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नाटक पंचलैट

करें तमाशा शुरु रे भैया, लेके प्रभू का नाम, महतो टोला में सबजन नाचे, बच्चें, बूढ़े, जवान

आई रे हमरी पंचलाईट शहर से


आई रे हमरी पंचलाईट शहर से
हट जाओ भईया तुम पीछे इधर से
हट जाओ भईया तुम पीछे इधर से..................................
अम्मा भी नाचे, बाबा भी नाचे-2
काकी भी नाचे, काका भी नाचे-2
मुनरी भी आई ननकल के रे घर से
हट जाओ भईया तुम पीछे इधर से-.............................................
महतो की टोली खुनशयां मनावे-2
गाओ रे भईया, हम जो हैं गां वे-2
हे बामन के लोगन खुनशयों को तरसे
हट जाओ भईया तुम पीछे इधर से-4

सुत्रधार-अरे राम राम भईया। कैसन हो। सब ठीक है ना। हम समझ सकते हैं भईया बहुते दे र से इं तजार कर रहे हो नक कब इ
नपरोग्राम शुरु हो और कब ई पंचलाईट नदखे। भईया, हम भी पीछे यही सोच रहे थे। मतलब हमार तुम्हार में कोनो
फरक नहीं। तुम्हें भी पंचलाईट की नचंता और हमका भी। अरे हमे तुमका पंचलाईट की इस्टोरी जो सुनानी है । जी हां
तो भईया शुरु करते हैं । ऐ भईया तननक बैठ जाओ आराम से। मजा आएगा बैठ के सुनने से, मेरा मतबल दे खने से।
हां तो ई है हमरी इस्टोरी, पंचलैट, जीं हा माने गैस बत्ती याने पंचायत की लाईट। अब का है इ कहानी है नबहार के
एक छोटे से गां व की। कईं बरस पुरानी कहानी। अब तुम सब ठहरे सहर मा रहने वाले, अब तुमका क्या पता गांव मां
का होत है और का नहीं। भईया गां व, जहां खेत होते हैं और गांव वाले अंधेरे मे हाथ में लौटा नलए हल्का होने ननकल
जाते हैं । उ समय मा गाम मा नबजली नहीं होती थी। बस सब नदवा, पैटरोमेक्स या गैस बत्ती के सहारे ही रहते थे। हमरे
इस गाम मां भी नबजली नहीं थी। बस राम भरोसे सब चल रहा था। अरे अरे उ राम के नाहीं, गां व के बननये राम भरोसे
के। राम भरोसे से ही तो सब गां व वाले केरोसीन और कड़वा तेल लाते थे नदवा जगावे खानतर। तो भईया इ गां व दो
टोली में बंटा था। महतो टोली और बामन टोली। बामन टोला के पास खुद की खरीदी हुई पंचलैट तो महतो ने भी
अपनी पंचलैट खरीदने की ठान ली। अब आप यही सोच रहे होगे के महतो को पचलैंट खरीदने की का पड़ी। तो
चनलए वही नदखाते हैं

सीन......................................

गुलरी- मानलक प्रणाम।

बामन-प्रणाम। का बात है । इधर काहे मुंह उठाए चली आइ हो।

गुलरी- मानलक। उ टोला मां सब कह रहे थे के जो मेला से पंचलैट खरीदे हो उ का रोशनी ऐसे है जैसे रात में पूनम का चांद
खखल गया हो।

बामन- तेा ईहां तुम चां द दे खने आइ हो।

गुलरी- नहीं मानलक। चां द दे खने नाही। बस पंचलैट को जलते हुए दे खना चाहते है। उ का है हमरी पुश्ों ने भी पंचलैट नाहीं
दे खा तो एक बार जे अंदर आने दो और पंचलैट नदखाई दो तो बोहत मेहरबानी होगी माईबाप

बामन- बाप का माल समझे हो का। तुम कहोगी और हम तुमका नदखा दे गें। पूरे सोलह रुनपया की लाएं है पंचायत नमलके । जे
सबका नदखाने लगे तो बामन की का इज्जत रह जाएगी। चल ननकल इहां से।

गुलरी- पर माईबाप।
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बामन-चुप कर। जे अतना ही सोक हैं पचलैंट का तो खुद की काहे नहीं खरीद लेते।ेे हम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्मम्े् औकात दाना
चुगने की नहीं है और ईहां पंचलैट दे खना है ।

गुलरी- मानलक इ मां औकात की का बात आ गई। हमार टोला में कबहं ना कबहं तो आ ही जाएगी पंचलैट।

बामन- हां तो ईहां काहे खड़ी हो। जाओ कहो महतो से और खरीदों पंचलैट। घर में नहीं दाने और अमा चली भुनाने। (बामन
चला जाता है गुलरी सोचती रहती है ।)

अनूप- ए काकी। का हुआ री। काहे मुंह लटकाए खड़ी हो।

गुलरी- तो और का करें । ओ बामन टोला वाले बात बात पर कोनो ताना मार के चले जाते हैं और हम मुंह लटकाए रह जाते हैं ।

अनूप- पर हुआ का। कौन बात का ताना नदया उ बामन

गुलरी- पंचलैट का।

अनूप- पंचलैट का?

