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XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कु छ पुरानी यादें - Printable Version

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RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कु छ पुरानी यादें - desiaks - 08-18-2021

फिर मैंने डायना को एक और गर्मागर्म चुम्मी की और उसके मोटे गोल मम्मे दबाते हुए मैं बाहर जाने के लिए चल पड़ा और
डायना भी मुझको बाहर तक छोड़ने के लिए आई.
कोठी में नैना मेरा इंतज़ार कर रही थी, मुझको देखते ही मुझ पर बरस पड़ी- छोटे मालिक तुम भी ना ज़रा ध्यान नहीं रखते
अपना? गर्ल्स हॉस्टल में जाने की क्या ज़रूरत थी? तुम पर बड़ी भारी मुसीबत आ सकती थी और तुम बुरी तरह फं स सकते
थे!
मैं भी शर्मिंदा होते हुए बोला- वेरी सॉरी नैना… लेकिन मैं क्या करता मैं तो गोरी चमड़ी के चक्कर में फं स गया था और तुम
बिल्कु ल ठीक कह रही हो, मैं तो फं सते फं सते बचा हूँ.फिर मैंने उसको सारी कहानी सुना दी.
खाना खाने के बाद नैना ने बताया कि मेरे पीछे पूनम के भाई और भाभी का फ़ोन आया था और वो सब कल दोपहर में पहुँच
रहे हैं और उनके साथ 4-5 दूसरी औरतें भी होंगी, कल उनके रहने का इंतज़ाम भी करना पड़ेगा, कै से करें यह सब?
मैं बोला- भैया भाभी को नीचे का मम्मी के कमरे के साथ वाला कमरा दे दो और जो बाकी औरतें होंगी उनको ऊपर कमरे दे
दो, मेरे कमरे के साथ वाले कमरे. क्यों यह ठीक नहीं है क्या?
नैना कु छ झुंझलाई हुई लग रही थी लेकिन मैंने उसको जफ्फी मारी और साथ में उसको एक कामुक चुम्मी भी की और
उसको थोड़ा प्यार व्यार किया तो वो कु छ संयत हुई.
अगले दिन मैं जब कॉलेज से लौटा तो कोठी में काफी हलचल थी, सारे मेहमान आ चुके थे, वे मुझको बैठक में ही मिल
गए.पूनम और उसके परिवार के लोग बड़े गर्म जोशी से मिले और पूनम ने हम सब को एक दूसरे से मिलवाया.नैना ने उनके
खाने का बड़ा अच्छा अरेंजमेंट किया हुआ था, सबने खाने की बड़ी तारीफ की और नैना और पारो की मेहनत को खूब
सराहा.
अब मैंने आने वाले मेहमानों को ध्यान से देखा.पूनम के भैया काफी स्मार्ट और पढ़े लिखे लग रहे थे, उनके साथ आई औरतों
को देखा तो पूनम की भाभी काफी सुंदर और नखरे वाली लगी.
उनके साथ आई औरतों में से 2 पूनम की दूर की भाभियाँ थीं जो ज़्यादा स्मार्ट तो नहीं थी लेकिन शरीर से काफी सेक्सी लग
रही थी.उनमें 3 कमसिन उम्र की लड़कियाँ भी थी जो काफी आधुनकि सलवार सूट पहने हुये थीं लेकिन दिखने में कोई ख़ास
सूंदर नहीं लगी मुझको!
नैना ने उनके सोने का इंतज़ाम ऐसा किया हुआ था कि भैया भाभी को नीचे एक कमरे में और बाकी सब ऊपर मेरे कमरे के
साथ वाले 3 कमरों में ठहरा दी गई थीं.रात बड़ी देर तक पूनम और उसके रिश्तेदार औरतें मेरे कमरे में बैठी रही और खूब
बतियाती रही.
उनमें से एक बहुत ही तेज़ भाभी, जिसका नाम चंचल था, मेरे से बार बार आँखें चार कर रही थी और कई बार मैंने उसको
मुझको बेशर्मी से घूरते हुए पाया.एक दो बार वो उठते बैठते हुए मुझको छू जाती और आँखों ही आँखों में मुझको इशारा भी
कर रही थी.
पहले वो मेरे सामने ही बैठी थी लेकिन फिर वो टॉयलेट होकर आई तो मेरे साथ खाली जगह पर बैठ गई और उसके कं धे मेरे
कन्धों से रगड़ खा रहे थे.जब वो साथ बैठी तो दो बार उसने जानबूझ कर अपने मम्मे मेरे बाज़ू से रगड़ दिए जिसका मुझको
काफी आनन्द आया और यह भी महसूस हुआ कि वो काफी सुघटित शरीर वाली है.
रात को जब हम सब सोने के लिए उठे तो मैंने और नैना ने जाकर उन सबसे पूछा कि आपको किसी चीज़ की ज़रूरत तो नहीं
है.चंचल भाभी का कमरा मेरे साथ वाला ही था और उनके साथ एक थोड़ी सांवली सी कुं वारी लड़की सोई हुई थी.
भाभी ने, जब नैना का ध्यान कहीं और था, तब हल्की सी आँख भी मारी और मैं तत्काल समझ गया यह भाभी भी लण्ड की
प्यासी है.मैंने भी वापस आते हुए उसको आँख मार दी और उसको जता दिया कि मैं भी तैयार हूँ.
मैं अपने कमरे में अके ला ही सोया था और करीब आधी रात को मैंने साथ वाले कमरे में सोई चंचल भाभी के कमरे में झाँका
और यह देख कर हैरान हो गया कि भाभी अपनी साड़ी ऊपर उठा का अपनी चूत में ऊँ गली मार रही थी.उसकी आँखें मुंदी
हुई थी और वो बड़े ही कामुक अंदाज़ में अपने होंठ दांतों के नीचे दबा रही थी जैसे कि वो शीघ्र ही स्खलित होने वाली हो.
मैंने हल्के से खांसी की और भाग कर अपने कमरे में आ गया और अपने पजामे को नीचे करके अपने खड़े लंड को बाहर कर
दिया.जैसा कि मुझको उम्मीद थी, भाभी यह देखने के लिए उठी कि कौन खांस रहा है.
तब उसने मेरे कमरे में झांका और जब उस ने देखा कि मैं सोया हूं और मेरा लौड़ा एकदम अटेंशन खड़ा है तो वो एकदम चौंक
गई,डरते हुए वो मेरे कमरे के अंदर आ गई और मेरे खड़े लौड़े को बड़े ध्यान से देखने लगी.
फिर उसने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया और अपनी साड़ी ऊपर करके वो पलंग पर चढ़ आई और आते ही मेरे लण्ड को
चूसने लगी.मैं भी सोने का बहाना करके मस्त लेटा रहा लेकिन चंचल भाभी जब लण्ड चुसाई कु छ देर कर चुकी तो वो अपनी
साड़ी को ऊपर उठा कर मेरे खड़े लंड के ऊपर बैठने की कोशिश करने लगी.
उसकी चूत अति द्रवित हो चुकी थी तो वो जैसे ही लंड पर बैठी, मेरा लण्ड घप्प से उसकी चूत में प्रवेश कर गया और उसकी
मुलायम गुदाज जांघें मेरे पेट से रगड़ा खाने लगी.
उसकी आँखें मेरी आँखों की तरफ ही देख रही थी कि कहीं मैं जाग तो नहीं पड़ा लेकिन जैसे उसको चुदाई का आनन्द आने
लगा, उसने अपनी आँखें बंद कर ली और अपने सर को इधर उधर फ़ें क कर मेरी चुदाई करने लगी.
उसकी चूत से गाढ़ा और सुगन्धित द्रव्य निकल कर मेरे पेट पर गिर रहा था और वो बिना किसी हिचक के मेरे लंड पर ऊपर
नीचे होती रही.थोड़ी देर में वो तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगी और मुझको आभास हो गया कि शीघ्र ही वो स्खलित हो जाएगी.
मैं अब अपने आप को रोक नहीं सका और मैंने चंचल भाभी को फ़ौरन अपनी बाहों में बाँध लिया.चंचल भाभी पहले तो हैरान
रह गई यह सोच कर कि मैं सिर्फ सोने की एक्टिंग कर रहा हूँ और फिर वो खुश हो गई कि मैं भी उसको चाहता हूँ इस लिए
उसको सोते हुए भी उसको चोदने दिया.
अब मैंने चंचल भाभी को पलटी मार कर अपने नीचे पर लिया और मैं ऊपर चढ़ कर उसको जम के चोदने लगा.चुदाई की
स्पीड कभी तेज़ और कभी आहिस्ता करते हुए मैंने भाभी को जल्दी ही कनारे लगा दिया.
जब उसकी किश्ती किनारे पहुंची तो उसके शरीर से निकलने वाली लहरें इतनी तीव्र थी कि मेरी स्वयं की किश्ती भी
डांवाडोल होने लगी.लेकिन चंचल भाभी इतनी ज़्यादा कामुक हो चुकी थी कि उसने मुझको कस कर अपने शरीर से चिपका
लिया और नीचे से फिर धक्के मारने लगी.
मेरा लंड तो खड़ा था ही तो चुदाई का आलम फिर से शुरू हो गया लेकिन मैं अब भाभी को बहुत ही धीरे धीरे चोदने की
कोशिश कर रहा था.थोड़ी देर में भाभी फिर तेज़ी में आ गई और नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लंड का स्वागत कर
रही थी.
मैं भी आँखें बंद करके भाभी की टाइट चूत का आनन्द लेने लगा.तभी हल्की आवाज़ के साथ कमरे का दरवाज़ा खुल गया
और एक जनाना आवाज़ ने गुस्से के लहजे में पूछा- सतीश, यह क्या हो रहा है?
यह आवाज़ सुन कर मैं एकदम सकते में आ गया और जल्दी ही चंचल भाभी के गर्म और रसीले शरीर को छोड़ कर खड़ा हो
गया और अपने आप ही मेरे खड़े लंड का दरवाज़े की तरफ निशाना बन गया.मैं भौंचक्का हुआ आने वाले की तरफ देख रहा
था और आने वाले का मुंह मेरे लंड की दशा देख कर खुला का खुला रह गया.

