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Hindi Medium - Ro Aro 2022 Module Day 97 by Scsgyan
Hindi Medium - Ro Aro 2022 Module Day 97 by Scsgyan
बंगाल गजट (इसे कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर भी 1780, कलकत्ता जेम्स आगस्ट् स हहक्की द्वारा प्रारं भ (आयररश)
कहते थे),साप्ताहहक (भारत का पहला समाचार पत्र
इं हडया गजट 1787, कलकत्ता हे नरी लुईस हवहवयन हडरोहजयो इससे सम्बद्ध थे
इं हडयन है राल्ड (अंग्रेजी में) 1795, मद्रास आर. हवहलयम (अंग्रेज) द्वारा प्रारं भ एवं है म्फ्री द्वारा प्रकाहशत
हमरातुल अखबार (फारसी भाषा का प्रथम जनशल) 1822 कलकत्ता राजाराम मोहन राय
बंगिद त (चार भाषाओं)- अंग्रेजी,बंगाली,फारसी, एं व 1822, कलकत्ता राममोहन राय, द्वारकानाथ टै गोर और अन्य
हहन्दी में प्रकाहशत होने वाला साप्ताहहक)
बाम्बे टाइम्स (1861 के पश्चात ि टाइम्स ऑफ इं हडया 1838, बम्बई रॉबटश नाइट ने इसकी आधारहशला रखी, थॉमस बेनेट ने प्रकाशन
प्रारं भ हकया
हहं िद पैहटि यट 1853, कलकत्ता हगरीशचंद्र घोष (बाि में हररशचंद्र मुखजी इसके माहलक एवं
सम्पािक बन गये)
सोमप्रकाश (प्रथम बंगाली राजनीहतक समाचार- पत्र) 1858, कलकत्ता द्वारकानाथ हवद्याभदषण
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बंगाली (यह एवं अमृत बाजार पहत्रका स्थानीय भाषा 1862, कलकत्ता हगरीशचंद्र घोष (1879 से इसका प्रकाशन िाहयत्व एस.एन. बनजी ने
के प्रथम पत्र थे) संभाल हलया)
मद्रास मेल (भारत का प्रथम सां ध्य समाचार – पत्र) 1868, मद्रास -
अमृत बाजार पहत्रका (प्रारं भ में बंगाली एवं बाि में 1868,जैसोर हजला हशहशर कुमार घोष एवं मोतीलाल घोष
अंग्रेजी में प्रकाहशत, िै हनक)
इं हडयन स्टे ट्स मैन (बाि में स्टे ट्समैन) 1875, कलकत्ता राबटश नाइट द्वारा प्रारम्भ
ि हहं िद (अंग्रेजी में, साप्ताहहक ) 1878, मद्रास जी. एस. अय्यर, सी. राघवाचायश एवं सुब्बाराव पंहडत (संस्थापकों में से
थे)
केसरी (मरािी िै हनक) एवं मरािा (अंग्रेजी 1881,बंबई हतलक, हचपलदणकर, आगरकर (हतलक से पहले क्रमशः अगरकर एवं
साप्ताहहक) प्रो.केलकर इसके सम्पािक थे।
बाम्बे क्रॉहनकल (िै हनक) 1913, बां बे हफरोजशाह मेहता द्वारा शुरू हकया गया, संपािक - बी.जी. होममैन
(अंग्रेज)
ि हहन्िु स्तान टाइम्स 1920 हिल्ली के.एम. पाहणक्कर ने इसकी स्थापना अकाली िल आं िोलन के एक
भाग के रुप में की थी
ि हमलाप (उिद श िै हनक) 1923, लाहौर एम. के. चां ि द्वारा स्थाहपत
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क्रां हत 1927, महाराष्ट्ि एस. एन.हमरजाकर, के.एन. जोगलेकर , एस. वी. घाटे
नेशनल है राल्ड (िै हनक) 1938 जवाहर लाल नेहरू द्वारा प्रारं भ
'ि पायहनयर ' समाचार पत्र 1865 में इलाहाबाि जाजश एलन ने
'हि इं हडयन नेशन ' वषश 1931 में िरभंगा के महाराज कामेश्वर हसंह ने
(पटना)
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हररऔध
आनंिमि बंहकमचन्द्र चटजी गबन प्रेमचन्द
प्रीसेप्ट्स ऑफ जीसस राजाराम मोहन राय एटनशल इँ हडया इं हिरा गां धी
ि इं हडयन मुसलमान्स डब्ल्यद.डब्ल्यद हं टर शाहनामा हफरिौसी
अवध इन ररवोल्ट (1857-58) रुद्रां गशद हि रुट् स ऑफ एन्सन्सयंट वाल्टर फेअरसहवशस
इं हडया
अल-हहलाल मौलाना अबुल कलाम आजाि ऑटोबायोग्राफी ऑफ ऐन नीरि सी. चौधरी
अननोन इं हडयन
ि न्सरंहगंग टाइगर ह्यदग टोये इं हडया ए वदन्डड वी.एस. नायपॉल
हसहवलाइजेशन
टु वड्श स स्टि गल जयप्रकाश नारायण कन्फैशन्स ऑफ ए लवर मुल्कराज आनंि
इं हडया हडवाइडे ड डॉ. राजेन्द्र प्रसाि हि इं न्सिश टीचर आर. के. नारायण
अमेररकन हवटनेस टद इं हडयाज पाटीशंस हफहलप्स टालबॉट प्लाहनंग एं ड हि पुअर बगीचा हसंह हमन्हास
एन इं टिोडक्शन टद िी डि ीमलैंड भगत हसंह प्राब्लम्स ऑफ ि फार ईस्टः जॉजश एन. कजशन
जापान-कोररया-चीन
बंिी जीवन शचीन्द्रनाथ सान्याल हि अल्फाबेटः एक की टद डे हवड हडररन्जर
हहस्टि ी ऑफ मैनकाइं ड
मै अनीश्वरवािी क्यो हूँ भगत हसंह ययाहत (उपन्यास) सखाराम खां डेकर
िी इं हडयन सोहशयोलॉहजस्ट श्यामजी कृष्ण वमाश घर और अिालत लीला सेि
िी डि ीमलैंड लाला रामसरन िास झोपडी से राष्ट्िपहत भवन तक महे न्द्र कुलश्रेष्ठ
िी हफलॉसफी ऑफ बम भगवती चरण वोहरा इमेहजंग इं हडयाः ि आइहडया नंिन नीलेकहण
ऑफ ि ररन्यदव्ड नेशन
अनाइहहलेशन ऑफ कास्ट (1936 मे) बी.आर. अंबेडकर जनी थ्रद बाबदडम एं ड नेतालैडः टी.एस.आर. सुब्रमहनयम
गवनेंस इन इं हडया
