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1 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

छात्रहित मेें
एसआई मेन््स के सिलेबस मेें उल््लले​खित

सामाजिक
उत्तरदायित््व
टॉपिक की तैयारी हेतु स््टडी मटेरियल
2 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

पुलिस
पुलिस से तात््पर््य : अंग्रेजी का शब््द पुलिस (Police) ग्रीक शब््द (Polis) से बना है, जिसका अर््थ है-रक्षा करने वाला ।
अर््थथात् पुलिस का तात््पर््य एक ऐसी व््यवस््थथा से है, जिसका काम सामान््य व््यक्तियोों के जनजीवन की रक्षा करना है।

छत्तीसगढ़ मे पुलिस व््यवस््थथा



DGP IGP SP DSP TI SI ASI आरक्षक

राज््य संभाग जिला अनुविभाग थाना उप -थाना चौकी फील््ड ड््ययूटी

01 05 33 --- 482 --- 117 ---

छग मेें पुलिस प्रशासन क्र. पुलिस महानिदेशक कार््यकाल


n पलु िस का आदर््श वाक््य - परित्राणाय साधुनाम् 1. श्री मोहन लालशक्ु ्ल 2000-2001
n स्त्रोत- श्रीमद भगवत गीता (अध््ययाय-4 श्लोक-8)
n भावार््थ- साधुओ ं (सज््जनोों) को कष्ट और क््ललेश से बचाने वाला। 2. श्री आर एल डी यादव 2001-2002
3. श्री वी के दास 2002-2002
n पलु िस विभाग का सर्वोच््च अधिकारी - पुलिस महानिदेशक (डीजीपी)
n प्रथम पलु िस महानिदेशक - श्री मोहन शुक््ल 4. श्री अशोक दरबारी 2002-2004
n वर््तमान पलु िस महानिदेशक - श्री अशोक जुनेजा (क्रम-11वेें) 5. श्री ओ पी राठौर 2004-2007
नोट- पलु िस विभाग राज््य शासन के गहृ विभाग के अतं र््गत आता है। अत: राज््य
की प्रशासनिक सरं चना मेें पलु िस महानिदेशक गहृ सचिव के अधीन होते हैैं। 6. श्री विश्वरंजन 2009-2011
पुलिस प्रशासन द्वारा प्रदत्त पुरस््ककार वर््ष-2001 7. श्री अनिल एम नवानी 2011-2012
n प्रथम गरुु घासीदास परु स््ककार - यूसफ
ु खान (प्रधान आरक्षक) 8. श्री रामनिवास यादव 2012-2014
n प्रथम राज््यपाल परु स््ककार - गिरधारी लाल साव (प्रधान आरक्षक)
n प्रथम मख्ु ्यमत्ं री परु स््ककार - सचिन देव शुक््लला (निरीक्षक) 9. श्री ए एन उपाध््ययाय 2014-2018
n प्रथम रानी सबु रन कंु वर परु स््ककार - कु.मीना साहू (उप-निरीक्षक) 10. श्री डी एएम अवस््थथी 2018-2021
n प्रथम शहीद वीर नारायण परु स््ककार - रमेश पांडेय (निरीक्षक)
11. श्री अशोक जनु ेजा 2021 से निरंतर
3 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

गृहविभाग विभागीय संरचना


n भारसाधक मत्ं री - मा. श्री ताम्रध््वज साहू पुलिस मुख््ययालय, छत्तीसगढ़, नवा रायपुर अटल नगर के
n संसदीय सचिव - मा. श्री चिन््ततामणी महराज सुचारू संचालन हेतु विभाग को मुख््य रूप से प्रशासन,
मा. श्री विकास उपाध््ययाय योजना एवं प्रबंध, अपराध अनुसंधान, गुप्तवार््तता विशेष
आसूचना, छत्तीसगढ़ सशस्तत्र बल, भर्ती/चयन, पुलिस
सचिवालय दूरसंचार, रेल, यातायात एवं प्र​िशक्षण शाखाओं मेें
n प्रमख
ु सचिव - श्री मनोज कुमार पिंगुआ विभाजित किया गया है।
n सचिव - श्री अरूणदेव गौतम
डॉ. बसवराजु एस. पुलिस डिविजन रेेंज
विभागाध््यक्ष छत्तीसगढ़ पलु िस विभाग को प्रशासनिक दृष्टि से
पाच ं पलु िस रेेंज क्रमशः रायपरु , दुर्,्ग बिलासपरु ,
n पलु िस महानिदेशक, छ.ग. - श्री अशोक जुनेजा
सरगजा ु तथा बस््तर रेेंज मेें विभाजित किया गया है।
एवं अध््यक्ष, पलु िस हाउसिंग
प्रत््ययेक रेेंज मेें पलु िस महानिरीक्षक / पलु िस उप
कार्पोरे शन, छ0ग0
महानिरीक्षक स््तर के अधिकारी पदस््थ हैैं।
n महानिदेशक - श्री सज
ं य पिल््लले
(जेल एवं सधु ारात््मक सेवाए)ं n रायपुर रेेंज: इसके रायपरु , धमतरी, महासमदंु , गरियाबंद
n संचालक, राज््य न््ययायालयिक - श्री राजेश मिश्रा एवं बलौदाबाजार-भाटापारा जिले आते हैैं।
विज्ञान प्रयोगशाला n दुर््ग रेेंज - इसके अन््तर््गत दर््गु , राजनांदगांव, कबीरधाम,
n प्रबंध सच ं ालक - श्री पवन देव बेमते रा, बालोद, मोहला - मानपरु - अबं ागढ़ चौकी एवं
पलु िस हाउसिंग खैरागढ़ -छुईखदान - गंडई जिले आते हैैं।
कार्पोरे शन, छत्तीसगढ़
n बिलासपुर रेेंज - इसके अन््तर््गत बिलासपरु , कोरबा,
n अतिरिक्त महानिदेशक - श्री अरुण देव गौतम
जांजगीर-चांपा, रायगढ़, मगंु ेली, गौरे ला-पेेंड्रा-मरवाही एवं
(नगरसेना तथा नागरिक सरु क्षा)
सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले आते हैैं।
n संचालक, लोक - श्री अरुण देव गौतम
अभियोजन, छ.ग. n सरगुजा रेेंज - इसके अन््तर््गत अम््बबिकापरु , कोरिया,
n संचालक, सैनिक कल््ययाण - ब्रिगेडियर श्री विवेक शर््ममा, जशपरु , सरू जपरु , बलरामपरु - चिरमिरी- भरतपरु जिले आते हैैं।
व््हही.एस.एम.(से.नि.)
n बस््तर रेेंज - इसके अन््तर््गत जगदलपरु , कांकेर,
n संचालक (सम््पदा) - सश्ु री अर््चना पाण््डडेय दन््ततेवाड़़ा, नारायणपरु बीकोण््डडागांव एवं सक
ु मा जिले आते हैैं।
n अधीक्षक (स््टटेट गॅरेज) - श्रीराजेश अग्रवाल

सवं िधान मेें पलु िस को


भारतीय पुलिस सेवा सवर् ं ्ग भारतीय सवं िधान के राज््य सचू ी का विषय
बनाया गया है और
अनुच््छछे द 312 के अन््तर््गत गठित भारतीय पुलिस सेवा के न्दद्र को इस संदर््भ मेें
राज््य मेें पुलिस बल को नेतृत््व प्रदान करता है। भारतीय अवशिष्ट शक्तियां प्राप्त
है। भारतीय व््यवस््थथा के
पुलिस सेवा सवर् ं ्ग से सबं ंधित समस््त कार््य गृह (पुलिस) अन््तर््गत पलु िस को
सशस्त्र और शस्त्र विहीन
विभाग द्वारा सम््पपादित किया जाता है। पलु िस के रूप मेें
विभाजित किया गया है।
4 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

अपराध अनुसंधान
प्रदेश मेें कानून व््यवस््थथा एवं अपराधोों पर नियंत्रण बनाये रखने हेतु शासन एवं प्रशासन कृत संकल््पपित है। एनसीआरबी के
ऑकड़ों के अनुसार प्रति लाख जनसंख््यया के आधार पर भारतीय दण््ड विधान के कुल अपराधोों मेें वर््ष 2016 मेें देश मेें छत्तीसगढ़
राज््य 12वेें स््थथान पर था तथा वर््ष 2021 मेें भी 12वेें स््थथान पर है।
अजाक शाखा क्राईम इन छत्तीसगढ़ 2021
अनसु चि ू त जाति / जनजाति वर््ग के राज््य अपराध अभिलेख ब््यरयू ो द्वारा
सदस््योों के प्रति बेहद सवं दे नशील है। “काईम इन छत्तीसगढ़ - 2021 “
इस वर््ग के लोगोों पर घटित अपराधोों रिपोर््ट का प्रकाशन इस वर््ष पहली बार
पर त््वरित प्रभावी कार््यवाही के लिये किया गया है। वरिष्ठ जनोों की
राज््य के 27 जिलोों मेें अजाक थाना समस््ययाओ ं कए निराकरण हेतु नेशनल
तथा शेष जिलोों मेें प्रकोष्ठ सचं ालित है। हेल््पलाईन नबं र 14567 सचं ालित है ।
बाल अधिकार सेल नेशनल पुलिस मिशन
बाल अधिकार संरक्षण एवं बाल माइको मिशन 02 कम््ययुनिटी
अपराध पर नियंत्रण तथा प्रभावी पलु िसिंग के माध््यम से न््ययू सब बीट
कार््यवाही हेतु पलु िस पर बाल सिस््टम द्वारा काननू व््यवस््थथा बनाये
अधिकार सेल / जिला स््तर पर रखने हेतु प्रत््ययेक जिले के थाना क्षेत्ररों
विशेष किशोर पलु िस इकाई मेें बीट बनाये गये हैैं। जिसे
(SJPU) का गठन समस््त पलु िस संवेदनशील / अतिसंवेदनशील
थानोों मेें सहायक उप निरीक्षक से निम््न पलु िस अधिकारी को बाल आदि भागोों मेें बांटकर काननू बनाये रखने हेतु प्रधान आरक्षक / आरक्षक
कल््ययाण अधिकारी नामांकित किया गया है। राज््य के 117 थानोों को बाल स््तर पर प्रभारी बनाया जाता है। प्रत््ययेक बीट को अपने क्षेत्र के अपराधी /
हितैषी थाना रूप मेें विकसित किया गया है। निगरानी बदमाश आदि पर निगरानी रखनी होती है।

समर््पण सदस््य
प्रतिदिन 10 वरिष्ठ नागरिकोों से हेल््पलाईन नंबर के माध््यम से कुशलक्षेम
पछू ना एवं आवश््यकतानसु ार काननू ी सहायता प्रदान करना।

पुलिस बजट एवं बल


वित्तीय वर््ष 2022-23 मेें राशि रू. 5435.20 करोड़ का बजट प्रावधान किया
गया था, जो कि विगत वित्तीय वर््ष की तुलना मेें 8.88 प्रतिशत अधिक है।
डॉयल - 112 सेवा
पुलिस बल मेें वृद्धि
जिन जिलोों मेें डॉयल 112 सेवा सचं ालित है, वहाँ 1. वित्तीय वर््ष 2022-23 के मख्ु ्य बजट मेें 2009, प्रथम अनपु रू क बजट मेें
सियान हेल््पलाईन नंबर 94791-91536 से प्राप्त 66 एवं द्वितीय अनपु रू क बजट मेें 672 कुल 2747 नवीन पदोों का प्रावधान
होने वाली सचन
ू ा जैसे- किसी बजु र््गु को घर से किया गया है।
निकाल देना, मारपीट करना, उन््हेें भोजन से वचि
ं त 2. वर््तमान मेें छत्तीसगढ़ राज््य मेें कुल 80, 134 पलु िस बल तथा 482
रखना आदि पर तत््ककाल कार््यवाही किया जायेगा । पलु िस थानेें एवं 117 पलु िस चौकी स््ववीकृ त हैैं।
5 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

सामुदायिक पुलिसिंग
1. अभिव््यक्ति - महिला सुरक्षा ऐप के न्दद्र तैयार कर उसे मर््तू रूप दिए जाने हेतु 8. बाल मित्र
कार््यवाही की जा रही है। स््थथानीय आदिवासी
गोोंडी/हल््बबी भाषा मेें “मनवा नवाँ नार” का
अर््थ है ‘हमारा नया गांव’ ।
5. पुलिस जनमित्र योजना
इसका उद्देश््य ऐसे व््यक्तियोों को जोड़ना है जो
पुलिस की जनहित अवधारणा से प्रेरित होकर
कार््य करेें एवं स््ववेच््छछा से विभिन््न क्षेत्र मेें
पुलिस के साथ मिलकर समाज को अपना
योगदान दे सके जिससे एक भय मुक्त समाज
महिलाओ ं क किसी भी आपातकालीन स््थथिति मेें की स््थथापना हो सके । स््ककूली छात्र-छात्राओ ं का चयन कर उन््हेें
त््वरित पलु िस सहायता उपलब््ध कराने के उद्श्दे ्य से 6. चलित थाना / अंजोर रथ अनश ु ासन, सहयोग, बालिकाओ ं को सेल््फ
छत्तीसगढ़ पलु िस द्वारा अभिव््यक्ति महिला सरु क्षा डिफेें स का प्रशिक्षण आदि सिखाना है ।
ऐप विकसित किया गया है। जिसे दिनाक ं 11. शक्ति स््क्ववायड
01.01.2022 से लाचं किया गया है। महिलाओ ं की सरु क्षा हेतु महिला पलु िस की एक
2. निजात अभियान स््पपेशल टीम स््क्ववायड गठित की गयी है। जो
नशा किसी भी व््यक्ति व उसके परिवार का पतन स््ककूल-कालेज, छात्रावास, बाजार, धार््ममिक
का मख्ु ्य कारक है। समाज मेें व््ययाप्त इस गंभीर आयोजनस््थलोों आदि मेें लगातार पेट्रोलिंग कर
समस््यया के समाधान को दृष्टिगत रखते हुए राज््य आत््मरक्षा के गरु सिखाने का कार््य कर रही है।
मेें नशे के खिलाफ “निजात “ अभियान की 10. बाल पुलिस कैडेट
शरू ु आत की गई है। बच््चोों को देश का जिम््ममेदार एवं सवं दे नशील
3. ग्राम रक्षा समिति नागरिक बनाने के उद्देश््य से जिले मेें बाल पलु िस
अपराधोों पर नियंत्रण व आसचन ू ा संकलन एवं कै डेट का गठन किया गया है। 05 स््ककूलोों के बच््चोों
सामाजिक समरसता को बनाये रखने के उद्देश््य चलित थाना के माध््यम से जिलेें के समस््त को इसमेें प्रशिक्षित किया गया है। बच््चोों को इनडोर
से राज््य के ग्रामीण क्षेत्ररों मेें ग्राम रक्षा समिति का थाना / चौकी मेें ग्रामोों को चिन््हहित कर एवं आउटडोर की ट्रेनिगं दी जा रही है।
गठन किया गया है। निर््धधारित दिवस मेें चलित थाना कार््यक्रम क््ययूडी शाखा
4. मनवा नवाँ नार आयोजित किया जा रहा है । इसके द्वारा
यातायात संबंधी दिशा-निर्देश एवं अपराधा
रोकथाम के संदर््भ मेें जानकारी दी जा रही है।
7. चेतना / ई प्रहरी कार््यक्रम
थाना, चौकी, कै म््पोों अतं र््गत आम नता, स््ककूल /
कॉलेजोों मेें बालक/बालिकाओ ं को पॉक््ससो एक््ट
किशोर न््ययाय, यौन छे ड़छाड़, आन लाईन ठगी,
मोबाईल एटीएम आदि के सबं ंध मेें जानकारी
दिया जा रहा है। प्रश्नापद दस््ततावेज परीक्षण प्रयोगशाला अ. अ. वि.,
9. प्रोत््ससाहन सम््ममान पलु िस मख्ु ्ययालय, छ.ग. मेें राज््य के सभी थानोों,
बस््तर क्षेत्र मेें स््थथापित नवीन सरु क्षा कै म््पोों को जिले के विभिन््न स््ककूलोों : अक ं प्राप्त करने वाले न््ययायालयोों, एन््टटी करप््शन ब््यरयू ो लोक आयोग तथा
शासन के विभिन््न कल््ययाणकारी एवं विकास मेधावी छात्र छात्राओ ं को स््ममृति चिन््ह / प्रशस््तति शासन के विभिन््न विभागोों से प्राप्त विवादित
कार्यो के क्रियान््वयन हेतु एक समग्रित विकास पत्र के माध््यम से किया गया है। दस््ततावजोों का परीक्षण कर अभिमत दिया जाता है।
6 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

