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Neharu-Gandhi Rajvansh - Suresh Chiplunkar
Neharu-Gandhi Rajvansh - Suresh Chiplunkar
सुरेश चपलूनकर
www.blog.sureshchiplunkar.com
2 नेह-गाँधी राजवंश (?)
जगह1 पर उपल$ध हD मुEय समFया थी 7क इसे कैसे संयोिजत कँ, @य17क साम+ी बहुत Hयादा
है और टुकड1-टुकड1 म है , 7फ़र भी मैने को-शश कJ है इसका सह8 अनुवाद करने कJ और उसे
तारत)यता के साथ पठनीय बनाने कJ...जा"हर है 7क यह सार8 साम+ी अनुवाद भर है , इसम मेरा
-सफ़' यह8 योगदान है ... हालां7क मैने लगभग सभी स*दभK (references) का उLलेख करने कJ
को-शश कJ है , ता7क लोग इसे वहाँ जाकर अं+ेजी म पढ सक, ले7कन "ह*द8 म पढने का मजा
कुछ और ह8 है ... बाकJ सब पाठक1 कJ मजO...हजार1-हजार पाठक1 ने इसे अं+ेजी म पढ ह8 रखा
होगा, ले7कन जो नह8ं पढ़ पाये हD और वह भी "ह*द8 म , तो उनके -लये यह पेश है ...
दरअसल नेह ने खुद कJ आ=मकथा म एक जगह -लखा था 7क उनके दादा अथा'त मोतीलाल
के ,पता गंगा धर थे, ठUक वैसा ह8 जवाहर कJ बहन कृWणा ने भी एक जगह -लखा है 7क उनके
दादाजी मुगल सLतनत (बहादरु शाह जफ़र के समय) म नगर कोतवाल थे. अब इतहासकार1 ने
खोजबीन कJ तो पाया 7क बहादरु शाह जफ़र के समय कोई भी "ह*द ू इतनी मह=वपूण' ओहदे पर
नह8ं था..और खोजबीन पर पता चला 7क उस व@त के दो नायब कोतवाल "ह*द ू थे नाम थे भाऊ
-संह और काशीनाथ, जो 7क लाहौर8 गेट "दLल8 म तैनात थे, ले7कन 7कसी गंगा धर नाम के
Zयि@त का कोई Aरकॉड' नह8ं -मला (मेहद7 हुसैन क# पुKतक : बहादरु शाह जफ़र और १८५७ का
गदर, १९८७ क# आविृ 2त), Aरकॉड' -मलता भी कैसे, @य17क गंगा धर नाम तो बाद म अं+ेज1 के
कहर से डर कर बदला गया था, असल8 नाम तो था "गयासु\ीन गाजी" । जब अं+ेज1 ने "दLल8
को लगभग जीत -लया था,तब मुगल1 और मुसलमान1 के दोबारा ,व]ोह के डर से उ*ह1ने "दLल8
के सारे "ह*दओ
ु ं और मुसलमान1 को शहर से बाहर करके त)बुओं म ठहरा "दया था (जैसे 7क
आज क^मीर8 पं_डत रह रहे हD), अं+ेज वह गलती नह8ं दोहराना चाहते थे, जो "ह*द ू राजाओं
(प`ृ वीराज चौहान ने) ने मुसलमान आaांताओं को जी,वत छोडकर कJ थी, इस-लये उ*ह1ने चुन-
चुन कर मुसलमान1 को मारना शुQ 7कया, ले7कन कुछ मुसलमान "दLल8 से भागकर पास के
इलाक1 मे चले गये थे । उसी समय यह पAरवार भी आगरा कJ तरफ़ कूच कर गया...
हमने यह कैसे जाना ? नेह ने अपनी आ=मकथा म -लखा है 7क आगरा जाते समय उनके दादा
गंगा धर अं+ेज1 ने रोक कर पछ
ू ताछ कJ थी, ले7कन तब गंगा धर ने उनसे कहा था 7क वे
मस
ु लमान नह8ं हD, बिLक क^मीर8 पं_डत हD और अं+ेज1 ने उ*ह आगरा जाने "दया... बाकJ तो
इतहास है ह8 । यह "धर" उपनाम क^मीर8 पं_डत1 म आमतौर पाया जाता है , और इसी का
अपbंश होते-होते और धमा'*तरण होते-होते यह "दर" या "डार" हो गया जो 7क क^मीर के
अ,वभािजत "हFसे म आमतौर पाया जाने वाला नाम है । ले7कन मोतीलाल ने नेह नाम चुना
ता7क यह पूर8 तरह से "ह*द ू सा लगे । इतने पीछे से शुQआत करने का मकसद -सफ़' यह8 है
7क हम पता चले 7क "खानदानी" लोग @या होते हD ।
़
कहा जाता है 1क आदमी और घोडे को उसक# नKल से पहचानना चाBहये, e2येक fयिEत और
घोडा अपनी नKल7य Fवशेषताओं के Bहसाब से ह7 fयवहार करता है , संKकार उसम- थोडा सा
बदलाव ला सकते ह>, ले1कन उसका मूल Kवभाव आसानी से बदलता नह7ं है .... 7फ़लहाल गाँधी-
नेह पAरवार पर फ़ोकस...अपनी पुFतक "द नेह डायनेKट7" म-
लेखकके.एन.राव (यहाँ http://www.amazon.com/Nehru-dynasty-Astro-political-portraits-
Indira/dp/8186092005 ) -लखते हD.ऐसा माना जाता है 7क जवाहरलाल, मोतीलाल नेह के पT
ु
थे और मोतीलाल के ,पता का नाम था गंगाधर । यह तो हम जानते ह8 हD 7क जवाहरलाल कJ
एक पT
ु ी थी इि*दरा ,dयद-श'नी नेह । कमला नेह उनकJ माता का नाम था, िजनकJ म=ृ यु
िFवटजरलैeड म ट8बी से हुई थी । कमला शुQ से ह8 इि*दरा के 7फ़रोज से ,ववाह के fखलाफ़
थीं... @य1 ? यह हम नह8ं बताया जाता...ले7कन यह 7फ़रोज गाँधी कौन थे ? 7फ़रोज उस Zयापार8
को बहला-फ़ुसलाकर उसका धम' पAरवत'न करवाकर ल*दन कJ एक मिFजद म उससे शाद8 रचा
ल8 (नाम रखा "मैमूना बेगम") ।
नेह को पता चला तो वे बहुत लाल-पीले हुए, ले7कन अब @या 7कया जा सकता था...जब यह
खबर मोहनदास करमच*द गाँधी को -मल8 तो उ*ह1ने ताबडतोड नेह को बुलाकर समझाया,
राजनैतक छ,व कJ खातर 7फ़रोज को मनाया 7क वह अपना नाम गाँधी रख ले.. यह एक
आसान काम था 7क एक शपथ पT के जAरये, बजाय धम' बदलने के -सफ़' नाम बदला जाये...
