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सत्र 1 : अध्याय 1

कुरुक्षेत्र के यद्ध
ु स्थल में सैन्य निरीक्षण

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गीता मे ड
Gita Made Easy
ईज़ी
अमरेंद्र गौर दास सुकीर्ति माधवी देवी दासी

अंतर्राष्ट्रीय श्रीकृ ष्णभावनामृत संघ


संस्थापकाचार्य कृ ष्णकृ पामूर्ति श्रीमद श्री ए सी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद
समीक्षा - अध्याय 1

सर्व-मगं ल मर्ति

यद्ध
ु की भमि
ू का भक्त वत्सल भगवान जीवन के कष्ट
(1.1 – 1.11) भगवान श्री कृष्ण (1.21– 1.27) (1.28– 1.46)
(1.12 – 1.20)

गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com


श्लोक 1 .1
धतृ राष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता ययु त्ु सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ।।
अनुवाद
धतृ राष्ट्र ने कहा - हे सजं य !
धर्मभमि
ू कुरुक्षेत्र में यद्ध
ु की इच्छा से
एकत्र हुए मेरे तथा पाण्डु के पत्रु ों ने क्या किया ?

यद्ध
ु की भमि
ू का (1.1 – 1.11) गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com
यद्ध
ु की भमि
ू का

धतृ राष्ट्र दर्यो


ु धन

यद्ध
ु की भमि
ू का (1.1 – 1.11) गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com
धतृ राष्ट्र की मानसिकता
I सदं ेहपूर्ण

II भयभीत

III पक्षपातपूर्ण
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धर्मक्षेत्र
सदं ेहपूर्ण • कुरुक्षेत्र एक पवित्र धार्मिक स्थल है |
• धर्म - नियम एवं काननू |

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ु की भमि
ू का
धतृ राष्ट्र की मानसिकता
।। अनमोल शिक्षा ।।
सदं हे पर्णू
आप धर्म की रक्षा करें
धर्म आपकी रक्षा करे गा |

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ु की भमि
ू का
धतृ राष्ट्र की मानसिकता
भयभीत धतृ राष्ट्र जानता था कि उसकी
आसक्ति के कारण वह अनुचित
कार्य कर रहा था |

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ु की भमि
ू का
धतृ राष्ट्र की मानसिकता
।। अनमोल शिक्षा ।।
सदं हे पर्णू
अत्यधिक आसक्ति चितं ा
का कारण बन जाती है |

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ु की भमि
ू का
धतृ राष्ट्र की मानसिकता
पक्षपातपर्णू ‘ मैं और मेरा’
वाली मानसिकता

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ु की भमि
ू का
धतृ राष्ट्र की मानसिकता
दर्यो
ु धन की मानसिकता
अपनी सेना के बारे में डींगें मारना
I

II निष्ठावान लोगों पर सदं ेह करना

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।। अनमोल शिक्षा ।।
सदं हे पर्णू
स्वयं की प्रशसं ा, असरु क्षा
का लक्षण है |

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ु की भमि
ू का
दर्यो
ु धन की मानसिकता
।। अनमोल शिक्षा ।।
सदं हे पर्णू रिश्तों में सदं हे करने से हम
अपनों को अत्यधिक ठे स
पँहुचाते हैं और उन्हें खो देते हैं |

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ु की भमि
ू का
दर्यो
ु धन की मानसिकता
श्लोक 1 .19
स घोषो धार्तराष्ट्राणां हृदयानि व्यदारयत‌् ।
नभश्च पथि
ृ वीं चैव तमु ल ु ोभ्योननादयन् ॥
अनुवाद
इन विभिन्न शख ं ों की ध्वनि कोलाहलपर्णू बन गयी जो
आकाश तथा पथ्ृ वी को शब्दायमान करती हुई धतृ राष्ट्र के
पत्रु ों के हृदयों को विदीर्ण करने लगी ।

सर्व-मगं ल मर्ति
ू भगवान श्री कृष्ण (1.12 – 1.20) गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com
सर्व-मंगल मूर्ति भगवान श्री कृष्ण विजय के सक
ं ेत
• अलौकिक शंख
• भगवान श्री कृष्ण की व्यक्तिगत उपस्थिति
• अर्जुन के ध्वज पर हनमु ान जी की छवि
• लक्ष्मी देवी - भाग्य की देवी
• अग्नि देव द्वारा प्रदान अर्जुन का रथ

