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Study For Civil Services RO ARO 2022-23 SCSGYAN PAID MODULE @studyforcivilservices

HINDI MEDIUM - UPPSC RO ARO 2022 MODULE DAY- 99 BY SCSGYAN


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परीक्षा संबंधी अहत संभाहवत प्रश्न कराए जाते हैं ।

इहतहास (आधुहनक भारत का इहतहास)

मुस्लिम लीग का गठन – (1906)

अक्टू बर, 1906 अक्टू बर, 1906 में आगा खाां के नेतृत्व में मुस्लिम ां के शिमला प्रशतशनशिमांडल ने एक ऐसी केंद्रीय मुस्लिम सभा बनाने का
शिचार शकया शिसका उद्दे श्य मुसलमान ां के शित ां का सांरक्षण ि ।
शिसांबर, 1906 ढाका में सांपन्न अस्लखल भारतीय मुस्लिम िैशक्षक सम्मेलन के िौरान शिसांबर, 1906 में इस सम्मेलन के स्वागत सशमशत के
अध्यक्ष तथा रािनीशतक बैठक ां के सांय िक ढाका के निाब सलीमुल्लाि खान ने अस्लखल भारतीय मुस्लिम लीग के गठन का
प्रस्ताि शकया।
56 सिस्यीय अस्थायी सशमशत का चयन शकया गया और म िशसन-उल-मुल्क तथा िकार-उल-मुल्क क सांयुक्त रुप से
सांगठन का सशचि शनयुक्त शकया गया। लखनऊ में मुस्लिम लीग का मुख्यालय बनाया गया और आगा खाां इसके प्रथम
अध्यक्ष बनाए गए।
मुस्लिम लीग इस सांगठन के तीन उद्दे श्य थे –
• शिशिि सरकार के प्रशत मुसलमान ां में शनष्ठा बढाना।
• लीग के अन्य उद्दे श्य ां क शबना, िु ष्प्रभाशित शकए अन्य सांप्रिाय ां के प्रशत किु ता की भािना क बढने से र कना।
• मुसलमान ां के रािनीशतक अशिकार ां की रक्षा और उनका शिस्तार करना।
1907 िर्ष 1907 में मुस्लिम लीग का िाशर्षक अशििेिन कराची में तथा िर्ष 1908 में अमृतसर मे हुआ था। इसी अशििेिन में
मुसलमान ां के शलए पृथक शनिाष चक मण्डल की गई, ि इन्हें 1909 के माले -शमण्ट सुिार ां के द्वारा प्रिान कर शिया गया।
िर्ष 1908 में लांिन मे इसकी एक िाखा सैयि अमीर अली ने स्थाशपत की थी।
अिरार आां ि लन अिरार आां ि लन िर्ष 1906 मे िुरु शकया गया। इसके नेताओां में मौलाना मुिम्मि अली, िकीम अिमल खााँ , िसन इमाम
निरुल िक तथा मौलाना िफर अली खााँ सस्लम्मशलत थे। इन नेताओां का मानना था शक मुसलमान ां क अब शिशिि सरकार
की चािु काररता निी करनी चाशिए बस्लल्क उन्हें राष्ट्रीय आां ि लन मे भाग लेना चाशिए। इसके सिस्य ां ने भारतीय स्वतांत्रता
आां ि लन में सशिय भागीिारी की िकालत की। इसकी स्थापना 20िीां सिी के प्रारां शभक ििक में हुई थी।
1 अक्टू बर, 1906 1 अक्टू बर, 1906 क आगम खााँ के नेतृत्व मे मुसलमान ां का एक शिष्ट्मांडल तत्कालीन िायसराय लाडष शमांि से शिमला मे
शमला। शिष्ट्मांडल ने प्राांतीय, केन्द्रीय एिां स्थानीय शनकाय ां मे शनिाष चन िे तु मुसलमान ां के शलए शिशिष्ट् स्लस्थशत की माां ग की।
निाब सलीमुल्लाि लॉडष किषन की प्रेरणा से ढाका के निाब सलीमुल्लाि ने बांगाल-शिभािन समथषक आां ि लन का नेतृत्व शकया।
डब्ल्यू. डब्ल्यू. िां िर डब्ल्यू. डब्ल्यू. िां िर ने अपनी पुस्तक ि इां शडयन मुसलमान में शलखा था शक – मुसलमान यशि खुि और सांतुष्ट् िैं , त भारत में
शिशिि िस्लक्त का मित्तम बचाि ि गा।

माले-हमन्टो सुधार (1909)

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• केंद्रीय एिां प्राां तीय शििान पररर्ि में शनिाष शचत सिस्य ां की सांख्या में िृस्लि।
• गैर-सरकारी शनिाष शचत सिस्य ां की सांख्या अभी भी नामिि एिां शबना चुने हुए सिस्य ां की सांख्या से कम थी।
• मुसलमान ां के शलए पृथक सामुिाशयक प्रशतशनशित्व प्रणाली की व्यिस्था।
• शनिाष शचत सिस्य ां का चयन अप्रत्यक्ष रूप से शकया िाता था । इस प्रकार भारत में पिली बार चुनाि प्रणाली प्रारां भ हुई।
• व्यिस्थाशपका सभाओां के अशिकार ां में िृस्लि की गयी। सिस्य ां क आशथषक प्रस्ताि ां पर बिस करने , उनके शिर्य ां में सांि िन प्रस्ताि रखने ,
कुछ शिर्य ां पर मतिान करने , प्रश्न सािारण प्रश्न ां पर बिस करने तथा सािषिशनक शित के प्रस्ताि ां क प्रस्तुत करने का अशिकार शिया गया

• गिनषर िनरल की कायषकाररणी में एक भारतीय सिस्य क शनयुक्त करने की व्यस्था।
• इन सुिार ां के पीछे सरकार की मांिा थी शक राष्ट्रिाशिय ां क आपस में शिभाशित कर शिया िाये। नरमपांशथय ां एिां मुसलमान ां क लालच
िे कर सरकार के पक्ष में कर शलया िाये।
• शििान पररर्ि के सिस्य ां के उत्तरिाशयत्व ां क स्पष्ट् रूप से पररभाशर्त न करने के कारण अनेक भ्ाां शतयाां उत्पन्न ि गयी।
• शनिाष चन की पिशत बहुत ज्यािा अस्पष्ट् थी ।
• मुसलमान ां िे तु पृथक शनिाष चन प्रणाली प्रारम्भ करना कालान्तर में राष्ट्रीय एकता के शलए अत्यन्त घातक शसि हुआ।
• गाां िी ने किा था –“माले शमांि सुिार (1909 के इशडयन काउां शसल एक्ट) ने िमारा सिषनाि कर शिया।”

माले-शमांि सुिार िर्ष 1905 में लाडष किषन के स्थान पर लाडष शमांि क भारत का िायसराय शनयुक्त शकया गया तथा िॉन माले क भारत सशचि।
इनके द्वारा शकए गए सुिार ां क माले -शमांि सुिार ां के नाम से िाना िाता िै ।

