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त्राटक

परिचय-

त्राटक ध्मान के अभ्मास की साधना है , जजसभें ककसी वस्तु ऩय ध्मान को


केजरित ककमा जाता है मा एकटक ककसी वस्तु ऩय दृजटट केजरित कय भन को
एकाग्र कयना त्राटक कहराता है । त्राटक को हठमोग का ही एक अंग भाना गमा
है । इसके अभ्मास से व्मजतत भें एकग्रता भें वद्धृ ि होती है औय व्मजतत भें
हहऩनोटाइज (सम्भोहन शजतत) का जागयण होता है । त्राटक को अनेक द्धवधधमों
द्वाया तथा ऩद्मासन, ससिासन मा वज्रासन भें फैठ कय ककमा जाता है । मोगशास्त्र
भें त्राटक के फाये भें कहा गमा है कक एकाग्र होकय ऩरकों को बफना झऩकाए
ककसी सक्ष्
ू भ वस्तु (छोटे वस्तु मा बफरद)ू ऩय आंखो भें आंसू आने तक केजरित
कयना औय आंसू आने ऩय आंखों को फंद कय रेना त्राटक कहराता है ।

इस क्रिया की विधि-

त्राटक को अनेक प्रकाय से ककमा जाता हैं। त्राटक के सरए एक फंद कभये
भें ऩद्मासन मा वज्रासन भें फैठ कय अऩने से साढ़े चाय हाथ की दयू ी ऩय सपेद
कागज ऩय ध्मान केजरित कयने के सरए एक रूऩमे के फयाफय कागज ऩय गोर
ननशान फना रें । ननशान का यं ग कारा मा हया होना चाहहए। मा कभये भें कोई
दीऩक मा भोभफत्ती जराकय अऩने आंखों की फयाफय ऊंचाई ऩय यखें। दीऩक के
सरए दे शी घी का प्रमोग कयें ।

अफ आऩ नीचे आसन की तयह कुछ बफछाकय ऩद्मासन भें फैठ जाएं।


अऩने भन को एकाग्र कये औय शयीय को जस्थय यखते हुए अऩनी दृजटट को
कागज ऩय फनाए गमे ननशान ऩय केजरित कयें मा दीऩक मा भोभफत्ती से
ननकरने वारी रौ (ज्मोनत) ऩय केजरित कयें । इस किमा भें बफना ऩरक झऩकाएं
तफ तक उस ऩय दृजटट यखें, जफ तक आंखों भें आंसू आने की जस्थनत न फन
जाएं। आंखों भें आंसू आने से ऩहरे ही आंखों को फंद कय रें औय अऩनी दोनों
हथेसरमों को आऩस भें यगड़कय आंखों के ऩरको को सहराएं। इस तयह इस
किमा को 15 सभनट तक कयने के फाद आऩको उस प्रकाश (रौ) के आस-ऩास
अनेक बफरदओ
ु ं भें ककयणे नज़य आने रगेगी। ऩयं तु अऩनी दृजटट को ऩहरे वारे
प्रकाश (रौ) ऩय केजरित कयते यहें । महद इस रौ (प्रकाश) को दे खना छोड़कय
फगर के प्रकाश को दे खने की कोसशश कयने ऩय साया प्रकाश रुप्त हो जामेगा।
कुछ दे य तक एकाग्र होकय प्रकाश को दे खते यहने के फाद ऩहरे की तयह ही
प्रकाश आ जामेगा। मह किमा तफ होती है , जफ दृजटट एकाग्र कय जजस हदशा भें
यखी जाती है उस हदशा भें प्रकाश ही प्रकाश हदखाई दे ने रेगेगा। एकाग्र ध्मान व
दृजटट केजरित कयते सभम अनेक बफरदओ
ु ं भें कोई ककयण मा प्रकाश हदखाई न
दें । इसभे जफ व्मजतत ऩयू े प्रकाश को अऩने अरदय आत्भा के फीच जस्थय कय
रेता है तफ इसको ऩूणण भाना जाता है ।

साििानी-

त्राटक का अभ्मास ब्रहाभह


ु ू तण मा भध्मयाबत्र के सभम कयें । त्राटक किमा को
तफ तक कयें जफ तक आंखों भें जरन न होने रगें । इस किमा को शरू
ु -शरू
ु भें
एक फाय ही कयें । त्राटक के सरए कबी बी कैयोससन तेर का प्रमोग न कयें तथा
फल्फ ऩय बी त्राटक किमा को न कयें ।

विशेष-

हठमोग के षट्कभण से कुण्डसरनी जागयण भें बी सहामता सभरती है । इस


किमा को शांत स्थान ऩय कयें औय भन को एकाग्र कयें । इसभें दीऩक के रौ के
अरावा ककसी दस
ू यी वस्तु ऩय बी कय सकते हैं। जैसे- आऩ अऩने भन के
अनुसाय ककसी फगीचे भें शांत स्थान ऩय फैठ कय पूर ऩय दृजटट एकाग्र कय
सकते हैं। इसभें सपरता सभरने के फाद चांदनी यात भें चरिभा ऩय अऩनी दृजटट
केजरित कय सकते हैं।

त्राटक से लाभ-
त्राटक से शांबवी भुिा ससि होती है । इससे आंखों के द्धवकाय दयू होकय
आंखों की योशनी फढ़ती है । इस किमा से आंखों भें इतनी शजतत आ जाती है
कक हदन भें बी ताये हदखाई ऩड़ने रगते हैं। इससे धायणा भें राब सभरता है
औय भन जस्थय यहता है । इससे इच्छा शजतत फढ़ती है औय प्राणवामु जस्थय यहती
है । इस की ऩण
ू ण ससद्धि होने के फाद महद वह व्मजतत अऩनी इच्छाशजतत को
फढ़ाकय ककसी व्मजतत की आंखों से आंखो को सभराकय दे खें तो व सम्भोहहत मा
हहप्नोहटज्भ हो जाता है औय जो बी कहता है वह कयने को तैमाय हो जाता है ।

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