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आयुवद ावली-०१

सामा य ान भा कर पर लौट

चरकसं हता

(1) चरक सं हता के आ उपदे ा ह-

(क) पुनवसु आ ेय (ख) अ नवेश (ग) चरक (घ)


ढ़बल
(2) चरकसं हता के 'भा यकार कौन ह-

(क) पुनवसु आ ेय (ख) अ नवेश (ग)चरक (घ)


च पा ण

(3) चरकसं हता के 'स पूरक' कौन ह?

(क) आ ेय (ख) चरक (ग) च पा ण (घ) ढबल

(4) चरकसं हता के ' तसं कता' कौन ह?

(क) अ नवेश (ख) चरक (ग) च पा ण (घ)


ढबल

(5) 'अ नवेश तं ' के तसं कता कौन है?


(क) चरक (ख) ढबल (ग) च प ण (घ) भ ार
हर

(6) आचाय चरक का काल है-

(क) 1000 ई.पूव (ख) 1000 ई.प ात् (ग) 200


ई.पूव. (घ) 200 ई.प ात्

(7) चरक सं हता म मशः कतने थान और कतने


अ याय ह?

(क) 8, 120 (ख) 6,186 (ग) 8, 150 (घ) 6,


120

(8) चरक सं हता के च क सा थान म कुल कतने


अ याय है?
(क) 30 (ख) 40 (ग) 46 (घ) 60

(9) न न ल खत म से कौन सा थान चरक सं हता म


ह-

(क) वमान (ख) खल (ग) उ र तं (घ) उपयु


सभी

(10) चरक सं हता के इ य थान म कुल कतने


अ याय ह?

(क) 08 (ख) 06 (ग) 12 (घ) 24

(11) चरकसं हता म कुल कतने ोक ह?

(क) 1950 (ख) 9295 (ग) 12000 (घ) 8300


(12) चरकसं हता म कुल कतने औषध योग का
वणन ह।

(क) 1950 (ख) 9295 (ग) 12000 (घ) 8300

(13) चरकसं हता म कुल सू कतने ह।

(क) 1950 (ख) 9295 (ग) 12000 (घ) 8300

(14) चरक सं हता पर ल खत कुल सं कृत ट काएं


ह।

(क) 17 (ख) 19 (ग) 43 (घ) 44

(15) वृह यी थ म सवा धक ट काएं कस थ


पर लखी गयी है।
(क) चरक सं हता (ख) सु ुत सं हता (ग) अ ांग
दय (घ) अ ांग सं ह

(16) चरक सं हता पर र चत ट का " नरंतर


पद ा या" के लेखक कौन ह।

(क) जे जट (ख) च पा ण (ग) हेमा (घ)


गयदास

(17) चरक सं हता पर र चत ट का 'चरकोप कार'के


ट काकार कौन है।

(क) भ ार ह र (ख) गंगाधर राय (ग)


योगे नाथसेन (घ) जे जट
(18) चरक सं हता क "ज पक पत " ा या के
ट काकार कौन थे।

(क) गंगाधर रॉय (ख) योगे सेन (ग) गणनाथ


सेन (घ) शवदास सेन

(19) चरक सं हता पर र चत 'चरक यास' ट काके


ट काकार कौन है।

(क) जे जट (ख) योगे सेन (ग) वामीकुमार


(घ) भ ार ह र

(20) क वराज गंगाधर रॉयका काल ह ?

(क) 13वीशता द (ख) 15व शता द (ग) 17व


शता द (घ) 19व शता द
(21) चरक सं हता पर र चत च पा ण क ट काह ?

(क) द पका (ख) गूढ़ाथ द पका (ग) आयुवद


द पका (घ) गूढा त द पका

(22) न न म से कौन एक चरक सं हता क ट काकार


है।

(क) योगे नाथ सेन (ख) भ (ग) कौ ट य


(घ) ड हण

(23) च पा ण का काल या ह ?

(क) 11व शता द (ख) 12व शता द (ग) 13व


शता द (घ) 16व शता द
(24) चरकसं हता क 'चरक काश कौ तुभ' ट का के
ट काकार का काल है ?

(क) 11व शती (ख) 15व शती (ग) 17व शती


(घ) 19व शती

(25) चरक सं हता पर र चत ह द ट का "वै


मनोरमा" के लेखक कौन ह।

(क) जयदे व व ालंकार (ख) अ दे व व ालंकार


(ग) ान द पाठ (घ) र वद पाठ

(26) चरक सं हता का अरबी अनुवाद कौनसी सद म


आ था।
(क) 8वीशता द (ख) 9व शता द (ग) 11व
शता द (घ) 13व शता द

(27) 'अ मतायु' कसका पयाय कहा गया है।

(क) इ (ख) भर ाज (ग) अ नवेश (घ) आ ेय

(28) 'च भागा' कसका नाम था।

(क) पुनवसु आ ेय (ख) आ ेय पु (ग) आ ेय


माता (घ) आ ेय पता

(29) आ ेय के श य क सं या कतनी ह।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8

(30) ारपा ण कसका श य था।


(क) पुनवसु आ ेय (ख) अ (ग) भ ु आ ेय
(घ) अ नवेश

(31) न न म से सभी आ ेय के श य है एक को
छोडकर -

(क) अ नवेश (ख) जतूकण, पाराशर (ग) हारीत,


ारपा ण (घ) च पा ण, चरक

(32) चरक कसके श य थे।

(क) पुनवसु आ ेय (ख) ध वत र (ग) वैश पायन


(घ) अ नवेश

(33) चरक कसके पु थे।


(क) पुनवसु आ ेय (ख) व ा म (ग) वशु
(घ) वैश पायन

(34) आचाय चरक वतमान भारत वष के कस रा य


के नवासीथे।

(क) पंजाब (ख) का मीर (ग) राज थान (घ)


केरल

(35) ढ़बल के पता कौन थे।

(क) चरक (ख) क पलबली (ग) व ा म (घ)


(36) ढ़बल ने चरक सं हता के च क सा थान म


कतने अ याय को पू रत कर स पूण कया ह।
(क) 17 (ख) 15 (ग) 14 (घ) 13

(37) चरक सं हता च क सा थान का न न म से


कौनसा अ याय ढबल ारा पू रत नह है।

(क) पा डु च क सा (ख) हणी च क सा (ग)


छ द च क सा (घ) अ तसार च क सा

(38) चरक सं हता को "अ खलशा व ाक प म"


कसने कहा है।

(क) गंगाधर रॉय (ख) भ ार ह र (ग)


च पा ण (घ) शवदास सेन

(39) चरक सं हता म "उ र तं " शा मल था - ऐसा


कसने कहा है।
(क) गंगाधर रॉय (ख) भ ार ह र (ग)
च पा ण (घ) शवदास सेन

(40) वृह यी थ म 'मूध य' सं हता कौनसी है ?

(क) चरक सं हता (ख) सु ुत सं हता (ग) अ ांग


दय (घ) अ ांग सं ह

(41) च पा ण का स ब ध कौनसे वंश से था ?

(क) लो वंश (ख) लो बली वंश (ग) मौय वंश


(घ) शुंगवंश

(42) गु सू , श यसू , एक यसू एवं तसं कता


सू के प म वणन कसका थ का है ?
(क) चरक सं हता (ख) सु ुतसं हता (ग) दोन
(घ) का यपसं हता

(43) 'तुरीय अव था' कससे संबं धत है।

(क) न ा (ख) व (ग) (घ) मो

(44) 'उभया भ लुता' च क सा कसका योगदान ह।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) उपयु


सभी

(45) चरकसं हता के सू थान के व य चतु क म


कौन-कौन से अ याय आते ह।

(क) 1,2,3,4 (ख) 5,6,7,8 (ग) 9,10,11,12


(घ) 13,14,15,16
(46) चरक सं हता मे शोथीया याय कौनसे चतु क
से स ब धत है।

(क) रोग चतु क (ख) योजना चतु क (ग) नदश


चतु क (घ) या चतु क

(47) चरक सं हता मे कुल कतने थान पर संभाषा


प रषद का उ लेख मलता है।

(क) 7 (ख) 4 (ग) 2 (घ) 1

(48) चरक सं हता के सू थान कुल कतने थान


पर संभाषा प रषद का उ लेख मलता है।

(क) 7 (ख) 4 (ग) 2 (घ) 1


(49) अथातो द घ×जी वतीयम यायं ा या यामः। -
इस सू म कतने पद है।

(क) 6 (ख) 7 (ग) 8 (घ) 9

(50) 'उ तपा' कसका पयाय कहा गया है।

(क) इ (ख) भर ाज (ग) अ नवेश (घ) आ ेय

(51) चरक सं हता के 'द घ×जी वतीयम याय' म


आयुवदावतरण संबंधी स भाषा प रषद म कतने
ऋ षय ने भाग लया था।

(क) 56 (ख) 57 (ग) 53 (घ) 60

(52) "धमाथकाममो ाणामारो यं मूलमु मम्।"-


उपयु सू कस सं हता म व णत ह।
(क) चरक सं हता (ख) सु ुत सं हता (ग) अ ांग
दय (घ) अ ांग सं ह

(53) चरक सं हताम 'बलह तार' कसका पयाय कहा


गया है।

(क) इ (ख) भर ाज (ग) राजय मा (घ) मेह

(54) चरक सं हता के अनुसार इ के पास आयुवद


का ान ा त करने कौन गया था।

(क) आ ेय (ख) भर ाज (ग) अ नी य (घ)


अ नवेश

(55) आचाय चरक ने "हेतु, लग, औषध' को या


सं ा द है।
(क) सू (ख) क ध (ग) तंभ (घ) अ, ब
दोन

(56) " क ध य"है ?

(क) हेतु, लग, औषध (ख) हेतु, दोष, (ग)


वात, प , कफ (घ) स व, रज, तम

(57) चरक सं हता के अनुसार षटपदाथ का म है ?

(क) , गुण, कम, सामा य, वशेष, समवाय (ख)


सामा य, वशेष, गुण, , कम, समवाय

(ग) सामा य, वशेष, , गुण, कम, समवाय (घ)


उपरो म से कोई नह

(58) वैशे षक दशनके अनुसार षटपदाथ का म है ?


(क) , गुण, कम, सामा य, वशेष, समवाय (ख)
सामा य, वशेष, गुण, , कम, समवाय

(ग) सामा य, वशेष, , गुण, कम, समवाय (घ)


उपरो म से कोई नह

(59) ' हता हतं सुखं ःखमायु त य हता हतम्। मानं


चत च य ो मायुवदः स उ यते।'- यह आयुवद क
..... है।

(क) न (ख) ुप (ग) प रभाषा (घ)


फल ु त

(60) न न ल खत म से कौनसा कथन सही ह ?


(क) ' न यग' आयुका पयाय है एंव काल का भेद
है। (ख) 'अनुब ध' आयु का पयाय है एंव दोष का
भेद है।

(ग) 'अनुब ध'दश वध परी य भाव म से एक भाव है।


(घ) उपयु सभी

(61) 'त य आयुषः पु यतमो वेदो वेद वदां मतः' - उ


सू का उ लेख कस थ म है ?

(क) चरक सं हता (ख) सु ुत सं हता (ग) अ ांग


सं ह (घ) अ ांग दय।

(62) सामा य के 3 भेद " व सामा य, गुण सामा य


और कम सामा य"- कसने बतलाये है।
(क) सु ुत (ख) चरक (ग) आ ेय (घ) च पा ण

(63) 'स व, आ मा, शरीर'-ये तीन कहलातेहै।

(क) सू (ख) क ध (ग) द ड (घ)


तंभ

(64) परा द गुण क सं या ह ?

(क) 6 (ख) 5 (ग) 20 (घ) 10

(65) च क सीय गुण ह।

(क) इ य गुण (ख) गुवा द गुण (ग) परा द गुण


(घ) आ म गुण

(66) ' च क सा क स केउपाय'गुण ह।


(क) इ य गुण (ख) गुवा द गुण (ग) परा द गुण
(घ) आ म गुण

(67) गुवा द गुण को शारी रक गुण क सं ा कसने


द ह।

(क) चरक (ख) च पा ण (ग) योगीनाथ सेन (घ)


गंगाधर राय

(68) आ म गुण क सं या 7 कसने मानी ह।

(क) चरक (ख) च पा ण (ग) योगीनाथ सेन (घ)


गंगाधर राय

(69) सा वक गुणो म शा मल नही ह।

(क) सुख (ख) ःख (ग) य न (घ) उ साह


(70) न न ल खत म से कौनसा कथन सही ह ?

(क) 'गुवा द गुण' का व तृत वणन सु ुत और


हेमा ने कया है।

(ख) 'परा द गुण' का व तृत वणन केवल चरक


सं हता म है। (ग) 'इ य और आ म गुण' का व तृत
वणन तक सं ह म है। (घ) उपयु सभी

(71) गुण के बारे म कौन सा कथन सही नह ह।

(क) समवायी (ख) न े (ग) चे (घ) ा यी

(72) कारण क सं या ह।

(क) 5 (ख) 8 (ग) 9 (घ) 10


(73) के कार होते ह।

(क) 2 (ख) 3 (ग) 9 (घ) असं य

(74) के भेद होते है।

(क) 2 (ख) 3 (ग) 9 (घ) असं य

(75) "से य" का या अथ होता है ?

(क) इ य यु (ख) चेतन यु (ग) स व यु


(घ) उपयु कोई नह

(76) ' यागुणवत समवा यकारण म त


ल णम्'- कसका कथन है।
(क) चरक (ख)सु ुत (ग) वैशे षक दशन (घ)
नागाजुन

(77) कम के 5 भेद - उ ेपण, अव ेपण, आकु चन,


सारण तथा गमन।- कसने बतलाये है।

(क) चरक (ख) च पा ण (ग) वैशे षक दशन (घ)


याय दशन

(78) 'घटाद नां कपालादौ ेषु गुणकमणौः। तेषु


जातेÜच स ब धः समवायः क ततः।।' - कसका
कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) तक सं ह (घ)


का रकावली
(79) आचाय चरक ने 'षटपदाथ' या कहा ह।

(क) कारण (ख) काय (ग) पदाथ (घ) माण

(80) आचाय चरक कौनसे वाद को मानते ह।

(क) कायकारण वाद (ख) ववतवाद (ग)


णभंगरु वाद (घ) असद्कायवाद

(81) ा धका अ ध ान है।

(क) शरीर . (ख) मन (ग) मन और शरीर (घ) मन,


शरीर,इ यॉ

(82) वेदना का अ ध ान है ? (च.शा.1/136)


(क) शरीर . (ख) मन (ग) इ यॉ (घ) उपयु
सभी

(83) न वकारः पर वा मा सवभूतानां न वशेषः।


स वशरीरयो वशेषाद् वशेषोपल धः।- है।

(क) (च.सू.1/36) (ख) (च. सू.1/52) (ग) (च.


शा.4/33) (घ) (च.शा.1/36)

(84) वात प े माण एव दे ह स भव हेतवः। -


कसआचाय का कथन ह।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) वा भ (घ) का यप

(85) मान सक दोष क सं या है।

(क) 1 (ख) 2 (ग) 3 (घ) उपयु कोई नह


(86) मान सक दोष म धान होता है।

(क) स व (ख) रज (ग) तम (घ) उपयु कोई नह

(87) मान सक गुण नह है।

(क) स व (ख) रज (ग) तम (घ) उपयु कोई नह

(88)चरकानुसार शारी रक दोष क च क सा है।

(क) दै व पा य, (ख) यु ाप य (ग) दोन


(घ) उपयु कोई नह

(89) चरकानुसार मान सक दोष का च क सा सू है।

(क) ान, व ान, धी, धैय, समा ध (ग) ान,


व ान, धी, धैय, मृ त
(ख) ान, व ान, योग, मृ त, समा ध (घ) ान,
व ान, धैय, मृ त, समा ध

(90) आचाय चरक ने कफ के कतने गुण बतलाए ह।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8

(91) 'सर' कौनसे दोष का गुण ह।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) र

(92) चरको वात के 7 गुण एवं कफ के 7 गुण म


कतने समान है।

(क) 1 (ख) 2 (ग) 3 (घ) उपयु कोई नह


(93) 'साधनं न वसा यानां ाधीनां उप द यते।' -
असा य रोग क च क सा न करने का उपदे श कसने
दया है।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) वा भ (घ) का यप

(94) रसनाथ रसः मापः .....। नवृतौ च, वशेष


च ययाः खादय यः।

(क) पृ वी तथा (ख) अनल तथा (ग) त तथा


(घ) अ नल तथा

(95) रस के वशेष ान म कारणहै।

(क) जल, वायु, पृ वी (ख) पृ वी, जल अ न (ग)


आकाश, जल, पृ वी (घ) आकाश, वायु, अ न
(96) प शामक रसहै।

(क) मधुर, अ ल, लवण (ख) कटु , अ ल, लवण


(ग) कटु , त , कषाय (घ) मधुर, त , कषाय

(97) कफ कोपक रसहै।

(क) मधुर, अ ल, लवण (ख) कटु , अ ल, लवण


(ग) कटु , त , कषाय (घ) मधुर, त , कषाय

(98) न न ल खत म से कौनसा कथन सही ह ?

(क) चरक ने मधुर रस के लए ' वा ' एवं कटु रस


के लए 'कटु क' श द का योग कया है।
(च.सू.1/64)
(ख) अ ांग सं हकार ने कटु रस के लए 'ऊषण' श द
का योग कया है। (अ. सं. सू. 1/35) (ग) अ ांग
दयकार ने लवण रस के लए 'पटु ' श द का योग
कया है। (अ. . न.1/16) (घ) उपयु सभी।

(99) चरकानुसार जांगम के यो यांग होते है।

(क) 18 (ख) 19 (ग) 8 (घ) 6

(100) चरकानुसार औ द के यो यांग होते


है।

(क) 18 (ख) 19 (ग) 8 (घ) 6

(101) 'औ द' कसका कार है।


(क) (ख) लवण (ग) जल (घ) उपयु सभी

(102) 'उ बर' है।

(क) वन प त (ख) वान प य (ग) वी ध (घ)


औष ध

(103)फल पकने पर जसका अ त हो जाए वह है ?

(क) वन प त (ख) वान प य (ग) वी ध (घ)


औष ध

(104) जनम सीधे ही फल गोचर हो - वह है ?

(क) वन प त (ख) वान प य (ग) वी ध (घ)


औष ध
(105) सु ुतानुसार ' जसम पु प और फलदोन आते
है' - वह थावर कहलाता है।

(क) वन प य (ख) वान प य (ग) वृ ा (घ)


उपयु सभी

(106) 16 मू लनी म शा मल नह है।

(क) ब बी (ख) ह तपण (ग) गवा ी (घ)


यक ेणी

(107) चरको 16 मू लनी म 'छदन' कसका


काय है।

(क)शणपु पी (ख) ब बी (ग) हैमवती (घ)


उपयु सभी
(108) चरको 16 मू लनी म ' वरेचन' हेतु
कतने है।

(क) दश (ख) एकादश (ग) षोडश (घ) चतु वध

(109) चरको 19 फ लनी म शा मल नह है।

(क) लीतक (ख) आर वध (ग) य पु पा (घ)


सदापु पी

(110) चरको 19 फ लनी म शा मल नह है ?

(क) आमलक (ख) हरीतक (ग) क प लक (घ)


अ तकोटरपु पी

(111) चरकानुसार लीतक (मुलेठ ) के कतने भेद


होते है।
(क) 2 (ख) 3 (ग) 5 (घ) उपयु कोई नह

(112) चरको 19 फ लनी म न य हेतु कतने


है।

(क) 1 (ख) 2 (ग) 3 (घ) 8

(113) चरको 19 फ लनी म ' वरेचन' हेतु


कतने है।

(क) दश (ख) एकादश (ग) अ (घ) एकोन वशं त

(114) नेहना जीवना ब या वणापचयवधनाः। -


कसका गुण है।

(क) मांस (ख) म (ग) पयः (घ) महा नेह


(115) महा नेह क सं याहै।

(क) 2 (ख) 3 (ग) 4 (घ) 8

(116) चरकानुसार ' थम लवण' है।

(क) स धव (ख) सौवचल (ग) सामु (घ) वड

(117) रस तरं गणी के अनुसार ' थम लवण' है।

(क) स धव (ख) सौवचल (ग) सामु (घ) वड

(118) चरकानुसार 'पंच लवण' म शा मल नह है ?

(क) सौवचल (ख) सामु (ग) औ द (घ) रोमक

(119) रस तरं गणी के अनुसार'पंच लवण' म शा मल


नह है ?
(क) सौवचल (ख) सामु (ग) औ द (घ) रोमक

(120) अ मू के संदभ म 'लाघवं जा तसामा ये


ीणां, पुंसां च गौरवम्' - कस आचाय का कथन है।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) हारीत (घ) भाव काश

(121) चरकानुसार मू म ' धान रस'होता है।

(क) त (ख) कटु (ग) लवण (घ) कषाय

(122) चरकानुसार मू का 'अनुरस'होता है।

(क) त (ख) कटु (ग) लवण (घ) कषाय

(123) पा डु रोग उपसृ ानामु मं .....चो यते।


े माणं शमये पीतं मा तं चानुलोमयेत्।
(क) मू (ख) गोमू (ग) शम (घ) प वरेचन

(124) चरकानुसार मू का गुण है।

(क) वातानुलोमन (ख) प वरेचक (ग)


कफशामक (घ) उपयु सभी

(125) वा भ ानुसार मू होता है।

(क) प वरेचक (ख) प वधक (ग) वषापह


(घ) रसायन

(126) 'मू ं मानुषं च वषापहम्।' - कस आचाय का


कथन है -

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) अ ांग सं ह (घ) भाव


काश
(127) ह त मू का रस होता है।

(क) त (ख) कटु , त (ग) लवण (घ) ार

(128) मा हषमू का रस होता है।

(क) त (ख) कटु , त (ग) लवण (घ) ार

(129) कसकामू 'सर' गुण वाला होता है।

(क) ह त (ख) उ (ग) मा हषी (घ) वा ज

(130) कसकामू 'प य' होता है।

(क) गोमू (ख) अजामू (ग) उ मू (घ) खरमू

(131) कु ण वषापहम् - मू है।


(क) ह त (ख) आ व (ग) मा हषी (घ) वा ज

(132) चरकानुसार 'अश नाशक' मू है।

(क) ह त (ख) उ (ग) मा हषी (घ) उपयु सभी

(133) उ माद, अप मार, हबाधा नाशकमू है ?

