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मामी को रिटर्न गिफ्ट रसीली चुदाई

मेरी साली ममता और उसकी सहेली सुधा की शादी एक साथ ही हुई थी. मगर शादी के बाद कोई ऐसा संयोग नहीं बन पाया कि दोनों में से कोई भी अपने
जीजा के साथ मिल सके . एक दिन ऐसा संयोग बना कि ममता और सुधा दोनों ही अपने पति के साथ मायके आई हुई थीं. जब उसकी सहेली सुधा को पता
लगा कि उसकी सहेली ममता आयी हुई है तो वह दौड़ी चली आई.

दोनों काफी दिनों के बाद मिली थीं इसलिए दोनों ने पहले तो आपस में खूब बातें की और उसके बाद दोनों ने ही साथ में खाना भी खाया. उसके बाद ममता
उसको ऊपर वाले कमरे में ले गई. दोनों सहेलियाँ आपस में कु छ गप-शप करने के लिए ऊपर वाले कमरे में चली गईं.

मैंने भी अभी साली साहिबा से गुफ्तगू की थी और उसके बाद मैं बाथरूम में घुस कर अपने कपड़े साफ करने लगा. उसके बाद मैं कमोड पर बैठकर दैनिक
क्रियाओं से फारिग हो रहा था कि इतने में ही दोनों सहेलियों ने रूम पर कब्जा कर लिया. मैं शर्म के मारे बाथरूम से बाहर भी नहीं आ सकता था. कु छ देर
वहीं पर ये सोचकर बैठा रहा कि सुधा चली जाएगी तो उसके बाद ही बाहर आऊं गा. मगर यहाँ तो सीन ही उलट हो गया था.

सुधा ने ऊपर आते ही ममता के ऊपर प्यार लुटाना शुरू कर दिया जिसका सबूत उनकी चुम्मा-चाटी की आवाजें बाथरूम के अंदर तक आकर दे रही थी. जब
दोनों की चुम्मा-चाटी समाप्त हो गई तो सुधा पूछने लगी- जीजा को कहाँ छिपा दिया है?

सुधा बोली- यार ममता तू तो अभी से इतना पजेसिव हो रही है. एक बार जीजू से मिलवा दे. मैं खा थोड़ी न जाऊं गी तेरे पति को?

ममता ने कहा- अरे तू बड़े जीजू से नहीं मिली? वो तो नीचे ही हैं.

सुधा ने कहा- चल हट, वो तो बहुत गंदे इन्सान हैं. हमेशा छिछोरापंथी करते हैं और गंदी नजरों से देखते रहते हैं. वैसे भी वो कहावत है न- जहाँ दिल मिले
वहाँ चूत तैयार, नहीं तो फिर सैंडिल से वार! मैं तो तेरे वाले से मिलने के लिए आई हूँ. तेरे मुंह से उनकी तारीफ सुनने के बाद तो मैं उनकी फै न हो गई हूँ. मैं
तो अपने पति से भी बोलकर आई हूँ कि मैं अपने जीजू से मिलने जा रही हूँ. उनको कहकर भी आई हूँ कि अगर किसी चीज की जरूरत हो तो वह मामी से
मांगने में शर्म न करें.

ममता बोली- वे तो कल ही चले गए हैं. मगर कह कर गए हैं कि जब वापस लेने आयेंगे तो सप्ताह भर की छु ट्टी लेकर ही आएंगे. उन्होंने तो खास तौर पर तुमसे
मिलने की इच्छा भी जताई है. कह रहे थे कि तुम्हारी सहेली सुधा से जरूर मिलना चाहेंगे. वह तो पूरा वक्त देने के लिए तैयार हैं. आखिर जो रंग मेरी बीवी पर
चढ़ा है तो फिर सुधा को उससे वंचित क्यों रखा जाए भला? मुझे तो लगता है कि आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई है. अब यही इंतजार है कि तुम दोनों
की ये प्यास कब बुझ पाएगी.

दोनों सखियाँ इस बात पर खिलखिलाकर हँसने लगीं.

सुधा ने ताना मारते हुए कहा- कलमुंही तू मिलने देगी तब न प्यास बुझ पाएगी. तूने तो पहले ही भगा दिया उनको. मेरी आंखें तो कब से उनके दीदार के लिए
तरस रही हैं.

ममता बोली- बस, अब अपनी शायरी बंद कर. जब मिलोगी तुम दोनों को अके ले छोड़ दूंगी. हाय! जब तू उनसे मिलेगी तो तेरा चेहरा तो शर्म के मारे लाल हो
जाएगा मेरी रानी. तू तो उनके सामने टिक ही नहीं पाएगी और शरमा कर भाग खड़ी होगी. अब ये बता कि और क्या चल रहा है तेरी लाइफ में?

सुधा ने कहा- मामी आयी हुई है घर पर. एक सप्ताह पहले ही आई थी और सुना है कि एक महीने तक यहीं रहेगी. मेरे मामा जी को विदेश में किसी प्रोग्राम में
जाना था इसलिए उनको यहाँ पर महीने भर के लिए छोड़ कर गए हैं. मामी बता रही थी कि यहाँ पर आने के लिए पता नहीं क्या-क्या घूस देनी पड़ी है तेरे
मामा को!

ममता ने पूछ ही लिया- मामी ने भला क्या घूस दी यहाँ आने के लिए?

सुधा बोली- अरे तू नहीं जानती लाडो! मामी बता रही थी कि यहाँ आने से पहले उन्होंने गांड मरवायी, बुर चुदवाई, मुंह को चुदवाया, दोनों चूचियों के बीच में
फं साकर चुदवाया. जब इतने में भी मामा का दिल नहीं भरा तो एक दिन सारी हद पार कर बैठे. मामी को बाथरूम जाना था सू-सू करने के लिए तो मामा भी
साथ में चल दिए. बोले कि दोनों साथ में करेंगे!