कहानी जारी रहेगी.

RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कु छ पुरानी यादें - desiaks - 08-18-2021

चंचल भाभी और रश्मि भाभी की चुदाई

तभी हल्की आवाज़ के साथ कमरे का दरवाज़ा खुल गया और एक जनाना आवाज़ ने गुस्से के लहजे में पूछा- सतीश, यह
क्या हो रहा है?
यह आवाज़ सुन कर मैं एकदम सकते में आ गया और जल्दी ही चंचल भाभी के गर्म और रसीले शरीर को छोड़ कर खड़ा हो
गया और अपने आप ही मेरे खड़े लंड का दरवाज़े की तरफ निशाना बन गया.मैं भौंचक्का हुआ आने वाले की तरफ देख रहा
था और आने वाले का मुंह मेरे लंड की दशा देख कर खुला का खुला रह गया.
तभी हम तीनों को एक साथ होश आया और चंचल भाभी चिल्लाई- रश्मि तुम यहाँ क्या कर रही हो?रश्मि भाभी की नज़र
अभी भी मेरे लौड़े पर टिकी थी और वो उसको अपलक ताक रही थी.

रश्मि ने भी नाक मुंह सिकौड़ा और कहा- वाह चंचल, तू भी कितनी हरामी है री… तूने एक छोटे सी उम्र वाले लौंडे को भी नहीं
छोड़ा? हम सबने तेरे बारे में इतनी कहानियाँ सुनी थी और तू तो वाकयी में वैसी ही निकली. बोल शोर मचाऊँ और सबको
इकट्ठा करूं ? बोल बोल?
चंचल भाभी बोली- देख री रश्मि, गाली मत दे … तुम भी चुदाने में कहाँ कम हो? तूने नौकरों के साथ और स्कू ल के बच्चों के
साथ जो मुंह काला किया उसकी कहानी तो सारे शहर में मशहूर है. कै से पकड़ा था तुझको तेरी सास ने नौकर से चुदवाते
हुए?
अब मुझ से नहीं रहा गया और मैं अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उन दोनों की तरफ निशाना लगा करके उसको हवा में
लहलहाने लगा और उसके मुंह पर चमकती हुई पानी की एक बूँद की तरफ उन दोनों लड़ती हुई औरतों का ध्यान खींचने की
कोशिश करने लगा.मैं नकली गुस्से में बोला- भाभियों, लड़ती ही रहोगी या फिर कु छ इसका भी ख्याल करोगी?
दोनों ने झट मेरे लंड की तरफ देखा और आपसी लड़ाई भूल कर दोनों मेरे इर्दगिर्द खड़ी हो गई और मेरे अकड़े लंड को हाथों
में लेने की कोशिश करने लगी.मैं बोला- देखो भाभियो, लड़ाई छोड़ो और इस खड़े लंड का आनन्द ले लो, नहीं तो यह बैठ
जाएगा. मंज़ूर है क्या? अगर मंज़ूर है तो फ़ौरन अपने पेटीकोट और ब्लाउज उतारो और लेट जाओ पलंग पर!
दोनों औरतों ने फ़ौरन अपने कपड़े उतार दिए और अपनी झांटों भरी चूतों की नुमाइश मेरे सामने लगा दी.मैं उनकी आँखों में
बहुत अधिक वासना देख रहा था, मैंने फिर हुक्म दिया- अब पीछे मुड़ कर दोनों अपने चूतड़ों के दर्शन करवाओ. उसके बाद
एक दूसरी को किस करो, लबों पर और मम्मों को चूसो.
मैं अपने लौड़े को हाथ में लिए हुए उन दोनों के पीछे खड़ा हो गया और लण्ड को उनके गोल मोटे चूतड़ों पर रगड़ने लगा.फिर
मैंने उन दोनों को पलंग पर घोड़ी बना दिया और उनके पीछे बैठ कर बारी बारी से उनकी उभरी हुई चूतों में अपनी लण्ड
घिसाई करने लगा.
रश्मि भाभी जल्दी ही झड़ गई और एकदम पलट कर पलंग पर लेट गई और अपनी टांगों को पूरा खोल कर मेरे लौड़े को
अपनी चूत के अंदर ले गई और अपने चूतड़ उठा उठा कर चुदवाने लगी.दोनों भाभियाँ चुदाई के लिए बहुत ही तरस रही थी
और मुझको ऐसा लगा कि दोनों ही चुदाई से काफी देर से वंचित थी.
जब दोनों ही कम से कम 2-2 बार स्खलित हो गई तो दोनों ही मेरे साथ मेरी दोनों तरफ लेट गई.यह मौका अच्छा देख कर
मैंने उनसे पूछा- क्यों चंचल और रश्मि भाभी, आपके पति आपके साथ नहीं रहते क्या?
चंचल भाभी बोली- कहाँ रे लल्ला, वो तो नौकरी के सिलसिले में बाहर ही रहते हैं और साल में 2-3 बार छु ट्टी पर घर आते हैं.
इसी तरह रश्मि के पति भी बाहर नौकरी करते हैं और हम बेचारियाँ या तो ऊँ गली या फिर एक दूसरी के साथ अपना थोड़ा
बहुत काम कर लेती हैं.मैं भी मुस्करा कर बोला- तो आप चंचल भाभी नौकर से भी करवा लेती हैं अगर मौका मिले तो?
चंचल भाभी मुस्करा कर बोली- हाँ, एक हमारे घर में मुश्टण्डा नौकर सास ने रखा था जो घर का सारा काम करता था, अच्छा
तगड़ा था लेकिन बहुत ही शर्मीला था, मुझको बहुत पसंद था बस फिर जब मौका मिला तो…मैं और रश्मि बोले- फिर क्या
हुआ? फिर तुमने उसको कै से फं साया चुदाने के लिए?
चंचल भाभी बोली- मैं उस नौकर पर पूरी नज़र रखने लगी और एक दिन मैंने उसको उसके नहाने वाले छप्पर के नीचे पूरा
नंगा देख लिया. छप्पर की छत नहीं थी तो मैं अब हर रोज़ अपने घर के कोठे से उसको नहाते हुए देखने लगी. जब वो नहा
रहा होता तो उसका लण्ड बहुत ही छोटा होता था, वो मुझको वो ज़्यादा पसंद नहीं आ रहा था.लेकिन एक दिन मैं जब उसको
नहाते हुए देखने लगी तो मैंने देखा कि वो लंड को साबुन लगा कर मुठ मार रहा था. ऐसा करते समय उसका लंड मेरे पति के
लंड के बराबर हो गया था और उतना ही मोटा भी बन गया था.
अब मैंने सोचा क्यों न इस को फं सा लूं और इससे अपनी चूत मरवाऊँ . लेकिन सवाल यह था सतीश जी कि उसको फं साया
कै से जाए! क्योंकि वो अक्सर मेरे बेडरूम में आया जाया करता था, एक दिन जब वो मेरे कमरे की सफाई करने के लिए
आया तो मैंने अपनी साड़ी जानबूझ कर थोड़ी ऊपर खिसका दी और साड़ी के पल्लू को भी अपने वक्षस्थल से नीचे कर दिया

RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कु छ पुरानी यादें - desiaks - 08-18-2021

जिससे मेरे छातियों के उभार उसको साफ़ दिख जाएँ.


