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क्रम कविता का नाम महत्त्वपूर्ण बातें


संख्या
● शब्द - अर्थ
1 साखी ● मूलभाव /कें द्रीय भाव
● कबीरदास जी का जीवन परिचय
(जन्म -मृत्यु, जन्मस्थान, रचनाएँ, हिन्दी
साहित्य में योगदान, गुरु का नाम,
भाषा-शैली,पुरस्कार)
● कबीर की भक्ति भावना
● ‘साखी’ का अर्थ - (साक्ष्य, साक्षी अर्थात
प्रमाण)
● कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है? (क्योंकि
इन्होंने दोहे निजी अनुभव के आधार पर लिखे, जीवन का
जैसा साक्षात्कार किया वैसा लिख दिया,जीवन के साक्ष्य
होने के कारण साखी कहलाए l )
● साखियों में किन - किन भाषाओं का प्रयोग किया गया है ?
(अवधी, राजस्थानी, भोजपुरी, पंजाबी)
● कबीर की भाषा को ‘पंचमेल खिचड़ी’ या ‘साधुक्कड़ी' क्यों
कहा जाता है ?
(क्योंकि कबीर जी पढ़े-लिखे नहीं थे इसलिए उनकी भाषा
साहित्यिक नहीं हो सकी l इनकी भाषा में अनेक भाषाएँ हैं जैसे
अरबी,फ़ारसी, पंजाबी, बुंदेलखंडी, ब्रज तथा खड़ी बोली आदि l
कबीर जी की भाषा को ‘पंचमेल खिचड़ी’ या ‘साधुक्कड़ी’ भाषा कहा
जाता है l कबीर जी की भाषा सरल भाषा है जिसमें व्यंगात्मक शैली
भी है l)
● कबीर के दोहे समाज सुधार की नई दिशा दिखलाते हैं ?
स्पष्ट कीजिए l
या
● ‘कबीर एक समाज -सुधारक थे l’ स्पष्ट कीजिए l
उत्तर - कबीर एक महान समाज सुधारक थे l उनके समय में समाज
में अनेक अंधविश्वास, आडंबर, कु रीतियाँ तथा अनेक धर्मों का
बोलबाला था जिससे समाज जर्जर (टू टना) हो गया था l ऐसी
परिस्थिति में कबीर ने राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं को
अपने काव्य का विषय बनाया l उन्होंने बाहरी दिखावे की जी
खोलकर निंदा की l सभी धर्मों और समुदायों का सार ग्रहण करके
अपना एक नवीन लोक कल्याणकारी मत बनाया l इसलिए उनकी
रचनाओं में अनेक बातों के दर्शन होते हैं l समाज सुधार के क्षेत्र में
2 गिरिधर की कुं डलियाँ ● शब्द - अर्थ
● मूलभाव /कें द्रीय भाव
● गिरिधर कविराय जी का जीवन परिचय
(जन्म -मृत्यु, जन्मस्थान, रचनाएँ, हिन्दी
साहित्य में योगदान, भाषा-शैली,पुरस्कार)
● कविता का विषय :
(नीति , वैराग्य , अध्यात्म)
● इनकी कुं डलियाँ किस प्रकार की हैं ?
नीतिपरक
● इस प्रकार की कविता को क्या कहते हैं ?
(इस तरह की कविता को ‘कुं डलियाँ’ कहते हैं l ये समग्रता में बिंब
का निर्माण करती हैं l इनके तथ्य का प्रभाव पूर्ण रूप से पाठक पर
पड़ता है l नीति कथनों से लोक आदर्श उभरता है l कवि का उद्देश्य
समाज को मर्यादाओं के दायरे में रखना है l
प्र. ‘पानी रखना’ मुहावरे का क्या अर्थ है ? इसके लिए हमें क्या
करना चाहिए ?
उत्तर - ‘पानी रखना’ मुहावरे का अर्थ है - मर्यादा की रक्षा करना या
गौरव बनाए रखना l इसके लिए हमें स्वार्थ की भावना से मुक्त रहना
चाहिए l अपना नुकसान उठाकर भी यदि दूसरों की भलाई करनी पड़े
तो हमें तत्पर रहना चाहिए l

प्र. ‘बेगरजी प्रीति’ से क्या आशय है ?


