये जेल के ल)ह1 म सोनया के ,पता धीरे -धीरे स
समथ'क बन गये थे, खासकर तब जब7क उन समेत इटल8 के सभी “फ़ा-सFट1” कJ स)पि=त
अमेAरकJ सेनाओं |वारा नWट या ज$त कर ल8 गई थी।

दस
ू रा झूठ – उनका ज*म इटल8 के लू-सयाना म हुआ, ना 7क जैसा उ*ह1ने संसद म "दये अपने
शपथ पT म उLलेख 7कया है 7क “उनका ज*म ओरबेFसानो म हुआ”। शायद वे अपना जRम
Kथान “लू%सयाना” छुपाना चाहती ह>, Eय41क इससे उनके Fपता के नािजय4 और मुसो%लनी से
स[बRध उजागर होते ह>, जब1क उनका पTरवार लगातार नािजय4 और फ़ा%सKट4 के स[पकY म-
रहा, यु† समािoत के पvचात भी। लू%सयाना नािजय4 के नेटवकY का मु}य केR‡ था और यह
इटल8-िFवस सीमा पर िFथत है । इस झूठ का कोई औSच=य नजर नह8ं आता और ना ह8 आज
तक उनकJ तरफ़ से इसका कोई FपWट8करण "दया गया है ।

तीसरा झूठ – सोनया गाँधी का आSधकाAरक -शpण हाई Fकूल से अSधक नह8ं हुआ है । ले7कन
उ*ह1ने रायबरे ल8 के 2004 लोकसभा चुनाव म एक शपथ पT म कहा है 7क उ*ह1ने केि)vज
,व^व,व|यालय से अं+ेजी म _ड3लोमा 7कया हुआ है । यह8 झूठ बात उ*ह1ने सन 1999 म
लोकसभा म अपने पAरचय पT म कह8 थी, जो 7क लोकसभा |वारा “हू इज़ हू” के नाम से
dका-शत कJ जाती है । बाद म जब मDने लोकसभा के Fपीकर को -लfखत -शकायत कJ, 7क यह
घोर अनैतकता भरा कदम है , तब उ*ह1ने Fवीकार 7कया 7क ऐसा “टाई,पंग” कJ गलती कJ वजह
से हुआ (ऐसा “टायFपंग %मKटे क” तो गनीज़ बुक ऑफ़ वAडY TरकॉŠYस म- शा%मल होने लायक है )।

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20 नेह-गाँधी राजवंश (?)

सwचाई तो यह है 7क सोनया ने कॉलेज का मँुह तक नह8ं दे खा है । वे िजआवेनो िFथत एक


कैथो-लक Fकूल िजसका नाम “माAरया ऑ-स-लया"€स” म पढने जाती थीं (यह Fकूल उनके
तथाकSथत ज*म Fथान ओरबेFसानो से 15 7कमी दरू िFथत है )। गर8बी के कारण बहुत सी
इटा-लयन लड़7कयाँ
उन "दन1 ऐसी
-मशनर8 म पढने
जाया करती थीं, और
उनम से बहुत1 को
अमेAरका म सफ़ाई
कम'चार8, वेटर आ"द
के काम1 कJ नौकर8
-मल जाती थी। उन
"दन1 माइनो पAरवार
बहुत गर8ब हो गया
था। सो:नया के Fपता
एक मेसन और माँ
एक खे:तहर मजदरू
के प म- काम
करती थीं (अब इस
पTरवार क# स[पि2त
करोड़4 क# हो गई है !)।

7फ़र सोनया इंtलDड िFथत केि)vज कFबे के “ले*नॉ@स Fकूल” म अं+ेजी पढने गx, ता7क उ*ह
थोड़ा स)मानजनक काम -मल जाये। यह है उनका कुल “-शpण”, ले7कन भारतीय समाज को
बेवकूफ़ बनाने के -लयेउRह4ने संसद म- झूठा बयान Bदया (जो 1क नै:तकता का उAलंघन भी
है ) और चुनाव म झूठा शपथ पT भी, जो 7क भारतीय दं ड सं"हता के अनुसार अपराध भी है ,
@य17क सुdीम कोट' के नण'य के अनुसार d=याशी को उसकJ स)पि=त और -शpा के बारे म
सह8-सह8 जानकार8 दे ना आव^यक है । इन तीन झूठ1 से साRबत होता है 7क सोनया गाँधी कुछ
“छपाना” चाहती हD, या उनका कोई छुपा हुआ काय'aम है जो 7कसी और मकसद से है , जा"हर है
7क उनके बारे म और जानकार8 जुटाना आव^यक है ।

