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Study For Civil Services RO ARO 2022-23 SCSGYAN PAID MODULE @studyforcivilservices

HINDI MEDIUM - UPPSC RO ARO 2022 MODULE DAY- 100 BY SCSGYAN


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सकता है। PAID QUIZ को हकसी भी हालत में IGNORE न करें । Module पर आधाररत Questions के अलावा भी
परीक्षा संबंधी अहत संभाहवत प्रश्न कराए जाते हैं ।

इहतहास (आधुहनक भारत का इहतहास)

स्वराज्य पार्टी की स्थापना –

• स्वराज पार्टी ब्रिब्रर्टश भारत में स्वतंत्रता संग्राम के समय बना एक प्रमुख राजनीब्रतक दल था। इस दल ने भारतीय ं के ब्रलये अब्रिक से अब्रिक
स्व-शासन तथा राजनीब्रतक स्वतंत्रता की प्राप्ति के ब्रलये कायय ब्रकया था। स्वराज पार्टी क उत्तर भारत के सम्पन्न वकील ं में से एक म तीलाल
नेहरू (1861-1931 ई.) ने भारतीय राष्ट्रीय कां ग्रेस के भीतर से शुरू ब्रकया था। 'स्वराज' शब्द का वास्तब्रवक अथय है - 'अपना स्वयं का
शासन'।
• 1919 के भारतीय शासन अब्रिब्रनयम द्वारा स्थाब्रपत केंद्रीय तथा प्रां तीय ब्रविानमंडल ं का कां ग्रेस ने गां िी जी के ब्रनदे शानुसार बब्रहष्कार ब्रकया
था और 1920 के चुनाव ं में भाग नहीं ब्रलया।
• असहय ग आं द लन की समाप्ति और गां िीजी के ब्रगरफ्तारी के बाद दे श के वातावरण में अजीब ब्रनराशा का माहौल बन गया था। ऐसी
प्तस्थब्रत में म तीलाल नेहरू तथा सी आर दास ने नई ब्रवचारिारा क जन्म ब्रदया। म तीलाल नेहरू तथा सी.आर. दास ने कां ग्रेस क
ब्रविानमंडल ं के भीतर प्रवेश कर अंदर से लडाई लडने का ब्रवचार प्रस्तुत ब्रकया तथा 1923 के चुनाव ं के माध्यम से ब्रविानमंडल में पहं चने
की य जना बनाई। ब्रकंतु 1922 में कां ग्रेस के गया अब्रिवेशन में बहमत के साथ इस य जना क अस्वीकार कर ब्रदया गया।
• सी.आर. दास ने (इस दौरान वे कां ग्रेस के अध्यक्ष थे) ने कां ग्रेस की अध्यक्षता से त्यागपत्र दे ब्रदया और माचय 1923 में म तीलाल नेहरू के साथ
ब्रमलकर स्वराज पार्टी की स्थापना की । इस पार्टी का मुख्य उद्दे श्य चुनाव ं के माध्यम से काउं ब्रसल में प्रवेश कर तथा उन्हें काम न करने
दे कर 1919 के भारत शासन अब्रिब्रनयम का उच्छे दन करना था ।
• सीआर दास स्वराज पार्टी के अध्यक्ष तथा म तीलाल नेहरू इसके महासब्रचव थे। श्रीब्रनवास अयंगर ( मद्रास प्रां त स्वराज पार्टी के संस्थापक )
तथा एन. सी. केलकर स्वराज दल के मुख्य नेता थे । 1925 में ब्रवट्ठल भाई पर्टे ल का सेंर्टरल लेब्रजस्लेब्रर्टव (केंद्रीय ब्रविानमंडल) असेंबली का
अध्यक्ष चुना जाना स्वराब्रजय ं की एक महत्वपूणय उपलप्ति थी । ब्रचतरं जन दास क ' दे शबंिु ' के नाम से जाना जाता था ।
• दे शबंिु का तात्पयय था -The friend of Nation. ब्रचतरं जन दास इं ग्लैंड से वकालत की पढाई करने के बाद स्वदे श आकर बैररस्टर ह गए
तथा वकील के रूप में इनकी सबसे बडी सफलता अलीपुर बम कां ड केस में अरब्रवंद घ ष का बचाव करना था । उन्ह न
ं े कहा था - "स्वराज
आम जनता के ब्रलए ह ना चाब्रहए केवल वगो के ब्रलए नहीं "। 16 ब्रदसंबर 1922 क इं ब्रडपेंडेंर्ट पार्टी बनाने का ब्रनणय य मदन म हन मालवीय
तथा म तीलाल नेहरू ने ब्रलया था। मदन म हन मालवीय ब्रहंदू महासभा के संस्थापक सदस्य थे।

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साइमन कमीशन –

• साइमन कमीशन की ब्रनयुप्ति ब्रिब्रर्टश प्रिानमंत्री ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में की थी। इस कमीशन में सात सदस्य थे , ज सभी ब्रिर्टे न की
संसद के मन नीत सदस्य थे। यही कारण था ब्रक इसे 'श्वेत कमीशन' कहा गया।
• साइमन कमीशन की घ षणा 8 नवम्बर, 1927 ई. क की गई। कमीशन क इस बात की जााँ च करनी थी ब्रक क्या भारत इस लायक़ ह गया
है ब्रक यहााँ ल ग ं क संवैिाब्रनक अब्रिकार ब्रदये जाएाँ ।
• इस कमीशन में ब्रकसी भी भारतीय क शाब्रमल नहीं ब्रकया गया, ब्रजस कारण इसका बहत ही तीव्र ब्रवर ि हआ।
• साइमन कमीशन 3 फरवरी, 1928 क बंबई पहं चा ।

मां र्टेग्यू-चेम्सफ डय एक्ट 1919 ई के मां र्टेग्यू-चेम्सफ डय एक्ट में 10 वषय पर इसकी समीक्षा हे तु एक संवैिाब्रनक आय ग के गठन का प्राविान
था। आय ग क यह दे खना था ब्रक यह अब्रिब्रनयम व्यवहार में कहां तक सफल रहा तथा उत्तरदायी शासन की ब्रदशा
में कहां तक प्रगब्रत करने की प्तस्थब्रत में है ।
सर जॉन साइमन साइमन कमीशन के अध्यक्ष सर जॉन साइमन उदारवादी दल के सदस्य थे जबब्रक भारत की स्वतंत्रता (1947) के
समय ब्रिब्रर्टश प्रिानमंत्री क्लीमेंर्ट एर्टली इस कमीशन में श्रब्रमक दल के सदस्य के रूप में शाब्रमल थे
ब्रदसंबर 1927 भारतीय राष्ट्रीय कां ग्रेस ने ब्रदसंबर 1927 में मद्रास में हए अपने अब्रिवेशन में साइमन कमीशन का ब्रवर ि करने का
ब्रनणयय ब्रकया।
साइमन कमीशन वापस 3 फरवरी 1928 क साइमन कमीशन बंबई पहं चा और उस ब्रदन दे शव्यापी हडताल का आय जन हआ। कमीशन
जाओ जहां गया वहां पूणय हडताल रखी गई तथा साइमन कमीशन वापस जाओ के नार ं के साथ जुलूस ब्रनकाले गए।
लाला लाजपत राय लाहौर में साइमन कमीशन ब्रवर िी जुलूस का नेतृत्व करते समय पुब्रलस के लाठीचाजय से लाला लाजपत राय गंभीर
रूप से घायल ह गए। पुब्रलस द्वारा की गई बबयरतापूवयक ब्रपर्टाई के कारण ही लाला लाजपत की मृत्यु ह गई।
लाला लाजपत राय (1865-1928) पंजाब के प्रमुख राजनीब्रतक नेता थे ब्रिब्रर्टश राज के ब्रवर ि आं द लन का नेतृत्व
ब्रकया था। उन्हें ' पंजाब केसरी ' की उपाब्रि दी गई थी।
इं ब्रडपेंडेंस फॉर इं ब्रडया लीग वषय 1928 में ' इं ब्रडपेंडेंस फॉर इं ब्रडया लीग ' का गठन जवाहरलाल नेहरू तथा सुभाष चंद्र ब स ने ब्रमलकर ब्रकया था।
इस लीग का उद्दे श्य ड ब्रमब्रनयन स्टे र्ट्स से आगे पूणय स्वतंत्रता की मां ग क मुखर करना था ।
28 माचय, 1929 28 माचय, 1929 क ब्रदल्ली में मुप्तस्लम लीग का अब्रिवेशन हआ, ब्रजसमें ब्रजन्ना ने नेहरु ररप र्टय (1928 ई.) के ब्रवर ि
स्वरुप 14 सूत्रीय प्रस्ताव रखा था। नेहरु ररप र्टय में संयुि रुप से चुनाव लडने की बात कही गई थी जबब्रक इसमे
चुनाव क्षेत्र की मां ग की गई थी।

नेहरु ररपोर्टट –

• साइमन कमीशन (1927) के प्रत्युत्तर में नेहरू ररप र्टय (1928) तैयार की गई थी, ब्रजसमें भारत के नए ड ब्रमब्रनयन संब्रविान का खाका था।
इसे तैयार करने वाली सवयदलीय सब्रमब्रत के अध्यक्ष म तीलाल नेहरू थे। जवाहरलाल नेहरू इस के सब्रचव थे। 2 मुप्तस्लम ं सब्रहत कुल 9 अन्य
ल ग इस सब्रमब्रत के सदस्य थे।
• भारतीय संब्रविान का मसब्रवदा तैयार करने की ब्रदशा में भारतीय ं का प्रथम प्रयास।
• भारत क औपब्रनवेब्रशक स्वराज्य का दजाय ब्रदये जाने की मां ग ।
• पृथक ब्रनवाय चन व्यवस्था का ब्रवर ि, अल्पसंख्यक ं हे तु पृथक स्थान आरब्रक्षत ब्रकये जाने का ब्रवर ि करते हए संयुि ब्रनवाय चन पद्धब्रत की
मां ग।
• भाषायी आिार पर प्रां त ं के गठन की मां ग।
• 19 मौब्रलक अब्रिकार ं की मां ग।
• केंद्र एवं प्रां त में उत्तरदायी सरकार की स्थापना की मां ग।

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'साइमन कमीशन ने 27 मई', 1930 ई. क अपनी ररप र्टय प्रकाब्रशत की, ब्रजसकी ब्रसफाररशें इस प्रकार हैं -

1. 1919 ई. के 'भारत सरकार अब्रिब्रनयम' के तहत लागू की गई द्वै ि शासन व्यवस्था क समाि कर उत्तरदायी शासन की स्थाना ह ।
2. केन्द्र में भारतीय ं के ब्रलए संघीय संब्रविान ह ना चाब्रहए।
3. केन्द्र में क ई भी उत्तरदाब्रयत्व न प्रदान ब्रकया जाए।
4. उच्च न्यायालय क भारत सरकार के ब्रनयंत्रण में कर ब्रदया जाए।
5. बमाय (वतयमान म्ां मार) क भारत से ब्रवलग ब्रकया जाए तथा उडीसा एवं ब्रसंि क अलग प्रदे श का दजाय ब्रदया जाए।
6. प्रान्तीय ब्रविानमण्डल ं में सदस्य ं की संख्या क बढाया जाए।
7. गवनयर व गवनयर-जनरल अल्पसंख्यक जाब्रतय ं के ब्रहत ं के प्रब्रत ब्रवशेष ध्यान रखें।
8. प्रत्येक 10 वषय बाद पुनरीक्षण के ब्रलए एक संब्रविान आय ग की ब्रनयुप्ति की व्यवस्था क समाि कर ब्रदया जाए तथा भारत के ब्रलए एक ऐसा
लचीला संब्रविान बनाया जाए ज स्वयं से ब्रवकब्रसत ह ।

कांग्रेस का लाहौर अहधवेशन (हिसंबर, 1929)

