Professional Documents
Culture Documents
History of Punjab
History of Punjab
भावार्थ
आपका,
भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री
छत्तीसगढ़
मुक्ति की ओर...
6
संपादन सहयोगी
एल.डी. मानिकपुरी, किशन लाल
लेआउट डिजाइन
भरोसा है कि नहीं? बढ़ता रोजगार
सुरेंद्र देवांगन
छायाकार हां है!... मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ अब बेरोजगारी
मुक्त राज्य की ओर बढ़ रहा है। देश में सबसे कम बेरोजगार
वाले राज्यों की सूची में अब छत्तीसगढ़ का नाम भी आने लगा है।
नरेंद्र बंगाले भरोसे का सम्मेलन सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी) आंकड़ों ...
संपर्क मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में पिछले साढ़े चार वर्षाें में सरकार ने जो काम किए,
छत्तीसगढ़ संवाद जिन योजनाओं को धरातल पर उतारा, उन्हीं को लेकर बस्तर के जगदलपुर में ‘भरोसे का अमल ग्रामीण कुटीर उद्योग नीतिं
नवा रायपुर सम्मेलन’ का आयोजन किया गया। भाषण के दौरान जब मुख्यमंत्री ने किसान, आदिवासी,
मिलने लगा स्थानीय आधार:
युवा, महिलाएं, बच्चों के लिए हुए हर काम को गिनाया और पूछा कि सरकार पर भरोसा है कि 18 20 बड़ा बाजार...
नहीं? तो लाखों की तादाद ने मौजूद भीड़ में एक स्वर में हाथ उठाकर कहा कि हां, भरोसा है। बेरोजगारी...
उन्होंने कहा कि पहले बस्तर में गोलियां चलती...
52 भरोसा बिजली
छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी भत्ता देने अपना वादा निभाते हुए छत्तीसगढ़
की घोषणा के बाद इसके पंजीयन सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे-
गोधन न्याय योजना की प्रक्रिया शुरू हो ... छोटे कुटीर उद्योगों...
11
कमाई का सूत्र:
गोबर-गौमूत्र... नई राह पर...
छत्तीसगढ़ के गौपालक और गौठानों में काम फूलों की खेती से फोकस
पत्रिका छत्तीसगढ़ जनमन के इस अंक करने वाले महिला समूहों की कमाई लगातार 22 खुशहाली...
का पीडीएफ प्राप्त करने के िलए कृपया जारी है। अप्रैल महीने में फिर... मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र के िवकास को न
QR कोड स्केन करें। खूबसूरत और नरमो-नाजुक फूलों सिर्फ नए आयाम दिए, बल्कि नए प्रतिमान और नई कसौटियों पर
नोट : पत्रिका में प्रकाशित सभी लेख, आलेख व समाचार की जिम्मेदारी ‘‘संपादक’’ की होगी। तथ्य एवं आंकडे़ परिवर्तनशील होते है, इस के बाग की तस्वीर देखकर ही मन रखते हुए संपूर्ण कार्यप्रणाली में बदलाव का भी सूत्रपात किया। श्री
E-Mail : chhattisgarhjanman@gmail.com पत्रिका में उनका उल्लेख केवल सांकेतिक है। पुष्टी तथा विस्तृत जानकारियों के लिए संबंधित विभागों से संपर्क किया जा सकता है। किसी भी
विवाद का न्याय क्षेत्र रायपुर (छत्तीसगढ़) होगा। महक उठता है। फूलों के... बघेल ने कहा कि हमें सिर्फ बिजली उत्पादन वाला...
आदिवासियों, किसानों,
युवाओं, महिलाओं, बच्चों...
भरोसा
है कि
नहीं?
जनमन िरपोर्ट
मुख्यमंत्री ने कहा- पहले बस्तर
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में पिछले साढ़े चार वर्षाें में सरकार ने जो काम किए, जिन योजनाओं को में गोलियां चलती थीं आज
धरातल पर उतारा, उन्हीं को लेकर बस्तर के जगदलपुर में ‘भरोसे का सम्मेलन’ का आयोजन किया गया। नौजवानों के गीत गूंजते हैं
भाषण के दौरान जब मुख्यमंत्री ने किसान, आदिवासी, युवा, महिलाओं, बच्चों के लिए किए गए हर काम को
गिनाया और पूछा कि सरकार पर भरोसा है कि नहीं? तो लाखों की तादाद ने मौजूद भीड़ में एक स्वर में हाथ बस्तर आगे बढ़ रहा है, नौजवानों
उठाकर कहा कि हां, भरोसा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले बस्तर में गोलियां चलती थीं, आज नौजवानों के को मिल रहा है रोजगार
गीत गूंजते हैं। पहले बस्तर आने से लोग डरा करते थे। आज बस्तर में रोजगार और नवाचार दिख रहा विशिष्ट अतिथि श्रीमती प्रियंका गांधी
है। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि श्रीमती प्रियंका गांधी ने कहा कि बस्तर की संस्कृति और छत्तीसगढ़ में हो
रहे नवाचार की गूंज पूरी दुनिया में है। नेहरू जी और इंदिरा जी के दिल में बस्तर के लोगांे के लिए विशेष
ने की छत्तीसगढ़ सरकार की जमकर
तारीफ, कहा- नेहरू जी और इंदिरा
ज गदलपुर में भरोसे के सम्मेलन कार्यक्रम के आयोजन के दौरान मुख्यमंत्री
आदिवासी परब सम्मान निधि योजना की शुरुआत की गई। मुख्यमंत्री श्री
बघेल ने श्रीमती प्रियंका गांधी की विशेष उपस्थिति में आदिवासियों के
जी के दिल में था बस्तर के लोगों के तीज-त्यौहारों की संस्कृति एवं परंपरा को संरक्षित करने के उद्देश्य से शुरू की गई इस
सम्मान था। कार्यक्रम में उन्होंने धान खरीदी - लघु वनोपज के एमएसपी मॉडल और स्वास्थ्य मॉडल के लिए योजना की शुरुआत की। इसके तहत अनुसूचित क्षेत्रों की ग्राम पंचायताें को प्रतिवर्ष
छत्तीसगढ़ सरकार की जमकर तारीफ की। लिए विशेष सम्मान 10,000 रुपए की अनुदान राशि दो किस्तों में दी जाएगी।
बस्तर को सौगात
इंदिरा गांधी का िदया पट्टा छीन लिया ‘भरोसे का सम्मेलन’ में श्री बघेल ने जगदलपुर के इंदिरा गांधी
फोटो : जनमन
कोरोना
2020 14.2% था, लेकिन जब दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री श्री
भूपेश बघेल की सरकार ने जिम्मेदारी संभाली
काल तो इन आंकड़ों में धीरे-धीरे कमी आती गई। वर्ष
2021 8.0% 2023 की बात करें तो जनवरी में यह आंकड़ा 0.5,
फरवरी व मार्च माह में यह आंकड़ा 0.8 पर बना
हुआ है। तब और अब में अंतर साफ है। कोविड
2022 0.1 से 3.4% काल के दौरान भी जब देशभर में बेरोजगारी
के आंकड़े बढ़ते जा रहे थे, तो यहां सरकार ने
अपनी योजनाओं के जरिए इस पर नियंत्रण
2023 0.5 से 0.8% बनाए रखा था। आज स्थिति यह है कि छत्तीसगढ़
की बेरोजगारी दर देशभर में अर्थशात्रियों के लिए
स्रोत-सीएमआईई अध्ययन का विषय बनी हुई है।
बेरोजगारी से
रोजगारी दर पर अंकुश को लेकर राज्य में हर वर्ग को सशक्त बनाने का प्रयास इनसे गांवों में निश्चित रोजगार मिलने लगा।
सरकार की बे जब छत्तीसगढ़ की बात होती है
तो मुख्यमंत्री श्री बघेल की उन