चंचल भाभी थोड़ी देर के लिए रुकी और मेरे खड़े लण्ड के साथ खेलने लगी और रश्मि भी मेरे अंडकोष और छातियों पर हाथ
फे र रही थी.रश्मि भाभी बोली- फिर क्या हुआ चंचल रानी, जल्दी बता ना, तू जानबूझ कर हमें तंग कर रही है.चंचल भाभी
खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली- अरे तुम ये बातें सुन कर उत्तेजित हो रहे हो, सोचो मेरा हाल क्या हुआ होगा. एक दो दिन
बाद फिर वो मेरे कमरे में सफाई करने आया तो मैंने साड़ी इतनी ऊपर कर दी ताकि उसको मेरी चूत पर छाए काले बाल थोड़े
से दिख जाएँ.
अब वो सफाई कम कर रहा था और मेरी चूत की तरफ बार बार झाँक रहा था और जैसे ही उसको बाल दिख गए तो उसका
लौड़ा उसकी धोती में खड़ा होना शुरू हो गया. मैं सोये हुए होने के बहाने अपनी साड़ी को और भी ऊपर करने लगी जिससे
उसको सब चीज़ें साफ़ दिख जाएँ.मैं बोला- कौन सी सब चीज़ें?
यह कह कर मैं चंचल की चूत में ऊँ गली डाल कर उसकी भग को सहलाने लगा और यह देख कर मुझे ख़ुशी हुई कि वो अब
पूरी तरह से पनिया रही थी.
चंचल भाभी कहानी जारी रखते हुए बोली- अरे सतीश, सब चीज़ों का मतलब पूरी तरह से चूत के दर्शन और मेरे मम्मों की
झलक इसी से तो आप जैसे शहसवारों के लंड खड़े होते हैं ना?
उधर नौकर का भी लंड अब पूरे जोबन में खड़ा था लेकिन धोती की कै द में था. अब वो एक हाथ से अपने लंड को धोती के
बाहर से सहलाने लगा और दूसरे से सफाई करता रहा.
उस दिन उसने सफाई में ज़रूरत से ज़्यादा टाइम ले लिया और जब वो सफाई कर के बाहर गया तो मैंने भी अपनी साड़ी उठा
कर एक ज़बरदस्त ऊँ गली चूत में मार दी और सर सर करती हुई थोड़ी देर में मैं झड़ गई.
मैं बोला- भाभी यह बताओ कि तुमने उसके साथ चुदाई कै से और कहाँ की?चंचल भाभी बोली- मेरी सास रोज़ 11 से 2 बजे
दिन को मंदिर में कीर्तन भजन करने जाती थी तो एक दिन मैंने ऐसा जाल बिछाया कि जैसे ही सास मंदिर के लिए निकली, मैं
पूरी नंगी होकर बाथरूम में नहाने के लिए चली गई. वहीं से मैंने नौकर को आवाज़ मारी और जब वो आया तो उसे तौलिया
देने के लिए कहा.
जैसे ही वो तौलिया लेकर अंदर घुसा, मैंने दरवाज़े के पीछे से उसको लंगड़ी मारी और धड़ाम से वो मेरी बाहों में आ गिरा. बड़ी
मुश्किल से उसको सम्भाला और उसको उठाते हुए उसकी धोती को भी ढीला कर दिया.जब वो सीधा खड़ा हुआ तो उसकी
धोती खुल कर नीचे गिर गई और उसका लंड मुझ को नंगी देख कर पहले से ही तना हुआ था.मैंने उसके गले में बाहें डाली हुई
थी और उसके होंटों को चूमने लगी.
नौकर पहले तो घबराया लेकिन जल्दी ही उस पर काम भूत सवार हो गया और वो मुझको बाहों में लेकर कमरे में बिस्तर पर
लिटाने के लिए लाया तो मैंने उसके खड़े लन्ड को पकड़ लिया और उसको ऊपर नीचे करने लगी.
अब नौकर तो काम के वशीभूत हुआ पागल हो गया और मुझ पर चढ़ कर के एकदम तेज़ चुदाई शुरू कर दी.उसने कोई 10-
15 धक्के ही मारे होंगे कि उसके लंड से एक गर्म पिचकारी ने मेरे अंदर पानी छोड़ दिया.
लेकिन नौकर ने अपने लंड को मेरी चूत के अंदर से निकाला नहीं और जैसे कि मुझ को उम्मीद थी वो फिर से तैयार हो गया
और अब की बार उस ने धीरे धीरे चुदाई शुरू की और काफी देर तक मुझको चोदता रहा.महीनों की प्यास उसने एक दिन में
ही मिटा दी लेकिन मेरी चूत की सेवा उस दिन के बाद वो हर रोज़ करने लगा और कभी कभी जब सास सो जाती थी तो मैं
उसकी कोठरी में जाकर उसको तैयार कर लेती थी और वो मुझको सारी सारी रात चोदता था.
यह कहने के एकदम बाद चंचल भाभी उठी और मेरे खड़े लौड़े पर बैठ गई और धीरे धीरे मुझको चोदने लगी और मेरा एक
हाथ रश्मि की चूत में उसकी भग को सहलाने में लग गया था और मैं उसके मम्मों को भी मसलने लगा..
चंचल भाभी अपनी ही कहानी से इतनी गर्म हो चुकी थी कि वो सिर्फ दस बारह धक्कों में ही झड़ गई लेकिन मैंने उसको
अपने ऊपर से उतार कर घोड़ी बना दिया और उसकी अति तीव्र चुदाई शुरू कर दी ताकि वो नौकर चाकरों की चुदाई को भूल
जाए और यहाँ हुई ठाकु रों की असली चुदाई हमेशा याद रखे.
थोड़ी देर की तेज़ चुदाई के बाद चंचल भाभी स्खलित हो गई और हांफती हुई पलंग पर पसर पर गई, उसकी फै ली हुई टांगों
में स्थित चूत से सफ़े द द्रव्य धीरे धीरे निकल रहा था और मेरे बिस्तर की चादर पर नक्शा बना रहा था.

कहानी जारी रहेगी.

RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कु छ पुरानी यादें - desiaks - 08-18-2021

भाभी की अपनी चुदाई की कहानी

रश्मि मुझ को सचमुच हैरानी से देख रही थी और उसकी आँखों में यह सवाल साफ़ झलक रहा था कि सतीश राजा कै सा
लड़का है जो इतनी देर की चुदाई में एक बार भी नहीं गिरा?उस बेचारी का भी दोष नहीं था क्यूंकि आमतौर पर बड़े बड़े
घुड़सवार दो तीन शूटिंग्स के बाद सर फ़ें क देते हैं.लेकिन यह कु दरत की बड़ी मेहर रही कि हर सवारी के बाद मेरा औज़ार
अगली लड़ाई के लिए पूरी तरह से तैयार रहता था.
मैंने रश्मि की तरफ देखा और कहा- हाँ रश्मि भाभी, अब तुम बताओ तुम्हारी कहानी क्या है? किस किस ने तुमको चोदा और
किस किस को तुमने चोदा?वो कु छ देर सोचती रही और फिर उसने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और हल्के हल्के उसको चूसने
लगी.
मैं भी उसकी गीली चूत में उँगलियाँ चला रहा था थोड़ी देर हम ऐसा ही करते रहे फिर रश्मि बोली- सतीश सच बताना, कौन
सी उम्र से चोदना शुरू कर दिया था तुमने?मैं ज़ोर से हंस पड़ा और बोला- वाह रश्मि, मैं तुमसे पूछ रहा हूँ लेकिन तुम मेरे से
सवाल कर रही हो? खैर मैंने तो कमसिन उम्र से सीखना शुरू किया यह सब काम और फिर कु छ सालों में मैंने इस काम में
डिग्री भी ले ली लेकिन तुम यह सब क्यों पूछ रही हो?