(क) ह त (ख) उ (ग) खर (घ) वा ज

(134) चरक ने ' े ं ीण तेषु च' कसके लए कहा


है।

(क) महा नेह (ख)मांस (ग) पयः (घ) नागबला

(135) पा डु रोगेऽ ल प े च शोषे गु मे तथोदरे।


अ तसारे वरे दाहे च यथौ च वशेषतः। - कसके
लए कहा है।

(क) महा नेह (ख) अ मू (ग) पयः (घ) घृत

(136) चरक सं हता म मूलनी, फ लनी, लवण और


मू क सं या मशःहै।

(क) 19, 16, 5, 8 (ख) 16, 19, 5, 8 (ग) 16,


19, 8, 5 (घ) 19, 16, 4, 8

(137) शोधनाथ वृ क सं याक सं या है।

(क) 2 (ख) 3 (ग) 4 (घ) 6

(138) चरकानुसार ीर य होता है।


(क) अक, नुही, वट (ख) अक, नुही, अ म तक
(ग) अक, वट, अ म तक (घ) उपयु कोई नह

(139) 'अक ीर'का योग कसम न द है।

(क) वमन म (ख) वरेचन म (ग) वमन, वरेचन


दोनो म (घ) उपयु कोई नह

(140) चरकानुसार अ म तक का योग कसम


न द है।

(क) वमन म (ख) वरेचन म (ग) वमन, वरेचन


दोनो म (घ) उपयु कोई नह

(141)चरक ने त वक का योग बतलाया है।


(क) वमन म (ख) वरेचन म (ग) वमन, वरेचन
दोनो म (घ) उपयु कोई नह

(142) चरकानुसार "प रसप, शोथ, अश, द , व ध,


ग ड, कु और अलजी"म शोधन के लए यु होता
है।

(क) पूतीक (ख) कृ णगंधा (ग) त वक (घ)


उपयु सभी

(143) 'योग व ा प तासां ..... उ यते।

(क) े तम भषक (ख) त व वद (ग) छद चर


वै (घ) भषक
(144) पु षं पु षं वी य स ेयो भषगु मः। -
कसका कथन ह।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) हारीत

(145) यथा वषं यथा श ं यथा नरश नयथा। -


कसका कथन ह।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) भाव


काश

(146) चरकानुसार ' भषगु म' है।

(क) त मात् शा ऽथ व ाने वृतौ कमदशने।


(ख) हेतो लगे शमने रोगाणाम् अपुनभवे।
(ग) व ा वतक व ानं मृ तः त परता या। (घ)
योगमासां तु यो व ात् दे शकालोपपा दतम्।

(147) ता का थम उ लेख कसने कया ह।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) सोढल (घ) नागाजुन

(148) "पु वेदवैनं पालयेत आतुरं भषक्।" - कसका


कथन ह।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(149) चरक सं हता मे अ तः प रमाजन से


स ब धत अ याय है।
(क) द घ×जीवतीय (ख) अपामागत डु लीय (ग)
आर वधीय (घ) षड वरेचनशता तीय

(150) शरो वरेचनाथ 'अपामाग' का यो यांग है ?

(क) त डु ल (ख) बीज (ग) फल (घ) फल रज चूण

(151) 'वचा एवं यो त म त'दान को


शरो वरेचन के गण म कौनसे आचाय ने शा मल
कया है।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) वा भ (घ) अ, ब दोन

(152) शरो वरेचन म कौनसा रस शा मल नह


होता है।

(क) मधुर (ख) अ ल (ग) लवण (घ) अ, ब दोन


(153) चरक ने अपामागत डु लीय अ याय म 'वचा'
को कौनसे वग म शा मल कया है।

(क) शरो वरेचन (ख) वमन (ग) वरेचन (घ)


आ थापन/अनुवासन

(154) चरक ने अपामागत डु लीय अ याय म


'एर ड'को कौनसे वग म शा मल कया है।

(क) शरो वरेचन (ख) वमन (ग) वरेचन (घ)


आ थापन/अनुवासन

(155) चरक सं हता म सव थम 'पंचकम' श द


कौनसे अ याय मआया है।
(क) द घ जीवतीय (ख) अपामागत डु लीय (ग)
आर वधीय (घ) षड वरेचनशता तीय

(156) चरकानुसार औषध क स यक् योजना कस


पर नभर करती है ?

(क) औषध क मा ा और काल पर (ख) रोगी के


बल और कालपर

(ग) रोगी के को और अ नबल पर (घ) रोगी के वय


और कालपर

(157) .....यवा वः प रक तताः।

(क) अ ादश (ख) षड् (ग) चतु वश त (घ)


अ ा वश त
(158) चरको 28 यवागू म कुल कतनी पेया ह।

(क) 4 (ख) 6 (ग) 32 (घ) 28

(159) कसके वाथ से स यवागू वषनाशक


होतीह।

(क) शरीष (ख) स धुवार (ग) सोमराजी (घ)


वडंग

(160) यवानां यमके प प यामलकैः ृता। - यवागू


का कमहै।

(क) क ठरोगनाशक (ख) वातानुलोमक (ग)


प वाशयशूल जापहा (घ) णाथ

(161) यमके म दरा स ा .....यवागू।


(क) क ठरोगनाशक (ख) वातानुलोमक (ग)
प वाशयशूल जापहा (घ) णाथ

(162) द ध थ ब वचांगेरीत दा डमा सा धता।-


यवागू है।

(क) द पनीय, शूल नयवागू (ख) आमा तसार नी


पेया (ग) र ा तसारनाशक पेया (घ) पाचनी,
ा हणी पेया

(163) त स ा यवागूः।

(क) घृत ापद नाशक (ख) तैल ापद नाशक


(ग) म ापद नाशक (घ) ुधानाशक

(164) त प याक सा धता यवागू।


(क) घृत ापद नाशक (ख) तैल ापद नाशक
(ग) म ापद नाशक (घ) ुधानाशक

(165) ता चूडरसे स ा .....।

(क) श पीडाशामकः (ख) शु माग जापहा


(ग) रेतोमाग जापहा (घ) उपयु सभी

(166) दशमूल वाथ से स यवागू होतीह ?

(क) ासनाशक (ख) कासनाशक (ग)


ह कानाशक (घ) उपयु सभी

(167) चरकानुसार मुग का पयाय है।

(क) ता चूड (ख) चरणायुधा (ग) कु कुट (घ)


उपयु सभी
(168) उपो दकाद ध यां तु स ा.....यवागू।

(क) वषम वरनाशक (ख) मद वना शनी (ग)


भेदनी (घ) रोचक

(169) चरकानुसार च क सक क अहताए◌ॅम


शा मल नह है।

(क) हेतु (ख) वसायी (ग) यु (घ)


जते य

(170) चरक सं हता मे ब हप रमाजन से


स ब धत अ याय है।

(क) द घ×जीवतीय (ख) अपामागत डु लीय (ग)


आर वधीय (घ) षड वरेचनशता तीय
(171) चरको आर वधीय अ याय म कु हर कुल
कतने 'लेप' बताए गए है।

(क) 32 (ख) 15 (ग) 6 (घ) 16

(172) चरको आर वधीय अ याय म


वात वकारनाशककुल कतने 'लेप' बताए गए है।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 4

(173) चरको आर वधीय अ याय म कतने ' घष'


बताए गए है।

(क) 32 (ख) 4 (ग) 1 (घ) शू य

(174) नतो पलं च दनकु यु ं शरो जायां सघृतं


दे हः।
(क) वष न (ख) शरो जायां (ग) वेदहर (घ)
कु हर

(175) शरीष और स धुवार के लेप होता ह ?

(क) वष न (ख) शरीरदौग यहर (ग) वेदहर (घ)


कु हर

(176) तेजप , सुग धबाला, लो , अभय और च दन


के लेप का योग कस संदभ म ह ?

(क) वष न (ख) शरीरदौग यहर (ग) वेदहर (घ)


कु हर

(177) च पा ण के अनुसार 'अभय' कस औषध का


पयाय ह ?
(क) हरीतक (ख) उशीर (ग) तगर (घ) दे वदा

(178) चरकसं हता म लेप क मोटाई और उसे


लगाने के नदश का वणन कौनसे अ याय म है।

(क) अपामागत डु लीय (ख) आर वधीय


(ग) वसप च क सा (घ) वातर च क सा

(179) चरको आर वधीय अ याय म कुल कतने


सू है।

(क) 30 (ख) 32 (ग) 34 (घ) 36

(180) चरक ने वरेचन के कतने आ य


बतलाए है।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8


(181) चरक ने शरो वरेचन के कतने आ य
बतलाए है।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8

(182) स तला-शं खनी के वरेचन योग क सं या ह।

(क) 45 (ख) 48 (ग) 39 (घ) 60

(183) धामागव के वामकयोग क सं या ह।

(क) 45 (ख) 48 (ग) 39 (घ) 60

(184) द ती- व ती के वरेचन योग क सं या ह।

(क) 45 (ख) 48 (ग) 39 (घ) 60


(185) वरसः, क कः, ृतः, शीतः फा टः
कषाय े त। .....।

(क) पूव पूव बला धका (ख) यथो रं ते लघवः


द ा (ग) तेषां यथापूव बला ध यम् (घ) कोई
नह

(186) 'पंच वध कषाय क पना ' के संदभ म


'पंचधैवं कषायाणां पूव पूव बला धका' कस आचाय ने
कहा है।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) वा भ (घ) शारं धर

(187) " ादापो थता ोये त पुन न श सं थतात्"-


कस कषाय क पना के लये कहा गया है।
(क) वाथ (ख) क क (ग) शीत (घ) फा ट

(188) 'यः प डो रस प ानां स क कः प रका ततः'


कस आचाय का कथन है।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) च पा ण (घ) शारं धर

(189) चरकमत से कषाय क पना का योग कस


पर नभर करता है ?

(क) ा ध के बल पर (ख) आतुर के बल पर (ग)


ा ध एवं आतुर के बल पर (घ) कोई नह

(190) चरकके पंचाश महाकषाय म थापन


महाकषाय क सं या है।

(क) 3 (ख) 5 (ग) 6 (घ) 7


(191) चरकके पंचाश महाकषाय म न हण
महाकषाय क सं या है।

(क) 3 (ख) 5 (ग) 6 (घ) 7

(192) चरको पचास महाकषाय म सबस अ धक


11 बार स म लत है।

(क) मुलेठ (ख) आर वध (ग) मोचरस (घ)


प पली

(193) चरको पचास महाकषाय म स म लत कुल


क सं या है।

(क) 50 (ख) 500 (ग) 276 (घ) 352


(194) चरक सं हता म महाकषाय का वण कस
व प म ह।

(क) ल ण व उदाहरण (ख) कम और उदाहरण


(ग) कम और ल ण (घ) उपयु कोई नह

(195) चरको जीवनीय महाकषाय म अ वग के


कतने शा मल है।

(क) 8 (ख) 5 (ग) 6 (घ) 7

(196) 'भार ाजी' कसका पयायहै।

(क) सा रवा (ख) वनकपास (ग) मं ज ा (घ)


धातक
(197) चरकने न न कस महाकषाय का वणन नह
कया है।

(क) द पनीय (ख) पाचनीय (ग) क ठय (घ)


सं ा थापक

(198) च पा ण के अनुसार 'सदापु पी' कसका


पयायहै।

(क) कमल (ख) कुमुद (ग) आर वध (घ) अक

(199) चरक ने अजुन का योग कस महाकषाय म


व णत कया है।

(क) (ख) शूल शमन (ग) मू सं हणीय (घ)


उदद शमन
(200) चरको वरहर दशेमा न के म य म कसको
हण नह कया है।

(क) सा रवा (ख) मं ज ा (ग)मु ता (घ) पाठा

(201) 'आ ा थ'का वणन चरको कस दशेमा न


वग म है।

(क) पुरीषसं हणीय (ख) (ग) पुरीष वरंजनीय


(घ) उपयु कोई नह

(202) कमल के भेद का वणन चरको कस


दशेमा न वग म है।

(क) मू सं हणीय (ख) मू वरेचनीय (ग)


मू वरंजनीय (घ) उपयु कोई नही
(203) मू वरेचनीय महाकषाय म कसका उ लेख
नह है।

(क) दभ का (ख) कुश का (ग) काशका (घ) शर


का

(204) 'भृ मृ का'का वणन चरको कस दशेमा न


वग म है।

(क) मू सं हणीय (ख) मू वरेचनीय (ग)


पुरीष वरंजनीय (घ) पुरीषसं हणीय

(205) ' त यशोधन महाकषाय' म स म लत नह है।

(क) कटु क (ख) नागरमोथा (ग) ह र ा (घ) मूवा

(206) ' जा थापन महाकषाय' म स म लत नह है।


(क) अमोघा (ख) अ था (ग) अ र ा (घ)
अ गंधा

(207) न न ल खत म से कस चरको दशेमा न म


'मोचरस' शा मल नह ह।

(क) पुरीष सं हणीय (ख) वेदना थापन (ग)


शो णत थापन (घ) पुरीष वरंजनीय

(208) न न ल खत म से कस चरको दशेमा न म


'शकरा' शा मल ह।

(क) दाह शमन (ख) वेदना थापन (ग)


शो णत थापन (घ) वर न
(209) दशमूल के का वणन चरको कस
दशेमा न वग म है।

(क) वातहर (ख) ब य (ग) शोथहर (घ) उपयु


कोई नह

(210) अशोकका वणन चरको कस दशेमा न वग


म है।

(क) वेदना थापन (ख) शो णत थापन (ग)


वयः थापन (घ) शूल शमन

(211) तृ णा न हण एंव वयः थापन महाकषाय म


समा व है।

(क) अभया (ख) अमृता (ग) नागर (घ) पुननवा


(212) चरको कु न व क डू न दोन महाकषाय
म समा व है।

(क) ह र ा (ख) ख दर (ग) आर वध (घ) वडंग

(213) चरको कु न व कृ म न दोन महाकषाय म


समा व है।

(क) ह र ा (ख) ख दर (ग) आर वध (घ) वडंग

(214) बेर के भेद का वणन कस महाकषाय म है।

(क) वमनोपग (ख) वरेचनोपग (ग) नेहोपग (घ)


वेदनोपग

(215) चरक सं हता म व णत "पुरीष सं हणीय"


महाकषाय के है।
(क) आम सं ाहक ( ाही) (ख) प व सं ाहक
( त भन) (ग) दोन (घ) उपयु कोई नह

(216) चरक सं हता म व णत कौनसे महाकषाय को


योगीनाथसेन ने "अरोचकहर" कहा ह।

(क) द पनीय (ख) पाचनीय (ग) क ठय (घ)


तृ त न

(217) कालमेह, नीलमेह एवं हा र मेह क च क सा


मचरको कस दशेमा न वग के करना चा हए।

(क) मू सं हणीय (ख) मू वरेचनीय (ग)


मू वरंजनीय (घ) उपयु कोई नह

(218) ' वदारीगंधा' कसका पयाय ह ?


(क) ीर वदारी (ख) वदारी (ग) शालपण (घ)
पृ पण

(219) रसा लवणव या कषाया इ त सं ताः' -


कस आचाय का कथन है।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) च पा ण (घ) शारं धर

(220) ' भष वर'का वणन चरक सं हता के कस


अ याय म है।

(क) द घ जी वतीय (ख) खु ाक चतु पाद (ग)


षड् वरचेनशता तीय (घ) महारोगा याय

(221) चरक के मत से लघु म कसक क


ब लता रहती है।
(क) वा व नगुण ब ल (ख) आकाशवा व नगुण
ब ल (ग) पृ वीसोमगुण ब ल (घ) उपरो सभी

(222) चरक के मत से गु म कसक क


ब लता रहती है।

(क) वा व नगुण ब ल (ख) आकाशवा व नगुण


ब ल (ग) पृ वीसोमगुण ब ल (घ) कोई नह

(223) 'बलवणसुखायुषा' कससे ा त होता है।

(क) शु धर (ख) ओज (ग) मा ापूवक आहार


(घ) अ, स दोन

(224) नर तर वजनीय आहार है।

(क) म य (ख) दही (ग) माष (घ) उपरो सभी


(225) 'व लूर' श द का च पा णकृत अथ ह ?

(क) शु क फलम् (ख) शु क मांसम् (ग) शु क


शाकम् (घ) शु क क दम्

(226) न शीलयेत्आहार है।

(क) सधव लवण (ख) यव (ग) यवक (घ) जांगल


मांस

(227) नर तर अ यसे नह है।

(क) ध (ख) दही (ग) घृत (घ) मधु

(228) ' न य तपणीय है।

(क) शा ल (ख) मु (ग) स प (घ) उपरो सभी


(229) चरक सं हता के कस अ याय म
' व थवृ 'का वणन कया गया है।

(क) मा ा शतीय (ख) त या शतीय (ग)


इ योप मणीय (घ) न वेगा धारणीय

(230) चरक सं हता के कस अ याय म 'स ' का


वणन कया गया है।

(क) चू.सू.अ.5 (ख) चू.सू.अ.6 (ग) चू.सू.अ.7


(घ) चू.सू.अ.8

(231) चरकानुसार न य यो य अंजन कौनसा है ?

(क) सौवीराजंन (ख) ो ोजंन (ग) रसाजंन (घ)


पु पाजंन
(232) ने से ाव नकालने के लए कौनसे अंजन
का योग करना चा हए।

(क) सौवीराजंन (ख) ो ोजंन (ग) रसाजंन (घ)


पु पाजंन

(233) चरक ने ने व ाणाथ रसांजन का योग


बतलाया है।

(क) 5 व या 8 व दन (ख) 3व दन (ग) 7व दन


(घ) 5वया 8व रा म

(233) चरक ने ने व ाणाथ रसांजन का योग कब


बतलाया है।
(क) प चरा े अ रा े (ख) रा े (ग) स तरा े
(घ) एका तरेरा े

(234) च ु तेजोमयं त य वशेषा ले मतो भयम्।


ततः ..... कम हतं ेः सादनम्।। (च.सू.5/16)

(क) वातहरं (ख) प हरं (ग) े महरं (घ)


दोषहरं

(235) चरक ने ायो गक धूमवत क ल बाई


बतलायी है।

(क) 8 अंगल
ु (ख) 6अंगल
ु (ग) 10 अंगल
ु (घ)
12 अंगल

(236) आचाय चरक ने ायो गक धू पान के कतने
काल बताए ह।

(क) 8 (ख) 6 (ग) 10 (घ) 5

(237) चरकमतेन नै हक धू पान दन म कतनी बार


करना चा हए ह ?

(क) 8 (ख) 2 (ग) 1 (घ) 3-4

(238) चरकमतेन धू्र ने का अ छ कसके सम


होना चा हए।

(क) कोला य मा णतम् (ख) कोलमा छ े


(ग) हरेणुका मा णतम् (घ) सपषमा छ े
(239) " क ठे यसंशु ः लघु वं शरसः शमः"-
कसका ल ण है।

(क) स यक् वमन (ख) स यक् न य (ग) स यक्


धू पान (घ) स य न ह

(240) 12 वष से पूव और 80 वष के बाद धू पान


नषेध कसने बतलाया है।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) च पा ण (घ) शारं धर

(241) चरक के मत से न य का योग कस ऋतु म


करना चा हए।

(क) ावृट, शरद और बंसत (ख) श शर, बसंत,


ी म (ग) बषा, शरद, हेम त (घ) उपरो सभी
(242) न य औष ध का भाव कौनसी मम पर होता
ह।

(क) शंख (ख) ृंगाटक (ग) मूधा (घ) फण

(243) नासा ह शरसो ारं तेन त या य ह त तान्।


- कस आचाय का कथन ह।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) वा भ (घ) शार धर

(244) चरकमतेन 'अणुतैल' क मा ा कतनी होती


है।

(क) 1 पल (ख) 1 कोल (ग) 1 कष (घ) अ पल

(245) चरकानुसार 'अणुतैल' क नमाण या मे


तैल का कतनी बार पाक कया जाता ह ?
(क) एक बार (ख) दश बार (ग) सौ बार (घ)
हजार बार

(246) शारं धरके अनुसार कतने वष से पूव न य का


नषेध है।

(क) 10बष (ख) 12 बष (ग) 7 बष (घ) 8 बष

(247) वा भ ने दातुन क ल बाई बतलायी है।

(क) 8 अंगल
ु (ख) 6अंगल
ु (ग) 10 अंगल
ु (घ)
12 अंगल

(248) नह त ग धं वैर यं ज वाद ता यजं मलम्।-


कसका गुणधम है।
(क) द तपवन (ख) ज वा नलखन (ग) मुख
संग ध (घ) ग डू षकवलधारण

(249) ' न ब' वृ क द तपवन (दातौन) का योग


करने का उ लेख कस आचाय ने कयाह।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) उपरो


सभी

(250) 'द तशोधन चूण' का वणन कस आचाय ने


कयाह।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शार धर

(251) वृ वा भ ानुसार दं त धावन के लए कौन से


का योग नह करना चा हए।
(क) पीलु, पीपल, पा रभ (ख) े मातक, श ,ु
शमी, शा मली, शण

(ग) त वक, त क, ब ब, वभीतक, नगु डी (घ)


उपयु सभी

(252) अ ांग सं ह के अनुसार न ष द तवन है।

(क) धव (ख) अक (ग) वट (घ) अपामाग

(253) 'द तदाढयकर' है।

(क) बकुल (ख) तेजोवती (ग) पीलू (घ) उपरो


सभी

(254) सु ुतने ज वा नलेखन क ल बाई बतलायी


है।
(क) 6अंगल
ु (ख) 8अंगल
ु (ग) 10 अंगल
ु (घ) 12
अंगल

(255) च पा ण के अनुसार 'कटु क' कसका पयाय


ह ?

