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11/7/2017 The secret of Existence: how a woman can give birth to as many as 60,000 children | Setuu Hanuman

English

अ ाय 10
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Soul Himanshu

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अ का रह : कैसे एक औरत अिधकतम 60000 ब ों


को ज दे सकती है
जब बाबा मातंग ने यजमान च रता के िलए अपण का िविध िवधान पूरा िकया , साद का समय आया | हनुमान जी ने च रता से पूछा - “हे नादान, िजस
ा से तुमने अपने कम का अपण िकया , म स ँ | बताओ , साद म ा ा करने की इ ा है ?”

च रता ने अ र ही अ र संतान की इ ा कट की | वह िपछले कुछ महीने से संतान पाने की कोिशश कर रही थी लेिकन सफलता नहीं िमल रही
थी | यह इ ा हनुमान जी के सामने कट करने की उसकी िह त नहीं ई | उसके होंठों पर अंततः जो श आये , वे थे - “हे हनुमान जी , हम
मातंग तो केवल परम ान की इ ा रखते ह | कृपा मुझे वह ान दीिजये जो मो की ओर ले जाता है |”

हनुमान जी मु ु राये | उ उसकी अ कट इ ा का आभास था | जब इ ाओं का नाश होता है तभी कोई आ ा मो के पथ पर बढती है |
इसिलए हनुमान जी को उसे कुछ ऐसा बताने की सूझी िजससे या तो उसकी इ ा का नाश हो जाए , अथवा वह इ ा कुछ इस तरह पूरी हो जाए िक
वह आगे और इ ाओं को न जगाये | उ ोंने उवा , जो िक 20- 25 साल की उ का मातंग है , की ओर दे खा जो सभा म शां ित से बैठा आ था |

हनुमान जी ने अपने हाथ से उवा की ओर इशारा िकया और मातंगो से पूछा - “हे मातंगो, आप सबको कैसे पता िक इस िव म उवा नाम का कोई
मानव है जो इस समय आप सबके बीच बैठा है |”

जब हनुमान जी ने उवा के अ को इस तरह चुनौती दी , तो उवा के मन म भय की तरं ग दौड़ गई |

उम , एक लड़की जो 20-25 साल की है , और जो उस पूजा म होतर की भूिमका िनभा रही थी , खड़ी ई | होतर का काम होता है पूजा म चचा
चलाना िजससे िक हनुमान जी मातंगों को ान दे सक | उसने उ र िदया - “हे हनुमान जी, म उवा को अपनी आँ खों से दे ख सकती ँ | म उसकी
तरफ चलकर उसे छू सकती ँ | म उसके साथ बोल सकती ँ |म उसको सुन सकती ँ | म उसके साथ कई कार से आदान- दान कर सकती ँ
| िजससे मुझे पता चलता है िक वह वहां पर वा व म उप थत है | िजससे हम सबको उसके अ का भान है |”

जब उम बोल रही थी तब हनुमान जी ने उसकी तरफ दे खा तक नहीं | वे उवा की तरफ रह मय तरीके से दे ख रहे थे | वे बोले - “... तो अगर म
उसको वहां से गायब कर दू ँ , तो उसका अ समा हो जाएगा , ह ना?”

“नहीं, भु |” उम तुरंत बोली - “मेरा अथ है , अगर वह वहां से गायब भी हो जाता है तो भी उसका अ हमारी यादों म बना रहे गा | हम सबकी
उसके बारे म ब त सी यादे ह | उसकी माता को याद रहे गा िक कैसे उ ोंने उसको 9 महीने अपने गभ म रखा, कैसे उ ोंने जीवन के उतार चढ़ावों म
उसको बड़ा होते दे खा | उसके िपता को उसके ज से लेकर अब तक के सभी णों की ृित रहे गी | बाबा मातंग को याद रहे गा िक ...”

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11/7/2017 The secret of Existence: how a woman can give birth to as many as 60,000 children | Setuu Hanuman

“अगर म आप सबके मन से उवा की सभी ृितयाँ िमटा दू ँ , तो ा उसका अ समा हो जाएगा?” हनुमान जी ने पूछा, उवा को ऐसे घूरते ए
जैसे वे उसको वा म बदलने वाले थे|

जब उम हनुमान जी के पर िवचार कर रही थी , उवा खड़ा आ | उसकी दे ह भय से कां प रही थी | उसने उस भय को अपनी आवाज म न लाने
का य िकया | अपने हाथ जोड़कर बोला - “हे भु , म आपको पूणतः समिपत ँ | मेरा अ आपके कारण है , और म ख़ुशी ख़ुशी आपके
चरणों म ोछावर हो जाऊँगा |”

उवा के इस कथन से बाबा मातंग के चेहरे पर बड़ी सी मु ान आ गई | वह इस बात पर गव कर रहे थे िक युवा होने के बावजूद उवा म स े मातंग
के गुण थे | उ ये आभास नहीं था िक उवा की दे ह भय से कंपकपा रही थी और समपण के मधुर श वह इस दू र थ आशा म बोल रहा था िक
हनुमान जी का ‘ ोध’ शां त हो जाएगा |

उन मधुर श ों का हनुमान जी पर कोई भाव नहीं पड़ा | वे उवा की तरफ उसी तरह रह पूणता से दे खते रहे और अपने पूछे गए के उ र की
ती ा करते रहे |

