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Hindi Aupcharik Lekhan PDF-sol
Hindi Aupcharik Lekhan PDF-sol
University of Delhi
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हदी औपचा रक लेखन ( हदी-ख)
संपादक-मंडल
ो. भवानी दास, डॉ. राजकु मारी शमा
पा -साम ी लेखक
ो. हरीश अरोड़ा, डॉ. ओम काश शमा, डॉ. पलाल वमा,
डॉ. मनीराम यादव
शै िणक सम वयक
दी ा त अव थी
Published by:
Department of Distance and Continuing Education under
the aegis of Campus of Open Learning/School of Open Learning,
University of Delhi, Delhi-110 007
Printed by:
मु त िश ा िव ालय, द ली िव विव ालय
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हदी औपचा रक लेखन ( हदी-ख)
वतमान अ ययन साम ी क इकाई 1 (पाठ 3 एवं 4) एवं इकाई 2 (पाठ 1 एवं 4) पवू म वािषक मोड म उपल ध अ ययन
साम ी का सशं ोिधत सं करण ह। इकाई 1 (पाठ 1,2 एवं 5), इकाई 2 (पाठ 2, 3 एवं 5) एन.ई.पी. के तहत नये पाठ्य म के
अनसु ार िलखवाई गई ह।
व-िश ण साम ी (एस.एल.एम.) म वैधािनक िनकाय, डीय/ू िहतधारक ारा तािवत सधु ार/संशोधन/ सझु ाव अगले सं करण
म शािमल िकए जाएँगे। हालाँिक, ये सधु ार/संशोधन/सझु ाव वेबसाइट https://sol.du.ac.in पर अपलोड कर िदए जाएँगे। कोई
भी िति या या सझु ाव ईमेल- feedbackslm@col.du.ac.in पर भेजे जा सकते ह।
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हदी औपचा रक लेखन ( हदी-ख)
िवषय-सच
ू ी
इकाई 1 लेखन द ता का िवकास
पाठ 1 : कायालयी िहं दी लेखक : ो. हरीश अरोड़ा 1-11
पाठ 2 : यावसाियक िहं दी लेखक : ो. हरीश अरोड़ा 12-15
पाठ 3 : िट पण का सामा य प रचय लेखक : डॉ. ओम काश शमा 16-27
पाठ 4 : ा पण का सामा य प रचय लेखक : डॉ. पलाल वमा 28-45
पाठ 5 : ितवेदन और िव का मह लेखक : ो. हरीश अरोड़ा 46-49
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
इकाई-1
लेखन द ता का िवकास
1. कायालयी िहंदी
ो. हर श अरोड़ा
पी.जी.डी.ए..वी. कॉलेज (सां य)
द ल व व व यालय, द ल
परेखा
1.1
1.2 तावना
1.3 क य-पाठ
1.3.1 कायालयी िहदं ी का अिभ ाय
1.3.2 भारतीयय सिं वधान म राजभाषा संबंधी ावधान
1.3.3 बोध- न
1.3.4 कायालयी िहदं ी का े
1.4 िन कष
1.5 अ यास- न
1.6 सदं भ- थं
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ऑल य.ू जी. कोसस
1.3 क य पाठ
मनु य िजस समाज म रहता है वाभािवक तौर पर उस समाज के लोग के साथ संवाद करने के िलए वह भाषा
का योग करता है। संवाद का एक मह ववपणू मा यम होने के कारण भाषाओ ं म पर पर सम वय और िवषय के अनु प
प रवतन िदखाई देते ह। वैसे भी भाषाएँ एक जैसी नह रहती वे भी िनरंतर अपना व प बदलती ह। कभी िकसी एक भाषा
म अनेक नए श द से उसका िव तार होता है तो कभी उस भाषा के अनेक श द चलन म न रहने के कारण उस भाषा से
बाहर हो जाते ह। कभी िकसी एक नए िवषय के आगमन से उस िवषय से स ब नए श द क वीकायता भाषा को
िवकास देती है तो कभी सबं धं के चलते नई व तओ
ु ंक उपयोिगता के कारण उन श द का े
सीिमत नह रहता। इस तरह भाषा िनरंतर या ा करती रहती है। यह या ा ही भाषा म प रवतन के कारण उसके मह व को
भी बढ़ाती है।
भाषा के संबंध म कहा जाता है िक हर कोस
कोस-कोस
कोस पर पानी और बानी अथात वाणी म बदलाव आता है। भारत
जैसे देश म जहाँ िविभ न भाषाओ ं और बोिलय के लोग िनरंतर या ाएँ करते ह वहाँ एक े क भाषा का दसू रे े के
साथ सपं क और सबं धं सवं ाद के कारण रहता ही है। िकसी आलोचक का मत है िक ‘समाज समाज और इसके सद य के
अि त व और च र के अनेक आयाम होते ह और इन सभी आयाम के संदभ म भाषा क िविश भिू मका होती है।’ इन
आयाम से आब होकर ही मननु य समाज क सं कृ ित म िभ नता के बावजूद एक समानता भी िमलती है। इस तरह से
देखा जाए तो भाषा क समाज के िलए एक िविश भिू मका आरंभ से ही है।
जहाँ तक भारत जैसे रा क बात क जाए तो यह नि चत है िक भारत म बहसं यक समाज िहदं ी भाषा को
जानता, बोलता है। सपं क भाषा के प म भी िहदं ी को ही भारत क भाषा वीकार िकया जाता है। वैिदककालीन सं कृ त
से िनकली भारतीय भाषाओ ं म सबसे अिधक िनकट संबंधता िहदं ी के साथ है। िजस तरह से सं कृ त भाषा वैिदक काल से
िनरंतर प रवितत होते हए आधिु नक यगु म अपना व प िब कुल बदल चक ु है उसी तरह ‘िह
िहदं ी’ी के उदय के साथ वष
क या ा के उपरातं िहदं ी िविभ न अनश ु ासन क सहचरी क भिू मका िनभाते हए िनरंतर िवकिसत होती रही है। उसका
व प िकसी एक अनश ु ासन म कुछ और होता है तो िकसी अ य अनश ु ासन म कुछ और वतमान समय म िहदं ी समाज के
सम िजस प म है उसके अनेक व प हम िदखाई देते ह। उसके योजन के आधार पपरर उसके िविभ न प इस कार
ह–
1. सािहि यक िहदं ी
2. सामा य जन क िहदं ी
3. कायालयी िहदं ी
4. यावसाियक िहदं ी
वाभािवक तौर पर ‘सािहि
सािहि यक िहंदी’ से अिभ ाय सािह य क िविभ न िवधाओ ं म योग म ली जाने वाली
सृजना मक भाषा से होता है िजसम िबबं , तीक, ल णा मक व यजं ना मक योग, आलक ं ा रकता आिद िश प के
अनेक प समािहत होते ह। इस िहदं ी म य और परो प से अथ अथ- हण िकये जा सकते ह। वह सामा य-जन क
िहंदी अनौपचा रकता से यु त होती है और इसके अतं गत भािषकभािषक-ससंरचना के िनयम से कुछ छूट िमल जाती है। यह
2 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
याकरण के िनयम से यु त होकर भी उससे मु त रहती है य िक इसम इस िहदं ी का योग करने वाला सामािजक िहदं ी
के ा य, देशज तथा िवदेशी श द का योग भी सहज प से कर सकता है।
वैसे तो ‘कायालयी िहदं ी’ सामा य प से वह िहदं ी है िजसका योग िकसी भी कायालय के दैिनक कामकाज
म योग म िलया जाता है लेिकन यावसाियक कायालय क िहदं ी इससे िभ न कार क होती है। इसीिलए ‘कायालयी
िहदं ी’ को वतमान समय म सरकारी कायालय म यवहार म ली जाने वाली िहदं ी के प म ही जाना जाता है। इसका
योग िकसी सरकारी कायालय के शासिनक काम काम-काज
काज के दौरान िकया जाता है और इसके अतं गत शासन के
िविभ न िवभाग से संबंिधत श दावली का अिधक योग होता है। वह ‘ यावसाियक िहंदी’’ से अिभ ाय औ ोिगक
या यावसाियक ित ान म योग म ली जाने वाली िहदं ी से ह िजसके अतं गत वािणि यक, पयटन पयटन, सं कृ ित, जनसंचार
आिद े सि मिलत ह।
इस पाठ का मल
ू प से कायालयी िहंदी का अ ययन करना है इसिलए उस पर िव तार से चचा
अपेि त होगी।
1.3.1 कायालयी िहंदी का अिभ ाय
सामा य तौर पर िविभ न कायालय म काय करने वाले लोग जब िहदं ी म उस कायालय का काय करते ह तो उसे
कायालयी िहदं ी कहा जाना चािहए। िक तु यहाँ कायालयी िहदं ी का अिभ ाय वह नह है। कायालयी िहदं ी सरकारी
कायालय और उससे स ब ित ान म योग म ली जाने वाली िहदं ी से है िजसे भारतीय सिं वधान म ‘राजभाषा’ के
प म जाना जाता है। राज-काज
काज क भाषा होने के कारण ही इसे राजभाषा श द से भी सबं ोिधत िकया जाता है। डॉ. उषा
ितवारी का मानना है िक ‘‘सरकारी