पुलिस कल््ययाण के लिए संचालित कल््ययाणकारी गतिविधियाँ


छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग के अंतर््गत पुलिस अधिकारी / कर््मचारियोों एवं उनके आश्रित परिवार
के लिये कल््ययाण हेतु अंशदान / अनुदान से निम्ननगतिविधियाँ संचालित है :-
शिक्षा निधि के अंतर््गत समय रू. 1.50 लाख तक की सहायता उपलब््ध कराई जाती है।
पलु िस परिवार के बच््चोों को वर््तमान मेें कक्षा पहली उत्तीर््ण पश्चात् कक्षा शहीद भास््कर दीवान सम््ममान निधि
5वीीं तक रू. 1,000 , कक्षा 6वीीं से स््ननातक तक की शिक्षा के लिए रू. शहीद के आश्रित माता-पिता रू. 2.50 लाख एवं पत््ननी को रू. 2.50
3,000/- से 10,000/- तक तथा तकनीकी शिक्षा के लिए रू. 3,000/- से लाख इस प्रकार कुल रू. 5 लाख की आर््थथिक सहायता प्रदान जाती है।
30,000/- तक 02 बच््चोों तक के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है। विनोद चौबे मेरिट स््ककॉलरशिप योजनान््तर््गत
परोपकार निधि पलु िस परिवार के अध््ययनरत् बच््चोों को कक्षा 10वीीं
इसके तहत् शहीद के आश्रितोों को रू. 2 लाख तथा सामान््य मृत््ययु के प्रकरण परीक्षा मेें 85% या अधिक अक ं प्राप्त करने पर रू. 2000/- प्रतिमाह
मेें आश्रितोों को रू. 1 लाख की सहायता राशि स््ववीकृ त की जाती है। छात्रवृत्ति 02 वर््ष तक तथा कक्षा 12वीीं बोर््ड परीक्षा मेें 80% या अधिक
संकट निधि अक ं प्राप्त करने पर रू.3000/- प्रतिमाह छात्रवृत्ति स््ननातक स््तर तय 2000
इसके अन््तर््गत पलु िस अधिकारी / कर््मचारियोों को गभं ीर ‘प्राकृ तिक आपदा के की शिक्षा हेतु प्रदान की जा रही है।

छत्तीसगढ़ सशस्तत्र बल / एसटीएफ / सीटीजेडब््ल्ययू / सीआईएटी स््ककूल


सशस्तत्र बल एस टी एफ का गठन
गठन का उद्देश््य : सशस्त्र बल के गठन का प्रमख ु उद्देश््य नक््सलवाद की नक््सल प्रभावित क्षेत्ररों मेें विशेष तौर पर माओवाद विरोधी अभियानोों
समस््यया पर नियंत्रण एवं निवारण हेतु आवश््यक कार््यवाही कर राज््य को मेें संलग््न रहकर प्रभावित क्षेत्ररों मेें शांति व््यवस््थथा एवं जनकल््ययाणकारी
नक््सलवाद से मक्त ु कराना है साथ ही अखिल भारतीय स््तर पर काननू विकास योजनाओ ं का प्रसार के उद्देश््य से छत्तीसगढ़ शासन के आदेश
व््यवस््थथा प्राकृ तिक आपदाओ ं व अन््य विपरीत परिस््थथितियोों मेें सजग दिनांक 23-10-2007 द्वारा “स््पपेशल टास््क फोर््स (एस.टी.एफ ) “
रहकर यथासमय समस््ययाओ ं के निदान हेतु तैयार रहना है। गठन की स््ववीकृ ति प्रदान की गयी। जिसका मुख््ययालय बघेरा, जिला
विभागीय सरं चना : वर््तमान मेें छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के अतं र््गत 22 दुर््ग रखा गया है।
वाहिनियाँ, 1 बटालियन, 1 एस. टी. एफ. इकाई 3 प्रशिक्षण सस्ं ्थथाएँ 3 उपलब््धधियां : सी.टी.जे . डब््ल्ययू . (काउण््टर टे र ोरिज््म एण््ड जं ग ल
एम०टी०वर््कशॉप एवं 4. सरु क्षा 01 सीटीजेडब््ल्ययू कालेज, प्रशिक्षण वारफे यर कॉले ज ) की स््थथापना :- छ.ग. राज््य मेें नक््सल समस््यया
सस्ं ्थथा कुल-35 इकाईयाँ दर््शशाये गये स््थथान पर स््थथापित होकर कार््यरत हैैं:- के निराकरण के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आदे श दिनां क
कार््यकलाप : सशस्त्र बल की 07 वाहिनियाँ राज््य बॅटवारे मेें प्राप्त हुई थी 11.3.2005 द्वारा प्रदे श मेें काउण््टर टे र ोरिज््म एण््ड जं ग ल फे यर
एवं 16 वाहिनियाँ पश्चात् गठित की गई हैैं। व््हहीआईपी सरु क्षा वाहिनी को कॉले ज की स््थथापना की गई। कॉले ज का ध््ययेय वाक््य है- “गु र िल््लला
छोड़कर शेष 22 वाहिनियोों की कुल 134 कंपनियोों को निम््ननानसु ार कार््य से गुर िल््लला की तरह लड़ द गुर िल््लला लाईक ए गु र िल््लला )“
हेतु राज््य के विभिन््न जिलोों मेें तैनात किया गया है:- छत्तीसगढ़ राज््य मेें आई.ई.डी. (इम्प्रोर््ववाइज
l कुल कंपनी 134
एक््सप््ललोजिव डिवाईस) स््ककूल की स््थथापना
राज््य शासन द्वारा आई.ई.डी. स््ककूल की स््थथापना माना कै म््प- मेें की गई है,
l नक््सल प्रभावित क्षेत्र मेें तैनात 105
र््वतमान मेें माना - रायपरु से स््थथानांतरित कर सीटीजेडब््ल्ययू कॉलेज कांकेर
l काननू व््यवस््थथा डियूटी मेें तैनात 27+02 (महिला कंपनी) मेें सचं ालित किया जा रहा है।
7 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

नगर सेना एवं अग्निशमन, आपातकालीन सेवाऐं तथा एसडीआरएफ


नगर सेना तथा नागरिक सुरक्षा संगठन : इस संगठन की स््थथापना वर््ष 1947 मेें सी.पी. एण््ड बरार नगर
सेना अधिनियम 1947 के तहत् की गई थी। यह स््वयंसवे ी संगठन है जिसका मुख््य उद्श्दे ्य निम्नानुसार है
l पलु िस बल को काननू -व््यवस््थथा बनाए रखने मेें
मदद करना ।
l बाढ़, भक
ू म््प, तफ
ू ान, महामारी, आगजनी एवं
अन््य प्राकृ तिक आपदाओ ं के समय प्रशासन
की सहायताकरना तथा जान-माल की रक्षा
करना ।
l महत्तत्वपर््ण
ू व््यक्तियोों की सरु क्षा तथा ग्राम सधु ार
व लोक-कल््ययाणकारी कार्ययों के द्वारा जनता से छत्तीसगढ़ स््टटेट गैरेज
निकटस््थ सबं ंध बनाना व मदद करना । गठन :- छत्तीसगढ़ स््टटेट गैरेज का गठन दिनांक 01.11.2000 को हुआ था
l छत्तीसगढ़ मेें नगर सेना तीन स््तरीय संगठन है। ईंधन व््यवस््थथा एवं पात्रता
प्रथम स््तर के रुप मेें राज््य स््तरीय मख्ु ्ययालय
स््तर पर संभागीय सेनानी तृतीय स््तर पर जिला आबंटित वाहनोों का विवरण पेट्रोल / डीजल की सीमा
सेनानी के कार््ययालय कार््यरत हैैं। के न्द्रीय माननीय मख्ु ्यमत्ं री जी - 600 लीटर प्रति माह
संस््थथान, माना- कै म््प रायपरु मेें स््थथापित है। माननीय मत्रियों ों - 600 लीटर प्रति माह
छ0ग0 मेें नगर सेना की 63 कंपनियां कार््यरत मत्ं रालय मेें पदस््थ अधिकारियोों - 250 लीटर प्रति माह
हैैं। 28 जिलोों मेें नगर सेना के जिला कार््ययालय को आबंटित वाहन
तथा रायपरु , बिलासपरु एवं बस््तर संभाग के मत्ं रालय के पल
ू वाहन - 375 लीटर प्रति माह
जगदलपरु व सरगजु ा संभाग के अम््बबिकापरु मेें वाहनोों की संख््यया - छत्तीसगढ़ स््टटेट गैरेज मे
संभागीय कार््ययालय कार््यरत हैैं। 200 वाहन उपलब््ध हैैं।

डॉग स््क्ववॉड / दल
वर््तमान मेें छत्तीसगढ़ पलु िस के श्वानदल मेें कुल 84 श्वान उपलब््ध हैैं, जिनमेें से 28 श्वान (ट्रेकर) एवं 54 श्वान (विस््फफोटक खोजी ) तथा 02 श्वान (
नारकोटिक््स) हैैं, जिन््हेें राज््य के विभिन््न जिलोों मेें काननू व््यवस््थथा एवं नक््सल विरोधी अभियान हेतु तैनात किया गया है। छ. ग. पलु िस के
अश्वदल मेें कुल 20 अश्व उपलब््ध हैैं, जिनमेें से 07 अश्व सीटीजेडब््ल्ययू कांकेर मेें एवं 13 अश्व 3री वाहि अमलेश्वर मेें रखा गया है जो राष्ट्रीय परे ड
एवं विभिन््न अश्वरोही प्रतियोगिताओ ं मेें राज््य का करते हैैं।

पुलिस आधुनिकीकरण
(1) PFMS (Public Fund Management System) - भारत सरकार की के न्दद्र निगरानी, विमक्ति ु करण एवं उपयोगिता
के लिए जल ु ाई 2021 से लागू है।
(2) पलु िस बल आधनि ु कीकरण (MPF Scheme)- यह राज््य पलु िस बल की क्षमता को बढ़़ाने के लिए के न्दद्र से
2021-22 तक कुल अव््ययित राशि रू. 27,94,96,770 /- को SNA (Single Nodal Account) मेें जमा किया गया।
( 3 ) Anti Human Trafficking Units की स््थथापना - शासन द्वारा निर््भया फंड अतं र््गत 08 जिलोों को 96.00 लाख,
03 जिलोों को 24.00 लाख एवं 16 जिलोों को 240.00 लाख इस प्रकार 27 जिलोों मेें मानव तस््करी विरोधी इकाई की स््थथापना /
सदृु ढ़़ीकरण हेतु कुल राशि 3.60 करोड़ की सामग्री / उपकरण / वाहन कय करने की प्रशासकीय स््ववीकृ ति प्रदान की गई है।
8 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

नक््सल अभियान
नक््सल प्रभावित ‘कोर क्षेत्ररों मेें रणनीतिक बढ़त एवं आम जनता की सुरक्षा व विकास कार्यो को गति
प्रदान करेने के लिए लिए 22 फारवर््ड सुरक्षा कैम््पोों की स््थथापना तथा 01 नवीन थाना
(जिला - कोण््डडागांव के पुगं ारपाल प्रदान करने मेें स््थथापित किया गया है।

पुलिस प्रशिक्षण संस््थथाएँ


वर््तमान मेें जिला पुलिस बल के प्रशिक्षण हेतु
निम््नलिखित प्रशिक्षण सस्ं ्थथा अस््ततित््व मेें है:-
1. नेताजी सभु ाष चन्दद्र बोस, राज््य पलु िस अकादमी
चद्रं खरु ी स््थथापना वर््ष जनवरी 2007
2. पलु िस प्रशिक्षण विद्यालय माना रायपरु स््थथापना वर््ष 1984
3. पलु िस प्रशिक्षण विद्यालय राजनांदगांव स््थथापना वर््ष 1960
4. पलु िस प्रशिक्षण के न्दद्र मैनपाट सरगजु ा स््थथापना वर््ष 2013

शासकीय रेल पुलिस


प्रमुख दायित््व - शासकीय रे ल पलु िस इकाई रायपरु (छ.ग.) का कार््यक्षेत्र
दक्षिण पर्ू वी मध््य रे ल््ववे के चार सभं ागोों क्रमशः रायपरु , बिलासपरु , नागपरु
तथा सम््बलपरु रे ल सभं ाग तक फै ला हुआ है। बिलासपरु मेें दक्षिण पर््वू
मध््य रे ल का जोन मख्ु ्ययालय व रायपरु / बिलासपरु मेें रे ल मडं ल कार््ययालय
स््थथित है, रे ल पलु िस इकाई रायपरु क्षेत््राांतर््गत लगभग 950 किमी रे ल््ववे
लाईन एवं 93 रे ल््ववे स््टटेशन आते हैैं जो प्रदेश के 15 जिलोों से गजु रती है।
अधीक्षक (रे ल), रायपरु के कार््यक्षेत्र मेें समस््त अधिसचि ू त छत्तीसगढ़
राज््य का भाग आता है। वर््तमान ‘दल््ललीराजहरा - रावघाट” नई रेल््ववे
लाईन निर््ममाणाधीन है। शासकीय रे ल पलु िस इकाई रायपरु अतं र््गत
(रिजर््व लाईन (रायपरु ), 05 थाना ( रायपरु , बिलासपरु , रायगढ़, भिलाई
एवं डोोंगरगढ़) एवं 02 चौकी बालोद एवं राजनांदगांव ) शासन एवं रे ल््ववे
प्रशासन से स््ववीकृ त है।

कीर््तति चक्र
भारत सरकार व््ददारा गणतंत्र दिवस-2023 के अवसर पर शहीद उपनिरीक्षक स््व.
दीपक भारद्वाज, शहीद प्रधान आरक्षक स््व. सोढ़ी नारायण, शहीद प्रधान
आरक्षक स््व. श्रवण कश््यप को मरणोपरांत कीर््तति चक प्रदान किया गया है।
9 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

सामूहिक बीमा विकल््प विशेष अनुदान योजना


नक््सली क्षेत्र मेें कार््यरत राज््य पुलिस बल अर्दसद्ध निक
ै बल तथा अन््य राज््योों से नक््सली अभियान मेें संलग्न
पुलिस बल के अधिकारी / को नक््सली हिंसा व मुठभेड़ मेें शहीद होने पर उनके वैध उत्तराधिकारी को राशि
रू. 15 लाख माता-पिता को 10 लाख व उनके अध््ययनरत् बच्चचों के लिये एकमुश््त राशि रू. 40 हजार
शिक्षा अनुदान तथा घायल होने पर सामूहिक बीमा विकल््प विशेष अनुदान योजना 2008 के
प्रावधानानुसार कि सहायता प्रदान की जाती है।

विशेष अनुग्रह अनुदान


राज््य पुलिस बल के शहीदोों के आश्रितोों को रू लाख, शहीद सहायक आरक्षकोों के आश्रितोों को रू. 25 लाख एवं के न्द्रीय
अर्दद्धसैनिक बल तथा अन््य से नक््सली अभियान मेें सल
ं ग््न पुलिस बल के शहीदोों के आश्रितोों को रू. 20 लाख ।

राज््य न््ययायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला


राज््य न््ययायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला, छ०ग०, रायपुर मेें
जिलोों के अपराधिक प्रकरणोों का फोरेेंसिक विश्ले षणात््मक
परीक्षण किया जाता है। इस प्रयोगशाला मेें पुलिस विभाग के
अतिरिक्त आबकारी, वन विभाग एवं राज््य सतर््क ता आयोग
के अपराधिक प्रकरणोों का भी परीक्षण किया जाता है।

क्षेत्रीय न््ययायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला संचालनालय लोक अभियोजन, छ.ग.


FSL रायपरु अन््तर््गत 03 क्षेत्रीय न््ययायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला, विभाग का दायित््व : लोक अभियोजन विभाग द्वारा आपराधिक
जगदलपरु , सरगजु ा एवं बिलासपरु मेें संचालित हैैं। प्रकरणोों मेें शासन की ओर से पैरवी करते हुए न््ययायदान मेें सार््थक
भमिू का का निर््वहन किया जाता है।
छ.ग. राज््य पुलिस जवाबदेही प्राधिकार
छ.ग. शासन, गृह विभाग की अधिसचन ू ा दिनांक 03 अप्रैल 2013 विभागीय सरं चना : राज््य गठन दिनांक 01.11.2000 से लोक
द्वारा छ. ग. राज््य पलु िस जवाबदेही का गठन किया गया। प्राधिकार नियोजन संचालनायल , संचालित है. वर््तमान मेें श्री अरुण देव
के प्रथम सभापति के रूप मेें माननीय न््ययायमर््तति
ू श्री सभु ाषचद्रं व््ययास गौतम, भापसु े. अतिरिक्त पलु िस महानिदेशक, संचालक, लोक
नियक्तु हुए। अभियोजन के पद पर कार््यरत है

संचालनालय सैनिक कल््ययाण, छ.ग.


