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Rajiv
इस प्
ु तक के लेखक हं राजीव कुलरे्ठ |
कामवासना
उस दिन म सम अपेषाकृत शा्त था । पर आकाश मं घने काले बािल छाये
हुये थे । जजनकी वजह से सरु मई अंधेरा सा फैल चक
ु ा था । अभी 4 ही बजे
हंगे । पर गहराती शाम का आभास ह रहा था । उस एका्त वीराने ्थान पर
एक अजीव सी डरावनी खाम शी छायी हुयी थी । ककसी स च ववचार मं मगन
चप
ु चाप खङे वष
ृ भी ककसी रह्यमय रेत की भांतत मालूम ह ते थे ।
तनततन ने एक ससगरे ट सुलगाई । और वष
ृ की जङ के पास म टे तने से दटक कर बैठ गया
। ससगरे ट । एक अजीव चीज । अकेलेपन की बेहतर साथी । दिल दिमाग क सक
ु ू न िे ने
वाली । एक सु्िर समवपित रेसमका सी ourhindi.com
। ज अ्त तक सुलगती हुयी सी रेमी क उसके
ह ठं से चचपकी सुख िे ती है । उसने एक ह्का सा कश लगाया । और उिास तनगाहं से
सामने िे खा । सामने । जहाँ टे ङी मेङी अजीव से बल खाती हुयी निी उससे कुछ ही िरू ी पर
बह रही थी ।
- कभी कभी ककतना अजीव सा लगता है सब कुछ । उसने स चा - जज्िगी भी ्या ठीक
ऐसी ही नहीं है । जैसा ृ्य अभी है । टे ङी मेङी ह कर बहती उ्िे ्य रदहत जज्िगी ।
ितु नयाँ के क लाहल मं भी छुपा अजीव सा स्नाटा । रेत जैसा जीवन । इंसान का जीवन
और रेत का जीवन समान ही है । ि नं ही अत्ृ त । बस तलाश वासना तजृ ्त की ।
- उ्फ ह ! ये लङका भी अजीव ही है । उसके कानं मं िरू माँ की आवाज गँज
ू ी - कफर
से अकेले मं बैठा बैठा ्या स च रहा है ? इतना बङा ह गया । पर समझ नहीं आता । ये
ककस समझ का है । आखखर ्या स चता रहता है । इस तरह ।
- ्या स चता है । इस तरह ? उसने कफर से स चा - उसे खुि ही समझ नहीं
पिमा ने धल
ु े हुये कपङं से भरी बा्टी उठाई । ङर बाथ म से बाहर आ
गयी । उसके बङे से आंगन मं धप ू खखली हुयी थी । वह फटकारते हुये एक
एक कपङे क तार पर डालने लगी । उसकी लटं बार बार उसके चेहरे पर झल
ू
िाती थी । जि्हं वह निाकत से पीछे झटक िे ती थी । वववाह के चार सालं
मं ही उसके य वन मं भरपरू तनखार आया था । उसका अंग अंग खखल सा
उठा था । अपने ही स ्ियि क िे खकर वह म्ु ध ह िाती थी । उसकी
छाततयं मं एक अिीव सा र मांच भर उठता था । वाकई पु ष के हाथ मं क ई
िाि ू ह ता है । उसकी समीपता मं एक वव चर ऊिाि सी ह ती है । ि लङकी
की िवानी क फूल की तरह से महका िे ती है ।
वववाह के बाि उसका शरीर तेिी से भरा था । उसके एकिम ग ल उ्नत
्तन ङर भी ववकससत हुये थे । ये स चते ही उसके चेहरे पर शमि की लाली
ि ङ गयी । ककतने बेशमि ङर लालची ह ते हं सब पु ष । सब यहीं ताकते हं
। बूढी ह या िवान । इ्हं एक ही काम । इसके सलये शायि ङरत कहीं भी
सेफ नहीं । शायि अपने ही घर मं भी नहीं ।
ब लँ ग
ू ी नहीं । शायि मेरे तु्हारे मन मं एक ही बात ह ।
- भाभी ! वह कदठनता से कांपती आवाि मं ब ला - आपने कभी ककसी से
्यार ककया है ?
- ्यार..्यार ? हाँ ककया है ना । वह सहिता से सरल ्वर मं ब ली - िे ख
मन ि । हर लङका लङकी ककश राव्था मं ककसी न ककसी ववपरीत सलंगी से
्यार करते ही हं । भले ही व ्यार एक तरफा ह । ि तरफा ह । सफल ह
। असफल ह । मंने भी अपने गाँव मं एक लङके रािीव से ्यार ककया । पर
व ऐसा पागल तनकला । मझ
ु प की रानी के ्यार की परवाह न कर साधु
बाबा ह गया । हाँ मन ि । उसका मानना था । ई्वर से ्यार ही स्चा
्यार है । बाकी मेरी िैसी स्
ु िर रसीली रस भरी ङरत त िीती िागती
माया है । माया ।
माया । उसने एक गहरी सांस ली । वह चप
ु ही रहा । पर रह रह कर भाभी
के सीने का आकषिण उसे वहीं िे खने क वववश कर िे ता । ङर पिमा उसे
इसका भरपूर म का िे रही थी । इसीसलये वह अपनी निरं उससे समलाने के
बिाये इधर उधर कर लेती ।
- बस । कुछ िे र बाि वह ब ली - एक बार तुम बबलकुल सच बताओ । तुम
च री च री ्या िे ख रहे थे । कफर मं भी तु्हं कुछ बताऊँगी । शायि जिस
स ्ियि की झलक मार से तourhindi.com
ुम बैचन े ह । वह स्पूणि स ्ियि खल
ु कर
तु्हारे सामने ह । ्यंकक..कहते कहते वह की - मं भी एक ङरत हूँ । ङर
मं अपने स ्ियि रेमी क अत्ृ त नहीं रहने िे सकती । कभी नहीं ।
- नहीं । वह तेिी से ब ला - ऐसा कुछ नहीं । ऐसा कुछ नहीं है भाभी माँ ।
मं ऐसा कुछ नहीं चाहता । पर मं सच कहूँगा । ये..ये आपके ्लाउि के
अ्िर ि हं । बस ना िाने ्यं । इ्हं िे खने क दिल सा करता है
।..भाभी.व गाना है ना - तेरे ि अनम ल रतन । एक है राम । ङर एक
लखन । िाने ्यं मुझे ये गाना आपके इनके सलये गाना अ्छा लगता है ।
िब भी मुझे आपकी बाहर कहीं याि आती है । मं इ्हीं क याि कर लेता हूँ
- तेरे ि अनम ल रतन । एक है राम । ङर एक लखन ।
उसकी साफ सरल सीधी स्ची ्प ट बात ङर मासूसमयत पर पिमा हँ सते
हँसते पागल ह उठी । यकायक उसके म ततयं िैसे चमकते िाँतं की बबिली
सी कंधती । ङर उसके हँ सने की मािक मधरु ्वर लहरी वातावरण मं काम
रस सा घ ल िे ती । वह भी मूखं की भांतत उसके साथ हँसने लगा ।
म ठा हीरा भाई वर ब या िाग । कक लाडी बहू सींच सलया रानी ससंची न िा्य
ह कक ्वारा पेला पडया । उनकी सरस ्थ लाई ह । हीरा भाई ढकी सलया
।
इसी रं ग बबरं गी धरती पर वह प की रं गीली रानी आँखं मं रं ग बबरं गे ही
सपने सिाये िैसे सब ब्धन त ङ िे ने क मचल रही थी । उसकी छाततयं मं
मीठी मीठी कसक सी ह ती थी । उसके दिल मं क ई अनिान सी हूक उठती
थी । हाय व क न ह गा । ि उसे बाँहं मं भींच कर रख िे गा ।
सासु न बहू ग र पूिा ही रना िे व । अड सन पड सन ग र पूिा ह रना िे व ।
पड सन पर तट ु य गरब भान ह रना िे व । कसी पट तुटय गरब भान ह
रना िे व । िध
ू केरी िवनी मङ घेर ह रना िे व । पूत कर पालनं पटसल ह
रना िे व । ्वामी सुत सुख लडी सेि ह रना िे व । असी पट तुटय गरब
भान ह रना िे व ।
बताओ । तुम भत
ू रेतं मं वव्वास करते ह । मेरा मतलब । भूत ह ते हं ।
या नहीं ह ते हं ?