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नेह-गाँधी राजवंश (?)
21
कुमार8 सोनया गाँधी अwछU अं+ेजी से अवगत होने के -लये केि)vज कFबे के वा-स'ट8 रे Fटोर ट
म काम करने लगीं, वह8ं उनकJ मल
ु ाकात 1965 म राजीव गाँधी से पहल8 बार हुई। राजीव उस
यूनव-स'ट8 म छाT थे और पढ़ाई मे कुछ खास नह8ं थे, इस-लये राजीव 1966 म ल*दन चले गये
जहाँ उ*ह1ने इ)पीAरयल इंजीनयAरंग कॉलेज म थोड़ी -शpा +हण कJ। सोनया भी ल*दन चल8
गx जहाँ उ*ह एक पा7कFतानी सलमान थसीर के यहाँ नौकर8 -मल गई। सलमान थसीर साहब
का अSधकतर Rबजनेस दब
ु ई से संचा-लत होता था, ले7कन वे अSधकतर समय ल*दन म ह8 डटे
रहते थे। इस नौकर8 म सोनया गाँधी ने अwछा पैसा कमाया, कम से कम इतना तो कमाया ह8
7क वे राजीव गाँधी कJ आSथ'क मदद कर सक, िजनके “खच˜” बढते ह8 जा रहे थे (इि*दरा गाँधी
भी उनके उन खचK से काफ़J नाराज थीं और ऐसा उ*ह1ने खुद मुझे बताया था जब मेर8
मुलाकात vांडस
े ,व^व,व|यालय के गेFट हाउस म उनसे हुई थी और उस व@त मD हाव'ड ' म
वाfणHय का dोफ़ेसर लगा ह8 था)। संजय गाँधी को -लखे राजीव गाँधी के पT1 से यह FपWट था
7क राजीव, सोनया के आSथ'क कज˜ म फ़ँसे हुए थे और राजीव ने संजय से मदद कJ गुहार कJ
थी, @य17क संजय उनके कजK को नपटाने म सpम(?) थे। उस दौरान राजीव अकेले सोनया
गाँधी के -मT नह8ं थे, माधवराव -संSधया और एक जम'न Fट8गलर उनके अंतरं ग -मT1 म से एक
थे। माधवराव से उनकJ दोFती राजीव से शाद8 के बाद भी जार8 रह8।

बहुत कम लोग1 को यह पता है 7क 1982 म एक रात को दो बजे माधवराव कJ कार का


ए@सीडट आईआईट8 "दLल8 के गेट के सामने हुआ था, और उस समय कार म दस
ू र8 सवार8 थीं
सोनया गाँधी। दोन1 को बहुत चोट आई थीं, आईआईट8 के एक छाT ने उनकJ मदद कJ, कार से
बाहर नकाला, एक ऑटो Aर@शा म सोनया को इं"दरा गाँधी के यहाँ भेजा गया, @य17क अFपताल
ले जाने पर कई तरह से d^न हो सकते थे, जब7क माधवराव -सि*धया अपनी टूट8 टाँग -लये
बाद म अकेले अFपताल गये। जब पAर™^य से सोनया पूर8 तरह गायब हो गx तब "दLल8
पु-लस ने अपनी भू-मका शुQ कJ। बाद के वषK म माधवराव -संSधया सोनया के आलोचक बन
गये थे और -मT1 के बीच उनके बारे म “कई बात ” करने लगे थे। यह बड़े आ^चय' और शम' कJ
बात है 7क 2001 म माधवराव कJ म=ृ यु और उनके ,वमान दघ
ु ट
' ना कJ कोई गहन जाँच नह8ं हुई,
जब7क उसी ,वमान से मfणशंकर अšयर और शीला द8‹pत भी जाने वाले थे और उ*ह आfखर8
समय पर -संSधया के साथ न जाने कJ सलाह द8 गई थी।

राजीव गाँधी और सोनया का ,ववाह ओब˜Fसानो म एक चच' म हुआ था, हालां7क यह उनका
Zयि@तगत ले7कन ,ववादाFपद मामला है और जनता को इससे कोई लेना-दे ना नह8ं है , ले7कन
जनता का िजस बात से सरोकार है वह है इि*दरा गाँधी |वारा उनका वै"दक र8त से पुनः ,ववाह

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22 नेह-गाँधी राजवंश (?)