शिशिि सांसि द्वारा पाररत सांिैिाशनक सुिार शिन्हें औपचाररक रुप से भारतीय पररर्ि अशिशनयम 1909 किा गया,
सामान्यतया माले-शमांि सुिार के नाम से प्रशसि िै ।
िॉिष पांचम शिशिि काल में शिल्ली से पिले भारत की राििानी कलकत्ता थी। शििे न के रािा िॉिष पांचम के भारत आगमन (12 शिसांबर,
1911) के समय बांगाल शिभािन रद्द कर भारत की राििानी कलकत्ता से शिल्ली स्थानाां तररत करने की घ र्णा की गई। लॉडष
िाशडिं ग द्वीतीय के कायषकाल में यि सफलता से शिल्ली स्थानाां तररत हुई। 1 अप्रैल, 1912 क शिल्ली राििानी बनायी गई।
िाशडिं ग बम काां ड िाशडिं ग बम काां ड, शिल्ली र्ड्यांत्र केस के रुप में प्रशसि िै । इसमें 13 व्यस्लक्तय ां क अशभयुक्त बनाया गया था। शिसमें मास्टर
अमीर चांि, िीनानाथ, भाई बालमुकुांि, बलराि भैला, बसांत कुमार, अिि शबिारी क शगरफ्तार शकया गया था। इसमें 4 ल ग ां
क फाां सी तथा 2 क 7 िर्ों के कारािास की सिा हुई थी।
िीनानाथ सरकारी गिाि बन ग या था। भगिती चरण ि िरा इसमें निीां थे। इसमें मुख्य भूशमका शनभाने िाले रास शबिारी ब स
िापान भाग गए थे तथा मुकिमें से बच गए थे।
शिसांबर,1916 शिसांबर,1916 में इां शडयन नेिनल काां ग्रेस तथा इां शडयन मुस्लिम लीग ने लखनऊ में एक िी समय अपने अशििेिन आय शित
शकए थे। ि न ां िल ां ने पृथक-पृथक रूप से सांिैिाशनक सुिार ां की सांयुक्त य िना के सांबांि में प्रस्ताि पाररत शकए और सांयुक्त
कायषिम के आिार पर रािनीशतक क्षेत्र में एक-िू सरे के साथ सिय ग करने के सांबांि में एक समझौता शकया।
यि समझौता सामान्यतया लखनऊ समझौता या काां ग्रेस-लीग-य िना के नाम से प्रशसि िै ।
अांशबका चरण अांशबका चरण मिूमिार ने लखनऊ के इस काां ग्रेस अशििेिन की अध्यक्षता की थी। िर्ष 1916 में काां ग्रेस और मुस्लिम लीग में
मिूमिार समझौता ि गया ताशक सांिैिाशनक सुिार ां की एक िी य िना अपनाई िा सके। इसके फलस्वरुप िारी 19 स्मरण-पत्र में
ि न ां िल ां के समकालीन रािनैशतक शिचार ां क साकार रूप शिया गया ।

होमरुल लीग आं दोलन –

भारत में ि मरूल लीग आां ि लन सिषप्रथम एनी बेसेंि ने प्रारां भ शकया था, यद्यशप ि मरुल लीग की स्थापना सिषप्रथम (अप्रैल, 1916) में शतलक ने की
थी।

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हतलक की होमरूल लीग

• शतलक ने अप्रैल 1916 में इसकी स्थापना की। इसकी िाखायें मिाराष्ट्र, कनाष िक, मध्य प्राां त एिां बरार में ख ली गयी। इसे छः िाखाओां में
सांगशठत शकया गया।
• शतलक ने मराठा और केसरी के माध्यम से अपनी लीग का प्रचार शकया।
• शतलक द्वारा स्थाशपत ि म रूल लीग के प्रथम अध्यक्ष ि सेफ बैपशिस्टा तथा सशचि एन. सी. केलकर थे।

एनी बेसेन्ट की होमरूल लीग

• एनी बेसेंि ने शसतम्बर 1916 में मद्रास में इसकी स्थापना की। िेर् भारत में इसकी लगभग 200 िाखायें ख ली गयीां। कालाां तर में कई अन्य
नेता ि मरूल लीग आां ि लन से िुड़ गये , शिनमें नरमपांथी काां ग्रेसी भी थे।
• एनी बेसेंि ने कॉमनिील और न्यू इां शडया के माध्यम से अपनी लीग का प्रचार शकया।
• एनी बेसेंि द्वारा स्थाशपत ि म रूल लीग के प्रथम अध्यक्ष ि सशचि िॉिष अरुांडे ल थे।
• ि मरूल आां ि लन की व्याख्या 2 िनिरी 1914 क अपने पत्र कॉमनिील में एनी बेसेंि ने की थी, शिसमें शिशिि राष्ट्रमांडल के अांतगषत
स्विासन के उद्दे श्य क ध्यान में रखकर िाशमषक स्वतांत्रता, राष्ट्रीय शिक्षा तथा सामाशिक और रािनीशतक सुिार ां क आिारभूत कायषिम
बनाया गया था। भारत में यि आां ि लन प्रथम शिश्व युि के िौरान काफी ल कशप्रय रिा।
• शथय स शफकल स साइिी की स्थापना 1875 ई. में अमेररका में मैडम ब्लािेि्की तथा कनषल अल्कॉि ने की थी। एनी बेसेंि 1889 ईसिी में
इसकी सिस्या बनी ।
• बेसेंि की लीग के सांगठन मांत्री िॉिष अरुांडे ल ने लीग के िर सिस्य से किा था शक िि लखनऊ अशििेिन में िाशमल ि ने की िर सांभि
क शिि करें ।

गांधी जी एवं उनके प्रारं हभक आं दोलन –

गााँधी जी -

गााँ िी िी का पूरा नाम म िनिास करमचांि गााँ िी


अन्य नाम बापू, मिात्मा िी, राष्ट्रशपता
िन्म 2 अक्टू बर, 1869 ई. (प रबांिर, गुिरात)
प्रारां शभक शिक्षा रािक ि में
पत्नी कस्तूरबा गााँ िी
शपता करमचांि गााँ िी (करमचांि गाां िी प रबांिर, िांकानेर एिां रािक ि राज्य ां के
िीिान थे। ये गाां िी िी के शपता थे। इनका उपनाम कबा (Kaba) गाां िी था।)
माता पुतलीबाई
बच्चे िररलाल, मशनलाल, रामिास, िे ििास गाां िी
मृत्यु 30 िनिरी, 1948 (शिल्ली में)
समाशि रािघाि (शिल्ली)
गाां िी िी के रािनीशतक ग पाल कृष्ण ग खले
गुरु
निाल इां शडयन काां ग्रेस गाां िी िी ने िशक्षण अफ्रीका में 1894 ई में निाल इां शडयन काां ग्रेस की
स्थापना की।
िॉलस्टॉय फॉमष गााँ िी िी ने िशक्षण अफ्रीका में िॉलस्टॉय फामष की स्थापना 1910 में की थी।
फीशनक्स आश्रम मिात्मा गाां िी ने फीशनक्स (डरबन, िशक्षण अफ्रीका) में िर्ष 1904 में एक आश्रम स्थाशपत शकया।
फीशनक्स आश्रम क 27 फरिरी 2000 क ि बारा ख ला गया िै ।फीशनक्स मिात्मा गाां िी द्वारा स्थाशपत प्रथम आश्रम था।
साबरमती आश्रम साबरमती आश्रम भारत के गुिरात राज्य अिमिाबाि शिले के प्रिासशनक केंद्र अिमिाबाि के समीप साबरमती निी के
शकनारे स्लस्थत िै । सत्याग्रि आश्रम की स्थापना सन् 1915 में अिमिाबाि के क चरब नामक स्थान में मिात्मा गाां िी द्वारा हुई
थी। सन् 1917 में यि आश्रम साबरमती निी के शकनारे ितषमान स्थान पर स्थानाां तररत हुआ और तब से साबरमती आश्रम
किलाने लगा।
शभशतिरिा आश्रम नील शकसान ां के शलए आां ि लन करने 27 अप्रैल 1917 क गाां िी पशिम चांपारण के शभशतिरिा गाां ि पहुां चे। यि बेशतया से 65
शकल मीिर िै । ििाां के मठ के बाबा रामनारायण िास ने गाां िी क आश्रम के शलए िमीन उपलब्ध कराई, शिस पर 16
निांबर 1917 क एक पाठिाला और एक कुशिया बनाई गई। इस तरि शभशतिरिा आश्रम ििूि में आया।
सेिाग्राम आश्रम सेिाग्राम आश्रम 1936 में गाां िी िी द्वारा स्थाशपत अांशतम मित्वपूणष आश्रम िै ि सेिाग्राम में स्लस्थत िै । मिाराष्ट्र के नागपुर से
80 शकल मीिर की िू री पर यि आश्रम बना िै ।
इां शडयन ओशपशनयन िशक्षण अफ्रीका में उन्ह न ां े इां शडयन ओशपशनयन नामक अखबार शनकाला ( यि गुिराती, शिां िी, तशमल और अांग्रेिी में
प्रकाशित ि ता था)
गाां िीिी ने लुई शफिर “मैं सच्चा समाििािी हाँ। मेरे समाििाि का अथष िै सिोिय।”( गाां िीिी के समाििाि मे माक्सषिाि की भी झलक शमलती