किया गया। इनके जरिए ग्रामीण कारोबार
और स्वरोजगार के अवसर बढ़ाए गए, जिससे
वनाधिकार पत्र के जरिए अनुसूचित जनजाति
व अन्य परंपरागत वन निवासियों को संसाधन
रोजगार से जुड़ी तमाम योजनाओं और फैसलों का जिक्र होता
है, जो सीधे लोगों की जेब में पैसा पहुंचाने से
बेरोजगारी दर कम करने में काफी मदद
मिली। सुराजी ग्राम योजना के नरवा-गरुवा-
उपलब्ध करवाए गए। औद्योगिक नीतियों में
बदलाव किया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा
योजनाओं के
मुक्ति की ओर
जुड़ी हैं। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी राजीव घुरुवा-बारी कार्यक्रम के तहत गौठान बनाए उद्योग स्थापित किए जा सकें। शिक्षा के क्षेत्र
असर से प्रदेश गांधी किसान न्याय योजना, राजीव गांधी
ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना,
गए, जिन्हें बाद में ग्रामीण औद्योगिक पार्क
में बदला गया। परंपरागत कारोबार की अब
में नए स्कूल, कॉलेजों की शुरुआत से बड़े
पैमाने पर रोजगार मिला। विभागों, निगमों,
की आर्थिक गोधन न्याय योजना, मिलेट्स व दलहन की सुविधाएं बढ़ाई गईं। ये ग्रामीण अर्थव्यवस्था मंडलों, आयोगों, समितियों आदि में निर्धारित
समर्थन मूल्य में खरीदी, लघु वनोपज की की सबसे बड़ी नींव कहलाई, जिनके जरिए व्यवस्था तथा व्यापम और लोक सेवा आयोग
स्थिति भी हुई समर्थन मूल्य में खरीदी, तेंदूपत्ता संग्रहण सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर दिए गए। के जरिए मिलने वाली नौकरी के लिए पारदर्शी
वर्ष 2018 में जहां राज्य की बेरोजगारी दर 22.2 तक पहुंच गई थी, बेहतर पारिश्रमिक में बढ़ोतरी से लेकर डीएमएफ इसके अलावा महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार व्यवस्था बनाकर समय पर परीक्षाएं करवाई
वहीं साढ़े चार वर्षों में घटकर 0.1 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर तक फंड की बुनियादी जरूरतें व आजीविका गारंटी अधिनियम के तहत रोजगार के 100 गईं ताकि नौकरियां निरंतर मिलती रहे। इन
आधारित अधोसंरचनाओं में खर्च वाले फैसलों दिवस की व्यवस्था को निश्चित किया गया तमाम प्रयासों का असर ही बेरोजगारी के
का जिक्र होता है। इन योजनाओं के जरिए और ज्यादा से ज्यादा जॉब कार्ड बनाए गए। आंकड़ों को धीरे-धीरे कम करता गया।
फूलों की खेती से
खुशहाली के रंग जनमन िरपोर्ट
खूबसूरत और नरमो-नाजुक फूलों के बाग की तस्वीर देखकर ही मन महक उठता है। फूलों के साथ प्यार
का रिश्ता सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं होता बल्कि फूलों के उपहार के साथ-साथ कोमल भावनाएं भी जुड़ जाती
हैं। फूलों का साथ एक रोमांटिक अहसास जगाता है। आमतौर पर माना जाता है कि फूलों की खूबसूरती
और खुशबू ठंडे मौसम की उपज हैं और इस उपज के लिए बहुत खास पर्यावरण की जरूरत होती है। फूलों
की इन खास अदाओं के साथ अगर आजीविका का नाता जुड़ जाए तो जिंदगी कैसे महकने लगेगी यह
सोच भी अपने आप में बेहद हसीन है। फूलों की खेती और इसका व्यापारिक पैमाने पर उत्पादन छत्तीसगढ़
के लिए एक नया सपना जरूर है। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की विशेष पहल के कारण यह सपना भी सच फोटो : जनमन
होने लगा है। धान-दलहन-तिलहन-उद्यानिकी के किसानों की तरह अब छत्तीसगढ़ में फूलों के किसान भी
तरक्की करने लगे हैं। यह छत्तीसगढ़ की खुशहाली का एक नया अध्याय है।
रोजगार को भी बढ़ावा
सभी जिलों में गौठान, शासकीय भूमि, निजी भूमि से आमदनी बढ़ने से किसानों श्री देवांगन ने बताया कि उनकी खेती से गांव के
लेकर एफआरए क्लस्टर और समूह बनाकर किसानों के परिवार, गांव आर्थिक दो दर्जन लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप
को फूलों की खेती के लिए किया जा रहा प्रेरित रूप से होने लगे सशक्त से रोजगार मिला है। उनको राष्ट्रीय बागवानी
मिशन अंतर्गत पॉली हाऊस निर्माण के लिए
फोटो : जनमन
16 लाख 88 हजार रुपए और संरक्षित खेती
ज्य के किसान पहले केवल धान सरकार ने बेहतर तकनीक उपलब्ध कराई, इसलिए बढ़ी डिमांड डोंगरगढ़ में खेती के आंकड़ों से समझिए फायदे का गणित के लिए 14 लाख रुपए का अनुदान मिला।
रा की खेती पर ही ज्यादातर निर्भर
थे। फिर उनकी दलहन तिलहन, छत्तीसगढ़ में पहले बाहर राज्यों से फूलों की आपूर्ति होती थी, लेकिन अब यहीं इस बाजार का विस्तार
साथ ही उन्हें शेडनेट हाऊस के लिए 7 लाख 10
हजार रुपए की अनुदान राशि भी मिली, जहां
मिलेट्स की उपज को समर्थन हो रहा है। सरकार के द्वारा बेहतर तकनीक उपलब्ध कराने से न केवल राज्य के कारोबारियों के खेती लागत (प्रति हेक्टेयर) आय (प्रति वर्ष)
उन्होंने ड्रिप एवं मल्चिंग विधि से गेंदा लगाया
मूल्य में खरीदकर संबल दिया गया। किसानों लिए बल्कि बाहर राज्यों के शहरो में भी इसकी डिमांड बढ़ी है। उद्यानिकी विभाग द्वारा शासन की
योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए लगातार काम किया जा रहा हैं। शासन की शेड नेट योजना रजनीगंधा स्टिक 1.5 लाख रुपए 3 लाख रुपए है। शेडनेट पद्धति से खेती करने में पौधों को
की कमाई दोगुनी-तिगुनी करने के मकसद से
1.5 लाख रुपए 3 लाख रुपए
50 प्रतिशत धूप मिलती है और उनके लिए यह
अब उन्हें फूलों की खेती के लिए भी प्रेरित किया का फायदा किसान ले रहे हैं। खेती किसानी के लिए शेड नेट पद्धति बहुत ही कारगर है। इससे फसल गुलाब अनुकूल होता है। उन्होंने अपने खेतों में व्यापक
कीड़े एवं बीमारी से सुरक्षित रहती है। लंबे समय तक फसल के लगे रहने से किसानों को दुगुना
मैरी गोल्ड ( गेंदा) 40 हजार रुपए 1.25 लाख रुपए
जा रहा है। यही वजह है कि इस क्षेत्र में भी पैमाने पर रजनीगंधा के फूल भी लगाए हैं।
किसानों की दिलचस्पी बढ़ी है और उनके लिए मुनाफा हो रहा है। ऐसी फसल जो गर्मी के मौसम में नहीं ले सकते उसके लिए यह पद्धति उपयोगी
जिससे उन्हें सालाना 14 से 15 लाख रुपए की
2-3 लाख रुपए 7-8 लाख रुपए
कमाई के अवसर बढ़े हैं। वर्ष 2017-18 में 749 है। रबी एवं जायद की फसल के लिए बहुत अच्छी है। वहीं बरसात में मौसम में थरहा सुरक्षित रहता
आमदनी हो रही है। वर्तमान समय में फ्लावर