• 31 ब्रदसम्बर 1929 क भारतीय राष्ट्रीय कां ग्रेस का वाब्रषयक अब्रिवेशन तत्कालीन पंजाब प्रां त की राजिानी लाहौर में हआ। इस ऐब्रतहाब्रसक
अब्रिवेशन में कां ग्रेस के ‘पूणय स्वराज’का घ षणा-पत्र तैयार ब्रकया तथा 'पूणय स्वराज' क कां ग्रेस का मुख्य लक्ष्य घ ब्रषत ब्रकया। जवाहरलाल
नेहरू, इस अब्रिवेशन के अध्यक्ष चुने गये।
• कां ग्रेस के कलकत्ता अब्रिवेशन (1928) में ब्रिब्रर्टश सरकार क यह अल्टीमेर्टम ब्रदया गया ब्रक वह 1 वषय में नेहरू ररप र्टय स्वीकार कर ले या
कां ग्रेस द्वारा प्रारं भ ब्रकए जाने वाले जन आं द लन का सामना करें ।
• ब्रनिाय ररत समय सीमा में सरकार द्वारा क ई ब्रनब्रित उत्तर न ब्रमलने की प्तस्थब्रत में ब्रदसंबर 1929 में पंब्रडत जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में
कां ग्रेस का ऐब्रतहाब्रसक लाहौर अब्रिवेशन हआ, ब्रजसमें संबंब्रित प्रस्ताव पाररत ह ने के बाद पं ब्रडत जवाहरलाल नेहरू ने पूणय स्वराज का लक्ष्य
घ ब्रषत ब्रकया।
• जैसे ही 31 ब्रदसंबर 1929 क मध्य राब्रत्र का घंर्टा बजा, कां ग्रेस अध्यक्ष पंब्रडत जवाहरलाल नेहरू ने लाहौर में रावी के तर्ट पर भारतीय
स्वतंत्रता का झंडा फहराया।

मौलाना हसरत म हानी वषय 1921 के अहमदाबाद अब्रिवेशन में मौलाना हसरत म हानी ने प्रस्ताब्रवत ब्रकया ब्रक स्वराज क सभी प्रकार के ब्रवदे शी
ब्रनयंत्रण से मुि संपूणय स्वतंत्रता या संपूणय स्वराज के रूप में पररभाब्रषत ब्रकया जाए और इसे कां ग्रेस का लक्ष्य माना जाए।
सी. आर. दास 1921 में कां ग्रेस के अमदाबाद अब्रिवेशन में अध्यक्ष सी. आर. दास चुने गए थे ब्रकंतु उनके जेल में ह ने के कारण हकीम
अजमल खां ने इस अब्रिवेशन की अध्यक्षता की थी।
कलकत्ता अब्रिवेशन
(1928)
' पूणय स्वराज ब्रदवस कां ग्रेस काययसब्रमब्रत द्वारा 2 जनवरी 1930 की अपनी बैठक में यह ब्रनणयय ब्रलया गया ब्रक 26 जनवरी 1930 का ब्रदन ' पूणय
स्वराज ब्रदवस ' के रुप में मनाया जाएगा तथा 26 जनवरी क प्रत्येक वषय ‘पूणय स्वािीनता ब्रदवस’ के रूप में। इस अब्रिवेशन
में अपने अध्यक्षीय भाषण में ब लते हए उन्ह न ं े कहा था ब्रक आज हमारा ब्रसफय एक लक्ष्य है , स्वािीनता का लक्ष्य। हमारे ब्रलए
स्वािीनता है 'पूणय स्वतंत्रता' ।
आचायय ब्रवन बा भावे आचायय ब्रवन बा भावे गां िीजी के ब्रनकर्ट सहय ब्रगय ं मे से थे। गां िीजी द्वारा संचाब्रलत ब्रवब्रभन्न आं द लन ं में उन्ह ने भाग ब्रलया।
1930 में वे सब्रवनय अवज्ञा आं द लन में भाग लेने के दौरान प्रथम बार ब्रगरफ्तार हए।

कां ग्रेस के लाहौर अब्रिवेशन में 31 ब्रदसंबर 1929 क घ ब्रषत संकल्प में स्पष्ट् ब्रकया गया ब्रक –

• ग लमेज सम्मेलन से क ई लाभ नहीं है ।


• नेहरू कमेर्टी की ड ब्रमब्रनयन राज्य के दजे की य जना समाि की जाती है ।
• शब्द स्वराज का अथय है पूणय स्वतंत्रता।

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• अप्तखल भारतीय कां ग्रेस जब उब्रचत समझेगी नागररक अवज्ञा आं द लन प्रारं भ करे गी।

सहवनय अवज्ञा आं िोलन एवं गांधी इरहवन समझौता –

सहवनय अवज्ञा आं िोलन -

• 1930 में महात्मा गााँ िी के नेतृत्व में सब्रवनय अवज्ञा आन्द लन की शुरुआत की गयी ब्रजसका प्रारं भ गााँ िी जी के प्रब्रसद्ध दां डी माचय से हआ।
12 माचय 1930 क साबरमती आश्रम से गााँ िी जी और आश्रम के 78 अन्य सदस्य ं ने दांडी, अहमदाबाद से 241 मील दू र प्तस्थत भारत के
पब्रिमी तर्ट पर प्तस्थत एक गााँ व, के ब्रलए पैदल यात्रा आरम्भ की।
• 24 ब्रदन ं की लंबी यात्रा के बाद उन्ह न
ं े 6 अप्रैल 1930 क दां डी में सांकेब्रतक रूप से नमक कानून भंग ब्रकया और इस प्रकार नमक कानून
त डकर उन्ह न
ं े औपचाररक रूप से सब्रवनय अवज्ञा आं द लन का शुभारं भ ब्रकया ।
• सुभाष चंद्र ब स ने गां िी जी के इस अब्रभयान की तुलना नेप ब्रलयन के एल्बा से पेररस की ओर जाने वाले अब्रभयान से की थी। एक अंग्रेजी
समाचार संवाददाता ने प्तखल्ली उडाई और कहा ब्रक " क्या सम्रार्ट क एक केतली में पानी उबालने से हराया जा सकता है "।
• इसके उत्तर में गां िी जी ने कहा ब्रक "गां िी मह दय समुद्री जल क तबतक उबाल सकते हैं , जब तक ब्रक ड ब्रमब्रनयन स्टे र्ट्स नहीं ब्रमल
जाता।" सब्रवनय अवज्ञा आं द लन गां िी जी के नेतृत्व में पूरे दे श में फैल गया। तब्रमलनाडु में गां िीवादी नेता सी. राजग पालाचारी ने
ब्रतरुचेनग ड आश्रम से ब्रत्रचरापल्ली के वेदारण्यम तक नमक यात्रा की।

गांधी इरहवन समझौता –

• 25 जनवरी, 1931 क गां िी और कां ग्रेस कायय सब्रमब्रत (सीडब्ल्यूसी) के अन्य सभी सदस्य ं क ब्रबना शतय ररहा कर ब्रदया गया। तेज बहादु र
सप्रू तथा एम. आर. जयकर के प्रयत् ं से गां िी एवं इब्रवयन के मध्य फरवरी, 1931 में ब्रदल्ली में वाताय आरं भ हई।
• 5 माचय सन् 1931 क लंदन ब्रद्वतीय ग ल मेज सम्मेलन के पूवय महात्मा गां िी और तत्कालीन वाइसराय लाडय इरब्रवन के बीच एक राजनैब्रत क
समझौता हआ ब्रजसे गां िी-इरब्रवन समझौता (Gandhi–Irwin Pact) कहते हैं ।
• इस समझौते के पररप्रेक्ष्य में सर ब्रजनी नायडू ने गां िी और इरब्रवन क ‘द महात्मा की संज्ञा दी थी।

गां िी-इरब्रवन समझौता 5 माचय , 1931 क संपन्न हआ, इस समझौते के अनुसार-

• गां िी जी के नेतृत्व में कां ग्रेस सब्रवनय अवज्ञा आं द लन स्थब्रगत करने के ब्रलए तैयार ह गई।
• सभी युद्ध बंब्रदय ,ं ब्रजनके ब्रवरुद्ध ब्रहंसा का आर प नहीं था, क ररहा करने का आदे श
• ब्रवदे शी कपड ं और शराब की दु कान ं पर शां ब्रतपूणय िरना दे ने का अब्रिकार
• समुद्र तर्टीय प्रदे श ं में ब्रबना नमक कर ब्रदए नमक बनाने की अनुमब्रत
• कां ग्रेस ब्रद्वतीय ग लमेज सम्मेलन में भाग लेने के ब्रलए तैयार ह गई।

5 अप्रैल 1930 5 अप्रैल 1930 क महात्मा गां िी अपने नमक सत्याग्रह के तहत दां डी ग्राम पहं चे , उन्ह न ं े दां डी आए सभी दे सी व ब्रवदे शी
पत्रकार ं क संब ब्रित करते हए कहा ब्रक " शप्ति के ब्रवरुद्ध अब्रिकार की लडाई में मैं ब्रवश्व की सहानुभूब्रत चाहता हं "।
5 मई 1930 सब्रवनय अवज्ञा आं द लन के दौरान िरसना नमक ग दाम पर कां ग्रेस काययकताय ओं के िावे से पूवय महात्मा गां िी क 5 मई 1930
क ब्रगरफ्तार कर यरवदा जेल भेज ब्रदया गया था। उनके स्थान पर अब्बास तैयबजी आं द लन के नेता हए। उनकी भी ब्रगरफ्तारी
के बाद श्रीमती सर ब्रजनी नायडू ने 21 मई 1930 क िरसना नमक ग दाम पर िावे का नेतृत्व ब्रकया था। इस ल महषयक घर्टना
का ब्रववरण अमेररकी पत्रकार वेब ब्रमलर ने प्रस्तुत ब्रकया ।
खान अब्दु ल उत्तर पब्रिमी सीमा प्रां त में खान अब्दु ल गफ्फार खां के नेतृत्व में ' खुदाई प्तखदमतगार ' नामक स्वयंसेवक संगठन स्थाब्रपत ब्रकया
गफ्फार खां गया था । इन्हें लाल कुती के नाम से भी जाना जाता है । ' लाल कुती ' संगठन ने पठान ं की राष्ट्रीय एकता का नारा बु लंद ब्रकया
और अंग्रेज ं से स्वतं त्रता के ब्रलए ब्रिब्रर्टश उपब्रनवेशवाद के ब्रवरुद्ध आं द लन संगब्रठत ब्रकया तथा श्रमजीब्रवय ं की हालत में सुिार
की मां ग की ।
गढवाल रे जीमेंर्ट सब्रवनय अवज्ञा आं द लन के दौरान पेशावर में गढवाल रे जीमेंर्ट के ब्रसपाब्रहय ं ने चंद्रब्रसंह गढवाली के नेतृत्व में ब्रनहत्थी भीड पर
ग ली चलाने से इनकार कर ब्रदया।
ब्रजयातरं ग सब्रवनय अवज्ञा आं द लन के दौरान मब्रणपुर की जनजाब्रतय ं ने भी सब्रिय भागीदारी ब्रदखाई। यहां पर आं द लन का नेतृत्व नागा
आं द लन जनजाब्रत की मब्रहला गैब्रडनल्यू ने ब्रकया । इसे ' ब्रजयातरं ग आं द लन ' कहा जाता है ।
ब्रदसम्बर 1930 ब्रदसम्बर 1930 में सब्रवनय अवज्ञा आं द लन के दौरान उत्तरी ब्रबहार के सारण ब्रजले में ब्रबह र नामक स्थान पर चौकीदारी र्टै क्स
के ब्रवर ि में प्रदशयन हआ और प्रदशयनकाररय ं ने बंदूक से 27 बार छरे दागे जाने की परवाह नहीं की।
अक्टू बर 1934 अक्टू बर 1934 में गां िी जी ने अपना पूरा समय ' हररजन त्थान ' में लगाने के ब्रलए सब्रिय राजनीब्रत से स्वयं क हर्टाने का ब्रनिय
ब्रकया। ब्रसतंबर 1932 में गां िीजी ने हररजन कल्याण हेतु ' अप्तखल भारतीय छु आछूत ब्रवर िी लीग ' की स्थापना की तथा '
हररजन ' नामक सािाब्रहक पब्रत्रका का प्रकाशन ब्रकया।
मब्रहलाओ की स्वतंत्रता आं द लन में ब्रबहार की मब्रहलाओं ने महत्वपूणय य गदान ब्रदया। इन मब्रहलाओं में सरला दे वी, प्रभावती दे वी, राजवंशी
भागीदारी दे वी, सुनीब्रत दे वी तथा राब्रिका दे वी प्रमुख हैं । प्रभावती दे वी पर्टना की स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थी।

