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Suraksha Chetna October 2022 To March 2023
Suraksha Chetna October 2022 To March 2023
2022-
2021-22 2022-23 (H2)
23
कार्रवाई इकाई
योजना (अक्तू'22-
वास्तविक वास्तविक वास्तविक
मार्च'23)
रिफाइनरी/पेट.रसा./जीपीपी/
सं. 25 13 16 25
एलएनजी/सीटीएफ/ओजीटी
1
ओआईएसडी ने बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) के अनुरोध के अनुसार, प्रमुख बंदरगाहों की पीओएल
प्रबंधन और भंडारण सुविधाओं का ऑडिट किया। आईसीजी (भारतीय तट रक्षक बल) के सहयोग से तेल बिखराव निरीक्षण किया
गया। एचएलसी (उच्च स्तरीय समिति) और सुरक्षा परिषद की सिफारिशों के अनुसार संगठन स्तर के ऑडिट किए गए।
तेल उद्योग सुरक्षा निदेशालय, तेल और गैस उद्योग में प्रारंभ पूर्व सुरक्षा ऑडिट (पीसीएसए) करता है। ये ऑडिट, उद्योग के अनुरोध
पर ग्रीन फील्ड विकास और मौजूदा कार्यस्थलों पर प्रमुख अतिरिक्त सुविधाओं में ओआईएसडी मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित
करने के लिए किए जाते हैं।
2022-23 (दूसरी छमाही) में किए गए पीसीएसए और पीएनजी नियम 2008 के तहत दिए गए सीटीओ का विवरण:
1 रिफाइनरी सं. 8 24
पेटरसा/जीपीपी/एलएनजी/सीटीएफ/
2 सं. 2 4
ओजीटी
उप – योग 43 11
उप – योग 14 22
2022-23 (दूसरी छमाही) के दौरान पीसीएसए और पोर्ट ऑडिट राजस्व: 265 लाख
2
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, ओआईएसडी ने 428 तेल और गैस प्रतिष्ठानों का अब तक का उच्चतम सुरक्षा ऑडिट किया, जिसमें
06 संगठन स्तरीय ऑडिट, 05 पोर्ट ऑडिट, 05 एसपीएम ऑडिट, आईसीजी के साथ 6 तेल बिखराव संयुक्त निरीक्षण और 111
पीसीएसए शामिल हैं। कु ल 11299 किलोमीटर पाइपलाइन का ऑडिट भी किया गया।
2. मानक संशोधन:
तेल उद्योग सुरक्षा निदेशालय ने तेल और गैस उद्योग के सभी क्षेत्रों को कवर करते हुए 120 मानक विकसित किए हैं। इन मानकों की
समय-समय पर समीक्षा की जाती है और इन्हें उद्योग के साथ भागीदारी प्रक्रिया के माध्यम से संशोधित किया जाता है। नवीनतम
प्रगति, नियमों में बदलाव, घटना से सीखे गए सबक और आयु (दस साल में एक बार) जैसे विभिन्न कारकों के आधार पर मानक में
संशोधन किया जाता है।
साठ मानक संशोधन के विभिन्न चरणों में हैं। विवरण इस प्रकार हैं:
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क्र. मानक वर्णन
14 ओआईएसडी आरपी 148 बिजली के उपकरणों की ओवरहालिंग के दौरान निरीक्षण और सुरक्षित अभ्यास
15 ओआईएसडी मानक-152 हाइड्रोकार्बन उद्योग में प्रक्रिया प्रणाली के लिए सुरक्षा उपकरण
18 ओआईएसडी दिशानिदेश-165 पीओएल टीटी दुर्घटना के बचाव और राहत अभियान के लिए दिशानिर्देश
4
क्र. मानक वर्णन
29 ओआईएसडी मानक-194 तरलीकृ त प्राकृ तिक गैस (एलएनजी) की उतराई, भंडारण और पुनर्गैसीकरण
30 ओआईएसडी दिशानिदेश-200 तेल बिखराव प्रतिक्रिया आकस्मिक योजना तैयार करने के लिए दिशानिदेश
34 ओआईएसडी मानक -210 ऑटोमोटिव उपयोग के लिए एलपीजी का भंडारण, प्रबंधन और ईंधन भरना
36 ओआईएसडी मानक -216 तटवर्ती और अपतटीय ड्रिलिंग / डब्ल्यू ओ रिग में विद्युत सुरक्षा
ओआईएसडी दिशानिदेश ड्रिलिंग और वर्क ओवर रिग के सुरक्षित रिग-अप और रिग-डाउन के लिए
37
-218 दिशानिर्देश
5
क्र. मानक वर्णन
38 ओआईएसडी दिशानिदेश -224 वाष्पशील कार्बनिक यौगिक उत्सर्जन की निगरानी और नियंत्रण '
39 ओआईएसडी मानक -226 प्राकृ तिक गैस संचरण पाइपलाइन और नगर गैस वितरण नेटवर्क
नोट: उपर्युक्त सूची में से 15 मानकों का अन्य के साथ विलय किया जा रहा है।
2022-23 (दूसरी छमाही) के दौरान रिपोर्ट की गई 17 घटनाओं में से ओआईएसडी ने 8 घटनाओं की जांच की। 4 घटनाओं की
के स स्टडी को ओआईएसडी पोर्टल पर अपलोड किया गया है और इस दौरान 4 सुरक्षा अलर्ट जारी किए गए हैं। समान प्रकृ ति की
घटनाओं के लिए सुरक्षा अलर्ट जारी नहीं किए गए।
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4. पेट्रोलियम और प्राकृ तिक गैस (अपतट संचालन में सुरक्षा) नियम, 2008:
तेल उद्योग सुरक्षा निदेशालय, पेट्रोलियम और प्राकृ तिक गैस (अपतट संचालन में सुरक्षा) नियम, 2008 के कार्यान्वयन की निगरानी
के लिए सक्षम प्राधिकारी के रूप में अपतटीय स्थिर और मोबाइल प्रतिष्ठानों को संचालित करने के लिए सहमति प्रदान करता है।
वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, सहमति के लिए शुल्क लागू करने के लिए पेट्रोलियम और प्राकृ तिक गैस (अपतट संचालन में सुरक्षा)
नियम, 2008 में प्रस्तावित परिवर्तनों पर कई बैठकें आयोजित बैठकों की गईं। वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में दो बैठकें
आयोजित की गईं।
अक्तू बर 22 से मार्च 23 के दौरान, पीएनजी नियम 2008 की समीक्षा के लिए तीसरी विशेषज्ञ समिति की बैठक 11 और 12
अक्तू बर 22 को ओएनजीसी, मुंबई में आयोजित की गई थी; चौथी विशेषज्ञ समिति की बैठक 22 और 23 दिसंबर, 22 को के यर्न,
सूरत में और पांचवीं बैठक 9 से 10 फरवरी, 23 को आरआईएल, मुंबई में आयोजित की गई थी।
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(ख) कार्यशालाएं/प्रशिक्षण/सम्मेलन/संगोष्ठी:
2. 14 और 15 फरवरी, 23 को बीपीसीएल अधिकारियों के लिए आंतरिक सुरक्षा ऑडिट पर बीपीसीएल, बीना में एक कार्यशाला
आयोजित की गई थी, जिसमें बीना कोटा पाइपलाइन के बीके पीएल पंप स्टेशन, वाडीनार बीना पाइपलाइन के सीओटी बीना, बीना
पियाला पाइपलाइन के बीपीपीएल पंप स्टेशन पर व्यावहारिक सुरक्षा ऑडिट शामिल था। निदेशक पीएल और पाइपलाइन अनुभाग
ने कार्यशाला का संचालन किया जिसमें 26 प्रतिभागियों ने भाग लिया
4. ओआईएसडी के पाइपलाइन समूह द्वारा 13 और 14 मार्च 2023 को रेवाड़ी डिस्पैच स्टेशन पर एचपीसीएल के आंतरिक
ऑडिटर्स के लिए दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में एचपीसीएल के कु ल 25 अधिकारियों ने भाग लिया।
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6. मार्च 23 को तेल उद्योग सुरक्षा निदेशालय ने
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, दिल्ली के कार्डियोलॉजी
विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. वरुण बंसल द्वारा
"स्वस्थ हृदय और प्रौद्योगिकी में उन्नति के बारे में
जागरूकता पैदा करना" विषय पर एक स्वास्थ्य वार्ता
का आयोजन कराया। इसमें ओआईडीबी भवन के
कार्यालयों के 70 अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग
लिया।
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14. कार्यकारी निदेशक-ओआईएसडी और निदेशक-विपणन संचालन-ओआईएसडी ने 6-8 फरवरी 2023 को बैंगलोर में आयोजित
भारत ऊर्जा सप्ताह में भाग लिया। 'एचएसई में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का एकीकरण' विषय पर निदेशक-विपणन संचालन श्री
रंजन श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक पैनल चर्चा भी हुई।
15. कार्यकारी निदेशक-ओआईएसडी और निदेशक ईएंडपी-ओआईएसडी ने 4 और 5 मार्च 2023 को मानस नेशनल पार्क असम
के पास मूसा जंगल रिट्रीट में ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा आयोजित एचएसई कॉन्क्लेव में भाग लिया।
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बैठकें :
क) 24 मार्च, 23 को शास्त्री भवन, एमओपीएनजी में बाघजान और तौक्ते एचएलसी की सिफारिशों के अनुपालन के लिए एक
समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता संयुक्त सचिव (ई एंड बीआर) ने की जिसमें कार्यकारी निदेशक-ओआईएसडी
और पीएसयू तथा निजी क्षेत्र के संबंधित ई एंड पी उद्योग के अधिकारियों ने भाग लिया। ई एंड पी उद्योग द्वारा एचएलसी की
सिफारिशों के अनुपालन की स्थिति पर ओआईएसडी द्वारा विस्तृत प्रस्तुति दी गई.
ख) संचालन समिति की 58वीं बैठक 13 अप्रैल, 2023 को ओआईडीबी भवन, नोएडा में आयोजित की गई। बैठक में प्रमुख
पैनलिस्ट और तेल और गैस उद्योग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिसमें तेल एवं गैस उद्योग में सुरक्षा को और बढ़ाने के मामले पर
विचार-विमर्श किया गया।.