जवाहरलाल नेहरु-ए बायोग्राफी सवशपल्ली गोपाल शो हबजनेस शहश थरुर
ि लाइफ ऑफ महात्मा गां धी लुई हफशर ि सहकशल ऑफ रीजन अहमताभ
इं हडया रॉम कजशन टद नेहरु एं ड ऑफ्टर िु गाश िास न्सक्लयर लाइट ऑफ डे अनीता िे साई
भारतीय हवभाजन के िोषी पुरुष Ram Manohar Lohia लव एं ड लाहगंग इन बाम्बे हवक्रम चन्द्र
ि ग्रेट हडवाइडः हब्रटे न-इं हडया-पाहकस्तान एच.वी. हॉडसन सोज-ए-वतन मुंशी प्रेमचन्द
ि ग्रेट हडवाइडः इं हडया एं ड पाहकस्तान इरा पंडे साइलेंट न्सरंग रशेल कासशन
बहुहववाह तथा बाल्य हववाहोर िास पुस्तकें ईश्वरचंद्र हवद्यासागर हि पाथ टद पावर मागेट थैचर
न्सिम्पसेस ऑफ हि वल्डश हहस्टि ी जवाहरलाल नेहरु हि पाहकस्तान पेपसश महणशंकर अय्यर
ि ब्रोकेन हवंग सरोहजनी नायडद हि सैटेहनक वसेज सलमान रुश्िी
ह्वील ऑफ हहस्टि ी डॉ. राम मनोहर लोहहया हि गोल्डन गेट हवक्रम सेि
गोखले माई पोहलहटकल गुरु एम.के. गां धी टद इयसश एट मंथ्स एं ड ट्वे न्टी सलमान रुश्िी
नाइट् स
नेशन इन मेहकंग एस. एन. बनजी ि नेमसेक झुम्पा लाहहडी
माई एर्क्पेररमेंट हवि ट्रुथ महात्मा गां धी हि रोड अहे ड हबल गेट्स, नाथन
हमहरवोल्ड और पीटर
ररनरसन
भारत की खोज (हडस्कवरी ऑफ इं हडया) जवाहरलाल नेहरु डायनाः ए हटि ब्यदट जुंहलया डे लानो
हलहवंग एन एरा डी.पी. हमश्र रोमां हसक हवि लाइफः एन िे व आनंि
ऑटोबायोग्राफी
फाउं डेशन ऑफ इं हडयन कल्चर श्री अरहबंिो पैरी पॉटर जे.के. रोहलंग
एस्सेज ऑन गीता, ि लाइफ हडवाइन, क्लेक्टेड श्री अरहबंिो घोष सनी डे ज (आत्म कथा), सुनील गावस्कर
पोयम्स एं ड प्लेज, ि हसंथेहसस ऑफ योगा, ि आइडल्स, रं स एं ड रुइं स तथा
ह्मदमन साइहकल, ि आइहडयल ऑफ ह्यदमन वन डे वंडसश
यदहनटी, साहवत्रीः ए लीजेंड एं ड ए हसंबल, ि
सीक्रेट ऑफ ि वेिा एवं ‘ि मिर’ आहि।
उियभान चररत मुंशी इं शाअल्ला खान ि हमथ ऑफ ि महात्माः गाँ धी, माइकल एडवड्श स
ि हब्रहटश एं ड ि राज
काजर की कोिरी बाबद िे वकी नंिन खत्री ि स्टि गल फॉर पीसः एहलजाबेथ वनॉक
इजराइहलस एं ड फमशहनया
हफलीस्तीहनयन
हिी हमीर पं. प्रतापनारायाण हमश्र इन ि लाइन ऑफ फायरः ए प्रवेज मुशरश फ
मेमोयर
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सामाहजक – धाहमनक सुधार आं दोलन (18 वी ं शताब्दी के उत्तरार्द्न से 20वी ं शताब्दी के मध्य तक)
वर्न/ काल आं दोलन का नाम संगठन एवं संस्थापक एवं सम्बर्द् प्रकृहत, उद्दे श्य तथा कायन
स्थान व्यक्ति
19 वीं शताब्दी के स्वामी नारायण सम्प्रिाय गुजरात स्वामी सहजानंि (मदल ईश्वर की अवधारणा में हवश्वास, वैष्णव धमश की भोगवािी रीहतयों
प्रारं हभक वषों में नाम घनश्याम) 1781- का हवरोध, नैहतक आचार संहहता का हनमाश ण
1830
18 वीं शताब्दी के ब्रह्म समाज (प्रारं भ में आत्मीय सभा), आहि ब्रह्म समाज - एकेश्वरवाि का प्रचार, अवतार वाि, ध्यान, त्याग ब्रह्मण वगश,
उत्तराद्धश एवं 19 कलकत्ता में स्थापना की गई केशव चंद्र सेन मदहतशपदजा, अंधहवश्वास तथा सती प्रथा का हवरोध,हहं िद धमश की
वीं शताब्दी के कुरीहतयों को िद र करने का प्रयास राजाराम मोहन राय द्वारा
पदवाद्धश में साधरण ब्रह्म समाज - प्रकाहशत पत्र- पहत्रकायें संवाि कौमुिी (1821) हमरात – उल-
हशवनाथ शास्त्री और अकबर,िे वेंद्रनाथ टै गोर द्वारा प्रकाहशत पत्र-पहत्रकाएं
1828 आनंि मोहन बोस तत्वबोहधनी पहत्रका, केशवचंद्र सेन द्वारा इं हडयन हमरर, साधारण
ब्रह्म सभा (1828) - ब्रह्म समाज द्वारा – तत्व कौमुिी, ि इं हडयन मैसेंजर, ि संजीवनी,
राजाराम मोहन राय ि नवभारत प्रवासी ।
30 हिसंबर 1814 आत्मीय सभा, कलकत्ता राजा राममोहन राय एकेश्वरवाि का प्रचार, हहं िद धमश की बुराइयों पर प्रहार
1826-1831 यंग बंगाल आं िोलन हे नरी लुइस हवहवयन सामाहजक कुरीहतयों की आलोचना,सत्य,तकश एवं स्वतंत्रता में
हडरोहजओ (संस्थापक) हवश्वास इन्होंने एक पत्र प्रकाहशत हकया तथा सोसायटी फार
एिीजीशन एण्ड जनरल नॉलेज की स्थापना की (डे रोहजयो ने
हे स्पेरस तथा ि कलकत्ता लाइब्रेरी गजट का संपािन हकया, ये
काफी समय तक इं हडया गजट से भी सम्बद्ध रहे )
1830 धमश सभा कलकत्ता राधाकां त िे व (1794- ब्रह्म समाज का हवरोध, हहं िद कट्टरवाि का समथशन, पाश्चात्य
1876) संस्थापक हशिा का समथशन एवं उसके प्रसार में सहायता
19वीं शताब्दी- बहावी आं िोलन, रोहहलखण्ड में रायबरे ली के सैय्यि वली उल्लाह के उपिे शों एवं हशिाओं को लोकहप्रय बनाने का
1820 में स्थाहपत प्रारं भ काबुल,उत्तर – पहश्चम सीमा अहमि (संस्थापक) प्रयास, अंग्रेजों का हवरोध तथा हसखों से युद्ध धमश की व्यन्सिगत