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भगत ब्रसंह, गां िी इरब्रवन समझौते ने जनता क ब्रनराश ब्रकया क्य ब्रं क भगत ब्रसंह, सुखदे व एवं राजगुरु क फां सी न ब्रदए जाने की जनता की
सुखदे व एवं मां ग क इसमें सप्तम्मब्रलत नहीं ब्रकया गया था। इरब्रवन के जीवनीकार एलन कैम्पबेल जॉनसन ने गां िी-इरब्रवन समझौते में महात्मा
राजगुरु क फां सी गां िी के लाभ ं क “सां त्वना पुरस्कार” और इब्रवयन के एकमात्र आत्मसमपयण के रूप में बातचीत के ब्रलए सहमत ह ने क कहा
न ब्रदए जाने की था।
जनता की मां ग
कां ग्रेस का कराची गां िी-इरब्रवन समझौते (ब्रदल्ली समझौते) क मंजूरी दे ने के ब्रलए सरदार बल्लभ भाई पर्टे ल की अध्यक्षता में 26-31 माचय, 1931
अब्रिवेशन क कां ग्रेस का कराची अब्रिवेशन हआ। इस अब्रिवेशन में पहली बार कां ग्रेस ने मौब्रलक अब्रिकार ं और राष्ट्रीय आब्रथयक
काययिम ं से संबंि प्रस्ताव पाररत ब्रकए।
“गां िी मर सकता गां िी इरब्रवन समझौते में अब्रिवेशन में कुछ ल ग ं के ब्रवर ि करने पर गां िी जी ने कहा था- “गां िी मर सकता है , गां िीवाद नहीं।”
है , गां िीवाद नहीं यह पहला अवसर था जब ‘पूणय स्वराज्य’ क कांग्रेस द्वारा पररभाब्रषत ब्रकया गया।
जवाहरलाल 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कां ग्रेस ने कराची अब्रिवेशन में पाररत मूल अब्रिकार ं तथा आब्रथयक काययिम पर संकल्प पंब्रडत
नेहरू जवाहरलाल नेहरू ने प्रारुब्रपत ब्रकया था। एम.एन. रॉय ने इसमें सहय गी की भूब्रमका ब्रनभाई थी। सुभाष चंद्र ब स ने भारतीय
राष्ट्रीय कां ग्रेस के कराची अब्रिवेशन (1931) क ‘महात्मा गां िी की ल कब्रप्रयता और सम्मान की पराकाष्ठा’ माना है ।

गोलमेज सम्मेलन –

• प्रथम ग लमेज सम्मेलन (नवम्बर 1930- जनवरी 1931)


• ब्रद्वतीय ग लमेज सम्मेलन (7 ब्रसतंबर – 1 ब्रदसम्बर 1931)
• तीसरा ग लमेज सम्मेलन (17 नवम्बर – 1932 – 24 ब्रदसम्बर 1932)

प्रथम गोलमेज सम्मेलन

• पहला ग लमेज सम्मेलन नवंबर 1930 और जनवरी 1931 के बीच लंदन में आय ब्रजत ब्रकया गया था। यह आब्रिकाररक तौर पर ब्रकंग जॉजय
पंचम द्वारा 12 नवंबर, 1930 क ख ला गया था और इसकी अध्यक्षता रामसे मैकड नाल्ड ने की थी।
• 27 मई 1930 क साइमन कमीशन की ररप र्टय प्रकाब्रशत हई। राजनीब्रतक संगठन ं में कमीशन की ब्रसफाररश ं क अस्वीकार कर ब्रदया।
कां ग्रेस के प्रमुख नेता जेल में थे। इस सम्मेलन में 89 भारतीय प्रब्रतब्रनब्रिय ं ने भाग ब्रलया ब्रकंतु कां ग्रेस ने इसमें भाग नहीं ब्रलया। इस सम्मेलन
में भाग लेने वाल ं में प्रमुख थे तेज - बहादु र सप्रू, श्रीब्रनवास शास्त्री, मुहम्मद अली, मुहम्मद शफी, आगा खां , फजलुल हक, मुहम्मद अली
ब्रजन्ना, ह मी म दी, एम. आर. जयकर, मुंजे, भीमराव अंबेडकर तथा सुंदर ब्रसंह मजीब्रठया आब्रद।
• इस सम्मेलन में ईसाइय ं का प्रब्रतब्रनब्रित्व के.र्टी. पाल ने ब्रकया था। इस सम्मेलन का उद् घार्टन ब्रिब्रर्टश सम्रार्ट ने ब्रकया तथा अध्यक्षता ब्रि ब्रर्टश
प्रिानमंत्री रै म्जे मैक्ड नाल्ड ने की थी।
• प्रथम ग लमेज सम्मेलन में डॉ. अम्बेडकर ने दब्रलत वगय के ब्रलए अलग ब्रनवाय चक मंडल की मां ग रखी थी।

हितीय गोलमेज सम्मेलन

• इं ब्रडयन ब्रलबरल पार्टी के सदस्य जैसे तेज बहादु र सप्रू , सी. वाई. ब्रचंतामब्रण और श्रीब्रनवास शास्त्री ने गां िी से वायसराय से बात करने की
अपील की। गां िी और इरब्रवन एक समझौते पर पहाँ चे ब्रजसे गां िी-इरब्रवन समझौता (ब्रदल्ली संब्रि) कहा जाने लगा।
• दू सरा ग लमेज सम्मेलन लंदन में 7 ब्रसतंबर, 1931 से 1 ब्रदसंबर, 1931 तक आय ब्रजत ब्रकया गया था।
• महात्मा गां िी ने कां ग्रेस के एकमात्र प्रब्रतब्रनब्रि के रूप में ब्रहस्सा ब्रलया, इनके अलावा सर ब्रजनी नायडू तथा मदन म हन मालवीय ने भी इस
सम्मेलन में ब्रहस्सा ब्रलया। एनी बेसेंर्ट ने भी इस सम्मेलन में भाग ब्रलया था।
• गां िी जी एस. एस. राजपूताना नामक जलप त से लंदन पहं चे तथा वे लंदन के ब्रकंग्सले हॉल में ठहरे थे। गब्रतर ि ं के कारण सम्मेलन 1
ब्रदसंबर क समाि घ ब्रषत कर ब्रदया गया एवं गां िी जी क लंदन से खाली हाथ वापस आना पडा। स्वदे श पहं चने पर गां िी जी ने कहा –
“यह सच है ब्रक मैं खाली हाथ लौर्टा हं ब्रकंतु मुझे संत ष है ब्रक ज ध्वज मुझे सौंपा गया था, उसे नीचे नहीं ह ने ब्रदया और उसके सम्मान के
साथ समझौता नहीं ब्रकया।”
• ब्रद्वतीय ग लमेज सम्मेलन सां प्रदाब्रयक समस्या पर ब्रववाद के कारण पूरी तरह असफल रहा। दब्रलत नेता भीमराव अंबेडकर ने दब्रलत ं के ब्रलए
पृथक ब्रनवाय चन मंडल की मां ग की ब्रजसे गां िी जी ने अस्वीकार कर ब्रदया। डॉ भीमराव अंबेडकर (बी.आर. अंबेडकर) तीन ं ग लमेज
सम्मेलन में भाग लेने वाले भारतीय प्रब्रतब्रनब्रि थे।

तीसरा गोलमेज सम्मेलन

• 17 नवंबर, 1932 और 24 ब्रदसंबर, 1932 के बीच आय ब्रजत तीसरे ग लमेज सम्मेलन में भारतीय राष्ट्रीय कां ग्रेस और गां िी ने भाग नहीं
ब्रलया। इसे अब्रिकांश अन्य भारतीय नेताओं ने नजर अंदाज ब्रकया।

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• कां ग्रेस ने प्रथम और तृतीय ग लमेज सम्मेलन में भाग नही ब्रलया। पूना पैक्ट में प्राविाब्रनत था ब्रक स्थानीय ब्रनकाय ं के चुनाव या ल क से वाओं
मे ब्रनयुप्ति के ब्रलए दब्रलत वगों के सदस्य ं के ब्रलए क ई ब्रनबंिन आर ब्रपत नही ब्रकए जाएं गे। तथा इनमें दब्रलत वगों के उब्रचत प्रब्रतब्रनब्रित्व के
ब्रलए (ल क सेवाओं में ब्रनयुप्ति के ब्रलए अपेब्रक्षत शैब्रक्षक अहय ताओं के अिीन रहते हए) हरसंभव प्रयास ब्रकए जाएं गे।

सां प्रदाब्रयक पंचार्ट (कम्ुनल 16 अगस्त, 1932 क रै म्जे मैक्ड नाल्ड ने अपने सां प्रदाब्रयक अब्रिब्रनणयय की घ षणा की, ब्रजसे सां प्रदाब्रयक पंचार्ट
अवाडय ) (कम्ुनल अवाडय ) कहा गया।
20 ब्रसतंबर, 1932 गां िी जी ने अपना पहला आमरण अनशन 20 ब्रसतंबर, 1932 क यरवदा जेल में रहते हए ब्रिब्रर्टश प्रिानमंत्री रै म्जे
कैक्ड नाल्ड के सां प्रदाब्रयक ब्रनणयय के ब्रवरुद्ध प्रारं भ ब्रकया था
24 ब्रसतंबर, 1932 24 ब्रसतंबर, 1932 क अंबेडकर और गां िी जी के अनुयाब्रयय ं के मध्य हए पूना समझौते (यरवदा समझौता) हआ,
ब्रजसे ब्रिब्रर्टश सरकार द्वारा सम्मब्रत प्रदान ब्रकए जाने के बाद 26 ब्रसतंबर, 1932 क गां िीजी ने अनशन त डा।
24 ब्रसतंबर, 1932 24 ब्रसतंबर, 1932 ब्रदन शब्रनवार क सायं 5 बजे पूना समझौता हस्ताक्षररत हआ। दब्रलत वगय की ओर से डॉ
अंबेडकर ने तथा ब्रहंदू जाब्रत की ओर से पंब्रडत मदन म हन मालवीय ने इस पर हस्ताक्षर ब्रकए।
14 अगस्त, 1931 14 अगस्त, 1931 क बंबई में महात्मा गां िी से वाताय के दौरान डॉ बी आर अंबेडकर ने कहा था -इब्रतहास बताता है
ब्रक महात्मा गां िी क्षब्रणक भूत की भां ब्रत िूल उठाते हैं लेब्रकन स्तर नहीं उठाते।
हररजन सेवक संघ हररजन सेवक संघ की स्थापना 30 ब्रसतम्बर 1932 क एक अप्तखल भारतीय संगठन के रूप में हई थी। पहले इस
संगठन का नाम अस्पृश्यता ब्रनवारण संघ रखा गया था, ब्रजसे 13 ब्रसतम्बर 1933 क हररजन सेवक संघ नाम ब्रदया
गया| इसके प्रथम अध्यक्ष प्रब्रसद्ध उद्य गपब्रत घनश्यामदास ब्रबडला तथा सब्रचव अमृतलाल ब्रवट्ठलदास ठक्कर हए|
संघ का मुख्यालय गााँ िी आश्रम, ब्रकंग्सवे कैम्प, ब्रदल्ली में है । इसकी शाखाएाँ भारत में लगभग सभी राज्य ं में हैं ।
ऑल इं ब्रडया सेड्यूल कास्ट ऑल इं ब्रडया सेड्यूल कास्ट फेडरे शन की स्थापना डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने वषय 1942 में की थी।
फेडरे शन
इं ब्रडया ब्रडप्रेस्ड क्लासेज इं ब्रडया ब्रडप्रेस्ड क्लासेज एस ब्रशएशन की स्थापना वषय 1926 में एम.सी. राजा (Rajah) की अध्यक्षता में हआ था।
एस ब्रशएशन
कां ग्रेस स शब्रलस्ट पार्टी कां ग्रेस समाजवादी दल (Congress Socialist Party (CSP)) भारत का एक राजनैब्रतक दल था ब्रजसकी स्थापना
1934 में हई थी। कां ग्रेस में समाजवादी ब्रवचारिारा के सवयप्रमुख प्रेरणा प्रतीक जवाहरलाल नेहरू तथा सुभाषचंद्र
ब स थे
जय प्रकाश नारायण वषय 1934 में पर्टना में अप्तखल भारतीय कां ग्रेस समाजवादी पार्टी के संय जक जय प्रकाश नारायण थे।
जय प्रकाश नारायण क पार्टी का महासब्रचव तथा आचायय नरें द्र दे व क अध्यक्ष चुना गया था।
ब्रबहार स शब्रलस्ट पार्टी 1931 ईस्वी में ब्रबहार स शब्रलस्ट पार्टी का गठन गंगा शरण ब्रसंह, रामवृक्ष बेनीपुरी और रामानंद ब्रमश्रा आब्रद ने
ब्रकया था।