विभाग की गतिविधियाँ : दिनांक 01 नवम््बर
2000 से छत्तीसगढ़ राज््य के अस््ततित््व मेें आने पर संचालनालय
सैनिक कल््ययाण, छत्तीसगढ़ रायपरु का गठन किया गया।
10 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

पुलिस का इतिहास
प्राचीन काल मेें इतिहास मेें दंडधारीशब््द का उल््ललेख आता है। भारतवर््ष मेें पुलिस शासन के विकासक्रम मेें उस काल के दंडधारी को वर््तमान काल
के पुलिस जन के समकक्ष माना जा सकता है प्राचीन भारत का स््थथानीय शासन मुख््यत: ग्रामीण पंचायतोों पर आधारित था। गाँव के न््ययाय एवं
शासन संबध ं ी कार््य ग्रामिक नामक एक अधिकारी द्वारा संचालित किया जाता था। इसकी सहायता और निर्देशन ग्राम के वयोवृद्ध करते थे। यह
ग्रामिक राज््य के वेतनभोगी अधिकारी नहीीं होते थे वरन् इन््हेें ग्राम के व््यक्ति अपने मेें से चुन लेते थे। ग्रामिकोों के ऊपर 5-10 गाँवोों की व््यवस््थथा के
लिए “गोप” एवं लगभग एक चौथाई जनपद की व््यवस््थथा करने के लिए “स््थथानिक” नामक अधिकारी होते थे।

गुप्त काल
भारत मेें गप्तु ् कालखडं मेें एक सव्ु ्यवस््थथित एवं कुशल पलु िस प्रणाली लागू थी
इसलिए गप्तु शासन काल मेें देश की काननू व््यवस््थथा सद्रु ढ़ एवं संतोषप्रद थी। पलु िस बल
के मख्ु ्य अधिकारी को महादण््डडाधिकारी कहा जाता था तथा उसके आधीनस््थ
अधिकारियोों को दण््डडाधिकारी कहा जाता था। सम्राट हर््षवर््धन के शासन काल मेें पलु िस
अधिकारियोों को संधिक चोर््यधारिण तथा दण््डपाशिक कहा जाता था जो क्रमशः जिले
कस््ववे और गांव की शांति व््यवस््थथा बनाये रखने के लिए उत्तरदायी होते थे।

मुगल काल
पुलिस के मख्ु ्य अधिकारी को फौजदार कहा जाता था। जिसके अधिनस््थ अधिकारियोों
को दरोगा या कोतवाल कहते थे। पलु िस बल के सबसे कनिष्ठ वर््ग के कर््मचारियोों को
सिपाही कहा जाता था । गप्तु चर विभाग को खफिय ु ा पलु िस कहा जाता था। जिसका
कार््य अपराध और अपराधियोों का पता लगाने तथा जांच पड़ताल करने मेें पलु िस बल
की सहायता करना था। प््राांत के प्रमख ु पलु िस प्राशासनिक अधिकारी को सबू ेदार या
नाजिम कहा जाता था।
मगु ल काल मेें ग्राम के मखिय ु ा मालगजु ारी एकत्र करने, झगड़ों का निपटारा आदि करने
का महत््वपर््णू कार््य करते थे और निर््ममाण चौकीदारोों की सहायता से ग्राम मेें शांति की
व््यवस््थथा स््थथापित रखे थे। चौकीदार दो श्रेणी मेें विभक्त थे- (1) उच््च, (2) साधारण।
उच््च श्रेणी के चौकीदार अपराध और अपराधियोों के संबंध मेें सचू नाएँ प्राप्त करते थे और
ग्राम मेें व््यवस््थथा रखने मेें सहायता देते थे। उनका यह भी कर््तव््य था कि एक ग्राम से दसू रे
ग्राम तक यात्रियोों को सरु क्षापर््वू क पहुचँ ा देें। साधारण कोटि के चौकीदारोों द्वारा फसल की
रक्षा और उनकी नापजोख का कार््य करता जाता था।

ब्रिटिश शासनकाल
सन् 1774 मेें पहली बार वारेन हेस््टटििंग््ज ने पलु िस सधु ार के कार््यक्रमोों का शभु ारंभ किया । सन्
1861 के पचं म अधिनियम ; एक््ट ऑफ 1861 ने पलु िस स््थथापना के स््वरूप व ढाचं े सधु ार के
लिए आवश््यक उपबन््ध किया। वारेन हेस््टटििंग्ज़ ने सन् 1781 तक फौजदारोों और ग्रामीण पलु िस
की सहायता से पलु िस शासन की रूपरेखा बनाने के प्रयोग किए और अतं मेें उन््हेें सफल पाया।
वारेन हेस््टटििंग््ज के उत्तराधिकारी लार््ड कार््नवालिस (कार््यकाल- सन 1786 से सन 1793 तक) का
यह विश्वास था कि अपराधियोों की रोकथाम के निमित्त एक वेतन भोगी एवं स््थथायी पलु िस दल की
स््थथापना आवश््यक है। वर््तमान पलु िस शासन का जन््मदाता लार््ड कार््नवालिस थे।
11 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

15
सामाजिक उत्तरदायित््व
मानव अधिकार
मानवाधिकार वैसे अधिकार हैैं जो हमारे पास इसलिये हैैं क््योोंकि हम मनुष््य हैैं । राष्ट्रीयता, लिंग, राष्ट्रीय या जातीय मूल, रंग, धर््म, भाषा
या किसी अन््य स््थथिति की परवाह किये बिना ये हम सभी के लिये सार््वभौमिक अधिकार हैैं ।

मानव अधिकारोों का इतिहास


c 1215 : मैग््नना कार््टटा-ने लोगोों को नए अधिकार दिए और राजा को काननू के अधीन कर दिया।
c 1628 : अधिकार की याचिका- लोगोों के अधिकारोों को निर््धधारित करती है।
c 1776 : संयक्त
ु राज््य अमेरिका की स््वतंत्रता की घोषणा - जीवन, स््वतंत्रता और खश
ु ी की खोज के अधिकार की घोषणा की।
c 1789 : मनष्ु ्य और नागरिक के अधिकारोों की घोषणा - फ््राांस का एक दस््ततावेज, जिसमेें कहा गया है कि सभी नागरिक काननू के तहत
समान हैैं।
c 1948 : मानव अधिकारोों की सार््वभौम घोषणा पहला दस््ततावेज़ जिसमेें उन 30 अधिकारोों की सचू ी है जिनके सभी हकदार हैैं।

मानव अधिकार और संयुक्त राष्टट्र


प्रत््ययेक वर््ष अंतर््रराष्ट्रीय समुदाय 10 दिसबं र को विश्व मानवाधिकार दिवस मनाता है । यह वर््ष 1948 के उस दिन के उपलक्षष्य मेें
मनाया जाता है जब सयं ुक्त राष्टट्र (UN) महासभा ने मानवाधिकारोों की सार््वभौमिक घोषणा (UDHR) को अपनाया था। UDHR
मानव अधिकारोों के अंतर््रराष्ट्रीय विधेयक का एक हिस््ससा है । कई क्षेत्रीय कार््ययालयोों के साथ जिनेवा मेें इसका मुख््ययालय है
l मानवाधिकारोों से सब
ं ंधित अन््य सधि
ं याँ
अंतर््रराष्ट्रीय मानवतावादी कानून (IHL) और अंतर््रराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून अंतर््रराष्ट्रीय कानून के पूरक निकाय हैैं जो कुछ समान
उद्देश््योों को साझा करते हैैं।
c नरसंहार के अपराध की रोकथाम और सज़़ा पर कन््वेेंशन (वर््ष 1948)
c नस््ललीय भेदभाव के सभी रूपोों के उन््ममूलन पर कन््वेेंशन (वर््ष 1965)
c महिलाओ ं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव के उन््ममूलन पर अभिसमय (वर््ष 1979)
c अत््ययाचार और अन््य क्रू र, अमानवीय या अपमानजनक व््यवहार या सज़़ा के खिलाफ कन््वेेंशन (वर््ष 1984)
c बाल अधिकारोों पर कन््वेेंशन (वर््ष 1989)
c सभी प्रवासी श्रमिकोों और उनके परिवारोों के सदस््योों के अधिकारोों के संरक्षण पर अतं र््रराष्ट्रीय सम््ममेलन (वर््ष 1999)
c जबरन अगआ
ु करने से सभी व््यक्तियोों की सरु क्षा के लिये अतं र््रराष्ट्रीय सम््ममेलन (वर््ष 2006)
c विकलांग व््यक्तियोों के अधिकारोों पर कन््वेेंशन (2006)
c वर््ष 2011 मेें सयं क्त
ु राष्टट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने व््ययापार और मानवाधिकारोों पर मार््गदर््शक सिद््धाांतोों को पारित किया।
12 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

l भारत मेें मानवाधिकारोों से सब


ं ंधित प्रावधान
भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अनुसार, सवि ं धान द्वारा गारंटीकृत व््यक्ति के जीवन, स््वतंत्रता, समानता और सम््ममान से सबं ंधित
अधिकारोों के रूप मेें मानवाधिकार या अंतर््रराष्ट्रीय अनुबंधोों मेें सन््ननिहित तथा भारत मेें अदालतोों द्वारा लागू किये जाने योग््य हैैं।
l भारतीय कानूनोों मेें शामिल मानवाधिकार
c भारतीय संविधान मेें मानवाधिकारोों के कई प्रावधानोों को शामिल किया गया है।
c मौलिक अधिकारोों का भाग III अनच्ु ्छछेद 12 से 35 तक।
l मौलिक मानवाधिकारोों के उल््ललंघन के मामले मेें
c नागरिक अनच्ु ्छछेद 32 के तहत उच््चतम न््ययायालय और अनच्ु ्छछेद 226 के तहत उच््च न््ययायालय जा सकते हैैं।

समता का अधिकार (अनुच््छछेद - 14-18) अधिकार


c अनु.14 - काननू के समक्ष समानता काननोू ों के समान शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनु-23-24)
संरक्षण. c अनु.23 - मानव के दर््व्यया
ु पार और बंधआ ु मज़दरू ी पर रोक
c अनु.15 - धर््म, मल
ू वंश जाति, लिंग, या जन््मस््थथान c अन.ु 24 - जोखिम वाले कामोों मेें बच््चोों से मज़दरू ी करने पर रोक
के आधार पर भेदभाव का निषेध।
धार््ममिक स््वतंत्रता का अधिकार (अनु-25-28)
c अनु.16 - लोक नियोजन के विषय मेें अवसर की
समता. c अनु.25 - आस््थथा और प्रार््थना की आज़ादी

c अनु.17 - अस््पपृश््यता का अतं c अनु.26 - धार््ममिक मामलोों के प्रबंधन

c अनु.18 - उपाधियोों का अतं c अनु.27 - किसी विशिष्ट धर््म की अभिवृद्धि के लिया कर


अदायगी की स््वतंत्रता
स््वतंत्रता का अधिकार (अनु-19-22)
c अनु.28 - कुछ शिक्षा संस््थथाओ ं मेें धार््ममिक शिक्षा या उपासना
c अनु.19 - व््यक्तिगत स््वतंत्रता का अधिकार मेें उपस््थथित होने की स््वतंत्रता
c भाषण और अभिव््यक्ति का अधिकार सांस््ककृतिक एवं शैक्षिक अधिकार (अनु.-29-30 )
c शांतिपर््णू ढंग से जमा होने और सभा करने का c अनु.29 - अल््पसंख््यकोों की भाषा और संस््ककृति के संरक्षण
अधिकार का अधिकार
c सगं ठित होने का अधिकार c अनु.30 - अल््पसख्ं ्यकोों को शैक्षिक सस्ं ्थथाएँ स््थथापित
c भारत मेें कहीीं भी आने-जाने का अधिकार करने का अधिकार
c भारत के किसी भी हिस््ससे मेें रहने या बसने का का संवैधानिक उपचारोों का अधिकार (अनु.- 32) (रिट)
अधिकार सर्वोच््च न््ययायालय (अनु- 32 के तहत) एवं उच््च न््ययायालय (अनु- 226 के तहत)
c कोई भी पेशा चनन
ु े या व््ययापार करने का अधिकार बंदी प्रत््यक्षीकरण- बंदी को न््ययायाधीश के सामने उपस््थथिति (24 घटं े)।
c अनु.20 - अपराधोों के लिये दोषसिद्धि के संबंध मेें परमादेश- क्षेत्र अधिकार मेें कार््य हेतु न््ययायालय द्वारा अधिकारी को आदेश।
संरक्षण का अधिकार
प्रतिषेध- अ​धीनस््थ न््ययायालय को अधिकारिता के अतिक्रमण से रोकने।
c अनु.21 - प्राण की रक्षा और दैहिक स््वतंत्रता का
अधिकार उत्प्रेषण- अ​धीनस््थ न््ययायालय को अ​धिकारिता के उल््ललंघन से रोकने।
अधिकार पच्ृ ्छछा - अवैधानिक रूप से किसी सार््वजनिक पद पर आसीन
c शिक्षा का अधिकार
व््यक्ति के विरुद्ध
c अनु.22 - अभियक्त
ु तों और सजा पाए लोगोों के
13 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

l राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग


c भारत मेें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की स््थथापना वर््ष 1993 मेें की गई थी।
c वर््तमान मेें राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध््यक्ष- न््ययायमूर््तति श्री अरुण मिश्रा ( 2 जनू 2021 से वर््तमान तक)
c राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के प्रथम अध््यक्ष थे- न््ययायमूर््तति श्री रंगनाथ मिश्रा (वर््ष- 1993 से 1996 तक)
c आदर््श वाक््य- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, भारत का आदर््श वाक््य - “सर्वे भवंतु सखि
ु न:”, यानी सभी सख
ु ी हो ।
l छत्तीसगढ़ राज््य मानवाधिकार आयोग- (गठन 16 अप्रैल 2001)
c प्रथम अध््यक्ष - श्री न््ययायमर््तति
ू के .एम.अग्रवाल
c वर््तमान (कार््यवाहक) अध््यक्ष - श्री गिरधारी नायक

यातायात के नियम

l वाहन पार््कििंग पर ध््ययान देें l एक तरफा रोड मेें सावधानी l हाथ के सिग््नल का सही
l ओवरटे क मेें सावधानी बरतेें l लेन और ट्रै क का पालन करेें इस््ततेमाल
l बार-बार होर््न के प्रयोग से बचेें l सरक्षा l वाहन गति पर प्रतिबंध
ु की दृष्टि से यू-टर््न का
पालन
ट्रैफिक सिग्नल
ट्रैफिक सिग््नल के नियम को फॉलो करना वाहन चालकोों के लिए बहुत ही महत््वपूर््ण होता है। यह तीन सक
ं े त तीन अलग-अलग रंगोों
के माध््यम से पता लगाए जा सकते हैैं।
c लाल लाइट : लाल रंग वाले लाइट का संकेत होता है। अगर आपको यह रंग की लाइट दिखाई दे, तो आपको उसी स््थथान पर रुक
जाना है, जहां पर आप की गाड़़ी खड़़ी रही होगी।
c पीली लाइट : पीली लाइट का सिग््नल यदि आपको दिखाई दे तो आप समझते हैैं, कि आप को चलने के लिए तैयार हो जाना है। जिस
प्रकार से लाल लाइट रुकने का संकेत देती है उसी प्रकार से पीली लाइट चलने के लिए वाहन चालकोों को तैयार होने का संकेत देती है।
c ं े त : जिस प्रकार से पीली लाइट आपको आगे चलने के लिए तैयार होने का सक
हरी लाइट का सक ं े त देती है, उसी प्रकार से हारी
लाइट जलने पर आपको आगे जाने की अनमु ति प्रदान कर देती है।
14 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

यातायात के आवश््यक नियम


1. एम््बबुलेेंस को पहले रास््तता दे। के लिए ही होते हैैं।
2. बहुत ज््ययादा और लगातार हॉर््न का उपयोग न करेें। 8. वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात न करेें।
3. गति सीमा मेें चलना (Follow Speed Control) 9. पैदल चलने वाले व््यक्तियोों के लिए जेबरा क्रॉसिगं पर थोड़़े समय इतं जार
4. चौराहे, य-ु टर््न, भीड़भाड़ क्षेत्र मेें गाड़़ी धीमी गति से ही चलाये करेें ताकि वे अपने पैदल यात्रा को सरु क्षित रूप से परू ा कर सकेें ।
5. यातायात सिग््नल को फालो करना (Follow Traffic Signal) 10. वाहन चलाते समय वाहन चालक को किसी भी प्रकार का नशा
जैसे : शराब, सिगरे ट, बीड़़ी आदि नहीीं करना चाहिए, ऐसा करने से
6. ओवरटेक से बचे (Avoid Overtake the vehicle) आप खदु को एवं अन््य वाहन चालक को दर््घु टनाग्रस््त कर सकते हैैं।
7. सीट बेल््ट, हेलमेट का उपयोग जरुर करेें, ये सभी चीजे हमारी सरु क्षा

हेलमेट के प्रकार एवं उनसे मिलने वाली सुरक्षा


l फुल फेस (पूर््ण सरक्षा
ु )
l ओपन फेस (चेहरा व ठोड़़ी असरक्षि
ु त)
l मॉड्यूलर (पूर््ण सरक्षा
ु )
l ट्रॉपिकल (आंशिक सरक्षा
ु )

HELMET का तात््पर््य:-
H-Head (सिर) E-Ear (कान) L-Lips ( होठ)
E-Eye (आँख ) T-Tooth (दांत)
हेलमेट लगाने से ये सभी अंग को सरक्षा
ु प्राप्त होता है। अत: बिना हेलमेट दोपहिया वाहन न चलाये

