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प्रश्न जातिव्यवस्था इन्सान के द्वारा बनाई गयी है या ईश्वर के द्वारा ?

उत्तर तनश्श्िि रूप से ईश्वर द्वारा बनाई गयी है !

प्रश्न क्या इसे िकक के द्वारा समझा सकिे है ?

उत्तर हााँ क्यों नह ीं बबलकुल समझा सकिा हाँ !

प्रश्नकिाक लेककन न िो मुझे सींस्कृि का ज्ञान है ना ह में शास्रों का ज्ञािा


हाँ। हााँ अींग्रेजी से मैंने एम.ए .ककया है !

उत्तर कोई बाि नह ीं सींस्कृि ,या शास्रों का ज्ञान नह ीं होगा िलेगा ककन्िु
कॉमनसेंस होना जरुर है !

प्रश्नकिाक जी वो िो है !

उत्तर अब हम शुरुआि करिे है ,कृपया बिाए कक इस पथ्


ृ वी पर ककिने
प्रकार के जीव रहिे है ?

प्रश्नकिाक मनुष्य ,पशु ,पक्षी जलिर ,पेड़, पौधे इत्यादि !


उत्तर बबलकुल सह अब एक बाि बिाओ पशु कहने से सभी पशु शेर हो
गए क्या? पक्षी कहने से सभी पक्षी िोिा हो गए क्या?, जलिर कहने से सभी
शाकक मछल हो गए क्या?, पेड़ कहने से सभी आम हो गए क्या ?

प्रश्नकिाक नह ीं, शेर जानवरों की जाति है , िोिा पक्षक्षयों की जाति है और


आम पेड़ की जाति है !

उत्तर : िो क्या इन्हें इन्सान ने बनाया है ?

प्रश्नकिाक नह ीं, यह िो ईश्वर की बनाई व्यवस्था है ।

उत्तर ठीक उसी प्रकार मनुष्य कहने से सभी ब्राह्मण हो गए क्या ? नह ीं,
यह िो मनुष्यों की जाति व्यवस्था है , जो की ईश्वर द्वारा बनाई गयी है जैसे
जानवर शब्ि से हजारो जानवरों का होना समझा जािा है , पक्षी शब्ि से हजारो
प्रकार के पक्षी होने का बोध होिा है ,फल शब्ि से हजारो प्रकार के फलो का
होना सतु नश्श्िि होिा है , उसी प्रकार मनुष्य शब्ि से हजारो प्रकार के मनष्ु यों
का होना ससद्ध होिा है , साथ ह साथ इन सभी की जाति के साथ साथ प्रजाति
का होना भी पाया जािा है और सुनो जातिव्यवस्था केवल इन्सान के सलए ह
नह ीं अपपिु यह सींसार अनेक प्रकार की पवपवधिाओ से भरा पड़ा है । आप स्वयीं
िे खिए आम कक ककिनी प्रजातिया होिी है , नीम की ककिनी प्रजाति होिी है ,शेर
की जाति प्रजाति...बन्िर ,घोडा ,िोिा ,सपक ,गें ह िना ,िावल ,इत्यादि । अिः
अब आप ह बिाए कक इसमें इन्सान द्वारा जातिव्यवस्था का तनधाकरण करना
कहााँ ससद्ध होिा है !
प्रश्नकिाक मै आपकी बाि से सहमि हाँ कृपया आप जातिव्यवस्था के
पवज्ञान को सरल भाषा में पवस्िार से समझाने का कष्ट करे !