✓ कां ग्रेस समाजवादी पार्टी –


स्थापना - वषय 1934 में
संस्थापक - आचायय नरे न्द्र दे व एवं जयप्रकाश नारायण
अन्य सदस्य – अश क मेहता, अच्युत पर्टवियन, मीनू समानी, डॉ. राम मन हर ल ब्रहया, पुरुष त्तम ब्रविम दास, यूसुफ मेहराले, गंगा
शरण ब्रसंह तथा कमलादे वी चट्ट पाध्याय आब्रद।

िे शी ररयासतें, कांग्रेस का हिपुरी संकर्ट एवं हितीय हवश्वयुद्ध

ब्रद्वतीय ब्रवश्व युद्ध वषय 1939 में ब्रद्वतीय ब्रवश्व युद्ध प्रारं भ हआ। कां ग्रेस ने युद्ध में समथयन के बदले भारत क स्वतंत्र राष्ट्र घ ब्रषत ब्रकए जाने
का प्रस्ताव रखा। तत्कालीन वायसराय लॉडय ब्रलनब्रलथग ने भारतीय ब्रविानमंडल की सहमब्रत के ब्रबना भारत क युद्ध में
शाब्रमल कर ब्रलया, साथ ही दे श में आपातकाल की घ षणा कर दी गई।
17 अक्टू बर, 1939 लाडय ब्रलनब्रलथग ने 17 अक्टू बर, 1939 क भारत क जमयनी के ब्रवरुद्ध युद्धग्रस्त घ ब्रषत कर ब्रदया। भारतीय
ब्रविानमंडल ं की सहमब्रत के ब्रबना युद्ध घ ब्रषत करने के कारण सभी प्रां त ं में कां ग्रेस मंब्रत्रमंडल ं ने त्यागपत्र दे ब्रदया।
1 ब्रसतंबर, 1939 ब्रद्वतीय ब्रवश्वयुद्ध 1 ब्रसतंबर, 1939 क जमयनी के प लैंड पर आिमण के साथ प्रारं भ हआ था ज ब्रक छः वषों बाद
जापान के ब्रहर ब्रशमा एवं नागासाकी पर अमेररका द्वारा परमाणु बम ब्रगराए जाने के बाद अगस्त, 1945 में समाि हआ ।
ब्रवंस्टन चब्रचयल ब्रवंस्टन चब्रचयल ब्रद्वतीय ब्रवश्वयुद्ध (1939-1945) के दौरान ब्रिर्टे न के प्रिानमंत्री थे, इनका काययकाल 1940-1945 तक था।
कां ग्रेस मंब्रत्रमंडल का लगभग 28 माह के काययकाल के बाद कां ग्रेस मंब्रत्रमंडल ं ने वषय 1939 में त्यागपत्र दे ब्रदया था क्य ब्रं क ब्रद्वतीय ब्रवश्वयुद्ध मे
त्यागपत्र भारतीय ं की सहमब्रत के बगैर ब्रिब्रर्टश सरकार के द्वारा भारत क युद्धग्रस्त घ ब्रषत करते हए शाब्रमल कर ब्रदया गया था।

• बर्टलर सब्रमब्रत का गठन वषय 1927 में ब्रकया गया था, इसे ‘भारतीय ररयासत सब्रमब्रत’ भी कहते हैं । इसका उद्दे श्य भारत सरकार तथा
भारतीय ररयासत ं के बीच संबंि ं की जां च करना तथा ब्रिब्रर्टश भारत और भारतीय ररयासत ं के बीच आब्रथयक एवं ब्रवत्तीय संबंि ं क

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सुिारने हे तु ब्रसफाररशें करना था। भारतीय नरे श ं ने एक सुप्रब्रसद्ध वकील सर लेजली स्कार्ट क कमेर्टी के सम्मु ख उनका दृब्रष्ट्क ण
प्रस्तुत करने के ब्रलए ब्रनयुि ब्रकया।
• ब्रदसंबर, 1927 में अप्तखल भारतीय राज्य जन कॉन्फ्रेंस (ऑल इं ब्रडया स्टे र्ट्स पीपुल्स कॉन्फ्रेंस) का आय जन ब्रकया गया। इसके ब्रवब्रभन्न
ररयासत ं से आए 700 से अब्रिक राजनीब्रतक काययकताय ओं ने भाग ब्रलया। बलवंत राय मेहता, मब्रणलाल क ठारी और जी.आर. अभ्यंकर ने
इसके आय जन में महत्वपूणय भूब्रमका ब्रनभाई थी।
• ब्रिब्रर्टश भारत तथा रजवाड ं के राजनीब्रतक संघषों के साझे राष्ट्रीय लक्ष्य ं क सामने रखने के ब्रलए जवाहरलाल नेहरू क वषय 1939 में
भारत प्रजा मंडल (ऑल इं ब्रडया स्टे र्ट्स पीपुल्स कॉन्फ्रेंस) का अध्यक्ष चुना गया था। भारतीय संघ में अब्रिकां श रजवाड ं का ब्रवलय वषय
1947 में हआ। 15 अगस्त, 1947 तक ब्रसवाय जूनागढ, जम्मू एवं कश्मीर तथा है दराबाद क छ डकर सभी रजवाडे भारत में शाब्रमल ह
गए तथा वषय 1948 के अंत तक इन तीन ं ररयासत ं क भी इसके ब्रलए बाध्य ह ना पडा ।
• अंग्रेजी हकूमत ने इन ररयासत ं क स्वािीनता का दजाय दे कर बडी पेंचीदा समस्या खडी कर दी थी ब्रकंतु राष्ट्रीय नेतृत्व ने, ब्रवशेषकर
सरदार वल्लभ भाई पर्टे ल ने बडी समझदारी एवं सूझबूझ से इस समस्या क सुलझा ब्रदया। 26 अक्टू बर, 1947 क कश्मीर के महाराजा
हरर ब्रसंह ने भारत में ब्रवलय के हस्ताक्षर-पत्र प्रिानमंत्री जवाहरलाल नेहरू क सौंपे।
• जवाहरलाल नेहरू ने शेख अब्दु ल्लाह क प्रिानमंत्री ब्रनयुि करवाया तथा भारतीय सेना ने 27 अक्टू बर, 1947 से पाब्रकस्तान के
कबाइली आिाताओं क भगाना आरं भ ब्रकया। यथावत समझौता 29 नवंबर, 1947 क है दराबाद ररयासत एवं ड ब्रमब्रनयन ऑफ इं ब्रडया
के मध्य हस्ताक्षररत हआ था। इस समझौते पर है दराबाद राज्य के प्रिानमंत्री मीर लईक अली तथा ड ब्रमब्रनयन ऑफ इं ब्रडया के गवनयर
जनरल लॉडय माउं र्टबेर्टन ने हस्ताक्षर ब्रकए ।
• भारत-ब्रवभाजन के दौरान पंजाब राज्य ने एक संयुि एवं स्वतंत्र अप्तस्तत्व की य जना प्रस्तुत की, ब्रकंतु सरदार पर्टे ल के प्रयास ं से उसके
मंसूब ं पर पानी ब्रफर गया। पूवी पंजाब, पब्रर्टयाला तथा पहाडी राय ं का एक संघ बनाया गया ब्रजसे पेप्सू कहा गया।
• वषय 1938 के कां ग्रेस के हररपुरा (गुजरात) अब्रिवेशन में सुभाष चंद्र ब स कां ग्रेस के पहली बार अध्यक्ष (ब्रनब्रवयर ि) बने थे। वषय 1939 के
ब्रत्रपुरी (म.प्र.) अब्रिवेशन में वे गां िी जी द्वारा समब्रथयत पट्टाब्रभ सीतारमैया क पराब्रजत कर कां ग्रेस के दू सरी बार अध्यक्ष बने परं तु
काययकाररणी के गठन के प्रश्न पर गां िीजी से मतभेद के कारण उन्ह न
ं े त्यागपत्र दे ब्रदया, ब्रजसके बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद कां ग्रेस के अध्यक्ष
बने।
• वषय 1939 में ब्रत्रपुरी संकर्ट के बाद कां ग्रेस की अध्यक्षता से त्यागपत्र के पिात सुभाष चंद्र ब स ने ‘फॉरवडय ब्लॉक’ की स्थापना की। यह
संगठन वामपंथी ब्रवचारिारा पर आिाररत था। जब ब्रद्वतीय ब्रवश्व युद्ध के बादल यूर प में मंडरा रहे थे, सुभाष चंद्र ब स ने समय का लाभ
उठाना चाहा और ब्रिर्टे न तथा जमयनी के युद्ध का लाभ उठाकर एक प्रहार करके भारत की स्वािीनता चाही। उनका ब्रवश्वास आयरलैंड
की इस पुरानी कहावत पर था – “इं ग्लैंड की आवश्यकता आयरलैंड के ब्रलए अवसर है ।” अतः उन्ह न
ं े गां िी जी तथा अन्य कां ग्रेसी
नेताओं क इस नीब्रत पर लाना चाहा ब्रक भारत की स्वतंत्रता के ब्रलए इं ग्लैंड के दु श्मन ं की सहायता ले ली जाए ।
• वषय 1939 के ब्रत्रपुरी सम्मेलन में अध्यक्ष पद हे तु हए चुनाव मे सुभाष चन्द्र ब स, गां िीजी समब्रथयत पट्टाब्रभ सीतारमैया से 1377 मत के
मुकाबले 1580 मत से जीत गए। ब्रत्रपुरी, जबलपुर (म.प्र.) में प्तस्थत है ।

पाहकस्तान की मांग एवं व्यक्तिगत सत्याग्रह

पाब्रकस्तान की 22 से 24 माचय 1940 क मुप्तस्लम लीग अब्रिवेशन लाहौर में हआ। इसकी अध्यक्षता मुहम्मद अली ब्रजन्ना ने की। इस अब्रिवेशन
मां ग में भारत से अलग एक मुप्तस्लम राष्ट्र पाब्रकस्तान की मां ग की गई। ब्रजन्ना ने अब्रिवेशन में भाषण दे ते हए कहा ब्रक वे एक अलग
मुप्तस्लम राष्ट्र के अब्रतररि और कुछ भी स्वीकार नहीं करें गे।
सर ब्रजनी नायडू सर ब्रजनी नायडू ने मुहम्मद अली ब्रजन्ना क ब्रहंदू-मुप्तस्लम एकता का दू त कहा था।
पंब्रडत जवाहरलाल दे श के प्रथम प्रिानमंत्री पंब्रडत जवाहरलाल नेहरू ने अपनी पुस्तक ब्रडस्कवरी ऑफ इं ब्रडया के में उल्लेख ब्रकया है ब्रक मुहम्मद

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नेहरू इकबाल ने उनसे मुलाकात के दौरान कहा था ब्रक “आप (नेहरू) एक राष्ट्रभि हैं , जबब्रक ब्रजन्ना एक राजनीब्रतज्ञ है ।”
ब्रजन्ना के ब्रद्वराष्ट्र माचय, 1940 में लाहौर में आय ब्रजत मुप्तस्लम लीग के वाब्रषयक अब्रिवेशन में ब्रजन्ना के ब्रद्वराष्ट्र ब्रसद्धां त क मान्यता दी गई थी। इससे
ब्रसद्धां त संबंब्रित प्रस्ताव का प्रारूप ब्रसकंदर हयात खान ने तैयार ब्रकया था और उसे फजलुल हक ने 23 माचय 1940 क प्रस्तुत ब्रकया
था। इसी ब्रतब्रथ की स्मृब्रत में 23 माचय, 1943 क मुप्तस्लम लीग द्वारा पाब्रकस्तान ब्रदवस मनाया गया ।
म . इकबाल मुप्तस्लम ं के ब्रलए एक पृथक दे श की प्रथम बार एक ब्रनब्रित अब्रभव्यप्ति वषय 1930 के मुप्तस्लम लीग के इलाहाबाद अब्रिवेशन के
इकबाल के अध्यक्षीय भाषण में हई थी।
चौिरी रहमत अली कैंब्रिज ब्रवश्वब्रवद्यालय के एक छात्र चौिरी रहमत अली ने वषय 1933 में पाब्रकस्तान शब्द का सवयप्रथम प्रय ग -नाउ और नेवर,
आर वी र्टू ब्रलव ऑर पेररस फॉरे वर? नाम से ब्रवतररत अपने पैंम्फलेर्ट में ब्रकया था।
व्यप्तिगत सत्याग्रह व्यप्तिगत सत्याग्रह की शुरुआत 17 अक्टू बर, 1940 क हई।
अगस्त प्रस्ताव क पूरी तरह स्वीकार करते हए कां ग्रेस ने गां िी जी के नेतृत्व में व्यप्तिगत सत्याग्रह शुरू ब्रकया। ब्रवन बा भावे
प्रथम सत्याग्रही थे तथा पंब्रडत जवाहरलाल नेहरू दू सरे ।
सवोदय शब्द सवोदय शब्द का प्रय ग सवयप्रथम महात्मा गां िी ने ब्रकया था। ब्रवन बा भावे द्वारा गां िी जी के आदशों के प्रचार के ब्रलए सवोदय
समाज की स्थापना की गई थी ।

