You are on page 1of 11

श्रीः

श्रीमते रामानुजाय नमः


श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः

श्रीमद्रामायणे वा ीक ये आ दका े बालका े

Á Á श्री स े परामायणम् Á Á
This document has been prepared by

Sunder Kidāmbi

with the blessings of

श्री र रामानुज महादे शकन्


His Holiness śrīmad āṇḍavan śrīraṅgam
श्रीः
श्रीमते रामानुजाय नमः
श्रीमते नगमा महादे शकाय नमः

Á Á श्री स े परामायणम् Á Á
तपः ा ाय नरतं तप ी वा दां वरम् Á
नारदं पिरपप्र वा ी कमुर् नपु वम् Á Á 1 Á Á

को न् सा तं लोके गुणवान् क वीयर्वान् Á


धमर्ज्ञ कृतज्ञ स वा ो दृढव्रतः Á Á 2 Á Á

चािरत्रेण च को यु ः सवर्भूतेषु को हतः Á


व ान् कः कः समथर् क ैक प्रयदशर्नः Á Á 3 ÁÁ
आ वान् को जतक्रोधो ु तमान् कोऽनसूयकः Á
क ब त देवा जातरोष संयुगे Á Á 4 Á Á

एत द ा हं श्रोतुं परं कौतूहलं ह मे Á


महष ं समथ ऽ स ज्ञातुमेवं वधं नरम् Á Á 5 ÁÁ
श्रु ा चैत लोकज्ञो वा ीकेन रदो वचः Á
श्रूयता म त चाम प्रहृ ो वा मब्रवीत् Á Á 6 ÁÁ
बहवो दुलर् भा ैव ये या क तर्ता गुणाः Á
मुने व ा हं बुद् ा तैयर्ु ः श्रूयतां नरः Á Á 7 ÁÁ
इ ाकुवंशप्रभवो रामो नाम जनैः श्रुतः Á
नयता ा महावीय ु तमान् धृ तमान् वशी Á Á 8 ÁÁ
बु मान् नी तमान् वा ी श्रीमा त्रु नबहर्णः Á
वपुलांसो महाबाहुः क ुग्रीवो महाहनुः Á Á 9 Á Á
श्री स े परामायणम्

महोर ो महे ासो गूढजत्रुरिर मः Á


आजानुबाहुः सु शराः सुललाटः सु वक्रमः Á Á 10 ÁÁ
समः सम वभ ा ः वणर्ः प्रतापवान् Á
पीनवक्षा वशालाक्षो ल ीवा ु भलक्षणः Á Á 11 ÁÁ
धमर्ज्ञः स स प्रजानां च हते रतः Á
यश ी ज्ञानस ः शु चवर् ः समा धमान् Á Á 12 ÁÁ
प्रजाप तसमः श्रीमान् धाता िरपु नषूदनः Á
र क्षता जीवलोक धमर् पिरर क्षता Á Á 13 ÁÁ
र क्षता धमर् जन च र क्षता Á
वेदवेदा त ज्ञो धनुवदे च न तः Á Á 14 Á Á

सवर्शा ाथर्त ज्ञः ृ तमान् प्र तभानवान् Á


सवर्लोक प्रयः साधुरदीना ा वचक्षणः Á Á 15 ÁÁ
सवर्दा भगतः स ः समुद्र इव स ु भः Á
आयर्ः सवर्सम ैव सदैव प्रयदशर्नः Á Á 16 Á Á

स च सवर्गुणोपेतः कौस ान वधर्नः Á


समुद्र इव गा ीय धैयण हमवा नव Á Á 17 ÁÁ
व ुना सदृशो वीय सोमव यदशर्नः Á
काला सदृशः क्रोधे क्षमया पृ थवीसमः Á Á 18 ÁÁ
धनदेन सम ागे स े धमर् इवापरः Á
तमेवं गुणस ं रामं स पराक्रमम् Á Á 19 ÁÁ
े ं श्रे गुणैयुर् ं प्रयं दशरथः सुतम् Á
प्रकृतीनां हतैयुर् ं प्रकृ त प्रयका या Á Á 20 ÁÁ
www.prapatti.com 2 Sunder Kidāmbi
श्री स े परामायणम्