(1870 में हब्रहटश प्रां त बंगाल एवं मध्य प्रांत में कई हवलायत अली,शाह व्याख्या पर जोर
सरकार की िमन शाखाएं खुली, उत्तर – प्रिे श सीमा मुहम्मि हुसैन ,
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1839 तयदनी आं िोलन , ढाका में स्थापना करामत अली शाह वली उल्लाह की धाहमशक हशिाएं प्रमुख आधार, फराजी
जौनपुरी आं िोलन का हवरोध
1839 तत्वबोहधनी, कलकत्ता िे वेंद्रनाथ टै गोर राजा राम मोहन राय के हवचारों का समथशन एवं उनका प्रचार-
प्रसार
1841 -1871 नामधारी या कदका आं िोलन (हसखों भाई बालक हसंह एवं हसखों के सामाहजक एवं धाहमशक सुधार के प्रयास, भन्सि एवं
का) , उत्तर प्रिे श सीमां त प्रां त भाइनी राम हसंह (संस्थापक) शुद्धता पर बल
(पंजाब के लुहधयाना हजले में न्सस्थत)
1848 स्टु डेंट हलटरे री एं ड साइं हटहफक - सामाहजक प्रश्ों पर बहस, हविान को लोक हप्रय बनाने का
सोसाइटी प्रयास
1851 रहनुमाई मायजि सभा (पारहसयों का एस. एस. बंगाली ,िािा पारहसयों की िशा सुधारने की प्रयास, जो राष्ट्िवाि की शुद्धता
धमश सुधार आं िोलन) भाई नौरोजी , फारिोन पर बल , रास्त गोफ्तार (सत्य की बातें) नामक पत्र का प्रकाशन
जी नौरोजी एवं अन्य
1861 राधास्वामी सत्संग आं िोलन आगरा मे तुलसी राम या हशव जीवात्मा तथा परमात्मा पर बल, आत्मा तथा भन्सि के हमलन को
स्थापना ियाल साहब मोि प्रान्सप्त का साधन बताया, शराब एवं मां साहार का हवरोध,
(स्वामीजी महाराज) धमश शस्त्र मदहतशपदजा एवं तंत्र – मंत्र का हवरोध, सािगी पदणश जीवन
पर बल ।
1866 िे वबंि (िे वबंि-सहारनपुर –उत्तर मुहम्मि काहसम इस्लाम की उिार वािी व्यवस्था, इस्लाम की उन्नहत के प्रयास
प्रिे श) में इसकी स्थापना की गयी । नानौत्वी (1832-80) पाश्चात्य हशिा पद्धहत का हवरोध, सैय्यि अहमि खां के हसद्धां तो
तथा रशीि अहमि का हवरोध भारतीय राष्ट्िीय कां ग्रेस की स्थापना का स्वागत ।
गंगोही (संस्थापक)
मौलाना अबुल कलाम
आजाि, मुहम्मि उल
हसन हसबली नुमामी ।
1866 भारत का ब्रह्म समाज कलकत्ता केशव चंद्र सेन समाज सुधार का क्रां हतकारी समथशन
1867 प्राथशना समाज , बंबई में स्थापना आत्माराम पां डुरं ग हहं िद धाहमशक हवचारधारा और प्रथाओं मे सुधार, एकेश्वर का
गोहवंि राणाडे आर. समथशन , महहलाओं की िशा में सुधार , धाहमशक रूह़िवाहिता एवं
जी. भंडारकर जातीय भेि भाव का हवरोध
(संस्थापक),
1870 इं हडयन ररफामश एसोहसएशन, केशव चंद्र सेन बालहववाह के हवरुद्ध जनमत बनाने का प्रयास, महहलाओं की
कलकत्ता सामाहजक िशा में सुधार का प्रयास, हववाह की ब्रह्म पद्धहत को
कानदनी िजाश िे ने की वकालत
1875 आयश समाज ,बंबई मे स्थापना ियानंि सरस्वती (मदल हहं िुओ को अपने धमश मे गहरी आस्था रखने की सलाह, हहं िद
शंकर) धमश मे सुधार का प्रयास, हहं िुओं के धमाां तरण पर रोक लगाने
का प्रयास , वेिों का सवोच्च महत्व, ब्राह्मणों के हवशेषाहधकार,
मदहतशपदजा एवं अंध हवश्वास का हवरोध, ियानंि एं िो वैहिक स्कदल
की स्थापना
1875 (अलीग़ि अलीग़ि आं िोलन (अलीग़ि स्कदल से सर सैय्यि अहमि खां धाहमशक तकशवाि द्वारा मुन्सस्लम धमश में सुधार लाने का प्रयास,
स्कदल की स्थापना 1877 में मोहम्मि एं िो- ओररएं टल (1817-1898) अली तकशवािी एवं वैिाहनक दृहष्ट्कोण का समथशन, पाश्चात्य हशिा
का वषश) कालेज की स्थापना, कालां तर में यह ग़ि स्कदल के संस्थापक पद्धहत का समथशन, समाज सुधार का प्रयास सर सैय्यि अहमि
अलीग़ि मुन्सस्लम हवश्वहवद्यालय में खां ने 1864 में साइन्सन्टहफक सोसायटी की स्थापना की, 1870
पररवहतशत) में तहजीब- उल अखलाख नामक उिद श पत्र का प्रकाशन प्रारम्भ
हकया।
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1875 हथयोसोहफकल सोसाइटी (इसकी रूसी महहला मैडम उपहनषिों से प्रेरणा, वेिां त िशशन को महत्व, प्राचीन धमश िशशन
स्थापना न्यदयाकश में की गयी हकंतु बाि एस. पी. ब्लावैटस्की एवं मानवता का प्रचार
में इसका मुख्यालय मद्रास के हनकट (1831-91), एवं
अंड्डयार नामक स्थान मे स्थानां तररत अमेररका कनशल
कर हिया गया । एच.एस. आल्काट
(1832-1907) द्वारा
स्थापना की गयी एनी
बेसेंट भी कालां तर में
इससे जुड गयी ।
1884 िक्कन एजुकेशन सोसायटी, पदना एम. जी राणाडे , वी. पहश्चम भारत में हशिा एवं संस्कृहत को प्रोत्साहन एवं प्रचार-
जी. हछबिोनकर प्रसार, 1885 में पदना में फर्ग्दशसन कॉलेज की स्थापना।
जी.जी. अगरकर
(संस्थापक)
1908 सेवा सिन, बम्बई बहरामजी एम. बालहववाह का हवरोध, हवधवा पुनशहववाह की वकातल,
