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वारलॉक
िव म ई. दीवान
अनुवाद: च काश पा डेय

वारलॉक (अं ेजी) क शंसा


“एक रोचक कताब! दलच प, जानकारीपूण और िव सनीय। " - डे न ॉिनकल
अख़बार
“वॉरलॉक भारतीय तांि क गितिविधय क जड़ म ले जाता ह। - द एिशयन एज
अख़बार
“हर िववरण पृ -दर-पृ दहशत लाता ह। - मुंबई िमरर अख़बार
“वारलॉक दलच प, अलौ कक, हैरतअंगेज ढंग से तेज र तार और एक ही बैठक म पढ़ा
जाने वाला उप यास है। यह िनि त प से पठनीय है - अिमत खान - उप यासकार,
न ले लेखक
"यह यक़ न करना मुि कल है क 'वॉरलॉक' कसी भारतीय लेखक का पहला ही
उप यास हो सकता है ... यह कथानक इतने अ छे से बुना आ है क उस तर तक प च ं ने
के िलए अिधकांश लेखक को आधा दजन से अिधक पु तक िलखनी पड़ती है; िजस ऊंचाई
को िव म ई. दीवान ने अपने पहले ही यास म छु आ है। यह एक सुध-बुध भुला देना
वाला और साँसे रोक देने वाला ाइम-ि लर है, जो िवच ा ट और तांि क अनु ानो से
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गहराई से जुड़ा है. यह पाठक के िन य ही र गटे खड़े कर देगा। " - दलीप शांिडल -
लॉगर और समी क
“जैसे-जैसे कहानी घटना-दर-घटना आगे बढ़ेगी, पाठक िन य ही दहशत म जकड़े
जाएंगे। दलच प और रोमांचकारी ढंग से िलखी गयी कहानी इस कताब को पृ -टनर
बनाती है। " - व ा पेरी - लॉगर और समी क
"िव म ई. दीवान, वारलॉक क रह यमयी दुिनया के िच ण म सफल रहे है। वह ब द
क गढ़ 'सकस' म पायल के संघष के दौरान पाठक को अपने स मोहन म पूरी तरह जकड़े
रहते है।" - िजते नाथ - लेख़क, किव, लॉगर और समी क
“एक उप यास जो आपको लैमर और जादू-टोने क दुिनया म ले जाता है - िजसमे
मह वाकां ा है और है िव ासघात। िव म क पु तक एक तेज़-गित वाली ि लर कहानी
है, जो आपको िज ासा और रोमांच के प रका ा पर ले जाता है।” - सरथ बाबू - लॉगर
और समी क
“शु या आपका, जो आपने इतनी नायाब हॉरर हम तक प च ं ाई। म भिव य के ब से
कहा क ं गा क "सो जाओ कं जर वरना वारलॉक का चै टर पढ़ के सुना दूग
ँ ा" - िस ाथ
अरोड़ा 'सहर' (कहानी वाला) - रावायन के लेख़क और समी क
“आहा। एक मनोरं जक पठन। फु सत के ण म पढ़ने के िलये सवथा उपयु , िवशेष प
से तब, जब आप अके ले ह । अपने भय का य सामना क िजये, जैसा क मने मेरे इस
पहले हॉरर उप यास को पढ़ते ए कया और उस दुिनया म वेश क िजये, जो अँधेरे के
साथ उजाले के संघष से भरी ई है। वा तव म म इसे एक फ म म पांत रत होते ये
देख रही ।ँ चेतावनी: य द आप दु ताकत , अनु ान और तामिसक या म यक न
नह रखते ह तो यह कताब आपके िलए नह है।” - जीना िसयांफ़रानी ( काशक और
ांड चारक)
"एक डरावनी कहानी जो बताती है क हम अपने बारे म कतना कम जानते ह।" -
किवता संह - लॉगर और समी क
“य द आप िवि और डरवाने पा वाले ि लर नावेल पसंद करते ह, जहां क पना
और वा तिवकता के बीच बस एक बारीक़ आवरण भर होता है - तो आपको इस पु तक
को पढ़ना ही होगा। - बीना रमेश - लेख़क, लॉगर और समी क
“हैिनबल ले टर (साइलस ऑफ़ द लै स) तो डॉ फ चानहर के सामने कु छ भी नह
है। िव म का मं मु ध कर देने वाला पहला उप यास वारलॉक; अ छाई बनाम बुराई,
अलौ ककता बनाम लौ ककता क एक ऐसी दा तान ह, जो पाठक को रात के अंितम पहर
म भी कहानी के संतोष द और दलच प िन कष पर प च ँ ने तक प े पलटते ए जगाये
रखेगी।” - एलन नाएस (रसरे शन सीरीज के लेखक)
“कहानी कहने और कथानक बुनने क यो यता के े म िव म कसी मायावी जादूगर
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क भांित अपने पूरे जलाल पर ह। कहानी दलच प तथा मनोरं जक दोन है। य द ये कोई
इं जाल ह तो आप यक़ न करे क आप िव म के फै लाये ए मायाजाल या स मोहन म
जकड़े जाएंगे।” - टमोथी वा सन ( फ ममेकर और शे सपीय रयन नाटककार)
" ी िव म ई.दीवान आज के बेहतरीन लेखक म से एक ह। उनक पु तक 'वारलॉक'
एक मा टरपीस है। - अनुज अजुन (IIT ड़क ) - लेख़क, लॉगर और समी क

नोट:
यह एक का पिनक कताब है। थान और सं था के
नाम का योग के वल क य को मािणकता दान करने के
िलये कया गया है। कहानी म आये सभी च र , नाम और
घटनाय लेखक क क पना पर आधा रत ह और कसी भी
जीिवत या मृत ि से कसी भी कार का स ब ध एक
संयोग मा होगा।
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अनु मिणका
अि म शंसा
शीषक
अनु मािणका
समपण
आभार
लेखक य
अनुवादक के श द
उ रण
तावना
खंड -1 सरकस
1. पेज 3 डांसर और िवि ह यारा
2. अिभने ी और ेमी
3. बंधक लड़क
4. दयावान इं सान और वि ल आँख वाली लड़क
5. शव-साधना
6. दो चेहर वाला आदमी
7. सकस, भूितया-घर और िशशु-बिल
8. जीवन-मृ यु का संघष

खंड -2 िनयित का ितशोध


9. तहक कात
10. कानूनी शह-मात
11. बूढ़ा िसपाही
12. पाप क जीत
13. तूफ़ान से पहले

खंड -3 तांि को का यु

14. संदहे का सांप


15. तांि क क जंग
16. वरदान और मुद क वापसी
17. हमला और बचाव
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खंड -4 बदी क ऋतु

18. खौफ
19. आ मा का गहन अंधकार
20. अंत क शु आत
21. ब द का िचर-जह ुम
22. बसंत
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आशीष क कामना के साथ


ीनाथ जी
को ापूवक सम पत।
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आभार
ि य पाठक ,
ऐसे ब त से लोग ह, िज ह ने मेरे लेखन के सफ़र म योगदान दया है और मेरे िलए इस
कताब को आप तक प च ँ ाना संभव बनाया है।
टोरं टो (कनाडा)
जीना िसयांफ़रानी एक धम-माता क तरह ह। इ ह ने मुझे पहला अवसर दया और
मेरी लघुकथा को अपनी काशन के कहानी-सं ह म कािशत कया। इनका अनवरत
सहयोग और ो साहन मेरी शि य म से एक है।
मुंबई
अिमत खान एक सफल उप यासकार, पटकथा-लेखक और काशक ह। इनका
मागदशन, ो साहन और सहयोग ही इस कताब के कािशत होने का मु य आधार है।
द ली
मेरे भाई आ द य व स ने इस कताब क स पूण काशन या के दौरान मेरा
ो साहन और मागदशन कया। इनके योगदान का आभार करने के िलये महज
‘ध यवाद’ श द अपया है।
वाराणसी
म तहे दल से आभारी ँ चं काश पा डेय का, िज ह ने इस नावेल का हंदी अनुवाद
करा और मुझे इस कथा को हंदीभाषी पाठको के सामने तुत करने म मेरी मदद करी।
भाषा, संपादन और अ य कसी कार क ु ट के िलए वह नह , आपुती म िज मेदार ।ँ
मेरठ
हंदी उप यास स ाट परशुराम शमा - िजनके उप यास को पढकर मेरी कशोराव था
बीती है - उनसे सा ात् िमलना और सीखना मेरे िलए एक िवल ण अनुभव था। उनके
ेह और आशीवाद का िलए म उनका ऋणी ।ँ ज़नाब आिबद रज़वी ने मुझे हमेशा
िपता-तुलय ेह दया है और मुझे हमेशा स कम क राह दखाई है. उनक सीख पर चलने
क म हमेशा कोिशश करता ।ँ
म अपने सभी कू ल तथा िव िवधालय के गु जनो को आभार करना चाहता ँ
िज ह ने मुझे िवधा का अनमोल दान दया। अंत मे म अपने माताजी ीमती सिवता
दीवान और वग य िपताजी ी सुरेश कु मार दीवान को अितशय ध यवाद देना चाहता ,ँ
िज ह ने मुझे जीवन म संघष और यास का दामन कभी न छोड़ने का पाठ पढ़ाया। अंतत:
म अपनी अधागनी ेता के अनवरत सहयोग और भरोसे के ित कृ त ,ँ िज ह ने मुझ
पर और मेरी लेखनी तब अगाध िव ाश कया जब संसार म कसी भी अ य ने नह कया
और जो िनतांत अके लेपन, संघष तथा अंधकार से भरी मेरी ल बी या ा क एक मा
हमसफ़र रही ह।
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लेखक य
ेरक पाठको,
वारलॉक उप यास को हंदी म आपके सम तुत कर के म अपार हष के अनुभव कर
रहा ।ँ यह उप यास मूल प से अं ेज़ी म वष 2018 और 2019 म दो भागो म कािशत
आ था। हॉरर और तं -म पर आधा रत एक नए लेख़क के उप यास को जो चचा और
ेह िमला वह अभूतपूव है। उप यास के छपते ही अनिगनत हंदी-भाषी पाठको ारा इसे
हंदी म अनुवा दत करके लाने क जबरद त मांग करी। फे सबुक और सोशल मीिडया पर
मुझ से जुड़े हंदी पाठको क अनवरत माँग को देखते ऐ ही मने इसे हंदी म लाने का
िन य कया।
मुझे अनुवाद और संपादन के समय मूल अं ेज़ी उप यास म सुधार क जहाँ भी
स भावना दखी, मने उसे करने म पूरा व और मेहनत ख़च क । मुझे िव ास है क िजन
पाठको ने वारलॉक के मूल अं ेज़ी सं करण को पढ़ा ह, वह भी इस बात क पुि करगे क
वारलॉक का हंदी कथाकन अपने अं ेज़ी सं करण से कं ही अिधक बेहतर, तेज़-र तार और
कसा आ ह।
मुझे आशा है क आप सभी पाठक अपने उस अपार ेह को बनाए रखगे िजसने मुझ
जैसे एक अित-साधारण कहानीकार को इस मुक़ाम तक प च
ँ ाया है। म अपने आपको
असाधारण या ितभावान नह , आपुती एक ईमानदार और मेहनती लेख़क के प म
देखता ।ँ जो क अपने पाठक को एक आधी-अधूरी या अधकचरी कहानी देकर धोखा
नह दे सकता। अपने यास म म कतना सफल या िवफल रहा ँ उसको जानने का मुझे
बेस ी से इं तज़ार रहेगा।
मेरा मानना ह क एक क़ताब क सफ़लता या िवफ़लता पाठक तय करते है; न क
आलोचक या सािह य के वयंभू मठाधीश। इसिलए इस उप यास क सफ़लता या
िवफ़लता का फै सला अब आपक अदालत म है। अपनी बेबाक़ राय से मुझे ज र अवगत
कराए।
*********
हम कहानी य पढ़ते या देखते है? जब कताब नह छपती थी। तब भी अलाव के इद-
िगद जमा लोग कहानी सुनते-सुनाते थे। यह सोच गलत है क चलिच , इं टरनेट या वेब-
सीरीज कताब , उप यास या कहािनय को ख़तम कर दगी। योँ क एक यादगार
चलिच या वेब-सीरीज के मूल मे भी एक कहानी ही होती है जो क एक दशक को एक
वि लन दुिनया म ले जाती है। कहानी कहना, सुनना, पढ़ना या देखना इं सानी दमाग़ क
तंि का (वाय रं ग) का एक अिभ िह सा ह। कहािनय इं सानी सोच, िमथक, आकां ा,
डर इ या द को संि हत करके आने वाली पी ढ़य तक ले जाने का एक मा यम है। इसे
पि म बौि क िवचार म सामूिहक चेतना (कलेि टव कॉि सयसनेस) कहा जाता है।
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लोग भले म एक धम उपदेशक क बाते सुनते है, क तु अिधकतर उन बातो और


िश ा को अमल म नह लाते। शासन या राजा क बात लोग मजबूरी या डर से मानते
है। इनके िवपरीत - एक कहानी म कही गयी बात उ ही लोगो पर गहरा भाव डालती है
और उ ह उनके जीवन को एक नयी नज़र से देखने पर मजबूर करती है। ऐसा य होता
है? य क हम कं ही न कं ही एक कहानी को जीते है, और उसके सजीव पा से जुड़ा आ
महसूस करते है। उन पा के दुःख, सुख, डर और चंता हम अपने लगते है और उनके
साथ हम जीते और मरते है। शायद इसीिलए हम संसार के लगभग हर धम - थ म
कहािनयाँ िमल जाती है।
लेखन भले ही एक गंभीर काय ह ले कन एक लेख़क को यह याद रखना चािहए क
कहानी के मूल म होता है मनोरं जन। िजस कहानी म मनोरं जन नह है, िजसमे रस नह है,
वह कहानी सफल नह कही जा सकती। य क कहानी पढ़ना एक सजा नह जो पाठक को
भुगतनी है। एक पाठक को कहानी पढ़ने के िलए कोई धन या इनाम नह देता है; इसके
िवपरीत वह अपने पैस,े समय और ब त से दुसरे काय और मनोरं जन के साधन छोड़ कर
एक कताब उठाता है इसिलए हर रचनाकार का थम क है पाठक का मनोरं जन
करना। अ छी कहानी वह है जो हमारे मनोरं जन करे - और यादगार कहानी वह है िजसके
पा ो को और घटना को हम कताब ख़तम करने के बाद भी याद रखे।
अंत करते है कहानी, पठकथा या उप यास लेखन म भाषा क सरलता के मह व से।
ाचीन यूनान ( ीस) के महान दाशिनक और िसकं दर के गु अर तु के श द म - "अ छा
िलखने के िलए खुद को एक आम इं सान क तरह करो, ले कन सोचो एक बुि मान
आदमी क तरह।"
आपका,
िव म ई. दीवान
अ ल
ै २०२०
द ली
ई-मेल: vikramdewan05@gmail.com
फ़े सबुक : https://www.facebook.com/vickramediwan
इं टा ाम: authorvickramediwan/
ि वटर: @ vickramediwan
अमेज़न लेख़क पृ : https://amzn.to/2OFDz4v
गुडरी स लेख़क पृ : https://bit.ly/2Rxiqby
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अनुवादक के दो श द

ि य पाठक ,
स ेम नम कार। तुत अनु दत कृ ित के मा यम से बतौर अनुवादक थम बार आपसे
मुखाितब होते ए म इस रचना के मूल लेखक ी िव म ई. दीवान का इस हेतु ध यवाद
ापन करता ँ क इ ह ने मुझे अपनी अं ेजी रचना ‘वारलॉक’ के अनुवाद-काय हेतु यो य
समझा। य िप बतौर अनुवादक मने अपने कत का िनवहन करने म पूण िन ा और
सावधानी बरती है तथािप य द कसी सुधी पाठक को कोई ुटी अथवा मूल क य के साथ
कोई िवसंगित नजर आती है तो उनके सुझाव का सदैव वागत है।
भारतीय लेखन म, चाहे वह िजस भी भाषा म हो, ‘हॉरर’ िवधा को कम लेखक ने ही
छु आ है, ऐसे म ी दीवान जी ने इस िवधा को समृ बनाने क नेकनीयती के साथ
‘वारलॉक’ के मा यम से जो यास कया है, वह िन:संदहे सराहनीय है। बतौर अनुवादक
‘वारलॉक’ के साथ मेरा अनुभव ब त ही रोमांचक रहा और आशा है क आप भी उ ह
अनुभव से -ब- ह गे।
म ‘वारलॉक’ के मूल क य के साथ याय करने म कतना सफल आ, ये जानने क
ती ा मुझे बेस ी से है। आप अनुवाद संबंधी अपने िवचार और सुझाव ई-मेल अथवा
सोशल मीिडया के मा यम से मुझ तक ेिषत कर सकते ह।
िवनीत
च काश पा डेय
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“अपने आपको मत छलो; परमे र को कोई बेवकू फ़ नह बना सकता,


जो जैसा बोयेगा, वैसा ही काटेगा।”
-बाइिबल के उ रा ‘नये-िनयम’ क पु तक ‘गलाितय ’ से, 6.3

डरावने बादशाह मोलॉक का वजूद,


इं सान के खून और
उन माता-िपता के आंसु से सना आ था;
िज ह ने नगाड़े और डफली के तेज शोर के बीच,
ब के दन को अनसुना करते ए
उ ह िन ु र आरा य क नरकाि म झ क दया था।
-जॉन िम टन रिचत महाका ‘पैराडाइज लॉ ट’ से
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खंड 1
सरकस
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तावना
म के वल दो माह का वह मासूम िशशु ,ँ िजसे एक ू र तांि क बिलवेदी पर कु बान
करने वाला है। मुझे अपने अपनी आस-पास क दुिनया का एहसास तभी होता है जब मेरे
िपछले ज म क मृितयाँ उभर कर मुझ तक प च ँ ती ह। आमतौर पर ऐसा मुसीबत या
घोर िवपि के ण म ही होता है। मुझे बताया गया था क ये िपछले जीवन क याद
समय के साथ धीरे -धीरे ख़ म हो जायगी, ता क म एक कोरे लेट के साथ नया जीवन शु
कर सकूं ।
मुझे नह मालूम क म इस सुनसान जगह पर कै से प च ं ा। म अपने कपड़ के नीचे मेरे
िज म से िलपटी झािड़य और काट क चुभन महसूस कर रहा ।ँ मेरे िसर पर अमावस
का काला आसमान और िनगाह के सामने झील का ठहरा आ पानी है। म रो रहा ँ
ले कन मुझे अपनी महफू ज बाह म लेने या मेरी भूख िमटाने के िलए मेरी माँ यहाँ नह है।
म भूखा, यासा और भयभीत ।ँ मुझे उ मीद है क अगर सामा य मनु य मेरा रोना नह
सुन पा रहे ह गे तो कम से कम अलौ कक शि धारण करने वाला कोई इं सान टेलीपैथी के
मा यम से मेरे िवचार को ज र सुन या महसूस कर रहा होगा।
मने टोपी यु काला चोगा पहने ए उस ल बे आदमी को कहते सुना:
‘एले सा। पीटर गं ी का गाना 'दी कॉवेन’ चलाओ।’
झील के कनारे रखे ‘ माट पीकर’ पर लयब विन के साथ खौफनाक संगीत बजने
लगा।
सुनहरा मुखौटा लगाया आ वह आदमी झील म उतरा। उसने कमर तक गहरे पानी म
खड़े होकर कु छ िमनट तक कसी मं का जाप कया। जाप के पूण होते ही कह से आग
का एक गोला कट आ और उसके िसर के चार ओर च र काटने लगा। इसके बाद उस
आदमी ने बगैर िवचिलत ए खुद को जलम हो जाने दया। झील क सतह पर कु छ देर
के िलए बुलबुले उभरे और पानी दोबारा पहले क तरह शांत हो गया। इसी के साथ आग
का गोला ‘ श’ क विन उ प करते ए दूर चला गया।
म अपनी छोटी-छोटी आँख से अपने आस-पास िछपी दु और पैशािचक आकृ ितय क
मौजूदगी को पहचान रहा ।ँ म चीख कर अपनी माँ को आगाह करना चाहता ,ँ ता क वे
मुझे अपनी छाती से लगाकर मुझे बचा ल, ले कन म ऐसा नह कर सकता ँ और न ही
अिधक देर तक रो सकता ।ँ म अब अपनी नाक पर सद क अकड़न और जननांग के आस-
पास गीलापन महसूस करने लगा ।ँ डरावने संगीत भी अब तेज़ हो गया है और अपनी
समाि क तरफ है।
‘ श’ क विन के साथ झील के पानी को जैसे फाड़कर वह दु आदमी कट हो गया है।
उसक दोन भुजाएं फ़ै ली ई ह और उसक आँख भावाितरे क म बंद ह। वह पानी क
गहराइय से िनकल कर हवा म ऊपर उठ रहा है। ऊंचा...और ऊंचा। ‘तो या...तो या
वह उड़ भी सकता है?’
मुझे तांि क से नफ़रत हो चुक है। कृ ित ने िजतने भी ािणय का सृजन कया है,
उनम ये सबसे िघनौने ह। म अपना कोई भी ज म तांि क के प म नह लेना चा ग ँ ा। और
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इस नीच, अधम , पापी को मुझ जैसे असहाय िशशु को बिल चढ़ाने के पाप का फल अव य
भुगतना पड़ेगा । कोई भी ब ा इसिलए ज म नह लेता क बिलवेदी पर उसका िसर काट
दया जाये। म इस तांि क को कभी माफ़ नह क ं गा। इससे बदला लेने के िलए म अव य
वापस आऊँगा। बहरहाल म आंसु से भरी ई भयभीत आँख से के वल यही देख पा रहा
ँ क वह अपने बिल-कु ठार (बिल क या म यु होने वाली कु ठार) क फलक को एक
काले प थर पर रगड़ते ये उसक धार तेज कर रहा है।
म शीशे के एक िपरािमड म ,ँ िजसका शीष गायब होने के कारण उसका ऊपरी िह सा
खुला आ है। बिल चढ़ाने के िलये आग जलायी जा चुक है और उसक लपलपाती लपट
क रोशनी म; इं सानी धड़ पर कु े या शायद लोमड़ी के िसर वाले शैतान क मू त नजर
आ रही है। वातावरण लोबान के धुएं, पशु के गो त और उनक हि य के कारण घुटन
भरा है।
उसका मं ो ार तो ण- ित ण ऊंचा होता जा रहा है और िघनौनी और पैशािचक
शि य को उनक न द से जगा रहा है। ज द ही ये सब-कु छ ख़ म हो जाएगा। ले कन मुझे
हैरानी है क जब मुझे इतनी ज दी और इस तरह दयनीय दशा म मरना था, तो मुझे ये
ज म िमला ही य ?
‘ओह। दु तांि क। म तुझे शाप देता ँ क तू हमेशा के िलए नरक क आग म सड़े।’
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अ याय 1
पेज 3 डांसर और िवि ह यारा
नई द ली ि थत जमन दूतावास समस ी क मा नंद जगमगा रहा था। आज इस
जगह िसतार से सजी रात ‘बॉलीवुड-नाइट’ का आयोजन था, िजसने दसंबर क सद रात
क नीरसता को गायब कर दया था। आज रात का मु य आकषण, बॉलीवुड क एक
खूबसूरत पसी और उसके साथी िव यात कु रयो ाफर डॉ फ चानहर का नृ य-
दशन था। इस जोड़े ने अपने कामुक और लयब ताल से मंच पर मानो आग लगा दी.
िजसने वहां मौजूद नई द ली और मुंबई से आये बड़े-बड़े राजनेता , उ ोगपितय ,
नौकरशाह और फ़ मी िसतार को चम कृ त कर दया।
जमन वासी डॉ फ चानहर और उसके करीबी िम जमन क चरल अताशे
(सां कृ ितक सलाहकार) ए रक जॉलेनबेक ने िमलकर झु गी-झोपड़ी के दिलत ब के िहत
के िलए ‘गाला चै रटी इवट’ के आयोजन कया था। बॉलीवुड क धड़कन माने जाने वाली
दीवा (त रका) के शानदार दशन पर पूरा हाल दशक के तािलय क गड़गड़ाहट से गूँज
उठा था। अितिथय के आवाभगत म ‘वीनर वचन’, ‘ि जकु कन ए बॉि डगॉज
मीटबॉल’, ‘पेपर म’, ब लन के डोनर कबाब और होल ेन ेड सिहत को रजो तथा
मश म टैपस जैसे पकवान के साथ िस जमन शराब ‘वाइन टीफानर हेफे वाइि बयर’
भी परोसी गयी थी। सभी अितिथ जमन मेहमाननवाजी का लु त उठाते ए दूतावास के
संरि त वातावरण म एक-दूसरे से घुल-िमल रहे थे।
इस रात का सबसे चमकता िसतारा डॉ फ चानहर एक गठीले िज म, चौड़े म तक,
ती ण नीली आँख और पीछे क ओर कढ़े ए बाल वाला ल बा ि था। उसक नाक
सुतवा, चेहरा चौकोर, भुजाएं शि शाली और उं गिलयाँ ल बी थ । क र माई ि व
वाला डॉ फ नेसल टोन (नाक से) म बोलता था। वह अ सर ल बी या ा पर रहता
था। उसक ‘अपॉइ मट-बुक’ पूरे साल के दौरान अंतरा ीय नृ य ितयोिगता म दशन,
शीष तर के गायक के साथ व ड टू र या फर बॉलीवुड के काय म क तारीख से भरी
होती थी। मंच पर दशन करने के बाद उसने ‘एिडओस नैपोिल’ सूट पहन िलया था और
‘ए ा डी िजओ ो युमो-िजओ जयो अरमानी (एव डे पर यूम)’ लगा ली थी। उसक ‘टैग
एर’ र टवाच और मगरम छ के चमड़े के जूते क भांित उसका बे ट भी काफ महँगी
था। उसका ि व कसी यूरोपीय राजकु मार जैसा था। उसके टाइल और बोलचाल के
तरीके को देखते ए उसे सहज ही जे स बांड का यूरोिपयन सं करण माना जा सकता था।
उसके ि व क एकमा खटकने वाली बात ये थी क उसने अपने बाय कान के लो म
हीरे का एक महंगा ईयर- टड (मद क बाली) पहना आ था और अपनी गदन पर आधा
दखाई पड़ने वाला एक टैटू गुदवाया आ था।
“मने ह े-क े और मरदाना िज म वाले कसी आदमी को इतने ब ढ़या ढंग से नाचते ए
कभी नह देखा है।” अधेड़ उ क एक मिहला ने डॉ फ चानहर के पास आते ए कहा।
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उसके नवीनतम ढंग से कटे ए बालो क कु छ लट सुनहरी थी और उसने गहरे कट वाले


तीन-चौथाई उरोज़- दशक जालीदार लाउज के साथ हरे रं ग क िशफॉन क साड़ी पहनी
ई थी। “मने तो यह देखा है क यादातर डांसर और कु रयो ाफर मंच से नीचे उतरने का
बाद लचक भरी औरतो क तरह लगते ह।”
“ या म आपको जानता ?ँ ” डॉ फ चानहर ने, जो उस ण नाव क मिहला राजदूत
से बात कर रहा था, पूछा।
“जान जाओगे...अगर चाहो तो।” मिहला ने बेबाक से उसक आँख म झांकते ए कहा।
“लगता है क आपक क ं कु छ यादा ही तगड़ी है ।” डॉ फ ने भूरा कट और बगनी
टॉप पहनी ई मिहला राजदूत क ओर घूमते ए कहा- “ मा क िजयेगा मैडम ए बेसडर।
म आपसे थोड़ी देर बाद िमलता ।ँ ”
“ को। जाने से पहले मुझे अपना नंबर तो दे जाओ....भाड़ म जाओ।। ऐसा लगता है जैसे
तुम िवदेशी लोग जब यंहा आते हो तो तुम भी हंद ु तानी मद क तरह फ सडी बन जाते
हो ।” वह मिहला डॉ फ को कोसते ए अपने पास खड़ी गोरी मिहला क ओर पलटी
और बोली, “बहन, पु ष के साथ तु हारा अनुभव कै सा है?”
“अहा। आओ मेरे यारे डॉ फ। म महामिहम राजदूत और उनक प ी से तु हारा
प रचय कराता ।ँ ” ए रक ने को रयो ाफ़र को देखते ही कहा।
“हम आपके चै रटी के काम क क़ करते ह िम. चानहर।” जमन राजदूत ने कहा जब
ए रक ने अपने िम क औपचा रक मुलाक़ात उन से करवाई।
“ये ब त थोड़ा ही है ीमान राजदूत, जो म उन अभागे ब के िलए कर पा रहा ।ँ
दूतावास क इमारत योग करने क अनुमित देने के िलए म आपको और ए रक को
ध यवाद। य द आप अनुमित द तो म आपसे आ ह क ँ गा क आपक यारी प ी अगले
महीने एक अनाथालय को बुिनयादी सुिवधाय मुहयै ा कराने के दौरान मेरा साथ देकर मुझे
स मािनत करे ।”
“आपके दमाग म या चल रहा है िम. चानहर?” राजदूत क प ी ने पूछा, जो तेज़
आँख वाली एक गोरी मिहला थी।
“हमारी योजना अनाथालय के ज रतमंद ब को ‘जोधपुर पैर’ देने क है। हम आज
इक ी ई रािश का चेक भी तुत करगे, जो अगले कु छ महीन के िलए कम से कम 500
ब क िश ा और रहन-सहन का खच वहन करने म मदद करे गा।”
“ये तो आपक ब त ही अ छी पहल है हेर (जमन म िम टर) डॉ फ चानहर। म
अपने से े टरी से क ग
ं ी क वह उस दौरे से संबंिधत जानका रय के िलए आपके संपक म
रहे। अब हम इजाज़त दीिजये, इस खुशनुमा शाम का आनंद लीिजये।” उसने कहा।
“जी िब कु ल महोदया।” उसने ह के से िसर को जुि बश देते ए कहा और वह
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राजनियक जोड़ा बाक मेहमान से िमलने के िलए आगे बढ़ गया।


डॉ फ ने अगले कु छ घंटे बॉलीवुड क मश र हि तय से संपक बनाने और अपने
उ वग य िम तथा जान-पहचान के लोग क औपचा रक दुआ-सलाम करने म बीते।
मिहलाएं खुलेआम उस पर योछावर ई जा रही थ , ले कन डॉ फ अपने वहार म
ग रमापूण और संयिमत था। इतना यादा क कु छ मिहलाएं कानाफू सी करती थ क वह
न लवादी है और वह कामुक भारतीय सुंद रय क अपे ा गोर क संगत को अिधक
ाथिमकता देता है या फर वे अनुमान लगाती थ क या तो वह समलिगक है या नपुंसक।
मिहला क आलोचना और पु ष क ई या क अनदेखी करते ए डॉ फ ने उस
शाम का बचा आ समय अपने िम और शंसक का दायरा बढ़ाने तथा आगामी महीन
म आयोिजत कये गए चै रटेबल समारोह म स य भागीदारी क योजना बनाने म
तीत कया। साथ ही साथ उसने एक लोकि य ऍफ़एम शो के आगामी एिपसोड म
अपनी उपि थित क तैया रय को अंितम प दया, एक फे सबुक लाइव इवट को अंितम
प दया, दो अखबार को इं टर ू दया तथा एक एनजीओ क गितिविधय पर
आधा रत छोटे से यूज़ रपोट के िनमाण म सहयोग कया, जो उसक सहायता ा
दिलत ब से जुड़ा आ था। इसके बाद वह दूतावास से मेहमान को अलिवदा कहते ए
‘वसंत-िवहार’ ि थत अपने बंगले को रवाना हो गया।

िजस व डॉ फ चानहर ‘टोयोटा लड ू जर ैडो’ से अपने बंगले क ओर जा रहा


था, ठीक उसी व तुगलकाबाद पुिलस टेशन के एक साधारण से कमरे म इं पे टर उदय
ठाकु र अपने सहायक ए.एस.आई. िब ोई के साथ नाइट िश ट क ूटी िनभा रहा था।
इं पे टर ठाकु र घनी मूछ और पहलवानो जैसे गठीले बदन वाला 41 वष य ि था,
िजसने अपने भावी ि व, तेज, सुलझे ए और ता कक मि त क के बल पर महकमे म
ब त सारा स मान और कई पुर कार अ जत कये थे। उसने द ली पुिलस क ाइम- ांच
म अपने चौदह साल क नौकरी के दौरान वाह-वाही लूटने के उतावलेपन क बजाय
उपल ध त य का धैय-पूवक िव ेषण करते ए कई ज टल के स को सुलझाया था।
‘पायलट ऑ फसर ए सचज ो ाम’ के तहत कॉटलड याड म दो साल काम करने के बाद
से उसे ाइम ांच का ‘शरलॉक हो स’ कहा जाने लगा था।
इं लड से लौटने के बाद उसने ि टश प ित को आ मसात कर िलया था और एं लो
कायशैली का स ा अनुयायी बन चुका था। वह इस बात का कायल हो चुका था क अं ेज़
अ यिधक ग रमापूण, मेहनती, काय के ित सम पत, िनपुण और अ छे लोग थे। कोई भी
उनके काय करने के ढंग को देख कर ये सहज ही समझ सकता था क कै से उ ह ने उस
िव तृत सा ा य का िनमाण कया था, िजसम कभी सूया त नह होता था। अपने िवदेशी
कायकाल के बाद से उदय शहर क पुिलस क आँख का तारा बन चूका था। उसके बड़े
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अफसर का म ा था क पुिलस फ़ोस को आधुिनक तथा तेजी से प रव तत होते माहौल के


अनुकूल होने के िलए उदय ठाकु र क कायशैली के अनुकरण क आव यकता थी। अपनी 60
फ सदी से भी अिधक सफलता दर वाला इं पे टर उदय, साइबर अपराध से लेकर
धनवान, िस और भावशाली लोग क भूिमका वाले हाई- ोफाइल ज टल के स को
भी सुलझाने के िलए भी बड़े अफसर का पसंदीदा िवक प था।
“िब ोई। सुि मता मडर के स म हम कु छ ठोस हािसल नह कर पा रहे है। हमारे
मुखिबर कोई सुराग पाने म हमारी मदद य नह कर पा रहे है?”
“ठाकु र साब। ये सुपारी देकर कराई गयी ह या तो है नह , इसिलए उनके पास भी कोई
सुराग नह है।” िब ोई ने उ र दया।
“ले कन इसम कोई न कोई आपरािधक वृि का आदमी ज़ र शािमल है। म ू ला क
पो टमॉटम रपोट के अनुसार ह या से पहले उसके साथ कई बार िनदयतापूवक बला कार
कया गया था। कोई शाितर अपराधी या कोई गग ही ऐसा जघ य अपराध कर सकता है।”
“साब जी। इन दन कॉलेज के छोकरे भी बुरे से बुरे काम करने म स म ह।” िब ोई ने
अपना मत कट कया- “हम इस दृि से भी पड़ताल करनी चािहए।” उसने कांच के दो
िगलास म ि ह क उड़ेलते ए कहा। उन दोन के िगलास एक-दूसरे से टकराकर
खनखनाए। इं सपे टर ठाकु र ने पीले व क सतह पर तैर रहे कसी छोटे कण को िनकालने
के िलए उसम उं गली डु बोई और फर उं गली पर लगी बूँद को िछड़कने के बाद ि ह क का
एक छोटा घूँट भरकर मेज पर रखे खुले पैकेट से मूंगफली का फ ा लगाया।
“मने िचकन लालीपॉप और तली ई मछली का ऑडर दे दया है। या ये आपके
िहसाब से ठीक है?”
“हाँ िब ोई। मुझे हैरत है क ये साधारण सा के स इतना ज टल कै से हो गया क इसे
सुलझा पाना मुि कल हो रहा है?”
िब ोई अपना िगलास दोबारा भरने म त हो गया जब क इं सपे टर ठाकु र ने
अपनी बे ट को ढीला कया, कु स पर पीछे क ओर झुका और आँख बंद करते ए के स से
जुड़े सभी त य को एक बार फर से याद करने लगा। दो महीने पहले एक कमिसन फै शन
िडज़ाइनर क लाश महरौली इलाके म एक गहरे ख े म पड़ी ई िमली थी। कई जगह से
आवारा कु और चूह ारा काट खाये जाने के कारण उसका शरीर बुरी तरह त-िव त
हो गया था उसक छाती न थी और उसने िबना पटी के लाल पेटीकोट पहना आ था,
जो आधे से अिधक फट चुका था। पो टमॉटम रपोट म ये खुलासा आ था क वह लगभग
5-7 दन पहले ही मर चुक थी। उसक टू टी ई गदन क ह ी पर पड़ी दरार और उस पर
पड़े र सी के िनशान ये इशारा कर रहे थे क उसक मौत दम घुटने से ई थी। संभवत: उसे
फांसी दी गयी थी या फर एक लाल साड़ी क र सी से उसका गला घोटा गया था, िजसके
िनशान उसक गदन पर के वल सू मदश के ज रये ही देखे जा सकते थे। आगे क
तह ककात म पता चला था क 6 दन पहले उसके घरवाल ारा उसक गुमशुदगी क
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रपोट दज कराई गयी थी। उसका मोबाइल ग़ायब था और उसक कार भी लावा रस
अव था म महरौली के इलाके म पायी गई थी। ि वच ऑफ होने से पहले उसके मोबाइल
का आिख़री ात लोके शन वही थान था, जहाँ से उसक कार बरामद ई थी। िपछले दो
महीन म, कॉल रकॉड और पो टमॉटम रपोट से कु छ भी हािसल नह आ था और वह
के स महरौली पुिलस टेशन से ाइम ांच के पास आ चुका था। मरने वाली लड़क के
दजन िम , प रिचत , प रवार वालो, उस इलाके के तथा एनसीआर (रा ीय राजधानी
े ) के छंटे ए मुज रम के बयान तथा पुिलस ारा मुखिबर पर डाले गए दबाव से भी
कोई कारगर खुलासा नह आ था।
“उसके टायर के िनशान लैट(चपटे) थे िब ोई।” इं सपे टर ठाकु र ने अपनी यान मु ा
से बाहर आते ए कहा- “मुझे लगता है क आफत क शु आत यह से ई। य द उसक
गाड़ी पं चर नह ई होती तो वह बाहर नह िनकली होती और शायद अभी भी जीिवत
होती।”
“तो या आपको लगता है क ये उसका दुभा य था क वह गलत समय पर गलत जगह
मौजूद थी?”
“मेरा अनुभव तो फलहाल यही कहता है िब ोई। उस ए रया म कसी भी मैकेिनक क
या पं चर क दुकान नह है और पांच कलोमीटर के दायरे म कसी भी मैकेिनक या
पं चर वाले ने उसके या उसके कार के बारे म नह सुना।”
“सही कहा साब जी। मेरी टीम ने भी दो कलोमीटर के दायरे म मौजूद सभी फ़ामहाउस
को खंगाला था। वहां उपि थत टाफ और मािलय से पूछताछ भी क थी। उ ह ने भी
कसी क म क वारदात के बारे म नह देखा-सुना था।”
“य द लड़क का गला घोटने क बजाय उसका िसर काटा गया होता तो म इस के स को
भी ‘महरौली-ह यारे ’ के के स म शुमार कर लेता।”
“ले कन उस पागल ह यारे के काम करने का तरीका अलग है ठाकु र साब, िजसे
ससशनबाज़ मीिडया ने वा तिवकता से कह यादा बड़ा बना दया है...।”
“वह के स भी हमारे अित र िसरदद क वजह बना आ है। उस के स के बारे म तो
अभी तक हम यादा कु छ मालूम भी नह है, िसवाय इसके क लोग - िजनम यादातर
मिहलाएं, युवितयां और ब ह, गायब हो रहे ह। इसके बाद उनके िसर अथवा शरीर के
अ य अंग महरौली म या उसके आस-पास पाए जाते ह।”
“मुझे तो यह लगता है क पुिलस टेशन का टाफ ही नकारा है। ये मुम कन ही नह है
क इस तरह से ह याएं करने वाला अभी तक पकड़ा न जा सके । य द वे मुझसे पूछ तो म
यही क ग ं ा क काितल तक प चँ ने के िलए उ ह दो-तीन दजन सं द ध को िचि हत करके
उनक ढंग से िपटाई करनी चािहए।”
“मुझे शक है िब ोई क वे सभी ह याएँ एक ही सी रयल कलर ने क है, िजसे मीिडया
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ने ‘महरौली ह यारे ’ के नाम से चा रत कर रखा है।”


“मुझसे पूिछए ठाकु र साब। मुझे तो लगता है क दूसरे रा य के कािहल पुिलस वाले ही
अपनी इलाके क लाश को लेकर महरौली म पटक देते ह, दोष ‘महरौली ह यारे ’ पर
लगता है और मुसीबत हमारी बढ़ जाती है।”
“म ऐसी कोई राय नह कायम क ँ गा। मुझे एक कागज़ और कलम दो। हम उन त य
क सूची बनाते ह, जो हम जानते ह:”
१. महरौली ह यारे के के स म शरीर या शरीर के िह से महरौली म और उसके आस-
पास बरामद होते ह।
२. ह ाण क आयु या लंग म समानता जैसा कोई पैटन नह पाया गया है। मिहलाय,
लड़ कयाँ और ब ;े हर तरह के लोग मारे गये ह।
३. उनके िसर धड़ से अलग कये गए होते ह।
४.पूरे िज म पर िस दूर, न बू, लोबान और दाल के दाने बरामद होते ह, जो
अजीबोगरीब और समझ से परे है।
५. सुि मता क ह या और महरौली ह यारे म कोई य स ब ध नह ।
“ठाकु र साब। इस िल ट म आपने उन चार लड़ कय क गुमशुदगी के के स को य नह
जोड़ा, िजनका िपछले दो साल से कोई पता नह चल पाया है? वह के स भी तो आपका ही
है। यह खाना लाने वाला कहाँ मर गया? म जाकर देखता ।ँ ” उसने उठते ए कहा।
उसके जाने के बाद इं सपे टर ठाकु र ने शीशे के कपाट वाली जंग लगी आलमारी को
खोला और सी रयल कलर क फाइल को बाहर िनकाला। उसने बरामद लाश क त वीर
गौर से देखी देख । अपने सहायक के लौटने के बाद उसने कहा- “शायद तुमने इसे मज़ाक म
कहा होगा, ले कन हो सकता है क उन गुमशुदा लड़ कय का भी इस के स से वाकई कोई
संबंध हो।”
“ये तो अब ब त यादा हो रहा है ठाकु र साब। हर अनसुलझा के स तो इससे जुड़ा आ
नह हो सकता है।”
“वह लड़ कयाँ महरौली से दस कलोमीटर के दायरे के अंदर ही ग़ायब ई थ ।”
“ये कै सा तक है?” िब ोई ने पूछा- “इस तरह से तो हम दस कलोमीटर के दायरे म ए
सारे के सो का ठीकरा उस िवि ह यारे के िसर पर फोड़ देना चािहए।”
“उनक फाइल को िनकालो िब ोई और देखो क उनके मोबाइल क आिख़री लोके शन
या थी?”
“इसके िलए तो फाइल का एक बड़ा ढेर खंगालना होगा ठाकु र साब।”
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“जब तु ह समय िमले तब देख लेना। फलहाल के िलए इस िल ट को देखो, जो मने


बनाई है और बताओ क तुम या सोचते हो?”
“तो या आप सोचते ह क सुि मता क ह या के िलए ‘महरौली ह यारा’ िज मेदार
है?”
“हाँ।” इं सपे टर ठाकु र ने कहा- “ य क जब उसका मोबाइल ि वच ऑफ़ आ तो वह
उसी इलाके म थी।”
“मुझसे पूिछए साब। ये सब-कु छ कसी तांि क का कया धरा है। वरना कौन है, जो
िस दूर और न बू का योग करता है? म तो कहता ,ँ हम महरौली और द ली से लगती
ह रयाणा के सीमा-छे के सभी तांि क को पूछताछ के िलए धर लेना चािहए।”
“हो सकता है क वह यह सब हम गुमराह करने के िलए कर रहा हो। सभी तांि क को
चेक करो, ले कन म इस बात को लेकर िन ंत नह ँ क वह इतनी आसानी से पकड़ा
जाएगा। मेरा अनुभव कहता है क इस बार हमारा पाला भारत के इितहास के सबसे
शाितर, ू र और धूत सी रयल कलर से पड़ा है, जो लोग क क पना से भी अिधक
ख़ूँख़ार और भयानक है। मुझे यह भी लगता है क या तो यह के स हमारे स वस को बबाद
करके हमारी इ ज़त का जनाज़ा िनकलेगा। या फर यह के स इस देश क पुिलस के
इितहास म मील का प थर सािबत होगा।"

अ याय 2
अिभने ी और ेमी
पायल चटज ‘भीका जी कामा लेस’ के पास बस से उतरी और अपनी सहेली के लैट
क ओर बढ़ चली, जो एक ब मंिजली हाउ संग कॉ ले स म था। उसने फसी लाइट के
एक बड़े शो म क िखड़क के सामने ठहर कर, उसके शीशे म अपना अ स को िनहारा
और इतरा कर मु कु राते ए गदन को जुि बश दी। उसने एक िनहायत ही ख़ूबसूरत युवती
को देखा था,, िजसका महताबी चेहरा असीम जीजीिवषा से प रपूण था। उसके काले ल बे
बाल कं ध के नीचे तक थे। भ ह अ छे से तराशी तथा आँख बादाम के आकार क और
िब लौरी थ । उसक ठु ी चेहरे को एक आकषक आकार दान करती थी। उसक
उँ गिलय के ल बे नाखून पर लाल रं ग चढ़ा आ था और हथेिलयाँ िब ली के पंज जैसी
थी - जैसा क उसके िम भी कहा करते थे। वह पांच फ ट तीन इं च ल बी और ह -पु देह
वाली थी। वह सफ़े द शट, भूरी पतलून और काले मखमल क हाई-हील सडल पहने ए
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थी। उसने शीशे से अपनी झलक हटाई और एक बार फर आ मिव ास से दमकता चेहरा
ऊपर उठाये ए भीड़ से अलग अपनी एक िविश चाल से चल पड़ी। उस व दोपहर के
डेढ़ बज रहे थे, जब वह लैट के डोरबेल को बजा रही थी। उसक सहेली ने दरवाजा
खोला। उसने नाईटी पहना आ था और बाल को पीछे क ओर ‘पोनी टेल’ क श ल म
बांधा आ था। शािलनी भी पायल के उ क एक ख़ूबसूरत युवती थी, ले कन वह उससे
तीन इं च यादा ल बी थी और उसके बाल भी थोड़े घने थे।
“आओ डा लग।” उसने पायल को अ दर आने का रा ता देते ए वागत भरे लहजे म
कहा। ‘डा लग’ शािलनी का रटा-रटाया श द था। ेगरी पेक से लेकर उनके भारतीय
सं करण देवानंद तक सभी, िजनम पायल भी शािमल थी, उसके ‘डा लग’ थे।
“ या तुम अभी तक नहायी नह हो?” पायल ने लैट म दािखल होते ए पूछा- “ या
तु ह मालूम भी है क ये दन कौन सा समय है?”
“ या तुम गुड़गाँव के कॉल सटर क मेरी नौकरी के बारे म जानते ए भी मुझसे ये
आशा करती हो क म ज दी नहा लूं? वह भी तब, जब पूरी रात ूटी करने के बाद सुबह-
सुबह लौटी होऊँ?” शािलनी ने लैट का दरवाजा बंद करके सोफे पर पायल के बगल म
बैठते ए कहा और उसके कं धे पर हाथ रखते ए आगे पूछा- “बताओ डा लग। का टंग
डायरे टर के साथ तु हारी मुलाक़ात कै सी रही?”
“काम नह िमला”
“उसने कसी और को य चुन िलया?” शािलनी ने पोजीशन बदलकर पैर को एक के
ऊपर एक रखकर बैठते ए पूछा- “ या तुमने उसे कु छ ‘और’ ऑफर नह कया था?”
“तुम सोचती हो क म उस कार क लड़क ?ँ ”
“तुम उस तरह क लड़क नह हो डा लग।” शािलनी ने दाशिनक लहजे म कहा-
“ले कन ये मद हमेशा अपनी वािहयात चाल चलते रहते ह।”
“वह िछछोरा था और मुझे ऐसे घूर रहा था, जैसे मुझसे पहले उसने कोई लड़क ही न
देखी हो। ये पु ष हमेशा एक ही घ टया बात सोचने के अलावा कु छ और य नह सोच
सकते ह?”
“ह म। जब क वे ेगरी पेक, देव आनंद या शिश कपूर क तुलना म िब कु ल भी अ छे
नह ह।”
“तुमसे बहस करना बेकार है। बाई द वे, आज लंच म या है? मुझे तेज भूख लग रही
है।”
“अगर तु ह लंच करना है तो ये तु ह खुद से ही बनाना होगा। फलहाल मेरा इरादा
जमकर नहाने का है।”
“ य ? या आज कु छ पेशल है?”
“हाँ। नरे श आया आ है। सुबह तु हारे जाने के बाद उसने कॉल कया था। वह शाम को
हम दोन को लेने आयेगा और फर हम बाहर गुड़गांव के कसी फाइव टार होटल म
िडनर करने जायगे।”
“तुम दोन के बीच म या क ं गी? के वल तुम दोन ही जाना। म रात के खाने म अपने
िलए कु छ बना लूंगी।”
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“ऐसा तो िब कु ल भी नह हो सकता क शािलनी अपनी मासूम सी पायल को अके ले


छोड़कर जाए। मने नरे श से बात कर िलया है। उसने तु हारे िलए एक जवान और ख़ूबसूरत
ब दे के साथ डेट फ स कया है, जो कनाट लेस के एक ेवल एजसी म काम करता है और
तु हारी ही तरह संगल है।”
“मेरा मूड नह है शालू, सच म।”
“वह पूरी तरह से स य इं सान है। नरे श ने आ त कया है क वह घ टया क म क
िछछोरी हरकत करने वाल म से नह है। उसका नाम अभय बतरा है और वह कू ल के
दन से ही नरे श का दो त है। अब लीज ना मत कहना। नरे श ने पहले ही उसे हमारा
साथ देने के िलए मना िलया है और अब अगर तुम
उदारता नह बरतोगी तो ये हम दोन के िलए बेहद श म दगी भरा होगा।”
“ठीक है।” पायल ने कहा- “अगर तुम इतना िजद कर रही हो तो म भी आ जाऊँगी।”
“लव यू डा लग।” शािलनी ने उसके गाल पर एक छोटा सा चु बन जड़ा और वाल
लॉक क ओर देखते ए बोली- “हे भगवान। समय तो देखो...। तुम लंच तैयार करो। मने
भी सुबह से कु छ नह खाया है।”
“ठीक है म जाकर लंच म कु छ बनाती ।ँ ” पायल ने उठते ए कहा जब क उसक
सहेली बाथ म म चली गयी।
पायल लैट के बेड म म कपड़े बदलते ये शािलनी के छ: फ ट ल बे बॉय ड नरे श
खुराना के बारे म सोचने लगी। वह अपनी मूछ के साथ बेहद आकषक और रोबीला नजर
आता था, ले कन वह या उसके जैसा कोई अ य पु ष पायल क तलाश नह था। ब से
भरा वैवािहक जीवन उसके िलए नह था, य क वह अिभनय के े म एक ल बी पारी
खेलने का मन बना चुक थी। कचन म सेम क स जी तैयार करते ए पायल अपने िपता
के बारे म सोचने लगी, िजनके वह बेहद करीब थी। आज वे उसक तर के बारे म सुनकर
कतना खुश होते। वह हर एक दन के अंतराल पर उ ह फोन कया करती थी। वह अपनी
माँ, जो उसके एकमा संतान होने के बावजूद भी उसके ित बेहद स त थ , क बजाय
िपता के साथ यादा सहज थी। वह दूसरी ओर शािलनी अपनी माँ के करीब थी, जो उसे
यू जस से हर रोज फोन करती थ । िपता ारा हर महीने भरे जाने वाले तगड़े िबल से
बेपरवाह होकर शािलनी को देर तक बात करने क आदत थी। इसके पीछे उसका साधारण
सा तक ये होता था क जब पापा, म मी को उससे दूर ले गए ह, तो उसके एवज म ये ब त
थोड़ा ही है, जो वे उन दोन के िलए सहजता से कर सकते ह। यहाँ तक क वह अंतररा ीय
फोन कॉल पर म मी से उनक रे िसपीज पूछने के साथ-साथ इस बारे म भी बात करती थी
क उसने या खाया है।
जयपुर और बंगलौर म शािलनी क चचेरी बहन भी थ , जो हर महीने उससे िमलने
आती थ , ले कन जब शािलनी क मौसी उसके साथ रहने आती थ तो वे पायल क
जं दगी हराम कर देती थ । वे अमे रका म रहने वाली अपनी डॉ टर बहन के एन उलट
ढीवादी, संक ण सोच वाली और के वल दसव तक पढ़ी ई एक उ दराज मिहला थ , जो
शािलनी क हर चीज़ और रहन-सहन क बुराई करना अपना ज मिस अिधकार मानती
थ । वे िवशेष प से पायल के ित कुं ठत और गंदी और घृणा मक सोच रखती थ ।
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ा ण प रवार म ािहता होने के कारण वे मछली खाने वाली बंगाली लड़क को


असहमित और संदह े क दृि से देखती थ । उ ह ने शािलनी को इस बात के िलए मनाने
का ब त यास कया था क वह उसे लैट से बाहर कर दे, ले कन वह असफल रही थ ।
पायल उस चालबाज और िचड़िचड़ी बु ढ़या को नजरअंदाज करने का भरसक यास
करती थी। उसने कई बार उस वह लैट से िनकल जाने और अलग रहने का फै सला भी कर
लेती थी ले कन वहन न कया जा सकने वाला अ यिधक कराया, असुर ा क भावना
और शािलनी क नाराजगी, उसे अपना फै सला थिगत करने पर िववश कर देती थी।
खाने से आती भाप ने उसे िवचार से बाहर लाया और वह कु कं ग पर यान के ि त
करने लगी। हालां क वह शानदार डेट के नाम पर शािलनी के बॉय ड के साथ आने वाले
श स के ित यादा उ सािहत नह थी, क तु फर भी उसे थोड़ी ब त तरजीह देना
चाहती थी।

बिहमुखी और दबंग वभाव वाली उन दोन लड़ कय के िलए चकाच ध रौशनी से


भरी वह रात रोमांचक और मजेदार थी। िवशेष प से पायल के िलए, जो क हालां क
कसी छोटे शहर से तो नह थी ले कन पयटक से भरा रहने वाला उसका पैदाइशी शहर
िशमला, द ली या उससे सटे ए शहर गुड़गांव क तुलना नह कर सकता था। काले शीशे
वाली ‘फोड ए डेवर’ म शु ई उनक या ा शानदार थी। वे शहर के उन ब ढ़या सड़क
से गुजरे , जो हमेशा च चत हि तय , अमीरजाद और महानगर के िशि त पेशेवर क
महंगी कार से भरी रहती थी।
ये युवा, उ साही, सुसं कृ त, स य और नए आधुिनक भारत का चेहरा था, जो उस
भारत से िब कु ल अलग था, जो कभी पाि म म हािथय , सपेर और ताजमहल के देश के
प म जाना जाता था। अभय ने गाड़ी को ‘लीला’ होटल क पा कग जोन म ला खड़ा
कया। लाल पगड़ी वाले यूिनफाम म सुसि त दरबान ने पायल, शािलनी, नरे श और
अभय का झुककर वागत कया। पायल पाँचतारा होटल के माहौल से अनजान नह थी,
ले कन फर भी वह ऎ यशाली होटल और उसक बड़ी लॉबी को देखकर हैरान रह गई।
वह सोचने लगी क सफल अिभने ी बन जाने के बाद वह भी ऐसी ही जगह पर ठहरे गी।
यह िवचार मा ही उसे अनंत ऊंचाइय तक उड़ाने के िलए पया था।
रे टोरट म प च
ं कर िडनर का ऑडर करने के बाद उ ह ने बातचीत का िसलिसला
शु कया। नरे श ने कहा - “म लैट पर थोड़ा सा औपचा रक प रचय तो पहले ही दे चुका
,ँ य न अब हम इस शै पेन के ज रये र त पर जमी ई बफ को िपघलाए?”
उ ह ने टल के महंगे िगलास को उठाऐ और ‘चीयस’ बोलते ए उ ह आपस म
खानकाया । पायल ऊंची कद-काठी वाले नरे श से भली-भांित प रिचत थी, जो क अपना
व सामान प से इं लड और इं िडया म गुजरता था, जहाँ मश: उसके माँ-बाप और
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दादा-दादी रहते थे। वह महंगे सूट, िस क शट तथा काली पतलून पहने था और हमेशा क
तरह रोबीला नजर आ रहा था। पायल हमेशा ही उसके बाल को सलीके से कढ़ा आ
पाती थी। वह पायल को हमेशा बॉलीवुड ए टर जैक ॉफ क याद दलाता था।
पायल ने देखा क नरे श का दो त अभय बतरा, जो क उसक ‘ लाइं ड डेट’ था, वह
लगभग तीस-पतीस साल का एक नौजवान था। उसका शरीर भारी था और वह समय से
पहले आधा गंजा हो चुका था। उसने डायमंड िपन के साथ अ छा सा सूट पहना आ था।
वह वभाव से शम लाऔर अंतमुखी लगता था। वह चमकदार हीरे से जड़ी लै टनम क
अंगूठी और कलाई म महंगी रोले स घड़ी पहने ए था। यह सब उसके धनवान होना
सािबत करता था। पायल ने उसे कई दफे अपनी ओर घूरता पाया था, क तु नजर पड़ते ही
वह तुरंत दृि घुमा लेता था।
“तो आप कनाट लेस क ेवल एजसी म काम करते ह?” पायल ने पूछा।
“हाँ।” उसने उ र दया, जब क शािलनी और नरे श आपस म बात करने लगे थे- “म
एस.इ.टी.ओ. व ड ेवल म अिस टट डायरे टर ।ँ भारत के लगभग सभी मुख शहर म
हमारी शाखाएं ह। भारत और िवदेश के टू र पैकेज के साथ-साथ हम एयर टकट और
ल जरी िशप बु कं ग जैसी सभी सुिवधाएं दान करते ह।”
“अ छा है।” वह भािवत तो ई क तु य म उसने सामा य वर म ही कहा।
“और आप मॉड लंग करती ह?”
“असल म मै ए टंग करती ।ँ " उसने उ र दया- “म िशमला से ँ और यहाँ
टेलीिवजन सी रयल म अवसर क तलाश म आयी ँ और फ म के िलए भी, अगर चांस
िमला तो।”
“ या आपको अब तक कोई सफलता िमली ह?”
“इसने अपने होमटाउन म एक यूटी कांटे ट जीता था।” शािलनी ने बीच म टोका- “ये
कतनी ख़ूबसूरत है, नह ?”
“हाँ। ये...ब त ख़ूबसूरत ह।” अभय के मुंह से िनकल पड़ा।
“आप मेरे साथ लट कर रहे ह।” पायल ने शरारती ढंग से पूछा।
“िब कु ल भी नह । म आपको सच बता रहा ।ँ मेरा हर रोज लड़ कय के साथ िमलना-
जुलना होता है, ले कन मने आप जैसी लड़क आज तक नह देखी। आपक आँख बाल,
चेहरा , ि कन सबकु छ परफे ट है।”
“काश क ये टेलीिवजन सी रयल के ो ूसर होते। तुम या कहती हो डा लग?”
शािलनी ने कहा।
सभी हंस पड़े और मेज पर सव कये ए जायके दार िडनर का लु फ़ उठाने लगे। द ली
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क पंजाबन होने के कारण शािलनी मुगलाई खाने पर टू ट पड़ी, जब क नरे श ने और भी


ब त कु छ आडर कया आ था, िजनम से अभय और पायल ने थोड़ा-थोड़ा सभी कु छ लेना
पसंद कया, ता क वह हर ंजन का लु फ़ उठा सक। उ ह ने थाई भोजन को चुना और
झ गा मछली के सॉस क वाद से भरपूर हरे पपीते के सलाद के साथ शु आत कया।
िडनर म मु य कोस म सफे द चावल के साथ झ गा कढ़ी थी। जहाँ पु ष ने कॉच को
ाथिमकता दी, वह शािलनी ने ‘ लडी मेरी’ (एक कार का कॉकटेल) का आडर दया,
पायल ने िसफ थोड़ी सी पी थी, जो उसके िहसाब से उस शाम के िलए पया था।
“आप कहां रहते ह िम. अभय?” ‘डेसट’ (भोजनोपरा त परोसा जाने वाले मीठा) म
ताज़ा फल से भरी ू ट म क कटोरी आ जाने के बाद पायल ने पूछा।
“म राजौरी गाडन म एक बंगले म रहता ।ं ”
“आपके माता-िपता और बाक लोग?”
“दो साल पहले मेरे माता-िपता एक कार-दुघटना म मारे गये। मेरा कोई भी भाई बहन
नह है, इसिलए उनक जाने का बाद म एकदम अके ला ।ं ”
“ओह। सुनकर दुख आ।”
“कोई बात नह । आप अपने बारे म बताइए।”
“मेरे पापा िशमला के एक रे जॉट म सीिनयर मैनेजर ह और म मी गृिहणी ह। मने
लॉरीटो कॉ वट से कू लंग क है और शहर के ही एक कॉलेज से आगे क पढ़ाई क है।”
“मने मॉडन कू ल से कू लंग क है और भगत संह कॉलेज से ेजुएशन। म कनाट लेस
म एक वेल फम के िलए काम करता ।ं ”
“आपक िचयाँ और शौक या- या ह?”
“ युिजक सुनना, कताब पढ़ना, इं टरनेट, घूमना- फरना, फ म देखना और कभी-कभी
टेलीिवजन भी। यानी क वह सभी कु छ, जो एक सामा य आदमी करता है।”
‘डेसट’ ख म करके वे रे टोरट से बाहर आए और वापस द ली के िलए चल पड़े। पूरी
रात काम करने वाले ऑ फ़स और कॉल से टस के इमारत क लाइट जल चुक थ । हाइवे
के कनारे मौजूद वे ऊंची इमारत एक शानदार नज़ारा तुत कर रही थ । वीकड होने के
कारण ै फक भारी था, ले कन अभय ने अपने कु शल चालक होने का प रचय दया और
पौने एक बजे तक दोन लड़ कय को उनक िब डंग के सामने छोड़ दया। एक िज मेदार
ि क तरह उसने उन दोन के िब डंग-क पाउ ड म सुरि त दािखल हो जाने तक
ती ा भी क । नरे श को उसने पहले ही साके त म ॉप कर दया था। पायल और शािलनी
को गुडबॉय कहने के बाद वह अके ले अपने घर को रवाना हो गया।

अ याय 3
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बंधक लड़क

िजस समय अभय खाली सड़क से गुजर रहा था, उस समय शहर के दूसरे छोर पर
ि थत महरौली का राउल ए टेट अंधेरे म डू बा आ था। वह ए टेट 4 एकड़ म फै ला आ
था, िजसका अिधकांश िह सा बंजर था और जमीन से उभरे ए छोटे-बड़े लाल च ान से
भरा आ था। जगह-जगह मौजूद टील और ग के कारण जमीन उबड़-खाबड़ थी।
बेतरतीबी से उगी ई जंगली झािड़य और पेड़ वाला वह िनजन तथा भयानक थान
अपने मािलक क उपे ा का य गवाह था। एक मशान घाट और मुसलमान के
कि तान से सटे ए उस ए टेट के मुख थान म थे। एक फामहाउस िजसक छत पर
शीशे क िपरािमड था तथा जमीन के नीचे कु छ गु तहखाने थे। इसके अलावा वहां एक
कृ ि म झील, एक सरकस के अवशेष, िबयावान खंडहर और जंगली झािड़य से भरा एक
छोटा जंगल भी थे।
ू र रॉटवेइलर न ल के कु क एक टु कड़ी अपने मािलक क अनुपि थित म ए टेट म
िनयिमत प से ग त लगाती थी। हंसक न ल के वे वहशी कु े बाघ को भी चुनौती देने म
स म थे और ए टेट म दािखल होने का दु साहस करने वाले कसी भी श स को चीर फाड़
सकते थे। ले कन उस रात वे कसी घुसपै ठये का िशकार करने क फ़राक म नह थे
आपूितअँधेरे के कारण िनगाह से ओझल थे। कसी वजह से वे डरावने अंदाज म रो रहे थे।
उनका तीखा दन ए टेट के खौफनाक वातावरण म गूँज रहा था।
इन सभी ड़रावनी हक कतो से अनजान एक िभखारन अपने तीन ब के साथ
कि तान के पास क टू टी दीवार से ए टेट म दािखल ई। उन सभी के पास ताबीज थे,
िज ह वे गले म डाले ए थे या फर अपनी बांह से बांधे ए थे। चौकोर आकार के लोहे या
शायद िन कल क उन ताबीज के अलावा मिहला के पास एक अ य ताबीज भी था, जो
चौकोर आकार का और हरे कपड़े म िलपटा आ था। मिहला ने उसे अपने गले म काले
धागे से बांधा आ था।
उस िभखा रन का नाम मुमताज था, जो बार-बार सव के कारण समय से पहले ही
बूढ़ी हो गई थी। उसके बाल गंद,े अ त- त और जु से भरे ए थे, िज ह उसने बेहद
लापरवाह अंदाज म हरे रं ग के रबन से बांधा आ था। उसके चेहरे का रं ग बेहद काला
था। उसका माथा, आँख और नाक छोटी थ । उसक ठोड़ी आकषणहीन तथा ह ठ पतले थे।
उसके चेहरे पर वाथ, लालच और धूतता क मुहर अं कत थी। वह अिशि त, अस य और
सबसे िनचले दज के इं सान के उस तबके म ज मी थी, िजनके अथहीन अि त व का समाज
के िलए योगदान शू य होता है।
त बाकू चबा रही उस िभखा रन ने अपने एक साल के कमजोर और कु पोिषत ब े को
गोद म िलया आ था। दो अ य ब े उसके अगल-बगल चल रहे थे। िजनम से एक 6 साल
क लड़क थी, जो घुटने तक ल बी, कई जगह पर चकती लगी ई और टू टे बटन वाली
पीली ॉक पहने ए थी। उसके अनधुले कपड़े से उ टी, बासी खाने और मल-मू क बदबू
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आ रही थी। उसने लापरवाहीपूवक कमर से ॉक क बे ट बांधी ई थी। लड़क का चेहरा


सपाट और भावहीन था। उसका िसर शरीर के बाक िह स क तुलना म बड़ा था और
चेहरा अपनी माँ से िमलता-जुलता था।
उसका छोटा भाई अथात िभखा रन का दूसरा ब ा 3 साल का लड़का था। वह एक
पुराना ग दी छोटी कमीज़ और िनकर पहने ए था, िजसके आगे के बटन टू टे ए थे। उसने
कमर म एक काला धागा बाँधा आ था। वह भी अपने भाई-बहन और माँ क भांित ही
ग दा तथा िबना नहाया आ था। उसका शरीर कमजोर था। वह अ सर रोते रहने का
आदी था, जो अपनी बदचलन माँ के हाथ अ सर पीटा जाता था।
“कु ी। जा के कु छ खाने को ढू ंढवा, मेरे साथ या िचपक रहती है।” मुमताज़ अपनी
बेटी को दूर धके लते ए कहा।
लड़क अपने प रवार से अलग हो गई और दूर अनजाने फामहाउस क ओर चली गई।
उसक माँ अपने मूड के अनुसार उसे ‘पगली’ ‘गंजी’ और ‘कु ी’ इ यादी नाम से बुलाती
थी। वह इस बात से अनिभ थी क माँ के अनिगनत पु ष सािथय , जो साधारणतया
महीने, ह ते या यहाँ तक क एक रात म ही बदल जाते थे, म से कौन उसका िपता है?
उसके िलए अपने पूवज का, यहाँ तक क वयं अपना असली नाम जानना भी उतना ही
मुि कल था, िजतना क एक गरीब ि के िलए महँगी चीज़ को ख़रीदना। िनजी तौर
पर वह ‘नुज़हत’ कहलाना पसंद करती थी। इस नाम को उसने एक मिहला के मुंह से सुना
था, जो थुलथुल शरीर और गुलाबी गाल वाली अपनी बेटी को यार से आलू-गो त खाने
के िलए बुला रही थी।
‘नुजहत’ के नाम से व-नािमत िभखा रन क वह लड़क अपने प रवार का पेट भरने के
िलए भोजन क तलाश म चल पड़ी। वह दूर अंधेरे म परछा क भांित खड़ी इमारत तक
ज द से ज द से प च ँ जाना चाहती थी। वहां कसी के मौजूद न होने क दशा म वह खाने
क चीज चुरा सकती थी। उसे आशा थी क ऐसा हो जाने पर उससे िन य क अपे ा थोड़ा
कम िपटना पड़ेगा और उसक माँ उसे उस जगह क सफाई के िलए देर रात तक जागने को
मजबूर नह करे गी, जहाँ गैर मद के साथ उसका सहवास होता था। िविभ मद के साथ
अपनी मां के ‘सहवास-स ’ के दौरान उठने वाली चीख और अजीब हरकत से नुज़हत को
घृणा होती थी। ये घृणा भूखे सोने क सजा का िवरोध कये जाने पर होने वाली िपटाई से
भी बदतर थी।
वह इमारत भयावह था। उसने वयं म कु छ ऐसे मन स और डरावने रह य िछपा रखे
थे, िज ह अ पिवकिसत और कम अ ल वाली नुज़हत भी महसूस कर सकती थी, ले कन
इसके बावजूद भी अपनी मां क िपटाई के डर से वह कांट और झािड़य से भरी जमीन पर
चलती रही। कू ड़े-करकट, मल-मू और जानवर क लाश के सड़ने क दुग ध से वह
परे शान हो उठी थी । उसे ये दुग ध पुरानी द ली ि थत आजाद माकट इलाके के एक
अवैध बूचड़खाने क दुग ध से भी बदतर लग रही थी, जहां वह अपने प रवार के साथ रात
गुजारती थी।
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कसी तरह अपनी ऊबकाई रोकते ए वह इमारत के पास प च ँ ी। उसने मु य दरवाजे


को नजरअंदाज करते ए टू टे ए शीशे वाली एक िखड़क ढू ंढ िनकाली, जो बेसमट के
कसी कमरे म खुलती थी। वह िबना कसी िहच कचाहट के अपने शरीर को िसकोड़ते ए
िखड़क के रा ते अंधेरे म कू द पड़ी। प रणाम व प उसका िज म एक सद और गंदे फश से
टकराया। हालां क उसे कं धे और पीठ म तेज दद महसूस आ, ले कन फर भी वह एक
िब ली क भांित सधे ए ढंग से उठ खड़ी ई और कसी ित या का इं तज़ार करने
लगी। जब कोई भी ित या नह ई तो उसने अंधेरे कमरे का दरवाजा तलाशने क
नीयत से बाह फै लाय । दीवार से टकराने से बचने के िलए वह दोन हाथ सामने फै लाए
ए कसी अंधी लड़क क तरह आगे बढ़ने लगी।
कमरे से बाहर िनकलने के बाद वह एक संकरी गैलरी म प च
ँ गई और सी ढ़य से और
नीचे उतरने लगी। वह सी ढ़या उसे ज़मीन के नीचे क दूसरी मंिजल तक ले गई । एक
कोने से कोई आवाज सुनकर वह भयभीत िब ली क भांित खुद म ही िसमटकर सी ढ़य के
नीचे दुबक गई और कोने क ओर झांकने लगी। उसे गिलयारे के एक कमरे के दरवाजे के
नीचे से ह क रोशनी दखाई पड़ी।
नुजहत इस बात से अनजान थी क फामहाउस क इमारत के नीचे दो मंिजल क
गहराई तक गु तहखान का जाल फै ला आ था, जहाँ दन क रोशनी कभी नह प च ँ
पाती थी। उसने प थर के फश पर लोहे क झंकार के साथ कसी का िणक दन सुना, जो
अगले ही पल ची कारपूण दहाड़ और गािलय म त दील हो गया। ‘छोड़ दे मुझे। जाने य
नह देता। क ड़े पड़गे तुझे मादर****"एक अ ात लड़क क चीख हर एक-दो िमनट के
अंतराल पर गूंज रही थी।
नुज़हत सावाधानीपूवक दरवाज़े तक प च ँ ी और उसने क -होल से अ दर झाँका।
टम टमाती मोमबि य क अपया रोशनी म उसे लैक एंड वाइट त वीर से भरी एक
दीवार नजर आयी। सहसा, रोने का वर थम गया। तो या नुजहत क मौजूदगी भांप ली
गयी थी? वह एिड़य को उठाये ए अंदर टकटक लगाये रही। वह कु छ समझ पाती क
क -होल के दूसरे छोर पर एक आँख नजर आई। नुजहत डर के मारे पीछे हटी। उसने भागने
क कोिशश क ले कन तभी दरवाजा खुला और कसी ने उस पर झप ा मारा। उसने
िवरोध करने क कोिशश क , ले कन उससे अिधक उ क एक लड़क ने उसक कलाई
पकड़ ली और उसे ख चते ए कमरे म लेकर चली गयी।
अंदर प च ं कर नुज़हत ने देखा क उस कै दी लड़क क उ 15-16 साल थी। उसके
िज म पर मौजूद कपड़े तार-तार हो चुके थे। उसके बाल िबखरे ए थे और कपड़ से उ टी,
पेशाब तथा शौच क बदबू आ रही थी। कमरे के दमघ टू दुग ध ने नुज़हत को सूखे ए वीय
से भरे उन कं डोम के दुग ध याद दला दी, जो दूर-दराज के इलाक म बक एटीएम म सड़ने
के िलए छोड़ दए जाते थे और जहाँ वह अ सर अपने प रवार के साथ सोती थी।
“ या तुम उसके साथ हो? नह ..नह ...वह तु ह अपने साथ य रखेगा?”
“म...म..म भोजन क तलाश म आयी ।ँ ”
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“तुम गलत जगह पर आ गयी हो। उसके आने से पहले भाग जाओ। नह ..नह ..पहले
मुझे इन जंजीर से िनकालो। म झ र िजले के बीर-दादरी गाँव से ।ँ उस दु ने मुझे यहाँ
कै दी बना रखा है। उसके आने से पहले हम बाहर िनकलना होगा। इन जंजीर क चाबी
ढू ंढो। दीवार पर टंगी मिहला , लड़ कय और ब क उन लैक एंड हाइट (पोलरॉइड)
त वीर को देखो। वह द रं दा बताता है क ये उसके िशकार कये गए लोग क उनके मरने
से पहले क आिखरी त वीर ह। म नह चाहती क इन लोग क तरह मेरी त वीर भी इस
दीवार पर टंगे। िजस दन वह कै मरा लेकर आयेगा, वह दन मेरा आिखरी दन होगा। वह
मेरे साथ िघनौनी हरकत करता है, मेरी िपटाई करता है और मुझे भागने नह देता। लीज
चाबी को ढू ंढो।”
नुजहत ने उस लड़क क कलाई के चार ओर बंधे मोटे छ ल वाली जंजीर को देखा,
िजसका दूसरा िसरा एक लोहे के पलंग से जुड़ा आ था। बेड पर मौजूद िबना बेडशीट
वाला ग ा; वीय, मल-मू और खून के कारण ग दा और भूरा रं ग अि तयार कर चुका था।
ये उस बंधक लड़क क लगातार िपटाई और उसके साथ ए लगातार हंसक बला कार
क कहानी बयां कर रहा था। कमरे म चार ओर िमनरल वाटर क खाली बोतल और
रे टोरट के बचे ए खराब खाने के पैकेट िबखरे ए थे, जो कमरे म भटकने वाले बदसूरत
काले चूह ारा कु तर डाले गए थे।
“कै सी चाबी?”
“ओ फो बेवकू फ़। इन जंजीर क चाबी। तुम या िबलकु ल ही गधी हो? जाओ, मेरे
िलए उस चाबी को ढू ंढो।...अ छा ठीक है। म िच लाऊंगी नह । मुझे छोड़ कर मत जाओ।
इस हथकड़ी क चाबी बाहर कह सुरि त जगह पर है या शायद दीवार से िनकली ई
कसी क ल पर टंगी ई है। मुझे वहां से उसके उठाये जाने क आवाज सुनाई देती है। वह
मेरे साथ गंदी हरकत करता है, मुझे पीटता है और फर चला जाता है।”
“म चाबी ढू ँढने क कोिशश करती ।ं ”
“हां। देखो, म तु हारी बड़ी बहन क तरह ।ँ ” उसने बदहवासी म अपने बाल म
खुजली करते ए कहा- “मेरी मदद करो।”
कै दी लड़क ारा िनरं तर ो सािहत कये जाने के फल व प नुजहत जैसे-तैसे चािबय
के उस गु छे को ढू ँढने म सफल हो गई, जो कु छ ऊंचाई पर दीवार से िनकली एक खूंटी से
लटका आ था। उसने लाि टक के दो खाली िड बे एक दूसरे के ऊपर रख दए। दो बार
फसलने के बाद आिखरकार वह चाबी के गु छे तक प च ँ गयी। वह कमरे म वापस लौटी
और अपने से बड़ी उस लड़क को चाबी स प दी। लड़क ने कहा- “मेरा नाम यामा है।
जानती हो; वह आदमी पूरी तरह से पागल है। कहते ह क उसे लोगो के चेहरे पर बेबसी,
दद और खौफ देखकर मजा आता है। वह इन त वीर को देखकर जुनूनी हो उठता है और
मेरे साथ भी वही सब करता है, जो इनके साथ कया था। आओ। उसके आने से पहले से हम
िनकल जाएँ। मुझे रा ता नह पता है, ले कन हम दोन िमल कर उसका पता लगा लगे।”
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“ये ब त बुरी जगह है।”


“मेरा हाथ पकड़ो। डरो मत।” यामा ने एक हाथ से नुजहत क कलाई मजबूती से
थामी, जब क दूसरे हाथ म उसने एक मािचस क िडिबयां ले ली। बाहर िनकलने के बाद
उसने रा ता देखने के िलए मािचस क कई तीिलय को जलाया। हर मोड़ पर ठहर कर
पदचाप का जायजा लेते ए वे दो मंिजल चढ़कर ज़मीन क सतह पर प च ँ गय । उ ह ने
ाउं ड लोर पर प च ं ते ही पाया क समूचा फामहाउस अंधेरे म डू बा आ था। उसक
फश और दीवार एक मक़बरे क मा नंद ठं डी थ । चूं क दोन नंगे पांव थ , इसिलए ठ ड के
कारण कु छ ही ण म उनके पाँव सु पड़ गए। अँधेरे को दूर करके अपना डर भगाने के
उ े य से यामा ने मािचस क आिख़री तीली भी जला डाली।
अपनी छठी इं य के चेताने पर वह पीछे घूमी। मािचस क तीली क रोशनी म उसने
एक ल बे और बिल आदमी को अपने पीछे खड़े देखा। उसने तुरंत छोटी लड़क को अपने
सुर ा-घेरे म ले िलया। उस आदमी ने टोपी वाला एक काला चोगा पहना था। चीनी-िम ी
का एक सुनहरा मुखौटा उसक आंख , नथुन और मुंह के िलए खुली जगह छोड़कर उसके
चेहरे के सभी िह स को िछपाए ए था। उन खुले थान से उसक िन तेज, आकषणरिहत
और भावहीन आँख बाहर झांक रही थ । वह कसी अनुभवी काितल अथवा िस पु ष क
भांित िन ल और धैयपूवक खड़ा था। उसने एक दबी ई मु कान के साथ कहा- “बेहद
शानदार। मुझे अब एक के बजाय दो िमल गई।” वह झुका और उसने फूं क मारकर मािचस
क तीली को बुझा दया। इसके बाद उसने नुज़हत और यामा क गदन को अपनी जीभ से
चाटते ए एक सरसराती ई आवाज़ िनकाली। उसक ठं डी और खी जीभ के िलसिलसे
पश ने दोन लड़ कय के र गटे खड़े कर दए। त प ात सब कु छ शांत होकर अंधेरे म गक
हो गया।
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अ याय 4
दयावान आदमी और वि ल आँख वाली लड़क

‘ए & जेड’ चैनल का टू िडयो नोएडा फ म िसटी क एक बदहाल इमारत म ि थत


था, जहाँ शौचालय क दुग ध ा थी। खराब लं बंग ने उसक छत और दीवार म
सीलन भर दी थी, जो वॉलपेपर के पीछे बमुि कल िछपी ई थ । मेन शू टंग ए रया म एक
बड़ा सा हॉल था, िजसम एक डांस लोर और दो ‘ यूज़ म’ थे, जो थोड़ी-ब त अ छी
हालत म थे।
‘ल स इं िडया ेज स द अ टीमेट डांसर’ क शू टंग का समय शाम 7:00 बजे िनधा रत
था। शू टंग शु होने से पहले शो के दो जज ज स टॉयलेट म घुसे ए थे। उनम से एक बी-
ेड फ म का िनदशक, 37 वष य नागपाली था और दूसरा टीवी कॉमेिडयन सदादुखी
पटेल था।
“तुमने कल रात शैली दा वाला क पोशाक देखी थी? कतनी हॉट लग रही थी वो।
भाई, जब वह लो-कट टी-शट या आधा पारदश टॉप पहनती है तो मेरा तो बैठना
मुि कल हो जाता है।” पटेल ने आँख मारते ए कहा।
“ठरक कह के । वह तु हारी साथी जज है।”
“तो या आ? इस नाते वह मेरी बहन तो नह हो जाती। हम कौन सा कसी फै िमली
ामा क शू टंग कर रहे ह?”
“अपना समय मत खराब करो। वह के वल डॉ फ चानहर म ही िच लेती है। हम
उसके िलए कु छ भी नह ह।”
“मुझे डॉ फ चानहर को म ख़न लगाकर उसक स को जानना चािहए िजससे
वह इन सुंद रय को इतनी आसानी से फांस लेता है।”
“कल वह डॉ फ के साथ खुलेआम लट कर रही थी। यहाँ तक क उसने उसक जाँघ
पर भी हाथ रख दया था।”
“अगर म उसक जगह होता मैने कब क िब ली मार दी होती। वह िजस तरह
दा वाला के खुले आमं ण को नजरअंदाज करता है, उससे तो लगता है क या तो वह
नपुंसक है या फर 'गे' है। या वह आजकल उस टीवी ए ेस लीना के च र म है?”
“हाँ। सुना तो मने भी है। ले कन ये पि म वाले गोरे लोग कब से एक बीवी रखने वाले
हो गए? उनक सं कृ ित म तो एक से अिधक पाटनर रखना, ेकअप करना और
रं गरे िलयां मनाना आम बात है।”
“मुझे तो लगता है क वह सीधा-सादा होने का के वल दखावा करता है।”
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“या हो सकता है क वह वा तव म ऐसा ही हो।”


“अरे पटेल साब, या कहते हो? लेमर इं ड ी म लोग के वलसीधे-सादे होने का पाखंड
करते ह। धोखा-धड़ी, च र हीनता,को ोमाईज़ और रं गरे िलयां ही हमारे पेशे क कड़वी
स ाई है।”
“शायद तुम ठीक कह रहे हो। सीधे-सादे और च र वान लोग या तो यहाँ आते ही नह
है या फर टक नह पाते ह।”
“मेरी माँ को कसी गोरे से शादी करनी चािहए थी।”
“ऐसा य ? म तो सोच रहा था क तु ह अपने तेलगू होने पर बड़ा गव ह।”
“अरे पटेल भाई। अगर डॉ फ क तरह मेरी भी चमड़ी गोरी और आँख नीली होत तो
सारी लड़ कयां मेरे इद-िगद च र काट रही होत ।”
“ये तो कोई बड़ी बात नह है। तुम जमनी या फर कसी और यूरोिपयन कं ी म य
नह बस जाते। मने सुना है क वहां क मिहलाएं काली चमड़ी वाल क ओर यादा
आक षत होती ह।”
“हाँ। अब तुम भी मेरी टांग ख च लो।”
“आओ। शो शु होने से पहले ही हम अपनी जगह पर प च
ँ जाएँ।”
वे अंधेरे म डू बे गिलयार से गुजरते ए मेन हॉल तक प च ँ ,े जहाँ छत से लटकती
चमक ली पॉटलाइ स क रोशनी ा थी। वे अपने िनधा रत जगह पर बैठ गए। हमेशा
क तरह बेहतेरीन और चमचमाते ए कपड़े पहने ए उनके साथी जज; को रयो ाफर
शैली और डॉ फ चानहर कसी नव-युगल क तरह नजर आ रहे थे। वे ाइम-टाइम
टीवी के करोड़ो दशक के सामने पेश होने के िलए पूरी तरह से तैयार थे। ितभािगय के
शानदार दशन के साथ डांस शो का आगाज आ। प रणाम क घोषणा उस रात के शो
का मु य आकषण थी। िजनके अनुसार दो ितयोिगय को बाहर करते ए अंितम पांच का
चयन कया जाना था। आिखरकार फै सले क घड़ी आ गयी तथा जज और टू िडयो के
दशक के अनुमान के िवप रत सबक पसंदीदा डांसर, पं ह वष य िनशा ितयोिगता से
बाहर हो गई।
वह उस अ यािषत प रणाम को सुनकर हत भ रह गई और कै मरे के सामने ही घुटन
के बल बैठकर रोने लगी। पंक गाउन म वह सं ले ा क भांित नजर आ रही थी। ऐसा लग
रहा था जैसे वह अपनी सौतेली माँ के चंगुल से छू ट कर भागी हो और कसी सजीले
राजकु मार के आने क राह देख रही हो।
डॉ फ चानहर उठ कर मंच पर गया और उसने िनशा को खड़ा कया। उसने सां वना
देने के येय से उसक पीठ थपथपायी। वह डॉ फ के सीने म मुंह छु पाकर बेकाबू होकर
फू ट-फू ट कर रोने लगी।
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“िनशा। मेरी ब ी।” उसने कहा- “तु हारा अब तक का दशन शानदार रहा है। तुम
एक अ छी और बेहतरीन डांसर हो। ये तु हारे कै रयर और जीवन का अंत नह है। अब
शांत हो जाओ और खेल-भावना के तहत उसी कार मु कु रा कर दखाओ, िजसके िलए
तुम जानी जाती हो।”
“आप नह जानते डॉ फ सर। कोई भी नह जानता क... ।” उसने िहच कय के बीच
कहा- “मेरा छोटा भाई एक जानलेवा बीमारी से त है। इलाज के िलए उसे अमे रका ले
जाने के िलए मुझे हर हालत म इनाम के पैस को जीतना था। अब मेरा भाई मर जाएगा।”
वह अ तदान कर उठी।
कै मरे क िनगाह दशक क भीड़ म बैठी उसक माँ पर क त हो गय , जो अपने साड़ी
के आँचल से आँसू प छ रही थी। इसी के साथ न पर 11 साल के एक खूबसूरत लड़के क
त वीर भी नजर आने लगी। चार ओर िन त धता और अिव ास का भाव ा हो गया।
कै मरा नम आँख वाले अ य कई लोग के चेहरे पर भी फोकस आ। रयिलटी शो का ये
ण उन िनमाता के िलए रोमांिचत कर देने वाला था, जो इस व शू टंग-ए रया के
सामने एक के िबन म बैठे ए उस टीआरपी रे टंग क क पना कर रहे थे, जो उ ह उस
फु टेज को सा ािहक झलक या टीज़र के तौर पर दखाकर िमलने वाला था।
“िनशा बेटा। लीज समझने क कोिशश करो। जीवन और मौत ई र के हाथ म है।
तु हारे भाई को कु छ नह होगा। वह ठीक हो जाएगा। तुम बहादुर हो, तभी तो तुम यहां
तक प च ँ ी हो। जीवन म आने वाली सभी बाधा और चुनौितय को दूर करके ही हम इस
दुिनया म अपने िलए जगह बना पाते ह। एक ितयोिगता के हार जाने से सब-कु छ ख़ म
नह हो जाता।”
“ले कन मेरा भाई मर जाएगा। मने उसे िनराश कया है। मने अपने प रवार को िनराश
कया है।”
“नह । तुमने ऐसा नह कया है। तुमने उ ह गौरवाि वत कया है। िजस कार हम सभी
को तुम पर गव है और हम तुमसे यार करते ह, उसी कार वे भी हमेशा तुम पर गव
करगे। मेरी यारी ब ी, म सबके सामने ये ऐलान करता ं क म तु ह अपने अगले गाने के
िलए साइन कर रहा ,ँ िजसमे बॉलीवुड के चहेते सुपर टार जॉली ख ा क फ म के िलए
कु रयो ाफ कर रहा ।ं म अमे रका म तु हारे भाई के इलाज का पूरा खच भी वहन
क ँ गा, िजसम तु हारे प रवार के वहां आने-जाने और रहने का खच भी शािमल है।”
इतना सुनते ही वह कृ त तापूवक डॉ फ के पैर पर िगर कर रो पड़ी। पूरे टू िडयो के
दशक और बाक जज भी डॉ फ चानहर के स मान म उठ खड़े ए और लगातार ताली
बजाते रहे। सभी टीवी चैनल ारा इस वीिडयो को हाथ -हाथ िलया गया। समाचार प
और फ म पि का ारा भी इस पर ापक रपो टग ई। जब चार दन बाद इस
एिपसोड का सारण कया गया, तो उस भावुक ण को देखकर करोड़ो दशक अपने
आंसु को प छते ए भाव-िवभोर हो उठे ।
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उन दशक म पायल चटज भी थी, जो बॉलीवुड के कसी गॉडफादर क कृ पा दृि से


वंिचत थी। उसे लगा क आिखरकार उसे वह श स िमल ही गया, जो उसके सपन को
साकार करने म उसक मदद कर सकता था।

वह एक खुशनुमा धूप वाला सद का दन था। गली म एक ऑटो- र शा का और


पायल उससे नीचे उतरी। उसने कराया चुकाया और कु छ कदम चलने के बाद एक बड़े
और भ बंगले के सामने प च ं ी। गेट के बगल म उसके बाउं ी वाल पर हरे रं ग का साइन-
बोड टंगा आ था, िजस पर बड़े िस वर अ र म िलखा था- ‘ डॉ फ चानहस इं ि ट ूट
ऑफ़ परफॉ मग आ स’। वह बँगला द ली क रं ग रोड पर साउथ ए सटशन पाट 1 क
िस माकट से पैदल प चं े जा सकने क दूरी पर था।
बंगले के िवशाल कं पाउं ड म खड़ी इ पोटड कार डॉ फ चानहर के छा क अमीरी
दशाती थ । पायल फाटक तक प च ँ ी, जहाँ उसे एक नेपाली चौक दार टू ल पर बैठा आ
िमला। उसने रसे शन के बारे म पूछताछ क । गोरखा ने उसे कु छ दशा-िनदश दए।
त प ात पायल इमारत के ाइव वे क ओर बढ़ गई। दा ओर एक बड़ा गाडन था,
िजसम कई फू ल-पि यां और पौधे लगे ए थे, जब क बा ओर एक लंबी दीवार थी,
िजसके दूसरी तरफ एक और बँगला था।
वह बंगले के खुले ए दरवाजे तक प च ँ ी, जहाँ पर रसे शन काउं टर था। रसे शिन ट
ने पायल से एडिमशन फ स ली और अपने सामने मौजूद लैपटॉप पर उसका नाम,
टेलीफ़ोन नंबर और पता भरने के बाद उसे एक अ थायी वेश प दया। मेज पर दैिनक
उपि थित दज करने वाला एक रिज टर भी रखा आ था। एक छोटा सा गोरखा लड़का
पायल को बंगले के मु य हॉल म ले गया, जहाँ िमस पाली ए टंग का लास ले रही थ ।
वह पया काश वाला बड़ा हॉल था, िजसका फश लकड़ी का था और िजसके दीवार क
पूरी लंबाई का एक बड़ा दपण था। पायल के हाल म दािखल होते ही सभी क गदन
दरवाज़े क ओर मुड़ गयी।
िमस पाली साधारण दखने वाली अधेड़ उ क मिहला थ , जो मेकअप और े संग
क अ छी समझ रखने वाली मालूम होती थ । उ ह ने काले बाल को िसर के पीछे बांधा
आ था। अपना गॉगल ऊपर चढ़ाते ए उ ह ने पायल से पूछा- “किहये?”

“गुड मॉ नग मैडम। म पायल चटज , यू एडिमशन।” पायल ने कु स पर बैठी ई टीचर


क ओर देखते ए कहा।
“आओ पायल। ले कन टू ड स के बीच बैठने से पहले या तुम हम अपने लेट आने क
वजह बताना चाहोगी?”
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“मुझे नह मालूम था क लास कतने बजे से शु होती है। मने बस अभी-अभी इस


कोस म एडिमशन िलया है।” पायल ने प कया।
“कोई बात नह । चूं क ये तु हारा पहला दन है इसिलए म इसे अपवाद समझकर
बदा त कर लूंगी ले कन आइ दा से यान रहे यंग लेडी क मेरी लास म फर कभी लेट
मत होना।” िमस पाली ने थोड़े स त वर म कहा- “और बाक लोग भी इस बात का
यान रखना। समय के गैर-पाब द लोग कभी जीवन म सफल नह होते। अब पायल के
िलए पहली पंि म जगह बनाओ। ये नई है, इसिलए इसे चीज को करीब से देखने और
समझने का मौक़ा िमलना चािहए।”
पहली पंि क तोबािश कन सूंदर और जवान लड़ कय ने थोड़ा-ब त िखसक कर
पायल के िलए जगह बनायी। तो हम कहाँ थे?” मिहला टीचर ने पूछा।
“रोमां टक सीन के बारे म बात चल रही थी।” एक ख़ूबसूरत लड़क ने उ र दया।
“िब कु ल ठीक। योित और नीता खड़ी हो जाओ और लास को रोमां टक सीन परफॉम
करके दखाओ।” िमस पाली ने कहा।
दो युवितयां फश से उठ खड़ी ई और कसी रोमां टक सीन के अिभनय क कोिशश
करने लग । उस सीन म योित पु ष क भूिमका म थी और नीता ेम म पड़ी ई एक
लड़क क भूिमका िनभाने क कोिशश कर रही थी। नीता िन:संदह े पायल क िनगाह म
अब तक आयी लड़ कय म सबसे सु दर थी, उसके पहनावे से उसके अमीर होने का
एहसास भी होता था ले कन उसके अिभनय म पायल को कु छ ख़ास नजर नह आया। िमस
पाली के अनवरत मागदशन और सलाह के बावजूद भी वह वाभािवक अिभनय करने म
असफल रही थी।
टीचर को हार कर उस सीन के अिभनय के िलए एक दूसरी लड़क को बुलाना पड़ा।
फश पर नीता के िनकट बैठी होने के कारण पायल उसके चेहरे पर आ ोश प देख रही
थी। टीचर क ितभा, कौशल और अनुभव; उसके ाकृ ितक स दय क कमी को पूरा
करता था। एक के बाद एक करके सभी छा ा ने अपनी यो य िशि का के मागदशन म
अिभनय के नए आयाम , िविभ भावना और ि थितय को दशाने वाली मु ा का
कु शलतापूवक अ यास कया।
डेढ़ बजे िमस पाली ने उस दन क क ा समा होने क घोषणा क । “ को अभी।
मेरी बात ख़ म नह ई है।” उठने क कोिशश कर रही युवितय को रोकते ए उ ह ने
कहा- “हम कल सुबह यारह बजे िमलगे। आप लोग को कै मरे का सामना करने का
तरीका िसखाया जाएगा। कल आप लोग आईने के सामने अ यास करके आयगे। म नह
चाहती क कल मुझे कोई िबना तैयारी का िमले। और याद रख, एक अिभने ी हमेशा
ाकृ ितक अिभनय करती है।” उ ह ने हॉल से बाहर िनकलते ए कहा।
और फर रसे शन से होते ए ाइव-वे क ओर जाने वाली गैलरी युवितय के आपसी
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बात-चीत के शोर से भर गयी


“हेलो पायल। यही तु हारा नाम है न?” कसी ने पूछा।
िसर पीछे घुमाने पर पायल ने उसी अमीरजादी को देखा, जो लास म रोमां टक सीन
का अिभनय करने म िवफल रही थी। उसके होठ पर स ता भरी मु कान थी। “हाँ। म
पायल ही ।ँ ” पायल ने भी मु कु राते ए जवाब दया।
उस लड़क ने कहा- “म नीता चौधरी ।ं ”
पायल ने दो ताना लहजे म उससे हाथ िमलाया और कहा- “तुमसे िमल कर खुशी ई
नीता।”
“ या तुम चानहर क लास भी लोगी?” नीता ने ाइव-वे पर चलते ए पूछा।
“हां।”
“ब ढ़या। म भी उनक लास लूंगी। चलो चल कर कु छ खाते ह। तु ह घर जाने क
ज दी तो नह है?”
“नह । मेरा इरादा चार बजे क डांस लास लेकर सीधे शाम को ही िनकलने का है।”
“ब ढ़या। एक-दूसरे के बारे म जानने के िलए इतना समय पया होगा। तुम गपशप
करना पसंद करती हो न?”
जवाब म पायल के वल मु कु रा दी। वह खुद भी नीता को पसंद करने लगी थी, जो
अमीर होने के अहंकार से ऊपर उठकर िमलनसार कृ ित क लग रही थी। “तु ह रे टोरट
तक पैदल जाने म कोई एतराज तो नह होगा?” नीता ने पूछा- “दरअसल मेरा ाइ वंग
करने का मन नह है। साउथ ए सटशन माकट तक यँहा से पैदल जाया जा सकता है।”
“मुझे िब कु ल भी ऐतराज नह होगा। सभी कार के िनकल जाने के बाद यह जगह
काफ अलग दखने लगी है।” पायल ने बाउं ी वॉल पार करके सड़क पर चलते ए कहा।
“ चानहर क लास आने तक का इं तज़ार करो। उस समय ये पूरा रोड दोन तरफ खड़ी
कार के कारण कसी पा कग ए रया क तरह नजर आने लगेगा।”
“सच म?” पायल ने कहा। वे दोन एक मोड़ को पार करके साउथ ए सटशन माकट
पाट 1 क सड़क के साथ-साथ चलने वाले फु टपाथ पर आ गय ।
“बेशक। हालां क म एक अमीर लड़क ,ं ले कन मने उन लड़ कय क तरह अपने
अमीर होने का कभी नाजायज फायदा नह उठाया, जो यादातर डांस सीखने के बजाय
डॉ फ चानहर म िच लेती ह।”
“मजाक मत करो।”
“ओह। तुम खुद देख लेना क उसक डांस लास क लड़ कयां कतनी बे दी ह। उनम से
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हर कोई डॉ फ चानहर को रझाने को आतुर रहती है।”


पायल ने नीता के साथ फा ट फू ड रे टोरट म वेश करते ए पूछा- “तो या डॉ फ
चानहर ने ये सब रोकने क कोिशश नह करता?”
“तुम या लोगी?” नीता ने पूछा।
“जो तुम लोगी।”
“म एक बड़ा बगर और ॉबेरी शेक लूंगी। तुम भी यही लोगी?...ठीक है। तुम एक
खाली टेबल ढू ंढो, म तब-तक ऑडर करती ।ँ ”
नीता िब लंग काउं टर पर गई। उसने बगर और शेक के िलए भुगतान कया और स वस
काउं टर पर उस भुगतान क पच जमा करने के बाद पायल के साथ कांच क िखड़क के
पास पड़े एक मेज पर आडर तैयार होने क ती ा करने लगी; वँहा से रे टोरट के बाहर
त रं ग रोड दखाई दे रही थी।
“तुमने मुझे जवाब नह दया।” पायल ने कहा- “ या चानहर ने उन पर रोक लगाने
क कोिशश नह क ?”
“वह भला य कोिशश करने लगा?” जवाब देने के बजाय नीता ने पूछा- “मुझे लगता
है क उसे तो इसम मज़ा आता है।”
“ या सच म?”
स वस काउं टर के ऊपर लगे इले ॉिनक साइन बोड ने इं िगत कया क उनका ऑडर
तैयार हो गया था। पायल ने नीता को रोका और खुद आडर लाने चली गई। वह एक
लाि टक े के साथ वापस आई, िजसम दो कं ग साइज बगर और ॉबेरी शेक थे। उसने
उ ह सावधानीपूवक टेबल पर रखा। नीता ने टेबल से टोमैटो सॉस क बोतल उठाई और
उसे दोन बगर पर उड़ेल दया।
“ या उ ह एहसास नह है क डॉ फ चानहर उनका उपयोग कर रहा है?” पायल ने
बगर पर थोड़ा और सॉस लगाने के बाद उसका एक टु कड़ा चबाते ए पुछा।
“वे भले ही ये जानती ह , ले कन वे कु छ नह कर सकत य क वो है ही इतना
आकषक और अनूठा। भोजन समा होने तक वो इधर-उधर क बात करती रही। ओह।
पौने तीन होने को है।” नीता ने अपनी र टवाच देखते ए कहा- “चलो वापस इं ि ट ूट
चलते ह। हम बाक बात रा ते म करगे।”
“इतनी ज दी या है? डॉ फ चानहर तो चार बजे से पहले नह आएगा।”
“वो वहाँ पहले से ही मौजूद होगा। हालां क वह लास म ठीक चार बजे दािखल होता
है, ले कन हम डांस-हॉल म जाने से पहले इन कपड़ को बदलना होगा।”
“ या मतलब?” पायल ने पूछा।
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“ या तुम नह जानती क सभी टू ड स को डांस लास के िलए ि कन- फट कपड़े


पहनने पड़ते ह?”
“ कसी ने बताया नह मुझ।े म तो ऐसे कपड़े अपने साथ नह लाई ।ँ ”
“ चंता क कोई बात नह है। वे तु ह च जंग म म िमल जायगे। चलो।” नीता ने कहा।
दोन लड़ कयाँ रे टोरट से बाहर िनकल और त रं ग रोड के फु टपाथ पर चलते ए
इं ि ट ूट क ओर बढ़ चल । पायल ने ाइव-वे के अंत म एक ‘टोयोटा- ैडो’ देखा। नीता
ने बताया- “यह डॉ फ चानहर का टेशन-वैगन है। लास शु होने से पहले वह फ ट
लोर पर ि थत अपने कमरे म आराम करता है।”
“वैसे, तुम यहाँ य हो?” पायल ने रसे शन के दरवाजे से वेश करते ए नीता से
पूछा।
“ या मतलब?”
“िजस तरह से तुम डॉ फ चानहर के बारे म बात करती हो, उससे साफ़ पता चलता
है क तुम उससे या उसक कला से भािवत नह हो। तुमने अपने िपता के बारे म जो कु छ
मुझे बताया, उसके अनुसार तु ह ए टंग को अपने पेशे के प म चुनकर पैसा कमाने क
भी कोई आव यकता भी नह है। फर तुम यहाँ
य हो?”
“तु ह इस पर िव ास नह होगा।” नीता ने बंगले क एक गैलरी से गुजरने के बाद उस
कमरे म वेश करते ए कहा, िजसके दरवाजे पर ‘च जंग म’ का लेट लगा आ था।
“पहले बताओ तो
सही।”
“मेरी माँ अपने कॉलेज के दन म ए टंग और डांस म बेहद स य थ । ले कन मेरे
दादा-दादी ारा उन पर पापा के साथ ज दी शादी करने का दबाव बनाये जाने के कारण
उ ह अपनी मह वाकां ा को पूरा करने का मौका नह िमल पाया।”
“और अब वे अपनी बेटी यानी क तु हारे ज रये अपनी अधूरी मह वाकां ा के पूरे
होने का एहसास करना चाहती ह।” पायल ने कहा।
“ऐसा ही कु छ। वैसे ये टाइम पास का बुरा तरीका नह है।”
“और तु हारे पैर स को इन सब के िलए कतनी फ स देनी होती है?”
“उसक चंता कसे पड़ी है? मेरे प रवार के पास पैस का ढेर है।”
“सही कह रही हो।”
वे दोन अब एक म यम आकार के कमरे म खड़ी थ , िजसका दरवाजा नीता पहले ही
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बंद कर चुक थी। कमरे के तीन तरफ लकड़ी क आलमा रयां थ , िज ह ने दीवार को फश
से सात फ ट क ऊंचाई तक कवर कया आ था। आलमा रय के ऊपरी िसरे पर लगभग
आधी इं च चौड़ी ैितज दरार थी। के वल दो दीवार क आलमा रयां उपयोग म थ , एक
कपड़े रखने के िलए और दूसरा छा ा के कपड़े टांगने के िलए।नीता के अनुसार कमरे क
तीसरी दीवार क अलमारी उपयोग म नह थी और उसे हर समय बंद रखा जाता था।
अ य सभी युवितय क तरह वह भी इस बात से अनजान थी क तीसरे दीवार क
अलमारी पीछे के एक कमरे म खुलती थी। वह और पायल, दोन ही इस बात से अनजान
थ क उस आलमारी के ऊपरी िसरे क दरार से एक जोड़ी कामुक आँख उ ह घूर रही थ ।
उन आँख क कामुकता और भी बढ़ गयी, जब उ ह ने उन दोन युवितय को अपने
कपड़े उतारकर नायलॉन के टाइट कपड़े पहनते ए देखा। वे दोन छ: ूबलाइ स क
रोशनी से कािशत उस कमरे से बाहर िनकल गय , ले कन वे रह यमयी आँख तब भी उस
कमरे म झांकती ही रह । उन आँख ने अ य लड़ कय को भी उसी कार कपड़े बदलते ए
देखा।
जब लड़ कयाँ लास म चली गय तो उन आँख के वामी ने धीरे से अलमारी का
िपछला दरवाजा खोला और उस कमरे म कू द पड़ा, िजसम आलमारी का कपाट खुलता
था। त प ात िपछले दरवाजे से बंगले के बरामदे म प च
ं ा। वह यथासंभव दीवार से
िचपक कर सधी ई चाल चलते ए एक मोड़ पर ठहर गया और चौक ी िनगाह से
ाइव-वे तथा लोहे क गेट का मुआयना करने लगा।
ाइव-वे पूणतया खाली था और चौक दार गेट के पास बने लकड़ी के के िबन म आराम
फरमा रहा था। वह अपने घुटन पर बैठ गया और िब ली क तरह चार पैर पर चलते ए
‘लड ू जर ैडो’ के िपछले दरवाजे तक प च ँ गया। उसने खामोशी से िप ला दरवाजा
खोला और डॉ फ चानहर के टेशन वैगन म घुस गया। उसने दरवाजा बंद कर िलया
और एक क बल को अपनी ठु ी तक ख च कर उसके नीचे िछप गया। उसका इरादा अगले
डेढ़ घंटे ैडो म िबताने का था। इसके बाद उसे फर से अंदर जाना था, य क तब
लड़ कयां अपने कपड़े बदलने के िलए एक बार फर च जंग म म वापस आती थ ।

दोपहर के ठीक चार बजे डॉ फ चानहर उस बड़े डांस हॉल म नजर आया। उसने
काले रं ग का नायलॉन का ऑउट फट पहना था। उसके बाल गीले थे और उसने इस कार
कं घी क ई थी क उसका माथा और भी यादा चौड़ा नजर आने लगी थी। उस हॉल म
लगभग तीस साल क या फर कड़क जवान और बेपनाह वाली युवितयां उसका
इं तजार कर रही थ ।
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“ऑल राइट लास।” डॉ फ चानहर ने अपने हाथ से ताली बजाते ए कहा- “आज
म आपको कु छ नए टे स िसखाने जा रहा ।ं मीना, यूिजक शु करो।” उसने आदेश
दया।
मीना नाम क एक मिहला हॉल के दीवार क ओर बढ़ गई। उस मिहला के बारे म
पायल को बाद म पता चला क वह अिस टट डांस इं टर थी और डॉ फ चानहर क
अनुपि थित म लास संभालती थी। वहाँ एक छोटी सी मेज पर सोनी का सी.डी. लेयर
रखा आ था। मीना ने डांस यूिजक क सी.डी. लगाई और अगले ही ण फन चर-रिहत
वह डांस हॉल संगीत क विन से गूंजने लगा।
ज द ही सभी िथरकते ए नजर आने लगे। हर कोई डॉ फ चानहर के टे स क
नकल करने क कोिशश कर रहा था, जो अपने पैर क उं गिलय के बल नाच रहा था। िजस
अ यािशत ढंग से वह नाच रहा था, उससे तीत होता था मानो उसके अंग-अंग म
िबजली भरी हो। लड़ कयां बमुि कल ही उसके साथ तालमेल िबठा पा रही थ । पायल को
वीकार करना पड़ा क डॉ फ क नृ य ितभा िन:संदह े असाधारण थी।
डॉ फ चानहर अगले गाने पर थोड़ा धीमा हो गया। तीसरा नंबर आने तक वह क
गया और अपने टू ड स के डांस पर नजर रखते ए उनके गलत टे स को सही कराने
लगा। जब उसने एक युवती क कमर पर हाथ रखा और उसके टेप को सही कराने के िलए
उसके हाथ को अपने हाथ म िलया तो पायल के िलए यह तय करना मुि कल हो गया क
डॉ फ चानहर के वल एक उ साही टीचर है या उसके बारे म नीता ने जो खुलासे कये
थे, वे सच थे। जब क उस लड़क के चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे क डॉ फ के पश और
नज़दीक भर से उसे सहवास क अनुभूित हो रही हो।
डांस लास शाम पांच बजे तक चलती रही। जब अिस टट डांस इं टर मीना
(सहायक नृ य िनदिशका) ने कॉ पै ट िड क लेयर पर यूिजक बंद कया तो डॉ फ
चानहर ठं डी क उस सद शाम म भी पसीने से सराबोर हो रहा था। “आलराइट टू ड स।
अब यान से सुनो।” उसने उस छोटे से तौिलये से अपने माथे और चेहरे के पसीने को
प छते ए कहा, “िमस मीना कल क लास लगी। म परस ही वापस आ पाँऊगा। सभी
लड़ कयाँ िसफ िसफ इस वजह से लास न छोड़ यो क कल मेँ लास म नह र ग ँ ा।”
उसने कहा और हॉल से बाहर िनकल गया।
सभी लड़ कयां अपने कपड़े बदलने के िलए च जंग म म चली ग । बेशक, उनम से
कोई भी लड़क उन अ ात रह यमयी आँख के बारे म नह जानती थी, जो उ ह अलमारी
क दरार से देख रही थ । ज द ही सभी लड़ कयां चली ग । उन आँख का मािलक एक
बार फर कमरे म कू दा और शाितराना चाल चलते ए डॉ फ चानहर क ‘लड ू जर’
म िछप गया।
“तुम घर जा रही हो?” बंगले से बाहर आने के बाद नीता ने पायल से पूछा।
“हाँ। और या?”
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“तुम कहाँ रहती हो? म तु ह िल ट दे सकती ।ं ” नीता ने अपनी टोयोटा कार का


दरवाजा खोलते ए कहा।
“म ‘हयात रीजसी’ के पास एक लैट म अपनी ड के साथ रहती ।ँ ”
“ठीक है। मेरा बंगला पंजाबी बाग म है। म तु ह हयात के बाहर रं ग रोड पर छोड़
दूग
ं ी।” नीता ने कार म बैठते ए कहा। उसने कार का दूसरा दरवाजा खोला और पायल
भी अंदर दािखल हो गई। उसने सड़क के दोन ओर खड़ी कई कार को देखा। उसक नई
दो त सही थी। डॉ फ चानहर वा तव म अपने इं ि ट ूट क जान था। उसमे मिहला
को आक षत करने क अभूतपूव छमता थी। उसमे ऐसा अव य कु छ तहत जो क
अवणनीय और जादुई था," पायल ने सोचा। रा ते म उनके बीच िसफ फ म और फै शन
पर से जुड़ी छोटी-मोटी बात ।

अ याय 5
शव-साधना

चंगू और मंगू गांजे (एक कार का नशीला पदाथ) के शौक़ न थे। वे दोन अपने उ के
तीसव साल म थे। वे मजदूर थे, जो अपनी ज रत को पूरा करने के िलए कोई भी काम
करने को त पर रहा करते थे। उनका पसंदीदा ठकाना महरौली का मशान था, िजसे वे
अपने चंडूख़ाना (अफ म-घर) के प म इ तेमाल करते थे। दूसरी आदत, जो उन दोन म
समान थी; वह थी से स और िचलम क लत। उ ह मिहला को अपना 'पौ ष' दखाकर
भाग जाने म भी मजा आता था।
“चंगु गु । आज तो नशा चढ़ ही नह रहा।”
“अबे अभी तो हमने शु ही क है। दो-चार कश और ज़माने दे।”
“मेरी लुगाई इतनी जबरद त है क यहाँ आस-पास उसके जैसी कोई औरत है ही नह ।
जी.बी. रोड क रं िडय म भी अब वह बात नह रही।”
“तू अपनी बीवी के बारे म सोच रहा है इसीिलए तो तुझे चढ़ नह रही है। म कभी
अपनी लुगाई के बारे म नह सोचता। कौन जाने क वह कहाँ-कहाँ मुंह मारती फरती है।”
“गु इस बाड़े क दूसरी तरफ वह फामहाउस कसका है?”

“पता नह । पहले जो माली वहां आता था, उसने एक बार बताया था क उसके साहब
लोगो को िमलना-जुलना पसंद नह करते ह।”
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“ कसी ने मुझे बताया था क इससे पहला वाला मािलक बड़ा दबंग था, वो कहता था
क यह मशान और कि तान दोन ही उसके फामहाउस का िह सा ह।”
“अब हम इस बात को लेकर य झक मारने लगे?”
“इसका वतमान मािलक शायद कोरट-कचहरी करने म दलच पी नह रखता है।”
“सही भी है जब उसके पास इतना बड़ा फामहाउस है तो वह मशान और कि तान
लेकर भला या करे गा।”
“ले कन गु , लोग कहते ह क फामहाउस क ओर से अजीब-अजीब सी रोशिनयाँ और
आवाज आती ह।”
“अब तू अपनी बकवास बात से मेरा दमाग खराब कर रहा है। वैसे भी अगर भूत- ेत
मशान और कि तान म नह ह गे तो फर कहाँ ह गे?”
“यही तो म भी कह रहा ँ गु । हैरानी क बात तो ये है क भूत- ेत मशान या
कि तान नह बि क फामहाउस म रहते है।”
“अबे साले। आ मा को या मालूम क कहाँ पर मशान या कि तान कँ हा ख़ म
होता है और कहाँ से फामहाउस शु होता है? वे जहां चाहगे वहां जाएंगे।”
“जे पते क बात, गु । इसके अलावा एक बात और भी हो सकती है। यहां मशान और
कि तान म लोग हर व मुद को जलाने और दफनाने के िलए आते रहते ह, जब क
फामहाउस क ओर कोई नह आता-जाता है, इसिलए भूत - ेत को वह एकांत जगह ठीक
लगती होगी।”

“हाँ। और देख वह बाड़ इतनी जगह से टू टा आ है क उस फामहाउस म कोई भी जा


सकता है।”
“अरे नह गु । तुम वहां घूमने वाले उन खतरनाक कु को भूल रहे हो। एक दन एक
आदमी भटक कर फाम-हाउस म चला गया था तो वह उसक जान लेकर ही माने थे।”
“छोड़, जाने दे। हम इससे या लेना-देना है। तू क लो के साथ मेरा गमागम क सा
सुन।”
“नह गु । जब तु हे कोई औरत नह िमलती तो तुम मेरे ही पीछे पड़ जाते हो।”
“बदले म म भी तो तुझे मज़े करने देता ।ँ कसी ल िडया को खरीदने के िलए पैसे न
होने पर जब हम आपस म ही एक-दूसरे को खुश कर लेते ह, तो इसम बुराई या है? अब
सुन क क लो मुझसे या के बोली और मने उसक साथ फु ल नाइट या- या हरकत क ?
साला, मज़ा आ गया।”
चंगू कोठे म एक वे या के साथ िबताई गयी अपनी रात और उस दौरान क गयी अपनी
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अ ील हरकत का बढ़ा-चढ़ा कर वणन करने लगा। मंगू के वल अ िचपूवक अपना िसर


िहलाता रहा। लगभग दो घंटे तक इसी तरह क बात करते-करते गांजा का नशा चढ़ जाने
के बाद चंगू टु हो गया। उसका साथी मंगू भी पीपल के पेड़ नीचे लेट कर सोने का
असफल यास करने लगा। थोड़ी देर बाद वह उठा और लड़खड़ाती चाल से कि तान क
ओर बढ़ गया। वह नज़मा और ही क क के बीच उगे आरामदायक घास पर लेट गया।
उस जगह पर वह जब भी वह सोता था तो उसे एहसास होता था क वह एक ब त बड़े
पलंग पर सोया आ है तथा ही और नाजमा नाम क वो दो लड़ कयां, िजनका जवानी
म ही इं तकाल हो गया था, उसके अगल-बगल न ाव था म सो रही ह।
चमेली के फू ल क नशीली गंध जैसे-जैसे गांजे के नशा के साथ िमली, उसे एक अजीब
सा सुकून िमला और उसक पलक भारी हो ग । उसे पता ही नह चला क वह कतनी देर
तक इसी अव था म लेटा रहा और कब उसक आँख लग गई। फु सफु साहट क विन सुनते
ही वह क ी न द से जाग गया। अधखुली आँख क दरार से उसे रह यमयी ि य का
एक समूह नजर आया, जो चोर क भांित कि तान म दािखल हो रहा था। वे चार ओर
िनगाह दौड़ा रहे थे। वे घुसपै ठए मंगू को नह देख पाए, य क वह अंधेरे म िछपा आ
था। उसने सफे द कफन म िलपटी एक लाश को देखा, िजसे वे लोग अपने साथ लाए थे।
उ ह ने उस लाश को दफनाने के िलए एक क खोदना शु कया ले कन फामहाउस के
कु के भ कने के कारण उ ह अपना इरादा बदलना पड़ा और आिखरकार वे उस लाश को
वह छोड़ कर चुपचाप चोरो क तरह चले गए।
मंगू फर से ऊंघने लगा, ले कन कु छ समय बाद एक सरसराहट क आवाज़ ने उसक
न द खोल दी। उसने जड़वत अव था म एक ल बे कद-काठी वाले आदमी को देखा िजसने
टोपी वाला काला चोगा पहना था और जो चेहरे पर एक अजीबोगरीब सुनहरा मुखौटा
लगाये ए था। वह उस लाश के पैर पकड़े ए था, िजसे थोड़ी देर पहले घुसपै ठये वहां
छोड़ कर चले गए थे। वह लाश को ऐड़ी से पकड़कर उसे घसीटते ए टू टी ई चारदीवारी
क ओर बढ़ा और फर फाम-हाउस म दािखल हो गया। मंगू ये सोचकर हैरान था क वह
रह मयी आदमी कौन था और वह उस लाश के साथ या करना चाहता था?