यौवरा ेन संयो ु मै त् प्री ा महीप तः Á


त ा भषेकस ारान् दृ ा भाय थ कैकयी Á Á 21 ÁÁ
पूव द वरा देवी वरमेनमयाचत Á
ववासनं च राम भरत ा भषेचनम् Á Á 22 ÁÁ
स स वचनाद् राजा धमर्पाशेन संयतः Á
ववासयामास सुतं रामं दशरथः प्रयम् Á Á 23 ÁÁ
स जगाम वनं वीरः प्र तज्ञामनुपालयन् Á
पतुवर्चन नदशात् कैके ाः प्रयकारणात् Á Á 24 ÁÁ
तं व्रज ं प्रयो भ्राता ल णोऽनुजगाम ह Á
ेहाद् वनयस ः सु मत्रान वधर्नः Á Á 25 ÁÁ
भ्रातरं द यतो भ्रातुः सौभ्रात्रमनुदशर्यन् Á
राम द यता भाय न ं प्राणसमा हता Á Á 26 ÁÁ
जनक कुले जाता देवमायेव न मर्ता Á
सवर्लक्षणस ा नार णामु मा वधूः Á Á 27 ÁÁ
सीता नुगता रामं श शनं रो हणी यथा Á
पौरै रनुगतो दूरं पत्रा दशरथेन च Á Á 28 Á Á

शृ वेरपुरे सूतं ग ाकूले सजर्यत् Á


गुहमासा धम ा नषादा धप तं प्रयम् Á Á 29 ÁÁ
गुहेन स हतो रामो ल णेन च सीतया Á
ते वनेन वनं ग ा नदी ी बहूदकाः Á Á 30 ÁÁ
चत्रकूटमनुप्रा भर ाज शासनात् Á
र मावसथं कृ ा रममाणा वने त्रयः Á Á 31 ÁÁ
www.prapatti.com 3 Sunder Kidāmbi
श्री स े परामायणम्

देवग वर्स ाशा त्र ते वसन् सुखम् Á


चत्रकूटं गते रामे पुत्रशोकातुर दा Á Á 32 Á Á

राजा दशरथः ग जगाम वलपन् सुतम् Á


र् ैः Á Á 33
गते तु त न् भरतो व स प्रमुखै ज ÁÁ
नयु मानो रा ाय नै द् रा ं महाबलः Á
स जगाम वनं वीरो रामपादप्रसादकः Á Á 34 Á Á

ग ा तु स महा ानं रामं स पराक्रमम् Á


अयाचद् भ्रातरं राममायर्भावपुर ृ तः Á Á 35 ÁÁ
मेव राजा धमर्ज्ञ इ त रामं वचोऽब्रवीत् Á
रामोऽ प परमोदारः सुमुखः सुमहायशाः Á Á 36 ÁÁ
न चै त् पतुरादेशाद् रा ं रामो महाबलः Á
पादुके चा रा ाय ासं द ा पुनः पुनः Á Á 37 ÁÁ
नवतर्यामास ततो भरतं भरताग्रजः Á
स काममनवा ैव रामपादावुप ृशन् Á Á 38 ÁÁ
न ग्रामेऽकरोद् रा ं रामागमनका या Á
गते तु भरते श्रीमान् स स ो जते यः Á Á 39 ÁÁ
राम ु पुनराल नागर जन चÁ
तत्रागमनमेकाग्रो द कान् प्र ववेश ह Á Á 40 ÁÁ
प्र व तु महार ं रामो राजीवलोचनः Á
वराधं राक्षसं ह ा शरभ ं ददशर् ह Á Á 41 ÁÁ
सुती ं चा ग ं च अग भ्रातरं तथा Á
अग वचना ैव जग्राहै ं शरासनम् Á Á 42 Á Á
www.prapatti.com 4 Sunder Kidāmbi
श्री स े परामायणम्

ख ं च परमप्रीत ूणी चाक्षयसायकौ Á


वसत राम वने वनचरै ः सह Á Á 43 ÁÁ
ऋषयोऽ ागमन् सव वधायासुररक्षसाम् Á
स तेषां प्र तशुश्राव राक्षसानां तदा वने Á Á 44 ÁÁ
प्र तज्ञात रामेण वधः संय त रक्षसाम् Á
ऋषीणाम क ानां द कार वा सनाम् Á Á 45 ÁÁ
तेन तत्रैव वसता जन ान नवा सनी Á
वरू पता शूपर्णखा राक्षसी कामरू पणी Á Á 46 ÁÁ
ततः शूपर्णखावा ादु ु ान् सवर्राक्षसान् Á
खरं त्र शरसं चैव दूषणं चैव राक्षसम् Á Á 47 ÁÁ
नजघान रणे राम ेषां चैव पदानुगान् Á
वने त न् नवसता जन ान नवा सनाम् Á Á 48 ÁÁ
रक्षसां नहता ासन् सहस्रा ण चतुदश र् Á
ततो ज्ञा तवधं श्रु ा रावणः क्रोधमू तः Á Á 49 ÁÁ
सहायं वरयामास मार चं नाम राक्षसम् Á
वायर्माणः सुबहुशो मार चेन स रावणः Á Á 50 ÁÁ
न वरोधो बलवता क्षमो रावण तेन ते Á
अनादृ तु त ा ं रावणः कालचो दतः Á Á 51 ÁÁ
जगाम सहमार च ाश्रमपदं तदा Á
तेन माया वना दूरमपवा नृपा जौ Á Á 52 ÁÁ
जहार भाय राम गृध्रं ह ा जटायुषम् Á
गृध्रं च नहतं दृ ा हृतां श्रु ा च मै थल म् Á Á 53 ÁÁ
www.prapatti.com 5 Sunder Kidāmbi
श्री स े परामायणम्