गुलरी- हां , कहत रहा दाना चुगने की औकात नहीं और पंचलैट दे खना है महतो को

अनूप- का, इ बोला उ हराम का। ससुरे का चेहरा ना नोच नलये तो हमरा नाम भी नबसवा नाही।ें

गुलरी- ना नौमन तेल होगा और ना राधा नाचेगी। जब तक महतो की पंचलैट नहीं आएगी तब तक इ बामन टोला के लोग
अईसन ही महतो को नीचा नदखाते रहे गें।

अनूप- पर पंचलैट लाएं कैसे। ससुरी मंहगी ही नकतना होगी

गुलरी- अब इज्जत के खानतर कुछ तो करना ही होगा। हां एक काम कर सकते हैं । अपने टोला में हर नदन कोई ना कोई
उटपटां ग काम करके पंचायत बुलाए रहते हैं । तो सरपंच जी से कहो जो भी पंचायत में कसूरवार ननकले उ पर जुमाा ना ठोक
दो। बस सोलह रुपया ही तो इकट्ठा करना है ।

अनूप- इ तो बोहत बनिया जतन बताया काकी। हम आज ही सरपंच जी को कहते हैं । चल आ हमरे साथ।

सूत्रधार- बस उ नदन के बाद सरपंच जी सब पर जुमााना ठोकते रहे । दण्ड जुमााने के पैसे इकट्ठे करके बीस रुनपयां जमा हुआ।
और महतो ने रामनवमी के मेले से पंचलैट खरीदने की ठान ली। सरपंच नदवान पंच सब गए पंचलैट खरीदने। पूरा गां व
नदनभर टकटकी बां धे गां व की बां उडरी पर ही जमा रहा। और गां व में पंचलैट आते ही कैसे खुशी की लहर दौड़ी। अरे दे खो
आओ तुम भी ..........

(सभी गाना गाते हुए आते हैं और एक जगह इकट्ठे हो जाते हैं ।)

हट जाओ भईया तुम पीछे इधर से


हट जाओ भईया तुम पीछे इधर से

आकाश-अरे ओ महतो नकतने में खरीदा रे लालटे न।

सरपंच- अरे हट बुड़बक कहीं का। दे खते नहीं पंचलैट है।......ई बामन टोला के लोग भी कान खाते हैं , अरे खुद के घर की
नडब्बरी को भी नबजली बत्ती कहें गे और हमार पंचलैट को लालटे न। अ तेरी तो भाग यहां से।

आकाश- अ तुहार लालटे न फुटे ।

नननतन- अ तुहार चेहरा पर थूके। हां । नाचो रे नाचो (नफर से नाचना शुरु सब लोग एक जगह बैठ जाते हैं ।नजसके नसर पर
पंचलैट रखी है वह पंचलैट रखने लगता है।)
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अनूप- ए जरा दू र से दू र से। हां

सरपंचनी-अरे ऐसे ही जमीन पर रखोगे का। पहली बार टोला मा पंचलैट आई है । इसे ऐसे ही रख दोगे। अरे थोड़ा जमीन को
साफ करो। थोड़ा पूजा करो। नफर रखो।

गुलरी- हां हां सरपंचनी, सही कहे हो। अभी साफ नकए दे त हैं । लो भईया अब रखो हमार पंचलैट।

अनूप- हे हे हे हे दू र से। जरा दू र से। भईया दू र से।

नननतन- हां ज्यादा छू- छा मत करो। कहीं ठे स ना लग जाए।

गुलरी- अरे पूजा कर रहे हो। कोनो भजन तो गावो। अब मईया रानी की नकरपा से हमार पंचलैट आई है , तननक बामन टोला
को पता तो चले।

सानहल-हां गाओ गाओ भजन, पर ई ध्यान रहे आज हमरे टोला में पंचलैट आया है , भजन का आवाज बामण टोला तक जानी
चानहए। और हां बेताले और बेसुरे लोगों से पहले ही कह दे ता हुं , आज अगर आखर डे ि -बेढ़ हुआ तो दू सरे नदन से एकदम
बैकाट।

गुलरी- हां गाओ........................... ए मुनरी पूजा की थाली लेकर आ री।

सब भजन गाते हैं

जय पंचलाईट मईया, बामन टोला वालो मरे तोहरी मईया


बड़े नदनों से हमका, इसकी आस रही, मईया इसकी आस रही
पंचलैट आने से, पंचलैट आने से, खुनशयां दु गुनी हुई
जय जय पंचलाईट मईया जय पंचलाईट मईया।

सब बैठ जाते हैं और खुसर फुसर शुरु कर दे ते हैं।

सभी- बधाई हो सरपंच जी बधाई हो।

सरपंच-हां , लो भई, ई है हमार टोला की पंचलैट। जानत हो आज जब पंचलैट लेने गए तो का हुआ।

सब-का हुआ सरपंच जी

सरपंच-अरे वो ही तो बता रहे हैं । तननक सुनो ना तुम। हंेा तो हम कह रहे थे नक जब हम पंचलैट लेने दु कानदार के पास पहुं चे
तो दु कानदार ने पहले कहा, पूरे पां च कौड़ी पां च रुपया। मैने कहा नक ए दु कानदार साहब मत समनझए नक हम एकदम
दे हाती है । अरे बहुते बहुत पंचलैट दे खा है हम। इसके बाद दु कानदार मेरा मुंह दे खने लगा। बोला, लगता है आप इन सबके
सरदार हैं । ठीक है जब सरदार होकर खुद पंचलैट खरीदने आए हैं तो जाईए, पूरे पंेाच कौड़ी में आपकेा दे रहा हं। हां ।

नदवान-अरे चेहरा दे खकर भां प लेता था दु कानदार। पंचलैट का बक्सा दु कान का नौकर दे ना ही नहीं चाहता था। मैने कहा,
दे खखए दु कानदार साहे ब नबना बक्सा के पंचलैट नहीं जाएगा। तो दु कानदार ने नौकर को डांटते हुए कहा, क्यों रे ? नदवान जी
की आं खन में धुल झोंकता है । दे बक्सा।

नबलवा- रस्ते में सन्न सन्न बोलता था पंचलैट। खूब चाव से लाए हैं ई हम।

सानहल-अरे बस भी करो। पां च कोड़ी पां च रुपया, रस्ते में सन्न सन्न बोल रहा था। अरे इ सब हमका पता है । सुनाने की कोनो
जरुरत नहीं है । इ रामकथा को छोड़ो और ई पंचलैट जलाओ। क्यों भईया?

