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7/27/2020 नजला – जुकाम : आम, मगर परे शान करने वाला रोग

नजला – जक
ु ाम : आम, मगर परे शान करने वाला रोग  
अ वनाश संह यस
ू : 207606 | सत बर 2011

नजला-जक
ु ाम एक बहुत ह आम और हमेशा परे शान करने वाला रोग है । वा तव म यह रोग नह ं, शर र क एक
सांवेद नक त या है , जो मौसम बदलने, नाक म धल
ू कण जाने आ द से उ प न होती है । परू े व व के लोग कभी न
कभी, इसके शकार होते ह ह। नज़ला-जक
ु ाम शीत के कारण होने वाला एक ऐसा रोग है , िजसम नाक से पानी बहने
लगता है । मामल
ू - सा दखने वाला यह रोग, कफ क अ धकता के कारण अ धक क टदायक हो जाता है । य तो ऋतु
आ द के भाव से दोष संचय काल म सं चत हो कर अपने कोप काल म ह कु पत होते ह, परं तु दोष के कोपक कारण
क अ धकता, या बलता के कारण त काल भी कु पत हो जाते ह, िजससे जक
ु ाम हो जाता है ; अथात नज़ला-जक
ु ाम शीत
काल के अ त र त भी हो सकता है ।

आयव
ु द म नजला-जक
ु ाम 6 कार के बताये गये ह। आचाय चरक ने इसके चार कार बताये ह, जब क आचाय सु त
ु ने
पांच कार माने ह।

वायज
ु य (वातज) : वायु से उ प न जक
ु ाम म नाक म वेदना, संई
ु चभ
ु ने जैसी पीड़ा, छ ंक आना, नाक से पतला ाव
आना, गला, तालु और होठ का सख
ू जाना, सर दद और आवाज बैठ जाना आ द ल ण होते ह।

प तज य ( प तज) : नाक से गम और पीले रं ग का ाव आना, नाक का अगला भाग पक जाना, वर, मख


ु शु क हो
जाना, बार-बार यास लगना, शर र दब
ु ला और वचा चमकर हत होना इसके ल ण ह। नाक से धंआ
ु नकलता महसस

होता है ।

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कफज य (कफज) : आंख म सज


ू न, सर म भार पन, खांसी, अ च, नाक वारा कफ का ाव, लाला ाव और नाक के
भीतर, गले और तालु म 'खज
ु ल होती है ।

दोषज : उपयु त तीन दोष से उ प न जक


ु ाम बार-बार हो जाता हैे । साथ ह तीन दोष के मलेजल
ु े ल ण दखाई दे ते
ह। शर र म अ य धक पीड़ा होती है ।

र तज य (र तज) : नाक से लाल रं ग का ाव होता है । रोगी क आंख लाल हो जाती ह। मंह


ु से बदबू आती है । सीने म
दद, गंध का ठ क तरह से पता न चलना आ द ल ण होते ह।

द ू षत : नजला-जक
ु ाम के सभी दोष क अ यंत व ृ हो जाने से बार-बार नाक बहना, सांस म दग
ु ध, नाक का बार-बार
बंद होना-खल
ु ना, संग
ु ंध-दग
ु ध पता न चलना आ द ल ण होते ह।

नजला-जक
ु ाम के मख
ु कारण : नजला-जक
ु ाम मि त कज य रोग होते हुए भी इस रोग का मल
ू कारण अि न है ;
अथात जब जठराि न मंद होती है , तो इसम अजीण हो जाता है । पाचन या बगड़ जाती है और भोजन ठ क से पच नह ं
पाता एवं क ज हो जाने के कारण उपचय पदाथ का वसजन नह होता िजसके कारण जकाम क उ पि त होती है
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7/27/2020 नजला – जुकाम : आम, मगर परे शान करने वाला रोग
पाता एव क ज हो जाने के कारण उपचय पदाथ का वसजन नह होता, िजसके कारण जक
ु ाम क उ पि त होती है
य क शर र म एक त वजातीय त व जब अ य रा त से बाहर नह ं नकल पाते, तो वे जक
ु ाम के प म नाक से
नकलने लगते ह। यह जक
ु ाम अ य धक क टदायक होता है । इससे सर, नाक, कान, गला तथा ने के वकार उ प न
होने लगते ह।

जक
ु ाम का कारण मान सक गड़बड़ी भी दे खा गया है । इसके अ त र त अ य कारण ह। मल, मू , छ ंक, खांसी आ द वेग
को रोकना, नाक म धल
ू कण का वेश होना, अ धक बोलना, ोध करना, अ धक सोना, अ धक जागरण करना, शीतल
जल और ठं डे पेय पीना, अ त मैथन
ु करना, रोना, धए
ु ं आ द से मि त क म कफ जम जाना। साथ ह साथ मि त क म
वायु क व ृ हो जाती है । तब ये दोन दोष मल कर नजला-जक
ु ाम या ध उ प न करते ह।