तो 7फ़रोज खान (घांद8) बन गये 7फ़रोज गाँधी । और ,वड)बना यह है 7क स=य-स=य का जाप
करने वाले और "स=य के साथ मेरे dयोग" -लखने वाले गाँधी ने इस बात का उLलेख आज तक
कह8ं नह8ं 7कया, और वे महा=मा भी कहलाये...खैर... उन दोन1 (7फ़रोज और इि*दरा) को भारत
बुलाकर जनता के सामने "दखावे के -लये एक बार पुनः वै"दक र8त से उनका ,ववाह करवाया
गया, ता7क उनके खानदान कJ ऊँची नाक (?) का bम बना रहे ।
इस बारे म नेह के सेaेटर8 एम.ओ.मथाई अपनी पुFतक"रे मे:नसेRसेस ऑफ़ थे नेह एज" (पjृ ट
९४ पैरा २) (अब भारत सरकार @वारा e:तबिRधत) म -लखते हD 7क "पता नह8ं @य1 नेह ने सन
१९४२ म एक अ*तजा'तीय और अ*तधा'-म'क ,ववाह को वै"दक र8तAरवाज1 से 7कये जाने को
अनुमत द8, जब7क उस समय यह अवैधानक था, कानूनी प से उसे "-स,वल मैAरज" होना
चा"हये था" । यह तो एक Fथा,पत त`य है 7क राजीव गाँधी के ज*म के कुछ समय बाद
इि*दरा और 7फ़रोज अलग हो गये थे, हालाँ7क तलाक नह8ं हुआ था । 7फ़रोज गाँधी अ@सर नेह
पAरवार को पैसे माँगते हुए परे शान 7कया करते थे, और नेह कJ राजनैतक गत,वSधय1 म
हFतpेप तक करने लगे थे । तंग आकर नेह ने 7फ़रोज का "तीन मूत' भवन" मे आने-जाने
पर dतब*ध लगा "दया था । मथाई -लखते हD 7फ़रोज कJ म=ृ यु से नेह और इि*दरा को बडी ़
राहत -मल8 थी । १९६० म 7फ़रोज गाँधी कJ म=ृ यु भी रहFयमय हालात म हुई थी, जब7क वह
दस
ू र8 शाद8 रचाने कJ योजना बना चुके थे । अपुWट सूT1, कुछ खोजी पTकार1 और इि*दरा गाँधी
के 7फ़रोज से अलगाव के कारण यह त`य भी Fथा,पत हुआ 7क sीमती इि*दरा गाँधी (या
sीमती 7फ़रोज खान) का दस
ू रा बेटा अथा'त संजय गाँधी, 7फ़रोज कJ स*तान नह8ं था, संजय
गाँधी एक और मुिFलम मोह)मद यूनुस का बेटा था । संजय गाँधी का असल8 नाम दरअसल
संजीव गाँधी था, अपने बडे भाई राजीव गाँधी से -मलता जुलता । ले7कन संजय नाम रखने कJ
नौबत इस-लये आई @य17क उसे ल*दन पु-लस ने इंtलैeड म कार चोर8 के आरोप म पकड़ -लया
था और उसका पासपोट' ज$त कर -लया था । Rvटे न म त=काल8न भारतीय उwचायु@त कृWण
मेनन ने तब मदद करके संजीव गाँधी का नाम बदलकर नया पासपोट' संजय गाँधी के नाम से
एक बार नेह के लखनऊ दौरे के समय s}दामाता उनसे -मल8 और उपा}याय जी हमेशा कJ
तरह एक पT लेकर नेह के पास आये, नेह ने भी उसे उ=तर "दया, और अचानक एक "दन
s{ा माता गायब हो गx, 7कसी के ढूँढे से नह8ं -मल8ं । नव)बर १९४९ म बगलूर के एक कॉ*वट
से एक सद
ु श'न सा आदमी पT1 का एक बंडल लेकर आया। उसने कहा 7क उ=तर भारत से एक
यव
ु ती उस कॉ*वट म कुछ मह8ने पहले आई थी और उसने एक बwचे को ज*म "दया। उस
यव
ु ती ने अपना नाम पता नह8ं बताया और बwचे के ज*म के तरु *त बाद ह8 उस बwचे को वहाँ
छोडकर गायब हो गई थी। उसकJ नजी वFतुओं म "ह*द8 म -लखे कुछ पT बरामद हुए जो
dधानम*Tी |वारा -लखे गये हD, पT1 का वह बंडल उस आदमी ने अSधकाAरय1 के सुपद
ु ' कर
"दया।
मथाई -लखते हD- मैने उस बwचे और उसकJ माँ कJ खोजबीन कJ काफ़J को-शश कJ, ले7कन
कॉ*वट कJ मुEय -मFे स, जो 7क एक ,वदे शी म"हला थी, बहुत कठोर अनुशासन वाल8 थी और
उसने इस मामले म एक श$द भी 7कसी से नह8ं कहा.....ले7कन मेर8 इwछा थी 7क उस बwचे का
पालन-पोषण मD कQँ और उसे रोमन कैथो-लक संFकार1 म बडा कँ, चाहे उसे अपने ,पता का