अब मामी बेचारी मरती क्या न करती? मामा कमोड पर बैठ गए और लंड को थोड़ा सहला कर अर्ध-सुप्त अवस्था में ले आए और मामी से कहने लगे कि अब
तुम भी बैठ जाओ मेरी टांगों पर. दोनों साथ में मूतेंगे. देखते हैं कि किसके पेशाब में कितना जोर है.

दोनों ने एक साथ मूतना शुरू किया. मामी उनके लंड पर फु द्दी को टिका कर मूतने लगी. उधर से मामा ने फु् द्दी को निशाना बनाकर पेशाब करना शुरू किया.
गर्म-गर्म पेशाब जब फु द्दी पर लगने लगा तो उनकी मुनिया को गर्म कर दिया. धीरे-धीरे पेशाब की धार से गर्म होकर चूत अब चुदाई के लिए तैयार होने लगी.
पेशाब से भीगी हुई चूत लंड खाने के लिए तरस उठी. चूत से पेशाब की धार बंद होते ही लंड को हाथ से हिलाकर खड़ा कर दिया और चूत की सीध में टिका
कर गप्प से लंड को अंदर ले गई मामी. मामा इस अप्रत्याशित हमले के लिए तैयार नहीं थे. कमोड का ढ़क्कन खुला हुआ था जिसके कारण मामा के चूतड़
थोड़ा अंदर की तरफ धंस गए. उनकी गांड चौड़ी होकर फटने लगी. मगर मामी तो गर्म हो चुकी थी और कू द-कू द कर लंड को अंदर निगल रही थी उनकी
लंडखोर चूत. पूरे मजे लेकर चुदाई को खत्म किया.

अब तू ही बता ममता कि कमोड भी भला क्या चुदाई की जगह होती है?

ममता बोली- हाउ स्वीट! मामा जी तो बहुत ही रसीले हैं. आइडिया तो झकास था यार!

सुधा ने कहा- मामी मुझसे कहने लगी, देख ले सुधा तुझसे मिलने के लिए मुझे इतने पापड़ बेलने पड़े हैं. मगर अब तू भी रिटर्न गिफ्ट की तैयारी कर ले मेरी
जान.

मैंने मामी से पूछा- क्या मामी? मैं आपकी बात समझी नहीं.

मामी बोली- तुझको मैंने हमारी चुदाई लाइव दिखाई थी न? अब तू भी तैयारी कर ले उसके लिए.

सुधा ने बताते हुए कहा- मैंने भी मामी से जोश में आकर कह दिया कि अगर मामी तैयार है तो छेद से चुदाई का सीन दिखाने की बजाय मैं तो उनके सामने ही
अपनी चूत को चुदवाकर दिखा दूंगी.

मामी ने जवाब दिया- अच्छा, ठीक है फिर! नेकी और पूछ-पूछ? कहकर मामी हँसने लगी.

ममता ने उतावलेपन से पूछा- उसके बाद क्या हुआ?

सुधा- अरे बता तो रही हूँ. कहीँ भागी नहीं जा रही मैं. मैंने मामी को जोश ही जोश में निमंत्रण तो दे दिया मगर अब इस चैलेंज को पूरा कै से करूँ उस सोच में
बैठी हुई थी.

फिर मेरे दिमाग में ऊषा का ख्याल आया. उषा हमारी नौकरानी है. मैंने ऊषा से इस बारे में बात की मगर उसको आधा प्लान ही बताया. मैंने ऊषा को समझा
दिया कि वह मेरे पति से लिपट जाये उसके बाद मैं खुद संभाल लूंगी. ऊषा ने भी हामी भर दी.

ऊषा बोली- दीदी, बस इतना छोटा सा काम? यह काम तो मैं आंख झपकते ही कर दूंगी. मगर उसके बाद अपने पति पर नज़र रखना आपका काम है क्योंकि
उनको देख कर ही मेरी चूत पानी छोड़ने लगती है. मेरा मन तो बहुत करता था मगर आपकी खातिर अब तक बख्श रही थी उनको.

मैंने कहा- ठीक है, ठीक है. मैं संभाल लूंगी. अब जा और अपनी शेखी कहीं और जाकर बघार.

मेरे पति विपिन नहाने के लिए तैयार हो रहे थे. उनकी आदत है कि वो नहाते समय सारे कपड़े, निक्कर और गंजी छोड़कर, बाहर खोल कर रख देते थे. सिर्फ
तौलिया लपेट कर बाथरूम में नहाने के लिए जाते थे. प्लान के मुताबिन ऊषा को पानी का गिलास लेकर अंदर जाना था और चौखट पर पैर लग कर गिरने की
एक्टिंग करनी थी. सब कु छ प्लान के मुताबिक ही चल रहा था. वो अंदर गयी और जैसी उसने गिरने की एक्टिंग की तो विपिन उसको लपक कर बचाने लगे.
ऊषा अपनी बांहों को उनकी गर्दन में फं साए हुए नीचे गिर गई.

मैंने ऊषा को थोड़ा सा और वक्त दिया ताकि वह अच्छे तरीके से आलिंगनबद्ध हो सके . उसके बाद मैं अंदर दाखिल हो गई और ऊषा नीचे गिरी हुई थी और
विपिन जी का तौलिया एक तरफ खुल कर गिर गया था और विपिन जी के वल अंडरवियर में थे और ऊषा के ऊपर लेटे हुए थे.

उषा ने जान-बूझकर अपने पैर हवा में उठा लिये थे जिससे लंड अंडरवियर सहित सीधे चूत के ऊपर जाकर लग जाये और उसकी चूत की तपिश को महसूस
कर सके . ऊषा की बुर की गर्मी पाकर लंड महाराज बिना किसी की परमिशन लिए खुद ही खड़े होने लगे. भला लंड को किसी की परमिशन की जरूरत थोड़े
ही पड़ती है खड़ा होने के लिए! लंड महाराज ने अंडरवियर सहित ही चूत का रास्ता खोज लिया था.