(क) कटु क (ख) म रच (ग) कटु रो हणी (घ)


लताक तूरी

(256) मुखशोष म सं हकार के अनुसार हतकर है।

(क) ता बूल (ख) जातीप ी (ग) लताक तूरी (घ)


कपूर

(257) दं तदाढयकर, द तहषनाशक, यकर एंव


मुखवैर यनाशकह।
(क) द तधावन (ख) ज वा नलखन (ग)
मुखसंग ध (घ) ग डू ष कवल धारण

(258) मुख संचायते या तु मा ा स ..... मृतः।

(क) कवलः (ख) ग डू षः (ग) कवलग डू षः (घ)


मुखवैश करः

(259) शारं धर के अनुसार ज म से कतने वष बाद


ग डू ष कवल धारणकरना चा हए।

(क) 5 बष (ख) 6 बष (ग) 7 बष (घ) 8 बष

(260) चरक के अनुसार ' ः सादं ' है।

(क) पादा यंग (ख) पाद धारण (ग) पाद ालन


(घ) छ धारणम्
(261) 'च ु यम् पशन हतम्' कहा गया है।

(क) अंजन को (ख) ग डू ष धारण (ग) पादा यंग


(घ) पाद धारण

(262) 'वृ यं सौग धमायु यं का यं पु बल दम्' -


कसके लए कहा गया है।

(क) ौरकम (ख) व छ व धारण (ग)


ग धमा य धारण (घ) नान

(263) ीम पा रषदं श तं नमला बरधारणम्।-


कसके लएकहा गया है।

(क) ौरकम (ख) व छ व धारण (ग)


ग धमा य धारण (घ) नान
(264) बल, वण वधन करता है।

(क) र (ख) ओज (ग) स व (घ) आहार

(265) चरक के मत से 'आदान काल'म कौनसी ऋतुए


शा मल होती है।

(क) ावृट, शरद और बंसत (ख) श शर, बसंत,


ी म (ग) बषा, शरद, हेम त (घ) हेम त, शरद,
बसंत

(266) ' वसग काल' कहलाताहै।

(क) आ नेय काल (ख) उ रायण काल (ग)


द णायन काल (घ) उपरो कोई नह

(267) आदान काल म कौनसे गुण क वृ होती है।


(क) उ ण (ख) शीत (ग) (घ) न ध

(268) वसग काल म कौनसे गुण क वृ होती है।

(क) उ ण (ख) शीत (ग) (घ) न ध

(269) 'बसंत ऋतु' म कौन से रस क उ प होती


ह ?

(क) त (ख) कषाय (ग) कटु (घ) उपरो सभी

(270) 'हेम त ऋतु' म कौन से रस क उ प होती


ह ?

(क) मधुर (ख) अ ल (ग) लवण (घ) उपरो


सभी
(271) "म ये म यबलं व ते े म े व न दशेत्" यहॉ
च पा ण अनुसार 'अ े' पद का उ चत अथ है ?
(च.सू.6/8)

(क) श शरे (ख) धाने (ग) चै े (घ) वषायाम्

(272) आचाय चरक ने ऋतुचया का वणन कौनसी


ऋतु से ार भ कया है।

(क) श शर (ख) ावृट् (ग) हेम त (घ) शरद

(273) कस आचाय ने 'हंसोदक'का वणन नह कया


ह।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) वा भ (घ)


भाव काश
(274) 'यमंद ा काल'का वणन कस आचाय ने कया
ह।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) वा भ (घ) शांर धर

(275) जे ताक वेदका योग कस ऋतु मे करना


चा हए।

(क) श शर (ख) बंसत (ग) हेम त (घ) शरद

(276)'वजयेद पाना न वातला न लघू न च' - सू


कस ऋतु के लये कहा गया है।

(क) श शर (ख) बंसत (ग) हेम त (घ) शरद

(277)'वातला न लघू न च वजयेद पाना न' - सू


कस ऋतु के लये कहा गया है।
(क) शरद ऋतु (ख) हेम त ऋतु (ग) श शर ऋतु
(घ) बंसत ऋतु

(278)'उ ण गभगृह म नवास' - कस ऋतु के लये


कहा गया है।

(क) शरद ऋतु (ख) हेम त ऋतु (ग) श शर ऋतु


(घ) बंसत ऋतु

(279)' नवात व उ ण गृह म नवास' - कस ऋतु के


लये कहा गया है।

(क) शरद ऋतु (ख) हेम त ऋतु (ग) श शर ऋतु


(घ) बंसत ऋतु
(280)' वात (ती वायु)' का नषेध कस ऋतु के
लये कहा गया है।

(क) शरद ऋतु (ख) हेम त ऋतु (ग) श शर ऋतु


(घ) बंसत ऋतु

(281)' ा वात (पूव वायु)' का नषेध कस ऋतु के


लये कहा गया है।

(क) शरद ऋतु (ख) हेम त ऋतु (ग) श शर ऋतु


(घ) बंसत ऋतु

(282)'औदक, आनूप, वलेशय एवं सह मांस जा त


के पशु-प य का मांस का सेवन कस ऋतु म करना
चा हए।
(क) शरद ऋतु (ख) हेम त ऋतु (ग) बषा ऋतु (घ)
बंसत ऋतु

(283)चरक के मत से 'शारभं, शाशक, ऐणमांस,


लावक और क पजंलम् के मांस का सेवन कस ऋतु म
करना चा हए।

(क) शरद ऋतु (ख) हेम त ऋतु (ग) बषा ऋतु (घ)
बंसत ऋतु

(284)चरकानुसार 'लाव, क प जल, ऐण, उर , शरभ


और शशक मांस के मांस का सेवन कस ऋतुम करना
चा हए।

(क) शरद ऋतु (ख) हेम त ऋतु (ग) बषा ऋतु (घ)
बंसत ऋतु
(285) 'जांगलैः मांसैभ या' का नदश कस ऋतु म
है।

(क) हेमंत ऋतु (ख) बंसत ऋतु (ग) वषा ऋतु (घ)
ी म ऋतु

(286) 'जांगला मृगप णः मांस' का नदश कस ऋतु


म है।

(क) हेमंत ऋतु (ख) बंसत ऋतु (ग) वषा ऋतु (घ)
ी म ऋतु

(287) चरकानुसार श शर ऋतु म कस ऋतुतु य


चया करनी चा हए है -

(क) शरद (ख) हेम त (ग) ी म (घ) बंसत


(288) श शर ऋतु मकौनसे रस व य ह ?

(क) कटु , त ,कषाय (ख) मधुर, त ,कषाय (ग)


मधुर, अ ल, लवण (घ) कटु , अ ल, लवण

(289)'गुव ल न धमधुरं दवा व च वजयेत्' - सू


कस ऋतु के लये कहा गया है।

(क) बषा (ख) बंसत (ग) हेम त (घ) शरद

(290)' ायाममातपं चैव यावं चा वजयेत्' - सू


कस ऋतु के लये कहा गया है।

(क) बषा (ख) बंसत (ग) हेम त (घ) शरद

(291) चरक के मत से 'कवल ह तथा अंजन'का


योग कस ऋतु मे करना चा हए।
(क) बषा (ख) बंसत (ग) हेम त (घ) शरद

(292) म म पं न वा पेयमथवा सुब उदकम्।- कस


ऋतु के लये कहा गया है।

(क) शरद (ख) हेम त (ग) ी म (घ) बंसत

(293) सवदोष कोपक ऋतु है।

(क) श शर (ख) बंसत (ग) वषा (घ) शरद

(294) ' घष तन नानग धमा यपरो भवेत' का


नदश कस ऋतु म है।

(क) हेमंत ऋतु (ख) बंसत ऋतु (ग) वषा ऋतु (घ)
ी म ऋतु
(295) आदान बले दे हे ..... भव त बलः। उपयु
वक प म र थान क पू त कर। (च.सू.6/33)

(क)कफो (ख) वायु (ग) प ा (घ) पु षो

(296) वषा ऋतु म मधु का योग कस तरह करना


चा हए।

(क) पान म (ख) भोजन म (ग) सं कार म (घ)


उपरो सभी

(297) चरकानुसार ' दवा व ' कस- कस ऋतु मे


वजनीयहै।

(क) बसंत, बषा, शरद (ख) ावृट, शरद और बंसत


(ग) बषा, शरद, हेम त (घ) हेम त, शरद, बसंत
(298) हंसोदक जल का कस ऋतु म तैयार होता ह ?

(क) हेमंत ऋतु (ख) बषाऋतु (ग) शरदऋतु (घ)


उपयु सभी म

(299)'उपशेते यदौ च यात् ..... त यते।' - र


थान क पू त उपयु वक प से कर। (च. सू.6/49)

(क) ओकः सा यं (ख) सदा प यम्


(ग)नैवसा यम् (घ) असा यम्

(300) ओकः सा यको 'अ यास सा य' कस


आचाय ने कहा है।

(क) च पा ण (ख) योगी नाथ सेन (ग) गंगाधर


रॉय (घ) उपयु कोई नह
(301) चरक के मत से अधारणीय वेग क सं या
है ?

(क) 6 (ख) 11 (ग) 13 (घ) 14

(302) 'कास' को अधारणीय वेग कसने माना है।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) वा भ (घ) शांर धर

(303) वा भ न न म से कौनसा अधारणीय वेग


नह माना है।

(क) उ ार (ख) वथु (ग) कास (घ) मः न ास

(304) ' शरो जा' कसके वेग न ह का ल ण है।

(क) मू (ख) पुरीष (ग) शु (घ) उपयु सभी


(305) ' प डको े न' कसके वेगावरोधका ल ण
है ?

(क) मू (ख) पुरीष (ग) शु (घ) मः न ास

(306) ' द् था' ल ण कसम मलता है।

(क) शु वेग न ह (ख) शु व पुरीष वेग न ह

(ग) शु व पपासा वेग न ह (घ) ुधा व पपासा


वेग न ह

(307) वेदन, अवगाहन, अ यंग का नदश कसक


च क सा म है।
(क) मू वेग न ह (ख) पुरीषवेग न ह (ग)
शु वेग न ह (घ) अधोवात वेग न ह

(308) चरकानुसार पुरीषवेग न ह कसक च क सा


का महै।

(क) वेदन, अवगाहन, अ यंग (ख) वेदन, अ यंग,


अवगाहन (ग) अ यंग, अवगाहन, वेद (घ) अ यंग,
अवगाहन

(309) अ यंग, अवगाहन का नदश कसक


च क सा म है।

(क) मू वेग न ह (ख) पुरीषवेग न ह (ग)


शु वेग न ह (घ) उपयु सभी
(310) आचाय चरकानुसार मू वेग न ह क
च क सा म दे य ब तहै।

(क) अनुवासन ब त (ख) न ह ब त (ग) उ र


ब त (घ) वध ब त

(311) चरक के मत से शु वेग न ह क च क सा म


दे य ब तहै।

(क) अनुवासन ब त (ख) न ह ब त (ग) उ र


ब त (घ) वध ब त

(312) ' मा थ अ पान'का नदश कसक च क सा


म है।
(क) मू वेग न ह (ख) पुरीषवेग न ह (ग) छ द
वेग न ह (घ) वथु वेग न ह

(313) ' ा पान'का नदश कसक च क सा म


है।

(क) मू वेग न ह (ख) पुरीषवेग न ह (ग) छ द


वेग न ह (घ) वथु वेग न ह

(314) 'अवपीडक स पपान' का नदश कसक


च क सा म है।

(क) मू वेग न ह (ख) पुरीषवेग न ह (ग) छ द


वेग न ह (घ) वथु वेग न ह
(315) चरकानुसार कस वेगरोधज य ाधम
'भोजनो र घृतपान' करतेहै।

(क) वथु (ख) उदगार (ग) पपासा (घ) ुधा

(316) ' व मू वातसंग' कसके वेग न ह का ल ण


है।

(क) मू (ख) पुरीष (ग) शु (घ) अधोवात

(317) ' वनाम' कसके वेग न ह का ल ण है।

(क) मू (ख) पुरीष (ग) वथु (घ) मू एवंजृ भा

(318) ' शरोरोग' कसके वेग न ह का ल ण है।

(क) मू (ख) न ा (ग) वथु (घ) पुरीष, वथु


(319) ' ोग' कसके वेग न ह का ल ण है।

(क) वा प (ख) न ा (ग) वथु (घ) जृ भा

(320) 'अ दत' कसके वेग न ह का ल ण है।

(क) छ द (ख) न ा (ग) वथु (घ) उदगार

(321) 'कु , वसप' कसके वेग न ह का ल ण है।

(क) छ द (ख) न ा (ग) वथु (घ) उदगार

(322) 'बा धय' कसके वेग न ह का ल ण है।

(क) ुधा (ख) पपासा (ग) न ा (घ) मः


न ास

(323) ' म' कसके वेग न ह का ल ण है।


(क) ुधा (ख) बा प (ग) न ा (घ) अ, ब दोन

(324) 'म /म दरा पान' कसक च क सा म है।

(क) वा पवेगधारण (ख) न ावेग धारण (ग)


शु वेग धारण (घ) अ, स दोनो म

(325) 'भु वा छदनं' का नदश कसके वेग न ह


क च क सा म है।

(क) छ द (ख) न ा (ग) वथु (घ)उदगार

(326) 'र मो ण' का नदश कसके वेग न ह क


च क सा म है।

(क) छ द (ख) न ा (ग) वथु (घ)उदगार


(327) 'चरणायुधा' कसका पयायहै।

(क) कु कुट (ख) मयूर (ग) काक (घ) कबूतर

(328) जृ भा वेगधारण मे कौनसी च क सा क


जाती है।

(क) वात न (ख) वात प न (ग) कफ प न (घ)


दोष न

(329) 'वात न' कसके वेग न ह क च क सा म है।

(क) वथु (ख) जृ भा (ग) मः न ास (घ)


उपयु सभी

(330) 'वाणी' के धारणीय वेग क सं या है।


(क) 4 (ख) 5 (ग) 6 (घ) 9

(331) 'मन' के धारणीय वेग क सं या है।

(क) 4 (ख) 5 (ग) 6 (घ) 9

(332) 'अ भ या' कसका धारणीय वेग है।

(क) मन (ख) वाणी (ग) शरीर (घ) उपयु को ई


नह

(333) ' तेय' कसका धारणीय वेग है।

(क) मन (ख) वाणी (ग) शरीर (घ) उपयु को ई


नह
(334) शरीरायासजननं कम ायाम उ यते - कसका
कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) च पा ण

(335) दनचया के अ तगत ' ायाम' का वणन कस


थ म नही है।

(क) चरकसं हता (ख) सु ुतसं हता (ग) अ ांग


सं ह (घ) अ ांग दय

(336) चरक के अनुसार ायाम कब तक करना


चा हए।

(क) बला (ख) मा ानुसार (ग) अ श (घ)


म दश
(337) सु ुत के अनुसार ायाम कब तक करना
चा हए।

(क) बला (ख) मा ानुसार (ग) अ श (घ)


म दश

(338) ायाम करने से मेद का य होता है - यह


कस आचाय ने कहा है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) च पा ण

(339) चरकानुसार अ त ायाम से हो सकता है -

(क) तमक ास (ख) वमन (ग) र प (घ)


उपयु सभी
(340) न न म से कौनसा एक ल ण बला ायाम
का नह है।

(क) मुखशोष (ख) ललाट दे श म वेद (ग) क ा


दे श म वेद (घ) द् प दन म वृ

(341) बु मान को कौनसा काय अ त मा ा


म नह करना चा हए।

(क) ायाम (ख) ा यधम (ग) हा य (घ)


उपयु सभी

(342) "वातला ाः सदातुराः" - कसका कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग)वा भ (घ) का यप

(343) "वा तका ाः सदाऽऽतुराः"- कसका कथनहै।


(क) चरक (ख) सु ुत (ग)वा भ (घ) का यप

(344) आचाय चरक ने ब हमुख ो स को कहा है।

(क) मलायन (ख) मलायतन (ग) दोन (घ) कोई


नह

(345) चरकानुसार कफ का नहरण कस मास म


करना चा हए।

(क) चै (ख) ावण (ग) अगहन (घ) पौष

(346) चरक मतानुसार प का नहरण वरेचन ारा


कस मास म करना चा हए ?

(क) ावण मास (ख) चै मास (ग) आषाढ मास


(घ) माग शीष मास
(347) चरक सं हता म 'दे ह कृ त' का वणन कस
अ याय म ह।

(क) न वेगा धारणीया याय (ख) रोग भष जतीय


वमाना याय (ग) महती गभाव ा त (घ) उपरो
कोई नह

(348) चरक सं हता म 'दोष कृ त' का वणन कस


अ याय म ह।

(क) न वेगा धारणीया याय (ख) रोग भष जतीय


वमाना याय (ग) महती गभाव ा त (घ) उपरो
कोई नह

(349) चरक सं हता म 'स व कृ त (मानस कृ त)'


का वणन कस थान म ह।
(क) सू थान (ख) वमान थान (ग) शारीर
थान (घ) इ य थान

(350) द ध कसके साथ खाना चा हए।

(क) घृत (ख) शकरा (ग) मधु (घ) उपरो सभी

(351) मन को 'अती य' क सं ा कस आचाय ने


द है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग)वा भ (घ) तक सं ह

(352) चे ा ययभूतं इ याणाम्। - कसका कम है।

(क) वायु का (ख) मन का (ग) आ मा का (घ)


म त क का
(353) 'च ु'है।

(क) इ य (ख) इ याथ (ग) इ या ध ान (घ)


इ य

(354) 'अ 'है।

(क) इ य (ख) इ याथ (ग) इ या ध ान (घ)


इ य

(355) णका और न या मका - कसके भेद है।

(क) पंचे य बु (ख) पंचे याथ (ग) पंचे य


(घ) पंचे य

(356) 'इ य पंचपंचक' का वणन कस आचाय ने


कयाहै।
(क) चरक (ख) सु ुत (ग)वा भ (घ)
उपरो सभी

(357) चरक के मत से 'अ या म गुणसं ह' है।

(क) मन, मन ऽथ,बु आ मा (ख) मन, मन ऽथ,


बु (ग) मन, मन ऽथ, (घ)मन

(358) मन का अथ है।

(क) च य (ख) वचाय (ग) ऊ (घ) उपरो


सभी

(359) मन का अथ है।

(क) च य (ख) वचाय (ग) ऊ (घ) संक प


(360) चरक सं हता के कस अ याय म 'सदवृ 'का
वणन मलता है।

(क) मा ा शतीय (ख) त या शतीय (ग)


इ योप मणीय (घ) न वेगा धारणीय

(361) चरकानुसार मनु य को 1 प म कतने बार


केश, म ु, लोम व नखकाटना चा हए।

(क) 1 (ख) 2 (ग) 3 (घ) 4

(362) चरकानुसार कस दशा म मुख करके भोजन


करना चा हए।

(क) पूव (ख) उ र (ग) प म (घ) द ण

(363) इ य को अंहका रक कसने माना है।


(क) वैशे षक (ख) याय (ग) सां य (घ) चरक

(364) चरक के मत से 'अथ य' का अथ है

(क) धम, अथ (ख) आरो य एवं इ य वजय


(ग)काम, मो (घ) कोई नह

(365) ' वकारोधातुवैष यं सा यं कृ त यते' - कस


आचाय का कथनहै।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग)वा भ (घ) भाव काश

(366) 'रोग तु दोषवैष यं दोषसा यमरोगता' - कस


आचाय का कथनहै।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग)वा भ (घ) भाव काश


(367) ' नदशका र वम्' कसका गुण है।

(क) वै (ख) औषध (ग) प रचारक (घ) आतुर

(368) ' ृते पयवदात वं' कसका गुण है।

(क) वै (ख) औषध (ग) प रचारक (घ) आतुर

(369) 'दा य्' कसका गुण है।

(क) वै (ख) प रचारक (ग) आतुर (घ)


वै ,प रचारक दोन

(370) 'उपचार ता' कसका गुण है।

(क) वै (ख) औषध (ग) प रचारक (घ) आतुर


(371) चरकानुसार च क सा के चतु पाद म वै के
धान होने का कारण है।

(क) दा य, शौच (ख) मेधावी, यु ज (ग) हेतु ,


यु ज (घ) व ाता, शा सता

(372) ाणा भसर वै के गुण है ?

(क) 4 (ख) 6 (ग) 10 (घ) 12

(373) राजाह वै के ान है ?