पार््कििंग के प्रकार
पार््कििंग के तरिका के आधार पर 2 प्रकार है।
l 1. On road parkining (ऑन रोड पार््कििंग)
ऑन रोड पार््कििंग वाहन पार््क करने हेतु सड़क के किनारे खीची रेखा के बाहर या पार््क करने हेतु खीची - गई रेखा पर पार््कििंग करना।
इसके पाँच प्रकार है।
1- Parallel parking - (समानांतर पार््कििंग) - सड़क के किनारे वाहनोों को समान््तर क्रमशः एक दसू रे वाहन के पीछे खड़़ा कर
रखते है।
2-Angular parking (कोणीय पार््कििंग) - सड़क के किनारे वाहनोों को क्रमशः एक दसू रे वाहन के अगल बगल 45 अश
ं का कोण
बनाते हुए खड़़ा कर रखते है।
3. Perpendicucular parking (खड़़ी पार््कििंग) - सड़क के किनारे वाहनोों को क्रमश: एक दसू रे वाहन के अगल बगल 90 अश

का कोण बनाते हुए खड़़ा कर रखते है।
4. Basement parking (तलघर पार््कििंग) - बड़़ी रहवासी इमारते, मॉल व काम््प्ललेक््स जहाँ वाहन खड़़ा करने हेतु इन भवन के नीचे
पार््कििंग स््थल बनाकर वाहन पार््क किया जाता है।
15 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

5. Storrage parking (बहुमंजिली पार््कििंग) - बड़़ी रहवासी जहाँ वाहन खड़ा करने हेतु लिफ््ट व अन््य सविध
ु ा बनाकर वाहन पार््क
किया जाता है।
l 2. Off road parking
1. Ground parking - सड़क से दरु पृथक पार््कििंग स््थल बनाकर वाहन आने जाने का रास््तताछोड़ते हुए व््यवस््थथित खड़़ा कर रखते है।
2. Golden hour - दर््घु टना मेें घायलोों को उचित उपचार हेतु घायल को दर््घु टना के 01 घण््टटा के अन््दर उचित उपचार मिलने पर मौत
से बचाव व गंभीर चोट मेें से होने वाली हानी से बचा सकते है। इस 01 घण््टटा के समय को महत््वपर््णू मानते हुए गोल््डन ऑवर कहा
जाता है।

FASTAG
टोल प््ललाजाओ ं पर टोल कलेक््शन सिस््टम से होने वाली परेशानियोों का हल निकालने के लिए राष्ट्रीय हाइवेज अथॉरिटी ऑफ
इडि
ं या द्वारा भारत मेें इलेक्ट्रानिक टोल कलेक््शन सिस््टम शुरू किया गया है। फास््टटैग की मदद से वाहन चालक टोल प््ललाजा मेें बिना
रुके अपना टोल टे क््स दे सकेें गेें जिसके लिए वाहन चालक को अपने वाहन पर फास््टटैग लगाना होगा । इस सिस््टम से समय इधं न की
बचत एवं जाम से मुक्ति मिलेगी।

यातायात चिन््ह
क्रमांक यातायात का चिन््ह चिन््ह का नाम चिन््ह का अर््थ
1 एक तरफा ट्रैफिक यदि आपको वाहन चलाते समय इस प्रकार का चिन््ह
दिखाई दे रहा है तो मतलब आप समझ जाइए कि गलत
साइड से वाहन चलाना दडं नीय अपराध हो सकता है।
2 एक तरफा ट्रैफिक इस चिन््ह का भी मतलब आप गलत
साइड मेें वाहन चला नहीीं सकते हैैं।

3 दोनोों दिशा मेें वाहन यातायात के इस चिन््ह का मतलब होता है कि


चलाना वर््जजित है। दोनोों तरफ से आवागमन वर््जजित है।
16 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

क्रमांक यातायात का चिन््ह चिन््ह का नाम चिन््ह का अर््थ


4 बाएँ हाथ मेें यदि आपको यह चिन््ह दिखाई दे तो आप
नहीीं मुड़ना है। समझ ले कि आप के बाएं हाथ के तरफ
वाहन चलाना परू ी तरह वर््जजित है।
5 दाएँ हाथ मेें यदि आपको यह चिन््ह नजर आता है तो आप
नहीीं मुड़ना है। समझ ले कि दाएं हाथ की तरफ वाहन को
चलाना वर््जजित किया गया है।
6 नो ओवरटेकिंग यदि आपको यह चिन््ह दिखाई दे तो आप समझ ले कि
किसी भी वाहन को ओवरटेक करके आगे नहीीं
जा सकते हैैं।
7 नो पार््कििंग यदि चालक को यह चिन््ह दिखाई देता है तो इसका
मतलब होता है कि किसी भी क्षेत्र मेें
पार््कििंग करना बिल््ककुल भी अलाउड नहीीं है।
8 नो स््टटॉपिंग इस चिन््ह का मतलब है कि चलते वाहन
को उस क्षेत्र के अतं र््गत रोकने की अनमु ति नहीीं है।

9 यू–टर््न इस चिन््ह का मतलब होता है कोई भी वाहन


चालक किसी भी वाहन को वापस यटू न नहीीं ले सकता है।

10 ट्रक वर््जजित हैैं। यदि यह चिन््ह आपको यातायात मार््ग मेें नजर आए तो
आप समझ ले कि इस क्षेत्र मेें ट्रक को चलाना परू ी
तरह से बाधित किया गया है।
11 साइकिल वर््जजित हैैं। निशान का मतलब होता है कि उस क्षेत्र के
यातायात मार््ग पर आपको साइकिल चलाना वर््जजित है।

12 बैल गाड़ी, तांगा या इस प्रकार के चिन््ह का मतलब होता है किसी भी प्रकार के
हाथ गाड़ी वर््जजित हैैं। हाथ गाड़़ी जैसे कि बैलगाड़़ी, टांगा या फिर
रिक््शशा चलाना अलाउड नहीीं है।
13 पैदल चलने वाले मार््ग पर पैदल चलने वालोों को यदि यह चिन््ह नजर
व््यक्ति वर््जजित हैैं। आता है तो आप समझ ले कि पैदल चलने वालोों लोगोों
के लिए यह मार््ग परू ी तरह से बाधित है।
14 सभी मोटर वाहन इस चीज का अर््थ होता है कि किसी भी प्रकार के
वर््जजित हैैं। मोटर वाहनोों को इस क्षेत्र के अतं र््गत आने जाने
की अनमु ति नहीीं है।
17 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे


राष्ट्रीय सरक्षा
ु (National security) से आशय देश की सरक्षा ु से है, जिसके अन््तर््गत नागरिकोों की सरक्षा
ु , अर््थव््यवस््थथा की सरक्षा

तथा सस्ं ्थथाओ ं की सरक्षा
ु सम््ममिलित हैैं। राष्ट्रीय की सरक्षा
ु को सरकार का कर््तव््य समझा जाता है। मुख््य रूप से राष्ट्रीय सरक्षाु को देश
पर होने वाले बाहरी आक्रमण को लेकर देखा जाता रहा है। हालांकि इसमेें युद्ध से सरक्षा ु के अलावा देश को आतंकवाद से बचाना,
अपराध को कम करना, आर््थथिक सरक्षाु , ऊर््जजा सरक्षा
ु , पर््ययावरण सरक्षा
ु , खाद्य सरक्षा
ु और कंप््ययूटर सरक्षाु भी शामिल है।

मुख््य चुनौतियां
1. भीतरी प्रदेशोों मेें फै लता आतंकवाद 2. जम््ममू-कश््ममीर मेें उग्रवाद
3. पर्ू वोत्तर राज््योों मेें विद्रोह 4. वामपंथी उग्रवाद
5. संगठित अपराध और आतंकवाद के साथ इनका गठजोड़ 6. सांप्रदायिकता
7. जातीय तनाव 8. क्षेत्रवाद एवं अतं र-राज््य विवाद
9. साइबर अपराध एवं साइबर सरु क्षा 10. सीमा प्रबंधन
11. तटीय सरु क्षा

l आंतरिक सरक्षा
ु की समस््यया के लिए जिम््ममेवार कारक -
1. शत्रु पड़ोसी 6. गरीबी
2. बेरोजगारी 7. असमान व असतं लु ित विकास
3. अमीरी-गरीबी के मध््य बढ़ती खाई 8. प्रशासनिक मोर्चचों पर विफलता या सश
ु ासन का अभाव.
4. सांप्रदायिक वैमनस््य मेें वृद्धि 9. जातिगत जागरुकता और जातीय तनाव मेें वृद्धि
5. सांप्रदायिक, जातीय, भाषायी या अन््य विभाजनकारी 10. कठिन भभू ाग वाली खल
ु ी सीमाएं
मापदडों ों पर आधारित विवादास््पद राजनीति का उदय

भारत की बाह्य सुरक्षा को चुनौतियां


1. पड़ोसी देशोों से चुनौतियां
2. मध््य-पूर््व की घटनाएं
3. समुद्री सरक्षा

4. साइबर स््पपेस से खतरा
5. दुर््लभ सस
ं ाधनोों जैसे ऊर््जजा और सामरिक खनिज हेतु प्रतिस््पर््धधा का गहराना
18 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

भारत की सुरक्षा एजेेंसियां


1.के द्रीय जांच ब््ययूरो (Central Bureau of Investigation)
c CBI का परू ा नाम Central Bureau of Investigation होता है, जिसे हिदं ी मेें के द्रीय जांच ब््यरयू ो के नाम से जाना जाता है।
c सीबीआई की स््थथापना 1963 मेें हुई थी ।
c यह परू े भारत की जांच एजेसी है, देश और विदेश स््तर पर होने वाले अपराधोों जैसे हत््यया, घोटालोों और अष्टाचार के मामलो
और राष्ट्रीय हितोों से संबंधित अपराधोों की भारत सरकार की तरफ से जांच करती है।
2. इटं े लिजेेंस ब््ययूरो (Intelligence Bureau)
c आसचनू ा ब््यरयू ो या इटं ेलिजेेंस ब््यरयू ो, भारत की आन््तरिक खफिय
ु ा एजेन््ससी हैैं और ख््ययात रूप से दनु िया की सबसे परु ानी
खफिय
ु ा एजेें स ी है
, इसे प्रायः ‘आईबी(IB)’ कहा जाता है

c इसका गठन 1887 ई मेें किया गया था इसे 1947 मेें गृह मत्ं रालय के अधीन के न्द्रीय खफिय ु ा ब््यरयू ो के रूप मेें पनर््ननिर््ममि
ु त
किया गया।
c भारत के अदं र से सरु क्षा संबंधी गप्तु जानकारियां प्राप्त करना।
3. रिसर््च एडं एनालिसिस विंग (RAW)
c रिसर््च एडं एनालिसिस विंग(RAW) भारत की अतं र््रराष्ट्रीय गप्तु चर संस््थथा है।
c इसका गठन सितंबर 1968 मेें किया गया था
c रॉ का मख्ु ्य कार््य जानकारी इकट्ठा करना, आतंकवाद को रोकना व गप्तु ऑपरे शनोों को अजं ाम देना है।
c यह विदेशी सरकारोों कंपनियोों व इसं ानोों से मिली जानकारी पर कार््य करना है, ताकि भारतीय नीति निर््ममाताओ ं को
सलाह दी जा सके ।
c रॉ का मख्ु ्ययालय नई दिल््लली मेें है
4. नेशनल इन््ववेस््टटिगेशन एजेेंसी (NIA))
c नैशनल इन््ववेसिटगेशन एजेेंसी (एनआईए) का गठन 2008 के मबंु ई हमलोों के बाद हुआ।
c यह एजेेंसी आतंकवाद से संबंधित मामलोों को हैैंडल करती है।
c आतंकी हमलोों की घटनाओ,ं आतंकवाद को धन उपलब््ध कराने एवं अन््य आतंक सबं ंधित अपराधोों का अन््ववेषण के लिए
एनआईए का गठन किया गया ।

5. नेशनल टेक््ननिकल रिसर््च ऑर््गनाइजेशन (NTRO)


c साल 2004 मेें टेक््ननिकल इटं ेलिजेेंस एजेेंसी का गठन हुआ था।
c यह अन््य एजेेंसियोों को खफिय
ु ा जानकारी महु यै ा कराती है और देश-विदेश मेें खफिय
ु ा सचन
ू ाएं एकत्रित करने मेें
समन््वय करती है।
c 2014 मेें इसने आईसीजी को खफिय ु ा जानकारी दी थी जिसकी मदद से 2014 मेें नए साल की पर््वू सध्ं ्यया पर
पाकिस््ततानी जहाज को उड़़ाने मेें मदद मिली थी। यह इसका एक अहम ऑपरे शन था।
6. नारकोटिक््स कंट्रोल ब््ययूरो (NCB)
c एनसीबी का गठन 1986 मेें हुआ था।
c एनसीबी भारत मेें मादक पदार्थथों की तस््करी और इसके दरुु पयोग को रोकने के लिए काम करती है।
19 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

c इसने ऑपरे शनोों मेें बीएसएफ पंजाब बॉर््डर के साथ समन््वय, बीएसएफ/आर्मी भारत-म््ययाांमार सीमा पर ऑपरे शनोों मेें अहम
भमि
ू का निभाई।

7. डिफेें स इटं े लिजेेंस एजेेंसी (DIA)


c DIA का गठन 2002 मेें किया गया था।
c यह देश-विदेश मेें डिफेें स से जड़ु ़ी खफिय
ु ा जानकारी जटु ाने का काम करती है।
c यह सिविल इटं ेलिजेेंस एजेेंसियोों पर सशस्त्र बलोों की निर््भरता को कम करती है।
c डायरे क््टटोरे ट ऑफ सिगनल््स इटं ेलिजेेंस, डिफेें स इमेज प्रोसेसिंग ऐडं अनैलिसिस सेेंटर और डिफेें स इन््फर्मेशन वारफे यर इसके
नियंत्रण मेें हैैं।

8. डायरेक््टटोरेट ऑफ एयर इटं े लिजेेंस


c यह वायु सेना से संबंधित इटं ेलिजेेंस एजेेंसी है।
c इसने 1965 और 1971 के भारत-पाक यद्ध
ु मेें अहम भमि
ू का निभाई थी।
c यह देश के आतं रिक और सीमा से सटे इलाकोों की निगरानी करती है।
c एयरस््पपेस एरिया पर नजर रखने के लिए यह इटं ेलिजेेंस एजेेंसी अवाक््स और ड्रोन््स का इस््ततेमाल करती है।
9. डायरेक््टटोरेट ऑफ नेवल इटं े लिजेेंस
c यह भारतीय नौसेना का खफिय
ु ा अगं है जो सामद्रि
ु क क्षेत्र मेें सचन
ू ाएं एकत्रित करने का काम करती है।
c कराची बंदरगाह पर बमवारी मेें इसने अहम भमि
ू का निभाई थी।

10. डायरेक््टटोरेट ऑफ मिलिट्री इटं े लिजेेंस


c यह भारतीय थल सेना की इटं ेलिजेेंस विंग है।
c इसका गठन 1941 मेें किया गया था।
c आजादी के बाद इसे सेना मेें भ्रष्टाचार की जांच का अधिकार दिया गया।
c एजेेंसी ने कारगिल यद्ध
ु मेें अहम भमि
ू का निभाई।

11. जॉइटं साइबर ब््ययूरो (जेसीबी)


c जेसीबी गठन 2002 मेें किया गया था।
c यह सिगनल अनैलिसिस और क्रिप््टअनैलिसिस को हैैंडल करती है।
c यह सवं ेदनशील डेटा का इन्क्रिप््शन करती है।
c इसकी जिम््ममेदारी साइबर क्राइम से संबंधित मामलोों को हैैंडल करने की है।
20 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

प्रदूषण एवं जलवायु परिवर््तन


पर््ययावरण प्रदूषण

l पर््ययावरणीय प्रदूषण
c वायु प्रदषू ण, जल प्रदषू ण, मृदा प्रदषू ण, नाभिकीय प्रदषू ण, समद्री
ु प्रदषू ण, ध््वनि प्रदषू ण, तापीय प्रदषू ण
l प्रदूषण के कारक तथा नियंत्रण के उपाय
c एक स््वस््थ एवं सन््ततुलित पर््ययावरण मेें बाहरी, अवांछित तत््वोों के द्वारा उत््पन््न असतलन
ु की दशा को पर््ययावरण प्रदषू ण कहते हैैं,
जिसमेें जीव-जन््ततुओ ं एवं मानव के लिए जीवन की अनक ु ू ल दशाएँ घटती जाती हैैं।
c प्रदूषण (Pollution) का शाब््ददिक अर््थ है– सामान््य शब््दोों मेें प्रदषू ण पर््ययावरण के जैविक तथा अजैविक तत््वोों के रसायनिक,
भौतिक तथा जैविक गणोु ों मेें होने वाला एक अवांछनीय परिवर््तन है.
c मानवीय क्रियाओ ं के दौरान उपयोगिता (Used) एवं उपयोग करने के उपरान््त छोड़़ा गया अपशिष्ट, प्रदषू क (Pollutant) कहलाता
है। प्रदषू कोों की प्रकृ ति समय के साथ परिवर््ततित होती रहती है।
l प्रदूषक (प्रदूषक)
c उत््पत्ति का स्रोत : प्राकृ तिक प्रदषू क, मानव निर््ममित प्रदषू क

