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Udan Si Mains Samajik Uttardayitv
Udan Si Mains Samajik Uttardayitv
छात्रहित मेें
एसआई मेन््स के सिलेबस मेें उल््ललेखित
सामाजिक
उत्तरदायित््व
टॉपिक की तैयारी हेतु स््टडी मटेरियल
2 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
पुलिस
पुलिस से तात््पर््य : अंग्रेजी का शब््द पुलिस (Police) ग्रीक शब््द (Polis) से बना है, जिसका अर््थ है-रक्षा करने वाला ।
अर््थथात् पुलिस का तात््पर््य एक ऐसी व््यवस््थथा से है, जिसका काम सामान््य व््यक्तियोों के जनजीवन की रक्षा करना है।
अपराध अनुसंधान
प्रदेश मेें कानून व््यवस््थथा एवं अपराधोों पर नियंत्रण बनाये रखने हेतु शासन एवं प्रशासन कृत संकल््पपित है। एनसीआरबी के
ऑकड़ों के अनुसार प्रति लाख जनसंख््यया के आधार पर भारतीय दण््ड विधान के कुल अपराधोों मेें वर््ष 2016 मेें देश मेें छत्तीसगढ़
राज््य 12वेें स््थथान पर था तथा वर््ष 2021 मेें भी 12वेें स््थथान पर है।
अजाक शाखा क्राईम इन छत्तीसगढ़ 2021
अनसु चि ू त जाति / जनजाति वर््ग के राज््य अपराध अभिलेख ब््यरयू ो द्वारा
सदस््योों के प्रति बेहद सवं दे नशील है। “काईम इन छत्तीसगढ़ - 2021 “
इस वर््ग के लोगोों पर घटित अपराधोों रिपोर््ट का प्रकाशन इस वर््ष पहली बार
पर त््वरित प्रभावी कार््यवाही के लिये किया गया है। वरिष्ठ जनोों की
राज््य के 27 जिलोों मेें अजाक थाना समस््ययाओ ं कए निराकरण हेतु नेशनल
तथा शेष जिलोों मेें प्रकोष्ठ सचं ालित है। हेल््पलाईन नबं र 14567 सचं ालित है ।
बाल अधिकार सेल नेशनल पुलिस मिशन
बाल अधिकार संरक्षण एवं बाल माइको मिशन 02 कम््ययुनिटी
अपराध पर नियंत्रण तथा प्रभावी पलु िसिंग के माध््यम से न््ययू सब बीट
कार््यवाही हेतु पलु िस पर बाल सिस््टम द्वारा काननू व््यवस््थथा बनाये
अधिकार सेल / जिला स््तर पर रखने हेतु प्रत््ययेक जिले के थाना क्षेत्ररों
विशेष किशोर पलु िस इकाई मेें बीट बनाये गये हैैं। जिसे
(SJPU) का गठन समस््त पलु िस संवेदनशील / अतिसंवेदनशील
थानोों मेें सहायक उप निरीक्षक से निम््न पलु िस अधिकारी को बाल आदि भागोों मेें बांटकर काननू बनाये रखने हेतु प्रधान आरक्षक / आरक्षक
कल््ययाण अधिकारी नामांकित किया गया है। राज््य के 117 थानोों को बाल स््तर पर प्रभारी बनाया जाता है। प्रत््ययेक बीट को अपने क्षेत्र के अपराधी /
हितैषी थाना रूप मेें विकसित किया गया है। निगरानी बदमाश आदि पर निगरानी रखनी होती है।
समर््पण सदस््य
प्रतिदिन 10 वरिष्ठ नागरिकोों से हेल््पलाईन नंबर के माध््यम से कुशलक्षेम
पछू ना एवं आवश््यकतानसु ार काननू ी सहायता प्रदान करना।
सामुदायिक पुलिसिंग
1. अभिव््यक्ति - महिला सुरक्षा ऐप के न्दद्र तैयार कर उसे मर््तू रूप दिए जाने हेतु 8. बाल मित्र
कार््यवाही की जा रही है। स््थथानीय आदिवासी
गोोंडी/हल््बबी भाषा मेें “मनवा नवाँ नार” का
अर््थ है ‘हमारा नया गांव’ ।
5. पुलिस जनमित्र योजना
इसका उद्देश््य ऐसे व््यक्तियोों को जोड़ना है जो
पुलिस की जनहित अवधारणा से प्रेरित होकर
कार््य करेें एवं स््ववेच््छछा से विभिन््न क्षेत्र मेें
पुलिस के साथ मिलकर समाज को अपना
योगदान दे सके जिससे एक भय मुक्त समाज
महिलाओ ं क किसी भी आपातकालीन स््थथिति मेें की स््थथापना हो सके । स््ककूली छात्र-छात्राओ ं का चयन कर उन््हेें
त््वरित पलु िस सहायता उपलब््ध कराने के उद्श्दे ्य से 6. चलित थाना / अंजोर रथ अनश ु ासन, सहयोग, बालिकाओ ं को सेल््फ
छत्तीसगढ़ पलु िस द्वारा अभिव््यक्ति महिला सरु क्षा डिफेें स का प्रशिक्षण आदि सिखाना है ।
ऐप विकसित किया गया है। जिसे दिनाक ं 11. शक्ति स््क्ववायड
01.01.2022 से लाचं किया गया है। महिलाओ ं की सरु क्षा हेतु महिला पलु िस की एक
2. निजात अभियान स््पपेशल टीम स््क्ववायड गठित की गयी है। जो
नशा किसी भी व््यक्ति व उसके परिवार का पतन स््ककूल-कालेज, छात्रावास, बाजार, धार््ममिक
का मख्ु ्य कारक है। समाज मेें व््ययाप्त इस गंभीर आयोजनस््थलोों आदि मेें लगातार पेट्रोलिंग कर
समस््यया के समाधान को दृष्टिगत रखते हुए राज््य आत््मरक्षा के गरु सिखाने का कार््य कर रही है।
मेें नशे के खिलाफ “निजात “ अभियान की 10. बाल पुलिस कैडेट
शरू ु आत की गई है। बच््चोों को देश का जिम््ममेदार एवं सवं दे नशील
3. ग्राम रक्षा समिति नागरिक बनाने के उद्देश््य से जिले मेें बाल पलु िस
अपराधोों पर नियंत्रण व आसचन ू ा संकलन एवं कै डेट का गठन किया गया है। 05 स््ककूलोों के बच््चोों
सामाजिक समरसता को बनाये रखने के उद्देश््य चलित थाना के माध््यम से जिलेें के समस््त को इसमेें प्रशिक्षित किया गया है। बच््चोों को इनडोर
से राज््य के ग्रामीण क्षेत्ररों मेें ग्राम रक्षा समिति का थाना / चौकी मेें ग्रामोों को चिन््हहित कर एवं आउटडोर की ट्रेनिगं दी जा रही है।
गठन किया गया है। निर््धधारित दिवस मेें चलित थाना कार््यक्रम क््ययूडी शाखा
4. मनवा नवाँ नार आयोजित किया जा रहा है । इसके द्वारा
यातायात संबंधी दिशा-निर्देश एवं अपराधा
रोकथाम के संदर््भ मेें जानकारी दी जा रही है।
7. चेतना / ई प्रहरी कार््यक्रम
थाना, चौकी, कै म््पोों अतं र््गत आम नता, स््ककूल /
कॉलेजोों मेें बालक/बालिकाओ ं को पॉक््ससो एक््ट
किशोर न््ययाय, यौन छे ड़छाड़, आन लाईन ठगी,
मोबाईल एटीएम आदि के सबं ंध मेें जानकारी
दिया जा रहा है। प्रश्नापद दस््ततावेज परीक्षण प्रयोगशाला अ. अ. वि.,
9. प्रोत््ससाहन सम््ममान पलु िस मख्ु ्ययालय, छ.ग. मेें राज््य के सभी थानोों,
बस््तर क्षेत्र मेें स््थथापित नवीन सरु क्षा कै म््पोों को जिले के विभिन््न स््ककूलोों : अक ं प्राप्त करने वाले न््ययायालयोों, एन््टटी करप््शन ब््यरयू ो लोक आयोग तथा
शासन के विभिन््न कल््ययाणकारी एवं विकास मेधावी छात्र छात्राओ ं को स््ममृति चिन््ह / प्रशस््तति शासन के विभिन््न विभागोों से प्राप्त विवादित