उम ने अपना सारा ान िनचोड़ा और उ र िदया - “हे िचरं जीवी हनुमान , उवा मा हमारी ृित म ही उप थत नहीं है , उसने अपनी आ ा का िच
िव के कण कण पर छोड़ा है | वह रात को िसतारों से बतलाता है ; अतः िसतारों की ृित म भी वो है | वह पशु पि यों से बितयाता है , अतः उनकी
ृित म भी वो है | वह च ानों पर कलाकृितयाँ बनाता है , वे कलाकृितयाँ इसके अ का सबूत ह | जब वह चलता है , रे त पर उसके पदिच
छूटते ह | बचपन से अब तक इसने िजतने भी पदिच धरती पर छोड़े ह , वे वतमान से भले ही िमट गए हों , भूतकाल म वे अभी भी ह | इसने अब
तक िजतनी भी सां से ली ह, वे साँ से वायुदेव की ृित म िच त ह | इसकी दे ह ने अब तक िजतना जल हण िकया है और बाहर िनकाला है , वह
व णदे व की ृित म अंिकत है | जब यह काम करता है तो इसका शरीर गम हो जाता है , और जब नहाता है तो ठं डा ; इस तरह इसकी दे ह से ए
अि के आदान दान के िच अि दे व की ृित म िच त ह | इतना ही नहीं , यह भिव का बाबा मातंग है | अतः वह सभी मातंगों की क ना म
भी है , िजसके फल प इसका अ भिव म भी है |”

“अगर म उवा के हर आदान- दान को िमटा दू ँ -- भूत, वतमान भिव से ; िव के हर कण से -- उसका अ समा हो जाएगा, है न?” हनुमान जी
ने िटप ी की | वे अब भी उवा की ओर दे ख रहे थे|

अब उम के पास कोई उ र नहीं था | उसने एक ण के िलए बाबा मातंग की ओर दे खा | जब वह हनुमान जी की ओर मुड़ी तब उसने दे खा िक
हनुमान जी एक मटका िलए ए थे िजसमे दु जैसा कोई व था | अब हनुमान जी उसकी ओर दे ख रहे थे | उ ोंने पूछा - “िफर से बोलो, तुमने अभी
अभी ा कहा?”

उम हाथ जोड़कर बोली - “हे भु , जो मटकी आपके हाथ म है , मने उसके बारे म पूछा | यह ा है और इसके अ र यह कैसा व है ? कृपा
ान द |”

हनुमान जी ने अपनी आँ खे झपकाई और िसर िहलाया, जैसे िक वे िकसी अजनबी थान पर अचानक उठे हों | उ ोंने पूछा - “म समझ नहीं पाया िक
यहाँ ा चल रहा है ? तुम कौन हो और यह कौन सा थान है ?”

उम ने बाबा मातंग की ओर दे खा | बाबा खड़े ए और बोले - “हे भु , हम आपके ि ये मातंग ह | आप हमारी धरा पर 41 वष बाद आये ह | यह
चरण पूजा का थम िदन है | थम चरण के यजमान बसंत थे और अब दू सरा चरण चल रहा है िजसकी यजमान च रता ह | अपण की ि या पूरी हो
चुकी है | अब साद का समय है | आपने च रता से उसकी साद म कुछ पाने की इ ा के बारे म पूछा है | उसने ान पाने की इ ा जताई है |
उसके बाद यह िविच मटकी आपके हाथों म कट ई है | ऐसा तीत हो रहा है िक इसम दु जैसा कोई पदाथ है | उम इस पूजा की होतर है

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इसिलए उसने इस मटकी के बारे म जानने की िज ासा कट की है | अगर यह च रता के िलए साद है तो कृपा बताएं िक वह इसको कैसे रखे और
िकन िनयमों का पालन करे ?”

“ओह ... हाँ ... हाँ ... हाँ ... यह पा और यह व” हनुमान जी मु ु राये | उम और बाबा मातंग ने राहत की सां स ली |

“यह ेत व िदखने वाली चीज ‘आकाश’ है |” हनुमान जी ने बताया , “यह वही पदाथ है जो िव ुलोक म मु सागर म पाया जाता है | यह पा
(मटकी) भी साधारण पा नहीं है | यह पा दे वी ल ी ारा योग म लाया जाने वाला पा है | इस पा के अ र यह पदाथ दु जैसा िदख रहा है
लेिकन म अगर इस पदाथ को होने दू ं , तो एक मानव इसम से िनकलेगा | उस मानव का नाम उवा है | आप लोग उसे जानते ह , है ना?”

[िहं दी टां सलेशन टीम की िटप ी : अं ेजी के “ ेस” श का िहं दी म अथ “आकाश” होना चािहए लेिकन ावहा रक भाषा म आकाश को बादलों
आिद से जोड़ा जाता है | इस अ ाय म “आकाश” का अथ ब त गूढ़ है | आकाश की जगह अगर आप इसे “अ ” पढ़े तो बेहतर रहे गा | लेिकन
हमने “ ेस” को “आकाश” म ही पां त रत िकया है |]

“नहीं भु|” उम ने उ र िदया - “हम उवा नाम के िकसी मानव को नहीं जानते |”

हनुमान जी अपने मुख पर चिकत होने के भाव ले आये | सभी दे वता जो हनुमान जी की इन लीलाओं को दे ख रहे थे , मु ु राये | हनुमान जी बोले -
“उवा एक मातंग है भाई | वह आपके समाज का ही तो िह ा है | एक ण पहले तो वह यही था | मने उसके पूरे अ को इस पा म बंद कर
िदया है |”

सभी मातंग यह सुनकर चिकत थे | उ ोंने एक दु सरे की ओर दे खा | बाबा मातंग बोले - “हे हनुमान जी , हम आपकी इस लीला को समझ नहीं पाए |
म सभी मातां गो म व र ँ | म पूण िव ास के साथ कहता ँ की उवा नाम का न तो कोई मातंग है और न ही कभी आ है |”

“वह एक ण पहले उस थान पर खड़ा था |” हनुमान जी ने एक थान की ओर इशारा िकया | लेिकन उस थान पर अब ेम नाम का मातंग बैठा था
|

बाबा मातंग हाथ जोड़कर बोले - “हे भु , मा कर , िक ु उस थान पर बैठे मातंग का नाम ेम है | उसका नाम उवा नहीं है | िकसी भी मातंग का
नाम उवा नहीं है |”

“ ा?” हनुमान जी ने अपने मुख पर चिकत होने के भाव और भी गंभीर कर िलए और बोले - “उवा आपकी परं परा को आगे बढाने वाला है | वह
अगला बाबा मातंग बनने वाला है |”

बाबा मातंग ने उ र िदया - “अगला बाबा मातंग िकसी को भी घोिषत नहीं िकया गया है , भु | हम आशा है िक आप युवा मातंगो म से िकसी यो
मातंग को पहचानकर उसे बाबा घोिषत करगे | लेिकन िजसका कोई अ ही नहीं है , वह बाबा कैसे बनेगा ? उवा नाम का हमारे बीच कोई नहीं है
|”

हनुमान जी ने वहाँ बैठी एक औरत की ओर इशारा िकया और बोले - “आप उवा की माता है , ा आप भी उसे भूल गई ?”