सभी- हां हां सरपंच जी जलाईए तो। जलाईए।

सरपंच- हां अभी जला दे ते हैं। अभी जला दें गे।

गुलरी- ए सरपंच जी, ऐसे ही जला दोगे क्या। तननक नाच गाना हो जाए। थोड़ा ठु मका हो जाए।
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सरपंच- पर हमका तो आता नहीं है ठु मका लगाना।

सरपंचनी- तुमका नहीं आता, पर हमका तो आवत है । ए िोलक बजा रे ।

छोटे से नाटे से, हमका नमले बालम, रे बालम छोटे से


जबरी गई री हलवईया दु कननयां , नमल गए बालम छोटे से
हाथ पकड़े , मोहे जकड़े , लड् डू खखलादो हमका, रे बालम छोटे से,
जबरी गई री दजी की दु कननयां नमल गए बालम छोटे से
हाथ पकड़े , मोहे जकड़े , अंनगया नसलादो हमका, रे बालम छोटे से,
जबरी गई री पनवड़ीया दु कननयां नमल गए बालम छोटे से
हाथ पकड़े , मोहे जकड़े , बीड़ा खखलादो हमका, रे बालम छोटे से,

सभी- बहुते बहुत बधाई हो भईया बहुते बहुत बधाई।

ग्रामीण- अरे उ बामन टोला के लोग तो जलभुनकर खाक हो रहे होगें, हमरी खुशी दे खकर

चंचल- और नही ें तो का। आज तो ससुरों की पंचलाईट भी ना जलेगी हमरी नई पंचलाईट के आने से।

ग्रामीण- अरे उ की जले ना जले पर अपनी तो जलाओ। ए सरपंच जी, काहे अतना इं तजार करवा रहे हैं । जलाईये ना।

सरपंच- (खखनसयाकर) हां हां अभी जलाते हैं । ई का जलावे खानतर तो लाएं हैं । दे खो अभी झट से जला दें गे इ पंचलैट। पर ए
भईया(पंचलाईट को दे खकर) दे खो अब हम तो ठहरे टोला के सरदार। अच्छा नहीं लगता इ पंचलैट हम जलाएं । हमने ई
पंचलैट जलाई तो तुम सब कहोगे सरदार ने मनमानी की ओर खुद ही पंचलैट जला दी। तो इ पंचलैट नदवान जी जलाएगें।

नदवान- का कह रहे हो सरपंच जी। तुहार होते हुए हम काहे जलाएगें।

सरपंच- अरे हम कह रहे है ना। जलाओ नदवान जी।

नदवान- नहीं, सरपंच जी, हमसे नहीं हे ागा। इ पंचलैट नबलवा जलाएगा।

नबलवा-हां हां हम जलाएगें.......पर हमको तो आता ही नही।

सभी- का? नहीं आता?

चंचल- बैठो ईधर, अरे तो दू सरे टोला में से नकसी को बुलावा भेज दो। उ आके जला दें गे पंचलैट।

नननकता- वाह भईया वाह, पंचलैट हम लाए, पूजा पाठ हम नकए और जलावे खानतर दू सरे टोला के लोग। ना भईया ना।

गुलरी- और नहीं तो का। सौ आने सही बात नकए हो जीजी। इससे तो अच्छा है ये मुआ पंचलैट ऐसे ही पड़ा रहे । नजंदगी भर
ताना कोन सहे ।

नननतन- बात-बात में उ लोग कूट करें गे के पंचलैट जला, वो भी हमरे हाथ से। ना भईया ना पंचायत की इज्जत का सवाल है ।
दू सरे टोला के लोगन से मत कहो।

सभी- लेनकन अब कैसे जले ई पंचलैट।

सुत्रधार- लो जी ऐन मौके पर लग गया लेनकन? टोला में पंचलैट का आया सबकी नींदे उड गई। सब लोग परे शान नक कौन
जलाए पंचलैट। सबके चेहरे उतर गए। सरपंच, नदवान तो कुछ बोल ही नहीं पा रहे । इतने शुभ मौके पर दू सरे टोला के लोगन
से पंचलैट जलाए तो इज्जत जाए। अब गां व वालों ने आज तक कोई ऐसी चीज नहीं खरीदी थी, नजसमें जलाने बुझाने का झंझट
हो। सबने सब जतन करके दे ख नलए पर कुछ नहीं हुआ। पूरे टोला में खबर फैल गई नक पंचलैट नहीं जल रहा। सब परे शान
तभी आवाज आई।

आकाश-अरे सरपंच जी, उ बामन टोला के लोग हं सते-हं सते पागल हो रहे है कह रहे है कान पकड़ कर उठक-बैठक करो
तब जले ई पंचलैट।

नननकता- अब उनको हं सने का मौका नमला है। तो हं सेगे ही।


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सानहल-का करे ई कल कब्जे वाली चीज का नखरा ही बोहत होता है ।

गुलरी- हम तो इ ससुरी पंचलैट के चक्कर में सुबह से चुल्हा चौका भी ना नकए। यही सोचे थे नक पंचलैट आएगा तो उ की खुशी
में गुनजया बनाके पूरे टोला में खखलावेंगे। अब ना तो इ पंचलैट जलेगा और न गुनजया बनेगें।

नदवान- अरे हम तो कहीं मुंह नदखाने लायक ही नहीं बचे। इ पंचलैट ना जला तो महतो की इज्जत नमट्टी में नमल जाएगी।

कुलदीप- अरे क्यों नमट्टी में नमल जाएगी। कौन बताएगा बामन टोला को इ पंचलैट के बारे ।

कल्लू- अरे कोई बताए ना बताए। पर उ ससुरे पूरी ताक में हैं । जबसे इ पंचलैट आया है उ बामन टोला के लोग आं ख कान सब
इधर ही लगाए बैठे हैं । उ तो कब से इं तजार में होंगे नक महतो की पंचलैट कब जले।

गुलरी- सही कहे हो रे कल्लू। जब तक इ पंचलैट नाही जलेगा हमरे तो गले से ननवाला भी नीचे नहीं उतरे गा।

मुनरी- अम्मा अब नहीं जलेगा इ पंचलैट?

