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Rajiv

इस प्
ु तक के लेखक हं राजीव कुलरे्ठ |

राजीव जी का ्लॉग – http://whoam-i-rajeev.blogspot.com

कामवासना
उस दिन म सम अपेषाकृत शा्त था । पर आकाश मं घने काले बािल छाये
हुये थे । जजनकी वजह से सरु मई अंधेरा सा फैल चक
ु ा था । अभी 4 ही बजे
हंगे । पर गहराती शाम का आभास ह रहा था । उस एका्त वीराने ्थान पर
एक अजीव सी डरावनी खाम शी छायी हुयी थी । ककसी स च ववचार मं मगन
चप
ु चाप खङे वष
ृ भी ककसी रह्यमय रेत की भांतत मालूम ह ते थे ।
तनततन ने एक ससगरे ट सुलगाई । और वष
ृ की जङ के पास म टे तने से दटक कर बैठ गया
। ससगरे ट । एक अजीव चीज । अकेलेपन की बेहतर साथी । दिल दिमाग क सक
ु ू न िे ने
वाली । एक सु्िर समवपित रेसमका सी ourhindi.com
। ज अ्त तक सुलगती हुयी सी रेमी क उसके
ह ठं से चचपकी सुख िे ती है । उसने एक ह्का सा कश लगाया । और उिास तनगाहं से
सामने िे खा । सामने । जहाँ टे ङी मेङी अजीव से बल खाती हुयी निी उससे कुछ ही िरू ी पर
बह रही थी ।
- कभी कभी ककतना अजीव सा लगता है सब कुछ । उसने स चा - जज्िगी भी ्या ठीक
ऐसी ही नहीं है । जैसा ृ्य अभी है । टे ङी मेङी ह कर बहती उ्िे ्य रदहत जज्िगी ।
ितु नयाँ के क लाहल मं भी छुपा अजीव सा स्नाटा । रेत जैसा जीवन । इंसान का जीवन
और रेत का जीवन समान ही है । ि नं ही अत्ृ त । बस तलाश वासना तजृ ्त की ।
- उ्फ ह ! ये लङका भी अजीव ही है । उसके कानं मं िरू माँ की आवाज गँज
ू ी - कफर
से अकेले मं बैठा बैठा ्या स च रहा है ? इतना बङा ह गया । पर समझ नहीं आता । ये
ककस समझ का है । आखखर ्या स चता रहता है । इस तरह ।
- ्या स चता है । इस तरह ? उसने कफर से स चा - उसे खुि ही समझ नहीं

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आता । वह ्या स चता है ।


्यं स चता है ? या कुछ भी नहीं स चता है ? जिसे ल ग स चना कहते हं ।
वह शायि उसके अ्िर है ही नहीं । वह त िैसा भी है है ।
उसने एक निर पास ही खङे ्कूटर पर डाली । ङर छ टा सा कंकर उठाकर
निी की ओर उछाल दिया ।
तनततन B.A का छार था । ङर म्य रिे श के एक छ टे से शहर का रहने
वाला था । उसके वपता शहर मं ही म्य ्तर के सरकारी अफसर थे । ङर
उसकी माँ साधारण सी घरे लू मदहला थी । उसकी 1 बडी बहन थी । जिसकी
म्य रिे श मं ही िरू ककसी अ्छे गाँव मे शािी ह चक
ु ी थी । उसका कि 5
फुट 9 इंच था ।
वह साधारण श्ल सरू त वाला । सामा्य से पै्ट शटि पहनने वाला । एक
कसरती यव
ु ा था । उसके बालं का ्टायल साधारण था । ङर वाहन के प
मं उसका अपना ्कूटर ही था ।

वह शु से ही अकेला ङर तनहाई पस्ि था । शायि इसीसलये उसकी कभी


क ई रेसमका नही रही । ङर न ही उसका क ई खास ि ्त ही था । ितु नयाँ के
ल गं की भीङ मं भी वह खि
ु क बेहि अकेला महसूस करता था । व हमेशा
चप
ु ङर ख या ख या रहता ourhindi.com
। यहाँ तक कक काम भाव भी उसे ्पशि नही
करता ।
तब इसी अकेलेपन ङर ऐसी आितं ने उसे 16 साल की उमर मे ही गु्त प
से त्र म्र ङर य ग की रह्यमयी ितु नया की तरफ धकेल दिया । लेककन
उसके िीवन के इस पहलू क क ई नही िानता था ।
अंतमुख
ि ी ्वभाव का ये लङका ्वभाव से सश ट ङर बेहि सरल था । बस
उसे एक ही श क था । कसरत करना ।
कसरत । वह उठकर खङा ह गया । उसने ख्म ह ती ससगरे ट मं आखखरी
कश लगाया । ङर ससगरे ट क िरू उछाल दिया । ्कूटर की तरफ बढते ही
उसकी तनगाह साइड मं कुछ िरू खङे बङे पीपल पर गयी । ङर वह है रानी से
उस तरफ िे खने लगा । क ई नवयुवक पीपल की िङ से िीपक िला रहा था ।
उसने घङी पर तनगाह डाली । ठीक छह बि चक
ु े थे । अंधेरा तेिी से बङता
िा रहा था । उसने एक पल के सलये कुछ स चा । कफर तेिी से उधर ही िाने
लगा ।
- ्या बताऊँ ि ्त ? वह ग्भीरता से िरू तक िे खता हुआ ब ला - शायि तुम
कुछ न समझ गे । ये बङी अिीव कहानी ही है । भूत रेत िैसी क ई चीि

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्या ह ती है ? तुम कह गे । बबलकुल नहीं । मं भी कहता हूँ । बबलकुल नहीं ।


लेककन कहने से ्या ह िाता है । कफर ्या भूत रेत नहीं ही ह ते ।

ये िीपक ? तनततन है रानी से ब ला - ये िीपक आप यहाँ ्यं ..मतलब ?


- मेरा नाम मन ि है । लङके ने एक तनगाह िीपक पर डाली - मन ि
पालीवाल । ये िीपक ्यं ? िरअसल मझ
ु े खि
ु पता नहीं । ये िीपक ्यं ?
इस पीपल के नीचे ये िीपक िलाने से ्या ह सकता है । मेरी समझ के
बाहर है । लेककन कफर भी िलाता हूँ ।
- पर क ई त विह ..विह ? तनततन दहचकता हुआ सा ब ला - िब आप
ही..आप ही त िलाते हं ।
- बङे भाई ! वह गहरी सांस लेकर ब ला - मुझे एक बात बताओ । घङे मं ऊँट
घुस सकता है । नहीं ना । मगर कहावत है । िब अपना ऊँट ख िाता है ।
त वह घङे मं भी ख िा िाता है । शायि इसका मतलब यही है कक सम्या
का िब क ई हल निर नहीं आता । तव हम वह काम भी करते हं । ि
िे खने सुनने मं हा्या्पि लगते हं । जिनका क ई सुर ताल ही नहीं ह ता ।
उसने बङे अिीव भाव से एक उपेषषत तनगाह िीपक पर डाली । ङर यूँ ही
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चप
ु चाप सूने मैिानी रा्ते क िे खने लगा । उस बूङे पुराने पीपल के पतं की
अिीव सी रह्यमय सरसराहट उ्हं सुनाई िे रही थी । अंधेरा फैल चक
ु ा था ।
वे ि नं एक िस
ू रे क साये की तरह िे ख पा रहे थे । मरघट के पास का
मैिान । उसके पास रेत ्थान यु्त ये पीपल । ङर ये त्र िीप । तनततन
के रंगटे खङे ह ने लगे । उसके बिन मं एक तेि झुरझुरी सी ि ङ गयी ।
उसकी सम्त इज्ियाँ सिग ह उठी । वह मन ि के पीछे भाससत उस
आकृतत क िे खने लगा । ि उस कासलमा मं काली छाया सी ही उसके पीछे
खङी थी । ङर मानं उस त्र िीप का उपहास उङा रही ह ।

मनसा ि गी ! वह मन मं ब ला - रषा करं । ्या मामला है । ्या ह ने


वाला है ?
- कुछ..ससगरे ट वगैरह..। मन ि दहचककचाता हुआ सा ब ला - रखते ह । वैसे
अब तक कब का चला िाता । पर त् ु हारी विह से क गया । तम
ु ने िख
ु ती
रग क छे ङ दिया । इससलये कभी स चता हूँ । त्
ु हं सब बता डालँ ू
दिल का ब झ कम ह गा । पर तरु ्त ही स चता हूँ । उसका ्या फायिा ।

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कुछ ह ने वाला नहीं है ।


- ककतना शा्त ह ता है ये मरघट । कफर वह एक गहरा कश लगाकर ि बारा
ब ला - ओश कहते हं । िरअसल मरघट ठीक ब्ती के बीच ह ना चादहये ।
जिससे आिमी अपने अज्तम पररणाम क हमेशा याि रखं ।
मन ि क िे ने के बाि उसने भी एक ससगरे ट सुलगा ली थी । ङर िमीन पर
ही बैठ गया था । लेककन मन ि ने ससगरे ट क सािा नहीं वपया था । उसने
एक पु ङया मं से चरस तनकाला था । उसने वह नशा तनततन क भी आफर
ककया । लेककन उसने शालीनता से मना कर दिया

तेल से लबालब भरे उस बङे दिये की पीली र शनी मं वे ि नं शा्त बैठे थे ।


तनततन ने एक तनगाह ऊपर पीपल की तरफ डाली । ङर उ्सुकता से उसके
अगले किम की रतीषा करने लगा । उसे है रानी ह रही थी । वह काली
अशरीरी छाया उन ि नं से थ ङा िरू ही शाज्त से बैठी थी । ङर कभी कभी
एक उङती तनगाह मरघट की तरफ डाल लेती थी । तनततन की जि्िगी मं
यह पहला वा्ता था । िब उसे ऐसी क ई छाया निर आ रही थी । रह रह
कर उसके शरीर मं रेत की म िूिगी के लषण बन रहे थे । उसे वायु हं का
पूणि अहसास ह रहा था । ङर एकबारगी त वह वहाँ से चला िाना ही चाहता
था । पर कक्हीं अृ्य िंिourhindi.com
ीरं ने िैसे उसके पैर िकङ दिये थे ।
- मनसा ि गी ! वह ह्का सा भयभीत हुआ - रषा करं ।
मन ि पर चरसी ससगरे ट का नशा चढने लगा । उसकी आँखं सुखि ह उठी ।
- ये जि्िगी बङी अिीव है मेरे ि ्त । वह ककसी कथावाचक की तरह
ग्भीरता से ब ला - कब ककसक बना िे । कब ककसक उिाङ िे । कब
ककसक मार िे । कब ककसक जिला िे ।
- आपक । तनततन सरल ्वर मं ब ला - घर नहीं िाना । रात बढती िा रही
है । मेरे पास ्कूटर है । मं आपक छ ङ िे ता हूँ ।
- एक ससगरे ट..ससगरे ट ङर ि गे । वह राथिना सी करता हुआ ब ला - ्लीि
्लीि बङे भाई ।
उसने बङे अिीव ढं ग से कफर उस काली छाया क िे खा । ङर पैकेट उसे थमा
दिया । थ ङी थ ङी हवा चलने लगी थी । दिये की ल लपलपा उठती थी ।
मन ि ने उसे िङ की आङ मं कर दिया । ङर ि बारा पु ङया तनकाल ली ।

- बताऊँ । वह कफर से उसकी तरफ िे खता हुआ ब ला - या ना बताऊँ ?


वह उसे कफर से ससगरे ट मं चरस भरते हुये िे खता रहा । उसे इस बात पर

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है रानी ह रही थी कक ि रेतक उपज्थतत के अनुभव उसे ह रहे हं । ्या उसे


नहीं ह रहे । या कफर नशे की विह से वह उ्हं महसूस नहीं कर पा रहा ।
या
कफर अपने ककसी गम की विह से वह उसे महसूस नहीं कर पा रहा । या
या..उसके दिमाग मं एक वव्फ ट सा हुआ - या वह ऐसे अनुभवं का अ्य्त
त नहीं है । उसकी तनगाह तुर्त त्र िीप पर गयी । ङर ्वयं ही उस
काली छाया पर गयी । छाया ि ककसी ङरत की थी । ङर पीली मि
ु ािर
आँखं से उन ि नं क ही िे ख रही थी ।
एकाएक िैसे उसके दिमाग मं सब त्वीर साफ ह गयी । वह तनज्चत ही
रेत वायु का ल्बा अ्य्त था । साधारण इंसान ककसी हालत मं इतनी िे र
रेत के पास नहीं ठहर सकता था ।
- मेरा बस चले त साली की माँ ही...। उसने भरपरू स्
ु टा लगाया । ङर घ र
नफरत से ब ला - पर क ई सामने त ह । क ई निर त आये । अृ्य क
कैसे ्या क ँ । ब ल । तुम ब ल । गलत कह रहा हूँ मं ।
- लेककन मन ि िी ?
- बताता हूँ । सब बताता हूँ । बङे भाई । िाने ्यं अ्िर से आवाि आ रही
है । तु्हं सब बताऊँ । िाने ्यं । िाने ्यं । मेरे गाली बकने क गलत
मत समझना । आिमी िब ourhindi.com
वेवश ह िाता है । त कफर उसे ङर कुछ नहीं
सूझता । ससवाय गाली िे ने के ।

पिमा ने धल
ु े हुये कपङं से भरी बा्टी उठाई । ङर बाथ म से बाहर आ
गयी । उसके बङे से आंगन मं धप ू खखली हुयी थी । वह फटकारते हुये एक
एक कपङे क तार पर डालने लगी । उसकी लटं बार बार उसके चेहरे पर झल

िाती थी । जि्हं वह निाकत से पीछे झटक िे ती थी । वववाह के चार सालं
मं ही उसके य वन मं भरपरू तनखार आया था । उसका अंग अंग खखल सा
उठा था । अपने ही स ्ियि क िे खकर वह म्ु ध ह िाती थी । उसकी
छाततयं मं एक अिीव सा र मांच भर उठता था । वाकई पु ष के हाथ मं क ई
िाि ू ह ता है । उसकी समीपता मं एक वव चर ऊिाि सी ह ती है । ि लङकी
की िवानी क फूल की तरह से महका िे ती है ।
वववाह के बाि उसका शरीर तेिी से भरा था । उसके एकिम ग ल उ्नत
्तन ङर भी ववकससत हुये थे । ये स चते ही उसके चेहरे पर शमि की लाली
ि ङ गयी । ककतने बेशमि ङर लालची ह ते हं सब पु ष । सब यहीं ताकते हं
। बूढी ह या िवान । इ्हं एक ही काम । इसके सलये शायि ङरत कहीं भी
सेफ नहीं । शायि अपने ही घर मं भी नहीं ।

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उसने एक गहरी सांस ली । ङर उिास निरं से तनततन क िे खा । उसकी


आँखं ह्की ह्की नम ह चली थी ।

तनततन िी ! वह कफर से ब ला - कैसा अिीव बनाया है । ितु नयाँ का ये


सामाजिक ढांचा भी । ङर कैसा अिीव बनाया है । िे वर भाभी का स्ब्ध
भी । िरअसल..मेरे ि ्त । ये समाि समाि नहीं । पाख्डी ल गं का समूह
मार है । हम ऊपर से कुछ ङर बरताव करते हं । हमारे अ्िर कुछ ङर ही
मचल रहा ह ता है । हम सब पाख्डी हं । तम
ु । मं । ङर सब ।
मेरी भाभी ने मझ
ु े माँ के समान ्यार दिया था । मं पर
ु वत ही उसके सीने से
सलपट िाता था । कहीं भी छू लेता था । ्यंकक तब उस ्पशि मं काम
वासना नहीं थी । इससलये मुझे कहीं भी छूने मं खझझक नहीं थी । ङर कफर
वही भाभी कुछ समय बाि मुझे एक ्री निर आने लगी । ससफि एक भरपूर
िवान ्री । मेरे अ्िर का पुर लगभग मर गया । ङर उसकी िगह ससफि
पु ष बचा रह गया । अपनी भाभी के ही ्तन मुझे अ्छे लगने लगे । चप
ु के
चप
ु के उ्हं िे खना । ङर खझझकते हुये छूने क िी सा ललचाने लगा । जिस
भाभी क मं कभी भी ग ि मं ऊँचा उठा लेता था । भाभी मं नहीं मं नहीं..
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कहता उनके सीने से लग िाता ।

अब उसी क छूने मं एक अिीव सी खझझक ह ने लगी । इस काम वासना ने


हमारे पववर माँ बेटे िैसे ्यार क ग्िगी का कीचङ सा लपेट दिया । लेककन
शायि ये बात ससफि मेरे अ्िर ही थी । भाभी के अ्िर नहीं । उसे पता भी
नहीं कक मेरी तनगाहं मं ्या रस पैिा ह गया ? मं यही स चता था ।
बा्टी से तनकालकर कपङे तनच ङती हुयी पिमा की तनगाह अचानक सामने
बैठे मन ि पर गयी । कफर अपने ्लाउि पर गयी । आँचल रदहत सीना ।
साङी का आँचल उसने कमर मं खंस सलया था । वह च र निरं से उसके
्लाउि से बाहर छलकते सुड ल ्तनं क िे ख रहा था ।
- ्या गलती है इसकी ? पिमा ने स चा - कुछ भी त नहीं । ये ह ने िा रहा
मिि है । क न ऐसा शरीफ है । ि ्री कुचं का िीवाना नहीं । बूढा । िवान
। ब्चा । अधेङ । शािीशुिा । या कफर कंु वारा । भूत रेत । या िे वता भी ।
सच त ये है । ्री भी ्री के ्तनं क िे खती है । ्वयं से तुलना्मक या
कफर वासना्मक भी । शायि ई्वर की कुछ खास रचना हं । नारी ्तन ।
नारी का स ्ियि है । नारी ्तन ।
उसने अपने आँचल क ठीक करने का क ई उपकृम नहीं ककया । ङर सीधे ही

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तपाक से पूछा - सच बता । ्या िे ख रहा था ?


मन ि एकिम हङबङा गया । उसने झंप कर मँह
ु फेर सलया । उसके चेहरे पर
्लातन के भाव थे । पिमा ने आखखरी कपङा तार पर डाला । ङर उसके पास
ही सामने चारपाई पर बैठ गयी । उसने अपने आँचल क अभी भी ्यं का
्यं ही रखा । उसके मन मं एक अिीव सा भाव था । शायि एक शा्वत
र्न िैसा ।

ङरत । पु ष की कामना । ङरत ।.. ङरत । पु ष की वासना । ङरत ।..


ङरत । पु ष की भावना । ङरत ।
कफर वह मन ि के ्वाभाववक भावं क क न से निररये से गलत समझे ।
उसकी िगह उसका क ई िरू िराि का चाचा ताऊ भी तनज्चत ही उसके सलये
यही आंतररक भाव रखता । ्यंककं वह एक स्पूणि ल ककक ङरत थी ।
भांतत भांतत के कुिरती सु्िर फूलं की तरह ही सजृ ट कताि ने ङरत क भी
ववशेष सांचे मं ढाल कर बनाया । िहाँ उसके अंगं मं फलं का सा मधरु रस
भर दिया । वहीं उसके स ्ियि मं फूलं की अनुपम महक भी डाल िी । िहाँ
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उसके मािक अंगं से सुरा के पैमाने छलका दिये । वहीं उसकी सािगी मं एक
शा्त धीर ग्भीर िे वी निर आयी ।
कुछ ऐसी ही थी पिमा भी । उसकी बङी बङी काली आँखं मं एक अिीव सा
स्म हन था । ि साधारण ृज ट से िे खने पर भी य न आम्रण िैसा
मालूम ह ता था । पिसमनी ्री रकार की ये नातयका मानं धरा के फलक पर
कयामत बनकर उतरी थी । उसके लहराते ल्बे रे शमी बाल उसके क्धं पर
फैले रहते थे । वह नये नये ्टायल का िूङा बनाने ङर इर लगाने की बेहि
श कीन थी ।

पिमा की ल्बाई 5 फीट 8 इंच थी । ङर उसका कफगर 34-26-34 की


मनम हक बनाबट मं खब
ू सूरती से गढा गया था । अपनी 5 फीट 8 इंच की
ल्बाई के बाि भी वह 2 इंच ऊँची हील वाली संडल पहनती थी । ङर अपनी
मिम्त चाल से पु षं के दिल मं उथल पुथल मचा कर रख िे ती थी ।
उसके लचकते मांसल तनत्बं की थरकन कर मं पैर लटकाये बूङं मं ि श
की तरं ग पैिा कर िे ती थी ।
- मन ि ! वह स्म हनी आँखं से िे खती हुयी ब ली - मं िानना चाहती हूँ ।
तुम च री च री अभी ्या िे ख रहे थे । डर मत । सच बताओ । मं ककसी क

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ब लँ ग
ू ी नहीं । शायि मेरे तु्हारे मन मं एक ही बात ह ।
- भाभी ! वह कदठनता से कांपती आवाि मं ब ला - आपने कभी ककसी से
्यार ककया है ?
- ्यार..्यार ? हाँ ककया है ना । वह सहिता से सरल ्वर मं ब ली - िे ख
मन ि । हर लङका लङकी ककश राव्था मं ककसी न ककसी ववपरीत सलंगी से
्यार करते ही हं । भले ही व ्यार एक तरफा ह । ि तरफा ह । सफल ह
। असफल ह । मंने भी अपने गाँव मं एक लङके रािीव से ्यार ककया । पर
व ऐसा पागल तनकला । मझ
ु प की रानी के ्यार की परवाह न कर साधु
बाबा ह गया । हाँ मन ि । उसका मानना था । ई्वर से ्यार ही स्चा
्यार है । बाकी मेरी िैसी स्
ु िर रसीली रस भरी ङरत त िीती िागती
माया है । माया ।
माया । उसने एक गहरी सांस ली । वह चप
ु ही रहा । पर रह रह कर भाभी
के सीने का आकषिण उसे वहीं िे खने क वववश कर िे ता । ङर पिमा उसे
इसका भरपूर म का िे रही थी । इसीसलये वह अपनी निरं उससे समलाने के
बिाये इधर उधर कर लेती ।
- बस । कुछ िे र बाि वह ब ली - एक बार तुम बबलकुल सच बताओ । तुम
च री च री ्या िे ख रहे थे । कफर मं भी तु्हं कुछ बताऊँगी । शायि जिस
स ्ियि की झलक मार से तourhindi.com
ुम बैचन े ह । वह स्पूणि स ्ियि खल
ु कर
तु्हारे सामने ह । ्यंकक..कहते कहते वह की - मं भी एक ङरत हूँ । ङर
मं अपने स ्ियि रेमी क अत्ृ त नहीं रहने िे सकती । कभी नहीं ।
- नहीं । वह तेिी से ब ला - ऐसा कुछ नहीं । ऐसा कुछ नहीं है भाभी माँ ।
मं ऐसा कुछ नहीं चाहता । पर मं सच कहूँगा । ये..ये आपके ्लाउि के
अ्िर ि हं । बस ना िाने ्यं । इ्हं िे खने क दिल सा करता है
।..भाभी.व गाना है ना - तेरे ि अनम ल रतन । एक है राम । ङर एक
लखन । िाने ्यं मुझे ये गाना आपके इनके सलये गाना अ्छा लगता है ।
िब भी मुझे आपकी बाहर कहीं याि आती है । मं इ्हीं क याि कर लेता हूँ
- तेरे ि अनम ल रतन । एक है राम । ङर एक लखन ।
उसकी साफ सरल सीधी स्ची ्प ट बात ङर मासूसमयत पर पिमा हँ सते
हँसते पागल ह उठी । यकायक उसके म ततयं िैसे चमकते िाँतं की बबिली
सी कंधती । ङर उसके हँ सने की मािक मधरु ्वर लहरी वातावरण मं काम
रस सा घ ल िे ती । वह भी मूखं की भांतत उसके साथ हँसने लगा ।

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एक समनट एक समनट यार । वह अपने क संयसमत करती हुयी ब ली - ्या


बात कही । मन ि मुझे तेरी बात पर अपनी एक सहे ली की याि आ गयी ।
उसकी नयी नयी शािी हुयी थी । पहली वविाई मं िब वह पीहर आने लगी ।
त उसका पतत बहुत उिास ह गया । वह ब ली - ऐसे ्यं मँहु लटका सलया
। मं मर थ ङे ना गयी । ससफि 8 दिन क ही त िा रही हूँ । तब उसका पतत
ब ला - मुझे तेरे िाने का िख
ु नहीं । तू िाती ह त िा । पर मुझे इन ि नं
की बहुत याि आयेगी । ऐसा कर इ्हं काट कर मझ
ु े िे िा ।
अचानक अब तक ग्भीर बैठे तनततन ने ि रिार ठहाका लगाया । ऐसी
अिीव बात उसने पहली बार ही सनु ी थी । माह ल की मनहूससयत एकाएक
छँ ट सी गयी । मन ि ह्के नशे मं था । वह भी उसके साथ हँ सा ।
- तेरे ि अनम ल रतन । एक है राम । ङर एक लखन । कफर वह धीमे धीमे
सब
ु कने लगा ।
अिीव स्पं स फैलाया था । इस लङके ने । वह ससफि इस जिञासा के चलते
उसके पास आया था कक व ये त्र िीप ्यं िला रहा था ? क न सी रेत
बाधा का सशकार हुआ था । ङर अभी इस साधारण से र्न का उतर समल
पाता । वह काली अशरीरी छाया एक बङे अनसुलझे रह्य की तरह वहाँ रकट
हुयी । एक ङर र्न ?
- मनसा ि गी ! वह मन मंourhindi.com
ब ला - रषा करं ।

वह काली छाया अभी भी बूङे पीपल के आसपास ही टहल सी रही थी । वह


शहर से बाहर ्थानीय उिाङ ङर खल
ु ा शमशान ही था । स अशरीरी हं के
आसपास ह ने का अहसास उसे बारबार ह रहा था । पर मन ि इस सबसे
बबलकुल बेपरवाह बैठा था ।
िरअसल तनततन ने र्यष अशरीरी भाससत ह क पहली बार ही िे खा था ।
पर वह त्र कियाओं से िङ
ु ा ह ने के कारण ऐसे अनभ
ु वं का कुछ हि
अ्य्त था । लेककन वह यव
ु क त उपचार के सलये आया था । कफर वह कैसे
ये सब महसूस नहीं कर रहा था ? ङर उसके ्याल मं कारण ि ही ह सकते
थे । उसका भी रेतं के सामी्य का अ्य्त ह ना । या कफर नशे मं ह ना ।
या उसकी तनडरता अिानता का कारण वह भी ह सकता था । या कफर वह
अपने ्याली गम मं इस तरह डूबा था कक उसे माह ल की भयंकरता पता ही
नहीं चल रही थी । उसकी तनगाह कफर एक बार काली छाया पर गयी ।
- मं स चता हूँ । वह कुछ अिीव से ्वर मं ब ला - हमं अब घर चलना
चादहये ।
- अरे बैठ ि ्त ! मन ि कफर से गहरी सांस भरता हुआ ब ला - कैसा घर ।

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कहाँ का घर । सब मायािाल है साला । चङा चङी के घंसले । चङा


चङी..अरे हाँ ..मुझे एक बात बताओ । तुमने ङरत क कभी वैसे िे खा है ।
बबना व्रं मं । एक खब
ू सूरत िवान ङरत । पिसमनी नातयका । पसी ।
प की रानी िैसी । एक नं्न ङरत ।
- सुन ! वह हङबङा कर ब ला - तुम बहकने लगे ह । हमं अब चलना चादहये

ठ ठ ठहर भाई ! तुम गलत समझे । वह उिास हँ सी हँसता हुआ ब ला -


शायि कफर तुमने ओश क नहीं पढा । मं आंतररक भावं से न्न ङरत की
बात कर रहा हूँ । ङर इस तरह ङरत क क ई न्न नहीं कर पाता । शायि
उसका पतत भी नहीं । शायि उसका पतत । यानी मेरा सगा भाई । भाई ।
भाई मुझे समझ नहीं आता । मं कसूरवार हूँ या नहीं । याि रख ।.. वह
िाशितनकता दिखाता हुआ ब ला - ङरत क न्न करना आसान नहीं । व्र
रदहत न्नता न्नता नहीं है ।
- ठीक है मन ि । पिमा िबरि्त मािक अंगङाई लेकर अपनी बङी बङी
आँखं से सीधी उसकी आँखं मं झांकती हुयी सी ब ली - तुमने बबलकुल सही
ङर सच ब ला । हाँ ये सच है । ककसी भी लङकी मं िैसे ही य वन सु्िरता
के ये पु प खखलना शु ह तेourhindi.com
हं । वह सबके आकषिण का के्ि बन िाती है ।
एक सािा सी लङकी म हक म दहनी मं पांतररत ह ने लगती है । तुमने कभी
इस तरह स चा ।..मं िानती हूँ । तम
ु मुझे पूरी तरह िे खना चाहते ह । छूना
चाहते ह । खेलना चाहते ह । ्यंकक ये सब स चते समय त् ु हारे अ्िर मं
त् ू सरू त ङरत ह ती हूँ । उस समय भाभी मर
ु हारी भाभी नहीं । ससफि एक खब
िाती है । ससफि ङरत । ससफि ङरत ही रह िाती है । बताओ मंने सच कहा
ना ?
- गलत । वह कदठन ्वर मं ब ला - एकिम गलत । ऐसा त मंने कभी स चा
भी नहीं । बस सच इतना ही है कक िब भी इस घर मं त्
ु हं चलते कफरते
िे खता हूँ । त मं तु्हं पहले पूरा ही िे खता हूँ । लेककन कफर न िाने ्यं
मेरी तनगाह इधर ह िाती है । यहाँ िे खना ्यं आकवषित करता है । मं
समझ नहीं पाता ।

्या । वह है रत से ब ली - तु्हं मुझे पूरी तरह से िे खने की इ्छा नहीं


करती ?
- कभी नहीं । वह एक झटके से स्त ्वर मं ब ला - ्यंकक साथ ही मुझे

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ये भी पता है । तुम मेरी भाभी ह । भाभी माँ । ङर एक ब्चा भी अपने माँ


के आँचल से ्यार करता है । स्म दहत ह ता है । उसे भी उन ्तनं से
लगाव ह ता है । जिनसे वह प षण पाता है । वह ठीक पतत की तरह माँ के
शरीर क कहीं भी ्पशि करता है । उसके पूणि शरीर पर िननी भूसम की तरह
खेलता है । पर आप बताओ । उसकी ऐसी इ्छा कभी ह सकती है कक मं
अपनी माँ क नंगा िे खूँ ।
पिमा की बङी बङी काली आँखं आ्चयि से फैल गयी । उसका स ्ियि
असभमान पल मं चरू चरू ह गया । मन ि जितना ब ल रहा था । एकिम सच
ब ल रहा था ।
्या अिीव झमेला सा था । तनततन बङी है रत मं था । वह क ई तनणिय नहीं
ले पा रहा था । यहाँ के । या घर चला िाये । इसक साथ ले िाये । या
इसके हाल पर छ ङ िाये । क न था ये लङका ? कैसी अिीव सी थी इसकी
कहानी । ङर वह काली ्री छाया ।
उसने कफर से उधर िे खा । वह भी मानं थक कर िमीन पर बैठ गयी थी ।
ङर अचानक वह चंका । मन ि ने िेब से िे शी तमंचा तनकाला । ङर उसकी
ओर बङाया ।
- मेरे अिनबी ि ्त । वह डूबे ्वर मं ब ला - आि तुम मेरी कहानी सुन ल
। मुझे कसूरवार पाओ । त ourhindi.com
बे खझझक मुझे शूट कर िे ना । ङर यदि तुम
मेरी कहानी नहीं सुनते । बीच मं ही चले िाते ह । कफर मं ही अपने आपक
शूट कर लँ ग
ू ा । ङर इसके जि्मेिार तुम ह गे । ससफि तुम ।
उसने उँ गली तनततन की तरफ उठाई । वह कुछ न ब ला । ङर चप
ु बैठा हुआ
उसके अगले किम की रतीषा करने लगा ।

म्य रिे श । यानी म्य भारत का 1 रा्य । रािधानी भ पाल । यह रिे श 1


NOV 2000 तक षेरफल के आधार पर भारत का सबसे बडा रा्य था ।
लेककन 1 NOV 2000 के दिन इस रा्य के कई नगर उससे हटा कर छतीसग़
बना दिया गया । इस रिे श की सीमायं - महारा र । गुिरात । उतर रिे श ।
छतीसग़ । ङर राि्थान से समलती है ।
भारत की ग रवशाली सं्कृतत मं म्य रिे श ककसी िगमगाते िीप के िैसा है
। जिसकी र शनी की अलग ही चमक ङर अलग रभाव है । ववसभ्न
सं्कृततयं की अनेकता मं एकता के आकषिक गुलि्ता िैसा । जिसे रकृतत ने
्वयं अपने हाथं से सिाया ह । ङर जिसका स ्ियि ङर सुग्ध चारं ओर
फैल रहे हं । यहाँ की आब हवा मं कला । सादह्य । सं्कृतत की मधरु ग्ध
सी बहती है । यहाँ के ल क समूहं ङर िन िातत समूहं मं रततदिन न्ृ य ।

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संगीत । गीत की रसधार सहि रवादहत ह ती है । इससलये हर दिन ही उ्सव


िैसा ह कर िीवन मं आन्ि रस घ ल िे ता है । म्य रिे श के तुंग उतुंग
पवित सशखर । वव््य सतपुडा । मैकल कैमूर की उपज्यकाओं के अ्तर से
गँि
ू ती अनेक प राखणक कथायं । नमििा । स न । सस्ध । च्बल । बेतवा ।
केन । धसान । तवा । ता्ती आदि नदियं के उिगम ङर समलन की कथाओं
से फूटती हिारं धारायं यहाँ के िीवन क हरा भरा कर त्ृ त करती हं ।
इस रा्य मं 5 ल क सं्कृततयं का समावेश है । ये 5 साँ्कृततक षेर है -
तनमाड । मालवा । ब्
ु िे लख्ड । बघेलख्ड । ्वासलयर ( चंबल ) र्येक भू
भाग का अलग िीवंत ल क िीवन । सादह्य । सं्कृतत । इततहास । कला ।
ब ली ङर पररवेश है ।
इस रा्य की सं्कृतत बहुरंगी है । महारा र । गि
ु रात । उडीसा की तरह
म्य रिे श क खास भाषाई सं्कृतत से नहीं पहचाना िाता । बज्क यहाँ
ववसभ्न ल क ङर िन िातीय सं्कृततयं का समागम है । इससलये क ई
एक ल क सं्कृतत नहीं है । एक तरफ यहाँ 5 ल क सं्कृततयं का आपसी
समावेश है । िस
ू री ओर अनेक िन िाततयं की आदिम सं्कृततयं का सुखि
निारा है ।

म्य रिे श के 5 सां्कृततकourhindi.com


षेर - तनमाड । मालवा । बु्िे लख्ड । बघेलख्ड
। ्वासलयर ङर धार - झाबुआ । मंडला - बालाघाट । तछ्िवाडा । ह शंगाबाि
। ख्डवा - बुरहानपुर । बैतूल । रीवा - सीधी । शहड ल आदि िन िातीय
षेरं मं ववभ्त है ।
तनमाड म्य रिे श के पज्चमी अंचल मं आता है । इसकी भ ग सलक सीमाओं
मं एक तरफ वव््य की उतंग
ु पवित ्ख
ं ृ ला । ङर िस
ू री तरफ सतपड
ु ा की
सात उपज्यकाएँ हं । ङर म्य मं बहती है । नमििा की िल धार । प राखणक
काल मं तनमाड अनप
ू िनपि कहलाता था । बाि मं इसे तनमाड कहा गया ।
महाकवव कालीिास की धरती मालवा हरी भरी धन धा्य से भरपरू रही है ।
यहाँ के ल गं ने कभी अकाल नहीं िे खा । वव््याचल के पठार पर रसररत
मालवा की भूसम स्य । ्यामल । सु्िर ङर उविर त है ही । ये धरती
पज्चम भारत की सबसे अ धक ्वणिमयी ङर ग रवमयी भूसम रही है ।
उतर मं यमुना । िषषण मं ववं्य ्लेटं की ्ेखणयं । उतर - पज्चम मं चंबल
। ङर िषषण पूवि मं प्ना । आिमग़ ्ेखणयं से तघरे भू भाग क बुंिेलखंड
नाम से िाना िाता है । कतनंघम ने बुंिेलखंड के अ धकतम वव्तार के समय
इसमं गंगा ङर यमुना का सम्त िषषणी रिे श ि पज्चम मं बेतवा निी से
पूवि मं च्िे री ङर सागर के जिलं सदहत ववं्यवाससनी िे वी के मज्िर तक

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तथा िषषण मं नमििा निी के मुहाने के तनकट बब्हारी तक रसररत था


बघेलख्ड का स्ब्ध भी अतत राचीन भारतीय सं्कृतत से है । यह भू भाग
रामायण काल मं क सल रा्त के अ्तगित था । महाभारत काल मं ववराट
नगर बघेलख्ड भूसम पर ही था । जिसका नाम आिकल स हागपुर है ।
भगवान राम की वनवास यारा इसी षेर से हुई थी । यहाँ के ल गं मं सशव ।
शा्त । वै णव स्रिाय की पर्परा वव्यमान है । नाथ पंथी य गय का
भी खासा रभाव है । पर कबीर पंथ का रभाव सवाि धक है । कबीर के खास
सश य धमििास बाँिवग़ तनवासी ही थे ।
्वासलयर म्य रिे श का चंबल षेर । भारत का म्य भाग । यहाँ भारतीय
इततहास की अनेक मह्वपण ू ि घटनायं हुई हं । इस षेर का सां्कृततक आ थिक
कंि ्वासलयर शहर है । सां्कृततक प से भी यहाँ अनेक सं्कृततयं का
आवागमन ङर संगम हुआ है । 1857 का पहला ्वतंरता संराम झाँसी की
वीरांगना महारानी ल्मीबाई ने इसी भूसम पर लडा था ।
इसी म्य रिे श के तनमाङ की अमराइय मं क यल की कूक गूंिने लगी थी ।
पलाश के फूल की लाली फैल रही थी । ह ली का खम
ु ार ससर चढकर ब ल रहा
था । मधरु गीतं की गँि
ू से तनमाङ चहक रहा था ।
दिल मं ढे रं रं ग बबरं गे अरमान सलये रं ग बबरं गे ही व्रं मं सिी सु्िर
युवततयं के हंठ गुनगुना रहे थे - ्हारा हररया ्वारा ह कक । गहुआ लहलहे
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म ठा हीरा भाई वर ब या िाग । कक लाडी बहू सींच सलया रानी ससंची न िा्य
ह कक ्वारा पेला पडया । उनकी सरस ्थ लाई ह । हीरा भाई ढकी सलया

इसी रं ग बबरं गी धरती पर वह प की रं गीली रानी आँखं मं रं ग बबरं गे ही
सपने सिाये िैसे सब ब्धन त ङ िे ने क मचल रही थी । उसकी छाततयं मं
मीठी मीठी कसक सी ह ती थी । उसके दिल मं क ई अनिान सी हूक उठती
थी । हाय व क न ह गा । ि उसे बाँहं मं भींच कर रख िे गा ।
सासु न बहू ग र पूिा ही रना िे व । अड सन पड सन ग र पूिा ह रना िे व ।
पड सन पर तट ु य गरब भान ह रना िे व । कसी पट तुटय गरब भान ह
रना िे व । िध
ू केरी िवनी मङ घेर ह रना िे व । पूत कर पालनं पटसल ह
रना िे व । ्वामी सुत सुख लडी सेि ह रना िे व । असी पट तुटय गरब
भान ह रना िे व ।

आि की रात । उसने स चा । इसी वीराने मं बीतने वाली थी । कहाँ का


फालतू लफङा उसे आ लगा था । साँप के मँह
ु छछूँिर । न तनगलते बने । न
उगलते ।

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- पर पर मेरे ि ्त । वह कफर से ब ला - जि्िगी ककसी हसीन ्वाव िैसी


नहीं ह ती । कभी नहीं ह ती । जि्िगी की ठ स हकीकत कुछ ङर ही ह ती है
? कुछ ङर ही ।
यकायक वह उकता सा उठा । वह उठ खङा हुआ । ङर कफर बबना ब ले ही
चलने क हुआ । मन ि ने उसे कुछ नहीं कहा । ङर तमंचा कनपटी से लगा
सलया - ओ के मेरे अिनबी ि ्त अलबबिा ।
आ वैल मझ
ु े मार । िबरि्ती गले लग िा । शायि इसी के सलये कहा गया
है । हारे हुये िआ
ु री की तरह वह कफर से बैठ गया । उसने एक ससगरे ट
तनकाली । ङर सल ु गा ली । लेककन तनततन खाम शी से उस छाया क ही
िे खता रहा ।
- लेककन मं शसमि्िा नहीं हूँ । पिमा सहिता से ब ली - अभी भी नहीं हूँ ।
अभी अभी तम ु ने कहा । त्ु हं मझ
ु े यहाँ िे खना भाता है । कफर बताओ । ्यं
। ब ल ब ल । ऐसे ही मं भी तुमक बहुत तनगाहं से िे खती हूँ । अगर तु्हारे
दिल मं कुछ काम रस सा िागता है । कफर मेरे दिल मं ्यं नहीं ? ङर वैसे
भी िे वर भाभी का स्ब्ध अनैततक नहीं है । िे वर क ्वय वर कहा गया है
। िस
ू रा वर । यह एक तरह से समाि का असलखखत कानून है । िे वर भाभी
के शरीरं का समलन ह सकता है ।
मन ि शायि तु्हं मालूम ourhindi.com
न ह । अभी तुम ितु नयािारी के मामले मं ब्चे
ह । अगर ककसी ्री क उसके पतत की कमी से ङलाि ना ह ती ह । त
उसकी अत्ृ त िमीन मं िे वर ही बीिार पण का रथम अ धकारी ह ता है ।
उसके बाि । कुछ पररज्थततयं मं िेठ भी । ङर िानते ह । ऐसा हमेशा घर
वालं की मिी से उनकी िानकारी मं ह ता है । वे कँु वारे ङर शािीशुिा िे वर
क रेररत करते हं कक वह भाभी की उिाङ िमीन पर खसु शयं की फसल
लहलहा िे ।
तनततन के दिमाग मं एक वव्फ ट सा हुआ । कैसा अिीव संसार है यह ।
शायि यहाँ बहुत कुछ ऐसा वव चर है । जिसक उस िैसे ल ग कभी नहीं िान
पाते । त्र िीप से शु हुयी उसकी मामूली रेतक जिञासा इस लङके के दिल
मं घुमङते कैसे तूफान क सामने ला रही थी । उसने स चा तक न था । स च
भी न सकता था ।
- श्ि । श्ि । वह तमंचा िमीन पर रखता हुआ ब ला - ङर श्ि । श्िं
का कमाल । ककतनी है रानी की बात थी । भाभी के श्ि आि मुझे िहर से
लग रहे थे । उसके चल
ु वुले पन मं मझ
ु े एक ना गन निर आ रही थी । उसके
बेसमसाल स ्ियि मं मझ
ु े काली ना गन निर आ रही थी । एक खतरनाक
चङ
ु ैल । खतरनाक चङ
ु ैल । मझ
ु .े .अचानक उसे कुछ याि सा आया - एक बात

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बताओ । तुम भत
ू रेतं मं वव्वास करते ह । मेरा मतलब । भूत ह ते हं ।
या नहीं ह ते हं ?
तनततन ने एक ससहरती सी तनगाह काली छाया पर डाली । उसका ्यान
सरसराते पीपल के पतं पर गया ।

तनर्तर कभी कभी आसपास महसस


ू ह ती अृ्य हं पर गया । उसने ग र
से मन ि क िे खा ।
ङर ब ला - पता नहीं । कह नहीं सकता । शायि ह ते हं । शायि न ह ते हं

अब वह बङी उलझन मं था । उसने स चा । ये अपने दिल का गम ह्का
करना चाहता है । ्या वह ्वयं इससे र्न पूछे । ङर ि्िी ि्िी ये
बताता चला िाये । ङर बात ख्म ह । पर तुर्त ही उसका दिमाग ररये्ट
करता । इसके अ्िर क ई बहुत बङा रह्य । क ई बहुत बङी आग िल रही
है । जिसका तनकल िाना ि री है । वरना शायि ये खि
ु क ग ली भी मार
ले । मार सकता था । इससलये एक जि्िगी की खाततर उसमं ्वयं ि किया
ह रही थी । वही तरीका अ धक उ चत था । ङर तब उसे ससफि सुनना था ।
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िे खना था ।
- मनसा ि गी । वह भाव से बे ्वर ब ला - रषा करं ।
- लेककन मं िानता हूँ । वह कफर से ब ला - मंने उ्हं कभी िे खा त नहीं ।
पर मुझे 100% पता है । ह ते हं । ङर तुम िानते ह । इनके भत
ू रेत ह ने
का ि मु्य कारण है । बस एक ही । से्स । काम वासना । ्यज्त मं
तनर्तर सुलगती काम वासना । काम वासना से पी ङत । काम वासना से
अत्ृ त रहा । इंसान तन्चय ही भूत रेत के अंिाम क रा्त ह ता है ।

ये अचानक से ्या ह गया था । पिसमनी नातयका पिमा भावहीन चेहरे से


आंगन मं खखलते गमलं क िे ख रही थी । उसे लग रहा था । कुछ असामा्य
सा था । ि एकिम घदटत हुआ था । वह इतना अनुभवी भी नहीं था कक इन
बातं का क ई ठीक अथि तनकाल सके । बस यार ि ्तं के अनुभव के चलते
उसे कुछ िानकारी थी ।
- भाभी ! तब अचानक वह उसकी ओर िे खता हुआ ब ला - एक बात ब लँ ू ।
सच सच बताना । ्या तमु भैया से खश
ु नहीं ह ? ्या त्
ु हं तजृ ्त नहीं ह ती

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िस
ू री तरफ िे खती पिमा ने यकायक झटके से मँुह घुमाया । उसने तेिी से
्लाउि के ऊपरी तीन हुक ख ल दिये । ङर ना गन सी चमकती आँखं से
उसकी तरफ िे खा ।
- िे ख इधर । वह स्त ्वर मं ब ली - ये ि बङे बङे माँस के ग ले । ससफि
चबी माँस के ग ले । अगर एक सु्िर िवान मरी ङरत का शरीर लावाररस
फंक दिया िाये । त कफर इस शरीर क क वे कुते ही खायंगे । मेरी ये
मग
ृ नयनी आँखं ककसी ्यासी चङ
ु ैल के समान भयानक ह िायंगी । मेरे इस
स्
ु िर शरीर से बिबू ङर तघन आयेगी । बताओ । इसमं ऐसा ्या है ? ि
ककसी ्री क नहीं पता । ि ककसी पु ष क नहीं पता । कफर भी क ई त्ृ त
हुआ आि तक । अज्तम अंिाम । िानते हुये भी ।
- तनततन िी ! वह ठहरे ्वर मं ब ला - बङे ही अिीव पल थे व । व्त िैसे
थम गया था । उस पर काम िे वी सवार थी । ङर मुझे ये भी नहीं पता ।
उस व्त उसकी मुझसे ्या ्वादहश थी । सच ये है कक मं ककसी स्म हन
सी ज्थतत मं था । लेककन उसका स ्ियि । उसके अंग । सभी मुझे ववषैले
नाग बब्छू िैसे लग रहे थे । ङर िैसे क ई अञात शज्त मेरी रषा कर रही
थी । मुझे सही गलत का ब ध करा रही थी । श्ि िैसे अपने आप मेरे मँह

से तनकल रहे थे । िैसे शायि अभी भी तनकल रहे हं । श्ि ।
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लेककन भाभी ! मेरा ये मतलब नहीं था । मंने सावधानी से कहा - ङरत की


काम वासना क यदि उसके सलये तनयु्त पु ष म िूि ह । तब ऐसी बात
कुछ अिीब सी लगती है ना । इसीसलये मंने कहा । शायि आप अत्ृ त त
नहीं ह ।
- अत्ृ तऽऽऽ । अत्ृ तऽऽ । अत्ृ तऽऽ । अत्ृ तऽऽ । अत्ृ त । अत्ृ त । अत्ृ त
। मन ि का यह श्ि रह रह कर उसके दिमाग मं हथ ङे सी च ट करने लगा
। एकाएक उसकी मख
ु ाकृतत बबगङने लगी । उसका बिन ऐंठने लगा । उसका
स्
ु िर चेहरा बेहि कु प ह उठा । उसके चेहरे पर राख सी पत
ु ी निर आने
लगी । वह बङी ि र से हँ सी । ङर
- हाँ ! हाँ ! उसने ्लाउि के प्ले पकङकर एक झटका मारा । एक झटके से
्लाउि िरू िा गरा - हाँ मं अत्ृ त ही हूँ । सदियं से ्यासी । एक अत्ृ त
ङरत । एक ्यासी आ्मा । जिसकी ्यास आि तक क ई िरू न कर सका
। क ई भी ।
अब तक उकताहट महसूस कर रहा तनततन एकाएक सिग ह गया । उसकी

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तनगाह ्वतः ही काली छाया पर गयी । ि बैचन


े ी से पहलू बिलने लगी थी ।
पर मन ि उन ि नं की अपेषा शा्त था ।
- कफर ्या हुआ ? बेहि उ्सुकता मं उसके मँह
ु से तनकला ।
- कुछ नहीं । उसने भावहीन ्वर मं उतर दिया - कुछ नहीं हुआ । वह बेह श
ह गयी ।

रात के िस बिने वाले थे । बािलं से फैला अंधेरा कब का छँ ट चक


ु ा था ।
नीले आसमान मं चाँि तनकल आया था । उस शमशान मं िरू िरू तक क ई
राबरचर िीव भी निर नहीं आ रहा था । ससफि ससर के ऊपर उङते चमगािङं
की सरि सरि कभी कभी उ्हं सुनाई िे िाती थी । बाकी भयानक स्नाटा ही
सांय सांय कर रहा था । पर मन ि अब काफी सामा्य ह चक
ु ा था । ङर
बबलकुल शा्त था ।
लेककन अब उसके मन मं भयंकर तूफान उठ रहा था । ्या बात क यूँ ही
छ ङ दिया िाये । इसके घर या अपने घर चला िाये । या घर चला ही नहीं
िाये । यहीं । या कफर ङर ourhindi.com
कहीं । वह सब िाना िाये । ि इस लङके के
दिल मं िफन था । यदि वह मन ि क यूँ ही छ ङ िे ता । त कफर पता नहीं
। वह कहाँ समलता । समलता भी या नहीं समलता । आगे ्या कुछ ह ने वाला
था । ऐसे ढे रं सवाल उसके दिल दिमाग मं हलचल कर रहे थे ।
- बस हम तीन ल ग ही हं घर मं । वह बबलकुल सामा्य ह कर ब ला - मं ।
मेरा भाई । ङर मेरी भाभी ।
वे ि नं वापस पुल पर आ गये थे । ङर पुल की रे सलंग से दटके बैठे थे । यह
वही ्थान था । िहाँ नीचे बहती निी से तनततन उठकर उसके पास गया था
। ङर िहाँ उसका वे्पा ्कूटर भी खङा था । आि ्या ही अिीव सी बात
हुयी थी । उ्हं यहाँ आये कुछ ही िे र हुयी थी । ङर ये बहुत अ्छा था ।
वह काली छाया यहाँ उनके साथ नहीं आयी थी । बस कुछ िरू पीछे चलकर
अंधेरे मं चली गयी थी । यहाँ बारबार आसपास ही महसस
ू ह ती अृ्य हं
भी नहीं थी । ङर सबसे बङी बात । ि उसे राहत पहुँचा रही थी । मन ि
यहाँ एकिम सामा्य ्यवहार कर रहा था । उसके ब लने का लहिा श्ि
आदि भी सामा्य थे । कफर वहाँ ्या बात थी ? ्या वह ककसी अृ्य रभाव
मं था । ककसी िाि ू ट ने । ककसी स्म हन । या ऐसा ही ङर कुछ अलग सा

- कफर ्या हुआ ? अचानक िब िे र तक तनततन अपनी उ्सुकता र क न सका
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। त ्वतः ही उसके मँह ु से तनकला - उसके बाि ्या हुआ ?


