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श्रीस्वामीजी महािाजकी
यथावत-् वाणी
( श्रद्धेय स्वामीजी श्री रामसुखदासजी महाराज सत्संग- प्रवचनों में
जैसे- जैसे बोले थे वैसे- के - वैसे ही, ज्यों- के - त्यों ललखे हुए कुछ
लवशेष- प्रवचन और उपयोगी सामग्री
तथा -
सन् १९९० से सन् २००० तक के ग्यारह चातुमाासों के प्रवचनों की
लवषय- सूची ) ।
● ● ●
प्रवचन लेखनकताा -
संत डगुँ िदास िाम आदद
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २
।।श्रीहरि:।।
1-
नम्र लनवेदन ,
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ६
2-
अलततम प्रवचन ,
3-
सीखने की बात और सरलता से भगवत्प्रालि ,
4-
सेठजी श्री जयदयाल जी गोयतदका की लवलक्षणता ,
5-
जानने योग्य जानकारी (श्रद्धेय स्वामीजी श्री
रामसुखदासजी महाराज के लवषय में) ,
6-
सत्संग सामग्री ,
7-
पााँच खण्डों में गीता साधक संजीवनी ,
8-
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ७
आलद आलद ।
दनवेदक-
डुँगिदास िाम
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
शदनवाि, संमत २०७६
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ८
[ प्रसगं -
श्रद्धेय स्वामीजी श्रीिामसखदासजी महािाजसे अदन्तम
ददनोंमें यह प्राथाना की गयी दक आपके शिीिकी अशि
अवस्थाके कािण प्रदतददन सत्संग-सभामें जाना कदिन
पड़ता है। इसदलये आप दवश्राम किावें। जब
हमलोगोंको आवश्यकता मालम पड़ेगी, तब आपको
हमलोग सभामें ले चलेंगे औि कभी आपके मनमें
सत्संदगयोंको कोई बात कहनेकी आ जाय, तो कृपया
हमें बता देना, हमलोग आपको सभामें ले जायेंगे। उस
समय ऐसा लगा दक श्री स्वामीजी महािाज ने यह
प्राथाना स्वीकाि किली।
इस प्रकाि जब भी परिदस्थदत अनकूल ददखायी देती,
तब समय- समय पि आपको सभामें ले जाया जाता
था।
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ९
(प्रवचन नं० १- )
■□मंगलाचरण□■
प्रपतनपाररजािाय िोत्प्रवेरैकपाणये ।
ज्ञानमद्रु ाय कृष्णाय गीिामिृ दहु े नमः ।।
वंशीनवभनू षिकरातनवनीरदाभाि्
पीिाम्बरादरुणनवम्बफलाधरोष्ठाि् ।
नारायण नारायण
नारायण नारायण
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी १२
है एकदम परिपूणा ।
पिमात्मा में ही दस्थदत है। एकदम।
पिमात्मा सब (...जगह, सम, ) शान्त है। "है" "है" वह
"है" उस "है" में दस्थदत हो जाय।
पद आता है न!
(प्रवचन नं०२)
संवत २०६२, आषाढ़, कृष्णा नवमी।
लदनांक ३०|६|२००५, ११ बजे, गीताभवन, ऋलषके श ।
प्रश्न-
(चप-साधन औि इच्छा-िदहत होना- ) दोनों बातें एक
ही है ?
[ श्रीस्वामीजी महािाज उि प्रश्न का जवाब देकि चलते
दवषय में व्यवधान नहीं कि िहे हैं। प्रश्नकत्ताा के एक ही
अंश ( एक ही है?) को लेकि बोलते हैं- ]
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी १९
श्रीस्वामीजी महाराज-
एक ही है, एक ही है ।
नबचौनलया -
इच्छा नहीं किनी पि काम, कोई काम किना हो तो ?
श्रीस्वामीजी महाराज-
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २०
काम किो ।
नबचौनलया –
काम भले ही किो ।
श्रीस्वामीजी महाराज -
काम किो, उत्साह से, आि पोहि (पहि) किो।
इण बातने (इस बात को) समझो खूब। िीक समझो
(इसको)। कोई इच्छा नहीं। अङचन आवे जो बताओ!
बाधा आवे जो बताओ ! (जो बाधा आवे, वो
बताओ)।
नबचौनलया -
आप (प्रश्नकत्ताा) कह िहे हैं (दक) काम तो किो औि कछ
इच्छा मत िखो। तो इच्छा का मतलब [ यहाुँ बीच में ही
अस्वीकाि किते हुए श्रीस्वामीजी महािाज बोले-] (--
नहीं नहीं ! ) । दूसिों का दख दूि किणो (किना) । उसका
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २१
नबचौनलया -
कोई कहीं नौकिी किता है, तो वो नौकिी किे ।
श्रीस्वामीजी महाराज -
हाुँ ।
नबचौनलया -
औि फल की चाहना नहीं किे।
श्रीस्वामीजी महाराज -
हाुँ चाहना नहीं किे ।
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २३
श्रीस्वामीजी महाराज-
हूुँ (हाुँ) , जहाुँ है ( जहाुँ आप हैं, वहाुँ पिमात्मा हैं), देखो!
साि बात- जहाुँ आप है, वहाुँ पिमात्मा है । आप मानो
क नहीं? (मानते हो दक नहीं? ); क्योंदक कछ नहीं
किोगे, कोई इच्छा नहीं, तो पिमात्मा में ही दस्थदत हो
गई या (यह) । औि कहाुँ (होगी? - कहाुँ होगी?) आप
जहाुँ है, वहीं चप हो जाओ । कछ नहीं चाहो, पिमात्मा
में दस्थदत हो गयी । आप (वहाुँ हैं) तो वहाुँ पिमात्मा पूणा
है। जहाुँ आप है, वहाुँ पूणा पिमात्मा पूणा है । कोई इच्छा
नहीं (तो कोई) बाधा नहीं । एक इच्छा मात्र सब (बाधा
है। इसदलये कछ भी इच्छा मत िखो)। ना भदि (भोग)
की इच्छा िखो, (ना) मदि की , दशानों की , ( ...ि की)
, कल्याण की क, कछ भी (इच्छा मत िखो) ! कोई
इच्छा नहीं िखोगे अि (औि चप हो जाओगे तो) वहाुँ
दस्थदत पिमात्मा में ही होगी; क्योंदक पिमात्मा में इच्छा
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २५
-(दलक
ं ) डाउनलोड किनेके दलये goo.gl/gTyBxF
अथवा सननेके दलये goo.gl/yR5SLd
पता-
सत्संग-संतवाणी.
