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हरि ओम, श्रद्धेय गुरुदे व जी, बिहाि योग औि ध्यान केंद्र शास्त्री नगि के

ननमााण ननममत बिहाि सिकाि के अधधकािी औि यहाां उपस्स्त्ित योग व


आध्यास्ममकता के इच्छुक अन्य श्रद्धालु गण,

यह बिहाि औि पिू ी मानवता के मलए िडे उल्लास की िात है कक


यह योग औि ध्यान केंद्र कृपा ननिां जन पिमहां स स्त्वामी ननिां जनानांद
सिस्त्वती जी की उपस्स्त्िनत में यहाां आकाि ले िहा है ।

बिहाि योग औि ध्यान केंद्र के उद्घाटन सर का साक्षी िनने पि मैं


अपने आप को सौभाग्यशाली व गौिवास्न्वत महसूस कि िहा हूां ।

श्रद्धेय, मैं आपदा प्रिांधन के एक धिककमसक के रूप में बिहाि में


अपनी सेवाएां दे िहा हूां ववमभन्न प्रकाि के आपदाओां से आए ददन रूिरू
होता हूां, आज जि ववश्व ववमभन्न प्रकाि की आपदाओां से नघि िुका है तो
आपदा प्रिांधन के ववमभन्न उपायों को आशा भिी ननगाह से दे खता है पि
आज सामास्जक औि वैिारिक आपदा के समय में लोगों के पास जि कोई
उपाय नहीां ददखता है तो ऐसे समय में सामास्जक औि वैिारिक आपदा
प्रिांधन के मलए यह योग औि अध्यामम की मशक्षा ही आशा की एकमार
ककिण ददखती है ।

ऐसे समय में मुझे पूिा ववश्वास है कक स्त्वामी जी के सक्षम


मागादशान से यह बिहाि योग औि ध्यान केंद्र शास्त्री नगि जल्द ही आने
वाली पीद़ियों के मलए लांिे समय तक आध्यास्ममकता औि किटनेस का
स्रोत िनेगा।

हरि ओम,

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