कार्यो के क्रियान््वयन हेतु एक समग्रित विकास पत्र के माध््यम से किया गया है। दस््ततावजोों का परीक्षण कर अभिमत दिया जाता है।
6 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
डॉग स््क्ववॉड / दल
वर््तमान मेें छत्तीसगढ़ पलु िस के श्वानदल मेें कुल 84 श्वान उपलब््ध हैैं, जिनमेें से 28 श्वान (ट्रेकर) एवं 54 श्वान (विस््फफोटक खोजी ) तथा 02 श्वान (
नारकोटिक््स) हैैं, जिन््हेें राज््य के विभिन््न जिलोों मेें काननू व््यवस््थथा एवं नक््सल विरोधी अभियान हेतु तैनात किया गया है। छ. ग. पलु िस के
अश्वदल मेें कुल 20 अश्व उपलब््ध हैैं, जिनमेें से 07 अश्व सीटीजेडब््ल्ययू कांकेर मेें एवं 13 अश्व 3री वाहि अमलेश्वर मेें रखा गया है जो राष्ट्रीय परे ड
एवं विभिन््न अश्वरोही प्रतियोगिताओ ं मेें राज््य का करते हैैं।
पुलिस आधुनिकीकरण
(1) PFMS (Public Fund Management System) - भारत सरकार की के न्दद्र निगरानी, विमक्ति ु करण एवं उपयोगिता
के लिए जल ु ाई 2021 से लागू है।
(2) पलु िस बल आधनि ु कीकरण (MPF Scheme)- यह राज््य पलु िस बल की क्षमता को बढ़़ाने के लिए के न्दद्र से
2021-22 तक कुल अव््ययित राशि रू. 27,94,96,770 /- को SNA (Single Nodal Account) मेें जमा किया गया।
( 3 ) Anti Human Trafficking Units की स््थथापना - शासन द्वारा निर््भया फंड अतं र््गत 08 जिलोों को 96.00 लाख,
03 जिलोों को 24.00 लाख एवं 16 जिलोों को 240.00 लाख इस प्रकार 27 जिलोों मेें मानव तस््करी विरोधी इकाई की स््थथापना /
सदृु ढ़़ीकरण हेतु कुल राशि 3.60 करोड़ की सामग्री / उपकरण / वाहन कय करने की प्रशासकीय स््ववीकृ ति प्रदान की गई है।
8 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
नक््सल अभियान
नक््सल प्रभावित ‘कोर क्षेत्ररों मेें रणनीतिक बढ़त एवं आम जनता की सुरक्षा व विकास कार्यो को गति
प्रदान करेने के लिए लिए 22 फारवर््ड सुरक्षा कैम््पोों की स््थथापना तथा 01 नवीन थाना
(जिला - कोण््डडागांव के पुगं ारपाल प्रदान करने मेें स््थथापित किया गया है।
कीर््तति चक्र
भारत सरकार व््ददारा गणतंत्र दिवस-2023 के अवसर पर शहीद उपनिरीक्षक स््व.
दीपक भारद्वाज, शहीद प्रधान आरक्षक स््व. सोढ़ी नारायण, शहीद प्रधान
आरक्षक स््व. श्रवण कश््यप को मरणोपरांत कीर््तति चक प्रदान किया गया है।
9 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
पुलिस का इतिहास
प्राचीन काल मेें इतिहास मेें दंडधारीशब््द का उल््ललेख आता है। भारतवर््ष मेें पुलिस शासन के विकासक्रम मेें उस काल के दंडधारी को वर््तमान काल
के पुलिस जन के समकक्ष माना जा सकता है प्राचीन भारत का स््थथानीय शासन मुख््यत: ग्रामीण पंचायतोों पर आधारित था। गाँव के न््ययाय एवं
शासन संबध ं ी कार््य ग्रामिक नामक एक अधिकारी द्वारा संचालित किया जाता था। इसकी सहायता और निर्देशन ग्राम के वयोवृद्ध करते थे। यह
ग्रामिक राज््य के वेतनभोगी अधिकारी नहीीं होते थे वरन् इन््हेें ग्राम के व््यक्ति अपने मेें से चुन लेते थे। ग्रामिकोों के ऊपर 5-10 गाँवोों की व््यवस््थथा के
लिए “गोप” एवं लगभग एक चौथाई जनपद की व््यवस््थथा करने के लिए “स््थथानिक” नामक अधिकारी होते थे।
गुप्त काल
भारत मेें गप्तु ् कालखडं मेें एक सव्ु ्यवस््थथित एवं कुशल पलु िस प्रणाली लागू थी
इसलिए गप्तु शासन काल मेें देश की काननू व््यवस््थथा सद्रु ढ़ एवं संतोषप्रद थी। पलु िस बल
के मख्ु ्य अधिकारी को महादण््डडाधिकारी कहा जाता था तथा उसके आधीनस््थ
अधिकारियोों को दण््डडाधिकारी कहा जाता था। सम्राट हर््षवर््धन के शासन काल मेें पलु िस
अधिकारियोों को संधिक चोर््यधारिण तथा दण््डपाशिक कहा जाता था जो क्रमशः जिले
कस््ववे और गांव की शांति व््यवस््थथा बनाये रखने के लिए उत्तरदायी होते थे।
मुगल काल
पुलिस के मख्ु ्य अधिकारी को फौजदार कहा जाता था। जिसके अधिनस््थ अधिकारियोों
को दरोगा या कोतवाल कहते थे। पलु िस बल के सबसे कनिष्ठ वर््ग के कर््मचारियोों को
सिपाही कहा जाता था । गप्तु चर विभाग को खफिय ु ा पलु िस कहा जाता था। जिसका
कार््य अपराध और अपराधियोों का पता लगाने तथा जांच पड़ताल करने मेें पलु िस बल
की सहायता करना था। प््राांत के प्रमख ु पलु िस प्राशासनिक अधिकारी को सबू ेदार या
नाजिम कहा जाता था।
मगु ल काल मेें ग्राम के मखिय ु ा मालगजु ारी एकत्र करने, झगड़ों का निपटारा आदि करने
का महत््वपर््णू कार््य करते थे और निर््ममाण चौकीदारोों की सहायता से ग्राम मेें शांति की
व््यवस््थथा स््थथापित रखे थे। चौकीदार दो श्रेणी मेें विभक्त थे- (1) उच््च, (2) साधारण।
उच््च श्रेणी के चौकीदार अपराध और अपराधियोों के संबंध मेें सचू नाएँ प्राप्त करते थे और
ग्राम मेें व््यवस््थथा रखने मेें सहायता देते थे। उनका यह भी कर््तव््य था कि एक ग्राम से दसू रे
ग्राम तक यात्रियोों को सरु क्षापर््वू क पहुचँ ा देें। साधारण कोटि के चौकीदारोों द्वारा फसल की
रक्षा और उनकी नापजोख का कार््य करता जाता था।
ब्रिटिश शासनकाल
सन् 1774 मेें पहली बार वारेन हेस््टटििंग््ज ने पलु िस सधु ार के कार््यक्रमोों का शभु ारंभ किया । सन्
1861 के पचं म अधिनियम ; एक््ट ऑफ 1861 ने पलु िस स््थथापना के स््वरूप व ढाचं े सधु ार के
लिए आवश््यक उपबन््ध किया। वारेन हेस््टटििंग्ज़ ने सन् 1781 तक फौजदारोों और ग्रामीण पलु िस
की सहायता से पलु िस शासन की रूपरेखा बनाने के प्रयोग किए और अतं मेें उन््हेें सफल पाया।
वारेन हेस््टटििंग््ज के उत्तराधिकारी लार््ड कार््नवालिस (कार््यकाल- सन 1786 से सन 1793 तक) का
यह विश्वास था कि अपराधियोों की रोकथाम के निमित्त एक वेतन भोगी एवं स््थथायी पलु िस दल की
स््थथापना आवश््यक है। वर््तमान पलु िस शासन का जन््मदाता लार््ड कार््नवालिस थे।
11 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
15
सामाजिक उत्तरदायित््व
मानव अधिकार
मानवाधिकार वैसे अधिकार हैैं जो हमारे पास इसलिये हैैं क््योोंकि हम मनुष््य हैैं । राष्ट्रीयता, लिंग, राष्ट्रीय या जातीय मूल, रंग, धर््म, भाषा
