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सम्पूर्ण इतिहास भाग -8 ( बोद्ध धर्ण )

 बोद्ध धर्ण के संस्थापक गोिर् बुद्ध थे | बुद्ध का अथण होिा है प्रकाशर्ान या


जाग्रि

 गोिर् बुद्ध के जन्म पर कालदे व नार्क ब्राह्मर् ने भतवष्यवार्ी की थी तक ये


बालक चक्रविी राजा अथाणथण सन्याशी होगा |

 चार द्रश्य तजनका गोिर् बुद्ध पर गहरा प्रभाव पड़ा था


बुढा व्यक्ति , बीर्ार व्यक्ति , एक म्रि व्यक्ति की अथी , एक सन्यासी

 29 वर्ण की आयु र्ें गोिर् बुद्ध ने गृह त्याग तदयातजसे बोद्ध धर्ण र्ें
र्हातभतनर्कर्ाणर्
कहा गया |

 बुद्ध के प्रारं तभक गुरु आलारकलार् और रुद्राक रार्पुत्र थे |

 छह वर्ण िक कठोर िप करने के बाद 35 वर्ण की अवस्था र्ें गया के सार्ीप


उरुवेला नार्क स्थान पर तनरं जन ( फल्गु ) नदी के तकनारे पीपल के व्रक्ष के
तनचे बेसाख पूतर्र्ा को ज्ञान की प्राक्ति हुई | तजसे तनवाणर् कहा जािा है |
बुद्ध का पररचय

जन्म - - 563 ई पू लुक्तिनी ( कतपलवस्तु ,नेपाल )


बचपन का नार्- - तसद्धाथण
तपिा - - शु धोधन ( शाक्य गर् का प्रधान )
र्ािा - - र्हार्ाया ( कोतलयगर् की कन्या )
र्ोसी - - प्रजापति गोिर्ी
पत्नी - - यशोदरा
पुत्र - - राहुल
र्ृत्यु - - 483 ई पू ( कुशीनगर )

 तनवाणर् की प्राक्ति के बाद बुद्ध ने सारनाथ ( ऋतर्पत्तन ) र्ें अपने पाच सातथयों
को बोद्ध तशक्षा से दीतक्षि तकया तजसे धर्णचक्रप्रविणन कहा गया |

 प्रजापति गोिर्ी के र्तहलाओ के संघ र्ें सातर्ल होने के प्रस्ताव को नकार तदया
लेतकन आनंद के कहने पा उन्ोंने र्तहलाओ को भी बोद्ध संघ र्ें शातर्ल तकया
था |

 80 वर्ण की आयु र्ें उन्ोंने शारीर त्याग तदया तजसे र्हापररतनवाणर् कहा गया |

 बुद्ध का जन्म , ज्ञान प्राक्ति , और र्ृत्यु सभी बैशाख पूतर्र्ा को हुई इसतलए ये
एक पतवत्र तितथ र्ानी जािी है |
 बोद्ध को शाक्यर्ु तन भी कहा जािा है |
बोद्ध धर्ण की तशक्षा

 बुद्ध ने अपने उपदे शो को जनसादहरर् की भार्ा पाली र्ें तदए |


 इसने भी आत्मा की सत्ता को स्वीकार तकया है और पुनजणनर् पर तवश्वास तकया
है |
 बोद्ध धर्ण र्ें चार आयण सत्यो को प्राथतर्किा दी जािी है |
 दु ुःख है ,दु ुःख का कारर् है , दु ुःख का तनदान है , दु ुःख तनदान के उपाय है |

 दु ुःख है – इसके अनुसार संसार र्ें दु ुःख है और दु ुःख का कारर् जन्म और र्रर्
का चक्र है और धर्ण को प्रर्ुख उदे श्य र्नुष्य को इस जन्म और र्रर् के चक्र से
छु टकारा तदलाना है |

 दु ुःख का कारर् है – इसके अनुसार दु ुःख का कारर् अतवद्या और िृष्णा है |

 दु ुःख का उपाय है – इसके अनुसार र्नुष्य को दु ुःख से छु टकारा पाने के तलए


िृष्णा का उन्मूलन करना आवशक है |

 दु ुःख तनदान के उपाय – इसर्ें दु ुःख के तनदान के जो उपाय बिाये है उन्ें


अष्ांतगक र्ागण कहा जािा है |
अष्ांतगक र्ागण
 सम्यक द्रतष् सम्यक तनवाणह
 सम्यक संकल्प सम्यक प्रयत्न
 सम्यक भार्र् सम्यक भाव
 सम्यक कर्ण सम्यक ध्यान

