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बहार आने तक

यह ऐसी सुबह थी जिसका इंतेजार विनया को नह ं था.

सूरि की पहल ककरणें िब उसके चेहरे पर पडी तो िी में आया कक काल रात का आिरण
ओढ़ हमेशा के ललए उसमें समा िाए . पर जजंदगी आपको एक मशीन बना दे ती है. ददमाग़
में कुछ और चल रहा था, पर शर र उठ के रसोई में िा चुका था. ददल पर चाहे कोई स्याह
साया मंडरा रहा हो, हाथ ननक्की और अनु का नाश्ता बना रहे थे. आँखें चाहे अध छलके
आँसओ
ु ं से भर आई हों , गला आिाज दे के दोनो को उठ के नहाने की गह
ु ार लगा रहा था
"अनु ,ननक्की िल्द से उठ िाओ ,स्कूल बस चल िाएगी" . मधरु डाइननंग टे बल पर आ
गया और नाश्ता कर ननकल गया . बच्चों को अलविदा कर िैसे ह बैठी ,िोह सिाल , िो
परू रात उसके ददमाग़ में सरु ाग कर रहा था,किर कौंधा

"आख़िर मधुर ने मेरे साथ ऐसा क्यूँ ककया?"

कल शाम िब जस्मता ने उसे खििकते हुए िोन कर लमलने को बल ु ाया था ,तो उसकी
आिाज में एक तात्काललकता थी .जस्मता ,िोह उसकी कॉलेि के समय की सहे ल ,मधरु के
ऑिीस में काम करती है.

"समि नह आ रहा कैसे कहूँ िीनू,पर अब पानी सर से उपर ननकल गया है . मधुर का
हुमारे ऑिीस में एक लडकी के साथ चक्कर चल रहा है "

जस्मता बोलती चल गयी .कोई संद


ु र और मॉडनन लडकी है . मधरु उसके पीछे पागलों की तरहा
मंडराता रहता है.

कई कॉल ग्स ने उन दोनों को साथ साथ दे खा है .कुछ ने उन्हें लसनेमा िग़ैरह में भी दे खा
है .जस्मता ने उसके सामने कुछ तस्िीरें भी रखी जिनसे सॉि जादहर हो रहा है कक दोस्ती
आगे बढ़ चुकी है .

जस्मता से क्या कहती िो ?जस्मता ने दोस्त होने की जजम्मेदार परू की है . पर लग रहा है


कक काश जस्मता ने उसे बताया ह ना होता. अंिान रह कर कट तो रह थी ना जजंदगी
आराम से .अब क्या करे गी िो?

आख़िर ग़लती उस की खुद की ह है . मा हमेशा कहती थी कक आदमी सुंदरता के पुिार होते


है ,या उम्दा खाने के .उसने दोनों ह चीजों का अमल ना ककया. बच्चों के होने के बाद से
उसे क्या सध
ु ? िड
ु िा लडककयाँ है ननक्की और अन.ु उन्हें पालने में माँ तो बन गयी िो ,
पर शायद बीिी का भाग इतनी कुशलता से नह ननभा पाई. आँखों के सामने दृश्य तैरने लगे
"िीनू,ककतनी बार कहा है शाम को िब घर आता हूँ , थोडा तयार होकर रहा करो. रोज यह
हल्द आटा सना हुआ चेहरा दे ख मिु े बडा गस्
ु सा आता है .बस बच्चों में ह लगी रहती
हो.पनत को कौन पछ
ू े गा?”

़ियाल यह भी आया कक िाने ककतने ददन से मधुर ने उस से बात भी नह की है , लसिाय "


जरा डाल का डोंगा पास करना, " और " चाय का कप लाना " िैसे िाक्यों के?

लेककन अब उसे क्या करना चादहए?जस्मता के ददए िोटो से तो कोई गुंिाइश नह बची की
हदें तो िो पार कर ह चुका है .क्या उसे मधुर को यह िोटो ददखा कर पूछना चादहए कक यह
सब क्या है ? नह नह , कह ं उसने मान ललया और तलाक़ दे ने की बात की तो? िो क्या
करे गी ? कहाँ िाएगी? मायके तो िा नह सकती ,भाभी दो ददन भी दटकने नह ं दे गी .

खुद का छोडो , इन अबोध बजच्चयों का क्या करे गी?

नह नह , यह ठीक रहेगा. िो कुछ नह बोलेगी .िैसे चल रहा है , चलने दे गी . अच्छी बीिी


बनने की कोलशश करे गी .

रोज सि संिर कर रहा करे गी .अच्छे अच्छे व्यंिन बनाएगी .उसने दे खी है उस लडकी की
िोटो .खूब सुंदर है ,पर विनया भी कुछ कम नह है .कोलशश करे गी तो जरूर मधुर िापस
उसके पास आ िाएगा.

हाँ. यह करना चादहए उसे.

ननश्चय तो कर ललया , पर मन ककया ककसी से बात कर ले. अपनी सहे ल िया को िोन
लगाया. िया ने भी उसकी हाँ में हाँ लमलाई . विनया तलाक़ िग़ैरह यह ह रो ह रोइन को ह
िमते है . आललमनी लमलना भी इतना आसान नह है .िो केरे ला िाला ककस्सा सुना है ना,
िो औरत तो ६ साल से आललमनी के ललए लड रह है . तूने सह और व्यािहाररक ननणनय
ललया है .
दे खते ह दे खते दोपहे र हो गयी. ननक्की और अनु आते ह होंगे. उसने खुद भी कुछ खाया
नह है .ऐसे कैसे चलेगा? उसे अब ध्यान रखना है सब चीजों का. िटािट चप्पल डाल सब्जी
लाने चल पडी .नह , नघया, तोर नह ं , आि पालक पनीर बनाएगी ..पनत को िापस िो पाना
है.

सब्जी के ठे ले पर सडी गल पालक दे ख उसे और गुस्सा आया . शाह पनीर से काम चलाना
पडेगा. िो गढ़िाल डेर िाले से ह पनीर लेनी पडेगी .दो ककलो मीटर दरू है , पर नरम होती है
उसकी पनीर.

इतनी गमी में चलते िाना िाने क्यूँ ननयती लग रह थी . िहाँ पहुँची,पनीर ललया और बगल
िाले पाकन में बैठ गयी एक पल के ललए .घर िाने का मान ह नह था .एक पल आँख क्या
बंद की, एक चचल्लाने की सी आिाज आई " ककसे धोखा दे रह है विनया?"

अंतमनन की आिाज कोई दबा पाया है भला?

"ककसे धोखा दे रह है ? अपने आप को? क्यूँ अपना आक्रोश दबा रह है ?क्या नह ं ददया तूने
इस आदमी को ,इस ररश्ते को ? बोला नौकर छोड दे , छोड द . तन मन से शाद का मान
रखा. अपना प्रेम , अपनी िफादार के बदले ऐसा नतरस्कार ?

और यह कैसा ननणनय है ? िानते हुए भी, कक यह आदमी तिु े धोखे में रख गल


ु च्छरे उडा रहा
था, तू उसका मान रखने चल है ? आत्म सम्मान शब्द का अथन भल ू गयी है क्या?

कोई जरूरत नह ननबाह करने की . मैं हूँ तेरे साथ . तेर आत्मा. तेरा स्िालभमान . तेरा
घायल आत्मा विश्िास. घायल हूँ .पर मरा नह ं. हम तेरे साथ खडे रहें गे , अगर तू अडडग
है . हम तुिे टूटने नह दें गे .

तू पढ़ ललखी है , संभाल लेगी . तेरे पास प्रमाण हैं .

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