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से स्वयां किा िै ।)
1893 गाां िीिी 24 िर्ष की उम्र में 1893 ई. में एक गुिराती व्यापारी िािा अब्दु ल्ला का मुकिमा लड़ने के शलए िशक्षण अफ्रीका
(डरबन) गए थे। िि अफ्रीका में लगभग 21 िर्ष रिे थे। िनिरी, 1915 में भारत लौिे ।
चांपारण सत्याग्रि मिात्मा गाां िी ने भारत के स्वतांत्रता सांघर्ष के िौरान िर्ष 1917 में चांपारन (शबिार) से सत्याग्रि प्रारां भ शकया। यि गाां िीिी का
भारत में पिला सफल सत्याग्रि था।
पुस्तक Unto This मिात्मा गाां िी ने अपने ि. अफ्रीका प्रिास के िौरान िॉन रस्लकन की पुस्तक Unto This Last पढी थी। गाां िीिी ने अपनी
Last आत्मकथा में शलखा िै शक इस पुस्तक ने उनके िीिन क पररिशतषत कर शिया।
थ र , रस्लकन और िमषशनरपेक्ष लेखक ां मे गाां िीिािी शिचारिारा क थ र , रस्लकन और िॉलस्टाय ने सबसे अशिक प्रभाशित शकया। गाां िीिी ने
िॉलस्टाय थ र से सशिनय अिज्ञा और कर बांिी की प्रेरणा पाई। रस्लकन से गाां िीिी ने िारीररक पररश्रम का आिर करना सीखा तथा
िॉलस्टॉय के प्रशसि िाक्य “ईश्वर का िास तुम्हारे भीतर िै ” से गाां िीिी काफी प्रभाशित हुए और उनके अशिां सक असिय ग
का आिार बना।
चांपारण, अिमिाबाि 1917 और 1918 के आरां भ में गाां िीिी ने तीन सांघर्ों – चांपारन आां ि लन (शबिार), अिमिाबाि और खेड़ा (ि न ां गुिरात)
और खेड़ा आां ि लन मे शिस्सा शलया। चाां परन तथा खेड़ा आां ि लन शकसान ां का आां ि लन था, िबशक अिमिाबाि का आां ि लन औद्य शगक
मििू र ां का आां ि लन था।
पां. रािकुमार िुक्ल मिात्मा गाां िी क चांपारन आने तथा कृर्क ां की समस्या की िाां च करने के शलए पां. रािकुमार िुक्ल ने रािी शकया था तथा
चांपारन समस्या की िाांच मे गाां िीिी के सिय शगय ां में आचायष िे.बी. कृपलानी के साथ डॉ. रािेन्द्र प्रसाि, मिािे ि िे साई,
सी.एफ. एन्डूि, डा. अनुग्रि नारायण शसांि, राि शकि र प्रसाि, एच.एस. प लाक इत्याशि िाशमल थे।
एन.िी. रां गा एन.िी. रां गा ने मिात्मा गाां िी के चांपारन सत्याग्रि का शिर ि शकया था, िबशक रबीन्द्रनाथ िै ग र ने चांपारन सत्याग्रि के
िौरान िी इन्हें मिात्मा की उपाशि िी थी।
6 िुलाई, 1944 6 िुलाई, 1944 क सुभार् चन्द्र ब स ने आिाि शिां ि रे शडय पर ब लते हुए गाां िीिी क सांब शित शकया – भारत की
स्वािीनता का आस्लखरी युि िुरु ि चुका िै । राष्ट्रशपताः भारत की मुस्लक्त के इस पशित्र युि में िम आपका आिीिाषि और
िुभकामनाएां चािते िैं ।
मिात्मा गाां िी क सिषप्रथम राष्ट्रशपता सुभार् चन्द्र ब स ने किा था।

मिात्मा गाां िी ने शििे िी िस्त् ां क नष्ट् करने क राष्ट्र के आत्मसम्मान से ि ड़ते हुए किा था शक “शििे िी िस्त् ां की बबाष िी िी उनके साथ सिोत्तम
व्यििार िै ”।

गाां िी िी ने िाशतशििीन अछूत ां की ििा में सुिार के शलए कठ र सांघर्ष शकया, गाां िी िी किते थे शक “िररिन सेिा मेरा िीिन श्वास िै , इसशलए
इसके शबना मैं एक क्षण भी शिांिा निीां रि सकता”।

गाां िी िी की मृत्यु पर पांशडत ििािरलाल नेिरु ने किा था – िमारे िीिन से प्रकाि चला गया िै । िमारे चतुशिष क अांिकार िी अांिकार िै , मैं निीां
समझ पा रिा हाँ शक आपसे क्या कहां और कैसे कहां ? राष्ट्रपता, शिन्हें िम प्यार से बापू किते थे, िमारे बीच निीां रिे ....।

ऑल इं हिया ट्र े ि यूहनयन कांग्रेस

अस्लखल भारतीय िर े ड भारत में िर े ड यूशनयन काां ग्रेस (अस्लखल भारतीय िर े ड यूशनयन काां ग्रेस) की स्थापना एन एम ि िी द्वारा 31 अक्टू बर , 1920
यूशनयन काां ग्रेस क बांबई में की गई । इसकी स्थापना का कारण िर्ष 1919 में अांतरराष्ट्रीय श्रम सांगठन की स्थापना था।
इसके प्रथम अध्यक्ष लाला लािपत राय थे तथा उपाध्यक्ष ि सेफ बैपशिस्टा एिां मिामांत्री िीिान चमन लाल बिाि थे।
इस सांगठन का प्रथम शिभािन िर्ष 1929 में नागपुर अशििेिन में हुआ। इस समय ििािरलाल इसके अध्यक्ष थे।
कम्युशनस्ट इां िरनेिनल कम्युशनस्ट इां िरनेिनल की स्थापना माचष 1919 में व्लाशिमीर इस्लिच लेशनन और रूसी पािी (ब ल्िेशिक) द्वारा की गई।
एम एन राय लेशनन के शनमांत्रण पर मॉक गए तथा कम्युशनस्ट इां िरनेिनल के सिस्य बने । कम्युशनस्ट इां िरनेिनल के
सिस्य बनने िाले िे पिले भारतीय थे।
'कानपुर र्ड्यांत्र कम्युशनस्ट आां ि लन की िस्लक्त एिां बढते प्रभाि क र कने के शलए कानपुर में एक र्ड्यांत्र क आिार बनाकर कुछ
कम्युशनस्ट ां पर मुकिमा चला । यि मुकिमा ' कानपुर र्ड्यांत्र ' के नाम से प्रशसि िै । इस र्डयांत्र में मुिफ्फर अिमि,
नलीनी गुप्ता और िौकत उसमानी िाशमल थे।
मद्रास मििू र सांघ िी. पी. िाशडया के नेतृत्व में िर्ष 1918 में स्थाशपत मद्रास मििू र सांघ भारत का प्रथम आिुशनक मििू र सांघ सांगठन था।
इसके िीघ्र बाि बांबई में ि , कलकत्ता में एक (भारतीय नाशिक सांघ)और मद्रास में 4 मििू र सांघ बने।
अिमिाबाि िे क्सिाइल अिमिाबाि िे क्सिाइल लेबर एस शसएिन की स्थापना िर्ष 1918 में मिात्मा गाां िी ने की थी।
लेबर एस शसएिन
1926-1939 ई. िर े ड यूशनयन आां ि लन के िाां शतकारी चरण का समय 1926-1939 तक माना िाता िै । इस िौरान एम.एन. रॉय
,मुिफ्फर अिमि, श्रीपाि ए. डाां गे , िौकत उस्मानी आशि भारत में िर े ड यूशनयन आां ि लन के प्रमुख नेता थे।
रे शडकल डे म िेशिक िल िर्ष 1940 में रे शडकल डे म िेशिक िल की स्थापना एम.एन. रॉय ने की थी।
भारतीय ब ल्िेशिक लेशनन अिीत राय एिां इां द्रसेन ने िर्ष 1941 में भारतीय ब ल्िेशिक लेशनन िल की स्थापना की थी ।