कमरे में अंदर घुसते ही मैं फट पड़ी- यह क्या रास-लीला चल रही है?

मेरी आवाज सुनकर मामी भी स्थिति को संभालने के लिए तुरंत कमरे में आ घुसी. ऊषा रानी और विपिन का आलिंगन सीन मामी ने भी देखा. उसने तुरंत
ऊषा को वहाँ से उठा दिया और वहाँ से चलती कर दिया. मैं भी पैर पटकते हुए बाहर आ गई. बाहर आकर बड़ी ही जोर से मेरी हँसी छू ट गई मगर मैंने मुंह को
अपने हाथ से दबा लिया और वहाँ से खिसक गई. अब आगे की कमान मामी को संभालनी थी. मामी तो ठहरी पुरानी खिलाड़ी इसलिए उन्होंने बड़े ही अच्छे
तरीके से स्थिति की कमान संभाली.

विपिन जी कु छ घबराए हुए से लग रहे थे. वो अपनी सफाई देना चाहते थे मगर इससे पहले कि वो कु छ बोल पाते मामी कह उठी- अरे मेहमान जी! ऊषा चीज
ही ऐसी है. शाम वर्ण, औसत कद-काठी, चेहरे पर बड़े-बड़े आकर्षक नैन बिना काजल के भी कजरारे, जिन पर आप क्या आपके मामा भी फिदा रहते हैं.
ऊपर से जब वह गांड मटका कर चलती है तो अच्छे-अच्छों के मन को डगमगा देती है. जरा बच के रहना! जिस पर उसका दिल आ जाता है उसको वह पार
के घाट उतार कर ही दम लेती है. किं तु अगर उसका दिल न चाहे तो अच्छा-खासा पहलवान भी उसके सामने घुटने टेक देता है. एक बार एक पहलवान ने
उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की थी. ऊषा उसके लंड को दांतों से काट कर खा गयी थी. बेचारे को 6 महीने तक डॉक्टरों के चक्कर लगाने पड़
गए थे. मगर उसका दिल आपके मामा जी पर आया तो हम लोगों के रहते हुए भी उनसे चुदवा कर आ गयी थी. अगर आप कहें तो सुनाऊँ वह कहानी?”
विपिन जी के मन में तो कहानी सुनने के लिए हाँ थी मगर होंठों से कु छ बोल नहीं पा रहे थे. मामी बिना उनकी हामी लिये ही चालू हो गयी कहानी सुनाने के
लिए.

“तो हुआ यूं कि एक दिन घर में चिकन बना था. ऊषा ने थाली में खाना परोस कर मामा जी के रूम में पहुंचा दिया और हम लोगों के सामने भी खाना थाली में
सजा कर रख दिया. इतना लजीज खाना देख कर हम सभी लोग एक साथ खाना खाने के लिए बैठ गए. या यूं कहें कि खाने पर टू ट पड़े. एक साथ खाने का
मजा भी तो अलग होता है न! ना-नुकर करते हुए भी लोग ज्यादा खा लेते हैं. अगर मटन या चिकन बना हो तो सोने पर सुहागा हो जाता है. हर कोई मामा जी
को भूल कर खाने पर जुटा हुआ था.

कु छ देर के बाद ऊषा एक कटोरे में चिकन और शोरबा लेकर मामा जी के कमरे में गयी और पूछने लगी- थोड़ा और दूं?

मामा जी खाने की तारीफ कर रहे थे.

ऊषा बोली- थोड़ी तारीफ खाना बनाने वाली की भी कर दो! उस चिकन की तारीफ तो आपने कर दी मगर इस चिकनी की तारीफ भी कर दो थोड़ी सी!

मामा भी कम थोड़े ही थे, बोले- कु छ दिखे तो तभी तो तारीफ करें? अगर खाने को वह भी मिले तभी तो पता चलेगा कि चिकन अच्छा है या चिकनी?

ऊषा अपने नैन घुमाते हुए बोली- घबराइये नहीं, अभी तो सब लोग खाना खा रहे हैं. अगर आपकी इच्छा इस चिकनी को खाने की भी है तो लीजिये आपके
सामने अभी परोस देती हूँ.

कहकर ऊषा ने अपने दोनों चूचों को ब्लाउज की कै द से आजाद कर दिया. मामा ने भी खाना वहीं पर छोड़ कर उसकी तरफ मुखातिफ हो गये और बोले-
आओ पहले उसी चिकनी का स्वाद ले लेता हूँ. मगर दिल की बात कहूँ तो मैं कब से यही चाहता था मगर डर लगता था कहीं तुम लंड को दांतों से न काट
लो!

मामा उसकी चूचियों का स्वाद लेकर पीने लगे. नीचे की तरफ ऊषा ने मामा की लुंगी हटाते हुए उनके लंड को मुंह में लेकर चूस लिया और मामा का लंड
खड़ा हो गया.

मामा ने ऊषा को बेड पर लेटा दिया और ऊषा उठकर खुद ही मामा को नीचे लेटा कर उनके लंड पर बैठ कर सवारी करने के लिए तैयार होने लगी. लंड का
सुपाड़ा चूत पर लगाया और शरीर का भार नीचे की तरफ छोड़ा तो लंड को जाने में परेशानी हुई. कु छ पल बाद चूत के रस से चिकना होकर लंड का आधा
भाग में चूत में जा घुसा और उसके बाद एक झटके में पूरा लंड अपनी चूत में उतरवा लिया हमारी ऊषा रानी ने. मामा के लंड की सवारी करते हुए वह मामा
के निप्पलों को होंठों में लेकर चूसने लगी.

बोली कि मर्द के निप्पलों को चूसने का मजा ही कु छ और होता है. नमकीन सा स्वाद और साथ में उनके मुंह से निकलती सिरहन … आह्ह् … लगता है कि
असली घोड़े की सवारी की जा रही है.