नाम कभी भी मालूम ना हो.... ले7कन ,वधाता को यह मंजूर नह8ं था.... खैर... हम बात कर रहे
थे राजीव गाँधी कJ...जैसा 7क हम मालूम है राजीव गाँधी ने, तूAरन (इटल8) कJ म"हला सानया
माईनो से ,ववाह करने के -लये अपना तथाकSथत पारसी धम' छोडकर कैथो-लक ईसाई धम'
अपना -लया था। राजीव गाँधी बन गये थे रोबेतt और उनके दो बLचे हुए िजसम- से लडक# का
नाम था "qबयेRका" और लडके का "रॉल" । बडी ह7 चालाक# से भारतीय जनता को बेवकूफ़
बनाने के %लये राजीव-सो:नया का BहRद ू र7:तTरवाज4 से पुनFवYवाह करवाया गया और बLच4 का
नाम "qबयेRका" से बदलकर Feयंका और "रॉल" से बदलकर राहुल कर Bदया गया... बेचार8 भोल8-
भाल8 आम जनता !
यह अनव
ु ाद %सफ़Y इसी%लये 1कया गया है 1क जो बात बरस4 पहले से ह7 अंuेजी म- उपलNध है , उसे
ु ाना नह7ं है , ना
BहRद7 म- भी अनुवाBदत भी होना चाBहये.... यह करने के पीछे उ]ेvय 1कसी का Bदल दख
ह7 अपने चwे क# ट7आरपी बढाने का है ... हाँ यह KवाथY जर है 1क यBद पाठक4 को अनुवाद पसRद
आया तो इस yेI म- भी हाथ आजमाया जाये और इस गर7ब क# झोल7 म- थोडा ़ सा नावां-प2ता आ
गरे .... (नीले रं ग से इटै %लक 1कये हुए शNद मेरे ह>, बाक# सब अनव
ु ाद है )
जब इंटरनेट और $लॉग कJ दु नया म आया तो सोनया गाँधी के बारे म काफ़J कुछ पढने को
-मला । पहले तो मDने भी इस पर ,व^वास नह8ं 7कया और इसे माT बकवास सोच कर खाAरज
कर "दया, ले7कन एक-दो नह8ं कई साईट1 पर कई लेखक1 ने सोनया के बारे म काफ़J कुछ
-लखा है जो 7क अभी तक ,dंट मी_डया म नह8ं आया है (और भारत म इंटरनेट 7कतने और
7कस dकार के लोग उपयोग करते हD, यह बताने कJ आव^यकता नह8ं है ) । यह तमाम साम+ी
"ह*द8 म और ,वशेषकर "यूनकोड" म भी पाठक1 को सुलभ होनी चा"हये, यह8 सोचकर
मDने "नेह-गाँधी राजवंश" (http://sureshchiplunkar.blogspot.com/2007/04/blog-post_18.html)
नामक पोFट -लखी थी िजस पर मुझे -मल8जुल8 dत7aया -मल8, कुछ ने इसकJ तार8फ़ कJ, कुछ
तटFथ बने रहे और कुछ ने Zयि@तगत मेल भेजकर गा-लयाँ भी द8ं (मुंड-े मुंडे मत-भ'*नाः) । यह
तो Fवाभा,वक ह8 था, ले7कन सबसे आ^चय'जनक बात यह रह8 7क कुछ ,व|वान1 ने मेरे -लखने
को ह8 चुनौती दे डाल8 और अं+ेजी से
"ह*द8 या मराठU से "ह*द8 के अनुवाद
को एक गैर-लेखकJय कम' और "नॉन-
7aये"टव" करार "दया । बहरहाल, कम
से कम म> तो अनुवाद को रचना2मक
कायY मानता हूँ, और दे श क# एक
eमुख हKती के बारे म- %लखे हुए का
BहRद7 पाठक4 के %लये अनुवाद पेश
करना एक कतYfय मानता हूँ (कम से
कम मD इतना तो ईमानदार हूँ ह8, 7क
जहाँ से अनुवाद कँ उसका उLलेख,
नाम उपल$ध हो तो नाम और -लंक
उपल$ध हो तो -लंक दे ता हूँ) ।
पेश है "आप सोनया गाँधी को 7कतना जानते हD" कJ पहल8 कडी, ़ अंuेजी म- इसके मूल लेखक ह>
एस.गुVमू:तY और यह लेख Bदनांक १७ अeैल २००४ को "द Rयू इंQडयन एEसeेस" म- -
अनमािKकंग सो:नया गाँधी- शीषYक से eका%शत हुआ था ।
"अब भू-मका बाँधने कJ आव^यकता नह8ं है और समय भी नह8ं है , हम सीधे मुEय मु\े पर आ
जाना चा"हये । भारत कJ खु7फ़या एजसी "रॉ", िजसका गठन सन १९६८ म हुआ, ने ,व-भ*न दे श1
कJ गु3तचर एज-सय1 जैसे अमेAरका कJ सीआईए, स कJ केजीबी, इसराईल कJ मोFसाद और
ांस तथा जम'नी म अपने पेशेगत संपक' बढाये और एक नेटवक' खडा ़ 7कया । इन खु7फ़या