या किसी अन््य स््थथिति की परवाह किये बिना ये हम सभी के लिये सार््वभौमिक अधिकार हैैं ।
यातायात के नियम
l वाहन पार््कििंग पर ध््ययान देें l एक तरफा रोड मेें सावधानी l हाथ के सिग््नल का सही
l ओवरटे क मेें सावधानी बरतेें l लेन और ट्रै क का पालन करेें इस््ततेमाल
l बार-बार होर््न के प्रयोग से बचेें l सरक्षा l वाहन गति पर प्रतिबंध
ु की दृष्टि से यू-टर््न का
पालन
ट्रैफिक सिग्नल
ट्रैफिक सिग््नल के नियम को फॉलो करना वाहन चालकोों के लिए बहुत ही महत््वपूर््ण होता है। यह तीन सक
ं े त तीन अलग-अलग रंगोों
के माध््यम से पता लगाए जा सकते हैैं।
c लाल लाइट : लाल रंग वाले लाइट का संकेत होता है। अगर आपको यह रंग की लाइट दिखाई दे, तो आपको उसी स््थथान पर रुक
जाना है, जहां पर आप की गाड़़ी खड़़ी रही होगी।
c पीली लाइट : पीली लाइट का सिग््नल यदि आपको दिखाई दे तो आप समझते हैैं, कि आप को चलने के लिए तैयार हो जाना है। जिस
प्रकार से लाल लाइट रुकने का संकेत देती है उसी प्रकार से पीली लाइट चलने के लिए वाहन चालकोों को तैयार होने का संकेत देती है।
c ं े त : जिस प्रकार से पीली लाइट आपको आगे चलने के लिए तैयार होने का सक
हरी लाइट का सक ं े त देती है, उसी प्रकार से हारी
लाइट जलने पर आपको आगे जाने की अनमु ति प्रदान कर देती है।
14 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
HELMET का तात््पर््य:-
H-Head (सिर) E-Ear (कान) L-Lips ( होठ)
E-Eye (आँख ) T-Tooth (दांत)
हेलमेट लगाने से ये सभी अंग को सरक्षा
ु प्राप्त होता है। अत: बिना हेलमेट दोपहिया वाहन न चलाये
पार््कििंग के प्रकार
पार््कििंग के तरिका के आधार पर 2 प्रकार है।
l 1. On road parkining (ऑन रोड पार््कििंग)
ऑन रोड पार््कििंग वाहन पार््क करने हेतु सड़क के किनारे खीची रेखा के बाहर या पार््क करने हेतु खीची - गई रेखा पर पार््कििंग करना।
इसके पाँच प्रकार है।
1- Parallel parking - (समानांतर पार््कििंग) - सड़क के किनारे वाहनोों को समान््तर क्रमशः एक दसू रे वाहन के पीछे खड़़ा कर
रखते है।
2-Angular parking (कोणीय पार््कििंग) - सड़क के किनारे वाहनोों को क्रमशः एक दसू रे वाहन के अगल बगल 45 अश
ं का कोण
बनाते हुए खड़़ा कर रखते है।
3. Perpendicucular parking (खड़़ी पार््कििंग) - सड़क के किनारे वाहनोों को क्रमश: एक दसू रे वाहन के अगल बगल 90 अश
ं
का कोण बनाते हुए खड़़ा कर रखते है।
4. Basement parking (तलघर पार््कििंग) - बड़़ी रहवासी इमारते, मॉल व काम््प्ललेक््स जहाँ वाहन खड़़ा करने हेतु इन भवन के नीचे
पार््कििंग स््थल बनाकर वाहन पार््क किया जाता है।
15 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
5. Storrage parking (बहुमंजिली पार््कििंग) - बड़़ी रहवासी जहाँ वाहन खड़ा करने हेतु लिफ््ट व अन््य सविध
ु ा बनाकर वाहन पार््क
किया जाता है।
l 2. Off road parking
1. Ground parking - सड़क से दरु पृथक पार््कििंग स््थल बनाकर वाहन आने जाने का रास््तताछोड़ते हुए व््यवस््थथित खड़़ा कर रखते है।
2. Golden hour - दर््घु टना मेें घायलोों को उचित उपचार हेतु घायल को दर््घु टना के 01 घण््टटा के अन््दर उचित उपचार मिलने पर मौत
से बचाव व गंभीर चोट मेें से होने वाली हानी से बचा सकते है। इस 01 घण््टटा के समय को महत््वपर््णू मानते हुए गोल््डन ऑवर कहा
जाता है।
FASTAG
टोल प््ललाजाओ ं पर टोल कलेक््शन सिस््टम से होने वाली परेशानियोों का हल निकालने के लिए राष्ट्रीय हाइवेज अथॉरिटी ऑफ
इडि
ं या द्वारा भारत मेें इलेक्ट्रानिक टोल कलेक््शन सिस््टम शुरू किया गया है। फास््टटैग की मदद से वाहन चालक टोल प््ललाजा मेें बिना
रुके अपना टोल टे क््स दे सकेें गेें जिसके लिए वाहन चालक को अपने वाहन पर फास््टटैग लगाना होगा । इस सिस््टम से समय इधं न की
बचत एवं जाम से मुक्ति मिलेगी।
यातायात चिन््ह
क्रमांक यातायात का चिन््ह चिन््ह का नाम चिन््ह का अर््थ
1 एक तरफा ट्रैफिक यदि आपको वाहन चलाते समय इस प्रकार का चिन््ह
दिखाई दे रहा है तो मतलब आप समझ जाइए कि गलत
साइड से वाहन चलाना दडं नीय अपराध हो सकता है।
2 एक तरफा ट्रैफिक इस चिन््ह का भी मतलब आप गलत
साइड मेें वाहन चला नहीीं सकते हैैं।
10 ट्रक वर््जजित हैैं। यदि यह चिन््ह आपको यातायात मार््ग मेें नजर आए तो
आप समझ ले कि इस क्षेत्र मेें ट्रक को चलाना परू ी
तरह से बाधित किया गया है।
11 साइकिल वर््जजित हैैं। निशान का मतलब होता है कि उस क्षेत्र के
यातायात मार््ग पर आपको साइकिल चलाना वर््जजित है।
12 बैल गाड़ी, तांगा या इस प्रकार के चिन््ह का मतलब होता है किसी भी प्रकार के
हाथ गाड़ी वर््जजित हैैं। हाथ गाड़़ी जैसे कि बैलगाड़़ी, टांगा या फिर
रिक््शशा चलाना अलाउड नहीीं है।
13 पैदल चलने वाले मार््ग पर पैदल चलने वालोों को यदि यह चिन््ह नजर
व््यक्ति वर््जजित हैैं। आता है तो आप समझ ले कि पैदल चलने वालोों लोगोों
के लिए यह मार््ग परू ी तरह से बाधित है।
14 सभी मोटर वाहन इस चीज का अर््थ होता है कि किसी भी प्रकार के
वर््जजित हैैं। मोटर वाहनोों को इस क्षेत्र के अतं र््गत आने जाने
की अनमु ति नहीीं है।
17 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
मुख््य चुनौतियां
1. भीतरी प्रदेशोों मेें फै लता आतंकवाद 2. जम््ममू-कश््ममीर मेें उग्रवाद
3. पर्ू वोत्तर राज््योों मेें विद्रोह 4. वामपंथी उग्रवाद
5. संगठित अपराध और आतंकवाद के साथ इनका गठजोड़ 6. सांप्रदायिकता
7. जातीय तनाव 8. क्षेत्रवाद एवं अतं र-राज््य विवाद
9. साइबर अपराध एवं साइबर सरु क्षा 10. सीमा प्रबंधन
11. तटीय सरु क्षा
l आंतरिक सरक्षा
ु की समस््यया के लिए जिम््ममेवार कारक -
1. शत्रु पड़ोसी 6. गरीबी
2. बेरोजगारी 7. असमान व असतं लु ित विकास
3. अमीरी-गरीबी के मध््य बढ़ती खाई 8. प्रशासनिक मोर्चचों पर विफलता या सश
ु ासन का अभाव.