मालाबारी सामाहजक रूप से शोहषत महहलाओं का उत्थान
1887 इं हडयन नेशनल सोशल कां रेंस, एम.जी. राणाडे , समाज सुधार
बम्बई रघुनाथ राव
1887 िे व समाज लाहौर हशवनारायण अहिहोत्री इसके धाहमशक हसि् घां त ब्रह्म समाज से हमलते जु लते थे, एक ऐसी
सामाहजक आचार सहहं ता के हनमाश ण का पिधर, हजसमें ररश्वत,
जुआ, शराब एवं मां साहारी भोजन पर प्रहतबंध का प्रावधान हो ।
1889 अहमहिया आं िोलन, काहिया संस्थापक – हमजाश ईसाई हमशनररयों के प्रहार से इस्लाम का बचाव, हहं िद धमश में
(पंजाब) से प्रारं भ गुलाम अहमि (1839- पुनजाश गरण लाने का प्रयास, सावशभौहमक धमश में आस्था, हमजाश
1908) गुलाम अहमि ने स्वयं को मसीहा की संिा िी तथा भगवान
कृष्ण का अवतार बताया, बराहीन – ए – अहमहिया नामक
पुस्तक में अपने हसद्धांतो की व्याख्या की ।
1892 मद्रास हहं िद एसोहसएशन, मद्रास वीरे शहलंगम पंतलु सामाहजक शुद्धता आं िोलन, हवधवाओं के शोषण तथा िे विासी
प्रथा का हवरोध
1897 रामकृष्ण हमशन –बंगाल मे इसकी संस्थापक- स्वामी प्राचीन भारतीय धाहमशक ग्रंथो एवं वैहिक मान्यताओं (वेिां त की
स्थापना की गयी (कालां तर में बेलदर हववेकानंि (मदल नाम- मान्यताओं इत्याहि) के आधार पर हहं िद धमश का पुनरूत्थान,
एवं मायावती इसकी गहतहवहधयों के नरें द्रनाथ ित्त), 1863- जाहत प्रथा, सामाहजक उत्पीडन तथा हहं िद समाज में व्याप्त
मुख्य केंद्र बन गये) 1902, रामकृष्ण अंधहवश्वासों का हवरोध, महहलाओं की न्सस्थहत एवं हशिा में सुधार
परमहं स 1834-86 का समथशन
,हववेकानंि के गुरू एवं
प्रेरणास्त्रोत
1902 भारत धमश महामंडल, वाराणसी संस्थापक – मिन रूह़िवािी हहं िदवािी संगिन, सनातन धमश का समथशन , आयश
मोहन मालवीय, िीन समाज के हसद्धां तों का हवरोध
ियाल शमाश , गोपाल
कृष्ण गोखले
1905 ि सवेन्ट ऑफ इं हडया सोसायटी, संस्थापक – गोपाल िहलतों की िशा सुधारने का प्रयास अकाल पीहडतो को सहायता
बंबई कृष्ण गोखले
1909 पदना सेवा सिन जी. के. िे वधर एवं आहथशक उन्नहत के प्रयास , महहलाओं को रोजगार का समथशन
रमाबाई राणाडे
1910 हनष्काम कमश मि, पदना धोंिो केशव कवे महहलाओं में हशिा का प्रसार, हवधवाओं की िशा में सुधार, पदना
में महहला हवश्वहवद्यालय की स्थापना (सम्प्रहत मुम्बई में)
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1910 भारत स्त्री मंडल, इलाहाबाि सरलाबाला िे वी महहलाओं के उद्धार एवं उनमें हशिा के प्रचार – प्रसार का
चौधरानी समथशन
1911 सोशल सहवशस लीग नारायण मल्हार जोशी जनसामान्य की िशा सुधारने का प्रयास, स्कदल एवं पुस्तकालयों
की स्थापना
1914 सेवा सहमहत, इलाहाबाि ह्रियानाथ कुंजरू समाज सेवा एवं हशिा के प्रसार द्वारा सामाहजक रूप से हपछडे
लोगों की िशा सुधारने का प्रयास
1914 सेवा सहमहत ब्वॉय स्काउट श्रीराम वाजपेयी भारत में ब्वॉय स्काउट आं िोलन में पदणश भारतीयता उत्पन्न
एसोहसएशन बम्बई करना
1917 ि इं हडयन वीमेन्स एसोहसएशन एनी बेसेन्ट भारतीय महहलाओं की िशा सुधारने का प्रयास, अन्सखल भारतीय
मद्रास महहला सम्मेलन का वाहषशक आयोजन
1873 सत्यशोधक समाज ज्योहतबा फुले ज्योहतबा फुले का जन्म 1827 में एक माली के घर हुआ था।
इन्होंने शन्सिशाली गैर-ब्राह्मण आन्दोलन का संचालन हकया।
इन्होंने अपनी पुस्तक गुलामगीरी (1872 ई.) एवं अपने संगिन
सत्यशोधक समाज के द्वारा पाखंडी ब्राह्मणों एवं उनके
अवसरवािी धमश ग्रंथो से हनम्न जाहतयों की रिा की आवश्यकता
पर बल हिया।
• िािाभाई नौरोजी ने अंग्रेजी शासन व्यवस्था को भारत का खदन चदसने वाली संस्था कहा था। कांग्रेस द्वारा 1938 में स्थाहपत राष्ट्रीय
हनयोजन सहमहत के प्रथम अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरु थे। 1857 के हवद्रोह में फोटश ऑफ सोल्जसश में हनहहत वास्तहवक कमान का प्रमुख
जनरल बख्त खाँ था।
• राजाराम मोहन राय ने अपने शैहक्षक कायन डे हवड हेयर के साथ हमलकर हकये थे। दे श-प्रेम धमन है तथा धमन है भारत के प्रहत प्रेम –
यह कथन बंहकचंद्र चटजी का है।
• डोला पालकी आं दोलन उत्तराखण्ड के हशल्पकारों द्वारा हुआ था। जयानंि भारतीय डोला पालकी आं िोलन के नायक थे। सामाहजक
चेतना के प्रसार हेतु गोपाल हरर दे शमुख ने अखबार में धारावाहहक रूप से शत पत्रेण (सौ पत्र) का प्रकाशन हकया।
• ि महाराज लाइबल केस 1861-1862 में हब्रहटश काल में बाम्बे हाईकोटश में चलाया गया। जिु नाथजी ब्रजरतन जी महाराज ने ये मुकिमा
