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अहं सा जैन तीथकर क अनुपम दे न

'जान ह लेने क हकमत म तरक दे ख।


मौत का रोकने वाला कोई पैदा न हआ॥
ु '

- डॉ. इकबाल

ृांसीसी +व,ान रो-या रोलाँ का यह कथन कतना उपयु1 है '2जन ऋ+षय ने हं सा के म5य म अहं सा के
िस7ांत क खोज क है , वे 8यूटन से अिधक +व,ान और वेिलंगटन से बड़े यो7ा थे। जैन धम? आचार म
अहं सा और +वचार म ःया,ाद ूधान है । अहं सा का िस7ांत वैसे सभी मत ःवीकार करते हD लेकन उनम
कहं-कहं हं सा का पोषण भी F+Gगत होता है और यह वजह है क जैिनय के अलावा अ8य जाितय म
मांसाहार का ूचलन है । अहं सा का सुंदर, सुHयव2ःथत +ववेचन जैन मंथ के अलावा अ8यऽ उपलKध नहं
है । साधक क ौेणी के अनुसार अहं सा ोत का +ववेचन कया गया है । चींट को मारने का िनषेध करने
वाला दश?न, धम?, 8याय, दे श, राO क राथ? शP उठाने क ःवीकृ ित दे ता है । हाँ, साधु के िलए अहं सा
महाोत म भी सभी पTर2ःथितय म हं सा का Uयाग है । जैन तीथकर ःवयं +ऽय थे। कई भारतीय नरे श
व सेनापितय के जैन होने का उVलेख िमलता है , 2जनके शौय? से भारत का सांमािमक इितहास गौरवा28वत
हआ
ु है । ऐसे ह कुछ उVलेख इस पाठ म पढ़ए।

'अहं सा परमो धम?ः' इस उदार िस7ांत ने ॄा\ण धम? पर िचरःमरणीय छाप छोड़ है । पूव? काल म य] के
िलए असं^य पशु हं सा होती थी... परं तु इस घोर हं सा का ॄा\ण धम? से +वदाई ले जाने का ौेय जैन-धम?
के हःसे म है ।' - (मुंबई समाचार 10/12/1904) लोकमा8य ितलक

'अहं सा के उ`च िस7ांत ने ह8दू वैदक बयाकांड को ूभा+वत कया है । जैन धम? क िशाओं के
फलःवdप पशु बिल ॄा\ण ,ारा बंद कर द गई और य] म सजीव पशुओं क जगह आटे के पशु काम
म आने लगे।' - ूो. आय?गर

'ईःवी सन ् से तीसर-चौथी शताKद पूव? पशुओं के िलए अःपताल थे। यह जैन व बौ7 धम? व उनके अहं सा
िस7ांत के कारण संभवनीय है ।' - (भारतवष? का इितहास पृ. 129) पं. जवाहरलाल नेहd

'भारत छोड़ने के पहले महाUमा गाँधी को उनक माता ने तीन जैन ोत- शराब, मांस और मैथुन से दरू रहने
क सौगंध दलवाई।' - (महाUमा गाँधी पृ. 11) रोमारोला

'अहं सा के िस7ांत का सबसे पहले गंभीरता से सुHयव2ःथत dप से िनमा?ण व उसका उिचत व मु^य dप से
उपदे श जैन तीथकर ,ारा और खास तौर पर चौबीसव अंितम तीथकर महावीर ,ारा हआ
ु और फर महाUमा
बु7 ,ारा।' - चीनी +व,ान डॉ. तानयुन शा

'अगर हम जी+वत रहने क आशा और आकांा करते हD और मानव सfयता म कुछ योग दे ना चाहते हD तो
हम जैन महापुgष से सहमत होना चाहए और अहं सा को संरण का मूल िस7ांत ःवीकार करना चाहए।'
- (An Appeal before International University of Non-Violence)
डॉ. कालीदास नाग 'मंऽी' रायल एिशयाटक सोसायट बंगाल

'+वh शांित स-मेलन के सदःय का हाद? क ःवागत करने का अिधकार अगर कसी को है तो िसफ? जैन
समुदाय को है । अहं सा ह का िस7ांत एक ऐसा है जो क +वh शांित लाने म समथ? है और यह वाःतव म
मानव उ8नित के िलए जैन तीथकर क मु^य दे न है और इसिलए महान तीथकर पाh?नाथ और महावीर के
अनुयाियय के अितTर1 +वh शांित क आवाज और कौन कर सकता है ।' - डॉ. राधा+वनोद पाल (8यायाधीश
अंतरराOीय 8यायालय)
'पशु हं सा रोकने संबंधी सॆाट अशोक के आदे श बौ7 धम? के बजाय जैन धम? के िस7ांत के अिधक
नजदक हD ।' - (Indian Antiquray p. 205) ूो. कण?

जैन अहं सा अणुोत म शP +वधान

'जैन नरे श उन पर ह शP ूहार करते हD जो शP लेकर यु7 म आया हो अथवा जो अपने दे श का शऽु हो।
वे दन-दब?
ु ल अथवा सjजन पर शP ूहार नहं करते।'- (यश2ःतलक चंप)ू आचाय? सोमदे वसूTर

'स-यक F+G ौावक (जैन) अपनी सामkय? के न होते हए


ु भी जब तक मंऽ, तलवार और धन क श+1 है , तब
तक धम? पर आए हए
ु ; उपसग? को दे ख व सुन नहं सकता।' - पंचा5यायी lोक 808

'दG
ु िनमहः िशG पTरपालन ह रा]ो धम?ः न पुनः िशरो मुmडनं जटाधारण च' - स-यUव कोमुद पृ. 14

'रा]ो ह दG
ु िनमहः िशG पTरपालनं च धम?ः न पुनः िशरो मुmडनं जटा धारणादकम'्
- नीितवायामृत (आचाय? सोमदे व)

'राजा दं ड न दे तो संसार म मUःय-8याय (बड़ मछली छोट मछली को खा जाती है ) क ूवृ+n हो जावे।' -
(महापुराण पव? 18 नु. 252) आचाय? 2जनसेन

'चाहे वह राजा का शऽु हो अथवा पुऽ हो उसके कए हए


ु दोष के अनुसार दं ड दे ना ह राजा क इस लोक व
परलोक म रा करता है ।' - सागर-
सागर-धमा?मत
ृ अ. 4 न.् 5 (पं. आशाधर)

'इस काल के जैन सॆाट और सेनापितय के कायo को दे खते हए


ु हम यह बात ःवीकार करने म असमथ? हD
क जैन और बौ7 धम? के कारण जनता म सांमािमक शौय? का ॑ास हआ
ु 2जससे भारत का पतन हआ।
ु '
- राOकूट पृ. 316-17) डॉ. अVटे कर

'वीरता जाित +वशेष क स-प+n नहं है । भारत म ूUयेक जाित म वीर पुgष हए
ु हD । राजपुताना सदा से
वीरःथल रहा है । जैन धम? म दया ूधान होते हए
ु भी वे लोग अ8य जाितय से पीछे नहं रहे हD ।
शता2Kदय से मंऽी आद उ`च पद पर जैनी रहे हD । उ8हने दे श क आप+n के समय महान सेवाएँ क हD ,
2जनका वण?न इितहास म िमलता है ।' - (राजपुताना के जैनवीर क भूिमका म) पं. रायबहादरु गौरशंकर
हराचंद ओझा

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