एकड़ रकबा में 1699 किसान लाभान्वित हुए है और नुकसान नहीं होगा। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत संरक्षित खेती के लिए 50 प्रतिशत जरबेरा डेकोरेशन के लिए बाजार में फूलों की बहुत
थे, वहीं पिछले चार सालों में यह 5621 एकड़ अनुदान दिया जा रहा है। जिसके अंतर्गत 710 प्रति वर्ग मीटर पर 355 वर्ग मीटर में अनुदान का (विशेषज्ञों के आकलन पर आधारित स्थानीय परिस्थितिवश परिवर्तनशील) डिमांड है।
रकबे में 8896 किसान लाभान्वित हुए हैं। इन प्रावधान है। किसान अधिकतम 4000 वर्गमीटर में शेड नेट लगा सकते हैं।
किसानों को अनुदान देकर कृषि में उनकी मदद फायदे की खेती श्रमिकों को सालभर मिल रहा रोजगार
की गई और उन्हें अपने उत्पाद बाजार में बेचने में पहले सामान्य तौर पर पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान और शादी-ब्याह में फूलों का इस्तेमाल होता था।
सहायता प्रदान की जा रही है। फूलों की खेती करने वाले किसान गांव के दूसरे बेरोजगार लोगों को रोजगार विकासखंड के फूलों की खेती में काम करने वाले श्रमिक किसान जितेन्द्र
लेकिन अब फूलों का इस्तेमाल यहीं तक सीमित नहीं रह गया है। आज इसका उपयोग घर, ऑफिस, देने का काम कर रहे है। दुर्ग के किसान निलेश कुमार बताते है कि वो अपने निषाद, राज कुमार, गंगोत्री और ज्योति ने बताया कि अब हमें सालभर यहां
फूलों की खेती में तकनीक जन्मदिन व शादी सालगिरह के मौके पर सजावट के कार्यों में बड़ी मात्रा में किया जा रहा है। बढ़ती मांग खेतों के पाली हाउस व अन्य फसलों काम मिल रहा है, पहले सिर्फ एक ही
और उत्पाद को बढ़ावा को देखते हुए छत्तीसगढ़ के किसान अब फूलों की व्यावसायिक खेती भी करने लगे हैं। वर्तमान समय में के लिए कम से कम दस श्रमिकों को सीजन में काम मिलता था। इससे
कई सफल किसान इसकी खेती करके बहुत अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। सालभर रोजगार भी नियमित रूप से हमारे परिवार का खर्चा अच्छे से चल
सरकार आधुनिक शेडनेट, पॉली हाऊस,
ड्रिप सिस्टम एवं मल्चिंग जैसी तकनीकों के विशेषज्ञों के जरिए उन्हें जानकारी देकर उत्पाद लिए उन्हें अन्य महानगरों जैसे हैदराबाद, दे रहे हैं। इन श्रमिकों का काम पौधों रहा है। जीवन का स्तर पहले के हिसाब
इस्तेमाल के जरिए किसानों को फूलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है और किसानों को अमरावती, नागपुर, भुवनेश्वर और पुणे के को समय-समय पर खाद, पानी देने से बहुत ही बेहतर हो गया है। यह सब
में अनुदान के जरिए मदद कर रही है। साथ ही अपनी उपज का वाजिब मूल्य मिले, इसके बाजारों से जोड़ा जा रहा है। से लेकर फूलों की कटिंग कर बाजार तक पहुंचाने का होता है। डोंगरगढ़ हमारे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की वजह से हो सका है।
क्योंकि किसानों में सेब की खेती को लेकर 50 डिग्री से कम तापमान में भी सेब की खेती संभव डालकर पानी से भरकर रखा गया था।
इससे गड्ढों को जितना बैठना होता है बैठ
जो शंकाएं थीं, वह इससे दूर होने लगी हैं। सेब उत्पादक किसान बताते हैं कि कृषि वैज्ञानिकों ने उनके खेत का निरीक्षण कर अध्ययन किया जाता है और पौधे लगने के बाद इनके रेशे
था। उन्हें यह बताया गया कि सेब की खेती 50 डिग्री सेलसियस से कम तापमान तक की जा
पढ़िए मैदानी इलाके में सेब की सफल खेती सकती है। यह सुनने के बाद मुझे थोड़ा ताज्जुब भी हुआ, क्योंकि आमतौर पर यह कहा जाता है कि
टूटने का डर नहीं होता है।
< फिर 1-2 दिन में पौधे रोपित कर दिए गए।
पर यह विशेष रिपोर्ट... सेब की खेती ठंड वाली जगहों में ही होती है। फिर मैंने सबकुछ समझने के बाद सेब की खेती करने इनके लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता
का फैसला किया। प्रति एकड़ करीब 20 हजार रुपए का खर्च आया, जिसमें अभी मुख्यमंत्री वृक्ष नहीं होती है। केवल गर्मियों में दो से तीन
प्रोत्साहन योजना और उद्यानिकी विभाग में पंजीयन के जरिए इसका खर्च मिल रहा है। प्रति एकड़ दिन में पानी देना होता है।
शासन का सहयोग और तकनीकी करीब 110 पौधे मैंने लगाए हैं और सभी जीवित हैं। 13 महीने ही हुए हैं और इसमें फल भी आने < इस बात का ध्यान रखना होता है कि पौधों
जानकारी फायदेमंद साबित हुई लगे हैं। मैंने दोबारा विशेषज्ञों से इसकी जांच करवाई तो वे संतषु ्ट रहे। सेब के फल अब तैयार हो
रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि इसकी फसल हमें आय बढ़ाने में मदद करेगी।
में बारिश के पानी का रुकाव नहीं हो
क्योंकि जड़ों के सड़ने का डर होता है।
जनमन िरपोर्ट
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने देश में पहली बार एक ऐसी योजना की शुरूआत
की है जिससे ‘आम के आम-गुठलियों के भी दाम’ मिलने वाले हैं। अगर आपके
पास जमीन है तो आप उसमें वृक्षारोपकण कर उनकी लकड़ियां बेचकर अच्छी
कमाई कर सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि आपकी जमीन में पौधारोपण और
देखरेख का सारा खर्च सरकार उठाएगी। सरकार इस निवेश के बदले पर्यावरण
को बेहतर करने के साथ-साथ युवाओं, किसानों और खाली पड़ी जमीन के
मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना हितग्राहियों को रोजगार उपलब्ध कराना चाहती है। इस योजना की देशभर में
तारीफ हो रही है। इसी साल इसके लिए बजट जारी कर सरकार ने सभी जिलों
कमाई आपकी
छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों, युवाओं को का सारा खर्च हितग्राहियों के खाते में ट्रांसफर कर दिया
मु आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने, रोजगार
और पर्यावरण में सुधार करने की दिशा
जाएगा। इसके लिए मापदंड तैयार किए गए हैं। इसकी
देखभाल उन हितग्राहियों को करनी होगी, जिसकी जमीन
में मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना की शुरूआत की है। पर पौधे लगेंगे। जितना अधिक काष्ठ उत्पाद तैयार होगा,
इस योजना के दायरे में कोई भी आ सकता है, बशर्तें उतना ही फायदा उन्हें पहुंचेगा। बाद में सरकार निश्चित
उसके पास खुद की आधा एकड़ से अधिक जमीन सीमा के भीतर इन काष्ठ उत्पादों को समर्थन मूल्य तय