उसके बाद मैंने भी आपके मामा जी के निप्पलों को चूस कर देखा विपिन जी, सच में बड़ा मजा आया. ऐसा करना मर्दों के अंदर तुरंत जोश भर देता है.

उसके बाद मुझे ध्यान आया कि काफी समय से ऊषा अंदर गयी हुई है. मुझे शक होने लगा और मैं तुरंत उठ कर मामा जी के कमरे की तरफ जाने लगी.
जाकर देखा तो वह उधर से गांड मटकाते हुए चली आ रही है. मुस्कु राते हुए बड़े प्यार से बोली- क्या दीदी, शक करने चल दी अपने पति पर? मैं तो उनको
प्यार से खाना खिला रही थी. देखो, चिकन के साथ दोनों चिकनी भी खिला कर आ रही हूँ, वर्ना आप ही कहने लगतीं कि मेरे पति का तो कोई ख्याल ही
नहीं रखता. एक आंख दबाती हुई ऊषा रानी बोली- हाय रे, लुट गई मामा की इज्जत. आज एक और मर्द की इज्जत तार-तार कर दी. लुट गयी उनकी आबरू!

विपिन जी ने स्वाभाविक प्रश्न पूछते हुए कहा- मामी आपको कै से पता चला?

मामी- हम औरतें ईश्वर की बहुत ही रहस्यमयी रचना हैं. कु छ बातें तो पचती ही नहीं हैं. अगर किसी से न कहें तो पेट फू लने लगता है. मगर कु छ बातें हम
औरतें ऐसे पचा लेती हैं कि डकार भी न निकल पाए! मैंने बस दो-तीन बार ऊषा को पिन मारी कि सारा का सारा वाकया उसने मेरे सामने उगलते हुए अपने
मुंह से उल्टी कर दी. हम लोगों ने बहुत ही चटकारे लेकर सुना था वह वाकया. उसमें सबसे ज्यादा बढ़िया लगा मर्दों के निप्पल चूसने वाला भाग. मेरा तो इस
तरफ कभी ध्यान ही नहीं गया था.

अब आप जल्दी से स्नान कर लीजिए और बाहर आ जाइये. विपिन जी एक बात तो पूछना भूल ही गई मैं, आपका अंडरवियर कै से गीला हो गया? कहीं आप
भी तो उसके मोह-पाश में उलझ तो नहीं गये?

विपिन जी ने अपना अंडरवियर छू कर देखा तो सचमुच गीला हो गया था. वो थोड़े से घबरा गए. बोले- पता नहीं मामी, कै से गीला हो गया.

सुधा ने आगे की कहानी बताते हुए जारी रखी- ममता, हम लोगों का प्लान ‘ए’ तो कामयाब रहा. दूसरे पार्ट में मैं दिनभर उनके पास नहीं गई. मैं तो नाराज
होने का नाटक जो कर रही थी. नाराजगी भी तो जतानी थी. उस दिन मैं मामी के हाथों ही खाना, चाय, नाश्ता सब भिजवाती रही.

अंतत: शाम में उन्होंने मामी को बोल ही दिया- कब तक सुधा नाराज रहेगी ? जब वो मिलेगी तब न सारी बात बता पाऊं गा कि हुआ क्या था!
मामी बोली- इंतजार करिये, रात में उसको खींच कर तुम्हारे पास ही ले आऊं गी. तब अपनी सफाई पेश कर लीजिएगा.

रात हुई तो मामी ने नाइटी बदल ली क्योंकि मामी रात में नाइटी पहन कर ही सोती हैं. अंदर की ब्रा और पैंटी सब निकाल देती हैं. कहती हैं कि खुला-खुला
अच्छा लगता है. साथ ही ब्लड सर्कु लेशन भी बना रहता है.

ममता बोली- सही कहती है मामी …

सुधा बीच में ही ममता को टोकते हुए बोली- अरे, आगे की बात तो सुन.

मैं और मामी साथ में रूम में घुसे. मैं नाराज रहने का नाटक भी निभा रही थी. विपिन जी ने बीसियों बार सॉरी बोला मगर मैं मुंह घुमा कर लेटी रही. मैंने अपने
भाव दिखाने बंद नहीं किये.

उसके बाद मामी ने कमान संभाल ली.

मामी बोली- मेहमान जी! आपने ऊषा को कहाँ-कहाँ छु आ था?

विपिन बोले- कितनी बार तो माफी मांग चुका हूँ मामी. जबकि मेरी कोई गलती भी नहीं थी इसमें. आप लोग मेरी बात को सुनने के लिए तैयार तो हो जाओ
तभी तो मैं कु छ बता पाऊँ गा.

मामी बोली- आपने गलती की है या नहीं इसका फै सला तो बाद में होगा मगर उससे पहले आप जवाब दें कि आपने गलती से ही सही मगर आपने ऊषा को
कहाँ-कहाँ छु आ था?

विपिन बोले- शायद दोनों चूचियों पर मेरा कलेजा था उसकी ‘उस’ जगह मेरा ‘वो’ था.

मामी बोली- थोड़ा साफ-साफ बताने का कष्ट करेंगे?

सवाल से पीछा छु ड़ाने की मंशा से उन्होंने तपाक से जवाब दिया- उसकी चूत पर मेरा लंड था! उसकी चूत की गर्मी की वजह से मेरा लंड खड़ा भी हो गया
था. शायद अंडरवियर सहित लंड थोड़ा सा चूत के अंदर भी चला गया था. इसलिए मेरा अंडरवियर भीग गया था.

मामी बोली- तो फिर आप से गलती हुई है तो आप सजा के भी हकदार हो जाते हैं. आपको सुधा की इन दोनों जगहों से माफी मांगनी है. माफी आपको बिना
बोले ही मांगनी होगी. मैं थोड़ा हिन्ट दे रही हूँ कि अब आप इन्हीं दो जगहों पर अपने मुंह और जीभ से सॉरी महसूस करायें।

मैं (सुधा) बोली- मामी इनसे कहिये कि पहले ये पूरे नंगे हो जाएं उसके बाद ही माफी मांगने के लिए आगे बढ़ें.