(क) 4 (ख) 6 (ग) 10 (घ) 12

(374) चरकानुसार वै के गुण है ?

(क) 4 (ख) 6 (ग) 10 (घ) 12


(375) राजाह वै के ान है ?

(क) त मात् शा ऽथ व ाने वृतौ कमदशने।


(ख) योगमासां तु यो व ात् दे शकालोपपा दतम्।

(ग) व ा वतक व ानं मृ तः त परता या। (घ)


हेतो लगे शमने रोगाणाम् अपुनभवे।

(376) वै क 4 वृ य मे शा मल नह है।

(क) मै ी (ख) का य (ग) मु दता (घ) उपे ा

(377) कृ त थेषु भूतेषु वै वृ ः चतु वधा। - यहॉ


पर कृ त थेषु का या अथ है।
(क) वा य (ख) मृ यु (ग) च क सा (घ) उपयु
कोई नह

(378) न न ल खत म कौनसा वग गुण या दोष


उ प करने के लए पा क अपे ा करता ह।

(क) श , शा , वै (ख) श , शा , स लल
(ग) श , शा , (घ) श , शा , रोगी

(379) चरकानुसार 'सा य' के भेद है ?

(क) वध (ख) वध (ग) चतु वध (घ) अ, ब


दोनो

(380) न च तु य गुण यो न दोषः कृ त भवेत्-


कसका ल ण है।
(क) सुखसा य (ख) कृ सा य (ग) या य (घ)
अनुप म रोग

(381) काल कृ त याणां सामा येऽ यतम य च-


कसका ल ण है।

(क) सुखसा य (ख) कृ सा य (ग) या य (घ)


या येय रोग

(382) ममस धसमा तम- कसका ल ण है।

(क) सुखसा य (ख) कृ सा य (ग) या य (घ)


या येय रोग

(383) ना तपूण चतु पदम् - कसका ल ण है।


(क) सुखसा य (ख) कृ सा य (ग) या य (घ)
या येय रोग

(384) ग भीरं ब धातु थं- कसका ल ण है।

(क) सुखसा य (ख) कृ सा य (ग) या य (घ)


या येय रोग

(385) यापथम् अ त ा तं- कसका ल ण है।

(क) सुखसा य (ख) कृ सा य (ग) या य


(घ) या येय रोग

(386)रोगं द घकालम् अव थतम्- कसका ल ण है।

(क) सुखसा य (ख) कृ सा य (ग) या य (घ)


या येय रोग
(387) व ात् दोषजम् - कसका ल ण है।

(क) सुखसा य (ख) कृ सा य (ग) या य (घ)


या येय रोग

(388) ..... दोषजम्।

(क) सुखसा य (ख) कृ सा य (ग) या य (घ)


या येय रोग

(389) वरे तु यतुदोष वं मेहे तु य यता।


र गु मे पुराण वं ..... य ल णं।

(क) सुखसा य (ख) कृ सा य (ग) या य (घ)


अनुन म
(390) वरे तु यतुदोष वं मेहे तु यदोषता। र गु मे
पुराण वं सुखसा य य ल णम्।- कसका कथन है ?

(क) चरक (ख) सु ुत (ग)वा भ (घ) भाव काश

(390) र थानक पू त क जए - मेहे


.....सुखसा य य ल णम्।

(क) तु यतुदोष वं (ख) तु यदोषता (ग) तु यऋतुः


(घ) पुराण वम्

(391) चरकानुसार ' त एषणा' है।

(क) धम, अथ, मो (ख) धम, काम, मो (ग)


ाण, धन, परलोक (घ) ाण, धन, धम

(392) चरकानुसार ' थम एषणा' है।


(क) ाणैषणा (ख) धनैषणा (ग)परलोकैषणा (घ)
धमषणा

(393) य माण म बाधक कारण है।

(क) 4 (ख) 8 (ग) 6 (घ) 10

(394) माण के लए "परी ा"श द कसने योग


कया है।

(क) वैशे षक (ख) सु ुत (ग) जैन (घ) चरक

(395) चरकानुसार 'अनुमान' के भेद है ?

(क) वध (ख) वध (ग) चतु वध (घ) पंच वध


(396) "षड् धातु पंचमहाभूत तथा आ मा के संयोग से
गभ क उ प होती है"- ये कस माण का उदाहरण
ह।

(क) य (ख) अनुमान (ग) आ तोपदे श (घ)


यु

(397) बु प य त या भावान् ब कारणयोगजान।"-


कसके लए कहा गया है।

(क) य माण हेतु (ख) अनुमान हेतु (ग)


यु हेतु (घ) उपमान हेतु

(398) वग म शा मल नह है।

(क) धम (ख) अथ (ग) काम (घ) मो


(399) चरकानुसार न न म कौन सा माण पुनज म
स करता ह -

(क) य (ख) अनुमान (ग) आ तोपदे श (घ)


उपरो सभी

(400) आचाय चरक ने य माणं से पुनज म


स म कतने उदाहरण दये ह।

(क) 11 (ख) 12 (ग) 13 (घ) 8

(401) उप त भ है।

(क) वात, प , कफ (ख) आहार, न ा, चय


(ग) स व, आ मा, शरीर (घ) हेतु,दोष,
(402) 'आहार, व तथा चय' - कस आचाय के
अनुसार य उप त भ ह।

(क) चरकानुसार (ख) अ ांग सं हानुसार (ग)


सु ुतानुसार (घ) अ ांग दयानुसार

(403) वा भ ानुसार उप त भ है।

(क) वात, प , कफ (ख) आहार, न ा, अ चय


(ग) आहार, न ा, चय (घ) स व, आ मा, शरीर

(404) त भ है।

(क) वात, प , कफ (ख) आहार, न ा, चय


(ग) स व, आ मा, इ य (घ) हेतु, दोष,

(405) थूणहै।
(क) हेतु, लग, औषध (ख) आहार, न ा, चय
(ग) वात, प , कफ (घ) स व,रज, तम

(406) वध वक पहै।

(क) अ तयोग, अयोग, स य योग (ख) अ तयोग,


हीनयोग, म यायोग

(ग) अ तयोग, अयोग, म यायोग (घ) स य योग,


हीनयोग, म यायोग

(407) चरकानुसार वध रोग है।

(क) वातज, प ज, कफज रोग (ख) का यक,


मान सक, वाभा वकरोग
(ग) शारी रक, मान सक,आग तुक रोग (घ) नज,
आग तुज, मानसरोग

(408) कस इ यक ा त सभी इ य म है ?

(क) च ु (ख) ाण (ग) वक् (घ) रासना

(409) दे हबल के भेद होतेहै।

(क) 2 (ख) 3 (ग) 5 (घ) उपयु कोई नह

(410) शाखा म होने वाली ा धयॉ क सं या कही


गयी है।

(क) 14 (ख) 11 (ग)16 (घ) उपयु कोई नह

(411) वधं वक प व वधमेव कम है।


(क) कम (ख) काल (ग) ापराध (घ) वृ

(412) "शोष, राजय मा" कौनसे मागज ा धयॉ ह।

(क) बा य रोगमाग (ख) म यम रोगमाग (ग)


आ य तर रोगमाग (घ) सवरोगमाग

(413) व ध, अश, वसप ,शोथ, गु म ा धयॉ है।

(क) शाखाआ त (ख) को आ त (ग)


अ थसं ध ममा त (घ) अ, ब दोन

(414) पुनः अ हते योऽथ यो मनो न हः - कौनसी


औषध है।

(क) दै व ापा य (ख) यु पा य (ग)


स वावजय (घ) शोधन
(415) पुनः आहार औषध ाणां योजना - कौनसी
औषध है।

(क) दै व ापा य (ख) यु ापा य (ग)


स वावजय (घ) संशोधन

(416) "प लव ाही" वै कौन होता है।

(क) ाण भसर (ख) रोगा भसर (ग) शा वद


(घ) छ र वै

(417) योग ान व ान स स ाः सुख दाः। -


कस वै के गुण है।

(क) जी वता भसर (ख) रोगा भसर (ग)


स सा धत (घ) छ र वै
(418) त ैषणीय अ याय म कुल व है।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8

(419) अ व का वणन कस आचाय ने कया है।

(क) पुनवसु आ ेय (ख) मै ेय (ग) भ ु आ ेय


(घ) कृ णा ेय

(420) आचाय कुश ने वात के कतने गुण बतायेगए


है।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8

(421) वात का गुण 'दा ण' कसने माना है।

(क) कुश (ख) व डश (ग) वाय वद (घ) भार ाज


(422) ाकृत शरार थ वायु का कम नह है।

(क) त यं धर (ख) सव याणामु ोजक (ग)


समीरणोड नेः (घ) सवशरीर ूहकर

(423) मन का नयं ण कौन करता है।

(क) म त क (ख) मन (ग) वायु (घ) आ मा

(424) वायु त य धर - म 'तं ' का या अथ है।

(क) म त क (ख) शरीर (ग)शरीरवयव (घ)


आ मा

(425) आयुषोऽनुवृ ययभूतो- कसका कम है।


(क) वायु का (ख) मन का (ग) आ मा का (घ)
म त क का

(426) वातकलाकलीय अ याय म ' प संबंधी वणन'


कसने कयाहै।

(क) का य (ख) व डश (ग) वाय वद (घ) म रच

(427) चरकानुसार ान-अ ान म कौनसा दोष


उ रदायी होता है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) आम

(428) वायु एंव आ मा दोन का पयाय है।

(क) वभु (ख) व कमा (ग) व पा (घ)


उपयु सभी
(429) आचाय चरक के मत से ' जाप त' कसका
पयाय है।

(क) वायु (ख) आ मा (ग) शु (घ) अ

(430) आचाय का यप ने ' जाप त' क सं ा कसे


द है।

(क) वायु (ख) आ मा (ग) शु (घ) अ

(431) आचाय चरकने 'भगवान्' क सं ा कसे द है।

(क) वायु (ख) काल (ग) आ ेय (घ) अ, स दोनो

(432) आचाय सु ुत ने 'भगवान्' सं ा कसे द है।


(क) वायु (ख) काल (ग) जठरा न (घ) उपयु
सभी

(433) नेह क यो नयॉ है।

(क) 2 (ख) 3 (ग) 4 (घ) 8

(434) नेह कतनेहोते है।

(क) 2 (ख) 3 (ग) 4 (घ) 8

(435) वरेचन हेतु उ म तैलहै।

(क) तल तैल (ख) सषप तैल (ग) एर ड तैल (घ)


उपयु कोई नह

(436) सभी नेह म उ म है।


(क) घृत (ख) तैल (ग) वसा (घ) म जा

(437) 'तैल का सेवन' का नदश कस ऋतु म है।

(क) शरद (ख) ावृट (ग) माधव (घ) वषा

(438) 'म जा सेवन' का नदश कस ऋतु म है।

(क) शरद (ख) ावृट (ग) माधव (घ) वषा

(439) 'कण शूल' म लाभ द है।

(क) घृत (ख) तैल (ग) वसा (घ) म जा

(440) चरकानुसार ' शरः जा' म लाभ द है।

(क) घृत (ख) तैल (ग) वसा (घ) म जा


(441) चरकानुसार ' नवापण' कसका काय है।

(क) घृत (ख) तैल (ग) वसा (घ) म जा

(442) चरकानुसार 'यो न वशोधन' कसका काय है।

(क) घृत (ख) तैल (ग) वसा (घ) म जा

(443) 'म जा' का अनुपान है।

(क) यूष (ख) म ड (ग) पेया (घ) उ णजल

(444) 'यूष' कसका अनुपान है।

(क) घृत (ख) तैल (ग) वसा (घ) म जा

(445) उ ण काल म दन म नेहपान करने कौन सा


रोग हो सकता है।
(क) मू छा (ख) पपासा (ग) उ माद (घ) उपरो
सभी

(446) े मा धकता म रा म नेहपान करने कौन


सा रोग नह हो सकता है।

(क) अ च (ख) आनाह (ग) पा डु (घ) कामला

(447) चरकानुसार नेह क वचारणायेहोती है।

(क) 57 (ख) 20 (ग) 24 (घ) 64

(448) का यपानुसार नेह क वचारणायेहोती है।

(क) 57 (ख) 20 (ग) 24 (घ) 64


(449) 'अ छपेय नेह' न न ल खत म कौन सी
क पनाहै।

(क) थम क पना (ख) थम क पना


एवं वचारणा (ग) वचारणा (घ) अ प नेहन

(450) ' नेह' क धान मा ा का नदश कसम नह


है।

(क) गु म (ख) वसप (ग)कु (घ)सपदं

(451) वातर म नेह क कौनसी मा ा यु होती


है।

(क) व (ख) म यम (ग)उ म (घ) उपयु कोई


नह
(452) अ तसार म नेह क कौनसी मा ा यु होती
है।

(क) व (ख) म यम (ग)उ म (घ) उपयु कोई


नह

(453) 'मृ को ' हेतु नेह क कौनसी मा ा का


नद शत है।

(क) व (ख) म यम (ग)उ म (घ) उपयु कोई


नह

(454) 'मंद ब ंशा' नाम है।

(क) नेह क वमा ा (ख) नेह क म यम मा ा


(ग) नेह क उ ममा ा (घ) नेह क अ त मा ा
(455) नेह क कौनसी मा ा का पाचनकाल
अहोरा है।

(क) व (ख) म यम (ग) उ म (घ) उपयु कोई


नह

(456) नेह क वयसी मा ा कसने बतलायी है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(457) संशोधन हेतु नेह क कौनसी मा ा यु


होती है।

(क) व (ख) म यम (ग) उ म (घ) उपयु


सभी

(458) 'कृ मको ' म कसका योग करना चा हए है।


(क) घृत (ख) तैल (ग) वसा (घ) म जा

(459) ' त ीण' म कसका योग करना चा हए है।

(क) घृत (ख) तैल (ग) वसा (घ) म जा

(460) नाडी ण म कसका योग करना चा हए है।

(क) घृत (ख) तैल (ग) वसा (घ) म जा

(461) ू रको म कसका योग करना चा हए है।

(क) घृत (ख) तैल (ग) म जा (घ) तैल, म जा

(462) अ थ-स ध- सरा- नायु-ममको महा जः -


म कसका योग करना चा हए है।

(क) घृत (ख) तैल (ग) वसा (घ) म जा


(463) जनको वसा सा य है उनको कस नेह का
सेवन करना चा हए।

(क) घृत (ख) तैल (ग) वसा (घ) म जा

(464) 'घ मरा' म कसका योग करना चा हए


है।

(क) घृत (ख) तैल (ग) वसा (घ) म जा

(465) केवल अ छ नेहसेवन से मृ को


कतनी रा म न ध हो जाता है।

(क) 5 (ख)2 (ग) 3 (घ) 7

(466) केवल अ छ नेहसेवन से ू रको


कतनी रा म न ध हो जाता है।
(क) 5 (ख) 2 (ग) 3 (घ) 7

(467) 'अ पकफा म दमा ता हणी' - कस को के


म होती ह ? (च.सू.13/69)

(क) मृ को (ख) म य को (ग) ू रको (घ)


ब को

(468) चरकानुसार नेह ापद क सं या है ?

(क) 6 (ख) 10 (ग) 12 (घ) 19

(469) चरकसं हता म 'त ा र 'का सव थम उ लेख


कसके संदभ म आया है।

(क) नेह ाप भेषज (ख) अश च क सा (ग)


उदररोग च क सा (घ) हणी च क सा
(470) चरकानुसार नेहपान के कतने दन बाद वमन
कराते है।

(क) 1 (ख) 2 (ग) 3 (घ) 7

(471) चरकानुसार नेहपान के कतने दन बाद


वरेचन कराते है।

(क) 1 (ख) 2 (ग) 3 (घ) 7

(472) 'पांच सृ तक पेया' के घटको म शा मल है।

(क) घृत, तैल (ख) वसा, म जा (ग) त डु ल (घ)


उपयु सभी

(473) ' क दन' कसका पयाय है।


(क) वमन (ख) वरेचन (ग) व त (घ) न य

(474) 'उ लेखन' कसका पयाय है।

(क) वमन (ख) वरेचन (ग) लेखन (घ) शोधन

(475) वचारणा के यो य रोगी है।

(क) लेशसहा (ख) न यम सेवी (ग) मृ को ी


(घ) उपयु सभी

(476) चरकानुसारवं ण म कौनसा वेद कराते ह।

(क) मृ वेद (ख) म यम वेद (ग) व प वेद


(घ) अ प वेद

(477) वा भ ानुसारवं ण म कौनसा वेद कराते ह।


(क) मृ वेद (ख) म यम वेद (ग) व प वेद
(घ) अ प वेद

(478) वेदन के अ तयोग म ी म ऋतु म व णत


मधुर, न ध एंव शीतल आहार वहार च क सा
कसने बतलायी है

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) वा भ

(479) वेदन के अ तयोग शी शीतोपचार च क सा


कसने बतलायी है

(क) चरक (ख) सु ुत, शारं धर (ग) का यप (घ)


वा भ
(480) वेदन के अ तयोग म वसप रोग क
च क सा कसने बतलायी है

(क) चरक (ख) सु ुत, शारं धर (ग) का यप (घ)


वा भ

(481) वेदन के अ तयोग त भन च क सा कसने


बतलायी है

(क) चरक (ख) सु ुत, शारं धर (ग) का यप (घ)


वा भ

(482) वेदन के अयो य रोगी है।

(क) सं धवात (ख) वातर (ग) गृधसी (घ) कोई


नह
(483) चरकानुसार कसम वेदन का नषेध है।

(क) न य कषाय सेवी (ख) न य मधुर


सेवी (ग) न य कटु सेवी (घ) उपयु कोई
नह

(484)चरकानुसार सा न वेद क सं या ह ?

(क) 4 (ख) 8 (ग) 10 (घ) 13

(485) चरकानुसार नरा न वेद क सं या ह ?

(क) 4 (ख) 8 (ग) 10 (घ) 13

(486) चरक ने ' प ड वेद' का अंतभाव कया गया


है।
(क) संकर वेद (ख) तर वेद (ग) नाडी वेद
(घ) जे ताक वेद

(487) भाव काश के अनुसार 4 मु त काल तक


कया जाने वाला वेद है।

(क) अवगाहन (ख) तर वेद (ग) नाडी वेद


(घ) जे ताक वेद

(488) नाडी वेद मे नाडी क आकृ त होती है।

(क) घुमावदार (ख) हाथी क सूड समान (ग) ऽ


आकार क (घ) सीधी

(489) जे ताक वेद म कूटागार का व तार होता है।


(क) 8 अर न (ख) 16 अर न (ग) 26 अर न
(घ) पु षसम माण

(490) ह स तका क अ न का योग कौनसे वेद म


कया जाता है।

(क) कूष (ख)कूप (ग) कुट (घ) होलाक

(491) चरकानुसार नरा न वेदहै।

(क) अवगाहन (ख) प रषेक (ग) ब पान (घ)


अव

(492) सु ुत ने कौनसा नरा न वेद नह माना है।

(क) उपनाह (ख) ुधा, भय (ग) म पान (घ)


उपयु सभी
(493) चरकसं हता के वेदा याय म कतने वेद
सं ह बताए गए है।

(क) योदश (ख) दश (ग) अ (घ) षट्

(494) अ ांग सं हकार ने उ म वेद के अतंगत


कतने वेद का वणन कया है ?(अ.सू.26/7)

(क) 8 (ख) 10 (ग) 12 (घ) 13

(495) चरकानुसार वमन वरेचन ापद क सं या


है।

(क) 8 (ख) 10 (ग) 12 (घ) 15

(496) सु ुतानुसार वमन वरेचन ापद क सं या


है।
(क) 8 (ख) 10 (ग) 12 (घ) 15

(497) 'मलापह रोगहरं बलवण सादनम्' - कसका


कम है।

(क) आहार (ख) ओज (ग) र (घ) संसोधन से


लाभ

(498) वमन के प ात् यु धू पान है।

(क) नै हक (ख) ायो गक (ग) वैरेच नक (घ)


उपयु सभी

(499) चरकसं हता के उपक पनीय अ याय म व णत


संसजन म म वमन वरेचन क धानशु म
सव थम दे य है।
(क) म ड (ख) पेया (ग) वलेपी (घ) यवागू

(500) चरक ने वरेचन हेतु वृ क क क मा ा


बतलायी है।

(क) 1 पल (ख) 1 अ (ग) 1 सृत (घ) 1 शु

(501) चरकानुसार 'आ मानम च छ दरदौब यं


लाघवम्' - कसका ल ण ह।

(क) स य व र (ख) अ व र (ग) वर


(घ) वमनेऽ त

(502) चरकानुसार 'दौब यं लाघवं


ला न ा धनामणुता चः' - कसकाल ण ह।
(क) स य व र (ख) अ व र (ग) वर
(घ) वमनेऽ त

(503) "दोषाः कदा चत् कु य त जता लंघनपाचनैः।


जताः संशोधनैय तु न तेषां पुन वः"- कस आचाय
का कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) च पा ण

(504) संशोधन के अ तयोग क च क सा ह।

(क) स पपान (ख) मधुरौषध स तैल का पान


(ग) अनुवासन व त (घ) उपरो सभी

(505) 'उ वगत वातरोग एवं वा ह'- कसके


अ तयोग के ल ण ह।
(क) वमन (ख) वरेचन (ग) दोन (घ) उपयु
कोई नह

(506) चरक सं हता म ' वभावोपरमवाद' का वणन


कहॉ मलता है।

(क) चू.सू.अ.15 (ख) चू.सू.अ.16 (ग)


चू.सू.अ.17 (घ) चू.सू.अ.18

(507) " वभावात् वनाशकारण नरपे ात् उपरमो


वनाशः वभावोपरमः।" - कसका कथन है।

(क) चरक (ख) च पा ण (ग) आ ेय (घ) वा भ

(508) ' वभावोपरमवाद' का मु य अ भ ाय है।


(क) वभावेन नरोध (ख) वभावेन कृ तः (ग)
वभावेन वृ (घ) वभावेनो प ः

(509) जाय ते हेतु वैष याद् वषमा दे हधातवः। हेतु


सा यात् समा तेषां .....सदा।।

(क) वृ (ख) हा न (ग) वभावोपरमः (घ) सम

(510) या भः या भः जाय ते शरीरे धातवः समाः।


सा ..... वकारणां कम तत् भषजां मतम्।।

(क) भेषज (ख) च क सा (ग) औषध (घ)


दोषाणां

(511) चरक के मत से शरोरोग का सामा य कारण


नह है।
(क) दवा व (ख) रा जागरण (ग) जागरण
(घ) ा वात

(512) शर को उ मांग क सं ा कसने द है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) वा भ

(513) माधव नदान के अनुसार शरो रोग क सं या


है ?

