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10th Subhashitmala
10th Subhashitmala
अर्थ- ज्याप्रमाणे सोन्याची परीक्षा चार प्रकाराांनी करतात घासून; तुकडा पाडू न;
तापवून आणण आघात करून तसांच माणसाांची परीक्षा त्याच णिक्षण; चाणरत्र्य; घराणां
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अर्थ- जेर्े णवद्वान नाहीत, णतर्े बेताची अक्कल असणाऱ्या माणसाचां कौतुक होत.
णजर्े मोठमोठी झाडे नाहीत, अिा प्रदे िात एरां डा [सारख्या झुडपाला] सुद्धा वृक्ष
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अर्थ- जेंव्हा मी अगदी र्ोडे से णिकलो तेंव्हा मी अगदी सवथज्ञ आहे असा मला गवथ
झाला. मी हत्तीप्रमाणे मदाांध झालो. [नांतर] जेंव्हा मी, र्ोडा र्ोडा ज्ञानी
लोकाांच्या सहवासात आलो, तेंव्हा मला समजलां [की खरां तर] मी मूखथच आहे . [आणण]
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अर्थ- र्ोर माणूस फार बोलत नाही. अणत बडबड करणारा माणूस क्षुद्र असतो. कािाचा
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६)यादृशं वपिे बीजं क्षे त्रमासाद्य कर्षकिः। सुकृिे दुष्कृ िे वानप िादृशं लभिे
फलम्।। (महाभारि, अनुशानपवष 6/6)
अर्थ- िेतकरी जसा िेतात जाऊन बी पेरतो तश्याच फळाची त्याला प्राप्ती होते.
।। ३.सूक्तिसुधा ।।
१)नवद्या नाम नरतय रूपमनधकं प्रच्छन्नगुप्िं धनं नवद्या भोगकरी यशिःसुर्खकरी नवद्या
गुरूणां गुरु: । नवद्या बन्धुजनो नवदे शगमने परं दे विं नवद्या राजसु पूज्यिे न नह धनं
नवद्यानवहीनिः पशु: ।।
अर्थ- णवद्या हे च पुरुषाचां (थरी-पुरुष मतभेद नाही हा, नर= मनुष्य) सगळ्यात चाांगलां रूप
आहे , जणू ते एक गुप्तधनच आहे .णवद्येमळ
ु े माणूस अनेकणवध भोग भोगू िकतो (णवद्येच्या
जोरावर अर्ाजथन करता येते, ज्यातून अनेकणवध भोग भोगता येऊ िकतात) णवद्येने
यिप्राप्ती होते आणण ते सुखाचां एक कारण आहे . णवद्या ही सगळ्यात मोठी गुरू आहे .
परदे िात (ककवा परराज्यातही) णवद्या ही एखाद्या भावासारखी (ककवा नातेवाइकासारखी)
असते. अिी णवद्या हे सवात श्रेष्ठ दै वत आहे . (म्हणूनच) राजे लोक णवद्येला (णवद्या
असणार्याला) पुजतात, धनाला नाही. त्यामुळे ज्याच्याकडे णवद्या नाही तो पिूच समजला
पाणहजे.
।। युग्ममाला व सूक्तिसुधा ।।
२)ननन्दन्िु नीनिननपुणा यनद वा तिुवन्िु, लक्ष्मीिः क्तथरा भविु गच्छिु वा यथे ष्टम्
।अद्यव वा मरणमतिु युगान्िरे वा न्याय्यात्पथिः प्रनवचलक्न्ि पदं न धीरािः॥
अर्थ- णनतीिाथराचे जाणकार कनदा करोत अर्वा थतुती करोत, सांपत्ती स्थर्र राहो वा खुिाल
जावो, मृत्यू आजच येवो अर्वा दीघथ काळाने , धाडसी माणसाांचे पाय मार न्याय/
सन्मागावरून कधीही णवचणलत होत नाहीत.
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अर्थ-पोपट आणण साळुां क्या थवत:च्या गोड आवाजाच्या [खरां तर गुण पण लोकाांनी
पकडण्याच्या दष्ृ टीने] दोषामुळे बांधनात पडतात. बगळे [काही आवाज करत नसल्यामुळे]
पकडले जात नाहीत [म्हणून] मौन हे सवथ हव्या असलेल्या गोष्टी णमळवण्याचे साधन आहे .
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अर्थ- रर्ाला एकच चाक आहे , रर् हाकणारे साती घोड़े सापाने वेढलेले आहे त, काहीही
आधार नसलेला रथता आहे आणण रर्ाचा सारर्ी एका पायाने अधू आहे , (अिा सगळ्या
अडचणी असताना दे खील ) सूयथ अनांत अिा आकािातून रोज मागथक्रमण करीत असतो.
महान लोकाांची कायथणसद्धी खरोखर त्याांना उपलब्ध असलेल्या साधनाांवर अवलांबन
ू नसून
त्याांच्या थवतःच्या पराक्रमावर अवलांबन
ू असते.
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अर्थ- बालवयात प्यायलेले र्ोडे से पाणी लक्षात ठे वत नारळाांचा भार आयुष्यभर डोक्यावर
धारण करुन मनुष्याांना अवीट गोडीचे पाणी दे तात. खरोखरच सज्जन लोक (त्याांच्यावर)
केलेले उपकार कधीही णवसरत नाहीत.
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अर्थ- भाांडी फोडावीत, कपडे फाडावेत अगदी गाढवावर सुद्धा बसावे, पण या ना त्या प्रकारे
मनुष्याने प्रणसद्ध व्हावे!
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