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िमयावाकी िविध िनयमावली

प्राकृितक मूल वन रचना 



िवषयसूची
िमयावाकी िविध 1

1. िमट्टी

1.1 िमट्टी की बनावट का अध्ययनक्ष 2

1.2 िमट्टी िवश्लेषण और पोषण सामग्री िनधार्िरत करना 5

1.3 िमट्टी परीक्षण िरपोटर् के नमूने 7

1.4 सामिग्रयों के गुण मापदंड 8

1.5 जीवामृत तैयार करने की िविध 10

2. कायार्न्वयन

2.1 मानक संचालन प्रिक्रया 11

3. प्रजाितयाँ :

3.1 प्रजाितयों का चयन 20

3.2 प्रजाित िववरण 21

3.3 प्रजाितयों की सूची 26

4. प्रारूप

4.1 उदाहरण 29

4.2 मानिचत्र 30

5. साइट तत्परता जांच पत्र

6. व्यय व्यवस्था 26

7. पौधों की व्यवस्था

7.1 मानक संचालन प्रिक्रया 34

8. पौध लगाने की िविध

9. रखरखाव और िनगरानी

9.1 रखरखाव के िनदेर्श 38

9.2 मानक संचालन प्रिक्रया - मूल्यांकन 42

2
िमयावाकी िविध
िमयावाकी पद्धित जापान के डॅ ा॰ अकीरा िमयावाकी द्वारा तैयार की गयी िविध है। उनके द्वारा इस िविध से दुिनया के कई देशों में
तकरीबन 1700 स्थानों में 40 लाख से अिधक पेड़ों के साथ प्राकृितक मूल वनों का िनमार्ण िकया जा चुका है। इस िविध को दुिनया में
कहीं भी लागू िकया जा सकता है तथा इस पद्धित से काफी कम समय में बेहतर जंगल तैयार हो जाता है।

आम तौर पर वृक्षारोपण करते समय गड्ढे खोदकर पौधों को अलग अलग लगाया जाता है तथा प्रजाितयों की िविभन्नता पर ध्यान नहीं
िदया जाता है। इससे अिधकतर एकल प्रजाित के जंगल तैयार होते हैं। यिद िविभन्न प्रकार के पौध भी लगाये जाते हैं तो सम्पूणर् वन
का स्वरूप लेने में काफी समय लग जाता है। िमयावाकी िविध में प्रकृित की वन रचना को समझकर उसे उसी स्वरूप पर अपनी जमीन
पर उतारा जाता है।
यह िविध दो मुख्य िवचारों पर आधािरत है :

1. प्राकृितक वनस्पित - यह वनस्पित तब िमलती है जब कोई जमीन का टु कड़ा लंबे समय तक मानवीय हस्तक्षेप से बचा रहे।
इसिलए जरूरी है िक िमयावाकी पद्धित से वृक्षारोपण हेतु पौधों का चयन एक पुराने जंगल को ध्यान में रखकर िकया जाए। झाड़,
िविभन्न प्रकार की वनस्पितयां व पेड़ों की िजतनी प्रजाितयां पुराने जंगल में हैं, इस तकनीकी में उन सभी प्रजाितयों का वृक्षारोपण िकया
जाता है।

2. प्राकृितक उत्पादक िमट्टी की बहाली - उपजाऊ िमट्टी कई सालों में िविभन्न चरणों के बाद तैयार होती है। बंजर जमीन में िविभन्न
चरणों में अलग अलग तरह के खतपतवार, घाँस एवं अन्य वनस्पितयाँ पैदा होती हैं, जो िमट्टी की परतों का िनमार्ण करती हैं।
िमयावाकी पद्धित से िजस क्षेत्र में जंगल तैयार करना है वहां की िमट्टी को इष्टतम िस्थित में लाने के िलए उसकी जाँच कर आवश्यकता
अनुसार खाद (गुणवत्ता व पानी रोकने की क्षमता बढ़ाने के िलए), कोकोपीट या गन्ने की खोई(जल प्रितधारण क्षमता बढ़ाने के िलए)
व भूसा या कटी हुई घास (जड़, वायु व जल के पिरसंचरण हेतु िछद्र बनाने के िलए) िमला कर सम्पूणर् क्षेत्र को खोदा जाता है। इससे
कई चरणों के बाद तैयार होने वाली िमट्टी पौधरोपण के समय ही तैयार कर ली जाती है। िजस तरह पुराने जंगल में पेड़ काफी घने होते
हैं, ठीक वैसे ही 3 से 5 पौधे प्रित वगर्मीटर के िहसाब से पौधों की अलग अलग प्रजाितयाँ लगाई जाती हैं। तत्पश्चात् पित्तयों या घास
की एक मोटी परत पलवार या मल्च के तौर पर िबछा दी जाती है। यह परत िमट्टी में नमी बनाए रखती है, िजससे पानी देने की जरूरत
कम पड़ती है। साथ ही यह पाले से जड़ों की रक्षा करती है और खरपतवार को उगने से रोकती है।

इस तरह िमयावाकी िविध से िकया गया मूल वन िनमार्ण छोटी अविध में एक बेहतर प्राकृितक वन बनाने में सक्षम है।

1
1. िमट्टी
1.1 िमट्टी की बनावट का अध्ययनक्ष
क्या
िमटटी की संरचना में बालू, गाद और िचकनी िमटटी की एहम भूिमका है । िजसमे बालू सबसे ज्यादा मोटी और खुरदरी होती है और
िचकनी िमटटी सबसे ज्यादा बारीक ।
क्यों
िमटटी की संरचना हमें िमट्टी के िनम्निलिखत गुणों को िनधार्िरत करने में मदद करेगी:
• पानी को पकड़ने की क्षमता
• पानी का िरसना
• जड़ को बढ़ने के िलए िछद्र
• पोषण प्रितधारण
• मृदा अपरदन
कैसे
यह बड़ा सरल कायर् है जो आप अपने आप भी कर सकते हैं ।
1. िमटटी को अपने हाथ में पकड़े ।
2. उसको दबाकर बारीक कर लें ।
3. कोई भी 2 िममी से ज्यादा बड़ी चीज़ िनकाल दें ।
4. ध्यान रखें िक आपकी मुट्ठी िमटटी से भरी हो ।
5. अगर िमटटी सूखी है तो उसमें थोडा सा पानी दाल लें ।
6. अब अपने हाथों से उसकी छोटी सी गेंद बना लें ।
7. ध्यान रखें िक िमटटी ज्यादा गीली न हो, बस गेंद बन जाए ।
8. अगर िमटटी में ज्यादा बालू है तो आपको उसका खुरदुरापन महसूस होगा ।
9. अगर उसमे बारीक बालू है तो उसके कणो की आवाज़ सुनाई देगी जब आप गेंद को कान के पास लाकर मसलेंगे ।
10. अगर उसमे िचकनी िमटटी है तो आपको गेंद की सतह पर काफी िचकनापन महसूस होगा और उसकी गेंद काफी अच्छी बनेगी ।
11. अगर उसमे गाद है तो उसका रंग आपके हाथों पर लग जायेगा और आपको िचकनापन भी महसूस होगा ।
12. जब आपको िमटटी के बारे में एक मोटा मोटी समझ हो जाये, आप एक िरबन बनाएँ ।
13. अब िमटटी के बारे में सटीक जानकारी पाए िरबन टेस्ट के द्वारा ।

िरबन टेस्ट

1. मुट्ठी भर िमट्टी लीिजये और उसे गीला करके अच्छे से गूँथ लीिजये ।


2. अब उसकी गेंद बनाएँ ।
3. अगर गेंद नहीं बनती है तो िमट्टी बालुई है अथवा अन्य प्रकार की है।
4. गेंद को अंगूठे और पहली ऊँगली के बीच से दबाते हुए िरबन बनाएँ जब तक अपने ही
वज़न से वह टू ट न जाए ।
5. अगर िरबन नहीं बनता है तो िमटटी दोमिटया बालू है अथवा अन्य प्रकार की है।
6. अगर बना हुआ िरबन 2.5 सेंटीमीटर से कम है तो िमटटी िकसी प्रकार की बालू हैं िजसके
िलए िनम्निलिखत जाँच करें:
1. िमटटी को अपनी मुट्ठी में लें ।
2. उसको बहुत गीली कर लें ।
3. अपनी उं गिलयों से उससे अच्छे से मसले ।

2
4. देखें की वह दानेदार है या िफर िचकनी हैं ।
5. अब यह देखे की वह आटे जैसी मुलायम है या िफर चीनी और रेत के जैसी दानेदार हैं ?
6. अगर बहुत दानेदार है तो बलुई दोमट है ।
7. अगर बहुत ज्यादा मुलायम है तो गाद दोमट है ।
8. अगर ज़्यादा दानेदार या मुलायम नही है तो वह दोमट है ।

7. अगर िरबन 2.5 – 5 सेंटीमीटर िजतना है, तो वह िकसी प्रकार की िचकनी दोमट है िजसके िलए िनम्निलिखत जाँच करें :
1. अपनी मुट्ठी में थोड़ी िमट्टी लेकर अच्छे से गीला कर लीिजये ।
2. उसे अपनी उन्गिलयों से अच्छे से मसल लीिजये ।
3. अब यह देखे की वह आटे जैसी मुलायम है या िफर चीनी और रेत के जैसी दानेदार है।
4. अगर बहुत दानेदार है तो – बालुई िचकनी दोमट है ।
5. अगर बहुत ज्यादा मुलायम है – गाद िचकनी दोमट है ।
6. अगर ज़्यादा दानेदार या मुलायम नहीं है तो वह िचकनी दोमट है ।