अवलोकन/कमियां
जांच के दौरान घटना स्थल का दौरा, संबंधित अधिकारियों से बातचीत, उनके लिखित बयान और उपलब्ध दस्तावेज के आधार पर
निम्नलिखित अवलोकन किए गए:
रिग के अधिष्ठापन प्रबंधक को कु आं सौंपते समय, SIMOPS दस्तावेज़ में PPD-EX250 रासायनिक PPD-EX250 के बचे
हुए बैरल का कोई उल्लेख नहीं था। इसके अलावा, बातचीत के अनुसार, स्थापना प्रबंधक दुर्घटना से पहले छोड़े गए बैरल के
अंदर रसायन की सामग्री और मात्रा से अनभिज्ञ था। PPD-EX250 रसायन की सामग्री सुरक्षा डेटा शीट (एमएसडीएस) ड्रिल
साइट पर उपलब्ध नहीं थी।
घटना की तारीख को 3 ½” टयूबिंग बंडलों की धातु की पट्टियों को काटने के लिए के वल एक हॉट वर्क परमिट जारी किया गया
था। प्रोटेक्टर रखने के लिए बैरल उपलब्ध कराने के अनुरोध पर वेल्डर बैरल के ढक्कन को काट रहा था। बैरल के धातु के
ढक्कन को काटने के लिए कोई परमिट जारी नहीं किया गया था। साथ ही, ऐसे कार्यों के दौरान अपनाई जाने वाली सुरक्षा
सावधानियों और उपायों का पालन नहीं किया गया था।
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वेल्डर के पास वेल्डिंग और कटाइे के कार्य से संबंधित कोई अन्य योग्यता/प्रशिक्षण नहीं था। उसके पास वैध एमवीटी प्रमाणपत्र
था, लेकिन प्रमाण पत्र में यह उल्लेख नहीं था कि उसे वेल्डिंग के कार्य के लिए कोई विशेष प्रशिक्षण दिया गया था। वह अपने
अनुभव आधारित ज्ञान पर ही काम कर रहा था। परमिट टू वर्क (पीटीडब्ल्यू) जारी करने/प्राप्त करने के लिए कोई प्रशिक्षण
रिकॉर्ड नहीं देखा गया।
मृतक वेल्डर घटना के समय कं पनी द्वारा प्रदत्त उचित कवरऑल का उपयोग नहीं कर रहा था। इस असुरक्षित कार्य की न तो
रिपोर्ट की गई और न ही रिग कर्मी दल द्वारा इसे रोका गया।
घटना के समय वेल्डर अके ले काम कर रहा था और बैरल काटने के दौरान उसके साथ कोई सहायक नहीं था।
कार्य सुरक्षा विश्लेषण (जेएसए) 3 ½ इंच टयूबिंग की हैंडलिंग और स्टैकिंग के लिए किया गया था। लेकिन इसमें टयूबिंग के
प्रोटेक्टरों के भंडारण के लिए कटी हुई बैरल की आवश्यकता का उल्लेख नहीं था। साथ ही, हॉट जॉब के लिए कोई जोखिम दर्ज
नहीं किया गया था जो कि उपर्युक्त कार्य के लिए आवश्यक था।
आईएम और अन्य रिग कर्मी दल के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने खाली बैरल काटने की प्रक्रिया का वर्णन किया, यानी
काटने से पहले, बैरल को अच्छी तरह से साफ किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अंदर कोई ज्वलनशील पदार्थ
या शेष पदार्थ मौजूद नहीं है। लेकिन वे के वल हॉट जॉब के लिए एसओपी उपलब्ध करा सके और ऐसे कटाई संचालन के लिए
कोई लिखित प्रक्रिया/निर्देश उपलब्ध नहीं थे। इसके अलावा, निष्कर्ष रूप में यह नहीं कहा जा सकता कि वे ऐसी प्रक्रिया का
पालन करते हैं या नहीं क्योंकि घटना के दिन वेल्डर द्वारा इसका पालन नहीं किया गया था।
बैरल की साफ-सफाई, स्टैकिंग और मार्किंग नहीं की गई थी। (ड्रिल साइट पर बैरल बिखरे हुए देखे गए)।
इंस्टालेशन में असुरक्षित कार्यों/दशाओं की सूचना देने के लिए कोई प्रणाली नहीं मिली।
मौका मुआयना करने के दौरान टीम को बैरल का ऊपरी ढक्कन नहीं मिला। इसलिए, यह सत्यापित नहीं किया जा सका कि
क्या वेल्डर ने बैरल को काटने से पहले ढक्कन की कै प खोली थी और सामग्री की जांच की थी। तथापि, घटना के बाद बैरल की
स्थिति को देखने पर, जांच दल ने निष्कर्ष निकाला कि बैरल काटने से पहले वेल्डर द्वारा ढक्कन की कै प नहीं खोली गई थी,
जिसके कारण उसमें वाष्प और अज्ञात मात्रा में तरल के कारण विस्फोट हुआ था।
सिफारिशें
कार्यभार सौंपने की बैठक के दौरान सभी अवलोकनों को दर्ज किया जाना चाहिए और उपयुक्त शमन उपायों पर चर्चा की जानी
चाहिए और इन्हें SIMOPS जांच सूची में दर्ज किया जाना चाहिए (संदर्भ: अनुलग्नक जी ओआईएसडी-दिशानिदेश -186)।
बैरल/ड्रम के उपयोग के बजाय स्क्रै प और अन्य सामग्री के भंडारण के लिए उचित कं टेनर उपलब्ध होने चाहिए।
वेल्डिंग, ग्राइंडिंग, गैस कटिंग, बर्निंग, शॉट ब्लास्टिंग, सोल्डरिंग, चिपिंग, उत्खनन, खुली आग, कु छ गैर-विस्फोट प्रूफ उपकरणों
का उपयोग आदि जैसे सभी कार्य हॉट वर्क परमिट के माध्यम से किए जाएं (संदर्भ: सीआई 4.2 ओआईएसडी मानक 105)।
कोई भी व्यक्ति जो वर्क परमिट जारी करने या प्राप्त करने के लिए अधिकृ त है, उसे वर्क परमिट प्रणाली के विभिन्न पहलुओं पर
कम से कम एक दिन की अवधि का प्रशिक्षण दिया जाए। इसके अलावा वर्क परमिट जारी करने/प्राप्त करने या इसमें शामिल
होने के लिए अधिकृ त सभी व्यक्तियों को वर्क परमिट सिस्टम पर कम से कम दो साल में एक बार एक दिन का प्रशिक्षण दिया
जाए (संदर्भ सीआई 5(x) ओआईएसडी-मानक-105)।
संगठनों को ओआईएसडी मानक-155 की धारा 4.0 के अनुरूप कं पनी की पीपीई नीति की समीक्षा करनी चाहिए।
यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले जेएसए किया जाना चाहिए और न्यूनीकरण उपाय
सुनिश्चित किए जाने चाहिएं। जेएसए जिन संभावित, खतरों और जोखिमों का संके त देता है जिनसे घटना हो सकती है, व्यक्ति
को चोट लग सकती है, पर्यावरण को नुकसान हो सकता है या संभावित व्यवसाय जनित बीमारी हो सकती है उन्हें खत्म करने
या कम करने के लिए प्रत्येक संचालन के लिए आवश्यक कार्रवाइयां विकसित की जानी चाहिएं।
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बंद ड्रम/बैरल/कं टेनर/टैंक पर हॉट जॉब के लिए लिखित प्रक्रिया/निर्देश उपलब्ध होना चाहिए और ड्रिल साइट पर प्रदर्शित
होना चाहिए।
सुरक्षा अधिकारी/जारीकर्ता को कार्य स्थलों की समय-समय पर जांच करनी चाहिए और यह देखना चाहिए कि कार्य परमिट में
निर्धारित शर्तों के अनुसार कार्य किया जा रहा है। किसी भी समय, यदि वह समझता है कि कार्य के लिए परिस्थितियाँ सुरक्षित
नहीं हैं, तो वह कार्य को स्थगित कर सकता है और सुरक्षित स्थितियों को बहाल करने के लिए वर्क परमिट जारी करने वाले
प्राधिकरण को सूचित कर सकता है ताकि कार्य को फिर से शुरू किया जा सके (संदर्भ: सीआई 5(i, j) ओआईएसडी-
मानक-105)।
आवश्यक वेल्डर योग्यता नहीं रखने वाले व्यक्तियों को वेल्डर के रूप में प्रतिनियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। वेल्डिंग, कटिंग
आदि जैसे विशिष्ट कार्य एक सक्षम व्यक्ति द्वारा किए जाने चाहिए और विशेषज्ञता के अनुसार उपयुक्त एमवीटी प्रशिक्षण दिया
जाना चाहिए।
संगठनों को प्रशिक्षण आवश्यकताओं के बारे में अंतर विश्लेषण करना चाहिए। (नियामक, ओआईएसडी-मानक-176 और
ओआईएसडी-आरपी-174, संगठन की अपनी आवश्यकताओं के अलावा आवश्यकताओं के आधार पर)। योग्यता विकसित
करने के लिए अंतराल विश्लेषण के आधार पर आवश्यक प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है।
कर्मी दल के किसी भी सदस्य को, वरिष्ठता, पद या विभाग (अनुबंध कर्मी दल सहित) पर विचार किए बिना कार्यक्रम से
विचलन, खतरे की धारणा या आगे के तरीके को समझने में असमर्थता की स्थिति में चल रहे संचालन को बंद करने का
अधिकार होना चाहिए।
संगठनों को सीसीटीवी के माध्यम से प्रतिष्ठानों (रिग सहित) की निगरानी की व्यवस्था स्थापित करनी चाहिए। स्टार्ट-अप और
अन्य महत्वपूर्ण कार्यों की सीसीटीवी के माध्यम से स्थापना / बेस पर दूर से बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए (संदर्भ:
बाघजान एचएलसी सिफारिश)।
बैरल को उन पर स्पष्ट चिह्नों के साथ ठीक से रखा जाना चाहिए। खतरे और जोखिम की पहचान के लिए इंस्टालेशन में प्रयुक्त/
उपलब्ध रसायनों, विलायक, तेल आदि के अनुसार एमएसडीएस को अद्यतित किया जाना चाहिए।
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विकिरण सुरक्षा - एक परिचय
व्यावसायिक संसर्ग के दृष्टिकोण से, विकिरण की डोज़ सबसे महत्वपूर्ण माप है। ACGIH, TLVs (अधिकतम सीमा मात्रा) जैसी
व्यावसायिक संसर्ग की अधिकतम अनुमत्त डोज़ के संदर्भ में दी गई हैं। विकिरण-प्रेरित रोगों का जोखिम किसी व्यक्ति द्वारा समय के
साथ ली गई कु ल विकिरण डोज़ पर निर्भर करता है।
रेडियोधर्मिता की माप
रेडियोधर्मिता या रेडियोधर्मी स्रोत की शक्ति को बेक्वेरेल (Bq) की इकाइयों में मापा जाता है। 1 Bq = प्रति सेकं ड विकिरण उत्सर्जन
या विघटन की एक घटना। एक बेकरेल रेडियोधर्मिता की एक अत्यंत छोटी मात्रा होती है।
रेडियोधर्मिता को मापने की एक पुरानी और अभी भी लोकप्रिय इकाई क्यूरी (Ci) है। 1 Ci = 37 GBq = 37000 MBq। एक
क्यूरी रेडियोधर्मिता की बड़ी मात्रा होती है।
बेकरेल (Bq) या क्यूरी (Ci) एक स्रोत से विकिरण उत्सर्जन की दर (ऊर्जा नहीं) की एक माप है।
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आधा जीवन
एक रेडियोधर्मी स्रोत से विकिरण की तीव्रता समय के साथ कम हो जाती है क्योंकि अधिक से अधिक रेडियोधर्मी परमाणु
(रेडियोन्यूक्लाइड्स) स्थिर परमाणु बनने के लिए ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं। रेडियोधर्मी क्षय विकिरण की तीव्रता में कमी है। आधा
जीवन वह समय है जिसके बाद विकिरण की तीव्रता आधी हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आधे जीवन काल में आधे
रेडियोधर्मी परमाणु क्षय हो चुके होंगे। उदाहरण के लिए, आधे जीवन के बाद एक 50 Bq रेडियोधर्मी स्रोत 25 Bq रेडियोधर्मी स्रोत
बन जाएगा।