- कब ? मन ि है रानी से ब ला - कब ्या हुआ ? मतलब ?
तनततन के छ्के छूट गये । ्या वह ककसी ग्स आदि का आिी था । या
क ई रेत ह । या क ई शाततर इंसान । अब उसके इस कब का वह ्या उतर
िे ता । स चप
ु ही रह गया ।
- मुझे अब चलना चादहये । अचानक वह उठता हुआ ब ला - रात बहुत ह रही
है । त्
ु हं भी घर िाना ह गा । कह कर वह तेिी से एक तरफ बढ गया ।
- अरे सन
ु सन
ु । वह हङबङा कर ि्िी से ब ला - कहाँ रहते ह आप । मं
छ ङ िे ता हूँ । सन
ु भाई । एक समनट..मन ि । त्
ु हारा एरेस ्या है ?
- ब्ि गली । उसे िरू से आते मन ि के श्ि सुनाई दिये - ब्ि घर ।
िमीन के नीचे । अंधेरा ब्ि कमरा ।
- हा हा हा । ि गी ने भरपरू ठहाका लगाया

ब्ि गली । ब्ि घर । िमीन के नीचे । अंधेरा ब्ि कमरा । हा हा हा ।


एकिम सही पता ।
वह एकिम है रान रह गया । हमेशा ग्भीर सा रहने वाला उसका तांबरक गु
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खल
ु कर हँस रहा था । उसके चेहरे पर रह्यमय मु्कान खेल रही थी ।
मनसा ि गी कुछ कुछ काले से रं ग का ववशालकाय काले पहाङ िैसा भारी
भरकम इंसान था । ङर क ई भी उसक िे खने सुनने वाला ध खे से ग गा
कपूर समझ सकता था । बस उसकी एक आँख छ टी ङर ससकुङी हुयी थी ।
ि उसकी भयानकता मं व्ृ ध करती थी । मनसा बहुत समय तक अघ ररयं
के स्पकि मं उनकी सश यता मं रहा था । ङर मुिाि शरीरं पर शव साधना
करता था । पहले उसका झुकाव पूरी तरह तामससक शज्तयं के रतत था ।
लेककन भा्यवश उसके िीवन मं यकायक बिलाव आया । ङर वह उसके
साथ साथ ्वैत की छ टी सस् धयं मं हाथ आिमाने लगा । अघ र के उस
अनुभवी क उ्मीि से पहले सफलता समलने लगी । ङर उसके अ्िर का
स या इंसान िागने लगा । तब ऐसे ही कक्ही षणं मं तनततन से उसकी
मुलाकात हुयी । ि एका्त ्थानं पर घूमने की आित से हुआ महि संय ग
भर था ।
मनसा ि गी शहर से बाहर थाने के पीछे टयब
ू वैल के पास घने पेङं के
झरु मट
ु मं एक क्चे से बङे कमरे मं रहता था । कमरे के आगे पङा बङा सा
छ्पर उसके िालान का काम करता था । जिसमं अ्सर िस
ू रे साधु बैठे रहते
थे ।
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तनततन क रात भर ठीक से नींि नहीं आयी थी । तब वह सुबह इसी आशा


मं चला आया था कक मनसा शायि कुदटया पर ही ह । ङर संय ग । वह उसे
समल भी गया था । वह भी बबलकुल अकेला । इससे तनततन के उलझे दिमाग
क बङी राहत समली थी । पूरा वववरण सुनने के बाि िब मनसा एरेस क
लेकर बेतहाशा हँसा । त वह ससफि भंच्का सा उसे िे खता ही रह गया ।
- भाग िा ब्चे । मनसा रह्यमय अ्िाि मं उसक िे खता हुआ ब ला - ये
साधना सस् ध त्र म्र ब्चं के खेल नहीं । इनमं दिन रात ऐसे ही झमेले
हं । इससलये अभी भी समय है । िरअसल ये व मागि है । जिस पर िाना
त आसान है । पर ल टने का क ई ववक्प ही नहीं है ।
- मेरी ऐसी क ई खास ्वादहश भी नहीं । वह साधारण ्वर मं ब ला - पर
इस ितु नयाँ मं कुछ चीिं ल गं क इस तरह भी रभाववत कर सकती हं ्या ?
कक िीवन उनके सलये एक उलझी हुयी पहे ली बनकर रह िाये । उनका िीना
ही ि्ु वार ह िाये । मं उसे बुलाने नहीं गया था । उससे समलना एक संय ग
भर था ।

जिस मुसीवत मं व आि था । उसमं कल मं भी ह सकता हूँ । अ्य भी ह


सकते हं । तब ्या हम हाथ पर हाथ रखकर ऐसे ही बैठे िे खते रहं ।
शायि यही ह ता है । एक पढे सलखे इंसान । ङर लगभग अनपढ साधओ
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फकि । मनसा इन थ ङे ही श्िं से बेहि रभाववत हुआ । उसे इस सरल
मासूम लङके मं िगमगाते हीरे सी चमक निर आयी । शायि वह एक स्चा
इंसान था । ्यागी था । ङर उसके हंसलं मं शज्त का उ्साह था । स वह
तरु ्त ही खि
ु भी सरल ह गया ।
वही उस दिन वाला ्थान आि भी था । निी के पल
ु से नीचे उतरकर ।
बहती निी के पास ही बङा सा पेङ । वपछले तीन दिन से वह यहीं मन ि का
इंतिार कर रहा था । पर वह नहीं आया था । मनसा ने उसे - ब्ि गली ।
ब्ि घर । िमीन के नीचे । अंधेरा ब्ि कमरा । का मतलब भी समझा दिया
था । ङर भी बहुत कुछ समझा दिया था । बस रही बात मन ि क कफर से
तलाशने की । त मनसा ने ि उपाय बताया । व क ई गु ञान िैसा नहीं
था । बज्क एक साधारण बात ही थी । ि अपनी हासलया उलझन के चलते
यकायक उसे नहीं सूझी थी कक - व तनज्चत ही उपचार के सलये त्र िीप
िलाने उसी ्थान पर आयेगा ।
स वह वपछले तीन दिन से उसे िे ख रहा था । पर वह नहीं आया था । उसने
एक ससगरे ट सुलगायी । ङर यूँ ही कंकङ उठाकर निी की तरफ उछालने लगा

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- कमाल के आिमी ह भाई । मन ि उसे है रानी से िे खता हुआ ब ला - ्या


करने आते ह । इस मनहूस शमशान मं । िहाँ क ई मरने के बाि भी आना
पस्ि न करे । पर आना उसकी मिबूरी है । ्यंकक आगे िाने के सलये
गाङी यहीं से समलेगी ।
- यही बात । अबकी वह सतकिता से ब ला - मं आपसे भी पूछ सकता हूँ ।
्या करने आते ह । इस मनहूस शमशान मं । िहाँ क ई मरने के बाि भी
आना पस्ि न करे ।
ये च ट मानं सीधी उसके दिल पर लगी । वह बैचन
े सा ह गया । ङर
कसमसाता हुआ पहलू बिलने लगा ।
- िरअसल मेरी समझ मं नहीं आता । आखखर वह स चता हुआ सा ब ला -
्या बताऊँ । ङर कैसे बताऊँ । मेरे पररवार मं मं मेरी भाभी ङर मेरे भाई हं
। हमने कुछ साल पहले एक नया घर खरीिा है । सब कुछ ठीक ठाक चल
रहा था कक अचानक कुछ अिीव सा घटने लगा । ङर उसी के सलये मुझे
समझ नहीं आता कक मं ककस तरह के श्िं का रय ग क ँ । ि अपनी बात
ठीक उसी तरह कह सकँू । िैसे वह ह ती है । पर मं कह ही नहीं पाता । ये
िीपक..उसने िीप की तरफ इशारा ककया - एक उपचार िैसा बताया गया है ।
मुझे नहीं पता कक इसका स्य ्या है ? यहाँ शमशान मं । खास इस पीपल
के वष
ृ के नीचे । क ई िीपक िला िे ने से भला ्या ह सकता है । मेरी
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समझ से बाहर है । पर आ्वासन यही दिया है । इससे हमारे घर का अिीव


सा माह ल ख्म ह िायेगा ।
- ्या अिीव सा ? वह िरू िे खता हुआ ब ला ।
- कुछ ससगरे ट वगैरह पीते ह ? वह बैचन
े ी से ब ला ।
उसने आि एक बात अलग की थी । वह अपना ्कूटर ही यहीं ले आया था
। ङर उसी की सीट पर आराम से बैठा था । शायि क ई रात उसे पूरी तरह
वहीं बबतानी पङ िाये । इस हे तु उसने बैटरी से छ टा ब्ब िलाने का खास
इंतिाम अपने पास कर रखा था । ङर ससगरे ट के ए््रा पैकेट भी ।
सुबह के ्यारह बिने वाले थे । पिमा काम से फाररग ह चक
ु ी थी । वह
अनुराग के आकफस चले िाने के बाि सारा काम ि्िी से तनबटाकर तब
नहाती थी । उतने समय तक मन ि पढता रहता । ङर उसके घरे लू कायं मं
भी हाथ बँटा िे ता । भाभी के नहाने के बाि ि नं साथ खाना खाते ।
ि नं के बीच एक अिीव सा रर्ता था । अिीव सी सहमतत थी । अिीव सा
्यार था । अिीव सी भावना थी । ि काम वासना थी भी । ङर बबलकुल
भी नहीं थी ।
पिमा ने बाथ म मं घस
ु ते घस
ु ते कनखखयं से मन ि क िे खा । एक चंचल

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श ख रह्यमय मु्कान उसके ह ठं पर तैर उठी । उसने बाथ म का िरवािा


ब्ि नहीं ककया । ङर ससफि हलका सा परिा ही डाल दिया । परिा । ि
मामूली हवा के झंके से उङने लगता था ।
आंगन मं कुसी पर पढते मन ि का ्यान अचानक भाभी की मधरु
गुनगुनाहट हु हु हु हूँ हूँ आऽऽ आऽऽ । पर गया । वह ककताब मं इस किर
ख या हुआ था कक उसे पता ही नहीं था कक भाभी कहाँ है । ङर ्या कर रही
है ? तब उसकी ृज ट ने आवाि का तार पकङा । ङर उसका दिल ध्क से
रह गया । उसके कंु वारे शरीर मं एक गमािहट सी ि ङ गयी ।

बाथ म का पिाि रह रह कर हवा से उङ िाता था । पिमा ऊपरी दह्से से


तनवि्र थी । उसके पु ट तने ि ू धया उर ि उठे हुये थे । ङर वह आँखं ब्ि
ककये अपने ऊपर पानी उङेल रही थी ।
- मेरे ि अनम ल रतन । वह मािक ्वर मं गुनगुना रही थी - एक है ...हु हु
हु हूँ हूँ
नैततकता अनैततकता के समले िुले सं्कार उस ककश र लङके के अंतमिन क
बारबार थ्पङ से मारने लगे ।
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नैततकता बारबार उसका मँह
ु ववपरीत ले िाती थी । ङर रबल अनैततकता का
वासना सं्कार उसकी तनगाहं क सीधा बहीं ले िाता था । लेककन ये अ्छा
था कक भाभी की आँखं ब्ि थी । ङर वह उसे िे खते हुये नहीं िे ख रही थी ।
कफर अ्टाहास करती हुयी अनैततकता ही ववियी हुयी । ङर न चाहते हुये भी
वह कामुक भाव से लगातार पिमा क िे खने लगा ।
- ङरत..ङरत .एक .न्न ङरत । वह चरस के नशे मं झूमता हुआ सा ब ला
- मंने सुना है । शा्रं मं ऐसा सलखा है । ङरत क उसका बनाने वाला
भगवान भी नहीं समझ पाया कक - आखखर ये चीि ्या बन गयी ? कफर मं
त एक सीधा सािा सामा्य लङका ही था । मगर ..?
उस दिन से ववपरीत आि तनततन के चेहरे पर एक अृ्य आंतररक खश
ु ी सी
ि ङ गयी । ठीक आि भी बही ज्थतत बन गयी थी । ि उस दिन खुि ब
खि
ु थी । ङर बक ल मन ि के हकीकत ्यं की ्यं उसी ज्थतत मं उसके
मँह
ु से तनकलती थी ।
- ङर उसी के सलये । उसे मन ि के श्ि याि आये - मझ
ु े समझ नहीं आता
कक मं ककस तरह के श्िं का रय ग क ँ । ि अपनी बात ठीक उसी तरह
कह सकँू । िैसे वह ह ती है । पर मं कह ही नहीं पाता ।

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कफर अभी त बहुत समय था । रात के न बिने मं भी अभी बीस समनट


बाकी थे ।
- मन ि भाई । पिमा उसके सामने चारपाई पर बैठते हुये ब ली - तु्हं कैसी
लङककयाँ अ्छी लगती हं ? िब
ु ली । म टी । ल्बी । नाटी । ग री । काली ।
पढी । अनपढ । शहरी । रामीण ।
- ्यं पूछा ? वह है रानी से ब ला - ऐसा र्न आपने ।
- ्यँू पछ
ू ा । मतलब ? वह आँखं तनकाल कर ब ली - मं तेरी भाभी हूँ । सब ु ह
सबु ह िब मं उठती हूँ । मझ
ु े त्बू मं ब्बू तना दिखाई नहीं िे ता ्या । िे ख
मेरी आँखं ककतनी बङी बङी हं । ये अ्िर तक िे ख सकती हं । पर ओ डव्यू
एल तनू े पछ
ू ा ही है । ्यँू पछ
ू ा । त बता िे ती हूँ । उसमं क न सी क ई च री
वाली बात है । बता तेरे सलये लङकी क न तलाश करे गा ? ब ल । ब ल । कफर
अपना ब्बू ककस त्बू मं ..?
- लगता है ना । सब कुछ अ्लील सा । वह कफर से ब ला - मगर स च । त
वा्तव मं है नहीं । ये ससफि पढने सुनने मं अ्लील लग सकता है । ककसी
प नि चीप ्ट री िैसा । पर ठीक से स च । भासभयं क इससे भी गहरे ङर
खल
ु े मिाक करने का सामाजिक अ धकार हाससल है । रायः ऐसे खल
ु े श्िं
वा्यं का रय ग उस समय ह ता है । जिनक कहीं सलखा भी नहीं िा सकता
। ङर मं तुमसे कह भी नहींourhindi.com
सकता । बताओ इसमं कुछ गलत है ्या ?
तनततन ने पहली बार सहमतत मं ससर दहलाया । वह स्चाई के धरातल पर
बबलकुल स्य ही ब ल रहा था । यकायक कफर उसकी तनगाह पीछे से चलकर
आती उसी काली छाया पर गयी । शायि आि वह िे र से आयी थी । उसने
एक निर शमशान के उस दह्से पर डाली । िहाँ चता सिायी िाती थी ।
वह ग र से उधर िे खती रही । कफर चप
ु चाप उनसे कुछ ही िरू बैठ गयी ।

कहते हं । स ्ियि ङर कु पता । न्नता ङर व्र आदि आवरण । िे खने


वाले की आँखं मं ह ते हं । दिमाग मं ह ते हं । न कक उस ्यज्त मं ।
जिसमं ये दिखाई िे रहा है । हम ककसी क िब बेहि ्यार करते हं । त
साधारण श्ल सूरत वाला वह ्यज्त भी हमं खास निर आता है । बहुत
सु्िर निर आता है । ङर लाखं मं एक निर आता है । ्यंकक हम अपने
भावं की गहनता के आधार पर उसका चरण कर रहे ह ते हं ।
- तनततन िी ! वह कफर से ब ला - ये ठीक है कक मेरी भाभी एक आम ्री के
चलते वाकई सु्िर थी । ङर सवांग सु्िर थी । इतनी सु्िर । इतनी
मािक । इतनी नशीली कक खि
ु शराब की ब तल अपने अ्िर भरी सुरा से
मिह श ह कर झूमने लगे ।

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पर मेरे सलये वह एक साधारण ्री थी । एक मातव


ृ त ङरत । ि पूणि
ममता से मेरे भ िन आदि का ्याल रखती थी । वह हमारे छ टे से घर की
श भा थी । मं उसकी सु्िरता पर गववित त था । पर म दहत नहीं । उसकी
सु्िरता उस ृज टक ण से मेरे सलये आकषिण हीन थी कक मं उसे अपनी बाँहं
मं मचलने वाली प अ्सरा की ही क्पनायं करने लगता । मुझे ठीक
समझने की क सशश करना भाई । मं उसके ्तन तनत्ब आदि काम अंगं क
कभी कभी खि ु क सखु पहुँचाने वाले भाव से अव्य िे ख लेता था । पर इससे
आगे मेरा भाव कभी न बढा था । ङर ये भाव शायि मेरा नहीं । सबका ह ता
है । एक सामा्य ्री पु ष आकषिण भाव । ्यंकक मं ये भी अ्छी तरह
िानता था कक वह मेरी भाभी है । ङर भाभी माँ समान भी ह ती है । ह ती है
। ्या व थी । मेरी माँ । भाभी माँ । ब ल कुछ गलत कहा मंने ?
तनततन एक अिीव से मन बैञातनक झमेले मं फँस गया । उसका इंरे्ट ससफि
इस बात मं था कक उसके घर मं ऐसी ्या परे शानी है । जिसके चलते वह
शमशान मं तंर िीप िलाता है । ये काली ङरत की अशरीरी छाया से इस
लङके का ्या स्ब्ध है ? ङर व उसक मनु य के काम स्ब्धं काम
भावनाओं का मन बबञान पूरी िाशितनकता से समझा रहा था । शायि । उसने
स चा । अपनी बात पूरी करते करते ये गलत क सही सस्ध कर िे । ङर
कर ्या िे । बराबर करे हीourhindi.com
िा रहा था ।
- लेककन । उसने उकता कर बात का ख म ङने की क सशश की ।
- हाँ लेककन । वह कफर से िैसे िरू से आते ्वर मं ब ला - ठीक यही कहा था
मंने । लेककन भाभी ककसी ङर लङकी की ि रत ही ्या है ? तुम मेरे सलये
खाना बना िे ती ह । कपङे ध िे ती ह । कफर िस
ू री ङर लङकी ्यं ?
पिमा वाकई पिसमनी नातयका थी । अंग अंग से छलकती मदिरा । बंधन
त ङने क मचलता सा उ्मु्त य वन । नहाने के बाि उसने आरं ि कलर की
रा रदहत मै्सी पहनी थी । ङर लगभग पारिशी उस खझंग ले मं आरं ि
्लेवर सी ही गमक रही थी । प की रानी । ्वगि से र्वी पर उतर आयी
अ्सरा ।

उसने मै्सी के ब्ि ऊपर नीचे अिीव आङे टे ङे अ्िाि मं लगाये थे कक उसे
च री च री िे खने की इ्छा का सुख ही समा्त ह गया । उसका अंग अंग
खखङकी से झांकती सु्िरी की तरह निर आ रहा था । उसके सामने भाभी
नहीं । ससफि एक कासमनी ङरत ही थी ।
- मन ि ! उसने भेिती तनगाहं से उसे िे खा - अभी शायि तुम उतना न
समझ । पर हर आिमी मं ि आिमी ह ते हं । ङर हर ङरत मं ि ङरत ।

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एक ि बाहर से निर आता है । ङर एक ि अ्िर ह ता है । अ्िर..उसने


एक तनगाह उसके शरीर पर खास डाली - इस अ्िर के आिमी की हर ङरत
िीवानी है । ङर ्यंकक अ्िर से तुम पूणि पु ष ह । पूणि पु ष । छ टे ्केल
से ि इंच बङे । ङर बङे ्केल से चार इंच छ टे ।
तनततन है रान रह गया । यकायक त उसकी समझ मं नहीं आया कक ये ्या
कह रहा है । कफर वह ठहाका लगा उठा । नशे मे हुआ बेहि ग्भीर मन ि
भी सब कुछ भल ू कर उसके साथ ही हँ सने लगा ।
- हाँ बङे भाई ! वह कफर से ब ला - ठीक यही भाव मेरे मन मं आया । ि
सामा्यतः इस व्त त्
ु हारे मन मं आया । पहले त मं समझा ही नहीं कक
भाभी ्या ब ल रही है । ङर कहाँ ब ल रही है ? श्ि । इससलये कमाल के
ह ते है ना श्ि भी । पववर । अपववर । ्वेष । कामक
ु । अ्लील । राग ।
वैराग । सब श्ि ही त हं ।..स च मेरे भाई । क ई भी हमारे बारे मं िाने
्या ्या स च रहा है । ्या िे ख रहा है ? हम कभी िान सकते हं ्या ?
ब ल कभी िान सकते हं ्या ?
- अरे पगले रािा ! पिमा कफर इठला कर ब ली - इन सब बातं क इतना
सीररयस भी मत ले । ये िे वर भाभी की कहानी है । एक ऐसा र मांस है ।
जिसक र मांस नहीं कह सकते । कफर भी ह ता र मांस िैसा ही है ।.िे ख मं ही
बताती हूँ । मेरी स च ्या है ? मं प कला ।
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प की रानी । पसी । प
्व पा । कफर यदि ल ग मुझे िे ख कर आहं ना भरं । तब इस प के प का
्या मतलब ? हर पवती चाहती है कक ल गं पर उस्के प का यही असर
ह । प का प िाल । ङर तनसंिेह तब मं भी ऐसा ही चाहती हूँ । ्यंकक
मेरा प अ्छी अ्छं का प फीका कर िे ता है ।
कफर एक बात ङर । अभी तुम आयु के जिस ि र से गुिर रहे ह । तु्हं
ङरत क ससफि इसी प मं िे खना अ्छा लगेगा । न क ई माँ । न क ई
बहन । न भाभी बुआ म सी आदि । ससफि ङरत । ङरत । ि पहले कभी
लङकी ह ती है । कफर ङरत । ङरत । तव हम ि नं की ये नयन सुख
वासना पूतति घर मं ही ह िायेगी । ्यं मुझे क ई ङर ताके । ङर ्यं तुम
बाहर ललचाओ ।

काफी ए्सपटि लगती है आपकी भाभी । तनततन भी थ ङा थ ङा रस सा लेता


हुआ ब ला - मेरे ्याल मं ऐसी गुणवान पवती ्री का क ई वववरण न मंने
आि तक सन ु ा । न कभी पढा ।
- एक बात बताओ । अचानक मन ि उसे ग र से िे खता हुआ ब ला - तुमने
कभी ककसी लङकी ककसी ङरत से ्यार ककया है ?

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उसने ना मं ससर दहलाया । ङर ब ला - इस तरफ कभी ्यान ही नहीं गया ।


शायि मेरे ्वभाव मं एक खापन है । ङर इससे उ्प्न चेहरे की ररिविनेस
से ककसी लङकी की दह्मत नहीं पङी ह गी । मन ि िैसे सब कुछ समझ
गया ।
- एक बात बताओ भाभी ! मन ि है रानी से ब ला - ऐसी िबरि्त लङकी ।
मीन यू । मनचले लफंगं से ककस तरह बची रही । ङर खि
ु तुम कभी ककसी
से ्यार नहीं कर पायीं । ऐसा कैसे स्भव ह सका ?
पिसमनी पिमा ने एक गहरी सांस ली । िैसे उसकी िख
ु ती रग क ककसी ने
छे ङ दिया ह ।
- अभी ्या ब लँ ू मं । वह माथे पर हाथ रख कर ब ली - पहले बताया त था
। उसकी विह से त ये परू ा लफङा ही बना है । वरना आि कहानी कुछ ङर
ही ह ती । कफर उसे या मझ
ु े र ि र ि नयी नयी कहानी ्यं सलखनी ह ती ?
अिीव पागल था । मुझ साषात प की रानी मं उसकी क ई दिलच्पी ही न
थी । अृ्य के च्करं मं ही पङा रहता ।.. हाय रािीव ! तुमने ऐसा ्यं
ककया ? मेरा प िवानी एक बार त िे खा ह ता ।..अब मं ्या करती । व
कफर साधु ह गया ।
- ले लेककन । वह ब ला - ककसी एक के न ह ने से ्या ह ता है । बहुत से
सु्िर हे ्िी छ रे आपके आगे पीछे घूमते ।
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- मन ि ! एकाएक वह सामा्य ्वर मं ब ली - तुम ककसी लङकी का दिल


नहीं समझ सकते । क ई भी लङकी अपने पहले ्यार क कभी नहीं भूल पाती
। उसका ततर्कार करने उपेषा करने वाले रेमी के सलये कफर उसकी एक जिि
सी बन िाती है । तब मेरी भी ये जिि बन गयी कक मं उसे अपना ्यार
मानने पर मिबूर कर िँ ग
ू ी । पर करती त तब ना । िब वह सामा्य आिमी
रहता । वह त साधु ही बन गया । तब बताओ । मं ्या करती । साधओ
ु ं के
आगे पीछे घूमती ्या ? कफर भी व मेरे दिल से आि तक नहीं तनकला ।

कैसी अिीव उलझन थी । अगर वह इसक क ई केस मानता । क ई अशरीरी


ह रय ग मानता । त कफर उसकी शु आत भी नहीं हुयी थी । िे वर भाभी
स्ब्ध पर मन बैञातनक मामला मानता । त भी बात ठीक ठीक समझ मं
नहीं आ रही थी । उसे अब तक यही लगा था कक एक भरपूर सु्िर ङर
िवान युवती िे वर मं अपने वांतछत रेमी क ख ि रही है । अब क ई आम
िे वर ह ता । त उसने िे वर िस
ू रा वर का सस्धांत स्य कर दिया ह ता ।
लेककन मामला कुछ ऐसा था । भाभी डाल डाल त िे वर पात पात । पता पता
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बूटा बूटा हाल हमारा िाने है ।


एक बात ङर भी थी । ये भाभी िे वर की ल सलता टायप से्स ्ट री ह ती ।
त भी वह उसे उसके हाल पर छ ङकर कब का चला गया ह ता । पर उसका
अिीव गरीब ्यवहार । उसके पास रहती काली छाया । उसका एरेस बताने का
अिीब ्टायल । वह इनमं आपस मं क ई समलान नहीं कर पा रहा था । ङर
सबसे बङी रा्लम ये थी कक वह शायि ककसी सहायता का इ्छुक ही न था ।
वह ककसी रेत बाधा क लेकर परे शान था भी या नहीं । तय करना मजु ्कल
था । उससे सीधे सीधे कुछ पछ
ू ा नहीं िा सकता था । ङर िब वह ब लता
था । त भाभी परु ाण शु कर िे ता । यहाँ तक कक तनततन की इ्छा अपने
बाल न चने की ह ने लगी । या त ये लङका खि
ु पागल था । या उसे पागल
करने वाला था । उसने एक निर कफर उस काली छाया पर डाली । व भी
बङी शाज्त से ककसी िासस
ू की तरह बस उनकी बातं ही सन
ु रही थी ।
अचानक ही उसे ्याल आया । कहीं ऐसा त नहीं कक वह ककसी चि ्यूह मं
फँसा िा रहा ह । वह खि
ु क ह सशयार समझ रहा ह । िबकक ये ि नं उसे
पागल बनाकर क ई म हरा आदि बना रहे हं । वह तेिी से समूचे घटना कृम
पर ववचार करने लगा । तब एकाएक उसके दिमाग मं बबिली सी कंधी । ङर
कफर ।
- िे खखये मन ि िी ! वह सामा्य ्वर मं व ला - एक बात ह ती है । िैसे हर
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युवा ह ती लङकी क ्वयँ मं ही खास सु्िरता निर आती है । उसे लगता


है वह कुछ खास है । ङर सबकी तनगाह बस उसी पर रहती है ।

पर ये सच नहीं ह ता । ल गं क वह लङकी नहीं । उसमं पैिा ह चक


ु ा से्स
आकषिण रभाववत करता है । एक तरह से इसक मानससक स्भ ग भी कह
सकते हं । ङर सामा्यतयाः ये हरे क ्री पु ष करता है । कफर वह वववादहत
ह । या शािीशि
ु ा । व्
ृ ध । अधेङ । िवान ह । या ककश र । काम भावना
वह ि्म के साथ लेकर ही आता है । अटै ्ड ।
इससलये मुझे नहीं लगता । आप ि भी बता रहे हं । उसमं कुछ खास बताने
िैसा है । ये बस एका्त के वे अंतरं ग षण हं । जिनमं हम ववपरीत सलंगी से
अपनी कुछ खास भावनायं िादहर करते हं । आपकी भाभी सु्िर थी । उ्हं
खि
ु का स ्ियि ब ध था । ङर इससलये वह ्वाभाववक ही चाहती थी कक
उनके प का िाि ू हरे क के सर चढकर ब ले । अतः इसमं कुछ अिीव नहीं ।
कुछ खास नहीं ।
- हाँ ! वह कुछ ठहर कर उसका चेहरा पढता हुआ सा ब ला - एक बात है ।
ि अलग ह सकती है । आपकी भाभी मं काम भावना सामा्य से बेहि

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अ धक ह । ङर वह आपके भाई से पूणि स्तुज ट न पाती हं । या उ्हं


अलग अलग पु षं क भ गना अ्छा लगता ह । ङर इस ्तर पर वह अपने
आपक अत्ृ त महसूस करती ह । यस अत्ृ त । अत्ृ ्त ।
मन ि के चेहरे पर िैसे भूचाल निर आने लगा । वह एक झटके से उठकर
खङा ह गया । उसने तनततन का गरहबान पकङ सलया ।
ङर िांत पीसता हुआ ब ला - हरामिािे । ्या ब ला तू ? अत्ृ त ।

तनततन के मानं छ्के ही छूट गये । उसे ऐसी कतई उ्मीि ही न थी । वह


एकिम हङबङा कर रह गया । मन ि ने तमंचा तनकाला । ङर उसकी तरफ
तानता हुआ ब ला - मं तझ
ु े बल
ु ाने गया था कक सुन मेरी बात ? कफर तन
ू े मेरी
भाभी क अत्ृ त कैसे ब ला । ्यासी । ्यासी ङरत । वासना की भख ू ी ?
हरामिािे ! मं तेरा खन
ू कर िँ ग
ू ा ।
वह चाहता । त एक भरपूर मु्के मं ही इस नशेङी क धराशायी कर िे ता ।
उसकी सब िािागीरी तनकाल िे ता । पर इसके ठीक उलट उसने अपना कालर
छुङाने की क सशश भी नहीं की । मन ि कुछ िे र उसे खख
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रहा ।
कफर ब ला - बता क न ऐसा है । ि अत्ृ त नहीं है । तू मुझे से्स से त्ृ त
हुआ एक भी आिमी ङरत बता । तू मुझे धन से त्ृ त हुआ एक भी आिमी
ङरत बता । तू मझ
ु े सभी इ्छाओं से र्ु त हुआ एक भी ब्िा बता । कफर तू
ही क न सा त्ृ त है ? क न सी ्यास तुझे यहाँ मेरे पास र के हुये है । साले
मंने क ई तुझसे सम्नते की ्या ? ब ल ब ल ? अब ब ल । अत्ृ त ।
- मन ि ! यदि तुम ऐसा स चते ह । पिमा अपनी दहरनी िैसी बङी बङी
काली आँखं से उसकी आँखं मं झांक कर ब ली - कक मं तु्हारे भाई से त्ृ त
नहीं ह ती । त तुम गलत स चते ह । िरअसल वहाँ र्ु त अत्ृ त का र्न ही
नहीं है । वहाँ ससफि टीन है । पतत क यदि प्नी शरीर की भूख है । त
प्नी उसका ससफि भ िन है । वह िब चाहते हं । मुझे नंगा कर िे ते हं ।
ङर ि िैसा चाहते हं । करते हं । मं एक खरीिी हुयी वै्या की तरह म ल
ु ाये पु ष की इ्छानुसार आङी ततरछी ह ती रहती हूँ ।
चक
तुम यकीन कर । उ्हं मेरे अपूवि स ्ियि मं क ई रस नहीं । मेरे अ्सरा
बिन मं उ्हं क ई खाससयत कभी निर ही नहीं आती । उनके सलये मं ससफि
एक शरीर मार हूँ । घर की मग
ु ी । ि ककसी खरीिी गयी व्तु की तरह

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उनके सलये म िूि रहता है । अगर समझ सक । त मेरे िगह साधारण


श्ल सूरत वाली । साधारण िे हयज ट वाली ङरत भी उस समय ह । त भी
उ्हं बस उतना ही ? मतलब है । उ्हं इस बात से फकि नहीं । वह सु्िर है
। या कफर कु प । उस समय बस एक ्री शरीर । यही हर पतत की ि रत
भर है । ङर मं उनकी भी गलती नहीं मानती । उनके काम ्यवहार के समय
मं खि
ु र मां चत ह ने की क सशश क ँ । त मेरे अ्िर क ई तरं गे ही नहीं
उठती । िबकक हमारी शािी क अभी ससफि चार साल ही हुये हं ।
- एक ससगरे ट .ससगरे ट । मन ि निी की तरफ िे खता हुआ ब ला - िे सकते
ह ।
खाम श से खङे उस बढ
ू े पीपल के पते रह्यमय ढं ग से सरसरा रहे थे ।
काली छाया ङरत िाने ककस उ्िे ्य से शा्त बैठी थी । ङर रह रह कर
बीच बीच मं शमशान के उस आयताकार काले ्थान क िे ख लेती थी । िहाँ
आिमी जि्िगी के सारे झंझटं क ्याग कर एक शाज्त की मीठी गहरी नींि
मं स ने के सलये हमेशा क लेट िाता था ।
- तुमने कभी स चा मन ि ! पिमा िैसे बैठे बैठे हुये थक कर उसके पास ही
लेटती हुयी ब ली

- एक सु्िर िवान ङरत ककतनी आकषिक लगती है । रं ग बबरं गे लचकते


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मचकते फूलं की डाली िैसी । तुम ्यान ि । त ङरत के हर अंग से रस


टपकता है । वह रस से लबालब भरी रसभरी ह ती है । ह ठं मं रस । गालं
मं रस । आँखं मं रस । छाततयं मं रस । िंघाओं मं रस । नासभ मं रस ।
तनत्बं मं रस । अिाओं मं रस । वाणी मं रस । चतवन मं रस । सवांग
रस ही रस । स च । क ई एक ्थान बता सकते ह । िहाँ रस ना ह ? पण
ू ि
रसमय ङरत । रकृतत का मधरु संगीत ङरत । िे व की अनठ
ू ी कलाकृतत ।
ङर व रािीव कहता था - माया । नारी साषात माया । बताओ । मझ
ु मं
अखखर माया वाली ्या बात है ?
- सुन बङे भाई ! मन ि उसकी तरफ िे खता हुआ ब ला - मंने अब तक ि
भी कहा । उसमं तुम ऐसा एक भी श्ि बता सकते ह । ि झूठा ह ।
अस्य ह । जिसकी बुतनयाि न ह । इसीसलये मं कहता हूँ । ये ितु नयाँ साली
एक पाख्ड है । एक झूठ पी बिबू मारते कूङे का ढे र । ये जिस िीने क
िीना कहती है । वह िीना िीना नहीं । एक गटर लाइफ है । जिसमं
बबिबबिाते कीङे भी अपने क ्े ठ ही समझते हं ।
िैसे ठीक उलटा ह रहा था । खरबूिा छुरी क काटने पर आमािा था । वह
उसका इलाि करना चाहता था । यह लङका खि
ु उसका इलाि ककये िे रहा

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था । उसकी स च झटका सा खाने लगी थी । उसकी ववचार धारा ही चं ि ह


िाना चाहती थी । ङर आि जि्िगी मं वह ककतना वेवश खि
ु क महसूस
कर रहा था । वह इस कहानी क बीच मं अधरू ा भी नहीं छ ङ सकता था ।
ङर पूरी कब ह गी । उसे क ई पता न था । ह गी भी या न ह गी । ये भी
नहीं पता । उसकी क ई भाभी है । नहीं है । कहाँ है ? कैसी है । कुछ पता
नहीं । िे खना नसीब ह गा । नहीं ह गा । आगे ्या ह गा । कुछ भी पता नहीं
। ्या कमाल का लेखक था इसका । कहानी न पढते बनती । न छ ङते
बनती । बस ससफि ि आगे ह । उसक िानते िाओ ।
- लेककन तम
ु ङरत क कभी नहीं िान सकते मन ि । पिमा उसका हाथ
अपने हाथ मं लेकर सहलाती हुयी ब ली - िब तक कक वह खि
ु न चाहे कक
तम
ु उसे िान । ङर ककतना िान । ककसी ङरत क ऐसा नंगा करना
असंभव है । उसके पतत के सलये भी । वह जिसक पण
ू ि समवपित ह ती है ।
बस उसी के सलये नंगी ह ती है । िस
ू रा उसे क ई कभी नंगी कर ही नहीं
सकता ।
उसने उसका हाथ सहलाते सहलाते हुये अपने लगभग अधिन्न ्तन पर सटा
सलया । ङर घुटना उठाकर म ङा ।

उसकी सस्की मै्सी घुटने ourhindi.com


से नीचे सरक गयी । बस कफर वह मुिाि सी ह कर
रह गयी ।
उसकी हथेली से सटे उस ि ू धया ग रे पु ट ्तन से तनकलती ऊिाि तरं गे
मन ि के जि्म मं एक नयी अनभ
ु तू त का संचार करने लगी । वह अनभ
ु तू त
जिसकी उसने आि तक क्पना भी नहीं की थी । मार एक तनज िय रखा
हाथ ्री उर ि के ससफि ्पशि से ऐसी सख
ु ानभ
ु तू त करा सकता है । शायि
बबना अनभ
ु व के वह कभी स च तक नहीं पाता ।
- भल
ू िाओ ।.. भल
ू िाओ । अपने आपक । उसे आँख ब्ि ककये पिमा की
बेहि मािक बि
ु बि
ु ाती सी धीमी आवाि सन
ु ाई िी - भल
ू िाओ कक तम
ु ्या
ह । भूल िाओ कक मं ्या हूँ । ि ्वयं ह ता है । ह ने ि । उसे र कना
मत ।
एक ववधत
ु रवाह सा तनर्तर उसके शरीर मं ि ङता िा रहा था । उस
पिसमनी के अ्फुट श्िं मं एक िाि ू सा समाया था । वह वा्तव मं ही खि

क भूलने लगा । उसे भाभी भी निर नहीं आ रही थी । पिमा भी निर नही
आ रही थी । पिसमनी नातयका भी नहीं । क ई ङरत भी नहीं । बस एक
राकृततक मािक सा संगीत उसे कहीं िरू से आता सा रतीत ह रहा था -
्यास .. ्यास .. अत्ृ त ..अत्ृ त ।

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्वतः ही उसके हाथ उं गसलयाँ शरीर सब कुछ हलचल मं आ गये । उसके


हाथं ने मै्सी क वष से हटा दिया । ङर आदह्ता आदह्ता वह उन सािं
पर सुर ताल की सरगम सी छे ङने लगा ।
- आऽऽह ..आऽऽ ! उस िीते िागते मय खाने बिन से उस अंगूरी के मािक
्वर उठे - आऽऽई ..्यास .. ्यास .. अत्ृ त ..अत्ृ त ।
- स च बङे भाई । वह ऊपर पीपल क िे खता हुआ ब ला - इसमं ्या गलत
था ? क ई िबरि्ती नहीं । यदि अ्छा न लग रहा ह । त कहानी पढना
सन
ु ना ब्ि कर सकते ह । पढना मंने इससलये कहा । ्यंकक ये कहानी
त्
ु हारे अ्िर उतरती िा रही है । इससलये तम
ु मेरे ब ले क सलखे की तरह
सन
ु ने ्वारा पढ ही त रहे ह ।
- छ ङ मझ
ु े । अचानक पिमा उसे चंकाती हुयी सी झटके से उठी । उसने
िबरि्ती उसका हाथ अपने ्तनं से हटाया । ङर मै्सी के ब्ि सही से
लगाती हुयी ब ली - ये सब गलत है । मं तु्हारी भाभी हूँ । ये अनैततक है ।
पाप है । हमं नरक ह गा ।
तनततन भंच्का रह गया । अिीव ङरत थी । ये लङका पागल ह ने से कैसे
बचा रहा ? िबकक वह सुनकर ही पागल सा ह रहा था । वा्तव मं वह सही
कह रहा था - क ई िबरि्ती नहीं । यदि अ्छा न लग रहा ह । त कहानी
पढना सुनना ब्ि कर सकते ह । ङर उसे समझ मं ही नहीं आ रहा था कक
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कहानी अ्छी है । या बुरी । वह सुने । या ना सुने ।


- चंक मत रािा ! वह अपने किरारे नयनं से उसे िे ख कर ब ली - अब ये
मं हूँ । तु्हारी भाभी । पिसमनी पिमा । कफर वह क न थी ? ि मािक आंहे
भर रही थी । ङर स च मेरे दिलवर । ये तुम ह । लेककन मेरे य वन फलं
का रस लेने वाला वह क न था ? िरअसल ये सब ह रहा है । ि अभी हुआ ।
व खिु हुआ ना । ना मंने ककया । ना तुमने ककया । खि
ु हुआ ना । ब ल
हुआ कक नहीं ?