विपिन बोले- मामी के सामने ही?

मैं तुनक कर बोली- क्यों, ऊषा को पेलने में तो जरा सी भी शर्म नहीं आई, जो अब आ रही है!

हार कर मेरे भोले विपिन जी नंगे हो गए और बड़े प्यार से ब्लाउज को और फिर मेरी ब्रा को उतारा. मेरे दोनों मम्मों को सहलाया और उनको धीरे से पीना शुरू
किया जैसे कोई अबोध बच्चा दूध पी रहा हो. फिर सिर नीचे ले जाकर अपने दांतों से पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और दांत से ही मेरी पैंटी को भी उतार
दिया.

उनकी गर्म-गर्म सांसें पूरी की पूरी जांघों से होते हुए पैरों पर पड़ रही थीं. मेरा पूरा शरीर सिहर रहा था. मेरा रोयां रोयां खड़ा हो गया था. विपिन ने ऊपर
आकर मेरी फु द्दी को नाक से रगड़ दिया. उनकी गर्म-गर्म सांसें मेरी उत्तेजना को बढ़ाये जा रही थीं. फिर जीभ से दोनों फांकों को अलग कर चूत चाटने लगे. मैं
मामी को खींच कर अपने ऊपर ले आयी और अपने ऊपर लेटा लिया और उनकी दोनों चूचियों को बाहर निकाल लिया. एक को मुंह में भर कर पीने लगी.
दूसरी को एक हाथ से मसल रही थी.

उत्तेजना के कारण मेरी दोनों टांगें अपने आप फै लती चली गईं. वो अपना लंड मेरी चूत में डालने के लिए पोजीशन बदलने ही लगे थे कि मैंने अपने पैरों को
सिकोड़ लिया.

मामी बोली- यही आपकी सजा है कि आज आपका लंड बुर के लिए तरसता रहे. आपको अपने मुंह से मेरी बच्ची (सुधा) की चूत को मनाना है. चूत जब
आपको अपनी पिचकारी से नहला दे तो समझियेगा कि आपको माफी मिल गयी.

विपिन जी फिर वहीं से चालू हो गये. मैं अपना हाथ बढ़ाकर मामी की चूत के पास ले गयी जिसे मामी ने आज ही शेव किया था. मामी की चूत साफ-सुथरी
चिकनी और मुलायम थी. वहाँ हाथ जाते ही मामी की चूत, जो पहले से ही पिघल रही थी, और ज्यादा गीली होने लगी. उनकी चूत का रस दोनों जांघों पर चू
कर फै ल रहा था. इतने में मेरा शरीर अकड़ने लगा. थोड़ा सा चिपचिपा रस मेरी चूत से निकल कर उनके मुंह में समा गया तो कु छ रस चारों तरफ फै ल गया.
उनका मुंह चिकने द्रव्य के कारण चमक कहा था.
मैं उठी और विपिन पर बिगड़ते हुए बोली- चलिये मेरी चूत ने आपको माफ किया. मगर यह तो बताइये कि आप उषा को कै से चोदते? मामी के ऊपर करके
बताइये.

मामी शायद इसके लिये तैयार नहीं थी इसलिए उन्होंने अपने पैरों को समेट लिया. मैंने मामी को पीठ के बल लेटा दिया और उनके ऊपर चढ़ कर बैठ गयी
जिसके कारण मेरी चूत उनके मुंह के ऊपर आ गयी. मैंने मामी की टांगों को दोनों हाथों से फै ला दिया. उनकी चुदने की इच्छा तो हो रही थी मगर वह अपने
मुंह से नहीं कह पा रही थी. थोड़ी सी ना-नुकर करने के बाद मामी भी आराम से पैर फै ला कर लेट गयी. विपिन जी ने आदेश का पालन करते हुए मामी को
पेलना शुरू कर दिया. मामी हर स्ट्रोक का आनंद लेने लगी. हर बार चूतड़ उठा कर विपिन जी के लंड को गप्प से निगल जा रही थी उनकी चूत.

मेरी फु द्दी मामी के नाक के ऊपर थी. उनकी गर्म सांसें वहां टकरा रही थीं. मामी ने जीभ से मेरी बुर को चाटना शुरू कर दिया. एक हाथ का अंगूठा पहले मेरी
चूत में डालकर गीला कर लिया और फिर मेरी गांड में घुसा दिया. मेरी चूत फिर से उत्तेजित होने लगी. मामी पीछे से अंगूठे को गांड में भीतर-बाहर कर रही
थी. जीभ से बुर की चुदाई कर रही थी. विपिन जी की स्पीड बढ़ने लगी थी. मामी ने भी बदले में अपनी स्पीड बढ़ा दी थी. साथ ही साथ मामी का अंगूठा मेरी
गांड में तेजी से अंदर-बाहर हो रहा था. पूरे रूम में चूत चटाई की चपर-चपर के साथ-साथ चूत चुदाई की चट्ट-चट्ट फै ल गई थी. लगभग तीनों ही एक ही समय
पर झड़ गए और निढ़ाल होकर पड़ गये.

मामी उठकर कपड़े पहनने की तैयारी करने लगी तो मैंने उनको मना कर दिया. मैंने मामी को इसी तरह सोने के लिए बोल दिया. उसके बाद हम तीनों ने एक
चादर ओढ़ ली. विपिन हमारे बीच में सैंडविच के माफिक लेटे हुए थे. मैंने उनका लंड पकड़ कर कहा- खबरदार जो किसी और की चूत की तरफ लंड उठाकर
देखने की कोशिश भी की तो!