8. अगर िरबन 5 सेंटीमीटर से ज्यादा है, तो िफर वह िकसी प्रकार की िचकनी िमटटी है िजसके िलए िनम्निलिखत जाँच करें :
1. अपनी मुट्ठी में थोड़ी िमट्टी लेकर अच्छे से गीला कर लीिजये ।
2. उसे अपनी उन्गिलयों से अच्छे से मसल लीिजये ।
3. अब देखे की अगर िमटटी दानेदार या िचकनी है ।
4. अब यह देखे की वह आटे जैसी मुलायम है या िफर चीनी और रेत के जैसी दानेदार है ?
5. अगर बहुत दानेदार है तो – रेतीली िचकनी िमट्टी है ।
6. अगर बहुत ज्यादा मुलायम है – गाद िचकनी िमट्टी है ।
7. अगर ज़्यादा दानेदार या िचकनी नहीं है तो वह िचकनी िमटटी है ।

जल प्रितधारण पिरसंचरण वधर्क


मौजूदा पानी
िमटटी के प्रकार मौजूदा िछद्र क्षमता सामग्री (िकलोग्राम/ सामग्री (िकलोग्राम/
प्रितधारण क्षमता
वगर् मीटर) वगर् मीटर)

बालू कम उच्च 8 4

दोमट बालू मध्यम उच्च 6 4

बालुई दोमट कम उच्च 8 4

गिदली दोमट मध्यम मध्यम 6 6

दोमट उच्च उच्च 5 5

बालुई िचकनी दोमट मध्यम मध्यम 6 7

गिदली िचकनी दोमट कम मध्यम 7 6

िचकनी दोमट कम मध्यम 7 6

बालुई िचकनी कम कम 7.5 7

3
जल प्रितधारण पिरसंचरण वधर्क
मौजूदा पानी
िमटटी के प्रकार मौजूदा िछद्र क्षमता सामग्री (िकलोग्राम/ सामग्री (िकलोग्राम/
प्रितधारण क्षमता
वगर् मीटर) वगर् मीटर)

गिदली िचकनी कम कम 8 8

िचकनी िमटटी कम कम 9 10

नईत्रोजेंन जैिवक काबर्न खाद मात्रा आवश्यक (िकलोग्राम प्रित वगर् मीटर)

बहुत उच्च बहुत उच्च 3

उच्च उच्च 4

साधारण साधारण 5

कम कम 6.5

बहुत कम बहुत कम 6

4
1.2 िमट्टी िवश्लेषण और पोषण सामग्री िनधार्िरत करना

संिक्षप्त में
िमट्टी के दो नमूनों का परीक्षण उस स्थल से िकया जाना है जहां वन बनना है - नमूना 1 और नमूना 2 को जाँच कर िरपोटर् कुछ इस तरह
बनाएँ :

नमूने की संरचना का अध्ययन:

नापे जाने वाले मापदंड :


1) नाइट्रोजन - यह एक महत्वपूणर् परीक्षण है जो िमट्टी में सामान्य पोषक तत्व का स्तर इं िगत करता है। जंगल िनमार्ण में कुल 43
प्रमुख और सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता है। यह नाइट्रोजन परीक्षण समग्र िमट्टी के स्वास्थ्य का आकलन करने में सहायता करता
है क्योंिक नाइट्रोजन प्रकाश संश्लेषण और बाद में पौधे की वृिद्ध के िलए एक महत्वपूणर् स्रोत है।

2) आगेर्िनक काबर्न - आगेर्िनक काबर्न िमट्टी में काबर्िनक पदाथर् को मापने के िलए है। यह िमट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता,
पोषक तत्व प्रितधारण क्षमता, पानी प्रितधारण, पानी के िरसने की योग्यता और जड़ों को बढ़ने के िलए उपयुक्त िरक्त स्थान का एक

5
मजबूत संकेत है। क्योंिक आगेर्िनक काबर्न िमट्टी में माइक्रोिबयल गितिविध में िविध करता है इसिलए यह िमटटी के स्वास्थ और
उसकी संरचना सुधारने में अहम भूिमका िनभाता हैं ।
3) िमट्टी पीएच - िमट्टी पीएच (pH) िमट्टी में अम्लता या क्षारीयता को इं िगत करती है। यह िवशेष रूप से िमट्टी में पोषक तत्वों की
िवलेयता और उपलब्धता को प्रभािवत करता है। पौधों की वृिद्ध के िलए पोषक तत्वों की उपलब्धता िमट्टी पीएच (pH) पर िनभर्र
होती है। स्वस्थ िमट्टी में खट्टे / अम्लीयता और मीठे / क्षारीयता के बीच एक संतुलन होता है। अम्लीय िमट्टी ज्यादातर उन स्थानों पर
होती हैं जहाँ अिधक मात्रा में वषार् होती है, जबिक क्षारीय िमट्टी उन क्षेत्रों में आम होती है जो कम वषार् प्राप्त करते हैं।

हमारे नमूनों का नतीजा कुछ इस प्रकार िनकला:

पिरक्षण नमूना 1 नमूना 2

नाइट्रोजन 140 Kg/ Ha से कम, जो की “ बेहद कम ” 140 Kg/ Ha से कम, जो की “ बेहद कम ”

आगेर्िनक काबर्न 0.4 % – 0.6 % जो की मध्यम है 0.4 % – 0.6 % जो की मध्यम हैं

pH 4.0 – 4.5 जो िक “मध्यम उच्च अम्लीय ” 5.0 – 5.5 जो िक “मध्यम अम्लीय ”

अन्य महत्वपूणर् िनष्कषर् और िनरीक्षण :


1. िमट्टी की शारीिरक बनावट जानने के िलए िकए गए िरबन टेस्ट में पाया की यह दोमिट बालू िमट्टी है ।
2. िमट्टी का पीएच (pH) अम्लीय है। अिधकांश पौधों के िलए पीएच श्रेणी 5.0 और 7.0 के बीच होनी चािहए। यह पी एच अिधक
वषार् के क्षेत्र में सामान्य है।

िमट्टी सुधारने के चरण :


कम नाइट्रोजन और मध्यम आगेर्िनक काबर्न के स्थर और दोमट बालुई संरचना की वजह से हमे िमटटी के िनम्निलिखत गुणों को
सुधारना है :
1. िमट्टी की जल व ऑिक्सजन प्रितधारण क्षमता में वृिद्ध करें ।
2. खेत की खाद का उपयोग करके िमट्टी में उपलब्ध पोषण बढ़ाएं और मल्च अथवा पलवार को डालें।
3. भूसा या कटी हुई घाँस का प्रयोग कर जड़ो की िछद्रन क्षमता बढ़ाएं जो अन्यथा िमट्टी के दबने के कारण प्रभािवत हो सकती है।
4. माइक्रोिबयल गितिविध या िमट्टी जीव (बैक्टीिरया, कवक, नेमेटोड् स, प्रोटोजोआ, सूक्ष्म आथर्थोपोड् स, मैक्रो आथ्रोर्पोड इत्यािद)
को बढ़ाकर िमट्टी की अम्लता का इलाज करें। यह जीवामृत का उपयोग करके िकया जाएगा।

िमट्टी संवधर्न के िलए आवश्यक सामग्री :


200 वगर् मीटर के क्षेत्र में वन िनमार्ण के िलए, हमें इनकी आवश्यकता होगी:
• कटी घास (1200 िकलो)
• खाद (3000 िकलो)
• 150 लीटर जीवामृत (गाय का गोबर + गोमूत्र + दाल + गुड़ + स्वस्थ ऊपरी िमट्टी)
• पलवार (1000 िकलो)

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1.3 िमट्टी परीक्षण िरपोटर् के नमूने

1. लाहौर, पािकस्तान

2. पुणे, महाराष्ट्र

7
1.4 सामिग्रयों के गुण मापदंड

1. भूसा
• अटू ट
• िछन्नी हुई
• कोई िमलावट नहीं
• कोई बीज नहीं
• सूखी और ताज़ा
धान का भूसा
• धान या गेहूं का भूसा

2. बारीक कटी घाँस


• सूखी या न्यूनतम नमी
• ध्यान रहे की कोई नुक़सानदेह खरपतवार ना हो
• बारीक कटी हुई पर महीम नहीं

3. कोकोपीट
• सूखी या न्यूनतम नमी
• िछन्नी हुई
• सख़्त ना हो

कोकोपीट

3. गोबर खाद
• पुरानी (8 महीने - 2 वषर्)
• सूखी
• गंधहीन
• कोई अकाबर्िनक सामग्री या िमलावट नहीं
• बड़ी गाठे न हों
• सूखी पित्तयों और टहिनयाँ खाद के साथ िमिश्रत हो
सकती हैं

4. जीवामृत / पंचगव्य
• कम से कम 5-7 िदन पुरानी
• रंग गहरा हरा हो, काला ना हो
• सड़ने की बदबू ना आए
• इस्तेमाल से पहले पानी ना िमला हो

8
5. पुआल(स्ट्रॉ)
• अटू ट
• कोई बीज ना हो
• आसान संचालन के िलए बंधी हुई हो
• सूखी
• धान या गेहूं के डंथल

6. पित्तयाँ
• सूखी और ताज़ी
• ग़ैर मूल प्रजाितयों की पित्तयाँ नहीं होनी चािहए
• प्रजाितयों में िविवधता होना अच्छा है

पौध िववरण
• ऊँचाई: 3 से 4 फीट
• बैग आकार: 6x8, 4x4, 6x4, 6x6, 8x8, 8x7 (इं च)
• आयु: 1-2 साल
• मुख्य स्टेम / शूट: मजबूत, ठोस व सीधा खड़ा हुआ
• पौधे सूखे या मुरझाए हुए नहीं िदखने चािहए।
• कई पौधे प्रारंिभक सदमे की वजह से लगाए जाने पर अपने पत्तों को िगरा देते हैं। इस िलए खरीद
के समय पौधे ताजे और पत्तेदार होने चािहए।
• सुिनिश्चत करें िक उतारने के दौरान प्रत्येक प्रजाित को एक दूसरे से अलग रखा जाए और प्रत्येक
प्रजाित के 2 या 3 पौधे के नाम / पहचान टैग हों।

