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#क्रांतिदिू शांखलर:- भरग-०१

(झराँसी फरइल्स)
(सरके ि सर्यू ेश)

तकसी भी सभ्र्यिर के तिध्िसां कर कररण उसके समरज कर अपने ही इतिहरस से तिमख ु हो जरनर है। जब िक एक
समरज अपने इतिहरस के प्रति सजग रहिर है, उसके तलए पिन के गित से अपने अिीि की महरनिर के भरि को पु
नजीतिि करने की सम्भरिनर जीतिि रहिी है। सांस्कति के इस पनु जीिन के की प्रतक्र्यर में समरज के तिचररकों कर
बहुि हरथ रहिर है। इसी िैचरररक तस्थिप्रज्ञिर ने भररि को कई शिरतददर्यों के क्ूर तिदेशी आतिपत्र्य के मध्र्य भी
जीतिि और जीिांि रखर। ररजनैतिक पररभि को सरांस्कतिक पररभि में पररितिति करने कर सिरततिक प्रर्यरस भररि
की ररजनैतिक स्िरिीनिर के पश्चरि ही हुआ, र्यह एक तिडम्बनर रही है।

ऐसर नहीं है तक १९४७ के पश्चरि भररिीर्य इतिहरस के तिषर्य में तलखर नहीं गर्यर, परांिु एक हीनिर, एक पररभि के
बोि के सरथ और बहुिर एक स्पष्ट सी तििष्णर और उदरसीनिर के सरथ तलखर गर्यर। भररिीर्यों के मन मतस्िष्क में
एक ऐसी लज्जर को भर तदर्यर गर्यर तक जो सभ्र्यिर तिदेशी इस्लरमी अतिक्मण के तिरुद्ध कोई ६ से ७ शिरतददर्यों
िक लड़िी रही िह ऐसे आत्मतनांदर में खो गई जैसी आत्मतनांदर मरत्र ७० िषों में ढह गई स्पेन की सभ्र्यिर में भी क
भी नर देखी गई । औरांगजेब करल में तजस इस्लरतमक तिस्िररिरद ने सरांस्कतिक तिध्िांस कर खेल सम्पणू त तिश्व में
खेल जहराँ पररस र्यर ईररन में कोई पररसी नर बचर, उसने भररि में घड़ी भर को पराँि पसररर ही थर तक दक्कन में तश
िरजी कर तहदां िी सरम्ररज्र्य ऐसर उठर की अटक से कटक िक मग़ु लों की क्षतणक सम्प्रभिु र को तहलर कर चलर गर्यर
। भररिीर्यों के आत्मतिश्वरस को तहलरने में स्ििांत्र के उपररांि के उन इतिहरसकररों कर बड़र हरथ रहर है, जो इतिहरस
करर कम, नेहरू चररण मांडल के सदस्र्य अतिक थे। भररिीर्य िैचरररक िररर के पररचरर्यक करांग्रेसी नेिरओ ां को, जैसे
तिलक, मदन मोहन मरलिीर्य, लरलर लरजपि ररर्य, तबतपन चांद्र परल जैसे महरमरनिों को भी एक व्र्यतििरदी मतह
मरमडां न की होड़ में जैसे औद्योतगक स्िर पर उपेतक्षि तकर्यर गर्यर उसमें करग्रां ेस से बरहर के ररष्रिरतदर्यों के तलए आ
शर ही क्र्यर थी। समर्य के सरथ जैसे जैसे करांग्रेस नेित्ि अतिक से अतिक भररि से करटिर चलर गर्यर, उपेतक्षि नेिर
एिां क्रांतिकररी नरर्यकों को खलनरर्यक िक बिरने की होड़ लगी रही।

ऐसी उदरसीनिर के समर्य में सांस्कति को पनु जीतिि करने कर उत्तरदरतर्यत्ि व्र्यरिसरतर्यक उद्देश्र्यों एिां ररजनैतिक प्र
तिबद्धिरओ ां से मिु शोिकिरतओ ां एिां लेखकों जैसे डॉक्टर मनीष श्रीिरस्िि पर आ जरिर है। जब क्रतां िदिू जैसी प्र
स्ितु ि हरथ में आिी है िो मरनो अिीि के उपेतक्षि दपतण से िूल तमटिी तदखिी है और भररि के भतिष्र्य की छति
सरु तक्षि और स्पष्ट तदखिी है। आज जब अपने ही इतिहरस के ररष्रीर्य नरर्यकों से अनतभज्ञ देश कर र्यिु र चे गआ ु िेरर
के पोस्टर तलए घमू रहर है िब मरत्र १५० पष्ठों की क्रतां िदिू को पढ़िे हुए भरन होिर है मरनो मनीष जैसे लेखक
श्रीररम की सेनर की िह तगलहरी हैं जो भररि के अिीि एिां भतिष्र्य को जोड़ने िरले ररमसेिु के तनमरतण में लगे हों।