सरकारी कामकाज म यु होने वाली भाषा को शासिनक िहदं ी या कायालयीन िहदं ी कहा
जाता है। िहदं ी का वह व प िजसम शासन के काम म आने वाले श दद, वा य अिधक योग म आते ह ।’’ । (कायालयी
िहदं ी एवं कायालयी अनुवाद तकनीक,, पृ 82)
समाज का िव तृत और यापक े होने के कारण उसम िविभ न कार क यव थाओ ं के िलए तथा यापार
करने हेतु कायालय क उपि थित के े भी अनेक ह इसिलए कायालय श द क यापकता के कारण यह म क
ि थित उ प न होती है िक येक कायालय म योग म ली जाने वाली िहदं ी ही कायालयी िहदं ी होगी। लेिकन वा तव म
ऐसा नह है। चलन और योग क ि से कायालयी िहदं ी सरकारी कायालय म ‘राजभाषा राजभाषा िहदं ी’ के प म यु
भाषा से िलया जाता है। इसके अतं गत क सरकार
सरकार, रा य सरकार तथा सावजिनक े के उप म के सभी कायालय
सरकारी कायालय म प रगिणत होते ह। उनम योग म ली जाने वाले कामकाजी िहदं ी को ही ‘कायालयी िहदं ी’ कहा
जाता है।
य िक सवं ैधािनक
िनक प से कायालयी िहदं ी के िलए ‘राजभाषा िहदं ी’ का योग िकया जाता है। इसिलए
कायालयी िहदं ी को समझने के िलए सिं वधान म राजभाषा संबंधी ावधान को जानना आव यकक है।
भारत क वतं ता के प चा चात् भारत के वािभमान और उसक ग रमा के अनुकूल िहदं ी को 14 िसत बर,
1949 को ‘राजभाषा’ के प वीकार कर िलया गया गया। उसी दौरान संिवधान म यह ावधान भी सि मिलत कर िदया
गया िक अं ेज़ी प ह वष तक िहदं ी क सह-राजभाषा
राजभाषा के प म काम करती रहेगी। लेिकन िविभ न संशोधन और
3 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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ऑल य.ू जी. कोसस
आपसी असहमितय के कारण सांवैधािनक प से िहदं ी ‘राजभाषा’ होते हए भी अं ेज़ी ही शासन- शासन यव था क भाषा
बनी हई है।
1.3.2 भारतीय सिं वधान म राजभाषा संबंधी ावधान
14 िसत बर, 1949 को भारतीय सिं वधान म अनु छे द 343 से 351 तक राजभाषा स ब धी ावधान का
उ लेख िकया गया है। इन अनु छे द को चार अ याय म िवभािजत िकया गया। उन सांवैधािनक ाावधान को यथानु प
यहाँ िदया जा रहा है-
अ याय 1
अनु छे द 343 - सघं क राजभाषा
1. संघ क राजभाषा िहदं ी और िलिप देवनागरी होगी
होगी, संघ के शासक य योजन के िलए योग िकए जाने वाले
अकं का प भारतीय अंक का अतं ररा ीय प होगा।
2. ख ड (1) म िकसी बात के होते हए भीभी, इस सिं वधान के ार भ से प ह वष क अविध तक संघ के उन सभी
शासक य योजन के िलए अं ेज़ी भाषा का योग िकया जाता रहेगाा। िजनके िलए उसका ऐसे ार भ से ठीक
पहले योग िकया जा रहा था। पर तु रा पित उ त अविध के दौरान, आदेश ारा, संघ के शासक य योजन
म से िकसी के िलए अं ज़े ी भाषा के अित र त िहदं ी भाषा का और भारतीय अक ं के अतं ररा ीय प के
अित र त देवनागरी प का योग ािधकृ त कर सके गा।
3. इस अनु छे द म िकसी बात के होते हए भी
भी, संसद उ त प ह वष क अविध के प चातत् िविध ारा,
(क) अं ज़े ी भाषा का या
(ख) अक ं के देवनागरी प का
ऐसे योजन के िलए योग संबंिधत कर सके गी जो ऐसी िविध म िविनिद िकए जाये।
अनु छे द 344 - राजभाषा के सबं ंध म आयोग और सस ं द क सिमित
1. रा पित, इस संिवधान के ार भ से पाँच वष क समाि पर और त प चात् ऐसे ार भ से दस वष क समाि
पर, आदेश ारा एक आयोग गिठत करे गा जो एक अ य और आठव अनसु चू ी म उि लिखत िविभ न
भाषाओ ं का ितिनिध व करने वाले ऐसे अ य सद य से िमलकर बनेगा िजनको रा पित िनयु त करे और
आदेश म आयोग ारा अनसु रण क जाने वाली ि या सु नि चत क जाएगी।
2. आयोग का यह कत य होगा िक वह रा पित को -
(क) संघ के शासक य योजन के िलए िहदं ी भाषा के अिधकािधक योग;
(ख) संघ के सभी या िक ह शासक य योजन के िलए अं ज़े ी भा भाषा
षा के योग पर िनब धन ;
(ग) अनु छे द 348 म उि लिखत सभी या िक ह योजन के िलए योग क जाने वाली भाषा भाषा;
(घ) संघ के िकसी एक या अिधक उि लिखत योजन के िलए योग िकए जाने वाले अंक के पप;
(ङ) संघ क राजभाषा तथा संघ और िकसी रा य के बीच या एक रा य और दसू रे रा य के बीच प ािद क
भाषा और उनके योग के स ब ध म रा पित ारा आयोग को िनदिशत िकए गए िकसी अ य िवषय
4 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
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ऑल य.ू जी. कोसस
1. इस भाग के पवू गामी उपबधं म िकसी बात के होते हए भी, जब तक ससं द िविध ारा अ यथा, यथा उपबधं न कर
तब तक-
(क) उ चतम यायालय और येक उ च यायालय म सभी कायवािहयाँ अं जे ी भाषा म ह गी।
(ख) (i) ससं द के येक सदन या िकसी रा य के िवधान-मडं ल के सदन या येक सदन म पनु ः थािपत
िकए जाने वाले सभी िवधेयक या तािवत िकए जाने वाले उनके सश ं ोधन के ,
(ii) संसद या िकसी रा य के िवधान
िवधान-मम डल ारा पा रत सभी अिधिनयम के और रा पित या िकसी
रा य के रा यपाल ारा यािपत सभी अ यादेश के , और
(iii) इस सिं वधान के अधीन अथवा ससं द या िकसी रा य के िवधान िवधान-ममंडल ारा बनाई गई िकसी
िविध के अधीन िनकाले गए या बनाए गए सभी आदेश , िनयम , िविनयम और उपिविधय के ,
ािधकृ त पाठ अं जे ी भाषा म ह गे।
2. खंड (1) के उपखंड (क) के िकसी बात को होते हए भी भी, िकसी रा य का रा यपाल रा पित क पवू सहमित से
उस उ च यायालय क कायवािहय मम, िजसका मु य थान उस रा य म है, िहदं ी भाषा का या उस रा य के
शासक य योजन के िलए योग होने वाली िकसी अ य भाषा का योग ािध ािधकृकृ त कर सके गा। पर तु इस खडं
क कोई बात ऐसे उ च यायालय ारा िदए गए िकसी िनणय िनणय, िड या आदेश पर लागू नह होगी।
3. खंड (1) के उपखंड (ख) म िकसी बात के होते हए भी भी, जहाँ िकसी रा य के िवधान-म
िवधान ंडल ने, उस िवधान-
म डल म पनु ः थािपत िवधेयक या उसके ाारारा पा रत अिधिनयम म अथवा उस रा य के रा यपाल ारा
यािपत अ यादेश म अथवा उस उप उपखंड के पैरा (पअ) म िनिद िकसी आदेश, िनयम, िनयम िविनयम या उपिविध
म येाग के िलए अं जे ी भाषा से िभ न कोई भाषा िविहत क है वहाँ उस रा य के राजप म उस रा य के
रा यपाल के ािधकार से कािशत अं जे ी भाषा म उसका अनुवाद उस अनु छे द के अधीन उसका अं जे ी
भाषा म ािधकृ त पाठ समझा जाएगा।
अनु छे द 349 - भाषा से सबं ंिधत कुछ िविधयाँ, अिधिनयिमत करने के िलए िवशे ष ि या
इस संिवधान के ार भ से प ह वष क अविध के दौरान, अनु छे द 348 के ख ड (1) ( म उि लिखत िकसी
योजन के िलए योग क जाने वाली भाषा के िलए उपबंध करने वाला कोई िवधेयक या सश ं ोधन ससं द के िकसी सदन
म रा पित क पवू मंजूरी के िबना पनु ः थािपत या तािवत नह िकया जाएगा और रा पित िकसी ऐसे िवधेयक को
पनु ः थािपत या िकसी ऐसे संशोधन को तािवत िकए जाने क मंजरू ी अनु छे द 344 के खंड (1) के अधीन गिठत
आयोग क िसफा रश पर और उस अनु छे द के खंड (4) के अधीन गिठत सिमित के ितवेदन पर िवचार करने के
प चात् ही देगा, अ यथा नह ।
अ याय 4 - िवशेष िनदश
अनु छे द 350 - यथा के िनवारण के िलए अ यावेदन म योग क जाने वाली भाषा
