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8/24/23, 11:05 PM चन्द्रमा - विकिपीडिया

चन्द्रमा
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चन्द्रमा (प्रतीक: ) पृथ्वी का एकमात्र प्राकृ तिक उपग्रह चन्द्रमा


है।[8] यह सौर मंडल का पाँचवां,सबसे विशाल प्राकृ तिक
उपग्रह है। इसका आकार क्रिके ट बॉल की तरह गोल है।
और यह खुद से नहीं चमकता बल्कि यह तो सूर्य के
प्रकाश से प्रकाशित होता है। पृथ्वी से चन्द्रमा की दू री
384000 किलोमीटर है। यह दू री पृथ्वी के व्यास का 30
गुना है। चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 1/6 है। यह
पृथ्वी कि परिक्रमा 27 दिन 6 घंटे में पूरा करता है और
अपने अक्ष के चारो ओर एक पूरा चक्कर भी 27.3 दिन में
लगाता है। यही कारण है कि चन्द्रमा का एक ही हिस्सा
या फे स हमेशा पृथ्वी की ओर होता है। यदि चन्द्रमा पर
खड़े होकर पृथ्वी को देखे तो पृथ्वी साफ़ साफ़ अपने अक्ष
पर घूर्णन करती हुई नजर आएगी लेकिन आसमान में
उसकी स्थिति सदा स्थिर बनी रहेगी अर्थात पृथ्वी को कई
वर्षो तक निहारते रहो वह अपनी जगह से टस से मस पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध से देखा गया पूर्ण चंद्र
नहीं होगी। पृथ्वी- चन्द्रमा-सूर्य ज्यामिति के कारण "चन्द्र
दशा" हर 29.5 दिनों में बदलती है। आकार के हिसाब से उपनाम
अपने स्वामी ग्रह के सापेक्ष यह सौरमंडल में सबसे बड़ा विशेषण लूनर, सेलेनिक
प्राकृ तिक उपग्रह है जिसका व्यास पृथ्वी का एक चौथाई
तथा द्रव्यमान 1/81 है। बृहस्पति के उपग्रह lo के बाद कक्षीय विशेषताएँ
चन्द्रमा दू सरा सबसे अधिक घनत्व वाला उपग्रह है। सूर्य पेरिएप्सिस 362 600 किलोमीटर
के बाद आसमान में सबसे अधिक चमकदार निकाय (356 400–370 400 किलोमीटर)
चन्द्रमा है। समुद्री ज्वार और भाटा चन्द्रमा की एपोऐप्सिस 405 400 किलोमीटर
गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण आते हैं। चन्द्रमा की (404 000–406 700 किलोमीटर)
तात्कालिक कक्षीय दू री, पृथ्वी के व्यास का 30 गुना है अर्ध मुख्य अक्ष 3,84,399 किलोमीटर
इसीलिए आसमान में सूर्य और चन्द्रमा का आकार हमेशा
सामान नजर आता है। वह पथ्वी से चंद्रमा का 59 % भाग
दिखता है जब चन्द्रमा अपनी कक्षा में घूमता हुआ सूर्य
और पृथ्वी के बीच से होकर गुजरता है और सूर्य को पूरी
(0.002 57 AU)[1]
तरह ढक लेता है तो उसे सूर्यग्रहण कहते हैं।
विके न्द्रता 0.0549[1]
अन्तरिक्ष में मानव सिर्फ चन्द्रमा पर ही कदम रख सका परिक्रमण काल 27.321 661 दिन
है। सोवियत राष्ट् का लूना- पहला अन्तरिक्ष यान था जो (27 दिन 7 घंटे 43 मिनट्स 11.5 सेकण्ड[1])
चन्द्रमा के पास से गुजरा था लेकिन लूना-2 पहला यान था संयुति काल 29.530 589 दिन
जो चन्द्रमा की धरती पर उतरा था। सन् 1968 में के वल (29 दिन 12 घंटे 44 मिनट्स 2.9 सेकण्ड)
नासा अपोलो कार्यक्रम ने उस समय मानव मिशन भेजने औसत
की उपलब्धि हासिल की थी और पहली मानवयुक्त ' चंद्र 1.022 किमी/सेकं ड
परिक्रमण गति