क्रांतिकररी सरतहत्र्य बहुि तलखर गर्यर है, स्िर्यां तबतस्मल जैसे क्रांतिकरररर्यों ने उत्कष्ट लेखन से अपने र्यगु के इतिहर
स को अपने लेखन में जीतिि तकर्यर है, िहीं गणेश शांकर तिद्यरथी, मन्मनरथ गप्तु , शचींद्रनरथ सरन्र्यरल आतद ने बहु
ि तलखर है तजसमें स्िित्रां िर पिू त के समर्य कर िरस्ितिक प्रतितबम्ब देखने को तमलिर है। इन पस्ु िकों में क्रतां िकररर
र्यों की ररष्र की स्ििांत्रिर के प्रति पररपक्ि प्रतिबद्धिर पररलतक्षि होिी है िहीं करांग्रेस की ढुलमलु रिैर्यर भी सरितज
तनक होिर है। इस प्रकरर के प्रश्न भी परठकों के मन में उठिे हैं तक र्यतद तितटश सरकरर के तिरुद्ध गतितितिर्यों के कर
रण दतिर्यर के ररजर की सम्पतत्त अांग्रेज सरकरर अतिग्रहीि कर लेिी है िो िही सरकरर करांग्रेस के नेित्ि के प्रति ऐ
सर स्नेह कर व्र्यिहरर कै से बनरए रखिी है तक ३२ शर्यनकक्षों, दो िरणिरल िरले उनके आिरस तितटश सांरक्षण में
फलिे फूलिे रहिे हैं। ऐसे प्रश्नों से, ऐसी तजज्ञरसरओ ां से नेित्ि को बचरने के तलए सरल हमररे नेिरओ ां को र्यह लगर
तक र्यह प्रसांग ही हरतशए पर िके ल तदए जरएाँ।

क्रतां िदिू के पस्ु िक ऋांखलर है जो स्िित्रां िर सग्रां रम के उन्हीं छूटे हुए पक्षों को बिरने कर प्रर्यरस करिी है। लेखक के
अनसु रर, प्रत्र्येक मरह इस ऋांखलर की एक पस्ु िक सरमने लरने की र्योजनर है। इस क्म में झराँसी फरइल्ज पहली पु
स्िक है और इस समीक्षर के तलखने िक दसू री पस्ु िक करशी फरइल्ज भी तििरण में आ चुकी है। मनीष की इसके
पिू त की रचनरएाँ- रूही, एिां मैन मन्ु नर ह-ाँ िथ्र्य और कल्पनर की करटिी हुई सीमरओ ां पर तलखी गई थी, िहीं र्यह पु
स्िक ऐतिहरतसक िथ्र्यों पर आिरररि है, परांिु लेखक के भीिर कर कथरकरर उसके इतिहरसकरर को नीरस नहीं हो
ने देिर है और इस ऐतिहरतसक पस्ु िक को एक पठनीर्य मरनिीर्य कथर कर रूप देिर है।
लेखक की कथरओ ां की एक शैली है, जो उनकी प्रत्र्येक पस्ु िक में तदखिी है, िह है पस्ु िक कर दैनांतदनी कर रूप। म
नीष की पस्ु िकें समर्य -
करल कर िरगर पकड़ के चलिी हैं और झराँसी फरइल्ज में भी र्यही शैली तदखिी है जब प्रस्िरिनर ‘अचरनक’ शीषत
क के अध्र्यरर्य से २२ जनू १९८१ को झराँसी के तनकट सरिरर नदी के िट पर प्रररम्भ होिी है।

पस्ु िक कर प्रररम्भ करकोरी करडां से होिर है, तजसमें सशस्त्र स्ििांत्रिर आांदोलन के तलए हतथर्यररों के क्र्य के तलए
ररम प्रसरद तबतस्मल के नेित्ि में चांद्र्शेखर आजरद, अश्फरक आतद क्रांतिकररी तितटश कोषरगरर के तलए जर रहे ि
न को लटू िे हैं। इसके पररपेक्ष्र्य में तितटश मैत्री और सरां क्षण में फलिे फूलिे करग्रां ेस आदां ोलन के समरनरिां र पणू त स्ि
ररज्र्य के तलए अपने जीिन को दरांि पर लगर कर लड़ रहे सरिनहीन क्रांतिकरररर्यों की तस्थति कर सांतक्षप्त तििरण है
। उस सरिनहीनिर, उस अभरिग्रस्ि अतभर्यरन और उसके मरगत में अनेकरनेक तिश्वरसघरि की घटनरओ ां के तिषर्य
में तबतस्मल ने अपनी आत्मकथर में तलखर है। उस आत्मकथर में आजरद के तिषर्य में अतिक तलखर नहीं गर्यर है,
सम्भििः आजरद उस समर्य छोटे थे और तबतस्मल के तलए बरलक के समरन थे अथिर आजरद की भतिष्र्य की भू
तमकर को लेकर तबतस्मल उन्हें प्रचरर से दरू रखनर चरहिे थे िरतक जनिर और तितटश पतु लस की दृतष्ट से आजरद ब
चे रहे। कथर सक्ष
ां ेप में करकोरी करडां कर तििरण देिी है और उसके बरद के चद्रां शेखर आजरद के अज्ञरििरस के कर
ल के तिषर्य में चचरत करिी है।