पौधों को सहारा देने के िलए:


सहायक छिड़याँ :
• 1-1.5 इं च व्यास
• 5 फुट ऊंचे
• मजबूत और थोंस

जूट के धागे:
प्रत्येक पौधों के समथर्न के िलए छिड़यों के साथ 10 इं च लम्बे जूट के धागे को बांधे। अनुमािनत कुल लंबाई लगभग 75 मीटर / 100
वगर् मीटर जंगल के िलए।

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1.5 जीवामृत तैयार करने की िविध

20 लीटर गौमूत्र, 20 िकलो गोबर, 2 िकलो दाल का आटा, 2 िकलो गुड़, 1 िकलो बड़ या पीपल के जड़ों की िमट्टी । इस पूरी
सामग्री को िकसी ड्रम या टैंक में डाल दें। डण्डे द्वारा अच्छे तरीके से िमला दें। िमलाते समय ध्यान रखें िक डंडा घड़ी की सुई की िदशा
में ही घुमाना है, उल्टा नहीं।  इस िमश्रण को ढ़ककर रखें। तेज़ धूप और बािरश के पानी से बचायें। िदन में दो बार 2 िमनट के िलए
अच्छे से िमलायें। पूरी तरह सड़ने पर जीवामृत 3 से 7 िदन में बनकर तैयार हो जायेगा। इस िमश्रण को 200 से 400 लीटर पानी में
िमलाकर इस्तेमाल करें।

ड्रम को एयर टाइट नहीं करना है। नहीं तो सड़न िक्रया के दौरान ड्रम फट सकता है।
गोबर व गौमूत्र के िलए देसी व पहाड़ी गाय का ही प्रयोग करें, जसीर् व अन्य िवदेशी गायों का नहीं।

10
2. कायार्न्वयन
2.1 मानक संचालन प्रिक्रया

1. सामग्री िमश्रण
क्या
भूसा, खाद व िमट्टी को सुधारने की अन्य सामिग्रयों को आपस में िनधार्िरत मात्रा में िमला कर बायोमास िमश्रण तैयार कर लें
क्यों
सभी सामिग्रयों को समान रूप से िमट्टी में िमलाया जाना चािहए। इसके िलए, पहले ही इन को एक दूसरे के साथ अलग से िमलाये ।
कैसे
यह सुिनिश्चत करें की सामग्री का िमश्रण िबल्कुल िनिश्चत अनुपात में ही िकया जाये। उद्धारण के तौर पे अगर शुरू में सामिग्रयों की
मात्रा िनम्निलिखत तय की हो, तो हर 100 वगर् मीटर में वही मात्रा होनी चािहए।
पौधे घनत्व (पौधे हर वगर् मीटर में ) जल प्रितधारण सामग्री (िकलो) पिरसंचरण वधर्क पोषण सामग्री (िकलो)
सामग्री (िकलो)

3 700 700 600


1. िमश्रण करते समय समानता पाना हमारा उद्देश्य होना चािहए। अगर आप एक कटोरी में िमिश्रत सामग्री डाले तो िफर आपको तीनों
सामग्री िदखे।
2. यह सुिनिश्चत कर लें की सामग्री में गाठ न हो।

पिरसंचरण वधर्क पोषण जल प्रितधारण

11
सामिग्रयों को िमलाना

2. भूिम पर काम और टीला बनाना


क्या
हमें टीले तैयार करने की जरूरत है िजन पर वृक्षारोपण िकया जायेगा ।
क्यों
िमयावाकी पद्धित पारंपिरक वृक्षारोपण से बहुत अलग है। परंपरागत वृक्षारोपण के िवपरीत, जहां प्रत्येक पौधे को लगाए जाने के िलए
व्यिक्तगत गड्ढों को खोदा जाता है, िमयावाकी पद्धित में सभी पौधों को एक बड़े पैमाने पर टीले पर एक साथ लगाया जाता है।
कैसे
भूिम तैयार करने के िलए दो तरीक़े हैं।
पहला तरीका (मशीन द्वारा):
1. मशीन से 1 मीटर गहरा गड्ढा खोदें। काम एक समय में 100 वगर् मीटर के वन पर करें।
2. मशीन द्वारा आधी िमट्टी को वापस गड्ढे में डाल दें। सुिनिश्चत करें की िमट्टी समान रूप से फैलाई जाये।
इन दो चरणों से िमटटी नरम और ढीली हो जाती हैं।
3. बायोमास िमश्रण में से आधा िहस्सा मशीन द्वारा गड्ढे में दाल दीिजये ।
4. कमर्चािरयों द्वारा बायोमास को िमट्टी के ऊपर समान रूप से िबछा दें।
5. मशीन से बायोमास को अच्छे से िमलाये ।
6. बची हुई िमटटी को गड्ढे में दाल दे और सुिनिश्निचत कर लें की िमटटी समान रूप से फेलाई गयी है ।
7. बचा हुआ बायोमास िमटटी के ऊपर दाल दे ।
8. कमर्चािरयों द्वारा अच्छे से बायोमास फेला दे ।
9. अब मशीन द्वारा बायोमास िमश्रण को उसके नीचे की िमटटी के साथ अच्छे से िमला दे ।
9. अच्छे से िमलाने के बाद उस िमटटी का टीला बना ले । टीला बनना अब आसान हो जायेगा क्योंिक िमटटी अब ढीली हो चुकी
होगी िजसके कारण वह ज्यादा जगह लेगी ।

12
मशीन द्वारा 1 मीटर चौड़ा ट्रेंच बनाया जा रहा है।

आधी िमट्टी वापस डालने के बाद आधा बायोमास िमश्रण डाल िदया गया है।

13
िमट्टी व बायोमास िमश्रण को मशीन द्वारा बिढ़या िमला िदया गया है।

बची हुई िमट्टी को डालकर उस पर बचा हुआ बायोमास िमश्रण डाल िदया गया है।

14
अब आिख़री बार िमला कर, बराबर कर इसे टीले का स्वरूप दें।

15
दस
ू रा तरीका (िबना मशीन का इस्तेमाल िकये उन क्षेत्रों के िलए जहाँ िमट्टी उपजाऊ है):
1. ज़मीन से सभी पौध, घाँस और खरपतवार को िनकाल दें।
2. उसके ऊपर िनधार्िरत मात्रा में भूसा समानता से फैला लें।
3. उसके ऊपर िनधार्िरत मात्रा में खाद डाल लें। इसको भी समानता से फैला लें।
4. अब पूरी ज़मीन को 1 फूट तक खोद लें। इस प्रिक्रया में ऊपर डाली हुई सामिग्रयाँ ज़मीन के अंदर बराबर से िमल जानी चािहए।
5. ध्यान रहे िक यह कायर् सूखी िमट्टी में हो रहा हो वरना िमट्टी बैठ जाती है।

16
3. पौध लगाना
क्या
टीला बनते ही पौधे लगाना शुरू कर दें ।
कैसे
िनम्निलिखत चरणों का पालन करें ।

पहला चरण
पौधों को टीले पर ऐसे रखे की बहुपरती जंगल बन सके । इसके िलए अलग अलग परत के पौधों के समूह बना लें जो हम हर वगर् मीटर
की जगह में लगायेंगे । जैसे :
1. उप पेड़ , झाड़ी , पेड़
2. पेड़ , झाड़ी , कैनोपी
3. उप पेड़ , झाड़ी , कैनोपी
4. उप पेड़ , पेड़ , कैनोपी
5. पेड़ , उप पेड़ , पेड़
6. उप पेड़ , कैनोपी , उप पेड़
ध्यान दें :
1. कोिशश करे की दो एक प्रकार के पौधों को साथ में ना लगायें ।
2. ऊपर बनाए गए समूह आपके चुने हुए प्रजाितयों और प्रत्येक परत में पौधों की िनधार्िरत संख्या के अनुसार बनेंगे ।
3. पौधे लगाते समय कोई पैटनर् ना चुने, बस अपने मन से आगे पीछे लगायें ।
4. यह एक प्राकृितक जंगल हैं, जहाँ कुछ प्रजाितयाँ दूसरी प्रजाितयों पर हावी होंगी । यह स्वस्थ प्रितस्पधार् है । यह िबलकुल ठीक है
अगर हर समूह में तीन अलग परतों के पौधे ना हों । कुछ समय के बाद कुछ प्रजाितयाँ ख़त्म हो जाएँ गी और आपको एक ही परत की
दो प्रजाितयाँ या िफर एक ही प्रजाित के पौधे साथ साथ लगाने पड़ेंगे । पौधों का स्थान हम एक सीमा तक ही िनधार्िरत कर सकते हैं,
लेिकन यह प्रिक्रया िफर भी ज़रूरी हैं ।

