You are on page 1of 86

शहीद-ए-आजभ बगत ससॊह

(खण्ड काव्म)

कवि कुरिॊत ससॊह

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 1


कवि ऩरयचम

कुरिॊत ससॊह

@ सिाासधकाय सुयक्षऺत

यचनाकाय : कवि कुरिॊत ससॊह

सॊस्कयण : इॊ टयनेट 2010

भूल्म : सन:शुल्क वितयण


(व्मिसासमक उऩमोग के सरमे नही)

प्रकाशक : कुरिॊत ससॊह

Shaheed – e -aajam
bhagat singh By : KULWANT SINGH
शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 2
दान
इस ऩुस्तक के सरए अथिा सेिा बािना
हे तु मदद आऩ धन अथिा श्रभ दान दे ना
चाहं तो कृ ऩमा सनम्न सॊस्था को सीधे
सॊऩका कयं । 'ग्िासरमय सचल्रे न हाक्षस्ऩटर
चैरयटी’ द्वाया ’स्नेहारम’ एिॊ ’ग्िासरमय
हे ल्थ एण्ड एजुकेशन सोसाइटी’ तथा
’ग्िासरमय हाक्षस्ऩटर एण्ड एजुकेशन
चैरयटे फर ट्रस्ट’ के सहमोग से चराए जा
यहे असबनि भहती सहामता कामं की
क्षजतनी प्रशॊसा की जाए, कभ है ।
http://www.gwalior.hospital.care4free.net/Gw
alior_Childrens_Hospital.html
http://www.gwalior.hospital.care4free.net/sne
halaya_the_home_with_love.html
www.helpchildrenofindia.org.uk
Gwalior.Hospital@care4free.net
शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 3
सभवऩात

सिा व्माऩी ईश्वय को

कवि कुरिॊत ससॊह

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 4


pircaya kiva kulavaMt isaMh
janma : 11 janavarI, $D,kI,, ]%traMcala
p`aqaimak evaM maaQyaimak iSaxaa : krnaOlagaMja gaaoMDa³]ºp`º´
]cca iSaxaa : AiBayaaMi~kI, Aa[-º Aa[-ºTIº, $D,kI
³rjat pdk evaM 3 Anya pdk´
pustkoM p`kaiSat : 1- inakujM a ³kavya saMga`h´
2 - prmaaNau evaM ivakasa ³Anauvaad´
3 - iva&ana p`Sna maMca
4 – kNa xaopNa ³p`kaSanaaQaIna´
5 – icarMtna ³kavya saMga`h´
6 – hvaa naUM gaIt ³kavya saMga`h inakuMja ka
gaujaratI Anauvaad´
7 – शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह (खण्ड काव्म)
rcanaaeM p`kaiSat : saaihi%yak pi~kaAaMo, prmaaNau }jaa- ivaBaaga, rajaBaaYaa
ivaBaaga, kod
M ` sarkar kI iviBanna gaRh pi~kaAaoM, vaO&ainak,,
iva&ana, AaivaYkar,, AMtrjaala pi~kaAaoM maoM Anaok saaihi%yak evaM
vaO&ainak, rcanaaeM
purskRt : kavy,a, laoK,, iva&ana laoKaoM, evaM ivaiBanna saMsqaaAaoM Wara
pu$skRt, ivaBaagaIya ihMdI saovaaAaoM ko ilae, याजबाषा गौयि सम्भान
saovaaeM :‘ihMdI iva&ana saaih%ya pirYad’ sao 15 vaYaao-M sao saMbaMiQat
vyavasqaapk ‘vaO&ainak’ ~Omaaisak pi~ka
iva&ana p`Sna maMcaaoM ka prmaaNau }jaa- ivaBaaga evaM Anya
saMsqaanaaoM ko ilae AiKla Baart str pr Aayaaojana
i@vaja maasTr
kiva sammaolanaao mao kavya paz
saMp`it : vaO&ainak AiQakarI,pdaqa- saMsaaQana, p`Baaga, BaaBaa prmaaNau
AnausaMQaana koMd`, mauMba[- - 400085
inavaasa : 2 DI, bad`Inaaqa, A`uNuaSai@tnagar, mauMba[- - 400094
faona : 022-25595378 (O) / 09819173477 (R)
[-maola : kavi.kulwant@gmail.com / singhkw@barc.gov.in
naoT : www.kavikulwant.blogspot.com
www.kulwant.mumbaipoets.com
शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 5
शहीद-ए-आजभ बगत ससॊह

17 िषा की अिस्था भं बगत ससॊह

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 6


शहीद-ए-आजभ बगत ससॊह
बायत भाता जफ योती थी,
जॊजीयं भं फॊध सोती थी .
ऩयाधीनता की कदिमाॉ थीॊ,
जकिी फदन ऩय फेदिमाॉ थीॊ .

दे श आॉसुओॊ भं योता था,


ईस्ट इॊ दडमा को ढ़ोता था .
बायत का शोषण होता था,
नैससगाक सॊऩवि खोता था .

ददु दा न के ददन सगनता था,


हय सार अकार को सहता था .
अॊग प्रत्मॊग जफ जरता था,
घािं से भिाद रयसता था .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 7


फॊदी फन नतभस्तक भाता,
दे श की हारत फदतय खस्ता,
हय ऩर था अॊसधमाया छरता,
सहभी यहती थी जफ जनता .

आॉसू जरधय से फहते थे,


सहभे सहभे सफ यहते थे .
मौिन ऩतझि सा सूखा था,
सािन बी रूखा रूखा था .

बायत बू का कण कण शोवषत,
त्रास मातना से अऩभासनत .
’कल्माण - बूसभ’ आतॊदकत थी,
सनज स्िाथा हे तु सॊचासरत थी .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 8


याष्ड हीनता से जकिा था,
दीन दासता ने ऩकिा था .
भृत्मु प्राम सी चेतनता थी,
स्तब्ध सससकती भानिता थी .

अिसाद गयर फन फहता था,


स्िासबभान आहत यहता था .
गौयि ऩद तर त्राससत यहता,
झुका हुआ था अॊफय यहता .

सनष्ठु य क्रीिा खेरी जाती,


अनम अदहॊ सा झेरी जाती .
धन सॊऩवि को रूटा जाता,
विदटश याज को बेजा जाता .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 9


दहभ दकयीट की सुप्त शान थी,
ऩुया दे श की रुप्त आन थी .
याष्ड खिा ऩय सशसथर जान थी,
सयगभ िॊसचत असनर तान थी .

विषाद द्रवित नही होता था,


िेदन भं आॉसू घुरता था .
आिेग प्रफर उत्ऩीिन था,
वििश कसभसाता जीिन था .

करयि जफ ककाश रगता था,


नत ददव्म बार जफ ददखता था .
आकाश झुका सा रगता था,
सचय ग्रहण बाग्म ऩय ददखता था,

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 10


मुगं मुगं से गौयि उन्नत,
दहभ का आरम झुका था अिनत .
विषभ सभस्मा से था ग्राससत,
विकर, दग्ध ज्िारा से त्राससत .

’ऩुण्म बूसभ’ जफ भसरन हुई थी,


ऩद के नीचे दसरत हुई थी .
’तऩोबूसभ’ सॊताने व्माकुर,
व्मार घूभते डसने आकुर .