गुलरी- ए चुप कर मुनरी। सरपंच जी, हमसे ही कोनो गलती हुई है । मईया रानी रुठ गई हैं हमसे, तभी नहीं जल रहा इ।

सरपंच- सही कहे हो काकी। हे मईया, हमका माफ करदो। इ पंचलैट को जलादो। हमरी इज्जत बचाइ ल्यो मईया रानी।
अगली छटो पूजा पे मीठे भात का भण्डारा करें गे मईया।

सरपचंनी- हां मईया लाल साड़ी भी दें गे। इज्जत बचाई ल्यो मईया।

सभी- हे मईया, इ का जलादो मईया। इ का जलादो।

सुत्रधार-सुन रहे हैं आप। पंचलैट न जलने से गांववालों के घर खाना भी नहीं बन रहा था। खूब मईया रानी को मना रहे थे और
मनाए भी क्यूं ना, बेचारे नदनभर से आस लगाए बैठे थे नक पंचलैट आएगा तो ई करें गे उ करें गे। पंचलैट तो आया पर ससुरा
जला नहं ेी। और उ का न जलना समझो बामन टोला के सामने महतो टोला की नाक कटना। अब इ नाक को कटती दे ख
नकसके गले से ननवाला उतरे । तो सब गां व वाले बस पंचलैट को ननहारते रहे और कोसते रहे । लेनकन गोधन है जो पंचलैट
बालना जानता था। अरे गोधन। गोधन का नाहीं पता। अरे हमार गोनवंदा, या सलमान या सन्नी दे वल या नफर यूं कहे नक हमार
इस्टोरी का हीरो। तो सुनो गोधन दू सरे गां व से इ गां व में आकर बसा था। बेचारा नदलफंेे क सा गोधन सारा नदन अपनी
बकररयां नलए इधर से उधर और उधर से इधर घूमता रहता था। हमार मुनरी भी अपनी अम्मा के संग गईयां चराने जाती थी।
अरे मुनरी मतलब हमार इस्टोरी की नानयका याने हरोईनी। अब बकररयां और गईंया के चरते चरते दोनों का मन भी प्रेम की
घास चरने लगा। गोधन का नदल मुनरी पर और इन द सेम टाईम मुनरी का नदल गोधन पर आ गया। अब नदन के समय अम्मा
के कारण दोनों िं ग से बात भी नहीं कर पाते थे। तो गोधन और मुनरी ने दू सरे लब बडा स की तरह नमलने का तरीका िू ं ि
नलया। रात का अंधेरा होते ही दोनों खेत में नमलने आते। गां व में नबजली बत्ती न होने से उन्हें कोई दे ख भी नहीं पाता था। दोनों
रोज नमलते और अपने प्रेम का इजहार करके वानपस लौट जाते। लेनकन मुनरी को पसंद करने वाले नवलेन याने कल्लू को ई
कतई पसंद नहीं था। और उ दोनों पर नजर रखने लगा। कैसे? अरे दे खो.....दे खो दे खो....

गोधन- गाना गाता हुए) आज मौसम, बड़ा बेईमान है । बड़ा बेईमान है ेै। आज मौसम। आने वाला कोई तूफान है आज मौसम
बड़ा बेईमान। (थप्पड़ पड़ता है और कुत्ते की तरह भौंकता है ।)

मुनरी- म्ां उ, म्ां उ

गोधन- भौं भौं भौं

मुनरी- का है अब कुत्ते की तरह भौंकना बंद भी करो।

गोधन- मैं कहां भौंक रहा हं मैं तो कबसे भौंकना बंद कर नदया हुं । और तुम इतनी दे र से काहे आई। मैं कबसे तुम्हारी राह दे ख
रहा था।

मुनरी- अरे काकी को हमपे सक हो गया है । अब आने के नलए हमका बहाना बनाना पड़ता है ।

गोधन- हैं सक हो गया है तो आज कौनसा बहाना बनाया है । (मुनरी लौटा नदखाती है ) अरे वाह। कमाल है । का नदमाग है ।
गजब, शानदार, लाजवाब। तुम नकतनी इं टनलजेट हो मुनरी।
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मुनरी- इं टनलजेट माने।

गोधन- इं टनलजेट माने इं टनलजेट पगली। अरे दे खो ना मुनरी हम नई सटा लाएं है । एकदम सननमा वाला, दे खो एकदम हीरो
लग रहा हं ना।

मुनरी- ना

गोधन-का?

मुनरी-अरे हमका मतबल है कछु नदखाई नहीं दे रहा। तो कैसे बताएं गोधन।

गोधन- हाए तो तननक टचवा करके दे ख लो।

मुनरी- नाहीं।

गोधन-हे दे खो ना।

मुनरी- नाही।

गोधन- अरे दे खो ना मुनरी तुम्हें नवद्या पढ़ाई का नेम।

मुनरी- नहीं हम नहीं दे खेंगे।

गोधन- ए मुनरी मत दे खो। बस अब जब हमार शादी होगी ना तब तुम हमरी शटा दे खना।

मुनरी- हां ठीक है । अब मैं जांउ।

गोधन- नहीं, तननक रुको ना अभी तो हमने तुमको िं ग से दे खा भी नहीं है ।

मुनरी- दे ख भी नहीं सकते, बहुते अंधेरा हैं । मैं जाउं ।

गोधन- अरे अभी जल्दी का है । शादी के बाद तुमको ही तो दे खेंगे हम मुनरी। हमरी झोपंनडया में ब्याह होगा और उ नदी
नकनारे हम हलीमून कर लेंगे। बस एक महीना बेट और।

मुनरी- हां , अब मैं जां उ।

गोधन- अरे का जां उ, जां उ, जांउ।

मुनरी- ना गोधन, मैं तेरे पां व पड़ती हं मुझे जाने दे । अगर नकसी ने दे ख नलया तो अनथा हो जाएगा।

गोधन- अरे का अनथा हो जाएगा। कौन दे खेगा डानलिंग। आज तो आकास में ना चां द है ना मून। बस थोड़ी दे र और मुनरी।

मुनरी- ए मै तेरे पां व पड़ती हं । अगर अम्मा जान गई तो मेरी टां गे तोड़ दे गी। नफर हमारा नमलना जुलना हमेसा के नलए बंद।

गोधन- अच्छा कल आओगी?

