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Hartalika Teej Vrat Katha
Hartalika Teej Vrat Katha
LANGUAGE: HINDI
ल ग
िं पुराण की एक कथा के अनुसार मािं पार्वती ने अपने पूर्व जन्म में भगर्ान शिंकर को
पतत रूप में प्राप्त करने के ल ए हिमा य पर गिंगा के तट पर अपनी बाल्यार्स्था में
अधोमुखी िोकर घोर तप ककया। इस दौरान उन्िोंने अन्न का सेर्न नि िं ककया। काफी
समय सूखे पत्ते चबाकर काट और कफर कई र्र्षों तक उन्िोंने केर् िर्ा पीकर ि व्यतीत
प्रस्तार् ेकर मािं पार्वती के पपता के पास पिुिंचे, स्जसे उन्िोंने सिर्षव ि स्र्ीकार कर ल या।
जोर-जोर से पर् ाप करने गी। कफर एक सखी के पूछने पर माता ने उसे बताया कक र्ि
यि कठोर व्रत भगर्ान लशर् को पतत रूप में प्राप्त करने के ल ए कर रि िैं जबकक उनके
पपता उनका पर्र्ाि पर्ष्णु से कराना चािते िैं। तब सिे की स ाि पर माता पार्वती घने
र्न में च गई और र्िािं एक गुफा में जाकर भगर्ान लशर् की आराधना में न िो गई।
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भाद्रपद तत
ृ ीया शुक् के हदन िस्त नक्षत्र को माता पार्वती ने रे त से लशर्ल ग
िं का तनमावण
कठोर तपस्या से प्रसन्न िोकर भगर्ान लशर् ने उन्िें दशवन हदए और इच्छानस
ु ार उनको
करती िैं, र्ि अपने मन के अनुरूप पतत को प्राप्त करती िैं। साथ ि यि पर्व दािंपत्य
जीर्न में खुशी बरकरार रखने के उद्दे श्य से भी मनाया जाता िै । उत्तर भारत के कई
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