एक सुधारक व पत्रकार कसशनिास मदलजी के हवरुद्ध सत्यप्रकाश नामक समाचार पत्र में लेख के आधार पर हकया था।
• “भारतीय लोगों को हशहित करना हमारा नैहतक कतशव्य है ” यह कथन लॉडश मेयो का है। हवहलयम एडम बैहिस्ट हमशनरी से संबंहधत था
हजसने राजाराम मोहन राय के साथ 1821 में कलकत्ता में यूनीटे ररयन हमशन की स्थापना की थी।
• ‘जीव हशव है ’ इस हसद्धां त का प्रचलन रामकृष्ण परमहं स ने हकया था। अरहवन्द घोष ने कहा था हक – राजनीहतक स्वतंत्रता राष्ट्ि की प्राणवायु
है ।
• सर सैय्यि अहमि खाँ ने कहा था हक – हहन्िद और मुसलमान भारत की िो आँ खे हैं। डॉ हरहवलास शारदा के प्रयासों से 1929 ई में
शारदा अहधहनयम पाररत हकया गया। इस अहधहनयम द्वारा लड़कों की उम्र 18 वर्न व लड़हकयों की उम्र 14 वर्न हनधानररत की गयी
थी।
• 1851 में कुछ अंग्रेजी हशक्षा प्राप्त पारहसयों ने रहनुमाई माजदायन सभा का गठन हकया, हजसका उद्दे श्य पारहसयों की सामाहजक
अवस्था का पुनरुद्धार करना एवं पारसी धमश की प्राचीन शुद्धता को पुनः प्राप्त करना था।
• बंगाली लेखक भूदेव मु खजी ने प्रथम बार यह सुझाव हदया था हक हहन्दी को भारत की राष्ट्रीय भार्ा के रूप में अपनाया जाय।
स्वामी हववेकानन्द ने कहा था ‘भारत को पु नः एक होना होगा तथा अपनी शन्सि से हवश्व को हवहजत करना होगा’। एफ मैर्क् मदलर ने
सवशप्रथम यह सुझाव हिया हक संस्कृत लैहटन तथा ग्रीक एक ही भाषा पररवार से संबंहधत है ।
• राजा राममोहन राय - राजा राममोहन राय को भारतीय पुनजानगरण का जनक, भारतीय राष्ट्रवाद का पैगंबर, अतीत और भहवष्य
के मध्य सेतु, भारतीय राष्ट्रवाद का जनक, आधुहनक भारत का हपता, प्रथम आधुहनक पुरुर् और युगदू त कहा गया। मुगल बादशाह
अकबर हद्वतीय ने राजा राममोहन राय को राजा की उपाहध के साथ अपने दू त के रूप 1830 ई. में तत्कालीन हिहटश सम्राट
हवहलयम चतुथन के दरबार में भेजा था। इं ग्लैंड के हिस्टल में 27 हसतंबर, 1833 को राजा राममोहन राय की मृत्यु हो गई, जहां
उनकी समाहध स्थाहपत है। हशक्षा के क्षेत्र में राजा राममोहन राय अंग्रेजी हशक्षा के पक्षधर थे। उनके अनुसार, एक उिारवािी पाश्चात्य
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हशिा ही अिान के अंधकार से हमें हनकाल सकती है और भारतीयों को िे श के प्रशासन में भाग हिला सकती है । उन्होंने मदहतश पदजा, बाल
हववाह तथा सती प्रथा जैसी सामाहजक कुरीहतयों का हवरोध हकया था।
• 1820 में राजा राममोहन राय ने प्रीसेि ऑफ जीसस नामक पुस्तक हलखी, हजसमें उन्होंने “न्यद टे स्टामेंट” के नैहतक एवं िाशशहनक
संिेश को उसकी चमत्काररक कहाहनयों से पृ थक करने का प्रयास हकया।
• राजा राममोहन राय ने सती प्रथा का कडा हवरोध हकया। वर्न 1818 में उन्ोंने अपना सती हवरोधी अहभयान आरं भ हकया। 1829 में
लाडन हवहलयम बैंहटक ने एक कानून बनाकर सती प्रथा को गैर-कानूनी घोहर्त कर हदया।
• राजा राममोहन राय आधुहनक पाश्चात्य हशिा के प्रचार-प्रसार के समथशक थे। उन्ोंने डे हवड हेअर की 1817 में हहन्दू कॉलेज की स्थापना
में काफी सहायता की तथा उसके द्वारा प्रस्तुत की गयी हवहभन्न हशिा संबंधी योजनाओं का समथशन हकया।
• राजा राममोहन राय ने 1817 में कलकत्ता में अंग्रेजी स्कूल खोला, हजसमें रां स के प्रहसद्ध िाशशहनकों-िां त, रूसे एवं वाल्टे यर के िशशन
की हशिा िी जाती थी। 1825 में उन्ोंने वेदांत कॉलेज की स्थापना की हजसमें भारतीय हवद्या और पाश्चात्य भौहतक हवज्ञान एवं
सामाहजक हवज्ञान की हशक्षा दी जाती थी।
• राजा राममोहन राय की मृत्यु के पश्चात िह्म समाज की बागडोर रहवंद्रनाथ टै गोर के हपता महहर्न दे वेंद्रनाथ टै गोर (1817-1905) ने
संभाली। वे 1842 में िह्म समाज में सक्तिहलत हुए।
• 1858 में केशवचंद्र से न (1838-1884) द्वारा िह्म समाज की सदस्यता ग्रहण करने के पश्चात दे वेंद्रनाथ टै गोर ने उन्ें समाज का
नया आचायन हनयुि हकया। 1865 में केशवचंद्र सेन को आचायश की पिवी से बखाश स्त कर हिया गया। 1866 में उन्होंने भारतीय ब्रह्म
समाज (नव हवधान ब्रह्म समाज) के नाम से एक नयी सभा का गिन हकया। इसके पश्चात दे वेंद्रनाथ टै गोर के िह्म समाज को आहद िह्म
समाज के नाम से जाना जाने लगा।
• रामकृष्ण परमहं स की हशिाओं की व्याख्या को साकार करने का श्रेय स्वामी हववेकानंि को जाता है । उन्होंने इस हशिा का साधारण भाषा
में वणशन हकया है । स्वामी हववेकानंि नवीन हहं िद धमश के प्रचारक के रूप में उभरे । 1893 ई. में स्वामी हववेकानंद हशकागो गए, वहां