येक िकसी यथा के िनवारण के िलए सघं या रा य के िकसी अिधकारी या ािधकारी को को,
यथाि थित, संघ म या रा य म योग होने वाली िकसी भाषा म अ यावेदन देने का हकदार होगा। गा।
अनु छे द 350 (क)- ाथिमक तर पर मातभ ृ ाषा म िश ा क सिु वधाएँ
येक रा य और रा य के भीतर येक थानीय ािधकारी भाषाई अ पसं यक वग के बालक को िश ा के
6 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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16 । पृ ठ
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Noting
17 । पृ ठ
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18 । पृ ठ
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19 । पृ ठ
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20 । पृ ठ
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25 । पृ ठ
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26 । पृ ठ
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27 । पृ ठ
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29 । पृ ठ
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34 । पृ ठ
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35 । पृ ठ
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37 । पृ ठ
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38 । पृ ठ
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43 । पृ ठ
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44 । पृ ठ
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45 । पृ ठ
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5.1
5.2 तावना
5.3 क य-पाठ
5.3.1 ितवेदन का मह व
5.3.2 िव ि का मह व
5.4 िन कष
5.5 बोध- न
4.6 सदं भ- थं
5.1
ततु पाठ का अ ययन करने के उपरातं –
‘ ितवेदन और रपोट’ के अतं र को समझ सकगे।
‘ ितवेदन’ क मल
ू अवधारणा और उसके मह व को जान सकगे।
‘िव ि ’ क अवधारणा औरर उसके मह व को समझ सकगे।
5.2 तावना
सामा य तौर पर ‘ ितवेदन’’ और ‘ रपोट’ श द का अथ समान िलया जाता है लेिकन ितवेदन ‘ रपोट’ से
पणू तः िभ न अथ क अिभ यंजना रखता है। रपोट िकसी घटना का सामा य िववरण है वह ितवेदन िक
िकसी इससे िभ न
एक िव तृत ि क अपे ा रखता है। यह एक कार का िलिखत िववरण है िजसम िकसी काय मम, घटना, काययोजना,
बैठक आिद के कायकलाप का अनभु व और िविभ न त य से प रपणू लेखाा-जोखाजोखा ततु िकया जाता है। वह िव ि
ारा सरकारी कायालय, यावसाियक ित ान ान, गैर सरकारी संगठन तथा राजनीितक दल आिद क गितिविधय ,
योजनाओ,ं घोषणाओ,ं िनदश आिद से सबं ंिधत सचू नाओ ं को सबं ंिधत यि य या सामा य जनता तक सहजता से
समाचार प के मा यम से पहँचचाया
ाया जा सकता है।
46 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
5.3 क य-पाठ
‘ ितवेदन’ और ‘िव ि ’ िकसी भी कायालय के िलए दो मह वपपणू िवधाएँ ह। इन दोन िवधाओ ं के िबना
िकसी भी कायालय का काय सुचा प से नह चल सकता। इन दोन िवधाओ ं का सरकारी और यावसाियक ित ान
क ि से मह व इस कार है :
5.3.1 ितवेदन का मह व
ितवेदन को सामा य तौर पर अं जे ी के ‘ रपोट’ का पांतरण मान िलया जाता है। अं जे ी से आने के कारण
इस िवधा का व प भी अं जे ी के रपोट पर आधा रत वीकार िकया गया है लेिकन िव ेषण क ि से देखा जाए तो
इन दोन म अतं र है। जहाँ रपोट िकसी घटना का सामा य िववरण है वह ितवेदन िकसी इससे िभ न एक िव तृत ि क
अपे ा रखता है। यह एक कार का िलिखत िववरण है िजसम िकसी काय मम, घटना, काययोजना, काययोजना बैठक आिद के
कायकलाप का अनभु व और िविभ न त य से प रपूण लेखाा-जोखा ततु िकया जाता है। इसके अतं गत संबंिधत िवषय
के आक ं ड़ का िववरण ही नह िदया जाता बि क उसके मा यम से िविभ न सझु ाव और सं तिु तयाँ भी ततु क जाती
ह। इस संबंध म Rhoda Doctor & Aspi Doctor का मत है िक ‘ ितवेदन एक ऐसा लेख है, िजसम सूचना देने के
उ े य से िकसी सम या क जाँच क जाती है और उस संबंध म िन कष, िवचार और कभी-कभी कभी िसफा रश भी ततु क
जाती ह।’’ (Rhoda Doctor and Aspi Doctor, Principal and Pratice of Business Communication,
Communication Pg.
129)
जैसे िकसी भी दघु टना या अपराध के समबंध म पिु लस ारा उसक रपोट यायालय के सम रखी जाती है।
इसी तरह से िकसी समाचार प म काय करने वाला संवाददाता िविभ न घटनाओ ं को देखकर त य के आधार पर
समाचार-पप के िलए रपोट तैयार करता है। लेिकन कायालय म ततु क जाने वाली रपोट के वल त य पर आधा रत
नह होती। जैसे िकसी भी सरकारी कायालय ारा िकसी योजना का आरंभ करने से पवू उस योजना से सबं ंिधत सामािजक
िहत को ि गत रखते हए िकसी सिमित का गठन कर उसके संबंध म बैठक या काय म ारा उस पर िवचार िकया
जाता है और उसके प रमाण के समबंध म िमलने वाले िन कष के आधार पर सिमित क ओर से िकसी अिधकारी ारा
उसका ितवेदन तैयार कर सबं िं धत िवभाग को भेजा जाता है। इस ितवेदन म योजना से सबं िं धत सामािजक आक ं ड़,
उससे लाभ ा करने वाले सामािजक क ि थितय , उनके त कालीनन और दरू गामी प रणाम क सचू ना व सिमित के
सझु ाव व सं तिु तय को ततु िकया जाता है। जैसे िकसी बक का मु यालय यिद िद ली म है और िविभ न े ,
उसक शाखाएँ और े ीय कायालय ह तो इन शाखाओ ं और कायालय म िनयिमत प से चलने वाली गितिव गितिविधय ,
कायालय और शाखाओ ं क ि थितय , मािसक- ैमािसक लाभ-हािन हािन आिद से समबंिधत जानका रय को उन शाखाओ ं
और े ीय कायालय ारा येक ितमाही या छमाही के अतं गत ितवेदन के मा यम से भेजा जाता है।
िविभ न यावसाियक ित ान म इसक उपयो उपयोिगता
िगता ओर भी अिधक होती है। इन ित ान का मु य उ े य
लाभ कमाना होता है। इसिलए िकस ोड ट क बाजार म माँग और उसके लि त उपभो ा वग क िच के िलए ये
ित ान अपने कायालय ारा सव कराकर उनका ितवेदन अपने मु यालय को भेजते ह िजससे यावसाियक ित ान
उसके अनु प योजना बनाकर अपने ोड ट तैयार कर बाजार म उतारता है।
47 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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ऑल य.ू जी. कोसस
48 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
5.4 िन कष
िन कष प म कहा जा सकता है िक ‘ ितवेदन’ और ‘िव ि ’ दोन ही िलिखत स ेषण के मा यम होने के
कारण कायालय / ित ान के िलए मह ववपणू भिू मका िनभाते ह। जहाँ ‘ ितवेदन’ के ारा िविभ न कार क सरकारी
योजनाओ,ं यावसाियक
ियक ित ान क बाजार क माँग, िकसी घटना क जाँच आिद के संबंध म िन प प से ा
िनणय के आधार पर उिचत िन कष पर पहँचा
चा और सही सझु ाव और सं तिु तय ारा उसे ि याि वत िकया जा सकता है।
वह ‘िव ि ’ ारा िकसी भी ित ान क सही सच ू नाओ ं को अनाव यक जानकारी के िबना ययि य और सामा य
जनता तक पहँचाया जा सकता है।
5.5 अ यास- न
1. ‘ ितवेदन’ के मह व को प क िजए।
2. ‘िव ि ’ का सरकारी कायालय के िलए या मह व है?