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िल
िाां शतकारी साम्यिािी िल स मेंद्रनाथ िै ग र ने िर्ष 1934 ई. में ररि िूिनरी कम्युशनस्ट पािष ऑफ इां शडया (िाां शतकारी साम्यिािी िल) की स्थापना
की थी।
मेरठ र्ड्यांत्र मामले 1929-33 के बीच हुए मेरठ र्ड्यांत्र मामले में 33 श्रशमक नेताओां पर रािद्र ि का मुकिमा चलाया गया। इसकी समस्त
सांसार में चचाष हुई और प्र फेसर आइां स्टीन, एच.िी. िेल्स, िै राल्ड लाकी, र मार लाां तथा रुििेल्ट ने इसकी किु
आल चना की।
17 अक्टू बर, 1920 17 अक्टू बर, 1920 क एम.एन. राय ने अिनी मुखिी, म . अली और म . िफीक के साथ शमलकर तािकांि में भारतीय
कम्युशनस्ट पािी की स्थापना की।

जहलयांवाला बाग हत्याकांि (13 अप्रैल, 1919)

• िशलयााँिाला बाग़ अमृतसर, पांिाब राज्य में स्लस्थत िै। इस स्थान पर 13 अप्रैल, 1919 ई. क अांग्रेज ां की सेनाओां ने भारतीय प्रििषनकाररय ां
पर अांिािुांि ग शलयााँ चलाकर बड़ी सांख्या में उनकी ित्या कर िी। इस ित्यारी सेना की िु कड़ी का नेतृत्व शिशिि िासन के अत्याचारी
िनरल डायर ने शकया।
• िशलयााँिाला बाग़ ित्याकाां ड आि भी शिशिि िासन के िनरल डायर की किानी किता नजर आता िै , िब उसने सैकड़ ां शनिोर् िे िभक्त ां
क अांिािुांि ग लीबारी कर मार डाला था। िि तारीख आि भी शिश्व के बड़े नरसांिार ां में से एक के रूप में ििष िै ।
• िशलयाांिाला बाग में हुए नरसांिार ने भारतीय ां और कई शिशिि ां क भी झकझ र शिया। भारत के शििे ि मांत्री एडशिन माां िेग्यू ने आिे ि शिया
शक इस मामले की िााँ च के शलए एक िााँ च सशमशत बनाई िाए।
• इसशलए, 14 अक्टू बर, 1919 क , भारत सरकार ने ित्या िाां च सशमशत के गठन की घ र्णा की, शिसे और अशिक व्यापक रूप से और
शिशभन्न रूप से िां िर कमेिी / आय ग के नाम से िाना िाने लगा, शिसका अध्यक्ष लॉडष शिशलयम िां िर, पूिष सॉशलशसिर-िनरल था कॉिलैंड
और कॉिलैंड में कॉलेि ऑफ िस्लस्टस के सीनेिर के शलए।
• आय ग का उद्दे श्य "बॉम्बे , शिल्ली और पांिाब में िाल की गड़बशड़य ां की िाां च करना, उनके कारण ां और उनके साथ सामना करने के शलए
शकए गए उपाय "ां था।
• सिस्य ां में तीन भारतीय थे , अथाष त्, सर शचमनलाल िररलाल सीतलिाड, बॉम्बे शिश्वशिद्यालय के कुलपशत और बॉम्बे उच्च न्यायालय के
अशििक्ता; पांशडत िगत नारायण, िकील और सांयुक्त प्राां त के शििान पररर्ि के सिस्य; और सरिार साशिबिािा सुल्तान अिमि खान,
ग्वाशलयर राज्य के िकील।

रिीांद्र नाथ िै ग र 13 अप्रैल 1919 क िशलयाां िाला बाग नरसांिार की हृिय-शििारक घिना के बाि रशिांद्र नाथ िै ग र ने शिशिि सरकार द्वारा
प्रिान की गई 'नाइिहुड' की उपाशि लौिा िी ।
िांकरन नायर िशलयाांिाला बाग ित्याकाां ड के शिर ि में िांकरन नायर ने िायसराय की कायषकाररणी से इस्तीफा िे शिया था।
िां िर कमीिन िशलयाांिाला बाग ित्याकाां ड (13 अप्रैल, 1919) की िाां च िे तु शिशिि सरकार ने िां िर कमीिन का गठन शकया था। इस
कमीिन में सी. एच. सीतलिाड , पांशडत िगत नारायण एिां सुल्तान अिमि खान भारतीय सिस्य थे। कमीिन ने माचष 1920
में अपनी ररप िष प्रस्तुत की शिसमें इस िु घषिना के शलए सरकार क ि र्ी निीां बताया गया।
िनरल डायर िशलयाांिाला ित्याकाां ड के कारण िनरल डायर क उसके अपराि के शलए नौकरी से ििना पड़ा शकांतु शितानी अखबार ां ने
उसे ' शिशिि साम्राज्य का रक्षक ' और शितानी लॉडष सभा ने उसे ' शिशिि साम्राज्य का िेर ' किा। सरकार ने उसकी
सेिाओां के शलए उसे ' मान की तलिार ' की उपाशि िी।
ऊिम शसांि माचष 1940 में पांिाब के िाां शतकारी नेता ऊिम शसांि ने िशलयाां िाला बाग के नरसांिार का बिला लेने के शलए इस ित्याकाांड

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के समय पांिाब के गिनषर रिे सर माइकल ओ डायर की लांिन में ित्या कर िी थी। शिसके शलए उन्हें शगरफ्तार कर मृत्युिांड
िे शिया गया।
मिात्मा गाां िी िशलयाांिाला बाग नरसांिार (13 अप्रैल, 1919) पर काां ग्रेस िाां च सशमशत की ररप िष के प्रारूप क शलखने का कायष मिात्मा
गाां िी क सौांपा गया था।
' शनिारक ित्या िशलयाांिाला बाग नरसांिार क माां िेग्यू ने ' शनिारक ित्या ' की सांज्ञा िी। िीनबांिु सी. एफ. एडरांि ने इस ित्याकाां ड क िान-
बूझकर की गई िूर ित्या किा था।
रौलेि एक्ट लॉडष चेम्सफ डष िर्ष 1916 से 1921 के मध्य भारत के िायसराय रिे। इन्हीां के कायषकाल में 1919 में रौलेि एक्ट पाररत हुआ
था।
रौलेि एक्ट क शबना िकील, शबना अपील, शबना िलील का कानून या काला कानून किा िाता िै । इसके तित शिशिि
सरकार शकसी भी व्यस्लक्त पर शबना शकसी कारण बताए शगरफ्तार कर सकती थी। इसके शिर ि में स्वामी श्रध्िानांि ने लगान
ने िे ने का आां ि लन चलाने का सुझाि शिया था।
ि अनाशकषकल एां ड ि अनाशकषकल एां ड ररि िूिनरी िाइम एक्ट 1919 क सामान्य ब ल चाल में रौलेि एक्ट किा िाता था। यि एक्ट
ररि िूिनरी िाइम न्यायािीि शसडनी रौलेि की अध्यक्षता में गशठत सशमशत के सुझाि ां के आिार पर पाररत शकया गया।
एक्ट 1919
अस्लखल भारतीय अस्लखल भारतीय रािनीशत में गाां िी का पिला सािशसक किम रौलेि एक्ट के शिरुि िर्ष 1919 में प्रारां भ सत्याग्रि था। गाां िी
रािनीशत िी ने रौलेि सत्याग्रि के शलए तीन रािनीशतक मांच का उपय ग शकया था - ि मरूल लीग , स्लखलाफत एिां सत्याग्रि सभा।

