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Vikaram E Diwan - Warlock
Vikaram E Diwan - Warlock
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वारलॉक
िव म ई. दीवान
अनुवाद: च काश पा डेय
गहराई से जुड़ा है. यह पाठक के िन य ही र गटे खड़े कर देगा। " - दलीप शांिडल -
लॉगर और समी क
“जैसे-जैसे कहानी घटना-दर-घटना आगे बढ़ेगी, पाठक िन य ही दहशत म जकड़े
जाएंगे। दलच प और रोमांचकारी ढंग से िलखी गयी कहानी इस कताब को पृ -टनर
बनाती है। " - व ा पेरी - लॉगर और समी क
"िव म ई. दीवान, वारलॉक क रह यमयी दुिनया के िच ण म सफल रहे है। वह ब द
क गढ़ 'सकस' म पायल के संघष के दौरान पाठक को अपने स मोहन म पूरी तरह जकड़े
रहते है।" - िजते नाथ - लेख़क, किव, लॉगर और समी क
“एक उप यास जो आपको लैमर और जादू-टोने क दुिनया म ले जाता है - िजसमे
मह वाकां ा है और है िव ासघात। िव म क पु तक एक तेज़-गित वाली ि लर कहानी
है, जो आपको िज ासा और रोमांच के प रका ा पर ले जाता है।” - सरथ बाबू - लॉगर
और समी क
“शु या आपका, जो आपने इतनी नायाब हॉरर हम तक प च ं ाई। म भिव य के ब से
कहा क ं गा क "सो जाओ कं जर वरना वारलॉक का चै टर पढ़ के सुना दूग
ँ ा" - िस ाथ
अरोड़ा 'सहर' (कहानी वाला) - रावायन के लेख़क और समी क
“आहा। एक मनोरं जक पठन। फु सत के ण म पढ़ने के िलये सवथा उपयु , िवशेष प
से तब, जब आप अके ले ह । अपने भय का य सामना क िजये, जैसा क मने मेरे इस
पहले हॉरर उप यास को पढ़ते ए कया और उस दुिनया म वेश क िजये, जो अँधेरे के
साथ उजाले के संघष से भरी ई है। वा तव म म इसे एक फ म म पांत रत होते ये
देख रही ।ँ चेतावनी: य द आप दु ताकत , अनु ान और तामिसक या म यक न
नह रखते ह तो यह कताब आपके िलए नह है।” - जीना िसयांफ़रानी ( काशक और
ांड चारक)
"एक डरावनी कहानी जो बताती है क हम अपने बारे म कतना कम जानते ह।" -
किवता संह - लॉगर और समी क
“य द आप िवि और डरवाने पा वाले ि लर नावेल पसंद करते ह, जहां क पना
और वा तिवकता के बीच बस एक बारीक़ आवरण भर होता है - तो आपको इस पु तक
को पढ़ना ही होगा। - बीना रमेश - लेख़क, लॉगर और समी क
“हैिनबल ले टर (साइलस ऑफ़ द लै स) तो डॉ फ चानहर के सामने कु छ भी नह
है। िव म का मं मु ध कर देने वाला पहला उप यास वारलॉक; अ छाई बनाम बुराई,
अलौ ककता बनाम लौ ककता क एक ऐसी दा तान ह, जो पाठक को रात के अंितम पहर
म भी कहानी के संतोष द और दलच प िन कष पर प च ँ ने तक प े पलटते ए जगाये
रखेगी।” - एलन नाएस (रसरे शन सीरीज के लेखक)
“कहानी कहने और कथानक बुनने क यो यता के े म िव म कसी मायावी जादूगर
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क भांित अपने पूरे जलाल पर ह। कहानी दलच प तथा मनोरं जक दोन है। य द ये कोई
इं जाल ह तो आप यक़ न करे क आप िव म के फै लाये ए मायाजाल या स मोहन म
जकड़े जाएंगे।” - टमोथी वा सन ( फ ममेकर और शे सपीय रयन नाटककार)
" ी िव म ई.दीवान आज के बेहतरीन लेखक म से एक ह। उनक पु तक 'वारलॉक'
एक मा टरपीस है। - अनुज अजुन (IIT ड़क ) - लेख़क, लॉगर और समी क
नोट:
यह एक का पिनक कताब है। थान और सं था के
नाम का योग के वल क य को मािणकता दान करने के
िलये कया गया है। कहानी म आये सभी च र , नाम और
घटनाय लेखक क क पना पर आधा रत ह और कसी भी
जीिवत या मृत ि से कसी भी कार का स ब ध एक
संयोग मा होगा।
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अनु मिणका
अि म शंसा
शीषक
अनु मािणका
समपण
आभार
लेखक य
अनुवादक के श द
उ रण
तावना
खंड -1 सरकस
1. पेज 3 डांसर और िवि ह यारा
2. अिभने ी और ेमी
3. बंधक लड़क
4. दयावान इं सान और वि ल आँख वाली लड़क
5. शव-साधना
6. दो चेहर वाला आदमी
7. सकस, भूितया-घर और िशशु-बिल
8. जीवन-मृ यु का संघष
खंड -3 तांि को का यु
18. खौफ
19. आ मा का गहन अंधकार
20. अंत क शु आत
21. ब द का िचर-जह ुम
22. बसंत
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आभार
ि य पाठक ,
ऐसे ब त से लोग ह, िज ह ने मेरे लेखन के सफ़र म योगदान दया है और मेरे िलए इस
कताब को आप तक प च ँ ाना संभव बनाया है।
टोरं टो (कनाडा)
जीना िसयांफ़रानी एक धम-माता क तरह ह। इ ह ने मुझे पहला अवसर दया और
मेरी लघुकथा को अपनी काशन के कहानी-सं ह म कािशत कया। इनका अनवरत
सहयोग और ो साहन मेरी शि य म से एक है।
मुंबई
अिमत खान एक सफल उप यासकार, पटकथा-लेखक और काशक ह। इनका
मागदशन, ो साहन और सहयोग ही इस कताब के कािशत होने का मु य आधार है।
द ली
मेरे भाई आ द य व स ने इस कताब क स पूण काशन या के दौरान मेरा
ो साहन और मागदशन कया। इनके योगदान का आभार करने के िलये महज
‘ध यवाद’ श द अपया है।
वाराणसी
म तहे दल से आभारी ँ चं काश पा डेय का, िज ह ने इस नावेल का हंदी अनुवाद
करा और मुझे इस कथा को हंदीभाषी पाठको के सामने तुत करने म मेरी मदद करी।
भाषा, संपादन और अ य कसी कार क ु ट के िलए वह नह , आपुती म िज मेदार ।ँ
मेरठ
हंदी उप यास स ाट परशुराम शमा - िजनके उप यास को पढकर मेरी कशोराव था
बीती है - उनसे सा ात् िमलना और सीखना मेरे िलए एक िवल ण अनुभव था। उनके
ेह और आशीवाद का िलए म उनका ऋणी ।ँ ज़नाब आिबद रज़वी ने मुझे हमेशा
िपता-तुलय ेह दया है और मुझे हमेशा स कम क राह दखाई है. उनक सीख पर चलने
क म हमेशा कोिशश करता ।ँ
म अपने सभी कू ल तथा िव िवधालय के गु जनो को आभार करना चाहता ँ
िज ह ने मुझे िवधा का अनमोल दान दया। अंत मे म अपने माताजी ीमती सिवता
दीवान और वग य िपताजी ी सुरेश कु मार दीवान को अितशय ध यवाद देना चाहता ,ँ
िज ह ने मुझे जीवन म संघष और यास का दामन कभी न छोड़ने का पाठ पढ़ाया। अंतत:
म अपनी अधागनी ेता के अनवरत सहयोग और भरोसे के ित कृ त ,ँ िज ह ने मुझ
पर और मेरी लेखनी तब अगाध िव ाश कया जब संसार म कसी भी अ य ने नह कया
और जो िनतांत अके लेपन, संघष तथा अंधकार से भरी मेरी ल बी या ा क एक मा
हमसफ़र रही ह।
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लेखक य
ेरक पाठको,
वारलॉक उप यास को हंदी म आपके सम तुत कर के म अपार हष के अनुभव कर
रहा ।ँ यह उप यास मूल प से अं ेज़ी म वष 2018 और 2019 म दो भागो म कािशत
आ था। हॉरर और तं -म पर आधा रत एक नए लेख़क के उप यास को जो चचा और
ेह िमला वह अभूतपूव है। उप यास के छपते ही अनिगनत हंदी-भाषी पाठको ारा इसे
हंदी म अनुवा दत करके लाने क जबरद त मांग करी। फे सबुक और सोशल मीिडया पर
मुझ से जुड़े हंदी पाठको क अनवरत माँग को देखते ऐ ही मने इसे हंदी म लाने का
िन य कया।
मुझे अनुवाद और संपादन के समय मूल अं ेज़ी उप यास म सुधार क जहाँ भी
स भावना दखी, मने उसे करने म पूरा व और मेहनत ख़च क । मुझे िव ास है क िजन
पाठको ने वारलॉक के मूल अं ेज़ी सं करण को पढ़ा ह, वह भी इस बात क पुि करगे क
वारलॉक का हंदी कथाकन अपने अं ेज़ी सं करण से कं ही अिधक बेहतर, तेज़-र तार और
कसा आ ह।
मुझे आशा है क आप सभी पाठक अपने उस अपार ेह को बनाए रखगे िजसने मुझ
जैसे एक अित-साधारण कहानीकार को इस मुक़ाम तक प च
ँ ाया है। म अपने आपको
असाधारण या ितभावान नह , आपुती एक ईमानदार और मेहनती लेख़क के प म
देखता ।ँ जो क अपने पाठक को एक आधी-अधूरी या अधकचरी कहानी देकर धोखा
नह दे सकता। अपने यास म म कतना सफल या िवफल रहा ँ उसको जानने का मुझे
बेस ी से इं तज़ार रहेगा।
मेरा मानना ह क एक क़ताब क सफ़लता या िवफ़लता पाठक तय करते है; न क
आलोचक या सािह य के वयंभू मठाधीश। इसिलए इस उप यास क सफ़लता या
िवफ़लता का फै सला अब आपक अदालत म है। अपनी बेबाक़ राय से मुझे ज र अवगत
कराए।
*********
हम कहानी य पढ़ते या देखते है? जब कताब नह छपती थी। तब भी अलाव के इद-
िगद जमा लोग कहानी सुनते-सुनाते थे। यह सोच गलत है क चलिच , इं टरनेट या वेब-
सीरीज कताब , उप यास या कहािनय को ख़तम कर दगी। योँ क एक यादगार
चलिच या वेब-सीरीज के मूल मे भी एक कहानी ही होती है जो क एक दशक को एक
वि लन दुिनया म ले जाती है। कहानी कहना, सुनना, पढ़ना या देखना इं सानी दमाग़ क
तंि का (वाय रं ग) का एक अिभ िह सा ह। कहािनय इं सानी सोच, िमथक, आकां ा,
डर इ या द को संि हत करके आने वाली पी ढ़य तक ले जाने का एक मा यम है। इसे
पि म बौि क िवचार म सामूिहक चेतना (कलेि टव कॉि सयसनेस) कहा जाता है।
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अनुवादक के दो श द
ि य पाठक ,
स ेम नम कार। तुत अनु दत कृ ित के मा यम से बतौर अनुवादक थम बार आपसे
मुखाितब होते ए म इस रचना के मूल लेखक ी िव म ई. दीवान का इस हेतु ध यवाद
ापन करता ँ क इ ह ने मुझे अपनी अं ेजी रचना ‘वारलॉक’ के अनुवाद-काय हेतु यो य
समझा। य िप बतौर अनुवादक मने अपने कत का िनवहन करने म पूण िन ा और
सावधानी बरती है तथािप य द कसी सुधी पाठक को कोई ुटी अथवा मूल क य के साथ
कोई िवसंगित नजर आती है तो उनके सुझाव का सदैव वागत है।
भारतीय लेखन म, चाहे वह िजस भी भाषा म हो, ‘हॉरर’ िवधा को कम लेखक ने ही
छु आ है, ऐसे म ी दीवान जी ने इस िवधा को समृ बनाने क नेकनीयती के साथ
‘वारलॉक’ के मा यम से जो यास कया है, वह िन:संदहे सराहनीय है। बतौर अनुवादक
‘वारलॉक’ के साथ मेरा अनुभव ब त ही रोमांचक रहा और आशा है क आप भी उ ह
अनुभव से -ब- ह गे।
म ‘वारलॉक’ के मूल क य के साथ याय करने म कतना सफल आ, ये जानने क
ती ा मुझे बेस ी से है। आप अनुवाद संबंधी अपने िवचार और सुझाव ई-मेल अथवा
सोशल मीिडया के मा यम से मुझ तक ेिषत कर सकते ह।
िवनीत
च काश पा डेय
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खंड 1
सरकस
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तावना
म के वल दो माह का वह मासूम िशशु ,ँ िजसे एक ू र तांि क बिलवेदी पर कु बान
करने वाला है। मुझे अपने अपनी आस-पास क दुिनया का एहसास तभी होता है जब मेरे
िपछले ज म क मृितयाँ उभर कर मुझ तक प च ँ ती ह। आमतौर पर ऐसा मुसीबत या
घोर िवपि के ण म ही होता है। मुझे बताया गया था क ये िपछले जीवन क याद
समय के साथ धीरे -धीरे ख़ म हो जायगी, ता क म एक कोरे लेट के साथ नया जीवन शु
कर सकूं ।
मुझे नह मालूम क म इस सुनसान जगह पर कै से प च ं ा। म अपने कपड़ के नीचे मेरे
िज म से िलपटी झािड़य और काट क चुभन महसूस कर रहा ।ँ मेरे िसर पर अमावस
का काला आसमान और िनगाह के सामने झील का ठहरा आ पानी है। म रो रहा ँ
ले कन मुझे अपनी महफू ज बाह म लेने या मेरी भूख िमटाने के िलए मेरी माँ यहाँ नह है।
म भूखा, यासा और भयभीत ।ँ मुझे उ मीद है क अगर सामा य मनु य मेरा रोना नह
सुन पा रहे ह गे तो कम से कम अलौ कक शि धारण करने वाला कोई इं सान टेलीपैथी के
मा यम से मेरे िवचार को ज र सुन या महसूस कर रहा होगा।
मने टोपी यु काला चोगा पहने ए उस ल बे आदमी को कहते सुना:
‘एले सा। पीटर गं ी का गाना 'दी कॉवेन’ चलाओ।’
झील के कनारे रखे ‘ माट पीकर’ पर लयब विन के साथ खौफनाक संगीत बजने
लगा।
सुनहरा मुखौटा लगाया आ वह आदमी झील म उतरा। उसने कमर तक गहरे पानी म
खड़े होकर कु छ िमनट तक कसी मं का जाप कया। जाप के पूण होते ही कह से आग
का एक गोला कट आ और उसके िसर के चार ओर च र काटने लगा। इसके बाद उस
आदमी ने बगैर िवचिलत ए खुद को जलम हो जाने दया। झील क सतह पर कु छ देर
के िलए बुलबुले उभरे और पानी दोबारा पहले क तरह शांत हो गया। इसी के साथ आग
का गोला ‘ श’ क विन उ प करते ए दूर चला गया।
म अपनी छोटी-छोटी आँख से अपने आस-पास िछपी दु और पैशािचक आकृ ितय क
मौजूदगी को पहचान रहा ।ँ म चीख कर अपनी माँ को आगाह करना चाहता ,ँ ता क वे
मुझे अपनी छाती से लगाकर मुझे बचा ल, ले कन म ऐसा नह कर सकता ँ और न ही
अिधक देर तक रो सकता ।ँ म अब अपनी नाक पर सद क अकड़न और जननांग के आस-
पास गीलापन महसूस करने लगा ।ँ डरावने संगीत भी अब तेज़ हो गया है और अपनी
समाि क तरफ है।
‘ श’ क विन के साथ झील के पानी को जैसे फाड़कर वह दु आदमी कट हो गया है।
उसक दोन भुजाएं फ़ै ली ई ह और उसक आँख भावाितरे क म बंद ह। वह पानी क
गहराइय से िनकल कर हवा म ऊपर उठ रहा है। ऊंचा...और ऊंचा। ‘तो या...तो या
वह उड़ भी सकता है?’
मुझे तांि क से नफ़रत हो चुक है। कृ ित ने िजतने भी ािणय का सृजन कया है,
उनम ये सबसे िघनौने ह। म अपना कोई भी ज म तांि क के प म नह लेना चा ग ँ ा। और
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इस नीच, अधम , पापी को मुझ जैसे असहाय िशशु को बिल चढ़ाने के पाप का फल अव य
भुगतना पड़ेगा । कोई भी ब ा इसिलए ज म नह लेता क बिलवेदी पर उसका िसर काट
दया जाये। म इस तांि क को कभी माफ़ नह क ं गा। इससे बदला लेने के िलए म अव य
वापस आऊँगा। बहरहाल म आंसु से भरी ई भयभीत आँख से के वल यही देख पा रहा
ँ क वह अपने बिल-कु ठार (बिल क या म यु होने वाली कु ठार) क फलक को एक
काले प थर पर रगड़ते ये उसक धार तेज कर रहा है।
म शीशे के एक िपरािमड म ,ँ िजसका शीष गायब होने के कारण उसका ऊपरी िह सा
खुला आ है। बिल चढ़ाने के िलये आग जलायी जा चुक है और उसक लपलपाती लपट
क रोशनी म; इं सानी धड़ पर कु े या शायद लोमड़ी के िसर वाले शैतान क मू त नजर
आ रही है। वातावरण लोबान के धुएं, पशु के गो त और उनक हि य के कारण घुटन
भरा है।
उसका मं ो ार तो ण- ित ण ऊंचा होता जा रहा है और िघनौनी और पैशािचक
शि य को उनक न द से जगा रहा है। ज द ही ये सब-कु छ ख़ म हो जाएगा। ले कन मुझे
हैरानी है क जब मुझे इतनी ज दी और इस तरह दयनीय दशा म मरना था, तो मुझे ये
ज म िमला ही य ?
‘ओह। दु तांि क। म तुझे शाप देता ँ क तू हमेशा के िलए नरक क आग म सड़े।’
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अ याय 1
पेज 3 डांसर और िवि ह यारा
नई द ली ि थत जमन दूतावास समस ी क मा नंद जगमगा रहा था। आज इस
जगह िसतार से सजी रात ‘बॉलीवुड-नाइट’ का आयोजन था, िजसने दसंबर क सद रात
क नीरसता को गायब कर दया था। आज रात का मु य आकषण, बॉलीवुड क एक
खूबसूरत पसी और उसके साथी िव यात कु रयो ाफर डॉ फ चानहर का नृ य-
दशन था। इस जोड़े ने अपने कामुक और लयब ताल से मंच पर मानो आग लगा दी.
िजसने वहां मौजूद नई द ली और मुंबई से आये बड़े-बड़े राजनेता , उ ोगपितय ,
नौकरशाह और फ़ मी िसतार को चम कृ त कर दया।
जमन वासी डॉ फ चानहर और उसके करीबी िम जमन क चरल अताशे
(सां कृ ितक सलाहकार) ए रक जॉलेनबेक ने िमलकर झु गी-झोपड़ी के दिलत ब के िहत
के िलए ‘गाला चै रटी इवट’ के आयोजन कया था। बॉलीवुड क धड़कन माने जाने वाली
दीवा (त रका) के शानदार दशन पर पूरा हाल दशक के तािलय क गड़गड़ाहट से गूँज
उठा था। अितिथय के आवाभगत म ‘वीनर वचन’, ‘ि जकु कन ए बॉि डगॉज
मीटबॉल’, ‘पेपर म’, ब लन के डोनर कबाब और होल ेन ेड सिहत को रजो तथा
मश म टैपस जैसे पकवान के साथ िस जमन शराब ‘वाइन टीफानर हेफे वाइि बयर’
भी परोसी गयी थी। सभी अितिथ जमन मेहमाननवाजी का लु त उठाते ए दूतावास के
संरि त वातावरण म एक-दूसरे से घुल-िमल रहे थे।
इस रात का सबसे चमकता िसतारा डॉ फ चानहर एक गठीले िज म, चौड़े म तक,
ती ण नीली आँख और पीछे क ओर कढ़े ए बाल वाला ल बा ि था। उसक नाक
सुतवा, चेहरा चौकोर, भुजाएं शि शाली और उं गिलयाँ ल बी थ । क र माई ि व
वाला डॉ फ नेसल टोन (नाक से) म बोलता था। वह अ सर ल बी या ा पर रहता
था। उसक ‘अपॉइ मट-बुक’ पूरे साल के दौरान अंतरा ीय नृ य ितयोिगता म दशन,
शीष तर के गायक के साथ व ड टू र या फर बॉलीवुड के काय म क तारीख से भरी
होती थी। मंच पर दशन करने के बाद उसने ‘एिडओस नैपोिल’ सूट पहन िलया था और
‘ए ा डी िजओ ो युमो-िजओ जयो अरमानी (एव डे पर यूम)’ लगा ली थी। उसक ‘टैग
एर’ र टवाच और मगरम छ के चमड़े के जूते क भांित उसका बे ट भी काफ महँगी
था। उसका ि व कसी यूरोपीय राजकु मार जैसा था। उसके टाइल और बोलचाल के
तरीके को देखते ए उसे सहज ही जे स बांड का यूरोिपयन सं करण माना जा सकता था।
उसके ि व क एकमा खटकने वाली बात ये थी क उसने अपने बाय कान के लो म
हीरे का एक महंगा ईयर- टड (मद क बाली) पहना आ था और अपनी गदन पर आधा
दखाई पड़ने वाला एक टैटू गुदवाया आ था।
“मने ह े-क े और मरदाना िज म वाले कसी आदमी को इतने ब ढ़या ढंग से नाचते ए
कभी नह देखा है।” अधेड़ उ क एक मिहला ने डॉ फ चानहर के पास आते ए कहा।
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रपोट दज कराई गयी थी। उसका मोबाइल ग़ायब था और उसक कार भी लावा रस
अव था म महरौली के इलाके म पायी गई थी। ि वच ऑफ होने से पहले उसके मोबाइल
का आिख़री ात लोके शन वही थान था, जहाँ से उसक कार बरामद ई थी। िपछले दो
महीन म, कॉल रकॉड और पो टमॉटम रपोट से कु छ भी हािसल नह आ था और वह
के स महरौली पुिलस टेशन से ाइम ांच के पास आ चुका था। मरने वाली लड़क के
दजन िम , प रिचत , प रवार वालो, उस इलाके के तथा एनसीआर (रा ीय राजधानी
े ) के छंटे ए मुज रम के बयान तथा पुिलस ारा मुखिबर पर डाले गए दबाव से भी
कोई कारगर खुलासा नह आ था।
“उसके टायर के िनशान लैट(चपटे) थे िब ोई।” इं सपे टर ठाकु र ने अपनी यान मु ा
से बाहर आते ए कहा- “मुझे लगता है क आफत क शु आत यह से ई। य द उसक
गाड़ी पं चर नह ई होती तो वह बाहर नह िनकली होती और शायद अभी भी जीिवत
होती।”
“तो या आपको लगता है क ये उसका दुभा य था क वह गलत समय पर गलत जगह
मौजूद थी?”
“मेरा अनुभव तो फलहाल यही कहता है िब ोई। उस ए रया म कसी भी मैकेिनक क
या पं चर क दुकान नह है और पांच कलोमीटर के दायरे म कसी भी मैकेिनक या
पं चर वाले ने उसके या उसके कार के बारे म नह सुना।”
“सही कहा साब जी। मेरी टीम ने भी दो कलोमीटर के दायरे म मौजूद सभी फ़ामहाउस
को खंगाला था। वहां उपि थत टाफ और मािलय से पूछताछ भी क थी। उ ह ने भी
कसी क म क वारदात के बारे म नह देखा-सुना था।”
“य द लड़क का गला घोटने क बजाय उसका िसर काटा गया होता तो म इस के स को
भी ‘महरौली-ह यारे ’ के के स म शुमार कर लेता।”
“ले कन उस पागल ह यारे के काम करने का तरीका अलग है ठाकु र साब, िजसे
ससशनबाज़ मीिडया ने वा तिवकता से कह यादा बड़ा बना दया है...।”
“वह के स भी हमारे अित र िसरदद क वजह बना आ है। उस के स के बारे म तो
अभी तक हम यादा कु छ मालूम भी नह है, िसवाय इसके क लोग - िजनम यादातर
मिहलाएं, युवितयां और ब ह, गायब हो रहे ह। इसके बाद उनके िसर अथवा शरीर के
अ य अंग महरौली म या उसके आस-पास पाए जाते ह।”
“मुझे तो यह लगता है क पुिलस टेशन का टाफ ही नकारा है। ये मुम कन ही नह है
क इस तरह से ह याएं करने वाला अभी तक पकड़ा न जा सके । य द वे मुझसे पूछ तो म
यही क ग ं ा क काितल तक प चँ ने के िलए उ ह दो-तीन दजन सं द ध को िचि हत करके
उनक ढंग से िपटाई करनी चािहए।”
“मुझे शक है िब ोई क वे सभी ह याएँ एक ही सी रयल कलर ने क है, िजसे मीिडया
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अ याय 2
अिभने ी और ेमी
पायल चटज ‘भीका जी कामा लेस’ के पास बस से उतरी और अपनी सहेली के लैट
क ओर बढ़ चली, जो एक ब मंिजली हाउ संग कॉ ले स म था। उसने फसी लाइट के
एक बड़े शो म क िखड़क के सामने ठहर कर, उसके शीशे म अपना अ स को िनहारा
और इतरा कर मु कु राते ए गदन को जुि बश दी। उसने एक िनहायत ही ख़ूबसूरत युवती
को देखा था,, िजसका महताबी चेहरा असीम जीजीिवषा से प रपूण था। उसके काले ल बे
बाल कं ध के नीचे तक थे। भ ह अ छे से तराशी तथा आँख बादाम के आकार क और
िब लौरी थ । उसक ठु ी चेहरे को एक आकषक आकार दान करती थी। उसक
उँ गिलय के ल बे नाखून पर लाल रं ग चढ़ा आ था और हथेिलयाँ िब ली के पंज जैसी
थी - जैसा क उसके िम भी कहा करते थे। वह पांच फ ट तीन इं च ल बी और ह -पु देह
वाली थी। वह सफ़े द शट, भूरी पतलून और काले मखमल क हाई-हील सडल पहने ए
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थी। उसने शीशे से अपनी झलक हटाई और एक बार फर आ मिव ास से दमकता चेहरा
ऊपर उठाये ए भीड़ से अलग अपनी एक िविश चाल से चल पड़ी। उस व दोपहर के
डेढ़ बज रहे थे, जब वह लैट के डोरबेल को बजा रही थी। उसक सहेली ने दरवाजा
खोला। उसने नाईटी पहना आ था और बाल को पीछे क ओर ‘पोनी टेल’ क श ल म
बांधा आ था। शािलनी भी पायल के उ क एक ख़ूबसूरत युवती थी, ले कन वह उससे
तीन इं च यादा ल बी थी और उसके बाल भी थोड़े घने थे।
“आओ डा लग।” उसने पायल को अ दर आने का रा ता देते ए वागत भरे लहजे म
कहा। ‘डा लग’ शािलनी का रटा-रटाया श द था। ेगरी पेक से लेकर उनके भारतीय
सं करण देवानंद तक सभी, िजनम पायल भी शािमल थी, उसके ‘डा लग’ थे।
“ या तुम अभी तक नहायी नह हो?” पायल ने लैट म दािखल होते ए पूछा- “ या
तु ह मालूम भी है क ये दन कौन सा समय है?”
“ या तुम गुड़गाँव के कॉल सटर क मेरी नौकरी के बारे म जानते ए भी मुझसे ये
आशा करती हो क म ज दी नहा लूं? वह भी तब, जब पूरी रात ूटी करने के बाद सुबह-
सुबह लौटी होऊँ?” शािलनी ने लैट का दरवाजा बंद करके सोफे पर पायल के बगल म
बैठते ए कहा और उसके कं धे पर हाथ रखते ए आगे पूछा- “बताओ डा लग। का टंग
डायरे टर के साथ तु हारी मुलाक़ात कै सी रही?”
“काम नह िमला”
“उसने कसी और को य चुन िलया?” शािलनी ने पोजीशन बदलकर पैर को एक के
ऊपर एक रखकर बैठते ए पूछा- “ या तुमने उसे कु छ ‘और’ ऑफर नह कया था?”
“तुम सोचती हो क म उस कार क लड़क ?ँ ”
“तुम उस तरह क लड़क नह हो डा लग।” शािलनी ने दाशिनक लहजे म कहा-
“ले कन ये मद हमेशा अपनी वािहयात चाल चलते रहते ह।”
“वह िछछोरा था और मुझे ऐसे घूर रहा था, जैसे मुझसे पहले उसने कोई लड़क ही न
देखी हो। ये पु ष हमेशा एक ही घ टया बात सोचने के अलावा कु छ और य नह सोच
सकते ह?”
“ह म। जब क वे ेगरी पेक, देव आनंद या शिश कपूर क तुलना म िब कु ल भी अ छे
नह ह।”
“तुमसे बहस करना बेकार है। बाई द वे, आज लंच म या है? मुझे तेज भूख लग रही
है।”
“अगर तु ह लंच करना है तो ये तु ह खुद से ही बनाना होगा। फलहाल मेरा इरादा
जमकर नहाने का है।”
“ य ? या आज कु छ पेशल है?”
“हाँ। नरे श आया आ है। सुबह तु हारे जाने के बाद उसने कॉल कया था। वह शाम को
हम दोन को लेने आयेगा और फर हम बाहर गुड़गांव के कसी फाइव टार होटल म
िडनर करने जायगे।”
“तुम दोन के बीच म या क ं गी? के वल तुम दोन ही जाना। म रात के खाने म अपने
िलए कु छ बना लूंगी।”
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दादा-दादी रहते थे। वह महंगे सूट, िस क शट तथा काली पतलून पहने था और हमेशा क
तरह रोबीला नजर आ रहा था। पायल हमेशा ही उसके बाल को सलीके से कढ़ा आ
पाती थी। वह पायल को हमेशा बॉलीवुड ए टर जैक ॉफ क याद दलाता था।
पायल ने देखा क नरे श का दो त अभय बतरा, जो क उसक ‘ लाइं ड डेट’ था, वह
लगभग तीस-पतीस साल का एक नौजवान था। उसका शरीर भारी था और वह समय से
पहले आधा गंजा हो चुका था। उसने डायमंड िपन के साथ अ छा सा सूट पहना आ था।
वह वभाव से शम लाऔर अंतमुखी लगता था। वह चमकदार हीरे से जड़ी लै टनम क
अंगूठी और कलाई म महंगी रोले स घड़ी पहने ए था। यह सब उसके धनवान होना
सािबत करता था। पायल ने उसे कई दफे अपनी ओर घूरता पाया था, क तु नजर पड़ते ही
वह तुरंत दृि घुमा लेता था।
“तो आप कनाट लेस क ेवल एजसी म काम करते ह?” पायल ने पूछा।
“हाँ।” उसने उ र दया, जब क शािलनी और नरे श आपस म बात करने लगे थे- “म
एस.इ.टी.ओ. व ड ेवल म अिस टट डायरे टर ।ँ भारत के लगभग सभी मुख शहर म
हमारी शाखाएं ह। भारत और िवदेश के टू र पैकेज के साथ-साथ हम एयर टकट और
ल जरी िशप बु कं ग जैसी सभी सुिवधाएं दान करते ह।”
“अ छा है।” वह भािवत तो ई क तु य म उसने सामा य वर म ही कहा।
“और आप मॉड लंग करती ह?”
“असल म मै ए टंग करती ।ँ " उसने उ र दया- “म िशमला से ँ और यहाँ
टेलीिवजन सी रयल म अवसर क तलाश म आयी ँ और फ म के िलए भी, अगर चांस
िमला तो।”
“ या आपको अब तक कोई सफलता िमली ह?”
“इसने अपने होमटाउन म एक यूटी कांटे ट जीता था।” शािलनी ने बीच म टोका- “ये
कतनी ख़ूबसूरत है, नह ?”
“हाँ। ये...ब त ख़ूबसूरत ह।” अभय के मुंह से िनकल पड़ा।
“आप मेरे साथ लट कर रहे ह।” पायल ने शरारती ढंग से पूछा।
“िब कु ल भी नह । म आपको सच बता रहा ।ँ मेरा हर रोज लड़ कय के साथ िमलना-
जुलना होता है, ले कन मने आप जैसी लड़क आज तक नह देखी। आपक आँख बाल,
चेहरा , ि कन सबकु छ परफे ट है।”
“काश क ये टेलीिवजन सी रयल के ो ूसर होते। तुम या कहती हो डा लग?”
शािलनी ने कहा।
सभी हंस पड़े और मेज पर सव कये ए जायके दार िडनर का लु फ़ उठाने लगे। द ली
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अ याय 3
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बंधक लड़क
िजस समय अभय खाली सड़क से गुजर रहा था, उस समय शहर के दूसरे छोर पर
ि थत महरौली का राउल ए टेट अंधेरे म डू बा आ था। वह ए टेट 4 एकड़ म फै ला आ
था, िजसका अिधकांश िह सा बंजर था और जमीन से उभरे ए छोटे-बड़े लाल च ान से
भरा आ था। जगह-जगह मौजूद टील और ग के कारण जमीन उबड़-खाबड़ थी।
बेतरतीबी से उगी ई जंगली झािड़य और पेड़ वाला वह िनजन तथा भयानक थान
अपने मािलक क उपे ा का य गवाह था। एक मशान घाट और मुसलमान के
कि तान से सटे ए उस ए टेट के मुख थान म थे। एक फामहाउस िजसक छत पर
शीशे क िपरािमड था तथा जमीन के नीचे कु छ गु तहखाने थे। इसके अलावा वहां एक
कृ ि म झील, एक सरकस के अवशेष, िबयावान खंडहर और जंगली झािड़य से भरा एक
छोटा जंगल भी थे।
ू र रॉटवेइलर न ल के कु क एक टु कड़ी अपने मािलक क अनुपि थित म ए टेट म
िनयिमत प से ग त लगाती थी। हंसक न ल के वे वहशी कु े बाघ को भी चुनौती देने म
स म थे और ए टेट म दािखल होने का दु साहस करने वाले कसी भी श स को चीर फाड़
सकते थे। ले कन उस रात वे कसी घुसपै ठये का िशकार करने क फ़राक म नह थे
आपूितअँधेरे के कारण िनगाह से ओझल थे। कसी वजह से वे डरावने अंदाज म रो रहे थे।
उनका तीखा दन ए टेट के खौफनाक वातावरण म गूँज रहा था।
इन सभी ड़रावनी हक कतो से अनजान एक िभखारन अपने तीन ब के साथ
कि तान के पास क टू टी दीवार से ए टेट म दािखल ई। उन सभी के पास ताबीज थे,
िज ह वे गले म डाले ए थे या फर अपनी बांह से बांधे ए थे। चौकोर आकार के लोहे या
शायद िन कल क उन ताबीज के अलावा मिहला के पास एक अ य ताबीज भी था, जो
चौकोर आकार का और हरे कपड़े म िलपटा आ था। मिहला ने उसे अपने गले म काले
धागे से बांधा आ था।
उस िभखा रन का नाम मुमताज था, जो बार-बार सव के कारण समय से पहले ही
बूढ़ी हो गई थी। उसके बाल गंद,े अ त- त और जु से भरे ए थे, िज ह उसने बेहद
लापरवाह अंदाज म हरे रं ग के रबन से बांधा आ था। उसके चेहरे का रं ग बेहद काला
था। उसका माथा, आँख और नाक छोटी थ । उसक ठोड़ी आकषणहीन तथा ह ठ पतले थे।
उसके चेहरे पर वाथ, लालच और धूतता क मुहर अं कत थी। वह अिशि त, अस य और
सबसे िनचले दज के इं सान के उस तबके म ज मी थी, िजनके अथहीन अि त व का समाज
के िलए योगदान शू य होता है।
त बाकू चबा रही उस िभखा रन ने अपने एक साल के कमजोर और कु पोिषत ब े को
गोद म िलया आ था। दो अ य ब े उसके अगल-बगल चल रहे थे। िजनम से एक 6 साल
क लड़क थी, जो घुटने तक ल बी, कई जगह पर चकती लगी ई और टू टे बटन वाली
पीली ॉक पहने ए थी। उसके अनधुले कपड़े से उ टी, बासी खाने और मल-मू क बदबू
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“तुम गलत जगह पर आ गयी हो। उसके आने से पहले भाग जाओ। नह ..नह ..पहले
मुझे इन जंजीर से िनकालो। म झ र िजले के बीर-दादरी गाँव से ।ँ उस दु ने मुझे यहाँ
कै दी बना रखा है। उसके आने से पहले हम बाहर िनकलना होगा। इन जंजीर क चाबी
ढू ंढो। दीवार पर टंगी मिहला , लड़ कय और ब क उन लैक एंड हाइट (पोलरॉइड)
त वीर को देखो। वह द रं दा बताता है क ये उसके िशकार कये गए लोग क उनके मरने
से पहले क आिखरी त वीर ह। म नह चाहती क इन लोग क तरह मेरी त वीर भी इस
दीवार पर टंगे। िजस दन वह कै मरा लेकर आयेगा, वह दन मेरा आिखरी दन होगा। वह
मेरे साथ िघनौनी हरकत करता है, मेरी िपटाई करता है और मुझे भागने नह देता। लीज
चाबी को ढू ंढो।”
नुजहत ने उस लड़क क कलाई के चार ओर बंधे मोटे छ ल वाली जंजीर को देखा,
िजसका दूसरा िसरा एक लोहे के पलंग से जुड़ा आ था। बेड पर मौजूद िबना बेडशीट
वाला ग ा; वीय, मल-मू और खून के कारण ग दा और भूरा रं ग अि तयार कर चुका था।
ये उस बंधक लड़क क लगातार िपटाई और उसके साथ ए लगातार हंसक बला कार
क कहानी बयां कर रहा था। कमरे म चार ओर िमनरल वाटर क खाली बोतल और
रे टोरट के बचे ए खराब खाने के पैकेट िबखरे ए थे, जो कमरे म भटकने वाले बदसूरत
काले चूह ारा कु तर डाले गए थे।
“कै सी चाबी?”
“ओ फो बेवकू फ़। इन जंजीर क चाबी। तुम या िबलकु ल ही गधी हो? जाओ, मेरे
िलए उस चाबी को ढू ंढो।...अ छा ठीक है। म िच लाऊंगी नह । मुझे छोड़ कर मत जाओ।
इस हथकड़ी क चाबी बाहर कह सुरि त जगह पर है या शायद दीवार से िनकली ई
कसी क ल पर टंगी ई है। मुझे वहां से उसके उठाये जाने क आवाज सुनाई देती है। वह
मेरे साथ गंदी हरकत करता है, मुझे पीटता है और फर चला जाता है।”
“म चाबी ढू ँढने क कोिशश करती ।ं ”
“हां। देखो, म तु हारी बड़ी बहन क तरह ।ँ ” उसने बदहवासी म अपने बाल म
खुजली करते ए कहा- “मेरी मदद करो।”
कै दी लड़क ारा िनरं तर ो सािहत कये जाने के फल व प नुजहत जैसे-तैसे चािबय
के उस गु छे को ढू ँढने म सफल हो गई, जो कु छ ऊंचाई पर दीवार से िनकली एक खूंटी से
लटका आ था। उसने लाि टक के दो खाली िड बे एक दूसरे के ऊपर रख दए। दो बार
फसलने के बाद आिखरकार वह चाबी के गु छे तक प च ँ गयी। वह कमरे म वापस लौटी
और अपने से बड़ी उस लड़क को चाबी स प दी। लड़क ने कहा- “मेरा नाम यामा है।
जानती हो; वह आदमी पूरी तरह से पागल है। कहते ह क उसे लोगो के चेहरे पर बेबसी,
दद और खौफ देखकर मजा आता है। वह इन त वीर को देखकर जुनूनी हो उठता है और
मेरे साथ भी वही सब करता है, जो इनके साथ कया था। आओ। उसके आने से पहले से हम
िनकल जाएँ। मुझे रा ता नह पता है, ले कन हम दोन िमल कर उसका पता लगा लगे।”
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अ याय 4
दयावान आदमी और वि ल आँख वाली लड़क
“िनशा। मेरी ब ी।” उसने कहा- “तु हारा अब तक का दशन शानदार रहा है। तुम
एक अ छी और बेहतरीन डांसर हो। ये तु हारे कै रयर और जीवन का अंत नह है। अब
शांत हो जाओ और खेल-भावना के तहत उसी कार मु कु रा कर दखाओ, िजसके िलए
तुम जानी जाती हो।”
“आप नह जानते डॉ फ सर। कोई भी नह जानता क... ।” उसने िहच कय के बीच
कहा- “मेरा छोटा भाई एक जानलेवा बीमारी से त है। इलाज के िलए उसे अमे रका ले
जाने के िलए मुझे हर हालत म इनाम के पैस को जीतना था। अब मेरा भाई मर जाएगा।”
वह अ तदान कर उठी।
कै मरे क िनगाह दशक क भीड़ म बैठी उसक माँ पर क त हो गय , जो अपने साड़ी
के आँचल से आँसू प छ रही थी। इसी के साथ न पर 11 साल के एक खूबसूरत लड़के क
त वीर भी नजर आने लगी। चार ओर िन त धता और अिव ास का भाव ा हो गया।
कै मरा नम आँख वाले अ य कई लोग के चेहरे पर भी फोकस आ। रयिलटी शो का ये
ण उन िनमाता के िलए रोमांिचत कर देने वाला था, जो इस व शू टंग-ए रया के
सामने एक के िबन म बैठे ए उस टीआरपी रे टंग क क पना कर रहे थे, जो उ ह उस
फु टेज को सा ािहक झलक या टीज़र के तौर पर दखाकर िमलने वाला था।
“िनशा बेटा। लीज समझने क कोिशश करो। जीवन और मौत ई र के हाथ म है।
तु हारे भाई को कु छ नह होगा। वह ठीक हो जाएगा। तुम बहादुर हो, तभी तो तुम यहां
तक प च ँ ी हो। जीवन म आने वाली सभी बाधा और चुनौितय को दूर करके ही हम इस
दुिनया म अपने िलए जगह बना पाते ह। एक ितयोिगता के हार जाने से सब-कु छ ख़ म
नह हो जाता।”
“ले कन मेरा भाई मर जाएगा। मने उसे िनराश कया है। मने अपने प रवार को िनराश
कया है।”
“नह । तुमने ऐसा नह कया है। तुमने उ ह गौरवाि वत कया है। िजस कार हम सभी
को तुम पर गव है और हम तुमसे यार करते ह, उसी कार वे भी हमेशा तुम पर गव
करगे। मेरी यारी ब ी, म सबके सामने ये ऐलान करता ं क म तु ह अपने अगले गाने के
िलए साइन कर रहा ,ँ िजसमे बॉलीवुड के चहेते सुपर टार जॉली ख ा क फ म के िलए
कु रयो ाफ कर रहा ।ं म अमे रका म तु हारे भाई के इलाज का पूरा खच भी वहन
क ँ गा, िजसम तु हारे प रवार के वहां आने-जाने और रहने का खच भी शािमल है।”
इतना सुनते ही वह कृ त तापूवक डॉ फ के पैर पर िगर कर रो पड़ी। पूरे टू िडयो के
दशक और बाक जज भी डॉ फ चानहर के स मान म उठ खड़े ए और लगातार ताली
बजाते रहे। सभी टीवी चैनल ारा इस वीिडयो को हाथ -हाथ िलया गया। समाचार प
और फ म पि का ारा भी इस पर ापक रपो टग ई। जब चार दन बाद इस
एिपसोड का सारण कया गया, तो उस भावुक ण को देखकर करोड़ो दशक अपने
आंसु को प छते ए भाव-िवभोर हो उठे ।
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बंद कर चुक थी। कमरे के तीन तरफ लकड़ी क आलमा रयां थ , िज ह ने दीवार को फश
से सात फ ट क ऊंचाई तक कवर कया आ था। आलमा रय के ऊपरी िसरे पर लगभग
आधी इं च चौड़ी ैितज दरार थी। के वल दो दीवार क आलमा रयां उपयोग म थ , एक
कपड़े रखने के िलए और दूसरा छा ा के कपड़े टांगने के िलए।नीता के अनुसार कमरे क
तीसरी दीवार क अलमारी उपयोग म नह थी और उसे हर समय बंद रखा जाता था।
अ य सभी युवितय क तरह वह भी इस बात से अनजान थी क तीसरे दीवार क
अलमारी पीछे के एक कमरे म खुलती थी। वह और पायल, दोन ही इस बात से अनजान
थ क उस आलमारी के ऊपरी िसरे क दरार से एक जोड़ी कामुक आँख उ ह घूर रही थ ।
उन आँख क कामुकता और भी बढ़ गयी, जब उ ह ने उन दोन युवितय को अपने
कपड़े उतारकर नायलॉन के टाइट कपड़े पहनते ए देखा। वे दोन छ: ूबलाइ स क
रोशनी से कािशत उस कमरे से बाहर िनकल गय , ले कन वे रह यमयी आँख तब भी उस
कमरे म झांकती ही रह । उन आँख ने अ य लड़ कय को भी उसी कार कपड़े बदलते ए
देखा।
जब लड़ कयाँ लास म चली गय तो उन आँख के वामी ने धीरे से अलमारी का
िपछला दरवाजा खोला और उस कमरे म कू द पड़ा, िजसम आलमारी का कपाट खुलता
था। त प ात िपछले दरवाजे से बंगले के बरामदे म प च
ं ा। वह यथासंभव दीवार से
िचपक कर सधी ई चाल चलते ए एक मोड़ पर ठहर गया और चौक ी िनगाह से
ाइव-वे तथा लोहे क गेट का मुआयना करने लगा।
ाइव-वे पूणतया खाली था और चौक दार गेट के पास बने लकड़ी के के िबन म आराम
फरमा रहा था। वह अपने घुटन पर बैठ गया और िब ली क तरह चार पैर पर चलते ए
‘लड ू जर ैडो’ के िपछले दरवाजे तक प च ँ गया। उसने खामोशी से िप ला दरवाजा
खोला और डॉ फ चानहर के टेशन वैगन म घुस गया। उसने दरवाजा बंद कर िलया
और एक क बल को अपनी ठु ी तक ख च कर उसके नीचे िछप गया। उसका इरादा अगले
डेढ़ घंटे ैडो म िबताने का था। इसके बाद उसे फर से अंदर जाना था, य क तब
लड़ कयां अपने कपड़े बदलने के िलए एक बार फर च जंग म म वापस आती थ ।
दोपहर के ठीक चार बजे डॉ फ चानहर उस बड़े डांस हॉल म नजर आया। उसने
काले रं ग का नायलॉन का ऑउट फट पहना था। उसके बाल गीले थे और उसने इस कार
कं घी क ई थी क उसका माथा और भी यादा चौड़ा नजर आने लगी थी। उस हॉल म
लगभग तीस साल क या फर कड़क जवान और बेपनाह वाली युवितयां उसका
इं तजार कर रही थ ।
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“ऑल राइट लास।” डॉ फ चानहर ने अपने हाथ से ताली बजाते ए कहा- “आज
म आपको कु छ नए टे स िसखाने जा रहा ।ं मीना, यूिजक शु करो।” उसने आदेश
दया।
मीना नाम क एक मिहला हॉल के दीवार क ओर बढ़ गई। उस मिहला के बारे म
पायल को बाद म पता चला क वह अिस टट डांस इं टर थी और डॉ फ चानहर क
अनुपि थित म लास संभालती थी। वहाँ एक छोटी सी मेज पर सोनी का सी.डी. लेयर
रखा आ था। मीना ने डांस यूिजक क सी.डी. लगाई और अगले ही ण फन चर-रिहत
वह डांस हॉल संगीत क विन से गूंजने लगा।
ज द ही सभी िथरकते ए नजर आने लगे। हर कोई डॉ फ चानहर के टे स क
नकल करने क कोिशश कर रहा था, जो अपने पैर क उं गिलय के बल नाच रहा था। िजस
अ यािशत ढंग से वह नाच रहा था, उससे तीत होता था मानो उसके अंग-अंग म
िबजली भरी हो। लड़ कयां बमुि कल ही उसके साथ तालमेल िबठा पा रही थ । पायल को
वीकार करना पड़ा क डॉ फ क नृ य ितभा िन:संदह े असाधारण थी।
डॉ फ चानहर अगले गाने पर थोड़ा धीमा हो गया। तीसरा नंबर आने तक वह क
गया और अपने टू ड स के डांस पर नजर रखते ए उनके गलत टे स को सही कराने
लगा। जब उसने एक युवती क कमर पर हाथ रखा और उसके टेप को सही कराने के िलए
उसके हाथ को अपने हाथ म िलया तो पायल के िलए यह तय करना मुि कल हो गया क
डॉ फ चानहर के वल एक उ साही टीचर है या उसके बारे म नीता ने जो खुलासे कये
थे, वे सच थे। जब क उस लड़क के चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे क डॉ फ के पश और
नज़दीक भर से उसे सहवास क अनुभूित हो रही हो।
डांस लास शाम पांच बजे तक चलती रही। जब अिस टट डांस इं टर मीना
(सहायक नृ य िनदिशका) ने कॉ पै ट िड क लेयर पर यूिजक बंद कया तो डॉ फ
चानहर ठं डी क उस सद शाम म भी पसीने से सराबोर हो रहा था। “आलराइट टू ड स।
अब यान से सुनो।” उसने उस छोटे से तौिलये से अपने माथे और चेहरे के पसीने को
प छते ए कहा, “िमस मीना कल क लास लगी। म परस ही वापस आ पाँऊगा। सभी
लड़ कयाँ िसफ िसफ इस वजह से लास न छोड़ यो क कल मेँ लास म नह र ग ँ ा।”
उसने कहा और हॉल से बाहर िनकल गया।
सभी लड़ कयां अपने कपड़े बदलने के िलए च जंग म म चली ग । बेशक, उनम से
कोई भी लड़क उन अ ात रह यमयी आँख के बारे म नह जानती थी, जो उ ह अलमारी
क दरार से देख रही थ । ज द ही सभी लड़ कयां चली ग । उन आँख का मािलक एक
बार फर कमरे म कू दा और शाितराना चाल चलते ए डॉ फ चानहर क ‘लड ू जर’
म िछप गया।
“तुम घर जा रही हो?” बंगले से बाहर आने के बाद नीता ने पायल से पूछा।
“हाँ। और या?”
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अ याय 5
शव-साधना
चंगू और मंगू गांजे (एक कार का नशीला पदाथ) के शौक़ न थे। वे दोन अपने उ के
तीसव साल म थे। वे मजदूर थे, जो अपनी ज रत को पूरा करने के िलए कोई भी काम
करने को त पर रहा करते थे। उनका पसंदीदा ठकाना महरौली का मशान था, िजसे वे
अपने चंडूख़ाना (अफ म-घर) के प म इ तेमाल करते थे। दूसरी आदत, जो उन दोन म
समान थी; वह थी से स और िचलम क लत। उ ह मिहला को अपना 'पौ ष' दखाकर
भाग जाने म भी मजा आता था।
“चंगु गु । आज तो नशा चढ़ ही नह रहा।”
“अबे अभी तो हमने शु ही क है। दो-चार कश और ज़माने दे।”
“मेरी लुगाई इतनी जबरद त है क यहाँ आस-पास उसके जैसी कोई औरत है ही नह ।
जी.बी. रोड क रं िडय म भी अब वह बात नह रही।”
“तू अपनी बीवी के बारे म सोच रहा है इसीिलए तो तुझे चढ़ नह रही है। म कभी
अपनी लुगाई के बारे म नह सोचता। कौन जाने क वह कहाँ-कहाँ मुंह मारती फरती है।”
“गु इस बाड़े क दूसरी तरफ वह फामहाउस कसका है?”
“पता नह । पहले जो माली वहां आता था, उसने एक बार बताया था क उसके साहब
लोगो को िमलना-जुलना पसंद नह करते ह।”
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“ कसी ने मुझे बताया था क इससे पहला वाला मािलक बड़ा दबंग था, वो कहता था
क यह मशान और कि तान दोन ही उसके फामहाउस का िह सा ह।”
“अब हम इस बात को लेकर य झक मारने लगे?”
“इसका वतमान मािलक शायद कोरट-कचहरी करने म दलच पी नह रखता है।”
“सही भी है जब उसके पास इतना बड़ा फामहाउस है तो वह मशान और कि तान
लेकर भला या करे गा।”
“ले कन गु , लोग कहते ह क फामहाउस क ओर से अजीब-अजीब सी रोशिनयाँ और
आवाज आती ह।”
“अब तू अपनी बकवास बात से मेरा दमाग खराब कर रहा है। वैसे भी अगर भूत- ेत
मशान और कि तान म नह ह गे तो फर कहाँ ह गे?”