एज-सय1 के अपने-अपने सूT थे और वे आतंकवाद, घुसपैठ और चीन के खतरे के बारे म
सच
ू नाय आदान-dदान करने म सpम थीं । ले7कन "रॉ" ने इटल8 कJ खु7फ़या एज-सय1 से इस
लेने कJ "दनांक भारतीय जनता से बडी ़ ह8 सफ़ाई से छपाई गई। भारत का कानून अमेAरका,
जम'नी, 7फ़नलDड, थाईलDड या -संगापरु आ"द दे श1 जैसा नह8ं है िजसम वहाँ पैदा हुआ Zयि@त ह8
उwच पद1 पर बैठ सकता है । भारत के सं,वधान म यह dावधान इस-लये नह8ं है 7क इसे बनाने
वाले "धम'नरपेp नेताओं" ने सपने म भी नह8ं सोचा होगा 7क आजाद8 के साठ वष' के भीतर ह8
कोई ,वदे शी मूल का Zयि@त dधानमंTी पद का दावेदार बन जायेगा। ले1कन कलाम साहब ने
आसानी से धोखा नह7ं खाया और उनसे सवाल कर %लये (e:तभा ताई 1कतने सवाल कर पाती ह>
यह दे खना बाक# है )। सं,वधान के मुताRबक सोनया dधानमंTी पद कJ दावेदार बन सकती हD,
जैसे 7क मD या कोई और। ले7कन भारत के नागAरकता कानून के मुताRबक Zयि@त तीन तर8क1
से भारत का नागAरक हो सकता है , पहला ज*म से, दस
ू रा रिजFे शन से, और तीसरा dाकृतक
कारण1 (भारतीय से ,ववाह के बाद पाँच वष' तक लगातार भारत म रहने पर) । इस dकार मD
और सोनया गाँधी,दोन1 भारतीय नागAरक हD, ले7कन मD ज*म से भारत का नागAरक हूँ और
मुझसे यह कोई नह8ं छUन सकता, जब7क सोनया के मामले म उनका रिजFे शन र\ 7कया जा
सकता है । वे भले ह8 लाख दावा कर 7क वे भारतीय बहू हD, ले7कन उनका नागAरकता रिजFे शन
भारत के नागAरकता कानून कJ धारा १० के तहत तीन उपधाराओं के कारण र\ 7कया जा
सकता है
(अ) उ*ह1ने नागAरकता का रिजFे शन धोखाधडी ़ या कोई त`य छुपाकर हा-सल 7कया हो,
(स) रिजFटड' नागAरक यु{काल के दौरान द^ु मन दे श के साथ 7कसी भी dकार के स)पक' म रहा
हो ।
(इन मु]4 पर डॉ. सुमnयम Kवामी काफ़# काम कर चुके ह> और अपनी पुKतक म- उRह4ने
इसका उAलेख भी 1कया है , जो आप पाय-गे इन अनुवाद4 के "तीसरे भाग" म- )। राWपत कलाम
साहब के "दमाग म एक और बात नि^चत ह8 चल रह8 होगी, वह यह 7क इटल8 के कानून1 के
मुताRबक वहाँ का कोई भी नागAरक दोहर8 नागAरकता रख सकता है , भारत के कानून म ऐसा
नह8ं है , और अब तक यह बात सावYज:नक नह7ं हुई है 1क सो:नया ने अपना इटल7 वाला पासपोटY
और नागTरकता कब छोडी ़ ? ऐसे म वह भारत कJ dधानमंTी बनने के साथ-साथ इटल8 कJ भी
dधानमंTी बनने कJ दावेदार हो सकती हD। अ*त म एक और म\
ु ा, अमेAरका के सं,वधान के
अनस
ु ार सवwच पद पर आसीन होने वाले Zयि@त को अं+ेजी आना चा"हये, अमेAरका के dत
वफ़ादार हो तथा अमेAरकJ सं,वधान और शासन ZयवFथा का जानकार हो। भारत का सं,वधान
(eKतुत लेख स
ु ी कंचन गुoता @वारा Bदनांक २३ अeैल १९९९ को रे Qडफ़.कॉम पर %लखा गया है ,
बेहद मामूल7 फ़ेरबदल और कुछ भाषाई जरत4 के मुताqबक इसे म>ने संक%लत, संपाBदत और
अनुवाBदत 1कया है । डॉ.सुमnयम Kवामी @वारा %लखे गये कुछ लेख4का संकलन पूणY होते ह7
अनुवाद4 क# इस कडी ़ का तीसरा भाग पेश 1कया जायेगा।)
-मT1 जनजागरण का यह महाअ-भयान जार8 रहे , अं+ेजी म -लखा हुआ अSधकतर आम लोग1 ने
नह8ं पढा ़ होगा इस-लये सभी का यह कत'Zय बनता है 7क महाजाल पर िFथत यह साम+ी "ह*द8
पाठक1 को भी सुलभ हो, इस-लये इस लेख कJ -लंक को अपने इWट-मT1 तक अव^य पहुँचाय,
@य17क हो सकता है 7क कल को हम एक ,वदे शी |वारा शा-सत होने को अ-भश3त हो जाय !