5.6 सदं भ- ंथ
1. Rhoda Doctor and Aspi Doctor, 'Principal
Principal and Pratice of Business Communication',
Communication Sheth
Publishers Pvt. Ltd. Benglore
2. शमा, चं पाल (1991), 'कायालयी
कायालयी िहदं ी क कृ ित', समता काशन, िद ली
3. पातंजिल, ेमचंद (2009), ' यावसाियक िहदं ी', वाणी काशन, िद ली।
49 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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ऑल य.ू जी. कोसस
1.1 अ धगम का उ दे य
1.2 तावना
1.3 वव ृ का अथ एवं व प
1.3.1 बोध- न
1.4 वव ृ के गण
ु
1.5 वव ृ के उदाहरण
1.6 न कष
1.7 अ यास- न
1.8 संदभ- थ
ं
त पधा के वतमान यग
ु म अपने यि त व एवं यो यताओं को इस कार रखना ता क
वयं को े ठ था पत कया जा सके, यह एक आव यकता भी है और चुनौती भी।
भी इस संबध
ं म,
50 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
वव ृ एक मह वपण
ू भू मका नभाता है। िजस कार एक सद
ुं र चेहरा सबको आक षत करता है उसी
कार एक अ छा वव
वृ भी सबको भा वत करता है ।
51 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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ऑल य.ू जी. कोसस
है , इसका यौरे वार अ लेख कया जाता है। इसके अ त र त व भ न कार के शोध-काय ,
सामािजक या-कलाप
कलाप आ द का कोई अनुभव हो तो उसे भी दया जाता है ।
शै क सं थाओं या अनेक नजी े क सं थाओं म
नधा रत दै नक काय के अ त र त अ य ग त व धय या या-कलाप
कलाप को भी मह व दया
जाता है। शै क यो यता एवं काय
काय-संबध
ं ी अनभ
ु व के अ त र त य द सां कृ तक या खेलकूद
संबध
ं ी ग त व धय म च एवं अनभ
ु व हो तो उसका उ लेख भी वव ृ म अव य कया
जाता है । इस कार के ववरण आवेदक के यि त व को व श ट एवं मह वपण
ू बनाते ह
और कुछ सं थाएँ इस कार क यो यताओं को उ चत मह व भी दे ती ह ।
ऊपर दए गए बंदओ
ु ं म व णत जानकार के अ त र त य द कोई सच
ू ना शेष
रह जाती है , तो वह इस थान पर लखी जाती है। ववाह आ द के लए लखे गए वव ृ म
पा रवा रक सद य क जानकार आ द दए जाते ह।
कई बार आवेदक के च र या यि त व के वषय म जानकार ा त करने या
सामािजक िज मेदार क ि ट से समाज के दो या तीन ति ठ
ठतत यि तय के संदभ माँगे
जाते
ते ह। इसम संबं धत यि तय का नाम और परू ा पता द
दया जाता है ।
वव ृ म वह त य एवं जानकार व
वशेष प से दए जाते ह जो नौकर ा त करने म
सहायक ह या आव यकतानस
ु ार जो आवेदक क यो यताओं पर वशेष प से काश डालते ह ।
.3.1
न न ल खत न के उ र एक-दो
दो पंि तय म द िजए
िजए-
1. व का अथ होता है , व ृ का या अथ होता है ।
2. वव
वृ म कस तरह क जानकार द जानी चा हए।
52 । पृ ठ
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
53 । पृ ठ
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िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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ऑल य.ू जी. कोसस
1. : र व राज शमा
2 : 18 अग त 1979
3. : ी राज कुमार शमा
4. : 230, भगवान नगर, नई द ल - 110014
5.
न कषत: हम कह सकते ह क व
वव ृ
लेखन का एक यिि त के लए बहु त मह व रखता है,
य क वव ृ यि त के यिि त व और उसक यो यता
ता को दशाता है । इस लए उसका े ठ होना
आव यक है, वैसे भी यह यग
ु त प
पधा का यग
ु है । अत: वव
वृ लखते समय या तैयार करते समय
स
इस बात के लए यहाँ बल दया गया है क वव ृ आकषक हो और े ठ हो। इस कार यि
य त के
यो यता को े ठ मा णत करने म व
वव ृ एक मह वपण
ू भू मका तत
ु करता है ।
54 । पृ ठ
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
न न ल खत न के उ र व ता
तार से द िजए-
2. वव ृ -ले
लेखन के समय कन
कन- कन बात का यान रखना चा हए?
2. ' योजनमल
ू क हंद क नई भू मका
मका'-कैलाश चं पांडय
े
3. ' योजनमल
ू क और कायालयी हंद '-कृ ण कुमार गो वामी
55 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
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परेखा
2.1 अिधगम का उ े य
2.2 तावना
2.3 क य-पाठ
2.3.1 प रभाषाएँ
2.3.2 सचू ना का अिधकार
2.3.3 सचू ना के अिधकार पर ितबंध
2.3.4 बोध- न
2.3.4 सचू ना देने क ि या
2.4 िन कष
2.5 अ यास- न
2.6 संदभ- थं
2.1
‘सचू ना का अिधकार’ भारत सरकार ारा िदसंबर 2002 म थािपत एक ऐसा अिधिनयम है िजसके अतं गत
भारत का कोई भी नाग रक सरकार तथा उससे स ब िकसी भी िवभाग या सं था से सचना
चू ना ा कर सकता है। इस पाठ
को पढ़कर िव ाथ –
‘ससचू ना के अिधकार अिधिनयम 2002’ को समझ सकगे।
‘ससचू ना के अिधकार अिधिनयम
अिधिनयम’ का उपयोग कर िकसी भी सरकारी तथा उससे स ब सं थान से आव यक
सचू ना ा करने क ि या को जान सकगे।
2.2 तावना
‘सचू ना का अिधकार’ से ता पय है भारत के िकसी नाग रक को सरकार तथा उससे स ब िकसी भी िवभाग या
सं था से सचू ना ा करने का सवं ैधािनक अिधकार
अिधकार। यह अिधकार भारतीय नाग रक को भारतीय ससं द ारा िदस बर
2002 म ‘सचू नािधकार िवधेयक’ ारा द िक िकया गया है। शासन तथा कायपािलका के काय म पारदिशता लाने के
िलए ही इस कानून क आव यकता को यान म रखते हए भारत सरकार ने इसे लागू िकया। देश के िविभ न रा य के गैर-
56 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
2.3 क य-पाठ
भारत के येक नाग रक को सरकार तथा उससे स ब िकसी भी िवभाग या सं था से सचू ना ा करने का
संवैधािनक अिधकार है। भारतीय संसद ारा ये अिधकार िदस बर 2002 म ‘ससचू नािधकार िवधेयक’
क को पा रत कर दान
िकया गया। शासन तथा कायपािलका के काय म पारदिशता लाने के िलए ही इस काननू क आव यकता को िपछले
काफ समय से महससू िकया जा रहा था। देश के िविभ न रा य के गैर-सरकारी सरकारी संगठन के वष के संघष के
प रणाम व प ही इस िवधेयक को संसद के पटल पर रखा गया। ल बे संघष के बाद यह काननू देश म 15 जून, 2005 से
भावी हो गया है।
भारत क वतं ता के से ही समाज के िविभ न वग तथा गैर-सरकारी
सरकारी सगं ठन ारा यह माँग उठायी
जाती रही िक सामा य जनता को सचू ना का अिधकार िमलना चािहए। इस िदशा म ि तीय ेस आयोग ने भी सरकार से
इस माँग को दोहराया। सन् 1990 से सभी राजनीितक दल ने इस िदशा म पहल भी क और अपने-अपने चनु ावी
घोषणाप म सचु ना के अिधकार को काननू बनाने का वायदा िकया। सन् 1996 म भारतीय ेस प रषद ने िविभ न