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औरत खड़ी ई और हाथ जोड़कर बोली - “हे श शाली हनुमान जी , मेरा कोई पु नहीं है | मेरी केवल एक पु ी है और उसका नाम र ा है , उवा
नहीं |”

हनुमान जी ने उम का ख िकया और बोले - “तुम तो उवा के ब त समीप हो , हे उम | ा तुम भी उसे भूल गई ? ा तुम भूल गई िक वह च ानों
पर कलाकृितयाँ बनाता है , उसने अपना िच इस िव के हर कण पर छोड़ा है | कुछ पल पहले तुम ही तो यह सब बता रही थी |”

उम असमंजस म थी | हनुमान जी ने उवा के पूरे अ को पा म बंद कर िदया था | उसके अ का कोई भी िच िव म नहीं बचा था | उम
को कोई उ र नहीं सूझा तो बोली - “हे भु , म िकसी उवा को नहीं जानती | म उसके बारे म कैसे बता सकती ँ िजसको म जानती ही नहीं ? लेिकन
अगर आप कहते ह िक उवा नाम का कोई मातंग है , तो म आपके श ों पर िव ास करती ँ | ोंिक हम केवल मनु ह , हम म म पड सकते ह
| ा आप हम बता सकते ह िक उस उवा नामक मातंग ने िकस च ान पर कलाकृितयां बनाई ह तािक हम उ दे खकर उसके अ का आभास
पा सक?”

हनुमान जी ने अपने मुख से अचंिभत और अिव ास म होने का कृि म भाव हटा िलया और जोर से हं स पड़े | वे बोले - “हे उम , तु े उसकी बनाई
कोई कलाकृित िकसी भी च ान पर नहीं िमलेगी | मने उसके अ का हर िच िमटा िदया है और इस पा म बंद कर िदया | यह व उवा है |
अगर म इस व को होने दू ँ , तो न केवल उवा पुनः कट हो जाएगा , ब उसने भूतकाल म जो कुछ भी िकया है वह भी पुनः कट हो जाएगा
|”

उम ने पूछा - “हम उवा नाम के िकसी के अ के बारे म नहीं जानते लेिकन दे वता तो उसके अ के बारे म जानते होंगे | ा हम
अि दे व और जलदे व से पूछ?”

हनुमान जी ने उ र िदया - “उवा के अि दे व , जलदे व आिद के साथ आदान दान भी इस पा म बंद ह | अतः वे भी उसके बारे म नहीं जानते |
केवल आकाश के दे व इं दे व और समय के दे व कालदे व उसके बारे म जानते होंगे |”

उम ने पूछा - “हे भु , ा इं दे व और कालदे व अ दे वताओं से े ह ?”

हनुमान जी ने उ र िदया - “हे उम , जब यह आकाश का व काल के धागों पर िगरता है तो यह िविभ व ुओं के पम होता है | उसके
बाद ही जल , अि आिद अ म आते ह | िव ु भगवान् आ ा की इ ाएं पूण करने का काय इं दे व को दे ते ह | अपने काय को पूरा करने के
िलए इं दे व को जो कुछ चािहए वह इस ेत व म है िजसे आकाश कहते ह | इं दे व को केवल यह व मु सागर से लेकर काल के धागों पर
िगराना होता है | इस तरह जीवन अ म आता है | अतः इं दे व उन सभी दे वो के राजा ह जो इस व के काल के धागों पर िगरने के बाद काय म
लगते ह |”

[सेतु िट णी : मु धारा के भ इसे िसनेमा ोजे र के उदाहरण से समझ सकते ह | जब ोजे र से काश की िकरण िसनेमा के परदे पर
िगरती ह तो िफ िदखाई दे ती है | अब क ना कीिजये िक ोजे र से ऐसी िकरण िनकले िजससे िक वा िवक व ुये बनने लगे -- िज हम दे ख
सक , महसूस कर सक , छू सक . ऐसे ोजे र का नाम इं होगा | इं दे व आकाश के व का पुंज काल के परदे पर ोजे करते ह |]

“हे भु , इस व को होने दीिजये | हम यह जानने के िलए उ ुक ह िक ये उवा कौन है |” उम ने आ ह िकया |

हनुमान जी वह पा अपने दाए हाथ से बाए हाथ पर ले आये | उसके बाद उ ोंने दायाँ हाथ हवा म आगे फैलाया और कलाई से धीरे से घुमाया | 7
पीले धागे हवा म कट हो गए | ये धागे काल के धागे थे जो साधारणतया अ होते ह | उ ोंने सात धागों के एक भाग को मातां गो को पीले रं ग म
िदखाने की लीला की |

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उम ने पूछा - “हे भु , ा ये काल के धागे ह ? लेिकन ये धागे गितमान ों नहीं ह ?”

हनुमान जी ने उम को कोई उ र नहीं िदया | उ ोंने पा को इस तरह झुकाया िक व उन धागों पर टपकने लगा | जैसे ही व ने धागों को छु आ ,
व धागों पर फ़ैल गया और धागे गितमान हो गए |

अगले ही ण सब कुछ बदल गया | हनुमान जी के हाथ म जो पा था वह अ हो गया | उनका हाथ अब उवा की तरफ इशारा कर रहा था और
उवा हाथ जोड़े खड़ा था, उसकी दे ह कां प रही थी |

“तुम भय से ों कां प रहे हो , उवा?” हनुमान जी ने पूछा |

“म आपको समिपत ँ , भु - चाहे आप मेरा अ समा करना चाह अथवा मुझे गायब करना चाहे - म पूणतः आपका ँ |” उवा बुदबुदाया |

हनुमान जी मु ु राये और बोले - “म तु े गायब ों क ँ गा , उवा?”

