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तीसर� कसम के �शल्पकार – शैल�द्र

1. तीसर� कसम’ �फल्म को सेल्यल


ू ाइट पर �लखी क�वता क्य� कहा है ?

उ�र .तीसर� कसम फणीश्वरनाथ रे णु के उपन्यास ‘तीसर� कसम उफर् मारे गए गुल्फाम’
पर आधा�रत थी| इसक� कहानी मनुष्य क� कोमल भावनाओं का सुंदर �चत्रण करती है |
�फल्म म� भी क�वता क� भावक
ु ता तथा मा�मर्क कोमलता ह� उभर कर सामने आई है |
इस�लए तीसर� कसम को सेल्यूलाइड पर �लखी क�वता कहा गया है |

2. ‘तीसर� कसम’ �फल्म को खर�ददार क्य� नह�ं �मल रहे थे ?

उ�र.�फल्म� खर�दने वाले �वतरक ऐसी �फल्म� पर अपना पैसा लगाते ह�, जो जन
साधारण म� बहुत लोक�प्रय हो सकती हो तथा िजनसे उन्ह� अच्छ� कमाई हो सके|
“तीसर� कसम” उस दृिष्ट से एक कमाउ �फल्म नह�ं थी बहुत लोक�प्रय तथा प्र�सद्ध
�सतार� के होते हुए भी �फल्म क� कहानी साधारण दशर्क� को आक�षर्त न कर सकती
थी| इसक� कोमल भावुकता संवेदनशील व्यिक्तय� को ह� भा सकती थी| दो से चार
बनाने वाले () व्यवसा�यक बुद्�ध के �वतरक इसक� कलात्मकता को न समझ सकते थे |
यह� कारण था �क बॉक्स ऑ�फस पर यह �फल्म कोई प्रभाव न �दखा पाई| बिल्क यह
तक न पता चला �क यह �फल्म कब आई और कब चल� गई|

3. शैल�द्र के अनस
ु ार कलाकार का कतर्व्य क्या है ?

उ�र.साधारणतः यह� दे खने म� आता है �क �फल्म �नमार्ता घ�टया स्तर क� �फल्म� बनाते
ह� और दशर्क ऐसी �फल्म� दे खने के �लए मजबरू होते ह�| �नमार्ताओं क� यह� मान्यता
होती है �क दशर्क� क� रु�च घ�टया स्तर क� ह� है और वे ऐसी �फल्म� और ऐसे गीत ह�
पसंद करते ह� | ले�कन शैल�द्र एक उच्च को�ट के क�व थे | उनका मानना था �क
कलाकार का यह कतर्व्य होता है �क वह दशर्क�, श्रोताओं क� रु�च का प�रष्कार () करे
और ऊँचे दज� क� �फल्म� बनाएँ| श्रेष्ठ स्तर के गीत �लख� िजससे लोग� क� रु�चय� म�
सध
ु ार आए|
4. �फल्म� म� त्रासद िस्थ�तय� का �चत्रांकन ग्लो�रफ़ाई क्य� कर �दया जाता है ?

उ�र.भारतीय �फल्म� म� त्रासद िस्थ�तय� का �चत्रांकन इस�लए गो�रफाई �कया जाता है


ता�क दशर्क� का भावनात्मक शोषण �कया जा सके| दःु ख का वीभत्स रूप प्रस्तुत �कया
जाता है जो �क वास्त�वक जीवन से कोस� दरू होता है |

5. ‘शैल�द ने राजकपरू क� भावनाओं को शब्द �दए ह�’ – इस कथन से आप क्या समझते ह� ?


स्पष्ट क�िजए।
उ�र.शैल�द्र तथा राजकपूर म� गहर� दोस्ती थी| शैल�द्र ने राजकपूर पर �फल्माए कई गीत
�लखे | राजकपूर को ए�शया के सबसे बड़े शोमैन का �ख़ताब हा�सल था। वे अपनी आँख� से
अ�भनय करने और अपनी आँख� से ह� भावनाओं को �दखने म� मा�हर थे। इसके �वपर�त शैल�द्र एक
उमदा गीतकार थे जो भावनाओं को क�वता का रूप दे ने म� मा�हर थे। शैल�द्र ने राजकपूर क�
भावनाओं को अपनी क�वता और �फल्म क� कहानी म� शब्द रूप �दए और राजकपूर ने भी उनको बड़ी
ह� खूबी से �नभाया।