एक रेडियोधर्मी सामग्री का आधा जीवन दूसरी रेडियोधर्मी सामग्री से व्यापक रूप से भिन्न होता है और यह अंतर सेकं ड के एक अंश
से लेकर लाखों वर्षों तक हो सकता है।
विकिरण ऊर्जा
आयनीकारक विकिरण की ऊर्जा को इलेक्ट्रॉन वोल्ट (eV) में मापा जाता है। एक इलेक्ट्रॉन वोल्ट ऊर्जा की एक अत्यंत छोटी मात्रा
है।
6,200 बिलियन MeV = 1 जूल और 1 जूल प्रति सेकं ड = 1 वाट।
विकिरण संसर्ग
एक्स-रे और गामा-रे संसर्ग अक्सर रॉएन्टजेन (आर) की इकाइयों में व्यक्त किया जाता है। रॉएन्टजेन (आर) इकाई हवा में मौजूद
आयनीकरण की मात्रा को संदर्भित करती है। गामा- या एक्स-रे एक्सपोजर का एक रोएंटजेन लगभग 1 रेड (0.01 ग्रे) टिश्यू डोज़
पैदा करता है।
हवा में गामा किरण की तीव्रता को मापने की एक अन्य इकाई ग्रे प्रति घंटे (Gy/h) इकाइयों में "हवा की डोज़ या हवा में अवशोषित
डोज़ की दर" है। इस इकाई का उपयोग पृथ्वी और वायुमंडल में रेडियोधर्मी पदार्थों से हवा में गामा किरण की तीव्रता को व्यक्त करने
के लिए किया जाता है।
विकिरण डोज़
जब आयनीकरण विकिरण मानव शरीर के साथ संपर्क करता है, तो यह शरीर के ऊतकों को अपनी ऊर्जा देता है। अवशोषित डोज़
अंग या ऊतक के प्रति यूनिट वजन में अवशोषित ऊर्जा की मात्रा है और ग्रे (Gy) की इकाइयों में व्यक्त की जाती है। एक ग्रे डोज़ प्रति
किलो अंग या ऊतक वजन में अवशोषित एक जूल विकिरण ऊर्जा के बराबर है। रेड अवशोषित डोज़ की पुरानी और अभी भी
इस्तेमाल की जाने वाली इकाई है। एक ग्रे 100 रेड के बराबर है।
समतुल्य डोज़:
सभी प्रकार के आयनीकरण विकिरण की समान डोज़ मानव ऊतक के लिए समान रूप से हानिकारक नहीं होती है। समान मात्रा में
अल्फा कण की डोज़, बीटा कणों, गामा किरणों और एक्स-रे की डोज़ की तुलना में अधिक नुकसानदायक होती है, इसलिए एक Gy
बीटा विकिरण की तुलना में अल्फा विकिरण का 1 Gy अधिक हानिकारक होता है। जिस तरह से विभिन्न प्रकार के विकिरण ऊतक
या अंग को नुकसान पहुंचाते हैं, उसे ध्यान में रखते हुए, विकिरण डोज़ को सीवर्ट (Sv) की इकाइयों में समकक्ष डोज़ के रूप में व्यक्त
किया जाता है। Sv में डोज़ कु ल बाहरी और आंतरिक "अवशोषित डोज़" के बराबर है जिसे "विकिरण भार कारक" (डब्ल्यूआर -
नीचे दी गई तालिका देखें) से गुणा किया जाता है और यह व्यावसायिक संसर्गों को मापने में महत्वपूर्ण होता है।
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तालिका विकिरण भार कारक
कॉलम 1 कॉलम 2
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विकिरण डोज़:
·1 चेस्ट एक्स रे 0.1 mSv की प्रभावी डोज़ देगा।
·मनुष्यों के लिए दुनिया भर में औसत प्राकृ तिक डोज़ लगभग 2.4 mSv (240 mrem) प्रति वर्ष है।
पृथ्वी पर ऐसे कई स्थान हैं जहाँ प्राकृ तिक पृष्ठभूमि विकिरण मनुष्यों के लिए संभावित रूप से हानिकारक होने के लिए पर्याप्त उच्च
है। कु छ उदाहरणों में शामिल हैं:
रामसर, ईरान: मिट्टी में यूरेनियम और थोरियम की उपस्थिति के कारण इस शहर में प्राकृ तिक पृष्ठभूमि विकिरण का स्तर
अत्यधिक उच्च है।
गुआरापारी, ब्राजील: इस बीच रिसॉर्ट शहर में मोनाजाइट रेत की उपस्थिति के कारण प्राकृ तिक पृष्ठभूमि विकिरण का उच्च स्तर
है।
क्रास्नोयार्स्क , रूस: मिट्टी में रेडियम की उपस्थिति के कारण इस क्षेत्र में प्राकृ तिक पृष्ठभूमि विकिरण का उच्च स्तर है।
यांगजियांग, चीन: मिट्टी में थोरियम की उपस्थिति के कारण इस शहर में प्राकृ तिक पृष्ठभूमि विकिरण का उच्च स्तर है।
करुं गापल्ली के रल: मोजार्ट बालू युक्त थोरियम।
जादुगुड़ा उड़ीसा: यूरेनियम खनन।
घरों की दीवारों, फर्शों और छतों में रेडियोन्यूक्लाइड्स की उपस्थिति प्राकृ तिक विकिरण पृष्ठभूमि जोखिम को बढ़ा सकती है
क्योंकि उनमें 226Ra, 232Th, उनसे जुड़े क्षय उत्पाद और 40K.26,27 होते हैं। पांच प्रमुख निर्माण सामग्री का विश्लेषण
करने के लिए ईरान में एक अध्ययन किया गया, जैसे सीमेंट, जिप्सम, सीमेंट ब्लॉक, ईंट और बजरी आदि इसमें पाया गया कि
226Ra और 232Th की औसत सांद्रता उच्चतम स्तर सीमेंट के नमूनों में और सबसे कम जिप्सम के नमूनों से प्राप्त की गई।
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फोर्क लिफ्ट संचालन में सुरक्षा
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लोड को ऑपरेटर पर गिरने से रोकने के लिए फोर्क लिफ्ट में लोड बैकरेस्ट लगा होता है। इस बैकरेस्ट की आवश्यकता किसी भी
समय तब होती है जब भार को ऊपर उठाया जाता है और असमान सतहों पर ड्राइविंग करते समय या तेज गति या अचानक रुकने
की स्थिति में यह पीछे की ओर गिर सकता है। ऑपरेटर के ऊपर भार उठाने के लिए इस्तेमाल किए जा सकने वाली फोर्क लिफ्ट में
ओवरहेड गार्ड होना भी आवश्यक है। ये गार्ड छोटे पैके जों को गिरने पर ऑपरेटर का बचाव करते हैं, लेकिन पूरे लोड के गिरने पर ये
प्रभावी नहीं होते हैं।
1992 से निर्मित सभी फोर्क लिफ्ट्स में ऑपरेटरों के लिए सुरक्षा पिंजरा एक मानक आवश्यकता हैं। पुरानी फोर्क लिफ्ट में इसे
रेट्रो फिट किया जा सकता है। एक फोर्क लिफ्ट ऑपरेटर के रूप में, हमेशा सुरक्षा पिंजरे का उपयोग करना महत्वपूर्ण है क्योंकि
यदि फोर्क लिफ्ट पलट जाती है तो यह आपको सुरक्षात्मक पिंजरे से बाहर फें के जाने से रोक सकता है। कई मौतें इसलिए होती
हैं क्योंकि ऑपरेटर मशीन के पलटने पर उससे कू दने का प्रयास करते हैं। फोर्क लिफ्ट्स की प्रकृ ति के कारण वे पहले बहुत धीरे-
धीरे पलटती हैं। फिर गुरुत्वाकर्षण का कें द्र बदल जाता है, और पलटने की गति तेजी से बढ़ती है। धीमी गति से पलटते समय
ऑपरेटरों को यह मिथ्याभास होता है कि उनके पास कू दने का समय है, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं होता है।
जब फोर्क लिफ्ट किसी चौराहे से आ रहा हो या जब ऑपरेटर की दृष्टि अस्पष्ट हो तो इसका संके त देने के लिए एक हॉर्न।
फोर्क लिफ्ट में बैकअप अलार्म भी होते हैं जो फोर्क लिफ्ट के रिवर्स में चलने पर बजते हैं।
सभी फोर्क लिफ्ट में बोर्ड (ए) पर आग शमन यंत्र होना चाहिए, विशेष रूप से जो गैस से चलती हैं।
चेतावनी, दिशात्मक और ब्रेक लाइट (बी) चालू स्थिति में होनी चाहिए।
अन्य उपकरणों और लोगों के साथ टकराव से बचने के लिए अक्सर दर्पणों का उपयोग ड्राइवर को अपने आस-पास के दृश्य पर
नजर बनाए रखने में मदद करने के लिए किया जाता है।
कम रोशनी की स्थिति में दृश्यता में सहायता के लिए आगे या पीछे की ओर अतिरिक्त रोशनी मौजूद हो सकती है (सी)।
वाहन के रख-रखाव के साथ-साथ, किसी भी फोर्क लिफ्ट ऑपरेटर को इसे चलाते समय सुरक्षा सावधानियों का उपयोग करना
चाहिए। आपको खुद को याद दिलाना चाहिए कि ये वाहन कितने खतरनाक हो सकते हैं और ऐसी स्थितियों से बचना चाहिए जो
आपको और अन्य कर्मचारियों को जोखिम में डालती हैं। इसमें उपकरण पर या उसके आसपास किसी भी प्रकार की हंसी मजाक
और धक्का मुक्की शामिल है। काम के दौरान वक्त जाया करने और खेलने का हमेशा प्रलोभन होता है, लेकिन इन प्रलोभनों में पड़
जाने से आपदा की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। इसके बजाय ऑपरेटरों का ध्यान पूरी तरह से वाहन और काम पर कें द्रित
रहना चाहिए।
अंतत: यह फोर्क लिफ्ट चालक है ही होता है जिसके पास आपदाओं से बचने की चाबियां होती हैं। उसे यह समझना होगा कि
फोर्क लिफ्ट कै से काम करती है और किसी स्थिति में दुर्घटना से बचने के लिए कै से प्रतिक्रिया करनी है। इन कु शल चालकों को अपने
ट्रक चलाते समय कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है। उदाहरण के लिए, उन्हें इलाके के प्रकार पर पूरा ध्यान देना चाहिए। सड़क की
सतह पर कोई भी खुली वस्तु, छेद या टक्कर नियंत्रण खोने का कारण बन सकती है।
इससे आप लोड गिरा सकते हैं या डूब सकते हैं और अस्थिर हो सकते हैं। जिस सतह पर आप ड्राइव करते हैं, उसे आपके द्वारा उठाए
जाने वाले वजन के चार गुना के लिए रेट किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपके फोर्क लिफ्ट का वजन 6,000 पाउंड है
और इसमें 4,000 पाउंड का भार है, तो आप कु ल 10,000 पाउंड को चार से गुणा करते हैं, जिसका अर्थ है कि फर्श 40,000 पाउंड
वजन वहन करने में सक्षम होना चाहिए। ध्यान रखें कि फोर्क लिफ्ट्स पर वजन पूरी तरह से समान नहीं होता है, इसलिए यदि के वल
एक पहिया किसी ऐसी सतह पर गिर जाता है जो उस वजन के लिए रेट नहीं किया गया है, तो यह पूरे वाहन को अस्थिर कर सकता
है।
20
फोर्क लिफ्ट सुरक्षा:
फोर्क लिफ्ट्स एक जबरदस्त उपकरण हैं, लेकिन उचित सुरक्षा कार्यक्रमों के बिना, ये मशीनें भयावह, घातक दुर्घटनाओं का कारण बन
सकती हैं। सुरक्षा किसी भी व्यवसाय की सफलता के लिए सर्वोपरि है, और यह मार्गदर्शिका फोर्क लिफ्ट को सुरक्षित रूप से संचालित
करने के लिए प्रशिक्षण जानकारी, टिप्स और निरीक्षण जांचसूची की व्याख्या करती है।
के वल फोर्क लिफ्ट और के वल पैदल चलने वालों के लिए स्पष्ट क्षेत्र स्थापित करें।
पैदल यात्रियों और फोर्क लिफ्ट क्षेत्रों के बीच बैरियर लगाकर पैदल यात्रियों के रास्ते की रक्षा करें।
नामित क्रॉसिंग क्षेत्र बनाएं; जहां भी संभव हो ओवरहेड वॉकवे या बूम गेट्स के साथ सुरक्षा को अधिकतम करें।
सही प्रक्रियाएं बनाएं और सभी कर्मचारियों को इनके बारे में निर्देश दें।