करवाना, ता7क भारत कJ भोल8 जनता को बहलाया जा सके, और यह सब हुआ था एक सो,वयत


dेमी अSधकार8 ट8.एन.कौल कJ सलाह पर, िज*ह1ने यह कहकर इि*दरा गाँधी को इस बात के
-लये मनाया 7क “सो,वयत संघ के साथ Aर^त1 को मजबूत करने के -लये यह जर8 है ”, अब
d^न उठता है 7क कौल को ऐसा कहने के -लये 7कसने उकसाया?

जब भारतीय dधानमंTी का बेटा ल*दन म एक लड़कJ से dेम करने म लगा हो, तो भला सी
खु7फ़या एजसी “केजीबी” भला चुप कैसे रह सकती थी, जब7क भारत-सो,वयत Aर^ते बहुत मधुर
ह1, और सोनया उस Fट8फ़ानो कJ पुTी ह1 जो 7क सो,वयत भ@त बन चुका हो। इस-लये सोनया
का राजीव से ,ववाह भारत-सो,वयत स)ब*ध1 और केजीबी के "हत म ह8 था। राजीव से शाद7 के
बाद माइनो पTरवार के सोFवयत संघ से स[बRध और भी मजबूत हुए और कई सौद4 म- उRह-
दलाल7 क# रकम अदा क# गई । डॉ.येवेिtनया अLबा›स (पीएच.डी. हाव'ड)' एक Eयात सी
लेfखका और पTकार हD, वे बोAरस येLत-सन |वारा सन 1991 म ग"ठत एक आयोग कJ सदFया
थीं, ने अपनी पF
ु तक “द Fटे ट ,व"दन अ Fटे ट
: द केजीबी इन सो,वयत यू नयन” म कई
दFतावेज1 का उLलेख 7कया है , और इन
दFतावेज1 को भारत सरकार जब चाहे एक
आवेदन दे कर दे ख सकती है । सी सरकार ने
सन 1992 म डॉ. अLबा›स के इन
रहFयो|घाटन1 को Fवीकार 7कया, जो 7क
“"ह*द”ू म 1992 म dका-शत हो चुका है । उस
dव@ता ने यह भी कहा 7क “सो,वयत आदशK
और -स{ांत1 को बढावा दे ने के -लये” इस dकार का पैसा माइनो और कां+ेस d=या-शय1 को
चुनाव1 के दौरान "दया जाता रहा है । 1991 म स के ,वघटन के प^चात जब स आSथ'क
भंवर म फ़ँस गया तब सोनया गाँधी का पैसे का यह œोत सूख गया और सोनया ने स से
मँुह मोड़ना शुQ कर "दया। मनमोहन -संह के स=ता म आते ह8 स के वत'मान राW€पत पुतन
(जो 7क घुटे हुए केजीबी जासूस रह चुके हD) ने त=काल "दLल8 म राजदत
ू के तौर पर अपना एक
खास आदमी नयु@त 7कया जो सोनया के इतहास और उनके पAरवार के सी स)ब*ध1 के बारे
म सब कुछ जानता था। अब 7फ़लहाल जो सरकार है वह सोनया ह8 चला रह8 हD यह बात जब
भारत म ह8 सब जानते हD तो ,वदे शी जासूस कोई मूख' तो नह8ं हD, इस-लये उस राजदत
ू के
जAरये भारत-स स)ब*ध अब एक नये दौर म dवेश कर चुके हD। हम भारतवासी स से dगाढ़
मैTी चाहते हD, स ने जब-तब हमार8 मदद भी कJ है , ले7कन @या -सफ़' इसी-लये हम उन लोग1

