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Shaheed-E-Aajam Bhagat Singh by Kavi Kulwant Singh
Shaheed-E-Aajam Bhagat Singh by Kavi Kulwant Singh
(खण्ड काव्म)
कुरिॊत ससॊह
@ सिाासधकाय सुयक्षऺत
Shaheed – e -aajam
bhagat singh By : KULWANT SINGH
शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 2
दान
इस ऩुस्तक के सरए अथिा सेिा बािना
हे तु मदद आऩ धन अथिा श्रभ दान दे ना
चाहं तो कृ ऩमा सनम्न सॊस्था को सीधे
सॊऩका कयं । 'ग्िासरमय सचल्रे न हाक्षस्ऩटर
चैरयटी’ द्वाया ’स्नेहारम’ एिॊ ’ग्िासरमय
हे ल्थ एण्ड एजुकेशन सोसाइटी’ तथा
’ग्िासरमय हाक्षस्ऩटर एण्ड एजुकेशन
चैरयटे फर ट्रस्ट’ के सहमोग से चराए जा
यहे असबनि भहती सहामता कामं की
क्षजतनी प्रशॊसा की जाए, कभ है ।
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alior_Childrens_Hospital.html
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शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 3
सभवऩात
बायत बू का कण कण शोवषत,
त्रास मातना से अऩभासनत .
’कल्माण - बूसभ’ आतॊदकत थी,
सनज स्िाथा हे तु सॊचासरत थी .
हय - हय फभ जम घोष कयो,
अक्षग्न क्राॊसत की हय रृदम बयो .
नय - नायी सफ तरुण दे ख रं,
कयना आहुसत प्राण सीख रं !
(अनुसार=ऩीिा)
दज
ू े चाचा स्िणा ससॊह थे,
राहौय संट्रर जेर फॊद थे,
सही मातना, ऩय दकमा न गभ,
सहते सहते तोि ददमा दभ .
मौिन दे खे फस सुॊदयता,
जगती भं वफखयी भादकता .
प्रेभ ऩीॊग रे काभ दहरोयं ,
छोिं भनससज फाण सछछोये .
(भनससज = भदन)
(गयर = विष)
दे खो दे खो िह आमा है ,
क्राॊसत बगत ससॊह रे आमा है .
सच्चा सऩूत अफ आमा है ,
क्षऺसतज शौमा दपय पहयामा है .
नस नस भं रािा दौिाने,
योभ योभ ज्िारा बिकाने .
अिनत बार असबभान ददराने,
झुके गगन का शीश उठाने .
फटु केश्वय दि
जन जन भं विश्वास था रौटा,
अबी अॊत सिा का होगा .
सृवष्ट कय यही अभय श्रृग
ॊ ाय
अक्षखर विश्व का फना सुकुभाय .
(नेजे = बारा)
दे श बवक्त का यॊ ग रगाकय,
प्रेभ फीज से ऩेि उगाकय .
सनज मौिन को रऩट फनाकय,
जीिन को सॊग्राभ फनाकय .
सुखदे ि की टोऩी
गीत सभरन के तीनं गाते,
हॉ स हॉ स कय थे भौत फुराते .
चोरे को फासॊती यॊ ग भाॉ,
दे ख ऩुकाय यही बायत भाॉ .
याजगुरू
दे ख दे ख जग विस्भृत होगा,
ऩढ़ इसतहास चभत्कृ त होगा .
भुझको इसतहास फदरना है ,
अफ मह साम्राज्म सनगरना है .
एक ऩूत का गभ भत कयना,
सफ तरुणं को ऩूत सभझना .
जग भं तेया सदा सम्म्भान,
मुगं मुगं तक यहे गा भान .
आजादी के िह दीिाने,
दे श हे तु भय सभटने िारे .
नहीॊ दकसी से डयने िारे,
अॊगायं ऩय चरने िारे .
(अनुयसत = चाहत)
गोिधान मादि
अध्मऺ, भ. प्र. याष्डबाषा प्रचाय ससभसत
क्षजरा इकाई, सछॊ दिािा, भ. प्र.
औय आज का मुगीन वियोधाबास –
आज के मुग भं दकतनी तयक्की है ,
ट्रे नं , हिाई जहाज सिक ऩक्की है ,
याकेट सभसाईर कायं ससताया होटर हं ,
औय
डा फुवद्धनाथ सभश्र
भुख्णम प्रफॊधक याजबाषा
आमर एण्ड नेचुयर गैस काऩोये शन सर
दे हयादन
ू