लड़की- ना।

गोधन-ए जुल्मी बैरन बेवफा।

लड़की-क्या है ?

गोधन- परसो

लड़की- नहीं

गोधन-दु ई नदन बाद।

लड़की-ना ही
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गोधन- तो नफर कब नमलोगी

लड़की- सोंडे

सुत्रधार- दे ख रहे हैं आप। गोधन और मुनरी का प्यार कहानी के नवलेन यानन कल्लू को बदााश् नहीं था। छु प छु प के दोनों पर
नजर रखता था और एक नदन तो हद ही करदी, जाके ये बात मुनरी की अम्मा को बतादी।

कल्लू- काकी, काकी, काकी

गुलरी- क्यूं उपर चढ़त जात है रे कल्लू।

कल्लू- काकी ओ गोधन है ना, उ तुहार मुनरी से खेतो में छु प छु प के नमलता है ।

गुलरी- का हमार मुनरी से। जे ई बात झूट ननकली ना तो तोहार टे टूया यहींए दबा दें गे।

कल्लू- नहीं काकी ई बात सच है । अब तुम तो बैठी रहती हो ईहां घर में, और हम पूरे गां व की खबर रखता हं ।

गुलरी- उ गोधन को तो मैं ऐसा मजा चखाउं गी के याद रखेगा।

मुनरी- अम्मा हम जा रही हं ।

गुलरी- ई बखत कहां चलदी

मुनरी- लुनटया नदखााती है।

गुलरी- क्यों री मुनरी दे खत हैं आजकल बहुत ही हगत हो

मुनरी- अम्मा उ का है ना हमरा पेट खराब रहता है । हम जा रही हं ।

गुलरी- तुहार पेट तो हम ठीक करुंगी। कल्लू।

सुत्रधार- दे ख नलया आपने। कहते हैं प्रेम करने वालों को दु ननया प्रेम करती है । पर हमार दे स मां ऐसा नहीं होता है । और गां व
दे हात मां तो नबल्कुल ए नहीं होता है । अब ये प्रेम का नकस्सा गां व दे हात में नहीं चलता। हमारे हीरो नहरोईन के साथ भी यही
हुआ। हम कह रहे हैं ना हमारी कहानी में नवलेन और वैम्प स्त्रीनलंग और पुनलंग दोनों है । कहानी के नवलेन याने कल्लू ने सब
चौपट कर नदया। और जाकर सारी बात मुनरी की अम्मा को बता दी। तो दे खखए दु ई नदन बाद का हुआ। वोए नमलन की रात,
वो ए नझंगुरओं का बकग्रां उड म्ूनजक। वो हे हमार गोधन। लेनकन ई बार मुनरी की जगह आई उकर अम्मा।

गुलरी- क्यूं रे कल्लू इ कहां ले आया तू हमका।

कल्लू- काकी इहां ही तो नमलते हैं दोनों। मैने अपनी दोनों आखों से दे खा है ।

गुलरी- जे इ बात झूठ ननकली ना तो तेरी दोनों बटे र सी आखें यहींए ननकाल दे गें हम।

कल्लू- का काकी, हरदम दु त्कारती रहती हो। उ यहां नमलते है यही नदखाने तो हम तुमका लाए हैं ।

गुलरी- पर इं हा कोई नदख तो रहा नहीं। है कहां उ नासनपटा गोधनवा।

कल्लू- काकी, उ आता ही होगा। तुम उहां बैठ जाओ, कछू बोलना मत- उ कुत्ते की तरह भौंकता हुआ आएगा। तुम बस
नबल्ली बन जाना।

गुलरी- का मगज मार रहा है रे कल्लू।


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कल्लू- का काकी सुनो तो, नबल्ली मतबल म्ांउ म्ां उ करना है । इ उ दोनों के नमलने का नसग्नल है

गुलरी- आज तो उ कुत्ते को अईसा मजा चखाउं गी के नजंदगी भर भौंकता ही रहे गा बस।

कल्लू- काकी तुम बैठ जाओ उ आ रहा है ।

गुलरी- तु ज्यादा दू र मत जईयो।

गोधन- भौं भौं

काकी- म्ां उ म्ां उ

गोधन- अरे वाह मुनरी आज तो टे म से पहले ही आ गई। बुनढ़या पहले ही सो गई का।

काकी- हां में नसर नहलाती है ।

गोधन- ए मुनरी नदन भर मुझे तुम याद आती रहती हो। तुम्हें भी मेरी याद आती हैं ना।

काकी हां में नसर नहलाती है । कल्लू को मच्छर काटते हैं गोधन डर जाता है।

गोधन- मुनरी, तुम्हारी अम्मा के कारण हम तुमसे नदन में बात ही नहीं कर पाते। पता नहंेी उ बुनढ़या से कब छु टकारा नमलेगा
तुम्हें। तुम कछु बोल क्यूं नहीं रही हो मुंह में दही जमाई हो का।

काकी- हां में नसर नहलाती है । नफर मच्छर काटते हैं।

गोधन- ए मुनरी। इ बार-बार का हो रहा है । तुम कछु बोलो ना।

काकी- ना में नसर नहलाती है।

गोधन- ठीक है नफर अपना चेहरा तो नदखाओ। चौदहं वी का चंेाद हो, या आफताब हो, जो भी हो तुम खुदा की कसम (दे ख
लेता है )

काकी- हां चौदहवीं का चां द नही तेरे नलए अमावस का चां द हैं । हम मुनरी की अम्मा हैं नासनपटे । हमार बेटी के नलए सननमा
का गाना गावत है कलमूहा।

कल्लू- काकी। मारु क्या?