श्रध्देय स्वामीजी श्री िामसखदासजी महािाजका
सादहत्य पढें औि उनकी वाणी सनें।
http://dungrdasram.blogspot.com/
http://dungrdasram.blogspot.com/2014/07/blog
-post_27.html?m=1
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३६
संतों ने कहा -
‘अब हम अमर भये न मरें गे '
अब मिेंगे नहीं
‘राम मरै िो मैं मरूाँ ननहं िो मरे बलाय ।
अनबनासी रा (का) बालका र मरे न मारा जाय’।।,
मू़िता , हद हो गयी।
अजानन् दाहादतिं पतदत शलभस्तीव्र॰
(अजानन् दाहात्म्यं पतदत शलभो दीपदहने )
, पतंगा जाणता नहीं दक मैं जळ(जल) ज्याऊुँ गा , ऐसा
जाणता नहीं है ि आग में पड़ ज्याता है अि मि ज्याता है
दबचािा । ये कीट , पतंग, मछली भी जाणती नहीं , वो
टकड़ा है, जो काुँटा है, वो (उसको) दनगळ जाती है अि
मि ज्याती है दबचािी(बेचािी)। वे तो जाणते नहीं -
अजानन् दाहादतिं, न मीनोऽदप अज्ञात्वा । मछली को
पता नहीं औि हम कै से (हैं) क दवजानन्तः - दबशेषतासे
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ५४
महान् सख की बात है ये -
●● ● ■><■ ●●●
■सिलता से भगवत्प्रादप्त■
● [ दूसिा प्रवचन ] ●
श्रद्धेय स्वामीजी श्री िामसखदासजी महािाज
( ददनांक २०|०३|१९८१_१४०० बजे खेङापा
का यथावत् लेखन , आगे का भाग - )
िा ऽम िा ऽम िा ऽम ।
नािायण नािायण नािायण नािायण।
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ६७
सो परत्र िख
ु पावइ र दसर धदु न धदु न पदिताइ ।
(रामचररतमानस ७|४३)
ऽ म" उस 'ि' में भगवान् हैं , 'िा - आ' में भगवान् हैं ,
'म' में भगवान् हैं, 'म' में 'अ' है , उसमें भगवान् हैं ,
िाम- िाम- िाम इस ध्वदन में भगवान् है, इस जीभ में
भगवान् है, इस दचन्तन में भगवान् है, शिीि में भगवान्
है, कछ भी याद आ ज्याय - उसमें भगवान् है। जो याद
आता है , वो तो िहता नहीं ि भगवान् उसमें िहते हैं। बिी
बात आ ज्याय तो उसमें ई(भी) भगवान् िहते हैं, कछ
भी स्मिण हो ज्याय , स्फिणा हो ज्याय , उसमें भगवान्
हैं- इस बातको मानलें ।
○○○□●●□○○○
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ११५
की बाणी में दजतनी आती है, इतनी म्हें बाणी दूजी देखी
नहीं है, दजके में आ बात आयी ह्वै ।, दजतने - दजतने
आचाया हएु हैं, उन आचायों की देखी, श्रीजी महािाज
की, हिदेवदासजी महािाज, नािायणदासजी महािाज
हुए, िामदासजी महािाज हुए, दयालजी महािाज की
बाणी बहतु दवदचत्र । बे में भी आवे, थोड़ो आवे (घणाुँ
कोदन) । इनके खास बात है ।
वाुँ िे गरुजी हा, वाुँ िी बात भी ऐसी मैंने सणी (अि) मैंने
दशान दकये हैं । कोई कहता महािाज ! दनमन्त्रण है । कह,
िीक है । खीचड़ी बणाणा, नमक भी मत डालणा
(बीचमें) । औि कछ नहीं । औि नेतो नीं लेता, जणाुँ
दनमक डालदो भले ही । खीचड़ी ले लेता, िोटी ले लेता
। घी क, दूध क, दही क, कछ नहीं ।
- http://dungrdasram.blogspot.com/2018
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श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी १५५
(६) सत्संग-सामग्री
(श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसख
ु दासजी महाराजकी नलनखि
और ऑनडयो ररकॉडा वाली सत्प्संग-सामग्री आनद)
दवशेष-प्रवचन।
श्रद्धेय स्वामीजी श्री िामसखदासजी महािाजके दवशेष
कै सेटोंके ७१ सत्संग-प्रवचन चने गये हैं। इनके नाम
(दवषय) भी दलखे हुए हैं औि आवाज भी साफ है।
(इसमें कई प्रवचन तो ऐसे हैं दक जो दूसिी जगह
उपलब्ध होना मदश्कल है)
वो ७१ प्रवचन यहाुँ(इस पते)से) प्राप्त किें -
http://db.tt/FzrlgTKe
गीता-पाि
(यह दद्वतीय प्रकािका गीता-पाि है)।
[जो श्रद्धेय स्वामीजी श्रीिामसखदासजी महािाजके
साथ-साथ गीता-पाि किना चाहते हैं, उनके दलये यह
दवशेष उपयोगी है]।
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी १६०
गीता-व्याख्या।
(यह किीब पैंतीस ददनों तककी कै सेटोंका सेट है, जो
124 फाइलोंमें दवभि है, दजसमें व्याख्या किके पूिी
गीताजी समझायी गयी है)।
[जो गीताजीका अथा समझना चाहते हैं , गीताजीका
िहस्य जानना चाहते हैं, उनके दलये यह दवशेष उपयोगी
है]
मानसमें नाम-वन्दना।
{िामचरितमानसके नाम वन्दना प्रकिण (1।18-28) की
जो नौ ददनोंतक व्याख्या की गई थी औि दजसकी
"मानसमें नाम-वन्दना" नामक पस्तक बनी थी उसके
आि प्रवचन हैं, (नौ प्रवचन थे पिन्त उपलब्ध किीब
आि ही हुए)}।
"कल्याणके तीन सगम मागा"।
'कल्याण के तीन सगम मागा' नामक पस्तककी उन्हीके
द्वािा की गयी व्याख्या (सन् 29-1-2001 से 8-2-2001
तकके 11 प्रवचन)।
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी १६१
http://dungrdasram.blogspot.com/2018/08/blo
g-post.html?m=1
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी १७५
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी १७६
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी १७७
नं १ - goo.gl/DMq0Dc (ड्रॉपबॉक्स)
नं २ - goo.gl/U4Rz43 (गगू ल ड्राइव) ।
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी १८९
19900708_0518_Parmarthik Marg Me
Niraash Hona Galti ( पारमादथथक मागथ में दनराश 91
होना गलती )
19900708_0830_Bhagwan Ke Saath Nitya
92
Sambandh( भगवान् के साथ दनत्य – सम्बन्ध)
19900708_1645_QnA ( प्रश्नोत्तर ) 93
19900709_0518_Seva Ki Mahima ( सेवा की
94
मदहमा )
19900709_0830_Sansar Me Rahne Ki Kala
95
( सांसार में रहने की कला )
19900710_0518_Sarvatra Paripoorna
96
Paramatma (सवथत्र पररपणू थ परमात्मा)
19900710_0830_Asat Ke Tyag Ki
97
Aavashyakta ( असत् के त्याग की आवश्यकता )
19900710_1700_Dukh Paata Hai Kyonki
98
Maanta hai ( िुःु ख पाता है क्योंदक मानता नहीं है)
19900711_0518_Kalyan Ki Abhilasha
99
( कल्याण की अदभलाषा )
19900711_0830_Manushya Ki Teen
100
Shaktiyan - Jaanana, Karna Aur Maanana
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २०७
19900728_0830_BhagwatPrapti Ki Lagan
139
( भगवत्प्रादप्त की लगन )
19900729_0518_Sansaar Main Kuch Bhi
140
Shthir Nahi(सांसार में कुि भी दस्थर नहीं )
19900729_0830_Manushyashareer Sukh
Bhog ke liye nahi hai (मनष्ु यशरीर सख ु भोग के 141
दलए नहीं है)
19900730_0518_Asat ko mahatv na de
142
( असत् को महत्त्व न िें )
19900730_0830_Asat ke liye sat ka tyag
mahan anarth hai (असत् के दलए सत् का त्याग 143
महान् अनथथ है )
19900731_0518_Manushya shrir kripa ka
144
certificate hai ( मनुष्यशरीर कृ पा का सदटथदफके ट है )
19900731_0830_Bhagvan ke sanmukh ho
145
jaye itni si bat hai ( भगवान् के सन्मखु हो जाएँ‚
इतनी सी बात है )
19900801_0518_Sansar ki aadar – buddhi
146
kaise mite ? (सांसार की आिर- बदु द्ध कै से दमटे?)