हीये , ऩन्ने, भक्षणमाॊ रूटीॊ,


कसरमाॉ दकतनी यंदी टू टीॊ .
आन दे श की नोच खसोटी,
कृ षक स्िमॊ न ऩामे योटी .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 11


चीय हयण नायी के होते,
बायत सनसधमाॊ हभ थे खोते .
िैबि साया रुटा दे श का,
ध्िस्त हुआ सम्भान दे श का .

फाट जोहते सफ यहते थे,


सतसभय हटाओ सफ कहते थे .
बाि रृदम भं सदा भचरते,
भौन ऩयॊ तु सफ सहते यहते .

धयती भाॉ सधक्काय यही थी,


यो यो कय चीत्काय यही थी .
िीय ऩुत्र कफ ऩैदा हंगे ?
जॊजीयं को कफ तोिं गे ?

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 12


’जन्भा याजा बयत महीॊ क्मा ?
नाभ उसी से सभरा भुझे क्मा ?
धया मही दधीच क्मा फोरो ?
प्राण त्मागना अक्षस्थ दान को ?

फोरो फोरो याभ कहाॉ है ?


भेया खोमा भान कहाॉ है ?
इक सीता का हयण दकमा था,
ऩूणा िॊश को नष्ट दकमा था !

फोरो फोरो कृ ष्ण कहाॉ है ?


उसका फोरा िचन कहाॉ है ?
धभा हासन जफ बायत होगी,
जीत सत्म की दपय दपय होगी !

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 13


अजुन
ा अफ कफ ऩैदा होगा,
बीभ गदा धय कफ रौटे गा ?
ऩुण्म बूसभ फेहार हुई क्मा ?
िीयं से कॊगार हुई क्मा ?

नृऩसत अशोक चॊद्रगुप्त कहाॉ ?


भमाादा बायत रुप्त कहाॉ ?
कहाॉ है शान िैशारी की ?
सभसथरा, भगध, ऩाटसरऩुत्र की ?

गौतभ हो गमे फुद्ध भहान,


इस धयती ऩय सरमा था ऻान .
ददमा दकतने दे शं को दान,
सॊदेश दफा िह कहाॉ भहान ?

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 14


इसी धया ऩय याज दकमा था,
विक्रभाददत्म ऩय नाज दकमा था .
जन्भा ऩृथ्िीयाज महीॊ क्मा ?
कभाबूसभ छ्त्त्रऩसत मही क्मा ?

चेतक ऩय घूभा कयता था,


हय ऩिा, फूटा डयता था .
घास की योटी िन भं खाई,
ऩयाधीनता उसे न बाई .

जुल्भं की तरिाय काटने,


बायत सॊस्कृ सत यऺा कयने .
चौक चाॉदनी शीश कटामा,
सये - आभ सॊदेश सुनामा .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 15


सचदिमं से था फाज रिामा,
अजफ गुरू गोवफॊद की भामा .
धया धन्म थी उसको ऩाकय,
दे श फचामा िॊश रुटाकय .

िही धया अफ ऩूछ यही थी,


यो यो कय अफ सूख यही थी .
रौटा दो भेया स्िासबभान,
धयती चाहती दपय फसरदान .

ऩयाधीन की कदिमाॉ तोिो,


नददमं की धाया को भोिो .
कोना कोना बायत जोिो,
हाथ उठे जो ध्िॊश, भयोिो .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 16


ससॊह नाद सा गुॊजन कयने,
तूपानं भं कश्ती खेने .
िह अभय िीय कफ आमेगा ?
भुझको आजाद कयामेगा !

हय फच्चा बायत फोर उठे ,


सीने भं ज्िारा खौर उठे .
हय ददर भं आश जगामे जो,
बूसभ सनछािय हो जामे जो !

हय - हय फभ जम घोष कयो,
अक्षग्न क्राॊसत की हय रृदम बयो .
नय - नायी सफ तरुण दे ख रं,
कयना आहुसत प्राण सीख रं !

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 17


फहुत हुआ अफ भय भय जीना,
अनुसार दासता की सहना .
सॊबि िीय न बू ऩे राना ?
ताण्डि सशि को माद ददराना !’

रृदम विदायक दारुण क्रॊदन,


ऩयभ वऩता ने कय आसरॊगन,
ऩयभ िॊद्य आत्भा आिाहन,
बायत बेजा अऩना नॊदन .

फॊगा रामरऩुय जनऩद भं,


दकसन, विद्यािती के घय भं,
ईशा सन उन्नीस सौ सात,
ससतॊफय सिाइस की यात .

(अनुसार=ऩीिा)

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 18


जन्भ ऩुण्म आत्भा ने ऩामा,
क्राॊसतकारयमं के घय आमा .
स्ितॊत्रता के सचय सेनानी,
कुटु ॊ फ की थी मही कहानी .

सूमा एक दभका था जग भं,


बायत भाता के आॊगन भं .
बाग्मिान फन आमा था ससॊह,
दादी फोरी नाभ बगत ससॊह .

दादा सयदाय अजुान ससॊह

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 19


दादा अजुन
ा ससॊह ियदानी,
तीन ऩूत, तीनं सेनानी .
कूट कूट िीयता बयी थी,
सिा बी सहभने रगी थी .

वऩता सयदाय दकसन ससॊह

वऩता दकसन ससॊह की रिाई,


’बायत - सोसामटी’ फनाई .
उन ऩय डारे कई भुकदभं,
काटे ढ़ाई िषा जेर भं .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 20


िषा औय दो नजयफॊद थे,
गसतविसधमं भं ऩय दफॊग थे .
डय कय चाचा अजीत ससॊह से,
यॊ गून जेर बेजा महाॉ से .

भाॉ विद्यािती, चाचा अजीत ससॊह, वऩता दकसन ससॊह

दज
ू े चाचा स्िणा ससॊह थे,
राहौय संट्रर जेर फॊद थे,
सही मातना, ऩय दकमा न गभ,
सहते सहते तोि ददमा दभ .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 21


फार गॊगाधय सतरक द्वाया 1907 भं अजीत ससॊह को
सम्भान बंट
ददखे ऩूत के ऩाॉि ऩारने,
घय सॊस्कृ सत औय भाहौर ने,
फीज दकमे तन भन भं योवऩत,
दे श प्रेभ से अॊतस शोसबत .

खेर खेर भं टीभ फनाते,


अॊग्रेजं को भाय बगाते .
फने सबी फच्चं के रीडय,
गाते गीत गदय के जी बय .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 22


वऩता दकसन ससॊह दादा अजुान ससॊह चाचा अजीत ससॊह

चाची जफ मादं भं योती,


भै हूॉ ! चाची तूॉ क्मं योती ?
गोयं को भाय बगाऊॉगा,
चाचा को िावऩस राऊॉगा .

खेर खेरता फॊदक


ू ं के,
योऩे धयती घास के सतनके .
नॊद दकशोय भेहता आमे,
ऩूछे वफना िह यह न ऩामे .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 23


’फार बगत! मह क्मा कयते हो ?
धयती सतनके क्मं फोते हो ?’
’धयती फॊदक
ू उगाऊॉगा,
क्राॊसतकारयमं को फाटू ॉ गा .

याष्ड को स्ितॊत्र कयाऊॉगा,


जन जन भं प्राण जगाऊॉगा .’
फात बगत की सुन ददर झूभा,
गरे रगा कय भाथा चूभा .