(क) 5 (ख) 10 (ग) 11 (घ) 13

(514) 'शीतमा तसं पशात्' कौनसे रोग का नदान


है ?

(क) वा तक शरोरोग (ख) शीत प (ग) दोन


(घ) कोई नह
(515) 'म सेवन्' से कौनसा शरोरोग होताहै ?

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ)


स पातज

(516) 'आ यासुखैः व सुखैगु न धा तभौजनै' -


कौनसे रोग का नदानहै ?

(क) कफज शरोरोग (ख) मेह (ग) मधुमेह (घ)


उपयु सभी

(517) 'आ यासुखं व सुखं दधी न


ा यौदकानूपरसाः पयां स' - कौनसे रोग का नदानहै ?

(क) कफज शरोरोग (ख) वातर (ग) मेह (घ)


उपयु सभी
(518) ' ध छे द जा' कौनसे शरोरोग का कारणहै।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कृ मज (घ)


स पातज

(519) आचाय सु ुत ने कौनसा दय रोगनह माना


है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कृ मज (घ)


स पातज

(520) "दर" (हदय म मरमर व न क ती त होना) -


कौनसे दय रोग का ल ण ह।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ) कृ मज

(521) कफज ोग का नदान है।


(क) च तन (ख) अ त च तन (ग) अ च तन (घ)
उपयु सभी

(522) दयं त धं भा रकं सा मगभवत्- कसका


ल ण है ?

(क) कफज दय रोग (ख) कफज अबुद (ग)


वा तक हणी (घ) कफज हणी

(523) चरकानुसार 'सा पा तक ोग' होता है।

(क) सा य (ख) क सा य (ग) या य (घ)


या येय

(524) चरक के मत से दोष के वक प भेद होते है।

(क) 57 (ख) 62 (ग) 63 (घ) 3


(525) चरकानुसार य के भेद होते है।

(क) 5 (ख) 10 (ग) 2 (घ) 18

(526) सु ुतानुसार य के भेद होते है।

(क) 5 (ख) 10 (ग) 2 (घ) 18

(527) चरकानुसार न न ल खत मे कौनसा रस य


का ल ण नह है।

(क) शू यते (ख) घ ते (ग) दयं ता य त (घ)


दयो लेद

(528) प षा फ टता लाना वग् ा' कस य


के ल ण है।
(क) रस य (ख) कफ य (ग) र य (घ)
म जा य

(529) चरकानुसार 'सं ध फुटन' कौनसी धातु के य


का ल ण है।

(क) मांस (ख) मेद (ग) अ थ (घ) म जा

(530) चरकानुसार 'सं धशै थ य' कौनसी धातु के य


का ल ण है।

(क) मांस (ख) मेद (ग) अ थ (घ) म जा

(531) चरकानुसार 'शीय त इव चा था न बला न


लघू न च। ततं वातरोगी ण' - ल ण है।

(क) मांस (ख) मेद (ग) अ थ (घ) म जा


(532) 'दौब यं मुखशोष पा डु वं सदनं मः' -
चरकानुसार कौनसी धातु के य का ल ण है।

(क) रस (ख) शु (ग) मू (घ) र

(533) चरकानुसार ' पपासा' कसके य का ल ण


है।

(क) रस (ख) शु (ग) मू (घ) र

(534) वभे त बलोऽभी णं ाय त धते यः।


छायो मना ः ाम ैव - चरकानुसार कसका
ल ण है।

(क) ओजनाश (ख) ओज य (ग) ओज व ंस


(घ) ओज यु त
(535) चरकानुसार गभ थ ओज का वण होता है।

(क) स पवण (ख) मधुवण (ग)


र मीष सपीतकम् (घ) ेत वण

(536) चरकानुसार हदय थ ओज का वण होता है।

(क) स पवण (ख) मधुवण (ग)


र मीष सपीतकम् (घ) ेत वण

(537) 'त ाशा ा वन य त' - चरक ने कसके संदभ


म कहा गया है।

(क) र (ख) ओज (ग) शु (घ) ाणायतन

(538) थमं जायते ोजः शरीरेऽ मन् शरी रणाम्।-


कस आचाय का कथन है।
(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) वा भ

(539) मधुमेह के नदान एंव स ा त का वणन


चरक सं हता के कस थान म मलता है।

(क) सू थान (ख) नदान थान (ग) च क सा


थान (घ) वमान थान

(540) तैरावृ ग तवायुरोज आदाय ग छै त। यदा


ब तं ..... मधुमेहः वतते ?(च.सू.17/80)

(क) तदासा यो (ख) तदा कृ ो (ग) तदा या यो


(घ) तदासा यो

(541) मधुमेह क उपे ा करने से शरीर के कस


थान पर दा ण मेह प डकाए उ प हो जाती है।
(क) मांसल दे श म (ख) मम थानम (ग) सं धय
म (घ) उपयु सभी

(542) मेह पडका क सं या 9 कसने बतलायी है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) भोज

(543)"कुल थका" नामक मेह प डका का वणन


कस आचाय ने कया ह।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) भोज

(544)"अ ं षका" नामक मेह प डका का वणन


कस आचाय ने कया ह।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) भोज


(545) पडका ना तमहती पाका महा जा।-
मेह प डका है।

(क) जा लनी (ख) सष पका (ग) अजली (घ)


वनता

(546) पृ और उदर म होने वाली मेह प डका है।

(क) जा लनी (ख) सष पका (ग) अजली (घ)


वनता

(547) ' जा न तोदब ला'कौनसी मेह पडका का


ल ण है।

(क) जा लनी (ख) सष पका (ग) अजली (घ)


वनता
(548) ' वसपणी' मेह पडका है।

(क) जा लनी (ख) सष पका (ग) अजली (घ)


वनता

(549) 'महती नीला' मेह पडका है।

(क) जा लनी (ख) सष पका (ग) अजली (घ)


वनता

(550) 'कृ सा य' मेह पडका नह है।

(क) शरा वका (ख) क छ पका (ग) जा लनी (घ)


वनता

(551) चरकानुसार व ध के कतने भेद होते है।


(क) 2 (ख) 5 (ग) 6 (घ) 8

(552) सु ुतानुसार व ध के कतने भेद होते है।

(क) वध (ख) पंच वध (ग) षड् वध (घ)


स त वध

(553) 'जृ भा' कौनसी व ध का ल ण है ?

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ) दोषज

(554) 'वृ क दं श सम वेदना' कसकाल ण है।

(क) प यमान व ध (ख) प यमान शोफ (ग)


आमवात (घ) उपरो सभी
(555) " तल, माष, एवं कुल थके वाथ के समान
ाव नकलना"- कौनसी दोषज व ध का ल ण है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ)


स पातज

(556) अ यांतर व ध का कौनसा थान चरक ने


नह माना है।

(क) कु (ख)गुदा (ग) वं ण (घ) वृ क

(557) ' ह का' कौनसी अ यांतर व ध का ल ण


है।

(क) दय (ख)यकृत (ग) लीहा (घ) ना भ


(558) 'उ वासापरोध' कौनसी अ यांतर व ध का
ल ण है।

(क) दय (ख) यकृत (ग) लीहा (घ) ना भ

(559) 'पृ क ट ह' कौनसी अ यांतर व ध का


ल ण है।

(क) कु (ख)व त (ग) वं ण (घ) वृ क

(560) 'स थसाद' कौनसी अ यांतर व ध का


ल ण है।

(क) कु (ख)व त (ग) वं ण (घ) वृ क

(561) 'वात नरोध' कौनसी अ यांतर व ध का


ल ण है।
(क) कु (ख) व त (ग) वं ण (घ) गुदा

(562) याशरीरे दोषाणां क तधा गतयः ?

(क) दशः (ख) नवः (ग) षट् (घ) पंचदशः

(563) आशयापकष दोष क कतनी ग तयॉ होतीहै।

(क) 05 (ख) 07 (ग) 10 (घ) 09

(564) चरकानुसार ाकृत े मा कहलाता ह।

(क) बल (ख) ओज (ग) वा य (घ) अ, ब दोन

(565) चरकानुसार दोष क वध ग तय म


स म लत नह ह।
(क) ऊ व ग त (ख) अधः ग त (ग) तयक् ग त
(घ) वषम ग त

(566) चरकानुसार दोष क वध ग तय म


स म लत नह ह।

(क) य (ख) वृ (ग) थान (घ) सर

(567) सवा ह चे ा वातेन स ाणः ा णनां मृतः। -


सू कस अ याय म व णत है।

(क) वातकलाकलीय (ख) वात ा ध च क सा


(ग) द घजीवतीय (घ) कय तः शरसीय

(568) चरक ने शोथ के भेद कतने माने है।

(क) 3 (ख) 5 (ग) 6 (घ) 7


(569) शोथ के पृथ,ु उ त और ं थत भेद कसने
माने है।

(क) चरक (ख) माधव (ग) का यप (घ) वा भ

(570) शोथ के उ वगत, म यगत और अधोगत भेद


कसने माने है।

(क) चरक (ख) माधव (ग) का यप (घ) वा भ

(571) कौनसा शोथ दवाबली होता है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ)


स पातज

(572) कौनसा शोथ 'सषपक काव ल त' होता है।


(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ)
स पातज

(573) 'पूव म यात् शूयते'- कौनसा शोथ का


ल णहै।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ)


स पातज

(574) 'शोथो न ं ण य त'- कौनसा शोथ का


ल णहै।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ)


स पातज
(575) ' नपीडतो नो म त यथु'- कौनसा शोथ का
ल णहै।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ)


स पातज

(576) चरक ने शोथ के उप व कतने माने है।

(क) 9 (ख) 5 (ग) 6 (घ) 7

(577) चरकानुसार न न ल खत म कौन सा शोथ का


उप व नह है।

(क) छ द (ख) वर (ग) ास (घ) दाह

(578) जो शोथ पु ष अथवा ी के गु थान से


उ प होकर स पूण शरीर फैल जाये वह शोथ
.....होता है।

(क) सा य (ख) क सा य (ग) या य (घ) असा य

(579) कु पत कफ गले अ तः दे श म जाकर थर


हो जाये, शी ही शोथ उ प कर दे तो वह है ?

(क)गु म (ख) गलग ड (ग) गल ह (घ)


गलशु डका

(580) गलशु डका म शोथ का थान होता है ?

(क) ज वा मूल (ख) ज वा अ (ग) काकल


दे श (घ) गल दे श

(581) य य प ं कु पतं व च र े ऽव त ते -
कसके लए कहा गया है।
(क) वसप (ख) पडका (ग) प लु (घ) नी लका

(582) य य े मा कु पतो गलबा ोऽव त ते शनैः


संजनये छोफं - है।

(क) गलग ड (ख) गल ह (ग) रो हणी (घ)


ग डमाला।

(583) तीन दोष एक ही समय म एक थान कु पत


होकर ज वामूल म कौनसा भंयकर शोथ उ प करते
है।

(क) गलग ड (ख) गल ह (ग) रो हणी (घ)


कणमूलशोथ
(584) उदररोगशोथ म दोष अ ध ान का थान होता
है।

(क) आमाशय (ख) प वाशय (ग) व ांसा तर


आ त (घ) महा ो स

(585) चरकानुसार 'आनाह' कस दोष के कु पत


हाने से होता है

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) दोष

(586) चरकानुसार 'कणमूलशोथ' कस दोष के


कु पत हाने से होताहै

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) दोष


(587) चरकानुसार 'उप ज का शोथ' कस दोष के
कु पत हाने से होता है

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) दोष

(588) चरकानुसार 'रो हणी' कस दोष के कु पत


हाने से होता है

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) दोष

(589) चरकानुसार 'शंखक शोथ' कस दोष के


कु पत हाने से होता है

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) दोष

(590) चरक सं हता म शंखक शोथ का वणन कहॉ


मलता है।
(क) शोधीय अ याय (ख) मम य
च क साअ याय (ग) मम य स अ याय (घ)
कोई नह

(591) चरक सं हता म शंखक रोग का वणन कहॉ


मलता है।

(क) शोधीय अ याय (ख) मम य


च क साअ याय (ग) मम य स अ याय (घ)
कोई नह

(592) रा ं परमं त य ज तोः भव त जी वतम्।


कुशलेन वनु ा तः ं संप ते सुखी - कसके लए
कहा गया है।
(क) शंखक रोग (ख) रो हणी (ग) र ज
अ धम थ (घ) उपयु सभी

(593) मेधा कस दोष का कम है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) कोई नह

(594) 'न ह सव वकाराणां नामतोऽ त धुवा थ तः'


का वणन कहॉ है।

(क) च.सू.अ.16 (ख) च.सू.अ.17 (ग)


च.सू.अ.18 (घ) च.सू.अ.19

(595) त एवाप रसं येया ..... भव न ह।

(क) भ माना (ख) छ माना (ग) व माना (घ)


पा
(595) चरकानुसार सामा यज रोग क सं याहै।

(क) 40 (ख) 80 (ग) 48 (घ) 56

(596) चरकानुसार ' हणी ोष'के भेद होते है।

(क) 4 (ख) 5 (ग) 6 (घ) 7

(597) चरकानुसार ' लीह दोष'के भेद होते है।

(क) 4 (ख) 5 (ग) 6 (घ) 7

(598) 'तृ णा'के भेद होते है।

(क) 4 (ख) 5 (ग) 6 (घ) 7

(599) चरक ने ' त याय'के भेद बतलाए है।


(क) 6 (ख) 5 (ग)4 (घ) 3

(600) चरक ने 'अरोचक'के भेद बतलाए है।

(क) 5 (ख) 4 (ग) 6 (घ) 3

(600) चरक ने 'उदावत'के भेद बतलाए है।

(क) 3 (ख) 4 (ग) 6 (घ) 8

(601) चरक ने अ ौदरीय अ याय म 5 भेद बाले कुल


कतने रोग बताए है।

(क) 9 (ख) 10 (ग) 11 (घ) 12

(602) चरक ने अ ौदरीय अ याय म 6भेद बाले कुल


कतने रोग बताए है।
(क) 2 (ख) 5 (ग) 6 (घ) 7

(603) चरकानुसार वर के भेद है।

(क) 2 (ख) 5 (ग) 8 (घ) 7।

(604) चरक ने'महागद' क सं ा कसे द है।

(क) उ तंभ (ख) स यास (ग) अत वा भ नवेश


(घ) हलीमक

(605) चरक के मत से वह दोषज रोग जो मन व


शरीर को अ ध ान बनाकर उ प होता है ?

(क) उ तंभ (ख) स यास (ग) अत वा भ नवेश


(घ) अप मार
(606) चरक के मत से 'आम और दोष समु थ' रोग
है ?

(क) उ तंभ (ख) स यास (ग) महागद (घ)


अजीण

(607) दोषा एव ह सवषां रोगाणामेककारणम्- कस


आचाय का कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) वा भ

(608) असा मे याथ संयोग, ापराध और


प रणाम-चरकानुसार कन रोग के कारण है।

(क) नज (ख) आग तुज (ग) दोन (घ) कोई नह

(609) चरकानुसार प का वशेष थान है।


(क) आमाशय (ख) प वाशय (ग) ना भ (घ)
प वामाशयम य

(610) चरकानुसार कफ का वशेष थान है।

(क) आमाशय (ख) उरः दे श (ग) ऊ व दे श


(घ) दय दे श

(611) सु ुतानुसार कफ का वशेष थान है।

(क) आमाशय (ख) प वाशय (ग) उरः दे श (घ)


दय दे श।

(612) चरक मतेन 'रस' कसका थान है

(क) वात थान (ख) प थान (ग) कफ थान (घ)


ब, स दोनो
(613) चरक मतेन 'आमाशय' कसका थान है

(क) वात थान (ख) प थान (ग) कफ थान (घ)


ब, स दोनो

(614) ' न न ल खत कौन सी ा ध सामा यज,


नाना मज दोन म उ ले खत है।

(क) उदावत (ख) उ तंभ (ग) र प (घ)


उपयु सभी

(615) ' न न ल खत कौन सी ा ध सामा यज,


नाना मज दोन म उ ले खत नह है।

(क) ह का (ख) उदावत (ग) पा डु (घ) कामला

(616) ' त मर' कसका नाना मज वकारहै।


(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ)र

(617) ' वगवदरण' कसका नाना मज वकारहै।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ)र

(618) 'उ त भ' कसका नाना मज वकारहै।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ)र

(619) 'म या त भ' कसका नाना मज वकारहै।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ)र

(620) ' ह का' कसका नाना मज वकारहै।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ)र


(621) ' वषाद' कसका नाना मज वकारहै।

(क) वात (ख) प (ग) र (घ)कोई नह

(622) द व, तमः वेश,शीता नता मशः कसके


नाना मज वकारहै।

(क) वात, प , कफ (ख) कफ, र , प (ग)


कफ, वात, प (घ) वात, प , र

(623) 'उदद' कसका नाना मज वकारहै।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ)र

(624) 'धमनी तचय' कसका नाना मज वकारहै।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ)र


(625) 10 र ज नाना मज वकार कसने मानेहै।

(क) शार धर (ख) माधव (ग) का यप (घ) वा भ

(626) 'र प ' कसका नाना मज वकारहै।

(क) र (ख) प (ग) दोन (घ) कोई नह

(627) 'र म डल' कसका नाना मज वकारहै।

(क) र (ख) प (ग) दोन (घ) कोई नह

(628) 'र कोठ कसका नाना मज वकारहै।

(क) र (ख) प (ग) दोन (घ)उपरो कोई


नह

(629) 'र ने वं' कसका नाना मज वकारहै।


(क) र (ख) प (ग) दोन (घ)कोई नह

(630) चरक नेवात को कौनसी सं ा द है।

(क) अ च यवीय (ख) आशुकारी (ग) अ


(घ) अमूत

(631) 'अ ौ न दतीय' अ याय चरको


कौनसेचतु क म आता है।

(क) नदश (ख) क पना (ग) रोग (घ) योजना

(632) चरकानुसार अ त थूलता ज य दोष होते है।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8


(633) न न म से कौनसा रोग अ तकृशता के कारण
होता है।

(क) गु म (ख) अश (ग) हणी (घ) उपयु सभी

(634) अ त थूलव अ तकृश क च क सा मशःहै।

(क) कषण व वृंहण (ख) वृंहण व कषण (ग) लंघन


व वृंहण (घ) वृंहण व लंघन

(635) अ त थूलता क च क सा स ां त है।

(क) गु आहार व संतपण (ख) लघु आहार व


संतपण (ग) गु व अपतपण (घ) लघु व अवतपण

(636) अ तकृशता क च क सा स ां त है।


(क) गु आहार व संतपण (ख) लघु आहार व
संतपण (ग) गु व अपतपण (घ) लघु व अवतपण

(637) थौ यका य का य समोपकरणौ ह तो।


य ुभौ ा धराग छे त् थूलमेवा त पीडयेत। - कसका
कथन ह।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) माधव

(638) 'का यमेव वरं थौ याद् न ह थूल य


भेषजम्'। - कसका कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) माधव

(639) वा भ मतेन क यरोग य नौषधम् ?

