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दै जनक
क्लास नोट् स
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आधुजनक इजिहास

Lecture – 13
सामाजिक धाजमिक सुधार आं दोलन, भाग-2

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सामाजिक धाजमिक सुधार आं दोलन, भाग-2


अन्य जिद्रोह
1. जनजातीय आं दोलन
2. सामाजजक-धाजमिक आं दोलन
3. जकसान आं दोलन
िनिािीय आं दोलन
❖ जनजाजतयों के जलए सबसे पहले आजदवासी शब्द का प्रयोग ठक्कर बप्पा ने जकया था।
❖ आजदवासी वगि गैर-आजदवाजसयों को जदकू कहते हैं । जदकू शब्द शोषक वगि को संबंजधत करता है । जैसे- जमींदार,
सूदखोर
महाराष्ट्र का भील आं दोलन
❖ यह आं दोलन महाराष्ट्र के खानदे श में 1820-1857 ईस्वी के मध्य हुआ था।
❖ इस आं दोलन का नेता दशरथ था।
❖ इस आं दोलन का कारण आजथिक शोषण था।
❖ इस आं दोलन का अंग्रेजों द्वारा दमन जकया गया था।
संथाल जिद्रोह
❖ यह जवद्रोह 1855-56 ईस्वी में हुआ था।
❖ इस जवद्रोह के नेता जसद् धू और कान्हू थे ।
❖ यह जवद्रोह संथाल परगना के क्षेत्र में हुआ था।
❖ इस आं दोलन का कारण आजथिक शोषण जकया जाना था।
❖ इस आं दोलन का अंग्रेजों द्वरा दमन जकया गया था।
मुंडा आं दोलन
❖ इस आं दोलन को उलगुलान जवद्रोह भी कहा जाता है ।
❖ यह आं दोलन 1874-1900 ईस्वी के बीच चलाया गया।
❖ इस आं दोलन के नेता जबरसा मुंडा थे । जबरसा मुंडा को धरती आबा भी कहा जाता है ।
❖ इस आं दोलन का कारण धाजमिक व आजथिक था।
❖ यह आं दोलन छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में फैला था।
❖ इस आं दोलन का अंग्रेजों द्वारा दमन कर जदया गया था।
कोल जिद्रोह
❖ कोल जवद्रोह 1831-32 ईस्वी में हुआ था।
❖ इस जवद्रोह का नेता बुद्धो भगत था।
❖ यह जवद्रोह छोटा नागपुर के पठारी क्षे त्र था।
❖ इस जवद्रोह का दमन अंग्रेजों द्वारा जकया गया था।

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सामाजिक-धाजमिक आं दोलन
संयासी आं दोलन
❖ संयासी आं दोलन जगरर संप्रदाय के सन्याजसयों द्वारा प्रारं भ जकया गया था।
❖ यह आन्दोलन बंगाल में 1763-1800 ईस्वी के मध्य चलाया गया था।
❖ इस आं दोलन का नेता थे - दे वी चौधरानी, भवानी पाठक, जचराग अली, मजमून शाह, मू शा शाह तथा जद्वजनारायण पाठक
❖ सन्यासी आं दोलन जहन्हदू-मुस्लिम एकता का पहला आं दोलन था।
❖ इस आं दोलन का कारण जमींदारों का अत्याचार व तीथि यात्रा कर था।
❖ इस जवद्रोह पर आनंद मठ नामक पु स्तक जलखी गई। आनं द मठ पुस्तक को बंजकम चन्द्र चटजी ने जलखा था।
❖ इस आं दोलन का अंग्रेजी सरकार द्वारा दमन कर जदया गया था।
पागलपंथी जिद्रोह
❖ यह जवद्रोह बंगाल में 1813-31 ईस्वी के मध्य हुआ था।
❖ इस आं दोलन का नेता टीटू मीर/टीपू थे।
❖ इस आं दोलन का अंग्रेजों द्वारा दमन जकया गया था।
फैरािी आं दोलन
❖ फैराजी आं दोलन 1820-1831 के मध्य बं गाल में चलाया गया था।
❖ इस आं दोलन के नेता हाजी शररयततु ल्ला एवं टीटू मीर थे ।
❖ अंग्रेजों द्वारा इस आं दोलन का दमन कर जदया गया।
कूका आं दोलन
❖ कूका आं दोलन 1840-72 ईस्वी के मध्य पं जाब में चलाया गया जो एक धाजमिक-राजनीजतक आं दोलन था।
❖ इस आं दोलन का नेता रामजसं ह कूका थे ।
❖ इस आं दोलन के दौरान 50 कूकाओं को अं ग्रेजों ने तोप के मुंह में बां धकर उड़ा जदया था।
❖ राम जसंह कूका को रं गू न भेज जदया गया था।
19िी ं शिाब्दी के कृषक आं दोलन
नील जिद्रोह
❖ नील जवद्रोह 1859-60 ईस्वी में बंगाल के नजदया जजला में हुआ था।
❖ इस जवद्रोह का नेता जदगम्बर जवश्वास व जवष्णु जवश्वास था।
❖ इस जवद्रोह पर दीनबंधू जमत्र द्वारा एक पु स्तक नील-दपिण जलखा गया था।
❖ यह जवद्रोह सफल रहा था।
पाबना जिद्रोह
❖ यह जवद्रोह 1873 ईस्वी में बं गाल के जकसानों द्वारा जकया गया था।
❖ इस जवद्रोह का प्रमुख ने ता ईशान चन्द्र राय, शम्भुपाल तथा केशव चन्द्र राय थे ।