चेतावनी और यातायात संके त लगाएं।
कर्मचारी चमकीली वैस्ट या अन्य उच्च दृश्यता वाले कपड़े पहनें।
हमेशा सुनिश्चित करें कि फोर्क लिफ्ट चेतावनी उपकरण और फ्लैशिंग लाइट ठीक से काम कर रहे हैं।
काम के माहौल को अच्छी तरह से रोशन रखें और फोर्क लिफ्ट पर दृश्यता चिह्न लगाएं।
फोर्क लिफ्ट एक बेहतरीन वर्क हॉर्स है। फोर्क लिफ्ट श्रमिकों को बड़े, भारी वजन को तत्परता से स्थानांतरित करने की अनुमति देकर
समय और पैसा बचाती हैं। वे भारी सामान उठाने और शारीरिक श्रम से जुड़े चोटों के जोखिम को कम करके श्रमिकों को सुरक्षित
रहने में भी मदद करती हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि फोर्क लिफ्ट पर या उसके आसपास काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को इन ट्रकों
के संभावित खतरों का ज्ञान होना चाहिए। फोर्क लिफ्ट की डिज़ाइन इसे आवश्यक कार्य करने की अनुमति देती है, लेकिन इसके लिए
ऑपरेटरों को उचित प्रक्रियाओं का पालन करने की भी आवश्यकता होती है।
जो कोई भी इन मशीनों का उपयोग करता है उसे ओएसएचए मानकों के अनुसार ठीक से प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
प्रशिक्षण को अक्सर दोहराया जाना चाहिए ताकि प्रक्रियाओं का पालन किया जाना जारी रहे चाहे कोई ऑपरेटर उपकरण के साथ
कितना भी सहज या अनुभवी क्यों न हो। इन मशीनों के आसपास काम करने वाले कर्मचारियों के लिए भी सुरक्षा प्रशिक्षण जरूरी
है। कर्मचारियों को फोर्क लिफ्ट का सम्मान करना सीखना चाहिए और यह जानना चाहिए कि टक्कर से बचने के लिए फोर्क लिफ्ट
ऑपरेटर क्या कर सकता है और क्या नहीं।
हालांकि ट्रैफिक पैटर्न और ट्रैफिक संके तों को विकसित करना, रखरखाव की जांच करना और निरंतर प्रशिक्षण प्रदान करना बहुत
बड़े काम की तरह लग सकता है, तथापि यह सभी प्रयास सार्थक होंगे। एक अच्छे ड्राइविंग रिकॉर्ड वाले एक ऑपरेटर में बहुत अधिक
पैसा बनाने की क्षमता होती है। इसी तरह, एक कं पनी जिसके पास एक अच्छा सुरक्षा रिकॉर्ड और प्रक्रियाएँ हैं, वह समय के साथ
पैसे की बहुत बचत करेगी। कर्मचारी किसी भी कं पनी की सबसे मूल्यवान संपत्ति होते हैं, इसलिए उन्हें अपनी कं पनी के साथ लंबे
समय तक बनाए रखने के लिए ठीक से प्रशिक्षित करें।
21
2022-23 (दूसरी छमाही) के दौरान अन्य गतिविधियां और उपलब्धियां:
ख ) स्थापना दिवस
37वां ओआईएसडी स्थापना दिवस 10 जनवरी, 23
को ओआईडीबी भवन में मनाया गया। पूर्व
ओआईएसडी कर्मि भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
महानिदेशक-डीजीएच, सचिव ओआईडीबी, कार्यकारी
निदेशक-सीएचटी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं
प्रबंध निदेशक, आईएसपीआरएल ने इस अवसर की
शोभा बढ़ाई। ओआईएसडी की स्थापना से अब तक
की ओआईएसडी गतिविधियों पर एक प्रस्तुति दी गई
थी। "ओआईएसडी की यात्रा" पर वीडियो दिखाया
गया। इस अवसर पर पूर्व ओआईएसडी कर्मियों ने
अपने विचार और अनुभव साझा किए।
10 जनवरी को “विश्व हिंदी दिवस” भी मनाया गया। इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक ने सभी को विश्व हिंदी दिवस की
शुभकामनाएं दीं और अपने कार्यालयीन कार्य में अधिक से अधिक हिंदी का प्रयोग करने की अपील की।
वर्ष 2022-23 के दौरान, मैसर्स ब्यूरो वेरिटास द्वारा 14 दिसंबर 22 को ओआईएसडी का सफलतापूर्वक आईएसओ 9001:2015
निगरानी ऑडिट किया गया था जिसमेंकिसी भी गैर-अनुरूपता रिपोर्ट नहीं की गई।
22
ड़) सुरक्षा सप्ताह
च) महिला दिवस
छ) राजभाषा पुरस्कार:
23
ओआईएसडी कर्मियों के परिजनों की उपलब्धियाँ
श्री एन. के . बैश्य, अपर निदेशक (पी एंड ई) की धर्मपत्नी श्रीमती जोनाली बैश्य ने अगस्त
2022 में आयोजित राष्ट्रीय स्तर की ड्राइंग प्रतियोगिता "जरा याद उन्हें भी कर लो" में स्वर्ण
पदक हासिल किया। यह पुरस्कार उन्हें 20 जनवरी 2023 को प्रदान किया गया। यह
प्रतियोगिता 'आजादी का अमृत महोत्सव' के अवसर पर 'निर्माण प्रतिष्ठान, महाराष्ट्र' द्वारा
आयोजित की गई थी जोकि एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) है।
24
EDITORIAL
Advisory Editorial Board pipelines (10.5% higher than last year). For the first time, OISD carried
out organizational level audits in 2022-23 as per decision in the Safety
Council. Also, pre-commissioning safety audits (PCSA) of record 111 oil
Sanjib Biswas & gas installations were carried out.
Director (MO-LPG) OISD conducted eight “Suraksha Samwad” webinars covering 2045
participants on various safety related topics. After a gap of two years.
Pramod Cheeli OISD also conducted seven physical “Internal auditor” training programs
for E&P, MO-LPG, MO-POL and Pipeline industries with field training and
Director (Pipeline)
covered around 318 participants. Webinars on various topics were
attended by 1010 participants. Two issues of “Suraksha Chetna” were
Vikas Kumar Sharma published.
Director(E and P) In the recent past, there has been an increase in the number of
occupational accidents. OISD is equally concerned on occupational
N.K. Baishya safety during auditing by focusing on reporting of unsafe act/ condition,
internal control effectiveness, internal audit quality, competency of
I/C ( P&E) people, quality of safety meeting etc. OISD has initiated the process of
checking CCTV footage during safety audits to identify unsafe acts and
Ranjan Srivastava conditions. Industry should also implement and practice such activity
Director(MO-POL) during internal audit process to improve the safety culture of the
organisation.
The slogan “Safety first” means it's always best to be safe rather than
Nandini Bakre
sorry. It may seem like an easy way out of any responsibility or concern
Addl. Director-EDS for our own lives, but taking precautions will keep us safe from all sorts
of accidents.
Murari Mohan Prasad “Stay safe, Stay healthy”.
Addl. Director-EDS (Arun Mittal)
ED-OISD
OISD carries out External Safety Audit (ESA) of onshore & offshore E&P installations, refinery, gas processing
plant, central tank farm, LNG Terminal, petrochemical plant, cross country pipeline, LPG Bottling plant, LPG
import facility, depot, terminal, aviation fuelling station & lube blending plant on periodic basis to check and
review whether the safety measures are being followed by the industry as per the laid down standards and to
identify areas of noncompliance. In addition, Surprise Safety Audit (SSA) are also carried out of these
installations on need basis.
Actions Unit
Plan (Oct'22-
Actual Actual Actual
March'23)
Refinery/PetChem/GPP/LNG/
No. 25 13 16 25
CTF/OGT
26
OISD carried out audit of POL handling and storage facilities of major Ports, as per request of Ministry of Port,
Shipping and Waterways (MoPSW). Oil spill inspections were carried out in association with ICG (Indian
Coast Guard). Organisation/SBU level audit were curried out as per the recommendations of HLC (High lLevel
committee) and safety council.
OISD carries out pre-commissioning safety audit (PCSA) across the Oil & Gas Industry. These audits are
conducted on the request of industry for green field developments and for major additional facilities at
existing locations, to ensure compliance to the OISD standards.
Status of PCSA carried out and CTO given under PNG Rule 2008 during 2022-23(H2):
1 Refinery No. 8 24
Sub-total 43 11
Sub-total 14 22
Revenue from PCSA & Port Audit during 2022-23(H2): 265 Lakhs
27
During FY 2022-23, OISD carried out highest ever safety audits of 428 oil and gas installation including 06
Organisation level audit, 05 Port audit, 05 SPM audit, 06 Oil spill joint inspection with ICG and 111 PCSA. Total
11299 Km pipeline audit was also carried out.
2. Standard revision:
OISD has developed 120 standards covering all the areas of oil & gas industry. These standards are
periodically reviewed and revised through a participative process with the industry. The standard are taken up
for revision based on various factors like latest advancements, changes in regulations, lessons learnt from
incident and based on age (once in ten years).
Sixty standards are under various stages of revision. Details are as under:
Recommended practices
2 OISD-RP-108
on Oil storage and handling Selection, operation,
maintenance, failure
6 OISD-STD-119 analysis and
Guidelines on Fire Fighting
preservation of rotary
3 OISD-GDN-115 Equipment and Appliances
equipment
in Petroleum Industry.
