Professional Documents
Culture Documents
Nitya Niyam
Nitya Niyam
नित्य नियम
।।अथ मंगलाचरण।।
गरीब नमो नमो सत् पुरूष कुुं, नमस्कार गुरु कीन्ही।
सुरनर मुननजन साधवा, सुंतोुं सववस दीन्ही।1।
सतगुरु सानिब सुंत सब डण्डौतम् प्रणाम।
आगे पीछै मध्य हुए, नतन कुुं जा कुरबान।2।
नराकार ननरनवषुं , काल जाल भय भुंजनुं।
ननलेपुं ननज ननगुवणुं, अकल अनूप बेसुन्न धुनुं।3।
सोिुं सुरनत समापतुं , सकल समाना ननरनत लै।
उजल निरुं बर िरदमुं बे परवाि अथाि िै , वार पार निीुं मध्यतुं।4।
गरीब जो सुनमरत नसद्ध िोई, गण नायक गलताना।
करो अनुग्रि सोई, पारस पद प्रवाना।5।
आनद गणेश मनाऊँ, गण नायक दे वन दे वा।
चरण कवुंल ल्यो लाऊँ, आनद अुंत करहुं सेवा।6।
परम शक्ति सुंगीतुं , ररक्तद्ध नसक्तद्ध दाता सोई।
अनबगत गुणि अतीतुं, सतपु रुष ननमोिी।7।
जगदम्बा जगदीशुं , मुंगल रूप मुरारी।
तन मन अरपुुं शीशुं, भक्ति मुक्ति भण्डारी।8।
सुर नर मुननजन ध्यावैं , ब्रह्मा नवष्णु मिे शा।
शेष सिुं स मुख गावैं , पूजैं आनद गणेशा।9।
इन्द कुबेर सरीखा, वरुण धमवराय ध्यावैं।
सुमरथ जीवन जीका, मन इच्छा फल पावैं।10।
तेतीस कोनि अधारा, ध्यावैं सहंस अठासी।
उतरैं भवजल पारा, कनि हैं यम की फांसी।11।
।। मन्त्र।।
अनािद मन्त्र सुख सलािद मन्त्र, अजोख मन्त्र,
बेसुन मन्त्र ननबाव न मन्त्र थीर िै ।।1।।
आनद मन्त्र यु गानद मन्त्र, अचल अभुंगी मन्त्र,
सदा सत्सुंगी मन्त्र, ल्यौलीन मन्त्र गिर गम्भीर िै ।।2।।
सोऽिुं सुभान मन्त्र, अगम अनुराग मन्त्र, ननभवय अडोल मन्त्र,
ननगुवण ननबवन्ध मन्त्र, ननश्चल मन्त्र नेक िै ।।3।।
गैबी गुलजार मन्त्र, ननभवय ननरधार मन्त्र,
सुमरत सुकृत मन्त्र अगमी अबुंच मन्त्र अदनल मन्त्र अलेख िै ।4।
फजलुं फराक मन्त्र, नबन रसना गुणलाप मन्त्र,
निलनमल जहर मन्त्र, सरबुंग भरपूर मन्त्र, सैलान मन्त्रसार िै ।।5।।
ररुं कार गरक मन्त्र, तेजपुुंज परख मन्त्र, अदली अबन्ध मन्त्र,
अजपा ननसवन्ध-मन्त्र, अनबगत अनािद मन्त्र, नदल में दीदार िै ।।6।।
वाणी नवनोद मन्त्र, आनन्द असोध मन्त्र, खुरसी करार मन्त्र,
अनभय उच्चार मन्त्र, उजल मन्त्र अलेख िै ।।7।।
सानिब सतराम मन्त्र, साुं ई ननिकाम मन्त्र, पारख प्रकास मन्त्र,
निरम्बर हुलास मन्त्र, मौले मलार मन्त्र, पलक बीच खलक िै ।।8।।
।।अथ गुरुदे वे का अंग।।
गरीब, प्रपटन वि प्रलोक िै , जिाुं अदली सतगुरु सार।
2