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दक्कन उपद्रि
❖ 1875 ईस्वी में पूना के जकसानों द्वारा जकया गया था।
20िी ं शिाब्दी के जकसान आं दोलन
संयुक्त प्ांि का जकसान आं दोलन
❖ संयुक्त प्रान्त जकसान आं दोलन 1918 ईस्वी में संयुक्त प्रान्त के अवध तथा आगरा क्षे त्र में हुआ था।
❖ इस आं दोलन का नेता गौरी शंकर जमश्रा, इं द्र नारायण जद्ववेदी तथा मदन मोहन मालवीय थे ।
❖ अवध जकसान सभा का गठन 1920 ईस्वी में बाबा रामचंद्र दे व के द्वारा जकया गया था।
एका आं दोलन
❖ एका आं दोलन 1921-22 ईस्वी में हुआ था।
❖ इस आं दोलन का नेता मदारी पासी थे ।
❖ इस आं दोलन का क्षेत्र हरदोई, बाराबंकी, सीतापुर तथा बहराइच था।
नोट- स्वामी सहिानंद सरस्विी जबहार के अग्रणी जकसान नेता थे ।
सामाजिक-धाजमिक सुधार आं दोलन
❖ सामाजजक-धाजमिक आं दोलन का उद्दे श्य-
1. राष्ट्रवाद का जवकास एवं प्रसार
2. जागरूकता का प्रसार
3. कुप्रथाओं की समास्लि
4. वंजचत वगि को समाज की मु ख्य धारा से जोड़ना
जहं दू धमि सुधार
रािाराम मोहन राय एिं ब्रह्म समाि
❖ रािाराम मोहन राय को जिजभन्न नमो से िाना िािा है िैसे: आधुजनक भारि का िनक, पत्रकाररिा का
रािकुमार, भारिीय राष्ट्रिाद का िनक, सुधार आं दोलन के प्िििक, अिीि ि भजिष्य के मध्य सेिु कहा जाता है ।
❖ इनका जन्म 1772 ईस्वी में बं गाल के राधानगर में हुआ था।
❖ इनका मृत्यु 1833 ईस्वी में जिटे न के जिस्टल में हुआ था।
❖ इन्ोंने तुहुफात-उल-मुवाजहद्दीन नामक पुस्तक जलखा। तुहुफात-उल-मुवाजहद्दीन का अथि एकेश्वरवाजदयों के जलए उपहार
होता है । इस पु स्तक में इन्ोंने मूजति पूजा का खंडन जकया।
❖ इन्ोंने 1814 ईस्वी में कलकत्ता में आत्मीय सभा की स्थापना जकया।
❖ इन्ोंने 1816 ईस्वी में कलकत्ता में वेदां त समाज की स्थापना जकया।
❖ इन्ोंने 1820 ईस्वी में प्रीसेप्टस ऑफ़ जीसस नामक पु स्तक जलखा।
❖ इन्ोंने 1821 ईस्वी में कलकत्ता एकतावादी सजमजत का स्थापना जकया।
❖ 20 अगस्त 1828 ईस्वी को कलकत्ता में इन्ोंने िह्म समाज की स्थापना जकया। यह एकेश्वरवादी जहं दूओं की संस्था है ।
❖ िह्म समाज ने अवतारवाद, मूजतिपूजा, आडं बरवाद, बहुदे ववाद तथा पुरोजहतवाद का खंडन जकया।