उवा शां त खड़ा था | उिम बोल पड़ी - “हे भु , जैसा िक म कह रही थी , इसने अपने अ का िच िव के हर कण पर छोड़ा है | इसिलए इसके
अ को नहीं िमटाया जा सकता |”

हनुमान जी मु ु राये और बोले - “एक ण पहले मने इसके अ को समा िकया था | मने इसके पूरे अ को एक पा म बंद कर िदया था |
उस समय आप म से कोई भी यह मानने को भी तैयार नहीं था िक उवा नाम का कोई भी है | अब जबिक मने इसके अ को पुन थािपत
कर िदया है , सब कुछ पहले जैसा हो गया है | अब तुम यह मानने को तैयार नहीं हो िक इसके अ को िमटाया जा सकता है |”

यजमान च रता बोली - “हे भु , मुझे भी याद नहीं िक आपने उवा को कुछ ण पहले गायब िकया था लेिकन मुझे एक धुंधला सा ज र याद है |
मुझे कुछ धागों के ऊपर कोई व टपकता याद आ रहा है ... वे धागे गितमान हो गए जब वह व उन पर िगरा | उसके प ात् मुझे कुछ रण नहीं |”

“हे नादान , वे काल के धागे ह | वे तब गितमान होते ह जब आकाश का व उन पर िगरता है | उसी से जीवन अ म आता है | आप सब लोग
आकाश के, समय के धागों पर पड़ने वाले ेपण के कारण ही अ म हो | आपकी आ ा काल के धागों पर बैठी है | आपकी आ ा की कुछ
इ ाएं ह | आकाश का व काल के धागों पर िगरकर होता है और उन इ ाओं को पूण करता है | उस होने की ि या म काल के
धागे आगे की ओर चलते ह | उनके साथ आपकी आ ा भी चलती है और कुछ और इ ाएं धारण कर लेती है | आकाश का व पुनः काल के धागों
पर होकर उन इ ाओं को पूण करता है | यह म ऐसे ही तब तक चलता रहता है जब तक या तो काल के धागों से आ ा िगर न जाए या म
को पहचानकर मो को ा न हो जाए |”

सभी मातंग हनुमान जी के बोले श ों को समझने का यास करने लगे | इसिलए कुछ पल सभा म स ाटा रहा | िफर हनुमान जी बोले - “म यहाँ से
िकसी भी को कुछ इस तरह गायब कर सकता ँ िक आप लोग यह भी भूल जायगे िक वो कभी आपके साथ अ म था | उसी तरह
म यहाँ पर िकसी भी को कुछ इस तरह ला सकता ँ िक आप सब लोग ये सोचोगे िक वो पहले से ही आपके साथ था | मने कुछ पल पहले उवा
के साथ ऐसा ही िकया था |”

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इस समय एक अधेड़ उ का मातंग पूजा सभा से खड़ा आ और हाथ जोड़कर बोला - “जब िकसी की मृ ु होती है , भु , तब आपको उस
का पूरा अ िमटा दे ना चािहए तािक उस मृत से स ंिधत चीजे और याद भी िमट जाएँ | आप मृत की यादे और चीजे ों
छोड़ दे ते ह जो उसके ि यजनो को दु ःख दे ती ह?”

हनुमान जी को यह दे खकर अ ा लगा िक एक साधारण मातंग ने चरण पूजा म िकया | उ ोंने उ र िदया - “आपकी आ ा को दु ःख अनुभव
इसिलए होते ह ोंिक आपकी आ ा दु ःख की इ ा कट करती है |”

“दु ःख की इ ा कोई नहीं करता भु | सभी केवल सुख की इ ा करते ह |” उम ने िटप ी की |

हनुमान जी मु ु राये और बोले - “सुख और दु ःख एक दु सरे से जुड़े ए ह | अगर आप सुख की इ ा करते ह तो आप अ प से दु ःख की इ ा


भी करते ह | इसिलए न सुख की इ ा करो न दु ःख की | तब आपको मु सागर म थान िमलेगा जहाँ न सुख है और न दु ःख |”

यजमान च रता ने पुछा - “हे भु , मुझे पीले धागों पर ेत व िगरने का धुंधला ों याद है ? आपने उवा के साथ अभी जो िकया, उसका
िकसी अ मातंग को ों याद नहीं है ?”

हनुमान जी ने उ र िदया - “हे च रता , क ना करो िक मने उवा के पूरे अ को एक पा म इक ा कर िलया| वह एक ेत व जैसा िदखाई दे गा
| अगर म उस व को पुनः मु कर दू , कुछ भी नहीं बदलेगा | सब कुछ वैसा हो जाएगा जैसा अ को पा म इक ा करने से पहले था |
लेिकन क ना करो , अगर म आकाश व की एक बूंद अपने पास रख लूँ और बाकी को होने के िलए मु कर दू ं ? वह एक बूंद उवा के संसार
को पूरी तरह बदल सकती है | उदाहरण के तौर पर , अगर वह बूँद चा के रं ग के िलए िज ेदार है , तो उवा की चा का रं ग चला जाएगा | उसकी
चा पारदश हो जाएगी | वह एक बूँद न केवल उवा को बदल दे गी , ब आप सबको भी बदल दे गी | ोंिक आपके बीच एक असाधारण चा
का मानव रहने लगेगा | आप सबका िव को दे खने का ि कोण बदल जाएगा | हे च रता , मने उवा के अ म से कोई बूंद तो नहीं िनकाली है
लेिकन थोडा सा प रवतन अव िकया है | वह प रवतन मने तु ारी इ ा की पूित म सहायक बनने के िलए िकया है | इसीिलए तु े वह धागों और
व का याद रह गया | यह तु ारी इ ापूित म सहायक होगा |”