िवशेष के साथ िमलकर इस िदशा म पहल क ओर सचू नािधकार िवधेयक का मसौदा तैयार िकया और इस मसौदे को
क सरकार के पास भेज िदया। क सरकार ने ‘कॉमन-कॉज़’ नामक एक गैर सरकारी वैि छक सगं ठन के िनदेशक
एच.डी. शौरी क अ य ता म 9 सद यीय कमेटी का गठन िकया। सिमित ने इस मसौदे म अपेि त प रवतन करते हए इसे
‘सचू ना क वतं ता िवधेयक’ के नाम से सरकार को स प िदया और सरकार ने इस िवधेयक को ‘सचू नािधकार िवधेयक’
के नाम से 16 िदस बर, 2002 को संसद म पा रत कर िदया। लेिकन इस िवधेयक के अतं गत अनेक किमयाँ होने के कारण
िविभ न संशोधन के ारा इसे 15 जून, 2005 से ज मू एवं क मीर तथा रा ीय मह व के कुछ सं थान को छोड़ सारे
भारत म लागू कर िदया गया। भारतीय ेस प रषद ारा सन् 1996 म तैयार मसौदे के अतं गत ‘ससचू ना का अिधकार’ का
ा प क मु य बात इस कार है-
2.3.1 प रभाषाएँ
(क) ‘सचू ना’ से वह साम ी अथवा सचू ना अिभ ेत है जो िक एक लोक लोक- ािधकारी के काय , शासन अथवा
आचरण से स ब है िजसके बारे म जनता को जानने का अिधकार है और इसम लोक लोक- ािधकारी के काय से
स ब कोई द तावेज अथवा रकाड शािमल है,
(ख) ‘िविहत’ से अिधिनयम के अतं गत िनयम ारा िविहत अिभ ेत है,
(ग) ‘लोक ािधकारी’ म शािमल
िमल है
(1) संसद और भारत सरकार तथा भारत के े ािधकार के भीतर येक रा य सरकार और िवधानमंडल
तथा थानीय
नीय अथवा अ य ािधकारी
ािधकारी, और
57 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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58 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
2.3.5 सच
ू ना देने क ि या
(क) इस अिधिनयम के अतं गत लोक
लोक- ािधकरण से सूचना माँगने वाला उस के स मख
ु आवेदन
करे गा जो िक िफलहाल लोक
लोक- ािधकरण भारी है।
(ख) माँगगीी गई सचू ना को आवेदक को आवेदन प ा देने के तीस िदन के भीतर लोक
लोक- ािधकारी
िधकारी ारा दी जायेगी और
जहाँ ऐसी सूचना िकसी यि के जीवन अथवा दैिहक वतं ता से स ब है, सचू ना आवेदन करने के 48 घंट
म दी जाएगी।
(ग) माँगगीी गई सचू ना िलिखत म अं ेजी अथवा िहदं ी अथवा रा य क भाषा म दी जाएगी।
(घ) माँगगीी गई सचू ना के बदले म लोकलोक- ािधकारी को शु क लेने का अिधकार होगा।
इस अिधिनयम के अतं गत यिद लोक लोक- ािधकारी िकसी सचू ना को देने से इक
ं ार करता है तो उसे इक
ं ार करने के
कारण िलिखत प म देने ह गे। तीस िदन के भीतर यिद सचू ना ा नह होती तो इसके िलए उ च यायालय अथवा
उ चतम यायालय के पास आवेदक को अपील करनी होगी। सूचना के िलए िनयु त ािधकारी सचू ना न देने क ि थित
म उ रदायी होगा। गलत सचू ना देने क ि थित म ािधकारी पर दडं लगाया जा सकता है।
इस तरह सचू ना के अिधकार को सामा य जनता को स पकर िवधाियका ने एक मह वपणू काय िकया है। इसके
आधार पर िकसी भी को िकसी भी सचू ना को ा करने के िलए सादे कागज पर अपना आवेदन सबं ंिधत
ािधकारी को दस पए के ा ट के साथ ततु करना होगा। स बि धत जानकारी के िलए यिद आवेदक को कुछ
द तावेज को ा करना है तो येक द तावेज क छाया ित के िलए दो पए ित कॉपी देय होगा। तीस िदन तक
आवेदक को उ र ा न होने क ि थित म वह उ च यायालय म अपनी िशकायत दज कर सकता है। िजसके आधार पर
संबंिधत अिधकारी के िव यायालय कायवाही कर सकता है।
वतमान म इस कानून के िवषय म सामा य जनता को अिधक जान जानकारी
कारी नह है या िफर वह इसे ि या वयन क
ि या को सचु ा प से नह समझ पाया है। इसके िलए अनेक गैर-सरकारीसरकारी सगं ठन तथा याियक ि या से जुड़े लोग
ने सहयोग देना आर भ कर िदया है। गरीबगरीब-से-गरीब अथवा अमीर-से-अमीर को इस काननू को योग करने का
समान अिधकार है इसिलए सिलए सरकार को यास करने चािहए िक वह इस काननू के िवषय म आम-जनता आम के बीच जाकर
इसका चार करे िजससे लोग अपने अिधकार के ित जाग क होकर इस काननू का उपयोग कर सक। िनर र जनता के
िलए सरकार को िविभ न कायालय को उिच उिचत िदशा-िनदश जारी करने चािहए जहाँ जाकर िनर र लोग,लोग या िफर सामा य
जनता आवेदन के ा प को समझ सके तथा आवेदन को तैयार करवाने म सहयोग ले सके ।
59 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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ऑल य.ू जी. कोसस
सच
ू ना का अिधकार अिधिनयम
अिधिनयम, 2005 क धारा 6(1) के अंतगत आवेदन-पप का ा प
सेवा म,
जनसचू ना अिधकार (Public
Public Information Officer
Officer)
िवभाग का नाम ______________________
िवभाग का पणू पता ___________________
िपन कोड __________________________
िवषय : सचू ना का अिधकार अिधिनयम 2005 के अतं गत सचू ना ाि के िलए आवेदन।
महोदय/महोदया,
सचू ना का अिधकार अिधिनयम
अिधिनयम, 2005 के अतं गत नीचे िदएए गए के िलिखत उ र देने क कृ पा कर
न 1. _______________(यहाँ यहाँ ितभागी अपने ारा पछू े जाने वाले न को िलख।) _______
न 2. _______________(यहाँ यहाँ ितभागी अपने ारा पछू े जाने वाले न को िलख।) _______
न 3. _______________(यहाँ यहाँ ितभागी अपने ारा पछू े जाने वाले न को िलख।) _______
न 4. _______________(यहाँ यहाँ ितभागी अपने ारा पछू े जाने वाले न को िलख।) _______
( ितभागी चाहे तो सूचना ा करने के िलए एक या एक से अिधक न पूछ सकता सक है।)
मेरे ारा माँगगीी गई सचू ना के िलए शु ल के प म . ______ के पो टर ऑडर / बक ा ट नंबर
__________, जारी करने क ितिथ _________ संल न है।
अथवा ( ितभागी यिद गरीबी रेखा के अंतगत आता है तो तो)
महोदय/महोदया, म गरीबी रे खा के अतं गत आता
आता/आती
आती हँ इसिलए मझु े सूचना का अिधकार अिधिनयम के
िनयमानसु ार शु क से मु त हँ। इसके िलए अपने गरीबी रे खा से नीचे के स यािपत द तावेज़ संल न करके ेिषत कर
रहा/रही हँ।
भवदीय/भवदीया,
आवेदक के ह ता र
(आवेदक का नाम)
आवेदक का परू ा पता िपन कोड सिहत
आवेदक
दक का ईमेल व मोबाईल नंबर
िवशेष
1. आवेदक को िजस िवभाग/ससं थान
थान/कायालय
कायालय के िलए आवेदन करना है उस िवभाग क वेबसाईट से जनसचू ना
अिधकारी क पणू जानकारी ा कर ल। अिधिनयम के अनसु ार येक कायालय को अपने यहाँ िनयु
60 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
61 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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ऑल य.ू जी. कोसस
2.5 अ यास- न
1. ‘ससचू ना का अिधकार अिधिनयम 2002’ भारतीय नाग रक को या अिधकार दान करता है?