गोयं का मुग सनकृ ष्ट प्रहाय,


जगती का क्रूयतभ सॊहाय .
सन:शस्त्र सबा जसरमाॉिारा
कई सहस्त्र को बून डारा .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 24


जसरमाॊ िारा फाग क्रूय नयसॊहाय

जसरमाॊ िारा फाग भं गोसरमं के सनशान

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 25


फायह िषा की थी अिस्था,
सुना फगत का ठनका भत्था .
िह ऩैदर फायह भीर चरे,
जसरमाॉ िारा फाग भं ऩहुॉचे .

यक्त यॊ क्षजत सभट्टी उठाकय,


चूभा उसको बार रगाकय .
शीशी भं सॊबार सहे जना,
प्राण प्रसतऻा से अयाधना .

बगत ससॊह 11 िषा की अिस्था

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 26


नेशनर कारेज राहौय- बगत ससॊह ऩीछे दामं से चौथे

कदभ जिानी धया बगत ने,


दादा, दादी, भाॉ, चाची ने,
कहा सबी ने सभर इक स्िय भं,
फाॉधो इसको अफ ऩरयणम भं .

घय भं ऩहरे फात सछिी थी,


गरी गाॉि दपय घूभ चरी थी .
मौिन भं ऩग यखता जीिन,
भधुय उभॊग से क्षखरता तन भन .
शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 27
भॊद ऩिन जफ भधु यस बयता,
दऩाण मौिन यस सनहायता .
तन भन कसरमाॉ भादक क्षखरतीॊ,
प्रेभ रहय जफ रह रह चरती .

शफनभ जफ आहं बयती है ,


खुशफू बीनी सी उठती है .
रेते अयभाॉ जफ अॊगिाई,
प्रीत िदन ददर भं शहनाई .

पूर कयं जफ ददर भतिारा,


प्रेभ सुधा का छरके प्मारा .
गान फसॊती रृदम सुनाता,
तन भन को आह्लाददत कयता .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 28


झन झन कय झॊकाय रृदम भं,
ऩामर सी खनकाय रृदम भं .
खन - खन खनकं चूिी कॊगन,
तन भन भं उऩजे प्रीत अगन .

उद्दाभ प्रेभ की सहज याह,


सुिास कुसुभ नैससगाक चाह .
रूऩ आसरॊगन भधु उल्रास,
नि मौिना की फाॉह विरास .

मौिन दे खे फस सुॊदयता,
जगती भं वफखयी भादकता .
प्रेभ ऩीॊग रे काभ दहरोयं ,
छोिं भनससज फाण सछछोये .

(भनससज = भदन)

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 29


फात बगत जफ ऩिी कान भं,
फाॊध यहे ऩरयणम फॊधन भं .
क्षखन्न हुआ, मह कभा नही है ,
शादी भेया धभा नही है .

गुराभ दे श है बायत भेया,


कताव्म ऩुकाय यहा भेया .
भाता भेयी जफ फॊदी हो,
न्माम व्मिस्था जफ अॊधी हो .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 30


हथकदिमाॉ हं जफ हाथं भं,
फेिी जकिी जफ ऩाॉिं भं .
फोर भुखय जफ नही पूटते,
ऩथ सच्चं को नही सूझते .

फहनं का सम्भान न होता,


अऩभान जहाॉ ऩौरुष होता .
प्रसतकाय शवक्त छीनी जाती,
सच्चाई सधक्कायी जाती .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 31


आॉसू बम से नही टऩकते,
हाम दीन की नही सभझते .
आरोक जहाॉ छीना जाता,
असबभान जहाॉ यंदा जाता .

ससॊदयू जहाॉ सभटामे जाते,


दीऩक जहाॉ फुझामे जाते .
ददु दा न को जफ दे श झेरता,
फढ़ी दरयद्रता सनत्म दे खता .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 32


प्रकृ सत सॊऩदा बायत खोता,
दसु बाऺ के ददन योज सहता .
आह, कयाहं सुनी न जाती,
ऩीिा, आॉख से फह न ऩाती .

ऩयाधीनता श्राऩ फिा है ,


दज
ू ा कोई न ऩाऩ फिा है .
दे श गुराभी भं जकिा है ,
जैसे गदा न को ऩकिा है .

कताव्म सिाप्रथभ सनबाना,


दे श को आजादी ददराना .
शादी की अफ फात न कयना,
ऩरयणम का सॊिाद न कयना .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 33


दे श गुराभी भं जफ तक है ,
एक भृत्मु को भुझ ऩय हक है .
कोई नही फन सकती ऩत्नी,
भौत ससपा हो सकती ऩत्नी .

दे श प्रेभ का ज्िाय बया था,


योभ योभ अॊगाय बया था .
भन भं शोरे बिक यहे थे,
स्ितॊत्रता को तिऩ यहे थे .

प्रचण्ड शवक्त सॊसचत कय बार,


सिा को चुनौती विकयार .
ऩिन को बय कय अऩनी श्वास,
ऩािक उगरने का विश्वास .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 34


किक विहॊ सती विद्युत धाया,
टू ट ऩिा अॊफय घन साया .
अॊग अॊग असबभान तयॊ गं,
रहयामे नगय नगय सतयॊ गे .

मुग का गजान फन कय आमा,


ससॊधु प्ररम िह बीषण रामा .
याष्ड दऩा हुॊकाय रगाई,
रराट रासरभा रहू सजाई .

कार कऩार कयार काभना,


सिा ससभटे ससॊह साभना .
बीतय बबक बय बुजा बुजॊग,
धधकाई धयती धिक धिॊ ग .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 35


अॊफय ऩय आग रगाने को,
कॊवऩत धयती कय जाने को,
ऩीिा की आह सभटाने को,
जब्ती को तोि जगाने को .

झॊझा झकझोय जभाने को,


रहयं ऩय नाि चराने को,
तूपानं ऩय चढ़ जाने को,
प्रचण्ड वियोध ददखराने को .

बीषण अॊगाय जराने को,


जॊजीयं को वऩघराने को,
िाणी दे ने भौन क्रोध को,
अऩभानं के गयर घूॉट को .

(गयर = विष)

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 36


जुल्भं से रोहा रेने को,
सिा गोयी भदटमाने को,
फन जुनून सय चढ़ जाने को,
बायत बय भं छा जाने को .

दे खो दे खो िह आमा है ,
क्राॊसत बगत ससॊह रे आमा है .
सच्चा सऩूत अफ आमा है ,
क्षऺसतज शौमा दपय पहयामा है .

ध्िसनत हुए दपय याग प्रबाती,


जन जन भं थी आशा जागी .
सुप्त याष्ड भं प्राण बय गमे,
इॊ कराफ के गीत फस गमे .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 37


फन आॉधी ररकाय रगाई,
अॊग्रेजं की नीॊद उिाई .
हय सऩूत भं ज्मोत जराई,
बायत भाॉ को आश जगाई .

फही हिा िो आॉधी की जफ,


धधकी ज्िारा नगय नगय तफ .
सचनगायी फन तरुण रृदम हय,
क्राॊसत ज्मोसत की पैरी घय घय .

सभरी ज्मोत से ज्मोत अनेकं,


आॉधी फन गई तूपाॉ दे खो .
गाॉिं, नगयं, दे हातं भं,
विजम ऩताका सफ हाथं भं .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 38


साइभन कभीशन जफ आमा,
वियोध सबी ने था जतामा .
राठी चाजा जभ कय कयाई,
रारा जी ने जान गिाई .

ठान सरमा था फदरा रेना,


अधीऺक साॊडसा को उिाना .
क्राॊसतकारयमं के सॊग सभरकय,
भाया उसे गोरी चराकय .