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २१२
19900811_0518_Svtantrata ka durupyog n
166
kare ( स्वतन्त्रता का िरूु पयोग न करें )
19900811_0830_Ram Janm Bhoomi
167
(राम जन्म-भदू म)
19900812_0518_Sfurna aur sankalp
168
( स्फुरणा और सक ां ल्प )
19900812_0830_Ramayan Se Shiksha
169
( रामायण से दशक्षा )
19900813_0518_Lobh ke tyag se mamta
170
mitati hai ( लोभ के त्याग से ममता दमटती है )
19900813_0830_Praarbdh ka fal paristhiti hai
171
( प्रारब्ध का फल पररदस्थदत है )
19900814_0518_Doosron ke avgun dekhne
172
se ahit (िसू रों के अवगुण िेखने से अदहत )
19900814_0830_Swabhav - sudhar
173
( स्वभाव- सधु ार)
19900814_2345_Janmashtami ( जन्मािमी ) 174
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २१५
19910826_1645_Gita 0254_0259
360
( गीता 0254_0259 )
19910827_0518_Vilakshan Saadhan
361
( दवलक्षण साधन )
19910827_0830_Vivek ka Aadar Gita 18(49
362
se 55) दववेक का आिर गीता 18 ( 49 से 55 )
19910828_0830_Gita 18(56 se 65)
363
गीता 18 ( 56 से 65 )
19910828_1600_Gita 2(64 se 69)
364
गीता 2 ( 64 से 69 )
19910828_1645_Gita 0264_0269
365
( गीता 0264_0269 )
19910829_1600_Mamta Ka Tyag
366
( ममता का त्याग)
19910830_1600_Mamta Ka Tyag
367
( ममता का त्याग)
19910831_29_30_1600_Mamta Ka Tyag
368
( ममता का त्याग )
19910831_0518_Chup Saadhan QnA
369
( चपु साधन )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २३३
19910831_1600_Mamta Ka Tyag
370
( ममता का त्याग)
19910901_02_03_1600_1630_1215_
371
Nandotsav ( नन्िोत्सव )
19910901_0518_Prapti Par Kaisa Anubhav
372
( प्रादप्त पर कै सा अनभु व )
19910901_1600_Taapas prasang ( तापस प्रसगां ) 373
19910902_0518_Sansar Ka Abhav Tattva Ka
374
Bhav ( सांसार का अभाव, तत्त्व का भाव )
19910902_1630_ Ramayan ( रामायण ) 375
19910903_0518_Sva Mein Sahaj Stithi
376
( स्व में सहज दस्तदथ )
19910903_1215_Nandotsav ( नन्िोत्सव ) 377
19910904_0518_Chup Saadhan ( चपु साधन ) 378
19910904_1630_Vibheeshan Prasang
379
Ramayan (दवभीषण प्रसांग -रामायण)
19910905_0518_Seva Se Mukti( सेवा से मदु ि ) 380
19910905_1630_Avsar Ka Laabh Lo
381
Ramayan (अवसर का लाभ लो-रामायण)
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २३४
19920825_0518_Rupya, Vastu,Vyakti
,Vivek, Sat ,Uttrotar (रुपया, वस्तु, व्यदि, दववेक, 516
सत्–उत्तरोतर )
19920825_0830_Shok Nash Ka Upay ( शोक
517
नाश का उपाय )
19920826_0518_Samay Ka Mulya Naam Jap
518
( समय का मल्ू य,नाम जप )
19920826_0830_Grihast Mein Rehne Ki
519
Vidya ( गृहस्थ में रहने की दवद्या )
19920826_1700_Grihast Shiksha Ramayan
520
( गृहस्थ दशक्षा – रामायण )
19920827_0518_Sharnagati ( शरणागदत ) 521
19920827_0830_Acche Bano Paapo se
522
Bacho ( अच्िे बनो‚ पापों से बचो )
19920827_1700_Rajyabhishek Ramayan
523
( राज्यदभषेक —रामायण )
19920828_0518_Mrityu Ke Baad Ki Chinta
524
Kare (मृत्यु के बाि की दचन्ता करें )
19920828_0830_Majdooro Ke Liye Shiksha
525
( मजिरू ों के दलए दशक्षा )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २४८
19920828_1630_Manushya Sharir Ki
526
Mahima ( मनुष्यशरीर की मदहमा )
19920829_0518_Gyan aur Bhakti
527
( ज्ञान और भदि)
19920829_0830_Krishna Ki Baal Lila
528
( कृ ष्ण की बाल लीला )
19920830_0518_Utpatti Ka Aadhar Pratiti
Ka Prakashak ( उत्पदत्त का आधार‚ प्रतीदत का 529
प्रकाशक )
19920830_0830 Sarvavyapi Bhagwan
530
(सवथव्यापी भगवान् )
19920830_1430_Grihastho Ke Liye
531
( गृहस्थों के दलए )
19920830_1630_Uddeshya Pehle 108
Ramayan Path Se Sambandh ( उद्देश्य पहले 108 532
रामायण पाठ से सम्बन्ध )
19920830_1630_Uddeshya Pehle Panchamrit
533
Ramayan ( उद्देश्य पहले पञ्चामृत‚ रामायण )
19920831_0518 Kripa Pukar Sansar
534
Nashvaan (कृ पा, पक ु ार, सांसार नाशवान)
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २४९
( समय की उपयोदगता )
19930805_1700_Chetavani ( चेतावनी ) 631
19930806_0518_Saar bat ko pakad lo
632
( सार बात को पकड़ लो )
19930806_0800_Nashvan ko mahatta dena
mahan badhk ( नाशवान को महत्ता िेना महान् 633
बाधक)
19930806_1700_Sacche hriday se bhagvan
634
lag jao ( सच्चे हृिय.से भगवान में लग जाओ)
19930807_0518_Hamari aavshaykata sansar
puri nahi kar sakta ( हमारी आवश्यकता सांसार परू ी 635
नहीं कर सकता )
19930807_0800_Tattva ek hi hai
636
( तत्त्व एक ही है )
19930807_1700_Sacchi lagan se prapti
637
( सच्ची लगन से प्रादप्त )
19930808_0518_Rag dvesh bhul bhulayia hai
638
( राग-द्वेष भल
ू भलु ैया है )
19930808_0800_Dharm or rajneeti ram
639
janmbhumi ( धमथ और राजनीदत‚ राम जन्मभदू म )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २६०
19930816_0518_Bhagvaan Ke Hai
662
( भगवान् के हैं )
19930816_0518_Shrir sansar mera nahi hai
mere keval parmatma hai ( शरीर सांसार मेरा नहीं है 663
मेरे के वल परमात्मा हैं )
19930816_0800_Nam jap ki mahima
664
( नामजप की मदहमा )
19930816_1700_Bhagvan smran. har dam
665
karo ( भगवान् का स्मरण हरिम करो )
19930817_0518_ Hamara swroop sukh dukh
666
se atit hai ( हमारा स्वरूप सख
ु ि:ु ख से अतीत है )
19930817_0800_Shuddhi karne ki apeksha
ashuddhi na kare ( शदु द्ध करने की अपेक्षा अशुदद्ध न 667
करें )
19930818_0518_Sukh dukh aane jane vale
668
hai ( सख ु ि:ु ख आने जाने वाले हैं )