होनी चाहिए। इस योजना के जरिए किसानों और अन्य कर वापस क्रय करेगी। इस संबंध में शासन के साथ
पर्यावरण सुधार संग रोजगार हितग्राहियों को अच्छी आय तो होगी साथ ही पर्यावरण
भी हरा-भरा रहेगा। योजना के दायरे में पांच प्रकार
योजना के क्रियान्वयन में हितग्राही से अनुबंध किया
जाएगा। साथ ही इसके मापदंड में रोजगार को बढ़ावा
के व्यावसायिक पौधों का रोपण कराया जाएगा। पौधा देने की शर्तें भी शामिल होगी, ताकि स्थानीय लोगों को भी
बांटने से लेकर उसे लगाने, खाद-दवा के छिड़काव इसका फायदा पहुंचे।
यह होगी पात्रता
वृक्षारोपण एवं व्यापार प्रणाली < सभी वर्ग के इच्छुक
< कृषकों/शासकीय/गैर शासकीय/ साथ-साथ कृषकों की आय में भूमि स्वामी।
अर्ध-शासकीय/पंचायतों/स्वायत्त वृद्धि संभव होगी।
< शासकीय, अर्ध-शासकीय एवं
संस्थानों की भूमि पर वाणिज्यिक < निजी भूमि का समुचित उपयोग स्वायत्त संस्थाएं जो स्वयं की भूमि
प्रजातियों के वृक्षारोपण बाद वृक्षारोपण के लिए करते हुए पर रोपण करना चाहते हैं।
सहयोगी संस्था/ निजी कंपनियों के पर्यावरण में सुधार एवं जलवायु
माध्यम से निर्धारित समर्थन मूल्य < निजी शिक्षण संस्थाएं, निजी
परिवर्तन के विपरीत प्रभाव को कम
पर वनोपज के क्रय की व्यवस्था ट्रस्ट, गैर शासकीय संस्थाएं, पंचायतें,
करना तथा गैर वन भूमि में वानिकी
करते हुए एक सुदढ़ृ बाजार व्यवस्था भूमि अनुबध ं धारक जो अपनी भूमि
का विस्तार करना संभव होगा।
विकसित की जाएगी। में रोपण करना चाहते हैं।
< वाणिज्यिक प्रजातियों के
< काष्ठ आधारित उद्योग जैसे- ऐसे होगा लाभ
वनोपज के उत्पादों में वृद्धि करते हुए
पौधों की विशेषताएं और फायदे पेपर मिल, प्लाई वुड, विनियर,
फर्नीचर आदि को बढ़ावा देते
काष्ठ आधारित उद्योगों को कच्चा
माल की आपूर्ति करना संभव होगा।
< सहयोगी संस्था/ निजी कंपनी
के माध्यम से कृषकों से वापस
हुए प्रदेश में ही कच्चे माल की
< भविष्य में इन वृक्षारोपण खरीद की व्यवस्था से उनकी आय
उपलब्धता बढ़ेगी।
टिशू कल्चर क्लोनल मिलिया डूबिया < प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप
क्षेत्रों से कार्बन क्रेडिट के रूप में में वृद्धि।
बीमा बांस नीलगिरी मालाबार नीम से स्थानीय रोजगार में वृद्धि के
कृषकों को अतिरिक्त आय की < काष्ठ एवं प्लाईवुड आधारित
तेजी से बढ़ने वाली प्रजाति, नीलगिरी एक अत्यंत तेजी तेजी से बढ़ने वाला वृक्ष है
संभावना है। उद्योगों को बढ़ावा देते हुए
उत्पादन चौथे-पांचवें वर्ष से से बढ़ने वाली प्रजाति है। और 8 से 10 वर्षों में काटा जा अप्रत्यक्ष रूप से शासन के राजस्व
प्रारंभ, अधिक बायोमास, कम क्लोनल नीलगिरी 5 से 7 वर्षों सकता है। इसमे 8-15 मीटर में वृद्धि।
पोला एवं कांटा रहित, मोटाई 8 में कटाई के लिए तैयार हो साफ बल्ली मिलती है। पल्प
से 15 से.मी., लंबाई 30 मीटर जाती है। एक एकड़ असिंचित के लिए 6 वर्षो में काटा जा < सहयोगी संस्थाओं की
तक। छत्तीसगढ़ की जलवायु रोपण क्षेत्र में 20-30 टन सकता है। बल्ली, प्लाईवुड या सहभागिता से शासन के वित्तीय
एवं मिट्टी इस प्रजाति के रोपण उत्पादन पांचवें साल में प्राप्त काष्ठ के लिए 8-10 वर्षों में भार में कमी।
हेतु उपयुक्त है। होता है और सिंचित रोपण काटा जा सकता है।
< गैर वनभूमि में वानिकी
क्षेत्र में 30-50 टन उत्पादन
उपयोग होता है। उपयोग विस्तार।
निर्माण कार्य, बायोफ्यूल प्लाईवुड उद्योग में उपयोग, < प्रतिवर्ष अतिरिक्त मानव दिवस
बनाने में, बांस की लकड़ी उपयोग पल्पवुड के रूप में उपयोग, रोजगार सृजन।
बनाने में, कागज बनाने में, निर्माण कार्य, कागज 90 से.मी. गोलाई से अधिक < पड़त भूमि का विकास।
बांस का कपड़ा बनाने में, बनाने, प्लाईवुड उत्पाद को काष्ठ के रूप में
बिक्रेट बनाने में। उद्योग में। उपयोग किया जा सकता है। < आदिवासी एव अन्य पिछड़े
वर्गों की आय में वृद्धि।
< पर्यावरण में सुधार एवं
टिशू कल्चर सागौन सफेद चंदन जलवायु परिवर्तन के विपरीत
प्रभावों में कमी।
सागौन लकड़ी का उपयोग बल्लियों के रूप में उचित जल निकास वाली सभी प्रकार की मिट्टी काली, लाल दोमट मिट्टी, रूपांतरित चट्टानों में
तथा महत्वपूर्ण इमारती काष्ठ के रूप में किया में इसे लगाया जा सकता है। मेड़ों पर, बगीचों उगता है। 15 वर्ष के होने के बाद वृक्ष के विकास < भविष्य में वृक्षारोपण क्षेत्रों से
जाता है। कम जमीन पर ज्यादा पौधे लगाए जा में व अन्य रिक्त भूमि में तथा घर के अहातों के आधार पर काटा जा सकता है। पेड़ को जड़ से कार्बन क्रेडिट के रूप में कृषकों को
सकते हैं। आदि लगाया जा सकता है। चंदन प्रमुख रूप से उखाड़ना चाहिए। अतिरिक्त आय।
भिलाईनगर को सौगातें
< भिलाई के बच्चे खेलकूद में भी आगे हैं।
क्रिकेट स्टेडियम।
< सर्व समाज नागरिक भवन।
< भिलाई नगर विधानसभा क्षेत्र के
अंतर्गत प्रत्येक वार्ड में 50 लाख रुपए
के विकास कार्य।
< बिजली की समुचित व्यवस्था।
< भिलाई के सिविक सेंटर का
सौंदर्यीकरण।
< विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत छत्तीसगढ़
महतारी की मूर्ति स्थापना एवं
सौंदर्यीकरण।
< सेंट्रल एवेन्यू मार्ग व फॉरेस्ट एवेन्यू
मार्ग का सौंदर्यीकरण।
< विभिन्न स्थानों पर डोम, शेड निर्माण
कार्य।
< खुर्सीपार क्षेत्र के आंतरिक रोड का
डामरीकरण एवं नवीनीकरण।
दुर्गा ने अपनी बात कही तो सीएम ने सराहा < शहीद वीरनारायण सिंह जयंती
भिलाई नगर विधानसभा बीएससी फाइनल ईयर की छात्रा दुर्गा साहू ने बताया कि उन्होंने बेरोज़गारी भत्ता
स्टेडियम के पास बिजली की उचित
के लिए पंजीयन करा लिय़ा है। मुझे अब बेरोजगारी भत्ता मिलना शुरू हो जाएगा,
व्यवस्था।
बीएसपी टाउनशिप में हाफ बिजली मेरे दैनिक खर्चो के लिए अपने माता-पिता पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। दुर्गा ने
मुख्यमंत्री को इसके लिए शुभकामनाएं दी हैं। श्री बघेल ने भी यह बातें साझा
<
<
खेल अकादमी का निर्माण।
सेक्टर-09 स्थित उच्चतर माध्यमिक
बिल का लाभ देने का वादा
करने के लिए दुर्गा की सराहना की।
शाला का स्वामी आत्मानंद इंग्लिश
भिलाईनगर में खुलेगी गारमेंट मीडियम स्कूल के रूप में संचालन।
खुर्सीपार में स्थित शासकीय आई.टी.