मौिन को अॊगाय फना कय,


भुकुट असबभान दे श सजाकय,
क्राॊसत भं नई जान पूॉक दी,
अक्षखर याष्ड टॊ काय छोि दी .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 39


धुन के ऩक्के भतिारे जफ,
चरते हं तो दपय रुकते कफ ?
ऩथ भं काॉटे, ऩग भं छारे,
विजम प्रासप्त तक चरने िारे .

गठन ’नौजिान बायत सबा’,


बय याष्ड प्राण आरोक प्रबा .
नस नस भं ज्िारा बबक यही,
रे अबम जिानी धधक यही .

विष जो सिा ने फोमा था,


ससॊह जहय उगरने आमा था .
जो दारुण ददा दफामा था,
िह ददा सभटाने आमा था .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 40


फाॉध कपन को सनकरा घय से,
सिा सहभ गई थी डय से .
तैया तूपाॉ ऩय भयदाना,
चरा सुनाभी ऩय दीिाना.

सनमसत ने की थी घिी जो सनमत,


कण कण क्षजसके सरमे था सतत .
सनसश ददन दे खते कफ से याह,
अरुण उदम होता सनत रे चाह .

चॊद्र दकयण दपय, रगे चभकने,


नब भं ताये , रगं दभकने .
भहक कफ बये गी दपय से ऩिन ?
आॉचर दपय कफ क्षखरंगे चभन ?

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 41


उस ऺण को था फेचैन सागय
उस ऩर को था फेताफ अॊफय .
सुयसब भॊजयी दपय से चाहे ,
कर कर सरयता फहना चाहे .

बगत ससॊह, फटु केश्वय दि ने,


ऩूणा विश्व को जागृत कयने .
सिा को झकझोय डारने,
सुप्त प्राणं भं जान डारने .

बगत ससॊह औय फटु केश्वय दि


शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 42
मुग मुग का सॊदेश सुनाने,
जन जन को विश्वास ददराने .
सूखे दीऩं भं घृत डारने,
रृदमं भं अॊगाय फाॉटने .

दे श - बवक्त की धाय फहाने,


नमी विबा की चभक जगाने .
जिता भं चेतनता राने,
दकयणं को आरोक ददराने .

नस नस भं रािा दौिाने,
योभ योभ ज्िारा बिकाने .
अिनत बार असबभान ददराने,
झुके गगन का शीश उठाने .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 43


संट्रर असंफरी सबागाय,
दो फभ पोिे रगाताय .
भकसद तीनं कार दहराना,
नहीॊ दकसी की जान को रेना .

फटु केश्वय दि

इॊ कराफ के नाये रगामे,


वफना अऩनी ऩहचान छुऩामे .
डटे यहे िह उसी जगह ऩय,
खुश थे अऩनी सगयफ्तायी ऩय .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 44


बायत बू ने दकमा असबसाय,
अॊफय को दपय सभरा विस्ताय .
विबा गिा से झूभ यही थी,
दफी आग दपय भचर उठी थी .

जन जन भं विश्वास था रौटा,
अबी अॊत सिा का होगा .
सृवष्ट कय यही अभय श्रृग
ॊ ाय
अक्षखर विश्व का फना सुकुभाय .

बायत भाॉ का सच्चा सऩूत,


हय भाॉ का िह फन गमा ऩूत .
सॊदेश सुनाने ईश - दत
ू ,
आमा था फन कय िीय ऩूत .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 45


सफकी आॉखं का ताया था,
दे श - बवक्त का िह नाया था .
जन जन के ददर को प्माया था,
छटने रगा अफ अॊसधमाया था .

गूॉज उठा घय घय बगत ससॊह,


याष्ड बवक्त प्रतीक बगत ससॊह .
सागय का गजान बगत ससॊह,
सृवष्ट का श्रृग
ॊ ाय बगत ससॊह .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 46


जनता का विश्वास बगत ससॊह,
िीयं का उल्रास बगत ससॊह .
प्ररम का आधाय बगत ससॊह,
कण कण भं साकाय बगत ससॊह .

भूकं की सचॊघाि बगत ससॊह,


मुगमुग की हुॊकाय बगत ससॊह .
रुदन का प्रसतकाय बगत ससॊह,
शवक्त का अिताय बगत ससॊह .

अरुण का आरोक बगत ससॊह,


दकयणं का प्रकाश बगत ससॊह .
अॊगायं का ताऩ बगत ससॊह,
बायत का सयताज बगत ससॊह .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 47


मुिकं का आदशा बगत ससॊह,
रृदमं का सम्राट बगत ससॊह .
हय कोख की चाहत बगत ससॊह,
शहादत की सभसार बगत ससॊह .

भुकदभं की जफ चरी कहानी,


खुद अऩनी ऩैयिी की ठानी .
इॊ कराफ को दे ने यिानी,
जन जन क्राॊसत धूभ भचानी .

सोच सभझ कय चार चरी थी,


अॊग्रेजं को खूफ खरी थी .
निज्मोसत की ज्िारा जरी थी,
घय घय भं िह पैर चरी थी .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 48


बायत बू का कण कण दीवऩत,
ऩूणा याष्ड भं क्राॊसत प्रज्ज्िसरत .
बमबीत सतसभय था बाग यहा,
बाग्म बायती का जाग यहा .

उस फभ का खोर जो असंफरी भं पंका गमा

अिसय आमा सफ कहने का,


अऩनी फातं दोहयाने का .
सकर विश्व को फात सुनाई,
अॊग्रेजं की नीॊद उिाई .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 49


बायत भं चेतनता रामी,
ज्िाराभुखी ने री अॊगिाई .
सकर विश्व को दकमा अचॊसबत,
सृवष्ट दे खती थी स्तॊसबत .

बगत ससॊह के जूते औय घिी जो उन्होने अऩने


क्राॊसतकयी साथी जमदे ि कऩूय को ददमे

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 50


रे हथेरी शीश था आमा,
नेजे ऩय िह प्राण था रामा .
असबभानी था, झुका नही था,
दृढ़ सनश्चम था, रुका नही था .

राहौय जेर भं कैदी थे,


क्राॊसतकायी कई फॊदी थे .
जेर की हारत फद फेहार,
सुविधामं खाना फुया हार .

जेरे भं ठानी बूख हितार,


फने सिा का जी जॊजार .
ऐसतहाससक िह बूख हितार,
सफसे रॊफी बूख हितार .

(नेजे = बारा)

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 51


बूख हितार के ऩोस्टय

चंसठ ददन का िह अनशन था,


सयकाय को झुकना ऩिा था .
अनशन भं साथी को खोमा,
जसतनदास ऩय जग था योमा .

ऩुण्म धया ऩय अध्मा चढ़ाकय,


कुयफानी का यक्त चढ़ाकय .
अख्णण्ड योष का नाद सुनाकय,
मौिन को बूचार फनाकय .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 52


बगत ससॊह की शटा

दे श बवक्त का यॊ ग रगाकय,
प्रेभ फीज से ऩेि उगाकय .
सनज मौिन को रऩट फनाकय,
जीिन को सॊग्राभ फनाकय .

स्ितॊत्र बू का स्िप्न सजाकय,


प्रचन्ड अक्षग्न तन भन रगाकय,
भाटी खुशफू श्वास फसाकय,
प्राणं को यथ प्ररम फनाकय .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 53


ऩीिा को आघात फना कय,
क्रूय कार को ग्रास फनाकय,
ऩयाधीनता सचता सजाकय,
विजम ऩताका बू रहयाकय .

