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ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
.IN
ॐ ॐ
ॐ ॐ
DF ॐ
ॐ
AP
ॐ ॐ
ST
ॐ ॐ
IN
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपाववतस्थले
ॐ ॐ
गलेऽवलम्ब्य लम्बिताां भुजांगतुां गमाललकाम।
.IN
डमड्डमड्डमड्डमवििादवड्डमववयां
ॐ ॐ
चकार चां डताांडवां तिोतु िः लिवः लिवम ॥1॥
ॐ ॐ
DF
जटा कटा हसां भ्रम भ्रमविललांपविर्वरी ।
ॐ
ॐ
AP
ववलोलवी लचवल्लरी ववराजमािमूर्वव ि ।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ
जटा भुजां गवपांगल स्फुरत्फणामलणप्रभा- ॐ
.IN
ॐ मिो वविोदद्भतु ां वबांभतुव भूतभतवरर ॥4॥ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ
कराल भाल पवट्टकार्गद्धगद्धगज्ज्वल- ॐ
.IN
ॐ प्रकल्पिैकलिम्बल्पवि वत्रलोचिे मवतमवम ॥7॥ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ
अगववसववमांगला कलाकदिमां जरी- ॐ
.IN
ॐ गजाांतकाांर्काांतकां तमां तकाांतकां भजे ॥10॥ ॐ
ॐ जयत्वदभ्रववभ्रम भ्रमद्भज
ु ां गमस्फुर- ॐ
DF
द्धगद्धगवि विगवमत्कराल भाल हव्यवाट-
ॐ
ॐ
AP
लर्वमवद्धवमवद्धवम िन्मृदांगतुां गमां गल-
ॐ ध्वविक्रमप्रववतवत प्रचण्ड ताण्डवः लिवः ॥11॥ ॐ
ST
ॐ दृषविलचत्रतल्पयोभुज
व ां ग मौविकमस्रजो- ॐ
IN
गवररष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृविपक्षपक्षयोः । ॐ
ॐ
तृणारववांदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
ॐ ॐ
समां प्रवतवयन्मिः कदा सदालिवां भजे ॥12॥
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ
कदा विललांपविर्वरी विकु जकोटरे वसि ॐ
.IN
ॐ लिवेवत मां त्रमुच्चरिकदा सुखी भवाम्यहम॥13॥ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ
इमां वह वित्यमेव मुिमुिमोत्तम स्तवां ॐ
.IN
ॐ ववमोहिां वह दे हिा तु िां करस्य लचांतिम ॥16॥ ॐ
ॐ पूजाऽवसािसमये दिवक्रत्रगीतां ॐ
यः िम्भूपज
DF
ू िवमदां पठवत प्रदोषे ।
ॐ
ॐ
AP
तस्य म्बस्थराां रिगजेंद्रतुरांगयुिाां
ॐ लक्ष्मी सदैव सुमुखीां प्रददावत िम्भुः ॥17॥ ॐ
ST
ॐ ॐ
॥ इवत लिव ताांडव स्तोत्रां सां पूणम
व ॥
IN
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ
वहन्दी अिव ॐ
.IN
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपाववतस्थले ॐ
ॐ
गलेऽवलम्ब्य लम्बिताां भुजङ्गतुङ्गमाललकाम।
ॐ ॐ
DF
डमड्डमड्डमड्डमवििादवड्डमववयां
चकार चण्डताण्डवां तिोतु िः लिवः लिवम॥१॥ ॐ
ॐ
AP
ॐ ॐ
उिके बालोां से बहिे वाले जल से उिका कां ठ पववत्र है, और
ST
डमट डमट डमट की ध्ववि विकल रही है, भगवाि लिव िुभ
ॐ ॐ
ताांडव िृत्य कर रहे हैं, वे हम सबको सां पिता प्रदाि करें ।
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमविललम्पविर्वरी
.IN
ॐ ववलोलवीलचवल्लरीववराजमािमूर्वव ि। ॐ
र्गद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके ॐ
ॐ
DF
वकिोरचन्द्रिेखरे रवतः प्रवतक्षणां मम॥२॥
ॐ
ॐ
AP
मेरी लिव में गहरी रुलच है, लजिका लसर अलौवकक गां गा िदी ॐ
ॐ
ST
ॐ
मस्तक की सतह पर चमकदार अवग्न प्रज्वललत है, और जो ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
र्रार्रेन्द्रिां वदिीववलासबन्धुबन्धुर
.IN
ॐ स्फुरविगन्तसन्तवतप्रमोदमािमािसे। ॐ
कृ पाकटाक्षर्ोरणीविरुद्धदुर्रव ापवद ॐ
ॐ
DF