दूसरा चरण
1. फावड़े का उपयोग करके टीले में एक छोटा सा गड्ढा खोदे। गड्ढा पौधे के थैले से थोडा सा ही बड़ा होना चािहए । पौधे को गड्ढे में रख
के एक बार जांच ले िक जड़ का थैला उसमे आराम से बैठ रहा हो।
2. पौधे के जड़ के थैले को जीवामृत िमिश्रत पानी की बाल्टी में डु बो दें । हवा के बुलबुलों को िनकलने का इं तज़ार करे जब तक सारी
हवा ना िनकल जाये ।
3. अब जड़ के थैले की पन्नी को आराम से काट के पौधे को िमटटी समेत िनकाल लें। यह ध्यान दें की पौधे की िमटटी को नुकसान न
हो।
4. एक हाथ पौधे के नीचे और दुसरे से पौधे के तने को पकड़ें । िबना उसके नीचे से हाथ हटाये पौधे को गड्ढे में रखें । अब गड्ढे को
िमटटी से पौधे के तने तक भरें । पौधे के तने को एक हाथ से पकड के दूसरा हाथ आराम से उसके नीचे से िनकाल लें । सपाट करने के
बाद िमटटी को न दबाये। पौधे के आस पास िमटटी को ढीला छोड़ना ज़रुरी है ।
ध्यान दें :
िकसी भी समय, 8-10 लोगों से ज्यादा लोग टीले पर नहीं होने चािहए । िमटटी को ढीला रखना ज़रूरी हैं पौधे लगाने के िलए, िजतने
कम लोग होंगे टीले पर िमटटी में उतना ही अच्छा वायु पिरसंचरण रहेगा।

4. पौधों को छिड़यों से सहारा देना


क्या
कई लगाये गये पौधों को शुरुवाती महीनों में सहारा चािहए।

17
क्यों
लगाने के बाद पौधे झक
ु े या ज़मीन पर िगरे हुए नहीं होने चािहए। उनकी जड़े मज़बूत होने तक छिड़यों और रस्सी की मदद से उन्हें खड़े
रखना ज़रूरी है ।
कैसे
1. छिड़याँ लगाते समय पौधे की जड़ों को नुकसान ना होने दे । पौधे और
उसकी जड़ के बीच में थोड़ी सी जगह दे ।
2. छड़ी िक लम्बाई पौधे की लम्बाई िजतनी होनी चािहए । उद्धारण के
िलए:
i. अगर पौधा एक फूट ऊँचा है तो उसके एक मीटर लम्बी छड़ी लगाये ।
ii. जो लम्बे पौधे हैं ( एक मीटर से ज्यादा बड़े ), उनके िलए 2 – 2.5
मीटर लम्बी बांस िक छड़ी लगाये । यह थोड़ी मोटी भी होनी चािहए ।
iii. केवल बांस की छड़ी और जूट की रस्सी का उपयोग करे । जो भी
सामग्री हम जंगल में इस्तेमाल करेंगे वह प्राकृितक और बायोिडग्रेडब
े ल
होनी चािहए ।
iv. आपको कुछ दो िकलो रस्सी की आवश्यकता पड़ेगी हर 100 वगर् मीटर की ज़मीन ले िलए ।

5. पलवार िबछाना (मलिचंग )


क्या
पलवार वह उपयुक्त सामग्री है िजससे हम िमटटी को ढक देते हैं । यह प्रिक्रया पौधे लगाने के फ़ौरन बाद करनी चािहए ।

क्यों
पलवार से िमटटी की रक्षा और इं सुलेशन होता है । इसकी वजह से सूरज की
िकरणे िमटटी पर सीधी नहीं पड़ती हैं । यह पौधे के शुरुवाती 6 - 8 महीनो में
बेहद आवश्यक है। सूरज की सीधी िकरणे िमट्टी को सूखा बना देती हैं िजसकी
वजह से पौधे पनप नहीं पाते । पलवार की मदद से पानी देने की ज़रूरत भी
कम हो जाती है।

कैसे
1. पलवार को बराबर िमटटी के ऊपर डाले ।
2. पलवार सामग्री केवल िमटटी के ऊपर डालें, पौधे के ऊपर नहीं ।
3. पलवार सामग्री की परत 5-7 इं च तक मोटी होनी चािहए ।
4. एक बार पलवार सामग्री को डालने के बाद उसे रस्सी द्वारा ज़मीन से बाँध
सकते हैं । इन चरणों की मदद से आप यह कायर् कर पाएं गे :
i. बांस की खूँटी जंगल के समीप ठोकें ।
ii. अब रस्सी की मदद से खूँिटयों को आपस में इस तरह बांधे की पलवार
दबी रहे और उड़े नहीं।
iii. 30 खूिटयों को 100 वगर् मीटर के टीले के दाएरे में ज़मीन में ठोकें । यह
1.5 से 2 फीट लम्बी और एक तरफ से नुकीली होनी चािहए तािक
ज़मीन में गाडी जा सके ।
iv. हर टीले के िलए आपको 3 - 4 िकलो रस्सी की ज़रूरत पड़ेगी ।

18
6. पहली बार पानी देना
क्या
जंगल बनाने के बाद, बेहद ज़रूरी हैं की उसे पानी अच्छे से िदया जाए ।
क्यों
जंगल के बनते ही पौधों को पयार्प्त पानी िमलना ज़रूरी है।
कैसे
पौधे को पानी हौज़ पाइप और शावर की मदद से दें । पहली बार जंगल को एक घंटे पानी दे । 5 लीटर हर वगर् मीटर के िहसाब से 500
लीटर पानी चािहए हर 100 वगर् मीटर जंगल के िलए ।

पहली बार पानी देना।

19
3. प्रजाितयाँ :
3.1 प्रजाितयों का चयन
पहला चरण : अपने इलाके िक सभी मूल प्रजाितयों का डेटाबेस बनाएँ
डेटाबेस में यह िवषय हों:
वैज्ञािनक नाम: यह िवश्वभर में समान हैं इसिलए शोध में मदद िमलती है। अगर एक से अिधक नाम हों तो सबसे सामान्य
नाम का उपयोग करें।
स्थानीय भाषा में नाम: इससे पौधे ख़रीदते वक़्त मदद िमलती है।
अंग्रेज़ी भाषा में नाम: इससे पौधे ख़रीदते वक़्त मदद िमलती है।
प्रकार: पता किरए की यह पतझड़ी या सदाबहारी है।
गुण: पौधे में कई गुण होते हैं - फल, िचिड़यों को आकिषर् त करना, फूल, इमारती लकड़ी, ज्वलन लकड़ी, दवाई
ऊँचाई: जो आपके क्षेत्र में उस पौधे की सबसे लम्बी ऊँचाई देखी गयी है।
परत परत िनधार्िरत करें:
एक बहुपरत जंगल में कई परतें हो सकती हैं लेिकन यहां हम प्रत्येक पौधे को सूचीबद्ध करने के िलए इन चार परतों में से
रक में रखेंगे।
झाड़ी परत(Shrub): ये छोटे पौधे हैं जो अिधक से अिधक मानव ऊंचाई तक बढ़ते हैं या थोड़े लम्बे होते हैं।
उप-पेड़ परत(Sub Tree): छोटे पेड़ जो मनुष्यों की तुलना में लम्बे और वन के सामान्य पेड़ों से अभी भी छोटी हैं।
पेड़ परत(Tree): आपके भूगोल में पेड़ों की औसत ऊंचाई के आधार पर सामान्य पेड़।
कैनोपी(Canopy) परत: वृक्ष जो िक िवशाल आकार के हो जाते हैं। ये स्थानीय वन में सबसे ऊंचे पेड़ हैं।
पौधों की ऊँचाई के आधार पर उनकी परत िनधार्िरत करें।
उदाहरण के िलए भारत में सबसे ऊँचे वृक्ष 50 मीटर तक बढ़ते है, इसिलए:
झाड़ी परत = 2-6 मीटर, उप-पेड़ = 6-15 मीटर, पेड़ = 15-35 मीटर और 35 मीटर से भी ज्यादा ऊंची चीज कैनोपी है।
दू सरा चरण : नरसरी में पौधों को इन मापदंडों पर परखे:
थैले का आकार 1.4 सामग्रीयों के गुण मापदंड को पढ़ें
पौधों की उम्र 1.4 सामग्रीयों के गुण मापदंड को पढ़ें
पौधों की ऊँचाई 1.4 सामग्रीयों के गुण मापदंड को पढ़ें
तीसरा चरण : उपलब्ध प्रजाितयों का प्रितशत तय करना
बहुसंख्यक प्रजाितयाँ 5 प्रजाितयाँ बहुसंख्यक प्रजाित होंगी। यह आपके इलाके में पाए जाने वाली सबसे आम प्रजाितयाँ हैं।
हर प्रजाित 8 से 10 प्रितशत होगी। कुल िमलाकर 40 से 50 प्रितशत पेड़ इन प्रजाितयों के लगेंगे।
सहायक प्रजाितयाँ अन्य आम प्रजाितयों में हर एक को 2 से 4 प्रितशत तक रखें, तो वन में कुल 25 से 40% पेड़ सहायक होंगें।
अल्पसंख्यक प्रजाितयाँकम मात्रा में पायी जाने वाली अन्य प्रजाितयों में हर एक को 0.2 से 2% तक रखें।
*जैव िविवधता को बढ़ाने के िलए प्रयास करें की िजतनी ज़्यादा मूल प्रजाितयाँ लगा सके उतनी लगाएँ ।
हालाँिक 0.5% से कम िनधार्िरत की गयी प्रजाितयाँ छोटे इलाके में लगाए जाने वाले वनों में शािमल नहीं हो पाएँ गी।
प्रितशतों को बदलना: इन प्रितशतों को आवश्यक अनुसार इन तीन मापदंडों का इस्तेमाल कर बदल सकते हैं।
प्रकार: जैसे अगर सदाबहार वन लगाना हो तो सदाबहार प्रजाितयों की मात्रा 70% से अिधक रखें।
परत: अपने स्थानीय मूल वन में पाए जाने वाले परत के घनत्व के आधार में यह सीमा िनधार्िरत करें। जैसे:
झाड़ी परत(Shrub) 8 से 12 %
उप-पेड़ परत(Sub Tree) 25 से 30%
पेड़ परत(Tree) 40 से 50%
कैनोपी परत(Canopy) 15 से 20 %
गुण: िजस गुण पे आप िवशेष ध्यान देना चाहते हैं, उनके पेड़ ज़्यादा लगाएँ । जैसे: फलों का वन लगाने के िलए 50% से ज़्यादा
फलों के पौधें लगाएँ ।
औषिध वन बनाने के िलए वह पौधे ज़्यादा लगाएँ । इस प्रकार जल संरक्षण, माटी संरक्षण आिद गुण के आधार पे भी वन
बन सकता है।