घय घय भं ससॊह बगत सभामा,


हय जुफाॊ ऩय नाभ िह आमा .
सिा सहभ गई थी डय से,
शासन उखि गमा था जि से .

नाभ बगत ससॊह जफ जफ आता,


योभ योभ सॊचाय िीयता .
सिा थय थय थी थयााई,
बगत ससॊह से थी घफयाई .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 54


बगत बाई कुरफीय ससॊह थे,
बगत ससॊह जफ जेर फॊद थे,
कुरफीय ने ददखामे यॊ गे थे,
गसतविसधमाॊ दे ख सबी दॊ ग थे .

’नौजिान बायत सबा’ बाय,


अऩने कॊधं ऩय सरमा बाय .
खूफ सनबाई क्षजम्भेदायी,
रोहा रेने की थी फायी .

गोयं का इक सभायोह था,


दकॊगा जाजा ऩय उत्सि था .
ऩूये शहय की वफजरी काटी,
सभायोह को जगभग फाॉटी .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 55


कुरफीय का आक्रोश बिका,
िह बाई बगत की याह चरा .
उत्सि की वफजरी को योका,
दस िषा की जेर को बोगा .

चरे भुकदभं बगत ससॊह ऩय,


औय अनेक क्राॊसतिीयं ऩय .
सिा ने पाॉसी ठानी थी,
भुकदभं को दी यिानी थी .

बगत ससॊह का आक्रोश योष,


क्राॊसतिीय का जमनाद जोश .
इॊ कराफ क्षजॊदाफाद घोष,
आजादी का फना उदघोष .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 56


इसतहास ददिस रो आमा था,
सनणाम कोटा का रामा था .
क्षजस ददन की थे फाट जोहते,
ददन ददन सगन कय याह दे खते .

घिी सुहानी िह आई थी,


फासॊती भं यॊ ग राई थी .
सहभी सिा ने दी ऩुकाय,
पाॉसी की थी उसे दयकाय .

कोटा पैसरा तम था पाॉसी,


चौफीस भाचा दे दो पाॉसी .
सन एकतीस की मह थी फात
जग यहा बाग्म बायत प्रबात .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 57


क्राॊसत गसतविसधमं भं सरप्त थे,
आबा से भुख शौमा दीप्त थे .
’याजगुरू’, ’सुखदे ि’, ’बगत ससॊह’,
पाॊसी रंगे मह बायत ससॊह .

बगत ससॊह, याजगुरू, सुखदे ि

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 58


पाॊसी की सजा दे ने के सरए जज द्वाया प्रमुक्त ऩेन

सुखदे ि की टोऩी
गीत सभरन के तीनं गाते,
हॉ स हॉ स कय थे भौत फुराते .
चोरे को फासॊती यॊ ग भाॉ,
दे ख ऩुकाय यही बायत भाॉ .

बायत जकिा जॊजीयं भं,


कूद ऩिे तफ हिन कुण्ड भं .
आन फचाने मह बायत ससॊह,
याजगुरू, सुखदे ि, बगत ससॊह .
शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 59
बगत ससॊह सुखदे ि

याजगुरू

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 60


सबी जुफाॉ ऩय एक कहानी,
क्राॊसत िीयता बयी जिानी .
पैरा जन जन क्राॊसत ज्िाय था,
स्ितॊत्रता का ही विचाय था .

अबीष्ट ऩूया हुआ बगत ससॊह,


गजान थी अफ हय बायत ससॊह .
ऩैदा कय दी हय ददर चाहत,
वफन आजादी भन है आहत .

भात वऩता को जेर फुरामा,


फेटे ने सॊदेश सुनामा .
बगत दे श ऩय होगा शहीद,
ऩूयी होगी भेयी भुयीद .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 61


दख
ु का आॉसू आॉख न राना,
सभम है भेया भुझको जाना .
ऩूत आऩका हो फसरदानी,
अऩने खूॉ से सरखे कहानी .

जन्भ ददमा भाॉ तुभने भुझको,


शीश निाऊॉ शत शत तुभको .
भाता धयती, वऩता आकाश,
उनके चयणं स्िगा का िास .

भाॉ तेया उऩकाय फिा है ,


दकॊतु दे श का फ़ज़ा ऩिा है .
बायत भाॉ का कज़ा फिा है ,
याष्ड फेदिमं भं जकिा है .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 62


भचर यहे अयभाॉ कुयफानी,
झिी रगा दे अऩनी जफानी,
दे दे कय आशीष अनेकं,
घिी शहादत आमी दे खो .

दे ख दे ख जग विस्भृत होगा,
ऩढ़ इसतहास चभत्कृ त होगा .
भुझको इसतहास फदरना है ,
अफ मह साम्राज्म सनगरना है .

भोर नही कुछ भान भुकुट का,


भोर नही कुछ ससॊहासन का .
जीिन अवऩात कयने आमा,
भाटी कज़ा चुकाने आमा .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 63


माचक फन कय भाॊग यहा हूॉ,
तेया दख
ु ऩहचान यहा हूॉ .
रार जो खेरा तेयी गोदी,
डार दे बायत भाॉ की गोदी .

तेया तो घय द्वाय क्राॊसत का,


तू जननी है स्रोत क्राॊसत का .
कोख ऩे अऩनी कय असबभान,
ऩाऊॉ शहादत, दे ियदान .

एक ऩूत का गभ भत कयना,
सफ तरुणं को ऩूत सभझना .
जग भं तेया सदा सम्म्भान,
मुगं मुगं तक यहे गा भान .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 64


खानदान की यीत सनबाई,
याह क्राॊसत की भैने ऩाई .
दादा, चाचा, वऩता कदभ ऩय,
खून खौरता दीन दभन ऩय .

भाता कय दो अफ विदा विदा,


हो जाऊॉ ितन ऩय दफ़दा दफ़दा .
यहे अबागे जो सदा सदा,
खुसशमाॉ हं उनको अदा अदा .

हय तयप ध्िसनत आजाज हुई,


स्िय बगत कण्ठ हय साज हुई .
बगत ससॊह घय घय भं छामा,
विदटश याज बी था घफयामा .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 65


िामसयाम से भापी भाॊग,ं
बगत सरक्षखत भं भापी भाॊगं .
कभी सजा भं हो सकती है ,
उनको पाॉसी रुक सकती है .

दे श प्रेभ भं भय सभट जाना,


स्िीकाय नही, ऺभा भाॉगना .
हभं भृत्मु बम नही ददखाना,
उसको तो है गरे रगाना .

हय सऩूत भं चाह जगाना,


भय सभटने की याह ददखाना .
जब्ती को है तोि सगयाना,
सचता साम्राज्मिाद जराना .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 66


क्षजतने ददन बी जेर यहे थे,
जीत भृत्मु को खेर यहे थे .
ऩूये जग को प्रेरयत कयते,
आजादी भं जीिन बयते .

आजादी के िह दीिाने,
दे श हे तु भय सभटने िारे .
नहीॊ दकसी से डयने िारे,
अॊगायं ऩय चरने िारे .

कर चक्र ऩहचान सरमा था,


दाभ भौत का जान सरमा था .
हॉ स हॉ स जीिन िाय ददमा था,
आजादी विश्वास ददमा था .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 67


अॊसतभ इच्छा जफ ऩूछी थी,
अनुयसत बगत की फस मही थी .
’जन्भ महीॊ ऩय दपय हो भेया,
सेिा - दे श धभा हो भेया .’

