Professional Documents
Culture Documents
Utsaah Class 10 Hindi Kshitig
Utsaah Class 10 Hindi Kshitig
उत्साह
- सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
कवी परिचय
सूर्यकान्त त्रिपाठी
‘निराला’
• सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का जन्म बंगाल की मेदिनीपुर में २१ फ़रवरी, सन् १८९९ में हुआ
था।
तब उन लोगों में उत्साह जगाने के लिए कवि एक ऐसे कवि को आमंत्रित कर रहे
हैं जो अपनी कविता से लोगों को जागृत कर सकें । उनमें उत्साह भर सके ।
उनका खोया हुआ आत्मविश्वास दुबारा लौटा सके ।
बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित, काले घुंघराले,
बाल कल्पना के से पाले,
विद्युत छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा, नूतन कविता
फिर भर दो
बादल गरजो!
इस कविता में कवि ने बादल के बारे में लिखा है। कवि बादलों से गरजने का आह्वान करता है।
कवि का कहना है कि बादलों की रचना में एक नवीनता है। काले-काले घुंघराले बादलों का
अनगढ़ रूप ऐसे लगता है जैसे उनमें किसी बालक की कल्पना समाई हुई हो।
उन्हीं बादलों से कवि कहता है कि वे पूरे आसमान को घेर कर घोर ढ़ंग से गर्जना करें। बादल
के हृदय में किसी कवि की तरह असीम ऊर्जा भरी हुई है। इसलिए कवि बादलों से कहता है
कि वे किसी नई कविता की रचना कर दें और उस रचना से सबको भर दें।
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन!
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो –
बादल, गरजो!
इन पंक्तियों में कवि ने तपती गर्मी से बेहाल लोगों के बारे में लिखा है। सभी लोग
तपती गर्मी से बेहाल हैं और उनका मन कहीं नहीं लग रहा है।
उत्तर: विद्युत छबि, बज्र, इत्यादि ऐसे शब्द हैं जिससे नाद सौंदर्य का भाव
मिलता है।