मुझे पता था कि अगली बार सप्ताहों तक लंड महाराज और चूत का मिलन न हो पायेगा इसलिए मैं उनके लंड को अपने दोनों चूतड़ों के बीच में फं सा कर सो
गयी.

अब भला लंड को क्या मतलब कि चूत या गांड किसकी है. वह तो उसकी तपिश से ही खड़ा होना शुरू जाता है. यहाँ तो दो-दो औरतें दोनों तरफ से लंड को
दाबे हुए थीं. ऊपर से लंड को चूतड़ों में फं सा कर रखे हुए थी. कु छ आधा घंटा बीतने के बाद लंड फिर से खड़ा होने लगा. उसके आकार का परिवर्तन मेरी
गांड में दस्तक देने लगा था जिससे मेरी नींद खुल गयी. मैंने मामी को उठाया तो वह अलसायी हुई थी.

मामी उठ कर बोली- अब ये तुम दोनों का ही मामला है. मैंने एक बार सुलह करा दी है. अब तुम जानो और तुम्हारी चूत-लंड जानें.

उस रात मैं लंड की चुदाई से अभी तक वंचित ही थी. इसलिए उसके खड़ा होने भर की देर थी कि मेरी चूत ने भी रस छोड़ना शुरू कर दिया. मैंने लंड की
सवारी करने की सोची.

विपिन जी को पीठ के बल लेटा कर उन पर चढ़ कर बैठ गयी. लंड सीधे मेरी चूत के अंदर चला गया. मुझे इस तरह से घुड़सवारी करने में बड़ा ही आनंद
आता है.

मामी बगल में जैसे निश्चल लेटी हुई थी. मगर यह तो संभव सी बात नहीं लग रही थी कि बगल में चुदाई चल रही हो आपको नींद आ रही हो. मैंने मामी का
फॉर्मूला उन्हीं पर फिट कर दिया. मैंने अंगूठे को उनकी गांड के पास रखा और दो उंगलियों को चूत के पास रख दिया और धीरे से अंदर करने लगी. मामी की
चूत तो जाग रही थी जिसका अंदाजा मुझे उसकी चूत से निकलने वाले रस से हो गया. मैं जान गई थी कि मामी ने बस आंखें बंद कर रखी हैं. जितनी तेजी के
साथ मैं लंड की सवारी कर रही थी उसकी दोगुनी स्पीड के साथ मैं मामी को अपनी उंगलियों से चोद रही थी.

मामी की सीत्कार बढ़ने लगी तो मैंने मामी को बोल दिया- मामी अब तो उठ जाओ, मेरी चुदासी मामी.

मामी उठी और बोली- बोलो क्या करना है, लंड पर तो तुम काबिज हो.

मैंने मामी के चूतड़ों को उठा कर विपिन के मुंह पर रख दिया. मामी ने अपनी चूत की फांकों को और चौड़ा कर दिया. उनकी नाक के ऊपर रगड़ने लगी.
विपिन जी अब मामी की चूत को जीभ निकाल कर अंदर तक चाट रहे थे. मामी की चूत में जीभ तो डाल ही रहे थे और साथ ही अब उनकी गांड में अपनी
उंगली भी करने लगे थे. मैंने मामी के मम्मों को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया. साथ ही मैं लंड की सवारी का भी पूरा आनंद ले रही थी. हम तीनों की
स्पीड तो बढ़ रही थी मगर साथ में पलंग की चर्र-चर्र भी बढ़ रही थी. कु छ देर के बाद तीनों ही एक साथ खल्लास हो गए. अब मामी बिना कु छ कहे ही उठ कर
नाइटी पहनने लगी और चुपचाप कमरे से बाहर निकल गई. हम दोनों भी काफी देर तक सोते रहे.

सुबह उठ कर नीचे गई तो मामी नहा कर तैयार हो चुकी थी. उनको अपने बाहुपाश में भरते हुए मैंने पूछा- कै सा रहा रिटर्न गिफ्ट?

मेरी चुदासी मामी मुस्कराकर बोली- लाडो, मैं तो तेरे लिए डिल्डो ही लेकर आई थी मगर तूने तो सच-मुच में असली का लंड मेरी चूत पर न्यौछावर कर
दिया.

इतने में ही ऊषा आ गयी. मुझे एक तरफ कमरे में लेकर गयी और बोली कि जरूरी काम है. अंदर जाते ही उसने भीतर से दरवाजा बंद कर लिया और मेरे पैरों
पर गिर पड़ी. बोली- हे दीदी, देखो मेरी चूत की हालत. यह कहकर उसने साड़ी और पैटीकोट को उठा लिया और मुझे दिखाने लगी. उसकी पैंटी पूरी भीगी
हुई थी.
ऊषा बोली- रात भर मैं तो उंगली करके थक गई हूँ, नींद भी नहीं आई. मगर यह छिनाल सुधरने का नाम ही नहीं ले रही. बस सोच कर ही भीग जाती है.
दीदी कु छ तो करो. इसके लिए लंड का इंतजाम कर दो किसी तरह. मेरा तो सिर फटा जा रहा है जब से विपिन जी का लंड मेरी चूत से छू कर गया है. तब से
यह पागल हो गयी है. चिल्ला-चिल्ला कर उन्हीं का लंड मांग रही है. कहती है कि लंड चाहिए तो वही चाहिए. मैं जब दूसरे लंड की तरफ इशारा करती हूँ कमीनी
सूख जाती है.

मैंने पलंग पर लेटते हुए कहा- चल आ जा, मेरी चूत की मालिश कर दे. रात भर बहुत झटके खाये हैं इसने.

वो भी कहीं से तेल की शीशी उठा कर ले आयी और मेरी चूत की मालिश करने में जुट गयी. बीच-बीच में अपनी जीभ से बुर की फांकों को चौड़ा कर चाट भी
रही थी. आखिर एक चूत ही दूसरी चूत के दर्द को समझ सकती है और वही उसका इलाज भी कर सकती है. ऊषा के बर्दाश्त की सीमा जब पार हो गई तो
उसने अपनी चूत को मेरी चूत के ऊपर ही घिसना चालू कर दिया. थोड़ी ही देर में गरम सा लिस-लिसा सा पदार्थ मेरी चूत के ऊपर फै ल गया. मैं समझ गयी
कि वो झड़ चुकी है. कु छ देर के बाद वह फिर से शुरू हो गई.