“यही तो म भी कह रहा ँ गु । हैरानी क बात तो ये है क भूत- ेत मशान या
कि तान नह बि क फामहाउस म रहते है।”
“अबे साले। आ मा को या मालूम क कहाँ पर मशान या कि तान कँ हा ख़ म
होता है और कहाँ से फामहाउस शु होता है? वे जहां चाहगे वहां जाएंगे।”
“जे पते क बात, गु । इसके अलावा एक बात और भी हो सकती है। यहां मशान और
कि तान म लोग हर व मुद को जलाने और दफनाने के िलए आते रहते ह, जब क
फामहाउस क ओर कोई नह आता-जाता है, इसिलए भूत - ेत को वह एकांत जगह ठीक
लगती होगी।”
अ याय 6
दो चेहर वाला आदमी
और शािलनी को िप ा-हट ले गया था। अभय िजस अंदाज से पायल को शंसा मक दृि
से देखता था, उस पर उसके ि व ने उसे चेताया क वह पायल को लेकर गंभीर होने लगा
है। इसके बाद उसने सांकेितक भाषा म अभय को इस बात का बोध करा दया क वह पूरी
तरह से अपने क रयर पर यान के ि त कर रही है और फलहाल वह अपनी हमउ
युवितय क तरह शादी के ित गंभीर नह है। दरअसल वह इस बात को लेकर आशं कत
हो उठी थी क भिव य म अभय उसे िनयिमत प से डेट पर बुलाकर परे शान करना शु
कर सकता है।
आया और खान के फोड म बैठ गया, जो उसके बैठते ही वहां से तुरंत दूर चली गयी। फोड
नेह लेस के बगल म ि थत ‘पारस' िसनेमा हाल के सामने एक पेड़ के नीचे क । खान
कार क वंड न और रयर ू िमरर म सतक िनगाहो से देखते ए ये सुिनि त करने म
लगा था क कोई उस पर नज़र तो नह रखे ए था।
“"कु े के िप ले। तूने यह या तमाशा लगा रखा है?” डॉ फ चानहर भड़का।
“बेवकू फ मत करो। एक छोटी सी गलती भी हम दोन का बेड़ागक कर देगी।”
“तुझ पर ख़दा क मार। तू यँहा पर गैर कानूनी ढंग से रह रहा है। म तुझे आसानी से
सलाख के पीछे प च
ं ा सकता ।ं ”
“ या तुम मेरा िलफाफा लाये हो?” उस आदमी ने अपनी चौक ी िनगाह
चार ओर घुमाते ए पूछा।
डॉ फ चानहर ने दो हजार के करसी नोट से भरा एक िलफाफा िनकाला और उसे
उस नशीली दवाओँ के सौदागर क ओर फक दया। “कोक कहाँ है?”
खान ने कहा- “तु हारी सीट के नीचे है।”
सीट के नीचे हाथ डालने पर डॉ फ चानहर को एक छोटा सा पैकेट िमला, िजसे
उसने अपने लेज़र क भीतरी जेब म डाला। वह कार का दरवाजा खोल कर बाहर िनकला
और लंब-े ल बे डग भरता आ दूर चला गया। डॉ फ चानहर पर यान दए िबना
अफगानी ग डीलर भी वहां से चला गया। जब डॉ फ ‘पारस' िसनेमा से पैदल चलते
ए भीड़ भरे नेह लेस से होते ए होटल के पास प च
ं ा तभी उसका मोबाइल बज उठा।
“हाँ रोिहत।” उसने चलते ए कहा।
“कहाँ हो भाई?”
“होटल के बाहर ।ँ ज द ही रे टोरट म तुमसे िमलूंगा। तुम लंच का आडर दे दो।”
“नह । म तु हारे आने तक इं तजार क ं गा।” कॉल िडसकने ट होने से पहले जवाब
आया।
डॉ फ चानहर ने अपना िसर िहलाया और फोन बंद करके उस ऎ यशाली पांच
तारा होटल क मु य इमारत क ओर बढ़ गया। वह रे टोरट म प च ं ा। रोिहत ने उसे देख
कर हाथ िहलाया। वह उसके पास प चं ा और बेहद गमजोशी के साथ उससे गले िमला।
रोिहत मीरचंदानी उसका ख़ास दो त था, जो कू ल के दन से ही उसके साथ था।हालां क
खुराफात के मामले म दोन लगभग बराबर थे, ले कन रोिहत क तुलना म डॉ फ
चानहर कं ही अिधक आ ामक, हंसक और सनक था।
“ या आ भाई?” रोिहत ने पूछा- “तुम तो ब त गु से म लगते हो?”
“वो हरामज़ादा खान मुझसे बुरी तरह से िपटेगा।” डॉ फ ने रोिहत के सामने वाल
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अ याय 7
सकस, भूितया-घर और िशशु-बिल
फोन क लगातार बजती घंटी ने पायल को न द से जगा दया। उसने त कया िसर पर
रख िलया, ले कन न तो शोर बंद आ और न ही धीमा आ। आिखरकार उसे फोन करने
वाले क िजद के आगे झुकना पड़ा। वह िब तर से बाहर िनकली, पैर म लीपर डाला और
फोन उठाने के िलए लैट के ाइं ग म क ओर बढ़ गई। दोपहर हो चला था। शािलनी
शॉ पंग के िलए लाजपत नगर गई ई थी और पायल लैट म अके ली थी।
“हाँ।” वायरलेस फोन उठाते ए उसने अलसाए वर म कहा।
“हाय पायल। म ,ं अभय।” उसने दूसरे छोर से सुना।
“कै से हो अभय?” उसने सोफे पर लेटते ए पूछा।
“मै ठीक ।ँ तु ह ऑ फस से कॉल कर रहा ।ं ”
“हाँ। म सुन रही ।ँ ”
“म...म तु हारे बारे म ही सोच रहा था। इसिलए सोचा क तु ह फोन कर लूं। दरअसल
के वल तु हारे ही बारे म ही सोचते रहने के कारण म कोई काम नह कर पा रहा ।ँ ” उसने
एक ही सांस म कबूल कर िलया।
“ि ल टग अ छी कर लेते हो।”
“अ छा सुनो, म तुमसे िमलना चाहता ।ँ ”
“तु हारा मतलब है क अभी?”
“आज शाम िडनर के िलए िपछली बार वाली जगह पर िमलते ह। या कहती हो?”
“अभी कु छ कह नह सकती। सोच कर बताऊंगी।”
“अरे मान जाओ। के वल िडनर क ही तो बात है। िपछली बार क तरह तुम, मै और
शािलनी साथ चलगे।”
“ठीक है।” पायल अभी भी दुिवधा म थी।
“ब ढ़या। म तुम दोन को शाम आठ बजे लेने आ रहा ।ं ”
“म शािलनी को इस बारे म बता दूग
ं ी।”
“पायल; एक बात और।” उसने िझझकते ए कहा।
“हाँ।”
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ै ो त
ड ु गित से दौड़ता रहा, और शी ही बाक वाहन क चीख और शोर को पीछे
छोड़ते ए आगे िनकल गया। पायल ने अपने पीछे उन कार , बस और दोपिहया वाहन
को आते ए देखा, िज ह ने डॉ फ चानहर को बचाने के िलए ीन िस ल पर ज़ोर से
ेक लगायी थी और आपस म िभड़ गए थे।
“आपका भा य अ छा है क आपका पीछा करने के िलए वहां आस-पास कोई ै फक
पुिलस या मोटरसाइ कल सवार कां टेबल नह था।” पायल ने कहा।
“ले कन वे मेरा पीछा करते ही य ?” डॉ फ चानहर ने हैरत भरे लहजे म पूछा।
“मुझे ऐसा कहना पड़ा ता क आप थोड़ा डर।”
“अब मेरे सामने यह सब ामेबाज़ी ।” डॉ फ चानहर ने कहा और कार के टी रयो
पर पीटर गं ी का संगीत ‘है पे नंग आल टाइम’ चला दया।
पायल ने थोड़ी देर बाद युिजक का वॉ यूम कम कया और पूछा- “ या हम साउथ
ए सटशन वाले आपके इं ि ट ूट पर नह जा रहे ह?”
“नह । हम महरौली के एक बड़े ए टेट म जा रहे ह। तुमने इस पूरे शहर म उस जगह
जैसी कोई दूसरी जगह कभी नह देखी होगी।” उसने गव से कहा।
पायल ने पूछा- “ या वहां टी.वी. ोडू सर भी आ रहे ह?”
“हाँ।” उसने पायल क िनगाह का सामना करने से बचते ए जवाब दया। ीन पाक
के पॉश इलाके से गुजरते ए उसने संगीत का वॉ यूम फर से बढ़ा दया।
पायल को थोड़ी घबराहट होने लगी थी या शायद ये उसके नारीसुलभ अंतमन क
आवाज थी, जो उसे चेतावनी दे रही थी क कह कु छ गड़बड़ है। ो ूसस से िमलने का
उसका सारा उ साह अब धीरे -धीरे लु होता जा रहा था। उसे ये भी आभास होने लगा था
क डॉ फ चानहर का आमं ण वीकार करने म उसे ब त ज दबाजी कर दी थी। उसे
अभय के साथ डेट पर जाना चािहए था। उसके साथ वह अपने आप को िबलकु ल िन ंत
और सुरि त महसूस करती थी।
द ली के िस और ऐितहािसक थल ‘कु तुब मीनार’ तक प च ँ ने के दौरान पूरे रा ते
भर उपरो िवचार उसके मन-मि त क पर छाए रहे। यहाँ से डॉ फ चानहर क ैडो ने
महरौली के बड़े ए टेटो क ओर जाने के िलए दांये ओर मुड़ गयी। डॉ फ चानहर ने
अपने टेशन वैगन क र तार कम करके उसे उस क ी सड़क पर उतार दया, जो आगे
चलकर राउल ए टेट के िवशाल आयरन गेट के सामने समा हो जाती थी।
पायल ने रा ते के बा ओर एक साइनबोड देखा, िजसम चेतावनी िलखी गई
थी:
वेश िनषेध
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िनजी संपि
घुसपैठ करने वाले पर मुकदमा चलाया जायेगा
डॉ फ चानहर ने लड ू जर ैडो का दरवाजा खोला और जंजीर से बंधा ताला
खोलने के िलए गेट क ओर चला गया। वह वापस आया और टेशन वैगन को अंदर ले
गया। पायल ने इतनी मन स जगह कभी नह देखी थी। सै य ठकान क तरह उस ए टेट
को लोहे के कटीले तार से घेरा गया था। थोड़े-थोड़े फासले के अंतराल पर बने ए
अनिगनत ख भ से होते ए वे कटीले तार आयरन गेट से शु होकर पूरे ए टेट को
चारदीवारी के प म घेरे ए थे।
पायल ने कम से कम यारह फ ट ऊंचे उस बाड़े को देखा। उसे वह ए टेट कसी ऐसे खुले
जेल क तरह नजर आया, जहाँ से बच िनकलने का कोई रा ता नह था।
“ ोडू सर कब आएंगे?”
“उसके बारे म चंता मत करो। उस हरामी को आने म अभी देर है। हमारे पास अभी
काफ समय है। सामने देखो, वह फाम हाउस है।” डॉ फ चानहर ने वंड न से सामने
क ओर इशारा करते ए कहा।
पायल ने देखा क वह घुमावदार रा ता एक एकमंिजले फामहाउस के पोच म जाकर
ख़तम होता था, िजसके छत पर शीशे के िपरािमड था। उसके सामने ही एक छोटी सी
कृ ि म झील थी। गुलाबी रं ग के खूबसूरत गोल प थर से झील से फामहाउस तक जाने का
रा ता था िजसक बगल म छोटे छोटे दो फु ट ऊँचे ख बो पर गोल लाइटे लगी थी।
डॉ फ चानहर ने फ़ामहाउस के लकड़ी के दरवाजे के ठीक सामने पोच के पथरीले
धरातल पर कार को रोक दया। “तुम बैठी रहो।” उसने दरवाजा खोलकर टेशन वैगन से
बाहर िनकलते ए कहा- “म अभी वापस आता ।ँ ”
“आप कहाँ जा रहे ह?” पायल ने असमंजस भरे लहजे म पूछा।
“लगता है मने सामने वाले दरवाजे क चाबी गलत जगह पर रख दी है। म िब डंग के
पीछे क शेड से डु लीके ट चाबी लाने जा रहा ।ँ तु हारे सोचने से पहले ही म वापस आ
जाऊंगा।” उसने एक झटके से कहा और चला गया।
पायल का दल क ह अ ात कारण से जोर-जोर से धड़क रहा था। उसे लगा क
बाहरी दुिनया से अलग-थलग उस ए टेट म वह िनतांत अके ली है। ाइ वंग सीट क खुली
िखड़क पर नजर पड़ते ही वह जोर से चीख पड़ी। वहां एक अप रिचत और रह यमयी
चेहरा उसे घूर रहा था। उसने अपनी तरफ का दरवाजा खोला और कार से तेज़ी से बाहर
िनकली। अजनबी लड ू जर के सामने से होकर दौड़ते ए उसके पास आ गया।
वह बामुि कल पाँच फ ट ऊँचा एक दुबला-पतला आदमी था। उसके िसर पर ब त
छोटे-छोटे बाल थे और आख कोटर म गहरी धँसी ई और िन तेज नजर आ रही थ ।
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कपड़े के नाम पर वह फटा-पुराना िचथड़ा वाला कोट, कमीज़, कई पैब द वाली पतलून
और पैर म गंदे जूते पहना आ था। उसके िसर पर टे ट- के टर क भांित गोलकार
सफ़े द टोपी थी जो समय के साथ गंदली हो गयी थी। थम दृ या पायल को वह कोई
पागल आदमी नजर आया। जो अ सर सड़क , बस टड और रे लवे टेशन पर भटकते ए
दखाई दे जाते ह। पायल संदह
े पूण दृि से गंदे पीले दांतो वाले उस आदमी देख रही थी।
वह एक दफा बार फर जोर से िच ला पड़ी, जब पीछे से कसी ने उसके कं धे पर हाथ
रखा।
“अरे पायल ये म ।ँ ” डॉ फ चानहर ने हंसते ए कहा- “ या आ? तुम सूखे प े क
तरह य काँप रही हो?” “य...ये..।” पायल ने डॉ फ चानहर के पीछे िछपते ए और
सामने खड़े उस अजनबी क ओर इशारा करते ए कहा।
“ओह। वह? तु ह उससे डरने क ज रत नह है। वह तु ह कोई चोट नह प च
ं ाने वाला
था। कम से कम उससे तो तु हे कोई खतरा नह है।”
“वह है कौन ?” पायल ने पूछा। वह अभी भी डॉ फ चानहर के पीछे िछपी ई थी।
“इसका नाम िब टू है। मुझे चाबी िमल गई है। चलो अ दर चल।”
पायल ने िब टू नाम के उस श स को खुद से बात करते ए दूर जाते देखा। वह अपने ही
खयाल म म त था। “आओ।” डॉ फ चानहर ने उसे दरवाजे के सामने प च ं कर बुलाया,
जो पोच से पांच सी ढ़य क ऊंचाई पर था।
वह दरवाजे तक प चँ ी और फर अंदर दािखल हो गई। डॉ फ चानहर भी लाइट
ऑन करते ए उसके पीछे-पीछे अ दर दािखल हो गया। पायल ने खुद को एक लॉबी म
खड़े पाया। डॉ फ चानहर उसे एक बड़े ाइं ग म म ले गया। िजसक दीवार से कई
जानवर के िसर लटके ए थे।
“वह कौन था?” पायल ने अपना दोहराया। डॉ फ चानहर ने उसे सोफे पर बैठने
का संकेत कया।
“कौन, िब टू? वह तो पागल है।”
“ये तो म भी समझ गयी ,ँ ले कन वह यहां या कर रहा है?”
“मने उसे सड़क पर से उठाया है, जहाँ वह बेवजह भटक रहा था।”
“आप एक पागल को यूं ही उठाकर घर ले आये?”
“अब ऐसा तो मत कहो क जैसे मने कोई बेवकू फ़ का काम कया है। वह बु धू रहम के
कािबल नज़र आ रहा था। उसके पास रहने क कोई जगह भी नह थी। इसीिलए म उसे
यहाँ लेता आया। इसके अलावा वह मुझे सरकस के िलए एकदम फट लगा था तो मने
सोचा....”
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चुके थे। उन भुलाए जा चुके लोग के सामूिहक ठकान म लगभग 20-25 घर थे। समय के
ू र हाथो ने उन घर दो को अब अतीत क िनशानी भर बना दया था।
बंजारे घुम ड़ लोग थे। वे म य चीन और मंगोिलया से लेकर दि ण-म य एिशया और
पूव यूरोप के सुदरू े तक मण करते थे। वे परं परागत ढंग से रहने के िलए थायी
िनवास नह बनाते थे। वे भिव य बताने से लेकर लोहे के हिथयार इ या द बनाने के पेश
म स य थे। उन बंजार म से कु छ ऐसे भी थे, जो िविभ आपरािधक कृ य जैसे छीना -
झपटी, वे यावृि और डकै ितय म भी शािमल रहते थे। वे कसी भी संग ठत धम का
पालन नह करते थे। एक िवचारधारा ये भी थी क स दय पहले उनका र दूिषत हो
चुका था। और वह शैतान के उपासक और अंधकार के अनुयायी थे, जो काले जादू म
िस ह त थे।उन लोग क मौजूदगी और उनक तांि क गितिविधय ने उस भूिम को दु
और शैतानी ताकत के पनपने के िलए उपजाऊ थल बना दया था। उनके ारा पीछे
छोड़े गए ख डहर उन घर जैसे थे जहाँ ह याय-आ मह याय और असमय मौते ई होती
है. ऐसी जगह हमेशा दु और पैशािचक शि य को चु बक क तरह आक षत करती है।
“अब देर हो रही है। ज द ही अंधेरा हो जाएगा।” डॉ फ चानहर ने ेन के लीवर को
संभालते ए कहा- “म ेन को फामहाउस क दशा म मोड़ लेता ।ँ ”
“उन खंडहर के बाद या है?” पायल ने पूछा।
“कु छ भी नह ।” डॉ फ चानहर ने जवाब दया- “के वल घास का खाली मैदान और
कं टीले तार के बाड़े के बाद मेन रोड।”
वा तव म अब पायल ेन क सवारी का लु त उठाने लगी थी। दसंबर क शाम ने हवा
म एक सुखद और सद एहसास घोल दया था। ए टेट क ह रयाली को छू कर आती ताजी
हवा को साँस के ज रये वयं म उतारकर पायल अपने अंतमन को ह का महसूस करने
लगी थी। ेन जब अपने ारं िभक बंद,ु जहाँ पट रयां ‘यू’ के आकार म त दील हो गयी थ ,
पर वापस प च ं ी, तो डॉ फ चानहर ने उसे रोक दया। वह अपने िड बे से बाहर
िनकला और पायल के िड बे का दरवाजा खोल दया। वे दोन एक दूसरे के आगे-पीछे
चुपचाप फामहाउस क ओर चल दए।
थोड़ी देर बाद पीछे मुड़ने पर पायल ने पाया क डॉ फ गायब हो चुका था। उसने
थोड़ी देर उसका इं तजार कया ले कन वह नह लौटा अंतत: वह फ़ामहाउस म लौट आयी।
िबजली के चले जाने पर उसने पीतल के टड पर लगी मोमबितया जला ली। उनके
लपलपाती रौशनी म जानवर के सर भयानक लग रहे थे। लकड़ी के फश के नीचे से आने
वाली ड़रावनी आवाज ने उसे खौफजदा कर दया था। उसे लगा जैसे हवा बा रश क
बौछार के साथ िखड़क के शीशे से टकरा रही हो।
एक ू र अ हास के बाद आयी कसी लड़क क चीख सुन पायल घबरा गयी। उसने
येक कमरे का मुआयना कया, ले कन उसे वहाँ कोई नह िमला। अपनी पीठ पर कसी
अदृ य हाथ का पश पाकर वह च क उठी। अगले ही पल उसे अपने कान म कसी बूढ़ी
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एक अ यािशत शोर ने उसे जड़ कर दया। पहले उसने इसे अपना वहम समझकर
नजरअंदाज करना चाहा ले कन फर उसे महसूस आ क ये उसका वहम नह था।
िहच कयाँ लेकर रो रहे कसी ब े वह आवाज रीढ़ क ह ी म िसहरन भर देने वाली थी।
ले कन वह ब ा वहां या कर रहा था? ब े क झलक पाने के िलए पायल ने अपनी
िनगाह उस दशा म घुमाई, िजस दशा से रोने क आवाज़ आ रही थी। िपरािमड क उससे
दूर वाली दीवार के पास एक वेदी पर रोता आ ब ा लेटा था, ले कन पायल ये नह
समझ सक क उसे कसने और कस कारण से वहां िलटाया था। िपरािमड के कांच के
दरवाजे के खुलने क झनझनाहट से पायल के िवचार क ृंखला भंग हो गयी।
अ दर दािखल होने वाले आदमी को देखकर वह हैरान रह गयी। उसने काले रं ग का
टोपी वाला चोगा पहना आ था और चेहरा एक सुनहरे मुखौटे के पीछे िछपाया आ था,
िजसम से के वल उसक आँख और मुंह ही बाहर झांक रहे थे। उसने िपरािमड का दरवाजा
बंद कया और पायल क ओर बढ़ा। उसने उसक बांह पकड़कर उठाया और िपरािमड क
कांच क ितरछी दीवार के सहारे बैठा दया। वह पायल के चेहरे पर खौफ देखकर भयानक
अंदाज म मु कु राया और उसक पीठ पर हाथ फे रते ए मादक अंदाज म गहरी सांस ली।
त प ात वह एक भयानक मू त के सामने फश पर बने पंचभुज म प ासन क मु ा म बैठ
गया।
उलटी लटक मोमबि य के काश म पायल ने फश पर जगह-जगह बने ए कई िच
देख।े चोगे वाले आदमी के चार ओर एक घेरा बना आ था, िजसके बीच म एक
पांचिसतारा, लै टन भाषा के कु छ िच न और रा स -िपशाच क भयानक आकृ ितयाँ
दशाई गयी थ । वह लगातार कोई जाप कर रहा था और स मोहन क अव था म लयब
ढंग से अपना िसर िहला रहा था। शायद वह अंधेरे क शैतानी ताकत को जगा रहा था।
उसने कई अगरबि यां, लोबान और कपूर जलाए थे, िजनके धुएं से िपरािमड भर गया
था। उन धु से पायल क आँख म आँसू आ गए और वह खाँसने लगी। खून और सड़े मांस
के दुग ध के कारण उसे मतली भी महसूस हो रही थी,। एक बड़ी मकड़ी, जो ऊपर अपना
जाल बुन रही थी, उसके चेहरे पर आ िगरी। वह बुरी तरह चीखने-िच लाने लगी, ले कन
साधक पर जरा भी असर नह पड़ा।
वेदी से बिल-कु ठार उठा ली। उ टी लटक मोमबि य क टम टमाती रौशनी म, िजनसे
लगातार मोम िपघलकर नीचे टपक रही थी, पायल ने वेदी के पीछे एक खौफनाक मू त
देखी। शैतानी देवता बॉल या मोलॉक क उस 10 फु ट ऊंची मू त का िसर बकरी का था।
वह शाही मुकुट पहने ए एक संहासन पर आसीन था। उसने िशशुबली ा करने के िलए
अपनी भुजाएं आगे क ओर फै लाई ई थ । उसके उपासक का ये मानना था क मोलॉक
नरबिलय के बदले म अपने भ को बेपनाह काली शि यां, दौलत, शोहरत और
िवलािसता के सभी संसाधन उपहार व प देता है।
वारलॉक लगातार काँप रहा था। उसका िसर इस तरह से िहल रहा था मानो वह गहरे
स मोहन म हो। वह खंजर को तेजी से नीचे लाया और उसका िसरा छोटे ब े के सीने म
पेव त कर दया। पायल ज़ोर से चीख़ी, उसक चीख को पूरी तरह से नजरअंदाज करते
ए वारलॉक ने उस मृत ब े के दय के र को एक कटोरे म इक ा कया और उसे
मोलॉक के चेहरे पर िछड़क दया। उसने उस र से ितलक लगाया और कटोरे म इक ा
कये ए ब े के दय से िनकले र को बॉल का शाद समझकर िपया िजसके बाद वह
तेजी से पायल क ओर पलटा।
पायल उसक बड़ी-बड़ी आँख और र से सना खौफनाक चेहरा देख कर एक बार फर
ज़ोर से चीख़ी। उसके सर पर तो मानो खून सवार हो गया था। उसने पागल क मा नंद
अ हास कया और एक बार फर मरे ए ब े क ओर मुड़ गया। उसने अपने बिल हाथ
से उस मृत िशशु को एिड़य को पकड़ कर उठाया और बलपूवक बिलवेदी पर पटक दया।
मरे ए ब े के खून से बिलवेदी का प थर लाल हो गया। उसक खून और हि यां िपरािमड
म चार ओर िबखर गय । अपने जुनून म पागल होकर उसने उसे बार-बार बिलवेदी पर
तब-तक पटका जब तक क उसका िसर पूरी तरह से त-िव त होकर चार ओर िबखर
नह गया।
वह ण आने से पहले ही पायल खौफ और सदम से अपनी चेतना फर से गँवा चुक
थी। वारलॉक ने अपनी कमर के चार ओर बंधी र सी खोली और चोगे को उतार दया।
उसने अपनी भुजाएं इस कदर फै ला मानो उड़ने वाला हो और फर पीटर ग ी के संगीत
पर उ मु और मदहोश होकर नंगा नाचने लगा। यह उसका अब तक सबसे शानदार नाच
था। 'डानसे माके बरे ' (मौत के नाच) म वह अि तीय और सव े था। मौत के उ सव के
बाद वह अपनी वासना और मह वाकां ा को पूरा करने वाली पारलौ कक रा िसयो
(सुकुमबुस) के साथ सहवास करता था।
अ याय 8
जीवन-मृ यु का संघष
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जब पायल ने अपनी आँख खोली तो सुबह हो चुक थी। उसने खुद को फामहाउस के
ाइं ग हाल म पड़ा आ पाया। उसे ये याद करने म थोड़ा समय लगा क इस व वह कहाँ
है? क तु जब उसे िपछली रात क भयानक घटनाएं याद आय तो उसे मानो िबजली का
तेज झटका लगा।
वह उठी और पागल क तरह नंगे पाँव तब-तक दौड़ती रही जब तक क ए टेट के गेट
तक नह प च ँ गयी। वह आयरन गेट को फांदने ही वाली थी क कसी ने उसक कमर
पकड़कर उसे पीछे ख च िलया। उसने छू टने के िलए हाथ-पाँव चलाए ले कन नतीजा
के वल यही िनकला क वह पकड़ने वाले के साथ जमीन पर िगर पड़ी।
उसने िसर पीछे घुमाया और देखा क ये वही गंदा और बदबूदार आदमी था, िजसे उसने
िपछली रात पोच म देखा था। यानी क फटे ए चीथड़ म घूमने वाला वही पागल
आदमी, जो न जाने कतने ह त से नहाया नह था।
“अपने गंदे हाथ दूर रख िसर फरे । और मुझे जाने दे। म लड़ कय के बारे म तेरी घ टया
िनयत को जान चुक ।ँ ” वह चीखी।
पायल को ख चकर जमीन पर बैठाने म कमजोर और दुबले-पतले िब टू को अपनी
मता से अिधक बल लगाना पड़ा। उसने अपनी भाव-भंिगमा से पायल को चुपचाप पड़े
रहने का संकेत कया। उसने कु छ सुनने के यास म अपने कान खड़े कर िलए। उसके नथूने
फड़कने लगे। कु छ ही पलो म चार रॉटवेइलर कु का झु ड उन तक दौड़ते ए आया और
उ ह घेर कर खड़ा हो गया। िब टू एक शीशे क टू टी ई बोतल से उ ह डराने क कोिशश
करते ए पायल को लगभग घसीटते ए उनसे दूर ले आया।
उन खूंखार नरभि य को देखकर पायल ने भी इस बार कोई ितरोध नह कया। ये
सोचकर उसक कं पकं पी छू ट रही थी क य द उन कु े उसे आयरन गेट फांदते ए पकड़
िलया होता तो वह उसका या ह करते।
वह िब टू क ओर मुड़ी और उसके दािहने कं धे पर हाथ रखते ए कृ त ता भरे लहजे म
बोली- “शु या दो त।”
िब टू ने इस तरह से गदन िहलायी , जैसे उसका ध यवाद वीकार कर िलया हो। वह
पायल को िलए ए आगे बढ़ा। ज द ही पायल को आभास आ क वह उसे फामहाउस क
ही ओर ले जा रहा था। वह बीच रा ते म ठठक गयी। जब िब टू ने पलटकर उसे
वाचक दृि से देखा तो उसने दाय-बाय गदन िहलाकर इशारा कया क वह
फ़ामहाउस म दोबारा नह जाना चाहती है। िब टू ने अपने चेहरा हथेिलय से िछपाकर
नकाबपोश जैसी मु ा बनाई। पायल समझ गयी क उसका संकेत वारलॉक क ओर था।
“हाँ वही। म फर से उसके चंगुल म नह फं सना चाहती।” िब टू ने एक बार फर अपनी
भाव-भंिगमा के ज रये कट कया क वारलॉक जा चुका है और अब उसके ज दी
लौटने क कोई संभावना नह है। उसने पायल से अपने साथ आने क िज क । हारकर
पायल उसके साथ आगे बढ़ी। जब वे फ़ामहाउस तक प च ं े तो िब टू उसे पोच क ओर ले
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पायल के माता-िपता, अभय और नरे श, शािलनी के साथ उसके ाइं ग म म थे। पायल
के गायब ए एक ह ता से यादा गुजर चुका था और अभी तक उ ह इस बात को लेकर
कोई जानकारी हािसल नह हो सक थी क उसके साथ या आ था? पुिलस क सलाह
पर उ ह ने भारी मन के साथ शहर के मुदाघर म आयी उन युवितय क लावा रस लाश
का भी मुआयना कया, जो यौन उ पीड़न करने के बाद क़ ल कर दी गयी थ और िजनक
कोई िशना त नह हो पायी थ । हालां क पायल को उनम न पाकर उ ह ने राहत क सांस
ली थी क तु के वल इतना ही पया नह था य क पुिलस के अनुसार पायल के साथ
कसी अनहोनी के होने क आशंका बल थी।
नरे श और अभय दोन ने अपने काम से छु ी ले ली थी और पायल को ढू ँढने म शािलनी
का पूरा सहयोग कर रहे थे। वे राि य राजधानी े (एन.सी.र) के फरीदाबाद, गुडगाँव,
नॉएडा और गािजयाबाद जैसे उन शहर का भी च र लगा चुके थे, जहाँ पुिलस का कसी
लावा रस लाश अथवा अपरािधक गितिविधय या दुघटना क िशकार ई कसी युवती के
पाए जाने क खबर थी। वे अपनी खोज के तहत लखनऊ और जयपुर भी जा चुके थे, क तु
प रणाम ढाक के तीन पात ही रहा था। शािलनी ने सभी मॉड लंग फ स, िव ापन
िनमाता , द ली तथा नॉएडा क फ म और टेलीिवज़न टू िडयोज के साथ-साथ उन
सभी जगह पर पायल के बारे म फोन करके पूछताछ क थी, जहाँ अिभनेि य को काम
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दया जाता है। उसने वयं भी कई ऐसी जगह पर जाकर यह सोचकर पूछ-ताछ क थी
क शायद उनम से कोई इस बारे म कु छ जानता हो क उसक सहेली कहाँ है? ले कन
पायल िजस तरह िबना कोई सुराग छोड़े लापता हो गयी थी, उससे यही लगता था क या
तो उसे जमीन खा गयी थी या फर आसमान िनगल गया था।
“मुझे तो पायल के गायब होने के पीछे डॉ फ चानहर का हाथ नजर आ रहा है।”
शािलनी ने िनणायक वर म कहा।
“पुिलस उसे िगर तार करके उससे पूछ-ताछ य नह करती?” पायल क माँ ने अपना
मत रखा।
“वह एक अमीर और मश र आदमी है।” अभय ने कारण बताया- “पुिलस उसे मा
शक क बुिनयाद पर िगर तार नह कर सकती है।”
“मुझे इसके परवाह नह है क वह कतना धनवान है। य द मेरी बेटी के लापता होने म
उसका हाथ है तो पुिलस को उससे पूछ-ताछ करनी ही चािहए।” उ ह ने अभय क ओर
देखते ए ितरोध भरे वर म कहा।
“लड़का सही कह रहा है।” उनके पित ने अभय का प लेते ए कहा- “पुिलस तु हारी
इ छा से काम नह करे गी। उ ह भी कु छ िनयम का पालन करना होता है।”
“म दो दन पहले डॉ फ से िमला था।” िम टर चटज का समथन पाकर अभय ने
उ सािहत लहजे म आगे कहा- “वह एक अ छा इं सान है और वह पायल क सलामती को
लेकर चंितत भी नजर आ रहा था। उसने हर कार से हमारा सहयोग करने का आ ासन
दया और कहा क वह मनोरं जन-जगत म मौजूद अपने संपक सू से भी इस मामले क
तहक कात कराएगा। उसने मुझे दो बार फोन करके ये भी पूछा क हमारी खोज कहाँ तक
प चँ ी। वह हमारी मदद करने को लेकर गंभीर है।”
ले कन पायल क माँ ने अपने दृढ़ इरादे और उनके कसी भी तक-िवतक को सुनने से
इं कार करके उ ह ए.सी.पी. के ऑ फस जाने के िलए मजबूर कया, जो नरे श का दो त था।
अभय, चानहर को दोषी न मानते ए भी उनका साथ देने के िलए मजबूर था य क वह
पायल क चंितत माँ के िवरोध म नह खड़ा होना चाहता था। इसके साथ ही वह भिव य
म उनक बेटी के साथ र ता बनाने क अपनी मह वाकां ा के कारण उ ह नाराज नह
करना चाहता था। उसे उनके आशीवाद क िनतांत आव यकता थी। और सबसे बड़ी बात
ये थी क वह वा तव म पायल से यार करता था और उसक सलामती को लेकर चंितत
था। भले ही डॉ फ चानहर दोषी हो अथवा नह ।
उनक सभी स भावना पर उस व पूणिवराम लग गया जब डॉ फ चानहर ने
पुिलस के सामने प प से इनकार कर दया क पायल के मौजूदा मुकाम के बारे म उसे
भी कोई जानकारी है। उसने पायल क सलामती को लेकर अपनी चंता दोहराई और बड़ी
ही मुखरता से इस बात से इनकार कर दया क उसने कु छ गलत कया है।
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कोक न का नशा करने के बाद वारलॉक उठा और मज़बूत कदम के साथ फ़ामहाउस से
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बाहर िनकल गया। उसने अपना टोपी वाला लबादा, सुनहरा मुखौटा और ऊँची एड़ी वाला
चमड़े के जूते पहने ए थे। उसने अपना बिल क तलवार भी साथ ले ली थी। उसने अपने
कु को ढीला नह छोड़ा य क वह पायल को जंदा पकड़ना चाहता था और उसे
फामहाउस के तहखाने के एक मंिजल नीचे यामा वाली काल-कोठरी म कै द करना चाहता
था।
उनका गंत पट रय का ‘यू पॉइं ट’ था, जहां टॉय- ेन फामहाउस के बाहर फ़ै ली
ए टेट क िवशाल बंजर भूिम क ओर मुँह कये ए खड़ी थी। वारलॉक ने पहले िड बे का
दरवाजा खोला और अंदर क सीट पर बैठ गया। उसने इं जन चालू कया, लीवर दबाया
और टॉय ेन धीरे -धीरे अपनी पट रय पर रगने लगी।
धीमी शु आत के बाद उसने ज द ही गित पकड़ ली और छु क-छु क क आवाज़ के साथ
सरकस क ओर बढ़ गयी। वारलॉक को अपने चार ओर के वल घास से भरा उजड़ा मैदान
दखाई दे रहा था, जहां जीवन का कोई िच ह नह था। । इं जन अपने सामने पट रय पर
गोल दायरे म काश फै ला रहा था। उस िनजन और ठं डी चांदनी रात म टॉय- ेन अपने
अके ले या ी के साथ उन पट रय पर दौड़ी चली जा रही थी, जो पूरे िनजन ए टेट म फ़ै ली
ईथ।
वारलॉक ने टॉय- ेन को सरकस के पास रोक दया और पायल को खोजने लगा। उस
जगह का पूरी तरह से मुआयना करने के बाद वारलॉक को यक न हो गया क वह वहाँ नह
िछपी थी। तो फर वह कहाँ थी? उसक खोज का अगला पड़ाव वह खाली अ तबल था,
जो थोड़ा आगे जाने पर था। वह पहले िड बे म सवार हो गया और टॉय ेन एक बार फर
आगे बढ़ चली। पायल अ तबल म भी नह थी। इसके बाद वह बंजार के खंडहर म गया।
उस नकाबपोश आदमी ने खंडहर के येक िह से, येक झोपड़ी और टू टी ई दीवार के
पीछे छान मारा ले कन उसका ये यास भी िनरथक सािबत आ।
वह पहले िड बे क सीट पर ध म से बैठ गया। वह बुरी तरह थक गया थ। कहाँ जा कर
छु प गयी थी वो? उसने गु से म खुद से पूछा। वह तो ऐसे गायब हो गयी थी, जैसे धरती
उसे िनगल गयी हो और वह कभी इस ह पर मौजूद ही न रही हो।
गयी थी। जब उसने पीछे के दरवाजे के खुलने क आवाज सुनी और वारलॉक को टॉय- ेन
क दशा म जाते देखा तो चुपचाप पीछे के दरवाजे से फामहाउस म घुस आयी थी।
और जब टोपी वाला आदमी उस िवशाल ए टेट म उसे चार ओर पागल क तरह ढू ंढ
रहा था, तो वह फामहाउस म िछपी ई थी। जैसे-जैसे समय बीतता गया, डर उसके
मुक मल वजूद पर हावी होता गया। शायद ये पकड़े जाने का वाभािवक डर था या फर
उसका संदहे , जो पल- ितपल उसे ऐसा लग रहा था जैसे वारलॉक अभी कमरे म आयेगा
और उसे दबोच कर मौत के घाट उतार देगा।
वह ये सोचकर कमरे म उजाला करने से डर रही थी क कमरे का काश दूर से ही नजर
आ जाएगा और वारलॉक को वहां उसक मौजूदगी का भान हो जाएगा। अँधेरे म डू बे उस
खौफनाक फ़ामहाउस के बेड म म पायल बेड से पीठ टकाये ए फश पर बैठी ई थी।
जब तेज हवा के चलने से िखड़क के दरवाजे खड़खड़ाते थे, तो पायल का कलेजा हलक म
आ फं सता था। हर आने वाली आहट पर उसे वारलॉक के लौट आने का एहसास होता था
और उन भयानक ण म वह मानो हजार मौत मर रही थी।
अपनी खुद क भयानक क पना और डर, रह यमयी चीख और आवाज से िघरी
पायल उस अंधकारमय कमरे के फश पर चंता और आतंक के वशीभूत होकर िनि य पड़ी
ई थी। वह दरवाजे तक जाने या िखड़क खोलने का साहस भी नह कर सकती थी य क
उसे लग रहा था क िजस ण वह दरवाजा खोलेगी ठीक उसी ण वारलॉक का डरवाना
मुखौटे वाला चेहरा उसके सामने होगा।
काफ व गुजर जाने के बाद वह अपने पैर झटकते ए उठ गयी। इस समय तक वह
अपने खौफ से लड़ने म इतनी स म हो चुक थी क उसने बेड म का दरवाजा खोलकर
बाथ म तक प च ं ने का साहस कया। इसके बाद वह अपने अगले क़दम क उधेड़बुन म
डू बी ई फामहाउस के िपछले दरवाजे से बाहर आ गयी। या उसे सीधे चारदीवारी तक
चले जाना चािहए? या फर थोड़ा और इ तजार करना चािहए? यह सब सोचते ए वह
उस चांदनी रात म ख डहर क ओर चलने लगी। उसका सोचना था क वह ख डहर क
आड़ म चारदीवारी तक प च ं कर वहां से बाहर िनकल सकती है। यही तरीका उसे यादा
सुरि त लगा था।
वातावरण म टॉय ेन का शोर सुनकर वह घबरा कर गीली घास पर लेट गयी और
अपना चेहरा एक ग े म झुका िलया। उसने िसर को थोड़ा सा ऊपर उठाकर सतकता पूवक
टॉय- ेन क ओर देखा। चेहरे पर गु से से भरी बौखलाहट िलए ए वारलॉक को वह प
देख पा रही थी, जो टॉय- ेन को अंधाधु ध फॉमहाउस क ओर भगा रहा था और इस बात
से अनिभ था क उसक िशकार उससे मा एक मीटर क दूरी पर जमीन पर लेटी ई
उसी क ओर देख रही है।
चांदनी के िबखरे काश म उसने ख डहर क ओर बढ़ना जारी रखा। शहरी चकाच ध
से कोस दूर उस ए टेट के आसमान म आकाशगंगा और न क अलौ कक छटा अपने
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यह पायल का तु प का प ा था। जान बचाने के िलए चली गयी उसक आिखरी चाल
थी। और इसे कामयाब आ देख वह खुशी से झूम उठी। वा तव म ख डहर म िछपने के
िलए जाने से पहले ही उसने सरकस के कबाड़ खाने से लोहे का एक रॉड िनकाल ली थी
और उसक सहायता से दो पट रय को जोड़ने वाले नट और फश ले स (पट रय ) को
पहले ही ढीला कर दया था। अपने छोटे-मोटे ज म से िवचिलत ए बगैर वह उठ बैठी।
उसे अभी भी यक न नह हो रहा था क ये सब-कु छ उसक क पना और अनुमान के
मुतािबक इतनी सहजता से हो गया था। वह वारलॉक क दु ता, ू रता और वहशीपन से
जीत चुक थी। अब वह वतं थी।
ले कन राहत और खुशी के वे ण के वल थोड़े समय के िलए ही थे। वह ढंग से सांस भी
न लेने पायी थी क अगले ही पल एक िव फोट से समूचा ए टेट थरथरा उठा। वह पीठ के
बल धरातल से जा टकरायी। वह धमाका ग े म िगरी टॉय ेन का था, िजसका मलबा हवा
म काफ ऊंचाई तक उछल गया था। ऐसा लगता था क धमाका इं जन म आ है। ए टेट म
दन क तरह रौशनी िबखेरते ए कई बड़े-बड़े शोले हवा म उठ रहे थे।
ेन म लगी आग ण भर म ही गैसोलीन से भरे उन के न तक जा प च ं ी, िज ह
वारलॉक ने गाड़ी के आिखरी िड बे म रखा था। हवा म आग क बेहद ऊंची लपट छोड़ते
ए एक के बाद कई धमाके ए। पायल ग े के तल से िनकली और फर ेन क पट रय
पर चढ़ गयी।
वह पैर म लगे चोट के कारण लड़खड़ाते ए आग क लपट से दूर जाने लगी। अभी वह
थोड़ी ही दूर चल पायी थी क शोर सुनकर वह ठहर गयी। उसक गदन खुद ब खुद पीछे
क ओर मुड़ गयी और फर उसक आंख त ध रह गय , य क उसने अपनी िज दगी का
सवािधक अिव सनीय दृ य को देखा। टॉय ेन क पट रय के बीच वारलॉक खड़ा था।
पायल उस ण कं कत िवमूढ़ होकर रह गयी, जब उसने अपने सामने उस पैशािचक
ाणी को कमर पर हाथ रखे ए खड़े देखा। वह अपनी पूरी शि से िच लाया- “एक
साधारण सी आग मुझे मौत क न द नह सुला सकती लड़क । इस युग क बुराई का तीक
ं म। वारलॉक ं म।”
पायल अपनी िज दगी क उस सवािधक ल बी रात म ठ डी हवा के बीच खड़ी िसहर
रही थी, जब क आग के शोले हवा म ऊंचाई तक लहरा रहे थे। वहां फै ल रही तेज रोशनी
से ऐसा लग रहा था, जैसे ग े के आस-पास क घास, पेड़-पौधे और ख डहर भी आग क
चपेट म आ गये थे। वह अपने एिड़य के बल घूमी और एक ण क भी देरी कये िबना
अपनी पूरी मता से दौड़ पड़ी।
वारलॉक भी चेतावनी भरे लहजे म चीखते ए उसके पीछे दौड़ पड़ा। वह दािहने हाथ
म िलए ए अपने बिल-कु ठार को हवा म लहरा रहा था। ठीक उसी ण, जब वह पायल
पर झप ा मारने वाला था, पायल बगैर कसी चेतावनी के मुड़ी और उसक दोन जांघ के
बीच म अपनी पूरी ताकत से हार कया। वह दद से चीखते ए घुटन पर बैठ गया। दद
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से उसका चेहरा िवकृ त हो उठा। उसके िगरते ही उसका तलवार भी हाथ से छू टकर िगर
पड़ी। पायल ने तुर त तलवार को उठा िलया और वारलॉक पर हार करने क कोिशश
क , क तु इससे पहले क वह तलवार को वारलॉक के िज म म पेव त कर पाती, वारलॉक
के मजबूत हाथ ने उसक कलाई को हवा म ही थाम िलया। उसने अपनी कलाई को उसके
िशकं जे से छु ड़ाने का यास कया ले कन िवफल रही। वारलॉक उससे कह अिधक
ताकतवर था। उसने उसक कलाई को बुरी तरह जकड़ िलया था। तलवार उसके हाथ से
छू टकर समीप क ल बी-ल बी झािड़य म जा िगरी थी।
इससे पहले क वह दोबारा अपने पैर पर खड़ा हो पाता, पायल ने एक बार फर बेहद
िनदयतापूवक उसक जांघ के बीच भीषण हार कया। उसने एक बार फर दद से बुरी
तरह चीखते ए आंख ब द कर ली। पायल उसके िगर त से अपनी कलाई को छु ड़ाकर
नाक क सीध म भाग खड़ी ई। वह न जाने कब तक दौड़ती रही, क तु जब वह और
अिधक दौड़ने म स म नह रह गयी तो जमीन पर िगरकर हांफने लगी। कु छ दूरी पर
अभी भी आग क लपट नजर आ रही थ । ये देख उसका दल बैठने लगा। इसका मतलब ये
था क वह अभी भी उस थान के करीब थी, जहां ेन दुघटना ई थी। उसे ये समझने म
यादा समय नह लगा क वह अपनी घबराहट के कारण गोल दायरे म च र काटते ए
एक बार फर वह आ गयी थी, जहां से चली थी।
उसने जमीन पर पड़े-पड़े ही अपनी मुखता पर खुद को कोसा। इसका मतलब, मुखौटे
वाला आदमी अभी भी उसके आस-पास ही होगा। वह अब सोचने लगी क मुखौटे के पीछे
िछपे रहने वाला वह आदमी के वल डरावना ही नह था, अिपतु ऐसा लगता था जैसे उसके
पास अमानवीय शि यां भी थ । वह उसे जीिवत देखने के सदम से अभी तक उबर नह
पायी थी। वह सहजता से इस नतीजे पर प चं गयी थी क कोई भी साधारण इं सान इतनी
बड़ी दुघटना के बाद तब-तक जीिवत नह बच सकता है। उसे मदद क िनता त
आव यकता थी, ले कन उस वीराने म उसक मदद को कौन आ सकता था?
पायल क नजर अपनी ओर बढ़ते एक साये पर पड़ी, जब वह साया और करीब आ गया
तो उसने चांद के काश म देखा क वह पागल िब टू था, जो इस ण अजीबोगरीब दशा
म नजर आ रहा था। वह हवा म उछलते-कू दते ए चल रहा था। उसक भुजाएं फै ली ई
थ और वह अपने मुंह से ऐसे श द उगल रहा था, जो समझ के दायरे से बाहर थे। पायल
बुरी तरह च क उठी। उसक रग म सनसनी भर गयी। िजस िब टू को वह गूंगा समझ रही
थी, वह बोल सकता था। या फर हो सकता था क वह गूंगा हो ही न बि क क ही और
कारणो से वयं को दूसर के सामने खुद को गूंगा दखाता हो।
“िब टू। िब टू। तु ह मेरी मदद करनी होगी। लीज।” वह िच लायी।
ले कन उसक गुहार अनसुनी रह गयी। िब टू उसक ओर कोई यान दए बगैर अपनी
ही धुन म म त होकर उस चांदनी रात म उछलते-कू दते ए दूर चला गया। पायल के
अनुमान के मुतािबक़ वह ‘ल ला-ल ला लोरी, दूध क कटोरी, दूध म बताशा, मु ा करे
तमाशा’ जैसी कोई तुकबंदी गा रहा था।
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ये मुझे अपने तलवार से इसिलए मार देना चाहता है य क म इसके ख़ूनी खेल को देख
चुक ।ं ” इससे पहले क वह आगे कु छ कह पाती, उसक चेतना िवलु हो गयी।
जैसे ही लॉउड पीकर ने ‘तीन’ कहा, वारलॉक ने अपनी तलवार फककर दोन हाथ
ऊपर ऊपर उठा िलया। पुिलसकम फौरन उसक ओर दौड़ पड़े। उ ह ने उसे ध ा देकर
जमीन पर िलटा दया। गािड़य क रोशनी म कसी िछपे ए हिथयार क खोज म उसके
िज म क तलाशी ली गयी। त प ात उसके ारा जमीन पर फक तलवार को को क ज़े म
ले िलया।
आिखरकार जब उ ह ने उसका सुनहरा मुखौटा हटाया तो उ ह ने देखा क वह गोरी
न ल का आदमी था, िजसक आंख म िनराशा और चेहरे पर समपण के भाव थे। उ ह ने
उसे हथकड़ी पहनायी और ध े देते ए एक पुिलस वैन के िपछले िह से क ओर बढ़ गये।
पुिलस क दो गािड़या मैदान क टू टी ई चारदीवारी से बाहर िनकली, िजन शीष भाग
पर लगे लाल ब ब जग-बुझ कर रहे थे। उनम से एक म डॉ फ चानहर था, जो गाड़ी के
िपछले िह से के फश पर मशीनगन से लैस पुिलसक मय से िघरा आ बैठा था। दूसरी
गाड़ी म पायल थी, िजसका िसर एक पुिलसकम क गोद म था। वह अभी भी बेहोश थी।
अन तः उसका दुः वपन ख़तम हो गया था जब क वारलॉक का अभी शु ही आ था।
खंड 2
िनयित का ितशोध
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अ याय 9
तहक कात
िपरािमड म िवशेष दलच पी ले रहा था, िजसके िवषय म पायल ने उसे पहले ही बता
दया था। वह कां टेबल क ओर मुड़ा और उनके फॉमहाउस प च ं ने तथा वहां देखे गये
दृ य के बारे म िसलिसलेवार जानने के बाद अपने मातहत के साथ खुले दरवाजे से
फामहाउस म दािखल हो गया।
जब िबजली का ि वच ऑन कया गया तो पुिलसक मय ने खुद को ाइं ग म म पाया।
डॉ फ चानहर क े म क ई एक त वीर फायर लेस के ऊपर टंगी ई थी। सहसा
इं सपे टर को कु छ याद आया और वह अपने बगल म मौजूद ए.एस.आई. क ओर मुड़ा-
“ डॉ फ को वह ब ा कहां से िमला था, िजसे उसने पायल के कथनानुसार बिलवेदी पर
कु बान कर दया था?”
“उसे उसने ज र अगवा कया रहा होगा।” मातहत ने स भावना क।
“म भी कु छ ऐसा ही सोच रहा था। कल सबसे पहले गुमशुदा ि य का रकॉड रखने
वाले िडपाटमे ट म जाओ और उनके िपछले प ह दन के रकॉड को खंगालो। शु आत
उन इलाक से करो जो इस फॉमहाउस के दस कलोमीटर के दायरे म मौजूद पुिलस टेशन
के अ तगत आते ह। य द कसी गुमशुदा ब े क जानकारी िमले तो उसक िडटेल लेकर
ऑ फस प च ं ो।”
“य द कोई ऐसी रपोट न िमली तो?”
“तो फर अपनी खोज का दायरा बढ़ा देना। एन.सी.आर. के सभी क ब और द ली के
आस-पास के शहर को कवर करना। य द हम उस ब े क पहचान करने और उसका
डॉ फ से उसका ता लुक जोड़ने म सफल हो सके तो उसके िखलाफ हमारा के स मजबूत
हो जाएगा।”
“वह ब क बिल चढ़ाता था?” उनके साथ मौजूद महरौली पुिलस टेशन के कां टेबल
ने घृिणत लहजे म पूछा।
“तुम लोग ने िजस लड़क को सुबह बचाया, उसी ने मुझे बताया क वह आदमी एक
ू र तांि क है।” इं सपे टर ने उसे बताया।
“ब े क उ कतनी थी?”
“छः मिहने के आस-पास। तुम य पूछ रहे हो?” उदय ने इस मामले म उसक
गैरज री दलच पी पर गौर करते ए पूछा।
“लगभग प ह दन पहले कु छ ामीण हमारे पुिलस टेशन आए थे साब। उ ह ने
बताया था क गांव क दो लड़ कयां जब जंगल म सूखी लकिड़यां चुनने गयी थ , तो उन
पर एक आदमी ने हमला कया था। जब वे भाग तो उनम से एक अपने छोटे भाई को
उठाना भूल गयी थी। गांव वाल के साथ उस जगह पर वापस लौटने पर ब ा उ ह वहां
नह िमला था।”
“ये कहां आ था?” इं सपे टर उदय ने त काल पूछा।
“राजकोरी के जंगल के पास साब। ले कन हमारे एस.आई. साब ने कोई एफ.आई.आर.
ही दज नह क य क इस बात पर िव ास करने के िलए उनके पास पया कारण नह
था क कोई आदमी वहां महज़ एक ब ा चुराने आया था। ब े का बाप एक गरीब मजदूर
था, जो कानूनी खचा नह उठा सकता था। उस समय यही लगा था क जंगल म हमलावर
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आ रहा है, जहां वो उससे िव तार से पूछताछ कर सकते थे। कॉल िड कने ट करने के बाद
उसने आंख ब द कर ली और अपना िज म ढीला छोड़ दया। उसने अपने लैदर जैकेट क
जीप ऊपर तक बंद कर रखी थी। दस बर क सद रात म उसक जीप ऑ फस क ओर बढ़
रही थी।
वंसट को टेलो साढ़े चार फ ट लंबा सौ य मुखाकृ ित वाला ि था। उसके गंजे िसर
पर जो थोड़े ब त बाल बचे थे, वे काले थे। इं पे टर ठाकु र इस बात से अनिभ था क
उसक श ल आ यजनक प से हॉलीवुड के िनदशक और अिभनेता ‘डैनी डे िवटो’ से इस
हद तक िमलती थी क उसके िम और साथी ये शत लगाकर कहते थे क वह डैनी का
लोन है। और उसे वंसट या को टेलो क बजाय ‘डैनी’ बुलाने से यादा सहज थे।
“तो आप ही िम टर वंसट को टेलो ह?” ठाकु र ने ऑ फस क कु स पर बैठते ए पूछा।
“ लीज मुझे डैनी बुलाइए।” को टेलो, जो खुद को डैनी सुनने का अ य त हो चुका था,
इं सपे टर से बोला।
“ य ?” ठाकु र ने अपनी भौह उचकाते ए पूछा।
“ये बस....ये बस इसिलए, य क हर कोई मुझे डैनी ही बुलाता है। जब आप मुझे वंसट
को टेलो कहते ह तो मुझे महसूस होता है क आप इस कमरे म मुझसे नह बि क कसी
और से बात कर रहे ह।”
इं सपे टर ठाकु र ने चेहरे पर िविच भाव िलए ए उसे घूरा। उसने शी ही बात करने
के अपने सलीके को बदलकर पेशेवर लहजे म पूछा- “और िम. िवन...मेरा मतलब है क
डैनी, आप डॉ फ चानहर के भाई ह?”