जक
ु ाम को साधारण रोग मान कर उसक उपे ा करने से यह अ त तकल फदह हो जाता है ; साथ ह अ य वकार भी
उ प न होने लगते ह। जक
ु ाम बगड़ने पर वह नजले का प धारण कर लेता है ।

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नजला हो जाने पर नाक म वास का अवरोध, नाक से हमेशा पानी बहना, नाक पक जाना, बाहर गंध का ान न होना,
मख
ु क दग
ु ध आ द वकार उ प न हो जाते ह।

क टदायी है जक
ु ाम का बगड़ना : जक
ु ाम के बगड़ जाने क अव था के बाद मि त क क अनेक या धयां होती ह, जो
क टदायी हो जाती ह। इस रोग के कारण बहरापन, कान के पद म छे द तथा कान, नाक, ताल,ु वास न लका म कसर होने
क संभावना रहती है । अंधापन भी उ प न हो जाता है । कहा जाता है क नजले ने शर र के िजस अंग म अपना आ य
बना लया, वह अंग वह खा गया। दांत म घस
ु गया, तो दांत गये, कान म गया, तो कान गये, आंख म गया, तो आंखे
गयी, छाती म जमा हो, तो दमा और कसर जैसी या धयां उ प न कर दे ता है । सर पर गया, तो बाल गये।

च क सा : सबसे पहले रोग को उ प न करने वाले कारण को दरू कर। कफव क, मधरु , शीतल, पचने म भार पदाथ न
खाएं। दन म सोने, ठं डी हवा का झ का सीधे शर र पर आने दे ने, अ त मैथन
ु आ द से दरू रह। पचने म ह का, गम और
खा आहार ल। स ठ, तल
ु सी, अदरक, बगन, दध
ू , तोरई, ह द , मेथी दाना, लहसन
ु , याज आ द सेवनीय चीज ह। स ठ के
एक च मच को चार कप पानी म पका कर बनाया गया काढ़ा दन म 3 -4 बार पीना लाभदायक है ।

अ य घरे लू उपचार :
सह
ु ागे को तवे पर फुला कर चण
ू बना ल। नजला-जक
ु ाम होने पर गम पानी के साथ दन म तीन बार लेने
से पहले ह दन, या यादा से यादा तीन दन म जक
ु ाम ठ क हो जाएगा।
काल मच और बताशे पाव भर जल म पकाव। चौथाई रहने पर इसे गरमागरम पी ल। ातः खाल पेट
और रात को सोते समय तीन दन उपयोग कर। नजला-जक
ु ाम से राहत मलेगी।
5 ाम अदरक के रस म 5 ाम तल
ु सी का रस मला कर 10 ाम शहद से ल।
काल मच को दध
ू म पका कर सब
ु ह-शाम पीएं।
अम द के प ते चाय क तरह उबाल कर पीएं।
षड बंद ु तेल क 4-4 बंद
ू े दोन नथन
ु म टपकाने से शी ह सर के वकार न ट हो जाते ह।
गम दध
ू के साथ स ठ का चण
ू सब
ु ह-शाम सेवन कर।
दन म 2 बार अनार, या संतरे के छलक को उबाल कर उसका काढ़ा पीने से जक
ु ाम ठ क हो जाता है ।
चन
ू े के पानी म गुड़ घोल कर पीने से जक
ु ाम ठ क हो जाता है ।
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7/27/2020 नजला – जुकाम : आम, मगर परे शान करने वाला रोग

दो ाम मल
ु हठ चण
ू को शहद के साथ दन म 3 बार चाटने से जक
ु ाम ठ क होता है ।

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यो तषीय कारण : य तो यह रोग आम तौर पर सभी को कभी-कभी होता ह है , ले कन फर भी कुछ लोग इससे वशेष
भा वत रहते ह और िजंदगी भर इस रोग से त रहते ह। जा हर है क उनक ह ि थ तयां ह कुछ ऐसी रह ह गी।

नज़ला-जक
ु ाम मि त कज य रोग है । फर भी इसका मल
ू कारण अि न है ; अथात ् पाचन या बगड़ जाती है । काल
पु ष क कंु डल म पाचन का थान पंचम भाव है , िजसका त न ध व संह रा श करती है । मि त क का थान थम
भाव है । इन दोन भाव का आपसी को णक संबंध है । अि न के कारक ह सय
ू और मंगल ह और इसके वपर त चं
और शु शीतलता के तीक ह। नजले का ाव नाक से होता है । इस लए वतीय और तत
ृ ीय भाव भी इससे जड़
ु े ह। य द
कंु डल म ल न, ल नेश, पंचम भाव, पंचमेश, सय
ू , मंगल, चं , शु द ु भाव म ह , तो नजला-जक
ु ाम जातक को सदै व
तंग करता है । खास तौर पर जब संबं धत ह क दशांतदशा चल रह हो और गोचर ह भी अशभ
ु फल दे रहे ह , तब रोग
अपनी चरम सीमा पर होता है ।