उत्तर -‘बेगरजी प्रीति’ से आशय है - बिना किसी स्वार्थ के दूसरों के
साथ प्रीति (स्नेह) रखना l

● शब्द - अर्थ
3 स्वर्ग बना सकते हैं ● मूलभाव /कें द्रीय भाव
● कवि का जीवन परिचय
(जन्म -मृत्यु, जन्मस्थान, रचनाएँ, हिन्दी
साहित्य में योगदान, भाषा-शैली,पुरस्कार)
● प्रस्तुत कविता दिनकर' जी की एक प्रसिद्ध रचना 'कु रुक्षेत्र'
से ली गई है l इसमें भीष्म- पितामह द्वारा युधिष्ठिर को दिया
गया अंतिम उपदेश है l

● शब्द - अर्थ
● मूलभाव /कें द्रीय भाव
4 वह जन्मभूमि मेरी
● कवि का जीवन परिचय
(जन्म -मृत्यु, जन्मस्थान, रचनाएँ, हिन्दी
साहित्य में योगदान, भाषा-शैली,पुरस्कार)
प्र. प्रस्तुत कविता किस प्रकार की है ? इस कविता में किसका
गुणगान किया गया है ?
उत्तर - प्रस्तुत कविता देशप्रेम के भावों से परिपूर्ण एक मनोहारी रचना
है l
इस कविता में कवि ने अपनी जन्मभूमि भारत का गुणगान
सरल व प्रवाहमयी भाषा में किया है l कवि ने हमें भारतभूमि के
प्राकृ तिक सौंदर्य तथा गौरवशाली अतीत से अवगत कराया है l
युधिष्ठिर को धर्मराज क्यों कहा जाता है ?

प्र. कवि ने भारतभूमि को किन - किन नामों से संबोधित किया है और


क्यों ?

प्र. ‘त्रिवेणी’ से क्या आशय है ? ये कहाँ पर है ? इसके माध्यम से


कवि क्या कहना चाहते हैं ?
उत्तर - उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) नामक स्थान में गंगा -
यमुना और सरस्वती - इन तीन नदियों का संगम होता है इसलिए इस
स्थान को ‘त्रिवेणी’ कहा जाता है l प्रयागराज में हम यह संगम देख
सकते हैं l इसके माध्यम से कवि कहना कहते हैं कि हमारे देश में गंगा
-यमुना और सरस्वती जैसी पवित्र नदियाँ प्रवाहित होती हैं जिनमें
निरंतर लहरें उठती रहती हैं l ये देश को पवित्र बनाती हैं और इनका
सौंदर्य भी देखने योग्य है l

प्र. ‘गीता’ ग्रंथ किसका सार है ? गीता का उपदेश किसने , किसको


,कब दिया था ?
(कु रुक्षेत्र के मैदान में श्री कृ ष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश जो
‘गीता’ नामक पवित्र पुस्तक में संकलित है l)

प्र. मलय पवन किसे कहते हैं ? इसकी क्या विशेषताएँ


हैं ?

प्र. श्री राम कौन थे ? उनका जन्म किस युग में हुआ था ? उन्हें
रघुकु ल क्यों कहा जाता है ? उनके जीवन -चरित्र का वर्णन कीजिए ?
साथ ही साथ यह भी बताइए कि ये मर्यादा पुरुषोत्तम क्यों कहलाए ?

प्र. गौतम बुद्ध कौन थे ? इनके जीवन परिचय का वर्णन करते हुए यह
बताइए कि इन्होंने दुनिया को क्या सन्देश दिया ?