(इस भाग म – सोनया गाँधी का ज*म, उनका पाAरवाAरक इतहास, उनके स)ब*ध, उनके झूठ,
उनके |वारा कानून से fखलवाड़ आ"द शा-मल हD)
“मेरा (मतलब डॉ.Fवामी का) सोनया गाँधी का ,वरोध -सफ़' इसी बात को लेकर नह8ं है 7क
उनका ज*म इटल8 म हुआ है , @य17क यह कोई म\
ु ा नह8ं है , बिLक इटल8 स"हत 7कसी और दे श
म ,वदे शी मल
ू कJ बात का फ़ैसला वहाँ के *यायालय1 ने 7कया हुआ है , 7क सवwच और
मह=वपूण' पद1 पर ,वदे शी मूल का Zयि@त नह8ं पदासीन हो सकता, ले7कन भारत म ऐसा कोई
कानून नह8ं है । 17 मई 2004 को 12.45 पर राWपत ने मुझे -मलने का समय "दया था, उसी
समय मDने उनसे कहा था 7क य"द सोनया गाँधी dधानमंTी बनती हD तो मD इसे सवwच
*यायालय म चुनौती दँ ग
ू ा, और “रिजFे शन” |वारा नागAरकता हा-सल 7कये जाने के कारण उसे
र\ 7कया भी जा सकता है ।
ं
पहला झूठ – सोनया गाँधी का असल8 नाम “सोनया” नह8ं बिLक “ऎटोनया” है, यह बात इटल8 के
राजदत
ू ने 27 अdैल 1983 को -लखे पT म Fवीकार कJ है , यह पT गह
ृ मंTालय न अपनी मजO
से कभी साव'जनक नह8ं 7कया। “एंटॊ:नया” नाम सो:नया गाँधी के जRम eमाणपI म- अं1कत
है । सोनया गाँधी को “सोनया” नाम उनके ,पता Fव.Fटे फ़ानो माईनो ने "दया था। Fट8फ़ानो
माइनो |,वतीय ,व^व यु{ के व@त स म य{
ु ब*द8 थे। Fट8फ़ानो ने एक काय'कता' के तौर पर
“नाजी” सेना म काम 7कया था, जैसा 7क कई इटा-लयन फ़ा-सFट1 ने 7कया था। “सोनया” एक
सी नाम है न 7क इटा-लयन। स म Rबताये जेल के ल)ह1 म सोनया के ,पता धीरे -धीरे स
समथ'क बन गये थे, खासकर तब जब7क उन समेत इटल8 के सभी “फ़ा-सFट1” कJ स)पि=त
अमेAरकJ सेनाओं |वारा नWट या ज$त कर ल8 गई थी।
दस
ू रा झूठ – उनका ज*म इटल8 के लू-सयाना म हुआ, ना 7क जैसा उ*ह1ने संसद म "दये अपने
शपथ पT म उLलेख 7कया है 7क “उनका ज*म ओरबेFसानो म हुआ”। शायद वे अपना जRम
Kथान “लू%सयाना” छुपाना चाहती ह>, Eय41क इससे उनके Fपता के नािजय4 और मुसो%लनी से
स[बRध उजागर होते ह>, जब1क उनका पTरवार लगातार नािजय4 और फ़ा%सKट4 के स[पकY म-
रहा, यु समािoत के पvचात भी। लू%सयाना नािजय4 के नेटवकY का मु}य केR था और यह
इटल8-िFवस सीमा पर िFथत है । इस झूठ का कोई औSच=य नजर नह8ं आता और ना ह8 आज
तक उनकJ तरफ़ से इसका कोई FपWट8करण "दया गया है ।
तीसरा झूठ – सोनया गाँधी का आSधकाAरक -शpण हाई Fकूल से अSधक नह8ं हुआ है । ले7कन
उ*ह1ने रायबरे ल8 के 2004 लोकसभा चुनाव म एक शपथ पT म कहा है 7क उ*ह1ने केि)vज
,व^व,व|यालय से अं+ेजी म _ड3लोमा 7कया हुआ है । यह8 झूठ बात उ*ह1ने सन 1999 म
लोकसभा म अपने पAरचय पT म कह8 थी, जो 7क लोकसभा |वारा “हू इज़ हू” के नाम से
dका-शत कJ जाती है । बाद म जब मDने लोकसभा के Fपीकर को -लfखत -शकायत कJ, 7क यह
घोर अनैतकता भरा कदम है , तब उ*ह1ने Fवीकार 7कया 7क ऐसा “टाई,पंग” कJ गलती कJ वजह
से हुआ (ऐसा “टायFपंग %मKटे क” तो गनीज़ बुक ऑफ़ वAडY TरकॉYस म- शा%मल होने लायक है )।
7फ़र सोनया इंtलDड िFथत केि)vज कFबे के “ले*नॉ@स Fकूल” म अं+ेजी पढने गx, ता7क उ*ह
थोड़ा स)मानजनक काम -मल जाये। यह है उनका कुल “-शpण”, ले7कन भारतीय समाज को
बेवकूफ़ बनाने के -लयेउRह4ने संसद म- झूठा बयान Bदया (जो 1क नै:तकता का उAलंघन भी
है ) और चुनाव म झूठा शपथ पT भी, जो 7क भारतीय दं ड सं"हता के अनुसार अपराध भी है ,
@य17क सुdीम कोट' के नण'य के अनुसार d=याशी को उसकJ स)पि=त और -शpा के बारे म
सह8-सह8 जानकार8 दे ना आव^यक है । इन तीन झूठ1 से साRबत होता है 7क सोनया गाँधी कुछ