प्रदुषण तथा उनका प्रभाव


l 1. वायु प्रदूषण l
औद्योगीकरण व विकास की चहुमुखी दौड़ मेें वायुमंडल की परत, जिनमेें जीव-जन््ततु श्वसन करते हैैं तथा जिनसे अन््य
क्रियाकलाप भी करते हैैं, मेें कई हानिकारक परिवर््तन होते हैैं, इन््हेें ही वायु प्रदूषण कहते हैैं।
l वायु प्रदूषण के कारण :
c वायु प्रदूषण के स्रोतोों को दो भागोों मेें विभक्त किया जा सकता है-
21 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

1. प्राकृतिक कारण
c आधं ी-तफ
ू ान के समय उड़ती हुई धल
ू , ज््ववालामख
ु ी से निकली राख, वनोों मेें लगी आग, दलदल व कीचड़
c भरे क्षेत्ररों मेें होने वाली जैविक व रसायनिक क्रियाएं . फसलोों से उत््पपादित परागकणोों.
c वनाग््ननि से - कार््बनमोनोऑक््ससाइड, कार््बनडाईऑक््ससाइड - एवं राख के कण ।
c ज््ववालामुखी उद्गार से - सल््फर डाईऑक््ससाइड, हाइड्रोजन सल््फफाइड।
c पेड़-पौधोों की दैहिक क्रियाओ ं से- अमोनिया नाइट्रोजन के ऑक््ससाइड (NO2), मिथेन एवं CO2 ।
c वायमु डं लीय रासायनिक क्रियाओ ं द्वारा अम््ल तथा महासागरीय जीव-जन््ततुओ ं से मिथाइलक््ललोराइड द्वारा ।
2. मानवीय कारण
c दहन, चिमनी से निकले अपशिष्ट, आण््वविक विस््फफोट, भौतिक साधन, कृ षि कार््य, विलायकोों का प्रयोग, अन््य स्रोत
(1) मानवीयकारण : मानवीय स्रोतोों से होने वाले प्रदषू ण
c दहन : मानव के हर क्रियाकलाप मेें ऊर््जजा की आवश््यकता होती है जो किसी-न-किसी ईधन ं से प्राप्त होती है.
ईधन दहन से अनेक गैसेें तथा पदार््थ उत््पन््न होकर वायु प्रदूषित करते हैैं। मानव की निम््न क्रियाओ ं से दहन
प्रक्रम मेें प्रदूषण फैलता है-
ं : जीवाश््ममीय-ईधन
(i) घरेलू कार्ययों मेें ईधन ं के दहन से कार््बन मोनोऑक््ससाइड (CO), कार््बन-डाई ऑक््ससाइड (CO2),
सल््फर -डाईऑक््ससाइड (SO2), आदि गैसेें उत््पन््न होती हैैं, जो वायु को प्रदषि
ू त करती हैैं।
(ii) ताप विद्युत गृहोों मेें दहन : ताप विद्तयु गृहोों मेें ताप प्राप्ति के लिए कई टन कोयला जलाया जाता है जिसके
फलस््वरूप सल््फर डाई-ऑक््ससाइड, कालिख, कोलाइडी राख आदि अपशिष्ट पदार््थ हवा मेें छोड़ दिए जाते है.
(iii) वाहनोों मेें दहन : परिवहन के सभी साधनोों जैसे डीजल या पेट्रोल से चलने वाले वाहनोों के प्रयोग के बाद इनके
निर््ववात पाइप से निकलने वाले धएु ँ मेें से सक्षू ष्म कार््बन कण, नाइट्रोजन ऑक््ससाइड व परॉक््ससाइड गैसेें, कार््बन
मोनोऑक््ससाइड आदि होती हैैं। पेट्रोल मेें लेड (Lead) है, तो वह भी एक बड़़ा प्रदषू क है।
(2) उद्योगोों की चिमनी से निकलने वाले अपशिष्ट पदार््थ : औद्योगीकरण से निकलने वाले धएु ँ से इस प्रकार की हानिकारक
गैसेें, हाइड्रोकार््बन अपशिष्ट अन््य हानिकारक पदार््थ, नियमित रूप से वायु मेें मिलकर प्रदषू ण फै लाते हैैं। उदाहरण स््वरुप भोपाल के
कारखाने से निकली मिसाइल आइसोसाइनेट गैस से 2 व 3 दिसम््बर, 1984 मेें भीषण दर््घु टना हुई जो आज भी अपने दष्पु प्रभाव की
झलक प्रस््ततुत करता है।
(3) आण््वविक विस््फफोटोों से : आधनु िक काल मेें परमाणु विस््फफोटोों से वायु मेें हानिकारक रसायन व धल ू कण आदि मिलकर
प्रदषि
ू त करते हैैं।
(4) भौतिक साधनोों से : फ्रीज, एयर कंडीशनरोों आदि मेें प्रशीतकोों मेें प्रयक्त
ु क््ललोरोफ््ललोरो कार््बन जो वायु मेें मिलकर धीरे -धीरे
ओजोन परत का नाश करते हैैं।
(5) कृषि कार्ययों द्वारा : कृ षि कार्ययों मेें विषैले कीटनाशकोों जैसे डी.डी.टी. तथा बी.एच.सी. के प्रयोग से कुछ हानिकारक पदार््थ
वायु मेें मिलकर वायु को जहरीला बना देते हैैं।
(6) विलायकोों का प्रयोग : फर्नीचरोों की पॉलिश, स्प्रे पेन््ट आदि मेें कार््बनिक विलायकोों (जैसे :-थीनर ) का प्रयोग जो कम ताप
पर वाष््पपित होने वाले द्रव हाइड्रोकार््बन होते हैैं जिसके उपयोग के समय ये वाष््पपित होकर, वायु मेें मिलकर, उसे प्रदषि
ू त करते हैैं।
(7) अन््य स्रोत : मरे हुए पश,ु सड़ी-गली वस््ततुए,ँ प्रसाधनोों द्वारा गंदे नाले, चर््मशोधक कारखाने, पटाखोों, डिस््टलरीज आदि से जो
दर््गु न््धयक्त
ु गैसेें निकलती हैैं, वे भी वायु प्रदषू ण के उदाहरण हैैं।
22 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

l नियंत्रण के उपाय
वायु प्रदूषण को पूर््णतः समाप्त तो नहीीं किंतु कम व नियंत्रित अवश््य किया जा सकता है। इसमेें प्रत््ययेक नागरिक का योगदान
आवश््यक है।
c ईधन
ं के रूप मेें गैस पारम््परिक स्रोत; जैसे-गोबर गैस, बायोगैस, प्राकृ तिक गैस, LPG आदि अपना कर ।
c वनोों को सरु क्षित रखकर व वृक्षारोपण करके सिगरे ट (तम््बबाकू) को प्रतिबंधित किया जाना चाहिये ।
c वाहनोों का विवेकपर््णू उपयोग व उनके इजं न की नियमित रूप से जाँच करवाकर यह तय करना कि ईधन ं परू ा जल रहा है अथवा नहीीं
c बिना लेड का पेट्रोल उपयोग मेें लाकर
c सिगरे ट (तंबाकू) को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए
c उद्योगो मेें फिल््टर का उपयोग किया जाना चाहिए
c वृक्षारोपण मेें वृद्धि की जानी चाहिए
c फसलोों के अपशिष्टटों का समचि ु त तरीके से प्रबंधन
l मुख््य वायु प्रदूषक

क्रं. प्रदूषक प्रमुख स्रोत प्रभाव टिप््पणी

1. मीथेन आद्र भमि


ू , धान के ग्रीन हाउस प्रभाव मेें योगदान मानव जनित उत््पपादन पर नियंत्रण
खेत, जंतु अपशिष्ट किया जाना चाहिये

2. नाइट्रोजन मोटर वाहनोों और बच््चोों मेें साँस के तीव्र रोगोों के मख्ु ्यतः यौगिक है। अलग- अलग
ऑक््ससाइड भट्टियोों मेें ईधन
ं का सक्र
ं मण और नजले की शिकायत प्रदषू को की आपसी क्रिया
जलना, जगं ल की आग। बढ़ती हैैं। शहर की वायु मेें तांबई धधंु प्रतिक्रियाओ ं से बनता है। ओजोन
भरता है। जगं पैदा करता है। प्राकृ तिक है और वातावरण के
ऊपरी भाग का एक प्रमख ु अगं है।

3. ऑक््ससीडेेंट मोटर वाहनोों से उगला जाता आखो ं ों मेें जलन पैदा करता है और
और ओजोन है। नाइट्रोजन ऑक््ससाइड और रोगियोों के फे फड़ों को बेकार कर
प्रतिक्रियाशील हाइड्रो-कार््बन देता है। चीजोों को जर््जर करता है।
की प्रकाश रासायनिक दृश््यमानता घटाता है। ओजोन पौधोों
प्रतिक्रिया के फलस््वरूप है। के लिए बड़़ा घातक एवं विषैला
प्रदषू ण है।

4. कार््बन डाई- गरम करने, या ऊर््जजा उत््पपादन लोगोों पर सीधा प्रभाव नहीीं पड़ता। वातावरण का सामान््य अगं है।
ऑक््ससाइड के लिए ईधन
ं के लिए दहन। कालांतर मेें पृथ््ववी का तापमान पेड़ों के लिए अत््ययावश््यक है।
बढ़ सकता है।

5. कार््बन मोनो- ईधन


ं का अधरू ा दहन ऑक््ससीजन के ऊतक घटाता है। प्राकृ तिक स्त्रोतोों पर योगदान कम।
ऑक््ससाइड (जैसे- मोटर वाहन) । सांस के रोगियोों पर विशेष प्रभाव। मानव शरीर पर यातायात के धएु ँ
से भी ज््ययादा बरु ा प्रभाव धम्रू पान
का पड़ता है।
23 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

6. सल््फर डाई गंधयक्त


ु ईधन
ं का जलना, धएु ँ के साथ मिलकर ज््ययादा रासायनिक दृष्टि से
ऑक््ससाइड जैसे- कोयला व तेल। खतरनाक होता है। सांस की बीमारी अत््यधिक विविधत वाला
को बढ़़ाता है। दम घटु ना, गले मेें पदार््थ है।
खराश और आँखोों मेें जलन पैदा
होती है। यह वातावरण मेें उपस््थथित
पानी की भाप मेें मिलकर अम््ललीय वर््षषा
(Acid Rain) |पैदा करता है। अन््न की
उपज घटाता है। मिट्टी और जलाशयोों
मेें एसिड पैदा करता है। इमारतोों को
जर््जर बना देता है।

7. वोलाटाइल कार््बन यक्त


ु ईधन
ं का आशिक दसू रे प्रदषू कोों के साथ मिलकर आख ं
हाइड्रोकार््बन््स जलना, औद्योगिक प्रक्रियाएँ, के जलन पैदा करता है। इथलीन पौधोों के
ठोस अवशेषोों का विसर््जन । लिए खराब है। वायु विलय कण
दृश््यमानता को घटाते हैैं। दर््गु न््ध भी
फै ला सकते हैैं।

8. सस्ं ्पेेंड पार््टटिकुलेट घरोों, उद्योगोों और वाहनोों विशेष मिश्रण के अनसु ार जहरीला प्रभाव इसके दो अगं हैैं-नाइट्रोजन
मैटर (SPM) का धआ ु ँ धल ू भरी आधं ी, अलग-अलग होता है। सल््फर डाई- ऑक््ससाइड और नाइट्रोजन डाई
भकू म््पपीय विस््फफोट, समद्री
ु ऑक््ससाइड का प्रभाव बढ़ता है। धपू कम ऑक््ससाइड ।
बौछार, इसके प्राकृ तिक करता है, धधंु छाती है और जंग बढ़ती है।
स्रोत है।

l 2. जल प्रदूषण l
c जल मेें किसी भी प्रकार के अवांछनीय, गैसीय, द्रवीय या ठोस पदार्थथों का मिलना, जल प्रदूषण कहलाता है।

l जल प्रदूषण के कारण
c जल प्रदषू ण भी प्राकृ तिक व मानव जनित, दोनोों ही कारणोों से होता है।

l जल प्रदूषण के प्राकृतिक कारण


c जंगलोों मेें पड़़ा जैविक कचरा, जैसे-सख
ू ी पत्तियाँ, लकड़ियाँ, मरे हुए जीव-जन््ततुओ ं के अवशेष आदि वर््षषा द्वारा बहकर
जलाशयोों मेें मिल जाते हैैं।
c इस तरह कुछ विषैले तत्तत्व, जैसे- पारा (Hg), आर्सेनिक (As), सीसा (Pb), कै डमियम (Cd) आदि जल मेें घल
ु -मिलकर
उसे हानिकारक बनाते हैैं।
c बहते हुए जल मेें, खनिज व खानोों के बाहर पड़़े पदार््थ मिल जाते हैैं व जलाशयोों मेें पहुचँ जाते हैैं।
c जल प्रदषू ण के कारण प्राकृ तिक कारण नियंत्रण के उपाय मानव जनित कारण नियंत्रण के उपाय
24 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

l जल प्रदूषण के मानव जनित स्रोत


c मृत पशओ
ु ं आदि को जल मेें निस््ततारित करना ।
c अज्ञानतावश नदियोों, तालाबोों मेें नहाना तथा मल-मत्रू त््ययाग द्वारा ।
c उद्योगोों से निकलने वाला बहिस्रावोों को सीधे ही जलाशयोों आदि मेें छोड़ने से।
c घरे लू व सार््वजनिक शौचालयोों का बहिस्राव, जल-मल आदि का जल मेें मिलना।
c कृ षि कार्ययों मेें उपयोग के लिए खाद व कीटनाशकोों के बचे हुए भागोों का बहकर जल मेें मिलाना।
c कपड़़े धोना आदि से अपमार््जक व साबनु जल मेें मिलकर जल को स््थथाई रूप से नक
ु सान पहुचँ ाते हैैं।

l जल प्रदूषण नियंत्रक के उपाय


c कुछ ऐसे निम््न उपाय हैैं, जिनसे जल को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है अथवा जल प्रदूषण कम हो सकता है।
c खनन क्षेत्र व औद्योगिक क्षेत्र आवासीय बस््ततियोों से दरू ी पर होों।
c कृ षि कार्ययों मेें कम-से-कम कीटनाशक व कृ मिनाशक दवाइयाँ मिलायी जाए।
c पेयजल के स्रोत के चारोों तरफ कोई सीमा या दीवार बनाकर उसमेें ठोस अपशिष्ट पदार्थथों का मिलना रोका जाए।
c घरे लू प्रयक्त
ु जल को सीधे जलाशयोों मेें न मिलने दिया जाए।
c सीवरे ज व गटर के जल को अलग नालियोों द्वारा एक ही जगह एकत्रित कर सीवरे ज उपचार सयंत्ररों द्वारा इसे उपचार के
बाद ही कृ षि आदि कार्ययों मेें लिया जाए।
c अपशिष्ट पदार्थथों का जलाशयोों मेें निस््ततारण नहीीं किया जाए।
c मरे हुए पश-ु पक्षियोों को किसी जलाशय मेें विसर््जजित न करेें।
c जलाशयोों मेें नहाना, कपड़़े धोना, मल-मत्रू त््ययाग आदि न किया जाए।
c पशओ
ु ं को जलाशयोों मेें नहीीं नहलाया जाए।
c ट्रकोों, ट्रैक््टरोों आदि की धल
ु ाई जलाशयोों मेें न की जाए।
c औद्योगिक अपशिष्टटों को बिना उपचार पानी मेें न बहाया जाए।
c प्रदषू ण के कारणोों व रोकने के उपायोों से जनसाधारण को अवगत करवाया जाए।

l बायोलॉजिकल ऑक््ससीजन डिमांड


c ऑक््ससीजन की वह मात्रा जो जल मेें कार््बनिक पदार्थथों के जैव रासायनिक अपघटन के लिये आवश््यक होती
है, वह BOD कहलाती है।
जल प्रदषू ण की मात्रा को BOD के माध््यम से मापा जाता है। परंतु BOD के माध््यम से के वल जैव अपघटक का पता
c
चलता है साथ ही यह बहुत लंबी प्रक्रिया है। इसलिये BOD को प्रदषू ण मापन मेें प्रयोग नहीीं किया जाता है।

l रासायनिक ऑक््ससीजन मांग (CHEMICAL OXYGEN DEMAND):


c यह जल मेें ऑक््ससीजन की वह मात्रा है जो उपस््थथित कुल कार््बनिक पदार्थो (घुलनशील अथवा अघुलनशील)
के ऑक््ससीकरण के लिये आवश््यक होती है। यह जल प्रदूषण के मापन के लिये बेहतर विकल््प है।
25 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

l 3. मृदा प्रदूषण l
भूमि की सबसे ऊपरी सतह मृदा (Soil) है. मिट्टी मेें जैविक व धात््वविक, दोनोों पदार््थ होते हैैं। एक अच््छछी मिट्टी मेें आवश््यक 16 तत््वोों मेें से
लगभग 13 तत््व मिल जाते हैैं। इन तत््वोों मेें से किसी की भी सान्दद्रता मेें कमी या वद्धि
ृ हो तो वह मृदा प्रदुषण कहलाता है।

l मृदा प्रदूषण के कारण : मृदा प्रदूषण के निम््न कारण हैैं


c (i) उद्योगोों से निकले धएु ,ँ अपशिष्ट जिन््हेें भमि
ू पर बहा दिया जाता है; जैसे-धातएु ,ँ धात-ु ऑक््ससाइड, क्षार अम््ल, रंजक पदार््थ,
कीटनाशक आदि।
c (ii) खनन उद्योगोों द्वारा, सड़केें बनने की प्रक्रिया मेें।
c (iv) शहरीकरण व बड़़ी-बड़़ी इमारतोों के बनने मेें।
c (v) मृदा अपरदन, बड़़े-बड़़े बांधोों के बनने से ।
c (vii) कृ षि मेें अधिक मात्रा मेें रासायनिक खाद एवं कीटनाशक डालने से।
c (viii) कई भागोों मेें भमि
ू गत जल लवणयक्त ु या खरा होता है, जिससे सिचं ाई करने मेें ऊपरी मिट्टी अनपु जाऊ हो जाती है।
c (ix) प््ललास््टटिक बोतलेें, कांच, कपड़़ा, ऊन, लोहे के टुकड़़े, बगीचे का कचरा, बचा हुआ खाना , शहरी कचरा ट्रकोों से दरू किसी
भ-ू भाग मेें या कम गहरी जमीन पर डाल दिया जाता है, जो मृदा प्रदषू ण का कारण बनता है.

