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Ajit Patil’s PGA-CET Classes

रसशास्त्र
Series – 1
प्रकरण 1 - ऐतिहातिक तििेचन

ग्रंथ ग्रंथकार
1. रिाणणि भैरिानन्द योगी
2. रिहृदय िंत्र भगिि गोतिन्दपादाचायण
3. गोरक्षिंतहिा गोरखनाथ
4. रिेंद्रचु डामतण िोमदे ि
5. रिप्रकाशिुधाकर यशोधर भट्ट
6. रिरत्निमुच्चय िाग्भट
7. रिरत्नाकर तनत्यनाथ
8. रि पद्धति आचायण त ं दु
9. रितचंिामतण अनंिदे ि िुरर
10. रिेन्द्रतचंिामतण दुं दुंकनाथ
11. रि मंतिरी शातिनाथ
12. िोह ििणस्वम आचायण िुरेश्वर
13. रिेन्द्र िार िंग्रह कृष्णगोपाि भट्ट
14. रि प्रदीप प्राणनाथ
15. रि कौमुदी ज्ञानचंद्र शमाण
16. रि कामधेनु चु डामतण तमश्र
17. बृ हद योग िरं तगणी तत्रमल्ल भट्ट
18. आयुिेद प्रकाश आचायण माधि
19. योग िरं तगणी तत्रमल्ल भट्ट
20. भैषज्य रत्नाििी गोतिन्द दाि िेन
21. बृहद रिराििुन्दर पंडडत दत्तराम चौ े
22. रि िरं तगणी िदानंद शमाण
23. रि िितनधी भूदेि मुख़िी
24. History of Hindu Chemistry पी. िी. राय (P.C.Roy)

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25. रि योगिार हररप्रपन्न शमाण


26. तिद्धयोगिंग्रह यादििी तत्रकमिी
27. रिामृि यादििी तत्रकमिी
28. रिायन िार श्याम िुन्दराचायण िैश्य
29. भारिीय रि शास्त्र (मराठी) िामन गणेश दे िाई
30. भस्मतिज्ञान हररशरणानन्द
31. भारिीय रि शास्त्र (गुिरािी) ापािाि
32. शुल्ब शास्त्र हररशंकर शमाण
33. रि शास्त्र प्रिेतशका द्रीनारायण शास्त्री
34. रत्नधािु तिज्ञानं द्रीनारायण शास्त्री
35. रितमत्र त्र्यम्बक नाथ शमाण
36. पारद तिज्ञानीय िािुदेि मूिशंकर तििेदी
37. कल्याणकारक उग्रातदत्याचायण
38. पारदिंतहिा तनरं िन प्रिाद गुप्त
39. रशेश्वर दशणन शायण
40. महाप्रज्ञापारतमिा नागािुणन
41. धािुरत्नमािा दे िदत्त
42. भारि भैषज्य रत्नाकर गोपीनाथ गुप्त
43. ितचत्र रिशास्त्र ंिरीिाि िाहनी
44. भेषि िंतहिा अतत्रदे ि गुप्त
45. योग तचंिामतण श्री हषणकीतिण
46. भस्म पपणटी दे िीशरण गगण
47. रििंकेि कतिका चामुण्ड
48. रिेन्द्र िंभि तिश्वनाथ तििेदी

49. रसहृदयतं त्र अध्याय को अवबोध कहते हैं |

50. रसार्णव के अध्याय को पटल कहते हैं | (गोरक्षसंडिता क


े अध्याय को भी पटल कहते हैं )

51. रस ड ंतामडर् के अध्याय को स्तवक कहते हैं |

52. आनंदकं के अध्याय को उल्लास कहते हैं |

53. रस रत्नाकर के अध्याय को खंड कहते हैं | ( रस रत्नाकर में 5 खंड हैं |)
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54. रस तरं डगर्ी के अध्याय को तरं ग कहते हैं |

55. बृिद योगतरं डगर्ी एवं योगतरं डगर्ी के अध्याय को तरं ग कहते हैं |

56. डसद्धभे षज मडर्माला के अध्याय को गु च्छ कहते हैं |

57. फेनाश्म (गौरीपाषार्) का सबसे प्रथम उल्लेख सुश्रुत संडिता मे ममलता हैं |

58. िुश्रुि िंतहिा में अयस्कृति की मवमि चरक से अमिक स्पष्ट है |

59. ृहदयोगिरं तगणी में 148 िरं ग है |

60. योगिरं तगणी में 80 िरं ग है |

61. रिकामधे नु में 4 पाद है |


a) उपकरण पाद
b) धातु संग्रह पाद
c) रसकर्म पाद
d) चिचकत्सासंग्रह पाद

62. रिायन िुधातनतध ग्रंथ में 11 अध्याय है |

63. आनंद कंद ग्रं थ दो भाग में पूर्ण मकया है |


a) अर्ृचतकरण चिश्रान्ति
b) चियाकरण चिश्रान्ति
 अमृतिकरण चिश्रान्ति भाग में 26 उल्लाि है |
 तियाकरण चिश्रान्ति भाग में 10 उल्लाि है |

64. रिहृदयिं त्र में 19 अि ोध है |

65. गोरक्ष िंतहिा में 1 िाख श्लोक है |

66. अचि र्े धातु ओ की चिर्ाम ण होिे िाली ज्वाला का िणम ि रिाणणि िे चकया है |

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67. अचि र्ें धातु का होिे िाले क्षय का िणमि याज्ञिल्क िंतहिा र्ें चर्लता है |

68. रि तचंिामतण में 11 स्तवक (अध्याय) है |

69. रि पद्धति ग्रंथ शादुण ि तििीतिन इस एक ही छं द में पूरा मकय गया है |

70. पारद िारा मोक्ष प्राप्तप्त का वर्ण न मकस संमहता में ममलता है ? - रिेश्वर दशणन |

71. काक ंध्या ििकमणरोग शीििाि रक्तिाि का वर्ण न मकस संमहता में ममलता है ? –
रिरत्निमुच्चय |

72. ििण प्रथम आरोग्यितधण नी का वर्ण न ममलता है ? – रिरत्निमुच्चय |

73. अकण कल्पना का वर्ण न शोढि तनघंटु में ममलता है |

74. ििण प्रथम स्नेहमुर्च्णन का वर्ण न भैषज्य रत्नाििी में ममलता है |

75. कृतत्रम प्रिाि तनमाणण मवमि रि प्रकाश िुधाकर में वमर्णत है |

76. श्वेि पपण टी, िप्तामृि िोह, कािमेघ निायि िोह का वर्णन मकया है ? - यादििी
तत्रकमिी |

77. पञ्चभद्र गण का वर्ण न ममलता है ? - शारं गधर |

78. ििण प्रथम पोट्टिी कल्पना का वर्ण न रिेन्द्रिारिंग्रह में ममलता है |

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