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भगवान श्री कृष्ण एवं पांडवों ने शंखनाद
अलौकिक शख
ं किया और अन्य वाद्ययंत्रों से एक गरजती हुई
कोलाहलपूर्ण ध्वनि उत्त्पन्न हुई |
• भगवान श्री कृष्ण पाञ्चजन्य शंख
• अर्जुन देवदत्त शंख
• युधिष्ठिर अनंतविजय शंख
• भीम पौण्ड्र नामक भयंकर शंख
• नकुल एवं सहदेव सघु ोष एवं मणिपुष्पक शंख
धतृ राष्ट्र के पुत्रों के हृदय विदीर्ण हो गए
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भगवान श्री कृष्ण की व्यक्तिगत उपस्थिति
श्लोक 18 .78
यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनर्धु रः ।
तत्र श्रीर्विजयो भति
ू र्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम । ।
अनुवाद
जहां योगेश्वर कृष्ण हैं और जहां परम धनर्धु र अर्जुन है,
वहीं ऐश्वर्य, विजय, अलौकिक शक्ति तथा नीति भी
निश्चित रूप से रहती है। ऐसा मेरा मत है ।
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।। अनमोल शिक्षा ।।

कृष्ण की शरण लेने


से व्यक्ति निर्भय हो
जाता है
गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com सर्व-मंगल मर्ति
ू भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण की व्यक्तिगत उपस्थिति
।। अनमोल शिक्षा ।।

राखे कृष्ण, मारे के !


मारे कृष्ण, राखे के !

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ू भगवान श्री कृष्ण
भगवान श्री कृष्ण की व्यक्तिगत उपस्थिति
हनुमान-ध्वज

श्री हनुमान जी की
गर्जना

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ू भगवान श्री कृष्ण
।। अनमोल शिक्षा ।।

जब हम कृष्ण (धर्म) की शरण


लेते हैं ,तो उनके सभी पार्षद
हमारी सहायता करते हैं |
गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com सर्व-मंगल मर्ति
ू भगवान श्री कृष्ण
हनमु ान-ध्वज
लक्ष्मी देवी
जब भी और जहां भी भगवान (श्री कृष्ण) मौजदू
होते हैं, वहां भाग्य की देवी (लक्ष्मी) भी होती हैं।
वह अपने पति के बिना कभी नहीं रहती, तो ऐसे
में भाग्य का प्रबल होना निश्चित है |

अग्निदेव द्वारा प्रदान


अर्जुन का रथ
सभी दिशाओ ं में विजय पाने में सक्षम था |

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श्लोक 1 .24
सजं य उवाच
एवमक्त
ु ो हृषीके शो गडु ाके शेन भारत ।
सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम‌् ॥
अनुवाद
सजं य ने कहा - हे भरतवशं ी ! अर्जुन द्वारा इस प्रकार
सम्बोधित किये जाने पर भगवन कृष्ण ने दोनों दलों के बीच
में उस उत्तम रथ को लाकर खड़ा कर दिया ।

भक्त वत्सल भगवान (1.21 – 1.27) गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com
• निराशा अच्युत - अनन्त - अपने भक्त
को कभी भी निराश नहीं करते हैं -
• ह्रदय का टूटना हमारे सामान्य रिश्तों से विपरीत |

• मत्ृ यु पर बिछड़ना
गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com भक्त वत्सल भगवान
।। अनमोल शिक्षा ।।

भगवद् गीता - खशि ु यों के भण्डार


की चाबी
जो अच्यतु हैं, उन्हीं से सबं ंध
स्थापित करो |
गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com भक्त वत्सल भगवान
ऐश्वर्य से परिपर्णू भगवान
• हम में से कितने लोगों ने ड्राइवरी को
भक्तोंअपने
के
चुना है
से
व्यवसायव क
/ करियर बनते
के रूप में हैं |

• युद्ध में एक रथ चालक की कठिनाइयां

गीता मेड इजी (Gita Made Easy) www.studygita.com भक्त वत्सल भगवान
श्लोक 1 .28
अर्जुन उवाच
दृष्टेवमं स्वजनं कृष्ण ययु त्ु संु समपु स्थितम‌् ॥
सीदन्ति मम गात्राणि मख ु ं च परिशष्ु यति । 

अनुवाद
अर्जुन ने कहा - हे कृष्ण ! इस प्रकार से यद्ध
ु की इच्छा रखने
वाले अपने मित्रों तथा सम्बन्धियों को अपने समक्ष देख कर
मेरे शरीर के अगं काँप रहे हैं और मेरा मँहु सख
ू रहा है ।

जीवन के कष्ट (1.28 – 1.46) गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com
तनाव के लक्षण

जीवन के कष्ट विभिन्न प्रकार के


कष्ट
खंड - 4

अर्जुन युद्ध न करने


का निश्चय करता
है

गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com जीवन के कष्ट


अंगों (हाथ /पैर) का काँपना
तनाव मुँह का सख ू ना
पुरे शरीर का सिहरना
के रोंगटे खड़े होना
गांडीव का हाथ से फिसलना

लक्षण त्वचा में जलन होना


पैरों पर ठीक से खड़ा न हो पाना
चक्कर आना
गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com जीवन के कष्ट
।। अनमोल शिक्षा ।।