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❖ राजाराम मोहन राय ने डे जवड हे यर की सहायता से 1817 ईस्वी में जहन्हदू कॉलेज की स्थापना की।
❖ इन्ोंने 1825 ईस्वी में कलकत्ता में वेदां त कॉलेज की स्थापना की।
पत्रकाररिा
❖ इन्ोंने समाचार पत्रों की आजादी के जलए संघषि जकया, इसी वजह से इन्ें पत्रकाररता का राजकुमार कहा जाता है ।
❖ इन्ोंने 1821 ईस्वी में सती प्रथा का जवरोध करने के जलए संवाद कौमुदी (बंगाली भाषा) का प्रकाशन जकया।
❖ 1821 ईस्वी में बंगाली भाषा में प्रज्ञा का चााँ द का प्रकाशन कराया।
❖ जमरात-उल-अखबार (पारसी भाषा) का प्रकाशन – 1822 ईस्वी में
❖ िह्मजनकल मैगजीन (अंग्रेजी भाषा में) 1822 ईस्वी में प्रकाजशत जकया गया।
राष्ट्रिाद और लोकिंत्र के समथिन
❖ राजा राम मोहन राय राष्ट्रवाद और लोकतंत्र के समथिक थे।
❖ ये 1821 ईस्वी के नेपल्स की क्ां जत की जवफलता से दु खी हुए थे ।
❖ 1823 ईस्वी में स्पेन की क्ां जत की सफलता पर इन्ोंने राजत्र भोज का आयोजन जकया था।
❖ राजा राम मोहन राय 1831 ईस्वी में , मुगल बादशाह अकबर जद्वतीय का मुकदमा लड़ने लंदन गए।
❖ इनके प्रयासों से गवनिर जनरल जवजलयम बैंजटक ने सती प्रथा को जनयम-17 के अधीन अवैध घोजषत कर जदया।
रािा राम मोहन राय के बाद ब्रह्म समाि
❖ द्वाररकानाथ टै गोर तथा पंजडत रामचंद्र जवद्यावागीश जी को संचालक जनयुक्त जकया गया।
❖ बाद में दे वेन्द्र नाथ टै गोर भी िह्म समाज से जुड़े।
❖ दे वेंद्रनाथ टै गोर ने 1839 ईस्वी में तत्वबोजधनी सभा की स्थापना की।
❖ 1840 ईस्वी में तत्वबोजधनी स्कूल की स्थापना जकया गया।
❖ दे वेंद्रनाथ के बाद केशवचंद्र सेन को मु ख्य आचायि जनयुक्त जकया गया।
❖ केशवचंद्र सेन के प्रयासों से ही िह्म समाज का सवाि जधक प्रसार हुआ।
❖ केशवचंद्र सेन उदारवादी व्यस्लक्त थे और इन्ोंने िह्म समाज में अन्य धमि ग्रंथों के अध्ययन की आज्ञा दे दी।
❖ इसी वजह से दे वेन्द्रनाथ टै गोर ने इन्ें जनकाल जदया और इन्ोंने 1865 ईस्वी में आजद िह्म समाज या भारतवषीय िह्म
समाज की स्थापना की।
❖ 1861 ईस्वी में केशवचंद्र सेन ने इं जडयन जमरर (भारत-दपिण) नामक अंग्रेजी भाषा में प्रथम भारतीय दै जनक समाचार पत्र
का संपादन जकया।
❖ इन्ोंने अपनी अल्पवयस्क पु त्री का जववाह कूच जबहार के राजा से कर जदया।
❖ 1878 ईस्वी में एक बार पुनः िह्म समाज का जवघटन हुआ।
❖ आनंद मोहन तथा जशवनाथ शास्त्री ने साधारण िह्म समाज की स्थापना जकया।
❖ केशवचंद्र सेन ने स्त्री जशक्षा पर बल जदया और इं जडयन ररफॉर्म्ि एसोजसएशन की स्थापना की।
❖ 1884 ईस्वी में केशवचन्द्र सेन की मृत्यु हो गयी।
❖ केशव चंद्र सेन की मृत्यु के उपरां त मै क्समूलर ने कहा था जक ‘भारत ने अपना श्रेष्ठतम पु त्र खो जदया’।
❖ िह्म समाज का दो बार जवखंडन हुआ-
❖ 1865 ईस्वी- केशवचंद्र सेन के नेतृत्व में आजद िह्म समाज का गठन हुआ।