तनततन ने एक ससहरती सी तनगाह काली छाया पर डाली । उसका ्यान
सरसराते पीपल के पतं पर गया ।
।
िस
ू री तरफ िे खती पिमा ने यकायक झटके से मँुह घुमाया । उसने तेिी से
्लाउि के ऊपरी तीन हुक ख ल दिये । ङर ना गन सी चमकती आँखं से
उसकी तरफ िे खा ।
- िे ख इधर । वह स्त ्वर मं ब ली - ये ि बङे बङे माँस के ग ले । ससफि
चबी माँस के ग ले । अगर एक सु्िर िवान मरी ङरत का शरीर लावाररस
फंक दिया िाये । त कफर इस शरीर क क वे कुते ही खायंगे । मेरी ये
मग
ृ नयनी आँखं ककसी ्यासी चङ
ु ैल के समान भयानक ह िायंगी । मेरे इस
स्
ु िर शरीर से बिबू ङर तघन आयेगी । बताओ । इसमं ऐसा ्या है ? ि
ककसी ्री क नहीं पता । ि ककसी पु ष क नहीं पता । कफर भी क ई त्ृ त
हुआ आि तक । अज्तम अंिाम । िानते हुये भी ।
- तनततन िी ! वह ठहरे ्वर मं ब ला - बङे ही अिीव पल थे व । व्त िैसे
थम गया था । उस पर काम िे वी सवार थी । ङर मुझे ये भी नहीं पता ।
उस व्त उसकी मुझसे ्या ्वादहश थी । सच ये है कक मं ककसी स्म हन
सी ज्थतत मं था । लेककन उसका स ्ियि । उसके अंग । सभी मुझे ववषैले
नाग बब्छू िैसे लग रहे थे । ङर िैसे क ई अञात शज्त मेरी रषा कर रही
थी । मुझे सही गलत का ब ध करा रही थी । श्ि िैसे अपने आप मेरे मँह
ु
से तनकल रहे थे । िैसे शायि अभी भी तनकल रहे हं । श्ि ।
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उसने मै्सी के ब्ि ऊपर नीचे अिीव आङे टे ङे अ्िाि मं लगाये थे कक उसे
च री च री िे खने की इ्छा का सुख ही समा्त ह गया । उसका अंग अंग
खखङकी से झांकती सु्िरी की तरह निर आ रहा था । उसके सामने भाभी
नहीं । ससफि एक कासमनी ङरत ही थी ।
- मन ि ! उसने भेिती तनगाहं से उसे िे खा - अभी शायि तुम उतना न
समझ । पर हर आिमी मं ि आिमी ह ते हं । ङर हर ङरत मं ि ङरत ।
ङर एक पु ष । एक िस
ू रे मं समा िाने क आतुर । ्यासे.. ्यास .. ्यास
.. अत्ृ त ..अत्ृ त । कफर हमं सिा ककस बात की ? हमं नरक ्यं ?
उसे बहुत बुरा लग रहा था । ये अचानक उस बेरहम ङरत ने ्या कर दिया
। वह बेखि
ु सा म्ती की रसधार मं बहा िा रहा था । वह स चने लगा था
कक व उसक पूणि समवपित है । पर यकायक ही उसने कैसा ततसल्मी रं ग
बिला था ।
- ब ल । िबाब ि मझ
ु े । मन ि तम
ु िबाब ि मझ
ु े । वह उसकी आँखं मं
आँखं डालकर ब ली - अब कैसा लग रहा है त्
ु हं ? मंने त त्
ु हं कुछ दिया ही
। त्
ु हारा कूछ सलया ्या । कफर ्यं बैचन
े ह । ्यं ऐसा लग रहा है ।
तम
ु से यकायक कुछ छीन सलया गया । त्
ु हारी चाह भटक कर रह गयी ।
त्ृ त नहीं हुयी । ्यं अपने क अत्ृ त महसस
ू कर रहे ह ?
- ब ल बङे भाई । मन ि ब ला - है क ई िबाब ? उसने एक करारा तमाचा सा
मारा था । इस ितु नयाँ के कानून क । ये कानून ि मचलते िवान अरमानं
का ससफि गला घंटना ही िानता है ।
उसे एक तेि झटका सा लगा । कमाल की कहानी है । ि तनयम अनुसार
पूरी गलत है । पर स्चाई के धरातल पर पूरी सही । ्या कहता वह । ये
लङका ङर उसकी अनिे खी अपर चत नातयका भाभी मानं उसकी पूरी
कफलासफी ही बिल िे ना चाहते थे ।
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की बँि
ू ं से बने म ततयं के समान चमक उठे । वह अभी भी रात वाला
खझंग ला ही पहने थी । ि ्तनं के पास से अधखल
ु ा था । उसने चाय तैयार
की । ङर कमरे मं अनुराग के पास आ गयी । पर उसकी सुबह अभी भी नहीं
हुयी थी ।
उसकी सुबह शायि कभी ह ती ही न थी । एक भरपूर मीठी ल्बी नींि के
बाि उ्प्न ्वतः ऊिाि ङर नव ्फूतति का उसमं अभाव सा ही था । वह
थका हुआ इंसान था । ि गधे घ ङे की तरह जि्िगी का ब झा ढ रहा था ।
वे ि नं एक ही बब्तर पर पास पास लेटते थे । पर इस पास ह ने से शायि
िरू ह ना बहुत अ्छा था । तब दिल क सबर त ह सकता था ।
कल रात वह बेकल ह रही थी । घङी दटक दटक करती हुयी ्यारह अंक क
्पशि करने वाली थी । ्यारह । यानी एक ङर एक । एक पिमा । एक
अनरु ाग । पर ्या इसमं क ई अनरु ाग था ? वह एक उमगती ्री । ङर वह
एक अलसाया बुझा बुझा पु ष । वह ह्का ह्का सा नींि मं था । घङी की
छ टी सुई 54 बब्ि ु पर थी । बङी सुई 45 बब्ि ु पर थी । सेके्ड की सुई बैचन
े
सी च्कर लगा रही थी ।
हर सेके्ड के साथ उसकी भी बैचन
े ी बढती िा रही थी । उसने अपनी ढीली
ढाली मै्सी क ऊपर से ख ल सलया । ङर उससे सटती हुयी उसके सीने पर
हाथ फेरने लगी । ourhindi.com
- शऽऽ शीऽऽ ऐऽ..सुन । वह फुसफुसाई । उसने हूँ हाँ करते हुये करवट बिला
। ङर पलट कर स गया - बहुत थका हूँ.. पि..मा । स ने.. िे ।
वह तङप कर रह गयी । उसने उिास निर से घङी क िे खा । छ टी सुई
ह्का सा ङर सरक गयी थी । बङी सुई उसके ऊपर छाने लगी थी । कफर
बङी सुई ने छ टी क कसकर िबा सलया । ङर छ टी सुई समट सी गयी ।
सेके्ड की सुई खश
ु ी से ग ल ग ल घूमने लगी । दटक दटक .. ्यास .. ्यास
.. अत्ृ त ..अत्ृ त ।