वारलॉक ने ‘शव-साधना’ क सभी तैया रयां पूरी कर ली थ । ‘शव-साधना’ काली


शि यां ा करने के िलए क जाने वाली एक अ यंत खतरनाक तांि क या होती है।
िपछली रात उसने कि तान से जो लाश चुराई थी, वह अमाव या क उस भयानक रात
म ‘मौत के मं दर’ म पड़ी ई थी। फामहाउस क छत पर मौजूद कांच का िपरािमड पूरे
आकार का नह था। उसके ऊपर का ि भुजाकार भाग गायब था, जहां से खुला आकाश
नजर आ रहा था। वहां क जमीन िविभ मशान और कि तान से लाए गए प थर से
बनी थी, िजसक िलपाई-पुताई म शव-दाह का राख का इ तेमाल कया गया था।
यम (मृ यु) क दशा अथात दि ण म वारलॉक के आरा य देव क 10 फ ट ऊंची
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िवशाल ितमा थी। खुरदरे प थर से बनी वह मू त बॉल या मोलॉक क थी, िजसे


तांि क का आरा य देव कहा जाता है और िजसे िविभ तांि क अनु ान म मनु य या
ब क बिल दी जाती है।
उसके साथ एक और छोटी सी मू त थी, जो चमकदार प थर से िन मत थी। ये मशान
क देवी तारा थ ।
इस मू त का रं ग नीला था। तारा देवी के ोिधत चेहरे पर हंसक भाव थे। उ ह ने
अनिगनत मानव-भुजा क करधनी के साथ बाघ के खाल क लंगोट लपेटी ई थी।
उनक लाल-लाल यासी जीभ से खून टपक रहा था। उनके गले म नर-मुंड क माला और
िसर पर ताज के प म एक कोबरा सांप कु डली मारकर बैठा आ था। उनक चार
भुजा म बिल क तलवार, एक खोपड़ी, एक नीलकमल और एक ख पर था।
इन दोन मू तय का एक साथ होना वरलॉक क दोहरी मा यता को ित बंिबत कर
रहा था। वह पि मी तं -प ित अथात सैटेिनक (शैतानी) परं परा के साथ-साथ भारतीय
वाम-माग साधना अथात तं का भी अनुयायी था। वह अपनी आव यकतानुसार वैकि पक
प से या पर पर उनक साधना कया करता था। बिल चढ़ाने के िलए वह बॉल या शैतान
को चुनता था, जब क तांि क गितिविधय के िलए वह मशान क देवी तारा क शरण म
जाता था।
अपने मृत तांि क गु के िसखाये ए िनयम के अनुसार उसने खुद को शव-साधना के
िलए तैयार कया। शव-साधना, िजसे सभी तांि क साधना म सबसे दु कर माना जाता
है। एक सुंदर और जवान मुि लम लड़क का ह दी से लेप कया आ नंगा बदन, प थर के
धरातल पर िस दूर से िन मत पंचभुज के अंदर पड़ा आ था। इसके अलावा इ तेमाल क
जाने वाली अ य चीज जैसे काली दाल, चावल, फू ल, चंदन, इ , अगरब ी, शराब,
जानवर क हि याँ भी पंचभुज के अंदर िबखरी ई थ । उसने तैया रय का जायजा
िलया और आ मिव ास से भरी चाल चलते ए शैतान क मू त के सामने प च ं ा। नक का
वह देवता हमेशा अपने अनुयाियय का साथ देता था। वह कु छ िमनट तक आँख बंद कये
यानम अव था म शैतान के सामने ाथना करता रहा। उसक एका ता इतनी बल थी
क वह ाथना करते समय अपने आस-पास के वातावरण से पूरी तरह बेखबर हो चुका
था।
अंत म उसने धीरे -धीरे आँख खोल । उसे वतमान म आने म थोड़ा समय लगा। उसने
शैतान के सामने जल रही एक इं च मोटी काली मोमब ी को बुझा दया, िजससे िपरािमड
का वो िह सा अंधेरे म डू ब गया। िपरािमड लोहे के ि भुज वाले े म के का बना था
िजसमे शीशे फट थे, वह एक एक िवशाल पंचभुज (पटा ाम) का एहसास कराता था।
मशान क देवी तारा क मू त के सामने जल रही पंचमुखी दीपक क टम टमाती रोशनी
अतृ आ मा क शरण थली बने ए उस िपरािमड के अंधकार को दूर करने के िलए
नाकाफ़ थी। कह दूर से जानवर और मानव िज म के भूखे शैतान क चीख-पुकार आ
रही थी। ऐसा लगता था जैसे अलौ कक सुगंध और तांि क याकलाप ने उन अतृ
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आ मा को उ ेिजत कर दया था।


काली िव ा के उस साधक ने उस र सी को खोल दया, जो उसके चोगे के ऊपर उसक
कमर पर बंधी ई थी। वह र सी असाधारण थी, जो कई पीिड़त का गला घोटने के िलए
इ तेमाल क गयी थी, िजसके कारण वह शािपत हो चुक थी। उसने अपने लबादे से जुड़ी
टोपी पीछे िगरा दी और दोन हाथ को ऊपर उठाते ए चोगे को उतारकर एक कोने म
फक दया। इसके बाद उसने मुखौटे को भी उतार दया। अब वह मौत के उस मं दर म न
खड़ा था। अ छे से तराशे ए बदन के साथ-साथ वह मजबूत मांसपेिशय का भी मािलक
था। उसक वचा कह से ढीली नह नजर आ रही थी। उसक शि शाली भुजाएं और
जांघ फड़क उठी थ , िज ह ने न जाने कतनी मिहला और िपशािचिनय क वासना को
ठं डा कया था।
यं चािलत अंदाज म वह लाश के सामने घुटन के बल बैठ गया और उस लाश के मुंह
को जबरन खोल दया। ऐसा करना आसान नह था, य क लाश बुरी तरह से अकड़ चुक
थी। उसे अपनी सारी शि का उपयोग उस लाश के मुंह खोलने के िलए करना पड़ा। उसने
लाश के जबड़ के बीच लोहे क छंटी फ़सा दी । िजसक वजह से लाश के जबड़े फर से बंद
नह हो पाए। उसने लाश के खुले मुंह म तेल म भीगे ई के फाहे को डाल कर जला दया।
उस जलते ए फाहे क रौशनी म लाश का चमकता आ चेहरा ब त ही भयानक नज़र आ
रहा था। उसने उस कमिसन मुि लम लड़क क लाश के दोन हाथ-पैर बांध दए।
वारलॉक ने िस कए ए उस ताबीज को उठाया, जो उसके गु ने मरने से पहले उसे
िवरासत के तौर पर दया था और अपने गले म लटका िलया। वह सोने का एक पंचभुज
था, िजस पर कु छ अजीबोगरीब मं खुदे ए थे। अपनी इं य और भय पर काबू पाने के
िलए उसने अपने गु क परं परानुसार देशी शराब को िपया। हालां क वह देशी शराब सड़े
ए संतरे और िसरके के िमले-जुले वाद वाला था, ले कन फर भी उसे मजबूरन हलक म
उतारना पड़ा था। 15-20 िमनट के बाद जब तेज़ शराब ने अपना भाव दखाया और
उसक घबराहट तथा डर छू मंतर हो गया और उसने असीम आ मिव ास का अनुभव
कया। वह प ासन मु ा म लाश के ऊपर बैठ गया।
उसने एक लड़क क नंगी लाश पर नंगा बैठने के कारण होने वाली घृणा और शम पर
शराब के भाव से िनयं ण पा िलया था। उसे अपने िनतंब के नीचे लाश क ठं डक और
प थर सी कठोरता का एहसास हो रहा था। ये ठं डापन धीरे -धीरे उसके पूरे शरीर म
फ़ै लता जा रहा था। उसने यान आया क उसके गु ने एक बार कहा था क असली तं -
साधना फ म और कताब म दखाई या बताई गयी साधना जैसी िबलकु ल भी नह
होती है। असल िज दगी क तं - याय उन तं - या से सौ गुना यादा क ठन और
हजार गुना अिधक खतरनाक होती है। दृढ़ संक प और कठोर दल वाले इं सान ही उ ह
िस करने का यास कर सकते ह। फ म म नजर वाले तांि क, तं का वा तिवक
अ यास करने वाले साधक क तुलना म उन जोकर के समान होते ह, जो भोले-भाले
दशक को बु धू बनाने के िलए अपने तमाशे के वीिडयो बनाते ह।
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वारलॉक ने अपनी कामयाबी और सुर ा के िलए अपने गु और मशान क देवी तारा


क ाथना करते ए आव यक मं का लयब जाप शु कर दया। वह अपने िसर को
ह का-ह का िहला रहा था य क उसे यान क त करने म क ठनाई हो रही थी। उसके
गु के अनुसार मं का सही तरीके से और शु उ ारण के साथ जाप करना साधना क
सफलता के िलए मह वपूण था। वह मं के दोहराव क सं या को याद रखने के िलए एक
माला के मनक का उपयोग कर रहा था। मं -जाप शु होने के एक घंटे के बाद ही उसे
कांच के िपरािमड के बाहर चीखने-िच लाने का शोर और उसक कांच क दीवार को
जानवर के नाखून के खर चे जाने का वर सुनाई देने लगा। त प ात उसके नुथनो से
कसी सड़ी ई लाश से उठती ए बदबू टकराई और उसे रगते ए िघनौने क ड़े नजर आने
लगे।
वह साधक उस व उछलते-उछलते बचा जब उसने अपनी पीठ पर कसी हाथ को
फसलते आ महसूस कया। इसके बाद बेजान लाश म इस कदर हरकत होने शुरी हो गयी
जैसे वह मरी ई लड़क ठं ड या तेज बुखार से कांप रही हो। वारलॉक को बंद पलक के
अंधेरे म कई दृ य नजर आने लगे, िजनम ह तमैथुन करती ई नंगी और कामोते क
मिहलाय थ , जो उसे संसग के िलए आमंि त कर रही थ , ले कन उसने मं जपना जारी
रखा। उसने महसूस कया क काँटे के शरीर वाला कोई जानवर उसक गोद म आकर बैठ
गया है और उसके शरीर के साथ-साथ जननांग को भी नोचने-खसोटने लगा है। उसके नीचे
मौजूद ला तेजी से हरकत करने लगी ले कन वारलॉक उस पर मजबूती से बैठा रहा।
“जाने दे। जाने दे मुझ।े ” लाश के मुंह से आवाज़ आयी।
ले कन वारलॉक उसके कथन को नजरअंदाज करते ए मं का जाप करता रहा।
एकाएक लाश क आंख खुल । उसने अपने ऊपर बैठे ए न वारलॉक को ितर कार और
घृणा क दृि से देखा और उसे कोसते ए िच लाना शु कर दया। लाश ने अपने हाथ
को इस अंदाज म ऊपर उठाया, मानो कसी का गला घ ट रही हो और अगले ही पल
वारलॉक को महसूस आ क कोई उसका गला दबा रहा है। वारलॉक का चेहरा लाल हो
उठा। उसके गले क नस बाहर उबलती नजर आने लग । वह सांस लेने के िलए हांफने
लगा। उसे लगा क िजस िशकं जे म उसका गला है, वह िशकं जा ण- ित ण तंग और
स त होता जा रहा है। उसक आंख वत: ही खुल गय । उसने लाश क ओर देखा। लाश
क आंख बाहर उबल रही थ , चेहरा काला पड़ चुका था और जीभ खून से लथपथ होकर
मुंह से बाहर लटक रही थी। वह अपनी हाथ के अदृ य िशकं ज को कसती जा रही थी।
उसके हांफने के कारण उसके तन ऊपर-नीचे हो रहे थे। और इसी के साथ उसके मुँह,
िनप स और जननांग से पारे के समान कोई पीला तरल बहने लगा था।
लाश के ज़ंदा हो जाने के बाद उसक आँख म नजर आती घृणा ने वारलॉक को
खौफजदा कर दया। वह मं भूल गया और अपने आप को बचाने के िलए लाश से उठ
खड़ा आ। अगले ही ण वह मृत लड़क ंग क गुिड़या क भांित उछलकर अपने
दु मन पर झपटी। इसी के साथ िपरािमड का कांच का दीवार जोर क गड़गड़ाहट के साथ
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टू ट गया और इस कार बने रा ते से एक िघनौना सुअर अ दर घुस आया, जो सीवर क


गंदगी म िलपटा आ था और िजसके दो नुक ले दांत भयानक अंदाज म बाहर िनकले ए
थे। साधक ने सुर ा घेरे से बाहर आकर मुसीबत मोल ले ली थी।
लाश और सुअर ने उस पर संयु प से हार कर दया था। न लड़क उसक छाती
पर सवार हो गई और उसका गला घ टने क कोिशश करने लगी, जब क सुअर ने अपने
नुक ले दांत को उसके िज म म पेव त कर दया। उस जानवर ने अपने िघनौने होठ को
वारलॉक के शरीर पर िचपका दया था, मानो वै पायर या िपशाच क तरह उसका खून
चूसने क कोिशश कर रही हो। वह तामिसक साधक पीड़ा से चीख उठा और मन ही मन
अपनी मृत नानी, जो एक त -सािधका थी, का यान करते ए उससे मदद क भीख
मांगने लगा। लाश उसका ाण पखे उड़ने तक उसक गदन पर अपनी पकड़ बनाये
रखना चाहती थी। इस आिख़री समय म उसके चेहरे पर दद, घृणा और ितर कार के भाव
थे, ले कन इससे पहले क उसके ाण पखे उड़ जाते, उसने अपने सामने एक तेज काश
का िव फ़ोट देखा और वह होश खो बैठा।

अ याय 6
दो चेहर वाला आदमी

पायल अगले कु छ दन इं ि ट ूट म ही त रही य क इस दौरान उसक ए टंग


और डांस क टीचर ने उसक ितभा का कई दफे इि तहान िलया था। बहरहाल वह
चुनौतीपूण परी ा को पार करके अपने दोन िश क के सामने ये सािबत कर चुक थी
क अिभनय और नृ य के स दभ म उसे भगवान क िवशेष कृ पा ा है। कसी मेधावी
छा ा क भांित पायल ने कु छ ही दन के अंदर ही खुद को कै मरे के सामने तुत करने क
सभी िवधा म महारत हािसल कर ली थी। उस ोफे शनल इं ि ट ूट म दािखला लेने के
बाद पायल ने कै मरे का ठीक से सामना करने क उन बारी कय को भी सीखा, िजन पर
वह टेलीिवज़न के िव ापन और संगीत वीिडयो के िनमाण के दौरान यान नह दया
करती थी। तथा जो टेलीिवजन या फ म म सफल होने क चाह रखने वाले ि के
िलए ब त ज री भी ह।
डॉ फ चानहर इस दौरान गायब रहा था। नो टस बोड के ज रये ये सूचना ेिषत क
गयी थी क एक टेलीिवज़न शो क शू टंग म त होने के कारण वह लास लेने म
असमथ है। अपने पसंदीदा टीचर के लंबी छु ी क सूचना पाकर अिधकांश युवितयां
िनराश हो गयी थ ।
उस पूरे समय क के वल यही एक बात उ लेखनीय थी क एक शाम अभय बतरा पायल
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और शािलनी को िप ा-हट ले गया था। अभय िजस अंदाज से पायल को शंसा मक दृि
से देखता था, उस पर उसके ि व ने उसे चेताया क वह पायल को लेकर गंभीर होने लगा
है। इसके बाद उसने सांकेितक भाषा म अभय को इस बात का बोध करा दया क वह पूरी
तरह से अपने क रयर पर यान के ि त कर रही है और फलहाल वह अपनी हमउ
युवितय क तरह शादी के ित गंभीर नह है। दरअसल वह इस बात को लेकर आशं कत
हो उठी थी क भिव य म अभय उसे िनयिमत प से डेट पर बुलाकर परे शान करना शु
कर सकता है।

डॉ फ चानहर महीने के आिख़री दन डांस- लास म नजर आया। पायल को ज दी


ही यह एहसास क वह डॉ फ आकषण का क है। डॉ फ ने पायल को छा ा के
जूम से बाहर बुलाया और अपने पास खड़े होने क िहदायत दी। संगीत बजते ही उसके
डांस- टे स शु हो गये। उसके ज टल डांस- टे स तब तक तेज होते रह जब तक क वह
पूरी तरह से अपनी रौ म डू ब कर िबजली से भरा आ नज़र आने लगा।
पायल के प म लगता उसे अपना जोड़ीदार पा िलया था। डॉ फ को िजस बात ने
उसे सबसे अिधक भािवत कया था, वह ये था क पायल बाक छा ा क तरह उसके
टे स क अँधा-धुंध नकल करने क बजाय अपने वाभािवक ताल पर नाच रही थी और
उसके नृ य को पूरा कर रही थी।
डांस- लास ख म होने के बाद डॉ फ चानहर पायल को अपने साथ बंगले क पहली
मंिजल पर ि थत अपने बेड म म ले गया। उसने उसे िब तर पर बैठने के िलए कहा और
टीवी से जुड़े डी.वी.डी. लेयर म एक कॉ पै ट िड क लगा दया। वह पायल के उस दशन
क रकॉ डग थी, जो उसने िमस पाली क िपछले ह ते क ए टंग- लास म कै मरे के
सामने कया था।
डॉ फ चानहर ने िविडयो को उस ण रोका, जब पायल अपने और िमस पाली के
बीच के एक सीन म अपनी बाह फै ला रही थी। वह उसके पास गया और डबल बेड के दूसरे
िसरे पर बैठते ए पूछा- “तुमने इस तरह क ए टंग करनी कहाँ से सीखी?”
“कह से भी नह । शायद ये मेरे अंदर वाभािवक प से मौजूद है।” पायल ने जवाब
दया।
“सभी बड़े िसतारे ऐसा ही कहते ह।” उसने हंसते ए कहा- “वैसे भी िमस पाली
तु हारी अिभनय ितभा से ब त भािवत लगती ह। वह यहाँ तक कहती ह क तुम यहाँ
अपना समय बबाद कर रही हो। तु हारे पास ितभा और मता है, जो इस इं ि ट ूट म
के वल गुमनाम होकर रह जाएगी। दरअसल वे सोचती ह क तुम पेशेवर अिभने ी बनने के
िलए पूरी तरह से तैयार हो और म अपने अनिगनत संपक का उपयोग करके तु हारे िलए
फ म या कसी टेलीिवजन सी रयल म कोई उपयु भूिमका ढू ँढू।”
“और आपको या लगता है?” पायल ने रोमांिचत लहजे म पूछा।
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“लाख लड़ कय का सपना होता है टार बनना । हर सुंदर लड़क सोचती है क वह


ए टंग कर सकती है, गा सकती है और अ छा डांस भी कर सकती है। हजार लोग को
इसम अ छा वसाय नजर आता है, ले कन फर भी कतने इसम सफल हो पाते ह?
के वल मु ी भर लोग। जानती हो य ? य क सबके पास वो नह होता है, जो सफल होने
के िलए चािहए होता है।”
" या मेरे पास वो है? या मै एक सफल अिभने ी बन सकती ?ँ ”
“मै इस बारे म सोचूँगा। फर िमलते है। अपना याल रखना।”
“आप भी अपना याल रिखयेगा सर।”

उस मुलाक़ात के करीब एक घंटे बाद डॉ फ चानहर ने अपनी ‘ ैडो एस.यू.वी.’ को


नेह लेस के ावसाियक े म ि थत ‘पाक रॉयल’ फाइव टार होटल के गेट से कु छ
गज क दूरी पर रोका। उसे इं तज़ार करते ये कु छ ही िमनट गुजरे थे क एक पुरानी ‘फोड’
उसके सामने खड़ी हो गयी और उसका मोबाइल बजा।
“हाँ, खान।” उसने नंबर को देखने के बाद कहा।
“म फोड म ।ं तुम भी आ आओ।” उसे जवाब सुनाई पड़ा।
“बकवास मत करो। मुझे मेरा माल दो और अपना िलफाफा ले जाओ।” डॉ फ
चानहर ने िचढ़कर कहा।
“सौदा इस तरह सड़क पर नह होगा। मुझे पहले ये सुिनि त करना होगा क आसपास
कोई पुिलस वाला तो नह ।”
“मेरे पास के ‘पाक’ होटल म लंच क टेबल बुक है।"
“अपनी कार को होटल क पा कग म ले जाओ और दरबान को चाबी देने के बाद आकर
मेरी कार म आकर बैठो। म तु ह के वल पारस िसनेमा हॉल तक ले जाऊंगा, जो पास म ही
पैदल प चं े जा सकने क दूरी पर है।”
“खान के ब े तू ब त पछताएगा। म तुझे बबाद कर दूग
ं ा। तुझे इस शहर से पूरी तरह
ख म कर दूग
ं ा।”
“म के वल दस िमनट तक इं तजार क ं गा।” दूसरे तरफ़ से उस आदमी ने बेपरवाह
अंदाज म कहा और फोन रख दया।
डॉ फ चानहर ने उसे भ ी गािलयाँ देते ए कोसा और िचढ़ते ए अपने टेशन वैगन
को फाइव- टार होटल के ाइव-वे पर ले गया। दरबान को चाबी स पने के बाद वह बाहर
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आया और खान के फोड म बैठ गया, जो उसके बैठते ही वहां से तुरंत दूर चली गयी। फोड
नेह लेस के बगल म ि थत ‘पारस' िसनेमा हाल के सामने एक पेड़ के नीचे क । खान
कार क वंड न और रयर ू िमरर म सतक िनगाहो से देखते ए ये सुिनि त करने म
लगा था क कोई उस पर नज़र तो नह रखे ए था।
“"कु े के िप ले। तूने यह या तमाशा लगा रखा है?” डॉ फ चानहर भड़का।
“बेवकू फ मत करो। एक छोटी सी गलती भी हम दोन का बेड़ागक कर देगी।”
“तुझ पर ख़दा क मार। तू यँहा पर गैर कानूनी ढंग से रह रहा है। म तुझे आसानी से
सलाख के पीछे प च
ं ा सकता ।ं ”
“ या तुम मेरा िलफाफा लाये हो?” उस आदमी ने अपनी चौक ी िनगाह
चार ओर घुमाते ए पूछा।
डॉ फ चानहर ने दो हजार के करसी नोट से भरा एक िलफाफा िनकाला और उसे
उस नशीली दवाओँ के सौदागर क ओर फक दया। “कोक कहाँ है?”
खान ने कहा- “तु हारी सीट के नीचे है।”
सीट के नीचे हाथ डालने पर डॉ फ चानहर को एक छोटा सा पैकेट िमला, िजसे
उसने अपने लेज़र क भीतरी जेब म डाला। वह कार का दरवाजा खोल कर बाहर िनकला
और लंब-े ल बे डग भरता आ दूर चला गया। डॉ फ चानहर पर यान दए िबना
अफगानी ग डीलर भी वहां से चला गया। जब डॉ फ ‘पारस' िसनेमा से पैदल चलते
ए भीड़ भरे नेह लेस से होते ए होटल के पास प च
ं ा तभी उसका मोबाइल बज उठा।
“हाँ रोिहत।” उसने चलते ए कहा।
“कहाँ हो भाई?”
“होटल के बाहर ।ँ ज द ही रे टोरट म तुमसे िमलूंगा। तुम लंच का आडर दे दो।”
“नह । म तु हारे आने तक इं तजार क ं गा।” कॉल िडसकने ट होने से पहले जवाब
आया।
डॉ फ चानहर ने अपना िसर िहलाया और फोन बंद करके उस ऎ यशाली पांच
तारा होटल क मु य इमारत क ओर बढ़ गया। वह रे टोरट म प च ं ा। रोिहत ने उसे देख
कर हाथ िहलाया। वह उसके पास प चं ा और बेहद गमजोशी के साथ उससे गले िमला।
रोिहत मीरचंदानी उसका ख़ास दो त था, जो कू ल के दन से ही उसके साथ था।हालां क
खुराफात के मामले म दोन लगभग बराबर थे, ले कन रोिहत क तुलना म डॉ फ
चानहर कं ही अिधक आ ामक, हंसक और सनक था।
“ या आ भाई?” रोिहत ने पूछा- “तुम तो ब त गु से म लगते हो?”
“वो हरामज़ादा खान मुझसे बुरी तरह से िपटेगा।” डॉ फ ने रोिहत के सामने वाल
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सोफे पर पसरते ए जवाब दया।


“कौन? वह अफगान ग-डीलर, जो पा टय म नशीली गोिलयां बेचता है? तुम उससे
दूर रहो भाई। उसके दन पूरे हो चुके ह।” रोिहत ने उसे सचेत करते ए कहा।
“ य ? या कसी ने उसक पुिलस को मुखबरी कर दी है?”
रोिहत ने कहा- “पुिलस क िमलीभगत के िबना कं ही भी कु छ होता है? फर चाहे वह
दलाली का काम हो या फर स। मेरे एक दो त ने पाट बाज़ को खबर दी है क खान
शहर म अलग से अपना ग का धंधा जमाने क कोिशश कर रहा है। ग के धंधे पर क जा
जमाये ये दूसरे लोग बेहद खतरनाक ह और उ ह ने उस अफगानी का काम-तमाम करने
का मन बना िलया है। अगर पुिलस उसे अरे ट न कर ले या फर वह खुद से कह भाग न
जाए, तो एक-दो महीने के भीतर ही कसी सीवर या अंधेरी गली म पड़ा आ िमलेगा।”
"मरता तो हो तो मरे वो कु ा। मुझे उसके बदले कोई दूसरा टपोरी आसानी से िमल
जाएगा।” चानहर ने आ मिव ास भरे लहजे म कहा- “अगर तु हारे पास फूं कने के िलए
दौलत है, तो तुम इस शहर म तुम कु छ भी हािसल कर सकते हो और कु छ भी खरीद सकते
हो। म उस दोगले से ख़रीदी ई कोक का मज़ा लेकर आता ।ँ ” उसने उठते ए कहा।
“तुम इतने बड़े होटल म कोक लेकर खुलेआम कोक न का नशा नह कर सकते।”
“जानता ।ँ इसीिलए म वॉश म जा रहा ।ं तुम भी आना चाहोगे?”
“नो थ स। म भरी दोपहरी म स नह लेता।”
“जैसी तु हारी मज ।” कहने के बाद डॉ फ चानहर चला गया। वह कोक क खुराक
लेकर थोड़ी देर के बाद वापस आया। उसने अपने बाल को गीला करके पीछे क ओर कं घी
कर िलया था। वह पुन: सोफे पर बैठ गया और जब वेटर ऑडर लेकर चला गया तो उसने
कहा- “तो इन दन तु हारा कं स टसी का िबजनेस कै सा चल रहा है?”
“पापा को रटायर करने के बाद जब से मने बागडोर अपने हाथ म ली है तब से यह
काफ फल-फु ल रहा है। वे इस े म पुराने िखलाड़ी हो चुके थे और िबजनेस के हक़ म
कोई साहिसक कदम नह उठा पा रहे थे। हमारा िबज़नेस तेजी से ित िं य के हाथ म
जा रहा था। मने जोरबाग म डाउन पेमट पर एक नया ऑ फस ले िलया है, जो आजकल
एक भीड़ भरा लम बन गए ेटर कै लाश क तुलना म कही बेहतर है। हमारे ाहक
शांत थान को पसंद करते ह। वह बड़ा बंगला मेरे वसाय के िहसाब से एकदम सही
है।”
“लगता है क तुम काफ अ छा पैसा कमा रहे हो, तभी इतनी महंगी ॉपट ख़रीद रहे
हो।”
“मने िसफ िपछली ितमाही म ही बीस करोड़ पये कमाए है और ऐसा करना कोई
मजाक नह है। मुझे दो महीने के भीतर कु छ और बड़े सौदे भी िमलने वाले ह। म सच कह
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रहा ँ भाई, ढेर सारा पैसा िमलने का जो मज़ा है उसक तुलना म स और से स भी कु छ


नह है। मेरे साथी बन जाओ डॉ फ चानहर। अगर हम िमल जाए तो हम इस पूरे शहर
को आग लगा सकते ह। तु हारी पसनािलटी और हौसले के साथ अगर मेरा दमाग िमल
जाए तो हम एक सोने का पहाड़ खड़ा कर सकते है।”
“शु या, ले कन एक िबचौिलया बनने का मेरा कोई इरादा नह है।”
“िबचौिलया होना इतनी भी बुरा नह है।”
“तो पुराना फॉमूला अभी भी काम कर रहा है?”
“वे थ, वाइन और वुमेन (पैसा, शराब और औरत), ये तीन ड यू िमलकर जीत के
दरवाजे खोल देते ह।”
“ईमानदारी हम दोन के िलए एक बेकार क चीज है। ाचार ही हमारी असली
पहचान है।” डॉ फ चानहर ने कहा।
“इसीिलए तो म कहता ं क हम दोन एक जैसे ह।”
“यही तुमने उस दन भी कहा था, जब तु ह मेरी मदद क ज़ रत थी।”
“म चाहता ं क तुम िबजनेस म मेरी मदद करो। म तु ह अपने िबजनेस म िबना पैसा
लगाया बराबर क पाटनरिशप क ऑफर कर रहा ।ं तु हारी शोहरतऔर तु हारा
इ ज़तदार इं ि ट ूट हमारी असिलयत और ग़ैरकानूनी कामो को छु पाने म ब त काम
आएगा। सरकार, नौकरशाह , पुिलस और यायपािलका म मौजूद मेरे संपक को कम
करके मत आंको। मुझे अ छी तरह पता है क कौन नेता या अफसर, हमारे काम आ सकता
है। म ये भी अ छी तरह से जानता ं क तुम मुझसे भी यादा कमीने बुराई से भरे और
बेईमान हो। इसिलए मेरे सामने साधु स यािसओ क तरह तो बात करो मत।”
“म एक कलाकार ।ं तु हारी तरह पेशेवर िबचौिलया नह ।”
“तो फर कलाकार ही बने रहो। सारा ग दा काम मुझे करने दो। बस मेरे साथ िमल
जायो; सोचना इस बारे म।”
भोजन के दौरान उनक बातचीत दूसरे िवषयो पर होती रही। भोजनोपरांत डॉ फ
चानहर मीठा लेने से इं कार कर दया य क वह खुद को फट और आकषक रखने के
मामले म ब त सजग था। इसके बाद दोन दो त ने रे टोरट म ही एक दूसरे से िवदा ले
ली।
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अ याय 7
सकस, भूितया-घर और िशशु-बिल

फोन क लगातार बजती घंटी ने पायल को न द से जगा दया। उसने त कया िसर पर
रख िलया, ले कन न तो शोर बंद आ और न ही धीमा आ। आिखरकार उसे फोन करने
वाले क िजद के आगे झुकना पड़ा। वह िब तर से बाहर िनकली, पैर म लीपर डाला और
फोन उठाने के िलए लैट के ाइं ग म क ओर बढ़ गई। दोपहर हो चला था। शािलनी
शॉ पंग के िलए लाजपत नगर गई ई थी और पायल लैट म अके ली थी।
“हाँ।” वायरलेस फोन उठाते ए उसने अलसाए वर म कहा।
“हाय पायल। म ,ं अभय।” उसने दूसरे छोर से सुना।
“कै से हो अभय?” उसने सोफे पर लेटते ए पूछा।
“मै ठीक ।ँ तु ह ऑ फस से कॉल कर रहा ।ं ”
“हाँ। म सुन रही ।ँ ”
“म...म तु हारे बारे म ही सोच रहा था। इसिलए सोचा क तु ह फोन कर लूं। दरअसल
के वल तु हारे ही बारे म ही सोचते रहने के कारण म कोई काम नह कर पा रहा ।ँ ” उसने
एक ही सांस म कबूल कर िलया।
“ि ल टग अ छी कर लेते हो।”
“अ छा सुनो, म तुमसे िमलना चाहता ।ँ ”
“तु हारा मतलब है क अभी?”
“आज शाम िडनर के िलए िपछली बार वाली जगह पर िमलते ह। या कहती हो?”
“अभी कु छ कह नह सकती। सोच कर बताऊंगी।”
“अरे मान जाओ। के वल िडनर क ही तो बात है। िपछली बार क तरह तुम, मै और
शािलनी साथ चलगे।”
“ठीक है।” पायल अभी भी दुिवधा म थी।
“ब ढ़या। म तुम दोन को शाम आठ बजे लेने आ रहा ।ं ”
“म शािलनी को इस बारे म बता दूग
ं ी।”
“पायल; एक बात और।” उसने िझझकते ए कहा।
“हाँ।”
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“आई लव यू।” अभय ने कहा और ज दी से रसीवर रख दया।


उसने फोन बंद कया और आँख मूंदते ए उसे सटर टेबल पर रख दया। थोड़ी देर बाद
वह सोफे से उठी और बेड म क ओर चल पड़ी। ले कन फर बीच रा ते से मुड़ गयी,
वापस आई और सटर-टेबल से कॉडलेस फोन उठाकर उसे अपने साथ िलए ए बेड म म
चली गई। उसने फोन को बेड के साइड टेबल पर रखा और िब तर पर लेट गई, त प ात
आँख बंद करके झपक लेने क कोिशश करने लगी।

लगभग आधे घंटे बाद फोन क घंटी के बज उठने से उसक न द फर टू ट गई।


“नम ते पायल। या ये तु ह हो? म डॉ फ चानहर बोल रहा ।ँ ”
“यस।” उसने जवाब दया।
“सुनो। मेरे पास एक तु हारे िलए एक बड़ी खुशखबरी है। तुम लीना के बारे म जानती
हो, िजसे मीिडया ‘ न ऑफ सोप ओपेरा’ बुलाता है?”
“हाँ।” उसने कहा।
“उसने एक अ छे टी.वी.धारावािहक को छोड़ दया है, जो ह ते म दो बार ाइम टाइम
पर आता है। अब उसका िनमाता एक ऐसी नयी अिभने ी क तलाश म है, जो उस भूिमका
को िनभा सके । चूँ क मेरे साथ उसके ब त अ छे संबंध ह, इसिलए उसने मेरे से बात क है।
उसने मुझसे कहा है क ये अब मेरी िज मेदारी है क म उसे एक ह ते के भीतर ही कोई
नई अिभने ी लाकर दू,ं य क लीना को भी उसके पास लेकर म ही गया था।”
“और आपने या कहा?” पायल ने बड़ी मुि कल से पूछा, य क उसका कलेजा हलक
म आ फं सा था। उसने महसूस कया क फोन पर मौजूद उसक उं गिलयां काँप रही ह और
न ज अिनयंि त हो उठी है।
“मने उसे तु हारे बारे म बताया है । सब-कु छ ठीक है, बस एक न टे ट और उसके
बाद तुम चुन ली जाओगी। य द तुम शु आत के के वल तीन या चार एिपसोड तक अ छी
भूिमका िनभा लोगी, दशक तु ह वीकार कर लगे और सी रयल क रे टंग म िगरावट नह
आयेगी तो तु हारे िलए ये एक ब त बड़ा मौक़ा होगा। तुम समझ सकती हो क ये मौका
िमलने से तु हारा तो कै रयर बन जायेगा।”
पायल को लगा जैसे वह आसमान म उड़ रही थी और उसके सारे सपने सच हो गए थे
और शोहरत और दौलत उसके कदम म आ गयी थी।
“पायल। या तुम सुन रही हो?” उसे दूसरे तरफ से डॉ फ चानहर क आवाज़ सुनाई
दी, जो इस ण उसे बेहद यारी लगी।
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“ह..हाँ। हाँ, म सुन रही ।ँ ले कन म तो नयी ं और ब त सारी चीज से िबलकु ल


अनजान ।ँ मेरा अनुभव के वल टेलीिवजन िव ापन और यूिजक वीिडयो म डांस तक ही
है। मने टेलीिवजन म कभी काम नह कया है। या ये सब जानते ए भी वे मुझे लेने को
तैयार ह?”
“वे एक नया चेहरा चाहते ह।” डॉ फ चानहर ने समझाया- “दरअसल वह रोल कु छ
इस तरह का है क उसे कसी खास छिव वाली मश र अिभने ी नह कर पायेगी, और न
ही उसे धारावािहक के िनयिमत दशक ारा वीकार कया जायेगा। के वल ितभा और
ऑन- न दशन ही िनमाता क एकमा शत है, िजसके िवषय म मने उसे आ त
कया है क तु हारे पास ये सब-कु छ है।”
“मेरे िलए इतना यास करने के िलए शु या िम. चानहर। ले कन मुझे नह लगता
क म इसके िलए तैयार ।ं ”
“अब बुज दल जैसी बात मत करो पायल। तु हारे मना करने के बाद ऐसा मौक़ा फर
नह आएगा। तुम उन असफल लोग म एक मत बनो, जो िसफ इसिलए अपनी हार को
वीकार करके उसके साथ इसिलए जीते ह य क वे समय पर साहस नह बटोर पाते है।
हमारे जीवन म अवसर के वल एक बार दरवाजे पर द तक देता है और चूक जाने पर फर
कभी वापस नह आता है।”
“शायद मुझे सोचने के िलए थोड़ा व चािहए।” पायल ने कहा।
“नह । सोचने म व बबाद मत करो पायल। य द अभी नह तो फर कभी नह । य द
तुम इस मौके को लपकना चाहती हो तो तु ह आज शाम को ही ो ूसर से िमलना होगा।
अगर सब कु छ ठीक रहा तो तु ह सोमवार से शू टंग शु करनी होगी। भगवान के दए ए
इस मौके को बबाद मत करो वरना तुम सारी िज दगी पछताती रह जाओगी।”
“आप तो िजद पर अड़ गए ह िम. चानहर।”
“तु हारा या फै सला है? तुम इस मौके को लेना चाहती हो या म िनमाता को कसी
और लड़क क तलाश करने के िलए कह दू?ं ”
“म इस मौके को लूंगी।” पायल ने भावुक लहजे म कहा- “म इसे वीकार करती ।ं ”
“शाबाश। मुझे पता था। इसीिलए मने शाम को ो ूसर के साथ मी टंग क व था
कर ली है। म तु ह चार बजे लेने आऊँगा।”
“दोपहर के चार बजे?” पायल ने अभय के साथ शाम के आठ बजे िडनर काय म के बारे
म सोचते ए पूछा।
“ य ? कोई द त है? या कोई और काम भी है, जो तु हारे िलए इससे यादा ज़ री
है?”
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“नह । नह । चार बजे का टाइम ठीक है।” पायल ने ज दी से कहा।


“ठीक है। म तुमसे चार बजे िमलता ।ँ ”
पायल ने कृ त लहजे म कहा- “िम. डॉ फ चानहर, म आपका ये एहसान कभी नह
भूलूंगी।”
“नॉनसस। म िसफ अपना काम कर रहा ।ं ”
“ डॉ फ सर; आप दुिनया के सबसे िवन , मददग़ार और बड़े दल वाले इं सान ह। मै
तो यह उस टी.वी. शो को ही देखकर समझ गई थी, िजसमे आपने उस लड़क क मदद
करी थी।”
“ओह। मेरा िव ास करो, म ऐसा ि िबलकु ल नह ।ँ म तुमसे बाद म िमलता ।ँ ”
“बाय।” पायल ने कहा और फोन ि वच ऑफ करके वापस बेड साइड टेबल पर रख
दया। उसने दोन हाथ से िसर पकड़ िलया और ‘ध म’ से िब तर पर लेट गयी। हषाितरे क
म उसने अपनी आँख बंद कर ली। उसे अभी भी िव ास नह हो रहा था क वा तव म
ऐसा कु छ आ थाऔर उसका सपना अब सच होने वाला था।
उसने बाह फै लाई और खुशी से िच लायी- “पायल बनगी बड़ी टार। पायल बनगी
बड़ी टार।” उसने िब तर छोड़ा और हवा क गित से बेड म से बाहर िनकली। पायल
उस उ साह को िनयंि त करने म असफल हो रही थी, िजसे इस ण वह अपने रग-रग म
महसूस कर रही थी। उसने अलमारी खोली। उसम से एक बड़ा तौिलया और शािलनी क
एक लाल पोशाक बाहर िनकाली। फर वह अटै ड बाथ म म चली गई।
तैयार होने के बाद पायल ने शािलनी के िलए स देश िलखकर छोड़ देने का फै सला
कया ले कन फर उसने इस िवचार को थिगत कर दया। वह अपनी सहेली को बड़े
ो ूसर के साथ अपनी मी टंग और टीवी चैनल के मुख धारावािहक म रोल िमलने क
खबर सुना कर उसके चेहरे पर हैरानी के भाव देखना चाहती थी।
ले कन अभय के साथ उसक डेट का या होगा? खैर, वह आठ बजे तक वापस आ
जायेगी, य द ऐसा नह आ तो वह बाद म शािलनी को फोन करके अभय को एक घंटे के
िलए इं तज़ार करने को कह देगी। उसने खुद से बहस क । या फर वह िडनर को अगले दन
के िलए थिगत कर देगी। आिखरकार इस बड़े मौके क तुलना म एक छोटी सी डेट तो
मामूली बात थी।

ाइं ग म म फोन क घंटी बजी और वह कॉल रसीव करने चली गयी।


“हाय पायल।” डॉ फ चानहर ने कहा- “ या तुम तैयार हो?”
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“हाँ। पूरी तरह तैयार ।ँ आप कहाँ ह?”


“तु हारी िब डंग के ठीक बाहर।”
“म पाँच िमनट म प च
ँ ती ।ँ ”
“गुड। म इं तज़ार कर रहा ।ँ ”
ज दबाजी म पायल ने इस बात पर यान नह दया था क बाहर पा कग म मौजूद
डॉ फ चानहर इस बात क पूरी व था कर चुका था क कोई उसे पायल के साथ लड
ू जर म जाते ए उसे कोई न देख सके ।
पायल एसयूवी म दािखल ई और उसका िपछला दरवाजा बंद कर दया। “हाय। आप
कै से ह?” उसने एक औपचा रक मु कान के साथ पूछा।
“म ठीक ।ँ ” डॉ फ ने भावहीन आवाज़ म कहा। उसने गहरे रं ग क पतलून के साथ
ऊनी का डगन पहना आ था।
पायल ने आँख म शंका के भाव िलए ए डॉ फ को देखा। “ या सब-कु छ ठीक है?”
उसने पूछा।
“बेशक। ले कन तुम य पूछ रही हो?”
उसने इं जन टाट कया और ‘ ैडो’ गाड़ी को शाम के भारी यातायात से त रं ग रोड
पर लेकर आ गया। “वैसे स
े काफ अ छी है।” उसने वंड न पर िनगाह टकाये ए
भावरिहत वर म कहा।
“थक यू।” पायल ने असहज होकर कहा।
इससे पहले क वह आगे कु छ कहती, डॉ फ चानहर अपने ैडो को बेहद ती गित से
उस त ै फक म से भगा ले गया। पायल बड़ी मुि कल से खुद को डैशबोड से टकराने से
बचा पाई। उसे सीट-बे ट बाँधने का भी मौक़ा नह िमला। डॉ फ चानहर तेज गित से
ाइव करता रहा। उसने अपने टेशन वैगन को तूफानी गित से चला कर पायल के र गटे
खड़े कर दए। चौराहे पर ै फक िस ल क हरी ब ी चेतावनीपूण अंदाज से लपलपा रही
थी। उसके बंद होने के ठीक दो सेकंड बाद डॉ फ चानहर का ैडो त ु गित से उड़ती ई
वंहा प च
ं ी।
चौराहे पर िवपरीत दशा क सड़क से गािड़य क बाढ़ सी आ गयी। चौराहे का
वातावरण टायर के िघसने शोर से भर गया । वाहन क उस भारी भीड़ म बस से लेकर
कार और दोपिहया वाहन तक को डॉ फ चानहर के ‘ ैडो’ को, जो एकदम से चौराहे
के बीच म आ गया था, बचाने के िलए एमरजसी ेक लगाना पड़े। पायल को लगा क ैडो
के बा ओर के वाहन उसे र दने के िलए सीधे उसक ओर उड़ते आ रहे ह। उसने खौफजदा
होकर अपना िसर घुटन पर रख िलया और िसर को दोन हाथ से थाम िलया। ले कन
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ै ो त
ड ु गित से दौड़ता रहा, और शी ही बाक वाहन क चीख और शोर को पीछे
छोड़ते ए आगे िनकल गया। पायल ने अपने पीछे उन कार , बस और दोपिहया वाहन
को आते ए देखा, िज ह ने डॉ फ चानहर को बचाने के िलए ीन िस ल पर ज़ोर से
ेक लगायी थी और आपस म िभड़ गए थे।
“आपका भा य अ छा है क आपका पीछा करने के िलए वहां आस-पास कोई ै फक
पुिलस या मोटरसाइ कल सवार कां टेबल नह था।” पायल ने कहा।
“ले कन वे मेरा पीछा करते ही य ?” डॉ फ चानहर ने हैरत भरे लहजे म पूछा।
“मुझे ऐसा कहना पड़ा ता क आप थोड़ा डर।”
“अब मेरे सामने यह सब ामेबाज़ी ।” डॉ फ चानहर ने कहा और कार के टी रयो
पर पीटर गं ी का संगीत ‘है पे नंग आल टाइम’ चला दया।
पायल ने थोड़ी देर बाद युिजक का वॉ यूम कम कया और पूछा- “ या हम साउथ
ए सटशन वाले आपके इं ि ट ूट पर नह जा रहे ह?”
“नह । हम महरौली के एक बड़े ए टेट म जा रहे ह। तुमने इस पूरे शहर म उस जगह
जैसी कोई दूसरी जगह कभी नह देखी होगी।” उसने गव से कहा।
पायल ने पूछा- “ या वहां टी.वी. ोडू सर भी आ रहे ह?”
“हाँ।” उसने पायल क िनगाह का सामना करने से बचते ए जवाब दया। ीन पाक
के पॉश इलाके से गुजरते ए उसने संगीत का वॉ यूम फर से बढ़ा दया।
पायल को थोड़ी घबराहट होने लगी थी या शायद ये उसके नारीसुलभ अंतमन क
आवाज थी, जो उसे चेतावनी दे रही थी क कह कु छ गड़बड़ है। ो ूसस से िमलने का
उसका सारा उ साह अब धीरे -धीरे लु होता जा रहा था। उसे ये भी आभास होने लगा था
क डॉ फ चानहर का आमं ण वीकार करने म उसे ब त ज दबाजी कर दी थी। उसे
अभय के साथ डेट पर जाना चािहए था। उसके साथ वह अपने आप को िबलकु ल िन ंत
और सुरि त महसूस करती थी।
द ली के िस और ऐितहािसक थल ‘कु तुब मीनार’ तक प च ँ ने के दौरान पूरे रा ते
भर उपरो िवचार उसके मन-मि त क पर छाए रहे। यहाँ से डॉ फ चानहर क ैडो ने
महरौली के बड़े ए टेटो क ओर जाने के िलए दांये ओर मुड़ गयी। डॉ फ चानहर ने
अपने टेशन वैगन क र तार कम करके उसे उस क ी सड़क पर उतार दया, जो आगे
चलकर राउल ए टेट के िवशाल आयरन गेट के सामने समा हो जाती थी।
पायल ने रा ते के बा ओर एक साइनबोड देखा, िजसम चेतावनी िलखी गई
थी:
वेश िनषेध
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िनजी संपि
घुसपैठ करने वाले पर मुकदमा चलाया जायेगा
डॉ फ चानहर ने लड ू जर ैडो का दरवाजा खोला और जंजीर से बंधा ताला
खोलने के िलए गेट क ओर चला गया। वह वापस आया और टेशन वैगन को अंदर ले
गया। पायल ने इतनी मन स जगह कभी नह देखी थी। सै य ठकान क तरह उस ए टेट
को लोहे के कटीले तार से घेरा गया था। थोड़े-थोड़े फासले के अंतराल पर बने ए
अनिगनत ख भ से होते ए वे कटीले तार आयरन गेट से शु होकर पूरे ए टेट को
चारदीवारी के प म घेरे ए थे।
पायल ने कम से कम यारह फ ट ऊंचे उस बाड़े को देखा। उसे वह ए टेट कसी ऐसे खुले
जेल क तरह नजर आया, जहाँ से बच िनकलने का कोई रा ता नह था।
“ ोडू सर कब आएंगे?”
“उसके बारे म चंता मत करो। उस हरामी को आने म अभी देर है। हमारे पास अभी
काफ समय है। सामने देखो, वह फाम हाउस है।” डॉ फ चानहर ने वंड न से सामने
क ओर इशारा करते ए कहा।
पायल ने देखा क वह घुमावदार रा ता एक एकमंिजले फामहाउस के पोच म जाकर
ख़तम होता था, िजसके छत पर शीशे के िपरािमड था। उसके सामने ही एक छोटी सी
कृ ि म झील थी। गुलाबी रं ग के खूबसूरत गोल प थर से झील से फामहाउस तक जाने का
रा ता था िजसक बगल म छोटे छोटे दो फु ट ऊँचे ख बो पर गोल लाइटे लगी थी।
डॉ फ चानहर ने फ़ामहाउस के लकड़ी के दरवाजे के ठीक सामने पोच के पथरीले
धरातल पर कार को रोक दया। “तुम बैठी रहो।” उसने दरवाजा खोलकर टेशन वैगन से
बाहर िनकलते ए कहा- “म अभी वापस आता ।ँ ”
“आप कहाँ जा रहे ह?” पायल ने असमंजस भरे लहजे म पूछा।
“लगता है मने सामने वाले दरवाजे क चाबी गलत जगह पर रख दी है। म िब डंग के
पीछे क शेड से डु लीके ट चाबी लाने जा रहा ।ँ तु हारे सोचने से पहले ही म वापस आ
जाऊंगा।” उसने एक झटके से कहा और चला गया।
पायल का दल क ह अ ात कारण से जोर-जोर से धड़क रहा था। उसे लगा क
बाहरी दुिनया से अलग-थलग उस ए टेट म वह िनतांत अके ली है। ाइ वंग सीट क खुली
िखड़क पर नजर पड़ते ही वह जोर से चीख पड़ी। वहां एक अप रिचत और रह यमयी
चेहरा उसे घूर रहा था। उसने अपनी तरफ का दरवाजा खोला और कार से तेज़ी से बाहर
िनकली। अजनबी लड ू जर के सामने से होकर दौड़ते ए उसके पास आ गया।
वह बामुि कल पाँच फ ट ऊँचा एक दुबला-पतला आदमी था। उसके िसर पर ब त
छोटे-छोटे बाल थे और आख कोटर म गहरी धँसी ई और िन तेज नजर आ रही थ ।
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कपड़े के नाम पर वह फटा-पुराना िचथड़ा वाला कोट, कमीज़, कई पैब द वाली पतलून
और पैर म गंदे जूते पहना आ था। उसके िसर पर टे ट- के टर क भांित गोलकार
सफ़े द टोपी थी जो समय के साथ गंदली हो गयी थी। थम दृ या पायल को वह कोई
पागल आदमी नजर आया। जो अ सर सड़क , बस टड और रे लवे टेशन पर भटकते ए
दखाई दे जाते ह। पायल संदह
े पूण दृि से गंदे पीले दांतो वाले उस आदमी देख रही थी।
वह एक दफा बार फर जोर से िच ला पड़ी, जब पीछे से कसी ने उसके कं धे पर हाथ
रखा।
“अरे पायल ये म ।ँ ” डॉ फ चानहर ने हंसते ए कहा- “ या आ? तुम सूखे प े क
तरह य काँप रही हो?” “य...ये..।” पायल ने डॉ फ चानहर के पीछे िछपते ए और
सामने खड़े उस अजनबी क ओर इशारा करते ए कहा।
“ओह। वह? तु ह उससे डरने क ज रत नह है। वह तु ह कोई चोट नह प च
ं ाने वाला
था। कम से कम उससे तो तु हे कोई खतरा नह है।”
“वह है कौन ?” पायल ने पूछा। वह अभी भी डॉ फ चानहर के पीछे िछपी ई थी।
“इसका नाम िब टू है। मुझे चाबी िमल गई है। चलो अ दर चल।”
पायल ने िब टू नाम के उस श स को खुद से बात करते ए दूर जाते देखा। वह अपने ही
खयाल म म त था। “आओ।” डॉ फ चानहर ने उसे दरवाजे के सामने प च ं कर बुलाया,
जो पोच से पांच सी ढ़य क ऊंचाई पर था।
वह दरवाजे तक प चँ ी और फर अंदर दािखल हो गई। डॉ फ चानहर भी लाइट
ऑन करते ए उसके पीछे-पीछे अ दर दािखल हो गया। पायल ने खुद को एक लॉबी म
खड़े पाया। डॉ फ चानहर उसे एक बड़े ाइं ग म म ले गया। िजसक दीवार से कई
जानवर के िसर लटके ए थे।
“वह कौन था?” पायल ने अपना दोहराया। डॉ फ चानहर ने उसे सोफे पर बैठने
का संकेत कया।
“कौन, िब टू? वह तो पागल है।”
“ये तो म भी समझ गयी ,ँ ले कन वह यहां या कर रहा है?”
“मने उसे सड़क पर से उठाया है, जहाँ वह बेवजह भटक रहा था।”
“आप एक पागल को यूं ही उठाकर घर ले आये?”
“अब ऐसा तो मत कहो क जैसे मने कोई बेवकू फ़ का काम कया है। वह बु धू रहम के
कािबल नज़र आ रहा था। उसके पास रहने क कोई जगह भी नह थी। इसीिलए म उसे
यहाँ लेता आया। इसके अलावा वह मुझे सरकस के िलए एकदम फट लगा था तो मने
सोचा....”
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“ कस के िलए? आप कस सकस क बात कर रहे है ?” पायल ने उसक बात काटते ए


पूछा।
“ओह। म तु ह सरकस के बारे म तो बताना भूल गया। आओ, इससे पहले क रात हो
जाए, म तु ह ये जगह घुमा देता ।ँ ये पूरे शहर म सबसे अ भुत और हैरान कर देने वाली
जगह है।”
“आपका ये पागल िब टू करता या है?” पायल ने दरवाजे से बाहर िनकलते ए पूछा।
“लगता है क तु हे वह पसंद आने लगा है। खैर, वह यादातर समय खंडहर म ही रहता
है और...।”
“खंडहर?” पायल ने उसे एक बार फर टोका।
“धैय रखो पायल। तुम ज द ही यह सब कु छ देख लोगी। तु ह पता है क इसके अलावा
यह िब टू और या- या करता है?” डॉ फ चानहर ने शरारती लहजे म पूछा।
“ या?”
“जब म साउथ ए सटशन म अपने डांस इं टी ूट म जाता ं तो यह िप ला मेरे ैडो म
िछप जाता है। और सोचता है क मुझे यह सब मालूम नह है।”
“ कसिलए? मेरा मतलब क वो वहाँ या करता है?”
“तु ह िव ास नह करोगी, यह हरामी च जंग म क अलमारी के पीछे िछपकर
लड़ कयो को कपड़े बदलते ए देखता है।”
“ या?” पायल बुरी तरह से च क ।
“अरे मेँ तो मजाक कर रहा था।” डॉ फ चानहर ने हँसते ए कहा- “आओ, म तु ह
दन क रोशनी ख़ म होने से पहले ही ये जगह दखा दू।ं ” उसने पायल को बा कोहनी
पकड़ते ए कहा।
पायल ‘ कस पर िव ास करे , कस पर न करे ’ इसी दुिवधा म फं सी ई आगे बढ़ी।
“ या वह सचमुच ऐसा करता है?” वह चाह कर भी खुद को पूछने से नह रोक पायी।
“अब िब टू के बारे म बस भी करो।” उसने तेज-तेज कदम से चलते ए कहा।
कु छ दूर चलने के बाद वे दोन एक ‘टॉय- ेन’ के सामने प च
ं ।े वह ेन िब कु ल उ ह
ेन क तरह थी, जो ब का मन बहलाने वाले पाक म पायी जाती ह। उसका अगला
िह सा सामने फै ले ए ए टेट क ओर थी। फामहाउस ए टेट के शु आती भाग म बना
आ था। ए टेट फामहाउस के आगे भी काफ दूर तक फै ला आ था। िजस जगह वे खड़े थे,
वहां टॉय- ेन क पट रयाँ ‘यू’ (घोड़े क उलटी नाल) के आकार क थ । पट रय का ये
अनवरत िसलिसला उ ह ए टेट के आिख़री छोर तक क पूरी या ा कराने म स म था।
“ये या है?”
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“एक टॉय- ेन।” डॉ फ चानहर ने गव ले लहजे म कहा- “मेरे ए टेट के अलावा ये


तु ह कह और नह िमलेगी।
“ या ये काम करती है?”
“म तु ह इसक सवारी कराता ।ँ फर तुम खुद देख लेना।”
डॉ फ चानहर ने पायल के िलए गाड़ी के दूसरे िड बे का दरवाजा खोलते ए कहा-
“मुझे उ मीद है क तुम दूसरे िड बे म बैठने से मना नह करोगी। दरअसल मुझे पहले
िड बे से गाड़ी के लीवर को क ोल करना होगा। उस छोटे से िड बे म हम दोन को एक
साथ बैठने म परे शानी होगी।”
“ या आपको यक न है क ये सुरि त है?” पायल ने टॉय- ेन क दूसरे िड बे क सीट
पर बैठते ए कहा।
“मुझ पर भरोसा रखो। मने इसे सैकड़ बार चलाया है।” डॉ फ चानहर ने टॉय- ेन
का इं जन चालू करते ए कहा। उसने लीवर आगे क दशा म घुमाया और टॉय ेन
पट रय पर आगे बढ़ने लगी।
पायल ने पीछे देखने पर पाया क टॉय- ेन का पांचव और आिखरी िड बे म कसी तरल
से भरे ए लाि टक के बड़े-बड़े कं टेनर रखे ए थे। “उन कं टेनर म या है?” उसने
डॉ फ चानहर से पूछा।
“गैसोलीन। तुम देख सकती हो क ये ैक ब त दूर तक फै ला आ है। लगभग पूरे ए टेट
तक।” डॉ फ चानहर ने जवाब दया। टॉय- ेन पट रय पर तेज गित से बढ़ रही थी-
“इस ेन के टक म ब त अिधक धन नह भरा जा सकता है, इसिलए म ेन म अित र
गैसोलीन रखता ँ ता क अगर यह फ़ामहाउस से बेहद दूर जाकर के तो मुझे वहां से पैदल
न आना पड़े।”
“ले कन आपने यह टॉय- ेन रखी य ई है?”
“जहाँ तक म जानता ,ँ इस जमीन पर पहले बंजार का क जा था," डॉ फ अपनी ही
धुन म बोलै िज ह ने यहां ट और िम ी के कई छोटे-छोटे घर बनाए थे। फर एक
भयानक हादसा आ। वायु-सेना का एक िवमान यहाँ िगर गया और िवमान के जलता
आ मलबा इधर-उधर िबखर गया। म उन दन क बात कर रहा ,ँ जब भारत ि टश
शासन के अधीन था।”
“आपका मतलब है क वह मलबा बंजार पर िगरा था?”
“दुभा य से हाँ। ले कन उनके साथ इससे भी बुरा आ था। जेट िवमान अपने साथ
िव फोटक ले जा रहा था। तुम क पना कर सकती हो क जब वह यहाँ दुघटना त आ
होगा तो कतनी बड़ी ासदी ई रही होगी।”
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“तो या सभी बंजारे मारे गए?”


“सभी नह । उनका भा य अ छा था, जो उस दन वहां के वल कु छ बुजुग मिहलाएं और
ब े ही मौजूद थे। बाक सभी या खेल दखने गए थे या फर खाना बनाने के िलए
लकिड़याँ बीनने। ले कन उस ासदी ने उनक आ मा को झकझोर दया और उनके मुिखया
ने फै सला कया क उनका कु नबा इस मन स जगह को छोड़ देगा।”
“ फर या आ?” पायल ने उ सुक लहजे म पूछा।
जहाँ तक दृि जाती थी, वहां तक जंगली झािड़य और पेड़ ने उस खाली मैदान को ढँक
रखा था। ए टेट के अंितम छोर तक फ़ै ली ई पट रय पर उस टॉय- ेन क सवारी
रोमांचक थी। जहाँ पर पट रयां दो भाग म िवभ थ , वहां दशा बदलने तथा गित को
िनयंि त करने के िलए डॉ फ चानहर लीवर का योग कर रहा था। पूरे ए टेट क
जमीन उबड़-खाबड़ थी, जहाँ जंगली घास से ढंके टीले और गंदे पानी से भरे ग े ब तायत
म थे। जहाँ ग े थे, वहां से टॉय- ेन को गुजरने के िलए छोटे पुल का िनमाण कया गया
था।
“उस घटना के बाद जब हताश बंजारे यँहा से चले गए तो ये जगह एक बड़ी सरकस के
क जे म आ गई। ये टॉय- ेन िजस पर हम सवारी कर रहे ह, उनके ारा पीछे छोड़ी गई
यादगार चीज म से एक है।”
“ये देखो। यही वो जगह है, जहां वे रहते थे।” डॉ फ चानहर ने टट के उन फटे ए
चीथड़ क ओर इशारा करते ए कहा, िजसके बीच से होते ए पट रयां िबछी ई थ
और िजस पर ेन चल रही थी।
सरकस के अ दर टॉय ेन क या ा के दौरान पायल को जोकर क रि सय पर झूल
रहे पोशाक से लेकर, खाली पड़े जंग लगे पंजरे , जो कभी जंगली जानवर को कै द करने म
इ तेमाल कये जाते थे, टन के बड़े आयाताकार ब से और अनिगनत कबाड़ के साथ-साथ
हर कार क सकस म इ तेमाल क जाने वाली चीज़ो के अवशेष दखे।
“वह इमारत कै सी है?” पायल ने दूर नजर आ रहे एक इमारत क ओर संकेत करते ए
पूछा।
डॉ फ चानहर ने उसक दृि का अनुसरण कया और जवाब दया- “वह कभी एक
अ तबल था जंहा एक अं ेज िशि त कये जाने वाले वाले घोघोड़े रखता था।”
ेन ने ए टेट क अपनी या ा जारी रखी।
“और वह बंजार के खंडहर कहाँ ह?” पायल ने पूछा।
“वहाँ।” डॉ फ चानहर कु छ दूरी पर इशारा करते ए उ र दया।
पायल ने उसके संकेत क दशा म देखा। थोड़ी दूर पर पुराने और जले ए भ ावशेष थे।
िम ी, ट और लकिड़य से बने उन घर क दीवार, छत और लकड़ी के दरवाज़े व त हो
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चुके थे। उन भुलाए जा चुके लोग के सामूिहक ठकान म लगभग 20-25 घर थे। समय के
ू र हाथो ने उन घर दो को अब अतीत क िनशानी भर बना दया था।
बंजारे घुम ड़ लोग थे। वे म य चीन और मंगोिलया से लेकर दि ण-म य एिशया और
पूव यूरोप के सुदरू े तक मण करते थे। वे परं परागत ढंग से रहने के िलए थायी
िनवास नह बनाते थे। वे भिव य बताने से लेकर लोहे के हिथयार इ या द बनाने के पेश
म स य थे। उन बंजार म से कु छ ऐसे भी थे, जो िविभ आपरािधक कृ य जैसे छीना -
झपटी, वे यावृि और डकै ितय म भी शािमल रहते थे। वे कसी भी संग ठत धम का
पालन नह करते थे। एक िवचारधारा ये भी थी क स दय पहले उनका र दूिषत हो
चुका था। और वह शैतान के उपासक और अंधकार के अनुयायी थे, जो काले जादू म
िस ह त थे।उन लोग क मौजूदगी और उनक तांि क गितिविधय ने उस भूिम को दु
और शैतानी ताकत के पनपने के िलए उपजाऊ थल बना दया था। उनके ारा पीछे
छोड़े गए ख डहर उन घर जैसे थे जहाँ ह याय-आ मह याय और असमय मौते ई होती
है. ऐसी जगह हमेशा दु और पैशािचक शि य को चु बक क तरह आक षत करती है।
“अब देर हो रही है। ज द ही अंधेरा हो जाएगा।” डॉ फ चानहर ने ेन के लीवर को
संभालते ए कहा- “म ेन को फामहाउस क दशा म मोड़ लेता ।ँ ”
“उन खंडहर के बाद या है?” पायल ने पूछा।
“कु छ भी नह ।” डॉ फ चानहर ने जवाब दया- “के वल घास का खाली मैदान और
कं टीले तार के बाड़े के बाद मेन रोड।”
वा तव म अब पायल ेन क सवारी का लु त उठाने लगी थी। दसंबर क शाम ने हवा
म एक सुखद और सद एहसास घोल दया था। ए टेट क ह रयाली को छू कर आती ताजी
हवा को साँस के ज रये वयं म उतारकर पायल अपने अंतमन को ह का महसूस करने
लगी थी। ेन जब अपने ारं िभक बंद,ु जहाँ पट रयां ‘यू’ के आकार म त दील हो गयी थ ,
पर वापस प च ं ी, तो डॉ फ चानहर ने उसे रोक दया। वह अपने िड बे से बाहर
िनकला और पायल के िड बे का दरवाजा खोल दया। वे दोन एक दूसरे के आगे-पीछे
चुपचाप फामहाउस क ओर चल दए।
थोड़ी देर बाद पीछे मुड़ने पर पायल ने पाया क डॉ फ गायब हो चुका था। उसने
थोड़ी देर उसका इं तजार कया ले कन वह नह लौटा अंतत: वह फ़ामहाउस म लौट आयी।
िबजली के चले जाने पर उसने पीतल के टड पर लगी मोमबितया जला ली। उनके
लपलपाती रौशनी म जानवर के सर भयानक लग रहे थे। लकड़ी के फश के नीचे से आने
वाली ड़रावनी आवाज ने उसे खौफजदा कर दया था। उसे लगा जैसे हवा बा रश क
बौछार के साथ िखड़क के शीशे से टकरा रही हो।
एक ू र अ हास के बाद आयी कसी लड़क क चीख सुन पायल घबरा गयी। उसने
येक कमरे का मुआयना कया, ले कन उसे वहाँ कोई नह िमला। अपनी पीठ पर कसी
अदृ य हाथ का पश पाकर वह च क उठी। अगले ही पल उसे अपने कान म कसी बूढ़ी
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मिहला क फु सफु साहट सुनाई पड़ी। वह घबराकर दरवाजे क ओर भागी। और दौड़ते ए


पोच म खुलने वाले गेट से बाहर िनकल गयी। उसने अ िवि अव था म अगल-बग़ल म
देखा और फर दूर मौजूद आयरन गेट क ओर अंधाधुंध भागी। ज द ही उसक सांस उखड़
ग , ले कन उसम सांस लेने के िलए ण भर भी कने क िह मत नह ई। वह ये
सुिनि त करने के िलए अपने पीछे देखती रही क या कोई उसका पीछा कर रहा है,
ले कन उस वीराने म पूरी तरह िघर चुके अंधेरे म उसे कु छ भी नजर नह आया।
उसने कु के भ कने क भयानक आवाज़ सुनी, जो करीब और करीब आती जा रही
थी। बौखलाहट म वह एक प थर से टकरा गयी और अपनी चेतना गंवाते ए गीली और
ठं डी घास पर िगर पड़ी।
उसे नह पता चला क वह असहाय और िन ेत अव था म वहां कतनी देर तक पड़ी
रही थी। जब एक टेशन वैगन क तेज रोशनी उसके चेहरे पर पड़ी तो उसक चेतना कु छ-
कु छ वापस लौटी। उसने टोपी वाला काला चोगा और सुनहरा मुखौटा लगाए ए एक
आदमी को एसयूवी से कू दकर अपनी ओर बढ़ते देखा।
अपने कु के साथ वह उसके पास आया और घुटन के बल बैठ गया। उसने यान से
उसके न ज क जांच क और अपनी उँ गिलय से उसक बा आंख क पलक को खोला।
पायल क आँख ने वाभािवक ित या दी, िजसे देख उसके ह ठ पर गहरी मु कान आ
गई।
वह उसे िनदयतापूवक घसीटने लगा। उसके सडल प याँ टू ट जाने के कारण पीछे छू ट
गए। वह उस आततायी के चंगुल म फं सकर बेबस अव था म नंगे पाँव िघसटती रही। टोपी
वाले आदमी ारा एसयूवी तक घसीटे जाने तक उसके कपड़े तार-तार हो गए। उसने उसे
िनदयतापूवक उठाया और कार क िपछली सीट पर जोर से पटक कर दरवाजा बंद कर
दया। और कार को फामहाउस के पोच म ले गया।
उसने िपछला दरवाजा खोला और पायल को अपने मजबूत कं धे पर लादकर अंदर ले
गया। वह पायल को फ़ाम-हाउस क छत पर बने कांच के िपरािमड म ले गया और फश पर
डाल दया। अपने बंदी को उस अंधेरी जगह म अके ला छोड़ कर कांच के िपरािमड से बाहर
जाने से पहले उसने उसके हाथ-पैर को नायलॉन क र सी से बांध दया।
पायल अपने बंधे ए हाथ-पैर के साथ िनसहाय वंहा पड़ी रही और समय का एहसास
खो बैठी। उस व शायद 20 िमनट या फर 2 घंटे गुजर चुके थे, जब आिखरकार उसक
चेतना वापस लौटी। उसने अपने चार ओर देखा और पाया क वह कांच के एक ऐसे
िपरािमड म थी, िजसक दीवार तीन दशा म लगभग पं ह फ ट ऊंची थ ।उसने काले
टडो पर उ टी लटक काली मोमबि य के काश म देखा क िपरािमड क दीवार शीशे
के के वल एक चादर से बनने क बजाय कई ि भुज से िन मत थ । उस जगह पर
अजीबोगरीब बदबू ा थी, हालां क वह ये नह समझ पाई क उस बदबू क वजह या
हो सकती है।
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एक अ यािशत शोर ने उसे जड़ कर दया। पहले उसने इसे अपना वहम समझकर
नजरअंदाज करना चाहा ले कन फर उसे महसूस आ क ये उसका वहम नह था।
िहच कयाँ लेकर रो रहे कसी ब े वह आवाज रीढ़ क ह ी म िसहरन भर देने वाली थी।
ले कन वह ब ा वहां या कर रहा था? ब े क झलक पाने के िलए पायल ने अपनी
िनगाह उस दशा म घुमाई, िजस दशा से रोने क आवाज़ आ रही थी। िपरािमड क उससे
दूर वाली दीवार के पास एक वेदी पर रोता आ ब ा लेटा था, ले कन पायल ये नह
समझ सक क उसे कसने और कस कारण से वहां िलटाया था। िपरािमड के कांच के
दरवाजे के खुलने क झनझनाहट से पायल के िवचार क ृंखला भंग हो गयी।
अ दर दािखल होने वाले आदमी को देखकर वह हैरान रह गयी। उसने काले रं ग का
टोपी वाला चोगा पहना आ था और चेहरा एक सुनहरे मुखौटे के पीछे िछपाया आ था,
िजसम से के वल उसक आँख और मुंह ही बाहर झांक रहे थे। उसने िपरािमड का दरवाजा
बंद कया और पायल क ओर बढ़ा। उसने उसक बांह पकड़कर उठाया और िपरािमड क
कांच क ितरछी दीवार के सहारे बैठा दया। वह पायल के चेहरे पर खौफ देखकर भयानक
अंदाज म मु कु राया और उसक पीठ पर हाथ फे रते ए मादक अंदाज म गहरी सांस ली।
त प ात वह एक भयानक मू त के सामने फश पर बने पंचभुज म प ासन क मु ा म बैठ
गया।
उलटी लटक मोमबि य के काश म पायल ने फश पर जगह-जगह बने ए कई िच
देख।े चोगे वाले आदमी के चार ओर एक घेरा बना आ था, िजसके बीच म एक
पांचिसतारा, लै टन भाषा के कु छ िच न और रा स -िपशाच क भयानक आकृ ितयाँ
दशाई गयी थ । वह लगातार कोई जाप कर रहा था और स मोहन क अव था म लयब
ढंग से अपना िसर िहला रहा था। शायद वह अंधेरे क शैतानी ताकत को जगा रहा था।
उसने कई अगरबि यां, लोबान और कपूर जलाए थे, िजनके धुएं से िपरािमड भर गया
था। उन धु से पायल क आँख म आँसू आ गए और वह खाँसने लगी। खून और सड़े मांस
के दुग ध के कारण उसे मतली भी महसूस हो रही थी,। एक बड़ी मकड़ी, जो ऊपर अपना
जाल बुन रही थी, उसके चेहरे पर आ िगरी। वह बुरी तरह चीखने-िच लाने लगी, ले कन
साधक पर जरा भी असर नह पड़ा।

िपरािमड का वातावरण भयानक हो उठा था । ऐसा लगा जैसे वहां दु आ माएं च र


काटने लगी हो। तांि क उठा और पायल के पास आया। उसने उसके मुंह म कसी जानवर
का क ा मांस ठूं स दया। जैसा क वाभािवक था, पायल ने उ टी कर दी और सांस लेने के
िलए हाँफने लगी।
उसक छटपटाहट देख उसे बंदी बनाने वाला मु कु रा उठा। उ टी से भीगे ए और तार-
तार हो चुके लाल कपड़े पहनी ई पायल को छोड़ कर वह वापस बिलवेदी के पास प च ं ा।
कसी मजदूर का ब ा, िजसे वह अपहरण करके लाया था, अभी भी जोर-जोर से रो रहा
था। उसके रोने क आवाज को नजरअंदाज करते ए, सुनहरे मुखौटे वाले उस आदमी ने
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वेदी से बिल-कु ठार उठा ली। उ टी लटक मोमबि य क टम टमाती रौशनी म, िजनसे
लगातार मोम िपघलकर नीचे टपक रही थी, पायल ने वेदी के पीछे एक खौफनाक मू त
देखी। शैतानी देवता बॉल या मोलॉक क उस 10 फु ट ऊंची मू त का िसर बकरी का था।
वह शाही मुकुट पहने ए एक संहासन पर आसीन था। उसने िशशुबली ा करने के िलए
अपनी भुजाएं आगे क ओर फै लाई ई थ । उसके उपासक का ये मानना था क मोलॉक
नरबिलय के बदले म अपने भ को बेपनाह काली शि यां, दौलत, शोहरत और
िवलािसता के सभी संसाधन उपहार व प देता है।
वारलॉक लगातार काँप रहा था। उसका िसर इस तरह से िहल रहा था मानो वह गहरे
स मोहन म हो। वह खंजर को तेजी से नीचे लाया और उसका िसरा छोटे ब े के सीने म
पेव त कर दया। पायल ज़ोर से चीख़ी, उसक चीख को पूरी तरह से नजरअंदाज करते
ए वारलॉक ने उस मृत ब े के दय के र को एक कटोरे म इक ा कया और उसे
मोलॉक के चेहरे पर िछड़क दया। उसने उस र से ितलक लगाया और कटोरे म इक ा
कये ए ब े के दय से िनकले र को बॉल का शाद समझकर िपया िजसके बाद वह
तेजी से पायल क ओर पलटा।
पायल उसक बड़ी-बड़ी आँख और र से सना खौफनाक चेहरा देख कर एक बार फर
ज़ोर से चीख़ी। उसके सर पर तो मानो खून सवार हो गया था। उसने पागल क मा नंद
अ हास कया और एक बार फर मरे ए ब े क ओर मुड़ गया। उसने अपने बिल हाथ
से उस मृत िशशु को एिड़य को पकड़ कर उठाया और बलपूवक बिलवेदी पर पटक दया।
मरे ए ब े के खून से बिलवेदी का प थर लाल हो गया। उसक खून और हि यां िपरािमड
म चार ओर िबखर गय । अपने जुनून म पागल होकर उसने उसे बार-बार बिलवेदी पर
तब-तक पटका जब तक क उसका िसर पूरी तरह से त-िव त होकर चार ओर िबखर
नह गया।
वह ण आने से पहले ही पायल खौफ और सदम से अपनी चेतना फर से गँवा चुक
थी। वारलॉक ने अपनी कमर के चार ओर बंधी र सी खोली और चोगे को उतार दया।
उसने अपनी भुजाएं इस कदर फै ला मानो उड़ने वाला हो और फर पीटर ग ी के संगीत
पर उ मु और मदहोश होकर नंगा नाचने लगा। यह उसका अब तक सबसे शानदार नाच
था। 'डानसे माके बरे ' (मौत के नाच) म वह अि तीय और सव े था। मौत के उ सव के
बाद वह अपनी वासना और मह वाकां ा को पूरा करने वाली पारलौ कक रा िसयो
(सुकुमबुस) के साथ सहवास करता था।

अ याय 8
जीवन-मृ यु का संघष
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जब पायल ने अपनी आँख खोली तो सुबह हो चुक थी। उसने खुद को फामहाउस के
ाइं ग हाल म पड़ा आ पाया। उसे ये याद करने म थोड़ा समय लगा क इस व वह कहाँ
है? क तु जब उसे िपछली रात क भयानक घटनाएं याद आय तो उसे मानो िबजली का
तेज झटका लगा।
वह उठी और पागल क तरह नंगे पाँव तब-तक दौड़ती रही जब तक क ए टेट के गेट
तक नह प च ँ गयी। वह आयरन गेट को फांदने ही वाली थी क कसी ने उसक कमर
पकड़कर उसे पीछे ख च िलया। उसने छू टने के िलए हाथ-पाँव चलाए ले कन नतीजा
के वल यही िनकला क वह पकड़ने वाले के साथ जमीन पर िगर पड़ी।
उसने िसर पीछे घुमाया और देखा क ये वही गंदा और बदबूदार आदमी था, िजसे उसने
िपछली रात पोच म देखा था। यानी क फटे ए चीथड़ म घूमने वाला वही पागल
आदमी, जो न जाने कतने ह त से नहाया नह था।
“अपने गंदे हाथ दूर रख िसर फरे । और मुझे जाने दे। म लड़ कय के बारे म तेरी घ टया
िनयत को जान चुक ।ँ ” वह चीखी।
पायल को ख चकर जमीन पर बैठाने म कमजोर और दुबले-पतले िब टू को अपनी
मता से अिधक बल लगाना पड़ा। उसने अपनी भाव-भंिगमा से पायल को चुपचाप पड़े
रहने का संकेत कया। उसने कु छ सुनने के यास म अपने कान खड़े कर िलए। उसके नथूने
फड़कने लगे। कु छ ही पलो म चार रॉटवेइलर कु का झु ड उन तक दौड़ते ए आया और
उ ह घेर कर खड़ा हो गया। िब टू एक शीशे क टू टी ई बोतल से उ ह डराने क कोिशश
करते ए पायल को लगभग घसीटते ए उनसे दूर ले आया।
उन खूंखार नरभि य को देखकर पायल ने भी इस बार कोई ितरोध नह कया। ये
सोचकर उसक कं पकं पी छू ट रही थी क य द उन कु े उसे आयरन गेट फांदते ए पकड़
िलया होता तो वह उसका या ह करते।
वह िब टू क ओर मुड़ी और उसके दािहने कं धे पर हाथ रखते ए कृ त ता भरे लहजे म
बोली- “शु या दो त।”
िब टू ने इस तरह से गदन िहलायी , जैसे उसका ध यवाद वीकार कर िलया हो। वह
पायल को िलए ए आगे बढ़ा। ज द ही पायल को आभास आ क वह उसे फामहाउस क
ही ओर ले जा रहा था। वह बीच रा ते म ठठक गयी। जब िब टू ने पलटकर उसे
वाचक दृि से देखा तो उसने दाय-बाय गदन िहलाकर इशारा कया क वह
फ़ामहाउस म दोबारा नह जाना चाहती है। िब टू ने अपने चेहरा हथेिलय से िछपाकर
नकाबपोश जैसी मु ा बनाई। पायल समझ गयी क उसका संकेत वारलॉक क ओर था।
“हाँ वही। म फर से उसके चंगुल म नह फं सना चाहती।” िब टू ने एक बार फर अपनी
भाव-भंिगमा के ज रये कट कया क वारलॉक जा चुका है और अब उसके ज दी
लौटने क कोई संभावना नह है। उसने पायल से अपने साथ आने क िज क । हारकर
पायल उसके साथ आगे बढ़ी। जब वे फ़ामहाउस तक प च ं े तो िब टू उसे पोच क ओर ले
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जाने क बजाय फ़ामहाउस के िपछले भाग क ओर ले गया। फ़ामहाउस का लकड़ी का


िपछला दरवाजा खुला आ था। िब टू, पायल को उसी दरवाजे से अ दर ले गया।
त प ात वह उसे लेकर कचन म प च
ं ा। उसने रे जरे टर खोलकर बासी िचकन और ेड
बाहर िनकाली। वह फश पर बैठ गया और पायल को भी वह बैठकर खाने का इशारा
कया।
“म ठं डा िचकन नह खा सकती ।ँ पता नह तुम यह कै से खा लेते हो।” पायल ने कहा-
“लाओ इसे मुझे दो। म इसे गम कर देती ।ँ ” उसने िब टू को डाय नंग टेबल क एक कु स
पर बैठाया और िचकन को गम करके उसके साथ-साथ खुद भी खाया। खाना समा करने
के बाद िब टू ने पायल को अपने साथ आने का इशारा कया। असमंजस और अिनि तता
के बीच फं सी पायल उसके साथ चल पड़ी। वह उसे फ़ामहाउस के बाहर दूर तक फै ले घास
के मैदान क ओर ले गया। पायल ने वहां तक प च ँ ने के िलए टॉय ेन का सहारा लेने क
पेशकश क ले कन िब टू ने उसक सवारी से इनकार कर दया। पायल ने घास के मैदान
तक क ल बी पैदल या ा ये सोचकर जारी रखी क शायद वहां से उसे बचने का कोई
रा ता दख जाए। िब टू उसे सरकस के एक फटे-पुराने टट म लेकर आया। उस टट म एक
चीथड़े ए िब तर और टीन के एक बड़े ब से के अलावा कु छ नह था।
जब पायल ने उस ब से म भरे कबाड़ को खंगाला तो उसे गुलाबी रं ग क एक पुरानी
टी-शट और एक जोड़ी ह के नीले रं ग क ढीली-ढाली और फटा-पुरानी ज स िमली, िजसम
कई जगह पर चकती लगी ई थी। और अिधक गहराई तक खंगालने पर उसे एक जोड़ी
पुराने पो स शूज भी िमले। उसने िब टू को बाहर जाने के िलए कहा और जब उसे यक न
हो गया क वह बाहर जा चुका है, तो उसने ज दी से अपनी फटी ई स े उतार दी। िब टू
के वापस आने से पहले वह अपने कपड़े बदल लेना चाहती थी।
पायल इस बात से अनिभ थी क वह उसके अनुमान से पहले ही वापस आ गया था।
वह त बू के पीछे जमीन पर छाती के बल लेटकर उसके एक छोटे से िह से को ऊपर
उठाकर अ दर झाँक रहा था। पायल ारा कपड़े उतारे जाने से पहले उसने उसक नंगी
गोरी एिड़य को देखा। पायल को और अ छे से िनव होते देखने के िलए िब टू ने अपना
िसर थोड़ा और आगे बढ़ा िलया।
वह कु छ ही ण तक अपना मनपसंद नज़ारा कर पाया य क ज द ही पायल ने ढीली
ढाली गुलाबी टी-शट और चकती वाली नीली ज स पहन ली और िब टू के िब तर पर बैठ
कर जूते पहनने क कोिशश करने लगी। िब टू इस बीच जमीन से उठा और अपने आप म
खोया आ बड़बड़ाता आ दूर चला गया। खुद से इसी तरह बात करते ए वह वारलॉक
क मांद से बाहर िनकलकर बंजार के खंडहर क ओर चला गया।
तंबू म मौजूद पायल को इस बारे म कु छ भी नह पता चल पाया। ए टेट म बहने वाली
सुखद हवा टट म दािखल होकर पायल के चेहरे और शरीर को एक सुखद एहसास करा
रही थी। उसने चेहरे पर िबखरे आये बाल को पीछे कया और कह से एक कपडा ढू ंढ कर
उसक सहायता से अपने बालो को पोनीटेल क श ल म पीछे बाँध िलया। अब या क ं ?
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वह सोच-िवचार करने लगी। या वह फर से बाहर िनकलने कोई रा ता ढू ंढे? ले कन वह


पहले ही सभी कोिशश करके हार चुक थी। उसने खुद से तक-िवतक कया। अब एकमा
रा ता यही था क या तो उसक दो त शािलनी उसे बचा ले जाए या फर शाम को
डॉ फ चानहर के वापस आ जाने और कु को बांध दए जाने के बाद वह चुपके से
भाग जाए।
भारी थकान, ग र भोजन, भरे ए पेट, सुर ा मक माहौल और िपछले रात के
भयानक अनुभव से गुजरने के बाद और फलहाल िसर पर कोई खतरा न होने के कारण
उसे न द आने लगी थी। वह िब टू के िब तर पर बैठी-बैठी ऊंघने लगी थी। इस दशा म
के वल एक कं बल वाला वह िब तर ही उसे बेहद आरामदायक महसूस होने लगा था। वह
खुद को क बल से ढककर िब तर पर लुढ़क गयी। सुखद और ठं डी हवा के झ के से उसक
अ छी पलके भरी हो रही थी।
उसने खुद को ये भरोसा दलाया क वह एक घंटे के अ दर जाग जाएगी और गेट तक
जाएगी; यह सोचते ए उसने अपने शरीर कं बल से ढक िलया। और कु छ सोचने से पहले
ही वह उस पागल आदमी के गंदे िब तर म सो चुक थी। उसे एक अ छी न द क
आव यकता थी, ता क उसक चेतना थोड़ी देर के िलए तनाव, भय और भिव य क
आशंका से अ थायी प से मु रह सके । जब भी मानव-मि त क को कसी चीज क
आव यकता होती है, वह उसे ा करने के िलए कोई सहज रा ता ढू ँढ ही लेता है।

पायल के माता-िपता, अभय और नरे श, शािलनी के साथ उसके ाइं ग म म थे। पायल
के गायब ए एक ह ता से यादा गुजर चुका था और अभी तक उ ह इस बात को लेकर
कोई जानकारी हािसल नह हो सक थी क उसके साथ या आ था? पुिलस क सलाह
पर उ ह ने भारी मन के साथ शहर के मुदाघर म आयी उन युवितय क लावा रस लाश
का भी मुआयना कया, जो यौन उ पीड़न करने के बाद क़ ल कर दी गयी थ और िजनक
कोई िशना त नह हो पायी थ । हालां क पायल को उनम न पाकर उ ह ने राहत क सांस
ली थी क तु के वल इतना ही पया नह था य क पुिलस के अनुसार पायल के साथ
कसी अनहोनी के होने क आशंका बल थी।
नरे श और अभय दोन ने अपने काम से छु ी ले ली थी और पायल को ढू ँढने म शािलनी
का पूरा सहयोग कर रहे थे। वे राि य राजधानी े (एन.सी.र) के फरीदाबाद, गुडगाँव,
नॉएडा और गािजयाबाद जैसे उन शहर का भी च र लगा चुके थे, जहाँ पुिलस का कसी
लावा रस लाश अथवा अपरािधक गितिविधय या दुघटना क िशकार ई कसी युवती के
पाए जाने क खबर थी। वे अपनी खोज के तहत लखनऊ और जयपुर भी जा चुके थे, क तु
प रणाम ढाक के तीन पात ही रहा था। शािलनी ने सभी मॉड लंग फ स, िव ापन
िनमाता , द ली तथा नॉएडा क फ म और टेलीिवज़न टू िडयोज के साथ-साथ उन
सभी जगह पर पायल के बारे म फोन करके पूछताछ क थी, जहाँ अिभनेि य को काम
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दया जाता है। उसने वयं भी कई ऐसी जगह पर जाकर यह सोचकर पूछ-ताछ क थी
क शायद उनम से कोई इस बारे म कु छ जानता हो क उसक सहेली कहाँ है? ले कन
पायल िजस तरह िबना कोई सुराग छोड़े लापता हो गयी थी, उससे यही लगता था क या
तो उसे जमीन खा गयी थी या फर आसमान िनगल गया था।
“मुझे तो पायल के गायब होने के पीछे डॉ फ चानहर का हाथ नजर आ रहा है।”
शािलनी ने िनणायक वर म कहा।
“पुिलस उसे िगर तार करके उससे पूछ-ताछ य नह करती?” पायल क माँ ने अपना
मत रखा।
“वह एक अमीर और मश र आदमी है।” अभय ने कारण बताया- “पुिलस उसे मा
शक क बुिनयाद पर िगर तार नह कर सकती है।”
“मुझे इसके परवाह नह है क वह कतना धनवान है। य द मेरी बेटी के लापता होने म
उसका हाथ है तो पुिलस को उससे पूछ-ताछ करनी ही चािहए।” उ ह ने अभय क ओर
देखते ए ितरोध भरे वर म कहा।
“लड़का सही कह रहा है।” उनके पित ने अभय का प लेते ए कहा- “पुिलस तु हारी
इ छा से काम नह करे गी। उ ह भी कु छ िनयम का पालन करना होता है।”
“म दो दन पहले डॉ फ से िमला था।” िम टर चटज का समथन पाकर अभय ने
उ सािहत लहजे म आगे कहा- “वह एक अ छा इं सान है और वह पायल क सलामती को
लेकर चंितत भी नजर आ रहा था। उसने हर कार से हमारा सहयोग करने का आ ासन
दया और कहा क वह मनोरं जन-जगत म मौजूद अपने संपक सू से भी इस मामले क
तहक कात कराएगा। उसने मुझे दो बार फोन करके ये भी पूछा क हमारी खोज कहाँ तक
प चँ ी। वह हमारी मदद करने को लेकर गंभीर है।”
ले कन पायल क माँ ने अपने दृढ़ इरादे और उनके कसी भी तक-िवतक को सुनने से
इं कार करके उ ह ए.सी.पी. के ऑ फस जाने के िलए मजबूर कया, जो नरे श का दो त था।
अभय, चानहर को दोषी न मानते ए भी उनका साथ देने के िलए मजबूर था य क वह
पायल क चंितत माँ के िवरोध म नह खड़ा होना चाहता था। इसके साथ ही वह भिव य
म उनक बेटी के साथ र ता बनाने क अपनी मह वाकां ा के कारण उ ह नाराज नह
करना चाहता था। उसे उनके आशीवाद क िनतांत आव यकता थी। और सबसे बड़ी बात
ये थी क वह वा तव म पायल से यार करता था और उसक सलामती को लेकर चंितत
था। भले ही डॉ फ चानहर दोषी हो अथवा नह ।
उनक सभी स भावना पर उस व पूणिवराम लग गया जब डॉ फ चानहर ने
पुिलस के सामने प प से इनकार कर दया क पायल के मौजूदा मुकाम के बारे म उसे
भी कोई जानकारी है। उसने पायल क सलामती को लेकर अपनी चंता दोहराई और बड़ी
ही मुखरता से इस बात से इनकार कर दया क उसने कु छ गलत कया है।
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पायल के शुभ चंतक म के वल अभय ही था, जो ि गत प से डॉ फ चानहर से


िमला था और उसके ि व से भािवत आ था। पायल क माँ और शािलनी अभी भी
असमंजस क ि थित म थी। जब क िम. चटज और नरे श इस बात पर कोई फै सला नह
कर पाए थे क वह सच बोल रहा था या नह । दो दन बाद पायल के िपता वापस अपनी
ूटी पर लौट गए, य क वे ल बे समय तक अनुपि थत नह रह सकते थे। नरे श और
अभय भी अिन छापूवक अपने-अपने काम म िल हो गए। अपनी ओर से हर संभव यास
करके हार जाने के बाद उ ह ने पायल क कोई खबर िमलने या फर उसके सकु शल घर
लौट आने क घटना को ई र और चम कार के ऊपर छोड़ दया।

राउल ए टेट म वारलॉक क सरकस म कै द पायल दन और रात क िगनती तेजी से


भूलती जा रही थी। हालाँ क उसे वहां कु छ ही दन ए थे, ले कन उसे ऐसा महसूस हो रहा
था, जैसे उसने उस कै द म अपना पूरा जीवन गुजार दया हो। लगता था जैसे व थम गया
था। लंबे दन और ल बी रात ख़तम का नाम ही नह लेती थ । पायल के पास उस वीरान
ए टेट म अके ले या फर िब टू के साथ भटकने के अलावा और कोई चारा नह था।
झुलसती ई धरती, पेड़ के झुरमुट और जंगली झािड़य वाला वह िनजन थान कसी
आधुिनक शहर के बजाय जंगल का िह सा तीत होता था। वहां पर स ाह के हर दन एक
जैसा था। उस थान पर रहने वाल क गितिविधयाँ घड़ी के बजाय सूरज क गित से
िनयंि त होती थ । पायल को वहां बंदर, िगलहरी, िछपकली, सांप के साथ-साथ कौवे और
कई अ य प ी भी नजर आये, िज ह ने ए टेट के पेड़ क शाखा पर घ सले बनाए ए
थे।
जब उसने फामहाउस के वॉशबेिसन के ऊपर लगे आईने म अपनी परछा देखी, तो उसे
रोना आ गया। उन चीथड़ को पहन लेने के बाद वह िब टू जैसी दख रही थी। बावज़ूद
इसके क वह खाली पड़े फामहाउस के बाथ म म रोज नहा िलया करती थी।
डॉ फ चानहर तो जैसे पायल को वंहा धोखे से लाने के बाद उसके बारे म सब-कु छ
भूल ही गया था। रे जरे टर म रखे सभी खा पदाथ के समा हो जाने के बाद चौथे दन
पायल भूख से मरने क कगार पर प च ँ गयी थी। ऐसी दशा म एक बार फर िब टू ही
उसके काम आया था। वह अपने साथ थोड़े फल और जूठा भोजन लेकर आया था। पायल ने
सोचा क शरीर को अ छी हालत म रखने के िलए वािभमान से कह अिधक भोजन
ज री था; इसिलए उसे जूठा खाना भी वीकार करना पड़ा।
उसने ये पता लगाने क कोिशश क क िब टू को जूठा भोजन कै से िमला? या उसे उस
खुली जेल से िनकलने का कोई रा ता मालूम था? पायल का इरादा कसी सुरंग या गु
रा ते का उपयोग करके उस खौफनाक जगह से भाग जाने का था, ले कन या तो िब टू
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उसके इरादे को नह समझ पाया था या फर वह इस बारे म बात करने से डरता था। कु ल


िमलाकर पायल ने ये िन कष िनकाला क कु छ रह यमय ताकत उन पर लगातार नजर
रख रही थ , हालां क वह ये समझने म असमथ थी क वा तव म वे ताकत कौन है और
उनसे या चाहती है?
पायल ने टॉय- ेन का इ तेमाल करते ए उस िवशाल राउल ए टेट क जाँच-पड़ताल
म काफ व गुजारा था। वह ज द ही ए टेट के यादातर िह स से प रिचत हो गयी थी,
िजनम से चार थान सवािधक उ लेखनीय थे। झील सामने वाला फामहाउस, सरकस,
बंजार के खंडहर और एक खाली पड़ा अ तबल। उपरो के अलावा वो ए टेट जंगली
झािड़य , पेड़-पौध और नाल से भरा घास का उबड़-खाबड़ िवशाल मैदान भर था।
रोटवेइलर का झु ड अपने मािलक क अनुपि थित म िनरं तर चौक ा रहता था, ऐसे म
ए टेट से बचकर भागने का कोई सवाल ही नह पैदा होता था। कई बार वह कु को
चुनौती देकर बाड़े तक प च
ं भी गई थी। वह मदद के िलए िच लाती रही थी, ले कन
कसी ने भी उस िबयाबान म उसक फ रयाद नह सुनी थी।
वह महसूस भी नह कर पायी क ल बी कै द के प रणाम व प वह कै से बदल गयी थी।
उसने अपने भा य के साथ समझौता कर िलया और पाप और ब द क उस स तनत से
भागने क सारी कोिशश छोड़ दी। ऐसा लगा जैसे उसने अपने बचने क सारी उ मीद
खोकर खुद ही जान देने क ठान ली थी। उसने नहाना भी बंद कर दया और ए टेट क
बंजर भूिम म फटे कपड़ म घूमने लगी थी। उसके रे शमी बाल अब धूल-िम ी और जुंओ से
अ गए थे । वह पुरानी पायल क एक छाया मा रह गयी थी। एक उजाड़ इलाके म फटे-
पुराने कपड़े पहने ए एक आदमी और एक औरत को कभी साथ-साथ तो कभी अके ले
घूमते ए देखना एक अजीब सा नजारा था।
पायल दन और समय के एहसास से मह म हो चुक थी, उसे ऐसा लगता था जैसे वह
हमेशा से वहां क कै दी रही थी। उसे लगने लगा था क शािलनी के साथ मौज-म ती भरे
पल, अभय के साथ डेट पर िडनर और एक मह वाकां ी युवा अिभने ी के प म उसका
िपछला जीवन मा एक ख़ूबसूरत सपना भर था। शायद एकांत, अवसाद और िनराशा क
लंबी अविध ने उसे एक िन े य अि त व वाला ि बना दया था।
ये उसके कै द क तेईसव रात थी जब आिखरकार उसक िनयित उसके िसर पर आ गई।
सुनहरे मुखौटे वाला आदमी फामहाउस म आया और कु के साथ खेलने के बाद उ ह बाँध
दया। थोड़ी देर के बाद वह लगातार भ कने और गुराने लगे। जब वह डांट खाने पर भी
चुप नह ए तो उनका मािलक उनके भ कने को नजरअंदाज नह कर सका और अपनी
जगह से उठा। तब उसे पता चला क पायल भाग गयी थी।

कोक न का नशा करने के बाद वारलॉक उठा और मज़बूत कदम के साथ फ़ामहाउस से
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बाहर िनकल गया। उसने अपना टोपी वाला लबादा, सुनहरा मुखौटा और ऊँची एड़ी वाला
चमड़े के जूते पहने ए थे। उसने अपना बिल क तलवार भी साथ ले ली थी। उसने अपने
कु को ढीला नह छोड़ा य क वह पायल को जंदा पकड़ना चाहता था और उसे
फामहाउस के तहखाने के एक मंिजल नीचे यामा वाली काल-कोठरी म कै द करना चाहता
था।
उनका गंत पट रय का ‘यू पॉइं ट’ था, जहां टॉय- ेन फामहाउस के बाहर फ़ै ली
ए टेट क िवशाल बंजर भूिम क ओर मुँह कये ए खड़ी थी। वारलॉक ने पहले िड बे का
दरवाजा खोला और अंदर क सीट पर बैठ गया। उसने इं जन चालू कया, लीवर दबाया
और टॉय ेन धीरे -धीरे अपनी पट रय पर रगने लगी।
धीमी शु आत के बाद उसने ज द ही गित पकड़ ली और छु क-छु क क आवाज़ के साथ
सरकस क ओर बढ़ गयी। वारलॉक को अपने चार ओर के वल घास से भरा उजड़ा मैदान
दखाई दे रहा था, जहां जीवन का कोई िच ह नह था। । इं जन अपने सामने पट रय पर
गोल दायरे म काश फै ला रहा था। उस िनजन और ठं डी चांदनी रात म टॉय- ेन अपने
अके ले या ी के साथ उन पट रय पर दौड़ी चली जा रही थी, जो पूरे िनजन ए टेट म फ़ै ली
ईथ।
वारलॉक ने टॉय- ेन को सरकस के पास रोक दया और पायल को खोजने लगा। उस
जगह का पूरी तरह से मुआयना करने के बाद वारलॉक को यक न हो गया क वह वहाँ नह
िछपी थी। तो फर वह कहाँ थी? उसक खोज का अगला पड़ाव वह खाली अ तबल था,
जो थोड़ा आगे जाने पर था। वह पहले िड बे म सवार हो गया और टॉय ेन एक बार फर
आगे बढ़ चली। पायल अ तबल म भी नह थी। इसके बाद वह बंजार के खंडहर म गया।
उस नकाबपोश आदमी ने खंडहर के येक िह से, येक झोपड़ी और टू टी ई दीवार के
पीछे छान मारा ले कन उसका ये यास भी िनरथक सािबत आ।
वह पहले िड बे क सीट पर ध म से बैठ गया। वह बुरी तरह थक गया थ। कहाँ जा कर
छु प गयी थी वो? उसने गु से म खुद से पूछा। वह तो ऐसे गायब हो गयी थी, जैसे धरती
उसे िनगल गयी हो और वह कभी इस ह पर मौजूद ही न रही हो।

पायल उस सारे समय डॉ फ चानहर के फामहाउस के बेड म म कालीन िबछे फश


पर बैठी रही थी। भाग िनकलने के अ छे अवसर क ताक म वह तभी से उस कमरे म थी,
जब से वारलॉक ने उसे ढू ँढना शु कया था। वह कु के भ कने से उतना परे शान नह
थी, िजतना क कमरे क लकड़ी के फश के नीचे से आ रही अजीबोगरीब आवाज से
भयभीत थी। ऐसा लगता था जैसे कै दी आ माएं यातना के दद से तड़प रही ह ।
उसने पहले ही अनुमान लगा िलया था क वारलॉक अपनी टॉय- ेन का इ तेमाल करते
ए पूरे ए टेट म उसक तलाश करे गा। इसीिलए वह फामहाउस क दीवार के साथ िछप
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गयी थी। जब उसने पीछे के दरवाजे के खुलने क आवाज सुनी और वारलॉक को टॉय- ेन
क दशा म जाते देखा तो चुपचाप पीछे के दरवाजे से फामहाउस म घुस आयी थी।
और जब टोपी वाला आदमी उस िवशाल ए टेट म उसे चार ओर पागल क तरह ढू ंढ
रहा था, तो वह फामहाउस म िछपी ई थी। जैसे-जैसे समय बीतता गया, डर उसके
मुक मल वजूद पर हावी होता गया। शायद ये पकड़े जाने का वाभािवक डर था या फर
उसका संदहे , जो पल- ितपल उसे ऐसा लग रहा था जैसे वारलॉक अभी कमरे म आयेगा
और उसे दबोच कर मौत के घाट उतार देगा।
वह ये सोचकर कमरे म उजाला करने से डर रही थी क कमरे का काश दूर से ही नजर
आ जाएगा और वारलॉक को वहां उसक मौजूदगी का भान हो जाएगा। अँधेरे म डू बे उस
खौफनाक फ़ामहाउस के बेड म म पायल बेड से पीठ टकाये ए फश पर बैठी ई थी।
जब तेज हवा के चलने से िखड़क के दरवाजे खड़खड़ाते थे, तो पायल का कलेजा हलक म
आ फं सता था। हर आने वाली आहट पर उसे वारलॉक के लौट आने का एहसास होता था
और उन भयानक ण म वह मानो हजार मौत मर रही थी।
अपनी खुद क भयानक क पना और डर, रह यमयी चीख और आवाज से िघरी
पायल उस अंधकारमय कमरे के फश पर चंता और आतंक के वशीभूत होकर िनि य पड़ी
ई थी। वह दरवाजे तक जाने या िखड़क खोलने का साहस भी नह कर सकती थी य क
उसे लग रहा था क िजस ण वह दरवाजा खोलेगी ठीक उसी ण वारलॉक का डरवाना
मुखौटे वाला चेहरा उसके सामने होगा।
काफ व गुजर जाने के बाद वह अपने पैर झटकते ए उठ गयी। इस समय तक वह
अपने खौफ से लड़ने म इतनी स म हो चुक थी क उसने बेड म का दरवाजा खोलकर
बाथ म तक प च ं ने का साहस कया। इसके बाद वह अपने अगले क़दम क उधेड़बुन म
डू बी ई फामहाउस के िपछले दरवाजे से बाहर आ गयी। या उसे सीधे चारदीवारी तक
चले जाना चािहए? या फर थोड़ा और इ तजार करना चािहए? यह सब सोचते ए वह
उस चांदनी रात म ख डहर क ओर चलने लगी। उसका सोचना था क वह ख डहर क
आड़ म चारदीवारी तक प च ं कर वहां से बाहर िनकल सकती है। यही तरीका उसे यादा
सुरि त लगा था।
वातावरण म टॉय ेन का शोर सुनकर वह घबरा कर गीली घास पर लेट गयी और
अपना चेहरा एक ग े म झुका िलया। उसने िसर को थोड़ा सा ऊपर उठाकर सतकता पूवक
टॉय- ेन क ओर देखा। चेहरे पर गु से से भरी बौखलाहट िलए ए वारलॉक को वह प
देख पा रही थी, जो टॉय- ेन को अंधाधु ध फॉमहाउस क ओर भगा रहा था और इस बात
से अनिभ था क उसक िशकार उससे मा एक मीटर क दूरी पर जमीन पर लेटी ई
उसी क ओर देख रही है।
चांदनी के िबखरे काश म उसने ख डहर क ओर बढ़ना जारी रखा। शहरी चकाच ध
से कोस दूर उस ए टेट के आसमान म आकाशगंगा और न क अलौ कक छटा अपने
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चरम पर थी। य द समय और प रि थितयां िभ होत तो पायल आसमान क खूबसूरती


को िनहारते ए वहां कई घ टे गुजार सकती थी। वा गक सौ दय से भरे उस जगह का
इ तेमाल बुरे काम के िलए करके उस जग़ह को अिभश बना दया गया था।
पायल ने अपने छु पने के िलए एक बड़े और ल बे-चौड़े ख डहर को चुना। हालां क वह
भी व त हो चुका कोई घर था फर भी अ य ख डहर क अपे ा बेहतर ि थित म था।
हालां क उसक आधी छत ढह गयी थी और िखड़ कयां और दरवाजे पूरी तरह नदारद थे,
जो ठ डी हवा के आगमन के िलए एक सुगम रा ता मुहय ै ा करा रहे थे।
थक ई होने के कारण वह ख डहर के गंदे और घूल-िम ी से अ े ए ठ डे फश पर लेट
गयी। उस वीरान जगह पर पायल के एकाक पन का एहसास चरम सीमा तक बढ़ चुका
था। इस ण उसके पास करने के िलए कु छ नह था और न ही कसी आक मात खतरे का
भय था, इसिलए उसने अपने मि त क को िवचार के बहाव म बहने दया। एक बार फर
उसक सोच भूतकाल म जाकर एक बड़ी ‘ टार’ बनने क अपनी मह वाकां ा पर जाकर
ठहर गयी। वह उन िसलिसलेवार घटना के बारे म सोचने लगी, जो डॉ फ चानहर
को टी.वी. पर देखकर उसके इं टी ूट म जाने के बाद से शु ई थ और िज ह ने उसे
उस दशा म प च ं ा दया था।
आंख ब द करने के बाद उसे अभय का चेहरा नजर आया। उसने अपनी बेवकू फ और
उतावलेपन के िलए खुद को कोसा। य द उसने डॉ फ के साथ जाने के बजाय अभय के
साथ िडनर को तरजीह दी होती तो आज प रि थितयां कतनी अलग होत ।
काफ देर के बाद पायल उठी और उस ख डहर से बाहर आ गयी। हवा पूव क भांित ही
ठ डी थी। चांद और तारे भी पूवत: चमक रहे थे। उसके िलए ये अनुमान लगाना अस भव
था क भोर होने म कतना समय शेष था। ले कन अब उसका आ मिव ास लौट आया था
और वह अपने भागने क योजना को अमल म लाने का पूरा मन बना चुक थी।
वह टॉय ेन क पट रय तक प च ं ी और उनके बीच म चलते ए फामहाउस क दशा
म आगे बढ़ने लगी, जो उस जगह से काफ दूर था। पायल का गंत वह फामहाउस नह
था। जब वह ए टेट के म य भाग म प च ं गयी तो पट रय से नीचे उतरकर आयरन गेट
क ओर चल पड़ी। वह ए टेट के बीच म मौजूद एक ऐसी जगह से वा कफ थी, जहां क
चारदीवारी महरौली ए रया के मेन रोड के बेहद समीप से गुजरती थी।उसने ये सोचकर
उस िह से का चुनाव कया था क वहां से उसे भागने का सुगम और सुरि त रा ता िमल
सकता है। इसके अलावा एक कारण ये भी था क य द वह आयरन गेट या ख डहर क
ओर से भागने क कोिशश करती तो उसक इस कोिशश का वारलॉक बड़ी ही सहजता से
अनुमान लगा लेता।
उसे अपने पैर से थोड़ी दूर पर क पन महसूस होना शु आ, जो िसफ टॉय ेन से ही
उ प होता था। वह घुटन के बल बैठ गयी और बायां कान पट रय क ओर ले गयी। उसे
कोई म नह आ। ये आवाज....ये आवाज िब कु ल वैसी ही थी, जैसे टॉय ेन उसक ओर
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दौड़ी चली आ रही हो।


वह खौफजदा हो उठी। उसका मि त क मानो सोचने-समझने क शि गंवाकर
िनि य हो गया। य िप वह गहरी मुसीबत म थी, फर भी सामा य से कह अिधक
साहस का दशन कर रही थी। उसक अंतरा मा उसे आगे बढ़ने और प रि थितय का
मुकाबला करने के िलए उकसा रही थी। अंतरा मा क उसी शि के वशीभूत होकर वह
फर से अपने पैर पर उठ खड़ी ई और पट रय के बीच अपनी पूरी मता से िवप रत
दशा म, बंजार के ख डहर क ओर अ धादुधं दौड़ पड़ी।
जब तक उसे बंजार के ख डहर नजर आया उसके पीछे से आता शोर कणभेदी प
अि तयार कर चुका था। पायल ने अपनी गित म जरा भी कमी कये बगैर पीछे देखा।
उसके जीवन का सवािधक अिव सनीय और हैरतअंगेज दृ य उसके सामने था। टॉय ेन
अपने इं जन के बीचोबीच लगे ब ब के गोले दायरे वाले काश से पट रय को रोशन करते
ए अपनी उ तम र तार से उसक ओर दौड़ी चली आ रही थी। उसके सबसे पहले िड बे
म मौजूद वारलॉक बैठने के बजाय खड़ा आ था। चांदनी म उसका सुनहरा मुखौटा चमक
रहा था। वह िड बे के कनारो पर खड़ा आ था, वह अपनी दोन भुजा को ऊपर
फै लाकर कसी जंगली और वहशी जानवर क मािन द जोर-जोर से गज़न कर रहा था।
एक सनक और वहशी काितल को, भयानक तथा कु ि सत इरादे के साथ तेज र तार ेन
पर खड़े होकर दोन हाथ उठाकर जोर-जोर से चीखते ए देखना एक खैफनाक और रीढ़
क ह ी म िसहरन भर देने वाला अनुभव था। पट रय के बीच से होकर भाग रही पायल
के पीछे ेन बंदक
ू से िनकली गोली क मािन द लगी ई थी और तीत होता था वह कभी
भी पायल को र द सकती थी।

वह ण- ित ण अपनी सांस से मह म होती जा रही थी। ख डहर के िनकट प च ं कर


जब उसने पीछे देखा तो पाया क ेन का काश सीधे उस पर पड़ रहा था और वह
आगामी कसी भी ण उसके ऊपर से गुजर सकती थी। अपने शरीर म बाक बची शि के
एक-एक अंश का उपयोग करते ए उसने अपनी गित को बढ़ाया ले कन हर गुजरते ण के
साथ ेन और उसके बीच फासला कम होता जा रहा था। उसके पीछे से आती ेन क
रोशनी अब उसके आगे के रा ते को भी रौशन करने लगी थी, जब क वारलॉक क
िच लाहट ेन क इं जन के शोर के साथ घुलकर और भी ककश हो उठी थी।
इससे पहले क ेन उसके पैर को छू भी पाती, वह एक सेके ड से भी कम समय म हवा
म उछली और पटरी से नीचे कू द गयी। वारलॉक त ध होकर उसे अिव सनीय भाव से
देखता रह गया। उसक गदन खुद-ब-खुद पायल के उस अनापेि त कृ य और उसके
प रणाम को देखने के िलए उसक दशा म मुड़ गयी। और फर जब उसने वापस अपने
सामने देखा तो तब-तक ब त देर हो चुक थी। वारलॉक को ऐसा लगा मानो धरती क
छाती म रा ता पैदा हो गया हो। वा तव म आ ये था क टॉय ेन अपनी पटरी से उतर
गयी थी और उसे िलए ए त ु गित से ख डहर के पास मौजूद एक ग े म जा िगरी थी।
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यह पायल का तु प का प ा था। जान बचाने के िलए चली गयी उसक आिखरी चाल
थी। और इसे कामयाब आ देख वह खुशी से झूम उठी। वा तव म ख डहर म िछपने के
िलए जाने से पहले ही उसने सरकस के कबाड़ खाने से लोहे का एक रॉड िनकाल ली थी
और उसक सहायता से दो पट रय को जोड़ने वाले नट और फश ले स (पट रय ) को
पहले ही ढीला कर दया था। अपने छोटे-मोटे ज म से िवचिलत ए बगैर वह उठ बैठी।
उसे अभी भी यक न नह हो रहा था क ये सब-कु छ उसक क पना और अनुमान के
मुतािबक इतनी सहजता से हो गया था। वह वारलॉक क दु ता, ू रता और वहशीपन से
जीत चुक थी। अब वह वतं थी।
ले कन राहत और खुशी के वे ण के वल थोड़े समय के िलए ही थे। वह ढंग से सांस भी
न लेने पायी थी क अगले ही पल एक िव फोट से समूचा ए टेट थरथरा उठा। वह पीठ के
बल धरातल से जा टकरायी। वह धमाका ग े म िगरी टॉय ेन का था, िजसका मलबा हवा
म काफ ऊंचाई तक उछल गया था। ऐसा लगता था क धमाका इं जन म आ है। ए टेट म
दन क तरह रौशनी िबखेरते ए कई बड़े-बड़े शोले हवा म उठ रहे थे।
ेन म लगी आग ण भर म ही गैसोलीन से भरे उन के न तक जा प च ं ी, िज ह
वारलॉक ने गाड़ी के आिखरी िड बे म रखा था। हवा म आग क बेहद ऊंची लपट छोड़ते
ए एक के बाद कई धमाके ए। पायल ग े के तल से िनकली और फर ेन क पट रय
पर चढ़ गयी।
वह पैर म लगे चोट के कारण लड़खड़ाते ए आग क लपट से दूर जाने लगी। अभी वह
थोड़ी ही दूर चल पायी थी क शोर सुनकर वह ठहर गयी। उसक गदन खुद ब खुद पीछे
क ओर मुड़ गयी और फर उसक आंख त ध रह गय , य क उसने अपनी िज दगी का
सवािधक अिव सनीय दृ य को देखा। टॉय ेन क पट रय के बीच वारलॉक खड़ा था।
पायल उस ण कं कत िवमूढ़ होकर रह गयी, जब उसने अपने सामने उस पैशािचक
ाणी को कमर पर हाथ रखे ए खड़े देखा। वह अपनी पूरी शि से िच लाया- “एक
साधारण सी आग मुझे मौत क न द नह सुला सकती लड़क । इस युग क बुराई का तीक
ं म। वारलॉक ं म।”
पायल अपनी िज दगी क उस सवािधक ल बी रात म ठ डी हवा के बीच खड़ी िसहर
रही थी, जब क आग के शोले हवा म ऊंचाई तक लहरा रहे थे। वहां फै ल रही तेज रोशनी
से ऐसा लग रहा था, जैसे ग े के आस-पास क घास, पेड़-पौधे और ख डहर भी आग क
चपेट म आ गये थे। वह अपने एिड़य के बल घूमी और एक ण क भी देरी कये िबना
अपनी पूरी मता से दौड़ पड़ी।
वारलॉक भी चेतावनी भरे लहजे म चीखते ए उसके पीछे दौड़ पड़ा। वह दािहने हाथ
म िलए ए अपने बिल-कु ठार को हवा म लहरा रहा था। ठीक उसी ण, जब वह पायल
पर झप ा मारने वाला था, पायल बगैर कसी चेतावनी के मुड़ी और उसक दोन जांघ के
बीच म अपनी पूरी ताकत से हार कया। वह दद से चीखते ए घुटन पर बैठ गया। दद
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से उसका चेहरा िवकृ त हो उठा। उसके िगरते ही उसका तलवार भी हाथ से छू टकर िगर
पड़ी। पायल ने तुर त तलवार को उठा िलया और वारलॉक पर हार करने क कोिशश
क , क तु इससे पहले क वह तलवार को वारलॉक के िज म म पेव त कर पाती, वारलॉक
के मजबूत हाथ ने उसक कलाई को हवा म ही थाम िलया। उसने अपनी कलाई को उसके
िशकं जे से छु ड़ाने का यास कया ले कन िवफल रही। वारलॉक उससे कह अिधक
ताकतवर था। उसने उसक कलाई को बुरी तरह जकड़ िलया था। तलवार उसके हाथ से
छू टकर समीप क ल बी-ल बी झािड़य म जा िगरी थी।
इससे पहले क वह दोबारा अपने पैर पर खड़ा हो पाता, पायल ने एक बार फर बेहद
िनदयतापूवक उसक जांघ के बीच भीषण हार कया। उसने एक बार फर दद से बुरी
तरह चीखते ए आंख ब द कर ली। पायल उसके िगर त से अपनी कलाई को छु ड़ाकर
नाक क सीध म भाग खड़ी ई। वह न जाने कब तक दौड़ती रही, क तु जब वह और
अिधक दौड़ने म स म नह रह गयी तो जमीन पर िगरकर हांफने लगी। कु छ दूरी पर
अभी भी आग क लपट नजर आ रही थ । ये देख उसका दल बैठने लगा। इसका मतलब ये
था क वह अभी भी उस थान के करीब थी, जहां ेन दुघटना ई थी। उसे ये समझने म
यादा समय नह लगा क वह अपनी घबराहट के कारण गोल दायरे म च र काटते ए
एक बार फर वह आ गयी थी, जहां से चली थी।
उसने जमीन पर पड़े-पड़े ही अपनी मुखता पर खुद को कोसा। इसका मतलब, मुखौटे
वाला आदमी अभी भी उसके आस-पास ही होगा। वह अब सोचने लगी क मुखौटे के पीछे
िछपे रहने वाला वह आदमी के वल डरावना ही नह था, अिपतु ऐसा लगता था जैसे उसके
पास अमानवीय शि यां भी थ । वह उसे जीिवत देखने के सदम से अभी तक उबर नह
पायी थी। वह सहजता से इस नतीजे पर प चं गयी थी क कोई भी साधारण इं सान इतनी
बड़ी दुघटना के बाद तब-तक जीिवत नह बच सकता है। उसे मदद क िनता त
आव यकता थी, ले कन उस वीराने म उसक मदद को कौन आ सकता था?
पायल क नजर अपनी ओर बढ़ते एक साये पर पड़ी, जब वह साया और करीब आ गया
तो उसने चांद के काश म देखा क वह पागल िब टू था, जो इस ण अजीबोगरीब दशा
म नजर आ रहा था। वह हवा म उछलते-कू दते ए चल रहा था। उसक भुजाएं फै ली ई
थ और वह अपने मुंह से ऐसे श द उगल रहा था, जो समझ के दायरे से बाहर थे। पायल
बुरी तरह च क उठी। उसक रग म सनसनी भर गयी। िजस िब टू को वह गूंगा समझ रही
थी, वह बोल सकता था। या फर हो सकता था क वह गूंगा हो ही न बि क क ही और
कारणो से वयं को दूसर के सामने खुद को गूंगा दखाता हो।
“िब टू। िब टू। तु ह मेरी मदद करनी होगी। लीज।” वह िच लायी।
ले कन उसक गुहार अनसुनी रह गयी। िब टू उसक ओर कोई यान दए बगैर अपनी
ही धुन म म त होकर उस चांदनी रात म उछलते-कू दते ए दूर चला गया। पायल के
अनुमान के मुतािबक़ वह ‘ल ला-ल ला लोरी, दूध क कटोरी, दूध म बताशा, मु ा करे
तमाशा’ जैसी कोई तुकबंदी गा रहा था।
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इससे पहले क वह अपने िवचार या भावना को संयत कर पाती, उसे वारलॉक क


पागल जैसी गजना सुनाई पड़ी। गदन पीछे घुमाने पर उसने देखा क वारलॉक दौड़ता
आ उसी क ओर आ रहा था। ऐसा लगा जैसे पायल क रग म त ु गित से िबजली क
लहर दौड़ पड़ी। ये शायद मौत का खौफ ही था, जो वह फर से अपने पैर पर उठ खड़ी ई
और अपने सभी घाव और दद को भूलकर फर से दौड़ पड़ी। वह दुघटना थल के िनकट
खड़ी चारदीवारी क ओर भाग रही थी, जहाँ अभी भी आग क लपट और धुएं के गु बार
हवा म काफ ऊंचाई तक उठ रहे थे।
वारलॉक अपने तलवार को दोन हाथ से थामकर िसर के ऊपर उठाए ए इस कदर
पायल का पीछा कर रहा था, मानो शेर कु चाले भरकर भागती ई कसी िहरनी का
िशकार कर रहा हो। वह उसके करीब, और करीब आता जा रहा था। पायल भी इस बात से
वा कफ थी। उस चारदीवारी क ओर, जो अभी भी बेहद फासले पर था, दौड़ते ए
लगातार पीछे मुड़कर उसक ओर देखती जा रही थी। वह नृशंस ह यारा उस ण पायल
पर झपटने ही वाला था।
पायल और वारलॉक, दोन ही आ यच कत रह गए। िजस चारदीवारी क ओर पायल
बढ़ रही थी, वह ढह गयी थी और उसे व त करते ए एक फायर इं जन ए टेट म दािखल
हो गया था। उसके पीछे पुिलस क अनिगनत गािड़याँ थ , िजनके सायरन तेज वर म
चीख रहे थे।
फायर इं जन और पुिलस क गािड़या दुघटना- थल के ठीक पहले क गई। भीषण आग
क लपट से िघरी उस चांदनी रात म पुिलस वैन क हेडलाइट मुखौटे वाले उस आदमी पर
के ि त थी, िजसने टोपी वाला लबादा पहना आ था और जो हाथ म तलवार थामे ए
था। सभी पुिलसकम अपनी-अपनी बंदक ू और रवा वर िनकालकर उस ख़ूनी को िनशाने
पर ले चुके थे जो हेडलाइट क रोशनी म चमक रहा था।
“अपने हिथयार फक कर दोन हाथ ऊपर उठा लो।” लाउड पीकर पर एक आवाज
गूंजी- “य द तुमने खुद को कानून के हवाले नह कया तो तु हे मर िगराया जायेगा।
तु हारे पास के वल ‘तीन’ िगने जाने तक का व है।”
“एक।” लाउड पीकर पर आवाज गूंजी। पायल ने देखा क एस.यू.वी. के खुले दरवाजे के
पीछे पोजीशन स भाले ए पुिलसकम गोिलयाँ चलाने के िलए तैयार थे।
वह अपने दोन हाथ ऊपर उठाए ए उनक ओर िच लाते ए दौड़ी- “मुझे मत मरना।
मने कु छ नह कया। असली अपराधी तो वो है। म िनह थी ।ं उसके साथ मुझे मत
मारना।”
“दो।” लाउड पीकर चीखा।
पायल दोड़ते ए सीधे एक खाक वद पहने ए एक पुिलसकम से जा टकराई और
उसक बाह म िगरते ए बोली- “म पायल ।ं मुझे मत मारना। ये मेरा पीछा कर रहा है।
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ये मुझे अपने तलवार से इसिलए मार देना चाहता है य क म इसके ख़ूनी खेल को देख
चुक ।ं ” इससे पहले क वह आगे कु छ कह पाती, उसक चेतना िवलु हो गयी।
जैसे ही लॉउड पीकर ने ‘तीन’ कहा, वारलॉक ने अपनी तलवार फककर दोन हाथ
ऊपर ऊपर उठा िलया। पुिलसकम फौरन उसक ओर दौड़ पड़े। उ ह ने उसे ध ा देकर
जमीन पर िलटा दया। गािड़य क रोशनी म कसी िछपे ए हिथयार क खोज म उसके
िज म क तलाशी ली गयी। त प ात उसके ारा जमीन पर फक तलवार को को क ज़े म
ले िलया।
आिखरकार जब उ ह ने उसका सुनहरा मुखौटा हटाया तो उ ह ने देखा क वह गोरी
न ल का आदमी था, िजसक आंख म िनराशा और चेहरे पर समपण के भाव थे। उ ह ने
उसे हथकड़ी पहनायी और ध े देते ए एक पुिलस वैन के िपछले िह से क ओर बढ़ गये।
पुिलस क दो गािड़या मैदान क टू टी ई चारदीवारी से बाहर िनकली, िजन शीष भाग
पर लगे लाल ब ब जग-बुझ कर रहे थे। उनम से एक म डॉ फ चानहर था, जो गाड़ी के
िपछले िह से के फश पर मशीनगन से लैस पुिलसक मय से िघरा आ बैठा था। दूसरी
गाड़ी म पायल थी, िजसका िसर एक पुिलसकम क गोद म था। वह अभी भी बेहोश थी।
अन तः उसका दुः वपन ख़तम हो गया था जब क वारलॉक का अभी शु ही आ था।

खंड 2
िनयित का ितशोध
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अ याय 9
तहक कात

इं सपे टर उदय ठाकु र ाइम ांच के ऑ फस क एक कु स पर िवि छ भाव से बैठा


था। उसने अपनी कै प उतार कर मेज़ पर रखी ई थी।
“मने सुना क आपको हेड ाटर म तलब कया गया था।” उसके सहायक सब-इं सपे टर
िब ोई ने आते ही कहा।
“डी.सी.पी. भूपत ने मुझे एक नया के स स पने के िलए बुलाया था।”
“कौन सा के स?”
“एक डांस इं ि ट ूट के डायरे टर को उसके महरौली ि थत फ़ामहाउस से आज सुबह
िगर तार कया गया है। िगर तारी के व वह एक लड़क क ह या करने का यास कर
रहा था। फलहाल वह थानीय पुिलस क िहरासत म है, जब क लड़क क मूलचंद
हॉि पटल म देखभाल हो रही है।”
“यह के स इतनी ज दी हमारे िवभाग को य स प दया गया? या वह महरौली-
ह यारा है?”
“उसक वक ल बेहद तेजतरार है। जब उसे उसके लाइं ट से िमलने नह दया गया तो
उसने काफ हो-ह ला मचाया और तुरंत ही हेड ाटर के सामने ेस-कां स बुला ली।
इसके बाद वह जॉइं ट पुिलस किम र और फर पुिलस किम र तक भी प च ँ गयी। उसने
दावा कया क उसके लाइं ट, जो क एक अंतरराि य याित ा श स है, को िबना
कसी अपराध के गैरकानूनी ढंग से िहरासत म िलया गया है।”
इं सपे टर ठाकु र को ये नह पता था क डॉ फ चानहर का दो त रोिहत, के ीय
मंि मंडल म दबदबा रखने वाले एक मं ी के साथ शहर के लेि टनट गवनर से िमला था
और उनसे अपने दो त क रहाई के साथ-साथ उसक िगर तारी क उ तरीय जांच
कराने क भी गुहार लगाई थी। त प ात लेि टनट गवनर के ऑ फस से पुिलस किम र
को आये मा एक फोन ने पूरे महकमे को हरकत म ला दया था। मीिडया ारा उठाये जा
रहे सवाल ने भी पुिलस पर अित र दबाव बनाने का काय कया था।
“चूं क थानीय पुिलस टेशन शहर म हो रहे िवरोध दशन को रोकने म त था,
इसिलए यह के स ाइम- ांच को सुपुद कर दया गया और मुझे बतौर
इ वे टीगेशन ऑ फसर िनयु कया गया।”
“के स क िडटेल या है?”
“अभी तक हमारे पास के वल पायल चटज का ाथिमक बयान ही है, जो उसने
ए.एस.आई. राजवीर यादव को दया है। मने िडटेल हािसल करने के िलए राजवीर से फोन
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पर बात क थी। जब लड़क होश म आयेगी तो हम उसका िव तृत बयान लगे। तब तक


तुम साउथ ए सटशन ि थत ‘ डॉ फ इं ि ट ूट ऑफ़ परफॉ मग आ स’ चले जाओ।
डॉ फ को एक लड़क को गैरकानूनी ढंग से फ़ामहाउस म कै द करने और उसक ह या के
यास के जुम म आिधका रक प से तलब करने से पहले हम उस लड़क के बयान क पुि
करनी होगी।”
“म आधे घंटे म मूलचंद हॉि पटल जा रहा ।ँ ” उसने अपना र टवाच देखते ए कहा-
“लड़क का बयान रकॉड करने के बाद म चानहर के ए टेट जाऊंगा और मामले क
तहक कात क ं गा। मने फॉरिसक सा य इक े करने के िलए लेबोरे टरी से लोग को बुलाया
है, िजनम फोटो ाफर और िविडयो कै मरामैन भी शािमल ह। ऊपर से ब त ेशर है; हम
कल ही चानहर को कोट म पेश करना होगा। लड़क के बयान क पुि करने और उस
आदमी के िखलाफ यादा से यादा सबूत इक े करने के िलए हमारे पास के वल आज शाम
और रात का ही समय है। तभी हमारा वक़ ल डॉ फ क पुिलस िहरासत क माँग पर
जोरदार बहस कर सकता है और जज से उसके उसक जमानत यािचका को खा रज करने
क अपील कर सकता है, जो उसक वक ल कल ज र ही दायर करे गी।”
“म अभी साउथ ए सटेशन जाता ।ँ ” िब ोई ने उठते ए कहा।
“ए.एस.आई. जीवन साद को यहाँ भेजते जाना। म उसे चानहर को क टडी म लेकर
यहाँ लाने के िलए महरौली पुिलस टेशन भेजूंगा। हालां क मुझे नह लगता यह काम
करे गा, यक न उससे पूछताछ करते ए मै उसे अपना जुम कु बूलने के िलए मज़बूर करने
क एक कोिशश ज र क ं गा। तुम साउथ ए सटशन का काम िनपटा कर इस पते पर चले
जाना।” उसने राइ टंग पैड से एक कागज़ िनकालकर िब ोई को देते ए कहा।
“ वंसेट को टेलो।” िब ोई ने कागज़ पर िलखी इबारत पढ़ते ए कहा- “ये कौन है?”
“ फलहाल म भी नह जानता। इसका िविज टंग काड डॉ फ चानहर के पस से
बरामद आ था। हमारे आदमी जब डॉ फ को यहाँ लाने के िलए पुिलस टेशन जायगे तो
वह काड और पस उ ह स प दया जाएगा। ले कन थोड़ी देर पहले जब मने ए.एस.आई.
यादव से बात क थी तो उसने मुझे फोन पर ही उस काड पर िलखा नाम और पता बता
दया था। उसने बताया क यह आदमी औरतो के अंडर गारम स का ापार करता है और
इसका ऑ फस हौज खास म है। तुम जाकर उससे बात करो। और य द वह चानहर के बारे
म कु छ जानता हो तो उसे यहाँ ले आओ।”
“जब आप खुद महरौली जाने वाले ह तो हम अिस टट सब इं सपे टर जीवन साद को
वहां भेजने क या ज रत है?”
“ य क ये व का तकाजा है। जैसा क मने तुमसे पहले ही कहा, मुझे मूलचंद
हॉि पटल प च ं कर लड़क का बयान लेने के बाद सा य इक े करने के िलए फामहाउस भी
जाना है। मेरे पास इतना व नह है क म पुिलस टेशन जाऊं और अिभयु को िहरासत
म लेकर यहाँ ले जाऊं।” उसने झ लाए ए वर म कहा।
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“सॉरी सर।” उसका मातहत झप गया और उसे सै यूट करते ए ऑ फस से िनकल


गया।

शाम के साढ़े चार बजे के आस-पास का व था, जब इं सपे टर ठाकु र मूलच द


हॉि पटल प चं ा, जहां पायल को दािख़ल कया गया था। उसने लॉबी म एक पुिलस लक
को अपना इ तजार करते ए पाया। लड़क के कमरे के बाहर उसने एक भीड़ को कां टेबल
के साथ बहस करते ए देखा। “ या हो रहा है यहां?” उसने अिधकारपूण लहजे म पूछा।
“तुम कौन हो?” भूरे बाल, रौबीले चेहरे और िब लौरी आंख वाली एक मिहला ने
िनभ क वर म पूछा।
“इं सपे टर उदय ठाकु र। म इस कमरे म मौजूद लड़क से ता लुक रखने वाले के स का
इ वेि टगे टव ऑ फसर ।ं ”
“ये पायल क मां ह।” एक युवती ने आगे आते ए प कया- “म उसक सहेली
शािलनी ,ं ये मेरा यॉय े ड नरे श है और वह हमारा फै िमली े ड अभय है।”
“आप लोग यहां बखेड़ा य खड़ा कर रहे ह?” इं सपे टर ने कड़ी आवाज म पूछा।
“इस कां टेबल ने सुबह से हम पायल से िमलने नह दया है।” उसने िशकायत क ।
“ए.एस.आई. राजवीर यादव ने ऑडर दया था क कसी को लड़क से िमलने न दया
जाए।” कां टेबल ने इं सपे टर को सै यूट करने के बाद कहा।
“और उसने ठीक कया था।” उदय ने कहा- “आप लोग सुिनए। म जानता ं क आप
लड़क के प रवार वाले और उसके शुभिच तक ह। म उस लड़क से िमलने क आपक
इ छा और ता को समझता ,ं ले कन आप लोग को मेरे ारा उसका बयान िलये
जाने तक ती ा करनी होगी। ये एक थािपत कानूनी या है और कसी को भी इसम
ह त ेप करने क अनुमित नह है। उसका बयान लेने और उस बयान क पुि करने के
बाद ही हम चानहर, िजसने उसे परे शान कया है, के िखलाफ कु छ ठोस कारवाई कर
पाएंगे।”
“आपका मतलब है क डॉ फ चानहर?” अभय ने हैरत से भरे वर म पूछा- “पायल
क गुमशुदगी से उसका या ता लुक़?”
“वही पता करने के िलए म यहां आया ।ं लड़क को उसके फॉमहाउस से उस व
बचाया गया था, िजस व वह उसक ह या करने का यास कर रहा था। म जब अपना
काम िनपटा लूं तो आप बाक चीज उससे िव तार से पूछ सकते ह।” उसने कहा और
दरवाजे से अ दर दािखल हो गया।
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उसने कमरे म एक युवती को िब तर पर लेटे ए पाया। उसका िसर दो त कय के सहारे


थोड़ा सा उठा आ था और सफे द युिनफॉम पहनी ई एक नस उसके बगल म टू ल पर
बैठी ई थी।
“हैलो। म ाइम ांच से इं सपे टर उदय ठाकु र ।ं ” उसने अपना प रचय दया- “िमस
पायल चटज ?”
पायल ारा पुि म गदन िहलाए जाने पर उसने कहा- “आपका के स हमारे िवभाग को
ह ता त रत कर दया गया है। और म यहां आपका बयान लेने के िलए आया ।ं ”
“ या मुझे देखने के िलए कोई नह आया है? या आपने मेरी सहेली शािलनी को मेरे
बारे म बताया है?”
“आपके प रवार वाले और दो त बाहर इं तज़ार इं तज़ार कर रहे ह। मुझे अपना बयान
देने के बाद ही आप उनसे िमल सकती ह।”
“वह इं सपे टर कहां है, िजसने सुबह मुझे बचाया था?”
“वह महरौली पुिलस टेशन से था। फलहाल म इस के स के आई. ओ. (इ वेि टगेशन
ऑ फसर) के तौर पर यहां ्ं और आपको भरोसा दलाता ं क हम उन लोग के िखलाफ
कड़ी कारवाही करगे, िज ह ने आपको परे शान कया था।”
पुिलस लक के साथ सोफे पर बैठने के बाद वह नस क ओर मुड़ा और कहा- “िस टर,
कु छ देर के िलए हम अके ला छोड़ दीिजये।”
“डॉ टर ने कहा है क पेशे ट गहरे सदम से गुजरी है और ऐसा कु छ भी नह कया जाना
चािहए, जो उसक तबीयत फर से ख़राब कर दे।”
“म इसका यान रखूंगा। आप बुलाए जाने तक बाहर इं तज़ार कर,” इं सपे टर ने कहा।
जब नस ने दरवाजा खोला तो पायल ने शािलनी, अभय और अपनी मां क िणक झलक
देखी। अपनी मां को वहां देखकर उसे सुखद आ य आ। उसने इं पे टर को कहते सुना-
“िमस पायल। म आपको के वल सच बोलने का सलाह देना चा ग ँ ा य क आपके बयान
क पुि क जाएगी और फर उसके आधार पर ही आरोपी के िखलाफ चाजशीट तैयार
करके उसे कोट म पेश कया जाएगा। िबना कसी डर के आप हम सच बताइए, ता क हम
कानून के तहत अपराधी को सजा दलवा सक। सबसे पहले आप हम जो कु छ आ था, उसे
अपने श द म बताइए।”
पायल ने इं सपे टर को डॉ फ चानहर से अपनी पहली मुलाकात से लेकर पुिलस
ारा बचाए जाने तक क पूरी घटना बयां कर दी। उदय और उसके साथ का लक, दोन
ही पायल के ारा सरकस, वारलॉक क िशशु बिल और उसके िशकार क कहानी सुनकर
त ध रह गये। पायल ने जब अपनी बात ख म कर ली तो इं सपे टर ने उसक ओर थोड़े
संदहे क दृि से देखा। जैसे वह पायल क मानिसक संतुलन को लेकर िनि त न हो।
“मेरी ओर इस तरह मत देिखए इं सपे टर।” पायल ने कहा- “मने जो कु छ भी कहा, वह
सच है।”
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“म ऑ फिशयल पुिलस रपोट म हर चीज का उ लेख नह कर सकता, य क इसे कोट


म पेश कया जाएगा। कृ पया अपना बयान एक बार फर दोहराएं। इस बार बयान को
कलमब करने वाले लक क स िलयत का यान रखते ए थोड़ा धीरे बोल।”
उसने अपना िसर िहलाया और इं सपे टर के िनदशानुसार अपना बयान रकॉड करवाने
लगी। जब उसका बयान ख म हो गया तो इं सपे टर ने उस पर पायल के साइन िलए और
उसके शी वा य-लाभ क कामना करते ए कमरे से बाहर िनकल गया। उसने ये
िनदश भी दया क उसका कोई िम या प रवार का कोई सद य ेस या कसी अ य के
स मुख कु छ न कहे। जैसे ही वह कमरे से बाहर िनकला, बाहर ती ा कर रहे लोग अ दर
घुस आए। पायल के िलए अगले ण अपने सगे-स बि धय से भावुक मुलाकात के थे।
☠☠☠
महरौली ि थत ए टेट के गेट के सामने पुिलस क गाड़ी प च ँ ी। चौक दारी के िलए
िनयु कया गया कां टेबल उस तक प च ं ा और ाइवर के बगल म बैठे इं सपे टर को
सै यूट कया।
“तुम महरौली पुिलस टेशन से हो?”
“हां साब।”
“ए.एस.आई. यादव ने मुझे तु हारे बारे म बताया था।” इं सपे टर ने कहा- “अ दर
आओ और हम इस जगह को अ छी तरह से दखाओ।”
“आप हैड ाटर से ह साब?” कां टेबल ने गाड़ी म बैठने के बाद स मानजनक लहजे म
पूछा, जो अब फामहाउस के धूल -िम ी वाले क े रा ते पर चल रही थी।
“हम ाइम ांच से ह। ये के स हम ांसफर कर दया गया है।” इं सपे टर उदय ठाकु र ने
जवाब दया- “तुम कब से यहां हो?”
“सुबह से ही ं साब।” उसने उ र दया- “जब उस आदमी को िगर तार कया गया,
जो एक लड़क क तलवार से ह या करने क कोिशश कर रहा था तो म भी ए.एस.आई.
यादव के साथ ही था।”
“ या यहां कोई आया था, या सबूत के साथ छेड़खानी क गयी थी?”
“नह । म ए टेट के गेट पर ही था और फॉमहाउस के अ दर बाक के कां टेबल थे।”
“ या इस जगह म दािखल होने का कोई और रा ता है?”
“ये पूरी बंजर जगह एक चारदीवारी से िघरी है। चारदीवारी का जो िह सा फायर
इं जन ारा ढहा दया गया था, उसक भी लोहे के तार से घेराब दी करके मर मत कर ली
गयी है।”
कृ ि म झील के पास बंगले के पोच म खड़ी टोयोटा ाडो के पीछे पुिलस क गाड़ी के
कने के बाद वह सब लोग नीचे उतरे ।
“लैब के आदमी कब तक यहां प च ं गे?” उदय ने अपने महातत से पूछा।
“उ ह अब तक यहां प च ँ जाना चािहए था।” ए.एस.आई. ने अपनी घडी देखते ए
कहा- “हो सकता है वे शाम के भारी ै फक म फं स गये ह ।”
इं सपे टर उदय ने अपना िसर िहलाया और दूर िनकल गया। उसने इमारत क संरचना
का यानपूवक देखते ए उसका एक च र लगाया। वह इमारत क छत पर बने शीशे के
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िपरािमड म िवशेष दलच पी ले रहा था, िजसके िवषय म पायल ने उसे पहले ही बता
दया था। वह कां टेबल क ओर मुड़ा और उनके फॉमहाउस प च ं ने तथा वहां देखे गये
दृ य के बारे म िसलिसलेवार जानने के बाद अपने मातहत के साथ खुले दरवाजे से
फामहाउस म दािखल हो गया।
जब िबजली का ि वच ऑन कया गया तो पुिलसक मय ने खुद को ाइं ग म म पाया।
डॉ फ चानहर क े म क ई एक त वीर फायर लेस के ऊपर टंगी ई थी। सहसा
इं सपे टर को कु छ याद आया और वह अपने बगल म मौजूद ए.एस.आई. क ओर मुड़ा-
“ डॉ फ को वह ब ा कहां से िमला था, िजसे उसने पायल के कथनानुसार बिलवेदी पर
कु बान कर दया था?”
“उसे उसने ज र अगवा कया रहा होगा।” मातहत ने स भावना क।
“म भी कु छ ऐसा ही सोच रहा था। कल सबसे पहले गुमशुदा ि य का रकॉड रखने
वाले िडपाटमे ट म जाओ और उनके िपछले प ह दन के रकॉड को खंगालो। शु आत
उन इलाक से करो जो इस फॉमहाउस के दस कलोमीटर के दायरे म मौजूद पुिलस टेशन
के अ तगत आते ह। य द कसी गुमशुदा ब े क जानकारी िमले तो उसक िडटेल लेकर
ऑ फस प च ं ो।”
“य द कोई ऐसी रपोट न िमली तो?”
“तो फर अपनी खोज का दायरा बढ़ा देना। एन.सी.आर. के सभी क ब और द ली के
आस-पास के शहर को कवर करना। य द हम उस ब े क पहचान करने और उसका
डॉ फ से उसका ता लुक जोड़ने म सफल हो सके तो उसके िखलाफ हमारा के स मजबूत
हो जाएगा।”
“वह ब क बिल चढ़ाता था?” उनके साथ मौजूद महरौली पुिलस टेशन के कां टेबल
ने घृिणत लहजे म पूछा।
“तुम लोग ने िजस लड़क को सुबह बचाया, उसी ने मुझे बताया क वह आदमी एक
ू र तांि क है।” इं सपे टर ने उसे बताया।
“ब े क उ कतनी थी?”
“छः मिहने के आस-पास। तुम य पूछ रहे हो?” उदय ने इस मामले म उसक
गैरज री दलच पी पर गौर करते ए पूछा।
“लगभग प ह दन पहले कु छ ामीण हमारे पुिलस टेशन आए थे साब। उ ह ने
बताया था क गांव क दो लड़ कयां जब जंगल म सूखी लकिड़यां चुनने गयी थ , तो उन
पर एक आदमी ने हमला कया था। जब वे भाग तो उनम से एक अपने छोटे भाई को
उठाना भूल गयी थी। गांव वाल के साथ उस जगह पर वापस लौटने पर ब ा उ ह वहां
नह िमला था।”
“ये कहां आ था?” इं सपे टर उदय ने त काल पूछा।
“राजकोरी के जंगल के पास साब। ले कन हमारे एस.आई. साब ने कोई एफ.आई.आर.
ही दज नह क य क इस बात पर िव ास करने के िलए उनके पास पया कारण नह
था क कोई आदमी वहां महज़ एक ब ा चुराने आया था। ब े का बाप एक गरीब मजदूर
था, जो कानूनी खचा नह उठा सकता था। उस समय यही लगा था क जंगल म हमलावर
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ने लड़ कय का रे प करने क नीयत से उ ह िनशाना बनाया था। और िजस ब े को उ ह ने


अपने पीछे छोड़ दया था, उसे कोई जंगली जानवर उठा ले गया रहा होगा। ामीण ने
भी यही सोचा था और इस मामले को लेकर कोई हंगामा नह कया। इन गरीब लोग के
पास ढेर सारे ब े होते ह, और इसिलए ये उनम से कसी एक के खो जाने पर वो यादा
दुखी नह होते।” कां टेबल ने अपनी ि गत राय जािहर क ।
“वह आदमी चानहर ही रहा होगा। िजस जगह पर इस घटना का होना बताया गया,
वह जगह यहां से यादा दूर नह है।” इं सपे टर ने अपनी उ ेजना को छु पाने म असफल
होते ए कहा- “ या तुम लोग ने उस आदमी का नाम-पता िलया था?”
“नह साब।” कां टेबल ने अफसोसजनक लहजे म कहा- “ले कन म वह इलाका जानता
।ं उस जंगल म बस थोड़े ब त ही छोटे-छोटे गांव ह। िजस आदमी का ब ा गायब आ
था, उसका पता हम आसानी से लगा सकते ह।” उसने आ मिव ास के साथ कहा।
“सूरज।” उदय ने अपने साथ के ए.एस.आई क ओर मुड़ते ए कहा- “इस कां टेबल को
अपने साथ लेकर उस जगह पर जाओ और उस आदमी से िमलो, िजसका ब ा गायब आ
है। उसे और उसक लड़क को, िजस पर हमला आ था, लेकर वापस आओ। उस ब े के
अपहरण से डॉ फ के स ब ध को सािबत करने के िलए ये बेहद ज री है।”
“ले कन साहब यह भी तो हो सकता ह क उस ब े को कसी जानवर ारा उठा िलया
गया होगा, जैसा क महरौली पुिलस टेशन आए लोग ने भी माना था।”
“ कतने साल से तुम ाइम ांच म हो?” उदय ने स त लहजे म पूछा- “इस िडपाटमट
म हम चीज को ‘मानकर’ नह चलते ह, बि क मामले क ढंग से पड़ताल करते ह। पुिलस
टेशन जैसा ढीला रवैया हमारे यहां नह चलता, कम से कम मेरे सामने तो िब कु ल भी
नह ।”
“सॉरी सर। म गुमशुदा ब े के मां-बाप और च मदीद गवाह का पता लगाकर उ ह यहां
ले आऊंगा।” ए.एस.आई. ने सहमत होते ए कहा।
“यही सही त रका है, ले कन तु ह उ ह ढू ंढने म यादा समय लगेगा। यहां आने से पहले
मुझे फोन कर लेना। य द हमारा यहां का काम ख म हो चुका होगा तो तु ह उ ह लेकर मेरे
ऑ फस म आ जाना, ले कन ये काम कल पर मत छोड़ देना, य क मुझे सुबह चानहर
क कोट म पेशी से पहले ही उनसे पूछताछ करनी है।”
ए.एस.आई. ने सहमित म िसर िहलाया और जाने को उ त आ।
“एक कां टेबल को साथ ले लो और उसे ए टेट के गेट पर खड़े कर देना। फॉरिसक
साइ स िडपाटमट के लोग और फोटो ाफस को अंधेरे म ये जगह ढू ंढने म क ठनाई होगी।
हमारा आदमी अगर बाहर सड़क पर ही उ ह देख लेगा तो उनक कार को रा ता दखा
सकता है।”
अपने मातहत के जाने के बाद इं सपे टर उदय ठाकु र ने उस पूरे जगह का और उसके
बनावट का िनरी ण कया, जो ब वैसा ही था, जैसा पायल ने बताया था। उसने
बेड म, कचन, पीछे क ओर खुले ए दरवाजे और अपने आदेश पर जलवाए गये
शि शाली लैश लाइट क रोशनी म टॉय ेन क ‘यू’ आकार वाली पट रयां भी देख ।
थोड़ी देर बाद जब पुिलस लैबोरे टरी के टॉफ आ गये तो वह उनके साथ छत पर प च ं ा।
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वे लोग शीशे का िपरािमड, खौफनाक मू त, बिलवेदी और फश पर बनी िविच आकृ ितय


को देखकर हैरान रह गये। “म चाहता ं क तु हे यहां से खून के नमूने और िजतने भी
फं गर ंट िमल सकते ह, उ ह उठा लो। तु हे यहां फं गर ं स के कम से कम दो सेट, एक
पायल के और एक चानहर के िमलगे। मुझे इस िपरािमड क िविडओ ाफ भी चािहए,
ता क म कोट को दखा सकूं क उस आदमी ने यहां पर कस तरह क जगह बना रखी है।
इस जगह क ि थर त वीर भी लो। िपरािमड क बाहरी तथा अंद नी त वीर के साथ-
साथ मुझे उसके देवता क , बिलवेदी क और फश पर बनी इन आकृ ितय क त वीर भी
चािहए।”
“बिलवेदी और मू त दोन ही फश से जुड़ी ह।” फॉरे ि सक साइ स िडपाटमट के एक
आदमी ने सूिचत कया- “ये यहां से बाहर नह ले जाये जा सकते।”
“उसक ज रत नह है। के वल लड के सै प स और फं गर ंट उठा लो। फोटो ा स
और वीिडयो ही कोट के िलए पया सबूत ह गे और य द जज क इ छा ई तो वे खुद
कभी भी यहां आकर इसे अपनी आंख से देख सकते ह। ये काम ख म करने के बाद तुम
नीचे आओ और बाहर पोच म खड़ी गाड़ी, कमर , कचन तथा टॉयलेट से भी फं गर ंट
उठा लो। अपनी ओर से अिधक से अिधक फं गर ंट और फॉरिसक सा य इक े करने क
कोिशश करो। इसके साथ ही साथ मुझे टॉय ेन के ैक क भी त वीर और िविडओ ाफ
चािहए। चूं क अभी अंधेरा िघर रहा है इसिलए तुम लोग टॉय ेन के मलबे, सरकस,
बंजार के ख डहर और उस थान क िविडओ ाफ और फोटो ाफ , जहां टॉय ेन
पट रय से उतरी थी, करने के िलए कल सुबह भी आना होगा।” उसने आदेश दया और
शीशे के िपरािमड से बाहर आ गया।
ाइं ग म म प च ं कर सोफे पर आसीन होने के बाद उसने अपने अि टटट को कॉल
कया।
“िब ोई। अब तक क या रपोट है?”
“मने लड़क के बयान क पुि कर ली है। उसका नाम साउथ ए टशन ि थत डॉ फ
के इं टी ूट के छा क सूची म दज है। मने इं टी ूट के कमचा रय से पूछ-ताछ क ,
ले कन उ ह ने बहाना बनाकर टाल दया। उनम से कसी ने भी अपने मािलक के िखलाफ
बयान देने म दलच पी नह दखाई। मने उस क यूटर को सील कर दया है, िजससे सभी
छा के रकॉड और अटडस रिज टर मेनटेन कये जाते थे। म इस व वंसट को टेलो से
बात करने यू ड कॉलोनी जा रहा ं और य द वह चानहर के बारे म कु छ जानता होगा
तो म उसे ऑ फस ले आऊंगा।”
“शाबाश, तुमने अ छा काम कया है,” कहने के बाद इं सपे टर ठाकु र ने कॉल
िड कने ट कर दी।
लगभग एक घ टे बाद ए.एस.आई. सूरजपाल एक डरे ए मजदूर और आठ साल क
लड़क के साथ वापस आया। “यही वो आदमी है, िजसका ब ा उस व गायब हो गया,
जब जंगल म इसक बेटी पर कसी ने हमला कया था।” उसने अपने उ ािधकारी से उन
दोन का प रचय कराते ए कहा।
दोन इं सपे टर ठाकु र के सामने फश पर बैठ गए। कॉ टेबल का संकेत पाकर आदमी ने
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जो कु छ आ था, उसके बारे म बताने का यास कया। उसक बात को प या अपने


काम क न पाकर इं सपे टर लड़क क ओर मुड़ा। “तु हारा नाम या है?” उसने पूछा।
“रीटा।” उसने आ मिव ास के साथ कहा।
“तुम मुझे बताओ, उस दन जंगल म या आ था?” उसने पूछा- “डरो मत। हम के वल
उस आदमी को तलाश करने तथा उसे सजा दलाने क कोिशश कर रहे ह, िजसने तुम पर
हमला कया था।” लड़क ने िसर िहलाया और आ मिव ासपूण लहजे म अपने पर ए
हमले का बारे म बताया। उसके थमने के बाद इं सपे टर ने पूछा- “ या तुमने उस आदमी
को देखा था? या तुम उसे पहचान सकती हो?”
“हां साब।” उसने कहा।
उसने लड़क को डॉ फ चानहर क े म क ई त वीर को दखाया, िजसे उसने
फायर लेस के ऊपर से उतारकर सामने टेबल पर उ टा रख िलया था। “ या यही वो
आदमी है?” लड़क ने उस त वीर को नजदीक से देखा और वीकृ ित म अपना िसर
िहलाया। वह इस कदर रोमांिचत हो उठी थी क कु छ भी बोल पाने म असमथ हो रही थी।
“डरो मत, सब कु छ ठीक है।” उसने लड़क को ढांढस बंधाने के येय से कहा।
“यही वो आदमी है, िजसने मुझ पर हमला कया था साब।” उसने दृढ़ वर म कहा।
इं सपे टर के होठ पर अथपूण मु कान िथरक उठी। वह लड़क के बाप क ओर मुड़ा-
“तु हारी बेटी का बयान लेने और इस आदमी क िशना त करवाने के िलए हम उसे पुिलस
टेशन बुलाएंगे।”
“साब। हम लोग ब त गरीब लोग ह। इन सबका खच...।”
“तु ह कु छ भी देने क ज रत नह है। हम तु ह गांव से ले आने और फर वापस छोड़ने
के िलए एक जीप भेजगे। तु ह िच ता करने या कसी से डरने क ज रत नह है। समझे
तुम?”
हालां क वह कसी िन य पर नह प च ं पाया था और अभी भी दुिवधा म था, कं तु
फर भी उसने अपना िसर िहलाया। “ या अब हम जा सकते ह साब?”
“हां। सूरज। इस आदमी के साथ महरौली पुिलस टेशन जाओ और इसके गायब ए
ब े क गुमशुदगी क एफ.आई.आर. दज करवाओ। य द वहां का ूटी ऑ फसर
टालमटोल करे , तो म उससे और उसके एस.एच.ओ.से बात क ं गा। इसके साथ ही िमस
पायल चटज को अवैध प से बंदी बनाने और उसक ह या का यास करने के एवज म
डॉ फ चानहर के िखलाफ एफ.आई.आर.दज करवाओ। दोन एफ.आई.आर.क कॉपी
मुझे चािहए, जो कोट म जमा कये जाने वाले के स पेपस का िह सा ह गे। इसके बाद इस
आदमी और इसक लड़क को गांव तक छोड़ देना।”
मजदूर और उसक लड़क ने इं सपे टर का आभार कट कया और सूरज के साथ चले
गए। फॉरिसक साइं स िडपाटमट के आदमी भी अपना काम ख म कर चुके थे और जाने क
तैयारी कर रहे थे। उ ह फोटो ा स और वीिडयो क िड क अपने ऑ फस म जमा कराने
का आदेश देकर इं सपे टर ठाकु र भी अपनी जीप पर वंहा से रवाना हो गया। वापसी के
रा ते म उसने िव ोई से वंसट को टेलो के बारे म पूछा। दूसरे िसरे से उसे सूचना िमली
क वह आदमी डॉ फ का सौतेला भाई है और फलहाल उसका अिस टट उसे ऑ फस ले
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आ रहा है, जहां वो उससे िव तार से पूछताछ कर सकते थे। कॉल िड कने ट करने के बाद
उसने आंख ब द कर ली और अपना िज म ढीला छोड़ दया। उसने अपने लैदर जैकेट क
जीप ऊपर तक बंद कर रखी थी। दस बर क सद रात म उसक जीप ऑ फस क ओर बढ़
रही थी।

वंसट को टेलो साढ़े चार फ ट लंबा सौ य मुखाकृ ित वाला ि था। उसके गंजे िसर
पर जो थोड़े ब त बाल बचे थे, वे काले थे। इं पे टर ठाकु र इस बात से अनिभ था क
उसक श ल आ यजनक प से हॉलीवुड के िनदशक और अिभनेता ‘डैनी डे िवटो’ से इस
हद तक िमलती थी क उसके िम और साथी ये शत लगाकर कहते थे क वह डैनी का
लोन है। और उसे वंसट या को टेलो क बजाय ‘डैनी’ बुलाने से यादा सहज थे।
“तो आप ही िम टर वंसट को टेलो ह?” ठाकु र ने ऑ फस क कु स पर बैठते ए पूछा।
“ लीज मुझे डैनी बुलाइए।” को टेलो, जो खुद को डैनी सुनने का अ य त हो चुका था,
इं सपे टर से बोला।
“ य ?” ठाकु र ने अपनी भौह उचकाते ए पूछा।
“ये बस....ये बस इसिलए, य क हर कोई मुझे डैनी ही बुलाता है। जब आप मुझे वंसट
को टेलो कहते ह तो मुझे महसूस होता है क आप इस कमरे म मुझसे नह बि क कसी
और से बात कर रहे ह।”
इं सपे टर ठाकु र ने चेहरे पर िविच भाव िलए ए उसे घूरा। उसने शी ही बात करने
के अपने सलीके को बदलकर पेशेवर लहजे म पूछा- “और िम. िवन...मेरा मतलब है क
डैनी, आप डॉ फ चानहर के भाई ह?”
“सौतेला भाई कहना यादा ठीक होगा।” उसने कु स पर पहलू बदलते ए कहा।
“मुझे िव ास है क ये बात आपको भी मालूम होगी क हमने आपके सौतेले भाई
डॉ फ चानहर को आज सुबह िगर तार कया है?”
“हाँ। आपका मातहत मुझे बता रहा था।” डैनी ने अपने बगल म बैठे िब ोई पर िणक
दृि पात करते ए कहा।
उनक बात के बीच टी- टाल से आया एक लड़का आमलेट के साथ नमक का िछड़काव
कये ए भुनी ई ेड के लाइस और गम कॉफ़ के साथ अ दर दािखल आ। लड़के ारा
वह सब मेज पर रखकर वापस जाने तक वे खामोश रहे।
“ये या है?” ठाकु र ने अपने अिस टट से पूछा।
“मने लंच के बाद से कु छ नह खाया है और साथ ही मने सोचा क आप भी कु छ ह का-
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फु का ले सकते ह।” िब ोई ने ड
े क दो लाइस, िजनके बीच आमलेट भरा आ था,
उठाते ए कहा- “कौन जानता है क काम के बीच अब हम कब खाने को िमलेगा।”
“ या आप भी हमारा साथ देना चाहगे िम. को टेलो?” इं सपे टर ने अपना याला गम
कॉफ़ से भरते ए पूछा।
“नह शु या। मुझे लेट हो रहा है। म िजतनी ज दी संभव हो सके , ये सब िनपटाकर
अपने घर जाना चाहता ।ँ मुझे सुबह समय पर दुकान खोलनी है।” डैनी ने कहा।
“हाँ ज र। आप थोड़ी हमारी तरह चौबीस घंटे नौकरी करते ह। आप भला ये जहमत
य उठाएंगे?” ठाकु र ने एक आह भरकर कहा। िब ोई ारा टेबल पर रखी गयी िसरदद
क दवाई के प े से उसने दो गोिलयां ल और उ ह हलक से नीचे उतारने के िलए
शी तापूवक गम कॉफ़ का घूँट भरा। “मुझे उ मीद है क आपक मौजूदगी म हमारे खाने
से आपको कोई तकलीफ नह होगी।”
“िब कु ल भी नह । आप िन ंत रह।”
“आप यू ड कॉलोनी म रहते ह न?” ठाकु र ने आमलेट के साथ ेड का एक टु कड़ा
चबाते ए कहा।
“मेरे उस काड पर यही छपा था, िजसक सहायता से आपका अिस टट मुझ तक प च
ं ा
और मुझे यहाँ ले आया।” डैनी ने अपने लहजे म थोड़ी खीज के साथ कहा।
“गलत सवाल। मुझे मा क िजये। ये मुझे थोड़ा हैरान कर रहा है क अंडरिवयर बेचने
वाला कोई आदमी साउथ द ली के पॉश इलाके म इतने बड़े बंगले म रह सकता है।”
“म से समैन नह बि क मेनेजर ँ इं सपे टर। म अपने धनी ाहक को मंहगे और
इ पोटड लेिडज अंडर गारम स बेचता ।ँ जहाँ तक बंगले क बात है तो वह मुझे मेरे बॉस
ारा दया गया है। इससे पहले क आप मुझसे पूछ, म आपको ये भी बता दूं क मेरी सेकंड
है ड कार भी मेरे बॉस क ही दी ई है।”
“आप भा यशाली ह िम. डैनी। इस शहर म इतना उदार बॉस िमलना आसान नह है।
उसने आपको अपने िलए िनहायत ही ज री पाया होगा, तभी आपको ऐसी सुिवधाय
द ।” इं सपे टर ने अपने याले से गम कॉफ़ का घूँट भरते ए कहा।
“वह िबजनेस चलाने के मामले म पूरी तरह से मुझ पर िनभर है। ावहा रक प से म
ही उस इं टर ाइज (कं पनी) को चलाता ।ँ म नह समझता क डॉ फ चानहर और मुझे
िसफ इसिलए परे शान कया जाएगा य क हम दोन का मिहला से पाला पड़ता है।”
“ या आपको नह लगता क आप अपने भाई के बारे म कु छ यादा अ छा सोचते है?”
“देिखये इं सपे टर। इस बात को यह छोड़ दीिजये। आपने मुझे यहाँ मेरी जं दगी के
बारे म बात करने के िलए नह बुलाया है, है न?”
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“नह । हमारी दलच पी आपके भाई डॉ फ चानहर म है।”


“ब ढ़या। और मेरी उसम ज़रा भी दलच पी नह है। या अब म जा सकता ?ँ ”
“आप इतने अधीर य हो रहे ह सर। कम से कम ये तो सोिचये क मेरे अिस टट और
मने िपछले चौबीस घंट म एक झपक तक नह ली है। और इसक पूरी संभवना है क हम
आज क रात भी िबना सोये ही गुजारनी पड़ेगी।”

“आपके काम करने के मुि कल हालातो से मुझे सहानुभूित है, ले कन उसम मने या
कया है? खे लहजे म बात करने के िलए म माफ चाहता ं ले कन हां, मने आपको इस
कु स पर नह बैठाया है।”
“हां िम.डैनी। आपने नह बैठाया है, ले कन कम से कम आप यहां हम अपने भाई के बारे
म बताकर, उसके िखलाफ जांच म हमारी मदद करके हमारा काम आसान कर सकते ह।”
“सॉरी। मेरा उससे न कोई वा ता है और न ही म उसके बारे म कु छ जानता ।ं ”
“इतनी ज दबाजी मत दखाइए िम. को टेलो। डॉ फ चानहर के पस म आपका काड
या कर रहा था? वह अजनबी नह आपका भाई है, जो आपके ही शहर म रहता है।”
“देिखए इं सपे टर। म िमलनसार ि ।ं म ब त से लोग से िमलता ं और उ ह
बेिहचक अपना िविज टंग काड दे देता ।ं म अपने एक-एक कॉड का िहसाब नह रखता।
और फर य द डॉ फ चानहर के पास मेरा कॉड था, तो इसका मतलब ये ज री नह क
उसने जो कु छ कया अथवा आप लोग क सोच के मुतािबक़ जो कु छ कर रहा है, उसम
मेरा भी हाथ हो।”
“ऐसा लग रहा है, जैसे आप पहले से ही इस के स के बारे म बहस करने के िलए तैयार
होकर आये ह। यह बेहद अजीब सी बात है य क थोड़ी देर पहले तक तो आप अपने भाई
क िगर तारी से वा कफ भी नह थे। या फर आप पहले से ही ये अनुमान लगा रहे थे क
वह अपनी जीवन-शैली के कारण वो एक न एक दन िगर तार होने वाला है?”
“मुझे नह मालूम क आप कस बारे म बात कर रहे ह इं सपे टर। डॉ फ चानहर
और म के वल सौतेले भाई ह। हम दोन कभी भी एक-दूसरे के करीब नह रहे। यहाँ तक क
उन दन म भी जब हमारी माँ इं िडया म रहती थी। य िप हम दोन एक ही शहर म रहते
ह, फर भी हम मुि कल से ही एक दूसरे से िमल पाते ह।”
“जब आप डॉ फ चानहर से नह िमले तो उसके पास आपका िविज टंग कॉड कै से
आया?”
“शायद मने उसे िग ट अथवा ी टंग काड के साथ अपना िविज टंग काड भी कभी
भेजा रहा होगा। जैसे दवाली, समस या यू ईयर के समय।”
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“ये अजीब है। अभी-अभी आपने कहा क आप दोन कभी एक-दूसरे के करीब नह रहे,
तो फर आप उसे िग ट या ी टंग कॉड य भेजे ह गे? या आपने उसे अपने िविज टंग
काड के साथ लेिडज अ डर गारमे स का पासल भेजा था, ता क वह काड देखकर समझ
सके क पासल भेजने वाला कौन है।” इं सपे टर ठाकु र ने उसे कठोर नज़र से देखते ए
पूछा।
“लेिडज अ डर गारम स का भला डॉ फ या करता?”