“छपाना” चाहती हD, या उनका कोई छुपा हुआ काय'aम है जो 7कसी और मकसद से है , जा"हर है
7क उनके बारे म और जानकार8 जुटाना आव^यक है ।
राजीव गाँधी और सोनया का ,ववाह ओबFसानो म एक चच' म हुआ था, हालां7क यह उनका
Zयि@तगत ले7कन ,ववादाFपद मामला है और जनता को इससे कोई लेना-दे ना नह8ं है , ले7कन
जनता का िजस बात से सरोकार है वह है इि*दरा गाँधी |वारा उनका वै"दक र8त से पुनः ,ववाह
जब भारतीय dधानमंTी का बेटा ल*दन म एक लड़कJ से dेम करने म लगा हो, तो भला सी
खु7फ़या एजसी “केजीबी” भला चुप कैसे रह सकती थी, जब7क भारत-सो,वयत Aर^ते बहुत मधुर
ह1, और सोनया उस Fट8फ़ानो कJ पुTी ह1 जो 7क सो,वयत भ@त बन चुका हो। इस-लये सोनया
का राजीव से ,ववाह भारत-सो,वयत स)ब*ध1 और केजीबी के "हत म ह8 था। राजीव से शाद7 के
बाद माइनो पTरवार के सोFवयत संघ से स[बRध और भी मजबूत हुए और कई सौद4 म- उRह-
दलाल7 क# रकम अदा क# गई । डॉ.येवेिtनया अLबास (पीएच.डी. हाव'ड)' एक Eयात सी
लेfखका और पTकार हD, वे बोAरस येLत-सन |वारा सन 1991 म ग"ठत एक आयोग कJ सदFया
थीं, ने अपनी पF
ु तक “द Fटे ट ,व"दन अ Fटे ट
: द केजीबी इन सो,वयत यू नयन” म कई
दFतावेज1 का उLलेख 7कया है , और इन
दFतावेज1 को भारत सरकार जब चाहे एक
आवेदन दे कर दे ख सकती है । सी सरकार ने
सन 1992 म डॉ. अLबास के इन
रहFयो|घाटन1 को Fवीकार 7कया, जो 7क
“"ह*द”ू म 1992 म dका-शत हो चुका है । उस
dव@ता ने यह भी कहा 7क “सो,वयत आदशK
और -स{ांत1 को बढावा दे ने के -लये” इस dकार का पैसा माइनो और कां+ेस d=या-शय1 को
चुनाव1 के दौरान "दया जाता रहा है । 1991 म स के ,वघटन के प^चात जब स आSथ'क
भंवर म फ़ँस गया तब सोनया गाँधी का पैसे का यह ोत सूख गया और सोनया ने स से
मँुह मोड़ना शुQ कर "दया। मनमोहन -संह के स=ता म आते ह8 स के वत'मान राWपत पुतन
(जो 7क घुटे हुए केजीबी जासूस रह चुके हD) ने त=काल "दLल8 म राजदत
ू के तौर पर अपना एक
खास आदमी नयु@त 7कया जो सोनया के इतहास और उनके पAरवार के सी स)ब*ध1 के बारे
म सब कुछ जानता था। अब 7फ़लहाल जो सरकार है वह सोनया ह8 चला रह8 हD यह बात जब
भारत म ह8 सब जानते हD तो ,वदे शी जासूस कोई मूख' तो नह8ं हD, इस-लये उस राजदत
ू के
जAरये भारत-स स)ब*ध अब एक नये दौर म dवेश कर चुके हD। हम भारतवासी स से dगाढ़
मैTी चाहते हD, स ने जब-तब हमार8 मदद भी कJ है , ले7कन @या -सफ़' इसी-लये हम उन लोग1
राजीव से ,ववाह के बाद सोनया और उनके इटा-लयन -मT1 को Fनैम dोगैती कJ ओा,वयो
@वाTोची से भार8-भरकम रा-शयाँ -मल8ं, वह भारतीय कानून1 से बेखौफ़ होकर दलाल8 म Qपये
कूटने लगा। कुछ ह7 वष म- माइनो पTरवार जो गर7बी के भंवर म- फ़ँसा था अचानक करोड़प:त
हो गया । लोकसभा के नयेनवेले सदFय के प म मDने 19 नव)बर 1974 को संसद म ह8
त=काल8न dधानमंTी sीमती इि*दरा गाँधी से पूछा था 7क “@या आपकJ बहू सोनया गाँधी, जो
7क अपने-आप को एक इं^योर स एजट बताती हD (वे खुद को ओAरयंटल फ़ायर एंड इं^योर स
क)पनी कJ एजट बताती थीं), dधानमंTी आवास का पता उपयोग कर रह8 हD?” जब7क यह
अपराध है @य17क वे एक इटा-लयन नागAरक हD (और यह ,वदे शी मु]ा उLलंघन) का मामला भी
बनता है ”, तब संसद म बहुत शोरगुल मचा, sीमती इि*दरा गाँधी गुFसा तो बहुत हुx, ले7कन
उनके सामने और कोई ,वकLप नह8ं था, इस-लये उ*ह1ने -लfखत म यह बयान "दया 7क “यह
गलती से हो गया था और सोनया ने इं^योर स क)पनी से इFतीफ़ा दे "दया है ” (मेरे d^न पूछने