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने दुर्ग ग्रामीण के बाद
भिलाई नगर विधानसभा का दौरा किया। यह
भिलाई नगर के खुर्सीपार में मोहन लाल
जैन शासकीय महाविद्यालय कैंपस में भेंट-
भी यहां पहुंची थी। उन्होंने बताया कि उनके
बच्चे के हाथ की हड्डी टूट गई थी, जिसका
फैक्ट्री और बीपीओ सेंटर <
आई को स्वामी आत्मानंद आई.टी.आई
क्षेत्र भिलाई का शहरी इलाका कहलाता है। मुलाकात कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इलाज आयुष्मान कार्ड से शंकराचार्य भिलाई-नगर विधानसभा में श्री बघेल ने भेंट-मुलाकात के दौरान महिलाओं अंतर्गत संचालन।
इस क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा भिलाई स्टील मुख्यमंत्री के साथ यहां प्रभारी मंत्री मोहम्मद अस्पताल में कराया है, धीरे-धीरे वह पूरी और युवाओं को बड़ी सौगातें दीं। उन्होंने रोजगार का जिक्र किया और यहां
प्लांट (बीएसपी) के इलाके में आता है, अकबर, क्षेत्र के विधायक देवेंद्र यादव से तरह ठीक हो रहा है। इस तरह की आर्थिक गारमेंट फैक्ट्री खोलने का ऐलान किया। साथ ही राजनांदगांव के जैसे यहां भी < 2013-2019 तक जिन घरों में नल
जहां सरकार की हाफ बिजली बिल योजना लेकर कलेक्टर और सभी अधिकारी मौजूद सहाय़ता से काफी राहत मिल रही है। राधा युवाओं को नौकरी के अवसर दिलाने बीपीओ सेंटर की शुरूआत करने की कनेक्शन था और उन उपभोक्ताओं
का फायदा नहीं पहुंच रहा था। मुख्यमंत्री थे। आम जनता के साथ श्री बघेल ने सीधे ने भी बताया कि वह मुख्यमंत्री सुपोषण घोषणा की। यह सुनते ही लोग खुश हुए और नारे लगाते हुए उनका धन्यवाद तक जल प्रदाय नहीं हो पाया है, उन
के समक्ष लोगों ने यह मांग रखी और संवाद किया और उनसे योजनाओं के बारे में अभियान का लाभ ले रही है, बच्चा कमजोर किया। गारमेंट फैक्ट्री में करीब एक हजार महिलाओं को रोजगार दिया जाएगा। उपभोक्ताओं का पानी का टैक्स माफ
उन्होंने कैबिनेट के जरिए इसे पूरा करने का पूछा। डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता था। अब उसे पूरक पोषण आहार मिल रहा इसकी रूपरेखा जल्द तैयार होगी। इसी तरह बीपीओ कॉल सेंटर के जरिए 500 करने के संबंध में परीक्षण।
आश्वासन दिया। योजना का लाभ मिलने के बाद सुश्री भारती है, उसकी सेहत अच्छी हो रही है। युवाओं को रोजगार मिलेगा।
वैशालीनगर विधानसभा
सेवा, जतन, सरोकार का विस्तार
बुनियादी विकास के साथ युवाओं मुख्यमंत्री श्री भूपश
े बघेल
ने बजट 2023-24 में 17
बच्चों के लिए बेहतर अधोसंरचना नई योजनाएं प्रारंभ करने
की घोषणा की है। इन नई
वैशालीनगर में खुला मिलेट्स कैफे योजनाओं का उद्देश्य, इसे
मुख्यमंत्री श्री भूपश
े बघेल ने वैशाली नगर के प्रारंभ करने की वजह
गुरुनानक जी सरोवर के पास मिलेट्स कैफे का और इससे होने वाले लाभ
लोकार्पण किया। इस दौरान बड़ी तादात में लोग
मौजूद थे। उन्होंने कहा कि मिलेट्स कैफे खुलने
की जानकारी का संकलन
से लोगों को पौष्टिक व्यंजन उपलब्ध होंग।े यहां किया गया है। महिलाओं,
स्वादिष्ट व्यंजन मिलने के साथ ही एक स्वस्थ
छत्तीसगढ़ का सपना भी साकार हो सकेगा।
युवाओं, किसानों और राज्य
की जनता के लिए ये नई
चार मोबाइल मेडिकल यूनिट शुरू योजनाएं क्या हैं और इसका
प्रदेश में घर-घर स्वास्थ्य सुविधा के नाम से
चर्चित मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना के तहत
क्रियान्वयन कैसे होगा,
वैशालीनगर में चार नए मोबाइल मेडिकल यूनिट इसके बारे में जानिए...
