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Samas(Compound)(समास)

समास(Compound) की प रभाषा-
दो या अिधक श ों (पदों) का पर र संब बतानेवाले श ों अथवा यों का लोप होने पर उन दो या अिधक श ों से जो एक त श बनता है , उस श को सामािसक श कहते है और उन दो या
अिधक श ों का जो संयोग होता है , वह समास कहलाता है ।

दू सरे अथ म- कम-से-कम श ों म अिधक-से-अिधक अथ कट करना 'समास' कहलाता है ।

समास म कम-से-कम दो पदों का योग होता है ।


वे दो या अिधक पद एक पद हो जाते है : 'एकपदीभावः समासः'।
समास म सम होनेवाले पदों का िवभ - य लु हो जाता है ।
सम पदों के बीच स की थित होने पर स अव होती है । यह िनयम सं ृ त त म म अ ाव क है ।

समास के भेद
समास के मु सात भेद है :-
(1) त ु ष समास ( Determinative Compound)
(2)कमधारय समास (Appositional Compound)
(3)ि गु समास (Numeral Compound)
(4)ब ीिह समास (Attributive Compound)
(5) समास (Copulative Compound)
(6)अ यीभाव समास(Adverbial Compound)
(7)नञ समास

पदों की धनता के आधार पर वग करण

पूवपद धान- अ यीभाव


उ रपद धान- त ु ष, कमधारय व ि गु
दोनों पद धान-
दोनों पद अ धान- ब ीिह (इसम कोई तीसरा अथ धान होता है )

(1)त ु ष समास :- िजस समास म बाद का अथवा उ रपद धान होता है तथा दोनों पदों के बीच का कारक-िच लु हो जाता है , उसे त ु ष समास कहते है ।
जैसे-

तुलसीकृत= तुलसी से कृत


शराहत= शर से आहत
राहखच= राह के िलए खच
राजा का कुमार= राजकुमार

त ु ष समास म अ म पद धान होता है । इस समास म साधारणतः थम पद िवशेषण और ि तीय पद िवशे होता है । ि तीय पद, अथात बादवाले पद के िवशे होने के कारण इस समास म उसकी
धानता रहती है ।

त ु ष समास के भेद

त ु ष समास के छह भेद होते है -


(i)कम त ु ष
(ii) करण त ु ष
(iii)स दान त ु ष
(iv)अपादान त ु ष
(v)स त ु ष
(vi)अिधकरण त ु ष

(i)कम त ु ष (ि तीया त ु ष)-इसम कम कारक की िवभ 'को' का लोप हो जाता है । जैसे-

सम -पद िव ह

ग ा ग (को) ा

क ाप क (को) आप ( ा )

आशातीत आशा (को) अतीत

गृहागत गृह (को) आगत

िसरतोड़ िसर (को) तोड़नेवाला

िचड़ीमार िचिड़यों (को) मारनेवाला


सम -पद िव ह

िसरतोड़ िसर (को) तोड़नेवाला

गगनचुंबी गगन को चूमने वाला

यश ा यश को ा

ामगत ाम को गया आ

रथचालक रथ को चलाने वाला

जेबकतरा जेब को कतरने वाला

(ii) करण त ु ष (तृतीया त ु ष)-इसम करण कारक की िवभ 'से', 'के ारा' का लोप हो जाता है । जैसे-

सम -पद िव ह

वा ु वाक् (से) यु

आचारकुशल आचार (से) कुशल

तुलसीकृत तुलसी (से) कृत

कपड़छना कपड़े (से) छना आ

मुँहमाँ गा मुँह (से) माँ गा

रसभरा रस (से) भरा

क णागत क णा से पूण

भयाकुल भय से आकुल

रे खां िकत रे खा से अंिकत

शोक शोक से

मदां ध मद से अंधा

मनचाहा मन से चाहा

सूररिचत सूर ारा रिचत

(iii)स दान त ु ष (चतुथ त ु ष)-इसम सं दान कारक की िवभ 'के िलए' लु हो जाती है । जैसे-

सम -पद िव ह

दे शभ दे श (के िलए) भ

िव ालय िव ा (के िलए) आलय

रसोईघर रसोई (के िलए) घर

हथकड़ी हाथ (के िलए) कड़ी

राहखच राह (के िलए) खच

पु शोक पु (के िलए) शोक

ानघर ान के िलए घर

य शाला य के िलए शाला

डाकगाड़ी डाक के िलए गाड़ी

गौशाला गौ के िलए शाला

सभाभवन सभा के िलए भवन

लोकिहतकारी लोक के िलए िहतकारी

दे वालय दे व के िलए आलय

(iv)अपादान त ु ष (पंचमी त ु ष)- इसमे अपादान कारक की िवभ 'से' (अलग होने का भाव) लु हो जाती है । जैसे-
सम -पद िव ह

दू रागत दू र से आगत

ज ा ज से अ

रणिवमुख रण से िवमुख

दे शिनकाला दे श से िनकाला

कामचोर काम से जी चुरानेवाला

ने हीन ने (से) हीन

धनहीन धन (से) हीन

पापमु पाप से मु

जलहीन जल से हीन

(v)स त ु ष (ष ी त ु ष)-इसम संबंधकारक की िवभ 'का', 'के', 'की' लु हो जाती है । जैसे-

सम -पद िव ह

िव ा ास िव ा का अ ास

सेनापित सेना का पित

पराधीन पर के अधीन

राजदरबार राजा का दरबार

मदान म (का) दान

राजभवन राजा (का) भवन

राजपु राजा (का) पु

दे शर ा दे श की र ा

िशवालय िशव का आलय

गृह ामी गृह का ामी

(vi)अिधकरण त ु ष (स मी त ु ष)-इसम अिधकरण कारक की िवभ 'म', 'पर' लु जो जाती है । जैसे-

सम -पद िव ह

िव ा ास िव ा का अ ास

गृह वेश गृह म वेश

नरो म नरों (म) उ म

पु षो म पु षों (म) उ म

दानवीर दान (म) वीर

शोकम शोक म म

लोकि य लोक म ि य

कला े कला म े

आनंदम आनंद म म

(2)कमधारय समास:-िजस सम -पद का उ रपद धान हो तथा पूवपद व उ रपद म उपमान-उपमेय अथवा िवशेषण-िवशे संबंध हो, कमधारय समास कहलाता है ।
दू सरे श ों म-कता-त ु ष को ही कमधारय कहते ह।

पहचान: िव ह करने पर दोनों पद के म म 'है जो', 'के समान' आिद आते है ।

िजस त ु ष समास के सम होनेवाले पद समानािधकरण हों, अथात िवशे -िवशेषण-भाव को ा हों, कताकारक के हों और िलंग-वचन म समान हों, वहाँ 'कमधारयत ु ष समास होता है ।