“म नह जानता। आप ही बताइए। या उसने उसे अपने कसी मिहला िम को उपहार


व प दया था? य द ऐसा है तो कौन है वह?”
“देिखए इं सपे टर। आप बेकार ही समय बबाद कर रहे ह। सबसे पहली बात ये क
पासल के ज रए कसी को लेिडज अ डर गारम स भेजना, जैसा क आपने क पना क है,
कोई अपराध नह है। और न ही ये अपराध है क कोई उसे अपनी मिहला िम को उपहार
म दे। इन सबसे भी ऊपर ये है क आपक दलच पी के वल डॉ फ चानहर म ही होना
चािहए न क मेरे जीवन, मेरा पेशे और मेरी गितिविधय म।”
“सही कहा। हमारी दलच पी के वल उसी म है।”
“तो मुझे जाने दीिजए। मेरा उससे या उसके कसी गैरकानूनी काम से कोई स ब ध नह
है। मुझे एक बात साफ-साफ बताइए, या इस व म िहरासत म ?ं ”
“नह ।”
“तो फर म जाना चा ग
ं ा।”
“देिखए िम. डैनी। हम कोई खेल नह खेल रहे ह। आपके भाई को एक लड़क को ब धक
बनाने और उसक ह या के यास के जुम म िगर तार कया गया है। इसके साथ ही शायद
उसने कसी ब े क भी ह या भी क है। अब हम अपने के स को सािबत करने के िलए
आपके सहयोग और साथ क आव यकता है।”
“आप नह जानते क डॉ फ कतना भयानक हो सकता है।” वह एक सांस लेने तक
का और फर आगे बोला- “ या आप यक न कर सकते ह क जब वह के वल सात साल का
था, तो उसने मेरे आँख के सामने ही एक ब े क ह या कर डाली थी?”
“न....नह ...।” इं सपे टर भौच ा रह गया।
“ दन दहाड़े।” डैनी ने इस कदर कांपते ए कहा, मानो उसका जेहन अतीत क धारा म
बह गया हो- “हम लोग अपनी माँ के प रवार के साथ आि या-जमन बॉडर के पास डानुबे
नदी के बाँध पर िपकिनक मनाने के िलए गए थे। नदी वंहा आकर झरने के प म बदल
जाती थी। पनिबजली के उ पादन म यु होने वाला सैकड़ गैलन पानी जब भीषण
गजना करते ए झरने के प म िगरता था तो ढेर सारे धुंध और कु हांसे उड़ते थे। वहां
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हमारी तरह स ाहांत का लु त उठाने वाले कई लोग थे, जो अपने प रवार के साथ आये
ए थे। बड़े लोग ने अपनी कु सयां खोल ल और झरने के करीब िबछे चटाईयो पर बैठ
गए थे, जब क हम ब े िभ -िभ कार के खेल खेलते ए दूर िनकल गये।
वहां से थोड़ी दूर पर नदी से िनकलने वाली एक नहर थी, जो सीमटेड दीवार के बीच
से होकर बहती थी। चूं क लंच म घंटे भर का समय था, इसिलए सभी ब ने तैरने का
िनणय िलया और नहर म नहाने के िलए लोहे क सी ढ़य से नीचे उतर गए। डॉ फ ने
हमारे डरपोक और बुज दल होने का मजाक उड़ाते ए सीमटेड दीवार के ऊपर से २०-३०
फु ट नीचे उस नहर म कू द कर हम डरा दया था। के वल एक बार ही नह उसने बाक ब
को रोमांिचत और उ सािहत करने के िलए ऐसा कई दफे कया था।
हालां क उसका दशन भािवत करने वाला था, फर भी वह उस ब े पर हावी होने म
असफल रहा था, िजसने रा य तर क कई तैराक टू नामट म भाग िलया था और अपनी
कलाबािजय और अ य करतब का दशन करके लड़ कय को भािवत कर रहा था। इन
सब चीज ने डॉ फ को ोध से भर दया। इस कार मात खाने क वजह से उसक आँख
नफ़रत से जल उठ । हम सभी ब े अपने माँ-बाप ारा लंच के िलए बुलाये जाने पर वहां
से चले गए जब क मेरा भाई और वह लड़का नहर म तैरते रहे।
रा ते म मुझे याद आया क म अपनी बॉल नहर के कनारे छोड़ आया ँ और म उसे
लाने के िलए वापस चल पड़ा। जैसे ही म बॉल उठाने के िलए झुका मने देखा क डॉ फ ने
अपने ित द ं ी को पीछे से पकड़ रखा था और उसके िसर को बेहद िनदयतापूवक लोहे के
डंडे से वार कर रहा था। आक मात हमले के कारण वह लड़का डॉ फ को िलए ए नहर
म जा िगरा। नीचे देखने पर मने पाया क मेरे भाई ने अपने दु मन का गला घ टते ए
उसके िसर को तब तक बलपूवक पानी म डु बाये रखा, जब तक क उसका संघष और
उसक भयानक चीख ददनाक मौत के प म शांत न हो गय । वह इतने पर ही संतु नह
आ। उसने लड़के के शरीर को पानी क धारा म बहने के िलए छोड़ने से पूव उसके चहरे
और खोपड़ी को नहर क दीवार से टकरा-टकरा कर त-िव त कर दया।”
उन चीख क याद ने को टेलो को खामोश कर दया और उसका चेहरा कसी अ ात
भय से जद पड़ गया। उसने अपना च मा उतारा और कहा- “म बुरी तरह सहम गया था
ले कन डॉ फ नह डरा था। नह । जब वह नहर से बाहर आया तो उसके चेहरे पर भय
या प ाताप का एक कतरा तक नह था। मुझे आज भी याद है क जब वह बाहर आया था
और अपने खून पुते चेहरे से मेरी ओर देखा था तो उसके होठ पर डरावनी मु कान थी,
िजसके बाद वह पागल क तरह हंसने लगा था। मै डर और दहशत म नहर के पास से
िजतनी तेजी से भाग सकता था, उतनी तेजी से भाग गया।”
“"तुमने उस शैतान को बदा त कै से कया?”
“उस दन के बाद हम एक छत के नीचे रहते ए भी एक-दूसरे के िलए अजनबी हो गए।
म हमेशा उससे डरा आ रहता था। और जब यारह साल पहला हमारी माँ ने भारत
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छोड़ा तो हमारे रा ते अलग हो गये। ये के वल एक घटना है।” डैनी फर से डरा आ नजर


आया, क तु उसने दृढ़ लहजे म कहा- “िजससे आप अंदाजा लगा सकते ह क उस आदमी
म कतनी बुराई और बदी भरी ई है। वह पूरी तरह से अनैितक और पाप क जं दगी
जीता है और इसीिलये वह अपने मामल म बेहद िनरं कुश है।”
“हम आपको कोट म बुला सकते ह िम टर डैनी और आपको आपक इ छा के िव
गवाही देने के िलए बा य कर सकते ह।”
“समय आने पर ये भी कर लीिजये, म भी देखूँगा। तब तक के िलए म समझता ँ क म
इस देश का एक वतं नाग रक ,ँ जो अपनी मज से कह भी जा सकता है। जब आपके
पास मेरे िखलाफ कु छ भी नह है तो आपको मुझे यहाँ मेरी मज के िखलाफ बैठाने का
कोई अिधकार नह है। इसिलए म समझता ँ क मेरा यहाँ से चले जाना ही बेहतर है।”
इतना कहने के बाद हॉलीवुड टार डैनी डी िवटो का वह ‘ लोन’ उठ खड़ा आ और
इं सपे टर या उसके मातहत पर नजर डाले बगैर ऑ फस से बाहर चला गया। वे दोन
अपनी कु सय पर िनि य अव था म बैठे रह गए। वे दोन चेहरे पर हैरत िलए ए उस
दरवाजे को देखने लगे, िजससे िनकलकर को टेलो गया था।
“लगता है वह हम उकसा रहा था िब ोई। तुम या कहते हो?” इं सपे टर ने एक दीघ
िन: ास छोड़ी।
“उसने सच कहा था साहब। हमारे पास उसके िखलाफ कु छ भी नह है
और न ही हम उसे उसक मज के िखलाफ हमारी सहायता के िलए मजबूर कर सकते
ह।”
“हो सकता है। ले कन जो चीज मुझे सबसे यादा परे शान कर रही है, वो ये है क वह न
तो हमारे यूिनफाम से भािवत आ और न ही इस बात से क वह ाइम ांच के ऑ फस
म है।”
“आप दोन ही बात गलत है इं सपे टर।” डैनी ने दरवाजे के बीच दोबारा कट होते ए
कहा- “मुझे लगता है क म अपना लाइटर यह छोड़ दया।” वह अ दर दािखल आ और
िजस कु स पर बैठा था, उस कु स से अपना िसगरे ट लाइटर उठा िलया।
“एक सेकंड िम. डैनी।” इं सपे टर ने कहा- “आपने हम इतना कु छ बताया, फर भी आप
हमारी मदद करने को तैयार य नह है?”
“ य क म आपसे या आपक पुिलस फ़ोस से यादा अपने सौतेले भाई से डरता ।ँ म
आपको एक छोटी सी सलाह दूग ं ा इं सपे टर।” डैनी ने अपनी आवाज धीमी रखते ए कहा-
“इस पर अमल करना न करना आपके ऊपर है। य द आपक जगह म होता तो डॉ फ
चानहर से दूर ही रहता। वह खतरे क घंटी है।”
“तुमने पहली बार िब कु ल सही कहा डैनी।” डॉ फ चानहर ने एक कां टेबल के साथ
दरवाजे पर कट होते ये कहा।
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“ये यहाँ या कर रहा है?” इं सपे टर ठाकु र अपनी कु स से उठते ए िच लाया।


“इसने कहा क यह आपसे थोड़ी देर बात करना चाहता है।” कां टेबल ने िमिमयाते ए
कहा।
“इसे अभी इसी ण यहाँ से ले जाओ।” ठाकु र फर िच लाया।
“मने इ ह कु छ भी नह बताया डॉ फ।” डैनी अपने भाई के सामने िगड़िगड़ाया।
“म ज द ही ये पता लगा लूंगा। और य द तुमने ऐसा कया होगा तो तुम जानते हो क
म या- या कर सकता ।ँ ” डॉ फ चानहर ने अपने होठ पर ू र मु कान िलए ए
भयानक लहजे म कहा।
“इसक िह मत तो देखो।” ठाकु र ने अपने अिस टट से कहा- “यह हमारे ही सामने एक
गवाह को धमका रहा है।”
डैनी बेहद डर गया। वह इस कदर दीवार से िचपकते ए दरवाजे तक प च ं ा मानो
डॉ फ कसी भी ण उस पर झपट पड़ने वाला हो। उसका भाई उसे इस तरह डर कर
भागते ए देख कर हंसा और इं सपे टर क ओर मुड़ते ए कहा- “दरअसल वह सही कह
रहा था। म तु ह सुझाव देता ँ क उसक सलाह पर अमल करो और मुझसे मत उलझो।
डैनी जानता है क म कतना वहशी हो सकता ।ँ ”
“अब तुम एक पुिलस वाले को धमका रहे हो।” ठाकु र ने अिव ास के साथ कहा।
“ यादा ए टंग करने क ज रत नह है। तु हारे पास इस धमक का कोई सबूत नह
है। तु हारे और तु हारे सहायक का बयान कोट म सबूत के तौर पर नह वीकार नह
कया जाएगा। डैनी कभी भी मेरे िखलाफ गवाही नह देगा। मेरा िव ास करो। वह हमेशा
से ही एक चूहा रहा है। वह मेरे िखलाफ एक श द तक नह बोलने वाला है। तुम उसके
च र म के वल अपना समय बबाद कर रहे हो।”
जब कां टेबल डॉ फ चानहर को लेकर हवालात म चला गया तो ठाकु र
फर से अपनी कु स पर थक कर बैठ गया और सब इं सपे टर िब ोई के साथ आगामी
सुबह होने वाली कोट क सुनवाई क तैया रयां करने लगा। िजस समय उ ह ने के स क
तैया रयां और उसक प रचचा समा क उस समय तक वे खुद को बेहद थका आ
महसूस करने लगे थे। सरकारी वक ल के आगमन को लेकर उनका अनुमान था क वह
सुबह सात बजे आयेगा। दोन आदमी सुबह ऑ फस आने से पहले के बचे ए कु छ घंटे क
न द लेने क ती इ छा के साथ अपने-अपने घर को िनकल गए।

अ याय 10
कानूनी शह-मात

प टयाला हाउस ि थत अित र स यायाधीश ल मण साद मखीजा के कोट क


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अदालती कारवाई सुबह ठीक साढ़े दस बजे शु ई। उनके सामने एक युवा वक ल अंजली
कोहली और सरकारी वक ल जमना लाल कथू रया थे, िजनके बाल भूरे थे और आँख पर
मोटे े म का च मा था। जज ने उन के स क सूची पर िनगाह डाली, जो आज क तारीख
म सुनवाई हेतु पंजीकृ त थे। अपने डे क पर पड़े कागजात पर कौतुहल पूण दृि डालने के
बाद उ ह ने स मुख खड़े वक ल क ओर देखा।
संकेत ा होते ही अंजली आगे बढ़ी और आगे कहा- “गुड मॉ नग योएर ऑनर। बचाव
प ; िम. डॉ फ चानहर, िज ह चौबीस घंटे से भी अिधक समय से गैरकानूनी ढंग से
पुिलस िहरासत म रखा गया है, क त काल और बगैर कसी शत के रहाई क याचना
करता है।”
“मुझे कड़ी आपि है योएर ऑनर।” अिभयो ा के वक ल ने भी आगे बढ़ते ए कहा-
“अिभयु ने एक युवती को गैरकानूनी ढंग से अपने ए टेट म बंधक बना रखा था, जो क
अपने आप म एक बड़ा अपराध है। जब पुिलस ने उसे दबोचा तब वह िमस पायल को बस
क़ ल करने ही वाला था। इस बाबत योएर ऑनर के सामने डे क पर िमस पायल चटज
का शपथब बयान मौजूद है।”
“ले कन योएर ऑनर।” डॉ फ चानहर क वक ल मोहतरमा ने बहस कया-
“सुनवाई के इस ारं िभक चरण म उस बयान को अका सा य के प म वीकार नह
कया जा सकता है। बचाव प आपसे डॉ फ चानहर को िबना कसी देरी के रहा कर
देने का अनुरोध करता है।”
“ले कन योएर ऑनर।” उ दराज वक ल ने कहा- “य द बचाव प को रहा कया गया
तो वह जोिखम खड़े कर सकता है। दोषी के रहा होने क दशा म िमस पायल और उन
गवाह , िजनका नाम अिभयो ा प वाभािवक कारण से लेना नह चाहता, क सुर ा
को खतरा है।”
“ या मज़ाक है योएर ऑनर। िम. चानहर अंतररा ीय याित ा डांसर और
को रयो ाफर ह, जो सैटेलाइट चैनल के सा ािहक शो म भी नजर आते ह। शहर म उनक
अ छी ित ा और कई संपि या ह, िजनम साउथ ए सटशन ि थत ‘इं ि ट ूट ऑफ़
परफॉ मग आट’ और वसंत िवहार ि थत बंगला भी शािमल है। वे कोई आवारा या
खानाबदोश नह है, जो उ ह इस तरह उठा िलया जाए। जहाँ तक युवती क सुर ा क
बात है तो िम. चानहर इसके िलए ये हलफनामा देने को तैयार ह क जब तक ये मामला
कसी िन कष पर नह प च ँ जाता, वे िमस पायल से िमलने क कोिशश नह करगे।”
“ हम यह मंज़ूर नह है योएर ऑनर।” सरकारी वक ल ने कहा।
“सरकारी वक ल साहब इससे यादा और या मांग कर सकता है?” अंजली ने पूछा।
“उनके सभी किथत गवाह के िलए भी िम. चानहर उन शत का पालन करने के िलए
तैयार ह। बशत क अिभयो ा प उन गवाह क सूची कोट म जमा करने के िलए तैयार
हो, िजनक सुर ा वह चाहता है।”
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“योएर ऑनर।” अनुभवी वक ल ने अपना प रखा- “मुलिजम एक तांि क है। िमस


पायल, इस ू र तांि क ारा कये गए एक मासूम ब े क ह या क च मदीद गवाह ह।
िमस पायल के बयान के साथ-साथ आरोपी के िखलाफ के स क ऍफ़.आई.आर. भी महरौली
पुिलस टेशन म दज है। योएर ऑनर क मेज पर इस के स के इ वे टीगे टव ऑ फसर क
रपोट मौजूद है। आरोपी के फामहाउस क फ़ोटो ाफ़ और िविडयो ाफ भी पीिड़ता के
बयान क पुि कर रहे ह। फॉरिसक ए सप स ने अपराध- थल से मह वपूण सुराग उठाए
ह, िजनम उं गिलय के िनशान और र के नमूने शािमल ह। बेड म क अलमारी से
आरोपी का खून से सना लबादा भी बरामद आ है, िज ह िव ेषण के िलए हैदराबाद क
एक योगशाला म भेजा जा रहा है। उस िव ेषण क रपोट उिचत समय पर अदालत म
तुत क जाएगी।”
“योएर ऑनर, म समझ नह पा रही .ँ ..।” अंजली ने बहस कया- “ क अिभयो ा प
किथत खून के ध ब पर इतना जोर य दे रहा है, जब क पीिड़ता ने कह भी इस बात का
िज नह कया है क उसे मेरे लाइं ट ारा घायल कया गया।”
“खून के वे ध बे इस त य के ारं िभक सा य ह क आरोपी एक तांि क है, िजसने अपने
फामहाउस क छत पर बने शीशे के िपरािमड म शैतान क भयानक मू त के सामने
बिलवेदी पर एक छोटे ब े क बिल चढ़ाया है। आरोपी दो अलग क़ म क ज़ंदगी जीता
है। एक ज़ंदगी िस डाँसर और कु रयो फर का तो दूसरी ज़ंदगी एक भयानक और ू र
तांि क क । यही कारण है, जो इसने दो अलग ठकाने बना रखे है। एक बँगला वसंत
िवहार म और दूसरा महरौली ि थत फाम हाउस, जंहा वह तांि क अनु ान करता है।”
“योएर ऑनर। हालां क अिभयो ा प ारा गढ़ी गयी दोहरी ज़ंदगी वाली कहानी
कोई जवाब पाने के यो य नह है। म इस आरोप का कड़ा िवरोध करती ँ क मेरा िशि त
लाइं ट, िजसने दुिनया भर म शो कए ह और जो एक अंतररा ीय याित- ा कलाकार
है, वह एक तांि क भी है। मुझे हैरानी है क मेरे कािबल साथी इस तरह क फ़ मी
कहािनय पर यक न करते ह और मेरे लाइं ट पर उस पेशे म िल होने का आरोप लगाने
का हौसला भी रखते ह, िजसम भोली-भाली और अंधिव ासी जनता को मुख बनाया
जाता है। इससे भी यादा हैरान कर देने वाली तो वह लापरवाही है, िजसके तहत कानूनी
जानका रयाँ और कई साल का तजुबा रखने वाले श स ने ऐसे बेबुिनयाद आरोप लगाए।
म इ ह याद दलाना चाहती ँ क ह या का के स दज कराने क ारं िभक शत ये है क
मकतूल क लाश बरामद हो चुक हो।”
“योएर ऑनर। इस के स के इ वे टीगे टव ऑ फसर को िपछले दोपहर ही इस के स पर
िनयु कया गया है। इसिलए उनक टीम को आरोपी क उजाड़ संपि को खंगाल कर
मकतूल क लाश तलाशने के िलए समय क आव यकता है। ऐसे सभी सा य का पता
लगाने और आरोपी से पूछताछ करने के िलए ही पुिलस ने उसक सात दन के रमांड क
माँग क है।”
“ले कन योएर ऑनर। मा एक लड़क के बयान को सोसायटी के कसी स मािनत
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ि को पुिलस रमांड म भेजने के िलए पया नह समझा जा सकता है।” अंजली ने


अपना मत रखा।
“योएर ऑनर। पुिलस ने ऐसे सबूत इक े कये ह, जो पायल के बयान क पुि करते ह।
इसके अलावा पुिलस ने उस ब े के िपता को भी ढू ंढ िनकाला है, िजसे आरोपी ने नरबिल
के िघनौने इरादे से पास के गाँव से अगवा कया था। और ब े क बहन उसके अपराध क
च मदीद गवाह है।” सरकारी वक ल ने मानो िव फोट कया, िजसने डॉ फ चानहर
और उसके वक ल, दोन को त ध कर दया। “ये थम दृ या ही नरबिल और अपहरण
का के स सािबत होता है, जो आरोपी के िखलाफ भारतीय दंड संिहता क धारा 302 के
तहत आता है और इस कार उसके वक ल क ओर से दािखल क गयी जमानत यािचका
माननीय यायालय के यान देने यो य नह है।”
“योएर ऑनर। सरकारी वक ल ने अदालत म एक नए त य का खुलासा कया है। म
पांच िमनट के िवराम का अनुरोध करती ँ ता क अपने लाइं ट से इस मु े पर बात कर
सकूं ।” अंजली ने कहा।
“इज़ाजत है।” कहने के बाद जज अपने चै बर म चले गए।
अंजली कोहली और रोिहत मीरचंदानी डॉ फ चानहर तक प च ं े और उससे ज दी-
ज दी बात करने लगे। उसने अपने वक ल को फटाफट ज़वाब दए और उसके हट जाने के
बाद उसने अपने दो त के कान म कु छ कहा। रोिहत ने अपना िसर िहलाया और डॉ फ
चानहर का कं धा थपथपाते ए उसे फर से आ त कया। त प ात वापस अपनी सीट
पर चला गया।
जब जज साहब वापस लौटे तो अंजली ने कहना जारी रखा। “योएर ऑनर। बचाव प
सरकारी वक ल क ओर से लगाए गए सम त आरोप को मानने से इं कार करता है। मेरे
मुव ल न तो कसी ब े का अपहरण कया है और न ही उसे कु बान कया है और इस
कार उसे किथत जुम का कोई च मदीद गवाह हो ही नह सकता। और उन नमून क
रपोट, िजनके िवषय म सरकारी वक ल दावा कर रहे ह क वे खून के ध बे ह, अभी
लेबोरे टरी म भेजे जाने ह। सरकारी वक ल ये भी वीकार करगे क उन रपो स के आने
क संभावना एक ह ते से पहले नह क जा सकती। य द इतनी अविध के िलए मेरे
लाइं ट को मा एक प डंग लेबोरटरी रपोट, िजसम िन:संदह े वह बरी सािबत होगा, के
आधार पर जेल म भेजा जाता है तो इससे उसे भारी नुकसान होगा और उसक सामािजक
ित ा भी धूल म िमल जायेगी।”
“ले कन योएर ऑनर। जब कोई आरोपी इतने संगीन आरोप से िघरा हो तो कोट उसके
किथत सामािजक ित ा के नुकसान के आधार पर अपना फै सला नह सुना सकता।”
सरकारी वक ल ने दलील दी।
“कोट म तुत कये गए त य को म ेनजर रखते ए तथा के स के फै सले पर कोई
ट पणी न करते ए...” अित र स यायाधीश मखीजा ने कहा- “अदालत बचाव प
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क इस दलील से सहमत ह क कोट कसी ि को उस लेबोरे टरी रपोट के आधार पर


ह ते भर या पं ह दन क पुिलस रमांड म या जेल नह भेज सकता, जो आरोपी के
अपराध क पुि कर भी सकता है और नह भी कर सकता है। वह दूसरी ओर अिभयो ा
प क ओर से आरोपी के अपराध क गंभीरता के स दभ म दी गयी दलील भी वािजब है।
पुिलस फ रयादी के बयान क पूरी तरह पुि करने म समथ नह रही और न ही वह
किथत ह ाण क लाश तलाश कर पायी। ये सभी बात आरोपी के प म जाती ह। अपनी-
अपनी दलील को सािबत करने हेतु दोन प को उिचत अवसर दान करने के उ े य से
कोट ने यहाँ मौजूद दोन यािचका , आरोपी क पुिलस िहरासत और उसक जमानत
यािचका, पर फै सले को टालने का िनणय िलया है।”
“यह अदालत यहाँ उपि थत के स के आई.ओ. को एक आईडटी फके शन परे ड कराने का
आदेश देती है। आईडटी फके शन परे ड के दौरान सरकारी वक ल, बचाव प के अिधव ा
और अदालत के एक अिधकारी मौजूद रहगे तथा रपोट कल इसी अदालत म पेश क
जाएगी। इस कार दोन प क यािचका पर फै सला थिगत करते ए आरोपी को
एक दन क याियक िहरासत म भेजा जाता है। हालां क आरोपी पुिलस लॉक अप म ही
रहेगा ले कन अब से उसे यायालय क िहरासत म समझा जाए। पुिलस आरोपी के वक ल
क गैरमौजूदगी म उससे सवाल-जवाब करने क अिधकारी नह होगी।” अपने सामने
मौजूद कागजात को समेटते ए और उनका अवलोकन करते ए उ ह ने आगे कहा-
“अदालत क आगे क कायवाई कल होगी।”

कोट म के बाहर गहमा-गहमी और अफरा-तफरी का माहौल था य क मीिडया वाले


उस दन क सबसे बड़ी खबर को कवर करने को आतुर थे। फै शन, लैमर, हाई सोसाइटी
और फ म जगत क हि तयाँ भी वहां लोकि य शि सयत डॉ फ चानहर के साथ
अपनी ितब ता जताने के िलए आयी ई थ । पुिलस वाले डॉ फ चानहर को िपछले
दरवाजे से ले आये थे और यायाधीश मखीजा ने अपने अदालत म कसी कै मरे क
मौजूदगी को अनुमित नह दी थी। ले कन जैसे ही मीिडया क पलटन को पुिलस से िघरा
डॉ फ चानहर नजर आया, उ ह ने अपने टेलीिवज़न कै मरे िसर से ऊपर उठा िलए और
उसक और दौड़ पड़े। लोग के आकषण का क बंद ु बना वह श स कै मर के काश से नहा
उठा और उसके चार ओर रपोटर का जमावड़ा लग गया। पुिलस ने उसके चार ओर
मानव- ृंखला िन मत कर रखी थी, फर भी वे रपोटर क माइक को आरोप से िघरे उस
सेलेि टी तक प च
ँ ने से नह रोक सके , िजसका के स अब हाई ोफाइल के स बन चुका था।
“ डॉ फ। डॉ फ।” रपोटस िच लाये- “आपको िगर तार य कया गया? या आप
पुिलस पर मानहािन का दावा करगे? या आप ब क बिल चढ़ाते ह? या आपने उस
लड़क का बला कार कया था?”
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“म िनद ष ।ँ मुझे झूठे आरोप म फं साया गया है, क तु मुझे अदालत पर पूरा भरोसा
है और म बेकसूर सािबत होऊंगा। म पुिलस के टाचर का िशकार ।ँ अंत म सच ही
जीतेगा।” पुिलस ारा वैन म ठूं से जाने और वहां से रवाना होने तक डॉ फ चानहर
बमुि कल इतना ही कह पाया।
उसके जाने के बाद उसक वक ल अंजिल ने मीिडया से बात क । उसके अगल-बगल
सहायक वक ल और मंहगा ‘रे बैन’ सन लास लगाए ए रोिहत मीरचंदानी खड़ा था। “मेरे
लाइं ट डॉ फ चानहर िनद ष ह और कल म कोट से उनके जमानत क दर वा त
क ं गी। वह एक िति त ि ह और सोसायटी म उनका काफ मान-स मान है।
बेबुिनयाद आरोप के आधार पर उसका िहरासत म रहना कसी भी तरह से ठीक नह है।”
“ या उ ह ने अपनी टू डट का अपहरण करके उसका रे प कया? या वह ब का क़ ल
करते ह?” ध ा-मु करते मीिडया-क मय ारा अंजली से पूछा गया।
“म क़ ल के मु े पर अभी कोई ट पणी नह क ं गी य क यह सुब-जुिडस है। म के वल
इतना ही कह सकती ँ क हम पढ़े-िलखे लोग ह और इस तरह के अंधिव ास पर यक न
नह करते। एक कुं ठत मिहला, अितमह वाकां ी क तु िन सािहत अिभने ी के सािबत
कये न जा सकने वाले आरोप को मेरे लाइं ट के ोफे शनल और पसनल कै रयर को
बबाद करने क इजाजत नह दे सकती।”
रोिहत, जो उससे अलग कसी दूसरे यूज़ चैनल से बात कर रहा था, बोला “ डो फ़
चानहर के साथ उसके िम , शंसक और शुभ चंतक खड़े ह। हम उसे ग़ैरकानूनी िहरासत
से ज द मु कराने के िलए कोिशश कर रहे ह और हम पूरा िव ास है क उसके ऊपर
लगाए गए झूठे आरोप भी हट जायगे। वह एक ितभाशाली कलाकार है, िजसने अपनी
कला से कई दल को जीता है। और म िन ंत ँ क इस घटना के अंत म भी वह िवजेता
बन कर उभरे गा। जैसा क कहा जा रहा है, जीत हमेशा सच क ही होती है।”
डॉ फ चानहर क िगर तारी और पुिलस व ा तथा सरकारी वक ल ारा कोट क
कारवाईय पर कोई ट पणी न कये जाने क खबर पूरे दन-रात िविभ यूज़ चैनल से
सा रत होती रही। िजस व ये सब हो रहा था, उस व तक डॉ फ चानहर को
ाइम ांच के ऑ फस ले जाया जा चुका था। उसके पीछे यूज़ चैनल के संवाददाता क
कार और ओबी वै स भी थ । कोट के िनदशानुसार आइड ट फके शन परे ड के िलए
इं सपे टर उदय ठाकु र ने महरौली पुिलस टेशन के एस.एच.ओ. जोिग दर संह से अनुरोध
करके अप त ब े क बहन और िपता को बुलवाया था।

उस दन आर. के . पुरम ि थत ाइम ांच के ऑ फस म अ यािशत भीड़ थी।


इं सपे टर उदय ठाकु र, सब इं सपे टर िब ोई, ए.एस.आई. सूरजपाल के अलावा वहां
अपनी मिहला सहायक के साथ सरकारी वक ल कथू रया, अपने दो मातहत के साथ
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अंजली कोहली तथा एक भावहीन चेहरे वाला अधेड़ उ का ि भी था, जो यायालय


का ितिनिध था। इं सपे टर ठाकु र ने सभी प कार के प रसर म घुसने पर रोक लगा दी
थी। उस मामले को कवर करने के िलए मीिडयाक मय क एक बड़ी भीड़ उमड़ पड़ी थी
और उ ह काबू म रखने के िलए अित र पुिलसक मय को तैनात करना पड़ा था।
इस कार बेहद तनावपूण माहौल म डॉ फ चानहर के टे ट आइड ट फके शन परे ड
(टी.आई.पी.) क तैया रयां पूरी क जा चुक थ , िजसके प रणाम पर पुिलस क रमांड-
यािचका और वयं डॉ फ क जमानत यािचका क सुनवाई टक ई थी। दोपहर के चार
बज चुके थे और इ वेि टगे टव ऑ फसर के ऑ फस म इक े ए लोग गम चाय क
चुि कयां लेते ए ती ारत थे। घड़ी क टक- टक के साथ वातावरण तनावपूण और
रह यमय होता जा रहा था।
“हम और कतना इं तज़ार करना होगा?” अंजली ने पूछा। उसका धैय जवाब दे रहा था।
“महरौली के एस.एच.ओ. इं सपे टर जो गंदर संह कु छ ही िमनट म प च ं ते ह गे।”
इं सपे टर ठाकु र ने उ र दया- “जैसे ही वे आयगे, हम या शु कर दगे।”
उ ह यादा देर ती ा नह करनी पड़ी। दस िमनट बाद एक मजदूर, उसक बेटी और
ए.एस.आई. राजवीर यादव के साथ एस.एच.ओ. प च ँ गये। वे सफ़े द दाढ़ी-मूंछ वाले 54
वष य िसख थे। वे खान-पान के शौक़ न और भारी-भरकम शरीर के मािलक थे, जो एक
कराए के मकान म अके ले रहते थे। जब क उनका िवशाल प रवार, िजसम उनक माँ,
प ी, अिववािहता बेटी, बेटा और ब शािमल थे, पंजाब के कपूरथला म रहते थे। उनक
तीन बे टय क शादी हो चुक थी और सबसे छोटी बेटी क शादी लगभग दो महीने म
होने वाली थी। वे उ के ऐसे पड़ाव म प च ँ चुके थे क आधुिनक प रदृ य म पुिलस
तहक कात के नए तरीक को बदलने या फर उनके अनुकूल होने म स म नह थे और
इसीिलए उनके उ ािधका रय ने उ ह उनक सेवािनवृि तक महरौली जैसे पुिलस
टेशन का एस.एच.ओ. ही बने रहने देने का इरादा कर िलया था।
“हे भगवान। प कार ने हमारी जीप को घेर िलया था। हम यहाँ आने म काफ मश त
करनी पड़ी।” उ ह ने उ िे जत लहजे म कहा।
“यह ल छी साद है।” इं सपे टर ठाकु र ने वहां उपि थत लोग को सूिचत कया- “जो
राजकोरी जंगल के पास रहता है। इसके ब े का अपहरण कर िलया गया...मेरा मतलब है
क वह लापता हो गया है। और ये इसक बेटी रीटा है, िजस पर जंगल म कसी आदमी
ारा हमला कया गया था।”
“यही आपक तथाकिथत च मदीद गवाह है?” अंजली ने ितर कृ त लहजे म पूछा।
“हम और अिधक समय बबाद नह करना चािहए।” कथू रया ने कहा- “और कायवाही
शु कर देनी चािहए।”
“हाँ।” इं सपे टर ठाकु र ने सहमित म िसर िहलाते ए कहा- “यहाँ आओ
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बेटा।” उसने छोटी लड़क से कहा और उसके पास आने के बाद आगे बोला- “हम तु ह
एक कमरे म ले जाएंग,े जहाँ सात आदमी खड़े ह। तु ह उ ह यान से देखना होगा और
उनम से उस आदमी क पहचानना , िजसने उस शाम जंगल म तुम पर हमला कया था। म
तु हारे साथ र गँ ा, इसिलए ये सोचकर डरना मत क वह तु ह चोट प चँ ाएगा। समझ
गयी? शाबाश।”
इं सपे टर ठाकु र पूछताछ क तक प च ं ा, िजसे आईड ट फके शन परे ड के िलए चुना
गया था। वह और बाक पुिलसकम दरवाजे पर ही ठहर गए, जब क यायालय का
ितिनिध लड़क के साथ कमरे म दािखल हो गया। कथू रया और अंजली भी उसके साथ
थे। बाक लोग कौतुहलतावश गदन आगे कये ए दरवाजे पर ही ठहर कर इं तजार करने
लगे। उस साधारण से कमरे म डॉ फ चानहर छह अ य लोग के साथ खड़ा था। उसक
वक ल ने देखा क डॉ फ चानहर को छोड़कर वे सभी याह रं गत और म रयल िज म
वाले मैले-कु चैले तथा समाज के िनचले तबके के लोग थे। उसने इस त य को अपने जेहन म
नोट कर िलया, ता क अगर आईड ट फके शन परे ड का प रणाम उसके मुवि क़ल के
िखलाफ आये, तो वह उस त य का उपयोग उस प रणाम को चुनौती देने के िलए कर सके ।
वह सोचने लगी क वह इस बात पर बहस कर सकती है क अगर उनम से कसी को भी
नीली आंख वाले ि को चुनने को कहा जाता तो वह िनि त तौर पर डॉ फ
चानहर को ही चुनता। म रयल िज म तथा धंसे ए गाल वाले पॉके ट मार और
नशेिड़य क पंि म से एक धनी और साफ़-स फाक कपड़े पहने ए ि को अलग
करने म कोई मुि कल नह थी।
“आगे बढ़ो और बताओ क इन लोग म से कौन है, िजसने तुम पर हमला कया था?”
यायालय के ितिनिध ने मजदूर क बेटी से कहा।
छोटी लड़क ने थोड़ी िहच कचाहट के साथ कदम आगे बढ़ाया और पंि म खड़े पहले
आदमी को देखा, जो चेहरे पर सपाट भाव िलए ए उसे ही घूर रहा था। कमरे म स ाटा
था और डॉ फ चानहर समेत सभी के चेहरे पर तनाव प झलक रहा था। पंि म
पांचव नंबर पर खड़े डॉ फ चानहर तक प च ं ने से पहले लड़क येक आदमी के सामने
कु छ सेकंड के िलए क । इं सपे टर ठाकु र, जो उसके चेहरे को यान से देख रहा था, ने
उसक आंख को फ़ै लते, होठ को खुलते और हलक क घंटी को उछलते देखा। वह डॉ फ
चानहर के सामने खड़ी थी, ये समय उसे अनंत काल क तरह लग रहा था। वह फर
अगले आदमी क ओर बढ़ गयी।
“ या तुमने सभी को अ छे से देख िलया है?” यायालय के ितिनिध ने नरम लहजे म
पूछा।
“हाँ साब।” उसने दबे ए वर म उ र दया।
“तुम उनम से कसी से डर तो नह रही हो? तु हारी सुर ा के िलए हम लोग यहाँ ह।
हमारी उपि थित म वह तुम पर हमला नह कर सकता है। य द तुम चाहो तो उन पर एक
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नज़र और डाल सकती हो। तु हारा हम सच बताना ब त ज र है।”


“म...म...।” वह हकलाई और दरवाजे पर खड़े अपने बाप क ओर देखी। अिधकारी के
इशारे पर वह आदमी िहचकते ए अंदर दािखल आ और अपनी बेटी के बगल म खड़ा हो
गया।
“अपनी बेटी को भरोसा दलाओ क वह यहाँ कसी कार के खतरे म नह है। इसिलए
हम सच-सच बताये क िजस आदमी ने उस पर हमला कया था, वह इस पंि म खड़ा है
या नह ?”
मजदूर ने अपनी थानीय भाषा म अपनी बेटी को समझाया क जो कु छ पूछा जा रहा
है, उसका जवाब ईमानदारीपूवक और िनडर होकर दे। ले कन इं सपे टर ठाकु र को ये सब
कु छ पूविनधा रत लगने लगा था। वह एस.एच.ओ. जो गंदर िसह के चेहरे पर आ ासन
और संतुि क छाप देखकर हैरान हो गया।
लड़क ने एक बार फर लाइन म खड़े आदिमय को देखा। जब वह वापस आई तो उसने
कहा- “मुझे प ा नह ह… वह इन लोग म से हो भी सकता है और नह भी। जब उसने
मुझ पर हमला कया था तो म उसका चेहरा ठीक से नह देख पायी थी और फर ये कई
दन पहले क बात है।”
इं सपे टर ठाकु र ये सुनते ही भड़क उठा। ये उस लड़क क अपनी भाषा नह थी, बि क
वह कहानी थी जो उसे रटाई गयी थ । िपछली रात उसी लड़क ने फामहाउस म डॉ फ
चानहर क पहचान मा उसके त वीर से कर ली थी। जब क अब उसने डॉ फ चानहर
के सामने खड़े होने पर भी उसने अपने चेहरे पर उसे पहचानने जैसा कोई भाव लाये बगैर
उसे नजरअंदाज कर दया था। कु छ भारी गड़बड़ थी।
“काम ख म आ।” यायालय के ितिनिध ने कहा- “म कल क याियक या शु
होने पर अपनी रपोट मेिज ेट के सामने पेश कर दूग
ँ ा।”
उसके कमरे से बाहर जाने के बाद सभी लोग िततर-िबतर हो गए। जब लड़क बाहर जा
रही थी, तो उसक नजर ण भर के िलए इं सपे टर ठाकु र से िमल , जो बाहर गैलरी म
खड़ा था। इससे पहले क उसके भयभीत िपता और इं सपे टर जो गंदर संह उसे लेकर
आगे बढ़ जाते, उस अनुभवी पुिलसकम ने उसक आँख म आसूं, बेबसी और मा-याचना
के भाव को देख िलया।
अंजली, आ त नजर आ रहे डॉ फ चानहर के साथ खड़ी थी और उसके साथ
ज दी-ज दी बातचीत कर रही थी। बाल-बाल बचे होने क राहत उसके चेहरे पर साफ़-
साफ़ नजर आ रही थी। इं सपे टर ठाकु र, अपने सहायक िब ोई को आईड ट फके शन परे ड
के िलए लाये गए सं द ध को रहा करने तथा डॉ फ चानहर को वापस लॉक-अप म ले
जाने का आदेश देकर िख मन के साथ वहां से िनकल गया।
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अगले दन अित र स यायाधीश मखीजा ने सरकारी वक ल को कोट म कोई अ य


दलील पेश करने क अनुमित देने से इनकार कर दया। उ ह ने टे ट आईड ट फके शन परे ड
के प रणाम को सुना और बचाव प क जमानत यािचका को वीकार करते ए डॉ फ
को रहा करने का आदेश दे दया। उ ह ने उसे अदालत म अपना पासपोट जमा कराने
और एक-एक लाख पए के दो पसनल बांड भरने के बाद छोड़ देने का आदेश दया। इसके
अलावा उसे पुिलस क तहक कात म सहयोग करना था और पूछताछ के िलए हमेशा
उपल ध रहना था। उसके सभी संभािवत गवाह से संपक करने पर िवशेष रोक लगा दी
गयी थी। कोट क कायवाही को समा करने से पूव जज ने बचाव प के वक ल को प
कर दया था क उपरो िनदश के उ लंघन क दशा म उसके लाइं ट क जमानत
त काल र कर दी जाएगी।
डॉ फ चानहर के अपराध से वा कफ इं सपे टर ठाकु र और उसक टीम को अब के वल
अदालत के उस ितकू ल आदेश के अंतगत काम करना था। हालां क ठाकु र और उसक टीम
का रवैया सहयोगपूण नह था, ले कन फर भी ये अंजली क यो यता और चानहर के
ित उसक ितब ता ही थी, जो उसने अपने यो य सहायक के साथ सारा दन लगातार
भाग-दौड़ करते ए लंबी या और कागजी कारवाईय को पूरा कया और
आिखरकार आधी रात होने से ठीक पांच िमनट पहले ही पुिलस को अपने तमाम बहान
और आपि य के बावजूद भी डॉ फ चानहर को रहा करना पड़ा।
डॉ फ चानहर एक बार फर से आजाद था। अपनी वक ल अंजली के साथ
आर.के .पुरम ि थत ाइम ांच ऑ फस के इमारत क सी ढ़य से नीचे उतरते ए उसने
सद रात क ठं डी हवा म गहरी साँस ली और भूरे रं ग के उस लैदर जैकेट के बटन बंद कर
िलए, जो उसके घर से लायी गयी थी। उसने देखा क रोिहत पा कग ए रया म अपनी एस-
लास म सडीज कार के साथ उसका इं तजार कर रहा था। दोन दो त ने एक-दूसरे को
गमजोशी से गले लगाया और खुशी से भरकर मु कु रा उठे । वाथ और म ारी से भरा
ाचार और बुराई का उनका भाईचारा मजबूत था।
“म तु हे कै से ध यवाद दू?” डॉ फ चानहर ने कहा।
“अरे , मने ऐसा कु छ भी नह करा। तु ह वापस बाहर देखकर अ छा लग रहा है
डॉ फ। िहरासत म तुम पंजरे म कै द कसी शेर क तरह लग रहे थे। खैर, तुम मेरे साथ
मेरे घर चलोगे या अपने घर वसंत िवहार जाना पसंद करोगे?” रोिहत ने पूछा।
“मुझे तरोताजा होने और अ छी न द लेने क ज रत है। म अपने घर जाऊंगा।”
“ योर। आओ म तु ह छोड़ दू।ं हम कल बात करगे।” उसने कहा और अपनी कार के खुले
दरवाजे से अंदर िव हो गया।
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ाइवर ने तुरंत डॉ फ चानहर के िलए दूसरी तरफ का दरवाजा खोल दया।


दरवाजा खुलने के साथ उसके िनचले िह से म लगी एक छोटी सी लाल ब ब रोशन ई
थी। डॉ फ ने अपनी वक ल से पूछा, “तुम भी आओगी? या हम तु ह कह ॉप कर
सकते ह?”
“उसक ज़ रत नह है।” उसने मु कु राते ए जवाब दया- “मेरी कार आपके बगल म
ही खड़ी है।”
डॉ फ चानहर ने म सडीज के बगल म खड़ी ‘ह डा िसटी’ को देखा। फर उसने
अंजली क ओर िसर घुमाया और कहा- “तो अब हम इस के स पर बात करने के िलए कहाँ
िमलगे?”
“मेरा अिस टट आपको फोन करे गा। आपसी सहमित से कोई सुिवधाजनक समय और
थान तय कर िलया जाएगा।”
“ब ढ़या।” उसने कहा और अपने दो त के साथ कू च कर गया।

डॉ फ चानहर ज दी उठ गया था। ये उसक रहाई क दूसरी सुबह थी।


उसने अपना टोयोटा ाडो िनकाली और उसे चलाते ए बंगले के पोच से बाहर आ
गया। यह एक सुहावना सोमवार था और सड़क का अिधकांश भाग ै फक से मु था।
उसने अपने इलाके के एक मं दर के सामने ाडो को रोक दया और कार का इं जन बंद कर
मं दर क ओर एकटक देखता रहा।
वह कार क ाइ वंग सीट पर बैठकर वंड न के ज रये खूबसूरत युवितय को मं दर
म आते-जाते ए देख रहा था। उसका मन अतीत म डू ब गया। जेहन म दबी ई याद एक
ृंखला के प म उसके सामने क ध गय ।
उसके अंदर बुराई क जड एक दन म नह पनपी थी, बि क यह एक लंबी या थी।
उसका परनाना एक सनक काितल था, िजसने जमनी म नािजय के स ा म आने से पहले
कै सर िव हेम ि तीय के शासनकाल के दौरान कई ह या और बला कारो को अंजाम
दया था। उसका बेटा यानी क डॉ फ चानहर का नाना अपने िपता के न शे कदम पर
चलते ए 41 साल क प उ म ही काितल बन गया था। उसने गु से म आकर अपने
कसाईखाने के नौकर का क़ ल कर दया था। ि तीय िव -यु के बाद िम रा ारा
िनयंि त और शािसत यायालय ने उसे दोषी ठहराया था और मौत क सजा सुनाई थी।
उस पर नाज़ी होने और अपने पड़ोस के उन य दय का पहचानकता होने का भी शक था,
िज ह बंदी और मौत-िशिवरो म भेजा दया गया था।
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सनक काितल का वह कसाई बेटा पड़ोसी देश ऑि या भाग गया, जहां उसे जमन मूल
क एक मिहला िमली। वह उसके साथ शादी करके और अपना नाम-पहचान बदलकर एक
छोटे से ऑि याई शहर म कसाई क दुकान चलाने लगा। वह मिहला डॉ फ चानहर
क नानी थी। उसने कसाई क तीन लड़ कयाँ और दो लड़को को ज म दया। उनम से
सबसे बड़ी िसि वया चानहर, डॉ फ क मां थी। प रवार का वंशानुगत पागलपन एक
बार फर तब उजागर आ, जब उस कसाई को शहर क एक युवती के अपहरण,
बला कार और ह या के जुम म िगर तार कर िलया गया। ले कन उसका कु छ नह िबगड़ा,
य क अदालत म मामले क सुनवाई होने से पहले क रात लड़क के पूरे प रवार क
रह यमय तरीके से मौत हो गई। पड़ोसी अनगल लाप करते रहे, जादू-टोने पर संदहे
कया गया, ले कन कु छ भी सािबत नह कया जा सका। कसाई को बरी कर दया गया
और सबूत के अभाव म उस के स को खा रज कर दया गया। कसाई के दु कम का कोई
और रकॉड उपल ध नह था।
उसके ब े भी उतने ही और ढीठ थे। उसक बड़ी औलाद िसि वया सबसे होनहार,
शाितर और ू र थी। उसके कई ेम- संग थे। अपनी िह पी और मु -काम वाली जीवन-
शैली के चलते वह कई बार गभवती ई। अंतत: वह नेपाल होते ए भारत चली आई और
एक भारतीय से शादी कर ली, जो एक छंटा आ शराबी था। अपने महा-चालू और ठग
पित से र ता तोड़े जाने तक उसका अिधकांश समय अिनयिमत प से भारत और
ऑि या के बीच गुजरा। जब डॉ फ यारह साल का था तो वह वापस ऑि या चली
गयी थी। कु छ िवशेष अवसर को छोड़कर वह अपने बेटे से बमुि कल ही िमल पाती थी।
वह भी तब, जब डॉ फ आि या म अपने निनहाल जाता था।
ये नानी ही थ , जो अपनी बड़ी बेटी िसि वया के बेटे म दलच पी दखाती थ । लड़के
म एक ‘ चंगारी’ थी। वह हमेशा कहा करती थी क उसे अपने परनाना के सभी िविश
गुण िवरासत म िमले थे और वह अपनी नानी का यो य उ रािधकारी बन सकता था। ये
उ ह दन क बात है, जब अपने नानी के घर जाने के दौरान तं -मं क काली दुिनया म
डॉ फ क दलच पी जाग गई थी।
बूढ़ी औरत यानी क कसाई क प ी एक तं -सािधका (िवच) थी, जो अपने पास कई
बुरी और काली शि य के होने का दावा करती थी। वह आ मा और शैतान क दुिनया
के संपक म थी और कई अलौ कक शि य का आ वान कर सकती थी। वही थी, जो
डॉ फ को अंधेरी दुिनया म लेकर आयी। डॉ फ; एक जवान और भावशाली लड़का,
िजसका कोई िस ांत नह था। वह शु से ही अपने कू ल और पड़ोस के लोग को दबाकर
रखने वाली शि सयत था और उ ह अ सर अपने ोध का िशकार बनाता रहता था। इन
आदत ने उसे अ यंत हंसक बना दया था। वह सही मायने म अपनी ौढ़ नानी का
वा रस था, िजसे शैतान ारा भेजा गया था। नानी ने उसे अपनी छ -छाया म ले िलया
और उसे तं -मं , जादू-टोना िसखाते ए उसके ि व-िनमाण म सहायता करने लगी।
उसने उसे अपने पूवज क परं परा के मुतािबक़ पथ , अ यंत हंसक और ू र ि म
त दील कर दया था।
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अपनी नानी का उिचत िश ण पाकर डॉ फ एक तं -साधक बन गया था अथात


वारलॉक। वह पूरी तरह से , अनैितक और दु ाणी बन चुका था, जो अलौ कक
शि य से भी संप था। भारत म बसने और एक अघोरी को गु के प म वीकार करने
से पहले पूव तं -िव ा म दलच पी के कारण उसने ित बत, चीन और जापान म भी कई
साल िबताए थे। एक यो य कलाकार होने के अपने छ ावरण म वह मुख टेज काय म
म दशन करते ए द ली क हाई सोसाइटी म घूमने लगा था और उसके िछपे ए
वा तिवक व प से अनिभ लोग उसे िवदेशी दूतावास क पा टय म भी आमंि त
करने लगे थे।
याद क एक और क ध म डॉ फ चानहर ने अपने शराबी िपता को भी देखा, जो
ोध क परका ा म उसे रोज बुरी तरह पीटता था। वह वे या को अपने साथ घर लेकर
आता था तथा डो फ को उनके साथ अपने संभोग को देखने को मजबूर करता था। वह
इस बात से पूरी तरह बेपरवाह था क वह अपने बेटे के जीवन को तबाह कर रहा है और
उसके मानस-पटल पर जीवन भर न भरने वाले घाव छोड़ रहा है। इसीिलए जब शराब के
अ यिधक सेवन के कारण डॉ फ के िपता क मौत ई तो उसके बेटे को कोई क या शोक
नह आ।
मृितय क एक और क ध से उसे याद आया क कस कार वह अपने िपता के भाई के
ारा यौन शोषण का िशकार आ था, जब उसे एक रात के िलए उसके साथ छोड़ दया
गया था। ऑि या म घटी एक और घटना भी उसे याद आ रही थी। नानी के पड़ोसी क
बेटी के साथ उसका भी हाईवे के पास एक क ाईवर ारा अपहरण कर िलया गया था।
और फर उसक आंख के सामने ही उस ाइवर ने लड़क के साथ बला कार करके उसक
ह या कर दी थी। हालां क वह भागने म सफल हो गया था, ले कन ये घटना डॉ फ को
काफ समय तक सताती रही थी।
जब उसने अपने अतीत से पीछा छु ड़ाकर जादू-टोने क काली दुिनया म वेश कया, तो
उसके मानिसक और शारी रक शोषण का भी अंत हो गया। अपने हंसक अतीत से िवराम
लेकर उसने तामसी िव ा म महारत हािसल करके अपने खोये ए उ साह और
आ मिव ास को फर से पा िलया था। एक िशि का के प म उस तं -सािधका, अपनी
नानी, क छिव को उसके अपने जेहन म आरा या के प म अं कत कर िलया था। उस
औरत का उस पर सबसे अिधक भाव पड़ा था और उसी ने उसके पूरे जीवन के फलसफे
को िनधा रत कया था।

अपने अतीत से बाहर आने के बाद डॉ फ ने शू य को ल य करके ‘ह रनाथ’ को


पुकारा, जो तुरंत ही उसके बगल क सीट पर कट हो गया। ह रनाथ का असली नाम
ह रनाथ था। वह एक असफल तांि क था। उसे उस बुरी आ मा ने मार डाला था, िजसे वह
अपना गुलाम बनाने का यास कर रहा था। उसी समय से वह एक भटकती ई ह म
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त दील हो गया था। अथात एक ऐसे भूत म, जो न तो वग म जा सकते ह और न ही नक


म। ये डॉ फ ही था, िजसने वारलॉक के प म अपनी शि य का योग करते ए उसे
अपना गुलाम बना िलया था।
मं दर क सफे द संगमरमर क सी ढ़य से अपनी िनगाह हटाये बगैर उसने पूछा-
“ह रनाथ। या तुम जानते हो क ये युवितयां सोमवार क सुबह मं दर य जाती ह?”
“ य ?” ह रनाथ ने अपने मािलक क हरकत और सवाल पर आ यच कत होकर पूछा।
“भगवान िशव क पूजा करने के िलए। ऐसी मा यता है क अगर कोई युवती
लगातार सोलह सोमवार तक उनक अराधना करती है, तो उसे आशीवाद व प एक
अ छे पित का वरदान िमलता है।” डॉ फ चानहर ने कहा।
“म इस पर हैरान नह ँ वारलॉक।” ह रनाथ ने कहा- “ले कन म तु हारा मतलब नह
समझ पाया।”
“म अ सर सोचता ँ क या ऐसी लड़ कय को अ छे पित िमलते ह? तुम या सोचते
हो?”
“कु छ कह नह सकता।” उस बातचीत के मम को समझने म असमथ ह रनाथ ने जवाब
दया।
“ले कन उन पितय को िनि त प से अ छी पि यां िमलगी, है न? देखभाल तथा
यार करने वाली, सुंदर, गुणवान और धा मक पि यां। उन लोग को तो ये िमलेगा ले कन
मुझे या िमलेगा? उस लीना के प म एक घ टया और अधेड़ उ क च र हीन औरत।”
डॉ फ ने कड़वे वर म कहा।
“ले कन कोई भी तु हे लीना या उसके जैसी औरतो के साथ के िलए मजबूर तो नह कर
रहा है।” ह रनाथ ने कहा।
“मेरे पास और िवक प ही या है?” डॉ फ ने समपण-भाव से पूछा- “मुझे इन
गुणवान लड़ कय म से कसी का यार नह िमल सकता। या िमल सकता है?”
“ य नह िमल सकता है?”
“ य क म अपना बुराई का रा ता नह बदल सकता माय िडयर ह रनाथ। ये कसी शेर
क सवारी करने जैसा है। जब तक तुम इसक पीठ पर बैठे रहोगे, तब तक ये तु ह वहां ले
जायेगा, जहाँ तुम जाना चाहोगे, ले कन जब तुम इस जानवर क पीठ से उतरने क
िह मत करोगे तो ये तु ह खा जाएगा। बुराई एक ऐसी राह है, िजस पर प ाताप या
वापसी के िलए कोई रा ता नह है।”
“ फर भी इसका मतलब ये नह है क तु हे लीना या उसक जैसी औरत को ही चुनना
है।”
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“हाँ, ले कन फर मेरे पास एकमा िवक प के प म एकाक पन से भरा कुं वारा जीवन
ही बचता है। मेरा यक न करो इस ि थित से बेहतर तो एक मिहला का साथ ही है, जो भले
ही तु हारी तरह िभचारी ही य न हो। शायद ये ठीक ही कहा गया है क ‘हम सभी
को वही िमलता है, िजसके हम हकदार होते ह।’ अगर मेरा ज म, पालन-पोषण और देख-
रे ख अलग तरीके से आ होता, तो आज म भी बंजार का जीवन िबताने क बजाय कसी
गुणवान और यार करने वाली लड़क से शादी कर सकता था। मौजूदा हालात म मेरे
पास लीना या उसके जैसी कसी और मिहला को वीकार करने के अलावा ब त थोड़े ही
िवक प ह, य क वे मेरे िलए उपल ध ह और मेरे साथ अंतरं ग संबंध बनाने से पहले अ य
मिहला क तरह िववाह क शत नह रखती ह।”
“ या म ये समझूं क तु ह अपने जीवन से िशकायत हो गयी है?”
“म जानता ँ ह रनाथ क तु हारा या मतलब है। हां, मने खुद अपने िलए ऐसा जीवन
चुना है, इसिलए मुझे िशकायत नह करनी चािहए। ले कन फर भी... कभी-कभी म खुद
को दबी ई इ छा और भावना के वार म बहने से रोक नह पाता। मुझे लगता है क
मनु य के िलए यह वाभािवक है। ले कन चंता मत करो ह रनाथ। हर छह महीने म
एकाध बार ही मेरा मूड ऐसा होता है। ये िवचार लंबे समय तक नह टकते ह। कम से कम
इतने लंबे समय तक तो िब कु ल भी नह क वे मेरे ि व को ही पूरी तरह से बदल द।”
“मुझे याद है क तुम अपनी बुरी वृि पर गव करते नह थकते थे, तो फर तु हारे इस
‘मूड’ का मतलब या है? या एक गुणवान प ी क इ छा?”
“मानवीय कमजोरी ह रनाथ।” डॉ फ चानहर ने जवाब दया- “कोई भी इं सान न
तो पूरी तरह से अ छा होता है और न ही पूरी तरह से बुरा होता है। जानते हो य ?
य क दो िवपरीत वृि य के बीच झूलते ए हम अपने आपको कसी एक वृि म
ढालने का चाहे िजतना भी यास य न कर ल, आिखरकार हम ‘इं सान’ ही बने रहते ह।
मानव क प रभाषा का ता पय ही अपूणता से है और इस अपूणता के कारण वह कभी भी
पूण नह हो सकता। फर चाहे वह अ छाई हो या बुराई हो। वह न तो पूरी तरह अ छा
बन सकता है और न ही पूरी तरह बुरा।”
“मने तो सोचा था क तुम सामा य मनु य से परे हो।”
“हर या के बराबर और िवपरीत ित या होती है। यूटन ने कहा था। जब अ छाई
सोती है, तो वह तरोताजा हो उठती है।’ ये िवचार नी शे ने रखा था। मेरे स दभ म दो
िवपरीत च र के बीच मेरा क मकश इसिलए अि त व म है य क मेरा बुराई क ओर
झुकाव अिधक है। आक मात उभरने वाले आवेग और भावनाएं, िज ह तुम देख रहे हो,
उसी का नतीजा ह। म नह जानता क इस तरह के मनोभाव जगा कर ई र मुझे वापस
बुलाने क कोिशश करता है या फर शैतान मेरे संक प-शि क परी ा लेता है। हालां क
अंितम सच यही है क ऐसे अवसर पर म पिव ता क ओर आक षत होता ,ं जैसे यह
सुंदर और गुणवान लड़ कयां।”
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डॉ फ ने अपना हाथ ह के से िहलाया। ह रनाथ उसका आशय भांप कर बगल


क सीट से गायब हो गया। उसका मािलक कार म काफ देर तक बैठा रहा। सभी
युवितय के चले जाने के बाद डॉ फ ने कार का इं जन चालू कया और अनमने ढंग से
वापस बंगले म आ गया। वह ब त उदास था, इसीिलए उसने हीन-भावना, अके लेपन और
अतीत क खौफनाक परछाइय से लड़ने के थ यास म पूरा दन शराब पीते ए और
स लेते ए िबताया।

िजस व डॉ फ चानहर गहरी उदासी म था, उस व इं सपे टर उदय ठाकु र


अदालत म उसके िखलाफ के स मजबूत करके उसक जमानत र करवाने और पुिलस
रमांड म लेने के िलए सबूत ढू ँढने म त था। अपने उ े य को हािसल करने के िलए वह
पुिलसक मय क एक टु कड़ी के साथ महरौली ए टेट म दािखल हो गया था, और कई
एकड़ म फ़ै ली उस बंजर भूिम क तलाशी ले रहा था। उदय क अथक खोज उस व
फलीभूत ई जब उसे गेट के पास पायल क सडल और सरकस म उसके फटे ए कपड़ के
अवशेष िमले।
ाइम ांच के उस जासूस के हौसले और भी बुलंद हो गए, जब उसने फॉरिसक
ए सप स से सुना क पायल क उं गिलय के िनशान टॉयलेट, कचन और बेड म के
साथ-साथ पूरे फामहाउस से बरामद ए ह। कार से बड़ी सं या म उठाये गए धुंधले
िनशान भी पायल से जुड़े ए थे। इं सपे टर ठाकु र भांप गया क ये सब फ रयादी के बयान
क और भी यादा पुि कर रहे ह, जो सरकारी वक ल को अदालत म अपना प सािबत
करने म मदद करगे।
ले कन उसने ये भी महसूस कया क जीत का असली सेहरा तो तब बंधेगा जब क़ ल
कये गए ब े क लाश बरामद होगी। वा तव म उस ब े क अके ली लाश ही के स को
उनके पाले म करने और डॉ फ चानहर क जमानत र करवाने के िलए पया थी।
इं सपे टर ठाकु र, डॉ फ चानहर को ि गत प से नापसंद करने लगा था और उसके
होठ क गव ली मु कान को गायब होते ए देखना चाहता था। उसके ि व और
घृिणत अपराध ने इं सपे टर ठाकु र के मन म उसके िलए नफ़रत जगा दी थी। उसके
अिभमानी रवैये और अित-आ मिव ास से ये जािहर होता था क वह समझता था क
पये-पैसे और उ वग म अपनी साख का इ तेमाल करके वह कसी भी चीज़ से बच
सकता है।
इं सपे टर उदय गोताखोर को भी अपने साथ लाया था, जो फामहाउस क झील के
पानी म घंट से डु बक लगा रहे थे। जब क उसके आदमी सुराग िमलने क उ मीद म उस
खाली पड़ी उजाड़ भूिम को खंगाल रहे थे। जब झील से कोई कं काल या हि यां नह िमल
तो वह िनराश हो गया। ले कन वह एक दृढ़ िन यी जासूस था, जो आसानी से हार मानने
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वाला नह था। उसके पास मजदूर के लापता ब े के एक जोड़ी कपड़े भी थे, िजसे उसने
गंध के ज रये उसक लाश तक प च ँ ने के िलए पुिलस के िशि त कु को सुंघाया। कु े
पहले पोच म खड़ी कार तक गए और फर दौड़ते ए सी ढ़य से ऊपर चढ़कर कांच के
िपरािमड तक प च ँ गए। वे िपरािमड के बाहर से ही गुराने और भ कने लगे, ले कन
उ ह ने अंदर दािखल होने इं कार कर दया। इस बात से इं सपे टर को बेहद हैरानी ई।
ऐसा लग रहा था, जैसे उ ह िपरािमड के अ दर कसी ऐसी भयावह चीज क मौजूदगी का
आभास हो रहा था, जो इं सान क आख से ओझल थी। पहले वे जोर-जोर से भ कते रहे,
फर काफ देर तक िपरािमड क कांच क दीवार को अपने नाखून से खर चने के बाद वे
सी ढ़य से नीचे भाग गए।
कु े उस गंध से इतने उ ेिजत हो उठे थे क उ ह पकड़ने वाल को उनका प ा थामे
रखने म क ठनाई होने लगी। वे पुिलस वाल को उस मकान से दूर एक ग े तक ले गए और
जमीन को अपने नाखून से खर चते ए गुराने लगे। इं सपे टर ठाकु र ने पंज के बल बैठकर
उस ग े का बारीक से मुआयना कया, ले कन उसे यहाँ कु छ भी सं द ध नह िमला,
िसवाय इसके क आसपास क जमीन क तरह वहां घास नह उगी ई थी। उसने सोचा,
कह ऐसा तो नह क उस जगह क हाल ही खुदाई करके वह क बनाई गयी हो, िजसक
उसे तलाश है।
उसने फामहाउस म लाए गये मजदूर को ग े क खुदाई करने और इस पूरे करण क
िविडयो ाफ कराने का आदेश दया। ले कन जैसा क दुभा य के व हमेशा होता है;
ह क बूंदा-बादी ज द ही भारी बारीश म त दील हो उठी और वह उस जगह को छोड़ने
पर मजबूर गए। रात का व होने के कारण, इं सपे टर उदय को मजबूरन अगली सुबह
तक खुदाई को थिगत करना पड़ा। उसे इस बात पर पछतावा होने लगा क उसने िजन
िशि त कु क मांग क थी, उ ह शाम को भेजा गया न क दोपहर म। उनके दोपहर म
ही प च
ँ जाने क दशा म वह शाम तक अपना काम अ छे से िनपटा लेता। ले कन िखली
ई धूप वाला वह दन अनायास ही बा रश से भरी शाम म त दील हो गया और उस
अ यािशत बा रश ने उनक सारी योजना और उ मीद पर पानी फे र दया।

इं सपे टर ठाकु र क नाक पर उसका च मा टका आ था और वह यानम होकर एक


रपोट पढ़ रहा था, उसका मातहत ए.एस.आई. िब ोई कमरे म दािखल आ। उसने तब-
तक ती ा कया, जब तक क उसके बॉस ने रपोट ख म करके उसक ओर नह देखा।
“ये या है सर?” उसने कौतुहलतापूवक पूछा।
“फोरिसक ए सप स क रपोट। डो फ़ चानहर के फ़ामहाउस और कार से उठाये
गये फं गर ंट पायल क फं गर ंट से सफलतापूवक मैच हो गये। जब क उसके बाल के
रे शो को अभी हैदराबाद क लेबोरे टरी म भेजा जाना बाक है, ता क बंगले और कार से
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बरामद ए बाल से उनका िमलान हो सके ।”


“सुबह फामहाउस म जब हमने ये पाया था क रात म ग े वाली जगह पर कोई
छेड़खानी क गयी है, तब तो आप इतना गु सा ए थे। जब क अब तो आप एकदम शांत
ह।”
“म समझ गया ँ िब ोई क उस ग े म उसी ब े को दफनाया गया था, िजसे पायल के
सामने बिल चढ़ाया गया था। इसे हमारा दुभा य या डॉ फ चानहर का सौभा य कह लो
क कल शाम क भारी बा रश ने मजदूर को खुदाई करने से रोक दया। अ यथा हम
डॉ फ चानहर पर ह या का मामला दज करने और कोट म उसक जमानत र कराने म
सफल हो जाते। एक पुिलस ऑ फसर के प म अपने पूरे कै रयर के दौरान म इस कदर
आज तक नह चूका।”
“ले कन आपने वहां दो पुिलसक मय को तैनात करके अपनी ओर से सही काम कया
था सर।” उसके सहायक ने उसके प म अपना मत रखा।
“वे दोन इं सपे टर जोिग दर संह के अंतगत काय करने वाले महरौली पुिलस टेशन से
थे।” उसने स त वर म कहा।
“ या आपको उनक ओर से कसी धोखाधड़ी का अंदश
े ा है?”
“यह सब इतना आसान नह है िब ोई। उन दोन को िहरासत म लेने और उनसे सवाल
करने के िलए हम अपने उ ािधका रय से अनुमित लेनी होगी। अगर म ऐसा करता भी ँ
तो म समझता ँ क हम इसमे सफल नह हो पायगे य क वे कभी भी अपने िपछले
बयान से मुकर कर इस पचड़े म नह पड़गे। वह बखूबी जानते है क अपराधी का साथ देन,े
र तखोरी और सबूत के साथ छेड़खानी के आरोप उनक नौकरी से बखा तगी करा
देगा। हम सभी जानते ह क वे कसी भी धोखाधड़ी म िल नह हो सकते ह। उनक
गलती के वल यही हो सकती है क बा रश से बचने के िलए उ ह ने फॉमहाउस म रात
गुजारी होगी। बहरहाल अगर वे इसम शािमल भी ह गे तो पूरे खेल म उनक भूिमका
के वल एक कठपुतली क ही होगी।”
“ या आपको इसम एस.एच.ओ. जोिग दर संह के भी शािमल होने का शक है?”
“इस मामले के पूरे पहलु पर गौर करो। इं सपे टर संह अप त ब े के बाप से िमलने
अपने थाने से कसी सहायक को भेजने के बजाय खुद गया था। वह च मदीद गवाह उस
मुलाक़ात के बाद ऑ फस म ए परे ड म डॉ फ चानहर को पहचानने म िवफल हो गयी
और इसी कारण उसक वक ल उसे कोट से जमानत पर रहा कराने म सफल हो गयी।”
“इसके िलए उस पर काफ दबाव बनाया गया रहा होगा। वह अपने रटायरमट से
यादा दूर नह है, ऐसे म भला वह एक िमनल क मदद य करे गा?”
“अपनी ल बी स वस के दौरान वह दो बार कर शन के चाज म स पड हो चुका है और
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तीन अ य मामल म उसने िडपाटमटल इ ायरी का भी सामना कया है। वह उन सबम


भले ही बरी हो गया हो, ले कन फर भी उसे एक ऑ फसर माना जाता है।” इं सपे टर
ठाकु र ने खुलकर कहा- “मुझे ये सब कु छ िपछली शाम क चूक करने के बाद आज दोपहर
म पता चला है। इसके साथ ही हमारे इं सपे टर साब दो महीने के अ दर ही ल दन म रहने
वाले एक एन.आर.आई. से अपनी बेटी क शादी करने क भी तैयारी कर रहे ह।”
“इन सब बात उसक ओर से कये गए हेर-फे र या धोखाधड़ी का सा य नह माना जा
सकता।”
“जब म कल के पहले फॉमहाउस गया था, तो मुझसे उसके पुिलस टेशन का एक
कां टेबल िमला था, जो डॉ फ चानहर के फॉमहाउस पर छापा मारने वाले और उसे
िहरासत म लेने वाली टीम का िह सा था। वह घंटे भर पहले यहाँ आया था और उसने मुझे
बताया क कल उसने कोट क पहली सुनवाई के बाद डॉ फ के िजगरी दो त रोिहत
मीरचंदानी और उसके आदिमय को एक बैग के साथ इं सपे टर जोिग दर संह के घर म
दािखल होते देखा था। वह कोट क उसी सुनवाई क बात कर रहा था, िजसम जज ने
आदेश दया था क आइड ट फके शन (िशना ती) परे ड का प रणाम ही डॉ फ क
जमानत का आधार बनेगा। उस रह यमयी मुलाक़ात के बाद हमारे इं सपे टर साब अपने
थाने के उस ए.एस.आई. को, जो कोट के आदेशानुसार गाँव म जाने क तैयारी पहले ही
कर चुका था, वहां जाने से रोककर गवाह तथा उसके बाप को ाइम ांच ऑ फस म लाने
के िलए खुद वहां गये थे।”
“हे भगवान। ये तो साफ-साफ घूसख़ोरी का मामला है। हम एस.एच.ओ. जोिग दर संह
को िगर तार करवा देना चािहए।”

“हमारे साहब लोग जब हम कां टेब स के िखलाफ कोई ए शन लेने क इजाजत नह दे


सकते ह, तो तुम ये कै से सोच सकते हो क वे हम एक एस.एच.ओ. को िगर तार करवाने
दगे? चाहे उसने आरोपी से र त लेकर सबूत िमटाने म उसक मदद क है, फर भी हम
उसके िखलाफ कु छ भी सािबत नह कर पायगे। वह इतना चालाक है क उसने र त के
पये अपने घर म या कसी ऐसी जगह पर नह िछपाए ह गे, जहाँ से वे छापे म बारामद
हो सक।"
“ले कन वह कां टेबल.... ।”
“उसने के वल रोिहत को इं सपे टर संह के घर म घुसते ए देखा था।” इं सपे टर उदय
ने उसे रोकते ए कहा- “उस कां टेबल ने मुझे साफ श द म कह दया है क वह कसी भी
हालत म कसी अिधकारी के सम न तो अपने बयान देगा और न ही उन बात को
दोहराएगा। खुद इं सपे टर जो गंदर संह भी इस बात से इनकार कर देगा क पय के
लेन-देन के िलए रोिहत उससे िमलने आया था, या वह उससे िमलने गया था। नह
िब ोई, म अपनी नाकामी का ठीकरा दूसर के िसर पर नह फोड़ सकता।”
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“तो या इसका मतलब ये है क इं सपे टर संह के िखलाफ कोई कारवाई नह क


जाएगी, और वह इस मामले म हम नुकसान प च ं ाकर इतनी आसानी से बरी हो
जाएगा?”
“म डी.सी.पी. भूपत को इस के स क ो ेस बताने के िलए उनके ऑ फस जा रहा ।ँ म
अपनी जानकारी म आये सभी त य से उ ह अवगत कराऊंगा। देखते ह, या नतीजा
िनकलता है। इं सपे टर जोिग दर के िखलाफ तब तक कोई ए शन नह िलया जा सकता,
जब तक क हम र त के पये न बरामद कर ले या फर फॉमहाउस क ूटी पर तैनात
कये गए दो कां टेबल म से कसी एक को अपने उ ािधकारी क िमलीभगत का बयान न
देने के िलए तैयार न करा ल। फलहाल दोन क संभावना न के ही बराबर है।”
“ या हम चानहर के उस दो त से पूछताछ कर सकते ह?”
“इसे ज र आजमाया जा सकता है। उसे ऑ फस म बुलाओ। हम पता लगाएंगे क सबूत
न करने के आरोप म उसका या कहना है।”
“अगर हम ये पता लगा सक क क़ ल कये गए ब े के शरीर को उसने क से िनकाल
कर कहाँ िछपाया है तो...।”
“जहाँ तक म डॉ फ चानहर को समझ पाया ,ं वह इतना चालाक है क वह इस
तरह क चूक कर ही नह सकता।” इं सपे टर ठाकु र ने उसक बात काटते ए कहा- “उसने
अब तक सभी सबूत को न कर दया होगा। अब हमारी एकमा उ मीद हैदराबाद से
आने वाली लैबोरे टरी रपोट पर टक ई है। अगर हम अपराध थल से उठाए गए ख़ून
के सपल का िमलान मजदूर के ख़ून से करा सक तो हम ये सािबत करने म सफल हो जायगे
क कांच के िपरािमड म चानहर के ारा उसी के ब े क बिल चढ़ायी गयी थी।” कहते
ए इं सपे टर ठाकु र अपनी कु स से उठ गया। उसने अपनी कै प पहनी और मेज पर िबखरे
कागज को समेटकर उ ह वापस फाइल म लगाने के बाद अपने उ ािधकारी से िमलने के
िलए ऑ फस से बाहर िनकल गया।

पायल एक बार फर अपनी सहेली शािलनी के लैट म थी। पुिलस ारा उसे बचाए
जाने क घटना को एक स ाह गुजर गया था। उसक माँ सुबह ही िशमला के िलए रवाना
हो चुक थ । पायल अपनी तमाम कोिशश के बावजूद भी उ ह अभय के बारे म समझाने
म असफल रही थी, ले कन फर भी वह अभय के साथ अपने र ते को जारी रखने के िलए
दृढसंक प थी।
पायल ने शािलनी को ना ते क े के साथ बेड म म दािखल ए देखा।
“कै सी है डा लग?” उसने स तापूवक पूछा।
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“िब कु ल ब ढ़या। इतनी ब ढ़या क म मैराथन म भी भाग ले सकती ँ ।” पायल ने


जवाब दया।
“सुनकर अ छा लगा।” शािलनी ने मु कु राते ए कहा और सोफे पर बैठ गई। उसने े
को अपने सामने मौजूद कांच के टेबल पर रख दया।
पायल िब तर से उतरी। वह अटैच बाथ म म गयी और श करने के बाद वापस आई।
वह शािलनी के बगल म सोफे पर बैठ गई और गरमागरम चाय को दो कप म उड़ेलने
लगी। इस बीच शािलनी ने पायल क लेट म रखे सडिवच क बगल म थोड़ा सा टमाटर
सॉस डाल दया। पायल ने उसे खाते ए और गम चाय क चुि कयां लेते ए बोली- “अब
मुझे पेपर दो।”
“तु ह या दू?ं ” शािलनी ने सडिवच भरे मुंह से पूछा।
“अख़बार। म उन सभी खबर को पढ़ना चाहती ,ं जो तुमने पूरे स ाह मुझसे छु पाई।
म अब तु हारा कोई बहाना नह सुनना चाहती।” पायल ने दृढ़ लहजे म कहा।
“ये तु हारे भले के िलए ही था। म नह चाहती थी क तुम उन बात से अपने दमाग
पर बोझ डालो। तुम सदमे क हालत से गुज़री थी, िजसके कारण तु हारा दमाग काफ
परे शान और हलकान था।”
“जो कु छ भी था, म उन चीज से अब उबार चुक ।ँ कहाँ है वो सभी अख़बार?”
“म उ ह तु हारे िलए लेकर आती ।ँ मने उ ह संभाल कर रखा है। म जानती थी क
तु हे उ ह पढ़ने का मन करे गा।” शािलनी ने सोफे से उठते ए कहा। कु छ पल तक वह
उपोह क ि थित म खड़ी रही फर बोली- “म समझती ँ क मुझे तु ह खुद
ही बता देना चािहए। फर तु हे झटका नह लगेगा।”
“ कस बात का झटका? तुम पहेिलय म या बात कर रही हो? ऐसा या है उन
अखबार म?” पायल ने पूछा।
“व...वो डॉ फ चानहर... ।” शािलनी ने िझझकते ए कहा- “िजसने तु हारा
अपहरण कया था...।
“हाँ? या आ उसे?” पायल ने अपनी भ ह उचकाई।
“वह पुिलस िहरासत से रहा हो गया है और अब जमानत पर बाहर है।”
“ या मतलब? इतना सब कु छ करने के बाद भी वारलॉक इस शहर म खुला घूम रहा
है? हद हो गई। मने पुिलस को डॉ फ और उसके सभी कु कम के बारे म बता दया था। वे
उसे कै से छोड़ सकते ह?”
“मुझे लगता है क तुम ये बात खुद से ही समझ लो तो बेहतर होगा। म अख़बार लाती
।ँ
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शािलनी कमरे से बाहर चली गई और िपछले स ाह के अखबार के ढेर के साथ वापास


आई। पायल ने शािलनी के हाथ से उ ह लगभग झपट िलया। उसने अपने बचने और
डॉ फ चानहर क िगर तारी क अगली सुबह का समाचार प खोला।
“म अब नहाने जाऊंगी।” शािलनी ने कहा।
ले कन पायल अखबार म इतनी यादा उलझी ई थी क न तो उसने अपनी सहेली क
बात को सुना और न ही उसके बाथ म म जाने पर गौर कया। अखबार क सु खय म
िलखा था:
‘ िस बॉलीवुड को रयो ाफर डॉ फ चानहर एक अिभने ी के अपहरण के जुम म
िगर तार।’
अ य दन के अखबार म छपी रपोट के शीषक कु छ यूं थे:
‘ डॉ फ चानहर सोची समझी सािजश का िशकार आ।’ - वक़ ल
‘ डॉ फ चानहर को याियक िहरासत म भेजा गया।’
‘ डॉ फ चानहर को कोट से जमानत िमली।’
‘ या डॉ फ चानहर एक तांि क है?’ यह अगले दन के यूज़ पेपर के अंद नी पृ
का शीषक था, जो पायल ारा पुिलस को दए गए बयान का ही एक संि पांतरण
था। उस लेख़ को िलखने वाले ने पायल के बात क स ाई और उसके च र पर भी सवाल
उठाए थे। उसने पुिलस को दए गए उसके बयान को एक िति त ि के चा रि क
हनन और लैकमेल क एक कोिशश बताया था।
पायल ने बेचैन होकर कॉडलेस फोन उठाया और ाइम ांच के इं सपे टर उदय ठाकु र
का नंबर डायल कया।
“यस?” थोड़ी देर के बाद उसने दूसरे छोर से एक भारी-भरकम मदानी आवाज सुनी।
“इं सपे टर ठाकु र?”
“बोल रहा ।ँ ”
“नम ते सर। म पायल चटज ।ँ ”
“ओह। िमस चटज । कै सी है आप?”
“म ठीक ।ं ले कन इं सपे टर साहब क इतना सब-कु छ करने के बाद भी वह डॉ फ
कै से छु ा घूम रहा है? हे भगवान। मने तो सोचा था क आप लोग उसे जेल भेज दगे।”
“मेरा यक न क िजये िमस चटज । इस सब से म भी खुश नह ।ँ हमने जैसा सोचा था,
वैसा कु छ भी नह आ। न तो हमारा च मदीद गवाह िशना ती परे ड म डॉ फ को
पहचानने म सफल आ और न ही हम बिल चढ़ाये गये ब े क लाश ढू ँढ पाए। इसीिलए
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जज साहब ने उसे जमानत दे दी। ले कन आप चंता न कर, म हैदराबाद से आने वाले उन


लड सप स क लेबोरे टरी रपोट का इं तजार कर रहा ,ं जो हमारे फॉरिसक ए सप स ने
कांच के िपरािमड, बिलवेदी और मू त के पास से उठाए थे। रपोट के आधार पर सरकारी
वक ल उस चानहर क जमानत र करने के िलए एक नयी अज़ दािखल कर देगा।”
“ या आपको या अदालत को लगता है क मने झूठ बोला है, जैसा क अखबार म भी
िलखा है?”
“आप गु सा न ह िमस पायल।” उसने नरम लहजे म कहा- “ ेस के एक िवशेष वग के
िखलाफ आपक नाराज़गी ठीक हो सकती है, ले कन सारे ेस वाले ऐसे नह होते ह। यह
एक वतं देश है और हमारी ेस भी वतं है।”
“ले कन हर चीज़ क एक हद भी तो होती है। उ ह ने कै से कह दया क म च र हीन
।ँ ”
“य द आप मेरी सलाह मान िमस चटज तो आपको इन सब चीज क आदत डाल लेनी
चािहए। जब इस मामले का मुक़दमा शु होगा तो मीिडया के लोग और चानहर के
वक ल आपके पीछे हाथ धोकर पड़ जायगे और आपको ख़ूब परे शान करगे। वे कोट के
सामने एक गवाह के प म आपक इ ज़त और िव सनीयता को ख म करने क कोिशश
कर रहे ह। ले कन आप िह मत मत हारना। हम उसे सज़ा दलाने क हर संभव कोिशश
कर रहे ह। लेबोरे टरी रपोट के हमारे प म आ जाने के बाद सरकारी वक ल चानहर क
जमानत र कराने के िलए अदालत का ख करे गा। आप ये सब हम पर छोड़ दीिजये और
के वल अपनी देखभाल क िजये। गुड बाय।” उसने कहा और फोन िडसकने ट कर दया।
पायल ने भी फोन रख दया। वह इं सपे टर के जवाब से संतु नह हो पायी थी। उसे
अदालत म डॉ फ के अपराध को सािबत करने क उसक क़ाबिलयत पर भी शक था। वह
इस असमंजस म थी क शािलनी नहाकर बाहर आ गयी। उसने अपनी चुटीली और रस
भरी बातो से पायल का मन बहलाया और उसे कु छ समय के िलए डॉ फ के बारे म सब
कु छ बुला दया। हालां क वो दोन और ख़द वारलॉक भी नह जानता था क मौत और
तं के उस खतरनाक खेल का सबसे बड़ा िखलाडी मैदान म बस उतरने ही वाला था।
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अ याय 11
बूढ़ा िसपाही
दो महीने बाद, एक अलसाए रिववार के दन पायल, अभय बतरा के साथ शािलनी के
लैट के ाइं ग म म बैठी ई थी। कई ह ते शाि तपूवक गुजर जाने के बाद अभय ने उसे
शादी का ताव कया था िजसे उसने ख़शी-ख़शी वीकार कर िलया था। वे अब ज द से
ज द शादी कर लेने क तैयारी म जुट गए थे। दोन ही अपने जीवन म आने वाले उस
रोमांचक मोड़ को लेकर उ सािहत थे, जो उनके जीवन को खुिशय को भर देने वाला था।
पायल अपनी माँ के स त िवरोध के बावजूद उस शादी को करने का िन य कर चुक थी।
उसके िपता वयं द ली आये थे और अभय के प म उसक पसंद पर अपनी वीकृ ित का
मुहर लगा चुके थे।
उसके शादी करने के फै सले के पीछे इस बात का भी िवशेष योगदान था क कई
टू िडयोज और ो ूसस के च र लगाने, अनिगनत ऑिडश स और न टे ट म शािमल
होने के बाद भी वह काम पाने म असफल रही थी। कु छ लोग ने बेहद खे अंदाज म यहाँ
तक कह दया था क उनक कं पनी या चैनल कसी ऐसी बदनाम अिभने ी के साथ काम
करने क इ छु क नह है, िजसने एक मश र और नामचीन ह ती पर अपहरण और यौन
शोषण का झूठा आरोप लगाया हो। इन सभी बात ने पायल को एहसास कराया था क
लैमर इं ड ी म मिहला के शोषण के िखलाफ बोलने वाल का या ह होता ह।
डॉ फ चानहर क वक ल ारा मीिडया म कये जा रहे अपने चा रि क हनन से
कु िप ोिधत त होकर पायल ने उस कोट हाउस के कं पाउं ड म एक ेस कां स कर ली थी,
जहाँ वह ‘ चानहर के स’ क सुनवाई के िलए प च ँ ी थी। प कार के सवाल का जवाब
देने के दौरान वह अपने आलोचको पर बुरी तरह भड़क गई थी और अपने बचकाने रवैये
का दशन करते ए उसने पूरी फ म/सी रयल और टेज वसाय को कोसते ए उसे
छोटे शहर क अनिगनत लड़ कय का जीवन बेशम से तबाह करने वाले िग से भरा
आ घोसला कह कह डाला था।
भावना के आवेग म आकर क गयी उसक इस हरकत ने पूरी इं ड ी को डॉ फ के
साथ खड़ा कर दया था। ए- ेड फ म तथा टेलीिवजन के कई मुख अिभनेता और
िनमाता उसके प म एकजुट हो गये थे। दूसरी तरफ पायल एक ऐसी बदनाम लड़क बन
गई थी, िजसके पास उसके दो त और प रिचत के एक छोटे से दायरे के अलावा और कोई
भी नह था। अगर के वल इतना भी होता तो शायद यादा बुरा नह होता, पर कोढ़ म
खाज यह थी क उसे कम बजट क सी- ेड और अ ील फ म म काम करने के ताव
िमलने लगे थे। उ फ म के िनमाता उस नई मश री और अदालत म डॉ फ पर लगाए
उसके आरोप क ापक मीिडया कवरे ज को भुनाने क क कोिशश करने लगे।
‘ चानहर-के स’ क िपछली सुनवाई म डॉ फ चानहर क वक ल क सभी दलील को
दर कनार करते ए यायाधीश मखीजा ने फै सला कया था क यह मामला मुक़दमे के
िलए जाएगा, िजसक सुनवाई अ ैल म शु होगी। यायाधीश ने उसक वक ल के
अनुरोध पर, उ अविध तक डॉ फ चानहर क जमानत जारी रखने के प म फै सला
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दया था।
“ठीक है। म कसी वक ल से िमलूंगा।” अभय ने कहा- “ले कन या यह प ा है क तुम
शादी ‘मै रज रिज ार’ क ऑ फस म ही करोगी?”
“िब कु ल। धूमधाम से शादी करके पैसे क बबादी करना मुझे पसंद नह है। इसके
अलावा हमारे पास दो त भी के वल थोड़े ही ह। म सीधे-साधे तरीके से ही शादी करना
चाहती ।ँ और बाद म हम कसी अ छे रे टोरट म िडनर क मेजबानी कर सकते ह।”
उसने कहा।
“तुम फै िमली के लोग को भूल गयी। मेरे माँ-बाप भले ही भगवान को यारे हो गए हो,
पर तु हारे माँ-बाप तो आयगे ही, है न?”
“शायद बाबा आ सकते ह, म माँ को लेकर इतना प ा नह ।ँ ” पायल ने उ र दया-
“मुझे उ मीद ज र है क वह आयगी। शायद वे अ छे मूड म न ह , ले कन फर भी वे
आयगी।”
“ या तुमने उ ह बुलाया है? मेरा मतलब है क अपने माँ-बाबा को?”
“उ ह मेरे फै सले के बारे म पता है। जैसे ही तारीख़ फ स होगी, म उ ह बुला लूंगी।”
जैसे ही फोन बजा, पायल ने काडलेस फोन उठा िलया और कहा- “है लो।”
“म िमस पायल से बात करना चाहता ।ँ ” अनजान पु ष वर ने कहा।
“म पायल ही ।ँ ”
“कृ पया लाइन पर बने रिहये। कोई आपसे बात करना चाहता है।” आवाज ने कहा।
थोड़ी देर क खामोशी के बाद रसीवर से एक दूसरा पु ष वर उभरा। उसका लहजा
रौबीला था।
“हैलो पायल। तुम मुझे नह जानती। दरअसल मेरा नाम बी.डी. नारं ग है। म कलक ा
म तु हारे मामा सोम िव ास का ब त अ छा दो त था।”
“ले कन सोमू मामा....”
“हाँ। मुझे पता है।” उसने पायल को रोकते ए कहा- “छ: साल पहले सोमू क मौत हो
गई है, ले कन इसका मतलब ये नह है क म उसे भूल गया ।ं ”
सोम िव ास, पायल के मामा थे, जो कोलकता म रहते थे और र ा मं ालय म एक
अिधकारी थे।
“आप उसी ऑ फस म थे, िजस ऑ फस म मेरे मामा थे?” उसने स मानजनक लहजे म
पूछा।
“नह । म इं िडयन आम क इ फ ी िडवीज़न म कनल था। उन दन म कलक ा म
तैनात था, जब तु हारे मामा सोमू से मेरी दो ती ई। पो टंग के तहत दूसरी जगह चले
जाने के बाद भी हमने अपनी दो ती बरकरार रखी। तुम मुझे के वल पांच साल क उस
लड़क के प म याद हो, जो गम क छु य म अपने मामा के घर आती थी।”
“माफ़ चाहती ँ ले कन नुझे ऐसा कु छ याद नह है।”
“ये मेरे िलए कोई हैरानी क बात नह है। तुम उस व के वल एक छोटी ब ी थी।
बहरहाल मने आज तु ह इसके िलए फोन नह कया है। मुझे तु हारे और डॉ फ चानहर
के बारे म पता चला। म सामा यतया यूज़पेपर नह पढ़ता, ले कन ‘इं िडया टु ड’े , िजसे म
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हमेशा पढ़ता ,ँ उसम तु हारे के स का छोटा सा िज था।”


“जी।”
“म तु हारी मदद करना चाहता ।ँ तुम ये लड़ाई अके ले नह लड़ सकती। तु ह मेरे जैसे
आदमी के मदद क ज रत है।”
“आपक चंता और मदद के िलए आपका ध यवाद, ले कन...।”
“मेरे साथ फालतू बात मत करो लड़क । सोमू मेरे िलए एक भाई क तरह था और
उसक भांजी मेरी भी भांजी है। तुम मेरे िलए बेटी क तरह हो। म हाथ पर हाथ रखे
तमाशा नह देख सकता। म तुमसे िमलना और बात करना चाहता ँ ले कन मेरी तिबयत
ने मुझे कं ही जाने के क़ािबल नह छोड़ा है, इसिलए तु ह ही यहाँ मेरे लैट पर आना
होगा।”
“यक न क िजये सर। म आपको िव ास दलाती ं क इसक कोई ज रत नह है।”
“बेकार का डर या शक़ मत पालो मेरी ब ी। म के वल तु हारी मदद करना चाहता ।ं
बस यहाँ आ जाओ और एक बार मुझसे िमल लो। एक बूढ़े आदमी को िनराश मत करो, जो
के वल तु हारी मदद करना चाहता है।”
“आप कहाँ रहते ह सर?” पायल ने पूछा।
“ दलशाद गाडन म। मुझे मालूम है क यह शहर का बाहरी इलाका है, ले कन म
लाचार ,ँ वरना म तु ह बुलाने के बजाय खुद तु हारे पास आता।”
“कृ पया मुझे पूरा पता दीिजये कनल नारं ग।...हाँ, हाँ, ठीक है। मने इसे िलख िलया है।
ले कन एक बात और, या म अपने मंगेतर को साथ ला सकती ?ं जी, शु या।”
“कनल नारं ग कौन है?” अभय ने पूछा, जो पूरी बातचीत के दौरान धैयपूवक शांत बैठा
था।
“मुझे नह पता। कह रहे थे क वे मेरे मामा सोमू के दो त ह, हालाँ क मुझे ऐसा कु छ भी
याद नह है।”
“ या तुम वहाँ जाने क सोच रही हो?”
“हाँ। अगर वे वा तव म मामा के दो त ए, तो मुझे ज र जाना चािहए।”
“ले कन तुम उस आदमी के बारे म कु छ नह जानती हो।”
“हाँ। यही वजह है, जो मने उनसे कहा क म अपने मंगेतर के साथ आऊँगी।” पायल ने
अभय क ओर अपन व के भाव से देखते ए कहा।
जब पायल ने उसे ऐसे देखा तो अभय का चेहरा िखल उठा। “तुम कब जाना चाहती
हो?” उसने पूछा।
“अभी, अगर तु ह कोई द त न हो तो। या तुम ‘ दलशाद गाडन’ नाम क इस जगह
को जानते हो?” उसने नोटपैड पर िलखा पता पढ़ते ए पूछा।
“हाँ। म एक बार अपने ऑ फस म कसी क शादी म वहाँ गया था। ये शहर के दूसरे
छोर पर है। हालां क रा ता ल बा है, ले कन जब तु हारा साथ हो तो यह कोई मायने नह
रखता है।”
“अभी िनकलना ठीक रहेगा। अभी लगभग दोपहर का व है, शाम से पहले हम वापस
भी लौट सकते है। म जाकर शािलनी को देखती ।ँ वह आलसी अभी तक सो रही है। तुम
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एक िमनट को, म उसे अपने जाने के बारे म बताकर और है डबैग लेकर आ रही ।ँ ”
पायल अपने हडबैग के साथ वापस आई और लैट का दरवाजा बंद करके अभय के साथ
िल ट क ओर बढ़ गयी। वे िब डंग के प रसर म खड़ी अभय क 'फोड एंडव े र' तक गए
और उस रह यमय कनल नारं ग से िमलने के िलए पूव द ली क ओर रवाना हो गए।

दलशाद गाडन ि थत लैट तक प च ं ने म उ ह लगभग दो घंटे लगे। पायल पूव द ली


के उस गंदे और झुि गय से भरे भीड़भाड़ वाले इलाके को देख कर हैरान रह गई। उस
इलाके का ै फक कसी बुरे सपने के समान था। पायल ने इस बात से राहत क सांस ली
क ाइ वंग सीट पर अभय था, वह नह । उसने पीले रं ग क तीन मंिजली इमारत पर
िलखे ‘अपाटमट लॉक’ का न बर चेक कया और कार म अभय के बगल वाली सीट पर
बैठ-बैठे ही घोषणा क क वही उनक मंिज़ल थी।
दोन कार से बाहर िनकले और उस इमारत क ओर बढ़ गए, जो सीधे ‘गु तेग बहादुर
हॉि पटल’ के िवशाल प रसर तक चली गयी सड़क के कनारे ि थत थी। पहली मंिजल पर
ि थत एक लैट के दरवाजे पर छोटा सा नेम लेट था, िजस पर िलखा था- ‘कनल नारं ग
(सेवािनवृ )’। पायल ने कॉल बेल के बटन को दबाया। वह उस छोटी सी इमारत क
राहदरी म खड़ी-खड़ी घुटन का िशकार होने लगी थी। उसने अभय क बाय बाह म अपना
हाथ डालकर खुद को आ त कया।
एक ३०-३५ साल के आदमी ने दरवाजा खोला। वह अदिलय वाली सफे द यूिनफाम
पहने ए था। उसने अभय क ओर देखते ए पूछा- “जी किहये?”
“हम कनल नारं ग से िमलना है, उ ह ने आज सुबह फोन पर मेरी मंगेतर पायल से बात
क थी।”
“ओह। तो आप ही वह लड़क ह।” उस आदमी ने पायल क ओर देखते ए कहा, जो
अभय का हाथ थामे ए उसके पीछे खड़ी थी। “अंदर आ जाइये साहब। कनल आपका ही
इं तज़ार कर रहे ह।” उसने दरवाजे से एक तरफ हटते ए कहा।
पायल य ही अभय के पीछे-पीछे लैट म दािखल ई य ही दवा क ती गंध
उसके नथून से टकराई, िजसने उसे अ पताल क याद दला दी। उस आदमी ने दरवाजा
बंद करने के बाद उन दोन से कहा- “मेरा नाम हरीश है। पहले म पास के अ पताल म एक
नस था, ले कन इन दन पूरा समय कनल क ही देखभाल कर रहा ।ं मुझे लगता है क
उनसे िमलने से पहले आपको उनक ि थित के बारे म जान लेना चािहए। ऐसा होने पर
आप उ ह देखने के बाद च क कर उ ह परे शान नह करगे।”
“तुम कस हालत के बारे म बात कर रहे हो?” अभय ने पूछा।
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“कनल नारं ग िपछले तीन साल से गंभीर प ाघात से पीिड़त ह।” पु ष नस ने धीमी
आवाज़ म कहा- “गदन के नीचे का उनका शरीर मर चुका है। उनका दल धड़कता है,
फे फड़े भी काम करते ह, ले कन वे एक उं गली तक नह उठा सकते ह। वे गदन के नीचे
अपने शरीर क एक भी मांसपेशी भी नह िहला सकते।”
“हे ई र। इस हालत म भी वे ज़ंदा ह।”
“वे बोल सकते ह, सुन सकते ह और उनका दमाग भी काम करता है, ले कन उनक
शरीर क माँस-पेिशयाँ मर चुक ह।”
“ले कन उ ह ने आज ही सुबह मुझसे फोन पर बात क ।” पायल ने कहा।
“हाँ। वह म ही था, िजसने आपका नंबर डायल कया था और रसीवर को उसके कान
और मुँह के बगल म पकड़ा आ था ता क वे आपको सुन सक और आपसे बात कर सक।”
उसने प कया।
“अगर वे एक मांसपेशी भी नह िहला पाते ह, तो खाते कै से ह, शौच कै से जाते ह और
नहाते कै से ह?” अभय ने पूछा।
“म ही उ ह िखलाता ,ँ नहलाता ँ और उनके बाक सभी काम भी कराता ।ँ ”
“वे बेहद बुरी हालत म ह। तुम या सोचते हो क हम जाकर उनसे िमलना चािहए?”
पायल ने अभय से पूछा।
“बेशक।” हरीश ने जवाब दया- “ड रये मत। उनक बीमारी छू आ-छू त से फ़ै लती नह
है। और इस व तो वह ब त अ छी हालत म है।”
“तुम इसे अ छी हालत कहते हो? कस तरह के इं सान हो तुम? इससे बुरा भला और
या हो सकता है?”
“जब उनक हालत खराब हो जाती है तो मुझे उ ह ऑ सीजन चढ़ानी पड़ती है और
पास के अ पताल म फोन करके डॉ टर को बुलाना पड़ता है।”
“चलो अभय।” पायल ने कहा- “ऐसा आदमी हमारे िलए या कर सकता है? उससे हम
या मदद िमल सकती है?”
“शायद उससे कह यादा मेरे ब ी, िजतना तुम सोच सकती हो।” अंदर के कमरे से
तेज आवाज आई- “उ ह यहाँ लाओ हरीश।” उसी रौबीली आवाज ने कहा, िजसे पायल
फोन पर सुन चुक थी।
नस उ ह दो बेड म वाले लैट के अंदर ले गया। बेड म म जाने के िलए उ ह लकड़ी के
कबाड़ से भरी एक लॉबी से गुजरना पड़ा। जैसे ही पायल, अभय क बांह पकड़े ए कमरे
म दािखल ई दवाईय क तेज़ गंध ने एक बार फर उ ह परे शान कर दया।
वह एक म यम आकार का कमरा था, जो कसी छोटे-मोटे अ तपाल क तरह नजर आ
रहा था, िजसम हर कार क दवा से भरी ई अलमा रयाँ थ । कमरे के म य भाग म
एक वृ आदमी िब तर पर पड़ा आ था। िब तर के बगल म ही दो बड़े ऑ सीजन
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िसलडर थे। वृ आदमी के दाय ओर मौजूद बेडसाइड टेबल पर एक ए पल मैकबुक था,


िजस पर शतरं ज का खेल िड ले हो रहा था।
मेल नस ने पायल और अभय को वृ आदमी के बा ओर पड़े सोफे पर
बैठने का संकेत कया और खुद लैपटॉप के पीछे, िब तर के दा ओर रखे एक कु स पर
बैठ गया। पायल ने उस पुराने सोफे पर बैठते ए खुद को असहज महसूस कया, िजसके
ं स टू टे ए थे और िजसका भूरे रं ग का कवर धुंधला होकर फट चुका था। उसने
आशं कत होकर ‘हॉि पटल-बेड’ पर पड़े बूढ़े आदमी क ओर देखा, जो उसे ही देख रहा
था।
वृ ि का शरीर कसी लाश क तरह िब तर पर बेजान पड़ा आ था। उसने अ छे
से इ तरी क ई शट और पतलून पहना ई थी। ले कन उसके शरीर क सबसे खास बात
उसका िसर था। पायल उसके असामा य आकार के िसर को देखकर च कत थी। ऐसा
लगता था जैसे उस बूढ़े इं सान ने अपने िवशाल खोपड़ी म असीिमत ान और कौशल भरा
आ था, िजस पर िसवाय दोन कनार पर उगे कु छ सफ़े द बाल के अलावा िबलकु ल भी
बाल नह थे। वह हर दन शेव कराने का आदी जान पड़ता था।
पायल को अपनी चमकती आँख से देखते ए उसने दबंग लहज़े म कहा कहा- “म कनल
बृजे र दयाल नारं ग ,ँ और तुम सोमू क भांजी हो ना?”
“हाँ।” उसने अभय का हाथ थामे ए ही जवाब दया।
“पायल, उस व तुम एक छोटी लड़क थी, और आज तुम मेरे सामने एक मिहला के
प म बैठी हो। समय कतनी ज दी गुजर जाता है। मुझे लगता है क अब तुम समझ गयी
होगी क मुझे तुमसे िमलने के िलए तु हारे पास आने क बजाय तु ह फोन य करना
पड़ा?”
“कोई बात नह सर।” अभय ने सहानुभूित भरे वर म कहा।
कनल नारं ग ने उसे सवािलया अंदाज से देखा। पायल ने अपने मंगेतर अभय का उस वृ
आदमी से प रचय करवाने के बाद पूछा- “आप मुझसे य िमलना चाहते थे सर?”
“म तु हारी मदद करना चाहता ।ँ मुझे दो दन पहले ही तु हारे भयानक हादसे के बारे
म पता चला। जैसा क मने तु ह फोन पर बताया था क म अख़बार नह पढ़ता न ही
यूज़-चैनल देखता ।ँ इं िडया टु डे म छपी तु हारी खबर ने मुझे ये पता करने के िलए े रत
कया क या तुम वही पायल हो, जो मेरे िजगरी दो त सोमू क भांजी थी? इसके बाद
मने तु हारा नंबर मालूम कया और तु ह फोन कया।”
“म समझ सकता ं क आप अख़बार य नह पढ़ते ह?” अभय ने एक बार फर
सहानुभूितपूण लहजे म कहा।
“तु हारे िलए जीवन वाद , आशा , सपन और रोमांच से भरा आ है, ले कन मेरे
िलए ये ख़ म हो चुक सड़क के समान है। मुझे अख़बार पढ़ने क आव यकता भला य
होगी? सब चीज एक जैसी ही रहती ह, के वल नाटक के पा बदल जाते ह, बाक सब-कु छ
वैसा ही रहता है, जैसा वह हमेशा से रहा है। पा भी कहाँ बदलते ह, बस उनके नाम और
चेहरे बदल जाते ह। म अपने लंबे जीवन के अनुभव के आधार पर कह सकता ँ क इं सान
क न ल कभी नह बदलती ह। और न ही वे इितहास से कभी कु छ सीखते ह। दरअसल
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लगभग सारे इं सान बेहद खुदगज़, आलसी,नीरस और सीिमत दमाग वाले होते ह,
इसीिलए म कं यूटर पर शतरं ज खेलते ए समय िबताना पसंद करता ।ं ”
“आप शतरं ज खेलते ह?” पायल ने पूछा।
“म समझ रहा ं क तु हारा या मतलब है। हरीश ने तु ह मेरी हालत के बारे म
बताया होगा। ले कन म ये कहने का हौसला रखता ँ क मेरा दमाग कसी स म आदमी
क तुलना म कह अिधक तेज़ और कािबल है। या तुम लोग िव ास करोगे क म इस
महीने कं यूटर के िखलाफ 20-18 से आगे चल रहा ?ँ म वॉइस कमांड का योग करता ं
और ऐ.आई. (आ टफ िसयल इं टेिलजस) ि थित के अनुसार बी4, ए5 इ या द चाल चलता
है।”
“ब त ब ढ़या।” अभय ने कहा।
“हाँ। और ये भी क म इस प रि थित से गुजर रहा ।ँ ले कन म तुम जवान ब ो को ये
बताकर बोर य क ं क म अपनी त हा दन और रात कै से गुजारता ।ँ म तु ह खुश और
महफू ज देखना चाहता ं मेरी ब ी। तु हारी तकलीफ के बारे म मुझे जो कु छ पता चला है,
उससे मुझे एहसास हो चुका है क तुम एक ब त बड़े खतरे म हो। म अपने दो त क भांजी
के ित अपना फ़ज़ न िनभा पाने क शम के साथ कभी नह मरना चां गा। तुम मुझे सब
कु छ बताओ। तुम कै से उस चानहर से िमली और तुम लोग के बीच या आ? म हर
चीज को िडटेल म जानना चाहता ।ं य द तुम इसे मदद समझकर नह करना चाहती तो
कम से कम एक मरते ए आदमी क इ छा मानकर ही बता दो।”
“ये एक लंबी कहानी है मामा जी।” पायल ने कहा।
“मेरे पास ब त समय है। एक यही तो चीज़ है, जो मेरे पास ब त सारी है।”
पायल ने अभय क ओर देखा और उसक सहमित पाकर डॉ फ चानहर के साथ
अपनी पहली मुलाकात से लेकर कानूनी कायवािहय तक का अपना पूरा अनुभव बयां कर
दया।
“तुम नरक से गुजर कर आयी हो।” कनल नारं ग ने सहानुभूितपूवक कहा- “ले कन चंता
मत करो। अब तुम अके ली नह हो। अब मुझ जैसा एक कु शल और कािबल योजना बनाने
वाला तु हारे साथ खड़ा है और ये कोई घमंड नह है। अब तुम बस इं तजार करो पायल
और देखो क म उस डॉ फ के ब े के साथ कै से नचाता ।ँ वह उस दन को कोसेगा जब
वह तु हे िमला था। अब वारलॉक का सामना एक आदमी, एक असली आदमी से होगा।
य द वह सोचता है क वह दुिनया म सबसे अिधक शाितर और ू र है, तो मेरा िव ास
करो वह इस मामले म मुझे खुद से उ ीस नह इ स ही पायेगा।”
“ या म पूछ सकता ँ सर क आप या करना चाहते ह?” अभय ने पूछा।
“उस ज़ािलम को उसक खुद क दवा का वाद चखाना चाहता ।ँ अब के वल पायल
भर नह है, जो उसके िखलाफ लड़ रही है, अब इसम म भी शािमल ।ँ तु ह अब कसी
बात क चंता करने क ज रत नह है ब ी। अब सब-कु छ मुझ पर छोड़ दो। म उस
चानहर को अपने जाल म ऐसा फँ साऊँगा क अपने घुटन पर बैठकर रहम क भीख
मांगेगा। मेरी शारी रक अव था पर मत जाओ। ये सच है क म अपने हाथ से एक म खी
तक को चोट नह प च ं ा सकता, ले कन इं सान के पास कु छ और भी होता है, जो उसके
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हाथ या उसक शारी रक ताकत से कह ऊपर होता है।”


“आपका या मतलब है मामा जी?” पायल ने पूछा।
पायल के मुंह से ‘मामा’ सुनकर उस वृ आदमी क आँख नम हो गय । “सबसे
ख़तरनाक हिथयार या होता है मेरी ब ी? ये कसी िसपाही के हाथ म नह बि क उसके
कं ध के ऊपर होता है। ये मानव-मि त क है, जो एक यो ा का सव म हिथयार होता है।
जो लड़ता है और िवजय ा करता है। म डॉ फ चानहर को हराने के िलए अपने
दमाग का इ तेमाल क ं गा। शारी रक प से मेरी वारलॉक से कोई तुलना नह है,
ले कन दमाग़ी जंग से वह मेरे सामने कं ही नह ठहरता।”
“आपको इस सब म नह कू दना चािहए मामा जी।” पायल ने कहा- “म नह चाहती क
आप मेरी वजह से आपको चोट प च ं े।”
“यह िबलकु ल बेकार क बात है। अगर म नह जीत न भी सका तो मेरे पास हारने के
िलए बचा ही या है? मने अपने जीवन म ब त कु छ देखा है, अब और कु छ देखने क
इ छा नह बची है, ले कन तुम मेरी ब ी हो। तु हारे सामने तु हारा पूरा जीवन है। य द
म अपने सामने ही वारलॉक के गंदे हाथ को तुमसे तु हारी खुिशयाँ छीन लेने दूग
ं ा, तो ये
मेरे िलए जीते जी मर जाने का मुकाम होगा। तुम दोन क शादी कब हो रही है?” उसने
िवषय बदलकर पूछा।
अभय ने पायल क ओर देखा और धीरे से उ र दया- “ब त ज द ही। संभवत: इस
महीने क अंत म।”
“तुम दोन को एडवांस म बधाई। म तुम दोन क शादी म शािमल नह हो सकता,
ले कन मेरा आशीवाद हमेशा तुम दोन के साथ रहेगा।”
“थक यू मामा जी।” दोन ने एक साथ कहा।
अभय और पायल सोफ़े से उठे । टू टे ए ंग ने एक बार फर ज़ोर से आवाज क ।
कनल से िवदा लेते ए वे दोन कमरे से बाहर आ गए। हरीश उनके जाने के बाद दरवाजा
बंद करके वापस कमरे म आया।
“हरीश।” कनल ने कहा- “टेलीफोन डायरी लाओ। उसमे तु ह भैरो शाह बंगाली और
साधना के नंबर िमलगे। उन दोन को फोन करो और उ ह बताओ क कनल नारं ग उनसे
िमलना चाहते ह। उ ह आज ही यहां आना होगा।”
“जी साहब। हरीश ने टेलीफोन डायरी के प को पलटते ए पूछा- “साधना तो आपने
एक बार बताया था क एक जासूस ह ले कन यह भैरो शाह बंगाली कौन है?”
“एक तांि क।” वृ ि ने जवाब दया और अपने कं यूटर पर शतरं ज के खेल म
मशगूल हो गया।

उस व शाम के लगभग पाँच बजे थे, जब लैट क क डोरबेल बजी। हरीश ने


दरवाजा खोला। उसने एक अधेड़ उ क भारी-भरकम मिहला को देखा, जो पांच ह -पु
ब वाली ‘रिशयन अ मा’ जैसी नजर आ रही थी। वह पुराने टाइल के बड़े-बड़े शीशो
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वाली ऐनक पहने ए थी। उसने िबना ेस कया गया गया राज थानी टॉप और कट
पहने ए था िजसमे अनिगनत हाथी और घोड़े बने ए थे। पीले, हरे और लाल के बीच का
शायद ही कोई रं ग था था जो उसके कपड़ो म नह था। उसके कं धे से चमड़े का एक बड़ा सा
हडबैग लटक रहा था, जो सामान से इस कदर भरा आ था क पूरी तरह से बंद भी नह
हो पा रहा था।
“रा ते से हटो।” कहते ए उसने पतले शरीर वाले हरीश को दरवाजे से ऐसे दूर धके ल
दया, जैसे वह ई का बना हो।
“अरे -अरे कं हा घुसी चली आ रही हो, तुम हो कौन?”
“साधना। तुमने मुझे दोपहर म फोन कया था।” उसने कहा और कनल नारं ग के कमरे
म घुस गयी।
‘बस, इसी क कमी थी।’ हरीश ने लैट का दरवाजा बंद करते ए सोचा- ‘तो ये
रिशयन अ मा वारलॉक क जासूसी करने वाली है। वाह रे कनल नारं ग, कौन समझदार
आदमी होगा, जो इस भसे पर दांव लगाएगा? वह चुपचाप कमरे म प च ं ा और अपनी
कु स पर बैठ गया।
“तु हारा ब ा कै सा है?” कनल नारं ग ने पूछा।
“ जी अ छा है।” उसने जवाब दया।
“और काम कै सा चल रहा है?”
“इन दन मेरे पास अिधक के स तो नह ह, ले कन फर भी मेरा काम चल रहा है। कम
से कम म भूख तो नह मरी जैसा क मेरे हरामज़ादे पित ने अपनी माशूका के साथ भागते
समय सोचा था। मने जो पेशा चुना है उसम थािपत होने म समय लगता है, इसिलए मने
कभी भी बड़े-बड़े सपने नह पाले।”
“ या तु हारा इरादा इस खतरनाक काम को जारी रखना है?” कनल ने पूछा।
“मेरे पास इसके अलावा और या करने को है? यही एक ऐसा काम है, िजसम म थोड़ी
अ छी ँ और साथ ही इस काम से मेरे जं दगी म थोड़ा रोमांच भी भर जाता है। मुझे
उ मीद है क कसी दन मेरे पास कई फ ड एज स ह गे और अपना खुद का एक ऑ फस
होगा। म इसी सपने को सच करने के िलए काम काम कर रही ,ं ले कन ये इतना आसान
नह है। और आप बताइए, मेरे लायक कु छ काम कनल साहब?”
“वैसे मेरे पास एक के स है साधना, ले कन मुझे पता नह क मुझे तु ह यह देना चािहए
या नह ? न ही म तु ह यादा पैसे दे सकता ।ँ तुम तो जानती ही हो क म लंबे समय से
रटायर ।ं ”
“इस तरह मुझे श मदा मत क िजये कनल। म कै से भूल सकती ं क वे आप ही थे,
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िज ह ने मुझे िड ेशन (अवसाद) से बाहर िनकाला और जीने का रा ता दखाया। वे आप


ही थे, िज ह ने मुझे इतने बड़े संसार म अके ले खड़े रहने, संघष करने और अके ले ही अपने
ब े को पालने का हौसला दया। वे आप ही थे, िज ह ने मुझे आज के िलए तैयार कया है।
यहां तक क मुझे मेरा जो पहला के स िमला था, वह भी के वल आपक िसफा रश के कारण
ही िमला था। म पैसे के बारे म अब एक श द भी नह सुनूंगी। आप बस मुझे बताएं क के स
या है?”
कनल नारं ग ने ाइवेट जासूस के आकषणहीन क तु ईमानदार चेहरे क तरफ गौर से
देखा और कहा- “म इसिलए फ़ै सला नह कर रहा य क वह आदमी ब त खतरनाक है।
वह कु छ भी कर सकता है। उसके जैसे लोग का कोई िस ांत नह होता है। उनम कोई दया
नह होती है। वे पूरी तरह से िनदयी और ू र होते ह। म अभी भी िन ंत नह ँ क या
मुझे तु ह अपनी जान जोिखम म डालने देनी चािहए या नह ? तु हारे पास देखभाल करने
के िलए एक ब ा भी है।”
“वह कौन है कनल साहब? बेकार क बात म उलझाकर गोल-गोल घुमाने क बजाय
मु े पर आइये। आपने मुझे इसी कारण से यहां बुलाया है य क आप इस मामले म मेरी
मदद चाहते ह।”
“उनका नाम डॉ फ चानहर है।” कनल ने प कया।
‘मने ये नाम सुना है।” ाइवेट जासूस ने अपनी आँख िसकोड़ते ए कहा- “हां। वह
को रयो ाफर, िजसका नाम हाल ही म अखबार और यूज़-चैन स म दखाई दया था।”
“ले कन आपका पाला उससे कै से पड़ा?” उसने पूछा।
“उससे नह पड़ा, ले कन उसने पायल चटज नाम क िजस लड़क को मारने क
कोिशश क थी, वह मेरे एक अज़ीज़ दो त क भांजी है और म अदालत म डॉ फ
चानहर को हराने म उसक मदद करना चाहता ।ँ मुझे परछा क तरह उसका पीछा
करने क ज रत है। वह कहाँ जाता है, या करता है और कससे िमलता है, म ये सब कु छ
जानना चाहता ।ँ ”
“ले कन यह कोट के मामले म कस कार आपक मदद करे गा?”
“अगर हम कु छ सबूत िमल जायगे तो इससे कोट म उसके िखलाफ पायल के के स को
मजबूती िमलेगी। एक बात और, जैसा क मने डॉ फ चानहर के बारे म सुना है, वह न
के वल बेहद चालाक इं सान है, बि क धूत भी है। उसका पीछा करते व तु ह ब त
सावधान रहना होगा। म फर से कहता ं क वह बेहद िनदयी और ू र है।”
“आप मेरे बारे म िब कु ल चंता न कर। म अपने मोबाइल के ज रये लगातार आपके
संपक म र ग
ं ी।”
“ठीक है। साउथ ए सटशन ि थत इं ि ट ूट ऑफ़ परफॉ मग आ स का पता नोट करो।
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और महरौली म उसका फामहाउस भी है, ले कन मुझे लगता है क वह इन दन वहां