व भ न ल न म नजला-जक
ु ामः
मेष ल न : य द ल नेश अ टम भाव, सय
ू जल रा श, चं पंचम भाव म श न, या राहु-केतु से भा वत हो। शु अ टम,
बध
ु तत
ृ ीय भाव म ह , तो जातक को नजला-जक
ु ाम और सद ज द लगती है , िजससे वह सदै व इस रोग से पी ड़त रहता
है ।

वष
ृ ल न : ल नेश मीन, या कक रा श म हो, सय
ू विृ चक रा श म हो, चं पंचम भाव म हो और गु से ट हो, तो
जातक को नजला-जक
ु ाम होता है ।

मथन
ु ल न : ल नेश ष ठ भाव म सय
ू से अ त हो, पंचमेश शु , पंचम, या अ टम भाव म मंगल से ट हो और मंगल
वयं जल रा श म हो, चं भी मंगल से ट हो, तो जातक को नजला -जक
ु ाम सदै व तंग करता रहता है ।

कक ल न : ल नेश चं ष ठ भाव, या अ टम भाव म हो, बध


ु ल न म हो, पंचमेश मंगल भी ल न म हो और सय
ू वतीय
भाव म हो, शु वतीय भाव म हो और राहु-केतु से ट, या यु त हो, तो जातक को नजला संबं धत रोग दे ता है ।

संह ल न : ल नेश सय
ू अ टम भाव म, श न तत
ृ ीय भाव म, मंगल कक रा श म, पंचमेश गु जल रा श म हो, शु
अ टम भाव म हो, राहु ल न म, या ल न को दे खता हो, तो जातक को नजला-जक
ु ाम क शकायत बनी रहती है ।

क या ल न : ल नेश बध
ु जल रा श म हो और सय
ू से अ त हो, मंगल भी जल रा श म हो और चं को दे खता हो, चं -
शु एक साथ ह , या एक दस
ू रे से व वादश ह , गु तत
ृ ीय भाव म हो, तो जातक को नज़ला-जक
ु ाम बना रहता है ।

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तल
ु ा ल न : ल नेश शु और पंचमेश एक दस
ू रे से यु त हो कर जल रा श म ह , सय
ू पंचम भाव म हो, राहु-केतु से ट
हो, मंगल नीच का हो, ल न म गु दे खता हो, या सय
ू को दे खता हो, तो जातक को नज़ला-जक
ु ाम होता है ।

विृ चक ल न : मंगल ल नेश और ष ठे श हो कर सय


ू से अ त हो और मीन रा श हो, चं क भाव म हो और राहु से
ट हो श ततीय भाव म हो तो जातक को उपय त रोग होता है ।
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7/27/2020 नजला – जुकाम : आम, मगर परे शान करने वाला रोग
ट हो, शु तत
ृ ीय भाव म हो, तो जातक को उपयु त रोग होता ह।

धनु ल न : ल नेश अ टम भाव म, सय


ू वादश भाव म, बध
ु ल न म, सय
ू वतीय, या तत
ृ ीय भाव म हो, चं शु , या
बध
ु से यु त कर रहा हो, बध
ु अ त नह ं हो, राहु ल नेश को दे खता हो, तो नजला-जक
ु ाम होता है ।

मकर ल न : ल नेश श न तत
ृ ीय, या एकादश भाव म हो, सय
ू पंचम भाव म राहु से ट, या यु त हो, पंचमेश शु कक
रा श म चं से ट, या यु त हो, अकारक गु ल न म हो, तो जातक को आम तौर पर नज़ला-जक
ु ाम रहता ह है ।

कंु भ ल न : ल नेश ष ठ भाव म, पंचमेश बध


ु मीन म, ल न म सय
ू , शु तत
ृ ीय भाव म, गु अि नकारक रा शय म हो,
राहु-केतु व वभाव रा शय म ह , चं जल रा शय म हो, तो जातक को नज़ला-जक
ु ाम होता ह रहता है ।

मीन : ल नेश अ टम भाव म चं से यु त हो, शु तत


ृ ीय भाव म, पंचम भाव म श न सय
ू से यु त हो, राहु ल न म हो,
तो जातक को नज़ला-जक
ु ाम होता है । उपयु त सभी योग च लत पर आधा रत ह। जब संबं धत ह क दशा-अंतदशा
और गोचर तकूल रहते ह, तो जातक को संबं धत रोग से जझ
ू ना पड़ता है ।

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