4. सांप्रदायिक वैमनस््य मेें वृद्धि 9. जातिगत जागरुकता और जातीय तनाव मेें वृद्धि
5. सांप्रदायिक, जातीय, भाषायी या अन््य विभाजनकारी 10. कठिन भभू ाग वाली खल
ु ी सीमाएं
मापदडों ों पर आधारित विवादास््पद राजनीति का उदय
c इसने ऑपरे शनोों मेें बीएसएफ पंजाब बॉर््डर के साथ समन््वय, बीएसएफ/आर्मी भारत-म््ययाांमार सीमा पर ऑपरे शनोों मेें अहम
भमि
ू का निभाई।
l पर््ययावरणीय प्रदूषण
c वायु प्रदषू ण, जल प्रदषू ण, मृदा प्रदषू ण, नाभिकीय प्रदषू ण, समद्री
ु प्रदषू ण, ध््वनि प्रदषू ण, तापीय प्रदषू ण
l प्रदूषण के कारक तथा नियंत्रण के उपाय
c एक स््वस््थ एवं सन््ततुलित पर््ययावरण मेें बाहरी, अवांछित तत््वोों के द्वारा उत््पन््न असतलन
ु की दशा को पर््ययावरण प्रदषू ण कहते हैैं,
जिसमेें जीव-जन््ततुओ ं एवं मानव के लिए जीवन की अनक ु ू ल दशाएँ घटती जाती हैैं।
c प्रदूषण (Pollution) का शाब््ददिक अर््थ है– सामान््य शब््दोों मेें प्रदषू ण पर््ययावरण के जैविक तथा अजैविक तत््वोों के रसायनिक,
भौतिक तथा जैविक गणोु ों मेें होने वाला एक अवांछनीय परिवर््तन है.
c मानवीय क्रियाओ ं के दौरान उपयोगिता (Used) एवं उपयोग करने के उपरान््त छोड़़ा गया अपशिष्ट, प्रदषू क (Pollutant) कहलाता
है। प्रदषू कोों की प्रकृ ति समय के साथ परिवर््ततित होती रहती है।
l प्रदूषक (प्रदूषक)
c उत््पत्ति का स्रोत : प्राकृ तिक प्रदषू क, मानव निर््ममित प्रदषू क
1. प्राकृतिक कारण
c आधं ी-तफ
ू ान के समय उड़ती हुई धल
ू , ज््ववालामख
ु ी से निकली राख, वनोों मेें लगी आग, दलदल व कीचड़
c भरे क्षेत्ररों मेें होने वाली जैविक व रसायनिक क्रियाएं . फसलोों से उत््पपादित परागकणोों.
c वनाग््ननि से - कार््बनमोनोऑक््ससाइड, कार््बनडाईऑक््ससाइड - एवं राख के कण ।
c ज््ववालामुखी उद्गार से - सल््फर डाईऑक््ससाइड, हाइड्रोजन सल््फफाइड।
c पेड़-पौधोों की दैहिक क्रियाओ ं से- अमोनिया नाइट्रोजन के ऑक््ससाइड (NO2), मिथेन एवं CO2 ।
c वायमु डं लीय रासायनिक क्रियाओ ं द्वारा अम््ल तथा महासागरीय जीव-जन््ततुओ ं से मिथाइलक््ललोराइड द्वारा ।
2. मानवीय कारण
c दहन, चिमनी से निकले अपशिष्ट, आण््वविक विस््फफोट, भौतिक साधन, कृ षि कार््य, विलायकोों का प्रयोग, अन््य स्रोत
(1) मानवीयकारण : मानवीय स्रोतोों से होने वाले प्रदषू ण
c दहन : मानव के हर क्रियाकलाप मेें ऊर््जजा की आवश््यकता होती है जो किसी-न-किसी ईधन ं से प्राप्त होती है.
ईधन दहन से अनेक गैसेें तथा पदार््थ उत््पन््न होकर वायु प्रदूषित करते हैैं। मानव की निम््न क्रियाओ ं से दहन
प्रक्रम मेें प्रदूषण फैलता है-
ं : जीवाश््ममीय-ईधन
(i) घरेलू कार्ययों मेें ईधन ं के दहन से कार््बन मोनोऑक््ससाइड (CO), कार््बन-डाई ऑक््ससाइड (CO2),
सल््फर -डाईऑक््ससाइड (SO2), आदि गैसेें उत््पन््न होती हैैं, जो वायु को प्रदषि
ू त करती हैैं।
(ii) ताप विद्युत गृहोों मेें दहन : ताप विद्तयु गृहोों मेें ताप प्राप्ति के लिए कई टन कोयला जलाया जाता है जिसके
फलस््वरूप सल््फर डाई-ऑक््ससाइड, कालिख, कोलाइडी राख आदि अपशिष्ट पदार््थ हवा मेें छोड़ दिए जाते है.
(iii) वाहनोों मेें दहन : परिवहन के सभी साधनोों जैसे डीजल या पेट्रोल से चलने वाले वाहनोों के प्रयोग के बाद इनके
निर््ववात पाइप से निकलने वाले धएु ँ मेें से सक्षू ष्म कार््बन कण, नाइट्रोजन ऑक््ससाइड व परॉक््ससाइड गैसेें, कार््बन
मोनोऑक््ससाइड आदि होती हैैं। पेट्रोल मेें लेड (Lead) है, तो वह भी एक बड़़ा प्रदषू क है।
(2) उद्योगोों की चिमनी से निकलने वाले अपशिष्ट पदार््थ : औद्योगीकरण से निकलने वाले धएु ँ से इस प्रकार की हानिकारक
गैसेें, हाइड्रोकार््बन अपशिष्ट अन््य हानिकारक पदार््थ, नियमित रूप से वायु मेें मिलकर प्रदषू ण फै लाते हैैं। उदाहरण स््वरुप भोपाल के
कारखाने से निकली मिसाइल आइसोसाइनेट गैस से 2 व 3 दिसम््बर, 1984 मेें भीषण दर््घु टना हुई जो आज भी अपने दष्पु प्रभाव की
झलक प्रस््ततुत करता है।
(3) आण््वविक विस््फफोटोों से : आधनु िक काल मेें परमाणु विस््फफोटोों से वायु मेें हानिकारक रसायन व धल ू कण आदि मिलकर
प्रदषि
ू त करते हैैं।
(4) भौतिक साधनोों से : फ्रीज, एयर कंडीशनरोों आदि मेें प्रशीतकोों मेें प्रयक्त
ु क््ललोरोफ््ललोरो कार््बन जो वायु मेें मिलकर धीरे -धीरे
ओजोन परत का नाश करते हैैं।
(5) कृषि कार्ययों द्वारा : कृ षि कार्ययों मेें विषैले कीटनाशकोों जैसे डी.डी.टी. तथा बी.एच.सी. के प्रयोग से कुछ हानिकारक पदार््थ
वायु मेें मिलकर वायु को जहरीला बना देते हैैं।
(6) विलायकोों का प्रयोग : फर्नीचरोों की पॉलिश, स्प्रे पेन््ट आदि मेें कार््बनिक विलायकोों (जैसे :-थीनर ) का प्रयोग जो कम ताप
पर वाष््पपित होने वाले द्रव हाइड्रोकार््बन होते हैैं जिसके उपयोग के समय ये वाष््पपित होकर, वायु मेें मिलकर, उसे प्रदषि
ू त करते हैैं।
(7) अन््य स्रोत : मरे हुए पश,ु सड़ी-गली वस््ततुए,ँ प्रसाधनोों द्वारा गंदे नाले, चर््मशोधक कारखाने, पटाखोों, डिस््टलरीज आदि से जो
दर््गु न््धयक्त
ु गैसेें निकलती हैैं, वे भी वायु प्रदषू ण के उदाहरण हैैं।
22 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
l नियंत्रण के उपाय
वायु प्रदूषण को पूर््णतः समाप्त तो नहीीं किंतु कम व नियंत्रित अवश््य किया जा सकता है। इसमेें प्रत््ययेक नागरिक का योगदान
आवश््यक है।
c ईधन
ं के रूप मेें गैस पारम््परिक स्रोत; जैसे-गोबर गैस, बायोगैस, प्राकृ तिक गैस, LPG आदि अपना कर ।
c वनोों को सरु क्षित रखकर व वृक्षारोपण करके सिगरे ट (तम््बबाकू) को प्रतिबंधित किया जाना चाहिये ।