“सौतेला भाई कहना यादा ठीक होगा।” उसने कु स पर पहलू बदलते ए कहा।
“मुझे िव ास है क ये बात आपको भी मालूम होगी क हमने आपके सौतेले भाई
डॉ फ चानहर को आज सुबह िगर तार कया है?”
“हाँ। आपका मातहत मुझे बता रहा था।” डैनी ने अपने बगल म बैठे िब ोई पर िणक
दृि पात करते ए कहा।
उनक बात के बीच टी- टाल से आया एक लड़का आमलेट के साथ नमक का िछड़काव
कये ए भुनी ई ेड के लाइस और गम कॉफ़ के साथ अ दर दािखल आ। लड़के ारा
वह सब मेज पर रखकर वापस जाने तक वे खामोश रहे।
“ये या है?” ठाकु र ने अपने अिस टट से पूछा।
“मने लंच के बाद से कु छ नह खाया है और साथ ही मने सोचा क आप भी कु छ ह का-
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फु का ले सकते ह।” िब ोई ने ड
े क दो लाइस, िजनके बीच आमलेट भरा आ था,
उठाते ए कहा- “कौन जानता है क काम के बीच अब हम कब खाने को िमलेगा।”
“ या आप भी हमारा साथ देना चाहगे िम. को टेलो?” इं सपे टर ने अपना याला गम
कॉफ़ से भरते ए पूछा।
“नह शु या। मुझे लेट हो रहा है। म िजतनी ज दी संभव हो सके , ये सब िनपटाकर
अपने घर जाना चाहता ।ँ मुझे सुबह समय पर दुकान खोलनी है।” डैनी ने कहा।
“हाँ ज र। आप थोड़ी हमारी तरह चौबीस घंटे नौकरी करते ह। आप भला ये जहमत
य उठाएंगे?” ठाकु र ने एक आह भरकर कहा। िब ोई ारा टेबल पर रखी गयी िसरदद
क दवाई के प े से उसने दो गोिलयां ल और उ ह हलक से नीचे उतारने के िलए
शी तापूवक गम कॉफ़ का घूँट भरा। “मुझे उ मीद है क आपक मौजूदगी म हमारे खाने
से आपको कोई तकलीफ नह होगी।”
“िब कु ल भी नह । आप िन ंत रह।”
“आप यू ड कॉलोनी म रहते ह न?” ठाकु र ने आमलेट के साथ ेड का एक टु कड़ा
चबाते ए कहा।
“मेरे उस काड पर यही छपा था, िजसक सहायता से आपका अिस टट मुझ तक प च
ं ा
और मुझे यहाँ ले आया।” डैनी ने अपने लहजे म थोड़ी खीज के साथ कहा।
“गलत सवाल। मुझे मा क िजये। ये मुझे थोड़ा हैरान कर रहा है क अंडरिवयर बेचने
वाला कोई आदमी साउथ द ली के पॉश इलाके म इतने बड़े बंगले म रह सकता है।”
“म से समैन नह बि क मेनेजर ँ इं सपे टर। म अपने धनी ाहक को मंहगे और
इ पोटड लेिडज अंडर गारम स बेचता ।ँ जहाँ तक बंगले क बात है तो वह मुझे मेरे बॉस
ारा दया गया है। इससे पहले क आप मुझसे पूछ, म आपको ये भी बता दूं क मेरी सेकंड
है ड कार भी मेरे बॉस क ही दी ई है।”
“आप भा यशाली ह िम. डैनी। इस शहर म इतना उदार बॉस िमलना आसान नह है।
उसने आपको अपने िलए िनहायत ही ज री पाया होगा, तभी आपको ऐसी सुिवधाय
द ।” इं सपे टर ने अपने याले से गम कॉफ़ का घूँट भरते ए कहा।
“वह िबजनेस चलाने के मामले म पूरी तरह से मुझ पर िनभर है। ावहा रक प से म
ही उस इं टर ाइज (कं पनी) को चलाता ।ँ म नह समझता क डॉ फ चानहर और मुझे
िसफ इसिलए परे शान कया जाएगा य क हम दोन का मिहला से पाला पड़ता है।”
“ या आपको नह लगता क आप अपने भाई के बारे म कु छ यादा अ छा सोचते है?”
“देिखये इं सपे टर। इस बात को यह छोड़ दीिजये। आपने मुझे यहाँ मेरी जं दगी के
बारे म बात करने के िलए नह बुलाया है, है न?”
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“आपके काम करने के मुि कल हालातो से मुझे सहानुभूित है, ले कन उसम मने या
कया है? खे लहजे म बात करने के िलए म माफ चाहता ं ले कन हां, मने आपको इस
कु स पर नह बैठाया है।”
“हां िम.डैनी। आपने नह बैठाया है, ले कन कम से कम आप यहां हम अपने भाई के बारे
म बताकर, उसके िखलाफ जांच म हमारी मदद करके हमारा काम आसान कर सकते ह।”
“सॉरी। मेरा उससे न कोई वा ता है और न ही म उसके बारे म कु छ जानता ।ं ”
“इतनी ज दबाजी मत दखाइए िम. को टेलो। डॉ फ चानहर के पस म आपका काड
या कर रहा था? वह अजनबी नह आपका भाई है, जो आपके ही शहर म रहता है।”
“देिखए इं सपे टर। म िमलनसार ि ।ं म ब त से लोग से िमलता ं और उ ह
बेिहचक अपना िविज टंग काड दे देता ।ं म अपने एक-एक कॉड का िहसाब नह रखता।
और फर य द डॉ फ चानहर के पास मेरा कॉड था, तो इसका मतलब ये ज री नह क
उसने जो कु छ कया अथवा आप लोग क सोच के मुतािबक़ जो कु छ कर रहा है, उसम
मेरा भी हाथ हो।”
“ऐसा लग रहा है, जैसे आप पहले से ही इस के स के बारे म बहस करने के िलए तैयार
होकर आये ह। यह बेहद अजीब सी बात है य क थोड़ी देर पहले तक तो आप अपने भाई
क िगर तारी से वा कफ भी नह थे। या फर आप पहले से ही ये अनुमान लगा रहे थे क
वह अपनी जीवन-शैली के कारण वो एक न एक दन िगर तार होने वाला है?”
“मुझे नह मालूम क आप कस बारे म बात कर रहे ह इं सपे टर। डॉ फ चानहर
और म के वल सौतेले भाई ह। हम दोन कभी भी एक-दूसरे के करीब नह रहे। यहाँ तक क
उन दन म भी जब हमारी माँ इं िडया म रहती थी। य िप हम दोन एक ही शहर म रहते
ह, फर भी हम मुि कल से ही एक दूसरे से िमल पाते ह।”
“जब आप डॉ फ चानहर से नह िमले तो उसके पास आपका िविज टंग कॉड कै से
आया?”
“शायद मने उसे िग ट अथवा ी टंग काड के साथ अपना िविज टंग काड भी कभी
भेजा रहा होगा। जैसे दवाली, समस या यू ईयर के समय।”
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“ये अजीब है। अभी-अभी आपने कहा क आप दोन कभी एक-दूसरे के करीब नह रहे,
तो फर आप उसे िग ट या ी टंग कॉड य भेजे ह गे? या आपने उसे अपने िविज टंग
काड के साथ लेिडज अ डर गारमे स का पासल भेजा था, ता क वह काड देखकर समझ
सके क पासल भेजने वाला कौन है।” इं सपे टर ठाकु र ने उसे कठोर नज़र से देखते ए
पूछा।
“लेिडज अ डर गारम स का भला डॉ फ या करता?”
हमारी तरह स ाहांत का लु त उठाने वाले कई लोग थे, जो अपने प रवार के साथ आये
ए थे। बड़े लोग ने अपनी कु सयां खोल ल और झरने के करीब िबछे चटाईयो पर बैठ
गए थे, जब क हम ब े िभ -िभ कार के खेल खेलते ए दूर िनकल गये।
वहां से थोड़ी दूर पर नदी से िनकलने वाली एक नहर थी, जो सीमटेड दीवार के बीच
से होकर बहती थी। चूं क लंच म घंटे भर का समय था, इसिलए सभी ब ने तैरने का
िनणय िलया और नहर म नहाने के िलए लोहे क सी ढ़य से नीचे उतर गए। डॉ फ ने
हमारे डरपोक और बुज दल होने का मजाक उड़ाते ए सीमटेड दीवार के ऊपर से २०-३०
फु ट नीचे उस नहर म कू द कर हम डरा दया था। के वल एक बार ही नह उसने बाक ब
को रोमांिचत और उ सािहत करने के िलए ऐसा कई दफे कया था।
हालां क उसका दशन भािवत करने वाला था, फर भी वह उस ब े पर हावी होने म
असफल रहा था, िजसने रा य तर क कई तैराक टू नामट म भाग िलया था और अपनी
कलाबािजय और अ य करतब का दशन करके लड़ कय को भािवत कर रहा था। इन
सब चीज ने डॉ फ को ोध से भर दया। इस कार मात खाने क वजह से उसक आँख
नफ़रत से जल उठ । हम सभी ब े अपने माँ-बाप ारा लंच के िलए बुलाये जाने पर वहां
से चले गए जब क मेरा भाई और वह लड़का नहर म तैरते रहे।
रा ते म मुझे याद आया क म अपनी बॉल नहर के कनारे छोड़ आया ँ और म उसे
लाने के िलए वापस चल पड़ा। जैसे ही म बॉल उठाने के िलए झुका मने देखा क डॉ फ ने
अपने ित द ं ी को पीछे से पकड़ रखा था और उसके िसर को बेहद िनदयतापूवक लोहे के
डंडे से वार कर रहा था। आक मात हमले के कारण वह लड़का डॉ फ को िलए ए नहर
म जा िगरा। नीचे देखने पर मने पाया क मेरे भाई ने अपने दु मन का गला घ टते ए
उसके िसर को तब तक बलपूवक पानी म डु बाये रखा, जब तक क उसका संघष और
उसक भयानक चीख ददनाक मौत के प म शांत न हो गय । वह इतने पर ही संतु नह
आ। उसने लड़के के शरीर को पानी क धारा म बहने के िलए छोड़ने से पूव उसके चहरे
और खोपड़ी को नहर क दीवार से टकरा-टकरा कर त-िव त कर दया।”
उन चीख क याद ने को टेलो को खामोश कर दया और उसका चेहरा कसी अ ात
भय से जद पड़ गया। उसने अपना च मा उतारा और कहा- “म बुरी तरह सहम गया था
ले कन डॉ फ नह डरा था। नह । जब वह नहर से बाहर आया तो उसके चेहरे पर भय
या प ाताप का एक कतरा तक नह था। मुझे आज भी याद है क जब वह बाहर आया था
और अपने खून पुते चेहरे से मेरी ओर देखा था तो उसके होठ पर डरावनी मु कान थी,
िजसके बाद वह पागल क तरह हंसने लगा था। मै डर और दहशत म नहर के पास से
िजतनी तेजी से भाग सकता था, उतनी तेजी से भाग गया।”
“"तुमने उस शैतान को बदा त कै से कया?”
“उस दन के बाद हम एक छत के नीचे रहते ए भी एक-दूसरे के िलए अजनबी हो गए।
म हमेशा उससे डरा आ रहता था। और जब यारह साल पहला हमारी माँ ने भारत
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अ याय 10
कानूनी शह-मात
अदालती कारवाई सुबह ठीक साढ़े दस बजे शु ई। उनके सामने एक युवा वक ल अंजली
कोहली और सरकारी वक ल जमना लाल कथू रया थे, िजनके बाल भूरे थे और आँख पर
मोटे े म का च मा था। जज ने उन के स क सूची पर िनगाह डाली, जो आज क तारीख
म सुनवाई हेतु पंजीकृ त थे। अपने डे क पर पड़े कागजात पर कौतुहल पूण दृि डालने के
बाद उ ह ने स मुख खड़े वक ल क ओर देखा।
संकेत ा होते ही अंजली आगे बढ़ी और आगे कहा- “गुड मॉ नग योएर ऑनर। बचाव
प ; िम. डॉ फ चानहर, िज ह चौबीस घंटे से भी अिधक समय से गैरकानूनी ढंग से
पुिलस िहरासत म रखा गया है, क त काल और बगैर कसी शत के रहाई क याचना
करता है।”
“मुझे कड़ी आपि है योएर ऑनर।” अिभयो ा के वक ल ने भी आगे बढ़ते ए कहा-
“अिभयु ने एक युवती को गैरकानूनी ढंग से अपने ए टेट म बंधक बना रखा था, जो क
अपने आप म एक बड़ा अपराध है। जब पुिलस ने उसे दबोचा तब वह िमस पायल को बस
क़ ल करने ही वाला था। इस बाबत योएर ऑनर के सामने डे क पर िमस पायल चटज
का शपथब बयान मौजूद है।”
“ले कन योएर ऑनर।” डॉ फ चानहर क वक ल मोहतरमा ने बहस कया-
“सुनवाई के इस ारं िभक चरण म उस बयान को अका सा य के प म वीकार नह
कया जा सकता है। बचाव प आपसे डॉ फ चानहर को िबना कसी देरी के रहा कर
देने का अनुरोध करता है।”
“ले कन योएर ऑनर।” उ दराज वक ल ने कहा- “य द बचाव प को रहा कया गया
तो वह जोिखम खड़े कर सकता है। दोषी के रहा होने क दशा म िमस पायल और उन
गवाह , िजनका नाम अिभयो ा प वाभािवक कारण से लेना नह चाहता, क सुर ा
को खतरा है।”
“ या मज़ाक है योएर ऑनर। िम. चानहर अंतररा ीय याित ा डांसर और
को रयो ाफर ह, जो सैटेलाइट चैनल के सा ािहक शो म भी नजर आते ह। शहर म उनक
अ छी ित ा और कई संपि या ह, िजनम साउथ ए सटशन ि थत ‘इं ि ट ूट ऑफ़
परफॉ मग आट’ और वसंत िवहार ि थत बंगला भी शािमल है। वे कोई आवारा या
खानाबदोश नह है, जो उ ह इस तरह उठा िलया जाए। जहाँ तक युवती क सुर ा क
बात है तो िम. चानहर इसके िलए ये हलफनामा देने को तैयार ह क जब तक ये मामला
कसी िन कष पर नह प च ँ जाता, वे िमस पायल से िमलने क कोिशश नह करगे।”
“ हम यह मंज़ूर नह है योएर ऑनर।” सरकारी वक ल ने कहा।
“सरकारी वक ल साहब इससे यादा और या मांग कर सकता है?” अंजली ने पूछा।
“उनके सभी किथत गवाह के िलए भी िम. चानहर उन शत का पालन करने के िलए
तैयार ह। बशत क अिभयो ा प उन गवाह क सूची कोट म जमा करने के िलए तैयार
हो, िजनक सुर ा वह चाहता है।”
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“म िनद ष ।ँ मुझे झूठे आरोप म फं साया गया है, क तु मुझे अदालत पर पूरा भरोसा
है और म बेकसूर सािबत होऊंगा। म पुिलस के टाचर का िशकार ।ँ अंत म सच ही
जीतेगा।” पुिलस ारा वैन म ठूं से जाने और वहां से रवाना होने तक डॉ फ चानहर
बमुि कल इतना ही कह पाया।
उसके जाने के बाद उसक वक ल अंजिल ने मीिडया से बात क । उसके अगल-बगल
सहायक वक ल और मंहगा ‘रे बैन’ सन लास लगाए ए रोिहत मीरचंदानी खड़ा था। “मेरे
लाइं ट डॉ फ चानहर िनद ष ह और कल म कोट से उनके जमानत क दर वा त
क ं गी। वह एक िति त ि ह और सोसायटी म उनका काफ मान-स मान है।
बेबुिनयाद आरोप के आधार पर उसका िहरासत म रहना कसी भी तरह से ठीक नह है।”
“ या उ ह ने अपनी टू डट का अपहरण करके उसका रे प कया? या वह ब का क़ ल
करते ह?” ध ा-मु करते मीिडया-क मय ारा अंजली से पूछा गया।
“म क़ ल के मु े पर अभी कोई ट पणी नह क ं गी य क यह सुब-जुिडस है। म के वल
इतना ही कह सकती ँ क हम पढ़े-िलखे लोग ह और इस तरह के अंधिव ास पर यक न
नह करते। एक कुं ठत मिहला, अितमह वाकां ी क तु िन सािहत अिभने ी के सािबत
कये न जा सकने वाले आरोप को मेरे लाइं ट के ोफे शनल और पसनल कै रयर को
बबाद करने क इजाजत नह दे सकती।”
रोिहत, जो उससे अलग कसी दूसरे यूज़ चैनल से बात कर रहा था, बोला “ डो फ़
चानहर के साथ उसके िम , शंसक और शुभ चंतक खड़े ह। हम उसे ग़ैरकानूनी िहरासत
से ज द मु कराने के िलए कोिशश कर रहे ह और हम पूरा िव ास है क उसके ऊपर
लगाए गए झूठे आरोप भी हट जायगे। वह एक ितभाशाली कलाकार है, िजसने अपनी
कला से कई दल को जीता है। और म िन ंत ँ क इस घटना के अंत म भी वह िवजेता
बन कर उभरे गा। जैसा क कहा जा रहा है, जीत हमेशा सच क ही होती है।”
डॉ फ चानहर क िगर तारी और पुिलस व ा तथा सरकारी वक ल ारा कोट क
कारवाईय पर कोई ट पणी न कये जाने क खबर पूरे दन-रात िविभ यूज़ चैनल से
सा रत होती रही। िजस व ये सब हो रहा था, उस व तक डॉ फ चानहर को
ाइम ांच के ऑ फस ले जाया जा चुका था। उसके पीछे यूज़ चैनल के संवाददाता क
कार और ओबी वै स भी थ । कोट के िनदशानुसार आइड ट फके शन परे ड के िलए
इं सपे टर उदय ठाकु र ने महरौली पुिलस टेशन के एस.एच.ओ. जोिग दर संह से अनुरोध
करके अप त ब े क बहन और िपता को बुलवाया था।
बेटा।” उसने छोटी लड़क से कहा और उसके पास आने के बाद आगे बोला- “हम तु ह
एक कमरे म ले जाएंग,े जहाँ सात आदमी खड़े ह। तु ह उ ह यान से देखना होगा और
उनम से उस आदमी क पहचानना , िजसने उस शाम जंगल म तुम पर हमला कया था। म
तु हारे साथ र गँ ा, इसिलए ये सोचकर डरना मत क वह तु ह चोट प चँ ाएगा। समझ
गयी? शाबाश।”
इं सपे टर ठाकु र पूछताछ क तक प च ं ा, िजसे आईड ट फके शन परे ड के िलए चुना
गया था। वह और बाक पुिलसकम दरवाजे पर ही ठहर गए, जब क यायालय का
ितिनिध लड़क के साथ कमरे म दािखल हो गया। कथू रया और अंजली भी उसके साथ
थे। बाक लोग कौतुहलतावश गदन आगे कये ए दरवाजे पर ही ठहर कर इं तजार करने
लगे। उस साधारण से कमरे म डॉ फ चानहर छह अ य लोग के साथ खड़ा था। उसक
वक ल ने देखा क डॉ फ चानहर को छोड़कर वे सभी याह रं गत और म रयल िज म
वाले मैले-कु चैले तथा समाज के िनचले तबके के लोग थे। उसने इस त य को अपने जेहन म
नोट कर िलया, ता क अगर आईड ट फके शन परे ड का प रणाम उसके मुवि क़ल के
िखलाफ आये, तो वह उस त य का उपयोग उस प रणाम को चुनौती देने के िलए कर सके ।
वह सोचने लगी क वह इस बात पर बहस कर सकती है क अगर उनम से कसी को भी
नीली आंख वाले ि को चुनने को कहा जाता तो वह िनि त तौर पर डॉ फ
चानहर को ही चुनता। म रयल िज म तथा धंसे ए गाल वाले पॉके ट मार और
नशेिड़य क पंि म से एक धनी और साफ़-स फाक कपड़े पहने ए ि को अलग
करने म कोई मुि कल नह थी।
“आगे बढ़ो और बताओ क इन लोग म से कौन है, िजसने तुम पर हमला कया था?”
यायालय के ितिनिध ने मजदूर क बेटी से कहा।
छोटी लड़क ने थोड़ी िहच कचाहट के साथ कदम आगे बढ़ाया और पंि म खड़े पहले
आदमी को देखा, जो चेहरे पर सपाट भाव िलए ए उसे ही घूर रहा था। कमरे म स ाटा
था और डॉ फ चानहर समेत सभी के चेहरे पर तनाव प झलक रहा था। पंि म
पांचव नंबर पर खड़े डॉ फ चानहर तक प च ं ने से पहले लड़क येक आदमी के सामने
कु छ सेकंड के िलए क । इं सपे टर ठाकु र, जो उसके चेहरे को यान से देख रहा था, ने
उसक आंख को फ़ै लते, होठ को खुलते और हलक क घंटी को उछलते देखा। वह डॉ फ
चानहर के सामने खड़ी थी, ये समय उसे अनंत काल क तरह लग रहा था। वह फर
अगले आदमी क ओर बढ़ गयी।
“ या तुमने सभी को अ छे से देख िलया है?” यायालय के ितिनिध ने नरम लहजे म
पूछा।
“हाँ साब।” उसने दबे ए वर म उ र दया।
“तुम उनम से कसी से डर तो नह रही हो? तु हारी सुर ा के िलए हम लोग यहाँ ह।
हमारी उपि थित म वह तुम पर हमला नह कर सकता है। य द तुम चाहो तो उन पर एक
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सनक काितल का वह कसाई बेटा पड़ोसी देश ऑि या भाग गया, जहां उसे जमन मूल
क एक मिहला िमली। वह उसके साथ शादी करके और अपना नाम-पहचान बदलकर एक
छोटे से ऑि याई शहर म कसाई क दुकान चलाने लगा। वह मिहला डॉ फ चानहर
क नानी थी। उसने कसाई क तीन लड़ कयाँ और दो लड़को को ज म दया। उनम से
सबसे बड़ी िसि वया चानहर, डॉ फ क मां थी। प रवार का वंशानुगत पागलपन एक
बार फर तब उजागर आ, जब उस कसाई को शहर क एक युवती के अपहरण,
बला कार और ह या के जुम म िगर तार कर िलया गया। ले कन उसका कु छ नह िबगड़ा,
य क अदालत म मामले क सुनवाई होने से पहले क रात लड़क के पूरे प रवार क
रह यमय तरीके से मौत हो गई। पड़ोसी अनगल लाप करते रहे, जादू-टोने पर संदहे
कया गया, ले कन कु छ भी सािबत नह कया जा सका। कसाई को बरी कर दया गया
और सबूत के अभाव म उस के स को खा रज कर दया गया। कसाई के दु कम का कोई
और रकॉड उपल ध नह था।
उसके ब े भी उतने ही और ढीठ थे। उसक बड़ी औलाद िसि वया सबसे होनहार,
शाितर और ू र थी। उसके कई ेम- संग थे। अपनी िह पी और मु -काम वाली जीवन-
शैली के चलते वह कई बार गभवती ई। अंतत: वह नेपाल होते ए भारत चली आई और
एक भारतीय से शादी कर ली, जो एक छंटा आ शराबी था। अपने महा-चालू और ठग
पित से र ता तोड़े जाने तक उसका अिधकांश समय अिनयिमत प से भारत और
ऑि या के बीच गुजरा। जब डॉ फ यारह साल का था तो वह वापस ऑि या चली
गयी थी। कु छ िवशेष अवसर को छोड़कर वह अपने बेटे से बमुि कल ही िमल पाती थी।
वह भी तब, जब डॉ फ आि या म अपने निनहाल जाता था।
ये नानी ही थ , जो अपनी बड़ी बेटी िसि वया के बेटे म दलच पी दखाती थ । लड़के
म एक ‘ चंगारी’ थी। वह हमेशा कहा करती थी क उसे अपने परनाना के सभी िविश
गुण िवरासत म िमले थे और वह अपनी नानी का यो य उ रािधकारी बन सकता था। ये
उ ह दन क बात है, जब अपने नानी के घर जाने के दौरान तं -मं क काली दुिनया म
डॉ फ क दलच पी जाग गई थी।
बूढ़ी औरत यानी क कसाई क प ी एक तं -सािधका (िवच) थी, जो अपने पास कई
बुरी और काली शि य के होने का दावा करती थी। वह आ मा और शैतान क दुिनया
के संपक म थी और कई अलौ कक शि य का आ वान कर सकती थी। वही थी, जो
डॉ फ को अंधेरी दुिनया म लेकर आयी। डॉ फ; एक जवान और भावशाली लड़का,
िजसका कोई िस ांत नह था। वह शु से ही अपने कू ल और पड़ोस के लोग को दबाकर
रखने वाली शि सयत था और उ ह अ सर अपने ोध का िशकार बनाता रहता था। इन
आदत ने उसे अ यंत हंसक बना दया था। वह सही मायने म अपनी ौढ़ नानी का
वा रस था, िजसे शैतान ारा भेजा गया था। नानी ने उसे अपनी छ -छाया म ले िलया
और उसे तं -मं , जादू-टोना िसखाते ए उसके ि व-िनमाण म सहायता करने लगी।
उसने उसे अपने पूवज क परं परा के मुतािबक़ पथ , अ यंत हंसक और ू र ि म
त दील कर दया था।
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“हाँ, ले कन फर मेरे पास एकमा िवक प के प म एकाक पन से भरा कुं वारा जीवन
ही बचता है। मेरा यक न करो इस ि थित से बेहतर तो एक मिहला का साथ ही है, जो भले
ही तु हारी तरह िभचारी ही य न हो। शायद ये ठीक ही कहा गया है क ‘हम सभी
को वही िमलता है, िजसके हम हकदार होते ह।’ अगर मेरा ज म, पालन-पोषण और देख-
रे ख अलग तरीके से आ होता, तो आज म भी बंजार का जीवन िबताने क बजाय कसी
गुणवान और यार करने वाली लड़क से शादी कर सकता था। मौजूदा हालात म मेरे
पास लीना या उसके जैसी कसी और मिहला को वीकार करने के अलावा ब त थोड़े ही
िवक प ह, य क वे मेरे िलए उपल ध ह और मेरे साथ अंतरं ग संबंध बनाने से पहले अ य
मिहला क तरह िववाह क शत नह रखती ह।”
“ या म ये समझूं क तु ह अपने जीवन से िशकायत हो गयी है?”
“म जानता ँ ह रनाथ क तु हारा या मतलब है। हां, मने खुद अपने िलए ऐसा जीवन
चुना है, इसिलए मुझे िशकायत नह करनी चािहए। ले कन फर भी... कभी-कभी म खुद
को दबी ई इ छा और भावना के वार म बहने से रोक नह पाता। मुझे लगता है क
मनु य के िलए यह वाभािवक है। ले कन चंता मत करो ह रनाथ। हर छह महीने म
एकाध बार ही मेरा मूड ऐसा होता है। ये िवचार लंबे समय तक नह टकते ह। कम से कम
इतने लंबे समय तक तो िब कु ल भी नह क वे मेरे ि व को ही पूरी तरह से बदल द।”
“मुझे याद है क तुम अपनी बुरी वृि पर गव करते नह थकते थे, तो फर तु हारे इस
‘मूड’ का मतलब या है? या एक गुणवान प ी क इ छा?”
“मानवीय कमजोरी ह रनाथ।” डॉ फ चानहर ने जवाब दया- “कोई भी इं सान न
तो पूरी तरह से अ छा होता है और न ही पूरी तरह से बुरा होता है। जानते हो य ?
य क दो िवपरीत वृि य के बीच झूलते ए हम अपने आपको कसी एक वृि म
ढालने का चाहे िजतना भी यास य न कर ल, आिखरकार हम ‘इं सान’ ही बने रहते ह।
मानव क प रभाषा का ता पय ही अपूणता से है और इस अपूणता के कारण वह कभी भी
पूण नह हो सकता। फर चाहे वह अ छाई हो या बुराई हो। वह न तो पूरी तरह अ छा
बन सकता है और न ही पूरी तरह बुरा।”
“मने तो सोचा था क तुम सामा य मनु य से परे हो।”
“हर या के बराबर और िवपरीत ित या होती है। यूटन ने कहा था। जब अ छाई
सोती है, तो वह तरोताजा हो उठती है।’ ये िवचार नी शे ने रखा था। मेरे स दभ म दो
िवपरीत च र के बीच मेरा क मकश इसिलए अि त व म है य क मेरा बुराई क ओर
झुकाव अिधक है। आक मात उभरने वाले आवेग और भावनाएं, िज ह तुम देख रहे हो,
उसी का नतीजा ह। म नह जानता क इस तरह के मनोभाव जगा कर ई र मुझे वापस
बुलाने क कोिशश करता है या फर शैतान मेरे संक प-शि क परी ा लेता है। हालां क
अंितम सच यही है क ऐसे अवसर पर म पिव ता क ओर आक षत होता ,ं जैसे यह
सुंदर और गुणवान लड़ कयां।”
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वाला नह था। उसके पास मजदूर के लापता ब े के एक जोड़ी कपड़े भी थे, िजसे उसने
गंध के ज रये उसक लाश तक प च ँ ने के िलए पुिलस के िशि त कु को सुंघाया। कु े
पहले पोच म खड़ी कार तक गए और फर दौड़ते ए सी ढ़य से ऊपर चढ़कर कांच के
िपरािमड तक प च ँ गए। वे िपरािमड के बाहर से ही गुराने और भ कने लगे, ले कन
उ ह ने अंदर दािखल होने इं कार कर दया। इस बात से इं सपे टर को बेहद हैरानी ई।
ऐसा लग रहा था, जैसे उ ह िपरािमड के अ दर कसी ऐसी भयावह चीज क मौजूदगी का
आभास हो रहा था, जो इं सान क आख से ओझल थी। पहले वे जोर-जोर से भ कते रहे,
फर काफ देर तक िपरािमड क कांच क दीवार को अपने नाखून से खर चने के बाद वे
सी ढ़य से नीचे भाग गए।
कु े उस गंध से इतने उ ेिजत हो उठे थे क उ ह पकड़ने वाल को उनका प ा थामे
रखने म क ठनाई होने लगी। वे पुिलस वाल को उस मकान से दूर एक ग े तक ले गए और
जमीन को अपने नाखून से खर चते ए गुराने लगे। इं सपे टर ठाकु र ने पंज के बल बैठकर
उस ग े का बारीक से मुआयना कया, ले कन उसे यहाँ कु छ भी सं द ध नह िमला,
िसवाय इसके क आसपास क जमीन क तरह वहां घास नह उगी ई थी। उसने सोचा,
कह ऐसा तो नह क उस जगह क हाल ही खुदाई करके वह क बनाई गयी हो, िजसक
उसे तलाश है।
उसने फामहाउस म लाए गये मजदूर को ग े क खुदाई करने और इस पूरे करण क
िविडयो ाफ कराने का आदेश दया। ले कन जैसा क दुभा य के व हमेशा होता है;
ह क बूंदा-बादी ज द ही भारी बारीश म त दील हो उठी और वह उस जगह को छोड़ने
पर मजबूर गए। रात का व होने के कारण, इं सपे टर उदय को मजबूरन अगली सुबह
तक खुदाई को थिगत करना पड़ा। उसे इस बात पर पछतावा होने लगा क उसने िजन
िशि त कु क मांग क थी, उ ह शाम को भेजा गया न क दोपहर म। उनके दोपहर म
ही प च
ँ जाने क दशा म वह शाम तक अपना काम अ छे से िनपटा लेता। ले कन िखली
ई धूप वाला वह दन अनायास ही बा रश से भरी शाम म त दील हो गया और उस
अ यािशत बा रश ने उनक सारी योजना और उ मीद पर पानी फे र दया।
पायल एक बार फर अपनी सहेली शािलनी के लैट म थी। पुिलस ारा उसे बचाए
जाने क घटना को एक स ाह गुजर गया था। उसक माँ सुबह ही िशमला के िलए रवाना
हो चुक थ । पायल अपनी तमाम कोिशश के बावजूद भी उ ह अभय के बारे म समझाने
म असफल रही थी, ले कन फर भी वह अभय के साथ अपने र ते को जारी रखने के िलए
दृढसंक प थी।
पायल ने शािलनी को ना ते क े के साथ बेड म म दािखल ए देखा।
“कै सी है डा लग?” उसने स तापूवक पूछा।
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अ याय 11
बूढ़ा िसपाही
दो महीने बाद, एक अलसाए रिववार के दन पायल, अभय बतरा के साथ शािलनी के
लैट के ाइं ग म म बैठी ई थी। कई ह ते शाि तपूवक गुजर जाने के बाद अभय ने उसे
शादी का ताव कया था िजसे उसने ख़शी-ख़शी वीकार कर िलया था। वे अब ज द से
ज द शादी कर लेने क तैयारी म जुट गए थे। दोन ही अपने जीवन म आने वाले उस
रोमांचक मोड़ को लेकर उ सािहत थे, जो उनके जीवन को खुिशय को भर देने वाला था।
पायल अपनी माँ के स त िवरोध के बावजूद उस शादी को करने का िन य कर चुक थी।
उसके िपता वयं द ली आये थे और अभय के प म उसक पसंद पर अपनी वीकृ ित का
मुहर लगा चुके थे।
उसके शादी करने के फै सले के पीछे इस बात का भी िवशेष योगदान था क कई
टू िडयोज और ो ूसस के च र लगाने, अनिगनत ऑिडश स और न टे ट म शािमल
होने के बाद भी वह काम पाने म असफल रही थी। कु छ लोग ने बेहद खे अंदाज म यहाँ
तक कह दया था क उनक कं पनी या चैनल कसी ऐसी बदनाम अिभने ी के साथ काम
करने क इ छु क नह है, िजसने एक मश र और नामचीन ह ती पर अपहरण और यौन
शोषण का झूठा आरोप लगाया हो। इन सभी बात ने पायल को एहसास कराया था क
लैमर इं ड ी म मिहला के शोषण के िखलाफ बोलने वाल का या ह होता ह।
डॉ फ चानहर क वक ल ारा मीिडया म कये जा रहे अपने चा रि क हनन से
कु िप ोिधत त होकर पायल ने उस कोट हाउस के कं पाउं ड म एक ेस कां स कर ली थी,
जहाँ वह ‘ चानहर के स’ क सुनवाई के िलए प च ँ ी थी। प कार के सवाल का जवाब
देने के दौरान वह अपने आलोचको पर बुरी तरह भड़क गई थी और अपने बचकाने रवैये
का दशन करते ए उसने पूरी फ म/सी रयल और टेज वसाय को कोसते ए उसे
छोटे शहर क अनिगनत लड़ कय का जीवन बेशम से तबाह करने वाले िग से भरा
आ घोसला कह कह डाला था।
भावना के आवेग म आकर क गयी उसक इस हरकत ने पूरी इं ड ी को डॉ फ के
साथ खड़ा कर दया था। ए- ेड फ म तथा टेलीिवजन के कई मुख अिभनेता और
िनमाता उसके प म एकजुट हो गये थे। दूसरी तरफ पायल एक ऐसी बदनाम लड़क बन
गई थी, िजसके पास उसके दो त और प रिचत के एक छोटे से दायरे के अलावा और कोई
भी नह था। अगर के वल इतना भी होता तो शायद यादा बुरा नह होता, पर कोढ़ म
खाज यह थी क उसे कम बजट क सी- ेड और अ ील फ म म काम करने के ताव
िमलने लगे थे। उ फ म के िनमाता उस नई मश री और अदालत म डॉ फ पर लगाए
उसके आरोप क ापक मीिडया कवरे ज को भुनाने क क कोिशश करने लगे।
‘ चानहर-के स’ क िपछली सुनवाई म डॉ फ चानहर क वक ल क सभी दलील को
दर कनार करते ए यायाधीश मखीजा ने फै सला कया था क यह मामला मुक़दमे के
िलए जाएगा, िजसक सुनवाई अ ैल म शु होगी। यायाधीश ने उसक वक ल के
अनुरोध पर, उ अविध तक डॉ फ चानहर क जमानत जारी रखने के प म फै सला
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दया था।
“ठीक है। म कसी वक ल से िमलूंगा।” अभय ने कहा- “ले कन या यह प ा है क तुम
शादी ‘मै रज रिज ार’ क ऑ फस म ही करोगी?”
“िब कु ल। धूमधाम से शादी करके पैसे क बबादी करना मुझे पसंद नह है। इसके
अलावा हमारे पास दो त भी के वल थोड़े ही ह। म सीधे-साधे तरीके से ही शादी करना
चाहती ।ँ और बाद म हम कसी अ छे रे टोरट म िडनर क मेजबानी कर सकते ह।”
उसने कहा।
“तुम फै िमली के लोग को भूल गयी। मेरे माँ-बाप भले ही भगवान को यारे हो गए हो,
पर तु हारे माँ-बाप तो आयगे ही, है न?”
“शायद बाबा आ सकते ह, म माँ को लेकर इतना प ा नह ।ँ ” पायल ने उ र दया-
“मुझे उ मीद ज र है क वह आयगी। शायद वे अ छे मूड म न ह , ले कन फर भी वे
आयगी।”
“ या तुमने उ ह बुलाया है? मेरा मतलब है क अपने माँ-बाबा को?”
“उ ह मेरे फै सले के बारे म पता है। जैसे ही तारीख़ फ स होगी, म उ ह बुला लूंगी।”
जैसे ही फोन बजा, पायल ने काडलेस फोन उठा िलया और कहा- “है लो।”
“म िमस पायल से बात करना चाहता ।ँ ” अनजान पु ष वर ने कहा।
“म पायल ही ।ँ ”
“कृ पया लाइन पर बने रिहये। कोई आपसे बात करना चाहता है।” आवाज ने कहा।
थोड़ी देर क खामोशी के बाद रसीवर से एक दूसरा पु ष वर उभरा। उसका लहजा
रौबीला था।
“हैलो पायल। तुम मुझे नह जानती। दरअसल मेरा नाम बी.डी. नारं ग है। म कलक ा
म तु हारे मामा सोम िव ास का ब त अ छा दो त था।”
“ले कन सोमू मामा....”
“हाँ। मुझे पता है।” उसने पायल को रोकते ए कहा- “छ: साल पहले सोमू क मौत हो
गई है, ले कन इसका मतलब ये नह है क म उसे भूल गया ।ं ”
सोम िव ास, पायल के मामा थे, जो कोलकता म रहते थे और र ा मं ालय म एक
अिधकारी थे।
“आप उसी ऑ फस म थे, िजस ऑ फस म मेरे मामा थे?” उसने स मानजनक लहजे म
पूछा।
“नह । म इं िडयन आम क इ फ ी िडवीज़न म कनल था। उन दन म कलक ा म
तैनात था, जब तु हारे मामा सोमू से मेरी दो ती ई। पो टंग के तहत दूसरी जगह चले
जाने के बाद भी हमने अपनी दो ती बरकरार रखी। तुम मुझे के वल पांच साल क उस
लड़क के प म याद हो, जो गम क छु य म अपने मामा के घर आती थी।”
“माफ़ चाहती ँ ले कन नुझे ऐसा कु छ याद नह है।”
“ये मेरे िलए कोई हैरानी क बात नह है। तुम उस व के वल एक छोटी ब ी थी।
बहरहाल मने आज तु ह इसके िलए फोन नह कया है। मुझे तु हारे और डॉ फ चानहर
के बारे म पता चला। म सामा यतया यूज़पेपर नह पढ़ता, ले कन ‘इं िडया टु ड’े , िजसे म
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एक िमनट को, म उसे अपने जाने के बारे म बताकर और है डबैग लेकर आ रही ।ँ ”
पायल अपने हडबैग के साथ वापस आई और लैट का दरवाजा बंद करके अभय के साथ
िल ट क ओर बढ़ गयी। वे िब डंग के प रसर म खड़ी अभय क 'फोड एंडव े र' तक गए
और उस रह यमय कनल नारं ग से िमलने के िलए पूव द ली क ओर रवाना हो गए।
“कनल नारं ग िपछले तीन साल से गंभीर प ाघात से पीिड़त ह।” पु ष नस ने धीमी
आवाज़ म कहा- “गदन के नीचे का उनका शरीर मर चुका है। उनका दल धड़कता है,
फे फड़े भी काम करते ह, ले कन वे एक उं गली तक नह उठा सकते ह। वे गदन के नीचे
अपने शरीर क एक भी मांसपेशी भी नह िहला सकते।”
“हे ई र। इस हालत म भी वे ज़ंदा ह।”
“वे बोल सकते ह, सुन सकते ह और उनका दमाग भी काम करता है, ले कन उनक
शरीर क माँस-पेिशयाँ मर चुक ह।”
“ले कन उ ह ने आज ही सुबह मुझसे फोन पर बात क ।” पायल ने कहा।
“हाँ। वह म ही था, िजसने आपका नंबर डायल कया था और रसीवर को उसके कान
और मुँह के बगल म पकड़ा आ था ता क वे आपको सुन सक और आपसे बात कर सक।”
उसने प कया।
“अगर वे एक मांसपेशी भी नह िहला पाते ह, तो खाते कै से ह, शौच कै से जाते ह और
नहाते कै से ह?” अभय ने पूछा।
“म ही उ ह िखलाता ,ँ नहलाता ँ और उनके बाक सभी काम भी कराता ।ँ ”
“वे बेहद बुरी हालत म ह। तुम या सोचते हो क हम जाकर उनसे िमलना चािहए?”
पायल ने अभय से पूछा।
“बेशक।” हरीश ने जवाब दया- “ड रये मत। उनक बीमारी छू आ-छू त से फ़ै लती नह
है। और इस व तो वह ब त अ छी हालत म है।”
“तुम इसे अ छी हालत कहते हो? कस तरह के इं सान हो तुम? इससे बुरा भला और
या हो सकता है?”
“जब उनक हालत खराब हो जाती है तो मुझे उ ह ऑ सीजन चढ़ानी पड़ती है और
पास के अ पताल म फोन करके डॉ टर को बुलाना पड़ता है।”
“चलो अभय।” पायल ने कहा- “ऐसा आदमी हमारे िलए या कर सकता है? उससे हम
या मदद िमल सकती है?”
“शायद उससे कह यादा मेरे ब ी, िजतना तुम सोच सकती हो।” अंदर के कमरे से
तेज आवाज आई- “उ ह यहाँ लाओ हरीश।” उसी रौबीली आवाज ने कहा, िजसे पायल
फोन पर सुन चुक थी।
नस उ ह दो बेड म वाले लैट के अंदर ले गया। बेड म म जाने के िलए उ ह लकड़ी के
कबाड़ से भरी एक लॉबी से गुजरना पड़ा। जैसे ही पायल, अभय क बांह पकड़े ए कमरे
म दािखल ई दवाईय क तेज़ गंध ने एक बार फर उ ह परे शान कर दया।
वह एक म यम आकार का कमरा था, जो कसी छोटे-मोटे अ तपाल क तरह नजर आ
रहा था, िजसम हर कार क दवा से भरी ई अलमा रयाँ थ । कमरे के म य भाग म
एक वृ आदमी िब तर पर पड़ा आ था। िब तर के बगल म ही दो बड़े ऑ सीजन
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लगभग सारे इं सान बेहद खुदगज़, आलसी,नीरस और सीिमत दमाग वाले होते ह,
इसीिलए म कं यूटर पर शतरं ज खेलते ए समय िबताना पसंद करता ।ं ”
“आप शतरं ज खेलते ह?” पायल ने पूछा।
“म समझ रहा ं क तु हारा या मतलब है। हरीश ने तु ह मेरी हालत के बारे म
बताया होगा। ले कन म ये कहने का हौसला रखता ँ क मेरा दमाग कसी स म आदमी
क तुलना म कह अिधक तेज़ और कािबल है। या तुम लोग िव ास करोगे क म इस
महीने कं यूटर के िखलाफ 20-18 से आगे चल रहा ?ँ म वॉइस कमांड का योग करता ं
और ऐ.आई. (आ टफ िसयल इं टेिलजस) ि थित के अनुसार बी4, ए5 इ या द चाल चलता
है।”
“ब त ब ढ़या।” अभय ने कहा।
“हाँ। और ये भी क म इस प रि थित से गुजर रहा ।ँ ले कन म तुम जवान ब ो को ये
बताकर बोर य क ं क म अपनी त हा दन और रात कै से गुजारता ।ँ म तु ह खुश और
महफू ज देखना चाहता ं मेरी ब ी। तु हारी तकलीफ के बारे म मुझे जो कु छ पता चला है,
उससे मुझे एहसास हो चुका है क तुम एक ब त बड़े खतरे म हो। म अपने दो त क भांजी
के ित अपना फ़ज़ न िनभा पाने क शम के साथ कभी नह मरना चां गा। तुम मुझे सब
कु छ बताओ। तुम कै से उस चानहर से िमली और तुम लोग के बीच या आ? म हर
चीज को िडटेल म जानना चाहता ।ं य द तुम इसे मदद समझकर नह करना चाहती तो
कम से कम एक मरते ए आदमी क इ छा मानकर ही बता दो।”
“ये एक लंबी कहानी है मामा जी।” पायल ने कहा।
“मेरे पास ब त समय है। एक यही तो चीज़ है, जो मेरे पास ब त सारी है।”
पायल ने अभय क ओर देखा और उसक सहमित पाकर डॉ फ चानहर के साथ
अपनी पहली मुलाकात से लेकर कानूनी कायवािहय तक का अपना पूरा अनुभव बयां कर
दया।
“तुम नरक से गुजर कर आयी हो।” कनल नारं ग ने सहानुभूितपूवक कहा- “ले कन चंता
मत करो। अब तुम अके ली नह हो। अब मुझ जैसा एक कु शल और कािबल योजना बनाने
वाला तु हारे साथ खड़ा है और ये कोई घमंड नह है। अब तुम बस इं तजार करो पायल
और देखो क म उस डॉ फ के ब े के साथ कै से नचाता ।ँ वह उस दन को कोसेगा जब
वह तु हे िमला था। अब वारलॉक का सामना एक आदमी, एक असली आदमी से होगा।
य द वह सोचता है क वह दुिनया म सबसे अिधक शाितर और ू र है, तो मेरा िव ास
करो वह इस मामले म मुझे खुद से उ ीस नह इ स ही पायेगा।”
“ या म पूछ सकता ँ सर क आप या करना चाहते ह?” अभय ने पूछा।
“उस ज़ािलम को उसक खुद क दवा का वाद चखाना चाहता ।ँ अब के वल पायल
भर नह है, जो उसके िखलाफ लड़ रही है, अब इसम म भी शािमल ।ँ तु ह अब कसी
बात क चंता करने क ज रत नह है ब ी। अब सब-कु छ मुझ पर छोड़ दो। म उस
चानहर को अपने जाल म ऐसा फँ साऊँगा क अपने घुटन पर बैठकर रहम क भीख
मांगेगा। मेरी शारी रक अव था पर मत जाओ। ये सच है क म अपने हाथ से एक म खी
तक को चोट नह प च ं ा सकता, ले कन इं सान के पास कु छ और भी होता है, जो उसके
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वाली ऐनक पहने ए थी। उसने िबना ेस कया गया गया राज थानी टॉप और कट
पहने ए था िजसमे अनिगनत हाथी और घोड़े बने ए थे। पीले, हरे और लाल के बीच का
शायद ही कोई रं ग था था जो उसके कपड़ो म नह था। उसके कं धे से चमड़े का एक बड़ा सा
हडबैग लटक रहा था, जो सामान से इस कदर भरा आ था क पूरी तरह से बंद भी नह
हो पा रहा था।
“रा ते से हटो।” कहते ए उसने पतले शरीर वाले हरीश को दरवाजे से ऐसे दूर धके ल
दया, जैसे वह ई का बना हो।
“अरे -अरे कं हा घुसी चली आ रही हो, तुम हो कौन?”
“साधना। तुमने मुझे दोपहर म फोन कया था।” उसने कहा और कनल नारं ग के कमरे
म घुस गयी।
‘बस, इसी क कमी थी।’ हरीश ने लैट का दरवाजा बंद करते ए सोचा- ‘तो ये
रिशयन अ मा वारलॉक क जासूसी करने वाली है। वाह रे कनल नारं ग, कौन समझदार
आदमी होगा, जो इस भसे पर दांव लगाएगा? वह चुपचाप कमरे म प च ं ा और अपनी
कु स पर बैठ गया।
“तु हारा ब ा कै सा है?” कनल नारं ग ने पूछा।
“ जी अ छा है।” उसने जवाब दया।
“और काम कै सा चल रहा है?”
“इन दन मेरे पास अिधक के स तो नह ह, ले कन फर भी मेरा काम चल रहा है। कम
से कम म भूख तो नह मरी जैसा क मेरे हरामज़ादे पित ने अपनी माशूका के साथ भागते
समय सोचा था। मने जो पेशा चुना है उसम थािपत होने म समय लगता है, इसिलए मने
कभी भी बड़े-बड़े सपने नह पाले।”
“ या तु हारा इरादा इस खतरनाक काम को जारी रखना है?” कनल ने पूछा।
“मेरे पास इसके अलावा और या करने को है? यही एक ऐसा काम है, िजसम म थोड़ी
अ छी ँ और साथ ही इस काम से मेरे जं दगी म थोड़ा रोमांच भी भर जाता है। मुझे
उ मीद है क कसी दन मेरे पास कई फ ड एज स ह गे और अपना खुद का एक ऑ फस
होगा। म इसी सपने को सच करने के िलए काम काम कर रही ,ं ले कन ये इतना आसान
नह है। और आप बताइए, मेरे लायक कु छ काम कनल साहब?”
“वैसे मेरे पास एक के स है साधना, ले कन मुझे पता नह क मुझे तु ह यह देना चािहए
या नह ? न ही म तु ह यादा पैसे दे सकता ।ँ तुम तो जानती ही हो क म लंबे समय से
रटायर ।ं ”
“इस तरह मुझे श मदा मत क िजये कनल। म कै से भूल सकती ं क वे आप ही थे,
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“आप ठीक कह रहे हो साहेब जी।” भैरो ने कहा, “वारलॉक को रोकने के िलए उसे
ख म करने के अलावा और कोई रा ता नह है। आपके पहले सवाल के जवाब म म यह
कहना चाहता ँ क म उसे इसिलए मार सकता ं य क उसक शि यां फलहाल उसके
साथ नह ह। उ ह ने उसका साथ छोड़ दया है, और अब वह पहले क तरह ताकतवर नह
है। य द हम हमला करना है तो यही सही समय है, य क अगर एक बार उसक काली
शि यां उसके पास वापस आ गय तो फर उसे रोकना या हराना नामुम कन हो
जाएगा।”
“तुम ऐसा य कह रहे हो क उसक शि य ने उसका साथ छोड़ दया है? ये कै से
संभव है?”
“ य क वह िपछली अमावास क रात दु आ मा को नरबिल देने म िवफल रहा
था।”
“अगर यह वा तव म सच है, तो हमारे पास वारलॉक को च काने का अ छा मौक़ा है।
उस बेचारे को पता ही नह चलेगा क उसके साथ या होने वाला है।”
“यह संभव नह है साहेब जी। आप ह रनाथ को भूल रहे ह। वह अभी भी अपने दु
मािलक क सेवा कर रहा है। हक कत तो यह है क जब म इस कमरे म दािखल आ तो
ह रनाथ यह था। मेरे आदेश पर मेरा गुलाम ेत उसक कमजोर शि य के कारण उसे
इस कमरे से बाहर खदेड़ने म सफल रहा। ले कन ह रनाथ अभी भी इस कमरे के बाहर
खड़ा है और हमारी बातचीत के एक-एक श द को सुन रहा है। वह िनि त ही यहाँ से
वारलॉक के पास जाएगा और फर पायल के आपसे िमलने से लेकर अब तक यहाँ ई सभी
बात उसे बता देगा।”
“तो इसका मतलब वह पायल का पीछा करते ए यहाँ आया था।” वृ आदमी ने कहा।
“इसीिलए मने कहा क हमारे हमले से वारलॉक च के गा नह ।”
“कोई बात नह । य द उसे यहां क सारी बात पता लग जायगी तो वह खुद को बचाने
के िलए या- या कर सकता है?”
“यह भी ठीक ह, वैसे भी म उससे डरता नह ।ं आप बताये, आप मुझसे ख़ास या
चाहते है साहेब जी?”
“सबसे पहले तो म चाहता ं क तुम पायल से िमलो और उसे कोई ऐसी जादुई चीज़
दो, जो उसे वारलॉक से बचा सके । इसके बाद तुम वारलॉक क यादा से यादा शि यां
ख़ म करने का यास करो। दूसरी ओर म ये भी चाहता ं क तुम उन अलौ कक िसि य
को जगाने का भी काम करो िजसका तुमने थोड़ी देर पहले िज कया था। जब तुम इतने
काम पूरे कर लेना तो मुझे बताना, तब म तु ह वारलॉक के खा मे का आिखरी आदेश दूग
ं ा।
फलहाल के िलए इतना ही। हरीश।” वे अपने नस से मुखाितब ए- “ताबीज बनाने और
िसि य के जगाने के िलए कु छ चीज को खरीदने क आव यकता होगी। इसके िलए भैरो
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को दस हजार पये दे दो। मेरा बटु आ अपनी जगह पर ही है।” उ ह ने आदेश दया।
भैरो ने कनल का अिभवादन करा और वंकल के साथ चला गया।
उनके चले जाने के कु छ दूर बाद हरीश कमरे म वापस आया। उसने कनल नारं ग से
पूछा- “वह अंधा तांि क उस मंदबुि आदमी को अपने साथ य रखता है सर?”
