Professional Documents
Culture Documents
ु गा चगलीसग ।।
हे मगाँ दर्
ु गा आप सभी सुखों की दगतग है और आप ही सभी दख
ु ों को
समगप्त करिे वगली मगाँ अम्बग है , आपको िमि है ।1
भर्वगि र्शव तथग सभी योर्ी आपकी स्तनु त र्गते हैं, ब्रह्मग, ववष्णु और
अन्य सभी दे वतग नित आपकग ध्यगि करते हैं।8
रूप सरस्वती को तम
ु धगरग, दे सुबुद्धध ऋवष मुनिि उबगरग ।। 9
हे मगाँ अम्बग, खम्बे को फगड़ कर प्रकट होिे वगलग िरर्सिंह रूप में आप
ही थी।10
जब आप मगाँ कगली रूप में अपिे हगथो में खप्पर और खड्र् र्लए प्रकट
होती हैं, तो स्वयिं कगल भी आपसे िरकर भगर्तग है |18
मदहषगसुर िप
ृ अनत अर्भमगिी, जेदह अघ भगर मही अकुलगिी ।। 22
जब पथ्
ृ वी अर्भमगिी दगिव मदहषगसरु के घोर पगपों के भगर से बरु ी तरह
व्यधथत थी।22
निर्शददि ध्यगि धरो शिंकर को, कगहु कगल िदहिं सर्ु मरो तम
ु को ।। 31
उन्हें आपकी अपगर मदहमग कग एहसगस िहीिं हुआ, इससे उिकी सगरी
शजक्तयगाँ खत्म हो र्ईं और तब उिके मि में पश्चगतगप हुआ।32
मोको मगतु कष्ट अनत घेरो, तुम त्रबि कौि हरै दःु ख मेरो ।। 35
इससे मगाँ जर्दिं बग आपिे प्रसन्ि होकर त्रबिग कोई ववलम्ब ककए उिकी
खोई हुई शजक्तयों उन्हें प्रदगि की|34
हे मगतग, अिेको कष्टों िे मुझे घेर रखग हैं और आपके र्सवग कौि है जो
मेरे दःु खो को हरै | कृपयग मेरे कष्टों कग अिंत करें |35
श्री दर्
ु गा चगलीसग जो कोई र्गवै, सब सख
ु भोर् परमपद पगवै ।। 40
हे दयगलु मगतग, मझ
ु पर कृपग कीजजये और मझ
ु े धि-धगन्य और
आध्यगजत्मक शजक्तयगिं दे कर मुझे निहगल कीजजये।38
जो कोई भी इस दर्
ु गा चगलीसग को र्गतग है , वह इस सिंसगर के सभी सख
ु ों
को भोर्कर अिंत में आपके चरणों को प्रगप्त करतग है ।40
मुझ दे वीदगस को अपिी शरण में जगिकर, हे जर्दम्बे भवगिी मगाँ, मुझ
पर कृपग कीजजये|41