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क्रांतिदि

ू भरग ३

मित्रिेलर

डॉ. िनीष श्रीवरस्िव जी अपने सरिरजजक एवां पररां पररक ववचररों को सोशल िीडडयर पर @Shrimaan नरि
के िरध्यि से प्रकट करिे रहे हैं। उनकी प्रथि पस्
ु िक "रूही - एक पहे ली" एक प्रेि भरर उपन्यरस थर।
दस
ू री पुस्िक "िैं िुन्नर हूूँ" एक सरिरजजक सिस्यर पर चचरा करिी पुस्िक है । उनकी िीसरी पुस्िक एक
शांखलर के रूप िें प्रकरमशि हुई है ।

शांखलर कर शीषाक है "क्रांतिदि


ू " और ववषय है भररि की स्विांत्रिर िें सशस्त्र क्रांति िें जीवन अपाण करने
वरले वीरों से पररचय। लेखक ने िीन अलग अलग ववषयों पर पुस्िकें मलखकर ये प्रकट कर ददयर है कक
उनकर लेखन ककसी एक धररर िें बांध कर रहनर वरलर नहीां है । उनके ववचरर स्विांत्र हैं , और उसी स्विांत्रिर
के सरथ वे अन्यरन्य ववषयों पर मलखिे रहें गे।

भररिीय स्विांत्रिर सिर िें अपनर जीवन अपाण करने वरले स्विांत्रिर प्रेिी क्रांति दि
ू ों के जीवन पर दस
पुस्िकों की शख
ां लर है "क्रांतिदि
ू "। इसके िीन भरग #Jhansifiles #Kashi, और #MitraMela प्रकरमशि हो
चुके हैं िथर अन्य भरग अभी प्रकरशन िें हैं। #Jhansi, #Kashi, #MitraMela, ककसी सोशल िीडडयर पर
चलने वरले चर्चाि ट्रें ड से लगिे हैं।

क्रांतिकरररयों के जीवन पर आधरररि इस शांखलर की पुस्िकों ने सचिुच ही एक नए ट्रें ड कर आरां भ कर


ददयर है । जजस प्रकरर इतिहरस के िहत्वपूणा क्षणों को कथर रूप िें बिलरयर गयर है , वह अपने आप िें एक
अनठ
ू र प्रयोग है । इस शैली िें बहुि कि ही ऐतिहरमसक प्रसांग पढ़ने को मिलिे हैं।

शांखलर के प्रथि दो भरग झरूँसी फरइल्स और करशी, हिें चांद्रशेखर आज़रद और उनके दल से पररचय कररिे
हैं। िीसरे भरग िें हि सरवरकर से जुड़े ककस्से सुनिे हैं। सरवरकर के जीवन िें चरपेकर बांधुओां की सशस्त्र
क्रांति कर क्यर प्रभरव पड़र और उसने आगे चलकर क्यर रूप मलयर? ये हिें पुस्िक पढ़कर ही सिझ आएगर।
नरमसक के भगुर से आरां भ हुआ मित्रिेलर लांदन िें अमभनव भररि स्थरवपि कर डरलिर है । ये एक ववश्वरस
की यरत्रर है । इन ककस्सों को परठशरलर के ववद्यरर्थायों की िरह पढ़नर और जरननर, यही पस्
ु िक को एक
नये प्रवरह से जोड़िर है ।

आवरण पष्ठ पर िरिर अष्टभुजर भवरनी कर र्चत्र है , उनके सरिने एक बरलक ध्यरन िुद्रर िें बैठर ददखिर
है । जब चरपेकर बांधुओां के फरांसी कर सिरचरर सरवरकर को प्ररप्ि होिर है , िो बरलक िन हिरश हो जरिर
है । भररि जजसकर इतिहरस वीरों की भूमि के रूप िें मिलिर है , वह आज परिांत्र है । अांग्रेजों की दरसिर ने
भररिीयों के बल के सरथ सरथ उनके ववचररों को भी मशर्थल कर ददयर है । सरवरकर इन्हीां ववचररों िें घांटों
बैठे रहिे हैं उनकी आूँखों से अश्रु धररर बहिी रहिी है ।