(क) मधुमेह (ख) संयास (ग) थौ य (घ) का य


(640) ' फक्, ीवा व उदर शु कता'चरकानुसार
कसका ल ण है।

(क) मांस धातु य (ख) मेद धातु य (ग)


अ तका य (घ) अ, स दोन

(641) अ ौ न दतीय अ याय म व णत रोग है।

(क) रसज (ख) र ज (ग) मेदज (घ)


मांसज

(642) चरक ने न न कसक च क सा म वृहत


पंचमूल का योग शहद के साथ नद शत कया है।

(क) त याय (ख) अ त थौ य (ग) अ तका य


(घ) प ा मरी
(643) अ त थूलता क च क सा म यु औषध
नह है।

(क) त ा र (ख) यवामलक चूण (ग) शलाजीत


(घ) रसायन, बाजीकरण

(644) यदा तु मन स ल त कमा मानः


लमा वताः। वषये यो नवत ते तदा ..... मानवः।।

(क) न ां (ख) व प त (ग) जागर त (घ) व ः

(645) चरकानुसार ' ान अ ान' कस पर नभर है।

(क) न ा (ख) कफ (ग) प (घ) अ, ब दोनो

(646) दवा व के यो य रोगी नह है।


(क) तृ णा (ख) अ तसार (ग) शूल (घ) शोथ

(647) दवा व के यो य ऋतु है।

(क) ी म (ख) वषा (ग) श शर (घ) ावृट्

(648) दवा व नषेध नह है।

(क) मेद वी (ख) क ठरोगी (ग) षी वषात (घ)


अ तसारी

(649) चरकानुसार ी म ऋतु को छोड़कर अ य ऋतु


म दवा व से कसका कोप होता है।

(क) कफ (ख) कफ प (ग) दोष (घ) वात


(650) सु ुतानुसार ी म ऋतु को छोड़कर अ य ऋतु
म दवा व से कसका कोप होता है।

(क) कफ (ख) कफ प (ग) दोष (घ) वात

(651) दवा व ज य वकार है।

(क) हलीमक (ख) गु गा ता (ग) इ य वकार


(घ) उपयु सभी

(652) रा ौ जागरण ं न धं वपनं दवा।


अ ं अन भ य द .....।

(क) जारण (ख) वासीनं चला यतम् (ग)


भु वा च दवा व ं (घ) सम न ा

(653) .....समु थे च थौ यका य वशेषतः।


(क) व ाहार (ख) रस न म मेव (घ) आहार
न ा चय (ग) न ा

(654) चरक ने अ त न ा क च क सा म न न म
कसका नदश कया है।

(क) शरो वरेचन (ख) काय वरेचन (ग) र मो ण


(घ) उपयु सभी

(655) चरक न ानाश के कारण बताए◌ॅ है।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8

(656) चरक न ा के भेद माने है।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 3


(657) सु ुत न ा का भेद नह माना है।

(क) वै णवी (ख) ा यनुवतनी (ग) वैका रक


(घ) तामसी

(658) भूधा ी न ा ह -

(क) तमोभवा (ख) रा वभाव भवा (ग)


वैका रक (घ) आग तुक

(659) कौनसी न ा ा ध को न द नह करती है।

(क) े मसमु वा (ख) मनःशरीर मस भवा (ग)


आग तुक (घ) तमोभवा

(660) समसंहनन पु ष का वणन कस आचाय ने


कयाहै।
(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(661) व थ पु ष का वणन कस आचाय ने


कयाहै।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(662) दश वध न दत बालक का वणन कस


आचाय ने कयाहै।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(663) " थूल पवा" - कसका ल ण है।

(क) अ त थूल (ख) अ तकृश (ग) दोन (घ) कोई


नह
(664) थूलता से मु होने के उपाय है।

(क) जागरण (ख) ायाम (ग) वाय (घ)


उपयु सभी

(665) रस न म मेव थौ यं का य च। - कस
आचाय का कथनहै।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(666) न ानाश क च क सा है ?

(क) नान (ख) शा य (ग) म (घ)


उपयु सभी

(667) न ानाश का हेतुनह है ?


(क) काय (ख) काल (ग) वय (घ) वकार

(668) सु ुत न ा के भेद माने है।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 3

(669) वा भ न ा के भेद माने है।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 3

(670) वाभावात् न ा- का वणन कस आचाय ने


कया है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(671) चरक सू थान अ याय - 22 का नाम है।


(क) महारोगा याय (ख) अ ौ न दतीय (ग)
संतपणीय (घ) लंघन वृंहणीय

(672) लंघन, बृंहण, ण, त भन, वेदन, नेहन -


कहलाते है।

(क) षट् कम (ख) षट् या (ग) षट् याकाल (घ)


षड् वध उप म

(673) 'सर एवं थर' दोन गुण कौनसे म


मलतेहै।

(क) नेहन (ख) लंघन (ग) वेदन (घ) ण

(674) ' न ध एवं ' दोन गुण कौनसे म


मलतेहै।
(क) नेहन (ख) लंघन (ग) वेदन (घ) ण

(675) ' थूल प छलम्'गुण कौनसे म मलतेहै।

(क) बृंहण (ख) नेहन (ग) त भन (घ) ण

(676) ' ायो म दं थरं णं ं .....उ यते।

(क) बृंहणम् (ख) नेहनम् (ग) त भनं (घ)


णम्

(677) ायो म दं मृ च यद् ं तत् ..... मतम्।

(क) बृंहणम् (ख) नेहनम् (ग) त भनं (घ)


णम्
(678) शीतं म दं मृ णं ं सू मं वं थरम्।
- कौनसे के गुण है।

(क) बृंहण (ख) नेहन (ग) त भन (घ) ण

(679) वं सू मं सरं न धं प छलम् गु शीतलम्।


- कौनसे के गुण है।

(क) बृंहण (ख) नेहन (ग) त भन (घ) ण

(680)चरक ने लंघन के भेद माने है।

(क) 2 (ख) 10 (ग) 12 (घ) 3

(681) चरको लंघन के कार म प लंघन है


-
(क) 7 (ख) 10 (ग) 5 (घ) 6

(682) वा भ लंघन के भेद माने है।

(क) 2 (ख) 10 (ग) 12 (घ) 3

(683) शमन कसका भेद है।

(क) च क सा (ख) (ग) लंघन (घ)


उपयु सभी

(684) शमन कसका पयाय है।

(क) च क सा (ख) (ग) लंघन (घ)


उपयु सभी
(685) येषां म यबला रोगाः कफ प समु थताः। - म
लंघन का कौनसा कार उपयु है।

(क) संशोधन (ख) द पन (ग) पाचन (घ) आतप


सेवन

(686) चरक ने न न कस ा ध म पाचन ारा


लंघन का नदश कया है।

(क) दयरोग (ख) अ तसार (ग) वबंध (घ)


उपयु सभी

(687) वात वकार रोगी म लंघन हेतु उपयु ऋतु है।

(क) श शर (ख) ी म (ग) हेम त (घ) बंसत


(688) न य ीम सेवी म बृंहण हेतु उपयु ऋतु
है।

(क) श शर (ख) ी म (ग) हेम त (घ) बंसत

(689) कस ा ध से सत का य रोगी को
ादमांस का योग करना चा हए।

(क) शोष (ख) अश (ग) हणी (घ) उपयु सभी

(690) 'अ भ य द रोगी'म कौनसे उप म का योग


करना चा हए।

(क) नेहन (ख) लंघन (ग) वेदन (घ) ण

(691) ' ारा नद ध रोगी'म कौनसे उप म का योग


करना चा हए।
(क) नेहन (ख) तंभन (ग) वेदन (घ) ण

(692) हनुसं हः च न ह - कसके अ तयोग का


ल ण ह।

(क) लंघन (ख) तंभन (ग) बृंहण (घ) ण

(693) न न म से कौनसा ता कारक है।

(क) त (ख) खली (ग) प याक (घ)


उपयु सभी

(694) संतपणज य रोग नह है।

(क) पा डु (ख) शोफ (ग) लै (घ) लाप

(695) अपतपणज य रोग नह है।


(क) वर (ख) व मू सं ह (ग) उ माद (घ)
दय था

(696) संतपण एंव अपतपण दोन ज य रोग है।

(क) वर (ख) मू कृ (ग) अरोचक (घ) कु

(697) संतपणज य क रोग क च क सा है।

(क) वमन (ख) वरेचन (ग) र मो ण (घ)


उपयु सभी

(698) संतपणज य क रोग क च क सा म यु


र न है।

(क) मा ण य (ख) वाल (ग) गोमेद (घ) पुखराज


(699) मधु + हरी तक कन रोग क च क सा म
यु होती है।

(क) संतपणज य (ख) अपतपणज य (ग) दोन


(घ) सभी अस य

(700) म वकार नाशक खजूरा द म थ कन रोग


क च क सा म यु होती है।

(क) संतपणज य (ख) अपतपणज य (ग) दोन


(घ) सभी अस य

(701) यूषणा दम थ कन रोग क च क सा म


यु होती है।
(क) संतपणज य (ख) अपतपणज य (ग) दोन
(घ) सभी अस य

(702) ोष स ु कन रोग क च क सा म यु
होती है।

(क) संतपणज य (ख) अपतपणज य (ग) दोन


(घ) सभी अस य

(703) चरकानुसार "स ौ ाभया ाशः" कसक


च क सा है।

(क) संतपणज य रोग (ख) अपंतपणज य रोग (ग)


अ त थौ य (घ) अ तका य

(704) चरक ने संतपण के भेद माने है।


(क) 2 (ख) 10 (ग) 12 (घ) 3

(705) चर ीणं रोगी का पोषण चरकमतेनहोता है


.....।

(क) स संतपण (ख) संतपणा यास (ग) स ः


बृंहण (घ) स वावजय

(706) चरकानुसार शकरा, प पलीचूण, तैल, घृत,


ौ और गुना स ु जल म घोलकर बनाया गया म थ
होता है।

(क) वृ य (क) ब य (क) का यहर (क) थौ यहर

(707) बलवणसुखायुषा कसका काय है।

(क) धर (ख) ओज (ग) आहार (घ) अ, स दोनो


(708) ा णय के ाण कसका अनुवतन करते है।

(क) धर (ख) ओज (ग) आहार (घ) वायु

(709) न न म से र ज रोग है।

(क) त ा (ख) मीलक (ग) उपकुश (घ)


उपयु सभी

(710) र ज रोग का नदान कससे होता है।

(क) उपशय (ख) अनुपशय (ग) प (घ) पूव प

(711) शीत, उ ण, न ध, आ द उप म भी जो
शा त नह हो वेरोग कौनसे होते है।

(क) असा य (ख) दा ण (ग) धातुगत (घ) र ज


(712) र ज रोग क च क सा है।

(क) वरेचन (ख) उपवास (ग) दोन (घ) ब त

(713) र मो ण के प ात् कसक र ा करनी


चा हए।

(क) रस क (ख) धातु क (ग) अ नक (घ)


वायुक

(714) "र प हरी या" - कन रोग म करनी


चा हए ? (च.सू.24/18)

(क) प ज रोग (ख) र जरोग (ग) संतपणजरोग


(घ) र प

(715) चरक ने मद के कार माने है।


(क) 2 (ख) 4 (ग) 7 (घ) 3

(716) न न म से कौनसा एक मनोवह ोतस का


रोग नह है।

(क) मद (ख) मू छा (ग) सं यास (घ) उपयु


सभी

(717) मू छा कौनसे ोतस का रोग है।

(क) रसवह (ख) र वह (ग) सं ावह (घ) मनोवह

(718) "स हार क ल यम्" -कौनसे मद का ल ण


है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ)


स पातज
(719) जायते शा य त वाशु मदो म मदाकृ त। -
कौनसे मद का ल ण है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ)


स पातज

(720) ' भ वच'कौनसी मू छा का ल ण है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ)


स पातज

(721) कौनसी मू छा म अप मार के ल ण दे खने को


मलते है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ)


स पातज
(722) 'का ीभूतो मृतोपमः' कसका ल ण है।

(क) मद (ख) मू छा (ग) सं यास (घ) अप मार


हेतु

(723) दोष का वेग शा त हो जाने पर शा त हो जाने


वाली ा धयॉ है।

(क) मद (ख) मू छा (ग) दोन (घ) सं यास

(724) ' व ध शो णतीय' अ याय चरको कस स त


चतु क म आता है।

(क) नदश (ख) क पना (ग) रोग (घ) योजना

(725) 'स ः फला या न द ः' कसम है।


(क) अ वा भ नवेश (ख) मू छा (ग) सं यास (घ)
अप मार

(726) 'कौ भघृत' न द है।

(क) अ वा भ नवेश (ख) मू छा (ग) सं यास (घ)


अप मार

(727) ' शलाजतु' न द है।

(क) मद (ख) मू छा (ग) दोन (घ) सं यास

(728) कौनसा रोग बना औष ध के ठ क नह हो


सकता है।

(क) मद (ख) मू छा (ग) दोन (घ)सं यास


(729) कौन सी अव था के लए च क सा परम
आव यक है ?

(क) मद (ख) मू छा (ग) सं यास (घ) अप मार

(730) चरक सं हता के कस अ याय मे स भाषा


प रषद नह ई है।

(क) य जः पु षीयं (ख) आ ेय भ का यीय (ग)


वातकलाकलीय (घ) अ पान व ध

(731) चरक सं हता के य जःपु षीय अ याय


न द स भाषा प रषद म कता कौन थे।

(क) वदे ह न म (ख) आ ेय (ग) अ नवेश (घ)


का शप त वामक
(732) 'कालवाद' के वतक है।

(क) भार ाज (ख) भ का य (ग) कांकायन (घ)


भ ु आ ेय

(733) मौदग य पारी कस मत के समथक थे।

(क) स ववाद (ख) आ मवाद (ग) रसवाद (घ)


षड् धातुवाद

(734) पु ष छः धातु के समूह से उ प आ है


यह कोण कसका है -

(क) भ का य (ख) हर या (ग) कांकायन (घ)


भ ु आ ेय

(735) मातृ- पतृवाद कससे स ब धत है।


(क) शरलोमा (ख) कौ शक (ग) भर ाज (घ)
भ का य

(736) न न म से आहार का कौनसा कार चरक ने


नह माना है।

(क) पान (ख) अशन (ग)भो य (घ) भ य

(737) आहार म अ क मा ा 1 कुडव कसने


बतलायी है।

(क) चरक (ख) आ ेय (ग) अ नवेश (घ)


च पा ण

(738) मृ य वसा म हततम है।


(क) चुलुक वसा (ख) चटक वसा (ग) पाकहंस
वसा (घ) कु भीर वसा

(739) चरकानुसार मृग मांस वग म अ हततम है ?

(क) ऐण मांस (ख) गोमांस (ग) आ व मांस (घ)


अजा मांस

(740) शूक धा य म अप यतम है।

(क) को व (ख) यवक (ग) यव (घ) यंगु

(741) चरकानुसार फल वगम अ हततम है।

(क) आ (ख) मृ का (ग) ऑवला (घ) लकुच

(742) चरकानुसार फल वग हततम है।


(क) आ (ख) मृ का (ग) ऑवला (घ) लकुच

(743) चरकानुसार क दो म धानतम है।

(क) आलु (ख) आ क (ग) सूरण (घ) वाराही

(744) सु ुतानुसार क द वगम धानतम है।

(क) आलु (ख) आ क (ग) सूरण (घ) वाराही

(745) प शाक म े तम है।

(क) सषप (ख)पालक (ग) मूली (घ) जीव ती

(746) जलचर प ी वसा म हततम है।

(क) चुलुक वसा (ख) चटक वसा (ग) पाकहंस


वसा (घ) कु भीर वसा
(747) चरकानुसार अ य भाव क सं या है।

(क) 125 (ख) 152 (ग) 155 (घ) 160

(748) वा भ ानुसार े भाव क सं या है।

(क) 125 (ख) 152 (ग) 155 (घ) 160

(749) .....प यानाम्।

(क) गोघृत (ख) ीर (ग) हरीतक (घ) आमलक

(750) .....सां ा हक र प शमनानां।

(क) अन ता (ख) उ पल (ग) कुमुद (घ) उपयु


सभी

(751) एर डमूलं .....।


(क) वातहराणां (ख) वृ य दोषहराणां (ग) वृ य
वातहराणां (घ) वृ य सवदोषहराणां

(752) अनारो यकराणां .....।

(क) वषमासन (ख) व वीयासन (ग)


वेगसंधारण (घ) गु भोजन

(753) ..... ानाम्।

(क) गोघृत (ख) ीर (ग) मधुर (घ) अ ल

(754) राजय मा .....।

(क) रोगाणाम् (ख) द घरोगाणाम् (ग)


रोगसमूहानाम् (घ) अनुषं गणाम्
(755) जीवन दे ने म े है ?

(क) ीर (ख) आयुवद (ग) जल (घ) वै समूह

(756) जलम् .....।

(क) आ ासकराणां (ख) महराणां (ग)


त भनीयानां (घ) ब यानां

(757) .....पु कराणां।

(क) नवृ तः (ख) सवरसा यासो (ग) कु कुटो (घ)


ायाम

(758) व त .....।
(क) वातहारणां (ख) ा धकराणां (ग) तं ाणां
(घ) अ एवं स दोन

(759) .....सवाप यानाम् ।

(क) आ व ध (ख) आयास (ग) व ़◌़◌़◌़ ाहार


(घ) वषमासन

(760) छे दनीय, द पनीय, अनुलोमन और वातकफ


शमन करने वाले म े है।

(क) ह गु नयास (ख) नःसंशयकराणां (ग)


वै समूहानां (घ) साधनानां

(761) उदक् .....।


(क) आ ासकराणां (ख) महराणां (ग)
त भनीयानां (घ) ब यानां

(762) "वृ य वातहराणाम्" है।

(क) एर ड प (ख) एर ड मूल (ग) एर ड पंचांग


(घ) उपयु सभी

(763) अ अ चकर भाव म े है।

(क) पराघातनम् (ख) त क (ग) मताशन (घ)


रज वला भगमन

(764) कु .....।

(क) रोगाणाम् (ख) द घरोगाणाम् (ग)


रोगसमूहानाम् (घ) अनुषं गणाम्
(765) चरक ने अ य करण म आमलक को
.....बताया है।

(क) वातहर (ख) दाह शमन (ग) वयः थापन (घ)


रसायन

(766) ' न न ल खत म से कौन सी एक औष ध


सं हणीय, द पनीय और पाचनीय के पम नय
सवा धक उपयोगी है।

(क) मु ता (ख) कट् वंग (ग) शतुपु पा (घ) व ब

(767) कास, ास और ह का रोग म े औष ध


कौन-सी है ?
(क) अनंतमूल (ख) पु करमूल (ग) दशमूल (घ)
शट

(768) चरक ने े ब य बताया ह।

(क) ीर (ख) बला (ग) घृत (घ) कु कुट

(769) एककाल भोजन .....।

(क) सुखप रणाम कराणां (ख) कशनीयानाम् (ग)


दौब यकरणां (घ) अ नस धु णानां

(770) .....उ ायाणां।

(क) हणी (ख) आमदोष (ग) अजीण (घ)


आम वष
(771) ..... वष ननां।

(क) गोघृत (ख) शरीष (ग) वडंग (घ) आमलक

(772) म न म े है

(क) सुरा (ख) ीर (ग) व त (घ) सवरसा यास

(773) आसव का सव थम वणन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) आ ेय (घ) वा भ

(774) आसव का सव थम प रभाषा द है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) आ ेय (घ) वा भ

(775) आसव क यो नयॉ है।


(क) 8 (ख) 9 (ग) 11 (घ) 6

(776) चरकानुसार आसव क सं या है।

(क) 84 (ख) 90 (ग) 80 (घ) 9

(777) पु पासव क सं या .....।

(क) 11 (ख) 10 (ग) 6 (घ) 4

(778) मूल आसव क सं या .....।

(क) 11 (ख) 10 (ग) 84 (घ) 9

(779) चरकानुसार कतने कार के वगासव है -

(क) 4 (ख) 11 (ग) 10 (घ) 26


(780) न न म से कसका वक् आसव नह होता है।

(क) त वक (ख) लो (ग) अजुन (घ) एलुआ

(781) न न म से कस का योग फल व सार


दोन आसव मे होता है।

(क) खजूर (ख) ध वन (ग) अजुन (घ) ृंगाटक

(782) "प यं पथोऽनपेतं य चो ं मनसः यम्" -


कसने कहा है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) च पा ण

(783) कसआचाय ने प य के साथ अप य क भी


प रभाषा द है।
(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) च पा ण

(784) आसव नाम आसु वाद् आसवसं ा। - कसने


कहा है।

(क) चरक (ख) आ ेय (ग) अ नवेश (घ)


च पा ण

(785) आसु वात् स धान प वात् आसव। - कसने


कहा है।

(क) चरक (ख) आ ेय (ग) अ नवेश (घ)


च पा ण

(786) यद प वकौषधा बु यां स ं म ं स आसवः।


- कसने कहा है।
(क) चरक (ख) सु ुत (ग) शारं धर (घ) च पा ण

(787) आसव और अ र म अ तर सव थम कसने


बतलाया है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) शारं धर (घ) च पा ण

(788) चरक सं हता के कस अ याय मे रस सं या


व न य संबंधी स भाषा प रषद ई है।

(क) य जः पु षीयं (ख) आ ेय भ का यीय (ग)


वातकलाकलीय (घ) अ पान व ध

(789) ारक गणना रस म कसने क है।

(क) वैदेह (ख) धामागव (ग) अ एवं ब दोन (घ)


उपयु कोई नही
(790) रस क सं या 6 कसने मानी है।

(क) वाय वद (ख) वा भ (ग) पुनवसु आ ेय (घ)


उपयु सभी

(791) रस सं या वषयक स भाषा प रषद म वदे ह


राज न म ने कहा था रस होते है ?

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8

(792) 'एक एव रस इ युवाच' - कसका कथन है।

(क) भ का य (ख) शाकु तेय (ग) कुमार शरा


भर ाज (घ) हर या

(793) छे दनीय, उपशमनीय और साधारण कसके


भेद है ?
(क) रस (ख) दोष (ग) भेषज् (घ) आसव

(794) रस क सं या 8 कसने मानी है ?

(क) वाय वद (ख) न म (ग) धामागव (घ)


कांकांयन

(795) छे दनीय और उपशमनीय रस को कसने माना


है।

(क) कुमार शराभार ाज (ख) हर या मौ य


पूणा (ग) शाकु तेय (घ) ब, स दान

(796) कस आचाय ने पंच महाभूत के आधार पर


रस 5 माने है।
(क) कुमार शरा भार ाज (ख) हर या (ग)
शाकु तेय (घ) मौ य पूणा

(797) स पुन दकादन य। - रस को कसने माना है।

(क) भ का य (ख) हर या (ग) शाकु तेय (घ)


मौ य पूणा

(798) रस क सं या अप रसं येय कसने मानी है ?