“उसक मानिसक दशा पर मत जाओ ब ।े िजसे तुम मंदबुि कह रहे हो, वह बेहद
खतरनाक और शि शाली लड़का है। अगर तांि क उसे आदेश दे तो वह एक हाथ से
तु हारी गदन मरोड़ सकता है।”
“अ छा, या सच म?” हरीश ने अपनी गदन पर हाथ फे रते ए हैरानी भरे लहजे म
पूछा।
“भैरो का सहायक एक रोबोट क तरह है, जो आदश का सीधे और त काल पालन
करता है। वह तांि क के आदेश का अ रश: पालन करता है इसिलए वह उस अंधे तांि क
के िलए इतना ज़ री है। यही कारण है जो भैरो, वंकल को अपने साथ रखता है। तांि क
का वह सहायक अपनी मानिसक दशा के कारण कसी ब ा जैसा ज र है, ले कन अपने
ारा क गयी नाइं साफ के बदले म कृ ित ने उस आदमी को एक दुलभ उपहार भी दया
है।”
“अ छा, वह या?” हरीश ने उ सुकता से पूछा।
“िनडरता। तुम कह सकते हो क उस लड़के को ‘डर’ क तिनक भी समझ नह है। उसके
िलए जैसे डर का कोई वजूद ही नह है। एक पहलवान या गडे जैसी ताकत वाला वंकल
इस तांि क के िलए बेशक़ मती है। मुझे लगता है क भैरो शाह क तांि क िसि य और
उसके िनडर सहायक क शारी रक शि क जुगलबंदी हमारे िशकार के िलए एक चुनौती
सािबत होगा। वारलॉक और मेरे बीच शतरं ज क बाजी िबछ चुक है। अब देखना ये है क
हमम से वो कौन होगा, जो ित ं ी को मात देगा। मुझे लगता है क ये खेल ल बा,
रोमांचक और चुनौती भरा होगा। िम. ए.आई. (आ टफ िसयल इं टेिलजस) शतरं ज म मेरी
अगली चाल के तौर पर जी5 चलो।”
उससे अगली शाम को अभय बतरा ने अपने कार को िब डंग के कं पाउं ड म पाक कया
और खाने-पीने का सामान तथा बकाड ीज़स (एक कार क कम नशे वाली िबयर) का
पैकेट िलए ए िल ट क ओर बढ़ गया। ऑ फस के बोझ भर काम से दबे अभय को
अक मात ही अपनी मंगेतर पायल के यहाँ प च ं कर उसे च काने का िवचार आ गया था।
इसीिलए लाजा िसनेमा के िनकट ि थत ‘कबाब फै ी’ से अपने पसंदीदा ंजन को लेने
के बाद वह आर. के . पुरम ि थत हाउ संग का ले स चला आया। गेट पर मौजूद गाड उसे
शािलनी के लैट म िनयिमत आने-जाने वाल के प म पहचानता था। अत: उसने
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आगंतुक क
पहचान पूछने क जहमत नह उठाई।
िल ट खुलने के बाद अभय बाहर िनकलते ए ये क पना करके मु कु रा उठा क पायल
उसे देखकर कस कदर ख़श हो जाएगी। वह कॉल बेल दबाने ही वाला था क उसे अंदर से
आती कु छ आवाज सुनाई पड़ । उसने दरवाजा को अधखुला पाकर उसे पूरा खोला और
अंदर िव हो गया। ाइं ग म से पायल के साथ कसी अप रिचत पु ष क आवाज आ
रही थी। वह हैरान होकर गैलरी म ठठक गया और उनक बातचीत सुनने के िलए अपने
कान खड़े कर िलये।
“ या तु हे यक न है क ये काम करे गा?” पायल पूछ रही थी।
“ ज़ंदा या मुदा कोई भी इस ताबीज क शि को चुनौती नह दे सकता है। मने इसे
शि शाली बनाने म अपनी सभी तांि क शि य का उपयोग कया कया है। तुम इसे
अपने घर म रखो, या जहां कह भी जाओ, इसे अपने साथ लेकर जाओ। फर इसक
करामात देखो। देवी काली क मू त का साथ पाकर यह तु ह एक ऐसी शि म त दील कर
देगा, िजससे कोई पार नह पा सके गा।” आदमी ने उसे आ ासन दया।
“ये पैसे ले लो भैरो।”
“शु या साहेब जी। जब भी आपको मेरी सहायता क आव यकता हो, आप मुझे मेरे
दए ए नंबर पर फोन करना या फर अपना संदश े छोड़ देना। म आपक सेवा म हािजर
हो जाऊंगा।”
एक भारी-भरकम आदमी ॉइं ग म से बाहर आया और अभय से टकराते-टकराते
बचा, वह अंदर के दृ य से अ जान दरवाजे के पास ही खड़ा था। वह कम-अ ल या मंदबुि
आदमी चटख़ारे लेते ए 'फटा’ क बोतल पी रहा था। उसने पलक झपकाते ए काठ के
उ लू क तरह अभय को देखा, जो औपचा रकतावश मु कु रा उठा। उसक आँख पायल से
टकराय , जो एक अंधे आदमी के साथ कमरे से बाहर िनकल रही थी। उसक आँख पर
काला च मा था। उसके िज म पर हरे रं ग का कु ता और कमर म रं गीन लुंगी थी। इसके
अलावा उसके गले म हि य और मोितय क कई मालाएं थी। लंबे बेतरतीब घुंघराले
बाल और दाढ़ी-मूछ वाले उसके गंदे िज म से बदबू आ रही थी।
“अभय..तुम यहाँ कै से?”
“ये लोग कौन ह?” अभय ने अंधे और उसके नीम-पागल साथी को शक भरी िनगाह से
घूरते ए पूछा।
“ये लोग बस जा ही रहे ह। तुम ॉइं ग म म बैठो। म इ ह दरवाज़े तक छोड़कर आती
।ँ ” उसने ज दबाजी म कहा और अंधे तांि क क बांह पकड़ कर उससे बां ला भाषा, जो
अभय को समझ म नह आती थी, म बात करते ए आगे बढ़ गयी। वह अपनी मु ी म एक
बड़े िस े के आकार वाला अजीब सा खुरदुरा ताबीज पकड़े ए थी, िजसे वह अपने मंगेतर
क नज़र से बचाने क कोिशश कर रही थी।
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मंदबुि लड़के ने अभय क ओर भावहीन चेहरे के साथ देखा और चला गया। अभय
भारी कदम के साथ ाइं ग म म प च ं ा और एक सोफे पर बैठ गया। उसका सारा उ साह
अब ठं डा हो चुका था। थोड़ी देर बाद पायल उसके सामने आकर बैठ गई। “तु ह देखकर
खुशी ई अभय।” उसने होठ पर जबरन मु कान लाते ए कहा। "आज यूँ अचानक? आने
से पहले फ़ोन तो कर देत।े "
“वे दोन आदमी कौन थे?”
“दरअसल वह एक तांि क है।” उसने उसक आँख म देखने से बचते ए जवाब दया-
“तु ह नारं ग अंकल याद ह, िजनके लैट पर हम इतवार को गए थे? वे भैरो से अ छी तरह
से जानते ह। उ ह ने ही उसे यहाँ भेजा था। और वह दूसरा आदमी उसका साथी वंकल
था।”
“वह तांि क यहाँ य आया था?”
“नारं ग अंकल को लगता है क वह दु वारलॉक अपने काले जादू से मुझे नुकसान प च ं ा
सकता है और खुद को उससे बचाने के िलए मुझे भैरो के मदद क ज रत है, जो यह प ा
करे गा क डॉ फ चानहर के तांि क याकलाप से मुझे कोई नुकसान न प च ं ।े ” उसे
अभय क ओर से ये कहे जाने क अपे ा थी; ‘तुम पढ़ी-िलखी होने के बावजूद भी काले
जादू म यक न रखने वाली एक ढ़वादी बंगाली बन रही हो।’
ले कन इसके बजाय अभय ने कहा- “म तांि क और उनक हरकत को िबलकु ल पसंद
नह करता। ये लोग धूत होते ह, जो अपने पास आने वाले लोग को मुसीबत के अलावा
और कु छ नह देते ह। ऐसे लोग समाज पर एक बोझ होते ह।”
“तुम कु छ यादा ही बढ़ा-चढ़ा कर कह रहे हो। तुम हर कसी के ऐसा नह कह सकते
हो।”
“मने इन तांि क के बुरे काम को अपनी आँख से देखा है। उनक एक घ टया हरकत
के बारे म सुनो और फर खुद फ़ै सला करो।” कहने के बाद उसने एक क सा बयां करना
शु कया- “एक तांि क था, िजसे शिनदेव के नाम से जाना जाता था। एक अमीर
प रवार क औऱत उसके जादू के जाल म फं स गई। उसने ख़ानदान के लोग पर अपनी
पकड़ बढ़ाने, पए-पैसे को बढ़ाने और िजन लोग से वह जलती थी, उनको बबाद करने के
िलए उसने उस तांि क से मदद मांगी। कु छ महीनो तक तो सब कु छ सही ढंग से होता
गया। और तब तक उसक सभी इ छाएं पूरी होती रह जब-तक वह शिनदेव को पये-पैसे
और बाक चीज से खुश करती रही। फर कसी कारण से उसने शिनदेव के साथ अपना
र ता तोड़ दया और उसे अपने घर आने से मना कर दया।”
“ फर या आ?”
“तांि क अपने कौल का प ा िनकला। उसने अपनी जात दखाई और उस मिहला के
िखलाफ हो गया। सबसे पहले उसके पित क अक मात् और अ ाकृ ितक मौत ई। उसका
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ही उसक शादी िविधपूवक संप हो गयी। इस तरह लड़के क भिव यवाणी सही हो गई।
बहरहाल म कु लजीत संह और सरबजीत संह क ित िं ता पर वापस आता ।ँ
सरबजीत संह अपनी प ी क अ ाकृ ितक और भयानक मौत का बदला लेने के िलए एक
तांि क को पकड़ लाये और फर एक जंग िछड़ गयी। िजसके प रणाम व प ास दय का
एक लंबा दौर शु आ। सबसे पहले कु लजीत संह के तांि क क दु हन ऐन शादी वाले
दन घोड़े ारा िसर पर लात मारे जाने से मर गयी। इसके बाद तांि क क भी मौत हो
गई। कु छ महीन के भीतर ही सरबजीत संह ने भी अक मात और अ ाकृ ितक ढंग से मौत
को लगे लगा िलया। यही ह उनके ित ं ी कु लजीत संह का भी आ। और इस कार
उस जंग म शािमल सभी लोग के िवनाश के साथ उस खूनी गाथा का अंत हो गया। ये
के वल दो उदाहरण ह, जो बताते ह क दु तांि क के कारण कतनी तबाही होती है और
िज ह मने वयं अपनी आँख से देखा है। या अब भी तुम ये सोचकर आ यच कत हो क
म उनके काम से इतनी घृणा य करता ?ं ”
“म तु हारी चंता समझ सकती ं अभय, ले कन म तु ह यक न दलाती ं क
भैरो....।”
“तुम यही कहना चाहती हो न क वह तु हारा रखवाला है और हमेशा तु हारी र ा
करे गा?” अभय ने उसक बात काटते ए कहा- “म तु हारे साथ इस थ के बहस म
शािमल नह होना चाहता। तुम मेरी बात मानने के िलए मजबूर नह हो, ले कन अगर तुम
मुझसे यार करती हो और मुझे अपना अ छा चाहने वाला मानती हो तो मेरी सलाह
मानो और इन तांि क से दूर रहो। वे िग क तरह ह, जो अपने साथ मौत और दुभा य
लाते ह। वे उन हाथ को भी काटने म नह िहच कचाते ह, जो उ ह खाना िखलाते है।”
इससे पहले क पायल कोई जवाब दे पाती, वहां नरे श के साथ शािलनी प च
ं गई और
बातचीत का िवषय पूरी तरह बदल गया और वह सभी उन क़बाब का लु त उठाने लगे,
जो अभय अपने साथ लाया था। अभय के साथ जाने से पहले हंसमुख वभाव वाले नरे श ने
उनका खूब मनोरं जन कया। इस दौरान म अभय का मूड भी बदल गया। उसने पायल के
साथ उस अि य मु े को फर से नह उठाया और उस बंगाली सु दरी के ित अपने ेम का
बार-बार इजहार करते ए वहां से िवदा हो गया।
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अ याय 12
पाप क जीत
वंकल के साथ ऑटो- र शा क िपछली सीट पर बैठा तांि क भैरो शाह बंगाली बीड़ी
फूं क रहा था। वह दलशाद गाडन ि थत कनल नारं ग के लैट क ओर जा रहा था। कनल
ने उसे तुरंत बुलाया था। पंचकु इयां रोड से पूव द ली तक का सफ़र खामोशी म गुजरा,
य क वह अंधा आदमी अपने िवचार म खोया आ था, जब क उसका साथी संकोची
और गैरबातूनी वृि का था। ऑटो कने पर वंकल ने अपने मािलक का हाथ पकड़ कर
लैट तक प च ं ा।
डोरबेल क आवाज सुनकर कनल नारं ग के नस हरीश ने दरवाजा खोला और उ ह उस
बीमार आदमी के पास ले गया, िजसक अंतरा मा अद य साहस से भरी ई थी। भैरो ने
उस वृ आदमी का अिभवादन कया और वंकल के साथ सोफे पर बैठ गया। हरीश ने
उनक िखदमत म फटा पेश क और खुद भी जाकर अपनी कु स पर बैठ गया। कमरे म
तनावपूण खामोशी थी, सभी कनल के बोलने का इं तजार कर रहे थे।
“म तुमसे ब त िनराश ं भैरो।” उ ह ने कहा।
“ य साहेब जी? या आ? मुझसे कोई गलत काम हो गया या?”
“सम या तु हारे काम करने से नह बि क काम न करने से है। आिखर कब तक तुम
खामोश बैठे रहोगे भैरो? या तब-तक, जब तक वारलॉक का िशकं जा तु हारी गदन तक
नह प च
ँ जाता?”
“आप एक बुि मान और अनुभवी इं सान ह साहेब जी। ले कन तं के मामले म आपका
ान बेहद थोड़ा है। हम तांि क टोपी से तुरंत खरगोश ख च लेने वाले टेज-जादूगर नह
होते ह। हमारा काम बेहद खतरनाक होता है, िजसम सफलता क कोई गारं टी नह होती
है। हम अपने काय म थोड़ी सी महारत भी वष क साधना, अ यास, कड़ी मेहनत और
गु देव तथा इ के संयु आशीवाद से ा होती है।”
“ या तुम इस काम को कर पाने म असमथ हो? या दु मन क तुलना म तुम एक
कमजोर तांि क हो? या फ़र तु हारी िह मत ज़वाब दे रही ह?”
“ऐसी बात नह है साहेब जी, आपने मुझ पर भरोसा करके मेरे कं ध पर जो िज़ मेदारी
स पी है, उसे म बखूबी समझता ।ँ मुठकरणी िसि , िजसके बारे म म पहले ही बता चुका
ँ क वह दु मन के िखलाफ मेरा अचूक हिथयार होगा, उसे हािसल करने म अभी थोड़ा
समय और लगेगा।”
“तुमने वारलॉक क शि य को वापस आने से रोकने के िलए या योजना बनाई है?”
“दरअसल म उसक ओर से कोई हरकत होने का इं तजार कर रहा ।ं म उसे उसके
जीवन का तगड़ा झटका दूग
ं ा।” भैरो ने कहा और फर कनल को अपनी योजना बताने
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लगा।
“मुझे यक न नह है क ये काम करे गा। ले कन ये यास अमल म लाये जाने लायक
ज र है। इस दौरान उन अलौ कक िसि य म महारत हािसल करने क कोिशश भी को
जारी रखो, जो ू र वारलॉक को तबाह करने के िलए ज री ह। मुझे सभी घटना म से
अवगत कराते रहना। इतना याद रहे क हमारा पहला ल य पायल तथा उसके प रवार
को डॉ फ और उसक तांि क शि य से बचना है, और यही हमारे िलए सबसे यादा
ज़ री है। वारलॉक को तुम िजतना यादा कमजोर करोगे, पायल उतनी ही यादा
सुरि त रहेगी। य द उस दु का खा मा आव यक हो जाएगा, तो म इसम भी नह
िहच कचाऊंगा।”
“म समझता ँ साहेब जी। और म ऐसा करने म म कोई कसर नह छोड़ूग
ं ा।”
“हरीश। तांि क को खच चलाने के िलए पं ह हजार पये दे दो।”
भैरो और वंकल के चले जाने के बाद उ ह ने हरीश से पायल को फोन करने के िलए
कहा। टेलीफोन पर बातचीत के दौरान उ ह ने उसे तांि क के साथ अपनी मुलाकात और
वारलॉक के स दभ म कये जा रहे उसके यास के बारे म बताया। पायल ने अपनी ओर से
अपने नारं ग अंकल का आभार कया और सदैव उनके संपक म रहने का आ ासन
दया।
पायल ये जानती थी क उसका होने वाला पित काले जादू और तांि क गितिविधय से
नफ़रत करता है, इसिलए उसने इस बारे म उसे कु छ भी न बताने का फै सला कया। काश
वह यह जानती क अभय को स ाई न बताने का उ टा असर पड़ सकता है और उसका
दु मन भिव य म इस चूक को अपने फायदे के िलए कस कार भुना सकता है।
अपने सपन को पूरा करने और सफल होने के िलए वह लड़क शमनाक तरीके
अि तयार करती ह, यही उसे और से अलग बनाता है। िजरह के दौरान अिभयो ा प
क गवाह नीता चौधरी ने ये वीकार कया था क पायल एक अित मह वाकां ी
शि सयत है। पायल ने खुद भी िजरह के दौरान इस बात को वीकार कया था। पायल का
अित मह वाकां ा होना ही इस मुकदमे का मूल कारण है।
पायल ने खुद से ये भी वीकार कया है, डॉ फ चानहर से संपक पहले उसने ही
कया था और उनके साथ ोफे शनल रलेशनिशप क शु आत क थी। वे टेलीिवजन और
फ म उ ोग के े म डॉ फ चानहर के संपक से फ़ायदा उठाना चाहता थ । और
फर जब ये अित-मह वाकां ी मिहला ितभा क कमी के कारण अवसर पाने म िवफल
रही तो उस दशा म इसने या कया?”
अंजली ने टेबल पर रखे लास से एक घूँट पानी पीने के बाद अपना कथन जारी रखा-
“इ ह ने डॉ फ चानहर ारा इनके बारे म िलए गए िन प और पेशेवर दृि से सवथा
उिचत फै सले को बदलने के िलए पूरी बेहयाई से अपने िज म का इ तेमाल करने क
कोिशश क । डॉ फ चानहर ारा अपना फै सला बदलने से इनकार करने और इनक
शमनाक िज मानी पेशकश को ठु कराने का ही नतीजा था, जो ये आपे से बाहर हो गय ।
जहाँ पहली घटना उनक अंधी मह वाकां ा पर तुषारापात था, वह दूसरी घटना
उनके ी व का य अनादर था।
ले कन मामला यह पर ख म नह आ। काम न िमल पाने के वा तिवक कारण के
तौर पर अपनी ितभा क कमी को दोष देने के बजाय इ ह ने इसके िलए ि गत प से
डॉ फ चानहर को िज मेदार ठहरा दया। जैस-े जैसे दन गुजरते गए, इनका गु सा
बेकाबू होता गया। इसी समय इ ह ने डॉ फ चानहर को एक सािजश म फं साने और
उ ह ि गत तथा पेशेवर तर पर बबाद करने का फै सला ले िलया।
ये िबना कोई संदश
े छोड़े अपने दो त क लैट से गायब हो गई और कु छ दन बाद
डॉ फ चानहर के घर के बाहर नजर आय । जब पुिलस घटना थल पर प च ं ी, तो ये
पीिड़त होने का अिभनय करने लग । इ ह ने बयान के तौर पर पुिलस को पहले से ही
तैयार एक फटेसी कहानी सुनाई, िजसके फल व प इस मुकदमे क नौबत आयी।
अब म कोट का यान उन त य क ओर आकृ कराती ,ं जो मेरे लाइं ट क बेगुनाही
को सािबत करते ह और िजसे अिभयो ा प ने जानबूझकर नजरअंदाज कर दया है। पूरी
सुनवाई के दौरान यह दावा कया गया था क मेरे लाइं ट ने एक ब े क बिल दी थी,
ले कन आज तक पुिलस उस किथत ह ाण क लाश बरामद नह कर पाई, जो कसी ह या
के के स के रिज ेशन क पहली शत है। पुिलस ारा उठाए गए तथा िव ेषण के िलए भेजे
गए नमून क रपोट म ये प प से कहा गया है क उनम मानव र के कोई िच न
नह ह। वै ािनक माण ये िन ववाद प से सािबत करते ह क मेरा लाइं ट के वल उन
प रि थितय का िशकार आ है, िजसे पुिलस ारा सहायता ा बदले क आग म जल
रही एक धूत मिहला ारा रचा गया है। वह कोई ऐसा तांि क या वारलॉक नह है, जैसा
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होटल से बाहर आते ही डॉ फ चानहर क नजर बाहर खड़े एक फोड कार पड़ी, जो
इमारत से थोड़ी दूरी पर थी। जैसे ही डॉ फ चानहर क िनगाह ाइ वंग सीट पर
मौजूद मिहला से टकराय , वह तुरंत दूसरी ओर देखने लगी। डॉ फ चानहर अपने
लड ू जर ाडो म प च ं ा। उसने डैशबोड क इले ॉिनक घड़ी के हरे अंक को देखा, िजसम
23:10 नजर आ रहा था। आसमान म काले बादल छाए ए थे जो उस रात बा रश होने
का संकेत थे।
सहसा उसने ह रनाथ को याद कया। िजसने तुर त ही उसके बगल क सीट पर कट
होकर पूछा- “हाँ वारलॉक?”
“मुझे लग रहा है क मने उस औरत को कह देखा है, जो होटल के मेन गेट से थोड़ी दूरी
पर खड़ी उस फोड कार म बैठी ई है। जाओ और देखो क या तुम उसके बारे म कु छ
जानते हो।” डॉ फ चानहर ने आदेश दया।
“उसक ज़ रत नह है मािलक। म उसे पहले से ही जानता ।ं ” ह रनाथ ने शांत लहजे
म कहा।
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“कौन है वह?”
“साधना भटनागर, अधेड़ उ क तलाकशुदा मिहला, िजसके बारे म मने आपको
बताया था। वही ाइवेट जासूस, िजसे उस बूढ़े कनल ने आप पर नजर रखने का काम
स पा है। याद आया?”
“ओह हाँ। तुमने उस बूढ़े कनल से सतक रहने के िलए कहा था।”
“हां मािलक।”
“वो यहाँ या कर रही है?” डॉ फ चानहर ने अपनी भौह उचकाते ए पूछा।
“कनल नारं ग का इरादा आपको बच कर िनकल जाने देने का नह था। वह अदृ य
रहकर भी हमेशा आपके आस-पास मौजूद था। वह अभी भी आपके िखलाफ व-घोिषत
यु लड़ने पर अड़ा आ है। यही वह श स था, िजसने पायल के सरकारी वक ल को नीता
के बारे म बताया, िजसे बाद म आपके िखलाफ गवाही देने के िलए तैयार कया गया।
उसने एक अंधे तांि क भैरो को भी आप पर घात लगाने और आपक शि य को न करने
के यास म आपके पीछे लगाया है।”
“म उनम से हर एक का िहसाब चुकाऊंगा। म इस साधना से भी अ छे से िनपटूंगा। और
वह नारं ग, ओह। तुम बस देखते जाओ ह रनाथ उस बेवकू फ को उस दन को कोसने का
मौका भी नह िमलेगा, िजस दन उसने मेरे मामल म घुसने या मेरा दु मन बनने का
फै सला कया।”
“जैसा तुम कहो वारलॉक।”
“तुम मुझे इस साधना के बारे म बताओ।” डॉ फ ने अपनी आँख छोटी करते ए कहा-
“ फलहाल उसके प रवार म कौन-कौन है और वह कहाँ रहती है?”
“जैसा क मने आपको पहले ही बताया क उसके पित ने उसे तलाक दे दया है। उसके
माँ-बाप नोएडा के एक घर म रहते ह, जब क वह वे ट पटेल नगर ि थत एक पुराने बंगले
के ाउं ड लोर पर तीन कमर वाले अपाटमट म कराए पर रहती है। उसका चौदह साल
एक बेटा भी है, जो उसके साथ रहता है।”
“समझ गया। मेरे साथ रहो ह रनाथ। जब हम पटेल नगर प च ँ जाएँ, तो मुझे उसके घर
का रा ता बताना ।” डॉ फ चानहर ने अपना टेशन वैगन शु करते ए आदेश दया।
“ज र वारलॉक।”
“ले कन पहले हम उससे छु टकारा पाना होगा।” डॉ फ चानहर ने अपने लड ू ज़र को
पा कग ए रया से बाहर िनकालते ए कहा।
मुि कल से बीस िमनट तक हैरतंगेज और ख़तरनाक ाइ वंग करके डॉ फ ने उस
ाइवेट जासूस से छु टकारा पा िलया, जो उसके जैसे कु शल चालक के सामने कु छ भी नह
थी। उससे छु टकारा पाने म सफल होने के बाद डॉ फ चानहर अपनी कार को ‘शंकर
रोड’ पर लेकर आया और ‘िस ाथ कॉि टनटल’ होटल के सामने से होते ए वे ट पटेल
नगर प च ँ गया।
ह रनाथ के दशा-िनदश पर अमल करते ए वह अपनी टेशन वैगन के साथ उस
इलाके क एक पुरानी दुमंिजला इमारत के सामने प च ँ ा, जो मु य सड़क से थोड़ी हट कर
थी। उसने कार का इं जन बंद कया और ह रनाथ को अंदर ही छोड़ कर उसके सारे दरवाजे
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अथॉ रटी म मौजूद अपने सोस को फोन कया होगा, िजसने तु ह वाहन पंजीकरण के
रकॉड को देखकर मेरे घर क सूचना दी होगी।” उसने कहा।
“ऐसा लगता है, जैसे तुम ब त यादा स ते जासूसी उप यास पढ़ती हो। वैसे भी क मत
इस बात क नह है पर इससे जुड़े सबक क है।”
“सबक?”
“म अपने हाथ से तु हारे लड़के क पतली गदन को मरोड़ सकता था।”
‘नह ।” वह आतं कत औरत सहम कर पीछे हट गयी और फर बोली, “मने तु हारे जैसे
घ टया गुंड क ऐसी धम कयाँ कई बार सुनी है।”
“ले कन मने अभी ऐसा कु छ नह कया है। इसिलए नह क मुझे उस पर या तुम पर
कोई दया आ गई, बि क इसिलए य क ये सही समय नह है। मेरे पास पहले से ही ब त
सारी सम याएं ह, ले कन फर भी मने तु ह दखा दया है क म या कर सकता ।ं तुमने
मुझे छेड़कर अपने जीवन क सबसे बड़ी भूल क है।”
“चले जाओ।” उसने अपने दोन हाथ सामने क ओर फै लाये।
“के वल अभी के िलए, ले कन जब म अगली बार वापस आऊंगा तो अपने पीछे तु ह
ज़ंदा छोड़ कर नह जाऊंगा। उस कनल नारं ग को वारलॉक का संदश
े दे दो। हां, म उसक
बे दी चाल और उसके ारा अब तक क गयी सभी हरकत के बारे म जानता ।ं उसे
बताओ क अब ये मेरे और मेरे सभी दु मन और िवरोिधय के बीच खुला जंग है। समय
आ चुका है क म बेहद बेरहमी पूवक मेरे सभी दु मन को कु चल डालूँ, िजसम तुम भी
शािमल हो।” डॉ फ चानहर ने उस पर उं गली उठाते ए कहा।
“ या तुम इसीिलए यहाँ आये हो, मुझे धमक देने के िलए?”
“धमक देने के िलए नह , तु ह तु हारे भिव य के बारे म बताने और साथ ही तु हारे
उस बूढ़े और लाचार कनल को भी। उसे बता दो क अब तक तुम लोग मेरा िशकार कर रहे
थे, ले कन अब वह समय तेजी से नजदीक आ रहा है, जब सारे पैमाने पलट जायगे और
वारलॉक एक बार फर िशकारी होगा, िशकार नह ।” डॉ फ चानहर ने ोध म दहाड़ते
ए कहा।
“मेरे पुिलस को फोन करने से पहले ही दफा हो जाओ यहाँ से।” वह आँसी सी बोली।
“तु हारा बेटा ब त यारा है। आने वाले दन म उसे िजतना यार दे सकती हो दे दो
कयो क तु हारी जं दगी क उ टी िगनती शु हो चुक है।” डॉ फ चानहर ने कहा और
दरवाजा खोलकर बाहर िनकल गया।
खुले दरवाजे से अंदर दािखल ई सद अंधेरी रात क ठं डक का सामना एक भयभीत
और कांपती ई मिहला से आ, जो मानो पाताल के कगार पर खड़ी थी। के वल डॉ फ
चानहर के श द ही नह , बि क उन श द म समाई उसक िनममता और असहनीय
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अ याय 13
तूफ़ान से पहले
दूग
ं ा।”
“मेरी शुभकामनाएं तु हारे साथ ह। म एक बार फर कहता ँ क तुम िबलकु ल
होिशयार रहना। दु मन को कम मत समझना और ये मत भूलना क तुम सबसे शाितर,
ू र और वहशी इं सान के िखलाफ काम कर रहे हो।”
“नम ते साहेब जी।” उसने कहा और फोन रख दया। दुकान के मािलक को दो पये का
िस ा दया और पास म ही सड़क के कनारे मौजूद एक ढाबे म प च ं ा। उसने खाने का
आडर दया और खाना पैक हो जाने के बाद उसे लेकर वंकल के साथ वापस अपनी
झोपड़ी म आ गया। वे फश पर िबछी एक फटी ई चटाई पर बैठ गए। उसके सहायक ने
उसे एक िगलास पानी और स ती देशी शराब क आधी बोतल लाकर दे दी। भुने ए मटन
के साथ देशी शराब पीते ए वह उन व तु के बारे म सोचने लगा, जो साधना के िलए
ज री थ और िज ह अगले ही दन खरीदना था।
वंकल शराब नह पीता था, इसिलए उसने भैरो का साथ के वल खाने म ही दया।
उसक भूख अपने जजर मािलक क अपे ा कह यादा थी। रात का भोजन करने के बाद
उसने छु ी ली और पंचकु इयां मेन रोड क टै सी टड पर प च
ं ा। वहां से दि ण द ली
को जाने वाला कोई टै सी ाइवर उसे धौल कु आं क एक नसरी तक छोड़ सकता था, जहां
वह अपनी मां के साथ रहता था।
ये कनल नारं ग क धैयपूण सोच तथा गुपचुप और सटीक योजना का एक और उदाहरण
था। कु शल रणनीितकार और शतरं ज का वह मािहर िखलाड़ी एक बार फर िबसात पर
अपनी चाल सफलतापूवक चल चुका था ता क डॉ फ चानहर क हर शाितर चाल के
जवाब म उसे घेर कर उसक शि य को कमजोर कर सके । अपने तमाम कारनाम और
उपयोिगता के बावजूद भी भैरो मा एक कठपुतली ही था। दु मन को परािजत करने से
पहले उसे रोकने और कमजोर करने के अिभयान म शरीक उस कठपुतली क डोर एक
िमिल ी मैन के हाथ म थी। कनल अपने दु मन पर आिख़री और चौतरफा िनणायक
हमला करने से पहले उसे धैयपूवक चरणब योजना बनाकर प त कर देने म यक न करते
थे। अथात पूरी तैयारी के साथ कये जाने वाले मा टर ोक म।
डॉ फ चानहर और कनल नारं ग नाम के वे दोन ित ं ी एक दूसरे के सवथा
िवपरीत थे, कसी नदी के दो कनार क तरह। डॉ फ चानहर ू र, हंसक और उन
घटना पर तुरंत ित या देने वाला इं सान था, िजनसे उसका आये दन पाला पड़ता
था। वह मूल प से ित यावादी था। इसके िवपरीत कनल नारं ग एक शांतिच और
अनुभवी आसामी थे, जो हमेशा खामोशी के साथ अपनी योजना का ताना-बाना बुनते
थे और कभी भी अपना आपा नह खोते थे। इस बात से उ ह कोई फक नह पड़ता था क
प रि थितयां कै सी ह या उनके रा ते म कतनी बाधाएं ह।
उ ह ने पहले से ही सतकतापूवक योजना बना ली थी, िजसके तहत वे ित याशील
होने के बजाय चौक े थे। वे अवसर क ती ा करने म नह बि क उन घटना को
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राउल ए टेट म फामहाउस के पास का घास भरा मैदान तेज सचलाइट क रोशनी से
जगमगा रहा था। उनक रोशनी उस छोटे से कृ ि म झील म भी िझलिमला रही थी, जो
अधवृ ाकार दायरे म खड़े पेड़ से िघरी ई थी। डॉ फ चानहर एक ड गी (पतवार से
चलाई जाने वाली नाव) खे रहा था। झील के बीच म प च
ँ कर वह क गया, जहाँ कनारे
क अपे ा अंधकार था। हालां क डॉ फ चानहर बड़ी सहजता से डीजल-इं जन वाली
एक आधुिनक नाव खरीद सकता था, ले कन उसने ड गी खेने म िमलने वाली संतुि को
ाथिमकता दी थी। वह अपने बगल म रखे माट- पीकर पर अपने पसंदीदा संगीतकार
पीटर गं ी का डरावना संगीत ‘आई लीड फॉर यू’ चला रहा था।
मेज़पोश से ढके लकड़ी के एक बोड को बीच म रखकर नाव के बीच के िह से को खाने
क मेज म त दील कर दया गया था। िजस पर िविभ कार के ंजन से भरे बतन,
शराब क बोतल, लेट, कटोरे , िगलास और टसू पेपर इ यादी थे। डॉ फ चानहर ने
अपनी ेिमका लीना को ‘लेक-िडनर’ के िलए आमंि त कया था, जो इस व बंगले म थी
और अभी ि वम-सूट पहन रही थी, जब क वह नाव को झील के बीच म लेकर आ गया था।
उसने ि वम-सूट पहन रखा था, िजसम उसका कसरती िज म नुमाया हो रहा था, िजसे
देखकर मिहलाएं और िपशािचिनयाँ - दोन समान प से - आह भरती थ ।
“ह रनाथ।” वह बोला।
“जी मािलक।” ह रनाथ के ेत ने कहा और झील के बीच म खड़ी ड गी पर डॉ फ
चानहर के ‘िडनर-टेबल’ के दूसरी ओर कट हो गया।
“लीना के आने से पहले मेरे पास के वल कु छ िमनट का ही समय है। बताओ या नई
ख़बर ह?”
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“कल से शु होने वाली आपक साधना के िलए सभी तैया रयां पूरी हो चुक ह। आप
भैरो और अपने बाक दु मन से िनपटने के िलए अपनी शि य को फर से जगाने क
कोिशश शु कर सकते ह। ले कन वारलॉक, तु ह लगता है क ये काम करे गा?”
“म एक शि शाली और तामिसक साधना ‘भ काली शाबरी साधना’ के ज रये अपनी
तांि क शि य को फ़र से पाने क कोिशश क ं गा। मुझे साधना पूरी करने, देवी
भ काली को मुझे दशन देने और मुझे वरदान देने म तीन से पाँच दन लगगे।”
“गु तांि क शि य को िस करने म शाबरी प ित भले ही ज दी प रणाम देती है
और पूरा होने म कम समय लेती है, ले कन या ये बेहद खतरनाक नह है?” ह रनाथ ने
पूछा।
“शाबरी तरीके का उपयोग करने से ित या और प रणाम ज दी िमलते ह, इस
साधना म योग म लाये जाने वाले मं या नु े अजीबोगरीब और तक से परे होते ह,
ले कन फर भी ये प ित ब त भावी है। ये कसी के िलए वरदान या हौसले के पहाड़
जैसा है। इस प ि को साधने क प इ छा रखने वाले साधारण लोग को भी बेहद
ज दी प रणाम िमलता है। इस शि शाली तं -शि का कहना ही या? इसीिलए शाबरी
मं के जाप के नतीजे म जो शि कट होती है, वह बेहद उ होती है, और ऐसे समय म
य द तांि क भयभीत हो जाता है या लड़खड़ा जाता है, तो वह शि उसे ख़तम कर देती
है। ऐसे तेज़ और खतरनाक तरीके का इ तेमाल करने वाले ि को उस काली शि के
कट होते ही उसे मनाने और शांत करने के िलए तैयार रहना पड़ता है, अ यथा वह या तो
अपने होश गंवा देता है या फर मारा जाता है।” डॉ फ चानहर ने समझाया।
“ या तु हे इस बात का डर नह है क यह तुम पर भी उ टा पड़ सकता है?”
“मुझे भय पर िवजय पाए एक जं दगी बीत चुक है।” डॉ फ चानहर ने शेखी बघारी,
“म कभी भी जोिखम लेने से पीछे नह हटता। मुझे िज दगी को खतरनाक तरीके से जीना
पसंद है।” उसने एक ऐसे इं सान के प म कहा, िजसके िलए अपने या दूसर के जीवन का
कोई मू य नह था। थोड़ी देर बाद उसने कहा- “आज रात तक म शराब पी सकता ,ं माँस
खा सकता ं और नारी-सुख भोग सकता ।ं कल से म शराब, मांस, स, धू पान और
अपिव मानी जाने वाली हर चीज से दूरी बनाकर एक चारी और संयम वाला इं सान
बन जाऊंगा। जैसा क मेरे गु ने मुझे िसखाया है, तांि क अनु ान क सफलता के िलए,
भले ही वह तामिसक शि य के िलए ही य न हो, मुझे साधना क पूरी अविध के दौरान
एक िभ ुक का जीवन जीना होगा। मने उन सभी व तु का आडर दे दया है, िजनक
मुझे साधना के दौरान आव यकता होगी और वह कल सुबह ही यहां प च ँ जायगी। मने
अपने इं ि ट ूट और उससे संबंिधत अ य सभी गितिविधय से एक ह ते क छु ी भी ले
ली है और ये स त िनदश भी दे दया है क मुझे िड टब न कया जाए।”
“एक तांि क होने के नाते ये बात तुम भी जानते होगे ह रनाथ क साधना क
तामिसक कृ ित एक साधक को बेहद िचड़िचड़ा और हंसक बना देती है। साधना क
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अविध के दौरान साधक को हतो सािहत करने, उसे खदेड़ने और उसक साधना को बीच म
रोकने के िलए कई सम याएं और जोिखम अपना िसर उठाते ह। आिखरी चीज, िजनसे मुझे
सावधानी बरतनी होगी, वे ह साधना थल पर आने वाली बाधाएं, जो मेरी साधना म
िव डालगी। साधना म आने वाली यह कावटे मेरे जीवन को खतरे म डाल सकता है,
य क तब तांि क शि यां मुझ पर झपट पड़गी और मेरे कमजोर पड़ने क दशा म मुझे
ख म करने क पूरी कोिशश करगी।”
“ डॉ फ। डॉ फ।” दूर से एक नारी- वर सुनाई दया।
उसने अपना िसर घुमाकर लीना को देखा, जो बंगले क दशा से झील क ओर आ रही
थी और उसक ओर हाथ लहरा रही थी। उसने भी लीना क तरफ हाथ लहराया और
कहा- “अब तुम जाओ।”
“म वहाँ तक कै से प च
ं ूंगी?” लीना झील के कनारे से िच लायी।
“तैर कर।” डॉ फ नाव से झील के पानी म कू दते ए िच लाया। नाव ण भर के िलए
असंतुिलत ई और फर ि थर हो गयी।
वह एक अनुभवी तैराक क तरह तैरते ए ज द ही लीना के पास प च ँ गया, जो अब
तक ठ डे पानी म कु छ डु ब कयाँ लगा चुक थी, िजसके कारण उसके बाल गीले होकर
उसके सर से िचपक गये थे। तड़क-भड़क, लैमर, भारी मेकअप और अिभनय क चकाच ध
भरी दुिनया से अलग वह एक आकषक पर सीधी-साधी लड़क भर थी। लैमरस दुिनया
क छिव से भािवत होने वाले ब त से लोग को इस बात का एहसास भी नह हो पाता
है क टेलीिवजन और फ म अिभनेता भी उनक तरह साधारण इं सान होते ह। सामा य
लोग क तरह उनम भी इ छाएं, उ मीद, डर, ई या और जीवन के ित असुर ा क
भावना होती है।
दूसरी तरफ़ डॉ फ, लीना जैसी कसी भी सु दरी को आसानी से अपनी ओर आक षत
कर लेता था य क उसके िलए िसि , लोकि यता और सफलता सामा य सी चीज थ ।
उसके िलए लीना एक साधारण सी सु दर लड़क थी, न क कोई ऐसी बड़ी टार जो क
उसे भािवत या दबा सके । इसके अलावा ये भी सच था क उन दोन ने अपना संघष साथ
शु कया था और एक लंबा सफ़र एक साथ तय कया था। अनिगनत झगड़े, बेवफाई और
आपसी तकरार के बावजूद उनका र ता अभी तक कायम था, य क िज दगी के कई
पड़ाव पर उन दोन ने महसूस कया क उ ह एक-दूसरे क ज़ रत है। या शायद वे एक
अनजान ई र क बजाय जाने-पहचाने शैतान के साथ रहना यादा समझदारी का काम
समझते थे।
झील का पानी ठं डा और थके शरीर को तरोताज़ा और सुख देने वाला था। वह दोन
पूरी द ता के साथ तैर रहे थे। वे झील के कनारे से नाव तक और नाव से झील के कनारे
तक एक बनावटी दौड़ लगा रहे थे। हर दफे जब डॉ फ लीना को पकड़ने क कोिशश
करता, वह उसके हाथ से कसी िचकनी मछली क भांित फसल जाती। लीना के जवान
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“म ‘ना’ नह कह सका था। दरअसल वह ताव एक बड़ी यूिजक कं पनी से आया था।
उनका पेशकश शानदार था और इसके साथ ही वे मेरे ए बम को बड़े पैमाने पर ोमोट
करने का वादा भी कर रहे थे यानी क ब ढ़या सा चार, पूरी दुिनया का टू र और कई
यूिजक कं स स। ले कन तुम बे फ रहो, म तु ह अपने ए बम के यूिजक वीिडयो म ज र
लूंगा।”
“कभी-कभी मुझे ये भी लगता है क तु हारी इ छा का कोई अंत नह है।”
“ये तो अभी के वल शु आत है मेरी कोयल। बस कु छ महीने का और इं तज़ार करो। फर
देखो क मेरा इं ि ट ूट कस तरह फै लता है। मुझे पय का एक पहाड़ िमल गया है।”
डॉ फ ने अपने दो त रोिहत के बारे म सोचते ए कहा, “उसने अपनी एक बड़ी डील
फाइनल होने के बाद मुझे एक बड़ी एकमु त रक़म देने का वादा कया है। उससे म पूरे
शहर म अपने इं ि ट ूट क शाखाएँ खोलूँगा, आगे चलकर मेरे कू ल देश के हर बड़े शहर
म ह गे।”
िबना कसी तैयारी या बचाव के उस भयंकर तबाही वाले बव डर का सामना करने वाला
था, जो क तूफ़ानी र तार उसक तरफ बढ़ रहा था।
वारलॉक 2
मौत क वादी
खंड 3
तांि को का यु
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अ याय 14
संदह
े का सांप
ई, आँख िब लौरी और होठ का आकार दलकश था। ठु ी उसके गोल चेहरे को आकषक
प दान करती थी। उसक उँ गिलय के नुक ले नाखून पर हमेशा नवीनतम नेल-पॉिलश
होती थी और उसक हथेिलयाँ िब ली के पंजे जैसी नजर आती थ । वह भरे -भरे शरीर
वाली और पांच फ ट तीन इं च ऊंचे कद क थी।
उसने अपने पित से पहले ही कह दया था क िजस ब े को वह अपनी कोख म पाल
रही है, वह भगवती दुगा का वरदान है, इसीिलये वह अपने दा प य जीवन और ब े के
िलए माँ का आशीवाद लेने जाना चाहती है। उसक िजद के कारण अंतत: अभय को अपनी
सात महीने क गभवती बीवी को भीड़-भाड़ वाले पंडाल म ले जाने के िलए मानना पड़ा
था।
वे नरे श और शािलनी के साथ एक बड़े पंडाल म प च ं े। भगवती क ितमा के स मुख
पूजा-अचना करने और उनका आशीवाद लेने के बाद वे योहार के उ लास म शरीक ए।
िजस मैदान म दुगा-पूजा मनाई जा रही थी, उस मैदान म नाना कार क दुकान सजी ई
थ , िजनम साड़ी, बंदी, संदरू और चूिड़य क दुकान के साथ-साथ बंगाली कताब ,
यूिजक, सीडी, दै याकार हंडोले तथा मैरी गो राउं ड जैसे झूल और खाने पीने क चीज
क दुकाने भी थ ।
पायल के िज म पर िस क क नई साड़ी, माथे पर बड़े आकार क गोल बंदी, मांग म
संदरू , गले म मंगलसू और कलाईय म चूिड़याँ थ । काजल उसक बंगाली आँख को और
भी यादा ख़ूबसूरत बना रहा था। अपने आस-पास मौजूद उस बड़ी भीड़ म एक ख़ूबसूरत
मिहला क बाह म बाह डालकर चलते ए अभय थोड़ा असहज तो था क तु उसे फ भी
महसूस हो रहा था। वह इस बात से पूणतया अवगत था क भीड़ म दजन िनगाह पायल
के कारण उ ह ही घूर रही थ , जो एक फ म- टार क भांित बला क ख़ूबसूरत थी और
उस िवशेष अवसर पर तो वह कहर ही ढा रही थी। जब क अभय तीस के पेटे म प च
ं ा एक
मोटा इं सान था, जो समय से पहले ही आधा गंजा हो गया था।
खाने के टाल पर भारी भीड़ थी। उ ह ने मछेर झोल (पारं प रक फश करी), कोशा
मंगशो (बेहद कम मांस और अ यिधक मसाले म तैयार कया गया ंजन) जैसे मुंह म
पानी ला देने वाले ंजन का जायका िलया। और अंत म रोसोग ला (िमठाई), िजसके
बगैर बंगाली भोजन को पूण नह माना सकता था, के साथ अपने खान-पान का समापन
कया। जी भर कर खाने के बाद पायल ने खरीदारी क ओर ख कया। उसने खुद के िलए
साड़ी, संदरू , चूिड़याँ और अभय के िलए पारं प रक बंगाली कु ता-धोती क खरीददारी क ।
हडबैग, कताब, रिव -संगीत क सीडी के साथ-साथ और भी कई ऐसी चीज थ , जो
िवशेष प से कोलकाता से लाई गयी थ । इस पूरे महो सव के दौरान भारतीय कला और
सं कृ ित के गढ़ कोलकाता से आमंि त यूिजक बड ारा मंच पर बंगाली संगीत तुत
कया जा रहा था, जो खान-पान म िल लोग और दुकानदार को मनोरं जन का बेहतर
साधन मुहय ै ा करा रहा था।
उस शाम अपनी प ी के साथ िबताये ए हसीन ल ह के बाद अभय ने उसके साथ
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कनाट लेस म शाम क भारी ै फक के बीच अभय कार ाइव कर रहा था। य िप
उसने महंगा सूट और उसी से मैच करता टाई भी पहन रखी थी, क तु फर भी वह पाट
करने के मूड म नह था। य द ये उसके सहकम क शादी न होती तो वह प ा उसे छोड़
देता। इसका कारण पायल और उसके बीच ई वह भयंकर झग़डा था। िशमला म अपने
म मी-पापा से फोन पर ल बी बात-चीत करने क पायल क आदत से वह तंग आ चुका
था। उसक हर छोटी से छोटी बात जैसे क उसका मूड, उसने खाने म या बनाया और
मौसम से जुड़ी गपशप कभी ख़ म ही नह होती थी। इन सबके बीच वह अपने कू ल,
कॉलेज के दन के स और अपने जैसी न जाने कतनी नवो दत अिभनेि य से भी बात
करने का समय भी िनकाल लेती थी।
जब उसने अपनी बीवी को शादी म जाने के िलए तैयार होने क बजाय फोन से िचपके
देखा तो उसका पारा चढ़ गया था। यही वजह थी, जो वह पायल के साथ बेहद कठोर ढंग
म पेश आया था। वभाव से अिड़यल पायल ने भी अपने पित के कड़वे सुर म सुर िमला
दया था और देखते ही देखते उनक बहस झगड़े म त दील हो गयी थी। पायल ने खून म
उबाल ला देने और दल को चुभने वाले अंदाज़ म अभय क ग़लितय और किमय को
िगनवाना शु कर दया िजससे वह और भड़क गया।
पायल ने अपने कमरे म जाकर दरवाजे को इतनी जोर से बंद कया क हैरानी थी क
वह अपने क जे से नह उखड़ा। ोध म तमतमाया आ अभय भी बंद दरवाजे के बाहर से
पायल पर चीखा तथािप उसे उसक ओर से कोई ित या नह िमली। वह बेहद खराब
मूड के साथ शादी म जाने के िलए तैयार आ। जाने से पहले उसने एक टू ल पर खड़े
होकर रोशनदान के ज रये कमरे म झांका। उसे पायल, माँ काली क मू त के सामने बैठी
ई दखाई दी। उसक बगल म वह तावीज़ पड़ा आ था, जो तांि क भैरो ने उसे दया
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था। उसने ितमा के सामने एक जोत विलत क ई थी, िजसक लौ कसी सांप के जीभ
क मा नंद लपलपा रही थी। उस रोशनी म पायल के चेहरे क रं गत अजीबोगरीब नजर
आ रही थी। वह अपने खुले ए बाल के साथ स मोिहत अव था म बैठी ई थी और
उसक सुलगती ई आँख शू य म ठहरी ई थ । न जाने य अभय को डर महसूस आ।
उसे लगा क वह पायल नह थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह तं और तामसी साधना म
डू बी ई कोई रह यमयी और अंजान बंगालन थी। एक ऐसी डरावनी औरत , िजसे न तो
वह पहचान पा रहा था और न ही िजसके साथ वह अपना कोई स ब ध महसूस कर पा
रहा था।
बहरहाल इस समय वह कनॉट लेस म भारी ै फक जाम को कोसते ए अपनी कार
ाइव कर रहा था। बुरे अनुभव से भरी अभय क शाम अभी ख़ म होने से कोस दूर थी।
सहसा उसक कार रे ड लाइट पर आकर बंद हो गयी। कार को दोबारा टाट करने म
असफल होकर उसने उसे ध ा लगाकर कनारे लगा दया, ता क पीछे के वे वाहन पार हो
सक, जो ज़ोर से लगातार हॉन बजाये जा रहे थे। उसने चाबी को इि शन म कई बार
घुमाया क तु नतीजा िसफर रहा। उसने बोनट खोला क तु वह उसमे कोई खराबी न ढू ंढ
सका। खीझ कर उसने टायर पर लात मारी और अंतत: ऊहापोह म डू ब कर कार के पास
खड़ा हो गया, उसके पीछे रोशनी क चमक ली रे खा के प म कार के हेडलाइट क एक
अंतहीन पंि नजर आ रही थी।
थोड़ी देर बाद उसके ‘ए टीम’ के सामने एक एस.यू.वी. क और उसका ाईवर बाहर
आया। अभय ने देखा क वह डो फ चानहर था, जो दबंग अंदाज म चलते ए उसके
पास आया और गमजोशी से उससे हाथ िमलाते ए स िच लहजे म पूछा- “अभय,
कै से हो मेरे दो त? कार म कोई खराबी है?”
अभय ने हाथ िमलाया और कहा- “हाँ, इं जन टाट नह हो रहा।”
“मुझे देखने दो।” डो फ ने कहा और इि शन म चाबी को घुमाया क तु नतीजा फर
से िसफर रहा। “लगता है बैटरी डेड हो गयी है। कोई बात नह । म कार हे पलाइन को
फोन करता ,ँ वह सब ठीक कर दगे।” उसने जेब से अपना महंगा सेलफोन िनकाला और
कसी न बर पर बात करने के बाद उसने कहा “जब तक वह नह आ जाते, तब तक आओ
मेरी कार म बैठो।”
उसका अंदाज इस कदर दो ताना, िवन , सौहाद और सहयोग से भरा था क अभय
इं कार न कर सका और अपनी कार के शीशे चढ़ाकर उसे लॉक करने के बाद डो फ क
टोयोटा ैडो क उसी सीट पर जा बैठा, िजस पर पायल तब बैठी थी, जब वह उसे अपने
फामहाउस म ले गया था। इस बात से अनिभ अभय ने कार के अंद नी सजावट को
शंसा मक दृि से देख रहा था। वहां फ़ै ली मीठी लैवडर क खुशबू उसक साँस म उतर
गयी। डो फ ने एयर कं डीशनर और सीडी लेयर ऑन कर दया। शि शाली एयर
कं डीशनर क ठं डक के साथ कार म मधुर संगीत गूँज उठा। डो फ ने अभय को िसगरे ट क
पेशकश क और उसके िसगरे ट को अपने सोने के लाइटर से सुलगाने के बाद खुद भी एक
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िसगरे ट सुलगा िलया। कसी अनुभवी मोकर क तरह नाक से धुआं बाहर िनकालते ए
उसने पूछा- “तुम कहाँ जा रहे हो अभय?”
“ताज मान संह होटल।” अभय ने जवाब दया- “एक कलीग क शादी है वँहा।”
“अरे , म भी तो वह जा रहा ।ँ तुम मोिहत, यानी क दु हे के दो त हो?”
“नह ! मुझे अंजिल यानी क दु हन क ओर से इ वाइट कया गया है, जो मेरे ऑ फस
म काम करती है।”
“और दु हन का बड़ा भाई मेरा ड है। ये दुिनया कतनी छोटी है, है न?”