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❖ 1878 ईस्वी में - आनंद मोहन तथा जशवनाथ शास्त्री के ने तृत्व में साधारण िह्म समाज का गठन हुआ।
िेद समाि
❖ वेद समाज की स्थापना 1864 ईस्वी में मद्रास में श्री के. धरालू नायडू द्वारा जकया गया था।
❖ इसके अन्य सदस्य वी. राजगोपाल चारुलू, जवश्वनाथ मुदाजलयर तथा पी. सी. चेत्तेरी थे ।
❖ वेद समाज की स्थापना केशवचंद्र सेन की प्रे रणा से स्थाजपत हुआ था।
❖ इसे दजक्षण भारत का िह्म समाज कहा जाता है ।
प्ाथिना समाि
❖ प्राथिना समाज की स्थापना 1867 ईस्वी में बम्बई में आत्माराम पां डुरं ग ने केशवचंद्र सेन की प्रेरणा से स्थाजपत जकया था।
❖ इसके अन्य सदस्य महादे व गोजवंद रानाडे , आर.जी. भंडारकर तथा एन.जी. चंदावरकर थे ।
❖ महादे व गोजवंद रानाडे को पजिम भारत/महाराष्ट्र का सुकरात कहा जाता है ।
पूना सािििजनक सभा
❖ पूना साविजजनक सभा की स्थापना 1871 ईस्वी में महादे व गोजवंद रानाडे ने जकया था।
❖ प्राथिना समाज ने सोशल सजविस लीग, दजलत जाजत मंडल तथा दक्कन एजु केशन सोसाइटी की स्थापना जकया।
❖ दक्कन एजु केशन सोसाइटी बाद में पररवजति त होकर पूना फर्ग्ुिसन कॉले ज बना।
न्यायाधीश महादे ि गोजिंद रानाडे
❖ इन्ें पजिम भारत में सां स्कृजतक पुनजाि गरण का अग्रदू त कहा जाता है ।
❖ 1891 ईस्वी में इन्ोंने जवडो ररमैररज एशोजसएशन की स्थापना की।
❖ 1899 में प्रोफेसर धोंडो केशव कवे ने जवधवा आश्रम की स्थापना पू ना में जकया।
❖ धोंडो केशव कवे फर्ग्ुिसन कॉलेज के प्रोफेसर थे ।
❖ धोंडो केशव कवे ने जवधवा से जववाह जकया था।
❖ 1916 ईस्वी में प्रथम मजहला जवश्वजवद्यालय की स्थापना हुयी थी।
❖ महात्मा गााँ धी के राजनीजतक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे । गोपाल कृष्ण गोखले के राजनीजतक गुरु महादे व गोजवंद रानाडे
थे।
आयि समाि
❖ आयि समाज की स्थापना दयानंद सरस्वती ने जकया था।
❖ दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 ईस्वी को हुआ था।
❖ इनका जन्म मौरबी, गुजरात में हुआ था।
❖ इनका वास्तजवक नाम मूलशं कर था।
❖ 10 अप्रैल 1875 को आयि समाज की स्थापना मुंबई में हुआ था।
❖ 1877 ईस्वी में आयि समाज का मुख्यालय बम्बई से लाहौर हस्तां तररत जकया गया।
❖ दयानंद सरस्वती ने वेदों की ओर लौटो का नारा जदया।
❖ ये पहले धमि सु धारक थे जजन्ोंने स्वराज की मां ग की और स्वदे शी पर बल जदया।

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❖ इन्ें भारत का माजटि न लूथर जकंग कहा गया।