प्र. श्री कृ ष्ण कौन थे ? इनका जन्म किस युग में हुआ था ? इनका
जीवन चरित्र स्पष्ट कीजिए l

प्र. सीता कौन थीं ? हम इन्हें किस रूप में याद रखते हैं ?
(देवी सीता मिथिला के नरेश राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं । इनका
विवाह अयोध्या के नरेश राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र श्री राम से स्वयंवर
में शिवधनुष को भंग करने के उपरांत हुआ था। इन्होंने स्त्री व पतिव्रता
धर्म का पूर्ण रूप से पालन किया था जिसके कारण इनका नाम बहुत
आदर से लिया जाता है।

● शब्द - अर्थ
● मूलभाव /कें द्रीय भाव
● कवि का जीवन परिचय
(जन्म -मृत्यु, जन्मस्थान, रचनाएँ, हिन्दी
साहित्य में योगदान, भाषा-शैली,पुरस्कार)

प्र. प्रस्तुत कविता किस प्रकार की कविता है ?


(यह कविता एक प्रतीकात्मक कविता है, जिसमें बहुत दिनों बाद
5 मेघ आए
आकाश में बादलों के घिरने को गाँव में आने वाले मेहमान अर्थात
दामाद के प्रतीक के रूप में प्रकट है l )

प्र. प्रस्तुत कविता में किसे किसका प्रतीक बताया


गया है ?
● मेघ - दामाद अर्थात मेहमान)
● बयार अर्थात हवा - गाँव के बच्चों का प्रतीक
● धूल - गाँव की युवतियाँ / कुँ वारी लड़कियाँ
● नदी - गाँव की बहुएँ
● लता - पत्नी का प्रतीक
● ताल - पत्नी का भाई अर्थात साला
● बूढ़ा पीपल - घर का बूढ़ा - बुजुर्ग व्यक्ति

प्र. ‘मेघ आए’ कविता में जिन रीति -रिवाजों का


मार्मिक चित्रण हुआ है, वर्णन कीजिए l
उत्तर - गाँव में विशेष अतिथि के आने पर गाँव के लोग मिल - जुलकर
उसका स्वागत करते हैं l बुज़ुर्ग उसकी जुहार करता है l अतिथि के
पॉंव धोने के लिए परात में पानी लाया जाता है l पत्नी एकदम सबके
सामने नहीं आकर किवाड़ के पीछे से मंद स्वर में उसे देर से आने की
उलाहना देती है l

प्र. ग्रामीण संस्कृ ति में ‘मेघों’ और ‘पाहुन’ का क्या


महत्त्व है ?
उत्तर - ग्रामीण संस्कृ ति में मेघों का इसलिए महत्त्व है क्योंकि भारत
एक कृ षि प्रधान देश है l अभी भी ग्रामवासी कृ षि के लिए वर्षा पर
निर्भर करते हैं l वर्षा आने पर वे खुशी से झूमने लगते हैं l उन्हें
लगता है कि वर्षा आने से फसल अच्छी होगी और उनका जीवन
खुशियों से भर जाएगा l जीवन में किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहेगी
l उसी प्रकार दामाद या मेहमान के आने पर उन्हें उतनी ही प्रसन्नता
होती है जितनी मेघों के आने पर l उन्हें दामाद की समृद्धता से पुत्री
की खुशहाली का पता चलता है l दोनों ही उनके जीवन में खुशहाली
के प्रतीक हैं l

● शब्द - अर्थ
● मूलभाव /कें द्रीय भाव
● कवि का जीवन परिचय
(जन्म -मृत्यु, जन्म-स्थान, रचनाएँ, हिन्दी
साहित्य में योगदान, भाषा-शैली, पुरस्कार)
● सूरदास जी की भक्ति भावना
● सूरदास जी को वात्सल्य रस का सम्राट क्यों कहा जाता है
?
उत्तर - सूरदास जी को वात्सल्य रस का सम्राट इसलिए कहा जाता
है, क्योंकि उन्होंने अपनी रचनाओं में वात्सल्य प्रधान भावों का बड़ी
6 सूर के पद ही खूबसूरती से प्रयोग किया है। उन्होंने यशोदा और कृ ष्ण के बीच
ममता एवं वात्सल्य का बड़ा ही मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। उन्होंने श्रंगार
एवं शांत रस का बड़ी सूझबूझ से प्रयोग किया है।