लेककन अब हमारे सामाजिक नैततक ब ध कफर से िागत


ृ ह उठे । ससफि इतनी
ही बात के सलये मुझे घ र नरक ह गा । तु्हं भी ह गा । कफर वहाँ हम ि नं
क त्त िलती ववपरीत सलंगी मूततियं से सैकङं साल सलपटाया िायेगा ।
्यंकक मंने पर पु ष का सेवन ककया है । ङर तम
ु ने माँ समान भाभी का ।
ङर ये धासमिक कानून के तहत घ र अपराध है । लेककन मं तुमसे पूछती हूँ ।
िब तुम मेरे ्तनं क मसल रहे थे । ङर मं आन्ि मं डूबी सससककयाँ भर
रही थी । तब ्या वहाँ क ई पिमा म िूि थी । या क ई भाभी थी । तब ्या
वहाँ क ई मन ि म िूि था । या क ई िे वर था । वहाँ थे ससफि एक ्री ।

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ङर एक पु ष । एक िस
ू रे मं समा िाने क आतुर । ्यासे.. ्यास .. ्यास
.. अत्ृ त ..अत्ृ त । कफर हमं सिा ककस बात की ? हमं नरक ्यं ?
उसे बहुत बुरा लग रहा था । ये अचानक उस बेरहम ङरत ने ्या कर दिया
। वह बेखि
ु सा म्ती की रसधार मं बहा िा रहा था । वह स चने लगा था
कक व उसक पूणि समवपित है । पर यकायक ही उसने कैसा ततसल्मी रं ग
बिला था ।
- ब ल । िबाब ि मझ
ु े । मन ि तम
ु िबाब ि मझ
ु े । वह उसकी आँखं मं
आँखं डालकर ब ली - अब कैसा लग रहा है त्
ु हं ? मंने त त्
ु हं कुछ दिया ही
। त्
ु हारा कूछ सलया ्या । कफर ्यं बैचन
े ह । ्यं ऐसा लग रहा है ।
तम
ु से यकायक कुछ छीन सलया गया । त्
ु हारी चाह भटक कर रह गयी ।
त्ृ त नहीं हुयी । ्यं अपने क अत्ृ त महसस
ू कर रहे ह ?
- ब ल बङे भाई । मन ि ब ला - है क ई िबाब ? उसने एक करारा तमाचा सा
मारा था । इस ितु नयाँ के कानून क । ये कानून ि मचलते िवान अरमानं
का ससफि गला घंटना ही िानता है ।
उसे एक तेि झटका सा लगा । कमाल की कहानी है । ि तनयम अनुसार
पूरी गलत है । पर स्चाई के धरातल पर पूरी सही । ्या कहता वह । ये
लङका ङर उसकी अनिे खी अपर चत नातयका भाभी मानं उसकी पूरी
कफलासफी ही बिल िे ना चाहते थे ।
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उसे पर्परागत धारणा से उपिे अपने ही तकि मं क ई िम निर न आया ।


कफर भी वह जिि भरे ख खले ्वर मं ब ला - ककसी भी बात क अपने भाव
अनुसार अ्छे बुरे मं बिला िा सकता है । ि्मिायी माँ क । बाप की
लुगाई । वपता की ि भी कह सकते हं । ङर आिरणीय माँ भी कह सकते
हं । माँ तूने मुझे ि्म दिया । ऐसा भी कह सकते है । ङर तेरे ङर वपता
की वासनामयी भूख का पररणाम हूँ मं । ऐसा भी कह सकते हं । ये सब
अपनी अपनी िगह ठ स स्य हं । पर तुम क न सा स्य पस्ि कर गे ? एक
ही बात ज्थतत से बने भाव अनुसार मधरु ङर त्ख ि नं ह सकती है ।
- हुँऽऽ ! मन ि ने एक गहरी सांस ली । ङर वह ग्भीर ह कर ववचार म्न
सा ह गया । उसने एक गहरा कश लगाया । ङर ढे र सा धआ
ुँ बाहर तनकाला

सुबह 6 बिे से कुछ पहले ही पिमा उठी । अनुराग अभी भी स या पङा था ।


मन ि हमेशा की तरह खल
ु ी छत पर तनकल गया था । ङर क्छा पहने
कसरत कर रहा था । तन्य तनवत
ृ ह कर उसने अपने हर समय ही खखले
खखले मँह
ु पर अंिुली से पानी के छींटे मारे । त वे खब
ू सूरत गुलाव पर ओस

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की बँि
ू ं से बने म ततयं के समान चमक उठे । वह अभी भी रात वाला
खझंग ला ही पहने थी । ि ्तनं के पास से अधखल
ु ा था । उसने चाय तैयार
की । ङर कमरे मं अनुराग के पास आ गयी । पर उसकी सुबह अभी भी नहीं
हुयी थी ।
उसकी सुबह शायि कभी ह ती ही न थी । एक भरपूर मीठी ल्बी नींि के
बाि उ्प्न ्वतः ऊिाि ङर नव ्फूतति का उसमं अभाव सा ही था । वह
थका हुआ इंसान था । ि गधे घ ङे की तरह जि्िगी का ब झा ढ रहा था ।
वे ि नं एक ही बब्तर पर पास पास लेटते थे । पर इस पास ह ने से शायि
िरू ह ना बहुत अ्छा था । तब दिल क सबर त ह सकता था ।
कल रात वह बेकल ह रही थी । घङी दटक दटक करती हुयी ्यारह अंक क
्पशि करने वाली थी । ्यारह । यानी एक ङर एक । एक पिमा । एक
अनरु ाग । पर ्या इसमं क ई अनरु ाग था ? वह एक उमगती ्री । ङर वह
एक अलसाया बुझा बुझा पु ष । वह ह्का ह्का सा नींि मं था । घङी की
छ टी सुई 54 बब्ि ु पर थी । बङी सुई 45 बब्ि ु पर थी । सेके्ड की सुई बैचन

सी च्कर लगा रही थी ।
हर सेके्ड के साथ उसकी भी बैचन
े ी बढती िा रही थी । उसने अपनी ढीली
ढाली मै्सी क ऊपर से ख ल सलया । ङर उससे सटती हुयी उसके सीने पर
हाथ फेरने लगी । ourhindi.com

- शऽऽ शीऽऽ ऐऽ..सुन । वह फुसफुसाई । उसने हूँ हाँ करते हुये करवट बिला
। ङर पलट कर स गया - बहुत थका हूँ.. पि..मा । स ने.. िे ।
वह तङप कर रह गयी । उसने उिास निर से घङी क िे खा । छ टी सुई
ह्का सा ङर सरक गयी थी । बङी सुई उसके ऊपर छाने लगी थी । कफर
बङी सुई ने छ टी क कसकर िबा सलया । ङर छ टी सुई समट सी गयी ।
सेके्ड की सुई खश
ु ी से ग ल ग ल घूमने लगी । दटक दटक .. ्यास .. ्यास
.. अत्ृ त ..अत्ृ त ।
ककतना मधरु ता आन्ि से भरा िीवन है । बारह घ्टे मं बारह बार मधरु
समलन । दटक दटक .. ्यास .. ्यास .. र्ु त..र्ु त..अ� ��ृृ्त ..अत्ृ त
- अब उठ ना । वह उसे खझंझ ङती हुयी पूणि मधरु ता से ब ली - िाग म हन
्यारे । कब तु्हारी सुबह ह गी ? कब तुम िाग गे । िे ख । च ङयाँ चहकने
लगी हं । कसलयाँ खखलने लगी हं ।
वह हङबङाकर उठ गया । उसकी आँखं के सामने स ्ियि की साषात िे वी थी
। उसकी बङी बङी काली आँखं अन खी आभा से चमक रही थी । उसके
अधखल
ु े उर ि कक्हीं पषषयं के समान घ सलं से झांक रहे थे । पतली पतली
काली लटं उसके स्
ु िर चेहरे क चम
ू रही थी । खन खन बिती उसकी चू ङयाँ

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संगीत के सुर छे ङ रही थी । उसके पतले पतले सख


ु ि रसीले ह ठं मं एक ्यास
सी मचल रही थी ।
- इस तरह.. ्या िे ख रहे ह ? वह फुसफुसा कर उसक चाय िे ती हुयी ब ली -
मं पिमा हूँ ।.. तु्हारी बीबी ।

वह िैसे म दहनी स्म हन से बाहर आया । ङर उसके ्तनं पर हाथ फेरता


हुआ ब ला - सारी यार ! बङा थक िाता हूँ । कभी कभी..मं महसूस करता हूँ ।
तु्हं समय नहीं िे पाता ।
- मं.. िानती.. हूँ । वह घुंघ ओं की झंकार िैसे मधरु ्वर मं ब ली - लेककन
मुझे सशकायत नहीं । बाि मं ..ऐसा ह ही िाता है ।..सभी पु ष..ऐसा ही त
करते हं ।..कफर उसक स चना कैसा ? है ना ।
- बङे भाई ! मन ि उसक सपाट निरं से िे खता हुआ ब ला - उस दिन मंने
हारा हुआ पु ष िे खा । मं नीचे उतर आया था । मेरा भाई पराजित य ्धा ।
हारे हुये िुआरी के समान । लज्ित सा निरं झुकाये । उसके स ्ियि की
चमक से चकाचंध ह रहा था । प्नी की िगमग िगमग आभा के समष ।
आभाहीन पतत । िबकक वह बबना ककसी सशकायत के । बबना ककसी ्यं्य के
। पूणि रेम भाव से ही उसे िे ख रही थी । उसे । ि उसका पतत था । ्वामी
। पततिे व । ourhindi.com

- ब ल । अचानक वह ि र से च्लाया - इसमं ्या माया थी ? कफर क ई


रािीव । क ई साधु । क ई धमि शा्र । इस िे वी समान गुण यु्त ्री क
माया ्यं कहते हं ? ब ल । िबाब ि । या िे वी सविभत
ू े । नम्त्
ु ये ।
नम्त्
ु ये । नम्त्
ु य ।
- कफर ्या हुआ ? अचानक है रतअंगेि ढं ग से तनततन के मँह
ु से ्वतः तनकल
गया । इतना कक अपनी उ्सक ु ता पर उसे ्वयं आ्चयि हुआ ।
मन ि ने एक निर आसमान पर चमकते तारं पर डाली । आसमान मं भी
िैसे उिासी सी फैली हुयी थी ।
अनुराग आकफस चला गया था । पिमा रस ई का सारा काम तनबटा चुकी थी
। ्यारह बिने वाले थे । लेककन र ि की भांतत आि वह बाथ म मं नहीं
गयी थी । बज्क उसने एक पुरानी सी झीनी मै्सी पहन ली थी । ङर हाथ
मं ड्डा लगा बङा सा झाङू उठाये िीवालं परिं आदि क साफ कर रही थी ।
- तनततन िी ! मंने एक अिीव सी कहानी सुनी है । वह कफर ब ला - पता
नहीं ्यं । मुझे त वह बङा अिीव सी ही लगती है । एक आिमी ने एक शेर
का ब्चा पाल सलया । लेककन वह उसे कभी माँस नहीं खखलाता था । खन
ू का
नमकीन नमकीन ्वाि उसके मँह
ु क न लगा था । वह सािा र टी िध
ू ही

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खाता था । कफर एक दिन शेर क अपने ही पैर मं च ट लग गयी । ङर उसने


घाव से बहते खन
ू क चाटा । खन
ू । नमकीन खन
ू । उसका ्वाि । अिभुत
्वाि । उसके अ्िर का असली शेर िाग उठा । शेर के मँह
ु क खन
ू लग
गया । उसने एक शेर िहाङ मारी ङर...।

पिमा बङी त्लीनता से धल


ू क झाङ रही थी । वह झाङू क रगङती । फट
फट करती । ङर धल
ू उङने लगती । ककतनी कुशल गह
ृ णी थी व । वह उस
दिन का नमकीन ्वाि भूला न था । उसके सीने की गमािहट अभी भी उसके
शरीर मं रह रह कर ि ङ िाती थी । वह उन अनम ल रतनं क िे खने के
सलये कफर से ्यासा ह ने लगा था । पर वह उसकी तरफ पीठ ककये थी ।
उसके लहराते ल्बे रे शमी बाल उसके ववशाल तनत्बं क ्पशि कर रहे थे ।
तुमने कभी स चा मन ि ! पिमा की मधरु झंकार िैसी आवाि कफर से उसके
कानं मं गँि
ू ी - एक सु्िर िवान ङरत ककतनी आकषिक लगती है । रं ग
बबरं गे लचकते मचकते फूलं की डाली िैसी । तुम ्यान ि । त ङरत के
हर अंग से रस टपकता है । वह रस से लबालब भरी रस भरी ह ती है । ह ठं
मं रस । गालं मं रस । आँखं मं रस । छाततयं मं रस । िंघाओं मं रस ।
नासभ मं रस । तनत्बं मं रस ।
ककतना सच कहा था उसने ourhindi.com
। इस ्लकते रस क उसने िाना ही न था । वह
चरसलखखत सा खङा रह गया । एक आवरण रदहत सु्िरता की मूतति । िैसे
उस नाम मार मै्सी के झीने पिे के पार थी । ङर तबसे बराबर उसकी
उपेषा सी कर रही थी । उसे अनिे खा कर रही थी । वह चाह रहा था । वह
कफर से ्नान करे । कफर से उसे अंगं की झलक दिखाये । कफर से उसकी
आँखं मं आँखे डाले । पर वह त िैसे यह सब िानती ही न थी । बारबार
पारिशी परिे की तरह दहलती ऊपर नीचे ह ती मै्सी । ङर उसके पार खङी
व वीनस । स्
ु िरता की मरू त ।
उससे ये उपेषा सहन नहीं ह रही थी । उसके किम खि
ु ब खि
ु उसके पास
बढते गये । वह धीरे धीरे उसके पास पहुँच गया । ङर लगभग सट कर खङा
ह गया । उसके नथन
ु ं से तनकलती गमि भाप पिमा की गिि न क छूने लगी ।
- ्या हुआऽऽ । वह लगभग फुसफुसाई । ङर बबना मुङे ही क क कर
ब ली - ्या बात है । तम
ु बैचन
े ह ्या । तु्हारी कठ रता का ्पशि.. मुझे
पीछे ह रहा है । ..पूणि पु ष । तुम ्री क आनज्ित करने वाले ह ।
- ह हाँ । उसका गला सा सूखने लगा - समझ नहीं आता । कैसा लग रहा है
। शरीर मं अञात धारायं सी ि ङ रही है । ये खि
ु आ तुमसे आसलं गत हुआ
है ..कासमनी ।

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- भूल िाओ ।.. भूल िाओ ।.. अपने आपक । वह बेहि कामुक झंकृत ्वर
मं ब ली - भूल िाओ कक तुम ्या ह । भूल िाओ कक मं ्या हूँ । ि ्वयं
ह ता है । ह ने ि । उसे र कना मत ।
्वयं । ्वयं उसके हाथ पिमा के इिि गिि सलपट गये । वह अपने शरीर मं
एक तूफान सा उठता हुआ महसूस कर रहा था । उसे क ई सुध बुध न रही थी
। बस तेिी से चलती सांसे ही वह सन
ु समझ पा रहा था । उसके हाथ ्वयं
पिमा की नासभ से नीचे कफसलने लगे । एक मखमली िब
ू के रे शमी मल
ु ायम
अहसास से झंकृत ह ता हुआ वह बारबार िैसे ढलान पर कफसलने लगा ।
- आऽऽह ..आऽऽ ! उसकी खनकती आवाि मं िैसे काम गीत बिा - आऽऽई
..्यास .. ्यास .. अत्ृ त ..अत्ृ त ।.. क .. मत..आऽऽ ।
- ङरत के हर अंग से रस टपकता है । भत
ू काल के श्ि कफर उसके दिमाग
मं गँि
ू े - वह रस से लबालब भरी रस भरी ह ती है । ह ठं मं रस । गालं मं
रस । आँखं मं रस । छाततयं मं रस ।

उसके हाथ मै्सी के ब्ि पर गये । ङर मै्सी क्धं से नीचे सरक गयी ।
झीने परिे के पार खङी वीनस साषात ह उठी । उसमं एक अिीव सी
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दहंसकता ्वतः िाग उठी । शेर के मँह
ु क खन
ू लग गया । उसके हाथ उसके
कज्पत ्तनं पर कस गये । एक ताकतवर बसल ट शेर । ङर उसके खख
ूँ ार
पंि मं तङपती नािुक बिन दहरनी । आऽऽ..मा.. ्यास .. ्यास ..
र्ु त..र्ु त..अ� ��ृृ्त । पिमा का वष तेिी से ऊपर नीचे ह रहा था ।
वह ्यासी ना गन की भांतत कसकर उससे चपक गयी ।
- ्यं पढ रहे ह ? ये घदटया व्गर चीप अ्लील प नि से्सी कामुक स्ती
सी वादहयात कहानी । वह सीधे उसकी आँखं मं भाव हीनता से िे खता हुआ
ब ला - यही श्ि िे ते ह ना तुम । ऐसे वणिन क । पाख्डी पु ष । तुम भी
त उसी समाि का दह्सा ह । िहाँ इसे घदटया अनैततक वजिित रततबं धत
हे य मानते हं । कफर ्या रस आ रहा है । तु्हं इस कहानी मं ।..ग र से
स च । तुम उसी ई डयट स साइटी का अटूट दह्सा ह । उसी मूखि ि गले
समाि का अंग ह । िहाँ दिमाग मं त यही सब भरा है । हर छ टे बङे सभी
की चाहत यही है । पर बातं उ्च सस्धांतं आिशि ङर नैततकता की है ।
बङे भाई ! ककसी मेम री चप की तरह यदि रेन चप क भी पढा िा सकता
। त हर पु ष नंगा ह िाता । ङर हर ्री नंगी । हर ्री की चप मं नंगे
पु षं की फाइलं ओपन ह ती । ङर हर पु ्ष की चप मं खल
ु ती - बस नंगी
ङरत । ्यास .. ्यास .. अत्ृ त ..अत्ृ त ।
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ं ।
वह है रान रह गया । उसकी इस मानससकता क ्या श्ि िे । रेन वासशग
या रेन फी डंग । या क ई स्म हन । या उस कयामत ्री का िाि ू । या प
का वशीकरण । या .या ्री पु ष के र म र म मं समायी ्री पु ष की अत्ृ त
चाहत । या कफर एक महान सच । महान सच । अत्ृ त ।
- म..न ि..कैसा लग ..रहा है । वह कांपती थरथराती आवाि मं ब ली -
तु्हे ..आऽऽ..तुम मुझे मारे िे रहे ह । ऊऽऽई ओऽऽ आईऽऽ ये कैसा आन्ि है

- अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ ङ अं अः । उसके दिमाग मं भत
ू काल की पिमा
आकृतत उभरी । साङी का प्लू कमर मं खंसे हुये वह निाकत से खङी ह
गयी । ङर ब ली - इनक ्वर कहते हं । vowel । हर ब्चे क शु से यही
ससखाया िाता है । पढाई का पहला वा्ता इ्ही से है । पर तम
ु इनका असली
रह्य िानते ह ? ्वर । यानी
आवाि । ्वतन । काम ्वतन । सी्कार । अत्ृ त श्ि । अत्ृ त ।
नहीं समझे ।.. कफर से उसकी पतली पतली भंह रे ख ककसी तीर का ल्य
साधते हुये कमान की तरह ऊपर नीचे हुयीं - एक सु्िर इठलाती मिमिाती
ङरत के मुख से इन ्वर अषरं की संगीतमय अ्िाि मं क्पना कर ।
िैसे वह आन्ि मं सससककयाँ भर रही ह । अऽऽ । आऽऽ । इऽऽ । ईऽऽ ।
उऽऽ । ऊऽऽ । ओऽऽ । िे खourhindi.com
ऽ..वह महीन मधरु झनकार सी झन झन ह ती हुयी
ब ली - हर अषर क मीठे काम रस से सराब र कर दिया गया है ना । स च
। ्यं ?.. से्स । काम ।.. काम ही त हमारे शरीर मं बबिली सा ि ङता
रहता है । हाँ । ि्म से ही । पर हम समझ नहीं पाते । इन ्वर ्वतनयं
मं वही उमगता काम ही त गँि
ू रहा है । काम । काम । ससफि काम । अत्ृ त
। अत्ृ त ।
कफर इ्ही श्िं के बेस पर ्यंिन प ्वतन बनती है । क ख मं अ ङर
वासना वायु की गूंि है या नहीं । बस थ ङा सा ्यान से िे ख । कफर इन
काम ्वर ङर ्यंिन के मधरु समलन से इस सु्िर संसार की रचना ह ती है
। ग र से िे ख । त ये पूरा रं गीन म हक संसार इसी छ टी सी वणिमाला मं
समादहत है ना ।

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कमाल की हं । मन ि िी आपकी भाभी भी । तनततन हँ सते हँ सते मानं पागल


ं । ककसी भाषा शा्री ककसी महा वव्वान ने भी
हुआ िा रहा था - आय थक
्वर रह्य क इस क ण से कभी न िाना ह गा । लेककन अब मुझे उ्सुकता
है । कफर ्या हुआ ?
आि रात ्यािा ह गयी थी । आसमान बबलकुल साफ था । ङर रात का
शीतल शा्त रकाश बङी सुखि अनुभूतत का अहसास करा रहा था । काली
छाया ङरत बढ
ू े पीपल के तने से दटक कर शा्त खङी थी । तनततन के ्री
रदहत ब्
ृ मचयि शरीर मन मज त क मं ्री तेिी से घल
ु ती सी िा रही थी ।
एक दिलच्प र चक आकषिक ककताब की तरह । ककताब । जिसे बहुत कम
ल ग ही सही पढ पाते हं । ककताब । जिसे बहुत कम ल ग ही सही पढना
िानते हं । बहुत कम ।
- लेककन पढना । बहुत कदठन भी नहीं । पिमा अपना हाथ उसके शरीर पर
घुमाती हुयी ब ली - एक ्व्थ दिमाग ्व्थ अंगं वाली खब
ू सूरत ङरत
खल
ु ी ककताब िैसी ही ह ती है । एक नािुक ङर प्ना प्ना रं ग बबरं गी
अ्पना क्पना से सिी सु्िर सिीली ककताब । जिसके हर पेि पर उसके
स ्ियि की कववता सलखी है । बस पढना ह गा । कफर पढ ।
पर उसकी हालत बङी ही अिीव सी थी । वह इस नैस गिक संगीत का सा रे
गा मा भी न िानता था । ourhindi.com
उसे त बस ऐसा लग रहा था । िैसे एकिम
अनाङी इंसान क उङते घ ङे पर सवार करा दिया ह । लगाम कब खींचनी है ।
कहाँ खींचनी है । घ ङा कहाँ म ङना है । कहाँ सीधा करना है । कहाँ उतारना
है । कैसे चढाना है । उसे कुछ भी त न पता था । कुछ भी ।
अचानक वह मािकता से चलती हुयी बब्तर पर चढ गयी । ङर आँखे ब्ि
कर ऐसी मुिाि पङ गयी । िैसे थकन से बेिम ह गयी ह । वह ह्का ब्का
सा इस तरह उसके पास खखंचता चला गया । िैसे घ ङे की लगाम उसी के
हाथ ह ।
- भूल िाओ ।.. भूल िाओ ।.. अपने आपक । वह िैसे बेह शी मं बुिबुिाई -
भूल िाओ कक तुम ्या ह । भूल िाओ कक मं ्या हूँ । ि ्वयं ह ता है ।
ह ने ि । उसे र कना मत ।

्वयं । वह है रान था । वह ककतनी ही िे र से उसके सामने आवरण रदहत थी


। लेककन कफर भी वह उसक ठीक से िे ख न सका था । वह उसके अधखुले
्तनं क ्प ट िे खता था । तब उनकी एकिम साफ त्वीर उसके दिमाग
मं बनती थी । वह उसके लहराते बालं क ्प ट िे खता था । तब उसे तघरती
घटायं साफ दिखाई िे ती थी । वह उसके रसीले ह ठं क ्प ट िे खता था ।

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तब स्तरे की ख्टी मीठी समठास उसके अ्िर ्वतः महसूस ह ती थी । िब


वह उसक टुकङा टुकङा िे खता था । तब वह पूणत
ि ा के साथ निर आती थी ।
ङर िब वह ककताब की तरह खि
ु ही खल
ु गयी थी । तब उसे कुछ भी दिखाई
नहीं िे रहा था । कुछ भी त न था ।
उसने कफर से भूतकाल के बबखरे श्िं क ि ङने की क सशश की - तुम ्यान
ि । त ङरत के हर अंग से रस टपकता है । वह रस से लबालब भरी रस
भरी ह ती है । ह ठं मं रस । गालं मं रस । आँखं मं रस । छाततयं मं रस ।
िंघाओं मं रस । नासभ मं रस । तनत्बं मं रस ।
पर कहाँ था । क ई रस । जिनमं रस था । अब व अंग ही न थे । क ई अंग
ही न था । अंगहीन । बस हवा मं फङफङाते खल
ु े प्नं की ककताब । ङर
बस वहाँ वासना की हवा ही अब बह रही थी । रकृतत मं समाई स्
ु िर खखले
नारी फूल की मनम हक खश
ु बू । जिसक वह मतवाले भंवरे के समान अपने
अ्िर खींच रहा था ।
कफर कब वह उ्टी हुयी । कब वह सीधा हुआ । कब वह ततरछी हुयी । कब
वह टे ङा हुआ । कब वह उसक मसल िे ता । कब वह चीख उठती । कब वह
उसक िबा डालता । कब वह कलाबाजियाँ सी पलटती । कब वह उसक काट
लेता । कब वे खङे ह ते । कब लेट िाते । कब वह उसमं चला िाता । कब
वह उसमं आ िाती । कब ourhindi.com
? ये सब कब हुआ । क न कह सकता है ? वहाँ
इसक िानने वाला क ई था ही नहीं । थी त बस वासना की गँि
ू । आऽऽह
..आऽऽ ! आऽऽई ..्यास .. ्यास .. अत्ृ त ..अत्ृ त ।.. क .. मत..आऽऽ ।
- बङे भाई ! वह ससगरे ट का कश लेता हुआ ब ला - मं अब अ्िर कहीं
स्तु ट था । मं उसके काम आया था । मं अब स्तु ट था । भाई की
परािय क भाई ने िरू कर दिया था । नैततक अनैततक का गखणत मं भूल
चक
ु ा था । खश
ु ी बस इस बात की थी । सवाल हल ह गया था । सवाल ।
उलझा हुआ सवाल ।
मंने िे खा । वह अधलेटी सी न्न ही शू्य तनगाहं से िीवाल पर चपकी
तछपकली क िे खे िा रही थी । ि बङी साबधानी सतकिता से पतंगे पर घात
लगाये िहरीली िीभ क लपलपा रही थी । उसकी आँखं मं ख फनाक चमक
लहरा रही थी । ङर उसकी आँखे अपलक थी । एकिम ज्थर । मुिाि ।
मं उसके पास ही बैठ गया । ङर बेमन से उसका ्तन टट लता हुआ ब ला -
अब ्यास त नहीं । ्यं ह क ई अत्ृ त । ख्म । कहानी ख्म ।
यकायक उसके मँह
ु से तेि फुफकार सी तनकली । उसकी आँखं ि गन
ु ी ह
गयी । उसका चेहरा काला बाल खे ङर उलझे ह गये । उसकी सम्त
पेसशयाँ खखंच उठी । ङर वह ककसी बिसरू त तघन नी चङ
ु ैल की तरह िांत

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पीसने लगी ।
- मूखि ! वह गुरािकर ब ली - ङरत कभी त्ृ त नहीं ह ती । कफर तू उसकी
वासना क ्या त्ृ त करे गा । तू ्या कहानी ख्म करे गा ।
- बङे भाई ! वह अिीव से ्वर मं ब ला - मं है रान रह गया । वह कह रही
थी ।.. कमाल की कहानी सलखी है ।
इस कहानी के लेखक ने । रािीव ।.. कहानी ि उसने शु की । उसे कैसे
क ई ङर ख्म कर सकता है । ये कहानी है । स ्ियि के ततर्कार की ।
चाहत के अपमान की । ्यार के तनरािर की । ििबातं पर कुठाराघात की ।
वह कहता है । मं माया हूँ । ्री माया है । उसका स ्ियि मायािाल है ।
ङर ये कहानी बस यही त है । पर..पर मं उसक साबबत करना चाहती हूँ -
मं माया नहीं हूँ । मं अभी यही त साबबत कर रही थी । तेरे ्वारा । पर तू
फेल ह गया । ङर तन
ू े मझ
ु े भी फेल करवा दिया । रािीव कफर िीत गया ।
्यंकक .. वह भयानक ्वर मं ब ली - ्यंकक तू..तू फँस गया ना । मेरे
मायािाल मं ।

अब ग र से याि कर कहानी । मंने कहा था । मं रािीव िी से ्यार करती


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थी । पर वह कहता था । ्री माया है । ये मंने तुझे कहानी के शु मं
बताया । म्य मं बताया । इशारा ककया । कफर मंने तुझ पर िाल फंका ।
िाना डाला । ङर तुझसे अलग हट गयी । कफर भी तू खखंचा चला आया ।
ङर खि
ु िाल मं फँस गया । मेरा िाल । मायािाल ।.. वह फूट फूट कर र
पङी - रािीव िी तुम कफर िीत गये । मं कफर हार गयी । ये मूखि लङका
मुझसे रभाववत न हुआ ह ता । त मं िीत.. न गयी ह ती ।
तनततन ह्का ब्का रह गया । िे वर भाभी की लव ्ट री के इस ि ए्ड की
त क ई क्पना ही न ह सकती थी ।
- स च बङे भाई । वह उिास ्वर मं ब ला - मं हार गया । इसका अफस स
नहीं । पर तुम भी हार गये । इसका है । मंने कई बार कहा । ्यं पढ रहे ह
। इस कामुक कथा क । कफर भी तुम पढते गये । पढते गये । उसने ि
सबक मुझे पढाया था । वही त मंने तुम पर आिमाया । पर तुम हार गये ।
ङर ऐसे ही सब एक दिन हार िाते हं । ङर िीवन की ये वासना कथा अतत
भयानकता के साथ ख्म ह िाती है ।
तनततन क तेि झटका सा लगा । वह ि कह रहा था । उसका ग्भीर िाशि
भाव अब उसके सामने एकिम ्प ट ह गया था । वह उसे र क सकता था ।
कहानी का ख म ङ सकता था । ङर तब वह िीत िाता । ङर कम से कम
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तब मन ि उिास न ह ता । पर वह त कहानी के बहाव मं बह गया । ये


ककतना बङा स्य था ।
मन ि की आँखं से आँसू बह रहे थे । अब िैसे उसे कुछ भी सुनाने का
उ्साह न बचा था । तनततन असमंिस मं उसे िे खता रहा । उसने म बायल मं
समय िे खा । रात का एक बि चक
ु ा था । चाँि ऊपर आसमान से िैसे इन
ि नं क ही िे ख रहा था । काली छाया भी िैसे उिास सी थी । ङर अब
िमीन पर बैठ गयी थी ।
चल हार िीत कुछ हुआ । इसका भाभी परु ाण त समा्त ह गया । उसने
स चा । ङर ब ला - ये शमशान मं तंर िीप ..मेरा मतलब ।
- त्
ु हं कफर गलतफहमी ह गयी । वह रह्यमय आँखं से उसे िे खता हुआ
बीच मं ही ब ला - कहानी अभी ख्म नहीं हुयी । कमाल की कहानी सलखी है
। इस कहानी के लेखक ने । कहानी ि उसने शु की । उसे क ई ङर कैसे
ख्म कर सकता है ? जिसकी कहानी । वही इसे ख्म करे गा ।
लेककन अबकी बार वह सतकि था । एक बार ि ककसी बात पर क ई पागल
बन िाये । क ई बात नहीं । सबके साथ ही ह िाता है । ि बारा कफर उसी
बात पर पागल बन िाये । चल िानते हुये भी ठ कर लग गयी । मिबूती आ
गयी । यही िीवन है । लेककन तीन बारा कफर उसी बात पर पागल बन िाये
। उसे पागल ही कहा िायेगourhindi.com
ा । ङर अब वह पागल हर गि नहीं बनना चाहता
था ।
- मनसा ि गी । वह मन ही मन ब ला - रषा करं ।
- इसीसलये मंने कहा था ना । तु्हं कफर गलतफहमी ह गयी । वह एक नयी
ससगरे ट सुलगाता हुआ ब ला - कहानी अभी ख्म नहीं हुयी । बज्क इसे यूँ
कह । कहानी अब शु हुयी । रात आधे से ्यािा ह रही है । पूरा शहर स
रहा है । ङर ससफि हम तीन िाग रहे हं । त ्या । ककसी ्लू कफ्म सी इस
कामुक कथा का रस लेने के सलये ।
अभी वह हम तीन की बात पर चंका ही था कक मन ि ब ला - ये बूढा पीपल
भी । ये पीपल भी त हमारे साथ है ।
तनततन ने चैन की सांस ली । एक ङर सं्पं स कियेट ह ते ह ते बचा था ।
लेककन हम तीन सुनते ही उसकी तनगाह सीधी उस काली छाया ङरत पर
गयी । ि अब भी वैसी ही शाज्त से बैठी थी । क न थी । यह रह्यमय
अशरीरी ह ? ्या इसका इस सबसे क ई स्ब्ध था । या ये महि उनके
यहाँ ्यं ? ह ने की उ्सुकता वश ही थी । कुछ भी ह । एक अशरीरी छाया
क उसने पहली बार बहुत तनकट से िे र तक िे खा था । ङर िे खे िा रहा था

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लेककन ककतना वेवश भी था व । अगर मन ि वहाँ न ह ता । त वह उससे


बात करने की क ई क सशश करता । एक वायु शरीर से पहली बार स्पकि का
अनुभव करता । ि कक इस लङके ङर उसकी ऊँट पटांग कहानी के चलते न
ह पा रहा था । एक मामूली जिञासा से बढ गयी कहानी ककतनी नाटकीय ह
चली थी । समझना कदठन ह रहा था । ङर कभी कभी त उसे लग रहा था
कक वा्तव मं क ई कहानी है ही नहीं । ये लङका मन ि ससफि चरस के नशे
का आिी भर है ।
- तनततन िी ! अचानक वह सामा्य ्वर मं ब ला - अगर आप स च रहे हं
कक मं आपक उलझाना चाहता हूँ । ङर मझ ु े इसमं क ई मिा आता है । या
मं क ई नशा वशा करता हूँ । त सारी । आप कफर गलत है । तब आपने मेरे
श्िं पर ्यान नहीं दिया - ङर उसी के सलये मझ
ु े समझ नहीं आता कक मं
ककस तरह के श्िं का रय ग क ँ । ि अपनी बात ठीक उसी तरह से कह
सकँू । िैसे वह ह ती है । पर मं कह ही नहीं पाता । ..हाँ । यही सच है ।
अचानक ही सामा्य या खास श्ि अपने आप मेरे मँह
ु से तनकलते हं । यदि
मं इ्हं कहना चाहूँ । त नहीं कह सकता ।
ब्ि गली । ब्ि घर । िमीन के नीचे । अंधेरा ब्ि कमरा ।

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तनततन वाकई ह्का ब्का ही रह गया । ्या र्वी पर क ई युवती इतनी


सु्िर भी ह सकती है ? अक्पनीय । अवणिनीय । ्या हुआ ह गा । िव
य वन ववकास काल मं यह लहराती पतंग की तरह उङी ह गी । गुलावी कसलयं
सी चटकी ह गी । अधखखले फूलं सी महकी ह गी । गिराये फलं िैसी फूली
ह गी । ्या हुआ ह गा ? ्या हुआ ह गा । िब इसकी मािक अिाओं ने
बबिसलयाँ गरायी हंगी । ततरछी चतवन ने छुररयाँ चलायी हंगी । इसकी
लचक मचक चाल से म रतनयाँ भी घबरायी हंगी । इसके इठलाते बलखाते
बलं से नािुक लतायं भी आभा हीन हुयी हंगी । लगता ही नहीं । ये क ई
्री है । ये त अ्सरा ही है । र्भा । या मेनका । या ल चना । या उविशी ।
ि ्वगि से म्य रिे श की धरती पर उतर आयी । कफर ्यं न इस पर
्ंगार गीत सलखे गये । ्यं न इस पर रेम कहातनयाँ गढी गयीं । ्यं न
ककसी चरकार ने इसे केनवास पर उतारा । ्यं न ककसी मूततिकार ने इसे

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सश्प मं ढाला । ्यं ? ्यं ? ्यंकक ये कववत के ्ंगार श्िं । रेम कथा
के रसमय संवािं । चर तूसलका के रं ग । ङर संगेमरमर के मूतति सश्प मं
समाने वाला स ्ियि ही नहीं था । ये उ्मु्त रसीला नशीला मधरु तीखा
ख्टा चटपटा अनुपम असीम स ्ियि था । वाकई । वाकई वह िङवत ह कर
रह गया ।
पहले वह स च रहा था । ककश राव्था के नािुक रं गीन भाव के क्पना ि र
से ये लङका गि
ु र रहा है । ङर इसकी काम वासना ही इसे इसकी भाभी मं
बेपनाह स ्ियि दिखा रही है । पर अब वह खि
ु के सलये ्या कहता ? ्यंकक
पिमा काम से बनी क्पना नहीं । स ्ियि की अनप
ु म छटा बबखेरती हकीकत
थी । एक स्म दहत कर िे ने वाली । िीती िागती हकीकत । ङर व
हकीकत । अब उसके सामने थी ।
- तनततन िी ! अचानक उसकी बेहि सरु ीली मधरु आवाि की खनखन पर वह
चंका - कहाँ ख गये आप ? चाय लीजिये ना ।
- प । सु्िर प । प की िे वी । पमती । पमाला । पसी । पशीला
। प कुमारी । पच्िा । पवती । पा । प ही प । हर अंग रं गीली ।
हर रं ग रं गीली । हर संग रं गीली । प छटा । प आभा । चारं ङर प ही
प । ककन श्िं का चयन करे व । खींचता प । बाँधता प । कैसे बच
पाये व । वह ख कर रह गया । ourhindi.com

यकायक..यकायक उसे झटका लगा - कमाल की कहानी सलखी है । इस


कहानी के लेखक ने । रािीव ।.. कहानी ि उसने शु की । उसे कैसे क ई
ङर ख्म कर सकता है । ये कहानी है । स ्ियि के ततर्कार की । चाहत के
अपमान की । ्यार के तनरािर की । ििबातं पर कुठाराघात की । वह कहता
है । मं माया हूँ । ्री माया है । उसका स ्ियि बस माया िाल है । ङर ये
कहानी बस यही त है । पर..पर मं उसक साबबत करना चाहती हूँ - मं माया
नहीं हूँ । मं अभी यही त साबबत कर रही थी । तेरे ्वारा । पर तू फेल ह
गया । ङर तन
ू े मुझे भी फेल करवा दिया । रािीव कफर िीत गया । ्यंकक
.. ्यंकक तू .. तू भी फँस गया ना । मेरे माया िाल मं ।
- मनसा ि गी ! वह मन ही मन सहम कर ब ला - रषा करं ।
- अब ग र से याि कर कहानी । उसके कानं मं कफर से भूतकाल ब ला - मंने
कहा था । मं रािीव िी से ्यार करती थी । पर वह कहता था । ्री माया
है । ये मंने तुझे कहानी के शु मं बताया । म्य मं बताया । इशारा ककया ।
कफर मंने तझ
ु पर िाल फंका । िाना डाला । ङर तझ
ु से अलग हट गयी ।
कफर भी तू खखंचा चला आया । ङर खि
ु िाल मं फँस गया । मेरा िाल ।
माया िाल ।.. रािीव िी तम
ु कफर िीत गये । मं कफर हार गयी । ये मख
ू ि

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लङका मुझसे रभाववत न हुआ ह ता । त मं िीत.. न गयी ह ती ।


उसे कफर झटका सा लगा । ठीक यही त उसके साथ भी हुआ िा रहा है ।
उसका भी हाल वैसा ही ह रहा है । शमशान मं िलते तंर िीप से बनी
सामा्य जिञासा से कहानी शु त ह गयी । पर अभी म्य क भी नहीं
पहुँची । ङर अ्त का त िरू िरू तक पता नहीं । कमाल की कहानी सलखी है
। इस कहानी के लेखक ने । उसने अपनी समूची एकारता क केज्ित ककया ।
ङर बङी मजु ्कल से उस पसी से ्यान हटाया ।
कल रात वे ि नं चार बिे ल टे थे । मन ि सामा्य ह चक
ु ा था । वह उसे
उसके घर छ ङ आया था । ङर कफर अपने घर न िाकर सीधा मनसा की
कुदटया पर िाकर स गया था । सब
ु ह वह क ई िस बिे उठा ।
- इसमं क ई है रानी वाली बात नहीं मेरे ब्चे । उसकी बात सन
ु कर मनसा
कतई अरभाववत ्वर मं ब ला - ये िीवन का असली गखणत है । गखणत ।
जिसके सही सूर पता ह ने पर जि्िगी का हर सवाल हल करना आसान ह
िाता है । एक सामा्य मनु य िरअसल त्षण उपज्थतत चीिं से हर
ज्थतत का आंकलन करता है । िैसे क ई झगङा हुआ । त वह उसी समय की
घटना ङर किया पर ववचार ववमशि करे गा । पर ्यं ्यं ख िेगा । झगङे की
िङ भूतकाल मं िबी ह गी । िैसे क ई यकायक र गी हुआ । त वह स चेगा ।
अभी की इस गलती से हुआourhindi.com
। पर ऐसा नहीं । र ग की िङ कहीं भूतकाल मं
पनप रही ह गी । धीरे धीरे ।
- मं कुछ समझा नहीं । वह उलझकर ब ला - आपका आशय ्या है ?
- हुँऽ । ि गी ववचार यु्त भाव से गहरी सांस लेकर ब ला - मेरे कहने का
मतलब है । आि ि तु्हारे सामने है । उसकी िङे बीि कहीं िरू भूतकाल मं
है । ङर तु्हारे सलये अृ्य भूसम मं अंकुररत ह रहे हं । धीरे धीरे बढ रहे हं
। मं सीधा तु्हारे केस पर बात करता हूँ । पिमा के रह्य की हकीकत
िानने के सलये तु्हं भूतकाल क िे खना ह गा । उसकी जि्िगी के वपछले
प्ने पलटने हंगे । अब उनमं कुछ भी सलखा ह सकता है । मगर उस इबारत
क पढकर ही तुम कुछ या सब कुछ िान पाओगे । अब ये तुम पर तनभिर है
कक तुम ्या कैसे ङर ककतना पढ पाते ह ?