नह जाता है। उसके पास वसंत िवहार म एक बंगला है, िजसका पता तुम टेलीफोन
डायरे टरी म देख सकती हो। इतना काफ है। तुम हर रोज़ मुझे फ़ोन करना और िब कु ल
भी ख़तरा मत लेना।” कनल ने उसे चेतावनी दी।
उसने सर िहलाया और उससे िवदा लेकर चली गई। हरीश दरवाजा बंद करके वापस
आया और सोफे पर बैठ गया। “एक बात पूछू कनल साहब? आपने डॉ फ चानहर के
‘वारलॉक’ होने के बारे म उस ाइवेट जासूस को य नह बताया?”
वृ आदमी ने अपने नस को इस कदर देखा जैसे एक टीचर अपने छा को देखता है
और कहा- “ या यह ठीक होता? वह वारलॉक से नह लड़ सकती। मने इस लड़ाई को
कानूनी और तांि क (अलौ कक), इन दो मोच पर लड़ने का फै सला कया है। ाइवेट
जासूस पहले मोच पर के स को मजबूती दान करने म मदद कर सकती है, जब क दूसरे
मोच को उस तांि क ारा संभाला जाएगा, िजसे मने बुलाया है।”
“आपने ये य कहा कनल क वह ‘कर सकती है’? या आप आपको उस औरत क
क़ाबिलयत पर शक ह?”
“िब कु ल नह । वह एक अ छी ाइवेट जासूस है, ले कन मने पायल से डॉ फ
चानहर के बारे म जो कु छ सुना, उससे तो यही नतीज़ा िनकलता है क वह एक बेहद
चालाक आदमी है। ऐसा शायद ही हो क वह आसानी से एक ाइवेट जासूस को अपने
िखलाफ सबूत ले जाने दे।”
“तो फर आपने इस मामले म उस ाइवेट जासूस को डाला ही य ?”
“ य क मुझे कसी ऐसे इं सान क ज़ रत है, जो मेरी आँख और कान बनकर काम कर
सके । वह मेरे िलए डॉ फ चानहर क हरकत पर नजर रखेगी। वह मुझे बताएगी क
वह कस समय या कर रहा है। इससे म उसक संभािवत चाल का अनुमान लगाने और
फर अपनी रणनीित तैयार करने म स म हो सकूं गा।”
“अ छा, फ़र आपने उसे ये सब य नह बताया?” हरीश ने उ सुकतापूवक पूछा।
“ य क मुझे उसे ये एहसास कराने क ज़ रत थी क उसका काम मह वपूण है। य द
उसे ये लगता क उसका काम िनचले दज का है, तो वह उसे ठीक से नह करती। ये इं सान
का वभाव है मेरे ब े क वह अपने काम म तभी शत- ितशत देता है, जब उसे लगता है
क पूरी योजना म उसके िह से का काम बेहद मह वपूण है।”
“अगर वह डॉ फ चानहर इतना ही चालाक और धूत है तो फर वह मुंह क कै से खा
गया? आप तो सोचते है क वह हर काम को सफाई से अंजाम देने वाला श स है, तो फर
रं गे हाथ पकड़ा कै से गया?”
“वारलॉक क सफलता के पीछे उसका दोहरा ि व है। उसके दोन चेहरे एक-दूसरे
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से िब कु ल अलग है। उनम िसवाय डॉ फ चानहर के अलावा और कोई भी कड़ी नह है


जो उ ह जोड़ती है। पायल ही वह पहली इं सान है, जो िस कु रयो ाफर और वारलॉक
जैसे उसके दो िब कु ल उ टे और अलग चेहर या इं सानो को दुिनया के सामने लाई है। यही
घटना डॉ फ क मुसीबत और उसके पदाफाश होने का कारण है। ले कन उसने अपनी
गलितय से ज र सबक िलया होगा और अब पहले से भी अिधक ू र और भयानक बन
गया होगा। एक घायल सांप िनहायत ही खतरनाक होता है।”
तभी डोरबेल बजी।
“ज र तांि क भैरव और उसका सहायक वंकल होगा।” कनल ने अपने मेल नस से
कहा- “उ ह अंदर ले आओ।”
दरवाजा खोलते ही हरीश को महसूस आ क हैरान होने का िसलिसला अभी थमा
नह था। उसने दरवाजे पर एक अंधे आदमी को पाया, िजसने मैले-कु चैले कपड़े पहन रखे
थे। उसने िसर पर हरे रं ग का साफा बांधा आ था। ल बे बाल वाले उस आदमी क दाढ़ी
और मूंछे ब त घनी थी और उसके शरीर से आती बदबू से लगता था क वह कई दन से
नहाया नह है। उसक आँख पर काले रं ग का च मा और गले म रं गीन मनक तथा हि य
क कई मालाएं थी।
उसके पीछे छोटी कद-काठी और ह -पु शरीर वाला उसका सहायक वंकल खड़ा था,
जो डाउन सं ोम से त था। वंकल के कान छोटे और ठोड़ी धंसी ई थी। उसक आँख
आधी बंद रहती थ , मुंह हमेशा खुला रहता था, िजसम से जीभ आदतन बाहर लटकती
रहती थी। वह अ सर अपने माथे को िसकोड़ता रहता था, भौह को उचकाता रहता था,
और कसी यं चािलत गु े क तरह अपने चेहरे को इधर-उधर नचाता रहता था। उसक
नक् पर एक ऑरज (नारं गी) रं ग के स ते े म वाला च मा टका था। उसक जेब उन
दवा के प से भरी रहती थ , िज ह वह दन म कई दफे अपने मुंह के हवाले करता था।
हालां क उसे इसक वजह नह मालूम थी ले कन अपनी माँ के स त िहदायत के कारण वह
इस काम को कभी भूलता नह था। उन िवशेष गोिलय को िनगलना उसके जीवन क
िनयिमत दनचया बन गई थी, िजसे वह बगैर याद दलाये भी पूरा कर सकता था।
‘लो कर लो बात।’ उन दोन के अंदर दािखल हो जाने के बाद हरीश ने दरवाजा बंद
करते ए सोचा- ‘पहले तो वह अधेड़ उ क ‘रिशयन अ मा’ और अब एक अंधा तांि क
और अब उसका दमाग़ से सटका आ थके ला साथी। तो या कनल साहब तो वारलॉक से
लड़ने के िलए सरकस इक ा कर रहे ह?’
और इतना ही नह ।’ उसने कमरे म जाते ए सोचा- ‘इस अजीबोगरीब पलटन म जो
कसर रह गयी है, उसे वह बूढ़ा आदमी पूरा कर रहा है, जो दमाग को छोड़कर अपने
शरीर के कसी भी िह से का उपयोग नह कर सकता है। भगवान ही उस बेचारी पायल
क मदद कर। वह िजन लोग क मदद हािसल करने क उ मीद कर रही है, उनक मदद
से अ छा तो शायद यही होता क वह वारलॉक के सरकस म ही पड़ी रहती। यह लोग या
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उसक मदद करगे, िज हे ख़द मदद क ज़ रत है। इन सब सालो म से कसी क भी कोई


कल सीधी नह ह।’ अपने िवचार म गुम हरीश चुपचाप कु स पर बैठ गया। जब क कनल
नारं ग उस अंधे आदमी को पूरी कहानी सुनाने लगा।
“तो भैरो, अब तुम या कहते हो?” कनल अपनी बात ख़ म करने के बाद उस तांि क से
पूछा।
“आपने उसके बारे म जो कु छ कहा, वह उससे भी कह अिधक ख़तरनाक है।” तांि क ने
कहा। उसके हाथ म लकड़ी क एक छड़ी थी, िजसके ऊपरी िह से पर िस वर (चाँदी) के
रँ ग क धातु का एक अजीबोगरीब िडजाइन थी। जो कसी रह यमयी भाषा के एक अ र
क भांित नजर आ रहा था।
“ या तुम उसके बारे म पहले से जानते थे?” कनल नारं ग ने पूछा।
“म एक नतक (डांसर) के प म उसक पहचान से वा कफ नह था, ले कन वारलॉक के
प म उसके कु कम से ज र वा कफ ।ँ हम अपने पेशे म कसी आदमी को उसके नाम से
नह बि क उसक शि य और उसके काय से पहचानते ह। हमारे पेशे म कसी ि
िवशेष के काय को ही उसके ह ता र समझा जाता ह।”
“मुझे उसक शि य के बारे म बताओ।”
‘“उसने एक तांि क ह रनाथ के ेत को अपने वश म कर रखा है। इसके अलावा, उसके
पास कई दूसरी करामाती िसि याँ भी ह, जैसे कसी को िमत करने वाली शि
‘मोिहनी’, दु मन को बबाद करने वाली शि ‘श ुघात’ तथा इसके अलावा और भी कई
भयावह िसि याँ ह उसके पास।”
“और उसक तुलना म तु हारे पास या है?”
“ब त थोड़ा ही है। फलहाल मेरे वश म के वल एक ेत है और इन दन म ‘मुठकरणी’
िस ी हािसल करने क कोिशश कर रहा ।ं य द मने उस िस ी म महारत हािसल कर ली
या कसी शैतानी ताकत को वश म कर िलया तो वारलॉक को ख़ म करने म सफल हो
जाऊंगा। ले कन इसके िलए मुझे अभी लंबा सफ़र तय करना है। कु छ शि यां हमेशा मेरी
साधना म बाधा डालने आती ह, िजसके बाद मुझे अपनी साधना फर से शु करनी पड़ती
है। उन िसि य म महारत हािसल करने म अभी मुझे छह महीने से भी अिधक समय
लगेगा। इसके बाद ही म वारलॉक पर उनका योग कर पाऊंगा। तब तक के िलए म उसे
के वल रोकने का यास कर सकता ।ं ”
“ या तुम इस बात को लेकर िन ंत हो क तुम वारलॉक को हरा सकते हो?”
“हाँ। य द बुराई का देवता ह त ेप न करे तो। एकमा वही है, िजससे म डर रहा ।ं ”
भैरो ने कहा।
“बुराई का देवता?”
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“हाँ। कु छ लोग उसे शैतान कहते ह और कु छ लोग उसे ब द का देवता कहते ह। कु छ


सं दाय का मानना है क वह के वल बुराइय क सव स ा का ितिनिध मा है। वे ये
तक देते ह क बुराइय क सव स ा पृ वी पर रहने वाले इं सान के सांसा रक
याकलाप म शायद ही कभी ह त ेप करता है।” तांि क ने कहा- “य द वह शि
ह त ेप न करे , तो म वारलॉक को हरा सकता ।ं फलहाल म ये नह समझ पा रहा ं क
वारलॉक इतनी ऊंची स ा से संपक साधने म सफल कै से आ? और य द उसके पास इस
तरह के सपक ह तो वह ेत, मोिहनी इ या द जैसी तु छ शि य के इद-िगद य भटक
रहा है?”
“हो सकता है िजस शि के बारे म तुम बात कर रहे ह , उस शि से वह अभी न जुड़
पाया हो। शायद इन छोटी-मोटी शि य को वह इसिलए अपने पास रखता है, ता क घोर
िवपि के समय जब वह िवनाश क कगार पर हो तो ही शैतान को उसक मदद को आना
पड़े।”
“शायद आप ठीक कह रहे हो साहेब जी।” तांि क ने अपना िसर िहलाते ए कहा-
“यही वजह है क शैतान वारलॉक क सामा य गितिविधय या उसके साधारण काय म
उसक मदद नह करता ह।”
“माफ़ क िजयेगा।” हरीश खुद को बोलने से नह रोक पाया- “ले कन या आप यँहा दो
उ टी बाते नह कह रहे? य द सच म ही शैतान या उसक शि यां वारलॉक क र ा
करती ह, तो इस बार उ ह ने इस बार वारलॉक को अपने हाल पर य छोड़ दया?”
“शैतान के काम करने का तरीका इं सानी सोच से परे ह। कौन जानता है क वह
वारलॉक को भिव य के िलए कस कार तैयार कर रहा है?”
“मुझे पूरा यक न है क अगर ऐन व पर शैतान वारलॉक क मदद को नह आया तो
म उसे हरा दूग
ं ा।”
“ या सच म? तुम ऐसा कै से कर सकते हो? और य द हम ये मान भी ल क शैतान बीच
म नह आएगा तो भी तुम उसे कै से मार सकते हो? जैसा क तुमने खुद माना ह क वरलॉक
के पास तुमसे अिधक शि याँ ह।”
“माफ़ चा ग ँ ा,” हरीश ने ह त ेप कया, “इससे पहले क भैरो आपके सवाल का
जवाब दे, म ये पूछना चाहता ं क या उस आदमी को मारना ज री है? मेरा मतलब है
क या अब कसी आदमी क ह या करना जुम नह रहा?”
“तुम ऐसा इसिलए कह रहे हो मेरे ब े य क तुम वारलॉक क ू रता, उसके दु कम
या उसक गैर-मानवीय मता पर पूरी तरह से िव ास नह कर रहे हो। उसका के स
अदालत म ज र जाएगा, वक ल ारा लड़ा भी जाएगा, ले कन या ये सब वारलॉक को
सजा दलाने के िलए काफ होगा? और अगर वह क़ानून के िशकं जे से बच िनकला तो या
होगा? या वह पायल को या अपने कसी दु मन को ब श देगा?” कनल नारं ग ने पूछा।
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“आप ठीक कह रहे हो साहेब जी।” भैरो ने कहा, “वारलॉक को रोकने के िलए उसे
ख म करने के अलावा और कोई रा ता नह है। आपके पहले सवाल के जवाब म म यह
कहना चाहता ँ क म उसे इसिलए मार सकता ं य क उसक शि यां फलहाल उसके
साथ नह ह। उ ह ने उसका साथ छोड़ दया है, और अब वह पहले क तरह ताकतवर नह
है। य द हम हमला करना है तो यही सही समय है, य क अगर एक बार उसक काली
शि यां उसके पास वापस आ गय तो फर उसे रोकना या हराना नामुम कन हो
जाएगा।”
“तुम ऐसा य कह रहे हो क उसक शि य ने उसका साथ छोड़ दया है? ये कै से
संभव है?”
“ य क वह िपछली अमावास क रात दु आ मा को नरबिल देने म िवफल रहा
था।”
“अगर यह वा तव म सच है, तो हमारे पास वारलॉक को च काने का अ छा मौक़ा है।
उस बेचारे को पता ही नह चलेगा क उसके साथ या होने वाला है।”
“यह संभव नह है साहेब जी। आप ह रनाथ को भूल रहे ह। वह अभी भी अपने दु
मािलक क सेवा कर रहा है। हक कत तो यह है क जब म इस कमरे म दािखल आ तो
ह रनाथ यह था। मेरे आदेश पर मेरा गुलाम ेत उसक कमजोर शि य के कारण उसे
इस कमरे से बाहर खदेड़ने म सफल रहा। ले कन ह रनाथ अभी भी इस कमरे के बाहर
खड़ा है और हमारी बातचीत के एक-एक श द को सुन रहा है। वह िनि त ही यहाँ से
वारलॉक के पास जाएगा और फर पायल के आपसे िमलने से लेकर अब तक यहाँ ई सभी
बात उसे बता देगा।”
“तो इसका मतलब वह पायल का पीछा करते ए यहाँ आया था।” वृ आदमी ने कहा।
“इसीिलए मने कहा क हमारे हमले से वारलॉक च के गा नह ।”
“कोई बात नह । य द उसे यहां क सारी बात पता लग जायगी तो वह खुद को बचाने
के िलए या- या कर सकता है?”
“यह भी ठीक ह, वैसे भी म उससे डरता नह ।ं आप बताये, आप मुझसे ख़ास या
चाहते है साहेब जी?”
“सबसे पहले तो म चाहता ं क तुम पायल से िमलो और उसे कोई ऐसी जादुई चीज़
दो, जो उसे वारलॉक से बचा सके । इसके बाद तुम वारलॉक क यादा से यादा शि यां
ख़ म करने का यास करो। दूसरी ओर म ये भी चाहता ं क तुम उन अलौ कक िसि य
को जगाने का भी काम करो िजसका तुमने थोड़ी देर पहले िज कया था। जब तुम इतने
काम पूरे कर लेना तो मुझे बताना, तब म तु ह वारलॉक के खा मे का आिखरी आदेश दूग
ं ा।
फलहाल के िलए इतना ही। हरीश।” वे अपने नस से मुखाितब ए- “ताबीज बनाने और
िसि य के जगाने के िलए कु छ चीज को खरीदने क आव यकता होगी। इसके िलए भैरो
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को दस हजार पये दे दो। मेरा बटु आ अपनी जगह पर ही है।” उ ह ने आदेश दया।
भैरो ने कनल का अिभवादन करा और वंकल के साथ चला गया।
उनके चले जाने के कु छ दूर बाद हरीश कमरे म वापस आया। उसने कनल नारं ग से
पूछा- “वह अंधा तांि क उस मंदबुि आदमी को अपने साथ य रखता है सर?”
“उसक मानिसक दशा पर मत जाओ ब ।े िजसे तुम मंदबुि कह रहे हो, वह बेहद
खतरनाक और शि शाली लड़का है। अगर तांि क उसे आदेश दे तो वह एक हाथ से
तु हारी गदन मरोड़ सकता है।”
“अ छा, या सच म?” हरीश ने अपनी गदन पर हाथ फे रते ए हैरानी भरे लहजे म
पूछा।
“भैरो का सहायक एक रोबोट क तरह है, जो आदश का सीधे और त काल पालन
करता है। वह तांि क के आदेश का अ रश: पालन करता है इसिलए वह उस अंधे तांि क
के िलए इतना ज़ री है। यही कारण है जो भैरो, वंकल को अपने साथ रखता है। तांि क
का वह सहायक अपनी मानिसक दशा के कारण कसी ब ा जैसा ज र है, ले कन अपने
ारा क गयी नाइं साफ के बदले म कृ ित ने उस आदमी को एक दुलभ उपहार भी दया
है।”
“अ छा, वह या?” हरीश ने उ सुकता से पूछा।
“िनडरता। तुम कह सकते हो क उस लड़के को ‘डर’ क तिनक भी समझ नह है। उसके
िलए जैसे डर का कोई वजूद ही नह है। एक पहलवान या गडे जैसी ताकत वाला वंकल
इस तांि क के िलए बेशक़ मती है। मुझे लगता है क भैरो शाह क तांि क िसि य और
उसके िनडर सहायक क शारी रक शि क जुगलबंदी हमारे िशकार के िलए एक चुनौती
सािबत होगा। वारलॉक और मेरे बीच शतरं ज क बाजी िबछ चुक है। अब देखना ये है क
हमम से वो कौन होगा, जो ित ं ी को मात देगा। मुझे लगता है क ये खेल ल बा,
रोमांचक और चुनौती भरा होगा। िम. ए.आई. (आ टफ िसयल इं टेिलजस) शतरं ज म मेरी
अगली चाल के तौर पर जी5 चलो।”

उससे अगली शाम को अभय बतरा ने अपने कार को िब डंग के कं पाउं ड म पाक कया
और खाने-पीने का सामान तथा बकाड ीज़स (एक कार क कम नशे वाली िबयर) का
पैकेट िलए ए िल ट क ओर बढ़ गया। ऑ फस के बोझ भर काम से दबे अभय को
अक मात ही अपनी मंगेतर पायल के यहाँ प च ं कर उसे च काने का िवचार आ गया था।
इसीिलए लाजा िसनेमा के िनकट ि थत ‘कबाब फै ी’ से अपने पसंदीदा ंजन को लेने
के बाद वह आर. के . पुरम ि थत हाउ संग का ले स चला आया। गेट पर मौजूद गाड उसे
शािलनी के लैट म िनयिमत आने-जाने वाल के प म पहचानता था। अत: उसने
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आगंतुक क
पहचान पूछने क जहमत नह उठाई।
िल ट खुलने के बाद अभय बाहर िनकलते ए ये क पना करके मु कु रा उठा क पायल
उसे देखकर कस कदर ख़श हो जाएगी। वह कॉल बेल दबाने ही वाला था क उसे अंदर से
आती कु छ आवाज सुनाई पड़ । उसने दरवाजा को अधखुला पाकर उसे पूरा खोला और
अंदर िव हो गया। ाइं ग म से पायल के साथ कसी अप रिचत पु ष क आवाज आ
रही थी। वह हैरान होकर गैलरी म ठठक गया और उनक बातचीत सुनने के िलए अपने
कान खड़े कर िलये।
“ या तु हे यक न है क ये काम करे गा?” पायल पूछ रही थी।
“ ज़ंदा या मुदा कोई भी इस ताबीज क शि को चुनौती नह दे सकता है। मने इसे
शि शाली बनाने म अपनी सभी तांि क शि य का उपयोग कया कया है। तुम इसे
अपने घर म रखो, या जहां कह भी जाओ, इसे अपने साथ लेकर जाओ। फर इसक
करामात देखो। देवी काली क मू त का साथ पाकर यह तु ह एक ऐसी शि म त दील कर
देगा, िजससे कोई पार नह पा सके गा।” आदमी ने उसे आ ासन दया।
“ये पैसे ले लो भैरो।”
“शु या साहेब जी। जब भी आपको मेरी सहायता क आव यकता हो, आप मुझे मेरे
दए ए नंबर पर फोन करना या फर अपना संदश े छोड़ देना। म आपक सेवा म हािजर
हो जाऊंगा।”
एक भारी-भरकम आदमी ॉइं ग म से बाहर आया और अभय से टकराते-टकराते
बचा, वह अंदर के दृ य से अ जान दरवाजे के पास ही खड़ा था। वह कम-अ ल या मंदबुि
आदमी चटख़ारे लेते ए 'फटा’ क बोतल पी रहा था। उसने पलक झपकाते ए काठ के
उ लू क तरह अभय को देखा, जो औपचा रकतावश मु कु रा उठा। उसक आँख पायल से
टकराय , जो एक अंधे आदमी के साथ कमरे से बाहर िनकल रही थी। उसक आँख पर
काला च मा था। उसके िज म पर हरे रं ग का कु ता और कमर म रं गीन लुंगी थी। इसके
अलावा उसके गले म हि य और मोितय क कई मालाएं थी। लंबे बेतरतीब घुंघराले
बाल और दाढ़ी-मूछ वाले उसके गंदे िज म से बदबू आ रही थी।
“अभय..तुम यहाँ कै से?”
“ये लोग कौन ह?” अभय ने अंधे और उसके नीम-पागल साथी को शक भरी िनगाह से
घूरते ए पूछा।
“ये लोग बस जा ही रहे ह। तुम ॉइं ग म म बैठो। म इ ह दरवाज़े तक छोड़कर आती
।ँ ” उसने ज दबाजी म कहा और अंधे तांि क क बांह पकड़ कर उससे बां ला भाषा, जो
अभय को समझ म नह आती थी, म बात करते ए आगे बढ़ गयी। वह अपनी मु ी म एक
बड़े िस े के आकार वाला अजीब सा खुरदुरा ताबीज पकड़े ए थी, िजसे वह अपने मंगेतर
क नज़र से बचाने क कोिशश कर रही थी।
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मंदबुि लड़के ने अभय क ओर भावहीन चेहरे के साथ देखा और चला गया। अभय
भारी कदम के साथ ाइं ग म म प च ं ा और एक सोफे पर बैठ गया। उसका सारा उ साह
अब ठं डा हो चुका था। थोड़ी देर बाद पायल उसके सामने आकर बैठ गई। “तु ह देखकर
खुशी ई अभय।” उसने होठ पर जबरन मु कान लाते ए कहा। "आज यूँ अचानक? आने
से पहले फ़ोन तो कर देत।े "
“वे दोन आदमी कौन थे?”
“दरअसल वह एक तांि क है।” उसने उसक आँख म देखने से बचते ए जवाब दया-
“तु ह नारं ग अंकल याद ह, िजनके लैट पर हम इतवार को गए थे? वे भैरो से अ छी तरह
से जानते ह। उ ह ने ही उसे यहाँ भेजा था। और वह दूसरा आदमी उसका साथी वंकल
था।”
“वह तांि क यहाँ य आया था?”
“नारं ग अंकल को लगता है क वह दु वारलॉक अपने काले जादू से मुझे नुकसान प च ं ा
सकता है और खुद को उससे बचाने के िलए मुझे भैरो के मदद क ज रत है, जो यह प ा
करे गा क डॉ फ चानहर के तांि क याकलाप से मुझे कोई नुकसान न प च ं ।े ” उसे
अभय क ओर से ये कहे जाने क अपे ा थी; ‘तुम पढ़ी-िलखी होने के बावजूद भी काले
जादू म यक न रखने वाली एक ढ़वादी बंगाली बन रही हो।’
ले कन इसके बजाय अभय ने कहा- “म तांि क और उनक हरकत को िबलकु ल पसंद
नह करता। ये लोग धूत होते ह, जो अपने पास आने वाले लोग को मुसीबत के अलावा
और कु छ नह देते ह। ऐसे लोग समाज पर एक बोझ होते ह।”
“तुम कु छ यादा ही बढ़ा-चढ़ा कर कह रहे हो। तुम हर कसी के ऐसा नह कह सकते
हो।”
“मने इन तांि क के बुरे काम को अपनी आँख से देखा है। उनक एक घ टया हरकत
के बारे म सुनो और फर खुद फ़ै सला करो।” कहने के बाद उसने एक क सा बयां करना
शु कया- “एक तांि क था, िजसे शिनदेव के नाम से जाना जाता था। एक अमीर
प रवार क औऱत उसके जादू के जाल म फं स गई। उसने ख़ानदान के लोग पर अपनी
पकड़ बढ़ाने, पए-पैसे को बढ़ाने और िजन लोग से वह जलती थी, उनको बबाद करने के
िलए उसने उस तांि क से मदद मांगी। कु छ महीनो तक तो सब कु छ सही ढंग से होता
गया। और तब तक उसक सभी इ छाएं पूरी होती रह जब-तक वह शिनदेव को पये-पैसे
और बाक चीज से खुश करती रही। फर कसी कारण से उसने शिनदेव के साथ अपना
र ता तोड़ दया और उसे अपने घर आने से मना कर दया।”
“ फर या आ?”
“तांि क अपने कौल का प ा िनकला। उसने अपनी जात दखाई और उस मिहला के
िखलाफ हो गया। सबसे पहले उसके पित क अक मात् और अ ाकृ ितक मौत ई। उसका
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िबजनेस तबाह हो गया और प रवार को प रि थितय से हार कर अपने कारखानो को


बेचने के िलए मजबूर होना पड़ा। उस औऱत का बेटा अपनी प ी के साथ घऱ छोड़ कर
चला गया गया। उसक छोटी शादीशुदा बेटी के दल म एक ऐसी बीमारी िनकल आयी,
िजसके िलए महंगे इलाज और िनयिमत प से अ पताल जाने क ज रत थी। इससे भी
बुरी बात ये ई क लड़क के पित और ससुराल वाल ने ये कहकर उसे अपने साथ रखने से
मना कर दया क उसके घरवाल ने उसक बीमारी के बारे म छु पाकर शादी करके उ ह
धोखा दया है। बूढी िवधवा को सहारा देने के िलए कोई नह बचा और उसे अपनी बेटी
को रात को भी खुद से ही अ पताल ले कर आना पड़ता था। लड़क क हालत यादा
िबगड़ने पर उसे तीन-चार दन के िलए आई.सी.यू म रखना पड़ा। मने खुद उस बूढ़ी माँ
को आई.सी.यू के बाहर अ पताल क सी ढ़य पर कई-कई दन तक सोते ए देखा है। उसे
हर कसी ने ठु करा दया था, यहाँ तक क उसके प रवार वाल ने भी, िजनके िलए उसने
वह सब कु छ करा था।”
“ये तो दल दहला देने वाली कहानी है।”
“ये सब-कु छ उस दु तांि क शिनदेव के कारण आ।” ल बी खामोशी के बाद उसने
कहा- “तांि क के दु कम क एक और कहानी है मेरे पास। दो िसख ापारी थे, जो एक-
दूसरे के बेहद अ छे दो त थे। वे एक साथ ना ता करते थे, एक साथ हंसी-मजाक करते थे
और हर संभव तरीके से एक दूसरे क सहायता कया करते थे। कसी कारणवश वे एक-
दूसरे से अलग हो गए और गहरे दु मन बन गए। उनम से एक ने, िजसे हम कु लजीत संह
मान लेते ह, ने एक तांि क को अपने दो त सरबजीत संह के िखलाफ काला जादू करने के
िलए बुलाया। कु लजीत संह के बेटे को दौरे पड़ते थे और वह कई बार समािध म चला
जाता था, और ऐसी दशा म वह देवी मां क सवारी बन जाता था। तुम इस मा यता से
ज र वा कफ होगी क कु छ लोग पर देवी क सवारी आती है और देवी उनके मा यम से
बोलती ह। एक बार उसी तरह के दौरे पड़ने के दौरान कु लजीत संह के बेटे ने घोषणा
कया क उसके िपता के ित ं ी सरबजीत संह क प ी तीन िह स म कट जाएगी। और
फर एक पखवाड़े के भीतर ही भयानक क दुघटना ई, िजसम सरबजीत संह क प ी
का धड़ तीन भाग म कट गया।”
“हे भगवान।”
“इसे मा एक संयोग कहकर खा रज नह कया जा सकता है, य क ‘िम टर के ’ के
बेटे ारा दौरे पड़ने के दौरान कही ई और भी बात सच सािबत ई थ । उनका प रवार
अपने दुकान के ऊपर ही रहता था। एक दन दौरे पड़ने के दौरान लड़के ने उस आदमी से
एक ह ते के भीतर शादी हो जाने क खुशी म िमठाई लाने के िलए कहा, िजसक दुकान
उसके दुकान के ठीक सामने थी। दुकानदार ने इस पर यान नह दया, य क वह कई
साल से यासरत था, ले कन अपने िलए उपयु वधु ढू ंढ पाने म सफल नह आ था।
ले कन फर एक दन के अंदर ही कसी र तेदार के मा यम से उसके पास शादी का एक
अ छा ताव आ गया और न क गणना सटीक बैठ जाने के कारण ह ते भर के भीतर
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ही उसक शादी िविधपूवक संप हो गयी। इस तरह लड़के क भिव यवाणी सही हो गई।
बहरहाल म कु लजीत संह और सरबजीत संह क ित िं ता पर वापस आता ।ँ
सरबजीत संह अपनी प ी क अ ाकृ ितक और भयानक मौत का बदला लेने के िलए एक
तांि क को पकड़ लाये और फर एक जंग िछड़ गयी। िजसके प रणाम व प ास दय का
एक लंबा दौर शु आ। सबसे पहले कु लजीत संह के तांि क क दु हन ऐन शादी वाले
दन घोड़े ारा िसर पर लात मारे जाने से मर गयी। इसके बाद तांि क क भी मौत हो
गई। कु छ महीन के भीतर ही सरबजीत संह ने भी अक मात और अ ाकृ ितक ढंग से मौत
को लगे लगा िलया। यही ह उनके ित ं ी कु लजीत संह का भी आ। और इस कार
उस जंग म शािमल सभी लोग के िवनाश के साथ उस खूनी गाथा का अंत हो गया। ये
के वल दो उदाहरण ह, जो बताते ह क दु तांि क के कारण कतनी तबाही होती है और
िज ह मने वयं अपनी आँख से देखा है। या अब भी तुम ये सोचकर आ यच कत हो क
म उनके काम से इतनी घृणा य करता ?ं ”
“म तु हारी चंता समझ सकती ं अभय, ले कन म तु ह यक न दलाती ं क
भैरो....।”
“तुम यही कहना चाहती हो न क वह तु हारा रखवाला है और हमेशा तु हारी र ा
करे गा?” अभय ने उसक बात काटते ए कहा- “म तु हारे साथ इस थ के बहस म
शािमल नह होना चाहता। तुम मेरी बात मानने के िलए मजबूर नह हो, ले कन अगर तुम
मुझसे यार करती हो और मुझे अपना अ छा चाहने वाला मानती हो तो मेरी सलाह
मानो और इन तांि क से दूर रहो। वे िग क तरह ह, जो अपने साथ मौत और दुभा य
लाते ह। वे उन हाथ को भी काटने म नह िहच कचाते ह, जो उ ह खाना िखलाते है।”
इससे पहले क पायल कोई जवाब दे पाती, वहां नरे श के साथ शािलनी प च
ं गई और
बातचीत का िवषय पूरी तरह बदल गया और वह सभी उन क़बाब का लु त उठाने लगे,
जो अभय अपने साथ लाया था। अभय के साथ जाने से पहले हंसमुख वभाव वाले नरे श ने
उनका खूब मनोरं जन कया। इस दौरान म अभय का मूड भी बदल गया। उसने पायल के
साथ उस अि य मु े को फर से नह उठाया और उस बंगाली सु दरी के ित अपने ेम का
बार-बार इजहार करते ए वहां से िवदा हो गया।
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अ याय 12
पाप क जीत

अगली सुनवाई के दौरान इं सपे टर उदय ठाकु र का दशन कु छ ख़ास नह रहा।


हैदराबाद क लेबोरे टरी से आयी रपोट अिभयोजन प के िलए एक बड़ा झटका थी,
िजसम िन िलिखत बात कही गयी थ -
1). फामहाउस और कार से बरामद ए बाल के रे शे पायल के बाल से मेल खा रहे ह।
2). बिल वेदी, मू त और लबादे से उठाए गए खून के नमूने इं सानी-खून नह बि क
कबूतर तथा मुग इ या द के खून के िम ण ह।
3). चूं क वे नमूने इं सानी खून के ह ही नह , इसिलए उनका िमलान स जे ट(मजदूर) के
डी.एन.ए. के साथ संभव नह है।
4). सं द ध खुदाई- थल से उठाये गए िम ी के नमूने को सू म रासायिनक प र ण के
िलए भेजे जाने पर पाया गया क उनम इं सानी मांस, चमड़ी या हि य का कोई अंश नह
है।
इं सपे टर उदय ठाकु र और उसके सहायक ने फोरिसक िवभाग के उस कां टेबल से भी
पूछताछ क , िजसक िनगरानी म वे नमूने हैदराबाद भेजे जाने से पहले रखे गए थे। या
उसने असली नमूने को बदलने म आरोपी क मदद क थी? ले कन उस पुिलसकम ने घंट
क िजरह के बावजूद भी कु छ वीकार नह कया। अंतत: उदय और उसक टीम उससे
अपराध कबुलवाने म नाकाम रही। एस.एच.ओ. जो गंदर संह ने सपल बदलने के िलए
डॉ फ चानहर और उसके दो त को उस कां टेबल का नाम और पता दया होगा, इस
संदह
े के बावजूद भी वह ाइम ांच इं सपे टर सबूत के अभाव म कु छ भी सािबत नह
कर पाया। ये उसके िलए बेहद िनराशाजनक था।
उसक सलाह पर अिभयोजन प उस रपोट के मु े पर तब-तक टाल-मटोल करता
रहा, जब तक क अंजली ने कसी तरह उसक डु ि लके ट कॉपी बनवाकर सरकारी वक ल
को दखा नह िलया। उसने अदालत से वह आदेश भी ा कर िलया, िजसके तहत
अिभयोजन प उस रपोट को एक महीने बाद भी तुत कर सकता था। ले कन
अिभयोजन प क सबसे बड़ी बेबसी ये थी क वे ये जानने के बावजूद क लेबोरे टरी
रपोट के साथ छेड़खानी क गयी है, उसक ामािणकता पर सवाल नह खड़े कर पा रहे
थे य क उ ह ने खुद उन नमून को उठाया था, उनके िव ेषण का आदेश दया था और
प र ण- रपोट को कोट म उस के स के अहम और िनणायक सबूत के प म पेश कया था।
उन पर िवरोधी प क ओर से ऐसा पलटवार आज तक नह आ था। कथू रया और उदय
दोन के ही चेहरे पर िवफलता के कािलख पुत गयी थी।
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वंकल के साथ ऑटो- र शा क िपछली सीट पर बैठा तांि क भैरो शाह बंगाली बीड़ी
फूं क रहा था। वह दलशाद गाडन ि थत कनल नारं ग के लैट क ओर जा रहा था। कनल
ने उसे तुरंत बुलाया था। पंचकु इयां रोड से पूव द ली तक का सफ़र खामोशी म गुजरा,
य क वह अंधा आदमी अपने िवचार म खोया आ था, जब क उसका साथी संकोची
और गैरबातूनी वृि का था। ऑटो कने पर वंकल ने अपने मािलक का हाथ पकड़ कर
लैट तक प च ं ा।
डोरबेल क आवाज सुनकर कनल नारं ग के नस हरीश ने दरवाजा खोला और उ ह उस
बीमार आदमी के पास ले गया, िजसक अंतरा मा अद य साहस से भरी ई थी। भैरो ने
उस वृ आदमी का अिभवादन कया और वंकल के साथ सोफे पर बैठ गया। हरीश ने
उनक िखदमत म फटा पेश क और खुद भी जाकर अपनी कु स पर बैठ गया। कमरे म
तनावपूण खामोशी थी, सभी कनल के बोलने का इं तजार कर रहे थे।
“म तुमसे ब त िनराश ं भैरो।” उ ह ने कहा।
“ य साहेब जी? या आ? मुझसे कोई गलत काम हो गया या?”
“सम या तु हारे काम करने से नह बि क काम न करने से है। आिखर कब तक तुम
खामोश बैठे रहोगे भैरो? या तब-तक, जब तक वारलॉक का िशकं जा तु हारी गदन तक
नह प च
ँ जाता?”
“आप एक बुि मान और अनुभवी इं सान ह साहेब जी। ले कन तं के मामले म आपका
ान बेहद थोड़ा है। हम तांि क टोपी से तुरंत खरगोश ख च लेने वाले टेज-जादूगर नह
होते ह। हमारा काम बेहद खतरनाक होता है, िजसम सफलता क कोई गारं टी नह होती
है। हम अपने काय म थोड़ी सी महारत भी वष क साधना, अ यास, कड़ी मेहनत और
गु देव तथा इ के संयु आशीवाद से ा होती है।”
“ या तुम इस काम को कर पाने म असमथ हो? या दु मन क तुलना म तुम एक
कमजोर तांि क हो? या फ़र तु हारी िह मत ज़वाब दे रही ह?”
“ऐसी बात नह है साहेब जी, आपने मुझ पर भरोसा करके मेरे कं ध पर जो िज़ मेदारी
स पी है, उसे म बखूबी समझता ।ँ मुठकरणी िसि , िजसके बारे म म पहले ही बता चुका
ँ क वह दु मन के िखलाफ मेरा अचूक हिथयार होगा, उसे हािसल करने म अभी थोड़ा
समय और लगेगा।”
“तुमने वारलॉक क शि य को वापस आने से रोकने के िलए या योजना बनाई है?”
“दरअसल म उसक ओर से कोई हरकत होने का इं तजार कर रहा ।ं म उसे उसके
जीवन का तगड़ा झटका दूग
ं ा।” भैरो ने कहा और फर कनल को अपनी योजना बताने
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लगा।
“मुझे यक न नह है क ये काम करे गा। ले कन ये यास अमल म लाये जाने लायक
ज र है। इस दौरान उन अलौ कक िसि य म महारत हािसल करने क कोिशश भी को
जारी रखो, जो ू र वारलॉक को तबाह करने के िलए ज री ह। मुझे सभी घटना म से
अवगत कराते रहना। इतना याद रहे क हमारा पहला ल य पायल तथा उसके प रवार
को डॉ फ और उसक तांि क शि य से बचना है, और यही हमारे िलए सबसे यादा
ज़ री है। वारलॉक को तुम िजतना यादा कमजोर करोगे, पायल उतनी ही यादा
सुरि त रहेगी। य द उस दु का खा मा आव यक हो जाएगा, तो म इसम भी नह
िहच कचाऊंगा।”
“म समझता ँ साहेब जी। और म ऐसा करने म म कोई कसर नह छोड़ूग
ं ा।”
“हरीश। तांि क को खच चलाने के िलए पं ह हजार पये दे दो।”
भैरो और वंकल के चले जाने के बाद उ ह ने हरीश से पायल को फोन करने के िलए
कहा। टेलीफोन पर बातचीत के दौरान उ ह ने उसे तांि क के साथ अपनी मुलाकात और
वारलॉक के स दभ म कये जा रहे उसके यास के बारे म बताया। पायल ने अपनी ओर से
अपने नारं ग अंकल का आभार कया और सदैव उनके संपक म रहने का आ ासन
दया।
पायल ये जानती थी क उसका होने वाला पित काले जादू और तांि क गितिविधय से
नफ़रत करता है, इसिलए उसने इस बारे म उसे कु छ भी न बताने का फै सला कया। काश
वह यह जानती क अभय को स ाई न बताने का उ टा असर पड़ सकता है और उसका
दु मन भिव य म इस चूक को अपने फायदे के िलए कस कार भुना सकता है।

मामले क अगली सुनवाई पर एक छोटी लड़क िवटनेस बॉ स म आई। वह उसी ब े


क बहन थी, जो राजकोरी के जंगल म एक आदमी ारा हमला कये जाने के बाद लापता
हो गया था। सरकारी वक ल ारा लगातार ो सािहत कये जाने पर उसने अदालत म
बयान दया क जब वह जंगल म लकिड़याँ बीनने गई थी तो कस कार उस पर हमला
आ था और कस कार उसी दन से उसका भाई लापता आ। हालां क उसने हमलावर
के प म डॉ फ चानहर को पहचानने से इस बार भी इनकार कर दया।
ह ाण िशशु के शव क गैरमौजूदगी, फोरिसक सा य के स दभ म आरोपी के प म
आये लैबोरे टरी रपोट और गवाह के ितकू ल बयान के कारण डॉ फ चानहर पर एक
िशशु के अपहरण और उसे बिल चढाने के आरोप को सािबत करने के उनके सभी यास
पर पानी फर गया। अब ावहा रक प से डॉ फ चानहर पर के वल पायल को बंधक
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बनाने और उसक ह या के यास का आरोप ही रह गया था।


सरकारी वक ल ने डॉ फ चानहर से िजरह करने से मना कर दया। रोिहत और
अंजली दोन ने ही राहत क सांस ली य क वे इस बात को लेकर िन ंत नह थे क
खुमारी से भरी लाल आंख वाला डॉ फ चानहर सवाल क झड़ी का सामना करने म
स म हो पायेगा। बचाव प क वक ल तुरंत अपनी कु स से उठ खड़ी ई।
“योएर ऑनर।” उसने कहा- “बचाव प आपसे अपने अगले गवाह के प म िमनेसोटा
यूिनव सटी म मनोिव ान के िविज टंग ोफे सर डॉ टर रोजर िव सन, जो आगरा के
गवनमट मटल एसाइलम से सेवािनवृ ए ह, को बुलाने क अनुमित चाहता है।”
“अनुमित है।” जज ने कहा।
डॉ टर िव सन 66 वष य ि थे, िजनके गंजे िसर पर थोड़े ब त भूरे बाल थे। उनक
दाढ़ी और मूंछ च कट थ । उ ह ने हमेशा क ही तरह अपने कपड़े बेहद सलीके से पहन
रखे थे। उनक आँख पर मोटा च मा था तथा चेहरे से अनुभव, बुि म ा और वृहत ान
झलक रहा था। वे नागा मूल के स य आचरण वाले हंसमुख क तु कभी-कभी आवेिशत हो
उठने वाले इं सान थे।
उनक शै िणक पृ भूिम भावशाली थी। उ ह ने इं लड और अमे रका के सवािधक
िति त िव िव ालय से वहा रक मनोिव ान क िविभ शाखा म कई उपािधयाँ
अ जत क थ । उ ह ने अपना लगभग आधा जीवन िवदेश म िबताया था और िविभ
िवदेशी िव िव ालय म अपने िवषय के िविज टंग ोफे सर भी रहे थे। लोग के बीच
उनके िवल ण ान और भावशाली ि व क साख थी।
अंजली ने ोफे सर क ओर मुड़ने से पहले जज को बचाव प के उस गवाह के बारे म
सं ेप म जानकारी दी।
“डॉ टर िव सन। आपको इस मामले का िव तृत यौरा दया जा चुका है, िजसम
िशकायतकता का बयान भी शािमल था। अब म आपसे अनुरोध करती ँ क आप अदालत
को िमस पायल क मानिसक ि थित के बारे म अपनी राय बताएं।” उसने आ ह कया।
“सबसे पहले म ये बताना चा ग
ं ा क कसी ि से िमले या उससे आमना-सामना
कये बगैर उसके वहार का िव ेषण करना या कसी रोग का िनदान करना मेरी कॉमन
ैि टस म शािमल नह है।”
“ले कन ोफे सर आप जैसे िश ािवद उन लोग के के स का अ ययन तो करते ह न, जो
पसनल मी टंग के िलए उपल ध नह हो सकते ह?”
“िब कु ल। ले कन जब ि से पसनल मी टंग हो पाने क ज़रा भी संभावना होती है,
तो हम ाथिमक जानका रयां इक ी करने तथा उसके वहार और िविभ हरकत के
ित उसक ित या जानने के िलए पसनल मी टंग को ही वरीयता देते ह। जब क ही
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कारण से ऐसा संभव नह हो पाता है, तो हम िलिखत रकॉड और अ य संसाधन के


आधार पर उस के स क टडी करने का यास करते ह। चूं क बारीक अ ययन क कमी के
कारण इस तरह के मामल म नतीजे गलत भी हो सकते ह, अत: उन नतीज को
िहच कचाते ए ही वीकार कया जा सकता है। बारीक अ ययन क कमी को पूरा करने
के िलए संबंिधत ि से मुलाकात करना ज री होता है।”
“योएर ऑनर।” अंजली ने जज क ओर मुड़ते ए कहा- “िडफस अदालत के ज रये
अिभयो ा प से ये अपील करता है क वह डॉ. िव सन ारा मनोवै ािनक प र ण के
िलए िमस पायल को हािजर करे , िजसे उ ह ने पूव म हमारे इस ताव को क ह अ ात
कारण से खा रज कर दया था।” थोड़ा ठहरकर उसने आगे कहा- “डॉ. िव सन, म आपसे
दर वा त करती ं क लीज िमस पायल के संदभ म अपनी राय से अदालत को अवगत
कराय।”
“पुिलस को दए गए उनके बयान और अदालत म उनक गवाही के आधार पर म इस
नतीजे पर प चं ा ं क वे बेहद मह वाकां ी, आ ामक और िज ी मिहला ह, जो कसी
िवशेष िवचार, ि अथवा ल य के ित उ चंतन के वैकि पक ल ण को द शत
करती ह। वह दूसरी ओर, जब वे अपने ल य या योजना म सफल नह हो पाती ह तो
ोध और अवसाद के ल ण भी कट करने लगती ह। िमस पायल जैसे लोग अपने ल य-
ाि म सफल होने पर अित-उ साही हो जाते ह, जब क असफलता उ ह बुरी तरह तोड़
देती है। एक समय म एक ही िवचार पर दृढ रहने क उनक मता उनक सबसे बड़ी
ताकत भी है और
सबसे बड़ी कमजोरी भी।”
“ या ल य- ाि क वह िवफलता ऐसे ि य को उन चीज , घटना या लोग के
िव भी उकसा सकती है, िज ह वे अपनी िवफलता का कारण मानते ह, खुद क मता
या मेहनत क कमी को दोषी ठहराने क बजाय?
“हाँ। ये िब कु ल संभव है।”
“य द िमस पायल िम टर डॉ फ चानहर और उनके किथत अपराध के बारे म झूठ
बोल रही ह गी, तो इसके पीछे या मनोवै ािनक कारण ठहराया जा सकता है? य द हम
ये मानकर चल क वे उनसे पैसे ठने के िलए ऐसा नह कर रही ह।”
“क परहेि सव डेिबलटै टंग ऑ सेसन। वे िम. चानहर तथा उनके कै रयर और जीवन
को बबाद करने के ित इतनी जुनूनी हो उठ थ क उ ह ने अपनी आ मतुि के िलए एक
कहानी गढ़ी और बाहरी दुिनया के साथ उसका सा य बैठाने क कोिशश क , िजनम िम.
डॉ फ एक खलनायक के प म इनक िवफलता और संताप के िलये िज मेदार थे।”
“डॉ. साहब, या कसी ि के िलए भूत- ेत जैसी अि त विवहीन चीज को देखना
कै से संभव है?”
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“इस घटना को हैलुिसनेशन के प म जाना जाता है, जो दृ य, पश, गंध या वण,


कसी से भी संबंिधत हो सकता है। इस भाव के तहत कोई ि उन चीज को देखता
और सुनता है, जो वा तव म मौजूद नह होती, ले कन फर भी उ ह वा तिवक प म
नजर आती ह, य क उनका जेहन उन चीज के अि त व को वीकार कर चुका होता है।
ऐसे मरीज अ सर अनजानी आवाज सुनने और भूत- ेत जैसी चीज देखने का दावा करते
ह।” डॉ टर िव सन ने समझाया।
“इस तरह के हैलुिसनेशन के पीछे या कारण हो सकता है? मेरा मतलब है क यह कस
कारण से उभरता है?”
“कभी-कभी हैलुिसनेशन क शु आत एकाएक और अिनयिमत होती है। ऐसे रोगी शु
से ही मनोवै ािनक गड़बड़ी का िशकार होते ह। कई मामल म ये इतना साधारण और
छु पा आ होता है क पकड़ म ही नह आ पाता। इसके िविभ कारण हो सकते ह, जैसे
जैिवक या वातावरणीय प रवतन अथवा संबंिधत ि क कशोराव था म ई घटनाएं
भी इसके िलए िलए िज मेदार हो सकती ह।
दूसरे सवाल के स दभ म जवाब ये है क कु छ उ ेजनाएं ऐसी भी होती ह, जो सामा य
इं सान म भी हैलुिसनेशन अथवा उसके अतीत के कसी मनोवै ािनक िवकार को उजागर
कर देती ह। कसी च काने वाली घटना, गंभीर तनाव, असफलता के भय अथवा ि के
िसज़ो े िनया से पीिड़त होने के कारण भी हैलुिसनेशन शु हो सकता है। इस गंभीर
मनोवै ािनक िवकार के िवषय म कोई उपयु मत या उिचत इलाज क सलाह दे पाना
मेरे िलए क ठन होने के साथ-साथ गैर िज मेदाराना भी होगा य क मुझे उ शि सयत
से जवाब-तलब करने, उसके अतीत के बारे म जानने या फर िविभ ि थितय और
भावना के ित उसक ित या का मू यांकन करने का अवसर नह िमल पाया है।”
“ या हॉरर उप यास को पढ़ने क आदी कसी क पनाशील लड़क के संदभ म ये संभव
है क वह कसी ि पर अपना गु सा उतारने के िलए उसे तांि क या वारलॉक करार दे
दे?”
“मुझ स त ऐतराज है योएर ऑनर।” कथू रया ने कहा- “यह गवाह इस बात का
स ट फके ट नह दे सकता क िमस पायल सच कह रही ह या नह ।”
“म के वल गवाह को उसक राय रखने के िलए कह रही ,ँ जो कोट क दृि म कसी भी
तरह से आपि जनक नह है।” अंजली ने दलील दी- “म आ ह करती ं क मुझे इस संदभ
म थोड़ी वतं ता दी जाए।”
“म अनुमित देता ।ँ ” यायाधीश ने कहा- “ऑ जे शन ओवर ड।”
“थक यू योएर ऑनर। डॉ टर िव सन?”
“य द वे आवेश म रही ह और िम. डॉ फ चानहर के फामहाउस के शीशे के िपरािमड
म बिल वेदी और शैतानी मू त के बारे म देखी या सुनी ह , तो िन:संदह
े ये संभव है क वे
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अपनी बीमार मनोदशा के कारण िम. चानहर को असाधारण तथा अलौ कक शि य से


यु कोई पैशािचक ाणी समझ बैठी ह और उ ह भूत- ेत से जुड़ी घटना के बारे म
हैलुिसनेशन आ हो।
मेरी राय म उ ह एक ऐसा मरीज मान लेना चािहए, िजसे हमारी सहानुभूित और मदद
क ज रत है। मेरी राय पूरी तरह से उन दृ य पर आधा रत ह, जो उ ह ने तब देख , जब
उनका दमाग उनके साथ खेल खेल रहा था। ये मसला के वल उनके झूठ बोलने का नह है,
बि क एक ि को अदालत म गलत तरीके से दोषी ठहराये जाने का भी है, िजसका
आपने पूव म उ लेख कया था। म पहले ही कह चुका ँ क िमस पायल से सा ा कार न
कर पाने के कारण म इस मामले म कोई िनि त मत नह दे सकता ।ँ ”
“थक यू डॉ टर िव सन।” अंजली ने अपनी कु स पर वापस लौटते ए कहा- “मुझे
इससे आगे कु छ नह कहना योएर ऑनर।”
“ ोफे सर िव सन।” सरकारी वक ल कथू रया िजरह के िलए खड़े हो गए- “ या आपने
इस संभावना पर िवचार कया क िमस पायल सच कह रही हो सकती ह?”
“एक पढ़े-िलखे आधुिनक ि के प म म भूत- ेत या उनसे जुड़ी घटना पर
िव ास नह करता ।ँ ”
“य द आप आ मा के संदभ म िमस पायल के बयान को नजरअंदाज कर
द तो या उ ह ने जो कु छ कहा है, वह वा तव म नह हो सकता है?”
“ या आप अपना सवाल दोहरा सकते ह लीज।”
“एक लड़क को वीरान ए टेट म बंदी बनाकर रखा जाता है, जहाँ वह तांि क अनु ान
म िल एक ि को देखती है और उसके सामने एक ब े क ह या कर दी जाती है, आप
इसे हैलुिसनेशन कै से कह सकते ह?” कथू रया ने उससे पूछा।
“मने ये नह कहा क वे झूठी ह, या उनके आरोप क कोई बुिनयाद नह हो सकती है।”
डॉ टर ने नपे-तुले श द म कहा- “ले कन आपको उनके पूरे बयान को दृि गत रखना
होगा। बतौर मनोवै ािनक, म कसी ि के बयान के मा कु छ िह से चुनकर उसके
आधार पर कोई राय नह कायम कर सकता ।ं जब कोई ि गंभीर तनाव म या
चंता त होता है तथा भूत- ेत अथवा अ ाकृ ितक घटना को देखने का दावा करता है,
तो उसके दावे को सा य के अभाव म सािबत नह कया जा सकता है। म ये कहते ए
पूणतया आ त ँ क इ ह ज र हैलुिसनेशन ही आ रहा होगा।”
“य द इस कोट क कायवाईय के द तावेज आप-तक प च ं े ह गे तो आपको आरोपी के
उन बरताव पर भी िवचार करने का मौक़ा िमला होगा, जो गवाह ारा व णत घटना
के ज रये उजागर आ है, या यह सही है?”
“हाँ। मने सब कु छ यान से पढ़ा था।”
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“मुझे बताइए मेरे िडयर डॉ टर क या एक पढ़े-िलखे इं सान के िलए तं -मं और


अलौ कक चीज पर िव ास करना संभव है?”
अंजली ने देखा क डॉ फ चानहर क आँख लाल और सूजी ई थ , िज ह वह बार-
बार ल बी अविध के िलए बंद कर लेता था। वह कोट म क कायवाईय से बेखबर बेहद
चंितत नजर आ रहा था। कसी अ ात कारण से वह परे शान और डरा आ भी लग रहा
था।
“म असामा य घटना का िवशेष नह ।ं ” डॉ टर िव सन ने कहा- “ले कन एक
मनोवै ािनक के प म मुझे हर तरह के म और मानिसक बीमारी से पीिड़त लोग का
इलाज करने का अवसर िमला है। िजसके आधार पर म कह सकता ँ क िशि त लोग क
बजाय समाज के िनचले तबके म तं -मं या काले जादू म िव ास अिधक है। हालां क
िशि त होने का मतलब ये नह है क ि अंधिव ास को वत: ही खा रज करने लगे।
म िश ा को के वल उस लप के प म देखता ,ं िजसे रात के अँधेरे म एक आदमी सड़क पर
लेकर चल रहा है। ये पूणतया उस ि पर िनभर है क वह लप के काश म सही रा ते
पर चले या उसे अनदेखा करते ए अ ान के अंधकार क ओर बढ़ जाए। िश ा के वल
साधन है, कोई अंत नह । यह एक रा ता है, न क मंिज़ल।”
“आप मेरे सवाल का साफ़ उ र द।” कथू रया ने कहा।
“िशि त लोग ारा भी अलौ ककता म िव ास कया जाना काफ हद तक संभव है।
इसके कई कारण हो सकते ह। ये कसी ि क डी.एन.ए. (जैिवक अवधारणा) या उसके
वातावरण के भाव से भी हो सकता है। ये भी कहा जाता है क ये उस ि क उन
मनोवै ािनक अनुभूितय या घटना क वजह से होता है, िजनका वह कोई तकसंगत
प ीकरण नह दे पाता है। अलौ कक चीज म िव ास रखने वाले ब तायत म ह और ये
दुिनया भर म मौजूद ह। यूरोप, एिशया, म य-पूव के देश , अ का और लै टन अमे रका
म भी। कोई भी महा ीप, न ल या धम इनसे अछू ता नह है।”
“थक यू डॉ. िव सन। मुझे अब कु छ नह कहना है योएर ऑनर।” कथू रया ने कहा और
अपनी कु स क ओर बढ़ गए।
“ या बचाव प के पास कोई और गवाह है?” जज ने पूछा।
“नह योएर ऑनर।”
“इस के स क कायवाही को अगली सुनवाई तक के िलए थिगत कया जाता है। अगली
तारीख पर वक ल अपनी आिख़री दलील पेश कर सकते ह।” आदेश देने के बाद जज अपने
चै बर के िलए रवाना हो गए।
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मामले क अगली सुनवाई पर जज ने पूछा- “ या दोन वक़ ल सािहबान आिख़री


दलील के िलए तैयार ह?”
कथू रया और अंजली दोन ने कहा- “यस योएर ऑनर।”
“अिभयोजन प के वक ल शु कर।” यायाधीश ने आदेश दया।
अंजली अपनी कु स पर बैठ गई जब क कथू रया अपना िन कष सुनाने लगे।
“योएर ऑनर।” उ ह ने कहा- “इस व आपके स मुख मेरे जीवन का अब-तक का
सबसे िनमम और घ टया इं सान खड़ा है। डॉ फ चानहर, जो इस युग म बुराई का तीक
है, जो चालाक और दु कम को बेहद सफाई से अंजाम देने वाला इं सान है, िजसने बुराई
क सेवा को अपने जीवन का ल य बना िलया है। बस यही इस के स क अहम स ाई है।”
कथू रया ने सांस लेने भर के िलए क कर आगे कहा- “अब म के स पर वापस आता ।ँ शु
करने से पहले म ये बताना चाहता ं क ये आदमी हैरतंगेज़ ढंग से चतुर और अपरािधक
मनोवृि वाला है। ये अपनी फू ल ूफ योजना और अक पनीय धूतता से अपने अपराध के
िनशान हमेशा िमटा देता है। इस आदमी क दो पहचान है योएर ऑनर। पहला, एक
िति त को रयो ाफर और कलाकार क िजसे वह दुिनया के सामने रखता करता है।
ले कन ये के वल एक दखावा है। शाितर वारलॉक के प म इसक असली और िघनौनी
सूरत को िछपाने के िलए एक मुखौटा भर है।
म जानता ं योएर ऑनर क ऐसी बात पर यक न करना आसान नह है, िजसे कु छ
लोग म ययुगीन बकवास कहते ह।” कथू रया ने अंजली पर िणक दृि पात करते ए
कहा- “ले कन योएर ऑनर। म आपके सामने काले जादू क स ाई पर बहस नह कर रहा
।ं म िजस पॉइं ट क बात कर रहा ,ँ वो ये है क...।” कथू रया ने डॉ फ चानहर क
ओर उं गली उठाते ए कहा- “यह आदमी इन चीज पर िव ास करता है। यह एक तांि क
है।“
म ये भी समझता ं योएर ऑनर क आरोपी को काले जादू पर िव ास करने या उसका
अ यास करने के कारण दोषी नह ठहराया जा सकता है और न ही उसे दंिडत कया जा
सकता है। इसीिलए म माननीय अदालत के सामने उसके अपराध को पेश करता ।ँ योएर
ऑनर, आप िमस पायल चटज क गवाही म ये सुन चुके ह क कस तरह डॉ फ
चानहर ने उ ह अपने फामहाउस म ले जाने के िलए बरगलाया। ये इस देश के िलए बेहद
शमनाक है क डॉ फ चानहर जैसे नैितक प से शि सयत अपनी ताकत का
इ तेमाल िनद ष मिहला के कै रयर, अ मत और जीवन को तबाह करने के िलए करते
ह।
माननीय अदालत भले ही उसके इस शमनाक आचरण पर यान न दे ले कन वह उसके
इस भयावह च र के आपरािधक कृ य क अनदेखी नह कर सकता है। आरोपी ने िमस
पायल को टेली-सी रयल म एक भूिमका दलाने के िलए ो ूसर से िमलाने का लोभन
देकर उ ह उनक इ छा के िव अपने फामहाउस ले गया और वहां उ ह बंधक बनाया।
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उसने उनके सामने ही एक मासूम ब े क ह या क । इतने पर भी संतु न होने पर उसने


असहाय पायल क भी ह या करने क कोिशश क ।
आपने महरौली पुिलस टेशन के ए.एस.आई. राजवीर यादव क गवाही भी सुनी है
योएर ऑनर। एक िज मेदार ऑ फसर ने शपथपूवक कहा है क जब आरोपी को उसके
तलवार के साथ पकड़ा गया तो वह पायल क ह या करने क फराक म था। य द पुिलस ने
उसे ऐन व पर िगर तार नह कया होता तो मुझे इसम कोई संदह े नह है क उसने
पायल क भी ह या कर दी होती।
आपने नीता चौधरी क गवाही भी सुनी है योएर ऑनर। िजसके अनुसार आरोपी अपने
सं थान क छा ा के साथ छेड़खानी और उनका शारी रक शोषण करने क कोिशश
करता है।
अब भी डॉ फ चानहर क स ाई और उसके दु कम को लेकर कोई शक है, तो उसे
दूर करने के िलए वयं पायल क गवाही ही पया है। मुझे यक न है क माननीय अदालत
के स मुख पायल क गवाही ही सव परी है। पायल इस के स क अहम गवाह है योएर
ऑनर। घटना को लेकर दया गया उनका स ा यौरा इस दु कम के भयावह चेहरे को
उजागर करता है।” कथू रया ने डॉ फ चानहर क ओर इशारा करते ए कहा, जो
ित या रिहत भाव-शू य चेहरे के साथ खामोश बैठा था।
“उपरो सभी गवाह और वजनी सबूत के म ेनजर, म आ ह करता ं क यायालय
आरोपी को उसके अपराध के िलए दोषी ठहराए और उसे दंिडत करे ता क इससे दूसरे भी
सबक ल और जघ य अपराध करने से बच।” कथू रया ने एक ही सांस म अपनी आिखरी
दलील दी और यायाधीश के स मुख धड़ झुकाने के बाद अपनी सीट पर वापस चला गया।
जज ने डॉ फ चानहर क वक ल अंजली कोहली पर दृि पात कया, जो अपनी कु स
से उठकर उनक टेबल के सामने आ चुक थी। “योएर ऑनर।” उसने कहा- “मेरे कािबल
दो त ने इस पूरे मामले के सारांश म वजनी सबूत क बात क । मुझे हैरानी है क उन
सबूत के वजन को म नह महसूस कर पा रही ।ँ लगता है उस वजन को के वल अके ले
उ ह ने महसूस कया है।
“अिभयोजन प के अपने कािबल दो त क िजस एक बात से म सहमत ,ँ वो ये है क
इस पूरे मामले म पायल चटज ही मु य शि सयत ह। वा तव म ऐसा ही है, य क अगर
ऐसा नह होता तो फर कोई मुकदमा नह होता, कोई सुनवाई नह होती। वही एकमा
कारण ह, जो आज इस अदालत म ये के स है। इस मामले क जड़ तक प च ँ ना बेहद सरल है
योएर ऑनर। इसके िलए हम के वल इस एकलौती मिहला पायल को समझना होगा। ऐसी
ब त सारी लड़ कयाँ ह, जो अपने जीवन म सफल होना चाहती ह, कु छ अिभनय के े म
तो कु छ वसाय के े म। तो फर ऐसा या है, जो िमस पायल को उनसे अलग करता
है? वो है सफलता को लेकर उनक अंधी मह वाकां ा। जी हाँ, अपनी चाहत के ित
उनका क र संक प ही उ ह और से अलग बनाता है।
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अपने सपन को पूरा करने और सफल होने के िलए वह लड़क शमनाक तरीके
अि तयार करती ह, यही उसे और से अलग बनाता है। िजरह के दौरान अिभयो ा प
क गवाह नीता चौधरी ने ये वीकार कया था क पायल एक अित मह वाकां ी
शि सयत है। पायल ने खुद भी िजरह के दौरान इस बात को वीकार कया था। पायल का
अित मह वाकां ा होना ही इस मुकदमे का मूल कारण है।
पायल ने खुद से ये भी वीकार कया है, डॉ फ चानहर से संपक पहले उसने ही
कया था और उनके साथ ोफे शनल रलेशनिशप क शु आत क थी। वे टेलीिवजन और
फ म उ ोग के े म डॉ फ चानहर के संपक से फ़ायदा उठाना चाहता थ । और
फर जब ये अित-मह वाकां ी मिहला ितभा क कमी के कारण अवसर पाने म िवफल
रही तो उस दशा म इसने या कया?”
अंजली ने टेबल पर रखे लास से एक घूँट पानी पीने के बाद अपना कथन जारी रखा-
“इ ह ने डॉ फ चानहर ारा इनके बारे म िलए गए िन प और पेशेवर दृि से सवथा
उिचत फै सले को बदलने के िलए पूरी बेहयाई से अपने िज म का इ तेमाल करने क
कोिशश क । डॉ फ चानहर ारा अपना फै सला बदलने से इनकार करने और इनक
शमनाक िज मानी पेशकश को ठु कराने का ही नतीजा था, जो ये आपे से बाहर हो गय ।
जहाँ पहली घटना उनक अंधी मह वाकां ा पर तुषारापात था, वह दूसरी घटना
उनके ी व का य अनादर था।
ले कन मामला यह पर ख म नह आ। काम न िमल पाने के वा तिवक कारण के
तौर पर अपनी ितभा क कमी को दोष देने के बजाय इ ह ने इसके िलए ि गत प से
डॉ फ चानहर को िज मेदार ठहरा दया। जैस-े जैसे दन गुजरते गए, इनका गु सा
बेकाबू होता गया। इसी समय इ ह ने डॉ फ चानहर को एक सािजश म फं साने और
उ ह ि गत तथा पेशेवर तर पर बबाद करने का फै सला ले िलया।
ये िबना कोई संदश
े छोड़े अपने दो त क लैट से गायब हो गई और कु छ दन बाद
डॉ फ चानहर के घर के बाहर नजर आय । जब पुिलस घटना थल पर प च ं ी, तो ये
पीिड़त होने का अिभनय करने लग । इ ह ने बयान के तौर पर पुिलस को पहले से ही
तैयार एक फटेसी कहानी सुनाई, िजसके फल व प इस मुकदमे क नौबत आयी।
अब म कोट का यान उन त य क ओर आकृ कराती ,ं जो मेरे लाइं ट क बेगुनाही
को सािबत करते ह और िजसे अिभयो ा प ने जानबूझकर नजरअंदाज कर दया है। पूरी
सुनवाई के दौरान यह दावा कया गया था क मेरे लाइं ट ने एक ब े क बिल दी थी,
ले कन आज तक पुिलस उस किथत ह ाण क लाश बरामद नह कर पाई, जो कसी ह या
के के स के रिज ेशन क पहली शत है। पुिलस ारा उठाए गए तथा िव ेषण के िलए भेजे
गए नमून क रपोट म ये प प से कहा गया है क उनम मानव र के कोई िच न
नह ह। वै ािनक माण ये िन ववाद प से सािबत करते ह क मेरा लाइं ट के वल उन
प रि थितय का िशकार आ है, िजसे पुिलस ारा सहायता ा बदले क आग म जल
रही एक धूत मिहला ारा रचा गया है। वह कोई ऐसा तांि क या वारलॉक नह है, जैसा
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अिभयो ा प तमाम सबूत के नजरअंदाज करते ए उसे दशाते


नह थक रहा है।
आपने खुद देखा है योएर ऑनर क कस कार अिभयो ा प क गवाह पलट गयी
और उसने मेरे लाइं ट को अपने भाई के अपहरणकता के प म पहचानने से इनकार कर
दया, जैसा क उसके िखलाफ आरोप लगाया गया था। इस कार िबना कसी संदह े के ये
सािबत हो जाता है क मेरे लाइं ट डॉ फ चानहर ने कसी ब े का अपहरण करके
उसक बिल नह चढ़ायी थी।” उसने मुखर लहजे म अपनी दलील पेश क ।
“अब म मैडम पायल के आरोप पर वापस आती ।ँ अिभयो ा प ऐसा कोई भी
गवाह या सबूत नह पेश कर पाया है, जो ये सािबत कर सके क मेरे लाइं ट ने पीिड़ता के
साथ धोखाधड़ी करके उसे अपने फामहाउस ले जाने क कोिशश क थी। या तो पायल ने
या फर उसके कसी साथी ने उस मोबाइल फोन का िसम काड खरीदा था, िजसका
इ तेमाल लैट पर कॉल करने के िलए कया जाता था। इसके अलावा, इस बात का भी
कोई गवाह या सबूत नह है क मेरे लाइं ट ने उ ह अपने ए टेट म कभी बंदी बनाकर रखा
या उ ह मारने क कोिशश क । अिभयो ा प ने इस अदालत म मेरे लाइं ट पर के वल
बेबुिनयाद आरोप लगाए ह, जो उसे कसी भी संगीन जुम का आरोपी नह सािबत करते
ह।
दूसरी ओर योएर ऑनर, कोट म बचाव प ने ये भी सािबत कर दया क िमस पायल
एक मह वाकां ी लड़क ह, िज ह ने मेरे लाइं ट से संपक कया था। ितभा क कमी के
कारण अ य कई अिभनय सं थान ारा उ ह रजे ट कर दया गया था। जहाँ तक डॉ फ
चानहर के ए टेट म उनक मौजूदगी क बात है तो लीज इस त य पर गौर कर क
ए टेट एक िवशाल भू-भाग म फै ला आ है इसिलए कोई वहां हर समय िनगरानी नह रख
सकता है। बाड़ के प म जो तार ए टेट को घेरते ह, वे करं ट वाले नह ह, इसिलए कोई
कभी भी मेरे लाइं ट क नज़र म आये बगैर उसम दािखल हो सकता है। मेरे लाइं ट ने
उस जगह के रख-रखाव और िनगरानी के िलए कसी वॉच-मैन, माली या अ य
कमचा रय को भी नह रखा है। इसके अलावा, उ ह ने अपने ए टेट म कोई बगलर
अलाम, लोज-स कट टेलीिवजन या इस तरह के अ य अ याधुिनक उपकरण भी नह
लगाया है।
िमस पायल उसके ए टेट म जब चाहे तब दािखल हो सकती थ और मेरे लाइं ट ारा
बगैर पकड़े गए वहां अपनी इ छानुसार घूम कर सकती थ । मूखतावश मेरा लाइं ट अपने
फामहाउस क चाबी इमारत के पीछे एक शेड म रखता है, िजसके कारण अिभयो ा को
फामहाउस क इमारत म दािखल होने म भी कोई िवशेष सम या नह थी। इसके अलावा
उसने अपनी कार भी ल बे समय से वहां खड़ी क ई थी। उपरो त य इस बात क
ा या करते ह क कार, कमरे , टॉयलेट और फ़ामहाउस क छत पर मौजूद शीशे के
िपरािमड म िमस पायल के बाल के रे शे और उं गिलय के िनशान कै से बरामद ए।
अिभयो ा प ने अदालत म जो फटे ए कपड़े और च पल पेश कये थे उनके संदभ
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मेरा जवाब ये है योएर ऑनर क अिभयो ा प बतौर िन कष ये सािबत नह कर पाया


क वे िमस पायल से संबंिधत थे और य द उसने ऐसा कया भी होता तो अिभयो ा के
पास उन चीज को मेरे लाइं ट के फ़ामहाउस म लांट करने के िलए उतने ही पया
अवसर थे, िजतने क अपने बाल के रे शे और और उं गिलय के िनशान को लांट करने के
िलए थे।
इसके अलावा योएर ऑनर, आपने एक िस मनोवै ािनक क गवाही भी सुनी है, जो
ये सािबत करता है क िमस पायल मानिसक प से अि थर शि सयत ह। ऐसी शि सयत
के वािहयात और बेबुिनयाद आरोप के आधार पर िम. डॉ फ चानहर को अपराधी
करार नह दया जा सकता है। ये के वल मेरा आ ह ही नह , बि क स ाई और याय के
िलए अिनवाय भी है क मेरे लाइं ट डॉ फ चानहर को अिभयो ा क ओर से लगाए
गए सभी झूठे आरोप से बरी कर दया जाए। थक यू योएर ऑनर।”
अंजली अपनी कु स तक प च ँ ी और इस अंदाज म बैठ गयी मानो उसने अभी-अभी
मैराथन दौड़ पूरी क हो। डॉ फ चानहर ने रोिहत क ओर देखते ए उँ गिलय से अपने
िसर पर हॉन (स ग) क आकृ ित बनाई। उसक ये हरकत इस बात क ोतक थी क वह
अपनी वक ल के दशन से झूम उठा था। जज ने अपनी गंभीर आवाज म कहा- “अदालत
आज शाम चार बजे अपना फै सला सुनाएगी। तब तक के िलए कायवाही थिगत क जाती
है।”

िनधा रत समय पर माननीय अित र स यायाधीश मखीजा फै सला सुनाने के िलए


अपनी कु स पर िवराजमान ए। डॉ फ चानहर अपनी वक ल अंजली के साथ जज और
याय क अंधी देवी के सामने खड़ा था। जज अपना फै सला पढ़ रहे थे।
“सभी सबूत और गवाह पर सावधानीपूवक गौर करने तथा दोन प के वक ल
ारा पेश क गयी दलील को म ेनजर रखते ए यह अदालत इस नतीजे पर प च ं ी है क
अिभयो ा प आरोपी के अपराध को सािबत नह कर पाया। अत: सबूत के अभाव म ये
अदालत डॉ फ चानहर को उस पर लगे सभी आरोप से बरी करते ए इस के स को यह
पर ख़ म करती है।”
जैसे ही जज ने अपनी कु स छोड़ी, डॉ फ चानहर ने हष मु होकर अपने दो त
रोिहत को बाह म भरते ए कहा- “हमने कर दखाया रोिहत। हम जीत गए।”
दोन जूिनयर वक ल ने अपने मािलक को बधाई देने के िलए अपने हाथ आगे बढ़ाए।
सरकारी वक ल कथू रया भी अपने ित ं ी को बधाई देने के िलए आए। ले कन जाते-
जाते वे कहते गए-
“तुम इसिलए जीत गयी िमस कोहली य क तु हारे लाइं ट ने अपनी दौलत और ऊंचे
सू क मदद से िस टम के साथ छेड़खानी क । तथा साथ ही साथ तुम मुझसे बेहतर
कहानीकार भी हो। हम दोन ही ये जानते ह क वह एक अपराधी है। तुम इस जीत पर
कभी खुश नह हो पाओगी मेरी यारी ब ी, य क तु हारी अंतरा मा तु ह एक शाितर
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अपराधी क मदद करने के िलए हमेशा कचोटती रहेगी।”


अंजली ने बाहर जाते व उन श द क स ाई पर गौर कया। बाहर िनकलते ही वे
मीिडयाक मय क सुनामी देखकर चकाच ध रह गए, जो कोटहाउस के गिलयारे म उनका
ही इं तजार कर रहे थे। हर अ णी यूज़-चैनल और अखबार के ितिनिध वहां मौजूद थे।
डॉ फ चानहर और अंजली दोन ही कने के िलए बा य हो गए।

जीत के ज को ‘ले मे रिडयन’ होटल म एक शानदार पाट के प म मनाया जा रहा


था, िजसम शपेन क न दयाँ बह िनकली थ । डॉ फ चानहर के दो त सहयोगी और
शंसक बेसुध हो कर नाच रहे थे। उनम ‘ए’ ेड के बॉलीवुड फ म टार, फ म िनमाता,
फाइनसर और िनदशक थे, जो िवशेष प से मुंबई से उड़ान भर कर आये थे। उनम से कु छ
िवदेश क अपनी शू टंग शे ूल भी छोड़कर आए थे। इसके अलावा वहां सु ख़य म रहने
वाले कई राजनेता और नौकरशाह भी थे, िजनम एक उ री रा य के पूव मु यमं ी, क ीय
मंि मंडल के रा य मं ी, संसद के युवा सद य, स ा ढ़ पाट के व ा, उ ेणी के
वक ल, शराब वसायी, िव ापन गु , फै शन िडजाइनर, मॉडल और लेखक तक शािमल
थे। ये चमक-धमक डॉ फ चानहर के भाव, उसक लोकि यता और तबे को दशा रही
थी। डॉ फ चानहर और रोिहत उनक मेजबानी करते ए लु त उठा रहे थे।
शहर के िविभ दूतावास और ब रा ीय कं पिनय से आये कई िवदेशी नाग रक भी,
जो रोिहत क कं स टसी फम के ाहक थे, पाट के आमोद- मोद म िल थे। डॉ फ
चानहर ने शै पेन क एक बड़ी बोतल खोलकर उसे कसी फ वारे क तरह छोड़ते ए
माहौल म चार चाँद लगा दया। इसके बाद उसने रोिहत और एक बॉलीवुड अ सरा के
साथ तीन मंिजला के क काटा। एक बार फर उसने अपने डांस से मिहला के पैर को
िथरकने पर मजबूर कर दया। उसक जीत के ज को मनाने के िलए उसके पसंदीदा गीत
म से एक बॉलीवुड फ म डॉन-2 का गीत ‘ज़रा दल को थाम लो’ बजाया जा रहा था।
इन सबके बीच अंजली का जूिनयर वक ल लीना को क ं के िलए मनाने म त था,
जो ‘ न ऑफ़ सोप ओपेरा’ थी और कई पि का और रे िडयो काय म ारा
‘सेि सए ट वुमन अलाइव’ के िखताब से नवाजी जा चुक थी। 11 बजे तक आधे मेहमान
अ य पाट म शािमल होने के िलए रवाना हो चुके थे, जब क बाक आधे लोग पूरी तरह से
नशे म धुत होकर अपने पैर पर नह खड़े हो पा रहे थे।
रोिहत, डॉ फ चानहर के करीब प च ं ा और धीमी आवाज़ म कहा- “महरौली के
एस.एच.ओ इं सपे टर जो गंदर संह ने मुझे थोड़ी देर पहले बुलाया था। वह पूछ रहा था
क वह हमारे िलए और या कर सकता है?”
“वह अपनी आिखरी क त के िलए जोर मार रहा होगा।” डॉ फ चानहर ने चुटक
ली।
“मुझे उससे कोई िशकायत नह है। अपनी वतं ता और नौकरी को खतरे म डालकर
उसने हमारे िलए जो कु छ कया कया, उसके िलए वह वा तव म पैसे लेने का हकदार है।
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वह मुझे बता रहा था क ाइम ांच इं सपे टर और आपके के स का आई.ओ. अपने


डी.सी.पी. से उसके िखलाफ स त जांच का आदेश मांग रहा था। ये तो पंजाब के मुख
राजनीितक दल ‘ ीमोनी अकाली दल’ के एक शि शाली िसख नेता, जो जो गंदर संह के
दूर का र तेदार है, क प च ँ थी, िजसने गदन बचाने म उसक मदद क । हो सकता है
इं सपे टर संह लालची हो, ले कन उसने अपना काम बखूबी पूरा कया है।”
“तुमने मेरी ओर से अब तक उसे कतना दया है?”
“पहली क त 1 लाख पये क थी, िजसके बदले म वह उस मजदूर से िमला और उसे
इस बात के िलए मजबूर कया क वह अपनी को बेटी को ाइम ांच ऑ फस म होने वाले
आइड ट फके शन परे ड म तु ह पहचानने न दे। इसी वजह से तु हारी जमानत संभव हो
पाई। उसने मुझे बताया क उसने अपने पुिलस टेशन के दो कां टेबल को दस-दस हजार
पये और मजदूर को प ह हजार पये दए थे।”
“तु हारा मतलब उन दो पुिलस वाल से है, िज ह इं सपे टर ठाकु र ने बा रश के कारण
खुदाई बंद करवाने के बाद मेरे फामहाउस क रखवाली के िलए रात म तैनात कया था?”
“हाँ। इं सपे टर संह ारा दए गए र त और बहकावे ने उनका ईमान बदल दया।
ह रयाणा के बॉडर से लाए गए मजदूर ने क खोदकर ब े क लाश को को बाहर िनकाल
िलया था।”
“ या इं सपे टर ठाकु र उ ह ढू ंढ पाएगा?”
“नह । उ ह एक बंद िमनी- क म लाया गया था। वे महरौली ि थत तु हारे ए टेट म
वापस आने का रा ता नह ढू ंढ पायगे। इसके अलावा इं सपे टर संह ने गाड़ी खुद ाइव
करके उसे सीमा से बाहर िनकाला था, ता क ाइवर भिव य म गवाह न बन सके । और
य द कसी चम कार के तहत इं सपे टर उदय उ ह ढू ंढ भी लेता है, तो वह उन सबूत के
िबना कु छ भी कर पाने म स म नह होगा, िज ह पहले ही न कया जा चुका है।
इं सपे टर संह ारा इन सबका खच बीस हजार बताया गया है।”
“हे भगवान। ये कै से संभव है क चार मजदूर एक घंटे के काम के िलए बीस हजार पये
ल?” डॉ फ चानहर ने कहा, िजसने धन-धा य से संप हो जाने के बाद भी संघष के
दन क अपनी कं जूसी को नह छोड़ा था।
“इतने थोड़े खच पर ही हाय-हाय मत करो डॉ फ चानहर। ये उस खतरनाक काम
क उिचत मांग थी क उन मजदूर को अ छी-खासी रकम दी जाये। उनक खामोशी को
खरीदना भी ज री था। इसके अलावा िमनी क के कराये और इं सपे टर संह के
अित र यास पर भी पैसा खचा आ।”
“ये एक लाख साठ हजार का िहसाब- कताब हो गया। अब मुझे बताओ क सप स को
हैदराबाद क योगशाला म भेजे जाने से पहले उ ह बदलने के िलए तुमने उस हेड-
कां टेबल को कतना दया था?”
“वह आदमी तो इं सपे टर जो गंदर संह से भी यादा लालची िनकला। वह उन नमून
के मह व तथा उ ह मुग, कबूतर और मेमने के लड सपल से बदलने क हमारी मंशा को
भांप गया था। उसने तीन लाख क मांग क थी, िजसे इं सपे टर संह काफ सर खपाने के
बाद एक लाख तक लाने म सफल आ था।”
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“इसम कोई हैरत नह क उसने कॉ टेबल को के वल पचास हजार दया हो और बाक


अपनी जेब म रख िलया हो।” डॉ फ चानहर ने कहा।
“कोई बात नह । उसने हमारा काम कया, यही मायने रखता है। ये मत भूलो क लैब
रपोट ने ही के स को तु हारे पाले म धके ला और तु ह ह या के आरोप से मु कराया। उस
रपोट के कारण ही उदय और कथू रया, दोन ने तु ह ब े क ह या म मामले म फं साने
क कोिशश म हाथ खड़े कर दए।”
“कोट म बयान से पलट जाने और अंजली ारा रटाया गया तोता बनने के िलए उस
लड़क के मजदूर बाप को कतना दया गया था?”
“कु ल िमलाकर तीन लाख बीस हजार ए ह। और अब हम उस सौदे के मुतािबक़
इं सपे टर संह को 2 लाख और देने ह गे, जो मने तु हारी िगर तारी के बाद उससे कया
था।”
“म पूरी रकम तु हारे बक खाते म ांसफर कर दूग ं ा।”
“बेवक़ू फ़ मत बनो।” रोिहत सांप क तरह फुं फकारता आ बोला- “इस तरह
का कोई भी लेन-देन हम दोन को मुसीबत म डाल देगा। कोट से मामले का िनपटारा
होने से पहले अगर इं सपे टर संह से हमारा कोई संबंध उजागर हो गया तो हम पर
उं गिलयाँ उठ जायगी। न तो म कह भागा जा रहा ं और न ही तुम। म तुमसे वह रकम
बाद म ले लूँगा।
थोड़ी देर बाद डॉ फ चानहर और अंजली पाट से चले गए। अंजली के युवा सहायक
म से एक डांस लोर पर था, ले कन ऐसा लग रहा था जैसे उसे नाचने क बजाय शराब के
नशे म धुत लीना का िज म संभालने म यादा मजा आ रहा था, जो बार-बार उसके ऊपर
िगर रहा था। जैसा क कसी ने कहा है क हर कसी को अपनी पसंद चुनने का अिधकार
है, रोिहत भी एक फै शन मॉडल और भावी अिभने ी के साथ मजे ले रहा था।

होटल से बाहर आते ही डॉ फ चानहर क नजर बाहर खड़े एक फोड कार पड़ी, जो
इमारत से थोड़ी दूरी पर थी। जैसे ही डॉ फ चानहर क िनगाह ाइ वंग सीट पर
मौजूद मिहला से टकराय , वह तुरंत दूसरी ओर देखने लगी। डॉ फ चानहर अपने
लड ू जर ाडो म प च ं ा। उसने डैशबोड क इले ॉिनक घड़ी के हरे अंक को देखा, िजसम
23:10 नजर आ रहा था। आसमान म काले बादल छाए ए थे जो उस रात बा रश होने
का संकेत थे।
सहसा उसने ह रनाथ को याद कया। िजसने तुर त ही उसके बगल क सीट पर कट
होकर पूछा- “हाँ वारलॉक?”
“मुझे लग रहा है क मने उस औरत को कह देखा है, जो होटल के मेन गेट से थोड़ी दूरी
पर खड़ी उस फोड कार म बैठी ई है। जाओ और देखो क या तुम उसके बारे म कु छ
जानते हो।” डॉ फ चानहर ने आदेश दया।
“उसक ज़ रत नह है मािलक। म उसे पहले से ही जानता ।ं ” ह रनाथ ने शांत लहजे
म कहा।
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“कौन है वह?”
“साधना भटनागर, अधेड़ उ क तलाकशुदा मिहला, िजसके बारे म मने आपको
बताया था। वही ाइवेट जासूस, िजसे उस बूढ़े कनल ने आप पर नजर रखने का काम
स पा है। याद आया?”
“ओह हाँ। तुमने उस बूढ़े कनल से सतक रहने के िलए कहा था।”
“हां मािलक।”
“वो यहाँ या कर रही है?” डॉ फ चानहर ने अपनी भौह उचकाते ए पूछा।
“कनल नारं ग का इरादा आपको बच कर िनकल जाने देने का नह था। वह अदृ य
रहकर भी हमेशा आपके आस-पास मौजूद था। वह अभी भी आपके िखलाफ व-घोिषत
यु लड़ने पर अड़ा आ है। यही वह श स था, िजसने पायल के सरकारी वक ल को नीता
के बारे म बताया, िजसे बाद म आपके िखलाफ गवाही देने के िलए तैयार कया गया।
उसने एक अंधे तांि क भैरो को भी आप पर घात लगाने और आपक शि य को न करने
के यास म आपके पीछे लगाया है।”
“म उनम से हर एक का िहसाब चुकाऊंगा। म इस साधना से भी अ छे से िनपटूंगा। और
वह नारं ग, ओह। तुम बस देखते जाओ ह रनाथ उस बेवकू फ को उस दन को कोसने का
मौका भी नह िमलेगा, िजस दन उसने मेरे मामल म घुसने या मेरा दु मन बनने का
फै सला कया।”
“जैसा तुम कहो वारलॉक।”
“तुम मुझे इस साधना के बारे म बताओ।” डॉ फ ने अपनी आँख छोटी करते ए कहा-
“ फलहाल उसके प रवार म कौन-कौन है और वह कहाँ रहती है?”
“जैसा क मने आपको पहले ही बताया क उसके पित ने उसे तलाक दे दया है। उसके
माँ-बाप नोएडा के एक घर म रहते ह, जब क वह वे ट पटेल नगर ि थत एक पुराने बंगले
के ाउं ड लोर पर तीन कमर वाले अपाटमट म कराए पर रहती है। उसका चौदह साल
एक बेटा भी है, जो उसके साथ रहता है।”
“समझ गया। मेरे साथ रहो ह रनाथ। जब हम पटेल नगर प च ँ जाएँ, तो मुझे उसके घर
का रा ता बताना ।” डॉ फ चानहर ने अपना टेशन वैगन शु करते ए आदेश दया।
“ज र वारलॉक।”
“ले कन पहले हम उससे छु टकारा पाना होगा।” डॉ फ चानहर ने अपने लड ू ज़र को
पा कग ए रया से बाहर िनकालते ए कहा।
मुि कल से बीस िमनट तक हैरतंगेज और ख़तरनाक ाइ वंग करके डॉ फ ने उस
ाइवेट जासूस से छु टकारा पा िलया, जो उसके जैसे कु शल चालक के सामने कु छ भी नह
थी। उससे छु टकारा पाने म सफल होने के बाद डॉ फ चानहर अपनी कार को ‘शंकर
रोड’ पर लेकर आया और ‘िस ाथ कॉि टनटल’ होटल के सामने से होते ए वे ट पटेल
नगर प च ँ गया।
ह रनाथ के दशा-िनदश पर अमल करते ए वह अपनी टेशन वैगन के साथ उस
इलाके क एक पुरानी दुमंिजला इमारत के सामने प च ँ ा, जो मु य सड़क से थोड़ी हट कर
थी। उसने कार का इं जन बंद कया और ह रनाथ को अंदर ही छोड़ कर उसके सारे दरवाजे
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लॉक कर दए। वह घर के दरवाजे पर प च ं ा और कॉल बेल पर अपनी उं गली रख दी। उस


व तक बादल से भरी रात का अंधेरा चार ओर कािबज हो चुका था।
डॉ फ चानहर ने गले तक क ऊंचाई वाला काला लेदर कोट के नीचे ‘का डगन’ और
साथ म गहरे रं ग क पतलून पहनी ई थी। उसने दरवाजे क ओर बढ़ते कदम क ह क
आहट सुनी। भीतर कसी ने ब ब जलाया और दरवाजे के नीचे से पीले काश क एक
पतली रे खा नजर आयी और दरवाजा खुला। डॉ फ चानहर ने दरवाजे के बीच एक छोटे
लड़के को देखा। वह मुि कल से साढ़े चार फ ट लंबा था, अिव सनीय प से छोटा, सपाट
छाती और ल बी टाँग वाला। उसने अपने भोले-भाले और मासूम चेहरे के साथ डॉ फ
चानहर पर वाचक दृि डाली।
“मुझे िमसेज साधना भटनागर से िमलना है।” डॉ फ चानहर ने कहा।
“म मी काम से बाहर गयी ई ह।” लड़के ने चेहरे क ही भांित मासूम लहजे म कहा।
“तो तुम उनके बेटे हो। तु हारा नाम या है?”
“गौरव भटनागर।” उसने बालसुलभ गव के साथ जवाब दया।
“ठीक है गौरव।” डॉ फ चानहर ने मु कु राते ए कहा- “ या तु ह लगता है क मुझे
घर के अंदर आकर तु हारी म मी के लौटने का इं तज़ार करना चािहए?”
छोटे लड़के ने डॉ फ चानहर को उसी अंदाज म देखा, जैसे कोई ब ा अपने आदश
पु ष क ओर देखता है या फर जैसे कोई टीनएजर उस इं सान क ओर देखता है, जो उसे
भािवत करता है और िजसक तरह वह बड़ा होकर बनाना चाहता है। “ज़ र। अंदर
आइये।”
डॉ फ को अंदर दािखल होने देने के िलए वह दरवाजे से एक ओर हट गया और जब
वह अंदर आ गया तो उसने दरवाजा बंद कर दया। लड़के ने डॉ फ के पीछे-पीछे चलते
ए एक गहरी सांस लेकर उसके िज म से उठती इ पोटड सट क खुशबू को अपन भीतर
ख चा। वह उससे और भी यादा भािवत हो उठा। वह ब ा डॉ फ को एक साधारण से
ाइं ग म म ले गया और उसे सोफे पर बैठने का इशारा कया। और खुद भी उसके सामने
एक सोफे पर बैठ गया।
“तु हारी उ कतनी है गौरव?” डॉ फ चानहर ने पूछा।
“चौदह।” उसने गव के साथ कहा- “म अब अपने कू ल म नाइ थ टै डड म प च ँ गया
।ं ”
“ या सचमुच?” डॉ फ चानहर ने मु कु राते ए कहा।
“आप कसी हॉलीवुड टार क तरह दखते ह।” ब े ने डॉ फ चानहर के फै शनेबल
और मंहगे कपड़े से आक षत होकर सकु चाते ए कहा।
डॉ फ चानहर ये सुनकर खुश होते ए पूछा- “ या तुम अपनी माँ के साथ
अके ले रहते हो?”
“हाँ, िपताजी ने हम छोड़ दया।” ब े ने जवाब दया। उसका चेहरा उदास हो उठा।
“गौरव, िनराश मत हो। कम से कम तु ह यार करने वाली एक माँ तो िमली है। है न?”
“आप मेरी माँ को जानते ह?”
“बेशक। साथ ही वह भी मुझे जानती ह। वह तुमसे यार करती ह, है न?” डॉ फ
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चानहर ने अपनी ती ण नीली आँख से ब े को घूरते ए पूछा।


‘हाँ, वे कहती ह क म उनक िज दगी ।ँ ” लड़के ने कहा।
“सचमुच।” उसने डरावने अंदाज म मु कु राते ए कहा।
“ या म... या म उस कोट को देख सकता ?ं ” छोटे ब े ने सकु चाते ए पूछा।
“िब कु ल। यहाँ मेरे पास आओ।” डॉ फ चानहर ने उससे कहा।
अपने आदश पु ष के ि व से कु छ अिधक ही भािवत हो उठा वह लड़का
िन:संकोच आगे बढ़ा और डॉ फ चानहर के ठीक बगल म बैठ गया। बाप के यार और
देख-भाल से मह म वह ब ा हर आदश पु ष म अपने िपता क छिव देखने क कोिशश
करता था। लड़के ने स मोिहत अव था म जैकेट को पश कया और उस पर अपनी हथेली
फराने लगा। वह एक ऐसे इं सान के बेहद करीब था, िजसके कपड़े उसी के ि व क
तरह शानदार थे और िजसके जैसा बनने के िलए उसक उ के लड़के उस इं सान क नकल
करने क कोिशश करते ह। डॉ फ ने ब े के नरम बाल को सहलाया।
“तुम यहाँ या कर रहे हो?” सहसा एक ककश आवाज ने उस दृ य म िव डाल दया।
डॉ फ चानहर को ाइं ग म के दरवाजे पर ाइवेट जासूस साधना खड़ी नजर
आयी।
“नम कार।”
“तु ह मेरे घर का पता कै सा लगा?” खतरे क गंध पाकर उसक आँख अिव ास के भाव
से चौड़ी हो गय ।
“घबराओ मत िमसेज भटनागर। अभी तक तो सब ठीक ही है।”
सहमी ई उस मिहला ने फ़ौरन अपने हडबैग से लोडेड रवा वर िनकाला और डॉ फ
चानहर को उसके िनशाने पर ले िलया। “मेरे बेटे के िसर से अपना हाथ हटाओ।” उसने
कहा।
“घबराओ मत साधना। देखो, तु हारे हाथ काँप रहे ह।” डॉ फ चानहर ने उठकर
उसक ओर बढ़ते ए कहा। वह बेहद िनडरता और ढठाई से उसके सामने खड़ा हो गया।
रवॉ वर का बैरल उसक छाती को पश करने लगा। डॉ फ चानहर ने सीधे उसक
आँख म देखते ए धीमी आवाज़ म कहा- “ या तुम चाहती हो क म सारी बात ब े के
सामने ही क ं या फर अब तुम मुझे एक अ छे मेज़बान क तरह मुझे घर के दरवाजे तक
छोड़ कर आयोगी?”
उसने समपण के तौर पर अपना िसर िहलाया और भारी कदम के साथ डॉ फ
चानहर के पीछे-पीछे घर के दरवाजे क ओर बढ़ी। लकड़ी के दरवाजे के संक ण माग पर
प चं कर जब वह साधना क ओर मुड़ा तो उसने िबजली के ब ब क पीली रोशनी म देखा
क उस औरत का चेहरा कस तरह बूढ़ा और झु रय से भरा आ नजर आने लगा था।
उसक आँख उदास, बेजान, थक ई और कोटर म धंसी ई लग रही थ । साधना के हाथ
म मौजूद रवा वर एक थ का बोझ लग रही थी िजसे वह बेवजह उठा रही ।
“तु ह मेरे घर का पता कै से लगा?” उसने अपना दोहराया और फर खुद ही जवाब
भी दे दया- “तुमने मेरे कार का नंबर लेट देखा होगा। अपने मोबाइल से ांसपोट
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अथॉ रटी म मौजूद अपने सोस को फोन कया होगा, िजसने तु ह वाहन पंजीकरण के
रकॉड को देखकर मेरे घर क सूचना दी होगी।” उसने कहा।
“ऐसा लगता है, जैसे तुम ब त यादा स ते जासूसी उप यास पढ़ती हो। वैसे भी क मत
इस बात क नह है पर इससे जुड़े सबक क है।”
“सबक?”
“म अपने हाथ से तु हारे लड़के क पतली गदन को मरोड़ सकता था।”
‘नह ।” वह आतं कत औरत सहम कर पीछे हट गयी और फर बोली, “मने तु हारे जैसे
घ टया गुंड क ऐसी धम कयाँ कई बार सुनी है।”
“ले कन मने अभी ऐसा कु छ नह कया है। इसिलए नह क मुझे उस पर या तुम पर
कोई दया आ गई, बि क इसिलए य क ये सही समय नह है। मेरे पास पहले से ही ब त
सारी सम याएं ह, ले कन फर भी मने तु ह दखा दया है क म या कर सकता ।ं तुमने
मुझे छेड़कर अपने जीवन क सबसे बड़ी भूल क है।”
“चले जाओ।” उसने अपने दोन हाथ सामने क ओर फै लाये।
“के वल अभी के िलए, ले कन जब म अगली बार वापस आऊंगा तो अपने पीछे तु ह
ज़ंदा छोड़ कर नह जाऊंगा। उस कनल नारं ग को वारलॉक का संदश
े दे दो। हां, म उसक
बे दी चाल और उसके ारा अब तक क गयी सभी हरकत के बारे म जानता ।ं उसे
बताओ क अब ये मेरे और मेरे सभी दु मन और िवरोिधय के बीच खुला जंग है। समय
आ चुका है क म बेहद बेरहमी पूवक मेरे सभी दु मन को कु चल डालूँ, िजसम तुम भी
शािमल हो।” डॉ फ चानहर ने उस पर उं गली उठाते ए कहा।
“ या तुम इसीिलए यहाँ आये हो, मुझे धमक देने के िलए?”
“धमक देने के िलए नह , तु ह तु हारे भिव य के बारे म बताने और साथ ही तु हारे
उस बूढ़े और लाचार कनल को भी। उसे बता दो क अब तक तुम लोग मेरा िशकार कर रहे
थे, ले कन अब वह समय तेजी से नजदीक आ रहा है, जब सारे पैमाने पलट जायगे और
वारलॉक एक बार फर िशकारी होगा, िशकार नह ।” डॉ फ चानहर ने ोध म दहाड़ते
ए कहा।
“मेरे पुिलस को फोन करने से पहले ही दफा हो जाओ यहाँ से।” वह आँसी सी बोली।
“तु हारा बेटा ब त यारा है। आने वाले दन म उसे िजतना यार दे सकती हो दे दो
कयो क तु हारी जं दगी क उ टी िगनती शु हो चुक है।” डॉ फ चानहर ने कहा और
दरवाजा खोलकर बाहर िनकल गया।
खुले दरवाजे से अंदर दािखल ई सद अंधेरी रात क ठं डक का सामना एक भयभीत
और कांपती ई मिहला से आ, जो मानो पाताल के कगार पर खड़ी थी। के वल डॉ फ
चानहर के श द ही नह , बि क उन श द म समाई उसक िनममता और असहनीय
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दृढ़ता भी थी, िजसने उस अके ली औरत को दल क गहराइय तक खौफजदा कर दया


था। अँधेरी सड़क से नज़र आ रही और पीले ब ब क रोशनी से नहायी उस राहदारी म
वह अके ली खड़ी थी। उसे अपने घुटने कमजोर और कांपते ए महसूस हो रहे थे। कई वष
के बाद वह अपने एकाक जीवन म खुद को अके ला और उस आने वाले तूफ़ान के सामने
बेबस महसूस करने लगी थी, िजसके कदम क आहट उसे सुनाई दे रही थी।

अ याय 13
तूफ़ान से पहले

िजस व शमशेर का ेत तांि क भैरो के पास प च ं ा, उस व वह अपने कमरे म


िबछौने पर बैठा िचलम म भरा गाजा पी रहा था। उसने शमशेर क बातो को यान से
सुना, बीच-बीच म कई बार अपना िसर भी िहलाया और कु छ अ य बात प करने के
बाद उसे िवदा कर दया। उसके सामने फश पर उसका मूढ़-मगज (मंदबुि ) सहायक
वंकल भी बैठा आ था। वह शमशेर के ेत क अ पारदश होलो ा फक छिव को अंधे
तांि क के साथ बात करते देख तब तक हैरान होता रहा जब तक क वह गायब नह हो
गया।
“ वंकल। िजस घड़ी का हम इं तज़ार कर रहे थे, वह घड़ी आ चुक है। मेरे गुलाम
शमशेर ने मुझे वारलॉक क उसके गुलाम ेत ह रनाथ के साथ बातचीत के बारे म बताया
है। कल वह अपनी काली तं शि य को फर से हािसल करने क कोिशश म ‘भ काली
शाबरी साधना’ शु करे गा। उस साधना को पूरा करने म उसे तीन से पांच रात लगगी
और जब वह इसम सफल हो जाएगा तो वह देवी भ काली से अपनी तांि क शि य को
फर से बहाल करने का वरदान माँगेगा।”
वंकल ने कोई ित या या ट पणी नह क , भैरो को इसक कोई उ मीद भी
नह थी। उस तांि क के िलए उसका सहायक मा एक ऐसा श स था, िजससे वह के वल
बात कर सकता था। इस बातचीत से भैरो को अपने दमाग म चीज को प रखने म
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मदद िमलती थी।


“मुझे कनल साब को यह सब बताने के िलए और योजना को लागू करने के िलए उनक
हाँ पाने के िलए उ ह फोन करना होगा। तुम बस देखते जाओ क अब म कस तरह उस
द भीघमंडी वारलॉक को तगड़ा झटका देता ।ँ अपने दु मन पर हमला करने के िलए म
कल से खुद अपनी साधना भी शु क ं गा। हम कल सुबह साधना- थल क साफ़-सफाई
के िलए िनकलगे। मेरी साधना रात िघरने के तुरंत बाद शु होगी। हम खुद ऐसे तैयार
रखना होगा क हम साधना क तीसरी या चौथी रात आने वाली आफतो से खुद को बचा
सक।”
वंकल बड़बड़ाया। उसने भैरो को उसक छड़ी थमाई और उसे उसक कोहनी से
पकड़कर पहले कमरे के दरवाजे तक आया और फर लोहे क घूमने वाली सी ढ़य से नीचे
उतरने लगा। “मुझे सोच कर ब त मज़ा आ रहा है। सांप के फन को अपने पैर के नीचे
कु चलने से पहले हम उसके ज़हरीले दाँत तोड़ दगे।”
नीचे मौजूद डबलरोटी, अंडे और बेकरी क एक छोटी सी दुकान के मािलक ने भैरो क
पॉके ट डायरी म दज फोन नंबर को डायल कया त प ात रसीवर उसे थमा दया। दूसरी
तरफ हरीश ने फोन कनल के कान के पास रखा।
“हाँ साहेब जी। म भैरो बोल रहा ।ँ वारलॉक क िजस साधना के बारे म मने आपको
बताया था, उस साधना को वह कल से शु कर रहा है।”
“तु हारा मतलब है क वारलॉक अपनी गु शि य को फर से जगाने क कोिशश
करे गा?” कनल ने पूछा।
“हाँ साहेब जी। उसे इसे पूरा करने म तीन से पांच रात लगगी। मने आपको बताने और
आपक हाँ के िलए फोन कया है।”
“तुम अपना काम शु करो भैरो और इसम अपनी पूरी ताकत लगा दो। और तुम
िब कु ल होिशयार रहना। वारलॉक के िखलाफ मेरी इस लड़ाई म तुम मेरे सबसे अहम
हिथयार हो और म तु ह खोना नह चाहता।”
“मुझ जैसे छोटे आदमी क फ़ करने के िलए शु या साहेब जी।” म भी कल अपना
काम शु कर दूग ं ा और इं शा अ लाह, कामयाब होने क पूरी कोिशश क ँ गा। म कसी
दूसरी जगह पर काम कर रहा होऊंगा, इसिलए आपको फोन नह कर पाऊंगा।”
“मै समझता ,ँ ले कन काम पूरा हो जाने के बाद तु ह तुरंत मुझे सूिचत करना होगा।
जो कु छ होगा, उसे बताने के िलए तु ह मेरे लैट पर आना होगा। अगर तु ह और पैस क
ज रत है, तो कसी को लेने के िलए भेज दो।”
“उसक ज रत नह है साहेब जी। आपने मुझे िपछली बार जो पये दए थे, वे मेरे खच
के िलए ब त काफ ह। य द मुझे और पय क ज रत होगी तो आपके घर पर आकर बता
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दूग
ं ा।”
“मेरी शुभकामनाएं तु हारे साथ ह। म एक बार फर कहता ँ क तुम िबलकु ल
होिशयार रहना। दु मन को कम मत समझना और ये मत भूलना क तुम सबसे शाितर,
ू र और वहशी इं सान के िखलाफ काम कर रहे हो।”
“नम ते साहेब जी।” उसने कहा और फोन रख दया। दुकान के मािलक को दो पये का
िस ा दया और पास म ही सड़क के कनारे मौजूद एक ढाबे म प च ं ा। उसने खाने का
आडर दया और खाना पैक हो जाने के बाद उसे लेकर वंकल के साथ वापस अपनी
झोपड़ी म आ गया। वे फश पर िबछी एक फटी ई चटाई पर बैठ गए। उसके सहायक ने
उसे एक िगलास पानी और स ती देशी शराब क आधी बोतल लाकर दे दी। भुने ए मटन
के साथ देशी शराब पीते ए वह उन व तु के बारे म सोचने लगा, जो साधना के िलए
ज री थ और िज ह अगले ही दन खरीदना था।
वंकल शराब नह पीता था, इसिलए उसने भैरो का साथ के वल खाने म ही दया।
उसक भूख अपने जजर मािलक क अपे ा कह यादा थी। रात का भोजन करने के बाद
उसने छु ी ली और पंचकु इयां मेन रोड क टै सी टड पर प च
ं ा। वहां से दि ण द ली
को जाने वाला कोई टै सी ाइवर उसे धौल कु आं क एक नसरी तक छोड़ सकता था, जहां
वह अपनी मां के साथ रहता था।
ये कनल नारं ग क धैयपूण सोच तथा गुपचुप और सटीक योजना का एक और उदाहरण
था। कु शल रणनीितकार और शतरं ज का वह मािहर िखलाड़ी एक बार फर िबसात पर
अपनी चाल सफलतापूवक चल चुका था ता क डॉ फ चानहर क हर शाितर चाल के
जवाब म उसे घेर कर उसक शि य को कमजोर कर सके । अपने तमाम कारनाम और
उपयोिगता के बावजूद भी भैरो मा एक कठपुतली ही था। दु मन को परािजत करने से
पहले उसे रोकने और कमजोर करने के अिभयान म शरीक उस कठपुतली क डोर एक
िमिल ी मैन के हाथ म थी। कनल अपने दु मन पर आिख़री और चौतरफा िनणायक
हमला करने से पहले उसे धैयपूवक चरणब योजना बनाकर प त कर देने म यक न करते
थे। अथात पूरी तैयारी के साथ कये जाने वाले मा टर ोक म।
डॉ फ चानहर और कनल नारं ग नाम के वे दोन ित ं ी एक दूसरे के सवथा
िवपरीत थे, कसी नदी के दो कनार क तरह। डॉ फ चानहर ू र, हंसक और उन
घटना पर तुरंत ित या देने वाला इं सान था, िजनसे उसका आये दन पाला पड़ता
था। वह मूल प से ित यावादी था। इसके िवपरीत कनल नारं ग एक शांतिच और
अनुभवी आसामी थे, जो हमेशा खामोशी के साथ अपनी योजना का ताना-बाना बुनते
थे और कभी भी अपना आपा नह खोते थे। इस बात से उ ह कोई फक नह पड़ता था क
प रि थितयां कै सी ह या उनके रा ते म कतनी बाधाएं ह।
उ ह ने पहले से ही सतकतापूवक योजना बना ली थी, िजसके तहत वे ित याशील
होने के बजाय चौक े थे। वे अवसर क ती ा करने म नह बि क उन घटना को
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अंजाम देने म िव ास रखते थे, जो खुद म ही एक अवसर बन जाती ह। वे सही मायने म


ान, बुि और साहस से प रपूण इं सान थे। उनका िस ांत था क बहादुरी दृढ़ संक प से
आती है और यायपूण उ े य के िलए लड़ने वाला ही स ा साहसी होता है। जब क
डॉ फ चानहर का वहार तुलना मक प से जानवर के जैसा था अथात कमजोर को
िनशाना बनाना और खुद क सुर ा के िलए लड़ना। ले कन उसक सबसे बड़ी मुखता ये
थी क उसने भैरो से लेकर कनल नारं ग तक अपने सभी दु मन क मता बेहद कम आंक
थी और ये समझने म नाकाम रहा था क दूर मौजूद एक लैट म पड़ा गदन के नीचे से
लकवा त बूढ़ा इं सान भी उसके िलए खतरे पैदा कर सकता है। वह एक ऐसा इं सान था,
जो डॉ फ चानहर के िखलाफ अिभयान म शु से ही के ीय भूिमका म था। असली
िखलाड़ी तो वही था, िजसके हाथ डॉ फ चानहर के िखलाफ खेले जा रहे खेल म शरीक
था, ले कन डॉ फ को इसका एहसास तक नह था।

राउल ए टेट म फामहाउस के पास का घास भरा मैदान तेज सचलाइट क रोशनी से
जगमगा रहा था। उनक रोशनी उस छोटे से कृ ि म झील म भी िझलिमला रही थी, जो
अधवृ ाकार दायरे म खड़े पेड़ से िघरी ई थी। डॉ फ चानहर एक ड गी (पतवार से
चलाई जाने वाली नाव) खे रहा था। झील के बीच म प च
ँ कर वह क गया, जहाँ कनारे
क अपे ा अंधकार था। हालां क डॉ फ चानहर बड़ी सहजता से डीजल-इं जन वाली
एक आधुिनक नाव खरीद सकता था, ले कन उसने ड गी खेने म िमलने वाली संतुि को
ाथिमकता दी थी। वह अपने बगल म रखे माट- पीकर पर अपने पसंदीदा संगीतकार
पीटर गं ी का डरावना संगीत ‘आई लीड फॉर यू’ चला रहा था।
मेज़पोश से ढके लकड़ी के एक बोड को बीच म रखकर नाव के बीच के िह से को खाने
क मेज म त दील कर दया गया था। िजस पर िविभ कार के ंजन से भरे बतन,
शराब क बोतल, लेट, कटोरे , िगलास और टसू पेपर इ यादी थे। डॉ फ चानहर ने
अपनी ेिमका लीना को ‘लेक-िडनर’ के िलए आमंि त कया था, जो इस व बंगले म थी
और अभी ि वम-सूट पहन रही थी, जब क वह नाव को झील के बीच म लेकर आ गया था।
उसने ि वम-सूट पहन रखा था, िजसम उसका कसरती िज म नुमाया हो रहा था, िजसे
देखकर मिहलाएं और िपशािचिनयाँ - दोन समान प से - आह भरती थ ।
“ह रनाथ।” वह बोला।
“जी मािलक।” ह रनाथ के ेत ने कहा और झील के बीच म खड़ी ड गी पर डॉ फ
चानहर के ‘िडनर-टेबल’ के दूसरी ओर कट हो गया।
“लीना के आने से पहले मेरे पास के वल कु छ िमनट का ही समय है। बताओ या नई
ख़बर ह?”
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“कल से शु होने वाली आपक साधना के िलए सभी तैया रयां पूरी हो चुक ह। आप
भैरो और अपने बाक दु मन से िनपटने के िलए अपनी शि य को फर से जगाने क
कोिशश शु कर सकते ह। ले कन वारलॉक, तु ह लगता है क ये काम करे गा?”
“म एक शि शाली और तामिसक साधना ‘भ काली शाबरी साधना’ के ज रये अपनी
तांि क शि य को फ़र से पाने क कोिशश क ं गा। मुझे साधना पूरी करने, देवी
भ काली को मुझे दशन देने और मुझे वरदान देने म तीन से पाँच दन लगगे।”
“गु तांि क शि य को िस करने म शाबरी प ित भले ही ज दी प रणाम देती है
और पूरा होने म कम समय लेती है, ले कन या ये बेहद खतरनाक नह है?” ह रनाथ ने
पूछा।
“शाबरी तरीके का उपयोग करने से ित या और प रणाम ज दी िमलते ह, इस
साधना म योग म लाये जाने वाले मं या नु े अजीबोगरीब और तक से परे होते ह,
ले कन फर भी ये प ित ब त भावी है। ये कसी के िलए वरदान या हौसले के पहाड़
जैसा है। इस प ि को साधने क प इ छा रखने वाले साधारण लोग को भी बेहद
ज दी प रणाम िमलता है। इस शि शाली तं -शि का कहना ही या? इसीिलए शाबरी
मं के जाप के नतीजे म जो शि कट होती है, वह बेहद उ होती है, और ऐसे समय म
य द तांि क भयभीत हो जाता है या लड़खड़ा जाता है, तो वह शि उसे ख़तम कर देती
है। ऐसे तेज़ और खतरनाक तरीके का इ तेमाल करने वाले ि को उस काली शि के
कट होते ही उसे मनाने और शांत करने के िलए तैयार रहना पड़ता है, अ यथा वह या तो
अपने होश गंवा देता है या फर मारा जाता है।” डॉ फ चानहर ने समझाया।
“ या तु हे इस बात का डर नह है क यह तुम पर भी उ टा पड़ सकता है?”
“मुझे भय पर िवजय पाए एक जं दगी बीत चुक है।” डॉ फ चानहर ने शेखी बघारी,
“म कभी भी जोिखम लेने से पीछे नह हटता। मुझे िज दगी को खतरनाक तरीके से जीना
पसंद है।” उसने एक ऐसे इं सान के प म कहा, िजसके िलए अपने या दूसर के जीवन का
कोई मू य नह था। थोड़ी देर बाद उसने कहा- “आज रात तक म शराब पी सकता ,ं माँस
खा सकता ं और नारी-सुख भोग सकता ।ं कल से म शराब, मांस, स, धू पान और
अपिव मानी जाने वाली हर चीज से दूरी बनाकर एक चारी और संयम वाला इं सान
बन जाऊंगा। जैसा क मेरे गु ने मुझे िसखाया है, तांि क अनु ान क सफलता के िलए,
भले ही वह तामिसक शि य के िलए ही य न हो, मुझे साधना क पूरी अविध के दौरान
एक िभ ुक का जीवन जीना होगा। मने उन सभी व तु का आडर दे दया है, िजनक
मुझे साधना के दौरान आव यकता होगी और वह कल सुबह ही यहां प च ँ जायगी। मने
अपने इं ि ट ूट और उससे संबंिधत अ य सभी गितिविधय से एक ह ते क छु ी भी ले
ली है और ये स त िनदश भी दे दया है क मुझे िड टब न कया जाए।”
“एक तांि क होने के नाते ये बात तुम भी जानते होगे ह रनाथ क साधना क
तामिसक कृ ित एक साधक को बेहद िचड़िचड़ा और हंसक बना देती है। साधना क
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अविध के दौरान साधक को हतो सािहत करने, उसे खदेड़ने और उसक साधना को बीच म
रोकने के िलए कई सम याएं और जोिखम अपना िसर उठाते ह। आिखरी चीज, िजनसे मुझे
सावधानी बरतनी होगी, वे ह साधना थल पर आने वाली बाधाएं, जो मेरी साधना म
िव डालगी। साधना म आने वाली यह कावटे मेरे जीवन को खतरे म डाल सकता है,
य क तब तांि क शि यां मुझ पर झपट पड़गी और मेरे कमजोर पड़ने क दशा म मुझे
ख म करने क पूरी कोिशश करगी।”
“ डॉ फ। डॉ फ।” दूर से एक नारी- वर सुनाई दया।
उसने अपना िसर घुमाकर लीना को देखा, जो बंगले क दशा से झील क ओर आ रही
थी और उसक ओर हाथ लहरा रही थी। उसने भी लीना क तरफ हाथ लहराया और
कहा- “अब तुम जाओ।”
“म वहाँ तक कै से प च
ं ूंगी?” लीना झील के कनारे से िच लायी।
“तैर कर।” डॉ फ नाव से झील के पानी म कू दते ए िच लाया। नाव ण भर के िलए
असंतुिलत ई और फर ि थर हो गयी।
वह एक अनुभवी तैराक क तरह तैरते ए ज द ही लीना के पास प च ँ गया, जो अब
तक ठ डे पानी म कु छ डु ब कयाँ लगा चुक थी, िजसके कारण उसके बाल गीले होकर
उसके सर से िचपक गये थे। तड़क-भड़क, लैमर, भारी मेकअप और अिभनय क चकाच ध
भरी दुिनया से अलग वह एक आकषक पर सीधी-साधी लड़क भर थी। लैमरस दुिनया
क छिव से भािवत होने वाले ब त से लोग को इस बात का एहसास भी नह हो पाता
है क टेलीिवजन और फ म अिभनेता भी उनक तरह साधारण इं सान होते ह। सामा य
लोग क तरह उनम भी इ छाएं, उ मीद, डर, ई या और जीवन के ित असुर ा क
भावना होती है।
दूसरी तरफ़ डॉ फ, लीना जैसी कसी भी सु दरी को आसानी से अपनी ओर आक षत
कर लेता था य क उसके िलए िसि , लोकि यता और सफलता सामा य सी चीज थ ।
उसके िलए लीना एक साधारण सी सु दर लड़क थी, न क कोई ऐसी बड़ी टार जो क
उसे भािवत या दबा सके । इसके अलावा ये भी सच था क उन दोन ने अपना संघष साथ
शु कया था और एक लंबा सफ़र एक साथ तय कया था। अनिगनत झगड़े, बेवफाई और
आपसी तकरार के बावजूद उनका र ता अभी तक कायम था, य क िज दगी के कई
पड़ाव पर उन दोन ने महसूस कया क उ ह एक-दूसरे क ज़ रत है। या शायद वे एक
अनजान ई र क बजाय जाने-पहचाने शैतान के साथ रहना यादा समझदारी का काम
समझते थे।
झील का पानी ठं डा और थके शरीर को तरोताज़ा और सुख देने वाला था। वह दोन
पूरी द ता के साथ तैर रहे थे। वे झील के कनारे से नाव तक और नाव से झील के कनारे
तक एक बनावटी दौड़ लगा रहे थे। हर दफे जब डॉ फ लीना को पकड़ने क कोिशश
करता, वह उसके हाथ से कसी िचकनी मछली क भांित फसल जाती। लीना के जवान
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िज म से िचपक छोटी सी िबकनी के नज़ारे ने डॉ फ चानहर क कनपटी के ल को


गम कर दया। उसने लीना के गोल िनत बो को हवस भरी िनगाह से देखा, िजस पर
गीली और नीली िबकनी बुरी तरह िचपक चुक थी। कु हनी को नाव पर टकाये ए और
शरीर के बाक िह से को पानी म डु बाये ए उ ह ने एक दूसरे को कामोउ ेजक चु बन
दया और फर लीना उसे पीछे धके लते ए शरारती अंदाज म हंसती ई तैर कर दूर चली
गयी। डॉ फ चानहर ने उसका पीछा कया और उस या को दोहराने के िलए ज द ही
उसे पकड़ िलया।
तैरने का मजा लूटने के बाद वे झील के बीच म खड़े ड गी तक प च
ं ।े पहले डॉ फ
चानहर चढ़ा, त प ात उसने ऊपर आने म लीना क भी मदद क । उन दोन से तौिलये
से अपने बदन का पानी प छा। इसके बाद डॉ फ चानहर ने दो मोटी मोमबि याँ
जलाकर उ ह मेज के बीच म रख दया।
“हे भगवान । मुझे तो बड़ी ज़ोरो क भूख लगी है।” लीना ने अपने गीले बाल को
तौिलया से रगड़ते ए कहा। उसने िविभ पकवान से भरे बतन के ढ न खोले। उन
गरमागरम जन से उठती भाप म मटन और िचकन का वाद समािहत था।
“ या िपयोगी मेरी जान? ि ह क , रम, बीयर या फर ीजर?” डॉ फ ने पूछा।
“वोडका िमल सकती है?”
“ज़ र। ये रहा तु हारा वोडका।” उसने ख़श होकर कहा और वाइन लास म वोडका
उड़ेलने लगा, जब क लीना ने दो लेट िनकाल ल और उनम चावल और नॉन के साथ
िचकन ट ा मसाला, साग-मटन, कोकरी कबाब जैसे मांसाहारी ंजन परोसने लगी।
तैराक ने दोन क भूख को भड़का दया था। वे दोन एक साथ खाने पर टू ट पड़े। जहाँ
लीना वोडका से भरे िगलास का लु त उठा रही थी तो वह डॉ फ एक बेहतरीन और
आयाितत कॉच के साथ भोजन का आनंद ले रहा था।
“ डॉ फ।” लीना ने िचकन खाते ए कहा- “तु ह मुझे फ म म कोई दमदार रोल
दलाना होगा। म टेलीिवज़न म एक जैसे रोल करते-करते थक गयी ।ँ ”
“थोड़ा स करो मेरी बुलबुल। तु ह अ छी तरह पता है क ऐसी चीज म थोड़ा व
लगता है। कोई बड़ा टार तो तु हारे साथ काम करने को तैयार नह होगा और न ही बड़े
बैनर के ो ूसर तु ह हीरोइन के प म चुनकर कोई दांव खेलगे। म जानता ँ क थोड़े
समय के बाद सोप-ओपेरा सु त और उबाऊ हो जाते ह, ले कन तु ह तब तक के िलए वह
अटके रहना होगा, जब तक क तु ह कु छ उससे ब ढ़या और कु छ नह िमल जाता।”
“कभी-कभी मुझे लगता है क तुम मेरे कै रयर से यादा अपने क रयर पर यान देते
हो।” उसने िशकायती लहजे म कहा- “तुम तो पहले ही कई फ म म डांस डायरे शन कर
चुके हो और अगर मने सही सुना है तो आजकल तुम एक नया यूिजक ए बम भी कर रहे
हो।”
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“म ‘ना’ नह कह सका था। दरअसल वह ताव एक बड़ी यूिजक कं पनी से आया था।
उनका पेशकश शानदार था और इसके साथ ही वे मेरे ए बम को बड़े पैमाने पर ोमोट
करने का वादा भी कर रहे थे यानी क ब ढ़या सा चार, पूरी दुिनया का टू र और कई
यूिजक कं स स। ले कन तुम बे फ रहो, म तु ह अपने ए बम के यूिजक वीिडयो म ज र
लूंगा।”
“कभी-कभी मुझे ये भी लगता है क तु हारी इ छा का कोई अंत नह है।”
“ये तो अभी के वल शु आत है मेरी कोयल। बस कु छ महीने का और इं तज़ार करो। फर
देखो क मेरा इं ि ट ूट कस तरह फै लता है। मुझे पय का एक पहाड़ िमल गया है।”
डॉ फ ने अपने दो त रोिहत के बारे म सोचते ए कहा, “उसने अपनी एक बड़ी डील
फाइनल होने के बाद मुझे एक बड़ी एकमु त रक़म देने का वादा कया है। उससे म पूरे
शहर म अपने इं ि ट ूट क शाखाएँ खोलूँगा, आगे चलकर मेरे कू ल देश के हर बड़े शहर
म ह गे।”

“ले कन तुम एक को रयो ाफर, डांसर और संगर के प म अपने क रयर के साथ-साथ


ये सब कै से संभालोगे? तुम ए टर के िलए कोऑ डनेटर का भी काम करते हो।”
“मेरी मह वाकां ाएं ही मुझमे आग भत ह।” डॉ फ ने अपना लास फर से भरते ए
कहा, “म अपनी शाखा को चलाने के िलए कािबल लोग को काम पर रखूंगा। म
‘ चानहर इं टी ूट ऑफ परफॉ मग आ स’ को पूरे देश म एक जानी-पहचानी चाइजी
के प म थािपत करना चाहता ।ं ये िवदेश म मेरी सफलता क एक ऊंची छलांग होगी,
जो मुझे िस िवदेशी संगस और डांसस क भांित एक अंतररा ीय ांड म त दील
करे गा। दौलत, शोहरत, तारीफ़ और शि , मुझे ये सब कु छ चािहए और मुझे िमलेगा।”
“म तु हारे इसी ख़द पर यक न और ऊपर उठने क चाहत को सबसे यादा पसंद करती
।ं ” लीना ने शंसा मक लहजे म कहा।
“तुम इस शहर म मेरे संघष क गवाह रही हो और आज तुम देख रही हो क मेरे पास
सब कु छ है। या अब से के वल तीन या चार साल पहले हमने सोचा था क एक दन हम
दोन के पास ये सब कु छ होगा।”
“हाँ। हमारा अब तक का सफ़र एक सपने क तरह है।” लीना सहमत ई।
“के वल म ही था, जो शु आत करने से पहले ही इस बात को जानता था क मै यह सब
कु छ हािसल कर सकता ।ँ म अपनी बहादुरी, आग, ख़द पर िव ास और मेरा साथ दे रही
महान शि य के बलबूते पर ही जीवन म इतना ऊँचा उठा ।ँ जो कोई भी ये सोचता है
क वह मुझ पर लगाम लगा सकता है और मेरी उड़ान को रोक सकता है, वह िनरा मूख है।
म अजेय ।ँ ”
“म तु हारे जोश को पसंद करती ।ँ ” लीना ने बात क दशा को बदलने क कोिशश
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क । वह डो फ एक ही तरह क बाते सुनकर-सुनकर ऊब चुक थी। “के वल तुम ही हो,


जो िडनर का लु त उठाने के िलए ऐसे दलच प तरीके के बारे म सोच सकते हो। मेरा
मतलब है क इस तरह झील के बीच म और नाव पर। म भी तु हारे इस ए टेट क शौक न
।ं ये इतनी दलच प जगह है क जब म यहां होती ं तो ऐसा लगता है जैसे म काम के
बोझ और भागदौड़ भरी जं दगी से दूर छु ी पर ।ं ये क पना करना मुि कल होता है क
भीड़-भड़ाके वाली द ली के अ दर ऐसी शानदार जगह भी हो सकती है। यहाँ आकर कोई
भी ये क पना कर सकता है क वह व -नगरी म प च ँ गया है।”
“ या म नाव को वापस कनारे ले चलूँ ता क हम बंगले म जा सक?”
‘थोड़ी देर बाद। मुझे इस सुखद शांित औए एकांत का थोड़ा और आनंद लेने दो। ऐसे ही
पल मेरी थकान िमटाकर मेरी बैटरी चाज करते ह।”
“म तु हारे ो ूसर से बात क ँ गा और तु ह कु छ दन क छु ी दलवाऊंगा। मुझे
लगता है क तु ह छु य क स त ज़ रत है।”
“एक और बात डॉ फ।” उसने कु छ याद करते ए कहा- “म तु ह एक शानदार सुपर
ल जरी अपाटमट के िलए फर से ध यवाद देना चाहती ,ं जो तुमने गुड़गांव के
डी.एल.एफ. िसटी म मुझे दया ह।”
“मने के वल डाउन-पेमट कया है। बक लोन क मािसक क त का भुगतान तुम खुद कर
रही हो, इसिलए तु ह मेरा एहसानमंद होने क कोई ज रत नह है। म जानता ँ क तुम
वसंत िवहार ि थत मेरे घर म मेरे साथ रहने के िलए तैयार थी, ले कन मुझे अके ले रहने
क आदत है।”
“कभी-कभी तुम अजीब बात करते हो। ऐसे, जैसे तु हारा कोई गहरा राज है, जो म नह
जानती।”
डॉ फ चानहर के होठ पर एक रह यमयी मु कान िथरक उठी ले कन उसने उस
ट पणी का कोई जवाब नह दया और थोड़ी देर बाद ड गी को खेते ए झील के कनारे
ले आया। उसने नीचे उतरने म लीना क मदद क और उसक कमर म हाथ डालकर,
गुलाबी संगमरमर के गोल प थर पर चलते ये बंगले क ओर बढ़ गया। वह आज क रात
के पूरे मजे लेना चाहता था, य क आने वाले दन म उसके िज मे ब त से काम थे।
काले जादू के दो महारिथय के बीच तं -यु का मंच सज चुका था। एक अँधा तांि क
जो क करामाती छड़ी रखता था, िजसके बेतरतीब बाल और दाढ़ी थे, वह मुक़ािबल था
अपने से िब कु ल िवपरीत ित ं ी से। ऐसे दु मन से जो वहशी था, ू र था, आधुिनक
दुिनया म िवचरता था और िजसक ती ण आँख ले टनम तक को भी काटने क मता
रखती थ ।
आगामी लड़ाई से अनजान डॉ फ चानहर िवशाल भूभाग म फै ले ए टेट म अपनी
ेिमका के साथ रं गरे िलयां मना रहा था। उसे इस बात का कोई गुमान नह था क वह
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िबना कसी तैयारी या बचाव के उस भयंकर तबाही वाले बव डर का सामना करने वाला
था, जो क तूफ़ानी र तार उसक तरफ बढ़ रहा था।

वारलॉक 2
मौत क वादी

खंड 3
तांि को का यु
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अ याय 14
संदह
े का सांप