की शुरूआत की गई। श्री बघेल ने फीता काटकर
इस योजना को संजीवनी बताया। इस यूनिट में 5
लैब टेस्ट अलग से जोड़े गए हैं, ताकि इनसे जुड़े
मरीजों को निजी अस्पतालों के चक्कर न काटना अब गैर-अनुसूचित क्षेत्रों के लिए मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ कल्चरल कनेक्ट योजना
पड़े। इनमें सिक्लिंग टेस्ट, विडाल टेस्ट, ब्लड ग्परु
टेस्ट, यूपीटी प्रेगनेंसी टेस्ट और मलेरिया टेस्ट छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना प्रदेश की ख्याति को लोगों तक पहुंचाने के लिए छत्तीसगढ़
शामिल हैं। इससे लोगों की चिकित्सा सुविधा प्रदेश के सामुदायिक विकासखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों के तीज त्यौहार, संस्कृति एवं कल्चरल कनेक्ट योजना की शुरूआत की गई है। इस
और विस्तार होगा। परंपरा को संरक्षित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना योजना के तहत छत्तीसगढ़ी संस्कृति का विस्तार किया
वैशालीनगर विधानसभा क्षेत्र का दौरा करते हुए यहां के कैंप में स्थित शासकीय हाई स्कूल को प्रारंभ की गई है। योजना का उद्देश्य प्रदेश के गैर-अनुसूचित ग्रामीण क्षेत्रों के तीज- जाएगा। अन्य राज्यों में स्थित तीर्थस्थलों के भ्रमण के दौरान
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बुनियादी जरूरतों वाले स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल के रूप लोगों ने साझा कीं अपनी बातें त्यौहारों की संस्कृति एवं परंपरा को संरक्षित करना और इन त्यौहारों, उत्सवों का मूल राज्य के नागरिकों की सुविधा के लिए छत्तीसगढ़ जननिवास
अधोसंरचनाओं की सौगातें दीं। स्कूल, स्पोर्ट्स में संचालन करने का ऐलान किया। साथ ही स्वरूप में आगामी पीढ़ी को हस्तांतरण तथा सांस्कृतिक परंपराओं का अभिलेखन भवन का निर्माण किया जाएगा।
श्री दिलीप कुमार भगत ने बताया कि उन्होंने बिना
कॉम्पलेक्स के साथ-साथ सड़क, बिजली, पानी वार्ड 07 रानी अवंतीबाई सरोवर के सौंदर्यीकरण अनुमति के भवन बनवा लिया था, अब वर्तमान में करना है। सामुदायिक क्षेत्रों के गांवों में स्थानीय उत्सवों, त्यौहारों, मेला-मड़ई का
से जुड़े 45 करोड़ रुपए से अधिक के विकास की बात कही। उन्होंने कहा कि जवाहर नगर नियमितीकरण करा लिया विशेष महत्व रहता है। ऐसे सभी उत्सवों, त्यौहारों, सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित योजना के क्रियान्वयन के लिए
कार्यों का लोकार्पण व भूमिपूजन कर घोषणाएं स्पोर्टस् कॉम्पलेक्स में बॉक्सिंग, टेबल टेनिस है। इसके लिए मुख्यमंत्री को करने के उद्देश्य से प्रत्येक ग्राम पंचायत को राशि उपलब्ध कराई गई है। योजना की पहल और विशेषताएं
कीं। वैशाली नगर के शांतिनगर मैदान में भेंट- एवं वॉलीबॉल एकेडमी प्रारंभ की जायेगी। इसके धन्यवाद। झुग्गी झोपड़ी योजना इकाई ग्राम पंचायत होगी। प्रत्येक ग्राम पंचायत को दो किस्तों में 10 हजार रुपए < राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक महत्व के
मुलाकात कार्यक्रम में उन्होंने सभी वार्डों में साथ ही उन्होंने नेहरू नगर एवं हाउसिंग बोर्ड में अंतर्गत श्री अनुसइु या मरकाम दिए जाएंगे। प्रदेश में 61 विकासखंड सामुदायिक क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। यह राशि स्थानों में भ्रमण व निवास हेतु छत्तीसगढ़ संस्कृति केंद्रों
50 लाख रुपए तक के सीमेंटीकरण, पॉथ-वे, सीवरेज लाइन संधारण एवं नवीनीकरण कराने, को लाभ मिला है। पहले उनका केवल सामुदायिक विकासखण्ड क्षेत्र के 6 हजार 111 ग्राम पंचायतों को दी जाएगी। की स्थापना।
पुलिया संधारण एवं अन्य निर्माण कार्य कराने हाउसिंग बोर्ड एवं अन्य कॉलोनी, जो नगर निगम घर मिट्टी का था, अब पट्टा मिल
की घोषणा की। इसके अलावा क्षेत्रीय सड़कों को हस्तांतरित हुई हो, उनका आंतरिक विकास जाने से उन्होंने अपना घर बनवा पंचायत स्तरीय शासी निकाय समिति का गठन < छत्तीसगढ़ के परंपरागत हस्तशिल्प उत्पादों की भी अन्य
की मरम्मत एवं नवीनीकरण का आदेश दिया। कार्य कराने, संजय नगर तालाब के सौंदर्यीकरण राज्यों एवं देशों से आने वाले पर्यटकों को जानकारी
लिया है। राशन कार्ड, श्रम योजना के क्रियान्वयन के लिए ग्राम पंचायत स्तरीय शासी निकाय समिति का गठन
उन्होंने छत्तीसगढ़ महतारी की मूर्ति स्थापना के साथ विभिन्न स्थानों पर डोम शेड निर्माण मिल सकेगी।
कार्ड भी मिला। श्रम विभाग से किया जाएगा। इसमें सरपंच (अध्यक्ष), पुजारी, बैगा सदस्य, ग्राम के 2 बुजुर्ग सदस्य,
एवं सौंदर्यीकरण कार्य किए जाने का भी ऐलान सहित राधिका नगर मैदान का सौंदर्यीकरण सिलाई मशीन भी मिली है। ग्राम की दो महिला सदस्य, ग्राम कोटवार, पटेल सदस्य एवं ग्राम सचिव को शामिल < मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के द्वारा 7 राज्यों के
किया। बच्चों से बात करते हुए श्री बघेल ने कराने का भी ऐलान किया। सिलाई का कार्य भी वह कर रही हैं। किया गया है। मुख्यमंत्री को भूमि आबंटन हेतु पत्र।
योजना के लाभ और नियमों मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना किसे मिलेगा लाभ
के बारे में जानें < कन्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले
< योजना के दायरे में वे महिलाएं
आएंगी, जो पशुपालन, बेकरी,
25000 से बढ़कर अब परिवार/ मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना अंतर्गत
पात्र राशन कार्ड धारित होनी चाहिए।
बाजार व्यवसाय, फल उत्पादन एवं
कृषि संबंधित सहायक उत्पाद से
संबंधित कार्य करना चाहती हैं।
50000 रुपए मिलेंगे < एक ही परिवार की अधिकतम दो कन्याएं लाभान्वित
की जा सकेंगी।
< कन्या की आयु 18 वर्ष से अधिक तथा वर की आयु
< योजना के तहत 25 हजार से 21 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
50 हजार तक की राशि बतौर ऋण < कन्या प्रथम विवाह के लिए इस सहायता की पात्र होगी।
स्वीकृत की जाएगी, जिसमें करीब
< सामूहिक विवाह में सम्मलित होने वाली कन्या को ही
3 फीसदी वार्षिक ब्याज देना
होगा। उक्त सहायता की पात्रता होगी।
< कन्या एवं उसके परिवार को छत्तीसगढ़ राज्य का
< ऋण को सरल बनाने के लिए
शुरुआत के 6 माह तक कोई ब्याज निवासी होना चाहिए।
और किस्त नहीं लिया जाएगा। < साक्षर कन्याओं को सहायता प्रदान करने की
इसमें 6 माह के लिए ब्याज एवं प्राथमिकता दी जाएगी।