हिप्स हमशन –

• माचय 1942 में, स्टै फ डय ब्रिप्स की अध्यक्षता में एक ब्रमशन क संवैिाब्रनक प्रस्ताव ं के साथ भारत भेजा गया था ताब्रक युद्ध के ब्रलए भारतीय
समथयन प्राि ब्रकया जा सके।
• स्टै फडय ब्रिप्स एक वामपंथी लेबराइर्ट, हाउस ऑफ कॉमन्स के नेता और ब्रिब्रर्टश युद्ध मंब्रत्रमंडल के सदस्य थे ब्रजन्ह न
ं े भारतीय राष्ट्रीय
आं द लन का सब्रिय समथयन ब्रकया था।
• लॉडय ब्रलनब्रलथग ने गां िीजी के आं द लन ं क राजनैब्रतक ब्रफरौती कहा। वायसराय और गवनयर जनरल लॉडय ब्रलनब्रलथग ं का काययकाल भारत
में सबसे लंबा था। इनका काययकाल भारत में वषय 1936 से 1944 तक रहा। भारत छ ड आं द लन इन्हीं के काययकाल में महात्मा गां िी द्वारा
चलाया गया।
• ब्रद्वतीय ब्रवश्व युद्ध मे भारत की भागीदारी और मदद मां गने के ब्रलए माचय, 1942 में ब्रिर्टे न के प्रिानमंत्री ब्रवंस्टन चब्रचयल की सरकार में मंत्री सर
स्टै फ डय ब्रिप्स ने नेतृत्व में ब्रिप्स ब्रमशन भारत आया था।
• रं गून पर जापानी सेनाओं का अब्रिकार ह जाने पर अमेररका के दबाव में ब्रिब्रर्टश सरकार ने ब्रिब्रर्टश मंब्रत्रमंडल के एक सदस्य सर स्टै फ डय
ब्रिप्स क भारत भेजने का ब्रनणयय ब्रलया ताब्रक भारतीय नेताओं के साथ बातचीत करके क ई समािान ढू ं ढा जा सके।
• ब्रिप्स भारत में तीन सिाह रहे (माचय -अप्रैल, 1942) और भारतीय नेताओं के साथ ब्रवचार-ब्रवमशय करके उन्ह ने प्रारुप घ षणा के रुप में
अपने प्रस्ताव ं की घ षणा की।

हिप्स हमशन के प्रस्ताव की प्रमुख शतें –

• युद्ध के बाद भारत क ड ब्रमब्रनयन राज्य का दजाय ब्रदया जाएगा ज ब्रकसी बाहरी सत्ता के अिीन नहीं ह गा।
• भारतीय ं क अपना संब्रविान ब्रनब्रमयत करने का अब्रिकार ब्रदया जाएगा ब्रजसके ब्रलए युद्ध के बाद एक संब्रविान ब्रनमाय त्री पररषद बनेगी, ब्रजसमें
ब्रिब्रर्टश भारत के प्रां त ं के ब्रनवाय ब्रचत सदस्य और दे सी रजवाड ं के प्रब्रतब्रनब्रि शाब्रमल ह ग
ं े।
• ब्रिब्रर्टश भारत का क ई प्रां त यब्रद नए संब्रविान क स्वीकार न करना चाहे त उसे वतयमान संवैिाब्रनक प्तस्थब्रत बनाए रखने का अब्रिकार ह गा।
नए संब्रविान क न स्वीकार करने वाले प्रां त ं क अपना अलग संब्रविान बनाने की आज्ञा ह गी।
• युद्ध के दौरान ब्रिब्रर्टश वायसराय की एक नई काययकारी पररषद का गठन ब्रकया जाएगा ब्रजसमें भारतीय जनता के प्रमुख वगों के प्रब्रतब्रनब्रि
शाब्रमल ह ग
ं े। लेब्रकन रक्षा मंत्रालय ब्रिब्रर्टश नेतृत्व के पास ह गा।
• महात्मा गां िी ने इसे उत्तर ब्रतथीय चेक की संज्ञा दी। ब्रिप्स ब्रमशन के साथ कां ग्रेस के अब्रिकाररक वाताय कार पं ब्रडत जवाहरलाल नेहरू एवं
मौलाना आजाद थे।

भारत छोडों आं िोलन –

• हिप्स हमशन की हवफलता के बाि महात्मा गााँधी ने हिहर्टश शासन के क्तखलाफ अपना तीसरा बडा आं िोलन “भारत छोडो
आं िोलन” की शुरुआत करने का फैसला हकया।
• 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी ने हिहर्टश शासन को समाप्त करने का आह्वान हकया और मुंबई में अक्तखल भारतीय कााँन्ग्ग्रेस
कमेर्टी के सि में भारत छोडो आं िोलन शुरू हकया।
• ग्लाब्रलया र्टैं क में 8 अगस्त 1942 क आय ब्रजत इस बैठक में अंग्रेज ं भारत छ ड का प्रस्ताव पाररत ब्रकया गया। 9 अगस्त 1942 क सभी
प्रमुख कां ग्रेसी नेता ब्रगरफ्तार कर ब्रलये गये।

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• कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवािी सिस्य भूहमगत प्रहतरोध गहतहवहधयों में सबसे ज्यािा सहिय थे। पब्रिम में सतारा
और पूवय में मेब्रदनीपुर जैसे कई ब्रजल ं में “स्वतंत्र” सरकार (प्रब्रतसरकार) की स्थापना कर दी गई थी।
• उन्नीसवीं सदी के आप्तखर से जाब्रत व्यवस्था और जमींदारी के प्तखलाफ महाराष्ट्र में एक गैर-िाह्मण आं द लन ब्रवकब्रसत ह चुका था। इस
आं द लन ने 1930 के दशक एक राष्ट्रवादी आं द लन के साथ संबंि स्थाब्रपत कर ब्रदया था।
• गांधीजी ने ग्वाहलया र्टैं क मैिान में अपने भाषण में "करो या मरो" का आह्वान हकया, हजसे अब अगस्त िांहत मैिान के नाम से
जाना जाता है।
• 'भारत छोडो' का नारा एक समाजवािी और र्टरेड यूहनयनवािी यूसुफ मेहरली िारा गढा गया था, ब्रजन्ह न
ं े मुंबई के मेयर के रूप में
भी काम ब्रकया था। मेहरअली ने "साइमन गो बैक" का नारा भी गढा था।
• स्वतंिता आं िोलन की 'ग्रैंड ओल्ड लेडी' के रूप में लोकहप्रय अरुणा आसफ अली को भारत छोडो आं िोलन के िौरान मुंबई के
ग्वाहलया र्टैं क मैिान में भारतीय ध्वज फहराने के हलये जाना जाता है।

भारत छोडों आं िोलन से जुडें व्यक्ति एवं उनकी भूहमका -

महात्मा गांधी इन्ह न ं े 1942 में साम्राज्यवादी सत्ता का समूल उखाड फेंकने हे तु यह आं द लन प्रारं भ ब्रकया,
उन्ह न ं े बंबई के गवाब्रलया र्टैं क मैदान से अपने ऐब्रतहाब्रसक उद्बब िन में भारत के ब्रनवाब्रसय ं से उपब्रनवेशी
शासन क उखाड फेंकने का आह्वान ब्रकया। यही ं उन्ोंने ‘करो या मरो’ का ऐहतहाहसक नारा हिया।
9 अगस्त 1942 क उन्हें ब्रगरफ्तार कर ब्रलया गया। सरकार द्वारा आं द लन के काययकताय ओं के ब्रवरुद्ध
दमनकारी नीब्रतय ं का सहारा ब्रलये जाने के ब्रवर ि में फरवरी 1943 में उन्ह न ं े 21 ब्रदन का उपवास रखा।
जय प्रकाश नारायण ये कांग्रेस समाजवािी िल के सिस्य थे तथा इन्ोंने भारत छोडो आं िोलन में अग्रणी भूहमका हनभायी।
राम मनोहर लोहहया, अरूणा ये सभी आं द लन की भूब्रमगत गब्रतब्रवब्रिय ं में संलग्न राष्ट्रवादी नेता थे। इनकी िां ब्रतकारी गब्रतब्रवब्रिय ं ने
आसफ अली, सुचेता कृपलानी , आं द लन में एक नया आयाम ज डा तथा ब्रिब्रर्टश शासन की नींव ब्रहलाकर रख ब्रदया।
छोर्टू भाई पुराहणक, बीजू
पर्टनायक, आरगोयनका एवं .पी.
अच्युत पर्टवधटन
हचत्तू पांडे हचत्तू पांडे स्वयं को गांधीवािी कहते थे , इन्ह न ं े अगस्त 1942 में संयुि प्रां त के बब्रलया नामक स्थान में
सभी पुब्रलस थान ं एवं सरकारी भवन ं पर कब्जा कर ब्रलया तथा समानांतर सरकार की स्थापना की थी।
उषा मेहता इन्ह न ं े आं द लन में सब्रियता से ब्रहस्सेदारी ब्रनभायी। उषा मेहता उस िल की एक प्रमुख सिस्य थी ं, हजसने
आं िोलन के िौरान गुप्त रे हडयो र्टरांसमीर्टर केन्द्र की स्थापना की थी।
जवाहर लाल नेहरू यद्यब्रप प्रारं भ में नेहरू ने गां िी वादी काययिम का ब्रवर ि कर रहे उदारवाब्रदय ं का समथयन ब्रकया, ब्रकंतु बाद में
ये गााँ िी जी के काययिम का समथयन करने लगे तथा 8 अगस्त 1942 को भारत छोडो प्रस्ताव पास करने
में महत्वपूणट भूहमका अिा की।
सुमहत मोरार जी इन्ह न ं े अच्युत पर्टवियन क उनकी भूब्रमगत गब्रतब्रवब्रिय के संचालन में महत्वपूणय य गदान ब्रदया । कालांतर में ,
इनकी गणना भारत की प्रब्रसद्ध मब्रहला उद्य गपब्रतय ं में की जाने लगी।
रास हबहारी बोस ये एक प्रहसद्ध िांहतकारी नेता थे, हजन्ें जू न 1942 में इं हडयन इं हडपेंडेंस लीग (माचट 1942 में स्थाहपत
) का अध्यक्ष चुना गया।
कैप्टन मोहन हसंह ये एक भारतीय सैब्रनक थे , ज ब्रद्वतीय ब्रवश्व युद्घ में ब्रिर्टे न की ओर से युद्ध कर रहे थे।
इन्हें आई. एन.ए (इं ब्रडयन नेशनल आमी) का कमां डर ब्रनयुि ब्रकया गया।
सुभाष चंद्र बोस इन्ोंने 1943 में इं हडयन नेशनल आमी की सिस्यता ग्रहण की।‘तुम मुझे खून िो मै तुम्हें आजािी
िू ं गा’ नामक यह नारा सुभाष चंद्र ब स का बहत महत्वपूणय नारा था, ब्रजसने बाद के वषों में भारतीय ं में
राष्ट्रप्रेम की भावना का प्रसार ब्रकया।
सीराजगोपालाचारी एवं भूलाभाई . ये द न ं कट्टर उदारवादी थे, ब्रजन्ह न ं े मुप्तस्लम बहल प्रां त क मान्यता ब्रदये जाने की वकालत की थी। इनका
िे साई तकय था ब्रक यब्रद भारत की आजादी के ब्रलए ऐसा करना अपररहायय ह त इसे मान ब्रलया जाना चाब्रहए जुलाई
1942 में इन द न ं नेताओं ने कां ग्रेस से त्याग पत्र दे ब्रदया।
केमशरुवाला.जी . इन्ह न ं े महादे व दे साई की ब्रगरफ्तारी के पिात हररजन नामक पत्र में द उत्तेजनात्मक लेख ब्रलखे।
केभाश्यम .र्टी . ये बंगलौर के एक कां ग्रेसी नेता थे , ब्रजन्ह न ं े कई औद्य ब्रगक संघ के गठन में महत्वपूणय भूब्रमका ब्रनभायी तथा
कई हडताल ं का आय जन करने में सहायता की।
सतीश सामंत ये स्थानीय कां ग्रेसी नेता तथा तामलुक नेता जातीय सरकार के प्रथम सवाय ब्रिनायक थे। ब्रमदनापुर के तामलुक
सबब्रडवीजन में ब्रवद्र ही राष्ट्रीय सरकार के गठन में इनकी प्रमुख भूब्रमका थी ।-
मातंहगनी हाजरा ये तामलुक की 73 वषीय वृद्ध कृषक ब्रविवा थीं। 29 ब्रसतम्बर 1929 क सुतहार्टा पुब्रलस स्टे शन पर आिमण
के समय ब्रहंसा में इनकी मृत्यु ह गयी। मातंब्रगनी ने ग ली लगने के पिात भी ब्रतरं गे झंडे क अपने हाथ से नही
छ डा ।
लक्ष्मण नायक ये अब्रशब्रक्षत ग्रामीण थे, ब्रजन्ह ने क रापुत के जनजातीय तबके क जैंप र जमींदारी के ब्रवरुद्ध ब्रवद्र ह करने हेतु
संगब्रठत ब्रकया।
एक वन रक्षक की हत्या के आर प में 19 नवंबर 1942 क लक्ष्मण नायक क फां सी चढा ब्रदया गया।
नाना पाहर्टल इन्ोंने सतारा में हवद्राहहयों का नेतृत्व हकया।