ककतना मधरु ता आन्ि से भरा िीवन है । बारह घ्टे मं बारह बार मधरु
समलन । दटक दटक .. ्यास .. ्यास .. र्ु त..र्ु त..अ� ��ृृ्त ..अत्ृ त
- अब उठ ना । वह उसे खझंझ ङती हुयी पूणि मधरु ता से ब ली - िाग म हन
्यारे । कब तु्हारी सुबह ह गी ? कब तुम िाग गे । िे ख । च ङयाँ चहकने
लगी हं । कसलयाँ खखलने लगी हं ।
वह हङबङाकर उठ गया । उसकी आँखं के सामने स ्ियि की साषात िे वी थी
। उसकी बङी बङी काली आँखं अन खी आभा से चमक रही थी । उसके
अधखल
ु े उर ि कक्हीं पषषयं के समान घ सलं से झांक रहे थे । पतली पतली
काली लटं उसके स्
ु िर चेहरे क चम
ू रही थी । खन खन बिती उसकी चू ङयाँ
- भूल िाओ ।.. भूल िाओ ।.. अपने आपक । वह बेहि कामुक झंकृत ्वर
मं ब ली - भूल िाओ कक तुम ्या ह । भूल िाओ कक मं ्या हूँ । ि ्वयं
ह ता है । ह ने ि । उसे र कना मत ।
्वयं । ्वयं उसके हाथ पिमा के इिि गिि सलपट गये । वह अपने शरीर मं
एक तूफान सा उठता हुआ महसूस कर रहा था । उसे क ई सुध बुध न रही थी
। बस तेिी से चलती सांसे ही वह सन
ु समझ पा रहा था । उसके हाथ ्वयं
पिमा की नासभ से नीचे कफसलने लगे । एक मखमली िब
ू के रे शमी मल
ु ायम
अहसास से झंकृत ह ता हुआ वह बारबार िैसे ढलान पर कफसलने लगा ।
- आऽऽह ..आऽऽ ! उसकी खनकती आवाि मं िैसे काम गीत बिा - आऽऽई
..्यास .. ्यास .. अत्ृ त ..अत्ृ त ।.. क .. मत..आऽऽ ।
- ङरत के हर अंग से रस टपकता है । भत
ू काल के श्ि कफर उसके दिमाग
मं गँि
ू े - वह रस से लबालब भरी रस भरी ह ती है । ह ठं मं रस । गालं मं
रस । आँखं मं रस । छाततयं मं रस ।
उसके हाथ मै्सी के ब्ि पर गये । ङर मै्सी क्धं से नीचे सरक गयी ।
झीने परिे के पार खङी वीनस साषात ह उठी । उसमं एक अिीव सी
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दहंसकता ्वतः िाग उठी । शेर के मँह
ु क खन
ू लग गया । उसके हाथ उसके
कज्पत ्तनं पर कस गये । एक ताकतवर बसल ट शेर । ङर उसके खख
ूँ ार
पंि मं तङपती नािुक बिन दहरनी । आऽऽ..मा.. ्यास .. ्यास ..
र्ु त..र्ु त..अ� ��ृृ्त । पिमा का वष तेिी से ऊपर नीचे ह रहा था ।
वह ्यासी ना गन की भांतत कसकर उससे चपक गयी ।
- ्यं पढ रहे ह ? ये घदटया व्गर चीप अ्लील प नि से्सी कामुक स्ती
सी वादहयात कहानी । वह सीधे उसकी आँखं मं भाव हीनता से िे खता हुआ
ब ला - यही श्ि िे ते ह ना तुम । ऐसे वणिन क । पाख्डी पु ष । तुम भी
त उसी समाि का दह्सा ह । िहाँ इसे घदटया अनैततक वजिित रततबं धत
हे य मानते हं । कफर ्या रस आ रहा है । तु्हं इस कहानी मं ।..ग र से
स च । तुम उसी ई डयट स साइटी का अटूट दह्सा ह । उसी मूखि ि गले
समाि का अंग ह । िहाँ दिमाग मं त यही सब भरा है । हर छ टे बङे सभी
की चाहत यही है । पर बातं उ्च सस्धांतं आिशि ङर नैततकता की है ।
बङे भाई ! ककसी मेम री चप की तरह यदि रेन चप क भी पढा िा सकता
। त हर पु ष नंगा ह िाता । ङर हर ्री नंगी । हर ्री की चप मं नंगे
पु षं की फाइलं ओपन ह ती । ङर हर पु ्ष की चप मं खल
ु ती - बस नंगी
ङरत । ्यास .. ्यास .. अत्ृ त ..अत्ृ त ।
Brought to you by http://ourhindi.com. With Thanks to Mr. Rajiv
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ं ।
वह है रान रह गया । उसकी इस मानससकता क ्या श्ि िे । रेन वासशग
या रेन फी डंग । या क ई स्म हन । या उस कयामत ्री का िाि ू । या प
का वशीकरण । या .या ्री पु ष के र म र म मं समायी ्री पु ष की अत्ृ त
चाहत । या कफर एक महान सच । महान सच । अत्ृ त ।
- म..न ि..कैसा लग ..रहा है । वह कांपती थरथराती आवाि मं ब ली -
तु्हे ..आऽऽ..तुम मुझे मारे िे रहे ह । ऊऽऽई ओऽऽ आईऽऽ ये कैसा आन्ि है
।
- अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ ङ अं अः । उसके दिमाग मं भत
ू काल की पिमा
आकृतत उभरी । साङी का प्लू कमर मं खंसे हुये वह निाकत से खङी ह
गयी । ङर ब ली - इनक ्वर कहते हं । vowel । हर ब्चे क शु से यही
ससखाया िाता है । पढाई का पहला वा्ता इ्ही से है । पर तम
ु इनका असली
रह्य िानते ह ? ्वर । यानी
आवाि । ्वतन । काम ्वतन । सी्कार । अत्ृ त श्ि । अत्ृ त ।
नहीं समझे ।.. कफर से उसकी पतली पतली भंह रे ख ककसी तीर का ल्य
साधते हुये कमान की तरह ऊपर नीचे हुयीं - एक सु्िर इठलाती मिमिाती
ङरत के मुख से इन ्वर अषरं की संगीतमय अ्िाि मं क्पना कर ।
िैसे वह आन्ि मं सससककयाँ भर रही ह । अऽऽ । आऽऽ । इऽऽ । ईऽऽ ।
उऽऽ । ऊऽऽ । ओऽऽ । िे खourhindi.com
ऽ..वह महीन मधरु झनकार सी झन झन ह ती हुयी
ब ली - हर अषर क मीठे काम रस से सराब र कर दिया गया है ना । स च
। ्यं ?.. से्स । काम ।.. काम ही त हमारे शरीर मं बबिली सा ि ङता
रहता है । हाँ । ि्म से ही । पर हम समझ नहीं पाते । इन ्वर ्वतनयं
मं वही उमगता काम ही त गँि
ू रहा है । काम । काम । ससफि काम । अत्ृ त
। अत्ृ त ।