19930818_0800_Gita ke teen yog
669
( गीता के तीन योग )
19930818_1700_Bhagvat ke avsar par
670
( भागवत के अवसर पर )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २६३
( करण – दनरपेक्ष )
19930825_0945_Vidyarthiyo ke prati
690
( दवद्यादथथयों के प्रदत )
19930825_1700_Bhagvan ki kripa sab par
691
barabar hai ( भगवान् की कृ पा सब पर बराबर है )
19930826_0518_Karna Jaanna Paana
692
Maanav Sharir ( करना‚ जानना ‚पाना‚ मानवशरीर )
19930826_0800_Garbhpaat, Dharma, Aagya
693
Paalan ( गभथपात, धमथ, आज्ञा पालन )
19930826_1700_Anukullta seva sikhati hai
pratikulta tyag sikhati hai ( अनुकूलता सेवा 694
दसखाती है, प्रदतकूलता त्याग दसखाती है )
19930827_0518_Chetavini Asaavdhani Hi
695
Mrityu Hai ( चेतावनी - असावधानी ही मृत्यु है)
19930827_0800_Satsang Sunne Ki Vidya
Karan Nirpeksh ( सत्सगां सनु ने की दवद्या- करण - 696
दनरपेक्ष )
19930827_1700_Bhagvan ke yaha prem ki
697
mukhyta hai ( भगवान् के यहाँ प्रेम की मख्ु यता है )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २६६
( वासिु वे सवथम् )
19940719_0518_Manushya Sharir ki
Sarthakta Sarvbhoot hiteratha 776
( मनुष्य शरीर की साथथकता सवथभतू दहते रताुः)
19940719_0800_Satsang Prapti mein
Vishesh Bhagwat Kripa ( सत्सगां प्रादप्त में दवशेष 777
भगवत्कृ पा )
19940720_0518_ vasudev sarvam
778
(वासिु वे :सवथम् )
19940720_0830_Satsang ki Vilakshanta
779
( सत्सगां की दवलक्षणता )
19940721_0518_Ek Nishchay karne se
780
Laabh ( एक दनश्चय करने से लाभ )
19940721_0800_Burai Ka Tyaag
781
( बरु ाई का त्याग )
19940722_0518_Prapti Kathin Nahi
782
( प्रादप्त कदठन नहीं )
19940722_0800_Guru Kise Kahte Hain
783
( गुरु दकसे कहते हैं ?)
19940723_0518_Sugam Saadhan Sharnagati 784
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २७५
( भगवान् और प्रकृ दत )
19940802_0518_Manav Jeevan Mein Samay
804
ka Mahatva ( मानवजीवन में समय का महत्त्व )
19940802_0800_Kalyug mein Bhajan ki
805
Mahima ( कदलयुग में भजन की मदहमा )
19940803_0518_Hum Yahan Rahnewale
806
Nahi Hai ( हम यहाँ रहनेवाले नहीं हैं )
19940803_0800_Karmyog ka Tatva
807
(कमथयोग का तत्त्व )
19940804_0518_Pramad se Haani
808
( प्रमाि से हादन )
19940804_0800_Bhakti ki Sugamta
809
(भदि की सगु मता )
19940805_0518_Bhog Sangrah ki Iccha se
810
Hani (भोग सांग्रह की इच्िा से हादन )
19940805_0800_Bhagwan mein Apnapan
811
Aur Satsang (भगवान् में अपनापन और सत्सांग
19940806_0518_Parivar Niyojan se Hani
812
( पररवार दनयोजन से हादन )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २७८
( महापाप से बचो )
19940811_0518_Gita 02(48) गीता 02 (48) 823
19940811_0800_Seva Kaise Kare
824
( सेवा कै से करें ? )
19940812_0518_ vasudev sarvam
825
( वासिु वे : सवथम)्
19940812_0800_Satya Ki Mahima
826
(सत्य की मदहमा)
19940813_0518_Sacchidaanad Tatva
827
( सदच्चिानन्ितत्त्व )
19940813_0800_Karmyog Aur Svabhav
828
Shudhi ( कमथयोग और स्वभाव शदु द्ध )
19940814_0518_Lagan Ki Aavashyakta
829
( लगन की आवश्यकता )
19940814_0800_Maanav Jeevan Ki
Saarthakta Kisme ( मानव जीवन की साथथकता 830
दकसमें ? )
19940815_0518_Satya Bhaashan Se Satya
Tatva Ki Prapti_VV ( सत्य भाषण से सत्य तत्त्व की 831
प्रादप्त )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २८०
19940830_0800_Bhagwaan Ka Madhurya
864
Chetavini ( भगवान् का माधयु थ – चेतावनी )
19940830_1600_ Kisi Ko Dukh Na De
865
Ramayan ( दकसी को िुःु ख न िें –रामायण )
19940831_0518_Sukhi Dukhi Hone Se
866
Bandhan ( सख ु ी िखु ी होने से बन्धन )
19940831_0800_Sukhi Dukhi Hone Se
867
Bandhan ( सख ु ी िखु ी होने से बन्धन)
19940901_0518 vasudev sarvam
868
( वासिु वे : सवथम् )
19940901_0518_ kripa ka aashray
869
( कृ पा का आश्रय )
19940902_0518_Teen Yog Bhakti Ki
870
Sugamta ( तीन योग, भदि की सगु मता )
19940902_0800_Chetavini Samay
871
( चेतावनी - समय )
19940903_0518_Apni Sanskriti Ki Raksha
872
Karo ( अपनी सस्ां कृ दत की रक्षा करो )
19940903_0800_Kaliyug Se Bacho
873
( कदलयुग से बचो)
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २८४
( प्रादप्त कृ पा साध्य है )
19950807_0518_Avasthao Se Rahit Swaroop
961
( अवस्थाओ ां से रदहत स्वरूप )
19950807_0830_Pratikoolta Se Laabh
962
( प्रदतकूलता से लाभ )
19950807_1700_Manushya Sharir Bhagwat
963
Kripa Bhaagwat ( मनष्ु यशरीर भगवत्कृ पा- भागवत )
19950808_0518_Sharir Se Algaav Ka
964
Anubhav ( शरीर से अलगाव का अनुभव )
19950808_0830_Kaamna Se Haani Tyag Se
965
Laabh (कामना से हादन, त्याग से लाभ)
19950808_1700_Barsaat Mein Kirtan
966
(बरसात में कीतथन)
19950809_0518_Gyan Karma Bhakti Teen
Yog Ke Adhikari ( ज्ञान, कमथ, भदि तीन योग के 967
अदधकारी )
19950809_0830_Apni Aadat Apne Aap Ko
Sudharni Padegi (अपनी आित अपने आप को 968
सधु ारनी पड़ेगी )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २९४
19950812_1330_Manushya Sharir Ki
978
Mahima ( मनुष्यशरीर की मदहमा )
19950813_0518_Vivek Ke Sadupyog Ki
979
Mahima ( दववेक के सिपु योग की मदहमा )
19950813_0830_Sarvabhoot Hita Rata
980
( सवथभतु दहते रताुः)
19950813_1600_Chetavini ( चेतावनी ) 981
19950814_0518_Nahin Mein Hai Buddhi
982
( नहीं में है बदु द्ध )
19950814_0830_Aavashyakta Aur Icchha
983
( आवश्यकता और इच्िा )
19950815_0518_Lene Ki Iccha Bandhan Ka