असहयोग आं दोलन और स्लिलाफत आं दोलन –

स्लिलाफत आं दोलन -

• 1919-22 के िौरान, अांग्रेि ां का ि िन आां ि लन -ां स्लखलाफत और असिय ग के माध्यम से शिर ि शकया गया। िालाां शक ि न ां आां ि लन
अलग-अलग मुद्द ां से उभरे , उन्ह न
ां े एक सामान्य कायषिम क अपनाया- ि अशिां सक गैर-पक्षपाती िै ।
• स्लखलाफत का मुद्दा सीिे भारतीय रािनीशत से िुड़ा निीां था, लेशकन इसने आां ि लन क तत्काल पृष्ठभूशम प्रिान की और अांग्रेि ां के स्लखलाफ
शिां िू-मुस्लिम एकता क मिबूत करने का एक अशतररक्त लाभ शिया।

'अस्लखल भारतीय श़िलाफ़त मिात्मा गााँ िी ने 1919 ई. में 'अस्लखल भारतीय श़िलाफ़त सशमशत' का अशििेिन अपनी अध्यक्षता में शकया।
सशमशत'
स्लखलाफत कमेिी स्लखलाफत आां ि लन प्रारां भ करने के शलए गशठत स्लखलाफत कमेिी में िौकत अली, म िम्मि अली, अब्दु ल कलाम
आिाि, िकीम अिमल खान िसरत म िानी तथा डॉक्टर अांसारी िाशमल थे।
स्लखलाफत आां ि लन प्रारां भ करने का श्रेय मुख्यतः अली बांिुओां िौकत अली और मुिम्मि अली क शिया िाता िै

23 निांबर 1919 शिल्ली में 23 निांबर 1919 क ि ने िाली स्लखलाफत कमेिी के सम्मेलन की अध्यक्षता मिात्मा गाां िी क प्रिान
की गई। शिसांबर , 1919 में हुए भारतीय राष्ट्रीय काां ग्रेस के अमृतसर अशििेिन से स्लखलाफत आां ि लन क और
अशिक बढािा शमला।
िकीम अिमल खाां िकीम अिमल खाां ने स्लखलाफत आां ि लन के िौरान िाशिक-उल-मुल्क की पििी त्याग िी थी ।यि पििी
शिशिि सरकार द्वारा िर्ष 1908 में उन्हें प्रिान की गई थी।
मुिम्मि अली शिन्ना मुिम्मि अली शिन्ना (िब िे राष्ट्रपशत थे) स्लखलाफत आां ि लन क िे ि की स्वतांत्रता के आां ि लन से ि ड़ने के
शिर िी थे। उन्ह नां े गाां िी िी क रािनीशत में िमष ना लाने की सलाि िी थी।
उन्ह न
ां े स्लखलाफत आां ि लन में गाां िीिी की भागीिारी के शिरुि गाां िी िी क साििान शकया था शक िे मुस्लिम
िाशमषक नेताओां और उनके अनुयाशयय ां के कट्टरपन क प्र त्साशित ना करें ।
स्लखलाफत आां ि लन में गाां िी िी के मौलाना मुिम्मि अली , िौकत अली , अब्दु ल कलाम आिाि , िकीम अिमल खाां और िसरत म िानी
प्रमुख सिय गी स्लखलाफत आां ि लन में गाां िी िी के प्रमुख सिय गी थे ।

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शसतांबर 1920 शसतांबर 1920 में कलकत्ता में हुए काां ग्रेस के अशििेिन का प्रमुख मुद्दा िशलयाां िाला बाग काां ड और स्लखलाफत
आां ि लन था । स्लखलाफत आां ि लन में मिन म िन मालिीय सस्लम्मशलत निी हुए थे तथा उन्ह न ां े इस आां ि लन में
काां ग्रेस की भागीिारी का शिर ि शकया था।
अस्लखल भारतीय स्लखलाफत कमेिी शसतम्बर 1919 में अस्लखल भारतीय स्लखलाफत कमेिी का गठन शकया गया था।
शिां िू-मुस्लिम एकता गाां िी िी ने स्लखलाफत आां ि लन क शिां िू-मुस्लिम एकता का एक सुनिरा अिसर माना। अतः इस आां ि लन का
पररणाम शिां िू-मुस्लिम एकता के रुप में आमने आया। तुकी के प्रश्न पर, शििे न के प्रशत आि ि ने मुसलमान ां क
शिां िुओ के समीप ला शिया था।
4 अप्रैल, 1919 4 अप्रैल, 1919 क शिल्ली की िामा मस्लिि के प्रिचन से स्वामी श्रध्िानन्द ने शिां िू मुस्लिम एकता पर लगभग
30000 मुस्लिम ां के समक्ष भार्ण शिया था।
असहयोग आं दोलन –

• गाां िी िी द्वारा असिय ग आां ि लन 1 अगस्त 1920 क प्रारां भ शकया गया। पशिमी भारत , बांगाल तथा उत्तरी भारत में असिय ग आां ि लन क
अभूतपूिष सफलता शमली। असिय ग आां ि लन के िौरान िी म तीलाल नेिरू, लाला लािपत राय, सरिार िल्लभभाई पिे ल , ििािरलाल
नेिरू तथा रािेंद्र प्रसाि न्यायालय का बशिष्कार कर आां ि लन में कूि पड़े थे।
• 5 निांबर 1920 क ऑल इां शडया काां ग्रेस कमेिी के अशििेिन में गाां िी िी ने असिय ग आां ि लन िुरू ि ने के ' 1 िर्ष के भीतर स्वराि '
प्राप्त करने का नारा शिया। इसके साथ िी सरकारी उपाशि , कूल न्यायालय ां तथा शििे िी सामान ां का पूणषतः बशिष्कार की य िना भी
थी।असिय ग आां ि लन की अनेक सफलताएां िै , इसी आां ि लन ने पिली बार िे ि की िनता क इकट्ठा शकया।

शसतांबर, 1920 शसतांबर, 1920 में कलकत्ता में सांपन्न भारतीय राष्ट्रीय काां ग्रेस के शििेर् अशििेिन में मिात्मा गाां िी ने असिय ग के
प्रस्ताि क प्रस्ताशित शकया था शिसका सी.आर. िास ने शिर ि शकया था।
शिसांबर, 1920 शिसांबर, 1920 में नागपुर में सांपन्न काां ग्रेस के िाशर्षक अशििेिन में असिय ग प्रस्ताि पर व्यापक चचाष हुई तथा
इसका अनुसमथषन शकया गया। नागपुर अशििेिन में असिय ग प्रस्ताि सी. आर. िास ने िीां प्रस्ताशित शकया था।
कैसर-ए-शिां ि ' शिस समय गाां िी िी भारत आए (1915) उस समय प्रथम शिश्व युि चल रिा था उन्ह न ां े सरकार के युि प्रयास ां में
मिि की, शिसके शलए सरकार ने उन्हें ' कैसर-ए-शिां ि ' के सम्मान से सम्माशनत शकया , शिसे उन्ह न ां े असिय ग
आां ि लन में िापस कर शिया।
राय बिािु र ' की उपाशि िमनालाल बिाि ने अपनी ' राय बिािु र ' की उपाशि िापस कर िी।
1 अगस्त 1920 बाल गांगािर शतलक ने असिय ग आां ि लन क समथषन शिया , परां तु इस आां ि लन के प्रथम शिन 1 अगस्त 1920
क उनकी मृत्यु ि िाने के कारण िि इसका पररणाम निीां िे ख सके।

