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अनुच्छेद लेखन
अनुच्छेद लेखन
ु छे द-लेखन
प्रस्तक
ु तता- ज्योतत
टी.जी.टी. ह द िं ी
के. वि. बीदर
अनच्
ु छे द-लेखन की पररभतषत
किसी एि भाव या ववचार िो व्यक्त िरने िे लिए लिखे गये सम्बद्ध और िघु
वाक्य-समह ू िो अनच् ु छे द-िेखन िहते हैं।
दसू रे शब्दों में - किसी घटना, दृश्य अथवा ववषय िो संक्षिप्त (िम शब्दों में) किन्तु
सारगलभित (अथिपर् ू )ि ढं ग से जिस िेखन-शैिी में प्रस्तत
ु किया िाता है , उसे अनच् ु छे द-
िेखन िहते हैं ।
'अनच्ु छे द' शब्द अंग्रेिी भाषा िे 'Paragraph' शब्द िा हहंदी पयािय है । अनच्ु छे द
'ननबंध' िा संक्षिप्त रूप होता है । इसमें किसी ववषय िे किसी एि पि पर 80 से
100 शब्दों में अपने ववचार व्यक्त किए िाते हैं।
अनुच्छे द अपने-आप में स्वतन्र और पूर् ि होते हैं । अनुच्छे द िा मुख्य ववचार या भाव
िी िं ु िी या तो आरम्भ में रहती है या अन्त में । एि अच्छे अनुच्छे द-िेखन में मुख्य
ववचार अन्त में हदया िाता है ।
अनच्
ु छे द की प्रमख
ु विशेषततएँ -
(2) अनुच्छे द िे वाक्य-समूह में उद्दे श्य िी एिता रहती है । अप्रासंगगि बातों िो हटा
हदया िाता है । िेवि बहुत अगधि महत्वपर् ू ि बातों िो ही अनच्
ु छे द में रखा िाता है ।
(3) अनुच्छे द िे सभी वाक्य एि-दस ू रे से गहित और सम्बद्ध होते है । वाक्य छोटे
तथा एि दस ु रे से िड
ु े होते है ।
(4) अनच्
ु छे द एि स्वतन्र और पर्
ू ि रचना है , जिसिा िोई भी वाक्य अनावश्यि नहीं
होता।
(5) उच्च िोहट िे अनुच्छे द-िेखन में ववचारों िो इस क्रम में रखा िाता है कि उनिा आरम्भ,
मध्य और अन्त आसानी से व्यक्त हो िाए और किसी िो भी समझने में िोई परे शानी न हो।
(1) अनच्
ु छे द लिखने से पहिे रूपरे खा, संिेत-बबंद ु आहद बनानी चाहहए।
(2) अनच्
ु छे द में ववषय िे किसी एि ही पि िा वर्िन िरें ।
(8) ववषय से संबंगधत सजू क्त अथवा िववता िी पंजक्तयों िा प्रयोग भी िर सिते हैं।
अनुच्छे द के उदत रण :