l मृदा प्रदूषण नियंत्रण के उपाय


मदृ ा को स््वच््छ, उपजाऊ और सभी पोषक तत््वोों से यक्त ु रखना व अपद्रव््योों से दूर रखना आवश््यक है। इसके लिए निम््न उपाय हो सकते हैैं-
c (i) औद्योगिक अपशिष्टटों को बिना उचित उपचार के व घातक रसायनोों को छाने बिना भमि ू पर बहाने पर पाबंदी हो ।
c (iii) कृ षि उत््पपादन के लिए कम-से-कम कीटनाशक का प्रयोग.
c (vi) खाद के रूप मेें अधिक मात्रा मेें गोबर, पत्ती की खाद व कम मात्रा मेें रासायनिक खाद उपयोग मेें ली जाए।
c (v) मृदा सरं क्षण के सभी उपाय; जैस-े खेतोों के आस पास वृक्षारोपण जिससे पत्तियोों की उर््वराशक्ति भी बड़़े व मृदा अपरदन भी रुक जाए।
c (vi) शहरी कचरे का निस््ततारण भमि ू पर न करके उसे निस््ततारक यंत्ररों द्वारा व उचित तकनीक द्वारा विद्तयु उत््पपादन, खाद उत््पपादन
आदि मेें काम लिया जाए।

l 4. समुद्री प्रदूषण l
कई सामर््थ््य ज़हरीले रसायन सक्षू ष्म कणोों से चिपक जाते हैैं जिनका सेवन प््लवक और नितल जीवसमूह जन््ततु करते हैैं, जिनमेें से ज््ययादातर
तलछट या फिल््टर फीडर होते हैैं। इस तरह ज़हरीले तत््व समुद्री पदार््थ क्रम मेें अधिक गाढ़़े हो जाते हैैं। कई कण, भारी ऑक््ससीजन का
इस््ततेमाल करते हुई रसायनिक प्रक्रिया के ज़रिए मिश्रित होते हैैं और इससे खाड़़ियां ऑक््ससीजन रहित हो जाती हैैं।

l समुद्री प्रदूषण के कारण


c (i) जोहान््सबर््ग पृथ््ववी सम््ममेलन 2002 के अतं मेें यही निष््कर््ष निकाला गया कि सागर मेें सर््ववाधिक मात्रा मेें औद्योगिक अपशिष्ट
विकसित देशोों द्वारा फेें का जाता है, यह समद्रीु प्रदषू ण का बड़़ा कारण है।
c (ii) तैलीय प्रदषू ण सागरीय प्रदषू ण का मख्ु ्य कारण है।
c (iii) समद्रु के किनारे , पेट्रोलियम खनन व पेट्रोलियम पदार््थ, उत््पपादन संयंत्ररों के अपशिष्टटों के रूप मेें तैलीय प्रदषू ण फै लाते हैैं।
c (iv) नगरीय अपशिष्टटों का समद्रु मेें निस््ततारण
26 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

c (v) रे डियोधर्मी पदार्थथों, परमाणवीय संयंत्ररों का समद्रु मेें निस््ततारण ।

l समुद्री प्रदूषण नियंत्रण के उपाय


c (i) प्राकृ तिक रूप से निस््पपंदन, विसरण, वाष््पन आदि द्वारा।
c (ii) विषैले पदार्थथों के जल निस््ततारण पर काननू बनाकर रोक लगाना।
c (iii) जहाजोों से तेल परिवहन के समय विशेष सावधानियाँ बरतना ।
c (iv) तैलीय प्रदषू ण को रोकने के कारगर उपाय अमल करे .

l 5. ध््वनि प्रदूषण l
l ध््वनि यदि धीमी हो तो सहनीय होती है, किन््ततु प्रबल ध््वनि असहनीय होती है, जिसे शोर की सज्
ं ञा दी जाती है। ध््वनि तरंगोों के रूप मेें
वायु से माध््यम से बहती है व सनु ने वाले द्वारा सनु ी जाती है।
l ध््वनि या तीव्रता को डेसीबल मेें व््यक्त किया जाता है। एक समान््य व््यक्ति के लिए 50-60 डेसीबल तीव्रता की ध््वनि सनन ु ा उपयक्त
ु व सामान््य
होता है तथा इससे अधिक तीव्रता की ध््वनि, शोर कही जा सकती है।
l शहरीकरण, धार््ममिक, सामाजिक सभी क्रियाकलापोों मेें दिखावा आदि के कारण शोर मेें वृद्धि हुई है। इस प्रकार वह ध््वनि जो सनन ु े वाले के लिए
अरुचिकर या तीव्र हो, शोर कहलाती है। वह प्रक्रिया जिसमेें अतितीव्र ध््वनियोों बार-बार व लगातार सनु ाई दे. ध््वनि प्रदषू ण कहलाती है।

ध््वनि - मान (डेसिबल)


राके ट - 180
जेट - 140
मोटर गाड़ी - 95
सामान््य वार््ततालाप - 40-60
धीमी फुसफुसाहट - 20

l ध््वनि प्रदूषण के कारण


c प्राकृतिक :- बिजली कड़कना, बादलोों का गरजना, भक ू म््प की ध््वनि, तेजी से गिरते पानी की ध््वनि, तफू ानी हवाएँ आदि .
c रे ल के इजं न व उसके हॉर््न का शोर, वाययु ानोों के उड़ने से तीव्र ध््वनि प्रदषु ण का कारण है.
c मशीनोों की तीव्र आवाज:- औद्योगिक कारखानोों की तीव्र आवाज होती है, जिससे बिल््ककुल पास खड़़े दो व््यक्ति भी बात नहीीं
कर सकते हैैं। छोटे कारखानोों; जैस-े कढ़़ाई, नक््ककाशी धातओ ु ं की पत््ननियाँ बनाना आदि मेें लगातार एक ही प्रकार की आवाज होती
है, जो ध््वनि प्रदषू ण का कारण बनती है।
c बड़़ी इमारतेें, सड़केें , फ््ललाई ओवर, एवं महीनोों तक चलने वाले निर््ममाण कार््य .
c ध््वनि विस््ततारक यंत्र द्वारा :- मनोरंजन के साधनोों व सामाजिक क्रियाकलापोों मेें, या बड़़े स््पपीकर््स लगाकर तीव्र ध््वनि उत््पन््न की
जाती है.
l ध््वनि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
c वाहनोों के इजं नोों, उद्योगोों मेें मशीनोों को सही रखकर इजं न का शोर कम किया जा सकता है।
c उद्योगोों व छोटे कारखानोों को भी आवासीय बस््ततियोों से अधिक दरू ी पर रखना।
c अधिक शोर वाले उद्योगोों मेें कर््मचारियोों व मजदरोू ों को Ear Plugs and Ear muffs का उपयोग अवश््य करे .
27 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

c हवाई अड्डा बस स््टैैंड आदि पर अधिकतम शोर की सीमा निर््धधारित की जानी चाहिए।
c अपने घर मेें पाटी, जागरण, कथा वाचन, पाठ आदि करवाते समय लाउडस््पपीकर का प्रयोग न करेें।
c सड़क के किनारे वृक्षारोपण करेें जिससे वृक्ष ध््वनि अवशोषक के रूप मेें कार््य कर सकेें ।

l 6. तापीय प्रदूषण l
l तापीय प्रदूषण का अर््थ है- नाभिकीय तथा तापीय ऊर््जजा के केें द्ररों की मशीनोों को ठंडा करने के पश्चात गर््म जल को पनु ः जलीय तंत्र मेें डाल देने
से जलीय तंत्र का तापमान अत््ययंत बढ़ जाता है इस प्रक्रिया को ही तापीय प्रदषू ण कहा जाता है।
l तापीय प्रदूषण को दो तरह - वायमु ड ं लीय तापीय प्रदषू ण व जल तापीय प्रदषू ण वैश्विक तापवृद्धि (Global Warming) एक ज््वलत
पर््ययावरणीय समस््यया है।
c मानवीय गतिविधियोों के कारण उत््पन््न ग्रीनहाउस गैसोों के प्रभाव से पृथ््ववी के दीर््घकालिक औसत तापमान मेें हुई वृद्धि को वैश्विक
तापवृद्धि (Global Warming) कहते हैैं।
c 1880-2012 की अवधी के दौरान पृथ््ववी के औसत सतही तापमान मेें 0.85°C की वृद्धि दर््ज की गयी है।
c इससे जड़ु ़े कुछ महत््वपर््णू सम््ममेलन वैश्विक स््तर पर हुए जैसे- पैरिस समझोता (2016) मैड्रिड जलवायु परिवर््तन
सम््ममेलन (2019) (COP25)

l वायुमंडलीय तापीय प्रदूषण के कारण


c ग्रीन हाउस गैस, कार््बन डाई ऑक््ससाइड (CO2), मीथेन (CH4), क््ललोरोफ््ललोरो कार््बन (CFC), नाइट्स ऑक््ससाइड (N2O) आदि
की विश्व स््तर पर वायमु डं ल मेें बढ़़ोत्तरी ।
c उद्योगोों एवं वाहनोों से निकलने वाले धएु ं .
c प्रशीतक उपकरण, वाययु ानोों मेें प्रशीतकोों के प्रयोगोों से छोड़़े गए CFC के कारण।
c विलायकोों पर आधारित उद्योगोों से छोड़़े गए कार््बन टेट्राक््ललोराइड, निलाईल क््ललोरोफॉर््म आदि के वाष््प द्वारा।
c मृदा अपरदन , तटीय इलाकोों मेें वनोन््ममूलन

l तापीय प्रदूषण के प्रभाव–(Effects of thermal pollution)


तापीय प्रदूषण के निम््ननाांकित प्रभाव देखने को मिलते हैैं–
c जलाशयोों के तापमान मेें वृद्धि से जलतंत्ररों को कई तरह की हानि होती है।
c पराबैैंगनी विकिरणोों की अधिकता से कई बिमारियां जैसे-कैैं सर, त््वचा रोगोों मेें अत््यधिक वृद्धि आदि जन््म लेतीीं हैैं।
c तापीय प्रदषू ण से ध्वरु ीय प्रदेशोों तथा पर््वतोों के शिखरोों पर जमी बर््फ के पिघलने से समद्री
ु जल का स््तर ऊंँचा हो जाता है जिससे
तटीय क्षेत्ररों के डूबने का खतरा बना रहता है।
c तापीय प्रदषू ण से जल-चक्र मेें परिवर््तन हो जाता है, जिससे कहीीं भीषण सख ू ा पड़ता है तो कहीीं अत््यधिक बाढ़ आ जाती है।
c तापीय प्रदषू ण से कृ षि भमि ू मेें आभाव हो जाता है।
c इस प्रदषू ण के कारण पर््ययावरण मेें आक््ससीजन मेें भी अभाव देख सकते हैैं।
c तापीय प्रदषू ण से मौसम मेें बदलाव आ जाता है। मौसम छोटे एवं असभं ावित हो जाते हैैं।
c इस प्रदषू ण से ओजोन गैस की रक्षक परत का भी विनाश हो जाता है।

l तापीय प्रदूषण के नियंत्रण हेतु सझ


ु ाव/उपाय (Suggestions/measures for the control of thermal pollution)
28 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

तापीय प्रदूषण के नियंत्रण हेतु निम््न उपाय किए जाने चाहिए–


c उद्योगोों से निकलने वाले धएु ं मेें ग्रीन हाउस गैसोों को बहुत कम मात्रा मेें छोड़़ा जाना चाहिए।
c प्रत््ययेक व््यक्ति को अपना नैतिक कर््तव््य मानकर वृक्षारोपण अधिकाधिक मात्रा मेें करना चाहिए। जिससे कार््बन डाइऑक््ससाइड
अधिक से अधिक काम मेें आये व वायमु डं ल ठंडा रहे।
c चरणबद्ध रूप से ओजोन परत को हानि पहुचं ाने वाले पदार्थथों के प्रयोग पर निरंतर प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए।
c वाहनोों मेें पर््णू रूप से अप्रदषि
ू त (शद्ध
ु ) तेल का प्रयोग अत््ययंत आवश््यक है।
c विभिन््न उद्योगोों द्वारा गर््म औद्योगिक अपशिष्टटों को बहुत ही अल््प मात्रा मेें पानी मेें छोड़़ा जाना चाहिए।

l तापीय प्रयास प्रदूषण के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय व अंतर््रराष्ट्रीय


c मांट्रियल घोषणा 16 सितम््बर, 1987 मेें चरणबद्ध रूप मेें ओजोन परत को क्षति पहुचँ ाने वाले पदार्थथों के प्रयोग पर रोक।
c इसके लिए 1990 ई. मेें लंदन तथा 1992 ई. मेें बीजिंग मेें सम््ममेलन हुए।
c वैश्विक ताप वृद्धि मेें औद्योगिकीकरण का बड़़ा हाथ है, खासकर जो विकसित देश जिम््ममेदार हैैं, वायु मेें ग्रीन हाउस गैसेें कम
से कम मात्रा मेें छोड़ें।
c वृक्षारोपण अधिक करेें जिससे CO2 अधिक से अधिक काम आ जाए व वायमु डं ल ठण््डडा रहे।
c जन जागृति की आवश््यकता।

l 7. नाभिकीय प्रदूषण l
रेडियोधर्मी तत््व जहाँ भी होते हैैं, धीरे-धीरे विखण््डडित होते रहते हैैं व पर््ययावरण, मानव, जीव व वनस््पति जगत को स््थथायी नुकसान पहुच
ँ ाते
हैैं। इनके खनन, उपयोग, सच ं य (Storage) व निस््ततारण मेें हर प्रकार की सावधानी न बरती जाए तो ये बहुत ही हानिकारक हो सकते हैैं।

l नाभिकीय प्रदूषण के कारण


c यरू े नियम, थोरियम आदि नाभिकीय प्रक्रियाओ ं मेें कम काम आने वाले तत््व हैैं। इनके खनन के समय यह प्रदषू ण होता है।
c समस््थथानिकोों (Isotopes) के उत््पपादन के समय अपशिष्ट पदार््थ के रूप मेें।
c परमाणु शक्ति द्वारा विद्तयु उत््पपादन संयंत्ररों से।
c नाभिकीय रिएक््टरोों से।
c नाभिकीय हथियारोों के बनने व उपयोग के दौरान।
c रे डियो ट्रेसरोों का प्रयोग दवा अस््पतालोों और जीव विज्ञान मेें होता है। Cu व I115 महत््वपर््णू रे डियो आइसोटोप हैैं। इनके उपयोग के
समय भी प्रदषू ण हो सकता है।

l नाभिकीय प्रदूषण नियंत्रण के उपाय


कई दुष्पप्रभावोों के उपरान््त भी इसमेें निहित असीमित ऊर््जजा के कारण इनका उपयोग आज आवश््यक है। निम््न कुछ उपायोों से इनके
हानिकारक प्रभावोों से बचा जा सकता है-
c इनके खनन व उपयोग के समय कम से कम बिखराव हो।
c इनके खनन मेें गीली विधि (Wet Process) को काम मेें लिया जाए।
29 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