उम ने बसंत की ओर दे खा जो चरण पूजा के पहले चरण का यजमान था | उसकी अपने र पाने की इ ा अभी पूरी नहीं ई थी | उम ने उसकी
ओर इस िज ासा म दे खा िक ा उसकी इ ापूित के िलए भी हनुमान जी ने कोई प रवतन िकया है ? लेिकन उसके िमजाज से ऐसा कुछ नजर नहीं
आ रहा था |

हनुमान जी आगे बोले - “औवा नाम के एक ऋिष थे | उ ोंने आकाश के व पर इतने योग करने शु कर िदए थे िक यं इं दे व उनकी खोजों से
अपने अ को खतरा मानने लगे थे | हालां िक औवा ने अपनी खोजों का योग बुरे काय के िलए कभी नहीं िकया, िक ु वे िकसी का भी भा
बदलने की श धारण कर चुके थे |

“औव ऋिष राजा सागर के गु थे और राजा सागर भगवान् राम के पूवज थे | राजा सागर का जीवन औव ऋिष के कारण ही था | जब सागर अपनी
माता के गभ म था तब उसके िपता की मृ ु हो गई | उसके िपता अपना रा गवां चुके थे और जंगलों म रह रहे थे | श ु ब त थे | उसके िपता की
मृ ु के बाद श ुओं ने उसकी माता को मारने के िलए ढू ँ ढना शु कर िदया था | तब औव ऋिष ने उसकी माता की जान बचाई थी | जब सागर पैदा
आ तब ऋिष औव ने उसको िशि त दीि त िकया | बड़ा होने पर सागर ने अपने िपता के श ुओं को परािजत कर अपना खोया आ रा हािसल
िकया |

“राजा बनने के प ात् भी राजा सागर ाय: औव ऋिष के आ म म जाया करते थे | एक बार उ ोंने वहां अपनी प ी सुमित के साथ जाने का िवचार
बनाया | जब भी वे जाते थे तो वे औव ऋिष के पु रिशक के िलए मोदक अव ले जाते थे | उ पता था िक रिशक को मोदक ब त पसंद ह
इसिलए वे िवशेष प से राज रसोई से मोदक बनवाते थे |

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“िजस िदन वे आ म को कूच करने वाले थे उससे 2 िदन पहले सुमित ने राज खानसामे को मोदक तैयार करने का आदे श दे िदया था |

“िजस सुबह सागर और सुमित आ म की तरफ अपनी या ा शु करने की तैयारी कर रहे थे , तब आ म म ान म ऋिष औव को भिव दशन
आ | उ दशन आ िक सागर और सुमित रा े म एक भू लन की वजह से मृ ु को ा होने वाले ह | ऋिष औव के पास उ बचाने का एक
ही िवक था : िक वे तुरंत उ स े श भेजे िक वे उस रा े से न आय जहाँ से भू लन होने वाला था |

“ऋिषयों को भिव दशन म जो िदखे उसे उजागर करने की आ ा नहीं होती | अगर वे उजागर करते ह तो उनकी भिव दशन की श चली जाती
है | इसिलए यह िवक उिचत नहीं था |

“ऋिष औव ने अपनी उसी खोज को योग म लाने की सूझी िजससे इं दे व उनसे नाराज थे : िकसी भी अ को पूणतः िमटाने की खोज | ऋिष
औव यं अपने पु पर इस खोज का योग कर रहे थे | वे अपने पु रिशक के अ को एक पा म बंद करने म कुशल हो गए थे |

“जब राजा सागर और रानी सुमित अपने महल से िनकलने की तैयारी कर रहे थे तब ऋिष औव ने अपने आ म म अपने पु रिशक के अ को
िमटा िदया : अथात रिशक से स ंिधत सभी ृितयाँ और िच एक पा म बंद हो गए |

“जब राजा और रानी महल से िनकले , उनका राज खानसामा भागा भागा आया | वह िच ा रहा था - “हे राजन , हे महारानी, आप ये मोदक अपने
साथ ले जाना भूल गए |”

“रानी सुमित बोली - “मोदक? िकसिलए ? हम ऋिष औव के आ म म मोदक ों ले जाएँ ?”

“मुझे नहीं पता , महारानी |” खानसामे ने उ र िदया - “आपने मुझे आपकी इस या ा के िलए मोदक बनाने का आदे श िदया था |”

““नहीं, तुमसे कोई भूल ई है | मने मोदक बनाने का आदे श नहीं िदया |” रानी ने उ र िदया | ऋिष औव के पु और मोदकों के बारे म सब कुछ
उनकी ृित से उड़ गया था ोंिक ऋिष औव ने अपने पु के अ को िमटा िदया था |

“राजा और रानी िबना मोदक िलए ही रवाना हो गए | जब वे ठीक उस थान के पास प ं चे जहाँ भू लन होना िनि त था , औव ने अपने आ म म
अपने पु के अ को पुन थािपत कर िदया | रिशक के बारे म सभी ृितयाँ और चीजे िव म पुनः हो गई | राजा और रानी के मन म भी
रिशक की ृित लौट आई | उ आभास आ िक वे महल से मोदक लाना भूल गए ह | उ ोंने अपना कारवां कवाया |

“जब वे सोच रहे थे िक महल से मोदक कैसे मंगवाए जाएँ - वे यं जाएँ या सैिनक को भेज - तभी उनसे कुछ मीटर की दू री पर भू लन शु हो गया
| उ ोंने खैर मनाई िक उ ोंने अपना कारवां ठीक समय पर रोक िलया | उ आभास नहीं था िक उनकी जान ऋिष औव की खोज ने बचाई थी |

“जब महल से मोदक आ गए तो उ ोंने दू सरा रा ा पकड़ा और ऋिष औव के आ म प ं चे |

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11/7/2017 The secret of Existence: how a woman can give birth to as many as 60,000 children | Setuu Hanuman