c वाहनोों का विवेकपर््णू उपयोग व उनके इजं न की नियमित रूप से जाँच करवाकर यह तय करना कि ईधन ं परू ा जल रहा है अथवा नहीीं
c बिना लेड का पेट्रोल उपयोग मेें लाकर
c सिगरे ट (तंबाकू) को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए
c उद्योगो मेें फिल््टर का उपयोग किया जाना चाहिए
c वृक्षारोपण मेें वृद्धि की जानी चाहिए
c फसलोों के अपशिष्टटों का समचि ु त तरीके से प्रबंधन
l मुख््य वायु प्रदूषक
2. नाइट्रोजन मोटर वाहनोों और बच््चोों मेें साँस के तीव्र रोगोों के मख्ु ्यतः यौगिक है। अलग- अलग
ऑक््ससाइड भट्टियोों मेें ईधन
ं का सक्र
ं मण और नजले की शिकायत प्रदषू को की आपसी क्रिया
जलना, जगं ल की आग। बढ़ती हैैं। शहर की वायु मेें तांबई धधंु प्रतिक्रियाओ ं से बनता है। ओजोन
भरता है। जगं पैदा करता है। प्राकृ तिक है और वातावरण के
ऊपरी भाग का एक प्रमख ु अगं है।
3. ऑक््ससीडेेंट मोटर वाहनोों से उगला जाता आखो ं ों मेें जलन पैदा करता है और
और ओजोन है। नाइट्रोजन ऑक््ससाइड और रोगियोों के फे फड़ों को बेकार कर
प्रतिक्रियाशील हाइड्रो-कार््बन देता है। चीजोों को जर््जर करता है।
की प्रकाश रासायनिक दृश््यमानता घटाता है। ओजोन पौधोों
प्रतिक्रिया के फलस््वरूप है। के लिए बड़़ा घातक एवं विषैला
प्रदषू ण है।
4. कार््बन डाई- गरम करने, या ऊर््जजा उत््पपादन लोगोों पर सीधा प्रभाव नहीीं पड़ता। वातावरण का सामान््य अगं है।
ऑक््ससाइड के लिए ईधन
ं के लिए दहन। कालांतर मेें पृथ््ववी का तापमान पेड़ों के लिए अत््ययावश््यक है।
बढ़ सकता है।
8. सस्ं ्पेेंड पार््टटिकुलेट घरोों, उद्योगोों और वाहनोों विशेष मिश्रण के अनसु ार जहरीला प्रभाव इसके दो अगं हैैं-नाइट्रोजन
मैटर (SPM) का धआ ु ँ धल ू भरी आधं ी, अलग-अलग होता है। सल््फर डाई- ऑक््ससाइड और नाइट्रोजन डाई
भकू म््पपीय विस््फफोट, समद्री
ु ऑक््ससाइड का प्रभाव बढ़ता है। धपू कम ऑक््ससाइड ।
बौछार, इसके प्राकृ तिक करता है, धधंु छाती है और जंग बढ़ती है।
स्रोत है।
l 2. जल प्रदूषण l
c जल मेें किसी भी प्रकार के अवांछनीय, गैसीय, द्रवीय या ठोस पदार्थथों का मिलना, जल प्रदूषण कहलाता है।
l जल प्रदूषण के कारण
c जल प्रदषू ण भी प्राकृ तिक व मानव जनित, दोनोों ही कारणोों से होता है।
l 3. मृदा प्रदूषण l
भूमि की सबसे ऊपरी सतह मृदा (Soil) है. मिट्टी मेें जैविक व धात््वविक, दोनोों पदार््थ होते हैैं। एक अच््छछी मिट्टी मेें आवश््यक 16 तत््वोों मेें से
लगभग 13 तत््व मिल जाते हैैं। इन तत््वोों मेें से किसी की भी सान्दद्रता मेें कमी या वद्धि
ृ हो तो वह मृदा प्रदुषण कहलाता है।
l 4. समुद्री प्रदूषण l
कई सामर््थ््य ज़हरीले रसायन सक्षू ष्म कणोों से चिपक जाते हैैं जिनका सेवन प््लवक और नितल जीवसमूह जन््ततु करते हैैं, जिनमेें से ज््ययादातर
तलछट या फिल््टर फीडर होते हैैं। इस तरह ज़हरीले तत््व समुद्री पदार््थ क्रम मेें अधिक गाढ़़े हो जाते हैैं। कई कण, भारी ऑक््ससीजन का
इस््ततेमाल करते हुई रसायनिक प्रक्रिया के ज़रिए मिश्रित होते हैैं और इससे खाड़़ियां ऑक््ससीजन रहित हो जाती हैैं।
l 5. ध््वनि प्रदूषण l
l ध््वनि यदि धीमी हो तो सहनीय होती है, किन््ततु प्रबल ध््वनि असहनीय होती है, जिसे शोर की सज्
ं ञा दी जाती है। ध््वनि तरंगोों के रूप मेें
वायु से माध््यम से बहती है व सनु ने वाले द्वारा सनु ी जाती है।
l ध््वनि या तीव्रता को डेसीबल मेें व््यक्त किया जाता है। एक समान््य व््यक्ति के लिए 50-60 डेसीबल तीव्रता की ध््वनि सनन ु ा उपयक्त
ु व सामान््य
होता है तथा इससे अधिक तीव्रता की ध््वनि, शोर कही जा सकती है।
l शहरीकरण, धार््ममिक, सामाजिक सभी क्रियाकलापोों मेें दिखावा आदि के कारण शोर मेें वृद्धि हुई है। इस प्रकार वह ध््वनि जो सनन ु े वाले के लिए
अरुचिकर या तीव्र हो, शोर कहलाती है। वह प्रक्रिया जिसमेें अतितीव्र ध््वनियोों बार-बार व लगातार सनु ाई दे. ध््वनि प्रदषू ण कहलाती है।
c हवाई अड्डा बस स््टैैंड आदि पर अधिकतम शोर की सीमा निर््धधारित की जानी चाहिए।
c अपने घर मेें पाटी, जागरण, कथा वाचन, पाठ आदि करवाते समय लाउडस््पपीकर का प्रयोग न करेें।
c सड़क के किनारे वृक्षारोपण करेें जिससे वृक्ष ध््वनि अवशोषक के रूप मेें कार््य कर सकेें ।
l 6. तापीय प्रदूषण l
l तापीय प्रदूषण का अर््थ है- नाभिकीय तथा तापीय ऊर््जजा के केें द्ररों की मशीनोों को ठंडा करने के पश्चात गर््म जल को पनु ः जलीय तंत्र मेें डाल देने
से जलीय तंत्र का तापमान अत््ययंत बढ़ जाता है इस प्रक्रिया को ही तापीय प्रदषू ण कहा जाता है।
l तापीय प्रदूषण को दो तरह - वायमु ड ं लीय तापीय प्रदषू ण व जल तापीय प्रदषू ण वैश्विक तापवृद्धि (Global Warming) एक ज््वलत
पर््ययावरणीय समस््यया है।
c मानवीय गतिविधियोों के कारण उत््पन््न ग्रीनहाउस गैसोों के प्रभाव से पृथ््ववी के दीर््घकालिक औसत तापमान मेें हुई वृद्धि को वैश्विक
तापवृद्धि (Global Warming) कहते हैैं।
c 1880-2012 की अवधी के दौरान पृथ््ववी के औसत सतही तापमान मेें 0.85°C की वृद्धि दर््ज की गयी है।
c इससे जड़ु ़े कुछ महत््वपर््णू सम््ममेलन वैश्विक स््तर पर हुए जैसे- पैरिस समझोता (2016) मैड्रिड जलवायु परिवर््तन
सम््ममेलन (2019) (COP25)
l 7. नाभिकीय प्रदूषण l
रेडियोधर्मी तत््व जहाँ भी होते हैैं, धीरे-धीरे विखण््डडित होते रहते हैैं व पर््ययावरण, मानव, जीव व वनस््पति जगत को स््थथायी नुकसान पहुच
ँ ाते
हैैं। इनके खनन, उपयोग, सच ं य (Storage) व निस््ततारण मेें हर प्रकार की सावधानी न बरती जाए तो ये बहुत ही हानिकारक हो सकते हैैं।
जलवायु परिवर््तन
l जलवायु परिवर््तन क््यया है?