अस्लखल भारतीय काां ग्रेस सशमशत 24 फरिरी 1922 क आय शित अस्लखल भारतीय काां ग्रेस सशमशत की शिल्ली में बैठक हुई शिसमें ऐसी सभी
की शिल्ली गशतशिशिय ां पर र क लगा िी गई शिनसे कानून का उल्लांघन ि ता िै । इसी अशििेिन में असिय ग आां ि लन
िापस लेने के कारण डॉक्टर मुांिे के द्वारा गाां िी िी के स्लखलाफ शनांिा प्रस्ताि लाया गया।
रशिांद्र नाथ िै ग र असिय ग आां ि लन के िौरान रशिांद्र नाथ िै ग र ने शििे िी िस्त् ां क िलाए िाने क ' अशििेकी ि शनष्ठु र बबाष िी '
किा था।
बनारस शिां िू शिश्वशिद्यालय मिन म िन मालिीय ने 1916 में बनारस शिां िू शिश्वशिद्यालय की स्थापना की थी और 1919 से 1938 तक िे इसके
कुलपशत बने रिे ।
कािी शिद्यापीठ बनारस 1920 ई. में स्थापना
गुिरात शिद्यापीठ अिमिाबाि 1920 ई. में स्थापना
िाशमया शमशलया इिाशमया 1920 में स्थाशपत ि बाि में शिल्ली ले िाया गया।
अलीगढ
िकालत छ ड़ी असिय ग आां ि लन के िौरान सी.आर. िास, म तीलाल नेिरु, रािेन्द्र प्रसाि, ििािरलाल नेिरु, शिठ्ठलभाई पिे ल
एिां िल्लभभाई पिे ल ने अपनी िकालत छ ड़ िी थी।

चौरी-चौरा कांि (4 फरवरी, 1922)

• 'चौरी चौरा काां ड' 4 फरिरी 1922 क शिशिि भारत में सांयुक्त राज्य के ग रखपुर शिले के चौरी चौरा में हुई थी, िब असिय ग आां ि लन में
भाग लेने िाले प्रििषनकाररय ां का एक बड़ा समूि पुशलस के साथ शभड़ गया था। ििाबी कारष िाई में प्रििषनकाररय ां ने िमला शकया और एक
पुशलस स्टे िन में आग लगा िी थी, शिससे उनके सभी कब्जेिारी मारे गए।
• इस घिना के कारण तीन नागररक ां और 22 पुशलसकशमषय ां की मौत हुई थी। मिात्मा गाां िी, ि शिां सा के सख्त स्लखलाफ थे , ने इस घिना के
प्रत्यक्ष पररणाम के रूप में 12 फरिरी 1922 क राष्ट्रीय स्तर पर असिय ग आां ि लन क र क शिया था।चौरी-चौरा काां ड के अशभयुक्त ां का
मुक़िमा पांशडत मिन म िन मालिीय ने लड़ा और उन्हें बचा ले िाना उनकी एक बड़ी सफलता थी।

पररणाम –

• इस घिना के तुरन्त बाि गाां िीिी ने असिय ग आन्द लन क समाप्त करने की घ र्णा कर िी। बहुत से ल ग ां क गाां िीिी का यि शनणषय
उशचत निीां लगा। शििेर्कर िाां शतकाररय ां ने इसका प्रत्यक्ष या पर क्ष शिर ि शकया।

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• 1922 की गया काां ग्रेस में प्रेमकृष्ण खन्ना ि उनके साशथय ां ने रामप्रसाि शबस्लस्मल के साथ कन्धे से कन्धा शभड़ाकर गाां िीिी का शिर ि शकया।

असहयोग आं दोलन से जुडे व्यस्लि –

• मिात्मा गाां िी • शसांगारिेलु चेशट्टयार • ििाां गीर फ्र िे सेथना


• सी.आर. िास • कड ां ा िेंकिापाया • सीतलिाड़
• ििािर लाल नेिरु • ए. कालेश्वर राि • कुन्हम्मि िािी
• िे. एम. सेन गुप्ता • िी. प्रकािम • कालाशथांगल माम्मि
• बसांती िे िी • पट्टाशभ सीतारमैया • अली मुसशलयार
• िीरे न्द्रनाथ सैमसल • िु ग्गी राला ग पाला कृष्णैय्या • सीथी क या थांगल
• शितेन्द्रनाथ बनिी • एन.सी. बारि ल ई • इम्बेची क या थांगल
• सुभार् चन्द्र ब स • अांशबका शगरर राय चौिरी • के. माििन नायर
• अली बांिु (िौकत अली और मुिम्मि • मुिफ्फर अिमि • यू ग पाला मेनन
अली) • स मेश्वर प्रसाि चौिरी • याकूब िसन
• म ती लाल नेिरु • पुरुर् त्तम िास िां डन • पी. म इद्दीन क या
• लाला लाि पत राय • गणेि िांकर शिद्याथी • मुिम्मि उस्मान
• रािेन्द्र प्रसाि • ग शिांि िल्लभपांत • स्वामी शिश्वानांि
• सरिार बल्लभ भाई पिे ल • लालबिािु र िास्त्ी • शकिन शसांि एिां म िा शसांि
• म तीलाल तेिाित • प्रेमचांद्र • ियरामिास िौलतराम
• अलूरी सीताराम रािू • बाबा रामचांद्र • स्वामी ग शिांिानांि
• िसरत म िानी • ए. िाि नईम • एस. ए. डाां गे
• पुरुर् त्तम िास ठाकुरिास • एम. एन. राय • आर.एस. शनम्बकर
• िमनािास • भगिान अिीर • बी.डी. सथाये
• द्वारकािास • ि गलेकर • आर. िी. नािकणी
• एस.िी. िे िपाां डे • थीरु शिका

• अस्लखल भारतीय व्यापार सांघिन काां ग्रेस का गठन 31 अक्टू बर 1920 क मुांबई में लाला लािपत राय, ि सेफ बैशिस्टा, एन एम ि िी, िीिान
चमन लाल ने शमलकर स्थाशपत शकया था।
• नाशसक शिले के कलेक्टर िैक्सन की ित्या के मामले में नाशसक र्डयांत्र केस के तित िी डी सािरकर क 1911 ई में अण्डमान और
शनक बार द्वीप समूि की सेिुलर िेल (काला पानी) में आिीिन कारािास की सिा िी गयी थी।
• भारत का पिला इस्पात सांयांत्र 1907 में िमिेििी नुसािानिी िािा द्वारा शबिार के साकची नामक स्थान पर स्थाशपत करिाया गया था।
• नागालैंड की रानी गैशिनशलयु ने गाां िीिी के आह्वान पर शििे िी िासन के शिरुि शिद्र ि शकया था और उन्हें आिीिन कारािास की सांज्ञा िी
गई थी। अांकल िॉम्स केशबन की तरि उसी प्रकार के बांगाली पुस्तक “कुली काशिनी” के लेखक पांशडत राम कुमार शिद्या रत्न िैं ।
• 1942 में बांगाल की िामपांथी मशिला नेताओां ने “मशिला आत्मरक्षण सशमशत” की स्थापना की थी। इस सशमशत की प्रमुख नेत्री रानी शमत्र
िासगुप्ता, मशणकुांतला सेन और रे णु चििती थी।
• ििािर लाल नेिरु ने 1929 में लािौर अशििेिन में किा था शक – काां ग्रेस क ई श्रशमक सांगठन निीां, िरन िर तरि के ल ग ां का एक बड़ा
समूि िै । पी एम बापि ने 1922 में मुल्िी डै म सत्याग्रि का नेतृत्व शकया था। ऑल इां शडया शडप्रेस्ड क्लास एस शसएिन के प्रथम अध्यक्ष
एम.सी. रािा थे।
• 1927 में मद्रास शििानसभा के शलए नामाां शकत की िाने िाली प्रथम मशिला मुथुलक्ष्मी थी। कशपल राि सम्मेलन का सांबांि बारि ली सत्याग्रि
से िै । डाां डी, गुिरात के नौसारी शिले में स्लस्थत िै । सकुषलर-ए-आिािी नामक पररपत्र से रामनाथ पुरी सांबांशित िैं ।
• म तीलाल नेिरु ने लाला लािपत राय क ‘शप्रांस एमांग पीस मे कसष’ किा था। 1920 में बाल गांगािर शतलक की मृत्यु पर गाांिी िी ने किा था
शक – मेरा सबसे मिबूत बचाि चला गया।
• सिषप्रथम बांगाल के भ लानाथ चन्द्र ने स्विे िी आन्द लन की शिचारिारा की िकालत की थी। कैस्लिि पैम्फलेि 1933 ई का िीर्षक – नाऊ
आर नेिर आर.िी.िू शलि फॉर पेररस फॉर एिर था। इस पैम्फलेि में पाशकस्तान िब्द क प्रथम बार प्रस्तुत शकया गया था।
• िेडरिनष ने ए. ओ. ि्यूम की िीिनी शलखी थी, ि 1913 में प्रकाशित हुई थी। मुस्लिम लीग ने कराची अशििेिन 1943 में प्रस्ताि पास कर
“बााँ ि और छ ड़ का नारा” शिया था।
• कानपुर में 1925 में स्थाशपत कम्यूशनस्ट पािी ऑफ इां शडया का अशििेिन शिांगारिेलु चेशट्टयार की अध्यक्षता में हुआ था। अशश्वनी कुमार ित्त
ने काां ग्रेस के अशििेिन ां क ‘तीन शििसीय तमािा’ किा िै । ‘घुिने िे क कर मैंने र िी माां गी थी और बिले में मुझे पत्थर शमला’ यि कथन
गाां िी िी ने िाण्डी माचष में शिया था।
• सरिार बल्लभभाई पिे ल ने भारत छ ड़ आह्वान क अशद्वतीय आन्द लन किा िै । मिािे ि ग शिांि रानाडे के शिष्य ग पाल कृष्ण ग खले क
शित्तीय मामल ां की अशद्वतीय समझ और उस पर अशिकारपूिषक बिस करने की क्षमता से उन्हें भारत का 'ग्लेडस्ट न' किा िाता िै ।