20
3.2 प्रजाित िववरण
भाग 3.1 में िदए गए पहले चरण का डेटाबेस कुछ इस तरह बनाएँ । उद्धारण के तौर पे उत्तराखंड में हमारे द्वारा लगाए एक मूल वन का
डेटाबेस िदया गया है।

1) बाँज
पिरवार - फैगेसी (ओक और बीच पिरवार)
यह क्षेत्र का सबसे सामान्य चौड़ी पत्ती का पेड़ है। मृदा की उवर्रता बनाए रखने, जलागम की रक्षा करना, स्थानीय पािरतंत्र को िस्थर
करने और जैिवक िविवधता की सुरक्षा करने में इसका मुख्य योगदान है। इसका उत्थान दर बहुत अच्छा माना जाता है ।

2) पदम
पिरवार - रोज़ासी, गुलाब पिरवार । इसकी सबसे अच्छी प्रजाितयां प्रुनस जेनरा (प्लम, चेरी, आड़ू , खुबानी, बादाम) हैं

यह िहमालयी चेरी के रूप में अपने खाद्य फल के िलए जाना जाता है। इसे वन बहाली पिरयोजनाओं में अग्रणी प्रजाित के रूप में
इस्तेमाल िकया जा रहा है।

3) खरसू

पिरवार - फैगेसी
इस क्षेत्र का एक प्रमुख पेड़, इसकी लकड़ी अच्छी जलती है और इसका कोयला काफी अच्छा होता है। पित्तयों की नाइट्रोजन मात्रा
उच्च (1.47%) है और इनका प्राकृितक पलवार वन की सताह को बेहतर बनाती है । भालू, िगलहरी, पक्षी और बंदर इसके बीज को
पसंद करते हैं और उनका फैलाव भी करते हैं ।

4) बुरांश
पिरवार - एिरकसेई

ये अम्लीय िमट्टी और बंजर ज़मीन में बढ़ने के िलए जाना जाता है। वे जंगल तल के नीचे अपनी जड़ों का उपयोग करके स्वस्थ
मायकोहर्जल नेटवकर् स्थािपत करते हैं। बुरांश के लाल फूल और उनका रस काफ़ी प्रिसध है और इसका रस औषधीय है। यह उत्तराखंड
का राजकीय वृक्ष है।

5) काफल
पिरवार - िमय्रीकेसीए / स्वीट गेले / बैबेरी

इस पिरवार के प्रजाितयों की सबसे महत्वपूणर् भूिमका वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ज़मीनी अमोिनया में तब्दील कर अन्य पौधों को
उपलब्ध कराने की है। काफल का फल स्थानीय संस्कृित का अिभन्न अंग है और इसमें औषधीय गुण हैं।

6) उत्तीस
पिरवार - बैतुलैसए / िबचर्

यह एक सीधे तने का पेड़ है जो िकसी भी सतह पर उगता है, चट्टानों पर भी। यह भूस्खलन क्षेत्रों में िमट्टी की बांधने में मदद करता है।
यह जलाऊ लकड़ी और कोयला का एक महत्वपूणर् स्रोत है। यह एक तेजी से बढ़ने वाली अग्रणी प्रजाित है।

7) जंगली बैंस 

जंगली बैंस में आमतौर पर संकरी पित्तयां होती हैं। वे पवन व कीड़ों से परागिणत होती हैं। वे पानी के पास अच्छी तरह से बढ़ते हैं । वे
तेजी से बढ़ने और िमट्टी को बाँधने के िलए जाने जाते हैं। इसकी शाखाएं टोकरी बनाने में इस्तेमाल होती हैं और यह बाँज के साथ
अच्छे उगते हैं।

21
8) पांगर
पिरवार - सैपंडस
े ी / सोपबेरी
पांगर के बीज आटे में पीसके हलवा के रूप में खाए जाते हैं। इसका फल औषधीय है और पित्तयों को मवेिशयों के चारे के रूप में
उपयोग िकया जाता है। पंगर में सुंदर फूल भी होते हैं ।

9) मजीना
यह अक्सर निदयों के पास पाया जाता है। यह दूसरी प्रजाितयों पर हावी होता है इसिलए इसे अल्पसंख्य प्रजाित के रूप में ही लगाएँ ।

10) मेहल
पिरवार - रोज़ासी, गुलाब पिरवार

इसका पका हुआ फल जल्दी सड़ता है। परंतु घर के पास मेहल हो तो आप इसका आनंद उठा सकते हैं।

11) देवदार
पिरवार - िपनसेए ( चीड़ पिरवार )
देवदार एक महत्वपूणर् लकड़ी का पेड़ है। गहरी िमट्टी में यह तेज़ी से बढ़ता है। देवदार दूसरी प्रजाितयों पर हावी होता है। यह अपरदन-
िनयंत्रण और िमट्टी-संरक्षण में मदद करता है।

12) अखरोठ
यह एक बड़ा पेड़ माना जाता है, लेिकन घने वनों में लंबा और संकरा बढ़ता है।

13) बेडु
पिरवार - मोरेसी / शहतूत
बेडु, बरगद, मोरस, पीपल एक ही पिरवार के हैं। बेडु का फल स्वास्थ्य के िलए लाभदारी है ।

14) बमौर
पिरवार - कॉनेर्सी
यह एक छोटा पेड़ है जो सिदर् यों की मुिश्कले भी झेल जाता है और नम िस्थितयों में अच्छी तरह से पनपता है। यह अपने फल के िलए
जाना जाता है ।

15) मोरू
पिरवार - फैगेसी

यह एक बड़ा सदाबहार वृक्ष है और िहमालय में पाए गए 6 क्वाकर्स प्रजाितयों में से एक है। यह गहरी उपजाऊ िमट्टी में अच्छा उगता है
लेिकन कम गहरी िमटटी में बौना रह जाता है। यह िमिश्रत जंगलों में शंकुधारी और चौड़े पत्ते वाले पेड़ों के साथ िबखरे हुए होते हैं। यह
एक बिढ़या चारा वृक्ष है क्योंिक इसकी पित्तयां प्रोटीन में समृद्ध होती हैं। यह एक अच्छा जलाऊ लकड़ी भी है।

16) चुआरू
ख़ुमानी एक प्रिसध कुमॉनी फल है । चुआरु इसकी जंगली िकस्म है िजसमें ख़ुमानी से कम स्वाद है। यह यूरोप, एिशया, बलुिचस्तान,
िहमालय और ितब्बत के कुछ िहस्सों में फैल गया है ।

22
17) तून
पिरवार - मेिलयासी, या महोगनी पिरवार
तून और नीम एक ही पिरवार के हैं। इस पिरवार में सबसे ज्यादा ठण्ड झेलने की क्षमता तून रखता है। पारंपिरक चीनी दवा में फल,
छाल और जड़ों का इस्तेमाल िकया गया है। यह इमारती लकड़ी के िलए जाना जाता है और इस पर नक़्क़ाशी का बारीक काम बहुत
बिढ़या होता है।

18) कीमू
पिरवार - मोरेसे (बेडू के समान)

यह पहाड़ी िकस्म है जो इस क्षेत्र में लगाया जा सकता है। मोरस िनग्रा या ब्लैक शहतूत गरम जगहों में होने वाली प्रजाित है। यह छाया
में बिढ़या उगता है ।

19) अन्यार
पिरवार - एिरकसैय हेथ पिरवार
यह बंजर और अम्लीय िमट्टी में बिढ़या उगता है। अन्यार में कई फूल आते हैं जो 6-12 िम॰मी॰ लम्बे होते हैं ।

20) दुिधला
पिरवार - मोरेसी / शहतूत
नेपाली में दुिधलो का मतलब है 'वह जो दूध देता है'। पित्तयां और शाखाओं में बहुत दूिधया रस होता है। दुिधला, चीड़ और बाँज
वाले क्षेत्र के सबसे िनचले िहस्सों में होता है। यह अच्छा चारा होने के िलए जाना जाता है।

21) लोध
पिरवार - िसमप्लोकसेके / मीठा पत्ता
यह एक अच्छी चारा प्रजाित मानी जाती है और खाद व ज्वलन लकड़ी के िलए जानी जाती है।

22) फल्यांत/ बानी


पिरवार - फैगेसी (ओक और बीच पिरवार)

फल्यांट धीमी गित से बढ़ता है और नम िमट्टी को पसंद करता है। यह तेज हवाओं को बदार्श्त कर सकता है। इस में एक गहरी टैप रूट
(जड़) प्रणाली है। इसके अकोन्सर् खाद्य होते हैं और इनका भुना हुआ बीज कॉफी िवकल्प के रूप में इस्तेमाल िकया जा सकता है। इस
की लकड़ी को जलाने के िलए प्रयोग िकया जाता है। इसमें गांठे (टहिनयाँ, शाखाओं, पित्तयों पर असामान्य वृिद्ध) बन जाती हैं िजनमे
कीड़े और लावार् पैदा होते है। कीड़ों के िनकालने के बाद इन गाँठों से टैिनन व डाई प्राप्त होता है।

23) िहमालयन थुनेर


पिरवार - ताक्सासाए / यू
थूनेर शंकुधारी है । उनके पत्ते सुई जैसे होते हैं और साथ कई शाखाएं होती हैं । इस प्रजाित की लकड़ी मजबूत होती हैं । इसे धूप के
तौर पे जलाया जाता है। इसकी पित्तयां और छाल का उपयोग कैंसर िवरोधी दवाओं के उत्पादन के िलए िकया जाता है।

