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सत्र 3 : अध्याय 3

कर्मयोग

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गीता मे ड
Gita Made Easy
ईज़ी

अंतर्राष्ट्रीय श्रीकृ ष्णभावनामृत संघ


संस्थापकाचार्य कृ ष्णकृ पामूर्ति श्रीमद श्री ए सी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद
असमजं स
समीक्षा विफलता के 8 चरण 1. सकं ट नियंत्रण
(2.1 – 1.10)
(अध्याय 2) शरणागति

सर्वोत्तम रस 2. मेरी वास्तविक


4. सदैव प्रसन्नचित अध्याय 2 पहचान
(2.54-2.72) (2.11 – 2.30)
शरीर के प्रति कर्त्तव्य
स्वयं की संरचना
3. दो कर्तव्य • स्थल ू शरीर
आत्मा के प्रति (2.31-2.53) • सक्ष्ू म शरीर
कर्त्तव्य • आत्मा
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समीक्षा - अध्याय 3

उदाहरणात्मक जीवन आध्यात्मिक जीवन


वैराग्य  योग सीढ़ी
(3.1 – 3.9) (3.10 – 3.16) शैली की परम चनु ौती
(3.17– 335) (3.36– 3.43)

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श्लोक 3 .5
न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत‌् ।
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणःै ॥
अनुवाद
प्रत्येक व्यक्ति को प्रकृति से अर्जित गणु ों के अनसु ार
विवश हो कर कर्म करना पड़ता है, अतः कोई भी एक
क्षणभर के लिए भी बिना कर्म किये नहीं रह सकता।
जीव स्वभाव से सक्रिय है
वैराग्य (3.1 – 3.09) गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com
वैराग्य
सदं हे पर्णू
उत्तम वास्तविक एवं कल्पित वैराग्य का
मिथ्या
वैराग्य वैराग्य  परम मार्ग

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वैराग्य की परिभाषा

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उत्तम वैराग्य
सच
ं य वत्ति
ृ से विरक्ति

भोग प्रवत्ति
ृ से विरक्ति 

कर्मों का क्षय करना वैराग्य नहीं होता 

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आध्यात्मिक जीवन में सफलता पाने के लिए जरूरी नहीं है कि हर कोई
सन्यास ले। एक कर्तव्य परायण गहृ स्थ भी भगवद धाम की प्राप्ति कर
सकता है ।  
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आध्यात्मिक विकास
वास्तविक- कल्पित  हमारी मानसिकता की
शद्ध
ु ता पर निर्भर करता है।
कल्पित वैराग्य -
समाज में अशांति 

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वास्तविक- कल्पित 
।। अनमोल शिक्षा ।।
सदं हे पर्णू अगर आध्यात्मिक मार्ग
में आगे बढ़ना है तो घर
और कपड़े नहीं
मानसिकता बदलिए।
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श्लोक 3 .9
यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धनः।
तदर्थं कर्म कौन्तेय मक्तु सगं ः समाचर ।।
अनुवाद
श्री विष्णु के लिए यज्ञ रूप में कर्म करना चाहिए, अन्यथा
कर्म के द्वारा इस भौतिक जगत में बंधन उत्त्पन्न होता है।
अतः हे कुन्तीपत्रु ! उनकी प्रसन्नता के लिए अपने नियत
कर्म करो। इस तरह तमु बंधन से सदा मक्त ु रहोगे।

वैराग्य (3.1 – 3.09) गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com
वैराग्य का उत्तम मार्ग
विष्णु की प्रसन्नता के लिए कर्म करिए 
लाभ - पाप बंधन से मुक्ति, भगवद्धाम में
प्रवेश
शांत और सखु द जीवन 