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नेह-गाँधी राजवंश (?)
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को Fवीकार कर लेना चा"हये जो सी खु7फ़या एजसी से जुड़े रहे ह1? अमेAरका म भी 7कसी
अSधकार8 को इसराइल के -लये जासस
ू ी करते हुए बदा'^त नह8ं 7कया जायेगा, भले ह8 अमेAरका के
इसराइल से 7कतने ह8 मधुर स)ब*ध ह1। स[बRध अपनी जगह ह> और राj{Bहत अलग बात
है । "दस)बर 2001 म मैने "दLल8 हाईकोट' म एक याSचका दायर करके सभी दFतावेज dFतुत
कर, केजीबी और सोनया के स)ब*ध1 कJ सीबीआई |वारा जाँच कJ माँग कJ थी, िजसे वाजपेयी
सरकार |वारा ठुकरा "दया गया। इससे पहले त=काल8न राHय मंTी वसु*धरा राजे -संSधया ने 3
माच' 2001 को इस केस कJ सीबीआई जाँच के आदे श दे "दये थे, ले7कन कां+े-सय1 |वारा इस
मु\े पर संसद म हLला-गुLला करने और कार' वाई ठप करने के कारण वाजपेयी ने वसु*धरा का
वह आदे श खाAरज कर "दया। "दLल8 हाईकोट' ने मई 2002 म सीबीआई को सी स)ब*ध1 के
बारे म जाँच करने के आदे श "दये। सीबीआई ने दो वषY तक “जाँच” (?) करने के बाद “qबना
एफ़आईआर दजY 1कये” कोट' को यह बताया 7क सोनया और -सय1 म कोई स)ब*ध नह8ं है,
ले7कन सीबीआई को FIR दज' करने से 7कसने रोका, वाजपेयी सरकार ने, @य1? यह आज तक
रहFय ह8 है । इस केस कJ अगल8 सुनवाई होने वाल8 है , ले7कन अब सोनया “नद˜ शक” कJ
भू-मका म आ चुकJ हD और सीबीआई से 7कसी Fवत*T काय' कJ उ)मीद करना बेकार है ।

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24 नेह-गाँधी राजवंश (?)

सो:नया गाँधी को आप 1कतना जानते ह> ? (भाग-4)


(http://blog.sureshchiplunkar.com/2007/08/know-your-sonia-gandhi-part-4.html)

राजीव से ,ववाह के बाद सोनया और उनके इटा-लयन -मT1 को Fनैम dोगैती कJ ओा,वयो
@वाTोची से भार8-भरकम रा-शयाँ -मल8ं, वह भारतीय कानून1 से बेखौफ़ होकर दलाल8 म Qपये
कूटने लगा। कुछ ह7 वष म- माइनो पTरवार जो गर7बी के भंवर म- फ़ँसा था अचानक करोड़प:त
हो गया । लोकसभा के नयेनवेले सदFय के प म मDने 19 नव)बर 1974 को संसद म ह8
त=काल8न dधानमंTी sीमती इि*दरा गाँधी से पूछा था 7क “@या आपकJ बहू सोनया गाँधी, जो
7क अपने-आप को एक इं^योर स एजट बताती हD (वे खुद को ओAरयंटल फ़ायर एंड इं^योर स
क)पनी कJ एजट बताती थीं), dधानमंTी आवास का पता उपयोग कर रह8 हD?” जब7क यह
अपराध है @य17क वे एक इटा-लयन नागAरक हD (और यह ,वदे शी मु]ा उLलंघन) का मामला भी
बनता है ”, तब संसद म बहुत शोरगुल मचा, sीमती इि*दरा गाँधी गुFसा तो बहुत हुx, ले7कन
उनके सामने और कोई ,वकLप नह8ं था, इस-लये उ*ह1ने -लfखत म यह बयान "दया 7क “यह
गलती से हो गया था और सोनया ने इं^योर स क)पनी से इFतीफ़ा दे "दया है ” (मेरे d^न पूछने
के बाद), ले1कन सो:नया का भारतीय कानून4 को ल:तयाने और तोड़ने का यह %सल%सला यह7ं
ख2म नह7ं हुआ। 1977 म जनता पाटƒ सरकार |वारा उwचतम *यायालय के जिFटस ए.सी.गु3ता
के नेत=ृ व म ग"ठत आयोग ने जो Aरपोट' स~पी थी, उसके अनस
ु ार “माQत” क)पनी (जो उस
व@त गाँधी पAरवार कJ -मिLकयत था) ने “फ़ेरा कानून1, क)पनी कानून1 और ,वदे शी पंजीकरण
कानून के कई गंभीर उLलंघन 7कये”, ले7कन ना तो संजय गाँधी और ना ह8 सोनया गाँधी के
fखलाफ़ कभी भी कोई केस दज' हुआ, ना मक
ु दमा चला। हालां7क यह अभी भी 7कया जा सकता
है , @य17क भारतीय कानून1 के मत
ु ाRबक “आSथ'क घपल1” पर कार' वाई हे तु कोई समय-सीमा तय
नह8ं है ।