सम -पद िव ह

नवयुवक नव है जो युवक
सम -पद िव ह

पीतां बर पीत है जो अंबर

परमे वर परम है जो ई वर

नीलकमल नील है जो कमल

महा ा महान है जो आ ा

कनकलता कनक की-सी लता

ाणि य ाणों के समान ि य

दे हलता दे ह पी लता

लालमिण लाल है जो मिण

नीलकंठ नीला है जो कंठ

महादे व महान है जो दे व

अधमरा आधा है जो मरा

परमानंद परम है जो आनंद

कमधारय त ु ष के भेद

कमधारय त ु ष के चार भेद है -


(i)िवशेषणपूवपद
(ii) िवशे पूवपद
(iii) िवशेषणोभयपद
(iv)िवशे ोभयपद

(i)िवशेषणपूवपद :- इसम पहला पद िवशेषण होता है ।


जैसे- पीत अ र= पीता र
परम ई र= परमे र
नीली गाय= नीलगाय
ि य सखा= ि यसखा

(ii) िवशे पूवपद :- इसम पहला पद िवशे होता है और इस कार के सामािसक पद अिधकतर सं ृ त म िमलते है ।
जैसे- कुमारी ( ाँ री लड़की)
मणा (सं ास हण की ई )=कुमार मणा।

(iii) िवशेषणोभयपद :-इसम दोनों पद िवशेषण होते है ।


जैसे- नील-पीत (नीला-पी-ला ); शीतो (ठ ा-गरम ); लालिपला; भलाबुरा; दोचार कृताकृत (िकया-बेिकया, अथात अधूरा छोड़ िदया गया); सुनी-अनसुनी; कहनी-अनकहनी।

(iv)िवशे ोभयपद:- इसम दोनों पद िवशे होते है ।


जैसे- आमगाछ या आ वृ , वायस-द ित।

कमधारयत ु ष समास के उपभेद

कमधारयत ु ष समास के अ उपभेद ह- (i) उपमानकमधारय (ii) उपिमतकमधारय (iii) पककमधारय

िजससे िकसी की उपमा दी जाये, उसे 'उपमान' और िजसकी उपमा दी जाये, उसे 'उपमेय' कहा जाता है । घन की तरह ाम =घन ाम- यहाँ 'घन' उपमान है और ' ाम' उपमेय।

(i) उपमानकमधारय- इसम उपमानवाचक पद का उपमेयवाचक पद के साथ समास होता ह। इस समास म दोनों श ों के बीच से 'इव' या 'जैसा' अ य का लोप हो जाता है और दोनों ही पद, चूँिक एक ही
कतािवभ , वचन और िलंग के होते है , इसिलए सम पद कमधारय-ल ण का होता है । अ उदाहरण- िव ुत्-जैसी चंचला =िव ु ंचला।

(ii) उपिमतकमधारय- यह उपमानकमधारय का उ ा होता है , अथात इसम उपमेय पहला पद होता है और उपमान दू सरा। जैसे- अधरप व के समान = अधर-प व; नर िसंह के समान =नरिसंह।

िक ु, जहाँ उपिमतकमधारय- जैसा 'नर िसंह के समान' या 'अधर प व के समान' िव ह न कर अगर 'नर ही िसंह या 'अधर ही प व'- जैसा िव ह िकया जाये, अथात उपमान-उपमेय की तुलना न कर उपमेय
को ही उपमान कर िदया जाय-
दू सरे श ों म, जहाँ एक का दू सरे पर आरोप कर िदया जाये, वहाँ पककमधारय होगा। उपिमतकमधारय और पककमधारय म िव ह का यही अ र है । पककमधारय के अ उदाहरण- मुख ही है
च = मुखच ; िव ा ही है र = िव ार भा ( ा ा) ही है अ (समु )= भा ा ।

(3)ि गु समास:-िजस सम -पद का पूवपद सं ावाचक िवशेषण हो, वह ि गु कमधारय समास कहलाता है ।
जैसे-

सम -पद िव ह

स िसंधु सात िसंधुओं का समूह

दोपहर दो पहरों का समूह

ि लोक तीनों लोको का समाहार

ितरं गा तीन रं गों का समूह

दु अ ी दो आनों का समाहार
ि गु के भेद

इसके दो भेद होते है - (i)समाहारि गु और (ii)उ रपद धानि गु।

(i)समाहारि गु :- समाहार का अथ है 'समुदाय' 'इक ा होना' 'समेटना'।


जैसे- तीनों लोकों का समाहार= ि लोक
पाँ चों वटों का समाहार= पंचवटी
पाँ च सेरों का समाहार= पसेरी
तीनो भुवनों का समाहार= ि भुवन

(ii)उ रपद धानि गु:-उ रपद धान ि गु के दो कार है -(a) बेटा या उ के अथ म; जैसे -दो माँ का- ै मातुर या दु माता; दो सूतों के मेल का- दु सूती; (b) जहाँ सचमुच ही उ रपद पर जोर हो; जैसे- पाँ च
माण (नाम) =पंच माण; पाँ च ह ड़ (है ल)= पँचह ड़।

- अनेक ब ीिह समासों म भी पूवपद सं ावाचक होता है । ऐसी हालत म िव ह से ही जाना जा सकता है िक समास ब ीिह है या ि गु। यिद 'पाँ च ह ड़ है िजसम वह =पँचह ड़' िव ह कर, तो यह
ब ीिह है और 'पाँ च ह ड़' िव ह कर, तो ि गु।

त ु ष समास के इन सभी कारों म ये िवशेषताएँ पायी जाती ह-


(i) यह समास दो पदों के बीच होता है ।
(ii) इसके सम पद का िलंग उ रपद के अनुसार ह।
(iii) इस समास म उ रपद का ही अथ धान होता ह।

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Samas(Compound)(समास)

(4)ब ीिह समास:- समास म आये पदों को छोड़कर जब िकसी अ पदाथ की धानता हो, तब उसे ब ीिह समास कहते है ।
जैसे- दशानन- दस मुहवाला- रावण।

िजस सम -पद म कोई पद धान नहीं होता, दोनों पद िमल कर िकसी तीसरे पद की ओर संकेत करते है , उसम ब ीिह समास होता है । 'नीलकंठ', नीला है कंठ िजसका अथात िशव। यहाँ पर दोनों पदों ने
िमल कर एक तीसरे पद 'िशव' का संकेत िकया, इसिलए यह ब ीिह समास है ।

इस समास के समासगत पदों म कोई भी धान नहीं होता, ब पूरा सम पद ही िकसी अ पद का िवशेषण होता है ।

सम -पद िव ह

धानमं ी मंि यो म धान है जो ( धानमं ी)

पंकज (पंक म पैदा हो जो (कमल)

अनहोनी न होने वाली घटना (कोई िवशेष घटना)