बोली- देखो दीदी, अब आप ही देख लो, यह तीसरी बार है. कु छ तो करो मालकिन, मेरा मन शांत नहीं हो रहा है, वर्ना मैं छत पर से कू द जाऊं गी!

मैंने उसे झिड़कते हुए कहा- शांत हो जा पगली. मेरी बात को ध्यान से सुन. जिस बाथरूम को विपिन जी यूज करते हैं उसमें बिना बल्ब के कोई नहीं जा
सकता. इतना अंधेरा होता है वहां दिन के समय में भी. उधर एक फ्यूज बल्ब रखा हुआ है. जा … जाकर बदल ले अपनी किस्मत!

ऊषा तुरंत समझ गयी कि उसे क्या करना है.

विपिन जी जैसे ही नाश्ता करने के लिए नीचे उतरे. वह फु र्ती से जाकर बल्ब बदल आई. भीतर जाकर वाशरूम का दूसरा दरवाजा और कुं डी भी खोल दी जो
वाशरूम के अंदर से ही खुलता और बंद होता है. वह भी इंतजार करने लगी कि कब विपिन जी नहाने के लिए जाते हैं. साथ ही साथ चूत चुदवाने के
उतावलेपन में वह काम भी फटाफट निपटा रही थी.

विपिन जी जैसे ही नहाने के लिए अंदर गये तो उन्होंने बल्ब ऑन किया. मगर फ्यूज बल्ब भी भला कभी जलता है? उन्होंने मुझे आवाज दी और कहने लगे-
देखो सुधा, बल्ब नहीं जल रहा है.

मैंने कहा- अगर आप बाहर आएंगे तो मैं देख पाऊं गी कि क्या बात है.

वो बाहर आये और इतने में ऊषा भी दूसरे दरवाजे से अंदर घुस गई. अगर थोड़ी सी भी टाइमिंग की गड़बड़ हो जाती तो कोई भी पकड़ लेता कि दूसरे गेट से
कोई अंदर दाखिल हुआ है.

मैंने बाहर आकर विपिन जी से कहा - कोई बात नहीं, लगता है कि बल्ब फ्यूज हो गया है. आप वाशरूम का दरवाजा थोड़ा सा खुला छोड़ कर स्नान कर
लीजिए ताकि वाशरूम में रौशनी आती रहे. मैं बाहर ही बैठ जाती हूँ.

वो अंदर गये और पानी के गिरने की आवाज आने लगी.

अब जैसा ऊषा ने मुझे बताया वो भी सुनो:

मैंने (ऊषा) इतनी ही देर में पूरे कपड़े उतार दिये थे. जमाई बाबू बदन पर पानी डालने के बाद अंधेरे में शायद साबुन ढूंढ रहे होंगे. मगर उससे पहले ही मैंने
साबुन खोज कर उनकी पीठ पर लगाना शुरू कर दिया. पीठ पर साबुन मलने के बाद मेरे हाथ आगे छाती की तरफ आ गए. छाती पर साबुन मलते समय मेरी
दोनों चूचियां जमाई बाबू की पीठ पर सट रही थीं. उसके बाद छाती से चलकर मेरे हाथ पेट पर मलते हुए नीचे लंड की तरफ बढ़ गये. पीछे से चूचियों का
दबाव और साथ में नारी का स्पर्श मिलते ही लंड तुरंत खड़ा हो गया. मैं उनके खड़े लंड पर साबुन लगाने लगी.

मेरे हाथ आगे की तरफ उनके लंड पर जाकर टिक गये और वहाँ से हटने का नाम ही नहीं ले रहे थे. जमाई जी का तना हुआ गर्म लौड़ा हाथों में ऐसा आया कि
हाथों ने मजे ही मजे में लंड को सहलाना शुरू कर दिया. कभी टोपे का साइज नापने लगे तो कभी तोप के नीचे के दो बड़े गोलों को छू कर वापस तोप के ऊपर
फिसल जाते. मेरी चूचियां तो जमाई जी की पीठ से लग कर ही तन गई थीं. मगर साथ ही जब चुदाई की आग बेकाबू होने लगी तो मैंने चूत रानी को भी पीछे
से जमाई जी के चूतड़ों पर रगड़ दिया. मन कर रहा था उनकी गांड में ही अपनी चूत को घुसा दूँ. मगर इतना वक्त नहीं था मेरे पास.

उसके बाद ठीक से उनको अच्छी तरह नहलाया और अपनी तरफ उनको घुमाते हुए जमाई जी की गर्दन पर लटक गई. थोड़ा सा उचकते ही मेरी चूत का छेद
ठीक लंड के टोपे के ऊपर सेट हो गया. एक धक्का दिया और टोपा फिसलते हुए चूत से बाहर भाग गया. जल्दी से टोपे पर थूक लगाया और फिर से गीला
करते हुए एक और धक्का दे मारा तो आधा लंड मेरी चूत के अंदर चला गया. उसके बाद जोर से दूसरा धक्का और पूरा लंड चूत में समा गया. आह्ह … जमाई
जी का लंड जब अंदर गया तो मेरी चूत की धधकती आग में जैसे घी डाल दिया गया हो. मगर अगले ही पल उनको पता चल गया कि किसी गलत नम्बर पर
कॉल गया है.

कान में फु सफु साते हुए जमाई जी बोले- कौन हो तुम?


मैं बोली- कल के अधूरे काम को पूरा कर लें जमाई जी? दीदी बाहर बैठी है. मगर पानी के शोर में कु छ सुनाई नहीं देगा कि अंदर क्या हो रहा है.