2. ‘ससचू ना का अिधकार अिधिनयम 2002’ म तीसरे प क सचू ना को ा करने के िलए या ावधान है?
3. ‘ससचू ना का अिधकार अिधिनयम 2002’ क आव यकता य पड़ी?
2.6 सदं भ- ंथ
1. अरोड़ा, हरीश (2009), 'िि ट मीिडया लेखनन', के .के . पि लके श स, नई िद ली-110002
110002
2. https://bis.gov.in/PDF/pdf/rti/RTI
https://bis.gov.in/PDF/pdf/rti/RTI2005.pdf
62 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
3. कायालयी प -लेखन
ो. हरीश अरोड़ा
पी.जी.डी
डी.ए.वी. कॉलेज (सां य)
िद ली िद ली
परेखा
3.1 अिधगम का उ े य
3.2 तावना
3.3 कायालयी प ाचार
3.4 कायालयी प ाचार एवं सामा य प ाचार
3.5 कायालयी प के लेखन के आव ययक त व
3.5.1 बोध- न
3.6 कायालयी प ाचार के कार
3.7 िन कष
3.8 अ यास- न
3.9 संदभ- थं
3.1
ततु पाठ का अ ययन करने के उपरातं
कायालयी प से प रिचत हो सकगे।
‘कायालयी प ाचार’ क लेखन िविध को समझ पाएगं े।
‘कायालयी प ाचार’और ‘सामा
सामा य प ाचार
ाचार’ के अतं र को समझ सकगे।
कायालयी प ाचार के मह व से अवगत हो सकगे।
3.2 तावना
सरकारी कायालय क काम को सचु ा प से चलने के िलए िलखे जाने वाले प को ही कायालयी प कहा
जाता है। इनका योग िकसी सरकारी कायालय के शासिनक काम
काम-काज
काज के दौरान िकया जाता है। लेिकन वतमान समय
म िविभ न गैर-सरकारी
सरकारी सं थान और सरकार से अनदु ान ा वैि छक सं थान के कायालय ारा िकया जाने वाले प -
यवहार भी कायलायी प ाचार के अतं गत वीकार िकया जाता है। लेिकन इस पाठ म के वल सरकारी कामकाम-काज क
63 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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ि या के दौरान िकये जाने वाले प - यवहार को ही ‘कायालयी प ’ के प म वीकार करते हए उसक लेखन िविध
के सबं ंध म िवचार िकया जा रहा है।
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
6. यथात यता – कायालयी प ाचार म भावक ु ता का थान नह होता। अभी िवषय को ततु करने के िलए
लेखक को त य को यथानु प रखना होता है। सामा य प ाचार म लेखक और प - ा कता के म य अतं रंग
संबंध के कारण भावक
ु ता को िवषयानु प रखा जाता है।
3.5 कायालयी प के लेखन के आव ययक त व
कायालयी प -लेलेखन क अपनी एक सु नि चत ि या होती है। सामा यतः कायालयी प का लेखक
िवषय को अपनी ितभा से भावपणू ढंग से ततु करता है, िफर भी प -लेखक क नि चत िविध के कारण
उसे भी कुछ सामा य िवशेषताओ/ं त व का यान रखना पड़ता है। कायालयी प -लेखन के आव यक त व इस कार ह–
1. प रशु ता – कायालयी प म त य क तिु त का िवशेष मह व होता है। ये त य प रशु प से आने
चािहये अथात प म िमिसल (फाइल) सं या, ितिथ, माँक, संदभ, आँकड़े तथा िवषय संबंधी
त य पणू प से प एवं याथात य होने चािहये। इनक ुिट से प म ितपा िवषय के यथाथ का पणू ान
नह हो पाता िजससे वा तिवक त य के अभा
अभावव म कायालय के काय म गितरोध उ प न होता जाएगा।
जाए इसिलए
आव यक है िक सबं धं ी अिधकारी प पर ह ता र करने से पवू स पणू त य क जाँच कर ले।
2. प ता – कायालयीप म क य साम ी प होनी चािहए। प क उपयोिगता तभी साथक हो सकती है जब
उसम क य साम ी िवषय को पणू प से प कर सके । ऐसा न हो िक प ा कता को प भेजने
वाले से उसके आशय को समझने के पनु ः सपं क करना पड़े।
3. िवषय-एकाि वित – सामा यतः कायालयी प म एक ही िवषय को आधार बनाकर प िलखा जाता है।
कायालयी प म मल ू िवषय आरंभ म ही िलख िदया जाता है। शेष प म उसी मल ू िवषय से सबं िं धत त य का
उ लेख होना चािहए। एक से अिधक िवषय के होने से सभी िवषय से सबं ंिधत बाते सहजता से ि याि वत नह
हो पात । यिद एक से अिधक िवषय से संबंिधत िवभाग का अिधकारी एक ही हो और उस प क स पणू
जानकारी एक ही फाइल के अतं गत आती हो तो कोई सम या नह होती िक तु यिद उन िवषय पर कायवाही
कने वाले अिधकारी अलग--अलगअलग िवभाग म ह तो सभी िवभाग म उस प का एक साथ पहँच पाना सभं व
नह हो पाता। इसके अित र त संबंिधत अिधकारी के िलय प से अपने िवषय के अित रक्त अ य साम ी यथ
ही होगी। अतः एक प म सामा य प से एक ही िवषय होना चािहए।
4. सिं ता – वतमान सामा य म य तताओ ं के कारण सिं ता कायालयी प के िलए अ यिधक मह वपणू
त व बन गया है। प म अभी िवषय से सबं ंिधत त य का ही ससमावे
मावेश होना चािहए। लंबे प म िवषयांतर होने
का भय तो बना ही रहता है, साथ ही उन पर अितशी कायवाही भी नह हो पाती। इसिलए आव यक है िक
प -ले
लेखक को प म सारगिभत एवं त यपणू साम ी ही देनी चािहए।
5. वतः-पूणता – संि ता का अथ यह कदािप नह है िक प अधरू ा हो। कायालयी प अपने मतं य म पणू
होना चािहए। अभी िवषय के सदं भ म माँगी
गी गई जानकारी ेिषत प म पणू प से भेजी जानी चािहए। अपणू
जानकारी होने पर ेिषती (पप ा कता
कता) प ीकरण के िलए बार-बारबार प िलखता रहेगा। सबं ंिधत अिधकारी
इस बात का यान भी रखे िक प भेजे जाने से पूव उस पर उसके ह ता र अव य ह ।
65 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
67 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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उदाहरण–
प माँक : 2-3/2003 (सी.य.ू )
िव विव ालय अनदु ान आयोग
बहादरु शाह ज़फ़र माग
नई िद ली-110002
िदनांक : 21 जनवरी, 2022
सेवा म,
ो. िवकास गु ा
कुलसिचव
िद ली िव विव ालय
िद ली-110007
िवषय : रा ीय िश ा नीित
नीित-2020 के अनु प नए पाठ्य म लागू करने के संबंध म।
महोदय,
आपके प माँक 325/2003
2003/डी.य.ू िदनांक 2 जनवरी, 2022 के संदभ म आपको यह सिू चत करने का िनदेश
हआ है िक भारत के सभी क ीय तथा उनके अधीन थ म वष 2022-2023 के स
से नवीन रा ीय िश ा नीित-2020 के अनु प नए पाठ्य म को लागू करने का िनणय िलया गया है। इस संबंध म
िश ा मं ालय ारा िति त वै ािनक के . क तरू ीरंगन क अ य ता म गिठत िवशेष सिमित क रपोट के अनसु ार ही नए
पाठ्य म को लागू िकया जा सकता है। सिमित क रपोट क ित आपको ेिषत क जा रही है।