“उ ोने आ म म शां ितपूण समय िबताया और ऋिष औव के साथ अ ा वातालाप िकया | ऋिष औव ने ान िदया िक रानी सुमित का मन पूणतः
शां त नहीं था | उ ोंने अपने ान के श ों से रानी को स ोिहत िकया िजससे िक उनके मन की भावनाएं बाहर आई | उ ोंने बताया - “गु दे व,
छोटी रानी ने आपकी कृपा से असमंजस नामक ब े को ज िदया है | राजवंश असमंजस के ज रये आगे बढ़ जाएगा | राजन खुश ह , म भी खुश ँ
| म असमंजस को अपना ही ब ा मानती ँ | लेिकन कही अ र से मुझे औरत के प म अपूणता का आभास होता है | मातृ का अनुभव करने
की इ ा मर नहीं रही है िजससे िक मेरा मन अशां त रहता है | आपने बताया िक मेरा गभ ब ा सँभालने म स म नहीं है | मुझे पता है िक म कभी माँ
नहीं बन पाउं गी िक ु मेरा मन यह स ीकार नहीं कर पाया है |”

“तु े िकसने बताया िक तुम माँ नहीं बन सकती ? मने तो तु े केवल इतना बताया िक तु ारी दे ह ब ा नहीं धारण कर सकती | इसका यह अथ नहीं
है िक तुम ब े को ज नहीं दे सकती |” ऋिष औव ने बताया - “तु ारे पास िकसी अ औरत की भां ित ही 60000 ब े पैदा करने की श है |”

“साठ हज़ार?” रानी ने आ य से कहा |

“यह तो मानव मता के अनुसार असंभव मालुम पड़ता है गु दे व|” राजा ने कहा |

“जीवन को अ म आने के िलए केवल दो चीजों की आव कता होती है - काल के धागे और आकाश का व |” ऋिष औव ने बताया - “एक
जीवन को होने के िलए 7 समय के धागों की आव कता होती है | हे सुमित , तुम समय के 7 धागों पर िवराजमान हो | हे सागर , तुम भी समय
के 7 धागों पर िवराजमान हो | लेिकन एक अंतर है : पु ष के समय के धागे तने की तरह सीधे होते ह जबिक मिहला के समय के धागे वृ की शाखा
की तरह होते ह | जैसे शाखा से टहिनयां ु िटत होती ह, समय के छोटे रे शे औरत के समय के धागों से िनकलते ह | एक मिहला 420000 समय
के रे शे िनकाल सकती है | एक जीवन के िलए 7 रे शों की आव कता होती है , अतः वह कुल 60,000 ब ों की माँ बन सकती है |”

“राजा सागर ने पूछा - “गु दे व , तो िफर नया जीवन करने म पु ष की ा भूिमका है ?”

“ऋिष औव ने उ र िदया - “समय के रे शे तब तक जीवन को अपने ऊपर धारण नहीं कर सकते जब तक िक वे गितमान न हो जाएँ | समय के रे शे
तभी गितमान होते ह जब आकाश व उन पर पड़ना शु हो जाता है | जब आकाश का व काल के धागों पर पड़ना बंद हो जाता है , जीवन का
अ समा हो जाता है | अपने अ की क ना करो , हे सागर | तु ारा अ इसिलए है ोंिक तुम समय के 7 धागों पर िवराजमान हो
िजन पर आकाश का व लगातार िगर रहा है | तु ारे काल के धागों पर आकाश का व , आकाश के दे वता इं िगरा रहे ह |”

[सेतु िटप ी : इस घोर अ ानता के युग म एक िम ा िस है िक इं वषा के दे व ह | अब आप क ना कर सकते ह िक यह िम ा कैसे चिलत


ई | इं आकाश के व की वषा समय के धागों पर करते ह | वे उस साधारण पानी की वषा नहीं करते जो वषा के मौसम म आप दे खते ह | वे संसार
चलाने म योगदान दे ने वाले सभी दे वताओं के राजा है |]

“राजा सागर ने पूछा - “गु दे व , अगर आकाश का व इं दे व िगरा रहे ह , तो एक पु ष की नया जीवन करने म ा भूिमका है ? मिहला सीधे
इं दे व से ही ाथना कर सकती है िक - “हे इं ा , मने समय के 7 रे शों को अलग िकया है , कृपा आकाश का व उन रे शों पर िगराइए तािक उन पर
नया जीवन हो सके |”””

““आकाश के दे व इं दे व पु ष के मा म से कट होते ह और समय के दे व कालदे व मिहला के मा म से होते ह|” ऋिष औव ने वणन िकया -
“मान लो िक तु े इन खेतों म पानी लाना है | यहाँ से 8 मील की दू री पर नदी बह रही है | यहाँ तक पानी लाने के िलए तुम वहां से यहाँ तक नहर
बनाओगे या वहां से जहाँ से नदी की शु आत होती है ? आकाश का व मु सागर से आता है | उस व की एक धारा तुम तक पहले से ही प ँ च रही
है | नया जीवन करने के िलए इं दे व को उसी धारा से नई धारा िनकालने की आव कता है , न िक मु सागर से नई धारा लाने की |”

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11/7/2017 The secret of Existence: how a woman can give birth to as many as 60,000 children | Setuu Hanuman

““म इं दे व से कैसे ाथना क िक वे मेरी धारा से नई धारा िनकालकर नया जीवन कर?” राजा सागर ने पूछा |

“ऋिष औव ने उ र िदया - “हे सागर , तु ारे आकाश की धारा तु ारे समय के धागों पर िगरकर उन सभी चीजों का िनमाण करती है जो तुम अपने
आस पास दे खते हो | अगर तुम चाहते हो िक इं तु ारे आकाश की धारा से नई धारा िनकालकर नया जीवन कर , तो तु े अपने चारों और की
सभी चीजों को िमटाना होगा , केवल एक पल के िलए | उस पल म इं दे व तु ारी आकाश धारा से एक धारा िनकालकर उसे तुम जहाँ चाहो वही
िदशा दे दगे |”

“जहाँ म चा ँ ?” राजा सागर ने पूछा |

“ऋिष औव ने उ र िदया - “हाँ , अगर तुम सुमित के साथ संतान चाहते हो तो िजस समय इं दे व तु ारी आकाश धारा को बां टे, उस समय तु ारी
आ ा का सुमित की आ ा के समीप होना आव क है |”

“रानी सुमित ने पूछा - “लेिकन गु दे व , आपने तो कहा था िक मेरी दे ह ब ा धारण नहीं कर सकती| तो िफर म माँ कैसे बन सकती ँ ?”