उत्तर ब्रह्म जी ने स्रश्ष्ट रिना के समय अपने मुि से ब्राह्मण को उत्पन्न


ककया ,भुजाओ से क्षबरयो को उत्पन्न ककया ,अपने उिर से वेश्यो को प्रकट
ककया िथा अपने िरणों से शद्रों की उत्पपत्त की,अथाकि मुि से मेधाशश्क्ि,
भुजाओ से रक्षाशश्क्ि ,उिर से अथकशश्क्ि ,एवीं िरणों से श्रमशश्क्ि को उत्पन्न
ककया , इसका अथक यह हुआ कक ब्राह्मणों के पास जो शश्क्ि है उसका सम्बन्ध
ससर से है यातन ब्राह्मण के पास िे िने,सुनने ,बोलने ,बिाने ,सींघने,िथा ककसी
को भी िा जाने की शश्क्ि होिी है ,प्रािीन काल में ककसी भी राज्य में जो राजा
होिा था वह मागकिशकक के रूप में ककसी ब्राह्मण को जरुर तनयुक्ि करिा था
िथा उन्ह के परामशक से अपनी प्रजा का पालन करिा था क्योकक वह जानिा
था की मेरे पास शश्क्ि है ज्ञान नह ीं,क्षबरयो को भज
ु ाओ से उत्पन्न ककया िो
स्वाभापवक है कक उनके पास भज
ु ाओ का बल अत्यधधक पाया जािा है और
ककसी भी राज्य की रक्षा का िातयत्व क्षबरयो का होिा है ,उसी प्रकार वेश्यो की
उत्पपत्त उिर से हुई िो उनके पास सींग्रह िथा पविरण की कुशलिा पाई जािी
है , यह उसकी शश्क्ि का आधार है ,ठीक उसी प्रकार शुद्रो को पैरो से उत्पन्न
ककया यानी शुद्रो के पास श्रम शश्क्ि होिी है जो श्रम वह कर सकिे है , वह
अन्य कोई वणक या जाति का व्यश्क्ि नह ीं कर सकिा इसीसलए भगवान ् कहिे है
सभी धमो की ससद्धध का मल सेवा है । सेवा ककए बबना ककसी का भी धमक
ससद्ध नह ीं होिा अिः सब धमो की मलभि सेवा ह श्जसका धमक है ,वह शुद्र
सब वणों में महान है । ब्राह्मण का धमक मोक्ष के सलए है ,क्षबरय का धमक
भोग के सलए है , वैश्य का धमक अथक के सलए है और शुद्र का धमक -धमक के सलए
है । इस प्रकार अन्य िीन वणों के धमक अन्य िीन पुरषाथक के सलए है ककन्िु
शद्र
ु का धमक स्व परु षाथक के सलए है अिः इसकी वतृ ि से ह भगवन प्रसन्न हो
जािे है अस्िु अब आगे सतु नए यह जो ब्रह्मा जी की स्रश्ष्ट है , यह भगवान का
शर र ह है , इसी में सारा ब्रह्माींड बसा हुआ है सारे लोक इसी शर र में है । यह
पवराट शर र ह हमारा सींसार है !अब आप बिाइए की ककस ककस अींग से कौन
सा कायक होिा है । ससर का कायक हाथो द्वारा सींभव है ,नह ीं। हाथो का कायक उिर
द्वारा सींभव है , नह ीं। उिर का कायक पैरो द्वारा सींभव है , नह ीं । जातिगि
व्यवस्था को किाधिि भींग कर दिया जाए िो क्या श्स्थति उत्पन्न होगी पविार
कीश्जए।

पविार क्या कीश्जए अरे िे ि ह ल श्जए विकमान में जो सशक्षा पद्धति व ्


जीपवका पद्धति हमारे ऊपर थोपी गयी है उसका पररणाम क्या हो रहा है
वणकसींकरिा, कमकसींकरिा और ऊपर से आरक्षण। हमारे यहााँ कभी भी ककसी के
सलए भी रोजी रोट का सींकट था क्या ? कभी नह ीं प्रत्येक व्यश्क्ि अपनी जाति
िथा वणक के अनुसार अपना जीवन यापन करिा था । कोई भी ककसी के कमक
का अतिक्रमण नह ीं कर सकिा था अपपिु एक िसरे के सामींजस्य से सारे कायक
होिे थे, कोई भी समाज अपने को ह न ् नह ीं समझिा था । प्रत्येक समाज
अपनी जाति पर गवक महसस करिा था क्योकक वो जानिे थे कक जो गुण,
योग्यिा उनमे है वह अन्य के पास नह ीं है , यह ईश्वर का उस समाज के सलए
वरिान हुआ या नह ीं ?