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14 जुलाई 1942 विाय में 14 जुलाई 1942 में हई कां ग्रेस की सब्रमब्रत की बैठक में मौलाना अबुल कलाम आजाद, सर ब्रजनी नायडू,
जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पर्टे ल, डॉ राजेंद्र प्रसाद, सीतारमैया, जी. वी. पंत, प्रफुल्ल चंद्र घ ष, सैयद महमूद
अशरफ अली, जे. बी. कृपलानी, महात्मा गां िी इत्याब्रद ने भाग ब्रलया तथा भारत छ ड नामक प्रस्ताव पास ब्रकया।
इसकी अध्यक्षता तत्कालीन कां ग्रेस अध्यक्ष अबुल कलाम आजाद ने ही की थी।
7 अगस्त ,1942 7 अगस्त, 1942 को मुंबई के ऐहतहाहसक ग्वाहलया र्टैं क में अक्तखल भारतीय कांग्रेस कमेर्टी की वाहषटक बैठक
हुई हजसमें वधाट प्रस्ताव (भारत छोडो) की पुहि हुई। थ डे बहत संश िन के बाद 8 अगस्त, 1942 क प्रस्ताव
स्वीकार कर ब्रलया गया और भारत के स्वतंत्रता संघषय के तहत अंग्रेज ं के ब्रवरुद्ध भारत छ ड आं द लन प्रारं भ करने की
घ षणा की गई।
8 अगस्त 1942 8 अगस्त 1942 को अक्तखल भारतीय कांग्रेस कमेर्टी की बैठक में पंहडत जवाहरलाल नेहरू िारा “भारत छोडो
प्रस्ताव” पेश हकया गया था हजसका सरिार वल्लभ भाई पर्टे ल ने समथटन हकया था।
भारत छोडो आं िोलन का हहंिू महासभा, कम्युहनस्ट पार्टी ऑफ इं हडया, यूहनयहनस्ट पार्टी ऑफ पंजाब एवं मुक्तिम लीग ने भारत छोडो
समथटन न करने वाले िल आं िोलन का समथटन नही ं हकया था।
ऑपरे शन जीरो ऑवर भारत छ ड ं आं द लन आरं भ ह ते ही ऑपरे शन जीर ऑवर के तहत गां िी जी तथा अन्य च र्टी के कां ग्रेस नेताओं क
ब्रगरफ्तार कर ब्रलया गया। गां िी जी क ब्रगरफ्तार कर सर ब्रजनी नायडू सब्रहत पूना के आगा खां पैलेस में रखा गया और
कां ग्रेस कायय सब्रमब्रत के सदस्य ं (नेहरू, अबुल कलाम आजाद, ग ब्रवंद बल्लभ पंत, डॉ प्रफुल्ल चंद्र घ ष, डॉक्टर पट्टाब्रभ
सीतारमैया, डॉ सैयद महमूद, आचायय कृपलानी) क अहमदनगर ब्रकले में रखा गया।
कां ग्रेस काययसब्रमब्रत के सदस्य राजेंद्र प्रसाद मुंबई नहीं आए थे।उन्हें पर्टना में ही ब्रगरफ्तार कर पर्टना (बां कीपुर) जेल में
नजरबंद रखा गया।
गुप्त रे हडयो प्रसारण भारत छोडो आं िोलन के िौरान बंबई के हवहभन्न भागों से कांग्रेस का गुप्त रे हडयो प्रसाररत हकया जाता था, ब्रजसे
मद्रास तक सुना जा सकता था। राम मनोहर लोहहया हनयहमत रूप से इस रे हडयो पर प्रसारण करते थे।
6 मई, 1944 बीमारी के आिार पर गां िीजी क 6 मई, 1944 क ररहा कर ब्रदया गया।

• भारत छोडो आं िोलन (1942) के समय भारत का प्रधान सेनापहत लॉडट वेवेल थे जो हक बाि में वषट 1943 से 1947 तक भारत के
वायसराय और गवनटर जनरल भी रहे। इस आं िोलन के समय इं ग्लैंड के प्रधानमंिी चहचटल थे।
• कांग्रेस िारा भारत छोडो आं िोलन का प्रस्ताव पाररत करते समय कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना अबुल कलाम आजाि थे। वे वषय 1940 के
रामगढ अब्रिवेशन में कां ग्रेस अध्यक्ष बने थे तथा वषय 1941-45 के मध्य 5 वषों तक कां ग्रेस का क ई वाब्रषयक अब्रिवेशन न ह सका, इन 6
वषों में अबुल कलाम आजाद कां ग्रेस के अध्यक्ष बने रहे। वे स्वतंत्रता पूवय भारतीय राष्ट्रीय कां ग्रेस के सबसे लंबे समय तक और सबसे नाजुक
दौर में अध्यक्ष रहे ।
• महात्मा गां िी के भारत छ ड आं द लन के दौरान अमेररकी पत्रकार लुई ब्रफशर (महात्मा गां िी के जीवनीकार) उनके साथ थे। अमेररकी
बुप्तद्धजीवी पलयबक, एडगरस्न , एम. एल. सुमेन, नॉमयन थॉमस के साथ लुई ब्रफशर ने भारतीय स्वतंत्रता की मां ग की थी। भारत छ ड आं द लन
(1942) से उत्पन्न दं गे ब्रबहार और यूपी (संयुि प्रां त) में सबसे अब्रिक व्यापक रहे । यहां ब्रवद्र ह जैसा माहौल बन गया। पूवी यूपी में
आजमगढ, बब्रलया और ग रखपुर तथा ब्रबहार में गया, भागलपुर, सारन, पूब्रणयया, शाहबाद, मुजफ्फरपुर और चंपारन स्वतः स्फूब्रतय जन ब्रवद्र ह
के मुख्य केंद्र रहे ।
• 1942 का अगस्त आं द लन ब्रकसान ं के बीच काफी व्यापक ह गया था। ब्रकसान ं के अंशकाब्रलक जत्थे ब्रदन में खेती करते और रात क
त ड-फ ड की काययवाही में भाग लेते थे। उनकी उग्रता की प्रबलता इस कदर थी ब्रक कई अथों में 1857 का स्मरण कराती थी। इसीहलए
तत्कालीन हिहर्टश प्रधानमंिी चहचटल को भेजे गए एक तार में तत्कालीन वायसराय हलनहलथगो िारा इस आं िोलन को 1857 के
बाि का सबसे गंभीर हवद्रोह कहना पडा।
• भारत छ ड आं द लन के दौरान जयप्रकाश नारायण ने हजारीबाग के सेंर्टरल जेल से फरार ह कर भूब्रमगत गब्रतब्रवब्रिय ं क संगब्रठत ब्रकया था।
य गेंद्र शुक्ल, जयप्रकाश नारायण के साथ ही 9 नवंबर, 1942 क हजारीबाग जेल से भागे, ब्रकंतु मुजफ्फरपुर में ब्रगरफ्तार कर ब्रलए गए तथा
पर्टना लाए गए।
• भारत छ ड आं द लन (1942) के दौरान मुंबई के कां ग्रेस सम्मेलन क संब ब्रित करते हए गां िी जी ने ज भाषण ब्रदया था उसके बारे में
पट्टाब्रभ सीतारमैया ने ब्रलखा है ब्रक “वास्तव में गां िी जी उस ब्रदन अवतार एवं पैगंबर की प्रेरक शप्ति से प्रेररत ह कर भाषण दे रहे थे।”
• रािरीय स्वयंसेवक संघ 1942 के भारत छोडो आं िोलन से पृथक रहा। वषट 1940 से लेकर हविे शी सत्ता के 1947 में समाप्त होने
तक हकसी भी रािरीय आं िोलन में संघ की कोई भूहमका नही ं थी। अरुणा आसफ अली प्रब्रसद्ध भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थी। उन्हें वषय
1942 में भारत छ ड आं द लन के दौरान मुंबई के ग्वाब्रलया र्टैं क मैदान में कां ग्रेस का झंडा फहराने के ब्रलए हमेशा याद ब्रकया जाता है ।
• अरुणा आसफ अली, उषा मेहता, जयप्रकाश नारायण, राम मन हर ल ब्रहया आब्रद ने कां ग्रेस के सभी बडे नेताओं की ब्रगरफ्तारी के बाद
भूब्रमगत रहकर 1942 के भारत छ ड आं द लन का नेतृत्व ब्रकया था। भारत छ ड आं द लन की एक महत्वपूणय ब्रवशेषता थी - दे श के कई
स्थान ं पर समानां तर सरकार की स्थापना।
• 1944 में भारत छोडो आं िोलन को कुचल हिया गया था और अंग्रेज़ों ने यह कहते हुए तत्काल स्वतंिता िे ने से इनकार कर हिया
था हक स्वतंिता युद्ध समाक्तप्त के बाि ही िी जाएगी, हकंतु इस आं िोलन और हितीय हवश्व युद्ध के बोझ के कारण हिहर्टश प्रशासन
को यह अहसास हो गया हक भारत को लंबे समय तक हनयंहित करना संभव नही ं था।

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भारतीय राज्यव्यवस्था

स्थगन और सिावसान में अंतर

स्थगन 1.यह ब्रसफय एक बैठक क समाि करता है न ब्रक सत्र क । 2.यह सदन के पीठासीन अब्रिकारी द्वारा ब्रकया जाता है । 3. यह
ब्रकसी ब्रविेयक या सदन में ब्रवचारािीन काम पर असर नहीं डालता क्य ब्रं क वही काम द बारा ह ने वाली बैठक में ब्रकया जा सकता
है ।
सत्रावसान 1.यह न केवल बैठक बप्ति सदन के सत्र क समाि करता है । 2. इसे राष्ट्रपब्रत द्वारा ब्रकया जाता है । 3. यह भी ब्रकसी ब्रविेयक
पर प्रभाव नहीं डालता लेब्रकन बचे हए काम के ब्रलए अगले सत्र में नया न ब्रर्टस दे ना पडता है । ब्रिर्टे न में सत्रावसान के कारण
ब्रविेयक या अन्य लंब्रबत कायय समाि माने जाते हैं ।