“ऋिष औव ने उ र िदया - “सै ां ितक प से एक छोटी लड़की के अ र भी 4,20,000 समय के रे शे होते ह | लेिकन आ ा हमेशा दे ह के ित
र ा क होती है | इसीिलए, जब तक कोई दे ह ब ा धारण करके के यो न हो तब तक आ ा समय के रे शो का ु टन नहीं होने दे ती | अगर
एक दे ह 1 ब ा धारण करने यो हो तब आ ा केवल 7 रे शो को ु िटत होने दे ती है | तु ारी दे ह म एक कमी होने के कारण तु ारी आ ा
समय के एक भी रे शे को ु िटत नहीं होने दे रही है | अगर तुम कोई अ दे ह धारण कर लो, तो तुम माँ बन सकती हो |”

““अ दे ह?” रानी सुमित ने आ य से पूछा |

“ऋिष औव ने उ र िदया - “मान लो िक एक औरत की दे ह है जो जीिवत है लेिकन उसमे कोई आ ा नहीं है (कोमा जैसी थित) | अगर तु ारी
आ ा को यह िव ास िदला िदया जाए िक वह दे ह तु ारी ही है , तो तुम उस दे ह म ब ा धारण कर सकती हो |”

““लेिकन जब ब ा उस दे ह से पैदा होगा तो उसमे उस दे ह के गुण होंगे | वह दे ह उसकी माता होगी , म नहीं | उस दे ह से पैदा ब े से मुझे मातृ
का स महसूस नहीं होगा |” रानी सुमित ने कहा |

““सुमित , अगर तु ारे समय के रे शे उस ब े को जीवन दे ने के िलए योग िकये जायगे , तो उसमे तु ारे गुण होंगे | और तु ारी आ ा उस ब े के
साथ मातृ का स अनुभव करे गी | िजस औरत की दे ह योग की जायेगी , उसको उस ब े से कोई लगाव नहीं होगा |” ऋिष औव ने कहा |
अपने सै ां ितक ान को परखने की स ावना िदखाई दे ने से ऋिष औव की आँ ख चमक रही थी | उ ोंने पूछा - “ ा तु ारे रा म कोई ऐसी औरत
है जो तु ारे ब े के ज के िलए अपनी दे ह का योग करने के िलए राजी हो? मुझे उसकी आ ा उसकी दे ह से िनकालनी पड़े गी और उसे 9 महीने
तक आ ाहीन अव था म रखना पड़े गा |”

“रानी सुमित ने उ र िदया - “हमारे रा की कोई भी औरत ऐसा करने के िलए राजी हो जाएगी | जैसा िक आप जानते ह , म रानी होने के साथ साथ
मिहला मामलों की मं ी भी ँ | रा की सभी औरत मुझसे ब त ार करती ह | वे मेरे िलए अपनी जान भी ोछावर कर सकती ह |”

““उनके जीवन को कोई खतरा नहीं होगा |” ऋिष औव ने बताया | रानी सुमित केवल एक पु चाहती थी लेिकन ऋिष औव अपने सै ां ितक ान को
परखना चाहते थे | उ ोंने राजा और रानी को इस योग के िलए मना िलया | 60,000 से कुछ ादा औरतों को आ ाहीन बनाया गया िजनमे से

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11/7/2017 The secret of Existence: how a woman can give birth to as many as 60,000 children | Setuu Hanuman

केवल 60,000 औरत रानी सुमित और राजा सागर के पु ों से गभवती ई | 9 महीने बाद सुमित 60,000 ब ों की माँ बन गई |” हनुमान जी ने
मातंगों को बताया |

[सेतु िटप ी : अगर आप िकसी ऐसे द ित को जानते ह जो िनसंतान ह , आप या तो इस अ ाय का िलंक उनके साथ शेयर कर सकते ह या इसका
ि ंट आउट िनकालकर उनके साथ शेयर कर सकते ह | इससे उ इ ापूित म सहायता िमल सकती है | कृपा ान द , इस वेबसाइट पर कािशत
साम ी का ि ंट आउट लेने की अनुमित केवल गत योग के िलए है | ि ंट आउट बटन बॉटम मेनू म उपल है |]

दसवे अ ाय का supplementry : "भगवान् कृ ारा दे वी दु गा के 9 पों का दु लभ वणन" पढने के िलए यहाँ क कर

दसवे अ ाय के रोजमरा के जीवन म वहा रक उपयोग :

