Professional Documents
Culture Documents
Teesri Kasam
Teesri Kasam
उ�र .तीसर� कसम फणीश्वरनाथ रे णु के उपन्यास ‘तीसर� कसम उफर् मारे गए गुल्फाम’
पर आधा�रत थी| इसक� कहानी मनुष्य क� कोमल भावनाओं का सुंदर �चत्रण करती है |
�फल्म म� भी क�वता क� भावक
ु ता तथा मा�मर्क कोमलता ह� उभर कर सामने आई है |
इस�लए तीसर� कसम को सेल्यूलाइड पर �लखी क�वता कहा गया है |
उ�र.�फल्म� खर�दने वाले �वतरक ऐसी �फल्म� पर अपना पैसा लगाते ह�, जो जन
साधारण म� बहुत लोक�प्रय हो सकती हो तथा िजनसे उन्ह� अच्छ� कमाई हो सके|
“तीसर� कसम” उस दृिष्ट से एक कमाउ �फल्म नह�ं थी बहुत लोक�प्रय तथा प्र�सद्ध
�सतार� के होते हुए भी �फल्म क� कहानी साधारण दशर्क� को आक�षर्त न कर सकती
थी| इसक� कोमल भावुकता संवेदनशील व्यिक्तय� को ह� भा सकती थी| दो से चार
बनाने वाले () व्यवसा�यक बुद्�ध के �वतरक इसक� कलात्मकता को न समझ सकते थे |
यह� कारण था �क बॉक्स ऑ�फस पर यह �फल्म कोई प्रभाव न �दखा पाई| बिल्क यह
तक न पता चला �क यह �फल्म कब आई और कब चल� गई|
3. शैल�द्र के अनस
ु ार कलाकार का कतर्व्य क्या है ?
उ�र.साधारणतः यह� दे खने म� आता है �क �फल्म �नमार्ता घ�टया स्तर क� �फल्म� बनाते
ह� और दशर्क ऐसी �फल्म� दे खने के �लए मजबरू होते ह�| �नमार्ताओं क� यह� मान्यता
होती है �क दशर्क� क� रु�च घ�टया स्तर क� ह� है और वे ऐसी �फल्म� और ऐसे गीत ह�
पसंद करते ह� | ले�कन शैल�द्र एक उच्च को�ट के क�व थे | उनका मानना था �क
कलाकार का यह कतर्व्य होता है �क वह दशर्क�, श्रोताओं क� रु�च का प�रष्कार () करे
और ऊँचे दज� क� �फल्म� बनाएँ| श्रेष्ठ स्तर के गीत �लख� िजससे लोग� क� रु�चय� म�
सध
ु ार आए|
4. �फल्म� म� त्रासद िस्थ�तय� का �चत्रांकन ग्लो�रफ़ाई क्य� कर �दया जाता है ?
3. -लेखक ने ऐसा क्य� �लखा है �क तीसर� कसम ने सा�हत्य-रचना के साथ शत-प्र�तशत न्याय
�कया है ?
उ�र -अकसर �फल्मकार उन सा�हित्यक रचनाओं म� भी फेरबदल करते रहते ह� िजन पर
उनक� �फल्म� आधा�रत होती ह�| �फल्मकार� का एक ह� उद्दे श्य होता है – ‘सफल’ �फल्म
बनाना ता�क उसके माध्यम से धन कमाया जा सके | ऐसे सफलता के �लए वे मूल
कहानी को भी जोड़ते तोड़ते रहते है और उस सा�हित्यक रचना के साथ घोर अन्याय
करते ह� |
फणीश्वर नाथ ‘रे णु‘ का उपन्यास ‘तीसर� कसम उफर् मारे गए गुल्फ़ाम’ शैल�द्र को
इतना भाया �क एक क�व होते हुए भी उन्ह�ने इस उपन्यास को �फल्मी पद� पर �च�त्रत
करना चाहा| उनका यह प्रयास इस�लए �व�शष्ट था क्य��क उपन्यास क� कथा को उन्ह�ने
�बना �कसी फेर-बदल के, पूर� इमानदार� के साथ जैसे का तैसा पद� पर उतार �दया |
इसी�लए लेखक ने कहा है �क शैल�द्र ने सा�हत्य-रचना के साथ शत-प्र�तशत न्याय �कया
है|
5. �फल्म �नमार्ता के रूप म� शैल�द्र क� �वशेषताओं पर प्रकाश डा�लए ?
उ�र.शैल�द्र ने अपने पूरे जीवन-काल म� एक ह� �फल्म बनाई और वह भी आत्म संतुिष्ट
के सुख के �लए| धन या यश कमाने क� इच्छा से नह�ं| वे फणीश्वर नाथ ‘रे णु’ जी के
उपन्यास क� कहानी से बहुत प्रभा�वत हुए थे| वे स्वयं तो भावुक क�व थे ह� इस�लए इस
उपन्यास क� काव्यमय भावक
ु ता ने उन्ह� बाँध �लया| शैल�द्र ने िजस उपन्यास क� कथा
को चुना उसके प्र�त वे पूणत
र् ः ईमानदार बने रहे | व्यवसा�यकता या उथल� लोक�प्रयता
के �लए उन्ह�ने कहानी के साथ कोई �खलवाड़ नह�ं �कया| दस
ू र� ओर राजकपूर और
वह�दा रहमान जैसे प्र�सद्ध और लोक�प्रय �सतार� को उन्ह�ने सरल हृदय, भुच्च दे हाती
और नौटं क� क� बाई क� भू�मका द�| ले�कन दोन� ह� कलाकार� ने ऐसा सशक्त अ�भनय
�कया �क ‘ह�रामन’ और ‘ह�राबाई’ के पात्र� को अमर बना �दया |शैल�द्र ने एक ह� �फल्म
बनाई ले�कन वह अपनी कलात्मकता , भावुकता तथा सुंदर अ�भनय के कारण �हन्द� क�
अमर और यादगार �फल्म �फल्म� म� �गनी जाती है | बॉक्स ऑ�फस पर सफल न होने
पर भी शैल�द्र क� इस �फल्म ने दे श म� ह� नह�ं �वदे श� म� भी नाम और पुरस्कार पाए|
इन सब बात� से �सद्ध होता है �क शैल�द्र एक योग्य, �वचारशील, ईमानदार और
संवेदनशील �नमार्ता थे |
**********************************************************