जलवायु परिवर््तन
l जलवायु परिवर््तन क््यया है?
पथ््ववी
ृ की जलवायु मेें समय-समय पर परिवर््तन वायुमंडल मेें परिवर््तन के साथ-साथ वातावरण और पथ््ववी
ृ की प्रणाली के भीतर
विभिन््न अन््य भूवैज्ञानिक, रासायनिक, जैविक और भौगोलिक कारकोों के बीच की बातचीत को जलवायु परिवर््तन कहा जाता है।
l जलवायु परिवर््तन को प्रभावित करने वाले कारक
c प्राकृतिक कारक - हजारोों से लाखोों वर्षषों की अवधि मेें जलवायु को प्रभावित करते हैैं। जैसे -
1. महाद्वीपीय बहाव - लाखोों साल पहले बना है जब प््ललेट विस््थथापन के कारण भमू ाफिया अलग होने लगे। यह भभू ाग की भौतिक
विशेषताओ ं और स््थथिति मेें परिवर््तन और जल निकायोों की स््थथिति मेें परिवर््तन जैसे समद्रु की धाराओ ं और हवाओ ं के अनसु रण मेें
परिवर््तन के कारण जलवायु परिवर््तन को प्रभावित करता है। कॉन््टटिनेेंटल ड्रिफ््ट पर एनसीईआरटी नोट्स के लिए , दिए गए लिक
ं पर जाए।ं
2. ज््ववालामुखीयता - ज््ववालामखु ी विस््फफोट गैसोों और धलू के कणोों का उत््सर््जन करता है जो लंबे समय तक रहता है जिससे सर््यू
की किरणोों का आशि ं क अवरोध होता है जिससे मौसम ठंडा होता है और मौसम के पैटर््न को प्रभावित करता है।
ृ की कक्षा मेें परिवर््तन - पृथ््ववी की कक्षा मेें मामल
3. पथ््ववी ू ी परिवर््तन से पृथ््ववी की सतह पर परू े विश्व मेें पहुचन
ँ े वाले सर््यू के
प्रकाश के मौसमी वितरण पर प्रभाव पड़ता है। तीन प्रकार की कक्षीय विविधताएँ हैैं - पृथ््ववी की विलक्षणता मेें भिन््नता, पृथ््ववी के
घर््णन
ू के अक्ष के झकु ाव कोण मेें भिन््नता और पृथ््ववी की धरु ी के अग्रगमन मेें भिन््नता। ये एक साथ मिलनकोविच चक्ररों का कारण
बन सकते हैैं, जिनका जलवायु पर बहुत बड़़ा प्रभाव पड़ता है और हिमनदोों और अतं राल अवधियोों के संबंध के लिए प्रसिद्ध हैैं।
c मानवजनित कारक - मुख््य रूप से वैश्विक सतह के तापमान मेें मानव-जनित वद्धि
ृ है। जैसे कि -
1. ग्रीनहाउस गैसेें - ये सर््यू से ऊष््ममा विकिरण को अवशोषित करती हैैं जिसके परिणामस््वरूप वैश्विक तापमान मेें वृद्धि होती है।
जीएचजी ज््ययादातर सौर विकिरण को अवशोषित नहीीं करते हैैं लेकिन पृथ््ववी की सतह से निकलने वाले अधिकांश इन्फ्रारे ड को
अवशोषित करते हैैं। दिए गए लिंक पर ग्रीनहाउस गैसोों के बारे मेें और पढ़ें । ग््ललोबल वार््मििंग की शरुु आत ग्रीनहाउस प्रभाव से होती
है, जो सर््यू से आने वाले विकिरण और पृथ््ववी के वातावरण के बीच परस््पर क्रिया के कारण होता है।
2. वायुमंडलीय एरोसोल - ये सौर और अवरक्त विकिरण को बिखेर और अवशोषित कर सकते हैैं। सौर विकिरण ग्रह को
बिखेरता और ठंडा करता है जबकि एरोसोल सौर विकिरण को अवशोषित करने पर सर््यू के प्रकाश को पृथ््ववी की सतह द्वारा
अवशोषित करने की अनमु ति देने के बजाय हवा के तापमान मेें वृद्धि करता है। एरोसोल का सौर विकिरण के अवशोषण और
प्रतिबिंब पर जलवायु परिवर््तन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। परोक्ष रूप से यह बादलोों के गठन और गणोु ों को संशोधित करके प्रभावित
कर सकता है। यहां तक कि इसे हजारोों किलोमीटर दरू हवाओ ं और वातावरण मेें परिसंचरण के माध््यम से ले जाया जा सकता है।
3. भूमि-उपयोग पैटर््न मेें बदलाव - अधिकांश वनोों और भमि ू के आवरण को कृ षि फसल, भमि ू चराई या औद्योगिक या
व््ययावसायिक उपयोग के लिए बदल दिया जाता है। वन आवरण के समाशोधन से सौर ऊर््जजा का अवशोषण बढ़ता है और नमी की
मात्रा वातावरण मेें वाष््पपित हो जाती है।
c अल््बबेडो (अतं रिक्ष मेें किसी वस््ततु की परावर््तनता) जितना कम होगा, सर््यू के विकिरण का उतना ही अधिक ग्रह
द्वारा अवशोषित हो जाएगा और तापमान बढ़ जाएगा। यदि अल््बबेडो अधिक है और पृथ््ववी अधिक परावर््तक है,
तो अधिक विकिरण अतं रिक्ष मेें वापस आ जाता है, जिससे ग्रह ठंडा हो जाता है।
l भारत मेें तीव्र जलवायु परिवर््तन के साक्षष्य
c वैश्विक तापमान मेें वद्धिृ : 19वीीं शताब््ददी के उत्तरार््ध से ग्रह की औसत सतह का तापमान लगभग 1.62 डिग्री फ़़ारे नहाइट (0.9
डिग्री सेल््ससियस) बढ़ गया है, यह परिवर््तन मख्ु ्य रूप से वातावरण मेें कार््बन डाइऑक््ससाइड और अन््य मानव निर््ममित उत््सर््जन मेें
वृद्धि से प्रेरित है। अधिकांश वार््मििंग पिछले 35 वर्षषों मेें हुई है, जिसमेें 2010 के बाद से पांच सबसे गर््म वर््ष दर््ज किए गए हैैं।
c वार््मििंग महासागर : महासागरोों ने इस बढ़़ी हुई गर्मी को बहुत अधिक अवशोषित कर लिया है, समद्रु के शीर््ष 700 मीटर (लगभग
2,300 फीट) मेें 1969 के बाद से 0.4 डिग्री फ़़ारे नहाइट से अधिक का तापमान दिखा रहा है।
30 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

c सिकुड़ती बर््फ की चादरेें : ग्रीनलैैंड और अटं ार््कटिक बर््फ की चादरेें द्रव््यमान मेें कमी आई हैैं। नासा के ग्रेविटी रिकवरी एडं
क््ललाइमेट एक््सपेरिमेेंट के डेटा से पता चलता है कि ग्रीनलैैंड ने 1993 और 2016 के बीच प्रति वर््ष औसतन 286 बिलियन टन बर््फ
खो दी, जबकि अटं ार््कटिका ने इसी अवधि के दौरान प्रति वर््ष लगभग 127 बिलियन टन बर््फ खो दी। पिछले एक दशक मेें
अटं ार््कटिका के बर््फ के बड़़े पैमाने पर नक
ु सान की दर तीन गनु ा हो गई है।
c ग््ललेशियल रिट्रीट : ग््ललेशियर दनु िया भर मेें लगभग हर जगह पीछे हट रहे हैैं - आल््प््स, हिमालय, एडं ीज, रॉकीज, अलास््कका और
अफ्रीका सहित।
c घटता हुआ हिम आवरण : उपग्रह अवलोकनोों से पता चलता है कि उत्तरी गोलार््ध मेें वसतं हिम आवरण की मात्रा पिछले पांच
दशकोों मेें कम हो गई है और यह कि बर््फ पहले पिघल रही है।
c ृ : पिछली सदी मेें वैश्विक समद्रु स््तर मेें लगभग 8 इचं की वृद्धि हुई। हालांकि, पिछले दो दशकोों मेें यह दर
समुद्र स््तर मेें वद्धि
पिछली शताब््ददी की तलन ु ा मेें लगभग दोगनु ी है और हर साल इसमेें थोड़़ी तेजी आ रही है।
c आर््कटिक समुद्री बर््फ की गिरावट : पिछले कई दशकोों मेें आर््कटिक समद्री
ु बर््फ की मात्रा और मोटाई दोनोों मेें तेजी से गिरावट
आई है।
c चरम घटनाएँ : संयक्त
ु राज््य अमेरिका मेें रिकॉर््ड उच््च तापमान की घटनाओ ं की संख््यया मेें वृद्धि हो रही है, जबकि 1950 के बाद से
रिकॉर््ड कम तापमान की घटनाओ ं की संख््यया घट रही है। अमेरिका मेें भी तीव्र वर््षषा की घटनाओ ं की संख््यया मेें वृद्धि देखी गई है।
c महासागर अम््ललीकरण : औद्योगिक क््राांति की शरुु आत के बाद से सतही महासागरीय जल की अम््लता मेें लगभग 30 प्रतिशत
की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि मनष्ु ्योों द्वारा वातावरण मेें अधिक कार््बन डाइऑक््ससाइड का उत््सर््जन करने और इसलिए अधिक
महासागरोों मेें अवशोषित होने का परिणाम है। महासागरोों की ऊपरी परत द्वारा अवशोषित कार््बन डाइऑक््ससाइड की मात्रा प्रति वर््ष
लगभग 2 बिलियन टन बढ़ रही है।
l जलवायु परिवर््तन पर भारत की प्रतिक्रिया
c जलवायु परिवर््तन पर राष्ट्रीय कार््य योजना (एनएपीसीसी) : जलवायु शमन और अनक ु ू लन को संबोधित करने वाली मौजदू ा
और भविष््य की नीतियोों और कार््यक्रमोों की रूपरे खा। कार््य योजना 2017 तक चलने वाले आठ प्रमख ु “राष्ट्रीय मिशनोों” की
पहचान करती है: सौर ऊर््जजा; बढ़़ी हुई ऊर््जजा दक्षता; सतत आवास; पानी; हिमालयी पारिस््थथितिकी तंत्र को बनाए रखना; हरित
भारत; स््थथायी कृ षि; और जलवायु परिवर््तन के लिए सामरिक ज्ञान। इनमेें से अधिकाश
ं मिशनोों मेें मजबतू अनक ु ू लन अनिवार््यताएं हैैं।
c राष्ट्रीय स््वच््छ ऊर््जजा कोष : भारत सरकार ने 2010 मेें देश मेें स््वच््छ ऊर््जजा के क्षेत्र मेें स््वच््छ ऊर््जजा पहलोों और वित्त पोषण
अनसु ंधान को वित्तपोषित करने और बढ़़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स््वच््छ ऊर््जजा कोष (एनसीईएफ) बनाया। घरे लू स््तर पर उत््पपादित
या आयातित कोयले पर 50 रुपये (बाद मेें 2014 मेें इसे बढ़़ाकर 100 रुपये कर दिया गया) का उपकर लगाकर फंड का कॉर््पस
बनाया गया है।
c पेरिस समझौता : पेरिस समझौते के तहत भारत ने तीन प्रतिबद्धताएं की हैैं। भारत के सकल घरे लू उत््पपाद की ग्रीनहाउस गैस
उत््सर््जन तीव्रता 2005 के स््तर से 2030 तक 33-35% कम हो जाएगी। साथ ही, भारत की 40% बिजली क्षमता गैर-जीवाश््म
ईधन
ं स्रोतोों पर आधारित होगी। साथ ही, भारत 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्षषों के आवरण के माध््यम से 2.5 से 3 बिलियन
टन Co2 समतल्ु ्य का एक अतिरिक्त ‘कार््बन सिंक’ बनाएगा।
c अंतर््रराष्ट्रीय सौर गठबंधन : आईएसए को सयं क्त ु राष्टट्र के पर््वू महासचिव श्री बान की मनू की उपस््थथिति मेें भारत और फ््राांस द्वारा
30 नवबं र 2015 को पेरिस मेें सयं क्त
ु राष्टट्र जलवायु परिवर््तन सम््ममेलन मेें लॉन््च किया गया था।
c भारत स््टटेज (बीएस) उत््सर््जन मानदडं : वाहनोों से उत््सर््जन वायु प्रदषू ण के शीर््ष योगदानकर््तताओ ं मेें से एक है, जिसने उस समय
सरकार को अप्रैल 2000 से बीएस 2000 (भारत स््टटेज 1) वाहन उत््सर््जन मानदडं पेश करने का नेतत्ृ ्व किया, इसके बाद बीएस- II
2005 मेें। BS-III को 2010 मेें देश भर मेें लागू किया गया था। हालांकि, 2016 मेें, सरकार ने वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओ ं को परू ा
करने और BS V को परू ी तरह से छोड़ कर BS-VI मानदडों ों मेें छलांग लगाने का फै सला किया।
31 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

वन््यजीव संरक्षण
संवैधानिक प्रावधान
c अनुच््छछेद 48ए - राज््य को निर्देशित करता है कि वह पर््ययावरण की रक्षा और सधु ार करे और वन््य जीवन और वनोों की रक्षा करे ।
यह अनच्ु ्छछेद 1976 मेें 42वेें सशोधन
ं द्वारा सविध
ं ान मेें जोड़़ा गया था ।
c अनुच््छछेद 51A - कुछ मौलिक कर््तव््योों का प्रावधान करता है। उनमेें से एक है वनोों, झीलोों, नदियोों और वन््य जीवन सहित
प्राकृ तिक पर््ययावरण की रक्षा और सधु ार करना और जीवित प्राणियोों के प्रति दया भाव रखना।
c वाइल््ड लाइफ एक््ट-1972- भारत मेें 1972 ई. मेें ‘वाइल््ड लाइफ एक््ट पारित किया गया। जिसके अन््तर््गत नेशनल पार्ककों तथा
वन््य जीव अभ््ययारणोों की स््थथापना हुई । वन््य जीव अभ््ययारण््योों (वाइल््ड लाइफ सैैंक््चअ
चु री) का गठन किसी एक प्रजाति अथवा कुछ
विशिष्ट प्रजातियोों के संरक्षण के लिए किया जाता है जबकि राष्ट्रीय उद्यानोों (नेशनल पार्ककों) का गठन विशेष प्रकार की शरणस््थली
के सरं क्षण के लिए किया जाता है ।

अधिनियम के तहत अनुसूचियाँ


c वन््यजीव (सरं क्षण) अधिनियम, 1972 के तहत विभिन््न पौधोों और जानवरोों की सरक्षा
ु स््थथिति को निम््नलिखित
6 अनुसचियो
ू ों के तहत विभाजित किया गया है:
l अनुसच
ू ीI
c इसमेें उन लप्तु प्राय प्रजातियोों को शामिल किया गया है, जिन््हेें सर््ववाधिक सरु क्षा की आवश््यकता है। इसके तहत शामिल प्रजातियोों
को अवैध शिकार, हत््यया, व््ययापार आदि से सरु क्षा प्रदान की जाती है।
c इस अनसु चू ी के तहत काननू का उल््ललंघन करने वाले व््यक्ति को सबसे कठोर दडं दिया जाता है।
c इस अनसु चू ी के तहत शामिल प्रजातियोों का परू े भारत मेें शिकार करने पर प्रतिबंध है, सिवाय ऐसी स््थथिति के जब वे मानव जीवन के
लिये खतरा होों अथवा वे ऐसी बीमारी से पीड़़ित होों, जिससे ठीक होना सभं व नहीीं है।
c अनुसच
ू ी I के तहत निम््नलिखित जानवर शामिल हैैं :
l ब््ललैक बक l बंगाल टाइगर l धमिल
ू तेेंदआ
ु l हिम तेेंदआ

l दलदल हिरण l हिमालयी भाल
ू l एशियाई चीता l कश््ममीरी हिरण

l लायन टेल््ड मैकाक l कस््ततूरी मृग l गैैंडा l ब्रो-एटं लर््ड डियर

l चिक
ं ारा l कै प््ड लंगरू l गोल््डन लंगरू l हूलाक गिब््बन

l अनुसच
ू ी II
c इस सचू ी के अतं र््गत आने वाले जानवरोों को भी उनके संरक्षण के लिये उच््च सरु क्षा प्रदान की जाती है, जिसमेें उनके व््ययापार पर
प्रतिबंध आदि शामिल हैैं।
c इस अनसु चू ी के तहत शामिल प्रजातियोों का भी परू े भारत मेें शिकार करने पर प्रतिबंध है, सिवाय ऐसी स््थथिति के जब वे मानव
32 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