भगवद् गीता तनाव


नियंत्रण में सहायक है|

गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com जीवन के कष्ट


तनाव के लक्षण
विभिन्न प्रकार के कष्ट
आध्यात्मिक
दिमाग / मन तथा शरीर से उत्त्पन होने वाले कष्ट
आधिदैविक
प्राकृतिक आपदा - जैसे भूकंप, सख
ू ा, महामारी, बाढ़ इत्यादि से
उत्त्पन्न होने वाले कष्ट
आधिभौतिक
समाज, समुदाय, राष्ट्र अथवा विभिन्न जीवों से उत्त्पन्न होने वाले
गीता मेड ईज़ी (Gitaकष्ट
Made Easy) www.studygita.com जीवन के कष्ट
दया (1.30)
भोग न कर पाने का भय (1.35)

पाप कर्म की प्रतिक्रियाओ ं का भय


(1.36)
पारिवारिक परंपराओ ं के विनाश का
अर्जुन यद्ध
ु न करने का भय (1.39)
निश्चय करता है जीवन के कष्ट
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।। अनमोल शिक्षा ।।
भगवद् गीता …
निर्णय लेने की सर्वश्रेष्ठ
मार्गदर्शिका है …
गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com जीवन के कष्ट
अर्जुन यद्ध
ु ना करने का निश्चय करता है
संदेह पूर्ण
भयभीत

समीक्षा(अध्याय 1) 1. यद्ध
ु की भमि
ू का
(1.1 – 1.11)
धतृ राष्ट्र की मानसिकता पक्षपातपूर्ण

दर्यो
ु धन की मानसिकता अपनी सेना के बारे में डींगें
मारना

निष्ठावान लोगों पर संदेह


अध्याय करना
1

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संदेह पूर्ण
भयभीत

समीक्षा(अध्याय 1) 1. यद्ध
ु की भमि
ू का
(1.1 – 1.11)
धतृ राष्ट्र की मानसिकता पक्षपातपूर्ण

दर्यो
ु धन की मानसिकता अपनी सेना के बारे में डींगें
मारना

अध्याय 2. सर्व-मंगल मर्ति


ू निष्ठावान लोगों पर संदेह
भगवान श्री कृष्ण करना
1 (1.12 – 1.20) • आलौकिक शख ं
• भगवान श्री कृष्ण की व्यक्तिगत
उपस्थिति
• अर्जुन के ध्वज पर हनमु ान जी
की छवि
विजय के संकेत • लक्ष्मी देवी - भाग्य की देवी
• अग्नि देव द्वारा प्रदान अर्जुन का
रथ

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संदेह पूर्ण
भयभीत

समीक्षा(अध्याय 1) 1. यद्ध
ु की भमि
ू का
(1.1 – 1.11)
धतृ राष्ट्र की मानसिकता पक्षपातपूर्ण

दर्यो
ु धन की मानसिकता अपनी सेना के बारे में डींगें
मारना

अध्याय 2. सर्व-मंगल मर्ति


ू निष्ठावान लोगों पर संदेह
भगवान श्री कृष्ण करना
1 (1.12 – 1.20) • आलौकिक शख ं
• भगवान श्री कृष्ण की व्यक्तिगत
उपस्थिति
• अर्जुन के ध्वज पर हनमु ान जी
की छवि
ऐश्वर्य से परिपर्णू भगवान 3. भक्त वत्सल भगवान
विजय के संकेत • लक्ष्मी देवी - भाग्य की देवी
भक्तों के सेवक बनते हैं (1.21– 1.27) • अग्नि देव द्वारा प्रदान अर्जुन का
रथ

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संदेह पूर्ण
भयभीत

समीक्षा(अध्याय 1) 1. यद्ध
ु की भमि
ू का
(1.1 – 1.11)
धतृ राष्ट्र की मानसिकता पक्षपातपूर्ण

दर्यो
ु धन की मानसिकता अपनी सेना के बारे में डींगें
• तनाव के लक्षण मारना
• विभिन्न प्रकार के कष्ट
• अर्जुन यद्ध
ु न करने का
अध्याय 2. सर्व-मंगल मर्ति
ू निष्ठावान लोगों पर संदेह
निश्चय करता है करना
4. जीवन के कष्ट भगवान श्री कृष्ण
(1.28– 1.46) 1 (1.12 – 1.20) • आलौकिक शख ं
• भगवान श्री कृष्ण की व्यक्तिगत
उपस्थिति
• अर्जुन के ध्वज पर हनमु ान जी
की छवि
ऐश्वर्य से परिपर्णू भगवान 3. भक्त वत्सल भगवान
विजय के संकेत • लक्ष्मी देवी - भाग्य की देवी
भक्तों के सेवक बनते हैं (1.21– 1.27) • अग्नि देव द्वारा प्रदान अर्जुन का
रथ

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हे ईश्वर, मुझसे
बात कीजिये

धन्यवाद
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