- पर । उसने जिि सी की - इसमं पढने क अब बाकी ्या है ? पिमा 30 साल


की है । वववादहत । अतत सु्िर । उसका एक िे वर है । पतत है । बस । वह
अपने पतत से न स्तु ट है । न अस्तु ट ।..लेककन अपनी त णाई मं वह

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ककसी रािीव से ्यार करती थी । मगर वह साधु ह गया । बस अपने उसी


पहले ्यार क वह दिल से तनकाल नहीं पाती । ्यंकक क ई भी लङकी नहीं
तनकाल पाती ।.. ङर शायि उसी ्यार क हर लङके मं ख िती है । ्यंकक
पतत मं ऐसा रेमी वाला ्यार ख िने का सवाल ही नहीं उठता । पतत ङर
रेमी मं िमीन आसमान का अंतर ह ता है ।..इसके सलये वह ककसी लङके क
आकवषित करती है । उसे अपने साथ खेलने िे ती है । यहाँ तक कक काम धारा
भी बहने लगती है । यकायक वह ववकराल ह उठती है । ङर तब सब
स ्ियि से रदहत ह कर वह तघन नी ङर कु प ह उठती है । उसकी मधरु
सरु ीली आवाि भी चङ
ु ैल िैसी भयानक ववकृत ह उठती है । अब रहा उस तंर
िीप का सवाल । क ई साधारण आिमी भी िान सकता है । वह क ई रेतक
उपचार है । क ई हानी बाधा । बस एक रह्य ङर बनता है । वह काली
छाया ङरत । लेककन मझ
ु े वह भी क ई रह्य नहीं लगती । वह वहीं शमशान
मं रहने वाली क ई साधारण ्री ह ह सकती है । ि उस वीराने मं हम
ि नं क िे खकर महि जिञासा वश आ िाती ह गी । ्यंकक उसने इसके
अलावा कभी क ई ङर ररये्शन नहीं ककया । या शायि इंसानी िीवन से िरू
ह िाने पर उसे ि मनु यं के पास बैठना सुखि लगता ह ।
- सशव सशव । मनसा आसमान की ओर िआ
ु के अ्िाि मं हाथ उठाकर ब ला
- वाह रे रभु ! तू कैसी कैसीourhindi.com
कहानी सलखता है । मेरे ब्चे की रषा करना ।
उसे सही राह दिखाना ।
- सही राह । उसने स चा । ङर बहुत िे र बाि एक ससगरे ट सुलगायी - कहाँ
ह सकती है । सही राह । इस घर मं । पिमा के पीहर मं । या अनुराग मं ।
या उस रािीव मं । या कफर कहीं ङर ?
एकाएक कफर उसे झटका सा लगा । उसे ससगरे ट पीते हुये पिमा बङे म हक
भाव से िे ख रही थी । िैसे उसमं डूबती िा रही ह । ससगरे ट का कश लगाने
के बाि िब वह धय
ुँ े के छ्ले छ ङता । त उसके सु्िर चेहरे पर ्मतृ त ववरह
के ऐसे आकषिक भाव बनते । मानं उन छ्लं मं सलपटी हुयी ही वह ग ल
ग ल घूमती उनके साथ ही आसमान मं िा रही ह । वह घबरा सा गया ।
उसकी एक ृज ट मार से घबरा गया । ऐसे ्या िे ख रही थी वह । ्यं िे ख
रही थी वह ?
- रािीव िी भी ! वह िरू अतीत मं कहीं ख यी सी ब ली - ससगरे ट पीते थे ।
मुझे उ्हं ससगरे ट पीते िे खना बहुत अ्छा लगता था । तब मं महसूस करती
थी कक ससगरे ट की िगह मं उनके हंठं से चपकी हुयी हूँ । ङर हर कश के
साथ उनके अ्िर उतर रही हूँ । उतरती ही िा रही हूँ । मेरा अज्त्व धआ
ँु

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धआ
ुँ ह रहा है । ङर मं धआ
ुँ के छ्ले सी ही ग ल ग ल आकाश मं िा रही
हूँ ।

उसके दिमाग मं एक भयंकर वव्फ ट हुआ । उसके अज्त्व के मानं


परख्चे से उङ गये । कमाल की ङरत थी । उसने मामूली ससगरे ट पीने मं
ही इतना से्स डाल दिया कक उसे XXX उतेिना सी महसूस ह ने लगी । वह
उसका केस िानने आया था । पर अब उसे लग रहा था । वह खि
ु केस ह ने
वाला है । इसका त बङे से बङा डा्टर भी इलाि नहीं कर सकता । ये ववकट
से्सी लेडी त उ्टा उसे ही मरीि बना िे गी । भाङ मं गयी । ये िे वर भाभी
रह्य कथा । ङर भाङ मं गयी ये सी आई डी कक तंर िीप ्या । छाया
ङरत ्या ? यहाँ उसे अपने विूि बचाने के लाले थे । उसने तय ककया । अब
इस च्कर मं क ई दिलच्पी नहीं लेगा । ्यंकक ये उसके बस का है भी नहीं

- वैसे कुछ भी ब ल । तब वह िान छुङाने के उ्िे ्य से िाने का तन्चय
करता हुआ अज्तम ङपचाररकता से ब ला - रािीव िी ने आपका दिल
त ङकर अ्छा नहीं ककया ।
- डांट माइंड ! बट शटअप सम. तनततन । वह शटअप भी ऐसी दिलकश अिा से
ब ली कक वह कफर ववचसलत ourhindi.com
ह ने लगा - मुझे रािीव िी की बुराई सुनना कतई
बिाि्त नहीं । अगेन डांट माइंड । बबकाि यू आर फु्ली फूल । स च अगर
व ऐसा न करते । त कफर इतनी दिलच्प कहानी बन सकती थी ? ्या
कमाल की कहानी सलखी उ्हंने ।
ङर ये खल
ु ा चैलंि था । उसके सलये । िैसे वह उसका मतलब समझ गयी
थी । ङर कह रही थी । इस कहानी के तारत्य क आगे बढाना । उसके सर

ि ङना । तम
ु िैसे ब्चं का खेल नहीं । उसने एक निर खाम श बैठे मन ि
पर डाली । ्या अिीव सी रह्यमय फैसमली थी । उनके घर मं सब कुछ उसे
अिीव सा लगा था । ङर वे एक अिीव ढं ग से ही शा्त भी थे । ङर
अरभाववत भी । क ई बैचन
े ी लगता ही नहीं । उ्हं थी । िबकक उनसे ्यािा
बैचन
े ी उसे ह रही थी ।
्या करना चादहये उसे ? उसने स चा । यदि वह ऐसे मामूली से चि्यूह से
घबरा िाता । त कफर उसका तंर संसार मं िाना ही बेकार था । बज्क
उसका संसार मं िीना ही बेकार था । कफर उससे अ्छे ङर साहसी त ये
पिमा ङर मन ि थे । ि कक उस कहानी के पार थे । कहानी । ि साथ के
साथ िैसे हकीकत मं बिल रही थी ।
उसने कफर से पिमा के श्िं पर ग र ककया - स च । अगर व ऐसा न करते

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। त कफर इतनी दिलच्प कहानी


बन सकती थी ? ्या कमाल की कहानी सलखी उ्हंने ।
वह सही ही त कह रही थी । ककसी रािीव ने सु्िरता की िे वी समान पिमा
के ्यार का ततर्कार करके ही त इस कहानी की शु आत कर िी थी । अगर
उन ि नं का आपस मं सामा्यतः रेम संय ग ह िाता । त कफर क ई कहानी
बन ही नहीं सकती थी । कफर न मन ि िीवन का वह अिीव िे वर भाभी रेम
रं ग िे खता । ङर न शायि वह ककसी विह से तंर िीप िलाता । न उनकी
मल
ु ाकात ह ती । ङर न आि वह इस घर मं बैठा ह ता । ्या मिे की बात
थी । इस कहानी का िरू िरू तक क ई ररयल ्लाट नहीं था । ङर कहानी
तनरं तर सलखी िा रही थी । ठीक उसी तरह । िैसे बबना ककसी बतु नयाि के
क ई भवन महि हवा मं बन रहा ह । व भी बाकयिा परू ी मिबत
ू ी से । बङा
ङर आलीशान भी ।
जि्िगी क करीब से िे ख चक
ु े अनुभवी िानकार कहते हं - बङा क र खा
लेना चादहये । उसने स चा - लेककन बङी बात कभी नहीं कहनी चादहये ।
्यंकक ह सकता है । कफर वह बात पूरी ही न ह । कभी न ह । इससलये
उसने मन ही मन मं तय ककया । इस ख ि का पररणाम ्या ह । ऐसा क ई
िावा । ऐसी क ई आशा वह नहीं करे गा । लेककन िब यह कहानी उसके सामने
आयी है । वह उसका तनसमत बना है । तब वह उसकी तह मं िाने की पूरी
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पूरी क सशश करे गा । ङर कफर उसने यही तन्चय ककया ।

स च तम ु ि नं । वह िैसे उ्हं िीवन के रह्य सर


ू बहुत ्यार से समझाती
हुयी सी ब ली - एक दहसाब से यह कहानी बङी उलझी हुयी सी है । ङर िस
ू रे
निररये से परू ी तरह सलु झी हुयी भी । शायि तम
ु चंक । इस बात पर । पर
मेरे इस अरततम अिभत ु स ्ियि ङर इस ठहरे हुये से उ्म्
ु त य वन का
कारण राि ससफि मेरा रेमी ही त है । न तम
ु । न तम
ु । न खि
ु मं । न मेरा
पतत । न भगवान । न क ई ङर । ससफि मेरा रेमी ।
व ि नं वाकई ही चंक गये । बज्क बुरी तरह चंक गये ।
- हाँ िी हाँ । वह अपने चेहरे से लट क पीछे करती हुयी ब ली - स च । एक
सु्िर युवा लङकी एक लङके से ्यार करती है । लेककन उसका ये ्यार पूरा
नहीं ह ता । ङर व इस ्यार क करना छ ङ भी नहीं पाती । तनततन यही
बहुत बङा रह्यमय सच है । चाहे लाखं ि्म ्यं न ह िाये । वह िब

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तक उस ्यार क पा न लेगी । तब तक वह रेमी उसके दिल से न तनकलेगा


। वह दिन रात उसी की आग मं िलती रहे गी । रेम अगन । क न िलती
रहे गी ? एक टीन एि यंग गलि । ्यान से समझने की क सशश कर । ्यार के
अत्ृ त अरमानं मं तनर्तर सुलगती । व हसीन लङकी । व रेसमका । उसके
अ्िर कभी न मरे गी । चाहे ि्म िर ि्म ह ते िायं । क न नहीं मरे गी ?
व हसीन लङकी । व रेसमका । जिसके अ्िर 15-16 की उमर से एक अत्ृ त
्यास पैिा ह गयी ।
इसीसलये व हसीन लङकी । व रेसमका । मेरे अ्िर सिा िीववत रहती है ।
ङर वही मेरी म हक स्
ु िरता ङर सिा य वन का राि है ना । अब िस
ू री
बात स च । उस लङकी पिमा की शािी ह िाती है । ङर ककसी हि तक
उसकी काम वासना ङर अ्य शरीर वासनायं त्ृ त ह ने लगती है । लेककन
उसकी खि
ु की मचलती ्यार रेम वासना त्ृ त नही ह ती । ि चाह उसके
दिल मं रेमी ङर अपने रेम के सलये सुलग चक
ु ी है । व रेमी की बाहं मं
झूलना । व च्
ु बन । व आसलंगन । व चढाना । सताना । ठना । मनाना
। व उसके सीने पर सर रखना । ये सब एक रेसमका क । उसकी ककसी से
शािी ह िाना । नहीं िे सकते । कभी नहीं । तब ये तय है । उसके अ्िर
एक रेसमका सिा मचलती ही रहे गी । रेसमका । जिसे ससफि अपने रेमी की ही
कहती हूँ - कमाल की कहानी सलखी है । इस
तलाश है । इसीसलये त मं ourhindi.com
कहानी के लेखक ने ।.. कहानी ि उसने शु की । उसे कैसे क ई ङर ख्म
कर सकता है ? कहानी । वह मािकता से ह ठ काटती हुयी सी ब ली - कहानी
ि सदियं तक ख्म न ह । ब ल सलख सक गे । तुम इस कहानी का अ्त
। अ्त ? पर अभी त इसका म्य ही नहीं हुआ ।
तनततन क लगा । िैसे वह पागल ही ह िायेगा । पर मन ि इस तरह
शाज्त से उसकी बात सन
ु रहा था । िैसे मह्वपूणि गूढ धासमिक रवचन सुन
रहा ह । उसने स चा । कम से कम उसने त अपनी जि्िगी मं ऐसी क ई
ङरत न िे खी थी । कहीं ऐसा त नहीं कक वह एक सामा्य ङरत ह ही नहीं
? कफर क न ह सकती है वह ?

कल उसने एक बङा अिीव सा तनणिय आखखर सलया था । वह अ्छी तरह


िान गया था । वह चाहे । सालं लगा रहे । इस बेहि रह्यमय फैसमली की
इस िे वर भाभी रह्य कथा या कफर िे वर भाभी रेत रह्य कथा क ककसी
तरह नहीं िान पायेगा । तब उसने कुछ अिीव सा अलग हटकर स चा । ङर
उ्हीं के घर मं कमरा लेकर बत र ककरायेिार रहने लगा । ङर अभी वे सब
छत पर बैठे थे । उसे ये भी बङा रह्य लगा कक उन ि नं ने उसके बारे मं

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िानने की क ई क सशश नहीं की । वह कहाँ रहता है ? उसके पररवार मं क न


है ? उसने कहा । वह ्टूडंट है । ङर उनके यहाँ रहना चाहता है । ङर वे
मान गये । वह कुछ ककताबं कपङे ङर ्कूटर के साथ वहाँ आ गया । अ्य
छ टे म टे सामान उन िे वर भाभी ने उसे घर से ही िे दिये थे ।
ग र से िे खा िाये । त हर आिमी की जि्िगी ससफि एक र्ना्मक जिञासा
से बना फल मार है । आगे ्या ? ये ्या ? व ्या ? ये अ्छा । ये बरु ा ।
िैसे र्न उतरं मं उलझता हुआ वह ि्म िर ि्म यारा करता ही िाता है
। ङर कभी ये नहीं स च पाता कक - हर र्न वह ्वयं ही पैिा कर रहा है ।
ङर कफर ्वयं ही हल कर रहा है । उसका ्वयं ही उतर भी िे रहा है । बस
उसे ये भम
ृ ह िाता है कक र्न उसका है । ङर उतर ककसी ङर का । र्न
उतर । शायि बस इसी का नाम िीवन है ।
र्न उतर । ससफि उसकी एक जिञासा आि उसे इस घर मं ले आयी थी ।
यकायक एक बङी स च बन गयी थी उसकी । अगर वह ये र्न हल कर
सका । त शायि जि्िगी के र्न क ही हल कर लेगा । बात िे खने मं छ टी
सी लग रही थी । पर बात उसकी निर मं बहुत बढी थी । इसका हल ह
िाना । उसकी आगे की जि्िगी क सरल पढाई मं बिल सकता है । जिसके
हर इ्तहान मं कफर वह अततरर्त य ्यता के साथ पास ह ने वाला था ।
ङर यही त सब चाहते हं ourhindi.com
। कफर उसने ्या गलत ककया था ?
अब बस उसकी स च इतनी ही थी कक अब तक ि वह मन ि के मँह
ु से
सुनता रहा था । उसका च्मिीि गवाह वह खि
ु ह गा । आखखर इस घर मं
्या खेल चल रहा है ?
रात के आठ बि चक
ु े थे । मन ि कहीं बाहर तनकल गया था । पर वह कुछ
घुटन सी महसूस करता खल
ु ी छत पर आ गया था । पिमा नीचे काम मं
्य्त थी । अपने घर मं एक नये अपरर चत युवक मं ्वाभाववक दिलच्पी
लेते हुये अनुराग भी ऊपर चला आया । ङर उसी के पास कुसी पर बैठ गया

- मन ि िी से मेरी मुलाकात । वह उसकी जिञासा का साफ साफ उतर िे ता
हुआ ब ला - निी के पास शमशान मं हुयी थी । िहाँ मं निी के पुल पर
अ्सर घूमने चला िाता हूँ । मन ि क शमशान मं खङे बूढे पीपल के नीचे
एक िीपक िलाते िे खकर मेरी जिञासा बनी । ये ्या है ? यानी इस िीपक
क िलाने का ्या मतलब है ?
लेककन उसने अपनी तंर मंर दिलच्पी आदि के बारे मं कुछ न बताया ।
- ओह ओह । अनरु ाग िैसे सब कुछ समझ गया - कुछ नहीं िी । कुछ नहीं ।
तनततन िी । आप पढे सलखे इंसान ह । ये सब फालतू की बातं हं । कुछ नहीं

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ह ता इनसे । पहली बात । भूत रेत िैसा कूछ ह ता है । मं नहीं मानता ।


ङर यदि ह ता भी है । त व इन िीपक वीपक से भला कैसे ख्म ह िायेगा
?
कफर आप स च रहे हंगे । हमारी कथनी ङर करनी मं ववर धाभास ्यं ?
्यंकक िीपक त मेरा भाई मन ि ही िलाने िाता है । बात ये है कक लगभग
चार साल पहले ही पिमा से मेरी शािी हुयी है । ङर लगभग उसी समय ये
बना बनाया घर मंने खरीिा था । ङर हम ककराये के मकान से अपने घर मं
रहने लगे थे । सब कुछ ठीक चल रहा था । ङर अभी भी ठीक ही है । पर
कभी कभी । अ्डर्टं ड । कभी कभी मेरी वाइफ कुछ अिीव सी ह िाती है ।
एि दह्टीररया पेशंट । यू न । दह्टीररया ?
वह से्स के समय । या कफर ककसी काम क करते करते । या स ते स ते ही
। अचानक अिीव सा ्यवहार करने लगती है । िैसे उसका चेहरा ववकृत ह
िाना । उसकी आवाि बिल िाना । आँखं मं भयानक बब्ल री इफे्ट सा
पैिा ह िाना । कुछ अिीव श्ि वा्य ब लना । िैसे लषण कुछ िे र क
निर आते हं । कफर कुछ िे र बाि वह अपने आप सामा्य ह िाती है ।
बताईये इसमं ्या अिीव बात है ? आि ितु नयाँ मं एडस िैसी हिारं
खतरनाक िान ही लेवा बीमाररयाँ ककतनं क हं ? आिमी ्यारा से से्स िनी
राइव करता है । पाचन टे बourhindi.com
लेट से खाना पचाता है । नींि ग सलयाँ खाकर
स ता है ...ह ह ह ..है ना हँसने की बात ।
रिर आि साइंस ने बेहि तर्की की है । हर र ग का इलाि हमारे पास है ।
कफर इसका भी है । डा्टर ने पता नहीं ्या अ्नामिल रेन आडिर डस
्लेमंटरी िैसा कुछ ..ह ह ह ...अिीव सा नाम सलख कर पचाि बना दिया ।
उसकी मेडीसंस वह खाती है । अभी मझ
ु े िे ख । वैसे चीनी..ककतनी महं गी है
। ङर आिमी के अ्िर शग ु र बढी हुयी है ह ..ह ..ह .. है ना हँसने की बात ।
मेरी खि
ु बढी हुयी है । अभी चैक अप कराऊँ । डा्टर पचासं र ग ङर भी
तनकाल िं गे ।.. ह ..ह ..ह .. आप यंग ह । ्व्थ लगते ह । बट बबलीव मी
सम. । माडनि मे डकल साइंस आप मं भी हिार कमी बता िे गी ..ह ..ह ..ह ..है
ना हँ सने की बात ।
- है ना हँ सने की बात । पूरा अिायब घर । उसके नीचे िाने के बाि उसने
स चा - साले इंसान है । या ककसी काटूिन कफ्म के करे ्टर । इनका क ई
एंगल ही समझ नहीं आता । एक त व ि ही नहीं झेले िा रहे थे । ये
तीसरा ङर आ गया । ये त ऐसा लगता है । वह उनकी हे ्प के उ्िे ्य से
नहीं आया । वे उ्टा उस पर ऐहसान कर रहे हं । कमाल की कहानी सलखी
है । इस कहानी के लेखक ने । उसके कानं मं पिमा िैसे कफर ब ली - रािीव

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।.. कहानी ि उसने शु की । उसे कैसे क ई ङर ख्म कर सकता है । ये


कहानी है ..? कहानी । कहानी उससे छ ङी भी न िा रही थी । ङर पढना भी
मुज्कल लग रहा था ।
एक बार त उसे लगा । कहाँ वह फालतू के झमेले मं फँस गया । भाङ मं
गयी कहानी । ङर उसका सलखने वाला । पर तभी उसे चन
ु ती सी िे ती
आकषिक पिमा निर आती । ङर कहती - इस कहानी के तारत्य क आगे
बढाना । उसके सर
ू ि ङना । तम
ु िैसे ब्चं का खेल नहीं ।.. स च । अगर
व ऐसा न करते । त कफर इतनी दिलच्प कहानी बन सकती थी ? ्या
कमाल की कहानी सलखी उ्हंने ।
ङर तभी उसे मनसा का भी चैलंि सा गँि
ू ता - भाग िा ब्चे । ये साधना
सस् ध त्र म्र ब्चं के खेल नहीं ।

इनमं दिन रात ऐसे ही झमेले हं । इससलये अभी भी समय है । िरअसल ये


व मागि है । जिस पर िाना त आसान है । पर ल टने का क ई ववक्प ही
नहीं है ।
हि ह गयी । िैसे उ्टा । िासूस ककसी रह्य क ख िने चला । ङर खि

रह्य मं फँस गया । लेखक कहानी सलखने चला । ङर खि
ु कहानी ह गया
। वह त अपने मन मं हीर ourhindi.com
गीरी िैसा ्याल करते हुये इसका एक एक तार
ि ङकर शान से इस उलझी गु्थी क हल करने वाला था । ङर उसे लगता
था । सब चककत से ह कर उसक पूरा पूरा सहय ग करं गे । पर यहाँ वह उ्टा
िैसे भल ु ैया मं फँस गया था । कहावत ही उलट गयी । खरबि
ू भल ू ा छुरी पर
गरे । या छुरी खरबि
ू े पर । कटे गा खरबि
ू ा ही । लेककन यहाँ त खरबि
ू ा ही
छुरी क काटने पर िैसे आमािा था ।
उसने म बायल मं समय िे खा । रात के िस बिना चाहते थे । नीचे घर मं
शाज्त थी । पर ह्की ह्की टी वी चलने की आवाि आ रही थी । कुछ
स चता हुआ वह नीचे उतर आया ।

रात लगभग आधी ह ने वाली थी । पर वह अभी तक छत पर ही था । इस


घर मं उसका आि िस
ू रा दिन था । ङर वह कुछ कुछ तार समलाने मं
कामयाब सा हुआ था । कल दिन मं वह अ धकतर पिमा क वाच करता रहा
था । लेककन क ई खास कामयाबी हाससल न हुयी थी । ससवाय इसके । वह
एक बेहि सु्िर सलीकेिार कुशल गह
ृ णी थी । बस उसमं एक बात वाकई
अलग थी । उ्मु्त स ्ियि यु्त उ्मु्त य वन । वह आम ङरतं की तरह
ककसी िवान लङके पु ष के सामने ह ने पर बार बार अपने सीने क ढांकने की
बे फालतू दिखावा क सशश नहीं करती थी । या इसके उलट उसमं अनरु ाग
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दिखाते हुये बगलं क खुिाना । ्तनं क उभारना । िांघ तनत्बं क


खिु ाना । य तन के समीप खि
ु ाना । िैसी कियायं भी नहीं करती थी । ि
काम से अत्ृ त ङरत के खास लषण ह ते हं । ङर ठीक इसके ववपरीत ककसी
के रतत क ई चाहत रिशिन करते हुये अधिन्न ्तनं की झलक दिखा कर
काम संकेत िे ना भी उसका आम लङककयं ज्रयं िैसा ्वभाव नहीं था । वह
िैसी ज्थतत मं ह ती थी । बस ह ती थी । वह न कभी कुछ अलग से दिखाती
थी । न कुछ तछपाती थी । सहि सामा्य । िैसी है । है । लचकती मचकती
हरी भरी फूलं की डाली । अनछुआ सा नैस गिक स ्ियि ।
उसक इस तरह िानना । िे खने मं ये सामा्य अनाव्यक सी बात लगती है
। पर ककसी का ्वभाव चररर ञात ह िाने पर उसे आगे िानना आसान ह
िाता है । ङर वह यही त िानने आया था ।

इसके साथ साथ आि दिन मं उसकी एक पहे ली ङर भी हल हुयी थी । िब


वह गली के आगे च राहे से ससगरे ट खरीिने गया था । उसने एक ससगरे ट
सुलगायी थी । ङर मन ि के घर के ठीक सामने खङा था । िब उसकी
तनगाह गली के अज्तम छ र तक गयी । अज्तम छ र पर गली ब्ि थी ।
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यह िे खते ही उसके दिमाग क एक झटका सा लगा । ्वतः ही उसकी तनगाह


मन ि के घर पर ऊपर से नीचे तक गयी । उस घर की बनाबट आम घरं की
अपेषा ककसी ग िाम िैसी थी । ङर वह हर तरफ से ब्ि सा मालम
ू ह ता
था ।
- ब्ि गली । उसे भत
ू काल से आते मन ि के श्ि सन
ु ाई दिये - ब्ि घर ।
िमीन के नीचे । अंधेरा ब्ि कमरा ।
- हा हा हा । तभी उसके दिमाग मं भत
ू काल मं ि गी ब ला - ब्ि गली । ब्ि
घर । िमीन के नीचे । अंधेरा ब्ि कमरा । हा हा हा । एकिम सही पता ।
- ब्ि गली । ब्ि घर त हुआ । उसने स चा - अब िमीन के नीचे । अंधेरा
ब्ि कमरा । लेककन कहाँ है व कमरा ? अंधेरा ब्ि कमरा । िमीन के नीचे
। इसका सीधा सा मतलब था । मन ि के घर मं क ई तल घर ह ना चादहये ।
अब ये एक ङर नयी मुसीबत थी । ये रह्यमय पता सीधा उसी अ्डर
राउ्ड म की ओर इशारा कर रहा था । लेककन वह नया आिमी सीधा सीधा
ककसी से उसके घर के तल घर के बारे मं कैसे पूछता । उस पर साले ये सब
आिमी कम काटूिन ्यािा थे । ङर वह रह्यमय ङरत ? साली यही नहीं
समझ मं आता । ङरत है कक क ई जि्िा चङ
ु ैल भूतनी है । अ्सरा है ।

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यषषणी है । या क ई िे वी वेवी है ? ्या है ?


लगता है । ये रह्यमय पररवार छत पर अ्सर बैठने का खास श कीन था ।
छत पर एक बङा तखत कुछ कुससियाँ ङर ल्बी ल्बी ि बंचे पङी हुयी थी ।
वह एक बंच पर साइड के ह्थे से क हनी दटकाये अधलेटा सा यही सब स च
रहा था । उसकी उँ गसलयं मं िलती हुयी ससगरे ट फँसी हुयी थी । जिससे
तनकलकर धय ुँ ं की लकीर ऊपर क िा रही थी । ्रीट लाइट के प ल पर
िलती मरकरी टयूब का ह्का रकाश छत पर फैला हुआ था । उसकी कलाई
घङी की ि नं सई
ु याँ बारह न्बर पर आकर ठहर गयी थी । छ टी सई
ु बङी से
कसकर चपकी हुयी थी । ङर बङी ने उसे ताकत से नीचे िबा कर भींच सलया
था । सेकंड की सई
ु छटपटाती सी बैचन
े च्कर लगा रही थी ।

एक अिीव सी बैचन
े टं शन महसूस करते हुये उसने ससगरे ट क मँह
ु से
लगाकर कश लेना ही चाहा था कक अचानक वह चंक गया । पिमा ऊपर आ
रही थी । िीने पर उसके पैरं की आहट त नहीं थी । लेककन उसके पैरं मं
बिती पायल की मधरु छन छन वह आराम से सुन रहा था ।
उसका दिल अिीव से भय से तेिी से धक धक करने लगा । ्या मािरा था
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? ङर कुछ ही पलं मं उसके छ्के ही छूट गये । वह अकेली ही ऊपर आयी
थी । ङर बङी शालीनता सलीके से उसके सामने िस
ू री बंच पर बैठ गयी ।
बङी अिीव ङर खास ङरत थी । ्या खाम खां ही मरवायेगी उसे । रात के
बारह बिे यूँ उसके पास आने का िस
ू रा क ई पररणाम ह ही नहीं सकता था ।
- वा्तव मं िवानी ऐसी ही ह ती है । वह मािक अंगङाई लेकर ब ली - रातं
क नींि न आये । करवटं बिल । तककया िबाओ । आप ही आप उलट पुलट
कर बब्तर ससक ङ डाल ।..तु्हारे साथ भी ऐसा ह ता ह गा..ना । है ना ।
अकेले मं न्न लेटना । न्न घूमना । ह ता है ना ।
वह िवानी के लषण बता रही थी । ङर उसे अपनी जि्िगानी ही खतरे मं
महसूस ह रही थी । ये ङरत वा्तव मं खतरनाक थी । उसका पतत िे वर
क ई आ िाये । कफर ्या ह गा ? क ई भी स च सकता है ।
- लेककन..। वह कफर से सामा्य ्वर मं ब ली - ऐसा सबके साथ ह । ऐसा
भी नहीं । व ि नं भाई ककसी थके घ ङे के समान घ ङे बेच कर स रहे हं ।
रेसमयं की तनशा नशीली ह उठी है । रिनी खल
ु कर बाँहं फैलाये खङी है ।
चाँिनी चाँि क तनहार रही है । सब कुछ कैसा मिह श करने वाला नशीला
नशीला है ..है ना ।
अब ्या समझता वह इसक । स भा्य या िभ
ु ाि्य ? शायि ि नं । रय ग
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परीषण के सलये िैसे समय जिस माह ल ङर जिस रय ग व्तु की


आव्यकता थी । वह खि
ु उसके पास चलकर आयी थी । ङर उसका ख भी
पूणि सकारा्मक था । ्या था इस रह्यमय ङरत के मन मं ? वह कैसे
िान पाता ।
- काऽऽम..से्सऽऽ । वह ऐसे धीमे मगर झंकृत कज्पत ्वर मं ब ली कक उसे
िषषण की दिवंगत से्स सस्बल असभनेरी सस्क ज्मता के ब लने की
्टायल याि ह आयी - ससफि से्स । हाँ तनततन..बस तम
ु ग र से िे ख । त
इस सजृ ट मं काम.. से्स ही निर आयेगा । हर ्री पु ष के मन
दिल दिमाग मं बस हर षण काम तरं गे ही ि ङती रहती हं । व िे ख । उसने
िरू षषतति की ओर नािक
ु उं गली से इशारा ककया - ये िमीन आसमान से
समलने क सिै व आतरु रहती है । हमेशा अत्ृ त । ्यंकक ये कभी उससे
पण
ू त
ि याः समल नहीं पाती । इसका पण
ू ि स्भ ग कभी ह ही नहीं पाता ।
िबकक यहाँ से ऐसा लग रहा है कक ये ि नं हमेशा काम रत हं । लेककन
इसकी तनकटतम स्चाई यही है कक इन ि नं मं उतनी ही िरू ी है । जितनी
िरू ी इनमं है । यहाँ से एक िस
ू रे मं समाये आसलंगन व्ध निर आते । पर
्यं ्यं पास िाओ । इनका फासला पता लगता है । लेककन वहाँ से आगे
कफर िे खने पर यही लगता है कक वह आगे पूणि स्भ ग रत है । ककसी मग

मरी चका िैसा । दिखता कourhindi.com
ु छ ङर । स्चाई कुछ ङर । है ना ।
अचानक उसने अपने सीने के पास मै्सी क इस तरह दहलाया । िैसे क ई
कीङा उसके अ्िर घुस गया ह । ङर कफर ि नं ्तनं क थामकर दहलाते
हुये मानं मै्सी क एडि्ट ककया । ङर कफर बेहि शालीनता से ऐसे बैठ
गयी । िैसे एक बेहि सं्कारी ङर सश
ु ीला ङरत ह । ङर वह वेवश था ।
इसक िे खने सुनने के ससवाय शायि कुछ नहीं कर सकता था ।

लेककन यहीं बस नहीं । वह ककसी ए्सपटि काम सशषषका की भांतत मधरु ता से


रेम पण
ू ि ्वर मं ब ली - ऐसे ही नदियं क िे ख । वे समि
ु से समलने क
तनरं तर ि ङ रही है । उनकी ये ्यासी ि ङ कभी ख्म ह ती है ्या ? हमेशा
अत्ृ त । र्वी क िे ख । ये ककतने ही बीिं का तनरं तर गभािधान कराती है ।
ये कभी त्ृ त हुयी ्या ? चक र कभी चाँि से त्ृ त हुआ ्या ? ये बेले लतायं
हमेशा ही वषृ ं से सलपटी रहती हं । कभी त्ृ त हुयी ्या ? ये भंवरे हमेशा
कसलयं का रस लेते हं । ्यं नहीं कभी त्ृ त ह िाते । पशु कुते अपनी मािा
क सूंघते हुये उसके पीछे घूमते हं । सांड गायं के पीछे घूमते हं । ब्िर
काम के इतने भख ू े हं । कभी भी । कहीं भी । सबके सामने ही से्स कर लेते
हं । वे कभी त्ृ त ह िाते हं ्या ?

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- माय गाड ! ्लीि । पिमा िी ्लीि । एनफ । वह घबराकर ब ला - आप


क िाईये ्लीि । हम ककसी ङर सबिे्ट पर बात नहीं कर सकते ्या ?
- इसीसलये त मं कहती हूँ । वह मधरु घज्टयं के समान धीमे ्वर मं हँसती
हुयी ब ली - कमाल की कहानी सलखी है । इस कहानी के लेखक ने ।.. कहानी
ि उसने शु की । उसे कैसे क ई ङर ख्म कर सकता है ? न कहानी तम
ु से
पढते बन रही है । ङर न ही छ ङते ।
चल बिलती हूँ सबिे्ट । कफर वह िलती मरकरी टयब ू क िे खती हुयी
ब ली - तनहाईयं से तघर गयी हूँ मं । व ि कभी हसरत बन कर िागी थी
मेरे दिल मं । आि मेरे पैरं की िंिीर बन गयी है । ितु नयाँ से बबलकुल
अलग ह गयी हूँ मं । िब रथम भं ट हुयी उनसे त । मेरे तन मन मं ्यारी
सी अनभ
ु तू त हुयी । उनकी आँखं मं िे खने की दह्मत नहीं थी मझ
ु मं । कफर
भी उ्हं िी भर के िे खना चाहती थी । व म्ि म्ि म् ु कराते हुये बातं
करते । ङर लगातार िे खते रहे मुझे । पर मं संक च वश उ्हं क ई िबाब न
िे पाती । उस पल मुझे लगा ऐसे कक व मुझे बहुत पस्ि करते हं । उस
दिन के बाि उनसे र ि ह ने लगी बातं । इन बातं क सुनकर उनके रतत
लगाव बहुत गहरा ह गया है । लेककन व्त ने सब कुछ उलट कर रख दिया
है । अब तघर गयी हूँ मं एक अिीब सी उिासी से । शायि व भी तघर गये हं
त्हाईयं से । ङर भर गयी ह र म र म मं उनके उिासी । कफर भी मन मं
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ये आस है कक । कभी िख
ु के बािल छटं गे ङर ह गा खश
ु हाल सवेरा ।
कभी िख
ु के बािल छटं गे ङर ह गा खश
ु हाल सवेरा । खश
ु हाल सवेरा ?
अचानक उसकी मग
ृ नयनी आँखं मं आँसुओं के म ती से खझलसमला उठे - मुझे
कववता वगैरह सलखना नहीं आता । बस ये रािीव िी के रतत मेरे दिली भाव
भर थे । ि ्वतः मेरे रिय से तनकले थे । लेककन अब मं तुमसे एक सरल
सा र्न पूछती हूँ । ये सब िानने के बाि बताओ कक - ्या मं वाकई रािीव
िी से बहुत ्यार करती थी या हूँ ?
- तनसंिेह । वह बबना कुछ स चे झटके से ब ला - बहुत ्यार । गहरा ्यार ।
अमर ्यार ।
- गलत । ट टल गलत । वह भावहीन ्वर मं ब ली - मुझे लगता है । तम

बबलकुल ही मूखि ह । सच त ये है कक मं रािीव िी क क ई ्यार ही नहीं
करती । िरअसल मं त मं ्यार का मतलब तक नहीं िानती । ्यार ककस
च ङया का नाम ह ता है ? ये भी मुझे िरू िरू तक नहीं पता ।
्यंकक..्यंकक..व� �� सब
ु कने लगी ।
तनततन के दिमाग मं िैसे वव्फ ट हुआ । उसका सम्त विि
ू दहलकर रह
गया ।

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- इसीसलये मं कफर कहती हूँ । वह संभल कर ि बारा ब ली - तुम मेरा यकीन


कर । कमाल की कहानी सलखी है । इस कहानी के लेखक ने ।.. कहानी ि
उसने शु की । उसे कैसे क ई ङर ख्म कर सकता है ? इसीसलये न कहानी
तुमसे पढते बन रही है । ङर न ही छ ङते ।

ककसी सु्िरी के नीले आंचल पर टं के चमकते खझलसमलाते तारं से भरा


आसमान भी िैसे यकायक उिास ह चला था । रात मं सफर करने वाले
बगुला पषषयं की कतार आकाश मं उङती हुयी िरू ककसी अनिान यारा पर
िा रही थी । उन ि नं के बीच एक अिीव सी खाम शी छा गयी थी । चप

चप
ु सी वह िैसे शू्य 0 मं िे ख रही थी ।
्या है ये ङरत ? आखखर उसने स चा - क ई माया । क ई अनसुलझा बङा
रह्य ? क ई ततसल्म ।
पर अभी वह अपने ही इस ववचार क बल िे ता कक तभी उसके कानं मं
भूतकाल भयंकर अ्टाहास करता हुआ ब ला - ये कहानी है । स ्ियि के
ततर्कार की । चाहत के अपमान की । ्यार के तनरािर की । ििबातं पर
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कुठाराघात की । वह कहता है । मं माया हूँ । ्री माया है । उसका स ्ियि


मायािाल है । ङर ये कहानी बस यही त है । पर..पर मं उसक साबबत
करना चाहती हूँ - मं माया नहीं हूँ । मं अभी यही त साबबत कर रही थी ।
तेरे ्वारा । पर तू फेल ह गया । ङर तन ू े मझ
ु े भी फेल करवा दिया ।
रािीव कफर िीत गया । ्यंकक .. वह भयानक ्वर मं ब ली - ्यंकक त.ू .तू
फँस गया ना । मेरे मायािाल मं । ्यंकक त.ू .तू फँस गया ना । मेरे
मायािाल मं । ्यंकक त.ू .तू फँस गया ना । मेरे मायािाल मं ।
वह कहता है । मं माया हूँ । ्री माया है ।.. मं माया हूँ । ्री माया है ।
उसका स ्ियि मायािाल है । पर..पर मं उसक साबबत करना चाहती हूँ - मं
माया नहीं हूँ । पर तू फेल ह गया । तू फेल ह गया । ्यंकक .. ्यंकक
तू..तू फँस गया ना । मेरे मायािाल मं ।.. मं रािीव िी क ्यार करती थी
।.. गलत । ट टल गलत । मुझे लगता है । तुम बबलकुल मूखि ह । ..तुम
बबलकुल मूखि ह ।.. गलत । ट टल गलत । सच त ये है कक मं रािीव िी क
क ई ्यार ही नहीं करती । ..तुम बबलकुल मूखि ह । .. मं रािीव िी क
्यार करती थी ।.. सच त ये है कक मं रािीव िी क क ई ्यार ही नहीं
करती ।.. िरअसल मं त मं ्यार का मतलब तक नहीं िानती । ।.. िरअसल

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मं त मं ्यार का मतलब तक नहीं िानती । ्यार ककस च ङया का नाम


ह ता है ? ्यार ककस च ङया का नाम ह ता है ? ये भी मुझे िरू िरू तक नहीं
पता । ्यंकक..्यंकक.. ?
यकायक उसे तेि च्कर से आने लगे । उसका ससर तेिी से घूम रहा था ।
ये पर्पर ववर धाभासी वा्य उसके दिमाग मं गँि
ू ते हुये रह रह कर बार बार
भयानक राषसी अ्टाहास कर रहे थे ।

बार बार उसके दिमाग मं वव्फ ट ह रहे थे । उसके दिमाग मं सैकङं नंग
धङंग रेत रेततनयाँ समूह के समूह रकट ह गये थे । एक भयंकर रेतक
क लाहल से उसका दिमाग फटा िा रहा था ।
ङर कफर अगले कुछ ही षणं मं उसे अपनी जि्िगी की भयानक भूल का
पहली बार अहसास हुआ । वह भूल ि उसने इस घर मं रह कर की थी । -
हा हा हा । तभी उसके दिमाग मं भूतकाल का ि गी अ्टाहास करता हुआ
ब ला - ब्ि गली । ब्ि घर । िमीन के नीचे । अंधेरा ब्ि कमरा । हा हा
हा । एकिम सही पता । वह ककसी भयंकर मायािाल मं फँस चक
ु ा था ।
अचानक उसकी सु्िर आँखं मं भूखी खूँखार बब्ली िैसी भयानक चमक पैिा
हुयी । उसके रे शमी बाल उलझे ङर खे ह उठे । उसका म दहनी चेहरा ककसी
तघन नी चङु ैल के समान बिस रू त ह उठा । वह हूँऽऽ..हूँऽऽ करती हुयी मँह
ourhindi.com ु से
फुफकारने लगी । उसका सीना तेिी से ऊपर नीचे ह रहा था ।
- इसीसलयेऽ त ऽऽ मं कहतीऽऽ हूँ । वह िाँत पीस कर ककटककटाते हुये क क
कर ब ली - कमाल की.. कहानी सलखी है । इस कहानी के.. लेखक ने ।..
कहानीऽऽ ि उसने शु कीऽऽ । उसे कैसे.. क ई ङर कैसे ख्म कर सकता है
? कहानीऽ ि न तझ
ु से पढते बन रही है । ङर न छ ङते ।
कफर यकायक उसके दिमाग ने काम करना ब्ि कर दिया । उसे पिमा के
श्ि सन
ु ाई नहीं िे रहे थे । उसका दिमाग फटने सा लगा । कफर वह लहरा
कर बंच से नीचे गरा । ङर अचेत ह गया । उसकी चेतना गहन अंधकार मं
ख ती चली गयी । एक रगाढ बेह शी उस पर छाती चली गयी ।
- आओ मेरे साथ । तभी वह बेहि ्यार से उसका हाथ पकङ कर ब ली - चल
। मं तु्हं वहाँ ले चलती हूँ । िहाँ िाने के सलये तुम बैचन
े ह । बेकरार ह ।
जिसकी ख ि मं तुम आये ह ।
मंरमु्ध सा वह उसके साथ ही चलने लगा । पिमा ने उसके गले मं हाथ
डाल दिया । ङर बबलकुल उससे सटी
हुयी ही चल रही थी । उसके उ्नत कसे उर ि ङर मािक बिन उसके शरीर
का ्पशि कर रहे थे । उसके ब्
ृ मचयि शरीर मं काम तरं गं का तेि करं ट सा

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ि ङ रहा था । शीत ्वर िैसी भयानक ठं डक महसूस करते हुये उसका समूचा
बिन थरथर कांप रहा था । वह नशे मं धतु ककसी शराबी के समान डगमगाते
हुये उसके सहारे से चला िा रहा था ।
- ये व्रं का चलन । वह काली अलंकाररक डिायन वाली पारिशी मै्सी
नीचे खखसकाती हुयी ब ली - अ्वल ििे के मूखं ने चलाया है । स च । स च
। यदि सभी...सभी ल ग.. ्री पु ष ब्चे बबना व्र ह ते । त ये संसार कैसा
स्
ु िर रतीत ह ता । सभी एक से । क ई भेिभाव नहीं । सभी खल
ु े खल
ु े ।
क ई तछपाव नहीं । हर ्री पु ष का शरीर ही खि
ु सबसे बेहतरीन व्र है ।
ई्वर की ्े ठतम रचना । कफर इसक व्र से आवररत करना उसका
अपमान नहीं ्या ? इसीसलये त मनु य िख
ु मं हं । वह सिा ही िख
ु ी रहता है
। उसने तरह तरह की इ्छाओं के रं ग बबरं गे स्
ु िर अस्
ु िर ह्के भारी हिारं
लाखं व्रं का ब झा सा लाि रखा है । धन का व्र । शज्त का व्र ।
यश का व्र । रतत ठा का व्र । ल भ का । लालच का । म ह का । मान
का । अपमान का । ्वगि का । नरक का । ि्म का । मरण का । व्र ही
व्र । ये मेरा व्र । ये तेरा व्र ।
- ह हाँ.. हाँ हाँ पिमा िी । वह रभाववत ह कर ब ला - तुम ठीक कहती ह ।
पिमा तुम ठीक कहती ह । हर आिमी बनाबटी झूठ मं िीता है । ससफि तुम
सच ह । तुम सच का पूणि ourhindi.com
स ्ियि ह ।
- त कफर । उसने मािकता से हंठ काटा । ङर झंकृत कज्पत बहुत ही धीमे
्वर मं मधरु घुंघ से छनकाती हुयी ब ली - उतार ्यं नहीं िे ते ये झूठे व्र
। झूठ क उतार फंक । ङर सच क रकट ह ने ि । सच ि हमेशा नंगा
ह ता है । बबना च्र । बबना आवरण । ्यं का ्यं ।
ककसी आञाकारी बालक की भांतत वह स्म दहत सा व्र उतारने लगा । एक
। एक । एक करके ।

- ककसी ्याि क छीलने की भांतत । ्यं ्यं तनततन के व्र उतर रहे थे ।
उसकी चमकती लाल बब्ल री आँखं मं चमक तेि ह रही थी । उसके शरीर
मं र मांच सा भर उठा था । उसकी सुड ल छाततयाँ तन उठी थी । उसके अ्िर
एक ्वाला सी िल उठी थी । कफर वह एक एक श्ि क काटती भींचती हुयी
सी ब ली - हाँ तनततन..ककसी ्याि क छीलने की भांतत.. िे ख । पहले उसका
अनुपय गी तछलका उतर िाता है । कफर एक म टी परत । कफर एक बहुत
झीनी परत । कफर पहले से कम म टी । कफर एक झीनी । कफर ्थल
ू परत ।
कफर सू्म परत । परत िर परत । ङर अ्त मं कुछ नहीं । हाँ कुछ भी त
नहीं । शू्य 0 । ससफि शू्य 0 ।

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ङर तब बचते हं । ससफि एक ्री । ङर ससफि एक पु ष । एक िस


ू रे क
्यासे अत्ृ त िे खते हुये । सदियं से । युगं से । आदि सजृ ट से । कामातुर ।
रेमातुर । एक िस ू रे मं समाने क त्पर । चेतन ङर रकृतत । तुम । वह
उसके कदट भाग पर ्यासी तनगाह डालती हुयी ब ली - तुम चेतन प 1 ह ।
ङर मं रकृतत पा शू्य 0 । शू्य 0 । उसने मािकता से बहुत धीमे मधरु
्वर मं उँ गली से नीचे इशारा करते हुये कहा - तम
ु िे ख रहे ह ना - शू्य 0
। 1 ङर श्
ू य 0 । बस ये ि ही त हं । इसके ससवा ङर कुछ भी त नहीं है
। 2 3 4 5 6 7 8 9 इनका अपना क ई अज्त्व नहीं । ये त उसी 1 का य ग
ु ह । 0 ि मं हूँ । ब ल ..तनततन । ब ल । मं
ह ना मार ही है । 1 ि तम
गलत कह रही हूँ ?
- नहीं.कभी नहीं । वह उसक बेहि ्यासी तनगाहं से िे खता हुआ ब ला - तमु
सच ही कहती ह । त् ु हारी र्येक बात नंगा सच है । तम
ु सच की स्ु िर
मूरत ह ।
- आऽऽह..। वह तङपती हुयी सी ि नं ्तनं क थाम कर ब ली - मं ्यासी हूँ
।..ङर ङर शायि तुम भी । लेककन नहीं । नहीं आिम । मेरे सिा वरयतम ।
तुम ये वजिित काम फल मत खाना । ्यंकक..्यंकक ये पाप है । वासना है ।
कामवासना है । ये पतन का ्वार है । आर्भ है । ्री नरक का ्वार है
।..गाड ने..हमं मना ककया हैourhindi.com
ना । हाँ आिम । भगवान ने मुझे भी कहा -
ह्वा ! तू ये फल मत खाना । कभी मत खाना ।

पर ्यं..्यं ? वह एक अनिानी आग मं िलता हुआ सा वासना यु्त


थरथराते ्वर मं ब ला - ्यं है ये सु्िर समलन पाप ? ये पाप है पिमा । त
कफर इस पाप क करने की इतनी तीव ृ इ्छा ्यं ? ये पाप पु्य से अ्छा
्यं लगता है ? ये पाप.. पाप नहीं । पु्य है । ि युगं से तरसती ्यासी हं
का मधरु समलन.. कभी पाप नहीं ह सकता । भगवान झूठ ब लता है । वह
हमं बहकाना चाहता है । वह नहीं चाहता । आिम ह्वा का मधरु समलन ।
मधरु समलन ।
- आऽऽह ! वह चेहरे क मसलने लगी - मं ्यासी हूँ ।
- मझ
ु े परवाह नहीं । तनततन उसके स्
ु िर ्यासे अंगं क ्यास से िे खता
हुआ ब ला - मझ
ु े च्ता नहीं । पाप की । प्
ु य की । ि्ड की । परु ्कार की
। ्वगि की । नरक की ।..ङर..ङर ककसी भगवान की भी ।
ू िाओ । वह बाँहं फैलाकर ब ली - कक मं क न हूँ । तम
- त ..त कफर भल ु
क न ह । ि ह ता है । ह ने ि । वह ्वयं ह गा । उसक र कना मत ।
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ङर .ङर उसक करना भी मत । ये सुर संगीत खि


ु बनता है । कफर खि

बिता है । इसके गीत राग खि
ु पैिा ह ते हं । मधरु ्वरं से सिे आन्ि
गीत । ्यंकक..्यंकक वही त सच है । .. ्यास .. ्यास .. त्ृ त .. अत्ृ त
.. त्ृ त..अत्ृ त ।
ये श्ि ककसी ्वयं ह ती रतत ्वतन के समान उस िगह गँि
ू रहे थे । वह
शू्य 0 ह चला था । अब उसे बस शू्य 0 निर आ रहा था । शू्य 0 । ग ल
ग ल श्
ू य 0 । खाली ववशाल श्
ू य 0 । वह इसी श्
ू य 0 मं ख िाना चाहता
था । डूब िाना चाहता था । श्
ू य 0 । ससफि श्
ू य 0।
वह पण
ू ि प से ह श हवास ख चक
ु ा था । कफर वह उस पर भख
ू े शेर की भांतत
झपटा । वह भयभीत दहरनी सी भागी । वह बकरी की भांतत मंऽऽमंअं एंऽऽ
च्लाई । वह बकरे सा म टे ्वर मं मंऽु अंऽ आंऽ आँऽऽ समसमयाया । वह
घ ङी की भांतत उछली । वह घ ङे की भांतत उठा । वह सहमी च ङया सी उङी
। वह बाि की भांतत लपका । वह डरी गाय सी र्भाई । वह बेकाबू पागल
सांड सा ि ङा । आखखर वह हार गयी । भय से थरथर कांपने लगी । लेककन
उसने पूणि िूरता से उसे िब च सलया ।
- आऽह..नहीं..। उसने ववनती की - मर िाऊँगी मं । छ ङ ि मुझे । िया कर
आिम । कुछ त िया कर ।
शू्य 0 । ग ल ग ल शू्य 0ourhindi.com
। खाली ववशाल शू्य 0 । वह इसी शू्य 0 मं ख
िाना चाहता था । डूब िाना चाहता था । शू्य 0 । ससफि शू्य 0 ।
- आऽऽई..ऊऽऽमाँ..ऐसे बेसबर न ह ।...मं नािुक हूँ । कांच की हूँ । कली हूँ
।..उईऽऽ..नहींऽऽ आिम..ये ्या कर रहे ह ऽ तुम ।..धीरे धीरे ऽऽ..बहुत..धीरे ..�
�ृेङ इन सुर तारं क ..आऽऽऽऊ आऽह..बहुत ििि ..ह रहा है । नहीं
आिम..रहने ि ना ।..मै ह्वा हूँ । तु्हारी ्यारी ह्वा । सु्िर ह्वा । कफर
्यं तनिि य ह ते है ..आऽऽई.. री माँ ..मर गई.उफ...बस अब रहने ि ना..।
ओऽऽ माँ..नहीं ।..स्ची आिम ..मर िाऊँगी मं ..। आऽऽऽ ऽऽईऽऽ ऽईऽ ऽऽऽ ..