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• 1936 में ििािरलाल नेिरु ने शलखा था शक मैं इस बात से आश्वस्त हाँ शक शिश्व और भारत की समस्याओां का अांशतम समािान समाििाि िै ।
ििािरलाल नेिरु क समाििािी किा गया िै ।
• “मेरा प्रत्येक लघुतम कायषकलाप उस द्वारा शनिे शित ि ता िै , शिसे मैं िमष समझता हाँ ” यि कथन मिात्मा गाां िी से सांबांशित िै । र माां र लाां ने
मिात्मा गाां िी क ‘प्र फेिनल रीडसष’ की सांज्ञा िी थी।
• नमक सत्याग्रि के समय गााँ िीिी के शगरफ्तार कर शलए िाने पर आन्द लन के नेता का स्थान अब्बास तैय्यबिी ने ग्रिण शकया। मगनलाल
गााँ िी की मृत्यु पर मिात्मा गााँ िी ने किा था – उनकी मृत्यु ने मुझे शििुर बना शिया िै ।

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भारतीय राज्यव्यवस्था

संहवधान सभा के हलए हुए चुनावों के पररणाम जुलाई-अगस्त 1946

संहवधान सभा के हलए हुए चुनावों के पररणाम जुलाई-अगस्त 1946 संहवधान सभा 1946 में समुदाय आधाररत प्रहतहनहधत्व
दल का नाम सीट्ें जीती ं समुदाय शस्लि
काां ग्रेस 208 शिन्िू 163
मुस्लिम लीग 73 मुस्लिम 80
यूशनयशनस्ट पािी 1 अनुसूशचत िाशत 31
यूशनयशनस्ट मुस्लिम्स 1 भारतीय ईसाई 6
यूशनयशनस्ट िेड्यूल्ड कास्ट् स 1 शपछड़ी िनिाशतयाां 6
कृर्क प्रिा पािी 1 शसख 4
िेड्यूल्ड कास्ट फेडरे िन 1 एां ग्ल -इां शडयन 3
शसख (नॉन काां ग्रेस) 1 पारसी 3
काम्युशनस्ट पािी 1 कुल 296
इां शडपेंडेंि्स (स्वतांत्र) 8
कुल 296

भारत की संहवधान सभा में 31 हदसंबर, 1947 को राज्यवार सदस्यता

प्रांत (भारतीय प्रांत) - 229


क्र.सं. नाम सदस्यों की संख्या क्र.सं. नाम सदस्यों की संख्या
1 मद्रास 49 7 मध्य प्राां त एिां बरार 17
2 बॉम्बे 21 8 असम 8
3 पशिम बांगाल 19 9 उड़ीसा 9
4 सांयुक्त प्राां त 55 10 शिल्ली 1
5 पूिी पांिाब 12 11 अिमेर-मारिाड़ 1
6 शबिार 36 12 कुगष 1

भारतीय राज्य (ररयासतें) 70


क्र.सं. नाम सदस्यों की क्र.सं. नाम सदस्यों की क्र.सं. नाम सदस्यों
संख्या संख्या की
संख्या
1 अलिर 1 11 क िा 1 21 पूिी राज्य समूि 3
2 बड़ौिा 3 12 मयूरभांि 1 22 मध्य भारत राज्य समूि 3
(बुन्देलखांड और मालिा
सशित)
3 भ पाल 1 13 मैसूर 7 23 पशिम भारत राज्य समूि 4
4 बीकानेर 1 14 पशियाला 2 24 गुिरात राज्य समूि 2
5 क चीन 1 15 रे िा 2 25 िक्कन एिां मद्रास राज्य 2
समूि
6 ग्वाशलयर 4 16 त्रािणक र 6 26 पांिाब राज्य समूि 3
7 इां िौर 1 17 उियपुर 2 27 पूिी राज्य समूि-I 4
8 ियपुर 3 18 शसस्लक्कम एिां बरार कूगष 1 28 पूिी राज्य समूि-II 3
समूि
9 ि िपुर 2 19 शत्रपुरा, मशणपुर एिां खासी 1 29 िेर् राज्य समूि 4
राज्य समूि
10 क ल्हापुर 1 20 उत्तर प्रिे ि राज्य समूि 1
कुल = 299

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मॉशशल लॉ बनाम राष्ट्रीय आपातकाल

माशशल लॉ • यि शसफष मूल अशिकार ां क प्रभाशित करता िै।


• यि सरकार एिां सािारण कानूनी न्यायालय ां क शनलांशबत करता िै ।
• यि कानून एिां व्यिस्था के भांग ि ने पर उसे ि बारा शनिाष ररत करता िै ।
• इसे िे ि के कुछ शििेर् क्षेत्र ां में िी लागू शकया िा सकता िै ।
• इसके शलए सांशििान मे क ई शििेर् व्यिस्था निीां िै । यि अव्यक्त िै ।
राष्ट्रीय आपातकाल • यि न केिल मूल अशिकार ां क प्रभाशित करता िै , बस्लल्क केन्द्र-राज्य सांबांि ां क भी प्रभाशित करता िै । इसके
अलािा रािस्व शितरण एिां शनकायी िस्लक्तय ां क प्रभाशित करने के साथ सांसि का कायषकाल भी बढा सकता िै ।
• यि सरकार एिां सामान्य कानूनी न्याय क िारी रखता िै ।
• यि शसफष तीन आिार ां पर िी लागू ि सकता िै – युि, बािरी आिमण या सिस्त् शिद्र ि।
• इसे पूरे िे ि या िे ि के शकसी शिस्से में लागू शकया िा सकता िै ।
• सांशििान में इसकी शििेर् व्यिस्था, यि सुस्पष्ट् एिां शिस्तृत िै।