रश्मि बोली- मैंने पहली बार एक कॉलेज जाने वाले एक लड़के को फं साया था और वो भी अपने घर के सहन में!मैं बोला-
अच्छा? वो कै से?
रश्मि बोली- मेरी नई नई शादी हुई थी और सिर्फ 15 दिन की चुदाई के बाद मेरा पति अपनी नौकरी पर वापस लौट गया था.
इन 15 दिनों में उसने मुझको के वल 3-4 बार ही चोदा क्यूंकि घर मेहमानों से भरा हुआ था तो जगह और समय के अभाव में
हम दोनों को ज़्यादा समय ही नहीं मिल पाया था.
अभी मैंने पूरी तरह से चुदवाना सीखा भी नहीं था कि पति जी शहर चले गए और मैं फिर अके ली रह गई जबकि चुदाई का
चस्का लग चुका था.कु छ महीने बाद मुझको लंड की कमी बहुत ही ज़्यादा खलने लगी और मैंने इधर उधर देखना शुरू कर
दिया.
एक दिन मैं दिन के टाइम पर अपने सहन में चारपाई पर लेटी हुई थी और सामने मैदान में कु छ लड़के क्रिके ट खेल रहे थे.
फिर अचानक मुझ को ऐसा लगा कि कोई चीज़ मेरे ऊपर आकर गिरी है, हाथ लगा कर देखा तो वो टेनिस की बाल थी.थोड़ी
देर में एक गोरा सा लड़का सेहन में आया और कु छ ढूंढने लगा तब मैंने उससे पूछा- क्या ढूंढ रहे हो भैया जी?
वो बोला- भाभी, हमारी गेंद गिरी है यहाँ… आपने तो नहीं देखी?मैं बोली- देख शायद मेरी चारपाई पर गिरी हो कहीं?लड़का
झिझकता हुआ मेरी चारपाई के पास आया और इधर उधर ढूंढने लगा फिर उसको मैंने कहा- देख कहीं मेरे नीचे ना चली गई
हो?जब उसको वहाँ भी नहीं मिली तो मैंने अपनी साड़ी थोड़ी ऊपर कर दी और उसको कहा- देख कहीं यहाँ तो नहीं पड़ी?
उसने कहा- भाभी यहाँ तो दिख नहीं रही, शायद आपकी साड़ी के अंदर ना चली गई हो?मैंने भी बेहया हो कर कहा- तो साड़ी
को उठा कर ढूंढ ले ले ना उसको, शायद अंदर ना चली गई हो?
उस लड़के ने झिझकते हुए अपना हाथ साड़ी के अंदर डाला और इधर उधर ढूंढता रहा और इस चक्कर में एक दो बार उसके
हाथ मेरी बालों से भरी चूत पर भी लग गए.फिर उसको गेंद साड़ी के अंदर ही मिल गई और वो बोला- मिल गई गेंद, यह तो
आपकी साड़ी में घुसी हुई थी..
मैं बोली- चलो शुक्र है मिल गई… हाँ, तुम्हारा नाम क्या है?उसने शर्माते हुए कहा- मेरा नाम राजू है और मैं आप के साथ वाले
मकान में रहता हूँ और यहाँ कॉलेज में पढ़ता हूँ.
मैंने उसको अपने पास बुलाया और उससे हाथ मिलाया और कहा- राजू, तुम काफी छबीले नौजवान लगते हो. तुम तो जानते
हो तुम्हारे भैया तो शहर गए हैं, मैं बहुत अके ली हो जाती हूँ यहाँ. अगर हो सके तो तुम कभी कभी आ जाया करो मेरे पास,
मेरा दिल बहल जाया करेगा. आओगे ना?राजू बोला- आऊँ गा भाभी कॉलेज के बाद शाम को!मैंने कहा- कल जरूर आना,
मेरी सासू जी कहीं बाहर जा रही हैं.राजू बोला- ज़रूर आ जाऊँ गा.और फिर वो मुस्कराता हुआ बाहर चला गया.
वो दो दिन तो नहीं आया लेकिन तीसरे दिन जैसे ही मेरी सास सोई उसने मेरी खिड़की को हल्के से खटखटाया और मैंने झट
से खिड़की को खोल कर देखा तो राजू ही खड़ा था, मैंने उसको अंदर बुला लिया.
अंदर आते ही वो शर्माते हुए एक साइड में खड़ा हो गया और मेरे से पूछने लगा- भाभी क्या करना है मुझको?मैंने कहा- पास
तो आओ राजू, कु छ बातें करते हैं तुम्हारे बारे में तुम्हारे कॉलेज के बारे में, आओ बैठो मेरे पास!
फिर उसको मैंने अपने पास बिठा लिया और हम उसके बारे में बातें करने लगे जैसे वो कॉलेज में क्या पढ़ता है और उसके
कॉलेज में लड़कियाँ भी हैं या नहीं इत्यादि.मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसको हल्के से सहलाने लगी और
फिर उसके हाथ को धीरे धीरे मैंने अपनी गोद में ले लिया और उसकी उंगलियों के साथ खेलने लगी.

RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कु छ पुरानी यादें - desiaks - 08-18-2021