अचानक ही हङबङा कर उसने आँखं ख ल िी । धूप की तेि तवपश से उसे


गमी सी लग रही थी । वह पसीने मं नहाया हुआ था । ङर बैचन े ह रहा था
। उसने घङी मं समय िे खा । सुबह के िस बिने वाले थे । ङर वह उसी
तरह उस आिमकि बंच पर लेटा हुआ था । ङर अब ह श मं आया था ।
इसका साफ मतलब था । वह रात भर यहीं पङा रहा था । लेककन ्यं ?
रात मं ्या हुआ था ? उसने अपनी ्मतृ त क एकर करते हुये कफर से पीछे
की यारा की । रात बारह बिे । िब वह नीचे िाने का ववचार कर रहा था ।
अचानक पिमा छत पर आ गयी थी । वह उससे बात करती रही थी । तभी

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अचानक उसे च्कर आ गया था । ङर वह नीचे गर पङा था । इसके बाि


उसे कुछ याि नहीं । कफर तबसे वह अभी उठा था । अभी ? रात के बारह बिे
से अभी । िस बिे । तब इस बीच मं ्या हुआ था ? उसने अपनी याि पर
ि र डाला । कफर बहुत क सशश करने पर धीरे धीरे उसे वह सब याि आने
लगा ।
पिमा उसे सहारा िे ती हुयी छत से नीचे उतार ले गयी थी । उसने ्प ट
अपने क उसी घर के िीने से उतरते हुये िे खा था । लेककन उसके बाि
यकायक उसकी आँखं के आगे अंधेरा सा ह गया । उसे महसस
ू ह रहा था ।
वह िैसे ककसी अंधेरी सरु ं ग मं उतरता िा रहा है । काला ्याह । घ र घनघ र
अंधेरा । उसे सहारा िे ती हुयी पिमा उसके साथ सीदढयाँ उतरती िा रही थी ।
क ई अञात सीदढयाँ । कफर सीदढयाँ भी ख्म ह गयीं । ङर वे समतल
िमीन पर आ गये । तब यकायक वहाँ ह्का सा रकाश ह गया । उसने िे खा
। मािकता से मु्कराती हुयी पिमा ज्वच के पास खङी थी । उसने ही वह
ब्ब िलाया था । जिसका मटमैला रकाश कमरे मं फैल गया था ।
कमरा । उसके दिमाग मं अचानक वव्फ ट हुआ - िमीन के नीचे । अंधेरा
ब्ि कमरा । हाँ वही त था वह । एक बङे हाल िैसा भूसमगत कष ।
लगभग खाली सा साफ कमरा । जिसमं बाकायिा ि अलग अलग बेड थे ।
कुछ अिीव सी धध
ुं ली त्वीरं िीवालं पर ।
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- ्यारे आिम । स्भ ग के बाि तनढाल सी पङी वह अधमँुिी आखं से ब ली


- कैसा था यह वजिित फल ? अ्छा ना ।
पर अब वह िाने ्यं ठगा सा महसूस कर रहा था । िैसे कुछ सही सा नहीं
हुआ था । उसे वह सु्िर ङरत । स ्ियि की िे वी । िाने ्यं ठ गनी सी
निर आ रही थी । ठ गनी । जिसने उसका सब कुछ लट ू सलया था । उसका
वह बेसमसाल स ्ियि । अब उसे फीका लग रहा था । उसके सब अंग । रं ग
हीन लग रहे थे । रस टपकाता य वन । अब एकिम नीरस लग रहा था ।

ऐसा ही ह ता है । वह क हनी के सहारे दटकती हुयी पूवव


ि त ही अपने ववशेष
अ्िाि मं धीरे से ब ली - मं तु्हारे दिल की आवाि सुन सकती हूँ । तमु
सब मिि । एक िैसे ही ह ते ह । ्वाथी भंवरे । ससफि रस चस
ू ने से मतलब
रखने वाले । तब मं स ्ियि की िे वी निर आ रही थी । ङर तम
ु मेरे पि
ु ारी
थे । ्यंकक तम
ु मेरा रसा्वािन करना चाहते थे । अब तम
ु रस चस
ू चक
ु े ।
तब मं फीकी लगने लगी । तम
ु खि
ु क ठगा महसस
ू कर रहे ह । मझ
ु े
बताओ आिम । तम
ु लट
ु े । या मं लट
ु ी ? मंने त अपना सवि्व समपिण कर
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दिया । मंने तु्हारा पु ष रहार सहा । रेम िूरता सही । मं िया िया करती
रही । की तुमने क ई िया ? कफर तुम ऐसा ्यं स चते ह । ि हुआ । स
अ्छा नहीं हुआ । ङर उसकी ि षी मं हूँ । ससफि मं ।
हर पु ष िीवन की यही कहानी है । पहले तुम ्री के सलये लालातयत ह ते
ह । उसे भ गते ह । चस
ू ते ह । कफर उसे लात मार िे ना चाहते ह । ्यंकक
भ गी हुयी ्री तु्हारे सलये रसहीन सी ह िाती है । बे ्वाि । मुिाि ।
तनिीव ।
कमाल की ङरत थी । उसने स चा । शायि िरू से खींचने की शज्त थी
इसके पास । धप
ू ङर तेि ह उठी थी । वह टहलता हुआ सा उठा । ङर नीचे
आंगन मं झांकने लगा । पर अभी वहाँ क ई नहीं था । ह्की सी खट पट कहीं
अ्िर से आ रही थी । हाँ । िरू से ही खींच लेने वाली मायावी ङरत ही थी
ये । तभी त ये शमशान से यहाँ तक खींच लायी थी । खींचा ही त था इसने
। वरना कहाँ थी ये वहाँ ?
वह इसक हल करने आया था । उसने हल क ही सवाल बना दिया । उसने
झटके से ससर क तीन चार बार दहलाया । ङर आगे के बारे मं स चा । उसे
इस मायावी ङरत के च्कर मं नहीं पङना चादहये । ङर फ रन यहाँ से चला
िाना चादहये । लेककन ्यं ? ्यं ?
यदि वह एक ङरत से हार ourhindi.com
िाता है । उसकी माया से डर िाता है । कफर
उसका तंर मंर झान त ्यथि है ही । उसका सामा्य मनु य ह ना भी
ध्कार है । िस
ू रे वह कुछ ववचसलत ह ता था । थ ङा डगमाता भी था ।

तभी वह उसके अ्िर ब लने लगती - ्या कमाल की कहानी सलखी । इस


कहानी के लेखक ने । कहानी ि उसने शु की । उसे क ई ङर कैसे ख्म
कर सकता है । इसीसलये..इसीसलये ये कहानी न तम
ु से पढते बन रही है । न
छ ङते । ये ब्चं का खेल नहीं तनततन ।
- ब ल । वह कफर ब ली - मझ
ु े िबाब ि । ्या गलती है ङरत की । ्या
्यासी ससफि ङरत है ? पु ष नहीं ।
पर वह कुछ न ब ल सका । इस ङरत के श्िं मं वह िाि ू था । जिसके
सलये क ई श्ि ही न थे । कफर ्या ब लता वह । ऐसा लग रहा था । कुछ
गलत भी न थी वह ।
- रहने ि । वह िैसे उसे मु्त करती हुयी ब ली - शायि कुछ र्नं के उतर
ही नहीं ह ते । अगर उतर ह ते । त ङरत पु ष के बराबर न ह ती । कफर
उसकी िासी ्यं ह ती ? चल । मं तु्हं कुछ अलग दिखाती हूँ ।

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वह एकिम है रान सा रह गया । अब ये ्या दिखाने वाली है ? वह उसी


मािकता सम ्त शालीनता से उठी । ङर उसके पास आ गयी । उसने अपनी
ल्बी पतली ग री बाँहं उसके गले मं डाल िी । ङर बेतहाशा उसके ह ठ चम
ू ने
लगी । िैसे ना गन बिन से सलपटी ह । ङर िैसे ववषक्या ह ठं से चपकी
ह । नशे से उसका ससर तेिी से घूमने लगा । दिमाग के अ्िर ग ल पदहया
सा तेिी से च्कर काटने लगा । कफर वह ि नं चपकी हुयी अव्था मं ही
ऊपर उठने लगे । उनके पैर िमीन से उखङ चकु े थे । ङर वह ककसी मामल
ू े
ततनके के समान तफ
ू ान मं उसके साथ ही उढता हुआ िरू िंगल मं िा गरा ।
वाकई उसने कफर सच कहा था - चल । मं त् ु हं कुछ अलग दिखाती हूँ ।
यह एक अिीव िंगल था । बहुत ही ऊँचे ऊँचे ववशाल घने पेङं की भरमार
थी उसमं । चमकते सय
ू ि की र शनी का कहीं नाम तनशान नहीं था । धध
ंु ला
मटमैला पीला म्ि रकाश ही फैला था वहाँ । उस िंगल मं भीङ की भीङ
असं्य पूणि न्न ्री पु ष म न ववचरण कर रहे थे । ससफि 30 आयु के
लगभग ्री पु ष । न वहाँ क ई ब्चा था । न क ई बूढा था । न क ई सु्िर
था । न क ई बिसूरत था । न वहाँ क ई र गी था । न वहाँ क ई ्व्थ भी
था । ि भी था । सामा्य था । ङर सब तरह से आवरण हीन । खल
ु ा खल
ु ा

वह है रत से उ्हं िे खता रहाourhindi.com
। वे आपस मं बबलकुल न ब ल रहे थे । ङर
धीमे धीमे किमं से इधर उधर चल रहे थे । कुछ ि ङे आपस मं एक िस
ू रे
क चम
ू रहे थे । कुछ स्भ ग रत थे । कुछ तनढाल से पङे थे । कुछ हताश
से खङे थे । वे मुिाि आँखं से बबना उ्िे ्य सामने िे खते थे । उनमं से क ई
भी उनकी तरफ आकवषित नहीं हुआ । वे ि नं एक ऊँची पहाढी पर बैठे थे ।
ङर उसी ्थान अनुसार पूणत
ि ः न्न थे ।
- ये एक ववशेष म्डल है । वह िैसे म न की भाषा मं उसके दिमाग मं ब ली
- जिसे अंरेिी मं zone कहते हं । ये न र्वी है । न क ई ङर रह नषर । न
ही क ई अ्य र्वी । ङर न ही अ्य सजृ ट । यहाँ ि य्र तुम िे ख रहे ह
। मेरी बात पर ग र कर - य्र । ये शरीर निर आ रहे हं । पर वा्तव मं
ये य्र है । खास बात ये है कक ये एक कवडि एररया है । यहाँ अंतररषीय
श्ि से उ्प्न वायरेशन र्वी की तरह सीधा नहीं आता । बज्क पा्तरण
ह कर बबलकुल षीण बहुत मामूली सा आता है ।

ङर इसी बबञान तनयम की विह से ये या हम ल ग यहाँ वाणी से ब ल नहीं


सकते । यहाँ ससफि म न के श्ि ही बनते हं । र्वी की तरह तेि चल भाग
भी नहीं सकते । संषष्त मं ्थल
ू शरीर की बहुत सी कियायं नहीं कर सकते

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। ये सूयि आदि तारं का रकाश यहाँ कम ह ने की विह भी यही है ।


कफर तुम स च रहे ह गे । ये ल ग हं क न ? ये हमारी आंतररक ङर यांबरक
कामवासना का प है । या आकार है । बङा िदटल है इसक समझना । पर
मं समझाने की क सशश करती हूँ । शायि तुम समझ िाओ ।
अब नीचे हलचल कुछ तेि ह ने लगी थी । पर वह त िैसे पागल ह गया
था । समथक कथायं । एसलयन ्ट रीि सभी की तरह उसने सुनी पढी भर थी
। पर वे यहीं िीवन मं भी ह सकती थीं । ये क्पना ही कदठन थी । एक
मामल
ू ी भत
ू रेत जिञासा ऐसी भयंकर या दिलच्प यारा का कारण ह सकती
है । बबना अनुभवी ्वयं्भी हुये वह स च भी नहीं सकता था । शायि क ई
भी वव्वास ही न करे । एक साधारण गह
ृ ्थ इंसान के घर मं इतना रह्य
तछपा ह सकता है । उसकी स्
ु िर ्री इतनी मायावी ह सकती है । अ्छे से
अ्छा ब्
ु धिीवी भी शायि नहीं स च सकता । इ्पाससबल । असंभव ।
अभी वह कफर से वपछली घटना के तार ि ङने की ङर उसका तारत्य
समझने की क सशश कर रहा था । तभी उसे िीने पर आते किमं की आहट
सुनाई िी । ङर ्वाभाववक ही उसका समूचा ्यान उधर ही केज्ित ह गया
। अब ्या ह ने वाला था । ्या कुछ ङर नया ? अफलातूनी ? अगङम बगङम
सा
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तनततन िी ! अनुराग ऊपर आकर उसके सामने बैठता हुआ ब ला - आप शािी


के बारे मं अपने ववचार बताईये । आय मीन । इंसान क शािी करनी चादहये
। या नहीं ? ..ह ह ह ..है ना हँ सने की बात । ्या पागलपन का र्न है ।
- िे खखये । वह सामा्य ्वर मं ब ला - मं इस बारे मं क ई सटीक राय कैसे िे
सकता हूँ । िबकक मं ्वयं ही अवववादहत हूँ । ङर मुझे ऐसा क ई अनुभव
भी नहीं है । कफर भी मनु य के अब तक इततहास मं शािी करने वालं के
उिाहरण अन गनत है । िबकक शािी न करने वालं के बहुत कम । ङर मुझे
नहीं लगता कक शािी न करने वालं ने कुछ ऐसे झ्डे गाढे हं । ि अभी तक
शान से फहरा रहे हं । ङर जिससे िस
ू रे ्री पु ष वववाह न करने क रेररत
हं । लेककन ये बात मं ससफि कह सकता हूँ । आप ्वयं अनुभवी ह ।
इससलये आप कुछ अ धक बेहतर बता सकते ह ।

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वह बगल ल सा ग ल ग ल आँखं से उसे िे खता हुआ इस बेबाक ववचार क


ग्भीरता से सुनता रहा । ङर कुछ कुछ है रान सा हुआ । सही कहा िाये ।
त लङके की ्प ट शैली ने उसे बेहि रभाववत ककया ।
- काफी सुलझे हुये इंसान ह ि ्त । वह रशंसा करता हुआ ब ला - बात ्या
कहते ह । चाँटा सा मारते ह । ह ह ह ..है ना हँसने की बात । पर मुझे ये
चाँटा खाना अ्छा लगा । खैर..मं अपनी ही बात बताता हूँ । मुझे िे ख । वह
अपने बढी हुयी म टी तंि पर हाथ कफराता हुआ ब ला - क ई भी इंसान मझ ु े
िे खकर मेरे भा्य से ई याि ही करे गा । सरकारी न करी । तनिी मकान ।
ह्टा क्टा रेम करने वाला भाई । ङर अ्सराओं क मात करने वाली अतत
स्
ु िर प्नी । ङर इससे ्यािा ्या चादहये । ह ह ह .. है ना हँसने की
बात । ब ल । कुछ गलत कहा मंने ?
तनततन ने उसके समथिन मं ससर दहलाया । जिससे वह काफी खश ु हुआ ।
- लेककन । वह िैसे ि रिार श्िं मं ब ला - ये सब ऊपर से निर आता है ।
हम सबक ऐसे ही ऊपर से िे खने पर िस
ू रं का िीवन सुखमय निर आता है
। िबकक ठ स हकीकत ऐसी नहीं ह ती । मुझे िे ख । मेरी अतत सु्िर प्नी
है । पर उसकी सु्िरता क र ि र ि चाटूँ ्या ? उसकी र ि र ि आरती
उता ँ ्या ? ह ह ह ..है ना हँ सने की बात । िबकक एक सु्िर ङरत यही
चाहती है । अपने पतत या रेourhindi.com
मी से । ङर अ्य सभी से भी । पर उसे नहीं
मालूम । मेरी जि्िगी । ङर एक ध बी के गधे की जि्िगी । बबलकुल एक
िैसी है । यू न । डंकी आफ ध बी ..सारी श्ि भूल गया । याि आया ।
वाशरमेन..ह ह ह ..।
ध बी गधे की पीठ पु्ठे कमर आदि बे्ट से कस िे ता है । उस पर झ ली
डालता है । ंटे लािता है । ङर गधा बेचारा चप
ु चाप बबना चँ ू चाँ उसकी
चाकरी करता है । कफर भी व बबना बात उसके चूतङ मं क ङा मारता है ।
गासलयाँ िे ता है । ह ह ह .. है ना..हँसने की बात । कफर भी । कफर भी उस
गधे से गधा कह ि । त बहुत बुरा मान िायेगा । आप मं उछल कर िल
ु ती
मारे गा । ह ह ह .. है ना हँसने की बात ।
तनततन एकिम सब कुछ भूलकर ठहाका लगा उठा । ्या कहना चाहता था ये
इंसान । ङर उसने अपनी ही ऐसी अिीव तुलना ्यं की ? उसे उसकी बातं
मं रस आने लगा ।
- िे ख । वह बात क आगे बढाता हुआ ब ला - मेरी न करी बीबी मकान
इतफाकन थ ङा ही आगे पीछे सभी साथ साथ समले । तीन ि री सख ु ।
आसानी से समले । इसके बाबिि
ू मं गधा बन गया । तनततन िी इस संसार
मं न करी बबिनेस क ई अ्य र िगार ववषय ह । हर आिमी एक िस
ू रे

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की....मारने मं लगा हुआ है । उस सबसे कैसे तनबटना ह ता है । ये मं ही


िानता हूँ । उस पर ि्तर के काम का ि री जि्मेिाराना ब झ । भु्तभ गी
के सलये ये गधे का ब झा ढ ने के समान ही है । लेककन मेरी सु्िर बीबी क
इस सबसे मतलब नहीं । वह हर आम बीबी की तरह शाम क पाउडर
सलवपज्टक लगाकर छ्ले म्ले तनकाल कर तैयार ह िाती है कक मं अब
उसकी नाइट डयूटी बिाने क तैयार ह िाऊँ । ह ह ह ..है ना हँसने की बात
। दिन मं पेट के सलये डयट
ू ी । रात मं पेट से नीचे की डयट
ू ी । ङर इस
डयट
ू ी पर खरा न उतरे । त वह बबना ब ले ससफि आँखं से ्यं्य भावं से
चत
ू ङ मं क ङा लगाती है । पतत क नपंस
ु क नामिि समझती है ।

इससलये मेरे भाई । वह अपने म टे पेट पर हाथ कफराता हुआ ब ला - सुखी


दिखाई िे ता िीवन ढ ल की प ल है बस । ढ ल मं कैसी मधरु आवाि
तनकलती है । लगता है । इसके अ्िर िाने ्या ्पेशल चीि रखी है ।
लेककन उसका पुरा उतार कर िे ख । त वहाँ एक शू्य 0 खाली स्नाटा
रर्तता ही ह ती है । ह ह ह .. इससलये कहा है ना । असल मं । ि
दिखता है । व ह ता नहीं है । ङर ि ह ता है । व दिखता नहीं है ।
- हाँ तनततन । पिमा कफर से म न ्वर ही उसके दिमाग मं ब ली - ि
दिखता है । व ह ता नहीं हैourhindi.com
। ङर ि ह ता है । व दिखता नहीं है । यह
िीवन का बहुत बङा सच है । ये ि तुम यहाँ मनु य शरीरं िैसे य्र आकार
िे ख रहे ह । ये इसी र्वी के ्री पु षं की कामे्छा के साकार क्पना
चर है । अत्ृ त िसमत कामवासना के क्पना चर । कामवासना का स्भ ग
ससफि शरीरं का समलन या सलंग य तन इज्ियं का संय ग भर नहीं है । इंसान
कई तरह से से्स करता है । समझना । रा्ते तनकलती हुयी ससफि ककसी एक
िवान लङकी या ङरत से उसके घर पहुँचने तक पचासं ल ग मानससक
स्भ ग कर चक
ु े ह ते हं । क ई उसके ्तनं के रतत अपनी क्पना करता है
। क ई गालं के रतत । क ई ह ठं के । क ई तनत्बं से । क ई य तन का
रससक ह ता है । स च । ससफि एक लङकी मामूली रा्ते से घर तक ककतने
ल गं ्वारा अर्यष बला्कार की गयी । ङर ये ससफि एक लङकी की बात
की मंने । तब स च । संसार मं रतत षण ककतना मानससक बला्कार ह ता
ह गा ?
तनततन वाकई ह्का ब्का रह गया । एक साधारण बात का ि रह्य उसने
बताया था । शायि ही बढे से बढा बु् धिीवी भी इसकी इस तरह क्पना न
कर सके । उसे त ऐसा ही लगा । कम से कम उसने त कभी इस क ण से
न स चा था । इस तरह से न स चा था । ्याल ही न ह ता था ।

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- लेककन । वह कफर ब ली - यहाँ निर आते य्र ऐसे ल गं के नहीं है । वह


ससफि षखणक वासना ह ती है । अतः उसका चर आकार प नहीं ले पाता ।
ये य्र िरअसल उन ल गं के हं । ि तनहाई मं पङे अपने रेमी रेसमका
आदि से का्पतनक स्भ ग कर रहे ह ते हं । क ई िस
ू रे की ्री या पढ सन
से का्पतनक स्भ ग कर रहा ह ता है । ्थल
ू शरीर समलन संय ग सुलभ न
ह पाने से क ई रेसमका अपने रेमी के नीचे क्पना मं बबछी ह ती है । क ई
रेमी अपनी रेसमका क ्यालं मं ल ट पलट कर रहा ह ता है । लेककन ये त
ऐसे ल गं के उिाहरण हुये । ि पर्पर एक िस
ू रे क िानते हं । कई बार
स्भ ग साथी एकतरफा ्यार िैसा ह ता है । क ई ककसी क चाहता है ।
िबकक उसकी चाहत िस
ू रे क िरू िरू तक पता नहीं । वह क ई भी ्री पु ष
अपने क्पना साथी क का्पतनक संभ ग करता है । ये हुयी एकतरफा चाहत
की बात । ङर भी िे ख । क ई चाहत भी नहीं । क ई रेमी रेसमका अपने
साथी के साथ मधरु समलन के षणं के बारे मं ककसी परर चत से बात कर रहा
है । ङर तुम यकीन कर । सुनने वाला तनज्चत ही तुर्त लालातयत ह कर
उससे िरू ्थ स्भ ग करने लगेगा । उसी षण । काम..से्स.. से्स..ससफि
से्स.. । इस सजृ ट के कण कण मं काम समाया हुआ है । ये य्र ऐसे ही
ल गं के हं । ि अपनी क्पना का काम चर गहन भाव से िे र तक बनाते
रहते हं । ङर उसमं ववसभ्न रं ग भरते हं । ्यंकक ऐसे से्स पर क ई र क
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नहीं लगा सकता । जिसके साथ क ई िस


ू रा से्स कर रहा है । वह भी नहीं ।
चाहे वह उसे पस्ि करे । या न करे । इस तरह ये इंसान ककसी न ककसी के
रतत पर्पर काम भाव मं हमेशा डूबा रहता है ।

अब तम
ु गहराई से समझना । तम
ु रय ग के सलये एक स्
ु िर लङकी की
क्पना कर । जिसे ्वपन मं हुयी काम वासना की भांतत तमु ने न्न कर
सलया है । ङर वह ्वपन के से्स साथी की ही भांतत क ई ना नक ु र नहीं
कर रही । वहाँ क ई सामाजिक डर भय भी नहीं । तब तम
ु कैसे परर चत भाव
मं से्स करते ह । िबकक तुम उसे िरू िरू तक नहीं िानते । ङर न ही व
तु्हं । कफर बताओ । ऐसा कैसे हुआ ?
त ि त्हा बब्तर पर लेटी रेसमका अपने रेमी के साथ का्पतनक असभसार
कर रही है । अब िरा बारीकी से समझना । उसका अंतमिन मं एक चर
आकार बन रहा है । उस समय वह मँह
ु से ्थल
ू वाणी श्ि भी नहीं ब ल रही
। पर उसका म न ्वर आऽऽह आऽऽई नहीं.. आदि कर रहा है । अब उसके
अंगं मं र मांच है । शरीर मं उतेिना है । ्तन भरने लगे । य तन की
आंतररक पेसशयं मं फङकन है । उसके खि
ु के हाथ रेमी के हाथ बन िाते हं

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। उसकी खि
ु की उँ गली रेमी का अंग बन िाती है । वह आधी खि
ु आधी
अपना रेमी ्वयं ह िाती है । ङर अंततः पूणि उतेिना क रा्त ह कर
्खसलत भी ह िाती है । अब ग र से स च । अगर उसक क ई उस िशा मं
िे खे । त यही स चेगा कक एक युवा लङका या लङकी अकेली ह्तमैथन
ु कर
रही है । लेककन वह यह कभी नहीं िे ख पायेगा कक इसकी काम वासना चेतना
यु्त ह कर रेमी के साथ ववसभ्न मुिायं चर आकार ्वर का भी तनमािण कर
रही है ।
ङर भले ही यह यहाँ अकेली निर आ रही है । पर वा्तव मं ककसी अञात
्थल अञात भसू म पर ववचार आकाररत पण
ू ि संभ ग कर रही है । बबलकुल
असली ्थल
ू शरीर संभ ग के िैसा । ङर ्यंकक वह भी वाणी रदहत म न
ह ता है । ये सब भी म न ्वर हं । बस उसकी क्पना का रेमी रेसमका ।
ङर ्वयं उसके साथ स्भ ग रत वह । तब ि वहाँ ृ्य प निर नहीं
आता । वह यहाँ दिखाई िे ता है । ्यंकक क ई त वह ्थान ह गा ही । िहाँ
वह वैचाररक स्भ ग कर रही है । तनततन िी । ये य्र उ्हीं ल गं के
का्पतनक चर आकार है । यह इसके सलये एक तनज्चत भूसम है ।
उसके दिमाग का ्यूि मानं भक से उङ गया । क न थी ये ङरत ? क न ?
स चना भी कदठन है ।
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ङर अभी वह नीचे उतरने की स च ही रहा था कक नहाकर ऊपर आती हुयी


पिमा गीले बालं क झटकती हुयी छत पर आ गयी । वह इस अन खी ्री
की राकृततक स्
ु िरता िे खकर एक बार कफर िं ग रह गया ।
- कमाल के इंसान ह । वह साधारण ्वर मं एक शालीन ्री की भांतत ब ली
- रात से अभी तक छत पर ्या कर रहे ह ? ्या तम
ु ्नान आदि कुछ नहीं
करते । मँह
ु भी नहीं ध या । चाय पानी कुछ भी नहीं । ऐसे त भाई लगता है
कक तम
ु क ई बङे रह्यमय से इंसान ह । ककसी अिीब सी कहानी िैसे ।
ऐसी अिीव ङर उलझी कहानी कक यही समझ मं न आये कक इस कहानी क
पढा िाये । या रहने दिया िाये ।
इस ङरत ने सदियं से ्थावपत कहावत ही फेल कर िी थी । उसने स चा ।
पता नहीं ककस बेबकूफ ने कहा था । खरबूिा छुरी पर गरे । या छुरी खरबूिे
पर । कटे गा खरबूिा ही । यहाँ त खरबूिा छुरी क ही काटे िे रहा था ।
पिमा अपनी बङी बङी किरारी आँखं से उसी की ओर िे ख रही थी । ङर
िैसे वह सधः ्नाता उसे चैलंि सा करते हुये कह रही थी - ्या कमाल की
कहानी सलखी । इस कहानी के लेखक ने । कहानी ि उसने शु की । उसे

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क ई ङर कैसे ख्म कर सकता है । इसीसलये..इसीसलये ये कहानी न तुमसे


पढते बन रही है । न छ ङते । ये ब्चं का खेल नहीं तनततन ।

अपवाि की बात छ ङ िी िाये । त सामा्यतः जि्िगी मं कई चीिं एक ही


बार ह ती है । ि्म । म्ृ यु । शािी । रेम आदि । कफर ्या ह सकता है ।
्यािा से ्यािा उसकी म त ही ना । म त ि एक ही बार ह नी है । ङर
क ई तय नहीं कक ककसकी कब ङर कैसे ह गी ? सलखखत प मं ऐसी क ई
गारं टी भी नहीं ह ती कक इंसान फालतू के झमेलं मं ना पङे । त वह परू े 100
वषि तनववि्न िीयेगा । ङर कफर उसे इस बात का भगवान से क ई परु ्कार
भी समलेगा । एक आंतररक गभि ज्थतत मं पहली सांस सलया बालक से लेकर
ककसी भी आयु का क ई भी इंसान कभी भी कहीं भी कैसे ही हालात मं मर
सकता है । अनभ
ु वी ल ग कहते हं । िीवा्मा का ि्म ह ते ही म त की
छाया उसके पीछे पीछे चलने लगती है । म त की छाया । ्यं स च रहा है ।
वह ऐसे िाशितनक ववचार ? उसने खि
ु ही मन मं स चा ।
िरअसल कल की रात उस तलघर ङर उस अञात कामवासना भूसम ङर उस
रह्यमय ङरत का ङर भी ववलषण प िानकर उसने ि पहर मं अपने गु
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मनसा ि गी के पास इस रह्य का भेि िानने हे तु िाने का तन्चय ककया ।
शायि वह क ई मिि कर सकं । शायि ? कफर अपने ही इस ववचार क उसने
दिमाग से तनकाल फंका । ्यं तनकाल फंका ?
कल ि ज्थततयाँ उसके साथ अचानक घदटत हुयीं । उसमं वह एकिम वेवश
था । तब वह चाहती । त उसक मार भी सकती थी । पर उसने ऐसा कुछ
नहीं ककया था । बज्क वह त किम किम पर ऐसा लगता था कक अपनी
उसकी खुि की गु्थी वह ्वयं उसके सलये सुलझा रही थी । लेककन साथ ही
साथ उसके सलये अञात अपने ककसी रेमी की कमाल की कहानी िैसा चैलंि
भी कर िे ती थी । अब खास यही कटाष । यही चैलंि । उसे इस झमेले की
तह मं िाने क रेररत कर रहा था । व भी गु आदि ककसी िस
ू रे की सहायता
के बबना । यदि वह इसमं क ई भी बाहरी सहायता लेता । त उस रह्यमय
ङरत की निर मं यह उसकी हार थी । जिसे वह िैसे बबना कहे हुये ही
कहती थी । ङर बारबार कहती थी ।
ि पहर के ि बिने मं अभी कुछ समय बाकी था । वह अपने ककराये के कमरे
मं लेटा हुआ ववचार म्न था । ङर मिे की बात थी कक आगे ्या करे ? इस
पर कई पहलओ ू ं से स चने के बाि भी तय नहीं कर पा रहा था । कफर ककसी
सफल िासस
ू की भांतत उसने अपनी अब तक की उपलज्धयं पर पन
ु वविचार
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ककया । उन उपलज्धयं मं वह ब्ि गली ब्ि घर ही खास िान सका था ।


जिसमं कक वह खुि म िूि भी था । लेककन िमीन के नीचे वह अंधेरा ब्ि
कमरा कहाँ था ? यह उसे अब भी पता नहीं था । िबकक वह उसमं ह आया
था । ङर बहुत िे र रहा था । ङर वा्तव मं उसके चंतन की कील यहीं
अटकी हुयी थी । ङर सबसे बढा रह्य खि ु उसके सलये यही था कक रात मं
बंच से गरने के बाि वह बेह श ह गया था । ङर इसके बाि वह उन ि
रह्यमय ्थानं पर गया । िे र तक रहा । लेककन सब
ु ह वह बाकायिा उसी
बंच पर लेटा था । वह कैसे ङर कब गया । यह उसे ठीक याि था । लेककन
उसी ्थान पर कैसे ङर ्यं ल टा । उसे िरू िरू तक न पता था । बहुत
क सशश करने के बाि भी वह उस काम वासना भसू म से आगे की बात याि न
कर सका । रात बारह बिे से अगली सब
ु ह के िस बिे तक के बीच मं उसे
बस इतना ही याि था । वह िब क ई तन कषि न तनकाल सका । तब उसकी
पूरी स च उसी तलघर पर अटक गयी । तलघर इसी घर मं ह ना चादहये ।
ङर वहाँ कुछ न कुछ रह्य है । आखखर वह उसे तलघर मं ही ्यं ले गयी
? लेककन उसके सलये लगभग एकिम नये से इस घर मं तलघर क तलाश
करना आसान न था । ङर तलघर के बारे मं सामा्य भाव से पूछना भी
ककसी ृज ट से उ चत न था ।
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वह टहलता हुआ सा कमरे से बाहर आ गया । उस रह्यमय घर मं एकिम


खाम शी छायी हुयी थी । ि पहर की कङी धप
ू खुले आंगन मं फैली हुयी थी ।
ङर शायि अकेली पिमा अपने कमरे मं आराम कर रही थी । घर के ि नं
आिमी शायि बाहर गये हुये थे । ि नं मं से एक त तन्चय ही गया था ।
उसका पतत । वह सावधानी से टहलता हुआ घर के खल ु े ्थानं का ककसी
सफल िासस
ू की भांतत तनरीषण करने लगा । पर उसे ऐसा क ई ्थान निर
न आया । िहाँ से तलघर का रा्ता िाता ह । या ्वार ह । कफर ह सकता
है । वह रा्ता ्वार ककसी कमरे के अ्िर से गया ह । िैसा कक अ्सर
ह ता ही है । ङर इस अपरर चत मकान मं वह िस
ू रे के कमरे की ख िबीन
भला कैसे कर सकता है ।
ये काफी बङा ङर पुराना सा घर था । जिसका आधा दह्सा लगभग ब्ि था
। अनुपय गी सा था । ङर इसकी एक ही विह थी कक उस फैसमली के गने
चन
ु े सि्यं के दहसाब से वह मकान काफी बङा था । ि तन्चय ही अनुराग
ए्ड फैसमली ने बना बनाया खरीिा था । कब खरीिा था ? लगभग चार साल
पहले । यकायक । यकायक उसके दिमाग मं वव्फ ट हुआ । चार साल पहले

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अभी वह आगे कुछ स च पाता कक उसे खट से कमरे का िरवािा खल


ु ने की
आवाि आयी । ङर कफर ्वतः ही उसकी तनगाह उस तरफ चली गयी । वह
अलसायी सी नींि से उठी एक सु्ती भरे अिभुत स ्ियि के साथ उसके
सामने खङी थी । उसकी लटं बेतरतीब ह कर उसके सु्िर चेहरे पर आ गयी
थी । साङी ्लाउि आदि कुछ ससकुङे ससमटे से थे । ङर वह तुर्त नींि से
उठने के बाि की सश थल सी अव्था मं खङी थी ।
्या अिभत
ु स्
ु िरी है यह । वह ्वतः ही दिल से उसकी तारीफ कर उठा ।
हर रं ग मं स्
ु िर दिखती है । व भी एक से एक नये दिलकश अ्िाि मं ।
ये भीगी भी स्
ु िर लगेगी । ङर सख
ू ी भी स्
ु िर लगेगी । ये ्व्छ भी
स्
ु िर लगेगी । ङर ग्िी भी । ये परु ाने बिरं ग व्र पहने त भी स्
ु िर
लगेगी । ङर नये चमचमाते त भी । ये स्
ु िरता की म हताि नहीं ।
स्
ु िरता ्वयं इसकी म हताि है । वाकई । वाकई वह नैस गिक स ्ियि य्
ु त
सु्िरता की िे वी ही थी ।
- तनततन िी । वह वहीं से मधरु ्वर मं पूणि शालीनता से ब ली - अभी आई

उसने स्म दहत सी अव्था मं पूरे आिर से समथिन मं ससर दहलाया । ङर
आंगन मं फूलं की ्यारी के पास बबछी कुससियं मं से एक पर बैठ गया ।
उसके कफर से रकट ह ते हीourhindi.com
वह िैसे सम्त स च से रदहत ह गया । कफर भी
असफल अ्िाि मं िबरन कुछ स चने की क सशश करते हुये उसने ससगरे ट
सुलगायी । ङर ग्भीरता से कश लगाने लगा ।
- क ई भी स च या इ्छा ही । वह चाय का गमि कप उसे थमाती हुयी ब ली -
हमारी आगे की जि्िगी का कारण ह ती है । िैसे ही इंसान की सभी इ्छायं
मरी । वह तेिी से मरने लगता है । यदि वह शरीर से िीता भी रहे । त भी
वह चलते कफरते ककसी कमि र मुिे के समान ही ह ता है । कफर वह िीवन
मुिाि िीवन ही ह ता है । अतः वह िीवन है या म्ृ यु ? इससे क ई खास
अ्तर नहीं पङता । ्यंकक है त वा्तव मं वह म्ृ यु ही । म्ृ यु । ि एक
दिन सभी की ह ती है ।
उसने गमि चाय के कप से उठती धय
ुं े की लकीर पर एक भरपूर म हक तनगाह
डाली । ङर बङे ही म हक अ्िाि मं मु्कराई । इतना कक उस सािगी यु्त
सरल मु्कान से भी वह ववचसलत ह ने लगा । ङर अ्िर तक दहल कर रह
गया । ये ङरत थी या िीती िागती कयामत ?