जीवन के लिये खतरा होों अथवा वे ऐसी बीमारी से पीड़़ित होों, जिससे ठीक होना संभव नहीीं है।
c अनुसच
ू ी II के तहत सच
ू ीबद्ध जानवरोों मेें शामिल हैैं:
l असमिया मैकाक, पिग टेल््ड मैकाक, स््टटंप टेल््ड मैकाक l बंगाल हनमु ान लंगरू l हिमालयन ब््ललैक बियर

l हिमालयन सैलामैैंडर l सियार l स््पर््म व््हहेल

l भारतीय कोबरा, किंग कोबरा l उड़ने वाली गिलहरी, विशाल गिलहरी

l अनुसच
ू ी III और IV
c जानवरोों की वे प्रजातियाँ, जो संकटग्रस््त नहीीं हैैं उन््हेें अनसु चू ी III और IV के अतं र््गत शामिल किया गया है।
c इसमेें प्रतिबंधित शिकार वाली सरं क्षित प्रजातियाँ शामिल हैैं, लेकिन किसी भी उल््ललंघन के लिये दडं पहली दो अनसु चियो
ू ों की
तलन
ु ा मेें कम है।
c अनुसच
ू ी III के तहत सरक्षि
ं त जानवरोों मेें शामिल हैैं:
l चित्तीदार हिरण l नीली भेड़ l लकड़बग््घघा

l नीलगाय l सांभर (हिरण) l स््पपंज


c अनुसच
ू ी IV के तहत सरक्षि
ं त जानवरोों मेें शामिल हैैं:
l राजहस
ं l खरगोश l फाल््कन

l किंगफिशर l नीलकण््ठ पक्षी l हॉर््सशू क्रे ब

l अनुसच
ू ीV
c अनुसच
ू ी Vइस अनुसच ू ी मेें ऐसे जानवर शामिल हैैं जिन््हेें ‘कृमि (छोटे जंगली जानवर जो बीमारी फै लाते हैैं और पौधोों
तथा भोजन को नष्ट करते हैैं) माना जाता है। इन जानवरोों का शिकार किया जा सकता है।
c इसमेें जंगली जानवरोों की के वल चार प्रजातियाँ शामिल हैैं
l कौवे l फ्रूट्स बैट्स l मषू क l चहू ा

l अनुसच
ू ी VI
c यह निर््ददिष्ट पौधोों की खेती को विनियमित करता है और उनके कब््ज़़े, बिक्री और परिवहन को प्रतिबंधित करता है।
c निर््ददिष्ट पौधोों की खेती और व््ययापार दोनोों ही सक्षम प्राधिकारी की पर््वू अनमु ति से ही किया जा सकता है।
c अनुसच
ू ी VI के तहत सरक्षि
ं त पौधोों मेें शामिल हैैं:
l साइकस बेडडोमि l ब््ललू वांडा (ब््ललू ऑर््ककि ड) l रे ड वांडा (रे ड ऑर््ककि ड)

l कुथु ( सौसरु िया लप््पपा ) l स््ललीपर ऑर््ककि ड l पिचर प््ललाांट (नेपेेंथेस खासियाना)
33 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

राष्ट्रीय उद्यान
भारत मेें 106 मौजूदा (दिसबं र 2020) राष्ट्रीय उद्यान है जो 44,378 वर््ग किमी के क्षेत्र को कवर करते हैैं, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का
1.35% है । भारत का सबसे बड़़ा राष्ट्रीय उद्यान लद्दाख मेें है जिसका नाम ‘हेमिस हाई’ है। देश का सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान अण््डमान-
निकोबार मेें ‘साउथबटन’ (0.03 वर््ग किमी) है। भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान हेली नेशनल पार््क था जिसे अब जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान
के रूप मेें जाना जाता है इसकी स््थथापना 1936 मेें हुई थी।
l भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान की सच
ू ी
c मध््य प्रदेश (12 राष्ट्रीय उद्यान) और अंडमान (9
राष्ट्रीय उद्यान) के बाद असम (7) मेें सबसे अधिक
वन््य राष्ट्रीय उद्यान मौजदू हैैं। सल्ु ्ततानपरु लेक बर््ड
सेेंक््चरचु ी (राष्ट्रीय उद्यान), हरियाणा प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी
सलिम अली को समर््पपित है।
c असम का देहिगं पटकाई भारत का नवीनतम (जनु
2021) राष्ट्रीय उद्यान है। पजं ाब मेें कोई राष्ट्रीय उद्यान
नहीीं है।
c बाघ परियोजना - भारत मेें पहली बार बाघ गणना वर््ष 1972 मेें की गई थी। भारत मेें मध््य प्रदेश को ‘टाइगर राज््य के नाम से
जाना जाता है।
c राष्ट्रीय बाघ सरं क्षण प्राधिकरण - 4 सितम््बर, 2006 को बाघ संरक्षण के प्रयासोों की सफलता का आकलन करने और बाघोों की
संख््यया तथा उनके परितंत्र पर नजर रखने के उद्देश््य से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) का गठन किया गया। अप्रैल 2023
मेें जारी रिपोर््ट के अनसु ार, देश मेें बाघोों की संख््यया बढ़कर 3167 हो गई है जो 2018 मेें 2967 थी।
l टाइगर रिजर््व की सच
ू ी
c भारत की पहली बाद्य परियोजना का प्रारम््भ अप्रैल, 1973 मेें जिमकार्बेट राष्ट्रीय उद्यान मेें हुआ । भारत मेें सर््ववाधिक टाइगर रिजर््व
वाले राज््य मध््यप्रदेश, महाराष्टट्र व कर््ननाटक हैैं। वर््तमान मेें, 53 बाघ अभयारण््य, प्रोजेक््ट टाइगर के दायरे मेें आते हैैं। प्रत््ययेक वर््ष 29
जल
ु ाई को वैश्विक बाघ दिवस (Global Tiger Day) मनाया जाता है
l टाइगर मैन ऑफ इडि
ं या
c वर््ष 1992 मेें पद्म॒ श्री से अलंकृत राजस््थथान के कै लाश सांखला भारत मेें बाघोों पर किए गए अपने कार्ययों के लिए टाइगर मैन ऑफ
इडिय
ं ा के नाम से जाने जाते हैैं। वर््ष 1973 मेें शरू ु किए गए प्रोजेक््ट टाइगर का नेतत्ृ ्व सांखला ने ही किया था।
l हाथी सरं क्षण परियोजना
c प्रोजेक््ट एलिफेें ट एक केें द्र प्रायोजित योजना है और इसे फरवरी, 1992 मेें हाथियोों के आवास एवं गलियारोों की सरु क्षा के लिये
लॉन््च किया गया था।
c हाथियोों का प्राकृ ति आवास सनु िश्चित करने के लिए 1992 ई. मेें ‘गजतमे नाम से हाथी सरं क्षण परियोजना चलाई गई। भारत मेें
हाथियोों के संरक्षण हेतु एक देशव््ययापी जागरूकता अभियान ‘हाथी मेरे साथी’ की शरू ु आत की गई। देश का पहला हाथी पनर््ववा
ु स
के न्दद्र हरियाणा मेें खोला गया।
34 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

l मगरमच््छ सरं क्षण परियोजना


c 1974 ई. मेें मगरमच््छ के संरक्षण के लिए परियोजना
बनाई गई। इस परियोजना के तहत 1978 ई. तक कुल
16 मगरमच््छ प्रजनन के न्दद्र स््थथापित किए गए।
मगरमच््छ अभ््ययारण््योों की सर््ववाधिक सख्ं ्यया आध्रं
प्रदेश मेें है।
c ओडिशा के भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान मेें लवणयक्त ु
पानी मेें रहने वाले मगरमच््छोों की सख्ं ्यया सर््ववाधिक है।
हैदराबाद मेें के न्द्रीय मगरमच््छ प्रजनन एवं प्रबंधन
प्रशिक्षण सस्ं ्थथान की स््थथापना की गई है ।
c गिद्ध संरक्षण प्रोजेक््टइसके तहत एशिया से समाप्त हो रहे गिद्धधों के संरक्षण के लिए ‘सेव’ Saving Asia’s Vultures from
Extinction ( SAVE) नामक कार््यक्रम को आरंभ किया गया। इस कार््यक्रम के तहत हानिकारक ‘डायक््ललोफे नेक’ पर प्रतिबंध
लगा दिया गया। भारत मेें पिंजौर (हरियाणा), राजभटखावा (पश्चिम बंगाल) तथा रानी (असम) मेें गिद्ध संरक्षण प्रजनन केें द्र है।
l कस््ततूरी मृग परियोजना
c कस््ततूरी मृग परियोजना उत्तराखडं के के दारनाथ अभ््ययारण मेें 1970 के दशक मेें आरंभ की गई। कस््ततूरी मृग के लिए हिमाचल प्रदेश
का शिकारी देवी अभ््ययारण््य तथा उत्तराखडं का बद्रीनाथ अभ््ययारण््य प्रसिद्ध है।
l लाल पांडा परियोजना
c लाल पांडा भारत मेें पर्ू वी हिमालय क्षेत्र मेें पाया जाता है। अरूणाचल प्रदेश मेें इसे कै ट बीयर के नाम से भी जाना जाता है। सन्
1996 मेें विश्व प्रकृ ति निधि के सहयोग से पद्मजानायडू हिमालयन जन््ततु पार््क ने लाल पांडा परियोजना का शभु ारंभ किया।
l कछुआ सरं क्षण परियोजना
c ओलिव रिडले कछुए भारत मेें ओडिशा के समद्री ु तट
पर मिलते हैैं। ओडिशा सरकार ने इनके संरक्षण के लिए
1975 मेें कटक जिले के भीतरकनिका अभ््ययारण मेें
योजना शरू ु की। इस कछुए का प्रजनन स््थल गहिरमाथा
इसी अभ््ययारण मेें है ।
l गैैंडा परियोजना
c एक सीींग वाले गैैंडे के वल भारत मेें पाए जाते हैैं। इनके
संरक्षण के लिए 1987 मेें गैैंडा परियोजना आरंभ की
गई। गैडोों की मख्ु ्य शरणस््थली असम का मानस अभ््ययारण््य व काजीरंगा उद्यान तथा पश्चिम बंगाल का जाल््ददा पारा अभ््ययारण््य है।
l इडि
ं या राइनो विजन 2020
c वल््ड वाइड फण््ड इण््डडिया (डब््ल्यडयू ब््ल्यएयू फ), अन््तर््रराष्ट्रीय राइनो फाउण््डडेशन तथा असम वन विभाग ने ‘भारतीय गैैंडा दृष्टिकोण
- 2020 28 मार््च 2014 को आरंभ किया। इसका उद्देश््य वर््ष 2020 तक गण््डोों की संख््यया को 3,000 करना था।
35 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

l हिम तेेंदुआ परियोजना


c इस परियोजना की शरू
ु आत 20 जनवरी 2009 को हिमालयी राज््योों जम््ममू-कश््ममीर, हिमाचल प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश और
सिक््ककिम मेें की गई।
l गंगा नदी डॉल््फफिन सरं क्षण
c ‘गगं ा डॉल््फफिन’ (ससंू ) को 5 अक््टटूबर, 2009 को
राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया। यह भारत मेें
गहन सक ं ट ग्रस््त प्रजातियोों के तहत वन््यजीव (सरं क्षण)
अधिनियम, 1972 के अनुसच ू ी-1 मेें शामिल है। भारत
ने 3 मई, 2013 को जलीय जीव ‘डॉल््फफिन’
को नॉन- ह्यूमन पर््सन का दर््जजा दिया है। ऐसा करने
वाला भारत चौथा देश है।
l सरं क्षण स््थथिति
प्रजाति वर््तमान स््थथिति प्रजाति वर््तमान स््थथिति
● ग्रेट इडियन
ं बस््टर््ड अति सक ं टग्रस््त ● नीलगाय कम चिंतनीय
● कस््ततूरी मृग सकं टग्रस््त ● हिम तेेंदआ
ु सवं ेदनशील
● लाल पांडा सक ं टग्रस््त ● रीसस बंदर कम चिंतनीय
● एशियाई जंगली गधा सक
ं ट के नज़दीक ● सारस (क्रेन) सवं ेदनशील
● कश््ममीरी हगं ल
ु कम चिंतनीय ● शेर जैसी पँछू वाला बंदर सक ं टग्रस््त
● चीतल कम चिंतनीय ● हनमु ान लंगरू कम चिंतनीय

l आर्दद्र भूमियां
c 1971 ई. मेें आर्दद्रभमि
ू के संरक्षण के लिए बहुउद्देश््य समझौता हुआ, जिसे रामसर सम््ममेलन (ईरान) के नाम से जाना जाता है। भारत
इसमेें 1982 ई. मेें शामिल हुआ। मालमू रहे कि आर्दद्रभमि ू , दलदली या पानी वाले क्षेत्र हैैं, जहां लगभग सालभर मीठा या खारा पानी
हो जिसकी गहराई 6 मी. से अधिक नहीीं हो।
c भारत के सर््वप्रथम घोषित रामसर स््थल, चिल््कका झील, उड़़ीसा और के वलादेव नेशनल पार््क , राजस््थथान है। भारत मेें अब
(December 2021) कुल 47 रामसर स््थल हैैं।
l भारत मेें जैवमंडल रिजर््व
c यह आनवु ंशिक विविधता बनाए रखने वाले ऐसे बहुउद्देशीय संरक्षित क्षेत्र है, जहां पौधोों, जीव-जंतओ
ु ं व सक्षू ष्म जीवोों को उनके
प्राकृ ति परिवेश मेें संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है।
l बायोस््फफीयर रिज़र््व की सरं चना
c कोर क्षेत्र (Core Areas) : यह बायोस््फफीयर रिज़र््व का सबसे सरं क्षित क्षेत्र है। इसमेें स््थथानिक पौधे और जानवर हो सकते हैैं। इस
क्षेत्र मेें अनसु ंधान प्रक्रियाएँ, जो प्राकृ तिक क्रियाओ ं एवं वन््यजीवोों को प्रभावित न करेें, की जा सकती है। इस क्षेत्र मेें सरकारी
अधिकारियोों/कर््मचारियोों को छोड़कर अन््य सभी का प्रवेश वर््जजित है।
c बफर क्षेत्र (Buffer Zone) : बफर क्षेत्र, कोर क्षेत्र के चारोों ओर का क्षेत्र है। इस क्षेत्र का प्रयोग ऐसे कार्ययों के लिये किया जाता है
36 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

जो पर््णू तया नियंत्रित व गैर-विध््ववंशक होों। इसमेें सीमित पर््यटन, मछली पकड़ना, चराई आदि शामिल हैैं।
c ं मण क्षेत्र (Transition Zone) : यह बायोस््फफीयर रिज़र््व का सबसे बाहरी हिस््ससा होता है। यह सहयोग का क्षेत्र है जहाँ
सक्र
मानव उद्यम और संरक्षण सद्भाव से किये जाते है। इसमेें बस््ततियाँ, फसलेें, प्रबंधित जंगल और मनोरंजन के लिये क्षेत्र तथा अन््य
आर््थथिक उपयोग क्षेत्र शामिल हैैं।

भारत मेें कुल 11 बायोस््फफीयर रिज़र््व हैैं जिन््हेें मैन एंड


भारत मेें 18 जैवमंडल रिजर््व हैैं बायोस््फफीयर रिज़र््व प्रोग्राम के तहत अंतर््रराष्ट्रीय स््तर
● कोल््ड डेज़र््ट, हिमाचल ● कच््छ, गजु रात पर मान््यता दी गई है
प्रदेश (सबसे बड़़ा क्षेत्र) ● नीलगिरि (पहले शामिल किया गया)
● नंदा देवी, उत्तराखडं ● सिमिलिपाल, ओडिशा ● मन््ननार की खाड़़ी
● खगं चेेंदजोोंगा, सिक््ककिम ● सदंु रबन, पश्चिम बंगाल ● राष्ट्रीय वन््यजीव बोर््ड -
● संदु रबन वन््य जीवन (सरं क्षण)
● देहांग - देबांग, ● शेषचलम, आध्रं प्रदेश ● नंदा देवी
अधिनियम, 1972 के तहत
अरुणाचल प्रदेश ● अगस््त््य माला,
वर््ष 2003 मेें राष्ट्रीय वन््यजीव
● नोकरे क बोर््ड का गठन किया गया था।
● मानस, असम कर््ननाटक-तमिलनाडु यह सर्वोच््च निकाय निकाय
के रल ● पचमढ़़ी वन््य जीवन से जड़ु ़े मामलोों
● डिब्-रू सैखोवा, असम तथा राष्ट्रीय उद्यानोों और
● नीलगिरि, तमिलनाडु ● सिमलीपाल अभयारण््योों के आस-पास
● नोकरे क, मेघालय
के रल (पहले शामिल ● अचनकमार अमरकंटक
निर््ममाण या अन््य परियोजनाओ ं
● पन््नना, मध््य प्रदेश होने के लिए) की समीक्षा करता है। राष्ट्रीय
● महान निकोबार वन््यजीव बोर््ड की अध््यक्षता
● पचमढ़ी, मध््य प्रदेश ● मन््ननार की खाड़़ी, प्रधानमत्री
ं द्वारा की जाती है।
तमिलनाडु ● अगस््त््य माला
● अचनकमार
अमरकंटक, मध््य ● ग्रेट निकोबार, अडं मान ● खगं चेेंज़ोंगा (2018 मेें मैन एडं बायोस््फफीयर
प्रदेश-छत्तीसगढ़ और निकोबार द्वीप रिज़र््व प्रोग्राम के तहत जोड़़ा गया)
37 एसआई मेन््स : सामाजिक उत्तरदायित््व

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सीजी पीएससी सीजी व््ययापम
हॉस््टल वार््डन लेबर डिपार््टमेेंट (सहायक श्रम
(छात्रावास अधीक्षक ) पदा​धिकारी, श्रम ​निरीक्षक,
पद संख््यया : 500 श्रम उ​ प-निरीक्षक)
पद संख््यया : 34

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