कार हे पलाइन क मा ती वैन वहां प च
ँ गयी और कार का मुआयना करने के बाद
उ ह ने बताया क उसक बैटरी िड चाज हो चुक है। चूं क उनके पास 'ि व ट' कार क
बैटरी नह थी, इसिलए उ ह ने उसके िलए अपने क ोल म म फोन करके पूछा। दूसरी
वैन के वहां आने और बैटरी को बदलने म कम से कम आधा घंटा लगना था, इसिलए
डो फ ने उ ह कार क बैटरी बदलकर उसे ताज मान संह होटल तथा ओ रिजनल बैटरी
को रचाज करके अगली सुबह अभय के कनाट लेस ि थत ऑ फस प च ं ाने को कह दया
और त प ात िववाह- थल को रवाना हो गया।
अभय एक बार फर डो फ़ चानहर के ि व से उसी कार भािवत आ, िजस
कार उससे पहली दफा िमलने पर आ था। सलीके से िसला आ सूट और मगरम छ क
खाल के जूते पहनने के बाद वह उससे कह यादा है डसम दख रहा था, जैसा वह टीवी
शोज म नजर आता था। वह जगमगाते ए इं िडया गेट के इलाके म आने वाली सडक पर
मौजूद ै फक के बीच तेज र तार से क तु पूरी द ता के साथ ाइव कर रहा था।
िजस पतरे बाजी के साथ वह कार को ै फक के बीच से िनकाल रहा था, उससे साफ़ था
क अपनी कार पर उसका पूण िनयं ण था। हालां क अभय खुद भी एक कु शल ाईवर था,
कं तु इस तरह क ाइ वंग वह के वल सपने म ही कर सकता था।
“बधाई हो यार! मने सुना क तुमने मेरी ए स टू डट शादी कर ली है। तुम दोन मुझे
बुलाना भूल गए, है न? कोई बात नह , म तुम दोन खुश रहने क कामना करता ।ं ”
“थ स, िम टर चानहर!” अभय ने कहा।
“ या बात है भाई, तुम बीमार नजर आ रहे हो?” डो फ ने मु कु राते ए पूछा। उनक
कार ै फक जाम से बाहर आ चुक थी। डो फ ने गोल-मोल अंदाज म बातचीत शु क -
“अगर तु ह डर है क म तु ह म य थ बनने के िलए क गं ा और पायल के साथ समझौता
कराने म तु हारी मदद मागूंगा तो भूल जाओ। म अ छी तरह जानता ं क तुमने िजस
मिहला से शादी क है, वह एक िज ी शि सयत होने के साथ-साथ हठधम भी है। कहा
गया है क तीन कार क िज से पार नह पाया जा सकता है, ी हठ, बाल हठ, और
राज हठ यानी क एक मिहला, ब े और राजा क िज ।”
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खुशनुमा रही। जाने से पहले म तु ह अपना दो त और छोटा भाई मानने और तु हारे िहत
क चंता करने क अपनी गलती के िलए मा चाहता ।ँ म िव ास दलाता ं क
भिव य म ऐसा कभी नह क ं गा।”
“म स त नह होना चाहता था िम. डो फ!”
“म मानता ं अभय क म तु हारी बीवी का शंसक नह ,ं ले कन ऐसा नह है क
इस वजह से मने इन बात का िज कया। मेरा पेशा ही ऐसा है क म लगातार या ाएं
करता रहता ँ और िन य ही िभ -िभ पृ भूिम के लोग के संपक म आता रहता ।ं म
तुमसे अिधक उ का और अनुभवी भी ,ं खासकर मिहला के मामले म। म हर रोज
पायल जैसी दजन लड़ कय से िमलता ं और इसीिलए उनक िज मानी खूबसूरती से
यादा भािवत नह होता ।ं ”
“पायल और आपके बीच पेशेवर र ता बेहद तनावपूण रहा है। म उन बात पर यहाँ
बहस नह क ं गा, जो उसने पुिलस क लेन म दज कराई थी, ले कन इसका मतलब ये
नह है क वह एक अ छी इं सान नह है या बंगाली लोग स य नह होते ह।” अभय ने
ि ह क का तीसरा िगलास खाली करते ए कहा।
डो फ ने बाय हाथ के इशारे से एक वेटर को बुलाया और उसक े से एक भरा आ
िगलास उठाकर अभय को थमा दया। उसने बगैर कसी ज दबाजी के धैयपूवक जवाब
दया- “तु हारे सम या क मु य जड़ मिहला के मामले म तु हारी अनुभवहीनता है।
तुम पहले-पहल जो ख़ूबसूरत चेहरा देखते हो, उसी पर फसल जाते हो। अगर मुझे ये पता
चले क उसने तुम पर तं या काला जादू कया है, तो मुझे कोई हैरानी नह होगी य क
वह बंगालन देवी काली क उपािसका है और अलौ कक तथा तांि क गितिविधय म
गहरी आ था रखती है।”
अभय को उस दन क बात याद आ गई, जब उसने एक अंधे तांि क को पायल को एक
ताबीज देते ए देखा था, िजसे वह उससे िछपाने क कोिशश कर रही थी और साथ ही उस
शाम पायल म आ रह यमयी प रवतन भी उसक आँख के सामने घूम गया। उसने
डो फ को मूख क मा नंद घूरा। उसके मन म, न चाहते ए भी, संदह े का बीज गहराई
तक पनप चुका था।
“ डो फ! मेरे यार!” तभी एक आदमी आया और उसने गमजोशी के साथ डो फ को
गले लगा िलया।
“ये मेरा यार रोिहत मीरचंदानी है और रोिहत, इनसे िमलो, ये अभय बतरा है।”
डो फ ने उनका प रचय करवाते ए कहा।
अभय से हाथ िमलाने के बाद रोिहत, डो फ क ओर घूमा और उ ेिजत लहजे म
बोला- “मने तुमसे कहा था न क तु हारे पास आने से पहले िशमला और कोलकाता म भी
उस बंगालन का एक अफे यर रह चुका था? के स क त तीश के िलए तुमने िजस ाइवेट
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इं सान को अ पताल प च
ं ाने क तुलना म कसी सराय क भांित अपने कार क सफाई को
अिधक तरजीह देते ह। घायल या मरते इं सान क मदद करने या उसे पानी िपलाने से
यादा मह वपूण काम उनको उसका अपने मोबाइल से उसका वीिडयो बनाना लगता है.
जब अभय कै ब म बैठ रहा था तो उसके दमाग म इसी तरह के िवचार उमड़-घुमड़ रहे
थे। उसने ाइवर को अपने घर का पता बताया और सीट क पु त से िसर टकाकर उसने
अपनी थक ई आँख बंद कर ल । उसने याद आ रहा था क क ाईवर ने उस ए सीडट
के बारे म कै सी हैरतंगेज और अनोखी बात बताई थ । थोड़ी देर पहले डो फ ने भी कहा
था क बंगाली लोग तं -मं म गहरी दलच पी रखते ह और तांि क उनके जीवन का एक
अहम िह सा होते ह। शाम को पायल का वहार और उसक गितिविधयाँ भी काफ
असामा य और सं द ध थ । ‘तो या वह इस हद तक गु सा थी क उसने मुझ पर काले
जादू का योग कर दया?’ उसने सोचा- ‘तो या मील दूर बैठकर वह उस दुघटना का
कारण बन सकती है?’
जब तक वह घर नह प च ं गया, तब तक शंका क बदली उसके मानस पटल पर छाई
रही। ले कन पायल के ित उसके सभी शक-शुबह और ोध उस व गायब हो गए, जब
उसने पाया क उसक प ी उसे देख कर बुरी तरह च क उठी थी। उसने उसके सभी
आ ासन को नजरअंदाज करके तुरंत डॉ टर को बुलाया। िजसने उसके ज म को साफ
करके ठीक से े संग क और दवाएं िलखी, िजनम एंटीबायो ट स और पेन कलर (दद-
िनवारक) दोन शािमल थे। पायल खुद जाकर पास के ही एक न सग होम के प रसर म
मौजूद चौबीस घंटे खुले रहने वाले मेिडकल शॉप से वे दवाएं ले आयी। सहयोग करने के
मामले म डॉ टर इतना उदार था क वह देर रात गए पायल के साथ मेिडकल टोर तक
गया और उसके साथ ही वापस भी आया। उसने चेक-अप के िलए सुबह वापस आने का
वादा भी कया और स त िहदायत दया क अभय अगले दन उसके ि लिनक म आए
ता क वह ए स-रे और कु छ ज री लेबोरे टरी टे ट के ज रये उसके बाहरी और अंद नी
ज म क जांच करके ये सुिनि त कर सके क कह हि य और िसर म कोई ऐसा ै चर
तो नह है, जो बाद म िसर उठाये।
पायल रात भर अभय के पास बैठी रही। अगली सुबह अभय िपछली शाम क बात
और डो फ से अपनी मुलाकात को भूल चुका था। अपनी बीवी के बारे म उसका शक अब
उसे एक बुरे सपने क भांित लग रहा था। और संदह
े के साँप ने उसके जेहन म अपना जो
बदसूरत फन उठाया था, उसे उसने कु चल दया था या कम से कम उसने तो ऐसा ही सोचा
था। इसम कोई संदह े नह था क डो फ ने अभय के जेहन म शक के जो बीज बोए थे, वे
एक जहरीले वृ के प म िवकिसत होकर उसक तक मता को न कर देने म पूणतया
स म थे। हालां क इस बाबत अभय को मादान दया जा सकता था य क वह अपनी
प ी क भांित डो फ के िनहायत ही यादा कमीनेपन और दु ता क सीमा से वा कफ
नह था।
जब तक वह घर नह प च
ं गया, तब तक शंका क बदली उसके मानस पटल पर छाई
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अ याय 15
तांि क क जंग
ऐितहािसक काल म सात न दय क भूिम और पूरब क सोने क िचिड़याँ कहे जाने
वाले भारतवष को उसक अथाह संपदा के िलए कई आ मणका रय ारा अनेक बार
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“ या यह संभव है?”
“दुभा य से हाँ! अगर ह रनाथ के साथ और आ मा और िज ात क ताकत भी
शािमल हो जायेगी तो न के वल दु मन को रोकने और उसके िखलाफ कारवाई करने क
मेरी सारी कोिशश नाकाम हो जायगी, बि क मेरी खुद मेरी जान भी खतरे म पड़
जाएगी।”
“इन सबके बीच म दु मन को रोकने और लड़क या उसके पित को नुकसान प च ं ाने के
उसके मंसूबे को नाकाम करने के िलए भी कोिशश कर रहा ।ं वा तव म यह ह रनाथ जैसे
ही मेरे एक गुलाम ेत के ह त ेप का नतीजा था, जो उस आदमी क जान बच गयी। मेरे
ेत शमशेर ने वारलॉक के उस गुलाम के साथ संघष कया था, िजसने कार के पिहये के
सारे नट िनकाल दए थे और उसे एक बड़े क क ओर धके लने क कोिशश कर रहा था।
उस िनणायक घड़ी म मेरे गुलाम के एक ह के से ध े ने कार को क से दूर फु टपाथ क
ओर धके लकर ह रनाथ क चाल को िवफल कर दया था।”
“वो सब तो ठीक है, ले कन मुझे इससे अिधक चािहए। वारलॉक पर हमला करो, करारा
हमला और एक ही बार म उसका खा मा कर दो।”
“म वो भी क ं गा कनल साहब! वारलॉक जानता नह क उसका पाला कससे पड़ा
है।”
“उसे ख़तम कर दो। म तु ह एक बड़ा इनाम दूग
ं ा।”
“हा..हा..हा!” वह हँसा- “कनल साहब आपका दल ब त बड़ा है। आपका काम ज र
पूरा होगा।”
उपरो बातचीत ने ही भैरो शाह के मौजूदा मुहीम क न व रखी थी। इस कार के
िपछले अ य अवसर क भांित इस अवसर पर भी उसका वफादार और िव सनीय
सहायक वंकल उफ़ तािहर शेख उसके साथ खंडहर म मौजूद था। वे सुबह वहां प च ं े थे
और अंधे तांि क ने अपने अनुभव से काम लेते ए मकबरे के प रसर म एक आयताकार
कमरे को साधना- थल के प म चुना था। वंकल ने जमीन पर पानी का िछड़काव करके
अपने साथ लाई ई झाड़ू से कमरे को साफ कया त प ात भैरो ने अपने सहायक को साथ
लाई ई चीज को खोलने का आदेश देते ए अपना आसन (चटाई) जमा िलया। ट पर
लोहे क एक त तरी रखकर हवन-कुं ड बनाया गया था।
उ ह ने दोपहर तक सभी चीज क व था और सारी तैया रयां पूरी कर ली थ । जब
वे अपने साथ लाया आ भोजन कर चुके तो मकबरे के बरामदे म सी ढ़य के बगल म
िबछी एक चादर पर बैठ गए। तांि क के रवाज के अनुसार साधना क शु आत म या
साधना के बीच म िलये जाने वाले भोजन का शाकाहारी होना िनहायत ही ज री था।
अपने सहायक, जो भोजन का शौक न था और चप-चप क विन के साथ कटोर और
लेट को साफ़ करने के बाद भी उं गिलयाँ चाट रहा था, के िवपरीत भैरो ने ब त कम
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खाया। इसके बाद वे दोन झपक लेने के िलए गए मकबरे म ही लेट गए।
जब शाम िघर आई और पि य के झु ड शोर करते ए अपने घ सल म वापस चले
गए तो भैरो उठा और अपने दु मन वारलॉक के िखलाफ अपने मह वाकां ी अिभयान का
पहला चरण शु कया। उसने अपने गु एवं आरा य देव का आशीवाद और संर ण ा
करने के िलए उनक ाथना के साथ शु आत क । इसके बाद उसने तुित क , िजसके तहत
उसने एक माले के मनक क मदद से सं या क िगनती याद रखते ए मं ो ार कया।
इस अ यास का उ े य पहले से ही िस क ई शि य को याद करना था ता क वे
वतमान साधना के दौरान आने वाले बाहरी खतर से उसक र ा कर। उसने देवी काली
क मू त, लोहे क त तरी, चार हांिडय और अपने तथा वंकल के माथे पर िस दूर का
ितलक लगाया। उसने पारलौ कक हमल से र ा के िलए अदृ य सीमा या दीवार बनाने के
उ ेशय से चार हांिडय को कमरे के चार कोन पर रख दया।
भैरो को ये अ छी तरह मालूम था क साधना के दौरान िविच आवाज़ सुनाई देना,
पीछे क तरफ़ से ध े खाना, हवा म टंग जाना और भयानक नज़ारे दखाई देना आम बात
होती है। कई नौिसिखए तांि क िज ह ने पहले से ही सुर ा का बंध नह कया होता वह
घबरा जाने के कारण या तो डर कर भाग जाते ह या फर मानिसक संतुलन खो देते ह
अथवा भयानक मौत मारे जाते ह। भैरो को ऐसा कोई डर नह था। ले कन उसने अपने
दु मन क जवाबी कारवाई के िलए तैयार रहना था, जो क वह तब करता, जब उसे पता
चलता क भैरो उसके काम म ह त ेप कर रहा है। वारलॉक एक खौफनाक ित ं ी था,
िजसक ू रता क कोई सीमा नह थी और बंगाली तांि क इस बात अ छी तरह से
समझता था, इसीिलए वह उसे कोई मौक़ा नह देना चाहता था।
शमशेर के ेत ने उसे सूिचत कया क वारलॉक भी अपने फामहाउस म साधना शु
कर चुका है। भैरो अपने ित ं ी क इस बड़ी चूक से अवगत होते ही स ता से झूम उठा।
वह ए टेट एक ेतवािधत और शािपत थान था, जो भटकती आ मा और रह यमयी
ताकत को आक षत करने के िलए चुंबक का काम करता था और ऐसी अशांत जगह पर
तं -साधना, बुरी आ मा एवं शैतानी शि य को आमंि त करने के िलए पया थी।
कु ल िमलाकर अब वारलॉक का एकलौता गुलाम ेत ह रनाथ साधना और अपने मािलक
क सुर ा क अिनवाय आव यकता को पूरा करने म असमथ सािबत होने वाला था। भैरो
के गुलाम ेत शमशेर ने दु मन के आदमी क िनगाह म आये या उससे टकराए बगैर
जासूसी करने क अपनी मता के आधार पर उपरो त य क पुि क थी। वह झील और
बंगले क छत पर मौजूद शीशे के िपरािमड क जासूसी कर आया था।
अपने ेत के ज रये बंगाली तांि क क िनगाह लगातार अपने दु मन पर टक ई थ ।
वह अपनी उपि थित को जािहर करने के िलए उपयु घड़ी क ती ा कर रहा था।
उसक दृि म रह यमयी या तांि क अनु ान का या वयन मशान-भूिम, कि तान
या खंडहर जैसे वीरान थान पर करना उिचत था, जो कसी ि का िनवास थान न
हो।
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ता क उन जवान लड़क के साथ भाग सको िज हे तुमने फांसा था। तुम लोग अपने शौहर
क क पर इसिलए नह रोती हो क तुम उनसे मोह बत करती थी, बि क इसिलए रोती
हो य क वे लड़के तु हारे माल-असबाब को लेकर भाग गए थे।”
“ऐ जवांमद, शबनम झूठी है, वो जो कहती है, उस पर यक न मत करो।” तीसरी औरत
ने कहा- “हमारे शौहर का इं तकाल बीमारी के कारण आ और असिलयत म अपने शौहर
को जहर देने वाली तो ये खुद है। और जब हमने इसे इसके मर चुके शौहर के भतीजे के
साथ रं गे हाथ पकड़ िलया तो इसने हम पर गैरमद के साथ रँ गरिलया मनाने क तोहमत
लगा दी।”
“ये आदमी तो पगला दखाई देता है।” दूसरी औरत ने कहा।
“तो या आ? इसके पास एक पहलवान जैसा िज म है।” तीसरी औरत ने अपने लहजे
म कामुकता िलए ए कहा- “ य न हम दोन शबनम को कु एं म ध ा दे द और इस
आदमी से िनकाह कर ल? हम इसके अगल-बगल सोयगी और इसे अपने ब का अ बा
बनाएंगी।”
“नह ! नह ! मुझे मत छोड़ना। म तु ह मुक मल तौर पर मज़े करांऊगी; दन हो या फर
रात, कई-कई बार।” शबनम ने ाकु ल होकर वंकल से िलपटते ए कहा।
अपने वय क जीवन म वंकल ने पहली दफा महसूस कया क मिहलाय पु ष से
अलग होती ह। जब शबनम ने उसे दृढ़तापूवक खुद से िचपकाया तो वह उसके बदन और
बाल से आती खुशबू से िनहाल हो उठा कं तु ये भी उसे महसूस हो रहा था क शबनम के
िज म म गम और मुलािमयत नह थी। उसका िज म बफ के जैसा सद और प थर क
तरह स त था। बतौर अजनबी वह िजस कार खुद को उस पर योछावर कर रही थी और
उसके मदाना िह से को छू ने क कोिशश कर रही थी, उससे झ ला कर वंकल ने उसे
ध ा देकर दूर कर दया।
“तुम इसे िसफ अपने िलए नह रख सकती हो शबनम।” दूसरी औरत ने कहा- “हमारी
यास का या होगा? या तुम उसे हमारे साथ बांटो या फर हमारे साथ दो-दो हाथ करो।”
उसने चेतावनी दी।
इससे पहले क वह कोई ित या देती, शमशेर का ेत वंकल के बगल म कट आ
और बोला- “जो तुम देख रहे हो, उसके धोखे म मत पड़ो। वे असली औरते नह है बि क
मेरी तरह ेत ह। उ ह मेरी आँख से देखो।” उसने कहा और वंकल क आँख पर अपनी
हथेली पर रखी धूल क फूं क मारी।
जब वंकल ने अनायास ही अपनी पलक झपका और उन तीन बुक वाली औरत को
देखा तो उसने अपने सामने तीन कं काल को खड़े पाया, िज ह ने अपने गले और कलाईय
म चांदी के आभूषण पहन रखे थे। इससे पहले क वंकल कु छ कर पाता, वे तीन शमशेर
क दखल से कु िपत होकर उस पर झपट पड़ । वे जंगली िबि लय क भांित झगड़ने लग
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10000 जाप पूरा कर िलया है और इस कार वह आज रात का काम पूरा कर चुका है,
ले कन फर भी उसे अभी 20000 जाप करना है। उसे साधना पूण करने म अभी दो रात
और लगगी। उसका ेत ह रनाथ िपशाच और शैतानी ताकत को अपने मािलक से दूर
रखने म लगा रहा।”
“बस, काफ है!” भैरो ने कहा और दीवार पर ेिपत छिव गायब हो गयी। थोड़े से
िवराम के बाद उसने कहा- “हम इससे सटे ए कमरे म सोयगे वंकल और तीसरी रात
क साधना पूरी होने के बाद ही यहाँ से िनकलगे। अगर हम अलौ कक सुर ा दायरे से दूर
रहगे तो हम पर बुरी आ मा या हमारे दु मन के हमले का खतरा रहेगा।”
वंकल ने एक हाथ म जलती ई मोमब ी थामी और दूसरे हाथ से भैरो का हाथ
पकड़कर उसे दूसरे कमरे म लेकर आया। लोहे के त तरी क आग बुझ चुक थी और अब
के वल सुलगती ई राख ही शेष बची थी। तांि क फश पर िबछी ई चटाई पर लेट गया
जब क मानिसक प से अपंग, थका आ और भूख से ाकु ल वंकल ‘फटा’ के साथ
ै स का पैकेट खोल कर बैठ गया।
“मकबरे से बाहर जाने क िहमाकत मत करना। चाहे तु हारी माँ, शमशेर या फर म
ही तु ह य न बुला रहा होऊँ।” पहलू बदलने से पहले भैरो ने आिख़री बार चेतावनी दी।
अपनी पसंदीदा चीज खाने-पीने के बाद वंकल तृ हो गया और वह भी अपने मािलक
से थोड़ी दूरी पर लेट गया। अनापेि त खतर और वारदात से भरी रात के बाद वह
िन ाम हो गया। सपने म मुि लम ख़वातीन और कमर तक धंसे ए कं काल वाले लड़के
को देखने के कारण उसक न द कई बार उचट गई। जब उसक माँ सपने म आयी तब कह
जाकर उसे सुकून िमला और बेचैनी क अव था से बाहर आया। इसके बाद वह गहरी न द
के आगोश म खो गया।
कसी भी श स के दल म खौफ भर सकता था- “तूने मुझे साबरी साधना के तहत यहाँ
बुलाने क जुरत कै से क ? अगर तूने एक बार और अपनी गंदी जुबान से मुझे माँ कहा तो म
तेरे िसर को तेरे धड़ से अलग कर दूग
ं ी।”
“म आपका दास ँ भगवती! मेरा जीवन अब आपक दया पर है।”
“म तुझ जैसे नीच तांि क के बारे म सब-कु छ जानती ।ँ अपने पाप के िलए तू अंनत
काल तक नरक क आग म जलेगा। चूं क म तुझे कम से कम एक वरदान देने के िलए बा य
,ँ इसिलए बोल या मांगता है? म बुराई और पाप से भरे इस थान पर अपनी उपि थित
से तुझे अिभभूत करने के िलए एक पल भी अिधक नह क सकती। मुझे तुझ जैसे अनुगामी
या भ नह चािहए और य द म एक बार चली गयी तो फर कभी नह आऊँगी। के वल
इतना ही नह , अगर तूने मुझे दोबारा बुलाने क िहमाकत क तो म तुरंत ही तुझे भ म कर
दूग
ं ी।” वह गरजी।
“हे महान शि ! मेरा िनवेदन वीकार कर लीिजये और मेरी सभी तं -शि य को
पुन: जागृत कर दीिजये।”
“ता क तू िनद ष को फर से मारना शु कर दे? म ऐसा कु छ नह क ं गी।” उ ह ने
सीधे मना कर दया- “कु छ और मांग अ यथा म जा रही ।ँ ”
“मेरे दो िज मुझे वापस दला दीिजये।” वह िगड़िगगड़ाया।
“म तेरी कम से कम एक इ छा पूरी करने के िलए वचनब ,ँ इसिलए ऐसा ही होगा।”
लोहे के े म से बंधे मेमने का िसर गदन से अलग हो गया, िजसम से खून का फ वारा
छू ट पड़ा और सव शि अदृ य हो गयी। एक ण के िलए आकाश म सुराख नजर आया
और पलक झपकते ही डो फ ने पाया क वह अपने िचर-प रिचत कांच के िपरािमड म
बैठा आ है।
उसने उन िज को बुलाने के िलए पांच बार मं पढ़ा, िजससे उ ह वह िनयंि त करता
था और वे नीले काश से जगमगाते ि आयामी (३-डी) अ पारदश आदमकद ितिब ब
के प म कट हो गये।
“ वागत है िम ो। तुम दोन अब मु हो चुके हो।” डो फ ने ऐलान कया।
“इतनी ज दी नह ! एक िज ने कहा- “तुमने फर से हम भले ही िजला दया ह,
ले कन हम तु हारे मो को फर से य माने?”
“पागल मत बनो ब ! मेरी शरण म आ जाओ। तु हारे पास जाने के िलए कोई दूसरी
जगह नह है। मेरे सामने यह नख़रे या पतरे बाज़ी नह चलेगी। म कोई बे ज़ती बदा त
नह करता। मेरी बात मान लो वरना म तुम दोन को जलाकर राख कर दूग
ं ा।”
“मािलक!” ह रनाथ ने आ ह कया, "अपना आपा मत खोइए। मुझे उनसे बात करने
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यातना झेलने वाला है। इसका तो पतन होना िनि त है, तु हारे पास इसके चंगुल से
हमेशा के िलए िनकलने का यही सुनहरा अवसर है। मेरा ये ताव ह रनाथ सिहत तुम
सभी के िलए है।”
“तूने अपनी मौत बुला ली है भैरो!” डो फ िच लाया।
“मुझे धमकाने से पहले खुद को बचा वारलॉक!”
फर एक साथ कई घटनाएं घट । ह रनाथ शमशेर पर झपट पड़ा, जब क वारलॉक
अपनी शि को जागृत करने के िलए कोई मं जपने लगा। भैरो ने अपनी हथेली म कट
ए पाउडर को हवा म उड़ाया और िपरािमड के फश पर तुरंत एक िब ली हािजर हो
गयी। वह पलक झपकते ही हैरतंगेज तेजी से दो िबि लय म त दील हो गयी। पांच सेके ड
म ही िबि लयाँ दो दजन से अिधक हो गय और वारलॉक पर झपटने लगी। उसके चोगे को
नोचने लग तथा अपने पंज से वारलॉक के हाथ-पैर को घायल करने लग , जब क वह
उ ह खुद से दूर झटकने का असफल यास करता रहा। उन िबि लय से पीछा छु डाने के
िलए वह कांच के िपरािमड से बाहर भागा, जो अब अपने जबड़े उसके मांस म पेव त करने
लगी थ । िभ -िभ रं ग क वे िबि लयाँ अनवरत अपनी सं या बढ़ाते ए उसके पीछे
दौड़ रही थी। जब क डो फ खुद को बचाने के िलए िगरता-पढता सी ढ़य से उतरकर
बंगले से बाहर भागा। िव तृत मैदान म एक अके ले आदमी के पीछे िबफरी और गुराती ई
खून क यासी सैकड़ िबि लय के भागने का वह दृ य अ भुत था।
िबि लय क सं या इस सीमा तक बढ़ गयी क झील के पास िजस पेड़ पर डो फ
चढ़ा, उस पेड़ के चार ओर िबि लय का समंदर नजर आने लगा। िबि लय को पेड़ पर
चढ़ता देख डो फ पानी म कू दने को मजबूर हो गया। उसका चोगा पहले ही उतरकर िगर
गया था और अब वह छाती तक पानी म िनव खड़ा था। िजस कदर िबि लयां बंगले
तथा झील के चारो तरफ़ फै ली ई थी, उनक िगनती हजार म रही होगी। वह जानता था
क अगर उस ण उसने पानी से बाहर आने क िह मत क तो वे उसे नोच-खसोट
डालगी। उसने ह रनाथ को बुलाने क कोिशश क ले कन असफल रहा, य क उस समय
ह रनाथ भैरो के खूंखार ेत शमशेर के साथ ं यु म त था।
भैरो क ि आयामी छिव कांच के िपरािमड से बाहर आयी और उन दोन िज को
साथ िलए ए हवा म उड़ चली, जो अपने शरीर से िनकल रहे काश के कारण चमक रहे
थे। इस दृ य ने डो फ को इस हद तक ोिधत कर दया क उसका शरीर थर -थर काँपने
लगा। पानी म खड़े-खड़े ही उसने अपना दायाँ हाथ उठाया और आँख बंद करके ज दी-
ज दी कोई मं बुदबुदाया। उसके हाथ म चांदी के रं ग क नुक ले िसरे वाली वाला क लौ
क मा नंद चमचमाती ई कोई हिथयारनुमा चीज कट ई।
उसने उसे भैरो क ओर फक दया, जो उससे दूर उड़ा चला जा रहा था। कसी िमसाइल
क भांित वह हिथयार तेज र तार से कु छ ही सेकड म भैरो से जा टकराया, जो मील दूर
ओखला के एक मकबरे के खँडहर म बैठा आ था। उसक शि य का सुर ा घेरा भी उसे
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अ याय 16
वरदान और मुद क वापसी
म मी कहाँ ह?"
“वे तरो-ताजा होने और मेरी मंगाई ई कु छ ज री चीज लाने के िलए घर चली गय ।
वे कह रही थ क तु हारे आने के बाद जायगी ले कन मने उनसे कहा क म ठीक ँ और
पेशट क देखभाल करने के िलए यहाँ टाफ है, इसिलए उ ह चंता करने क ज रत नह
है।”
“वह आदमी कौन था, जो अभी-अभी यहाँ से गया? या कोलकाता या िशमला से
तु हारा कोई प रिचत था?” अभय ने खुद को सहज दखाते ए पूछा।
“कौन सा आदमी? यहाँ तो कोई नह आया।” उसने जवाब दया और थके ए अंदाज म
आँख बंद कर ली। अभय ने देखा क उसके चेहरे का रं ग इस तरह उड़ा आ था, जैसे उसे
रं गे हाथ पकड़ िलया गया हो। अभय ये सोचकर हैरान था क आिखर वह रह यमय कौन
था? और वह पायल के ब ा जनने के तुरंत बाद ही उससे िमलने य आया?और य
पायल झूठ पर झूठ बोल रही थी?
ब े के रोने के वर ने उसके िवचार- ृंखला को भंग कया और उसने अपनी बेटी को
पालने से उठाकर सीने से लगा िलया। रोने से उसका यान भटकाने के िलए वह उसे हौले-
हौले िहलाने लगा। ब ी ने रोना बंद कर दया। अभय का ेह अपनी उस बेटी पर उमड़
पड़ा, िजसे पहली दफा देखने के बाद से ही वह कसी गौरवाि वत बाप क भांित ये
महसूस कर रहा था क उसक बेटी संसार क सबसे ख़ूबसूरत ब ी है। िपतृ- ेम क
अनुभूित होते ही उसके सभी शक-शुबहे दूर हो गए। एक बार फर उसने महसूस कया क
वह अपनी प ी के ित कृ त है, िजसने उसे ऐसा शानदार उपहार दया था।
“जब तुमने मेरे साथ शादी के िलए हामी भरी थी तो मने खुद को बेहद लक महसूस
कया था पायल।” उसने बेड पर बैठकर पायल का हाथ थमाते ए कहा- “और आज म
उस एहसास को दोगुना महसूस कर रहा ँ य क अब मेरी िज दगी म दो ख़ूबसूरत
लड़ कयाँ ह।”
अभय के दमकते और भावपूण चेहरे क ओर देखते ए पायल ने कहा- “मने अपने उस
फै सले पर कभी शक नह कया अभय! तुम संसार के सबसे अ छे पित हो।”
“सही मायने हम आज एक प रवार बने ह। हम तीन हमेशा साथ रहगे और इसी तरह
खुश रहगे।” अभय ने कहा।
“आमीन!” पायल ने भी सहमित क।
वे तीन लगभग आधे घंटे तक इसी तरह बैठे रहे, जब तक क नरे श और शािलनी नह
आ गये। "माय वीट डा लग!” शािलनी ने पायल क गाल चूमते ए कहा- “न ह परी
कहाँ ह?” कहने के बाद उसने अभय के हाथ से ब ी को ले िलया।
ब ी को फर से रोता देख पायल ने कहा- “वह मासी के इतनी देर से आने पर गु से म
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है।”
“तु ह इसके िलए नरे श को दोष देना चािहए।” शािलनी ने कहा- “जो मुझे इधर-उधर
भटकाता रहा।”
“ब त सारा काम थे।” अभय को गले लगाने और पायल के माथे पर ेहपूवक हाथ
फे रने के बाद उसने सोफे पर बैठते ए कहा- “िपछला स ाह ब त भाग-दौड़ भरा रहा।
शािलनी और अपने दादा-दादी के वीजा के िलए मुझे ब त पापड़ बेलने पड़े। ये बेहद
अफसोसजनक है क तुम दोन अगले महीने इं लड म हमारी शादी म शरीक नह हो
पाओगे।”
“हम पायल के िडलीवरी के बाद इतनी ज दी एक छोटी सी ब ी के साथ ेवल नह कर
पायगे।” अभय ने कहा।
“म समझ रहा ,ँ इसीिलये तो हम मामले को अिधक तूल नह दे रहे ह।” नरे श ने
अपना च मा दु त करते ए कहा-
“ले कन हम तुम दोन को सबसे यादा िमस करगे।”
“शादी क सभी तैया रयां पूरी हो गयी ह?” अभय ने पूछा।
“इं लड म ढेर सारे अंकल, आंटी और किज स से भरा मेरा प रवार ब त बड़ा है। और वे
सभी लोग सारी तैया रयां पूरी करने के िलए मेरे माम-डैड के साथ ह। पहले पंजाबी तौर-
तरीक से गु ारे म हमारी शादी होगी और उसके बाद क युिनटी हॉल म ज मनाया
जाएगा।”
“तुम मुझे उन सारे फं श स क सी.डी.ज र भेजना और जब यहाँ आना तो वे डंग
ए बम लेकर आना।” पायल ने शािलनी पर म दनदनाया।
“ज र! हम दोन क फॅ िमली ने या तो यहाँ द ली म या फर जाल धर म रसे शन
रखने क ला नंग क है, जहाँ नरे श के कई ऐसे र तेदार रहते ह, जो इं लड म हमारी
शादी म शािमल नह हो पायगे।”
“तु हारे खुद के र तेदार का या?”
“माम और डैड हमारे उन र तेदार के साथ यू जस से सीधे ल दन के िलए उड़ान
भरगे, जो अमे रका और कनाडा म रहते ह। मेरे डैड क ि टश हाई कमीशन के एक
ऑ फसर से पहचान है, जो शादी को अटड करने वाले हमारे दस करीबी र तेदार के
वीजा-आवेदन को एक दो त होने के नाते ज दी वीकृ त करवाने म हमारी मदद करे गा।
“और गुड़गाँव के काल-सटर म तु हारी जॉब का या?”
“मने िपछले ह ते रजाइन कर दया य क अब म नरे श के साथ हमेशा के
िलए इं लड जाने वाली ।ँ अब मई वंही पर जॉब कर लूंगी।
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बंजर भूिम ह क रोशन से नहा उठी। बारीश क ह क बूंद के साथ सद हवा भी बह रही
थी, जो इस बात क पुि कर रही थी क बारीश होने वाली है। हवा के कारण मोमब ी
क लौ के कं पकं पाते ही उसके पीछे मौजूद डो फ क परछा भी कं पकं पाई।
डो फ को लगा क वहां ऐसा कोई नह था, जो आवाज पैदा कर सके या तो उसके
कान बज रहे थे या फर शायद हवा क वजह से ऐसा आ था। वह पलटा और वापस
कचन क ओर बढ़ गया। ले कन तभी कांच टू टने क तेज आवाज ने उसे रा ते म ही रोक
दया। वह िखड़क को देखने के िलये तुरंत एिड़य के बल घूमा। उसने जो हैरतअंगेज दृ य
देखा, उसने उसे दो कदम पीछे हटने को मजबूर कर दया। हैरत से मुंह खोले ए वह उस
दृ य को देखने लगा, जो उसक िज दगी का सबसे हैरतंगेज दृ य था। उसक रीढ़ क ह ी
से सद लहर गुज़र गई।
वह घाघरा-चोली पहनी ई आठ साल क एक थुलथुल लड़क थी, िजसके माथे से खून
रस रहा था। वह िखड़क के शीशे को तोड़ने के बाद अंदर दािखल होने क कोिशश कर
रही थी। डो फ उसे पहचान गया। ये वही लड़क थी, जो कु छ महीने पहले ही उसक
िशकार बनी थी। उसने उसे अगवा कया था और उसक शैतान के सामने बिल चढ़ा दी
थी। डो फ को मौत से पहले क उसक यं णामयी चीख याद आ गय । उसे अपने पूरे
बदन के र गटे खड़े होते ए महसूस ए और वह वँहा से भाग खड़ा आ। जीवन म पहली
बार वह इस कदर खौफजदा आ था।
ले कन कचन म एक दूसरा खौफनाक दृ य उसका इं तज़ार कर रहा था। डाइ नंग टेबल
क कु स , िजस पर से वह उठा था, उस पर एक बूढी मिहला बैठी ई थी। वह झुर दार
चेहरे , ल बे और बेतरतीब बाल वाली एक भारी-भरकम मिहला थी, जो बेहद बीमार
नजर आ रही थी। छाती म गंभीर प से कफ जाने के कारण वह खांस रही थी। उसके पास
देखभाल करने वाला कोई नह था। “बेटे, या तुम मुझे थोड़ा भोजन-पानी दे सकते हो? म
ब त भूखी ।ँ ” उसने कहा और फर से खांसने लगी।
ले कन कचन म एक दूसरा खौफनाक दृ य उसका इं तज़ार कर रहा था। डाइ नंग टेबल
क कु स , िजस पर से वह उठा था, उस पर एक बूढी मिहला बैठी ई थी। वह झुर दार
चेहरे , ल बे और बेतरतीब बाल वाली एक भारी-भरकम मिहला थी, जो बेहद बीमार
नजर आ रही थी। छाती म जमा बलग़म के कारण वह लगातार खांस रही थी। उसके पास
देखभाल करने वाला कोई नह था। “बेटे, या तुम मुझे थोड़ा पानी और कु छ खाने को दे
सकते हो? म ब त भूखी ।ँ ” उसने कहा और फर से खांसने लगी।
डो फ को ‘देजा-वू’ का एहसास आ। ये उस घटना क पुनावृित थी, जो तीन साल
पहले घ टत ई थी। ले कन ऐसा कै से हो सकता था? बु ढ़या डो फ को तीन साल पहले
सड़क पर भटकती ई िमली थी, जहाँ से वह उसे ए टेट ले आया था। या वह पागल हो
रहा है? उसक हथेली पसीने से तर हो रही थी। वह अपने पीछे दीवार को महसूस कर रहा
था। उसका मुंह अनायास ही खुल गया था और वह साँस लेने के िलए ज ोजहद करने लगा
था।
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“तो या हम मरना चाहते थे?” लटकती युवती ने ककश लहजे म पूछा- “ या तुमने या
मौत ने हम पर कोई रहम कया था?”
“तुम लोग मुझे नुकसान नह प च ं ा सकते। म शैतान के टोले म ।ँ म ब त ही
शि शाली ,ँ म अजेय ।ँ ” वह िच लाया।
यह सुनते ही सभी ेत हंसने लगे। छोटा लड़का के क खा रहा था, इस बात से बेखबर क
बड़े या कर रहे ह। लटकती ई युवती ने अपना फं दा खोला और जमीन पर कू द पड़ी।
उसने छोटे ब े के बगल म खड़े होकर उसके िसर पर अपना हाथ फे रते ए कहा- “ कतना
यारा था ये ब ा, देखो तुमने इसे या बना दया।” उसने डो फ से कहा।
अगले ही ण लड़के का सामा य चेहरा एक िवकृ त चेहरे म त दील हो गया। िजसक
के वल एक आँख थी, और चमड़ी भी जगह-जगह से गायब था। उस थुलथुल लड़क के भी
हाथ गंद,े उं गिलयाँ काली और नाखून ल बे थे, जो उस लड़के के साथ खड़ी थी। इन सब
चीज ने डो फ को खौफजदा कर दया, जो अब सांस लेने म क ठनाई महसूस करने लगा
था। सहसा उसके नीचे क जमीन कांपने लगी और वह आनन-फानन म खड़ा हो गया।
पहले उसने जमीन से दो छोटे-छोटे हाथ को बाहर िनकलते देखा और फर एक िसर। वह
मजदूर का वही दफनाया आ ब ा था, िजसे उसने पायल के सामने बिल चढ़ाया था और
जो खुद से ही जमीन से बाहर िनकलने क कोिशश कर रहा था। डो फ के िशकार ए
लोग के भूत उसके करीब आने लगे। वह पूरी ताकत से िच लाया- “मेरे पास मत आओ।
मुझसे दूर रखो।” लाश से उठने वाली िघनौनीदुग ध उस पर हावी हो गयी और उसने
उ टी कर दी। तभी उसे महसूस आ जैसे उसके चेहरे पर पानी के छ टे पड़ रहे ह।
“ डो फ! डो फ!!” उसने अपनी आँख खोल और अपनी गल ड लीना का चेहरा खुद
पर झुका आ पाया। उसने काले रं ग क नाईटी पहनी ई थी, िजससे उसके गोरे भारी
उरोज नुमाया हो रहे थे।
“ या आ तु ह? तुम ‘मेरे पास मत आओ!’ िच ला रहे थे। या तुमने कोई बुरा सपना
देखा?” उसने पूछा।
“म सो रहा था?” डो फ ने दुिवधा त लहजे म पूछा।
“ या तु ह याद नह है? तुम गुड़गांव म मेरे लैट पर हो। तुम शाम को यहाँ आये थे
और हमने साथ म िडनर कया था।” उसने उसे याद दलाने क कोिशश क - “बाथ म म
जाओ और अपने आप को साफ़ करो। तुमने अपनी बिनयान और पायजामे पर उ टी कर
दी है। हो सकता है क हमने जो मीट खाया था, वह बासी रहा हो, िजसक वजह से
इनडाईजेशन (पेट म गड़बड़) आ।”
डो फ िब तर से बाहर आया और बाथ म क ओर बढ़ गया। दरवाजे क िचटकनी
चढ़ाने के बाद उसने अपने चेहरे और शरीर को साफ़ करा और अपने गंदे कपड़ो को एक टब
म फ़क दया। टॉवल से अपना बदन साफ़ करते ए उसने िचटकनी उतारी और दरवाजे
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को आधा खोलकर आवाज दी- “लीना, मुझे एक जोड़ी साफ़ बिनयान और अंडरिवयर
दो।”
ले कन कोई जवाब नह िमला। उसने अपने अनुरोध को कई दफे दोहराया और फर
दरवाजे को पूरा खोल दया। वह ये देखकर भौच रह गया क उसक िनगाह के सामने
महरौली ि थत उसके फ़ामहाउस का बेड म था। पीछे पलटने पर उसने पाया क वह
अपने बाथ म म था, न क गुड़गांव ि थत लीना के लैट म। िगरते-पड़ते ए वह बाथ म
से बाहर आया और कारपेट से ढके फश पर बैठ गया। वह िनि त प से पागल हो रहा
था! एक ण उसने अपने फ़ामहाउस म उन ेत को देखा था, अगले ही ण वह लीना के
लैट म जगा था और अब तुरंत बाद उसने खुद को फर से फ़ामहाउस म पाया था। ब त
कोिशश के बाद उसे ये तो याद आया क वह लीना के लैट पर गया था, साथ म िडनर
कया था और सोने से पहले उसके साथ हमिब तर भी आ था, ले कन उसे नह ये याद आ
सका क ये सब-कु छ उसी शाम आ था या फर कसी और दन?
“ डो फ!” उसे अपने नानी क कड़कती आवाज सुनाई पड़ी, जो जमन-ऑि या बॉडर
पर बसे एक छोटे से क बे क कु यात तांि क (िवच) थी। आँख खोलने पर उसने पाया क
एक बार फर वह एक छोटे ब े के प म जंगल म अपनी नानी के साथ था। ‘तु ह पूरे
यान से ये सीखना होगा।’ वह उसे जमन भाषा म डांट रही थी।
“अगर तुमने गलती क , या असफल ए तो शैतानी ताकत तु ह ख़ म कर दगी। तुम
इस घमंड म मत रहो क िजस कार कबूतर , मुग , कु और मेमन को िबना कसी
िहचक या पछतावे के बिल चढ़ा देते हो, उसी कार कसी इं सान को भी बिल चढ़ा दोगे।
इं सान को मारने क कला इतनी आसानी से नह आती। इस तरह के काम को करने के िलए
प थर का कलेजा होना चािहए। अगर तुम मेरा अनुसरण करोगे और मेरा कहा मानोगे तो
म तु ह एक िसपाही के जैसा बना दूग
ं ी, जो एक क़ ल क मशीन क तरह होता है और
िबना रहम कये कसी को भी मौत के घाट उतार सकता है। ले कन अगर तुम डर गये या
मुि कल व म अपना होश कायम नह रख पाए तो तुम खुद मौत के मुंह म समा जाओगे।
कसी पर भी रहम मत करो, तु हारे अलावा हर कोई दु मन है और बिल चढ़ाए जाने के
लायक है।” उसने उस छोटे और नासमझ ब े के दमाग म जहर घोलते ए कहा।
अगले ही पल डो फ ने र गटे खड़े कर देने वाला दृ य देखा। डो फ का िशकार ए
लोग के भूत पीछे से आए और उसक नानी पर झपट पड़े। देखते ही देखते उ ह ने उसे
नोच-खसोट कर मौत के घाट उतार दया। इसके बाद वे डो फ क ओर मुड़।े “हमारे िलए
मुसीबत मत खड़ी करो डो फ! तुम हमसे या अपने ार ध से नह बच सकते।” सुि मता
ने कहा।
“नह ! मुझे अके ला छोड़ दो।” वह िच लाया और पास के ही एक पेड़ के तने पर अपना
सर मारने लगा।
िसर म पीड़ा क तेज लहर और दरवाजे के पीटे जाने के ती शोर ने उसे आंख खोलने
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एक लहर उतर गयी हो। ले कन उसने पीना नह छोड़ा।वह सारी रात नह सोया और
तीन-चौथाई बोतल पी गया।
,ं डो फ...मुझे पता है क देर हो चुक है... मुझे परवाह नह क तुमने पाट म कतनी
पी ली थी। मेरा कहा मानो और उस चूज़े को भगा दो जो तु हारे तलवे चाट रहा है। मुझे
तुम चािहए, पूरी क पूरी और हर तरह से।” उसने दल खोलकर हँसते ए कहा, “ले कन
म तुमसे यार करता ,ँ चाहे तुम मुझसे कतनी भी नफरत य न करो। तुम जैसी भी हो,
मुझे पसंद हो। तुम हरजाई और िछनाल हो तो या आ, मुझे भी भला कौन दूध का धुला
?ँ म आ रहा ँ मेरी जान और मेरा यक न करो, आज क रात तु ह लंबे समय तक याद
रहेगी। म फर से पहले जैसा मद बन गया ँ - िनरा जंगली सूअर।”
डो फ ने मोबाइल फोन को वापस डैशबोड पर रख दया और लीना के अपाटमट क
ओर रवाना हो गया। उसने बिल वाला लबादा उतार दया था और एक नई शट पहन ली
थी। घर क लाइट बंद करने और चीज को वि थत रखने का िज मा एक बार फर
ह रनाथ पर आ गया था। ह रनाथ ये अ सर सोचता था क वह ेत क बजाये डो फ
का हाउसक पर बनता जा रहा था।
इस दर यान डो फ टी रयो पर चल रही ‘डॉ. िज़वागो’ िप चर क ‘लारा’ धुन पर
सीटी बजाते ए अपनी लड ू जर ैडो उड़ा िलए जा रहा था। उसके जेहन म ख़ूबसूरत
और कामो जक लीना के हरे -भरे न शरीर के अंग- यंग का अ स उभर रहा था।
भिव य क चंता और आशंका, जो क उसके िपछले महीनो क पहचान थ , जा चुक थी।
एक बार फर वह पहले क तरह आ मिव ास से लबरे ज, आ ामक और ू र आदमी बन
चुका था।
अना दकाल से ही अ छी और बुरी ताकत के बीच शह-मात का खेल चलता रहा है,
और यह भी वैसा ही मोड़ था। िजसने उस खुनी खेल का आख़री फ़ै सला करना था। िजसमे
एक प क जीत थी और दुसरे क स पूण हार िनि त थी।
अ याय 17
खौफ
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पागल आदमी के भूत ने सकारा मक भाव से अपना िसर िहलाया। मौत भी उसके चेहरे
से उसक मासूिमयत और वफादारी को नह िमटा पायी थी। “ले कन तु हारे साथ ऐसा
कसने कया?” पायल ने अपना भय दबाते ए सामा य लहजे म पूछा। “ कसने? कसने
मारा तु ह?” जवाब म िब टू ने वही मु ा बनाई, जैसी मु ा उसने वारलॉक के ए टेट म
बनाई थी, जहाँ पायल एक साल पहले बंदी बनाई गयी थी। वह उस मु ा को पहचानने म
िवफल नह ई, जो कसी मुखौटा पहने ए ि को दशा रहा था।
“ले कन वारलॉक ने तु हारी ह या य क ?” उसने पूछा।
िब टू ने अपना बायां हाथ अपनी गदन पर फे रा। “उसने..उसने तु ह भी उस ब े क
तरह बिल पर चढ़ा दया? हे भगवान! कतना नीच इं सान है वह।”
िब टू ने अपनी उं गली से पायल क ओर इशारा कया। “ या?” उसने उलझन भरे वर
म पूछा- “मुझ?े मेरे बारे म या?” उसने फर से वारलॉक को दशाया और उं गली से
उसक ओर इशारा करने लगा। “मेरे और वारलॉक के बारे म या? तुम मुझे या बताने
क कोिशश कर रहे हो िब टू?” वह उसके इशार का मतलब समझने म असमथ होती ई
बोली।
“वो आ रहा है!” इस बार पागल आदमी खरखराती आवाज़ म कहा।
पायल को खड़े-खड़े ही जैसे लकवा मार गया। उसक रीढ़ क ह ी म सद लहर दौड़
पड़ी थी। उसे महसूस आ क उसके पैर के नीचे जमीन क फट गयी है और वह रसातल
म गत होती चली जा रही है। िब टू के श द उसक चेतना पर हज़ार मन के प थर क तरह
टकराए थे। उसे ऐसा लगा मानो उस पर िबजली िगर पड़ी हो और उसका वजूद असं य
टु कड़ म िबखर गया हो। ‘वो आ रहा है। वारलॉक आ रहा है।’
उसके घुटन ने उसका साथ छोड़ दया और वह ध म से कु स पर िगर पड़ी। उसने िब टू
के भूत को मूख क भांित देखा, जो उसके देखते ही देखते उसक आँख से ओझल हो गया।
हॉन क अचानक आयी आवाज ने पायल क त ा को भंग कर दया। ‘फोड एंडएवर’ के
शि शाली हेडलाइट क रोशनी बं लो के ाइववे पर पड़ रही थी। उसने कार से अभय
को बाहर आते देखा। उसने गेट खोला और गाड़ी को ाइव करके अंदर ले आया। पायल क
डर और िनि यता बदहवासी म त दील हो गयी और वह बेड म से होते ए सी ढ़याँ
उतरकर नीचे आ गयी। इससे पहले क ाउं ड लोर क अँधेरे म डू बी लॉबी म वह अपनी
अँधाधुंध दौड़ म िगर पड़ती, अभय ने उसे अपनी बाह म थाम िलया।
“अरे ! अरे ! या हो गया?” अभय ने उसे अपने आ लंगन म लेते ए पूछा। वह अपने
पित के बा पाश म वह एक ही सांस म उसे सब कु छ बताने क कोिशश करने लगी।
“आराम से..एक समय म एक बात।” उसने उसका कं धा थपथपाते ए उसे शांत कराने क
कोिशश करते ए कहा- “पहले एक गहरी साँस लो और फर मुझे धीरे -धीरे बताओ क
आ या है?”
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भयानक तौर-तरीके नह पता थे, ले कन उसे पता थे। पायल उस सनक और िघनौनी
वृि वाले इं सान क मांद म कई दन गुजार चुक थी, इसिलए वह जानती थी क वह
कतनी बेरहम और ू र था। कसी और क अपे ा वह इस बात को बेहतर ढंग से समझ
सकती थी क उस भयानक इं सान क ओर से आने वाले भावी खतर के संकेत म कतनी
स ाई है।
गम क बल और अपने बदन पर ठहरे पित के हाथ के नीचे होने के बावजूद भी पायल
कांप रही थी। उसक रीढ़ क ह ी म एक सद लहर सी दौड़ रही थी। उसके जेहन के परदे
पर भूली ई बात हथोड़े क भांित चोट कर रही थ । सबसे ू र इं सान के कहे श द उसे
याद आ रहे थे। ‘वारलॉक कभी भूलता नह और न ही कभी माफ करता है।’ एक बार फर
उसका जेहन उसे उन खौफनाक अनुभव क ओर ख च ले गया, जो उस भयानक आदमी के
सरकस म उसके साथ पेश आये थे और भूली ई वे याद उसे हलकान करने के िलए फर से
हािजर हो गय , िजनके बारे म वह समझती थी क वह उ ह भूल चुक है। ले कन पायल
इतनी िनडर और साहसी थी क वह यह बात भली-भांित जानती थी क परी ा क घड़ी
म अपनी घबराहट पर कै से काबू रखना है। पायल ने वारलॉक क कै द म अके ले लड़ाई लड़ी
थी, और प रि थितय का डटकर मुक़ाबला करते ए बच िनकली थी। पायल एक बार
फर वारलॉक से मुक़ाबला करने के िलए तैयार थी।
उसने भरी ई आँख से अपने पित और पालने म सोयी ब ी को देखा। उसके सुख-
समृि , संतुि और पूणता के एहसास के भरे जीवन क खुिशयाँ य ख़ म होने वाली थी?