राघवः शोकस ो वललापाकुले यः Á


तत ेनैव शोकेन गृध्रं द ा जटायुषम् Á Á 54 ÁÁ
मागर्माणो वने सीतां राक्षसं स दशर् ह Á
कब ं नाम रूपेण वकृतं घोरदशर्नम् Á Á 55 ÁÁ
तं नह महाबाहुदर्दाह गर्त सः Á
स चा कथयामास शबर धमर्चािरणीम् Á Á 56 ÁÁ
श्रमणां धमर् नपुणाम भग े त राघव Á
सोऽ ग हातेजाः शबर शत्रुसूदनः Á Á 57 ÁÁ
शबय पू जतः स ग् रामो दशरथा जः Á
प ातीरे हनुमता स तो वानरे ण ह Á Á 58 Á Á

हनुम चना ैव सुग्रीवेण समागतः Á


सुग्रीवाय च त व शंसद्रामो महाबलः Á Á 59 ÁÁ
आ दत द् यथावृ ं सीताया वशेषतः Á
सुग्रीव ा प त व श्रु ा राम वानरः Á Á 60 ÁÁ
चकार स ं रामेण प्रीत ैवा सा क्षकम् Á
ततो वानरराजेन वैरानुकथनं प्र त Á Á 61 Á Á

रामायावे दतं सव प्रणयाद् दुः खतेन च Á


प्र तज्ञातं च रामेण तदा वा लवधं प्र त Á Á 62 ÁÁ
वा लन बलं तत्र कथयामास वानरः Á
सुग्रीवः श त ासी ं वीयण राघवे Á Á 63 ÁÁ
राघवप्र याथ तु दु भ ु ेः कायमु मम् Á
दशर्यामास सुग्रीवो महापवर्तस भम् Á Á 64 ÁÁ
www.prapatti.com 6 Sunder Kidāmbi
श्री स े परामायणम्

उ य ा महाबाहुः प्रे चा महाबलः Á


पादाङ्गु ेन चक्षेप स ूण दशयोजनम् Á Á 65 ÁÁ
बभेद च पुन ालान् स ैकेन महेषुणा Á
गिरं रसातलं चैव जनयन् प्र यं तदा Á Á 66 ÁÁ
ततः प्रीतमना ेन व ः स महाक पः Á
क ां रामस हतो जगाम च गुहां तदा Á Á 67 ÁÁ
ततोऽगजर् िरवरः सुग्रीवो हेम प ळः Á
तेन नादेन महता नजर्गाम हर रः Á Á 68 ÁÁ
अनुमा तदा तारां सुग्रीवेण समागतः Á
नजघान च तत्रैनं शरे णैकेन राघवः Á Á 69 ÁÁ
ततः सुग्रीववचना ा वा लनमाहवे Á
सुग्रीवमेव तद्रा े राघवः प्र पादयत् Á Á 70 ÁÁ
स च सव न् समानीय वानरान् वानरषर्भः Á
दशः प्र ापयामास ददृक्षुजर्नका जाम् Á Á 71 ÁÁ
ततो गृध्र वचनात् स ातेहर्नुमान् बल Á
शतयोजन व ीण पुप्लुवे लवणाणर्वम् Á Á 72 ÁÁ
तत्र ल ां समासा पुर रावणपा लताम् Á
ददशर् सीतां ाय ीमशोकव नकां गताम् Á Á 73 ÁÁ
नवेद य ा भज्ञानं प्रवृ ं व नवे च Á
समा ा च वैदह े ीं मदर्यामास तोरणम् Á Á 74 ÁÁ
प सेनाग्रगान् ह ा स म सुतान प Á
शूरमक्षं च न ग्रहणं समुपागमत् Á Á 75 ÁÁ
www.prapatti.com 7 Sunder Kidāmbi
श्री स े परामायणम्

