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GURU PARAMPARA YOG SANSTHAN

SUBJECT
GHERAND SAMHITA
Teacher- Kaushal kumar kamal

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घेरंड संहिता

ग्रंथ पररचय

लेखक- महर्षि घे रंड

काल- 17व ं शताब्दी (अनुमान के मुताबिक), पहली पांडुललप 1804 में सामने आई

गरु
ु (महर्षि घे रंड) और लशष्य (राजा चंडकपाली) की चचाि पर आधाररत ग्रंथ

घे रंड संहहता में सात अध्याय हैं.. इसललए इसे सपतांग योग के नाम से जाना जाता है । ये सात अध्याय हैं..

1.षटकमि 2. आसन 3. मद्र


ु ा और िंध 4. प्रत्याहार 5. प्राणायाम 6. ध्यान 7. समाधध प्रकरण
सपतांग योग के साथ इसे घटस्थ योग भ कहा जाता है

महर्षि घे रंड ने मानव शरीर की तुलना घट यानन घडे से की है

गरु
ु -लशष्य के ि च का संवाद है इसललए इसके अध्यायों को उपदेश भ कहा जाता है

कई जगहों पर अध्यायों के ललए प्रकरण और सोपान का भ उल्लेख लमलता है

सातों अध्याय लमलाकर कुल 353 मंत्र या पद्य हैं

सबसे बडा तत
ृ ीय उपदे श (जिसमें कुल 100 मंत्र िैं )

सबसे छोटा चतथ


ु थ उपदे श िै जिसमें ससर्थ 5 मंत्र िैं
पहले अध्याय में षटकमि का उपदे श
धौनत अन्तधौनत दन्त धौनत ह्रद् धौनत मूलशोधनम

िस्स्त जल िस्स्त शुष्क िस्स्त

नेनत लसर्ि सूत्र


ने नत की चचाि

लौललकी

त्राटक

कपालभानत वातक्रम व्युतक्रम श तक्रम


पहले अध्याय में उपदे श

माया के समान कोई पाप नि ं


योग के समान दनु नया में कोई शजतत
नि ं
ज्ञान से बढ़कर कोई बंधु नि ं
अिं कार से बढ़कर कोई शत्रु नि ं
दस
ू रे अध्याय में आसन का उपदे श

 स्जतने ज व जन्तु हैं उतने संपूणि आसन होते हैं।


यहां भगवान लशव की चचाि है कक उन्होंने 84 लाख
आसन िताए हैं।
 उसमें से भ 84 आसन को र्वशेष िताया गया है ।
 84 में भ 32 आसन को शुभ कहा गया है ।
 घेरंड सं हिता में 32 आसन के बारे में बताया गया
िै ।
त सरे अध्याय में मद्र
ु ा-िंध का उपदे श

 कुल लमलाकर 25 मुद्रा की चचाि की गई है ।


 अलग-अलग दे खें तो 16 मुद्रा, 4 िन्ध और 5
धारणाओं का स्जक्र
 घेरंड मुनन के मुताबिक भगवान लशव ने माता
पावित को मुद्रा और िन्ध के िारे में िताया है ।
 भगवान लशव माता पावित से कहते हैं कक इन
र्वद्याओं को सदा गुपत रखना चाहहए।
चौथे अध्याय में प्रत्याहार का उपदे श

इस अध्याय में लसर्ि 5 मंत्र हैं।


काम आहद शत्रओ ु ं के नाश के ललए
प्रत्याहार का उपदे श
मन को आत्मा में वश भूत करने का
तरीका िताया गया है
पांचवें अध्याय में प्राणायाम का उपदे श

 प्राणायाम करने से मनष्ु य दे वता के समान हो जाता है


 इस अध्याय में स्थान, काल, आहार (लमताहार), नाड शद्
ु धध और कर्र प्राणायाम
के िारे में िताया गया है ।
 सवाल- स्थान की चचाि घेरंड संहहता के ककस अध्याय/उपदेश में की गई है ?
 सवाल- आहार की चचाि घे रंड संहहता के ककस अध्याय /उपदेश में की गई है ?
 नाड शद्
ु धध के दो प्रकार िताए गए हैं- समन,ु ननमिनु
 प्राणायाम- सहहत, सय
ू भ
ि ेदी, उज्जाय , श तली, भस्स्त्रका, भ्रामरी, मर्
ु ाि, और केवली
र्ठे अध्याय में ध्यान का उपदे श

ध्यान

स्थूल ध्यान ज्योनतध्यािन


सक्ष्
ू म ध्यान
(2भेद) (2भेद)
सातवें अध्याय में समाधध का उपदे श
ध्यानयोग
1
राजयोग(मनो
मर्च
ू र्ाि) नादयोग2
6

समाधध रासनन्द
भस्ततयोग योग
5
लयलसद्धधयो 3

4
प्रश्न- उत्तर

 घेरंड संहिता में ककन-ककनके बीच संवाद िै ?


 रािा चंडकपाल मिर्षथ घेरंड के पास तया िानने गए थे?- तत्वज्ञान
 मिर्षथ घेरंड ने तत्वज्ञान की प्राजपत का कौन सा रास्ता बतलाया?- घटस्थ योग
 घेरंड संहिता में योग के ककतने अंग बतलाए गए िैं?- 7 यानन सपतांग योग
 सबसे बडा पाप तया िै ?- माया
 सबसे बडा बल/शजतत तया िै ? - योग
 सबसे बडा बन्धु कौन िै? -- ज्ञान
 सबसे बडा शत्रु कौन िै? - अिं कार
प्रश्नोत्तरी

 भगवान लशव ने ककतने आसन िताए हैं-


 84 लाख आसनों में ककतने आसन र्वलशष्ट हैं-
84
 ककतने आसनों को शभु कहा गया है- 32

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