(क) भ का य (ख) वाय वद (ग) कुमार शरा


भर ाज (घ) कांकायन

(799) रस क यो न ह।

(क)जल (ख) रसे य (ग) (घ) कोई नह


(800) "सव ं पा×चभौ तकम अ मन थः।"-
कसने कहा है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(801) "इह ह ं प×चमहाभूता मकम्।"-


कसनेकहा है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(802) कम प च वधमु ं वमना द- कसने कहाहै।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) वा भ

(803) आचाय चरकानुसार 'खर' गुण कौनसे महाभूत


म होता है।
(क) पृ वी (ख) वायु (ग) आकाश (घ) अ, ब दोन

(804) आचाय चरकानुसार 'गु ' गुण कौनसे महाभूत


म होता है।

(क) पृ वी (ख) जल (ग) पृ वी एवं जल (घ) कोई


नह

(805) 'आ नेय ' म 'खर' गुण कस आचाय ने


माना है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शारं धर

(806) 'वाय ' ' वायी, वका श' गुण


अतर कस आचाय ने बतलाए है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शारं धर


(807) सु ुत एवं वा भ के अनुसार 'आकाशीय '
का गुण नह है।

(क) लघु (ख) सू म (ग) मृ (घ) ण

(808) "नानौष धभूतं जग त क चद् मुपल यते"


- संदभ मूल प से उ त है ?

(क) चरक सं हता (ख) सु ुत संहता (ग) अ ांग


सं ह (घ) भाव काश

(809) "इ थं च नानौषधभूतं जग त क×चद


म त व वधाथ योगवशात्।" - संदभ मूल प से
उ त है ?
(क) चरक सं हता (ख) सु ुत संहता (ग) अ ांग
सं ह (घ) भाव काश

(810) यदा कुव त स .....।

(क) कम (ख) वीय (ग) कालः (घ) उपायः

(811) यथा कुव त स .....।

(क) कम (ख) वीय (ग) कालः (घ) उपायः

(812) येनकुव त तत् .....।

(क) कम (ख) वीय (ग) कालः (घ) उपायः

(813) य कुव त तत् .....।

(क) कम (ख) वीय (ग) कालः (घ) उपायः


(814) रस के संयोग भेद बतलाए गए है।

(क) 57 (ख) 67 (ग) 62 (घ) 63

(815) रस के वक पभेद बतलाए गए है।

(क) 57 (ख) 67 (ग) 62 (घ) 63

(816) दो-दो, तीन-तीन, चार-चार, पॉच-पॉच एंव छः


रस आपस म मलकर मशः बनाते है ?

(क) 15, 20, 15, 20, 25 (ख) 12, 18, 24, 30,
36

(ग) 30, 24, 18, 12, 6 (घ) 15, 20, 15, 6, 1

(817) रस के संयोग व क पना भेदहै मशः।


(क) 63, 57 (ख) 57, 63 (ग) 55, 62 (घ) 62,
57

(818) 3 रस के संयोग से रस भेद।

(क) 15 (ख) 20 (ग) 6 (घ) 5

(819) शु क का ज वा से संयोग होने पर


सव थम अनुभूत होता है।

(क)रस (ख) अनुरस (ग) नपात (घ) वपाक

(820) रस का वपयय है।

(क) ऊषण (ख) अनुरस (ग) ार (घ) पटु


(821) 'रसो ना तीह स तमः' - कस आचाय का
कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वदै ह न म


(घ)शारं धर

(822) चरक सं हता के कस अ याय मपरा द गुण


एवंउनके ल ण का नदश है।

(क) य जः पु षीय (ख) आ ेय भ का यीय (ग)


इ योप मणीय (घ) अ पान व ध

(823) ' च क सीय स के उपाय' ह।

(क) इ य गुण (ख) गुवा द गुण (ग) परा द गुण


(घ) आ म गुण
(824) ' च क सीय गुण' ह।

(क) इ य गुण (ख) गुवा द गुण (ग) परा द गुण


(घ) आ म गुण

(825) चरकानुसार संयोग, वभागएंव पृथक व के


मशः भेद है -

(क) 3, 3, 2 (ख) 3, 3, 4 (ग) 3, 3, 3 (घ) 3, 2,


3

(826) ' वयोग' कसका भेद है।

(क) संयोग (ख) वभाग (ग) पृथक व (घ)


प रमाण

(827) 'वैल य' कसका भेद है।


(क) संयोग (ख) वभाग (ग) पृथक व (घ)
प रमाण

(828) शीलन कसका पयाय है।

(क) संयोग (ख) वभाग (ग) सं कार (घ) अ यास

(829) परा द गुण क सं या 7 कसने मानी है।

(क) याय दशन (ख) वैशे षकदशन (ग)


सां यदशन (घ) योगदशन

(830) कणाद ने परा द गुण म कसक गणना नह


क है।

(क) यु (ख) अ यास (ग) सं कार (घ) उपयु


सभी
(831) "पवनपृ वी तरेकात्' से कस रस का
नमाण होताह ? (च.सू.26/40)

(क) अ ल (ख) लवण (ग) मधुर (घ) कषाय

(832) लवण रस का भौ तक संगठन है।

(क) पृ वी + जल (ख) जल + अ न (ग) पृ वी +


अ न (घ) वायु + पृ वी

(833) गु , न ध व उ ण गुण कस रस म उप थत
होते है ?

(क) कटु (ख) त (ग) लवण (घ) अ ल

(834) 'मनो बोधय त' कौनसा रस है।


(क) मधुर (ख) अ ल (ग) लवण (घ) कषाय

(835) ' मीन् हन त' कस रस का कम है।

(क) अ ल (ख) कटु (ग) त (घ) कषाय

(836) 'आहार योगी' रस है।

(क) मधुर (ख) अ ल (ग) लवण (घ) कटु ।

(837) 'हदयं तपय त' रस है।

(क) मधुर (ख) अ ल (ग) लवण (घ) कटु

(838) 'हदयं पीडय त' कस रस के अ तसेवन के


कारणहोताहै।

(क) अ ल (ख) कटु (ग) त (घ) कषाय


(839) 'शो णतसंघात भन ' रस है।

(क) अ ल (ख) कटु (ग) त (घ) कषाय

(840) ' वष न' रस है।

(क) लवण (ख) कटु (ग) त (घ) कषाय

(841) ' वषं वधय त' कस रस के अ तसेवन के


कारणहोता है।

(क) लवण (ख) कटु (ग) त (घ)कषाय

(842) 'पुं वमुपह त' कस रस के अ तसेवन के


कारण होता है।

(क) कटु (ख) लवण (ग)कषाय (घ) उपयु सभी


(843) 'र षय त' कस रस के अ तसेवन के
कारण होताहै।

(क) अ ल (ख) कटु (ग) त (घ) कषाय

(844) 'गलग ड और ग डमाला रोग' कस रस के


अ तसेवन के कारण होता है।

(क) मधुर (ख) अ ल (ग) लवण (घ) कषाय

(845) ' त यशोधन' कस रस का कायहै।

(क) अ ल (ख) कटु (ग) त (घ) कषाय

(846) ' वर न' कस रस का कायहै।

(क) अ ल (ख) कटु (ग) त (घ) कषाय


(847) 'संशमन' कस रस का कायहै।

(क) अ ल (ख) कटु (ग) त (घ) कषाय

(848) त रस का काय है।

(क) वष न (ख) कृ म न (ग) वर न (घ) उपयु


सभी

(849) कषायरस का काय है।

(क) शोषण (ख) रोपण (ग) पीडन (घ) उपयु


सभी

(850) मधुररस का काय है।


(क) ीणन (ख) जीवन (ग) तपण (घ) उपयु
सभी

(851) 'लेखन' कस रस का कायहै।

(क) लवण (ख) कटु (ग) त (घ) कषाय

(852) 'सवरस यनीक भूतः' रस है।

(क) मधुर (ख) अ ल (ग) लवण (घ) कटु

(853) 'भ ं रोचय त' रस है।

(क) मधुर (ख) अ ल (ग) लवण (घ) कटु

(854) 'रोचय याहारम्' रस है।

(क) मधुर (ख) अ ल (ग) लवण (घ) कटु


(855) द पन, पाचन कम कस रस का कम है।

(क) मधुर, अ ल (ख) अ ल, लवण (ग) कटु , लवण


(घ) त , लवण

(856) 'ऊजय त' कस रस का कम है।

(क) अ ल (ख) कटु (ग) त (घ) कषाय

(857) ' ः शीतोऽलघु ' गुण कस रस म उप थत


होते है ?

(क) अ ल (ख) मधुर (ग) लवण (घ) कषाय

(858) 'लघु, उ ण, न ध' गुण कस रस म उप थत


होते है ?
(क) अ ल (ख) मधुर (ग) लवण (घ) कषाय

(859) चरक ने म यमगु कस रस को माना है।

(क) अ ल (ख) लवण (ग) कषाय (घ) मधुर

(860) चरक ने उ म लघु कस रस को माना है।

(क) अ ल (ख)लवण (ग) कटु (घ) त

(861) चरक ने उ म उ ण कस रस को माना है।

(क) अ ल (ख)लवण (ग) कटु (घ) त

(862) चरक ने अवर कस रस को माना है।

(क) अ ल (ख) लवण (ग) कटु (घ) त


(863) चरक ने अवर न ध कस रस को माना है।

(क) अ ल (ख)लवण (ग) कटु (घ) त

(864) चरक ने लवणरस का वपाक माना है।

(क) मधुर वपाक (ख) अ ल वपाक (ग) कटु


वपाक (घ) कोई नह

(865) प वधक, शु नाश, सृ वडमू ल - कौनसे


वपाक के गुणधम है।

(क) मधुर वपाक (ख) अ ल वपाक (ग) कटु


वपाक (घ) उपयु सभी

(866) कौनसा वपाक 'सृ वडमू ल' होताहै।


(क) मधुर वपाक (ख) अ ल वपाक (ग) कटु
वपाक (घ) अ, ब दोन

(867) चरक मतानुसार कौनसा वपाक 'शु् लः'


होताहै।

(क) मधुर वपाक (ख) अ ल वपाक (ग) कटु


वपाक (घ) अ, ब दोन

(868) " वपाकः कम न या" - कसका कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) वा भ

(869) चरकने वीय के भेद माने है।

(क) 2 (ख) 15 (ग) 8 (घ) अ, स दोन


(870) सु ुत ने वीय का कौनसा भेद नह माना है ?

(क) गु , लघु (ख) वशद, प छल (ग) न ध,


, (घ) म , ती ण

(871) वीय का ान होता है।

(क) नपात (ख) अ धवास (ग) दोन से (घ)


कम न ासे

(872) ' वदाह चा य क ठ य' कस रस का ल ण


है।

(क) अ ल (ख)लवण (ग) कटु (घ) त

(873) 'स वदाहा मुख य च' कस रस का ल ण है।


(क) अ ल (ख)लवण (ग) कटु (घ) त

(874) ' वदह मुखनासा सं ावी' कस रस का


ल ण है।

(क)अ ल (ख)लवण (ग) कटु (घ) त

(875) 'वैश त भजाडयैय रसनं' कस रस का


ल ण है।

(क) लवण (ख) कटु (ग) त (घ) कषाय

(876) म रच क ती णता का ान होता है।

(क) नपात (ख) अ धवास (ग) दोन से (घ)


कम न ासे
(877) रसवीय वपाकानां सामा यं य ल यते।
वशेषः कमणां चैव .....त य स मृतः।।

(क) पाचनः (ख) द पनः (ग) भावः (घ)


वीयसं ा त

(878) 'रसा द सा ये यत् कम व श ं तत्


भावजम्।'- कसका कथन है ?

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) वा भ

(879) चरकानुसार न न म से कसका नैस गक बल


सवा धक है।

(क) रस (ख) वपाक (ग) वीय (घ) भाव


(880) चरक ने वैरो धक आहार के कतने घटक बताए
ह।

(क) 15 (ख) 18 (ग) 12 (घ) 5

(881) अ ल पदाथ के साथ ध पीना ह।

(क) संयोग व (ख) वीय व (ग) व ध


व (घ) सं कार व

(882) एर ड क लकड़ी क स क पर भुना आ मोर


का मांस ह।

(क) संयोग व (ख) प रहार व (ग)


उपचार व (घ) सं कार व
(883) वाराह आ द का मांस सेवन कर फर उ ण
व तु का सेवन करना ह।

(क) संयोग व (ख) प रहार व (ग)


उपचार व (घ) सं कार व

(884) घृत आ द नेह को पीकर शीतल आहार-


औषध या जल पीना ह।

(क) संयोग व (ख) प रहार व (ग)


उपचार व (घ) सं कार व

(885) गुड के साथ मकोय खाना ह।

(क) संयोग व (ख) प रहार व (ग)


उपचार व (घ) सं कार व
(886) म, वाय, ायाम आ द म आस
ारा वातवधक आहार का सेवन ह।

(क) कम व (ख) कृ त व (ग) व ध


व (घ) अव था व

(887) चरक ने ध के साथ कसका नषेध नह


बतलाया है।

(क) मूली (ख) म य (ग) स हजन (घ) सूकर


मांस

(888) सभी मछ लय को ध के साथ खाना चा हए


क तु च ल चम मछली को छोडकर - कसका मत है।

(क) आ ेय (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) भ का य


(889) मछ लय को ध के साथ खाना ह।

(क) संयोग व (ख) वीय व (ग) व ध


व (घ) सं कार व

(890) चरको "अजक, सुमुख और सुरसा" कसके


भेद है ?

(क) तुलसी (ख) वृ (ग) शतावरी (घ) वा

(891) "तुलसी" श द सव थममूल प से कस थ


म उ त है ?

(क) चरक सं हता (ख) सु ुत सहता (ग) अ ांग


सं ह (घ) भाव काश

(892) सीधु .....।


(क) जजरीकरो त (ख) वधम त (ग) लयप त
(घ)मा चनो त

(893) मधु.....।

(क) स दधी त (ख) पाचय त (ग) लयप त (घ)


नेहय त

(894) ायः सभी त वातल और वृ य होते है


.....को छोडकर।

(क) न ब (ख) पटोलप (ग) प पली (घ) बृहती

(895) शोफं जनय त ?

(क) पयः (ख) घृत (ग) द ध (घ) त


(896) ायः सभी कटु वातल और अवृ य होते है
.....को छोडकर।

(क) च क, म रच (ख) वेता , पटोलप (ग)


प पली, शु ठ (घ) दा डम

(897) ा ासव ..... ।

(क) द पय त (ख) पाचय त (ग) बृंहय त (घ)


कषय त

(898) ार का वभा वक कम है।

(क) पाचन (ख) दहन (ग) ारण (घ) लपयन

(899) न न म से कौन मधुर रस वाला होने पर भी


कफवधक नह है।
(क) ा ा (ख) मधु (ग) एर ड (घ) प षक

(900) चरकने आहार के कतने वग बताये है।

(क) 12 (ख) 7 (ग) 6 (घ) 10

(901) सु ुतने आहार के कतने महावग बताये


है।

(क) 2 (ख) 7 (ग) 5 (घ) 3

(902) 'चरक सं हता' म मधु का वणन कौनसे वग म


मलता है।

(क) मधु वग (ख) इ ु वग (ग) कृता वग (घ)


आहारयोगीवग
(903) "वैदल वग" का वणन कौनसे थ म है।

(क) चरक सं हता (ख) सु ुत संहता (ग) अ ांग


सं ह (घ) भाव काश

(904) "सवानुपान वग" का वणन कौनसे थ म है।

(क) चरक सं हता (ख) सु ुत संहता (ग) अ ांग


सं ह (घ) अ ांग दय

(905) "ह रत वग" का वणन कौनसे थ म है।

(क) चरक सं हता (ख) सु ुत संहता (ग) अ ांग


सं ह (घ) अ ांग दय

(906) "औषध वग" का वणन कौनसे थ म है।


(क) चरक सं हता (ख) सु ुत संहता (ग) अ ांग
सं ह (घ) अ ांग दय

(907) "मू वग" का वणन कौनसे थ म ◌ंनही है।

(क) चरक सं हता (ख) सु ुत संहता (ग) अ ांग


सं ह (घ) अ ांग दय

(908)"ब वातशकृत कारक" धा यहै।

(क) गोधूम (ख) यव (ग) गवेधूक (घ) ष क


धा य

(909) 'वातहर' श बी धा य है ?

(क) कलाय (ख) माष (ग) राजमाष (घ) अरहर


(910) ' वर और र प ' म श तधा य है ?

(क) मू (ख) माष (ग) मोठ (घ) मसूर

(911) चरकमतानुसार कास, ह का, ास और अश


के लए हतकर है।

(क) कुल थ (ख) काका डोल (ग) यामाक (घ)


उडद

(912) आचाय चरक ने मांसवग म कतने कार क


यो नयॉ बतलाई है।

(क) 2 (ख) 6 (ग) 5 (घ) 8

(913) आचाय चरक ने 'चरणायुधा या कु कुट' को


कौनसे यो न वाले मांसवग म रखाहै।
(क) सह (ख) त (ग) जांगल (घ) व कर

(913) आचाय चरक ने 'गवय या नीलगाय' को कौनसे


यो न वाले मांसवग म रखाहै।

(क) सह (ख) आनूप (ग) जांगल (घ) भूशय

(914) चरक ने शु और श्◌ांखक का वणन कस


वग म कयाहै।

(क) सुधा वग (ख) सकता वग (ग) कृता वग


(घ) मांसवग

(915) आचाय चरक ने 'कपोत और पारावत' को


कौनसे यो न वाले मांसवग म रखाहै।

(क) सह (ख) त (ग) जांगल (घ) व कर


(916) न न म से कस मांसवग का मांस 'लघु' नह
होता है।

(क) सह (ख) त (ग) जांगल (घ) व कर

(917) न न म से कसका मासं 'बृंहण' होता है।

(क) अजमांस (ख) चरणायुधा (ग) म य (घ)


उपयु सभी

(918) न न म से कसका मासं 'मेधा मृ तकरः प यः


शोष न' होता है।

(क) ऐण मांस (ख) मयूर मांस (ग) कपोत मांस


(घ) कूम मांस
(919) शरीरबंहणे ना यत् खा ं मांसा श यते -
कस आचाय का कथन है।

(क)चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) भाव


काश

(920) स ारं प वकू मा डं मधुरा लं तथा लघु।


सृ मू पुरीष च.....। (च.सू.27/113)

(क) सवदोष नवहणम् (ख) वातकफहरं (ग)


दोष नः (घ) वातपहा

(921) चरक ने फलवग का आर भ कससे कया है।

(क) खजूर (ख) मृ का (ग) ा ा (घ) दा डम

(922) सु ुत ने फलवग का आर भ कससे कया है।


(क) खजूर (ख) मृ का (ग) ा ा (घ) दा डम

(923) चरकमतानुसार 'टं क' कसका पयाय है।

(क) नाशपाती (ख) सेव (ग) फ गु (घ) केला

(924) चरकमतानुसार 'मोचा' कसका पयाय है।

(क) नाशपाती (ख) सेव (ग) फ गु (घ) केला

(925) क चा ब व होता है।

(क) उ णवीय (ख) कफवात जतम् (ग) द पन (घ)


उपयु सभी

(926) रसासृङमांसमेदो वकार नाशकहै।


(क) गुड (ख) हरीतक (ग) वभीतक (घ)
आमलक

(927) चरकमतानुसार 'लवलीफल' होता है।

(क) वातलं (ख) कफवात नः (ग) कफ प हर


(घ) दोष नं

(928) 'सवान् रसा लवणव जतान्' कसके लए कहा


गयाहै।

(क) आमलक (ख) हरीतक (ग) रसोन (घ)


उपयु सभी

(929) चरकमतानुसार ' व भेषज' कसका पयाय है।

(क) आ क (ख) हरीतक (ग) रसोन (घ) गुडूची


(930) मकु कलास नो वात नो गु मनाशनः -
कसके संदभ म कहा गया है।

(क) आर वध (ख) यव ार (ग) लशुन (घ)


पला डु

(931) ती ण म है।

(क) सुरा (ख) सीधु (ग) सौवीरक (घ) सुरासव

(932) सा वक व ध से म पान का वणन कस


आचाय ने कया है।

(क)चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) भाव


काश

(933) 'मधू लका' होती है।


(क) कफशामक (ख) कफवधक (ग) कफ न (घ)
उपयु सभी।

(934) चरको अंत र जल के गुण है।

(क) 15 (ख) 9 (ग) 6 (घ) 5

(935) अंत र जल के 'पा डु र भू म' पर गरने पर


कस रस क उ प होगी।

(क) मधुर (ख) लवण (ग) त (घ) कषाय

(936) अंत र जल के 'क पल भू म' पर गरने


पर कस रस क उ प होगी।

(क) अ ल (ख) लवण (ग) त (घ) ार


(937) कौनसी ऋतु म बरसने वाला जल 'कषाय
मधुररस और गुण'वाला होता है।

(क) हेम त (ख) बस त (ग) ी म (घ) बषा

(938) 'प या ता नमलोदकाः।' - यह गुण कौनसी


न दय के जल म मलता है।

(क) हमव भवाः (ख) मलय भवाः (ग)


पूवसमु गा (घ) प मा भमुखाः

(939) चरकानुसार शरोरोग, दयरोग, कु ,


ीपदजनक। - यह गुण कौनसी न दय के जल म
मलता है।
(क) पा रया भवाः (ख) स भवाः (ग)
व य भवा (घ) उपयु सभी