हनंिा प्रस्ताव बनाम अहवश्वास प्रस्ताव

ब्रनंदा प्रस्ताव 1. ल कसभा में इसे स्वीकारने का कारण बताना अब्रनवायय है । 2. यह ब्रकसी एक मंत्री या मंब्रत्रय ं के समूह या पूरे मंब्रत्रपररषद के
ब्रवरूद्ध लाया जा सकता है । 3. यह मंब्रत्रपररषद की कुछ नीब्रतय ं या कायय के प्तखलाफ ब्रनंदा के ब्रलए लाया जाता है । 4. यब्रद यह
ल कसभा में पाररत ह जाए त मंत्रपररषद क त्यागपत्र दे ना आवश्यक नहीं है ।
अब्रवश्वास 1 . ल कसभा में इसे स्वीकारने का कारण बताना अब्रनवायय नहीं है । 2. यह ब्रसफय पूरे मंब्रत्रपररषद के ब्रवरूद्ध लाया जा सकता है । 3
प्रस्ताव यह मंब्रत्रपररषद- में ल कसभा के ब्रवश्वास के ब्रनिाय रण हे तु लाया जाता है। 4.यब्रद यह ल कसभा में पाररत ह जाए त मंब्रत्रपररषद
क त्यागपत्र दे ना ही पडता है । SCSGYAN

सरकारी हवधेयक बनाम गैर-सरकारी हवधेयक

सरकारी ब्रविेयक 1. इसे संसद में मंत्री द्वारा पेश ब्रकया जाता है। 2. यह सरकार की नीब्रतय ं क प्रदब्रशयत करता है (सत्तारूढ दल)। 3. संसद
द्वारा इसके पाररत ह ने की पूरी उम्मीद ह ती है । 4. सदन द्वारा अस्वीकृत ह ने पर सरकार क इस्तीफा दे ना पड सकता है।
5. सदन में पेश करने के ब्रलए सात ब्रदन ं का न ब्रर्टस ह ना चाब्रहए। 6. इसे संबंब्रित ब्रवभाग द्वारा ब्रवब्रि ब्रवभाग के परामशय से
तैयार ब्रकया जाता है ।
गैर-सरकारी 1. इसे संसद में मंत्री के अलावा ब्रकसी भी सदस्य द्वारा पेश ब्रकया जाता है। 2. यह सावयजब्रनक मामलें पर ब्रवपक्षी दल के
ब्रविेयक मंतव्य क प्रब्रतदब्रशयत करता है । 3. इसके संसद में पाररत ह ने की कम उम्मीद ह ती है। 4. इसके अस्वीकृत ह ने पर सरकार
पर क ई प्रभाव नहीं पडता। 5. सदन में पेश करने के ब्रलए ऐसे प्रस्ताव के ब्रलए एक माह का न ब्रर्टस ह ना चाब्रहए। 6. इसका
ब्रनमाय ण संबंब्रित सदस्य की ब्रजम्मेदारी ह ती है ।

साधारण हवधेयक और धन हवधेयक में अंतर

सािारण 1.इसे ल कसभा या राज्यसभा में कहीं भी पुन: स्थाब्रपत ब्रकया जा सकता है । 2.इसे या त मंत्री द्वारा या गैर-सरकारी सदस्य द्वारा
ब्रविेयक पुरः स्थाब्रपत ब्रकया जा सकता है । 3.यह ब्रबना राष्ट्रपब्रत की संस्तुब्रत के पुर:स्थाब्रपत ह ता है । 4.इसे राज्यसभा द्वारा सं श िन या
अस्वीकृत ब्रकया जा सकता। 5.इसे राज्यसभा अब्रिकतम 6 माह के ब्रलए र क सकती है । 6.इसे राज्यसभा में भेजने के ब्रलए
अध्यक्ष के प्रमाणन की जरूरत नहीं ह ती है । 7.इसे द न ं सदन ं में पाररत ह ने के बाद राष्ट्रपब्रत की मंजूरी के ब्रलए भेजा जाता
है । असहमब्रत की अवस्था में राष्ट्रपब्रत संयुि बैठक बुला सकता है । 8.इसके ल कसभा में अस्वीकृब्रत ह ने पर सरकार क
त्यागपत्र दे ना पड सकता है । (यब्रद इसे मंत्री ने पुन: स्थाब्रपत ब्रकया ह ) 9.इसे अस्वीकृत या पाररत, या राष्ट्रपब्रत द्वारा पुनब्रवयचार के
ब्रलए भेजा जा सकता है ।
िन ब्रविेयक 1.इसे ब्रसफय ल कसभा में पुन: स्थाब्रपत ब्रकया जा सकता है । 2.इसे ब्रसफय मंत्री द्वारा पुन: स्थाब्रपत ब्रकया जा सकता है ।
3.इसे ब्रसफय राष्ट्रपब्रत की संस्तुब्रत से ही पुर: स्थाब्रपत ब्रकया जा सकता है । 4.इसे राज्यसभा क ई संश िन या अस्वीकृब्रत नहीं दे
सकती। 5.इसे राज्यसभा अब्रिकतम 14 ब्रदन के ब्रलए र क सकती है । 6.इसे अध्यक्ष के प्रमाणन की जरूरत ह ती है।
7.इसे ब्रसफय ल कसभा से पाररत ह ने के बाद राष्ट्रपब्रत की मंजूरी के ब्रलए भेजा जाता है । इसमें द न ं सदन ं के बीच असहमब्रत का
क ई अवसर ही नहीं ह ता। इसब्रलए संयुि बैठक क क ई उपबंि नहीं है । 8.इसके ल कसभा में अस्वीकृब्रत ह ने पर सरकार
क त्यागपत्र दे ना पडता है । 9.इसे अस्वीकृत या पाररत त ब्रकया जा सकता है , लेब्रकन राष्ट्रपब्रत द्वारा पुनब्रवयचार के ब्रलए लौर्टाया
नहीं जा सकता है ।

राज्यों और केंद्रशाहसत प्रिे शों के हलए संसि में सीर्टों का आवंर्टन (2019)

सवाय ब्रिक राज्यसभा सीर्ट ं वाले शीषय 5 राज्य – उत्तर प्रदे श (31 सीर्टे ) > महाराष्ट्र (19 सीर्टे ) > तब्रमलनाडु (18 सीर्टें ) > पब्रिम बंगाल (16 सीर्टे )/ब्रबहार
(16 सीर्टें ) > कनाय र्टक (12 सीर्टें )

सवाय ब्रिक ल कसभा सीर्ट ं वाले शीषय 5 राज्य – उत्तर प्रदे श (80 सीर्टें ) > महाराष्ट्र (48 सीर्टें ) > पब्रिम बंगाल (42 सीर्टें ) > ब्रबहार (40 सीर्टें ) >
तब्रमलनाडु (39 सीर्टें )

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वतयमान में ल कसभा में 542 सदस्य हैं। इनमें से 523 सदस्य राज्य ं से, 19 सदस्य संघ राज्य क्षेत्र ं से आते हैं । ल कसभा की अब्रिकतम संख्या 550
ह सकती है ।

वतयमान में राज्यसभा में 245 सदस्य हैं। इनमें 229 सदस्य राज्य ं का प्रब्रतब्रनब्रित्व करते हैं , 4 संघ राज्य क्षेत्र ं का प्रब्रतब्रनब्रित्व करते हैं और 12
सदस्य राष्ट्रपब्रत द्वारा मन नीत हैं । राज्यसभा में अब्रिकतम सदस्य ं की संख्या 250 ह सकती है ।

िमांक राज्य राज्य सभा की लोकसभा की ि. सं. राज्य राज्य सभा में लोकसभा में
संख्या सीर्टें सीर्टें

1. उत्तर प्रदे श 31 80 15. केरल 9 20


2. ब्रबहार 16 40 16. मध्य प्रदे श 11 29
3. उत्तराखंड 3 5 17. महाराष्ट्र 19 48
4. आं ध्र प्रदे श 11 25 18. मब्रणपुर 1 2

5. अरुणाचल प्रदे श 1 2 19. मेघालय 1 2

6. असम 7 14 20. ब्रमज़ रम 1 1

7. पब्रिम बंगाल 16 41 21. नागालैंड 1 1

8. छत्तीसगढ 5 11 22. ओब्रडशा 10 21

9. ग वा 1 2 23. पंजाब 7 13

10. गुजरात 11 26 24. राजस्थान 10 25

11. हररयाणा 5 10 25. ब्रसप्तक्कम 1 1

12. ब्रहमाचल प्रदे श 3 4 26. तब्रमलनाडु 18 39

13. झारखण्ड 6 14 27. तेलंगाना 7 17

14. कनाय र्टक 12 28 28. ब्रत्रपुरा 1 2

केन्द्र शाहसत प्रिे श


ि.सं. केन्द्र शाहसत प्रिे श राज्य सभा की लोकसभा की ि.सं. केन्द्र शाहसत राज्य सभा की लोकसभा की
सीर्टे सीर्टें प्रिे श सीर्टे सीर्टें
1 अंडमान और - 1 5 चंडीगढ - 1
ब्रनक बार द्वीप समूह
2 दादरा और नागर - 2 6 ब्रदल्ली 3 7
हवेली और दमन और
दीव
3 लक्षद्वीप - 1 7 पुडुचेरी 1 1
4 जम्मू एवं कश्मीर 4 5 8 लद्दाख - 1

रािरपहत एवं राज्यपाल की वीर्टो शक्ति की तुलना

रािरपहत राज्यपाल

सामान्य हवधेयकों से संबंहधत सामान्य हवधेयकों से संबंहधत


प्रत्येक सािारण ब्रविेयक जब वह संसद के द न ं सदन ं चाहे अलग- प्रत्येक सािारण ब्रविेयक क ब्रविानमंडल के सदन या सदन ं द्वारा पहले
अलग या संयुि बैठक से पाररत ह कर आता है त उसे राष्ट्रपब्रत के पास या दू सरे मौके पर पाररत कर इसे राज्यपाल के सम्मुख प्रस्तुत ब्रकया
मंजूरी के ब्रलए भेजा जाता है इस मामले में उसके पास तीन ब्रवकल्प हैं - जाएगा। राज्यपाल के पास चार ब्रवकल्प हैं -

• वह ब्रविेयक क स्वीकृब्रत दे सकता है ब्रफर ब्रविेयक अब्रिब्रनयम • ब्रविेयक क स्वीकृब्रत प्रदान कर सकता है ब्रविेयक ब्रफर
बन जाता है। अब्रिब्रनयम बन जाता है।

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• वह ब्रविेयक क अपनी स्वीकृब्रत र क सकता है ऐसी प्तस्थब्रत में • यह ब्रविेयक क अपनी स्वीकृब्रत र क सकता है तब ब्रविेयक
ब्रविेयक समाि ह जाएगा और अब्रिब्रनयम नहीं बन पाएगा। समाि ह जाएगा और अब्रिब्रनयम नहीं बन पाएगा।
• यब्रद ब्रविेयक क ब्रबना ब्रकसी पररवतयन के ब्रफर से द न ं सदन ं • यब्रद ब्रविेयक क ब्रबना ब्रकसी पररवतयन के ब्रफर से द न ं सदन ं
द्वारा पाररत कराकर राष्ट्रपब्रत की स्वीकृब्रत के ब्रलए भेजा जाए त द्वारा पाररत कराकर राज्यपाल की स्वीकृब्रत के ब्रलए भेजा जाए त
राष्ट्रपब्रत क उसे स्वीकृब्रत अवश्य दे नी ह ती है। इस तरह राष्ट्रपब्रत राज्यपाल क उसे स्वीकृब्रत अवश्य दे नी ह ती है । इस तरह
के पास केवल एक स्थगन वीर्ट का अब्रिकार है । SCSGYAN राज्यपाल के पास केवल स्थगन वीर्ट का अब्रिकार है ।
• वह ब्रविेयक क राष्ट्रपब्रत की केवल के ब्रलए सुरब्रक्षत रख सकता
है ।
जब क ई ब्रविेयक राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपब्रत के ब्रवचाराथय सुरब्रक्षत रखा जब राज्यपाल राष्ट्रपब्रत की स्वीकृब्रत के ब्रलए ब्रकसी ब्रविेयक क सुरब्रक्षत
जाता है त राष्ट्रपब्रत के पास तीन ब्रवकल्प हे ाते हैं – रखता है त उसके बाद ब्रविेयक क अब्रिब्रनयम बनाने में उसकी क ई
भूब्रमका नहीं रहती। यब्रद राष्ट्रपब्रत द्वारा उस ब्रविेयक क पुनब्रवयचार के
• वह ब्रविेयक क स्वीकृब्रत दे सकता है ब्रजसके बाद वह अब्रिब्रनयम
ब्रलए सदन या सदन ं के पास भेजा जाता है और उसे द बारा पाररत कर
बन जाएगा
• वह ब्रविेयक क अपनी स्वीकृब्रत र क सकता है , ब्रफर ब्रविेयक ब्रफर राष्ट्रपब्रत के पास स्वीकृब्रत के ब्रलए भेजा जाता है यही राष्ट्रपब्रत
खत्म ह जाएगा और अब्रिब्रनयम नहीं बन पाएगा। स्वीकृब्रत दे ता है त यह अब्रिब्रनयम बन जाता है। इसका तात्पयय है ब्रक जब
• वह ब्रविेयक क राज्य ब्रविानपररषद के सदन या सदन ं के पास राज्यपाल की स्वीकृब्रत की आवश्यकता नहीं रह जाता है ।
पुनब्रवयचार के ब्रलए भेज सकता है । सदन द्वारा छह महीने के भीतर
इस पर पुनब्रवयचार करना आवश्यक है । यब्रद ब्रविेयक क कुछ
सुिार या ब्रबना सुिार के राष्ट्रपब्रत की स्वीकृब्रत के ब्रलए द बारा
भेजा जाए त राष्ट्रपब्रत इसे दे ने के ब्रलए बाध्य नहीं है : वह स्वीकृब्रत
कर भी सकता है और नहीं भी।