यह देख कर वो थोड़ा सहज होने लगा और अपना हाथ मेरे मम्मों से भी कभी कभी टकराने लगा.फिर उसको पानी देने के
बहाने से मैं उठी और वापस बैठते हुए मैंने अपनी साड़ी को थोड़ा ऊपर खिसका दिया और मेरी हल्के भूरे बालों से भरी टांगों
की पिंडलियाँ उसको दिखने लगी.
उसकी नज़र एक टकटकी बांधे हुए मेरी लातों पर ही टिकी हुई थी और मैंने साड़ी को ठीक करने के बहाने से साड़ी को
एकदम ऊपर उठा दिया और फिर झट से नीचे कर दिया.इस साड़ी एक्शन में उसको मेरी बालों से भरी चूत की एक झलक
ज़रूर मिल गई थी और वो अब मेरे मम्मों और मेरी साड़ी के ऊपर नंगे पेट को बड़े ध्यान से देख रहा था.
मैंने भी देखा कि उसके पजामे में उसके लण्ड में हरकत होनी शुरू हो गई थी और जल्दी ही मैंने मक्खी हटाने के बहाने से
उसके लंड को पयज़ामे के बाहर से ही छू लिया.और फिर मैं उठते हुए जान बूझ कर उसके ऊपर गिर गई और सॉरी बोल कर
मैं यह देखने चली गई कि सासू जी गहरी नींद में सोई हैं क्या?
सासू जी बड़ी गहरी नींद में सोई हुई थी और खूब जोर जोर से खुर्राटे मार रही थी.मैंने आकर राजू से पूछा- क्या कोई लड़की
पटाई हुई है तुमने राजू?
राजू थोड़ा शरमा गया और बोला- नहीं भाभी, आप तो जानती हैं गाँव में यह सब कितना मुश्किल होता है? अच्छा अब मैं
जाऊँ क्या?थोड़ा सो लेता मैं भी!मैं बोली- ठीक है राजू जाओ सो जाओ, शाम को क्रिकट भी तो खेलना है तुमको!मैं राजू को
घर के बाहर तक छोड़ आई और वापस आकर बड़ी गहरी नींद सो गई.
तीन चार दिन ऐसा ही चलता रहा और मैं हर रोज़ उसको अपने शरीर का कोई न कोई अंग चोरी छिपे दिखाती रही और
उसके लंड के उठने बैठने को देखते रही.
फिर एक दिन सासू जी किसी काम से किसी रिश्तेदार के घर गई हुई थी और मैं घर में बिल्कु ल अके ली थी, मैं बेसब्री से राजू
का कॉलेज से आने का इंतज़ार करती रही और वो थोड़ी देर में कॉलेज से वापस आया तो मैंने उसको घर के बाहर से आवाज़
मार कर कहा कि वो जल्दी आये, कु छ ज़रूरी काम है.
राजू खाना खा कर जल्दी ही आ गया और बोला- भाभी, बताओ क्या काम है?मैंने उसको ठं डी गाढ़ी लस्सी पीने को दी और
फिर उसके सामने ही अपनी साड़ी को ऊं चा कर के अपनी गोरी कमर के ऊपर से साड़ी हटाते हुए उसको कहा- राजू मुझ को
यहाँ बहुत दर्द हो रहा है, थोड़ी देर इस जगह को दबा दो प्लीज.
राजू लस्सी पीते हुए मेरे चूतड़ों को देख कर एदम अवाक हो गया और लस्सी के गिलास को एक तरफ रख कर मेरी कमर को
हाथ से दबाने लगा.उसके पजामे में उसका लंड एकदम अकड़ा हुआ लगा और मैंने थोड़ा साहस करके राजू के खड़े लंड को
पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी.
राजू ने मेरी कमर को दबाना थोड़ी देर रोका और मेरी गांड के ऊपर हाथ फे रने लगा.उसने शायद किसी युवा स्त्री की मोटी
और फू ली हुई गांड इससे पहले नहीं देखी थी, वो आश्चर्यचकित हुआ मेरी गांड को एकटक देख रहा था.
अब मैंने मौका अच्छा देखा और एक पलटी मार कर अपनी चूत को उसके सामने कर दिया.वो चूत को इतना पास से देख
कर एकदम पागल हो गया और पजामे सहित मेरे ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगा लेकिन मैंने उसको एक क्षण रोक दिया
और फिर उसका पजामे नीचे कर दिया और तब उसको अपने ऊपर आने दिया.
मैंने उसके लंड को अपनी चूत के मुंह पर रख दिया और तब राजू ने एक ज़ोर से धका मारा और फच से लंड मेरी चूत के अंदर
चला गया.बड़े अरसे के बाद मेरी गर्म और नर्म चूत को एक लंड नसीब हुआ था, मैं उस लंड का पूरा पूरा आनन्द उठाना
चाहती थी.
लेकिन मेरी आशंका के मुताबिक राजू थोड़े धक्कों में ही झड़ गया पर राजू काफी समझदार था, उसने अपना लंड मेरी चूत से
निकाला ही नहीं और वो उसी तरह मेरे ऊपर लेटा रहा और वो मुझको मेरे सारे चेहरे पर खूब चूमता चाटता रहा.
मैंने भी उसके लंड को पुनः खड़ा होता हुए चूत में महसूस किया और इसके पहले वो फिर से धक्का पेल शुरू करता, मैंने
उसको अपने गोल और कठोर मम्मों को चूसने के लिए उकसाया.मम्मों की चुसाई से वो इतना गर्म हो गया था कि उसका लंड
अब अपने आप ही अंदर बाहर होने लगा और उसने मुझको कस कर अपनी बाँहों में बाँध रखा था लेकिन उसकी कमर बड़ी
ही तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी.
राजू की पहली चुदाई में मैं कम से कम तीन बार स्खलित हो गई थी और वो दो बार झड़ चुका था.हम दोनों की भलाई के
लिए मैंने उसको जल्दी ही अपने घर जाने के लिए बोला ताकि मेरी सास के आने से पहले वो वहाँ से चला जाए.
मेरा और राजू का चोदन कई महीनों तक चला और हर बार वो इतना अधिक कामुकता से चोदन करता था कि मैं निहाल हो
उठती थी.हमारा मिलन तब तक जारी रहा जब तक उसकी शादी नहीं हो गई.यह कह कर रश्मि राजू की यादों में खो गई.
अब मैं रश्मि के ऊपर चढ़ने की सोच ही रहा था कि चंचल भाभी, जो अब तक मेरे लौड़े के साथ खेल रही थी, मेरे लंड खींचने
लगी और जल्दी से घोड़ी बन कर मुझको उस पर सवारी करने के लिए उकसाने लगी.मैंने रश्मि को अपने ख्यालों में डूबा रहने
दिया और खुद चंचल भाभी की चंचल चूत में अपने खड़ी लौड़े की एंट्री मार दी और उसकी भट्टी की तरह तप रही चूत में
घमासान धकम्मपेल शुरू कर दी.
चंचल भाभी इतनी गर्म हो चुकी थी, वो चुदाई में पूरा योगदान दे रही थी और खूब आगे पीछे होकर अपने को तसल्ली से
चुदवा रही थी.चंचल भाभी का जब पांचवी बार छू टा तो वो कं पकं पाती हुई कराहने लगी. भाभी ने अपनी गांड को मेरे लंड के
साथ चिपका कर सर को बिस्तर पर टिका दिया और हाय हाय… करने लगी.
और तभी रश्मि ने भी अपनी पुरानी यादों से निकल कर हमारी तरफ देखा और हैरानगी से बोली- उफ़्फ़ सतीश, तुम्हारा अभी
भी खड़ा है? यह नामुमकिन है यार? यह हो ही नहीं सकता.
ये बातें चल ही रही थी कि कमरे का दरवाज़ा फिर एक झटके से खुला और पूनम तेज़ी से अंदर घुस आई और हँसते हुए
बोली- सतीश जी, लगे हो अपने बहुत पुराने खेल में? अब तक कितनी? दोनों भाभियों को कितनी कितनी बार पार लगाया
है?
पहले तो हैरान हुआ लेकिन फिर जल्दी ही सम्भल गया और मैं तो मुस्करा रहा था लेकिन दोनों भाभियों की घिग्घी बंध गई
थी.मैं मुस्कराते हुए बोला- आओ पूनम रानी, तुम्हारी ही प्रतीक्षा थी क्यूंकि तुम तो चुदाई की खुशबू सूंघ कर पहुँच जाती हो
उस जगह पर जहाँ चुदाई का दंगल चल रहा हो.

कहानी जारी रहेगी.

RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कु छ पुरानी यादें - desiaks - 08-18-2021

पूनम से मुलाकात और संजू चोदन

ये बातें चल ही रही थी कि कमरे का दरवाज़ा फिर एक झटके से खुला और पूनम तेज़ी से अंदर घुस आई और हँसते हुए
बोली- सतीश जी, लगे हो अपने बहुत पुराने खेल में? अब तक कितनी? दोनों भाभियों को कितनी कितनी बार पार लगाया
है?
पहले तो हैरान हुआ लेकिन फिर जल्दी ही सम्भल गया और मैं तो मुस्करा रहा था लेकिन दोनों भाभियों की घिग्घी बंध गई
थी.मैं मुस्कराते हुए बोला- आओ पूनम रानी, तुम्हारी ही प्रतीक्षा थी क्यूंकि तुम तो चुदाई की खुशबू सूंघ कर पहुँच जाती हो
उस जगह पर जहाँ चुदाई का दंगल चल रहा हो.
पूनम बड़े ज़ोर से हंस दी और दोनों भाभियों के चूतड़ों पर एक ज़ोर की थपकी मार कर बोली- और सुनाओ गाँव की
शेरनियो? इस शहरी शेर ने तुम्हारी शराफत की नकाब उतार दी और तुम्हारी चूतों की पूरी तसल्ली कर दी? बोलो ना कु छ तो
बोलो गाँव की सेठानियो? कै सा रहा चुदाई सेशन? खूब ठोक ठोक कर बजाई तुम्हारी दोनों की? तुम दोनों लंड की प्यासी हो
रही थी ना, तो मिट गई प्यास?
दोनों भाभियाँ खूब खिलखिला कर हंस पड़ी और फिर दोनों पूनम के ऊपर टूट पड़ी और उसको भी झट से नंगी कर दिया
और पूनम को पकड़ कर मेरे पास ले आई.चंचल, जिसका जिस्म थोड़ा चौड़ा और गोल था, बोली- ऐ शहर के शहंशाह, आपके
लिए एक हसीना का तोहफा लाई हैं हम. कबूल फरमा कर हम पर करम करें.
मैंने पूनम की आँखों में झाँका और उसकी आँखों से झलकती काम वासना को देखा और महसूस किया.दोनों चुदी हुई हसीनों
ने इस कमसिन हसीना को मेरी तरफ धके ल दिया और मैंने भी बड़ी सफाई से उसको अपनी बाहों में ले लिया.फिर थोड़ा सा
उसको दूर करके मैंने अच्छी तरह से अपनी पुरानी आशिक की तरफ देखा.