984
Kaaran ( लेने की इच्िा बन्धन का कारण )
19950815_0830_Nishedhatmak Saadhan Ki
985
Mahatta (दनषेधात्मक साधन की महत्ता )
19950815_1730_Bhagwan Ke Charitro Ka
986
Mahatava ( भगवान् के चररत्रों का महत्त्व )
19950816_0518_Gita 02 (16) गीता 02 (16) 987
19950816_0830_Prem Ki Ananyata Ki
988
Aavashyakta ( प्रेम की अनन्यता की आवश्यकता )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी २९६
19960725_0830_Svabhaav Sudhar
1056
( स्वभाव सधु ार )
19960726_0518_Buraai Ka Tyag
1057
( बरु ाई का त्याग )
19960726_0830_Chetavani ( चेतावनी ) 1058
19960726_1600_Garbhpaat Mahapaap
1059
( गभथपात महापाप )
19960727_0518_Burai ka tyag( बरु ाई का त्याग ) 1060
19960727_0830_ Chaturmas me aavshyak
1061
palniy niyam( चातुमाथस में आवश्यक पालनीय दनयम)
19960728_0518_Gita ke anusar yog ki
1062
paribhasha (गीता के अनसु ार योग की पररभाषा)
19960728_0830_Parmatma prapti -nitya
1063
prapt ki prapti ( परमात्म- प्रादप्त दनत्यप्राप्त की प्रादप्त )
19960729_0518_Sansar ka nitya viyog
1064
( सांसार का दनत्य दवयोग )
19960729_0830_Parmatma prapti ke liye
svayam prayatanshil ho 1065
( परमात्मा प्रादप्त के दलए स्वयां प्रयत्नशील हो )
19960730_0518_Sahajaavastha Svatah Hai 1066
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३०४
( सहजावस्था स्वत: है )
19960730_0830_Guru Tatva ( गरुु तत्त्व ) 1067
19960731_0518_Sukh Iccha Ka Tyag
1068
( सखु इच्िा का त्याग )
19960731_0830_Sukh Iccha Ka Tyag
1069
( सखु इच्िा का त्याग )
19960801_0518_Parmatma Svata Prapt Hai
1070
( परमात्मा स्वत: प्राप्त है )
19960801_0830_Parmatma Svata Prapt Hai
1071
( परमात्मा स्वत: प्राप्त है )
19960802_0518_Nishidh Karmo Ka Tyag
1072
(दनदषद्ध कमों का त्याग )
19960802_0830_Iccha Ka Tyag
1073
( इच्िा का त्याग )
19960803_0518_Prapt parishthiti ka
1074
sadupyog ( प्राप्त पररदस्थदत का सिपु योग )
19960803_0830_Par Dukh Dukh Par Sukh
1075
Sukh ( पर िुःु ख िुःु ख पर सख ु सख
ु िेखे )
19960804_0518_Paradhinta ka tyag
1076
( पराधीनता का त्याग )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३०५
19960804_0830_Nishidhta Ka Tyag
1077
( दनदष)ता का त्याग )
19960804_1630_Kshatriyon Ki Visheshta
1078
( क्षदत्रयों की दवशेषता )
19960805_0518_Tyag Aur Seva
1079
( त्याग और सेवा )
19960805_0830_Kaamna Ka Tyag
1080
( कामना का त्याग
19960806_0518_Sharir Main Nahin Mera 1081
Nahin ( शरीर “मैं” नहीं “मेरा” नहीं )
19960806_0830_Gabhpaat Ka Nishedh Ghar
1082
Sudhar ( गभथपात का दनषेध, घर सधु ार )
19960807_0518_Sharir Main Nahin Mere
1083
Liye Nahin ( शरीर “मैं” नहीं “मेरे” दलए नहीं)
19960807_0830_Vivek Virodhi Sambandh
Ke Tyag Ki Aavashyakta ( दववेक दवरोधी सम्बन्ध 1084
के त्याग की आवश्यकता )
19960808_0518_Tyag Ki Aavashyakta
1085
( त्याग की आवश्यकता )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३०६
( सेवा की मदहमा )
19960827_0518_Padarth Aur Kriya
1123
( पिाथथ और दिया )
19960827_0830_Chetavini ( चेतावनी ) 1124
19960828_0518_Sansar Hamare Liye Nahin
1125
Hai ( सांसार हमारे दलए नहीं है )
19960828_0800_Kaamna Ka Tyag
1126
( कामना का त्याग )
19960829_0518_Sarvabhoot Hite Rata
1127
( सवथभतू दहते रताुः )
19960829_0830_Prapti Ki Sugamta Aur
1128
Prerna ( प्रादप्त की सगु मता और प्रेरणा )
19960830_0518_Sansar Ki Satta Nahin Hai
1129
( ससां ार की सत्ता नहीं है )
19960831_0518_Sab Kuch Bhagwan Ka Hai
1130
( सब कुि भगवान् का है )
19960831_0830_Main Nahin Mera Nahin
Mere Liye Nahin ( “मैं” नहीं, “मेरा” नहीं, “मेरे” 1131
दलए नहीं )
19960901_0518_Parmatma Ki Shresthta 1132
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३११
( परमात्मा की श्रेष्ठता ).
19960901_0830_Aaj Kirtan Kare
1133
( आज कीतथन करें )
19960902_0518_Viyog Nitya Hai
1134
( दवयोग दनत्य है )
19960902_0830_Sanyog Viyog
1135
( सयां ोग - दवयोग )
19960902_1600)_Vivek ke sadupyog ki
1136
mahima hai (दववेक के सिपु योग की मदहमा है)
19960903_0518_Sharir Main Nahin Mera
Nahin Mere Liye Nahin ( शरीर “मैं” नहीं, “मेरा” 1137
नहीं, “मेरे” दलए नहीं )
19960904_0518_Saadhan Mein Lagne Ke
Vishay Chetavini ( साधन में लगने के दवषय — 1138
चेतावनी )
19960904_0830_Jaati Bhed Ki Saarthakta
1139
(जादत भेि की साथथकता)
19960905_0518_Chetavini ( चेतावनी ) 1140
19960905_0830_Vair Aur Virodh Mein
1141
Antar ( वैर और दवरोध में अन्तर )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३१२
19960912_0830_Bhagwan Ki Dayaaluta
1161
( भगवान् की ियालतु ा )
19960913_0518_Sharir Aur Sansar Se Mera
1162
Sambandh ( शरीर और सांसार से मेरा सम्बन्ध नहीं )
19960913_0800_Mahapurusho Ke
Vyavahaar Mein Asamaanta Kyon ( महापरुु षों 1163
के व्यवहार में असमानता क्यों ? )
19960914_0518_Viibhuti Yog ( दवभदू त योग ) 1164
19960914_0800_Vishayon Ke Tyag Ki
Prerna Abhilasha Se Prapti 1165
( दवषयों के त्याग की प्रेरणा, अदभलाषा से प्रादप्त )
19960914_1600_Murti Puja Ramayan
1166
( मदू तथ पजू ा - रामायण )
19960915_0518_Sukhi Dukhi Hona Hi
1167
Bandhan ( सख ु ी ि:ु खी होना ही बन्धन )
19960915_0800_Gochar Bhoomi Ki Raksha
1168
Hetu ( गोचर भदू म की रक्षा हेतु )
19960915_1600_Garbhpaat Ke Vishay Mein
1169
( गभथपात के दवषय में )
19960915_1600_Parivar Niyojan 1170