जनवर8 1980 म sीमती इि*दरा गाँधी पुनः स=तासीन हुx। सोनया ने सबसे पहला काम यह
7कया 7क उ*ह1ने अपना नाम “वोटर -लFट” म दज' करवाया, यह साफ़-साफ़ कानून का मखौल
उड़ाने जैसा था और उनका वीसा र\ 7कया जाना चा"हये था (@य17क उस व@त भी वे इटल8 कJ
नागAरक थीं)। dेस |वारा हLला मचाने के बाद "दLल8 के चुनाव अSधकार8 ने 1982 म उनका
नाम मतदाता सूची से हटाया। ले7कन 7फ़र जनवर8 1983 म उ*ह1ने अपना नाम मतदाता सूची
म जुड़वा -लया, जब7क उस समय भी वे ,वदे शी ह8 थीं (आधकाTरक प से उRह4ने भारतीय
नागTरकता के %लये अeैल 1983 म- आवेद Bदया था)। हाल ह8 म Eयात कानून,वद, ए.जी.नूरानी
ने अपनी पF
ु तक “-सट8ज*स राई›स, जजेस एंड अकाऊeटे Rब-लट8 रे कॉ'स” (पWृ ठ 318) पर यह

नेह-गाँधी राजवंश (?)


नेह-गाँधी राजवंश (?)
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दज' 7कया है 7क “सोनया गाँधी ने जवाहरलाल नेह के dधानमंRT=व काल के कुछ खास
कागजात एक ,वदे शी को "दखाये, जो कागजात उनके पास नह8ं होने चा"हये थे और उ*ह अपने
पास रखने का सोनया को कोई अSधकार नह8ं था।“ इससे साफ़ जा"हर होता है उनके मन म
भारतीय कानून1 के dत 7कतना स)मान है और वे अभी भी राजतंT कJ मान-सकता से +Fत
हD। सार यह 7क सोनया गाँधी के मन म भारतीय कानून के स)ब*ध म कोई इHजत नह8ं है , वे
एक महारानी कJ तरह Zयवहार करती हD। यBद भFवjय म- उनके „खलाफ़ कोई मुकदमा चलता है
और जेल जाने क# नौबत आ जाती है तो वे इटल7 भी भाग सकती ह>। पे के राj{प:त
फ़ूजीमोर7 जीवन भर यह जपते रहे 1क वे जRम से ह7 पेवासी ह>, ले1कन जब mjटाचार के
मुकदमे म- उRह- दोषी पाया गया तो वे अपने गह
ृ दे श जापान भाग गये और वहाँ क# नागTरकता
ले ल7।