अब मै आपको िसरे रूप में समझािा हाँ ,कल्पना कीश्जए कक आप स्वयीं


भगवान ् पवराट है यह शर र जो आपको प्राप्ि हुआ है यह आपका सींसार है और
इस शर र के मासलक या भगवान आप है एवीं इस सींसार में आपको मि
ु के रूप
में ब्राह्मण ,भज
ु ाओ के रूप में क्षबरय ,उिर के रूप में वैश्य ,और पैरो के रूप में
शद्र
ु प्राप्ि हुए है ! अब इनसे आपको इस सींसार रूपी शर र का सींिालन करना
है , कैसे करें गे ? अब आप कहे कक मै जातिव्यवस्था में पवश्वास नह ीं करिा
बश्ल्क सबको सामान दृश्ष्ट से िे ििा हाँ, कोई ब्राह्मण नह ीं ,कोई क्षबरय
नह ीं ,कोई वैश्य नह ीं ,कोई शद्र
ु नह ीं, अथाकि सभी अींगो को सामान मानिा हाँ
ककसी भी अींग से कोई भी कायक करा सकिा हाँ और िो और अब मै अपने
िरणों को यातन कक शद्रो को मुख्य धारा में लाने का प्रयास करूाँगा और
ब्राह्मणों से वो कायक करवाऊींगा जो आजिक श्रमशश्क्ि {शुद्र} द्वारा ककए जािे
थे, वैश्यो के कायक क्षबरय करें गे ,क्षबरय के कायक वैश्यो से अथाकि सभी वणों को
सभी कायक का अधधकार होगा । अब कफर से आप कल्पना करके बिाओ कक
आपके सींसार रूपी शर र की श्स्थति क्या होगी ?.वह श्स्थति आज हमारे समाज
की हो रह है उिाहरण ल श्जए जब से आरक्षण आया है िब से हमारे िरण
{श्रमशश्क्ि} जमीन से ऊपर उठ गए क्या मिलब तनकला। िरणों का स्थान
वाहनों ने ले सलया या नह ीं। आज ककिने व्यश्क्ि सींसार में अपने पैरो का
उपयोग करिे हे आवागमन मे । अब पैरो का उपयोग केवल पवशेष पररश्स्थति
में ह ककया जािा है िाकक इन्हें ककसी प्रकार का कष्ट न हो और िो और
ट .वी.का िैनल बिलने के सलए भी पैरो को कष्ट िे ना उधिि नह ीं रह गया
पवकल्प के िौर पर अब हमारे पास ररमोट कण्ट्रोल जो आ गया है । अब जब
पैरो द्वारा श्रम ह नह ीं होगा िो क्या होगा ? मोटापा बढ़ जाएगा पेट बाहर
तनकल आएगा मिलब सींसार की सार सींपपत्त का वैश्य {उिर} सींग्रहण िो करें गे
ककन्िु पविरण नह ीं होगा पविरण क्यों नह ीं होगा क्योकक श्रम नह ीं हो रहा अब
बार आिी है ब्राह्मणों की यातन मि
ु की क्या श्स्थति है आज मि
ु {ब्राह्मण}की
श्जिनी सफाई की जािी है शायि ह ककसी अींग को इिना िमकाया जािा हो ।
सबसे ज्यािा श्जम्मेिार भी इसी की है क्योकक सींसार रूपी शर र के सञ्िालन
में इसकी भसमका सबसे अहम ् होिी है बगैर पैरो के शर र जीपवि रह सकिा है
बगैर हाथो के शर र जीपवि रह सकिा है ककन्िु ससर को अगर धड से अलग
कर दिया जाए िो कोई जीपवि रह सकिा है , कल्पना कीश्जए महोिय ऐसा है
कक हम कोई समानिा के पवरोधी नह ीं है सभी को समानिा का अधधकार
तनश्श्िि ह प्राप्ि होना िादहए इसमें कुछ भी गलि नह ीं है ककन्िु समानिा का
मिलब ककसी के अधधकारों का अतिक्रमण करना नह ीं है । आप ह बिाईए आप
अपने ककस अींग से भेिभाव करिे है । ककसी से नह ीं क्योकक वे सब आपके अींग
है !

अभी कुछ समय पहले एक पोस्ट फेसबुक पर पढ़ रहा था उसमे एक सज्जन ने


जातिव्यवस्था के बारे में सलिा की ब्राह्मण का बेटा ब्राह्मण, क्षबरय का बेटा
क्षबरय ऐसा कैसे सींभव हो सकिा है इस प्रकार िो डॉक्टर का बेटा
डॉक्टर ,मास्टरजी का बेटा मास्टर यह िो गलि है अब मै उन सज्जन से
कहाँगा की मान्यवर आप श्जस व्यवस्था के िहि बाि कर रहे वह मैकाले
महोिय की सशक्षा पद्धति के िहि डॉक्टर व ् ,मास्टरजी है न कक सनािन
व्यवस्था के। हमारे यहााँ िो वैद्य का बेटा वैद्य ,सुिार का बेटा सुिार ,लोहार
का बेटा लोहार ,सन
ु ार का बेटा सन
ु ार ,ब्राह्मण का बेटा ब्राह्मण ,और क्षबरय का
बेटा क्षबरय ह होिा है !उन्हें कुछ सीिने कह बाहर नह ीं जाना होिा अपपिु
अपनी परम्परा प्राप्ि आजीपवका का ज्ञान उसके DNA यातन सींधिि कमक में रिा
बसा होिा है आवश्यकिा है िो अपने वणक या जाति के गण
ु ों को तनिारने की
क्योकक ह रे को जब िक िराशा नह ीं जावेगा िब िक वह ककसी के मक
ु ु ट की
शोभा नह ीं बढ़ा सकिा।

श्जनको यह व्यवस्था स्वीकार नह वह कृपया

यहाीं पर अपना क्रोध प्रिसशकि न करे -

सत्ता और सींपवधान पर क्रोध दििाये।।

#शास्र_स्वाध्याय_ह _पवकल्प_है _प्रश्न_पवकल्प_नह ।।

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