’ददर से न सनकरेगी कबी बी,


ितन की उल्पत भय कय बी .
भेयी सभट्टी से आमेगी,
सदा खुशफू-ए-ितन आमेगी .’

क्राॊसतिीय से याज्म डया था,


मुग मुग चेतन प्राण बया था .
आॊदोरन का खौप बया था,
ऩतन भागा ऩय अधो सगया था .

(अनुयसत = चाहत)

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 68


चौफीस को जो तम थी पाॉसी,
तेईस भाचा दे दी पाॉसी .
सॊध्मा साढ़े सात सभम था,
फसरदानं का अभय सभम था .

ऩुण्म ऩिा फसरदान भनामा,


हॉ सते हॉ सते तार सभरामा .
झूभ यहे थे िह भस्ताने,
सॊघषा क्राॊसत के ऩयिाने .

फारूद फना कय मौिन को,


अवऩात कय के बायत बू को .
पाॊसी पॊदा गरे रगामा,
शोरं को घय घय ऩहुॉचामा .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 69


क्राॊसत की िेदी ऩय तऩाण,
मौिन पूरॊॊ सा कय अऩाण .
हॉ सते हॉ सते न्मौछािय थे,
जम इॊ कराफ के नाये थे .

बायत भाॉ ने कय आसरॊगन,


बार सजामा यवक्तभ चॊदन .
कण कण भं िह व्माप्त हो गमा,
बायत उसका ऋणी हो गमा .

गीत सोहरे सॊध्मा गामे,


सभरन गीत चॊदा ने गामे .
ताये बय रे आमे घिोरी,
सजी चाॊदनी की यॊ गोरी .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 70


दे ि उठा कय रामे डोरी,
वफखया सुयसबत चॊदन योरी .
ऩुण्मात्भा का कय कय िॊदन,
रोऩ ऩयभ सिा असबनॊदन .

प्रकृ सत चदकत कय यही थी नाज़,


आकाश भगन फना हभयाज .
बूरा ऩिन था कयना शोय,
ससॊधु बी बूर गमा था योय .

रहयं भं आज नही दहरोय,


गभ भं सूयज, नही है बोय .
दे ि नभन को बू ऩय आमे,
आॉधी तूपाॉ शीश झुकामे .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 71


अॊग्रजं का भन डोर यहा था,
सय चढ़ कय डय फोर यहा था .
भृत शयीय के कय के टु किे ,
उसी सभम फोयं भं बयके,

रे दपयोजऩुय िहाॉ जरामा,


कुछ रोगं को िहाॉ जो ऩामा,
टु किे अधजरे सतरज पंक,
नौ दो ग्मायह हुए अॊग्रेज .

दे खा ऩास नजाया आकय,


है यानी थी टु किे ऩाकय .
ग्राभीणं ने दकमा सत्काय,
विसधित दकमा अॊसतभ सॊस्काय .

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 72


िीय बगत तुभ हभभं क्षजॊदा,
िीय बगत तुभ सफभं क्षजॊदा .
हय दे श बक्त भं तुभ यहोगे,
क्षजॊदा हो ! क्षजॊदा यहोगे !

स्ितॊत्रता सॊग्राभ इसतहास,


नाभ बगत ससॊह ध्रुि आकाश .
नाभ अभय है , असभट यहे गा,
स्िातॊत्र्म िीय अऺुण्ण यहे गा .

आविबााि बायत उत्थान,


आरोदकत याष्ड बवक्त विहान .
बगत ससॊह साश्वत मोगदान,
बस्कय शौमा फसरदान भहान .

कवि कुरिॊत ससॊह

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 73


सनकुॊज : सभीऺा (1)
विऻान के कविता होने का अथा है कवि कुरिॊत ससॊह

कविता विऻान नही होती, रेदकन विऻान के साथ


चरे तो इसका व्मवक्तत्ि कुहये भं क्षखरी धूऩ की तयह
आकषाक होता है - कवि कुरिॊत ससॊह की कविताओॊ को
ऩढ़कय मही कहना ठीक होगा. ’सनकुॊज’ ७७ कविताओॊ
का सॊग्रह है , जो कविताएॊ कुरिॊत ससॊह के सॊिेदनशीर भन
औय आरोचक भक्षस्तष्क की धायाओॊ से सभरकय फनी
कविताएॊ हं , जो सभकारीन दहॊ दी कविताओॊ के सरए
यसामन की तयह दहतकायी हं . दहतकायी इस अथा भं दक
आज की कविताएॊ दकस तयह व्मक्त होकय औय क्मा
कहकय अऩने अक्षस्तत्ि को फचाए यख सकती हं , इसका
सॊदेश माॊ भॊत्र इन कविताओॊ भं व्माप्त औय वफखया हुआ है .
मह सही है दक आज हभ क्षजस ऩरयिेश भं जी यहे हं ,
क्षजॊदगी कदासचत क्षजसभं अऩनी
अॊसतभ घुटी साॊसे रे यही है
जहाॊ
सन:शब्द / यावत्र की नीयिता/स्माह कारे
अऩने दाभन भं /रऩेटे हुए है - एक टीस
(आॊसतभ साॊसे ऩृ. ९३)

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 74


रेदकन कवि कुरिॊत इसी भं घुटकय नही यहते, एक
सुरझे िैऻासनक की तयह यावत्र की नीयिता के कायण औय
उससे भुवक्त के यहस्मं को खोरते बी हं औय तफ इनकी
कविताएॊ बी कासरखऩुती बाषाओॊ भं व्मक्त कुॊठाओॊ औय
औय फडफोरेऩन की आधुसनक कविताओॊ का साथ छोिकय
सादहत्म के भॊगरभम यहस्म रोक से जुि जाती हं .
कुरिॊत ससॊह की कविताएॊ अॊधकाय के ऩेट भं योशनी का
सतॊब हं , क्षजसभं ऩूयी दसु नमा के सरए भभता है , योशनी है .
इनकी कविताओॊ का मह िैष्णि व्मवक्तत्ि उनकी कविताओॊ
भं एकदभ खुरकय बी साभने आ जाता है ,
जीिन को न फाॊसधए / सनमभं से / उसूरं से -
जीिन तो इत्र है / इसको दीक्षजए भहकने (सनझाय ८७)
डू फते सूमा को दे खा.... / डू फते डू फते बी / यक्षश्भमाॊ /
वफखयाता जाता / भहाऩुरुषं - सा / कुछ दे कय जाता
(सूमाास्त ऩृ ८९)
अगय आऩवि न रगे तो कुरिॊत ससॊह के कविता
सॊग्रह ’सनकुॊज’ के सरए एक ऩॊवक्त भं कहना चाहूॊ तो
कहूॊगा दक आज के उफरते ऩरयिेश के भहाबायत के फीच
ददशाहीन, भसतभ्रभ सनस्तेज अजुन
ा ं के सभऺ ऩढ़ी गई नई
’गीता’ है , क्षजस गीता का भूल्माॊकन, काव्मशास्त्र की
शब्दशवक्त, यीसत-गुण, ध्िसन, औय यस की जभीन ऩय नहीॊ,