● शब्द - अर्थ
● मूलभाव /कें द्रीय भाव
● कवि का जीवन परिचय
(जन्म -मृत्यु, जन्म-स्थान, रचनाएँ, हिन्दी
साहित्य में योगदान, भाषा-शैली, पुरस्कार)
● तुलसीदास जी की भक्ति भावना

प्र. कवि ने श्रीराम की कल्याणकारी भावना का


बखान किस प्रकार किया है ?
उत्तर - कवि ने श्रीराम की कल्याणकारी भावना का बखान करते हुए
कहा है कि इस संसार में भगवान श्रीराम के समान दयालु स्वभाव
वाला कोई नहीं है, वे अपने भक्तों का सदैव कल्याण करते हैं तथा
7 विनय के पद स्वयं की जाने वाली योग - साधना को प्रभु के नाम या प्रभु की शरण
के सामने त्याज्य माना है l कवि उदाहरण देते हुए कहते हैं कि जो
मोक्ष ऋषि -मुनि प्राप्त नहीं कर सके , वह राम की शरण में जाने से
जटायु व शबरी को प्राप्त हुआ l
प्र. श्री राम की कृ पा प्राप्ति के लिए कवि के अनुसार क्या करना चाहिए
?
उत्तर - कवि के अनुसार भगवान राम की कृ पा प्राप्त करने के लिए हमें
कभी किसी भी प्रकार के जतन करने की आवश्यकता नहीं है l राम
की शरण में जाने और उनका नाम स्मरण करने से ही उनकी कृ पा
प्राप्त की जा सकती है अर्थात सच्चे हृदय से प्रभु का ध्यान करने मात्र से
ही प्रभु श्री राम अपने भक्तों पर अपनी कृ पा दृष्टि बनाए रखते हैं l
● अंतर्क थाएँ :
(गीध, सबरी, रावण, विभीषण, वैदेही, प्रह्लाद,
भरत, बलि गुरु, ब्रज बनितह्रि)

● शब्द - अर्थ
● मूलभाव /कें द्रीय भाव
● कवि का जीवन परिचय
(जन्म -मृत्यु, जन्म-स्थान, रचनाएँ, हिन्दी
साहित्य में योगदान, भाषा-शैली, पुरस्कार)

प्र. यह किस प्रकार कविता है ?


यह एक सामाजिक और मार्मिक कविता है l

प्र. भिखारी को महाभारत के किस पात्र के समान बताया है ? और


किस प्रकार ?
या
अभिमन्यु कौन था ? कवि ने अभिमन्यु का उदाहरण देकर क्या स्पष्ट
करने की कोशिश की है ?

8 भिक्षुक
प्र. ‘भिक्षावृत्ति एक गंभीर समस्या है’ अपने विचार
स्पष्ट कीजिए l
या
भीख माँगना सामाजिक बुराई कै से है ? समझाकर लिखिए l

प्र. प्रस्तुत कविता में कवि ने समाज की किन लोगों पर ध्यान देने के
लिए व्यंग्य किया है ?
या
इस कविता में कवि ने समाज की किस बात के लिए फटकारा है ?
उत्तर - प्रस्तुत कविता में कवि ने समाज के निम्न वर्ग के लोगों पर
ध्यान देने के लिए व्यंग्य किया है l क्या आज समाज में निम्न वर्ग के
प्रति समाज का कोई दायित्व नहीं है ? समाज की असमान स्थिति पर
भी व्यंग्य है कि कहाँ अमीर वर्ग के पास वस्तुओं की अति अधिकता है
और दूसरी तरफ गरीब वर्ग के पास खाली पेट भरने के लिए भोजन
तक नहीं है l समाज में निम्न वर्ग निरंतर गरीबी की दलदल में धँस
रहा है l उस वर्ग के पास पेट भरने तक के लिए खाना नहीं है जब वे
जूठी पत्तलों से अपना पेट भरना चाहते हैं तो वह पत्तलें भी कु त्ते उनसे
छीन लेते हैं l इस प्रकार समाज के इस वर्ग की इस प्रकार की दयनीय
स्थिति हमें सोचने के लिए विवश कर देती है l