अनदु ान आयोग चाहता है िक उ च िश ा के े म यावसाियक और तकनीक िवषय को
भी िवशेष थान िदया जाए िजससे के सामने उनके उ जवल भिव य के िलए िवषय चयन करने म अिधक
सगु मता हो।
भवदीय,
ह त/-
( ो. मनीष आर जोशी)
सिचव
सल
ं नक :
1. ‘क तरू ीरंगन सिमित’ क रपोट क ित
सचू नाथ ितिलिप :
1. कुलपित, िद ली , िद ली-110007
2. सिचव, िश ा मं ालय, भारत सरकार
68 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
2. अध-सरकारी (अध-शासक
शासक यय) प
यह प सरकारी प क तरह परू ी तरह औपचा रक नह होते। इनम िक
िकसी
सी कायालय के अिधकारी ( ेषक) ारा
दसू रे कायालय के अिधका रय ( ेिषती
षती) से यि गत तर पर सरकारी काय को िनपटाने हेतु अनुरोध िकया जाता है। ये
प ेषक अिधकार के यि गत नाम से िलखे जाते ह और एकवचन उ म पु ष म होते ह। ऐसे प ायः िवशेष
प रि थितय म िलखे जाते ह जब –
िकसी िवषय म अ यिधक देरी हो रही हो और उसे शी िनपटाना हो।
िवषय गोपनीय हो।
िकसी िवशेष सचू ना को ा करना हो।
अध-सरकारी
सरकारी प क िवशेषता है िक यह नाम से ही िलखे जाते ह। इसम अिभवादन म
महोदय/महोदया के थान पर ‘िि य ीी/सु ी/डॉ./ ो. ____________’ िकया जाता है और विनदश म
‘भवदीय/भवदीया के थान पर ‘आपका
आपका______/आपका िहतैषी’ आिद िलखा जाता है। इसम ेषक अिधकारी का नाम
व पदनाम िदनाकं के प के ऊपर बाई ं ओर िलखा जाता है तथा ेिषती का नाम और पता ह ता र के
प के बाई ं ओर िलखा जाता है। प के अतं म ेषक अिधकारी का के वल नाम िलखा जाता है उसके आगे डॉ डॉ./ ो. जैसे
श द का उपयोग नह िकया जाता तथा नाम के प ात पदनाम भी नह िलखा जाता।
उदाहरण–
प माँक ______________________
महा मा गाधं ी अतं ररा ीय िहदं ी
गांधी िहल, वधा
महारा -442001
नई िद ली
2 माच, 2023
ेषक
ो. रजनीश शु ल
कुलपित
िवषय : थानांतरण सबं ंधी िनयमावली के सबं ंध म।
ि य डॉ. व प िसंह,
म आपका यान अपने के प माँक 25/7/953 िदनांक 28 जनवरी 2023 और
अनु मारक 14 माच 2023 एवं 25 माच 2023 क ओर िदलाना चाहता हँ, िजसम अपके कायालय से े ीय िनदेशक
तर से ऊपर के अिधका रय के थानांतरण संबंधी िविश िनयमावली क ित माँगी गई थी,, वह ितिलिप अभी तक
ा नह हई है।
69 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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ऑल य.ू जी. कोसस
ह ता/---
(रजनीश शु ल)
ेिषती
डॉ. व प िसंह
सिचव, िश ा मं ालय
भारत सरकार, नई िद ली।
3. कायालय ापन
िविभ न मं ालय एवं उसके िवभाग के म य िकसी िवशेष सचू ना के िलए कायालय ापन का योग होता है।
अ य पु ष शैली के ारा इस ापन म ेषक क, भवदीय, सेवा म, भवदीय आिद का योग नह िकया जाता। अतं म के वल
संबंिधत अिधकारी के ह ता र एवं को क म उनका नाम व पदनाम दाई ं ओर िदया जाता है। ेिषत का नाम और पता
नीचे बाई ओर िदया जाता है। उदाहरण –
माँक :______________
अनदु ान आयोग
बहादरु शाह ज़फ़र माग
नई िद ली
िदनांक : 10 जनवरी 2023
िवषय : क ीय म खाली पड़े अ यापक य पद के सबं ंध म।
अधोह ता री को सभी क ीीय को यह सूिचत करने का िनदेश हआ है िक
अपने यहाँ के सभी िवभाग , महािव ालय म अ यापक य वग के खाली पड़े पद क पणू जानकारी मब प से द
तािक आयोग क 13वी वी पंचवष य योजना के अतं गत उनक अनुदान रािश म वृि क जा सके ।
ह ता/-
(क ख ग)
सिचव
70 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
अनदु ान आयोग
ित : सभी क ीय के कुलसिचव
4. ापन
कोई मं ालय/कायालय अपने ही भाग , अनभु ाग एवं अधीन थ कायालय को कोई जानकारी भेजता है तो
यह ‘ ापन’ के प म होता है। कायालय ापन व ापन के ा प म कोई अतं र नह होता के वल योग के ि से होता।
ापन का योग मं ालय/कायालय
कायालय के भीतरी प - यवहार के िलए होता है। इसका योग कायालय म सेवारत कमचा रय
ारा ा ाथना-पप आिद के उ र देने के िलए भी िकया जाता है। ापन भी कायालय
कायालय- ापन क तरह अ य पु ष शैली
म िलखा जाता है तथा इसम भी ेषक क, भवदीय, सेवा म, भवदीय आिद का योगग नह िकया जाता। अतं म के वल
संबंिधत अिधकारी के ह ता र एवं को क म उनका नाम व पदनाम दाई ं ओर िदया जाता है। ेिषत का नाम और पता
नीचे बाई ओर िदया जाता है।
उदाहरण–
माँक :______________
क ीय िहदं ी सं थान
आगरा
िदनांक : 10 जनवरी 2023
िवषय : अनापि माण प
ी रिव ितवारी को िद ली के िहदं ी िवभाग से ‘रीितकालीन
रीितकालीन किवता म यगु ीन चेतना’
ना शीषक
िवषय पर पीएच.डी. करने के िलए ‘अनापि
अनापि माण प ’ इस शत के साथ दान िकया जाता है िक उनक शोध-िशशोध ा से
कायालय के काय पर कोईई ितकूल भाव नह पड़ेगा। ितकूल भाव क ि थित म उ ह दी गई अनमु ित िकसी भी समय
र क जा सकती है।
ह ता/--
(क ख ग)
िनदेशक
ित : ी रिव ितवारी,
सहायक, काशन िवभाग
क ीय िहदं ी सं थान,
े ीय कायालय, िद ली
5. प रप
71 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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72 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
भारत सरकार
खेल मं ालय
नई िद ली-110002
िदनाक
ं : 12 जनवरी 2023
अिधसच ू ना
ी कारण िसहं , उपमहािनदेशक (खेल) को िदनांक 25 माच 2023 से अगले आदेश तक इसी िवभाग म
थानाप न प से महािनदेशक पट पर िनयु िकया जाता है। उनक यह ी रंजन मेहता के यागप के कारण
हए र त थान पर क गई है।
ी कारण िसहं ने िदनांक 25 माच 2023 (पवू ा ) को महािनदेशक पद पर अपना कायभार सभं ाल िलया है।
ह ता/-
(क ख ग)
अित र त सिचव (खेल)
खेल मं ालय,
ालय भारत सरकार
3.7 िन कष
िन कष प म कहा जा सकता है िक िकसी भी सरकारी कामकाज को सचु ा प से चलाने और िविभ न
सरकार को समाज के साथ सहजता से संपक बनाए रखने के िलए ‘कायालयी प ’ का योग िकया जाता है। इसके
मा यम से सरकार के सभी कायालय म आपसी समझ और सम वय बना रहता है।
3.8 अ यास- न
1. ‘कायालयी प ’ के ा प को प क िजए।
2. ‘कायालयी प ’ और ‘सामा
सामा य प ’ म अतं र प क िजए।
3. ‘अध-सरकारी प ’ लेखन का उदाहरण सिहत प रचय दीिजए।
4. ‘सरकारी और अध-सरकारी’ प म या अतं र होता है?