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३१५
( पररवार दनयोजन)
19960916_0518_vasudev sarvam
1171
( वासिु वे : सवथम् )
19960916_0800_Saadhako Ko Nirdosh Hone
1172
(साधकों को दनिोष होने की आवश्यकता)
19960916_1600_Taapas Prasang Ramayan
1173
( तापस प्रसगां - रामायण )
19960917_0518_Sharnagati ( शरणागदत ) 1174
19960917_0800_Karan Nirpeksh
1175
( करण - दनरपेक्ष)
19960917_1600_Gochar Bhoomi ( गोचर भदू म ) 1176
19960918_0518_Chup Saadhan ( चपु साधन ) 1177
19960918_0800_Karan Nirpeksh(करण-दनरपेक्ष) 1178
19960918_1600_Bharatji Kripa Dekho
1179
Ramaya ( भरतजी, कृ पा िेखो - रामायण)
19960919_0518_Karne Mein Saavdhaan
1180
Hone ( करने में सावधान, होने में प्रसन्न)
19960919_0800_Parivaar Niyojan Se Haani
1181
( पररवार दनयोजन से हादन)
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३१६
19960919_1000_Gita Pratiyogita
1182
( गीता प्रदतयोदगता )
19960919_1000_Vidyarthiyon Ke Liye
1183
(दवद्यादथथयों के दलए )
19960919_1600_Dhol Gavaar Ramayan
1184
( िोल, गँवार - रामायण )
19960920_0518_Sharir Apna Nahin
1185
(शरीर अपना नहीं )
19960920_0800_Guru Tatva ( गुरु तत्त्व ) 1186
19960920_0930_Vidyarthiyon Ke Prati
1187
(दवद्यादथथयों के प्रदत )
19960920_1630_Ramayan Ayodhya
1188
Aagaman ( रामायण - अयोध्या आगमन )
19960921_0518_Kripannta Ka Tatparya
1189
( कृ पणता का तात्पयथ )
19960921_0800_Shrishti Ki Utpatti Kyon
1190
(सृदि की उत्पदत्त क्यों )
19960921_1630_Ramayan Path Ki Samapti
1191
( रामायण पाठ की समादप्त )
19960922_0518_Parmatma Jeev Aur Sansar 1192
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३१७
19970730_2000_Satsang Ka Prabhaav
1248
( सत्सांग का प्रभाव )
19970731_0518_Bandhan Hamara Banaya
1249
Hua Hai ( बन्धन हमारा बनाया हुआ है )
19970731_0830_Sharir Shariri Ka Vivek
1250
( शरीर - शरीरी का दववेक )
19970731_2000_Aapsi Khatpat Kaise Mite
1251
( आपसी खटपट कै से दमटे ? )
19970801_0518_Teeno Yogo Mein Vivek Ki
1252
Aavashyakta( तीनों योगों में दववेक की आवश्यकता )
19970801_0830_Kripa Ka Anubhav
1253
( कृ पा का अनभु व )
19970801_2000_Bhagwan Ki Dayaaluta
1254
( भगवान् की ियालतु ा )
19970802_0518_Doosre Ke Hit Mein
1255
Hamara Hit ( िसू रे के दहत में हमारा दहत)
19970802_0830_Bhagwan Ki Avtaar Lila
1256
( भगवान् की अवतार लीला )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३२४
19970802_1500_Manushya Jeevan Ki
Mahima Garbhpaat Haani ( मनुष्यजीवन की 1257
मदहमा- गभथपात हादन )
19970802_2000_Hindu Sanskriti Mein Naari
1258
( दहन्िू सांस्कृ दत में नारी )
19970803_0518_Apna Aur Apne Liye Kuch
1259
Nahin ( अपना और अपने दलए कुि नहीं )
19970803_0830_Akhand Bhajan Aur
1260
Bhagwat Prem ( अखण्ड भजन और भगवत् प्रेम)
19970803_1600_QnA ( प्रश्नोत्तर ) 1261
19970804_0518_Graahiya Aur Tyaajya
1262
( ग्राह्य और त्याज्य )
19970804_0830_Hum Yahaa Ke Nahin Hai
1263
Chetavini ( हम यहाँ के नही हैं - चेतावनी )
19970805_0518_Apni Aur Apne Liye Kuch
1264
Nahin ( अपनी और अपने दलए कुि नहीं )
19970805_0830_Sharir Se Algaav ( शरीर से
1265
अलगाव )
19970806_0830_Maa Baap Ki Seva Ki
1266
Mahima ( माँ बाप की सेवा की मदहमा )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३२५
( प्रादप्त स्वयां से )
19970812_0830_Gita Ke Anusar Jeevan
1278
( गीता के अनुसार जीवन )
19970813_0518_Moorkhata Ka Bandhan
1279
( मख ू थता का बन्धन )
19970813_0830_Maanglik Vivaah Mein
1280
Vikriti ( मागां दलकदववाह में दवकृ दत )
19970814_0518_Anubhavyukt Aacharan
1281
( अनुभवयुि आचरण )
19970814_0830_Abhyaas Se Oonchi
Apnapan Ki Sveekriti ( अभ्यास से ऊँची अपनेपन 1282
की स्वीकृ दत )
19970815_0518_Saral Svabhaav Aur
1283
Apnapan ( सरल स्वभाव और अपनापन)
19970815_0830_Abhimaan Se Bacho
1284
( अदभमान से बचो )
19970816_0518_Sveekar Karne Se Prapti
1285
( स्वीकार करने से प्रादप्त )
19970817_0518_Sagun Nirgun Aagrah Rahit
1286
Dono Upaasna Se Poornata
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३२७
19970823_0518_Bhagwan Ke Samaan
Hiteshi Koi Nahin ( भगवान् के समान दहतैषी कोई 1300
नहीं)
19970823_0830_Guru Manushya Nahi
1301
Bhaav Hai ( गुरु मनुष्य नहीं, भाव है )
19970823_1700_Pushp Vatika Vashikaran
Anushthan Ramayan ( पष्ु प वादटका, वशीकरण, 1302
अनुष्ठान - रामायण )
19970824_0518_Sadharan Aur Virakt Mein
1303
Farak ( साधारण और दवरि में फरक)
19970824_0830_Rupya Sab Kuch Nahi 1304
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३२९
19970827_1700_Bhajan Ka Nishchay
1314
Ramayan ( भजन का दनश्चय रामायण )
19970828_0518_Sab Kuch Bhagwan Hai
vasudev sarvam ( सब कुि भगवान है, वासिु वे : 1315
सवथम् )
19970828_0830_Parmarthik Iccha
1316
Aavashyak ( परमादथथक इच्िा आवश्यक )
19970828_1700_Dhol Gavar Nari Sammaan
1317
Ramayan ( िोल, गँवार, नारी सम्मान - रामायण )
19970829_0518_Buraai Ka Tyag Saral
1318
Shreshth Saadhan (बरु ाई का त्याग सरल श्रेष्ठ साधन)
19970829_0830_Vairagya Aur Uprati ( वैराग्य
1319
और उपरदत )
19970829_2000_Panchamrit ( पञ्चामृत ) 1320
19970830_0518_Sukh Dukh Se Upar Uthna
1321
( सखु िुःु ख से ऊपर उठना )
19970830_0830_Grihasth Mein Prapti
1322
( गृहस्थ में प्रादप्त )
19970831_0518_Dukh Ka Kaaran Sukh Ki
1323