रि मि की
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परिक्रमा मिशन ' की शुरुआत अपोलो -8 के साथ की झुकाव 5.145° क्रांतिवृत्त से[2] (पृथ्वी की भूमध्य
गई। सन् 1969 से 1972 के बीच छह मानवयुक्त यान ने रे खा से 18.29° और 28.58° के बीच)[1]
चन्द्रमा की धरती पर कदम रखा जिसमे से अपोलो-11 ने आरोही ताख का
18.6 वर्षों में एक क्रांति द्वारा पुन: आना
सबसे पहले कदम रखा। इन मिशनों ने वापसी के दौरान रे खांश
380 कि. ग्रा. से ज्यादा चंद्र चट्टानों को साथ लेकर लौटे उपमन्द कोणांक 8.85 वर्षों में एक बढ़ना
जिसका इस्तेमाल चंद्रमा की उत्पत्ति, उसकी आंतरिक स्वामी ग्रह पृथ्वी
संरचना के गठन और उसके बाद के इतिहास की विस्तृत
भूवैज्ञानिक समझ विकसित करने के लिए किया गया। भौतिक विशेषताएँ
ऐसा माना जाता है कि करीब 4.5 अरब वर्ष पहले पृथ्वी माध्य त्रिज्या 1,737.10 किमी (0.273 पृथ्वी)[1][3]
के साथ विशाल टक्कर की घटना ने इसका गठन किया विषुवतीय त्रिज्या 1,738.14 किमी (0.273 Earths)[3]
है।
ध्रुवीय त्रिज्या 1,735.97 किमी (0.273 पृथ्वी)[3]
सन् 1972 में अपोलो-17 मिशन के बाद से चंद्रमा का सपाटता 0.001 25
दौरा के वल मानवरहित अंतरिक्ष यान के द्वारा ही किया परिधि 10,921 किमी (equatorial)
गया जिसमें से विशेषकर अंतिम सोवियत लुनोखोद रोवर तल-क्षेत्रफल 3.793 किमी2 (0.074 पृथ्वी)
द्वारा किया गया है। सन् 2004 के बाद से जापान, चीन,
आयतन 2.1958 किमी3 (0.020 पृथ्वी)
भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय अंतरिक्ष
एजेंसी में से प्रत्येक ने चंद्र परिक्रमा के लिए यान भेजा है। द्रव्यमान 7.3477 किलोग्राम (0.012300 पृथ्वी[1])
इन अंतरिक्ष अभियानों ने चंद्रमा पर जल-बर्फ की खोज माध्य घनत्व 3.3464 g/cm3[1]
की पुष्टि के लिए विशिष्ठ योगदान दिया है। चंद्रमा के लिए विषुवतीय
भविष्य की मानवयुक्त मिशन योजना सरकार के साथ 1.622 m/s2 (0.165 4 g)
सतह गुरुत्वाकर्षण
साथ निजी वित्त पोषित प्रयासों से बनाई गई है। चंद्रमा ' पलायन वेग 2.38 km/s
बाह्य अंतरिक्ष संधि ' के तहत रहता है जिससे यह नाक्षत्र घूर्णन
शांतिपूर्ण उद्देश्यों की खोज के लिए सभी राष्ट्रों के लिए काल 27.321582 d (समकालिक)
मुक्त है। विषुवतीय
4.627 m/s
घूर्णन वेग
चन्द्रयान (अथवा चंद्रयान-1) भारतीय अंतरिक्ष अक्षीय नमन 1.5424° (क्रांतिवृत्त से)
अनुसंधान संगठन के चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के 6.687° (कक्षीय तल)[2]
अल्बेडो 0.136[4]
सतह का तापमान न्यून माध्य अधि
equator 00 के 220 के 390 के
85°N[6] 70 के 130 के 230 के
सापेक्ष कांतिमान −2.5 to −12.9 [5]
−12.74 (माध्य पूर्ण चंद्र)
कोणीय व्यास 29.3 से 34.1 आर्क मीनट

