प्रश्न - भारतीय नागरिक और उनकी नागरिकता? उत्तर - भारत में रहने वाले किसी भी अल्पसं ख्यक को, विशे षकर मु स्लिम भाइयों और बहनों को डरने की जरूरत नहीं है । इस कानू न से किसी की नागरिकता छिनने नहीं जा रही है । यह बात स्वयं दे श के गृ ह मं त्री अमित शाह ने कही थी और उन्होंने कहा था, “दे श के गृ ह मं त्री पर सभी का भरोसा होना चाहिए, फिर वे बहुसं ख्यक हो या अल्पसं ख्यक।”
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प्रश्न - क्या इस कानू न से भारतीय मु सलमानों को कोई खतरा है ? उत्तर - इस कानू न में मु सलमानों का कोई अधिकार नहीं जाता। यह नागरिकता दे ने का कानू न है , नागरिकता ले ने का नहीं। इसलिए किसी भी भ्रामक प्रचार में मत आइए। इस कानू न का भारत के मु सलमानों की नागरिकता से कोई सं बं ध नहीं है ।
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प्रश्न - आखिर इस कानू न की जरुरत क्यों महसू स हुई? उत्तर - यह बिल कभी सं सद में न आता, अगर भारत का बं टवारा न हुआ होता। बं टवारे के बाद जो परिस्थितियां आईं, उनके समाधान के लिए यह बिल गृ ह मं त्री अमित शाह ने पे श किया था। पिछली सरकारें समाधान लाई होतीं, दे श का विभाजन न हुआ होता और धर्म के आधार पर न हुआ होता, तो भी यह बिल न लाना होता। UCC नागरिकता संशोधन कानून
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प्रश्न - पाकिस्तान में अल्पसं ख्यक बनाम भारत के अल्पसं ख्यक? उत्तर - ने हरू-लियाकत समझौते के तहत दोनों पक्षों ने स्वीकृ ति दी कि अल्पसं ख्यक समाज के लोगों को बहुसं ख्यकों की तरह समानता दी जाएगी। उनके व्यवसाय, अभिव्यक्ति और पू जा करने की आजादी भी सु निश्चित की जाएगी। यह वादा अल्पसं ख्यकों के साथ किया गया ले किन वहां लोगों को चु नाव लड़ ने से भी रोका गया। उनकी सं ख्या लगातार कम होती रही और यहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, चीफ जस्टिस जै से कई उच्च पदों पर अल्पसं ख्यक रहे . यहां (भारत में ) अल्पसं ख्यकों का सं रक्षण हुआ।
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प्रश्न - क्या यह पं थनिरपे क्ष कानू न है ? उत्तर - कानू न का विरोध करने वालों का ध्यान सिर्फ इस बात पर कि मु स्लिम को क्यों नहीं ले कर आ रहे हैं? आपकी पं थनिरपे क्षता सिर्फ मु स्लिमों पर आधारित होगी? ले किन वास्तव में इस कानू न का मतलब पं थनिरपे क्षता अथवा किसी एक धर्म पर आधारित नहीं है ! इस कानू न में उनके लिए व्यवस्था की गई है जो पड़ोसी दे शों में धार्मिक आधार पर प्रताड़ि त किए जा रहे हैं। ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता दे कर उनकी समस्या को दूर करने के प्रयास किया गया है । प्रधानमं त्री नरे न्द्र मोदी की सरकार ने जो कानू न बनाया है , उसमें निर्भीक होकर शरणार्थी कहेंगे कि हां हम शरणार्थी हैं, हमें नागरिकता दीजिए और सरकार उन्हें नागरिकता दे गी।
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प्रश्न - सिर्फ तीन दे शों के अल्पसं ख्यकों को नागरिकता क्यों? उत्तर - जब इं दिरा गां धी ने 1971 में बां ग्लादे श के शरणार्थियों को स्वीकारा, तब श्रीलं का के शरणार्थियों को क्यों नहीं स्वीकारा गया? दरअसल, समस्याओं को उचित समय पर ही सु लझाया जाता है । इसे राजनै तिक रं ग नहीं दे ना चाहिए।
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प्रश्न - अनु च्छे द - 14 का हनन नहीं होगा उत्तर - अनु च्छे द - 14 में जो समानता का अधिकार है वह ऐसे कानू न बनाने से नहीं रोकता जो रीजने बल क्लासिफिके शन के आधार पर है । यहां रीजने बल क्लासिफिके शन आज है । कानू न में एक धर्म विशे ष का प्रावधान नही है । यह तीन दे शों के सभी अल्पसं ख्यकों के लिए है , जो धर्म के आधार पर प्रताड़ि त हैं। रोहिंग्या मु सलमान क्यों नहीं? जहां तक रोहिंग्या का सवाल है तो वे लोग सीधे हमारे दे श में नहीं आते हैं। वे पहले बां ग्लादे श जाते हैं फिर वहां से घु सपै ठ करके आते हैं।
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उत्तर-पू र्वी राज्यों की सु रक्षा वादा
इस बिल को सं सद में रखते हुए कें द्रीय गृ ह मं त्री
अमित शाह ने कहा था, “मैं सिक्किम और नॉर्थ ईस्ट के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि आर्टिकल - 371 को इस बिल की वजह से कोई दिक्कत नहीं होगी। हम कहीं से भी इस आर्टिकल को नहीं हटाने जा रहे हैं। हम असम समझौते का पू री तरह पालन करें गे । असम की सं स्कृ ति की रक्षा करना हमारा कर्त व्य है और हम इसे पू रा करें गे ।”