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।। अनमोल शिक्षा ।।
सदं हे पर्णू जब कर्तव्यों में सतं लु न बनाएगं े
तो जीवन में शांति अपने आप
आ जाएगी। याद रखें स्वधर्म ही
नहीं सनातन धर्म भी है।
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वैराग्य का उत्तम मार्ग
श्लोक 3 .13
यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मच्ु यन्ते सर्वकिल्बिषैः ।
भञ्ु जते ते त्वघं पापा ये पचन्त्यात्मकारणात‌् ॥
अनुवाद
भगवान के भक्त, सभी प्रकार के पापों से मक्त ु हो जाते हैं,
क्यँकि
ू वे यज्ञ में अर्पित किये भोजन (प्रसाद) को ही खाते हैं।
अन्य लोग, जो अपने इन्द्रिय सख ु के लिए भोजन बनाते हैं, वे
निश्चित रूप से पाप खाते हैं।
योग सीढ़ी (3.10 – 3.16) गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com
योग सीढ़ी
जीविका के दो मार्ग पाप / पण्ु य

भोगासक्त जन (कर्मी)

कर्म काण्ड 

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कर्म योग
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जीविका के दो मार्ग - पाप / पुण्य
सदं हे पर्णू शरीर के भरण पोषण के लिए
विभिन्न आवश्यक सामग्री अतं तः
भगवान श्री कृष्ण से ही आती है।

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भोगासक्त जन (कर्मी)
पशओ
ु ं की भाँति
- आहार, निद्रा, भय, मैथनु में व्यस्त
वेदों में अविश्वास 
के वल भोग की प्रवत्तिृ  
स्वार्थी व आत्म कें द्रित

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।। अनमोल शिक्षा ।।
सदं हे पर्णू अध्यात्म के बिना, नैतिकता
स्वयं कें द्रित, व सापेक्ष है - यह
आचरण हम अपनी सहूलियत
अनसु ार करते हैं।  
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स्वार्थी व आत्म कें द्रित
कर्म काण्ड

सदं हे पर्णू
वेदों की स्वीकृति (श्रद्धा)

अपने भोग की इच्छा से उपयोग 

अध्यात्म में कोई रुचि नहीं 

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कर्म योग
सकाम कर्म निष्काम कर्म
स द
ं ह
े प र्ण

भौतिक जगत की विफलता  आध्यात्मिक जीवन में अधिक गंभीरता
परमेश्वर की स्वीकृति /आत्म ज्ञान में रुचि  के वल उतना ही रखता है जितना शरीर के
भरण पोषण के लिए आवश्यक है।
कमाई का कुछ अश
ं प्रभु की सेवा में अर्पण करना शेष कमाई प्रभु की सेवा में समर्पित 
स्वार्थ भावना कर्म करता है लेकिन फल की इच्छा नहीं है 

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श्लोक 3 .21
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः ।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनवु र्तते ।।
अनुवाद
महापरुु ष जो जो आचरण करता है, सामान्य व्यक्ति
उसी का अनसु रण करते हैं। वह अपने अनसु रणीय
कार्यों से जो आदर्श प्रस्ततु करता है, सम्पर्णू विश्व
उसका अनसु रण करता है।
उदाहरणात्मक जीवन शैली(3.17 – 3.35) गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com
अनसु रण के लिए उदाहरण
स्थापित करें उदाहरणात्मक
जीवन शैली
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।। अनमोल शिक्षा ।।
सदं हे पर्णू
जीवन के हर मोड़ पर अपना लीडर
सावधानी से चनु े फिर चाहे वह
राजनीति हो या आध्यात्मिकता!
गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com उदाहरणात्मक जीवन शैली
उदाहरण स्थापित करें
।। अनमोल शिक्षा ।।
सदं हे पर्णू के वल निर्देश देने से ही कोई शिक्षक नहीं बन
जाता, एक आदर्श शिक्षक अपने व्यक्तिगत
आचरण से अपने शिष्यों को सिखाता है।
उसके सार्वजनिक जीवन और निजी जीवन
में कोई अतं र नहीं रहता है।
गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com उदाहरणात्मक जीवन शैली
भक्तगण संतलि
ु त जीवन व्यतीत करते हैं
सदं हे पर्णू