“Inspection of Unfired
4 OISD-STD-116 Fire protection facility 7 OISD-STD-128
Pressure Vessels”
28
Sl.No. Standard Description
18 OISD-GDN-165 Guidelines for rescue & relief Ops for POL TT accident
29
Sl.No. Standard Description
30
Sl.No. Standard Description
Note: 15 standards are being merged with others from above list.
OISD investigates major incidents to analyse root cause(s) of the incident. A databank of major incidents of
the oil & gas industry is maintained and analysed to assess trends, areas of concern and required corrective
action. Incident investigation process is reviewed, and definition of major accident is modified. Joint
investigation of incidents is being carried out with PNGRB in some cases. OISD is associated with three high
level committees – Baghjan blowout incident led by DG-DGH; Cyclone Tauktae led by DG Shipping and
Baghjan blowout led by Secretary MoPNG.
Out of 17 incidents reported during 2022-23(H2), OISD investigated 8 incidents. Case study of 4 incidents have
been uploaded on OISD portal and 4 nos. safety alerts have been issued during the period. Safety alerts not
issued for incidents of similar nature.
31
4. Petroleum and Natural Gas (Safety in Offshore Operations) Rules, 2008
OISD, as the competent authority to oversee implementation of the Petroleum & Natural Gas (Safety in
Offshore Operations) Rules, 2008 accords consent to operate to offshore fixed and mobile installations.
During FY2022-23, no. of meetings held on proposed changes in Petroleum and Natural Gas (Safety in
Offshore Operations) Rules, 2008 to introduce fees for consent. Two nos. of meetings held in first half of
FY2022-23.
During Oct’22 to March’23, third expert committee meeting for review of P&NG Rules 2008 was held on 11th
and 12th Oct’22 at ONGC, Mumbai; fourth expert committee meeting was held on 22nd and 23rd Dec.’22 at
CAIRN, Surat and fifth meeting was held at RIL, Mumbai from 9th to 10th Feb.’23.
A. Suraksha Samwad
32
B. Workshops/Trainings/Conferences/Seminar
2. Workshop on Internal audit for BPCL officers was conducted at BPCL,Bina on 14th & 15th Feb.’23 which
included practical safety audit at BKPL Pump station of Bina Kota Pipeline, COT Bina of Vadinar Bina pipeline,
BPPL pump station of Bina Piyala pipeline. Director PL & pipeline section conducted the workshop which was
attended by 26 participants.
4. Two day’s workshops for HPCL internal auditors at Rewari Dispatch Station was carried out on 13th and
14th March 2023 by pipeline group of OISD. A total of 25 officers of HPCL attended the workshop.
33
6. A Health Talk was organized by OISD on
“Creating Awareness about Healthy Heart
and Advancement in Technology” by Dr.
Varun Bansal, Senior Consultant, Department
of Cardiology, Indraprastha Apollo Hospital,
Delhi on 7th March’23. This was attended by
70 participants of OIDB Bhawan officials and
staff.
34
10. ED, OISD and Director-Marketing Operations, OISD attended the India Energy Week held at Bangalore from
6th-8th Feb 2023. A panel discussion was also chaired by Sh Ranjan Srivastava, Director-Marketing Operations
on ‘Integration of technology for improvements in HSE’.
11. ED OISD and Director E&P-OISD participated in HSE Conclave organised by Oil India Ltd at Musa Jungle
Retreat near Manas National Park Assam on 4th and 5th March 2023.
35
Meetings:
A) A review meeting for compliance of Baghjan and Tauktae HLC recommendations was held on 24th
March’23 at Shastri Bhavan, MoPNG. The meeting was chaired by JS (E&BR) and attended by ED OISD and
concerned E&P industry officials of PSU and private sector. Comprehensive presentation was given by OISD
on compliance status against HLC recommendations by E&P industry.
B) A review meeting for compliance of Baghjan and Tauktae HLC recommendations was held on 24th
March’23 at Shastri Bhavan, MoPNG. The meeting was chaired by JS (E&BR) and attended by ED OISD and
concerned E&P industry officials of PSU and private sector. Comprehensive presentation was given by OISD
on compliance status against HLC recommendations by E&P industry.
36
CASE STUDY
BRIEF OF INCIDENT
On the incident date, the crew was arranging to Run In Hole 7” scrapper with 3 ½” tubing. Production engineer
received Hot work permit to cut the Tubing bundle strips for racking the tubing for measurement & opening
the thread protectors. Production Engineer asked the Rig welder to provide a cut barrel for keeping removed
protectors. During cutting the metal barrel by welder, the barrel got blasted and caught fire on coverall of the
welder. Drill site crew doused fire by spraying water, the welder was given first aid and then shifted to the
hospital but he succumbed to his injuries.
OBSERVATIONS/ SHORTCOMINGS
Following observations were made during investigation by visit at the incident site, interaction with the related
officials, their written statements, and available documents:
While handing over of well to Installation Manager of the rig, SIMOPS document did not have any mention
of left behind barrel of chemical PPD-EX250. Also, as per interaction, the Installation Manager was
unaware of the contents and quantity of chemical inside the barrel left behind before the accident. Neither
Material Safety Data Sheet (MSDS) of the chemical PPD-EX250 was available at drill site
Only one Hot Work permit was issued on incident date for cutting metal strips of 3 ½” tubing bundles only.
On request of providing barrel for storing protectors, the welder was cutting the barrel lid. No permit was
issued for cutting of metal barrel lid. Also, safety precautions and measures to be taken during such jobs
were not followed.
37
The welder had no other qualification/training pertaining to welding & cutting jobs. He had valid MVT
certificate, but certificate didn’t mention about whether the training was imparted for specialized welding
operation. He was working on his experienced based knowledge only. No training records were observed
for issuing/receiving of Permit to work (PTW).
The deceased welder was not using proper coverall provided by the company at the time of incident. This
unsafe act was neither reported nor stopped by rig crew.
At the time of incident, the welder was working alone & there was no helper along with him during barrel
cutting.
The Job Safety Analysis (JSA) was done for handling and stacking of 3 ½” tubing. But it didn’t mention the
requirement for cut barrel for storing protectors of tubings. Also, no hazards were recorded for hot job
which was needed for the above-mentioned job.
While interacting with IM & other rig crew, they described procedure for cutting empty barrel i.e., Prior to
cutting, barrel should be cleaned thoroughly to ensure no flammable material or substance is present
inside. But they could only provide SOP for hot job and no written procedure/ instruction was available for
such cutting operation. Moreover, it was not conclusive whether they follow such procedure because it
was not followed by the welder on the incident day.
Housekeeping, stacking & marking of barrels were not done. (Barrels were observed scattered on drill
site).
System for reporting of unsafe acts/conditions was not found at the installation.
During the visit of the site, the team could not find the top lid of the barrel. Therefore, it could not be
verified whether the welder had opened the cap of the lid and checked the contents before cutting the
barrel. However, upon observing the barrel condition after the incident, the investigating team concluded
that the cap of the lid was not opened by the welder prior to cutting barrel which led to blast due to
entrapped vapour & liquid of unknown quantity.
RECOMMENDATIONS
All the observations should be recorded during handing over meeting & appropriate mitigation measures
should be discussed and recorded in the SIMOPS checklist (Ref: Annexure G OISD-GDN-186).
Proper containers should be available for storage of scrap and other materials instead of using of barrels/
drums.
All hot work such as welding, grinding, gas cutting, burning, shot blasting, soldering, chipping, excavation,
open fire, use of certain non-explosion proof equipment etc. shall be carried out through Hot Work Permit
(Ref: Cl 4.2 OISD-STD-105).
Any person who is authorized to issue or receive the work permit shall be imparted training for a period of
not less than one day covering various aspects of work permit system. Further all the person authorized to
issue / receive or involved with the work permit shall be given a minimum of one day training once in two
years on the work permit system (Ref Cl 5(x) OISD-STD-105).
Organizations should review the company’s PPE policy in line with clause 4.0 of OISD-STD-155.
It must be ensured that JSA to be done before start of any job and mitigations measure be ensured. The
JSA indicating potential, hazards, necessary actions to eliminate or minimize hazard that could lead to
incident, injuries to person, damage to environment or possible occupational illness should be developed
for each operation.
38
Written procedures/ instruction for hot jobs on closed drum/ barrel/ container/ tank should be available &
displayed on drill site.
The Safety Officer/ Issuer should make periodic check of the work sites and see that the work is being
carried out as per conditions laid down in the work permit. At any point of time, if he considers that the
conditions are not safe for the work, he may suspend the work and inform the Work Permit Issuing
Authority to restore the safe conditions so that work can be restarted (Ref: Cl 5( i, j) OISD-STD-105).
Persons not having required welder qualification should not be deputed as a welder. Specialized jobs like
welding, cutting etc are to be done by a competent person & appropriate MVT training should be imparted
as per specialization.
Organizations should carry out gap analysis w.r.t. training requirements (based on regulatory, OISD-STD-
176 and OISD-RP-174 requirements apart from organization’s own requirements). Required trainings need
to be imparted based on gap analysis to develop competency.
Any member of the crew, irrespective of seniority, position or department (including contract crew) should
be empowered to shut down an ongoing operation in the event of deviation from programme, perception
of danger or inability to understand the way forward.
Organizations should establish system of surveillance of installations (including rigs) through CCTV. Start-
up and other critical operations should be closely monitored through CCTV at installation/ remotely at
base (Ref: Baghjan HLC recommendation).
Barrels should be stacked properly with clear markings on them. MSDS also should be updated according
to chemicals, solvent, oil etc used/available at installation for hazard & risk identification.
...
39
SAFETY ARTICLE
Ionizing radiation
Note: Microwave, infrared (IR) and ultra-violet (UV) radiation are examples of non-ionizing radiation. Non-
ionizing radiation does not have enough energy to remove electrons.
Measuring Radioactivity
Radioactivity or the strength of radioactive source is measured in units of becquerel (Bq). 1 Bq = 1 event of
radiation emission or disintegration per second. One becquerel is an extremely small amount of radioactivity.
An old and still popular unit of measuring radioactivity is the Curie (Ci). 1 Ci = 37 GBq = 37000 MBq. One curie
is a large amount of radioactivity.
Becquerel (Bq) or Curie (Ci) is a measure of the rate (not energy) of radiation emission from a source.
40
Half Life
Radiation intensity from a radioactive source diminishes with time as more and more radioactive atoms
(radionuclides) emit energy to become stable atoms. Radioactive decay is the decline in radiation intensity.
Half-life is the time after which the radiation intensity is reduced by half. This happens because half of the
radioactive atoms will have decayed in one half-life period. For example, a 50 Bq radioactive source will
become a 25 Bq radioactive source after one half-life.
Half-lives differ widely from one radioactive material to another and range from a fraction of a second to
millions of years.
Radiation Energy
The energy of ionizing radiation is measured in electronvolts (eV). One electronvolt is an extremely small
amount of energy.
6,200 billion MeV = 1 joule and 1 joule per second = 1 watt
Radiation Exposure
X-ray and gamma-ray exposure is often expressed in units of Roentgen (R). The Roentgen (R) unit refers to the
amount of ionization present in the air. One Roentgen of gamma- or x-ray exposure produces approximately 1
Rad (0.01 Gray) tissue dose.