Re: ** कामवासना **

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से्स..से्स.. ससफि से्स । वह अपने पतले रसीले ह ठं से चाय ससप करती


हुयी ब ली - िे ख । इस टी कप क । इसके अ्िर गमि तरल भरा हुआ है ।
ङर तब इसके अ्िर ये धआ ुं ्वयं उठ रहा है । स च । ठं डी चाय मं धुंआ
उठ सकता है ्या ? ठं डी चाय । ठं डी ङरत ।..िरअसल मं कहना चाहती हूँ ।
हमारी सभी कियायं ्वतः ्वाभाववक ङर राकृततक है । अगर अ्िर आग
ह गी । त धआ
ुं उठे गा ही । ङर ्यान रहे । ये आग खि
ु ह ती ही है । हरे क
मं नहीं ह ती । पैिा नहीं की िा सकती । ङर इसी उ णता । इसी गमािहट ।
इसी ऊिाि मं िीवन का असल संगीत गँि
ू रहा है । कसे तारं से ही । वह
अपने ्लाउि की तनचली ककनारी नीचे ही खींचती हुयी ब ली - ककसी साि मं
मधरु ्वर तनकलते हं । ढीले तारं से कभी क ई सरगम नहीं छे ङी िा सकती
। उससे क ई सरु ताल कभी बन ही नहीं सकता । कसे तार । उसने एक
गववित तनगाह अपने ्तनं पर ्वयं ही डाली । ङर उसी के साथ साथ तनततन
की तनगाह भी ्वाभाववक ही उधर गयी ।
वह कफर घबरा गया । उसका स्म हन कफर छाने लगा था । वह िैसे उसके
अज्त्व क ही वशीभूत कर लेना चाहती थी । अब तक यह त वह तनज्चत
ही समझ गया था कक ये ववलषण ङरत सजृ ट की ककसी भी चीि ककसी भी
किया मं तनज्चत ही ससफि से्स क सस्ध कर िे गी । ङर कफर आगे स चने
का म का ही न िे गी । ourhindi.com

अतः बङी मुज्कल से खुि क संभालते हुये उसने बात का ख िस


ू री तरफ
म ङा । ङर ब ला - पिमा िी ! ्लीि आप गलत न समझं । त मं एक
बात पूछना चाहता हूँ । मन ि शमशान मं एक तेल से भरा बङा िीपक िलाने
िाता है । मेरी मुलाकात उससे वहीं निी के पास हुयी थी । मुझे नहीं पता ।
वह ्या है ? ङर उसका मतलब ्या ह ता है । पर मुझे थ ङी ्वाभाववक
जिञासा अव्य है कक ककसी ववशेष ्थान पर ऐसे िीपक क िलाने का
मतलब ्या ? शायि आपक मालूम ह ।
- हाँ । वह साधारण ्वर मं ब ली - मालूम है । वह िीपक मेरे सलये ही
िलाया िाता है । िरअसल इन ल गं क यानी मेरे पतत ङर िे वर क लगता
है कक कभी कभी मं अिीव सी ज्थतत मं ह िाती हूँ । तब मेरे ि लषण
बनते हं । वह ककसी रेत आवेश िैसे ह ते हं । हालांकक मेरे पतत भत
ू रेत क
मानते ही नहीं । वह इसे क ई दिमागी बीमारी मानते हं । लेककन एक बार
िब मं अपने पतत के साथ मायके गयी हुयी थी । वहाँ भी ऐसा ही ह गया ।
तब मेरी माँ ने ्थानीय तांबरक वगैरह क दिखाया । ङर उसी ने ऐसा करने
क बताया । लेककन मेरे पतत ने उसकी हँ सी उङायी । तब मेरी माँ ने उ्हं
कसम खखला िी कक भले ही तम
ु वव्वास कर । या न कर । पर ये िीपक

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कुछ खास दिनं मं िलवाते रहना । बाकी उपचार हम अपने ्तर पर कर लंगे

लेककन ये िीप तु्हारे शहर मं ही िलेगा । अब ्यंकक मेरे पतत क उस


िीपक मं क ई िम ही निर नहीं आता । त वह िले । त ्या । न िले त
्या । बस वह अपनी सास की कसम की खाततर ऐसा करते हं । इससे ्यािा
ङर क ई विह नहीं । ङर बस इतना ही मं भी िानती हूँ ।
बेहि रह्यमय ? या एकिम सरल । या क ई पववर िे वी । या कफर खल
ु ी
ककताब । वह िं ग रह गया । जिस सामा्य अ्िाि मं बबना लाग लपेट उसने
वह बात बतायी । एक बार त उसका मन हुआ कक इसके चरण ्पशि ही कर
ले ।
बताईये । उसने कफर स चा । तंर िीप का रह्य भी ककसी फु्स पठाखे िैसा
ख्म । ब्ि गली । ब्ि घर का भी ख्म । अब रह गया । िमीन के नीचे
। अंधेरे ब्ि कमरे का । शायि वही बढा रह्य है । उसी मं सारा खेल छुपा
ह । पर वह उसके बारे मं पूछे भी त कैसे पूछे । कैसे ?
- तनततन िी ! अचानक ही उसी समय िब वह यह स च ही रहा था । उस
पठाखा ङरत ने मानं धमाकेिार पटाखा फ ङा - वैसे आप भी कमाल ्वभाव
के ह । कल रात बारह के करीब िब मं घर के सभी गेट वगैरह ब्ि कर रही
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थी । मंने िे खा । आपका कमरा खल


ु ा है । पर आप कमरे मं नहीं ह । तब मं
चककत ह कर आपक िे खने छत पर आयी । ङर कुछ िे र बातं करती रही ।
अचानक ही आपक नींि का झंका सा आया । ङर आप बंच से नीचे गर
गये । मंने आपक बहुत दहलाया डुलाया । पर आप पर क ई असर नहीं हुआ ।
तब मंने आपक कफर से बंच पर ही सलटा दिया । ङर नीचे से तककया चािरा
लाकर आपक लगा गयी । आप बङी गहरी नींि स ते ह ?
उसे कफर तेि झटका सा लगा । अब तक इस ङरत के रतत बनी उसकी
््धा कपरू के धय
ँु े की भांतत उङ गयी । स ्ियि की िे वी अब उसे िीभ
लपलपाती डसने क तैयार ना गन निर आने लगी । एक बार कफर उसके
चन
ु ती िे ते श्ि बार बार उसके कानं मं गँि
ू ने लगे - वह कहता है । मं
माया हूँ । ्री माया है । उसका स ्ियि बस माया िाल है । ङर ये कहानी
बस यही त है । पर..पर मं उसक साबबत करना चाहती हूँ - मं माया नहीं हूँ
। मं अभी यही त साबबत कर रही थी ।..कमाल की कहानी सलखी है । इस
कहानी के लेखक ने ।.. कहानी ि उसने शु की । उसे कैसे क ई ङर ख्म
कर सकता है ?
यकायक उसने चंक कर उसकी तरफ िे खा । वह बङे रह्यमय ढं ग से म हक

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अ्िाि मं उसी की तरफ िे खती हुयी मु्करा रही थी । ङर िैसे म न वाणी


से कटाष कर रही थी - तनततन ये ब्चं का खेल नहीं

ङर ये कहानी बस यही त है । रह रह कर उसके दिमाग मं यह वा्य


रह्यमय अ्िाि मं गँूिने लगा । कहीं ऐसा त नहीं कक - क ई कहानी ही न
ह । पर वह ऐसा कह भी कैसे सकता था । कहानी थी । न ससफि कहानी थी
। बज्क अब वह भी इसी कमाल की कहानी का पार बन गया था । कहानी
पढने चला इंसान खि
ु कहानी का दह्सा बन गया । पार बन गया । कहानी
के श्ि मानं चैलंि कर रहे थे । रह्य ख िने की ि रत नहीं । रह्य
कहानी के सलखे इ्हीं श्िं मं है । ख ि सक त ख ि ल ।
तब उसने स्ती से एक तन्चय ककया । अब ङर कुछ भी ह । इस मायावी
ङरत के िाल मं हर गि नहीं फँसेगा । ङर कहानी से अलग रहकर
सावधानी सतकिता से कहानी पढे गा । िस
ू रे उसने अभी तक ि अपने तंर
ञान का क ई उपय ग नहीं ककया । उसका उपय ग करे गा । ङर वशीकरण
िैसे उपायं का सहारा भी लेगा । इस चालाक ना गन का वशीकरण । हाँ हाँ
वशीकरण । ्यंकक इसने ऐसा करने क उसे मिबूर कर दिया है ।
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- तनततन िी । अचानक वह हाथ बढाकर फूलं की ्यारी से एक फूल पतं
यु्त नािुक टहनी त ङकर अपने नािुक गालं पर कफराती हुयी ब ली - मंने
एक बङा मिेिार काटूिन िे खा था । काटूिन । उसने सीधे सीधे उसकी आँखं मं
िे खा - यू न काटूिन ?..काटूिन मं एक पार क अपनी बीमार भंस क िवा
खखलानी थी । ककसी ने उसे सुझाव दिया । एक ख खली नली मं िबा रख कर
भंस के मँह
ु मं डालकर फँू क मार ि । बस काम ख्म । सुझाव एकिम
फंटाज्टक था । उसने ऐसा ही ककया । लेककन..लेककन.. । अचानक वह आगे
ब लने से पहले ही ि र से खखलखखलाकर हँ सने लगी । ङर हँ सते हँसते हुये ही
ब ली - लेककन िानते ह तनततन िी ्या हुआ ? वह आिमी फँू क मारता ।
इससे पहले भंस ने ही उ्टा फूंक मार िी । ङर पूरी िबा उस आिमी के पेट
मं । ह..ह..ह । तनततन िी भंस ने ही उ्टा फूंक मार िी ।

्या है ये ? वह अचानक अ्िर तक सहम गया । क ई िािग


ू रनी ? वह मधरु
्वर मं िं तपंज्त क बबिली सा चमकाती हुयी बङे आकषिक अ्िाि मं हँ से
िा रही थी । सीधी सी बात थी । ि बात अभी अभी बस उसने स च ही पायी
थी । उसका उसने भरपूर मिाक बनाया था । ङर एक बार कफर से उसे
चैलंि ककया था । ङर वह ससफि उसे िे ख पा रहा था । उसे । ि अब ऊपर

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के ह ठ से तनचला ह ठ िबाकर गिि न के नीचे सीने पर फूंक मार रही थी ।


- चसलये । अचानक वह कफर से उसे िे खती हुयी ब ली - ि ्स की बात तछङ
ही गयी । त एक ङर ि क सुन । अरे सुन ल भाई । शायि ऐसी कहानी
कफर कभी न सलखी िाये ? शायि ।..एक आिमी अपनी बेहि सु्िर चंचल
दिलफंक ङर मनचली बीबी से बहुत परे शान था । वह हर तरह से उसके
आउट आफ कंर ल थी । तब ककसी के सुझाव पर वह उसक वश मं रखने हे तु
एक पहुंचे हुये वशीकरण साधु के पास गया । ङर राथिना की कक - वह कुछ
ऐसा उपाय कर िे । जिससे उसकी ्री उसके वश मं ह िाये । उसकी बात
सन
ु कर साधु के चेहरे पर पहले बङे िख
ु ी भाव आये । िैसे उसका ही घाव हरा
ह गया ह । कफर अचानक उसक बहुत ि ध आया । उसने उस आिमी क
एक चाँटा मारा । ङर ब ला - मख
ू ि ! यदि ङरत का वशीकरण करने का क ई
उपाय ह ता । त कफर तमाम ल ग साधु ही ्यं बनते ?
कफर ये परवाह ककये बबना कक तनततन पर उसके ि क का ्या असर हुआ ।
वह कफर से हँ सती हुयी ल टप ट सी ह ने लगी । ङर वह ऐसे आकषिक अ्िाि
मं हँ स रही थी कक हँ सने से कज्पत हुआ उसका आंचल रदहत वष एक
शज्तशाली च् ु बक की तरह उसे कफर से खींचने लगा ।
- अरे कफर ्यं पढे िा रहे ह ? ये घदटया व्गर चीप अ्लील प नि से्सी
कामुक स्ती सी वादहयात ourhindi.com
कहानी । वह िैसे सीधे उसकी आँखं मं झांकते
हुये म न ्वर मं ब ली - यही श्ि िे ते ह ना तुम । ऐसे वणिन क ।
पाख्डी युवक । तुम भी त उसी समाि का दह्सा ह । िहाँ इसे घदटया
अनैततक वजिित रततबं धत हे य मानते हं । कफर ्यं रस आ रहा है । तु्हं
इस कहानी मं ?..ग र से स च । तुम उसी ई डयट स साइटी का अटूट दह्सा
ह । उसी मूखि ि गले समाि का अंग ह । िहाँ दिमाग मं त यही सब भरा
है । हर छ टे बङे सभी की चाहत यही है । पर बातं कपट यु्त उ्च
सस्धांतं ख खले आिशि ङर झूठी नैततकता की है ।
भाङ मं गयी कहानी । ङर भाङ मं गया रह्य । वह त पागल सा हुआ िा
रहा है । वह अपना सब ञान भूल गया । ्वभाव भूल गया । दिनचयाि भूल
गया । उसका िैसे अज्त्व ही ख्म कर दिया । इस मायावी ङरत ने । ये
एकिम उस पर छा सी िाती है । उसे स चने का क ई म का तक नहीं िे ती ।
उसने घङी पर तनगाह डाली । सवा तीन बिने वाले थे । वह फ रन ही इस
भूलभुलैया से िाने की स चने लगा । ङर उठने क तैयार ह गया ।
- से्स ..से्स..ससफि से्स । वह बङे आकषिक ढं ग से एक घट
ु ना म ढ कर
िस
ू रे पर रखती हुयी अपने उसी ववशेष धीमं थरथराते अ्िाि मं ब ली -
काम.. । तनततन िी ! काम. आप िे ख । त परू े वव्व के ल ग से्स के

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िीवाने ह ते हं । लेककन ररय्टी मं वे ररयल से्स क िानते तक नहीं ।


से्स बबिली है । पावर । ऊिाि । लेककन ्या सच मं ल ग बबिली क भी
ठीक से िानते हं ? वह बबिली । जिसका िाने ककतना । ङर िाने कब से ।
यूि कर रहे हं । पर ्या िानते हं उसे ? मं कहती हूँ - न । हं रड
े परसंट न
। यस..न तनततन िी.. न । िे ख । बबिली मं ि तार ह ते हं । जिसक -
अथि फेस । तनगेदटव पाजिदटव । ठं डा गमि । ऋणा्मक धना्मक नाम से
िाना िाता है । ये ि नं तार इस अिभत
ु अृ्य ऊिाि के उपय ग के सलये
बहुत आव्यक ह ते हं ना । जिस य्र मं लगकर ये ि नं तार िङ
ु िाते हं ।
joint । तम
ु समझ रहे ह ना । संभ ग । तब वह य्र ऊिािवान ह िाता है ।
िीव्त । िीवन ऊिाि से भरपरू । पर है ना कमाल । एक िस
ू रे के अतत परू क
ये तार आपस मं कभी नहीं समलते । लेककन िब भी । गलती से भी । ये
आपस मं समलते हं । त पैिा ह ती है । एक अिभत
ु ऊिाि । र्यष ह ती है ।
एक अृ्य ऊिाि । चटऽऽ चटऽऽ फटाऽऽक । तुमने कभी िे खा । कैसी
अिभुत दि्य चमक ह ती है तब । पर कब ? िब ि नंगे तार आपस मं
सलपट िाये । ि नंगे तार । ि नंगे बिन । ि नंगे शरीर । एक पाजिदटब ।
एक तनगेदटव । ङर यही है असली से्स । उसका असली प । िब ्री
पु ष ससफि कपङं से ही नहीं । आंतररक प से भी नंगे ह कर एक िस
ू रे से
सलपटे िायं । उनकी सम्त भावनायं नंगी ह िायं । आपस मं । एक िस
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ू रे
से । क ई तछपाव नहीं । क ई िरु ाव नहीं । से्स .. से्स ..ससफि से्स ।
जिसमं आन्ि ही आन्ि की चंगाररयाँ उठने लगे ।

आऽऽह ! वह अचानक तङपते से बैचने ्वर मं ब ली - मं ्यासी हूँ ।


यकायक ही वह बेहि ्याकुल सी दिखने लगी । उसकी बङी बङी आँखं अपने
ग लक मं तेिी से ऊपर नीचे ह रही थी । उसकी स्
ु िर लटं चेहरे पर झूल
आयी थी । वह िैसे असमंिस मं ्यासी तनगाहं से उसे िे खती । कफर तेि
तेि सांसे लेने लगती । हर सांस के साथ उसका सीना तेिी से ऊपर नीचे ह
रहा था ।
तनततन ने कदठनाई से अपने क संयसमत ककया ।
पर वह िैसे तनय्रण से बाहर ह रही थी । उसने काम ताप की तपन से
्याकुल ह कर ्लाउि ख ल दिया । ङर आँखं ब्ि कर गहरी गहरी सांसे लेने
लगी । उसके मँह
ु से बार बार ..तनततन िी..तनततन िी के धीमे श्ि तनकल
रहे थे । अब ्या करता वह ? उसके खल
ु े उ्नत पु ट ि ू धया उर ि उसके
सामने थे । उसका अब ङर भी काम आ्छादित ह चक
ु ा अक्पनीय स ्ियि
उसे शू्यता 0 मं खींच रहा था । ङर वह लगभग शू्य 0 ही ह चला था ।

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उसके दिमाग ने काम करना ब्ि कर दिया । वह आिे सशत य्र सा उठा ।
ङर पिमा की कुसी के पास ही नीचे िमीन पर बैठ गया । उसने उसकी ग री
कलाई थामी । ङर ्यार से उसकी हथेली सहलाता हुआ ब ला - पिमा िी ।
्लीि । ्लीि । आप ह श मं आईये ।
उसका वही हाथ उठा कर पिमा ने अपने ववशाल ्तनं से सटा कर िबा
सलया । ङर कफर िैसे िरू गहरी घाटी से उसकी आवाि आयी - भूल िाओ
कक तम ू िाओ कक मं ्या हूँ । ि ह ता है ..।
ु ्या ह । भल

तनततन उसके ्तन सहलाने लगा । मसलने लगा । वह वाकई भूल गया ।
वह कब नीचे उतर कर उसकी ग ि मं आ गयी । उसे ब ध ही न हुआ । वह
उसे गराकर उसके ऊपर आ गयी थी । उसके ि नं सुड ल ्तन उसके चेहरे
क छू रहे थे । वह ककसी मिबूत से पेङ से अमरबेल की तरह सलपटी हुयी थी
। उसे ककसी िहरीली ना गन के बिन से सलपटे ह ने का ्प ट अहसास ह
रहा था । उसके िहर से वह नशे से मूतछि त सा ह रहा था । कफर वह उसका
मनमाना उपय ग करने लगी । काम बासना का अन खा खेल खेलते हुये ।
कामवासना । पर ्या वाकई वह काम वासना से रभाववत ह रहा था ? उसने
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िान बूझ कर खि
ु क तनज िय कर रखा था । ङर बेहि ग र से उसकी हर
गततवव ध ङर शरीर मं ह ते पररवतिन िे ख रहा था । खास कर उसके चेहरे पर
आते पररवतिनं का वह बेहि सू्मता से तनरीषण कर रहा था ।

तनततन । उसके दिमाग मं भूतकाल का मनसा ि गी ब ला - इसक समझना


बहुत कदठन भी नहीं है । तुम एक कप गमि चाय या कफर एक गलास ठं डा
पानी धीरे धीरे पीने के समान ्यवहार से ककसी रेत आवेश क सग
ु मता से
िान सकते ह । जिस रकार चाय के कप से घँट ू घँट
ू भरते हुये त्
ु हारे शरीर
मं गमािहट का समावेश धीरे धीरे ही ह ता है । ङर परू ा कप चाय पी लेने के
बाि तम
ु एक ऊिाि ङर भरपरू गमािहट अपने अ्िर पाते ह । इसी तरह इस
तरह का क ई भी रेत आवेश भी धीरे धीरे कियाज्वत ह ता है ।
उिाहरण के सलये ऐसे रेत आवेश मं िबकक वह शु भी ह ने लगा ह । त्
ु हं
लग सकता है कक वह सामा्य से थ ङा ही अलग हट कर ्यवहार कर रही ह
। िैसे ककसी ववशेष कक्म की आित की विह से । कफर अगर वह आवेश
वहीं क िाये । उससे आगे न बढे । त एक आम आिमी यही स चेगा कक ये
इंसान थ ङा चङ चङा गया । ि ध मं है । कुछ परे शान सा है आदि बहुत से
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सामा्य से थ ङा अलग लषण । लेककन यदि उस आवेश क र ्सादहत करते


हुये उसका िर बङाते चले िाओ । तब वे असामा्य लषण तु्हं ्प ट
महसूस हंगे । साफ साफ दिखाई िं गे ।
ङर तब उसने पिमा के चेहरे क ग र से िे खा । ङर रह्यमय अ्िाि मं
मु्कराया । पहली बार उसे लगा । काश ये अभी कहती - ्या कमाल की
कहानी सलखी । इस कहानी के लेखक ने । कहानी ि उसने शु की । उसे
क ई ङर कैसे ख्म कर सकता है । इसीसलये..इसीसलये ये कहानी न तम
ु से
पढते बन रही है । न छ ङते । ये ब्चं का खेल नहीं तनततन ।
लेककन अभी वह कुछ कैसे कहती । अभी त वह खि
ु कहानी सलख रही थी ।
शायि एक बेहि रह्यमय कहानी

रात के आठ से ऊपर ह चले थे । वह शाज्त से अपने कमरे मं ब्ि था ।


ङर उसने िरवािा अ्िर से लगाया हुआ था । वा्तव मं यही समय था
उसके पास । िब उनमं से क ई उसे ड्टबि न करता । वे ल ग इस समय टी
वी के सामने बैठे हुये भ िन आदि मं लगे ह ते थे । पिमा खाना तैयार करने
िैसे कामं मं ्य्त ह िाती ।
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वह िमीन पर बैठा था । ङर एक छ टी कट री का िीपक िैसा इ्तेमाल
करते हुये उसमं िलती म टी बाती क अनवरत अपलक िे ख रहा था । रेत
िीपक । आि ही उसे ऐसा समय भी समला था । ङर आि ही वह इस घर
क ङर इसके घरवालं क कुछ कुछ समझ भी पाया था ।
उस म टी बाती की रह्यमय सी च ङी ल ककसी कमल पु प की पंखरी के
समान ऊपर क उठती हुयी िल रही थी । ङर वह उसी बाती की ल के बीच
मं ग र से िे ख रहा था । िहाँ काली काली छाया आकृततयाँ कुछ सेकंड मं
बनती । ङर कफर लु्त ह िाती । वह ककसी बबञान के छार की भांतत
सावधानी सतकिता से उसका अ्ययन करता रहा । ङर अ्त मं स्तु ट ह
गया । उसने एक कागि पर म्र िैसा कुछ सलखा । उस कागि क पानी मं
डुब या । ङर कफर उसी पानी मं उँ गली डुब कर ह्के ह्के छींटे उस ल मं
मारने लगा । अचानक उसके िरवािे पर ि्तक हुयी । वह ह ले से मु्कराया
। िरवािे पर पिमा खङी थी ।
- अब ङर ्या चाहते ह ? वह ्याकुल ्वर मं ब ली - ककसी की शाज्त मं
खलल डालना अ्छा नहीं ।
उसने बाहर की तरफ िे खा । ि नं भाई शायि अ्िर ही थे । उसने कमरा
ब्ि कर दिया । ङर टहलता हुआ सा छत पर आ गया । उसने घङी िे खी ।
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न बिने वाले थे । कुछ स चता हुआ सा वह ववचार म्न कफर बंच पर लेट
गया ।
- एक ङरत । आंगन मं फूलं की ्यारी के पास उससे असभसार करती हुयी
पिमा अपने चेहरे पर लटक आये बालं क पीछे झटकती हुयी ब ली - के
अ्िर ्या ्या भरा है । ्या ्या मचल रहा है ? उसके ्या ्या अरमान है
। इसक िानने समझने की क सशश क ई कभी नहीं करता । इस तरह उसकी
तमाम उ्म्
ु त इ्छायं िसमत ह ती रहती हं । तब इसकी हि पार ह िाने
पर मधरु मन हर इ्छाओं की लतायं ववष बेल मं बिल िाती है । ङर कफर
अंग अंग से मीठा शहि टपकाती वह स्
ु िर माधरु ी ङरत िहरीली ना गन सी
बन िाती है । िहरीली ना गन । पु ष क डसने क आतरु । िहरीली ना गन

लेककन उसकी िसमत इ्छाओं से हुये पा्तरण का यही अ्त नहीं है ।
्यंकक वह िहर पहले त खि
ु उसक ही िलाता है । ङर तब उस आग मं
िलती हुयी व ह िाती है - चङ
ु ैल ..्यासी चुङैल .. अत्ृ त .. अत्ृ त ।
- लेककन । भूतकाल का मनसा कफर ब ला - यदि उस आवेश क र ्सादहत
करते हुये उसका िर बङाते चले िाओ । तब वे असामा्य लषण तु्हं ्प ट
महसूस हंगे । साफ साफ दिखाई िं गे ।
हुँऽऽ ..हुँऽ.. की तेि फुफकारourhindi.com
सी मारती हुयी वह ववकृत मुख ह ने लगी । एक
अिीव सी तेि मि ु ािनी बिबू उसके आसपास फैल गयी । िैसे क ई मुिाि सङ
रहा ह । उसकी आँखं मं एक ख फनाक बब्ल री चमक की चंगारी सी फूट
रही थी । पहले सु्िर दिखाई िे ते लेककन अब उसके भयानक ह चक
ु े मुख से
बिबू के तेि भभूके छूट रहे थे । वह इतनी तघन नी ह उठी थी कक िे खना
मुज्कल था ।

हुँऽऽ..। वह ख फनाक ्वर मं िाँत भींचते हुये ब ली - ्यासी चङ


ु ैल ।
यह बङा ही नािक ु षण था । एक सफल पण ू ि आवेश । उसे ऐसी ज्थतत का
क ई पूवि अनुभव नहीं था । ङर आगे अचानक ्या ज्थतत बन सकती है ।
यह भी वह नहीं िानता था । पर एक बात ि साधारण इंसान भी ऐसी
ज्थतत मं ठीक से समझ सकता था । वही तुर्त उसके दिमाग मं आयी ।
नयी ज्थतत क सहय ग करना । आग्तुक की इ्छा अनुसार ।
उसने चङ
ु ैल के मँह
ु ङर शरीर से छूटते बिबूिार भभूकं की क ई परवाह न
की । ङर यकायक उसे बाहं मं सलये ही खङा ह गया । उसे केवल एक डर
था । अचानक क ई आ न िाये । पर वह उसकी परवाह करता । त कफर वह
ज्थतत कभी भी ह सकती थी । तब इस आपरे शन क करना आसान न था ।

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तनततन का ्यान कफर से उसके श्िं पर गया - इस तरह उसकी तमाम


उ्मु्त इ्छायं िसमत ह ती रहती हं । तब इसकी हि पार ह िाने पर मधरु
मन हर इ्छाओं की लतायं ववष बेल मं बिल िाती है । ङर कफर अंग अंग
से मीठा शहि टपकाती वह सु्िर माधरु ी ङरत िहरीली ना गन सी बन िाती
है । िहरीली ना गन । .. लेककन उसकी िसमत इ्छाओं से हुये पा्तरण का
यही अ्त नहीं है । ्यंकक वह िहर पहले त खि ु उसक ही िलाता है ।
ङर तब उस आग मं िलती हुयी व ह िाती है - चङ
ु ैल ..्यासी चङ
ु ैल ..
अत्ृ त .. अत्ृ त ।
िसमत काम इ्छायं । उसने उस अिनवी ्री क कस कर अपने साथ लगा
सलया । ङर उसके सम्त बरु े पा्तरण क निर अ्िाि सा करता हुआ
वह उसके फैले तनत्बं पर हाथ कफराने लगा । वह ना गन के समान भयंकर
प से फँू फँू कर रही थी । ङर अब खरु िरी ह चक
ु ी िीभ क लपलपाती हुयी
उसक िगह िगह चाट सी रही थी । तब वह ककसी अनुभवी के समान उसके
राख से पुते से झुरझुरे ्तनं से खेलने लगा ।
- ठीक है । आखखर कुछ िे र बाि वह स्तु ट सी ह कर ब ली - ्या चाहते ह
तुम ?
्या चाहता था वह ? उसने स चा । शायि कुछ भी नहीं । िीवन के इस
रं गमंच पर कैसे कैसे अिीवourhindi.com
खेल घदटत ह रहे हं । इसक शायि तमाम ल ग
कभी नहीं िान पाते । एक आम आिमी शायि इससे ्यािा कभी नहीं स च
पाता । पहले ि्म हुआ । कफर बालपन । कफर लङकपन । युवाव्था ।
िवानी । अधेङ । बुढापा । ङर अ्त मं म्ृ यु । ङर कफर शायि यही चि ?
शायि ? ककसी बबञान की ककताब मं िशािये िीवन चि के ग लाकार चर सा ।
इसके साथ ही आयु की इ्हीं अव्थाओं के अव्था अनुसार ही िीवन
्यवहार । ङर तेरा मेरा का ्यापार । बस हर इंसान क लगता है । िैसे
ससफि यही सच है । इतना ही । िैसे ससफि इतनी ही बात है । ऐसी ही
्यव्था की गयी है । ऊपर आसमान पर बैठे ककसी अञात से ई्वर ्वारा ।
लेककन तब । तब कफर इस िीवन का मतलब ्या है ? ङर अगर िीवन का
यही तनज्चत चर तनज्चत कृम तनधािररत है । कफर तमाम मनु यं के िीवन
मं ऊँच नीच सुख िख
ु अमीर गरीब ्व्थ र गी आदि िैसी भारी असमानतायं
ववसमतायं ्यं ?
- बस यही । वह पूणि सरलता मधरु ता से साधारण ्वर मं ही ब ला - क न ह
तम
ु ?
- ि बिन । उसने एक झटके से कहा ।
ि बिन । उसने बंच पर लेटे लेटे ही अधलेटा ह कर एक ससगरे ट सल
ु गायी ।

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एक ङर नयी बात । वह उसके आगे ब लने की तेिी से रतीषा कर रहा था


कक अचानक वह वावपस पा्तररत ह कर सामा्य ह ने लगी । वह एकिम
हङबङा गया । ङर तेिी से उसके गाल थपथपाने लगा । पर वह िैसे नींि मं
बेह श सी ह ती हुयी उसकी बाँहं मं झूल गयी । िैसे पूरा बना बनाया खेल
च पट ह गया । एक ङर मुसीबत । उसने तेिी से उसे कपङे पहनाये । ङर
खि
ु क ्यवज्थत कर उसे पलंग पर सलटा आया ।
ि बिन । रह रह कर यह श्ि उसके दिमाग मं गँि
ू रहा था । ्या मतलब
ह सकता है इसका ? वह बहुत िे र स चता रहा । पर उसकी समझ मं कुछ न
आया । तब वह पेट के बल लेट कर सङक पर िलती मरकरी क फालतू मं
ही िे खने लगा । उसे एक बात मं खासी दिलच्पी थी । िमीन के नीचे ।
अंधेरा ब्ि कमरा । पर ये कमरा कहाँ था ? ये पता करने का क ई तरीका उसे
समझ मं न आ रहा था । िाने ्यं उसे लग रहा था । इस परू े झमेले के
तार उसी कमरे से िुङे हुये हं । या ह सकते हं । उस कमरे का एक ्प ट
चर उसके दिमाग मं था । परू ी तरह याि था । कमरा सामा्य बङे भूसमगत
कष िैसा ही था । पर िाने ्यं उसे रह्यमय लगा था । िाने ्यं । िैसी
रह्यमय वह ङरत थी । पिमा ।

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स चते स चते उसका दिमाग झनझनाने लगा । तब वह उठकर छत पर ही


टहलने लगा । समय िस से ऊपर ह रहा था । उसने एक तनगाह बङे तखत
पर रखे तककया चािर पर डाली । जि्हं वह साथ ही लाया था । ्या अिीव
बात थी । ि वाकया कल यकायक उसके साथ घटा था । आि वह उसके
कफर से ह ने के ्वाव िे ख रहा था । बज्क कह । उस ज्थतत क खि
ु कियेट
कर रहा था । ङर उसके सलये उसे पिमा के ऊपर आने की स्त आव्यकता
थी । पर ्या व आयेगी ? शायि आये । शायि न आये । लेककन िाने ्यं
बार बार उसका दिल कह रहा था । वह आयेगी । ङर ि र आयेगी । ङर
वह इसी बात का त इंतिार कर रहा था ।
तभी अचानक घुप अंधेरा ह गया । यकायक उसकी समझ मं नहीं आया कक
ये अ्समात ्या ह गया । लेककन अगले ही षण वह समझ गया । बबिली
चली गयी थी । ङर मरकरी बझ
ु गयी थी । शायि अंधेरा पष शु ह गया
था । रात बेहि काली काली सी ह रही थी ।
शायि ये सच है । इंसान ि स चता है । वैसा कभी ह ता नहीं है । ङर ि
वह नहीं स चता । वह अ्सर ही ह िाता है । यदि स चा हुआ ही ह ने लगे ।
तब जि्िगी शायि इतनी रह्यमय न लगे । स ची स च न ह वई । िे स ची
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लख बार । उसने एक गहरी सांस ली । ङर कफर कब उसे नींि आ गयी ।


उसे पता ही न चला ।
यकायक अपने बिन पर रं गते नािुक मुलायम ्री हाथं से उसकी चेतना सी
ल टी । वह उसके पैरं के आसपास हाथ कफरा रही थी । वह स ये रहने का
बहाना ककये रहा । वह हाथ क उसके पं ट के अ्िर ले गयी ।
ऐऽऽ िाग ऽ ना । वह उसके कानं मं फुसफुसाई - कफर मेरा इंतिार ्यं कर
रहे थे । ल मं आ गयी । मं िानती थी त्
ु हारे मन की बात कक तम
ु भी
बहुत बैचने ह मेरे सलये ।
- त्
ु हं । वह कुछ घबराये से ्वर मं ब ला - बबलकुल भी डर नहीं लगता ।
उनमं से क ई आ िाये तब ?
- िलती िवानी की एक एक रात । वह उसके ऊपर ह ती हुयी थरथराते ्वर
मं ब ली - बेहि कीमती ह ती है । इसे ये व कक्तु पर्तु मं न ट नहीं करना
चादहये । तुम उनकी कफि न कर । ्यंकक तुम नहीं िानते । वे कमि र
थके घ ङे से घ ङे बेच कर स ते हं । मन ि चरस का नशा भी कर लेता है ।
ङर अनुराग भी थकान िरू करने क रंक करता है । इससलये वे अ्सर
िागते हुये भी स ये से ही रहते हं ।
- अ धकतर रेत बाधाओं का कारण । भूतकाल का मनसा रकट सा हुआ - या
इंसान का रेत य तन मं चले ourhindi.com
िाने का कारण । उसकी अत्ृ त या िसमत
इ्छायं ही अ धक ह ती हं । अत्ृ त काम वासना । बिले की आग । ककसी
कमि र पर ताकतवर का िबरि्ती का िु्म । िस
ू रे के धन पर तनगाह ।
िान बूझ कर ककये ककसी गलत कमि का बाि मं घ र प्चाताप ह ना आदि
कारण ऐसे हं । ि रा्त आयु क भी ्वाभाववक ही तेिी से षीण करते हं ।
घटा िे ते हं । ङर इंसान अपने उसी नीच कमि के संिाल मं सलपटता चला
िाता है । ये ज्थततयाँ रेत्व क आमंबरत करती हं । ङर वा्तव मं इंसान
मरने से पूवि ही िीववत शरीर मं ही रेत ह ना शु ह िाता है । रेतं के सलये
भूत श्ि का खास इसीसलये रचलन है कक उसके भूतकाल की कहानी ।
भूतकाल का पररणाम ।
उसके भूतकाल की कहानी । तनततन िैसे अचानक सचेत हुआ । यदि तुम इस
रह्य क वाकई िानना चाहते ह । उसके कानं मं अपने गु की सलाह कफर
गँि
ू ी - त पहले तु्हं उसके भूतकाल क िानना ह गा ।
- पिमा िी ! उसे खश
ु रखने के उ्िे ्य से वह उसकी नंगी पीट क सहलाता
हुआ ब ला - आपने कई बार अपने रेम या रेमी का जिि ककया है । मेरी बङी
उ्सकु ता है कक वह कहानी ्या थी । ि उस पागल इंसान ने आप िैसी
अतत पसी की उपेषा की ।

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- भूतकाल । वह धीमे से उसी ववशेष ्वर मं ब ली - भूतकाल क .. छ ङ ।


ि बीत गया । उसे छ ङ । से्स .से्स..ससफि से्स । एक भरपूर िवान
ङर अतत सु्िर ङरत इस त्हा काली रात मं खि
ु चलकर तु्हारे पहलू मं
आयी है । ङर तुम बासी कहातनयं क पढना चाहते ह । क ई नयी कहानी
सलख ना । क ई नया मधरु गीत । मेरे रसीले ह ठं पर । पवित सशखर से वष
पर । गहरी खाई सी मेरी नासभ पर । ना गन सी बलखाती कमर पर ।
कफसलन भरी य तन की घादटयं पर । काली घटाओं सी ि्
ु फं पर । िे ख ..मेरा
हर अंग एक स्
ु िर रं गीली नशीली कववता िैसा ही त है ।

िैसे कफर एक नया चैलंि । िैसे उसके दिमाग से उसका दिमाग ही िुङा ह ।
कहीं ये कणि वपशाचनी त नहीं ? भूतकाल श्ि क जिस तरह उसने एकाएक
जिस ्यंगा्मक अ्िाि मं ब ला था । ङर कई बार उसकी स ची बात क
तुर्त रकट ककया था । उससे यही साबबत ह ता था । तब कफर उसे ्या
हाससल ह सकता था ? िब वह उसकी हर बात क पहले ही िान िाती थी ।
तब । तब त वह उसके हाथं मं उलट पलट ह ता एक से्स टाय िैसा भर
ही था । से्स टाय । जिससे वह मनमाने तरीके से खेल रही थी ।
खिु क बेहि असहाय सा महसूस करते हुये उसने एक ल्बी गहरी सांस भरी
। ्या इस अन खी ङरत कourhindi.com
ख लने की क ई चाबी कहीं थी । या कफर चाबी
बनाने वाला इसकी चाबी बनाना ही भूल गया था । या व चाबी कक्हीं
ततसल्मी कहातनयं िैसे अिीव से गु्त ्थान पर छुपी रखी थी । चाबी ।
ङर तव घ र तनराशा मं आशा की ककरण ख िते हुये उसे रामायण याि आयी
। कामी रावण की काम चाहत के चलते स ने की लंका ववनाश के कगार पर
पहुँच गयी थी । तमाम महाबली य ्धा म त के मँह
ु मं िा चक
ु े थे । मगर
इस सबसे बेखबर कु्भकरण गहरी तनिा मं स या पङा था । अब उसक
िगाना आव्यक ह गया था । रावण ने ्वयं िाकर उसे िगाया ।
एक ल्बी ्व्थ भरपरू नींि के बाि उसका तामससक राषसी मन भी भ र
िैसी साज्वकता से पररपूणि ह रहा था । ञान िैसे उसमं ्वतः ज्थतत ही था
। ङर सम्त वासनायं अभी सांसाररक भूख से रदहत ही थी । तब वह रावण
की सहय गी आशा के ववपरीत उ्टा उसे ही सीख िे ने लगा । ङर पर ्री से
काम वासना की चाहत रखने से ह ने वाले ववनाश पर धमि नीतत बताने लगा ।
हर तरह से उसकी गलती ि ष बताने लगा । सीता के प मं िगि्बा क वह
साफ साफ पहचान रहा था ।

साम िाम ि्ड भेि का चतरु खखलाङी रावण तरु ्त उसकी ज्थतत क समझ
गया । ङर कफलहाल ववषया्तर करते हुये उसने उसके सलये मांस मदिरा के
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साथ सु्िर अ्सराओं के न्ृ य िैसे भ ग ववलासं की भरपूर ्यव्था की ।


ङर तब कु्भकरण के मन पट पर वही कहानी सलखने लगी । ि रावण
चाहता था ।
ि रावण चाहता था । ि तनततन चाहता था । से्स ..से्स..ससफि से्स..।
पिमा की सुरीली आवाि िैसे कफर गँि
ू ी । अगर उसकी ये जिि बन गयी थी
कक वह इस रह्य की तह मं िाकर ही रहे गा । त कफर उसे उसकी
इ्छानस
ु ार उसके रं ग मं रं गना ही ह गा । ङर खास तब । िब वह असल
उसी तरह रकट ह गी ।
- ओ के । वह उसके ्लाउि मं हाथ डालता हुआ ब ला - तमु ठीक कहती ह
। भत
ू काल क छ ङ । जि्िगी बहुत छ टी है । हमं इसे भरपरू िीना चादहये

- ह हाँ हाँऽऽ । वह उसे अपने ऊपर खींचती हुयी ब ली - यहाँ हर इंसान की
जि्िगी रे ग्तान मं भटके मुसाकफर के समान है । सुनसान वीरान रे तीला
सूखा उिाङ रे ग्तान । जिसमं पानी बहुत कम । ्यास बहुत ्यािा है ।
इसीसलये त हम सब ्यासे ही भटक रहे हं । कफर यकायक आगे कहीं िरू
पानी निर आता है । खझलसमलाता ्व्छ पारिशी कांच की लहरं के समान
मनम हक िल । आहऽऽ ..पानी । ्यासा त्त इंसान उसकी तरफ तेिी से
ि ङता है । मगर पास िाकरourhindi.com
अचानक हताश ह िाता है । ्यंकक वह जिसे
शीतल मधरु मीठा िल समझ रहा था । वह ससफि मग
ृ मरी चका ही थी । मग

मरी चका । झूठा िल । मायावी ।
तनततन ने अचानक उसके हमेशा रहने वाले ववशेष ्वर के बिाय उसकी
आवाि मं एक भरािया पन महसूस ककया । लेककन घुप अंधेरा ह ने से वह
उसके भाव िे खने मं नाकाम रहा ।
- इसीसलये । िैसे अचानक वह संभल कर ब ली - सदियं सदियं से भटकती
हम सब ्यासी हं उसी मधरु शीतल िल की तलाश मं बैचन
े घूम रही हं ।
िल । मीठा मधरु िल । ि रे ग्तान मं भी कभी कभी कहीं समल िाता है
। ङर तब उसक पीकर उस बेहि त्त िलती सुलगती भूसम मं क ई मामूली
छायािार कंटीला छ टा वष
ृ भी अतत सुखिाई मालूम ह ता है । िैसे ि्म
ि्म से ्यासी ह क अब कुछ चैन आया ह ।

Re: ** कामवासना **

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- आऽऽह । वह एकिम मचलने लगी - मं ्यासी हूँ ।


वह समझ गया । वह ि खेल मं ककसी बा्य सहय गी की भांतत बेमन से
खेलता हुआ अपना काम तनकालना चाहता था । उससे काम नहीं चलने वाला
था । उसे फुल फामि मं आना ही ह गा । ङर उसका वा्तववक कामना पु ष
बनना ही ह गा । िैसा वह चाहती थी । वैसा ।
तब उसने उस रह्य आदि झमेले क दिमाग से िरू तनकाल फंका । ङर
उसका ्लाउि ऊपर खखसका दिया । उसके मिबत
ू पंिे मं सभंचते उसके ्तन
मानं ििि से चीख उठे । तेि ििि से वह एकिम बल खाकर ऊपर से नीचे तक
लहरा गयी । उसने ककसी ह्की रिाई की तरह उसे ऊपर खींचा । ङर उसके
ह ठं क ककसी लालची ब्चे की भांतत लालीपाप सा चस
ू ा । अनमना पन
्याग कर िब पु ष अपनी पण
ू ि भसू मका मं आता है । तव वह ह ता है । एक
कुशल कामयाव खखलाङी । चंवपयन ।
अब यदि वह कला थी । त वह नट था । वह उमङती निी थी । त वह
सफल तैराक था । वह िहरीली ना गन थी । त वह खखलाङी नेवला था ।
नेवला ।
वा्तव मं वह बारबार ना गन सी बलखाती हुयी ही उसकी पकङ से कफसल
रही थी । उसे उतेजित कर रही थी । िैसे मछली हाथ से कफसल रही ह ।
ङर वह भूखे बाि सा उस ourhindi.com
पर झपट रहा था ।
- आऽऽह । वह बुिबुिाकर ब ली - मं ्यासी हूँ ।
एक तरफ वह उसकी उतेिना क चरम पर पहुँचा रही थी । िस
ू री ओर वह
उसक हर किम पीछे भी धकेल िे ती थी । कफर नयी उतेिना । कफर नया
किम । ि नंगे तार । उसके कानं मं उसकी नशीली आवाि कफर से गँि
ू ी -
आपस मं कभी नहीं समलते । लेककन िब कभी समलते हं । त पैिा ह ती है ।
एक अिभुत चंगारी । एक दि्य चमक । ङर उसक कहते हं । ररयल से्स
। से्स ..से्स..ससफि से्स ।
ङर तब मानं उसकी चाल क भांप कर उसके अ्िर ्वतः ही एक पूणि पु ष
िागत
ृ हुआ । ङर उसने अपने मिबूत हाथं मं ककसी कपङे की ह्की सी
गु ङया की भांतत उसे हवा मं उठा सलया । ङर सरकस के कुशल कलावाि की
तरह ऊपर नीचे झुलाने लगा

ङर तब । िािग
ू रनी िैसे अपना सब िाि ू भूली । नटनी सारे करतब भूल
गयी । फुंकारती ना गन िैसे वश मं ह कर बीन के इशारे पर नाचने लगी ।
खख
ूँ ार शेरनी िैसे वपंिङे मं फँस गयी । लकङी के इशारे पर ब्िररया नाचने
लगी । घायल चदु हया बबल टे के िबङे मं आ गयी । उङते लहराते शज्तशाली

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बाि के नुकीले पंि मं घायल च ङया फङफङाई ।


उसकी बेतहाशा चीखं तनकलने लगी । चीखं । जिनकी अब उस िूर सशकारी
क क ई परवाह न थी । ङर अपने सशकार के सलये उसके मन मं क ई िया
भी न थी ।
- बस..बस..बस..। वह आकुल ्याकुल ह कर ििि से च्लाई - क िाओ ।
क िाओ । ङर नहीं । अब ङर नहीं ।.. मं तु्हारी गुलाम हुयी । ि
ब ल गे । क ँ गी । ये मेरा वािा है । हाँ सािन । ये मेरा वािा है ।
ङर तभी अचानक बबिली आ गयी । घप
ु अंधेरे मं डूबी छत पर ह्का सा
उिाला फैल गया । वे ि नं उठ कर टहलने लगे । ङर टहलते टहलते छत के
ककनारे आ गये ।
- क ई भी ्री । कफर वह एक िगह क कर ब ली - सिै व बहुत ियालु ङर
क मल ्वभाव की ह ती है । ङर तनततन िी ! वह जिसके रतत दिल से
भावना से समवपित ह ती है । उसके सलये िान भी िे िे ती है । लेककन तनततन
ऐसा बहुत ही कम ह ता है कक क ई एक 1 भी आय ररपीट क ई एक 1 भी पु ष
ऐसा ह । ि ्री मं ऐसी पूणि समपिण की भावना क िगा सके । ्वतः
्फूति रेम भावना क िगा सके । ऐसा असभ्न । ि 2 जि्म । एक 1 ह ।
रेम िगा सके । तब अ धकतर पतत प्नी रेमी रेसमका ्री पु षं नर मािा
अ्डर्टं ड आय ररपीट अगेourhindi.com
न नर मािा का रेम रेम नहीं । ्वाथी रेम की
िै दहक वासना ही ह ती है । एक स िा । ्यापार । जि्िगी की ि रतं पूरी
करने भर का स िा । कफर..कफर ब ल आप । इसमं ्यार कहाँ ? समपिण कहाँ

- आह ऽऽ । उसके कलेिे मं अचानक िैसे अनिान हूक सी उठी - मं ्यासी
हूँ ।
हाँ तनततन ! िरअसल रह्य श्ि एक ही बात कहता है कक हम ककसी चीि
क अ्िर तक नहीं िे खना चाहते । ससफि ्थल
ू सतही ्यवहार क बरतने की
हमं आित सी बन गयी है । इसीसलये हर साधारण बात भी रह्यमय मालूम
ह ती है । इससलये तनततन िी ्री क सिा अपने अनुकूल रखने के सलये
ककसी झूठे वशीकरण की नहीं । शु्ध पववर पावन तन्छल दिली आज्मक रेम
की आव्यकता ह ती है । आज्मक रेम ।
आहऽऽ । अचानक आतुर सी वह ि ङकर उससे सलपट गयी - मं ्यासी हूँ ।
्वतः ही तनततन ने उसे बाँहं मं भर सलया । ङर अपने मिबूत आग श मं
कसते हुये िीवाना सा चम
ू ने लगा । िैसे सदियं से बबछुङे रेमी ि्म ि्म के
बाि समले हं । उनके हंठ आपस मं चपके हुये थे । ङर वे लगातार एक
िस
ू रे क च्ु बन ककये िा रहे थे । लगातार । लगातार । अनवरत । ङर कफर

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वे एक िस
ू रे मं उतरने लगे । पिमा तनततन के शरीर मं समा गयी । ङर वह
पिमा के शरीर मं समा गया ।
उसका शरीर बहुत ही ह्का ह रहा था । बज्क शरीर अब था ही नहीं । वे
शरीर रदहत ह कर खि
ु क अज्त्व मार महसूस कर रहे थे । हवा । वायु ।
ङर कफर उसी अव्था मं उनके पैर िमीन से उखङे । ङर वे आकाश मं
उढते चले गये । अञात । अन्त । नीले आकाश मं ककसी छ टे पषी के
समान

समतवाऽऽ.. भूल नऽऽ िानाऽऽ । तनमाङ की हरी भरी वादियं मं अचानक ये


क ण पुकार िरू िरू तक गँि
ू गयी - समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ ।
छत पर खङी उिास र मा के दिल मं ध्क सी हुयी । आसमान िैसे वह श्ि
उसके पास ले आया था - समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । ककसी स्चे रेमी के
दिल से उठती आसमान का भी कलेिा चीर िे ने वाली पुकार । उसके कलेिे मं
एक तेि हूक उठी । उसकी तनगाह तनमाङ की उ्हीं वादियं की तरफ ही थी ।
घबराकर उसने मँुडरे पर ससर दटका सलया । ङर बेतरह ि नं हाथं से कलेिा
मसलने लगी । ये अिीब सा ििि उसे चैन न लेने िे रहा था । वादियं मं
गँि
ू ती उस स्चे रेमी की ववरह पुकार वादियं से आती हवायं उस तक
तनर्तर पहुँचा रही थी - समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ ।
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- ये तुम ्या करते ह .. ववशाल । वह फफक फफक कर र पङी - मं कैसे..