हृषिके श मफतलाल डॉ. टी डी सिहं अल्फ्रेड फोर्ड डॉ. के नेथ वॉलपे इलान चेस्टर जॉर्ज हैरिसन
(व्यवसायी) (वैज्ञानिक) (फोर्ड मोटर्स के स्वामी) (शिक्षक) (सगं ीतकार) संगीतज्ञ (वादक)

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उदाहरण स्थापित करें
सदं हे पर्णू

दसू रों के लिए एक उत्तम उदाहरण बनें


गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com उदाहरणात्मक जीवन शैली
।। अनमोल शिक्षा ।।
सदं हे पर्णू हम सभी किसी ना किसी के
लिए लीडर हैं - तो ध्यान
रखिए कहीं हम गलत
उदाहरण ना बन जाएं !
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उदाहरण स्थापित करें
श्लोक 3 .37
श्री भगवानवु ाच
काम एष क्रोध एष रजोगणु समद्भ ु वः ।
महाशनो महापाप्मा विदध्् येनमिह वैरिणम् ।।
अनुवाद
श्री भगवान् ने कहा –
हे अर्जुन ! इसका कारण रजोगणु के सपं र्क से उत्त्पन्न
काम है, जो बाद में क्रोध का रूप धारण करता है और
जो इस ससं ार का सर्वभक्षी पापी शत्रु है।
आध्यात्मिक जीवन की परम चनु ौती (3.36– 3.43) गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com
आध्यात्मिक प्रेम और काम-वासना 

जीवन की काम वासना का आवरण

परम चुनौती इस गप्तु शत्रु की खोज एवं पराजय

रोष से मित्रता का प्रस्ताव

गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com आध्यात्मिक जीवन की परम चनु ौती
01 ईश्वर से प्रेम करना, आत्मा
की स्वाभाविक विशेषता है 

02 जब यह प्रेम, स्वयं के प्रति


निर्धारित होता है, यह काम
प्रेम / काम वासना वासना का रूप लेता है - काम
वासना कभी संतष्टु नहीं होती है 
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।। अनमोल शिक्षा ।।
काम वासना एक प्रचडं अग्नि
कंु ड के समान है - इसमें
जितना घी डालेंगे, अग्नि
उतनी ही प्रबल होगी।
गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com आध्यात्मिक जीवन की परम चनु ौती
काम वासना के आवरण
काम वासना के आवरण

धएु ँ से आवतृ अग्नि  धल


ू से आवतृ दर्पण  गर्भ से आवतृ भ्रणू

गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com आध्यात्मिक जीवन की परम चनु ौती
।। अनमोल शिक्षा ।।
सावधान - इस परम
चनु ौती को गभं ीतापर्वू क
लें अन्यथा निम्न-योनियों
में पहुचं ने का भय है।
गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com आध्यात्मिक जीवन की परम चनु ौती
काम वासना के आवरण
इस गप्तु शत्रु की खोज एवं पराजय

इन्द्रियाँ मन बुद्धि
संयम भगवान का नाम जप आत्म ज्ञान

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की परम चनौती
।। अनमोल शिक्षा ।।
हरे कृष्णा महामंत्र जाप और
भागवद गीता के अध्ययन में
अपने मन, बुद्धि और इद्रि
ं यों
को लगा कर काम वासना
रूपी शत्रु पर विजय पायें ।
गीता मेड ईज़ी (Gita Made Easy) www.studygita.com आध्यात्मिक जीवन की परम चनु ौती
क्रोध से मित्रता का प्रस्ताव
रोष से
मित्रता
अर्जुन
हनमु ान

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क्रोध से मित्रता का प्रस्ताव
धन्यवाद ो टे छो टेक
द मउ
ाठ ए ं

नछ
रह दि

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