Another unit of measuring gamma ray intensity in the air is "air dose or absorbed dose rate in the air" in Grays
per hour (Gy/h) units. This unit is used to express gamma ray intensity in the air from radioactive materials in
the earth and in the atmosphere.
Radiation Dose
When ionizing radiation interacts with the human body, it gives its energy to the body tissues. The absorbed
dose is the amount of energy absorbed per unit weight of the organ or tissue and is expressed in units of Gray
(Gy). One Gray dose is equivalent to one joule radiation energy absorbed per kilogram of organ or tissue
weight. Rad is the old and still used unit of absorbed dose. One gray is equivalent to 100 rads.
1 Gy = 100 rads
Equivalent Dose
Equal doses of all types of ionizing radiation are not equally harmful to human tissue. Alpha particles produce
greater harm than do beta particles, gamma rays and X-rays for a given absorbed dose, so 1 Gy of alpha
radiation is more harmful than 1 Gy of beta radiation. To account for the way in which different types of
radiation cause harm in tissue or an organ, radiation dose is expressed as equivalent dose in units of Sievert
(Sv). The dose in Sv is equal to the total external and internal "absorbed doses" multiplied by a "radiation
weighting factor" (WR - see Table below) and is important when measuring occupational exposures.
41
Table Radiation Weighting Factors
Column 1 Column 2
Dose Limitations (Never exceed Dose Limits): For occupational exposures only
The normal exposure of individuals resulting from all relevant practices should be subject to dose limits to
ensure that no individual is exposed to a risk that is judged to. The limit for whole body effective dose is 20
mSv/ year averaged over 5 consecutive years, whereas it should not exceed 50 mSv in any single year.
For pregnant radiation workers, after declaration of pregnancy, 1 mSv on the embryo/fetus should not exceed.
Occupational Exposure
Radiation Exposure to worker involved in a practice in which he/she is exposed due to handling of radioactive
source or radiation generating equipment.
42
Public Exposure
Dose of radiation
There are several places on Earth where the natural background radiation is high enough to be potentially
harmful to humans. Some examples include:
Ramsar, Iran: This city has extremely high levels of natural background radiation due to the presence of
uranium and thorium in the soil.
Guarapari, Brazil: This beach resort town has high levels of natural background radiation due to the
presence of monazite sands.
Krasnoyarsk, Russia: This region has high levels of natural background radiation due to the presence of
radium in the soil.
Yangjiang, China: This city has high levels of natural background radiation due to the presence of thorium
in the soil.
Karungapalli Kerala: Thorium containing Mozart sand.
Jaduguda Orrisa: Uranium mining.
Presence of radionuclides in the walls, floors and ceilings of houses could enhance the natural radiation
background exposure as they contain 226Ra, 232Th, their associated decay products and 40K.26,27 A
study carried out in Iran to analyse five prime construction materials, such as cement, gypsum, cement
blocks, brick and gravel, found that the highest values for mean concentrations of 226Ra and 232Th were
obtained for cement samples and the lowest values for gypsum.
One sievert is a large dose. The recommended TLV is average annual dose of 0.05 Sv (50 mSv).
The effects of being exposed to large doses of radiation at one time (acute exposure) vary with the dose. Here
are some examples:
43
2. SAFETY IN FORKLIFT OPERATION
Forklifts were the source of 70 work-related deaths in 2021 and 7,290 nonfatal injuries involving days away
from work in 2020.Of these accidents, the biggest portion, 22%, was caused by a forklift overturn. Collisions
between forklifts and workers on the ground where the ground worker died accounted for 20% of deaths.
Another 16% of deaths were caused by someone being crushed by a forklift, and 9% by an operator falling
from a forklift. In fact, each year almost 100 people are killed and another 20,000 injured by forklift accidents.
With proper training and diligent forklift safety practices, most of these deaths could have been prevented. If
you work around forklifts or are a forklift operator, you should learn all you can about using these machines
safely to prevent injury or death.
All forklifts fall under the category of ‘powered industrial trucks,’ but they are not all the same. Forklifts can be
either battery powered or run on gas or diesel fuel. They also come in different sizes and have different
functions according to the kind of work for which they will be used. Each type of lift is characterized by a
class. Knowing which class of forklift you will work with should help you understand its safety features and
potential hazards.
44
Forklifts are also not as quick to respond as cars. Stopping quickly and swerving are hard to do without losing
control of the forklift. It is also very easy to lose control on inclines. In order to minimize risks, you should
always keep the load on the uphill side, which requires the operator to drive in reverse, sometimes for long
stretches.
Forklifts are equipped with a load backrest to keep the load from falling onto the operator. This backrest is
required any time loads are lifted high and could fall to the rear when driving on uneven surfaces or in the case
of acceleration or sudden stops. Forklifts that can be used to lift loads over the operator are also required to
have an overhead guard. These guards are meant to protect the operator from small packages being dropped
but are not effective against the loss of a full load.
Restraints for operators are standard requirements for all forklifts built since 1992. Older forklifts can often be
retro fitted with operator restraints. As a forklift operator, it is important to always use the restraint because it
can prevent you from being thrown out of the protective cage should your forklift overturn. Many fatalities
occur because operators attempt to jump from the machine when it overturns. The nature of forklifts causes
them to turn very slowly at first. Then the center of gravity shifts, and the turn speeds up rapidly. The slow turn
gives operators the false sense that they have time to jump out, when in reality they do not.
There are other safety features that include:
A horn to indicate when a forklift is coming through an intersection or when the operator’s vision is
obscured. Forklifts also have backup alarms that will sound whenever the forklift operates in reverse.
All forklifts should have a re extinguisher on board (a), especially those that are gas powered.
The warning, directional, and brake light (b) must be in working order.
Mirrors are often used to help the driver maintain a visual of his surroundings to avoid collisions with other
equipment and people.
Additional forward or rear-facing lighting may be present to assist with visibility in low light conditions (c).
Along with maintaining the vehicle, any forklift operator must use safety precautions while driving it. You must
remind yourself of how dangerous these vehicles can be and avoid situations that put you and other
employees at risk. This includes any kind of horseplay on or around the equipment. There is always
temptation to fool around and play games at work, but the potential for disaster is too great to give in to these
temptations. Instead operators must remain completely focused on the vehicle and the job at hand.
At the end of the day, it is the forklift driver who holds the keys to avoiding disasters. He or she has to
understand how the forklift works and how to react in a given situation in order to avoid an accident. These
skilled drivers have to pay attention to many factors while operating their trucks. For example, they must pay
close attention to the type of terrain. Any loose objects, holes, or bumps on the road surface can lead to a loss
of control.
This can cause you to drop the load or sink and destabilize. The surface you drive on must be rated for four
times the amount of weight you will carry. For example, if your forklift weighs 6,000 pounds and is carrying a
4,000-pound load, you multiply the total, 10,000 pounds, by four, which means the floor must be able to hold
40,000 pounds. Keep in mind that the weight on forklifts is not completely even, so if just one wheel goes off
onto a surface that is not rated for that weight, it could cause the whole vehicle to destabilize.
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Forklift Safety:
The forklift is a great workhorse. Forklifts save time and money by allowing workers to move large, heavy
loads quickly. They.do also help workers stay safe by doing the heavy lifting and reducing the risk of injuries
associated with manual labor. That being said, anyone who works on or around forklifts needs to be aware of
the potential dangers that these trucks present. The design of a forklift allows it to do the necessary tasks, but
it also requires operators to follow proper procedures.
Anyone who uses these machines needs to be trained properly according to OSHA standards. The training
should be refreshed often so that procedures continue to be followed no matter how comfortable or
experienced an operator is with the equipment. Safety training is also necessary for employees who work
around these machines. Employees should learn to be respectful of forklifts and know what a forklift operator
can and cannot do to avoid collisions.
While it may seem like a lot of work to develop traffic patterns and traffic signs, do maintenance checks, and
provide constant training, it will be worth all of the effort. An operator with a good driving record has the
potential to make a great deal of money. Likewise, a company that has a good safety record and procedures
will save loads of money over time. Employees are any company’s most valuable asset, so train them properly
to keep them with your company for a long time.
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OTHER ACTIVITIES AND ACHIEVEMENTS during 2022-23(H2):
B)Foundation Day:
C ) वि श् व हिं दी दि व स
10 जनवरी को “विश्व हिंदी दिवस” भी मनाया गया। इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक ने सभी को विश्व हिंदी दिवस की
शुभकामनाएं दीं और अपने कार्यालयीन कार्य में अधिक से अधिक हिंदी का प्रयोग करने की अपील की।
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D)Safety Week
E)Women’s Day
F ) रा ज भा षा पु र स्का र
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G)E-commerce payment gateway
With the goal of providing customers with a convenient and secure platform, fast payment, seamless
transactions flexibility with one-click solution, secure option, and an overall better experience, OISD
successfully implemented e-commerce payment gateway system for the sale of safety standards effective
from 31st March’23 on the OISD portal.
During the year 2022-23, ISO 9001:2015 surveillance audit of OISD by M/s. Bureau Veritas was carried out
successfully on 14th Dec.’22 and no nonconformity was reported.
Jonali Baishya, W/o Naba Kumar Baishya, Additional Director (P&E), has
been awarded gold medal in National Level Drawing Competition “JARA
YAAD UNHE BHI KARLO” held in August 2022 and award was presented on
20th day of January 2023. The competition was organized by Nirman
Pratishthan, Maharashtra, a non-governmental organization (NGO) on the
occasion of ‘Aazadi ka Amrut Mahotsav’.
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इंटरनेट के युग में पुस्तकों की प्रासंगिकता
जैसे जैसे विज्ञान का विस्तार होता है, वैसे-वैसे ही पारंपरिक रूप से प्रयोग में आने
वाली बहुत सी चीजें निरर्थक होने लगती हैं। उनका प्रयोग धीरे-धीरे कम होने
लगता है और फिर वे व्यक्ति के जीवन से विलुप्त हो जाती हैं। कितनी ही ऐसी
चीजें हैं जो कभी मानव जीवन के लिए बेहद जरूरी हुआ करती थीं किंतु आज
ढूँढने पर भी नहीं मिलतीं। कु आं, हल, कोल्हू, चूल्हा, हारा, चक्की, चरखा जैसी डॉ. ईश्वर सिंह
हजारों वस्तुओं के उदाहरण दिए जा सकते हैं जो आज से 25-30 साल पहले हर राजभाषा अधिकारी
घर में अनिवार्य रूप से हुआ करते थे और आज किसी भी घर में नहीं मिलते हैं।
वर्तमान में विज्ञान के सशक्त पहलू के रूप में इंटरनेट आज हम सबके जीवन में मौजूद है जिसने किसी न किसी रूप में हमारे जीवन
को गहरे तक प्रभावित किया है। जीवन के अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ इंटरनेट ने पुस्तकों की प्रासंगिकता को भी सवालों के घेरे में
लाकर खड़ा कर दिया है। आज इस विषय पर विमर्श और गहन मंथन की आवश्यकता है। हम बचपन से पढ़ते आए हैं कि ‘साइंस
इज ए गुड सर्वेंट बट बैड मास्टर’। इंटरनेट भी साइंस का ही एक रूप है। इंटरनेट आज ज्ञान का अथाह सागर बन गया है। दुनिया की
कोई भी सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध है। जब हम कहते हैं ‘कोई भी’ तब इस कोई भी में वांछित और अवांछित दोनों ही सूचना शामिल
हो जाती हैं। यहां तक कि यदि आप इंटरनेट के लाभ जानना चाहते हैं तो वे भी आप इंटरनेट पर देख सकते हैं और इंटरनेट की हानि
देखना चाहते हैं तो वह भी आप इंटरनेट पर देख सकते हैं। हर विषय का पक्ष विपक्ष उसकी अच्छाई और बुराई इंटरनेट पर उपलब्ध
है और यह जानने के लिए आपको के वल विषय को सर्च ब्राउजर पर लिखना है और क्लिक करना है।
जब अपेक्षित सूचना एक क्लिक की दूरी पर हर पल उपलब्ध है, उसके लिए आपको न तो किसी अध्यापक के पास जाना है, न कोई
पुस्तक पढ़नी है, न किसी पुस्तकालय में जाना है न किसी विद्वान या विशेषज्ञ से संपर्क करना है, तब उसका लाभ क्यों न लिया जाए?