िनशाचर िनशा म िवचरण करने वाला (रा स)

चौलड़ी चार है लिड़याँ िजसमे (माला)

िवषधर (िवष को धारण करने वाला (सप)

त ु ष और ब ीिह म अ र- त ु ष और ब ीिह म यह भेद है िक त ु ष म थम पद ि तीय पद का िवशेषण होता है , जबिक ब ीिह म थम और ि तीय दोनों पद िमलकर अपने से अलग िकसी
तीसरे के िवशेषण होते है ।
जैसे- 'पीत अ र =पीता र (पीला कपड़ा )' कमधारय त ु ष है तो 'पीत है अ र िजसका वह- पीता र (िव ु)' ब ीिह। इस कार, यह िव ह के अ र से ही समझा जा सकता है िक कौन त ु ष है और
कौन ब ीिह। िव ह के अ र होने से समास का और उसके साथ ही अथ का भी अ र हो जाता है । 'पीता र' का त ु ष म िव ह करने पर 'पीला कपड़ा' और ब ीिह म िव ह करने पर 'िव ु' अथ होता
है ।

ब ीिह समास के भेद

ब ीिह समास के चार भेद है -


(i) समानािधकरणब ीिह
(ii) िधकरणब ीिह
(iii) तु योगब ीिह
(iv) ितहारब ीिह

(i) समानािधकरणब ीिह :- इसम सभी पद थमा, अथात कताकारक की िवभ के होते है ; िक ु सम पद ारा जो अ उ होता है , वह कम, करण, स दान, अपादान, स , अिधकरण आिद
िवभ - पों म भी उ हो सकता है ।

जैसे- ा है उदक िजसको = ा ोदक (कम म उ );


जीती गयी इ याँ है िजसके ारा =िजते य (करण म उ );
द है भोजन िजसके िलए =द भोजन (स दान म उ );
िनगत है धन िजससे =िनधन (अपादान म उ );
पीत है अ र िजसका =पीता र;
मीठी है बोली िजसकी =िमठबोला;
नेक है नाम िजसका =नेकनाम (स म उ );
चार है लिड़याँ िजसम =चौलड़ी;
सात है ख िजसम =सतख ा (अिधकरण म उ )।

(ii) िधकरणब ीिह :-समानािधकरण म जहाँ दोनों पद थमा या कताकारक की िवभ के होते है , वहाँ पहला पद तो थमा िवभ या कताकारक की िवभ के प का ही होता है , जबिक बादवाला
पद स या अिधकरण कारक का आ करता है । जैसे- शूल है पािण (हाथ) म िजसके =शूलपािण;
वीणा है पािण म िजसके =वीणापािण।

(iii) तु योगब ीि :--िजसम पहला पद 'सह' हो, वह तु योगब ीिह या सहब ीिह कहलाता है ।
'सह' का अथ है 'साथ' और समास होने पर 'सह' की जगह केवल 'स' रह जाता है । इस समास म यह ान दे ने की बात है िक िव ह करते समय जो 'सह' (साथ) बादवाला या दू सरा श तीत होता है , वह
समास म पहला हो जाता है ।
जैसे- जो बल के साथ है , वह=सबल; जो दे ह के साथ है , वह सदे ह; जो प रवार के साथ है , वह सप रवार; जो चेत (होश) के साथ है , वह =सचेत।

(iv) ितहारब ीिह:-िजससे घात- ितघात सूिचत हो, उसे ितहारब ीिह कहा जाता है ।
इ समास के िव ह से यह तीत होता है िक 'इस चीज से और इस या उस चीज से जो लड़ाई ई'।
जैसे- मु े -मु े से जो लड़ाई ई =मु ा-मु ी; घूँसे-घूँसे से जो लड़ाई ई =घूँसाघूँसी; बातों-बातों से जो लड़ाई ई =बाताबाती। इसी कार, खींचातानी, कहासुनी, मारामारी, ड ाड ी, लाठालाठी आिद।

इन चार मुख जाितयों के ब ीिह समास के अित र इस समास का एक कार और है । जैसे-

ािदब ीिह- िजस ब ीिह का पूवपद उपसग हो, वह ािदब ीिह कहलाता है । जैसे- कु त है प िजसका = कु प; नहीं है रहम िजसम = बेरहम; नहीं है जन जहाँ = िनजन।

त ु ष के भेदों म भी ' ािद' एक भेद है , िक ु उसके दोनों पदों का िव ह िवशेषण-िवशे -पदों की तरह होगा, न िक ब ीिह के ढं ग पर, अ पद की धानता की तरह। जैसे- अित वृि = अितवृि
( ािदत ु ष) ।
- (i) ब ीिह के सम पद म दू सरा पद 'धम' या 'धनु' हो, तो वह आकारा हो जाता है ; जैसे- ि य है धम िजसका = ि यधमा; सु र है धम िजसका = सुधमा; आलोक ही है धनु िजसका = आलोकध ा।
(ii) सकारा म िवक से 'आ' और 'क' िक ु ईकारा , उकारा और ऋकारा समासा पदों के अ म िन चत प से 'क' लग जाता है । जैसे- उदार है मन िजसका = उदारमनस, उदारमना या
उदारमन ; अ म है मन िजसका = अ मना या अ मन ; ई वर है कता िजसका = ई वरकतृक; साथ है पित िजसके; स ीक; िबना है पित के जो = िव ीक।

ब ीिह समास की िवशेषताएँ


ब ीिह समास की िन िल खत िवशेषताएँ है -

(i) यह दो या दो से अिधक पदों का समास होता है ।


(ii)इसका िव ह श ा क या पदा क न होकर वा ा क होता है ।
(iii)इसम अिधकतर पूवपद कता कारक का होता है या िवशेषण।
(iv)इस समास से बने पद िवशेषण होते है । अतः उनका िलंग िवशे के अनुसार होता है ।
(v) इसम अ पदाथ धान होता है ।

(5) समास :- िजस सम -पद के दोनों पद धान हो तथा िव ह करने पर 'और', 'अथवा', 'या', 'एवं' लगता हो वह समास कहलाता है ।

पहचान : दोनों पदों के बीच ायः योजक िच (Hyphen (-) का योग होता है ।

समास म सभी पद धान होते है । और त ु ष से बने पदों का िलंग अ मश के अनुसार होता है ।

समास के भेद

समास के तीन भेद है -


(i) इतरे तर
(ii) समाहार
(iii) वैक क

(i) इतरे तर -: वह , िजसम 'और' से सभी पद जुड़े ए हो और पृथक् अ रखते हों, 'इतरे तर ' कहलता है ।