वायु-मंडल[7]
सतह पर दाब 10−7 Pa (दिन)
10−10 Pa (रात)
संघटन He · Ar · Ne · Na · K · H · Rn

रात्रि के समय चाँद का दृश्य

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अंतर्गत द्वारा चंद्रमा की तरफ कू च करने वाला भारत का पहला[9] अंतरिक्ष यान था।

अनुक्रम
भौतिकीय गुण
नाम और व्युत्पत्ति
आतंरिक संरचना
संघात खड्ड
पानी की उपस्थिति
चुम्बकीय क्षेत्र
चंद्रमा की उत्पत्ति
सन्दर्भ

भौतिकीय गुण

नाम और व्युत्पत्ति

चन्द्रमा की आतंरिक संरचना

चन्द्रमा

पृथ्वी की ओर वाली पृथ्वी के विरुद्ध (अदृश्य) चंद्रमा का उत्तरी ध्रुव चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव
चन्द्रमा की सतह वाली चन्द्रमा की सतह

आतंरिक संरचना

चं वि भेदि नि
https://hi.wikipedia.org/wiki/चन्द्रमा है जि नि से ती में औ को है चं 3/6
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चंद्रमा एक विभेदित निकाय है जिसका भूरसायानिक रूप से तीन भाग क्रष्ट, मेंटल और कोर है। चंद्रमा का २४०
किलोमीटर त्रिज्या का लोहे की बहुलता युक्त एक ठोस भीतरी कोर है और इस भीतरी कोर का बाहरी भाग मुख्य रूप से
लगभग ३०० किलोमीटर की त्रिज्या के साथ तरल लोहे से बना हुआ है। कोर के चारों ओर ५०० किलोमीटर की त्रिज्या के
साथ एक आंशिक रूप से पिघली हुई सीमा परत है।

संघात खड्ड
Earth and Moon to scale
संघात खड्ड निर्माण प्रक्रिया एक अन्य प्रमुख भूगर्भिक प्रक्रिया है जिसने चंद्रमा
की सतह को प्रभावित किया है, इन खड्डों का निर्माण क्षुद्रग्रहों और धूमके तुओं
के चंद्रमा की सतह से टकराने के साथ हुआ है। चंद्रमा के अके ले नजदीकी पक्ष में ही १ किमी से ज्यादा चौड़ाई के
लगभग ३,००,००० खड्डों के होने का अनुमान है। [10] इनमें से कु छ के नाम विद्वानों, वैज्ञानिकों, कलाकारों और
खोजकर्ताओं पर हैं। [11] चंद्र भूगर्भिक कालक्रम सबसे प्रमुख संघात घटनाओं पर आधारित है, जिसमें नेक्टारिस,
इम्ब्रियम और ओरियेंटेल शामिल है, एकाधिक उभरी सतह के छल्लों द्वारा घिरा होना इन संरचनाओं की ख़ास विशेषता
है।

पानी की उपस्थिति
२००८ में चंद्रयान अंतरिक्ष यान ने चन्द्रमा की सतह पर जल बर्फ के अस्तित्व की पुष्टि की है। नासा ने इसकी पुष्टि की है।

चुम्बकीय क्षेत्र
चंद्रमा का करीब 1-100 नैनोटेस्ला का एक बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र है। पृथ्वी की तुलना में यह सौवें भाग से भी कम है।