कफर इ्ही श्िं के बेस पर ्यंिन प ्वतन बनती है । क ख मं अ ङर
वासना वायु की गूंि है या नहीं । बस थ ङा सा ्यान से िे ख । कफर इन
काम ्वर ङर ्यंिन के मधरु समलन से इस सु्िर संसार की रचना ह ती है
। ग र से िे ख । त ये पूरा रं गीन म हक संसार इसी छ टी सी वणिमाला मं
समादहत है ना ।
पीसने लगी ।
- मूखि ! वह गुरािकर ब ली - ङरत कभी त्ृ त नहीं ह ती । कफर तू उसकी
वासना क ्या त्ृ त करे गा । तू ्या कहानी ख्म करे गा ।
- बङे भाई ! वह अिीव से ्वर मं ब ला - मं है रान रह गया । वह कह रही
थी ।.. कमाल की कहानी सलखी है ।
इस कहानी के लेखक ने । रािीव ।.. कहानी ि उसने शु की । उसे कैसे
क ई ङर ख्म कर सकता है । ये कहानी है । स ्ियि के ततर्कार की ।
चाहत के अपमान की । ्यार के तनरािर की । ििबातं पर कुठाराघात की ।
वह कहता है । मं माया हूँ । ्री माया है । उसका स ्ियि मायािाल है ।
ङर ये कहानी बस यही त है । पर..पर मं उसक साबबत करना चाहती हूँ -
मं माया नहीं हूँ । मं अभी यही त साबबत कर रही थी । तेरे ्वारा । पर तू
फेल ह गया । ङर तन
ू े मझ
ु े भी फेल करवा दिया । रािीव कफर िीत गया ।
्यंकक .. वह भयानक ्वर मं ब ली - ्यंकक तू..तू फँस गया ना । मेरे
मायािाल मं ।
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सश्प मं ढाला । ्यं ? ्यं ? ्यंकक ये कववत के ्ंगार श्िं । रेम कथा
के रसमय संवािं । चर तूसलका के रं ग । ङर संगेमरमर के मूतति सश्प मं
समाने वाला स ्ियि ही नहीं था । ये उ्मु्त रसीला नशीला मधरु तीखा
ख्टा चटपटा अनुपम असीम स ्ियि था । वाकई । वाकई वह िङवत ह कर
रह गया ।
पहले वह स च रहा था । ककश राव्था के नािुक रं गीन भाव के क्पना ि र
से ये लङका गि
ु र रहा है । ङर इसकी काम वासना ही इसे इसकी भाभी मं
बेपनाह स ्ियि दिखा रही है । पर अब वह खि
ु के सलये ्या कहता ? ्यंकक
पिमा काम से बनी क्पना नहीं । स ्ियि की अनप
ु म छटा बबखेरती हकीकत
थी । एक स्म दहत कर िे ने वाली । िीती िागती हकीकत । ङर व
हकीकत । अब उसके सामने थी ।
- तनततन िी ! अचानक उसकी बेहि सरु ीली मधरु आवाि की खनखन पर वह
चंका - कहाँ ख गये आप ? चाय लीजिये ना ।
- प । सु्िर प । प की िे वी । पमती । पमाला । पसी । पशीला
। प कुमारी । पच्िा । पवती । पा । प ही प । हर अंग रं गीली ।
हर रं ग रं गीली । हर संग रं गीली । प छटा । प आभा । चारं ङर प ही
प । ककन श्िं का चयन करे व । खींचता प । बाँधता प । कैसे बच
पाये व । वह ख कर रह गया । ourhindi.com
धआ
ुँ ह रहा है । ङर मं धआ
ुँ के छ्ले सी ही ग ल ग ल आकाश मं िा रही
हूँ ।
एक अिीव सी बैचन
े टं शन महसूस करते हुये उसने ससगरे ट क मँह
ु से
लगाकर कश लेना ही चाहा था कक अचानक वह चंक गया । पिमा ऊपर आ
रही थी । िीने पर उसके पैरं की आहट त नहीं थी । लेककन उसके पैरं मं
बिती पायल की मधरु छन छन वह आराम से सुन रहा था ।
उसका दिल अिीव से भय से तेिी से धक धक करने लगा । ्या मािरा था
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? ङर कुछ ही पलं मं उसके छ्के ही छूट गये । वह अकेली ही ऊपर आयी
थी । ङर बङी शालीनता सलीके से उसके सामने िस
ू री बंच पर बैठ गयी ।
बङी अिीव ङर खास ङरत थी । ्या खाम खां ही मरवायेगी उसे । रात के
बारह बिे यूँ उसके पास आने का िस
ू रा क ई पररणाम ह ही नहीं सकता था ।
- वा्तव मं िवानी ऐसी ही ह ती है । वह मािक अंगङाई लेकर ब ली - रातं
क नींि न आये । करवटं बिल । तककया िबाओ । आप ही आप उलट पुलट
कर बब्तर ससक ङ डाल ।..तु्हारे साथ भी ऐसा ह ता ह गा..ना । है ना ।
अकेले मं न्न लेटना । न्न घूमना । ह ता है ना ।
वह िवानी के लषण बता रही थी । ङर उसे अपनी जि्िगानी ही खतरे मं
महसूस ह रही थी । ये ङरत वा्तव मं खतरनाक थी । उसका पतत िे वर
क ई आ िाये । कफर ्या ह गा ? क ई भी स च सकता है ।
- लेककन..। वह कफर से सामा्य ्वर मं ब ली - ऐसा सबके साथ ह । ऐसा
भी नहीं । व ि नं भाई ककसी थके घ ङे के समान घ ङे बेच कर स रहे हं ।
रेसमयं की तनशा नशीली ह उठी है । रिनी खल
ु कर बाँहं फैलाये खङी है ।
चाँिनी चाँि क तनहार रही है । सब कुछ कैसा मिह श करने वाला नशीला
नशीला है ..है ना ।
अब ्या समझता वह इसक । स भा्य या िभ
ु ाि्य ? शायि ि नं । रय ग
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ये आस है कक । कभी िख
ु के बािल छटं गे ङर ह गा खश
ु हाल सवेरा ।
कभी िख
ु के बािल छटं गे ङर ह गा खश
ु हाल सवेरा । खश
ु हाल सवेरा ?
अचानक उसकी मग
ृ नयनी आँखं मं आँसुओं के म ती से खझलसमला उठे - मुझे
कववता वगैरह सलखना नहीं आता । बस ये रािीव िी के रतत मेरे दिली भाव
भर थे । ि ्वतः मेरे रिय से तनकले थे । लेककन अब मं तुमसे एक सरल
सा र्न पूछती हूँ । ये सब िानने के बाि बताओ कक - ्या मं वाकई रािीव
िी से बहुत ्यार करती थी या हूँ ?
