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006 Bhaktamar Mantrasiddhi Self-Healing-Position
006 Bhaktamar Mantrasiddhi Self-Healing-Position
कोई ऐसा उद्दे श्य पूरा होना अर्िा ककसी ऐसे लक्ष्य तक पहुँचना
जिसके मलए विशेष पररश्रम और प्रयत्न ककया गया हो।
िंकल्प
दोनोों हाथो को जोड़कर तीन बार नवकार मोंत्र गीने और अपने हाथो मे
शोंत्रुजय तीथथ और शोंत्रुजय ततथाथ तिपतत आदीनाथ भगवान की उजाथ का श्री
भक्तामर स्तोत्र के मोंत्रोों की शक्तक्त के प्रभाव से जीवन शक्तक्त के साथ आहवान
करे |