 बोद्ध धर्ण र्ें तत्ररत्न होिे है – बुद्ध , धम्म , संघ

 बोद्ध धर्ण के अनु सार स्रतष् तवतभन्न चक्रों र्ें बटी हुई है तजसर्े एक है बुद्ध चक्र
और दू सरा है शून्य चक्र | हर् बु द्ध चक्र र्ें है |

 बोद्ध धर्ण र्ें तभक्षुओ के तलए 10 तनयर्ो का आचरर् तकया गया है | तजसने से
कर् से कर् 5 हर बोद्ध तभक्षु को र्ानना अतनवायण है |
बोद्ध धर्ण के 10 आचरर्

 दु सरे के धन की इक्षा न करना * सु गक्तिि पदाथो का उपयोग न


करना
 असत्य न बोलना * असर्य भोजन न करना
 तहं सा से दू र रहना * सु खप्रद तबस्तर पर नही लेटना
 र्ादक पदाथो से दू र रहना * तकसी प्रकार की संपतत्त न
रखना
 व्यतभचार न करना
 संगीि व नृत्य र्ें भाग नही लेना
बोद्ध धर्ण का तवकास

प्रथर् बोद्ध संगीति - - इसर्ें उपातल र्ें तवनयपीटक का पाठ तकया िथा आनंद ने
सुत्ततपटक का पाठ तकया |

तििीय बोद्ध संगीति -- - इसर्ें अनुशासन के 10 तनयर्ो के बारे र्ें दो गुटों के र्ध्य
र्िभेद थे | पूवण और पक्तिर् र्ें |
पक्तिर् गुट के लोगो ने पुराने तनयर्ो को ही र्ाना और वो थेरवादी कहलाये |
जबतक पू वी गुट ने पररविणन को स्वीकार तकया इसतलए वे आचायणवाद
कहलाये |
िीसरी बोद्ध संगति – इस र्हासभा र्ें सम्प्रदायों का वतहष्कार तकया गया था |

चोथी बोद्ध संगति --- इस संगति के बाद बोद्ध धर्ण तनतिि रूप से दो भागो
हीनयान और र्हायान र्ें तवभातजि गया | और इसी सभा र्ें म्हातवभाश नार्क
ग्रन्थ की रचना हुई | इस सभा र्ें ह्वें स््ांग , िारानाथ , वाशु विु जेसे र्नीर्ी भी
शातर्ल थे |

हीनयान संप्रदाय

 रूतिवादी लोग बोद्ध धर्ण के प्राचीन आदशो को ज्यो का त्यों बनाये रखना कहिे
थे वे इसके स्वेरूप र्ें कोई पररविणन नही कहिे थे | ऐसे लोगो का सं प्रदाय
हीनयान कहलाया | हीनयान का शाक्तिक अथण था -तनम्न र्ागण यह र्ागण केवल
तभक्षुओ के तलए ही संभव था | धर्णिात्र , बुद्धदे व , वसुतर्त्र आतद इसी सम्प्रदाय
के आचायण थे |

 हीनयान संप्रदाय र्ें बोद्ध के जीवन से 4 पशुओ को जोड़ा गया है


1- हाथी – बुद्ध के गभण र्ें आने का प्रिीक
2- सांि – योवन का प्रिीक
3- घोिा – गृह त्याग का प्रिीक
4- शेर –स्म्रतध का प्रिीक
र्हायान संप्रदाय

 र्हायान संप्रदाय के दो र्ुख्य भाग है –

 शून्यवाद ( र्ध्यतर्का )
 तवज्ञानवाद ( योगाचार )

शून्यवाद – इस र्ि के प्रविणक नागाजुणन थे | तजनकी प्रतसद्ध कृति र्ध्यतर्का


काररका है |
इसे सापेक्षवाद भी कहा जािा है | इसके अनुसार प्रत्ये क वस्तु तकसी न
तकसी कारर् से उत्पन्न होिी है | अिुः वही शून्यवाद है
तवज्ञानवाद –इस र्ि का तवकाश िीसरी शिािी र्ें र्ेत्रेनाथ ने तकया था | यह र्ि
तवज्ञानं की सत्ता को एकर्ात्र स्वीकार करिा है | इसर्ें योगाभ्यास पर अतधक बल
तदया गया है | सु त्रअलंकर तजस र्ि का सबसे प्राचीन ग्रन्थ है और
लंकाविार इस र्ि का सबसे र्हत्पूर्ण ग्रन्थ है |
वज्रयान संप्रदाय