गुरुसे बैर करै नशष्य जोई। भजन नाश अरु बहुत नबगोई।।
पीनढ सनित नरकमें पररिै । गुरु आज्ञा नशष्य लोप जो कररिै ।।
चेलो अथवा उपासक िोई। गुरु सन्मुख ले िूठ सुंजोई।।
ननश्चय नकव परै नशष्य सोई। वेद पुराण भाषत सब कोई।।
सन्मुख गुरुकी आज्ञा धारै । अरू नपछे तै सकल ननवारै ।।
सो नशष्य घोर नकवमें पररिै । रुनधर राध पीवै ननिुं तरर िै ।।
मुखपर वचन करै परमाना। घर पर जाय करै नवज्ञाना।।
जिाँ जावै तिाँ ननुंदा करई। सो नशष्य क्रोध अनि में जरई।।
ऐसे नशष्यको ठािर नािीुं। गुरु नवमुख लोचत िै मनमािीुं।।
बेद पुराण किै सब साखी। साखी शब्द सबै योुं भाखी।।
मानुष जन्म पाय कर खोवै। सतगुरु नवमुखा जुगजुग रोवै।।
गरीब, गुरु द्रोिी की पैड पर, जे पग आवै बीर।
चैरासी ननश्चय पडै , सतगुरु किैं कबीर।।
कबीर, जान बूि साची तजै, करैं िूठे से नेि।
जानक सुंगत िे प्रभु, स्वपन में भी ना दे ि।।
तातै सतगुरु सरना लीजै। कपट भाव सब दू र करीजै।।
योग यज्ञ जप दान करावै।गुरु नवमुख फल कबहुँ न पावै ।
निष्य की आधीिता
दोउकर जोरर गुरुके आगे।कररबहु नवनती चरनन लागे।।
अनत शीतल बोलै सब बैना। मेटै सकल कपटके भैना।।
िे गुरु तुम िो दीनदयाला। मैं हँ दीन करो प्रनतपाला।।
बुंदीछोड मैं अनतनि अनाथा। भवजल बूडत पकडो िाथा।।
नदजै उपदे श गुप्त मुंत्र सुनाओ। जन्म मरन भवदु ुःख छु डाओ।।
योुं आधीन िोवै नशष्य जबिीुं। नशष्य पर कृपा करै गुरु तबिीुं।।
गुरुसे नशष्य जब दीच्छा माुं गै। मन कमव वचन धरै धन आगै।।
ऐसी प्रीनत दे क्तख गुरु जबिीुं। गुप्त मुंत्र किै गुरु तबिीुं।।
भक्ति मुक्ति को पुंथ बतावै। बुरो िोनको पुंथ छु डावै।।
ऐसे नशष्य उपदे शनिुं पाई। िोय नदव्य दृनष्ट पुरूषपै जाई।।
गुरु सेवा महात्मय
गुंगा यमुना बद्री समेते। जगन्नाथ धाम िैं जेते।।
भ्रमे फल प्राप्त िोय न जेतो। गुरु सेवा में पावै फल ते तो।।
गुरु मिातमको वारनपारा। वरणे नशवसनकानदक और अवतारा।।
गुरुको पूणव ब्रह्मकर जाने। और भाव कबहँ ननिुं आने।।
नजन बातनसे गुरु दु ुःख पावै। नतन बातनको दू र बिावै।।
अष्ट अुंगसे दुं डवत प्रणामा। सुंध्या प्रात करै ननष्कामा।।
गुरु चरणामृत का महात्मय
कोनटक तीथव सब कर आवै। गुरु चरणाफल तुरुंत िी पावै ।।
सुरनत ननरनत कुुं कमल पठवो, जिाुं दीपक नबन तेल िै ।53।
िरदम खोज िनोज िाजर, नत्रवेणी के तीर िैं ।
दास गरीब तबीब सतगुरु, बन्दी छोड कबीर िैं ।54।
_____________________ सत साहेब _______