जमाई जी ने मुझे वहीं फर्श पर लेटा दिया. मेरी चूत पर लंड रखा और फच्चाक से एक ही धक्के में पूरा लंड योनि के अंदर चला गया. थोड़ा दर्द तो हुआ मगर
बढ़ते हुए धक्कों के साथ जल्दी ही मजा भी आने लगा. मैं तो दस-बारह धक्कों में ही संयम खो बैठी और झड़ पड़ी. मगर जमाई जी अभी भी धक्कम पेल चालू
किए हुए थे.

कु छ देर के बाद मैं बोली- बस, हो गया हो तो अब हट जाइये.

जमाई जी- अभी मेरा कहाँ हुआ है … कहकर उन्होंने फिर से धक्कम-धक्का कर दी.

मैं दोबारा से गर्म होने लगी. मैं भी चूतड़ उठा उठाकर उनका साथ दे रही थी. थकने के बाद जमाई जी मेरा दूध पीने लगे. चूचियों को मसल-मसल कर बुरा
हाल कर दिया उन्होंने. एक दो जगह से चूची को काट भी लिया जिसका निशान अभी भी पड़ा हुआ है मेरी चूची पर.

उषा ने अपनी चूची निकाल कर मुझे (सुधा को) दिखाई भी थी

ऊषा ने कहानी जारी रखते हुए कहा- सांसें सामान्य होने के बाद हमारी चुदाई फिर से शुरू हो गई. दोनों जन पसीना-पसीना हो गये. जब उनकी स्पीड बढ़ने
लगी तो मैं समझ गई कि वो अब झड़ने वाले हैं. मैंने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी. जितनी जोर से वो धक्का दे रहे थे मैं उससे दोगुनी ताकत लगाकर अपनी
चूत को उछाल देती थी. हर बार जब लंड चूत में घुसता तो फच्च की आवाज हो उठती और जांघों पर चट्ट की आवाज बन पड़ती.

मैं उनकी पीठ पर लगभग लटक ही गयी थी उनके धक्के मुझे बाथरूम के फर्श से हर बार उठाते और फिर धम्म से नीचे पटक देते. जैसे ही वो ऊपर उठते मैं
उनकी पीठ से लटक कर ऊपर उठ जाती. ऐसा चोदू मर्द मिला है सुधा दीदी आपको. बड़ी किस्मत वाली हो आप तो.

ऊषा के मुंह से मुझे मेरे ही पति की चुदाई की तारीफ सुन कर बड़ा मजा आ रहा था.

ऊषा ने आगे बताते हुए कहा- जमाई जी मेरी चूत का बाजा बजा रहे थे और मैं उनकी चुदाई की धुन में नाच रही थी. बहुत दिनों के बाद मेरी आग उगलती
चूत को ऐसा ठंडे पानी का झरना मिलने वाला था मैंने तो अनुमान भी नहीं लगाया था इसका. मगर विपिन जी का लंड तो मेरी उम्मीद से कहीं ज्यादा दमदार
भयंकर साबित हो रहा था.

जब पहले दिन उनके अंडरवियर के अंदर से ही चूत ने उनके टोपे के अहसास को महसूस किया था, मेरी हालत तो उसी पल से खराब होने लगी थी. दीदी
अगर आज आप मेरे लिए जमाई जी के लंड का इंतजाम न करती तो सच में मैं छत से कू द कर अपनी जान ही दे दती.

आपने जो बाथरूम के बल्ब को बदलने का आइडिया दिया उसने भले ही बाथरूम में अंधेरा किया लेकिन जमाई जी का लंड पाकर मेरी चूत में सैकड़ों बल्ब
जल उठे थे. उनका हर धक्का मेरी चूत में आनंद का उजाला कर रहा था.

मैं तो चुदते हुए मन ही मन कहने लगी थी- आया नया उजाला, जबरदस्त धक्कों वाला … जमाई जी मेरी चूत को अपने लंड से घायल कर रहे थे और मैं
उनके हथौड़े को पूरा मौका दे रही थी कि वह अंदर तक मेरी चूत की ठुकाई कर दे. आह्ह … बहुत दिनों के बाद इतना आनंद आया था मुझे चुदाई में. पेलम-
पेल, धका-धक, फच्च-फच्च चुदाई के वो पल भुलाए नहीं भूलते दीदी.

कु छ देर के बाद अकड़ते हुए दोनों ही भलभला कर निकल पड़े. जमाई जी का कु छ वीर्य अंदर गिरा तो कु छ बाहर गिर गया. बाहर गिरा हुआ वीर्य पानी के
साथ घुल कर मेरी पूरी पीठ पर फै ल गया.

देखो दीदी पूरी पीठ चट-चट कर रही है. इतनी कस कर चुदाई कर दी है कि लगता है पूरे शरीर का पानी चूस कर बाहर निकाल दिया हो. चलो कहीं कोने में,
सोने के लिए, अब आप ही संभालना दीदी.

ऊषा की बात यहाँ पर खत्म होती है.

इतना कहने के बाद सुधा चुप हो गयी.

सुधा बोली- देखो, तुम्हें (ममता को) कहानी सुनाते-सुनाते मैं तो फिर से पिघलने लगी. छू कर देख ममता, मेरी पूरी पैंटी गीली हो गई है. तुम्हारा क्या हाल है
जरा तुम भी दिखाओ.

सुधा ने ममता की टांगों के बीच में हाथ लगा कर देखा और बोली- अरे कोई असर ही नहीं हुआ तुम पर तो! बिल्कु ल रेगिस्तान की तरह सूखी लग रही हो?

ममता बोली- जिसके लिए दिल धड़का उसी के लिए चूत का पानी छलका.

फिर बातें करते-करते दोनों नीचे चली गईं और मुझे (बाथरूम में कमोड पर बैठे हुए) वहाँ से मुक्ति मिल गई.

समाप्त

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