वही पुरानी मुस्कान और आँखों में वही दम खम और गोल उभरे हुए मम्मों की वही शाही शानो-शौकत और गोलाकार वाले
नितम्ब और उनके बीच छु पी हुए बालों भरी चूत!वाह वाह… माशाल्लाह… सुभानअल्लाह… क्या कातिलाना सूरत और सीरत
है यारो! कु र्बान जाऊँ ऐसे हुस्न पर!!!!
मैं पूनम के हुस्न में ही खोया हुआ था कि उस ज़ालिम ने मुझको लंड से पकड़ लिया और बोली- ऐ शेख ए लखनऊ… बड़ों
बड़ों की मुरादें पूरी करने वाले औरत खोर शेर… अगर जान की अमान पाऊँ तो तेरे लौड़े पर कु र्बान जाऊँ और जल्दी से उस
पर चढ़ जाऊँ ?
मैंने भी उसी लहजे में कहा- ऐ मल्लिकाए हुस्न, तेरे हुस्न के जलवे में सरोबार हो रहा है जहाने जहाँ, इस नाचीज़ के लिए वहाँ
कहाँ है कोई जगह?तब चंचल भाभी बोली- तुम दोनों क्या शायरी ही करते रहोगे कि चुदाई का काम शुरू भी करोगे? अगर
तुम शायरी में मस्त हो तो हम एक बार फिर से इस लंड की बाहर का मज़ा लूट लेते हैं. क्यों रश्मि?
रश्मि ने भी हाँ में सर हिला दिया और मेरे निकट आने के लिए आगे बढ़ी.यह देख कर पूनम एक कू दी मार कर मेरी गोद में
चढ़ गई.
उसी समय दरवाज़ा एक बार फिर खटका और दरवाज़े के खटकते ही कमरे में भगदड़ मच गई.तीनो औरतें अपने कपड़े उठा
उठा कर बाथरूम की तरफ भागी और मैं भी बड़े आलखन से सिर्फ अपने पजामा को पहन कर दरवाज़े की तरफ बढ़ा और
खोलने से पहले एक सरसरी नज़र अपने बेड पर भी डाल दी कि कहीं किसी का जनाना कपड़ा बाहर ना छू ट गया हो.
दरवाज़ा खोलने से पहले मैंने पूछा- कौन है इतनी रात गए?बाहर से जवाब आया- मैं हूँ पूनम की भाभी, ज़रा दरवाज़ा तो
खोलो!
मैंने झट से दरवाज़ा खोल दिया तो बाहर पूनम की भाभी अपनी नाइटी में खड़ी थी.मैंने हैरानगी जताते हुए पूछा- क्या हुआ
भाभी, आप इतनी घबराई हुई क्यों हैं?
भाभी जल्दी से कमरे में घुस आई और चारों तरफ देख कर तसल्ली करने के बाद बोलीं- वो सतीश, पूनम अपने कमरे में नहीं
थी तो मैंने सोचा शायद कहीं तुम्हारे पास ना आई हो?मैं भी बड़ी मासूमियत दिखते हुए बोला- नहीं भाभी, पूनम यहाँ तो नहीं
है अभी! पहले आई थी लेकिन वो जल्दी ही चली गई थी. क्या उससे कोई काम था आपको?
लेकिन भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया और जब मैंने उनकी तरफ देखा तो उनकी नज़र मेरे पजामे के अंदर बने हुए टेंट पर ही
टिकी हुई थी.मैंने झट से शरमाने का बहाना करते हुए अपने बिस्तर की चादर को पजामे के आगे कर दिया.
भाभी मुस्कराते हुए बोली- ठीक है सतीश, अगर पूनम तुम्हारे पास आये तो कह देना कि मैं उसको ढून्ढ रही थी.मैं बोला-
ठीक है भाभी, अगर वो यहाँ आई तो मैं बोल दूंगा. गुड नाईट भाभी जी!
जैसे ही भाभी गई मैं कु छ मिनट तक दरवाज़ा खोल कर ही बैठा रहा ताकि भाभी को कोई शक ना हो.फिर दरवाज़ा बंद
करके मैंने बाथरूम के दरवाज़े पर दस्तक दी और सबको बोला- बाहर आ जाओ भाभियो, खतरा टल गया है.
तब दरवाज़ा खोल कर तीनो बाहर आ गई, तीनों ने ही अपने कपड़े पहने हुए थे.पूनम ने कमरे का दरवाज़ा खोल कर बाहर
झाँका और मैदान साफ़ देख कर वो तीनों ही भाग कर अपने कमरों में चली गई.दरवाज़ा बंद करके मैं भी सो गया.

RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कु छ पुरानी यादें - desiaks - 08-18-2021

सुबह नैना ने मुझको चाय देते हुए कहा- वाह छोटे मालिक !! रात को आपको तो तीन तीन की मिल गई?मैंने मुस्कराते हुए
कहा- तुम्हारी जासूसी बड़ी पक्की है नैना डार्लिंग, रात को मुझको तुम्हारी कमी बहुत ही ज़्यादा महसूस हुई, लेकिन तुमको
यह खबर किसने दी?
नैना बोली- मुझको मालूम था कि शायद आपको मेरी ज़रूरत महसूस हो तो मैं कल रात कोठी के अंदर वो स्टोर रूम है न
उसमें ही सोई थी. और मैंने दोनों भाभियों को आपके कमरे में जाते हुए देखा था और फिर पूनम को और बाद में उसकी
भाभी को जाते हुए और निकलते हुए देखा था. मैं समझ गई थी कि क्या हुआ होगा?
मैंने चाय खत्म करने के बाद नैना से कहा- रात को भाभियों ने खूब चुदवाया और मुझको अपना छु टाने की इच्छा हो रही
थी.वो बोली- तो अभी छु टवा लो ना, मैं तैयार हूँ.मैं बोला- अरे पगली, अभी तो मुझको कॉलेज भी जाना है ना!
यह कह कर मैं अपना कु रता पहन कर ज़रा लॉन में टहलने के लिए चला गया और करीब आधे घंटे के बाद जब वापस आया
तो नहाने की तैयारी करने लगा.तौलिये को लेकर जब मैंने बाथरूम का दरवाज़ा खोला तो यह देख कर भौंचक्का रह गया कि
वहाँ एक लड़की बि;लुल नंगी नहा रही थी.मैं भी चुपचाप खड़ा रहा और उसको नहाते हुए देखता रहा.
वो गंदमी रंग की 18-19 साल की लड़की थी, उसके मम्मे थोड़े छोटे लेकिन गोल और सुडौल लगे और उसका स्पाट पेट और
नीचे चूत पर काले घने बालों के गुच्छे लटक रहे थे.उसके चूतड़ छोटे मगर गोलाई के आकार में थे और वो मुझको अब तक
देख नहीं पाई थी क्यूंकि उसके मुंह पर साबुन लगा हुआ था और उसकी आँखें एकदम बंद थी.
मैंने हल्के से दरवाजा बंद किया और बाहर आकर बैठ गया.थोड़ी देर बैठने के बाद जब मैंने महसूस किया कि वो अब नहा
चुकी होगी तो मैंने अपना पजामा उतारा और मैं अपने खड़े लंड, जो कि उस लड़की को नंगी देख कर ही खड़ा हो गया था,
लेकर बाथरूम में घुस गया.
मुझे नंगा देख कर लड़की एकदम से चिल्ला पड़ी- कौन है? कौन है?मैं भी हैरानगी जताते हुए बोला- अरे आप कौन हैं और
मेरे कमरे के बाथरूम में कै से घुस आई हैं?लड़की की नज़रें मेरे लौड़े पर ही टिकी हुई थी और साथ में उसकी घिग्घी भी बंधी
हुई थी.
हम दोनों एकदम साथ साथ ही खड़े हुए थे. फिर मैं उसके डर को कु छ कम करने के ख्याल से बोला- मैं सतीश हूँ इस कोठी
के मालिक का लड़का. कल जब आप सबसे मुलाकात हुई थी तो शायद मैंने आपको नहीं देखा था?लड़की के चेहरे पर अब
कु छ घबराहट कम हुई थी लेकिन उसकी नज़र अभी भी मेरे अकड़े हुए लौड़े पर ही टिकी थी.
मेरे लौड़े ने अब अपने आप ही अपना सर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया था जिसको वो लड़की बड़े ध्यान से देख रही थी.
फिर उसने मेरी आँखों में देखा और थोड़ा मुस्कराई और बोली- क्या मैं आपके इस सुन्दर हथियार को हाथ लगा सकती हूँ?.
मैंने भी उसकी आँखों में देखा और कहा- मेरा नाम सतीश है और आपका नाम?वो थोड़ा शर्माते हुए बोली- मेरा नाम संजू है.
क्या मैं हाथ लगाऊँ इसको, अगर आप की आज्ञा हो तो?मैं बोला- आज्ञा तो है लेकिन आपके हाथ लगने के बाद यह क्या
करेगा उस पर मेरे कोई कं ट्रोल नहीं? यदि मंज़ूर है तो लगा लीजिए हाथ!
संजू ने झट से मेरे लंड को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और उसको बड़े प्यार से सहलाने लगी.मैंने भी आँख के इशारे से
उसके मम्मों को हाथ लगाने की तरफ इशारा किया और उसने खुद ही अपने मम्मे मेरे आगे कर दिए.मैं भी उसके मम्मों को
हल्के हल्के सहलाने लगा और फिर उसके गोल और छोटे कुं वारे चूतड़ों पर भी हाथ फे रने लगा.
अब संजू ने मेरी तरफ देखा और आँखों आँखों में ही आगे बढ़ने की आज्ञा दे दी.आज्ञा मिलते ही मैंने उस को बाहों में जकड़
लिया और उसके होटों पर ताबड़तोड़ चुमियों की बौछार लगा दी.और उसकी बालों भरी चूत में ऊँ गली डाल कर उसकी भग
को मसलने लगा और यह देख कर खुश हुआ कि वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.
मैं अब उसके मम्मों को चूसते हुए उसको अपनी बाहों में उठा कर बाथरूम के बाहर ले आया और उसको अपने पलंग पर
लिटा दिया.अब मैंने जल्दी से कमरे का दरवाज़ा लॉक कर दिया और वापस आ कर संजू की टांगो को चौड़ा कर के उस की
चूत में अपना लंड धीरे से डालने लगा.
पहले थोड़ा ही डाला यह देखने के लिए कहीं कोई रुकावट तो नहीं है?और जब मैदान साफ़ दिखा तो मैंने धीरे से अपना पूरा
लंड उसकी गीली चूत में घुसेड़ दिया.
संजू ने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर के इर्दगिर्द फै ला दी और फिर मैंने उसकी चुदाई एक सधी हुई रिदम से करनी शुरू कर
दी.संजू को जैसे ही चुदाई का आनन्द आने लगा, उसकी भी कमर मेरे लौड़े को आधे रास्ते में मिलने लगी और हम मस्ती भरी
चुदाई करने लगे.
थोड़ी देर में ही मुझको लगा कि संजू अब जल्दी ही स्खलित हो जायेगी सो मैंने चुदाई की फु ल स्पीड शुरू कर दी और
आखिरी धक्के में ही संजू की कमर एकदम उठ कर मेरे लंड के साथ आकर जुड़ गई, शरीर की कम्पन से यह यकीन हो गया
कि संजू का स्खलन हो गया है.
संजू काफी देर तक मेरे से चिपकी पड़ी रही, फिर धीरे धीरे संयत होने के बाद भाग कर बाथरूम में चली गई और एक ठं डा
शावर लेकर और अपने कपड़े इत्यादि पहन कर निकली.वहाँ से जाने से पहले संजू ने मुझको एक थैंक्यू किस की और हॉट
जफ्फी भी मार गई.
‘लंड के भाग से चूत वाली सलवार का नाड़ा टूटा…’ इसको मैं एकदम अचानक और बिना किसी किस्म के पूर्व तैयारी के
सम्भोग की ही संज्ञा दूंगा.

RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कु छ पुरानी यादें - desiaks - 08-18-2021

पूनम की चुदाई सिनेमा हॉल में

‘लंड के भाग से चूत वाली सलवार का नाड़ा टूटा…’ इसको मैं एकदम अचानक और बिना किसी किस्म के पूर्व तैयारी के
सम्भोग की ही संज्ञा दूंगा.
उस दिन कॉलेज से वापस आने पर जब मैं खाना खा रहा था तो चंचल और रश्मि भाभी और उन के साथ कुं वारी लड़कियों ने
मुझको बैठक में घेर लिया और मुझसे एक साथ सब बातें करने की कोशिश करने लगी.
तब पूनम की भाभी और पूनम ने उन सबको चुप करवाया, फिर पूनम बोली- क्यों सतीश, क्या तुमने किसी फिल्म में काम
किया था पिछले साल?मैं मुस्कराते हुए बोला- हाँ किया तो था एक छोटी मोटी फिल्म में, जब हम गाँव गए हुए थे दशहरे की
छु ट्टियों में पिछले साल… बड़ा मज़ा आया था पूनम!
पूनम बोली- मैंने सुना है यह फिल्म अभी लखनऊ में चल रही है किसी सिनेमा में?मैं बोला- हाँ चल तो रही है और मैं अक्सर
वहाँ जाता हूँ क्योंकि मेरे चाहने वाले बहुत बुलाते हैं मुझको!पूनम हैरान होती हुई बोली- तुमको बुलाते हैं? तुमको सतीश? मैं
मान नहीं सकती कि ऐसा हो सकता है? ऐसा क्या ख़ास काम किया है तुमने उस फिल्म में जो सिनेमा देखने वाले लोग तुमको
बुलाते हैं?

मैं शरारती लहजे में बोला- मुझको क्या मालूम वो क्यों बुलाते हैं? तुम्हीं उनसे पूछ लो ना यह सब!पूनम बोली- ठीक है, आज
हमको 3 बजे का शो दिखा दो उस नासपीटी फिल्म का, मैं भी तो देखूं ऐसा क्या किया है तुमने उस फिल्म में?मैं बोला- कौन
कौन जाएगा इस नासपीटी फिल्म को देखने?
सब भाभियाँ और सब कुं वारी लड़कियाँ तैयार हो गई इस फिल्म को देखने के लिए और फिर मैं ने सिनेमा के मैनेजर को फ़ोन
पर अपने गेस्ट्स के साथ आने का प्रोग्राम बता दिया.जब हम वहाँ पहुंचे तो मैनेजर साहिब और कु छ दर्शक वहाँ खड़े थे. जैसे
ही उन्होंने मुझको देखा तो सब दर्शक मेरे पास आ गए और मेरे ऑटोग्राफ मांगने लगे.
मैंने अब पूनम को आगे कर दिया और सबसे कहा- जो कु छ भी आपको माँगना है वो इन बहन जी से मांगे.यह सुन कर पूनम
सकपका गई और मेरे पीछे खड़ी हो गई और तब मैं सबकी नोटबुक्स पर अपने दस्तखत करने लगा और उन को साथ में विद
बेस्ट विशेस भी लिखता जा रहा था.
पूनम आँखें फाड़ फाड़ कर यह सब देख रही थी और साथ में वो बहुत ही इर्ष्या महसूस कर रही थी.मैंने भी उसको चिढ़ाने में
कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी.जब मैनेजर साहब हमको बालकनी में बैठाने के लिए ले जा रहे थे तो पूनम ही मेरे साथ
चिपकी हुई थी, उसकी गुलाबी रेशमी साड़ी में छिपे हुए मोटे सॉलिड मम्मे मेरे बाजुओं से बार बार टकरा रहे थे.
जब हम सीटों पर बैठने लगे तो पूनम ने अपनी सीट मेरे साथ वाली सीट को चुना और मेरे को बीच मैं बिठा कर मेरे दाएं तरफ
एक नई भाभी को बिठा दिया.बाकी सारी लेडीज को भी पूनम ने बिठा दिया हमारी वाली ही लाइन में!फिल्म शुरू होने से
पहले मैनेजर साहब ने कु छ कोक की बोतलें भी भेज दीं थी हम सब के लिए.
यह बेचारी गाँव से आई हुई औरतों के लिए यह सब कु छ अजीब सा था लेकिन वो अपनी खातिरदारी को देख कर बड़ी खुश
थी और वो सब मेरी बड़ी तारीफ कर रही थी जिससे पूनम और भी चिढ़ रही थी.अँधेरा होते ही पूनम ने मेरा हाथ पकड़ा और
उसको अपनी गोद में रख दिया और अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया.
फिर पूनम मेरी पैंट के आगे के बटन खोलने लगी लेकिन मैंने उसको रोक दिया और अपने साथ बैठी हुई भाभी की तरफ
इशारा किया और पूनम से पूछा- यह कौन है?पूनम ने मेरे कान में कहा- यह हमारी चुदक्कड़ भाभी है, इससे मत डरो यह मेरी
मुरीद है..
यह कह कर पूनम मेरे पैंट के बटन खोलने लगी और मैंने भी उसकी साड़ी को घुटनों से ऊपर कर दिया और अपना बायाँ हाथ
उस की साड़ी के अंदर उसकी चूत पर रख दिया.
पूनम की चूत एकदम बहुत गीली हो रही थी, मैंने उसके कान में कहा- चुदवाना है क्या तुमको?वो घबरा गई और बोली- यहाँ
कै से?मैंने कहा- तुम हाँ करो तो मैं इंतज़ाम करूं ?वो बोली- घर पर तो भाभी की नज़र मुझ पर रहती है अगर तुम यहाँ इंतज़ाम
कर सकते हो तो मैं तैयार हूँ.
मैंने उसको कहा- मेरे पीछे बाहर आओ.यह कह कर मैं उठ कर बाहर जाने लगा और थोड़ी देर बाद पूनम भी उठी बाहर जाने
के लिए और मैंने देखा कि किसी भी लड़की या औरत ने यह नोटिस नहीं किया.
जब हम दोनों बाहर आये तो मैंने गेट कीपर से कहा कि वो ज़रा जल्दी से बॉक्स रूम का दरवाज़ा खोल दे .यह कहने के साथ
ही मैंने उसके हाथ में 10 रूपए का नोट भी थमा दिया.

RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कु छ पुरानी यादें - desiaks - 08-18-2021

उसने झट से बॉक्स का दरवाज़ा खोल दिया और हम दोनों जल्दी से अंदर चले गये और अंदर से चिटकनी लगा दी.हम दोनों
ने एक बड़ी टाइट जफ्फी मारी और पूनम ने बड़ी कामातुरता से मुझ को चूमना शुरू कर दिया.मैंने पूनम से पूछा- बहुत चुदाई
की प्यासी लग रही हो? आखरी बार कब चुदवाया था किसी से?पूनम बोली- सच सतीश, तुम्हारे घर से जाने के बाद मैंने कभी
नहीं चुदवाया किसी से भी… सच्ची !!!
मैंने भी उसको एक बहुत ही हॉट जफ्फी मारी और उसको कु र्सी पर बिठा दिया और उस की साड़ी और पेटीकोट उसकी गोरी
जांघों के ऊपर कर दिया. फिर उसकी जांघों के बीच बैठ कर अपने मुंह को उसकी चूत के ऊपर टिका दिया और धीरे धीरे
उसकी भग को चूसने लगा.
पूनम कु र्सी के और अंदर धंसती चली गई और अपनी चूत को मेरे मुंह पर कस कर लगाती गई.मेरे चूसने के साथ ही उसने
अपनी चूत को मेरे मुंह के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया और मेरी चूत चुसाई का पूरा आनन्द लेने लगी.
जब उसने अपनी जांघों को मेरे मुंह के इर्दगिर्द कस दिया तो मैं समझ गया कि पूनम झड़ गई है और उसने मुझको सर से
पकड़ कर ऊपर उठा दिया..
अब मैं अपनी पैंट को खोल कर कु र्सी पर बैठ गया और पूनम को अपनी गोद में उल्टा बिठा कर अपने खड़े लौड़े पर बिठा
दिया.पूनम का मुंह और शरीर तो स्क्रीन की तरफ था और वो फिल्म का भी आनन्द ले रही थी और साथ में मुझसे चुद भी
रही थी.जब वो चिपको डांस को देखने लगी तो उसकी चूत एकदम से हॉट हो कर उबलने लगी और वो जल्दी जल्दी से मेरे
लौड़े के ऊपर नीचे होकर अपनी चूत की भूख शांत करने लगी.
कोई आधे घंटे की पूनम की चुदाई में वो कम से कम तीन चार बार छू ट गई और हर बार वो एक झुरझुरी भरी कं पकं पी लेते
हुए मुझ से चिपक जाती.आखिरी झुरझुरी के खत्म होते ही वो उठ पड़ी और बोली- चलो अब हाल में चलते हैं.
मैं बोला- थोड़ा रुको, थोड़ी साँस तो संयत होने दो, फिर चलते हैं.मैंने उसको साथ वाली कु र्सी पर बिठा दिया और वो थोड़ा
आलखन करने लगी.
मैंने पूछा- मेरे साथ वाली सीट पर यह कौन भाभी बैठी है जिसको तुमने चुदक्कड़ भाभी बोला था?पूनम थोड़ी मुस्करा कर
बोली- अरे वो शन्नो भाभी है, रिश्ते में वो मेरे चचेरे भाई की बीवी है और बड़ी ही मदमस्त मौला है और चन्दनपुर की चुदक्कड़
भाभी के नाम से हम सब में विख्यात है.उसकी शादी को 5-6 साल हो गए लेकिन अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ और हो भी
कै से बताओ तो ? मेरा चचेरा भाई एकदम पतला सा है, उससे भाभी की चुदाई ठीक से नहीं हो पाती. वो महीने में एक बार ही
भाभी से सेक्स करता है और तब भी वो 5 मिनट से ज्यादा नहीं टिक पाता.सो शन्नो भाभी हमेशा कामवासना से पीड़ित रहती
है और कोई भी मौका चुदाई का नहीं छोड़ती.
मैं मुस्करा कर बोला- तो आज रात शन्नो भाभी को भेज दो मेरे पास अगर तुम चाहो तो?पूनम बोली- मैं तो कल ही भेजने
वाली थी लेकिन चंचल और रश्मि भाभी ने पहले से ही तुम पर कब्ज़ा कर लिया था. आज ज़रूर भेज दूंगी. तुम रात को कमरे
का दरवाज़ा लॉक कर लिया करो नहीं तो ये औरतें और लड़कियाँ तुम्हारा चोदन कर देंगी.
मैं मुस्करा कर बोला- मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं कर सकता पूनम डार्लिंग. तुमको तो मालूम है ही, क्यों भूल गई दिल्ली
और आगरा का ट्रिप? कै से सब लड़कियों ने मिल कर मेरी चुदाई करने की कोशिश की थी.पूनम बोली- हाँ वो तो मैंने स्वयं
देखा है, मुझसे कु छ नहीं छिपा.
मैं बोला- ये 2-3 कुं वारी लड़कियाँ जो तुम्हारे साथ आई हैं वो कौन हैं? क्या रिश्ता है आप सबके साथ?पूनम बोली- वह संजू
तो मिल चुकी है और चुद चुकी है तुमसे, वो मेरे मामे की लड़की है और दो और हैं वो भी मेरी मौसी की लड़कियाँ हैं, वो जब
भी आएं, उनका काम ज़रूर कर देना सतीश प्लीज?
मैं बोला- दूसरी को कल सुबह नहाने के लिए भेज देना मेरे बाथरूम में, वहाँ चुदाई का बड़ा मज़ा आता है यार! चलो अब
बाहर चलते हैं!हम दोनों उठ कर अपनी सीटों पर आकर बैठ गए.सिवाए शन्नो भाभी के किसी और को ज़रा भी पता नहीं
चला कि हम उठ कर बाहर गए थे.
अब जब मैं शन्नो भाभी के साथ बैठा तो मैंने जान कर अपना हाथ उनके हाथ पर रख दिया जो सीट के आर्मरेस्ट पर रखा था.
भाभी ने अपना हाथ हटाया नहीं बल्कि मेरी तरफ देख कर मुस्करा भर दिया.मैंने भी मौका देख कर अपना हाथ भाभी की
गोद में डाल दिया और भाभी का हाथ अपनी पैंट के बाहर से लण्ड के ऊपर रख दिया.
थोड़ी देर में फिल्म का इंटरवल हो गया और मैनेजर साहिब ने फिर से समोसे और कोल्ड ड्रिंक्स भेज दीं.बालकनी में बैठे हुए
सारे लोग जिन में से ज़्यादा लड़कियाँ ही थी मेरे चारों तरफ इकट्ठे हो गए और कु छ लड़कियाँ तो काफी तेज़ थी सो वो मेरे
साथ जुड़ कर खड़ी होने लगी जो हमारी पूनम को अच्छा नहीं लगा.
हमारे साथ सारी औरतों को भी मेरे चिपको डांस में बड़ा मज़ा आया था और वो सब मेरी काफी तारीफ करने लगी.
इंटरवल के बाद मैं शन्नो भाभी के साथ ही चिपका रहा और उसकी साड़ी को ऊपर कर के उसकी बालों भरी चूत पर हाथ
फे रने से नहीं चूका.थोड़ी देर बाद मैं उनके मम्मों को भी मसलने लगा और यह जान कर काफी ख़ुशी हुई कि शन्नो भाभी के
मम्मे सॉलिड और गोल और काफी मोटे थे.
शन्नो भाभी की चूत गीली तो थी लेकिन इतनी नहीं जितनी कि पूनम की थी.शन्नो भाभी भी मेरे लौड़े को पैंट से निकाल कर
उसके साथ खेलती रही और जब हम शो के खत्म होने के बाद सिनेमा से बाहर निकलने लगे तो शन्नो भाभी मेरे आगे आगे ही
चल रही थी, मेरे दोनों हाथ उस के गोल मोटे चूतड़ों पर ही टिके हुए थे और भाभी भी आहिस्ते आहिस्ते अपने चूतड़ों को
मटका मटका कर चल रही थी.
मैंने नोट नहीं किया लेकिन मेरे पीछे कई लड़कियाँ भी चल रही थी जो जान कर अपने मम्मे मेरी पीठ से रगड़ रही थी.सिनेमा
हाल से बाहर आने पर पूनम ने यह सब भांप लिया और झट से मेरे और उन लड़कियों के बीच में आ गई ताकि किसी भी
लड़की का कोई भी अंग मुझ से ना छु ए.
इसको कहते हैं मित्रव्रता (पतिव्रता) नारी.

कहानी जारी रहेगी.

RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कु छ पुरानी यादें - soumya - 04-30-2022

क्या मस्त कहानी है...लाजवाब...ये पहली कहानी है जिसमे चुत के बाल का इतना बर्णन किया गया है...बरना बाकी कहानीयों को पढ़के ऐसा लगता था जैसे दुनिया कि
सारी ओरतें, चाहे गांव की हो या सहर की हमेशा अपनी झांट साफ करके ही रहती हैं...एक ओर बात चुत की तरहा लड़कियों के कांख के बाल को भी आपने कहानी का
हिस्सा बनाइये...100 में से 90 लड़कियां कांख मे बाल रखती ही होंगी... मजा आएगा पढ़के ....

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