अ ेणो ु मा ानं ज्ञा ा पैतामहाद् वरात् Á


मषर्यन् राक्षसान् वीरो य ण ान् यदृ या Á Á 76 ÁÁ
ततो द ा पुर ल ामृते सीतां च मै थल म् Á
रामाय प्रयमा ातुं पुनराया हाक पः Á Á 77 Á Á

सोऽ भग महा ानं कृ ा रामं प्रद क्षणम् Á


वेदयदमेया ा दृ ा सीते त त तः Á Á 78 Á Á

ततः सुग्रीवस हतो ग ा तीरं महोदधेः Á


समुद्रं क्षोभयामास शरै रा द स भैः Á Á 79 ÁÁ
दशर्यामास चा ानं समुद्रः सिरतां प तः Á
समुद्रवचना ैव नलं सेतुमकारयत् Á Á 80 Á Á

तेन ग ा पुर ल ां ह ा रावणमाहवे Á


रामः सीतामनुप्रा परां व्रीडामुपागमत् Á Á 81 ÁÁ
तामुवाच ततो रामः परुषं जनसंस द Á
अमृ माणा सा सीता ववेश लनं सती Á Á 82 ÁÁ
ततोऽ वचनात् सीतां ज्ञा ा वगतक षाम् Á
कमर्णा तेन महता त्रैलो ं सचराचरम् Á Á 83 Á Á

सदेव षर्गणं तु ं राघव महा नः Á


ै तैः Á Á 84
बभौ रामः स हृ ः पू जतः सवर्दव ÁÁ
अभष च ल ायां राक्षसे ं वभीषणम् Á
कृतकृ दा रामो व रः प्रमुमोद ह Á Á 85 ÁÁ
देवता ो वरं प्रा समु ा च वानरान् Á
अयो ां प्र तो रामः पु केण सुहृद्वृतः Á Á 86 ÁÁ
www.prapatti.com 8 Sunder Kidāmbi
श्री स े परामायणम्

भर ाजाश्रमं ग ा रामः स पराक्रमः Á


भरत ा के रामो हनूम ं सजर्यत् Á Á 87 ÁÁ
पुनरा ा यकां ज न् सुग्रीवस हत दा Á
पु कं तत् समारु न ग्रामं ययौ तदा Á Á 88 ÁÁ
न ग्रामे जटां ह ा भ्रातृ भः स हतोऽनघः Á
रामः सीतामनुप्रा रा ं पुनरवा वान् Á Á 89 ÁÁ
प्रहृ ोमु दतो लोक ु ः पु ः सुधा मर्कः Á
नरामयो रोग दु भर्क्षभयव जर्तः Á Á 90 Á Á

न पुत्रमरणं क द् द्र पुरुषाः चत् Á


नायर् ा वधवा न ं भ व प तव्रताः Á Á 91 ÁÁ
न चा जं भयं क ा ु मज्ज ज वः Á
न वातजं भयं क ाप रकृतं तथा Á Á 92 Á Á

न चा प क्षु यं तत्र न त रभयं तथा Á


नगरा ण च रा ्र ा ण धनधा युता न च Á Á 93 ÁÁ
न ं प्रमु दताः सव यथा कृतयुगे तथा Á
अ मेधशतैिर ा तथा बहुसुवणर्कैः Á Á 94 ÁÁ
गवां को युतं द ा व ो व धपूवर्कम् Á
असङ् ेयं धनं द ा ब्रा णे ो महायशाः Á Á 95 ÁÁ
राजवंशा तगुणान् ाप य त राघवः Á
चातुवर् च लोकेऽ न् े े धम नयो त Á Á 96 ÁÁ
दशवषर्सहस्रा ण दशवषर्शता न च Á
रामो रा मुपा स ा ब्र लोकं प्रया त Á Á 97 ÁÁ
www.prapatti.com 9 Sunder Kidāmbi
श्री स े परामायणम्

इदं प वत्रं पाप ं पु ं वेदै स तम् Á


यः पठे द् रामचिरतं सवर्पापैः प्रमु ते Á Á 98 ÁÁ
एतदा ानमायु ं पठन् रामायणं नरः Á
सपुत्रपौत्रः सगणः प्रे ग महीयते Á Á 99 ÁÁ
पठन् जो वागृषभ मीयात्
ात् क्ष त्रयो भू मप त मीयात् Á
व ण नः प फल मीया -
ज्जन शूद्रोऽ प मह मीयात् Á Á 100 ÁÁ

ÁÁ इ त श्री स े परामायणं समा म् ÁÁ

www.prapatti.com 10 Sunder Kidāmbi

You might also like