धन हवधेयकों से संबंहधत धन हवधेयकों से संबंहधत


संसद द्वारा पाररत प्रत्येक ब्रवत्त ब्रविेयक क जब राष्ट्रपब्रत के पास क ई भी ब्रवत्त ब्रविेयक जब राज्य ब्रविानमंडल द्वारा पाररत कर राज्यपाल
स्वीकृब्रत के ब्रलए भेजा जाता है त उसके पास द ब्रवकल्प ह ते हैं – के पास स्वीकृब्रत के ब्रलए भेजा जाता हैत उसके पास तीन ब्रवकल्प ह ते हैं

• वह ब्रविेयक क स्वीकृब्रत दे सकता है ताब्रक वह अब्रिब्रनयम बन
जाए। • वह ब्रविेयक क अपनी स्वीकृब्रत दे सकता है , तब ब्रविेयक
• वह स्वीकृब्रत न दे तब ब्रविेयक समाि ह जाएगा और अब्रिब्रनयम अब्रिब्रनयम बन जाता है।
नहीं बन पाएगा। • वह ब्रविेयक क अपनी स्वीकृब्रत र क सकता है ब्रजससे ब्रविेयक
समाि ह जाता है और अब्रिब्रनयम नहीं बन जाता है ।
• यह ब्रविेयक क राष्ट्रपब्रत के ब्रवचाराथय सुरब्रक्षत रख सकता है। इस
तरह राज्यपाल ब्रवत्त ब्रविेयक क पुनब्रवयचार के ब्रलए राज्यब्रविान
सभा क वापस नहीं कर सकता।
इस प्रकार राष्ट्रपब्रत िन ब्रविेयक क संसद क पुनब्रवयचार के ब्रलए नहीं सामान्यत: उसकी पूवय अनुमब्रत के बाद ब्रविानसभा द्वारा पुर: स्थब्रपत ब्रवत्त
लौर्टा सकता। सामान्यत: राष्ट्रपब्रत ब्रवत्त ब्रविेयक ं क संसद में पुर:स्थाब्रपत ब्रविेयक क वह स्वीकृब्रत दे दे ता है । सामान्यत: उसकी पूवय अनुमब्रत के
के स्वरूप क स्वीकृब्रत दे दे ता है क्य ब्रं क इसे उसकी पूवय अनुमब्रत से बाद ब्रविानसभा द्वारा पुर:स्थाब्रपत ब्रवत्त ब्रविेयक क यह स्वीकृब्रत दे दे ता
प्रस्तुत ब्रकया गया ह ता है । इस प्रकार राष्ट्रपब्रत िन ब्रविेयक क संसद है । जब राज्यपाल राष्ट्रपब्रत के ब्रवचाराथय ब्रवत्त ब्रविेयक क सुरब्रक्षत रखता है
क पुनब्रवयचार के ब्रलए नहीं लौर्टा सकता। सामान्यत: राष्ट्रपब्रत ब्रवत्त त इस ब्रविेयक के ब्रिया – कलाप पर ब्रफर उसकी क ई भूब्रमका नहीं
ब्रविेयक ं क संसद में पुर: स्थाब्रपत के स्वरूप क स्वीकृब्रत दे दे ता है रहती। यब्रद राष्ट्रपब्रत ब्रविेयक क स्वीकृब्रत दे दे , त यह अब्रिब्रनयम बन
क्य ब्रं क इसे उसकी पूवय अनुमब्रत से प्रस्तुत ब्रकया गया ह ता है । जब ब्रवत्त जाता है । इसका अथय है ब्रक राज्यपाल की स्वीकृब्रत अब आवश्यक नहीं
ब्रविेयक ब्रकसी राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपब्रत क ब्रवचाराथय भेजा जाता है त है । इसका तात्पयय यह है ब्रक आगे चलकर राज्यपाल की मंजूरी आवश्यक
राष्ट्रपब्रत के पास द ब्रवकल्प ह ते हैं – नहीं है ।
• वह ब्रविेयक क अपनी स्वीकृब्रत दे सकता है , ताब्रक ब्रविेयक
अब्रिब्रनयम बन सके।
• वह उसे अपनी स्वीकृब्रत र क सकता है । तब ब्रविेयक खत्म ह
जाएगा और अब्रिब्रनयम नहीं बन पाएगा।

इस प्रकार राष्ट्रपब्रत ब्रवत्त ब्रविेयक क राज्य ब्रविान सभा के पास


पुनब्रवयचार के ब्रलए नहीं भेज सकता ( जैसा ब्रक संसद के मामले में)

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अध्यािे श हनमाटण में रािरपहत एवं राज्यपाल अहधकारों की तुलना

रािरपहत राज्यपाल
1. वह ब्रकसी अध्यादे श क केवल तभी प्रख्याब्रपत कर सकता है जब 1. वह ब्रकसी अध्यादे श क केवल तभी प्रख्याब्रपत कर सकता है जब
संसद के द न ं सदन या क ई एक सदन सत्र में न ह । दू सरे उपबंि से ब्रविानसभा (एक पररषदीय व्यवस्था में) सत्र में न ह या सत्र में (बहसदस्यीय
अब्रभप्राय है ब्रक राष्ट्रपब्रत तब भी क ई अध्यादे श प्रख्याब्रपत कर सकता व्यवस्था) ब्रविानमंडल के सदन सत्र में न ह । दू सरी व्यवस्था कानून के
है जब केवल एक सदन सत्र में ह क्य ब्रं क क ई भी ब्रवब्रि द नेां सदन ं अध्यादे श के बारे में तब लागू ह ती है जब केवल एक सदन (बहसदनीय
द्वारा पाररत की जानी ह ती है न ब्रक एक सदन द्वारा ब्रविेयक का द न ं व्यवस्था) सत्र में न ह क्य ब्रं क ब्रविेयक का द न ं सदन ं द्वारा पाररत ह ना
सदन ं में द्वारा पाररत ह ना जरूरी है । जरूरी है ।

2. वह ब्रकसी अध्यादे श क तभी प्रख्याब्रपत कर सकता है जब वह दे खे 2. जब वह इस बात से संतुष्ट् ह ब्रक अब ऐसी पररप्तस्थब्रतयां आ गई हैं , ब्रक
ब्रक ऐसी प्रब्रतप्तस्थब्रतयां बन गई ब्रक त्वररत कदम उठाना आवश्यक है । तुरंत कदम उठाया जाना जरूरी है त वह अध्यादे श प्रख्याब्रपत कर सकता
है ।

3. अध्यादे श ब्रनमाय ण शप्ति के मामले में उसे संसद के सह-अप्तस्तत्व में 3. अध्यादे श ब्रनमाय ण की उसकी शप्ति राज्य ब्रविानपररषद के सह अप्तस्तत्व
के समान शप्ति है । अथाय त वह उन्हीं ब्रवषय ं पर अध्यादे श जारी कर के रूप में है , यानी वह उनहीं मुद्द ं पर अध्यादे श जारी करता है , ब्रजन ब्रविान
सकता है , ब्रजनके संबंि में संसद ब्रवब्रि बनाती है । मंडल क ब्रवब्रि बनाने का अब्रिकार है ।

4. उसके द्वारा जारी क ई अध्यादे श उसी तरह प्रभावी है जैसे संसद 4. उसके द्वारा जारी अध्यादे श की शप्ति राज्य ब्रविानमंडल द्वारा जारी
द्वारा ब्रनब्रमयत क ई अब्रिब्रनयम। SCSGYAN अब्रिब्रनयम के समान ह ती है ।

5. संसद द्वारा पाररत ब्रकसी अब्रिब्रनयम की सीमाओं के बराबर ही 5. उसके द्वारा अध्यादे श की मान्यता राज्य ब्रविानपररषद के अब्रिब्रनयम के
उसके द्वारा जारी अध्यादे श की सीमाएं है । इसका मतलब उसके द्वारा बराबर है । अथाय त् उसके द्वारा जारी अध्यादे श यब्रद ब्रविानमंडल द्वारा पाररत
जारी अध्यादे श अवैि ह सकता है , यब्रद वह संसद द्वारा बना सकने करने की सीमा में नहीं ह गा त वह अवैि ह जाएगा।
य ग्य न ह ।

6. वह एक अध्यादे श क ब्रकसी भी समय वापस कर सकता है । 6. वह एक अध्यादे श क ब्रकसी भी समय वापस कर सकता है ।

7. उसकी अध्यादे श ब्रनमाय ण की शप्ति स्वैप्तच्छक नहीं है , इसका 7. उसकी अध्यादे श ब्रनमाय ण की शप्ति स्वैप्तच्छक नहीं है । इसका मतलब वह
मतलब वह क ई ब्रवब्रि बनाने या ब्रकसी अध्यादे श क वापस लेने का क ई ब्रवब्रि बनाने या ब्रकसी अध्यादे श क वापस लेने का काम केवल
काम केवल प्रिानमंत्री के नेतृत्व वाली मंब्रत्रपररषद के परामशय पर ही मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली मंब्रत्रपररषद की सलाह पर ही कर सकता है ।
कर सकता है ।

8. उसके द्वारा जारी अध्यादे श क संसद के द न ं सदनेां के सभापर्टल 8. उसके द्वारा जारी अध्यादे श क पुनब्रनब्रमयत करने के ब्रलए उसे ब्रविानमंडल
पर रख जाना चाब्रहए। के द नेां सदन ं (ब्रद्वपक्षीय व्यवस्था) में के सामने प्रस्तुत करना चाब्रहए।

9. उसके द्वारा जारी अध्यादे श सं सद का सत्र प्रारं भ ह ने के छह 9. उसके द्वारा जारी अध्यादे श राज्य ब्रविानमंडल का सत्र प्रारं भ ह ने के छह
सिाह उपरां त समाि ह जाता है , जब संसद के द न ं सदन इसे सिाह उपरां त समाि ह जाता है । यह इससे पहले भी समाि ह सकता
अस्वीकृत करने का संकल्प पाररत करे । है , यब्रद राज्य ब्रविानसभा इसे अस्वीकृत करे और ब्रविान पररषद (जहां ह )
इस अस्वीकृब्रत क सहमब्रत प्रदान करे ।

10. उसे अध्यादे श बनाने में ब्रकसी ब्रनदे श की आवश्यकता नहीं ह ती। 10. यह ब्रबना राष्ट्रपब्रत से ब्रनदे श के ब्रनम्न तीन मामल ं में अध्यादे श नहीं बना
सकता यब्रद-

• राज्य ब्रविानमंडल में इसकी प्रस्तुब्रत के ब्रलए राष्ट्रपब्रत की पूवय स्वीकृब्रत


आवश्यक ह ,
• यब्रद वह समान उपबंि ं वाले ब्रविेयक क राष्ट्रपब्रत के ब्रवचाराथय
आवश्यक माने।
• यब्रद राज्य ब्रविानमंडल का अब्रिब्रनयम ऐसा ह ब्रक राष्ट्रपब्रत की
स्वीकृब्रत के ब्रबना यह अवैि ह जाए।

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