महरौली क ए टेट के अनुभव ने, िवशेष प से उस आिख़री रात ने उसे ब त कु छ
िसखाया था। ये व भी िबना भावुक ए ता कक ढंग से सोचने का था। न के वल उस
चालाक और िनमम हैवान से बचने के िलए बि क उसको फर से हारने के िलए।
वह जानती थी क के वल जीत के िलए खेलने वाले डॉ फ के साथ समझौता करने का
कोई सवाल ही नह था। वह अपने दु मन या िशकार को तबाह कर देने के एकमा दृढ़
इरादे से उन पर हमला करता था। पायल क राह म के वल दो बड़ी क ठनाइयाँ थ । वह
नह जानती थी क वारलॉक कब हमला करे गा और कै से करे गा? अगर वह जानती होती
तो खुद को और अपने प रवार को बचाने के िलए कोई जवाबी रा ता अि तयार कर
सकती थी, ले कन वह के वल इतना ही जानती थी क वो आ रहा है।
एक बार फर खौफनाक ित पधा शु हो चुक थी। िजसम एक ओर िवकृ त
मानिसकता वाला वारलॉक था तो दूसरी ओर सरल, सहज और दृढ़ िन य वाली पायल
थी। वह उसे हराने के िलए दृढ़ ित तो थी ले कन इस मौत के खेल के कोई िनयम नह थे।
वह यह तक नह जानती थी क उसके उस दु ित ं ी ने उसके िखलाफ या योजना
बना रखी थी? िब टू का भूत आने वाले उस तूफान का मा एक अशुभ संकेत था, जो उसे
पूरी तरह तबाह करने से पहले उसके शांितपूण जीवन को नरक म बदलने करने वाला था।
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अगली शाम कार ाइव कर रहे अभय के मोबाइल फोन पर एक कॉल आया। उसने
कॉल का जवाब दया- “हैलो!”
“िम टर बतरा! म अपणा।” दूसरी ओर से उसक ऑ फस कलीग ने कहा- “सर, लगता
है म आपक कार म अपना हडबैग भूल गयी ।ं ”
अभय ने िसर घुमाकर अपनी कार क िपछली सीट पर एक चमड़े का हडबैग देखा। “हाँ
िमस अपणा! लगता तो ऐसा ही है।” उसने कहा।
“सुिनए, आप कहाँ पर ह सर?” उसने चंितत वर म पूछा।
“म िस ाथ होटल के पास ।ं सुनो, जब म कल ऑ फस आऊंगा, तो तु हारा बैग लौटा
दूग
ं ा।” उसने डैशबोड म बनी इले ॉिनक घड़ी - जो पौने दस बजा रहा थी - पर नजर
डालते ए सुझाव दया। ऑ फस म ज री काम के कारण अभय और कु छ अ य टाफ-
मे बस को िनधा रत व से काफ देर बाद तक काम करना पड़ा था और इसिलए उ ह
अपनी तीन मिहला सहक मय को उनके घर तक छोड़ने का िज मा भी उठाना पड़ा था।
यू राजे नगर क उस इमारत से, जहाँ िमसेज अपणा रहती थ , िनकले ए उसे दस
िमनट हो गए थे। वह थक गया था और वापस जाने के मूड म नह था।
“िम टर बतरा म जानती ँ क इसम सारी गलती मेरी है, म इतनी लापरवाह जो ।ँ
मुझे पता है क आप थके ए है ले कन मुझे अपने बैग क स त ज रत है, िजसम मेरे लैट
के मेन डोर क चाबी है। मेरे पित बाहर ह और ब े पड़ोसी के लैट म बैठे ए ह। मुझे
इनके पास चाबी छोड़ देनी चािहए थी, ले कन मने सोचा क म ब से पहले घर आ
जाऊँगी, जो अपने कू ल से सीधे नानी के घर चले गए थे।” वह एक सांस म कहती चली
गयी।
“कोई बात नह िमसेज शमा!” अभय ने दीघ िन: वाश छोड़ते ए कहा- “म वापस आ
रहा ँ और आपके पास दस-पं ह िमनट म प च
ँ ता ।ँ ”
“थक यू सो मच िम टर बतरा! आप ब त ही अ छे ह। म ऑ फस म सभी लोग से
क गं ी क हमारे बतरा साहब से यादा मैनस और कोई नह है। वे टाफ और ख़ास तौर
पर लेडीज़ को अपने प रवार क तरह देखते ह और..।”
“म यादा बात नह कर सकता य क म ाइव कर रहा ,ँ ” अभय ने उसक बात
काटते ए नम लहजे मे कहा और फोन काट दया।
उसने िस ाथ होटल के पास गोल च र से अपनी कार को मोड़ िलया और उस ब -
मंिजला इमारत के पास वापस आ गया, िजसम लोर-वाइज लैट का िनमाण कया गया
था।
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वहां प चं ने के बाद उसने अपनी कार को लॉक कया और अँधेरे म डू बी सी ढ़यां चढ़ने
लगा। एक कु े के भ कने के वर ने उसका यान ख चा। उस कु े के जँगली या पागल
होने के डर से उसने डर से उसने अपनी चाल तेज कर दी। उसक आशंका सच सािबत ई
जब उसने एक भ कते ए पागल कु े को सी ढ़य से ऊपर आते देखा। उसका कलेजा हलक
म आ फं सा और वह उस पागल कु े से बचने के िलए बेतहाशा दौड़ पड़ा।
अभय के पैर काँप रहे थे और वह पसीने से नहा गया था। वह घबराई ई दशा म
दशाहीन होकर भागा जा रहा था। उसे डर था क थोड़ी ही देर म सी ढ़यां ख म हो
जाएंगी और वह पागल कु ा उसे धर लेगा। उस ण उसका दल लगभग बैठ सा गया,
िजस ण उसके िसर घुमा कर देखा क वह कु ा कु लांचे भरते ए उसके बेहद पास आ
चुका है। उसके नुक ले दांत बाहर झांक रहे थे और जीभ मुंह से बाहर लटक रही थी।
तभी वह कु ा अक मात और अनापेि त ढंग से उस पर झपट पड़ा और उसके पैर म
अपने दांत धंसा दए। अभय ने उसक गम सांस और गीली जीभ को महसूस कया।
हालां क उसक वचा कु े के जबड़े म आने से बाल-बाल बच गयी, ले कन फर भी उसक
पतलून का एक टु कड़ा उसके मुंह म फं स गया। एक सेकंड से भी कम समय म वह पीछे घूमा
और सी ढ़य पर िगरते-पड़ते ए भी उसने कु े को एक ठोकर रसीद कर दी। उसके भारी-
भरकम बूट क वह करारी ठोकर कु े क नाक पर लगी और वह दद से डकारता आ दूर
िगर पड़ा। िजस लैट के सामने अभय पड़ा आ था, उस लैट का दरवाजा अचानक खुला,
सामने एक लड़क थी। जह ुम के उस शैतान से ई अपनी मुठभेड़ से हलकान अभय पलक
झपकते ही लैट म दािखल हो गया। उसने उस वहशी के दोबारा झप ा मारने से ण भर
पहले ही दरवाजा बंद कर िलया। बंद होते दरवाजे से कु े का िसर टकराया और वह गु से
म गुराकर रह गया।
“ या आ िम टर बतरा! आप ठीक तो ह?” एक िचत-प रिचत वर आवाज़ आयी।
जब उसने पीछे देखा तो पाया क वह उसक कु लीग िमसेज अपणा शमा थी, जो उसे
हैरतजदा अंदाज म देख रही थी। “म..म...!” उसने बोलने का यास कया ले कन उसका
हलक सूख गया। वह अभी भी उस भयानक मुठभेड़ के कारण थरथरा रहा था। वह ाइं ग
म के सोफे पर लगभग िगर पड़ा।
“बेटा, थोड़ा पानी लाओ, ज दी!” िमसेज शमा ने उस लड़क से कहा, िजसने बाहर
कोलाहल सुनकर लैट का दरवाजा खोला था और ऐन व पर अभय को बचा िलया था।
िजस व वह अपने कांपते हाथ से पानी हलक म उतार रहा था, उस व भी बाहर वह
कु ा गु से से गुराते ए भ क रहा था। िमसेज शमा ने कहा- “ये हमारी पड़ोसी िमसेज
न यर का लैट है और ये ऑ फस म मेरे सीिनयर िम. बतरा ह।”
“व...वह...वह पागल कु ा मुझे बस काटने ही वाला था।” अभय ने िथत वर म
कहा।
“ये सरासर हमारी िब डंग के चौक दार क गलती है। जब वह सुरती या बीड़ी खरीदने
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जाता है तो मेन गेट को खुला छोड़ देता है, िजसके कारण आवारा कु े यँहा ऊपर तक आ
जाते ह और कभी-कभी सी ढ़य पर भी चढ़ जाते ह।” िमसेज शमा ने िशकायत भरे वर म
कहा।
“आप उस अके ले को ही य दोषी ठहरा रही ह?” िमसेज न यर ने कहा- “इस िब डंग
के कु छ लोग उसे अपना घरे लू नौकर समझते ह और उसे अपनी ूटी करने देने क बजाय
उससे अपने घर का काम करवाते ह, पास के बाजार से सामान मंगवाते ह। कु छ ऐसे ही
जैसे वो उसे अपनी जेब से तनखाह देते ह । पैसे लेने तो वो अपनी कॉपी लेकर सबक घंटी
बजाने एक तारीख़ को ही प च ँ जाता है। ”
“आपका हडबैग िमसेज शमा!” अभय ने उस हडबैग को िमसेज शमा को थमाते ए
कहा, िजसे उसने कस कर पकड़ रखा था और जो उसके िलए जी का जंजाल बन गया था।
“मुझे ब त शम आ रही है िम. बतरा! हे भगवान्! या उसने आपको काट िलया?” जब
िमसेज शमा क नजर अभय के पतलून के िनचले िह से पर पड़ी, तो उसक आँखे आ य से
फ़ै ल गयी।
“नह ! म बाल-बाल बच गया।” अभय ने अपनी पतलून पर नज़र डालते ए जबरद ती
क मु कान के साथ कहा। उसने पतलून उठाया तो उसे वहां लाल खर च के िनशान भी
नजर आये, जहां कु े के दांत उसक वचा को छू गए थे।
“म पास म ही रहने वाले डॉ टर को बुलाती ।ँ वे इसे देख लगे और इसक े संग कर
दगे या फर इं जे शन लगा दगे।” िमसेज शमा ने कहा।
“यक न मािनए, इसक कोई ज रत नह है।” अभय ने ज दबाजी म कहा।
“आप सभी मद लापरवाह होते ह। मेरे पित भी ऐसे ही ह।” कहते ए उसने अपने पु ष
सहकम को मनाने क फर से कोिशश क , ले कन कोई लाभ नह आ। अंतत: हार मान
कर उसने एक दीघ िन: ास छोड़ते ए कहा- “कम से कम बाथ म म चलकर पैर तो धो
लीिजये।” और फर वह उसे लेकर बाथ म क ओर बढ़ गयी। जब अभय जूता-मोजा
िनकालकर साबुन तथा पानी से अपनी एड़ी और पैर धोने म त हो गया तो िमसेज
शमा अपनी दस साल क बेटी क ओर मुड़ - “िनिश बेटा जाओ और े संग टेबल क
िनचली दराज म रखे फ ट एड बॉ स से मरहम क ूब लेकर आओ। लैट क चाबी
है डबैग मंक है, जो आंटी के ाइं ग म म सोफे पर है।”
उसक बेटी ज दी से गयी और एक मरहम िलए ए वापस लौटी। उसने मरहम िमसेज
शमा को दे दया। “म मी! मने कु े को देखा है, वह सी ढ़य के नीचे छु पा आ है।”
“चौक दार को बुलाइए िमसेज न यर!” उसने अपने पु ष सहकम के पैर को कांच के
सटर टेबल पर रखते ए कहा तथा उसक िझझक और िवरोध को नजरअंदाज करते ए
उसके एड़ी और पैर पर मरहम लगाने लगी। जब िमसेज शमा अपनी ओर से इस बात को
लेकर िन ंत ही गय क काम पूरा हो गया तो उ ह ने अभय के पैर को फर से नीचे कर
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को ऐसा लगा जैसे सद हवा का एक झ का उससे टकराया हो और उसके मुंह तथा गले म
एक अजीब सा िघनौना वाद घुल गया, प रणाम व प उसे मतली आने लगी।
उसने घबराकर पीछे देखा और पाया क भूत अपनी कं काल जैसी बाह फै लाए ए उस
पर दूसरे हमले क तैयारी कर रहा है। वह आतं कत होकर चीखा और पलक झपकते ही
खौफजदा होकर सी ढ़य से नीचे भाग खड़ा आ। उसने कई बार ये महसूस कया क भूत
के वल र ी भर के फासले से ही उसे दबोचने से चूका था। वह बाहर प च
ँ कर और ाइववे
के अंत म खड़ी कार के बोनट पर दोन हाथ टकाये ए वह यक न नह कर पा रहा था क
वह िज दा बच गया है। एक युवा जोड़े ने अभय को मुंह खोलकर हांफता आ और तूफ़ान
म फं से कसी पेड़ क मा नंद थरथराता ए देखा और अपने चेहरे पर अजीब सा भाव िलए
ए वहां से गुजर गया।
अभय ने कसी तरह खुद पर काबू पाया और कार का दरवाजा खोलकर अंदर बैठ गया।
वह इ ीशन ऑन करते ए उसने कार को बैक कया और िनकलने ही वाला था क
अचानक चौक दार लाठी िलए ए उसके सामने आ गया। पहले पहल उसका इरादा बगैर
के उसके ऊपर से िनकल जाने का था ले कन फर उसने ेक लगा दया। चौक दार
ाइ वंग डोर तक आया और अभय के चेहरे का बारीक से मुआयना करने लगा, जब क
अभय बगैर कोई हरकत कये ए भय के कारण बुत बना रहा। उसके हाथ टीय रं ग हील
पर िचपक कर रह गये थे और उसे लग रहा था चौक दार कसी भी ण भयानक भूत म
त दील हो जाएगा और दोबारा उस पर झपट पड़ेगा।
“ या आप िम टर बतरा ह, जो ीमती नैयर के लैट म गए थे?” उसने सवाल कया।
“हाँ!” अभय ने बड़ी मुि कल से कहा।
“आप ठीक तो ह शाहब जी ?” पसीने से लथपथ अभय बैठा रहा। उसके हाथ काँप रहे
थे, हलक सूख रहा था, िज म तप रहा था, फर भी उसने सवाल के जवाब म सकारा मक
भाव से अपना िसर िहलाया। “िमसेज शमा ने आपके बारे म पूछने के िलए फोन कया था।
वे मुझसे पूछ रही थ क मने आपको कार तक ठीक-ठाक छोड़ दया या नह । मने कहा क
नह , म तो अभीगेट पर प चं ा ।ँ मुझे समझ म नह आ रहा है क ऐसा कै से हो गया?"
“शायद वे कसी दूसरे चौक दार के बारे म बात कर रही थ ।” अभय ने धीम वर म
कहा।
“शाहब जी, यँहा तो म एक ही चौक दार ।ँ ”
अभय त ध रह गया। उसने इस कदर कार को िगयर म डाला, मानो स मोहन क
अव था म हो और वहां से िनकल गया। चौक दार के श द लगातार उसके कान म गूंज रहे
थे। य द इं टरकॉम पर कये गए कॉल के जवाब म आने वाला वह नह था, तो कौन था?
वह ज र एक भूत था, िजसका उसने सामना कया था। उसने जो कु छ देखा और अनुभव
कया था, उसक वा तिवकता को सािबत करने के िलए अब शायद ही उसे कसी
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“म...मने देखा!” अभय ने खुद को जबरद ती रोका। उसका मदाना अहं एक बार फर
उस पर हावी हो गया। वह भला अपनी प ी के सामने भूत देखने क बात कै से वीकार
कर सकता था? वह तो पायल क भूत- ेत से जुड़ी मा यता का हमेशा से मजाक उड़ाता
आया था। एक मद होकर वह अपनी बीवी के सामने खुद को डरा आ कै से दखा सकता
था? “क...कु छ नह , कु छ भी नह ।” कहने के बाद वह िब तर क ओर बढ़ गया।
“तुम या छु पा रहे हो। मुझे बताओ क या आ?” उसने जोर देकर पूछा।
“मने तुमसे कहा न क कु छ नह आ। भगवान के िलए तुम मुझ पर यक न य नह
करती।” अभय िच लाया। उसक चीख म गु सा कम और अपने डर को िछपाने का यास
साफ़ नजर आ रहा था।
पायल, अभय के उस अचानक गु से से हैरान रह गयी। उसने कभी भी अभय को इस
कदर िच लाते ए नह देखा था। उसके िच लाने क आवाज से अंशुल जाग गयी और
पालने म जोर-जोर से रोने लगी। पायल ने ब ी को गोद म उठा िलया और उसक पीठ
थपथपाते ए उसे फर से सुलाने क कोिशश करने लगी। आधे घंटे के बाद जब वह उसे
सुलाने म सफल हो गई, तो उसने धीरे से ब ी को पालने म िलटाया और कमरे क
ूबलाइट बंद करके िब तर पर लेट गई।
डबल बेड के दूसरी तरफ लेटा अभय अभी भी बेहद डरा आ था। उस भूत क आकृ ित,
याह परछा के प म अब भी उसके जेहन म थी। अचानक उसे कमरा इस कदर काला
नजर आने लगा, मानो वहां पूरी तरह से अंधकार छा गया हो। उसे ये डर सताने लगा क
जो काली परछा उसने थोड़ी देर पहले देखी थी, वह कसी भी ण कमरे म आ जायेगी
और गला घ टकर उसक ह या कर देगी।
वह तुरंत िब तर से बाहर आया, दरवाजे पर गया और उसे अंदर से बंद कर
दया। फर भी अंधेरा उसे परे शान करता रहा। उसने िब तर पर अपनी ओर मौजूद जीरो
वाट के लाल ब ब का ि वच ऑन कर दया। उस लाल रोशनी म उसे कमरे का हर एक
कोना नजर आया। िब तर, पालना, सोफा चेयर और आलमारी को यथा थान पाकर उसने
राहत क सांस ली। वह उस रोशनी म खुद को थोड़ा सुरि त महसूस कर रहा था। ले कन
के वल ‘थोड़ा’ ही, य क उसे कमरे म कसी भी ण भूत के कट हो जाने का डर अब भी
सता रहा था। हर दस सेकड म वह इस डर से अपनी आँख खोल देता था क भूत अंदर आ
गया होगा, ले कन धीमी लाल रोशनी म उसे अपनी आँख के सामने उसका िचत-प रिचत
कमरा ही नजर आता था। उसने लगभग सारी रात डर के साए म दुबक कर गुजारी और
उसके दमाग पर हावी तनाव बढ़ता ही गया।
“हे भगवान! तु ह तो लगता है बुखार हो गया है।” पायल ने सुबह-सुबह अपने पित के
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“नह , जो कु छ तु हारे दमाग म चल रहा है, उसे बताओ।” पायल ने जोर देकर कहा।
“के वल इतना ही क मुझे ये यक न करना थोड़ा मुि कल लग रहा है क वह आदमी
डो फ हमारी िनगाह म आये बगैर हमारे बेड म म आकर उन चीज को बेड के नीचे
रख सकता है।”
“यह इसिलए है य क तुम उसे जानते नह ह। उसे खुद यहाँ आने क ज रत नह है।
उसका भूत ह रनाथ, िजसे वह क ोल करता है, उसके िलए ये काम आसानी से कर सकता
है।” पायल ने समझाया।
“ले कन डो फ हमसे चाहता या है?”
“िब कु ल साफ़ है, वह बदला लेना चाहता है।” पायल ने जवाब दया।
“मुझे नह लगता क ये तकसंगत है। कसी से बदला लेने के िलए उसके िब तर के नीचे
न बू और जानवर क हि याँ रखने से बेहतर और भी कई तरीके ह।” अभय ने तक रखा।
“तुम ऐसा इसिलए कह रहे हो य क तुम डो फ को एक साधारण इं सान समझते हो।
उसे वारलॉक यानी एक दु तांि क के प म देखो फर तुम खुद-ब-खुद उसके तौर-तरीक
को समझ जाओगे।”
“हम पर काला जादू करके भला उसे या हािसल होगा?”
“इसके दो कारण हो सकते ह।” पायल ने गहन चंता म डू बकर अपना माथा िसकोड़ते
ए कहा- “या तो हम डराने के िलए या फर हम नुकसान प च ं ाने के िलए वह अपनी
अमानवीय शि य का योग कर रहा है, य क अपने िशकार को मारने से पहले उसे
बुरी तरह डरा कर समपण करने पर मजबूर कर देने म उसे मजा आता है। इस कार क
घ टया हरकत से उसे खुशी िमलती है। और जहाँ तक म उसके बारे म जानती ,ँ ये के वल
इसी एक घटना तक नह थमेगा। हम भिव य म उसक तथा उसक बुरी शि य क ओर
से और भी भयानक चुनौितयाँ िमलने वाली ह।”
“वे तो पहले ही िमल चुक ह।” अभय बोल पड़ा।
“ या मतलब?” पायल ने चौक े लहजे म पूछा।
“मने एक भूत को दो-दो बार देखा। उसने िपछली रात मेरी कु लीग के लैट के बाहर
और फर हमारे घर क बा कनी म मुझ पर हमला करने क कोिशश क थी।” अभय ने
बताया।
पायल सफ़े द फ चेहरा िलए ए बेड पर बैठ गयी। उसने बोलने क कोिशश क ,
ले कन कसी तरह बस अपने ह ठ ही िहला पायी। लगता था जैसे उसक आवाज ने उसका
साथ छोड़ दया था। सहसा वह पालने के पास गयी और सोती ई अंशुल को गोद म उठा
कर चेहरे पर भय और चंता िलए ए फर से बेड पर अभय के बगल म बैठ गयी।
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“मने तु ह डरा दया न?” अभय ने कहा। उसे खुद क आवाज़ भी कसी अंध-कू प से
आती ई तीत ई। वह खोखली हंसी हंसा और आगे बोला- “इतनी डरी तो तुम उस व
भी नह थी, जब मुझे ए टेट के उस भूत के बारे म बता रही थी, िजसे तुमने परस देखा
था।”
“वो इससे अलग था अभय। तु हारी दलील सुनने के बाद म भी ये मानने लगी थी क
उस दन िब टू का नजर आना मेरा वहम रहा होगा। ले कन वैसा वहम तु ह तो नह हो
सकता, य क तु हारे जेहन म मेरी तरह डो फ क मांद म गुजारे ए दन क भयावह
याद नह ह। और िजस तरह क अलौ कक घटना के बारे म तुमने मुझे बताया, वह कोई
वहम नह हो सकता है।”
“तुम मुझसे कु छ छु पा रही हो पायल! बताओ मुझे क तु हारे डर क असली वजह या
है?” अभय ने दृढ़ लहजे म कहा।
“वारलॉक अपनी भयानक शि य को साथ वापस पा चुका है। इसका मतलब ये है क
नारं ग अंकल और भैरो, उसे रोकने या हराने म नाकाम रहे है। तु ह तांि क भैरो तो याद
होगा न, जो शािलनी क लैट पर मुझे डो फ से बचाने वाला ताबीज देने के िलए आया
था।”
“जब भैरो का जादू-टोना अभी भी हमारी र ा कर रहा है, तो हम ऐसे हालात का
सामना य कर रहे ह।” अभय ने पूछा।
“वह के वल अ थायी समाधान था। मुझे वारलॉक क बुरी शि य के बारे म नारं ग
अंकल को बताने क ज रत नह है। भैरो के मामूली से जादू-टोने को भूल जाओ। वह
डो फ के मुकाबले कु छ भी नह है।” पायल ने प कया, “वारलॉक ने अपने काले-जादू
क शि य पर फर से िनयं ण पा िलया होगा और अब हम पर उनका इ तेमाल कर रहा
है।”
“ले कन य ? हमने उसका या िबगाड़ा है?” अभय ने पूछा।
“मेरी वजह से उसे पुिलस ने पकड़ िलया। मने उसे कोट म घसीटा और साडी दुिनया को
उसक असिलयत बताई और उसक सालो से जमी-जमाई इ ज़त का जुलूस िनकल दया।”
“ले कन ये सब गुज़री ई बात ह। व के साथ मामला रफा-दफा हो गया है। अब वह
तुमसे और तु हारे प रवार से य बदला लेना चाहता है?”
“ य क डो फ तु हारे या मेरे जैसा साधारण इं सान नह है। वह अपने दु कम के बल
पर ज़ंदा है। वह अचानक से बदल नह सकता। ई र के डर से नैितकता का दामन
थामकर एक अ छे इं सान क तरह जीना शु नह कर सकता। अफसोस क ये सबक मने
उसके सकस म सीखने से इनकार कर दया और अब मुझे इसक क मत चुकानी होगी।"
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शाम ढलने के साथ-साथ अभय क दहशत भी बढ़ती जा रही थी। जब क दूसरी पायल
उस ि थित म अभय से कह यादा साहस का दशन कर रही थी। पायल दन खुद को
संभाले रही। उसने अपने पित के सभी वािहयात सुझाव जैसे शहर से भागकर कसी
दूसरी जगह बस जाने या ज़ रत पड़ने पर देश छोड़कर चले जाने के ताव को ठु कराकर
कसी च ान क भांित अपनी जगह से टस से मस न होने का फै सला कर िलया था। ये
शायद उसक असीम िह मत ही था, िजसने उसे उन घटना के शु आती झटक से उबारा
था।
ले कन भावना मक प से कमजोर और डरा आ उसका पित उसके साहस को
मूखतापूण समझ रहा था। यहां तक क वह पायल को वाथ और िज ी वभाव वाला भी
समझने लगा था, जो अपने पित का जीवन दांव पर लगा होने के बाद भी दूसरी चीज को
तरजीह दे रही थी। अभय के मन म ये बात घर कर गयी थी क िनशाने पर वह था, न क
उसक प ी। चारा वह बना आ था, न क उसक प ी पायल। वह अपनी बीवी के ित
गु से से भरा आ था, जो क पूरी िन ा के साथ उसक देखभाल कर रही थी। पायल ने
उसके चेक अप के िलए डॉ टर को घर पर बुलाया, ब ी को साथ िलए ए दवाइयां लेने
बाजार गयी, उसके िलए ह का-फु का भोजन तैयार कया था, उसे चाय िपलाई और सही
समय पर दवा भी दी।
जब क अभय सारा दन िब तर पर लेटा आ खुद को वा तिवकता से कह यादा
बीमार दखाने क कोिशश करता रहा था। उसने पायल के काम म हाथ बंटाने के िलए
पूछने क जहमत तक नह उठायी थी, जो अपनी ब ी और पित क देखभाल के अलावा
घर और माकट के काम भी अके ले ही कर रही थी। जब क इसके िवपरीत वह कसी वाथ
इं सान क भांित पायल क मेहनत को नजरअंदाज करते ए उसे मन ही मन वाथ और
पित क परवाह न करने वाली बीवी के तौर पर कोस रहा था। वह िघरती आ रही रात के
खौफ से सहमा आ िब तर पर ही पड़ा आ था। उसने न के वल पायल पर बार-बार तंज
कसा, िजसका मानना था क सम या से भागना उसका हल नह है और उनका िह मत
से सामना करना चािहए, बि क उन घटना के िलए पूरी तरह उसे ही दोषी ठहरा दया।
अभय ने पायल को कह दया था क वही है, जो सारे फसाद के जड़ है। जब पायल के इस
तक का क कसी दूसरे देश म चले जाने के बाद भी वारलॉक उन तक आसानी से प च ँ
सकता है, अभय को कोई जवाब नह िमला तो उसने उसे उन प थर दल मिहला म
शुमार कर िलया, जो अपन क भलाई क परवाह नह करती ह।
जीवन म अगर कु छ ऐसा है, िजसे इं सान नह कर सकता, तो वो है समय क र तार क
रोकना। उसे दन और रात के अिनवाय और अंतहीन च का अनुसरण करने से रोकना।
अपनी तमाम आशंका और डर के बावजूद वह रात को िघर आने और दहशत को अपने
पर हावी होने से न रोक सका। उसने रात का खाना कमरे म ही खाया और इसके बाद
उसने खुद को अके ले कमरे म बंद कर िलया। अभय आशंका के िशकं जे म जकड़ा आ
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िब टू के भूत के नजर आने के तीसरे दन तक अभय इस कदर पीला जद नजर आने लगा
था, मानो वह कई साल का बीमार आदमी हो।हालां क उसका बुखार उतर गया था,
ले कन फर भी वह खुद को शारी रक और मानिसक प से बेहद कमजोर महसूस कर रहा
था। लंबी और उन दी रात अब उस पर अपना असर दखाने लगी थ । वह आँख के नीचे
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काले ध बे नजर आये थे। बढ़ी ई दाढ़ी और कं घी नह कये ए बाल के कारण बेहद
बेतरतीब नजर आने लगा था। वह िपछले तीन दन से एक ही िसलवट भरा नाइट सूट
पहने ए था।
उनक दनचया भी पूरी तरह से बदल चुक थी। वह बंद कमरे म रात अके ले गुजरता
था और लगातार गाय ी मं जपता रहता था। उसके कमरे क लाइट हमेशा जलती रहती
थी और टी.वी. पर तेज़ आवाज़ म संगीत बजता रहता था। वह दन भर सोता रहता और
के वल भोजन करने के िलए ही उठता था। हालां क पायल कु छ कहती नह थी ले कन अपने
पित क दमाग़ी हालत को लेकर उसके चेहरे पर चंता साफ़ दखाई देती थी।
अभय टेलीफोन क घंटी सुनकर च का। उसने काडलेस फोन का रसीवर उठाया और
कहा- “हैलो?”
“अभय ब ा?”
“यस पी कं ग।”
“फोन मत काटना।” अनुरोधपूण वर म कहा गया- “तु हारा मुझे सुनना ब त ज री
है। म जो क ग
ं ा, उस सुनने म तु हारा ही फ़ायदा है।”
“म कससे बात कर रहा ?ँ ” अभय ने पूछा। उसके माथे पर िसलवट उभर आयी थ ।
“फोन मत काटना अभय ... म डो फ, डो फ चानहर ।ं ”
“ डो फ?” अभय क आवाज इस कदर खोखली थी क वह खुद अपनी ही आवाज न
पहचान सका।
“हाँ अभय! मने तु हारी भलाई के िलए ही तु ह फोन कया है। फोन मत काटना।”
डो फ ने अपने लहजे पर जोर देते ए कहा- “म तुमसे िमलना चाहता ।ं तु हारे भले के
िलए ये ज री है। तु हारी जं दगी ब त बड़े खतरे म है अभय। तु ह िसफ म ही बचा
सकता ।ं य क िसफ मुझे पता है क तु हारे दु मन तु हे कै से घेर रहे है। अगर तुम उसने
बचाना चाहते हो तो तु हे पता होना चािहए क वह या कर रहे है।”
“बताओ, म सुन रहा ।ँ ”
“अभय, म ये सब फोन पर नह समझा सकता। तु ह मुझसे आकर िमलना होगा।”
“कहाँ?” अभय ने पूछा।
“म तु ह साउथ ए सटशन के अपने इं ि ट ूट से फोन कर रहा ।ँ या तुम यहां साउथ
ए सटशन मेन माकट के 'कै फ़े कॉफ़ डे' म एक बजे आ सकते हो?”
“ठीक है, म तु हे वह िमलूंगा।”
“एक बात और अभय, तुम अपनी बीवी को ये मत बताना क तुम मुझसे िमलने आ रहे
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हो?”
“तुम कै से जानते हो? तुम इसिलए जानते हो य क उसे तुमने ही कया या फर
करवाया है।”
“मेरा यक न करो अभय, मेरे पास मेरे आदेश को पूरा करने वाली कोई अलौ कक
शि यां नह है। म भला तु ह परे शान करने के िलए कोई भूत कै से भेज सकता ?ँ या फर
तु हारे घर म ठीक तु हारी बेड के नीचे काले जादू क चीज़े कै से रख सकता ?ँ ”
“अगर ऐसा तुमने नह कया तो फर कसने कया?”
डो फ के होठ पर स ता भरी एक मु कान नृ य कर उठी, य क उसके सामने बैठा
आदमी ठीक उसी जग़ह आ फ़सा था, जँहा वह उसे लाना चाहता था। “वह श स, जो तु ह
मारने क कोिशश कर रहा है, पायल है, म नह ।” अभय को लगा जैसे उसक दुिनया उसके
इद-िगद व त होती जा रही ह। कार क टी रयो पर गाना चल रहा था – ‘कसमे वादे
यार वफ़ा सब, बात ह बात का या, कोई कसी का नह ये झूठे नाते ह नात का या।
उसे लगा क वह रसातल म गहरा और गहरा िगरता चला जा रहा है। खुद को संभालने म
उसे थोड़ा व लगा। बहरहाल जब वह संभल गया, तो उसने डो फ के चेहरे पर दृि पात
करते ए मूख क मा नंद भौच लहजे म पूछा- “पायल? पायल मुझे मारने क कोिशश
कर रही है? ले कन य ?” उसका गला अव हो गया।
“मने तुमसे कहा था क वह पूरी तरह से और च र हीन औरत है। उसके कई
आिशक ह, के वल तु ही अंधे थे, जो ये न देख सके । उसने तु ह खूब उ लू बनाया है। हर कोई
तु हारी बेवकू फ पर तु हारे पीठ पीछे हंसता है।”
“ले कन उसे मुझे मारने क या ज रत है?”
“ता क वो और उसका आिशक एक हो सके । ज़रा मुझे बताओ...” डो फ ने अपने ने
िसकोड़ते ए पूछा, “ या तु हारे नाम पर कोई बीमा पॉिलसी है?”
“हाँ, 10 करोड़ पये क ।” अभय के मुंह से िनकला।
“तो ये बात है, जो उसे एक और वजह मुहय
ै ा कराती है।” डो फ ने कहा।
“और तु ह उसक इन हरकत और उसके तथाकिथत आिशक के बारे म पता कै से
चला?”
“के वल वही नह है, जो कसी तांि क या काले जादूगर के पास जा सकती है। म भी
अपने आप को उसक चाल से बचाने के िलए एक तांि क से िमला था। यान रखना,
के वल अपने आप को उसक चाल से बचाने के िलए। अगर अपने आपको बचाने के िलए
कसी तांि क क मदद लेने का मतलब ‘वारलॉक’ होना है, तो ँ म ‘वारलॉक’। मेरे
तांि क ने ही मुझे बताया क पायल और उसका आिशक कसी अंधे तांि क के ज रये या
गुल िखला रहे ह। मुझे लगता है उसने उसका नाम भैरो बताया था।”
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“हाँ, मने उसे देखा है,” अभय ने वीकार कया “ले कन पायल ने कहा क वह तु ह
हमसे दूर रखने म उसक मदद कर रहा है।”
अभय गहरी सोच म डू ब गया। एक ल बी ज़ेहनी क मकश और खामोशी के बाद वह
डो फ क ओर घूमा और उसे आशं कत ने से घूरते ए कहा- “म तु हारा यक न नह
कर सकता। तुम झूठे हो और मेरे तथा मेरी प ी के बीच दीवार खड़ी करने क कोिशश कर
रहे हो।”
ण भर के िलए तो डो फ सकपका गया। उसका चेहरा यूं फ पड़ गया, मानो उसे
रं गे हाथ पकड़ िलया गया हो। ले कन शी ही उसने खुद को संभाल िलया और कहा-
“मेरी बात पर यक न न करके तुम अपनी ही जान को ख़तरे म डाल रहे हो।”
“बाहर िनकलो,” वह गुराया और डो फ के उतरने के बाद िख मन के साथ अपनी
कार वहां से िनकाल ले गया।
भाषा म कहा।
नरे श ने मानो सहज ही ये महसूस कर िलया। उसने कहा- “ये तुम नह बि क तु हारे
ज रये कोई और बोल रहा है अभय! कौन है िजसने तु हारे अंदर तु हारी बीवी के िखलाफ
इतना जहर भर दया है?”
अभय उसे डो फ के साथ ई अपनी मुलाकात के बारे म बताने ही वाला था ले कन
कु छ सोचकर उसने अपना इरादा बदल दया और कहा- “म इतना अँधा नह ँ क मेरे
पीठ पीछे या चल रहा है, ये न देख सकूं । अभी मेरे पास अभी तक कोई ठोस सबूत नह है
ले कन मुझे यक न है क मेरी बीवी मुझे धोख़ा देती है है और अब मेरी पूरी ॉपट पर
क ज़ा जमाने के िलए अपने यार के साथ शादी के िलए मुझसे छु टकारा पाना चाहती है।”
“तू पागल हो गया है। म अपनी छोटी बहन के बारे म ऐसी बकवास नह सुनुँगा मुझे
समझ नह आता क तू कै से इस तरह क गलतफहमी पाल सकता है? मुझे तो इस बात पर
शम आ रही है क म तेरे जैसे इं सान का दो त ।ँ तू तो पाग़ल है और अब घ टया हरकत
पर उतर आया है। अरे गधे, पायल के बारे म इस तरह क बात करने के बजाये तुझे तो
भगवान का इस बात के िलए शु या अदा करना चािहए क उसने तुझे एक अ छी बीवी
और एक परी जैसी ब ी दी है। अगर पायल चाहती तो उसे तुझसे कं ही अ छा हसबड
िमल सकता था। ले कन उसने तुझसे शादी करने का फै सला कया, इसके िलए तुझे उसका
एहसानमंद होना चािहए।”
“तो कसने रोका था उसे? उनम से कोई भी मेरे जैसा अमीर नह होता, िजसे आसानी
से चूसा जा सकता।”
“तो या तु ह लगता है क पायल ने पैस के िलए तुमसे शादी क थी?”
“वह जीवन भर मौकापर त रही है। वह हमेशा बड़े और बेहतर मौके क ताक म रहने
वाली बेहया औरत के िसवाय कु छ नह है। ले कन इससे भी बड़ी बात, जो उसे और भी
बुरी और खतरनाक बनाती है, वो है काला-जादू करने वाले तांि क के साथ उसक साथ-
गाँठ। हालां क मने तु ह बताया नह , ले कन सच ये है क कु छ महीने पहले मेरा जो
ए सीडट आ था, वह उसी काले-जादू क वज़ह से था, जो पायल ने मुझ पर इ तेमाल
कया था।”
“अगर म तु ह अ छी तरह से जानता नह होता अभय, तो म यही सोचता क तू मटल
के स है और तुझे कसी पागलखाने म होना चािहए।” नरे श ने आ यजनक ढंग से शांत वर
म कहा, "मुझे शक है क कोई है, जो तु ह गुमराह कर रहा है, तु ह झूठ क घु ी िपला रहा
है और सोची-समझी सािजश के तहत तु हारे दमाग म तु हारी ही बीवी के िखलाफ जहर
भर रहा है। मेरे भाई, तू यार, िव ास, समपण और सहभािगता क आफताबी रोशनी से
दूर; घृणा, अिव ास, अके लेपन और गलतफहिमय से भरी क एक अंधेरी और अंतहीन
सुरंग क ओर भागे जा रहे हो। खुद को स भालो अभय, अपनी नह तो अपने प रवार क
खाितर। आने वाली तबाही को रोक लो अभय, इससे पहले क ब त देर हो जाए।”
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“अगर पायल से कोई ग़लती कोई भूल ई है, अगर तु हे उससे कोई िशकायत, कोई
परे शानी या फर कोई गलतफहमी है तो उसके बारे म अपनी प ी से खुलकर बात करो।
वह एक अ छी, पढ़ी -िलखी, स ी और समझदार लड़क है। मुझे यक न है क तुम दोन के
बीच सब-कु छ ठीक हो जायेगा। तुम इसे भले ही वीकार मत करो, ले कन म अ छी तरह
जानता ँ क तुम पायल से ब त यार करते हो और वह भी तु हारे ित उतनी ही
सम पत है और तु ह अपनी जंदगी से बढ़कर चाहती है। और अब, जब भगवान ने तु ह
आशीवाद व प एक बेटी भी दे दी है, तो तु हारे कं ध पर िज मेदारी दोगुनी हो चुक है।
जब तुम दोन यार, स मान और पर पर िव ास क भावना से खुलकर बात करोगे तो
मुझे यक न है क सब कु छ ठीक हो जाएगा। और हाँ, य द तु ह छोटे-मोटे समझौते भी
करने पड़े तो पीछे मत हटना। ऐसे समझौते कसी जोड़े के आपसी यार को कम नह करते
बि क उ ह बढ़ाते ही ह।”
नरे श के दाशिनकता से भरे श द ने अभय पर जबरद त भाव डाला। वह अ थायी
तौर पर वारलॉक के जादू भरे जाल से बाहर आ गया और भारी गले के साथ बोला, “तु ह
लगता है क यह अभी भी संभव है? क चीज फर से पहले जैसी हो सकती ह?” ऐसा लग
रहा था जैसे वह अभी भी यार और खुिशय से भरे उसी सुखमय जीवन का तम ाई था,
जो वह िब टू के भूत के नजर आने से पहले अपनी प ी के साथ गुजार रहा था।
“िजस र ते को तुम दोन ने िमलकर इतनी मेहनत से संवारा है, उसे इतनी आसानी से
मत तोड़ो। म लंदन जाकर पायल से बात क ं गा और शािलनी से भी ऐसा करने के िलए
क ग ं ा। हम दोन अगले महीने यहां आएंगे और अगर ज रत पड़ी हम चार एक साथ
बैठकर इसका कोई हल िनकाल लगे।”
अभय ने मकड़ी के जाल म फं सी कसी म खी क तरह फरे ब, संदह े और आशंका के
घेरे से बाहर आने के िलए थोड़ा ब त संघष कया, ले कन डो फ ारा पायल के बारे म
कही गयी बात फर से उसके मानस-पटल पर िबजली क मा नंद क ध पड़ी और उसक
मुखमु ा कठोर हो गयी। अभय को लगा क शायद उसके जेहन पर डो फ, नरे श क
तुलना म यादा भावी था या फर शायद नरे श ने स ाई बयान करने क बजाय वही
सब-कु छ कहा, जो वह सुनना चाहता था। “तुम इस बात का पता कै से लगा सकते हो क
कोई आदमी तु ह धोखा दे रहा है, या तु ह मारने क कोिशश कर रहा है?”
इससे पहले क नरे श कोई जवाब दे पाता, ‘पि लक ए स
े िस टम’ पर उसके नाम क
घोषणा ई और उसे ि टश एयरवेज के काउं टर पर तुरंत रपोट करने के को कहा गया।
“मुझे जाना होगा अभय!” उसने अपनी कु स से उठते ए कहा। उसक कॉफ कब क ठं डी
हो चुक थी- “म तुमसे फोन पर बात क ँ गा। ज दबाजी म ऐसी कोई बेवकू फ मत कर
बैठना, िजसके िलए बाद म तु ह पछताना पड़े। यान रखना।” उसने कहा और ‘अभय से
हाथ िमलाने के बाद चला गया।
नरे श को इस बात क गंभीरता का अंदाजा तक नह था क डॉ फ के झूठ भरे पतरे ने
अभय का दमाग कस हद तक खराब कर दया था। अभय ीक भाषा के दुखा त सािह य
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( ेजेडी) के नायक क तरह था, जो ऐसी ि थित के िशकार होते थे, िजनसे न तो वे बच
सकते थे और न ही भाग सकते थे। अंतत: वह ई र ारा िनधा रत अपने अटल ार ध या
िनयित के आगे घुटने टेक देते थे।
हे न र ािणय सुनो, तुम ई र क इ छा के आगे असहाय हो।
अ याय 18
गहन अंधकार
कतनी उलट थ । पायल को डर था क उसका पित पागल होता जा रहा था, और उसके
िलए उससे भी दुःख और िववशता क बात ये थी क वह उसे रोकने के िलए कु छ नह कर
पा रही थी। वह खुद को बेहद त हा और िबखरी ई महसूस कर रही थी। उसका पित,
िजसे वह अपने जीवन का सबसे मजबूत तंभ समझती आयी थी, अब पहले जैसा नह रह
गया था। उसे दीवानो क तरह यार करने वाला और उसे भावना मक सुर ा का एहसास
कराने वाला वह भरोसेमंद साथी उसके जीवन से जा चुका था। वह डबडबाई आँख से
सोचने लगी क या जीवन इससे भी अिधक ू र हो सकता है?
ले कन पायल म मुसीबत का सामना करने का गज़ब का जीवट था। उसने अके ले दम
पर वारलॉक क क़ै द झेली थी और उससे लड़ाई लड़ी थी। आज पायल खुद के िलए, अपने
ब े, अपने यार और अपने प रवार क खुिशय के िलए फ़र लड़ने के िलए दृढ़ ित थी।
वह सोचने लगी क उसका पित अभय कतना बदल गया था. पायल ने ब त सोच-
समझकर उसके शादी के ताव को वीकार कया था। अभय एक भरोसेमंद, यार करने
वाले, भावुक और ईमानदार आदमी था। अभय म बदलाव को देखकर वह वॉरलॉक के
बदले क ज़हरीली आग महसूस कर सकती थी। वह सच म मूख थी क उसने सोचा क वह
वॉरलॉक को अदालत से सज़ा दलवा सकती थी! पायल हैरान थी क कै से उसने अपने
बचपने म मान िलया था क कनल नारं ग और एक अँधा तांि क िमलकर उसे वॉरलॉक से
छु टकारा पा सकते ह। उसने तो वॉरलॉक क ू रता और कमीनेपन को ख़द देखा था।
उसक पास जो अलौ कक और भयानक शि याँ वह उसे बतौर दु मन बेहद शि शाली
और खूंखार बनाती थी।
वह अनमने ढंग से कु स से उठी और हाथ म चाय का खाली कप िलए ए बालकनी से
सटे कमरे म प चँ ी। उसने ठठक कर अपने थके ए पित को देखा, जो एक और ल बी तथा
डरावनी रात से लड़कर गहरी न द सो रहा था। सोते ए वह एक बार फर वही मासूम
ब ा नजर आ रहा था, िजसने उसका दल जीता था। ‘सोकर उठने के बाद अभय का
बताव कतना अलग होता था।’ पायल ने िख मन से सोचा और कचन क ओर बढ़ गयी।
उसने बेड म का दरवाजा इतनी आिह ता से बंद कया क अभय क न द न खुलने पाए।
वह अपनी दो महीने क ब ी के साथ खेलने लगी। न ह लड़क , जो अपनी माँ क तरह
सुबह ज दी उठ जाती थी, अपने न ह हाथ से उसके गाल और ठोडी को छू ने लगी, मानो
उससे पूछ रही हो क वह इतनी उदास य है? न ह अंशुल के ित पायल के दल म
अथाह ेम उमड़ पड़ा। उसने उसक न ह हथेिलय को चूमा और उ ह अपने हाथ म लेते
ए बोली- “कु छ नह मेरी ब ी कु छ नह ! तुम चंता मत करो, म मी सब कु छ पहले जैसा
ठीक कर देगी।” पायल ने दृढ लहजे म कहा।
उसक न ह िब टया मु कु राई जैसे क वह यह सब समझती थी और उस पर पूरी तरह
से िव ास करती थी। पायल उसे उठाती ई बोली, "कम से कम तुम तो मेरे पास हो, मेरी
छोटी सी परी, मेरी जं दगी, मेरे ख़दा का नूर और उसक िनयामत।।” उसने अंशुल को
उठाकर अपनी छाती से लगाते ए कहा, “अभी सबकु छ ख़तम नह आ है। कम से कम
तुम तो मेरे पास हो और हमेशा रहोगी। भगवान एक प ी क खुिशय को भले ही छीन
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दोपहर म पायल उठी और उसने अंशुल को अभय को पकड़ा दया, ता क उसके कचन
म काम कर सके । लंच तैयार करने के बाद वह कचन म आयी। उसने देखा अभय अलसाई
मु ा म िब तर म पड़ा आ था। “लो, खाना खा लो,” उसने े को िब तर पर रखते ए
कहा।
‘अगर इसम जहर िमला आ तो?’ अभय ने खाने क ओर देखते ए मन ही मन सोचा-
‘एक बार म रा ते से हट गया तो ये अपनी बेटी के साथ अपने यार के साथ मजे म रहने
लगगी।’उसने संदह
े ा पद दृि से े क ओर देखा और फर उस औरत क तरफ़, जो उसक
बीवी थी।
“इसम जहर नह िमला आ है।” उसने कहा।
“ या?” वह लगभग उछल पड़ा। उसे यक न नह आ क पायल ने उसके उसके
िवचार को उतनी सटीकता से भांप िलया था।
“तु ह हो या गया है अभय?” पायल ने चंतातुर लहजे म पूछा। “तुम अब पहले जैसे
नह रहे। तुम ब त बदल गए हो।”
“मने तु ह उस भूत के बारे म बताया तो था। उसके बाद भी तुम कसी आदमी से पहले
जैसा रहने क कै से सोच सकती हो?”
“नह ! इसक वजह कु छ और है। तुम जब से अपने उस सी े ट (रह यमयी) दो त से
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िमल कर आये हो, तभी से तुम ब त अज़ीब सी बाते कर रहे हो। मेरे और अंशुल दोन ही
के साथ। है वो तु हारा वो दो त ?”
“कोई भी नह ।"
“तो फर तुम उसक पहचान य छु पा रहे हो? तुमने ऐसा तो पहले कभी नह कया
था। वो है कौन? या कोई औरत?”
“बेवक़ू फ़ मत बनो। मेरे जीवन म कोई औरत नह है।”
“कोई औरत नह ?” पायल ने भव उचकाई।
“मेरा मतलब है, तु हारे अलावा कोई नह ।”
“तुमने इतनी ज़ोर से कहा क एक पल के िलए तो मुझे यही लगा क तु हारे कहने का
मतलब था क दूसरी औरत क तरह अब म भी तु हारी िज दगी का िह सा नह ।ँ ”
“बेवकू फ जैसी बात मत करो। तुम मेरे बीवी हो।”
“जो क एक दुःख भरी स ाई है िजसके साथ तुम जीने को मज़बूर हो, वरना तु हारा
दल तो अब इस र ते से भर चुका है, है न?”
“ या तुम मेरे स का इि तहान ले रही हो। तुम मेरी हर बात को उलटे तरीके से य
लेती हो?”
“ये िसफ़ एक बात का सवाल नह है, बि क तु हारे पूरे रवैये के बारे म है। मुझे िव ास
नह होता क तुम वही आदमी हो िजसने...।”
“हे भगवान ! यह औरत मुझे पागल कर देगी ।”
“तो फर मेरे सवाल का जवाब दो क वह आदमी कौन था, िजससे तुम िमलने गए
थे?” पायल ने दृढ लहजे म पूछा।
एक ण के िलए अभय ने कु छ नह कहा। जब उसने अपना चेहरा उठाया तो देखा क
पायल अब भी उसे सं द ध नजर से घूर रही थी। “ठीक है।” उसने कहा- “अगर तु ह यही
जानकर तस ली होगी तो फर सुनो, म डॉ फ चानहर से िमलने गया था।”
उस नाम के जादू का सा असर करा और ने कमरे म कमरे म गहन ख़ामोशी छा गयी।
यहाँ तक क न ह अंशुल भी खामोश रह गयी, मानो उसने भी अपनी माँ के सदमे को
महसूस कर िलया था।
उस भयानक खामोशी को पायल के अिव ास भरे वर ने भंग कया- “ डॉ फ
चानहर! तुम...तुम उस कमीने से िमलने गये थे? तुम ऐसा कै से कर सकते हो? मने तु ह
उस वहशी आदमी, उस खूंखार वारलॉक के बारे म बताया था। मने बताया था क उसने
मेरे साथ या कया था। आिखर तुम ऐसा कै से कर सकते हो?” पायल ने सदमे और हैरानी
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काफ देर तक त ध होकर खड़ा रहा। य द उसने के वल एक सेके ड पहले सड़क को छोड़ा
नह होता तो वह ज र भीमकाय क ारा कु चल दया जाता। क का िसर फरा ाईवर
शाम के अँधेरे म िबना लाइट जलाए ाइव कर रहा था। ऐसा लगा था जैसे मौत उसे छू कर
गुजर गयी थी।
जब उसने अपनी मु ी खोली तो वह पसीने से गीली थी और उसम वही िस ा था,
िजसने अभय को िनि त मौत से बचा िलया था। िस े के लालच ने ही उसक जान बचाई
थी।और फर उसक पूरी कशोराव था के दौरान वह िस ा उसका सबसे अनमोल खज़ाना
था। वह दन-रात उस ‘लक कॉइन’ अपने साथ रखता था और उसे कभी खुद से अलग
नह करता था। बाद म जब वह बड़ा और समझदार हो गया तो धीरे -धीरे िस े के ित
उसका जुनूनी लगाव कम होता चला गया और उस िस े क याद उसके दमाग के कसी
गहराई म दफन हो गय । अभय हैरान था क उसका दमाग़ अभी भी उस भूली-िबसरी
याद को कसी कोने म समाए ए था। शायद ये मौत का खौफ था, िजसने भूली ई याद
को फर से ज़ंदा कर दया था।
और अब अभय एक बार फर उसे पाना चाहता था। उसे लग रहा था क अगर उसे फर
से वह भा यशाली जापानी िस ा िमल गया तो उसके सारे दुभा य समा हो जायगे।
ले कन वह िस ा कहाँ हो सकता है? या वह घर म ही कह होगा? या इतने साल बाद
भी वो वहां होगा? वह अपने जेहन पर लगातार जोर डालते ए याद को खंगालने लगा
और अपना पूरा यान िस े पर के ि त करने लगा। वह मानिसक प से अपने पूरे बंगले
का मण करने लगा, सभी कोन का मुआयना करने लगा। कहाँ हो सकता है वह? आिखर
कहाँ? हर बार उसके जेहन म वे थान आते थे, जहाँ िस े के होने क संभावना हो सकती
थी, ले कन वह उसे ख़ा रज कर देता। वह अपने मृितपटल पर जोर देता रहा और अंतत:
उसे अपने सवाल का जवाब िमल गया।
वह िब तर से बाहर आया और सी ढ़य से नीचे उतरा। ाइव वे के छोर पर मौजूद
गैरेज क एक दीवार के साथ सारा कबाड़ जमा था। अभय को लगा क उसका सारा पुराना
सामान वह पर िमल सकता है। अगर वह िस ा साल साल तक बचा रहा होगा तो वह
वह पर होगा।अभय ने बेहद च क ा होकर शोर को िबलकु ल कम रखते ए शटर को
उठाया।
ल बे अरसे से बंद गैरेज म कै द हवा क गंध उसके नथून से टकरायी। उसने धूल से अटा
ब ब जलाया तो वह गैरेज पीले काश क बीमार रौशनी से कािशत हो गया। गैरेज म
कबाड़ का ढ़ेर लगा आ था। अभय क िनगाह तापूवक उन पर फसलती चली गय ।
दािहनी दीवार के कोने म प च ं कर वह ठहरा। उसने गाड़ी के ितरपाल को ख चा, जो क
बेकार पड़ी चीज पर डाला गया था। उतावलेपन म उस ितरपाल को ख चने के कारण
वातावरण म धुल का गु बार फ़ै ल गया। ब ब के मि म पीले काश म धूल के महीन कण
अनोखा दृ य तुत करने लगे। अभय दािहने हाथ से अपने चहरे को धूल को हटाते ए
खांसने लगा। अभय कबाड़ के ढेर को खंगालने लगा और बेहद सावधानी के साथ उनका
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मुआयना करने के बाद उ ह अपने पैर के पास इक ा करने लगा। वहां हर तरह क व तुएं
थ - उसक यारहव क ा क इं ि लश नोटबुक, उसका वेटर और ऐसी ही बचपन क
यादो से जुड़ी ढेर सारी चीज़े।
वहां उसे अपने कू ल क पुरानी पि काएँ, लेजर, पसंदीदा बोड गे स के साथ-साथ
ब त कु छ िमला - िसवाय उस िस े के । जब उसने अपने ऑटो ाफ डायरी म बतौर
िस ेचर अपने िम के नाम देखे तो वह मु कु राये बगैर न रहा सका। उसने ऑटो ाफ
डायरी को संभालकर जेब म रख िलया और फर से अपने ‘भा य क चाबी’ ढू ँढने लगा,
ले कन वह कह नह िमली। एक घंटे क क ठन खोजबीन के बाद पसीने से तर-बतर अभय
हताश और िन सािहत होकर खड़ा गया। उसने अपने पैर के पास पड़ी चीज को फ़र से
कबाड़ के ढेर पर फकने के बाद उस ढेर को फर से पुराने ितरपाल से ढक दया। वह जब
गैरेज का शटर िगराने वाला था तो एक बार फर उसने कबाड़ के उस ढेर पर इस उ मीद
म नजर डाली क वह िस ा खुद-ब-खुद उसके िनगाह के सामने आ जाएगा। हालाँ क
ऐसा तो नह आ ले कन इस बार कसी दूसरी चीज ने उसका यान ख च िलया।
अभय क पुरानी चीज का ढेर टीन के एक बड़े संदक ू के ऊपर जमा था। वह संदक
ू , जो
क कांच क को ड- क ं क खाली बोतल क ै टो के बगल म रखा आ था, उसके पीछे
कु छ पड़ा आ नज़र आ रहा था। हालां क उतनी दूरी से अभय प े तौर पर ये नह कह
सकता था क वह या था, ले कन कु छ था तो ज र। शायद कोई पुराना पतलून, िनकर
या लेजर? कु छ कपड़े संदक
ू के पीछे िगरे ए थे और उसने सोचा क कह उनम वह िस ा
भी उनमे तो नह था?