- तनसंिेह । वह बबना कुछ स चे झटके से ब ला - बहुत ्यार । गहरा ्यार ।
अमर ्यार ।
- गलत । ट टल गलत । वह भावहीन ्वर मं ब ली - मुझे लगता है । तम
ु
बबलकुल ही मूखि ह । सच त ये है कक मं रािीव िी क क ई ्यार ही नहीं
करती । िरअसल मं त मं ्यार का मतलब तक नहीं िानती । ्यार ककस
च ङया का नाम ह ता है ? ये भी मुझे िरू िरू तक नहीं पता ।
्यंकक..्यंकक..व� �� सब
ु कने लगी ।
तनततन के दिमाग मं िैसे वव्फ ट हुआ । उसका सम्त विि
ू दहलकर रह
गया ।
बार बार उसके दिमाग मं वव्फ ट ह रहे थे । उसके दिमाग मं सैकङं नंग
धङंग रेत रेततनयाँ समूह के समूह रकट ह गये थे । एक भयंकर रेतक
क लाहल से उसका दिमाग फटा िा रहा था ।
ङर कफर अगले कुछ ही षणं मं उसे अपनी जि्िगी की भयानक भूल का
पहली बार अहसास हुआ । वह भूल ि उसने इस घर मं रह कर की थी । -
हा हा हा । तभी उसके दिमाग मं भूतकाल का ि गी अ्टाहास करता हुआ
ब ला - ब्ि गली । ब्ि घर । िमीन के नीचे । अंधेरा ब्ि कमरा । हा हा
हा । एकिम सही पता । वह ककसी भयंकर मायािाल मं फँस चक
ु ा था ।
अचानक उसकी सु्िर आँखं मं भूखी खूँखार बब्ली िैसी भयानक चमक पैिा
हुयी । उसके रे शमी बाल उलझे ङर खे ह उठे । उसका म दहनी चेहरा ककसी
तघन नी चङु ैल के समान बिस रू त ह उठा । वह हूँऽऽ..हूँऽऽ करती हुयी मँह
ourhindi.com ु से
फुफकारने लगी । उसका सीना तेिी से ऊपर नीचे ह रहा था ।
- इसीसलयेऽ त ऽऽ मं कहतीऽऽ हूँ । वह िाँत पीस कर ककटककटाते हुये क क
कर ब ली - कमाल की.. कहानी सलखी है । इस कहानी के.. लेखक ने ।..
कहानीऽऽ ि उसने शु कीऽऽ । उसे कैसे.. क ई ङर कैसे ख्म कर सकता है
? कहानीऽ ि न तझ
ु से पढते बन रही है । ङर न छ ङते ।
कफर यकायक उसके दिमाग ने काम करना ब्ि कर दिया । उसे पिमा के
श्ि सन
ु ाई नहीं िे रहे थे । उसका दिमाग फटने सा लगा । कफर वह लहरा
कर बंच से नीचे गरा । ङर अचेत ह गया । उसकी चेतना गहन अंधकार मं
ख ती चली गयी । एक रगाढ बेह शी उस पर छाती चली गयी ।
- आओ मेरे साथ । तभी वह बेहि ्यार से उसका हाथ पकङ कर ब ली - चल
। मं तु्हं वहाँ ले चलती हूँ । िहाँ िाने के सलये तुम बैचन
े ह । बेकरार ह ।
जिसकी ख ि मं तुम आये ह ।
मंरमु्ध सा वह उसके साथ ही चलने लगा । पिमा ने उसके गले मं हाथ
डाल दिया । ङर बबलकुल उससे सटी
हुयी ही चल रही थी । उसके उ्नत कसे उर ि ङर मािक बिन उसके शरीर
का ्पशि कर रहे थे । उसके ब्
ृ मचयि शरीर मं काम तरं गं का तेि करं ट सा
ि ङ रहा था । शीत ्वर िैसी भयानक ठं डक महसूस करते हुये उसका समूचा
बिन थरथर कांप रहा था । वह नशे मं धतु ककसी शराबी के समान डगमगाते
हुये उसके सहारे से चला िा रहा था ।
- ये व्रं का चलन । वह काली अलंकाररक डिायन वाली पारिशी मै्सी
नीचे खखसकाती हुयी ब ली - अ्वल ििे के मूखं ने चलाया है । स च । स च
। यदि सभी...सभी ल ग.. ्री पु ष ब्चे बबना व्र ह ते । त ये संसार कैसा
स्
ु िर रतीत ह ता । सभी एक से । क ई भेिभाव नहीं । सभी खल
ु े खल
ु े ।
क ई तछपाव नहीं । हर ्री पु ष का शरीर ही खि
ु सबसे बेहतरीन व्र है ।
ई्वर की ्े ठतम रचना । कफर इसक व्र से आवररत करना उसका
अपमान नहीं ्या ? इसीसलये त मनु य िख
ु मं हं । वह सिा ही िख
ु ी रहता है
। उसने तरह तरह की इ्छाओं के रं ग बबरं गे स्
ु िर अस्
ु िर ह्के भारी हिारं
लाखं व्रं का ब झा सा लाि रखा है । धन का व्र । शज्त का व्र ।
यश का व्र । रतत ठा का व्र । ल भ का । लालच का । म ह का । मान
का । अपमान का । ्वगि का । नरक का । ि्म का । मरण का । व्र ही
व्र । ये मेरा व्र । ये तेरा व्र ।
- ह हाँ.. हाँ हाँ पिमा िी । वह रभाववत ह कर ब ला - तुम ठीक कहती ह ।
पिमा तुम ठीक कहती ह । हर आिमी बनाबटी झूठ मं िीता है । ससफि तुम
सच ह । तुम सच का पूणि ourhindi.com
स ्ियि ह ।
- त कफर । उसने मािकता से हंठ काटा । ङर झंकृत कज्पत बहुत ही धीमे
्वर मं मधरु घुंघ से छनकाती हुयी ब ली - उतार ्यं नहीं िे ते ये झूठे व्र
। झूठ क उतार फंक । ङर सच क रकट ह ने ि । सच ि हमेशा नंगा
ह ता है । बबना च्र । बबना आवरण । ्यं का ्यं ।
ककसी आञाकारी बालक की भांतत वह स्म दहत सा व्र उतारने लगा । एक
। एक । एक करके ।
- ककसी ्याि क छीलने की भांतत । ्यं ्यं तनततन के व्र उतर रहे थे ।
उसकी चमकती लाल बब्ल री आँखं मं चमक तेि ह रही थी । उसके शरीर
मं र मांच सा भर उठा था । उसकी सुड ल छाततयाँ तन उठी थी । उसके अ्िर
एक ्वाला सी िल उठी थी । कफर वह एक एक श्ि क काटती भींचती हुयी
सी ब ली - हाँ तनततन..ककसी ्याि क छीलने की भांतत.. िे ख । पहले उसका
अनुपय गी तछलका उतर िाता है । कफर एक म टी परत । कफर एक बहुत
झीनी परत । कफर पहले से कम म टी । कफर एक झीनी । कफर ्थल
ू परत ।
कफर सू्म परत । परत िर परत । ङर अ्त मं कुछ नहीं । हाँ कुछ भी त
नहीं । शू्य 0 । ससफि शू्य 0 ।
दिया । मंने तु्हारा पु ष रहार सहा । रेम िूरता सही । मं िया िया करती
रही । की तुमने क ई िया ? कफर तुम ऐसा ्यं स चते ह । ि हुआ । स
अ्छा नहीं हुआ । ङर उसकी ि षी मं हूँ । ससफि मं ।
हर पु ष िीवन की यही कहानी है । पहले तुम ्री के सलये लालातयत ह ते
ह । उसे भ गते ह । चस
ू ते ह । कफर उसे लात मार िे ना चाहते ह । ्यंकक
भ गी हुयी ्री तु्हारे सलये रसहीन सी ह िाती है । बे ्वाि । मुिाि ।
तनिीव ।
कमाल की ङरत थी । उसने स चा । शायि िरू से खींचने की शज्त थी
इसके पास । धप
ू ङर तेि ह उठी थी । वह टहलता हुआ सा उठा । ङर नीचे
आंगन मं झांकने लगा । पर अभी वहाँ क ई नहीं था । ह्की सी खट पट कहीं
अ्िर से आ रही थी । हाँ । िरू से ही खींच लेने वाली मायावी ङरत ही थी
ये । तभी त ये शमशान से यहाँ तक खींच लायी थी । खींचा ही त था इसने
। वरना कहाँ थी ये वहाँ ?