भूल िाऊँगी तु्हं । पर कुछ त मेरा.. भी ्याल कर । मं ककतनी.. मिबूर
हूँ ।
- समतवाऽऽ ..भल
ू ऽऽ न िानाऽऽ । वादियं से आते र ते पषी संिेश सन
ु ाते हुये
गि ु र गये ।
- नहींऽऽ ।..नहींऽऽ भगवान नहीं । वह दिल ही दिल मं चीख पङी - ऐसा मत
कर । रभु हमारे साथ । ऐसा मत कर । वह मर िायेगा । रभ.ु .उस पर कुछ
त िया कर ..रभु कुछ त िया कर । कहती कहती वह िमीन पर गरकर
ि र ि र से र ने लगी ।
- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । घादटयं से आते बािल तङप कर कफर ब ले

- खि
ु क ऽऽ संभाल ववशाल । वह सुबक कर ब ली - दह्मत से काम ल । हाँ
सािन ! यदि तुम ही यूँ टूट गये
त कफर मुझे दह्मत कैसे बंधेगी । ..तु्हारे बबना कफर मं भी न िी पाऊँगी ।
- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । िसं दिशायं भीगे ्वर मं एक साथ ब ली ।
- नहीं..नहीं ववशाल नहीं । वह पागल ह गयी - खि
ु क संभाल वरयतम ।

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- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । वादियं से आते उिास प थक ब ले ।


- हे राम । हे राम । वह सीने पर मु्के मारती हुयी ब ली - ववशाल ्या क ँ
मं । अब ्या क ँ मं ।
- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । वादियं से आते िख
ु ी रा्ते व ले ।
ङर तब । उसके बरिा्त के बाहर ह गया । वह गला फाङकर च्लाई -
ववऽऽशालऽऽ । ङर गर कर बेह श ह गयी ।
- र मा ।.. र मा ।.. मेरी िान ।.. तू आ गयी ना.. र मा । वह पागल िीवाना
ि ङकर उससे सलपट गया - र मा ..मेरी िान । मझ
ु े मालम
ू था । तू ि र
आयेगी ..हाँ ।
- ह हाँ.. हाँ ववशाल । वह कसकर उसके सीने से सलपटती हुयी ब ली - मं आ
गयी । अब हमं क ई िि ु ा न कर पायेगा ।
वे ि नं कसकर सलपटे हुये थे । ङर एक िस ू रे की तेिी से चलती धङकन क
सुन रहे थे । ये ि असभ्न रेसमयं का मधरु समलन था । पर कफिा ककसी
अञात भय से सहमी हुयी थी । वादियाँ भी िैसे ककसी बात से डरी हुयी थीं ।
पेङ प धे उिास से शा्त खङे थे । पषी चहकना भलू कर गुमसुम से गरिन
झुकाये बैठे थे । हवा मानं बहना भूलकर एक िगह ही ठहर गयी थी ।
आसमान मं छाये बािल सशंककत से िैसे उनकी रखवाली मं लगे थे । पर वे
ि नं रेमी इससे बेपरवाह एक िसू रे मं ख ये हुये थे । ङर सलपटे हुये एक
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िस
ू रे के दिल क अपने सीने मं धङकता महसूस कर रहे थे । ये मधरु
आसलंगन उ्हं अिभुत आन्ि िे रहा था ।
- व ववशाल । अचानक सहमी सी र मा कांपते ्वर मं ब ली - ये ितु नयाँ हमारे
्यार की ि्ु मन ्यं ह गयी ? हमने इनका ्या बबगाङा है ?
- पता नहीं र मा । वह िीवाना सा उसक यहाँ वहाँ चम ू ता हुआ मासूसमयत से
ब ला - मं भला ्या िानँू । मंने त बस तु्हं ्यार ही ककया है । ङर त
कुछ भी नहीं ककया ।

हाँ ववशाल । वह उसके क्धे पर सर रख कर ब ली - शायि ..शायि ये ितु नयाँ


्यार करने वालं से िलती है । ये ि रेसमयं क ्यार करते नहीं िे ख
सकती.. है ना ।
- नहीं िानता । वह उसकी सु्िर आँखं मं झांक कर ब ला - पर मं ये
िानता हूँ कक मं तु्हारे बबना नहीं िी पाऊँगा । अगर ये ल ग हमं समलने
नहीं िं गे । कफर हम यहाँ से िरू चले िायंगे । िरू । बहुत िरू । बहुत िरू ।
- ककतनी िरू ? अचानक वह उिास हँसी हँ सती हुयी ब ली - ववशाल..ककतनी िरू
?
- शायि । वह कहीं ख या ख या सा ब ला - शायि..इस धरती के पार भी ।
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ककसी नयी ितु नयाँ मं । िहाँ ि रेसमयं के समलने पर क ई र क न ह ती ह ।


- चल पागल । वह खखलखखला कर ब ली - वहाँ कैसे िायंगे भला । तुम
सचमुच िीवाने ह ।
- मेरा यकीन कर ्यारी । वह उसका चेहरा हाथं मं भर कर ब ला - मं सच
कह रहा हूँ । एकिम सच ।
वह त भंच्का ही रह गयी । लेककन वह िैसे पूरे वव्वास से कह रहा था ।
भला ऐसी भी क ई िगह है ? उसने कुछ िे र स चा । पर उसे कुछ समझ मं न
आया । तब वह उसकी ग ि मं सर रख कर लेट गयी । ववशाल उसके बालं मं
उँ गसलयाँ कफराने लगा ।
- र मा । अचानक वह ब ला - तू ठीक से िानती है । मेरे अ्िर ऐसी क ई
इ्छा नहीं । पर कहते हं । ि रेमी तब तक अधरू े हं । िब तक उनके शरीरं
का भी समलन नहीं ह िाता । तब तू बार बार मझ
ु े ्यं र क िे ती है । ्या
तुझे मुझसे ्यार नहीं है ?
वह उठकर बैठ गयी । उसके चेहरे पर ग्भीरता छायी हुयी थी । ङर वह
िैसे िरू शू्य 0 मं कहीं िे ख रही थी । कफर उसने उसका हाथ पकङा ।
ङर हथेली अपने गालं से सटा कर ब ली - ऐसा नहीं है ववशाल । मेरा ये
ु ी हूँ । कफर
तन मन अब तु्हारा ही त है । मं अपना सवि्व तु्हं संप चक
मं मना ्यं क ँ गी । सच ourhindi.com
त ये है कक खिु मेरा दिल ऐसा करता है । हम
ि नं ्यार मं डूबे रहं ।
पर हमेशा से मेरे दिल मं एक अरमान था । ि शायि हर कँु वारी लङकी का
ही ह ता है । उसकी सुहाग रात का ।

यािगार सुहाग रात । मंने िे वी माँ से म्नत मानी थी कक मं अपना क मायि


सिै व बचा कर रखग
ूँ ी । ङर अपनी सुहाग रात क उसे अपने पतत क ही भं ट
क ँ गी । हे िे वी माँ ! मुझे मेरी इ्छा का ही पतत िे ना । ङर माँ ने मेरी बात
सुन ली । मेरी मुराि पूरन ह गयी । ङर तुम मझ
ु े समल गये । तब ये
म्नत तु्हारे सलये ही त है । बस हमारी शािी ह िाये ।
लेककन..यदि तुम इस बात पर उिास ह । ङर मुझे पाना ही चाहते ह । त
कफर मझ
ु े क ई ऐतराि भी नहीं । ्यंकक मं त त् ु हारी ही हूँ । आि । या
कल । मझ ु े खि
ु क त्
ु हं ही संपना है । ङर मं मन से त् ु हारी ह ही चक
ु ी
हूँ । ससफि चार म्रं की ही त बात है ।..मेरे वरयतम ! तम
ु अभी यहीं अपनी
इ्छा परू ी कर सकते ह ।
वह िैसे बबलकुल ठीक कह रही थी । वह ्यार ही ्या । ि शरीर का भख
ू ा
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ह । वासना का भूखा ह । िब उसने अपनी अनम ल अमानत उसी के सलये


बचा कर रखी थी । तब उसे ि्िी ्यं ह । उसका ्यान ही इस बात से हट
गया ।
यकायक िैसे कफिा मं अिीव सी बैचन
े ी घुलने लगी । भयभीत पषी सहमे
अ्िाि मं चहचहाये । ववशाल बेखि
ु सा बैठा था । पर र मा की छठी इज्िय
खतरा सा महसूस करते हुये सिग ह गयी । उसकी तनगाह पहाङी से नीचे िरू
वािी मं गयी । ङर..
- ववशाऽऽल । अचानक वह ि र से चीखी - भाग .. ववशाल..भाग ।
शायि ि नं इस ज्थतत के पव
ू ि अ्य्त थे । ववशाल हङबङा कर उठा । ङर
ि नं तेिी से अलग अलग भागने लगे । भागा भाग । भागा भाग । जितना
तेि भाग सकते थे । र मा तेिी से घाटी मं उतर गयी । ङर एक झाङी की
आङ मं खङी ह कर हाँफने लगी । उसका सीना ि र ि र से धङक रहा था ।
कफर वह छुपती छुपाती िस
ू री पहाङी पर ससर नीचा ककये थ ङा ऊपर चढी ।
ङर उधर ही िे खने लगी ।
उन चारं ने उसके पीछे आने की क ई क सशश नहीं की । उनका ल्य ससफि
ववशाल था । वे चारं अलग अलग उसक घेरते हुये तेिी से उसी की तरफ
बढ रहे थे । ङर काफी करीब पहुँच गये थे । र मा का कलेिा मँह
ु क आने
लगा । वह एकिम तघर चक
ु ा था ।
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िब वे उससे कुछ ही िरू रह गये । तब ववशाल ने तेिी से घूम कर चारं


तरफ िे खा । पर भागने के सलये क ई िगह ही न बची थी । वह बहुत घबरा
गया । ङर बबना स चे समझे ही एक तरफ भागा ।
ि रावर के हाथ मं िबी कु्हाङी उसके मिबूत हाथं से तनकल कर हवा मं
ककसी चि की भांतत तेिी से घूमती चली गयी । ङर सनसनाती हुयी ववशाल
की पीठ से िाकर टकराई । र मा की दिल िहलाती चीख से मानं आसमान
भी थराि गया । ववशाल ि हरा ह कर वहीं गर गया । भागना िरू । यकायक
उठ सके । ऐसी भी दह्मत उसमं नहीं बची थी । भयानक पीङा से उसकी
आँखं उबली पङ रही थी ।

मं मना ककय तेरे कू । ि रावर िहर भरे ्वर मं नफरत से ब ला - ठाकुरन


की इ्ित से कभी न खेसलय । पर तू नई मातनय ।
र मा ने घबरा कर उसे िे खा । वह ििि से बुरी तरह तङप रहा था । ङर कुछ
भी नहीं ब ल सकता था । पर उन है वानं पर इस बात का क ई असर न था ।

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वह अभी ्यािा िरू न भागी थी । ववशाल क यूँ तघरा िे ख कर उसके चेहरे


पर एक अिीव सी ृढता आ गयी । ङर वह वावपस भाग कर वहीं िा पहुँची
। वहाँ । िहाँ ववशाल उन राषसं से तघरा हुआ था । उन चारं ने बेहि नफरत
से एक तनगाह उसे िे खा । ङर कफर वावपस ववशाल क िे खने लगे ।
- ि रावर । अचानक उन तीनं मं से एक ऊबता हुआ सा पंछी ब ला - के
स च रहा अब । के क ँ हरामिािे का ? ङर के करे गा । ि रावर घण
ृ ा से
ब ला - ख्म कर साले क ।
पंछी ने कु्हाङी उठा ली । ङर सधे किमं से उसकी ओर बढा । र मा क
एकिम तेि च्कर सा आया । वह गरने क हुयी । कफर परू ी ताकत से उसने
अपने आपक संभाला । ङर ि ङकर ि रावर के पैरं से सलपट गयी ।
- पापा नहीं । वह गङ गङा कर ब ली - नहीं । मत मार उसे । छ ङ ि ।
- ऐ छ री । ि रावर उसे लाल लाल आँखं से घरू ता हुआ ब ला - ब्ि कर ये
बेहयापन ।
- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । हवा के झंके उसे छूकर ब ले ।
वह हङबङा कर उठ बैठी । तेि धप
ू की तवपश से उसक पसीना आ रहा था ।
आँसू उसकी आँखं के क र से बह कर गालं पर आ रहे थे । वह कफर ऊँची
मँड
ु रे के सहारे खङी ह गयी । ङर ्याकुल भाव से वादियं की ओर िे खने
लगी । यूँ ही । बेविह । ्यंकक वहाँ से कुछ भी निर न आ रहा था ।
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तभी िीने का िरबािा खुलने की आवाि आयी । ङर ऊपर आते किमं की


आहट आने लगी ।
- बीबी । उसकी भाभी बेहि िख
ु से उसे िे खते हुये ब ली - मेरी िान के बिले
भी यदि तु्हारा रेम समल िाये । त मं अपनी जि्िगी त् ु हं तनछावर करती
हूँ । तुम िैसा ब ल । मं क ँ गी । मुझसे तु्हारा िख
ु नहीं िे खा िाता ।
उसने बङी उिास निरं से भाभी क िे खा । वह उसके सलये खाना लेकर आयी
थी । ङर ससफि यही व समय था । जिसमं वह उससे बात कर सकती थी ।
उसका हाल चाल िान सकती थी । वह निरब्ि थी । ङर िीने पर हमेशा
भारी ताला लगा रहता था । उसकी ि रत दिनचयाि का सभी सामान उसे ऊपर
ही उपल्ध ह ता था । छत पर ।
उसने घ र नफरत ङर उपेषा से खाने की थाली क िे खा । खाना । उसकी
आँखं से आँसू बह तनकले । उसे मालूम था । वह खाना त िरू । पानी भी
नहीं पीता ह गा । पानी भी । कफर वह खाना कैसे खा सकती है ?
- ये ल । भाभी एक क र बना कर उसक ्वयं खखलाती हुयी ब ली - बीबी !
त्ु हं मेरी कसम । मझ
ु े मालम
ू है । तम
ु सारा खाना नीचे कूढे पर फंक िे ती
ह ।..ऐसे त तम
ु मर ही िाओगी । लेककन इससे ्या फायिा ?

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रेम ङर जि्िगी । जि्िगी ङर रेम । शायि ि नं एकिम अलग चीिं हं ।


ि नं के तनयम अलग हं । ि नं की कहानी अलग है । ि नं के रा्ते अलग
हं । रेसमयं क ितु नयाँ कभी रास नहीं आती । ङर ितु नयाँ क कभी रेमी रास
नहीं आते । इनका सदियं पुराना वैर चला आ रहा है ।
र मा की ितु नयाँ भी िैसे उिङ चुकी थी । उसके िीवन मं अब कुछ न बचा
था । वह छत पर खङी खङी सूनी आँखं से वादियं की ओर ताकती थी । ङर
अनायास ही उसके आँसू बहने लगते । रेसमयं के आँसू । रेम के अनम ल
म ती । जिनका ितु नयाँ वालं की निर मं क ई म ल नहीं ह ता ।
- मं वचन िे ती हूँ पापा । वह आँसओ
ु ं से भरा चेहरा उठाकर र ते हुये ब ली -
मं आि के बाि इससे कभी न समलँ ग ू ी । लेककन भगवान के सलये इस पर
िया कर । इसे छ ङ ि ।..लेककन । अचानक वह आँसू पंछकर उसकी आँखं
मं आँखं डालकर ृढ ्वर मं ब ली - यदि इसे कुछ ह गया । त कफर मं खि

क भी ग ली मार लँ ग
ू ी ।
ि रावर के बेहि स्त चेहरे पर िूरता के भाव आये । उसने पंछी क इशारा
ककया । वह िीत की मु्कान सलये क गया । कफर ि रावर ने झटके से
उसका हाथ थामा । ङर लगभग घसीटता हुआ वहाँ से ले िाने लगा । उसका
चेहरा कफर आँसुओं से भर उठा । ङर उनके साथ तघसटती हुयी वह बारबार
मुढ कर ववशाल क िे खने लगी । ि लगभग बेह शी की हालत मं पङा ििि से
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कराह रहा था ।
- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । आसमान मं उङते हुये हरे हरे त ते उसक
िे ख कर ब ले ।
- कभी नहीं भूलँ ग
ू ी । उसके आँसू सूख चक
ु े थे । वह ृढता से ब ली - हर गि
नहीं । मरते िम तक नहीं ।
- तू पागल ह गयी है छ री । उसकी माँ भावहीनता से कठ र ्वर मं ब ली -
तू मरवायेगी उस लङके क । ठाकुर उसे िीता न छ ङेगा ।..मेरी बात समझ ।
ठाकुरं की लङककयाँ कभी रेम रेम नहीं करती । वे खट
ूँ े से गाय की तरह बाँध
िी िाती हं । जिसके हाथ मं उनकी र्सी थमा िी िाती है । वही उसकी
जि्िगी का मासलक ह ता है । इसके अलावा ककसी िस
ू रे के बारे मं वे स च
भी नहीं सकती । कफर ्यं तू उस छ रे की िान की ि्ु मन बनी है । भूल िा
उसे । ङर नया िीवन शु कर ।
- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । आसमान मं चमकते तारे उसक िे ख कर
ब ले ।

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- तुम सच ही कहते ह । वह उिासी से हँसकर ब ली - नहीं भूलँ ग


ू ी । नहीं
भूल सकती । कभी नहीं ।
ककतने बिे हंगे ? यकायक उसने स चा । ककतने भी बिे हं । उसे नींि ही
कहाँ आती है । वह छत पर अकेली टहलती हुयी सु्िर शा्त नीले आकाश मं
खझलसमलाते चमकते तारं क िे खने लगी । िाने ्यं आि उसे आसमान पर
चमकते तारं क िे खना बहुत अ्छा लग रहा था । बहुत अ्छा ।
- नहीं िानता । अचानक तारं के बीच से झांकता हुआ ववशाल ब ला - पर मं
ये िानता हूँ कक मं त्ु हारे बबना नहीं िी पाऊँगा । अगर ये ल ग हमं समलने
नहीं िं गे । कफर हम यहाँ से िरू चले िायंगे । िरू । बहुत िरू । बहुत िरू ।
बहुत िरू ।
- ककतनी िरू ? वह उिास हँ सी हँ सती हुयी आसमान मं उसकी ओर िे ख कर
ब ली - ववशाल..ककतनी िरू ?
- शायि । वह बेहि रेम से उसक िे खता हुआ ब ला - शायि..इस धरती के
पार । ककसी नयी ितु नयाँ मं । वहाँ । िहाँ ि रेसमयं के समलने पर क ई र क
नह ।
- चल पागल । अचानक वह ि र से खखलखखलाई - वहाँ कैसे िायंगे भला ।
तुम सचमुच िीवाने ह ।
यकायक वह ि र ि र से पागलं की भांतत हँ सने लगी । कफर वह लहरायी ।
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ङर च्कर खाती हुयी छत पर गर गयी ।


- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । चाँि िैसे उसक िे ख कर र पङा ।
- हा..। अचानक वह चंक कर उठ बैठी । उसके सीने पर हाथ रखकर ककसी ने
दहलाया था । उसके मँह
ु से चीख तनकलने क हुयी । पर तभी उसने उसके मँह

पर हाथ रख दिया । र मा का कलेिा ि रं से धक धक कर रहा था ।
रात क टहलते टहलते उसकी याि मं र ते हँसते हुये वह अचानक च्कर
खाकर गर गयी थी । ङर पता नहीं ककतनी िे र बेह श रही थी । कई दिनं से
उसने ठीक से खाना भी न खाया था । ङर बेहि कमि र ह चक
ु ी थी ।
- तुमऽऽ । वह है रत से फुसफुसा कर ब ली - तुम ऊपर कैसे आ गये ? भाग
िाओ ववशाल । वरना ये ल ग तु्हं मार डालंगे ।
- परवाह नहीं । वह िीवाना सा उसक चम ू ता हुआ ब ला - वैसे ही तेरे बबना
क न सा िीववत हूँ मं । ऐसे िीने से हमारा मर िाना ही अ्छा है ।
वह बबलकुल ठीक कह रहा था । वह ही कहाँ इस तरह िीना चाहती है ।
उनका िीना एक िस
ू रे के सलये ह चक
ु ा था

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उसके मुिाि जि्म मं वह अचानक राण बन कर आया था । ङर खसु शयाँ िैसे


अचानक उस रात उसकी झ ली मं आ गरी थी । िैसे भा्य की िे वी मेहरबान
हुयी ह ।
- खाना । वह कमि र ्वर मं ब ला - मुझसे खाना भी न खाया गया । मं
भूखा हूँ ।
उसके आँसू तनकल आये । अब खाना कहाँ से लाये व । खाना त उसने शाम
क ही फंक दिया था । ङर िीने मं ताला लगा था । खाने का क ई उपाय ही
न था । वेवशी मं वह र ने क ह आयी । ङर अभी कुछ कहना ही चाहती थी

- चल । वह कुछ ख लता हुआ सा ब ला - हम ि नं खाना खाते हं । माँ ने
हम ि नं के सलये पराठं बनाये हं । बहुत सारे ।
िाने िाने पर सलखा है खाने वाले का नाम । व भख
ू ा उठाता अव्य है । पर
भूखा सुलाता नहीं । िलचर िीव बसे िल मं । उनक िल मं भ िन िे ता ।
नभचर िीव बसे नभ मं । उनक नभ मं भ िन िे ता । कहीं भी कैसी भी
कदठन से कदठन ज्थतत ह । व भूखे क भ िन िे ता है । व अपने ब्चं क
भूखा नहीं िे ख सकता । भूखा नहीं रहने िे ता । कफर ि रेसमयं क कैसे रहने
िे ता ?
नीबू के अचार से व माँ कीourhindi.com
ममता के ्वादि ट पराठं एक िस
ू रे क अपने
हाथ से खखलाने लगे । व खा रहे थे । ङर तनश्ि र रहे थे । आँसू िैसे
उनके दिल का सारा गम ही ध ने मं लगे थे ।
- ववशाल । वह तनराशा से ब ली - हमारा ्या ह गा ? हम कैसे समल पायंगे ।
- तू च्ता न कर । वह उसक थपथपा कर ब ला - हम यहाँ से भाग िायंगे
। बहुत िरू । कफर हमं क ई िुिा न कर पायेगा ।
- समतवाऽऽ ..भलू ऽऽ न िानाऽऽ । रात की रानी उसक अकेला िे ख कर बात
करती हुयी ब ली ।
- कभी नहीं । वह चंचल मु्कान से उतर िे ते हुये ब ली - कैसे भूल सकती हूँ

कहाँ ङर ककस हाल मं ह गा वह ? उसने टहलते हुये स चा । उस रात तब
उसकी िान मं िान आयी । िब ि घ्टे बाि वह सकुशल वावपस उतर कर
चला गया । ङर कहीं कैसी भी गङबङ नहीं हुयी । पर अभी आगे का कुछ
पता न था । ्या ह गा ? कैसे ह गा ? क ई उपाय भी न था । जिससे वह कुछ
ख ि खबर रख सकती थी ।
उसकी रात ऐसे ही टहलते हुये बीतती थी । उसकी माँ भाभी घर के ङर ल ग
उसकी हालत िानते थे । लेककन शायि क ई कुछ न कर सकता था । सब

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िैसे अपने अपने िायरं मं कैि थे । िायरे । सामाजिक िायरे । िैसे वह छत


के िायरे मं कैि थी ।

्यार उसे आि कैसे म ढ पर ले आया था । ्यार से पैिा हुयी तनहाई ।


िुिाई से पैिा हुयी तङप । ववरह से पैिा हुयी कसक । शायि आि उसे
वा्तववक ्यार से ब करा रही थी । वा्तववक ्यार । जिसमं लङके क
सु्िर लङकी का खखंचाव नहीं ह ता । लङकी क उसके प षेय गुणं के रतत
आकषिण नहीं ह ता । यह सब त वह िे ख ही नहीं पाते थे । स च ही नहीं
पाते थे । वह त समलते ही एक िस
ू रे की बाहं मं समा िाते । ङर एक िस
ू रे
की धङकन सुनते । बस इससे ्यािा ्यार का मतलब ही उ्हं न पता था ।
िै दहक वासना ने िैसे उनके ्यार क छुआ भी न था । उस तरफ उनकी
भावना तक न िाती थी । कभी क ई ्याल तक न आता ।
उसने उसके वषं पर कभी वासना यु्त ्पशि तक न ककया था । उसने कभी
वासना से उसके हंठ भी न चम
ू े थे । उसने कभी िी भर कर उसका चेहरा न
िे खा था । उसकी आँखं मं आँखं न डाली थी । ङर खि
ु उसे कभी ऐसी चाहत
न हुयी कक वह ऐसा करे । कफर उनके बीच ककस रकार के आकषिण का
च्
ु बक्व था ? ि वे घ्टं एक िसू रे के पास बैठे एक अिीब सा सुख
महसूस करते थे । बस एकourhindi.com
िसू रे क िे खते हुये । एक िस
ू रे की समीपता का
अहसास ।

समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । रात मं िागने वाली दटटहरी उससे ब ली ।


- हाँ री । वह ्यार से ब ली - तू सच कहती है । नहीं भूलँ ग
ू ी । कभी नहीं ।
्या अिीब ह ता है ये ्यार भी । ्या क ई िान पाया । उसने टहलते हुये
स चा । शायि यही ह ता है ्यार । ि आि उसने इस निरब्िी मं महसस ू
ककया । ्यार पे िब िब पहरा हुआ है । ्यार ङर भी गहरा गहरा हुआ है ।
ये ितु नयावी िु्म उसे ्यार से िरू करने के सलये ककया गया था । पर ्या ये
पागल ितु नयाँ वाले नहीं िानते थे । इससे उसका ्यार ङर भी गहरा हुआ था
। अब त उसकी सम्त स च ही ससफि ववशाल पर ही िाकर ठहर गयी थी ।
ससफि ववशाल पर ।
्यार त िैसे ि शरीरं का नहीं । ि हं का समलन ह ता है । ि्म ि्म
से एक िस
ू रे के सलये ्यासे ि इंसान । सदियं से एक िस
ू री की तलाश मं
भटकते हुये । कफर कभी ककसी ि्म मं िब समलते हं । एक िस ू रे क
पहचान लेते हं । ङर एक िस
ू रे की ओर खखंचने लगते हं । ङर एक िस ू रे के
आकषिण मं िैसे ककसी अृ्य ड र से बँध िाते हं ।
- समतवाऽऽ ..भल
ू ऽऽ न िानाऽऽ । रात मं फैली खाम शी ब ली ।
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- हाँ । वह शू्य 0 मं िे खती हुयी ब ली - ्यार नहीं भुलाया िा सकता ।


- बेटी । उसकी माँ ब ली - आखखर तूने ्या स चा । ऐसा कब तक चलेगा ।
- माँ ! वह उस उिास रात मं छत पर टहलती हुयी भावहीन सी कहीं ख यी
ख यी उसक िे खते हुये ब ली - शायि तुम ्यार क नहीं िानती । ्यार ्या
अिीव शै है । इसे ससफि रेमी ही िान सकते हं । ्यार की कीमत ससफि रेमी
ही िान सकते हं । जिसके दिल मं ्यार ही नहीं । व इसे कभी नहीं समझ
सकते । हाँ माँ कभी नहीं समझ सकते ।
्यार के सलये त । वह मँड
ु रे पर हाथ रख कर ब ली - अगर िान भी िे नी
पङे । त भी रेमी खश
ु ी खश
ु ी सल
ू ी चढ िाते हं । ्यार की ये शमा अपने
परवाने के सलये िीवन भर िलती ही रहती है । पर..पर तम
ु िख
ु ी न ह माँ ।
मझ
ु े तझ
ु से ङर अपने बाबल
ु से क ई सशकायत नहीं । शायि ववरहा की िलन
मं सल
ु गना हम रेसमयं की कक्मत मं ही सलखा ह ता है ।
मिबूर सी ठकुराइन यकायक र पङी । उसने अपनी नािं पली बेटी क कस
कर सीने से लगा सलया । ङर फूट फूट कर र ने लगी । वह िीवानी सी इस
पगली म ह्बत क चम
ू रही थी । उसकी फूल सी बेटी के साथ अचानक ्या
हुआ था । उसकी कक्मत ने एकाएक कैसा पलटा खाया था ।
- हे रभु ! उसने िआ
ु के हाथ उठाये - मेरी बेटी पर िया करना । िया करना
रभु । इसके िीवन की गाङी कैसे चलेगी ।
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छुक..छुक..छुक का मधरु संगीत गुनगन


ु ाती रे ल मानं ्यार की पटरी पर ि ङते
हुये मंजिल की ओर िाने लगी । ककसी बुरे ्वाव की तरह िख
ु ि अतीत िैसे
पीछे छूट रहा था । उसने खखङकी से बाहर झाँका ।
- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । रे न के साथ साथ तेिी से पीछे छूटते हुये
पेङ ब ले ।
- हाँ हाँ नहीं भूलँ ग
ू ी । वह श ख तनगाहं से ब ली - कभी नहीं ।
जि्िगी का सफर भी िैसे रे ल की तरह उम ृ की पटरी पर ि ङ रहा है । गाङी
ि ङने लगी थी । ककसी समाि समूह की तरह अलग अलग मंजिलं के
मुसाकफर अपनी िगह पर ब गी मं बैठ गये थे । र मा के सामने ही एक युवा
रेमी लङका खखङकी से बाहर झांकता हुआ अपने म बायल पर बिते गीत भाव
मं बहता हुआ अपनी रेसमका की याि मं ख या हुआ था - तम
ु ताना तम
ु ।
तम
ु ताना तम
ु । धीम धीम तन न ना । तम
ु ताना तम
ु । तम
ु ताना तम
ु ।

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धीम धीम तन न ना । ्यार ्या शै है समयाँ.. ्यार की कीमत िान । ्यार


कर ले क ई उसे । त गनीमत िान । ये ितु नयाँ ्यार के कक्से । ये ितु नयाँ
्यार के कक्से । मुझे िब भी सुनाती है । व लङकी याि आती है । व
लङकी याि आती है । व लङकी याि आती है ।
- बेटी । उसकी माँ ब ली - जि्िी ठाकुर ने फैसला ककया है । तुझे शहर के
मकान मं रखं गे । तू वहीं रह कर अपनी पढाई करे गी । आखखर तुझे कब तक
यँू कैि मं रखं । मझ
ु े िख
ु है । भगवान ने िाने ्या तेरी कक्मत मं सलखा है

- माँ । वह भावहीन ्वर मं ब ली - हम रेसमयं की कक्मत भगवान नहीं
सलखते । रेमी ्वयं अपनी कक्मत सलखते हं । रेसमयं की जि्िगी के रेम
ग्ृ थ के हर प्ने पर ससफि रेम सलखा ह ता है । एक िस
ू रे के सलये मर समटने
का रेम ।
वह ठाकुर की प्नी थी । लेककन उससे ्यािा उसकी माँ थी । अपनी पगली
िीवानी लङकी के सलये वह ्या करे ।
जिससे उसे सुख ह । शायि वह ककसी तरह भी न स च पा रही थी ।
- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । खखङकी से निर आते गाँव ब ले ।
- तुम ठीक कहते ह । वह ्यार से ब ली - नहीं भूलँ ग
ू ी ।
न चाहते हुये भी उस ववरहाourhindi.com
गीत के मधरु ब ल कफर उसे खींचने लगे । ककस
रेमी के दिल की तङप थी यह - तुम ताना तुम । तम ु ताना तुम । धीम धीम
तन न ना । तुम ताना तम
ु । तुम ताना तुम । धीम धीम तन न ना । कभी
खश
ु बू भरे खत क ससरहाने रख कर स ती थी । कभी यािं मं बब्तर से
सलपट कर खब
ू र ती थी । कभी आँचल सभग ती थी । कभी तककया सभग ती
थी । कभी तककया सभग ती थी । ये उसकी सािगी है ि । ये उसकी सािगी है
ि । हमं अब भी लाती है । व लङकी याि आती है । व लङकी याि आती
है । व लङकी याि आती है ।
िुिाई मं याि की तङप से ङर भी तङपाते मधरु गीत ने ड्बे मं एक
स्नाटा सा कर दिया था । हरे क क िैसे अपना रेमी याि आ रहा था ।
लङके के चेहरे पर रेम उिासी फैली हुयी थी । ठीक सामने बैठी सु्िर िवान
लङकी र मा तक मं उसकी क ई दिलच्पी न थी । उसने उसे एक तनगाह तक
न िे खा था । ङर अपनी रेसमका की ववरह याि मं ख या वह लगातार खखङकी
से बाहर ही िे ख रहा था । पता नहीं इसकी रेसमका कहाँ थी ? उसने स चा ।
ङर पता नहीं उसका रेमी कहाँ था ?
- समतवाऽऽ ..भल
ू ऽऽ न िानाऽऽ । गीत के ब लं मं रेसमयं की ह ब ली ।
- नहीं भल
ू ँग
ू ी । वह गन
ु गन
ु ाई - मं नहीं भल
ू सकती ।

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िीन ितु नयाँ से बेखबर वह रेमी नम आँखं से िैसे रे ल के सहारे ि ङती अधीर
रेसमका क ही िे ख रहा था । ि नं की एक ही बात थी । उसकी क्पना मं
रेमी था । ङर उसकी क्पना मं उसकी रेसमका - तुम ताना तुम । तुम ताना
तुम । धीम धीम तन न ना । तुम ताना तुम । तम
ु ताना तुम । धीम धीम
तन न ना । तुम ताना तम
ु ।

चली आती थी समलने के सलये । मुझे व बहाने से । गुिरती थी कयामत ।


दिल पर उसके ल ट िाने से । मुझे बेहि सुकंू समलता । हाँ उसके मु्काराने
से । उतर कर चाँिनी सी िब वह । छत पर मु्कराती है । व लङकी याि
आती है । व लङकी याि आती है । व लङकी याि आती है ।
- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । खखङकी से निर आते ब्चे हाथ दहलाकर
ब ले ।
- ना ना । वह मु्करा कर ब ली - नहीं भाई । कैसे भूलँ ग
ू ी ।
रेसमयं क ये ितु नयाँ शायि कभी नहीं समझ सकती । ड्बे मं आते िाते
ल ग अपनी अपनी धन ु मं ख ये हुये थे । िैसे सबक अपनी मंजिल पर
पहुँचने का इंतिार ह । शायि उनमं से बहुतं की मंजिल कुछ ही आगे आनी
वाली थी । लेककन उसकी मंजिल तक पहुँचने के सलये गाङी कैसे टे ङे मेङे रा्तं
पर ङर िायेगी । उसे पता ourhindi.com
न था । कुछ भी पता न था । व अभी भी ककसी
कैिी की भांतत एक िेल से िस
ू री िेल मं िा रही थी । लेककन ्या सारे
रेसमयं की कहानी एक ही ह ती है ? कफर ्यं उन ि नं क ये रेम गीत
अपना ही गीत लग रहा था । हाँ बबलकुल अपना - तम
ु ताना तम
ु । तम
ु ताना
तम
ु । धीम धीम तन न ना । तम
ु ताना तम
ु । तम
ु ताना तम
ु । धीम धीम
तन न ना व मेरा नाम । व मेरा नाम । व मेरा नाम गीतं के । बहाने
गन
ु गन
ु ाती थी । मं र ता था त व भी आँसओ
ु ं मं डूब िाती थी । मं हँ सता
था त मेरे साथ । व भी म्
ु कराती थी । व भी म्
ु कराती थी । अभी तक
याि उसकी ्यार के म ती लट
ु ाती है । व लङकी याि आती है ।
- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । गाङी मं चढती हुयी छार लङककयाँ ब ली ।
- ना भई ना । वह अिा से ब ली - कैसे भूलँ ूगी भला ।
- समय । उसकी माँ ब ली - ये िूर समय इंसान क बङी से बङी अ्छी बुरी
बात भुला िे ता है । मुझे उ्मीि है बेटी । समय के साथ साथ तू अपना
अ्छा बुरा खि
ु स च पायेगी । िे ख बेटी । ककसी भी इंसान क उसका मनचाहा
हमेशा नहीं समलता । जि्िगी के रा्ते बङे टे ङे मेङे हं । उतार चढाव वाले हं
। तू अभी कमससन है । नािान है । तुझे जि्िगी की समझ नहीं । उसकी
हकीकत से तेरा अभी क ई वा्ता नहीं ।

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जि्िगी की हकीकत । ्या है जि्िगी की हकीकत ? वह नहीं िानती थी ।


बस उसे ्यार की हकीकत पता थी । इस ्यार के र ग की ससफि वह अकेली
त र गी नहीं थी । ये लङका भी था । जिसे उसी की तरह िीन ितु नयाँ से क ई
मतलब न रहा था । मतलब था । त ्यालं मं मचलती अपनी हसीन रेसमका
से - तुम ताना तुम । तम
ु ताना तुम । धीम धीम तन न ना । तुम ताना तुम
। तुम ताना तुम । धीम धीम तन न ना । िहाँ समलते थे ि नं । व दठकाना
याि आता है । वफा का दिल का चाहत का । फसाना याि आता है कक उसका
्वाव मं आकर । सताना याि आता है । सताना याि आता है । व नािक

नमि अकेली अब भी । मुझक खि
ु बल
ु ाती है । व लङकी याि आती है । व
लङकी याि आती है । व लङकी याि आती है ।
- समतवाऽऽ ..भल
ू ऽऽ न िानाऽऽ । रा्ते मं आये शहर ब ले ।
- ओ ह .. नहीं नहीं । वह उस उिास रेमी क िे खती हुयी ब ली - हाँ नहीं
भूलँ ूगी ।
- माँ । वह ब ली - मं क सशश क ँ गी कक सबका साथ तनभा सकँू । तेरा ।
बाबुल का । अपने राँझे का । िे ख ना माँ । अगर मं बेवफाई क ँ गी । त
स्चे रेमी बिनाम ह िायंगे । रेसमयं के अमर कक्से झूठे ह िायंगे । कफर
एक लङका लङकी आपस मं रेम करना ही छ ङ िं गे । सबका रेम से वव्वास
ि उठ िायेगा । तुम बताओ माँ । ्या गलत कह रही हूँ मं ? माँ इस ितु नयाँ
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मं रेम ही स्य है । बाकी रर्ते झूठे हं ।

अगर ये स्य न ह ता । उसके दिल ने कहा । त कफर इस ितु नयाँ मं इतने


रेम गीत भला ्यं गँि
ू ते । सजृ ट के कण कण मं गँि
ू ते रेम गीत - तम

ताना तम
ु । तम
ु ताना तम
ु । धीम धीम तन न ना । तम
ु ताना तम
ु । तम

ताना तम
ु । धीम धीम तन न ना । व कासलि का िमाना मझ
ु े न्तर
चभ
ु ता है । ङर उसकी याि का सावन । ककताबं क सभग ता है । अकेले मं
अभी मझ
ु क । यही महसस
ू ह ता है कक िैसे आि भी..कक िैसे आि भी ।
कासलि मं पढने र ि िाती है ।
- समतवाऽऽ ..भूलऽऽ न िानाऽऽ । उिास खाम श सूना सूना घर उससे ब ला ।
- अरे नहीं । वह रेसमयं की मन पस्ि तनहाई मं ववचरती हुयी ब ली - नहीं
भूल पाऊँगी ।
ववरहा की आग ने उस रेसमका क िलाते हुये उसकी म ह्बत क िीवानगी मं
बिल दिया था । वह पगली ह गयी थी । िीवानी ह गयी थी । सम्त
रेसमयं की आ्मा िैसे उसमं समा गयी थी । अब वह र मा न रही थी । लैला
ह गयी । हीर ह गयी । शीरी । िुसलयट ह गयी । ये िुिाई । ये त्हाई ।

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ये सूनापन उसका साथी था । बङा ही ्यारा साथी । ्यंकक यहाँ उसकी


क्पना मं बेर क ट क उसका रेमी उसके साथ था । शायि यही रेम है ।
शायि यही रेम है ।
उसने एक बार घूम कफर कर पहले से ही िे खे हुये अपने उस बाप िािा के घर
क िे खा । ङर नल से मँुह ध ने बङी ।
तभी मु्य िरवािे पर ि्तक हुयी । आ्चयि से उसने िरवािा ख ला । ङर
कफर उसका मँह
ु खल
ु ा का खल
ु ा रह गया । िरवािे पर ववशाल खङा था । सन
ू ी
सनू ी आँखं से उसे ताकता हुआ ।
- तमु । वह भंच्का ह कर ब ली ।
- जि्िा रहने के सलये । वह बेहि कमि र ्वर मं ब ला - तेरी कसम । एक
मलु ाकात ि री है सनम । हाँ र मा । मं तेरे साथ ही आया हूँ । उसी रे न से
। पर तू अकेली नहीं थी । इससलये तेरे पास नहीं आया । मझु े पता चल गया
था । ठाकुर साहब तुझे शहर भेि रहे हं । िहाँ तेरा पु्तैनी मकान है । कफर
मं यहाँ आ गया ।
ङर कफर ्वाभाववक ही वे एक िस
ू रे से सलपट गये । उ्हंने अब तक ि
नहीं ककया था । व खि ु हुआ । उनके हंठ आपस मं चपक गये । ङर वे
एक िस ू रे क सहलाते हुये पागलं की भांतत चम
ू ने लगे ।
- ये घर । र मा बब्तर ठीकourhindi.com
करती हुयी उसे आराम से बैठाकर ब ली - हमारी
पुरानी िायिाि है । जिसका इ्तेमाल अब हमारे कार बार के सामान आदि
रखने के सलये ग िाम के प मं ककया िाता है । इसकी ब्ि घर िैसी
बनाबट भी ककसी ग िाम के समान ही है । ङर इसमं सबसे अ्छी बात है ।
वह कमरे मं एक तनगाह डालकर ब ली - यह तलघर । इसमं तुम आराम से
छुप कर रह सकते ह । भले ही हमारे घर के ल ग कभी कभी आते िाते बने
रहे ।
पर िीवानं क ये सब कहाँ सुनायी िे ता है । वह त अपलक उसे ही िे खा िा
रहा था । अपनी माशूका क । जिसे आि बहुत दिनं बाि िे खने का म का
समला था । बहुत दिनं बाि छूने का म का समला था । र मा क छ ङने आये
ल ग उनके रांसप टि कार बार आकफस चले गये थे । ङर शायि ही आि
ल टते । रात क क ई न कर भले ही आ िाता ।
शाम के चार बि चुके थे । उसने पूरी तरह से सह
ु ा गन का ्ंगार ककया था ।
ङर िरवािा ठीक से लाक करके आराम से उसके पास तलघर मं बैठी थी ।
आि उसने एक फैसला ककया था । परू ी सह
ु ा गन ह ने का । आि वह अपना
सवि्व उसे अवपित कर िे ना चाहती थी । जिसकी ववशाल क क ई ्वादहश न
थी । पर उसक थी । ङर िाने कब से थी । ्या पता कल ्या ह िाये ?