भारत म अ टू बर-नवंबर का महीना सामा यत दशहरा, दुगा-पूजा दीपावली, भाई-दूज


जैसे योहार से भरा आ होता है। योहार का ये िसलिसला नवरा से शु होता है,
िजसके नौ दन िह दू पंचाग म अ यंत मह व रखते ह। इन दन धा मक वृि के लोग
अ का एक दाना तक हण नह करते ह और कड़ा उपवास रखते ए मांस, म दरा, याज
जैसी उन सभी चीज से दूरी बनाकर रखते ह, िज ह तामिसक माना जाता है। इन दन
उ र भारत के शहर और क ब म ‘रामलीला’ का मंचन कया जाता है, िजसम अयो या
के राजकु मार भु ीराम के च र का अिभनय कया जाता है। रामलीला का समापन
दसव दन अथात दशहरा पर होता है। दशहरे वाले दन जब कोलाहल करते लोग क
िवशाल भीड़ के सामने असुर-स ाट रावण, उसके भाई कु भकण और बेटे मेघनाथ का
बीस से एक सौ बीस फ ट ऊंचा पटाख और फु लझिड़य से भरा पुतला जलाया जाता है
तो यह बुराई पर अ छाई क जीत का एक तीक माना जाता है।
बंगाल म ये समारोह ‘दुगा-पूजा’ के प म मनाया जाता है। पंडाल म माँ दुगा क
ितमाएं थािपत क जाती ह, जहाँ हर दन बंगािलय का एक बड़ा रे ला तब तक उमड़ता
रहता है, जब तक क दसव दन ितमा को समु या नदी म वािहत नह कर दया जाता
है। पूरे िव भर म बंगाली मूल के लोग का ये सबसे बड़ा यौहार है, जो पा रवा रक मेल-
िमलाप, नए काय क शु आत और हष लास का एक बड़ा अवसर होता है। सरल श द
म मां भगवती ान, कम और शि का सम वय ह। वे पिव शि ह, जो बार बार चलने
वाले एक अंतहीन च के तहत ज म भी देती ह, पालन-पोषण भी करती ह और अंत भी
करती ह।
िनबाध गित से चलने वाले योहार के उपरो िसलिसले के दौरान देश-िवदेश के कोने-
कोने से बंगाली समुदाय के लोग इक े होते ह और ‘दुगा-पूजा’ को अिव मरणीय बनाने का
भरपूर य करते ह। और द ली, जहाँ बंगािलय क एक बड़ी आबादी है, भी इसम
अपवाद नह है। िवगत वष म धा मक उ साह से प रपूण इस पूजा को लेकर यहाँ के लोग
के हष लास म चौमुखी वृि ई है। पूव म पटपरगंज से लेकर दि ण म ारका तक हर
गली-मोह ले म पंडाल थािपत कये जाते ह। ले कन इन सबके बीच बंगािलय का गढ़
िचतरं जन पाक अपने भीड़ से भरे बड़े-बड़े पंडाल के कारण आकषण का सबसे बड़ा क
होता है, जहाँ बेशुमार गैर-बंगाली भी आते ह।
शादी के बाद क पहली ‘दुगा-पूजा’ के प म यह संयोग पायल के िलए ख़ास था, जो
दल से िवशु बंगाली थी और अपनी सं कृ ित तथा पृ भूिम पर बेहद फ करती थी। वह
िन:संदह
े एक ख़ूबसूरत जवान मिहला थी, िजसका गोरा चेहरा एक ओज से चमचमाता
रहता था। उसके काले और ल बे बाल क ध के नीचे तक जाते थे, भ ह पूण प से तराशी
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ई, आँख िब लौरी और होठ का आकार दलकश था। ठु ी उसके गोल चेहरे को आकषक
प दान करती थी। उसक उँ गिलय के नुक ले नाखून पर हमेशा नवीनतम नेल-पॉिलश
होती थी और उसक हथेिलयाँ िब ली के पंजे जैसी नजर आती थ । वह भरे -भरे शरीर
वाली और पांच फ ट तीन इं च ऊंचे कद क थी।
उसने अपने पित से पहले ही कह दया था क िजस ब े को वह अपनी कोख म पाल
रही है, वह भगवती दुगा का वरदान है, इसीिलये वह अपने दा प य जीवन और ब े के
िलए माँ का आशीवाद लेने जाना चाहती है। उसक िजद के कारण अंतत: अभय को अपनी
सात महीने क गभवती बीवी को भीड़-भाड़ वाले पंडाल म ले जाने के िलए मानना पड़ा
था।
वे नरे श और शािलनी के साथ एक बड़े पंडाल म प च ं े। भगवती क ितमा के स मुख
पूजा-अचना करने और उनका आशीवाद लेने के बाद वे योहार के उ लास म शरीक ए।
िजस मैदान म दुगा-पूजा मनाई जा रही थी, उस मैदान म नाना कार क दुकान सजी ई
थ , िजनम साड़ी, बंदी, संदरू और चूिड़य क दुकान के साथ-साथ बंगाली कताब ,
यूिजक, सीडी, दै याकार हंडोले तथा मैरी गो राउं ड जैसे झूल और खाने पीने क चीज
क दुकाने भी थ ।
पायल के िज म पर िस क क नई साड़ी, माथे पर बड़े आकार क गोल बंदी, मांग म
संदरू , गले म मंगलसू और कलाईय म चूिड़याँ थ । काजल उसक बंगाली आँख को और
भी यादा ख़ूबसूरत बना रहा था। अपने आस-पास मौजूद उस बड़ी भीड़ म एक ख़ूबसूरत
मिहला क बाह म बाह डालकर चलते ए अभय थोड़ा असहज तो था क तु उसे फ भी
महसूस हो रहा था। वह इस बात से पूणतया अवगत था क भीड़ म दजन िनगाह पायल
के कारण उ ह ही घूर रही थ , जो एक फ म- टार क भांित बला क ख़ूबसूरत थी और
उस िवशेष अवसर पर तो वह कहर ही ढा रही थी। जब क अभय तीस के पेटे म प च
ं ा एक
मोटा इं सान था, जो समय से पहले ही आधा गंजा हो गया था।
खाने के टाल पर भारी भीड़ थी। उ ह ने मछेर झोल (पारं प रक फश करी), कोशा
मंगशो (बेहद कम मांस और अ यिधक मसाले म तैयार कया गया ंजन) जैसे मुंह म
पानी ला देने वाले ंजन का जायका िलया। और अंत म रोसोग ला (िमठाई), िजसके
बगैर बंगाली भोजन को पूण नह माना सकता था, के साथ अपने खान-पान का समापन
कया। जी भर कर खाने के बाद पायल ने खरीदारी क ओर ख कया। उसने खुद के िलए
साड़ी, संदरू , चूिड़याँ और अभय के िलए पारं प रक बंगाली कु ता-धोती क खरीददारी क ।
हडबैग, कताब, रिव -संगीत क सीडी के साथ-साथ और भी कई ऐसी चीज थ , जो
िवशेष प से कोलकाता से लाई गयी थ । इस पूरे महो सव के दौरान भारतीय कला और
सं कृ ित के गढ़ कोलकाता से आमंि त यूिजक बड ारा मंच पर बंगाली संगीत तुत
कया जा रहा था, जो खान-पान म िल लोग और दुकानदार को मनोरं जन का बेहतर
साधन मुहय ै ा करा रहा था।
उस शाम अपनी प ी के साथ िबताये ए हसीन ल ह के बाद अभय ने उसके साथ
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पूजा के दन के दौरान और भी कई पंडाल क सैर क । ये खुशी, आशा और भिव य क


उ मीद से भरे बे फ के दन थे और पायल उन खौफनाक घटना को लगभग भूल गयी
थी, जो िपछली सद के दन म ू र वारलॉक के कारण वजूद म आये थे।
नवयुगल कशोर क तरह उस जोड़े ने एक-दूसरे के िलए अपने यार का बार बार
इजहार कया। पायल को अपनी अंतरा मा म एक नयी योित क अनुभूित हो रही थी।
उस ण तो पायल क खुिशयाँ दुगनी ही हो गय , जब उसके माँ-बाप अपनी बेटी और
दामाद के साथ पूजा मनाने के िलए आ गए। उसे एहसास हो रहा था क वह देवी के इस
आशीवाद के िलए उनका कभी ध यवाद ापन नह कर सकती है। इस बार क पूजा उसके
पूरे जीवन क सबसे यादगार पूजा म से एक थी। वह अपने ब े को ज म देने के बेहद
करीब थी, इस बात से पूणत: अनिभ क ार ध ने उसके िलए या सोच रखा है।

कनाट लेस म शाम क भारी ै फक के बीच अभय कार ाइव कर रहा था। य िप
उसने महंगा सूट और उसी से मैच करता टाई भी पहन रखी थी, क तु फर भी वह पाट
करने के मूड म नह था। य द ये उसके सहकम क शादी न होती तो वह प ा उसे छोड़
देता। इसका कारण पायल और उसके बीच ई वह भयंकर झग़डा था। िशमला म अपने
म मी-पापा से फोन पर ल बी बात-चीत करने क पायल क आदत से वह तंग आ चुका
था। उसक हर छोटी से छोटी बात जैसे क उसका मूड, उसने खाने म या बनाया और
मौसम से जुड़ी गपशप कभी ख़ म ही नह होती थी। इन सबके बीच वह अपने कू ल,
कॉलेज के दन के स और अपने जैसी न जाने कतनी नवो दत अिभनेि य से भी बात
करने का समय भी िनकाल लेती थी।
जब उसने अपनी बीवी को शादी म जाने के िलए तैयार होने क बजाय फोन से िचपके
देखा तो उसका पारा चढ़ गया था। यही वजह थी, जो वह पायल के साथ बेहद कठोर ढंग
म पेश आया था। वभाव से अिड़यल पायल ने भी अपने पित के कड़वे सुर म सुर िमला
दया था और देखते ही देखते उनक बहस झगड़े म त दील हो गयी थी। पायल ने खून म
उबाल ला देने और दल को चुभने वाले अंदाज़ म अभय क ग़लितय और किमय को
िगनवाना शु कर दया िजससे वह और भड़क गया।
पायल ने अपने कमरे म जाकर दरवाजे को इतनी जोर से बंद कया क हैरानी थी क
वह अपने क जे से नह उखड़ा। ोध म तमतमाया आ अभय भी बंद दरवाजे के बाहर से
पायल पर चीखा तथािप उसे उसक ओर से कोई ित या नह िमली। वह बेहद खराब
मूड के साथ शादी म जाने के िलए तैयार आ। जाने से पहले उसने एक टू ल पर खड़े
होकर रोशनदान के ज रये कमरे म झांका। उसे पायल, माँ काली क मू त के सामने बैठी
ई दखाई दी। उसक बगल म वह तावीज़ पड़ा आ था, जो तांि क भैरो ने उसे दया
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था। उसने ितमा के सामने एक जोत विलत क ई थी, िजसक लौ कसी सांप के जीभ
क मा नंद लपलपा रही थी। उस रोशनी म पायल के चेहरे क रं गत अजीबोगरीब नजर
आ रही थी। वह अपने खुले ए बाल के साथ स मोिहत अव था म बैठी ई थी और
उसक सुलगती ई आँख शू य म ठहरी ई थ । न जाने य अभय को डर महसूस आ।
उसे लगा क वह पायल नह थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह तं और तामसी साधना म
डू बी ई कोई रह यमयी और अंजान बंगालन थी। एक ऐसी डरावनी औरत , िजसे न तो
वह पहचान पा रहा था और न ही िजसके साथ वह अपना कोई स ब ध महसूस कर पा
रहा था।
बहरहाल इस समय वह कनॉट लेस म भारी ै फक जाम को कोसते ए अपनी कार
ाइव कर रहा था। बुरे अनुभव से भरी अभय क शाम अभी ख़ म होने से कोस दूर थी।
सहसा उसक कार रे ड लाइट पर आकर बंद हो गयी। कार को दोबारा टाट करने म
असफल होकर उसने उसे ध ा लगाकर कनारे लगा दया, ता क पीछे के वे वाहन पार हो
सक, जो ज़ोर से लगातार हॉन बजाये जा रहे थे। उसने चाबी को इि शन म कई बार
घुमाया क तु नतीजा िसफर रहा। उसने बोनट खोला क तु वह उसमे कोई खराबी न ढू ंढ
सका। खीझ कर उसने टायर पर लात मारी और अंतत: ऊहापोह म डू ब कर कार के पास
खड़ा हो गया, उसके पीछे रोशनी क चमक ली रे खा के प म कार के हेडलाइट क एक
अंतहीन पंि नजर आ रही थी।
थोड़ी देर बाद उसके ‘ए टीम’ के सामने एक एस.यू.वी. क और उसका ाईवर बाहर
आया। अभय ने देखा क वह डो फ चानहर था, जो दबंग अंदाज म चलते ए उसके
पास आया और गमजोशी से उससे हाथ िमलाते ए स िच लहजे म पूछा- “अभय,
कै से हो मेरे दो त? कार म कोई खराबी है?”
अभय ने हाथ िमलाया और कहा- “हाँ, इं जन टाट नह हो रहा।”
“मुझे देखने दो।” डो फ ने कहा और इि शन म चाबी को घुमाया क तु नतीजा फर
से िसफर रहा। “लगता है बैटरी डेड हो गयी है। कोई बात नह । म कार हे पलाइन को
फोन करता ,ँ वह सब ठीक कर दगे।” उसने जेब से अपना महंगा सेलफोन िनकाला और
कसी न बर पर बात करने के बाद उसने कहा “जब तक वह नह आ जाते, तब तक आओ
मेरी कार म बैठो।”
उसका अंदाज इस कदर दो ताना, िवन , सौहाद और सहयोग से भरा था क अभय
इं कार न कर सका और अपनी कार के शीशे चढ़ाकर उसे लॉक करने के बाद डो फ क
टोयोटा ैडो क उसी सीट पर जा बैठा, िजस पर पायल तब बैठी थी, जब वह उसे अपने
फामहाउस म ले गया था। इस बात से अनिभ अभय ने कार के अंद नी सजावट को
शंसा मक दृि से देख रहा था। वहां फ़ै ली मीठी लैवडर क खुशबू उसक साँस म उतर
गयी। डो फ ने एयर कं डीशनर और सीडी लेयर ऑन कर दया। शि शाली एयर
कं डीशनर क ठं डक के साथ कार म मधुर संगीत गूँज उठा। डो फ ने अभय को िसगरे ट क
पेशकश क और उसके िसगरे ट को अपने सोने के लाइटर से सुलगाने के बाद खुद भी एक
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िसगरे ट सुलगा िलया। कसी अनुभवी मोकर क तरह नाक से धुआं बाहर िनकालते ए
उसने पूछा- “तुम कहाँ जा रहे हो अभय?”
“ताज मान संह होटल।” अभय ने जवाब दया- “एक कलीग क शादी है वँहा।”
“अरे , म भी तो वह जा रहा ।ँ तुम मोिहत, यानी क दु हे के दो त हो?”
“नह ! मुझे अंजिल यानी क दु हन क ओर से इ वाइट कया गया है, जो मेरे ऑ फस
म काम करती है।”
“और दु हन का बड़ा भाई मेरा ड है। ये दुिनया कतनी छोटी है, है न?”
कार हे पलाइन क मा ती वैन वहां प च
ँ गयी और कार का मुआयना करने के बाद
उ ह ने बताया क उसक बैटरी िड चाज हो चुक है। चूं क उनके पास 'ि व ट' कार क
बैटरी नह थी, इसिलए उ ह ने उसके िलए अपने क ोल म म फोन करके पूछा। दूसरी
वैन के वहां आने और बैटरी को बदलने म कम से कम आधा घंटा लगना था, इसिलए
डो फ ने उ ह कार क बैटरी बदलकर उसे ताज मान संह होटल तथा ओ रिजनल बैटरी
को रचाज करके अगली सुबह अभय के कनाट लेस ि थत ऑ फस प च ं ाने को कह दया
और त प ात िववाह- थल को रवाना हो गया।
अभय एक बार फर डो फ़ चानहर के ि व से उसी कार भािवत आ, िजस
कार उससे पहली दफा िमलने पर आ था। सलीके से िसला आ सूट और मगरम छ क
खाल के जूते पहनने के बाद वह उससे कह यादा है डसम दख रहा था, जैसा वह टीवी
शोज म नजर आता था। वह जगमगाते ए इं िडया गेट के इलाके म आने वाली सडक पर
मौजूद ै फक के बीच तेज र तार से क तु पूरी द ता के साथ ाइव कर रहा था।
िजस पतरे बाजी के साथ वह कार को ै फक के बीच से िनकाल रहा था, उससे साफ़ था
क अपनी कार पर उसका पूण िनयं ण था। हालां क अभय खुद भी एक कु शल ाईवर था,
कं तु इस तरह क ाइ वंग वह के वल सपने म ही कर सकता था।
“बधाई हो यार! मने सुना क तुमने मेरी ए स टू डट शादी कर ली है। तुम दोन मुझे
बुलाना भूल गए, है न? कोई बात नह , म तुम दोन खुश रहने क कामना करता ।ं ”
“थ स, िम टर चानहर!” अभय ने कहा।
“ या बात है भाई, तुम बीमार नजर आ रहे हो?” डो फ ने मु कु राते ए पूछा। उनक
कार ै फक जाम से बाहर आ चुक थी। डो फ ने गोल-मोल अंदाज म बातचीत शु क -
“अगर तु ह डर है क म तु ह म य थ बनने के िलए क गं ा और पायल के साथ समझौता
कराने म तु हारी मदद मागूंगा तो भूल जाओ। म अ छी तरह जानता ं क तुमने िजस
मिहला से शादी क है, वह एक िज ी शि सयत होने के साथ-साथ हठधम भी है। कहा
गया है क तीन कार क िज से पार नह पाया जा सकता है, ी हठ, बाल हठ, और
राज हठ यानी क एक मिहला, ब े और राजा क िज ।”
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न चाहते ए भी अभय को पायल क वह िज और हठध मता याद आ गई, जो उसने


उसे आज शाम दखाई थी।
“मुझे खेद है क म इस मामले म आपक कोई मदद नह कर पाऊंगा।” उसने कहा।
“जैसा क मने कहा, म तु ह हम-दोन के बीच म नह ख चना चाहता ।ँ और तुम इसे
मानो या न मानो, मने तु ह हमेशा अपने दो त के प म देखा है। मेरा मानना है क हम
पंजािबय क िबरादरी एक बड़ा प रवार है और उस िहसाब से म तु ह एक साथी पंजाबी
के नाते अपना छोटा भाई मानता ।ं ” उसने उदार होने का दखावा करते ए कहा- “मुझे
कभी-कभी हैरानी होती है क तु हारे जैसा द ली का लड़का उस बंगाली लड़क पर कै से
फ़दा हो गया?”
“जब दो लोग पर पर ेम करते ह और एक-दूसरे का साथ िनभाने क कसम खा चुके
ह तो कोई भी शादी सफल हो सकती ह।”
“सच म?” डो फ ने ण भर के िलए सड़क से अपनी िनगाह हटाते ए पूछा।
उनका बाक का सफर खामोशी म कटा और लगभग आधे घंटे बाद वे िववाह- थल पर
प च
ँ े और मेल-िमलाप क औपचा रकताएं पूरी करने के बाद डो फ ने अभय को फर से
अपने साथ शािमल कर िलया। दोन ने वा द नॉन-वेजेटे रयन ै स का जायका िलया
त प ात डो फ ने क़ मती कॉच को पीते ए कहा- “अभय, म के वल एक शुभ चंतक
होने के नाते पूछ रहा ं क या तुमने पायल से शादी करने से पहले उसके बारे म कोई
त तीश क थी?”
“त तीश करने के िलए था ही या? वह एक स य प रवार क जवान, ख़ूबसूरत,
िशि त और बुि मान मिहला है।”
“ओह! ले कन तुम भूल रहे हो क वह एक बंगाली है और ये बंगाली लोग हम पंजािबय
से िब कु ल अलग होते ह। हमारा दल बड़ा होता है, कभी-कभी हम दखावा ज र करते
ह ह ले कन कसी के ित कोई पदा नह रखते ह। हमारा जीवन खुली कताब क तरह
होता है। हम चाहे कसी से यार कर या नफरत, उसे खुलकर वीकार करते ह। ले कन
तु हारी बीवी एक ऐसी सं कृ ित से है, िजसके िस ांत, वहार और जीवन जीने के तौर-
तरीके िब कु ल अलग ह। िसफ खान-पान क आदत और िचयां ही नह , बि क ब क
परव रश करने का बंगािलय का तरीका, वहार और रहन-सहन भी हमसे ब त कम
िमलता-जुलता है। य द तु हारे माँ-बाप िज दा होते या तु हारा कोई करीबी र तेदार या
भाई-बहन होते तो शायद वे तु ह आगाह कर सकते थे या कम से कम शादी से पहले लड़क
क पृ भूिम को लेकर थोड़ी पड़ताल कर सकते थे।”
“ या आप ये सब बात इसिलए नह कह रहे ह य क आप मेरी प ी से नफरत करते
ह?”
“ध यवाद िम टर अभय! आपसे बात करके अ छा लगा। मेरे िलए ये शाम बेहद
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खुशनुमा रही। जाने से पहले म तु ह अपना दो त और छोटा भाई मानने और तु हारे िहत
क चंता करने क अपनी गलती के िलए मा चाहता ।ँ म िव ास दलाता ं क
भिव य म ऐसा कभी नह क ं गा।”
“म स त नह होना चाहता था िम. डो फ!”
“म मानता ं अभय क म तु हारी बीवी का शंसक नह ,ं ले कन ऐसा नह है क
इस वजह से मने इन बात का िज कया। मेरा पेशा ही ऐसा है क म लगातार या ाएं
करता रहता ँ और िन य ही िभ -िभ पृ भूिम के लोग के संपक म आता रहता ।ं म
तुमसे अिधक उ का और अनुभवी भी ,ं खासकर मिहला के मामले म। म हर रोज
पायल जैसी दजन लड़ कय से िमलता ं और इसीिलए उनक िज मानी खूबसूरती से
यादा भािवत नह होता ।ं ”
“पायल और आपके बीच पेशेवर र ता बेहद तनावपूण रहा है। म उन बात पर यहाँ
बहस नह क ं गा, जो उसने पुिलस क लेन म दज कराई थी, ले कन इसका मतलब ये
नह है क वह एक अ छी इं सान नह है या बंगाली लोग स य नह होते ह।” अभय ने
ि ह क का तीसरा िगलास खाली करते ए कहा।
डो फ ने बाय हाथ के इशारे से एक वेटर को बुलाया और उसक े से एक भरा आ
िगलास उठाकर अभय को थमा दया। उसने बगैर कसी ज दबाजी के धैयपूवक जवाब
दया- “तु हारे सम या क मु य जड़ मिहला के मामले म तु हारी अनुभवहीनता है।
तुम पहले-पहल जो ख़ूबसूरत चेहरा देखते हो, उसी पर फसल जाते हो। अगर मुझे ये पता
चले क उसने तुम पर तं या काला जादू कया है, तो मुझे कोई हैरानी नह होगी य क
वह बंगालन देवी काली क उपािसका है और अलौ कक तथा तांि क गितिविधय म
गहरी आ था रखती है।”
अभय को उस दन क बात याद आ गई, जब उसने एक अंधे तांि क को पायल को एक
ताबीज देते ए देखा था, िजसे वह उससे िछपाने क कोिशश कर रही थी और साथ ही उस
शाम पायल म आ रह यमयी प रवतन भी उसक आँख के सामने घूम गया। उसने
डो फ को मूख क मा नंद घूरा। उसके मन म, न चाहते ए भी, संदह े का बीज गहराई
तक पनप चुका था।
“ डो फ! मेरे यार!” तभी एक आदमी आया और उसने गमजोशी के साथ डो फ को
गले लगा िलया।
“ये मेरा यार रोिहत मीरचंदानी है और रोिहत, इनसे िमलो, ये अभय बतरा है।”
डो फ ने उनका प रचय करवाते ए कहा।
अभय से हाथ िमलाने के बाद रोिहत, डो फ क ओर घूमा और उ ेिजत लहजे म
बोला- “मने तुमसे कहा था न क तु हारे पास आने से पहले िशमला और कोलकाता म भी
उस बंगालन का एक अफे यर रह चुका था? के स क त तीश के िलए तुमने िजस ाइवेट
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िडटेि टव को रखा था, वह बता रहा था क वह तो एक बदनाम और च र हीन औरत है,


जो....।”
“रोिहत!” डो फ ने फटकार भरे लहजे म कहा- “लगता है तुमने यादा पी रखी है।”
“उस चेहरे को लेकर कोई या करे गा जो...।”
“मने तु ह बताया था न...।” डो फ ने एक बार फर उसक बात को काटते ए कहा-
“ क अभय ने हाल ही म मेरी ए स टू डट िमस पायल चटज से ाह रचाया है?” उसने
अपने दो त क ओर अथपूण ढंग से देखते ए कहा।
“ या? ये...ये..तु हारा मतलब है क ‘उस’ पायल के साथ?” रोिहत ने भौच होने का
अिभनय करते ए कहा।
“म तुमसे बाद म िमलता ँ अभय। तुम चलो रोिहत!” डो फ ने अपने दो त क बांह
पकड़कर उसे ख चते ए कहा।
ले कन तब तक देर हो चुक थी। अभय के िलए सब-कु छ समझना उतना ही सरल था,
िजतना दो और दो को जोड़ना। न चाहते ए भी उसे घर पर आने वाले उन फोन का स क
याद आ गयी, िजसके दूसरे िसरे से उसक आवाज सुनने के बाद कोई जवाब नह दया
जाता था और उसके फोन म फट कॉलर आइड ट फके शन िडवाइस ये सूचना देता था क
वे कॉ स कह दूर कोलकाता और िशमला से आते थे। पायल इसे नजअंदाज कर देती थी
और इस बारे म अनिभ ता जता देती थी क बार-बार इस तरह के कॉल करने वाला और
मदानी आवाज सुनने के बाद कॉल िडसकने ट करने वाला कौन हो सकता है। ले कन फर
भी अभय क इ छा अपनी बीवी, िजससे वह बेइंतहा मोह बत करता था, को संदह े लाभ
देने क थी। उसे लगा क उसक क पना के घोड़े तेजी से दौड़ रहे ह। सुनी-सुनाई बात के
आधार पर उसने खुद से तक करने क कोिशश क । ‘उसक पायल उसे धोखा नह दे
सकती। लानत है डो फ और उसके दो त पर, जो ऐसा बोल रहे ह।’ उसने अपना िगलास
ख़ म कया और बुफे िडनर के िलए चला गया। थोड़ी देर बाद कार हे पलाइन से मैकेिनक
आया और उसने अभय को उसक कार क चाबी स प दी। शादीशुदा नवयुगल को
शुभकामनाएं देने और दु हन के माँ-बाप तथा फं शन म आये मेहमान से िमलने-जुलने के
बाद अभय वहां से िनकल गया। उसने डो फ से दोबारा िमलना गंवारा नह कया। वह
होटल से बाहर िनकला और अपनी कार क सीट पर बैठ गया।
उस व वह पूरी तरह से अपने िवचार के िनयं ण म था और बेमन से कार ाइव कर
रहा था, िजस व कार से भरे एक क ने उसे गलत साइड से यू रोहतक रोड पर
ओवरटेक कया। उसने कार के काँप उठे टीय रं ग को कस कर पकड़ िलया। ये महसूस होते
ही क कार बुरी तरह लहरा उठी है तो वह खौफजदा हो गया। टीय रं ग पर से उसके हाथ
फसलने लगे।
उसक कार खतरनाक अंदाज से दािहनी और घूमी और उसने एक खंबे को अपनी आँख
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के सामने लहराता आ देखा त प ात वंड न के टू ट कर अनिगनत टु कड़ म िबखरने


के कानफोडू शोर के बीच सब-कु छ गत हो गया। इसके साथ ही वह असहनीय दद और
सदमे से होश गंवाता चला गया।

जब अभय को होश आया तो उसने खुद को सड़क के कनारे एक चारपाई पर पड़े ए


और भीड़ से िघरा आ पाया। क और टे पो ाईवर, मजदूर, चाय और ढाबे पर काम
करने वाले और उस इलाके के आस-पास के लोग के अंजान चेहरे उस पर झुके ए थे।
उसने देखा क उसका सूट जगह-जगह से फट चुका था और समूचे िज म पर खर चे आ
गयी थ । टीय रं ग पर जंहा उसका िसर टकराया था, वहां लगी चोट से खून बह रहा था,
िजसके छ टे उसक सूट और शट पर भी नजर आ रहे थे। उसक टाई गदन से झूल रही थी।
कसी ने िसर के ज म से रस रहे खून को रोकने के िलए वहां कपड़ा बाँध दया था।
“ या आ था बाउजी? आप ठीक तो ह? भगवान का लाख-लाख शु है क आपने
दुघटना म अपनी जान नह गंवाई। आप ब त भा यशाली ह। आपने अपने िपछले ज म म
ज र अ छे कम कए रहे ह गे जो िज दा बच गए।” उपरो क म क बात अभय से कही
जा रही थ , जो इस ण तेज च र और िसर तथा बाह म दद क चुभन महसूस कर रहा
था।
“मेरी कार कहाँ है?” उसने पूछा।
भीड़ ने अगल-बगल होकर उसे सड़क क ओर देखने के िलए रा ता दया। अभय का मुंह
आ य से खुला का खुला रहा गया, जब उसने देखा क उसक कार सड़क के बीच बने
िडवाइडर पर चढ़कर िबजली के ख भे से जा टकराई थी, िजसके कारण कार क बोनट
और इं जन आग क िगर त म आ गये थे। हेडलाइ स भी टू ट चुक थ । वंड न और
रयर लास, दोन ही व त हो चुके थे और पूरे रोड पर कांच के टु कड़े िबखर गए थे।
आगे के ब पर, बोनट और इं जन चपटे हो गए थे, िजसके कारण सामने से कार मिचस
क तीली के िड बे भांित चपटी नजर आ रही थी। उस भयावह दुघटना क याद के तौर पर
इं िडके टर का एक पीला ब ब लगातार लपलपा रहा था। ये महसूस करते ही कस कदर
मौत ने उस पर झप ा मारा था, अभय के िज म म झुरझुरी दौड़ गयी। ये वा तव म
चम कार ही था, जो उसे धराशायी हो चुक कार से ज़ंदा बाहर िनकाल लाया था।
एक क ाईवर, जो कार का बारीक से मुआयना कर रहा था, अभय के पास आया और
बोला- “बाउजी, आपक कार का बायाँ पिहया िनकल गया था, िजसके कारण से ए सीडट
आ। मने ऐसा तो कई बार देखा ह क चलती गाड़ी के टायर के फटने से ए सीडट हो
जाता है ले कन इस तरह से कभी भी पिहये बाहर नह िनकलते ह। हालाँ क कभी-कभी
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पिहये के आयरन रीम के पास कसा आ कोई नट जंग के कारण टू ट जाता है ले कन फर


भी यह एकदम से नह टू टता है। और फर ऐसी ि थित म के वल एक या दो नट ही टू टते ह।
मने तो ऐसा कभी न देखा है न सुना है, क चलती कार के पिहये के पाँच नट एक साथ ही
बाहर िनकल गए ह । ये तो िब कु ल वैसा ही लगता है, जैसे कसी जादू ने उ ह बाहर
िनकाल दया हो।”
“ओये बलबीर! बकवास मत कर” उ दराज क ाईवर म से एक ने उसे डांटा-
“बाउजी को य खामखा डरा रहा है।”
“म के वल सच बता रहा ।ँ ऐसे ए सीडट इं सानी भूल के कारण नह होते ह। और ये
के वल भगवान ही है िजसने बाउजी को बचा िलया वरना ऐसे ए सीडट से कोई नह बच
सकता था। बाउजी, आपको तो मं दर जाकर शाद चढ़ाना चािहये।”
इससे पहले अभय कह पाता, उस इलाके का कां टेबल वहां प च ँ गया और पूछ-ताछ
का िसलिसला चल िनकला। उसने अभय के साथ अपनी सहानुभूित क और उसके
सामने पुिलस क ोल म क जीप म हॉि पटल चलने को कहा, जो दो चौराहे क दूरी पर
खड़ा था। ले कन अभय ने कह दया क उसे इसक कोई ज रत नह है। वह जैसा नजर आ
रहा है, उससे कह अिधक बेहतर ि थित म है। हालां क पुिलस वाला सहमत तो नह आ
क तु फर भी उसने अभय का नाम, िनवास और उसके ऑ फस का पता तथा टेलीफोन
नंबर नोट करने के बाद उसे जाने क अनुमित दे दी। उसने अभय को सूिचत कया क सुबह
दुघटना त गाड़ी को टो करने वाली गाड़ी से ले जाया जाएगा और सहायता के िलए वह
उस इलाके के पुिलस टेशन या फर उससे उसके मोबाइल पर संपक कर सकता है।
अभय ने अपनी ओर से कां टेबल और उन सभी लोग को ध यवाद दया, िज ह ने उसे
बचाया था और उसक मदद के िलए हरसंभव यास कया था। उसने महसूस कया क वे
गरीब और आम आदमी अिधक संवेदनशील और दयालु थे, बिन पत िशि त, धनी और
शहरी लोग के । जब भी कोई दुघटना या हादसा होता है या कोई मुसीबत म होता है तो ये
बेनाम लोग पीिड़तो को बचाने और उसक मदद करने के िलए हमेशा आगे रहते ह। फर
भी उनक स दयता न तो कभी मीिडया ारा पहचानी जाती है और न ही सरकार ारा
स मािनत क गयी। िजन लोग क वे मदद करते थे, उनका हा दक आभार ही उनका
पा र िमक था। बड़े दल वाले वे ईमानदार लोग कसी से इससे यादा क मांग भी नह
करते थे।
जब क िशि त लोग इन लोग के ठीक उलट होते ह, जो तमाम दुघटना और
ास दय को अपनी वातानुकूिलत कार म से ही नजरअंदाज कर देते ह। वे अपनी कार के
काले शीशे क सुर ा क आड़ म रहकर दूसर के संकट और दुभा य से कनारा कर लेते ह,
भले ही वह वयं उ ह क तरह संप समुदाय से ही य न हो। उनके िलए ये सब एक
सड़कछाप तमाशे से यादा कु छ नह होता है, िजसम शािमल होना उ ह गंवारा नह होता
है। उनके िलए दुघटना के िशकार कसी ि क मदद करने से कह यादा ये मह वपूण
होता है क वे कसी तरह कार लेकर वहां से िनकल जाएँ य क वे खून से लथपथ कसी
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इं सान को अ पताल प च
ं ाने क तुलना म कसी सराय क भांित अपने कार क सफाई को
अिधक तरजीह देते ह। घायल या मरते इं सान क मदद करने या उसे पानी िपलाने से
यादा मह वपूण काम उनको उसका अपने मोबाइल से उसका वीिडयो बनाना लगता है.
जब अभय कै ब म बैठ रहा था तो उसके दमाग म इसी तरह के िवचार उमड़-घुमड़ रहे
थे। उसने ाइवर को अपने घर का पता बताया और सीट क पु त से िसर टकाकर उसने
अपनी थक ई आँख बंद कर ल । उसने याद आ रहा था क क ाईवर ने उस ए सीडट
के बारे म कै सी हैरतंगेज और अनोखी बात बताई थ । थोड़ी देर पहले डो फ ने भी कहा
था क बंगाली लोग तं -मं म गहरी दलच पी रखते ह और तांि क उनके जीवन का एक
अहम िह सा होते ह। शाम को पायल का वहार और उसक गितिविधयाँ भी काफ
असामा य और सं द ध थ । ‘तो या वह इस हद तक गु सा थी क उसने मुझ पर काले
जादू का योग कर दया?’ उसने सोचा- ‘तो या मील दूर बैठकर वह उस दुघटना का
कारण बन सकती है?’
जब तक वह घर नह प च ं गया, तब तक शंका क बदली उसके मानस पटल पर छाई
रही। ले कन पायल के ित उसके सभी शक-शुबह और ोध उस व गायब हो गए, जब
उसने पाया क उसक प ी उसे देख कर बुरी तरह च क उठी थी। उसने उसके सभी
आ ासन को नजरअंदाज करके तुरंत डॉ टर को बुलाया। िजसने उसके ज म को साफ
करके ठीक से े संग क और दवाएं िलखी, िजनम एंटीबायो ट स और पेन कलर (दद-
िनवारक) दोन शािमल थे। पायल खुद जाकर पास के ही एक न सग होम के प रसर म
मौजूद चौबीस घंटे खुले रहने वाले मेिडकल शॉप से वे दवाएं ले आयी। सहयोग करने के
मामले म डॉ टर इतना उदार था क वह देर रात गए पायल के साथ मेिडकल टोर तक
गया और उसके साथ ही वापस भी आया। उसने चेक-अप के िलए सुबह वापस आने का
वादा भी कया और स त िहदायत दया क अभय अगले दन उसके ि लिनक म आए
ता क वह ए स-रे और कु छ ज री लेबोरे टरी टे ट के ज रये उसके बाहरी और अंद नी
ज म क जांच करके ये सुिनि त कर सके क कह हि य और िसर म कोई ऐसा ै चर
तो नह है, जो बाद म िसर उठाये।
पायल रात भर अभय के पास बैठी रही। अगली सुबह अभय िपछली शाम क बात
और डो फ से अपनी मुलाकात को भूल चुका था। अपनी बीवी के बारे म उसका शक अब
उसे एक बुरे सपने क भांित लग रहा था। और संदह
े के साँप ने उसके जेहन म अपना जो
बदसूरत फन उठाया था, उसे उसने कु चल दया था या कम से कम उसने तो ऐसा ही सोचा
था। इसम कोई संदह े नह था क डो फ ने अभय के जेहन म शक के जो बीज बोए थे, वे
एक जहरीले वृ के प म िवकिसत होकर उसक तक मता को न कर देने म पूणतया
स म थे। हालां क इस बाबत अभय को मादान दया जा सकता था य क वह अपनी
प ी क भांित डो फ के िनहायत ही यादा कमीनेपन और दु ता क सीमा से वा कफ
नह था।
जब तक वह घर नह प च
ं गया, तब तक शंका क बदली उसके मानस पटल पर छाई
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रही। ले कन पायल के ित उसके सभी सुबहे और ोध उस व लापता हो गए, जब उसने


पाया क उसक प ी उसे देख कर बुरी तरह च क उठी थी। उसने उसके सभी आ ासन
को नजरअंदाज करके तुरंत डॉ टर को बुलाया। िजसने उसके ज म को साफ करके ठीक से
े संग क और िनधा रत दवाएं पेस ाइब क , िजनम एंटीबायो ट स और पेन कलर
दोन शािमल थे। पायल खुद जाकर पास के ही एक न सग होम के प रसर म मौजूद
चौबीस घंटे खुले रहने वाले मेिडकल शॉप से वे दवाएं ले आयी। सहयोग करने के मामले म
डॉ टर इतना उदार ज र था क वह देर रात गए पायल के साथ मेिडकल टोर तक गया
और उसके साथ ही वापस भी आया। उसने चेक-अप के िलए सुबह वापस आने का वादा
भी कया और स त िहदायत दया क अभय अगले दन उसके ि लिनक म आए ता क वह
ए स-रे और कु छ ज री लेबोरे टरी टे ट के ज रये उसके बाहरी और अंद नी ज म क
जांच करके ये सुिनि त कर सके क कह हि य और िसर म कोई ऐसा ै चर तो नह है,
जो बाद म परे शानी का सबब बन जाये।
पायल रात भर अभय के पास बैठी रही। अगली सुबह अभय िपछली शाम क बात
और डो फ से अपनी मुलाकात को भूल चुका था। अपनी बीवी के बारे म उसका शक अब
उसे एक बुरे सपने क भांित लग रहा था। और उसने संदह
े के उस साँप को िजसने उसके
जेहन म अपना बदसूरत फन उठाया था, उसे उसने कु चल दया था - कम से कम उसने तो
उस समय ऐसा ही सोचा था। इसम कोई संदह े नह था क डो फ ने अभय के जेहन म
शक के जो बीज बोए थे, वे एक जहरीले वृ के प म िवकिसत होकर उसक तक मता
को न कर देने म पूणतया स म थे। हालां क उसक अनिभ ता के िलए अभय को माफ़
कया जा सकता था य क वह अपनी प ी क भांित डो फ के कमीनेपन और दु ता क
सीमा से वा कफ नह था।

अ याय 15
तांि क क जंग
ऐितहािसक काल म सात न दय क भूिम और पूरब क सोने क िचिड़याँ कहे जाने
वाले भारतवष को उसक अथाह संपदा के िलए कई आ मणका रय ारा अनेक बार
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लूटा खसोटा गया। उन लोग म ण थे और बाद म अरे िबयन ाय ीप के मुसलमान भी,


जो 712 ईसवी के आस-पास संध को फतह कर वहां पहले ही अपना शासन जमा चुके थे।
बाद के दन म तु कय क जाित से िनकले मुि लम आ मणका रय ने बारहव सदी के
अंत तक द ली म अपनी स तनत थािपत कर ली थी।
ले कन वह काबुल के आ मणकारी बाबर का बेटा मायूं था, िजसने द ली म मुग़ल
(मंगोल के िलए यु फारसी श द) राजवंश क न व रखी और उस राजवंश ने
फारिसय , तु कय और मुगल के िवरोधी यूरोिपय के आने तक देश पर शासन कया। इस
बार पुतगाली, ांसीसी और एं लो-सै सन क ापा रक सेना ने ीक और रोमन क
जगह ले ली और गोरी चमड़ी वाल ने मुगल के वच व और आिधप य को चुनौती दे
डाली। िवजय और िवलय क एक ल बी ृंखला के बाद भारत पर मुि लम वंशीय शासन
पतन क कगार पर आ गया, िजसम बहादुर शाह ज़फ़र ि तीय अंितम मुग़ल स ाट
सािबत ए।
फारसी-मुि लम राजवंश ने भी इस देश पर अपनी अिमट छाप छोड़ी। स पूण उ र-
पि मी भारत, िजसने आ मण का दंश सबसे अिधक झेला है, उन मारक और
कलाकृ ितय से भरा पड़ा है, जो आज भी उस युग के वसीयतनामे के तौर पर ल बे समय से
खड़े ह। कह -कह यह भाव देश क भाषा ( फ़ारसी और उदू), खान-पान (मुगलई
ंजन), सं कृ ित (फारसी/मुि लम परं परा ) और वा तुकला पर बेहद प दखाई देता
है। आगरा म ताजमहल से लेकर द ली म लाल कला तक, मुग़ल राजघराने क क से
लेकर मुि लम फक र को सम पत दरगाह तक, शहर और क ब के सामािजक प रदृ य
तक म उनके वा तुिश प और सं कृ ित का भाव िवरासत के तौर पर िबखरा आ है।
स दय से स ा का संहासन होने के अपने गुण के कारण द ली शहर मुगल और फर
बाद म अं ेज ारा शािसत और भािवत रही है। लाल कला, जामा मि जद, क़ु तुब
मीनार, पुराना कला और म ं ायू का मकबरा मुगल के पदिच न के प म उसी कार
िस ह, िजस कार ि टश भारत क याद के तौर पर वायसराय भवन (रा पित
भवन), पा लयामट हाउस, इं िडया गेट तथा नाथ और साउथ लॉक िस ह। ले कन
इनके अलावा भी शहर म मि जदो और हवेिलय से लेकर िसिवल लाइ स और नई द ली
म मौजूद बंगल जैसे सैकड़ ऐसे थान ह, जो मुगल और ि टश शासन के द तावेज ह।
सरकार क उपे ा का िशकार ऐसे थल भारतीय पुरात व सव ण धरोहर क सूची से
बाहर ह। ऐसा शायद ए.एस.आई (भारतीय पुरात व सव ण िवभाग) क खुद क
सम याय जैसे फ ड और ऐसे थल क रख-रखाव के िलए टाफ क कमी के कारण ऐसा
है।
ए.एस.आई का मुख यान मह वपूण थल पर ही के ि त होता है, िजसके कारण
बाक के थान अित मणका रय और खानाबदोश के िलए वतं रह जाते ह। बड़े पैमाने
पर ावसायीकरण और 1. 25 करोड़ से भी अिधक िनवािसय क बढ़ती आबादी का
दबाव के कारण भू-मा फया ारा क जा जमाकर ऐसे पुरानी जगह का वसायीकरण
कर दया गया है। जो पुराने थान मु य शहर के कसी िह से म आते ह वह या तो
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सावजिनक पेशाब-घर म बदल गए है या फर वे खानाबदोश , िभखा रय , नशेिड़य और


र शा ख चने वाले लोग क शरण थली बन चुके ह। ले कन कि तान या क के
आसपास मौजूद मकबर और खंडहर के प रसर ऐसे लोग नजरअंदाज कर देते ह। ऐसा
इसिलए है, य क उन जगह के भूितया होने क अफवाह होती ह।
लाल कले से थोड़ी दूर पर द रयागंज के पास द ली-गेट इलाके म ि थत अंधेरे
तहखाने क सी ढ़य वाले ‘खूनी दरवाजा’ का क सा बेहद िस है। इस जगह का रोचक
इितहास रहा है, रीढ़ क हि य म िसहरन भर देने वाला। लोग क धारणा के अनुसार
ये आ मा और िज ाद का े है। कहते है क बा रश के दन म इसक दीवार से खून
क धाराएं नीचे बहती ह।
त या मक इितहास, लोग म फ़ै ली धारणा , अंधिव ास और कं वदंितय ने सामान
प से खूनी दरवाजे क कहानी बुनी है। इसका िनमाण 1540 के दशक म बादशाह
शेरशाह सूरी के शासनकाल म कया गया था, जो उनक राजधानी के उ री ार के तहत
‘काबुली दरवाजा’ के प म जाना जाता था, य क वहां से अफगािन तान से आने वाला
कारवां गुजरता था। बाद म मुग़ल शासन के दौरान थानीय ‘ ाटजाइट’ प थर से िन मत
इस दरवाजे पर अपरािधय का कटा आ िसर टांगा जाने लगा था, तभी से यह ‘खूनी
दरवाजा’ के प म मश र हो गया। 17 व सदी क शु आत म स ाट जहांगीर के आदेश
पर ‘अबुरिहम खान-ए-खाना’ के दो बेट को देश ोही करार देकर उ ह इसी थान पर
क़ ल कया गया था। दारािशकोह का कटा आ िसर भी उसके छोटे भाई और मुग़ल
सा ा य के शासक औरं गज़ेब ारा यह पर द शत कया गया था। ले कन ह या और
मौत के साथ उस थान का जुड़ाव यह पर ख़ म नह आ। ि टश मेजर हडसन ने अंितम
मुगल शासक बहादुर शाह जफर के आ मसमपण के बाद 22 िसतंबर 1857 को इसी थान
पर उसके दो बेट िमजा मुगल, िमजा िखजर सु तान और पोते िमजा अबू बेकर का क़ ल
कर दया था। भारत क आजादी के बाद 1947 म िवभाजन के दंग के दौरान भी इस
जगह पर भीषण र पात आ था।
इसीिलए यह कोई आ य क बात नह थी क यमुना नदी के बगल म ओखला से दूर
मुगल के दौर क ऐसी ही एक उपेि त जगह पर कु छ धुंधले साए नजर आ रहे थे। वह
शायद कसी मकबरे का खंडहर था, जो सामा य लोग के जाने हेतु उपयु नह था।
उसक चारदीवारी कई जगह से टू टी ई थी और उसके दायरे म आने वाली जगह पर कई
क , पीपल के पेड़ और एक सूखा आ कुं आ था, जो उसे िनजन और डरावना बना रहे थे।
आबादी से दूर होने के कारण यहाँ कोई कभी नह आता था। थोड़े ब त जो लोग उसके
अि त व से वा कफ थे, वे दन के उजाले म भी वहां से गुजरने या उसके पास जाने से
कतराते थे और रात म तो वहां जाने क सोच तक नह सकते थे। इसीिलए अंधे तांि क
भैरो शाह बंगाली के िलए वह थान सवथा उपयु था, जहाँ वह िबना कसी वधान के
अपनी खतरनाक साधना कर सकता था। वह एक अंधा आदमी था, जो आदतन गंदे कपड़े
पहनता था और िसर पर हरी पगड़ी बांधता था। लंबे बाल वाले उस आदमी क दाढ़ी के
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बाल और मूंछे उलझी ई थ , जैसे कई दन से न नहाया आ हो। उउसने आँख पर एक


स ता सा काला च मा चढ़ाया आ था और गले म रं गीन मनक क माला और हि य क
कई मालाएं डाल रखी थी।
उसका साथी वंकल एक ठगने कद का एक भारी-भरकम इं सान था, जो डाउन-
सं ोम से त था। उसके कान छोटे और ठोड़ी धंसी ई थी। उसक आँख आधी बंद रहती
थ और मुंह हमेशा खुला रहता था, िजसम से आधी जीभ आदतन बाहर लटकती रहती
थी। वह अ सर अपने माथे को िसकोड़ता और भौह को उचकाता रहता था, और कसी
यं चािलत गु े क तरह अपने चेहरे को इधर-उधर नचाता रहता था। उसक जेब उन
दवा के प से भरी रहती थी, िज ह वह दन म कई दफे अपने मुंह के हवाले करता था।
हालां क उसे इसक वजह नह मालूम थी ले कन अपनी माँ क स त िहदायत के कारण
वह इस काम को कभी भूलता नह था। उन िवशेष गोिलय को िनगलना उसके जीवन क
िनयिमत दनचया बन गई थी, िजसे वह बगैर याद दलाये भी पूरा कर सकता था।
भैरो ने अपनी पसंदीदा िचलम से गांजे का कश िलया और कनल नारं ग से दो दन पहले
ई अपनी बातचीत को याद कया..
“मने तु ह डो फ चानहर के काले-जादू से पायल को बचाने के काम पर रखा था।”
कनल नारं ग ने कहा।
“मने उसे अपना ताबीज दया था और फलहाल उसे दु मन ारा कोई नुकसान नह
प च
ं ाया गया है।” भैरो ने जवाब दया- “मुझे लगता है क उसके पित के ए सीडट के
कारण आपने मुझे बुलाया है, है न?”
“तुम इस बारे म जानते हो?” कनल नारं ग हैरान आ। थोड़ी देर बाद उसने आगे कहा-
“पायल ने मुझे आज सुबह फोन कया था। वह अभय क सुर ा को लेकर बेहद चंितत है
और उसे शक है क हाल ही म ए ए सीडट म वारलॉक का हाथ है, िजसम चलती गाड़ी
के रम से सारे नट िनकल गए थे। अभय ने आज ही उसे ए सीडट क िडटेल बतायी और
इसक सूचना उसने तुरंत मुझे दी। या तुम जानते हो क इसक वजह या थी? मेरा
मतलब है क या ये महज एक ए सीडट था या इसम कसी कार वारलॉक भी शािमल
था।”
“वारलॉक के गुलाम ेत ह रनाथ ने लड़क के पित को मारने क कोिशश क थी।” भैरो
ने उसे सूचना दी।
“तुमने ऐसा होने कै से दया? या मने तु ह पहली मुलाक़ात म ही ये िहदायत नह दी
थी क ह रनाथ से सतक रहना?”
“वह अपने मािलक के िलए अ थायी प से काम कर रहा है। उसक शि यां काफ
कमजोर हो चुक ह, ले कन अभी भी वह काफ खतरनाक है। और उसक मदद से
वारलॉक अपनी शि य को पुनज िवत करने क कोिशश कर रहा है।” भैरो ने बताया।
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“ या यह संभव है?”
“दुभा य से हाँ! अगर ह रनाथ के साथ और आ मा और िज ात क ताकत भी
शािमल हो जायेगी तो न के वल दु मन को रोकने और उसके िखलाफ कारवाई करने क
मेरी सारी कोिशश नाकाम हो जायगी, बि क मेरी खुद मेरी जान भी खतरे म पड़
जाएगी।”
“इन सबके बीच म दु मन को रोकने और लड़क या उसके पित को नुकसान प च ं ाने के
उसके मंसूबे को नाकाम करने के िलए भी कोिशश कर रहा ।ं वा तव म यह ह रनाथ जैसे
ही मेरे एक गुलाम ेत के ह त ेप का नतीजा था, जो उस आदमी क जान बच गयी। मेरे
ेत शमशेर ने वारलॉक के उस गुलाम के साथ संघष कया था, िजसने कार के पिहये के
सारे नट िनकाल दए थे और उसे एक बड़े क क ओर धके लने क कोिशश कर रहा था।
उस िनणायक घड़ी म मेरे गुलाम के एक ह के से ध े ने कार को क से दूर फु टपाथ क
ओर धके लकर ह रनाथ क चाल को िवफल कर दया था।”
“वो सब तो ठीक है, ले कन मुझे इससे अिधक चािहए। वारलॉक पर हमला करो, करारा
हमला और एक ही बार म उसका खा मा कर दो।”
“म वो भी क ं गा कनल साहब! वारलॉक जानता नह क उसका पाला कससे पड़ा
है।”
“उसे ख़तम कर दो। म तु ह एक बड़ा इनाम दूग
ं ा।”
“हा..हा..हा!” वह हँसा- “कनल साहब आपका दल ब त बड़ा है। आपका काम ज र
पूरा होगा।”
उपरो बातचीत ने ही भैरो शाह के मौजूदा मुहीम क न व रखी थी। इस कार के
िपछले अ य अवसर क भांित इस अवसर पर भी उसका वफादार और िव सनीय
सहायक वंकल उफ़ तािहर शेख उसके साथ खंडहर म मौजूद था। वे सुबह वहां प च ं े थे
और अंधे तांि क ने अपने अनुभव से काम लेते ए मकबरे के प रसर म एक आयताकार
कमरे को साधना- थल के प म चुना था। वंकल ने जमीन पर पानी का िछड़काव करके
अपने साथ लाई ई झाड़ू से कमरे को साफ कया त प ात भैरो ने अपने सहायक को साथ
लाई ई चीज को खोलने का आदेश देते ए अपना आसन (चटाई) जमा िलया। ट पर
लोहे क एक त तरी रखकर हवन-कुं ड बनाया गया था।
उ ह ने दोपहर तक सभी चीज क व था और सारी तैया रयां पूरी कर ली थ । जब
वे अपने साथ लाया आ भोजन कर चुके तो मकबरे के बरामदे म सी ढ़य के बगल म
िबछी एक चादर पर बैठ गए। तांि क के रवाज के अनुसार साधना क शु आत म या
साधना के बीच म िलये जाने वाले भोजन का शाकाहारी होना िनहायत ही ज री था।
अपने सहायक, जो भोजन का शौक न था और चप-चप क विन के साथ कटोर और
लेट को साफ़ करने के बाद भी उं गिलयाँ चाट रहा था, के िवपरीत भैरो ने ब त कम
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खाया। इसके बाद वे दोन झपक लेने के िलए गए मकबरे म ही लेट गए।
जब शाम िघर आई और पि य के झु ड शोर करते ए अपने घ सल म वापस चले
गए तो भैरो उठा और अपने दु मन वारलॉक के िखलाफ अपने मह वाकां ी अिभयान का
पहला चरण शु कया। उसने अपने गु एवं आरा य देव का आशीवाद और संर ण ा
करने के िलए उनक ाथना के साथ शु आत क । इसके बाद उसने तुित क , िजसके तहत
उसने एक माले के मनक क मदद से सं या क िगनती याद रखते ए मं ो ार कया।
इस अ यास का उ े य पहले से ही िस क ई शि य को याद करना था ता क वे
वतमान साधना के दौरान आने वाले बाहरी खतर से उसक र ा कर। उसने देवी काली
क मू त, लोहे क त तरी, चार हांिडय और अपने तथा वंकल के माथे पर िस दूर का
ितलक लगाया। उसने पारलौ कक हमल से र ा के िलए अदृ य सीमा या दीवार बनाने के
उ ेशय से चार हांिडय को कमरे के चार कोन पर रख दया।
भैरो को ये अ छी तरह मालूम था क साधना के दौरान िविच आवाज़ सुनाई देना,
पीछे क तरफ़ से ध े खाना, हवा म टंग जाना और भयानक नज़ारे दखाई देना आम बात
होती है। कई नौिसिखए तांि क िज ह ने पहले से ही सुर ा का बंध नह कया होता वह
घबरा जाने के कारण या तो डर कर भाग जाते ह या फर मानिसक संतुलन खो देते ह
अथवा भयानक मौत मारे जाते ह। भैरो को ऐसा कोई डर नह था। ले कन उसने अपने
दु मन क जवाबी कारवाई के िलए तैयार रहना था, जो क वह तब करता, जब उसे पता
चलता क भैरो उसके काम म ह त ेप कर रहा है। वारलॉक एक खौफनाक ित ं ी था,
िजसक ू रता क कोई सीमा नह थी और बंगाली तांि क इस बात अ छी तरह से
समझता था, इसीिलए वह उसे कोई मौक़ा नह देना चाहता था।
शमशेर के ेत ने उसे सूिचत कया क वारलॉक भी अपने फामहाउस म साधना शु
कर चुका है। भैरो अपने ित ं ी क इस बड़ी चूक से अवगत होते ही स ता से झूम उठा।
वह ए टेट एक ेतवािधत और शािपत थान था, जो भटकती आ मा और रह यमयी
ताकत को आक षत करने के िलए चुंबक का काम करता था और ऐसी अशांत जगह पर
तं -साधना, बुरी आ मा एवं शैतानी शि य को आमंि त करने के िलए पया थी।
कु ल िमलाकर अब वारलॉक का एकलौता गुलाम ेत ह रनाथ साधना और अपने मािलक
क सुर ा क अिनवाय आव यकता को पूरा करने म असमथ सािबत होने वाला था। भैरो
के गुलाम ेत शमशेर ने दु मन के आदमी क िनगाह म आये या उससे टकराए बगैर
जासूसी करने क अपनी मता के आधार पर उपरो त य क पुि क थी। वह झील और
बंगले क छत पर मौजूद शीशे के िपरािमड क जासूसी कर आया था।
अपने ेत के ज रये बंगाली तांि क क िनगाह लगातार अपने दु मन पर टक ई थ ।
वह अपनी उपि थित को जािहर करने के िलए उपयु घड़ी क ती ा कर रहा था।
उसक दृि म रह यमयी या तांि क अनु ान का या वयन मशान-भूिम, कि तान
या खंडहर जैसे वीरान थान पर करना उिचत था, जो कसी ि का िनवास थान न
हो।
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भैरो के िवपरीत डो फ का सोचने का अपना अलग नज रया था और वह अपने गुनाह


क स तनत अथात महरौली ए टेट जैसी प रिचत जगह पर खुद को अिधक सुरि त
महसूस करता था। यही वजह थी, जो उसने वीराने म उस जगह को खरीदकर उसका रख-
रखाव कया आ था। ये उसका घर नह बि क काय थल था, और वह इतना बुि मान तो
था ही क उसने अपना थायी िनवास कह और बना रखा था। वसंत िवहार के पॉश और
महंगे इलाके म िवदेिशय क एक बड़ी आबादी बसती थी और डो फ, जो वयं क दृि
मै एक अिभजात यूरोिपयन था, अपने जैसे उन लोग के बीच खुद को सहज पाता था।
भैरो ने अपने सामने मौजूद लोहे क त तरी म आग जलाई, िजसम उसने
आव यकतानुसार कई अ य व तुएं भी डाली। ज द ही लोबान, कपूर और अगरब ी क
सुगंध कमरे म ा हो गयी और उससे िनकलने वाला धुआं पूरे कमरे म फै ल गया। वह
आ ित के साथ मं ो का जाप कर रहा था, ता क दु मन पर हमला करने के िलए ज री
शैतानी ताकत को हािसल कर सके ।
वंकल अपने मािलक भैरो क गितिविधय को पूरी तरह न समझ पाने के बावजूद भी
उ सुकता से देख रहा था। उसके बगल म मौजूद व तु म जानवर और इं सान क
हि य का िम ण, िचता क राख, एक नर-खोपड़ी, ि ह क से भरा याला, पशु-मांस,
माला और गदा के फू ल थे। उसने िम ी के एक बतन म रखे पानी म एक फू ल डु बोया और
उसे इं सान और जानवर क हि य पर िछड़का। उसने उन पर संदरू का ितलक लगाया
और आग म कु छ ऐसे त व डाले क वह तेज़ी से भड़क उठी।
भैरो का चेहरा और पुतिलय से खाली आँख के कोटर आग क लपलपाती रोशनी म
चमक रहे थे। इस समय वह वारलॉक क ही भांित ू र और खूंखार नजर आने लगा था।
वह गहरे यान क अव था म था और अपने आस-पास क दुिनया से पूरी तरह कट चुका
था।
उधर वंकल क दलच पी इस काम म पूरी तरह ख़ म हो चुक थी क अब उसे
िमनट भी घंटेो के समान लग रहे थे। वह पेशाब जाने का दबाव महसूस करने लगा था,
िजसके कारण उसे बार-बार असहज होकर पहलू बदलना पड़ रहा था। उसे याद आया क
भैरो ने उसे तब तक कमरे से बाहर िनकलने से मना कया था, जब तक क उसक साधना
पूण न हो जाए। ले कन बढ़ते दबाव ने वंकल को बेचैन कर दया और वह बाहर जाने के
िलए बा य हो गया।अपनी ज दबाजी के कारण वह चेतावनी म उठे भैरो के हाथ को भी
देखने म भी िवफल रहा। आग, धुएँ, अगरब ी, लोबान और कपूर के कारण कमरे का
वातावरण दम-घ टू हो उठा था, िजससे बाहर आने पर ही वंकल खुलकर सांस ले पाया।
वह पीपल के उस पेड़ क ओर बढ़ गया, जो सूखे प और कू ड़े-करकट से भरे सूखे कु एं के
पास मौजूद था। उसे पीपल के पेड़ के नीचे पेशाब करके राहत िमली।
यह आधी रात के पांच िमनट बाद का समय था। बेजान घास, जंगली झािड़य और
बेतरतीबी से खड़े पेड़ वाले उस खंडहर के उजाड़ बगीचे म खौफनाक स ाटा छा गया था।
अगर वंकल कसी साधारण आदमी क तरह डरने वाला होता, तो शायद वह लाल-भूरे
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प थर क टू टी बाउं ी वॉल को फांद कर अब तक भाग चुका होता। ऐसी प रि थित म


उसक मानिसक अ मता ही एक वरदान सािबत ई।
उस वीराने म कसी ब े के रोने का शोर सुनकर वंकल च क पड़ा। उसके िलए दुिनया
हमेशा बदलने वाले के िलडो कोप (ब पदशक) क तरह थी, िजसम िभ -िभ रं ग- प,
छिवय और च र वाले इं सान क भीड़ का सामना करना बेहद मुि कल था। िसफ
उसक यार करने वाली एक बूढ़ी माँ और उसका मािलक भैरो ही रं ग बदलने वाली इस
दुिनया म उसके िलए सदैव ि थर रहते थे। नए बदलाव या घटनाएं या तो वंकल को
रोमांिचत करते थे या फर उनका सामना करने म िवफल होने पर वह भ ा जाता था।
वह मं मु ध अव था म दन के शोर क दशा म बढ़ गया। उसे वह रोने क विन क ो
से दूर एक कोने म मौजूद पेड़ के झुरमुट क ओर ले गयी। वह पेड़ के झुरमुट म 4-5 साल
के एक रोते ए ब े को पाकर हैरान रह गया। वंकल ने च मा क रोशनी म देखा क
वह ब ा जमीन म कमर तक दफन था और मदद क गुहार लगा रहा था। उसने ब े को
जमीन से बाहर िनकालने के िलए वयं को उसक ओर खंचता सा महसूस कया।
“बेवक़ू फ़ मत बनो!” भैरो का फटकार भरे वर उसके जेहन पर कोड़े क तरह टकराया
- “कमरे म वापस आ जाओ।” उसने अपने सहायक को टेलीपैथी ( दमागी तौर) पर आदेश
दया।
“मेरी मदद करो।” ब ा िगड़िगड़ाया, “एक दु तांि क ने मुझे यहाँ दफना दया है, जब
वह वापस लौटेगा तो मुझे मार डालेगा। मेरी माँ मुझे याद करके रोती होगी।”
वंकल दुिवधा त हो गया और ब े क मदद करे या अपने मािलक का आदेश माने,
इस उहापोह म उलझ गया। कोई िनणय लेने म असमथ होकर उसने एक कदम आगे
बढ़ाया तो दो कदम पीछे। उसके जूते जमीन पर फसलने लगे और उसने महसूस कया क
कोई रह यमयी ताकत उसे पीछे ख च रही है। ये देखते ही सहसा लड़के क आँख िबजली
के ब ब क मा नंद लाल हो उठ और वंकल पर ठहर गय ।
वंकल ने महसूस कया क उसे पीछे ख चने वाली शि क पकड़ कमजोर पड़ गयी
थी। िगड़िगड़ाने वाले लड़के क आँख एकाएक सामा य ि थित म लौट आ , ले कन अब
उसमे मौजूद हताशा क जगह अिधकार ने ले ली थी। “यहाँ आओ!” उसने वंकल को
आदेश दया।
वह मंदबुि इं सान, मं मु ध होकर लड़के क ओर बढ़ा और उसके फै ले ए हाथ को
पकड़ने ही वाला था क तभी अचानक शमशेर का ेत वंकल के पीछे कट आ और
उसने उसके कमर म हाथ डालकर उसे पीछे ख च िलया। जमीन के ऊपर के वल धड़ वाला
ब ा ोिधत हो उठा। उसके चेहरे पर भाव नाटक य ढंग से बदल गए। उसक मासूिमयत
ोध म त दील हो गयी और वह एक खौफनाक लंगूर म बदल गया। उसने क से बाहर
छलांग लगाई और अपनी चुंगल से िनकले जा रहे िशकार को पकड़ने क भरसक कोिशश
क । वंकल यह देखकर हलकान रह गया क अचानक जानवर म त दील हो उठे उस ब े
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के कमर से नीचे के वल एक हि य का ढाँचा था। वह शैतान वंकल को िगर त म लेने के


िलए बेताब कसी गु सैल बंदर क तरह झप े पर झप ा मार रहा था और खौफनाक
आवाज उ प करते ए उछल रहा था।
वह लगभग सफल हो ही गया होता, अगर भैरो ारा भेजे गए ेत ने वंकल को बचाने
म कु शलता न दखाई होती। तीन बार उस रा सी-लंगूर ने वंकल पर झप ा मारा और
उसक बाह और पैर को िगर त म लेने क कोिशश क , ले कन शमशेर ने हर बार उसे
दूर ख च िलया और वह जीव अपने जबड़ को िशकार के मांस म गड़ाने के बजाय के वल
हवा म कटकटा कर ही रह गया। तभी तांि क भैरो क ि -आयामी और नीली रोशनी म
नहाई ई आदमकद छिव उसके बगल म कट ई और शैतान-लँगूर सहमकर दूर हट
गया। अपनी हार पर गु साया आ वह शैतान गु से से दांत पीसते ए और िच लाते ए
अपने कं काल वाले पंजो पर उछलता आ दूर भाग गया।
“ वंकल को अंदर ले आओ!” भैरो क छिव ने गायब होने से पहले शमशेर के ेत को
आदेश दया, जो वंकल के पीछे मकबरे क ओर जाने वाले रा ते पर जमीन से तीन इं च
ऊपर तैर रहा था। अचानक रा सी लंगूर क ओर से हैरतअंगेज हरकत ई। वह एक पेड़
क डाली से शमशेर पर कू द पड़ा। जािहर था क वह ाणी दूर नह गया था, बि क उसने
उिचत अवसर क ताक म खुद को छु पा िलया था, और वह अवसर आ यजनक प से
ज द ही आ गया था। उस रा स पर काबू पाने म असमथ होकर ेत नीचे िगर गया,
िजसका गु सा अब बेहद आ ामक हो उठा था।
वंकल अपने पीछे घटी घटना से अनिभ मकबरे क ओर बढ़ा जा रहा था, ले कन
इससे पहले क वह वहां तक प च ं पाता, उसने मिहला के रोने-पीटने क आवाज सुनी।
वह िपछली घटना से हलकान ए िबना और खतरे से बेखबर उन चीख क दशा म बढ़
चला। उसने मकबरे के पीछे मौजूद क के पास तीन औरत को बैठे ए देखा।
उसके पैर अनायास ही उस दशा म उठ गए और उसने महसूस कया क वह एक फर
मं मु ध हो उठा है। बुरका पहनी ई मिहलाएं दहाड़े मार कर रो रही थ । जैसे ही
वंकल उनके पास प चं ा, उनम से एक मिहला ने अपना चेहरा उसक ओर घुमाया। एक
क पर रखी लालटेन क रोशनी म उस मिहला क भूरी आँख नजर आय , िजनम लगा
सुरमा आँसू के कारण बह रहा था। उसका बाक का चेहरा िहजाब के पीछे िछपा आ
था। वंकल का अंतमन अगरब ी, ताजे चमेली के फू ल और मीठे लैवडर इ क खुशबू से
भर उठा।
जैसे पतंगा लौ क ओर ख चा चला आता है, उसी तरह वह भी उस मिहला क ओर
आक षत हो गया। वह उसके आंसु को पोछ कर और उसे अपने बा पाश म लेकर
सां वना देना चाहता था। ले कन वह अपनी भावना को करने के िलए अ फाज
ढू ँढने म असफल रहा। उसने पूछा- “ या आ? तुम य रो रही हो?”
“हमारे शौहर का इं तकाल हो गया है और वे यह पर दफन ह। हम उ ह के िलए
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मातम कर रही ह।”


“वे या करते थे?”
“वे इस मकबरे क रखवाली करते थे। हम बादशाह सलामत के पास जाएंगे और उनसे
दर वा त करगे हम बेवा को हमारे ज तनशीन शौहर क माहवारी उज़रत दी जाए।”
“वे कै से मरे ?”
“बुढ़ापे और बीमारी के कारण उनका इं तकाल आ। मेरे शौहर 60 के थे। म उनक
तीसरी शरीके हयात (बीवी) थी।”
“ये बादशाह कौन है?”
“मुग़ल स तनत के बादशाह, जो हंद ु तान पर कू मत करते है।” उसने बाक मिहला
पर सतकतापूवक दृि डाली, जो नाटक य अंदाज म रो रही थ और फर वंकल को
अपनी िहना (मेहद
ँ ी) लगी उँ गिलय से अपने पीछे आने का इशारा कया।
उसक भूरी आँख के स मोहन म फं सा वंकल उसके पीछे-पीछे चल पड़ा। वह उसे
क से दूर एक खुले थान पर ले गयी और धीम वर म पूछी- “ या तु हारा िनकाह हो
चुका है?”
“नह , य ?”
“मेरे शौहर मुझे इस छोटी सी उ म ही छोड़कर अ लाह को यारे हो गए है। एक िबना
ब े वाली औरत क समाज मे कोई इ ज़त नह होती है। साथ ही म आज तक जवानी क
िनयामत से भी मह म ।ँ या तुम मुझसे िनकाह करके मुझे ढेर सारे ब ो क अ मी
बनाओगे? तु ह इस नेक काम के िलए ज त म सबाब (इनाम) िमलेगा। म एक काजी को
जानती ,ँ जो कम खच म हमारा िनकाह करा देगा।”
“न...िनकाह? काजी?”
इस दौरान बाक दो औरत भी रोना बंद करके उनक ओर बढ़ने लगी थ । वंकल क
हमराह ने ज दी से कहा- “हम काजी को दाम चुका दगे और वह सब-कु छ कर देगा। तु ह
बस मेरे साथ िनकाह करने को राजी होना होगा।”
“हाय, हाय; अ लाह कसम, देखो तो इस बेहया रं डी को!” दूसरी औरत ने उनके पास
प च
ं ते ही कहा, “इसके शौहर क क क िम ी भी अभी नह सूखी है और इसने नए
आिशक क तलाश भी शु कर दी है। शबनम के झांसे म मत आओ जवांमद। ये मन स
औरत है, इसका शौहर इससे शादी करने के एक साल बाद ही चल बसा था।”
“खामोश रह बदजात कु ितया!” शबनम ने आग-बबूला होकर कहा- “जब कभी मुझे
कोई मद िमलता है, तो तू और तेरी फू फ जाई बहन इसी तरह उसे मुझसे चुराने क
कोिशश करती ह। मुझे मालूम है क तुम दोन ने अपने बूढ़े शौहर को जहर दया था,
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ता क उन जवान लड़क के साथ भाग सको िज हे तुमने फांसा था। तुम लोग अपने शौहर
क क पर इसिलए नह रोती हो क तुम उनसे मोह बत करती थी, बि क इसिलए रोती
हो य क वे लड़के तु हारे माल-असबाब को लेकर भाग गए थे।”
“ऐ जवांमद, शबनम झूठी है, वो जो कहती है, उस पर यक न मत करो।” तीसरी औरत
ने कहा- “हमारे शौहर का इं तकाल बीमारी के कारण आ और असिलयत म अपने शौहर
को जहर देने वाली तो ये खुद है। और जब हमने इसे इसके मर चुके शौहर के भतीजे के
साथ रं गे हाथ पकड़ िलया तो इसने हम पर गैरमद के साथ रँ गरिलया मनाने क तोहमत
लगा दी।”
“ये आदमी तो पगला दखाई देता है।” दूसरी औरत ने कहा।
“तो या आ? इसके पास एक पहलवान जैसा िज म है।” तीसरी औरत ने अपने लहजे
म कामुकता िलए ए कहा- “ य न हम दोन शबनम को कु एं म ध ा दे द और इस
आदमी से िनकाह कर ल? हम इसके अगल-बगल सोयगी और इसे अपने ब का अ बा
बनाएंगी।”
“नह ! नह ! मुझे मत छोड़ना। म तु ह मुक मल तौर पर मज़े करांऊगी; दन हो या फर
रात, कई-कई बार।” शबनम ने ाकु ल होकर वंकल से िलपटते ए कहा।
अपने वय क जीवन म वंकल ने पहली दफा महसूस कया क मिहलाय पु ष से
अलग होती ह। जब शबनम ने उसे दृढ़तापूवक खुद से िचपकाया तो वह उसके बदन और
बाल से आती खुशबू से िनहाल हो उठा कं तु ये भी उसे महसूस हो रहा था क शबनम के
िज म म गम और मुलािमयत नह थी। उसका िज म बफ के जैसा सद और प थर क
तरह स त था। बतौर अजनबी वह िजस कार खुद को उस पर योछावर कर रही थी और
उसके मदाना िह से को छू ने क कोिशश कर रही थी, उससे झ ला कर वंकल ने उसे
ध ा देकर दूर कर दया।
“तुम इसे िसफ अपने िलए नह रख सकती हो शबनम।” दूसरी औरत ने कहा- “हमारी
यास का या होगा? या तुम उसे हमारे साथ बांटो या फर हमारे साथ दो-दो हाथ करो।”
उसने चेतावनी दी।
इससे पहले क वह कोई ित या देती, शमशेर का ेत वंकल के बगल म कट आ
और बोला- “जो तुम देख रहे हो, उसके धोखे म मत पड़ो। वे असली औरते नह है बि क
मेरी तरह ेत ह। उ ह मेरी आँख से देखो।” उसने कहा और वंकल क आँख पर अपनी
हथेली पर रखी धूल क फूं क मारी।
जब वंकल ने अनायास ही अपनी पलक झपका और उन तीन बुक वाली औरत को
देखा तो उसने अपने सामने तीन कं काल को खड़े पाया, िज ह ने अपने गले और कलाईय
म चांदी के आभूषण पहन रखे थे। इससे पहले क वंकल कु छ कर पाता, वे तीन शमशेर
क दखल से कु िपत होकर उस पर झपट पड़ । वे जंगली िबि लय क भांित झगड़ने लग
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और भैरो के गुलाम को बुरी तरह नोचने-खसोटने लग , जब क वंकल िगरते-पड़ते वापस


मकबरे क ओर दौड़ चला।
उनम से एक कं काल अपने भागते ए िशकार को पकड़ने के िलए उसके पीछे दौड़ा कं तु
उसके सामने रा ते म भैरो क ि आयामी छिव आ गयी, िजससे वह खौफजदा होकर दूर
चला गया। कं काल अपने हाथ और पैर को हवा म लहराते ए, चमक िबखेरते ए वापस
क क ओर उड़ गया। इसके बाद भैरो क छाया ने अपने गुलाम ेत को भी उन ेत के
चंगुल से बचाया।

“ वंकल! या कर बैठे थे तुम?" भैरो ने अपनी आँख खोली। " या तु ह एहसास है क


तुमने एक ही रात म मेरे और शमशेर के िलए कतनी मुसीबते कड़ी कर दी?”
“म..म पेशाब करने गया था,जहाँ वह बंदर जैसा वह लड़का और वो औरत....।”
“वह औरत और उसक संगीिनयाँ 300 साल पहले ही मर चुक ह और तब से ही उनका
भूत इस मकबरे के इद-िगद मंडरा रहे है। और वह लड़का, उनम से एक औरत का बेटा था,
जो अपने ई यालू पित ारा क़ ल कर दी गयी था, िजसे अपनी कम उ क बीवी के च र
पर संदहे था। उसने बेटे को ज़ंदा ही जमीन म दफ़ना दया था, िजसे लकड़ी के एक पाइप
के ज रये गुजरती हवा ने कु छ दन तक जंदा रखा था। चूहे और क ड़े धीरे -धीरे उसके
शरीर को कमर तक चट कर गए थे और वह बेहद ददनाक मौत मरा था। ये जगह
ेतबािधत ज र है, ले कन मने यहाँ जो सुर ा- े िन मत कया है, उसके कारण कोई
भी ेत इस जगह म दािखल होने या मेरे काय म वधान डालने का साहस नह कर
सकता। तु ह बगैर मेरी इजाजत के या मुझे अथवा शमशेर को साथ िलए, इस मकबरे से
बाहर नह िनकलना है, समझे?”
वंकल ने सहमित म अपना िसर िहलाया। मािलक क सुनाई कहानी का के वल आधा-
अधूरा मतलब समझते ए भी वह उसक चेतावनी को भली-भांित समझ गया। “बाहर
नह जाना है, बाहर खतरा है।” उसने कहा।
“हां।” भैरो ने कहा, त प ात उसने अपने गुलाम ेत को आवाज लगाई। “वारलॉक
या कर रहा है?” उसने पूछा।
े ओझल हो गया और खाली कमरे म उसक आवाज गूंजने लगी। कमरे क एक

दीवार पर शीशे के िपरािमड म मौजूद डो फ क छिव इस कदर नजर आई, मानो उसे
ोजे टर से ेिपत कया जा रहा हो। ेत ने जो दृ य दीवार पर दखाया, वह दृ य ठीक
उसी ण अंधे भैरो के मि त क म भी उभरा। उसके सहायक वंकल ने दलच पी के साथ
दीवार क ओर देखा। उसे शमशेर क आवाज़ सुनाई दी, “वारलॉक ने साबरी मं का
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10000 जाप पूरा कर िलया है और इस कार वह आज रात का काम पूरा कर चुका है,
ले कन फर भी उसे अभी 20000 जाप करना है। उसे साधना पूण करने म अभी दो रात
और लगगी। उसका ेत ह रनाथ िपशाच और शैतानी ताकत को अपने मािलक से दूर
रखने म लगा रहा।”
“बस, काफ है!” भैरो ने कहा और दीवार पर ेिपत छिव गायब हो गयी। थोड़े से
िवराम के बाद उसने कहा- “हम इससे सटे ए कमरे म सोयगे वंकल और तीसरी रात
क साधना पूरी होने के बाद ही यहाँ से िनकलगे। अगर हम अलौ कक सुर ा दायरे से दूर
रहगे तो हम पर बुरी आ मा या हमारे दु मन के हमले का खतरा रहेगा।”
वंकल ने एक हाथ म जलती ई मोमब ी थामी और दूसरे हाथ से भैरो का हाथ
पकड़कर उसे दूसरे कमरे म लेकर आया। लोहे के त तरी क आग बुझ चुक थी और अब
के वल सुलगती ई राख ही शेष बची थी। तांि क फश पर िबछी ई चटाई पर लेट गया
जब क मानिसक प से अपंग, थका आ और भूख से ाकु ल वंकल ‘फटा’ के साथ
ै स का पैकेट खोल कर बैठ गया।
“मकबरे से बाहर जाने क िहमाकत मत करना। चाहे तु हारी माँ, शमशेर या फर म
ही तु ह य न बुला रहा होऊँ।” पहलू बदलने से पहले भैरो ने आिख़री बार चेतावनी दी।
अपनी पसंदीदा चीज खाने-पीने के बाद वंकल तृ हो गया और वह भी अपने मािलक
से थोड़ी दूरी पर लेट गया। अनापेि त खतर और वारदात से भरी रात के बाद वह
िन ाम हो गया। सपने म मुि लम ख़वातीन और कमर तक धंसे ए कं काल वाले लड़के
को देखने के कारण उसक न द कई बार उचट गई। जब उसक माँ सपने म आयी तब कह
जाकर उसे सुकून िमला और बेचैनी क अव था से बाहर आया। इसके बाद वह गहरी न द
के आगोश म खो गया।

वह साधना क तीसरी रात थी, जब डो फ अपने फामहाउस क छत पर मौजूद शीशे


के िपरािमड म काला चोगा पहन कर यान अव था म बैठा आ था। वह ‘भ काली
साबरी साधना’ क समाि क और अ सर था। उसके सामने एक चौमुखी दीपक, देवी
काली क मू त और लोहे क त तरी म धुनी जली ई थी, जो अपने लाल-पीले रं ग के लौ
से प रवेश म उजाला कर रही थी। वह लयब अंदाज म मं -जाप कर रहा था और समय-
समय पर आग म कई चीज़े भी डालता जाता था, िजससे आग भड़क जाती थी। िपरािमड
के लोहे के े म से बंधा मेमना भयभीत होकर शोर मचा रहा था, िजस पर उसका िबलकु ल
भी यान नह था।
हालां क िपछली रात से ही िभ -िभ वधान का िसलिसला जारी था, ले कन
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आज इस मौके पर वे वाधान उसक साधना के बमुि कल आधे घंटे के भीतर ही शु हो


गए। उसे कई दफे हवा म उछाला गया और पीछे क ओर ध ा दया गया ले कन उसने बंद
आँख के साथ मं जपना जारी रखा। कई दफे उसक आँख अनायास ही खुल जात और
उसे ऊपर मंडराती बुरी आ माएं नज़र आती थी, फश तथा उसके पूरे बदन पर सांप,
िछपकली और िब छू रग रहे थे, उ ह दूर झटकने के बाद भी वह दृढ़ बना रहा। वह जानता
था क ये सब के वल म ह और उसक साधना को भंग करने के िलए वजूद म आये ह। वह
यह जानता था क जब तक वह सुर ा तं के दायरे म है, तब तक कोई भी शि उसे
नु सान नह प च ं ा सकती थी।
“ डो फ! डो फ़!!” एक प रिचत वर ने जमन लहज़े म उसका नाम पुकारा।
एक बार फर उसक आँख अनायास ही खुल गय । जाप क सं या याद रखने के िलए
यु क जाने वाली मनक क माला थामे ए और मं का जाप जारी रखते ए
डो फ ने देखा क उसक नानी एक शेर से लड़ते ए अपने जीवन के िलए संघष कर रही
ह। “मेरे मदद करो।” वह जमन म िच लाई।
ये सब-कु छ इतना आक मात आ था और इसका भाव इतना शि शाली था क
डो फ अपनी झ क म उठने ही वाला था। कं तु उसका िववेक उसे बचाने के िलए आगे आ
गया और उसने उस ऑि यन जादूगरनी के अपने द ली फ़ामहाउस म मौजूदगी क
अस भा ता को समझ िलया। जैसे ही उसने उस दृ य से भािवत न होने का मानिसक
िनणय िलया, वह दृ य ओझल हो गया।
इसके बाद सब-कु छ खामोशी म गत हो गया और उसने अपनी साधना जारी रखी। वह
साधना क पूरी करने क राह पर तब-तक अ सर होता रहा जब तक क आधे घंटे बाद
उसके सामने एक और अ यािशत और असाधारण बाधा नह आ गयी। िपरािमड के कांच
के दरवाजे पर असं य लोग का जमावड़ा लग गया था। उनके िविडयो कै मरे म लाइट
लगी ई थ , िजनके चमकते लैश से डो फ क आंख चुंिधया गय । उसने अपनी आँख
को बचाने के िलए हाथ ऊपर उठा िलया क तभी उसे इं सपे टर उदय ठाकु र नजर आया,
जो दृढ़ कदमो से उसी क ओर बढ़ा। उसके होठ पर िवषैली मु कान थी और उसक
रवा वर का ख डो फ क ओर था।
“अब मने तु ह रं गे हाथ पकड़ िलया है वारलॉक। म तु हारी जमानत र करवा दूगं ा
और तु ह सलाख के पीछे धके ल दूग ं ा। अब ऊंची क मत लेने वाली तु हारी वक ल भी
तु ह नह बचा पायेगी। उठो और हमारे साथ आओ।” उसने ू र और ककश लहजे म आदेश
दया।
घटना के इस तरह पलटा खाने से डो फ बौखला गया और इस बात पर हैरान रह
गया क यहाँ उसक मौजूदगी और हरकत के बारे म उस इं सपे टर को कसने सूचना दी।
वह उठने ही वाला था क उसने जेहन म कोई याल िबजली क मा नंद क धा। वह
इं सपे टर और उसके साथ मौजूद पुिलस वालो को नजरअंदाज करके आँख बंद कये ए
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मं -जाप करता रहा।


“ या तुम बहरे हो गए हो? मने कहा उठो।” इं सपे टर ठाकु र कु िपत लहजे म िच लाया-
“अपने हाथ िसर के ऊपर उठा लो और अपने को क़ानून के हवाले कर दो, नह तो भगवान
कसम म तु ह यंही ख़तम कर दूगं ा।” उसने डो फ को चेतावनी दी।
ले कन डो फ अपनी गितिविधय म िल रहा, उसने रवॉ वर के गरजने क आवाज
सुनी। गोली उसक बाय बांह से टकराई और वह मुंह के बल िगर पड़ा। द रया क लहर
पर िहचकोले खाती लकड़ी के नाव के सवार क भांित वह मं -जाप करता रहा।
“ये आदमी पागल हो गया है साहब !” डो फ ने एक कां टेबल को इं सपे टर ठाकु र से
कहते सुना। अगली बात जो उसने महसूस क , वो ये थी क उसे कई हाथ ारा उठाया
गया और सी ढ़य से उतारकर लाते ए पुिलस एस.यू.वी. क िपछली सीट पर डाल दया
गया। ह क िगर त म जकड़े कसी इं सान क भांित वह अब भी अपने होठ से मं
बड़बड़ाये जा रहा था। उसने महसूस कया क गाड़ी चल पड़ी है और उसका िज म
िहचकोले खाने लगा है। और इसके बाद सब-कु छ थम गया। ‘ या म मर गया?’ सोचते ही
वह हलकान रह गया।
उसक आंख खुल गय और उसने खुद को वापस उसी कांच के िपरािमड म आलथी-
पालथी मारकर बैठे ए देखा, जहाँ वह पुिलस ारा िगर तार कये जाने से पहले था।
उसका हाथ वचािलत प से उस जगह पर गया, जहाँ गोली लगी थी, वहां न तो कोई
ज म था, न ही खून और न ही दद। अब यह प हो चुका था क वह एक म-जाल था,
जो उसक साधना को बािधत करने और उसे बीच म ही छोड़ने को िववश करने के िलए
रचा गया था। ले कन वह कामयाब नह हो सका य क डो फ का अपने मि त क पर
पूण िनयं ण था। फर भी अभी आ म- शंसा के िलए व नह था य क उसके जेहन म
ह रनाथ क चेतावनी गूँजी- “सावधान वारलॉक! सुर ा घेरा टू ट चुका है। हम भयानक
खतरे म है।”
उसक बात पूरी होते-होते ही एक कणभेदी धमाका आ और कांच का िपरािमड रोशन
हो उठा। ये िब कु ल वैसा ही था, जैसे आसमान से फामहाउस क छत को ल य करके 100
कलो टी.एन.टी. िगरा दया गया हो। कांच के िपरािमड क दीवार व त होकर बेिहसाब
टु कड़ म िबखर गय , उसके लोहे के े म के भी तुरंत परख े उड़ गए। डो फ के कान के
परदे फट गए, धमाके ने उसे बहरा कर दया। कांच के उड़ते ए टु कड़ ने उसके िज म को
कई जगह से काट दया। वह आग के एक बड़े गोले म िघर गया और उसके कपड़े धू-धू
करके जलने लगे, िजसक जलन से उसे असहनीय पीड़ा होने लगी।
ले कन कसी चम कार के तहत उसक मौत नह ई और जब उसने अपनी आँख खोली
तो उसके कपड़े जल चुके थे और काली पड़ चुक वचा कई जगह से लटक रही थी। वह
अपनी िज दगी का सबसे हैरतंगेज दृ य देख रहा था। कांच का िपरािमड ग़ायब हो चुका
था और वह छत पर बैठा आसामान क ओर ताक रहा था, जहाँ लाल रं ग का काश
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िबखरा आ था। शंख क विन और नगाड़ के उ ोष के बीच आसमान एक जगह से फट


गया और उस फटे ए थान से कोई ाणी उड़ते ए नीचे आने लगा। जैसे ही वह नीचे
आया, डो फ ने उस िवल ण ाणी के िवशाल आकार को देखा। वह एक िवशालकाय
संह था, जो एक डायनासोर के आकार के बराबर था। वह िबना कसी कार के पंख को
फड़फड़ाए िबना आ यजनक ढंग से हवा म ि थर हो गया। जब उस शेर ने अपना िसर
नीचा कया तो उसे गोरे आदमी ने देवी भ काली को संह क पीठ पर सवार देखा।
िजस कार उस देवी को िच और मू तय म िचि त कया गया था, वह स ाई से
कोसो दूर था। वह महान और पिव शि का साकार प थी, जो देखने वाले श स के
भीतर भय और अितशय स मान का संचार करने वाली थ । ताजे खून से लाल उनक
िज वा मुंह से बाहर लटक रही थी िजससे ख़ून टपक रहा था। उनक अनिगनत भुजाएं
नाना कार के श से सुसि त थ और गले म नरमुंड क माला थी, िजनसे बहता खून
उनक गदन के चार ओर फै ला आ था। हीरे -प े, मिणक और अ य जवाहरात से जड़े
ए उनके आभूषण और मुकुट चमक रहे थे। उनक आँख इस ती ता से दहक रही थ , कोई
एक ण मा भी उनसे िनगाह नह िमला सकता था। इस बात म कोई अितशयोि नह
थी क जब महान देवी अपनी स पूण कला और शि य के साथ कट होती ह, तो
साधारण तांि क अपना मानिसक संतुलन गंवाकर आतं कत होकर भाग खड़े होते ह या
ठौर मर जाते ह।
बाद म कई ह त तक डो फ को ये सोचकर हैरानी होती रही क वह आिखर कै से उस
समय अपना मानिसक संतुलन बनाए रख पाया था और सदम से मर नह गया था। वह
हमेशा खुद को एक स त इं सान समझता आया था, िजसने हर चीज़ को देखा था और
कया भी था, ले कन कसी भी चीज से न तो च का था और न ही हैरान आ था। ले कन
इस बार उसे ये वीकार करना पड़ा क उसने मूखतावश एक ऐसी शि को जगा दया
था, जो उसके िघनौने जीवन म अब-तक आयी सभी शि य से े थी। उस महाकाय
शि के सामने वारलॉक को बौना आंकना भी अितशयोि ही थी। सवशि मान देवी के
स मुख वारलॉक क शि यां और उसके बुरे कम उतने ही तु छ थे, िजतना क शि शाली
सूय के आगे कोई पतंगा या फर कसी आकाशगंगा क तुलना मे कोई बारीक कण।
अगर वह बवंडर म फं से कसी प े क भांित िहलते और कांपते ए महान देवी
भ काली के स मुख खडा था तो ऐसा उसके हठ ने कया था, न क उसके अनुरोध ने;
उसक हैवािनयत ने कया था, न क उसक अ छाई ने; उसके लालच ने कया था, न क
उसके समपण ने और उसक कं कत िवमूढ़ता ने कया था, न क उसके साहस ने। जैसे ही
देवी उसका िसर काटने को त पर उसने गदे के फू ल का माला उठायी और कांपते हाथ
से देवी के गले म डाल दी। त प ात वह हाथ जोड़कर उनके सामने फश पर लेट गया।
“हे महान देवी! हे माँ। कृ पया इस भ का मा िनवेदन वीकार कर और आशीवाद
दान कर।” वह शराब, मांस, इ और मेमने को उनके आगे सरकाते ए िगड़िगड़ाया।
“नीच ाणी!” समूचा आकाश देवी क गजना से कं पायमान हो उठा, जो सुनने वाले
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कसी भी श स के दल म खौफ भर सकता था- “तूने मुझे साबरी साधना के तहत यहाँ
बुलाने क जुरत कै से क ? अगर तूने एक बार और अपनी गंदी जुबान से मुझे माँ कहा तो म
तेरे िसर को तेरे धड़ से अलग कर दूग
ं ी।”
“म आपका दास ँ भगवती! मेरा जीवन अब आपक दया पर है।”
“म तुझ जैसे नीच तांि क के बारे म सब-कु छ जानती ।ँ अपने पाप के िलए तू अंनत
काल तक नरक क आग म जलेगा। चूं क म तुझे कम से कम एक वरदान देने के िलए बा य
,ँ इसिलए बोल या मांगता है? म बुराई और पाप से भरे इस थान पर अपनी उपि थित
से तुझे अिभभूत करने के िलए एक पल भी अिधक नह क सकती। मुझे तुझ जैसे अनुगामी
या भ नह चािहए और य द म एक बार चली गयी तो फर कभी नह आऊँगी। के वल
इतना ही नह , अगर तूने मुझे दोबारा बुलाने क िहमाकत क तो म तुरंत ही तुझे भ म कर
दूग
ं ी।” वह गरजी।
“हे महान शि ! मेरा िनवेदन वीकार कर लीिजये और मेरी सभी तं -शि य को
पुन: जागृत कर दीिजये।”
“ता क तू िनद ष को फर से मारना शु कर दे? म ऐसा कु छ नह क ं गी।” उ ह ने
सीधे मना कर दया- “कु छ और मांग अ यथा म जा रही ।ँ ”
“मेरे दो िज मुझे वापस दला दीिजये।” वह िगड़िगगड़ाया।
“म तेरी कम से कम एक इ छा पूरी करने के िलए वचनब ,ँ इसिलए ऐसा ही होगा।”
लोहे के े म से बंधे मेमने का िसर गदन से अलग हो गया, िजसम से खून का फ वारा
छू ट पड़ा और सव शि अदृ य हो गयी। एक ण के िलए आकाश म सुराख नजर आया
और पलक झपकते ही डो फ ने पाया क वह अपने िचर-प रिचत कांच के िपरािमड म
बैठा आ है।
उसने उन िज को बुलाने के िलए पांच बार मं पढ़ा, िजससे उ ह वह िनयंि त करता
था और वे नीले काश से जगमगाते ि आयामी (३-डी) अ पारदश आदमकद ितिब ब
के प म कट हो गये।
“ वागत है िम ो। तुम दोन अब मु हो चुके हो।” डो फ ने ऐलान कया।
“इतनी ज दी नह ! एक िज ने कहा- “तुमने फर से हम भले ही िजला दया ह,
ले कन हम तु हारे मो को फर से य माने?”
“पागल मत बनो ब ! मेरी शरण म आ जाओ। तु हारे पास जाने के िलए कोई दूसरी
जगह नह है। मेरे सामने यह नख़रे या पतरे बाज़ी नह चलेगी। म कोई बे ज़ती बदा त
नह करता। मेरी बात मान लो वरना म तुम दोन को जलाकर राख कर दूग
ं ा।”
“मािलक!” ह रनाथ ने आ ह कया, "अपना आपा मत खोइए। मुझे उनसे बात करने
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दीिजये। शायद उ ह आपके साथ क गई शत को फर से याद दलाने क ज रत ह।”


“म वॉरलॉक ,ं िजसने भ काली जैसी महान शि को भी हािसल कर िलया है और ये
टु े...यह दो कौड़ी के िज , इनक इतनी िह मत हो गयी है क यह मुझ से मोल-भाव
करगे? अगर म नह होता तो ये आज भी कह िहजड़ क तरह बेकार पड़े होते।”
“य द तुमने हम िजलाया है तो तु हे इसम अपना ही फ़ायदा नज़र आ रहा होगा।"
"म तुमसे बहस नह करना चाहता। तुम दोन वापस आ जाओ; म तु ह भ काली का
साद यािन क ये मेमना और वह शराब दूग
ं ा, िजसे उ ह ने हण कया था।"
“और?”
“और तेरी माँ का सर! हराम के जनो, रं डी क औलाद ! नह ह रनाथ, तुम इससे बाहर
रहो। म इन नमकहराम कु के साथ कोई बात नह क ं गा, जो मेरे फके ए टु कड़ो पर
पलते थे और मेरा मैला चाटते थे, ये कु े आज मुझ पर ही भ क रहे ह। या तो ये मेरी शत
को मानगे या फर मेरे हाथ ख़तम हो जाएंग।े ”
एक नई आवाज ने वहां ा हो उठी डरावनी खामोशी को भंग कया। “वारलॉक से
डरो मत। ये कमजोर है, जो तु ह कोई नुकसान नह प च
ं ा सकता।” इस आवाज के तुरंत
बाद िपरािमड म भैरो और उसके ेत शमशेर क ि आयामी छिव कट हो गयी।
“यही वो अंधा बंगाली तांि क है, िजससे कनल नारं ग काम ले रहा है।” ह रनाथ
डो फ के जेहन म फु सफु साया।
“ओह, तो वह मोरी के क ड़े तुम हो, जो िपछले कु छ ह त से मुझे तंग कर रहे हो? तुमने
मेरी मांद म आने क िह मत कै से क ? तु हारी मौत ही तु हे यँहा ख च लाई है भैरो।”
“वारलॉक को छोड़ दो और मेरी साथ िमल जाओ।” भैरो ने उसक चेतावनी को
नजरअंदाज करते ए दोन िज से कहा- “वह एक छेद वाली डू बती ई नाव है और
उसके साथ तुम लोग का कोई भिव य नह है।”
“तू इन सबसे दूर रह सड़कछाप खुजली वाले कु !े ” डो फ िच लाया- “मुझे भ काली
शि हािसल हो चुक है। म तुझे जलाकर भ म कर सकता ।ँ ”
“नह ! तुम ऐसा नह कर सकते।” भैरो ने शांत लहजे म कहा- “म तु ह चुनौती देता ँ
क तुम भ काली को जगाओ और हमम से कसी को भी ख़ म करके दखाओ।” वारलॉक
इस सीधी चुनौती से दब गया और बगले झांकने लगा, जब क उसका दु मन मजबूती के
साथ डटा रहा। “तुम दोन िज ब त बड़ी भूल कर दोगे...।” तांि क भैरो एक बार फर
उनसे मुखाितब आ- “य द तुम वारलॉक के पास दोबारा गए या उसक शत पर उसक
दासता वीकार क तो। इसके िवपरीत अगर तुम मेरे पास आये तो म तु ह एक जंदा भेड़
उपहार म दूग
ं ा और हर वो चीज दोगुनी दूग
ं ा, जो यह तु ह देता था। अब तक तो तुम भी
यह जान गए ह गे क वह अपने घोर पाप के कारण यह जानवर युग -युग तक नरक क
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यातना झेलने वाला है। इसका तो पतन होना िनि त है, तु हारे पास इसके चंगुल से
हमेशा के िलए िनकलने का यही सुनहरा अवसर है। मेरा ये ताव ह रनाथ सिहत तुम
सभी के िलए है।”
“तूने अपनी मौत बुला ली है भैरो!” डो फ िच लाया।
“मुझे धमकाने से पहले खुद को बचा वारलॉक!”
फर एक साथ कई घटनाएं घट । ह रनाथ शमशेर पर झपट पड़ा, जब क वारलॉक
अपनी शि को जागृत करने के िलए कोई मं जपने लगा। भैरो ने अपनी हथेली म कट
ए पाउडर को हवा म उड़ाया और िपरािमड के फश पर तुरंत एक िब ली हािजर हो
गयी। वह पलक झपकते ही हैरतंगेज तेजी से दो िबि लय म त दील हो गयी। पांच सेके ड
म ही िबि लयाँ दो दजन से अिधक हो गय और वारलॉक पर झपटने लगी। उसके चोगे को
नोचने लग तथा अपने पंज से वारलॉक के हाथ-पैर को घायल करने लग , जब क वह
उ ह खुद से दूर झटकने का असफल यास करता रहा। उन िबि लय से पीछा छु डाने के
िलए वह कांच के िपरािमड से बाहर भागा, जो अब अपने जबड़े उसके मांस म पेव त करने
लगी थ । िभ -िभ रं ग क वे िबि लयाँ अनवरत अपनी सं या बढ़ाते ए उसके पीछे
दौड़ रही थी। जब क डो फ खुद को बचाने के िलए िगरता-पढता सी ढ़य से उतरकर
बंगले से बाहर भागा। िव तृत मैदान म एक अके ले आदमी के पीछे िबफरी और गुराती ई
खून क यासी सैकड़ िबि लय के भागने का वह दृ य अ भुत था।
िबि लय क सं या इस सीमा तक बढ़ गयी क झील के पास िजस पेड़ पर डो फ
चढ़ा, उस पेड़ के चार ओर िबि लय का समंदर नजर आने लगा। िबि लय को पेड़ पर
चढ़ता देख डो फ पानी म कू दने को मजबूर हो गया। उसका चोगा पहले ही उतरकर िगर
गया था और अब वह छाती तक पानी म िनव खड़ा था। िजस कदर िबि लयां बंगले
तथा झील के चारो तरफ़ फै ली ई थी, उनक िगनती हजार म रही होगी। वह जानता था
क अगर उस ण उसने पानी से बाहर आने क िह मत क तो वे उसे नोच-खसोट
डालगी। उसने ह रनाथ को बुलाने क कोिशश क ले कन असफल रहा, य क उस समय
ह रनाथ भैरो के खूंखार ेत शमशेर के साथ ं यु म त था।
भैरो क ि आयामी छिव कांच के िपरािमड से बाहर आयी और उन दोन िज को
साथ िलए ए हवा म उड़ चली, जो अपने शरीर से िनकल रहे काश के कारण चमक रहे
थे। इस दृ य ने डो फ को इस हद तक ोिधत कर दया क उसका शरीर थर -थर काँपने
लगा। पानी म खड़े-खड़े ही उसने अपना दायाँ हाथ उठाया और आँख बंद करके ज दी-
ज दी कोई मं बुदबुदाया। उसके हाथ म चांदी के रं ग क नुक ले िसरे वाली वाला क लौ
क मा नंद चमचमाती ई कोई हिथयारनुमा चीज कट ई।
उसने उसे भैरो क ओर फक दया, जो उससे दूर उड़ा चला जा रहा था। कसी िमसाइल
क भांित वह हिथयार तेज र तार से कु छ ही सेकड म भैरो से जा टकराया, जो मील दूर
ओखला के एक मकबरे के खँडहर म बैठा आ था। उसक शि य का सुर ा घेरा भी उसे
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उस हमले से नह बचा पाया, ले कन आिख़री ण म उस सुर ा मक घेरे ने उस हिथयार


के रा ते को बदल ज र दया, िजसके फल व प वह अंधे तांि क पर घातक हमला नह
कर सका और उसके कं धे पर के वल एक गहरा ज म ही बना पाया। उसके ज म से खून क
धारा बह िनकली और उसका चेहरा दद से िवकृ त हो उठा।
डो फ के फॉमहाउस के ऊपर उड़ रही ि आयामी छिव पर भी वैसा ही असर आ,
जैसा असर वा तिवकता म भैरो पर आ था। वह छिव धुंधली पड़ती ई बुरी तरह
लहरायी। “वह अपने आप को नह बचा सकता तो फर तु ह मुझसे कै से बचाएगा?”
डो फ उड़ते ए दोन िज पर िच लाया, जो अब अपनी उड़ान बीच म रोककर हवा म
ठहर गए थे।
“बेवकू फ मत करो।” भैरो क छाया ने कहा, “य द तुम वारलॉक के पास दोबारा गए,
तो वह तु ह िज दगी भर के िलए गुलाम बना लेगा। तुम अभी भी आजाद हो, भाग जाओ
और अपने िलए नए रा ते तलाश करो।” उसने उ ह उकसाया।
दोन िज ने सलाह पर अमल कया और रात के अँधेरे म उड़न-छू हो गए। शमशेर ने
भी ह रनाथ के साथ अपने ं को िवराम दया और अपने घायल मािलक के पास लौट
आया। भैरो के सहायक वंकल ने उसक मदद क । उसने र - ाव रोकने के िलए उसक
बांह पर एक कपड़ा बांधा और फर सुबह डॉ टर के पास जाने तक अ थायी उपचार के
तौर पर घाव पर कोई मरहम लगा दया।
दूसरी ओर, डो फ ने बाक क रात झील म खड़े होकर गुजारी य क िबि लय को
भगाने म ह रनाथ भी असमथ सािबत आ था। पौ फटने तक उसका िज म न के वल दद से
फटने लगा था बि क अकड़ भी चुका था। सुबह होने पर िबि लय ने पहले बंगले और
िपरािमड का ख कया और फर ओझल हो गय । यही वह ण था, जब बुरी तरह िमली
हार से अपमािनत और ितलिमलाए ए डो फ ने अपने सबसे ताक़तवर और खतरनाक
दु मन भैरो से बदला लेने क दृढ ित ा क ।
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अ याय 16
वरदान और मुद क वापसी

अभय राजौरी गाडन ि थत अपने घर के नजदीक मौजूद ‘ यू होली चाइ ड न सग होम’


प चं ा। शाम के पांच बजे का व था और आज वह अपने वाभािवक व से एक घंटे
पहले आ गया था। पायल वहां दो दन पहले दािखल ई थी और एक रात पहले उसने एक
सु दर और व थ ब ी को ज म दया था। हालां क वह पूरे व उसके साथ रहा था और
िपता बनते ही खुशी से झूम उठा था, तथािप उसे एक िवदेशी ितिनिधमंडल के साथ
मी टंग के िलए अिन छापूवक ऑ फस जाना पड़ा था।
पा कग ए रया से जब उसने पायल के कमरे क िखड़क पर नजर डाली तो उसे लगा क
उसने पायल के पास से कसी आदमी को तेजी से दूर हटते ए देखा। उसने इस बात पर
यादा यान नह दया और पहली मंिजल पर जाने वाली सी ढ़य क ओर बढ़ गया।
ऊपर प च ं ते ही वह अपने उतावलेपन म ाइवेट कमर क ओर जाने वाले कॉ रडोर के
मुहाने पर एक आदमी से टकरा गया।
उसने मा मांगी और उस आदमी को रा ता देने के िलए एक तरफ को हट गया, जो
लगभग 35 साल का ल बे घने बाल और चौड़े क ध वाला एक भावशाली शि सयत का
मािलक था। उसक दाढ़ी-मूंछे सलीके से बनी ई थ और आसमानी नीले रं ग के कु रते के
ऊपरी दो बटन खुले ए थे, जहाँ से उसक बाल वाली छाती और गले म मौजूद सोने क
चेन नुमाया हो रही थी। उसका चेहरा सांवला, मुखाकृ ित चौड़ी, नाक ल बी, ह ठ चौड़े
और भावपूण आँख बादाम के आकार क थ ।उसने एक अलग़ से और तेज़ पर यूम लगा
रखी थी। अपनी बड़े-बड़े हाथो म उसने िसगरे ट का पैकेट, लाइटर, मोबाइल और कार क
चाबी पकड़ी ई थी। वह गहरी िनगाह से अभय का मुआयना करते ए चले गया।
िजस ण वह नीचे उतर रहा था, ठीक उसी ण उसका मोबाइल बजा और अभय ने
उसे कहते ए सुना- “यस, द ा िहयर!”
कमरे म दािखल होते ही अभय के नथुन से दवा के साथ वैसे ही गंध टकराई जैसी
गंध उस रह यमय आदमी के कपड़ से आ रही थी। उसने पायल को िब तर पर पड़े ए
देखा। वह इस कदर िबफरी ई थी, मानो थोड़ी देर पहले ही कसी के साथ उसक गहमा-
गहमी ई हो। वह अपना चेहरा छत क ओर कये ए अपने िवचार म इस कदर गुम थी
क अभय के आगमन से तब-तक वा कफ नह हो पायी, जब-तक क अभय ने अपना गला
नह खंखारा। पायल ने अपनी भाव-भंिगमा को प रव तत कया और जबरद ती
मु कु राई।
“तुम कहाँ चले गए थे?” उसने िनरथक-सा सवाल कया।
“मने तु ह सुबह बताया तो था क मुझे एक ज री मी टंग के िलए ऑ फस जाना है।
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म मी कहाँ ह?"
“वे तरो-ताजा होने और मेरी मंगाई ई कु छ ज री चीज लाने के िलए घर चली गय ।
वे कह रही थ क तु हारे आने के बाद जायगी ले कन मने उनसे कहा क म ठीक ँ और
पेशट क देखभाल करने के िलए यहाँ टाफ है, इसिलए उ ह चंता करने क ज रत नह
है।”
“वह आदमी कौन था, जो अभी-अभी यहाँ से गया? या कोलकाता या िशमला से
तु हारा कोई प रिचत था?” अभय ने खुद को सहज दखाते ए पूछा।
“कौन सा आदमी? यहाँ तो कोई नह आया।” उसने जवाब दया और थके ए अंदाज म
आँख बंद कर ली। अभय ने देखा क उसके चेहरे का रं ग इस तरह उड़ा आ था, जैसे उसे
रं गे हाथ पकड़ िलया गया हो। अभय ये सोचकर हैरान था क आिखर वह रह यमय कौन
था? और वह पायल के ब ा जनने के तुरंत बाद ही उससे िमलने य आया?और य
पायल झूठ पर झूठ बोल रही थी?
ब े के रोने के वर ने उसके िवचार- ृंखला को भंग कया और उसने अपनी बेटी को
पालने से उठाकर सीने से लगा िलया। रोने से उसका यान भटकाने के िलए वह उसे हौले-
हौले िहलाने लगा। ब ी ने रोना बंद कर दया। अभय का ेह अपनी उस बेटी पर उमड़
पड़ा, िजसे पहली दफा देखने के बाद से ही वह कसी गौरवाि वत बाप क भांित ये
महसूस कर रहा था क उसक बेटी संसार क सबसे ख़ूबसूरत ब ी है। िपतृ- ेम क
अनुभूित होते ही उसके सभी शक-शुबहे दूर हो गए। एक बार फर उसने महसूस कया क
वह अपनी प ी के ित कृ त है, िजसने उसे ऐसा शानदार उपहार दया था।
“जब तुमने मेरे साथ शादी के िलए हामी भरी थी तो मने खुद को बेहद लक महसूस
कया था पायल।” उसने बेड पर बैठकर पायल का हाथ थमाते ए कहा- “और आज म
उस एहसास को दोगुना महसूस कर रहा ँ य क अब मेरी िज दगी म दो ख़ूबसूरत
लड़ कयाँ ह।”
अभय के दमकते और भावपूण चेहरे क ओर देखते ए पायल ने कहा- “मने अपने उस
फै सले पर कभी शक नह कया अभय! तुम संसार के सबसे अ छे पित हो।”
“सही मायने हम आज एक प रवार बने ह। हम तीन हमेशा साथ रहगे और इसी तरह
खुश रहगे।” अभय ने कहा।
“आमीन!” पायल ने भी सहमित क।
वे तीन लगभग आधे घंटे तक इसी तरह बैठे रहे, जब तक क नरे श और शािलनी नह
आ गये। "माय वीट डा लग!” शािलनी ने पायल क गाल चूमते ए कहा- “न ह परी
कहाँ ह?” कहने के बाद उसने अभय के हाथ से ब ी को ले िलया।
ब ी को फर से रोता देख पायल ने कहा- “वह मासी के इतनी देर से आने पर गु से म
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है।”
“तु ह इसके िलए नरे श को दोष देना चािहए।” शािलनी ने कहा- “जो मुझे इधर-उधर
भटकाता रहा।”
“ब त सारा काम थे।” अभय को गले लगाने और पायल के माथे पर ेहपूवक हाथ
फे रने के बाद उसने सोफे पर बैठते ए कहा- “िपछला स ाह ब त भाग-दौड़ भरा रहा।
शािलनी और अपने दादा-दादी के वीजा के िलए मुझे ब त पापड़ बेलने पड़े। ये बेहद
अफसोसजनक है क तुम दोन अगले महीने इं लड म हमारी शादी म शरीक नह हो
पाओगे।”
“हम पायल के िडलीवरी के बाद इतनी ज दी एक छोटी सी ब ी के साथ ेवल नह कर
पायगे।” अभय ने कहा।
“म समझ रहा ,ँ इसीिलये तो हम मामले को अिधक तूल नह दे रहे ह।” नरे श ने
अपना च मा दु त करते ए कहा-
“ले कन हम तुम दोन को सबसे यादा िमस करगे।”
“शादी क सभी तैया रयां पूरी हो गयी ह?” अभय ने पूछा।
“इं लड म ढेर सारे अंकल, आंटी और किज स से भरा मेरा प रवार ब त बड़ा है। और वे
सभी लोग सारी तैया रयां पूरी करने के िलए मेरे माम-डैड के साथ ह। पहले पंजाबी तौर-
तरीक से गु ारे म हमारी शादी होगी और उसके बाद क युिनटी हॉल म ज मनाया
जाएगा।”
“तुम मुझे उन सारे फं श स क सी.डी.ज र भेजना और जब यहाँ आना तो वे डंग
ए बम लेकर आना।” पायल ने शािलनी पर म दनदनाया।
“ज र! हम दोन क फॅ िमली ने या तो यहाँ द ली म या फर जाल धर म रसे शन
रखने क ला नंग क है, जहाँ नरे श के कई ऐसे र तेदार रहते ह, जो इं लड म हमारी
शादी म शािमल नह हो पायगे।”
“तु हारे खुद के र तेदार का या?”
“माम और डैड हमारे उन र तेदार के साथ यू जस से सीधे ल दन के िलए उड़ान
भरगे, जो अमे रका और कनाडा म रहते ह। मेरे डैड क ि टश हाई कमीशन के एक
ऑ फसर से पहचान है, जो शादी को अटड करने वाले हमारे दस करीबी र तेदार के
वीजा-आवेदन को एक दो त होने के नाते ज दी वीकृ त करवाने म हमारी मदद करे गा।
“और गुड़गाँव के काल-सटर म तु हारी जॉब का या?”
“मने िपछले ह ते रजाइन कर दया य क अब म नरे श के साथ हमेशा के
िलए इं लड जाने वाली ।ँ अब मई वंही पर जॉब कर लूंगी।
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“हनीमून के िलए कहाँ जा रहे हो?”


“नरे श तो ई ट एिशया: संगापुर, मलेिशया, थाईलड या कै रे िबआई देश म जाना
चाहता है जब क म यूरोप, ांस, ि व ज़रलड और ऐ स को ाथिमकता दे रही ।ँ देखते
ह कसक चलती है। ओह! म तो भूल ही गयी। म सभी लोग के िलए घर पर बना आ
खाना लायी ।ँ ”
“तुमने ऐसे ही तकलीफ़ करी शािलनी!”
“नॉनसे स! मुझे बस इतना बताओ क तु हे भूख लगी है या फर हम थोड़ी देर बाद
खाएं ?”
“मा कपड़े बदलने घर गयी ह, हम उनके साथ ही खायगे। म उ ह फोन करके कह देती ँ
क वे खाने म कु छ न बनाए और सीधी यह चली आय।” पायल ने अपना मोबाइल उठाते
ए कहा।
तभी नसरी से आया आ गयी। ब ी को लेकर उसके चले जाने के बाद वे चार पुराने
दो त पायल क माँ के आने तक गपशप करते रहे। इसके बाद उ ह ने बतौर भोजन,
दिलया, भंडी क स जी और चपाती खाई और साथ म ज ा के िलए बनाय गयी पंजीरी
का आनंद िलया। खाना खाने के बाद शािलनी और नरे श चले गए। साढ़े नौ बजे के आस-
पास अभय भी घर चला गया, ता क सुबह चाय और ना ते के साथ वापस लौटे। जब क
पायल क माँ ने लगातार दूसरी रात भी न सग होम म ही गुज़ारी। उ ह उ मीद थी अगली
सुबह ज ा-ब ा को देखने के बाद डॉ टर उ ह छु ी दे दगे।

डो फ चानहर के ए टेट का िव तृत भू-भाग अँधेरे म डू बा आ था। वह झील के पास


ि थत फ़ामहाउस के कचन म बैठा आ था। उसने दो मोटी मोमबि यां जला रखी थी।
वो टेज म अचानक आये उतार-चढ़ाव के कारण इं टरनल वाय रं ग का एक िह सा जल
गया था, िजसके कारण िपछले पं ह िमनट से लाइट नह थी। उसने जले ए तार के धुंए
और गंध को िनकालने के िलए सभी िखड़ कय और दरवाज को खोल दया था।
वह वसंत-िवहार ि थत अपने बंगले पर जाकर अगले दन कसी इलेि िशयन को
भेजने के बारे म सोच रहा था, ता क वह तारो को ठीक कर सके , क तु उसे अपने दो त
रोिहत के आने का इं तजार था, इसीिलये वह वंही टका आ था।
एक विन ने उसका यान ख चा। यह आवाज़ वैसी ही थी, जैसे कसी ने ह के से
िखड़क के शीशे को थपथपाया हो। वह उठा और खुली ई च िखड़क के पास प च ं ा।
कडल टड, िजसम दो मोटी मोमबि यां जल रही थ , को थामे ए उसने िवशाल ए टेट
के खालीपन का मुआयाना कया। काले बादल क ओट से आधा चाँद बाहर आया और वह
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बंजर भूिम ह क रोशन से नहा उठी। बारीश क ह क बूंद के साथ सद हवा भी बह रही
थी, जो इस बात क पुि कर रही थी क बारीश होने वाली है। हवा के कारण मोमब ी
क लौ के कं पकं पाते ही उसके पीछे मौजूद डो फ क परछा भी कं पकं पाई।
डो फ को लगा क वहां ऐसा कोई नह था, जो आवाज पैदा कर सके या तो उसके
कान बज रहे थे या फर शायद हवा क वजह से ऐसा आ था। वह पलटा और वापस
कचन क ओर बढ़ गया। ले कन तभी कांच टू टने क तेज आवाज ने उसे रा ते म ही रोक
दया। वह िखड़क को देखने के िलये तुरंत एिड़य के बल घूमा। उसने जो हैरतअंगेज दृ य
देखा, उसने उसे दो कदम पीछे हटने को मजबूर कर दया। हैरत से मुंह खोले ए वह उस
दृ य को देखने लगा, जो उसक िज दगी का सबसे हैरतंगेज दृ य था। उसक रीढ़ क ह ी
से सद लहर गुज़र गई।
वह घाघरा-चोली पहनी ई आठ साल क एक थुलथुल लड़क थी, िजसके माथे से खून
रस रहा था। वह िखड़क के शीशे को तोड़ने के बाद अंदर दािखल होने क कोिशश कर
रही थी। डो फ उसे पहचान गया। ये वही लड़क थी, जो कु छ महीने पहले ही उसक
िशकार बनी थी। उसने उसे अगवा कया था और उसक शैतान के सामने बिल चढ़ा दी
थी। डो फ को मौत से पहले क उसक यं णामयी चीख याद आ गय । उसे अपने पूरे
बदन के र गटे खड़े होते ए महसूस ए और वह वँहा से भाग खड़ा आ। जीवन म पहली
बार वह इस कदर खौफजदा आ था।
ले कन कचन म एक दूसरा खौफनाक दृ य उसका इं तज़ार कर रहा था। डाइ नंग टेबल
क कु स , िजस पर से वह उठा था, उस पर एक बूढी मिहला बैठी ई थी। वह झुर दार
चेहरे , ल बे और बेतरतीब बाल वाली एक भारी-भरकम मिहला थी, जो बेहद बीमार
नजर आ रही थी। छाती म गंभीर प से कफ जाने के कारण वह खांस रही थी। उसके पास
देखभाल करने वाला कोई नह था। “बेटे, या तुम मुझे थोड़ा भोजन-पानी दे सकते हो? म
ब त भूखी ।ँ ” उसने कहा और फर से खांसने लगी।
ले कन कचन म एक दूसरा खौफनाक दृ य उसका इं तज़ार कर रहा था। डाइ नंग टेबल
क कु स , िजस पर से वह उठा था, उस पर एक बूढी मिहला बैठी ई थी। वह झुर दार
चेहरे , ल बे और बेतरतीब बाल वाली एक भारी-भरकम मिहला थी, जो बेहद बीमार
नजर आ रही थी। छाती म जमा बलग़म के कारण वह लगातार खांस रही थी। उसके पास
देखभाल करने वाला कोई नह था। “बेटे, या तुम मुझे थोड़ा पानी और कु छ खाने को दे
सकते हो? म ब त भूखी ।ँ ” उसने कहा और फर से खांसने लगी।
डो फ को ‘देजा-वू’ का एहसास आ। ये उस घटना क पुनावृित थी, जो तीन साल
पहले घ टत ई थी। ले कन ऐसा कै से हो सकता था? बु ढ़या डो फ को तीन साल पहले
सड़क पर भटकती ई िमली थी, जहाँ से वह उसे ए टेट ले आया था। या वह पागल हो
रहा है? उसक हथेली पसीने से तर हो रही थी। वह अपने पीछे दीवार को महसूस कर रहा
था। उसका मुंह अनायास ही खुल गया था और वह साँस लेने के िलए ज ोजहद करने लगा
था।
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इससे पहले क वह उस भयानक दृ य से उबर पाता, उसके बेड म का दरवाजा खुला,


उससे एक लड़का बाहर िनकला और िबना िहच कचाए कचन म आ गया। डो फ और
िचड़िचड़ी बु ढ़या को नजरअंदाज करते ए उसने रे जरे टर को खोला, के क का एक
टु कड़ा उठाया और चला गया। यह तो वही लड़का था, जो उसके घर के दरवाजे पर बैठा
रहता था और िजसे उसने के क और पे ी का लालच देकर यहाँ लाया था? डो फ को याद
आया क उसने उस लड़के से कया अपना वादा पूरा करने क बजाय अमाव या को उसका
सरकलम कर दया था।
उसने कचन से बाहर िनकल कर घास के मैदान क ओर दौड़ लगा दया। जब थक गया
तो एक पेड़ के नीचे ठहर कर उसके तने से अपनी पीठ टका ली। तने के सहारा िमलते ही
उसक पलक बोिझल होने लग और उसे न द आने लगी। वह नीचे बैठ गया और दोन
हथेिलय से अपना चेहरा ढक िलया।
“उसक ओर देखो!” बु ढ़या का फटकार भरा वर सुनकर उसने अपनी आँख खोल दी।
जब डो फ ने ऊपर देखा, तो पाया क िजस पेड़ के नीचे वह बैठा आ था, उसक
डाली से एक युवती का िज म लटक रहा था। बाहर क ओर उबली ई आँख के कारण
वह डरावनी नजर आ रही थी। उसक जीभ बाहर लटक रही थी, गदन फू ल गयी थी और
चेहरा काला पड़ चुका था। फ दा लगायी गयी साड़ी के साथ उसका िज म हौले-हौले िहल
रहा था। उसके िज म पर फटा आ लाउज और पेटीकोट था, िजसके नीचे उसने कोई
अधोव (पटी) नह पहना आ था।
“उसे यहाँ से जाने के िलए कहो। मने इससे कई दफे ऐसा न करने के िलए कहा, ले कन
इसने मेरी एक नह सुनती।” बु ढ़या ने डो फ से िशकायती लहजे म कहा।
उसने नासमझ अंदाज म फर से उसक ओर से देखा। उसे याद आ रहा था क सुि मता
नाम क वह युवती बतौर फै शन िडज़ाइनर काम करती थी और टायर पं चर हो जाने के
कारण महरौली म फं स गयी थी। उसक मदद करने के बजाय डो फ उसे अपने टेशन
वैगन म ख च लाया था। उसने उसक साड़ी उतार दी थी, कपडे फाड़ दए थे और कार म
ही उसके साथ बला कार करने लगा था। ए टेट प च
ँ ने के बाद उसने वहशत का वह नंगा
नाच कई दफे दोहराया था। उसने हरसंभव तरीके से उसके साथ सारी रात दु कम कया
था। अपनी ताकत के अहंकार के मद म चूर होकर उसने लड़क क िगड़िगड़ाहट को
अनसुना कर दया था।
उसने अगली सुबह अपनी क़ै दी को दो दन बाद आने वाली अमाव या को बिल चढाने
के इरादे से कांच के िपरािमड म प च
ं ा दया था। उसने वापस लौटने पर पाया था क वह
कसी तरह अपने आप को छु डाने म सफल हो गयी थी, ले कन भागने क बजाय उसने
फामहाउस के एक पेड़ क डाली से अपनी साड़ी के ज रये फं सी लगा लेना बेहतर समझा
था। जब तक डो फ ने सुि मता क लाश को देखा, तब तक वह अकड़ चुक थी और
उसका चेहरा काला पड़ चुका था। उसने उसे पेड़ क डाली से उतारकर महरौली म सड़क
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के कनारे एक ग े म डाल दया था, जहाँ से कु छ दन बाद पुिलस ने उस लाश को


बरामद कर िलया था।
वह हर रोज अखबार म लड़क के माँ-बाप के बयान भी पढ़ता था, िजसम वे अपनी
बेटी के अपहरणकता से गुहार लगाते थे क वह उसे िबना कोई नुकसान प च
ं ाए छोड़ दे।
मीिडया और पि लक क दुहाई पर पुिलस ने भी अपनी ओर से कारवाई करते ए दजन
लोग को हवालात म ठूं सकर उनसे पूछ-ताछ क थी, ले कन के स को हल करने म नाकाम
रही थी। चूं क उसक लावा रस कार महरौली इलाके म बरामद ई थी, इसिलए
पुिलसवाल ने चार मील के दायरे म मौजूद सभी फ़ामहाउस मािलक और वहां काम
करने वाले कमचा रय से पूछ-ताछ क थी, यहाँ तक क उ ह ने एनसीआर (नेशनल
कै िपटल रीजन या रा ीय राजधानी े ) तक अपनी टीम भेजी थी, ले कन नतीजा फर
भी िसफर रहा था। इसी िसलिसले म पुिलस वाले डो फ के फ़ामहाउस तक भी आये थे
और टीन इ ायरी क थी, ले कन अपने सवाल के जवाब से संतु होकर वापस लौट
गए थे।
और अब घटनाएं खुद को फर से दोहरा रही थ , ले कन ऐसा कै से संभव था? डो फ
हैरान रह गया, जब उसने पेड़ से लटक रही लड़क क लाश के चेहरे क ओर देखा य क
अचानक ही लाश क आँख खुल गय थ । वह बुरी तरह िसहर उठा। लटक ई युवती
हंसने लगी। रग म िसहरन भर देने वाली लाश क हंसी देख उसक रीढ़ क हि य म सद
लहर दौड़ गयी। बु ढ़या जोर-जोर से ताली बजाने लगी। दोन ही उस ह यारे क दयनीय
दशा पर मजे ले रही थ , िजसने उन पर जु म-ओ-िसतम ढाया था, ले कन अब पासे पलट
गए थे।
वह उठकर भागना चाहता था, ले कन उसका िज म मानो बेजान हो चुका था। उसके
पैर म इतनी ताकत भी नह बची थी क वह खड़ा हो सके । पेड़ से लटकती ई युवती और
उस खौफनाक बु ढ़या के साथ वह थुलथुल लड़क , िजसने िखड़क का शीशा तोड़ा था और
वह लड़का भी, िजसके हाथ म के क का एक टु कड़ा था, शािमल हो गए। उ ह ने डो फ के
चार ओर से घेर िलया, वह कु छ ही िमनट के अंतराल म बूढ़ा और असहाय नजर आने
लगा था। वह कसी डरे ए चूहे क तरह मानो खुद म ही िसमट जाना चाहता था।
“तुम या चाहते हो?”
“बदला!” लटकती ई युवती ने कहा।
“ले कन...ले कन तुम सब मर चुके हो।”
“हम तु ह सजा देने और तु ह अपने साथ ले जाने के िलए लौट आये ह।” उसने कहा।
“डरो मत बेटे!” लावा रस बु ढ़या ने कहा- “मौत उतनी बुरी नह होती, िजतनी लोग
इसे बनाने क कोिशश करते ह। और तु हारा साथ देने के िलए हम लोग तो यहाँ ह ही।”
“म मरना नह चाहता।”
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“तो या हम मरना चाहते थे?” लटकती युवती ने ककश लहजे म पूछा- “ या तुमने या
मौत ने हम पर कोई रहम कया था?”
“तुम लोग मुझे नुकसान नह प च ं ा सकते। म शैतान के टोले म ।ँ म ब त ही
शि शाली ,ँ म अजेय ।ँ ” वह िच लाया।
यह सुनते ही सभी ेत हंसने लगे। छोटा लड़का के क खा रहा था, इस बात से बेखबर क
बड़े या कर रहे ह। लटकती ई युवती ने अपना फं दा खोला और जमीन पर कू द पड़ी।
उसने छोटे ब े के बगल म खड़े होकर उसके िसर पर अपना हाथ फे रते ए कहा- “ कतना
यारा था ये ब ा, देखो तुमने इसे या बना दया।” उसने डो फ से कहा।
अगले ही ण लड़के का सामा य चेहरा एक िवकृ त चेहरे म त दील हो गया। िजसक
के वल एक आँख थी, और चमड़ी भी जगह-जगह से गायब था। उस थुलथुल लड़क के भी
हाथ गंद,े उं गिलयाँ काली और नाखून ल बे थे, जो उस लड़के के साथ खड़ी थी। इन सब
चीज ने डो फ को खौफजदा कर दया, जो अब सांस लेने म क ठनाई महसूस करने लगा
था। सहसा उसके नीचे क जमीन कांपने लगी और वह आनन-फानन म खड़ा हो गया।
पहले उसने जमीन से दो छोटे-छोटे हाथ को बाहर िनकलते देखा और फर एक िसर। वह
मजदूर का वही दफनाया आ ब ा था, िजसे उसने पायल के सामने बिल चढ़ाया था और
जो खुद से ही जमीन से बाहर िनकलने क कोिशश कर रहा था। डो फ के िशकार ए
लोग के भूत उसके करीब आने लगे। वह पूरी ताकत से िच लाया- “मेरे पास मत आओ।
मुझसे दूर रखो।” लाश से उठने वाली िघनौनीदुग ध उस पर हावी हो गयी और उसने
उ टी कर दी। तभी उसे महसूस आ जैसे उसके चेहरे पर पानी के छ टे पड़ रहे ह।
“ डो फ! डो फ!!” उसने अपनी आँख खोल और अपनी गल ड लीना का चेहरा खुद
पर झुका आ पाया। उसने काले रं ग क नाईटी पहनी ई थी, िजससे उसके गोरे भारी
उरोज नुमाया हो रहे थे।
“ या आ तु ह? तुम ‘मेरे पास मत आओ!’ िच ला रहे थे। या तुमने कोई बुरा सपना
देखा?” उसने पूछा।
“म सो रहा था?” डो फ ने दुिवधा त लहजे म पूछा।
“ या तु ह याद नह है? तुम गुड़गांव म मेरे लैट पर हो। तुम शाम को यहाँ आये थे
और हमने साथ म िडनर कया था।” उसने उसे याद दलाने क कोिशश क - “बाथ म म
जाओ और अपने आप को साफ़ करो। तुमने अपनी बिनयान और पायजामे पर उ टी कर
दी है। हो सकता है क हमने जो मीट खाया था, वह बासी रहा हो, िजसक वजह से
इनडाईजेशन (पेट म गड़बड़) आ।”
डो फ िब तर से बाहर आया और बाथ म क ओर बढ़ गया। दरवाजे क िचटकनी
चढ़ाने के बाद उसने अपने चेहरे और शरीर को साफ़ करा और अपने गंदे कपड़ो को एक टब
म फ़क दया। टॉवल से अपना बदन साफ़ करते ए उसने िचटकनी उतारी और दरवाजे
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को आधा खोलकर आवाज दी- “लीना, मुझे एक जोड़ी साफ़ बिनयान और अंडरिवयर
दो।”
ले कन कोई जवाब नह िमला। उसने अपने अनुरोध को कई दफे दोहराया और फर
दरवाजे को पूरा खोल दया। वह ये देखकर भौच रह गया क उसक िनगाह के सामने
महरौली ि थत उसके फ़ामहाउस का बेड म था। पीछे पलटने पर उसने पाया क वह
अपने बाथ म म था, न क गुड़गांव ि थत लीना के लैट म। िगरते-पड़ते ए वह बाथ म
से बाहर आया और कारपेट से ढके फश पर बैठ गया। वह िनि त प से पागल हो रहा
था! एक ण उसने अपने फ़ामहाउस म उन ेत को देखा था, अगले ही ण वह लीना के
लैट म जगा था और अब तुरंत बाद उसने खुद को फर से फ़ामहाउस म पाया था। ब त
कोिशश के बाद उसे ये तो याद आया क वह लीना के लैट पर गया था, साथ म िडनर
कया था और सोने से पहले उसके साथ हमिब तर भी आ था, ले कन उसे नह ये याद आ
सका क ये सब-कु छ उसी शाम आ था या फर कसी और दन?
“ डो फ!” उसे अपने नानी क कड़कती आवाज सुनाई पड़ी, जो जमन-ऑि या बॉडर
पर बसे एक छोटे से क बे क कु यात तांि क (िवच) थी। आँख खोलने पर उसने पाया क
एक बार फर वह एक छोटे ब े के प म जंगल म अपनी नानी के साथ था। ‘तु ह पूरे
यान से ये सीखना होगा।’ वह उसे जमन भाषा म डांट रही थी।
“अगर तुमने गलती क , या असफल ए तो शैतानी ताकत तु ह ख़ म कर दगी। तुम
इस घमंड म मत रहो क िजस कार कबूतर , मुग , कु और मेमन को िबना कसी
िहचक या पछतावे के बिल चढ़ा देते हो, उसी कार कसी इं सान को भी बिल चढ़ा दोगे।
इं सान को मारने क कला इतनी आसानी से नह आती। इस तरह के काम को करने के िलए
प थर का कलेजा होना चािहए। अगर तुम मेरा अनुसरण करोगे और मेरा कहा मानोगे तो
म तु ह एक िसपाही के जैसा बना दूग
ं ी, जो एक क़ ल क मशीन क तरह होता है और
िबना रहम कये कसी को भी मौत के घाट उतार सकता है। ले कन अगर तुम डर गये या
मुि कल व म अपना होश कायम नह रख पाए तो तुम खुद मौत के मुंह म समा जाओगे।
कसी पर भी रहम मत करो, तु हारे अलावा हर कोई दु मन है और बिल चढ़ाए जाने के
लायक है।” उसने उस छोटे और नासमझ ब े के दमाग म जहर घोलते ए कहा।
अगले ही पल डो फ ने र गटे खड़े कर देने वाला दृ य देखा। डो फ का िशकार ए
लोग के भूत पीछे से आए और उसक नानी पर झपट पड़े। देखते ही देखते उ ह ने उसे
नोच-खसोट कर मौत के घाट उतार दया। इसके बाद वे डो फ क ओर मुड़।े “हमारे िलए
मुसीबत मत खड़ी करो डो फ! तुम हमसे या अपने ार ध से नह बच सकते।” सुि मता
ने कहा।
“नह ! मुझे अके ला छोड़ दो।” वह िच लाया और पास के ही एक पेड़ के तने पर अपना
सर मारने लगा।
िसर म पीड़ा क तेज लहर और दरवाजे के पीटे जाने के ती शोर ने उसे आंख खोलने
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को िववश कर दया। आंख खोलने पर उसने खुद को फर से लीना के लैट के बाथ म म