संसदीय और राष्ट्रपहत व्यवस्था में अंतर

व्यवस्था हवशेषतायें गुण दोष


सांसिीय व्यिस्था 1. ि िरी कायषकाररणी 2. बहुमत के िल का 1. शििाशयका एिां कायषपाशलका के 1. अस्थायी सरकार
िासन बीच सामांिस्य 2. उत्तरिायी सरकार 2. नीशतय ां की शनशितता निीां
3. सामूशिक उत्तरिाशयत्व 4. रािनीशतक 3. शनरां कुिता पर र क 4. व्यापक 3. िस्लक्तय ां के शिभािन के
एकरुपता प्रशतशनशित्व शिरुध्ि
5. ि िरी सिस्यता 6. प्रिानमांत्री का नेतृत्व 4. अकुिल व्यस्लक्तय ां द्वारा
7. शनचले सिन का शिघिन ि ना 8. िस्लक्तय ां का सरकार का सांचालन
सशमश्रण
राष्ट्रपशत िासन 1. एकल कायषकाररणी 1. स्थायी सरकार 1. शििाशयका एिां कायषपाशलका
व्यिस्था 2. राष्ट्रपशत एिां शििाशयका का पृथक रुप से 2. नीशतय ां में शनशितता के बीच िकराि
शनशित अिशि के शलए शनिाष चन। 3. उत्तरिाशयत्व 3. िस्लक्तय ां के शिभािन पर आिाररत 2. गैर-उत्तरिायी सरकार
का अभाि 4. शििेर्ज्ञ ां द्वारा सरकार 3. गैर-उत्तरिायी नेतृत्व की
4. रािनीशतक एकरुपता निीां रिती। 5. एकल सांभािना
सिस्यता 6. राष्ट्रपशत का शनयांत्रण 4. सीशमत प्रशतशनशित्व
7. शनचला सिन शिघशित न ि ना 8. िस्लक्तय ां का
शिभेि

संघीय और एकात्मक सरकार में अंतर

संघीय सरकार 1. ि िरी सरकार (अथाषत् राष्ट्रीय एिां क्षेत्रीय सरकार) 2. शलस्लखत सांशििान 3. राष्ट्रीय एिां क्षेत्रीय सरकार ां के मध्य िस्लक्तय ां का
शिभािन 4. सांशििान की सिोच्चता 5. कठ र सांशििान 6. स्वतांत्र न्यायपाशलका 7. शद्वसिनीय शििाशयका
एकात्मक 1. एकल सरकार राष्ट्रीय सरकार ि ती िै, ि क्षेत्रीय सरकार बना सकती िै। 2. सांशििान शलस्लखत भी ि सकता िै( फ्राांस) या
सरकार अशलस्लखत (शििे न) भी। 3. िस्लक्तय ां क क ई शिभािन निीां ि ता तथा समस्त िस्लक्तयाां राष्ट्रीय सरकार में शनशित ि ती िैं। 4.
सांशििान की सिोच्चता भी ि सकती िै (िापान) और निीां भी (शििे न) 5. सांशििान कठ र भी ि सकता िै (फ्राांस) या लचीला(
शििे न) भी। 6. न्यायपाशलका स्वतांत्र भी ि सकती िै निीां भी। 7. शििाशयका शद्वसिनीय भी ि सकती िै( शििे न) और एक
सिनलीय (चीन) भी।

राष्ट्रपहत की वीट्ो शस्लि पर एक नजर

केन्द्रीय हवधाहयका राज्य हवधाहयका


सामान्य शििेयक ां के सांबांि में 1.स्वीकृशत िे सकता िै 2. अस्वीकार कर सकता िै 3. 1.स्वीकृशत िे सकता िै 2. अस्वीकार कर
िापस कर सकता िै सकता िै 3. िापस कर सकता िै
िन शििेयक ां के सांबांि में 1.स्वीकृशत िे सकता िै 2. अस्वीकार कर सकता िै (परां तु 1.स्वीकृशत िे सकता िै 2. अस्वीकार कर
िापस निीां कर सकता) सकता िै परां तु िापस निीां कर सकता।
सांशििान सांि िन शििेयक ां के केिल स्वीकृशत िे सकता िै , (न िापस कर सकता िै न सांशििान सांि िन सांबांिी शििेयक ां क राज्य
सांबांि में अस्वीकार कर सकता िै ) शििाशयका में प्रस्तुत निी शकया िा सकता।

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मंहिपररषद और मंहिमंिल के बीच अंतर

मांशत्रपररर्ि 1. यि एक बड़ा शनकाय िै शिसमें 60 से 70 मांत्री ि ते िैं। 2. इसमें मांशत्रय ां की तीन ां श्रेशणयाां - कैशबनेि मांत्री, राज्य मांत्री ि उपमांत्री ि ती
िै ।
3. यि सरकारी कायों िे तु एक साथ बैठक निीां करती िैं इसका क ई सामूशिक कायष निीां िै। 4. इसे सभी िस्लक्तयाां प्राप्त िैं परां तु
कागि ां में।
5. इसके कायों का शनिाष रण मांशत्रमांडल करता िै । 6. यि मांशत्रमांडल के शनणषय ां क लागू करती िै ।
7. यि एक सांिैिाशनक शनकाय िै । इसका शिस्तृत िणषन सांशििान के अनुच्छेि 74 तथा 75 में शकया गया िै। इसका आकार और
िगीकरण सांशििान में िशणषत निीां िैं । इसके आकार का शनिाष रण प्रिानमांत्री समय और स्लस्थशत क िे खकर करता िै । यि शििे न में
शिकशसत सांसिीय व्यस्था के आिार पर शत्रस्तरीय शनकाय के रूप में िगीकृत िै । अत: िेतन एिां भत्ते अशिशनयम 1952 में मांत्री क
‘मांशत्रपररर्ि का सिस्य’ बताया गया िै , चािे उसे शिस नाम से पुकारा िाए। इसमें उपमांत्री भी िाशमल िैं। 8. यि सामूशिक रुप से
ल कसभा के प्रशत उत्तरिायी िै ।
मांशत्रमांडल 1. यि एक लघु शनकाय िै ि इसमें 15 से 20 मांत्री ि ते िैं । 2. इसमें केिल कैशबनेि मांत्री िाशमल ि ते िैं। अत: यि मांशत्रपररर्ि का
एक भाग िै । 3. यि एक शनकाय की तरि िै। यि सामान्यत: िफ्ते में एक बार बैठक करता िै , और सरकारी कायों के सांबांि में शनणषय
करता िै । इसके कायषकलाप सामूशिक ि ते िैं । 4. ये िास्तशिक रूप में मांशत्रपररर्ि की िस्लक्तय ां का प्रय ग करती िै और उसके कायष
करता िै ।
5. यि मांशत्रपररर्ि क रािनैशतक शनणषय लेकर शनिे ि िे ता िै। तथा ये शनिे ि सभी मांशत्रय ां पर बाध्यकारी ि ते िैं। 6. यि मांशत्रपररर्ि
द्वारा अपने शनणषय ां के अनुपालन की िे खरे ख करता िै । 7. इसे सांशििान के अनुच्छेि 352 में 1978 के 44 िें सांशििान सांि िन
अशिशनयम द्वारा िाशमल शकया गया। अत: यि सांशििान के मूल स्वरूप में िाशमल निीां था। अनुच्छेि 352 में इसकी व्याख्या यि िै
शक ‘’ प्रिानमांत्री ि अन्य कैशबनेि मांशत्रय ां की पररर्ि शिन्हें अनुच्छेि 75 के अांतगषत शनयुक्त शकया गया। ‘’ इसके कायों ि िस्लक्तय ां का
शििरण निीां शिया गया।
िू सरे िब्द ां िमारी रािनैशतक-प्रिासशनक व्यिस्था शििे न की सांसिीय परां पराओां पर आिाररत िै। 8. यि मांशत्रपररर्ि की ल कसभा
के प्रशत सामूशिक शिम्मेिारी क लागू करता िै।SCSGYAN - For Paid Group Call /WhatsApp 7523864455 or 8564880530
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