काकी- नाहीं। ई का तो हम पंचायत मां दे खूंगी। चल इहां से।

सुत्रधार- बाप रे बाप। इतना बड़ा काम। घनघोर स्कैंडल। नजसने सुना दं ग रह गया। गां व के बुजुागों ने कलयुग का रोना रोया,
खूब ऐतराज नकया और आजकल के नौजवानों को जी भर केेे कोसा। और गां व के नौजवान ज्यादा गुस्से में थे के मुनरी ने
उन्हें इग्नोर करके गोधन को चुना। वो भी ससुरे आउटसाईडर को। ये उनका सरासर इनसलेट था। मुनरी की काकी को चुगली
करने वाला और रात के अंधेरे में खेतो तक गाईड करने वाला नवलेन भी इन्हीं असंतुष्ट सदस्ों में से एक रहा। उसने खूब
जासूसी करी, कुत्ते नबल्ली का नसग्नल ठप्प कर नदया। खैर चुगली करने वाले नवलेन और काकी ने पंचायत बुलाली और पंचायत
में कहा सुनी होने लगी।

गुलरी- हाय हम लुट गए सरपंच जी हम लुट गए।

सरपंच- का हुआ काकी। ई पंचायत काहे बुलाई हो।

काकी- मत पूछो सरपंच जी मत पूछो।

सरपंच- चलो ठीक है नहीं पूछते

काकी- अरे का नहीं पूछते, पूछो हमसे


9

सरपंच- तो पूछ ही तो रहे हैं । बताओ काकी

काकी- सरपंच जी, ई गोधन है ना, इ हमार नबनटया को दे ख के सननमा वाला गाना गाता है ।

सरपंच- अच्छा।

काकी-अरे का अच्छा। इ कलमूहा हमरी नबनटया पर बूरी नजर रखता है ।

सानहल- पर कौन सा गाना गाता है काकी।

काकी- ए मुनरी बता कौन सा गाना गाता है ।

मुनरी- नाही अम्मा पर हमका लाज आवे है ।

काकी- हम कह रहे हैं ना बता। नहीं तो तेरी भी टां गे तोड़ दे गें। बता

मुनरी- ठीक है । आ जाओ तड़पते हैं अरमां अब रात गुजरने वाली है । (सब नाचने लगते हैं )

काकी- ए चुप। इ दे खखए इ गाना गाता है इ गोधन।

सरपंच- गोधन

गोधन- परै जंट सर।

सरपंच- का है ई।

गोधन-गाना

सरपंच- अरे उ तो हमका भी पता चल गया पर तुम इ गंदा गाना गाते काहे हो।

गोधन- इ गाना मां गंदा का है सरपंच जी। याद करो जब अपने टोला में रामलीला हुआ करती थी।

सब- रामलीला

रामलीला का दृश्य

मेघनाथ- जली को आग कहत है , बुझी को राख कहत हैं , आग से जो बारुद बने उसे मेघनाथ कहत हैं ।

लखन- लखनजीत है नाम मेरा, शेषनाग मतवाला हं । जलाकर राख कर दू ं गा मैं वो प्रचंड ज्वाला हं ।

मेघनाथ- इं द्रजीत है नाम मेरा, क्या तूने सुना नहीं। उछल कूद जो कर रहा, क्या मुझसे डरा नहीं

लखन- सर पे सर कट नगरें गे, लाश होगी लाश पर, खून की ननदयां बहादू ं , तू दे खना आकाश पर

दोनों का युद्ध होता है। और लखन को तीर लगता है ।

आकाश- भईया लक्ष्मण

नवकास-पर ई रामलीला से का मतबल है ।

गोधन- याद करो हम रामलीला में राम बने थे।

सभी- हां बने थे।

गोधन- लछमन जी मूनछा त पड़े थे


10

सभी- हां पड़े थे।

गोधन- और हनुमान जी संजीवनी बूट्टी लेने गए थे।

सभी हां गए थे।

कल्लू- आई जाओ हनुमान जी....

गोधन- तो तब भी तो हम गाए थे.. आ जाओ के मूनछा त है लछमन अब रात गुजरने वाली है । वो सब भूल गए का।

नननकता- हाय मेरे गोधन। उसे कैसे भूल सकते हैं । हाय का गाना था। क्या गाया था। नदल कलेजा फेफड़ा सब बाहर आ गया
था रे

सरपंचनी- अरे हमारा तो रो रो के बुरा हाल हो गया था।

अनूप- हमरे भी आसूं रुक ही नही रहे थे। सावन भादो झड़ी लग गया था रे ।

नबलवा- हाए मेरे गोधन, नकतना बनढ़या राम बना था रे तू।

काकी- ए चुप करो तुम लोग। का इ के चक्कर में पड़े हो। इ रावण जैसे काम करने वाले की तुम राम लीला सुन रहे हो। कान
खोल कर सुनलो जे इका सजा नहीं नमली तो मैं जा रही हं गां व छोड़ के।

कल्लू- चलो काकी मैं मुनरी को लेकर आता हं ।

सरपंच- रुको काकी। तुम क्यूं इस लंगूर के चक्कर में पड़ी हो अरे तुम तो हमार गांव का इज्जत हो इज्जत, तुम चली गई तो
लोग हमार मुंह पर थूकेंगे। तुम चली जाओगी तो मैं हनूमान को का मुंह नदखाउगां। अरे काकी जो तुम कहोगी हम वो ही
करें गे। बैठ जाओ

