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नाम:________________________अनुभाग:_____अनुक्रमािंक:_____हदनािंक:____________

1. संत कवि रै दास कहते हैं कक चंदन को पानी में घिसकर लगाने से
(क) शरीर के अंग-अंग से दग
ु ध
ं आने लगती है । (ख) संपर्
ू ण दे ह की कांघत चली जाती है ।
(ग) चंदन की खुशबू सारे तन में समा जाती है । (ि) उपर्क्
ुण त सभी कथन सही हैं।

2. मोर बादलों को दे खकर क्र्ा करने लगता है ?


(क) दुःु खी होकर पेड़ के पीछे घछप जाता है । (ख) नफ़रत से अपना मुँह
ु फेर लेता है ।
(ग) अपने पंख उखाड़कर फेंक दे ता है । (ि) ख़ुशी से नाचने लगता है ।

3. चकोर ककसे दे खता रहता है ?


(क) चाुँद को (ख) सरू ज को (ग) तारों को (ि) इन सभी को

4. कवि ने प्रभु को ककस प्रकार का दीपक कहा है ?


(क) जजसकी ज्र्ोघत ददन भर जलती रहती है । (ख) जजसकी ज्र्ोघत रात भर जलती रहती है ।
(ग) जजसकी ज्र्ोघत ददन-रात जलती रहती है । (ि) जजसकी ज्र्ोघत सब
ु ह-शाम जलती रहती है ।

5. कवि ने प्रभु से अपना क्र्ा संबध


ं बतार्ा है ?
(क) तम
ु हीरा और मैं रस्सी (ख) तम
ु मोती और मैं धागा
(ग) तम
ु सीप और मैं मोती (ि) तम
ु लॉकेट और मैं चेन

6. घनम्नललखखत में से ईश्िर और कवि के ललए कौन-सा कथन सही है ?


(क) तम
ु माललक मैं ग़ल
ु ाम (ख) तम
ु स्िामी मैं दास
(ग) तम
ु नाथ मैं सेिक (ि) उपर्क्
ुण त सभी कथन सही हैं।

7. ग़रीबघनिाज़ु का अथण है -
(क) दीन-सखु खर्ों पर दर्ा करने िाला (ख) धनी भक्तों पर दर्ा करने िाला
(ग) दीन-दखु खर्ों पर दर्ा करने िाला (ि) उपर्क्
ुण त सभी कथन सही हैं।

8. “माथै छत्र”ु का क्र्ा अथण है ?


(क) लसर पर मोरपंख होना (ख) मस्तक पर स्िामी होने का मक
ु ु ट होना
(ग) माथे पर छार्ा होना (ि) इनमें से कोई नहीं l
9. कविता के अनस
ु ार ईश्िर क्र्ा करते हैं?
(क) राजा को भी रं क बना दे ते हैं। (ख) साध-ु संतों को नीची जाघत का बना दे ते हैं।
(ग) नीच को भी ऊुँची पदिी प्रदान करते हैं। (ि) उपर्क्
ुण त सभी कथन सही हैं।

10. रै दास जी ने दस
ू रे पद में ईश्िर की क्र्ा विशेषता बताई है ?
(क) िह केिल सख
ु ी लोगों पर दर्ा ददखाते हैं। (ख) िह रात को दीपक की ज्र्ोघत से प्रकाश दे ते हैं।
(ग) घनम्न जाघत के लोगों के ललए महल बनिा दे ते हैं। (ि) िह ककसी से नहीं डरते हैं।

11. कविता में ईश्िर ने घनम्नललखखत में से ककसका उद्धार नहीं ककर्ा?
(क) तल
ु सीदास (ख) नामदे ि (ग) कबीरदास (ि) त्रत्रलोचन

12. कविता के अंत में रै दास कहते हैं कक


(क) हरर जी से सब कुछ असंभि हो जाता है ।
(ख) हरर जी से सब कुछ संभि हो जाता है ।
(ग) हरर जी की विशेष कृपा संत सधना पर थी, संत सैनु पर नहीं।
(ि) रै दास से बढ़कर ईश्िर का कोई सच्चा भक्त नहीं।

13. ग़रीबों के लसर पर छत्र कौन रखिा सकता है ?