3.9 सदं भ- ंथ
1. शमा, चं पल (1991), ‘कायालयी
कायालयी िहदं ी क कृ ित’, समता काशन, िद ली।
2. पातंजिल, ेमचंद (2009),-‘ यावसाियक िहदं ी’, वाणी काशन, िद ली।
3. बाछोितया, हीरालाल (2008),- ‘‘राजभाषा िहदं ी और उसका िवकास’, आय काशन म डल,
डल िद ली।
73 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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ऑल य.ू जी. कोसस
4. यावसाियक प -लेखन
डॉ. मनीराम यादव
मु त िश ा िव ालय
िद ली , िद ली
परेखा
4.1 अिधगम का
4.2 तावना
4.3 यावसाियक प -लेखन
4.4 यावसाियक प -ले
लेखन क मुख िवशेषता
ताएँ
4.4.1 बोध- न
4.5 यावसाियक
वसाियक प के िविवध प ( कार)
4.5.1 बोध- न
4.6 िविभ न यावसाियक
वसाियक प क परे खा
4.6.1 यावसाियक
वसाियक प क सामा य परे खा
4.7 िन कष
4.8 अ यास- न
4.9 संदभ- थं
4.1 अिधगम का उ े य
इस पाठ को पढ़कर िन निलिखत
िलिखत काय कर सकने म स म हो सकगे-
यावसाियक प -ले
लेखन से प रिचत हो सकगे।
यावसाियक प -ले
लेखन क िवशेषताओ ं से अवगत हो सकगे।
यावसाियक प -ले
लेखन क िवशेषताओ ं से प रिचत हो सकगे।
यावसाियक प -ले
लेखन म द हो सकगे।
यावसाियक प -ले
लेखन के मह व को समझ सकगे।
74 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
4.2 तावना
‘प ाचार’ यि -जीवन का एक मह वपूण अगं बन चक ु ा है। यावसाियक ो म तो प -लेखन क यो यता को
सफलता क कंु जी ही माना जाता हैा यहाँ िविभ न कार का प ाचार (Correspondence) वह ‘पल ु ’ है जो वािण य-
यवसाय
वसाय के िवशाल सागर को पार करने का मख ु मा ययम बनता हैा यवसाय आर भ करना हो तो उसके का
िनमं ण-पप तैयार क िजए। िजस कार का ययवसाय हो, उसी के अनसु ार लाइसस-कोटा कोटा आिद पाने के िलए आवेदन
क िजए। िफर अपना यवसायवसाय चमकाने के िलए समाचारप , आकाशवाणी या दरू दशन पर िव ापन देने क आव यकता
भी पड़ सकती है। उसके िलए अलग कार का प - यवहार करना होगा। यवसाय का िहसाब-िकताब िकताब सही रखने के िलए
बक म खाता खोलने, बक से ऋण ा त करने, चैक- ा ट आिद के संबंध म पछू ताछ करने, भगु तान शी करने या रोकने
आिद से सबं िं धत अनेक कार के प ाचार क ि या परू ी करनी पड़ती है। िदन- ित-िदन िदन क यावसाियक
या गितिविधय
से प रिचत रहने के िलए भी प ाचार से सहायता िमलती है। िविभ न उ पादन या व तओ ु ं के भाव-दर
भाव जानना या भेजना,
यादेश (Purchase order) भेजना या पाना
पाना, सं थान, दकु ान या पदाथ िवशेष का बीमा कराना,
कराना आव यक व तओ ु ं या
योजनाओ ं क आपिू त के िलए िनिवदा
िनिवदा-सचू ना कािशत करना या िकसी अ य सं था क जारी क गई िनिवदा-स
िनिवदा चू ना के
अनसु ार कोई अनबु ंध (Contract) लेने के िलए प ाचार करना आिद या यावसाियक े म सफलता पाने के अिनवाय
सोपान ह। इसी से यावसाियक
वसाियक प का मह व प ट है।
75 । पृ ठ
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िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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76 । पृ ठ
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
77 । पृ ठ
© दरू थ एवं सतत् िश ा िवभाग
िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
व ालय
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ऑल य.ू जी. कोसस
1. या यावसाियक प -ले
लेखन एक कला है?
2. िविवध कलाओ ं को िकतने वग म बाँटा गया है?
3. यावसाियक प -ले
लेखन को आप िकस कला के अतं गत मानेग?
4. यावसाियक प -ले
लेखन क िवशेषताओ ं का उ लेख क िजए?
78 । पृ ठ
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
आपके सामा य ान और अ यासस के िलए है। परी ा क ि से, आप अनके आधार पर, अ य ोत से ा त जानकारी
और अनभु व से भी लाभ उठा सकते ह।
4.6.1 यावसाियक प क सामा य परेखा
यावसाियक प ाय: यवसायी वसायी, क पनी, बक, उ ोग, उप म आिद के मिु त प -शीष (लैटर हैड या लैटर
पैड) पर िलखे (या टंिकत िकये) जाते ह। इस ‘प -शीष’ म सं थान का नाम-पता, दरू भाष सं या,या तार-पता, कूट (कोड)
सं या, टेले स न.ं , फै स न.ं आिद यथा था
थानन छपा होता है। इनम से जो बात न छपी हो उसे टंिकत कर िदया जाता है।
इससे प पाने वाले को सिु वधा रहती है।
यावसाियक
वसाियक प थायी मह व के होते ह। उ ह आगामी संदभ के िलए सरु ि त रखना पड़ता है, अत: ‘प -
शीष’ के उपयु त अश ं के बाद ‘पप मांक’ िदनांक भी यथा थान थायी यी प से छपा रहता है। न हो तो टंिकत कर िदया
जाता है। ‘प मांक’ िदनांक भी यथा था थान थायीयी प से छपा रहता है। न हो तो टंिकत कर िदया जाता है। ‘प मांक’
और ‘िदनांक’ के िबना िकसी भी यावसाियक
वसाियक प का कोई मह व नह ।
यावसाियक प म ‘ससंबोधनोधन’ (िजसे या िज ह प भेजा जा रहा है) और विनदश (भे ( जने वाले का नाम, पद
आिद) पणू तया ‘औपचा रक’ होता है। इसम ययि गत या िनजी सबं धं का सक ं े त नह होता। पाने वाला या भेजने वाला
‘ यि ’ न होकर िकसी सं थानन का ितिनिध या पदािधकारी होता है। अत अत: संबोधन म ‘आदरणीय
आदरणीय महोदय’
महोदय अथवा
‘ि य महोदय’ या के वल ‘महोदय’ िलखा जाता है। ‘ विनदश’ के ‘भवदीय’, ‘आपका’ या ‘िव वासपा ’ अथवा
‘शभु िचतं क’ िलखने क पर परा है।
‘भवदीय’ अथवा ‘िव वासपासपा ’ आिद िलखने के बाद प - ेषक के नाम के ( थमा र) (Initials)
ही होते ह और परू ा नाम को ठक (……
…….) म व छ अ र म या टंिकत प से िदया जाता है। प भेजने या िभजवाने
वाले अिधकारी ( ब धक, िनदशक, बधं -सहायक आिद) के पद का िनदश आव यक क है। अिधकाशं सं थान
था म पद-
नाम क महु र बनी होती है। जैसे-
बंधक/िव य बंधक
रा ीीय हथकरघा उ ोग (िद ली शाखा)
कई बार बंधक आिद अिधकारी ववयं नह िलखता। उसके थानन पर कोई अ य नामांिकत या
अिधकार- ा त किन ठ अिधकारी या िलिपक आिद ‘ वा र’ ततु करके , अिधकारी के पद--नाम के साथ बाई ं ओर
‘कृ ते’ िलख देता है िजसका अिभ ाय यह है िक वह ‘पदािधकारी’ क ओर से ह ता र कर रहा है। जैस-े
रा.कु.
कृ ते- महा बंधक
जनरल इं योरस कंपनी
माल रोड शाखा, िशमला
79 । पृ ठ
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िहदं ी औपचा रक लेखन (िहदं ी- ख)
खादी-भंडार
(अिखल
अिखल भारतीय गाँधी आ म ारा संचािलत)
दरू भाष : क.ख.ग. ई-II मॉडन टाउन-2
टाउन
तार : ‘खादी’ िद ली-110009
ली
प - मांक 509/2023/बक-3
िदनांक : 30 िसतंबर, 2023
सेवा म
बंधक
बक ऑफ इिं डया
पंजाबी बाग िव तार
नई िद ली-110026
िवषय : चालू खाता सं या 1102 का थानांतरण
महोदय,
िनवेदन है िक हमारे सं थानन क पंजाबी बाग
बाग-शाखा, िजसका आपके बक म चालू खाता मांक-1102 है, अब
पहली अ टूबर 2023 से मॉडल टाउन--2 के उपयु त पते पर थानातं रत हो रही है।
इस सबं धं म आपसे अनरु ोध है िक उपयु त खाता अपने बक क ‘मॉडलमॉडल टाउन शाखा’
शाखा म थानातं रत कर।
क ट के िलए खेद है।
ध यवाद सिहत, िव वासपा
सल
ं न : खाता-पासबकु रा.पा.
पुन च : कृ पया यह भी सिू चत कर िक हमारी बक खाता सं या वही रहेगी या बदल जाएगी। नयी खाता सं या भी िलख।
उदाहरण-2
एजसी लेने के िलए प
नेशनल वाच कंपनी
दरू भाष : 3960135 9-नानक
नानक मािकट
तार : ‘टाइम वाच’ क मीरी गेट, िद ली-110009
ली
प सं या-9-9999/811/एच
िदनाक
ं : 10.11.2023
सेवा म
उप बंधक (िव य िवभाग)
81 । पृ ठ
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िवभाग, मु त िश ा प रसर, मु त िश ा िव ालय, िद ली िव विव
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