काकी- तो ठीक है नफर इ का सजा दो।

सरपंच- हां ठीक है । सजा तो दे नी पड़े गी। कौन सजा दें नबलवा।

नबलवा-हां , एक काम करते हैं , एक पंथ दु ई काज हो जाएगा। गैसबत्ती में नकतना पैसा कम पड़ रहा है ।

अनूप- एक

सरपंच- ए चुप। पूरे दस रुपैया।

नवकास- तो ठीक है इ पर 10 रुपया जुमाा ना ठोक दो।

सरपंच- हां गोधन पर 10 रुपया जुमााना लगा दे ते हैं । उ पैसा से पंचलैट आएगी।

नननतन- रहने दो जुमाा ना। पंचलैट खरीदे खानतर इतना लोगन पर जुामाना लगा। इतना पैसा इकट्ठा हुआ। उ कहां गया। बोनलये
सरपंच जी।

कल्लू- हां बोनलए सरपंच जी, बोनलए, बोनलए सरपंच जी बोनलए।

सरपंच-ए चुप। बुड़बक। और तुम सब काहे नबलनबला रहे हो। उ सारा पैसा हमरे पास सुरनछत रखा है ।

सब- अच्छा

सरपंच-बस थोड़े पैसो का कमी पड़ रहा है , उ पूरा हो जाए नफर अबकी बार रामनौमी के मेला में पचलैट जरुर खरीद के
लाएं गे।

कल्लू- हे जय सरपंच जी की जय।

सब-जय

नननकता- हे काहे की जय। हम इहा जगराता करने आए हैं के इ मुनरी और गोधन का मसला सुलझाने।
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नवकास- तो वोही तो सुलझा रहे हैं काकी। हे गोधन

गोधन- परें जट सर।

सरपंच- गोधन बेटा, दे ख तू अपना जुमा कबूल कर ले।

गोधन- काहे कबूल करे सरपंच जी।

नवकास- अरे तुम मुनरी से छु प छु प के नमलते हो।

गोधन- हम तो खुलेआम नमलना चाहते हैं । नदन दहाड़े । पूछो काहे

सब-काहे

गोधन-क्योंनक मुनरी के नलए हमरे मन में शुद्ध प्रेम भावना हैं । कोनो तरह की बुरी भावना नहीं है । आज तक, आज तक हम
बाडा र क्रास नहीं नकए हैं ।

गुलरी- इ दे खो, इ नासनपटा बाडर क्रास करने की बात कर रहा है । तू बाडा र क्रास करके तो दे ख ना तोहार सनजाकल स्टाईक
करदे तो कहीयो। नासनपटा। कान खोलके सुनले जब तक हम नजंदा है मुनरी की तरफ आं ख भी नहीं उठाने दें गे समझा।

कनेली- पर काकी इ गोधन तो सच्चा प्रेम करता है मुनरी से।

गुलरी- ए चुप कर। तेरी अक्ल घास चरने गई है का। खा खा के भैंस हो गई। बैठ उधर

सरपंच जी कछु करोगे या नाही।

सरपंच- अरे हम कहां ना नकए हैं काकी, हे गोधन तुका 10 रुपये जुमाा ना दे ना ही होगा।

गोधन- पर जुमाा ना काहे सरपंच जी, हम तो ऐसा कछू भी ना नकए।

सरपंच- उ हमका नाहीं पता, बस तुका जुमााना दे ना ही होगा।

गोधन- (नोट ननकालकर) ठीक है । नफर हमका मुनरी के साथ गाना गाने दोगे।

काकी- नाहीं .....

कुलदीप- अरे गाना गाने में का हजा है काकी। नकतना मीठा गाता है ।

काकी- हे हे हे हे तुम बैठके इका गाना सुनो मैं जा रही हं गां व छोड़ के।

कल्लू- चलो काकी मैं मुनरी को लेकर आता हं ।

सरपंच- रुक जाओ काकी। का बात बात पे रुठ जाती हो।

काकी- तो नफर इ का गाने नहीं दोगे और 10 रुपया जुमााना लोगे। अगर इ जुमाा ना नहीं दे गा तो हुक्का पानी बंद।

गोधन- हं , मैं तो एक धेला नहीं दुं गा। और नदी नकनारे झोंपड़ी डाल लुंगा यहां थूकने भी नहीं आउं गा। डै मफूल

सरपंच- नबलवा इ डै मफूल का होता है

नबलवा- अरे हमका पता है । नदवान जी आप बताओ

नदवान- अ डै म में जो इतना बड़का बड़का फूल होता है उ डै मफूल होता है। ससुरा तुम सब एकदम दे हाती हो।

सुत्रधार- और उस नदन के बाद गोधन गां व से हुक्का पानी बंद हो गया और वह दू र नदी नकनारे रहने लगा ।उधर मुनरी को
काकी ने कैद कर नलया। घर के द्वार पर पाव भर का ताला। मुनरी बेचारी मन ही मन तड़पती रहती। और रोते रहती।
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गीत

नपंजरे में बंद रे नचरै या, हमका बचालो सैंया

उड़ भी ना पावें, रह भी ना पावें, ददा ये नबरहा का सह भी ना पावें

लेजा उड़ाके पुरवईया, हमका बचालों सैंया

याद में तोहरी आं सू बहे हैं , हमका तो सब तेरी जोगन कहें हैं

हमका छु ड़ालो मोरे सैंया, हमका बचालो सैंया

सुत्रधार-गोधन और मुनरी का नमलना एकदम बंद हो गया। गोधन ने दोबारा गां व में पां व भी ना रखा। मुनरी को गां व वालों ने
काकी को समझा बुझा के कैद से बाहर ननकलवा नदया। अब पंचलैट को बालने के नलए गोधन को कौन बुलाए। पंचो ने
नमलकर ही तो हुक्का पानी बंद नकया था। सब परे शान, सबके चेहरे उतरे हुए, आखें भीगी हुई, गां व के सब लोग बस पंचलैट
को ही ननहार रहे थे। तब मुनरी ने चुपके से कनेली के कान में बता नदया नक पंचलैट गोधन को जलानी आती है ।