❖ इन्ोंने खंडन जकया-
1. बहुदे ववाद
2. अवतारवाद
3. मूजतिपूजा
4. आडं बरवाद
5. कमिकां ड
6. बाल जववाह
7. दहे ज़ प्रथा
8. जाजत व्यवस्था
9. अस्पृश्यता
10. जवदे शी वस्तु
❖ दयानंद सरस्वती ने सत्याथि प्रकाश नामक पु स्तक जलखी। इस पुस्तक की भाषा जहं दी थी। इस पुस्तक को जहं दी में जलखने
का सुझाव केशवचंद्र सेन ने जदया था।
❖ इन्ोंने जहं दी को राष्ट्रभाषा बनाने की मां ग की।
❖ इन्ोंने जहं दू धमि में पुनः वापसी के जलए शुस्लद्ध आं दोलन चलाया।
❖ 30 अक्तूबर 1883 ईस्वी को दीवाली के जदन अजमेर में इनकी मृत्यु हो गयी।
आयि समाि का जशक्षा में योगदान
❖ अंग्रेजी भाषा में जशक्षा के समथिक लाला हं सराज और लाला लाजपत राय थे । 1886 ईस्वी में लाहौर में दयानंद एं ग्लो
वैजदक कॉलेज की स्थापना की गई।
❖ दे शी भाषा में जशक्षा के समथि क स्वामी श्रधानंद, लेखराय तथा मुंशीराम थे । 1902 ईस्वी में कां गड़ी-हररद्वार में गुरुकुल
जवश्वजवद्यालय की स्थापना की गई।
❖ अंग्रेजी लेखक वैलेंटाइन जशरोल ने इं जडयन अनरे स्ट नामक पुस्तक जलखी और इस पु स्तक में बाल गं गाधर जतलक और
आयि समाज को भारतीय अशां जत का जनक कहा।
❖ 1881 ईस्वी में पुणे में मजहला आयि समाज की स्थापना पंजडत रमाबाई ने की थी।
❖ 1889 ईस्वी में शारदा सदन की स्थापना मजहला जशक्षा के जलए जकया गया।
❖ 1889 ईस्वी में मुस्लक्त सदन की स्थापना मजहलाओं को शरण दे ने के जलए जकया गया।
स्वामी जििेकानंद
❖ स्वामी जववेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 ईस्वी को हुआ था।
❖ 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा जदवस के रूप में मनाया जाता है ।
❖ इनका मूल नाम नरे न्द्र नाथ दत्ता था।
❖ खेतड़ी ररयासत के महाराज अजीत जसंह के कहने पर नाम बदल जदया।
❖ 1893 ईस्वी में जशकागो में आयोजजत प्रथम जवश्व धमि सम्मेलन में जहं दू धमि के प्रजतजनजध के तौर पर भाग जलया।
❖ इनका भाषण सुनने के बाद समाचार पात्र न्यूयाकि हे राल्ड ने काफी प्रशं सा की।

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❖ स्वामी जववेकानंद ने फरवरी 1896 ईस्वी में कैलीफोजनिया में शां जत आश्रम की स्थापना की।
❖ स्वामी जववेकानंद ने फरवरी 1896 ईस्वी में न्यूयाकि में वेदां त सोसाइटी की स्थापना की।
❖ 1897 ईस्वी में इन्ोंने रामकृष्ण जमशन की स्थापना की। रामकृष्ण जमशन का मुख्यालय 1899 ईस्वी में बेलूर से कलकत्ता
हस्तां तररत जकया गया।
❖ स्वामी जववेकानंद का गुरु का नाम रामकृष्ण परमहं स था।
❖ रामकृष्ण परमहं स का वास्तजवक नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था।
❖ स्वामी जववेकानंद 1900 ईस्वी में पेररस में आयोजजत दू सरे जवश्व धमि सम्मेलन में भी भाग जलया।
❖ मारग्रेट नोबेल (आयररश मजहला) जो जववेकानंद के साथ भारत आई थी, जसस्टर जनवेजदता के नाम से जाती है ।
❖ स्वामी जववेकानंद की मृत्यु 4 जुलाई 1902 ईस्वी को कलकत्ता में हुई थी।
जथयोसोजफकल सोसायटी
❖ इसकी स्थापना 1875 ईस्वी में मैडम एच पी ब्लावात्स्की ने न्यूयाकि (USA) में जकया था।
❖ 1879 ईस्वी में इसका मुख्यालय न्यूयाकि से बम्बई स्थानां तररत जकया गया।
❖ 1982 में इसका अंतराि ष्ट्रीय मु ख्यालय अड्यार, मद्रास को बनाया गया।
❖ इनका कमि और पु नजिन्म में जवश्वास था।
❖ 1888 में एनी बेसेंट ने इसकी सदस्यता ग्रहण की।
यंग बंगाल आन्दोलन
❖ इसकी स्थापना हे नरी जवजवयन डे रोजजयो ने 1828 ईस्वी में कलकत्ता में कजलया गया था।
❖ उद्दे श्य-
1. प्रेस की आजादी
2. जमींदारों से जकसानों की रक्षा
नोट-
❖ गोपाल हरर दे शमुख को लोकजहतवादी कहा जाता है ।
❖ 1849 ईस्वी में आत्मारं ग पां डुरं ग ने परमहं स मण्डली की स्थापना महाराष्ट्र में जकया था। परमहं स मण्डली की अन्य
सदस्य दादोबा पां डुरं ग, बालकृष्ण जयकर तथा जाम्बेकर शास्त्री थे ।
❖ जचतरं जन दास को दे शबंधु कहा जाता है ।
❖ सी.एफ. एं डूज को दीनबंधु कहा जाता है ।

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