इस समास से बने पद हमेशा ब वचन म यु होते है ; ोंिक वे दो या दो से अिधक पदों के मेल से बने होते है ।
जैसे- राम और कृ =राम-कृ , ऋिष और मुिन =ऋिष-मुिन, गाय और बैल =गाय-बैल, भाई और बहन =भाई-बहन, माँ और बाप =माँ -बाप, बेटा और बेटी =बेटा-बेटी इ ािद।
यहाँ ान रखना चािहए िक इतरे तर म दोनों पद न केवल धान होते है , ब अपना अलग-अलग अ भी रखते है ।

(ii) समाहार -समाहार का अथ है समि या समूह। जब समास के दोनों पद और समु यबोधक से जुड़े होने पर भी पृथक-पृथक अ न रख, ब समूह का बोध कराय, तब वह समाहार
कहलाता है ।

समाहार म दोनों पदों के अित र अ पद भी िछपे रहते है और अपने अथ का बोध अ प से कराते है ।


जैसे- आहारिन ा =आहार और िन ा (केवल आहार और िन ा ही नहीं, ब इसी तरह की और बात भी); दालरोटी=दाल और रोटी (अथात भोजन के सभी मु पदाथ); हाथपाँ व =हाथ और पाँ व (अथात हाथ
और पाँ व तथा शरीर के दू सरे अंग भी )। इसी तरह नोन-तेल, कुरता-टोपी, साँ प-िब ू , खाना-पीना इ ािद।

कभी-कभी िवपरीत अथवाले या सदा िवरोध रखनेवाले पदों का भी योग हो जाता है । जैसे- चढ़ा-ऊपरी, लेन-दे न, आगा-पीछा, चूहा-िब ी इ ािद।

जब दो िवशेषण-पदों का सं ा के अथ म समास हो, तो समाहार होता है ।


जैसे- लंगड़ा-लूला, भूखा- ास, अ ा-बहरा इ ािद।
उदाहरण- लँगड़े -लूले यह काम नहीं सकते; भूखे- ासे को िनराश नहीं करना चािहए; इस गाँ व म ब त-से अ े-बहरे है ।

- यहाँ यह ान रखना चािहए िक जब दोनों पद िवशेषण हों और िवशेषण के ही अथ म आय तब वहाँ समास नहीं होता, वहाँ कमधारय समास हो जाता है । जैसे- लँगड़ा-लूला आदमी यह काम नहीं
कर सकता; भूखा- ासा लड़का सो गया; इस गाँ व म ब त-से लोग अ े-बहरे ह- इन योगों म 'लँगड़ा-लूला', 'भूखा- ासा' और 'अ ा-बहरा' समास नहीं ह।

(iii) वैक क :-िजस समास म दो पदों के बीच 'या', 'अथवा' आिद िवक सूचक अ य िछपे हों, उसे वैक क कहते है ।

इस समास म ब धा दो िवपरीताथक श ों का योग रहता है । जैसे- पाप-पु , धमाधम, भला-बुरा, थोड़ा-ब त इ ािद। यहाँ 'पाप-पु ' का अथ 'पाप' और 'पु ' भी संगानुसार हो सकता है ।

(6) अ यीभाव समास:- अ यीभाव का ल ण है - िजसमे पूवपद की धानता हो और सामािसक या समास पद अ य हो जाय, उसे अ यीभाव समास कहते है ।
सरल श ो म- िजस समास का पहला पद (पूवपद) अ य तथा धान हो, उसे अ यीभाव समास कहते है ।

इस समास म समूचा पद ि यािवशेषण अ य हो जाता है । इसम पहला पद उपसग आिद जाित का अ य होता है और वही धान होता है । जैसे- ितिदन, यथास व, यथाश , बेकाम, भरसक इ ािद।

पहचान : पहला पद अनु, आ, ित, भर, यथा, यावत, हर आिद होता है ।

अ यीभाववाले पदों का िव ह- ऐसे सम पदों को तोड़ने म, अथात उनका िव ह करने म िह ी म बड़ी किठनाई होती है , िवशेषतः सं ृ त के सम पदों का िव ह करने म िह ी म िजन सम पदों म
ि मा होती है , वहाँ िव ह करने म केवल दोनों पदों को अलग कर िदया जाता है ।
जैसे- (सं ृ त) ितिदन- िदन-िदन
यथािविध- िविध के अनुसार; यथा म- म के अनुसार; यथाश - श के अनुसार; आज - ज तक

पूवपद-अ य + उ रपद = सम -पद िव ह

ित + िदन = ितिदन ेक िदन

आ + ज = आज ज से लेकर

यथा + संभव = यथासंभव जैसा संभव हो

अनु + प = अनु प प के यो

भर + पेट = भरपेट पेट भर के

हाथ + हाथ = हाथों-हाथ हाथ ही हाथ म

(7)न समास:- इसमे नहीं का बोध होता है । जैसे - अनपढ़, अनजान , अ ान ।

सम -पद िव ह
अनाचार न आचार

अनदे खा न दे खा आ

अ ाय न ाय

अनिभ न अिभ

नालायक नहीं लायक

अचल न चल

ना क नआ क

अनुिचत न उिचत

1 (samas.html) 2 (samas2.html) 3 (samas3.html) 4 (samas4.html) 5 (samas5.html) 6 (samas6.html)

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Samas(Compound)(समास)
अमरनाथ की पिव यात...
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समास-स ी कुछ िवशेष बात-


(1)एक सम पद म एक से अिधक कार के समास हो सकते है । यह िव ह करने पर होता है । िजस समास के अनुसार िव ह होगा, वही समास उस पद म माना जायेगा।
जैसे- पीता र- (i) पीत है जो अ र (कमधारय), (ii)पीत है अ र िजसका (ब ीिह); िनडर- िबना डर का (अ यीभाव ); नहीं है डर िजसे ( ािद का नञ ब ीिह); सु प - सु र है जो प (कमधारय),
सु र है प िजसका (ब ीिह); च मुख- च के समान मुख (कमधारय); बु बल- बु ही है बल (कमधारय);

(2) समासों का िव ह करते समय यह ान रखना चािहए िक यथास व समास म आये पदों के अनुसार ही िव ह हो।
जैसे- पीता र का िव ह- 'पीत है जो अ र' अथवा 'पीत है अ र िजसका' ऐसा होना चािहए। ब धा सं ृ त के समासों, िवशेषकर अ यीभाव, ब ीिह और उपपद समासों का िव ह िह ी के अनुसार करने
म किठनाई होती है । ऐसे थानों पर िह ी के श ों से सहायता ली जा सकती है । जैसे- कु कार =कु को बनानेवाला; खग=आकाश म जानेवाला; आमरण =मरण तक; थ =िबना अथ का; िवमल=मल से
रिहत; इ ािद।

(3)अ यीभाव समास म दो ही पद होते है । ब ीिह म भी साधारणतः दो ही पद रहते है । त ु ष म दो से अिधक पद हो सकते है और म तो सभी समासों से अिधक पद रह सकते है ।
जैसे- नोन-तेल-लकड़ी, आम-जामुन-कटहल-कचनार इ ािद ( )।