1. अपना सौभा अपने आप कैसे बनाएं ? : दसवे अ ाय म राजा सागर भू लन म मृ ु को ा होने वाले थे | उनके गु औव वहां से मीलों दू र थे
तो भी उ ोंने राजा को मा उनकी याददा से खलवाड़ करके बचा िलया | राजा सागर और उनकी प ी इसिलए बच गए ोंिक उनके मन म ऋिष
औव के पु की ृितयाँ थी | अगर आप भी अपना सौभा बनाना चाहते ह तो आपके मन म िस ों अथवा भगवानों को ि ये िकसी व ु की ृित
होनी चािहए | उदाहरण के तौर पर , अगर आप चाहते ह िक भगवान् राम आपकी र ा कर तो आपके मन म उनके ि ये ी हनुमान जी की ृितयाँ
होनी चािहए | यहाँ पर आप हनुमान जी की लीलाएं पढ़कर आप अपने मन म उनकी ृितयाँ बना रहे ह और अपना सौभा सु ढ़ कर रहे ह |
2. अ े भिव के िनमाण का सू : इस अ ाय म यह बताया गया है िक हमारा अ काल के तीन आयामों म है : भूत , भिव और वतमान |
अथात भूत , भिव व वतमान आपस म जुड़े ए ह | अगर आप अपने भिव को बदलना चाहते ह तो आपको अपना वतमान तथा भूतकाल दोनों
बदलने पड़गे | वतमान को बदलना तो आपके हाथ म है लेिकन भूतकाल कैसे बदले ? भूतकाल बदलने का सू है - “भूलो और माफ़ करो” | उनको
माफ़ करो िज ोंने आपको भूतकाल म हािन प ं चाई है और भूतकाल के पीड़ादायक अनुभवों को भूल जाओ | भूतकाल का वजन अपनी पीठ पर
लादकर भिव की ओर मत बढ़ो अगर आपको अपना भिव बेहतर बनाना है तो |

हनुमान जी की लीलाओं का यह अ ाय यही समा होता है |

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--- सीधे अपण पर जाएँ ---

आ ा पर म की परत
Himanshu, अ ाय पढने के बाद यह पयवे ण करना आव क है िक आप कैसा महसूस कर रहे ह | अगर आप कुछ ऐसा महसूस कर रहे ह -
"वाह! मने कुछ नया पाया |" अथवा "वाह, मने कुछ नया सीखा |" अथवा "मेरी अपने भु ले ित भ ओर भी बढ़ गई|" इ ािद तो आप अपने
भु की ओर एक कदम भी नहीं बढ़ ह | आप उतनी ही दू री पर अटके ए ह |

अगर अ ाय पढने के बाद आप कुछ ऐसे महसूस कर रहे ह जैसे आपके अ र से कुछ बाहर िनकलकर िगर पड़ा हो और आप आ ा से ह ा
महसूस कर रहे हों तो आप अपने भु की तरफ कम से कम एक कदम बढ़ चुके ह |"

आपकी आ ा एक आईने की तरह है िजसके ऊपर इस बाहरी संसार के कारण धुल चढ़ गई है | अगर अ ाय पढने के बाद आप ऐसा महसूस कर
रहे ह िक आपने कुछ नया पा िलया है तो उसका अथ है िक आपने अपनी आ ा पर एक और परत चढ़ा ली है | आप भु के सा ात् दशन तभी कर
सकते ह जब आप ये परत हटाय | अतः अगर आप इस समय आ ा से ह ा महसूस नहीं कर रहे ह तो आप कुछ समय बाद िफर आकर यह
अ ाय पिढ़ए |

अगर आप आ ा से ह ा महसूस कर रहे ह तो इसका अथ है िक आपने अपनी आ ा के आईने से कम से कम एक धुल की परत साफ़ कर ली है
| अब आपका अगला कदम होना चािहए िक यह धुल की परत वहां पुनः न बैठे | (जब आप अपने घर म कोई आइना कपडे से साफ़ करते ह तो
आप उस कपडे को अ र यूँ ही नहीं रख दे ते , आप उसे बाहर झड़काकर आते ह )

धुल की परत िफर से आ ा पर न बैठे, इसके िलए भु को अपण िकया जाता है | अपण फूलो , फलो या िकसी भी ऐसी व ु का हो सकता है जो
आपसे जुडी ई हो | मातंग सं ृ ित म आ ा से ह ा महसूस करने के 108 घंटे के अ र अ र अपण करने का िवधान है | आप बाजार से भी
फल का अपण खरीद सकते ह ोंिक आपका पैसा भी आपसे जुडा आ है |

भगवान् िव ु का अंितम अवतार


जब भगवान् राम ने अपनी सां सा रक लीलाएं पूरी की और िव ु लोक म चले गए तब हनुमान जी भी अयो ा से वािपस आ गए और जंगलों म रहने
लगे | वे अपने अ प म भ ों की सहायता करते रहे | लेिकन जब महाभारत काल म भगवान् िव ु कृ के प म धरती पर आये तब
हनुमान जी भी जंगलों से बाहर आये और पां ड्वो की सहायता की (उ ोंने पूरे यु म अजुन के रथ की र ा की )

महाभारत यु के प ात् हनुमान जी िफर जंगल म चले गए | उ ोंने अ प म भ ों की र ा करना जारी रखा | लेिकन प म केवल
ऋिष मुिन ही उ दे ख सकते थे वो भी जंगलों म | उदाहरण के तौर पर , मातां गो को जंगल म हर 41 साल बाद उनके आित का सुख ा होता

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11/7/2017 The secret of Existence: how a woman can give birth to as many as 60,000 children | Setuu Hanuman

था |

अब हनुमान जी ने अपनी लीलाए करके एक बार िफर से पूरे संसार के सामने अपने प का दशन कराया है | लेिकन वे ऐसा तभी करते ह
जब भगवान् िव ु िकसी अवतार म धरती पर मौजूद हों | ा भगवान् िव ु ने क के प म अवतार ले िलया है ? या अवतार लेने वाले ह ?
इसके कुछ िहं ट हनुमान जी ने अपनी लीलाओं म िदए ह | शायद आगे आने वाले अ ायों म यह पूणतः सप हो जाएगा |

तब तक ी हनुमान जी के िनदशानुसार सा ात् हनुमान पूजा अनवरत जारी है | अगर आप अपना कोई , संदेह अथवा ाथना सा ात् हनुमान
पूजा म स िलत करवाना चाहते ह तो सेतु के मा म से कर सकते ह | (write them in "My Experiences" section. )

Himanshu, आप सा ात् हनुमान पूजा म अपण भेजकर यजमान के प म भी िह ा ले सकते ह | अपण हनुमान जी की लीलाओं का अ ाय
पढने के 108 घंटे के अ र होता ह |

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