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कफर उसके पास उन ि नं के मधरु समलन की यािं त थी । उसके मांग मं


सिी सस्िरू की म टी रे खा । माथे पर िमकती बबज्ियाँ । हंठं पर चमकती
लाली । ङर हाथं मं खनकते कंगन । उस एकिम नयी नवेली िल
ु दहन के
सलये िैसे वववाह गीत गा रहे थे । वह खाम श तलघर उनके मधरु समलन के
इन षणं क यािगार बनाने के सलये िैसे बैचन
े ह रहा था ।

उफ ! आि ककतने मु्ित के बाि यह समय आया था । िब वह अपने राँझे


के सीने पर सर रख कर लेटी थी । ङर समय िैसे ठहर गया था । काफी िे र
ह चक
ु ी थी । ङर वह ववशाल की तरफ से ककसी पहल का इंतिार कर रही
थी । पर वह उसकी पीठ सहलाता हुआ खाम श छत क िे ख रहा था । िैसे
शू्य 0 मं िे ख रहा ह । आखखरकार उसकी सांकेततक चे टाओं से वह रभाववत
ह ने लगा । ङर उसने र मा के ्लाउि पर हाथ रखा ।
ङर तभी खट की आवाि से ि नं चंक गये । उ्हंने घूमकर आवाि की
दिशा मं िे खा । तलघर की सी ङयं पर उसका बाप ठाकुर ि रावर ससंह एक
आिमी के साथ खङा था । उसकी प्थर सी स्त आँखं मं िूरता की
पराका ठा झलक रही थी । उसके हाथ मं ररवा्वर चमक रहा था । एक पल
क र मा के ह श उङ गये । पर िस
ू रे ही पल उसके चेहरे पर ृढता चमक उठी
। ourhindi.com

- तूने वचन भंग ककया बेटी । वह भावहीन खरु िरु े ्वर मं ब ला - अब मं


मिबूर हुआ । अब ि ष न दिय मुझे ।
वह बब्तर से उठकर खङी ह गयी । ङर सन
ू ी आँखं से उस ्यार के ि्ु मन
ि्लाि क िे खने लगी । जिसके साथी के चेहरे पर है रत नाच रही थी ।
यकायक उसे कुछ न सझ
ू ा । ्या करे । ्या न करे । रहम की भीख माँगे ।
या बेटी बाबल
ु से ्यार माँगे । कैसे ङर ्या माँगे । उस प्थर दिल इंसान
मं कहीं क ई गंि
ु ाइश ही निर न आती थी ।
- पापा । कफर ्वतः ही उसके मँह
ु से तनकला - वचन भंग हुआ । उसके सलये
। मं माफी चाहती हूँ आपसे । पर ये मेरा ्यार है ।.. मं ्या क ँ । हम ि नं
एक िि
ू े के बबना नहीं रह सकते ।.. नहीं रह सकते बाबुल । अगर मारना ही
है । त उसक मारने से पहले मुझे मारना ह गा । हम साथ िीयंगे । साथ
मरं गे । ङर ये उस लङकी की आवाि है । जिसकी रगं मं आपके ही
खानिानी ठाकुर घराने का खन
ू ि ङ रहा है । हमारे जि्म मर िायंगे । पर
हमारी म ह्बत कभी नहीं मरे गी ।..पापा मं त आपकी बेटी ही हूँ । वह भराियी
आवाि मं ब ली - आपने ही मुझे ि्म दिया बाबुल । आपकी ही ग ि मं
खेलकर बङी हुयी हूँ । आप ही मार भी ि गे । त ्या िख
ु । कैसा िख
ु ।

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वाकई आि ये एक कमि र लङकी की आवाि नहीं थी । ये म ह्बत की


बुल्ि आवाि थी । उसकी आवाि उस िासलम की आवाि क भी कमि र
कर रही थी । उसमं एक च्टानी मिबूती थी । उसमं ठाकुरं के खन
ू की गमी
थी । ि रावर का ररवा्वर वाला हाथ कांप कर रह गया ।
इतना स्ता भी नहीं ह ता । ि इंसानं का िीवन । मारने का ्याल करना
अलग बात है । ङर मारना अलग बात । ि ध मं अँधा ह कर ्या करने िा
रहा था वह ? उसने स चा । आखखर ्या गलती की उसकी मासम
ू बेटी ने ?
ि रावर ये ्या अनथि करने िा रहा है तू । उसका कलेिा कांप कर रह गया
। अ्िर ही अ्िर वह कमि र पङने लगा ।
खि
ु ब खि
ु उसके दिमाग मं उसके न्हं बचपन की रील चलने लगी । िब
वह अपनी फूल सी बेटी क एक कंकङ चभ
ु ना भी बरिा्त नहीं कर सकता था
। वह अपनी ही गलती से गर िाती थी । ङर वह आग बबल
ू ा ह कर तमाम
न करं क क ङे मारता था । आखखर मेरी बेटी गरी त गरी ्यं । ्यं ?
उसके मँह
ु से तनकली बात आधी रात क भी पूरी की िाती । उसकी एक
मु्कान के सलये वह हीरे म ती लुटा डालता । ककतने ्वाव थे उसके । उसक
अपने हाथं ड ली मं वविा करने के मधरु ्यालं मं वह ककतनी बार र या ।
ङर आि । आि ्या ह गया उसे ? अगर उसकी बेटी ने अपने सपनं का
रािकुमार खि
ु चन
ु ा था । त इसमं क न सा आसमान टूट गया था । नहीं ।
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वह ऐसा कभी नहीं कर सकता कक अपनी ही रािकुमारी क अपने ही हाथं से


मार डाले ।
- हा ..हा..हा ठाकुर ि रावर ससंह । उसके दिमाग मं ठाकुरं के स्त चेहरे
अ्टाहास कर उठे - तेरी बेटी ने खानिान की नाक कटवा िी । एक गङररया
ही समला तुझे िामाि बनाने क । हा ..हा..हा ठाकुर ि रावर ससंह । एक पाल
लङका । हा ..हा..हा ठाकुरं ! तु्हारी ङरतं बाँझ ह गयी । अब ठाकुरं की
बेदटयाँ ऐसी िाततयं मं शादियाँ करे गी । हा ..हा..हा ठाकुर ि रावर ससंह । तेरी
गिि न नीची कर िी । इस नीच वै्या लङकी ने । हा ..हा..हा ठाकुर ि रावर
ससंह ।..अरे नहीं नहीं । ठाकुर ि रावर ससंह नहीं ।.. ि रावर गङररया ।
ि रावर गङररया ।. ि रावर पाल । हा ..हा..हा ठाकुर ि रावर ससंह ।. ि रावर
पाल । हा ..हा..हा ठाकुर ि रावर ससंह ।

वह पागल ह उठा । ङर न सुन सका । एक िूरता कफर से उसके कठ र चेहरे


पर छा गयी । उसने उन ि नं की तरफ से निर फेर ली । ङर ररवा्वर
वाला हाथ सीधा ककया ।
एक । ि । तीन । एक के बाि एक तीन ग सलयाँ िनिनाती हुयी उसके

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ररवा्वर से तनकली । ङर ववशाल के सामने तनकर खङी ह गयी र मा के


बिन मं समा गयी । खाम श शा्त तलघर उन रेसमयं की हाहाकारी चीखं से
गँि
ू उठा ।
यकायक । यकायक । िैसे ि रावर ह श मं आया । ये त र मा की चीख थी
। उसकी ्यारी बेटी की चीख । उसकी मासूम फूल सी ब्ची की चीख । उसने
चंककर तनगाह सीधी की । र मा की आँखे पथरा सी गयी थी । ववशाल उससे
सलपट कर र रहा था । उसने कफर से हाथ सीधा ककया । ङर िीवानगी मं
घ ङा िबाता चला गया । ववशाल का सर ककसी फटे तरबि
ू की भांतत ऐसे
बबखर गया । िैसे ससर कभी था ही नहीं । ससफि धङ ही था । उसने घ र
नफरत से ररवा्वर क फंका । ङर ि नं लाशं से सलपट कर फूट फूट कर
र ने लगा ।
- मझ
ु े माफ कर िे ना बेटी । वह िार िार र ता हुआ िीवाना सा उसे चम ू ता
हुआ ब ला -. मुझे माफ कर िे ना । तुझे तेरे बाबल
ु ने नहीं मारा ।.. तुझे
ठाकुर ने मारा ।.. ठाकुर ि रावर ससंह ने । ह्यारे ठाकुर ि रावर ससंह ने
।..सब ठाकुरं ने समलकर.. मेरी ्यारी बेटी क मार डाला ..उठ बेटी ..उठ..मं
तेरा बाबुल । एक बार ..बस एक बार..एक बार..अपने बाबुल क गले लग कर
ब ल - पापा मंने तु्हं माफ ककया ।
समतवाऽऽ.. भूल नऽऽ िानाऽऽ । तनमाङ की हरी भरी वादियं मं उस स्चे
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रेमी की आवाि िैसे अभी भी गँि


ू रही थी - नहीं िानता र मा ।..पर मं ये
िानता हूँ कक मं तु्हारे बबना नहीं िी पाऊँगा । अगर ये ल ग हमं समलने
नहीं िं गे । कफर हम यहाँ से िरू चले िायंगे । िरू । बहुत िरू । बहुत िरू ।
बहुत िरू ।
- ककतनी िरू ? वह उिास हँ सी हँ सती हुयी ब ली - ववशाल..ककतनी िरू ?
- शायि । वह रेम से उसक िे खता हुआ ब ला - शायि..इस धरती के पार ।
ककसी नयी ितु नयाँ मं । वहाँ । िहाँ ि रेसमयं के समलने पर क ई र क न ह ।
- चल पागल । अचानक वह ि र से खखलखखलाई - वहाँ कैसे िायंगे भला ।
तुम सचमुच िीवाने ह ।
- तनततन िी ! वह पहाङी पर चहलकिमी सी करती हुयी ब ली - हम िहाँ खङे
हं । ये वही वादियाँ हं । िहाँ कभी हमारे ्यार के गीत गँि
ू े थे । ववशाल ने
एकिम सच ही कहा था । हम एक नयी ितु नयाँ मं । उस ितु नयाँ से.. बहुत
िरू आ गये थे । मुझे ि ग ली छाती मं । एक पेट मं लगी थी । पर मेरे राण
नहीं तनकल रहे थे । वे त िैसे ववशाल का इंतिार कर रहे थे । वह मझ
ु से
सलपट कर र रहा था । तभी कुछ षणं बाि मझ
ु े उसकी ििि नाक चीख सुनायी
िी । ङर इसके साथ ही मेरी ह ने शरीर क छ ङ दिया ।

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म त । ्या ह ती है म त ? हमं पता ही न चला । ्यंकक हम त मरे ही न


थे । ग सलयाँ हमारा कुछ न बबगाङ सकी थी । हम त ्यं के ्यं िीववत थे
। ङर एकिम ठीक थे । म त हुयी थी । पर हमारी नहीं । शरीर की । हम त
िैसे के तैसे िमीन से उठकर िैसे वावपस बब्तर पर आ गये थे । मेरा बाप
हम ि नं के शरीर से सलपट कर र रहा था । बार बार हमारे पैर पकङ कर
माफी माँग रहा था । तु्हं है रानी ह गी तनततन । मुझे उस पर सचमुच िया
आ रही थी ।
्यंकक वा्तव मं उसने मझ
ु े नहीं मारा था । एक बाबल
ु अपनी बेटी क कभी
मार भी नहीं सकता । हमं क्टर ठाकुर िातत ने मारा था । एक झठ
ू ी शान
की दहंसक खन
ू ी पर्परा पर उसने अपनी नािं पली बेटी की बसल चढा िी ।
कफर मझ
ु े अपने बाप से ्या सशकायत ह ती । मझ
ु े मारने वाला ठाकुर था ।
ङर अब फूट फूट कर र रहा मेरा बाप था । तब मझ
ु े भी र ना आ रहा था ।
मं उसक तस्ली िे ना चाहती थी । पर कैसे ? तनततन िी कैसे ? ्यंकक अब
हम उस ितु नयाँ मं थे ही नहीं ।
- कफर आपने । अचानक तनततन ब ला - पिमा िी के प मं ि्म सलया ।
ङर ववशाल िी ने ?
वह यकायक खखलखखला कर हँ सने लगी । अतीत के उस िख
ु ि उिास कथानक
की धध
ुँ िैसे तनततन के उस मासूम से सवाल पर उस दिलकश ङरत की मधरु
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हँसी के साथ खील खील ह कर बबखर गयी ।


- अरे कहाँ तनततन िी । वह श ख मु्कान के साथ उसक िे खती हुयी ब ली -
आप भी कैसी बातं करते ह । मंने पिमा ्या । ककसी भी प मं क ई ि्म
ही नहीं सलया । अभी तक नहीं सलया । पिमा अलग है । मं अलग हूँ । आप
भी कमाल के ह ।
उसके दिमाग मं मानं भयंकर वव्फ ट हुआ । पिमा अलग है । मं अलग हूँ
। कफर ये क न है ? उसने एकिम चंक कर उसकी ओर िे खा । उसे । ि बेहि
शरारत से उसी क िे खती हुयी हँस रही थी । ङर िैसे आँखं ही आँखं मं
म न खलु ा चैलंि कर रही थी - ्या कमाल की कहानी सलखी है । इस कहानी
के लेखक ने । रािीव । .. कहानी ि उसने शु की । उसे कैसे क ई ङर
ख्म कर सकता है । ये कहानी है ।..
कफर अचानक वह सब कुछ भूल कर उससे सलपट गयी । ङर िीवानी सी
उसके हंठ चम
ू ने लगी । तनततन का बिन कफर फूल सा ह्का ह ने लगा ।
ङर उन ि नं के पैर वादियं की सर िमीं से उखङ गये

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तनततन िी ! ्यार शायि कुछ अलग ही ह ता है । पिमा छत पर ककनारे की


ओर बढती हुयी ब ली - शायि ्यार क समझ पाना हरे क के बस की बात
नहीं । िरअसल हम जिसे ्यार मान लेते हं । वह हमारे अंतर मं कहीं गहरे
छुपी िै दहक वासना ही ह ती है । ्यार की सही अनुभूतत के सलये इंसानी शरीर
का ह ना बहुत आव्यक है ।..ङर ये स्य । जिसे मं िीते िी न िान सकी
। मरने के बाि बबना ककसी रयास के मेरी समझ मं आ गया । अनभु व मं आ
गया ।
कहते भी हं । ि रेसमयं क िब ये बेरहम ितु नयाँ िीते िी नहीं समलने िे ती
। तब वे मर कर एक ह िाते हं । कम से कम ये बात हमारे ऊपर त स्य
हुयी थी । हम एक ह चक ु े थे । अब क ई कैसी भी र क ट क नहीं थी । हम
मं एक िसू रे के सलये ्यार भी था । पर ्यार की वह तङप िाने ्यं ख्म
ह गयी थी । ि मिा उस व्त िि
ु ाई मं था । समलन मं न रहा । हमारे
सीने मं दिल त था । पर उस दिल मं रेम की सुलगती हूक न थी । वह
अनिान ििबाती आग िैसे बुझ ही गयी ।
तब मंने कई बार इस बात पर स चा । ङर यही तन कषि तनकाला कक मनु य
शरीर मं क ई खास बात ऐसी है । ि ्यार की अलग ही अनुभूतत कराती है ।
पर अब ्या ह सकता था । हम बािी हार चक
ु े थे । कुछ भी ह । मं स्य
कहती हूँ । ि ्यार की आग तब मं िलती हुयी महसूस करती थी । व बाि
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मं न रही । ववशाल की भी व तङप व बेकरारी ख्म सी ह गयी ।


हम इसी ब्ि घर मं रहने लगे । रेमी समल गये । पर रेम ख गया । ठाकुर
ि रावर ससंह क िैसे इस घर से नफरत ही ह गयी । घर । ि उसकी बेटी
का ह्यारा था । करगाह था । उसने इस घर मं ताला डाल दिया । पर
शायि..शायि उसक भी मालूम न था कक उसकी बेटी अपने रेमी के साथ इसी
घर मं रहती है । ङर कफर धीरे धीरे समय गुिरने लगा ।
समय । ि एक छ टी बासलका क लङकी मं बिल िे ता है । लङकी क िवान
लङकी मं । ङर िवान लङकी क िवान ङरत मं । ङर िवान ङरत क
पररप्व ङरत मं । पररप्व ङरत । से्स की भूखी । ङर अ्य्त ङरत
। भूख । से्स..से्स..ससफि� �� से्स ।
- आऽऽह । वह कराही - मं ्यासी हूँ ।
- तनततन िी ! म त के बाि 5 त्वं का ्थल
ू शरीर छूट िाने पर इस अिीव
शरीर मं इंसानी शरीर िैसे बिलाव नहीं ह ते । वह वैसा का वैसा ही ठहर
िाता है । िैसा म त के समय था । ब्चा मरे त ब्चा । बढ
ू ा मरे त बढ
ू ा
ही रहे गा । पर कामनायं िवान ह िाती हं । तब एक बढ
ू ा अशरीरी भी वासना
का ऐसा ही भख
ू ा ह िायेगा । ्यंकक उसके इस शरीर मं बढ
ु ापे की तनबिलता

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नहीं ह ती । ङर आप िानते ही हं । इंसान हमेशा शरीर से बूढा ह ता है ।


दिल से िवान ही रहता है ।
रात धीरे धीरे अपने सफर क पूरा कर रही थी । वह बङे कृमब्ध ढं ग से
बाकायिा कहानी क सुना रही थी । पर उसकी समझ मं िैसे कुछ भी नहीं
आ रहा था । ्या अिीब घनच्कर कहानी थी । ये ही नहीं पता लग रहा था
। शु ह रही है । ख्म ह रही है । या बीच मं ही अटक गयी । या कफर
क ई कहानी है भी या नहीं ? वह जितना आगे कहानी सन
ु ाती िा रही थी ।
कहानी सल
ु झने के बिाय ङर उलझती ही िा रही थी । आखखर ्या ए्ड है
इस कहानी का ? उसका दिमाग िैसे घम
ू कर रह गया ।

आऽऽह । अचानक वह तङप उठी - मं ्यासी हूँ ।


- तब तनततन िी ! वह झुक कर नीचे आँगन मं झांकती हुयी ब ली - मेरे
अ्िर भी भयंकर काम वासना िाग उठी । मेरा सम्त च्तन ससफि िै दहक
वासना क त्ृ त करने पर केज्ित ह गया । य तन वासना । ङर इसीसलये
कफर धीरे धीरे मुझे मनु यं से नफरत ह ने लगी । घ र नफरत । ्यंकक इसी
मनु य के सामाजिक तनयमं ने हमारा वह शरीर हमसे छीन सलया था । ि
सही अथं मं काम वासना क स्तु ट कर सकता है । त्ृ त कर सकता है ।
ङर मंने िाना । मेरे अ्िरourhindi.com
काम वासना की अज्न रच्ड प से िहक रही
थी । रच्ड काम वासना । से्स.. से्स.. ससफि से्स । ङर कफर मं
आसपास के ल गं क अपनी वासना का सशकार बनाने लगी ।
वह ससफि तंर मंर िानता था । कुछ हि तक ऐसी बातं की ककताबी िानकारी
भी उसे थी । पर रेतं से सीधा स्पकि ङर उनकी असल ज्थतत से उसका
वा्ता पहली बार ही पङा था । इससलये िब वह क ई बात बताती थी
तब बीच बीच मं उसके दिमाग मं सवाल पैिा ह िाते थे । लेककन र का ट की
करने से उसके बहाव मं बाधा आ सकती थी । उसका ख कहीं ओर भी मढ

सकता था । ह सकता था । वह आवेश ही ख्म ह िाये । ङर तब वह
पररणाम ह ना । ससफि समय की बरबािी ङर खि
ु की गयी मूखत
ि ा ही ह ती ।
इससलये कसमसाता हुआ भी वह चप ु ही रह िाता ।
वे ि नं िैसे खङे खङे थक गये थे । तब वह िाकर बंच पर बैठ गयी ।
- एक बात बताईये तनततन िी । अचानक वह मधरु ्वर मं अिा से ब ली -
क्पना कररये । एक ्री पु ष हं । उनका क ई पररवार नहीं । क ई ब्चे
आदि नहीं । जि्िगी की क ई जि्मेिारी । क ई तनाव नहीं । यहाँ तक कक
कपङे भी न पहनं । ङर पूणत
ि ः न्न रहं । आप इस तरह समखझये । ि
न्न ्री पु ष िंगल मं हं । पेट की भूख के सलये फल खा लेते हं । ङर

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नींि आने पर पतं पर स िाते हं । तब बाकी समय उनके दिमाग मं ्या


घूमेगा ?
वह कुछ न ब ला । ङर चप
ु ही रहा । ्यंकक उसे पता था कक आगे वह ्या
कहने वाली हं ।
- से्स ..से्स..ससफि से्स..आऽऽह । वह हंठ काटती हुयी ब ली - मं ्यासी
हूँ ।
यकायक वह कुछ िे र के सलये शा्त ह गयी । ङर िरू श्
ू य 0 मं घरू ती रही
। कफर उसने एक गहरी सांस सी ली ? ङर बङी अिीव निरं से उसे िे खा ।
- कफर ्या हुआ ? वह उ्सकु ता से ब ला ।
- कफर । उसने निरं झक
ु ा कर उं गसलयाँ चटकाते हुये कहा - कफर कहानी की
हीर इन क बहुत ि र से ्यास लगी । ङर वह कहानी ही भल ू गयी ।
्यंकक..्यास .. बहुत ि र से ।..्यास ।..्यास लगी ।..कफर ।..कफर । बहुत
ि र से ्यास लगी ।..्यास ।
अगर वह उससे कुछ चाहता था । त कफर वह भी उससे कुछ चाहती थी ।
िीवन शायि इसी स िे का ही नाम है । अपनी अपनी चाहतं का मुनाफे यु्त
स िा । कफर क न नहीं करता । पतत प्नी । बाप बेटा । माँ बेटा । भाई भाई
। रेमी रेसमका । सभी रर्ते । स्ब्ध के अनुसार अपने अपने ्वाथि से ही
िुङे हं । ourhindi.com

सभी िैसे कुछ िे कर कुछ खरीिते हं । कुछ लेकर कुछ बेचते हं । तब वह


अपनी कीमत चाहती थी । त उसमं गलत ्या था ? कुछ भी नहीं । कुछ भी
त नहीं ।
वह ककसी म ल चक
ु ायी महारानी ्वारा खरीिे िास की तरह उसकी ओर बढा
। ङर उसे अपनी ग ि मं उठा कर तखत पर डाल दिया । एक सधे मशीनी
अ्िाि मं उसने उसका ्लाउि ऊपर कर दिया । ङर उसके मल
ु ायम ्तनं
क मसलने लगा । वह िल बबन मछली सी तङपने लगी ।
- आऽऽह । वह उसके बसल ठ चंगुल मं फङफङाई - मं ्यासी हूँ ।
न कर । म ल लेकर सेवायं िे ने वाला सेवक । शायि ककये िा रहे ककसी भी
कायि मं उसकी तनिी अपन्व भावना कभी नहीं ह ती । कम से कम अभी त
वह वही था । तब उसने उसके ्तनं पर वही कठ रता दिखाई । िैसी उसकी
चाहत थी । अगर वह पूरी कीमत िे रही थी । त कफर उसे भी स्चा स िा ही
करना चादहये था । भरपूर कीमत । त खरा माल ।
उसने उसके ि नं ्तनं क िकङ सलया । पिमा उसकी बेहि स्त पकङ से
छूटने के सलये ऐसे छटपटाने लगी । िैसे उसके बिन मं ववधत
ु के झटके से

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लग रहे हं । स्ती । इस मीठे ििि से बेतरह तङपती भूखी ङरत आखखर उस


समय ङर चाहती भी ्या है । स्ती । भरपरू स्ती । िैसे उसे महीन
महीन पीस डाला िाये । िैसे उसक कतरा कतरा काट दिया िाये । िैसे
उसकी धज्ियाँ उङा िी िायं । िैसे उसक ई सा धन
ु दिया िाये । ङर
िैसे उसके बखखये से उधेङ दिये िायं ।
इससलये उसे उसकी चाहत से भरपूर तङप से । ििि से । चीखं से । िैसे क ई
कैसी भी सहानभ
ु तू त नहीं थी । वह त ककसी पण
ू त
ि या तनिि यी कसाई की भांतत
ल्बा पैना धारिार चमकता लपलपाता छुरा लेकर उसक ससफि हलाल करना
चाहता था । उस घबरायी सहमी डरी बकरी की समसमयाहट उसमं उ्टा ि श
भर रही थी । उसके बिन मं िैसे ि श का लावा सा फूट रहा था ।
- म.म..मंऽऽ मंऽऽ मंयऽऽ । वह तेिी से उलटी पलटी - छ ङ मझ
ु .े . तनिि यी..
मंऽ मंऽु आंऽ आंऽऽ आऽऽई मर गयी ।
उसने ककसी माँस से लबालब भरी म टी बकरी की तरह ही उसे पकङ कर
खींचा । ङर उसक कमर से घुमाकर उलटा ककया । खन
ू पीने क आतुर गमि
छुरे क अ्िर महसूस करते ही वह गला फाङकर च्लाई । उसके क्ठ से
तनर्तर ििि की चीखं तनकलने लगी । पर कसाई अपनी पूरी कारीगरी दिखाता
हुआ उसे बङी शाज्त से हलाल कर रहा था । ङर कफर तङपते तङपते वह
शा्त ह गयी । ourhindi.com

कभी कभी िीवन की क ई रात बङी ल्बी बङी रह्यमय सी ह िाती है ।


िैसे कयामत की ही रात ह । ये रात उसके सलये ऐसी ही थी । कयामत की
रात । उसे लग रहा था । िैसे सैकङं वषि गुिर गये हं । ङर िस
ू रे ही ऐसा
भी लग रहा था । िैसे व्त ही ठहर गया ह । हाँ । शायि कभी कभी
तनर्तर गततमान समय ठहर भी त िाता है । िैसे आि ठहर गया था ।
- पिमा िी । अचानक वह कुछ स चता हुआ सा ब ला ।
- अरे पागल ह ्या । वह ककसी मनचली ङरत की भांतत तेिी से बात
काटती हुयी ब ली - कहा ना । मं पिमा नहीं हूँ । पिमा अलग है । मं अलग
हूँ । तनततन िी आप भी परू े ल्लू मालूम ह ते ह । एकिम बु्धू ।
वह कफर चप
ु रह गया । अब कहता भी त ्या कहता ? बस उसके ब लने का
इंतिार ही करता रहा ।
- मुझे हँ सी आती है । अचानक वह कुछ ग्भीर ह कर ब ली - संसार के
मनु यं की रेतं क लेकर कैसी अिीव अिीव सी स च हं । िैसे रेत ककसी
मायावी राषस िैसे खतरनाक ह ते हं । वह उनक मार डालंगे । उनका बङा
नुकसान कर िं गे । ङर तनततन िी । आ्चयि इस बात का है । िबकक उ्हं

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अ्छी तरह मालूम है । क ई भी मरा हुआ इंसान ही रेत बनता है । है ना


कमाल की बात । जि्िा इंसान मरे इंसान से डरता है । जिस िीव की वासना
तनयम अनुसार उन िदटल कमि गु्छं मं उलझ िाती है । अटक िाती है ।
जिनसे रेत्व का तनमािण ह ता है । तब सीधी सी बात है । वह मर कर रेत
ही बनेगा ना ।..है ना । ङर इन वासनाओं मं सबसे रमुख वासना ह ती है -
कामवासना । से्स ..से्स..ससफि से्स ।
ङर मझ
ु े है रानी थी कक मझ
ु लैला मझ
ु हीर मझ
ु शीरीं मझ
ु िसू ल़ट िैसी
रेसमका मं । जिस वासना का उसके मनु य िीवन मं नाम तनशान भी शायि
नहीं था । वह मरने के बाि । ककसी ्वालामख
ु ी सी फटी । तनततन िी यही है
। शायि सदियं सदियं से ्यासी ङरत । भख
ू ी ङरत ।
पर सबके साथ ही ऐसा ह ता ह । ऐसा भी शायि मं तन्चय से नहीं कह
सकती । ्यंकक मरने के बाि ववशाल मं ऐसी क ई उतेिना नहीं थी । वह
्यािातर शा्त ठ्डे तलघर मं पङा रहता । ङर रात ह ते ही वीरानं मं
तनकल िाता । पर मं कहीं नहीं िाती थी । मं यहाँ आसपास की ब्ती की
स यी ज्रयं मं रवेश कर िाती । ङर उनके मा्यम से उनके पततयं का रस
चस
ू ती । काम रस । इससे मुझे एक अिीव सी तजृ ्त हाससल ह ती ।
कफर कई साल ङर गुिर गये । ङर अचानक इस मनहूस ब्ि घर मं िीवन
की नयी चहल पहल शु हourhindi.com
गयी ।

उिाङ पङा ये घंसला िैसे आवाि ह गया । इसमं रेम परर्िे एक बार कफर
से चहचहाने लगे । एक बार त मं आ्चयि चककत ही रह गयी । ठाकुर
ि रावर ने ये घर बेच दिया था । ङर एक पतत प्नी एक िवान लङके के
साथ इस घर के नये मासलक बन कर आये थे ।
उस बेहि स्
ु िर सरल अ्सरा सी ङरत का नाम पिमा था । उसके सीधे साधे
पतत का नाम अनरु ाग था । ङर पिमा के गठीले िवान िे वर का नाम मन ि
था ।
यकायक िैसे उस पर उिासी सी छा गयी । एक गहन अपराध ब ध िैसे
उसके भावं मं घुलने लगा । एक रायज्चत की पीङा सी बार बार उसके चेहरे
पर आने िाने लगी । कुछ कहने से पहले ही उसका क्ठ भराि गया । कफर
िैसे तैसे करके उसने अपने आपक संभाला ।
- नफरत । िलन । वह कुछ कुछ भरािये ्वर मं ब ली - इंसान से गहरे पाप
करा कर उसे पतन के अथाह गति मं गरा िे ती है । ववशाल क इस पररवार के
अचानक आ िाने से बहुत खश
ु ी हुयी । वह इनकी खसु शयाँ ही िे ख कर िैसे
खश
ु ह िाता था । च ङया सी चहकती । क यल सी कूकती । तततली सी

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उङती । म रनी सी चलती । दहरनी सी उछलती । फूलं सी महकती पिमा


..पिमा िैसे क ई ङरत न ह कर िीती िागती बहार थी । बहार ि कफिा मं
रं ग भर िे ती है । बहार ि हर दिल क मचलने पर मिबूर कर िे ती है ।
खिु मुझे भी उसे िे खना बहुत अ्छा लगता था । उस ्री मं ि सबसे खास
बात थी । उसे ककसी से भी क ई सशकायत ही न थी । वह त िैसे हर रं ग
अपनी म्ती मं म्त रहती थी ।
कई महीने गि
ु र गये । हम ि नं त इन नये रेम पंतछयं क िे ख कर मानं
खि
ु क ही भल
ू गये । कभी कभी मं स चती थी । पिमा पर सवार ह िाऊँ ।
ङर उसके ्वारा अपनी हवस परू ी क ँ । पर उसके अज्त्व मं ि एक
अिीव सा िे व्व था । उससे मझ
ु े एक अनिाना सा भय ह ता है । वह इतनी
्यारी लगती थी कक उसके रतत क ई बरु ा स चना भी नहीं अ्छा लगता था ।
ङर कफर मंने पिमा का एक नया प िे खा । उ्म्
ु त य वन की म्
ु त बहारं
लुटाने वाला प । उसकी निर मं संसार के सारे स्ब्ध बनाबटी थे ।
बेमानी थे । ससफि िीवन ्यापार क सुचार प से चलाने के सलये तमाम
स्ब्ध गढे गये थे । वरना संसार मं ससफि ि ही स्ब्ध असली थे । ्री
ङर पु ष । ि एक िस
ू रे की इ्छाओं के पूरक थे ।
उसका मानना था कक वह अपने ्यासे िे वर क य न किया स्तुज ट से
स्तु ट कर िे । इसमं कुछourhindi.com
भी गलत नहीं था । वह अपने िे वर से खि
ु की
य न भावनाओं क स्तु ट करे । इसमं भी कुछ गलत नहीं था ।
्यंकक अगर ्यास है । त ्यासा कहीं न कहीं ्यास बुझायेगा ही । उसका
िे वर बाहर ककसी कँु वारी ्याही ङरत से यही तजृ ्त पाता है । तब भी यही
बात है । वह खि
ु के सलये बाहर उपाय तलाशती है । तब भी यही बात है ।
कफर इस तरह का ्री पु ष पररचय । इस तरह का ्री पु ष समलन । घर मं
्या गलत था । इससलये िे वर भाभी भी अपनी िगह । ङर ्री पु ष भी
अपनी िगह ।

हाँ लेककन कुछ खास र्त स्ब्धं के रतत उसका ऐसा निररया नहीं था ।
िैसे बाप बेटी । माँ बेटा । भाई बहन । ्यंकक उनकी क ई आव्यकता भी
नहीं थी । लेककन बाकी सभी स्ब्ध उसकी निर मं ्री पु ष स्ब्ध ही
थे ।
ङर तनततन िी । तब शायि मुझे पिमा ने रेम की एक नयी पररभाषा
ससखाई । एक नया पाठ पढाया । वह खल
ु े अधखुले अंग से अ्सर मन ि के
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सामने भी आ िाती । ङर वे एक िस
ू रे से आकवषित ह कर मधरु काम िीङायं
करने लगे । ङर मं । मं मन मस स कर रह िाती । िस
ू रे ्री पु षं के पास
िाने की मेरी इ्छा ही ख्म ह गयी । अब मं ससफि पिमा क चाहती थी ।
पिमा ह ना चाहती थी । ससफि पिमा ।
मेरे अ्िर एक अत्ृ त आग सी लगातार िलने लगी । मं अपने ही िाह से
िल िल कर क यला राख ह ने लगी ।
उनके रेम मं कुछ अलग सा था । कुछ अलग सा ? शायि उस अलग से की
ही ्यास हर ्री पु ष मं है । उनकी वासना कामवासना भी थी । ङर पववर
रेम भी । वे पतत प्नी का भ ग भी करते थे । ङर बङे ्यासे भाव से एक
िस
ू रे की तरफ खखंचते भी थे । िैसे ि्म ि्म के रेमी रेसमका हं । मं
पिमा का यह ववशेष गण
ु िे ख कर अतत है रान थी । भ ग के समय वह एक
ू ि पररप्व ्री ह ती थी । कामवासना के चरम पर पहुँचने ङर पहुँचाने
पण
वाली । ङर रेम कक्ल ल करते हुये वह एक अनछुयी कंु वारी लङकी सी सहमी
सकुचाती शरमाती नयी नयी रेसमका सी निर आती । वह एक पूणि प्नी भी
थी । ङर एक आिशि भाभी भी । वह एक कुशल गह
ृ णी भी थी । ङर उन
ि नं इंसानं के सलये ममतामयी माँ िैसी भी ।
हाँ तनततन ममतामयी माँ । अपने पतत ङर िे वर की माँ । इस ङरत क
पढना बहुत मुज्कल था । िानना असंभव था ।
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तब मुझे उस सुखी ङरत के अतत सख ु ी िीवन से िलन ह ने लगी । बेहि


िलन । इंसानं से मुझे वैसे भी नफरत ह चली थी । तब खास रेम मं सफल
इसानं के रतत वह ङर भी ्यािा थी । ङर वह वही थी । रेम रस मं
नहायी हुयी । अंग अंग सराब र रेम माधरु ी पिमा । इससलये अब हर हालत मं
मं उसका वह सुख खि ु रा्त करना चाहती थी ।

ङर कफर हर र ि शाम ढले इस घर मं ह ने वाली दिया बाती एक दिन ब्ि


ह गयी । ये घर कफर मनहूस वीरान शमशान सा रेतवासा ह गया । इसमं
्यार के पंछी चहकने ब्ि ह गये ।
- र मा ! कफर ववशाल बेहि नफरत से मुझसे ब ला - ह्याररन । नीच । तन
ू े
ये ्या ककया ? ककसी की खसु शयाँ तुझसे बरिा्त नहीं हुयी । ङर कमीनी तूने
उन सबक मार डाला ।
- ह हाँ । मंने नफरत य्
ु त मगर अपराध ब ध भाव से कहा - शायि इस
संसार मं ऐसा ही ह ता है । इसका यही तनयम है । हम ककसी िस
ू रे क खुश
ह ता नहीं िे ख सकते । हमारे तन बिन मं आग लग िाती हं । तब हम हर
संभव उपाय कर उसकी खसु शयाँ छीन ही लेते हं । सब यही त करते हं । कफर

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मंने ्या गलत ककया ववशाल ?


- ये अपने दिल से पूछ ह्याररन । वह बेहि घण
ृ ा से ब ला - तूने ्या गलत
ककया । ्या सही ककया । तेरा दिल
खि
ु तुझे इसकी स्ची गवाही िे गा ।..अरे तू कैसी रेसमका है ? तेरे अ्िर त
िहरीली ना गन बैठी हुयी है ।
तनततन भी एकिम ह्का ब्का सा रह गया । उसके दिल पर िैसे ककसी ने
िबरि्त च ट मारी ह । लेककन वह ि कह रही थी । उसे सन
ु कर त उसका
दिमाग न ससफि आसमान मं उङ रहा था । बज्क उसे भयंकर घम
ू ा आ रहा था
। ्यंकक ि कह रही थी । ि सामने बैठी थी । वह उसके दहसाब से पिमा
ही थी । हं रड
े परसंट पिमा । अब ्या करे वह ? कैसे ये ग्ु थी सल
ु झे । अगर
बीच मं र का । त कहानी बबना ए्ड के समा्त ह सकती है ।
ववशाल क मझ
ु से घ र नफरत ह गयी थी । वह आगे ब ली । वह मझ
ु े मेरे
हाल पर छ ङकर उसी समय कहीं चला गया । ङर मंने भी उसके पीछे िाने
की क सशश नहीं की । ्यंकक अब मुझे उसमं क ई दिलच्पी भी नहीं थी ।
- लेककन तनततन िी ! वह भरािये ्वर मं ब ली - मेरे रेमी ने ठीक ही कहा था
। मंने उनके खश
ु हाल िीवन क िला डाला था । उसमं आग लगा िी थी ।
पर..पर ्या मं ऐसा िीवन ककसी का बना भी सकती थी ?
हाँ तनततन िी ! िब एक दिन वह पररवार छु्दटयं मं कार से घूमने गया था
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। पता नहीं । मेरी िलन के चलते मुझे ्या सनक सवार ह गयी । मंने
उनकी गाङी का स्तुलन बबगाङ दिया । ङर वह गहरी खाई मं िा गरी ।
वही त व दिन था । िब इस घर मं सांझ का िीपक िलना ब्ि ह गया ।
्यंकक व िीपक िलाने वाली तीनं जि्ि गयं के ही िीपक बुझ चक
ु े थे ।

इस रह्यमय कहानी की तरह आि की रात भी बेहि रह्यमय थी । ङर


िैसे इसका रह्य खल
ु ने के इंतिार मं हीकी हुयी थी । जि्िगी ने उसे
कैसे घनच्कर मं लाकर फँसाया । उसने स चा ।
- तनततन िी ! वह आगे ब ली - यह बात एक मिेिार अटल सच की तरह है
कक - ि ह ता है । वह दिखाई नहीं िे ता । ङर ि दिखाई िे ता है । वह ह ता
नहीं है । यदि तुम इसी बात पर ्यान िे ते । त इस कहानी मं क ई रह्य
था ही नहीं ।
इस कहानी के तलघर का िरवािा इसी िीने के नीचे बने ्ट र के अ्िर से
गया है । पर मुझे नहीं लगता कक उस तलघर मं अब आपकी क ई दिलच्पी
ह गी । उस शमशान मं ि काली छाया ङरत तु्हं दिखाई िे ती थी । वह
र मा थी । एक शज्तशाली रेतनी । मगर इस पररवार की ह्या के रायज्चत

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ङर घ र अपराध ब ध से तघरी ।
र मा ही तु्हं यहाँ इस घर तक लायी थी । िब उसने तु्हं अ्सर शमशान
मं बैठे िे खा । वहाँ ि लङका मन ि िीपक िलाने िाता था । वह िरअसल
क ई इंसान नहीं । रेत का भाससत छाया प था । ि र मा के कमाल से
तु्हं िीव्त िीख रहा था । वैसे रेत असल ज्थतत मं उसी तरह दिखते हं ।
िैसा तुमने उस काली छाया ङरत क िे खा ।
िरअसल तनततन तम
ु ने ग र भी नहीं ककया । ङर तम
ु तबसे लेकर अब तक
मेरे एक खास रकार के रेतक स्म हन मं बँधे हुये ह । इससलये त्
ु हारा
उधर ्यान भी नहीं गया । िब मन ि त्ु हं यहाँ लाया था । तब वह घर के
म्
ु य ्वार से न लाकर पीछे के ्वार से लाया था । इस घर के म्
ु य ्वार
पर त सालं से ताला लटक रहा है । ्यंकक ये घर खाली पङा रहता है ।
इसका वपछला ्वार खलु ा हुआ है ।
िब तुम गली से आगे च राहे पर ससगरे ट लेने गये । तब भी तुम अपनी उधेङ
बुन मं ठीक से यह न िे ख पाये कक वह गली एकिम सूनी ङर इंसानी िीवन
से रदहत है । इस घर के वपछवाङे ि गने चन
ु े मकान है । वह इसी की तरह
ब्ि रहते हं । ङर बरसं से खाली पङे हं । ्यंकक इस मकान मं रहने वाली
रेतनी की विह से ल ग धीरे धीरे अपना घर छ ङ गये ।
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िैसा कक मंने कहा । तु्हं शमशान से यहाँ तक लाने वाली । मं एक


शज्तशाली रेतनी हूँ । इससलये यहाँ आने से लेकर अब तक के समय मं ि
तम
ु ने पिमा आदि के अतीत के रं गीन चर िे खे । वह मेरी विह से संभव हुये
। मंने त्
ु हं इस घर मं गि
ु रा अतीत वतिमान की तरह दिखाया । ि कक
तम
ु ने खास स्म दहत अव्था मं एक रं गीन सपने की तरह िे खा । पर
वा्तव मं उसके पार ससफि छाया थे । ि त्
ु हं असल िैसे महसस
ू ह रहे थे
। िैसे अभी मं ह रही हूँ ।
त्ु हं याि ह गा । त्
ु हारे पररचय पछ
ू ने पर मंने ि बिन कहा था । पिमा
ङर उसके घर वालं के मर िाने पर हमारी आपस मं समरता ह गयी । हम
सब यहीं एक साथ अब भी रहते हं । ि सु्िर शरीर तुम िे खते थे । वह
पिमा का था । ि मधरु मनचली लुभावनी हरकतं तुमने िे खी । वह भी पिमा
की थी । लेककन िव वह ववकृत प ह उठती थी । वह र मा थी । ङर र मा
की अत्ृ त काम वासना । इस तरह तुमने अ्सर समली िुली पिमा र मा क
साथ साथ िे खा ।
र मा के सू्म शरीर मं कुछ ववशेष गुण थे । ि मेरे शरीर मं नहीं हं ।
इससलये वह मेरी ताकत से असली िैसा शरीर रकट कर लेती है । पर वह

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असली दिखता ही है । ह ता नहीं । हम ि नं अलग अलग भी रहते हं । ङर


कभी एक ही शरीर मं भी ह िाते हं । िैसे ककसी इंसान मं रेत आवेश ह ता
है । तब उसके जि्म मं ि हं ह ती हं कक नहीं । वा्तव मं त एक इंसानी
शरीर मं आठ हं ह िाना भी क ई बङी बात नहीं ।
अब वह सुन । खास जिसके सलये मंने यह सब ककया । ङर तु्हं यहाँ तक
लायी । तु्हारे गु से मेरी पहले ही बात ह चक
ु ी है । िरअसल मं पिमा ङर
उसके पररवार क लेकर बहुत अपराध ब ध महसस ू करती हूँ । ङर रायज्चत
करना चाहती हूँ । इस पररवार के ल गं का शायि ऐसा क ई नहीं है । ि
इनका सही रेतक सं्कार कर सके । ङर ि हं । उ्हं सही बात मालम
ू नहीं
ह गी कक ये रेत बन चक
ु े हं । ङर इनका ्या सं्कार ह ना चादहये ? ्यंकक
तम
ु इस ववधा के पज्डत ह । ङर रय ग भी करना चाहते थे । इससलये मंने
त्
ु हं चन
ु ा । जिसमं त्
ु हारे गु की परू ी सहमतत है । ये सं्कार परू ा ह ते ही
कुछ समय बाि ये तीनं हं रेत य तन से मु्त ह कर कफर नया मनु य
िीवन रा्त कर लेगीं । िबकक मं ऐसा नहीं कर सकती । ्यंकक मंने
अपराध भी ककया । ङर अपनी रच्ड कामवासना के चलते मेरा रेत्व ङर
भी मिबूत ङर ्थायी ह गया । अब । अचानक वह उसके पैरं से सलपट
कर ववनती करती हुयी ब ली - मेरी आपसे ववनती है कक पिमा अनुराग ङर
मन ि का सं्कार करा करourhindi.com
उसे रेत य तन से मु्त कराने मं मेरी सहायता
करं । ताकक मेरे दिल से यह ब झ हमेशा के सलये उतर िाये

एकाएक क ई बात नहीं सझ


ू ी । एक अिीव सा स्नाटा उसके दिमाग मं िैसे
सांय सांय कर रहा था । ङर कफर िैसे धीरे धीरे वह ह श मं आने लगा । तब
सामने बैठी पिमा के रं ग धध
ंु ले ह ने लगे ।
- पर । वह बेहि असमंिस से ब ला - अब त ये बता ि । अभी तम
ु पिमा
ह । या र मा ?
शायि अज्तम बार उसने एक दिलकश श ख म्
ु कराहट से उसे िे खा । ङर
बेहि शरारत से आँख मारती हुयी ब ली - ्या कमाल की कहानी सलखी है ।
इस कहानी के लेखक ने । .. कहानी ि उसने शु की । उसे कैसे क ई ङर
ख्म कर सकता है । ये कहानी है ।..
अचानक उसकी भाससत आकृतत बहुत ही धधुं ली ह गयी । ङर कफर वह
उसकी तनगाहं से अृ्य ह गयी । अब वह नहीं का । भ र का ह्का ह्का
सा धध
ुं लका फैलने लगा था । वह तेिी से िीना उतर कर नीचे आया । िाने
से पहले एक तनगाह उसने घर मं चारं तरफ डाली । वह मनहूस ब्ि घर हर
तरह के िीवन से शू्य 0 था । ङर बेहि खाम श था । उसमं चारं तरफ बस

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धल
ू उङ रही थी ।
उसने अपना ्कूटर बाहर तनकाल कर ्टाटि ककया । ङर ससगरे ट सुलगाते
हुये एक बार बङे ग र से उस ब्ि घर क िे खा । कफर उसकी तनगाह ब्ि
गली पर गयी । ब्ि मकानं पर गयी । उसके हंठ पर अिीव सी मु्कराहट
तैर गयी । ङर कफर वह तेिी से अपने घर की तरफ िाने लगा

। समा्त ।

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