चंद्रमा की उत्पत्ति
मुख्य लेख: चंद्रमा की उत्पत्ति

चंद्रमा की उत्पत्ति आमतौर पर माने जाते हैं कि एक मंगल ग्रह के शरीर ने धरती पर मारा, एक मलबे की अंगूठी बनाकर
अंततः एक प्राकृ तिक उपग्रह, चंद्रमा में एकत्र किया, लेकिन इस विशाल प्रभाव परिकल्पना पर कई भिन्नताएं हैं, साथ ही
साथ वैकल्पिक स्पष्टीकरण और शोध में चंद्रमा कै से जारी हुआ। [1] [2] अन्य प्रस्तावित परिस्थितियों में कब्जा निकाय,
विखंडन, एक साथ एकत्रित (संक्षेपण सिद्धांत), ग्रहों संबंधी टकराव (क्षुद्रग्रह जैसे शरीर से बने), और टकराव सिद्धांत
शामिल हैं। [3] मानक विशाल-प्रभाव परिकल्पना मंगल ग्रह के आकार के शरीर को बताती है, थिआ कहलाता है, पृथ्वी
पर असर पड़ता है, जिससे पृथ्वी के चारों ओर एक बड़ी मलबे की अंगूठी पैदा होती है, जिसके बाद चंद्रमा के रूप में
प्रवेश किया जाता है। इस टकराव के कारण पृथ्वी के 23.5 डिग्री झुका हुआ धुरी भी उत्पन्न हुई, जिससे मौसम उत्पन्न हो
गया। [1] चंद्रमा के ऑक्सीजन समस्थानिक अनुपात पृथ्वी के लिए अनिवार्य रूप से समान दिखते हैं। [4] ऑक्सीजन
समस्थानिक अनुपात, जिसे बहुत ठीक मापा जा सकता है, प्रत्येक सौर मंडल निकाय के लिए एक अद्वितीय और विशिष्ट
हस्ताक्षर उत्पन्न करता है। [5] अगर थिया एक अलग प्रोटॉपलैनेट था, तो शायद पृथ्वी से एक अलग ऑक्सीजन
आइसोटोप हस्ताक्षर होता, जैसा कि अलग-अलग मिश्रित पदार्थ होता। [6] इसके अलावा, चंद्रमा के टाइटेनियम
आइसोटोप अनुपात (50Ti / 47Ti) पृथ्वी के करीब (4 पीपीएम के भीतर) प्रतीत होता है, यदि कम से कम किसी भी
टकराने वाला शरीर का द्रव्यमान चंद्रमा का हिस्सा हो सकता है। [7]

सन्दर्भ
1. वेइज़ोरे क, मार्क ए.; एवं अन्य (2006). "The constitution and structure of the lunar interior".
w:Reviews in Mineralogy and Geochemistry. 60 (1): 221–364. डीओआइ:10.2138/rmg.2006.60.3
(https://doi.org/10.2138%2Frmg.2006.60.3). बिबकोड:2006RvMG...60..221W (https://ui.adsabs.
harvard.edu/abs/2006RvMG...60..221W).
2. लॅन्ग, कॅ न्नेथ आर. (२०११), द कॅ म्ब्रिज गाइड टू द सोलर सिस्टम (https://books.google.com/books?id=S4x
DhVCxAQIC&pg=PA184) Archived (https://web.archive.org/web/20160101071141/https://book