क्वलचविगिरे(क्वलचम्बच्चदिरे) मिो वविोदमेतु वस्तुवि॥३॥
ॐ
ॐ
AP
मेरा मि भगवाि लिव में अपिी खुिी खोजे, अद्भतु ब्रह्माण्ड ॐ
ॐ
ST
ॐ
असार्ारण आपदा को वियां वत्रत करते हैं, जो सववत्र व्याप्त है, ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
जटाभुजङ्गवपङ्गलस्फुरत्फणामलणप्रभा
.IN
ॐ कदिकु ङ्कुमद्रवप्रललप्तवदग्वर्ूमख
ु ।े ॐ
मदान्धलसन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदरु े ॐ
ॐ
DF
मिो वविोदमद्भतु ां वबभतुव भूतभतवरर॥४॥
ॐ
ॐ
AP
मुर्े भगवाि लिव में अिोखा सुख वमले, जो सारे जीवि के ॐ
ॐ
ST
ॐ
रां ग वबखेर रहा है, जो वविाल मदमस्त हािी की खाल से बिे ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
सहस्रलोचिप्रभृत्यिेषलेखिेखर
.IN
ॐ प्रसूिर्ूललर्ोरणी ववर्ूसराविपीठभूः । ॐ
भुजङ्गराजमालया विबद्धजाटजूटक ॐ
ॐ
DF
लियै लचराय जायताां चकोरबन्धुिख
े रः ॥५॥
ॐ
ॐ
AP
भगवाि लिव हमें सां पिता दें , लजिका मुकुट चां द्रमा है, लजिके ॐ
ॐ
ST
बाल लाल िाग के हार से बां र्े हैं, लजिका पायदाि फूलोां की
ॐ ॐ
र्ूल के बहिे से गहरे रां ग का हो गया है, जो इां द्र, वविु और
IN
ॐ
अन्य दे वताओां के लसर से वगरती है । ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ललाटचत्वरज्वलद्धिञ्जयस्फुललङ्गभा
.IN
ॐ विपीतपञ्चसायकां िमविललम्पिायकम। ॐ
सुर्ामयूखलेखया ववराजमाििेखरां ॐ
ॐ
DF
महाकपाललसम्पदेलिरोजटालमस्तु िः ॥६॥
ॐ
ॐ
AP
लिव के बालोां की उलर्ी जटाओां से हम लसवद्ध की दौलत प्राप्त ॐ
ॐ
ST
ॐ
िारा आदरणीय हैं, जो अर्व-चां द्र से सुिोलभत हैं । ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
करालभालपवट्टकार्गद्धगद्धगज्ज्वल
.IN
ॐ द्धिञ्जयाहुतीकृ तप्रचण्डपञ्चसायके । ॐ
र्रार्रेन्द्रिलन्दिीकु चाग्रलचत्रपत्रक ॐ
ॐ
DF
प्रकल्पिैकलिम्बल्पवि वत्रलोचिे रवतमवम॥७॥
ॐ
ॐ
AP
मेरी रुलच भगवाि लिव में है, लजिके तीि िेत्र हैं, लजन्ोांिे ॐ
ॐ
ST
ॐ
ही एकमात्र कलाकार है जो पववतराज की पुत्री पाववती के स्ति ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
िवीिमेघमण्डली विरुद्धदुर्रव स्फुरत
.IN
ॐ कु हूवििीलििीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः । ॐ
विललम्पविर्वरीर्रस्तिोतु कृ वत्तलसन्धुरः ॐ
ॐ
DF
कलाविर्ािबन्धुरः लियां जगद्धरु ांर्रः ॥८॥
ॐ
ॐ
AP
भगवाि लिव हमें सां पिता दें , वे ही पूरे सां सार का भार उठाते ॐ
ॐ
ST
हैं, लजिकी िोभा चां द्रमा है, लजिके पास अलौवकक गां गा िदी
ॐ ॐ
है, लजिकी गदव ि गला बादलोां की पतों से ढां की अमावस्या की
IN
ॐ
अर्वरावत्र की तरह काली है । ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
प्रफुल्लिीलपङ्कजप्रपञ्चकाललमप्रभा
ॐ ॐ
वलम्बिकण्ठकन्दलीरुलचप्रबद्धकन्धरम।
ॐ ॐ
स्मरम्बच्छदां पुरम्बच्छदां भवम्बच्छदां मखम्बच्छदां
.IN
गजम्बच्छदाांर्कम्बच्छदां तमन्तकम्बच्छदां भजे॥९॥ ॐ
ॐ
ॐ ॐ
DF
मैं भगवाि लिव की प्रािविा करता हूां, लजिका कां ठ मां वदरोां की
चमक से बां र्ा है, पूरे लखले िीले कमल के फूलोां की गररमा से ॐ
ॐ
AP
लटकता हुआ, जो ब्रह्माण्ड की काललमा सा वदखता है ।
ॐ ॐ
ST
ॐ
जो कामदे व को मारिे वाले हैं, लजन्ोांिे वत्रपुर का अांत वकया, ॐ
IN
को परालजत वकया ।