पाया।
“दरवाजा खोलो डो फ! या आ, तुम िच ला य रहे हो?”
वह संगमरमर के गीले फश से उठा और दरवाजे क िचटकनी िगरा दी।
लीना आंधी-तूफान क भांित अंदर दािखल ई और उसे स भालते ए बोली- “आिखर
हो या रहा है डो फ? या तुम मुझे डराने क कोिशश कर रहे हो?”
“मुझे खुद नह समझ म आ रहा है क मेरे साथ या हो रहा है?” वह बाथ म से बाहर
आकर िब तर पर िनढाल हो कर िगर पड़ा।
“तुम आधे घ टे पहले ही खुद को साफ करने के िलए बाथ म म गये थे और फर अभी-
अभी मने फर से तु ह िच लाते ए सुना। या तु हारी आंख लग गई थी और तुमने फर
से कोई बुरा सपना देखा? या तुम पर दौरा पड़ा था?”
“मुझे कोक दो!” उसने आदेश दया- “मेरा िसर दद से फटा जा रहा है।”
“म अपने लैट पर कोक न नह रखती। म कोई नशेड़ी थोड़े ।ं ” लीना ने कहा,
“तु हारा चेहरा सफे द पड़ गया है। या तुमने बाथ म म अपना िसर दीवार पर मारा
था?” उसने डो फ के िसर पर अपना हाथ फराते ए कहा, जहां गूमड़ िनकल आया था।
“मुझे कोक लाकर दे हरामजादी, वरना म तुझे क़ ल कर दूग
ं ा।” उसने गु से म कहा और
अपने ोध तथा बौखलाहट म बेकाबू होकर हंसक हो उठा। उसने बेड के पास साइड टेबल
पर रखे डीवीडी लेयर को दोन हाथ म उठाया और उसे सामने क दीवार पर फ़क कर
चकनाचूर कर दया। वह इतने पर ही नह का। उसने तांबे का गुलद ता उठाया और उसे
109 इं च के एलईडी टीवी क न पर दे मारा। टीवी न को व त होता देख लीना
चीखी क तु उसक चीख से बेखबर डो फ ने उसने अपने िशकं जे म कस िलया और
उसका गला घ टने लगा।
“मुझे छोड़ो डो फ! म मर जाउं गी।”
“मुझे कोक दे कु ितया , वरना म तेरी गदन तोड़दूग
ं ा।” वह एक दीवाने क तरह
िच लाया।
“म कसम खाकर कहती ं क मेरे पास कोक नह है, ले कन ाइं ग म के बार म कॉच
ि ह क है।” उसने कसी तरह कहा।
डो फ ने िसर िहलाया और उसे छोड़कर ाइं ग म क ओर बढ़ गया। लीना स भली
और उसने तुर त बेड म का दरवाजा अंदर से बंद कर दया। ले कन डो फ पर इसका
कोई भाव नह पड़ा। बार म बैठकर उसने बोतल खोली। पहला पैग हलक म उतारते ही
उसे लगा मानो उसके गले और ास-नली को जलाते ए गदन से लेकर पेट तक आग क
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एक लहर उतर गयी हो। ले कन उसने पीना नह छोड़ा।वह सारी रात नह सोया और
तीन-चौथाई बोतल पी गया।

अगली रात ए टेट पर प च


ँ ने के बाद डो फ ने एक बार फर से अपने मु य सहायक
को आवाज लगाई। “ह रनाथ! आज आमवस क रात है। अपने इ तकाम क शु आत करने
से पहले म मोलॉक को एक और नरबली दूग ं ा।”
“ले कन तुमने इं सान का इं तज़ाम तो कया नह है।”
“देखते जाओ!” उसने कहा और अपनी कमीज फाड़ कर उतार दी। वह सी ढ़याँ चढ़कर
ऊपर कांच के िपरािमड म प चं ा और बिल का लबादा पहनकर और सुनहरा मुखौटा
लगाकर इ मीनान से बाहर आ गया।
इसके बाद वह टॉय ेन पर सवार हो गया। ये नई टॉय ेन उस पुरानी टॉय ेन क
जगह पर आयी थी, जो कु छ महीने पहले पटरी से उतर जाने के कारण दुघटना त होकर
पूरी तरह न हो गई थी। टॉय ेन क सवारी करते ए उसे सकस म िबटटू क ह क सी
झलक नजर आयी। वह पागल आदमी अपने दोन हाथ फै लाए ए, हवा म उछलते-कू दते
और ‘बाबा बाबा लैक शीप!’ गुनगुनाते ए बेतहाशा चला जा रहा था। टॉय ेन के अगले
िह से पर लगे लप क रोशनी म िजस ण डो फ ने उसे देखा था, उस ण वह पट रय
के पास था।
ले कन इससे पहले क डो फ ेन को रोक पाता, िब टू पीछे छू ट गया। डो फ ने ेक
लगाया और गाड़ी के पूरी तरह कने से पहले ही िड बे से छलांग लगाकर अपने िशकार
क ओर दौड़ पड़ा। ज द ही उसने िशकार को पकड़ भी िलया। डो फ को बिल के लबादे
म देखकर िब टू ने उछलना-कू दना बंद कर दया। दोन आदमी एक दूसरे के सामने
चुपचाप खड़े हो गए। वे दोन ही एक-दूसरे के इरादे और उसक अगली चाल का अनुमान
लगाने क कोिशश कर रहे थे।
डो फ ने आगे बढ़कर िब टू को दबोच िलया, ले कन वह पागल उसे ध ा देकर आजाद
हो गया। वह िजतनी तेजी से भाग सकता था, उतनी तेजी से भागा। हालां क वह पागल
था ले कन जानवर और इं सानो - दोन म जान के ख़तरे को सूँघने क ज मज़ात मता
होती है। ले कन उस धुन के प े और ू र वारलॉक से कोई मुकाबला नह था। वारलॉक ने
ज द ही उसे पकड़ िलया और घसीटते ए टॉय ेन तक लेकर आ गया।
िब टू चीख रहा था और अ ुपूण ने के साथ हाथ जोड़ते ए िगड़िगड़ा रहा था।
“तुम इतने डरे य रहे हो ब े?” डो फ ने अपना मुखौटा उठाकर अपने दािहने हाथ
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से िब टू के बाएं गाल को थपथपाते ए कहा, िजसक कलाई म उसने टैग यूअर क


र टवाच पहन रखी थी। “म तुमसे वादा करता ं क म तु ह इतनी ज द और आसान
मौत दूग
ं ा क तु ह पता ही नह चलेगा। और जब तुम मर जाओगे, तो म तु ह भी ह रनाथ
क तरह अपना गुलाम बना लूंगा।”
“ले कन म मरना नह चाहता!” डर से िब टू क िघ घी बंध गयी थी।
“कौन मरना चाहता है? और फर तुमने ये सब तब य नह सोचा, जब मेरी गाड़ी म
छु पकर मेरे इं ि ट ूट म जाकर कपड़े बदलती लड़ कय को देख कर मजे करते थे?”
डो फ ने िब टू को पहले िड बे म फ़क दया और फर उसे अपने जूत के तले दबाकर
बैठ गया। अपने चेहरे पर फर से मुखौटा लगाकर वह टॉय ेन को वापस फामहाउस तक
ले गया। वह िब टू क दुहाई को नजरअंदाज करते ए उसे छत पर मौजूद कांच के
िपरािमड म ले गया। खौफजदा िब टू कांच के उस िपरािमड के फश पर िनढाल पड़ गया,
जब क डो फ उ टी लटक ई काली मोमबि य क ह क रोशनी म मं का लयब
जाप करते ए ‘मृ यु-का नाच’ करने लगा।
धीरे -धीरे वारलॉक का जाप उ होता गया और इसी के साथ उसके ‘मृ यु के नाच’ ने
भी र तार पकड़ ली थी। वह िब टू को घसीट कर मोलॉक के सामने बिल-वेदी तक लाया
और बाएं हाथ से उसक गदन को बलपूवक बिल-वेदी के खांचे म दबा दया। उसने बिल-
कु ठार थामे ए अपने दािहने हाथ को ऊपर उठाया। अपने अंदर भरी पूरी ू रता और
िनममता के साथ उसने मा एक शि शाली हार म ही उस पागल के िसर को गदन से
अलग कर दया। कटी ई गदन से खून क धारा बह िनकली, जो सीधे उस पैशािचक मू त
पर िगरते ए उसे नहलाने लगी। िसरिवहीन धड़ थोड़ी देर तक ठते ए छटपटाता रहा
और फर ि थर पड़ गया।
उसने अपने माथे पर र का ितलक कया और कांच के िपरािमड से बाहर आकर,
ताज़ी और ठं डी हवा म गहरी साँसे लेने लगा। ब द के सामने फर से समपण करने के बाद
वह शांित और सुकून महसूस कर रहा था।
उसे अपने सामने नीली रोशनी से कािशत एक आकृ ित नजर आयी। ये ह रनाथ था,
उसका सबसे वफादार ेत। इसके बाद डो फ को अपने चार ओर नीली रोशनी म नहाई
ई उसक सभी तांि क शि यां नजर आने लग ।
“मुझे आपको ये बताने म बेहद खुशी हो रही है वारलॉक!” ह रनाथ ने कहा, “ क
आपक सभी शि यां आपक सेवा म फर से हािजरह।”
डो फ के होठ पर स ता भरी मु कान तैर गई। एक ऐसी मु कान, जो के वल उसी
यो ा के होठ पर आती है, िजसे ये पता चलता है क अंतत: उसने एक लंबी और असंभव
जंग जीत ली है। उसके जीवन का सबसे क ठन दौर ख म हो चुका था। “मेरे कान इसे सुनने
को कब से तरस रहे थे।” डो फ ने कहा।
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“अब तु हारा या करने का इरादा है मािलक?” ह रनाथ ने पूछा।


“अपने दु मन से बदला लेना। उनको अब उनके कये क क मत चुकाने का व आ
चुका है। म उनम से हर एक से क मत वसूलूंगा। उनम से कोई भी मेरे कहर से नह बच
पायेगा।”
“जैसी आपक इ छा मािलक! ले कन आप इसक शु आत कै से करना चाहते ह?”
“कु छ इस तरह से क न तो तुम और न ही मेरे दु मन इसक क पना कर पायगे। वे
माफ़ क भीख मांगगे, रहम के िलए िगड़िगड़ाएंग,े ले कन न तो उ ह रहम िमलेगा और न
ही माफ ।”
“मेरा बदला इतना अनोखा और हैरतअंगेज होगा क उसे दुिनयावाल ने पहले कभी
नह देखा होगा।”
“और आपका पहला िशकार कौन होगा?”
“लोग अपनी ब ढ़या चीज को अंत के िलए बचा कर रखने म िव ास करते ह, ले कन
म अपना सव े बदला शु आत म ही लूंगा, य क मेरी सूची म दज पहला िशकार ही
मेरे सबसे भयानक जलजले का िशकार होने का हकदार है।”
“कौन? कनल नारं ग?”
“नह , वो नह बि क पायल।” डो फ ने एक-एक श द को चबाते ए कहा- “पायल
चटज , ये कहानी उसी के साथ शु ई है और मेरे बदले क शु आत भी उसी से होगी।”
“वह अपने पित अभय बतरा और डेढ़ महीने क ब ी के साथ राजौरी गाडन म रहती
है।” ह रनाथ ने अपने मािलक को सूिचत कया।
जवाब म खौफनाक और तामिसक शि य का मािलक ू र अ हास कर उठा। वह कसी
पागल क तरह जोर-जोर से हँसने लगा था। “ओह, म इतना यादा रोमांिचत महसूस कर
रहा ।ँ ” जीवन म अपने दु मन से बदला लेने से यादा अ छी बात और या हो सकती
है? कु छ नह , कु छ भी नह !” उसने ताली बजाते ए कहा और ह रनाथ को बगैर कोई
दशा-िनदश दए, उसे झील के कनारे वाले फामहाउस म चला गया। डो फ के बेड म
से िनकलने वाले तेज यूिजक के शोर ने ह रनाथ का यान आक षत कया। वह िखड़क के
बाहर प च ं ा और वहां से सावधानी पूवक अंदर झाँका।
उसने डो फ को इस कदर उ माद म डू बकर नाचते ए देखा जैसे रोम-रोम ऊजा और
खुशी से भरा हो। काफ देर बाद वह दोबारा पोच म नजर आया। ह रनाथ, डो फ से
थोड़ी दूर पर अदृ य रहते ए उसक हरकत को देखने लगा।
डो फ ने अपने ैडो का दरवाजा खोला और अंदर दािखल होकर डैशबोड पर पड़ा
मोबाइल फोन उठाकर एक नंबर डायल कया। संपक जुड़ने पर उसने कहा- “लीना? हां, म
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,ं डो फ...मुझे पता है क देर हो चुक है... मुझे परवाह नह क तुमने पाट म कतनी
पी ली थी। मेरा कहा मानो और उस चूज़े को भगा दो जो तु हारे तलवे चाट रहा है। मुझे
तुम चािहए, पूरी क पूरी और हर तरह से।” उसने दल खोलकर हँसते ए कहा, “ले कन
म तुमसे यार करता ,ँ चाहे तुम मुझसे कतनी भी नफरत य न करो। तुम जैसी भी हो,
मुझे पसंद हो। तुम हरजाई और िछनाल हो तो या आ, मुझे भी भला कौन दूध का धुला
?ँ म आ रहा ँ मेरी जान और मेरा यक न करो, आज क रात तु ह लंबे समय तक याद
रहेगी। म फर से पहले जैसा मद बन गया ँ - िनरा जंगली सूअर।”
डो फ ने मोबाइल फोन को वापस डैशबोड पर रख दया और लीना के अपाटमट क
ओर रवाना हो गया। उसने बिल वाला लबादा उतार दया था और एक नई शट पहन ली
थी। घर क लाइट बंद करने और चीज को वि थत रखने का िज मा एक बार फर
ह रनाथ पर आ गया था। ह रनाथ ये अ सर सोचता था क वह ेत क बजाये डो फ
का हाउसक पर बनता जा रहा था।
इस दर यान डो फ टी रयो पर चल रही ‘डॉ. िज़वागो’ िप चर क ‘लारा’ धुन पर
सीटी बजाते ए अपनी लड ू जर ैडो उड़ा िलए जा रहा था। उसके जेहन म ख़ूबसूरत
और कामो जक लीना के हरे -भरे न शरीर के अंग- यंग का अ स उभर रहा था।
भिव य क चंता और आशंका, जो क उसके िपछले महीनो क पहचान थ , जा चुक थी।
एक बार फर वह पहले क तरह आ मिव ास से लबरे ज, आ ामक और ू र आदमी बन
चुका था।
अना दकाल से ही अ छी और बुरी ताकत के बीच शह-मात का खेल चलता रहा है,
और यह भी वैसा ही मोड़ था। िजसने उस खुनी खेल का आख़री फ़ै सला करना था। िजसमे
एक प क जीत थी और दुसरे क स पूण हार िनि त थी।

अ याय 17
खौफ
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पायल राजौरी गाडन म अपने बंगले क बा कनी म हि या जमा देने सद म बैठी ई


थी। कु छ घर के िसवाय, जो क जनरे टर और इनवटर से कािशत थे, पावर कट के कारण
पूरा मोह ला अंधकार म डू बा आ था। सड़क के दूसरी तरफ वाले पाक म मौजूद पेड़ और
फू ल क या रय क ओर से सद हवा के झ के आ रहे थे।
वह अपने पित के लौटने का इं तजार कर रही थी, जो पास के ही एक रे टोरट से खाना
लाने गया था। पायल ने बाहर आकर लाि टक के एक चेयर पर बैठने से पहले अपनी डेढ़
महीने क ब ी अंशुल को देखती आयी थी। ब ी अपने न ह हाथ को मु ी क श ल म
भ चे ए कसी परी क भांित सो रही थी। संसार क सभी मा क तरह पायल भी
अपनी ब ी क सुंदरता पर मु ध ए बगैर न रह सक थी और होठ पर एक गहरी
मु कान िलए ए उसके माथे को चूम िलया था।
पायल बा कनी म ा मि म काश म बैठी अपने जीवन के उन ल ह म खो गयी
थी, जब वह सोचा करती थी क एक सफल अिभने ी होने क तुलना म वह सभी चीज
मह वहीन ह। ले कन अब उसे वे बात कोई भूला-िबसरा सपना लगती थ । कसी और
इं सान के जीवन म घटी उन घटना क तरह, िजससे वयं ब होने क बजाय उसने
उसे के वल दूर से देखा भर था। जं दगी वाकई क से-कहािनय से िबलकु ल अलग होती है।
लोग व के साथ पूरी तरह से बदल जाते ह,जीवन के अलग-अलग मोड़ो पर उ ह िमलने
वाले अनुभव उनके िवचार , भावना और दृि कोण को नया प देते रहते ह। पायल
अपनी नई जं दगी से इस कदर संतु थी क डॉ फ क रहाई से भी वह दुखी नह ई
थी। पायल के िलए शादी के बाद डो फ के ए टेट क घटनाये एक क से-कहािनयो जैसा
फसाना भर रह गयी थी। अब उसका अपना प रवार था, जो उसका पूरा संसार था।
पायल को लगा क वह शायद ह क -सी खटपट थी या फर वह के वल उसका म था।
उसने अपनी बाय ओर बा कनी के उस अँधेरे भाग पर दृि पात कया, जहाँ दुसरे घर से
आने वाली रोशिनयाँ भी नह प चँ पा रही थ । उस दृ य से उसे अपने समूचे बदन के
र गटे खड़े होते ए महसूस ए, वहां ा ह क नीली रोशनी के दायरे म िब टू खड़ा
था।
वारलॉक क सकस का वह पागल आदमी पायल क ही देख रहा था। वह िब कु ल वैसा
ही नजर आ रहा था, जैसा पायल ने उसे आिख़री बार देखा था। गंदा और िबना नहाया
आ, छोटे बाल, कई ह त क बढ़ी ई दाढ़ी से भरा आ चेहरा, कोटर म इधर-उधर
घूमते रहने वाली बीमार गंदी आँख, फटे-पुराने कपड़े तथा और फटे ए जूत।े पायल उसे
देखकर खौफजदा हो गयी।
वह पल भर म समझ गई क उसके सामने खड़ा आ कोई जीता-जागता इं सान नह
बि क एक भूत था। वह भूत, िजसक आकृ ित ह के नीले रं ग क रोशनी म चमक रही थी।
वह रोशनी फश के साथ-साथ उसके पीछे मौजूद दीवार पर भी पड़ रही थी, िजसके कारण
बालकनी भी नीले रं ग क रौशनी से नहा उठा थी। वह झटके से उठ खड़ी ई और
सरगोशी म बोली, "िब टू? या ये सचमच तुम हो?”
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पागल आदमी के भूत ने सकारा मक भाव से अपना िसर िहलाया। मौत भी उसके चेहरे
से उसक मासूिमयत और वफादारी को नह िमटा पायी थी। “ले कन तु हारे साथ ऐसा
कसने कया?” पायल ने अपना भय दबाते ए सामा य लहजे म पूछा। “ कसने? कसने
मारा तु ह?” जवाब म िब टू ने वही मु ा बनाई, जैसी मु ा उसने वारलॉक के ए टेट म
बनाई थी, जहाँ पायल एक साल पहले बंदी बनाई गयी थी। वह उस मु ा को पहचानने म
िवफल नह ई, जो कसी मुखौटा पहने ए ि को दशा रहा था।
“ले कन वारलॉक ने तु हारी ह या य क ?” उसने पूछा।
िब टू ने अपना बायां हाथ अपनी गदन पर फे रा। “उसने..उसने तु ह भी उस ब े क
तरह बिल पर चढ़ा दया? हे भगवान! कतना नीच इं सान है वह।”
िब टू ने अपनी उं गली से पायल क ओर इशारा कया। “ या?” उसने उलझन भरे वर
म पूछा- “मुझ?े मेरे बारे म या?” उसने फर से वारलॉक को दशाया और उं गली से
उसक ओर इशारा करने लगा। “मेरे और वारलॉक के बारे म या? तुम मुझे या बताने
क कोिशश कर रहे हो िब टू?” वह उसके इशार का मतलब समझने म असमथ होती ई
बोली।
“वो आ रहा है!” इस बार पागल आदमी खरखराती आवाज़ म कहा।
पायल को खड़े-खड़े ही जैसे लकवा मार गया। उसक रीढ़ क ह ी म सद लहर दौड़
पड़ी थी। उसे महसूस आ क उसके पैर के नीचे जमीन क फट गयी है और वह रसातल
म गत होती चली जा रही है। िब टू के श द उसक चेतना पर हज़ार मन के प थर क तरह
टकराए थे। उसे ऐसा लगा मानो उस पर िबजली िगर पड़ी हो और उसका वजूद असं य
टु कड़ म िबखर गया हो। ‘वो आ रहा है। वारलॉक आ रहा है।’
उसके घुटन ने उसका साथ छोड़ दया और वह ध म से कु स पर िगर पड़ी। उसने िब टू
के भूत को मूख क भांित देखा, जो उसके देखते ही देखते उसक आँख से ओझल हो गया।
हॉन क अचानक आयी आवाज ने पायल क त ा को भंग कर दया। ‘फोड एंडएवर’ के
शि शाली हेडलाइट क रोशनी बं लो के ाइववे पर पड़ रही थी। उसने कार से अभय
को बाहर आते देखा। उसने गेट खोला और गाड़ी को ाइव करके अंदर ले आया। पायल क
डर और िनि यता बदहवासी म त दील हो गयी और वह बेड म से होते ए सी ढ़याँ
उतरकर नीचे आ गयी। इससे पहले क ाउं ड लोर क अँधेरे म डू बी लॉबी म वह अपनी
अँधाधुंध दौड़ म िगर पड़ती, अभय ने उसे अपनी बाह म थाम िलया।
“अरे ! अरे ! या हो गया?” अभय ने उसे अपने आ लंगन म लेते ए पूछा। वह अपने
पित के बा पाश म वह एक ही सांस म उसे सब कु छ बताने क कोिशश करने लगी।
“आराम से..एक समय म एक बात।” उसने उसका कं धा थपथपाते ए उसे शांत कराने क
कोिशश करते ए कहा- “पहले एक गहरी साँस लो और फर मुझे धीरे -धीरे बताओ क
आ या है?”
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“वह...वह आ रहा है।” उसने उखड़ी ई साँस के साथ कहा।


“कौन? कौन आ रहा है?”
“वारलॉक!”
“तु हारा मतलब डॉ फ?” अभय ने अपनी आँख िसकोड़ते ए ए पूछा। वे सी ढ़य के
पास खड़े थे, िजसके पास रखी एक आलमारी के ऊपर कडल टड रखा आ था, िजसम दो
जलती ई मोमबि याँ थ । “वह भला यहाँ य आएगा?”
“हे भगवान! अंशुल!”
अभय भी आशं कत होकर अपनी बीवी के पीछे सी ढ़य से ऊपर भागा। पायल के हाँथ-
पाँव फू ल गए थे और वह बदहवासी के आलम म ऊपर भागी जा रही थी। उन दोन ने उस
ण राहत क एक ल बी सांस ली, जब उ ह ने देखा क उनक ब ी अपने पालने म चैन
से सो रही है।
“हे भगवान! तुमने तो मुझे डरा ही दया।” अभय ने कहा- “एक पल के िलए मुझे लगा
क अंशुल को कु छ हो गया है। या बात है पायल? इतनी डरी ई य हो? मने तुमने
पहले कभी इतना खौफजदा नह देखा।” उसने अपनी ख़ूबसूरत बीवी का हाथ पकड़कर
उसे बेड पर बैठाते ए कहा।
“िब टू आया था। वह यहाँ आया था।” हांफने के वर के बीच पायल ने कसी तरह
कहा।
“िब टू कौन?”
“वही पागल, िजससे म डॉ फ के ए टेट म िपछले साल िमली थी।”
“वह िब टू यहाँ य आया था ?” अभय के माथे पर िसलवट पड़ गय ।
“मुझे चेतावनी देने के िलए। उसने मुझे बताया क वारलॉक यानी क डॉ फ मेरे पीछे
आ रहा है।” पायल ने उखड़ी सांसो से कहा।
“जब तुम और अंशुल िब कु ल अके ले थे तो तुमने उस पागल को रात को घर म घुसने ही
य दया?” उसने अपनी प ी से िशकायती लहजे म पूछा।
“मने उसे नह बुलाया था, वह खुद ही आया था। वह मरकर भूत बन चुका है। वारलॉक
िब टू क ह या कर चुका है और अब वह बदला लेने के िलए मेरे पीछे आ रहा है।”
“शांत हो जाओ! शांत हो जाओ पायल! कोई नह आ रहा है।” अभय ने उसे अपने
आगोश म ले िलया और उसे आ त करने के िलए उसक पीठ थपथपाते ए बोला- “म
तुमसे वादा करता ं क कोई भी वारलॉक कभी भी तुम तक या हमारे ब े तक नह प च

पाएगा। मुझ पर भरोसा रखो।”
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बेड म क ूबलाइट अचानक जल उठी, मानो उसने भी अभय के दलासे क पुि कर


दी। लाइट वापस आ गई और इसी के साथ भय और उदासी का अँधेरा भी छंट गया। अभय
को अपनी प ी को शांत करने म थोड़ा समय लगा ले कन अंतत: वह इसम सफल रहा। वह
रात का खाना लेकर ऊपर आया, िजसे उसने पायल के पीछे भागते ए ऊपर आने के
दौरान सी ढ़य के नीचे ही छोड़ दया था।
पायल कचन से लेट, कटोरे और पानी लेते आई। वे दोन िल वंग म म डाइ नंग
टेबल के इद-िगद एक दूसरे के बगल वाली कु सय पर बैठ गए। अभय ने कमरे का
टेलीिवजन ऑन कर दया, िजस पर एक सेटेलाइट चैनल का लोकि य शोप ओपेरा ो ाम
चल रहा था। अपनी बीवी के चेहरे पर नागवारी का भाव देखते ही अभय भांप गया क
वह उस ो ाम क मु य करदार िनभाने वाली मिहला लीना म हो ा से घृणा करती है।
उसने तुरंत रमोट के ज रये चैनल बदल दया। “खाना कै सा है?” उसने पूछा।
“ब ढ़या!” पायल ने उ साहहीन वर म कहा और अपने ही िवचार म खो गयी। िडनर
ख म होने के बाद सहसा उसने अपने पित से पूछा- “म जो कु छ क ग
ं ी, उस पर तुम यक न
करोगे, है न?”
“आपक हर इ छा आपके गुलाम के िलए एक आदेश है। आप मेरी रानी ह और म
आपका दास ।ं ”
“आज रात तो तुम बड़े मूड म लग रहे हो।” उसने दोन के िलए पानी का िगलास भरते
ए कहा। वह अपने डर और अवसाद से बाहर आ चुक थी।
“म तो हमेशा ही एक जैसा रहता ँ डा लग!” अभय ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने
सीने पर रखते ए कहा- “तुम ही इतनी कठोर दल हो, जो अपने उस यारे पित को जरा
भी भाव नह देती हो, जो हर व तु हारे ही नाम क माला जपता है।”
“म तु हारी इन िचकनी-चुपड़ी बात का मतलब समझती ।ं ” पायल ने उसके सीने से
अपना हाथ हटाते ए कहा- “ये बात हमेशा एक ही चीज पर जाकर ख़ म होती ह।”
“तुम मेरा दल तोड़ देती हो।” अभय ने हताश होने का दखावा करते ए कहा। उसक
प ी लेट और कटोर को लेकर कचन म चली गई।
जब पायल रसोई के बाहर वॉशबेिसन म अपने हाथ धो रही थी तो अभय उसके बगल
म खड़ा हो गया। उसके हाथ धोने के तुरंत बाद उसने ज दी से तौिलया उसक ओर बढ़ा
दया। पायल ने संकुिचत ने से उसक ओर देखा और फर मु कराते ए पूछा- “ या?”
“ या?” अभय ने भी अपने होठ पर एक शरारती मु कान िलए ए पूछा- “तुम हमेशा
मुझ पर इतना शक य करती हो?” उसने िशकायती लहजे म कहा और फर उसने कदम
आगे बढ़ाते ए, एक कान से दूसरे कान तक मु कु राते ए अपनी प ी को बाह म भर
िलया।
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"यह रात कतनी ख़ूबसूरत है, है न?"


"होगी, म आज थक ।ँ "
"अ छा," वह उदास हो गया।
पायल ने कु छ देर उसक तरफ देखा और फर मु कु रा उठी- “म जाकर कपड़े बदलती ँ
। तुम भी इन सुबह के कपड़ को उतार दो।” उसने अलमारी का दरवाजा खोलकर उसका
नाईट-सूट उसे दया और अपनी नाइटी लेकर बगल के बाथ म क ओर बढ़ गयी।
“कहाँ जा रही हो? मेरा मतलब क तुम यह पर मेरे सामने कपड़े बदल सकती हो।
हमारे पास एक-दूसरे से छु पाने के िलए कु छ भी नह है।” उसने कहा।
“ब त बेशम होते जा रहे हो।” पायल ने बाथ म का दरवाजा बंद करते ए कहा।
ज द ही वह एकलौती रोशनी, जो बा कनी के बगल के बेड म के परदे से छनकर आ
रही थी और बंगले के सामने से गुजरने वाली सड़क पर पड़ रही थी, बुझ गयी। बंद दरवाजे
और िखड़ कय वाले अंद नी कमरे से उस जोड़े क उ मु हंसी अब बमुि कल ही अँधेरे म
डू बी बा कनी तक प चँ रही थी। और फर कु छ समय बाद शांित छा गयी।
...पायल कं बल के नीचे अपने पित के साथ िनव लेटी ई थी। िब तर के कनारे बने
सॉके ट म लगे जीरो वाट के ब ब क धीमी लाल रोशनी उसके पित और ब े क न द म
कोई िव नह डाल रही थी। उसने थोड़ी देर पहले ही उ ह देखा था। उसने अपने पित को
दोबारा देखने के िलए उसक ओर िसर घुमाया। वह अपने संतु और स िचत चेहरे पर
मासूिमयत िलए ए गहरी न द सो रहा था।
अपने पित को िनहारते ए, पायल ने गौर कया क अंशुल का चेहरा अपने िपता के
साथ कतनी िमलती-जुलती थी। उसने अपने सोते ए पित क ठु ी तक कं बल ख चा और
आिह ता से उसके गाल को चूम िलया। उसने िब तर से बाहर आकर अपनी नाइटी पहनी
और फश से अपने पित का नाईट-सूट उठा कर उसे बेड के बगल म मौजूद सोफे पर रख
दया। ‘ये हमेशा से ही लापरवाह है।’ उसने खुद से सोचा- ‘अगर म इसक देखभाल करने
के िलए नह होती तो पता नह इसका या आ होता? या सभी मद इसी तरह
लापरवाह होते ह या के वल अभय ही कसी ब े क तरह गैर-िज मेदार है।’
पायल दोबारा डबल बेड तक प च ँ ी। अभय के बदन से क बल फर से फसल गया था।
उसने ज दी से उसे क बल दोबारा ओढ़ा दया। न द म अभय ने अपना पहलू बदला और
उसका हाथ पायल के बदन से फ़सलकर उसक कमर पर टक गया। उस िचर-प रिचत
पश म िनिहत सुर ा मक एहसास को महसूस करते ए पायल ने अपना हाथ उसके हाथ
को रख दया। उसक आँख खुली ई थ और उसके जेहन म बेशुमार ख़यालात दौड़ रहे थे।
अभय उन बात को ह के म ले सकता था, ले कन वह ऐसा नह कर सकती थी। वह यह
यक नी तौर पर जानती थी क उसने िब टू के भूत को देखा था। अभय को वारलॉक के
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भयानक तौर-तरीके नह पता थे, ले कन उसे पता थे। पायल उस सनक और िघनौनी
वृि वाले इं सान क मांद म कई दन गुजार चुक थी, इसिलए वह जानती थी क वह
कतनी बेरहम और ू र था। कसी और क अपे ा वह इस बात को बेहतर ढंग से समझ
सकती थी क उस भयानक इं सान क ओर से आने वाले भावी खतर के संकेत म कतनी
स ाई है।
गम क बल और अपने बदन पर ठहरे पित के हाथ के नीचे होने के बावजूद भी पायल
कांप रही थी। उसक रीढ़ क ह ी म एक सद लहर सी दौड़ रही थी। उसके जेहन के परदे
पर भूली ई बात हथोड़े क भांित चोट कर रही थ । सबसे ू र इं सान के कहे श द उसे
याद आ रहे थे। ‘वारलॉक कभी भूलता नह और न ही कभी माफ करता है।’ एक बार फर
उसका जेहन उसे उन खौफनाक अनुभव क ओर ख च ले गया, जो उस भयानक आदमी के
सरकस म उसके साथ पेश आये थे और भूली ई वे याद उसे हलकान करने के िलए फर से
हािजर हो गय , िजनके बारे म वह समझती थी क वह उ ह भूल चुक है। ले कन पायल
इतनी िनडर और साहसी थी क वह यह बात भली-भांित जानती थी क परी ा क घड़ी
म अपनी घबराहट पर कै से काबू रखना है। पायल ने वारलॉक क कै द म अके ले लड़ाई लड़ी
थी, और प रि थितय का डटकर मुक़ाबला करते ए बच िनकली थी। पायल एक बार
फर वारलॉक से मुक़ाबला करने के िलए तैयार थी।
उसने भरी ई आँख से अपने पित और पालने म सोयी ब ी को देखा। उसके सुख-
समृि , संतुि और पूणता के एहसास के भरे जीवन क खुिशयाँ य ख़ म होने वाली थी?
महरौली क ए टेट के अनुभव ने, िवशेष प से उस आिख़री रात ने उसे ब त कु छ
िसखाया था। ये व भी िबना भावुक ए ता कक ढंग से सोचने का था। न के वल उस
चालाक और िनमम हैवान से बचने के िलए बि क उसको फर से हारने के िलए।
वह जानती थी क के वल जीत के िलए खेलने वाले डॉ फ के साथ समझौता करने का
कोई सवाल ही नह था। वह अपने दु मन या िशकार को तबाह कर देने के एकमा दृढ़
इरादे से उन पर हमला करता था। पायल क राह म के वल दो बड़ी क ठनाइयाँ थ । वह
नह जानती थी क वारलॉक कब हमला करे गा और कै से करे गा? अगर वह जानती होती
तो खुद को और अपने प रवार को बचाने के िलए कोई जवाबी रा ता अि तयार कर
सकती थी, ले कन वह के वल इतना ही जानती थी क वो आ रहा है।
एक बार फर खौफनाक ित पधा शु हो चुक थी। िजसम एक ओर िवकृ त
मानिसकता वाला वारलॉक था तो दूसरी ओर सरल, सहज और दृढ़ िन य वाली पायल
थी। वह उसे हराने के िलए दृढ़ ित तो थी ले कन इस मौत के खेल के कोई िनयम नह थे।
वह यह तक नह जानती थी क उसके उस दु ित ं ी ने उसके िखलाफ या योजना
बना रखी थी? िब टू का भूत आने वाले उस तूफान का मा एक अशुभ संकेत था, जो उसे
पूरी तरह तबाह करने से पहले उसके शांितपूण जीवन को नरक म बदलने करने वाला था।
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अगली शाम कार ाइव कर रहे अभय के मोबाइल फोन पर एक कॉल आया। उसने
कॉल का जवाब दया- “हैलो!”
“िम टर बतरा! म अपणा।” दूसरी ओर से उसक ऑ फस कलीग ने कहा- “सर, लगता
है म आपक कार म अपना हडबैग भूल गयी ।ं ”
अभय ने िसर घुमाकर अपनी कार क िपछली सीट पर एक चमड़े का हडबैग देखा। “हाँ
िमस अपणा! लगता तो ऐसा ही है।” उसने कहा।
“सुिनए, आप कहाँ पर ह सर?” उसने चंितत वर म पूछा।
“म िस ाथ होटल के पास ।ं सुनो, जब म कल ऑ फस आऊंगा, तो तु हारा बैग लौटा
दूग
ं ा।” उसने डैशबोड म बनी इले ॉिनक घड़ी - जो पौने दस बजा रहा थी - पर नजर
डालते ए सुझाव दया। ऑ फस म ज री काम के कारण अभय और कु छ अ य टाफ-
मे बस को िनधा रत व से काफ देर बाद तक काम करना पड़ा था और इसिलए उ ह
अपनी तीन मिहला सहक मय को उनके घर तक छोड़ने का िज मा भी उठाना पड़ा था।
यू राजे नगर क उस इमारत से, जहाँ िमसेज अपणा रहती थ , िनकले ए उसे दस
िमनट हो गए थे। वह थक गया था और वापस जाने के मूड म नह था।
“िम टर बतरा म जानती ँ क इसम सारी गलती मेरी है, म इतनी लापरवाह जो ।ँ
मुझे पता है क आप थके ए है ले कन मुझे अपने बैग क स त ज रत है, िजसम मेरे लैट
के मेन डोर क चाबी है। मेरे पित बाहर ह और ब े पड़ोसी के लैट म बैठे ए ह। मुझे
इनके पास चाबी छोड़ देनी चािहए थी, ले कन मने सोचा क म ब से पहले घर आ
जाऊँगी, जो अपने कू ल से सीधे नानी के घर चले गए थे।” वह एक सांस म कहती चली
गयी।
“कोई बात नह िमसेज शमा!” अभय ने दीघ िन: वाश छोड़ते ए कहा- “म वापस आ
रहा ँ और आपके पास दस-पं ह िमनट म प च
ँ ता ।ँ ”
“थक यू सो मच िम टर बतरा! आप ब त ही अ छे ह। म ऑ फस म सभी लोग से
क गं ी क हमारे बतरा साहब से यादा मैनस और कोई नह है। वे टाफ और ख़ास तौर
पर लेडीज़ को अपने प रवार क तरह देखते ह और..।”
“म यादा बात नह कर सकता य क म ाइव कर रहा ,ँ ” अभय ने उसक बात
काटते ए नम लहजे मे कहा और फोन काट दया।
उसने िस ाथ होटल के पास गोल च र से अपनी कार को मोड़ िलया और उस ब -
मंिजला इमारत के पास वापस आ गया, िजसम लोर-वाइज लैट का िनमाण कया गया
था।
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वहां प चं ने के बाद उसने अपनी कार को लॉक कया और अँधेरे म डू बी सी ढ़यां चढ़ने
लगा। एक कु े के भ कने के वर ने उसका यान ख चा। उस कु े के जँगली या पागल
होने के डर से उसने डर से उसने अपनी चाल तेज कर दी। उसक आशंका सच सािबत ई
जब उसने एक भ कते ए पागल कु े को सी ढ़य से ऊपर आते देखा। उसका कलेजा हलक
म आ फं सा और वह उस पागल कु े से बचने के िलए बेतहाशा दौड़ पड़ा।
अभय के पैर काँप रहे थे और वह पसीने से नहा गया था। वह घबराई ई दशा म
दशाहीन होकर भागा जा रहा था। उसे डर था क थोड़ी ही देर म सी ढ़यां ख म हो
जाएंगी और वह पागल कु ा उसे धर लेगा। उस ण उसका दल लगभग बैठ सा गया,
िजस ण उसके िसर घुमा कर देखा क वह कु ा कु लांचे भरते ए उसके बेहद पास आ
चुका है। उसके नुक ले दांत बाहर झांक रहे थे और जीभ मुंह से बाहर लटक रही थी।
तभी वह कु ा अक मात और अनापेि त ढंग से उस पर झपट पड़ा और उसके पैर म
अपने दांत धंसा दए। अभय ने उसक गम सांस और गीली जीभ को महसूस कया।
हालां क उसक वचा कु े के जबड़े म आने से बाल-बाल बच गयी, ले कन फर भी उसक
पतलून का एक टु कड़ा उसके मुंह म फं स गया। एक सेकंड से भी कम समय म वह पीछे घूमा
और सी ढ़य पर िगरते-पड़ते ए भी उसने कु े को एक ठोकर रसीद कर दी। उसके भारी-
भरकम बूट क वह करारी ठोकर कु े क नाक पर लगी और वह दद से डकारता आ दूर
िगर पड़ा। िजस लैट के सामने अभय पड़ा आ था, उस लैट का दरवाजा अचानक खुला,
सामने एक लड़क थी। जह ुम के उस शैतान से ई अपनी मुठभेड़ से हलकान अभय पलक
झपकते ही लैट म दािखल हो गया। उसने उस वहशी के दोबारा झप ा मारने से ण भर
पहले ही दरवाजा बंद कर िलया। बंद होते दरवाजे से कु े का िसर टकराया और वह गु से
म गुराकर रह गया।
“ या आ िम टर बतरा! आप ठीक तो ह?” एक िचत-प रिचत वर आवाज़ आयी।
जब उसने पीछे देखा तो पाया क वह उसक कु लीग िमसेज अपणा शमा थी, जो उसे
हैरतजदा अंदाज म देख रही थी। “म..म...!” उसने बोलने का यास कया ले कन उसका
हलक सूख गया। वह अभी भी उस भयानक मुठभेड़ के कारण थरथरा रहा था। वह ाइं ग
म के सोफे पर लगभग िगर पड़ा।
“बेटा, थोड़ा पानी लाओ, ज दी!” िमसेज शमा ने उस लड़क से कहा, िजसने बाहर
कोलाहल सुनकर लैट का दरवाजा खोला था और ऐन व पर अभय को बचा िलया था।
िजस व वह अपने कांपते हाथ से पानी हलक म उतार रहा था, उस व भी बाहर वह
कु ा गु से से गुराते ए भ क रहा था। िमसेज शमा ने कहा- “ये हमारी पड़ोसी िमसेज
न यर का लैट है और ये ऑ फस म मेरे सीिनयर िम. बतरा ह।”
“व...वह...वह पागल कु ा मुझे बस काटने ही वाला था।” अभय ने िथत वर म
कहा।
“ये सरासर हमारी िब डंग के चौक दार क गलती है। जब वह सुरती या बीड़ी खरीदने
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जाता है तो मेन गेट को खुला छोड़ देता है, िजसके कारण आवारा कु े यँहा ऊपर तक आ
जाते ह और कभी-कभी सी ढ़य पर भी चढ़ जाते ह।” िमसेज शमा ने िशकायत भरे वर म
कहा।
“आप उस अके ले को ही य दोषी ठहरा रही ह?” िमसेज न यर ने कहा- “इस िब डंग
के कु छ लोग उसे अपना घरे लू नौकर समझते ह और उसे अपनी ूटी करने देने क बजाय
उससे अपने घर का काम करवाते ह, पास के बाजार से सामान मंगवाते ह। कु छ ऐसे ही
जैसे वो उसे अपनी जेब से तनखाह देते ह । पैसे लेने तो वो अपनी कॉपी लेकर सबक घंटी
बजाने एक तारीख़ को ही प च ँ जाता है। ”
“आपका हडबैग िमसेज शमा!” अभय ने उस हडबैग को िमसेज शमा को थमाते ए
कहा, िजसे उसने कस कर पकड़ रखा था और जो उसके िलए जी का जंजाल बन गया था।
“मुझे ब त शम आ रही है िम. बतरा! हे भगवान्! या उसने आपको काट िलया?” जब
िमसेज शमा क नजर अभय के पतलून के िनचले िह से पर पड़ी, तो उसक आँखे आ य से
फ़ै ल गयी।
“नह ! म बाल-बाल बच गया।” अभय ने अपनी पतलून पर नज़र डालते ए जबरद ती
क मु कान के साथ कहा। उसने पतलून उठाया तो उसे वहां लाल खर च के िनशान भी
नजर आये, जहां कु े के दांत उसक वचा को छू गए थे।
“म पास म ही रहने वाले डॉ टर को बुलाती ।ँ वे इसे देख लगे और इसक े संग कर
दगे या फर इं जे शन लगा दगे।” िमसेज शमा ने कहा।
“यक न मािनए, इसक कोई ज रत नह है।” अभय ने ज दबाजी म कहा।
“आप सभी मद लापरवाह होते ह। मेरे पित भी ऐसे ही ह।” कहते ए उसने अपने पु ष
सहकम को मनाने क फर से कोिशश क , ले कन कोई लाभ नह आ। अंतत: हार मान
कर उसने एक दीघ िन: ास छोड़ते ए कहा- “कम से कम बाथ म म चलकर पैर तो धो
लीिजये।” और फर वह उसे लेकर बाथ म क ओर बढ़ गयी। जब अभय जूता-मोजा
िनकालकर साबुन तथा पानी से अपनी एड़ी और पैर धोने म त हो गया तो िमसेज
शमा अपनी दस साल क बेटी क ओर मुड़ - “िनिश बेटा जाओ और े संग टेबल क
िनचली दराज म रखे फ ट एड बॉ स से मरहम क ूब लेकर आओ। लैट क चाबी
है डबैग मंक है, जो आंटी के ाइं ग म म सोफे पर है।”
उसक बेटी ज दी से गयी और एक मरहम िलए ए वापस लौटी। उसने मरहम िमसेज
शमा को दे दया। “म मी! मने कु े को देखा है, वह सी ढ़य के नीचे छु पा आ है।”
“चौक दार को बुलाइए िमसेज न यर!” उसने अपने पु ष सहकम के पैर को कांच के
सटर टेबल पर रखते ए कहा तथा उसक िझझक और िवरोध को नजरअंदाज करते ए
उसके एड़ी और पैर पर मरहम लगाने लगी। जब िमसेज शमा अपनी ओर से इस बात को
लेकर िन ंत ही गय क काम पूरा हो गया तो उ ह ने अभय के पैर को फर से नीचे कर
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दया। त प ात अभय ने अपना जूता-मोजा पहन िलया। अपने पड़ोसी के घर म उपल ध


इ टरकॉम से फोन करके उसने चौक दार को बेहद स ती के साथ लताड़ा और उसे िमसेज
न यर क लैट पर आकर उस कु े को भागने के िलए कहा, जो अभी भी सी ढ़य के नीचे
छु पा आ था।
“मेरी वजह से आपको जो परे शानी ई, उसके िलए म श मदा ँ !” अभय ने
कृ त तापूण वर म कहा।
“ या बात कर रहे है िम टर. ब ा, माफ तो मुझे आपसे मांगनी चािहए। िनिश!” उसने
अपनी बेटी क ओर मुड़ते ए कहा- “तुम भाई को लेकर लैट म जाओ। म अंकल को
उनक कार तक छोड़ देती ।ँ ”
“अरे नह अपणाजी!” अभय ने तीखा िवरोध कया- “म छोटा ब ा नह ,ँ जो आप
मुझे सी ढ़य से नीचे तक छोड़ने जायगी। लीज, छोटी सी बात का बतंगड़ मत बनाइये।”
वह काफ बहस के बाद मान तो गयी ले कन बदले म अभय को चौक दार के आने तक
इं तज़ार करना पड़ा। “आ गया!” उसने सीटी क आवाज और सी ढ़य पर लाठी के िपटे
जाने का शोर सुनते ही कहा। इससे पहले क अभय उसे रोकता, अपणा ने दरवाजा खोला
और चौक दार को जी भरकर खरी-खोटी सुनाने लगी। पहले तो वह सफाई देने क कोिशश
करता रहा, ले कन जब उसने सामने वाले को पूरे उफान पर देखा तो िसर झुकाकर
चुपचाप सुनने लगा।
“आइये साब!” िमसेज शमा क भड़ास ख़ म हो जाने के बाद चौक दार ने कहा। अभय
ने अपनी कु लीग और उसक पड़ोसन का मदद के िलए शु या अदा कया और चौक दार
के पीछे-पीछे धूल से पटी और अँधेरे म डू बी सफ़े द संगमरमर क सी ढ़य पर उतरने लगा।
वह एक ही मंिज़ल उतरा था क उसने देखा क चौक दार के पैर जमीन को छू ने क बजाय,
उससे कु छ इं च ऊपर तैर रहे थे। अभय के देखते ही देखते चौक दार के पैर काले चक
वाले हरे रं ग म त दील हो गया था और इस कदर फू ल गए जैसे वह इं सान का न होकर
कसी जानवर का पैर हो। अभय तुरंत सी ढ़य पर ठठक गया।
उसका हलक सूख गया और कलेजा धाड़-धाड़ कर पसिलय से टकराने लगा य क उस
रह यमयी चौक दार का िज म अब धीरे -धीरे हवा म ही उसक ओर मुड़ने लगा था।
भयाितरे क म वह थरथरा उठा। उसने लगा क वह उन रह यमयी सी ढ़य पर खड़े-खड़े
फर से कोई बुरा सपना देखने लगा है। वह रग म िसहरन भर देने वाले एहसास से -ब-
होते ही पीछे हटा, ले कन उसे महसूस आ क पीछे दीवार थी। जब चौक दार पुरी
तरह उसक ओर घूम गया तो अभय ने देखा क उसके सामने इं सान नह बि क एक भूत
है। उस क़ फाड़ कर िनकले भूत क एक आँख के साथ-साथ चेहरे का आधा मांस भी
गायब था और उसक जीभ जबड़ से बाहर लटक रही थी।
अभय चीखना चाहता था, ले कन उसक जीभ मानो तालू से िचपक गयी थी। बगैर
कसी भूिमका या चेतावनी के , भूत उस पर झपट पड़ा और उसके आर-पार हो गया। अभय
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को ऐसा लगा जैसे सद हवा का एक झ का उससे टकराया हो और उसके मुंह तथा गले म
एक अजीब सा िघनौना वाद घुल गया, प रणाम व प उसे मतली आने लगी।
उसने घबराकर पीछे देखा और पाया क भूत अपनी कं काल जैसी बाह फै लाए ए उस
पर दूसरे हमले क तैयारी कर रहा है। वह आतं कत होकर चीखा और पलक झपकते ही
खौफजदा होकर सी ढ़य से नीचे भाग खड़ा आ। उसने कई बार ये महसूस कया क भूत
के वल र ी भर के फासले से ही उसे दबोचने से चूका था। वह बाहर प च
ँ कर और ाइववे
के अंत म खड़ी कार के बोनट पर दोन हाथ टकाये ए वह यक न नह कर पा रहा था क
वह िज दा बच गया है। एक युवा जोड़े ने अभय को मुंह खोलकर हांफता आ और तूफ़ान
म फं से कसी पेड़ क मा नंद थरथराता ए देखा और अपने चेहरे पर अजीब सा भाव िलए
ए वहां से गुजर गया।
अभय ने कसी तरह खुद पर काबू पाया और कार का दरवाजा खोलकर अंदर बैठ गया।
वह इ ीशन ऑन करते ए उसने कार को बैक कया और िनकलने ही वाला था क
अचानक चौक दार लाठी िलए ए उसके सामने आ गया। पहले पहल उसका इरादा बगैर
के उसके ऊपर से िनकल जाने का था ले कन फर उसने ेक लगा दया। चौक दार
ाइ वंग डोर तक आया और अभय के चेहरे का बारीक से मुआयना करने लगा, जब क
अभय बगैर कोई हरकत कये ए भय के कारण बुत बना रहा। उसके हाथ टीय रं ग हील
पर िचपक कर रह गये थे और उसे लग रहा था चौक दार कसी भी ण भयानक भूत म
त दील हो जाएगा और दोबारा उस पर झपट पड़ेगा।
“ या आप िम टर बतरा ह, जो ीमती नैयर के लैट म गए थे?” उसने सवाल कया।
“हाँ!” अभय ने बड़ी मुि कल से कहा।
“आप ठीक तो ह शाहब जी ?” पसीने से लथपथ अभय बैठा रहा। उसके हाथ काँप रहे
थे, हलक सूख रहा था, िज म तप रहा था, फर भी उसने सवाल के जवाब म सकारा मक
भाव से अपना िसर िहलाया। “िमसेज शमा ने आपके बारे म पूछने के िलए फोन कया था।
वे मुझसे पूछ रही थ क मने आपको कार तक ठीक-ठाक छोड़ दया या नह । मने कहा क
नह , म तो अभीगेट पर प चं ा ।ँ मुझे समझ म नह आ रहा है क ऐसा कै से हो गया?"
“शायद वे कसी दूसरे चौक दार के बारे म बात कर रही थ ।” अभय ने धीम वर म
कहा।
“शाहब जी, यँहा तो म एक ही चौक दार ।ँ ”
अभय त ध रह गया। उसने इस कदर कार को िगयर म डाला, मानो स मोहन क
अव था म हो और वहां से िनकल गया। चौक दार के श द लगातार उसके कान म गूंज रहे
थे। य द इं टरकॉम पर कये गए कॉल के जवाब म आने वाला वह नह था, तो कौन था?
वह ज र एक भूत था, िजसका उसने सामना कया था। उसने जो कु छ देखा और अनुभव
कया था, उसक वा तिवकता को सािबत करने के िलए अब शायद ही उसे कसी
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अित र सबूत क आव यकता थी।वह इस कदर परे शान था क वह दो बार ए सीडट


करने वाला था। उसके बगल से गुजरने वाले ाईवर ने न िसफ उसे माँ-बिहन क गािलयाँ
दी बि क गु से म इशारे से ये भी कहा क ‘अबे गधे, मरे गा?’
जब वह राजौरी गाडन ि थत अपने घर प च ं ा तब भी अंदर तक िहला आ और बुरी
तरह घबराया आ था। पायल के बार-बार पूछने पर उसने उसे उस पागल कु े के बारे म
तो बता दया, जो उसे काटने ही वाला था। ले कन अपने मदाना दंभ क वज़ह से वह
पायल के सामने ये नह कह पाया क भूत देख लेने के कारण वह खौफ़जदा है। वे दोन ही
इस बात से अंजान थे क उनका बुरा व त तो अभी िसफ शु ही आ था।
NNN
वह िब टू के भूत के नजर आने के बाद क तीसरी रात थी, जब देर रात गए अभय क
न द उचट गयी। वह यास लगने के कारण रे जरे टर से पानी िनकालने के िलए कचन
क ओर बढ़ा, कं तु अचानक लॉबी म ही ठहर गया। उसके सामने वही भूत खड़ा था, िजसे
उसने िपछली रात उस िब डंग क सी ढ़य पर देखा था, िजसम उसक कलीग रहती थी।
वह उलटे पैर भागकर बेड म म प च ं ा और ज दी से दरवाजा बंद करके उसक
िचटकनी चढ़ा दया। वह भय से थरथराते ए िब तर पर अपनी बीवी के बगल म लेट
गया। उसने भूत को बंद दरवाजे से भीतर दािखल होते ए देखा। वह भय से लकवा त
होकर िब तर पर पड़ा रहा, जब क वह बुरी आ मा कमरे का च र काटने के बाद दरवाजे
क िचटकनी खोलकर बा कनी म चली गयी। वह स मोिहत अव था म िब तर से नीचे
उतरा और उसके पीछे-पीछे बा कनी म आ गया। उसने देखा क नीली रोशनी म नहाया
आ वह भूत फश से कु छ इं च ऊपर खड़ा था।
“कौन हो तुम? या चाहते हो?” अभय ने अपना पूरा साहस बटोरकर पूछा।
टोपी वाला चोगा पहने ए उस भूत ने अपना चेहरा उसक ओर घुमाया और हि य के
चटखने क विन जैसी अमानवीय आवाज म कहा- “म तु ह ले जाने आया ।ँ तु हारे दन
पूरे हो गये ह। मरने के िलए तैयार हो जाओ।”
अभय कसी छोटे और भयभीत ब े क भांित खुद म ही िसमटते ए और उसके सामने
हाथ फै लाए ए िगड़िगड़ाया- “नह ! म मरना नह चाहता।” भूत ने खौफनाक ठहाका
लगाया और कहा- “हर श स यही कहता है, जब काल के पुजारी उसे लेने आते ह। ले कन
मौत से कौन बच पाया है?” अभय ने देखा बड़े-बड़े सांप और िभ -िभ कार के क ड़े-
मकोड़े फश पर रग रहे थे। इसी के साथ वह दु ा मा भी उसक ओर लपक पड़ी थी। वह
जोर से चीखते ए कमरे क तरफ भागा और धड़ाक के साथ दरवाजा बंद करके उसक
िचटकनी चढ़ा दया।
तेज चीख से पायल क न द टू ट गई। वह तुरंत िब तर से उठी और अपने पित के पास
आयी। “ या आ अभय?” उसने उसका हाथ अपने हाथ म लेते ए पूछा- “तुम तो पसीने
से लथपथ हो रहे हो। तु हारा चेहरा भी िब कु ल सफे द पड़ गया है।”
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“म...मने देखा!” अभय ने खुद को जबरद ती रोका। उसका मदाना अहं एक बार फर
उस पर हावी हो गया। वह भला अपनी प ी के सामने भूत देखने क बात कै से वीकार
कर सकता था? वह तो पायल क भूत- ेत से जुड़ी मा यता का हमेशा से मजाक उड़ाता
आया था। एक मद होकर वह अपनी बीवी के सामने खुद को डरा आ कै से दखा सकता
था? “क...कु छ नह , कु छ भी नह ।” कहने के बाद वह िब तर क ओर बढ़ गया।
“तुम या छु पा रहे हो। मुझे बताओ क या आ?” उसने जोर देकर पूछा।
“मने तुमसे कहा न क कु छ नह आ। भगवान के िलए तुम मुझ पर यक न य नह
करती।” अभय िच लाया। उसक चीख म गु सा कम और अपने डर को िछपाने का यास
साफ़ नजर आ रहा था।
पायल, अभय के उस अचानक गु से से हैरान रह गयी। उसने कभी भी अभय को इस
कदर िच लाते ए नह देखा था। उसके िच लाने क आवाज से अंशुल जाग गयी और
पालने म जोर-जोर से रोने लगी। पायल ने ब ी को गोद म उठा िलया और उसक पीठ
थपथपाते ए उसे फर से सुलाने क कोिशश करने लगी। आधे घंटे के बाद जब वह उसे
सुलाने म सफल हो गई, तो उसने धीरे से ब ी को पालने म िलटाया और कमरे क
ूबलाइट बंद करके िब तर पर लेट गई।
डबल बेड के दूसरी तरफ लेटा अभय अभी भी बेहद डरा आ था। उस भूत क आकृ ित,
याह परछा के प म अब भी उसके जेहन म थी। अचानक उसे कमरा इस कदर काला
नजर आने लगा, मानो वहां पूरी तरह से अंधकार छा गया हो। उसे ये डर सताने लगा क
जो काली परछा उसने थोड़ी देर पहले देखी थी, वह कसी भी ण कमरे म आ जायेगी
और गला घ टकर उसक ह या कर देगी।
वह तुरंत िब तर से बाहर आया, दरवाजे पर गया और उसे अंदर से बंद कर
दया। फर भी अंधेरा उसे परे शान करता रहा। उसने िब तर पर अपनी ओर मौजूद जीरो
वाट के लाल ब ब का ि वच ऑन कर दया। उस लाल रोशनी म उसे कमरे का हर एक
कोना नजर आया। िब तर, पालना, सोफा चेयर और आलमारी को यथा थान पाकर उसने
राहत क सांस ली। वह उस रोशनी म खुद को थोड़ा सुरि त महसूस कर रहा था। ले कन
के वल ‘थोड़ा’ ही, य क उसे कमरे म कसी भी ण भूत के कट हो जाने का डर अब भी
सता रहा था। हर दस सेकड म वह इस डर से अपनी आँख खोल देता था क भूत अंदर आ
गया होगा, ले कन धीमी लाल रोशनी म उसे अपनी आँख के सामने उसका िचत-प रिचत
कमरा ही नजर आता था। उसने लगभग सारी रात डर के साए म दुबक कर गुजारी और
उसके दमाग पर हावी तनाव बढ़ता ही गया।

“हे भगवान! तु ह तो लगता है बुखार हो गया है।” पायल ने सुबह-सुबह अपने पित के
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माथे पर हाथ रखते ए कहा।


“नह , म ठीक ।ँ ” अभय ने उठने क कोिशश करते ए कहा, ले कन तुरंत ही िब तर
पर िगर गया। उसे िसफ एक रात के तनाव और खौफ से बुखार हो गया था और वह काफ
कमजोर महसूस कर रहा था।
“अभय, तुम बस लेट जाओ और आराम करो। म ऑ फस म फोन करके कह दूग
ं ी क तुम
आज ऑ फस नह आ पाओगे। तुम थोड़ा आराम कर लो, उसके बाद हम दवा लेने डॉ टर
के पास जायगे। म कचन म जाकर चाय बनाती ।ँ ”
अभय ने सहमित म िसर िहलाया और अपनी थक ई आँख को फर से बंद कर िलया।
ये सोचकर क चाय लेने से पहले श कर लेना बेहतर रहेगा, वह िब तर से उतरा। शायद
उसका एक च पल बेड के नीचे िखसक गया था, िजसे बाहर िनकालने के िलए वह घुटने के
बल बैठा और अपना एक हाथ बेड के नीचे डाल दया। उसने जब हाथ बाहर िनकाला तो
उसम च पल क जगह कु छ और था। वह एक लाल कपड़ा था, िजस पर एक गाँठ लगी ई
थी।
उ सुकतावश उसने गाँठ को खोल दया और पाया क उसम एक न बू, कसी जानवर
क दो छोटी हि यां, उड़द क दाल और साथ ही साथ कु छ अ य अप रिचत सी चीज थ ।
उसने ज दी से गाँठ दोबारा बांधा और तेजी से सी ढयां उतरकर दौड़ते ए घर से बाहर
आया। वह लाल कपड़े म बंधी उन चीज को सड़क पर िजतनी दूर फक सकता था, उतनी
दूर फक दया। एक बार फर दहशत उस पर हावी हो गयी थी। वह वापस कमरे म आकर
िब तर पर लेट गया। वह अपने िज म को बुखार से तपता आ महसूस कर रहा था,
जब क उसका खौफजदा मि त क उन अजीबोगरीब चीज का मतलब समझने क कोिशश
कर रहा था, िज ह उसने संयोगवश ढू ंढ िनकाला था।
जब पायल चाय लेकर वापस आयी तो अभय ने उसे लाल कपड़े म रखे उन अजीब
चीज के बारे म बताया। अभय ने देखा, उस वाकये को सुनकर पायल के चेहरे का रं ग उड़
गया। “वे सब या चीज थी पायल?” उसने पूछा।
“मुझे नह मालूम क वह सब या थी।” पायल ने अभय से नज़रे चुराते हए कहा,
“ले कन म ये ज र जानती ँ क उसे कसने वहाँ रखा था?”
“ कसने?”
“वारलॉक ने, और कसने?” पायल प लहजे म कहा। जब अभय क ओर से कोई
ित या नह िमली, तो उसने उसक ओर देखा और पूछा- “ या तु ह इसम कोई शक
है?”
“िब कु ल भी नह । मुझे तुम पर पूरा भरोसा है। ऐसा लगता है......खैर छोड़ो जाने दो।”
अभय ने असहज होकर कहा।
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“नह , जो कु छ तु हारे दमाग म चल रहा है, उसे बताओ।” पायल ने जोर देकर कहा।
“के वल इतना ही क मुझे ये यक न करना थोड़ा मुि कल लग रहा है क वह आदमी
डो फ हमारी िनगाह म आये बगैर हमारे बेड म म आकर उन चीज को बेड के नीचे
रख सकता है।”
“यह इसिलए है य क तुम उसे जानते नह ह। उसे खुद यहाँ आने क ज रत नह है।
उसका भूत ह रनाथ, िजसे वह क ोल करता है, उसके िलए ये काम आसानी से कर सकता
है।” पायल ने समझाया।
“ले कन डो फ हमसे चाहता या है?”
“िब कु ल साफ़ है, वह बदला लेना चाहता है।” पायल ने जवाब दया।
“मुझे नह लगता क ये तकसंगत है। कसी से बदला लेने के िलए उसके िब तर के नीचे
न बू और जानवर क हि याँ रखने से बेहतर और भी कई तरीके ह।” अभय ने तक रखा।
“तुम ऐसा इसिलए कह रहे हो य क तुम डो फ को एक साधारण इं सान समझते हो।
उसे वारलॉक यानी एक दु तांि क के प म देखो फर तुम खुद-ब-खुद उसके तौर-तरीक
को समझ जाओगे।”
“हम पर काला जादू करके भला उसे या हािसल होगा?”
“इसके दो कारण हो सकते ह।” पायल ने गहन चंता म डू बकर अपना माथा िसकोड़ते
ए कहा- “या तो हम डराने के िलए या फर हम नुकसान प च ं ाने के िलए वह अपनी
अमानवीय शि य का योग कर रहा है, य क अपने िशकार को मारने से पहले उसे
बुरी तरह डरा कर समपण करने पर मजबूर कर देने म उसे मजा आता है। इस कार क
घ टया हरकत से उसे खुशी िमलती है। और जहाँ तक म उसके बारे म जानती ,ँ ये के वल
इसी एक घटना तक नह थमेगा। हम भिव य म उसक तथा उसक बुरी शि य क ओर
से और भी भयानक चुनौितयाँ िमलने वाली ह।”
“वे तो पहले ही िमल चुक ह।” अभय बोल पड़ा।
“ या मतलब?” पायल ने चौक े लहजे म पूछा।
“मने एक भूत को दो-दो बार देखा। उसने िपछली रात मेरी कु लीग के लैट के बाहर
और फर हमारे घर क बा कनी म मुझ पर हमला करने क कोिशश क थी।” अभय ने
बताया।
पायल सफ़े द फ चेहरा िलए ए बेड पर बैठ गयी। उसने बोलने क कोिशश क ,
ले कन कसी तरह बस अपने ह ठ ही िहला पायी। लगता था जैसे उसक आवाज ने उसका
साथ छोड़ दया था। सहसा वह पालने के पास गयी और सोती ई अंशुल को गोद म उठा
कर चेहरे पर भय और चंता िलए ए फर से बेड पर अभय के बगल म बैठ गयी।
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“मने तु ह डरा दया न?” अभय ने कहा। उसे खुद क आवाज़ भी कसी अंध-कू प से
आती ई तीत ई। वह खोखली हंसी हंसा और आगे बोला- “इतनी डरी तो तुम उस व
भी नह थी, जब मुझे ए टेट के उस भूत के बारे म बता रही थी, िजसे तुमने परस देखा
था।”
“वो इससे अलग था अभय। तु हारी दलील सुनने के बाद म भी ये मानने लगी थी क
उस दन िब टू का नजर आना मेरा वहम रहा होगा। ले कन वैसा वहम तु ह तो नह हो
सकता, य क तु हारे जेहन म मेरी तरह डो फ क मांद म गुजारे ए दन क भयावह
याद नह ह। और िजस तरह क अलौ कक घटना के बारे म तुमने मुझे बताया, वह कोई
वहम नह हो सकता है।”
“तुम मुझसे कु छ छु पा रही हो पायल! बताओ मुझे क तु हारे डर क असली वजह या
है?” अभय ने दृढ़ लहजे म कहा।
“वारलॉक अपनी भयानक शि य को साथ वापस पा चुका है। इसका मतलब ये है क
नारं ग अंकल और भैरो, उसे रोकने या हराने म नाकाम रहे है। तु ह तांि क भैरो तो याद
होगा न, जो शािलनी क लैट पर मुझे डो फ से बचाने वाला ताबीज देने के िलए आया
था।”
“जब भैरो का जादू-टोना अभी भी हमारी र ा कर रहा है, तो हम ऐसे हालात का
सामना य कर रहे ह।” अभय ने पूछा।
“वह के वल अ थायी समाधान था। मुझे वारलॉक क बुरी शि य के बारे म नारं ग
अंकल को बताने क ज रत नह है। भैरो के मामूली से जादू-टोने को भूल जाओ। वह
डो फ के मुकाबले कु छ भी नह है।” पायल ने प कया, “वारलॉक ने अपने काले-जादू
क शि य पर फर से िनयं ण पा िलया होगा और अब हम पर उनका इ तेमाल कर रहा
है।”
“ले कन य ? हमने उसका या िबगाड़ा है?” अभय ने पूछा।
“मेरी वजह से उसे पुिलस ने पकड़ िलया। मने उसे कोट म घसीटा और साडी दुिनया को
उसक असिलयत बताई और उसक सालो से जमी-जमाई इ ज़त का जुलूस िनकल दया।”
“ले कन ये सब गुज़री ई बात ह। व के साथ मामला रफा-दफा हो गया है। अब वह
तुमसे और तु हारे प रवार से य बदला लेना चाहता है?”
“ य क डो फ तु हारे या मेरे जैसा साधारण इं सान नह है। वह अपने दु कम के बल
पर ज़ंदा है। वह अचानक से बदल नह सकता। ई र के डर से नैितकता का दामन
थामकर एक अ छे इं सान क तरह जीना शु नह कर सकता। अफसोस क ये सबक मने
उसके सकस म सीखने से इनकार कर दया और अब मुझे इसक क मत चुकानी होगी।"
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शाम ढलने के साथ-साथ अभय क दहशत भी बढ़ती जा रही थी। जब क दूसरी पायल
उस ि थित म अभय से कह यादा साहस का दशन कर रही थी। पायल दन खुद को
संभाले रही। उसने अपने पित के सभी वािहयात सुझाव जैसे शहर से भागकर कसी
दूसरी जगह बस जाने या ज़ रत पड़ने पर देश छोड़कर चले जाने के ताव को ठु कराकर
कसी च ान क भांित अपनी जगह से टस से मस न होने का फै सला कर िलया था। ये
शायद उसक असीम िह मत ही था, िजसने उसे उन घटना के शु आती झटक से उबारा
था।
ले कन भावना मक प से कमजोर और डरा आ उसका पित उसके साहस को
मूखतापूण समझ रहा था। यहां तक क वह पायल को वाथ और िज ी वभाव वाला भी
समझने लगा था, जो अपने पित का जीवन दांव पर लगा होने के बाद भी दूसरी चीज को
तरजीह दे रही थी। अभय के मन म ये बात घर कर गयी थी क िनशाने पर वह था, न क
उसक प ी। चारा वह बना आ था, न क उसक प ी पायल। वह अपनी बीवी के ित
गु से से भरा आ था, जो क पूरी िन ा के साथ उसक देखभाल कर रही थी। पायल ने
उसके चेक अप के िलए डॉ टर को घर पर बुलाया, ब ी को साथ िलए ए दवाइयां लेने
बाजार गयी, उसके िलए ह का-फु का भोजन तैयार कया था, उसे चाय िपलाई और सही
समय पर दवा भी दी।
जब क अभय सारा दन िब तर पर लेटा आ खुद को वा तिवकता से कह यादा
बीमार दखाने क कोिशश करता रहा था। उसने पायल के काम म हाथ बंटाने के िलए
पूछने क जहमत तक नह उठायी थी, जो अपनी ब ी और पित क देखभाल के अलावा
घर और माकट के काम भी अके ले ही कर रही थी। जब क इसके िवपरीत वह कसी वाथ
इं सान क भांित पायल क मेहनत को नजरअंदाज करते ए उसे मन ही मन वाथ और
पित क परवाह न करने वाली बीवी के तौर पर कोस रहा था। वह िघरती आ रही रात के
खौफ से सहमा आ िब तर पर ही पड़ा आ था। उसने न के वल पायल पर बार-बार तंज
कसा, िजसका मानना था क सम या से भागना उसका हल नह है और उनका िह मत
से सामना करना चािहए, बि क उन घटना के िलए पूरी तरह उसे ही दोषी ठहरा दया।
अभय ने पायल को कह दया था क वही है, जो सारे फसाद के जड़ है। जब पायल के इस
तक का क कसी दूसरे देश म चले जाने के बाद भी वारलॉक उन तक आसानी से प च ँ
सकता है, अभय को कोई जवाब नह िमला तो उसने उसे उन प थर दल मिहला म
शुमार कर िलया, जो अपन क भलाई क परवाह नह करती ह।
जीवन म अगर कु छ ऐसा है, िजसे इं सान नह कर सकता, तो वो है समय क र तार क
रोकना। उसे दन और रात के अिनवाय और अंतहीन च का अनुसरण करने से रोकना।
अपनी तमाम आशंका और डर के बावजूद वह रात को िघर आने और दहशत को अपने
पर हावी होने से न रोक सका। उसने रात का खाना कमरे म ही खाया और इसके बाद
उसने खुद को अके ले कमरे म बंद कर िलया। अभय आशंका के िशकं जे म जकड़ा आ
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तनाव त और भयभीत अव था म इं तज़ार करता रहा ले कन बुखार और थकान के


कारण उसके सो जाने तक कु छ भी अ यािशत नह घटा।
अभय आधी रात को च क कर उठ गया। उसने पाया क उसका समूचा िज म पसीने से
तर-ब-तर हो रहा था। उस व उसक सांस अटक गय , जब बमुि कल सुनी जा सकने
वाली एक धीमी आवाज उसके कान म पड़ी। आवाज ठीक वैसी ही थी, जैसे कोई उसके
बेड म के दरवाजे को नाखून से ख़र च रहा हो। उसने भौच े होकर बेड म के दरवाजे
को देखा, जो बा कनी म खुलता था। ‘ या मेरे कान बज रहे ह, या दरवाजे के बाहर
सचमुच कोई खड़ा है? ले कन ऐसा कै से हो सकता है या फर वह कौन हो सकता है? या
वही परछा वाला भूत, िजसे पायल ने ह रनाथ कहा था? ले कन वह मुझसे चाहता या
है?’
‘मुझे मारने के अलावा और या चाहेगा।’ अभय के मि त क ने खुद-ब-खुद जवाब दे
दया, वह सांस लेने म द क़त महसूस करने लगा।
उसे कमरे क हवा को भारी और घुटन भरी महसूस होने लगी। उसे लग रहा था क जैसे
वह सैकड़ साल से बंद कसी मकबरे म है। िजस कमरे म वह साल से रह रहा था, वही
कमरा अब उसे अचानक ही अजीब और भयानक लगने लगा था। फसी फन चर और
इले ॉिनक सामान से भरी एक िवशाल और सीलबंद क क तरह।
वह वहाँ से भाग जाना चाहता था, ले कन दरवाजे के बाहर परछा के प मंडरा रहे
भूत के खौफ से मानो उसे लकवा मार गया था। जब उसने लॉबी म खुलने वाले बेड म के
दूसरे दरवाजे के बाहर एक अ य आवाज़ सुनी तो उसका कलेजा हलक म आ फं सा। ‘ या म
िघर चुका ?ँ या बंद दरवाज और िखड़ कय के बाहर सच म भूत है या फर मेरा
दमाग मेरे साथ खेल रहा है?’
पता लगाने का के वल एक ही रा ता था, वह िखड़क या दरवाज़ा खोल कर बाहर
झांके। ले कन ये नामुम कन काम था। वह ऐसा नह कर सकता था। ऐसा करना तो दूर वह
इसके बारे म सोचने तक क भी िह मत नह कर सकता था। रात का भयानक स ाटा उस
पर हावी हो रहा था। दरवाज के बाहर से आती आवाज उसे हलकान कर रही थ ।
वह िब तर से तेजी से उतरा और टीवी ऑन कर दया। एक यूिजक चैनल पर वे टन
रॉक यूिजक चल रहा था। उसने बेडसाइड शे फ से रमोट कं ोल उठाया और वॉ यूम
बढ़ा दया। टीवी के शि शाली पीकस से गूंजते यूिजक के तेज शोर से दरवाजे के बाहर
से आती भयानक आवाज मंद पड़ गय । उसे अपने चार ओर एक सुर ा जाल महसूस
कया। उस तेज़ आवाज़ के संगीत ने मानो उसके चार ओर एक सुर ा-कवच बना दया
था, जो उसे उन खतर से बचा रहा था, िज ह रात क भयानक ख़ामोशी अपने साथ लाई
थी। इतने पर भी संतु न होकर उसने कमरे क ूबलाइट ऑन कर दी। वहां अचानक
क धी रोशनी क अ य त होने के िलए उसक आँख खुद-ब-खुद झपक गय । ये और भी
बेहतर था। उसने काश और विन क मौजूदगी म वातावरण को यादा सुरि त पाया।
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उसने अपनी थक ई पलक बंद कर ल और चेहरा त कये म छु पा िलया। वह अपने बदन


को बुखार से जलता आ महसूस कर रहा था।
उसने एक भी बार टी.वी. न क ओर देखना या यूिजक सुनना गंवारा नह करा।
विन के प म उस शोर का उसके िलए के वल यही मह व था क वह उसे सुर ा दान
कर रहा था। खमोशी उसे डरा रही थी इसिलए उसने आवाज पैदा करने के एकमा उ े य
से टी.वी. ऑन कया था। ता क उसके कान दरवाजे के बाहर से आती भयानक आवाज से
बच सक। उसने ूबलाइट क चुभने वाली रोशनी से बचने के िलए अपने चेहरे पर एक
कं बल डाल दया और सोने क कोिशश करने लगा।
काफ देर बाद जब अभय ने लाइट बंद करी तो एक तेज आवाज ने उसे च का दया।
उसने टेलीिवजन न पर चल रहे यूिजक शो पर दृि पात कया त प ात उसे बंद
करके फर से न द के दायरे म िसमटने क कोिशश करने लगा। ले कन उसके यास धरे के
धरे गये। टीवी के तेज शोर और रोशनी के बंद होते ही दहशत फर से लौट आयी। ये उसके
खौफजदा जेहन का वहम था या फर दरवाजे के बाहर अमानवीय शि य क उपि थित,
जो कु छ भी वह था, उसने उसे एक बार फर मौत के खौफ से ब करा दया। उसने
पागल क तरह ूबलाइट और टीवी दोन को फर से ऑन कर दया। उसने सीने से
त कया लगाकर और दोन पैर को िसकोड़ कर कसी सहमे और कांपते ए छोटे ब े क
तरह बैठ गया।
उसे लगा जैसे वह कसी अजीबोगरीब, अप रिचत और रह यमयी दुिनया म प च ँ गया
है, िजसके बारे म वह कु छ भी नह जानता। अनजान खतर से भरी एक दुिनया, जो ठीक
दरवाजे के बाहर घात लगाए बैठी ई थ । वह फर से खुद म िसमट गया और अपने आप
से बड़बड़ाने लगा क रात ख म होते ही वह सब कु छ ठीक हो जाएगा। उसे वह समय याद
आ रहा था, जब उसके माता िपता चल बसे था और वह संसार म िनपट एके ला महसूस
करता था। तब भी वह ख़ाली घर म खुद से बाते करता था। उसने लेट कर अपने शरीर को
कं बल से ढक िलया। माँ के गभ म पल रहे कसी अज मे ब े क भांित उसने अपने घुटन
को छाती तक िसकोड़ िलया। वह न द के सुरि त वातावरण म गक होने क कोिशश करने
लगा, जहाँ उसका दमाग खतरे को समझने म असमथ होगा। न द उसे न के वल कमरे के
बाहर मंडराती परछाइय के अजीब शोर से बि क उनके खौफ से भी बचा सकती थी। वह
उन सबसे बचने के िलए सारी रात पूरी िश त के साथ ज ोजहद करता रहा। सुबह होने म
एक-आध घंटा ही बा क था जब उसे अंतत: न द आ गयी।

िब टू के भूत के नजर आने के तीसरे दन तक अभय इस कदर पीला जद नजर आने लगा
था, मानो वह कई साल का बीमार आदमी हो।हालां क उसका बुखार उतर गया था,
ले कन फर भी वह खुद को शारी रक और मानिसक प से बेहद कमजोर महसूस कर रहा
था। लंबी और उन दी रात अब उस पर अपना असर दखाने लगी थ । वह आँख के नीचे
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काले ध बे नजर आये थे। बढ़ी ई दाढ़ी और कं घी नह कये ए बाल के कारण बेहद
बेतरतीब नजर आने लगा था। वह िपछले तीन दन से एक ही िसलवट भरा नाइट सूट
पहने ए था।
उनक दनचया भी पूरी तरह से बदल चुक थी। वह बंद कमरे म रात अके ले गुजरता
था और लगातार गाय ी मं जपता रहता था। उसके कमरे क लाइट हमेशा जलती रहती
थी और टी.वी. पर तेज़ आवाज़ म संगीत बजता रहता था। वह दन भर सोता रहता और
के वल भोजन करने के िलए ही उठता था। हालां क पायल कु छ कहती नह थी ले कन अपने
पित क दमाग़ी हालत को लेकर उसके चेहरे पर चंता साफ़ दखाई देती थी।
अभय टेलीफोन क घंटी सुनकर च का। उसने काडलेस फोन का रसीवर उठाया और
कहा- “हैलो?”
“अभय ब ा?”
“यस पी कं ग।”
“फोन मत काटना।” अनुरोधपूण वर म कहा गया- “तु हारा मुझे सुनना ब त ज री
है। म जो क ग
ं ा, उस सुनने म तु हारा ही फ़ायदा है।”
“म कससे बात कर रहा ?ँ ” अभय ने पूछा। उसके माथे पर िसलवट उभर आयी थ ।
“फोन मत काटना अभय ... म डो फ, डो फ चानहर ।ं ”
“ डो फ?” अभय क आवाज इस कदर खोखली थी क वह खुद अपनी ही आवाज न
पहचान सका।
“हाँ अभय! मने तु हारी भलाई के िलए ही तु ह फोन कया है। फोन मत काटना।”
डो फ ने अपने लहजे पर जोर देते ए कहा- “म तुमसे िमलना चाहता ।ं तु हारे भले के
िलए ये ज री है। तु हारी जं दगी ब त बड़े खतरे म है अभय। तु ह िसफ म ही बचा
सकता ।ं य क िसफ मुझे पता है क तु हारे दु मन तु हे कै से घेर रहे है। अगर तुम उसने
बचाना चाहते हो तो तु हे पता होना चािहए क वह या कर रहे है।”
“बताओ, म सुन रहा ।ँ ”
“अभय, म ये सब फोन पर नह समझा सकता। तु ह मुझसे आकर िमलना होगा।”
“कहाँ?” अभय ने पूछा।
“म तु ह साउथ ए सटशन के अपने इं ि ट ूट से फोन कर रहा ।ँ या तुम यहां साउथ
ए सटशन मेन माकट के 'कै फ़े कॉफ़ डे' म एक बजे आ सकते हो?”
“ठीक है, म तु हे वह िमलूंगा।”
“एक बात और अभय, तुम अपनी बीवी को ये मत बताना क तुम मुझसे िमलने आ रहे
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हो। तुम समझ रहे हो न?”


“ठीक है।” अभय ने िणक खामोशी के बाद कहा और फोन रख दया।
वह अपने ही याल म गुम होकर काफ देर तक बैठा रहा। प रि थित ने एक नया और
नाटक य मोड़ ले िलया था। ‘ या मुझे जाकर डो फ से िमलना चािहए? उसका वहार
हमेशा ही से काफ दो ताना रहा है और वैसे भी उससे पि लक लेस पर िमलने म कोई
खतरा नह होगा। अगर डो फ के पास सचमुच अलौ कक शि य है तो वह मुझे यँहा
घर पर या बाहर कह पर भी नुकसान प च ँ ा सकता है।‘
अभय ने सोचा क डो फ से िमलकर और दो टू क बात करके कम से कम उन रह य
का पदाफाश हो सकता था, जो उसे पागल कये जा रहे थे। उसके कु छ संदह
े का तो कम से
कम िनराकरण तो हो ही सकता था। चूं क वह पहले से ही डर के साए म जी रहा था,
इसिलए उससे बुरा तो फलहाल कु छ हो ही नह सकता था। अभय को एक बात लगातार
परे शान कर रही थी, डो फ ने इस पर जोर य दया क पायल को उनक मुलाकात के
बारे म पता न चलने पाये? उसने ये सोचकर अपने कं धे उचकाये क ज द ही उसे इसका
पता चल जाएगा।
वह अपने िब तर से बाहर आया और आलमारी से एक जोड़ी साफ़ कपड़े िनकालकर
बाथ म म चला गया। शेव करने के बाद शॉवर के नीचे खड़े होकर अपने बदन को अ छे से
साफ़ कया और धुप चढ़े बंगले से िनकला। पायल ने उसे िनकलते ए देखा और अपने पित
क पूरी तरह से बदली ई दशा देखकर अपनी हैरानी को न रोक सक , ले कन अभय ने
उससे के वल इतना ही कहा क वह अपने दो त से िमलने जा रहा है। कस दो त से? इसका
उसने अपनी बीवी को कोई जवाब नह दया था। उसने अपनी कार बाहर िनकाली और
रं ग रोड क ओर िनकल गया। ज द ही उसक कार साउथ द ली के रा ते पर फराटे भर
रही थी। जब वह साउथ ए सटशन माकट प च ं ा तो एक बजने म पांच िमनट बाक थे।
ठं से ए पा कग जोन म उसने अपनी कार को बड़ी मुि कल से पाक कया और तेजी से कै फ़े
क ओर बढ़ गया।
उसने देखा क 'कै फ़े के कांच के उस पार एक कु स पर बैठा आ डो फ उसे देखकर
हाथ िहलाने लगा था। जब वह भीतर प च ं ा तो मेज़बान अभय क ओर हाथ बढ़ाते ए
अपनी जगह से उठ खड़ा आ। उसने बगैर कसी के उ साह के उससे अपना हाथ िमलाया
और डो फ के सामने क लाल रं ग क लाि टक क कु स पर बैठ गया।
“यहाँ आने के िलए शु या अभय! मुझे डर था क कह तुम अपना इरादा बदल न दो।”
डो फ ने मु कु राते ए कहा।
“मने ऐसा नह कया।” अभय ने थोड़ा त खी से कहा- “अब मु े पर आते ह।”
डो फ ने अभय को खाने क पेशकश क ले कन उसने मना कर दया। त प ात उसने
एक गारिलक ेड का टु कड़ा मुंह म रखते ए बगैर कसी भूिमका के कहा- “तु हारी
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जं दगी खतरे म है। एक औरत तु ह मारना चाहती है।”


“एक औरत या तुम?”
“म भला ऐसा य क ं गा? जो औरत तु हारी जान लेना चाहती है, वह खुद तु हारी
बीवी है। वह एक ख़राब करै टर वाली कर ट ( िभचारी) औरत है।”
“तुम...तुम झूठ बोल रहे हो।” अभय ने त ध लहजे म कहा- “मने पायल से साल भर
पहले ही शादी क है और म इस पर यक न नह कर सकता क वह मुझे मारना चाहेगी।”
डो फ ने एक कागज़ िनकाला और उसे बीच म पड़े मेज पर अभय क ओर फकते ए
कहा- “इसे देखो।”
अभय ने उसे उठा िलया और देखा क वह अख़बार से काट कर िनकाला गया कोई लेख
था। उसका शीषक था ‘तं के काले कारनामे’ वह लेख बंगाल के बारे म था, िजसम बताया
गया था क कस कार वहां क मिहलाएं कसी आकषक पु ष को देखते ही उसे तं के
जोर से वश म करके उसे अपना पित बना लेती ह और फर.. अभय अख़बार क कतरन को
टेबल पर फककर उठ खड़ा आ। “मुझे लगता है, मेरा यहाँ से चले जाना बेहतर होगा।”
“ को तो, या आ?”
“म कसी ऐसे आदमी से बात करने म अपना समय बबाद नह कर सकता, जो पढ़ा -
िलखा होने के बावजूद इस कार क बकवास और अंधिव ास म यक न करता है। या
तुम सािबत करना चाहते हो क मेरी बीवी भी उ ह औरतो क तरह एक जादू-टोना
करती है, िजनका िज इस आ टकल के बेवकू फ राइटर ने कया है? म जा रहा ।ं ” उसने
मुड़ते ए कहा।
“ या तुम अपने िब तर के नीचे एक लाल कपड़े म न बू और हि याँ बंधा आ पाकर
हैरान नह ए थे?” डो फ ने पूणतया शांत और धैयपूण लहजे म पूछा।
“तु हे उस के बारे म कै से पता है?” जाने तो त पर अभय ठठका।
“मुझे या नह पता ? चलो, बाक बाते बाहर खड़ी मेरी टेशन वैगन म बैठकर करते
ह।”
“तु हारी कार म य ? मेरी कार म य नह ?”
“ठीक है। तु हारी कार म ही, अब खुश?” डो फ ने मु कु राते ए कहा- “चलो चलते
ह।”
वे दोन कै फ़े से बाहर आये। दन के बाक पहर क तरह उस व भी रं ग रोड पर भारी
ै फक थी। वे दोन पा कग म खड़ी अभय क कार क ओर चल पड़े। अभय ने अपनी कार
के दरवाजा को रमोट लॉक से खोल दया। डो फ उसके बगल वाली सीट पर बैठ गया
और अपने ओर के दरवाजे को बंद करते ए पूछा- “ या तुम अभी भी जाने क ज दी म
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हो?”
“तुम कै से जानते हो? तुम इसिलए जानते हो य क उसे तुमने ही कया या फर
करवाया है।”
“मेरा यक न करो अभय, मेरे पास मेरे आदेश को पूरा करने वाली कोई अलौ कक
शि यां नह है। म भला तु ह परे शान करने के िलए कोई भूत कै से भेज सकता ?ँ या फर
तु हारे घर म ठीक तु हारी बेड के नीचे काले जादू क चीज़े कै से रख सकता ?ँ ”
“अगर ऐसा तुमने नह कया तो फर कसने कया?”
डो फ के होठ पर स ता भरी एक मु कान नृ य कर उठी, य क उसके सामने बैठा
आदमी ठीक उसी जग़ह आ फ़सा था, जँहा वह उसे लाना चाहता था। “वह श स, जो तु ह
मारने क कोिशश कर रहा है, पायल है, म नह ।” अभय को लगा जैसे उसक दुिनया उसके
इद-िगद व त होती जा रही ह। कार क टी रयो पर गाना चल रहा था – ‘कसमे वादे
यार वफ़ा सब, बात ह बात का या, कोई कसी का नह ये झूठे नाते ह नात का या।
उसे लगा क वह रसातल म गहरा और गहरा िगरता चला जा रहा है। खुद को संभालने म
उसे थोड़ा व लगा। बहरहाल जब वह संभल गया, तो उसने डो फ के चेहरे पर दृि पात
करते ए मूख क मा नंद भौच लहजे म पूछा- “पायल? पायल मुझे मारने क कोिशश
कर रही है? ले कन य ?” उसका गला अव हो गया।
“मने तुमसे कहा था क वह पूरी तरह से और च र हीन औरत है। उसके कई
आिशक ह, के वल तु ही अंधे थे, जो ये न देख सके । उसने तु ह खूब उ लू बनाया है। हर कोई
तु हारी बेवकू फ पर तु हारे पीठ पीछे हंसता है।”
“ले कन उसे मुझे मारने क या ज रत है?”
“ता क वो और उसका आिशक एक हो सके । ज़रा मुझे बताओ...” डो फ ने अपने ने
िसकोड़ते ए पूछा, “ या तु हारे नाम पर कोई बीमा पॉिलसी है?”
“हाँ, 10 करोड़ पये क ।” अभय के मुंह से िनकला।
“तो ये बात है, जो उसे एक और वजह मुहय
ै ा कराती है।” डो फ ने कहा।
“और तु ह उसक इन हरकत और उसके तथाकिथत आिशक के बारे म पता कै से
चला?”
“के वल वही नह है, जो कसी तांि क या काले जादूगर के पास जा सकती है। म भी
अपने आप को उसक चाल से बचाने के िलए एक तांि क से िमला था। यान रखना,
के वल अपने आप को उसक चाल से बचाने के िलए। अगर अपने आपको बचाने के िलए
कसी तांि क क मदद लेने का मतलब ‘वारलॉक’ होना है, तो ँ म ‘वारलॉक’। मेरे
तांि क ने ही मुझे बताया क पायल और उसका आिशक कसी अंधे तांि क के ज रये या
गुल िखला रहे ह। मुझे लगता है उसने उसका नाम भैरो बताया था।”
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“हाँ, मने उसे देखा है,” अभय ने वीकार कया “ले कन पायल ने कहा क वह तु ह
हमसे दूर रखने म उसक मदद कर रहा है।”
अभय गहरी सोच म डू ब गया। एक ल बी ज़ेहनी क मकश और खामोशी के बाद वह
डो फ क ओर घूमा और उसे आशं कत ने से घूरते ए कहा- “म तु हारा यक न नह
कर सकता। तुम झूठे हो और मेरे तथा मेरी प ी के बीच दीवार खड़ी करने क कोिशश कर
रहे हो।”
ण भर के िलए तो डो फ सकपका गया। उसका चेहरा यूं फ पड़ गया, मानो उसे
रं गे हाथ पकड़ िलया गया हो। ले कन शी ही उसने खुद को संभाल िलया और कहा-
“मेरी बात पर यक न न करके तुम अपनी ही जान को ख़तरे म डाल रहे हो।”
“बाहर िनकलो,” वह गुराया और डो फ के उतरने के बाद िख मन के साथ अपनी
कार वहां से िनकाल ले गया।

डो फ से िमलने के बाद रात के एक बजे द ली के इं दरा गांधी इं टरनेशनल एअरपोट


के िविजटस ल ज म मौजूद था। वह अपने दो त नरे श को छोड़ने आया था, जो इं लड जा
रहा था। वह अपने दो त को साके त से िपक करके हवाई अ े तक ले आया था और इस व
फलहाल ि टश एयरवेज के काउं टर से उसके लौटने क राह देख रहा था, जहाँ वह उस
लेन के टेकऑफ़ और टाफ के चेक इन के समय को लेकर पूछताछ करने गया था िजसे वह
लंदन उड़ाकर ले जाने वाला था।
अभय ने दो कप कॉफ ख़रीदी और ज द ही कै प वाली पायलट क वद पहने ए नरे श
भी उसके साथ जुड़ गया। जब वे कु सय पर अगल-बगल बैठ गए, तो नरे श ने पूछा- “म
तु ह काफ देर से उदास और परे शान देख रहा ं अभय, बात या है? म तु हारा इतना
यारा दो त ं और हम कभी भी एक-दूसरे से कु छ नह िछपाते। अगर कोई द त है तो
तुम मुझे बता सकते हो और हम िमलकर उसका हल िनकल सकते है।”
थोड़ी देर तक अपने दो त को देखने के बाद अभय ने पूछा, "अगर म तु हे कु छ बताऊ
तो तुम उसे अपने तक रखोगे?”
“म वादा करता !ं ” नरे श ने बेिहचक कहा।
“मुझे लगने लगा है क मने पायल से शादी करके ब त बड़ी गलती कर दी है।” उसने
कहा।
“ या?” नरे श ने अिव ास म भरकर इतनी ज़ोर से कहा क आस-पास के लोग का
यान उन क तरफ़ चला गया।
“म उस बंगालन से मेरी दो ती कराने के िलए तु ह दोष नह दे रहा ।ँ इसम सारी
गलती मेरी थी, जो म उस पर फसल गया। काश मुझे लड़ कय के बारे यादा अनुभव
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होता तो म कसी टीनएज लड़के क तरह पेश नह आया होता।”


“तु ह या हो गया है अभय? तुम एक अ छे और िज मेदार इं सान हो। ये तु हारा
करै टर नह है। या तुमने पायल से झगड़ा कया है?” नरे श ने पूछा- “मेरा यक न करो,
हर र ते और शादी म उतार-चढ़ाव आते ह, ले कन इसका मतलब ये नह है क हम इस
तरीके से ओवर रये ट कर।” उसने उसे समझाने क कोिशश करते ए कहा।
“हालां क अभी तक मने कोई फ़ै सला नह िलया है, ले कन मै उससे तलाक लेनी क
सोच रहा ।ँ ”
“हे भगवान! तु ह हो या गया है मेरे भाई? तुम ऐसा सोच भी कै से सकते हो?” नरे श
भड़क गया. “मुझे तो पता ही नह लगा क तुम दोन के बीच इतना झगड़ा चल रहा ह।
पायल ने तो कभी ऐसा िज भी नह करा। म अभी उसे फोन करता ।ँ अगर ज रत पड़ी
तो एक बड़े भाई क तरह उसे डाटूंगा और क ग ं ा िजन हरकत से उसने तु ह नाराज कया
है, उनके िलए माफ मांग।े ”
अभय ने अपने दो त को घर का नंबर डायल करने से रोकते ए िनणायक लहजे म
कहा- “इससे कोई फायदा नह होगा। वो ऐसा कु छ भी कह या कर नह सकती, जो हमारे
बीच सब-कु छ ठीक हो जाये।”
“ य , या गलती तु हारी है?”
“तुम इसे मेरी गलती कै से कह सकते हो? या मने उसे कहा था क दूसरे आदमी से
अफे यर करे ?” अभय ने कड़वे वर म कहा।
“तु हारा दमाग खराब हो गया है? पायल उस तरह क लड़क नह है।”
“ ह
ं ! तुम कै से जानते हो? तुम भी उसे गुणवान, धा मक, ई र से डरने वाली लड़क
समझते हो, जैसे पहले म समझता था।”
“ या तु ह शक है क वह तु ह धोख़ा दे रही है?” नरे श ने चंितत वर म पूछा।
“शादी के बाद से ही म देख रहा ँ क मेरे घर पर कोलकाता और िशमला से कु छ
अजीबगरीब कॉ स आती ह और मेरी आवाज़ सुनते ही तुरंत फोन काट दया जाता है। एक
बार तो मने उसे पायल नाम पुकारते ए सुना था। ले कन फर ये महसूस करते ही मने
फोन उठाया है, उसने फोन काट दया।”
"ये तो कोई सबूत नह है, वह भी ऐसा क तुम कहो क वह कर ट है।”
“म यार म अँधा हो गया था। मेरे पास माँ-बाप, भाई-बहन या र तेदार नह थे, और
न ही मेरे आस-पास कोई समझदार ि था, जो उस लड़क के बारे म जाँच-पड़ताल कर
सकता, िजससे म शादी करने जा रहा था। म एक खूबसूरत चेहरा देखते ही उस पर ल टू
हो गया और आँखे बंद करके ज दबाजी म उससे याह रचा िलया।” उसने डो फ क
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भाषा म कहा।
नरे श ने मानो सहज ही ये महसूस कर िलया। उसने कहा- “ये तुम नह बि क तु हारे
ज रये कोई और बोल रहा है अभय! कौन है िजसने तु हारे अंदर तु हारी बीवी के िखलाफ
इतना जहर भर दया है?”
अभय उसे डो फ के साथ ई अपनी मुलाकात के बारे म बताने ही वाला था ले कन
कु छ सोचकर उसने अपना इरादा बदल दया और कहा- “म इतना अँधा नह ँ क मेरे
पीठ पीछे या चल रहा है, ये न देख सकूं । अभी मेरे पास अभी तक कोई ठोस सबूत नह है
ले कन मुझे यक न है क मेरी बीवी मुझे धोख़ा देती है है और अब मेरी पूरी ॉपट पर
क ज़ा जमाने के िलए अपने यार के साथ शादी के िलए मुझसे छु टकारा पाना चाहती है।”
“तू पागल हो गया है। म अपनी छोटी बहन के बारे म ऐसी बकवास नह सुनुँगा मुझे
समझ नह आता क तू कै से इस तरह क गलतफहमी पाल सकता है? मुझे तो इस बात पर
शम आ रही है क म तेरे जैसे इं सान का दो त ।ँ तू तो पाग़ल है और अब घ टया हरकत
पर उतर आया है। अरे गधे, पायल के बारे म इस तरह क बात करने के बजाये तुझे तो
भगवान का इस बात के िलए शु या अदा करना चािहए क उसने तुझे एक अ छी बीवी
और एक परी जैसी ब ी दी है। अगर पायल चाहती तो उसे तुझसे कं ही अ छा हसबड
िमल सकता था। ले कन उसने तुझसे शादी करने का फै सला कया, इसके िलए तुझे उसका
एहसानमंद होना चािहए।”
“तो कसने रोका था उसे? उनम से कोई भी मेरे जैसा अमीर नह होता, िजसे आसानी
से चूसा जा सकता।”
“तो या तु ह लगता है क पायल ने पैस के िलए तुमसे शादी क थी?”
“वह जीवन भर मौकापर त रही है। वह हमेशा बड़े और बेहतर मौके क ताक म रहने
वाली बेहया औरत के िसवाय कु छ नह है। ले कन इससे भी बड़ी बात, जो उसे और भी
बुरी और खतरनाक बनाती है, वो है काला-जादू करने वाले तांि क के साथ उसक साथ-
गाँठ। हालां क मने तु ह बताया नह , ले कन सच ये है क कु छ महीने पहले मेरा जो
ए सीडट आ था, वह उसी काले-जादू क वज़ह से था, जो पायल ने मुझ पर इ तेमाल
कया था।”
“अगर म तु ह अ छी तरह से जानता नह होता अभय, तो म यही सोचता क तू मटल
के स है और तुझे कसी पागलखाने म होना चािहए।” नरे श ने आ यजनक ढंग से शांत वर
म कहा, "मुझे शक है क कोई है, जो तु ह गुमराह कर रहा है, तु ह झूठ क घु ी िपला रहा
है और सोची-समझी सािजश के तहत तु हारे दमाग म तु हारी ही बीवी के िखलाफ जहर
भर रहा है। मेरे भाई, तू यार, िव ास, समपण और सहभािगता क आफताबी रोशनी से
दूर; घृणा, अिव ास, अके लेपन और गलतफहिमय से भरी क एक अंधेरी और अंतहीन
सुरंग क ओर भागे जा रहे हो। खुद को स भालो अभय, अपनी नह तो अपने प रवार क
खाितर। आने वाली तबाही को रोक लो अभय, इससे पहले क ब त देर हो जाए।”
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“अगर पायल से कोई ग़लती कोई भूल ई है, अगर तु हे उससे कोई िशकायत, कोई
परे शानी या फर कोई गलतफहमी है तो उसके बारे म अपनी प ी से खुलकर बात करो।
वह एक अ छी, पढ़ी -िलखी, स ी और समझदार लड़क है। मुझे यक न है क तुम दोन के
बीच सब-कु छ ठीक हो जायेगा। तुम इसे भले ही वीकार मत करो, ले कन म अ छी तरह
जानता ँ क तुम पायल से ब त यार करते हो और वह भी तु हारे ित उतनी ही
सम पत है और तु ह अपनी जंदगी से बढ़कर चाहती है। और अब, जब भगवान ने तु ह
आशीवाद व प एक बेटी भी दे दी है, तो तु हारे कं ध पर िज मेदारी दोगुनी हो चुक है।
जब तुम दोन यार, स मान और पर पर िव ास क भावना से खुलकर बात करोगे तो
मुझे यक न है क सब कु छ ठीक हो जाएगा। और हाँ, य द तु ह छोटे-मोटे समझौते भी
करने पड़े तो पीछे मत हटना। ऐसे समझौते कसी जोड़े के आपसी यार को कम नह करते
बि क उ ह बढ़ाते ही ह।”
नरे श के दाशिनकता से भरे श द ने अभय पर जबरद त भाव डाला। वह अ थायी
तौर पर वारलॉक के जादू भरे जाल से बाहर आ गया और भारी गले के साथ बोला, “तु ह
लगता है क यह अभी भी संभव है? क चीज फर से पहले जैसी हो सकती ह?” ऐसा लग
रहा था जैसे वह अभी भी यार और खुिशय से भरे उसी सुखमय जीवन का तम ाई था,
जो वह िब टू के भूत के नजर आने से पहले अपनी प ी के साथ गुजार रहा था।
“िजस र ते को तुम दोन ने िमलकर इतनी मेहनत से संवारा है, उसे इतनी आसानी से
मत तोड़ो। म लंदन जाकर पायल से बात क ं गा और शािलनी से भी ऐसा करने के िलए
क ग ं ा। हम दोन अगले महीने यहां आएंगे और अगर ज रत पड़ी हम चार एक साथ
बैठकर इसका कोई हल िनकाल लगे।”
अभय ने मकड़ी के जाल म फं सी कसी म खी क तरह फरे ब, संदह े और आशंका के
घेरे से बाहर आने के िलए थोड़ा ब त संघष कया, ले कन डो फ ारा पायल के बारे म
कही गयी बात फर से उसके मानस-पटल पर िबजली क मा नंद क ध पड़ी और उसक
मुखमु ा कठोर हो गयी। अभय को लगा क शायद उसके जेहन पर डो फ, नरे श क
तुलना म यादा भावी था या फर शायद नरे श ने स ाई बयान करने क बजाय वही
सब-कु छ कहा, जो वह सुनना चाहता था। “तुम इस बात का पता कै से लगा सकते हो क
कोई आदमी तु ह धोखा दे रहा है, या तु ह मारने क कोिशश कर रहा है?”
इससे पहले क नरे श कोई जवाब दे पाता, ‘पि लक ए स
े िस टम’ पर उसके नाम क
घोषणा ई और उसे ि टश एयरवेज के काउं टर पर तुरंत रपोट करने के को कहा गया।
“मुझे जाना होगा अभय!” उसने अपनी कु स से उठते ए कहा। उसक कॉफ कब क ठं डी
हो चुक थी- “म तुमसे फोन पर बात क ँ गा। ज दबाजी म ऐसी कोई बेवकू फ मत कर
बैठना, िजसके िलए बाद म तु ह पछताना पड़े। यान रखना।” उसने कहा और ‘अभय से
हाथ िमलाने के बाद चला गया।
नरे श को इस बात क गंभीरता का अंदाजा तक नह था क डॉ फ के झूठ भरे पतरे ने
अभय का दमाग कस हद तक खराब कर दया था। अभय ीक भाषा के दुखा त सािह य
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( ेजेडी) के नायक क तरह था, जो ऐसी ि थित के िशकार होते थे, िजनसे न तो वे बच
सकते थे और न ही भाग सकते थे। अंतत: वह ई र ारा िनधा रत अपने अटल ार ध या
िनयित के आगे घुटने टेक देते थे।
हे न र ािणय सुनो, तुम ई र क इ छा के आगे असहाय हो।

अ याय 18
गहन अंधकार

िब टू के भूत के नजर आये एक स ाह गुजर चुका था और उस रात क तरह आज भी


पायल बंगले क बा कनी म अके ली बैठी ई थी। भोर का िनमल उजाला तरोताजा कर
देने वाली हवा के साथ चार ओर फै ल रहा था जो क माहौल को आशा और उमंग से भर
देने वाला था। वह गरमागरम चाय के एक याले के साथ कु स पर बैठी ई घर के सामने
से गुजरने वाली सड़क के दूसरी तरफ वाले पाक को देख रही थी।
वसंत पूरी तरह शबाब पर था और हर तरफ हरे -भरे पेड़, पौधे और लाल, गुलाबी,
बगनी और सफे द रं ग वाले फू लो क छटा देखते ही बनती थी। यह मौसम कसी भी इं सान
क इ छाशि को बल दान करने वाला होता है। पेड़-पौध पर िखलने वाली किलयाँ
और पि यां गुजरे ए भयानक अतीत क राख वाली शीत ऋतु से एक नई शु आत करती
ह। वसंत यही स देश देता क ‘मृ यु के बाद जीवन का पुनज म होता है’। ले कन पायल के
िलए यह िवपि और दुख का मौसम था, बुराई का मौसम।
पायल इस िवचार म डू बी ई थी क उसके जीवन क नाटक य-प रि थितयाँ मौसम से
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कतनी उलट थ । पायल को डर था क उसका पित पागल होता जा रहा था, और उसके
िलए उससे भी दुःख और िववशता क बात ये थी क वह उसे रोकने के िलए कु छ नह कर
पा रही थी। वह खुद को बेहद त हा और िबखरी ई महसूस कर रही थी। उसका पित,
िजसे वह अपने जीवन का सबसे मजबूत तंभ समझती आयी थी, अब पहले जैसा नह रह
गया था। उसे दीवानो क तरह यार करने वाला और उसे भावना मक सुर ा का एहसास
कराने वाला वह भरोसेमंद साथी उसके जीवन से जा चुका था। वह डबडबाई आँख से
सोचने लगी क या जीवन इससे भी अिधक ू र हो सकता है?
ले कन पायल म मुसीबत का सामना करने का गज़ब का जीवट था। उसने अके ले दम
पर वारलॉक क क़ै द झेली थी और उससे लड़ाई लड़ी थी। आज पायल खुद के िलए, अपने
ब े, अपने यार और अपने प रवार क खुिशय के िलए फ़र लड़ने के िलए दृढ़ ित थी।
वह सोचने लगी क उसका पित अभय कतना बदल गया था. पायल ने ब त सोच-
समझकर उसके शादी के ताव को वीकार कया था। अभय एक भरोसेमंद, यार करने
वाले, भावुक और ईमानदार आदमी था। अभय म बदलाव को देखकर वह वॉरलॉक के
बदले क ज़हरीली आग महसूस कर सकती थी। वह सच म मूख थी क उसने सोचा क वह
वॉरलॉक को अदालत से सज़ा दलवा सकती थी! पायल हैरान थी क कै से उसने अपने
बचपने म मान िलया था क कनल नारं ग और एक अँधा तांि क िमलकर उसे वॉरलॉक से
छु टकारा पा सकते ह। उसने तो वॉरलॉक क ू रता और कमीनेपन को ख़द देखा था।
उसक पास जो अलौ कक और भयानक शि याँ वह उसे बतौर दु मन बेहद शि शाली
और खूंखार बनाती थी।
वह अनमने ढंग से कु स से उठी और हाथ म चाय का खाली कप िलए ए बालकनी से
सटे कमरे म प चँ ी। उसने ठठक कर अपने थके ए पित को देखा, जो एक और ल बी तथा
डरावनी रात से लड़कर गहरी न द सो रहा था। सोते ए वह एक बार फर वही मासूम
ब ा नजर आ रहा था, िजसने उसका दल जीता था। ‘सोकर उठने के बाद अभय का
बताव कतना अलग होता था।’ पायल ने िख मन से सोचा और कचन क ओर बढ़ गयी।
उसने बेड म का दरवाजा इतनी आिह ता से बंद कया क अभय क न द न खुलने पाए।
वह अपनी दो महीने क ब ी के साथ खेलने लगी। न ह लड़क , जो अपनी माँ क तरह
सुबह ज दी उठ जाती थी, अपने न ह हाथ से उसके गाल और ठोडी को छू ने लगी, मानो
उससे पूछ रही हो क वह इतनी उदास य है? न ह अंशुल के ित पायल के दल म
अथाह ेम उमड़ पड़ा। उसने उसक न ह हथेिलय को चूमा और उ ह अपने हाथ म लेते
ए बोली- “कु छ नह मेरी ब ी कु छ नह ! तुम चंता मत करो, म मी सब कु छ पहले जैसा
ठीक कर देगी।” पायल ने दृढ लहजे म कहा।
उसक न ह िब टया मु कु राई जैसे क वह यह सब समझती थी और उस पर पूरी तरह
से िव ास करती थी। पायल उसे उठाती ई बोली, "कम से कम तुम तो मेरे पास हो, मेरी
छोटी सी परी, मेरी जं दगी, मेरे ख़दा का नूर और उसक िनयामत।।” उसने अंशुल को
उठाकर अपनी छाती से लगाते ए कहा, “अभी सबकु छ ख़तम नह आ है। कम से कम
तुम तो मेरे पास हो और हमेशा रहोगी। भगवान एक प ी क खुिशय को भले ही छीन
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िलया ले कन एक माँ से उसक ब ी छीनने का हौसला तो उसके पास भी नह है।” उसने


वा स य और ेम क उस भावना से अिभभूत होकर कई दफे अंशुल का माथा चूमा।वह
यार और ममता जो िसफ़ एक औरत, एक माँ ही िन वाथ भाव से लुटा सकती है।
अंशुल को सुलाने के बाद पायल ना ता बनाने के िलए कचन म प च
ँ ी। उन दन अभय
अपना भोजन अके ले ही करना पसंद करता था। वह पायल के साथ खाना खाने म कोई
दलच पी नह दखाता था। पायल ने पंजाबी ‘आलू पूरी’ से िमलता-जुलता बंगाली
ंजन ‘ल छी आलूदम’ और गरमागरम चाय एक े म रखी और बेड म म प च ँ ी।
टीवी के शोर से पायल को पता लग गया क अभय जाग चुका है। उसने उसे िब तर पर
अधलेटा होकर टी.वी पर ख़बरे देखता आ पाया। उसने े को उसके सामने िब तर पर
रख दया और सुबह के अख़बार के साथ आये फ़ मी प रिश को लेकर दीवार से लगे
सोफा चेयर पर बैठ गयी। उसने अख़बार खोला और फ़ मी खबर को सरसरी तौर पर
देखने लगी। जब उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया तो देखा क उसका पित ना ता कर रहा
था। उसने पुन: अपना यान अख़बार पर लगा िलया।
अभय अपने मन म िबना कसी अपराधबोध और श म दगी के ना ता कर रहा था। एक
ओर उसक कत िन बीवी थी, जो बीती ई घटना और उसक खरी-खोटी को भूल
कर उसके िलए खाना बना रही थी। जब क इसके ठीक उलट वह एक पूरी तरह से बेशम
और कृ त इं सान था, िजसने न के वल डो फ क बकवास सुनता था, बि क उस पर
िव ास भी करता था। ले कन या पता पायल िसफ एक फ़रमाबदार बीवी क िसफ
भूिमका िनभा रही थ ता क वह उसे बेवकू फ बना सके और उसे उसक मौत का सामान
कर सके ?
पायल तो एक ज मजात अिभने ी - अभय ने सोचा। वह कै मरे के सामने क अपे ा
वा तिवक जीवन म यादा बेहतर अिभने ी थी। ज़ र पायल उसे अपराधबोध और
श म दगी से त करके अँधा बना रही थी, ता क वह उसके असली और िघनौने चेहरे को
न देख पाए। शायद जं दगी का यही फ़लसफ़ा था.
ऐसे ही जं दगी पलटा खाती थी और इं सानो को बदल देती थी। अभय क
प रि थितयां उसके िवचार और ख म बड़ा बदलाव ला चुक थ । अब वह सोचने लगा
था क बार-बार पायल के घर जाना उसका बचपना और मूखतापूण भावुकता थी। एक
दौर म िजस औरत के आगे उसे पूरी दुिनया ख़ म होती नजर आती थी, वही औरत अब
एक ऐसी बोझ म त दील हो चुक थी, जो उसे अपने साथ डु बाये जा रहा था। उसे शादी
अपने जीवन क सबसे बड़ी गलती नजर आने लगी थी। व के वल प रि थितय को ही
नह बि क इं सान क पूरी तरह बदल देती है। उसने पायल क ओर देखा, जो सर नीचे
करके पेपर पढ़ने के कारण उसके ल बे बाल चेहरे पर िबखरे ए थे। या वह उसे ख म
करने क कोिशश कर रही थी?
पायल ने झटके से चेहरा ऊपर उठाया तो उसे अपनी ओर घूरता आ पाया। अभय ने
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ज दी से िनगाह टेलीिवजन न क तरफ कर ल और घबराये ए अंदाज से ना ता


करने लगा। पहले तो पायल ने सोचा क वह उससे उस तरह से घूरने क वजह पूछे, ले कन
फर उसने अपना िवचार थिगत कर दया। अभय क िनगाह म कु छ तो अजीब और
असामा य था, जो उसे परे शान कर रहा था।
“तु ह पेपर चािहए?” उसने यार से पूछा।
“नह । बाद म।” अभय ने नजर चुराते ए कहा।
“म इसे िल वंग म म ले जाकर पढ़ती ।ँ अंशुल के पास भी कसी को होना चािहए।”
अभय ने जवाब म के वल िसर िहलाया और पायल कमरे से चली गयी। वह दरवाजा बंद
करना नह भूली थी। जब एक घंटे बाद वह वापस आयी तो उसने पाया क अभय फर से
सो गया था। वह े तथा खाली बतनो को कचन म ले गयी। उसने देखा क लंच तैयार
करने से पहले तक उसके पास आराम करने के िलए के वल एक घंटा था। उसने अपनी सोती
ए बेटी के माथे को यार से चूमा और िल वंग म म पालने के बगल म दीवान पर लेट
गयी।

दोपहर म पायल उठी और उसने अंशुल को अभय को पकड़ा दया, ता क उसके कचन
म काम कर सके । लंच तैयार करने के बाद वह कचन म आयी। उसने देखा अभय अलसाई
मु ा म िब तर म पड़ा आ था। “लो, खाना खा लो,” उसने े को िब तर पर रखते ए
कहा।
‘अगर इसम जहर िमला आ तो?’ अभय ने खाने क ओर देखते ए मन ही मन सोचा-
‘एक बार म रा ते से हट गया तो ये अपनी बेटी के साथ अपने यार के साथ मजे म रहने
लगगी।’उसने संदह
े ा पद दृि से े क ओर देखा और फर उस औरत क तरफ़, जो उसक
बीवी थी।
“इसम जहर नह िमला आ है।” उसने कहा।
“ या?” वह लगभग उछल पड़ा। उसे यक न नह आ क पायल ने उसके उसके
िवचार को उतनी सटीकता से भांप िलया था।
“तु ह हो या गया है अभय?” पायल ने चंतातुर लहजे म पूछा। “तुम अब पहले जैसे
नह रहे। तुम ब त बदल गए हो।”
“मने तु ह उस भूत के बारे म बताया तो था। उसके बाद भी तुम कसी आदमी से पहले
जैसा रहने क कै से सोच सकती हो?”
“नह ! इसक वजह कु छ और है। तुम जब से अपने उस सी े ट (रह यमयी) दो त से
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िमल कर आये हो, तभी से तुम ब त अज़ीब सी बाते कर रहे हो। मेरे और अंशुल दोन ही
के साथ। है वो तु हारा वो दो त ?”
“कोई भी नह ।"
“तो फर तुम उसक पहचान य छु पा रहे हो? तुमने ऐसा तो पहले कभी नह कया
था। वो है कौन? या कोई औरत?”
“बेवक़ू फ़ मत बनो। मेरे जीवन म कोई औरत नह है।”
“कोई औरत नह ?” पायल ने भव उचकाई।
“मेरा मतलब है, तु हारे अलावा कोई नह ।”
“तुमने इतनी ज़ोर से कहा क एक पल के िलए तो मुझे यही लगा क तु हारे कहने का
मतलब था क दूसरी औरत क तरह अब म भी तु हारी िज दगी का िह सा नह ।ँ ”
“बेवकू फ जैसी बात मत करो। तुम मेरे बीवी हो।”
“जो क एक दुःख भरी स ाई है िजसके साथ तुम जीने को मज़बूर हो, वरना तु हारा
दल तो अब इस र ते से भर चुका है, है न?”
“ या तुम मेरे स का इि तहान ले रही हो। तुम मेरी हर बात को उलटे तरीके से य
लेती हो?”
“ये िसफ़ एक बात का सवाल नह है, बि क तु हारे पूरे रवैये के बारे म है। मुझे िव ास
नह होता क तुम वही आदमी हो िजसने...।”
“हे भगवान ! यह औरत मुझे पागल कर देगी ।”
“तो फर मेरे सवाल का जवाब दो क वह आदमी कौन था, िजससे तुम िमलने गए
थे?” पायल ने दृढ लहजे म पूछा।
एक ण के िलए अभय ने कु छ नह कहा। जब उसने अपना चेहरा उठाया तो देखा क
पायल अब भी उसे सं द ध नजर से घूर रही थी। “ठीक है।” उसने कहा- “अगर तु ह यही
जानकर तस ली होगी तो फर सुनो, म डॉ फ चानहर से िमलने गया था।”
उस नाम के जादू का सा असर करा और ने कमरे म कमरे म गहन ख़ामोशी छा गयी।
यहाँ तक क न ह अंशुल भी खामोश रह गयी, मानो उसने भी अपनी माँ के सदमे को
महसूस कर िलया था।
उस भयानक खामोशी को पायल के अिव ास भरे वर ने भंग कया- “ डॉ फ
चानहर! तुम...तुम उस कमीने से िमलने गये थे? तुम ऐसा कै से कर सकते हो? मने तु ह
उस वहशी आदमी, उस खूंखार वारलॉक के बारे म बताया था। मने बताया था क उसने
मेरे साथ या कया था। आिखर तुम ऐसा कै से कर सकते हो?” पायल ने सदमे और हैरानी
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से िमले-जुले लहजे म कहा।


“उसने खुद मुझे बुलाया था।” अभय ने दबे वर म प कया।
“वह तुमसे या चाहता है?” पायल ने आने वाले कसी गंभीर खतरे को भांप कर
हलकान होते ए पूछा।
“कु छ नह । बि क इसके उलट, उसने ही मुझे कु छ दया था।”
“ या?”
“कु छ बात थी, जो क वह मुझे बताना चाहता था।” अभय ने अपने श द का
सावधानीपूवक चयन करते ए कहा।
“मुझे तो िव ाश ही नह हो रहा है।तुम जाकर उससे िमले और उस कमीने ने जो
बकवास करी तुम उसे सुनते रहे।”
“उसे कोट ने छोड़ दया है। म या जाकर उसके गले पड़ जाता?"
“उसक कमीनी और कु ितया वक ल ने कोट के सामने कहानी गढ़ी थी। ले कन तु ह तो
उसक असिलयत पता है। मने खुद तु ह उस वारलॉक और उसक हरकत के बारे म
बताया था।”
“वो तो तुम कहती हो।”
“ या मतलब है तु हारा?” पायल ने ती णता से पूछा।
“यही क वह एक ख़ूनी और पागल आदमी है, वह वारलॉक है, यही सब बात।” अभय
ने उसक ओर देखे िबना कहा।
“और तु ह लगता है क म यह सब झूठ बोलती ?ँ ” वह गला फाड़ कर िच लाई।
“मने यह थोड़ी ही कहा है। हो सकता है क डॉ फ क कहानी कु छ और हो।” अभय ने
शांत लहजे म कहा।
“ओह! अब मेरी समझ म आया क ये सब चल या रहा है। तुम सोचते हो क डॉ फ
और उसक कहानी सच है और म झूठ बोल रही ।ँ ” वह एक बार फर गरजी।
“अब मुझे नह पता क कौन सच बोल रहा है।” अभय ने शांत भाव से कहा।
“उसने तु हारे साथ या कर दया है? िसफ एक ही बार म ही वह तु हारा ेनवॉश कै से
कर सकता है?”
“उसने मेरा ेनवाश नह कया है।”
“अ छा जी, यािन वो नह बि क म तु हारा ेनवाश कर रही ?ँ तु ह झूठ क घु ी
िपला रही ।ं अ छा फर यह बताओ क उस भूत को तु ह परे शान करने के िलए अगर
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डॉ फ नह भेजता तो फर कौन भेजता है?”


