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8 हिंदी से संस्कृत में अनुवाद पाठ 2914
8 हिंदी से संस्कृत में अनुवाद पाठ 2914
पाठ 2
बिलस्य वाणी न कदापि मे श्रत ु ा
(क) गफ ु ा का स्वामी गीदड़ था।
गह ु ाया: स्वामी शग ृ ाल: आसीत ्।
(ख) गफ ु ा का स्वामी दधिपच् ु छ था।
गह ु ाया: स्वामी दधिपच् ु छ: आसीत ्।
(ग) दस ू रे पशु भी भयभीत हो गए ।
अन्ये पशव: अपि भयभीता: अभवन ्।
(घ) गीदड़ ने भी यह पढ़ा।
शग ृ ाल: अपि इमम ् अपठत ्।
(ङ)गफ ु ा मेरे भय से नहीं बोलती है ।
गहु ा मद् भयात ् न वदति।
(च) तो क्या करूं तत ् किम ् करवाणि?
(छ)रात में कोई जीव आता है ।
रात्रौ कोऽपि जीव: आगच्छति ।
पाठ 9
सप्तभगिन्य:
संस्कृत में अनवु ाद कीजिए -
(1) हमारे दे श में कितने राज्य हैं?
(2) प्राचीन इतिहास में सात बहनें स्वतंत्र थीं ।
(3) हमारे दे श में केंद्र शासित प्रदे श भी हैं ।
(4)भगिनी सप्तक में कौन से राज्य हैं?
(5) इस प्रदे श में हस्तशिल्प की अधिकता है ।
(6) ये राज्य छोटे हैं ।
(7)हम वहीं जाना चाहते हैं।
(8) सात बहनें सर्वाधिक रम्य हैं।
(9)भगिनी प्रदे श बहुत आकर्षक है ।
(10) वहां बांस के पेड़ हैं।
(11)मेरी बहन कहती है ।
(12) आज क्या पढ़ना है ?
(13)हम अपने दे श के राज्यों से विषय में जानना चाहते हैं।
(14) इनमें सात राज्यों का एक समह ू है ।
(15) क्या तम ु सब जानते हो?
पाठ 14 आर्यभट:
(क) मानव: पथ् ृ वी को स्थिर अनभ ु व करता है ।
मानव: पथ् ृ वीं स्थिराम ् अनभ ु वति ।
(ख) हमारे प्रथम - उपग्रह का नाम आर्यभट है । ।
अस्माकं प्रथम - उपग्रहस्य नाम आर्यभट: अस्ति।
(ग) सर्य ू पश्चिम दिशा में अस्त होता है ।
सर्य
ू : पश्चिमदिशायाम ् अस्तं गच्छति।
(घ) सर्य ू अचल है ।
सर्य ू : अचल: अस्ति।
(ङ) पथ् ृ वी चलायमान है ।
पथ्
ृ वी चला अस्ति।
(च) सर्य ू पर्वू दिशा में उदित होता है ।
सर्य ू : पर्वू दिशायाम ् उदे ति ।
(छ) आर्यभट की वेधशाला पाटलिपत्र ु के पास थी।
आर्यभटस्य वेधशाला पाटलिपत्र ु ं निकषा आसीत ्।