बचपन िें जब सरवरकर हिरश हो जरिे और अपनी िरूँ को यरद करिे, िब वपिर कहिे थे, “िरत्यर िरिर
अष्टभुजर भवरनी ही िेरी िरूँ हैं। हिररे कुल की दे वी िरिर अष्टभुजर भवरनी की हिररे कुल पर बहुि कपर
है , इन्हें ही अपनी िरूँ सिझ।”

आज जब बरलक सरवरकर कर िन हिरश है , िो वे िरिर के सिक्ष आिे हैं और उनके चरणों िें बैठकर
उनकी स्ितु ि करिे हैं। िरिर के चरणों िें बैठकर सरवरकर ये शपथ लेिे हैं-

“हे म ,ाँ मैं आज आपके स मने यह सौगंध लेत हाँ कक आज से मेर जीवन इस दे श की स्वतंत्रत के ललए
समर्पित है । आज से मेरे जीवन क एक ही उद्दे श्य होग और वो है भ रत की अंग्रेजों की गुल मी से
मुक्तत।”
– ब ल स वरकर

सरवरकर बचपन से ही स्वयां को ररष्ट्र को सिवपाि कर दे िे हैं। उनके बचपन के वीरिर के ककस्से अनेक
हैं, कुछ प्रसांग यहरूँ पस्
ु िक िें आिे हैं। अांग्रेजी सत्तर के ववरुद्ध जो उन्होंने अमभयरन चलरयर उससे डरकर
अांग्रेजों ने उन्हें दोहरे आजीवन करररवरस की सजर सुनरई। उन्हें बेडड़यों से बरांधकर करलरपरनी की क़ैद िें
भेज ददयर गयर है । मित्रिेलर की परठशरलर इसी क़ैद िें अपने बबल्ले पर छपे अांकों को दे खिे सरवरकर की
चचरा से आरां भ होिी है ।
लेखन िें एक नयर और अनूठर प्रयोग इतिहरस को जरनने िें रुर्च जगरिर है । परठशरलर िें ककसी परठ की
िरह ऐतिहरमसक प्रसांगों को कथर रूप िें सुननर बच्चों को उबर दे ने वरलर इतिहरस कर परठ नहीां लगिर। वे
बड़े चरव से इसे सन
ु िे हैं और बीच-बीच िें प्रश्न करके अपने सांशय भी दरू करिे हैं। इस िरह नई पीढ़ी
को इतिहरस मसखरनर सरल हो जरिर है । कथर एक प्रवरह िें चलिी है , पर बीच-बीच िें आवश्यकिर से
अर्धक टोकर जरनर प्रवरह को किज़ोर करिर है । कथर श्यरि जी विरा जैसे अनेक िहरन चररत्रों से हिररर
पररचय कररिी है , हिें और स्विांत्रिर सिर िें उनके योगदरन के ववषय िें जरनने को मिलिर है ।

वपछले दो सांस्करणों िें जजल्दबांदी की जो सिस्यर थी, प्रकरशक ने उसे दरू ककयर है और अब पस्
ु िक
हरडाकवर िें ही उपलब्ध है । जजल्दबांदी करफी अच्छी है और पुस्िक के पन्ने भी अच्छी गुणवत्तर के हैं। कुल
मिलरकर पस्
ु िक और पस्
ु िक कर लेखन करफी अच्छर है । स्विांत्रिर सिर िें अपनर जीवन सिवपाि करने
वरले युवरओां को जरनने िें पुस्िक िदद करिी है , और इसे अवश्य ही पढ़नर चरदहए।

पस्
ु िक : क्रांतिदि
ू (भरग-३) मित्रिेलर
ववक्य मलांक - https://pages.razorpay.com/krantidoot
लेखक: डॉ. िनीष श्रीवरस्िव
प्रकरशक : सवा भरषर ट्रस्ट
िूल्य : 249
सिीक्षक- प्रदीप ररजपूि
पिर - B/2 - 404 Madhuvan Glory Nava Naroda ,
Ahmedabad Gujarat - 382330
+91-8866634116

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