पथ््ववी
ृ की जलवायु मेें समय-समय पर परिवर््तन वायुमंडल मेें परिवर््तन के साथ-साथ वातावरण और पथ््ववी
ृ की प्रणाली के भीतर
विभिन््न अन््य भूवैज्ञानिक, रासायनिक, जैविक और भौगोलिक कारकोों के बीच की बातचीत को जलवायु परिवर््तन कहा जाता है।
l जलवायु परिवर््तन को प्रभावित करने वाले कारक
c प्राकृतिक कारक - हजारोों से लाखोों वर्षषों की अवधि मेें जलवायु को प्रभावित करते हैैं। जैसे -
1. महाद्वीपीय बहाव - लाखोों साल पहले बना है जब प््ललेट विस््थथापन के कारण भमू ाफिया अलग होने लगे। यह भभू ाग की भौतिक
विशेषताओ ं और स््थथिति मेें परिवर््तन और जल निकायोों की स््थथिति मेें परिवर््तन जैसे समद्रु की धाराओ ं और हवाओ ं के अनसु रण मेें
परिवर््तन के कारण जलवायु परिवर््तन को प्रभावित करता है। कॉन््टटिनेेंटल ड्रिफ््ट पर एनसीईआरटी नोट्स के लिए , दिए गए लिक
ं पर जाए।ं
2. ज््ववालामुखीयता - ज््ववालामखु ी विस््फफोट गैसोों और धलू के कणोों का उत््सर््जन करता है जो लंबे समय तक रहता है जिससे सर््यू
की किरणोों का आशि ं क अवरोध होता है जिससे मौसम ठंडा होता है और मौसम के पैटर््न को प्रभावित करता है।
ृ की कक्षा मेें परिवर््तन - पृथ््ववी की कक्षा मेें मामल
3. पथ््ववी ू ी परिवर््तन से पृथ््ववी की सतह पर परू े विश्व मेें पहुचन
ँ े वाले सर््यू के
प्रकाश के मौसमी वितरण पर प्रभाव पड़ता है। तीन प्रकार की कक्षीय विविधताएँ हैैं - पृथ््ववी की विलक्षणता मेें भिन््नता, पृथ््ववी के
घर््णन
ू के अक्ष के झकु ाव कोण मेें भिन््नता और पृथ््ववी की धरु ी के अग्रगमन मेें भिन््नता। ये एक साथ मिलनकोविच चक्ररों का कारण
बन सकते हैैं, जिनका जलवायु पर बहुत बड़़ा प्रभाव पड़ता है और हिमनदोों और अतं राल अवधियोों के संबंध के लिए प्रसिद्ध हैैं।
c मानवजनित कारक - मुख््य रूप से वैश्विक सतह के तापमान मेें मानव-जनित वद्धि
ृ है। जैसे कि -
1. ग्रीनहाउस गैसेें - ये सर््यू से ऊष््ममा विकिरण को अवशोषित करती हैैं जिसके परिणामस््वरूप वैश्विक तापमान मेें वृद्धि होती है।
जीएचजी ज््ययादातर सौर विकिरण को अवशोषित नहीीं करते हैैं लेकिन पृथ््ववी की सतह से निकलने वाले अधिकांश इन्फ्रारे ड को
अवशोषित करते हैैं। दिए गए लिंक पर ग्रीनहाउस गैसोों के बारे मेें और पढ़ें । ग््ललोबल वार््मििंग की शरुु आत ग्रीनहाउस प्रभाव से होती
है, जो सर््यू से आने वाले विकिरण और पृथ््ववी के वातावरण के बीच परस््पर क्रिया के कारण होता है।
2. वायुमंडलीय एरोसोल - ये सौर और अवरक्त विकिरण को बिखेर और अवशोषित कर सकते हैैं। सौर विकिरण ग्रह को
बिखेरता और ठंडा करता है जबकि एरोसोल सौर विकिरण को अवशोषित करने पर सर््यू के प्रकाश को पृथ््ववी की सतह द्वारा
अवशोषित करने की अनमु ति देने के बजाय हवा के तापमान मेें वृद्धि करता है। एरोसोल का सौर विकिरण के अवशोषण और
प्रतिबिंब पर जलवायु परिवर््तन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। परोक्ष रूप से यह बादलोों के गठन और गणोु ों को संशोधित करके प्रभावित
कर सकता है। यहां तक कि इसे हजारोों किलोमीटर दरू हवाओ ं और वातावरण मेें परिसंचरण के माध््यम से ले जाया जा सकता है।
3. भूमि-उपयोग पैटर््न मेें बदलाव - अधिकांश वनोों और भमि ू के आवरण को कृ षि फसल, भमि ू चराई या औद्योगिक या
व््ययावसायिक उपयोग के लिए बदल दिया जाता है। वन आवरण के समाशोधन से सौर ऊर््जजा का अवशोषण बढ़ता है और नमी की
मात्रा वातावरण मेें वाष््पपित हो जाती है।
c अल््बबेडो (अतं रिक्ष मेें किसी वस््ततु की परावर््तनता) जितना कम होगा, सर््यू के विकिरण का उतना ही अधिक ग्रह
द्वारा अवशोषित हो जाएगा और तापमान बढ़ जाएगा। यदि अल््बबेडो अधिक है और पृथ््ववी अधिक परावर््तक है,
तो अधिक विकिरण अतं रिक्ष मेें वापस आ जाता है, जिससे ग्रह ठंडा हो जाता है।
l भारत मेें तीव्र जलवायु परिवर््तन के साक्षष्य
c वैश्विक तापमान मेें वद्धिृ : 19वीीं शताब््ददी के उत्तरार््ध से ग्रह की औसत सतह का तापमान लगभग 1.62 डिग्री फ़़ारे नहाइट (0.9
डिग्री सेल््ससियस) बढ़ गया है, यह परिवर््तन मख्ु ्य रूप से वातावरण मेें कार््बन डाइऑक््ससाइड और अन््य मानव निर््ममित उत््सर््जन मेें
वृद्धि से प्रेरित है। अधिकांश वार््मििंग पिछले 35 वर्षषों मेें हुई है, जिसमेें 2010 के बाद से पांच सबसे गर््म वर््ष दर््ज किए गए हैैं।
c वार््मििंग महासागर : महासागरोों ने इस बढ़़ी हुई गर्मी को बहुत अधिक अवशोषित कर लिया है, समद्रु के शीर््ष 700 मीटर (लगभग
2,300 फीट) मेें 1969 के बाद से 0.4 डिग्री फ़़ारे नहाइट से अधिक का तापमान दिखा रहा है।
30 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
c सिकुड़ती बर््फ की चादरेें : ग्रीनलैैंड और अटं ार््कटिक बर््फ की चादरेें द्रव््यमान मेें कमी आई हैैं। नासा के ग्रेविटी रिकवरी एडं
क््ललाइमेट एक््सपेरिमेेंट के डेटा से पता चलता है कि ग्रीनलैैंड ने 1993 और 2016 के बीच प्रति वर््ष औसतन 286 बिलियन टन बर््फ
खो दी, जबकि अटं ार््कटिका ने इसी अवधि के दौरान प्रति वर््ष लगभग 127 बिलियन टन बर््फ खो दी। पिछले एक दशक मेें
अटं ार््कटिका के बर््फ के बड़़े पैमाने पर नक
ु सान की दर तीन गनु ा हो गई है।
c ग््ललेशियल रिट्रीट : ग््ललेशियर दनु िया भर मेें लगभग हर जगह पीछे हट रहे हैैं - आल््प््स, हिमालय, एडं ीज, रॉकीज, अलास््कका और
अफ्रीका सहित।
c घटता हुआ हिम आवरण : उपग्रह अवलोकनोों से पता चलता है कि उत्तरी गोलार््ध मेें वसतं हिम आवरण की मात्रा पिछले पांच
दशकोों मेें कम हो गई है और यह कि बर््फ पहले पिघल रही है।
c ृ : पिछली सदी मेें वैश्विक समद्रु स््तर मेें लगभग 8 इचं की वृद्धि हुई। हालांकि, पिछले दो दशकोों मेें यह दर
समुद्र स््तर मेें वद्धि
पिछली शताब््ददी की तलन ु ा मेें लगभग दोगनु ी है और हर साल इसमेें थोड़़ी तेजी आ रही है।
c आर््कटिक समुद्री बर््फ की गिरावट : पिछले कई दशकोों मेें आर््कटिक समद्री
ु बर््फ की मात्रा और मोटाई दोनोों मेें तेजी से गिरावट
आई है।
c चरम घटनाएँ : संयक्त