(940) न न ल खत दोषक कोपक नह है।

(क) कुसु भ तैल (ख) सामु जल (ग) ापराध


(घ) म या आहार वहार

(941) चरको गो ध के गुण है।

(क) 15 (ख) 9 (ग) 6 (घ) 10

(942) वरं जीवनीयानाम् .....उ ं रसायनम्।


(च.सू.27/218)

(क) ीर (ख) स प (ग) मधु (घ) शवा


(943) चरकानुसार कसका ध 'शाखा वातहरं' होता
है।

(क) ह त (ख) उ (ग) मा हषी (घ) एकशफ

(944) जीवनं वृहणं सा यं नेहनं मानुषं पयः। नावनं


.....च तपणं चा शू लनाम्।।

(क) पीनसे (ख) र प े (ग) शरशूले (घ) अ दते

(945) चरकानुसार अ य न नाशक है।

(क) गोमांस (ख) मा हषी ध (ग) आ वमांस (घ)


अ, ब दोन

(946) दोषक कोपक होता है।


(क) म दक (ख) पीयूष (ग) मोरट (घ) कलाट

(947) चरकमतानुसार 'यो नकण शरःशूल नाशक'


घृत है।

(क) पुराण घृत (ख) पुराण (ग) जीणघृत (घ)


कौ भघृत

(948) भूत मम जासृड्मेदोमांसकरो है।

(क) गुड (ख) हरीतक (ग) वभीतक (घ)


आमलक

(949) 'घृत वण' का मधु कससे ा त होता है।

(क) मा क (ख) ौ (ग) ामर (घ) पौ क


(950) 'क पल वण' मधु होता है।

(क) मा क (ख) ौ (ग) ामर (घ) पौ क

(951) मधु का रस होता है।

(क) मधुर (ख) कषाय (ग) मधुर, कषाय (घ)


मधुर, लवण

(952) चरक ने कसे योगवा ह नह कहा है।

(क) प पली (ख) मधु (ग) घृत (घ) वायु

(953) नातः क तमं क चत ..... मानवम्।


उप म वरो ध वात् स ोह या था वषम्। - कसके
संदभ म कहा है।
(क) षी वष (ख) मूढगभ (ग) अजीण (घ)
म वाम

(954) कौनसी जा त कामधु 'गु 'होता है।

(क) मा क (ख) ौ (ग) ामर (घ) पौ क

(955) न न ल खत कौनसी अ क पना ' ा ह' है।

(क) पेया (ख) वलेपी (ग) म ड (घ) वेशवार

(956) वा भ ानुसार न न ल खत कौनसी अ


क पना 'सबसे लघुतम' है।

(क) पेया (ख) वलेपी (ग) म ड (घ) यवागू


(957) न न ल खत कौनसी अ क पना ' ाणधारण'
है।

(क)पेया (ख) वलेपी (ग) म ड (घ) वेशवार

(958) न न ल खत कौनसी अ क पना


'दाहमू छा नवारण' है।

(क) लाजपेया (ख)वेशवार (ग) म ड (घ)


लाजम ड

(959) चरक ने 'रागषाडव' का वणन कस वग म


कया है।

(क) ह रत वग (ख) कृता वग (ग) आहारयो न


वग (घ) कोई नह
(960) ..... संयोगसं करात् सवरोगापहं मतम्।- चरक
ने कसके संदभ म कहा है।

(क) तैलं (ख) घृत (ग) पयः (घ) लवणं

(961) न न ल खत म से कौनसा तैल


'सवदोष कोपण'है।

(क) कुसु भ तैल (ख) सषप तैल (ग) एर ड तैल


(घ) तल तैल

(962) सभी तैल का अनुरस होता है।

(क) मधुर (ख) लवण (ग) त (घ) कषाय

(963) चरक के मत से शु ठ का वपाक होता है।


(क) मधुर (ख) अ ल (ग) कटु (घ) उपरो कोई
नह

(964) आ प पली का रस होता है।

(क) मधुर (ख) कटु (ग) त (घ) कषाय

(965) कौनसी प पली 'बृ य' होती है।

(क) आ (ख) शु क (ग) दोन (घ) उपरो कोई


नह

(966) कौनसा लवण शीत वीय होता है।

(क) सै धव (ख) सामु (ग) सौवचल (घ) वड


(967) रोचनं द पनं वृ यं च ु यं अ वदा ह। दोष न,
समधुर। - क नसा लवण होता है।

(क) सै घव (ख) सामु (ग) सौवचल (घ) वड

(968) उ व चाध वातानामानुलो यकरं लवण है।

(क) वड (ख) सामु (ग) सौवचल (घ) औ द्

(969) कौनसा ार अशनाशक होता है।

(क) यव ार (ख) स जी ार (ग) टं कण (घ)


उपयु सभी

(970) चरक ने अ पान परी णीय वषय बताए◌ॅ है।

(क) 8 (ख) 9 (ग) 6 (घ) 10


(971) कौनसे शरीरायव का मांस सवा धक गु
होताहै।

(क) स थ (ख) क ध (ग) ोड (घ) शर

(972) कौनसे शरीरायव का मांस सवा धक गु


होताहै।

(क) वृषण (ख) वृ क (ग) यकृत (घ) म य दे ह

(973) भो य, भ य, च , ले , चो और पेय -
आहार के 6 भेद कसने माने है।

(क) चरक, सु ुत (ख) भाव काश, शार धर (ग)


चरक, वा भ (घ) का यप, शार धर

(974) 'गु म' कौनसा धातु दोषज वकार है।


(क) रस दोषज (ख) र दोषज (ग) मांस
दोषज (घ) म जा दोषज

(975) ' थ' कौनसा धातु दोषज वकार है।

(क) रस दोषज (ख) र दोषज (ग) मांस


दोषज (घ) उपधातु दोषज

(976) 'मू छा' कौनसा धातु दोषज वकार है।

(क) रस दोषज (ख) र दोषज (ग) मांस


दोषज (घ) म जा दोषज

(977) 'अलजी' कौनसा धातु दोषज वकार है।

(क) मेद दोषज (ख) र दोषज (ग) मांस


दोषज (घ) म जा दोषज
(978) ' लै ' कौनसा धातु दोषज वकार है।

(क) रस दोषज (ख) र दोषज (ग) शु्


दोषज (घ) रस, शु् दोषज

(979) 'पा डु व' कौनसा धातु दोषज वकार है।

(क) रस दोषज (ख) र दोषज (ग) मांस


दोषज (घ) म जा दोषज

(980) 'गभपात व गभ ाव' कौनसा धातु दोषज


वकार है।

(क) आतव दोषज (ख) र दोषज (ग) शु्


दोषज (घ) शु् ातव दोषज

(981) रस धातु दोषज वकार क च क सा है।


(क) लंघन (ख) लंघन पाचन (ग) दोषावसेचन (घ)
उपयु सभी

(982) 'पंचकमा ण भेषजम्' कस धातु दोषज


वकार क च क सा म नद शत है।

(क) मांस (ख) मेद (ग) अ थ (घ) म जा

(983) वाय, ायाम, यथाकाल संशोधन। - कस


धातु दोषज वकार क च क सा म नद शत है।

(क) अ थ (ख) म जा (ग) शु् दोषज (घ)


म जा, शु् दोषज

(984) 'संशोधन, श , अ न, ारकम।' - कस


धातु दोषज वकार क च क सा म नद शत ह।
(क) मांस दोषज (ख) मेद दोषज (ग) अ थ
दोषज (घ) उपधातु दोषज

(985) चरक ने दोष के को से शाखा म गमन के


कतने कारण बताए है।

(क) 3 (ख) 4 (ग) 5 (घ) इनम से कोई नह

(986) चरक ने दोष के शाखा से को म गमन का


कौनसा कारण नह बताया है।

(क) वृ (ख) व य दन (ग) ायाम (घ)


वायु न ह

(987) ुत बु ः मृ तः दा यं धृ तः हत नषेवणम्। -
कसके गुण है ?
(क) आचाय के (ख) श य के (ग) परी क के
(घ) ाणा भसर के

(988) चरको दश ाणायतन म शा मल नह है।

(क) दय (ख) व त (ग) क ठ (घ) फु फुस

(989) चरकमतानुसार 'कुलीन' कसकागुण है ?

(क) ाणा भसर वै का (ख) धा ी का (ग)


परी क का (घ) रोगा भसर वै का

(990) 'अथ' कसका पयायहै।

(क) दय (ख) मन (ग) आ मा (घ) धन

(991) "आगारक णका"क तुलना कससे क गयी है।


(क) दय (ख) मन (ग) आ मा (घ) ाणायतन

(992) ..... हषणानां।

(क) त वावबोधो (ख) इ यजयो (ग) व ा (घ)


अं हसा

(993) 'चेतनानुवृ ' कसका पयायहै।

(क) दय (ख) मन (ग) आ मा (घ) आयु

(994) हत आयु एवं अ हत आयु के ल ण, सुखायु


एवं ःखायु के ल ण का व तृत वणन कहॉ मलता
है ?

(क) चरक सू थान1 (ख) चरक सू थान30 (ग)


चरक इ य थान (घ) चरक शारीर थान
(995) नरोध कसका पयाय है।

(क) मो (ख) मृ यु (ग) आ मा (घ) मन

(996) आयुवद के न य या शा त होने का कारण है।

(क) अना द वात् (ख) वभावसं स ल ण वात्


(ग) भाव वभाव न या व (घ) उपयु सभी

(997) चरक ने एक वै को सरे वै क परी ा


करने के लए कतने पूछने का नदश दया है।

(क) 8 (ख) 9 (ग) 15 (घ) 18

(998) वै परी ा वषयक नह है।

(क) तं (ख) थान (ग) सू (घ) ान


(999) 'आ य थान' कहा जाता है।

(क) सू थान (ख) शारीर थान (ग) क प थान


(घ) च क सा थान

(1000) आयुवद तं का 'शुभ शर' है-

(क) सू थान (ख) शारीर थान (ग) क प थान


(घ) च क सा थान

उ रमाला
1.क 21.ग 41.ख 61.क 81.ग

2.ग 22.क 42.क 62.घ 82.घ

3.घ 23.क 43.ग 63.ग 83.ग

4.घ 24.ग 44.क 64.घ 84.क

5.क 25.घ 45.ख 65.ख 85.ख

6.ग 26.क 46.घ 66.ग 86.ख

7.क 27.ख 47.क 67.घ 87.क

8.क 28.ग 48.ख 68.ग 88.ग

9.क 29.ख 49.ग 69.घ 89.घ

10.ग 30.क 50.ख 70.घ 90.ग

11.ग 31.घ 51.ग 71.ग 91.ख

12.क 32.ग 52.क 72.ग 92.क

13.ख 33.ग 53.क 73.क 93.ख

14.क 34.क 54.ख 74.ख 94.ग

15.ग 35.क 55.घ 75.ख 95.घ

16.क 36.क 56.ख 76.ग 96.घ

17.ग 37.घ 57.ख 77.ग 97.क

18.क 38.क 58.क 78.घ 98.घ

19.घ 39.घ 59.ग 79.क 99.ख

20.घ 40.क 60.घ 80.क 100.क

101.घ 121.ख 141.ख 161.ग 181.ग

102.क 122.ग 142.ख 162.घ 182.ग

103.घ 123.ग 143.ख 163.क 183.घ

104.क 124.घ 144.क 164.ख 184.ख

105.ग 125.ख 145.क 165.ग 185.ग


106.ख 126.क 146.घ 166.घ 186.ग

107.घ 127.ग 147.ख 167.घ 187.ग

108.ख 128.घ 148.ख 168.ख 188.ग

109.घ 129.ग 149.ख 169.ख 189.ग

110.क 130.ख 150.ख 170.ग 190.ख

111.क 131.घ 151.घ 171.ख 191.क

112.क 132.घ 152.घ 172.घ 192.क

113.क 133.ग 153.ग 173.ग 193.ग

114.घ 134.ग 154.घ 174.ख 194.क

115.ग 135.ग 155.ख 175.क 195.ग

116.ख 136.ख 156.क 176.ख 196.ख

117.क 137.घ 157.घ 177.ख 197.ख

118.घ 138.ख 158.ख 178.ग 198.घ

119.ग 139.ग 159.ग 179.क 199.घ

120.घ 140.क 160.क 180.ख 200.ग

201.क 221.क 241.क 261.घ 281.क

202.ग 222.ग 242.ख 262.ग 282.ख

203.घ 223.घ 243.ग 263.ख 283.घ

204.ग 224.घ 244.घ 264.घ 284.क

205.ग 225.ख 245.ख 265.ख 285.ग

206.घ 226.ग 246.ग 266.ग 286.घ

207.घ 227.ख 247.घ 267.ग 287.ख

208.ख 228.घ 248.क 268.घ 288.क

209.ग 229.क 249.ख 269.ख 289.ख


210.क 230.घ 250.ख 270.क 290.क

211.ख 231.क 251.घ 271.क 291.ख

212.ग 232.ग 252.क 272.ग 292.ग

213.घ 233.घ 253.क 273.क 293.ग

214.ख 234.ग 254.ग 274.घ 294.ग

215.ख 235.क 255.घ 275.ग 295.ग

216.घ 236.क 256.ग 276.ग 296.घ

217.ग 237.ग 257.घ 277.ग 297.क

218.ग 238.क 258.क 278.ख 298.ग

219.ख 239.ग 259.क 279.ग 299.क

220.ग 240.घ 260.क 280.ख 300.ग

301.ग 321.क 341.ग 361.ग 381.ख

302.ग 322.ख 342.क 362.ख 382.ग

303.क 323.घ 343.घ 363.ग 383.ख

304.क 324.घ 344.क 364.ख 384.ग

305.ख 325.क 345.क 365.क 385.घ

306.ग 326.क 346.घ 366.ग 386.ग

307.क 327.क 347.क 367.घ 387.ग

308.ख 328.क 348.ख 368.क 388.ख

309.ग 329.ख 349.ग 369.घ 389.क

310.घ 330.ख 350.घ 370.ग 390.ग

311.ख 331.क 351.क 371.घ 391.ग

312.ख 332.क 352.ख 372.क 392.क

313.ग 333.ग 353.क 373.क 393.ख

314.क 334.ख 354.ग 374.ख 394.घ


315.क 335.क 355.क 375.घ 395.ख

316.घ 336.ख 356.क 376.ग 396.घ

317.घ 337.क 357.क 377.ख 397.ग

318.ख 338.ग 358.घ 378.ख 398.घ

319.क 339.घ 359.क 379.क 399.घ

320.ग 340.घ 360.ग 380.क 400.ग

401.ख 421.क 441.क 461.घ 481.घ

402.क 422.ग 442.ख 462.ग 482.ख

403.ख 423.ग 443.ख 463.ग 483.क

404.क 424.ख 444.ख 464.घ 484.घ

405.ग 425.क 445.घ 465.ग 485.ख

406.ग 426.घ 446.घ 466.घ 486.क

407.घ 427.ग 447.ग 467.क 487.क

408.ग 428.घ 448.ख 468.घ 488.ख

409.ख 429.क 449.क 469.क 489.ख

410.क 430.घ 450.ग 470.क 490.ग

411.ग 431.घ 451.ख 471.ग 491.ग

412.ख 432.घ 452.क 472.घ 492.घ

413.घ 433.क 453.ख 473.ख 493.घ

414.ग 434.ग 454.ख 474.क 494.क

415.ख 435.ग 455.ग 475.घ 495.ख

416.घ 436.क 456.ग 476.ख 496.घ

417.क 437.ख 457.ख 477.घ 497.घ

418.घ 438.ग 458.ख 478.क 498.घ

419.घ 439.ग 459.क 479.ख 499.घ


420.ख 440.ग 460.ख 480.ग 500.ख

501.ख 521.ग 541.घ 561.घ 581.ख

502.क 522.क 542.घ 562.ख 582.क

503.क 523.ख 543.घ 563.ग 583.ग

504.घ 524.ख 544.ग 564.क 584.ग

505.क 525.घ 545.ग 565.घ 585.क

506.ख 526.ग 546.घ 566.घ 586.ख

507.ख 527.घ 547.क 567.घ 587.ग

508.क 528.ग 548.ग 568.क 588.घ

509.ग 529.ख 549.घ 569.घ 589.ख

510.ख 530.ग 550.घ 570.ख 590.क

511.ग 531.घ 551.क 571.क 591.ग

512.क 532.ख 552.ग 572.क 592.ख

513.ग 533.ग 553.ग 573.ख 593.ख

514.ग 534.ख 554.घ 574.क 594.ग

515.ख 535.क 555.ख 575.ग 595.ग

516.क 536.ग 556.ख 576.घ 596.क

517.ग 537.ख 557.घ 577.घ 597.ख

518.ग 538.क 558.ग 578.ख 598.ख

519.घ 539.क 559.घ 579.ग 599.ग

520.क 540.ख 560.ग 580.ग 600.क

601.घ 621.क 641.ग 661.ख 681.ग

602.क 622.क 642.ख 662.घ 682.क

603.क 623.ग 643.घ 663.ख 683.घ


604.ग 624.ग 644.ख 664.घ 684.क

605.ख 625.क 645.घ 665.ख 685.ख

606.क 626.ख 646.घ 666.घ 686.घ

607.घ 627.ख 647.क 667.ग 687.क

608.ग 628.ख 648.घ 668.घ 688.ख

609.क 629.क 649.ख 669.ग 689.घ

610.ख 630.क 650.ग 670.ख 690.घ

611.क 631.घ 651.घ 671.घ 691.ख

612.ख 632.घ 652.ख 672.घ 692.ख

613.घ 633.घ 653.क 673.ग 693.घ

614.घ 634.क 654.घ 674.ग 694.घ

615.ग 635.ग 655.क 675.घ 695.क

616.क 636.ख 656.ख 676.क 696.ग

617.ख 637.क 657.ख 677.ख 697.घ

618.क 638.ग 658.ख 678.ग 698.ग

619.क 639.ग 659.घ 679.ख 699.क

620.क 640.घ 660.क 680.क 700.ख

701.क 721.घ 741.घ 761.क 781.ख

702.क 722.ग 742.ख 762.ख 782.क

703.क 723.ग 743.ख 763.क 783.क

704.क 724.घ 744.ग 764.ख 784.क

705.ख 725.ग 745.घ 765.ग 785.घ

706.क 726.ख 746.ग 766.क 786.ग

707.घ 727.ग 747.ख 767.ख 787.ग

708.क 728.घ 748.ग 768.घ 788.ख


709.घ 729.ग 749.ग 769.क 789.ग

710.ख 730.घ 750.घ 770.ग 790.घ

711.घ 731.घ 751.ग 771.ख 791.ग

712.ख 732.घ 752.ग 772.क 792.क

713.ग 733.ख 753.घ 773.क 793.क

714.ख 734.ख 754.ग 774.क 794.ग

715.ख 735.ख 755.ख 775.ख 795.घ

716.घ 736.ग 756.ग 776.क 796.क

717.ख 737.घ 757.क 777.ख 797.क

718.ख 738.घ 758.घ 778.क 798.घ

719.घ 739.ख 759.ख 779.क 799.क

720.ख 740.ख 760.क 780.ग 800.क

801.ग 821.क 841.क 861.ख 881.क

802.क 822.ख 842.घ 862.घ 882.घ

803.घ 823.ग 843.क 863.ख 883.ख

804.क 824.ख 844.क 864.क 884.ग

805.ख 825.ग 845.ग 865.ख 885.क

806.ग 826.ख 846.ग 866.ख 886.घ

807.क 827.ग 847.घ 867.ख 887.घ

808.क 828.घ 848.घ 868.क 888.घ

809.ग 829.ख 849.घ 869.घ 889.ख

810.ग 830.घ 850.घ 870.क 890.क

811.घ 831.घ 851.ग 871.ग 891.ग

812.ख 832.ख 852.ग 872.क 892.ख

813.क 833.ग 853.ख 873.ख 893.क


814.क 834.ख 854.ग 874.ग 894.ख

815.घ 835.ख 855.घ 875.घ 895.ग

816.घ 836.ग 856.क 876.ग 896.ग

817.ख 837.ख 857.घ 877.ग 897.क

818.ख 838.घ 858.क 878.घ 898.घ

819.क 839.ख 859.ग 879.घ 899.ख

820.ख 840.ग 860.घ 880.ख 900.क

901.क 921.ख 941.घ 961.क 981.क

902.ख 922.घ 942.क 962.ख 982.ग

903.ख 923.क 943.घ 963.क 983.घ

904.क 924.घ 944.ख 964.क 984.क

905.ग 925.ख 945.घ 965.ख 985.ख

906.घ 926.ग 946.क 966.क 986.ग

907.घ 927.क 947.ग 967.क 987.ग

908.ख 928.क 948.क 968.क 988.घ

909.ख 929.क 949.घ 969.क 989.क

910.ग 930.ग 950.ख 970.ख 990.क

911.क 931.घ 951.ग 971.घ 991.क

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914.घ 934.ग 954.ग 974.ख 994.ख

915.ख 935.ग 955.ख 975.घ 995.ख

916.क 936.घ 956.ग 976.घ 996.घ

917.घ 937.ख 957.ग 977.ग 997.क


918.घ 938.घ 958.घ 978.घ 998.घ

919.क 939.घ 959.ग 979.क 999.ख

920.क 940.घ 960.क 980.ग 1000.क

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Last edited २ years ago by अनुनाद सह

साम ी CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से


उ लेख ना कया गया हो।

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