(4)यिद एक सम पद म अनेक समासवाले पदों का मेल हो तो अलग-अलग या एक साथ भी िव ह िकया जा सकता है ।


जैसे- च पािणदशनाथ-च है पािण म िजसके= च पािण (ब ीिह); दशन के अथ =दशनाथ (अ यीभाव ); च पािण के दशनाथ =च पािणदशनाथ (अ यीभाव ) । समूचा पद ि यािवशेषण अ य है ,
इसिलए अ यीभाव है ।

योग की ि से समास के भेद-


योग की ि से समास के तीन भेद िकये जा सकते है -
(1)संयोगमूलक समास
(2)आ यमूलक समास
(3)वणनमूलक समास

(1)सं ा-समास :- संयोगमूलक समास को सं ा-समास कहते है । इस कार के समास म दोनों पद सं ा होते है ।
दू सरे श ों म, इसम दो सं ाओं का संयोग होता है ।
जैसे- माँ -बाप, भाई-बहन, माँ -बेटी, सास-पतो , िदन-रात, रोटी-बेटी, माता-िपता, दही-बड़ा, दू ध-दही, थाना-पुिलस, सूय-च इ ािद।

(2)िवशेषण-समास:- यह आ यमूलक समास है । यह ायः कमधारय समास होता है । इस समास म थम पद िवशेषण होता है , िक ु ि तीय पद का अथ बलवान होता है । कमधारय का अथ है कम अथवा
वृि धारण करनेवाला। यह िवशेषण-िवशे , िवशे -िवशेषण, िवशेषण तथा िवशे पदों ारा स होता है । जैसे-

(क) जहाँ पूवपद िवशेषण हो; यथा- क ाकेला, शीशमहल, महरानी।


(ख)जहाँ उ रपद िवशेषण हो; यथा- घन ाम।
(ग़)जहाँ दोनों पद िवशेषण हों; यथा- लाल-पीला, ख ा-मीठा।
(घ) जहाँ दोनों पद िवशे हों; यथा- मौलवीसाहब, राजाबहादु र।

(3)अ य समास :- वणमूलक समास के अ गत ब ीिह और अ यीभाव समास का िनमाण होता है । इस समास (अ यीभाव) म थम पद साधारणतः अ य होता है और दू सरा पद सं ा। जैसे- यथाश ,
यथासा , ितमास, यथास व, घड़ी-घड़ी, ेक, भरपेट, यथाशी इ ािद।

स और समास म अ र

स और समास का अ र इस कार है -
(i) समास म दो पदों का योग होता है ; िक ु स म दो वण का।
(ii) समास म पदों के य समा कर िदये जाते है । स के िलए दो वण के मेल और िवकार की गुंजाइश रहती है , जबिक समास को इस मेल या िवकार से कोई मतलब नहीं।
(iii) स के तोड़ने को 'िव े द' कहते है , जबिक समास का 'िव ह' होता है । जैसे- 'पीता र' म दो पद है - 'पीत' और 'अ र' । स िव े द होगा- पीत+अ र;
जबिक समासिव ह होगा- पीत है जो अ र या पीत है िजसका अ र = पीता र। यहाँ ान दे ने की बात है िक िहं दी म स केवल त म पदों म होती है , जबिक समास सं ृ त त म, िह ी, उदू हर कार
के पदों म। यही कारण है िक िहं दी पदों के समास म स आव क नहीं है ।
संिध म वण के योग से वण प रवतन भी होता है जबिक समास म ऐसा नहीं होता।

कमधारय और ब ीिह समास म अंतर

इन दोनों समासों म अंतर समझने के िलए इनके िव ह पर ान दे ना चािहए। कमधारय समास म एक पद िवशेषण या उपमान होता है और दू सरा पद िवशे या उपमेय होता है । जैसे-'नीलगगन' म 'नील'
िवशेषण है तथा 'गगन' िवशे है । इसी तरह 'चरणकमल' म 'चरण' उपमेय है और 'कमल' उपमान है । अतः ये दोनों उदाहरण कमधारय समास के है ।

ब ीिह समास म सम पद ही िकसी सं ा के िवशेषण का काय करता है । जैसे- 'च धर' च को धारण करता है जो अथात ' ीकृ '।
नीलकंठ- नीला है जो कंठ- कमधारय समास।
नीलकंठ- नीला है कंठ िजसका अथात िशव- ब ीिह समास।
लंबोदर- मोटे पेट वाला- कमधारय समास।
लंबोदर- लंबा है उदर िजसका अथात गणेश- ब ीिह समास।

ि गु और ब ीिह समास म अंतर

ि गु समास का पहला पद सं ावाचक िवशेषण होता है और दू सरा पद िवशे होता है जबिक ब ीिह समास म सम पद ही िवशेषण का काय करता है । जैसे-
चतुभुज- चार भुजाओं का समूह- ि गु समास।
चतुभुज- चार है भुजाएँ िजसकी अथात िव ु- ब ीिह समास।
पंचवटी- पाँ च वटों का समाहार- ि गु समास।
पंचवटी- पाँ च वटों से िघरा एक िनि त थल अथात दं डकार म थत वह थान जहाँ वनवासी राम ने सीता और ल ण के साथ िनवास िकया- ब ीिह समास।
दशानन- दस आननों का समूह- ि गु समास।
दशानन- दस आनन ह िजसके अथात रावण- ब ीिह समास।

ि गु और कमधारय म अंतर

(i) ि गु का पहला पद हमेशा सं ावाचक िवशेषण होता है जो दू सरे पद की िगनती बताता है जबिक कमधारय का एक पद िवशेषण होने पर भी सं ावाचक कभी नहीं होता है ।
(ii) ि गु का पहला पद ही िवशेषण बन कर योग म आता है जबिक कमधारय म कोई भी पद दू सरे पद का िवशेषण हो सकता है । जैसे-
नवर - नौ र ों का समूह- ि गु समास
चतुवण- चार वण का समूह- ि गु समास
पु षो म- पु षों म जो है उ म- कमधारय समास
र ो ल- र है जो उ ल- कमधारय समास

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सामािसक पदों की सूची


त ु ष समास (कमत ु ष)

पद िव ह पद िव ह

गगनचु ी गगन (को) चूमनेवाला पािकटमार पािकट (को) मारनेवाला

िचड़ीमार िचिड़यों (को) मारनेवाला गृहागत गृह को आगत

कठखोदवा काठ (को) खोदनेवाला िगरहकट िगरह (को) काटनेवाला

मुँहतोड़ मुँह (को) तोड़नेवाला ग ा ग को ा

अनुभव ज अनुभव से ज आपबीती आप पर बीती (स मी त ु ष)