के बाद), ले1कन सो:नया का भारतीय कानून4 को ल:तयाने और तोड़ने का यह %सल%सला यह7ं
ख2म नह7ं हुआ। 1977 म जनता पाट सरकार |वारा उwचतम *यायालय के जिFटस ए.सी.गु3ता
के नेत=ृ व म ग"ठत आयोग ने जो Aरपोट' स~पी थी, उसके अनस
ु ार “माQत” क)पनी (जो उस
व@त गाँधी पAरवार कJ -मिLकयत था) ने “फ़ेरा कानून1, क)पनी कानून1 और ,वदे शी पंजीकरण
कानून के कई गंभीर उLलंघन 7कये”, ले7कन ना तो संजय गाँधी और ना ह8 सोनया गाँधी के
fखलाफ़ कभी भी कोई केस दज' हुआ, ना मक
ु दमा चला। हालां7क यह अभी भी 7कया जा सकता
है , @य17क भारतीय कानून1 के मत
ु ाRबक “आSथ'क घपल1” पर कार' वाई हे तु कोई समय-सीमा तय
नह8ं है ।
जनवर8 1980 म sीमती इि*दरा गाँधी पुनः स=तासीन हुx। सोनया ने सबसे पहला काम यह
7कया 7क उ*ह1ने अपना नाम “वोटर -लFट” म दज' करवाया, यह साफ़-साफ़ कानून का मखौल
उड़ाने जैसा था और उनका वीसा र\ 7कया जाना चा"हये था (@य17क उस व@त भी वे इटल8 कJ
नागAरक थीं)। dेस |वारा हLला मचाने के बाद "दLल8 के चुनाव अSधकार8 ने 1982 म उनका
नाम मतदाता सूची से हटाया। ले7कन 7फ़र जनवर8 1983 म उ*ह1ने अपना नाम मतदाता सूची
म जुड़वा -लया, जब7क उस समय भी वे ,वदे शी ह8 थीं (आधकाTरक प से उRह4ने भारतीय
नागTरकता के %लये अeैल 1983 म- आवेद Bदया था)। हाल ह8 म Eयात कानून,वद, ए.जी.नूरानी
ने अपनी पF
ु तक “-सट8ज*स राईस, जजेस एंड अकाऊeटे Rब-लट8 रे कॉ'स” (पWृ ठ 318) पर यह
भारत से घण
ृ ा करने वाले मुह)मद गोर8, ना"दर शाह और अं+ेज रॉबट' @लाइव ने भारत कJ धन-
स)पदा को जमकर लट
ू ा, ले7कन सोनया तो “भारतीय” हD, 7फ़र जब राजीव और इि*दरा dधानमंTी
थे, तब ब@से के ब@से भरकर रोज-ब-रोज dधानमंTी नवास से सरु pा गाड' चे*नई के हवाई अडे
पर इटल8 जाने वाले हवाई जहाज1 म @या ले जाते थे? एक तो हमेशा उन ब@स1 को रोम के
-लये बक
ु 7कया जाता था, एयर इं_डया और अ-लटा-लया एयरलाई*स को ह8 िज)मा स~पा जाता
था और दस
ू र8 बात यह 7क कFट)स पर उन ब@स1 कJ कोई जाँच नह8ं होती थी। अजुन
' -संह
जो 7क मE
ु यमंTी भी रह चक
ु े हD और संFकृत मंTी भी, इस मामले म ,वशेष QSच लेते थे। कुछ
भारतीय कलाकृतयाँ, पुरातन वFतुय, ,पछवाई प "टंtस, शहतूश शॉल , -स@के आ"द इटल8 कJ दो
दक
ु ान1, (िजनकJ मा-लक सोनया कJ बहन अनुFका हD) म आम तौर पर दे खी जाती हD। ये दक
ु ान
ु ान का नाम – एट:नका) और ओबFसानो (दक
इटल8 के आल8शान इलाक1 AरवोLटा (दक ु ान का
नाम – गनप:त) म िFथत हD जहाँ इनका धंधा नह8ं के बराबर चलता है , ले7कन दरअसल यह एक
“आड़” है , इन दक
ु ान1 के नाम पर फ़जO Rबल तैयार करवाये जाते हD 7फ़र वे बेशकJमती वFतुय
ल*दन ले जाकर “सौथरबी और 7aFट8ज” |वारा नीलामी म चढ़ा द8 जाती हD, इन सबका @या
मतलब नकलता है ? यह पैसा आfखर जाता कहाँ है ? एक बात तो तय है 1क राहुल गाँधी क#
हावYड Y क# एक वषY क# फ़#स और अRय खच के %लये भुगतान एक बार केमैन @वीप क# 1कसी
ब>क के खाते से हुआ था। इस सबकJ -शकायत जब मDने वाजपेयी सरकार म कJ तो उ*ह1ने कोई
}यान नह8ं "दया, इस पर मDने "दLल8 हाइकोट' म जन"हत याSचका दाfखल कJ। हाईकोट' कJ बच
ने सरकार को नो"टस जार8 7कया, ले7कन तब तक सरकार Sगर गई, 7फ़र कोट' न सीबीआई को
नद श "दये 7क वह इंटरपोल कJ मदद से इन बहुमूLय वFतुओं के स)ब*ध म इटल8 सरकार से
सहायता ले। इटा-लयन सरकार ने d7aया के तहत भारत सरकार से अSधकार-पT माँगा िजसके
आधार पर इटल8 प-ु लस एफ़आईआर दज' करे । अ*ततः इंटरपोल ने दो बड़ी Aरपोट कोट' और