अभय ने सीधे पायल क आँख म देखा और धीरे से कहा, “उसने कसी और का नाम
िलया था।”
“कौन? नाम लो उसका।"
“अगर म क ं क तुम?”
“हे भगवान! उसने तु हारे दमाग म कतना जहर भर दया है। मुझे लगता है क अब
तुमसे बात करना बेकार है। ‘तुम’ अब ‘तुम’ नह हो। तुम सोझने-समझने लायक़ नह रहे
हो।”
“ या तुम मुझ पर काला जादू करने क कोिशश नह कर रही हो?”
“म इस तरह क बात नह करना चाहती।” पायल ने गु से म कहा। "म िशमला के िलए
कल क पहली लाइट म सीट बुक करने जा रही ।ँ माँ मुझसे कतनी भी नाराज़ हो वह
फर भी मुझे और अंशुल को अपने पास रख लेगी।”
“हाँ, चली जाओ, ले कन इससे सच नह बदल जायेगा। भागना तो वैसे भी जुम क
िनशानी (इक़बाल) होता है।”
उसने अपने कमरे का दरवाजा जोर से बंद कया और टेलीिवजन ऑन कर दया। उसने
एक अं ेजी फ म लगाई और फर िब तर पर लेट गया। ले कन फ़ म म उसका िबलकु ल
भी मन नह लगा य क तनाव उनके दमाग पर हावी हो चुका था। उसने अपनी बीवी के
िलए लाये ए खाने को परे हटा दया और पास के ही रे टोरट से मँगवा कर अिन छापूवक
खाना खाया।

शाम को िब तर पर पड़े-पड़े ही अभय को जापानी िस े क याद आ गयी और अतीत


क भूली ई याद एक बार फर उसके जेहन म ताजा हो गय । वह एक ऐसी घटना थी, जो
उसके कशोराव था के दन म घटी थी। उसका कू ल हर साल िव ा थय को िपकिनक
पर ले जाता था। अभय स दय क अंधेरी शाम को उसी िपकिनक से घर लौट रहा था।
उसने सड़क के कनारे फु टपाथ पर एक चमकता आ िवदेशी िस ा पड़ा आ देखा। उस
िस े म कु छ ख़ास बात थी, िजसने अभय को अपनी ओर आक षत कर िलया था और इससे
पहले क कोई और वह िस ा उठाता, वह खुद उस िस े को लेने के िलए कू द पड़ा।
उसके सड़क छोड़ने और फू टपाथ पर प च ँ ने के ठीक एक सेके ड बाद एक भारी-भरकम
क का पिहया फु टपाथ को लगभग छू ते ए वहां से गुजर गया। क फू टपाथ के इतने
करीब से गुजरा था क अभय ने उसके इं जन से आती गम को महसूस कर रहा था। वह
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काफ देर तक त ध होकर खड़ा रहा। य द उसने के वल एक सेके ड पहले सड़क को छोड़ा
नह होता तो वह ज र भीमकाय क ारा कु चल दया जाता। क का िसर फरा ाईवर
शाम के अँधेरे म िबना लाइट जलाए ाइव कर रहा था। ऐसा लगा था जैसे मौत उसे छू कर
गुजर गयी थी।
जब उसने अपनी मु ी खोली तो वह पसीने से गीली थी और उसम वही िस ा था,
िजसने अभय को िनि त मौत से बचा िलया था। िस े के लालच ने ही उसक जान बचाई
थी।और फर उसक पूरी कशोराव था के दौरान वह िस ा उसका सबसे अनमोल खज़ाना
था। वह दन-रात उस ‘लक कॉइन’ अपने साथ रखता था और उसे कभी खुद से अलग
नह करता था। बाद म जब वह बड़ा और समझदार हो गया तो धीरे -धीरे िस े के ित
उसका जुनूनी लगाव कम होता चला गया और उस िस े क याद उसके दमाग के कसी
गहराई म दफन हो गय । अभय हैरान था क उसका दमाग़ अभी भी उस भूली-िबसरी
याद को कसी कोने म समाए ए था। शायद ये मौत का खौफ था, िजसने भूली ई याद
को फर से ज़ंदा कर दया था।
और अब अभय एक बार फर उसे पाना चाहता था। उसे लग रहा था क अगर उसे फर
से वह भा यशाली जापानी िस ा िमल गया तो उसके सारे दुभा य समा हो जायगे।
ले कन वह िस ा कहाँ हो सकता है? या वह घर म ही कह होगा? या इतने साल बाद
भी वो वहां होगा? वह अपने जेहन पर लगातार जोर डालते ए याद को खंगालने लगा
और अपना पूरा यान िस े पर के ि त करने लगा। वह मानिसक प से अपने पूरे बंगले
का मण करने लगा, सभी कोन का मुआयना करने लगा। कहाँ हो सकता है वह? आिखर
कहाँ? हर बार उसके जेहन म वे थान आते थे, जहाँ िस े के होने क संभावना हो सकती
थी, ले कन वह उसे ख़ा रज कर देता। वह अपने मृितपटल पर जोर देता रहा और अंतत:
उसे अपने सवाल का जवाब िमल गया।
वह िब तर से बाहर आया और सी ढ़य से नीचे उतरा। ाइव वे के छोर पर मौजूद
गैरेज क एक दीवार के साथ सारा कबाड़ जमा था। अभय को लगा क उसका सारा पुराना
सामान वह पर िमल सकता है। अगर वह िस ा साल साल तक बचा रहा होगा तो वह
वह पर होगा।अभय ने बेहद च क ा होकर शोर को िबलकु ल कम रखते ए शटर को
उठाया।
ल बे अरसे से बंद गैरेज म कै द हवा क गंध उसके नथून से टकरायी। उसने धूल से अटा
ब ब जलाया तो वह गैरेज पीले काश क बीमार रौशनी से कािशत हो गया। गैरेज म
कबाड़ का ढ़ेर लगा आ था। अभय क िनगाह तापूवक उन पर फसलती चली गय ।
दािहनी दीवार के कोने म प च ं कर वह ठहरा। उसने गाड़ी के ितरपाल को ख चा, जो क
बेकार पड़ी चीज पर डाला गया था। उतावलेपन म उस ितरपाल को ख चने के कारण
वातावरण म धुल का गु बार फ़ै ल गया। ब ब के मि म पीले काश म धूल के महीन कण
अनोखा दृ य तुत करने लगे। अभय दािहने हाथ से अपने चहरे को धूल को हटाते ए
खांसने लगा। अभय कबाड़ के ढेर को खंगालने लगा और बेहद सावधानी के साथ उनका
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मुआयना करने के बाद उ ह अपने पैर के पास इक ा करने लगा। वहां हर तरह क व तुएं
थ - उसक यारहव क ा क इं ि लश नोटबुक, उसका वेटर और ऐसी ही बचपन क
यादो से जुड़ी ढेर सारी चीज़े।
वहां उसे अपने कू ल क पुरानी पि काएँ, लेजर, पसंदीदा बोड गे स के साथ-साथ
ब त कु छ िमला - िसवाय उस िस े के । जब उसने अपने ऑटो ाफ डायरी म बतौर
िस ेचर अपने िम के नाम देखे तो वह मु कु राये बगैर न रहा सका। उसने ऑटो ाफ
डायरी को संभालकर जेब म रख िलया और फर से अपने ‘भा य क चाबी’ ढू ँढने लगा,
ले कन वह कह नह िमली। एक घंटे क क ठन खोजबीन के बाद पसीने से तर-बतर अभय
हताश और िन सािहत होकर खड़ा गया। उसने अपने पैर के पास पड़ी चीज को फ़र से
कबाड़ के ढेर पर फकने के बाद उस ढेर को फर से पुराने ितरपाल से ढक दया। वह जब
गैरेज का शटर िगराने वाला था तो एक बार फर उसने कबाड़ के उस ढेर पर इस उ मीद
म नजर डाली क वह िस ा खुद-ब-खुद उसके िनगाह के सामने आ जाएगा। हालाँ क
ऐसा तो नह आ ले कन इस बार कसी दूसरी चीज ने उसका यान ख च िलया।
अभय क पुरानी चीज का ढेर टीन के एक बड़े संदक ू के ऊपर जमा था। वह संदक
ू , जो
क कांच क को ड- क ं क खाली बोतल क ै टो के बगल म रखा आ था, उसके पीछे
कु छ पड़ा आ नज़र आ रहा था। हालां क उतनी दूरी से अभय प े तौर पर ये नह कह
सकता था क वह या था, ले कन कु छ था तो ज र। शायद कोई पुराना पतलून, िनकर
या लेजर? कु छ कपड़े संदक
ू के पीछे िगरे ए थे और उसने सोचा क कह उनम वह िस ा
भी उनमे तो नह था?
इस िवचार ने उसे दोबारा वहां जाने को बा य कर दया। चूं क संदकू भारी था,
इसिलए उसे दीवार से िखसकाया नह जा सकता था, इसिलए वह खाली कै पा क
बोतल क ै टो को हटाने लगा। उसने इतना खाली थान बना िलया क वह संदक ू और
दीवार के बीच क संकरी जगह म झांक सके , ले कन वह कपड़ा इतनी दूर था क उसका
हाथ उन तक नह प च ँ सकता था। उसने चार और नजर घुमाय और उसे एक पुरानी
हॉक ि टक नजर आ गयी। उसने उससे ब त धैय और कु शलता से उस कपड़े को बाहर
ख च िलया।
जब उसने ब ब क रोशनी म उस संकरी जगह से बाहर िनकला आ वह कपड़ा देखा
तो िनराश हो गया। उसने पाया क वह कोई लेजर या िनकर नह था बि क एक लाल रं ग
क पोटली थी। ऐसा लगता था क उसम कु छ बांधा आ था। अभय पंज के बल बैठ गया
और उस लाल पोटली म मौजूद चीज को देखने के िलए उसे खोलने लगा। ले कन पोटली
क गांठ खुलते ही व मानो थम गया और वह सांस तक लेना भूल गया। वह िब ली क
खोपड़ी को तब से पहचानता था, जब उसने कू ल के दन म उसे जूलॉजी क कताब म
देखा था। िब ली क खोपड़ी का कं काल कई अ य जानवर क पीली पड़ चुक हि य के
साथ लाल कपड़े म बांध कर वंहा रखा गया था। अभय कांपती टांगो से कसी तरह उठा
और गैरेज से बाहर आ गया।
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अभय थका हारा सी ढ़याँ चढ़कर पहली मंिजल पर प च ं ा। लॉबी से उसे नजर आया क
पायल िल वंग म म बैठी ई टीवी देखने म त थी। उसे महसूस आ क वह उससे
ब त दूर जा चुक थी। उनके फासले मुक मल हो चुके थे। अब वह उस खतरनाक और
रह यमयी बंगाली औरत को बमुि कल ही पहचान पा रहा था, जो एक ही छत के नीचे
उसके साथ रह रही थी। वह अपने बेड म म आ गया और उसने दरवाजा बंद कर दया
और कसी टू ट चुके इं सान क भांित वह िब तर पर िगर पड़ा। उसने त कये को खुद से इस
कदर भ च िलया मानो उस बेजान व तु से सुकून पाने का वािहशमंद हो। त कये पर
ठहरी उसक उँ गिलय ने त कये म कोई उभार महसूस कया। उसने हाथ अंदर डाला।
उसके हाथ लाल रं ग का वैसा ही कपड़ा लग गया, जैसा उसे गैरेज म िब ली क खोपड़ी के
साथ िमला था।
‘वह श स, जो तु ह मारने क कोिशश कर रहा है, पायल है, म नह ।‘ डॉ फ क कही
ई बात एक बार फर उसके दमाग़ से टकराई। उसके जेहन म अनिगनत िवचार उबलने
लगे थे और फलहाल उस ासदी से बचने का उसे कोई रा ता नह िमल रहा था। उसे
लगा क वह अिभम यु क तरह एक ऐसे च ूह म फस चुका था िजससे िनकलने का
रा ता उसे नह आता था।
उसने स मोिहत अव था म फोन उठाया और एक नंबर डायल करने के बाद कहा-
“सुनो, या तुम मुझसे कह िमल सकते हो? मेरा तुमसे िमलना ब त ही ज री है। मुझे
लगता है तुम सही थे और मेरी जंदगी सचमुच ब त बड़े खतरे म है।... या…वहां? ठीक
है। म वह िमलूंगा।” अभय ने कहा और फोन काट दया। उसने अपने कपड़े बदले और
बगैर पायल को बताये घर से िनकल गया।

उस व रात के करीब दस बज रहे थे, जब अभय ने अपनी कार को महरौली-गुड़गांव


रोड पर ि थत एक आलीशान नाइट लब क पा कग म खड़ा कया। उसने कार क चाबी
पा कग अटडट को स प और फर अंदर चला गया। अंदर का वातावरण हाहाकारी था।
जवान और म तीखोर जोड़ का जूम जगमगाती रोशनी से नहाए डांस लोर पर
बॉलीवुड, पंजाबी और पॉप नंबर क धुनो पर उ मु होकर नाच रहा था। वह असमंजस
म खड़ा रहा। अपने मेजबान क तलाश म उसने चार ओर नजर घुमा , ले कन उस
िवशाल भीड़ म वह उसे खोजने म नाकाम रहा।
“तु हारा वागत है दो त! मुझे खुशी है क तुम यहाँ आये।” एक जानी-पहचानी सी
आवाज उसके कान म पड़ी। अभय घुमा और अपने पीछे डॉ फ को एक शरारती मु कान
िलए खड़े देखा। “आओ, मेरी टेबल उस तरफ़ है।” उसने कहा और उस भारी भीड़ म आगे
बढ़ चला। ऐसा लगता था क वह वहाँ बेहद लोकि य था। ब त सी हसीन और जवान
लड़ कयाँ उसे लाइं ग कस कर रही थ । लोग उसक पीठ पर अनिगनत थप कयाँ दे रहे
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थे। वह एक यारी सी मु कान के साथ उन सबका अिभवादन करता आ वह अपनी टेबल


तक प च ं ा। “ये मेरी दो त ि टन है - पुतगाल से, और ि टन, ये मेरा दो त अभय
बतरा है।” उसने उस िनहायत ही आकषक गोरी मिहला से उसका प रचय कराते ए ए
कहा।
“कै से ह िम टर अिभ?” उसने टू टी -फू टी अं ेजी म कहा।
“म नह जानता था क तु हारे साथ पहले से ही कोई है।” अभय ने एक कु स पर बैठते
ए कहा और अनमने ढंग से उस मिहला के आगे बढे ए हाथ से हाथ िमलाया।
“उसक परवाह मत करो।” डॉ फ ने कहा- “वह के वल अपना काम से काम रखती
है।” उसने कहा और बेवजह ठहाका लगाया। उसके बाल गीले थे और उसने उ ह पीछे क
ओर कं घी कया आ था। अभय को ये नह मालूम था क सामने वाले ने थोड़ी देर पहले
ही अपनी कार म कोक न का तेज़ नशा करा था और यही वजह थी, जो उसका कृ ि म
उ माद इस व चरम पर था और वह ज रत से यादा से हंसमुख नजर आ रहा था। “ये
दन मेरे िलए बेहद शानदार है मेरे भाई!” उ ह ने हष मु होकर कहा, जब क अभय उस
हीरे क चमचमाती बाली को देख रहा था, जो उसने अपने दािहने कान क लौ म पहने ए
था। “मने गुड़गांव, द ली और नॉएडा म अपने इं ि ट ूट के छह चाइजी सटर खोलने
क बातचीत प कर ली है। इसी कारण म दोपहर से ही िबजी था और मुझे तुमको इस
मी टंग के िलए इस व यहाँ बुलाना पड़ा। य द तुम एक घंटे तक कोगे तो मुझे यहाँ गाते
ए और परफॉम करते ए भी देख सकते हो और मेरे दो त रोिहत और अ य िबजनेस
पाटनस के साथ रात भर ज मना सकते हो।”
“म इतने समय तक इं तजार नह कर सकता। मुझे तु हारे त काल मदद क ज रत है।”
अभय ने लहजे म कहा।
“मेरी बुलबुल, मुझे लगता है क तु ह एक बार रे ट म म जाकर अपना मेकअप चेक
कर लेना चािहए।” डॉ फ ने कु म दनदनाया। वह कु छ पल तक वह भावहीन चेहरा
िलए ई बैठी रही और फर कसी चाबी लगी गुिड़या क तरह उठी और चली गई। वहां
मौजूद बाक लोग क तरह डॉ फ भी कु छ देर तक उसके भारी कू ह को कामुक दृि से
देखता रहा त प ात जब वह दूर चली गयी तो उसने स िच मु ा म सीटी बजाते ए
उं गिलय के इशारे से एक वेटर को बुलवाया और वोदका के दो छोटे-छोटे िगलास को
हलक म उतार िलया और एक िसगरे ट सुलगा ली। त प ात उसने फर से अपने मेहमान
क ओर ख कया, “ या बात है अभय भाई, तुम ब त परे शान नजर आ रहे हो? या
पायल क कहानी म अब कोई नया मोड़ आ गया है?”
“मुझे आज शाम मेरे घर के गैराज म एक छु पाई ई िब ली क खोपड़ी िमली।” अभय
ने उसे बताया, ”मुझे डर है क मेरे दु मन फर से चाल चल रहे ह और मुझ पर कला जादू
कर रहे ह। मुझे अपनी जान बचाने के िलए तु हारे मदद चािहए।"
“म तु हारी मदद कै से कर सकता ं मेरे भाई, जब तुम स ाई का सामना करने के िलए
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तैयार ही नह हो? तुम अभी भी झूठी उ मीद को पकड़े बैठे ए हो, जैसे क कोई बंद रया
अपने मरे ए ब े क लाश को खुद से िचपकाए रखती है। तुम अभी भी ये िव ास करने
या कहने को तैयार नह हो क कोई बाहर का आदमी नह बि क खुद तु हारी बीवी है, जो
तु ह मारने क कोिशश कर रही है।”
“म यहाँ तु हारे साथ इन चीज पर बहस करने के िलए नह आया ।ँ ” अभय ने
िचड़िचड़े वर म कहा- “मुझे साफ़-साफ़ बताओ क तुम मेरी मदद करने के िलए तैयार हो
या नह ?”
“तुम अ छी तरह से जानते हो अभय क के वल म ही ,ँ जो तु हारी मदद कर सकता
।ँ यही वजह है क तुम यहाँ आए हो।” डॉ फ ने अपने मुँह से धुएँ के छ ले उगलते ए
कहा, “और म तु ह िनराश नह क ं गा। म अपनी पूरी ताकत से तु ह बचाने क कोिशश
क ं गा। ले कन कोिशश तो तु ह भी करनी पड़ेगी। तु हारी जं दगी तो एक डू बते ए
जहाज़ क तरह बन गयी है. संभल जाओ नह तो जहाज़ गक हो जायेगा।”
“मेरे िलए ये यक न करना आसान नह है क िजस औऱत को मने दल क गहराइय से
यार कया, वह मेरे िव ास का इतनी बेरहमी से क़ ल कर सकती है।” अभय ने गहरी
पीड़ा और दुःख से भरे लहजे म कहा- “मुझे अभी भी ऐसा लगता है जैसे म कोई बुरा
सपना देख रहा ,ँ जो मेरे जागते ही टू ट जाएगा और सब कु छ पहले जैसा हो जायेगा।”
“एक कबूतर अपनी आँख बंद करके यही सोचता है क िब ली उसे नह देख रही है।”
डॉ फ ने उसका माखौल उड़ाते ए कहा- “अपनी भावना को अपने फै सले हावी मत
होने दो और न ही कायर क तरह अपािहज बने रहो। िनगाह उठाकर दुिनया के सामने
मजबूती से डटे रहो। यही एक सफल ि क पहचान है।” डॉ फ ने कहा, “असली
इं सान वो ही है क वह बहाने बनाने के बजाय प रि थितय पर हावी हो जाता है और
दु मन को ख म कर देता है। जब तुम अपनी बीवी क धोखेबाज़ी भी नह मान पा रहे हो
तो तुम जीतोगे कै से? मो कं ग और शराब क लत क तरह अ याशी भी हमारी जं दगी
का एक िह सा है। या तुम अपना अंडरिवयर या फै शन से बाहर हो चुके कपड़े या सामान
को बदलने से पहले दो दफे सोचते हो?”
“तुम बीवी या शौहर क तुलना, नए कपड़े खरीदने से नह कर सकते हो डॉ फ !
इं सानी र त और भावना को इस तरह छोड़ा नह जा सकता है। हो सकता है ये कु छ
लोग के िलए आसान हो, ले कन बाक लोग के िलए, िजनम म भी ,ँ ये र ते अब भी
पाक-साफ़ ह।” अभय ने दाशिनक लहजे म कहा।
“मने पहले भी कहा था, तु ह सौ साल पहले पैदा होना चािहए था। आज क मॉडन
सोसाइटी के िहसाब से तेरी सोच ब त द कयानूसी है। तू पायल से कु छ सीख ले, जो तेज-
तरार है और आजकल क दुिनया को तुमसे यादा अ छा समझती है। म तो तु हारी बीवी
क अ याशी को अपराध या पाप िबलकु ल भी नह मानता - यह तो िसफ िज सी भूख है
जो हर मादा और नर को होती है। मुझे तो बस इस बात से ऐतराज़ है क वह तु हे रा ते से
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हटाने के िलए मारना चाहती है।"


कॉच के पाँच िगलास खाली करने के बाद नशे म धु अभय ने ककश लहजे म कहा-
“म मान लेता ं क मेरी बीवी एक अ याश कु ितया है, या अब तू खुश हो?”
“ब ढ़या...मेरा मतलब है बेहद दुःखद! हमारी िपछली मुलाकात के दौरान तुम पैर
पटकते ए चले गए थे, उसके बाद मुझे तु ह ये बताने का कभी मौक़ा ही नह िमल पाया।
मुझे नह मालूम क उसे सुनने के बाद तुम पर या गुजरे गी, जो म अब तु ह बताने वाला
।ँ ” डॉ फ अपनी भाव-भंिगमा से सहानुभूित दशाते ए बोला।
“ कस बारे म बात कर रहे हो तुम?”
“अंशुल तु हारी बेटी नह है। उसका असली बाप पायल का आिशक है और वह ब ी
तु हारी मोह बत क िनशानी नह बि क अपनी माँ क अ याशी का नतीज़ा है।” डॉ फ
ने मानो िव फोट कया।
तेज और कानफोडू संगीत के बीच अभय को च र आने लगे और उसे अपना िसर घूमता
आ लगने लगा और वह मूख क मा नंद उस लड़क को घूरने लगा जो क सूरत से ही
महा-िबगड़ैल और कम उ म ही खूब खेली-खाई नज़र आती है। उस लाउज-फाड़ उरोज
और हरी लटो वाले भूरे बाल वाली लड़क के हाथ, नंगा पेट, नािभ और पैर टैटु से भरे
ए थे। वह मदहोशी म चूर और अपने िज म से बेखबर, पागल क भांित हंसते ए उनके
चार ओर मदम त होकर नाच रही थी। डॉ फ के श द उसके जेहन म बार-बार गूंज रहे
थे। ये िब कु ल वैसा ही था, जैसे कोई उसके कान म अंतरा मा के हरे क जर को जला देने
वाला तेजाब उड़ेल रहा हो।
“मुझे माफ करना अभय। शायद मुझे ये बात और कसी तरीक़े से कहनी चािहए थी।
आज के दौर म तु हारे जैसे अ छे और भावुक लोग का िमलना दुलभ है। वह औरत तु हारे
कािबल थी ही नह । तु हारी भलमनसाहत को देखते ए ये बात मुझे और भी अिधक चुभ
रही है क तुम उस चालबाज और धूत मिहला के हाथ इस तरह से िपट रहे हो।”
“बेहतर होगा क म चला जाऊं।” अभय ने ं धे ए गले से कहा और उठने क कोिशश
करने लगा ले कन डॉ फ ने उसे फर से बैठा दया।
“उसके हाथ मरने के िलए?” डॉ फ ने जोर देकर कहा।
“अब जीने के िलए बचा ही या है?” अभय ने िवषादपूण लहजे म पूछा।
“इतना िनराश मत हो अभय भाई! तु हारे पास जीने के िलए अभी भी सब कु छ है। तुम
उस चालबाज औरत क अ याशी के चलते खुद को बबाद नह कर सकते। दुिनया के वल
एक पायल के साथ ही ख़ म नह हो जाती। तुम जब एक बार उसक बेवफाई से उबर
जाओगे तो तु ह ब त सी जवान और ख़ूबसूरत लड़ कयाँ िमल जाएगी।”
“मुझे जाना होगा। इससे यादा सुनने के िलए अब कु छ नह बचा।” अभय ने कहा।
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“ले कन तु ह इसे सुनना होगा अभय! म तु ह इस तरह नह जाने दूग


ं ा।”
“तुमने मुझे पहले ही ब त कु छ बता दया है और ये एक दन के िलए काफ है। तु हारी
मदद के िलए शु या।” अभय ने फर से उठने क कोिशश करते ए कहा।
डॉ फ ने उसका हाथ पकड़ िलया और उसे फर से बैठा दया। “मेरी ओर देखो अभय!
म उस भूत के बारे म जानता ,ं जो तु ह पहली बार नजर आया था। अब तक मने खुद को
तु हारे जीवन म दखल देने से रोका आ था ले कन अब म मूक दशक बनकर बैठा नह रह
सकता ।ँ तुम खुद सोचो क तुम कब तक ऐसे रह सकते हो? वह भूत हमेशा तु हारे
दरवाजे के बाहर ही नह मंडराता रहेगा। तेज यूिजक, रौशनी और गाय ी मं उसे
यादा समय तक दूर नह रख सकते।”
“तो अब तक उसने मुझे मारा य नह ?” अभय ने पूछा।
“पायल, उसका आिशक और वह अँधा तांि क - वह सभी इसी काम पर तो लगे ए ह।
उनक पहली क़ोिशश तु ह तेज बुखार से मारने क थी। वे पहले तु हारे जेहन को भूत के
खौफ से और तु हारे बदन को बुखार से तोड़ देना चाहते थे। गंभीर तनाव, भय और तेज
बुखार िमल कर तु ह ख म कर देते। लोगो को यह एक नेचुरल ( ाकृ ितक) मौत लगती।”
“ फर वे इसम कामयाब य नह ए?”
“ य क इससे पहले क तुहारे िब तर के नीचे रखी ई टोन-टोटके क चीज इतनी
भावशाली हो जात क तु ह मार डालत , तुमने उनका पता लगा िलया और उ ह बाहर
फककर उनक कोिशश को नाकाम कर दया। मत भूलो अभय क वह म या मेरा भेजा
कोई भूत नह था, िजसने तु हारे िब तर के नीचे लाल कपड़े म हि य और न बू को
बांधकर रखा था। वह तु हारी बीवी पायल थी, िजसने उ ह वहां रखा था। तुमने उस समय
तो उन तीन क कोिशश को नाकाम कर दया था ले कन तुम इस बार इतने भा यशाली
नह होगे। तु ह या लगा था क वे तीन के वल एक ही यास के बाद हार मान जाने वाले
थे? वह अंधा तांि क और यहां तक क उसका ेमी तो शायद ऐसा कर भी देते, ले कन वह
संग दल अ याश औरत, िजसे तुमने अपनी बीवी का दजा दे दया है, उसी ने उ ह इस दूसरे
और बेरहम यास के िलए उकसाया है और उनसे कह रखा है क ये यास कसी भी
क मत पर सफल होना चािहए।”
“ या तुम ये कहना चाहते हो क वे अब भी मुझे मार देने वाले ह।” अभय ने खौफजदा
लहजे म पूछा।
“हाँ और इस बार तो वह ये कर के ही रहगे । भैरो ने तु हारे घर र पात मचाने हेतु
भेजने के िलए अपनी सबसे खतरनाक शि को जगाया है। मेरे तांि क ने मुझे बताया क
भैरो तु हारी बीवी के आदेश पर उस शि को जगाने का काम तब से कर रहा था, जब
उसका पहला यास नाकामयाब आ। अब, जब उसने अपनी िसि पूरी कर ली है तो तुम
खुद को मरा समझ सकते हो।”
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“तुम झूठ बोल रहे हो। पायल मुझे क़ ल नह कर सकती है।” अभय ने अिव ास भरे
लहज़े म कहा।
“म तुमसे झूठ य बोलूंगा? तु हारा दु मन म नह , तु हारी बीवी है। अपनी साधना
पूरी करने के बाद भैरो ने इस बार तु हारी बीवी को कु छ करामाती चीज दी ह, जो उनसे
कह अिधक खतरनाक ह, िजनका तुमने िपछली बार पता लगा िलया था। पायल का काम
ये था क वह उसे घर म रख दे, ता क तु हारे घर पर बुरी शि यां धावा बोल सक। और
जैसा क तुमने मुझे बताया, उसने इस काम को सफलतापूवक पूरा भी कर िलया है।
तु हारी बीवी ारा लाल कपड़े का एक टु कड़ा भी तु हारे आस-पास ही कह रखा गया
होगा, जो काली ताकत को िवशेष प से तु हारी ओर लेकर आयेगा। तु हारे घर म उन
कारामाती चीज के रखे जाने के बाद क दूसरी रात को ही, स भवत: आधी रात और भोर
क पहली करण के बीच वह काली ताकत खून पीने के िलए आयेगी और लाल कपड़े से
िचि हत कये गए इं सान को ख म कर देगी।”
“और फर मुझे कोई नह बचा पायेगा, है न?”
“इसीिलये म खौफजदा ।ँ ”
“जब मेरी मौत िनि त ही है, तो इस बहस का या मतलब रह गया? म मेरे जीवन को
बचाने का थ यास य क ं ?”
“अभय, ये सोचकर मुद क तरह पड़े रहना ठीक नह है। इं सान अनोखे होते ह, य क
वे अपने भा य, अपनी दशा और यहाँ तक क रा ते म आने वाली क ठनाइय और
बाधा को भी िनयंि त कर सकते ह। अभी सब कु छ ख़ म नह आ है अभय। एक रा ता
है, िजसके ज रये तुम खुद को बचा सकते हो। बस एक ही रा ता।”
“ या?”
डॉ फ के अपने ह ठ पर आने को आतुर मु कान को बमुि कल रोका। वह मु कान
िब कु ल वैसी ही थी, जैसी कसी के होठ पर तब आती है, जब उसके सामने वाला श स
ठीक उसी जगह पर प च ं ा चुका होता है, जहाँ वह उसे प च
ं ाना चाहता है। िबलकु ल
सपाट भाव-भंिगमा के साथ डॉ फ ने कहा- “तु ह उस पैशािचक शि को कसी
इं सान क बिल चढ़ानी होगी। वह बिल ही अब तु ह बचा सकती है य क जगाई ई वह
शि खून िलए िबना अपनी मांद म वापस नह जाएगी। ये तुम या तु हारे घर का कोई
सद य भी हो सकता है। ले कन एक जीव क बिल तो देनी ही होगी।”
“ या तुम अपनी ही बात म उलझ नह गए? अगर वह दु शि मेरे िलए आने वाली
है तो म या कोई और उसे कसी दूसरे क ओर कै से भेज सकता है?” अभय ने पूछा।
“तुम ऐसा इसिलए पूछ रहे हो य क तुम तं शि य के काम करने के तरीक से
वा कफ नह हो। तुम उस शि को एक अँधा चमगादड़ मानो, िजसके अंदर कु छ िवशेष
चीज को पहचानने क बल इ छाशि होती है। वह चेहर को नह पहचानता है। उसके
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पहचानने क शि के वल कारामाती चीज तक ही सीिमत है।”


“तुमने मुझे उलझा दया।” अभय ने दुिवधा त लहजे म कहा।
“इसका सबसे बेहतर और सटीक जवाब यही है क वह बुरी ताकत के वल करामाती
चीज को ही महसूस कर सकती है और समझ सकती है।”
“ फर भी कु छ बदलने वाला नह है। करामाती चीज मेरे घर म पहले से ही मौजूद ह
और म उ ह बदल नह सकता।”
“यहाँ भी एक रा ता है।”
“ या हो सकता है वह रा ता?”
“तुम जादुई तासीर से भरे उस लाल कपड़े को भूल रहे हो, जो तु हारे पास रखा गया
था और जैसा क तुमने मुझे बताया, तु हारे त कए के कवर (िलहाफ़) म भी था। मने अपने
तांि क से भी इस पर बात क थी। उसी ने मुझे बताया क काली ताकत को तु हारे घर का
पता बताने वाली उन करामाती चीज का कु छ नह कया जा सकता है। उस काली ताकत
को तु हारे घर का पता ढू ँढने से कोई नह रोक सकता है। चाहे कु छ हो जाये, वह कसी
एक इं सान क जंदगी िलए बगैर वापस नह जाएगी।”
“हम फर से वह आ गए, जहाँ से चले थे।”
“नह ऐसा नह है। जादुई तासीर से भरा वह वह लाल कपड़ा एक चाबी क तरह काम
करता है। य द तुम उसे घर के कसी दूसरे सद य के पास रख दोगे तो वह बुरी ताकत
तु हारे बजाय उस इं सान को अपने िशकार के प म दबोच लेगी और उसक बिल लेकर
लौट जायेगी और तुम सही सलामत बच जाओगे।” डॉ फ ने नाटक य अंदाज म बेहद
कु टलतापूवक अपनी चाल चली।
“ले कन म खुद क जगह कसी और को बिल का बकरा बनाने के िलए एक इं सान कहाँ
से लाऊं? या सड़क के कसी िभखारी को एक रात के िलए अपने घर म बुलाऊँ या कोई
नौकर रख लू?ँ ”
“मुझे शक है क ये योजना कामयाब हो पायेगी। काली ताकत के वल उसी इं सान क
बिल लेगी, जो उस घर का होगा।” डॉ फ उसे धीरे -धीरे असली मु े पर आ रहा था।
“ या तुम मुझे ये सुझाव दे रहे हो क म पायल क चाल को उसी पर आजमाऊँ? उस
लाल कपड़े को ठीक वैसे ही उसके गले म डाल दू,ं जैसे उसने उसे मेरे गले म डाला है?”
“मुझे लगता है क ये भी काम नह करे गा।”
“ य नह करे गा?” अभय ने भ ह ऊंचकाई।
“ य क उस शि के आ वान म खुद उसक भी भूिमका रही है, इसिलए वह शि उसे
बड़ी आसानी से अपने मािलक के प म पहचान लेगी और उसका िशकार नह करे गी।”
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“तो फर...तो फर तुम कहना या चाहते हो?”


“वही, जो तुम खुद समझ चुके हो ले कन कह नह पा रहे हो।”
“तुम पागल हो गए हो? अंशुल मेरी बेटी है।”
“नह , वह तु हारी बेटी नह है। ये समय मूखतापूण भावना म बहने का नह है
अभय। वह तु हारी बीवी क अ याशी का नतीजा है। वह एक नाजायज ब ी है, िजसे
मरना होगा। अगर तु ह िज दा रहना है तो उसे मरना ही होगा। य द तुम अंशुल क बिल
नह दोगे तो वह काली ताकत इस बार तु हारी जान िलए बगैर वापस नह लौटेगी। या
तो तुम िज दा रहोगे या वह नाजायज ब ी। तु ह उसे मारना ही होगा। तु ह उस
नाजायज ब ी को मारना ही होगा।”
अभय अपने जेहन पर िनयं ण खोकर कांपती टांग के साथ कु स से उठ खड़ा आ-
“याद रखो अभय!” डॉ फ ने कहा, “उन जादू-टोने चीज क चीज़ो को तु हारे घर म
रखे जाने के दूसरे दन आधी रात तक तु ह अंशुल क बिल देनी होगी।” ले कन घबराहट
और भय से गश खाता आ अभय वहां से लड़खड़ाते ए भाग खड़ा आ।

वह अगले दन क दोपहर का व था, जब पायल रात का खाना बनाने म त थी क


तभी अंशुल जाग गयी और रोने लगी। पायल ने उसे पालने से उठाया और अपनी छाती से
लगाकर धीरे -धीरे उसक पीठ पर थपथपाने लगी। वह थोड़ी देर तक उसी अव था म
कमरे म टहलती रही फर थोड़ी िहच कचाहट के बाद लॉबी के छोर पर मौजूद बेड म म
प च
ँ ी। “ या तुम मेरे लंच तैयार करने तक अंशुल को िलए रहोगे?” उसने अभय से पूछा।
“हाँ!” उसने जवाब दया और अपनी बीवी के हाथ से उस छोटी ब ी को लेकर उसे
िब तर पर सावधानीपूवक अपने बगल म िलटा दया।
पायल अंशुल के कु छ िखलौने लेते आई और उ ह िब तर पर रख दया। “ये इसे
उलझाए रखगे।” उसने कहा और कमरे से चली गई।
अभय उस न ह ब ी को खुशी से अपने िखलौन के साथ खेलते ए देखा। एक बार जब
उसक नजर अभय के चेहरे पर पड़ी तो वह हौले से मु कु राई। अभय से उसे आिह ता से
उठाकर अपनी गोद म िलया और यार से उसके गाल को चूम िलया। वह अभय क गोद से
फसलकर िब तर पर पड़े िखलौन के पीछे चली गई। अभय अिव ास का भाव िलए ए
िब तर पर बैठा रह गया। उसे नह पता चल पाया क ये कब और कै से आ, ले कन
फलहाल अंशुल का चेहरा पूरी तरह बदल गया था।
वह इस बात के िलए अपनी बीवी का मजाक उड़ाते नह थकता था क उसक बेटी पूरी
तरह अपने बाप पर गयी है। ले कन अब उसे महसूस हो रहा था क वह अंशुल के चेहरे म
कसी अजनबी के चेहरे को देख रहा है, जो समा गया था। यह कसी और का चेहरा था,
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उसका नह । ‘नह , ये मेरा चेहरा नह है।’ उसने सोचा। तो या डॉ फ सही था? उसने
ये भी महसूस कया क जब ण भर पहले वह ब ी को अपने बेहद करीब िलए ए था तो
उसके बदन से आने वाली गंध कतनी अलग थी। जब उसने उसे चूमा था, तो कस तरह
उसे उसक वचा बेहद अलग लगी थी। या वह वा तव म उसी क बेटी थी? सहसा उसे
उस बंगाली क याद आ गई, िजसे उसने अंशुल के ज म के तुरंत बाद पायल के हॉि पटल
म के बाहर देखा था और िजसके साथ अंशुल का चेहरा भी थोड़ा मेल खाता था। तो या
वही पायल का रह यमयी ेमी और उसके ब े का बाप था?
जब पायल लंच क े िलए ए वापस आई तो उसने अभय को अंशुल क ओर संदह े
भरी उ ह नज़र से देखते ए पाया, िजन नजर से थोड़ी देर पहले वह उसे देख रहा था।
“ या आ?” उसने पूछा।
“ या?” अभय ने च कते ए कहा- “कु छ नह । कु छ तो नह आ।”
“तो फर तुम अंशुल को ऐसे य घूर रहे थे?” उसने िशकायती लहजे म पूछा।
“ या मतलब है तु हारा?”
“कु छ नह । ये रहा तु हारा लंच।” पायल ने े नीचे रखा और अपनी ब ी को िब तर से
उठाते ए कहा।
अभय एक बार फर इस बात को लेकर उलझन म पड़ गया क कौन झूठ बोल रहा है,
डॉ फ या पायल? या वह सचमुच उस रात को मरने वाला है? या उस रह यमयी
बंगाली ने पायल के साथ उसक ह या क सािजश रची है? और या वह खुद को बचाने के
िलए अपनी बेटी अंशुल क बिल चढ़ा सकता है? वह अपने जेहन म चल रही िवचार क
आंधी को नजरं दाज नह कर पा रहा था और इसी कारण बेमन से खाना खाने के बाद
बालकनी म चहलकदमी करने लगा। तनाव और दुिवधा म फं सकर उसने िपछली पूरी रात
जागकर गुजारी थी ले कन फर भी कसी नतीजे पर नह प च ँ पाया था।
घड़ी क टक- टक के साथ उसका अंत उसके मानस पटल पर हावी होता जा रहा
था। िपछले ह ते का तनाव फर से अपने चरम पर प च ँ ने लगा था। ऐसा कोई भी नह
था, िजससे वह बात कर पाता या सलाह ले पाता। वह अपने दो त नरे श पर भी िव ास
नह कर सकता था य क उसे डर था क नरे श, पायल को उसके इराद से आगाह कर
देगा। वह पुिलस के पास भी नह जा सकता था य क पुिलस यक़ नन उसे पागल करार
दे देती। अपने होशो-हवास म कौन काले-जादू क उस ऊल-जुलूल कहानी पर यक न
करता? कौन यह मानता क उसके िखलाफ एक सािजश रची गयी है या फर उसे उस
सािजश से बचने के िलए अपनी बेटी क बिल देनी पड़ेगी? बि क उसके इन बेवकू फाना
यास से दु मन आगाह होकर उसक राह म और भी रोड़े अटका सकता था।
अभय ने बालकनी और बंद कमरे म पूरी दोपहरी गुजार दी फर भी कसी नतीजे पर
प च
ँ ने म असफल रहा। तनाव ने उसक भूख- यास ख म कर दी थी। उसे अपनी तबीयत
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ख़राब महसूस होने लगी और उसका िसर चकराने लगा। उसे मृ यु-श या पर पड़े इं सान
क भांित मौत के देवता यमराज के सेवक क परछाईयां नजर आने लग । वह ये सोचकर
खौफजदा हो उठा क वे उसे मौत क घाटी तक घसीट ले जाने के िलए आये थे। वह अपना
पूरा जीवन गुजारे बगैर, अपनी इ छा को पूरा कये बगैर एक जवान मौत नह मरना
चाहता था। बुखार से तपते बदन और पागलपन क उस अव था म ही उसे न जाने कब
न द आ गयी और वह बेहोशी भरी न द सो गया।
जब एक बुरा वाब देखने के बाद वह उठा तो शाम हो चुक थी। डू बते सूरज क ह क
करण लगभग अँधेरे म डू बे उसके कमरे म बमुि कल ही पड़ रही थ । वह उस डरावने
सपने को याद करते ए, तेजी से धड़कते दल के साथ िब तर पर पड़ा आ था। उसे अपना
बदन बुखार से जलता आ महसूस हो रहा था। मतली महसूस होने पर वह अटै ड
बाथ म म प च ं ा और वाश बेिसन म उन सभी चीज क उ टी कर दी, जो उसने खाई
थी। वह थोड़ी देर वहां खड़ा रहा और एक बार फर उ टी करी। इस दफे उसके मुंह से खून
भी िनकल आया। आईने म भय से जद पड़े अपने चेहरे और मुँह से बहती खून क लक़ र को
देखते ए उसे लगा क मौत अब उसके बेहद करीब आ चुक थी। अब उसे अपनी आस
मृ यु पर कोई शक नह रह गया था। अभय के पैर खौफ से थरथरा रहे थे, जब वह िब तर
के तरफ जा रहा था। वह अपनी ि ितज पर नजर आती मौत क परछाई को देख पीड़ा
और अस वाद (िड ेशन) से भर गया था।
थोड़ी देर बाद वह उठा और ये सोचकर कमरे क दीवार से लगे बुकशे फ़ क ओर बढ़ा
क अपना अंत आने तक वह अपने पसंदीदा लेखक के उप यास के अंितम पचास पृ को
तो ख़ म कर ही सकता है। फर या पता उसे उस दलच प कहानी को ख म करने का
मौका िमले न िमले। इसके अलावा मौत आने से पहले वह अपने पसंदीदा लेखक का
उप यास पढ़ने के अलावा कोई और बेहतर काम सोच भी नह पा रहा था। उप यास
िनकालने के बाद वह बुकशे फ़ के सामने िन ल खड़ा रहा। कताब के बाहर िनकाल िलए
जाने के बाद बुकशे फ़ म बनी खाली जगह को वह मूख क मा नंद िनहारता रहा। अंदर
कताब क अलमारी क लकड़ी क दीवार के साथ पारदश टेप के साथ एक िस ा था।
उसने अपना हाथ अंदर डाला और उसे बाहर िनकाल िलया। उसने पारदश टेप को
हटाकर फश पर फका और अब उसके हाथ म वही लक कॉइन, वही जापानी िस ा था,
िजसे वह खोजने के िलए बेताब था।
उसके तन-बदन म रोमांच क एक जबरद त लहर गुज़र गयी। उस िस े को देखते ही
उसके होठ पर एक मु कान नृ य कर उठी, वह जादुई िस ा एक बार फर उसके हाथ म
था। वह िस ा उसके जीवन को एक बार फर बचाने का वादा सा करता सा तीत हो रहा
था।
उसने िस े को हवा म उछालकर दािहने हाथ म लपक िलया। ठीक उसी ण कमरा भी
ूबलाइट क तेज रोशनी से जगमगा उठा। आशा क एक नई करण उसक आँख के
सामने िझलिमला उठी। अभी सब कु छ ख़ म नह आ था। उसके पास अभी भी लड़ने का
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एक मौका था, के वल एक मौका, ले कन फर भी था एक मौका जीतने का। हालां क


पाताल म जाना उसका ार ध बन चुका था, फर भी उसका मानना था क अगर उसने
िबना लड़े ही अपने ार ध को वीकार कर िलया तो ये श मदगी भरा होगा। डॉ फ के
श द उसके जेहन म क धे: “इं सान अनोखे होते ह, य क वे अपने भा य, अपनी दशा और
यहाँ तक क रा ते म आने वाली क ठनाइय और बाधा को भी िनयंि त कर सकते ह।”
वह दुिवधा और अिनणय क ि थित जो िपछली रात और आज पूरे दन तक उसे घेरे
ए थी, वह अब ख़ म हो चुक थी। के वल एक ण म ही उसने एक जघ य पाप करने का
फै सला कर िलया था। और जो बात च काने वाली थी, वो ये थी क उस फै सले के बाद
उसने ज़रा सा भी अपराधबोध नह महसूस कया। उसके िवचार म एक ांितकारी
बदलाव आ चुका था। संदह े का बीज जो उसके दमाग म धूततापूवक बोया गया था,
उसका िघनौना प रणाम सामने आ चुका था। अभय के दृि कोण से उसके उस िनणय के
पीछे िनिहत सभी तक वािजब थे। एक बदकार (कर ट) औरत और उसक नाजायज ब ी
के िलए उसे भला अपनी जान य गंवानी चािहए? बीवी क बुरी आदत और उसक
किमय को अभय के दमाग म इतना बढ़ा-चढ़ा कर भर दया गया था क वह बड़ी ही
सहजता से इस नतीजे पर प च ँ गया था क पायल और उसके नाजायज ब े के िबना
उसका जीवन खुशहाल और बेहतर होगा। इं सानी वभाव भी कतना िविच होता है। जो
अभय पायल और अंशुल के बगैर जीने क क पना भी नह सकता था, वही अभय अब उन
दोन के बगैर क िज दगी गुजारने के बारे म सोचने लगा था।
उसे अपने ऑ फस म काम करने वाली उन दो लड़ कय क याद आने लगी, िजनम से
एक अिववािहत ि चयन (ईसाई) से े टरी थी और दूसरी उसी क जात क एक
तलाकशुदा मिहला थी। अभय को लगता था क वे दोन उसक ओर आक षत थ ले कन
चूं क वह अपनी बीवी के ित सम पत था, इसिलए उसने कभी भी उन दोन को भाव नह
दया था। ले कन अब वह उन णय-आमं ण पर खुले मन से िवचार कर रहा था और
एक-एक करके उन दोन के साथ अपने भावी दा प य जीवन क क पना करने लगा था।
इस बार उसने सावधानी से दांव खेलने क सोची। गैरजातीय या गैरधा मक िववाह न
करने के द कयानूसी याल से ऊपर उठकर उसे समझदार लड़क के प म रतु अपने के
िलए यादा सहज लग रही थी, जो उसके ऑ फस क टकट-बु कं ग िडपाटमट (िवभाग) म
काम करती थी। चूं क वह खुद भी एक असफ़ल शादी का दंश झेल चुक थी इसिलए इस
बात क संभावना बेहद कम थी क वह उससे शादी करने म कसी कुं वारी लड़क क
भांित नखरे करे गी या भाव खायेगी या फर शादी के बाद यादा नखरे करे गी।
उसे अब अपनी प ी पायल से बो रयत का एहसास हो रहा था और उसे कसी नई
लड़क या औरत से िज सी संबंध बनाने क ज रत महसूस होने लगी थी। उसने एक पल
के िलए भी नह सोचा क वह मा कामवासना क पू त के िलए मन ही मन अपनी बीवी
से छु टकारा पाने क सोच रहा था। जब क उसक िनगाह म पायल के िलए तो यह अ य
अपराध था। मानव का तो वभाव ही ऐसा ही होता है क वह ख़द क हर ग़लती को तो
यायोिचत ठहराता है जब क कसी दूसरे क स ी या मनगढ़ंत गलितय का ितल का ताड़
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बना देता है। शायद इसीिलए मसीह ईसा ने कहा था, “पहला प थर वह फके , िजसने कभी
कोई पाप नह कया है।”
अभय तो खैर असाधारण प रि थितय म उलझा एक साधारण इं सान था। ऐसी
प रि थतयाँ िज ह ने उसके जीवन को अ त- त कर दया था। वह झंझावात और
तूफ़ानो म फॅ सा आ था। ऐसी गहरी दाशिनक बात को समझने के िलए न तो उसके पास
समय था और न ही इतनी बुि म ा। हालाँ क अभय क ऑ फस सहकम के साथ नया
र ता बनाने क मंशा ने पायल से छु टकारा पाने के उसके फै सले पर य भाव नह
डाला था। ले कन एक नह ी को भोगने के याल ने उसके िन य को और भी मजबूत
बना रहा था। उसने सोचा क वह एक तीर से वह कई िशकार कर सकता है। जैसा क एक
चीनी कहावत भी है: ‘हर संकट एक नया अवसर लेकर आता है।”
डॉ फ क भिव यवाणी, उसके शक, िपछले ह ते के खौफ और िपछले 24 घंटे के
आतंक के बाद अब आलम ये था क अभय उस ढलान पर प च ँ चुका था, जहाँ मा ह का
सा ध ा उसे फर कभी न लौटने वाली राह पर धके ल सकता था। अभय अहसास तक नह
था क वह एक धूत और कपटी मकड़ी क जाल म फं सा आ िशकार था या फर उस
कठपुतली के समान था, जो कसी अदृ य हाथ म थमी डोर के इशार पर नाच रहा ह थी।
उसने वाल लॉक पर िनगाह डाली और पाया क साढ़े सात बज चुके थे। अपने ल य
को हािसल करने के िलए उसके पास अब के वल साढ़े चार घंटे बचे थे। उसने त काल अपनी
योजना का पहला चरण शु कर दया। उसने पैनासोिनक काडलेस फोन उठाया और पास
के ही रे टोरट संघाड़ा मछली के पकौड़े, बटर-िचकन, दाल म ख़नी ,ल छा परांठा, बटर-
नान और बटर कॉच आइस म का आडर दे दया।
अभय ने ज दी से अलमारी से एक जोड़ी साफ़ कपड़े िनकले और उ ह िब तर पर
फककर एक तौिलये के साथ अटै ड बाथ म म घुस गया। आठ बजकर दस िमनट पर वह
िल वंग म के दरवाजे पर साफ- सुथरे कपड़े पहने ए कट आ। उसने अपना गला
खंखार आवाज दी- “पायल!”
िल वंग म म सोफे पर बैठी पायल ने अपनी गदन घुमाई। जब उसने अपने पित क
ओर देखा तो अपने चेहरे पर उमड़ने वाले आ य को न दबा सक । वह िपछले कु छ दन
के िबलकु ल िवपरीत और उ साह और ताज़गी से भरा आ नजर रहा था। उसे सवािलया
िनगाह से घूरते ए वह उसके बोलने का इं तज़ार करने लगी।
“म अपने शमनाक वहार के िलए माफ चाहता ।ं ” अभय ने गंभीर वर म कहा, “म
िपछले कु छ दन से अपने आपे म नह था।” उसने पायल के सामने सोफे पर बैठते ए
कहा।
“अचानक से तुम कै से बदल गए?” पायल ने आशं कत लहजे म पूछा।
“ य क मुझे एहसास हो चुका है क म गलत था। म तु हारे और अंशुल के ित अपने
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ख़राब बेहिे वयर (रवैय)े पर िजतना सोचता ,ँ उतना ही खुद को श मदा महसूस करता ।ँ
यही वजह है क म तुमसे दल से माफ मांगने आया ।ँ एक ऐसी माफ िजसे या तो कोई
औरत ही दे सकती है या फर बड़े दल वाला कोई आदमी। म तुमसे फ़ रयाद करता ँ क
तुम मुझे एक िज मेदार और यार करने वाला पित बनने का एक मौक़ा दो।”
“ या तुम सच कह रहे हो?”
“हाँ िबलकु ल; तुम यक न करो मेरा। मुझे एक मौका और दो पायल। म जानता ँ क
िपछले दन क अपनी हरकत के कारण म इस लायक नह ँ ले कन फर भी म तुमसे
गुहार लगा रहा ँ क िबगड़ी ई चीज सुधारने के िलए मुझे एक मौका और दो। य द ‘मेरे’
िलए नह तो ‘हमारे ’ िलए ही सही। मुझे नह मालूम क मने ऐसा या अ छे कम कए थे,
जो मुझे तुम जैसी यार करने वाली और र त को िनभाने वाली बीवी िमली। लीज खुद
को मुझसे दूर मत करो। म तु हारे और अपनी ब ी के बगैर नह जी सकता। मुझे मेरी
बेवकू फ क सजा देने के िलए इतनी तंग- दल मत बनो! य द तुम अंशुल के साथ मुझे छोड़
कर चली जाओगी तो म जी नह पाऊंगा।” उसने पायल के मखमली हाथ को अपने हाथ
म लेते ए कहा।
“ठीक है, ठीक है। य द तुम ये सब सच म कह रहे हो तो म तु ह माफ़ करती ।ँ ” पायल
ने थोड़ी िझझक के साथ कहा।
“नह , ये सब दल से कहो।”
पायल ने हौले से उसके होठ को चूमा और कहा, “ या अब तुम यक न करोगे क मने
तु ह माफ़ कर दया?”
“म तु हारा एहसान कभी नह चुका सकता पायल, कभी नह ।”
पायल ने उसका हाथ थामा और उसे अपने साथ सटा िलया। “ या तु हे अब दर नह
लग रहा?”
“तु ह लगता है क म झूठ बोल रहा ,ँ है न?”
“नह , नह । मेरा ये मतलब नह था।” पायल ने ज दी से कहा- “अगर तुम उस मुददे
पर बात नह करना चाहते तो कोई बात नह ।”
“मुझे मालूम है क अगर म तु हारी जगह पर होता तो म भी ऐसे ही शक करता। बता
के वल इतनी सी है मेरी यारी पालू, क मने तु हारी इस सलाह पर अमल करने का फै सला
कर िलया है क सारे समय िब तर के नीचे िछपने से बेहतर है क प रि थितय का
बहादुरी से मुकाबला कया जाये। कल से म ऑ फस जा रहा ।ँ म तांि क भैरो शाह
बंगाली से बात क ं गा और डॉ फ के मामले म उससे मदद मागूंगा। और अगर इन चीज
से भी बात नह बनी तो म एक मद क तरह प रि थितय से मुकाबला क ं गा।” अभय ने
संतुिलत लहजे म कहा।
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पायल ने सोचा, अभय को ये बताना समझदारी नह होगी क भैरो क शि यां अब


डॉ फ के आगे कु छ नह थी। अत: य म उसने कहा- “मुझे ये सुनकर अ छा लगा।”
“तो या अब म ये समझूं क तुम मेरी छोटी सी गुिड़या को लेकर िशमला नह जा
रही?” अभय ने पायल क गोद से अंशुल को लेकर हौले से उसका चु बन लेते ए पूछा।
“िबलकु ल।” पायल ने चेहरे पर सुखद मु कान िलए ए कहा।
“तो फर तुम ेवल एजट को फोन करके टकट किसल करने को य नह बोल देती?”
“कै सा एजट? कौन सी टकट बु कं ग?”
“तु हारा मतलब...ओह....तुम तो ब त चालाक और तेज़ हो िमसेज पायल।” उसने
चहकते ए कहा।
“और वो इसिलए य क तु ह बीवी के प म एक तेज़ औरत क ही ज रत है।”
पायल ने भी उसी के लहजे म कहा।
तभी अचानक डोरबेल क आवाज ने उनक बातचीत म कावट डाल दी। “ज र
रे टोरट वाला लड़का होगा। मने हम दोन के िलए िडनर ऑडर कया था।”
“तुम तो बड़े समझदार हो गए हो। बीवी को ख़श करना तो कोई तुमसे सीखे।”
“अब या तुम मेरे पस से पैसे लेकर नीचे से िडनर ले आयोगी? पस बेड म म े संग
टेबल क दराज म है।”
“जानती ँ बाबा।” तभी डोरबेल दोबारा चीख़ी। “आ रही ।ँ ” यु र म पायल भी
िच लाई और बेड म क ओर बढ़ गयी।
जैसे ही पायल कमरे से बाहर गयी, अभय क भाव-भंिगमाएं पूरी तरह बदल गय ।
िजस हाथ से वह अंशुल के बाल सहला रहा था, उस हाथ को उसने उस पर से यूं हटा
िलया, मानो अंशुल क छु अन को पल भर भी और बदा त नह कर सकता। उसे मन ही
मन सोचा क उसका लान अब तक ठीक से काम कर रहा है। पायल उसके झांसे म आ
गयी थी और ये उसक योजना के बगैर कसी अड़चन के पूरे होने के िलए ज री भी था।
वह चाहता था क पायल को उसक योजना क भनक तक न लगने पाए। और इसी
कोिशश म उसने अपने अिभमान और नफ़रत को पल भर के िलए िनगलकर उस मिहला से
माफ मांगी थी, जो उसक नजर म एक बदजात औरत थी। इसके पीछे उसका एकमा
मकसद अपने कु ि सत इराद म कामयाब होना था।
पायल िडनर का पैकेट िलए ए वापस आयी और फर दोन डाय नंग टेबल पर बैठ
गए। िडनर के दौरान दोन के बीच हंसी-मजाक भरी ह क -फु क बात होती रह । कसी
अजनबी के िलए ये अनुमान लगाना बेहद मुि कल था क आधे घंटे पहले ही वे दोन एक-
दूसरे से खार खाए बैठे ए थे। उन दोन के वहार को देखकर कोई भी नह कह सकता
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था क उनम से कौन ए टंग कर रहा है और कस उ े य से कर रहा है। िडनर ख़ म होने


तक अंशुल दीवान पर गहरी न द म सो चुक थी। “म जाकर उसे पालने म सुला आती ।ँ ”
पायल ने अंशुल को हौले से उठाते ए कहा। अभय सर िहलाता आ हाथ धोने के िलए
कचन के बाहर वाशबेिसन क तरफ़ चला गया। थोड़ी देर बाद जब पायल बेड म से
बाहर आई तो उसने अभय क पसंदीदा लाल रं ग क अध-पारदश और से सी नाइटी
पहन रखी थी। वह अभय क ओर देखते ए दलकश अदा के साथ मु कु राई।
“तुम तो आज मुझे मार ही डालोगी।”
“तु ह उसके िलए थोड़ा और इं तज़ार करना होगा। पहले म जाकर हम दोन के िलए
को ड कॉफ़ बना कर लाती ।ँ हे... या कर रहे हो? अब लॉबी म ही मत शु हो जाओ,”
वह उससे हातापाई करते ए िखलिखलाते ए बोली।
अभय ने अपने आतुर ह ठ पायल के चेहरे , होठ और गदन पर और बाह उसक कमर पर
फराते ए फु सफु साया- “आज रात हम दोन के िलए कॉफ़ म बनाऊंगा।”
“तुम?” पायल ने अपनी भ ह उचकाते ए कहा।”
“ले कन आज क रात ख़ास है। या तु ह नह लगता क हमारे झगड़े के बाद क ये रात
इतनी खास है क हम एक-दूसरे यार को फर से हािसल कर सकते ह, जो हमारे वाथ के
बीच कह खो गया था।”
“तुम कतने अ छे हो, कतने यारे ।” पायल ने संदह
े से परे स िचत लहजे म कहा।
“मेरा यक न करो। तुम िबलकु ल नह जानती क म कतना अ छा आदमी ।ँ ” अभय ने
अथपूण लहजे म कहा- “तुम बेड म म जाकर आराम करो। म थोड़ी देर म आता ।ँ ”
“ यादा समय लगाना। म इं तज़ार कर रही ।ँ ” पायल ने काम-उतेज़ना से अधीर होते
ए कहा।
जैसे ही बेड म का दरवाजा बंद आ, अभय के होठ पर नजर आती ई सुखद मु कान
गायब हो गयी। आँख म कामयाबी क चमक िलए ए वह कचन क ओर मुड़ा। अगर
पायल उस व उसक उस मु कान को देख लेती तो ये सोचकर हैरान रह जाती क उसक
जहरीली मु कराहट वारलॉक क जहरीली मु कराहट से कतनी िमलती थी। उसने ज दी
से कॉफ़ तैयार क और उसे दो बड़े िगलास म उड़ेलकर पायजामे क जेब से एक छोटी सी
शीशी िनकाली। शीशी से दो गोिलयां िनकालकर उसने उनका चूरा बनाया और एक
च मच क सहायता से उस पाउडर को कॉफ़ क एक िगलास म िमलाने लगा। न द क वो
गोिलयां डॉ टर ने अभय को, उसक तनाव और अिन ा क िशकायत के बदले म िलखी
थ।
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अभय ने आिह तापूवक बेड क साइड म लगे जीरो वाट के ब ब को ऑन कया और


फर पायल क ओर घूमा। वह अपने प रवेश से पूरी तरह बेखबर गहरी न द म सोई ई
थी। इस बात के एहसास से वह बेहद खुश था क उसक पूविनधा रत योजना अब तक
सही रा ते पर थी। वह अपनी बीवी के साथ अब-तक िजतनी बार हमिब तर आ था,
उनम उस रात क अंतरं गता सबसे अिधक नीरस थी। उसे अपनी घृणा को छु पाकर खुश
होने का दखावा करना पड़ा था।
कमरे का अँधेरा इस काम म बेहद लाभदायक िस आ था, अ यथा पायल के साथ
हमिब तर होने के दैरान उसके चेहरे पर नजर आने वाले भाव ही उसक पोल खोल देते।
बहरहाल सब-कु छ ठीक-ठाक गुजरा था और जैसा क उसने सोचा था, पायल ने कॉफ़ पी
ली थी और अब सुबह देर तक उठने वाली नह थी। उसने इस बात के िलए खुद को ब त
कोसा क उसे अपनी उस च र हीन बीवी के साथ हमिब तर होना पड़ा था, जो उसका
क़ ल करने के िलए अपनी पूरी ताकत लगा रही थी। ले कन उसने ये सोचकर संतोष कया
क ये व का तकाजा था। अभय अपनी योजना के अंितम चरण को तभी शु कर सकता
था, जब पायल गहरी न द क आगोश म खोकर दुिनया से बेखबर हो चुक हो। उसक
योजना ऐसी थी, जो उसे मौत के जबड़े से, उस खौफनाक बला से बचा सकती थी, िजसे
एक तांि क ने उसक बदचलन बीवी क हवस को पूरा करने के िलए उस पर छोड़ रखी
थी।
अभय िब तर से नीचे उतरा बाथ म म घुस गया। वह कपड़े पहनने के बाथ म से
बाहर आया। उसने बेड के नीचे से अपने जूते ख चकर बाहर िनकाले और उ ह पहन िलया।
उसका बदन अब भी बुखार से तप रहा था, ले कन फर भी वह अपनी हाहाकारी योजना
पर अमल करने के िलए दृढ़- ित था। अभय ने एक बार फर पायल पर संशं कत िनगाह
डाली। उसके बाथ म जाने के दर यान पायल ने करवट बदल ली थी ले कन उसके खराट
ने इं िगत कया क वह अब भी गहरी न द म बेखबर सो रही थी। उसका दल जोर-जोर से
पसिलय से टकरा रहा था। वह पसीने क ठं डी बूंद को अपनी पीठ पर फसलता आ
महसूस करते ए, िब ली के पाँव से चलते ए पूरी सतकता से वह कमरे के दूसरे िसरे पर
मौजूद अंशुल के पालने क ओर बढ़ा।
उसने एक बार फर अपनी बीवी पर दृि पात कया। या वह सचमुच सो रही थी, या
के वल सोने का दखावा कर रही थी? उसने सावधानीपूवक अंशुल को उठाया और उसे
अपने सीने से लगा िलया। अगर पायल के वल सोने का दखावा कर रही होती तो वह उसी
ण उठ जाती। वह तेज चलती साँस के साथ कमरे म ा अंधकार के बीच अपनी बीवी
के चेहरे का जयाजा लेता रहा। ले कन कु छ नह आ। उसने कोई हरकत नह क । उसने
राहत क एक ल बी सांस ली और िबना कोई विन उ प कये ए कमरे के दरवाजे क
ओर बढ़ गया।
अचानक एक शोर ने उसे बीच रा ते म ही जड़ कर दया और उसका हाथ खुले ए
दरवाजे क मूठ पर जमकर रह गया। उसे लगा क पायल अब कसी भी पल उस पर
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झप ा मारने ही वाली है ले कन जब काफ देर तक कु छ नह आ तो उसने अिह ता से


अपना िसर घुमाया और देखा क पायल अभी भी गहरी न द सो रही थी। उसक नजर
िब तर के बगल म फश पर पड़ी।
जीरो वाट के ब ब क मि म रोशनी के बावज़ूद वह ये देख पाने म सफ़ल रहा क
उसका ‘लक चाम’ फश पर पड़ा आ था। वह घुटने के बल बैठा और उस जापानी िस े
को उठा िलया, जो उसक जेब से िगरकर कमरे म लुढ़क गया था। उसने बेड के करीब लगे
ब ब को ऑफ कया और अंशुल को िलए ए दरवाजे से बाहर िनकल गया। उसने िल वंग
म से अपनी कार क चाबी ली और सी ढयां उतरकर नीचे आ गया।
अभय ने कार के दरवाजे को खोला और अंशुल के साथ भीतर दािखल हो गया। उसने
अंशुल को आिह ता से बगल वाली सीट पर िलटा दया। उसका भा य अ छा था, जो
अंशुल अभी तक जगी नह थी। उसने ब ी को उसी कपड़े के ज रये सीट से बाँध दया,
िजससे पायल ने उसे ढका था। ऐसा करके वह इस त य के ित आ त हो सकता था क
सफ़र के दौरान वह सीट से िगरे गी नह । इसके बाद वह ज दी से कार से बाहर आया और
ाइववे के छोर पर मौजूद आयरनगेट क ओर बढ़ गया। गेट खोलने के बाद वह वापस
कार तक आया, ाइ वंग सीट पर सवार आ और चाबी को इि शन म डालकर इं जन
टाट कर दया। हेडलाइट जलाने के बाद उसने कार को िगयर म डाला और बंगले से बाहर
लेकर आ गया।
सड़क के छोर पर मौजूद एक मोड़ काटने के बाद कार क िपछली रे डलाइट य ही
नजर आनी बंद ई, य ही कसी दूसरी कार का इं जन जाग उठा। अभय के बंगले से थोड़ी
ही दूर पर खड़ी एक कार पेड़ क परछाइय म से िनकलकर सड़क पर आ गयी। उस कार
का द ाईवर हेडलाइट ऑन कये बगैर अभय क कार का पीछा करने लगी। जब क
अपने पीछे लगी उस कार से अनजान अभय राजौरी गाडन क सडक पर ाइव करता
रहा। थोड़ी देर बाद राईट टन लेकर वह अपनी कार को चकाच ध से भरे रं ग रोड पर
लेकर आ गया, जो राजा गाडन और पंजाबी बाग़ क ओर चला गया था। अब तक हवा उ
होकर धूल भरी आंधी का प ले चुक थी। ज दी से उसने अपनी ओर क िखड़क का
शीशा चढ़ा िलया और पूरी सावधानी से कार ाइव करता रहा।
डैशबोड क छोटी सी इले ॉिनक घड़ी यारह बजकर पांच िमनट दशा रही थी। तभी
उसे देखा क पे ोल ख म होने वाला था। “बस इसी क कमी थी।” वह भुनभुनाया।
धूलभरी आंधी अब बारीश म त दील हो चुक थी। रात के उस पहर म सड़क पर ा फक न
के बराबर था। ै फक िस ल रिहत लाईओवर वाली वह रं ग रोड इस व आसान
ाइ वंग के िलहाज से सवथा उपयु थी। अभय को बमुि कल ही कसी दूसरे वाहन के
दशन हो रहे थे, िसवाय उन क के , जो कभी कभार तेज र तार से उसके पास से गुजर
जाते थे।
वह अपने टेशन वैगन को सारी रात खुले रहने वाले एक पे ोल प प के प रसर म ले
गया और कई एल.ई.डी. ब ब से रोशन उसके कं पाउं ड के छत के नीचे रोक दया। उसने
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अटडट को टक को फु ल करने के िलए कह दया। अभय िखड़क के शीशे को के वल एक ण


के िलए खोलते समय भी बेहद चौक ा था। अपने िज म को अटडट और बगल क सीट के
बीच रखने म भी उसने अित र सावधानी बरती, ताक बगल क सीट पर लेटी अंशुल
को अटडट देख न सके । वह अटडट को दो हजार का नोट देने के बाद ती गित से वहां से
िनकल गया। दूसरी कार, जो पे ोल प प से थोड़ा पहले क गयी थी, बगैर हेडलाइट ऑन
कये, पया फासले पर रहते ए, फर से उसका पीछा करने लगी।
अभय ने गौर कया क पुिलस क मय ारा लगाये गये बैरीके स भी अ त- त हो
गए थे। वह खराब मौसम पर बेहद खुश आ, जो उसके इस जघ य कृ य के िलए एक
वरदान सािबत हो रहा था। उसने अपना बायाँ हाथ पतलून क जेब पर रखा, िजसम उसने
लाल कपड़े क मौजूदगी महसूस क , जब क िनगाह सड़क पर जमाये रखी, जो उसके कार
क दोन हेडलाइट के तेज काश से रोशन था। उसने दािहने हाथ को टीय रं ग हील पर
रखे ए ही, दूसरी जेब म मौजूद लक कॉइन को महसूस करने िलए अपनी उँ गिलय को
जेब म सरकाया। अब वह अपनी बदचलन बीवी और उसके इराद पर अपनी जीत के ित
आ त हो चुका था।
पंजाबी बाग़ लब से गुजरने के बाद उसने दायाँ मोड़ काटा और मोती नगर क ओर
ाइव करने लगा। उसने अपनी कार एक सुनसान इलाके म रोक , जो नजफ़गढ़ का नाला
मालूम होता था। अभय उस भीषण बा रश के बीच खामोशी के साथ कार म बैठा रहा।
थोड़ी दूर मौजूद ीटपोल पर लगे ूबलाइट क रोशनी भी धुंधली दखाई पड़ रही थी।
वाइपर कार के वंड न से बरसात के पानी को बखूबी हटा रहा था। लगातार बा रश के
कारण रात और भी काली होती जा रही थी।
उसने टेशन वैगन क िपछली सीट का ख कया और उसके नीचे से उस पुराने
ओवरकोट को बाहर िनकाल िलया, िजसे वह ाय: वहां ऐसी ही कसी आपाति थित के
िलए रखा करता था। उसने कार क संकरी सी जगह पर कसी तरह उसे पहना और वापस
अपनी सीट पर आ गया। उसने देखा क अंशुल जाग गयी थी और बालसुलभ मासूिमयत के
साथ उसे ही देख रही थी। अभय ने उस कपडे को आिह ता से खोल दया, िजससे उसने
उसे सीट से बंधा था। अंशुल ने ल बी न द से उठाने के कारण ज हाई ली और उसे देखकर
मु कु रा दी। अभय ने उसे अपनी बाह म ले िलया। अंशुल ने एक बार फर अपनी छोटी सी
मुंह खोलकर ज हाई ली और अभय के कं धे पर अपना िसर रखकर उसके सीने से लग गयी।
एक िपता का यार अभय क रग म लावा बनकर दौड़ने लगा। उसने महसूस कया क
उसका दल उस ब ी पर फर से फसलता जा रहा है, जो पूरे भरोसे के साथ उसने कं धे
पर िसर रखे ए थी। ये के वल एक दृि म ही ये बताने के िलए पया थी क वह उस पर
कतना भरोसा करती थी। डैशबोड क इले ॉिनक घड़ी बारह बजने म तीन िमनट बाक
दशा रही थी।
इस पल तक अभय को महसूस होने लगा था क वह काम कतना मुि कल होने वाला
था। वह अतीत के दृ य म झांककर ाकु लता से भरे उन ल बे दन को याद करने लगा,
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जो उसने अंशुल के इं तज़ार म गुजारी थ ; उस खुशी को याद करने लगा, जो उसने अंशुल
को पहली दफा देखने और उसे गोद म उठाने के बाद महसूस क थी; उन रात को याद
करने लगा, िज ह उसने अंशुल को चुप कराने क कोिशश म इधर-से-उधर टहलते ए
काटी थ । उस आनंद को याद करने लगा, जो उसे अंशुल के साथ खेलने म आता था। उसे ये
भी याद आ रहा था क वह कस कार ऑ फस से आने के बाद अंशुल के साथ खेलने,
उससे बात करने और उसे यार भरी नज़र से देखते ए कई घंटे गुजरा देता था। वह
अंशुल क ह या कै से कर सकता है। अपने ही खून क ह या कै से कर सकता है? उन
क दायी ण म उसका अंत चरम पर प च ँ गया। उसका जेहन उसे एक ही समय म
दो दशा म ख च रहा था। गुजरते समय के र तार क अनुपात म उसका तनाव भी तब-
तक बढ़ता रहा, जब तक क वह ठीक बारह बजे एक ठोस नतीजे पर नह प च ँ गया।
अभय अपनी सीट पर बैठा इस कदर हांफ रहा था, मानो मैराथन दौड़ लगा कर आया हो।
उसका कलेजा धाड़-धाड़ करके पसिलय से टकरा रहा था। उसका दल उसे उस अंशुल क
ओर ख च रहा था, जो उसके कं धे पर िसर टकाये ए थी, जब क उसका जेहन उसे दूसरी
ओर ख च रहा था। उसके जबड़े भंच गये और बंद मु याँ पसीने से भीग गय । खौफ और
तनाव से भरे उन ण म उसके जेहन म डॉ फ क आवाज फर से गूँज उठी: वह एक
नाजायज ब ी है, िजसे मरना होगा। अगर तु ह िज दा रहना है तो उसे मरना ही होगा।
य द तुम अंशुल क बिल नह दोगे तो वह काली ताकत इस बार तु हारी जान िलए बगैर
वापस नह लौटेगी।“

िवचार म खोये ए अभय ने उसी कपड़े से अंशुल को ढक दया, िजससे उसने पहले उसे
सीट से बांधा आ था। इसके बाद उसने अंशुल को अपने रे नकोट से ढका और कार का
दरवाजा खोला। भारी बा रश के बीच वह गंदगी से भरे ए नाले के कनारे प चं ा, जो दो
सीमटेड दवार के बीच से होकर बह रहा था। अभय के जेहन म चीखती आवाज उसे
पागल कये जा रही थ । ‘या तो तुम िज दा रहोगे या वह नाजायज ब ी। तु ह उसे मारना
ही होगा। तु ह उस नाजायज ब ी को मारना ही होगा।‘ उसने लाल कपड़े को अंशुल क
कलाई से बाँध दया। इस ण तक वह बा रश म भीगकर बुरी तरह रो रही अंशुल के ित
मानो बहरा हो गया था। तनाव, अंत और चीखती आवाज आधी रात के उस िमनट के
ख़ म होने म दस सेकंड बाक रहते ही अपने अंजाम तक प च ँ गयी। ‘तु ह उस नाजायज
ब ी को मारना ही होगा।’
उसने अंशुल को अपने दोन हाथ म उठाया और ू रता भरी अपनी समूची ताकत का
इ तेमाल करते ए उसे गंदगी से भरे नाले म फक दया। आंसू भरी आँख क धुंधली दृि
से उसने कपड़े म िलपटे उस न ह िज म को हवा म लहराते देखा। जब वह न हा िज म
नाले के काले गंदे पानी से टकराया, तो अभय को ऐसा महसूस आ, मानो कसी ने उसके
सीने पर शि शाली घूँसा मारा हो। गंदे पानी से टकराते ए न ह ब ी क चीख के
साथ-साथ अपनी अंतरा मा पर वह करार घूँसा झेलते ए वह मुड़ गया। वह घबराई ई
दशा म इस कदर अपनी कार तक प च ं ा, मानो सपने म हो और फर वहां से सत हो
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गया। दूरी बढ़ने के साथ-साथ उसके कार क िपछली लाइट ह क होती गयी और अंतत:
पूरी तरह गायब हो गयी।
थोड़ी दूर पर खड़ा एक काला साया, जो इस पूरे घटना म का मूक गवाह था, धीमे-
धीमे चलते ए नाले क उस सीमटेड दीवार के बगल क झािड़य वाली गीली जमीन पर
प चं ा, जहाँ से अभय ने ब ी को नीचे फका था। साए के भारी-भरकम बूट कसी चमकती
ई चीज के पास थम गए। उसने झुककर उस चमकती ई चीज को उठा िलया। वह काली
माता के लॉके ट वाली सोने क टू टी ई चेन थी, जो अंशुल क गदन से अलग होकर िगर
पड़ी थी। उसने उसे अपने रे नकोट क जेब म सरका िलया। और अपनी वाटर ूफ ‘िडक
ेसी’ हैट को दु त करते ए उसी दशा म वापस चला गया, िजस दशा से आया था।
उसने थोड़ी दूरी पर खड़ी अपनी ैडो लड ू जर का दरवाजा खोला और उसके अंदर आ
गया। ाइ वंग सीट पर बैठने के बाद उसने अपना हैट िनकालकर िपछली सीट क ओर
उछाल दया और बगल क सीट पर िनगाह डाली।
वहां ह रनाथ क काली छाया बैठी ई थी, िजसने कहा, “तुमने सचमुच कर डाला
वारलॉक!”
डॉ फ उ माद म डू बा आ था। वह इतना यादा रोमांिचत था क अपनी खुशी नह
रोक पा रहा था। वह जोर-जोर से हंसने लगा। टेशन वैगन उसक तेज और अंतहीन
अ हास से भर गया। वह इस कदर हंस रहा था क ह रनाथ को शक होने लगा क वह
पागल हो गया है। ऐसा लग रहा था क वारलॉक या तो खुद को नह संभाल पा रहा था
या फर पागलपन भरी अपनी हंसी को। ह रनाथ ने अपने मािलक को इतना खुश पहले
कभी नह देखा था।
डॉ फ क सप जैसी आँख जीत क खुशी म चमक रही थ । उसक आँख म नजर
आती वहशत ने ह रनाथ को भी डरा दया। “मने कर दखाया। मने इसे कर दखाया। म
इसम मािहर ।ँ ” अपनी हंसी रोकने म कामयाब होने के बाद उसने कहा, “कौन बच
सकता है इस बुरे इं सान से? मेरे अलावा कौन है, जो बुराई का बादशाह कहलाने लायक
है? कोई नह , कोई भी नह ।” उसने दंभयु लहजे म कहा- “ह रनाथ, इितहास मुझे सबसे
भयानक और ू र इं सान के प म याद रखेगा। मने एक बाप को अपनी ही ब े को मारने
के िलए मजबूर कर दया। या इससे भी बेहतर कु छ हो सकता था?” डॉ फ एक बार
फर आवेग म बह गया और उ माद म डू बकर पागल क तरह अ हास करने लगा।
“आपने सचमुच उस बेचारे को बेवकू फ बना दया।” ह रनाथ ने कहा।
“मने तुमसे पहले ही बताया था ह रनाथ क म इसे कस तरह अंजाम दूग ं ा और देखो
मने इसे ठीक वैसे ही अंजाम दया।” डॉ फ ने अपने लड ू जर का इं जन टाट करते ए
कहा। वह ज द ही रं ग रोड पर गाड़ी उड़ाता आ दि णी द ली क ओर बढ़ रहा था।
“मने इस पूरे घटना म के एक-एक ल हे का लु त उठाया। म जानता था क ये आदमी
अभय आसानी से टू ट जाएगा, ज रत थी तो के वल इसके अहम और कमजोर जगह पर
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चोट करने क ।”
“हाँ वारलॉक! बेचारा अभय, वह कभी नह जान सके गा क वो म था, जो आपके आदेश
पर उसे डरा रहा था। वो म था, िजसने उसके गैरेज म िब ली क खोपड़ी और त कए म
लाल कपड़ा रखा था। अभय कभी भी ये अनुमान नह लगा सकता, यहाँ तक क शक भी
नह कर सकता क वो म यानी ह रनाथ था, जो ये सब कर रहा था न क उसक वफादार
बीवी पायल।”
“बेशक! वह ये िब कु ल नह समझ पाया।” डॉ फ ने मूसलाधार बा रश म कार ाइव
करते ए कहा- “इसीिलए मेरी योजना कामयाब ई। म के वल जीत हािसल करने के िलए
खेलता ं ह रनाथ। म कभी लड़ाई नह हारता, कभी नह । स दय क उस रात मेरी मांद
म फं सी पायल भा यशाली थी। य द पुिलस ऐन व पर मेरे ए टेट म न प च
ं ी होती तो म
उसी व पायल का िहसाब बराबर कर देता।”
“अब आप आगे या करने का इरादा रखते ह मेरे मािलक?”
“अब मुझे बस तेल और तेल क धार देखो। अब, जब क अभय, पायल क ब ी क ह या
कर चुका है, तो ये मामला ब त लंबा ख चने वाला है। म अब इस क़ से को ज दी से ख म
करना चाहता ँ और अपनी िज दगी के साथ आगे बढ़ना चाहता ।ं ”
“तु हारे दु मनो के िलए तो यह बुरी ख़बर होगी।” ह रनाथ ने कहा।
“मेरे हमल के सामने उ ह सोचने या पछताने का भी मौका नह िमलेगा।” वारलॉक
उफ़ डॉ फ ने अपने लहजे म लोहे सा दृढ़ संक प िलए ए कहा।
बरसाती रात म वसंत िवहार क ओर बढ़ रहे उस लड ू जर क िपछली रे डलाइट
शानदार ढंग से चमचमा रही थ । उस समय सड़क पूरी तरह वीरान थ । उनके कनारे खड़े
ख भ पर लगे एल.ई.डी लप शहर क अब तक क उस सबसे अंधेरी रात म सड़क को
रोशन करने क नाकाम कोिशश कर रहे थे। वारलॉक सफ़लता के नशे म चूर था। वह नह
जानता था क अभी उसके सबसे बड़े दु मन के तरकश का आख़री और जहर बुझा तीर
बाक था।
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खंड 4
बदी क ऋतु

अ याय 19
आिख़री जंग
पायल तेज िसरदद महसूस करते ए अगली सुबह जाग गयी। सूरज क तेज करण
िखड़क के पद को भेदती ई उसके चेहरे पर पड़ रही थ । उन देपन के साथ उसने
बेडसाइड से घड़ी उठायी तो ये देखकर हैरान रह गई क दोपहर के दो बज रहे थे। या हो
गया था उसे? वह अपने पूरे जीवन म कभी भी इतनी देर तक नह सोई थी। उसने
अधखुली आँख से कमरे म मौजूद पालने को देखा।
अंशुल वहां नह थी। कहाँ हो सकती है वह? ज र अभय उसे नीचे ले गया होगा। उसे
िपछली शाम अपने पित के वहार म आया सुखद बदलाव याद आया। वह वत: ही
मु कु रा उठी और अपनी ब ी क देखभाल करने क िज़ मेदारी िनभाने के िलए अभय का
मन ही मन शु या अदा दया। उसने पहले नहाने और फर नीचे जाकर अभय को बेटी क
देखभाल क िज मेदारी से छु टकारा दलाने का फै सला कया।
उसने अलमारी से एक जोड़ी कपड़ा िनकालकर िब तर पर फके और अपनी ज हाई को
रोकने क कोिशश करते ए, तौिलया िलए ए बाथ म म चली गयी। वह काफ देर तक
शॉवर के नीचे खड़ी रही। ठं डा पानी उसके बाल के साथ-साथ पूरे बदन को िभगो रहा था।
उसने अपने गीले बाल को चेहरे से पीछे कया ता क पानी न के वल उसक न द बि क
िसरदद को भी दूर कर दे। उसका िसर अभी भी घूम रहा था। ज र कु छ तो ऐसा था, जो
सही नह था, उसने सोचा। या उसने कु छ ऐसा खाया या िपया है, जो इसक वजह बना?
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ले कन फर तो अभय ने भी वही सब खाया था। वह अपनी मज के मुतािबक़ शावर के


नीचे खड़ी नहाती रही और पानी उसके बाल, पीठ से होते ए उसक एिड़य को िभगोते
ए संगमरमर के फश पर िगरता रहा।
नहाकर कपड़े पहनने के बाद वह नीचे चली गई। उसने पूरे ाउं ड लोर का मुआयना
कया, यहां तक क बाहर बगीचे और पीछे बरामदे को भी देख िलया। ले कन पूरे बंगले म
अभय या फर अंशुल का कोई नामोिनशान नह था। वे कहाँ जा सकते ह? उसने खुद से
सवाल कया। उसने देखा क कार भी ाइववे म नह खड़ी थी। इसका मतलब था क
अभय कह गया है, ले कन वह कहाँ जा सकता था? और अंशुल को अपने साथ य ले
गया? ऐसे हजार सवाल उसके जेहन म ग दश करने लगे। वह ाउं ड लोर के सोफे पर
बैठ गयी। ‘शायद म खामखाह ही परे शान हो रही ।ँ ’ पायल ने खुद से कहा- ‘शायद अभय
पास के ही बाजार म या कह और गया है और ज द ही वापस आ जाएगा। ले कन अगर
ऐसा है तो वह कार य ले गया? दो महीने क ब ी को सँभालते ए कार चलाना आसान
नह है।’ वह खुद से तक-िवतक करती रही। वह बार-बार अभय के मोबाइल फोन पर कॉल
करती रही, ले कन कोई जवाब नह िमला। वह फोन नह उठा रहा था
जब ऐसे करते ए एक घंटा गुज़र गया तो उसका धैय जवाब दे गया। वह बैचनी से
कमरे म इधर-उधर टहलने लगी। उसके चेहरे के एक-एक जर पर चंता और ाकु लता
नजर आ रही थी। वह ये भी भूल गयी थी क िपछली रात से उसने कु छ खाया नह है।
पित और बेटी के गायब होने का तनाव उसके दमाग पर हावी हो चुका था। अचानक
लॉबी म डोरबेल क घंटी जोर से बजी। पायल इस उ मीद म ज दी से दरवाजा खोलने के
िलए दौड़ी क दरवाजे पर अभय अंशुल को बाह म िलए ए खड़ा दखेगा।
बाहर देखते ही उसका मुंह खुला का खुला रह गया और वह दरवाजे के बीच
पाषाण ितमा क मा नंद खड़ी रह गयी। उसके सामने डॉ फ चानहर खड़ा था। त ध
सी खड़ी वह आँख म अिव ास िलए ए उसे देखती रह गयी। “तुम?” उसक आवाज़
कसी अंधे कुँ ए से आती लगी।
“हां म।” डॉ फ ने अपने ह ठ पर संजीदगी भरी मु कान िलए ए कहा। उसने
नाटक य अंदाज म अपना िसर थोड़ा सा झुकाया और कहा, "दुिनया का सबसे ज़ािलम
इं सान - आपक सेवा म।”
“क... या? या चाहते हो तुम?”
“ या मुझे सचमुच ये बताने क ज रत है? या तुम मेरे ए टेट क उस आख़री रात को
भूल गयी हो? हम दोन के पास कु छ अधूरे िहसाब ह, िज ह हम बराबर करना है, है न?”
डॉ फ ने एक कु ि सत मु कान के साथ कहा।
पायल ने उसके मुंह पर दरवाजा बंद करने क कोिशश क , ले कन पहले से ही सतक
डॉ फ ने अपना पैर दरवाजे और चौखट के बीच अड़ा दया। उसने हंसक अंदाज म
दरवाजा खोला और अंदर दािखल हो गया और पायल को पीछे ध ा दया। वह बड़ी
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मुि कल से खुद को िगरने से रोक पाई। “चले जाओ यहाँ से,” वह िच लाई।
“बेवकू फ भरी बात मत करो पायल। मुझे तो लगता था क तुम ब त समझदार हो।”
डॉ फ ने शांत भाव से कहा।
“तुम बदला लेना चाहते हो?” पायल, जो अब तक अपनी इं य पर िनयं ण पा चुक
थी, दबंग लहजे म बोली।
“तो या मुझे तु हे छोड़ देना चािहए? तुमने मुझे िपछले कु छ महीन से परे शान कर
रखा है। या बदला लेने क मेरी इ छा सही नह है?”
“तुम एक िनहायत ही घ टया, पापी और कमीने इं सान हो। तु ह लगता है क तुम मुझे
मारकर बच सकते हो?”
“हाँ, म वह सब कु छ ँ जो तुमने कहा। और हाँ, मुझे ये भी लगता है क म तु ह मारने के
बाद बच सकता ।ँ जब इतने सारे खुनी छु े घूम सकते ह तो म य नह ?”
पायल मुड़ी और तेजी से सी ढ़य के ऊपर भागी।
डॉ फ ने उसके पीछे भागने क कोिशश नह क । उसने आिह ता से दरवाजा को बंद
कया और इ मीनान से सी ढ़यां चढ़कर ऊपर आ गया। वह पहली मंिजल पर मौजूद
पायल के बेड म के बंद दरवाजे के सामने ठहर गया और बोला, “बाहर आ जायो पायल!
बचकानी हरकत मत करो। तुम सोचती हो क ये लकड़ी का दरवाजा मुझे रोक सकता है?”
“तुम मुझे बात म नह फॅ सा सकते।” पायल अंदर से बोली।
“ठीक है। अब तु हारी बारी है ह रनाथ।”
डॉ फ के मानिसक आदेश पर ह रनाथ बेड म के अंदर कट आ और दरवाजे क
ओर बढ़ा। पायल तुरंत दरवाजे से दूर चली गई और कमरे के एक कोने म दुबक गई। उसने
देखा क ह रनाथ का परछा जैसा हाथ दरवाजे क कुं डी तक प च ं गया था।अगले ही पल
डॉ फ खुले दरवाजे से मु कु राते ए अंदर दािखल हो गया।
“देखा, यह कतना आसान था।” उसने मु कु राते ए कहा और पायल के सामने िब तर
पर बैठ गया। उसने अपनी उँ गिलय से इशारा कया और ह रनाथ तुरंत कमरे से गायब हो
गया।
पायल फश पर बैठ गई और बोली- “मुझे लगता है क तुमसे बात करने का कोई फायदा
नह है। इससे तु हारा इरादा नह बदलेगा।”
“अब क है तुमने समझदारी क बात।”
“मुझे मारने से तु ह या फायदा होगा?”
“म मानता ँ क ब त यादा फायदा नह होगा। ले कन हम सब म बुराइयां और
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कमज़ो रयाँ होती ह। मेरी कमज़ोरी यह है क मुझे बदला लेने म ब त मजा आता है और
उससे िमलने वाली संतुि ब त ब ढ़या लगती है।”
“तुम दोपहर म कसी घर म आते हो और एक िनह ी औरत को मार देते हो। ब त बड़ी
बात है ये। ब त बहादुरी है इसम।” पायल ने ं या मक लहजे म कहा।
“मेरी यारी बुलबुल, तुम पूरी तरह से गलत हो। तुमने अभी भी वारलॉक के खूंखारपन
को पहचाना नह । तुम अभी तक नह समझी नह क म कतना कमीना और बुरा हो
सकता ।ं ”
“तो फर समझाओ मुझे।
“ज र समझाऊंगा।” डॉ फ ने मु कु राते ए कहा- “इसीिलए तो म यहां आया ।ं
बहरहाल मुझे तु हारी शादी और तु हारे माँ बनने पर कभी बधाई देने का मौका ही नह
िमला, इसिलए सबसे पहले तहे दल से मेरी बधाई कु बूल करो।”
“ या मतलब है तु हारा?”
“ या तु ह पित और एक यारी ब ी के िलए बधाई देने म कोई बुराई है
“तुम मेरे पित और बेटी को इससे बाहर रखो।”
“अ छा? या तुम वाकई सोचती हो क मुझे आदेश देने क ि थित म हो?”
“ले कन तुम उ ह इनम य शािमल कर रहे हो? शु से अंत तक तु हारी दु मनी तो
िसफ मुझसे है। तो फर उ ह य बीच म ला रहे हो?”
“तुम मेरा यक न नह करोगी, ले कन सच यही है क म तु हारे पित के िलए सच म
दुखी ।ँ उस बेचारे क मुसीबत िसफ तु हारे साथ होने के कारण ह, न क उसक खुद क
कसी गलती क वज़ह से।”
“तुमने उसके साथ या कया है?”
“वारलॉक का बदला भयानक होता है। वह कसी को नह ब शता, कसी को भी
नह ।”
“तुमने उनके साथ या कया है? वह कहां है?”
“कौन, अभय? या फर तु हारे िजगर का टु कड़ा, तु हारी यारी बेटी अंशुल?”
पायल मुंह खोले आवाक डॉ फ के सामने बैठी रह गयी। उसे महसूस आ, मानो
हजार सायरन क आवाज उसके कान को बहरा कर रही ह । “अंशुल!” वह बड़ी मुि कल
से के वल इतना ही बोल पायी।
“ कतनी यारी ब ी है, है न? या तुम इस बात को लेकर परे शान नह हो क वह कहाँ
हो सकती है? कै सी माँ हो तुम? मुझे तो लगा था क अगर एक माँ अपनी दो महीने क बेटी
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को इतने घंट बाद भी नह खोज पायेगी तो पागल हो जाएगी।”


“चुप हो जाओ। भगवान के िलए चुप हो जाओ।” पायल ने हांफते ए कहा- “अंशुल
कहाँ है?” उसने सीधे अपने ित ं ी क आँख म झांकते ए पूछा।
डॉ फ िब तर से उठा और अपनी पतलून क जेब से एक मुड़ा आ अखबार िनकाल
कर पायल क ओर उछाल दया। पायल ने उसे उठाया, खोला और मु य पृ को पलटा।
वहाँ मोटे अ र म एक हेडलाइन थी: ‘दो माह क एक ब ी क लाश नाले म पाई
गई।‘
वह उ हैडलाइन के तहत छपी खबर को ज दी से पढ़ गयी। अखबार के मुतािबक़
नजफगढ़ नाले म उस दन सुबह एक ब ी क लाश पाई गई थी। वहां से गुजरने वाले कु छ
राहगीर ने उस गंदे नाले म कोई कपड़ा देखकर पुिलस को सूचना दी थी और पुिलस ने
फायर ि गेड क मदद से नाले म से एक ब ी के शव को बाहर िनकालवाया था। वह लाश
नाले म प थर के ढेर म फं स गयी थी इसिलए बहकर अिधक दूर नह जा पाई थी। लाश
िजस जगह के पास पायी गयी थी, जहाँ सूखी गंदगी के ढेर पर कपड़े बरामद ए थे।
सां य दैिनक के मुतािबक़ पुिलस अभी तक उस ब ी क पहचान या उसक ह या के
पीछे िछपे उ े य को लेकर कसी नतीजे पर नह प च ँ पायी थी। अखबार के िपछले प े
पर हेलमेट और गमबूट पहने फायर ि गेड के एक कमचारी क त वीर भी छपी थी,
िजसम उसने क चड़ म सनी ब ी को उढ़ाया आ था। अखबार ने पुिलस के उस संदश े को
भी कािशत कया था, िजसम ये अनुरोध कया था क य द कोई उस ब ी के बारे म
जानता हो तो तुरंत नजदीक पुिलस टेशन से संपक करे ।
पायल ने अपना चेहरा डॉ फ क ओर उठाया, जो शांत भाव से िब तर पर उसके
सामने बैठा था। “इसका या मतलब है?”
“तुमने खुद इसे पढ़ा है। म तो बस इस खबर को तुम तक प च
ं ाने वाला पहला आदमी
बनना चाहता था। ”
“कोई भी फोटो म से ब े के चेहरे को नह पहचान सकता है और फर इतने बड़े शहर
म इं सान के अलावा ब े भी हर रोज मरते ह। यही जीवन क दुखद स ाई है।”
“तुम मुझे हैरान करने क अपनी आदत नह छोडोगी पायल। मुझे तो लगा था क जब
तुम ये पेपर पढ़ोगी तो उछल पड़ोगी।”
“तु ह िनराश करने के िलए वाकई मुझे खेद है।” पायल ने िनडरतापूवक कहा- “ले कन
म इस खबर को पढ़कर के वल उतना ही दुखी ई ,ं िजतना क कोई भी स य इं सान इसे
पढ़ने पर होगा। इससे अिधक कु छ नह ।”
“सोचो तो सही - उस फायरमैन क बाह म मौजूद मरी ई ब ी तु हारी बेटी भी हो
सकती है।”
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“तु ह अजीब-अजीब से दावे करने क बीमारी है।”


“तुम मुझे समझ नह आ रही हो। या तु हे टशन ( चंता) नह हो? रही? या तुमने
पढ़ा क वह ब ी दो महीने क थी?”
“तो या? इस शहर म के वल अंशुल ही दो महीने क नह है।”
“ले कन वह गायब तो ई है न?”
“इसका मतलब ये नह है क अखबार म छपी वह खबर उसी के बारे म है। ये के वल एक
इ ेफ़ाक़ है, इससे यादा और कु छ नह ।”
“ या ये एक इ ेफ़ाक़ से यादा नह है क उस ब ी क उसी समय ह या क गई थी,
जब अंशुल गायब ई?"
“ या मतलब? उस ब ी क ह या के बारे म अखबार म कु छ भी नह है।” पायल ती
वर म बोली ।
“िजस चीज़ को मने खुद अपनी आँख से देखा है, उसके िलए मुझे कसी अख़बार क
ज रत नह है। यह अखबार तो म िसफ तु हे दखाने के िलए लाया था।”
“तब तो तुम अपनी कोिशश म फे ल हो गए।”
“तो तुम नह मानती क कल रात अंशुल क बेरहमी से ह या कर दी गई है? और क
वह तु हारी ही बेटी थी, िजसे सड़ी ई काली गंदगी से भरे उस नाले म फक दया गया
था?” डॉ फ ने पूछा।
“नह , म नह मानती।”
“कह ये एक माँ का यार तो नह बोल रहा है? जो अपनी ब ी क मौत को मान ही
नह पाती?”
“कोिशश करो मुझे यक न दलाने क , अगर यह सच है।” पायल ने चुनौती भरे लहजे म
कहा।
“मने नाले म िगरने से पहले अंशुल क बॉडी (शरीर) को हवा म तैरते देखा था। उसके
रोने क आवाज सुनी थी, वह बा रश म भीगती ई तु हारे िलए - अपनी माँ के िलए रो
रही थी - इसके पहले क पानी क बेरहम लहर ने उसे िनग़ल िलया। जब वह डू ब गयी तो
िसफ वह िम -माउस क फोटो वाला लाल क बल ही ऊपर रह गया था, िजसमे तुम उसे
लपेटती थी।”
पहली दफा पायल का आ मिव ास डगमगाया। डॉ फ के लहजे और बात करने के
तरीके से पायल क धड़कन अिनयंि त होने गय ।
“वह अंशुल नह हो सकती।” वह होठो म बुदबुदाई।
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“ले कन पायल, वह अंशुल ही थी। तु ह इसे तो पहचानती ही होगी।” उसने पायल के


सामने फश पर कु छ फकते ए कहा।
पायल ने देखा क वह काली माता के लॉके ट वाली एक सोने क चेन थी, िजसे उसक
मां ने खुद अंशुल को पहनाया था। उसने िव फ रत ने से डॉ फ क ओर देखा, िजसके
ह ठ पर संतोष द मु कान थी।
“मुझे लगा था क ये तु हे यक न दला देगी।”
“तुम...तुम हैवान हो - तुम सा ात् सेटन (शैतान का अवतार) हो!”
“सेटन ((शैतान) तो खैर नह , ले कन उससे काम भी नह है। ले कन मुझे हैरानी हो
रही ह।”मने तो सोचा था क तुम इस खबर को सुनकर दहाड़े मार-मारकर रोयेगी। पायल
दी ेट - तुमने ये तो पूछा ही नह क तु हारी बेटी को कसने मारा?”
“तुमने मारा कु े, और कसे मारा?”
“नह पायल, तुम फर गलत हो। तु हारी बेटी को मने नह तु हारे जानू बेबी, तु हारे
पित-परमे र अभय ने मारा।”
पायल को लगा क डॉ फ क आवाज़ कह दूर से आ रही थी , जब क उसने कहना
जारी रखा- “अभय ने अंशुल को अपने हाथ से ख म कर दया, उसे गंदगी से भरे उस नाले
म फक दया। या तुमने कभी ऐसा सोचा था? मने तु हारे पित को तु हारी और उसक
बेटी को मारने पर मजबूर कर दया। म तो शैतान क भी बाप ,ँ है न?”
“अभय...अभय ने अंशुल को मार दया।” पायल हत भ रह गयी।“नह -नह , तुम ज र
झूठ बोल रहे हो। ये सब तु हारी चाल ह, एक और साइकोलॉिजकल क (मनोवै ािनक
चाल)। तुम मेरे और मेरे पित के बीच म दरार पैदा करना चाहते हो।”
“मुझे ऐसा करने क या ज़ रत है? जब म यहाँ तु ह ख म करने आया ं तो फर मुझे
इससे या फक पड़ता क तुम अपनी मौत के व अपने पित को यार करती हो या नह ?”
“म नह जानती। हो सकता है क तुम मुझे तोड़ने क कोिशश कर रहे हो। मुझे पता है
क तु ह अपने दु मन या िशकार को मारने से पहले उसे मानिसक और कमजोर करना और
तोड़ना पसंद है। अभय एक अ छा इं सान, एक यार करने पित और बाप ह। हमारे बीच
कु छ गलतफहिमयां हो सकती ह, ले कन उससे कोई फ़क नह पड़ता। हर शादी, हर र ते
म कु छ मुि कल आती ह, ले कन हम दोन िमलकर उ ह हमेशा सॉट आउट कर (सुलझा)
लेते ह।” वैसे भी हमारी िज दगी म उन गलतफहिमय और मुसीबत के कारण तुम और
ह रनाथ थे। अभय और मेरा यार और र ता ब त मजबूत है - न तो तुम और न ही कोई
और इसे तोड़ सकता है।”
“तु हारे पित म तु हारे िव ास क तारीफ करनी पड़ेगी, भले ही वह गलत हो। जब
अपनी बेटी को मारने क नौबत आयी तो अभय ने तो िबना िहचक ऐसा कर दया था।
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कल रात उसे या काम करना था और मने उसके हाथो या ख़ून करवा दया। तु ह या
लगता है - क वह ज बाती और नासमझ लड़का मेरे जैसे बेरहम और ू र वारलॉक का
मुक़ाबला कर सकता था? मेरी बुलबुल पायल - म इन ज बाती लोग को अ छी तरह
जानता ं । वे अ छे होते ह - औरत के गोद म खेलते प पी या सु दर िप ल क तरह,
ले कन ये लोग दमाग़ी तौर पर ब त कमजोर होते ह। उ ह तोड़ना ब त आसान होता है।
बस ज रत होती है तो सही जगह पर दबाव देने क - और वे ताश के प क तरह ढह
जाते है। अभय भी ऐसे ही कमज़ोर और मूख म से एक है।”
“ऐसा तुम सोचते हो।” पायल ने बेपरवाह वर म कहा।
“मुझे पूरा यक न था कअपने गुलाम ह रनाथ के ज रये तु हारे पित अभय को डराने म
कामयाब हो जाऊंगा।”
“हां, मने अभय को ये बताने क कोिशश क थी।” पायल के मुंह से िनकला।
“ले कन उसने तु हारी बात नह मानी, है न? या तु ह लाल कपड़े म बंधी वो न बू
और हि याँ याद ह, जो अभय को अगले दन िब तर के नीचे िमली थ ? मने ही ह रनाथ
को उ ह वहां रखने का म दया था। ले कन इसके बाद कहानी और भी दलच प हो
जाती है....।” डॉ फ ने अभय के साथ अपनी मुलाकात को बयान कया और बताया क
कै से उसने अभय के मन म जहर भरा। और फर कै से उसे अपनी जान बचाने के िलए
अपनी ही बेटी क बिल देने के िलए तैयार कया।
“मुझे यक़ न नह आता - अभय कै से इतना बेवक़ू फ़ हो सकता है।” पायल ने उसक बात
सुनने के बाद कहा।
“उस बेचारे को दोष मत दो पायल, वह तो िसफ एक कठपुतली था। वह म था, जो
उसक डोर ख च रहा था। वो स मोिहत हो चुका था और वही कर रहा था, जो म उससे
कराना चाहता था।”
“और अभय ने अंशुल को, हमारी बेटी को अपने ही हाथ से मार दया।” अंतत: पायल
अपनी था को संभाल न सक और भारी लहजे म बोली। अपने ही पित ारा अपनी ब ी
क बेरहम ह या का समाचार ने उसे शोक सागर म डु बा दया।
“हाँ। उसने ऐसा ही कया। पायल - मुझसे पंगा लेने क , मुझे चैलज करने क क़ मत
चुकानी पड़ती है।”
तब तक उसक जहरीली बात पायल के िलए बदा त से बाहर हो चुक थ । वह उस
पागल ह यारे पर टू ट पड़ी। डॉ फ ब त मुि कल से ही उसके नुक ले नाखून को अपनी
आँख से दूर रख पाया। वह एक क़ाबू से बाहर जँगली िब ली क तरह हमलावर थी.
डॉ फ ने पायल को अपनी पूरी ताकत से फश पर पटका और फर उस पर सवार
होकर ताबड़तोड़ उसे कई चांटे रसीद कये। इसके बाद वह पायल के बाल को बेरहमी से
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पकड़ कर उसका चेहरा अपने चेहरे के सामने लाया और कहा, “ या इससे उन डर भरी
रात क याद वापस आई पायल, जो तुमने मेरी ए टेट पर बताई थी? ले कन इस बार
बचने का कोई रा ता नह है। इस बार तु ह कोई नह बचा सकता, कोई भी नह ।”
“भाड़ म जा कु ।े ”
“यही बात तो तुमम है पायल, जो मुझे पसंद ह। इस हालत म भी तु हारी आँख म आंसू
क एक बूँद तक नह है।”
“तुम मुझे मार सकते हो डॉ फ ले कन मुझे अपने सामने िगड़िगड़ाने को मजबूर नह
कर सकते हो।”
“कोई बात नह । म लालची नह ।ँ म इतने मे ही खुद को सै ट फाई (संतु ) कर लूँगा।
तु हारी छोटी से बेटी तु ह बुला रही है पायल। दूसरी दुिनया म उससे िमलने के िलए
तैयार हो जाओ। तु हारी जंदगी यह ख़ म होती है, कोई आिखरी वािहश?” उसने
उपहास भरे लहजे म पूछा।
“तू नरक म सड़ेगा हराम***, रन** क नाजायज़ औलाद।” पायल ने अपने घुटने से
डॉ फ क जाँघ के बीच अपनी पूरी ताकत से करार हार करा।
वह भसे क तरह डाकरा।जैसे ही पायल पर उसक पकड़ कमजोर पड़ी, वह तुरंत उठी
और दरवाजे क ओर भागी। ले कन डॉ फ क तेजी हैरान कर देने वाली थी। वह उसके
पीछे लपका और लॉबी म उसे फर से अपने िशकं जे म ले िलया। “आज नह पायल।” उसने
तेजाबी लहजे म कहा, “आज तु हारे बचने का कोई रा ता नह है।”
वह पायल के बाल से पकड़कर घसीटते ए लॉबी के वाशबेिसन के ऊपर लगे आईने
तक ले आया। डॉ फ ने पूरी बेरहमी से पायल का चेहरा आईने पर दे मारा। आईने
चकनाचूर हो गया और पायल का चेहरा कई जगह से कट गया। डॉ फ उसके पीछे खड़े
होकर, उसके ल बे बाल को अपनी दाय मु ी म जकड़कर उसके चेहरे को आईने पर
बेरहमीपूवक बार-बार मारता रहा। पगलाया आ डॉ फ उसके चेहरे को तब तक
िनदयतापूवक मारता रहा, जब तक क आईने के परख े नह उड़ गए और पायल का
चेहरा बेतहाशा ल लुहान नह हो गया। पायल क तेज चीख के उस पर लेशमा भी
असर नह आ।
जब इससे भी उसक संतुि नह ई तो डो फ़ ने पायल के िसर को सफ़े द संगमरमर
के फश से ज़ोर से दे मारा। उसके मुँह से एक आिख़री घुटी ई चीख़ िनकली और उसक
आँखे पलट गयी। अंतत: डॉ फ फश से उठा और वाशबेिसन म अपने हाथ धोने लगा।
वाशबेिसन चकनाचूर हो चुके आईने के खून से सने टु कड़ से भरा आ था। इसके बाद वह
पायल क ओर दोबारा देखे बगैर लॉबी से बाहर िनकल गया।
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जब अभय राजौरी गाडन ि थत अपने घर वापस आया तो रात के लगभग साढ़े दस बजे
थे। िपछली रात अंशुल को गंदी नाले म फकने के बाद वह बगैर कसी उ लेखनीय घटना
के अपने घर प च
ँ गया था। जब वह बेड म म प च ँ ा था तो उसने पायल को गहरी न द
म सोता या पाया था। वह कई दन क तनावपूण ि थितय के बाद आिखरकार चैन क
न द सोया था। अगली सुबह जब वह जागा था तो उसने आनन-फानन म ऑ फस जाने का
फै सला कर िलया था।
वह ऑ फस म भी दन भर म अंशुल के लापता होने के बारे म पायल का फोन आने क
उ मीद करता रहा था और लगातार खुद को मानिसक प से इसके िलए तैयार करता रहा
क उसे कै सी ित या देनी है। उसने पायल पर ये जािहर न करने का फै सला कया था
क उसे उसक सभी योजना के बारे म पता है। इसके बजाय उसने एक अनजान िपता
क भूिमका िनभाने का फै सला कया था। वह ये दखावा कर सकता था क उसे अंशुल के
बारे म कु छ नह पता है क वह कब और कै से लापता ई? वह ये दावा भी कर सकता था
क जब वह सुबह ऑ फस के िलए िनकला था, तो अंशुल अपने पालने म सो रही थी।
िपछली रात उसे कसी ने अंशुल क ह या करते ए नह देखा था। यहां तक क उसे घर
से िनकलते ए भी नह देखा था। पायल चूं क सुबह सो रही थी, इसिलए वह उसके इस
दावे को खा रज नह कर सकती थी क अंशुल सुबह घर म नह थी। उसने अपनी गढ़ी ई
इसी कहानी पर अिडग रहने का फै सला कर िलया था, फर चाहे कु छ भी हो। अब उसे
अदालत म चलने वाले अंशुल क ह या के मुकदमे के बारे म सोचने क ज रत थी क वह
अदालत म अपने बचाव म या कह सकता है? य द अदालत ने पायल क काले जादू वाली
कहानी और डॉ फ के वारलॉक वाले वजूद पर, जो भले ही झूठा है, को मान िलया तो
इस बात क या गारं टी होगी क वह अदालत को पायल और भैरो क चाल के बारे म
यक न दलाकर ये सािबत कर देगा क उसने आ मर ा म अंशुल क ह या क थी?
अभय क घबराहट म और इजाफा हो गया, जब दोपहर के अखबार ‘िमडडे’ क एक
ित उसके डे क पर प चं ी। उसने एक ही सांस म खुद के कु कृ य के बारे म छपी पूरी खबर
पढ़ डाली। इन बात ने उसे कु छ आ त कया क पुिलस अभी तक अंशुल क पहचान या
उसक ह या के पीछे के कारण के बारे म कु छ नह जानती थी। न ही कसी ने अभय या
कसी और को उस ब ी को नाली म फकते ए देखने का दावा कया था।
अभय अपने ऑ फस म िवचारम था क चीज एक बार फर से रा ते पर आ रही थ ।
उसे ज रत थी तो बस अपनी कहानी पर टके रहने क । फर कोई भी उसे अंशुल क
ह या से नह जोड़ पाएगा। आिखर कौन सोच सकता है क एक बाप ही अपनी ब ी क
ह या करे गा? ले कन पायल? वह तो सब कु छ समझ जाएगी।
ले कन यहाँ पर जो अहम सवाल था वो ये था क या पायल अपनी कहानी के साथ
पुिलस के पास जाने क िहमाकत करे गी? या वह अभय को मारने क अपनी सािजश को
िछपा सकती है? ले कन फर वह अपनी ही बेटी क ह या के पीछे अपने पित के कस
मकसद के होने का दावा करे गी? या ये क उसके पित को उसके च र पर शक था और
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उसे लगता था क अंशुल उसक बेटी नह है? अभय को सांस लेने म तकलीफ महसूस होने
लगी। ये याल उसे पहले नह आया था। वह जानता था क उसक बीवी कतनी बेहतरीन
अिभने ी थ । भला कौन पुिलस वाला एक खूबसूरत औरत क आंसु म भीगे दुखड़े के
आगे उसक कहानी को सुनेगा?
उसने क पना क क वह सलाख के पीछे खड़े होकर मौत क सजा का इं तजार कर रहा
है। इस क पना मा ने ही उसके पूरे वजूद को िहला कर रख दया। ‘लानत है उस औरत
पर। वह मुझसे छु टकारा पाने और फर भी मेरी पूरी जायदाद हािसल करने क अपनी
चाल म कामयाब हो जाएगी।’
ऑ फस ख़ म होने के बाद भी अभय अपने घर वापस लौटने का हौसला नह जुटा पा
रहा था। अपनी तनाव भरी दशा म उसे अपना घर एक अजीब सा, शािपत और अनजाना
नजर आने लगा था। वह सोचे लगा क कतनी रह यमय और अज़ीब सी थी वह औरत,
िजसे उसने कभी प ी के प म यार कया था। वह कस हद तक जा सकती है?
‘कह उसने अपने उसी रह यमयी आिशक को तो नह बुलाया है, िजसके बारे म
डॉ फ ने मुझे बताया था? हो सकता है क वह आदमी मेरे घर म छु पकर, मुझसे हमेशा
के िलए छु टकारा पाने के िलए मेरे घर प च
ँ ने का इं तज़ार कर रहा हो।’
उसके पास इतने बड़े शहर म जाने के िलए या अपनी कहने के िलए कोई जगह नह था।
एक समय था, जब वह अपने घर और अपनी बीवी के पास प च ँ ने के िलए ऑ फस ख़ म
होने का इं तजार नह कर पाता था और आज उसे ऑ फस से िनकलने क कोई ज दी ही
नह थी। आिखर वहां जाने के िलए अब था ही या? उसका घर, उसक बीवी, और
जीवन, िजसे वह अपना मानता था, वह तो िबखर चुका था, रे त क तरह उसक मु ी से
फसल चुका था। उसने अगले कई घंटे कसी भी ण पुिलस ारा िगर तार कर िलए जाने
भय के साथ कनॉट लेस, पािलका बाजार और खान माकट म िन े य भटकते ए गुजार
दए।
जब अभय जाने के िलए कोई और जगह नह सोच पाया तो उसने अपनी कार राजौरी
गाडन क ओर घुमा दी। उसने फै सला कया क वह अपनी कार को बगैर रोके घर के
सामने से गुजरे गा और य द घर के बाहर पुिलस क जीप या पायल का रह यमयी आिशक
दखा तो वह भाग कर रात कसी गे ट हाउस या होटल म गुजार देगा और फर वहां
बैठकर आगे क , या यूं कहे क अपने भावी जीवन क पूरी रणनीित को लेकर कोई फै सला
लेगा।
इस कार अभय देर रात लगभग साढ़े दस बजे राजौरी गाडन प च ं ा। जैसा क उसने
पहले ही तय कर िलया था, वह िबना के अपने घर के सामने से गुजर गया। वहां घु प
अंधेरा और शाि त थी। कोई पुिलस जीप नह थी, कोई सं द ध कार नह थी और न ही
अंधेरे म डू बे उसके घर म जीवन का कोई संकेत था।
‘उ ह ने सारी लाइट ऑफ य क ह? या वे इस इं तजार म बैठे ह क कब म अंदर
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जाऊं और कब वे मुझ पर हमला कर?’


उसके घर के सामने से गुजरने वाली सड़क थोड़ी दूर जाने के बाद मुड़ गई थी। उस मोड़
से गुजरने के बाद अभय ने अपनी कार रोक दी ता क ये िनणय लेने म स म हो सके क
अब उसे आगे या करना चािहए। ‘वह कायर क तरह य भाग रहा है?’ उसने खुद से
पूछा- ‘उसे खुद का घर छोड़कर कसी होटल या गे टहाउस म य जाना चािहए? ज़रा म
भी तो देखूं क पायल का वह ेमी कै सा है? कम से कम मुझे उस औरत का वा तिवक और
िघनौना चेहरा देखने का मौका तो िमलेगा, िजसने एक पित ता ी होने का ढ ग बखूबी
िनभाया था। ले कन अब ये दखावा और झूठ हमेशा के िलए ख़ म हो जायेगा।’ उसने मन
ही मन सोचा- ‘और फर आिखरकार मेरे भा य क चाबी, वह जापानी िस ा अभी भी मेरे
साथ है। और फर म य ड ं , डरना तो पायल और उसके ेमी को चािहए। अगर म
पायल और उसके आिशक क बेटी अंशुल को मार सकता ,ँ तो उन दोन के या िबसात
है?’ यही सोचते ए अभय ने अपनी कार मोड़ी और वापस अपने बंगले क ओर चल
दया। उसने अपनी कार बंगले के बाहर ही छोड़ दी ता क ज़ रत पड़ने पर भागने म
आसानी रह।
पूरा घर अंधेरे म डू बा आ था और इस दज क खामोशी थी क अभय अपने साँस को
भी भी सुन सकता था। उसने साहस करके अपनी उं गली डोरबेल पर टकाई ले कन कोई
जवाब नह िमला । जब उसने दरवाजे पर हाथ रखा तो पाया क दरवाजा खुला आ है।
‘ या ये कसी क म का जाल है?’
उ ह ने लॉबी क लाइट ऑन क और ित या का इं तजार करने लगा। जब कोई
ित या नह आयी तो वह साहस करके ऊपर प च ं ा। वहां एक भयानक स ाटा कािबज
था। उसने अपने जूते के नीचे कु छ िचपिचपा सा महसूस कया। उसने लॉबी क लाइट ऑन
क और पाया क खून से लथपथ पायल फश पर पड़ी ई थी।
या आ था, ये समझने म अभय को के वल पल भर का ही समय लगा। लॉबी म खून म
िलथड़े कांच के टु कड़े िबखरे ए थे। उसने तुरंत अपनी िनगाह वहां से हटा ल ले कन तब
तक ब त देर हो चुक थी। उसने उसी वॉशबेिसन म उ टी कर दी, िजसके बगल म वह
खड़ा था।
दद म डू बी एक ह क कराह ने उसका यान ख चा। उसने पायल क पलक म ह क
सी हलचल देखी। संगमरमर के फश पर िबखरे कांच के टु कड़ क परवाह न करते ए वह
उसके पास प च ं ा और खून से सने फश पर बैठ गया। उसने उसके िसर को अपनी गोद म
रख िलया। “पायल! अपनी आँख खोलो पायल। ये म ,ँ अभय।” उसने कहा।
“अभ....अभय!” वह बड़ी मुि कल से इतने धीमे वर म कहा क अभय को उसे सुनने म
सफल होने के िलए अपना कान उसके होठ के पास ले जाना पड़ा। बेहद कोिशश के बाद
वह के वल इतना ही कह पायी-“प.... पानी!”
उसके िसर को बेहद सावधानी से दोबारा फश पर रखने के बाद वह रसोई म मौजूद
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ज क ओर दौड़ा और पानी क एक बोतल लेकर लाया। उसने अपनी बीवी का िसर


फर से अपनी गोद म रखा और उसके गले म थोड़ा सा पानी उड़ेला। उसक पलक कु छ
समय के िलए खुल फर बंद हो ग । “ कसने, कसने ये कया पायल?” उसके पित ने
उ ेिजत लहजे म पूछा।
“वारलॉक ने।” जवाब संि और धीमा था।
“ डॉ फ! डॉ फ नाहर ने तु ह मारने क कोिशश क ?” अभय हैरान रह गया,
“ले कन य ?”
“बदला लेने के िलए।” पायल ने टू ट-फू टे श द म जवाब दया, “उसने तुमसे झूठ बोला
क म एक गलत प ी ँ और अंशुल हमारी बेटी नह । मेरी बात मानो...अिभ...म स ी…
मने धोखा नह ... ... अंशु तु हारी बेटी…”
अभय का दमाग घूम कर रह गया। पहले क तरह एक बार फर वह उलझ गया था।
‘ या ये संभव है क पायल सही थी और डॉ फ ने उसका उ लू बनाया था? डॉ फ ने
ही उसे इस हद तक डराया था क वह पायल क बेवफाई और उसे मारने क उसक
सािजश वाली उसक मनगढ़ंत कहानी पर आसानी से यक न कर ले?’
“म... म जा रही ँ अभय! ... म... मै..तु ह ... मा...फ़ करती ।ं ”
“नह !” वह उ ेजना और बेबसी से प रपूण लहजे म चीख पड़ा जब पायल ने अपनी
आँख बंद कर ल तो उसने घबराकर उसक न ज टटोली और पाया क वह अभी भी धीमे-
धीमे ही सही ले कन चल रहा थी। उसने उसी ि थित म बैठे ए अपना मोबाइल िनकाला
और कै स (से लाइ ड ए बुलस स वस) का नंबर 1099 डायल कया।
जब ए बुलस के कमचारी कु छ ही िमनट बाद लॉबी म प च ं े तो उ ह ने अभय को
अपनी प ी का िसर गोद म रखे ए जाऱ-जाऱ कर रोते ए पाया। अभय ने जैसे सपने म
कु छ अजनिबय को अपनी प ी पायल को सी ढ़य से नीचे ले जाते ए देखा और फर
पाया क वह ए बुलस क िपछली सीट पर अपनी यारी बीवी का हाथ पकड़कर बैठा आ
था। ए बुलस अपनी छत पर लगी ई घूमती ई लाल ब ी और सायरन क तेज आवाज
के साथ नजदीक ॉमा सटर क ओर उड़ी जा रही थी। वह डॉ टर और नस ारा अपनी
बीवी को अटड कये जाते व भी अ िवि अव था म था। पायल क नाज़क हालत के
कारण उसे सीधे आई.सी.यू. म भेज दया गया। उसक जं दगी फ़क़त एक कमज़ोर धागे से
जुड़ थी जो कभी भी टू ट सकता था.
अभय आई.सी.यू. क लॉबी के एक कोने म पड़े सोफा सीट पर बैठ गया और फर उसने
बाक बची रात सोफे पर अधलेटी दशा म गुजार दी। वह अभी तक सकते क हालत म था।
जब से पायल ने पागल िब टू का भूत देखा था, तब से सब कु छ अ त- त हो गया था।
उसक पूरी िज दगी बदल गयी थी और उसे ऐसा लग रहा था, जैसे वह एक अंधेरी सुरंग म
दौड़ा जा रहा था। ले कन अभय नह जानता था क क़यामत क वह रात अभी ख म नह
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ई थी। अभी िशकारी डो फ क िशकार होना बाक था और तांि को क भयानक जंग


क िबगुल बज चुका था।

अ याय 20
तांि क का हमला
डो फ कनाट लेस ि थत ‘ना लस आइस म पालर’ म बैठा आ था। उसका हाथ
एक ख़ूबसूरत औरत क रोमरिहत िचकनी जांघ पर फसल रहा था। वह नूडल बाल
वाली उस औरत को कामुक िनगाह से देख रहा था, जो नाक म हीरे क नोज-िपन और
िज म पर नीले फू ल क ंट वाली कट पहने ई थी। उसके न कं ध से हरे रं ग के
नीओन लोरोसट ा क ैप (प ी) नजर आ रही थी। िजतनी बार टाफ का कोई
कमचारी कसी ाहक को सव करने के िलए आइस म के लास कवर को हटाता था,
उतनी बार ठं डी हवा के झ क के साथ डो फ के नथुन से ाबेरी और चाकलेट क
ती ण सुगंध टकराती थी और उसके मुंह म पानी आ जाता था।
अचानक उसने अपने जेहन म कोई फु सफु साहट सुनी। वह ह रनाथ था, जो उस तक
प चँ ने क कोिशश कर रहा था। डो फ ने उसे नजरअंदाज करने क कोिशश क ले कन
उसके जेहन तक प च ं े ह रनाथ के वर म समाई ई ता ने उसे तुरंत जाने के िलए
बा य कर दया। “म एक िमनट म आता ।ँ ” डो फ ने ज दबाजी म उठते ए कहा।
उसक मिहला-साथी ने उसक ओर वाचक दृि से देखा। “म अपनी कार चेक करने जा
रहा ,ँ मुझे लगता है, म अपना कोई क मती सामान कार म छोड़ आया ।ँ ” उसने शी ता
से कहा और उसक ित या का इं तजार कये बगैर वहां से चला गया।
वह अपने लड ू जर ैडो क ओर बढ़ गया, जो कांच के दरवाजे वाली जगमगाती ई
कॉफ़ शॉप के ठीक बाहर पाक था। उसने दरवाजा खोला और अपने टेशन वैगन के अंदर
दािखल हो गया। उसके बगल वाली सीट पर परछा क आकृ ित म ह रनाथ मौजूद था।
“ या बात है ह रनाथ? आिखर इतना ज री या काम आ गया?” डो फ ने खीझते ए
पूछा।
“माफ़ क िजयेगा मािलक, म आपको पहले बताना भूल गया। चूं क इन दन म अपनी
बेहद कम शि य के साथ काम कर रहा ,ँ इसिलए म इस असफलता का दोष अपनी
मता को नह बि क खुद को दे रहा ।ँ ” ह रनाथ ने प कया।
“तुम कस बारे म बात कर रहे हो ह रनाथ? और ये पहेिलय म बात करना बंद करो।”
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“म उस तांि क भैरो शाह बंगाली के बारे म बात कर रहा ँ मािलक! उसने मेरी
ानेि य को अँधा कर दया है और म उसक गितिविधय के बारे म कोई अंदाजा नह
लगा पा रहा ।ँ उसे और उसक शि य कम आंकने क अपनी गलती को म वीकार कर
रहा ँ मािलक।” ह रनाथ ने एक बार फर अपराधबोध त लहजे म कहा- “वह
मूठकरणी साधना म सफल हो चुका है।” उसने मानो बम िव फोट करते ए कहा।
ण भर के िलए वे दोन टेशन वैगन म त ध होकर बैठे रह गए। ये रात के बारह बजे
का व था और कनाट लेस क सडक का अिधकांश िह सा ै फक-मु हो चुका था।
“ऐसा कै से आ?” अंतत: डो फ ने ठं डी सांस लेते ए कहा।
“आपको याद होगा मािलक क भैरो ने कनल नारं ग से कहा था क उस खतरनाक
तामसी साधना म महारत हािसल करने के िलए उसे समय चािहए। आिखरकार वह अपनी
साधना म सफल हो गया। ये हमारी ओर से एक बड़ी चूक है, जो हमने िपछली बार आप
पर ए उसके हमले के बाद भी उसके यास को गंभीरता से नह िलया।” ह रनाथ ने
पछतावा भरे वर म कहा।
“ले कन तु ह तो पता होना चािहए था।” डो फ ने िशकायती लहजे म कहा।
“हाँ मािलक, ले कन उस चालाक तांि क ने मेरी आँख को अँधा कर दया था। ये वैसा
ही था, जैसे मेरे दमाग के कसी एक िह से को अव कर दया गया हो और म उसके
बारे म सब-कु छ भूल गया।” उसने प कया।
“कु छ भी हो!” डो फ ने अंदाज म उसक बात काटते ए कहा- “मुझे बताओ क
तु ह उसके बारे म या- या पता है?”
“भैरो मूठकरणी िसि ा कर चुका है और आज रात आप पर उसका योग करने क
तैयारी कर रहा है। इससे पहले क वह अनु ान को पूरा करने म सफल हो जाए और उससे
जागृत ई शि य का आप पर योग कर दे, आपको उसे हर हाल म ज द से ज द रोकना
होगा मािलक।”
“म उस अंधे बंगाली को ऐसा सबक िसखाऊंगा क वह उसे बताने के िलए ज़ंदा ही नह
बचेगा।” डो फ ने बदले क भावना से सुलग उठ आँख के साथ कहा- “भैरो ने अपनी
मौत मोल ले ली है और मेरा यक न करो, वह बुरी मौत मरे गा।”
“आपके पास व ब त कम है मािलक!” ह रनाथ ने उसे याद दलाया।
“भैरो अपनी साधना कहाँ कर रहा है?” डो फ ने पूछा।
“म..म..म!” ह रनाथ क इस कदर िघ घी बंध गयी, मानो उसके गले म कु छ अटक गया
हो।
“अब ये मत कहना क तुम नह जानते।”
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“म नह जानता।” ह रनाथ ने असहज होते ए वीकार कया।


“ब त खूब! तो फर अब म कै से ये मान लूं क उसक मूठकरणी साधना पूरी होने से
पहले ही म उसे उसे इतने बड़े शहर म ढू ँढ लूँगा?” डो फ ने हताश लहजे म पूछा।
“नारं ग का वह मेल नस।” ह रनाथ ने याद करते ए कहा- “उसने प कु इयां रोड क
टै सी टड पर उ ह बुलाया था। शायद हम पता चल जाए क भैरो वहां से कहाँ जा सकता
है। म मानता ँ ये दूर क कौड़ी है, ले कन फर भी हम कोिशश करनी चािहए य क
हमारे पास बतौर लू कोई दूसरा रा ता भी तो नह है।” ह रनाथ ने कहा।
“तुम ठीक कह रहे हो। और म तुमसे वादा करता ँ ह रनाथ क एक बार म अपनी
शि यां वापस हािसल कर लूं, फर म उस अंधे तांि क को बताऊंगा क वारलॉक वा तव
म कतना ू र और खौफनाक हो सकता है।” डो फ ने अपने लड ू जर का इं जन टाट
करते ए कहा।
“ले कन आपक मिहला साथी का या?” जब डो फ कनाट लेस क खाली सडक पर
अपनी टेशन वैगन ाइव कर रहा था, तो ह रनाथ ने उसे याद दलाया।
डो फ ने दाय हाथ से कार क टीय रं ग को संभाले ए अपने सेलफोन से उस मिहला
साथी का मोबाइल नंबर डायल कया। जब वह दूसरी ओर लाइन पर आ गयी, तो उसने
बेहद खाई के साथ कह दया क उसे एक ज री मामला िनपटाने के िलये अचानक जाना
पड़ रहा है, इसिलए वह कोई कै ब लेकर वापस घर चली जाए। ह रनाथ ने देखा क जब
डो फ ने दूसरे िसरे से बदतमीजी भरी गािलयाँ सुनी तो कस कदर उसका चेहरा गु से से
लाल हो उठा था। वह फोन पर िच लाया- “तो फर भाड़ म जा हरामजादी और अपनी
मोटी माँ, टु िपड बहन और उस बाप को भी अपने साथ लेकर, जो अपनी लड़ कय क
कमाई पर िज दा है। तुम सब के सब भाड़ म जाओ। तुम म से कसी क भी परवाह नह ।”
डो फ िच लाया।
ह रनाथ ने देखा क उसने अपना मोबाइल फोन कसी बेकार िखलौने क भांित कार क
डैशबोड पर फक दया। उसने अपनी दूरदृि से ये अंदश
े ा लगा िलया क ये व डो फ से
कोई सवाल पूछने के िलये उपयु नह था। वह अँधाधुंध और बेतहाशा ाइ वंग के अपने
सभी रकॉड को व त करता आ लड ू जर ैडो को प कु इयां रोड क ओर भगा रहा
था। ये दौड़ समय के िखलाफ थी, ले कन फर भी डो फ क ठनाइय के स मुख हार
मानने वाला नह था। वह अपने उ े य क पू त के िलए आिख़री दम तक डटा रहने वाला
इं सान था।
कु छ घंटे पहले
भैरो शाह बंगाली प कु इयां रोड के टै सी टड क एक कु स पर बैठा था, जो बतौर
आवागमन उसका थायी थान था। वह गरमागरम चाय के कप से चुि कयां ले रहा था,
िजसे एक लड़का उसे थमा गया था। खुद से के वल थोड़ा ब त काम कर पाने वाले उस अंधे
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इं सान ने अपने िलए टै सी टड के प म मन बहलाने के िलए एक ऐसी जगह तलाश ली


थी, जहाँ वह हर कार के दलच प गपशप के साथ-साथ शहर और देश-िवदेश क
हलचल के बारे म भी सुन सकता था।
टै सी टड के सभी ाइवर को भैरो और वंकल यानी एक अंधे और एक मंदबुि क
वह अजीबोगरीब जोड़ी बेहद दलच प और मजेदार लगती थी। ले कन उन दोन के ित
उनका रवैया दो ताना था। वे उ ह हरसंभव मदद और सुिवधाय देने क कोिशश कया
करते थे। थोड़ी देर पहले ही कसी ने भैरो को बताया था क सुबह के साढ़े यारह बज रहे
थे। भैरो अपने साथी वंकल के आने क राह देख रहा था, जो घंटे भर म वहां प चँ ने ही
वाला था।
वंकल, िजसका असली नाम तािहर शेख था, वह अपनी बूढी और यारी माँ ही शेख
के साथ धौलकु आँ इलाके क एक नसरी म रहता था। हर सुबह वह अपने मािलक के साथ
रहने के िलए प कु इयां रोड आ जाता था और फर रात को वापस अपनी माँ के पास चला
जाता था। सुबह प कु इयां रोड क ओर आने वाला कोई टै सी वाला उसे टड से बैठा
लेता था और इसी तरह रात को धौलकु आं क ओर जाने वाला कोई टै सी वाला उसे
नसरी के पास छोड़ देता था। उन रा त पर चलने वाले उदार टै सी ाईवर उसे मु त म
बैठाने से परहेज नह कया करते थे। यही वजह थी, जो भैरो कसी टै सी क मु त सवारी
का लु त उठाते ए आने वाले वंकल के घंटे भर के भीतर प च ँ ने क उ मीद पाले ए
था।
वंकल को उसका नाम कै से िमला, इसके पीछे क कहानी बड़ी दलच प थी। जब
उसक माँ उसे बचपन म ‘ वंकल वंकल िल टल टार’ सुनाया करती थी, तो वह खुश
होकर तािलयाँ बजाने लगता था, इसीिलए उसक माँ ने उसका घरे लू नाम वंकल रख
दया था। वह पतीस साल का वय क हो चुका था, ले कन गुजरे ए दन क भांित ये नाम
आज भी उसके साथ िचपका आ था। वह और भैरो जब पहली बार िमले थे, तो शु आती
वैमन य के बाद एक-दूसरे का अिभ अंग बन गए थे। वंकल क माँ भी ये मान चुक थी
क ये उसके बेटे तथा भैरो का याराना ही था, िजसके कारण वह वंकल क सुर ा को
लेकर चंतामु रहती थी।
टै सी टड के छोटे से कमरे म गरमागरम चाय का लु त उठा रहे भैरो का यान बाहर
हो रहे शोर-गुल से हटकर तीन-चार दन पहले कनल नारं ग से फोन पर ई बातचीत पर
गया। प कु इयां रोड के कनारे गली म मौजूद अंड-े डबलरोटी और कराने क दूकान पर
उसे कनल का फोन आया था, िजसके ऊपर मौजूद छोटे से कमरे म उसका बसेरा था। जब
अपनी तामसी-साधना के तहत बाहर नह होता था, तो वह सोता था। साधना के
िसलिसले म, िजसे वह ाय: ‘अिभयान’ कहना यादा पसंद करता था, बाहर न गए होने
क दशा म या तो वह टै सी टड पर िमलता था या फर उसी छोटे से कमरे म।
उस टेलीफोन वाता का सारांश के वल इतना ही था क कनल नारं ग ने भैरो पर दबाव
बनाते ए उसे ये याद दलाया था क वारलॉक को तबाह करने के िलए उसने कु छ िवशेष
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शि य म महारत हािसल करने का वादा कया है। जब भैरो ने कनल नारं ग से उनके इस
अचानक उतावलेपन क वजह पूछी थी तो शतरं ज खेलने के शौक़ न उस बुजुग रणनीित
ने उसे बताया था क डो फ ने उसके उस दो त को धमकाया है, जो उसक जासूसी कर
रही थी। वे उसक सुर ा को लेकर बेहद चंितत हो उठे थे और इससे भी कह यादा वे
इस बात से चंितत थे क उसने अपने एकमा बेटे के कारण न के वल के स को छोड़ दया
था बि क कनल के सामने इस बात क दुहाई भी देने लगी थी क वह उसे और उसके बेटे
को डो फ के जलजले से बचा ले।
जवाब म भैरो ने ये कहकर कनल से दो दन क और मोहलत मांगी थी क वह
मूठकरणी साधना क िसि के आिख़री चरण म है। उस कु शल रणनीतीकार ने भैरो क
बात मान ली थी और भैरो को वयं आकर या कसी पहचान वाले टै सी ाईवर को लैट
पर भेजकर दस हजार पये ले जाने को कहा था, ता क वह साधना के िलए आव यक
सामान के खच का वहन कर सके । हालां क साधना के आिख़री चरण ने ये सािबत कर
दया था क वह साधना भैरो के पूवानुमान से कह अिधक तकलीफदेह थी, फर भी कसी
तरह उसने तामसी शि य क उस साधना को पूरा कर िलया था।
अपने कं धे पर गुदाज और पसीने से गीली हथेली का पश पाते ही भैरो ने वतमान म
वापसी क । उसने महसूस कर िलया क वंकल आ चुका है। उसने वंकल का हाथ अपने
हाथ म थामा और पूछा- “कै से हो वंकल?”
“ठीक ।ँ ” उसे संि जवाब िमला।
“हनुमंत कहाँ है?”
“म यहाँ ँ भैरो!” एक ाईवर ने उस कमरे म दािखल होते ए कहा, िजसे टै सी- टड
का ‘ऑ फस’ होने का दजा हािसल था। “मेरे पास तु हारे िलए एक संदश
े है। वंकल क
माँ ने कहा है क वह क बे से बाहर जा रही है, इसिलए आज रात तुम वंकल को अपने
साथ ही रखो।”
“शु या हनुमंत! तु ह परे शान होना पड़ा।” भैरो ने कहा।
“िब कु ल भी नह । मुझे गोल माकट म एक पैसजर को छोड़ना था, िजसे मने ेटर
कै लाश से बैठाया था। इसीिलए मुझे धौलकु आं म कने और वहां से तु हारे दो त को लेने
म मुि कल से पांच िमनट ही लगे। टै सी म एक पैसजर मेरा इं तजार कर रहा है, मुझे
जाना होगा। म तुमसे दो बजे िमलता ।ँ ” ाईवर ने कहा और ‘ऑ फस’ से बाहर िनकल
गया।
“ वंकल!” भैरो ने अपने सहायक और दो त वंकल से कहा- “मेरे ठकाने पर चलो,
वह बात करगे।”
भैरो के मंदबुि सहायक ने हौले से अपना िसर िहलाया और उसक बांह पकड़कर उसे
प कु इयां रोड के कनारे गली म ि थत िमठाई क दूकान के ऊपर मौजूद छोटे से कमरे म
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ले गया। वह एक छोटा सा बेतरतीब कमरा था, िजसम एक फो डंग बेड और कपड़ से


भरा एक संदक ू था। तांि क क आरा या देवी काली क मू त एक दीवार से सटाकर रखी
ई थी। वहां पिव काबा क एक े मजिड़त त वीर भी थी। इसके अलावा वहां एक और
े मजिड़त त वीर थी, िजस पर उदू म एक शि शाली सुर ा मं िलखा आ था, िजसे
भैरो शाह के गु अथवा बहौदु लाह के सूफ संत िमयां िमर क़ु तुब ने उसे दया था। भैरो ने
िब तर पर बैठने म अपने अंधे मािलक क सहायता क और खुद भी जमीन पर उसके पैर
के पास बैठ गया। भैरो ने अपनी छड़ी को, िजसके अ भाग पर अजीब से अ र वाली
आकृ ित का धातु जड़ा आ था, कस कर पकड़ा और देवी काली क मू त के स मुख
नतम तक हो गया।
“ वंकल!” उसने कहा- “हम आज रात वारलॉक पर हमला करना है। ये जोिखम भरा
हो सकता है, ले कन हम उसे ख़ म करना ही होगा। साधना के िलए ज री सभी चीज का
मने ऑडर दे दया है, वे ज द ही आ जायगे। मुझे लगता है क धौलकु आं का तु हारा
ठकाना साधना के िलए उपयु रहेगा। चूं क तु हारी माँ क बे से बाहर जा रही है,
इसिलए हम उस एकांत जगह पर िबना कसी कावट या वधान के अपना काम कर
सकते ह।” वंकल ने सहमित म अपना िसर िहलाया, जो क िनरथक था य क न तो
उसका मािलक ये देख पाने म स म था, और न ही वा तव म वंकल उसक बात का
पूरा मतलब समझ पाया था, ले कन उनके दर यान ये सब बात कोई मायने नह रखती
थ।
“मेरा संदक
ू लाओ वंकल! उसम कु छ व तुएं ह, िजनका मुझे आज रात इ तेमाल
करना है।” भैरो ने कहा।
वंकल आिह तापूवक फश से उठा। उसने पुराने और भारी संदक
ू को बड़ी सहजता से
उठा िलया और उसे िब तर के पास रख दया। भैरो के िनदशानुसार उसने संदकू खोला।
उसने िन य योग म आने वाले कपड़ को िनकालकर िब तर पर रख दया। त प ात
उसने भैरो क मनोवांिछत व तु को बाहर िनकाल कर उसे स प दया। वह काले कपड़े
क एक गठरी थी, िजसम खंजर, धातु का ताबीज, मोितय और हि य क माला तथा एक
नर-खोपड़ी बंधी ई थी। भैरो ने उ ह बेहद सावधानी से और स मानपूवक िब तर पर
अपने बगल म रख दया और वंकल को उन कपड़ को दोबारा संदक ू म रखकर उसे जहाँ
से उठाया गया था, वह रख देने के िलए कह दया। भैरो ने अपनी छड़ी, खंजर, धातु के
ताबीज और खोपड़ी को देवी काली क मू त के आगे रखकर अगले एक घंटे के िलए गहरे
यान क अव था म चला गया। तांि क क यान समािध से पूणतया िवर वंकल
कमरे के दूसरे छोर पर जमीन पर बैठा आ था। थोड़ी देर बाद दरवाजे पर एक आदमी
आया। वंकल अपनी जगह से उठा और भैरो के िनदशानुसार उसे पैसे देकर उन
सामि य को ले िलया, जो वह साथ लेकर आया था।
तांि क के पूव म दए गए िनदशानुसार, वंकल ने पॉिलथीन के उन दोन काले थैल
को, जो अ ात मसाल से भरे ए थे, उसके बगल म रख दया। एक िवशेष बात, जो
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वंकल को बड़ी दलच प लगी, वो ये थी क उन सामान म एक िज दा मुगा भी था।