प्र. क्या भिक्षुकों की मदद करना मानवीय धर्म नहीं है ? समझाकर


लिखिए l
उत्तर - हाँ, जो भिक्षुक असहाय, अशक्त, वृद्ध, कमज़ोर और
अपाहिज हैं उनकी मदद करना मानवीय धर्म है लेकिन जो जवान हैं,
उन्हें भिक्षा नहीं देनी चाहिए l हमारे देश में सरकार के सामने
भिक्षावृत्ति एक समस्या के रूप में बढ़ रही है उन्हें कहीं एक जगह
बसाकर कु छ काम देने की व्यवस्था करनी चाहिए तभी भिक्षावृत्ति
समाप्त हो सकती है l

प्र. भिक्षुक कविता के अत्यंत हृदयस्पर्शी भाव को संक्षेप में लिखिए l


उत्तर - निराला जी द्वारा रचित कविता भिक्षुक पूरी की पूरी
हृदयस्पर्शी है क्योंकि एक भिखारी की दयनीय दशा देखकर हृदय टू ट
जाता है l
इसमें अत्यंत हृदयस्पर्शी भाव है - सड़क पर खड़े होकर भिखारियों
द्वारा पड़ी हुई पत्तलें चाटने का तथा इन पत्तलों को कु त्तों द्वारा झपटने
का दृश्य l इससे मुझे एहसास होता है कि भूख आदमी को जानवर
बना देती है, वह सब कु छ करने को तैयार हो जाता है जिसे उसने
मानव की योनि में नहीं करना चाहिए l
मानव जाति का इतना अधिक पतन देखकर मन टू ट सा जाता है l

● शब्द - अर्थ
● मूलभाव /कें द्रीय भाव
● कवि का जीवन परिचय
(जन्म -मृत्यु, जन्म-स्थान, रचनाएँ, हिन्दी
साहित्य में योगदान, भाषा-शैली, पुरस्कार)

प्र. यह किस प्रकार कविता है ?


यह एक प्रेरणादायी और उत्साह से भरी हृदय में उमंग जगाने देने वाली
कविता है l

प्र. 'समय किसी के लिए नहीं रुकता l' विषय पर अपने विचार
लिखिए l
या
'सदा चलते रहना जीवन का दूसरा नाम है' स्पष्ट कीजिए l
प्र. चलना हमारा काम है कविता में भाग्यवाद पर कवि ने किस प्रकार
चोट की है?
उत्तर - कवि प्रगति के मार्ग पर निरंतर प्रयत्नशील है, उनके शब्दकोश
में भाग्यवाद का कोई स्थान नहीं है l भाग्यवादी व्यक्ति के लिए कवि
की सोच है कि जो लोग भाग्य पर आश्रित रहते हैं, कायर बनकर
आलस किए पड़े रहते हैं, संघर्ष करने से जी चुराते हैं, ऐसे लोग जीवन
में कु छ भी नहीं कर पाते हैं l वे वहीं पर पड़े रहते हैं, उनकी ओर कोई
मुड़कर देखता भी नहीं है l कवि के अनुसार - ‘जो गिर गए सो गिर
गए l’ हम जानते हैं कि आगे बढ़ने में संघर्ष बहुत है, फिर भी मनुष्य
9 चलना हमारा काम है को प्रयत्नशील रहना चाहिए l

● शब्द - अर्थ
● मूलभाव /कें द्रीय भाव
● कवि का जीवन परिचय
(जन्म -मृत्यु, जन्म-स्थान, रचनाएँ, हिन्दी
साहित्य में योगदान, भाषा-शैली, पुरस्कार)

प्र. यह किस प्रकार कविता है ?


यह एक प्रेरणात्मक, देशभक्ति और देशप्रेम से ओत-प्रोत कविता है l

प्र. स्वतंत्रता का मानव जीवन में क्या महत्त्व है ? स्पष्ट कीजिए l

10 मातृमंदिर की ओर

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