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क्षितिज पाठ: 5

उत्साह
- सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’
कवी परिचय
सूर्यकान्त त्रिपाठी
‘निराला’
• सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का जन्म बंगाल की मेदिनीपुर में २१ फ़रवरी, सन् १८९९ में हुआ
था।

• उनकी प्रमुख काव्य-रचनाएँ हैं-'परिमल', 'गीतिका', 'अनामिका', 'तुलसीदास', 'कु कु रमुत्ता',


'अणिमा', 'अपरा', 'बेला', 'नये पत्ते', 'आराधना', 'अर्चना' आदि।

• इनका देहांत १५ अक्टू बर १९६१ को वाराणसी में हुई।


यह कविता आजादी से पहले लिखी गई हैं। गुलाम भारत के लोग जब निराश
और हताश हो चुके थे।

तब उन लोगों में उत्साह जगाने के लिए कवि एक ऐसे कवि को आमंत्रित कर रहे
हैं जो अपनी कविता से लोगों को जागृत कर सकें । उनमें उत्साह भर सके ।
उनका खोया हुआ आत्मविश्वास दुबारा लौटा सके । 
बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ!
ललित, काले घुंघराले,
बाल कल्पना के से पाले,
विद्युत छबि उर में, कवि, नवजीवन वाले!
वज्र छिपा, नूतन कविता
फिर भर दो
बादल गरजो!
इस कविता में कवि ने बादल के बारे में लिखा है। कवि बादलों से गरजने का आह्वान करता है।
कवि का कहना है कि बादलों की रचना में एक नवीनता है। काले-काले घुंघराले बादलों का
अनगढ़ रूप ऐसे लगता है जैसे उनमें किसी बालक की कल्पना समाई हुई हो।

उन्हीं बादलों से कवि कहता है कि वे पूरे आसमान को घेर कर घोर ढ़ंग से गर्जना करें। बादल
के हृदय में किसी कवि की तरह असीम ऊर्जा भरी हुई है। इसलिए कवि बादलों से कहता है
कि वे किसी नई कविता की रचना कर दें और उस रचना से सबको भर दें।
विकल विकल, उन्मन थे उन्मन
विश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन!
तप्त धरा, जल से फिर
शीतल कर दो –
बादल, गरजो!
इन पंक्तियों में कवि ने तपती गर्मी से बेहाल लोगों के बारे में लिखा है। सभी लोग
तपती गर्मी से बेहाल हैं और उनका मन कहीं नहीं लग रहा है।

ऐसे में कई दिशाओं से बादल घिर आए हैं। कवि उन बादलों से कहता है कि


तपती धरती को अपने जल से शीतल कर दें।
कठिन शब्दों के अर्थ
• धराधर – बादल • विकल – बैचैन

• उन्मन – अनमनापन • अट – समाना

• आभा – चमक • पाट-पाट - जगह-जगह

• पट - समा नही रही • शोभा श्री - सौंदर्य से भरपूर


अभ्यास कार्य
• कवि बादल से फु हार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता
है, क्यों?

उत्तर: कवि का मानना है कि के वल रिमझिम बारिश से काम नहीं चलने वाला है।


कवि तो चाहता है कि प्रचुर मात्रा मे बारिश हो जिससे उसका सबसे अधिक फायदा
मिल सके । इसलिए वह बादलों से गरजने के लिए कहता है।
• कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?

उत्तर: यह कविता उस उत्साह को चित्रित करता है जिस उत्साह से हर भारतीय


मानसून का इंतजार और स्वागत करता है। मानसून का हमारी अर्थव्यवस्था और
संस्कृ ति के लिए बहुत महत्व है। इसलिए इस कविता का शीर्षक उत्साह रखा गया है।
• कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संके त करता है?

उत्तर: इस कविता में बादल कई अर्थों की ओर संके त करता है; जैसे कि


कोई अनगढ़ बालक, कोई नवीन रचना या फिर कोई अनजान दिशा से आया
पथिक।
• शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक
प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन से शब्द हैं
जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।

उत्तर: विद्युत छबि, बज्र, इत्यादि ऐसे शब्द हैं जिससे नाद सौंदर्य का भाव
मिलता है।

Made by Farhan, 11A

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