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Padartha: Lakshana, enumeration and

classification,
Bhava and Abhava padartha,
Padartha according to Charaka (Karana-
Padartha).

 words capable expressing a clear meaning are


Padas. Thus a complete or inflected word is called
Pada.
 वर्णो/अक्षरों का समह


 सब
ु न्तं ततङन्तं च पदसंज्ञं स्यात ।
जैसे- आयष
ु , पपयष
ु , हरजजत, शाहहद ये सब
ु न्त (सप
ु अन्त) है ।
आरती, सतु ितत, गच्छतत, खादतत, पठतत ये ततङन्त (तत अन्त) है ।
सब
ु न्त ततङन्त इन्हे पद कहा जाता है ।

शक्तम ् पदम ्।
 अर्थयक्ु त एक अक्षर या अक्षर समूह को पद कहते है ।
 एक अक्षर = त ख
 अक्षर समह ू = तग, कग खत, मेला
 पद के तीि प्रकार
 १. रुढ- धातु, प्रत्यय रहहत

जैसे- आम, सौंठ


२. यौगगक- धात,ु प्रत्यय यक्ु त
जैसे- पाचक, दशथि, द्रव्य
३. योगरुढ- साधारर्ण अर्थ से पवशेष अर्थ व्यक्त करते है
जैसे- पंकज, उतिदज
 “ऋ गतौ” धातु- अर्थ
 ऋच्छजन्त इंजन्द्रयार्णी इतत अर्थः।
 पवषय जो जाििे योग्य हो
 पंचजे न्द्रय
 अर्ाथः शब्दादयो ज्ञेया गोचराः पवषया गर्ण
ु ाः।
च.शा. 1/31
 दो पदों(पद और अर्थ) से पदार्थ शब्द बिता है ।
1) योऽर्ोऽभिहहतः सत्र
ू े पदे वा स पदार्थः । सु.सं.उ. 65/11
2) पदस्य, पदयोः, पदािां वा योऽर्थः स पदार्थः ।
3) अर्थः पदस्य । च.भस. 12/41
4) अभिधेयत्वं पदार्थसामान्यलक्षर्णं। ……तकथदीपपका

पद या पदों के द्वारा जजस पवषय का बोध / ज्ञाि होता है


उसे पदार्थ कहते है ।
 षण्र्णामपप पदार्ाथिामजस्तत्वाभिधेयत्वज्ञेयत्वाति।
प्रषस्तपाद
 (existence)
 (namability)
 (knowability)
जैसे षडपदार्थ
 पदार्थ का पवशेष ज्ञाि
 िाव – अिाव पदार्ों की परीक्षा के साधि एवं पवगध
 कैसे करे गे= प्रमार्ण
वादमागथ
तन्त्रयुजक्त
पररक्ष्य पवषय
कायथकारर्ण वाद आहद से

 द्पवपवधमेव खलु सवं सच्चासच्च(सत च असत च) ।
च.सू. ११/१७
काररकावली अिुसार
 भाव पदार्थ अभाव पदार्थ
1.द्रव्य 1.प्राग्िाव (प्राक अिाव)
2.गर्णु 2.प्रध्वंसािाव
3.कमथ 3.अत्यन्तािाव
4.सामान्य 4.अन्योन्यािाव
5.पवशेष
6.समवाय


ष्ट

कुपपता प्रशमतयत्वाः
तिहथतव्थ या
शे
१) षडपदार्थ=पवश्व के समस्त वस्तओ ु ं और पवषयों का समावेश
२) ९ प्रकार के कारर्ण द्रव्य का समग्र ज्ञाि

३) पदार्थगत द्रव्यज्ञाि की उपयोगगताः िौततक द्रव्य(शरीर,इजन्द्रय)

आध्याजत्मक द्रव्य(मि,आत्मा)
४) शरीरगत िावों रस रक्ताहद का अिव ु तथि() सामान्य व पवशेष द्रव्यों
द्वारा होता है ।
५) आयव ु ेद के प्रततपाद्य पवषय जैसे सख ु ाय,ु दख
ु ाय,ु हहतायु,अहहतायु
ये सब पदार्थ ज्ञाि की अपेक्षा रखते है ।
६) पदार्ो का सम्यक ज्ञाि प्रमार्ण आहद साधिों द्वारा।
७) रोगम आदौ पररक्षेत……
८)वादमागथ=पदों का ज्ञाि,अन्य पक्ष का खण्डि,स्वपक्ष की
स्र्ापिा,अिस ु ध
ं ाि
 द्रव्य शब्द की उत्पजत्तः ‘द्र’ु धातु से (गतत) यत प्रत्यय
 = गतत, गमि, ज्ञाि, प्राजतत ।

 तिरुजक्त= १. “द्रवतत गच्छतत पररर्णाममिीक्ष्र्णभमतत द्रव्यम ।”


 २. “द्रवतत गच्छतत संयोगपविागाहदगर्णु ातितत वा द्रव्यम ।”
यत्रागिताः कमथगर्ण
ु ाः कारर्णं समवातय यत ्| तद्द्रव्यं
...|51|

अप्रर्किाव- किी अलग ि होिे वाला संबंध-समवाय


 क्रियावाि
 गर्ण
ु वाि
 समवातयकारर्णत्व
 खादीन्यात्मा मिः कालो हदशश्च द्रव्यसङ्ग्ग्रहः|
सेजन्द्रयं चेतिं द्रव्यं, तिररजन्द्रयमचेतिम ्||४८||
 चेति

अन्तश्चेति बहहश्चेति
१.विस्पतत १.जरायजु
२.वािस्पत्य २.अण्डज
३.वीरुध ३. स्वेदज
४.औषध ४.औतिद

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