उन्ोंने “वर्ल्न पाहलनयामेंट ऑफ ररलीजन (हवश्व धमन संसद) में अपना सुप्रहसर्द् भार्ण हदया। स्वामी हववेकानंि का जन्म 1862 में हुआ
था। वे आध्यान्सत्मक हजिासा के कारण रामकृष्ण के संपकश में लाये तथा उनके हशष्य बन गये। रामकृष्ण परमहंस ने ‘परमहंस मठ’ की
स्थापना की। रामकृष्ण परमहं स की मृत्यु 1886 में हुई।
• स्वामी हववेकानंि कहा करते थे हक – सभी हवहभन्न धाहमशक हवचार एक ही मंहजल तक पहुं चने के केवल हवहभन्न रास्ते हैं ।
• शारदामहण मुखोपाध्याय हजन्ें शारदा दे वी के नाम से जाना जाता है, का हववाह रामकृष्ण परमहंस से 1859 ई. में हुआ था।
• स्वामी ियानंि (मदलशंकर) का जन्म 1824 ई. में गुजरात की मोरबी ररयासत (कहियावाड िेत्र) के एक ब्राह्मण कुल में हुआ था। स्वामी
ियानंि ने कहा था – अच्छा शासन स्वशासन का स्थानापन्न नहीं है ।
• 1877 में आयन समाज का मुख्यालय लाहौर में स्थाहपत हकया गया, हजसके उपरांत आयश समाज का अहधक प्रचार हुआ। स्वामी दयानंद
सरस्वती ने – पुनः वे दों की ओर लौटो का नारा हदया। स्वामी दयानंद को उनके धाहमनक सुधार प्रयासों के कारण – भारत का
माहटन न लूथर हकंग कहा जाता है। आयश समाज के हनयम तथा हसद्धां त सबसे पहले बंबाई में गहित हकए गए।
• महाराष्ट्र के समाज सु धारक गोपाल हरर दे शमुख (1823-1892) लोकहहतवादी के रूप में प्रख्यात थे। महाराष्ट्ि में हवधवा पुनहवशवाह
हे तु प्रथम अहभयान का नेतृत्व हवष्णु परशुराम पंहडत ने हकया। हवष्णु परशुराम पंहडत ने 1850 ई. में हवधवा पुनहवनवाह सोसाइटी की
स्थापना की थी और साथ ही हवधवा-पुनहवनवाह आन्दोलन भी चलाया था।
• 19वीं सिी के महानतम पारसी समाज सुधारक बहरामजी एम. मालाबारी थे। इनका जन्म बडौिा के पारसी पररवार में 1853 ई. में हुआ था।
1891 में बहरामजी एम. मालाबारी के प्रयासों से एज ऑफ कन्सेन्ट एक्ट पाररत हुआ था।
• भारतीय (राष्ट्रीय) सामाहजक सिेलन की स्थापना 1887 ई. में एम.जी. रानाडे एवं रघुनाथ राव द्वारा की गई थी। इस सम्मेलन का
प्रमुख उद्दे श्य बहु हववाह, बाल हववाह एवं कुलीनवाि जैसी कुप्रथाओं का समापन करना था।
• 1856 ई. में धाहमशक अिमता कानदन द्वारा हहं िुत्व से धमाां तररत व्यन्सियों के नागररक अहधकारों की रिा का प्रावधान हकया गया। 1856 ई.
के हहन्दू हवधवा पुनहवनवाह कानून (हहंदू हवधवा पुनहवनवाह अहधहनयम) द्वारा हवधवाओं के पुनहवनवाह को कानून संगत बनाया गया।
• सती रे गुलेशन लॉडन हवहलयम बेंहटक के समय 1829 ई. में बनाया गया था। 1850 में ईश्वरचन्द्र हवद्यासागर कलकत्ता के संस्कृत कॉलेज
के प्रधानाचायश बने। आचायश ईश्वरचंद्र हवद्यासागर ने हवधवा पुनहवशवाह के हलए अथक संघषश हकया। 1849 में स्थाहपत बेथुन स्कदल के सहचव के
रूप में उन्होंने भारत में न्सस्त्रयों के हलये उच्च हशिा के िेत्र में महत्वपदणश कायश हकये।
• बालशास्त्री जाम्बेकर (1812-1846) ने बॉम्बे में पत्रकाररता के माध्यम से समाज सुधार का मागश प्रशस्त हकया। उन्ोंने 1832 में
साप्ताहहक पत्र दपनण का प्रकाशन प्रारं भ हकया। 1940 में उन्ोंने हदग्दशनन नामक पत्र शुरु हकया, जो वैज्ञाहनक हवर्यों के साथ-
साथ इहतहास संबंधी हवर्यों पर लेख प्रकाहशत करता था।
• महाराष्ट्र में 1849 में स्थाहपत परमहंस मंडली के संस्थापकों में मुख्य रूप से दडोबा पांडुरंग, मेहताजी दु गानराम तथा अन्य शाहमल
थे।
• गोपालहरर दे शमुख “लोकहहतवादी” (1823-1982) महाराष्ट्ि के एक समाज सुधारक और तकशवािी थे। वे हब्रहटश शासन के अधीन एक
न्यायाधीश थे, लेहकन वे सामाहजक सुधार के मुद्दों पर लोकहहतवादी के नाम से एक साप्ताहहक पहत्रका प्रभाकर में हलखते थे।
गोपालहरर दे शमुख ने हहतेचू नामक साप्ताहहक पहत्रका शुरु की और ज्ञान प्रकाश, इं दु प्रकाश एवं लोकहहतवादी नामक
पीररयोहडकल्स की नी ंव में अग्रणी भूहमका हनभाई।
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• भारतीय सेवक समाज की स्थापना 1905 में कांग्रेस के उदारवादी नेता गोपाल कृष्ण गोखले (1866-1915) ने एम.जी. रानाडे की
सहायता से की की थी। 1915 में गोपाल कृष्ण गोखले की मृत्यु के पश्चात श्रीहनवास शास्त्री ने इसका अध्यि पि संभाला।
• सोशल सहवनस लीग संस्थापक नारायण मल्हार जोशी ने ही 1920 में अक्तखल भारतीय टर े ड यूहनयन कांग्रेस की स्थापना की थी।
• एक पारसी समाज सुधारक, बहरामजी एम. मालाबारी (1853-1912) ने 1908 में अपने हमत्र, दीवान दयाराम हगडूमल के साथ
सेवा सदन की स्थापना की।
• 1895 में सनातन धमन सभा की स्थापना की गई।