ु राज््य अमेरिका मेें रिकॉर््ड उच््च तापमान की घटनाओ ं की संख््यया मेें वृद्धि हो रही है, जबकि 1950 के बाद से
रिकॉर््ड कम तापमान की घटनाओ ं की संख््यया घट रही है। अमेरिका मेें भी तीव्र वर््षषा की घटनाओ ं की संख््यया मेें वृद्धि देखी गई है।
c महासागर अम््ललीकरण : औद्योगिक क््राांति की शरुु आत के बाद से सतही महासागरीय जल की अम््लता मेें लगभग 30 प्रतिशत
की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि मनष्ु ्योों द्वारा वातावरण मेें अधिक कार््बन डाइऑक््ससाइड का उत््सर््जन करने और इसलिए अधिक
महासागरोों मेें अवशोषित होने का परिणाम है। महासागरोों की ऊपरी परत द्वारा अवशोषित कार््बन डाइऑक््ससाइड की मात्रा प्रति वर््ष
लगभग 2 बिलियन टन बढ़ रही है।
l जलवायु परिवर््तन पर भारत की प्रतिक्रिया
c जलवायु परिवर््तन पर राष्ट्रीय कार््य योजना (एनएपीसीसी) : जलवायु शमन और अनक ु ू लन को संबोधित करने वाली मौजदू ा
और भविष््य की नीतियोों और कार््यक्रमोों की रूपरे खा। कार््य योजना 2017 तक चलने वाले आठ प्रमख ु “राष्ट्रीय मिशनोों” की
पहचान करती है: सौर ऊर््जजा; बढ़़ी हुई ऊर््जजा दक्षता; सतत आवास; पानी; हिमालयी पारिस््थथितिकी तंत्र को बनाए रखना; हरित
भारत; स््थथायी कृ षि; और जलवायु परिवर््तन के लिए सामरिक ज्ञान। इनमेें से अधिकाश
ं मिशनोों मेें मजबतू अनक ु ू लन अनिवार््यताएं हैैं।
c राष्ट्रीय स््वच््छ ऊर््जजा कोष : भारत सरकार ने 2010 मेें देश मेें स््वच््छ ऊर््जजा के क्षेत्र मेें स््वच््छ ऊर््जजा पहलोों और वित्त पोषण
अनसु ंधान को वित्तपोषित करने और बढ़़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स््वच््छ ऊर््जजा कोष (एनसीईएफ) बनाया। घरे लू स््तर पर उत््पपादित
या आयातित कोयले पर 50 रुपये (बाद मेें 2014 मेें इसे बढ़़ाकर 100 रुपये कर दिया गया) का उपकर लगाकर फंड का कॉर््पस
बनाया गया है।
c पेरिस समझौता : पेरिस समझौते के तहत भारत ने तीन प्रतिबद्धताएं की हैैं। भारत के सकल घरे लू उत््पपाद की ग्रीनहाउस गैस
उत््सर््जन तीव्रता 2005 के स््तर से 2030 तक 33-35% कम हो जाएगी। साथ ही, भारत की 40% बिजली क्षमता गैर-जीवाश््म
ईधन
ं स्रोतोों पर आधारित होगी। साथ ही, भारत 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्षषों के आवरण के माध््यम से 2.5 से 3 बिलियन
टन Co2 समतल्ु ्य का एक अतिरिक्त ‘कार््बन सिंक’ बनाएगा।
c अंतर््रराष्ट्रीय सौर गठबंधन : आईएसए को सयं क्त ु राष्टट्र के पर््वू महासचिव श्री बान की मनू की उपस््थथिति मेें भारत और फ््राांस द्वारा
30 नवबं र 2015 को पेरिस मेें सयं क्त
ु राष्टट्र जलवायु परिवर््तन सम््ममेलन मेें लॉन््च किया गया था।
c भारत स््टटेज (बीएस) उत््सर््जन मानदडं : वाहनोों से उत््सर््जन वायु प्रदषू ण के शीर््ष योगदानकर््तताओ ं मेें से एक है, जिसने उस समय
सरकार को अप्रैल 2000 से बीएस 2000 (भारत स््टटेज 1) वाहन उत््सर््जन मानदडं पेश करने का नेतत्ृ ्व किया, इसके बाद बीएस- II
2005 मेें। BS-III को 2010 मेें देश भर मेें लागू किया गया था। हालांकि, 2016 मेें, सरकार ने वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओ ं को परू ा
करने और BS V को परू ी तरह से छोड़ कर BS-VI मानदडों ों मेें छलांग लगाने का फै सला किया।
31 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
वन््यजीव संरक्षण
संवैधानिक प्रावधान
c अनुच््छछेद 48ए - राज््य को निर्देशित करता है कि वह पर््ययावरण की रक्षा और सधु ार करे और वन््य जीवन और वनोों की रक्षा करे ।
यह अनच्ु ्छछेद 1976 मेें 42वेें सशोधन
ं द्वारा सविध
ं ान मेें जोड़़ा गया था ।
c अनुच््छछेद 51A - कुछ मौलिक कर््तव््योों का प्रावधान करता है। उनमेें से एक है वनोों, झीलोों, नदियोों और वन््य जीवन सहित
प्राकृ तिक पर््ययावरण की रक्षा और सधु ार करना और जीवित प्राणियोों के प्रति दया भाव रखना।
c वाइल््ड लाइफ एक््ट-1972- भारत मेें 1972 ई. मेें ‘वाइल््ड लाइफ एक््ट पारित किया गया। जिसके अन््तर््गत नेशनल पार्ककों तथा
वन््य जीव अभ््ययारणोों की स््थथापना हुई । वन््य जीव अभ््ययारण््योों (वाइल््ड लाइफ सैैंक््चअ
चु री) का गठन किसी एक प्रजाति अथवा कुछ
विशिष्ट प्रजातियोों के संरक्षण के लिए किया जाता है जबकि राष्ट्रीय उद्यानोों (नेशनल पार्ककों) का गठन विशेष प्रकार की शरणस््थली
के सरं क्षण के लिए किया जाता है ।
l चिक
ं ारा l कै प््ड लंगरू l गोल््डन लंगरू l हूलाक गिब््बन
l अनुसच
ू ी II
c इस सचू ी के अतं र््गत आने वाले जानवरोों को भी उनके संरक्षण के लिये उच््च सरु क्षा प्रदान की जाती है, जिसमेें उनके व््ययापार पर
प्रतिबंध आदि शामिल हैैं।
c इस अनसु चू ी के तहत शामिल प्रजातियोों का भी परू े भारत मेें शिकार करने पर प्रतिबंध है, सिवाय ऐसी स््थथिति के जब वे मानव
32 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
जीवन के लिये खतरा होों अथवा वे ऐसी बीमारी से पीड़़ित होों, जिससे ठीक होना संभव नहीीं है।
c अनुसच
ू ी II के तहत सच
ू ीबद्ध जानवरोों मेें शामिल हैैं:
l असमिया मैकाक, पिग टेल््ड मैकाक, स््टटंप टेल््ड मैकाक l बंगाल हनमु ान लंगरू l हिमालयन ब््ललैक बियर
l अनुसच
ू ी III और IV
c जानवरोों की वे प्रजातियाँ, जो संकटग्रस््त नहीीं हैैं उन््हेें अनसु चू ी III और IV के अतं र््गत शामिल किया गया है।
c इसमेें प्रतिबंधित शिकार वाली सरं क्षित प्रजातियाँ शामिल हैैं, लेकिन किसी भी उल््ललंघन के लिये दडं पहली दो अनसु चियो
ू ों की
तलन
ु ा मेें कम है।
c अनुसच
ू ी III के तहत सरक्षि
ं त जानवरोों मेें शामिल हैैं:
l चित्तीदार हिरण l नीली भेड़ l लकड़बग््घघा
l अनुसच
ू ीV
c अनुसच
ू ी Vइस अनुसच ू ी मेें ऐसे जानवर शामिल हैैं जिन््हेें ‘कृमि (छोटे जंगली जानवर जो बीमारी फै लाते हैैं और पौधोों
तथा भोजन को नष्ट करते हैैं) माना जाता है। इन जानवरोों का शिकार किया जा सकता है।
c इसमेें जंगली जानवरोों की के वल चार प्रजातियाँ शामिल हैैं
l कौवे l फ्रूट्स बैट्स l मषू क l चहू ा
l अनुसच
ू ी VI