24) ितमील
पिरवार - मोरेसी

यह पहािड़यों का लोकिप्रय जंगली फल का पेड़ है। इसकी पित्तयां चारा के रूप में उपयोग की जाती हैं और मवेिशयों द्वारा पसंद की
जाती हैं।

23
झािड़यां

1. िहसालू पिरवार
पिरवार: रोज़ासी
सबसे अिधक पसंदीदा जंगली फलों में से एक ।

2. चम्लाई , भातुला
यह लेगुमोनेअस पिरवार के अंतगर्त आता है। यह महत्वपूणर् नाइट्रोजन की भरपाई करने वाली प्रजाित है।

3. िहमालयन मुश्क रोज़


पिरवार: रोज़ासी
यह एक फेलने वाली झाड़ी या बेल हैं, इसिलए, िमयावाकी पद्धित में इसे नहीं लगाया जाना चािहए।

4. िकल्मोरा
यह सदाबहार झाड़ी है। िकलमोरा का पारंपिरक दवाओं में उपयोग िकया जाता है। इसे तत्काल संरक्षण की जरूरत है क्योंिक इसकी
संख्या तेजी से घट रही है ।

5. िघंगारू
पिरवार: रोज़ासी
िघंगारू को अल्मोड़ा के आसपास की देशी वनस्पितयों के बीच िगना जाता है। यह एक बड़ा कांटेदार सदाबहार झड़ी है। इसका नारंगी-
लाल फल है जो औषधीय गुणों के िलए जाना जाता है।

6. तुिशआर

इस क्षेत्र का कोई शुद्ध देशी नहीं है यह इं डो मलय क्षेत्र और पिश्चमी घाटों में पाया जाता है।

7. गुइंयाँ
यह क्षेत्र का एक महत्वपूणर् औषधीय वृक्ष है। यह 2100-3600 मीटर की ऊंचाई पर कश्मीर से भूटान में पाया जाता है ।

8. गेिवन/ ओलेअस्टर
पािरवािरक - एलायैग्नेसी

यह िमट्टी में नाइट्रोजन की भरपूरता करते हैं अपनी जड़ की गांठो के माध्यम से और इसिलए िमट्टी के िलए उत्कृष्ट है। सावधानी – यह
बहुत तेजी से बढ़ता है और बंजर ज़मीन में प्रितस्पधीर् हो सकता है। इसे अल्पसंख्य प्रजाित के रूप में रखा जाना चािहए।

SOURCES:

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http://science.jrank.org/pages/6654/Sweet-Gale-Family-Myricaceae.html
http://www.iucnredlist.org/details/194649/0
http://fieldguides.fieldmuseum.org/sites/default/files/rapid-color-guides-pdfs/528%20Saliacaceae-Himalaya-
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24
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5hhFhvrbgNpfn6ap6KA&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwjg0_L2oZfVAhUDKZQKHRhtDOcQ6AEIVjAM#v=onep
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sig=4ji7v_1bVFsTjJbCm-
dAS_UBvzw&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwiJx_fjjZjVAhUCKpQKHTslC_YQ6AEIRjAI#v=onepage&q=Pyracan
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https://link.springer.com/referenceworkentry/10.1007%2F978-0-387-70638-2_1733


25
3.3 प्रजाितयों की सूची
भाग 3.1 में िदए तीसरे चरण अनुसार प्रजाितयों के प्रितशत तय कर एक सूची बनाएँ । उदाहरण के तौर पर िनम्निलिखत सूची का
अध्ययन करें।
वन क्षेत्र (वगर् मीटर) 100
पौध घनत्व(प्रित वगर् मीटर) 3
आवश्यकता 300
क्र॰ स्थानीय वैज्ञािनक नाम िवशेषता ऊँचाई परत % वास्तिवक आकिस्मकता
नाम (मीटर में) मात्रा के साथ मात्रा

Quercus
पािरतंत्र का अहम
1 बाँज leucotrichophor 25 कैनौपी 10 30 33
िहस्सा
a

प्रभावी शंकुधारी ,
2 देवदार Cedrus deodara पािरतंत्र को 30 कैनौपी 4 12 14
संतुिलत करना

फल व बीज,
3 पांगर Aesculus indica 30 कैनौपी 8 24 27
औषधीय, चारा

जलाऊ लकड़ी,
Alnus
4 उत्तीस अग्रणी प्रजाित, 30 कैनौपी 8 24 27
nepalensis
िमट्टी को बाँधना

फल, संरक्षण की
5 अखरोट Juglans regia 20 पेड़ 4 12 14
आवश्यकता
फल, छाया में
6 कीमु Morus Alba 25 पेड़ 4 12 14
उगता है
Quercus जलाऊ लकड़ी,
7 खरसू 25 पेड़ 8 24 27
semecarpifolia पत्ती में अिधक
Prunus अग्रणी
8 पदम 30 पेड़ 8 24 27
cerasoides प्रजाित,फल
खाद्य पदाथर्,
9 फल्यांट Quercus glauca 20 पेड़ 4 12 14
जलाऊ
ठं ड झेलने की
10 तून Toona serrata 25 पेड़ 4 12 14
क्षमता, औषधीय
Cornus
ठं ड झेलने की
11 बमौर capitata / 9 उप पेड़ 3 9 10
क्षमता, फल
Benthamidia

26
उप
12 बेडु Ficus palmate फल 10 3 9 10
पेड़

मायकोहर्जल
Rhododendron उप
13 बुरांश नेटवकर्, फूल का 15 4 12 14
arboreum पेड़
रस

14 चुआरू Prunus फल 8 उप पेड़ 4 12 14

उप
15 दूिधला Ficus nemoralis चारा 10 3 9 10
पेड़

Salix तेज़ी से बढ़ता है,


16 गडबैंस 7 उप पेड़ 2 6 7
wallichiana िमट्टी बाँधता है

Myrica नाइट्रोजन उत्पादन, उप


17 काफल 12 2 6 7
esculenta फल पेड़

18 मजीना Salix तेज़ी से बढ़ता है 9 उप पेड़ 1 3 4


19 मेहल Pyrus pashia जंगली फल 9 उप पेड़ 2 6 7

महत्वपूणर् िनचली
उप
20 थूनेर Taxus wallichi सतह का 10 3 9 10
पेड़
शंकुधारी,अगरबत्ती

उप
21 ितिमल Ficus roxburghii फल 10 3 9 10
पेड़

Desmodium
22 भटु ला elegans/ नाइट्रोजन उत्पादन 2 झाड़ी 2 6 7
tiliaefolium

Elaeagnus
23 ग्यवें नाइट्रोजन उत्पादन 3 झाड़ी 1 3 4
parvifolia

Pyracantha
24 िघंगारू औषधीय फल 2 झाड़ी 1 3 4
crenulata

27
Viburnum
25 गुइन्या औषधीय 3 झाड़ी 1 3 4
cotinifolium

26 िहसालू Rubus ellipticus फल 4 झाड़ी 1 3 4

औषधीय, संरक्षण
27 िकल्मोड़ा Berberis asiatica 3 झाड़ी 2 6 7
की आवश्यकता

300 344

प्रकार प्रजाितयों की संख्या कुल %


बहुसंख्यक (8%) 5 42
सहायक (2%-4%) 17 53
अल्पसंख्यक (<2%) 5 5
कुल 27 100

प्रकार प्रजाितयों की संख्या कुल %


पेड़ 6 30
उप पेड़ 11 30
कैनौपी 4 32
झाड़ी 6 8
कुल 27 100

28
4. प्रारूप
4.1 उदाहरण

29
उदाहरण 2 : कम्प्यूटर द्वारा बनाया हुआ मानिचत्र
उदाहरण 1 : हाथों से बनाया हुआ नक़्शा

30
'.0''
-+0
QUIET ZONE
NODE - 1
±0.00
NODE - 2
ACTIVE ZONE
NOTES
TOTAL PLOT AREA - 1905 SQMTS / 20512 SQFT
TOTAL GREEN AREA - 1655 SQMTS / 17824 SQFT
ALL PATHWAYS TO HAVE A UNIFORM WIDTH OF 1 METER
4.2 मानिचत्र

CIRCLE OF 2 METER DIA IS GIVEN AROUND MANGO TREES


2 METER DISTANCE IS LEFT ADJACENT TO THE SIMBAL TREE BOUNDARY WALL


STAGE -1 STAGE -2
01 NTS 02 NTS

8"
3'-

'.0''
14

'.0''
-+0

90°
-+0
3'-2"

90°
9'-1
90°

90'-2"
"
57'-2" 90

90°
°

90°
47'-6"

16
'-4
"
90°
39'-8"

25
90
°

'-9
90°

"

45
36

'-9
'

"
90°
34'-9"
90
°

90°

37

50
'-6
26

'-7
33'-6"

"
'-5

"
"
17
"

'-7
90°
'-3

"
14

11
'-5
36'

"
90
°

3'-2"
8'-
2"

3'-4"
90°

3'-2"
3'-2"
9'-11
"

3'-2"
90°

42'-6"
90
°
14'-7
90°

"
90°

202'-3"
22'

3'-2"
3'-2"
31'-1

3'-2"
1"

69'-1"
29'-4"
60'-9"
±0.00 ±0.00
21'-2"

46'-7"

44'-8"
3'-2" 3'-4" 3'-2"
3'-2"

34'-1"
23'-8"
27'-6"

20'-4"
15'-7"
18'-5"

10'-4"
12'-1"

7'-11"
8'-6"

98'-7"
98'