किस्त मुक्त अवधि प्रदान की < कन्या को छत्तीसगढ़ निर्धन कन्या सामू हि क
जाएगी। विवाह योजना नियम 2005 अथवा अनुसूचित
< आवेदन जमा करने, ऋण की जाति तथा जनजाति विकास विभाग द्वारा
स्वीकृति, राशि का प्रदाय तथा ऋण संचालित सामूहिक विवाह योजनाओं में से किसी
की राशि की वसूली से संबंधित एक योजना के तहत लाभ पाने की पात्रता होगी।
सभी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। < वर्ष 2014-15 से विधवा, अनाथ एवं निराश्रित कन्याओं
< सरकार ने पहले साल करीब को भी पात्रता अंतर्गत सम्मिलित किया गया है।
फोटो : जनमन
5 हजार महिलाओं को ऋण देने
कौशल्या समृद्धि योजना का लक्ष्य बनाया है, जिसके तहत 50 हजार रुपए इन व्यवस्थाओं पर होंगे खर्च
करीब 20 करोड़ रुपए की राशि विवाह आयोजन व्यवस्था एवं परिवहन व्यय
महिलाओं को 50 हजार खर्च होगी।
मुझे पैकिंग का काम आता है। मैं
विवरण
प्रति कन्या 7,500 रुपए की सीमा के अधीन पंडाल
राशि
7500
रुपए तक व्यवसाय ऋण
इसे सीख भी चुकी हूं। मैं चाहती हूं कि भवन किराया, प्रति जोड़ा 20 अतिथियों के लिए भोजन एवं
अपने साथियों के साथ इस नाश्ता इत्यादि, बैठक व्यवस्था पर व्यय, विवाह का फोटो
व्यापार को शुरू कर सकूं। एवं प्रमाण-पत्र, आकस्मिक व्यय, परिवहन व्यय
मुख्यमंत्री बाल उदय योजना मुख्यमंत्री धरोहर दर्शन योजना ई-धरती परियोजना
ढोलकल श्रीगणेश
जनमन
बनाने विस्तृत कार्ययोजना दंतेवाड़ा जिले के बैलाडीला
में ढोलकल की पहाड़ियों
तैयार किया जा रहा पूर्ण पर्यटन स्थल पर बसे भगवान श्रीगणेश
की प्रतिमा के दर्शन अब
6 किलोमीटर की ट्रैकिंग आसान होंगे। समुद्र तल से
2750 फीट ऊंचाई तक अधोसंरचना विकास के लिए 2750 फीट ऊंचे पहाड़ पर
आसानी से पहुंचेंगे श्रद्धालु हो रहे कई कार्य पहाड़ पर रात्रि विश्राम की सुविधा विराजे श्रीगणेश की प्रतिमा
तक पहुंचने के लिए अब
होम स्टे की सुविधा भी आसान रास्ता बनाया जा रहा
है। घने जंगल और दुर्गम
पहाड़ियों के बीच प्रतिमा
तक पहुंचना आसान नहीं
होता था। यहां कुछ ही लोग
हिम्मत जुटाकर मशक्कत
के बाद पहाड़ चढ़कर दर्शन
करते रहे हैं। अब इसे एक
पूर्ण पर्यटन स्थल के तौर पर
विकसित किया जा रहा है,
जिसकी कार्ययोजना पर काम
शुरू हो चुका है।
भरोसा बिजली पर
त्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन पिथौरा में है, 220 के.व्ही. क्षमता के 400 एवं 220 के.व्ही. उपकेन्द्रों तक
छ कंपनी लिमिटेड ने राज्य की
दीर्घकालीन विद्युत की मांग
11 उपकेन्द्र जो पाटन, दलदल सिवनी,
सेमरिया, अहिवारा, राजिम, कांकेर,
नवीन पारेषण लाइनों के निर्माण तथा 01
नग नवीन 400 के.व्ही. उपकेन्द्र तहसील
का आकलन कर विद्युत पारेषण प्रणाली धरमजयगढ़, कुम्हारी, माल्दा/सारंगढ़, - पिथौरा, जिला-महासमुंद एवं संबंधित
में क्षमता में वृद्धि के लिए वर्ष 2025 तक मुरेठी/परसतराई एवं बचेली/किरंदुल में 400, 220 के.व्ही. लाइनों के निर्माण हेतु
की कार्ययोजना तैयार की जिसके अंतर्गत हैं, 132 केव्ही क्षमता के 23 उपकेन्द्र 1606 करोड़ के निर्माण कार्यों की स्वीकृति
42 नग अतिउच्चदाब विद्युत उपकेन्द्रों की बैजलपुर, छावनी, अमलेश्वर, आरंग, प्रदान की गई है।
दूरस्थ, दुर्गम, अंतिम गांवों तक बिजली बस्तर के 196 गांवों तक पहुंची बिजली
बीजापुर-सुकमा के
छत्तीसगढ़ के जिलों में अब अंतिम पिछले चार सालों में गांवों में गांव हुए रोशन
गांवों तक नियमित बिजली सपना नहीं भरोसा स्थापित करने के साथ-
बीजापुर में 103 गांवों में बिजली पहुंचाई जा
रह गया। खंभों के जरिए नियमित रूप साथ वहां के लोगों को विश्वास
चुकी है, जबकि सुकमा जिले के 61 सुदूर गांवों
से बिजली की लाइन करीब हर अंतिम में लिया गया है। सरकार की
गांवों तक पहुंचाई जा चुकी है। सुकमा में वनांचल के लोग अब बिजली का नियमित
योजनाओं के जरिए आर्थिक
के पोटकपल्ली गाँव में पहली बार उपयोग करने लगे हैं। हाल ही में नक्सल
लाभ उठाने की वजह से लोगों का
बिजली से अब लोगों के घर रोशन हो प्रभावित चार गांवों में भी बिजली पहुंचने से
नक्सलियों की बजाय सरकार पर
चुके हैं। यह वह गांव है जहां बाहर से लोगों की जिंदगी आसान होने लगी है। इन
विश्वास बढ़ा है, जिसके कारण
लोगों का पहुंचना मुश्किल था। आजादी पांच गांवों में रहने वाले 653 परिवारों को अब
उन्हें योजनाओं का लाभ देने में
के बाद पहली बार इस गांव में बिजली खेती से लेकर के घर तक रौशन हो उठे हैं।
आसानी होने लगी है। यही वजह है
पहुंचाई गई है। यह वह गांव है जहां यह पांच गांव सिलगेर, कोलईगुड़ा, कमारगुड़ा,
कि संवदे नशील और दुर्गम इलाकों
कभी नक्सलियों का राज चलता था। नागलगुण्डा, और करीगुण्डम है, जो अब तक
में बिजली पहुचं ाना आसान हुआ
सुकमा, सूरजपुर, कवर्धा, जशपुर से विद्युत सुविधा से वंचित थे। इन गांवों में बिजली
है। माओवादी घटनाओं की बात
लेकर बीजापुर के अंतिम गांवों तक पहुंचने से ग्रामीण बेहद खुश है। बिजली नहीं
करें तो पिछले चार वर्षों में करीब
बिजली पहुंचाई जा चुकी है। पहुंचने के कारण इन गांवों में लोग शासकीय
56 फीसदी तक कमी आयी है ।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने योजनाओं और कार्यक्रमों के लाभ से भी वंचित
इसलिए बस्तर संभाग के 196
जब राज्य की कमान संभाली थी, थे। छत्तीसगढ़ सरकार की विकास, विश्वास
गांवों को रोशन किया जा सका।
तब उन्होंने हर जिले के उन अंतिम और सुरक्षा की नीति के चलते पूरे बस्तर
गांवों तक बिजली पहुंचाने के निर्देश अंचल में बदलाव की बयार बहने लगी है। वहां
दिए थे, जो दूसरे राज्यों की सीमा से के वातावरण और जनजीवन में सकारात्मक
लगे थे। इसके बाद तुरंत उन गांवों में लोगों में देखिए भरोसे की मुस्कान बदलाव दिखाई देने लगा है। विकास एवं निर्माण
पहले सोलर लाइटें पहुंचाई गईं, इसके सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित इलाके बच्चों की पढ़ाई की थी । बिजली ना होने से कार्यों में शासकीय मिशनरी के साथ-साथ
बाद बिजली के खंभों को बिछाने का गुफड़ी के हुर्रा मरकाम बेहद खुश हैं । खुशी शाम के बाद पढ़ाई नहीं हो पाती थी । लेकिन आम जनता की भागीदारी बढ़ी है, जिसके चलते
काम शुरू हुआ। अब स्थिति यह है कि की वजह है कि उनके घर में अंधेरे की जगह अब बच्चे देर रात तक पढ़ पा रहे हैं । इसी बस्तर का हर इलाका तेजी से विकास की मुख्य