c यह निर््ददिष्ट पौधोों की खेती को विनियमित करता है और उनके कब््ज़़े, बिक्री और परिवहन को प्रतिबंधित करता है।
c निर््ददिष्ट पौधोों की खेती और व््ययापार दोनोों ही सक्षम प्राधिकारी की पर््वू अनमु ति से ही किया जा सकता है।
c अनुसच
ू ी VI के तहत सरक्षि
ं त पौधोों मेें शामिल हैैं:
l साइकस बेडडोमि l ब््ललू वांडा (ब््ललू ऑर््ककि ड) l रे ड वांडा (रे ड ऑर््ककि ड)
l कुथु ( सौसरु िया लप््पपा ) l स््ललीपर ऑर््ककि ड l पिचर प््ललाांट (नेपेेंथेस खासियाना)
33 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
राष्ट्रीय उद्यान
भारत मेें 106 मौजूदा (दिसबं र 2020) राष्ट्रीय उद्यान है जो 44,378 वर््ग किमी के क्षेत्र को कवर करते हैैं, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का
1.35% है । भारत का सबसे बड़़ा राष्ट्रीय उद्यान लद्दाख मेें है जिसका नाम ‘हेमिस हाई’ है। देश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान अण््डमान-
निकोबार मेें ‘साउथबटन’ (0.03 वर््ग किमी) है। भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान हेली नेशनल पार््क था जिसे अब जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान
के रूप मेें जाना जाता है इसकी स््थथापना 1936 मेें हुई थी।
l भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान की सच
ू ी
c मध््य प्रदेश (12 राष्ट्रीय उद्यान) और अंडमान (9
राष्ट्रीय उद्यान) के बाद असम (7) मेें सबसे अधिक
वन््य राष्ट्रीय उद्यान मौजदू हैैं। सल्ु ्ततानपरु लेक बर््ड
सेेंक््चरचु ी (राष्ट्रीय उद्यान), हरियाणा प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी
सलिम अली को समर््पपित है।
c असम का देहिगं पटकाई भारत का नवीनतम (जनु
2021) राष्ट्रीय उद्यान है। पजं ाब मेें कोई राष्ट्रीय उद्यान
नहीीं है।
c बाघ परियोजना - भारत मेें पहली बार बाघ गणना वर््ष 1972 मेें की गई थी। भारत मेें मध््य प्रदेश को ‘टाइगर राज््य के नाम से
जाना जाता है।
c राष्ट्रीय बाघ सरं क्षण प्राधिकरण - 4 सितम््बर, 2006 को बाघ संरक्षण के प्रयासोों की सफलता का आकलन करने और बाघोों की
संख््यया तथा उनके परितंत्र पर नजर रखने के उद्देश््य से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) का गठन किया गया। अप्रैल 2023
मेें जारी रिपोर््ट के अनसु ार, देश मेें बाघोों की संख््यया बढ़कर 3167 हो गई है जो 2018 मेें 2967 थी।
l टाइगर रिजर््व की सच
ू ी
c भारत की पहली बाद्य परियोजना का प्रारम््भ अप्रैल, 1973 मेें जिमकार्बेट राष्ट्रीय उद्यान मेें हुआ । भारत मेें सर््ववाधिक टाइगर रिजर््व
वाले राज््य मध््यप्रदेश, महाराष्टट्र व कर््ननाटक हैैं। वर््तमान मेें, 53 बाघ अभयारण््य, प्रोजेक््ट टाइगर के दायरे मेें आते हैैं। प्रत््ययेक वर््ष 29
जल
ु ाई को वैश्विक बाघ दिवस (Global Tiger Day) मनाया जाता है
l टाइगर मैन ऑफ इडि
ं या
c वर््ष 1992 मेें पद्म॒ श्री से अलंकृत राजस््थथान के कै लाश सांखला भारत मेें बाघोों पर किए गए अपने कार्ययों के लिए टाइगर मैन ऑफ
इडिय
ं ा के नाम से जाने जाते हैैं। वर््ष 1973 मेें शरू ु किए गए प्रोजेक््ट टाइगर का नेतत्ृ ्व सांखला ने ही किया था।
l हाथी सरं क्षण परियोजना
c प्रोजेक््ट एलिफेें ट एक केें द्र प्रायोजित योजना है और इसे फरवरी, 1992 मेें हाथियोों के आवास एवं गलियारोों की सरु क्षा के लिये
लॉन््च किया गया था।
c हाथियोों का प्राकृ ति आवास सनु िश्चित करने के लिए 1992 ई. मेें ‘गजतमे नाम से हाथी सरं क्षण परियोजना चलाई गई। भारत मेें
हाथियोों के संरक्षण हेतु एक देशव््ययापी जागरूकता अभियान ‘हाथी मेरे साथी’ की शरू ु आत की गई। देश का पहला हाथी पनर््ववा
ु स
के न्दद्र हरियाणा मेें खोला गया।
34 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
l आर्दद्र भूमियां
c 1971 ई. मेें आर्दद्रभमि
ू के संरक्षण के लिए बहुउद्देश््य समझौता हुआ, जिसे रामसर सम््ममेलन (ईरान) के नाम से जाना जाता है। भारत
इसमेें 1982 ई. मेें शामिल हुआ। मालमू रहे कि आर्दद्रभमि ू , दलदली या पानी वाले क्षेत्र हैैं, जहां लगभग सालभर मीठा या खारा पानी
हो जिसकी गहराई 6 मी. से अधिक नहीीं हो।
c भारत के सर््वप्रथम घोषित रामसर स््थल, चिल््कका झील, उड़़ीसा और के वलादेव नेशनल पार््क , राजस््थथान है। भारत मेें अब
(December 2021) कुल 47 रामसर स््थल हैैं।
l भारत मेें जैवमंडल रिजर््व
c यह आनवु ंशिक विविधता बनाए रखने वाले ऐसे बहुउद्देशीय संरक्षित क्षेत्र है, जहां पौधोों, जीव-जंतओ
ु ं व सक्षू ष्म जीवोों को उनके
प्राकृ ति परिवेश मेें संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है।
l बायोस््फफीयर रिज़र््व की सरं चना
c कोर क्षेत्र (Core Areas) : यह बायोस््फफीयर रिज़र््व का सबसे सरं क्षित क्षेत्र है। इसमेें स््थथानिक पौधे और जानवर हो सकते हैैं। इस
क्षेत्र मेें अनसु ंधान प्रक्रियाएँ, जो प्राकृ तिक क्रियाओ ं एवं वन््यजीवोों को प्रभावित न करेें, की जा सकती है। इस क्षेत्र मेें सरकारी
अधिकारियोों/कर््मचारियोों को छोड़कर अन््य सभी का प्रवेश वर््जजित है।
c बफर क्षेत्र (Buffer Zone) : बफर क्षेत्र, कोर क्षेत्र के चारोों ओर का क्षेत्र है। इस क्षेत्र का प्रयोग ऐसे कार्ययों के लिये किया जाता है
36 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व
जो पर््णू तया नियंत्रित व गैर-विध््ववंशक होों। इसमेें सीमित पर््यटन, मछली पकड़ना, चराई आदि शामिल हैैं।
c ं मण क्षेत्र (Transition Zone) : यह बायोस््फफीयर रिज़र््व का सबसे बाहरी हिस््ससा होता है। यह सहयोग का क्षेत्र है जहाँ
सक्र
मानव उद्यम और संरक्षण सद्भाव से किये जाते है। इसमेें बस््ततियाँ, फसलेें, प्रबंधित जंगल और मनोरंजन के लिये क्षेत्र तथा अन््य
आर््थथिक उपयोग क्षेत्र शामिल हैैं।
COMING SOON
सीजी पीएससी सीजी व््ययापम
हॉस््टल वार््डन लेबर डिपार््टमेेंट (सहायक श्रम
(छात्रावास अधीक्षक ) पदाधिकारी, श्रम निरीक्षक,
पद संख््यया : 500 श्रम उ प-निरीक्षक)
पद संख््यया : 34