उ ोगपित उ ोग का पित (मािलक) गुणहीन गुणों से हीन

घुड़दौड़ घोड़ों की दौड़ ज ां ध ज से अंधा

दे शाटन दे श म अटन ( मण) दानवीर दान म वीर

दे शवासी दे श का वासी अमृतधारा अमृत की धारा

अछूतो ार अछूतों का उ ार आ िव ास आ ा पर िव ास

ऋिषक ा ऋिष की क ा क सा क से होने वाला

हरघड़ी घड़ी-घड़ी या ेक घड़ी गु दि णा गु के िलए दि णा

गृह वेश गृह म वेश गोबर गणेश गोबर से बना गणेश

दहीबड़ा दही म डूबा आ बड़ा अकाल पीिड़त अकाल से पीिड़त

गोशाला गौओं के िलए शाला गंगाजल गंगा का जल

घुड़सवार घोड़े पर सवार जीवनसाथी जीवन का साथी

जलधारा जल की धारा दे शभ दे श की भ

पूँजीपित पूँजी का पित भयभीत भय से भीत (डरा)

ह िल खत हाथ से िल खत पथ पथ से

दे शभ दे श का भ च र िच ण च र का िच ण

दानवीर दान दे ने म वीर (स मी त ु ष) युिधि र यु म थर

पणशाला पणिनिमत शाला पु षो म पु षों म उ म

नराधम नरों म अधम ने हीन ने से हीन

राहखच राह के िलए खच शरणागत शरण म आगत

िव ासागर िव ा का सागर आकशवाणी आकाश से वाणी

आन ा म आन का आ म आकशवाणी आकाश से वाणी

कमहीन कम से हीन (पंचमी त ु ष) कमिनरत कम से िनरत (स मी त ु ष)

किव े किवयों से े कु कार कु को करने (बनाने)वाला (उपपद त ु ष)

का कार का की रचना करनेवाला (उपपद त ु ष) कृिष धान कृिष म धान(स मी त ु ष)

ि याधम ि यों म अधम(स मी त ु ष) कृ ापण कृ के िलए अपण (चतुथ त ु ष)


पद िव ह पद िव ह

ामो ार ाम का उ ार (ष० त ु ष) िगरहकट िगरह को काटनेवाला (ि त ु ष)

गृह थ गृह म थत (उपपद त ु ष) च ोदय च का उदय (ष० त ु ष)

जीवनमु जीवन से मु (ष० त ु ष) ठाकुरसुहाती ठाकुर (मािलक) के िलए िचकर बात

ितलच ा ितल को चाटनेवाला दयासागर दया का सागर

दु खसंत दु ःख से संत दे शगत दे श को गया आ

धनहीन धन से हीन धमिवमुख धम से िवमुख

नरो म नरों म उ म पददिलत पद से दिलत

पद ुत पद से ुत परी ोपयोगी परी ा के िलए उपयोगी

पादप पैर से पीनेवाला (उपपद त ु ष) पु शोक पु के िलए शोक

पु कालय पु क के िलए आलय मनमौजी मन से मौजी

मनगढ़ मन से गढ़ा आ (तृ० त ु ष) मदमाता मद से माता (तृ० त ु ष)

मालगोदाम माल के िलए गोदाम रसोईघर रसोई के िलए घर

रामायण राम का अयन (ष० त ु ष) राजक ा राजा की क ा (ष० त ु ष)

िव ाथ िव ा का अथ (ष० त ु ष)

करणत ु ष

पद िव ह पद िव ह

ेमािस ेम से िस जलिस जल से िस

रसभरा रस से भरा मदमाता मद से माता

मेघा मेघ से आ रोगपीिड़त रोग से पीिड़त

रोग रोग से मुँहमाँ गा मुँह से माँ गा

दु ःखात दु ःख से आत मदा मद से अ

दे हचोर दे ह से चोर पददिलत पद से दिलत

तुलसीकृत तुलसी ारा कृत दु ःखस दु ःख से स

शोकाकुल शोक से आकुल क णापूण क णा से पूण

अकालपीिड़त अकाल से पीिड़त शोक शोक से

शोकात शोक से आत मजीवी म से जीनेवाला

कामचोर काम से चोर मुँहचोर मुँह से चोर

स दान त ु ष

पद िव ह पद िव ह

िशवापण िशव के िलए अपण रसोईघर रसोई के िलए घर

सभाभवन सभा के िलए भवन लोकिहतकारी लोक के िलए िहतकारी

माग य माग के िलए य ानघर ान के िलए घर

मालगोदाम माल के िलए गोदाम डाकमहसूल डाक के िलए महसूल

साधुदि णा साधु के िलए दि णा दे शभ दे श के िलए भ

पु शोक पु के िलए शोक ा णदे य ा ण के िलए दे य

राहखच राह के िलए खच गोशाला गो के िलए शाला

दे वालय दे व के िलए आलय िवधानसभा िवधान के िलए सभा


पद िव ह पद िव ह

परी ा भवन परी ा के िलए भवन रसोईघर रसोई के िलए घर

अपादान त ु ष

पद िव ह पद िव ह

बलहीन बल से हीन धनहीन धन से हीन

पद पद से थान थान से

माया र माया से र पापमु पाप से मु

ऋणमु ऋण से मु ई वरिवमुख ई वर से िवमुख

थान ुत थान से ुत लोको र लोक से उ र (परे )