सीबीआई को स~पी और *यायाधीश ने मझ
ु े उसकJ एक dत दे ने को कहा, ले7कन आज तक
सीबीआई ने मुझे वह नह8ं द8, और यह सवाल अगल8 सुनवाई के दौरान 7फ़र से पूछा जायेगा।
सीबीआई का झूठ एक बार और तब पकड़ा गया, जब उसने
कहा 7क “अलेFसा*]ा माइनो” 7कसी पुQष का नाम है , और
“,वया बेिLलनी, 14, ओरबेFसानो”, 7कसी गाँव का नाम है , ना
7क “माईनो” पAरवार का पता। बाद म सीबीआई के वकJल
ने कोट' से माफ़J माँगी और कहा 7क यह गलती से हो
गया, उस वकJल का “dमोशन” बाद म “ऎ_डशनल
सॉ-ल-सटर जनरल” के प म हो गया, ऐसा @य1 हुआ,
इसका खुलासा तो वाजपेयी-सोनया कJ आपसी “समझबूझ” और “गठजोड़” ह8 बता सकता है ।
इन "दन1 सोनया गाँधी अपने पत ह=यार1 के समथ'क1 MDMK, PMK और DMK से स=ता के
-लये मधरु स)ब*ध बनाये हुए हD, कोई भारतीय ,वधवा कभी ऐसा नह8ं कर सकती। उनका पूव'
आचरण भी ऐसे मामल1 म सं"दtध रहा है , जैसे 7क – जब संजय गाँधी का हवाई जहाज नाक के
बल Sगरा तो उसम ,वFफ़ोट नह8ं हुआ, @य17क पाया गया 7क उसम xधन नह8ं था, जब7क
लाईट रिजFटर के अनस
ु ार नकलते व@त टDक फ़ुल 7कया गया था, जैसे माधवराव -संSधया कJ
,वमान दघ
ु ट
' ना के ऐन पहले मfणशंकर अयर और शीला द8pत को उनके साथ जाने से मना
कर "दया गया। इि*दरा गाँधी कJ मौत कJ वजह बना था उनका अ=यSधक र@ताव, न 7क -सर
म गोल8 लगने से, 7फ़र सोनया गाँधी ने उस व@त खून बहते हुए हालत म इि*दरा गाँधी को
लो"हया अFपताल ले जाने कJ िजद कJ जो 7क अfखल भारतीय आयु,व'yान संFथान (AAIMS)
से Rबलकुल ,वपर8त "दशा म है ? और जब7क “ऐ)स” म तमाम सु,वधाय भी उपल$ध हD, 7फ़र
लो"हया अFपताल पहुँच कर वापस सभी लोग AAIMS पहुँचे, और इस बीच लगभग पwचीस
कJमती -मनट बरबाद हो गये? ऐसा @य1 हुआ, @या आज तक 7कसी ने इसकJ जाँच कJ? सो:नया
गाँधी के FवकAप बन सकने वाले लगभग सभी युवा नेता जैसे राजेश पायलट, माधवराव
%सिRधया, िजतेR eसाद Fव%भRन हादस4 म- ह7 Eय4 मारे गये? अब सोनया कJ स=ता नबा'ध
प से चल रह8 है , ले1कन ऐसे कई अनसुलझे और रहKयमयी evन चार4 ओर मौजूद ह>, उनका
कोई जवाब नह7ं है , और कोई पूछने वाला भी नह7ं है , यह7 इटल7 क# Kटाइल है ।
[आशा है 1क मेरे कई “%मI4” (?) को कई जवाब %मल गये ह4गे, जो म>ने Fपछल7 दोनो पोKट4 म-
जानबूझकर नह7ं उठाये थे, यह भी आभास हुआ होगा 1क कांuेस सांसद “सुNबा” कैसे भारतीय
तेजी बwचन के Fव.इि*दरा गाँधी से Zयि@तगत स)ब*ध रहे और उ*ह1ने हमेशा राजीव गाँधी को
अपने पुT के समान माना और Fनेह "दया। जब सोनया माइनो से राजीव का ,ववाह तय हुआ
उस समय सोनया को भारतीय संFकार1 और पर)पराओं कJ जानकार8 दे ने के -लये इं"दरा गाँधी
ने तेजी से ह8 अनुरोध 7कया था, और एक तरह से ता=का-लक प से सोनया का क*या पp
बwचन पAरवार ह8 था, और चँू7क भारतीय प{त से ,ववाह (दे ख -लंक "दखावे के -लये ह8 सह8) हो
रहा था इस-लये “क*यादान” जैसी रFम भी बwचन पAरवार ने ह8 नभाई थी। दो पAरवार1 के बीच
इतने “dगाढ़” स)ब*ध होने के बावजूद ऐसा @या हो गया 7क अब सोनया एक मह=वपूण' शोक
के अवसर पर नदारद रह8ं। Eया राजनी:त और अहं क# परछाईयाँ इतनी ल[बी होती ह> 1क
fयिEत अपने सामाRय नै:तक fयवहार तक भूल जाता है ? @या बwचन पAरवार ने गाँधी पAरवार
का इतना बरु ा कर "दया है 7क इस मौके पर भी कम से कम राहुल गाँधी को उपिFथत रहने का
नद श भी सोनया नह8ं दे सकJं? अब तक तो बwचन पAरवार कJ ओर से शाल8न बता'व के
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