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त्राटक
त्राटक
परिचय-
इस क्रिया की विधि-
त्राटक को अनेक प्रकाय से ककमा जाता हैं। त्राटक के सरए एक फंद कभये
भें ऩद्मासन मा वज्रासन भें फैठ कय अऩने से साढ़े चाय हाथ की दयू ी ऩय सपेद
कागज ऩय ध्मान केजरित कयने के सरए एक रूऩमे के फयाफय कागज ऩय गोर
ननशान फना रें । ननशान का यं ग कारा मा हया होना चाहहए। मा कभये भें कोई
दीऩक मा भोभफत्ती जराकय अऩने आंखों की फयाफय ऊंचाई ऩय यखें। दीऩक के
सरए दे शी घी का प्रमोग कयें ।
साििानी-
विशेष-
त्राटक से लाभ-
त्राटक से शांबवी भुिा ससि होती है । इससे आंखों के द्धवकाय दयू होकय
आंखों की योशनी फढ़ती है । इस किमा से आंखों भें इतनी शजतत आ जाती है
कक हदन भें बी ताये हदखाई ऩड़ने रगते हैं। इससे धायणा भें राब सभरता है
औय भन जस्थय यहता है । इससे इच्छा शजतत फढ़ती है औय प्राणवामु जस्थय यहती
है । इस की ऩण
ू ण ससद्धि होने के फाद महद वह व्मजतत अऩनी इच्छाशजतत को
फढ़ाकय ककसी व्मजतत की आंखों से आंखो को सभराकय दे खें तो व सम्भोहहत मा
हहप्नोहटज्भ हो जाता है औय जो बी कहता है वह कयने को तैमाय हो जाता है ।