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29 वर्ण की आयु र्ें गोिर् बुद्ध ने गृह त्याग तदयातजसे बोद्ध धर्ण र्ें
र्हातभतनर्कर्ाणर्
कहा गया |
तनवाणर् की प्राक्ति के बाद बुद्ध ने सारनाथ ( ऋतर्पत्तन ) र्ें अपने पाच सातथयों
को बोद्ध तशक्षा से दीतक्षि तकया तजसे धर्णचक्रप्रविणन कहा गया |
प्रजापति गोिर्ी के र्तहलाओ के संघ र्ें सातर्ल होने के प्रस्ताव को नकार तदया
लेतकन आनंद के कहने पा उन्ोंने र्तहलाओ को भी बोद्ध संघ र्ें शातर्ल तकया
था |
80 वर्ण की आयु र्ें उन्ोंने शारीर त्याग तदया तजसे र्हापररतनवाणर् कहा गया |
बुद्ध का जन्म , ज्ञान प्राक्ति , और र्ृत्यु सभी बैशाख पूतर्र्ा को हुई इसतलए ये
एक पतवत्र तितथ र्ानी जािी है |
बोद्ध को शाक्यर्ु तन भी कहा जािा है |
बोद्ध धर्ण की तशक्षा
दु ुःख है – इसके अनुसार संसार र्ें दु ुःख है और दु ुःख का कारर् जन्म और र्रर्
का चक्र है और धर्ण को प्रर्ुख उदे श्य र्नुष्य को इस जन्म और र्रर् के चक्र से
छु टकारा तदलाना है |
बोद्ध धर्ण के अनु सार स्रतष् तवतभन्न चक्रों र्ें बटी हुई है तजसर्े एक है बुद्ध चक्र
और दू सरा है शून्य चक्र | हर् बु द्ध चक्र र्ें है |
बोद्ध धर्ण र्ें तभक्षुओ के तलए 10 तनयर्ो का आचरर् तकया गया है | तजसने से
कर् से कर् 5 हर बोद्ध तभक्षु को र्ानना अतनवायण है |
बोद्ध धर्ण के 10 आचरर्
प्रथर् बोद्ध संगीति - - इसर्ें उपातल र्ें तवनयपीटक का पाठ तकया िथा आनंद ने
सुत्ततपटक का पाठ तकया |
तििीय बोद्ध संगीति -- - इसर्ें अनुशासन के 10 तनयर्ो के बारे र्ें दो गुटों के र्ध्य
र्िभेद थे | पूवण और पक्तिर् र्ें |
पक्तिर् गुट के लोगो ने पुराने तनयर्ो को ही र्ाना और वो थेरवादी कहलाये |
जबतक पू वी गुट ने पररविणन को स्वीकार तकया इसतलए वे आचायणवाद
कहलाये |
िीसरी बोद्ध संगति – इस र्हासभा र्ें सम्प्रदायों का वतहष्कार तकया गया था |
चोथी बोद्ध संगति --- इस संगति के बाद बोद्ध धर्ण तनतिि रूप से दो भागो
हीनयान और र्हायान र्ें तवभातजि गया | और इसी सभा र्ें म्हातवभाश नार्क
ग्रन्थ की रचना हुई | इस सभा र्ें ह्वें स््ांग , िारानाथ , वाशु विु जेसे र्नीर्ी भी
शातर्ल थे |
हीनयान संप्रदाय
रूतिवादी लोग बोद्ध धर्ण के प्राचीन आदशो को ज्यो का त्यों बनाये रखना कहिे
थे वे इसके स्वेरूप र्ें कोई पररविणन नही कहिे थे | ऐसे लोगो का सं प्रदाय
हीनयान कहलाया | हीनयान का शाक्तिक अथण था -तनम्न र्ागण यह र्ागण केवल
तभक्षुओ के तलए ही संभव था | धर्णिात्र , बुद्धदे व , वसुतर्त्र आतद इसी सम्प्रदाय
के आचायण थे |
शून्यवाद ( र्ध्यतर्का )
तवज्ञानवाद ( योगाचार )
पूवण र्ध्यकाल र्ें यह बोद्ध धर्ण की र्हत्वपूर्ण तवशेर्िा थी की बोद्ध धर्ण र्ें
िन्त्र र्न्त्र का बढ़िा प्रभाव इसी की प्रभाव से वज्रयान नार्क पंथ का
उदय हुआ वज्रयानी वज्रयान को जादु ई ित्व के रूप र्ें र्ानिे थे | इसकी
प्राक्ति के तलए र्ै थुन , र्ास , र्तदरा ,र्त्स्य , र्ुद्रा आतद के सेवन पर बल
तदया गया | वज्रयान साखा का उदय 8 वी शिािी र्ें िेजी से हुआ
10 शिािी र्ें बोद्ध धर्ण र्ें एक नया संप्रदाय चक्रयान अक्तस्तत्व आया |
और इसका सवोच्च दे विा कालचक्र को र्ाना गया |
तवनयतपटक – इस ग्रन्थ र्ें बोद्ध संघ र्ें बोद्ध तभक्षुओ के तलए बोद्ध धर्ण से
सिं तधि तनयर्ो का उल्लेख है | संघ के कायण प्रर्ाली के तनयर् भी इसी ग्रन्थ र्ें
तलक्तखि है |
दीपवंश – लगभग चोथी शदी र्ें रतचि ये तसहल िीप पर के इतिहास पर प्रकाश
िालने वाला ये पहला ग्रन्थ है |
र्हावंश – इसका संकलन लगभग 5 वी सदी र्ें हुआ था | इस ग्रन्थ र्ें र्गध के
राजाओ की सूची है |
जािक – इसर्ें भगवान् बुद्ध के 84000 पूवण जन्मो के बारे र्ें 500 से भी अतधक
गाथा है | यह ग्रन्थ गध और पद दोनोर्े तलखा गया है | चीनी यात्री
फातहयान ने इसके कुछ तचत्र श्रीलंका र्ें भी दे खे थे |