अंतिम गांव नियमित बिजली के जरिए रोशनी ने ले ली है । मुख्यमंत्री मजराटोला गांव के अजय कलमू का कहना है कि बिजली धारा से जुड़कर तरक्की की राह चल पड़ा है।
रोशन होने लगे हैं। विद्युतीकरण योजना से उनके गांव में बिजली आने के बाद मोबाइल से बात कर पा रहे हैं। मुख्यमंत्री मजराटोला विद्युतीकरण योजना के
पहुंचने खुशी का माहौल है । हुर्रा बताते हैं बिजली ना होने से मोबाइल चार्ज कर पाना तहत कोलईगुड़ा के 82 परिवारों, करीगुण्डम
के 160, कमारगुड़ा के 120, नागलगुण्डा के
बिहारपुर के अंदरुनी कि अब यहां रात के अंधेरे में सांप बिच्छू के बड़ी समस्या थी । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के
81 तथा सिलगेर के 210 घरों में विद्युत लाईन
काटने का डर तो दूर होगा ही साथ ही बच्चे प्रयासों से ऐसा ही अंधकारमय जीवन व्यतीत
गांवों में उजाला अपना भविष्य भी गढ़ सकेंगे, जिसका उन्हें करने को विवश बस्तर संभाग के 196 गांवों कनेक्शन किया गया है जिससे ग्रामीणों में
सूरजपुर के बिहारपुर उप-तहसील से बरसों से इंतजार था। सबसे ज्यादा तकलीफ में बिजली पहुंच पायी है । उत्साह है। इन गांवों में पूर्व में नक्सल अवरोध
लगे अंतिम गांवों में पहली बार बिजली के कारण विद्युत व्यवस्था किया जाना संभव हो
पहुंच चुकी है। आजादी के बाद यहां के नहीं पा रहा था, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में
गांवों में लोग बिन बिजली रहते आए हैं।
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही से गायब हुआ अंधेरा ग्रामीणों की सहभागिता से इन गांवों में विद्युत
दो साल पहले सरकार ने यहां सोलर के गौरेला विकासखंड के सुदरू वनांचल पूटा के पहाड़ पर बसे विद्युत विहीन 7 आदिवासी परिवारों के घर सुविधा पहुंचाना संभव हुआ है।
जरिए पहले वैकल्पिक व्यवस्था कर लोगों क्रेडा के माध्यम से सौर बिजली की सविधा पहुचं ने से उनका जीवन जगमगा उठा है। बिजली कनेक्शन
तक बिजली पहुंचाई, फिर खंभों के जरिए नहीं पहुचने के कारण पूटा गांव के आदिवासी परिवार अंधरे में गुजारा कर रहे थे। यह बात मुख्यमंत्री बस्तर संभाग में बिजली के आंकड़े
इन गांवों को रोशन किया जा चुका है। श्री भूपश
े बघेल के संज्ञान में आने पर उनके निर्देश पर छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में 103 गांव,
बिहारपुर उप-तहसील के पासल, जलहा (क्रेडा) द्वारा डीएमएफ मद से छह माह के भीतर सोलर होम संयत्र ं स्थापित कर प्रकाश की व्यवस्था की सुकमा जिले के 61 गांव, बस्तर जिले के 12,
और बगवईं गांव में जहां बिजली पहुंची गई। प्रत्येक संयत्रं में 5 नग एल.ई.डी. ट्बयू लाइट, 1 नग पंखा एवं मोबाइल चार्जर पोर्ट शामिल है। दंतेवाड़ा जिले के 11, कांकेर के 05, कोंडागांव के
है, वह मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश राज्य सोलर होम लाइट स्थापित होने से आदिवासी परिवार लाइट, पंखे की सुविधा के साथ ही रात में बच्चों को 03 और नारायणपुर के 01 गांव समेत कुल 196
से लगे बार्डर इलाके हैं। पढ़ने-लिखने के लिए केरोसिन का चिमनी-दीया नहीं जलाना पड़ेगा। गांव में बिजली पहुंचा दी गयी है।
36,525 84,744
समितियों के सदस्यों को तीन माह का निःशुल्क
प्रशिक्षण दिया जा रहा है, इसके पश्चात् प्रशिक्षित
पंप कनेक्शन पंप कनेक्शन गौठान प्रबंधन समिति/स्व-सहायता समूहों द्वारा
संयंत्रों का संचालन एवं रखरखाव किया जाएगा।
फोटो : जनमन
सौर सुजला योजना अंतर्गत विगत चार वर्षों कर ग्रामों का विद्युतीकरण किया गया है। अब
में 72 हजार से अधिक सौर सिंचाई पम्पों की तक कुल 860 ग्रामों का सौर विद्युतीकरण
इंदिरा गांव गंगा योजना
स्थापना की गई है। उक्त सौर सिंचाई पम्प कार्य किया गया है जिससे लगभग 1.40 लाख सौर ऊर्जा प्रणाली (सोलर पम्प) के माध्यम से
कृषकों को केवल 07 हजार से 20 हजार रुपए से अधिक घर/परिवार लाभान्वित हो रहे है। नदी/एनीकट के समीप स्थित ग्रामों के तालाबों को
के अंशदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है तथा उल्लेखनीय है कि विगत 4 वर्षों मेें 80859 जल से भरे जाने हेतु इंदिरा गांव गंगा योजना का
सौर सुजला योजनांतर्गत ही राज्य शासन की घरों का सौर विद्युतीकरण का कार्य किया क्रियान्वयन/संचालन राज्य शासन द्वारा किया
महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना नरवा, गरुवा, गया है, जिसमें मुख्य रूप से बस्तर संभाग जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में योजना के
घुरुवा एवं बारी अंतर्गत गौठानों, चारागाहों एवं के दूरस्थ तथा नक्सल प्रभावित ग्रामों के क्रियान्वयन हेतु राज्य बजट से 15 करोड़ रुपए
पंजीकृत गौशालाओं में भी सोलर पम्पों की 47914 घर/परिवार सम्मिलित हैं। राज्य में स्वीकतृ किया गया है। स्वीकतृ बजट अंतर्गत वित्तीय
स्थापना की जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य की ग्रामीण स्तर पर शुद्ध पेयजल की उपलब्धता वर्ष 2022-23 में 14 ग्रामों के 19 तालाबों को भरे जाने
सौर ऊर्जा नीति 2017-27 में संशोधन करते सुनिश्चित करने हेतु सौर ऊर्जा आधारित पंप हेतु सोलर पम्पों (क्षमता 10 एच.पी.) की स्थापना का
हुए सौर विद्युत उत्पादन संयंत्रों को औद्योगिक लगाने का काम भी किया गया है। विगत 4 कार्य पूर्ण किया जा चुका है। योजना अंतर्गत अब तक
नीति मंे परिभाषित प्राथमिकता उद्योगों की श्रेणी वर्षों में ऐसे लगभग 8314 सोलर पंप स्थापित कुल 23 ग्रामों में स्थित 35 तालाबों में जल भरे जाने
में लिया गया है। उक्त संशोधन से राज्य में सौर किए गए हैं। इसके अतिरिक्त 4 वर्षों में ही हेतु सोलर पंपों के स्थापना का कार्य पूर्ण किया जा
ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। गांव के हाट बाजार एवं चौक-चौराहों पर चुका है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में योजना अंतर्गत 40
छत्तीसगढ़ राज्य के वन बाधित, दूरस्थ एवं उन रात्रिकालीन प्रकाश व्यवस्था उपलब्ध कराने तालाबों में जल भरे जाने हेतु सोलर पंपों की स्थापना
पहुंचविहीन ग्रामों में जहां परंपरागत विद्युत नहीं हेतु 3691 स्थलों पर सौर ऊर्जा आधारित का लक्ष्य रखा गया है जिस हेतु 20 करोड़ रुपए का
पहुंच पाता है, वहां सौर संयंत्रों की स्थापना हाईमास्ट लाइट स्थापित की गई है। प्रावधान राज्य बजट में किया गया है।