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 75


उसभं व्मक्त िृहिय जीिन दृवष्ट के आधाय ऩय होता है , िैसे
कवि कुरिॊत ससॊह का ’सनकुॊज’ काव्म की ध्िसन को बी
सभझता है , यीसत- गुण की शैरी को बी, औय शामद फेहतय
ढ़ॊ ग से - मही कायण है दक कथ्म के फदरते ही कविता
की शैरी बी उसी यॊ ग भं फदर जाती है . कवि का मह
’सनकुॊज’ दकसी एक खास यसिादी का घय नही है , यसॊॊ का
यास है इस काव्मशारा भं - बािं के क्षजतने छोटे फिे यॊ ग
हो सकते हं - ’सनकुॊज भं सफ साथ हं . अगय ठीक से
’सनकुॊज’ के स्िय को ऩकिने की कोसशश कयं तो हभं
दहॊ दी काव्म के आददकार से रेकय आधुसनक कार के
नागाजुन
ा , केदायनाथ अग्रिार तक की कविताओॊ के स्िय
गूॊजते सभरंगे. रेदकन साये स्ियं भं एक स्िय सफसे असधक
भुखय है , औय िह मह -
आओ खोजं इक नई दसु नमा को
क्षजसभं तुभ तुभ न यहो, भं भं न यहूॊ फस हभ यहं
(नई दसु नमा ऩृ ५०)
दहॊ दी की सभकारीन कविता भं मह कुछ अरग सा
स्िय है , जो आज की कविताओॊ भं दर
ु ब
ा हो गमा है , औय
जो कवि कुरिॊत ससम्ह भं आकाशदीऩ की तयह उठता है .
सभीऺक : डा. अभयं द्र
सॊऩादक, ’िैखयी’

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 76


सनकुॊज : सभीऺा (2)
आत्भीम सॊिाद फनाती कविताएॊ

सभम के इस बमािह दौय भं जफ फाजाय तॊत्र ने


आदभी के सॊिेदना जगत को ऺत-विऺत कयते हुए उसे
एक खॊडहय भं तब्दीर कय ददमा हो, जहाॊ केिर खुदगजी
का आरभ चयभ ऩय हो, जहाॊ भहज औऩचारयक्ताएॊ ही शेष
यह गई हं, जहाॊ केिर सनजी स्िाथा हे तु मुद्ध रिे जा यहे
हं, जहाॊ शाश्वत भूल्मं की जभीन रगाताय छोटी होती जा
यही हो, जहाॊ हत्माएॊ, फरात्काय की बीषण आॊसधमाॊ चर
यही हं ऐसे विद्रऩ
ू सभम भं एक भुक्त कवि श्री कुरिॊत
ससॊह की कविताओॊ को ऩढ़ते हुए याहत सभरती है . िह उन
तभाभ अव्मिस्थाओॊ, खासभमं के प्रसत ही नही फक्षल्क
इॊ सान औय इॊ सासनमत को खत्भ कय दे ने िारी प्रिृविमं के
क्षखराप, कृ सत औय प्रकृ सत की दश्ु भन फनती जा यही उन
तभाभ कायकं के क्षखराप उठ खिा होता ददखाई दे ता है
औय मह शुब सॊकेत बी है . िह कभ से कभ शब्दं का
प्रमोग कयते हुए एक ऐसा यचना सॊसाय खिा कयता है , जहॊ
बटकं को, द:ु खी प्राक्षणमं को याहत सभरती ददखाई दे ती है .
िह अच्छी तयह जानता है दक ऩरयितान एक सास्ित
प्रदक्रमा है , एक शाश्वत सत्म है जो दकसी बी कीभत ऩय

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 77


दकसी के द्वाया योका नही जा सकता. इस ऩरयितान शीरता
के दौय भं जादहय है दक आदभी बी फदरेगा. कवि इस
फदराि को रेकय सचॊसतत है . उसकी सचॊताओॊ भं कुछ प्रश्न
सहज रुऩ से आ खिे होते हं . िह प्रश्न कयता है दक क्मा
चाॊद सूयज धयती बी फदर यहे हं ? जफ िे नही फदर ऩा
यहे हं तो तुभ इस प्रिाह की रऩेट भं आने से क्मा अऩने
आऩ को फचा नहीॊ ऩा यहे हो. प्रकृ सत का जया सा बी
फदराि हभाये सरए जीने भयने का प्रश्न फन जाता है . अत:
फदराि दकस काभ क जो औयं का जीिन खतये भं दार
दे . दपय हभाये अऩने क्मा आदशा होने चादहएॊ, आदद ऩय
एक कवि भैन यहने के फजाए भुखय होकय अऩनी फात
हभाये सभऺ यखता है .
सॊग्रह भं एक नही कई ऐसी कविताएॊ हं जो हभाये
जीिन के साथ सूक्ष्भता से जुिी हं , एिॊ उनके प्रसत माॊ तो
हभ घोय राऩयिाह हो गमे हं , माॊ उन्हं द्गीये धीये त्मागते
चरे जा यहे हं , कवि ने फिी फेफाकी से इन ऩय अऩनी
करभ चराई है .
कवि का एक उजरा ऩऺ औय है क्षजस ऩय सामद
ही दकसी की नजय ऩिे औय िह है सॊग्रह का िह सभवऩात
बाि क्षजसभं अऩने भाता-वऩता तथा आचामं को दे िरूऩ
भान कय स्तुसत की है . औय इन्हं ही अऩना आयाध्म भान

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 78


कय काव्माम्जसर अवऩात की है . सनश्चम ही मह विनीत बाि
उन्हं यजकण से वियातता प्रदान कयता है , इसके सरए
क्षजतनी बी तायीप की जाए सॊबितह : िह कभ ही ऩिे गी.
आई आई टी रुिकी से इॊ जीसनमरयॊ ग भं फी. ई.
कयने तथा एक िैऻासनक असधकायी होने के फािजूद श्री
कुरिॊत ससॊह

का रुझान कविताओॊ भं है , सादहत्म भं है , तो मह हभ


रोगं का ऩयभ सौबाग्म है दक ऐसे ऊजाािान कवि को
हभाये फीच भं ऩाकय हभ गदगद हुए वफना नही यह सकते.
कविता भानससक विराससता की चीज नही है . िह
साभाक्षजक अऩरयितान के औजाय का काभ कयती
है .सन:सम्दे ह उनकी कविताओॊ का ऩुयजोय असय ऩाठकं ऩय
ऩिता है . एक फात औएअ कह दे ने भं भं अऩने आऩ को
योक नही ऩा यहा हूॉ, औय िह मह दक कविता दयअसर
उसकी बाषा के संदमा भं होती है , कथ्म की सॊिेदनाओॊ भं
होती है , इससरए कविताओॊ ऩय की गई दटप्ऩणी, उसकी
सभीऺा माॊ आरोचना अऩमााप्त है . कविता अऩनी सॊऩूणा
उऩक्षस्थसत भं ही आस्िाद से अऩना िाक्षजफ औय आत्भीम
सॊिाद फना सकती है . आऩकी कविताओॊ भं भुझे कापी

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 79


कुछ सभरा है क्षजसका िणान भहज़ अल्पाज़ं भं
सॊबि नही. एक अच्छे सॊग्रह के सरए भेयी फधाईमाॊ
शुबकाभनाएॊ स्िीकायं . बविष्म भं औय बी नामाफ चीजं
ऩढ़ने को सभरंगी.
इन्ही आशाओॊ औय विश्वास के साथ

गोिधान मादि
अध्मऺ, भ. प्र. याष्डबाषा प्रचाय ससभसत
क्षजरा इकाई, सछॊ दिािा, भ. प्र.