• श्री नारायनगुरु धमनपररपालन (एसएनडीपी) आं दोलन एक क्षेत्रीय आं दोलन था, हजसका जन्म समाज के िहलत वगश एवं ब्राह्मण वगश में
टकराव के कारण हुआ। इस आं दोलन की शुरुआत केरल के इझवास जाहत के श्री नारायण गुरु स्वामी (1856-1928) ने की।
• वोक्काहलग संघ आं दोलन की शुरुआत 1905 में मैसूर में हुई। यह एक िाह्मण हवरोधी आं दोलन था।
• न्याय आं िोलन या जन्सस्टस आं िोलन की शुरुआत सी.एन. मुिहलयार, टी.एम. नायर एवं पी. त्यागराज ने मद्रास में की। इस आं िोलन का
उद्दे श्य गैर-ब्राह्मण जाहतयों का हवधाहयका में प्रहतहनहधत्व ब़िाना था। 1917 में मद्रास प्रेसीडें सी एसोहसएशन का गठन हकया गया,
हजसने हवधाहयका में हनम्न जाहत के लोगों के हलये पृथक प्रहतहनहधत्व की मांग की।
• इं हडयन सोशल कांफ्रेंस की स्थापना एम.जी. रानाडे एवं रघुनाथ राव ने की थी। इसका पहला सिेलन 1887 में मद्रास में हुआ।
• मुसलमानों की पाश्चात्य प्रभावों के हवरुर्द् सवनप्रथम जो प्रहतहिया हुई, उसे ही वहाबी आं दोलन या वलीउल्लाह आं दोलन के नाम से
जाना जाता है । शाह वलीउल्लाह (1702-1762) अिारहवीं सिीं में मुसलमानों के वह प्रथम नेता थे, हजन्होंने भारतीय मुसलमानों में हुई
हगरावट में हचंता प्रकट की।
• फराजी आं दोलन की शुरुआत हाजी शरीयतउल्लाह ने 1818 में की थी। इस आं िोलन को फराइिी आं िोलन के नाम से भी जाना
जाता है क्योंहक इसका मुख्य जोर इस्लाम धमश की सच्चाई पर था।
• सर सैय्यि अहमि खान का जन्म 1817 में हिल्ली में एक प्रहतहष्ठत मुन्सस्लम पररवार में हुआ था। वे हब्रहटश शासन के अधीन न्याहयक सेवा के
एक अंग्रेज भि नौकरशाह थे। 1876 में सरकारी सेवा से सेवाहनवृत्त होने के पश्चात 1878 में वे इम्पीररयल लेहजस्लेहटव काउं हसल के सिस्य
बने। अंग्रेजों के प्रहत उनके समपनण से प्रसन्न होकर 1888 में अंग्रेज सरकार ने उन्ें नाइटहुड की उपाहध प्रदान की।
• सर सैय्यद अहमद खान ने 1875 में अलीगढ़ में मोहिडन एं ग्लो ओररएं टल कॉलेज की स्थापना की।
• दे वबंद स्कूल की स्थापना, तत्कालीन संयुि प्रांत के सहारनपुर हजले में दे वबंद नामक स्थान में 1866 में मोहिद काहसम
नानोतवी एवं राहशद अहमद गंगोही ने संयुि रूप से की थी।
• 1873 में अमृतसर में हसंह सभा आं दोलन प्रारं भ हुआ।
एज ऑफ कन्सेंट एक्ट लैंसडाउन 1891 लडकी के हलए हववाह की आयु 12 वषश हनधाश ररत
शारिा एक्ट इरहवन 1929 हववाह के हलए लडकी की न्यदनतम आयु 14 वषश व लडकों की
न्यदनतम आयु 18 वषश हनधाश ररत
सती प्रथा प्रहतबंध लाडश हवहलयम बेंहटक 1829 सती-प्रथा पर पदणश प्रहतबंध
िास प्रथा पर प्रहतबंध एलनबरो 1843 1833 के चाटश र अहधहनयम द्वारा 1843 में िासता को प्रहतबंहधत
कर हिया गया ।
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भारतीय राज्यव्यवस्था
• भारत का उच्चतम न्यायलय 28 जनवरी 1950 को अन्सस्तत्व में आया। इससे पहले 1937-1950 भारत की संघीय अिालत कायशरत थी।
• उच्चतम न्यायलय में न्यायधीशों की संख्या न्यायमदती एवं 33 अन्य न्यायधीश है ।
• भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 65 वषश की अहधकतम आयु तक पि धारण कर सकते हैं ।
• भारत में उच्च न्यायालयों की कुल संख्या 25 है ।
• 3 उच्च न्यायालयों का उि् घाटन संबंहधत राज्यों की राजधाहनयों में इस प्रकार हुआ - मेघालय और महणपुर उच्च न्यायालय (25 माचश 2013)
और हत्रपुरा उच्च न्यायालय (26 माचश 2013)। आं ध्र प्रिे श उच्च न्यायालय 1 जनवरी 2019 को अमरावती में स्थाहपत हुई ।
• भारत में सबसे पुराना उच्च न्यायालय कलकत्ता उच्च न्यायालय है हजसकी स्थापना 1 जुलाई 1862 को हुई थी । कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास
उच्च न्यायालय की स्थापना 1862 मे एक राजिा द्वारा हुई थी।
• उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में हनयुन्सि के हलए अहधकतम आयु सीमा 62 वषश है।
महत्वपूणन तथ्य –
• संहवधान सभा का गिन कैहबनेट हमशन की हसफाररश पर हकया गया था हजसने 1946 मे भारत का िौरा हकया।
• संहवधान सभा की पहली बैिक 9 हिसम्बर 1946 को नई हिल्ली के कॉन्सिट्यदशन हाल (हजसे अब संसि भवन के केंद्रीय कि के नाम से
जाना जाता है ) में हुई थी।
• श्री सन्सच्चिानंि हसन्हा संहवधान सभा के अस्थायी अध्यि हनवाश हचत हकए गए थे।
• डॉ राजेन्द्र प्रसाि बाि में संहवधान सभा के स्थायी अध्यि बने।
• 13 हिसम्बर 1946 को पंहडत जवाहर लाल नेहरु ने भारतवषश को एक स्वतंत्र संप्रभु तंत्र घोहषत करने और उसके भावी शासन के हलए एक