ने हीन ने से हीन श हीन श से हीन

पथ पथ से जल र जल से र

ेम र ेम से र यमु य से मु

धमिवमुख धम से िवमुख पद ुत पद से ुत

धम ुत धम से ुत मरणो र मरण से उ र

दे श िनकाला दे श से िनकाला ज ां ध ज से अंधा

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स त ु ष

पद िव ह पद िव ह

अ दान अ का दान मदान म का दान

वीरक ा वीर की क ा ि पुरा र ि पुर का अ र

राजभवन राजा का भवन ेमोपासक ेम का उपासक

आन ा म आन का आ म दे वालय दे व का आलय

रामायण राम का अयन खरा र खर का अ र

गंगाजल गंगा का जल रामोपासक राम का उपासक

च ोदय च का उदय दे शसेवा दे श की सेवा

च र िच ण च र का िच ण राजगृह राजा का गृह

अमरस आम का रस राजदरबार राजा का दरबार

सभापित सभा का पित िव ासागर िव ा का सागर

गु सेवा गु की सेवा सेनानायक सेना का नायक

ामो ार ाम का उ ार मृगछौना मृग का छौना

राजपु राजा का पु पु कालय पु क का आलय

रा पित रा का पित िहमालय िहम का आलय

घुड़दौड़ घोड़ों की दौड़ सेनानायक सेना के नायक

यथाश श के अनुसार राजपु ष राजा का पु ष

राजमं ी राजा का मं ी

अिधकरण त ु ष

पद िव ह पद िव ह

पु षो म पु षों म उ म पु षिसंह पु षों म िसंह

ामवास ाम म वास शा वीण शा ों म वीण

आ िनभर आ पर िनभर ि याधम ि यों म अधम

शरणागत शरण म आगत हरफनमौला हर फन म मौला

मुिन े मुिनयों म े नरो म नरों म उ म

ानम ान म म किव े किवयों म े

दानवीर दान म वीर गृह वेश गृह म वेश

नराधम नरों म अधम सव म सव म उ म

रणशूर रण म शूर आन म आन मम

आपबीती आप पर बीती

कमधारय समास
पद िव ह पद िव ह

नवयुवक नव युवक छु टभैये छोटे भैये

कापु ष कु त पु ष कद कु तअ

िनलो ल नील उ ल महापु ष महान पु ष

स ाग सत् माग पीता र पीत अ र

परमे वर परम् ई वर स न सत् जन

महाका महान् का वीरबाला वीर बाला

महा ा महान् है जो आ ा महावीर महान् वीर

अंधिव ास अंधा है जो िव ास अंधकूप अंधा है जो कूप (कुआँ )

घन ाम घन के समान ाम नीलकंठ नीला है जो कंठ

अधपका आधा है जो पका काली िमच काली है जो िमच

दु रा ा दु र (बुरी) है जो आ ा नीला र नीला है जो अंबर

अकाल मृ ु अकाल (असमय) है जो मृ ु नीलगाय नीली है जो गाय

नील गगन नीला है जो गगन परमां नद परम् है जो आनंद

महाराजा महान है जो राजा महादे व महान है जो दे व

शुभागमन शुभ है जो आगमन महाजन महान है जो जन

नरिसंह नर पी िसंह चं मुख चं के समान मुख

ोधाि ोध पी अि े ता र ेत है जो अ र

लाल टोपी लाल है जो टोपी सदधम सत है जो धम

महािव ालय महान है जो िव ालय िव ाधन िव ा पी धन

करकमल कमल के समान कर मृगनयन मृग जैसे नयन

खटिम ा ख ा और मीठा है नरो म नरों म उ म ह जो

ाणि य ाण के समान ि य घन ाम घन के समान ाम

कमलनयन कमल सरीखा नयन परमां नद परम आनंद

च मुख चाँ द-सा सु र मुख च वदन च के समान वदन (मुखड़ा)

घृता घृत िमि त अ महाका महान है का जो

धमशाला धमाथ के िलए शाला कुसुमकोमल कुसुम के समान कोमल

कपोता ीवा कपोत के समान ीवा गगनां गन गगन पी आं गन

चरणकमल कमल के समान चरण ितलपापड़ी ितल से बनी पापड़ी

दहीबड़ा दही म िभंगोया बड़ा पकौड़ी पकी ई बड़ी

परमे र परम ई र महाशय महान आशय

महारानी महती रानी मृगनयन मृग के समान नयन

लौहपु ष लौह स श पु ष

िवशे पूवपदकमधारय

पद िव ह पद िव ह

कुमार वणा कुमारी ( ां री) मदनमनोहर मदन जो मनोहर है

ामसु र ाम जो सु र है जनकखेितहर जनक खेितहर (खेती करनेवाला)

िवशेषणोभयपदकमधारय
पद िव ह पद िव ह

नीलपीत नीला-पीला (दोनों िमले) कृताकृत िकया-बेिकया

शीतो शीत-उ (दोनों िमले) कहनी-अनकहनी कहना-न-कहना

िवशे ोभयपदकमधारय

पद िव ह पद िव ह

आ वृ आ है जो वृ वायसद ित वायस है जो द ित

उपमानकमधारय

पद िव ह पद िव ह

िव ु े ग िव ुत के समान वेग शैलो त शैल के समान उ त

कुसुमकोमल कुसुम के समान कोमल घन ाम घन-जैसा ाम

लौहपु ष लोहे के समान पु ष (कठोर)

उपिमतकमधारय

पद िव ह पद िव ह

चरणकमल चरण कमल के समान मुखच मुख च के समान

अधरप व अधर प व के समान नरिसंह नर िसंह के समान

पद पंकज पद पंकज के समान

पकमधारय

पद िव ह पद िव ह

पु षर पु ष ही है र भा ा भा ही है अ

मुखच मुख ही है च पु र पु ही है र

अ यीभाव समास

पद िव ह पद िव ह

िदनानुिदन िदन के बाद िदन ंग अंग-अंग

भरपेट पेट भरकर यथाश श के अनुसार

िनभय िबना भय का उपकूल कूल के समीप

अि के सामने िनधड़क िबना धड़क के

बखूबी खूबी के साथ यथाथ अथ के अनुसार

ेक एक-एक मनमाना मन के अनुसार

यथाशी िजतना शी हो बेकाम िबना काम का

बेलाग िबना लाग का आपादम क पाद से म क तक

ुपकार उपकार के ित परो अि के परे

बेफायदा िबना फायदे का बेरहम िबना रहम के

ितिदन िदन िदन आमरण मरण तक

अनु प प के यो यथा म म के अनुसार

बेखटके िबना खटके वे (िबन) यथासमय समय के अनुसार

आज ज से लेकर एकाएक अचानक, अक ात

िदनोंिदन कुछ (या िदन) ही िदन म यथोिचत िजतना उिचत हो


पद िव ह पद िव ह

रातोंरात रात-ही-रात म आजीवन जीवन पयत/तक

गली-गली ेक गली भरपूर पूरा भरा आ

यथािनयम िनयम के अनुसार ितवष वष-वष/हर वष

बीचोंबीच बीच ही बीच म आजकल आज और कल

यथािविध िविध के अनुसार यथा थान थान के अनुसार

यथासंभव संभावना के अनुसार थ िबना अथ के

रातभर भर रात अनुकूल कुल के अनुसार

अनु प प के ऐसा आसमु समु पय

पल-पल हर पल बार-बार हर बार

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Samas(Compound)(समास)

ि गु कमधारय (समाहारि गु)