इस िवचार ने उसे दोबारा वहां जाने को बा य कर दया। चूं क संदकू भारी था,
इसिलए उसे दीवार से िखसकाया नह जा सकता था, इसिलए वह खाली कै पा क
बोतल क ै टो को हटाने लगा। उसने इतना खाली थान बना िलया क वह संदक ू और
दीवार के बीच क संकरी जगह म झांक सके , ले कन वह कपड़ा इतनी दूर था क उसका
हाथ उन तक नह प च ँ सकता था। उसने चार और नजर घुमाय और उसे एक पुरानी
हॉक ि टक नजर आ गयी। उसने उससे ब त धैय और कु शलता से उस कपड़े को बाहर
ख च िलया।
जब उसने ब ब क रोशनी म उस संकरी जगह से बाहर िनकला आ वह कपड़ा देखा
तो िनराश हो गया। उसने पाया क वह कोई लेजर या िनकर नह था बि क एक लाल रं ग
क पोटली थी। ऐसा लगता था क उसम कु छ बांधा आ था। अभय पंज के बल बैठ गया
और उस लाल पोटली म मौजूद चीज को देखने के िलए उसे खोलने लगा। ले कन पोटली
क गांठ खुलते ही व मानो थम गया और वह सांस तक लेना भूल गया। वह िब ली क
खोपड़ी को तब से पहचानता था, जब उसने कू ल के दन म उसे जूलॉजी क कताब म
देखा था। िब ली क खोपड़ी का कं काल कई अ य जानवर क पीली पड़ चुक हि य के
साथ लाल कपड़े म बांध कर वंहा रखा गया था। अभय कांपती टांगो से कसी तरह उठा
और गैरेज से बाहर आ गया।
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अभय थका हारा सी ढ़याँ चढ़कर पहली मंिजल पर प च ं ा। लॉबी से उसे नजर आया क
पायल िल वंग म म बैठी ई टीवी देखने म त थी। उसे महसूस आ क वह उससे
ब त दूर जा चुक थी। उनके फासले मुक मल हो चुके थे। अब वह उस खतरनाक और
रह यमयी बंगाली औरत को बमुि कल ही पहचान पा रहा था, जो एक ही छत के नीचे
उसके साथ रह रही थी। वह अपने बेड म म आ गया और उसने दरवाजा बंद कर दया
और कसी टू ट चुके इं सान क भांित वह िब तर पर िगर पड़ा। उसने त कये को खुद से इस
कदर भ च िलया मानो उस बेजान व तु से सुकून पाने का वािहशमंद हो। त कये पर
ठहरी उसक उँ गिलय ने त कये म कोई उभार महसूस कया। उसने हाथ अंदर डाला।
उसके हाथ लाल रं ग का वैसा ही कपड़ा लग गया, जैसा उसे गैरेज म िब ली क खोपड़ी के
साथ िमला था।
‘वह श स, जो तु ह मारने क कोिशश कर रहा है, पायल है, म नह ।‘ डॉ फ क कही
ई बात एक बार फर उसके दमाग़ से टकराई। उसके जेहन म अनिगनत िवचार उबलने
लगे थे और फलहाल उस ासदी से बचने का उसे कोई रा ता नह िमल रहा था। उसे
लगा क वह अिभम यु क तरह एक ऐसे च ूह म फस चुका था िजससे िनकलने का
रा ता उसे नह आता था।
उसने स मोिहत अव था म फोन उठाया और एक नंबर डायल करने के बाद कहा-
“सुनो, या तुम मुझसे कह िमल सकते हो? मेरा तुमसे िमलना ब त ही ज री है। मुझे
लगता है तुम सही थे और मेरी जंदगी सचमुच ब त बड़े खतरे म है।... या…वहां? ठीक
है। म वह िमलूंगा।” अभय ने कहा और फोन काट दया। उसने अपने कपड़े बदले और
बगैर पायल को बताये घर से िनकल गया।
तैयार ही नह हो? तुम अभी भी झूठी उ मीद को पकड़े बैठे ए हो, जैसे क कोई बंद रया
अपने मरे ए ब े क लाश को खुद से िचपकाए रखती है। तुम अभी भी ये िव ास करने
या कहने को तैयार नह हो क कोई बाहर का आदमी नह बि क खुद तु हारी बीवी है, जो
तु ह मारने क कोिशश कर रही है।”
“म यहाँ तु हारे साथ इन चीज पर बहस करने के िलए नह आया ।ँ ” अभय ने
िचड़िचड़े वर म कहा- “मुझे साफ़-साफ़ बताओ क तुम मेरी मदद करने के िलए तैयार हो
या नह ?”
“तुम अ छी तरह से जानते हो अभय क के वल म ही ,ँ जो तु हारी मदद कर सकता
।ँ यही वजह है क तुम यहाँ आए हो।” डॉ फ ने अपने मुँह से धुएँ के छ ले उगलते ए
कहा, “और म तु ह िनराश नह क ं गा। म अपनी पूरी ताकत से तु ह बचाने क कोिशश
क ं गा। ले कन कोिशश तो तु ह भी करनी पड़ेगी। तु हारी जं दगी तो एक डू बते ए
जहाज़ क तरह बन गयी है. संभल जाओ नह तो जहाज़ गक हो जायेगा।”
“मेरे िलए ये यक न करना आसान नह है क िजस औऱत को मने दल क गहराइय से
यार कया, वह मेरे िव ास का इतनी बेरहमी से क़ ल कर सकती है।” अभय ने गहरी
पीड़ा और दुःख से भरे लहजे म कहा- “मुझे अभी भी ऐसा लगता है जैसे म कोई बुरा
सपना देख रहा ,ँ जो मेरे जागते ही टू ट जाएगा और सब कु छ पहले जैसा हो जायेगा।”
“एक कबूतर अपनी आँख बंद करके यही सोचता है क िब ली उसे नह देख रही है।”
डॉ फ ने उसका माखौल उड़ाते ए कहा- “अपनी भावना को अपने फै सले हावी मत
होने दो और न ही कायर क तरह अपािहज बने रहो। िनगाह उठाकर दुिनया के सामने
मजबूती से डटे रहो। यही एक सफल ि क पहचान है।” डॉ फ ने कहा, “असली
इं सान वो ही है क वह बहाने बनाने के बजाय प रि थितय पर हावी हो जाता है और
दु मन को ख म कर देता है। जब तुम अपनी बीवी क धोखेबाज़ी भी नह मान पा रहे हो
तो तुम जीतोगे कै से? मो कं ग और शराब क लत क तरह अ याशी भी हमारी जं दगी
का एक िह सा है। या तुम अपना अंडरिवयर या फै शन से बाहर हो चुके कपड़े या सामान
को बदलने से पहले दो दफे सोचते हो?”
“तुम बीवी या शौहर क तुलना, नए कपड़े खरीदने से नह कर सकते हो डॉ फ !
इं सानी र त और भावना को इस तरह छोड़ा नह जा सकता है। हो सकता है ये कु छ
लोग के िलए आसान हो, ले कन बाक लोग के िलए, िजनम म भी ,ँ ये र ते अब भी
पाक-साफ़ ह।” अभय ने दाशिनक लहजे म कहा।
“मने पहले भी कहा था, तु ह सौ साल पहले पैदा होना चािहए था। आज क मॉडन
सोसाइटी के िहसाब से तेरी सोच ब त द कयानूसी है। तू पायल से कु छ सीख ले, जो तेज-
तरार है और आजकल क दुिनया को तुमसे यादा अ छा समझती है। म तो तु हारी बीवी
क अ याशी को अपराध या पाप िबलकु ल भी नह मानता - यह तो िसफ िज सी भूख है
जो हर मादा और नर को होती है। मुझे तो बस इस बात से ऐतराज़ है क वह तु हे रा ते से
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“तुम झूठ बोल रहे हो। पायल मुझे क़ ल नह कर सकती है।” अभय ने अिव ास भरे
लहज़े म कहा।
“म तुमसे झूठ य बोलूंगा? तु हारा दु मन म नह , तु हारी बीवी है। अपनी साधना
पूरी करने के बाद भैरो ने इस बार तु हारी बीवी को कु छ करामाती चीज दी ह, जो उनसे
कह अिधक खतरनाक ह, िजनका तुमने िपछली बार पता लगा िलया था। पायल का काम
ये था क वह उसे घर म रख दे, ता क तु हारे घर पर बुरी शि यां धावा बोल सक। और
जैसा क तुमने मुझे बताया, उसने इस काम को सफलतापूवक पूरा भी कर िलया है।
तु हारी बीवी ारा लाल कपड़े का एक टु कड़ा भी तु हारे आस-पास ही कह रखा गया
होगा, जो काली ताकत को िवशेष प से तु हारी ओर लेकर आयेगा। तु हारे घर म उन
कारामाती चीज के रखे जाने के बाद क दूसरी रात को ही, स भवत: आधी रात और भोर
क पहली करण के बीच वह काली ताकत खून पीने के िलए आयेगी और लाल कपड़े से
िचि हत कये गए इं सान को ख म कर देगी।”
“और फर मुझे कोई नह बचा पायेगा, है न?”
“इसीिलये म खौफजदा ।ँ ”
“जब मेरी मौत िनि त ही है, तो इस बहस का या मतलब रह गया? म मेरे जीवन को
बचाने का थ यास य क ं ?”
“अभय, ये सोचकर मुद क तरह पड़े रहना ठीक नह है। इं सान अनोखे होते ह, य क
वे अपने भा य, अपनी दशा और यहाँ तक क रा ते म आने वाली क ठनाइय और
बाधा को भी िनयंि त कर सकते ह। अभी सब कु छ ख़ म नह आ है अभय। एक रा ता
है, िजसके ज रये तुम खुद को बचा सकते हो। बस एक ही रा ता।”
“ या?”
डॉ फ के अपने ह ठ पर आने को आतुर मु कान को बमुि कल रोका। वह मु कान
िब कु ल वैसी ही थी, जैसी कसी के होठ पर तब आती है, जब उसके सामने वाला श स
ठीक उसी जगह पर प च ं ा चुका होता है, जहाँ वह उसे प च
ं ाना चाहता है। िबलकु ल
सपाट भाव-भंिगमा के साथ डॉ फ ने कहा- “तु ह उस पैशािचक शि को कसी
इं सान क बिल चढ़ानी होगी। वह बिल ही अब तु ह बचा सकती है य क जगाई ई वह
शि खून िलए िबना अपनी मांद म वापस नह जाएगी। ये तुम या तु हारे घर का कोई
सद य भी हो सकता है। ले कन एक जीव क बिल तो देनी ही होगी।”
“ या तुम अपनी ही बात म उलझ नह गए? अगर वह दु शि मेरे िलए आने वाली
है तो म या कोई और उसे कसी दूसरे क ओर कै से भेज सकता है?” अभय ने पूछा।
“तुम ऐसा इसिलए पूछ रहे हो य क तुम तं शि य के काम करने के तरीक से
वा कफ नह हो। तुम उस शि को एक अँधा चमगादड़ मानो, िजसके अंदर कु छ िवशेष
चीज को पहचानने क बल इ छाशि होती है। वह चेहर को नह पहचानता है। उसके
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उसका नह । ‘नह , ये मेरा चेहरा नह है।’ उसने सोचा। तो या डॉ फ सही था? उसने
ये भी महसूस कया क जब ण भर पहले वह ब ी को अपने बेहद करीब िलए ए था तो
उसके बदन से आने वाली गंध कतनी अलग थी। जब उसने उसे चूमा था, तो कस तरह
उसे उसक वचा बेहद अलग लगी थी। या वह वा तव म उसी क बेटी थी? सहसा उसे
उस बंगाली क याद आ गई, िजसे उसने अंशुल के ज म के तुरंत बाद पायल के हॉि पटल
म के बाहर देखा था और िजसके साथ अंशुल का चेहरा भी थोड़ा मेल खाता था। तो या
वही पायल का रह यमयी ेमी और उसके ब े का बाप था?
जब पायल लंच क े िलए ए वापस आई तो उसने अभय को अंशुल क ओर संदह े
भरी उ ह नज़र से देखते ए पाया, िजन नजर से थोड़ी देर पहले वह उसे देख रहा था।
“ या आ?” उसने पूछा।
“ या?” अभय ने च कते ए कहा- “कु छ नह । कु छ तो नह आ।”
“तो फर तुम अंशुल को ऐसे य घूर रहे थे?” उसने िशकायती लहजे म पूछा।
“ या मतलब है तु हारा?”
“कु छ नह । ये रहा तु हारा लंच।” पायल ने े नीचे रखा और अपनी ब ी को िब तर से
उठाते ए कहा।
अभय एक बार फर इस बात को लेकर उलझन म पड़ गया क कौन झूठ बोल रहा है,
डॉ फ या पायल? या वह सचमुच उस रात को मरने वाला है? या उस रह यमयी
बंगाली ने पायल के साथ उसक ह या क सािजश रची है? और या वह खुद को बचाने के
िलए अपनी बेटी अंशुल क बिल चढ़ा सकता है? वह अपने जेहन म चल रही िवचार क
आंधी को नजरं दाज नह कर पा रहा था और इसी कारण बेमन से खाना खाने के बाद
बालकनी म चहलकदमी करने लगा। तनाव और दुिवधा म फं सकर उसने िपछली पूरी रात
जागकर गुजारी थी ले कन फर भी कसी नतीजे पर नह प च ँ पाया था।
घड़ी क टक- टक के साथ उसका अंत उसके मानस पटल पर हावी होता जा रहा
था। िपछले ह ते का तनाव फर से अपने चरम पर प च ँ ने लगा था। ऐसा कोई भी नह
था, िजससे वह बात कर पाता या सलाह ले पाता। वह अपने दो त नरे श पर भी िव ास
नह कर सकता था य क उसे डर था क नरे श, पायल को उसके इराद से आगाह कर
देगा। वह पुिलस के पास भी नह जा सकता था य क पुिलस यक़ नन उसे पागल करार
दे देती। अपने होशो-हवास म कौन काले-जादू क उस ऊल-जुलूल कहानी पर यक न
करता? कौन यह मानता क उसके िखलाफ एक सािजश रची गयी है या फर उसे उस
सािजश से बचने के िलए अपनी बेटी क बिल देनी पड़ेगी? बि क उसके इन बेवकू फाना
यास से दु मन आगाह होकर उसक राह म और भी रोड़े अटका सकता था।
अभय ने बालकनी और बंद कमरे म पूरी दोपहरी गुजार दी फर भी कसी नतीजे पर
प च
ँ ने म असफल रहा। तनाव ने उसक भूख- यास ख म कर दी थी। उसे अपनी तबीयत
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ख़राब महसूस होने लगी और उसका िसर चकराने लगा। उसे मृ यु-श या पर पड़े इं सान
क भांित मौत के देवता यमराज के सेवक क परछाईयां नजर आने लग । वह ये सोचकर
खौफजदा हो उठा क वे उसे मौत क घाटी तक घसीट ले जाने के िलए आये थे। वह अपना
पूरा जीवन गुजारे बगैर, अपनी इ छा को पूरा कये बगैर एक जवान मौत नह मरना
चाहता था। बुखार से तपते बदन और पागलपन क उस अव था म ही उसे न जाने कब
न द आ गयी और वह बेहोशी भरी न द सो गया।
जब एक बुरा वाब देखने के बाद वह उठा तो शाम हो चुक थी। डू बते सूरज क ह क
करण लगभग अँधेरे म डू बे उसके कमरे म बमुि कल ही पड़ रही थ । वह उस डरावने
सपने को याद करते ए, तेजी से धड़कते दल के साथ िब तर पर पड़ा आ था। उसे अपना
बदन बुखार से जलता आ महसूस हो रहा था। मतली महसूस होने पर वह अटै ड
बाथ म म प च ं ा और वाश बेिसन म उन सभी चीज क उ टी कर दी, जो उसने खाई
थी। वह थोड़ी देर वहां खड़ा रहा और एक बार फर उ टी करी। इस दफे उसके मुंह से खून
भी िनकल आया। आईने म भय से जद पड़े अपने चेहरे और मुँह से बहती खून क लक़ र को
देखते ए उसे लगा क मौत अब उसके बेहद करीब आ चुक थी। अब उसे अपनी आस
मृ यु पर कोई शक नह रह गया था। अभय के पैर खौफ से थरथरा रहे थे, जब वह िब तर
के तरफ जा रहा था। वह अपनी ि ितज पर नजर आती मौत क परछाई को देख पीड़ा
और अस वाद (िड ेशन) से भर गया था।
थोड़ी देर बाद वह उठा और ये सोचकर कमरे क दीवार से लगे बुकशे फ़ क ओर बढ़ा
क अपना अंत आने तक वह अपने पसंदीदा लेखक के उप यास के अंितम पचास पृ को
तो ख़ म कर ही सकता है। फर या पता उसे उस दलच प कहानी को ख म करने का
मौका िमले न िमले। इसके अलावा मौत आने से पहले वह अपने पसंदीदा लेखक का
उप यास पढ़ने के अलावा कोई और बेहतर काम सोच भी नह पा रहा था। उप यास
िनकालने के बाद वह बुकशे फ़ के सामने िन ल खड़ा रहा। कताब के बाहर िनकाल िलए
जाने के बाद बुकशे फ़ म बनी खाली जगह को वह मूख क मा नंद िनहारता रहा। अंदर
कताब क अलमारी क लकड़ी क दीवार के साथ पारदश टेप के साथ एक िस ा था।
उसने अपना हाथ अंदर डाला और उसे बाहर िनकाल िलया। उसने पारदश टेप को
हटाकर फश पर फका और अब उसके हाथ म वही लक कॉइन, वही जापानी िस ा था,
िजसे वह खोजने के िलए बेताब था।
उसके तन-बदन म रोमांच क एक जबरद त लहर गुज़र गयी। उस िस े को देखते ही
उसके होठ पर एक मु कान नृ य कर उठी, वह जादुई िस ा एक बार फर उसके हाथ म
था। वह िस ा उसके जीवन को एक बार फर बचाने का वादा सा करता सा तीत हो रहा
था।
उसने िस े को हवा म उछालकर दािहने हाथ म लपक िलया। ठीक उसी ण कमरा भी
ूबलाइट क तेज रोशनी से जगमगा उठा। आशा क एक नई करण उसक आँख के
सामने िझलिमला उठी। अभी सब कु छ ख़ म नह आ था। उसके पास अभी भी लड़ने का
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बना देता है। शायद इसीिलए मसीह ईसा ने कहा था, “पहला प थर वह फके , िजसने कभी
कोई पाप नह कया है।”
अभय तो खैर असाधारण प रि थितय म उलझा एक साधारण इं सान था। ऐसी
प रि थतयाँ िज ह ने उसके जीवन को अ त- त कर दया था। वह झंझावात और
तूफ़ानो म फॅ सा आ था। ऐसी गहरी दाशिनक बात को समझने के िलए न तो उसके पास
समय था और न ही इतनी बुि म ा। हालाँ क अभय क ऑ फस सहकम के साथ नया
र ता बनाने क मंशा ने पायल से छु टकारा पाने के उसके फै सले पर य भाव नह
डाला था। ले कन एक नह ी को भोगने के याल ने उसके िन य को और भी मजबूत
बना रहा था। उसने सोचा क वह एक तीर से वह कई िशकार कर सकता है। जैसा क एक
चीनी कहावत भी है: ‘हर संकट एक नया अवसर लेकर आता है।”
डॉ फ क भिव यवाणी, उसके शक, िपछले ह ते के खौफ और िपछले 24 घंटे के
आतंक के बाद अब आलम ये था क अभय उस ढलान पर प च ँ चुका था, जहाँ मा ह का
सा ध ा उसे फर कभी न लौटने वाली राह पर धके ल सकता था। अभय अहसास तक नह
था क वह एक धूत और कपटी मकड़ी क जाल म फं सा आ िशकार था या फर उस
कठपुतली के समान था, जो कसी अदृ य हाथ म थमी डोर के इशार पर नाच रहा ह थी।
उसने वाल लॉक पर िनगाह डाली और पाया क साढ़े सात बज चुके थे। अपने ल य
को हािसल करने के िलए उसके पास अब के वल साढ़े चार घंटे बचे थे। उसने त काल अपनी
योजना का पहला चरण शु कर दया। उसने पैनासोिनक काडलेस फोन उठाया और पास
के ही रे टोरट संघाड़ा मछली के पकौड़े, बटर-िचकन, दाल म ख़नी ,ल छा परांठा, बटर-
नान और बटर कॉच आइस म का आडर दे दया।
अभय ने ज दी से अलमारी से एक जोड़ी साफ़ कपड़े िनकले और उ ह िब तर पर
फककर एक तौिलये के साथ अटै ड बाथ म म घुस गया। आठ बजकर दस िमनट पर वह
िल वंग म के दरवाजे पर साफ- सुथरे कपड़े पहने ए कट आ। उसने अपना गला
खंखार आवाज दी- “पायल!”
िल वंग म म सोफे पर बैठी पायल ने अपनी गदन घुमाई। जब उसने अपने पित क
ओर देखा तो अपने चेहरे पर उमड़ने वाले आ य को न दबा सक । वह िपछले कु छ दन
के िबलकु ल िवपरीत और उ साह और ताज़गी से भरा आ नजर रहा था। उसे सवािलया
िनगाह से घूरते ए वह उसके बोलने का इं तज़ार करने लगी।
“म अपने शमनाक वहार के िलए माफ चाहता ।ं ” अभय ने गंभीर वर म कहा, “म
िपछले कु छ दन से अपने आपे म नह था।” उसने पायल के सामने सोफे पर बैठते ए
कहा।
“अचानक से तुम कै से बदल गए?” पायल ने आशं कत लहजे म पूछा।
“ य क मुझे एहसास हो चुका है क म गलत था। म तु हारे और अंशुल के ित अपने
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ख़राब बेहिे वयर (रवैय)े पर िजतना सोचता ,ँ उतना ही खुद को श मदा महसूस करता ।ँ
यही वजह है क म तुमसे दल से माफ मांगने आया ।ँ एक ऐसी माफ िजसे या तो कोई
औरत ही दे सकती है या फर बड़े दल वाला कोई आदमी। म तुमसे फ़ रयाद करता ँ क
तुम मुझे एक िज मेदार और यार करने वाला पित बनने का एक मौक़ा दो।”
“ या तुम सच कह रहे हो?”
“हाँ िबलकु ल; तुम यक न करो मेरा। मुझे एक मौका और दो पायल। म जानता ँ क
िपछले दन क अपनी हरकत के कारण म इस लायक नह ँ ले कन फर भी म तुमसे
गुहार लगा रहा ँ क िबगड़ी ई चीज सुधारने के िलए मुझे एक मौका और दो। य द ‘मेरे’
िलए नह तो ‘हमारे ’ िलए ही सही। मुझे नह मालूम क मने ऐसा या अ छे कम कए थे,
जो मुझे तुम जैसी यार करने वाली और र त को िनभाने वाली बीवी िमली। लीज खुद
को मुझसे दूर मत करो। म तु हारे और अपनी ब ी के बगैर नह जी सकता। मुझे मेरी
बेवकू फ क सजा देने के िलए इतनी तंग- दल मत बनो! य द तुम अंशुल के साथ मुझे छोड़
कर चली जाओगी तो म जी नह पाऊंगा।” उसने पायल के मखमली हाथ को अपने हाथ
म लेते ए कहा।
“ठीक है, ठीक है। य द तुम ये सब सच म कह रहे हो तो म तु ह माफ़ करती ।ँ ” पायल
ने थोड़ी िझझक के साथ कहा।
“नह , ये सब दल से कहो।”
पायल ने हौले से उसके होठ को चूमा और कहा, “ या अब तुम यक न करोगे क मने
तु ह माफ़ कर दया?”
“म तु हारा एहसान कभी नह चुका सकता पायल, कभी नह ।”
पायल ने उसका हाथ थामा और उसे अपने साथ सटा िलया। “ या तु हे अब दर नह
लग रहा?”
“तु ह लगता है क म झूठ बोल रहा ,ँ है न?”
“नह , नह । मेरा ये मतलब नह था।” पायल ने ज दी से कहा- “अगर तुम उस मुददे
पर बात नह करना चाहते तो कोई बात नह ।”
“मुझे मालूम है क अगर म तु हारी जगह पर होता तो म भी ऐसे ही शक करता। बता
के वल इतनी सी है मेरी यारी पालू, क मने तु हारी इस सलाह पर अमल करने का फै सला
कर िलया है क सारे समय िब तर के नीचे िछपने से बेहतर है क प रि थितय का
बहादुरी से मुकाबला कया जाये। कल से म ऑ फस जा रहा ।ँ म तांि क भैरो शाह
बंगाली से बात क ं गा और डॉ फ के मामले म उससे मदद मागूंगा। और अगर इन चीज
से भी बात नह बनी तो म एक मद क तरह प रि थितय से मुकाबला क ं गा।” अभय ने
संतुिलत लहजे म कहा।
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जो उसने अंशुल के इं तज़ार म गुजारी थ ; उस खुशी को याद करने लगा, जो उसने अंशुल
को पहली दफा देखने और उसे गोद म उठाने के बाद महसूस क थी; उन रात को याद
करने लगा, िज ह उसने अंशुल को चुप कराने क कोिशश म इधर-से-उधर टहलते ए
काटी थ । उस आनंद को याद करने लगा, जो उसे अंशुल के साथ खेलने म आता था। उसे ये
भी याद आ रहा था क वह कस कार ऑ फस से आने के बाद अंशुल के साथ खेलने,
उससे बात करने और उसे यार भरी नज़र से देखते ए कई घंटे गुजरा देता था। वह
अंशुल क ह या कै से कर सकता है। अपने ही खून क ह या कै से कर सकता है? उन
क दायी ण म उसका अंत चरम पर प च ँ गया। उसका जेहन उसे एक ही समय म
दो दशा म ख च रहा था। गुजरते समय के र तार क अनुपात म उसका तनाव भी तब-
तक बढ़ता रहा, जब तक क वह ठीक बारह बजे एक ठोस नतीजे पर नह प च ँ गया।
अभय अपनी सीट पर बैठा इस कदर हांफ रहा था, मानो मैराथन दौड़ लगा कर आया हो।
उसका कलेजा धाड़-धाड़ करके पसिलय से टकरा रहा था। उसका दल उसे उस अंशुल क
ओर ख च रहा था, जो उसके कं धे पर िसर टकाये ए थी, जब क उसका जेहन उसे दूसरी
ओर ख च रहा था। उसके जबड़े भंच गये और बंद मु याँ पसीने से भीग गय । खौफ और
तनाव से भरे उन ण म उसके जेहन म डॉ फ क आवाज फर से गूँज उठी: वह एक
नाजायज ब ी है, िजसे मरना होगा। अगर तु ह िज दा रहना है तो उसे मरना ही होगा।
य द तुम अंशुल क बिल नह दोगे तो वह काली ताकत इस बार तु हारी जान िलए बगैर
वापस नह लौटेगी।“
िवचार म खोये ए अभय ने उसी कपड़े से अंशुल को ढक दया, िजससे उसने पहले उसे
सीट से बांधा आ था। इसके बाद उसने अंशुल को अपने रे नकोट से ढका और कार का
दरवाजा खोला। भारी बा रश के बीच वह गंदगी से भरे ए नाले के कनारे प चं ा, जो दो
सीमटेड दवार के बीच से होकर बह रहा था। अभय के जेहन म चीखती आवाज उसे
पागल कये जा रही थ । ‘या तो तुम िज दा रहोगे या वह नाजायज ब ी। तु ह उसे मारना
ही होगा। तु ह उस नाजायज ब ी को मारना ही होगा।‘ उसने लाल कपड़े को अंशुल क
कलाई से बाँध दया। इस ण तक वह बा रश म भीगकर बुरी तरह रो रही अंशुल के ित
मानो बहरा हो गया था। तनाव, अंत और चीखती आवाज आधी रात के उस िमनट के
ख़ म होने म दस सेकंड बाक रहते ही अपने अंजाम तक प च ँ गयी। ‘तु ह उस नाजायज
ब ी को मारना ही होगा।’
उसने अंशुल को अपने दोन हाथ म उठाया और ू रता भरी अपनी समूची ताकत का
इ तेमाल करते ए उसे गंदगी से भरे नाले म फक दया। आंसू भरी आँख क धुंधली दृि
से उसने कपड़े म िलपटे उस न ह िज म को हवा म लहराते देखा। जब वह न हा िज म
नाले के काले गंदे पानी से टकराया, तो अभय को ऐसा महसूस आ, मानो कसी ने उसके
सीने पर शि शाली घूँसा मारा हो। गंदे पानी से टकराते ए न ह ब ी क चीख के
साथ-साथ अपनी अंतरा मा पर वह करार घूँसा झेलते ए वह मुड़ गया। वह घबराई ई
दशा म इस कदर अपनी कार तक प च ं ा, मानो सपने म हो और फर वहां से सत हो
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गया। दूरी बढ़ने के साथ-साथ उसके कार क िपछली लाइट ह क होती गयी और अंतत:
पूरी तरह गायब हो गयी।
थोड़ी दूर पर खड़ा एक काला साया, जो इस पूरे घटना म का मूक गवाह था, धीमे-
धीमे चलते ए नाले क उस सीमटेड दीवार के बगल क झािड़य वाली गीली जमीन पर
प चं ा, जहाँ से अभय ने ब ी को नीचे फका था। साए के भारी-भरकम बूट कसी चमकती
ई चीज के पास थम गए। उसने झुककर उस चमकती ई चीज को उठा िलया। वह काली
माता के लॉके ट वाली सोने क टू टी ई चेन थी, जो अंशुल क गदन से अलग होकर िगर
पड़ी थी। उसने उसे अपने रे नकोट क जेब म सरका िलया। और अपनी वाटर ूफ ‘िडक
ेसी’ हैट को दु त करते ए उसी दशा म वापस चला गया, िजस दशा से आया था।
उसने थोड़ी दूरी पर खड़ी अपनी ैडो लड ू जर का दरवाजा खोला और उसके अंदर आ
गया। ाइ वंग सीट पर बैठने के बाद उसने अपना हैट िनकालकर िपछली सीट क ओर
उछाल दया और बगल क सीट पर िनगाह डाली।
वहां ह रनाथ क काली छाया बैठी ई थी, िजसने कहा, “तुमने सचमुच कर डाला
वारलॉक!”
डॉ फ उ माद म डू बा आ था। वह इतना यादा रोमांिचत था क अपनी खुशी नह
रोक पा रहा था। वह जोर-जोर से हंसने लगा। टेशन वैगन उसक तेज और अंतहीन
अ हास से भर गया। वह इस कदर हंस रहा था क ह रनाथ को शक होने लगा क वह
पागल हो गया है। ऐसा लग रहा था क वारलॉक या तो खुद को नह संभाल पा रहा था
या फर पागलपन भरी अपनी हंसी को। ह रनाथ ने अपने मािलक को इतना खुश पहले
कभी नह देखा था।
डॉ फ क सप जैसी आँख जीत क खुशी म चमक रही थ । उसक आँख म नजर
आती वहशत ने ह रनाथ को भी डरा दया। “मने कर दखाया। मने इसे कर दखाया। म
इसम मािहर ।ँ ” अपनी हंसी रोकने म कामयाब होने के बाद उसने कहा, “कौन बच
सकता है इस बुरे इं सान से? मेरे अलावा कौन है, जो बुराई का बादशाह कहलाने लायक
है? कोई नह , कोई भी नह ।” उसने दंभयु लहजे म कहा- “ह रनाथ, इितहास मुझे सबसे
भयानक और ू र इं सान के प म याद रखेगा। मने एक बाप को अपनी ही ब े को मारने
के िलए मजबूर कर दया। या इससे भी बेहतर कु छ हो सकता था?” डॉ फ एक बार
फर आवेग म बह गया और उ माद म डू बकर पागल क तरह अ हास करने लगा।
“आपने सचमुच उस बेचारे को बेवकू फ बना दया।” ह रनाथ ने कहा।
“मने तुमसे पहले ही बताया था ह रनाथ क म इसे कस तरह अंजाम दूग ं ा और देखो
मने इसे ठीक वैसे ही अंजाम दया।” डॉ फ ने अपने लड ू जर का इं जन टाट करते ए
कहा। वह ज द ही रं ग रोड पर गाड़ी उड़ाता आ दि णी द ली क ओर बढ़ रहा था।
“मने इस पूरे घटना म के एक-एक ल हे का लु त उठाया। म जानता था क ये आदमी
अभय आसानी से टू ट जाएगा, ज रत थी तो के वल इसके अहम और कमजोर जगह पर
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चोट करने क ।”
“हाँ वारलॉक! बेचारा अभय, वह कभी नह जान सके गा क वो म था, जो आपके आदेश
पर उसे डरा रहा था। वो म था, िजसने उसके गैरेज म िब ली क खोपड़ी और त कए म
लाल कपड़ा रखा था। अभय कभी भी ये अनुमान नह लगा सकता, यहाँ तक क शक भी
नह कर सकता क वो म यानी ह रनाथ था, जो ये सब कर रहा था न क उसक वफादार
बीवी पायल।”
“बेशक! वह ये िब कु ल नह समझ पाया।” डॉ फ ने मूसलाधार बा रश म कार ाइव
करते ए कहा- “इसीिलए मेरी योजना कामयाब ई। म के वल जीत हािसल करने के िलए
खेलता ं ह रनाथ। म कभी लड़ाई नह हारता, कभी नह । स दय क उस रात मेरी मांद
म फं सी पायल भा यशाली थी। य द पुिलस ऐन व पर मेरे ए टेट म न प च
ं ी होती तो म
उसी व पायल का िहसाब बराबर कर देता।”
“अब आप आगे या करने का इरादा रखते ह मेरे मािलक?”
“अब मुझे बस तेल और तेल क धार देखो। अब, जब क अभय, पायल क ब ी क ह या
कर चुका है, तो ये मामला ब त लंबा ख चने वाला है। म अब इस क़ से को ज दी से ख म
करना चाहता ँ और अपनी िज दगी के साथ आगे बढ़ना चाहता ।ं ”
“तु हारे दु मनो के िलए तो यह बुरी ख़बर होगी।” ह रनाथ ने कहा।
“मेरे हमल के सामने उ ह सोचने या पछताने का भी मौका नह िमलेगा।” वारलॉक
उफ़ डॉ फ ने अपने लहजे म लोहे सा दृढ़ संक प िलए ए कहा।
बरसाती रात म वसंत िवहार क ओर बढ़ रहे उस लड ू जर क िपछली रे डलाइट
शानदार ढंग से चमचमा रही थ । उस समय सड़क पूरी तरह वीरान थ । उनके कनारे खड़े
ख भ पर लगे एल.ई.डी लप शहर क अब तक क उस सबसे अंधेरी रात म सड़क को
रोशन करने क नाकाम कोिशश कर रहे थे। वारलॉक सफ़लता के नशे म चूर था। वह नह
जानता था क अभी उसके सबसे बड़े दु मन के तरकश का आख़री और जहर बुझा तीर
बाक था।
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खंड 4
बदी क ऋतु
अ याय 19
आिख़री जंग
पायल तेज िसरदद महसूस करते ए अगली सुबह जाग गयी। सूरज क तेज करण
िखड़क के पद को भेदती ई उसके चेहरे पर पड़ रही थ । उन देपन के साथ उसने
बेडसाइड से घड़ी उठायी तो ये देखकर हैरान रह गई क दोपहर के दो बज रहे थे। या हो
गया था उसे? वह अपने पूरे जीवन म कभी भी इतनी देर तक नह सोई थी। उसने
अधखुली आँख से कमरे म मौजूद पालने को देखा।
अंशुल वहां नह थी। कहाँ हो सकती है वह? ज र अभय उसे नीचे ले गया होगा। उसे
िपछली शाम अपने पित के वहार म आया सुखद बदलाव याद आया। वह वत: ही
मु कु रा उठी और अपनी ब ी क देखभाल करने क िज़ मेदारी िनभाने के िलए अभय का
मन ही मन शु या अदा दया। उसने पहले नहाने और फर नीचे जाकर अभय को बेटी क
देखभाल क िज मेदारी से छु टकारा दलाने का फै सला कया।
उसने अलमारी से एक जोड़ी कपड़ा िनकालकर िब तर पर फके और अपनी ज हाई को
रोकने क कोिशश करते ए, तौिलया िलए ए बाथ म म चली गयी। वह काफ देर तक
शॉवर के नीचे खड़ी रही। ठं डा पानी उसके बाल के साथ-साथ पूरे बदन को िभगो रहा था।
उसने अपने गीले बाल को चेहरे से पीछे कया ता क पानी न के वल उसक न द बि क
िसरदद को भी दूर कर दे। उसका िसर अभी भी घूम रहा था। ज र कु छ तो ऐसा था, जो
सही नह था, उसने सोचा। या उसने कु छ ऐसा खाया या िपया है, जो इसक वजह बना?
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मुि कल से खुद को िगरने से रोक पाई। “चले जाओ यहाँ से,” वह िच लाई।
“बेवकू फ भरी बात मत करो पायल। मुझे तो लगता था क तुम ब त समझदार हो।”
डॉ फ ने शांत भाव से कहा।
“तुम बदला लेना चाहते हो?” पायल, जो अब तक अपनी इं य पर िनयं ण पा चुक
थी, दबंग लहजे म बोली।
“तो या मुझे तु हे छोड़ देना चािहए? तुमने मुझे िपछले कु छ महीन से परे शान कर
रखा है। या बदला लेने क मेरी इ छा सही नह है?”
“तुम एक िनहायत ही घ टया, पापी और कमीने इं सान हो। तु ह लगता है क तुम मुझे
मारकर बच सकते हो?”
“हाँ, म वह सब कु छ ँ जो तुमने कहा। और हाँ, मुझे ये भी लगता है क म तु ह मारने के
बाद बच सकता ।ँ जब इतने सारे खुनी छु े घूम सकते ह तो म य नह ?”
पायल मुड़ी और तेजी से सी ढ़य के ऊपर भागी।
डॉ फ ने उसके पीछे भागने क कोिशश नह क । उसने आिह ता से दरवाजा को बंद
कया और इ मीनान से सी ढ़यां चढ़कर ऊपर आ गया। वह पहली मंिजल पर मौजूद
पायल के बेड म के बंद दरवाजे के सामने ठहर गया और बोला, “बाहर आ जायो पायल!
बचकानी हरकत मत करो। तुम सोचती हो क ये लकड़ी का दरवाजा मुझे रोक सकता है?”
“तुम मुझे बात म नह फॅ सा सकते।” पायल अंदर से बोली।
“ठीक है। अब तु हारी बारी है ह रनाथ।”
डॉ फ के मानिसक आदेश पर ह रनाथ बेड म के अंदर कट आ और दरवाजे क
ओर बढ़ा। पायल तुरंत दरवाजे से दूर चली गई और कमरे के एक कोने म दुबक गई। उसने
देखा क ह रनाथ का परछा जैसा हाथ दरवाजे क कुं डी तक प च ं गया था।अगले ही पल
डॉ फ खुले दरवाजे से मु कु राते ए अंदर दािखल हो गया।
“देखा, यह कतना आसान था।” उसने मु कु राते ए कहा और पायल के सामने िब तर
पर बैठ गया। उसने अपनी उँ गिलय से इशारा कया और ह रनाथ तुरंत कमरे से गायब हो
गया।
पायल फश पर बैठ गई और बोली- “मुझे लगता है क तुमसे बात करने का कोई फायदा
नह है। इससे तु हारा इरादा नह बदलेगा।”
“अब क है तुमने समझदारी क बात।”
“मुझे मारने से तु ह या फायदा होगा?”
“म मानता ँ क ब त यादा फायदा नह होगा। ले कन हम सब म बुराइयां और
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कमज़ो रयाँ होती ह। मेरी कमज़ोरी यह है क मुझे बदला लेने म ब त मजा आता है और
उससे िमलने वाली संतुि ब त ब ढ़या लगती है।”
“तुम दोपहर म कसी घर म आते हो और एक िनह ी औरत को मार देते हो। ब त बड़ी
बात है ये। ब त बहादुरी है इसम।” पायल ने ं या मक लहजे म कहा।
“मेरी यारी बुलबुल, तुम पूरी तरह से गलत हो। तुमने अभी भी वारलॉक के खूंखारपन
को पहचाना नह । तुम अभी तक नह समझी नह क म कतना कमीना और बुरा हो
सकता ।ं ”
“तो फर समझाओ मुझे।
“ज र समझाऊंगा।” डॉ फ ने मु कु राते ए कहा- “इसीिलए तो म यहां आया ।ं
बहरहाल मुझे तु हारी शादी और तु हारे माँ बनने पर कभी बधाई देने का मौका ही नह
िमला, इसिलए सबसे पहले तहे दल से मेरी बधाई कु बूल करो।”
“ या मतलब है तु हारा?”
“ या तु ह पित और एक यारी ब ी के िलए बधाई देने म कोई बुराई है
“तुम मेरे पित और बेटी को इससे बाहर रखो।”
“अ छा? या तुम वाकई सोचती हो क मुझे आदेश देने क ि थित म हो?”
“ले कन तुम उ ह इनम य शािमल कर रहे हो? शु से अंत तक तु हारी दु मनी तो
िसफ मुझसे है। तो फर उ ह य बीच म ला रहे हो?”
“तुम मेरा यक न नह करोगी, ले कन सच यही है क म तु हारे पित के िलए सच म
दुखी ।ँ उस बेचारे क मुसीबत िसफ तु हारे साथ होने के कारण ह, न क उसक खुद क
कसी गलती क वज़ह से।”
“तुमने उसके साथ या कया है?”
“वारलॉक का बदला भयानक होता है। वह कसी को नह ब शता, कसी को भी
नह ।”
“तुमने उनके साथ या कया है? वह कहां है?”
“कौन, अभय? या फर तु हारे िजगर का टु कड़ा, तु हारी यारी बेटी अंशुल?”
पायल मुंह खोले आवाक डॉ फ के सामने बैठी रह गयी। उसे महसूस आ, मानो
हजार सायरन क आवाज उसके कान को बहरा कर रही ह । “अंशुल!” वह बड़ी मुि कल
से के वल इतना ही बोल पायी।
“ कतनी यारी ब ी है, है न? या तुम इस बात को लेकर परे शान नह हो क वह कहाँ
हो सकती है? कै सी माँ हो तुम? मुझे तो लगा था क अगर एक माँ अपनी दो महीने क बेटी
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कल रात उसे या काम करना था और मने उसके हाथो या ख़ून करवा दया। तु ह या
लगता है - क वह ज बाती और नासमझ लड़का मेरे जैसे बेरहम और ू र वारलॉक का
मुक़ाबला कर सकता था? मेरी बुलबुल पायल - म इन ज बाती लोग को अ छी तरह
जानता ं । वे अ छे होते ह - औरत के गोद म खेलते प पी या सु दर िप ल क तरह,
ले कन ये लोग दमाग़ी तौर पर ब त कमजोर होते ह। उ ह तोड़ना ब त आसान होता है।
बस ज रत होती है तो सही जगह पर दबाव देने क - और वे ताश के प क तरह ढह
जाते है। अभय भी ऐसे ही कमज़ोर और मूख म से एक है।”
“ऐसा तुम सोचते हो।” पायल ने बेपरवाह वर म कहा।
“मुझे पूरा यक न था कअपने गुलाम ह रनाथ के ज रये तु हारे पित अभय को डराने म
कामयाब हो जाऊंगा।”
“हां, मने अभय को ये बताने क कोिशश क थी।” पायल के मुंह से िनकला।
“ले कन उसने तु हारी बात नह मानी, है न? या तु ह लाल कपड़े म बंधी वो न बू
और हि याँ याद ह, जो अभय को अगले दन िब तर के नीचे िमली थ ? मने ही ह रनाथ
को उ ह वहां रखने का म दया था। ले कन इसके बाद कहानी और भी दलच प हो
जाती है....।” डॉ फ ने अभय के साथ अपनी मुलाकात को बयान कया और बताया क
कै से उसने अभय के मन म जहर भरा। और फर कै से उसे अपनी जान बचाने के िलए
अपनी ही बेटी क बिल देने के िलए तैयार कया।
“मुझे यक़ न नह आता - अभय कै से इतना बेवक़ू फ़ हो सकता है।” पायल ने उसक बात
सुनने के बाद कहा।
“उस बेचारे को दोष मत दो पायल, वह तो िसफ एक कठपुतली था। वह म था, जो
उसक डोर ख च रहा था। वो स मोिहत हो चुका था और वही कर रहा था, जो म उससे
कराना चाहता था।”
“और अभय ने अंशुल को, हमारी बेटी को अपने ही हाथ से मार दया।” अंतत: पायल
अपनी था को संभाल न सक और भारी लहजे म बोली। अपने ही पित ारा अपनी ब ी
क बेरहम ह या का समाचार ने उसे शोक सागर म डु बा दया।
“हाँ। उसने ऐसा ही कया। पायल - मुझसे पंगा लेने क , मुझे चैलज करने क क़ मत
चुकानी पड़ती है।”
तब तक उसक जहरीली बात पायल के िलए बदा त से बाहर हो चुक थ । वह उस
पागल ह यारे पर टू ट पड़ी। डॉ फ ब त मुि कल से ही उसके नुक ले नाखून को अपनी
आँख से दूर रख पाया। वह एक क़ाबू से बाहर जँगली िब ली क तरह हमलावर थी.
डॉ फ ने पायल को अपनी पूरी ताकत से फश पर पटका और फर उस पर सवार
होकर ताबड़तोड़ उसे कई चांटे रसीद कये। इसके बाद वह पायल के बाल को बेरहमी से
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पकड़ कर उसका चेहरा अपने चेहरे के सामने लाया और कहा, “ या इससे उन डर भरी
रात क याद वापस आई पायल, जो तुमने मेरी ए टेट पर बताई थी? ले कन इस बार
बचने का कोई रा ता नह है। इस बार तु ह कोई नह बचा सकता, कोई भी नह ।”
“भाड़ म जा कु ।े ”
“यही बात तो तुमम है पायल, जो मुझे पसंद ह। इस हालत म भी तु हारी आँख म आंसू
क एक बूँद तक नह है।”
“तुम मुझे मार सकते हो डॉ फ ले कन मुझे अपने सामने िगड़िगड़ाने को मजबूर नह
कर सकते हो।”
“कोई बात नह । म लालची नह ।ँ म इतने मे ही खुद को सै ट फाई (संतु ) कर लूँगा।
तु हारी छोटी से बेटी तु ह बुला रही है पायल। दूसरी दुिनया म उससे िमलने के िलए
तैयार हो जाओ। तु हारी जंदगी यह ख़ म होती है, कोई आिखरी वािहश?” उसने
उपहास भरे लहजे म पूछा।
“तू नरक म सड़ेगा हराम***, रन** क नाजायज़ औलाद।” पायल ने अपने घुटने से
डॉ फ क जाँघ के बीच अपनी पूरी ताकत से करार हार करा।
वह भसे क तरह डाकरा।जैसे ही पायल पर उसक पकड़ कमजोर पड़ी, वह तुरंत उठी
और दरवाजे क ओर भागी। ले कन डॉ फ क तेजी हैरान कर देने वाली थी। वह उसके
पीछे लपका और लॉबी म उसे फर से अपने िशकं जे म ले िलया। “आज नह पायल।” उसने
तेजाबी लहजे म कहा, “आज तु हारे बचने का कोई रा ता नह है।”
वह पायल के बाल से पकड़कर घसीटते ए लॉबी के वाशबेिसन के ऊपर लगे आईने
तक ले आया। डॉ फ ने पूरी बेरहमी से पायल का चेहरा आईने पर दे मारा। आईने
चकनाचूर हो गया और पायल का चेहरा कई जगह से कट गया। डॉ फ उसके पीछे खड़े
होकर, उसके ल बे बाल को अपनी दाय मु ी म जकड़कर उसके चेहरे को आईने पर
बेरहमीपूवक बार-बार मारता रहा। पगलाया आ डॉ फ उसके चेहरे को तब तक
िनदयतापूवक मारता रहा, जब तक क आईने के परख े नह उड़ गए और पायल का
चेहरा बेतहाशा ल लुहान नह हो गया। पायल क तेज चीख के उस पर लेशमा भी
असर नह आ।
जब इससे भी उसक संतुि नह ई तो डो फ़ ने पायल के िसर को सफ़े द संगमरमर
के फश से ज़ोर से दे मारा। उसके मुँह से एक आिख़री घुटी ई चीख़ िनकली और उसक
आँखे पलट गयी। अंतत: डॉ फ फश से उठा और वाशबेिसन म अपने हाथ धोने लगा।
वाशबेिसन चकनाचूर हो चुके आईने के खून से सने टु कड़ से भरा आ था। इसके बाद वह
पायल क ओर दोबारा देखे बगैर लॉबी से बाहर िनकल गया।
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जब अभय राजौरी गाडन ि थत अपने घर वापस आया तो रात के लगभग साढ़े दस बजे
थे। िपछली रात अंशुल को गंदी नाले म फकने के बाद वह बगैर कसी उ लेखनीय घटना
के अपने घर प च
ँ गया था। जब वह बेड म म प च ँ ा था तो उसने पायल को गहरी न द
म सोता या पाया था। वह कई दन क तनावपूण ि थितय के बाद आिखरकार चैन क
न द सोया था। अगली सुबह जब वह जागा था तो उसने आनन-फानन म ऑ फस जाने का
फै सला कर िलया था।
वह ऑ फस म भी दन भर म अंशुल के लापता होने के बारे म पायल का फोन आने क
उ मीद करता रहा था और लगातार खुद को मानिसक प से इसके िलए तैयार करता रहा
क उसे कै सी ित या देनी है। उसने पायल पर ये जािहर न करने का फै सला कया था
क उसे उसक सभी योजना के बारे म पता है। इसके बजाय उसने एक अनजान िपता
क भूिमका िनभाने का फै सला कया था। वह ये दखावा कर सकता था क उसे अंशुल के
बारे म कु छ नह पता है क वह कब और कै से लापता ई? वह ये दावा भी कर सकता था
क जब वह सुबह ऑ फस के िलए िनकला था, तो अंशुल अपने पालने म सो रही थी।
िपछली रात उसे कसी ने अंशुल क ह या करते ए नह देखा था। यहां तक क उसे घर
से िनकलते ए भी नह देखा था। पायल चूं क सुबह सो रही थी, इसिलए वह उसके इस
दावे को खा रज नह कर सकती थी क अंशुल सुबह घर म नह थी। उसने अपनी गढ़ी ई
इसी कहानी पर अिडग रहने का फै सला कर िलया था, फर चाहे कु छ भी हो। अब उसे
अदालत म चलने वाले अंशुल क ह या के मुकदमे के बारे म सोचने क ज रत थी क वह
अदालत म अपने बचाव म या कह सकता है? य द अदालत ने पायल क काले जादू वाली
कहानी और डॉ फ के वारलॉक वाले वजूद पर, जो भले ही झूठा है, को मान िलया तो
इस बात क या गारं टी होगी क वह अदालत को पायल और भैरो क चाल के बारे म
यक न दलाकर ये सािबत कर देगा क उसने आ मर ा म अंशुल क ह या क थी?