भारत से घण
ृ ा करने वाले मुह)मद गोर8, ना"दर शाह और अं+ेज रॉबट' @लाइव ने भारत कJ धन-
स)पदा को जमकर लट
ू ा, ले7कन सोनया तो “भारतीय” हD, 7फ़र जब राजीव और इि*दरा dधानमंTी
थे, तब ब@से के ब@से भरकर रोज-ब-रोज dधानमंTी नवास से सरु pा गाड' चे*नई के हवाई अडे
पर इटल8 जाने वाले हवाई जहाज1 म @या ले जाते थे? एक तो हमेशा उन ब@स1 को रोम के
-लये बक
ु 7कया जाता था, एयर इं_डया और अ-लटा-लया एयरलाई*स को ह8 िज)मा स~पा जाता
था और दस
ू र8 बात यह 7क कFट)स पर उन ब@स1 कJ कोई जाँच नह8ं होती थी। अजुन
' -संह
जो 7क मE
ु यमंTी भी रह चक
ु े हD और संFकृत मंTी भी, इस मामले म ,वशेष QSच लेते थे। कुछ
भारतीय कलाकृतयाँ, पुरातन वFतुय, ,पछवाई प "टंtस, शहतूश शॉल , -स@के आ"द इटल8 कJ दो
दक
ु ान1, (िजनकJ मा-लक सोनया कJ बहन अनुFका हD) म आम तौर पर दे खी जाती हD। ये दक
ु ान
ु ान का नाम – एट:नका) और ओब˜Fसानो (दक
इटल8 के आल8शान इलाक1 AरवोLटा (दक ु ान का
नाम – गनप:त) म िFथत हD जहाँ इनका धंधा नह8ं के बराबर चलता है , ले7कन दरअसल यह एक
“आड़” है , इन दक
ु ान1 के नाम पर फ़जO Rबल तैयार करवाये जाते हD 7फ़र वे बेशकJमती वFतुय
ल*दन ले जाकर “सौथरबी और 7aFट8ज” |वारा नीलामी म चढ़ा द8 जाती हD, इन सबका @या
मतलब नकलता है ? यह पैसा आfखर जाता कहाँ है ? एक बात तो तय है 1क राहुल गाँधी क#
हावYड Y क# एक वषY क# फ़#स और अRय खच के %लये भुगतान एक बार केमैन @वीप क# 1कसी
ब>क के खाते से हुआ था। इस सबकJ -शकायत जब मDने वाजपेयी सरकार म कJ तो उ*ह1ने कोई
}यान नह8ं "दया, इस पर मDने "दLल8 हाइकोट' म जन"हत याSचका दाfखल कJ। हाईकोट' कJ बच
ने सरकार को नो"टस जार8 7कया, ले7कन तब तक सरकार Sगर गई, 7फ़र कोट' न सीबीआई को
नद˜ श "दये 7क वह इंटरपोल कJ मदद से इन बहुमूLय वFतुओं के स)ब*ध म इटल8 सरकार से
सहायता ले। इटा-लयन सरकार ने d7aया के तहत भारत सरकार से अSधकार-पT माँगा िजसके

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26 नेह-गाँधी राजवंश (?)

आधार पर इटल8 प-ु लस एफ़आईआर दज' करे । अ*ततः इंटरपोल ने दो बड़ी Aरपोटž कोट' और
सीबीआई को स~पी और *यायाधीश ने मझ
ु े उसकJ एक dत दे ने को कहा, ले7कन आज तक
सीबीआई ने मुझे वह नह8ं द8, और यह सवाल अगल8 सुनवाई के दौरान 7फ़र से पूछा जायेगा।
सीबीआई का झूठ एक बार और तब पकड़ा गया, जब उसने
कहा 7क “अलेFसा*]ा माइनो” 7कसी पुQष का नाम है , और
“,वया बेिLलनी, 14, ओरबेFसानो”, 7कसी गाँव का नाम है , ना
7क “माईनो” पAरवार का पता। बाद म सीबीआई के वकJल
ने कोट' से माफ़J माँगी और कहा 7क यह गलती से हो
गया, उस वकJल का “dमोशन” बाद म “ऎ_डशनल
सॉ-ल-सटर जनरल” के प म हो गया, ऐसा @य1 हुआ,
इसका खुलासा तो वाजपेयी-सोनया कJ आपसी “समझबूझ” और “गठजोड़” ह8 बता सकता है ।