वह इसक हल करने आया था । उसने हल क ही सवाल बना दिया । उसने
झटके से ससर क तीन चार बार दहलाया । ङर आगे के बारे मं स चा । उसे
इस मायावी ङरत के च्कर मं नहीं पङना चादहये । ङर फ रन यहाँ से चला
िाना चादहये । लेककन ्यं ? ्यं ?
यदि वह एक ङरत से हार ourhindi.com
िाता है । उसकी माया से डर िाता है । कफर
उसका तंर मंर झान त ्यथि है ही । उसका सामा्य मनु य ह ना भी
ध्कार है । िस
ू रे वह कुछ ववचसलत ह ता था । थ ङा डगमाता भी था ।
अब तम
ु गहराई से समझना । तम
ु रय ग के सलये एक स्
ु िर लङकी की
क्पना कर । जिसे ्वपन मं हुयी काम वासना की भांतत तमु ने न्न कर
सलया है । ङर वह ्वपन के से्स साथी की ही भांतत क ई ना नक ु र नहीं
कर रही । वहाँ क ई सामाजिक डर भय भी नहीं । तब तम
ु कैसे परर चत भाव
मं से्स करते ह । िबकक तुम उसे िरू िरू तक नहीं िानते । ङर न ही व
तु्हं । कफर बताओ । ऐसा कैसे हुआ ?
त ि त्हा बब्तर पर लेटी रेसमका अपने रेमी के साथ का्पतनक असभसार
कर रही है । अब िरा बारीकी से समझना । उसका अंतमिन मं एक चर
आकार बन रहा है । उस समय वह मँह
ु से ्थल
ू वाणी श्ि भी नहीं ब ल रही
। पर उसका म न ्वर आऽऽह आऽऽई नहीं.. आदि कर रहा है । अब उसके
अंगं मं र मांच है । शरीर मं उतेिना है । ्तन भरने लगे । य तन की
आंतररक पेसशयं मं फङकन है । उसके खि
ु के हाथ रेमी के हाथ बन िाते हं
। उसकी खि
ु की उँ गली रेमी का अंग बन िाती है । वह आधी खि
ु आधी
अपना रेमी ्वयं ह िाती है । ङर अंततः पूणि उतेिना क रा्त ह कर
्खसलत भी ह िाती है । अब ग र से स च । अगर उसक क ई उस िशा मं
िे खे । त यही स चेगा कक एक युवा लङका या लङकी अकेली ह्तमैथन
ु कर
रही है । लेककन वह यह कभी नहीं िे ख पायेगा कक इसकी काम वासना चेतना
यु्त ह कर रेमी के साथ ववसभ्न मुिायं चर आकार ्वर का भी तनमािण कर
रही है ।
ङर भले ही यह यहाँ अकेली निर आ रही है । पर वा्तव मं ककसी अञात
्थल अञात भसू म पर ववचार आकाररत पण
ू ि संभ ग कर रही है । बबलकुल
असली ्थल
ू शरीर संभ ग के िैसा । ङर ्यंकक वह भी वाणी रदहत म न
ह ता है । ये सब भी म न ्वर हं । बस उसकी क्पना का रेमी रेसमका ।
ङर ्वयं उसके साथ स्भ ग रत वह । तब ि वहाँ ृ्य प निर नहीं
आता । वह यहाँ दिखाई िे ता है । ्यंकक क ई त वह ्थान ह गा ही । िहाँ
वह वैचाररक स्भ ग कर रही है । तनततन िी । ये य्र उ्हीं ल गं के
का्पतनक चर आकार है । यह इसके सलये एक तनज्चत भूसम है ।
उसके दिमाग का ्यूि मानं भक से उङ गया । क न थी ये ङरत ? क न ?
स चना भी कदठन है ।
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Re: ** कामवासना **
कुछ खास दिनं मं िलवाते रहना । बाकी उपचार हम अपने ्तर पर कर लंगे
।
उसके दिमाग ने काम करना ब्ि कर दिया । वह आिे सशत य्र सा उठा ।
ङर पिमा की कुसी के पास ही नीचे िमीन पर बैठ गया । उसने उसकी ग री
कलाई थामी । ङर ्यार से उसकी हथेली सहलाता हुआ ब ला - पिमा िी ।
्लीि । ्लीि । आप ह श मं आईये ।
उसका वही हाथ उठा कर पिमा ने अपने ववशाल ्तनं से सटा कर िबा
सलया । ङर कफर िैसे िरू गहरी घाटी से उसकी आवाि आयी - भूल िाओ
कक तम ू िाओ कक मं ्या हूँ । ि ह ता है ..।
ु ्या ह । भल
तनततन उसके ्तन सहलाने लगा । मसलने लगा । वह वाकई भूल गया ।
वह कब नीचे उतर कर उसकी ग ि मं आ गयी । उसे ब ध ही न हुआ । वह
उसे गराकर उसके ऊपर आ गयी थी । उसके ि नं सुड ल ्तन उसके चेहरे
क छू रहे थे । वह ककसी मिबूत से पेङ से अमरबेल की तरह सलपटी हुयी थी
। उसे ककसी िहरीली ना गन के बिन से सलपटे ह ने का ्प ट अहसास ह
रहा था । उसके िहर से वह नशे से मूतछि त सा ह रहा था । कफर वह उसका
मनमाना उपय ग करने लगी । काम बासना का अन खा खेल खेलते हुये ।
कामवासना । पर ्या वाकई वह काम वासना से रभाववत ह रहा था ? उसने
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िान बूझ कर खि
ु क तनज िय कर रखा था । ङर बेहि ग र से उसकी हर
गततवव ध ङर शरीर मं ह ते पररवतिन िे ख रहा था । खास कर उसके चेहरे पर
आते पररवतिनं का वह बेहि सू्मता से तनरीषण कर रहा था ।
न बिने वाले थे । कुछ स चता हुआ सा वह ववचार म्न कफर बंच पर लेट
गया ।
- एक ङरत । आंगन मं फूलं की ्यारी के पास उससे असभसार करती हुयी
पिमा अपने चेहरे पर लटक आये बालं क पीछे झटकती हुयी ब ली - के