संहवधान बनाने के दृ़ि संकल्प से उद्दे श्य संकल्प प्रस्तुत हकया। SCSGYAN
• संहवधान सभा को स्वतंत्र भारत के हलए संहवधान का मसौिा तैयार करने का ऐहतहाहसक कायश पदरा करने मे लगभग तीन साल (िो साल
र्ग्ारह महीने और सत्रह हिन ) लग गए।
• भारतीय संहवधान सभा ने कुल र्ग्ारह सत्र आयोहजत हकए हजनकी कुल अवहध 165 हिन थी।
• संहवधान सभा के र्ग्ारहवें सत्र के अंहतम हिन 26 नवम्बर 1949 को भारत का संहवधान अपनाया गया था।
• इस हतहथ का उल्लेख भारतीय संहवधान की उद्दे हशका में इस प्रकार हमलता है अपनी संहवधानसभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी
को एति् द्वारा इस संहवधान को अंगीकृत, अहधहनयहमत और आत्माहपशत करते हैं ।
• 24 जनवरी 1950 को माननीय सिस्यों ने संहवधान पर अपने हस्तािर हकए संलि हकए।
• भारत का संहवधान 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। उस हिन संहवधान सभा का अन्सस्तत्व समाप्त हुआ और 1952 में नई संसि के गिन
होने तक अंतररम संसिका कायश हकया।
• संहवधान सभा का गिन (6 हिसंबर, 1946) और संहवधान सभा की पहली बैिक (9 हिसंबर, 1946)- संहवधान सभा, जो जनसाधारण द्वारा
हनवाश हचत प्रहतहनहधयों का एक हनकाय है और जो संहवधान का मसौिा तैयार करने या अपनाने के उद्दे श्य से इकट्ठे हुए थे , की पहली बैिक 9
हिसंबर 1946 को हुई थी।
• डॉ. राजेंद्र प्रसाि को अध्यि हनयुि हकया गया (11 हिसंबर, 1946)- डॉ. राजेंद्र प्रसाि, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महान सेनानी,
वकील, हवद्वान थे और जो वषश 1950 में भारत के पहले राष्ट्िपहत बने, संहवधान सभा के पहले अध्यि चुने गए।
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• 'उद्दे श्य प्रस्ताव' को प्रस्तुत करना और अनुमोिन (13 हिसंबर, 1946)- ‘उद्दे श्य प्रस्ताव’ 13 हिसंबर, 1946 को पंहडत जवाहरलाल नेहरू
द्वारा प्रस्तुत हकया गया था हजसने संहवधान के हनमाश ण के हलए सटीक िशशन एवं मागशिशशक हसद्धां त प्रिान हकए और बाि में ‘भारत के
संहवधान की प्रस्तावना’ का रूप ले हलया।SCSGYAN - For Paid Group Call /WhatsApp 7523864455 or 8564880530 or
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• राष्ट्िीय ध्वज अपनाया गया (22 जुलाई, 1947)- भारत के राष्ट्िीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को संहवधान सभा की बैिक के िौरान अपनाया
गया था, और यह 15 अगस्त 1947 को भारत के प्रभुत्व का आहधकाररक ध्वज बन गया। भारतीय ध्वज में ये शाहमल हैं - हतरं गा अथाशत,
केसररया, सफेि और हरा रं ग; अशोक चक्र, जो 24 तीहलयों वाला पहहया है ; और हजसके केंद्र में गहरा नीला रं ग है ।
• स्वतंत्र भारत (15 अगस्त, 1947) - इसी हिन हब्रहटश साम्राज्य की सत्ता भारत को सौंपी गई, यह अनहगनत स्वतंत्रता सेनाहनयों के व्यापक
सहयोग से संभव हो पाया हजनके प्रयासों ने भारत की आजािी को एक वास्तहवकता बना हिया। .
• मसौिा सहमहत (29 अगस्त, 1947) - संहवधान का मसौिा हवहभन्न जाहतयों, िेत्रों, धमों, इत्याहि के 299 प्रहतहनहधयों द्वारा तैयार हकया गया था
हजनमें महहला व पुरुष िोनों ही शाहमल थे। मसौिा सहमहत और उसके सिस्य भारतीय संहवधान के हनमाश ण में इस सहमहत के हवहभन्न चरणों
और संहवधान सभा के हवचार-हवमशश के िौरान काफी प्रभाव रखते थे।
• भारत का संहवधान पाररत हकया गया और अपनाया गया (26 नवंबर, 1949)- इस हिन को संहवधान हिवस या राष्ट्िीय कानदन हिवस के रूप
में जाना जाता है । भारत के संहवधान को अपनाने के उपलक्ष्य में यह हिवस मनाया जाता है । यह संहवधान सभा 26 जनवरी, 1950 को प्रभावी
हुई।
• संहवधान सभा की अंहतम बैिक (24 जनवरी, 1950) - संहवधान सभा की अंहतम बैिक। ‘भारत का संहवधान’ (395 अनुच्छेिों, 8 अनुसदची,
22 भागों के साथ) पर हस्तािर हकए गए और सभी ने इसे स्वीकार हकया।
• जब संहवधान लागद हुआ (26 जनवरी, 1950)- संहवधान ने िे श के मौहलक शासी िस्तावेज के रूप में भारत सरकार अहधहनयम 1935 का
स्थान हलया और भारत का प्रभुत्व भारतीय गणराज्य बन गया।
• पहला आम चुनाव (1951-52)- भारत में आम चुनाव 25 अक्टद बर 1951 से लेकर 21 फरवरी 1952 तक के बीच हुए। ये अगस्त 1947 में
िे श की आजािी के बाि लोकसभा के पहले चुनाव थे। ये भारतीय संहवधान के प्रावधानों के तहत कराए गए थे हजसे 26 नवंबर 1949 को
अपनाया गया था।
पद की शपथ
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