इन "दन1 सोनया गाँधी अपने पत ह=यार1 के समथ'क1 MDMK, PMK और DMK से स=ता के
-लये मधरु स)ब*ध बनाये हुए हD, कोई भारतीय ,वधवा कभी ऐसा नह8ं कर सकती। उनका पूव'
आचरण भी ऐसे मामल1 म सं"दtध रहा है , जैसे 7क – जब संजय गाँधी का हवाई जहाज नाक के
बल Sगरा तो उसम ,वFफ़ोट नह8ं हुआ, @य17क पाया गया 7क उसम xधन नह8ं था, जब7क
‘लाईट रिजFटर के अनस
ु ार नकलते व@त टDक फ़ुल 7कया गया था, जैसे माधवराव -संSधया कJ
,वमान दघ
ु ट
' ना के ऐन पहले मfणशंकर अšयर और शीला द8‹pत को उनके साथ जाने से मना
कर "दया गया। इि*दरा गाँधी कJ मौत कJ वजह बना था उनका अ=यSधक र@तœाव, न 7क -सर
म गोल8 लगने से, 7फ़र सोनया गाँधी ने उस व@त खून बहते हुए हालत म इि*दरा गाँधी को
लो"हया अFपताल ले जाने कJ िजद कJ जो 7क अfखल भारतीय आयु,व'yान संFथान (AAIMS)
से Rबलकुल ,वपर8त "दशा म है ? और जब7क “ऐ)स” म तमाम सु,वधाय भी उपल$ध हD, 7फ़र
लो"हया अFपताल पहुँच कर वापस सभी लोग AAIMS पहुँचे, और इस बीच लगभग पwचीस
कJमती -मनट बरबाद हो गये? ऐसा @य1 हुआ, @या आज तक 7कसी ने इसकJ जाँच कJ? सो:नया
गाँधी के FवकAप बन सकने वाले लगभग सभी युवा नेता जैसे राजेश पायलट, माधवराव
%सिRधया, िजतेR‡ eसाद Fव%भRन हादस4 म- ह7 Eय4 मारे गये? अब सोनया कJ स=ता नबा'ध
प से चल रह8 है , ले1कन ऐसे कई अनसुलझे और रहKयमयी evन चार4 ओर मौजूद ह>, उनका
कोई जवाब नह7ं है , और कोई पूछने वाला भी नह7ं है , यह7 इटल7 क# Kटाइल है ।

[आशा है 1क मेरे कई “%मI4” (?) को कई जवाब %मल गये ह4गे, जो म>ने Fपछल7 दोनो पोKट4 म-
जानबूझकर नह7ं उठाये थे, यह भी आभास हुआ होगा 1क कांuेस सांसद “सुNबा” कैसे भारतीय

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नागTरक ना होते हुए भी सांसद बन गया (Eय41क उसक# महारानी खुद कानून का स[मान नह7ं
करती), Eय4 बार-बार EवाIोLची सीबीआई के फ़ौलाद7 (!) हाथ4 से 1फ़सल जाता है , Eय4 कांuेस
और भाजपा एक ह7 थैल7 के चŽे -बŽे ह>? Eय4 हमार7 सीबीआई इतनी लुंज-पुंज है ? आBद-आBद...
मेरा %सफ़Y यह7 आuह है 1क 1कसी को भी तड़ से “सांeदा:यक या फ़ा%सKट” घोFषत करने से
पहले जरा ठं डे Bदमाग से सोच ल- , तय4 पर गौर कर- , कई बार हम- जो Bदखाई दे ता है स2य
उससे कह7ं अधक भयानक होता है , और स2ता के शीषY %शखर4 पर तो इतनी सड़ांध और षडयंI
ह> 1क हम जैसे आम आदमी कAपना भी नह7ं कर सकते, बिAक यह कहना गैरवािजब नह7ं होगा
1क स2ता और धन क# चोट7 पर बैठे fयिEत के नीचे न जाने 1कतनी आह- होती ह>, 1कतने
नरमुंड होते ह>, 1कतनी चालबािजयाँ होती ह>.... राजनी:त शायद इसी का नाम है ...]

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28 नेह-गाँधी राजवंश (?)

सो:नयाजी ऐसी भी Eया दvु मनी!!!