पहिये का आविष्कार हो गया तो हमें उसका उपयोग करना है, हर व्यक्ति को पहिये की खोज नहीं करनी है। हमें जब जरूरत हो, तब
हम किस प्रदेश का राज्यपाल कौन है, मुख्यमंत्री कौन है, राजधानी कहां है, किसी देश की मुद्रा क्या है, उसके राष्ट्रप्रमुख कौन हैं ये
सारी जानकारी बिना समय गंवाए अपने मोबाइल पर प्राप्त कर सकते हैं, तो फिर इन्हें रटने की या याद करने की आवश्यकता क्या
है? यही तर्क आज पुस्तक और पाठक के बीच में दीवार बनकर खड़े हुए हैं। हमें इन प्रश्नों के उत्तर खोजने होंगे।
एक समय था जब पुस्तकें ज्ञान का स्रोत और मनोरंजन का साधन हुआ करती थी। ज्ञान का स्रोत तो वह आज भी हैं लेकिन मनोरंजन
के और बहुत से विकल्प हमें मिल गए हैं। सही मायने में पुस्तकें अब ज्ञान का भंडार ही हैं। मुझे लगता है कि कभी मनुष्य ने यह
आवश्यकता महसूस की होगी कि उसने अपने जीवन में जो ज्ञान अर्जित किया है उसे आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित रखा जाए
और तब उस ज्ञान को पुस्तकों में सुरक्षित रखा गया होगा। इसलिए पुस्तकों के ज्ञान का भंडार होने में किसी को कोई संदेह नहीं होना
चाहिए। हाँ कहानी, लघु कथाएं और उपन्यास पढ़कर जो पाठक मनोरंजन किया करते थे उसके लिए अब ये सब पढ़ने के लिए भी
और इसके बहुत सारे अन्य विकल्प भी आज इंटरनेट ने मुहैया करा दिए हैं। इसलिए मनोरंजन के लिए पुस्तकों की भूमिका काफी हद
तक सीमित हो गई है।
इंटरनेट से हमको सूचना तो मिल जाती है किंतु ज्ञान नहीं मिलता। के वल हमारे प्रश्न का उत्तर मिल जाना ज्ञान नहीं होता। आज से
25-30 साल पहले तक विद्यालयों में पाठ्य पुस्तक के पढ़ने पर जोर दिया जाता था। गाइड या कुं जी पढ़ना न तो अच्छा माना जाता
था और न ही वह अच्छे विद्यार्थी का कार्य हुआ करता था। इसका कारण यही था कि गाइड या कुं जी इंटरनेट की तरह ही सीमित
सूचना का माध्यम हुआ करती थीं जबकि पुस्तक विस्तृत ज्ञान का। आप यदि यह जानना चाहते हैं कि भीम ने दुर्योधन का वध कै से
किया तो इंटरनेट पर आपको इसकी जानकारी मिल जाएगी किंतु नियम विरूद्ध जंघा पर प्रहार करने का कारण आपको पता नहीं
चलेगा। आपको अर्जुन द्वारा युद्ध नियमों का उल्लंघन कर कर्ण का वध करने की सूचना तो मिल जाएगी लेकिन यह ज्ञात नहीं हो
सके गा कि विराट की गायों को हांकते समय कर्ण ने किसी गाय की हत्या कर दी थी और उसने कर्ण को कोई श्राप दिया था या
अभिमन्यू की हत्या में शामिल होकर किस प्रकार कर्ण ने युद्ध के नियमों को उल्लंघन किया था। इंटरनेट से जब आप हाथी को देखना
चाहेंगे तो आपको कभी उसकी पूंछ दिखाई देगी तो कभी सूंड, कभी कान दिखाई देंगे तो कभी टांग। पूरा हाथी दिखाई नहीं देगा। यदि
पूरा हाथी देखना चाहते हैं तो उसके लिए पुस्तक को पढ़ना पड़ेगा। मैं समझता हूं कि इंटरनेट हमें कु एं का मेंढक बना देता है जिसके
लिए हिंदमहासागर भी कुं आ है और प्रशांतमहासागर भी कु आं ही है।
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हमारे वेद, उपनिषद और पौराणिक ग्रंथ ज्ञान के विपुल भंडार हैं। हम उनमें से चुनिंदा श्लोक या मंत्र या चौपाई निकालकर उसे
समग्रता में नहीं समझ सकते। जब हम ऐसा करते हैं तो वास्तव में अपनी अधकचरी जानकारी से के वल उसकी गलत व्याख्या ही
करते हैं। और ऐसा आजकल हो रहा है। जब कबीर लिखते हैं :
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जिस प्रकार पुस्तक के लाभों को सूचीबद्ध नहीं किया जा सकता उसी प्रकार उस पर होने वाली चर्चा को भी सूचीबद्ध नहीं किया जा
सकता। बिल्कु ल यही स्थिति इंटरनेट की भी है। इंटरनेट का पुस्तकों पर और मानव जीवन पर पडने वाला प्रभाव भी असीमित है।
इंटरनेट और पुस्तक जीवन के दो अनंत, अशेष और असीमित विषय है जिन्हें एकाकार कर उस पर विमर्श करना आवश्यक है। आधी
अधूरी जानकारी के बल पर इंटरनेट को पुस्तकों का विरोधी चित्रित करना एक पक्षीय दृष्टिकोण का द्योतक है। निष्पक्षता से देखा
जाए तो इंटरनेट पुस्तकों के प्रचार-प्रसार और अध्ययन में सहायक की भूमिका निभा रहा है। असल समस्या यह है कि इंटरनेट पर
अपने संदर्भ की जानकारी मिल जाने के कारण पाठक समग्र जानकारी को छोड़ देता है जिससे उसके पास अधकचरा ज्ञान इकट्ठा हो
जाता है। यह समस्या पाठक के या इंटरनेट प्रयोग करने वाले के दृष्टिकोण की समस्या है। यदि वह पूरी पुस्तक के अध्ययन में रुचि
रखता है तो उसके लिए इंटरनेट के प्रयोग से यह अपेक्षाकृ त सरल एवं सुलभ है।
इंटरनेट पुस्तकों के लेखन को प्रोत्साहित करता है। इंटरनेट पर पुस्तक तभी अपलोड़ की जा सकती है जब वह लिखी गई है। इंटरनेट
के वल वही सूचनाएं हमें उपलब्ध कराता है जो उसमें किसी ने फीड़ की है। व्यक्ति को सारी सूचनाएं देने के लिए उसके पास वे सभी
सूचनाएं होनी भी चाहिएं। इसके लिए इंटरनेट पुस्तकों पर निर्भर करता है और इसीलिए वह पुस्तकों का समर्थन करता है। पुस्तकों के
मामले में जिस एक उद्योग को इंटरनेट नुकसान पहुंचा रहा है वह है प्रकाशन उद्योग। प्रकाशन को इंटरनेट हतोत्साहित करता है। एक
बार ई-बुक बनने के बाद या पीडीएफ बनने के बाद लेखक के लिए अपनी पुस्तक किसी को भेजने में आसानी हो जाती है। प्रकाशक
भी उस पुस्तक को कहीं भी और कभी भी भेज सकता है। इंटरनेट के वल पुस्तकों की हार्ड कॉपी की संख्या को कम कर रहा है जो
प्रकाशन उद्योग के अलावा किसी के अहित में नहीं है। आज जरूरत इस बात की है कि ई-पुस्तक, इंटरनेट और आधुनिकता को
जोड़ते हुए प्रकाशन उद्योग के हितों को किस प्रकार संरक्षित किया जाए। मेरे विचार से नई तकनीकी और कॉपीराइट कानून के सख्त
अनुपालन के द्वारा यह संभव है। प्रकाशन उद्योग को भी ऐसे सॉफ्टवेयर विकसित करने की आवश्यकता है जिससे पाठक ई-पुस्तक
के रूप में भी पुस्तक के अध्ययन का आनंद ले सकें । इंटरनेट और पुस्तकों को एक दूसरे का समर्थन प्रदान कर हम पाठकों और
लेखकों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोलने और दो महाशक्तियों के रचनात्मक पहलुओं को उजागर करने के साथ-साथ किसी
एक को दूसरे का प्रतिस्थापक मानने की भूल से होने वाली हानियों से बच सकें गे।
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व्यवसाय की भाषा के रूप में हिन्दी की उपयोगिता
आज के इस भूमंडलीकरण के दौर में हिंदी ने अपनी दस्तक विश्व के लगभग सभी देशों
में दी है। लगभग 70 करोड़ लोग अपने दैनिक जीवन में हिंदी का प्रयोग करते हैं। हिंदी
हमारी राजभाषा है। हिंदी के द्वारा हम शिक्षा, राजनीति, इतिहास, विज्ञान ,वाणिज्य आदि
सभी क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। आज के समय में भाषा की जीवंतता का
आधार उसकी रोज़गारपरकता भी है। आज हिंदी तेज़ी से व्यवसाय की भी भाषा बनाने
लगी है। अनुवाद, पर्यटन, विज्ञापन, शिक्षण आदि अनेक क्षेत्र हैं जहां रोज़गार की अनंत
संभावनाएं हैं । हर विषय में परंपरागत और व्यावसायिक दो तरह की शिक्षा दी जाती है। अमित कु मार अग्रवाल
हिंदी को रोज़गारपरक, व्यावसायिक शिक्षा से जोड़ने की आवश्यकता है। इसके लिए संयुक्त निदेशक-वित्त
हिंदी की प्रयोजनमूलकता और बढ़ानी होगी। महात्मा गांधी ने कहा था- “हृदय की कोई
भाषा नहीं है, हृदय -हृदय से बातचीत करता है और हिंदी हृदय की भाषा है।“
बाजारवाद और उपभोक्तावाद के इस दौर में प्रयोजनमूलक हिंदी का दायरा व्यापक होता जा रहा है। आज हिंदी एक ओर कम्प्यूटर,
इलेक्ट्रॉनिक, टेलीप्रिंटर, दूरदर्शन, रेडियो, अखबार, फिल्म और विज्ञापन आदि जनसंचार के माध्यमों पर प्रभावी है, तो वहीं दूसरी ओर
शेयर बाजार, रेल, हवाई जहाज, बीमा उद्योग, बैंक आदि औद्योगिक उपक्रमों, रक्षा, सेना, इन्जीनियरिंग आदि प्रौद्योगिकी संस्थानों,
तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों, आयुर्विज्ञान, कृ षि, चिकित्सा, शिक्षा, ए० एम० आई० के साथ विभिन्न संस्थाओं में हिन्दी माध्यम से
प्रशिक्षण दिलाने कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, सरकारी, अर्द्धसरकारी कार्यालयों, कार्यालयी हिंदी के विभिन्न रूपों में प्रयुक्त होकर अपने