अ्िर ्या ्या भरा है । ्या ्या मचल रहा है ? उसके ्या ्या अरमान है
। इसक िानने समझने की क सशश क ई कभी नहीं करता । इस तरह उसकी
तमाम उ्म्
ु त इ्छायं िसमत ह ती रहती हं । तब इसकी हि पार ह िाने
पर मधरु मन हर इ्छाओं की लतायं ववष बेल मं बिल िाती है । ङर कफर
अंग अंग से मीठा शहि टपकाती वह स्
ु िर माधरु ी ङरत िहरीली ना गन सी
बन िाती है । िहरीली ना गन । पु ष क डसने क आतरु । िहरीली ना गन
।
लेककन उसकी िसमत इ्छाओं से हुये पा्तरण का यही अ्त नहीं है ।
्यंकक वह िहर पहले त खि
ु उसक ही िलाता है । ङर तब उस आग मं
िलती हुयी व ह िाती है - चङ
ु ैल ..्यासी चुङैल .. अत्ृ त .. अत्ृ त ।
- लेककन । भूतकाल का मनसा कफर ब ला - यदि उस आवेश क र ्सादहत
करते हुये उसका िर बङाते चले िाओ । तब वे असामा्य लषण तु्हं ्प ट
महसूस हंगे । साफ साफ दिखाई िं गे ।
हुँऽऽ ..हुँऽ.. की तेि फुफकारourhindi.com
सी मारती हुयी वह ववकृत मुख ह ने लगी । एक
अिीव सी तेि मि ु ािनी बिबू उसके आसपास फैल गयी । िैसे क ई मुिाि सङ
रहा ह । उसकी आँखं मं एक ख फनाक बब्ल री चमक की चंगारी सी फूट
रही थी । पहले सु्िर दिखाई िे ते लेककन अब उसके भयानक ह चक
ु े मुख से
बिबू के तेि भभूके छूट रहे थे । वह इतनी तघन नी ह उठी थी कक िे खना
मुज्कल था ।
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िैसे कफर एक नया चैलंि । िैसे उसके दिमाग से उसका दिमाग ही िुङा ह ।
कहीं ये कणि वपशाचनी त नहीं ? भूतकाल श्ि क जिस तरह उसने एकाएक
जिस ्यंगा्मक अ्िाि मं ब ला था । ङर कई बार उसकी स ची बात क
तुर्त रकट ककया था । उससे यही साबबत ह ता था । तब कफर उसे ्या
हाससल ह सकता था ? िब वह उसकी हर बात क पहले ही िान िाती थी ।
तब । तब त वह उसके हाथं मं उलट पलट ह ता एक से्स टाय िैसा भर
ही था । से्स टाय । जिससे वह मनमाने तरीके से खेल रही थी ।
खिु क बेहि असहाय सा महसूस करते हुये उसने एक ल्बी गहरी सांस भरी
। ्या इस अन खी ङरत कourhindi.com
ख लने की क ई चाबी कहीं थी । या कफर चाबी
बनाने वाला इसकी चाबी बनाना ही भूल गया था । या व चाबी कक्हीं
ततसल्मी कहातनयं िैसे अिीव से गु्त ्थान पर छुपी रखी थी । चाबी ।
ङर तव घ र तनराशा मं आशा की ककरण ख िते हुये उसे रामायण याि आयी
। कामी रावण की काम चाहत के चलते स ने की लंका ववनाश के कगार पर
पहुँच गयी थी । तमाम महाबली य ्धा म त के मँह
ु मं िा चक
ु े थे । मगर
इस सबसे बेखबर कु्भकरण गहरी तनिा मं स या पङा था । अब उसक
िगाना आव्यक ह गया था । रावण ने ्वयं िाकर उसे िगाया ।
एक ल्बी ्व्थ भरपरू नींि के बाि उसका तामससक राषसी मन भी भ र
िैसी साज्वकता से पररपूणि ह रहा था । ञान िैसे उसमं ्वतः ज्थतत ही था
। ङर सम्त वासनायं अभी सांसाररक भूख से रदहत ही थी । तब वह रावण
की सहय गी आशा के ववपरीत उ्टा उसे ही सीख िे ने लगा । ङर पर ्री से
काम वासना की चाहत रखने से ह ने वाले ववनाश पर धमि नीतत बताने लगा ।
हर तरह से उसकी गलती ि ष बताने लगा । सीता के प मं िगि्बा क वह
साफ साफ पहचान रहा था ।
साम िाम ि्ड भेि का चतरु खखलाङी रावण तरु ्त उसकी ज्थतत क समझ
गया । ङर कफलहाल ववषया्तर करते हुये उसने उसके सलये मांस मदिरा के
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Re: ** कामवासना **
ङर तब । िािग
ू रनी िैसे अपना सब िाि ू भूली । नटनी सारे करतब भूल
गयी । फुंकारती ना गन िैसे वश मं ह कर बीन के इशारे पर नाचने लगी ।
खख
ूँ ार शेरनी िैसे वपंिङे मं फँस गयी । लकङी के इशारे पर ब्िररया नाचने
लगी । घायल चदु हया बबल टे के िबङे मं आ गयी । उङते लहराते शज्तशाली
वे एक िस
ू रे मं उतरने लगे । पिमा तनततन के शरीर मं समा गयी । ङर वह
पिमा के शरीर मं समा गया ।
उसका शरीर बहुत ही ह्का ह रहा था । बज्क शरीर अब था ही नहीं । वे
शरीर रदहत ह कर खि
ु क अज्त्व मार महसूस कर रहे थे । हवा । वायु ।
ङर कफर उसी अव्था मं उनके पैर िमीन से उखङे । ङर वे आकाश मं
उढते चले गये । अञात । अन्त । नीले आकाश मं ककसी छ टे पषी के
समान
िस
ू रे के दिल क अपने सीने मं धङकता महसूस कर रहे थे । ये मधरु
आसलंगन उ्हं अिभुत आन्ि िे रहा था ।
- व ववशाल । अचानक सहमी सी र मा कांपते ्वर मं ब ली - ये ितु नयाँ हमारे
्यार की ि्ु मन ्यं ह गयी ? हमने इनका ्या बबगाङा है ?