र्यह कथर, जैसर नरम से तितदि है, चांद्रशेखर आजरद के झराँसी प्रिरस के करल कर तििरण देिी है जब आजरद एक
हनमु रन भि सन्र्यरसी के रूप में तितटश सरकरर से बचे हुए उसी नदी के िट पर अपनर आश्रम बनरिे हैं जहराँ से ले
खक इस कथर को प्रररम्भ देिे हैं। इस प्रिरस करल के तििरण में हम अन्र्य नरर्यकों से तमलिे हैं, जैसे तिश्वनरथ िैश
म्परर्यन जी, भगिरनदरस मरहौर और सदरतशिररि मलकरपरु कर। कथर कर सबसे सशि भरग इसकर कथर रूप है
जो कथर में प्रिरह और तिश्वसनीर्यिर दोनो बनरए रखिर है (र्यतद पस्ु िक के अांि में दी गई सांदभों की सचू ी परठक
के तलए तिश्वसनीर्यिर परखने को पर्यरतप्त न हो िो)। ऐतिहरतसक चररत्रों को आम भरषर में िो भी ग्ररमीण बांदु ल े खांडी
में बरि करिे देखनर बड़र ही सुखद है। भरषर और लेखन के इस पक्ष कर एक लरभ र्यह भी है तक परठक चररत्रों से
स्िर्यां को जड़ु र मरनिर है। इसी भरषर के प्रिरह और िथ्र्यों के समन्िर्य से पस्ु िक एक तभन्न स्िरूप ले लेिी है और
अत्र्यांि ही पठनीर्य हो जरिी है। पस्ु िक मरत्र ११० पन्नों की है और सरलिर से पढ़ी जर सकिी है। पस्ु िक के तजल्द
पर कई समीक्षकों ने तलखर है, सो िह प्रकरशक कर उत्तरदरतर्यत्ि है, उत्तम कथर िो शिरतददर्यों िक िरड़ पत्रों पर
भी पढ़ी गर्यी है। समस्र्यर मेरी प्रति में भी हो सकिी है, अन्र्यथर पस्ु िक के महत्ि को देखिे हुए प्रकरशक इस पर
ध्र्यरन दे सकिे हैं। कथर में लखनऊ करांग्रेस स्िरगि सतमति के अध्र्यक्ष और क्रांतिकरररर्यों के तिरुद्ध तितटश गिरह
बने बनररसीदरस कर तजक् है परांिु करग्रां ेस के ही जगिनरररर्यण मल्ु लर जो अग्रां ेजों के करकोरी करडां में िकील थे औ
र क्रांतिकरररर्यों को मत्र्यदु डां तदलिरने में प्रमख
ु थे, उनकर नरम इसमें नहीं है। सम्भििः उनकर नरम तबतस्मल ने भी
अपनी आत्मकथर में नहीं तकर्यर है, र्यह कररण हो सकिर है। मझु े र्यह पस्ु िक पढ़ने के बरद अतिक पढ़ने कर लोभ र
हर, जैसे तबतस्मल के अतभभरिकत्ि में आजरद कर बड़र होनर, आजरद कर मबांु ई प्रिरस और होटेल में बरल श्रतमक
हो के करर्यत करनर, आजरद के नरमकरण कर प्रतसद्ध बेंिों िरलर प्रकरण और झराँसी के बरद कर करल, र्यशपरल से
मिभेद आतद। िह्मचररी रूप में प्रिरस करल में एक कन्र्यर कर प्रसांग कुछ तिसांगि सर महससू हुआ, सम्भििः इस
तिषर्य में मेरर अल्पज्ञरन इसकर कररण रहर हो। कथर के अनरू ु प इस प्रसांग कर ध्र्येर्य आजरद कर िह्मचररी जीिन में
खो जरने के िथ्र्य जो स्थरतपि करनर हो सकिर है। इस पस्ु िक कर मल ू जैसर तक नरम से तितदि है, झराँसी ही है, अ
िः मरस्टर रुद्रनरररर्यण कर व्र्यतित्ि, आजरद के प्रिरस में उनकी महिी भतू मकर और उनकर आजरद से सम्बिां इस
पस्ु िक के कें द्र में रहर है। एक पस्ु िक तजिनर सांिष्टु करिी है उसी अनपु रि में परठक को अतिक पढ़ने के तलए प्रेररि
करिी है, र्यही लेखक की सफलिर है। भररि के क्रांतिकररी स्िरिांत्र्र्य सांग्ररम के इतिहरस के ओर परठक की तजज्ञर
सर को जरगि करने के तलए डॉक्टर मनीष को सरििु रद। पस्ु िक अमेजन और पढ़ेगर इतां डर्यर जैसे तिक्र्य मरध्र्यमों प
र उपलदि है।
पस्ु िक : क्रतां िदिू (भरग-1) झराँसी फरइल्स
लेखक: डॉ. मनीष श्रीिरस्िि
प्रकरशक : सित भरषर रस्ट
मल्ू र्य : 150

http://www.saketsuryesh.net/2022/05/blog-post.html
समीक्षक -
सरके ि सर्यू ेश

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