उसके पैर को बाँधा दया गया था और वह फश पर असहाय पड़ा चीख रहा था। वंकल
उसे तब तक देखता रहा, जब तक क उसक पलक बोिझल न हो गयी और गहरी न द सो
नह गया।
कं धा पकड़ कर झकझोरे जाने पर वंकल क न द खुली। तब तक अँधेरा फ़ै ल चुका था
और भैरो उसके बगल म घुटन के बल बैठा आ था। उस अंधे तांि क ने एक जोड़ी काले
और हरे कपड़े पहन रखे थे। उसने िसर पर हरा साफा बाँधा आ था तथा गले म मोितय
और िविभ जानवर के हि य क बेशुमार मालाएं डाल रखी थी। उसने अपने एक हाथ
म लाल कपड़े म िलपटी ई छड़ी को थामा आ था और दूसरे हाथ म काले कपड़े से ढक
नर-खोपड़ी। उसने बाक क चीज अपने सहायक को उठाने के िलए कहा। वंकल ने
बतौर सामान पॉिलथीन के उन दो काले थैल , जूट के झोले और िज दा मुग को उठा िलया,
िज ह भैरो ने उसके बगल म रख दया था और उस तांि क के साथ चल पड़ा।
उसने कोठरी के दरवाजे पर छोटा सा ताला लगाया और चाबी को भैरो को दे दया,
िजसे भैरो ने अपने लबादे म बने अनिगनत जेब म से एक के हवाले कर दया। शाम के
धुंधलके म वे दोन तेजी से सड़क के कनारे पटरी क ओर बढ़ चले और शी ही टै सी
टड पर प च ँ गए। त प ात वे दोन एक टै सी म बैठ गए और भैरो ने जान-पहचान के
उस ाईवर को धौलकु आं ि थत नसरी प च ँ ाने को कह दया, जहाँ वंकल अपनी माँ के
साथ रहता था।
रा ते म कसी के होठ से एक ल ज तक नह फसले। वे दोन नसरी के िवशाल भू-
भाग के पास टै सी से उतर गए। नसरी का प रसर अँधेरे म डू बा आ था। टै सी के चले
जाने के बाद वे दोन नसरी के छोटे से आयरन गेट क ओर बढ़ गए। वंकल ने उसे खोला
और भैरो को लेकर भीतर दािखल हो गया। वे एक छोटे से कामचलाऊँ कॉटेज, िजसमे
वंकल अपनी माँ के साथ रहता था, से होते ए क चड़ से भरे रा ते पर आगे बढ़ते ए
नसरी के उस िवशाल भू-भाग म प च ं ,े जो ब त सारे वृ और लगभग सभी कार के
फू ल-पौध के छोटे-बड़े गमल , क चड़ और उवरक के ढेर से भरा पड़ा था।
भैरो ने साधना और तामिसक शि य के अनु ान के िलए उपयु थान के तौर पर
एक बड़े से बरगद के पेड़ को चुना। उसके िनदशानुसार वंकल ने सारा सामान नीचे रख
दया और एक झाड़ू तथा अपने हाथ क सहायत से वहां क जगली घास , िबखरी ई
पि य , और बेतरतीब से फ़ै ली पेड़ क लकिड़य को साफ़ करने लगा। भैरो ने लाल कपड़े
म िलपटी देवी काली क मू त को उठाया और उसे बेहद स मानपूवक पेड़ के नीचे रख
दया। उसके िनदश पर वंकल ने जूट के झोले से लोहे क एक त तरी िनकाली और
लड़क के अनिगनत छोटे-छोटे टु कड़ को इक ा करके उसम धूनी जलाकर उसे मू त के
स मुख रख दया। भैरो ने िविच और समझ म न आने वाले मं का जाप करना आर भ
कर दया।
उसने अपनी छड़ी का एक िसरा जमीन पर टकाया और उसक सहायता से उस पेड़ के
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चार ओर एक गोल घेरा ख च दया, िजसके नीचे उसने देवी काली क मू त रखी ई थी।
त प ात वह वापस आग के सामने अपनी जगह पर आकर बैठ गया। उसके िनदश पर
वंकल ने अपने साथ लाये ए सामान को बाहर िनकाला और उसे उसके सामने रख
दया। िजनम शराब, मांस, इ , मीठा मांस, उड़द, ल ग, लोबान, कपूर, अगरबती, िज दा
मुगा और एक बड़ी सी इं सानी ह ी इ या द शािमल थे।
भैरो ने अ ात मसल से भरे पॉिलथीन के उन दोन थैल को खोला और उ ह अलग-
अलग िम ी के दो घड़ म उड़ेल दया। उसने िम ी के घड़े से एक मु ी मसाला उठाया और
कोई मं बुदबुदाते ए उसे आग म फक दया। वह अलौ कक शि य को जागृत करने
वाली उपरो या को काफ देर तक करता रहा। मसाल क येक आ ित के साथ
आग क लपट ऊंची और ऊंची उठने लगती थ । आग के सामने मं मु ध अव था म बैठा
आ वंकल आँख फै लाए ए उपरो याकलाप को देख रहा था।
उस व कसी बाहरी ि को आग क रोशनी म के वल यही नजर आ सकता था क
बरगद के पेड़ के नीचे देवी काली क मू त के सामने दो भयानक आदमी बैठे ए ह ले कन
वा तिवकता ये थी क उस वीराने म ा अँधेरे क ओट म कई रह यमयी, भयावह और
अलौ कक शि यां घात लगाये ए बैठी थ । उस खाली थान पर अंधे तांि क के उ
मं ोचार चार ओर गूँज रहे थे। उसका चेहरा सामने जल रही आग क लाल और पीली
लपट क रोशनी म चमक रहा था। पूणतया अँधेरे म डू बी ई एक वीरान जगह पर आग
जल रही थी और उसके सामने पैशािचक वेशभूषा वाली दी मानावाकृ ितयाँ बैठी ई थ , ये
दृ य िन:संदह
े बेहद रह यमयी था।
भैरो ने वह कपड़ा खोला, िजसम उसने नर-खोपड़ी लपेटा था। त प ात उस साधक ने
अपने अपना खंजर वाला हाथ उठाया और पहले से भया ांत मुग क गदन को बेरहमी से
अलग कर दया। मुगा आिख़री बार बेहद जोर से चीखा और फर हमेशा के िलए खामोश
हो गया। मुग से खून क धारा बह िनकली। तांि क ने उस ताजे खून को पहले देवी काली
को चढ़ाया और इसके बाद नर-खोपड़ी को। त प ात उसने अपने और वंकल के म तक
पर नाक के अ भाग से लेकर माथे के आिख़री छोर तक खून क एक सीधी लक र ख चकर
‘र -ितलक’ लगाया।
तांि क अनवरत अपना िसर िहला रहा था। उसका मं ो ार पल- ितपल उ होता जा
रहा था। उसने एक जलते ए दीप, अगरब ी और चाकू के साथ खोपड़ी को एक िम ी क
हांडी म रख दया। जैसे ही उसने मं -जाप फर से शु कया वैसे ही हांडी अपनी अदृ य
धुरी पर घूमने लगी। साथ ही उसके अंदर से कसी रोबोट क सीटी जैसी आवाज भी
िनकलने लगी। खून, खून! डो फ का खून! वह अपनी मूठकरणी शि का आ वान करते
ए गहरे यान म लीन हो चुका था। य द एक बार वह शि उसके आदेश म बांध जाती
तो वह डो फ पर उसका योग कर सकता था। इस ण वह उस शि का आ वान बस
पूरा करने ही वाला था, िजससे बचने के िलए उसके दु मन के पास कोई दूसरा रा ता नह
था।
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डो फ ने प कु इयां रोड पर टै सी टड से थोड़ा पहले ही अपने टेशन वैगन को रोक


दया और लोग से तांि क भैरो शाह बंगाली के बारे म पूछताछ करने लगा। वहां मौजूद
ाइवर के जूम ने उसे बताया क भैरो पास क गली म ि थत डबलरोटी, अंडे और
बेकरी क दुकान के ऊपर अपनी छोटी सी कोठरी म िमल सकता है। इससे आगे कु छ सुनने
के िलए डो फ ने इं तजार नह कया। उसने अपने लड ू जर को उस गली के पास कनारे
लगाया और उस जीने क ओर बढ़ गया, जो छोटी कोठरी तक जाता था। कोठरी का बंद
दरवाजा उसे मुंह िचढ़ाता आ िमला िमला। वह िख भाव से वापस अपनी कार के पास
आ गया और उसका िपछला दरवाजा खोलकर, गाल पर हाथ रखकर बैठ गया।
“वो हमारे हाथ से िनकल गया ह रनाथ।”
“इतनी ज दी हार मत मािनये मािलक! इस लड़ाई म हमारी हार अभी ब त दूर है।”
ह रनाथ ने कहा।
“ये हार मान लेने का ही व है ह रनाथ।” डो फ ने अपने कार के वंड न से
जगमगाती ई पंचकु इयां रोड पर दृि पात करते ए कहा- “म एक ताकतवर दु मन से तो
लड़ सकता ,ं ले कन उस दु मन से नह , जो आँख से ओझल हो। मुझे नह मालूम क वह
जह ुम कहाँ है, जहाँ बैठा आ वह अंधा तांि क अपनी भयानक शि य का आ वान कर
रहा है। म उसे समय रहते कै से रोक सकता ?ं िजस हार का म मुंह देखने वाला ,ँ उस
हार को लेकर सबसे शमनाक बात ये है क मुझे ये हार उस ित ं ी से िमलने वाली है, जो
मेरे सामने कोई हैिसयत नह रखता है। उस हरामजादे भैरो का मेरे जैसे खतरनाक
वारलॉक से कोई मेल नह है।” डो फ ने प कया।
“आप टै सी- टड पर वापस जाकर भैरो के ठकाने के बारे म जानने क कोिशश कर
सकते ह। हो सकता है क कोई ऐसा ि िमल जाए, जो कसी ऐसी जगह का सुझाव दे
सके , जहां वह तांि क इस समय हो सकता है।”
“ या ये उपाय काम आएगा?” डो फ ने अपने लहजे म संदह
े िलए ए पूछा।
“म मानता ं क ये दूर क कौड़ी है, ले कन कम से कम यहां िनठ ल क तरह बैठकर
भैरो के हमले का इं तजार करने से तो बेहतर ही है।” ह रनाथ ने कहा।
ह रनाथ क सलाह पर गौर करते ए उसका मािलक कार को लेकर फर से टै सी टड
पर प च ं ा और वहां मौजूद ाइवर के जूम से दोबारा बात करने लगा। “मेरी बात
सुनो!” डो फ ने अपने लहजे म थोड़ी ता दखाते ए कहा- “मुझे उस कोठरी म भैरो
नह िमला। या तुमम से कोई मुझे बता सकता है क वह मुझे कहां िमलेगा? ये ब त
ज री है। मेरा यक न करो, मुझे बस ये जानना है क इस समय भैरो कहाँ है।” डो फ ने
फर से पूछा।
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उसने अपना पस िनकाला और उसम मौजूद नोट को उस टै सी क बोनट पर फक


दया, िजसे घेर कर वे खड़े थे। सभी ाईवर भौच होकर उन पय को घूरने लगे, जो
बीस हजार, पांच सौ और सौ-सौ के नोट क श ल म बीस हजार से अिधक थे। “ये सभी
उसके िलए है, जो बता सकता है क भैरो इस व मुझे कहाँ िमलेगा?” डो फ ने प
कया।
सभी ाइवर खामोश मु ा अि तयार कये ए कु छ देर तक नोट को घूरते रहे। और
फर उनके बीच फु सफु साहट शु हो गयी। हर कोई इस बारे म अपनी राय देने क
कोिशश कर रहा था क भैरो कहां हो सकता है। “वह कालका जी के काली मं दर म िमल
सकता है।” कसी एक ने कहा।
“वह आधी रात के व वहां नह िमल सकता है।” एक अ य आदमी ने तक दया और
तेजी से डो फ क ओर मुड़ते ए कहा- “मुझसे पूिछए, इस व वह ज र मशान म
होगा।”
“ या वह अँधा आदमी पागल है?” कसी दूसरे आदमी ारा उन नोट के उठा िलए
जाने के डर से एक अ य ि ने तक दया- “वह ज र कसी स ते दा खाने म ट ली हो
रहा होगा।”
अगले पांच िमनट तक डो फ को कम से कम दजन भर ऐसे अलग-अलग जगह के बारे
म बताया गया, जहां भैरो पाया जा सकता था। अंधे तांि क को ढू ँढने के िलए डो फ को
उस िवशाल शहर म उन सभी थान पर भटकना पड़ता, ले कन वह महसूस कर रहा था
क बताये ए उन सभी थान म से कसी भी थान पर भैरो के पाए जाने क सं भावना
नह थी।
“ या हो रहा है यहाँ?” एक ाइवर ने टड म अपनी टै सी पाक करने के बाद उनक
ओर बढ़ते ए पूछा।
आपस म बहस कर रहे ाइवर म से कसी ने भी उसके सवाल का जवाब देने क
जहमत नह उठाई। ये व का तकाजा ही था क उनक बहस इतनी गम हो चुक थी वे
पैसे के िलए एक-दूसरे का गला दबाने और कपड़े तक फाड़ने को उता हो गए थे। डो फ
उन ाईवर क बहस और बोनट पर फके ए अपने पैसे से बेखबर होकर अपने ही याल
म गुम था।
“यहाँ या हो रहा है सर?” उस ाईवर ने, जो अभी-अभी वहां प च
ं ा था, डो फ से
उ सुकतापूवक पूछा।
“म तांि क भैरो शाह बंगाली क तलाश म ।ं ” डो फ ने सपाट लहजे म जवाब दया-
“ कसी को नह पता है क इस व वह कहां हो सकता है। मने उसका पता बताने वाले
ि को बोनट पर रखे उन पैस को देने क पेशकश भी क , ले कन.... ।” डो फ ने
नकारा मक भाव से अपना कं धा उचकाया।
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“ले कन आपको उसके बारे म जानने क इतनी स त ज रत य आ पड़ी है?” ाइवर


ने पूछा।
“ य क यह िज दगी और मौत का मामला है।” डो फ ने जवाब दया।
“म आपक मदद कर सकता ँ सर। उस पैसे के कारण नह बि क आपक परे शानी को
देखते ए।”
“सच म?” डो फ का लहजा उ साहिवहीन था।
“मेरा नाम हनुमंत है।” ाइवर ने कहा- “आप जानते ह, म ही वंकल को लाया था।
भैरो िजस कमअ ल आदमी के साथ घूमता है, वह सुबह मेरे ही साथ आया था।”
अपने जेहन म ह रनाथ क फु सफु साहट आने से पहले ही डो फ ताड़ गया क उनके
सामने मौजूद ाईवर उनके सबसे खतरनाक दु मन के बारे म सही बोल रहा है।
“वे कहाँ ह?” उसने ाइवर का कं धा झकझोरते ए पूछा।
“ वंकल क माँ धौलकु आं म नसरी चलाती है। उसने मुझसे कहा था क आज रात वह
शहर से बाहर जा रही है। हो सकता है क भैरो, वंकल के साथ वहां रात गुजरने गया
हो।”
“ये पैसे तु हारे ये।” डो फ ने घोषणा क ।
“वो जगह धौलाकु आं से गुजरने वाले मेन रं ग-रोड से थोड़ी ही दूर पर है।” उसने प
करने क कोिशश क ।
ले कन अब ये सब सुनने के िलए डो फ का वहां खड़े रहना िनरथक था। वह िबजली
क भांित पास म खड़े अपने लड ू जर ैडो के पास आया और अगले ही पल उसक कार
तोप से दागे गए गोले क मा नंद दूर भागी जा रही थी। थोड़ा आगे मौजूद लंक रोड से
डो फ ने अपने टेशन वैगन को बाय मोड़ कर उसे रं ग रोड पर डाल दया, जो सीधे
धौलकु आं चली गयी थी। साधारण मौके पर उसक तेज र तार ाइ वंग के भी अपने कु छ
मानक आ करते थे, ले कन इस व उसक र तार अभूतपूव थी। अनिगनत घुमाव वाली
उस अंधेरी सड़क पर लड ू जर लॉ चंग पैड से छोड़े गए रॉके ट क गित से आगे बढ़ रहा
था। िजस ण ैडो अपने हेडलाइट क ती ण रोशनी से िवशाल ‘बु -जयंती’ पाक को
िवभािजत करने वाले सड़क पर ा अंधकार को व त करते ए डो फ के गंत क
ओर बढ़ रहा था, उस ण सामने नजर आने वाला दृ य अ भुत था।
ह रनाथ, डो फ के बगल वाली सीट पर अिव ास भाव से अपना िसर िहला रहा था।
“मुझे इस बारे म सोचना चािहए था। म उस वंकल के बारे म जानता था, जो अपनी माँ
के साथ उस वीरान नसरी म रहता है।”
“खामोश रहो!” जुनूनी दशा म कार ाइव करते ए डो फ ने जबड़े भ चकर कहा।
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ऐसा लग रहा था जैसे वह भैरो शाह के हाथ मरने से पहले कसी ए सीडट म मरने का
तम ाई हो। उसके िसर पर मंडरा रहा मौत का साया उसे र तार तेज रखने को िववश
कये ए था।
जब वे धौलाकु आँ के बाहरी इलाके म प च
ँ गए, तो ह रनाथ ने अँधेरे म डू बी ई उस
उजाड़ नसरी तक प च ँ ने म अपने मािलक का मागदशन कया। नसरी तक प च ं ते ही
डो फ अपनी कार क लाइट, इं जन और दरवाजे को खुला छोड़ कर ही पागल के भांित
उस नसरी के भीतर दौड़ पड़ा। रा ते म आने वाली फू ल क या रय को र दता आ वह
थोड़ी दूर पर जल रहे आग क ओर भागा जा रहा था। ह रनाथ ने उसके जेहन म
फु सफु साकर चेताया क भैरो अपने आ वान को पूरा करने के करीब है। उसे डो फ को
उकसाने क ज रत नह पड़ी, य क वह खुद-बा-खुद इतनी तेजी से दौड़ रहा था क
उसके पैर शायद ही जमीन पर पड़ रहे थे।
अपनी जुनूनी र तार के साथ वह सीधे उस वंकल से जा टकराया, जो उसके रा ते म
दीवार बनकर खड़ा हो गया था। डो फ ये महसूस करते ए जमीन से जा टकराया क
वह कसी रोड रोलर या टक से भीड़ गया था, ले कन वह तुरंत ही अिव सनीय तेजी के
साथ उठ खड़ा आ और भैरो तक प च ँ ने के िलए उस पागल ‘हर यूिलस’ के बगल से
िनकलने क कोिशश करने लगा। उसने देखा क साधना म लीन अंधे तांि क ने उं गली क
ह क सी जुि बश के साथ अपने सहायक को कोई संकेत दया था।
अगले ही ण डो फ ने खुद को जमीन क बजाय हवा म हाथ-पांव मारता आ पाया।
वंकल ने उसके लेदर कोट का िगरहबान पकड़कर उसे हवा म उठा दया था। त प ात
उसने रे त के बेजान बोरे क भांित डो फ को ज़मीन पर पटक दया और उसके ऊपर चढ़
गया। वंकल ने अपने चौड़े पंजे को डो फ क गदन पर जमा दए और अपने भीतर
मौजूद पूरे वहशीपन और ताकत के साथ उसका गला घ टने लगा।
डो फ को लगा क उसक आँख अपनी कोटर से बाहर िनकल पड़ी ह। उसका मुंह
खुल गया था और जीभ बाहर िनकलने लगी थी। उसके िलए सांस लेना दुभर हो चुका था
य क वह मु टंडा उसके ऊपर कसी दै य क भांित सवार हो चुका था और ददनाक मौत
देने के िलए उसका गला घ टने क कोिशश कये जा रहा था। ह रनाथ क आवाज डो फ
के जेहन म गूंजी- ‘आपके पास ट है मािलक, उसका काम तमाम कर दीिजये।’
‘वह मुझे मारने पर आमादा है बेवक़ू फ़!’ डो फ ने मानिसक वर से अपने सहायक से
कहा। उसक आंख से आंसू िनकलने लगे थे ।
‘आपके दािहने हाथ के पास एक ट है मािलक! उसे उठाइए।’ ह रनाथ ने भी मानिसक
वर म कहा।
डो फ ने अपना हाथ चार तरफ घुमाया और जमीन पर पड़ी ई ट उसके हाथ लग
गयी। उसने अपने शरीर म बची ताकत के आिखरी अंश तक को इक ा कया और ट को
वंकल क ओर उछाल दया। ट ने वंकल क बा आंख के िनचले िह से को बुरी तरह
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घायल कर दया। वह दद से चीखा और डो फ क गदन उसके हाथ से छू ट गयी। वह खुद


भी अपने िशकार के पास घास पर ढेर हो गया।
मौत के बुरे अनुभव से उबरने म वारलॉक ने कु छ सेकड का समय िलया त प ात उसने
उस ट को उठा िलया और बेहद ू रता और बेरहमी से वंकल के चेहरे पर एक और
हार कर दया, जो पीड़ा और दद से बुरी तरह िच ला रहा था। ‘भैरो, उसके बारे म भूल
मत जाना।’ ह रनाथ उसके जेहन म िच लाया।
डो फ तुरंत भैरो क ओर बढ़ा, जो उस आग से सामने बैठा आ था, िजसक भयानक
लपट कसी िवशालकाय सांप के जीभ क मा नंद हवा म लपलपा रही थ । चूं क साधना
अब पूण होने के बेहद करीब थी इसिलए हांड़ी जमीन छोड़कर सीटी जैसी विन के साथ
हवा म च र काटने लगी थी। डो फ ने फू त से उस ट को आग क ओर उछाल दया।
ट लोहे क उस त तरी से टकराया, िजसम आग जल रही थी। लकड़ी के जलते ए टु कड़े
इधर-उधर िबखर गए और इस कार आ वान क पिव ता न हो गई तथा हांडी जमीन
पर िगर पड़ी।
अँधा तांि क गु से म अपने थान से उठ खड़ा आ और डो फ पर अ यु वर म
िच लाया- “तुझे इसक क मत चुकानी होगी वारलॉक!”
“क मत मुझे नह , तुझे चुकानी होगी हरामजादे!” ित या व प डो फ भी
िच लाया, “िघनौने और अंधे चमगादड़, तू सोचता है क तू मुझ,े वारलॉक को ख़ म कर
सकता है। अगर मुझे मारना इतना आसान होता तो म अब तक म हजार मौत मर चुका
होता। अगर म वा तव म इतना स ता आसामी होता तो म इतने कम समय म अपने
जीवन म इतना ऊँचा कभी नह उठ पाता।”
“ये तू नह तेरा अहंकार बोल रहा है वारलॉक! तू भा यशाली िनकला। अगर मुझे कु छ
िमनट और िमल गए होते तो मेरे सामने तू नह बि क तेरी लाश होती।”
“तो या तू एक दूसरी कोिशश करना चाहेगा? आगे बढ़, म तेरे सामने खड़ा ।ं ”
डो फ ने चुनौतीपूण लहजे म कहा।
चेतावनी सुनकर भैरो असमंजस क ि थित म खड़ा हो गया। उसने बेचैनीपूवक
लगातार अपना पहलू बदलते ए कहा- “मुझसे तेरी ये मुलाकात आिख़री नह है।” उसने
कहा- “अगली बार तू इतना भा यशाली नह होगा।”
“वह ‘अगली बार’ आयेगा ही नह िप ले! म अभी इस कहानी को ख़ म कर दूग ं ा। या
तुझे लगता है क म तुझे और तेरे पागल साथी को िज दा छोड़ दूग ं ा? नरक म जाने के िलए
तैयार हो जा गंदे नाली के क ड़े।” डो फ ने अंधे तांि क को ललकारा ललकारे ए उसक
तरफ़ झपटा।
ले कन इससे पहले क वारलॉक उसे छू भी पता, भैरो ने 'मोिहन शि का योग
कया। तुरंत ही वातावरण म चमेली क तेज़ सुगंध के साथ पाले भरी धुंध फै ल गया और
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तांि क भैरो अदृ य हो गया। वारलॉक उसक परछाई को भी नह पा सका। डो फ अपने


लंबे जूते क एिड़य के बल घूमा और उसने तािहर शेख उफ़ वंकल को अपने िशकं जे म
दबोच िलया। उसने उसे घास भरे िम ी के मैदान पर पटक दया और उसे नृशंसतापूवक
पीटने लगा। वंकल क चीख और उसके दयनीय हाव-भाव का उस ू र इं सान पर जरा
भी भाव नह पड़ा। वंकल वारलॉक के िशकं जे से िनकल कर भागा। पर वारलॉक ने
उसे उसक झोपड़ी के बाहर फर से क ज़े म ले िलया।
उसने ह रनाथ को पुकारा। उसने भारी-भरकम कु हाड़ी को नकार कर उससे एक
धारदार खंजर मंगवाया और उसे वंकल क गदन पर फे र दया। वंकल का िसर और
धड़ म एक गहरा घाव हो गया िजससे ख़ून भल-भल कर बहने लगाअपने ोध और
खौफनाक बदले के सबूत के तौर पर उसे वह छोड़कर, डॉ फ नसरी से बाहर िनकला
और अपनी कार म सवार हो गया। उसने इं जन टाट कया और नसरी से सत हो गया।
अब उसक मंिजल वसंत िवहार ि थत उसका बंगला था। जहाँ उसका इरादा अपने खून से
सने कपड़े बदलने के बाद लीना को बुलाने और उसके साथ रात गुजारने का था।
जैसे ही ैडो लड ू जर दूर प च
ं ी, एक बूढ़ी औरत नसरी के गेट पर प च
ँ ी। उसने कार
क िपछली रे डलाइट को दुिवधापूण अंदाज म देखा, जो दूर होती जा रही थी। वो कार
यहाँ या कर रही थी? शायद ये एक माँ के अंतमन क आवाज थी, जो ही शेख तेजी से
नसरी के अंदर अपनी झोपड़ी क ओर भागी।
झोपड़ी के बाहर अपने इकलौते बेटे वंकल क खून से लथपथ लाश देखकर वह स
रह गई। सि जय और आटे-दाल का थैला उसके हाथ से छू ट कर िगर गया और वह लाश
क ओर भागी। वह उस क ी सड़क पर बैठ गई और अपने मर चुके बेटे के िसर को गोद म
रखकर चीखने िच लाने लगी। वह साड़ी के आँचल से बार-बार अपने बेटे के चेहरे से खून
और गंदगी साफ करने क कोिशश करते ए उसका नाम पुकारने लगी। वह उस ासदी
पर यक न नह कर पा रही थी, जो उसके जीवन क एकमा उ मीद, उसके यारे बेटे को
िनगल चुक थी।
“तािहर, तािहर!” उसने िवलाप कया- “आँख खोल बाबू। देख अ मी आ गयी।”
आंसू उसक गाल से िनरं तर लुढ़क रहे थे और वह अपने मृत बेटे के माथे को बार-बार
चूमे जा रही थी। “तुम नह जा सकते तािहर! तुम इस तरह से अपनी माँ को नह छोड़
सकते।” उसने अपनी िहच कय के बीच कहा- “तुमने मुझसे वादा कया था क तुम
िनक़ाह करके एक चाँद से दु हन घर लाओगे, मेरे पास िखलाने के िलए पोते ह गे...।”
उसके घायल चेहरे को हर जगह से चूमते ए उसने कहा- “उठो बाबू, अगर कसी को
जाना है तो म जाऊंगी, तुम नह । तुम मुझे इस तरह नह छोड़ सकते। कोई भी बेटा अपनी
बूढ़ी अ मी को इस तरह कै से छोड़ सकता है?” वह उस पीड़ा से ाकु ल होकर रोती रही,
जो इस ू र, िनदयी और वाथ दुिनया बस एक माँ ही ही महसूस कर सकती है। “तुमने
कहा था क अब तुम मेरी देखभाल करोगे य क म बूढ़ी हो गयी ।ँ तुम इस तरह अपनी
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अ मी क देखभाल करोगे? उसे ऐसे अके ला छोड़कर?” वह अपनी गोद म 28 साल के


िज म और एक छोटे ब े जैसी बुि वाले अपने बेटे का िसर रखकर िवलाप करती रही।
िजस ब े को उसने पाल-पोसकर बड़ा कया था और उसके पैदा होने से लेकर अब तक
एक न ह ब े क तरह हर दन उसक परवाह क थी, वही ब ा अब उसक गोद म मरा
पड़ा था और उसक कसी भी बात का जवाब नह दे रहा था। ये दल को दहला देने वाला
एक ददनाक मंजर था। आह! एक माँ से उसके जीने क सभी वजह बेहद ू रतापूवक छीन
ली गयी थ । मौत के ू र पंजे कसी को नह छोड़ते और न ही कोई दया दखाते ह।
ऐसा लग रहा था जैसे मरा आ बेटा अभी भी अपनी मां क गोद म इस कदर िछपने क
कोिशश कर रहा था, जैसे क उसी का एक िह सा हो। वह अभी भी जीिवत था और उन
काली परछाइय क उपि थित को भांप रहा था, जो यम के दास (मौत के दूत) थे और उसे
उसक यारी और भरोसेमंद अ मी से बेरहमीपूवक छीन कर मौत क घाटी म ले जाने के
िलए आये थे। अफसोस! िज़ दगी इतनी बेरहम है क ये एक गरीब माँ और बेटे के िलए
मुफ द नह है, िज ह भा य ने आज ऐसे दन दखाये थे। वाथ, ाचार और ू रता से
भरी ये दुिनया, के वल वारलॉक जैसे लोग को ही आ य देती है।

अभय क न द कं ध के लगातार झकझोरे जाने पर खुली। उसने पायल को अटड करने


वाले डॉ टर को देखा, जो क दो पुिलस वालो के साथ उसे ही देख रहा था। वह तुरंत उठा
और अपने शु क हलक और डू बते कलेजे के साथ पूछा, “मेरी प ी... वह कै सी है?”
“वह गंभीर हालत म थी य द के वल कु छ िमनट क भी देरी हो गयी होती तो कु छ भी
हो सकता था। बहरहाल अब वह खतरे से बाहर है। जानते हो, वह क मतवाली है, जो
ऐसे घातक हमले से बच गयी। उस पर जान लेने के इरादे से बेरहमी से हमला कया गया
था। उसक चोट कसी दुघटना या आ मह या के यास के कारण नह हो सकत । ये
मेिडको-लीगल मामला है, इसीिलए मने पुिलस को बुलाया है।”
“म एस.आई. राठी ।ँ ” पुिलस वाले ने िबना कसी भूिमका के कहा, “तुमने अपनी बीवी
के साथ ऐसा य कया?”
“म य ऐसा क ँ गा? वो तो मेरी मेरी बीवी है।”
“आज क सोसायटी म लोग अपनी बीिवय के साथ ऐसा ही कु छ करते है - बि क इससे
भी यादा। अगर तुमने ऐसा नह कया है तो ये तु हारे िलए ही अ छा है। चलो यही
बताओ क तुम या जानते हो?”
“म चलता ।ँ मेरी ूटी ख़ म हो चुक है।” थके ए डॉ टर ने कहा और वंहा से चला
गया।
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“ या म इं सपे टर ठाकु र को बुला सकता ,ं जो ाइम ांच से ह?” अभय ने पूछा।


“ य ? वह या तु हे जानते ह?” एस.आई. ने अभय के बगल म बैठते ए पूछा।
“नह सर। ले कन वे इस के स क िपछली िह ी और उस अपराधी से वा कफ ह, िजसने
ऐसा कया है। या आपने ‘ चानहर के स’ के बारे म सुना है, जो लगभग एक साल पहले
अखबार म आया था?” अभय ने पूछा।
“वो ए टर, जो एक हीरोइन के साथ रे प (बला कार) करने के च र म िगर तार आ
था?” एस.आई.ने अपने माथे पर बल देते ए पूछा।
“दरअसल वह एक को रयो ाफर है और उसने अपनी टू डट का अगवा कर िलया था,
जो अब मेरी वाइफ िमसेज पायल ब ा है। वह उसे महरौली ि थत अपने ए टेट म ले गया
था....” अभय ने डॉ फ क िगर तारी से लेकर उसके मुकदमे, उसके बरी होने और फर
बदला लेने क उसक दृढ़ ित ा तक क घटना का सं ेप म मवार वणन कर दया।
खुद को बचाने क इ छा से नह बि क शम क वजह से, अभय अपनी बेटी अंशुल का
सच िछपा ले गया। उसने बयान म के वल इतना ही कहा क जब वह घर प च ं ा था तो
उसने पायल को खून से लथपथ पाया था और वह बेहोश होने से पहले डॉ फ चानहर
का िज कर रही थी य क वही वह श स था, िजसने उस पर हमला कया था। उसके
बयान म अंशुल का कह कोई िज नह था और न ही उसक पा रवा रक पृ भूिम से
अनजान पुिलसवाले ने उनक ब ी के बारे म कु छ पूछा। अभय के बयान से संतु होकर
आईसीयू के बाहर एक कां टेबल को तैनात करके वह चला गया। कां टेबल को कसी को
भी पीिड़त से बात न करने देने और उसके होश म आने क दशा म अपने उ ािधकारी को
सूिचत करने क िहदायत थी ता क उसका बयान दज कया जा सके ।
अभय ने पहले अपनी सास को फोन करके उस दुभा यपूण घटना क सूचना दी और
फर उसने अपने बॉस को फ़ोन कया, ये बताने के िलए क जब तक उनक प ी क दशा
म सुधार और ठहराव नह आ जाएगा, तब तक वह ऑ फस नह आ सके गा। इसके बाद
उसने कनल नारं ग को फोन करके उ ह सब कु छ बताया।
रोष और प ाताप से भरकर उसने अपने सभी तकलीफ और मुसीबत का ज रया बने
डॉ फ को कोसा, “हरामज़ादा वारलॉक।”

वह अगले दन क शाम थी और डॉ फ क टेशन वैगन पटेल नगर क ओर बढ़ रहा


थी। उसका गुलाम ह रनाथ बगल क सीट पर बैठा आ था। “ या बात है ह रनाथ, तुम
ब त चुप-चुप हो?” डॉ फ ने कहा।
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“तु हारे उस लड़क पायल को ऐसे नह मरना चािहए था।” ह रनाथ ने खाई से
जवाब दया।
“उस कु ितया ने मेरे साथ जो कया था, उसके बाद उसे तो मरना ही था। वारलॉक कभी
नह भूलता और न ही वह कभी माफ करता है।” उसने शेखी बघारी।
“आपने उसके पित अभय को उसके िखलाफ य इ तेमाल कया? उसके दमाग म
य ज़हर भरा?”
“मुझे बदला लेना था और एक आसान रा ता चुनना था। उसका कमजोर पित इसके
िलए एक आसान टारगेट था।”
“ असल बात तो ये है क तुम अभय से नफरत करते थे य क पायल ने तु हे नह उसे
चुना था।”
“तुम सोचते हो क मेरे दल म पायल थी या म उससे यार करता था?”
“नह वारलॉक।” ह रनाथ ने दुखी वर म आ मा क गहराइय से कहा, “तुम और म,
हम तो अिभश आ माएं ह - अिभश यह कभी न जानने के िलए और क स ा यार
या है। हम उन भटकते ए ेत क तरह ह, जो िसफ यार क वा दय के ऊपर से जा
सकते ह, ले कन वहां ठहर नह सकते, बस नह सकते। तुम और म, हम कभी नह जान
पाएंगे क यार या है? हम कभी भी यार का अनुभव न करने के िलए शािपत ह। ये तो
पायल और अभय ही थे, जो एक-दूसरे से स ा यार करते थे और िजनके र ते म तुमने
मेरी मदद से जहर घोल दया।”
“तुम कसक तरफ़ हो?” डॉ फ ने कड़वे लहजे म पूछा।
“जैसा क मने कहा, म बुराई के इस नक म रहने के िलए मजबूर ं और यही वह वजह
है, जो मुझे तु हारे जैसे वहशी को झेलना पड़ता है।”
“मेरे सामने से दफा हो जाओ, इससे पहले क म तु ह जलाकर राख कर दू।ं ”
ह रनाथ तुरंत गायब हो गया जब क गु से से भरा डॉ फ दो मोटरबाइक को लगभग
छू ते ए और एक बस से टकराने से बाल-बाल बचते ए अपनी कार ाइव करता रहा। ।
शाम के लगभग साढ़े आठ बज रहे थे, जब उसने पटेल नगर म अपनी कार रोक और एक
पुराने बंगले क घंटी बजाई।
साधना भटनागर दरवाजे पर िशला का भांित जड़ होकर रह गई, जब उसने बाहर
डॉ फ चानहर को एक भयानक मु कान िलए ए खड़े देखा।
“ या म वाकई इतना बदसूरत ?ँ ” उसने हंसते ए कहा, “िपछले दो दन म ये दूसरी
बार है, जब कोई मेरा चेहरा देखकर च का हो।”
“क... या... या?”
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“अंदर तो आने दो मुझे।” डॉ फ ने कहा और साधना को अपने दािहने हाथ से पीछे


धके ल कर अंदर जाने का रा ता बनाया।
वह उसके पीछे लपक और फर बोली, “तुम चाहते या हो?”
“तुम लोग क द त या है? तुम सब लोग इतने बेवकू फ़ य हो?”
“तुम यहाँ बदला लेने के िलए आये हो।” उसने कहा।
“शाबाश, आिख़र दमाग क ब ी जली।”
“तुम... तुम मुझे मारना चाहते हो?” वह खुद म िसमट गई।
“मा नह तो या छोड़ दू?”
“म तो बस अपना काम कर रही थी।” उसने िगड़िगड़ाते ए कहा।
“अब उसका अंजाम भुगतो। एक बात मुझे कभी समझ नह आती - तुम जैसे क ड़े-
मकोड़े और बेकार के लोग जीने क इतनी परवाह य करते हो? और बचने के िलए भीख
य माँगते हो? तु हारा बेकार जीवन चले या ख़तम हो, या फक पड़ता है?”
“म मरना नह चाहती।”
“हाँ, कोई भी नह चाहता? ले कन फर भी या मौत से कोई बच सका है?”
“मेरे पास एक ब ा है, िजसक मुझे देखभाल करनी है। म एक थक ई, हताश और
अके ली औरत ।ँ मेरा जीवन एक कभी न ख़ म होने वाले तनाव, दुःख और सम या से
भरी कहानी है।”
“तब तो तु ह मुझे ध यवाद देना चािहए य क मेरी वज़ह से तु ह उन सभी क से
हमेशा-हमेशा के िलए छु टकारा िमल जाएगा।”
“ले कन...ले कन मने तु हारे िखलाफ कु छ नह कया। म तो एक छोटा सा यादा भर
थी। फर म तु ह कोई कै से चोट प च ँ ा सकती थी? मने कु छ नह कया, तु हारे िखलाफ
कु छ करने के कािबल थी ही नह ।” वह फर से हाथ जोड़ते ए िगड़िगड़ाई।
“अ छी कोिशश ह।” डॉ फ ने मु कु राते ए कहा, “ले कन तुम मुझे परे शान करके
अपनी मौत को दावत दी है। तुम तो जानती ही हो क वारलॉक कोई गवाह या सबूत नह
छोड़ता है। अब अपने भगवान को याद कर लो य क तु हारा आिखरी व आ चुका है।”
उसने अपने साथ लाए ए तलवारनुमा लंबे खंजर वाला दािहना हाथ ऊपर उठाया और
भय से कांपती उस िनह थी मिहला पर हार कर दया।
तभी सामने का दरवाजा खुला और िच लाने क आवाज आयी, “ख़बरदार, क जाओ
वरना म गोली चला दूग
ं ा।”
डॉ फ उन पुिलसवाल को देखकर हैरान रह गया, जो धड़ाधड़ अंदर दािखल हो चुके
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थे। उनके साथ सादे कपड़ म दो अ य आदमी और साधना भटनागर का बेटा भी था।
डॉ फ ारा ती अिन छा से अपना खंजर छोड़े जाने के बाद ब ा अपनी माँ क ओर
दौड़ पड़ा जब क पुिलसवाल ने डॉ फ पर हावी होते ए उसे मुंह के बल फश पर िगरा
दया और उसके दोन हाथ को पीठ के पीछे मोड़ते ए हथकड़ी लगा दी। पुिलस अफसर
ने डॉ फ का कॉलर पकड़कर उसे कमरे से बाहर घसीटते ए एक कां टेबल को ए बुलस
बुलाने का आदेश दया।
डॉ फ ने घर के बाहर देखा क इं पे टर उदय ठाकु र एक पुिलस क गाड़ी म बैठा
आ था। उसने जहरीली मु कान के साथ कहा, “इस बार मने इसे बेहद सफाई से अंजाम
दया है िम. चानहर या मुझे वारलॉक कहना चािहए? तु हे रं गे हाथ पकड़ा गया है
और तु हारे जुम के दो च मदीद गवाह भी ह।”
“इसने हमारे ारा पकड़े जाने से पहले तक िमसेज भटनागर पर एक बार चाकू
चलाया था।” डॉ फ को पकड़े ए पुिलसवाले ने बताया।
“ब त दुःख क बात है, ले कन ये हमारे के स को और भी मजबूती दान करे गा।”
इं सपे टर ठाकु र ने संतोषजनक लहजे म कहा।
“तो तुम पद के पीछे से इस पूरे नाटक को चला रहे थे।” डॉ फ ने कहा, “और मुझे
रं गे हाथ पकड़ने के िलए इं तजार कर रहे थे। ले कन तु ह पता कै से चला?”
“ले जाओ इसे।” इं सपे टर ठाकु र ने कहा और उसके चले जाने के बाद उसने अपने
मोबाइल फोन पर कनल नारं ग का नंबर डायल करने लगा।

अ याय 21
ब द का िचर-जह ुम
...तीन महीने बाद
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पायल पर ए जानलेवा हमले के तीन महीने बाद अभय द ली पुिलस क ‘ ाइम


ांच’ के इं पे टर उदय ठाकु र के साथ ‘ितहाड़ जेल’ के गेट पर प च
ं ा। इं सपे टर क मदद
और रसूख के बल पर अभय वहां कै द एक आदमी से मुलाकात क अनुमित ा करने म
सफल रहा था। ठाकु र जेलर के ऑ फस म ही ठहर गया जब क अभय खुले ए कं पाउं ड
और गैल रय क भूलभुलैया से होते ए एक वद धारी कॉ टेबल के पीछे-पीछे चल पड़ा।
“आप इस कै दी से य िमलना चाहते ह साब?” जेल के पहरे दार ने आगे-आगे चलते ए
पूछा- “ या वह आपका कोई र तेदार है?”
“नह , उसने मेरी प ी को मारने क कोिशश क थी।”
गाड ने अभय को अज़ीब ढंग से देखा और फर िसर िहला दया। “मुझे कोई हैरानी नह
है। ये आदमी ब त ही अजीब है - और खतरनाक भी। इतना क जेलर साहब को उसे अके ले
रखना पड़ा है।”
“उसे बाक कै दय से बचाने के िलए?”
“नह साब। बाक कै दय को उससे बचाने के िलए। ये बंदा तो एकदम सनक , पागल
और डजर है। आपको मालूम है, जब कु छ क़ै दी लोग ने उसका मज़ाक करा, हर अमीर ब दे
का ऐसे ही करते है, यह हरामी लोग...यह तो उ ह मरने-मारने पर उता हो गया। इस
ब दे का दमाग़ फु लटू श िहला आ है। सभी कोई लोग उससे डरता है और सभी को लगता
है क इसे जेल क बजाय पागलख़ाने मे बंद होना चािहए। वह भी ऐसे मे टल हॉि पटल मे,
जहां डजर पागल को ताले और जंजीर म रखा जाता है। आपको मालूम है साहब,” गाड
ने आँख चौड़ी करते ए कहा, “ क वह जेल क कोठरी म खुद से बात करते ए कई-कई
घंटे गुजार देता है। और जब एक गाड ने उससे पूछा तो वह बोला क वह मरे ए लोग के
भूत को देख सकता है और उनसे बात कर सकता है। अगर इसे मे टल-हॉि पटल नह
भेजा गया तो प ा इस पाग़ल को फांसी िमलेगा।”
जैसे ही वे जालीदार लोहे क एक दीवार के ज रये दो भाग म िवभ कये ए कमरे म
दािखल ए, गाड का बात करने का िसलिसला ख़ म हो गया। अभय लकड़ी क एक कु स
पर बैठ गया, जब क गाड कमरे से बाहर िनकल गया। अभय के िवचार फर से अपनी प ी
और डॉ फ पर आकर ठहर गए। हालाँ क उस पर ए जानलेवा हमले के बाद पायल क
बात पर संदह े करना उसके िलए अस भव था ले कन एक बात ये भी था क वा तिवकता
अभी भी उसके िलए अिनि त थी। डॉ फ के अपराधी और अपनी बीवी के िनद ष होने
म िनिहत स ाई क तलाश उसे यहाँ ले आयी थी। एक दूसरा मह वपूण कारण ये था क
वह उस जघ य अपराध का सामना करने या उसे वीकार करने म असमथ था, जो उसने
अपनी बेटी को मारकर कया था और इसके िलए फलहाल एक बिल का बकरा ढू ँढने के
िलए बेकरार था, ता क उस पर या प रि थितय पर अपने अ य कृ य का ठीकरा फोड़
सके ।
काफ देर बाद दूसरी ओर का दरवाजा खुला और थका-हारा डॉ फ चानाहर दखाई
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दया। जब वह जाल से िघरे कबूतर के दड़बे जैसे कमरे म दािखल आ तो अभय को उसक
श ल से घृणा हो उठी। उस गोरे यूरोिपयन ने कै दय वाली पोशाक पहनी ई थी और इस
बात से बेखबर क उसके कदम कहाँ पड़ रहे ह वह लहराती चाल से चल रहा था। लगता
ही नह था क ये वो श स था, िजसका आ मिव ास कभी अहंकार क हद तक बढ़ा आ
था। उसके मि त क पर गहरा असर आ था - िगर तारी, अपमान, कै द और िम ,
शुभ चंतक , शंसक तथा तांि क शि य ारा ठु कराए जाने का। अगर शारी रक असर
क बात क जाए तो उसके चेहरे क रौनक गायब हो चुक थी, आँख अंदर धंस चुक थ
और चमड़ी इस हद तक पतली हो चुक थी क उसके जबड़े और गाल क हि याँ प
दखाई देने लगी थ । यही हाल उसके हाथ और पैर का भी था था। उसका वजन काफ कम
हो चुका था और जब वह करीब आया तो अभय ने देखा क उसके हाथ अपनी रं गत खो
चुके थे और उसक उं गिलयां अपे ाकृ त लंबी और म िवहीन नजर आ रही थ ।
ले कन उसके ि व म जो नाटक य प रवतन आया था, वह यह था क हमेशा सलीके
से संवारे रहने वाले उसके टायिलश बाल क जगह वह गंजा हो गया था। गंजेपन और
काजल लगी आँख से वह एक बूढ़ा, पापी और मानिसक प से िवि इं सान नज़र आ
रहा था। उसक धूत और पशु जैसी आँख म जो पागलपन और रि ता िचर थाई नज़र
आ रही थी। उसक शारी रक दशा ही उसक गंभीर मनोवै ािनक दशा का प रचायक थी।
अब वह अपने पहले के ि व क परछा भी नह रह गया था। अभय के िलए िव ाश
करना मुि कल था क वह वही ख़ूबसूरत और कामयाब इं डो-जमन चानहर था, जो लैमर
और मनोरं जन क दुिनया का चमकता िसतारा था और द ली क पा टय क शान आ
करता था।
हे िववश ाणी! तू िनतांत अके ला ज व है, तेरी छाया भी दु दन म तेरा साथ छोड़ देती
है।
डॉ फ ने अपनी आँख िमचिमचा कर कमरे क कम रोशनी के साथ सामंज य बैठाया।
जब उसने अभय को देखा तो उसक आँख म पहचान के भाव आये। वह आगंतुक के सामने
कु स पर बैठ गया।
“मुझे पहचाना?” अभय ने पूछा।
“हाँ अभय उफ़ िम टर पायल। तु ह कौन सी ज रत यहाँ ख च लायी? अपनी बीवी
और ब ी क मौत का बदला लेना चाहते हो? या मुझे ऐसी हालत म देखकर मजे लेने आए
हो?”
“मेरे पास तु हारे िलए एक खबर है। पायल बच गई है। जब तुमने उस पर कायराना
हमला कया था, उसके लगभग एक महीने बाद ही वह अ पताल से बाहर आ गयी थी।”
डॉ फ ये सुनकर च का और फर उसने अपने भूतपूव गुलाम ह रनाथ पर माँ-बहन क
गािलय क बौछार कर दी। ह रनाथ उसी दन से ही लापता था, िजस दन पुिलस ने उसे
पकड़ा था. उसने न तो डॉ फ को उस ाइवेट जासूस िमसेज भटनागर के घर के बाहर
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िबछे पुिलस के जाल क सूचना दी थी और न ही ये जािहर कया था क पायल उसके


जानलेवा हमले म बच गई थी। ह रनाथ को जी भर कर गािलय देने के बाद वह अभय क
ओर मुड़कर कठोर लहजे म बोला, “तो या तुम यहाँ पर अपने जीत जाने क शेख़ी
बघारने आए हो?”
“नह ! म तुमसे ये पूछने आया ं क तुमने मेरे साथ ये सब य कया? जहाँ तक मुझे
मालूम है न तो हम कभी दु मन रहे ह और न ही मने कभी तु हारे िखलाफ कु छ कया
था।”
“म तु हारी बीवी पायल के पीछे था। तुम महज एक अभागे इं सान थे, जो उससे जुड़े ए
थे। मुझे उ मीद है क तुम समझ सकते हो क इसम कु छ भी पसनल ( ि गत) नह था।”
डॉ फ ने शांत लहजे म कहा।
“कमीने! तू....तूने तो पायल को मार ही डाला था और मेरे प रवार को तबाह कर दया
था। और तू कहता है क इसम कु छ भी पसनल नह था।”
“नह अभय, मने नह कया। तुमने ही अपनी बीवी पर शक कया। मने अपनी ओर से
के वल तु हारे उस शक का फ़ायदा उठाया था। पायल एक स ी और पित से यार करने
वाली औरत थी ले कन शक और अिव ास से भरा तु हारा बीमार दमाग उसके बारे म
वह सब कु छ मान लेने को तैयार था, जो तु ह बताया गया। तुमने मेरे सभी झूठ और
बकवास पर यक न कया। तुम बेवकू फ़ इं सान हो। या अभी तक ये नह समझे क एक
औरत क बेवफाई उसक जाित, ांत, धम, न ल या े क वज़ह से नह होती है। जब
तु हारे पास ये तक समझने तक का दमाग नह है क िसफ बंगाल म पैदा होने से कोई
औरत कम करै टर वाली या अिधक स ी नह हो जाती है, तो फर तुम मुझे य दोष रहे
हो? अ छे और बुरे इं सान हर जगह मौजूद होते ह, वे कसी िवशेष धम, जाित या इलाके
के नह होते ह।”
“तूने मेरा इ तेमाल कया...।”
“जब तक तु हारे जैसे आदमी अपने मन म संदह
े के िलए जगह रखगे तब तक मेरे जैसे
आदमी हमेशा अपने मतलब के िलए उसका इ तेमाल करगे। तुम भूल गए अभय क शादी
या उसके जैसा कोई भावना मक र ता िव ास पर आधा रत होता है। और य द िव ास
ख म हो गया तो शादी या दो ि य के बीच भावना मक संबंध को भी ख़ म ही
समझो।”
“वो तुम थे, िजसने मेरे दमाग म जहर भरा और मेरे र ते को तबाह कर दया।”
“अपनी कमज़ोरी बेवक़ू फ़ या हरकत के िलए मुझे दोषी मत ठहराओ अभय। जहां तक
तु हारी शादी के तबाह होने का सवाल है तो ये उसी दन तबाह हो गयी था, जब तुमने
अपनी बीवी को शक क नज़र से देखना शु कया था। वो शादी कतनी कमज़ोर होती है
न अभय, जब एक पित का अपनी प ी पर भरोसा कसी तीसरे आदमी के दए स ट फके ट
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( णाम-प )का मोहताज हो जाता है। एक आदमी अपनी प ी का पित कहलाने का


अिधकार नैितक प से उसी दन खो देता है, िजस दन कसी तीसरे आदमी से अपनी
प ी के करै टर के बारे म पूछता फरता है। िध ार है ऐसा र ते और ऐसे पित पर"
डॉ फ का मुकाबला करने के िलए कोई तक न पाकर अभय खामोश हो गया। जेल म
बैठे होने के बावजूद दु और कमीना डॉ फ जो कह रहा था, वह कतना सच और सटीक
था।अभय को अपने कु कृ य के िलए शम महसूस होने लगी। डॉ फ ने भले ही बा द का
पतीला लगाया था, ले कन आग तो खुद उसी ने लगायी थी। डॉ फ ने भले ही तलवार दी
थी, ले कन उसका इ तेमाल तो अभय ने ही अपने हाथ से कया था। अंत म उसने कहा,
“मुझे अपना कये ए ब त से कामो पर पछतावा है ले कन मेरी सबसे बड़ी भूल तो यह
थी क मने तुम जैसे एक जहरीले सांप पर भरोसा कया था।”
“म तु हारे सामने इतना शाितर था क तुम कु छ और कर भी नह सकते थे।” डॉ फ
ने वीकार कया। “पायल फर भी कु छ हद तक मेरी ट र क थी। ले कन तुम तो मेरे
मुकाबले कु छ भी नह थे।
“तुम अभी भी नह बदले हो, है न? या तु ह अपने अंजाम का भी डर नह है? या अब
भी तु ह अपने कामो पर पछतावा नह है?”
“तुम ब द और सैटिनक-पंथ के बारे म जानते ही या हो? और म.....म तो िनहायत ही
ू र इं सान ।ं म इितहास म सबसे बुरे और खौफनाक इं सान के प म जाना जाऊंगा। तुम,
पायल या तु हारा कनल नारं ग, तुम सब मेरे सामने क ड़े-मकोड़े जैसे हो।” डॉ फ ने
अहंकार भरे लहजे म कहा।
“पायल सही कह रही थी। तु हारा पागलपन लाइलाज है।”
“चला जा बेवक़ू फ़, इससे पहले क म तुझे जलाकर राख कर दू।ं ” शि शाली और
अलौ कक ताकत मुझे वापस िमल जायगी और फर कोई भी मुझे परािजत नह कर
पायेगा। एक बार जब मेरी शि यां वापस आ जाएंगी तो म तु ह सबक िसखाऊंगा, बबाद
कर दूग
ं ा तुम सबको। म उस कायर, ग ार और हरामजादे ह रनाथ को भी नह ब शूँगा। म
उस भगोड़े को ढू ढूंगा और उसे नरक क आग म जला दूग
ँ ा।”
अभय कमरे से बाहर िनकल गया जब क डॉ फ का पागल जैसा लाप वापस
कोठरी म ले जाए जाने तक जारी रहा। डॉ फ के वहार से ये जािहर था क वह अपना
दमागी संतुलन खो रहा था। वह सामा य तो कभी रहा ही नह था। वह शु से ही एक
बला कारी, ह यारा और दोहरा जीवन जीने वाला इं सान था। ले कन अब वह
वा तिवकता पर अपनी पकड़ खोता आ नजर आ रहा था और अपने इद-िगद एक म
क दुिनया बसा रहा था। ऐसा लगता था मानो समय उसके िलए पूरी तरह से थम गया था
और वह मानिसक प से उसी समय या दुिनया म उलझ कर रह गया था, िजसम वह अब
भी खुद को सवशि शाली, शहंशाह और अिविजत समझ रहा था। य द उसका पागलपन
सजा से बचने के िलए कया जा रहा कोई शाितर ामा नह था, तो जािहर था क
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डॉ फ अपने भयानक अंजाम क ओर बढ़ रहा था।


अभय के सामने अब ये प हो गया था क डॉ फ और पायल म से कौन सच कह रहा
था। अपनी चालाक और शैतानी सािजश को लेकर डॉ फ क वीकारोि ने उस बहस
को एक नतीजे पर प च
ं ा दया था, जो अभय के दमाग म तब से चल रहा था, जब उसने
अपनी प ी क िन ा पर पहली दफा संदह े कया था। हालाँ क कु छ मु े जैसे क न सग
होम म पायल के कमरे के पास रह यमय आदमी का नजर आना और घर पर आने वाले
फोन कॉ स, अभी भी अनसुलझे थे, ले कन अब उसे िव ास था क पायल ने उसके साथ
कभी धोख़ा नह कया था।

वह अ ैल के दूसरे स ाह क एक गम और उमस भरी रात थी। इं सपे टर उदय ठाकु र


पुिलस क जीप क सामने वाली सीट पर बैठा आ था, जो महरौली से गुजर रही थी। वह
मॉडल टाउन म एक रे तरां और ब े ट हॉल के मािलक क ह या के मु य सं द ध को
पकड़ने के असफल यास के बाद गुड़गांव से अपनी टीम के साथ लौट रहा था। गुड़गांव
शहर से दस कलोमीटर क दूरी पर ि थत अपराधी के पैतृक गांव के बाहरी इलाके म घंट
इं तजार करने के बाद उसे अपनी चौकसी को बंद करना पड़ा था। या तो उनका मुखिबर
गलत था या फर उस आदमी को कसी तरह पुिलस के चाल क भनक लग गयी थी।
अपनी वापसी के दौरान उ ह ने एक कां टेबल को महरौली के एक फामहाउस पर
छोड़ने के िलए, जहाँ उसका भाई िस यो रटी ऑ फसर क हैिसयत से काम करता था,
महरौली-गुड़गांव रोड का रा ता िलया था। इं सपे टर ठाकु र इस िलए मान गया था
य क उस कां टेबल के िलए इतनी देर रात को मेन रोड से वहाँ प च ँ ना संभव नह था।
जैसे ही उनक गाड़ी डॉ फ के ए टेट के नजदीक प च ँ ी, उदय ने तेज हेडलाइ स क
रोशनी म देखा क एक मिहला एक ब े को पीट रही थी, जो जोर-जोर से रो रहा था।
जीप के वहां गुजरने से पहले के कु छ सेकंड म उसने देखा क वह गंदे कपड़े पहने ए थी
और एक ब े क बांह पकड़े ए थी, जब क दो और ब े उसके सामने खड़े थे।
“गाड़ी रोको।” उसने सहसा आदेश दया।
जब तक ाइवर ने ेक लगायी और तेज र तार से भाग रही जीप क तब तक वे कई
गज आगे िनकल चुके थे। जब तक गाड़ी रवस होकर उस जगह तक प च ं ी, तब तक वह
मिहला और उसके ब े गायब हो चुके थे ले कन आख के कोर के ज रये इं सपे टर ठाकु र
ने डॉ फ के ए टेट के आयरन गेट के पीछे उस मिहला क ह क झलक पा ली थी। “यहाँ
कु छ गड़बड़ है।”थोड़ी देर ककर उसने आदेश दया, “जीप को अंदर ले चलो।”
एक कां टेबल नीचे उतरा और गेट के पास प च
ं ा। “साब, यहाँ तो एक चेन और ताला
लटका आ है।” उसने मुआयना करने बाद जवाब दया।
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“कमाल है। वह मिहला अपने ब के साथ अंदर कै से गयी?” उदय हैरान आ।


“वह गेट के बगल वाली दीवार पर चढ़ गयी होगी।” िपछली सीट पर बैठे कां टेबल ने
राय दया।
“दीवार कम से कम सात फ ट ऊँची है। वह अपने ब के साथ इस पर कै से चढ़ पायी
होगी? और वह भी जीप को पीछे ले आने म लगे कु छ सेकंड के भीतर ही?”
“ये तो मुझे कोई ेत-लीला दखाई दे रही है।” उसके बगल वाली सीट पर बैठे ाइवर
दबी जबान म कहा।
“बकवास मत करो।” इं सपे टर ठाकु र ने उसे फटकार लगाई, “भूत जैसी कोई चीज नह
होती है।”
“हम या जर त पड़ी है इस पचड़े म पड़ने क ? चिलए अपने रा ते चलते ह।” पीछे
बैठे कां टेबल ने सुझाव दया। उसके सािथय ने भी उससे सहमित जताई।
“नह , म इसक तह तक जाऊंगा क वह औरत कौन है और डॉ फ के ए टेट म या
कर रही है? यह जग़ह तो उसक िगर तारी के बाद से ही वीरान पड़ी है? वह इतनी ज दी
अंदर कै से चली गयी, जब क गेट बंद था? कसी मुज रम िगरोह ने इस जगह को अपना
ठकाना बनाया आ हो सकता है और कौन जाने क वे यहां कस कार के गैरकानूनी
काम यंहा कर रहे ह? इसिलए हम िबना चेक (जांच) कए यहाँ से नह जा सकते।”
इं सपे टर ठाकु र ने दृढ़ लहजे म कहा।
“ या मुझे पुिलस क ोल म को सूिचत करके उ ह बैकअप के िलए बोल देना
चािहए?” िपछली सीट पर बैठे वायरलेस ऑपरे टर ने पूछा।
“अभी नह । शायद बाद म हम ऐसा करने क ज रत महसूस हो।”
“हम अंदर कै से जाएंगे साहब? गेट तो बंद है और हमारे पास चाबी भी नह है। इस व
सवा एक बज रहा है और कसी ताला बनाने वाले को भी नह खोजा जा सकता।” जीप के
बाहर खड़े कां टेबल ने कहा।
“हम कल ताला बनाने वाले कसी िम ी और सच-वारं ट के साथ वापस आ सकते ह।”
एक अ य कॉ टेबल ने सुझाव दया।
“नह , हम इसे कल पर नह छोड़ सकते।” उदय ने उस घटना को याद करते ए कहा
जब िपछली बार ए टेट से सारे सबूत इसिलए गायब हो गए थे य क उसने एक काम को
आने वाले दन के िलए अधूरा छोड़ दया था।
“हम गोली मारकर ताला तोड़ सकते ह," वायरलेस ऑपरे टर ने कहा।
“नह , गोली चलने क आवाज अंदर मौजूद लोग को अलट (आगाह) कर देगी और वे
भागने म कामयाब हो जायगे। अगर कसी ने क ोल म या ग ती दल को खबर कर दी
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तो ये बात इलाके के ए.सी.पी तक प च


ं जाएगी, जो हमारे िलए खामाखां क मुसीबत
खड़ी करे गा और हम सफाई देनी भारी पड़ जायेगी। हमारे िलए समझदारी यही है क
चहारदीवारी टापकर अंदर जाएं और देख क या हो रहा है? इसके बाद हम उिचत
कारवाई कर सकते है। ाइवर और वायरलेस ऑपरे टर यही रहगे। हम उनसे मोबाइल के
ज रये संपक करगे और य द ज रत ई तो बैक अप के िलए कहगे। लैशलाइट ले लो और
मेरे साथ आओ,” उसने कहा और जीप से नीचे उतर गया।
अपने अिधकारी क िजद और पागलपन को कोसते ए तीन कां टेबल ने टॉच उठायी
और िप तौल और मशीनगन िलए ए उसके पीछे हो िलए। उदय के िवपरीत, जो अपने
भारी शरीर के बावजूद बेहद फु त ला था, त द वाले कां टेबल को चहारदीवारी पर चढ़ने
म बेहद क ठनाई ई और जब वे दूसरी ओर कू दे तो बुरी तरह हांफ रहे थे। इं सपे टर के
साथ चलने के िलए उह दौड़ना पड़ रहा था, जो बेहद तेज कदम के साथ गेट से ए टेट के
भीतर मौजूद फामहाउस तक चली गयी सड़क पर आगे बढ़ रहा था। उसने अपने एक
मातहत से टॉच ली और ती ण रोशनी सामने क तरफ करी।
गेट से लगभग आधा कलोमीटर दूर ि थत झील वाला वह फामहाउस जब नजर आया
तो उसके पीछे वाले कां टेबल ने िहच कचाते ए कहा, “साब, अगर आप गु सा न करो तो
या म कु छ कह सकता ?ं ”
“ या?” उदय ने चलना जारी रखते ए पूछा।
“जैसा क आप जानते ह, मेरा भाई इस इलाके म रहता है। उसी ने मुझे बताया है क
पूरी महरौली म अफवाह है क ये ए टेट भूतहा है। जब से उस गोरे को िगर तार करके
जेल भेजा गया है, तब से यहां कोई नह रहता। इसके बावजूद ब त से लोग ने यहाँ शोर
सुना है और अजीबोगरीब रोशिनयाँ देखी थी। लोग कहते ह क यहाँ रात म ेत-लीला
चलती है य क इस जगह का मािलक एक तांि क था और यहाँ अजीबोगरीब जादू-टू ना
और काला जादू करता था।”
“अनपढ़ या अंधिव ासी लोग से तुम और उ मीद भी या कर सकते हो।” इं सपे टर
ठाकु र ने उसक ट पणी को िसरे से खा रज करते ए कहा।
कभी बेहद खूबसूरत रहे वे झील और फामहाउस अब के वल अपने पुराने वजूद क
परछाय भर रह गए थे। के वल कु छ महीन क वीरानी ने उसे एक भूत बंगले म त दील
कर दया था। जब उदय ने दरवाजा खोला तो छत से उ टा लटक रहे, नया-नया घर पाए
ए चमगादड़ का झुंड तेजी से दरवाजे से बाहर उड़ गया। उन लोग को चमगादड़ के
तेज नाखून से बचने के िलए तेजी से फश क ओर िगरना पड़ा, िजसके कारण चमगादड़
का वह झु ड घुसपै ठय पर हमला करने क नाकाम कोिशश करते ए उनके िसर के कु छ
इं च ऊपर से उड़ते ए िनकल गया। इं सपे टर ठाकु र ने िबजली का ि वच ऑन कया
ले कन कोई रौशनी नह ई, शायद महीन से बकाया चुकता न करने पर िबजली काट दी
गई थी। िखड़ कय के शीशे टू टे ए थे और धूल क एक मोटी परत ने सब कु छ ढँक रखा
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था। कई जगह पर मकिड़य के जाले लटक रहे और शौचालय तथा रसोई से बदबू उठ रही
थी। ले कन हैरानी क बात ये थी क टेलीिवजन, सी.डी. लेयर इ या द जैसे क मती
सामान अभी भी वहां मौजूद थे यानी क चोर या तो उस वीरान जगह से अनजान थे या वे
भी ेतबािधत के प म कु यात हो चुके ए टेट म घुसने से डरते थे।
वहां कु छ भी उ लेखनीय न पाकर उदय अपने कां टेबल के साथ मकान से बाहर आ
गया। सहसा कोई िविश और तीखी गंध उदय के नथुन से टकराई। गंध िब कु ल वैसी ही
थी, जैसे मसाले और याज के साथ िमलाकर माँस पकाया जा रहा हो। ले कन इतनी रात
गए उस उजाड़ जगह पर आकर कौन खाना पका रहा था?
“साब! साब!” एक कां टेबल िच लाया, “झील के उस पार पेड़ क झुरमुट म मने उसी
औरत को ब के साथ देखा, िजसे हमने बाहर देखा था। वो वही ँ है।”
“चलो।” उदय ने उ सािहत लहजे म कहा और पेड़ के झुरमुट क ओर बढ़ गया।
दोन कां टेबल ने अपने साथी क ओर िशकायत भरी नज़र से देखा और फर बेमन से
इं सपे टर का पीछे चल पड़े। थोड़े ही समय म वे लोग पेड़ के उस झुरमुट तक प चं गए।
ब के रोने के शोर ने उस मिहला को ढू ँढने म उनक मदद क , जो झुरमुट के बीच िछपी
ई थी। उसे झील के पास खुली जगह पर लाया गया और उदय उससे मुखाितब आ।
“कौन है तू? यहाँ या कर रही है? ये ब े कौन ह और तू इ ह मार य रही है?” उसने
फटकारते ए पूछा।
टॉच क रोशनी म, उसने अपने सामने एक िभखारी-मिहला और उसके ब को ग़ौर से
देखा।
“अरी बोल न।” एक कां टेबल ने भी उसे डांटा, “जानती नह - ये पुिलस के बड़े साब ह।
य द तूने इनके सवाल का जवाब नह दया तो तुझे हवालात म डाल दगे।"
“मेरा नाम मुमताज है साब!” उसने कहा, “म एक िभखारन ं और ये मेरे ब े ह। ये
हरामज़ादा मुझे ये कहकर गु सा दला रहा था क इसे यहाँ नह रहना।” उसने लड़के क
पीठ पर दािहने हाथ का मु ा बेरहमीपूवक मारते ए कहा, िजससे लड़का फर से रोने
लगा।
“अपनी गंदी जबान पर क़ाबू रख िभखारन।” कां टेबल ने उसे डपटा।
“तू यहाँ इस ए टेट म य घूम रही है?” इं सपे टर ठाकु र से पूछा।
“हम यह रहते ह। यही हमारा घर है साब।” उसने जवाब दया।
“भला वो कै से? ये ए टेट तो डॉ फ का है। तू यहाँ इस तरह नह रह सकती।”
“ये एक बंजारन है साब!” इं सपे टर के बगल म खड़े कां टेबल ने कहा- “जब इसने देखा
क ये जगह खाली है तो इसने इसका फायदा उठा िलया और यहां रहना शु कर दया।”
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उसने उसक ओर मुड़ते ए पूछा, “ये बता क तू कब से यहाँ रह रही है? ज दी बोल।”
उसने अपनी लाठी को जमीन पर पीटते ए उसे डांटा।
“नह साब! हम मत मारो। हम यहाँ कई महीन से रह रहे ह। मेरा यक न करो साब।”
“ या तुझे डो फ ने देखा नह ? उसने तुझे अपने ए टेट म रहने कै से दया?” इं सपे टर
ठाकु र हैरान था।
“वो कौन है साब?” उसने उलझन भरे वर म पूछा। “ये जगह तो गोरा साब क है। वे
पहले यहाँ ब त आते थे, ले कन अब नह आते।”
उदय ने फर से पास म ही कह याज और मसाले के साथ भुने जा रहे माँस क गंध
आयी। वह समझ गया क वह िभखारन डॉ फ का ही िज कर रही थी, जो यूरोपीय
मूल का नीली आँख वाला गोरा इं सान था। “तू झूठ बोल रही है।” उसने िझड़कते ए
कहा, “म यहाँ कई बार आ चुका ँ अगर तो कई महीनो से अपने ब के साथ यहाँ रह
रही है तो मने तुझे पहले य नह देखा?”
“हम यहाँ रात म ही आते ह साब!” उसने जवाब दया, “पहले हम गोरा साहब से डरते
थे, इसिलए हम उनके बंगले (फामहाउस) से दूर रहते थे। आप दूसरे लोग से भी पूछ सकते
ह। वे हम जानते ह और वह भी हमारी तरह यहां ही रहते ह।”
“तेरा मतलब है क और भी लोग यहाँ रहते ह?” उदय ने पूछा। “वे वही लोग ह गे, जो
खाना पका रहे ह। हम उनके पास ले चल। यान रहे, उ ह कसी भी तरह हमारे बारे म
आगाह करने क िह मत मत करना। अब आगे बढ़,” उसने अधीर लहजे म कहा।
िभखारन ने इं पे टर और कां टेबल को उन ‘अ य लोग ’ तक जाने का रा ता दखा
दया, जो उसके और उसके ब के साथ उस जगह पर रहते थे। उ ह वहाँ तक प च ँ ने के
िलए झील से फामहाउस तक क दूरी तय करनी पड़ी। उदय को नगाड़े पीटे जाने क
आवाज सुनाई दे रही थी, जो उसके करीब प च ँ ने के साथ ही तेज होती जा रही थी। इसी
के साथ खाना पकाये जाने क गंध भी तेज होती जा रही थी, जो सािबत कर रही थी क वे
सही रा ते पर थे। ले कन ऐसा कु छ भी नह था, जो उ ह उनके जीवन के उस सवािधक
अिव सनीय नज़ारे से आगाह कर देता, जो उनका इं तजार कर रहा था।
वे सकस और िजि सय के खंडहर से दूर ए टेट के उस भूभाग म प च
ं ,े जहां पेड़ क
आड़ म एक बड़ा सी च ान मौजूद, जो इस कदर जगमगा रहा था, मानो वह पारदश हो
और उसके अंदर काश का कोई ोत मौजूद हो। उस काश से समूचा प रवेश रोशन था।
नगाड़े लगातार बजाये जा रहे थे, ले कन उसे बजाने वाले नजर नह आ रहे थे और कई
लोग उन नगाड़ो क धुन पर च ान के चार ओर नाच रहे थे। पास म ही पेड़ से लटक ई
एक लड़क क लाश ताली बजा रही थी। नाचने वाले लोग म पगला िब टू था, घाघरा-
चोली पहने ए एक थुलथुल लड़क थी, िजसके माथे से खून बह रहा था, हाथ म के क का
टु कड़ा पकड़े ए एक छोटा सा लड़का था, एक बूढ़ी औरत थी, एक मज़दूर क ब ी थी
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और ऐसे ही कई और लोग भी थे। उनम से कई ऐसे थे, िजनके या तो िसर नह थे या फर


कोई और अंग भंग था। कभी-कभी तो उनम से कसी का गदन से कटा आ िसर िगर पड़ता
था और फर िसर रिहत धड़ तब तक उसी तरह नाचता रहता था, जब तक क कोई उसे
वापस नह लगा देता था या वह खुद उसे ढू ंढकर अपने िसर को धड़ पर वापस नह लगा
लेता था। इस कार कु छ लाश के अंग भी मुद के उस खौफनाक नाच म शरीक थे।
पीछे मुड़ने पर उदय ने पाया क उन भूत को देखते ही कां टेबल भाग खड़े ए थे।
उसने गौर कया क वह िभखारन मिहला - जो उसे वहां ले आयी थी - के बारे मे भी सब
कु छ सही नह था। अब वह कमजोर और भयभीत नह बि क आ मिव ास से लबरे ज
नजर आ रही थी। उसके और उसके तीन ब के िसर और धड़ म तीन इं च का फ़ासला
नजर आने लगा था। इं पे टर इस बात से अनजान था क वे भी वारलॉक ारा बंदी बना
िलए गए थे और एक-एक करके आने वाली चार अमाव या को बिलवेदी पर कु बान कर
दए गए थे। उदय मानो बुत बन गया। िभखारन और उसके ब के िसर हवा म ऊपर उठे
और उदय का सर घूमने लगा। चार कटे ए िसर ठहाके लगा रहे थे। उनका अ हास
हि य और कं काल के कड़कड़ाने क आवाज क मा नंद था। च ान के इद-िगद के ेत भी
उनके अ हास म शािमल हो गए और उदय को मू छा आने लगी।
ऐसी दशा म एक साधारण आदमी ज र अपनी चेतना गँवा बैठा होता या कोई
खौफजदा इं सान तो सदमे और आतंक से मर ही गया होता। उदय अपने हौसले के िलए
िन:संदह
े तारीफ का हकदार था, जो ऐसी दशा म भी वह अपनी चेतना बनाए रखने म
कामयाब था। वह सपने जैसी हालत म िगरते-पड़ते और लड़खड़ाते ए वहाँ से भाग खड़ा
आ। वह अपनी दशा भूल चुका था और ए टेट के उन िसरिवहीन-अंगिवहीन ेत से दूर
चले जाने क इ छा िलए ए अंधाधुंध भागा जा रहा था। इस ज दबाजी म अचानक वह
कसी च ान से ठोकर खाकर नीचे िगर पड़ा। उसका िसर धरातल से टकराया और तमाम
कोिशश के बावजूद वह अपनी चेतना गँवा बैठा।
उसके चेहरे पर पानी के िछड़काव ने जब उसे दोबारा चेतना क दुिनया म वापस लाया
तो उसने अपने तीन कां टेबल को अपने चेहरे पर झुका आ पाया। उ ह ने पैर पर खड़े
होने म उसक मदद क । उसे अपना िसर घूमता आ महसूस हो रहा था। “क.. या... या
आ था?”
“हम डर कर वहाँ से भाग गए थे। ले कन आपके ित हमारा कत हम वापस ले आया।
हमने पाया क आप यहाँ बेसुध पड़े ए थे।”
“म कब तक बेहोश रहा?”
“दस-पं ह िमनट से यादा नह ।”
“चारदीवारी यहाँ से यादा दूर नह है। या आप वहाँ तक चल सकते ह?” एक अ य
कां टेबल से पूछा।
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उदय ने सकारा मक भाव से अपना िसर िहलाया और कां टेबल के साथ ए टेट के गेट
क ओर बढ़ा। उसने जो कु छ देखा था, उस पर िव ास करने और उसे समझने म वह
असमथ था। य द कसी और ने उसे ये बात सुनाई होत तो क वह इस पर कभी यक न
नह करता ले कन उस भयावह अनुभव से खुद गुजरने के बाद वह उसे म समझकर
खा रज नह कर सकता था। उसे मानना करना पड़ा क उसने जो कु छ देखा था, वह
वा तिवक था, चाहे वह कतना भी अिव सनीय य न रहा हो।
उसने अपने उ ािधका रय को उस घटना से अवगत न कराने का िनणय िलया। वह
जानता था क कोई भी उस पर यक न नह करे गा। और य द ेस को इसके बारे म पता
चलेगा तो िन संदह े उस पर ‘पागल’ का लेबल लग जाएगा और वह दुिनया के सामने हंसी
का पा बन जाएगा। ए टेट के गेट पर प च ँ ने के बाद वे चारदीवारी लांघकर अपनी जीप
मप च ं े और उस मन स जगह से िनकल गए, जो कसी क गाह जैसा था और साधारण
इं सान के रहने के कािबल नह था।
डॉ फ के काले जादू और तांि क गितिविधय ने उसक वीरान ए टेट को सामा य
जीवन के िलए अनुपयु बना डाला था। वह ए टेट अवसाद, िनराशा, पीड़ा और मृ यु से
जुड़कर हमेशा के िलए शािपत हो चुका था। वह एक लैक होल क तरह था, जहाँ से
उ मीद और खुशी क एक करण तक बचकर बाहर नह आ सकती थी। वह के वल
नकारा मक िवचार , भावना और गितिविधय को ही पनाह दे सकता था। वह लड़क
पायल खुद क या कसी और क उ मीद से कह अिधक भा यशाली थी, जो उस जगह से
िज दा िनकल गयी थी। अपने मािलक डॉ फ उफ़. वारलॉक क िगर तारी और उसक
तकलीफ के बावजूद भी बुराई या ब दउस मन स कसाईखाने म आज भी नापाक सांस ले
रही थी।

अ याय 22
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बसंत

वह अ ैल का तेज धूप वाला एक गम दन था। अभय बतरा अपनी


वातानुकूिलत‘म हं ा कॉ पयो’ टेशन वैगन को ाइव कर रहा था। वह द ली-
गािजयाबाद बॉडर के पास बसे जमनापार के दलशाद गाडन इलाके क भीड़भाड़ वाली
सड़को पर ै फक से जूझ रहा था। उसक प ी पायल तीन महीने पहले खुद पर ए
जानलेवा हमले से लगभग पूरी तरह उबर चुक थी। उसके बचने म इस बात का बड़ा हाथ
था क उसे शरीर के कसी मह वपूण अंग पर गंभीर चोट नह आयी थी।
उसका प रय जैसा चेहरा अनिगनत िनशान से भर गया था जो क आईने के टू टे ए
टु कड़ से कटने के कारण बने थे। ले कन चेहरे के दाग से भी कह यादा तकलीफदेह वे
दाग थे, जो उसके अंतमन पर थे। खुद पर ए जानलेवा हमले और फर मौत क चंगुल से
बाल-बाल बच जाने के अवसाद को तो वह कसी तरह झेल सकती थी, ले कन अपनी उस
बेटी को खोने के गम से, जो खुद उसके ही पित के हाथ मारी डाली गयी थी, उबरना उसके
जैसी दृढ इ छाशि वाली मिहला के िलए भी बेहद क ठन सािबत आ था।
वह और उसका पित तमाम यास के बावजूद भी अंशुल के जाने के बाद अपने र ते म
आई दरार को पाट कर उसे पहले जैसा बनाने म सफल नह हो सके थे। उसका भावुक पित
अभय अपराधबोध और शम के बुरे दौर से गुजर रहा था। हालाँ क वह उसक ज रत का
यान करता था और कसी देवदूत क तरह उसका याल रखता था, ले कन फर भी वह
उसका सामना करने म स म नह था और एक अनचाही सी दीवार हमेशा उनके बीच
खड़ी रहती थी। उस घटना के बाद यह पहली दफा था क वे घर से एक साथ िनकले थे।
वह भी कनल नारं ग के बेहद इसरार पर - िजनका वे दोन बेहद स मान करते थे और
िज ह ने रिववार क उस दोपहर को उन दोन को अपने लैट पर बुलाया था।
जब वे लैट म कनल नारं ग के कमरे म दािखल ए, तो अभय ने इं िडया टु डे का ताजा
अंक को सोफे पर पड़ा आ देखा। उसने मैगजीन को टेबल पर रखा और सोफे पर बैठ गया।
मैगजीन के कवर पर गंजे िसर वाले डॉ फ क त वीर थी, जो एक िवि क तरह कै मरे
क ओर देख रहा था और उसके नीचे बो ड अ र म कै शन िलखा था:‘द र दगी का
वीभ स चेहरा: भारत का सबसे कु यात सी रयल कलर’
अभय उपरो शीषक के अंतगत छपे आलेख को पहले ही पढ़ चुका था और अपनी
प ी, कनल नारं ग, इं पे टर उदय ठाकु र, लीना म हो ा, वंसट को टेलो और भैरो शाह
बंगाली के साथ उस आलेख के िलए सा ा कार भी दे चुका था। कनल नारं ग के ज रये उस
आलेख के प कार ने लालची तांि क भैरो से संपक कया था। वह डॉ फ के बारे म जो
कु छ भी जानता था वह उसने पैसे के बदले म बता दया, और लालच क वज़ह से उसने
अित र जानका रयाँ मालूम करने के िलए ह रनाथ का आ वान करा था। वे सभी
जानका रयाँ तथा कनल नारं ग, लीना, अभय और पायल के दए गए सा ा कार उस लेख
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क बुिनयाद बनी थी, िजसने पूरी दुिनया के सामने डॉ फ क असिलयत को उजागर कर


दया था।
ल बे अरसे से डॉ फ के िव ासपा रहे, उसके भूतपूव गुलाम ह रनाथ, ने उसक
तमाम नापाक तांि क गितिविधय का खुलासा कया था, िजसम अपनी काली शि य
को बढ़ाने के िलए उसके ारा हर अमाव या को दी जाने वाली नरबली भी शािमल थी।
इसीिलए लेख के शीषक म डॉ फ के िलए ‘सी रयल कलर’ शीषक का इ तेमाल कया
गया था, हालां क लेखक ने काफ बुि म ापूवक ये भी प कर दया था क चूं क
ह ाण क लाश काफ समय पहले ही ठकाने लगाये जा चुक थ इसिलए डॉ फ पर
सभी ह या के के स दज नह कये जा सकते थे। लेख़क ने बड़ी चतुराई से इस बात को भी
छु पा िलया था क उसक सूचना का ोत ह रनाथ क ेता मा थी।
कनल नारं ग, िव सट, लीना, अभय और पायल क इ छा का स मान करते ए,
सूचना के ोत के प म कह पर भी उनका उ लेख नह कया गया था, जब क भैरो
शाह बंगाली का मुखता से वणन कया गया था और उसक इ छानुसार उसक त वीर
भी कािशत क गई थी। शायद वह िसि का वाद चखना चाहता था या फर अपने
पेशे म बढ़ो री और अमीर ाहक को आक षत करने के िलए बतौर चार उस मौके को
भुनाना चाहता था। न तो भैरो शाह न ही कसी और को वंकल उफ़ तािहर शेख़ क बूढी
बेवा अ मी का ख़याल आया न कसे ने उसक सुध लेनी क सोची. शायद इसिलए ज़ंदगी
इतनी िन ु र है और इं सान जानवर से बदतर।
अभय और पायल के बैठने और अिभवादन क औपचा रकता पूरी करने के बाद कनल ने
कहा, “ये कं यूटर और इं टरनेट भी कतनी अ भुत चीज ह। म यहाँ अपने िब तर पर लेटे
ए ‘द यूयॉक टाइ स’, ‘यूएसए टु ड’े के नवीनतम अंको को पढ़ सकता ं और इस दुिनया
के मह वपूण िवषय क वेबसाइट पर जा सकता ।ं और हां, अपना पसंदीदा खेल शतरं ज
भी खेल सकता ।ँ या बात है मेरे ब , तुम दोन इतने दुखी य लग रहे हो? तु हारे बुरे
दन तो अब ख म हो चुके ह। वारलॉक का खेल ख म हो गया है। वह तु हे परे शान करने के
िलए कभी वापस नह आने वाला है।”
“अभी भी कई सवाल ऐसे ह मामा जी, िजनके जवाब नह िमले ह।” पायल के साथ
पुराने सोफे पर बैठने के बाद अभय ने कहा, “जैसे क आपने उसे िगर तार कै से करवाया?”
“मने पहले ही ये अनुमान लगा िलया था क डॉ फ तुम दोन के साथ-साथ उन लोग
के िलए भी मुसीबत खड़ी करे गा, िज ह ने उसक मुखालफत क थी। हालां क मुझे
अफसोस है क म समय रहते उसक चाल नह समझ पाया नह तो म उसे व त रहते ही
रोक लेता। य द तुम दोन म से कसी ने भी मुझे फोन कर दया होता तो म और भी कई
भयानक और दुखद घटना को रोक सकता था। वह जासूस - िमसेज भटनागर -अपने ब े
के िलए डॉ फ ारा धमकाए जाने के बाद के स से हट चुक थी, इसिलए म वारलॉक क
गितिविधय के लेकर पूरी तरह अंधकार म हो गया था। जब अभय ने अ पताल से मुझे
फोन पर बताया तब मुझे एहसास आ क मामला कतना गंभीर हो चुका है और घटनाएं
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कतना िघनौना ख ले चुक ह। मने सबसे पहले जो काम कया, वह था तांि क भैरो शाह
बंगाली और ाइवेट िडटेि टव िमसेज भटनागर को चेतावनी देना।”
“ले कन डॉ फ तो िमसेज भटनागर को छु रा मारने म कामयाब हो गया था।” अभय
ने कहने का यास कया।
“इस पर म बाद म आऊंगा।” अभय को बीच म रोकते ए उस बुजुग ने कहा, “जैसा क
म कह रहा था, मने तब अपने भूतपूव बॉस, सेना के एक रटायड ि गेिडयर से बात क
और बदले म उ ह ने अपने भूतपूव पड़ोसी के बेटे, जो क ीय मंि मंडल म मं ी है, से बात
क । इसके बाद क ीय गृह मं ी के ऑ फस से तुरंत पुिलस किम र को एक आपातकालीन
सूचना भेजी गयी, िजससे समूचा पुिलस महकमा हरकत म आ गया। ाइम ांच इं पे टर
उदय ठाकु र भी इसम ब त मददगार सािबत आ, कारण ये क डॉ फ से उसक
ि गत खु स थी, जो हमारे प म सािबत आ। ले कन अफसोस, हम उस मासूम ब े
वंकल क मौत को रोक नह पाए, जो उस तांि क का चेला था। डो फ ने उसी रात
उसका बेरहमी से क़ ल कर दया था, जब उसने पायल पर हमला कया था।”
“ले कन डॉ फ को उसके घर से य नह िगर तार कया गया?” अभय ने पूछा।
“ य क वह वहां मौजूद नह था, और न ही अपने ए टेट, इं ि ट ूट या उन जैसी
जगह पर था, जहाँ से पुिलस उसे ढू ंढ पाती। मने इं पे टर ठाकु र को सलाह दी थी क वह
भैरो शाह के ठकाने, साधना भटनागर के घर, तु हारे घर, यहाँ मेरे लैट और उन सभी
जगह पर चौबीस घंटे िनगरानी रखे, जहाँ खार खाया आ डॉ फ प च ँ सकता था।
पुिलस ने उसके मोबाइल फोन के ज रये भी उसका पता लगाने क कोिशश क , ले कन
बेहद शाितर होने के कारण उसने अपने मोबाइल ऑफ कर दया था और इसिलए हम पता
नह था क वह कहाँ था या कहाँ हमला करे गा।” कनल नारं ग ने बताया।
“वह इस बार भी बरी तो नह हो जाएगा न?” पायल से पूछा।
“इसक कोई संभावना नह है मेरी ब ी। तु हारे घर पर, िजस खंजर से उसने उसने
वंकल को मारा था और उस खंजर पर, िजससे उसने रं गे हाथ पकड़े जाते व साधना
पर हमला कया था, उसक उं गिलय के िनशान िमले ह। इसके अलावा पुिलस ने उसके
ए टेट से स, जानवर के िसर और खाल बरामद कए ह। व यजीव संर ण अिधिनयम
के साथ-साथ अ य कई अपराध के िलए आईपीसी क कई धारा म उस पर मुकदमा दज
होगा।”
“तो फलहाल इस दलदल से बाहर िनकलने म कोई उसक मदद नह कर सकता है?”
“यहाँ तक क उसक तेजतरार वक ल अंजिल कोहली भी। मुझे यक न है क इस के स म
न पड़ने का कोई न कोई बहाना वह िनकाल ही लेगी। इसके अलावा उसके करीबी दो त
और िबजनेस पाटनर रोिहत मीरचंदानी को भी िगर तार कर िलया गया है और उसे
कसी अ ात थान पर अिधका रय क िहरासत म रखा गया है।”
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“रोिहत?” अभय से पूछा, “ये नाम तो सुना-सुना लगता है।”


“तुम िपछले कु छ ह त के समाचार ठीक से देख नह पाए हो। ये रोिहत र तखोरी
और से स कडल के मामले का क बंद ु बनकर उभरा है, िजसने राजनीित, ापार के
साथ-साथ कई सं था को भी भािवत कया है। जािहर तौर पर डॉ फ का यह दो त
और सहयोगी वा तव म एक िबचौिलया था, जो अपने िवदेशी ाहक , म टीनेशनल
कारपोरे शन (एम.एन.सी.) और बड़े ावसाियक घरान क फाइल पर सरकारी अफसर
और मंि य क मंजूरी पाने के िलए के िलए उनको र त देकर सौदे तय करता था।
कॉलेज म पढ़ने वाली एक लड़क , जो रा ीय दैिनक समाचार प के एक सीिनयर एिडटर
क भतीजी और एक अमीर ए सपोटर क बेटी थी, ने रोिहत क कलई खोल दी थी और
उसके चेहरे के नकाब को नोचकर उसक अवैध गितिविधय को उजागर कर दया था।”
कनल नारं ग ने बताया।
“उसने उस लड़क का इ तेमाल करने क कोिशश क थी?” पायल ने पूछा।
“हर जगह क यही कहानी है मेरी ब ी, चाहे वह डॉ फ का इं ि ट ूट हो या फर
उसके सहयोगी के फम का कायालय हो। उस लड़क को धोखे से ग देकर रोिहत ने उसक
ग दी फोटो ख च ली थ । बाद म वह उन त वीर के बल पर उसे लैकमेल करने लगा और
उसे अपने मेहमान , बड़े-बड़े अफसर और मंि य के सामने परोसने लगा। अपने बाप के
उ के आदिमय क ग़लत हरकते सहने के िलए मजबूर कये जाने पर उसने सब कु छ
अपने हाई ोफ़ाइल अंकल - उस सीिनयर यूज़पेपर एिडटर से बता दया और फर
रोिहत क घंटी बज गई।”
“इस कडल ने देश क राजनीती म भूचाल ला दया। कई जूिनयर िमिन टर और क
सरकार के कई व र अफसर भी उन लोगो म थे, िज ह ने रोिहत के पंचशील ए लेव
ि थत बंगले और सुशांत लोक ि थत उसके अपाटमट का कई बार उपयोग कये थे।
यूज़पेपर और सैटेलाइट चैनल के खोजी प कार ने पीिड़त लड़क के साथ िमलकर
पड़ताल करने पर ये पाया क िजन कागजी सौद म रोिहत शािमल था, उनम भारी मा ा
म पैसे का लेन-देन होता था और उन कागज पर एक दागी मं ी के ह ता र भी िनकल
आये थे। इस पर िवप ी दल ने हंगामा खड़ा कर दया और संसद क कायवाही को कई
दन के िलए ठप कर दया, िजससे स ा प को उस मं ी को पद से इ तीफा देने के िलए
कहने को मजबूर होना पड़ा।”
“हाँ, मने इस बारे म पढ़ा तो था।” अभय ने कहा- “ले कन ये नह मालूम था क इसम
शािमल िबचौिलया वा तव म डॉ फ का दो त और सहयोगी था।”
“यह रोिहत पैसे क दुिनया का वारलॉक है," कनल नारं ग ने समझाया। वह पैस,े औरत,
शराब और स से लोग का नैितक और शारी रक पतन करता है। वह डॉ फ िजतना ही
शाितर और गंदे च र का है, जो अपने वाथ और ि गत लाभ के िलए कसी भी हद
तक िगर सकता है। वह के वल ख़ून -खराबे के िडपाटमट म ही डो फ से कम है। हालां क
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सरकार ने िवप ी दल ारा याियक अथवा संसद क जे.पी.सी के गठन के दवाब का


िवरोध कया ले कन पूरे मामले के उ तरीय गहन जांच के आदेश फर भी जारी कर
दए। िजसके बाद सी.बी.आई, आइ.बी, ई.डी, क एक जॉइं ट-टीम ने रोिहत मीरचंदानी के
ठकान पर छापा मारा और उसे पूछताछ के िलए िहरासत म ले िलया।”
“उसके िवदेशी स पक क भी जांच क गयी और हैरान कर देने वाली ये बात सामने
आयी क र ा खरीद से संबंिधत कई संवेदनशील और गु द तावेज उसके क जे म थे,
िजसके िलए ऑ फिसयल सी े ट ए ट के तहत उस पर अलग से मुकदमा चलाया जाएगा।
स ा ढ़ दल ने भले ही अपने मं ी से पीछा छु ड़ाकर अपनी खाल और िव सनीयता को
बचा िलया है, ले कन दूसर के िलए ये आसान नह होने वाला है। कई सेवारत अफसर
को िनलंिबत कर दया गया है और द ली हाई कोट क एक बच के आडर से एक
सी.बी.आई. जांच होने वाली है, िजसम करीब आधा दजन अफसर से सवाल-जवाब कया
जाएगा और उसक िनयिमत रपोट हाई कोट को स पी जायेगी। इसके अलावा एक
िवदेशी हिथयार िनमाता के मु य एजट और एक दूतावास के एक र ा अिधकारी के साथ
रोिहत के संबंध क भी जांच क जा रही है। डॉ फ का वह सहयोगी इस व गले तक
गहरी परे शानी म धंसा आ है और फलहाल वह अपने ऊँची पुहच ं का इ तेमाल खुद को
या अपने दो त को बचाने के िलए नह कर सकता है।”
“ या संयोग बना मामा जी, दोन वारलॉक क एक साथ िम ी पलीद ई।” पायल ने
कहा।
“हाँ, िजस राह पर वे चल रहे थे, वह उ ह उनक बबादी क ही ओर ले जा रहा था। वे
लालच, ाचार और नैितक पतन के कारण इस कदर अंधे हो गए थे क इसे देख ही नह
पाए।”
“ले कन या डॉ फ को कभी उसके अपराध क सजा िमलेगी?” अभय ने पूछा।
“ या मतलब है तु हारा?” कनल नारं ग ने पूछा।
“मने कु छ दन पहले म जेल म उससे िमला था। म तो उसे पहचान भी नह पाया था,”
अभय ने कहा और डॉ फ से अपनी मुलाक़ात और उसम आये शारी रक प रवतन का
वणन कर दया। “और वह ोफे सर िव सन तो कहता है क डो फ अपना दमाग़ खो
चूका है इसिलए उसे कोट क बजाय पागलखाने म भेजा जाएगा।”
“एक पुरानी कहावत है - जो जैसा बोता है, वैसा ही काटता है। शायद वह इसी सजा का
हकदार है।” कनल नारं ग ने दाशिनक अंदाज म कहा।
“उसक जादू वाली शि य ने काम य नह कया?” पायल ने पूछा।“अभय ने मुझे
बताया क वारलॉक को ये तक नह पता चल पाया था क म उसके हमले से बच गयी ं
और न ही उस जासूस के घर पर िबछाए गए पुिलस के जाल के बारे म जान पाया था।”
“जब तांि क भैरो शाह, डॉ फ को मारने म चूक गया तो डॉ फ ने सोचा क
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मामला ख म हो गया है। ले कन वारलॉक क यादितय के कारण उसका गुलाम ह रनाथ


उसके िखलाफ हो गया था और इस बात न हमारी मदद करी। जैसा क लोग कहते ह- घर
का भेदी लंका ढाए।”
“ले कन समाज म उसके जैसे दु वारलॉक मौजूद ही य ह?” अभय ने पूछा। “आप
जानते ह - वह अभी भी बेरहम ही है और उसे अपने कया का कोई पछतावा नह है। वह
इतना कु छ करने के बावजूद मुझसे सवाल कर रहा था क मुझे बुराई के बारे म पता ही
या है?”
“सबसे पहले तो ये समझ लो अभय क ाचार, अपरािधक मनोवृि और बुराई के
बीच फक है। इसे एक ही या के तीन िमक चरण समझो। ये गैस, पानी और बफ क
तरह है। हाइ ोजन और ऑ सीजन गैस ह, जो यूजन के बाद पानी पानी बनाते ह और
यही पानी जमने के बाद बफ बन जाता है। इसी तरह पहले इं सान का शारी रक, नैितक
और चा रि क पतन होता है और फर अपना वाथ साधने के यास म उस इं सान के अंदर
अपरािधक वृि यां ज म ले लेती ह। िजसके फल व प वह आदमी तेजी से एक ढलान
पर फसलता चला जाता है, जो उसे सीधे वाथ और बुराईय क ओर ले जाता है और
फर गुनाह उसक इबादत और शैतान उसका देवता बन जाता है।”
“ डॉ फ के जीवन म भी यही आ। पूवज से िवरासत म िमले नैितक और आ याि मक
पतन ने ही उसे पहले उसे आपरािधक कम क ओर वृ कया और फर इस हाल म
प च ँ ा दया। लालच, अंधी मह वाकां ा और अपने फायदे के िलए गुनाह का रा ता
अि तयार करना ही उसके जीवन का एकमा ल य बन गया। वह इतना पापी और बुरा
इं सान बन चुका था क वह समाज म अ छाई को िब कु ल भी बदा त नह कर सकता था
और हर श स को बुरा बनते ए देखना चाहता था।”
“आप ये सब कै से जानते ह मामा जी?” पायल ने पूछा।
“एक दन उसका सौतेला भाई वंसट को टेलो आया था। उसने मुझे अपने पा रवा रक
इितहास के साथ-साथ अपने भाई क सोच के बारे म भी बताया था। अब तो खैर वंसट
यह देश छोड़ के ाज़ील के रयो िड जेने रयो शहर चला गया है, जहाँ वह अब समु तट
पर लड़ कय क ि व मंग क टम (तैराक के पोशाक) क दूकान चलाता ह। उसने ही मुझे
मुझे डॉ फ के पीटर कटन के ित जुनून के बारे म बताया क कै से डॉ फ डसेलडोफ
शहर के उस िपशाच को अपना आदश मानता था और उसके कामो का नक़ल करने क
कोिशश करता था। इस बात क पुि तब ई जब पुिलस ने सबूतो क तलाश म डॉ फ के
घर छापा मारा और उसके कं यूटर से बड़ी मा ा म इं टरनेट से डाउनलोड क ग और
पीटर कटन पर िलखी कताब, फ म और कई फाइल बरामद क ।”
“पीटर कटन कौन था और डॉ फ क उसम इस हद तक दलच पी य थी?” अभय
ने उ सुकतापूवक पूछा।
“पीटर कु टन का ज म 26 मई 1883 को जमनी के कोलोन-मुलहेम म आ था और ये
अनुमान लगाया जाता है क पुिलस ारा पकड़े जाने तक वह 38 साल म कम से कम 17
लोग क ह याएं कर चुका था। उसका शराबी बाप उसे रोजाना पीटता था और अपनी
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बीवी को अपने 13 ब के सामने ही से स करने के िलए मजबूर करता था, जो उसके


साथ एक ही कमरे म रहते थे। बाद म उसे अपनी ही बेटी का यौन-शोषण करने के आरोप
म िगर तार कर िलया गया था। अपने कारावास के दन म पीटर क मुलाकात एक कु े
पकड़ने वाले से ई थी, िजसने उसे कु के साथ से स और उससे होने वाली अनुभूित के
बारे म बताया था।”
“पीटर - जो बाद म 'डसेलडॉफ का िपशाच' के नाम से च चत आ - उसने अपने जघ य
अपराध क शु आत नाव खेने के दौरान अपने एक दो त को डु बोकर मारने से क थी।
ेफेनबगरवा ड के जंगल म उसने एक लड़क का बला कार करने के बाद उसे मारने क
कोिशश क थी ले कन शायद वह बच गई थी, य क उसक लाश फर कभी बरामद नह
ई। एक बार उसने दो अ ात राहगीर पर कु हाड़ी से हमला कर दया था। उनके ज म
से खून िनकलता देखकर उसे चरम सुख का अनुभव आ था। राइन नदी के तट पर उसने
एक लड़क को 30 बार चाकू से गोदा था, िजसक बाद म लाश िमली। डसेलडोफ के बाहर
जंगल म एक बार उसने एक मिहला का बला कार करके उसे मार डाला था। इसी तरह
उसने बला कार करने के बाद एक नौकरानी को भी मार डाला था और दो असफल यास
के बाद एक लड़क को 36 बार चाकू मारकर बेरहमी से उसक ह या कर दी थी। हालां क
फर उसके फं दे म फं सी िमसेज मा रया बुडलेज़ नाम क मिहला बच िनकल । फर उसे
दबोच िलया गया और 23 जुलाई 1931 को उसे दोषी ठहराते ए मौत क सजा दे दी गयी
थी।”
डॉ फ ने प प से कटन के साथ अपने जीवन म कई समानताएं देख थ और
इसीिलए उसके ित आस हो चुका था। वह उसक बराबरी करने या उसक िघनौनी
उपलि धय से भी बड़ी उपलि ध अपने नाम करने के कोिशश करने लगा था। इस भावना
ने डॉ फ के अंदर आ ासन का भाव भी जगाया होगा क वह अके ला नह है और उसके
पूवज ारा दखाए गए इस राह से पहले भी कई लोग गुजर चुके ह। यही कारण था जो
वह अपने भयानक काय के ित कोई प ाताप या अपराध-भाव नह रखता था, ठीक वैसे
ही जैसे पीटर कटन नह रखता था। जज ने ये सुिनि त करने के िलए क फर कोई उसके
बुरे कम को िहमाकत न करे , उसका सरकलम करने क सजा सुनाई थी। ऐसा होने पर
कटन ने अपनी प ी से कहा था, “मेरे धड़ से िसर अलग हो जाने के बाद भी म सुन पाऊंगा
हालाँ क ये के वल थोड़ी ही देर के िलए होगा ले कन जब म अपनी ही गदन से ल क धार
फू टते ए देखूंगा तो ये मेरे जीवन का सबसे बड़ा आनंद होगा।”
“ले कन डॉ फ या पीटर कटन जैसे आदमी बुराई का रा ता य अि तयार करते ह?”
अभय ने पूछा।
कनल नारं ग ने एक गहरी साँस लेकर अपने िवचार को इक ा करने के िलए िणक
िवराम लेने के बाद कहा, “जैसा क ीम ागवत गीता (14.5-8) म कहा गया है;
सतोगुण, रजोगुण, और तमोगुण, ये तीन गुण उस शरीर के ज मजात गुण होते ह, िजससे
आ मा जुड़ी होती है। इनम से सतोगुण िन वकार और िन कलंक होता है। रजोगुण क भोग
म आसि होती है। तमोगुण अ ानजिनत मोह के कारण अपने शरीर से आसि रखता
है। सतोगुण, पिव ता के तीक ेत रं ग से जुड़ा होता है और ान, संगीत और कला क
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देवी सर वती के प म पूजा जाता है। दूसरा रजोगुण लाल रं ग से जुड़ा होता है और धन
क देवी ल मी के प म पूजा जाता है। ये जुनूनी और मह वाकां ी कृ ित का ितिनिध व
करता है। जब क तीसरा तमोगुण काले रं ग से जुड़ा होता है और सव शि देवी दुगा या
काली ारा द शत होता है, जो हमारे सभी दोष और बुराईय को न करने के िलए
पूजी जाती ह।”
“सतोगुण के भाव म रहने वाला इं सान िवचारक, संगीतकार या फर कलाकार होता
है, जो मो के माग के प म ान को चुनता है। रजोगुण के भाव वाला वह ि होता
है, जो मो के माग के प म कम को चुनता है। जब क तमोगुण के भाव म रहने वाले
ाणी को तामिसक ाणी कहा जाता है, िजसके पास सही-गलत और अ छे-बुरे म भेद
करने क मता नह होती है। वह मानव शरीर क पाशिवक वृि य से ऊपर उठ पाने म
असमथ होता है। वह अस य, वाथ और बबर होता है। जैसा क ध मपद (136) म कहा
भी गया है : बुरे कम करने वाले अ ानी ि को उसके प रणाम का एहसास नह होता
है। वह अ ानी मनु य आग क भांित अपने कम से वयं को ही भ म कर बैठता है। स पूण
मानवता इ ह तीन आधारभूत गुण म िवभािजत है। ािणय के अंदर ये तीन ही
बुिनयादी त व िभ -िभ अनुपात म िनिहत होते ह।”
“पूरी दुिनया को अ छे और बुरे के बीच बांटा गया है, यही न?” अभय ने उस महान
िवचारक से पूछा।
“हाँ। कृ ित म पादप और जंतु जगत म भी दो बुिनयादी क म होती ह। पहली क म
समाज के िलए अ छा काम करने वाल क है, जो लोग को फल और छाया देते ह, जब क
दूसरी क म बुराई करने वाल क है। ये बदसूरत और कांट से भरे होते ह। ये कोई फल
नह देते ह और अपने आस-पास के वातावरण को भी दूिषत करते ह। पिव बाइिबल म
भी यही िवचार कया गया है (म ी 7.16-19): ‘तुम उ ह उनके फल के ज रये
जानोगे। या कांट से अंगूर या कं टीले वृ से अंजीर ा होते ह? हर अ छा वृ अ छा
फल धारण करता है ले कन बुरा वृ बुरा फल धारण करता है। एक भला वृ बुरा फल
नह धारण कर सकता है और न ही एक बुरा वृ अ छा फल धारण कर सकता है।’ इं सानी
भाषा म इ ह साि वक और आसुरी शि य या त व के प म पहचाना जाता है अथात
अ छाई और पिव ता तथा शैतािनयत और बुराई।”
“जैसा क हम जानते ह, इस िवशाल संसार म ा येक जीवन इ ह दो मौिलक
और बुिनयादी िह स से बना है। शायद ये दोन ही जीवन के िलए आव यक ह या बि क
यूँ कह क दोन के बीच िनरं तर संघष ही इस ह पर जीवन का पयाय है। ये समूचा संसार
एक िवशाल मंच है, एक योग है, एक योगशाला है, िजसम एक आदमी अपने आप को
दोष और बुराइय से शु कर सकता है या फर खुद को शारी रक, नैितक, भावना मक,
बौि क ता और बुराई के दलदल म डु बो कर बबाद कर सकता है। इं सान अपने
वंशानुगत ल ण , पृ भूिम, परव रश, झुकाव और वृि के अनुसार काश या अँधेरे का
रा ता चुनता है।”
“यानी क अ छाई और बुराई मनु य म अंत निहत दो बुिनयादी शि यां ह?” अभय
ने पूछा।
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“वे रचना मक और िवनाशकारी, सकारा मक और नकारा मक ऊजा दोन होती ह।”


कनल नारं ग ने प कया, “ ाचीन चीनी िव ान ने उ ह यांग और ियन के प म
प रभािषत कया है और तं म उ ह काला जादू और सफे द जादू के प म पहचाना जाता
है। ये दोन उतने ही िवपरीत और िवरोधाभाषी होते ह, िजतने क आग और बफ, दन
और रात, काश और अंधकार तथा ई र और शैतान।”
“और वारलॉक ने अपने वभाव के याह, नकारा मक, शैतानी च र को उजागर
कया।” अभय ने कहा।
“हाँ। उदाहरण के तौर पर वह शराब पीता था, धू पान करता था, मांस खाता था, स
लेता था और हर उस सन से प रपूण था, िजसक कोई भी क पना कर सकता है। वह
िनकृ ता का एक जीता-जागता उदाहरण था। वह दु और अपरािधक वृि का था और
यहां तक क बला कार और ह या जैसे जघ य अपराध भी उसके िलए आसान थे। य द
पीला सोना शु ता का तीक कहा जाए तो इस मापदंड के िवपरीत वारलॉक के च र को
काला सोना अथात पूरी तरह अशु कहा जा सकता है। इससे भी बदतर ये था क वह
अपनी बुराइय से संतु नह था बि क पूरे समाज को बनाने के सपने देखता था।
पायल म उसक आसि के वल शारी रक ही नह थी बि क उसका य कन था क वह
दु कम के ज रये उसे नैितक, बौि क और भावना मक प से भी कर सकता है। लोग
क आ मा को बनाना ही उसका ल य था। वारलॉक अ ानता, अशु ता ाचार और
अंधकार का तीक है, जो समाज और स यता को िनगल जाना चाहता है। उसके
आपरािधक और बुरे कम के वल उस उसके िवचार क भौितक अिभ ि थे।”
“ले कन वह हार गया और अपने भयावह सपने को साकार नह कर पाया।” अभय ने
ट पणी क ।
“उसे हारना पड़ा य क उसे अटल स ाई का एहसास नह था क बुराई अंत म हमेशा
परािजत होती है और यही कृ ित तथा इस धरती पर ा जीव-जगत क सावभौिमक
स ाई है। अ छाई हमेशा जीतती है। इं सान क बुराई ांड और जीवन क अ छाई को
ख़ म या परािजत नह कर सकती है। भगवान न करे , अगर अ छाई कभी हार जायेगी तो
मानव जाित वत: ही बुराई के अंधकार म गत हो जाएगी, जो पूरे ह को िनगल जाएगी।
एक बुरा समाज हमारे जीवन के िलए एक बुरा सपना है, जो कभी वजूद म नह आ सकता
है य क इसक संरचना अपने आप म ही बेहद अि थर और अिडग है। दु आदमी और
औरत खुद को ही मार डालगे और एक-दूसरे को खाकर पूरी जाित को तहश-नहश कर
दगे। अ छाई रचना मक होती है, जो समाज म योगदान देती है, जब क बुराई
िवनाशकारी होती है, जो समाज से चुराती और छीनती रहती है। इसिलए बुराई जब-जब
हद से अिधक बढ़ेगी, तब तब कृ ित को बुराई का नाश करके संतुलन बनाना होगा।।”
“िजस तरह हर रात के बाद सुबह आती है, ठीक उसी तरह अ छाई क ताकत भी बुराई
पर काबू पा ही लेती है। बुराई, खुदगज और आतंक से भरी रात चाहे कतनी भी लंबी
य न हो, अंत म भोर क करण से हार जाती है। पिहए के च र क मा नंद दन, रात
क जगह ले लेता है और अ छाई, बुराई के दमन के िलए आगे आ जाती है। ई र का याय
इतना शि शाली है क यह अना दकाल से चला आ रहा है और अनंतकाल तक चलता
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रहेगा। कृ ित के अिविजत िनयम ई र के जैसे ही सवशि मान ह, िजसे कोई शैतान हरा
नह सकता, यही वजह है जो ू र ह यारे और दु शासक भी इस दुिनया को और इसक
स यता को थायी प से तबाह नह कर पाए। उनका लूटपाट और नरसंहार इितहास के
फु टनोट से अिधक नह है और ई र के याय के अधीन ये दुिनया बची ई है य क कृ ित
का िनयम कहता है क अंत म धम और अ छाई क ही िवजय होती है।”
“भगवान का शु है क वारलॉक का भयानक सपना साकार नह आ और आिखरकार
ख म हो गया।” पायल ने कहा।
“हो सकता है तु हारे िलए ख़ म हो गया हो, ले कन ये शहर, देश और दुिनया अभी भी
ऐसे बुरे लोग से भरी पड़ी है। डॉ फ और उसका दो त रोिहत के वल दो छोटे यादे भर
थे। पूरे दुिनया क त वीर तो और भी भयावह है। समाज को इन बुरे लोग से बचाने और
उ ह हराने के िलए अ छाई को एक िनरं तर जंग छेड़नी होगी।” कनल नारं ग ने सेना के एक
जनरल क मा नंद कहा- “समाज क जड़ म जो िवष घुल चुका है, उससे भावी पी ढय
को दूिषत नह होने देना है।”
“ डॉ फ क कहानी को भुलाया नह जाना चािहए बि क आपके िलए और आने वाली
पी ढ़य के िलए इस सबक के प म इसका उपयोग कया जाना चािहए क बुराई क राह
अपने ही पतन क राह है। चा रि क दुबलता और भौितक, नैितक तथा आ याि मक पतन
कभी भी शांित, स ाव या संतुि से भरे जीवन का पयाय नह बन सकता है। एक अ छे
इं सान के िवपरीत एक बुरा इं सान या अपराधी कभी भी खुद से या दुिनया से संतु नह हो
पाता है। यहां तक क डॉ फ भी अपनी दु ता के चरम पर होने के बावजूद कभी
शांतिच नह था और झूठी तथा अ थायी शांित के िलए उसे स और अ य नशीले
पदाथ का सहारा लेना पड़ता था। य क बुराई मानव- वभाव के िलए बाहरी और
कृ ि म होता है, जो इं सान के ि व को अि थर बना देता है और िजसके बाद इं सान का
जेहन लगातार अशांित से िघरा रहने लगता है।”
“ले कन कोई इं सान अपनी असफलता और पाप के िलए प ाताप कै से कर सकता
है? या होगा अगर उनके अपराध अ य ए तो?” अभय ने पूछा।
“बेकार म खुद को दोष मत दो मेरे ब ,े हम सब भगवान के हाथ क कठपुतिलयाँ ह।
हम के वल वही करते ह, जो वह कराना चाहता है और उसक मज के िबना एक प ा तक
नह िहल सकता है। पायल को तकलीफ उठानी पड़ी इसका कारण ये था क डॉ फ जैसे
बुरे इं सान के अंत के िलए भगवान को एक औरत क आव यकता थी, उसी कार जैसे
दानवराज रावण ारा फै लाए गए आतंक के सा ा य का अंत करने के िलए सीता क
आव यकता थी।”
“ये बात के वल पढ़ने और सुनने म ही अ छी लगती ह मामा जी, जो इस सच को नह
बदल सकती ह क मने अपनी बेटी को अपने ही हाथ से मार डाला।”
“हालां क मुझे मालूम है क डॉ फ िनहायत ही धूत है ले कन फर भी वह तु ह इस
हद तक बरगलाने म कै से सफल आ क तुम अंशुल क बिल देने के िलए तैयार हो गए?”
कनल नारं ग ने उससे पूछा।
“मुझे एहसास है क डॉ फ ने पायल को लेकर मेरे दमाग म लगातार जहर भरा था,
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जो मुझे उस पापकम के िलए तैयार करने क उसक खौफनाक सािजश का ही एक िह सा


था।”
“िसफ इसी से सब-कु छ प नह हो सकता है बेटा। मुझे शक है क तुम दोन के बीच
ब त सी अ य गलतफहिमयां, बातचीत और िव ास क कमी भी थी। डॉ फ के वल
तु हारी परे शािनय का फायदा उठा रहा था। इस हद तक चीज कै से िबगड़ गयी?”
“मने एक बार पायल को तांि क भैरो शाह से िमलते और उससे एक ताबीज लेते ए
देखा था। िजस दन म ए सीडट से गुजरा था, उसी दन मने उसे माँ काली क मू त के
सामने बैठे ए देखा था, िजसके पास उसने काले जादू वाला वह ताबीज भी रखा आ
था।” अभय ने कहा।
“पायल, तुमने अभय सच य नह बताया?” कनल नारं ग ने आह भरते पूछा।
“चूँ क अभय मुझ पर िच लाया था इसिलए म नाराज और परे शान ज र थी ले कन
मने अपने जीवन म उसे नुकसान प च ं ाने के िलए काले जादू का इ तेमाल कभी नह
कया। वह ताबीज डॉ फ से मुझे बचाने के िलए तैयार कया गया था और उस शाम म
शांित के िलए माँ काली क मू त के सामने बैठी ई थी। मेरी गलती ये थी मामा जी क
आपके ज रये पता चलने के बाद मने अभय को ये नह बताया था क वा तव म वह
दुघटना कस वजह से ई थी।”
“भैरो शाह ने मुझे बताया था क वा तव म डॉ फ का गुलाम ह रनाथ का भूत तु हारे
दुघटना के िलए िज मेदार था ले कन भैरो के गुलाम ेत के ह त ेप ने तु हारा जीवन
बचा िलया था।” कनल नारं ग ने कहा।
“मुझे कै से मालूम पड़ता?” अभय ने िशकायत, खेद, और प ाताप भरे लहजे म कहा।
“इसके साथ-साथ पायल को दूसरे शहर से अनजान लक कॉ स आते थे और फर मने
एक रह यमय श स को भी देखा था, जो अंशुल के ज म के तुरंत बाद हॉि पटल म पायल
के कमरे म आया था। पायल ने मुझसे उसके बारे म झूठ बोला और चूँ क मेरे मन म
डॉ फ का जहर भरा था इसिलए मने सोचा क वह उसका कोई बॉय ड था और अंशुल
उसी क बेटी थी।”
“हे माँ दुगा!” पायल ने अिव ास से अपना माथा पीट िलया,“ या आपने सुना मामा
जी?”
“िजस आदमी को तुमने पायल के कमरे से बाहर िनकलते देखा था, वह उसका ममेरा
भाई पुल कत द ा था।” कनल नारं ग ने उसे बताया, “वह मेरे दवंगत दो त सोमेन द ा
का बेटा है और द ली आने पर हमेशा मुझसे िमलने आता है। वह अंतरा ीय याित ा
मू तकार है और अपने काय क दशनी के िसलिसले म देश के िविभ शहर और िवदेश
म मण करता है। वह और पायल बचपन से ही बेहद करीब रहे ह और यही कारण है क
जब वह द ली आया था, तो पायल ने उसे िमलने के िलए बुला िलया था।”
“वह पायल का भाई है!” अभय अवाक रह गया। “ फर तुमने मुझे उससे िमलवाया य
नह ?”
“पुल कत वतं च र और मजबूत ि व का मािलक है। अपना यार न पा सकने
के कारण उसने कभी शादी नह क । यही कारण है क वह अपने िपता और प रवार के
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बाक लोग से अलग हो गया, िज ह ने उसके ेम संग को िसरे से खा रज कर दया था।


हालां क स ाई ये है क उसके पास एक ब े के समान सोने का दल है। वह बेहद िवन ,
स मािनत और स न ि है। वह बतौर मू तकार एक उ कृ और ितभाशाली
कलाकार है, िजसने इतनी कम उ म ही खुद क पहचान बना ली है। काफ हद तक ये
पायल क माँ का डर था, िजसके कारण वे दोन ेह और स ावना से भरे अपने इस र ते
को छु पाया जब क वा तिवकता ये थी क अपने बारे म फ़ै ली पा रवा रक गलतफहिमय
के बावजूद वे हमेशा एक-दूसरे के संपक म रहते थे।”
“ले कन तुम मुझे उसके बारे म बता सकती थी। या नह बता सकती थी?” अभय ने
िशकायत भरे लहजे म अपनी बीवी से पूछा।
“अब मुझे एहसास हो रहा है क तुमसे ये िछपाना मेरी गलती थी। ले कन उस समय
मुझे डर था क अगर तुमने कभी माँ से इसका िज कर दया तो वह झमेला खड़ा कर
दगी। इसिलए म उन फोन कॉ स को लेकर अनजान बनी रहती थी जब क पुल कत
तु हारी आवाज सुनने पर फोन काट देता था। पुल कत के साथ मेरी बात-चीत के तुरंत
बाद जब तुम मेरे कमरे म आए तो म इसके िलए तैयार नह थी और ज दबाजी म मने झूठ
बोल दया क कोई आदमी मुझसे िमलने नह आया था। अगर मने तुमसे सच कह दया
होता तो शायद ऐसा कु छ नह आ होता।” पायल ने आह भरते ए कहा। उसने िणक
खामोशी के बाद कहा, “ले कन मुझे भी कहाँ पता था क तुम मेरे करै टर पर शक करने
लगोगे और ऐसे नतीजे पर प च ं जाओगे?”
“जब पुल कत मुझे देखने आया था,” कनल नारं ग ने कहा, “तो उसने मुझे बताया क
उसे पता चला है क पायल को एक बेटी पैदा ई है। उसने पायल के मोबाइल पर फोन
करके अपनी भांजी को देखने का वह समय िनि त कया, जब उसक बुआ िमसेज चटज
वहाँ न ह ।”
“वह अंशुल का मामा है, तो इसम कोई आ य नह क मुझे उसके और अंशुल के चेहरे
म समानता नजर आयी,” अभय ने कहा।
“चूँ क तुम उन दोन के असली र ते से वा कफ नह थे और तु हारे मन म डॉ फ
ारा जहर भर दया गया था इसिलए तुमने दुभा य से ये नतीजा िनकाल िलया क
पुल कत और अंशुल के चेहरे क वह समानता तु हारी प ी क च र हीनता के कारण है।”
कनल नारं ग ने कहा, “इसम कोई तु ह दोष नह दे सकता, य क तुम उस धूत इं सान
ारा भरमाये और डराए गए थे। आिखरकार तुम अजीब प रि थितय और उस िनहायत
ही बुरे इं सान ारा फै लाए गए जाल का िशकार थे अभय।”
“सब कु छ कहे और सुने जाने के बावज़ूद इस पूरे मामले का सार ये है क मेरा अपराध
माफ के कािबल नह है और म इसके साथ जी नह सकता। म तलाक के कागज पर
द तखत करके पायल को आजाद कर दूग ं ा। म उसे उसक ब ी के ह यारे के साथ रहने क
यातना नह दूग ं ा।”
“एक बुरे इं सान क बुराई को अपने पर हावी मत होने दो बेटे और न ही अपने जीवन
को तबाह करने दो। जैसा क मने तु ह समझाया, जो कु छ आ उसके िलए तुम नह बि क
वह दु िज मेदार है। इसिलए जो तुमने कया ही नह , उसके िलए खुद को बेवजह दोषी
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ठहराना बंद करो। ये तु हारा या एक िपता के नह बि क वारलॉक के हाथ थे, िज ह ने


ब ी को नाले म फक दया था। अपनी प ी से पूछो। या म सही नह कह रहा पायल?”
“हाँ मामा जी। जो कु छ आ, उसके िलए मने अभय को कभी िज मेदार नह ठहराया।
भले ही इसने अनजाने म गलत कया ले कन म इसे पहले ही माफ कर चुक ।ँ हालां क
अपने ब े को खो चुक एक माँ का शाप इतना शि शाली होता है क ये एक प थर को भी
तोड़ सकता है,” पायल ने कहा। “ले कन दुभा यवश ब े को खोने के झटके और अपने
गलत काम के अपराधबोध ने अभय को िड ेस कर दया है। म इसे जबरद ती
मनोिच क सक के पास ले गयी ले कन इलाज अभी तक आशाजनक नह है। इ हे वो बुरे
सपने बार-बार आते ह और ये आधी रात को चीखते ए उठ जाते है। ये अपनी दनचया
का भी ठीक से पालन नह कर पाते है। मने इ हे आँख म आँसू िलए ए घंट तक बैठे देखा
है। ये अपनी भावनाएं कसी के साथ साझा नह करते और न ही अपने अपराधबोध से
उबर पा रहे है,” पायल ने कनल नारं ग को बताया।
“िड ेशन एक बीमारी और बेवकू फ है। स दय म चेहरे पर पड़ती सूरज क रोशनी,
वसंत म फू ल क खुशबू से सराबोर हवा, ग मय क शाम म पाक क गीली घास, बरसात
के दन म िम ी से उठती ई स धी महक और पतझड़ क सुबह पेड़ से िगरे प से भरे
सड़क का नजारा - ये ऐसी चीज ह, जो हम बताती ह क ये जीवन एक वरदान है, एक
आशीवाद है और एक उपहार है, िजसके िलए हम हर दन ई र का आभारी होना
चािहए। उसने तु ह ये जीवन लु त उठाने के िलए दया है, िशकायत करने के िलए नह ।
उसने हम ये जीवन अपनी आ मा का शुि करण करके इसे और बेहतर बनाकर आगे बढ़ाने
के िलए दया है। अपने पाप को यागकर और अ छाइय को वीकार करके जब तुम
अपनी इ छा पर काबू पा लेते हो तब तु ह उनक िनरथकता का एहसास होता है और
तुम आ मा के अगले सफ़र के िलए तैयार होते हो।”
“जैसा क भगवान ी कृ ण ीम ागवत गीता म कहते ह - ‘हम मा शरीर या मन
नह ह, जैसा क हम भूलवश खुद को मानते ह, बि क एक शु आ मा ह। जो वयं
परमा मा का एक छोटा सा अंश है। अिवनाशी, शा त और सव आ मा का एक अंश।’
जब हम इस स य क अनुभूित होती है क ये दुिनया दुख का घर है, जहां ज म और मृ यु
का अंतहीन च चलता रहता है, तब हम सही मायने म अपने अि त व को समझ सकते
ह। इस अंतहीन च से िनकलने और परमा मा से फर से जुड़ने के िलए भगवद-गीता हम
चार रा ते दखाती है - िजनके नाम राजयोग, कम योग, ान योग और भि योग ह।
येक आ मा को उसक मता और वभाव के अनुसार अपनी राह चुनने क आजादी दी
जाती है। परमा मा से िमलन करने और असि िवहीन होने िलए येक आ मा इसे
वीकार करती है और कम करती है। कोई भी आ मा अपने कम , चाहे वह अ छा हो या
बुरा, के प रणाम या फल से बच नह सकती है। इसे ही कम-फल कहा जाता है।”
“सुना तुमने अभय?” उस िववेकवान पु ष के सुंदर वचन को सुनकर पायल ने अपने
पित से पूछा।
“मद बनो मेरे बेटे।” कनल नारं ग ने अभय से कहा, “अपनी और अपनी प ी क
िज मेदारी को उठाओ। फर कभी तु हारे मुंह से मुझे तलाक जैसा गंदा श द नह सुनाई
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देना चािहए। तुम वारलॉक के िवपरीत एक अ छे और स े इं सान हो। यही वजह है, जो
पायल ने वारलॉक के बजाय तु ह चुना। इसी त य ने तु हारे ित वारलॉक के मन म ई या
जगाई य क वह जानता था क वह तु हारी तरह स ा इं सान कभी नह बन सकता है।
म जानता ँ क तु हारे ज म को भरने म व लगेगा ले कन व बड़े से बड़े ज म को
भर देता है। इसिलए आगे बढ़ो और उस खूबसूरत जीवन को िजओ, िजससे ई र ने तुम
दोन को नवाजा है। जीवन के ित कृ त बनो, उससे िशकायत मत करो। और अगर तुम
बन सको तो वह वृ बनो जो धूप म ज रतमंद को छाया और फल देता है।”
“म कोिशश क ं गा मामा जी,” अभय ने ं धे ए गले से कहा।
“शाबास! मुझसे तुमसे यही उ मीद थी।” ठीक तभी डोरबेल बजी और कनल नारं ग ने
आगे कहा, “ये ज र िवदाई का वही तोहफा होगा, िजसे मने तुम दोन के िलए चुना है।
या तुम कह सकते हो क ये दहेज़ है, जो म अपनी बेटी को उसके खोये ए पित के दोबारा
िमलने पर एक नई िज दगी शु करने क एवज म दे रहा ।ँ ये तोहफा तु हारे िलए एक
बुजुग क ओर से जीवन भर का आशीवाद है मेरे ब , जो तु ह इस बात का एहसास
कराएगा क ई र क लीला कतनी िविच है। वह शैतान से कह अिधक समथवान है -
वारलॉक जैसी च टी तो उसके आगे कसी िज के कािबल तक नह है।”
हरीश दरवाजे से एक गरीब मजदूर जोड़े को िलए ए अंदर आया। औरत ने गोद म एक
ब ी को िलया आ था, िजसके चेहरे पर नजर पड़ते ही पायल अिव ास से भौच रह
गयी। वह झपटी और उस औरत क गोद से ब ी को लगभग छीन िलया - य क वह
अंशुल थी, उसक बेटी। अंशुल ने मजदूर के ब जैसे कपड़े पहने ए थी और उसक
आँख म साधारण काजल और माथे पर एक काला टीका लगा आ था। ले कन एक अपनी
जाई बेटी को एक माँ हज़ारो क भीड़ म से भी पर भर म पहचान लेती है। । पायल ने
अंशुल को कस कर अपनी छाती से भ च िलया। ब ी भी अपनी माँ का िचत-प रिचत
आ लंगन पाकर खुशी से िखलिखला पड़ी। पायल क आँख खुशी के आंसु से भर आय ।
उसने कनल नारं ग क ओर कृ त भाव से देखा, जो उसक आ मा क गहराइय से उमड़
रही थी।
अभय हैरतजदा था। उसे नह मालूम था क या ित या करे । “कै से? कै से आ
ये?” उसके मुंह से बस इतना ही िनकला।
“हरीश - इन दोन को बाहर के कमरे म इं तज़ार करने के िलए कहो ।” कनल नारं ग ने
कहा। जब वह जोड़ा बाहर चला गया, तब उ ह ने कहा, “एक पुरानी कहावत है मेरे ब ;
जाके राखे साइयां, मार सके न कोय। इसी बात को एक शायर ने कु छ ऐसे कहा ह - फानूस
बनकर िजसक िहफाजत हवा करे , वो शमा या बुझे िजसे रौशन खुदा करे । मने तुमसे
कहा था, ई र दयावान और माशील है, जो इं सान के गुनाह और बुराइय को माफ़ कर
देता है।”
“ले कन ये चम कार कै से आ?” अभय ने हैरत भरे वर म पूछा।
“जब तुमने अंशुल को नाले म फक दया था तो वह काली गंदगी म डू बी नह थी बि क
इसके बजाय उसका शरीर एक कार के पुराने टायर और ूब से टकरा गया था। उस ट र
के भाव से वह टायर तैरने लगा था। कसी नाव क तरह तैरते ए वह टायर उस जगह से
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दूर एक झु गी-झोपड़ी वाले इलाके म प च ं गया। जहां एक िनःसंतान औऱत ने अंशुल को


देख िलया और अपने पित क मदद से उसे नाले से बाहर िनकालकर अपनी झोपड़ी म ले
आयी और उसे अपनी बेटी बनाने का फै सला कर िलया। चूं क ऐसी मिलन बि तय म कोई
रह य, रह य नह रखा जा सकता इसिलए ज दी ही ये कहानी पूरी ब ती म फै ल गई और
सभी को पता चल गया क या आ है। ऐसा ही एक आदमी मेरे नस हरीश के भाई का
दो त था और आिखरकार उसके ज रये ये खबर मुझ तक भी प च ं गई।”
“मने तुरंत अपनी रे िजमट के एक दबंग फ़ौजी को वहाँ भेजा और पहले पूछताछ क ,
फर बहलाया-फु सलाया और फर अंत म पुिलस कारवाई क धमक देकर इन गरीब पित-
प ी को इस नाले म िमली ब ी को उसके असली माँ-बाप को स पने के िलए राजी कर
िलया। शहर से उनके भाग जाने का खतरा न उठाते ए मने हरीश और अपनी पहचान के
एक पुिलस कां टेबल को अपने फौजी के साथ कल रात ही ब े को लाने के िलए भेज दया
था। फर आज मने इ हे खुद उस ब े को तुम दोन को स पने के िलए बुलाया। मने कु छ भी
असाधारण नह कया। िजस तरह से तु हारी ब ी तु हारे पास वापस लौटी, ये अगर कोई
चम कार है तो ये भगवान क मज थी क वह अंशुल को बचाए और उसने यही कया। वह
िनःसंतान दंपित, हरीश का भाई, उसका दो त यहाँ तक क म भी के वल एक मा यम थे,
िजसके ज रये भगवान क इ छा फलीभूत ई।”
“ले कन उस अखबार क रपोट? िजसम एक ब े क लाश नाले म पाई गयी थी?”
पायल ने डो फ ने उसे जो दखाया था, उसे याद करते ए पूछा।
“ये संयोग ही था क तु हारी ही बेटी क उ क एक और ब ी नाले म उसी जगह
िमली थी, जहाँ अभय ने अंशुल को फका था। अपने अपराध से वा कफ अभय कू दकर इसी
नतीजे पर प च ं ा था क वह अंशुल ही थी। ले कन मुझे बताओ, या तुम उस ब ी क
लाश देखने और उसक पहचान करने गए थे?”
“नह , मेरा मतलब है क म मुदाघर पता करने गया था ले कन वहां मुझे बताया गया
क वह बगैर िशना त क ई लाश थी और कह गुम हो गयी है। शायद वह लाश
अ पताल के उन कमचा रय ारा चुरा ली गयी थी, जो लाश को चुराकर तांि क या
उन शोधा थय को बेच देते ह जो वै ािनक सं थान म गैरकानूनी और अनैितक योग
करते रहते ह।”
“लाश क चोरी! यानी क कोई मौत के बाद भी चैन और सुकून नह पा सकता है।
कतने भयानक होते ह गे वे इं सान, जो ऐसे काम करते ह। इसीिलए म कह रहा था क
डो फ और रोिहत से भी बुरे लोग इस दुिनया म मौजूद ह। ले कन देर-सबेर हर बुरा
इं सान कु दरत क अदालत म लाया जाता है।”
जब पायल ने उनक खोई ई बेटी को अभय को दोबारा स पा तो उसक आँख नम हो
गय । उस ण को याद करके वह भावुक हो गया, जब उसने पहली दफा एक नवजात ब ी
के प म उसे गोद म उठाया था। उसने बड़ी मुि कल से अपनी लाई रोक । वह इतना
भावुक हो उठा था क वह बार बार अपनी उस खूबसूरत ब ी के चेहरे को चूमे जा रहा
था, जो अपने पापा क परी थी। “म..म...म कभी आपके एहसान का बदला नह चुका
सकता मामा जी, कभी नह चुका सकता।” उसका गला भर आया।
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“फालतू क बात मत करो और मेरी इन दोन लड़ कय क देखभाल पर यान दो


जवान। म अब भिव य म तु हारे िखलाफ कोई िशकायत नह सुनना चाहता। ई र के
आशीवाद से अब एक नए जीवन क शु आत करो। भगवान अब तु ह हमेशा खुश रखे और
तु ह कभी ये एहसास न होने पाए क दुःख या चीज होती है।”
उस बुजुग के आशीवाद से अिभभूत होकर उनका चरण पश करने के बाद अभय अपनी
बेटी को गोद म िलए ए कमरे से बाहर आ गया। अभय ने उस द पित को िबना देख या
परवाह कये ए अपना पूरा पस खाली कर कर दे दया, जो उसक ब ी को वापस लाये
थे। वे दोन बाहर आये और अपनी कार क ओर बढ़ चले। गोद म अपनी ब ी को और
दािहने हाथ म पायल क कलाई थामकर कार क ओर बढ़ते ए अभय ने महसूस कया क
धुप कतनी चटक और खुशनुमा थी।
एक नयी दुिनया, एक नयी दन और एक नयी शु आत उनके दरवाजे पर द तक दे रही
थी। नई-नई िखले रं ग-िबरं गे फू ल पर िततिलयाँ मंडराने लगी थ । ऐसा लग रहा था मानो
सारा संसार बसंत के आगमन का वागत कर रहा हो। यातना, आतंक और खौफ से भरी
याह सद का लंबा और ददनाक िसलिसला गुजर चुका था और एक बार उन दोन के
जीवन म बसंत का आगमन हो रहा था। ये उ मीद और खुिशय से भरी एक नई शु आत
थी और पायल तथा अभय दोन ही ये िन य कर चुके थे क ार ध ने उ ह जो दूसरा
मौक़ा दया है, उसे वे अपनी ओर से शानदार बनाने म कोई कसर बाक नह रखगे। एक
ऐसा खुशनमा जीवन जो कोई वारलॉक उनसे कभी नह छीन सकता था।
समा

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