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 80


सचयॊ तन : सभीऺा (1)
कुरिॊत ससॊह का भूर बाि उदबोधन है
श्री कुरिॊत ससॊह की कविताएॊ ऩढ़कय माॊ सुनकय
ऐसा नही रगेगा दक मह कोई िैऻासनक असधकायी हंगे.
क्मंदक विऻान के ऺेत्र भं ऩदाथा विऻान की सिोन्नत
विधा से मह जुिे हुए हं , बाबा ऩयभाणु अनुसॊधान कंद्र
से. जो सॊिेदनशीरता इनकी यचनाओॊ भं सभरती है ,
प्रकृ सत के संदमा को दे खने की जो दृवष्ट इनके गीतं भं है ,
सफको सुखी दे खने की रारसा इनके उद्दात भन भं है औय
ऩयऩीिा औय विकृ त होती भानि सॊस्कृ सत के प्रसत जो
आक्रोश इनभं दे खने को सभरता है , िह फहुत ही घनघोय,
दृष्टाव्म औय रृदमग्राह्य हं . उदाहयण के सरए छुऩा कहाॊ
बगिान यचना भं कुरिॊत ससॊह बगिान को ररकायते हं –
ताय ताय हुआ सभाज,
भनुज फन गमा है िान,
अॊधाधुॊध सफ बाग यहे ,
भॊक्षजर का नही ऻान,
गभं भं सफ जी यहे ,
खुशी का न नाभं सनशान,
छुऩा कहाॊ बगिान.

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 81


प्रकसत का िणान –
कन कन फयखा की फूॊदे,
िसुधा आॊचर सबगो यहीॊ,
फेटी जन्भ के प्रसत साभाक्षजक कुसॊस्काय –
भाॉ को कोसा फेटी के सरए जाता,
तानं से जीना भुक्षश्कर हो जाता,
गरा घोटकय माॊ क्षजॊदा दपना ददमा जाता.
कुरिॊत ससॊह प्रतायणा ही नही उदबोधन के बी कवि हं –
ऺुब्ध उदास भन हवषात कय रो,
ऺीण रृदम स्ऩॊददत कय रो,
आघात बूर सहज हो रो,
सॊगीत प्रकृ सत का वफखया सुन रो.
औय मह –
कुछ अशोक, चॊद्रगुप्त, अकफय फन दे श को जोि जाते हं कुछ
औयॊ गज़ेफ, भीयजाफ़य, जमचॊद फन दे शको तोि जाते हं

औय आज का मुगीन वियोधाबास –
आज के मुग भं दकतनी तयक्की है ,
ट्रे नं , हिाई जहाज सिक ऩक्की है ,
याकेट सभसाईर कायं ससताया होटर हं ,
औय

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 82


नजयं उठा कय दे ख रो दकसी बी शहय गरी भं,
कचये के डब्फं से खाना ढ़ू ॊ ढ़ता आदभी,
‘दहॊ दी’ कविता कुरिॊत ससॊह की नई कविता है .
रेदकन बािना के स्तय ऩय िह गीत के सभान प्रबािी है -
फाग की फहाय है ,
याग भं भल्हाय है ,
दहॊ दी हभाया प्माय है ,
इस प्रकाय कवि कुरिॊत ससॊह जो बी सरखते हं िह
सोद्दे श्म होता है . िह मह दक सभाज को अऩसॊस्कृ सत के
प्रबाि से , साभाक्षजक फुयाइमं से भुक्त होने का आहिान
कयते हं . ऐसा नहीॊ दक िह विऻान की भहिा को नही
भानते , अऩनी कविता एटभ औय बगिान भं िह कण
कण भं फसता बगिान कहते हं औय मह बी दक जन जन
भं फसता बगिान , सभझं तो फहुत गहयी फात कह गमे
कवि कुरिॊत ससॊह. बगिान की सिात्रता को फता ददमा
उन्हंने भगय कण से बी छोटे एटभ का ऩरयचम कयाते हुए
उन्हंने उसभं सछऩी शवक्त का अहसास ददरामा है –
एटभ खुद है छोटा इतना,
नासबक का तो दपय क्मा कहना,
रेदकन इसे विखॊदडत कयके,

सभरती ऊजाा चाहो क्षजतना,


शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 83
इन शब्दं से भनुष्म की साभथ्मा को बी कवि,
बगिान की सिात्रता के साथ स्थावऩत कयता है . औय मह
सफ तो अबी इस कवि की शुरुआत है . इन्ही गहयाइमं के
अतर वितर भं डु फकी रगाने की उनकी मह प्रसतबा
उन्हं फहुत आगे रे जामेगी.
जफ कुरिॊत ससॊह ने भुझे अऩनी कविताओॊ के सरए
कुछ शब्द सरखने को कहा तो भैने चूॊदक उन्हे सुना था
इससरए हाॊ कह दी थी औय साथ भं कुछ कविताएॊ दे जाने
के सरए कहा था. भैने उनकी ऩाॊडुसरवऩ ऩढ़ी उसके फाद
जैसा सभझा सरख ददमा.

नॊद दकशोय नौदटमार


अध्मऺ ,भहायाष्ड याज्म दहॊ दी सादहत्म अकादभी
सॊऩादक , नूतन सिेया

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 84


सचयॊ तन : सभीऺा (2)
शुबाशॊसा

कवि कुरिॊत ससॊह क्षजन ऩरयक्षस्थसतमं भं यहकय


काव्म साधना कयते हं िह कविता के सरए सनताॊत
प्रसतकूर हं . इसके फािजूद मे अगय सनयॊ तय आगे फढ़ यहे हं
औय एक ऩय एक सॊग्रह दहॊ दी िाॊग्भम को दे यहे हं तो मह
इनके जीिट होने का हॊ प्रभाण है .

श्री ससॊह का नमा काव्म सॊग्रह ’सचयॊ तन’ आज के


सॊदबं ऩय एक जीिॊत काव्मात्भक दटप्ऩणी है . ’याभ सेत’ु
भं इन्हंने फिी अच्छी फात कही है दक याभ हभेशा िताभान
हं , िे कबी इसतहास नही हो सकते. इसी तयह ’कोख से’
भं घय की फेदटमं का फहुत ही कारुक्षणक सचत्रण दकमा है .
इन्हे नख सशख का शृॊगाय बी आकृ ष्ट कयता है , क्मंदक
हय मुग भं जीिन का िह बी एक भहत्िऩूणा ऩऺ है .
’प्रकृ सत’ भं इन्हंने सदाफहाय प्रकृ सत का फिा ही भनोयभ
दृष्म उऩक्षस्थत दकमा है .

श्री कुरिॊत ससॊह भुॊफई जैसे भामानगय भं बाबा


ऩयभाणु अनुसॊधान कंद्र जैसे भहत्िऩूणा कामाारम भं
िैऻासनक असधकायी हं . इसके फािजूद सादहत्म के प्रसत

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 85


जन्भजात रगाि के कायण ही मे अऩने प्रथभ सॊग्रह
सनकुॊज से सनकरकय सचयॊ तन तक आ ऩहुॊचे हं .

भं श्री कुरिॊत जी को इस अिसय ऩय फधाई दे ता


हूॊऔय आशा कयता हूॊ दक बविष्म भं बी िह इसी प्रकाय
नमे नमे काव्म सॊग्रहं से सयस्िती का बॊडाय बयते यहं गे.

भेयी असभत शुबकाभनाएॊ .

डा फुवद्धनाथ सभश्र
भुख्णम प्रफॊधक याजबाषा
आमर एण्ड नेचुयर गैस काऩोये शन सर
दे हयादन

शहीद-ए-आज़भ बगत ससॊह Page 86

You might also like