�ल�खत प्रश्नो�र (50-60 शब्द� म� )


1. राजकपूर द्वारा �फल्म क� असफलता के खतर� के आगाह करने पर भी शैल�द्र ने यह
�फल्म क्य� बनाई ?
उ�र.राजकपूर स्वयं एक �फल्म �नमार्ता और �नद� शक थे| इस�लए वे जानते थे �क
�कस प्रकार क� �फल्म� सफल होती ह� तथा �फल्म के असफल हो जाने पर �कतना
बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है | यह एक बहुत बड़ा खतरा है जो हर व्यिक्त नह�ं उठा
सकता| यह� कारण था �क उन्ह�ने अपने �प्रय �मत्र को इस खतरे से आगाह �कया|
ले�कन शैल�द्र ‘तीसर� कसम’ उफर् मारे गए गुल्फाम क� कव्यमयी कहानी से बहुत
प्रभा�वत थे| वे अपनी संतुिष्ट के �लए इस कहानी को �फल्म के पद� पर उतारना
चाहते थे| उन्ह� यश प्राप्त करने का या धन कमाने का लालच नह�ं था| इस�लए
आगाह �कए जाने पर भी शैल�द्र ने यह �फल्म बनाई|
2. ‘तीसर� कसम’ म� राजकपूर का म�हमामय व्यिक्तत्व �कस तरह �हरामन क� आत्मा म�
उतर गया। स्पष्ट क�िजए।
उ�र.�फल्मी द�ु नया के सभी सफल और लोक�प्रय �सतारे लोग� को अपने �वशेष हाव
भाव, पहनावे तथा स्टाइल के आधार पर आक�षर्त करते है | दशर्क भी अपने �प्रय �सतार�
के ऐसे ह� रूप को �फल्मी पद� पर दे खना चाहते ह�| इस�लए प्रायः यह दे खने म� आता है
�क पात्र चाहे जो हो, उस पर अ�भनेता के व्यिक्त�व और �व�शष्ट हाव-भाव क� छाप
रहती है|
राजकपूर भी ऐसे �व�शष्ट व्यिक्त�व वाले अ�भनेता थे| ले�कन तीसर� कसम म� एक
भावुक दे हाती गाड़ीवान क� भू�मका म� उसका अपना व्यक्�त्व �बल्कुल खो गया| ‘ह�रमन’
के रूप म� दशर्क� न� ऐसे भोले-भाले सरल हृदय वाले सच्चे मन के दे हाती को ह� दे खा |
राजकपूर का म�हमामय व्यिक्त�व ह�रामन से एकाकार हो गया| ऐसा अ�भनय ह� सच्चा
अ�भनय कहलाता है |