(क) पज
ू ा (ख) राजा (ग) ईश्िर (ि) कवि

14. रै दास ने “ऐसी लाल तझ


ु त्रबनु …………. सभै सरै ll”– पद में उस समर् की ककस समस्र्ा को उठार्ा है ?
(क) विधिा वििाह (ख) बाल वििाह (ग) अलशक्षा (ि) छुआछूत

15. ईश्िर क्र्ा कर सकते हैं?


(क) नीच से नीच व्र्जक्त को ऊुँचा उठा सकते हैं। (ख) सब पर अपनी कृपा कर सकते हैं।
(ग) रं क के लसर पर भी ताज रख सकते हैं। (ि) उपर्क्
ुण त सभी कथन सही हैं।

16. गोविंद का प्रर्ोग ककसके ललए हुआ है ?


(क) ईश्िर के ललए (ख) गरु
ु के ललए (ग) स्िर्ं कवि के ललए (ि) अन्र् कविर्ों के ललए

17. लमलान कीजजए:


(क)दीपक–चकोर (ख)चंदन–बाती (ग)िन–धागा (ि)मोती–सह
ु ागा (ङ)चाुँद–दास (च)सोना–मोर (छ)स्िामी–पानी
(i) (क) बाती (ख) पानी (ग) मोर (ि) धागा (ङ) चकोर (च) सह
ु ागा (छ) दास
(ii) (क) मोर (ख) धागा (ग) बाती (ि) पानी (ङ) दास (च) सह
ु ागा (छ) चकोर
(iii) (क) धागा (ख) बाती (ग) मोर (ि) पानी (ङ) दास (च) सह
ु ागा (छ) चकोर
(iv) (क) दास (ख) सह
ु ागा (ग) चकोर (ि) धागा (ङ) बाती (च) मोर (छ) पानी
18. धागे की क़ीमत कब होती है ?
(क) जब उसके साथ मोती हो। (ख) जब उसके साथ सोना हो।
(ग) जब उसके साथ दीपक हो। (ि) जब उसके साथ सह
ु ागा हो।

19. ददन-रात ककसकी ज्र्ोघत बढ़ती है ?


(क) दीपक की (ख) बाती की (ग) ईश्िर की (ि) कवि की

20. रै दास अपने आप को ईश्िर रूपी दीपक का क्र्ा बताते हैं?


(क) बाती (ख) लौ (ग) तेल (ि) बतणन

21. रै दास चंदन ककसे मानते हैं?


(क) स्िर्ं को (ख) परमात्मा को (ग) चंदन के िक्ष
ृ को (ि) क़ीमती िस्तओ
ु ं को

22. कवि रै दास को ककसके नाम की रट लग गई है ?


(क)अपनी वप्रर्तमा के नाम की (ख)चंदा के नाम की (ग)परमात्मा के नाम की (ि)मोक्ष प्राप्त करने की

23. कावयािंर् पर आधाररत ब ु विकल्पीय प्रश्न


घनम्नललखखत पद को पढ़कर पछ ू े गए प्रश्नों के उत्तर दीजजए।
अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी।
प्रभु जी, तम
ु चंदन हम पानी, जाकी अुँग-अुँग बास समानी।
प्रभु जी, तम
ु िन बन हम मोरा, जैसे चचतित चंद चकोरा।
प्रभु जी, तम
ु दीपक हम बाती, जाकी जोघत बरै ददन राती।
प्रभु जी, तम
ु मोती हम धागा, जैसे सोनदहं लमलत सह
ु ागा।
प्रभु जी, तम
ु तम
ु स्िामी हम दासा, ऐसी भजक्त करै रै दासा।।

(i) इस पद में ककस भाि की अलभव्र्जक्त हुई है ?


(क) भजक्त भाि (ख) प्रेम भाि (ग) ईर्षर्ाण भाि (ि) घनंदा भाि

(ii) रै दास के अंग-अंग में क्र्ा समार्ा हुआ है ?


(क) चंदन (ख) जल (ग) प्रेम (ि) ईश्िर

(iii) कवि ईश्िर की ओर आशा भाि से ककस प्रकार दे खते हैं?


(क) जैसे मोर जंगल की ओर दे खता है । (ख) जैसे चकोर चाुँद की ओर दे खता है ।
(ग) जैसे पपीहा बादलों की ओर दे खता है । (ि) जैसे ककसान िषाण की ओर दे खता है ।

(iv) रै दास अपने को क्र्ा मानते हैं?


(क) ईश्िर का सखा (ख) ईश्िर का पत्र
ु (ग) ईश्िर का सहचर (ि) ईश्िर का दास

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