https://hi.wikipedia.org/wiki/चन्द्रमा 4/6
8/24/23, 11:05 PM चन्द्रमा - विकिपीडिया
s.google.com/books?id=S4xDhVCxAQIC&pg=PA184) 2016-01-01 at the Wayback Machine,
द्वितीय संस्करण, कै म्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस
3. विलियम्स, डॉ.डेविड आर। (2 फ़रवरी 2006). "मून फ़ॅ क्ट शीट" (http://nssdc.gsfc.nasa.gov/planetary/fact
sheet/moonfact.html). नासा/नेशनल स्पेस साइंस डाटा सेण्टर. मूल से 23 मार्च 2010 को पुरालेखित (https://
web.archive.org/web/20100323165650/http://nssdc.gsfc.nasa.gov/planetary/factsheet/moonfac
t.html). अभिगमन तिथि 31 दिसंबर 2009.
4. मॅथ्यूज़, ग्राण्ट (2008). "Celestial body irradiance determination from an underfilled satellite
radiometer: application to albedo and thermal emission measurements of the Moon using
CERES". Applied Optics. 47 (27): 4981–93. PMID 18806861 (https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/
18806861). डीओआइ:10.1364/AO.47.004981 (https://doi.org/10.1364%2FAO.47.004981).
बिबकोड:2008ApOpt..47.4981M (https://ui.adsabs.harvard.edu/abs/2008ApOpt..47.4981M).
5. The maximum value is given based on scaling of the brightness from the value of −12.74 given
for an equator to Moon-centre distance of 378 000 km in the NASA factsheet reference to the
minimum Earth–Moon distance given there, after the latter is corrected for Earth's equatorial
radius of 6 378 km, giving 350 600 km. The minimum value (for a distant new moon) is based
on a similar scaling using the maximum Earth–Moon distance of 407 000 km (given in the
factsheet) and by calculating the brightness of the earthshine onto such a new moon. The
brightness of the earthshine is [ Earth albedo × (Earth radius / Radius of the Moon's orbit)2 ]
relative to the direct solar illumination that occurs for a full moon. (Earth albedo = 0.367;
Earth radius = (polar radius × equatorial radius)½ = 6 367 km.)
6. ए आर वासवाडा; डी ए पेइज & एस ई वुड (1999). "Near-Surface Temperatures on Mercury and the
Moon and the Stability of Polar Ice Deposits". Icarus. 141 (2): 179–193.
डीओआइ:10.1006/icar.1999.6175 (https://doi.org/10.1006%2Ficar.1999.6175).
बिबकोड:1999Icar..141..179V (https://ui.adsabs.harvard.edu/abs/1999Icar..141..179V).
7. Lucey, Paul; Korotev, Randy L.; एवं अन्य (2006). "Understanding the lunar surface and space-
Moon interactions". Reviews in Mineralogy and Geochemistry. 60 (1): 83–219.
डीओआइ:10.2138/rmg.2006.60.2 (https://doi.org/10.2138%2Frmg.2006.60.2).
बिबकोड:2006RvMG...60...83L (https://ui.adsabs.harvard.edu/abs/2006RvMG...60...83L).
8. "चंद्रमा का जन्म कै से हुआ था?" (https://www.bbc.com/hindi/science/2014/06/140606_moon_theia_c
ollusion_ssr). मूल से 8 जनवरी 2018 को पुरालेखित (https://web.archive.org/web/20180108073815/h
ttp://www.bbc.com/hindi/science/2014/06/140606_moon_theia_collusion_ssr). अभिगमन तिथि 31
दिसंबर 2017.
9. "चंद्रयान-1" (https://www.isro.gov.in/hi/Spacecraft/%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A6%E
0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8-1). ISRO. 5 October
2011. मूल से 14 दिसंबर 2017 को पुरालेखित (https://web.archive.org/web/20171214015704/https://
www.isro.gov.in/hi/Spacecraft/%E0%A4%9A%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%
A4%B0%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8-1). अभिगमन तिथि 14 December 2017.
10. मून फे क्ट (http://planck.esa.int/science-e/www/object/index.cfm?fobjectid=31412) Archived (http
s://web.archive.org/web/20120317004513/http://planck.esa.int/science-e/www/object/index.cf
m?fobjectid=31412) 2012-03-17 at the Wayback Machine स्मार्ट-१, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी २०१०, १२
मई २०१० को लिया गया |
11. गेजेटरी ऑफ़ प्लेनेटरी नोमेनक्लेचर : के टेगरी फॉर नेमिंग फीचर्स ऑन प्लेनेट्स एं ड सेटेलाइट्स (https://planeta
rynames.wr.usgs.gov/Page/Categories#Moon) Archived (https://web.archive.org/web/2014070
8063522/http://planetarynames.wr.usgs.gov/Page/Categories#Moon) 2014-07-08 at the
Wayback Machine अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, 8 अप्रैल 2010 को लिया गया |

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