Iccha ( िुःु ख का कारण - सखु की इच्िा )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३३१
19970831_0830_Sacchi Lagan Ki
1324
Aavashyakta ( सच्ची लगन की आवश्यकता)
19970901_0518_Aapka Abhaav Nahin
1325
( आपका अनुभव नहीं )
19970901_0830_Asat Se Aapka Moolyankan
1326
Nahin ( असत् से आपका मल्ू याक ां न नहीं )
19970902_0518_Buraai Chodne Se Svata
1327
Bhalaai ( बरु ाई िोड़ने से स्वत: भलाई )
19970902_0830_Tyag Ka Mahatva
1328
(त्याग का महत्त्व )
19970903_0518_Sharir Dwara Prapti
1329
Asambhav ( शरीर द्वारा प्रादप्त असम्भव )
19970903_0830_Gau Raksha Ki
1330
Aavashyakta ( गौ रक्षा की आवश्यकता )
19970904_0518_Hamara Saccha Saathi
1331
( हमारा सच्चा साथी )
19970904_0830_Karma Yog Mein Udaar
1332
Bhaav ( कमथ योग में उिार भाव )
19970905_0518_Bhakti Yog Mein
1333
( भदि योग में )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३३२
19970910_0518_Nirdoshta Ki Raksha
1343
( दनिोषता की रक्षा )
19970910_0830_Grihast Mein Rahte Prapti
1344
( गृहस्थ में रहते प्रादप्त )
19970910_0945_Maharshi Dadichi Jayanti
1345
( महदषथ िधीची जयदन्त )
19970911_0518_Mahaan Aanand Ki Prapti
1346
( महान आनन्ि की प्रादप्त )
19970911_0830_Prapti Mein Anta Karan Ki
1347
Bhoomika ( प्रादप्त में अांत:करण की भदू मका )
19970912_0518_Seva Bhaav ( सेवा भाव ) 1348
19970912_0830_Prapti Mein Anta Karan Ki
1349
Apeksha Nahin (प्रादप्त में अतां :करण की अपेक्षा नहीं)
19970913_0518_Kalyan Ke Liye Satsang Ki
1350
Prerna ( कल्याण के दलए सत्सांग की प्रेरणा )
19970913_0830_Gau Raksha Garbh Shishu 1351
Raksha Ki Prerna ( गौ रक्षा, गभथ दशशु रक्षा की
प्रेरणा )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३३४
19980802_0830_Brahmacharya Aavashyak
1440
( ब्रह्मचयं आवश्यक )
19980803_0518_Nashwan Mein Avinashi Ka
1441
( नाशवान् में अदवनाशी का िशथन )
19980803_0900_Badalnevaala Apna Nahin
1442
( बिलनेवाला अपना नहीं )
19980804_0518_Sab Bhagwan Ka Kaam
1443
( सब भगवान का काम )
19980805_0518_Jeevit Athva Mrit Ka Shok
1444
Nahin ( जीदवत अथवा मृत का शोक नहीं )
19980805_0830_Sharir Se Sambandh Nahin
1445
( शरीर से सम्बन्ध नहीं )
19980806_0518_Sharir Se Algaav
1446
( शरीर से अलगाव )
19980806_0830_Bhagwan Se Nitya
1447
Sambandh ( भगवान् से दनत्य सम्बन्ध )
19980807_0518_sab Dukho Se Ooncha Uthe
1448
( सब िख ु ों से ऊचा उठें )
19980807_0830_Prapti Saral Hai
1449
( प्रादप्त सरल है )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३४५
19980812_0518_Buraai Ka Tyag
1459
( बरु ाई का त्याग )
19980812_0830_Kalyan Chaahne Vaala Kisi
Ko Buraa N Samjhe 1460
( कल्याण चाहनेवाला दकसी को बरु ा न समझे)
19980813_0518_Jiski Cheej Hai Usko Saup
1461
De ( दजसकी चीज है उसको सौप िे )
19980813_0830_Aaj Kal Sanskriti Ke Baare
Mein Jaante Hi Nahin 1462
( आजकल सांस्कृ दत के बारे में जानते ही नहीं )
19980813_1730_Vivah Kar Ke Aaye Hai
1463
Ramayan ( दववाह कर के आये हैं - रामायण )
19980814_0518_Sharir Aur Hai Aap Aur Hai
1464
( शरीर और है आप और हैं )
19980814_0830_Lagan Hi Mukhya Hai
1465
( लगन ही मख्ु य है )
19980814_1730_Taapas Prasang Ramayan
1466
( तापस प्रसगां — रामायण )
19980815_0518_Bhaav Shuddh Nirmal
1467
Banaave ( भाव शद्ध ु दनमथल बनावें )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३४७
19980823_0518_Manushya Ki Trividha
1485
Yogyata ( मनुष्य की दत्रदवध योग्यता )
19980823_0830_Naashwan Se Kya
1486
Ghabrana ( नाशवान् से क्या घबराना )
19980824_0518_Sharir Sansar Ka Aap 1487
Parmatma ( शरीर ससां ार का, आप परमात्मा के )
19980824_0830_Paap Chhod Kar Bhajan
1488
Mein Lage ( पाप िोड़ कर भजन में लगें )
19980825_0518_Gita Ke Anusar Jad Chetan
1489
( गीता के अनुसार जड़ –चेतन दवभाग )
19980825_0830_Sharnagati ( शरणागदत ) 1490
19980826_0518_Parmatma Sab Jagah Hai
vasudev sarvam ( परमात्मा सब जगह है वासिु ेव: 1491
सवथम् )
19980826_0830_Sanyam Kare Aur Bhajan
1492
Mein Lage ( सांयम करें और भजन में लगें )
19980826_1600_Hardam Prasann Rahe
1493
( हरिम प्रसन्न रहें )
19980827_0518_Manushya Ki Teen
1494
Shaktiyan ( मनुष्य की तीन शदियाँ )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३५०
19980827_0830_Vidyarthiyon Ke Prati
1495
(दवद्यादथथयों के प्रदत )
19980828_0518_Bhagwad Bhajan (भगवद्भजन) 1496
19980828_0830_Hindu Samaaj Ki Dashaa
1497
( दहन्िू समाज की िशा )
19980829_0518_Sharir Ka Sansar Se Apna
Parmatma Se Apnapan ( शरीर का ससां ार से, अपना 1498
परमात्मा से अपनापन )
19980829_0830_Garbhpaat Nishedh
1499
Nishkaam ( गभथपात दनषेध, दनष्काम भाव )
19980830_0518_Sharir Shariri Ka Vivek
1500
( शरीर - शरीरी का दववेक )
19980830_0900_Parivar Niyojan Garbhpaat
1501
Nishedh ( पररवार दनयोजन गभथपात दनषेध )
19980831_0518_Main Mera Sharir Nahin
1502
( “मैं” मेरा शरीर नहीं )
19980831_0830_Garbhpaat Ka Prayashchit
1503
Nishedh ( गभथपात का प्रायदश्चत दनषेध )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३५१
19990809_0830_Bhagwan Ke Vibhutiyon Ka
1562
Tatparya ( भगवान् की दवभूदतयों का तात्पयथ )
19990809_1630_Vaishnav Aur Smart Mat
1563
( वैष्णव और स्मातथ मत )
19990810_0518_Teen Yog ( तीन योग ) 1564
19990810_0830_Vibhutiyon Ka Varnan
1565
( दवभदू तयों का वणथन )
19990810_1600_Mauka Mat Gavaao
1566
Chetavini ( मौका मत गँवाओ- चेतावनी )