NOTES:
STAGE -3 STAGE -4
03 NTS 04 NTS TOTAL PLOT AREA - 1905
SQMTS / 20512 SQFT

ALL PATHWAYS TO HAVE


A UNIFORM WIDTH OF 1
'.0'' METER
-+0

CIRCLE OF 2 METER DIA


IS LEFT AROUND
EXISTING MANGO TREES
QUIET ZONE

2 METER DISTANCE IS
67'-10"
LEFT AGAINST THE
"
SIMBAL TREE
13

30'-9
'-3

26'-3"
"

BOUNDARY WALL
13

3'-3"
'-3
"
33

15'-3"
'-6
"
34
'-6
"

46'-2"
28
'-7

3'-2" 27'-5"
"

NODE - 1
27
"

'-6
'-5

"
38

32'-2" 3'-2"

3'-2" 31'-8"

3'-2"
28'

42'-2"
31'

"
'-1
46

60'-1"
SITE MARKING DRAWING
32'-4"

32'-5"

LAHORE PROJECT

NODE - 2
55'-1" 32'
ACTIVE ZONE
0
30/06/2017

NOTES:

"
'-9
23

"
'-3
58
57'-9"
44'-11"

MOUNT-09
MOUNT-10

28
'-7
" "
4"

'-4
7'-

24
9'-
7"

12'-8" 21'-4"

34'-5"
"
'-9
27
20'-1"

MOUNT-12 MOUNT-11(A)
26'-9"

7" MOUNT-08
29'

7'-
32'-5"

MOUNT-13(A)
12'-1"
14'-4"

23'-8"
12'-1"

28'-4"

6'-7"
10

MOUNT-11(B) "
'-

24'-9
7"

"
'-5
58 '-9"
43
19'-4"

MOUNT-07(A)

MOUNT-01 42'-10"
"
'-3
10'-10"
20
10'-1"

MOUNT-07(B)
MOUNT-13(B)
28'-9"
MOUNT-06
25'-9"

25'-9"

11'-5"

MOUNT-02(A)
MOUNT - 16
19'-3"

"
'-3
29

43'-7"
MOUNT - 17
39'-10"

"
3'-4"

22'-8 8'-
2"
24'
20'-8"

MOUNT-04 MOUNT-05
20'-9"
20'-4"

MOUNT-02(B)
94'-9"
MOUNT-03

44'-3"
32'-7"
89'-11"
29'-10"

100 SQ MTS (1076 SQFT APPROX.) SINGLE MOUNT AREA

100 SQ MTS (1076 SQFT APPROX.) COMBINED MOUNT AREA

100 SQ MTS (1076 SQFT APPROX.) COMBINED MOUNT AREA


SITE MARKING DRAWING - 2
100 SQ MTS (1076 SQFT APPROX.) COMBINED MOUNT AREA LAHORE PROJECT

100 SQ MTS (1076 SQFT APPROX.) COMBINED MOUNT AREA 0


27/07/17

100 SQ MTS (1076 SQFT APPROX.) COMBINED MOUNT AREA

83 SQ MTS (893 SQFT APPROX.) SINGLE MOUNT AREA

31
5. साइट तत्परता जांच पत्र

साइट तत्परता जांच पत्र - वन िनमार्ण

क़्र॰ मुख्य जाँच िस्थित (!/ X / अनुपलब्ध / िटप्पणी)


1 सूयर् प्रकाश: साइट को एक िदन में 8-9 घंटे की न्यूनतम अविध के िलए सूयर् प्रकाश िमलना चािहए।

2 भूिमगत जाँच : वनीकरण क्षेत्र के तहत 1 मीटर की न्यूनतम गहराई तक कोई पाइप / नाला / तार नहीं होने चािहए।
यिद पाइप, नािलयां, तार आिद भूिमगत हैं, तो उन्हें मानिचत्र पर स्पष्ट रूप से िचिह्नत िकया जाना चािहए।

3 साइट को साफ़ करें: पुिष्ट करें िक साइट िकसी भी रूप के कूड़े (मलबे, धातु आिद) से साफ है और यह काम करने के िलए खाली जगह है।
िमट्टी: सतह के नीचे जमीन की समान उपिस्थित की पुिष्ट होनी चािहए। िनमार्ण मलबे, रॉक बॉल्डर, ईंटों, अकाबर्िनक कूड़े, धातु इत्यािद की
4 कोई भी उपिस्थित नहीं होनी चािहए।

यिद यह पुिष्ट नहीं की जा सकती है, तो साइट पर 5-6 यादृिच्छक स्थानों पर 1.5-2 मीटर तक खुदाई करके इसे जांचना होगा।

5 जल: वन िनमार्ण के बाद नमी को बनाए रखना है।


पानी के कनेक्शन की उपिस्थित की पुिष्ट करें - मुख्य पाइपलाइन साइट की पिरिध के साथ चलनी चािहए।
रबर के पाइप के साथ कनेक्शन की पुिष्ट करें जो पूरी साइट को कवर कर सके।

6 बायोमास उतराई और िमश्रण क्षेत्र: साइट पर िनकटतम संभािवत स्थान को पहचानें और िचिह्नत करें।
संपित्त के 'प्रवेश' और 'िनकास' द्वार से इस क्षेत्र का स्पष्ट रास्ता सुिनिश्चत करें।
साइट पर "बायोमास उतराई और िमश्रण क्षेत्र" को जोड़ने के रास्ते को पहचानें और िचिह्नत करें।

7 पौधों का उतराई और संग्रहण क्षेत्र: साइट पर िनकटतम संभव स्थान को पहचानें और िचिह्नत करें, िवशेषतः एक छायांिकत क्षेत्र।
संपित्त के 'प्रवेश' और 'िनकास' द्वार से इस क्षेत्र का स्पष्ट रास्ता सुिनिश्चत करें।
इस क्षेत्र में पौधों के पानी के िलए उिचत जल कनेक्शन होना चािहए।
साइट पर "पौधों का उतराई और संग्रहण क्षेत्र" को जोड़ने के रास्ते को पहचानें और िचिह्नत करें।

8 संरक्षण: तारबाड़ और सुरक्षा की पुिष्ट करें, तािक मनुष्यों या मवेिशयों से भिवष्य में साइट को संभािवत नुकसान न हो।

9 साइट कायार्लय: िनष्पादन टीम के किमर् यों के िलए चचार्, बैठकों और िवराम के िलए एक कमरे की पुिष्ट करें।
10 श्रिमक िवश्राम क्षेत्र: श्रिमकों के िलए एक िनिदर् ष्ट क्षेत्र की उपिस्थित की पुिष्ट करें और भोजन और पानी रखें।

11 उपकरण कक्ष: उपकरण रखने के िलए एक कमरे की उपिस्थित की पुिष्ट करें।


रखरखाव स्टाफ: 2-3 साल के िलए पानी देने, खरपतवार िनकालने के िलए और आलाप द्वारा िदए गए अन्य सामान्य रखरखाव िदशािनदेर्शों
12 का पालन करने के िलए स्थायी श्रिमकों की उपिस्थित की पुिष्ट करें।

32
वन रचना में आने वाले व्यय को 100 वगर् के एक टीले के िहसाब से तैयार किरए। बड़े वनों को इसी के गुना में नापें। नीचे उदाहरण के तौर पर एक नमूना िदया गया है।

6. व्यय व्यवस्था

33
7. पौधों की व्यवस्था
7.1 मानक संचालन प्रिक्रया
वन िनमार्ण की िमयावाकी पद्धित में पौधे लगाने का कोई पूवर्-िनयोिजत प्रितरूप (पैटनर्) नहीं है।हमारा लक्ष्य है:
1) सही प्रजाितयों का चयन
2) प्रत्येक प्रजाित के िलए सही अनुपात तय करना, िविभन्न वन परतों को ध्यान से संतुिलत करना और यह सुिनिश्चत करना िक हमारे
जंगल में एक प्राकृितक जंगल के सभी वांिछत गुण हों।
3) प्रजाितयों को िमलाएं और उन्हें "बेतरतीब ढंग से" लगा दें तािक एक घना बहु-परतीय जंगल बन सके।

बेतरतीब वृक्षारोपाई व्यवस्था यह सुिनिश्चत करने के िलए महत्वपूणर् है िक एक "जंगल" सबसे सनातन अथोर्ं में बने। इससे प्राकृितक
प्रितस्पधार्, सहयोग और चयन सुिनिश्चत होता है।

िमयावाकी पद्धित की सबसे सरल पिरभाषा है - स्थानीय मूल वृक्ष प्रजाितयों के बेतरतीब और घने वृक्षारोपण।

100 वगर् मीटर की इकाइयों में मूल वन को बनाया जाता है। प्रत्येक 100 वगर् मीटर ज़मीन को हम एक टीला कहेंगे। प्रत्येक टीले में
सभी चयिनत प्रजाितयाँ िनधार्िरत अनुपात के अनुसार लगायी जाएँ गी। हर टीले में पौधों की व्यवस्था बदलती रहेगी। इस प्रकार अगर
एक टीले में काफल के 6 पौधे लगने हैं, तो हर टीले में यह अलग अलग जगह पर लगेंगे।

इस प्रकार, परतों का अच्छा िवतरण ऐसा कुछ िदखाई देगा:

उपरोक्त छिव में T - वृक्ष(ट्री), ST - उप पेड़(सब ट्री), C - कैनोपी और S - झाड़ी(श्रब) का संदभर् है।

अिधक स्पष्टता के िलए :


इस िचत्र में, प्रत्येक रंग का डॉट
एक अलग वन परत को दशार्ता
है। प्रित वगर् मीटर के खाने में 3
पौधे लगे हैं।

34
सामान्य िनयम के अनुसार:
1) जब तक हो सके लगाते समय पौधों के बीच 60 सेंटीमीटर की दूरी बनाए रखें। टीले के भरने के साथ कई स्थानों पर दूरी
कम हो जाएगी:

2) पौधों की व्यवस्था सीधी नहीं अस्त व्यस्त िदखने चािहए।


3) कोिशश रहे की एक ही प्रजाित के दो पौधे एक-दूसरे के बगल में ना लगें। हालांिक, घनत्व उच्च होने के कारण कभी-
कभी ऐसा हो जाता है। ऐसी पिरिस्थित में इनमें से एक पौध स्वाभािवक रूप से अन्य पर हावी होगा।
4) टीले पर कई जगहों पर एक ही परत के दो पौधे एक दूसरे के बगल में लग सकते हैं। इस तरह के संघषर् प्राकृितक है
क्योंिक हम केवल 4 परतों के साथ काम कर रहे हैं। ध्यान रहे की हर परत में पौध संख्या अलग अलग है। उदाहरण के िलए
अिधकांश स्थानों में प्रितशत के िहसाब से - पेड़ > उप-पेड़ > कैनोपी > झाड़।

वृक्षारोपण से पहले, हर टीले पर पौधे इस तरह बेतरतीब रखे जाते हैं:

इस प्रकार जब जंगल बढ़ता है यह िकसी भी प्राकृितक वन के जैसा जंगली और घना लगता है। यहां िमयावाकी िविध से
उगाए कुछ बड़े जंगलों के कुछ फोटो हैं:

35

36
8. पौध लगाने की िविध

37
9. रखरखाव और िनगरानी
9.1 रखरखाव के िनदेर्श
1) िनयिमत रूप से जल: वन स्वास्थ्य और अिस्तत्व को सुिनिश्चत करने
के िलए यह िबल्कुल जरूरी है। पानी होना चािहए
एक िदन में एक बार िकया जाता है, या तो सुबह या देर शाम होता है,
लेिकन िदन के समय के दौरान नहीं।

केवल पाइप के अंत में एक शॉवर का उपयोग करते हुए वन को पानी


दें। तीव्र गित से बहता पानी पौधों के स्वास्थ्य और िमट्टी की िस्थरता के
िलए हािनकारक हो सकता है।

2) खरपतवार की सफ़ाई: जंगल में लगाए हुए पौधों के अलावा िकसी पौधे को उगने की इजाज़त नहीं है। पहले 2-3 वषोर्ं के िलए
घास और खरपतवार को दूर रखा जाना चािहए। जैसे ही वन बढ़ता है घास का िवकास भी बंद हो जाएगा। घास और खरपतवार जंगलों
में युवा पौधों को मार सकते हैं।

✘ ✔
3) सुिनिश्चत करें िक पौधे िकसी भी तनाव में नहीं हैं: उन्हें पलवार के नीचे दफन नहीं िकया जाना चािहए और उन्हें उनके संबंिधत
सहायक छड़ी की मदद से सीधे रखा जाना चािहए।

4) पौधों के तने को उनके समथर्न छड़ी से ढीला बाँधना चािहए वरना उनको नुक़सान पहुँ च सकता हैं।

38
✘ ✘


5) वन को साफ रखें: िकसी भी अकाबर्िनक पदाथर् (प्लािस्टक, पेपर आिद) का कोई कूड़ा जंगल में नहीं छोड़ा जाना चािहए।

6) जलिनकासी: जंगल में पानी को कहीं भी जमा नहीं होने देना चािहए। िकसी भी संभािवत जल पाइपलाइन के िरसाव आिद की जांच
करनी चािहए। उिचत जल िनकासी प्रणाली को बनाए रखना चािहए।

39 ✔
7) स्थािपत वन को िकसी भी तरह से छे ड़खानी न करें: कुछ पौधे सदमे के शुरुआती लक्षण िदखाते हैं, जैसे पित्तयां और तने का सूखना।
इस स्तर पर िफर से रोपण या हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। रोपण के बाद कम से कम 3-4 महीने बाद मृत्यु दर की जांच की
जाएगी। सामान्य मृत्यु दर कहीं भी 2-10 प्रितशत के बीच होता है। अगर पौधों की बहुत सारी प्रजाितयां पणर्पाती (deciduous) हैं,
तो वे अपने पत्ते िगराएँ गे और यह िचंता का कारण नहीं है।

✘ ✔
8) कीटनाशकों, खरपतवार नाशक या अकाबर्िनक उवर्रकों जैसे िकसी भी रसायनों का उपयोग न करें: जंगल स्वयं की देखभाल करने के
िलए अच्छी तरह से सुसिज्जत है। यिद आप िकसी भी कीट को नुक़सान करते देखें तो उन्हें भी अवश्य छोड़ देना चािहए। जंगल धीरे-
धीरे अपने आप को स्वस्थ बनाए रखने के िलए अपनी खुद की व्यवस्था का िनमार्ण करेगा।


40
9) हमेशा पलवार की एक मोटी परत के साथ वन की ज़मीन को ढक के रखें: वन तल / िमट्टी को साल में कम से कम एक बार पुन:
पलवार िकया जाना चािहए। सूखी खुली हुई िमट्टी वन स्वास्थ्य के िलए हािनकारक है।

10) सहायक छिड़याँ: पेड़ों की बढ़ने के साथ-साथ लंबे सहायक छिड़यों की भी आवश्यक हो सकती हैं। यिद िकसी पेड़ का मुख्य तना
झक
ु ने लगे तो वह कमजोर हो जाता है।


41
9.2 मानक संचालन प्रिक्रया - मूल्यांकन
क्या
वन बनने के बाद इसकी िनगरानी करना एक महत्वपूणर् कायर् है जो वास्तिवक पिरणामों का आकलन करने में मदद करता है।
क्यों
िनगरानी की गितिविधयां वास्तिवक िवकास और उत्तरजीिवता डेटा को समझने में मदद करती हैं। इससे हमें वन की सफलता या
असफलता का आकलन करने में मदद होती है। इस डेटा का उपयोग भिवष्य में बनाए जाने वाले वनों को बेहतर बनाने हेतु आवश्यक
पिरवतर्नों पर िवचार करने के िलए िकया जाएगा।
कब
महीने या दो महीनों में एक बार िनगरानी हो सकती है।
पहले 8 से 12 महीनों के िलए ज़रूर िकया जाना चािहए।
िकस तरह
उत्तरजीिवता - इसमें जीिवत रहने वाले पौधों की संख्या की गणना करना शािमल है। पौधे अक्सर अपने कुछ या सभी पत्तों को
वृक्षारोपण के बाद िगरा देते हैं । एक मृत िदखने वाला पौधा असली में जीिवत होता है। जीिवत रहने की जांच करने का सबसे अच्छा
तरीका है स्क्रैच टेस्ट (खरोच परीक्षण):
एक छोटे से चाकू या अपने नाख़ून के साथ िमट्टी के कुछ इं च ऊपर तने की बाहरी छाल को धीरे-धीरे खरोंचें।
अगर छाल के नीचे नमी है और हरा रंग िदखता है तो पौध अभी जीिवत है।
अगर नीचे की परत सूखी, खंिडत और भूरे रंग की है, तो यह इं िगत करता है िक पेड़ जीने में असफल रहा है।
िनम्न छिवयों को देखें:

जीिवत

मृत

42
एक बार प्रित टीला (100 वगर् मीटर) जीिवत पेड़ों की संख्या की गणना हो जाए तो समेिकत डेटा या प्रजाित के अनुसार डेटा दजर् िकया
जा सकता है।

िवकास- जंगल के समग्र िवकास नापने के िलए चयिनत प्रजाितयों को िनधार्िरत ितिथ (मािसक या िद्वमािसक) पर िचिह्नत और मापा
जाना चािहए। लगाए गए प्रजाितयों में से 50% में से एक एक पौधा माप कर िचिह्नत करें। चयिनत प्रजाितयों को िचिह्नत करने के
िलए हम िविभन्न तरीकों का उपयोग कर सकते हैं। तरीकों में से एक है िक गोल प्लािस्टक की पाइप का उपयोग कर उसपे संख्या, नाम
और वृक्षारोपण की तारीख िलखें। उदाहरण के िलए:

उच्चतम िटप तक नाप करें जो डंठल या पत्ती हो सकता है। संदभर् के िलए कृपया इस छिव को देखें:

43
एक िवकास िनगरानी रेिजस्टर िनम्निलिखत की तरह िदखता है:
मािसक वृिद्ध िनगरानी चाटर् (से.मी. में ऊँचाई)
िनमार्ण ितिथ : 06/08/2017 | क्षेत्र : 100 वगर् मीटर | स्थान : ग्राम सतखोल (नैनीताल)

S.No सामा$य नाम Botanical Name 06/09/17 17/10/17 17/11/17

1 !डu Ficus palmate 40 53 57


2 बा&ज Quercus leucotrichophora 51 54 56

3 थ)*र Taxus wallichi 46 46 48

4 बuर,श Rhododendron arboreum 40 58 63


5 प,गर Aesculus indica 33 33 33
6 मजीना Salix babylonica 121 122 128
7 3वदार Cedrus deodara 45 46 47
8 बा&ज Quercus leucotrichophora 37 37 37
9 छuआ8 Prunus armeniaca 36 40 43
Cornus capitata / Benthamidia
10 बमोर 71 71 74
capitata
11 अखरोट Juglans regia 20 20 20
12 खरसu Quercus semecarpifolia 31 34 39

13 फ?य,ट Quercus glauca 81 91 98

14 iतिमल Ficus roxburghii 40 58 67


15 बा&ज Quercus leucotrichophora 51 58 63
16 उFीस Alnus nepalensis 55 70 86

17 त)न Toona serrata 71 88 103

18 Giधला Ficus nemoralis 46 53 58


19 चuआJ Prunus armeniaca 35 38 42
20 बा&ज Quercus leucotrichophora 32 39 46

44

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