कनेली-का, गोधन जानता है पंचलैट जलाना। सुना आपने गोधन जानता है पंचलैट जलाना।

सभी- का गोधन जानत है पंचलैट बालना।

सरपंच-का गोधन जानत है पंचलैट बालना

सभी- हां गोधन जानत है पंचलैट बालना

नननतन- पर उ का तो हुक्का पानी बंद ना नकए है ।

सानहल-जात की बंनदस ही का जब गां व की इज्जत ही पानी में बह रही हो। क्यों सरपंच जी।

सरपंच-हां ठीक है । ए नबलवा, तननक जाओ तुम और गोधन को बुलाकर लाओ, कहो हम बुलाए हैं ।

नबलवा-ठीक है अभी जाते हैं । और गोधन को लेकर आते हैं

नननकता- बस अब पंचलैट जगे और हमार कलेजा को ठं डक पड़े ।

सरपंचनी- गोधन ही टोला की इज्जत बचा सकता है बस।

नदवान-ए नबलवा, कहां है गोधन?

नबलवा- उ नहीं आया।

नदवान- नहंेी आया, का मतबल नहीं आया

सरपंच- तुमने नहीं बोला के हम बुलाए हैं ।

नबलवा- हम तो बोले थे पर गोधन आने को राजी नहीं हो रहा है। कह रहा है कल कब्जे वाली चीज है कुछ नबगड़ गया तो हमसे
ही जुमाा ना लेंगे।

सब-का

गुलरी- लो एक और मुसीबत

सरपंचनी-तुम जुलम ही इतने नकए हो उ पर, तो उ करे भी का।

गुलरी-का हम जुलम नकए हैं । सुनो रे गां व वालो सरपंचनी का कहती है ।


13

नवकास- ए चुप करो काकी। पहले ही इतना मुसीबत है । सरपंच जी अब आप खुद ही जाइए गोधन को बुलाने।

नदवान- सरपंच जी नकसी तरह गोधन को राजी करवाईए नही ें तो कल से गां व में मुंह नदखाना मुखिल हो जाएगा।

सरपंच-ए नबलवा, तू नफर से जा और उ का बोल उ का जुमाा ना माफ, और जो हुक्का पानी बंद नकए थे उ खोल नदया।

नबलवा-ठीक है । हम जाते हैं

आकाश- हे गोधन भईया आ गए। गोधन भईया आ गए।

गोधन- काहे बुलाए हो हमका।

सरपंचनी- ए बेटा पंचलैट जलानी है ।

गोधन- हम नहीं जलाएगें पंचलैट।

सब-काहे

गोधन- हां उ टाईम कहां गए थे जब हमका सलीमा का गाना गाने से रोके थे और हुक्का पानी बंद नकए थे। हम नहीं जलाएगें

सरपंचनी- ऐ बेटा जलादे ना। गां व की इज्जत का सवाल है ।

ग्रामीण- जे इ पंचलैट ना जला तो उ बामन टोला के लोग हम सबकी हं सी लगाएगें। जलादे गोधन।

गा्रमीण- जलादे गोधन। एक तू ही तो सबसे समझदार है रे । जलादे

गोधन- ठीक है गां व की इज्जत की खानतर जला दे त हं ।

सब- हां हां जलादे मेरे गोधन।

गोधन-पर मेरी दु ई शता है ।

सभी- हां मान ली मान ली।

गोधन- अरे का मान ली। सुनो, हमरी पहली शता हमका मुनरी के साथ गाना गाने दोगे।

सभी- हां मान नलया।

गोधन- और हमरी दू सरी शता उ से मेरा लगन करवाओगे

सभी- हां मान नलया।

काकी- हे का मन नलया मान नलया। इ हम नहीं होने दू ं गी।

चंचल- अरे का काकी। गां व की इज्जत का सवाल है। अगर अब चूं चपट की तो तुहार हुक्का पानी भी बंद कर दें गे।

काकी- का हमार हुक्का पानी बंद करे गा। हमार हुक्का पानी बंद। क्यों रे कल्लू दे खत हैं आजकल बहुत ही फुदकत है ।

सभी- हां काकी तुहार भी हुक्का पानी बंद।

काकी- ठीक है नफर हम लगन के नलए तैयार हैं ।

गोधन- अरे तुम से कौन लगन करे गा। मुनरी से।

सब हं सते हैं ।

काकी- अरे नबनटया की ही बात कर रहे हैं । नासनपटे

सब- ए बेटा जलादे अब।


14

गोधन- ठीक है ।

गोधन पंचलैट जला दे ता है । सभी खुश हो जाते हैं । और गाने लगते हैं ।

रा रा रा, रा रा रा, रा रा रा, रा रा रा

हे सुनलो रे भईया बात हमारी, खुनशंया आ गई द्वार


पंचलैट टोला में आई, मुनरी हुई हमार
बोलो जय छटो मईया की
जय छटो मईया की, जय छटो मईया की,
हुई कृपा बोलो जय छटो मईया की-2
जय छटो मईया की, जय छटो मईया की,
गाना बजाना भी सब ही कराए-2
नचंता थी पंचलैट कोन जलावें-2
जय छटो मईया की
मुनरी की बात नफर सबने थी मानी-2
गोधन की बुलाने की मन में थी ठानी-2
जय छटो मईया की
पंचलाईट ने खेल रचाया
गोधन और मुनरी का ब्याह कराया
जय छटो मईया की
जय छटो मईया की
The End

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