19990811_0518_Svarth Mein Svarth Nahin
1567
( स्वाथथ में स्वाथथ नहीं )
19990811_0830_Bhagwat Vibhutiyan
1568
( भगवत् दवभदू तयाँ )
19990811_1630_Hindu Sanskriti Ki Raksha
1569
( दहन्िू सांस्कृ दत की रक्षा )
19990812_0518_Hai Aur Nahin
1570
( “है” और “नहीं” )
19990812_0830_Bhagwan Ko Yaad Rakho
1571
( भगवान् को याि रखो )
19990812_1630_Kripa Se Katha Bhaagwat 1572
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३५८
( कृ पा से कथा भागवत )
19990813_0518_Hardam Naam Jap
1573
( हरिम नाम जप )
19990813_0830_Vasudev Sarvam Aur Lekh
1574
Pathan ( वासिु वे : सवथम् और लेख पठन )
19990813_1630_Bhagwan Ke Hai Kripa Hai
1575
Bhaagwat ( भगवान् के हैं, कृ पा है भागवत )
19990814_0518_Prem Se Bhagwan Prakat
1576
Hote Hai ( प्रेम से भगवान् प्रकट होते हैं )
19990814_0830_Abhimaan Na Kare
1577
( अदभमान न करें )
19990814_1630_Parivar Niyojan Bhaagwat
1578
( पररवार दनयोजन - भागवत् )
19990815_0518_Dukh Mein Mauj
1579
( िुःु ख में मौज )
19990815_0800_Bhagwan Apne Aur Sabki
1580
Seva ( भगवान अपने और सबकी सेवा)
19990816_0518_Mukt Hone Par Mat Bhed
1581
Ka Kaaran ( मि ु होने पर मत भेि का कारण )
19990816_0830_Buraai Rahit Ho Jaave 1582
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३५९
19990819_1630_Bhagwan Ki Kripa
1591
Bhaagwat ( भगवान् की कृ पा - भागवत )
19990820_0518_Apna Kuch Nahin
1592
Sadupyog Kare ( अपना कुि नहीं सिपु योग करें )
19990820_0800_Abhiman Bhale Hi Kar Le
Hota Hai Kripa Se ( अदभमान भले ही कर लें, होता 1593
है कृ पा से )
19990820_1630_Bhagwan Ki Smriti
1594
Bhaagwat ( भगवान् की स्मृदत - भागवत )
19990821_0518_Bhaav Ke Anusar Laabh
1595
( भाव के अनसु ार लाभ )
19990821_0830_Baalakon Ke Prati
1596
( बालकों के प्रदत)
19990821_1630_Katha Sab Ko Priya Hai
1597
Bhaagwat ( कथा सबको दप्रय लगती है - भागवत )
19990822_0518_Hum Bhagwan Ke Ghar Ke
Yeh Sab Musafiri ( हम भगवान् के घर के , ये सब 1598
मसु ादफरी )
19990822_0830_Santo Se Laabh (सांतों से लाभ) 1599
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३६१
20000721_0830_Sharnagati Sugam
Sarvashreshth Saadhan ( शरणागदत सगु म सवथश्रेस्ठ 1718
साधन )
20000721_1600_Parivar Niyojan Se Haani
1719
( पररवार दनयोजन से हादन )
20000722_0518_vasudev sarvam
1720
(वासिु वे :सवथम् )
20000722_0830_Grihast Mein Bhi Kalyan
1721
Sambhav ( गृहस्थ में भी कल्याण सम्भव )
20000722_1600_Karma Rahasya ( कमथ रहस्य ) 1722
20000723_0518_Chet Karo ( चेत करो ) 1723
20000723_0830_Hindu Dharma Mein Maa
1724
Ka Aadar (दहन्िू धमथ में माँ का आिर)
20000723_1600_Grihast Mein Kaise Rahe
1725
( गृहस्थ में कै से रहें ? )
20000724_0518_Gita 13 (27) ( गीता 13 (27) ) 1726
20000724_0830_He Naath Bhooloo Nahin
1727
Pukar ( हे नाथ भल ू ँू नहीं ! – पक
ु ार )
20000724_1600_Milne Bichurnevaala Apna
1728
Nahin ( दमलने दबिुड़नेवाला अपना नहीं )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३७४
20000814_0830_Parivar Niyojan Se
Aacharan Bhrasht ( पररवार दनयोजन से आचरण 1790
भ्रि)
20000814_1600_Bhagwat Ke Antargat Gita
1791
11(33) (भागवत के अांतगथत गीता 11 (33))
20000815_0518_Sharir Main Nahin Mera
1792
Nahin ( शरीर 'मैं' नही 'मेरा' नहीं )
20000815_0830_Bado Ki Aagya Paalan Se
1793
Laabh ( बड़ों की आज्ञापालन से लाभ )
20000816_0518_Parmatma Sarvatra Samaan
1794
Hai ( परमात्मा सवथत्र समान है )
20000816_0830_Gita 08 (16) ( गीता 08 (16) ) 1795
20000816_1600_Bhagwat Smaran Aur
1796
Sansar Ki ( भगवत्स्मरण और सांसार की सेवा )
20000817_0518_Mili Hui Cheeze Sansar Ki
Seva Ke Liye ( दमली हुई चीज ससां ार की सेवा के 1797
दलए )
20000817_0830_Manushya Janam Ka
1798
Uddeshya Prapti ( मनुष्य जन्म का उद्देश्य प्रादप्त )
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३८१
20000827_0830_Satya Ki Sweekriti Se
1828
Shanti ( सत्य की स्वीकृ दत से शादन्त )
20000827_1700_He Nath Bhooloo Nahin
1829
Ramayan ( “हे नाथ भल ू ँू नहीं” - रामायण )
20000828_0518_Sharir Apna Nahin Apne
1830
Liye (शरीर अपना नहीं, अपने दलए नहीं)
20000828_0830_Hriday Ki Asli Lagan Ki
1831
Kami ( हृिय की असली लगन की कमी )
20000828_1700_Ram Rajya Abhishek
1832
Ramayan ( राम राज्यादभषेक रामायण )
20000829_0518_Sharir Main Nahin Mera
1833
Nahin ( शरीर “मैं” नहीं “मेरा” नहीं )
20000829_0830_Manushya Jeevan Ke
Samay Ki Mahatta ( मनुष्य जीवन के समय की 1834
महत्ता )
20000829_1600_Sugamta Se Prapti Ka
1835
Durlabh Mauka ( सगु मता से प्रादप्त का िल ु थभ मौका )
20000830_0518_Bhakti Marg Mein Sugamta
1836
( भदि मागथ में सगु मता )
20000830_0830_Vishay Nivritti Ke Upay 1837
श्रीस्वामीजी महाराज की यथावत्- वाणी ३८५
अन्य
20050629 अदन्तम प्रवचन नां. - 1 1869
20050630 अदन्तम प्रवचन नां. - 2 1870
19810410 Sethji Mahima ( सेठजी श्री जयियाल
1871
जी गोयन्िका की दवलक्षणता )
19810320_1400_ Chetavani ati ati vishesh
{ चेतावनी अदत दवशेष (खेड़ापा) सीखने की बात और 1872
सरलता से भगवत्प्रादप्त }
।। श्रीहरि: ।।
।। श्रीहरि: ।।
पच
ं ामतृ
१. हम भगवान् के ही हैं ।
२. हम भगवान् के घि(दिबाि) में िहते हैं ।
३. हम भगवान् का काम (कत्ताव्य-कमा)
किते हैं ।
४. हम भगवान् का प्रसाद(शद्ध सादत्त्वक-
भोजन) पाते हैं ।
५. हम भगवान् के ददये प्रसाद (कमाई)
से भगवान् के जनों की सेवा किते हैं ।