- पता नहीं र मा । वह िीवाना सा उसक यहाँ वहाँ चम ू ता हुआ मासूसमयत से
ब ला - मं भला ्या िानँू । मंने त बस तु्हं ्यार ही ककया है । ङर त
कुछ भी नहीं ककया ।
कराह रहा था ।
- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । आसमान मं उङते हुये हरे हरे त ते उसक
िे ख कर ब ले ।
- कभी नहीं भूलँ ग
ू ी । उसके आँसू सूख चक
ु े थे । वह ृढता से ब ली - हर गि
नहीं । मरते िम तक नहीं ।
- तू पागल ह गयी है छ री । उसकी माँ भावहीनता से कठ र ्वर मं ब ली -
तू मरवायेगी उस लङके क । ठाकुर उसे िीता न छ ङेगा ।..मेरी बात समझ ।
ठाकुरं की लङककयाँ कभी रेम रेम नहीं करती । वे खट
ूँ े से गाय की तरह बाँध
िी िाती हं । जिसके हाथ मं उनकी र्सी थमा िी िाती है । वही उसकी
जि्िगी का मासलक ह ता है । इसके अलावा ककसी िस
ू रे के बारे मं वे स च
भी नहीं सकती । कफर ्यं तू उस छ रे की िान की ि्ु मन बनी है । भूल िा
उसे । ङर नया िीवन शु कर ।
- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । आसमान मं चमकते तारे उसक िे ख कर
ब ले ।
िीन ितु नयाँ से बेखबर वह रेमी नम आँखं से िैसे रे ल के सहारे ि ङती अधीर
रेसमका क ही िे ख रहा था । ि नं की एक ही बात थी । उसकी क्पना मं
रेमी था । ङर उसकी क्पना मं उसकी रेसमका - तुम ताना तुम । तुम ताना
तुम । धीम धीम तन न ना । तुम ताना तुम । तम
ु ताना तुम । धीम धीम
तन न ना । तुम ताना तम
ु ।
उिाङ पङा ये घंसला िैसे आवाि ह गया । इसमं रेम परर्िे एक बार कफर
से चहचहाने लगे । एक बार त मं आ्चयि चककत ही रह गयी । ठाकुर
ि रावर ने ये घर बेच दिया था । ङर एक पतत प्नी एक िवान लङके के
साथ इस घर के नये मासलक बन कर आये थे ।
उस बेहि स्
ु िर सरल अ्सरा सी ङरत का नाम पिमा था । उसके सीधे साधे
पतत का नाम अनरु ाग था । ङर पिमा के गठीले िवान िे वर का नाम मन ि
था ।
यकायक िैसे उस पर उिासी सी छा गयी । एक गहन अपराध ब ध िैसे
उसके भावं मं घुलने लगा । एक रायज्चत की पीङा सी बार बार उसके चेहरे
पर आने िाने लगी । कुछ कहने से पहले ही उसका क्ठ भराि गया । कफर
िैसे तैसे करके उसने अपने आपक संभाला ।
- नफरत । िलन । वह कुछ कुछ भरािये ्वर मं ब ली - इंसान से गहरे पाप
करा कर उसे पतन के अथाह गति मं गरा िे ती है । ववशाल क इस पररवार के
अचानक आ िाने से बहुत खश
ु ी हुयी । वह इनकी खसु शयाँ ही िे ख कर िैसे
खश
ु ह िाता था । च ङया सी चहकती । क यल सी कूकती । तततली सी
हाँ लेककन कुछ खास र्त स्ब्धं के रतत उसका ऐसा निररया नहीं था ।
िैसे बाप बेटी । माँ बेटा । भाई बहन । ्यंकक उनकी क ई आव्यकता भी
नहीं थी । लेककन बाकी सभी स्ब्ध उसकी निर मं ्री पु ष स्ब्ध ही
थे ।
ङर तनततन िी । तब शायि मुझे पिमा ने रेम की एक नयी पररभाषा
ससखाई । एक नया पाठ पढाया । वह खल
ु े अधखुले अंग से अ्सर मन ि के
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सामने भी आ िाती । ङर वे एक िस
ू रे से आकवषित ह कर मधरु काम िीङायं
करने लगे । ङर मं । मं मन मस स कर रह िाती । िस
ू रे ्री पु षं के पास
िाने की मेरी इ्छा ही ख्म ह गयी । अब मं ससफि पिमा क चाहती थी ।
पिमा ह ना चाहती थी । ससफि पिमा ।
मेरे अ्िर एक अत्ृ त आग सी लगातार िलने लगी । मं अपने ही िाह से
िल िल कर क यला राख ह ने लगी ।
उनके रेम मं कुछ अलग सा था । कुछ अलग सा ? शायि उस अलग से की
ही ्यास हर ्री पु ष मं है । उनकी वासना कामवासना भी थी । ङर पववर
रेम भी । वे पतत प्नी का भ ग भी करते थे । ङर बङे ्यासे भाव से एक
िस
ू रे की तरफ खखंचते भी थे । िैसे ि्म ि्म के रेमी रेसमका हं । मं
पिमा का यह ववशेष गण
ु िे ख कर अतत है रान थी । भ ग के समय वह एक
ू ि पररप्व ्री ह ती थी । कामवासना के चरम पर पहुँचने ङर पहुँचाने
पण
वाली । ङर रेम कक्ल ल करते हुये वह एक अनछुयी कंु वारी लङकी सी सहमी
सकुचाती शरमाती नयी नयी रेसमका सी निर आती । वह एक पूणि प्नी भी
थी । ङर एक आिशि भाभी भी । वह एक कुशल गह
ृ णी भी थी । ङर उन
ि नं इंसानं के सलये ममतामयी माँ िैसी भी ।
हाँ तनततन ममतामयी माँ । अपने पतत ङर िे वर की माँ । इस ङरत क
पढना बहुत मुज्कल था । िानना असंभव था ।
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। पता नहीं । मेरी िलन के चलते मुझे ्या सनक सवार ह गयी । मंने
उनकी गाङी का स्तुलन बबगाङ दिया । ङर वह गहरी खाई मं िा गरी ।
वही त व दिन था । िब इस घर मं सांझ का िीपक िलना ब्ि ह गया ।
्यंकक व िीपक िलाने वाली तीनं जि्ि गयं के ही िीपक बुझ चक
ु े थे ।
ङर घ र अपराध ब ध से तघरी ।
र मा ही तु्हं यहाँ इस घर तक लायी थी । िब उसने तु्हं अ्सर शमशान
मं बैठे िे खा । वहाँ ि लङका मन ि िीपक िलाने िाता था । वह िरअसल
क ई इंसान नहीं । रेत का भाससत छाया प था । ि र मा के कमाल से
तु्हं िीव्त िीख रहा था । वैसे रेत असल ज्थतत मं उसी तरह दिखते हं ।
िैसा तुमने उस काली छाया ङरत क िे खा ।
िरअसल तनततन तम
ु ने ग र भी नहीं ककया । ङर तम
ु तबसे लेकर अब तक
मेरे एक खास रकार के रेतक स्म हन मं बँधे हुये ह । इससलये त्
ु हारा
उधर ्यान भी नहीं गया । िब मन ि त्ु हं यहाँ लाया था । तब वह घर के
म्
ु य ्वार से न लाकर पीछे के ्वार से लाया था । इस घर के म्
ु य ्वार
पर त सालं से ताला लटक रहा है । ्यंकक ये घर खाली पङा रहता है ।
इसका वपछला ्वार खलु ा हुआ है ।
िब तुम गली से आगे च राहे पर ससगरे ट लेने गये । तब भी तुम अपनी उधेङ
बुन मं ठीक से यह न िे ख पाये कक वह गली एकिम सूनी ङर इंसानी िीवन
से रदहत है । इस घर के वपछवाङे ि गने चन
ु े मकान है । वह इसी की तरह
ब्ि रहते हं । ङर बरसं से खाली पङे हं । ्यंकक इस मकान मं रहने वाली
रेतनी की विह से ल ग धीरे धीरे अपना घर छ ङ गये ।
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धल
ू उङ रही थी ।
उसने अपना ्कूटर बाहर तनकाल कर ्टाटि ककया । ङर ससगरे ट सुलगाते
हुये एक बार बङे ग र से उस ब्ि घर क िे खा । कफर उसकी तनगाह ब्ि
गली पर गयी । ब्ि मकानं पर गयी । उसके हंठ पर अिीव सी मु्कराहट
तैर गयी । ङर कफर वह तेिी से अपने घर की तरफ िाने लगा
। समा्त ।
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