पूवण र्ध्यकाल र्ें यह बोद्ध धर्ण की र्हत्वपूर्ण तवशेर्िा थी की बोद्ध धर्ण र्ें
िन्त्र र्न्त्र का बढ़िा प्रभाव इसी की प्रभाव से वज्रयान नार्क पंथ का
उदय हुआ वज्रयानी वज्रयान को जादु ई ित्व के रूप र्ें र्ानिे थे | इसकी
प्राक्ति के तलए र्ै थुन , र्ास , र्तदरा ,र्त्स्य , र्ुद्रा आतद के सेवन पर बल
तदया गया | वज्रयान साखा का उदय 8 वी शिािी र्ें िेजी से हुआ

इसके तसधांि र्ंजूश्रीर्ूलकल्प और गुहासर्ाज नार्क ग्रन्थ र्ें तर्लिे है


नालंदा , तवक्रर्तशला ,और सोर्पुरी इसकी तशक्षा के प्रर्ुख केंद्र थे |

10 शिािी र्ें बोद्ध धर्ण र्ें एक नया संप्रदाय चक्रयान अक्तस्तत्व आया |
और इसका सवोच्च दे विा कालचक्र को र्ाना गया |

और बाद र्ें बंगाल र्ें सहजयान नार्क पंथ का भी उदय हुआ |

हीनयान संप्रदाय के सातहत्य


 सुत्ततपटक – इसका शाक्तिक अथण है धर्ोपदे श इस ग्रन्थ र्ें बोध के धातर्णक
उपदे शो की व्याख्या की गई है | यह गध और पद दोनों र्ें तलखा गया है | यह
सबसे बड़ा और श्रेष्ठ पीटक है | यह पीटक 5 भागो र्ें तवभातजि है |

 तवनयतपटक – इस ग्रन्थ र्ें बोद्ध संघ र्ें बोद्ध तभक्षुओ के तलए बोद्ध धर्ण से
सिं तधि तनयर्ो का उल्लेख है | संघ के कायण प्रर्ाली के तनयर् भी इसी ग्रन्थ र्ें
तलक्तखि है |

 अतधधम्मतपटक – इसर्ें र्हात्मा बुद्ध के उपदे शो की दाशणतनक व्याख्या की गई


है | एक र्ान्यिा के अनुसार इसका संकलन िीसरी बोद्ध संगीति र्ें अशोक के
सर्य र्ें र्ोक्तिपुत्र तिस्स ने तकया था |

 तर्तलंदपन्ो – इसर्ें 2 ई पू के भारिीय जनजीवन की बारे र्ें जानकारी तर्लिी
है |
इसर्ें यूनानी शासक तर्नािर और बोद्ध तभक्षु नागसेन के बीच
वािाणलाप के सवांद है |

 दीपवंश – लगभग चोथी शदी र्ें रतचि ये तसहल िीप पर के इतिहास पर प्रकाश
िालने वाला ये पहला ग्रन्थ है |

 र्हावंश – इसका संकलन लगभग 5 वी सदी र्ें हुआ था | इस ग्रन्थ र्ें र्गध के
राजाओ की सूची है |

 र्हावस्तु – यह तवनयतपटक से सिं तधि ग्रन्थ है |


र्हायान सातहत्य

 प्रज्ञापारतर्िा – यह र्हायान शाखा का सबसे र्हत्वपूर्ण दाशणतनक ग्रन्थ है |


इसर्ें शून्य की प्राक्ति पर बल तदया गया है और इसके लेखक नागाजुणन है

 लतलितवस्तार – इसर्ें बुद्ध के जीवन की कहातनया है | र्हायान सं प्रदाय र्ें दन्त


का बहुि बड़ा भंिार है |

जािक – इसर्ें भगवान् बुद्ध के 84000 पूवण जन्मो के बारे र्ें 500 से भी अतधक
गाथा है | यह ग्रन्थ गध और पद दोनोर्े तलखा गया है | चीनी यात्री
फातहयान ने इसके कुछ तचत्र श्रीलंका र्ें भी दे खे थे |

बोद्ध धर्ण के पिन के कारर्

 बोद्ध धर्ण र्ें कर्ण कांिो का प्रारं भ


 बोद्ध तभक्षुओ का आर् लगो से दू र जाना
 पाली भार्ा त्यागकर संस्कृि को अपनाना
 र्ूतिण पूजा का प्रारं भ
 भिो से भारी र्ात्र र्ें दान
 कुछ शासको का बोद्ध धर्ण के प्रति तवरोध
 ब्राह्मर् धर्ण का उत्थान

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