महत्व को स्वतः सिद्ध कर रही है। तात्पर्य यह है कि पर्यटन, बाजार, तीर्थस्थल, कल-कारखाने, न्यायालय आदि अब प्रयोजनमूलक
हिन्दी के दायरे में आ गए हैं।
निःसंदेह, दो तीन दशक में हिंदी के प्रति देश-विदेश में रुख बदला है। संसद से सड़क तक हिन्दी का उपयोग बढ़ा है। नई शिक्षा नीति
2020 में भारतीय भाषाओं के महत्व पर अधिक जोर दिया गया है जिससे हिंदी नई ऊं चाई हासिल कर सकती है। मातृभाषा के साथ
आत्मीय संबंध होने के कारण उसे ग्रहण करना छात्र के लिए सहज होता है। उसकी तार्किक दृष्टि विकसित होती है। चाहे हम कितनी
भी विदेशी भाषाओं की बात कर लें परंतु सच्चाई यह है कि व्यक्ति की रचनात्मकता अपना उत्कृ ष्टतम रूप अपनी भाषा में ही प्राप्त
करती है।
हिंदी में आज कई तरह से रोजगार के मौके सामने आए हैं। सभी सरकारी अधिकारियों को दफ्तरों में अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी का
उपयोग अनिवार्य बनाया गया है। आदेश, नियम, अधिसूचना, प्रतिवेदन, प्रेस-विज्ञप्ति, निविदा, अनुबंध व विभिन्न प्रारूपों को हिंदी में
बनाना और जारी करना अनिवार्य है। इसका सीधा-सा अर्थ है कि कें द्र सरकार व राज्य सरकारों के सभी विभागों, उपविभागों में हिंदी
अधिकारी, अनुवादक, प्रबंधक, उप-प्रबंधकों के रूप में रखे जा रहे हैं। सभी राष्ट्रीयकृ त बैंकों में हिंदी अधिकारी के पद बनाए गए हैं।
निजी क्षेत्र में भी बैंकिंग कारोबार बढ़ाने के लिए उपनगरों व ग्रामीण इलाकों में स्थानीय लोगों को भर्ती कर उन्हें स्थानीय भाषा में काम
करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके अलावा अनुवाद आज सबसे बड़ा रोजगार बनता जा रहा है। न के वल साहित्यिक
किताबों बल्कि मीडिया, फिल्म, जनसंपर्क , बैंकिंग क्षेत्र, विज्ञापन आदि सभी जगहों पर अनुवाद करने वालों की काफी मांग है। टीवी
पर तमाम चैनलों के मूल अंग्रेजी कार्यक्रम हम रोज हिंदी में देखते हैं। दर्शकों और पाठकों को यह सुविधा अनुवाद के जरिए ही
मिलती है। इसीलिए आज अंग्रेजी और अन्य भाषाओं से हिंदी में अनुवाद की बहुत मांग है।
विज्ञापन आज मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों ने विज्ञापन के व्यवसाय में एक तरह की
क्रांति पैदा कर दी है, जिसका बोध हमें विगत वर्षों में विज्ञापन पर लगातार बढ़ते जा रहे भारी-भरकम खर्च से होता है। भारत में
विज्ञापन का कारोबार हजारों करोड़ रुपए से ज्यादा का है। इसमें भी हिंदी में विज्ञापनों का बाजार तेजी से बढ़ा है। खासतौर से उत्तर
भारत के राज्यों में जो पूरी तरह से हिंदी भाषी राज्य कहे जाते हैं, विज्ञापन बाजार पर हिंदी का ही कब्जा है। कारोबार के हिसाब से
देखें तो देश भर में आठ सौ से ज्यादा मान्यता प्राप्त विज्ञापन एजेंसियां हैं। आज भारतीय विज्ञापन उद्योग ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी
अपनी एक अलग पहचान बना ली है, भले ही यहां तक पहुंचने में उसे एक लंबा सफर तय करना पड़ा हो। इसलिए विज्ञापन की
दुनिया में ही कई क्षेत्र हैं जिसमें हमेशा ही रोजगार के नए अवसर बनते रहते हैं और अब हिंदी भाषियों के लिए काफी संभावनाएं
सामने आई हैं। विश्व स्तर पर बढ़ती जनसंख्या के साथ भी हिंदी भाषा का महत्त्व बढ़ रहा है।
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मानव मन की व्यथा
ईश्वर के द्वारा बनाई गई इस सृष्टि को ध्यान से देखिए, इसका हर तत्त्व कितना निष्काम है। सूरज,
धरती, हवा, पानी, ये सब बिना किसी शर्त के अनवरत अपना कार्य करते रहते हैं। क्या कभी ऐसा
होता है कि हवाएं रेगिस्तान से बहने से मना कर दें क्योंकि उनकी ठं डक, उनकी नमी खत्म हो
जाएगी । क्या समुद्र की लहरें चट्टानों से टकराकर अपना अस्तित्व समाप्त नहीं कर देती। क्या
किसी फू ल की कोई कली सिर्फ इसलिए नहीं खिलती की आज गर्मी है ? क्या तितली, भवरें,
नवल पाण्डे
चीटियां और तमाम पशु पक्षी स्वच्छंद मन से विचरण नहीं करते जबकि उन्हें प्रतिपल अपने संयुक्त निदेशक
शिकारियों द्वारा भक्षित होने का एहसास है।
अपने शरीर को ही लीजिए, आपका ह्रदय आजन्म, अनवरत निष्काम भाव से अपना कार्य कर रहा है। आपके शरीर की प्रतिरक्षा
प्रणाली आप से बिना राय- मशवरे के दिन रात कार्यरत है , आपकी समस्त इंद्रियाँ बिना किसी कष्ट के आप को संभाले है। आपके
इस शरीर की हर एक कोशिका अपने जन्म से मृत्यु तक आप को बिना बताए आपका जीवन पोषित करने के लिए कार्यरत रहती है ।
इस भव्य और सदा-परिवर्तनशील ऊर्जामय सृष्टि का, जोकि अति सूक्ष्म से ब्रह्मांड तक फै ली है, अपना एक स्पंदन है, एक लय है । इस
सृष्टि के सभी तत्व उस स्पंदन के साथ लयबद्ध होकर चलते है । और यही लय सभी तत्वों का मूल स्वभाव है और यही प्रकृ ति का एक
आनंदमय उत्सव है ।
पर इस उत्सव में मनुष्य कहाँ है, वह इसमे सम्मिलित क्यों नहीं है ? क्या कमी आ गई उसके अस्तित्व में कि वो इस प्रकृ ति के साथ
आत्मसात नहीं हो पा रहा ? क्या मजबूरी है कि आज कोई शायर ये पूछता फिरता है कि सीने मे जलन , आखों मे तूफान सा क्यों है,
इस शहर का हर शख्स परेशान् सा क्यों है ।
वो कमी है मनुष्य के मन में ये वो मन है जो धीर नहीं रख पा रहा , वो मन, जो हमारी चेतना से दूर हो कर जीवन की हर परिस्थिति
को अपने अहं और अपने अस्तित्व की लड़ाई समझ चुका है। वो मन, जिसने वर्तमान में जीना भुला दिया है। आजकल अधिकतर
लोग सदा भविष्य की कल्पना में रहते है, ये सोचकर की वहीं सुख संभव है। आज के परिवेश मे एक और नया लोक भी है, ‘वर्चुअल
वर्ल्ड’ जिसने लोगों को अधिक बेचैन अधिक अधीर बना दिया है। एक जर्मन दार्शनिक ने लिखा है कि “मन इतना अधीर है कि यदि
आपको स्वर्ग मिल जाए और 10 दिनों तक स्वर्ग मे रहने के बाद कोई आपसे पूछे कि कै सा लग रहा है आपको स्वर्ग में, तो आपका
जवाब होगा, अच्छा है लेकिन ...”
ऐसा नहीं है कि मन को अपनी चेतना से, सृष्टि की लय से दोबारा जोड़ने का उपाय ही नहीं है। मानव इतिहास मे समय समय पर
समाज और धर्म ने मनुष्य की इस व्यथा को सुलझाने के प्रयास किए है। श्रीमद भगवद्गीता में कहा है -
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
कर्म तुम्हारा अधिकार है, फल कदापि नहीं, इसलिए फल की इच्छा के साथ कर्म ना करो तथा अकर्मण्यता को भी धारण मत करो
बल्कि कर्मयोगी बनो। स्वामी विवेकानंद ने इस श्लोक की विवेचना में कहा था यदि हर व्यक्ति निस्पृह भाव से कर्म को के वल और
के वल अच्छा करने की मंशा से करेगा तो इस धरती से तमाम दुखों का समापन हो जाएगा ।
गीता हमारे जीवन में शाश्वत रूप से अनुकरणीय है चाहे वो कोई भी देश काल या परिस्थिति हो, गीता एक शाश्वत ज्ञान स्रोत के रूप
में आने वाली पीढ़ियों के लिए सदा जीवन का प्रकाश स्तम्भ बनी रहेगी बशर्ते हम इसके गूढ अर्थ को आत्मसात करें। जैसे कि इस
श्लोक में कहा है कि जीवन की हर परिस्थिति में अनुकू ल फल की अपेक्षा, दुखों को निमंत्रण है। क्योंकि फल पर आपका अधिकार है
ही नहीं, तो वो आप के अनुसार ही हो ये संभव ही नहीं है । जैसे ही आप फल की अपेक्षा करते है आप भविष्य मे चले जाते है और
जीवन की उस लय को खो देते है जोकि के वल वर्तमान मे उपलब्ध है ।
ये आधुनिक युग की विडंबना है कि आज मनुष्य शारीरिक कष्ट बाधाओं पर विजय प्राप्त कर समस्त भौतिक सुविधाओं का सृजन
करने के बावजूद भी मानसिक रूप से संतुष्ट और सुखी नहीं है । आज आवश्यकता है अति भौतिकता को अल्प विराम देकर मन
,बुद्धि और विचारों मे शुद्धि का सृजन कर शरीर , मन और आत्मा मे सम भाव स्थापित करने की । तभी जाकर हम सृष्टि के साथ
लयबद्ध होकर जीवन के आनंदमय उत्सव में सम्मिलित हो सकें गे । और तभी ईश्वर का सृष्टि सृजन का उद्देश्य सफल हो सके गा ।
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कविता
तन
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स्वच्छ भारत – मेरी कल्पना
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तेल उद्योग सुरक्षा निदेशालय
पेट्रोलियम एवं प्राकृ तिक गैस मंत्रालय
8वीं मंजिल, ओआईडीबी भवन, प्लॉट नंबर 2,सेक्टर-73, नोएडा, उत्तर प्रदेश-201301
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