3. -लेखक ने ऐसा क्य� �लखा है �क तीसर� कसम ने सा�हत्य-रचना के साथ शत-प्र�तशत न्याय
�कया है ?
उ�र -अकसर �फल्मकार उन सा�हित्यक रचनाओं म� भी फेरबदल करते रहते ह� िजन पर
उनक� �फल्म� आधा�रत होती ह�| �फल्मकार� का एक ह� उद्दे श्य होता है – ‘सफल’ �फल्म
बनाना ता�क उसके माध्यम से धन कमाया जा सके | ऐसे सफलता के �लए वे मूल
कहानी को भी जोड़ते तोड़ते रहते है और उस सा�हित्यक रचना के साथ घोर अन्याय
करते ह� |
फणीश्वर नाथ ‘रे णु‘ का उपन्यास ‘तीसर� कसम उफर् मारे गए गुल्फ़ाम’ शैल�द्र को
इतना भाया �क एक क�व होते हुए भी उन्ह�ने इस उपन्यास को �फल्मी पद� पर �च�त्रत
करना चाहा| उनका यह प्रयास इस�लए �व�शष्ट था क्य��क उपन्यास क� कथा को उन्ह�ने
�बना �कसी फेर-बदल के, पूर� इमानदार� के साथ जैसे का तैसा पद� पर उतार �दया |
इसी�लए लेखक ने कहा है �क शैल�द्र ने सा�हत्य-रचना के साथ शत-प्र�तशत न्याय �कया
है|
5. �फल्म �नमार्ता के रूप म� शैल�द्र क� �वशेषताओं पर प्रकाश डा�लए ?
उ�र.शैल�द्र ने अपने पूरे जीवन-काल म� एक ह� �फल्म बनाई और वह भी आत्म संतुिष्ट
के सुख के �लए| धन या यश कमाने क� इच्छा से नह�ं| वे फणीश्वर नाथ ‘रे णु’ जी के
उपन्यास क� कहानी से बहुत प्रभा�वत हुए थे| वे स्वयं तो भावुक क�व थे ह� इस�लए इस
उपन्यास क� काव्यमय भावक
ु ता ने उन्ह� बाँध �लया| शैल�द्र ने िजस उपन्यास क� कथा
को चुना उसके प्र�त वे पूणत
र् ः ईमानदार बने रहे | व्यवसा�यकता या उथल� लोक�प्रयता
के �लए उन्ह�ने कहानी के साथ कोई �खलवाड़ नह�ं �कया| दस
ू र� ओर राजकपूर और
वह�दा रहमान जैसे प्र�सद्ध और लोक�प्रय �सतार� को उन्ह�ने सरल हृदय, भुच्च दे हाती
और नौटं क� क� बाई क� भू�मका द�| ले�कन दोन� ह� कलाकार� ने ऐसा सशक्त अ�भनय
�कया �क ‘ह�रामन’ और ‘ह�राबाई’ के पात्र� को अमर बना �दया |शैल�द्र ने एक ह� �फल्म
बनाई ले�कन वह अपनी कलात्मकता , भावुकता तथा सुंदर अ�भनय के कारण �हन्द� क�
अमर और यादगार �फल्म �फल्म� म� �गनी जाती है | बॉक्स ऑ�फस पर सफल न होने
पर भी शैल�द्र क� इस �फल्म ने दे श म� ह� नह�ं �वदे श� म� भी नाम और पुरस्कार पाए|
इन सब बात� से �सद्ध होता है �क शैल�द्र एक योग्य, �वचारशील, ईमानदार और
संवेदनशील �नमार्ता थे |

3. शैलेन्द्र के �नजी जीवन क� छाप उनक� �फल्म म� झलकती है -कैसे ?


उ�र.शैल�द्र एक सरल �वचार� के भावुक क�व थे| उनक� �फल्म भी इसी सरलता,
सहजता और भावुकता को प्रद�शर्त करती है | उन्ह�ने जीवन के दख
ु � से जूझकर आगे
बढते रहने का संकेत �दया है | पर सभी पात्र� म� एक स्वाभा�वकता और सहजता थी| कह�ं
भी अनावश्यक करुणा के साथ �दखावट�पन नज़र नह�ं आता| इस �फल्म के गीत, जो
�फल्म क� �रल�ज़ के पहले ह� अ�त लोक�प्रय हो गए थे, शैल�द्र क� अपनी भावनाओं के
अनुसार ह� सरल ले�कन सारग�भर्त है | शैल�द्र क� भावप्रवणता का अ�तउ�म रूप इस
�फल्म म� �दखाई पड़ता है |
3. लेखक के इस कथन से �क ‘तीसर� कसम’ �फल्म कोई सच्चा क�व-हृदय ह� बना सकता
था, आप कहा तक सहमत ह� ? स्पष्ट क�िजए।
उ�र.तीसर� कसम के पात्र सरल, सच्चे और शुद्ध पात्र ह�| एक सीधा साधा दे हाती,
जो केवल प्रेम क� भाषा जानता और एक नौटं क� क� बाई, जो केवल व्यवसा�यकता
से प�र�चत ह�, इस �फल्म के मख्
ु य पात्र ह�| इन दोन� पात्र� क� अपने जीवन के प्र�त
ईमानदार� बहुत प्रभा�वत करती है | ह�राबाई ने अपने पूरे जीवन म� ह�रामन क� सी
सरलता और ईमानदार� न दे खी थी| ह�रामन ने नौटं क� क� बाई जो �गर� हुई औरत
थी, म� हृदय क� शुद्धता और प�वत्रता दे खी | मानव मन के इन भाव� को पद� पर
सफलता से �च�त्रत करना, सभी �फल्मकार� के बस क� बात नह�ं| शैल�द्र जैसा
संवेदनशील और सच्चा क�व हृदय ह� ऐसा कर सकता है |

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