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आधी रात शिखर त ढलगी, मोटा चाला हो गया के सु पना ते रा शिक्र करू ढं ग मिणू आला हो गया सु पने के माह

आते शिखे
, एक बामण अर एक नाई ब्याह की शचट्ठी शलए शिरै , म्हारै घर घर बटै शमठाई बान ते ल त मैं खूब नु ह्वाया म्हारै गावै गीत
लुगाई म्हारे घरक्या न चाव में भर भर बशिया बरात सिाई पां च मंझोली िस अरथ, गाशियां का चाला हो गया आधी रात
शिखर त ढलगी, मोटा चाला हो गया के सु पना ते रा शिक्र करू ढं ग मिणू आला हो गया भाई शितने बराती मेरी र बारात
के, सारे घोिे ले रहे गशलयां म त शिरै हां डते , शकतने गज़ब बछे रे शिन शछप गया, होया अँधेरा मेरे होवण लाग्ये िेरे गाये गीत
लुगाइयाँ न म्हारै न्यू घर घर बटे चकेरे मेरे ओले हाथ न बहु बै ठ गई इसा नया उिाला हो गया आधी रात शिखर त ढलगी,
मोटा चाला हो गया के सु पना ते रा शिक्र करू ढं ग मिणू आला हो गया सास सु सर न बु लवाया था न्यू भर के न रं ग चाह मै
करमा का हामनै शमला बटे ऊ यो आग्या म्हारी शनंगाह मै कल वारी सी हुई िुहारी भाइयो मेरे ब्याह मै रात न नींि कतई ना
आयी उस गोरी के चाह मै और राही मै तो मैं न्यू ना बोल्या मेरी िि में साला होग्या आधी रात शिखर त ढलगी, मोटा चाला
हो गया के सु पना ते रा शिक्र करू ढं ग मिणू आला हो गया सात ढाल की धरी शमठाई बं ि डाले की शपटारी एक ओि ने
कमरे के माह शबछ रे शपलंग-शनवारी आँ ख खुली िब कुछ ना शिख्या मैं रोया िे शकलकारी िा सु पने ते री बाहण गोड ियूं तन्नै
बहु लको ली म्हारी कह '' िाट मे हर शसं ह '' सु पने के माह मेरा मुह भी काला होग्या आधी रात शिखर त ढलगी, मोटा चाला
हो गया के सु पना ते रा शिक्र करू ढं ग मिणू आला हो गया

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