अभय क घबराहट म और इजाफा हो गया, जब दोपहर के अखबार ‘िमडडे’ क एक
ित उसके डे क पर प चं ी। उसने एक ही सांस म खुद के कु कृ य के बारे म छपी पूरी खबर
पढ़ डाली। इन बात ने उसे कु छ आ त कया क पुिलस अभी तक अंशुल क पहचान या
उसक ह या के पीछे के कारण के बारे म कु छ नह जानती थी। न ही कसी ने अभय या
कसी और को उस ब ी को नाली म फकते ए देखने का दावा कया था।
अभय अपने ऑ फस म िवचारम था क चीज एक बार फर से रा ते पर आ रही थ ।
उसे ज रत थी तो बस अपनी कहानी पर टके रहने क । फर कोई भी उसे अंशुल क
ह या से नह जोड़ पाएगा। आिखर कौन सोच सकता है क एक बाप ही अपनी ब ी क
ह या करे गा? ले कन पायल? वह तो सब कु छ समझ जाएगी।
ले कन यहाँ पर जो अहम सवाल था वो ये था क या पायल अपनी कहानी के साथ
पुिलस के पास जाने क िहमाकत करे गी? या वह अभय को मारने क अपनी सािजश को
िछपा सकती है? ले कन फर वह अपनी ही बेटी क ह या के पीछे अपने पित के कस
मकसद के होने का दावा करे गी? या ये क उसके पित को उसके च र पर शक था और
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उसे लगता था क अंशुल उसक बेटी नह है? अभय को सांस लेने म तकलीफ महसूस होने
लगी। ये याल उसे पहले नह आया था। वह जानता था क उसक बीवी कतनी बेहतरीन
अिभने ी थ । भला कौन पुिलस वाला एक खूबसूरत औरत क आंसु म भीगे दुखड़े के
आगे उसक कहानी को सुनेगा?
उसने क पना क क वह सलाख के पीछे खड़े होकर मौत क सजा का इं तजार कर रहा
है। इस क पना मा ने ही उसके पूरे वजूद को िहला कर रख दया। ‘लानत है उस औरत
पर। वह मुझसे छु टकारा पाने और फर भी मेरी पूरी जायदाद हािसल करने क अपनी
चाल म कामयाब हो जाएगी।’
ऑ फस ख़ म होने के बाद भी अभय अपने घर वापस लौटने का हौसला नह जुटा पा
रहा था। अपनी तनाव भरी दशा म उसे अपना घर एक अजीब सा, शािपत और अनजाना
नजर आने लगा था। वह सोचे लगा क कतनी रह यमय और अज़ीब सी थी वह औरत,
िजसे उसने कभी प ी के प म यार कया था। वह कस हद तक जा सकती है?
‘कह उसने अपने उसी रह यमयी आिशक को तो नह बुलाया है, िजसके बारे म
डॉ फ ने मुझे बताया था? हो सकता है क वह आदमी मेरे घर म छु पकर, मुझसे हमेशा
के िलए छु टकारा पाने के िलए मेरे घर प च
ँ ने का इं तज़ार कर रहा हो।’
उसके पास इतने बड़े शहर म जाने के िलए या अपनी कहने के िलए कोई जगह नह था।
एक समय था, जब वह अपने घर और अपनी बीवी के पास प च ँ ने के िलए ऑ फस ख़ म
होने का इं तजार नह कर पाता था और आज उसे ऑ फस से िनकलने क कोई ज दी ही
नह थी। आिखर वहां जाने के िलए अब था ही या? उसका घर, उसक बीवी, और
जीवन, िजसे वह अपना मानता था, वह तो िबखर चुका था, रे त क तरह उसक मु ी से
फसल चुका था। उसने अगले कई घंटे कसी भी ण पुिलस ारा िगर तार कर िलए जाने
भय के साथ कनॉट लेस, पािलका बाजार और खान माकट म िन े य भटकते ए गुजार
दए।
जब अभय जाने के िलए कोई और जगह नह सोच पाया तो उसने अपनी कार राजौरी
गाडन क ओर घुमा दी। उसने फै सला कया क वह अपनी कार को बगैर रोके घर के
सामने से गुजरे गा और य द घर के बाहर पुिलस क जीप या पायल का रह यमयी आिशक
दखा तो वह भाग कर रात कसी गे ट हाउस या होटल म गुजार देगा और फर वहां
बैठकर आगे क , या यूं कहे क अपने भावी जीवन क पूरी रणनीित को लेकर कोई फै सला
लेगा।
इस कार अभय देर रात लगभग साढ़े दस बजे राजौरी गाडन प च ं ा। जैसा क उसने
पहले ही तय कर िलया था, वह िबना के अपने घर के सामने से गुजर गया। वहां घु प
अंधेरा और शाि त थी। कोई पुिलस जीप नह थी, कोई सं द ध कार नह थी और न ही
अंधेरे म डू बे उसके घर म जीवन का कोई संकेत था।
‘उ ह ने सारी लाइट ऑफ य क ह? या वे इस इं तजार म बैठे ह क कब म अंदर
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अ याय 20
तांि क का हमला
डो फ कनाट लेस ि थत ‘ना लस आइस म पालर’ म बैठा आ था। उसका हाथ
एक ख़ूबसूरत औरत क रोमरिहत िचकनी जांघ पर फसल रहा था। वह नूडल बाल
वाली उस औरत को कामुक िनगाह से देख रहा था, जो नाक म हीरे क नोज-िपन और
िज म पर नीले फू ल क ंट वाली कट पहने ई थी। उसके न कं ध से हरे रं ग के
नीओन लोरोसट ा क ैप (प ी) नजर आ रही थी। िजतनी बार टाफ का कोई
कमचारी कसी ाहक को सव करने के िलए आइस म के लास कवर को हटाता था,
उतनी बार ठं डी हवा के झ क के साथ डो फ के नथुन से ाबेरी और चाकलेट क
ती ण सुगंध टकराती थी और उसके मुंह म पानी आ जाता था।
अचानक उसने अपने जेहन म कोई फु सफु साहट सुनी। वह ह रनाथ था, जो उस तक
प चँ ने क कोिशश कर रहा था। डो फ ने उसे नजरअंदाज करने क कोिशश क ले कन
उसके जेहन तक प च ं े ह रनाथ के वर म समाई ई ता ने उसे तुरंत जाने के िलए
बा य कर दया। “म एक िमनट म आता ।ँ ” डो फ ने ज दबाजी म उठते ए कहा।
उसक मिहला-साथी ने उसक ओर वाचक दृि से देखा। “म अपनी कार चेक करने जा
रहा ,ँ मुझे लगता है, म अपना कोई क मती सामान कार म छोड़ आया ।ँ ” उसने शी ता
से कहा और उसक ित या का इं तजार कये बगैर वहां से चला गया।
वह अपने लड ू जर ैडो क ओर बढ़ गया, जो कांच के दरवाजे वाली जगमगाती ई
कॉफ़ शॉप के ठीक बाहर पाक था। उसने दरवाजा खोला और अपने टेशन वैगन के अंदर
दािखल हो गया। उसके बगल वाली सीट पर परछा क आकृ ित म ह रनाथ मौजूद था।
“ या बात है ह रनाथ? आिखर इतना ज री या काम आ गया?” डो फ ने खीझते ए
पूछा।
“माफ़ क िजयेगा मािलक, म आपको पहले बताना भूल गया। चूं क इन दन म अपनी
बेहद कम शि य के साथ काम कर रहा ,ँ इसिलए म इस असफलता का दोष अपनी
मता को नह बि क खुद को दे रहा ।ँ ” ह रनाथ ने प कया।
“तुम कस बारे म बात कर रहे हो ह रनाथ? और ये पहेिलय म बात करना बंद करो।”
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“म उस तांि क भैरो शाह बंगाली के बारे म बात कर रहा ँ मािलक! उसने मेरी
ानेि य को अँधा कर दया है और म उसक गितिविधय के बारे म कोई अंदाजा नह
लगा पा रहा ।ँ उसे और उसक शि य कम आंकने क अपनी गलती को म वीकार कर
रहा ँ मािलक।” ह रनाथ ने एक बार फर अपराधबोध त लहजे म कहा- “वह
मूठकरणी साधना म सफल हो चुका है।” उसने मानो बम िव फोट करते ए कहा।
ण भर के िलए वे दोन टेशन वैगन म त ध होकर बैठे रह गए। ये रात के बारह बजे
का व था और कनाट लेस क सडक का अिधकांश िह सा ै फक-मु हो चुका था।
“ऐसा कै से आ?” अंतत: डो फ ने ठं डी सांस लेते ए कहा।
“आपको याद होगा मािलक क भैरो ने कनल नारं ग से कहा था क उस खतरनाक
तामसी साधना म महारत हािसल करने के िलए उसे समय चािहए। आिखरकार वह अपनी
साधना म सफल हो गया। ये हमारी ओर से एक बड़ी चूक है, जो हमने िपछली बार आप
पर ए उसके हमले के बाद भी उसके यास को गंभीरता से नह िलया।” ह रनाथ ने
पछतावा भरे वर म कहा।
“ले कन तु ह तो पता होना चािहए था।” डो फ ने िशकायती लहजे म कहा।
“हाँ मािलक, ले कन उस चालाक तांि क ने मेरी आँख को अँधा कर दया था। ये वैसा
ही था, जैसे मेरे दमाग के कसी एक िह से को अव कर दया गया हो और म उसके
बारे म सब-कु छ भूल गया।” उसने प कया।
“कु छ भी हो!” डो फ ने अंदाज म उसक बात काटते ए कहा- “मुझे बताओ क
तु ह उसके बारे म या- या पता है?”
“भैरो मूठकरणी िसि ा कर चुका है और आज रात आप पर उसका योग करने क
तैयारी कर रहा है। इससे पहले क वह अनु ान को पूरा करने म सफल हो जाए और उससे
जागृत ई शि य का आप पर योग कर दे, आपको उसे हर हाल म ज द से ज द रोकना
होगा मािलक।”
“म उस अंधे बंगाली को ऐसा सबक िसखाऊंगा क वह उसे बताने के िलए ज़ंदा ही नह
बचेगा।” डो फ ने बदले क भावना से सुलग उठ आँख के साथ कहा- “भैरो ने अपनी
मौत मोल ले ली है और मेरा यक न करो, वह बुरी मौत मरे गा।”
“आपके पास व ब त कम है मािलक!” ह रनाथ ने उसे याद दलाया।
“भैरो अपनी साधना कहाँ कर रहा है?” डो फ ने पूछा।
“म..म..म!” ह रनाथ क इस कदर िघ घी बंध गयी, मानो उसके गले म कु छ अटक गया
हो।
“अब ये मत कहना क तुम नह जानते।”
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शि य म महारत हािसल करने का वादा कया है। जब भैरो ने कनल नारं ग से उनके इस
अचानक उतावलेपन क वजह पूछी थी तो शतरं ज खेलने के शौक़ न उस बुजुग रणनीित
ने उसे बताया था क डो फ ने उसके उस दो त को धमकाया है, जो उसक जासूसी कर
रही थी। वे उसक सुर ा को लेकर बेहद चंितत हो उठे थे और इससे भी कह यादा वे
इस बात से चंितत थे क उसने अपने एकमा बेटे के कारण न के वल के स को छोड़ दया
था बि क कनल के सामने इस बात क दुहाई भी देने लगी थी क वह उसे और उसके बेटे
को डो फ के जलजले से बचा ले।
जवाब म भैरो ने ये कहकर कनल से दो दन क और मोहलत मांगी थी क वह
मूठकरणी साधना क िसि के आिख़री चरण म है। उस कु शल रणनीतीकार ने भैरो क
बात मान ली थी और भैरो को वयं आकर या कसी पहचान वाले टै सी ाईवर को लैट
पर भेजकर दस हजार पये ले जाने को कहा था, ता क वह साधना के िलए आव यक
सामान के खच का वहन कर सके । हालां क साधना के आिख़री चरण ने ये सािबत कर
दया था क वह साधना भैरो के पूवानुमान से कह अिधक तकलीफदेह थी, फर भी कसी
तरह उसने तामसी शि य क उस साधना को पूरा कर िलया था।
अपने कं धे पर गुदाज और पसीने से गीली हथेली का पश पाते ही भैरो ने वतमान म
वापसी क । उसने महसूस कर िलया क वंकल आ चुका है। उसने वंकल का हाथ अपने
हाथ म थामा और पूछा- “कै से हो वंकल?”
“ठीक ।ँ ” उसे संि जवाब िमला।
“हनुमंत कहाँ है?”
“म यहाँ ँ भैरो!” एक ाईवर ने उस कमरे म दािखल होते ए कहा, िजसे टै सी- टड
का ‘ऑ फस’ होने का दजा हािसल था। “मेरे पास तु हारे िलए एक संदश
े है। वंकल क
माँ ने कहा है क वह क बे से बाहर जा रही है, इसिलए आज रात तुम वंकल को अपने
साथ ही रखो।”
“शु या हनुमंत! तु ह परे शान होना पड़ा।” भैरो ने कहा।
“िब कु ल भी नह । मुझे गोल माकट म एक पैसजर को छोड़ना था, िजसे मने ेटर
कै लाश से बैठाया था। इसीिलए मुझे धौलकु आं म कने और वहां से तु हारे दो त को लेने
म मुि कल से पांच िमनट ही लगे। टै सी म एक पैसजर मेरा इं तजार कर रहा है, मुझे
जाना होगा। म तुमसे दो बजे िमलता ।ँ ” ाईवर ने कहा और ‘ऑ फस’ से बाहर िनकल
गया।
“ वंकल!” भैरो ने अपने सहायक और दो त वंकल से कहा- “मेरे ठकाने पर चलो,
वह बात करगे।”
भैरो के मंदबुि सहायक ने हौले से अपना िसर िहलाया और उसक बांह पकड़कर उसे
प कु इयां रोड के कनारे गली म ि थत िमठाई क दूकान के ऊपर मौजूद छोटे से कमरे म
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चार ओर एक गोल घेरा ख च दया, िजसके नीचे उसने देवी काली क मू त रखी ई थी।
त प ात वह वापस आग के सामने अपनी जगह पर आकर बैठ गया। उसके िनदश पर
वंकल ने अपने साथ लाये ए सामान को बाहर िनकाला और उसे उसके सामने रख
दया। िजनम शराब, मांस, इ , मीठा मांस, उड़द, ल ग, लोबान, कपूर, अगरबती, िज दा
मुगा और एक बड़ी सी इं सानी ह ी इ या द शािमल थे।
भैरो ने अ ात मसल से भरे पॉिलथीन के उन दोन थैल को खोला और उ ह अलग-
अलग िम ी के दो घड़ म उड़ेल दया। उसने िम ी के घड़े से एक मु ी मसाला उठाया और
कोई मं बुदबुदाते ए उसे आग म फक दया। वह अलौ कक शि य को जागृत करने
वाली उपरो या को काफ देर तक करता रहा। मसाल क येक आ ित के साथ
आग क लपट ऊंची और ऊंची उठने लगती थ । आग के सामने मं मु ध अव था म बैठा
आ वंकल आँख फै लाए ए उपरो याकलाप को देख रहा था।
उस व कसी बाहरी ि को आग क रोशनी म के वल यही नजर आ सकता था क
बरगद के पेड़ के नीचे देवी काली क मू त के सामने दो भयानक आदमी बैठे ए ह ले कन
वा तिवकता ये थी क उस वीराने म ा अँधेरे क ओट म कई रह यमयी, भयावह और
अलौ कक शि यां घात लगाये ए बैठी थ । उस खाली थान पर अंधे तांि क के उ
मं ोचार चार ओर गूँज रहे थे। उसका चेहरा सामने जल रही आग क लाल और पीली
लपट क रोशनी म चमक रहा था। पूणतया अँधेरे म डू बी ई एक वीरान जगह पर आग
जल रही थी और उसके सामने पैशािचक वेशभूषा वाली दी मानावाकृ ितयाँ बैठी ई थ , ये
दृ य िन:संदह
े बेहद रह यमयी था।
भैरो ने वह कपड़ा खोला, िजसम उसने नर-खोपड़ी लपेटा था। त प ात उस साधक ने
अपने अपना खंजर वाला हाथ उठाया और पहले से भया ांत मुग क गदन को बेरहमी से
अलग कर दया। मुगा आिख़री बार बेहद जोर से चीखा और फर हमेशा के िलए खामोश
हो गया। मुग से खून क धारा बह िनकली। तांि क ने उस ताजे खून को पहले देवी काली
को चढ़ाया और इसके बाद नर-खोपड़ी को। त प ात उसने अपने और वंकल के म तक
पर नाक के अ भाग से लेकर माथे के आिख़री छोर तक खून क एक सीधी लक र ख चकर
‘र -ितलक’ लगाया।
तांि क अनवरत अपना िसर िहला रहा था। उसका मं ो ार पल- ितपल उ होता जा
रहा था। उसने एक जलते ए दीप, अगरब ी और चाकू के साथ खोपड़ी को एक िम ी क
हांडी म रख दया। जैसे ही उसने मं -जाप फर से शु कया वैसे ही हांडी अपनी अदृ य
धुरी पर घूमने लगी। साथ ही उसके अंदर से कसी रोबोट क सीटी जैसी आवाज भी
िनकलने लगी। खून, खून! डो फ का खून! वह अपनी मूठकरणी शि का आ वान करते
ए गहरे यान म लीन हो चुका था। य द एक बार वह शि उसके आदेश म बांध जाती
तो वह डो फ पर उसका योग कर सकता था। इस ण वह उस शि का आ वान बस
पूरा करने ही वाला था, िजससे बचने के िलए उसके दु मन के पास कोई दूसरा रा ता नह
था।
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ऐसा लग रहा था जैसे वह भैरो शाह के हाथ मरने से पहले कसी ए सीडट म मरने का
तम ाई हो। उसके िसर पर मंडरा रहा मौत का साया उसे र तार तेज रखने को िववश
कये ए था।
जब वे धौलाकु आँ के बाहरी इलाके म प च
ँ गए, तो ह रनाथ ने अँधेरे म डू बी ई उस
उजाड़ नसरी तक प च ँ ने म अपने मािलक का मागदशन कया। नसरी तक प च ं ते ही
डो फ अपनी कार क लाइट, इं जन और दरवाजे को खुला छोड़ कर ही पागल के भांित
उस नसरी के भीतर दौड़ पड़ा। रा ते म आने वाली फू ल क या रय को र दता आ वह
थोड़ी दूर पर जल रहे आग क ओर भागा जा रहा था। ह रनाथ ने उसके जेहन म
फु सफु साकर चेताया क भैरो अपने आ वान को पूरा करने के करीब है। उसे डो फ को
उकसाने क ज रत नह पड़ी, य क वह खुद-बा-खुद इतनी तेजी से दौड़ रहा था क
उसके पैर शायद ही जमीन पर पड़ रहे थे।
अपनी जुनूनी र तार के साथ वह सीधे उस वंकल से जा टकराया, जो उसके रा ते म
दीवार बनकर खड़ा हो गया था। डो फ ये महसूस करते ए जमीन से जा टकराया क
वह कसी रोड रोलर या टक से भीड़ गया था, ले कन वह तुरंत ही अिव सनीय तेजी के
साथ उठ खड़ा आ और भैरो तक प च ँ ने के िलए उस पागल ‘हर यूिलस’ के बगल से
िनकलने क कोिशश करने लगा। उसने देखा क साधना म लीन अंधे तांि क ने उं गली क
ह क सी जुि बश के साथ अपने सहायक को कोई संकेत दया था।
अगले ही ण डो फ ने खुद को जमीन क बजाय हवा म हाथ-पांव मारता आ पाया।
वंकल ने उसके लेदर कोट का िगरहबान पकड़कर उसे हवा म उठा दया था। त प ात
उसने रे त के बेजान बोरे क भांित डो फ को ज़मीन पर पटक दया और उसके ऊपर चढ़
गया। वंकल ने अपने चौड़े पंजे को डो फ क गदन पर जमा दए और अपने भीतर
मौजूद पूरे वहशीपन और ताकत के साथ उसका गला घ टने लगा।
डो फ को लगा क उसक आँख अपनी कोटर से बाहर िनकल पड़ी ह। उसका मुंह
खुल गया था और जीभ बाहर िनकलने लगी थी। उसके िलए सांस लेना दुभर हो चुका था
य क वह मु टंडा उसके ऊपर कसी दै य क भांित सवार हो चुका था और ददनाक मौत
देने के िलए उसका गला घ टने क कोिशश कये जा रहा था। ह रनाथ क आवाज डो फ
के जेहन म गूंजी- ‘आपके पास ट है मािलक, उसका काम तमाम कर दीिजये।’
‘वह मुझे मारने पर आमादा है बेवक़ू फ़!’ डो फ ने मानिसक वर से अपने सहायक से
कहा। उसक आंख से आंसू िनकलने लगे थे ।
‘आपके दािहने हाथ के पास एक ट है मािलक! उसे उठाइए।’ ह रनाथ ने भी मानिसक
वर म कहा।
डो फ ने अपना हाथ चार तरफ घुमाया और जमीन पर पड़ी ई ट उसके हाथ लग
गयी। उसने अपने शरीर म बची ताकत के आिखरी अंश तक को इक ा कया और ट को
वंकल क ओर उछाल दया। ट ने वंकल क बा आंख के िनचले िह से को बुरी तरह
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“तु हारे उस लड़क पायल को ऐसे नह मरना चािहए था।” ह रनाथ ने खाई से
जवाब दया।
“उस कु ितया ने मेरे साथ जो कया था, उसके बाद उसे तो मरना ही था। वारलॉक कभी
नह भूलता और न ही वह कभी माफ करता है।” उसने शेखी बघारी।
“आपने उसके पित अभय को उसके िखलाफ य इ तेमाल कया? उसके दमाग म
य ज़हर भरा?”
“मुझे बदला लेना था और एक आसान रा ता चुनना था। उसका कमजोर पित इसके
िलए एक आसान टारगेट था।”
“ असल बात तो ये है क तुम अभय से नफरत करते थे य क पायल ने तु हे नह उसे
चुना था।”
“तुम सोचते हो क मेरे दल म पायल थी या म उससे यार करता था?”
“नह वारलॉक।” ह रनाथ ने दुखी वर म आ मा क गहराइय से कहा, “तुम और म,
हम तो अिभश आ माएं ह - अिभश यह कभी न जानने के िलए और क स ा यार
या है। हम उन भटकते ए ेत क तरह ह, जो िसफ यार क वा दय के ऊपर से जा
सकते ह, ले कन वहां ठहर नह सकते, बस नह सकते। तुम और म, हम कभी नह जान
पाएंगे क यार या है? हम कभी भी यार का अनुभव न करने के िलए शािपत ह। ये तो
पायल और अभय ही थे, जो एक-दूसरे से स ा यार करते थे और िजनके र ते म तुमने
मेरी मदद से जहर घोल दया।”
“तुम कसक तरफ़ हो?” डॉ फ ने कड़वे लहजे म पूछा।
“जैसा क मने कहा, म बुराई के इस नक म रहने के िलए मजबूर ं और यही वह वजह
है, जो मुझे तु हारे जैसे वहशी को झेलना पड़ता है।”
“मेरे सामने से दफा हो जाओ, इससे पहले क म तु ह जलाकर राख कर दू।ं ”
ह रनाथ तुरंत गायब हो गया जब क गु से से भरा डॉ फ दो मोटरबाइक को लगभग
छू ते ए और एक बस से टकराने से बाल-बाल बचते ए अपनी कार ाइव करता रहा। ।
शाम के लगभग साढ़े आठ बज रहे थे, जब उसने पटेल नगर म अपनी कार रोक और एक
पुराने बंगले क घंटी बजाई।
साधना भटनागर दरवाजे पर िशला का भांित जड़ होकर रह गई, जब उसने बाहर
डॉ फ चानहर को एक भयानक मु कान िलए ए खड़े देखा।
“ या म वाकई इतना बदसूरत ?ँ ” उसने हंसते ए कहा, “िपछले दो दन म ये दूसरी
बार है, जब कोई मेरा चेहरा देखकर च का हो।”
“क... या... या?”
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थे। उनके साथ सादे कपड़ म दो अ य आदमी और साधना भटनागर का बेटा भी था।
डॉ फ ारा ती अिन छा से अपना खंजर छोड़े जाने के बाद ब ा अपनी माँ क ओर
दौड़ पड़ा जब क पुिलसवाल ने डॉ फ पर हावी होते ए उसे मुंह के बल फश पर िगरा
दया और उसके दोन हाथ को पीठ के पीछे मोड़ते ए हथकड़ी लगा दी। पुिलस अफसर
ने डॉ फ का कॉलर पकड़कर उसे कमरे से बाहर घसीटते ए एक कां टेबल को ए बुलस
बुलाने का आदेश दया।
डॉ फ ने घर के बाहर देखा क इं पे टर उदय ठाकु र एक पुिलस क गाड़ी म बैठा
आ था। उसने जहरीली मु कान के साथ कहा, “इस बार मने इसे बेहद सफाई से अंजाम
दया है िम. चानहर या मुझे वारलॉक कहना चािहए? तु हे रं गे हाथ पकड़ा गया है
और तु हारे जुम के दो च मदीद गवाह भी ह।”
“इसने हमारे ारा पकड़े जाने से पहले तक िमसेज भटनागर पर एक बार चाकू
चलाया था।” डॉ फ को पकड़े ए पुिलसवाले ने बताया।
“ब त दुःख क बात है, ले कन ये हमारे के स को और भी मजबूती दान करे गा।”
इं सपे टर ठाकु र ने संतोषजनक लहजे म कहा।
“तो तुम पद के पीछे से इस पूरे नाटक को चला रहे थे।” डॉ फ ने कहा, “और मुझे
रं गे हाथ पकड़ने के िलए इं तजार कर रहे थे। ले कन तु ह पता कै से चला?”
“ले जाओ इसे।” इं सपे टर ठाकु र ने कहा और उसके चले जाने के बाद उसने अपने
मोबाइल फोन पर कनल नारं ग का नंबर डायल करने लगा।
अ याय 21
ब द का िचर-जह ुम
...तीन महीने बाद
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दया। जब वह जाल से िघरे कबूतर के दड़बे जैसे कमरे म दािखल आ तो अभय को उसक
श ल से घृणा हो उठी। उस गोरे यूरोिपयन ने कै दय वाली पोशाक पहनी ई थी और इस
बात से बेखबर क उसके कदम कहाँ पड़ रहे ह वह लहराती चाल से चल रहा था। लगता
ही नह था क ये वो श स था, िजसका आ मिव ास कभी अहंकार क हद तक बढ़ा आ
था। उसके मि त क पर गहरा असर आ था - िगर तारी, अपमान, कै द और िम ,
शुभ चंतक , शंसक तथा तांि क शि य ारा ठु कराए जाने का। अगर शारी रक असर
क बात क जाए तो उसके चेहरे क रौनक गायब हो चुक थी, आँख अंदर धंस चुक थ
और चमड़ी इस हद तक पतली हो चुक थी क उसके जबड़े और गाल क हि याँ प
दखाई देने लगी थ । यही हाल उसके हाथ और पैर का भी था था। उसका वजन काफ कम
हो चुका था और जब वह करीब आया तो अभय ने देखा क उसके हाथ अपनी रं गत खो
चुके थे और उसक उं गिलयां अपे ाकृ त लंबी और म िवहीन नजर आ रही थ ।
ले कन उसके ि व म जो नाटक य प रवतन आया था, वह यह था क हमेशा सलीके
से संवारे रहने वाले उसके टायिलश बाल क जगह वह गंजा हो गया था। गंजेपन और
काजल लगी आँख से वह एक बूढ़ा, पापी और मानिसक प से िवि इं सान नज़र आ
रहा था। उसक धूत और पशु जैसी आँख म जो पागलपन और रि ता िचर थाई नज़र
आ रही थी। उसक शारी रक दशा ही उसक गंभीर मनोवै ािनक दशा का प रचायक थी।
अब वह अपने पहले के ि व क परछा भी नह रह गया था। अभय के िलए िव ाश
करना मुि कल था क वह वही ख़ूबसूरत और कामयाब इं डो-जमन चानहर था, जो लैमर
और मनोरं जन क दुिनया का चमकता िसतारा था और द ली क पा टय क शान आ
करता था।
हे िववश ाणी! तू िनतांत अके ला ज व है, तेरी छाया भी दु दन म तेरा साथ छोड़ देती
है।
डॉ फ ने अपनी आँख िमचिमचा कर कमरे क कम रोशनी के साथ सामंज य बैठाया।
जब उसने अभय को देखा तो उसक आँख म पहचान के भाव आये। वह आगंतुक के सामने
कु स पर बैठ गया।
“मुझे पहचाना?” अभय ने पूछा।
“हाँ अभय उफ़ िम टर पायल। तु ह कौन सी ज रत यहाँ ख च लायी? अपनी बीवी
और ब ी क मौत का बदला लेना चाहते हो? या मुझे ऐसी हालत म देखकर मजे लेने आए
हो?”
“मेरे पास तु हारे िलए एक खबर है। पायल बच गई है। जब तुमने उस पर कायराना
हमला कया था, उसके लगभग एक महीने बाद ही वह अ पताल से बाहर आ गयी थी।”
डॉ फ ये सुनकर च का और फर उसने अपने भूतपूव गुलाम ह रनाथ पर माँ-बहन क
गािलय क बौछार कर दी। ह रनाथ उसी दन से ही लापता था, िजस दन पुिलस ने उसे
पकड़ा था. उसने न तो डॉ फ को उस ाइवेट जासूस िमसेज भटनागर के घर के बाहर
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था। कई जगह पर मकिड़य के जाले लटक रहे और शौचालय तथा रसोई से बदबू उठ रही
थी। ले कन हैरानी क बात ये थी क टेलीिवजन, सी.डी. लेयर इ या द जैसे क मती
सामान अभी भी वहां मौजूद थे यानी क चोर या तो उस वीरान जगह से अनजान थे या वे
भी ेतबािधत के प म कु यात हो चुके ए टेट म घुसने से डरते थे।
वहां कु छ भी उ लेखनीय न पाकर उदय अपने कां टेबल के साथ मकान से बाहर आ
गया। सहसा कोई िविश और तीखी गंध उदय के नथुन से टकराई। गंध िब कु ल वैसी ही
थी, जैसे मसाले और याज के साथ िमलाकर माँस पकाया जा रहा हो। ले कन इतनी रात
गए उस उजाड़ जगह पर आकर कौन खाना पका रहा था?
“साब! साब!” एक कां टेबल िच लाया, “झील के उस पार पेड़ क झुरमुट म मने उसी
औरत को ब के साथ देखा, िजसे हमने बाहर देखा था। वो वही ँ है।”
“चलो।” उदय ने उ सािहत लहजे म कहा और पेड़ के झुरमुट क ओर बढ़ गया।
दोन कां टेबल ने अपने साथी क ओर िशकायत भरी नज़र से देखा और फर बेमन से
इं सपे टर का पीछे चल पड़े। थोड़े ही समय म वे लोग पेड़ के उस झुरमुट तक प चं गए।
ब के रोने के शोर ने उस मिहला को ढू ँढने म उनक मदद क , जो झुरमुट के बीच िछपी
ई थी। उसे झील के पास खुली जगह पर लाया गया और उदय उससे मुखाितब आ।
“कौन है तू? यहाँ या कर रही है? ये ब े कौन ह और तू इ ह मार य रही है?” उसने
फटकारते ए पूछा।
टॉच क रोशनी म, उसने अपने सामने एक िभखारी-मिहला और उसके ब को ग़ौर से
देखा।
“अरी बोल न।” एक कां टेबल ने भी उसे डांटा, “जानती नह - ये पुिलस के बड़े साब ह।
य द तूने इनके सवाल का जवाब नह दया तो तुझे हवालात म डाल दगे।"
“मेरा नाम मुमताज है साब!” उसने कहा, “म एक िभखारन ं और ये मेरे ब े ह। ये
हरामज़ादा मुझे ये कहकर गु सा दला रहा था क इसे यहाँ नह रहना।” उसने लड़के क
पीठ पर दािहने हाथ का मु ा बेरहमीपूवक मारते ए कहा, िजससे लड़का फर से रोने
लगा।
“अपनी गंदी जबान पर क़ाबू रख िभखारन।” कां टेबल ने उसे डपटा।
“तू यहाँ इस ए टेट म य घूम रही है?” इं सपे टर ठाकु र से पूछा।
“हम यह रहते ह। यही हमारा घर है साब।” उसने जवाब दया।
“भला वो कै से? ये ए टेट तो डॉ फ का है। तू यहाँ इस तरह नह रह सकती।”
“ये एक बंजारन है साब!” इं सपे टर के बगल म खड़े कां टेबल ने कहा- “जब इसने देखा
क ये जगह खाली है तो इसने इसका फायदा उठा िलया और यहां रहना शु कर दया।”
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उसने उसक ओर मुड़ते ए पूछा, “ये बता क तू कब से यहाँ रह रही है? ज दी बोल।”
उसने अपनी लाठी को जमीन पर पीटते ए उसे डांटा।
“नह साब! हम मत मारो। हम यहाँ कई महीन से रह रहे ह। मेरा यक न करो साब।”
“ या तुझे डो फ ने देखा नह ? उसने तुझे अपने ए टेट म रहने कै से दया?” इं सपे टर
ठाकु र हैरान था।
“वो कौन है साब?” उसने उलझन भरे वर म पूछा। “ये जगह तो गोरा साब क है। वे
पहले यहाँ ब त आते थे, ले कन अब नह आते।”
उदय ने फर से पास म ही कह याज और मसाले के साथ भुने जा रहे माँस क गंध
आयी। वह समझ गया क वह िभखारन डॉ फ का ही िज कर रही थी, जो यूरोपीय
मूल का नीली आँख वाला गोरा इं सान था। “तू झूठ बोल रही है।” उसने िझड़कते ए
कहा, “म यहाँ कई बार आ चुका ँ अगर तो कई महीनो से अपने ब के साथ यहाँ रह
रही है तो मने तुझे पहले य नह देखा?”
“हम यहाँ रात म ही आते ह साब!” उसने जवाब दया, “पहले हम गोरा साहब से डरते
थे, इसिलए हम उनके बंगले (फामहाउस) से दूर रहते थे। आप दूसरे लोग से भी पूछ सकते
ह। वे हम जानते ह और वह भी हमारी तरह यहां ही रहते ह।”
“तेरा मतलब है क और भी लोग यहाँ रहते ह?” उदय ने पूछा। “वे वही लोग ह गे, जो
खाना पका रहे ह। हम उनके पास ले चल। यान रहे, उ ह कसी भी तरह हमारे बारे म
आगाह करने क िह मत मत करना। अब आगे बढ़,” उसने अधीर लहजे म कहा।
िभखारन ने इं पे टर और कां टेबल को उन ‘अ य लोग ’ तक जाने का रा ता दखा
दया, जो उसके और उसके ब के साथ उस जगह पर रहते थे। उ ह वहाँ तक प च ँ ने के
िलए झील से फामहाउस तक क दूरी तय करनी पड़ी। उदय को नगाड़े पीटे जाने क
आवाज सुनाई दे रही थी, जो उसके करीब प च ँ ने के साथ ही तेज होती जा रही थी। इसी
के साथ खाना पकाये जाने क गंध भी तेज होती जा रही थी, जो सािबत कर रही थी क वे
सही रा ते पर थे। ले कन ऐसा कु छ भी नह था, जो उ ह उनके जीवन के उस सवािधक
अिव सनीय नज़ारे से आगाह कर देता, जो उनका इं तजार कर रहा था।
वे सकस और िजि सय के खंडहर से दूर ए टेट के उस भूभाग म प च
ं ,े जहां पेड़ क
आड़ म एक बड़ा सी च ान मौजूद, जो इस कदर जगमगा रहा था, मानो वह पारदश हो
और उसके अंदर काश का कोई ोत मौजूद हो। उस काश से समूचा प रवेश रोशन था।
नगाड़े लगातार बजाये जा रहे थे, ले कन उसे बजाने वाले नजर नह आ रहे थे और कई
लोग उन नगाड़ो क धुन पर च ान के चार ओर नाच रहे थे। पास म ही पेड़ से लटक ई
एक लड़क क लाश ताली बजा रही थी। नाचने वाले लोग म पगला िब टू था, घाघरा-
चोली पहने ए एक थुलथुल लड़क थी, िजसके माथे से खून बह रहा था, हाथ म के क का
टु कड़ा पकड़े ए एक छोटा सा लड़का था, एक बूढ़ी औरत थी, एक मज़दूर क ब ी थी
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उदय ने सकारा मक भाव से अपना िसर िहलाया और कां टेबल के साथ ए टेट के गेट
क ओर बढ़ा। उसने जो कु छ देखा था, उस पर िव ास करने और उसे समझने म वह
असमथ था। य द कसी और ने उसे ये बात सुनाई होत तो क वह इस पर कभी यक न
नह करता ले कन उस भयावह अनुभव से खुद गुजरने के बाद वह उसे म समझकर
खा रज नह कर सकता था। उसे मानना करना पड़ा क उसने जो कु छ देखा था, वह
वा तिवक था, चाहे वह कतना भी अिव सनीय य न रहा हो।
उसने अपने उ ािधका रय को उस घटना से अवगत न कराने का िनणय िलया। वह
जानता था क कोई भी उस पर यक न नह करे गा। और य द ेस को इसके बारे म पता
चलेगा तो िन संदह े उस पर ‘पागल’ का लेबल लग जाएगा और वह दुिनया के सामने हंसी
का पा बन जाएगा। ए टेट के गेट पर प च ँ ने के बाद वे चारदीवारी लांघकर अपनी जीप
मप च ं े और उस मन स जगह से िनकल गए, जो कसी क गाह जैसा था और साधारण
इं सान के रहने के कािबल नह था।
डॉ फ के काले जादू और तांि क गितिविधय ने उसक वीरान ए टेट को सामा य
जीवन के िलए अनुपयु बना डाला था। वह ए टेट अवसाद, िनराशा, पीड़ा और मृ यु से
जुड़कर हमेशा के िलए शािपत हो चुका था। वह एक लैक होल क तरह था, जहाँ से
उ मीद और खुशी क एक करण तक बचकर बाहर नह आ सकती थी। वह के वल
नकारा मक िवचार , भावना और गितिविधय को ही पनाह दे सकता था। वह लड़क
पायल खुद क या कसी और क उ मीद से कह अिधक भा यशाली थी, जो उस जगह से
िज दा िनकल गयी थी। अपने मािलक डॉ फ उफ़. वारलॉक क िगर तारी और उसक
तकलीफ के बावजूद भी बुराई या ब दउस मन स कसाईखाने म आज भी नापाक सांस ले
रही थी।
अ याय 22
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बसंत
कतना िघनौना ख ले चुक ह। मने सबसे पहले जो काम कया, वह था तांि क भैरो शाह
बंगाली और ाइवेट िडटेि टव िमसेज भटनागर को चेतावनी देना।”
“ले कन डॉ फ तो िमसेज भटनागर को छु रा मारने म कामयाब हो गया था।” अभय
ने कहने का यास कया।
“इस पर म बाद म आऊंगा।” अभय को बीच म रोकते ए उस बुजुग ने कहा, “जैसा क
म कह रहा था, मने तब अपने भूतपूव बॉस, सेना के एक रटायड ि गेिडयर से बात क
और बदले म उ ह ने अपने भूतपूव पड़ोसी के बेटे, जो क ीय मंि मंडल म मं ी है, से बात
क । इसके बाद क ीय गृह मं ी के ऑ फस से तुरंत पुिलस किम र को एक आपातकालीन
सूचना भेजी गयी, िजससे समूचा पुिलस महकमा हरकत म आ गया। ाइम ांच इं पे टर
उदय ठाकु र भी इसम ब त मददगार सािबत आ, कारण ये क डॉ फ से उसक
ि गत खु स थी, जो हमारे प म सािबत आ। ले कन अफसोस, हम उस मासूम ब े
वंकल क मौत को रोक नह पाए, जो उस तांि क का चेला था। डो फ ने उसी रात
उसका बेरहमी से क़ ल कर दया था, जब उसने पायल पर हमला कया था।”
“ले कन डॉ फ को उसके घर से य नह िगर तार कया गया?” अभय ने पूछा।
“ य क वह वहां मौजूद नह था, और न ही अपने ए टेट, इं ि ट ूट या उन जैसी
जगह पर था, जहाँ से पुिलस उसे ढू ंढ पाती। मने इं पे टर ठाकु र को सलाह दी थी क वह
भैरो शाह के ठकाने, साधना भटनागर के घर, तु हारे घर, यहाँ मेरे लैट और उन सभी
जगह पर चौबीस घंटे िनगरानी रखे, जहाँ खार खाया आ डॉ फ प च ँ सकता था।
पुिलस ने उसके मोबाइल फोन के ज रये भी उसका पता लगाने क कोिशश क , ले कन
बेहद शाितर होने के कारण उसने अपने मोबाइल ऑफ कर दया था और इसिलए हम पता
नह था क वह कहाँ था या कहाँ हमला करे गा।” कनल नारं ग ने बताया।
“वह इस बार भी बरी तो नह हो जाएगा न?” पायल से पूछा।
“इसक कोई संभावना नह है मेरी ब ी। तु हारे घर पर, िजस खंजर से उसने उसने
वंकल को मारा था और उस खंजर पर, िजससे उसने रं गे हाथ पकड़े जाते व साधना
पर हमला कया था, उसक उं गिलय के िनशान िमले ह। इसके अलावा पुिलस ने उसके
ए टेट से स, जानवर के िसर और खाल बरामद कए ह। व यजीव संर ण अिधिनयम
के साथ-साथ अ य कई अपराध के िलए आईपीसी क कई धारा म उस पर मुकदमा दज
होगा।”
“तो फलहाल इस दलदल से बाहर िनकलने म कोई उसक मदद नह कर सकता है?”
“यहाँ तक क उसक तेजतरार वक ल अंजिल कोहली भी। मुझे यक न है क इस के स म
न पड़ने का कोई न कोई बहाना वह िनकाल ही लेगी। इसके अलावा उसके करीबी दो त
और िबजनेस पाटनर रोिहत मीरचंदानी को भी िगर तार कर िलया गया है और उसे
कसी अ ात थान पर अिधका रय क िहरासत म रखा गया है।”
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देवी सर वती के प म पूजा जाता है। दूसरा रजोगुण लाल रं ग से जुड़ा होता है और धन
क देवी ल मी के प म पूजा जाता है। ये जुनूनी और मह वाकां ी कृ ित का ितिनिध व
करता है। जब क तीसरा तमोगुण काले रं ग से जुड़ा होता है और सव शि देवी दुगा या
काली ारा द शत होता है, जो हमारे सभी दोष और बुराईय को न करने के िलए
पूजी जाती ह।”
“सतोगुण के भाव म रहने वाला इं सान िवचारक, संगीतकार या फर कलाकार होता
है, जो मो के माग के प म ान को चुनता है। रजोगुण के भाव वाला वह ि होता
है, जो मो के माग के प म कम को चुनता है। जब क तमोगुण के भाव म रहने वाले
ाणी को तामिसक ाणी कहा जाता है, िजसके पास सही-गलत और अ छे-बुरे म भेद
करने क मता नह होती है। वह मानव शरीर क पाशिवक वृि य से ऊपर उठ पाने म
असमथ होता है। वह अस य, वाथ और बबर होता है। जैसा क ध मपद (136) म कहा
भी गया है : बुरे कम करने वाले अ ानी ि को उसके प रणाम का एहसास नह होता
है। वह अ ानी मनु य आग क भांित अपने कम से वयं को ही भ म कर बैठता है। स पूण
मानवता इ ह तीन आधारभूत गुण म िवभािजत है। ािणय के अंदर ये तीन ही
बुिनयादी त व िभ -िभ अनुपात म िनिहत होते ह।”
“पूरी दुिनया को अ छे और बुरे के बीच बांटा गया है, यही न?” अभय ने उस महान
िवचारक से पूछा।
“हाँ। कृ ित म पादप और जंतु जगत म भी दो बुिनयादी क म होती ह। पहली क म
समाज के िलए अ छा काम करने वाल क है, जो लोग को फल और छाया देते ह, जब क
दूसरी क म बुराई करने वाल क है। ये बदसूरत और कांट से भरे होते ह। ये कोई फल
नह देते ह और अपने आस-पास के वातावरण को भी दूिषत करते ह। पिव बाइिबल म
भी यही िवचार कया गया है (म ी 7.16-19): ‘तुम उ ह उनके फल के ज रये
जानोगे। या कांट से अंगूर या कं टीले वृ से अंजीर ा होते ह? हर अ छा वृ अ छा
फल धारण करता है ले कन बुरा वृ बुरा फल धारण करता है। एक भला वृ बुरा फल
नह धारण कर सकता है और न ही एक बुरा वृ अ छा फल धारण कर सकता है।’ इं सानी
भाषा म इ ह साि वक और आसुरी शि य या त व के प म पहचाना जाता है अथात
अ छाई और पिव ता तथा शैतािनयत और बुराई।”
“जैसा क हम जानते ह, इस िवशाल संसार म ा येक जीवन इ ह दो मौिलक
और बुिनयादी िह स से बना है। शायद ये दोन ही जीवन के िलए आव यक ह या बि क
यूँ कह क दोन के बीच िनरं तर संघष ही इस ह पर जीवन का पयाय है। ये समूचा संसार
एक िवशाल मंच है, एक योग है, एक योगशाला है, िजसम एक आदमी अपने आप को
दोष और बुराइय से शु कर सकता है या फर खुद को शारी रक, नैितक, भावना मक,
बौि क ता और बुराई के दलदल म डु बो कर बबाद कर सकता है। इं सान अपने
वंशानुगत ल ण , पृ भूिम, परव रश, झुकाव और वृि के अनुसार काश या अँधेरे का
रा ता चुनता है।”
“यानी क अ छाई और बुराई मनु य म अंत निहत दो बुिनयादी शि यां ह?” अभय
ने पूछा।
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रहेगा। कृ ित के अिविजत िनयम ई र के जैसे ही सवशि मान ह, िजसे कोई शैतान हरा
नह सकता, यही वजह है जो ू र ह यारे और दु शासक भी इस दुिनया को और इसक
स यता को थायी प से तबाह नह कर पाए। उनका लूटपाट और नरसंहार इितहास के
फु टनोट से अिधक नह है और ई र के याय के अधीन ये दुिनया बची ई है य क कृ ित
का िनयम कहता है क अंत म धम और अ छाई क ही िवजय होती है।”
“भगवान का शु है क वारलॉक का भयानक सपना साकार नह आ और आिखरकार
ख म हो गया।” पायल ने कहा।
“हो सकता है तु हारे िलए ख़ म हो गया हो, ले कन ये शहर, देश और दुिनया अभी भी
ऐसे बुरे लोग से भरी पड़ी है। डॉ फ और उसका दो त रोिहत के वल दो छोटे यादे भर
थे। पूरे दुिनया क त वीर तो और भी भयावह है। समाज को इन बुरे लोग से बचाने और
उ ह हराने के िलए अ छाई को एक िनरं तर जंग छेड़नी होगी।” कनल नारं ग ने सेना के एक
जनरल क मा नंद कहा- “समाज क जड़ म जो िवष घुल चुका है, उससे भावी पी ढय
को दूिषत नह होने देना है।”
“ डॉ फ क कहानी को भुलाया नह जाना चािहए बि क आपके िलए और आने वाली
पी ढ़य के िलए इस सबक के प म इसका उपयोग कया जाना चािहए क बुराई क राह
अपने ही पतन क राह है। चा रि क दुबलता और भौितक, नैितक तथा आ याि मक पतन
कभी भी शांित, स ाव या संतुि से भरे जीवन का पयाय नह बन सकता है। एक अ छे
इं सान के िवपरीत एक बुरा इं सान या अपराधी कभी भी खुद से या दुिनया से संतु नह हो
पाता है। यहां तक क डॉ फ भी अपनी दु ता के चरम पर होने के बावजूद कभी
शांतिच नह था और झूठी तथा अ थायी शांित के िलए उसे स और अ य नशीले
पदाथ का सहारा लेना पड़ता था। य क बुराई मानव- वभाव के िलए बाहरी और
कृ ि म होता है, जो इं सान के ि व को अि थर बना देता है और िजसके बाद इं सान का
जेहन लगातार अशांित से िघरा रहने लगता है।”
“ले कन कोई इं सान अपनी असफलता और पाप के िलए प ाताप कै से कर सकता
है? या होगा अगर उनके अपराध अ य ए तो?” अभय ने पूछा।
“बेकार म खुद को दोष मत दो मेरे ब ,े हम सब भगवान के हाथ क कठपुतिलयाँ ह।
हम के वल वही करते ह, जो वह कराना चाहता है और उसक मज के िबना एक प ा तक
नह िहल सकता है। पायल को तकलीफ उठानी पड़ी इसका कारण ये था क डॉ फ जैसे
बुरे इं सान के अंत के िलए भगवान को एक औरत क आव यकता थी, उसी कार जैसे
दानवराज रावण ारा फै लाए गए आतंक के सा ा य का अंत करने के िलए सीता क
आव यकता थी।”
“ये बात के वल पढ़ने और सुनने म ही अ छी लगती ह मामा जी, जो इस सच को नह
बदल सकती ह क मने अपनी बेटी को अपने ही हाथ से मार डाला।”
“हालां क मुझे मालूम है क डॉ फ िनहायत ही धूत है ले कन फर भी वह तु ह इस
हद तक बरगलाने म कै से सफल आ क तुम अंशुल क बिल देने के िलए तैयार हो गए?”
कनल नारं ग ने उससे पूछा।
“मुझे एहसास है क डॉ फ ने पायल को लेकर मेरे दमाग म लगातार जहर भरा था,
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देना चािहए। तुम वारलॉक के िवपरीत एक अ छे और स े इं सान हो। यही वजह है, जो
पायल ने वारलॉक के बजाय तु ह चुना। इसी त य ने तु हारे ित वारलॉक के मन म ई या
जगाई य क वह जानता था क वह तु हारी तरह स ा इं सान कभी नह बन सकता है।
म जानता ँ क तु हारे ज म को भरने म व लगेगा ले कन व बड़े से बड़े ज म को
भर देता है। इसिलए आगे बढ़ो और उस खूबसूरत जीवन को िजओ, िजससे ई र ने तुम
दोन को नवाजा है। जीवन के ित कृ त बनो, उससे िशकायत मत करो। और अगर तुम
बन सको तो वह वृ बनो जो धूप म ज रतमंद को छाया और फल देता है।”
“म कोिशश क ं गा मामा जी,” अभय ने ं धे ए गले से कहा।
“शाबास! मुझसे तुमसे यही उ मीद थी।” ठीक तभी डोरबेल बजी और कनल नारं ग ने
आगे कहा, “ये ज र िवदाई का वही तोहफा होगा, िजसे मने तुम दोन के िलए चुना है।
या तुम कह सकते हो क ये दहेज़ है, जो म अपनी बेटी को उसके खोये ए पित के दोबारा
िमलने पर एक नई िज दगी शु करने क एवज म दे रहा ।ँ ये तोहफा तु हारे िलए एक
बुजुग क ओर से जीवन भर का आशीवाद है मेरे ब , जो तु ह इस बात का एहसास
कराएगा क ई र क लीला कतनी िविच है। वह शैतान से कह अिधक समथवान है -
वारलॉक जैसी च टी तो उसके आगे कसी िज के कािबल तक नह है।”
हरीश दरवाजे से एक गरीब मजदूर जोड़े को िलए ए अंदर आया। औरत ने गोद म एक
ब ी को िलया आ था, िजसके चेहरे पर नजर पड़ते ही पायल अिव ास से भौच रह
गयी। वह झपटी और उस औरत क गोद से ब ी को लगभग छीन िलया - य क वह
अंशुल थी, उसक बेटी। अंशुल ने मजदूर के ब जैसे कपड़े पहने ए थी और उसक
आँख म साधारण काजल और माथे पर एक काला टीका लगा आ था। ले कन एक अपनी
जाई बेटी को एक माँ हज़ारो क भीड़ म से भी पर भर म पहचान लेती है। । पायल ने
अंशुल को कस कर अपनी छाती से भ च िलया। ब ी भी अपनी माँ का िचत-प रिचत
आ लंगन पाकर खुशी से िखलिखला पड़ी। पायल क आँख खुशी के आंसु से भर आय ।
उसने कनल नारं ग क ओर कृ त भाव से देखा, जो उसक आ मा क गहराइय से उमड़
रही थी।
अभय हैरतजदा था। उसे नह मालूम था क या ित या करे । “कै से? कै से आ
ये?” उसके मुंह से बस इतना ही िनकला।
“हरीश - इन दोन को बाहर के कमरे म इं तज़ार करने के िलए कहो ।” कनल नारं ग ने
कहा। जब वह जोड़ा बाहर चला गया, तब उ ह ने कहा, “एक पुरानी कहावत है मेरे ब ;
जाके राखे साइयां, मार सके न कोय। इसी बात को एक शायर ने कु छ ऐसे कहा ह - फानूस
बनकर िजसक िहफाजत हवा करे , वो शमा या बुझे िजसे रौशन खुदा करे । मने तुमसे
कहा था, ई र दयावान और माशील है, जो इं सान के गुनाह और बुराइय को माफ़ कर
देता है।”
“ले कन ये चम कार कै से आ?” अभय ने हैरत भरे वर म पूछा।
“जब तुमने अंशुल को नाले म फक दया था तो वह काली गंदगी म डू बी नह थी बि क
इसके बजाय उसका शरीर एक कार के पुराने टायर और ूब से टकरा गया था। उस ट र
के भाव से वह टायर तैरने लगा था। कसी नाव क तरह तैरते ए वह टायर उस जगह से
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