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
अगवव सववमङ्गलाकलाकदिमञ्जरी
ॐ रसप्रवाहमार्ुरी ववजृम्भणामर्ुव्रतम। ॐ
.IN
ॐ ॐ
गजान्तकान्धकान्तकां तमन्तकान्तकां भजे॥१०॥
ॐ ॐ
DF
मैं भगवाि लिव की प्रािविा करता हूां, लजिके चारोां ओर
ॐ
ॐ
AP
मर्ुमम्बियाां उड़ती रहती हैं । िुभ कदां ब के फूलोां के सुां दर
ॐ गुच्छे से आिे वाली िहद की मर्ुर सुगांर् के कारण, जो ॐ
ST
ॐ ॐ
बलल का अांत वकया, लजन्ोांिे अांर्क दै त्य का वविाि वकया,
जो हालियोां को मारिे वाले हैं, और लजन्ोांिे मृत्यु के दे वता यम
ॐ ॐ
को परालजत वकया ।
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
जयत्वदभ्रववभ्रमभ्रमद्भज
ु ङ्गमश्वस
.IN
ॐ विविगवमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट। ॐ
लर्वमवद्धवमवद्धवमध्विन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल ॐ
ॐ
DF
ध्वविक्रमप्रववतवत प्रचण्डताण्डवः लिवः ॥११॥
ॐ
ॐ
AP
ॐ
लिव, लजिका ताांडव िृत्य िगाड़े की वढवमड वढवमड तेज ॐ
ST
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
दृषविलचत्रतल्पयोभुज
व ङ्गमौविकस्रजोर
.IN
ॐ गररष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृविपक्षपक्षयोः । ॐ
तृणारववन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः ॐ
ॐ
DF
समां प्रवव्रवतक: कदा सदालिवां भजाम्यहम॥१२॥
ॐ
ॐ
AP
ॐ
मैं भगवाि सदालिव की पूजा कब कर सकूां गा, िाश्वत िुभ ॐ
ST
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
कदा विललम्पविर्वरीविकु ञ्जकोटरे वसि
.IN
ॐ ववमुिदुमवव तः सदा लिरः स्थमञ्जललां वहि। ॐ
ववमुिलोललोचिो ललामभाललग्नकः ॐ
ॐ
DF
लिवेवत मां त्रमुच्चरि कदा सुखी भवाम्यहम॥१३॥
ॐ
ॐ
AP
ॐ
मैं कब प्रसि हो सकता हूां, अलौवकक िदी गां गा के विकट ॐ
ST
ॐ लिव मां त्र को बोलते हुए, महाि मस्तक और जीवां त िेत्रोां वाले ॐ
भगवाि को समवपवत ?
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
विललम्प िाििागरी कदि मौलमम्बल्लका-
.IN
ॐ विगुम्फविभवक्षरन्म र्ूम्बिकामिोहरः । ॐ
ॐ
इस स्तोत्र को, जो भी पढ़ता है, याद करता है और सुिाता है, ॐ
ST
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
प्रचण्ड वाडवािल प्रभािुभप्रचारणी
.IN
ॐ महाष्टलसवद्धकावमिी जिावहूत जल्पिा। ॐ
ॐ
सायां काल में पूजा समाप्त होिे पर जो रावण के गाये हुए इस ॐ
ST
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
इमां वह वित्यमेवमुिमुत्तमोत्तमां स्तवां
.IN
ॐ पठन्स्मरन्ब्रुविरो वविुवद्धमेवतसां ततम। ॐ
ॐ
इस उत्तमोत्तम लिव ताण्डव स्तोत्र को वित्य पढ़िे या िवण ॐ
ST
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
पूजावसािसमये दिवक्त्रगीतां
.IN
ॐ यः िम्भुपज
ू िपरां पठवत प्रदोषे। ॐ
ॐ
प्रात: लिवपूजि के अांत में इस रावणकृ त लिवताण्डवस्तोत्र के ॐ
ST
गाि से लक्ष्मी म्बस्थर रहती हैं तिा भि रि, गज, घोड़े आवद
ॐ ॐ
सम्पदा से सववदा युि रहता है।
IN
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
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ॐ
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ॐ ॐ
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ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