पद िव ह पद िव ह

ि भुवन तीन भुवनों का समाहार ि काल तीन कालों का समाहार

चव ी चार आनों का समाहार नव ह नौ हों का समाहार

ि गुण तीन गुणों का समूह पसेरी पाँ च सेरों का समाहार

अ ा ायी अ अ ायों का समाहार ि पाद तीन पादों का समाहार

पंचवटी पाँ च वटों का समाहार ि लोक, ि लोकी तीन लोकों का समाहार

दु अ ी दो आनों का समाहार चौराहा चार राहों का समाहार

ि फला तीन फलों का समाहार नवर नव र ों का समाहार

सतसई सात सौ का समाहार पंचपा पाँ च पा ों का समाहार

चतुभुज चार भुजाओं का समूह चारपाई चार पैरों का समाहार

ितरं गा तीन रं गों का समाहार अ िस आठ िस यों का समाहार

चतुमुख चार मुखों का समूह ि वेणी तीन वेिणयों का समूह

नविनिध नौ िनिधयों का समाहार चव ी चार आनों का समाहार

दोपहर दो पहरों का समाहार पंचतं पाँ च तं ो का समाहार

स ाह सात िदनों का समूह ि ने तीनों ने ों का समूह

दु राहा दो राहों का समाहार चतुवद चार वेदों का समाहार

उ रपद धानि गु

पद िव ह पद िव ह

दु पहर दू सरा पहर शतां श शत (सौवाँ ) अंश

पंचह ड़ पाँ च ह ड़ (है ल) पंच माण पाँ च माण (नाप)

दु सूती दो सूतोंवाला दु धारी दो धारोंवाली (तलवार)

ब ीिह (समानािधकरणब ीिह)

पद िव ह पद िव ह

ा ोदक ा है उदक िजसे द भोजन द है भोजन िजसे

पीता र पीत है अ र िजसका िजते य जीती है इ याँ िजसने

िनधन िनगत है धन िजससे िमठबोला मीठी है बोली िजसकी (वह पु ष)

चौलड़ी चार है लिड़याँ िजसम (वह माला) चतुभुज चार है भुजाएँ िजसकी

िदग र िदक् है अ र िजसका सह कर सह है कर िजसके

व दे ह व है दे ह िजसकी ल ोदर ल ा है उदर िजसका

दशमुख दश है मुख िजसके गोपाल वह जो, गौ का पालन करे

सतसई सात सौ का समाहार पंचपा पाँ च पा ों का समाहार


पद िव ह पद िव ह

चतुवद चार वेदों का समाहार ि लोचन तीन है लोचन िजसके अथात िशव

कमलनयन कमल के समान है नयन िजसके अथात िव ु िग रधर िग र (पवत) को धारण करने वाला अथात ी कृ

गजानन गज के समान आनन (मुख) वाला अथात गणेश घन ाम वह जो घन के समान ाम है अथात ीकृ

च धर च धारण करने वाला अथात िव ु चतुमुख चार है मुख िजसके, वह अथात ा

नीलकंठ नीला है जो कंठ अथात िशव पंचानन पाँ च है आनन (मुँह) िजसके अथात वह दे वता

बारहिसंगा बारह ह सींग िजसके वह पशु महे श महान है जो ईश अथात िशव

लाठालाठी लाठी से लड़ाई सरिसज सर से ज लेने वाला

कपीश किपयों म है ईश जो- हनुमान खगेश खगों का ईश है जो वह ग ड़

गोपाल गो का पालन जो करे वह, ीकृ च पािण च हो पािण (हाथ) म िजसके वह िव ु

चतुरानन चार है आनन िजनको वह, ा जलज जल म उ होता है वह कमल

ज जल दे ता है जो वह बादल नीला र नीला अ र या नीला है अ र िजसका वह, बलराम

मुरलीधर मुरली को धरे रहे (पकड़े रहे ) वह, ीकृ व ायुध व है आयुध िजसका वह, इ

िधकरणब ीिह

पद िव ह पद िव ह

शूलपािण शूल है पािण म िजसके च भाल च है भाल पर िजसके

वीणापािण वीणा है पािण म िजसके च वदन च है वदन पर िजसके

तु योग या सहब ीिह

पद िव ह पद िव ह

सबल बल के साथ है जो सप रवार प रवार के साथ है जो

सदे ह दे ह के साथ है जो सचेत चेत (चेतना) के साथ है जो

ितहारब ीिह

पद िव ह पद िव ह

मु ामु ी मु े -मु े से जो लड़ाई ई लाठालाठी लाठी-लाठी से जो लड़ाई ई

ड ाड ी ड े -ड े से जो लड़ाई ई

ािदब ीिह

पद िव ह पद िव ह

बेरहम नहीं है रहम िजसम िनजन नहीं है जन जहाँ

(इतरे तर )

पद िव ह पद िव ह

धमाधम धम और अधम भलाबुरा भला और बुरा

गौरी-शंकर गौरी और शंकर सीता-राम सीता और राम

लेनदे न लेन और दे न दे वासुर दे व और असुर

िशव-पावती िशव और पावती पापपु पाप और पु भात-दाल भात और दाल

दे श-िवदे श दे श और िवदे श भाई-बहन भाई और बहन

ह र-शंकर ह र और शंकर धनुबाण धनुष और बाणा

अ जल अ और जल आटा-दाल आटा और दाल


पद िव ह पद िव ह

ऊँच-नीच ऊँच और नीच गंगा-यमुना गंगा और यमुना

दू ध-दही दू ध और दही जीवन-मरण जीवन और मरण

पित-प ी पित और प ी ब े-बूढ़े ब े और बूढ़े

माता-िपता माता और िपता राजा- जा राजा और जा

राजा-रानी राजा और रानी सुख-दु ःख सुख और दु ःख

अपना-पराया अपना और पराया गुण-दोष गुण और दोष

नर-नारी नर और नारी पृ ी-आकाश पृ ी और आकाश

बाप-दादा बाप और दादा यश-अपयश यश और अपयश

हार-जीत हार और जीत ऊपर-नीचे ऊपर और नीचे

शीतो शीत और उ इकतीस एक और तीस

द ित जाया-पित राग- े ष राग और े ष

लाभालाभ लाभ और अलाभ राधा-कृ राधा और कृ

लोटा-डोरी लोटा और डोरी गाड़ी-घोड़ा गाड़ी और घोड़ा

समाहार

पद िव ह पद िव ह

पया-पैसा पया-पैसा वगैरह घर-आँ गन घर-आँ गन वगैरह (प रवार)

घर- ार घर- ार वगैरह (प रवार) नाक-कान नाक-कान वगैरह

नहाया-धोया नहाया और धोया आिद कपड़ा-ल ा कपड़ा-ल ा वगैरह

वैक क

पद िव ह पद िव ह

पाप-पु पाप या पु भला-बुरा भला या बुरा

लाभालाभ लाभ या अलाभ धमाधम धम या अधम

थोड़ा-ब त थोड़ा या ब त ठ ा-गरम ठ ा या गरम

नञ समास

पद िव ह पद िव ह

अनाचार न आचार ना क नआ क

अनदे खा न दे खा आ अनुिचत न उिचत

अ ाय न ाय अ ान न ान

अनिभ न अिभ अि तीय िजसके समान दू सरा न हो

नालायक नहीं लायक अगोचर न गोचर

अचल न चल अज ा नज ा

अधम न धम अन नअ

अनेक न एक अनपढ़ न पढ़

अपिव न पिव अलौिकक न लौिकक

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