(http://blog.sureshchiplunkar.com/2007/12/sonia-gandhi-amitabh-bachchan-
rivalry.html)

आमतौर पर एक सामािजक मा*यता है 7क भले ह7 आप 1कसी पTरवार म- मांग%लक अवसर4 पर


उपिKथत न हो सक- तो चलेगा, ले1कन उस पTरवार क# गमी म- अवvय शा%मल होना चाBहये, चाहे
उस पAरवार से आपका 7कतना ह8 मनमुटाव @य1 ना हो... अ-मताभ बwचन कJ माँ अथा'त तेजी
बwचन के अि*तम संFकार म गाँधी पAरवार का एक भी सदFय मौजूद नह8ं था, जब7क भैर1-संह
शेखावत अपने खराब FवाF`य के बावजूद इसम शा-मल हुए।

उLलेखनीय है 7क तेजी बwचन एक संbांत


-सख पAरवार कJ बेट8 थीं, िज*ह1ने अपने
पAरवार के भार8 ,वरोध के बावजूद उस
जमाने म एक कायFथ से dेम ,ववाह
7कया। हालां7क उनके दबंग Zयि@त=व को
रे खां7कत करने के -लये यह8 एक त`य
काफ़J है , ले7कन इसके भी परे उ*ह1ने
अपने बwच1 अ-मताभ और अिजताभ को
बेहतर संFकार "दये और उ*ह एक मद
ृ भ
ु ाषी
और संFकाAरत Zयि@त बनाया।

तेजी बwचन के Fव.इि*दरा गाँधी से Zयि@तगत स)ब*ध रहे और उ*ह1ने हमेशा राजीव गाँधी को
अपने पुT के समान माना और Fनेह "दया। जब सोनया माइनो से राजीव का ,ववाह तय हुआ
उस समय सोनया को भारतीय संFकार1 और पर)पराओं कJ जानकार8 दे ने के -लये इं"दरा गाँधी
ने तेजी से ह8 अनुरोध 7कया था, और एक तरह से ता=का-लक प से सोनया का क*या पp
बwचन पAरवार ह8 था, और चँू7क भारतीय प{त से ,ववाह (दे ख -लंक "दखावे के -लये ह8 सह8) हो
रहा था इस-लये “क*यादान” जैसी रFम भी बwचन पAरवार ने ह8 नभाई थी। दो पAरवार1 के बीच
इतने “dगाढ़” स)ब*ध होने के बावजूद ऐसा @या हो गया 7क अब सोनया एक मह=वपूण' शोक
के अवसर पर नदारद रह8ं। Eया राजनी:त और अहं क# परछाईयाँ इतनी ल[बी होती ह> 1क
fयिEत अपने सामाRय नै:तक fयवहार तक भूल जाता है ? @या बwचन पAरवार ने गाँधी पAरवार
का इतना बरु ा कर "दया है 7क इस मौके पर भी कम से कम राहुल गाँधी को उपिFथत रहने का
नद˜ श भी सोनया नह8ं दे सकJं? अब तक तो बwचन पAरवार कJ ओर से शाल8न बता'व के

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कारण यह पता नह8ं चल सका है 7क इन दोन1 पAरवार1 म मनमट
ु ाव कJ ऐसी िFथत @य1 और
कैसे बनी (अब तक तो यह8 दे खने म आया है 7क अ-मताभ के fखलाफ़ आयकर ,वभाग को
सतत काम पर लगाया गया, जया बwचन कJ राHयसभा सदFयता “दोहरे लाभ पद” वाले मामले
म कुबा'न करनी पड़ी) ले7कन एक बार बीच म राहुल के मँुह से नकल गया था 7क “बwचन
पAरवार ने हमारे साथ ,व^वासघात 7कया है ”... हो सकता है 7क ऐसी कोई बात हो भी, ले7कन
भारतीय संFकृत म और इतने बड़े साव'जनक पद पर रहने के कारण सोनया का यह फ़ज'
बनता था 7क अपने “द^ु मन” के यहाँ इस अवसर पर उपिFथत रहतीं, या पAरवार के 7कसी सदFय
को भेजतीं, और नह8ं तो कम से कम एक बयान जार8 करके अखबार1 म ह8 संवेदना dकट कर
दे तीं, ले7कन शायद “इटल7” के संKकार भारतीय बहू(?) पर भार7 पड़ गये.... ऐसी भी @या
द^ु मनी!!!!!

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